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इश्क या जुनून

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Chhaya Parmar

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प्रेम, इंडिया का सबसे आकर्षक और धनी बेचलर लड़का है। वह अपनी सनक और मनमानी के लिए जाना जाता है। कुछ लोग उसे निर्दयी भी कहते हैं। दूसरी तरफ, कशिश अपने नाम की तरह ही प्यारी और चुलबुली लड़की है। वह एक मध्यमवर्गीय परिवार से है। लेकिन उसे गुस्सा बहुत जल्दी...

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Prem oberoy

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Kashish Varma

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Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. इश्क या जुनून - Chapter 4

    Words: 1823

    Estimated Reading Time: 11 min

    मुंबई सपनों का शहर

    एक फ़ार्म हाउस मे

    " मुझसे गलती हो गई प्रेम सर मुझे माफ कर दिजिये । " एक लडका जो दिखने में इक्कीस या बाइस साल का कॉलेज स्टूडेंट लग रहा था वो अपने घुटनों के बल बैठकर हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाते हुए उसी की उमर के एक लडके प्रेम से रहम की भीख मांग रहा था ।

    वहीं वो लडका जिसका नाम प्रेम था ,जिसके चारों तरफ बोडि गाड्स खडे थें जिन्होंने ब्लेक कलर का युनिफोर्म पहन रखा था और सभी के कान मे ब्लूटूथ लगाया हुआ था ताकी एक दुसरे से कनेक्ट रहे सकें ।

    और प्रेम के ठिक सामने वो लडका रहम की भीख मांग रहा था।

    उस लड़के की बात सुन प्रेम गुस्से गरजते हुए बोला " गलती हो गई हा ! पता है मुझे गलती शब्द से कितनी नफ़रत है । एक बार माफ कर दो तो साली बार बार होती है । और मुझे गलती और गलती करने वालें दोनों ही पसंद नहीं है । इसलिए तेरी सजा तो तय है । "

    इतना बोल प्रेम के एक्सप्रेशन तिरछे हो गये । तभी वो लड़का लगभग रोते हुए उसके पैरों में गिर गया और बोला " नहीं सर प्लीज़ आखरी बार माफ कर दिजिये ,आइंदा से कभी आपके खिलाफ कोई कंप्लेन नहीं करूंगा प्लीज़ ।मेरी हीं मती मारी गई थी जो मैंने आपसे पंगा लिया आखरी ग़लती समझकर माफ कर दिजिए प्लीज़ ! "

    ये बोलते हुए वो लडका हद से ज्यादा डर रहा था ।

    वहीं उसके इतने गिड़गिड़ाने पर भी प्रेम को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड रहा था । उसने अपनी कर्कश भरी आवाज में कहां बेटा पंगा तो तुने ले लिया , मुझे बोहोत कम आंक कर । तुझे क्या लगा कि तु मेरी कंप्लेन करेगा और पुलिस मुझे जैल में डाल देंगी । तुझे पता नहीं क्या पुलिस तो मैं अपनी जेब में लेकर घूमता हुं , कोई मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता । पर मैं तुम्हारा बोहोत कुछ बिगाड सकता हुं । गलती की हैं ना तुने , मेरी कंप्लेन करने की गलती और प्रेम ऑबरोय ग़लती की माफी नहीं सजा देता है। सोचों जिस जुबान से तुने मेरी कंप्लेन की है वो जुबान हीं ना रहे तो ! "

    प्रेम की ऐसी बात सुन लो लडका कांप उठा । वो तुरंत रोते हुए बोला " नहीं प्रेम सय प्लीज़ मुझे माफ कर दिजिये ,इतनी बडी सजा मत दिजिये मुझे। दुबारा ये गलती नहीं होगी । "

    " प्रेम ऑबरोय दुबारा ग़लती करने का मौका भी नहीं देता । " इतना बोल प्रेम ने सामने खड़े बोडि गाड्स की तरफ देखा तो तुरंत सामने से दो बोडि गार्डस हरकत में आयें और उस लड़के की बाजु ये पकड़कर उसे वहां से घसीटते हुए ले गये ।

    वो लडका रोता रहा गिडगिडाता रहा पर कीसीने उसकी एक ना सुनी । प्रेम अपनी दोनों पोकेट में हाथ डाल होंठों पर इविल स्माइल लिए उस लड़के को ले जाते हुए देखता रहा ।

    कुछ देर बाद उस लड़के की दर्द से चिखने की आवाज आईं और प्रेम की स्माइल और भी लंबी हों गई ।

    प्रेम ऑबरोय । ऑबरोय इंडस्ट्री का एकलौता वारिश । इंडिया की सबसे रिच फैमिली का बेटा । उसकी पर्सनैलिटी ही ऐसी थीं की सारी लडकिया उसपे मरती थीं । गोरा रंग , बड़ी बडी गहरी ब्राउन आखे , ब्राउन घने बाल और एकदम गुलाबी होंठ और मस्क्युलर बॉडी। प्रेम किसी राजकुमार से कम नहीं लगता था। दिखने में हैंडसम चॉकलेटी बॉय जितना हैंडसम उसका चेहरा था उतना खतरनाक उसका किरदार था । स्वभाव से एकदम घमंडी , गुस्सेल और बेरहम इंसान । जिसको कीसी के भी दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता । फिर भी अपने चार्म की वजह से लडकीयां उसकी दिवानी थी । वो लाखों दिलों की धड़कन था पर उसके दिल की धड़कन कोई नहीं थी।

    अगले दिन सुबह का वक्त

    डाइनिंग टेबल की चॅर पर बेठा एक आदमी न्यूज पेपर पढ रहा था , जिनकी उम्र तकरीबन 50 साल होगी ।

    उनके पास एक महिला आई जिनकी उम्र तकरीबन 45 साल होगी वो उनके हाथ से पेपर छिनकर डांटते हुए बोली " ये क्या है जी ! डाइनिंग टेबल पर खाना खाया जाता है , ना की पेपर पडा जाता है । मैं दों मिनट के लिए किचन में क्या गईं आपने फ़िर से पेपर उठा लिया ! "

    इतना बोलकर पेपर को फोल्ड करके सोफे पर रख दिया ।

    वहीं उनकी बात सुन कर वो आदमी जिनका नाम राजीव वर्मा था वो बोलें" भाग्यवान सुबह सुबह इतना गुस्सा क्यों कर रही है आप । आप चाय नाश्ता लेने गई थीं इसलिए मैंने सोचा तब तक थोडा पेपर पढलु । "

    राजीव जी की बात सुन वो महिला जिनका नाम स्मिता वर्मा था वो बोली " हा तो चाय नाश्ता लेकर आने में सिर्फ दो मिनट ही तो हुईं हैं , इतने में आपने फिर से पेपर उठा लिया ! आपको तो बस पेपर पढ़ने का बहाना चाहिए । जब देखो तब पेपर पढ़ते रहेते है । जब तक आपके हाथ से पेपर ना छिन लो तब तक आपके रखते नहीं है । खाने पीने का भी होंश नहीं रहेता आपको । "

    स्मिता जी की इतनी सारी डांट सुन राजीव जी हार मानते हुए बोलें " अच्छा बाबा गलती मेरी है , मुझे फिर से पेपर नहीं लेना चाहिए था । आप जीती और मैं हारा बस ।अब मैं चुपचाप नाश्ता करूंगा । नाश्ता करने के बाद ही पेपर को हाथ लगाऊंगा अब खुश । "

    उनकी बात पर स्मिता जी मुस्कुरा दी और और उन्हें चाय नाश्ता दिने लगी।

    राजीव जी भी मुस्कुराते हुए नाश्ता करने लगे । नाश्ता मैं आलु के पराठे थें।

    आलु पराठे को देख राजीव जी को कुछ याद आया और वो स्मिता जी की तरफ देख बोलें " आज कशीश की कॉलेज का पहला दिन है ना स्मीता जी,तो वो अब तक नीचे क्यों नहीं आई ? "

    इतना बोल घडी में टाइम देखते हुए बोलें " आठ बज रहे हैं ये तो कशीश का कॉलेज जाने का वक्त है ना ! "

    वहीं दूसरी तरफ

    एक कमरे में एक लड़की बोहोत ही आराम से हाथ पैर फैलाकर सो रही थी ।

    ये हैं कशीश वर्मा हमारी कहानी की हिरोइन

    " कशीश दिखने में बहुत हीं खुबसूरत है, उसका चेहरा चाँद भी सरमा जाये इतना गोरा और सुंदर है गाल मक्खन जैसे मुलायम कीं छूओ तो दाग लग जाये काली गेहरी आँखे जिसमें देखते ही डूब जाने का मन करें काले लंबे घने नागिन जैसे बाल और गुलाब कीं पंखुडियों के जैसे एकदम गुलाबी होठ जैसे सारे गुलाब का रस उसमें ही आ गया हो । "

    कशीश की उम्र 19 साल है और हाइट 5 फुट 6 ईच हैं ।

    कशीश अपने नाम की तरहां हीं एक खुशनुमा लड़की है । पर गुस्सा तो हमेशा उसकी नाक पर ही रेहता है कब किसी पे भी बरस पड़े पता ही नहीं चलता।

    अब बात करते हैं आगे

    कशीश दुनिया जहां की चिंता से मुक्त आराम से सो रही थी तभी उसकी घड़ी का अलार्म बजा

    अलार्म बजा तों गहेरी नींद से उठती हुई कशीश ने अलार्म बंद करने के लिए हाथ बढ़ाया और नींद में ही अलार्म बंद किया फिर आँखे मलते हूए उठी और जैसे हीं घड़ी की तरफ़ देखा तो चौंक गई फिर दोबारा आँखे मलते हूए लगभग चिल्लाते हुए

    कहा " आठ ! आठ बज गए और में अभी तक सो रहीं हूँ? आज कॉलेज का पहेला दिन हैं और आज ही लॅट हो गई । मैं ने तो सात बजे का अलार्म लगाया था तो ये आठ बजे क्यु बजा । आज कॉलेज के पहलें दिन हीं टीचर सें डांट पडने वाली हैं ।

    ऐसे ही बड़बड़ाते वो जल्दी से बेड से उतर के भागते हुए बाथरूम में घूस गई। जैसे तैसे जल्दी तैयार हो के और अपना बैग कंधे पर लगाये,भागते हुए हीं सीढीयो से नीचे आईं ।

    वो इतनी जल्दी में थीं की डायनिंग टेबल पर बैठे उसके मम्मी पापा की तरफ भी उसका ध्यान नहीं गया और भागते हुए बहार की तरफ जाने लगी तभी उसके पापा ने आवाज़ लगाई" ऐसे भागते हुए कहा जा रहीं है बेटा ? चाय नाश्ता तो कर ले।

    उनकी बात सुन कशीश वहां रूकी फिर उनकी तरफ देख मना करते हुए

    बोली " नहीं पापा ओलरेडी लेट हो चुकी हु अब नाश्ता करने रूकी तो बोहोत ज्यादा लेट हो जाऊंगी। और आज कॉलेज के पहले दिन ही प्रोफेसर की डांट नहीं खाना चाहती। आप चिंता मत करिये मैं कैंटिन मे कुछ खा लुंगी। "

    बोलकर जाने को हुई की तभी स्मिता जी जो एक पेपर मे पराठा लिपेटकर उसके पास आ चुकी थी वो तुरंत हीं उसका हाथ पकड़कर बोली " ऐसे भुखे पेट घर से बाहर नहीं जाते बेटा। ले राश्ते मे खा लेना। " उन्होंने पेपर मे लिपटा हुआ पराठा कशीश के हाथ में दे दिया

    तो कशीश तुरंत उसे लेकर भागती हुई निकल गई।

    उसे ऐसे पागलो की तरहा भागकर जाते देख स्मिता जी उसकी चिंता करते हुए बोली " अरे बेटा संभलकर,गिर जाओगी तो चोट लग जायेगी।"

    पर कशीश ने उनकी बात मानो सुनी ही नहीं और ऐसे ही भागते हुए निकल गई।

    स्मिता जी उसे जातें हुए तब तक देखतीं रहीं जब तब वो उनकी नजरों से ओझल नहीं हो गईं।

    उसके जाते ही वो बडबडाते हुये डायनिंग टेबल के पास आई और बोली " ये लडकी भी ना,उन्नीस की हो गई है पर हरकतें तो अभी भी बच्चों वाली है उसकी। "

    तभी राजीव जी बोले " आप क्यों फ़िक्र करती है स्मिता जी, वो बोहोत समझदार बच्ची है हमारी। आप नाश्ता कर लिजिये।"

    स्मिता जी वही चैर पर बैठ कशिश की चिंता करते हुए बोली"पता नहीं हमारी बच्ची उन अमीरो के कॉलेज में अच्छे से पढ पायेगी या नहीं। पता नहीं क्यों उसने इतनी मेहनत करके स्कोलरसिप ली सिर्फ उसी कॉलेज में जाने के लिए। फर्स्ट यर तो यहा की गवर्मेंट कॉलेज में कंप्लीट हो ही गया था ना। आगे भी पढ लेती यहा। पता नहीं वहा नये और अमीर लोगों के बीच कैसे पढ पायेगी हमारी बेटी।"

    राजीव जी स्मिता जी के हाथ पर हाथ रखकर बोले"वहा कुछ नया सिखने को मिलेगा उसे। और आप इतनी चिंता क्यो करती है उसकी?आप चिंता मत किजिए स्मिता। वो हमारी सबसे स्ट्रोंग बच्ची हैं। सबकुछ हैंडल कर लेंगी।"

    राजीव जी की बातों को सुन स्मिता जी ने हा मे सिर हिला दिया पर उनके मन में अभी भी घबराहट थी जो क्यों थी वो तों वो भी नहीं जानती थी।

    वहीं दूसरी तरफ

    कशीश एक हाथ से पराठा खाते हुए दुसरे हाथ से बैंग संभालते हुए, भागते हुए बस स्टैंड की तरफ जा रही थी।

    तभी उसकी नजर बस पर पडी जिसमे वो जाने वाली थी।बस को देख उसने अपने भागने की स्पीड बढा दी।

    उसका पुरा ध्यान अपनी बस पर ही था।

    वो बस स्टैंड तक पहुंचने ही वाली थी की एक दम से एक लडके से उसकी एक जोरदार की टक्कर हो गई।

    और उस टक्कर से उसका बैग हवा मे उड़कर वहीं जमीन पर गिर गया और पराठा सीधे उस लड़के के जैकेट से लगकर नीचे जमीन पर गिरा।

    to be continued...✍️

  • 2. इश्क या जुनून - Chapter 4

    Words: 603

    Estimated Reading Time: 4 min

    कशीश एक हाथ में पराठा लेकर खाते हुए और कंधे पर बैंग लिए बस स्टैंड कीं और भाग के जा ही रही थी तभी  एक लड़का सामने से दूसरी तरफ देखता हुआ और एक हाथ में फोन लिए हूए बात करता हुआ कशीश से जोर से टकरा गया ।  टकरा ते ही कशीश  का बैंग दूसरी तरफ गिर  गया और उसका सारा सामान बिखर गया  वही वो जो पराठा वो खा रहीं थी वो भी उस लड़के के जैकेट से लगकर नीचे जमीन पर गिर गया। 

    उस लड़के का फोन भी जमीन पर गिर गया । पर उसने अभी भी कशीश की तरफ नहीं देखा था ।

    कशीश बस स्टैंड सें बस थोड़ी हीं दूर थीं और वहां पहोच ने सें पहले ही उसकी टक्कर हो गई थी और उसी  टक्कर की वज़ह से कशीश कीं बस भी छूट गई  । कशीश नें बस को जातें हुए देखा तो उसने आवाज़ भी लगाई पर बस ड्राइवर तक उसकी आवाज़ पहोची हीं नहीं और बस चलीं गई । कशीश ने निराशा और गुस्से से उस लडके कीं तरफ़ देखा जिसकी उसे सिर्फ पीठ हीं दिखाई दे रही थी ।

     वो उससे  कूछ कहने हीं वाली थीं पर उसके कुछ कहने के पहले ही वोह लड़का बिना उसकीं तरफ़ देखे अपना फोन लेके सिर्फ एक शब्द बोला :  इडियट  ।

    फिर वहा से सामने खडी अपनी  बडी सी मर्सिडीज में बैठकर  चला  गया   ।

    कशीश का गुस्सा तो मानों सातवें आसमान पर था  । उसने जैसे ही उस लडके का शब्द सूना तो उसने उस जाती हुई मर्सिडीज के सामने देखते हुये गुस्से से चिल्लाते हुए

    कहा, " क्या कहां ? इडियट  ! में इडियट  । तू इडियट तेरा पूरा खानदान इडियट  । एक तो खुद देख के चलते नहीं हो फ़िर दूसरो को इडियट कहते हो  । बोलने कीं तमीज ही नहीं हैं।  इतना बड़ा रोड है तो दिखता नहीं हैं कोई सामने से आ रहा है ।  मेरा पूरा सामान गिरा दिया और बस भी छूट गई । मेरा ख़ाना भी गिरा दिया ।

    कशीश इतना केहते हुए हीं उदास हो गई । पर उसकी कोई भी बात उस मर्सिडीज वाले ने  नहीं सुनी । फिर थक हार कर  बैठ के अपना सामान बटोरने लगी  । फिर उदास मन से खुद से ही 

    बोली  "  यें आज क्या हो रहा है वैसे ही बहुत देर हो गई थी और ईस लड़के कीं वज़ह से और देर हो गई बस भी छूट गई आज पक्का टिचर से डांट पडने वाली हैं। कैसा मनहूस दिन हैं मेरा  दितना जल्दी जाने कीं कोशिश करती हूँ उतनी ही देर हो रही हैं  ।  सब उस लडके कीं वज़ह से । उसकी ही गलती थीं टक्कर मारी उपरसे सॉरी भी नहीं बोला उल्टा मुझे हीं इडियट बोलके चला गया  । लडकियो से बात करने कीं तमीज ही नहीं हैं उस अमीर बाप कीं बिगड़ी हुई औलाद को  ।

    इतना केह के कशीश अपना सामान लेके और  दूसरी बस लेके जैसे तैसे कॉलेज पहोंच गई  ।

    कॉलेज पहोंच ते ही  बहार से ही जब कशीश ने कॉलेज देखीं तो उसकी आंखें हैरानी से बडी हो गई । 

    वो  कॉलेज को देखते हुए आश्चर्य से बोली  : कितनी बड़ी और सुंदर कॉलेज है  ! 

    इतना बोल कॉलेज के अंदर आई फिर कीसी से  पूछ कर अपनी क्लास रूम कीं तरफ़ बढ गई । क्लास रूम तक पहोच ते ही उसने देखा तो एक मॅम पढ़ा रही थी ।

    कशीश को डर भी लग रहा था और नर्वस भी थीं । फिर थोड़ी हिचकिचाहट के साथ अंदर आने कीं परमिशन मांगते हुए बोली , " May i come in mam ? 

    to be continued..✍️

    क्या होगा आगे जानने के बने रहिये।

  • 3. chepter 3

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    कशीश कीं आवाज सुनकर मॅम कीं और क्लास में पढ रहे सभी स्टूडेंट की नजर उस पर पड़ी तभी मॅम ने थोड़ी उंची आवाज और गुस्से से
    कहा : ये कोई टाइम हैं कॉलेज आने का ? धडी देखीं हैं पूरे एक घंटे लॅट हो  । कॉलेज के पहलें दिन हीं लॅट आयीं हो तो पूरा साल क्या करोगी  ? कोई डिसिप्लिन  हैं या नहीं   ! 

    मॅम की इतनी सारी डांट खा कर कशीश धबरा गई वो थोड़ा झिझकते हूए बोली  : वॉ मॅम मेरी बस... 
    इतना ही कहा था तभी मॅम ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा  :
    " जो भी हो आइंदा से मेरी क्लास में देर सें मत आना वरना क्लास में बैठने नहीं दूंगी  । आज तुम्हारा पहेला दिन हैं इस लिए तुमे जाने दे रहीं हूँ  ।  अब जाओ अपनी सीट पर बैठो  । " मॅम की बात में वोर्निग थी जो कशीश बोहोत अच्छे से समझ रहीं थीं ।

     कशीश भी आगे कुछ नहीं बोल कर चूपचाप जाके  अपनी  सीट पर बैठ गईं  । वो मन हीं मन उस लडके को कोसते हुए बोली  :
    " यें सब उस अमीर बाप कीं बिगड़ी हुई औलाद की वज़ह से हुआ है ,  ना ही वो मुझसे टकराता और ना ही मेरी बस छूटती और ना ही मैं लॅट होती और ना ही मुझे मॅम कीं डांट खानी पड़ती ।  कॉलेज के पहलें दिन हीं मेरी कैसी इमेज बन गई मुझे डिसिप्लिन का ज्ञान मिल गया  । सब कुछ उस लडके कीं वज़ह से  । एकबार वो मूझे कहीं मिल गया ना तों में उसे छोडूंगी नहीं  । "

     कशीश अपनी हीं खयालों में कहीं  गुम थी तभी उसके कान में फिर से मॅम की आवाज पड़ी । 

     वो कशीश की तरफ देखते हुए बोली : " तुम इस कॉलेज में नईं होना तो सबको अपना इंट्रोडक्शन दो  । "

    मॅम कीं बात सुनकर कशीश अपनी खयालो कीं दुनिया से बहार आई फिर  अपनी जगह पर  खड़े होकर एक इनोसेंट सी स्माइल के साथ अपना परिचय देते हुए
    बोली  : " हैं  मेरा नाम कशीश वर्मा है  ।  मुझे आप सब सें मिलकर बोहोत खुशी हुई आइ होप आप लोगों को भी मुझसे मिलकर खुशी हुई होगी  ।  "

    कशीश की बात सुनकर किसी ने भी कुछ खास रिएक्ट नहीं किया सबने उसे ईग्नोर किया  । सिर्फ एक लड़की को छोड़कर ।  उसने कशीश को एक प्यारी सी स्माइल दी  । 

    कोलॅज के सारे स्टूडेंट  बोहोत ही अमीर खानदान सें थें  । जितना बड़ा रुतबा था उतना ही  बड़ा ईगो था  । हर किसी को अपने पैसों पर घमंड था  ।  

    वही दुसरी तरफ खुद को यू ईग्नोर होता हुआ देख कशीश को अच्छा नहीं लगा उसे बोहोत बुरा  लगा वो मन ही मन  बोली  :
     " कैसे घमंडी लोग हैं यहा। मैने कितने प्यार से बिहेव किया फिर भी सबने मूझे ईग्नोर किया  । सब को छोड़कर सिर्फ एक लड़की ने ही स्माइल दी  मूझे  ।  इतना एटीट्यूड  । सच कहते हैं लोग अमीरो के सीने में दिल ही नहीं  होता सिर्फ घमंड और एटीट्यूड  ही होता है ।  "

    वही मॅम ने कशीश को बैठने को कहा और पढाना शुरू किया ।
    तकरीबन दस मिनट पढाने के बाद एक लडका फोन चलाते हुए सीधे क्लास के अंदर आया वो  भी बिना मॅम की परमिशन लिए  । 

     मॅम ने उस लडक़े की तरफ देखा और शांति से कहा  :
    " प्रेम घड़ी में देखा है टाइम क्या हुआ हैं  ? तुम्हें पता है ना मूझे देर से आने वाले स्टूडेंट बिलकुल ही  पसंद  नहीं  है  । "

    वही वो लडका जिसका नाम प्रेम था वो मॅम की बात अनसुना  करते हूए सीधा अपनी सीट पर जाके बैठ गया  । 
    मगर मॅम ने अब उसे फिर भी कुछ नहीं कहा  ।

    वहीं कशीश तो ये देखके हेरान ही रहे गयीं वो मनमें बडबडाते हुए बोली :
    " जब मे लॅट आयीं तो मूझे कितना डाटा था और डिसिप्लिन पर लॅक्चर भी दिया था  और ए लड़का लॅट आया तो उसे कुछ नहीं कहा । ये कैसा न्याय हैं एक के साथ प्यार से बात कीं जा रहीं हैं और दूसरे को धमकाया जा रहा है  । और इस लडके को तो देखों बेशर्मो की तरह बिना मॅम कीं परमिशन के अंदर आके बैठ गया है बिलकुल भी तमीज ही नहीं हैं । पर मॅम उससे इतना शांति  से क्यु बात कर रहीं थी  ? " 

    इतना बोल प्रेम को ध्यान से देखने लगी , उसे वोह जाना पहचाना सा लग रहा था । वो याद करने की कोशिश करते हुए बोली : 
    " मैने इस लडके को कहीं तो देखा है पर कहा येह याद नहीं आ रहा  हैं ।"

    कशीश को प्रेम देखा देखा सा लग रहा था पर कहा वो उसे समझ नहीं आ रहा था।
    वो तो कबसे उसे टुकुर-टुकुर देखते हुए उसे पहचानने की कोशिश कर रही थी।

    पर प्रेम की नजर अभी भी उस पर नहीं पड़ी थी। वो सिर्फ अपने फोन पर ही देख रहा था और कॉलेज की सारी लड़कियां अपनी हसरत भरी निगाहों से सिर्फ उसे देख रही थी। इस उम्मीद से की वो उन सबको एक नजर देख लें।

    जब कशीश ने सारी लड़कियों को प्रेम की तरफ देखते देखा तो वो बुरा सा मुंह बनाकर धीरे से बोली " इसमे क्या हिरे जवाहरात लगे हुये हैं जो सब इसे आंखें फाड़कर देख रही हैं। सबकी सब पागल लग रही है मुझे।"
    इतना बोल उन सबसे ध्यान हटा अपनी पढ़ाई मे ध्यान देने लगी।

    कुछ देर बाद 

    प्रेम क्लास खतम होने से पहले ही बहार निकल गया । कशीश तो उसकी हरकतें देख सॉक में चली गई  । उसे बोहोत अजीब लग रहा था की प्रेम को कोई कुछ केह क्यों नहीं रहा था । ना ही मॅम कुछ बोल रहीं थीं और ना ही कोई ओर । जैसे सब उससे डरते हों । 

    कुछ देर बाद

    मॅम की क्लास खतम हुईं और ब्रेक हुआ ।
    कशीश बहार आते ही कॅन्टिन को  ढूंढने लगीं क्युकी उसके पेट में चूहे दौड रहें थें  । उसे बोहोत तेज कीं भूख लगी थीं । उसने  सुबह से कुछ नहीं खाया था जो पराठा वो लाई थीं वो भी टक्कर की वज़ह से गिर गया था । उसमें से मुष्किल से उसने एक दो बाइट हीं खाया था  फिर वो गिर गया था  ।

     कॅन्टिन ढुंढके कशीश वहां पहोंची  और कुछ खाना लेके एक टेबल के पास जाके बैठी तभी पीछे से आवाज़ आई 
    " क्या में यहा बैठ सकतीं हू ? "

    आवाज सुनकर कशीश ने पीछे मुड़ के देखा तो ये वही लड़की थीं जिसने उसे स्माइल दी थीं  ।  कशीश उसकी तरफ देख रही थी । तभी   उस लड़की ने फिर से कहा :
    " तुमने  जवाब नहीं दिया कशीश क्या में यहा बैठ सकतीं हूँ  ? "

    उसकी बात सुन कशीश अपनी सेंस में आई और बोली  "अरे क्यू नहीं बैठीयेना  । "

    कशीश की बात सुन अलीशा उसके पास बैठ गई फिर उसकी  तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए खुद का परिचय देते हुए प्यारी सी स्माइल के लिए बोली :
    " हाय माय नेम इज अलीशा , अलीशा सहाय  । क्या तुम  मुझसे दोस्ती करोगी  ? " 

    वही कशीश नें कुछ देर उसे देखा फिर वो भी अपने सर को हा में हिलाकर बोली  :
    "  क्यु नही जरूर  । मुझे भी तुमसे  दोस्ती करके खुशी होगी  । "
    इतना बोल  कशीश भी अलिशा के सामने  मुस्कुरा दी ।

    अब दोनों की दोस्ती हो गई और दोनों ने साथ बैठ के नाश्ता भी किया  ।

    To be continued....✍️

    क्यो कशीश को प्रेम जाना पहचाना सा लगा ?
    क्या होगा जब प्रेम और  कशीश आयेंगे आमने-सामने?

    जानने के लिए बने रहिए इस कहानी के साथ।
    आगे के चेप्टर के लिये मुझे फोलो करना ना भुले।

  • 4. इश्क या जुनून - Chapter 4

    Words: 1289

    Estimated Reading Time: 8 min

    कशीश और अलीशा की अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों ने साथ नाश्ता किया फिर बातें करते करते कॉलेज के गार्डन मे टहलने चली गई ।

    " ये है अलीशा सहाय दिखने में बोहोत हीं खुबसूरत। उम्र 19 साल और  स्वभाव से एक दम शांत । अमीर परिवार से थीं पर उसे अपने पैसों का जरा सा भी घमंड नहीं था । हर इंसान की बोहोत इज्जत करतीं थीं चाहें वो अमीर हो या गरीब सब को बराबर मानती थी । "

    अब बात करते हैं आगे

    कशीश और अलीशा गार्डन में खुलीं हवा का मजा ले रही थी । आज मौसम बोहोत सुहाना था और ठंडी ठंडी हवाये चल रही थी।
    कशीश भी अपनी आँखे बंद कर उस हवा को महसूस कर रहीं थीं । हवा के साथ साथ उसके बालों की कुछ लटें भी उसके गालों को सहला रही थी । कशीश तो मानो उसमें खो सी गई थी। उसे बोहोत अच्छा लग रहा था और उसके मन को शांति मिल रही थी । शायद इस लिए की आज उसने बोहोत भाग दोड़ की थी और अब जाकर कहीं उसे चैन मिला था।

    वहीं कशीश को एसा खोता हुआ देख अलीशा ने शरारती अंदाज में बोली
    " क्या हुआ मॅडम, किस दूनियाँ में खोई हुई हो ? कहीं अपने प्रिंस चार्मिग के सपनों में तों नहीं खोई होना । "

    ये बोलकर अलीशा हसने लगी ।

    वहीं उसको हसता देख और उसकी बातें सुनकर आखे खोलकर कशीश ने चिढते हुए बोली:

    "  हा हा Very funny बोहोत बुरा joke था। मूझे बिलकुल भी हसी नहीं आइ। "

    कशीश को ऐसे चिढते हुए देख अलीशा उसके कंधे से अपना कंघा मारते हुए शरारती लहजे में बोली

    " एसे चीढ क्यू रही है? मैं तुम्हारे सामने खड़ी हू और तुम अपनी ही दुनिया में कही गुम हो। तो मुझे लगा अपने प्रिंस चार्मिग के सपने देख रही होगी ।"

    कशीश की बात का जवाब देते हुए बोली "प्रिंस चार्मिग ! इन सब फालतू कामों के लिए मेरे पास फालतू टाइम नहीं है ।और में एसी बकवास बातों में बिलीव नहीं करतीं। प्रिंस चार्मिग जैसा कुछ नहीं होता है, सब बेफुजुल के खयाल हैं समझीं मॅडम । में तो बस इस ठंडी हवा को महसूस कर रहीं थीं कितना सूकून मिल रहा है इन ठंडी हवाओ महसूस करते हुए । आज सुबह से ही इतने सियप्पे हुए है  मेरे साथ तुम्हें क्या ही कहू यार। इतना परेशान तों में कभी नहीं हूई , जितना की आज हुई हू । ये बोलते हुए कशीश के चेहरे पर परेशानी साफ साफ दिखाई दे रही थी।

    " क्यू? क्या हुआ आज? " (अलीशा ने नासमझी वाले भाव से पुछा )

    तभी कशीश जवाब देते हुए बोली " क्या बताऊ यार आज सुबह हीं .....

    कशीश ने इतना ही बोला था तभी अचानक से एक लडके की ज़ोर से गुस्से से चिल्लाती हुईं आवाज सुनाई दी । कशीश और अलीशा का ध्यान उस तरफ गया । एसे अचानक क्या हुआ एसा सोचते हुए दोनों उस तरफ भागते हुए गई जहा से आवाज़ आ रही थी।

    वहा पहुंचते ही दोनों ने देखा तो एक लड़की हाथ में गुलाब लिए एक लडके के सामने डरी सहमी हूई सी खड़ी थीं । और वो लडका उसे गुस्से से घुर रहा था । वो लड़का और कोई नहीं प्रेम था । तभी प्रेम ने उस लड़की से बड़े ही एटिट्यूड के साथ कहा :
    " सकल देखीं हैं आयने मे? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे प्रपोज करने की? ना सकल अच्छी हैं और ना ही कपडे पहनने का ढंग हें । मैं तुम जैसी लडक़ी को डेट करूंगा ? तुम्हारी औकात हीं क्या है मेरे सामने खड़े रहने की? आइंदा से मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की तो ऐसा हाल करूंगा की अगली बार प्रपोज करना तो दूर ऐसे सोचते हुए भी कांप जाओगी।"

    इतना बोल प्रेम ने उस लड़की के हाथ से गुलाब लेके फेंक दिया और अपने पैरों तले कुचल दिया। फिर वहा से जा ने के लिए एक कदम ही बढाया था तभी पीछे से एक आवाज़ आईं

    "ओय मिस्टर तुम खुद को समझते क्या हो। इतना घमंड किस बात का है ।उस लड़की ने तो सिर्फ तुम्हे प्रपोज किया था तूमे मना करना था तो प्यार से भी कर सकते थें एसे किसी की इनसल्ट करते हूए शरम नही आती ! "

    ये कहने वालीं और कोई नही बल्कि कशीश ही थी। कशीश इस वक्त बोहोत गुस्से में थी । उससे उस लडकी की इनसल्ट बर्दाश्त नहीं हुईं और जैसे की उसे गुस्सा जल्दी आ जाता था तो उस वक्त भी एसा ही हुआ । वो अपना गुस्सा कंट्रोल नहीं कर सकी और प्रेम पर बरस पड़ी ।
    तभी कशीश को रोकते हूए अलीशा नें बोली

    " ये क्या कर रहीं हैं कशीश , तुम प्रेम को जानतीं नहीं हो वोह बोहोत खतरनाक इंसान है वो कुछ भी कर सकता है तुम इन सब में मत पडो । ( ये बोलते हुए अलीशा खुद बोहोत डर रही थी।

    अलीशा की बात सुन कशीश को और भी तेज का गुस्सा आया , वो गुस्से से गरजते हूए बोली :

    कुछ भी कर सकता है मतलब ? वो जो कुछ भी करे बस चूप चाप देखते ही रहें ? उसे कुछ ना कहें? एसे में तो उसकी हिम्मत और बढ़ जायेगी और दुसरी लडकियो के साथ भी एसा ही व्यवहार करेगा । इसे सबक सिखाना जरूरी है और तुम इससे इतना डरती क्यू हो? होगा यें अमीर आदमी पर कानून नामकी भी चीज है और वो सबके लिए बराबर होता है ।

    वहीं कशीश की बातें सुनकर प्रेम के गुस्से का तो मानों ठिकाना ही ना रहा उसकी दोनों आखे गुस्से से लाल हो गई थी। दोनों आइब्रोज आपस मे सिकुड़ गई थी और दोनों हाथों की मुठ्ठी कसकर जैसे ही गुस्से से कुछ बोलने के लिए पीछे मूडा तब उसकी नज़र गुस्से से उसकी तरफ देख रही कशीश की नजरों से जा मिली।

    जैसे ही प्रेम ने कशीश को देखा तो उसकी नज़र मानों उसपर ही ठहर गयी। गुस्से वाले भाव आश्चर्य में बदल गए । हाथों की बंद मुठ्ठीया भी अपने आप ही खूल गई , लाल आखे भी ठंडी पड गई , गुस्सा तो मानों गायब हीं हो गया । कशीश की गहरी काली आखों में मानों वो खो सा गया था । सूरज की धूप से कशीश का गोरा और सुंदर चेहरा और भी ज्यादा चमकदार और Attractive लग रहा था और हवा से बातें करती हूई उसकी जुल्फे उसके गालों को चुमे जा रही थी । वो कुदरत के इस खूबसूरत नजारे को एक टक बस देखें हीं जा रहा था । "

    वहीं इन सब से बेखबर कशीश प्रेम को और सुनाते हुए बोली

    " ओह तो ये तुम हो, कॉलेज को अपने बाप की जागिर समझने वाले। सकल तों अच्छी है तुम्हारी ,इसी बात का घमंड हैं ना तुम्हें ? और ये Branded कपडे जो तुमने पहने हैं इससे लगता हीं है की; तुम बोहोत हीं अमीर हो । अमीर हो तो कुछ भी करोगे ? किसी लड़की के साथ एसी बद्तमीजी से बात करते हूये शर्म नहीं आती? लडकियो से बात करने की तमीज नहीं है ? "

    कशीश यें सब बोलें हीं जा रहीं थीं । पर  प्रेम ने तों मानों कुछ सुना ही नही । वो तो बस एकटक कभी कशीश के हिलते होठों को तो कभी उसकी गुस्से भरी आखों को देखें हीं जा रहा था। उसके अंदर यें क्या एहसास था वोह खुद भी नहीं जानता था।

    To be continued....✍️

    आखिर क्या करेगा प्रेम कशीश के साथ? क्या देगा उसे कोई सजा ?

    देखेंगे अगले चेप्टर में ।
    फ्रेंड्स मैं यहा न्यु राइटर हु और आप सबका साथ और सहयोग चाहती हु। आप सबको येह कहानी पसंद आ रही है तो प्लीज़ कमेंट करे और रिव्यू देना ना भुले। और मुझे फोलो करे ताकी मैं आगे भी ऐसी प्यारी प्यारी स्टोरी लाती रहु।

    धन्यवाद 🙏

  • 5. इश्क या जुनून - Chapter 5

    Words: 1708

    Estimated Reading Time: 11 min

    अब आगे

    कशीश का इतना कुछ बोलने के बावजूद भी प्रेम कूछ नहीं बोल रहा था  वो तो  बस उसे देखें हीं जा रहा था  ।

    कशीश को फिर से गुस्से मे बोलता देख अलीशा ने उससे धीरे से कहा

    " चूप हो जा कशीश वरना में भी तुम्हें  प्रेम सें नहीं बचा पाऊंगी  ।  "

    इतना बोल कशीश का हाथ पकडके उसे पीछे खींच खुद उसके सामने आ गईं  । कशीश को यूँ पीछे जाता देख प्रेम भी अपनी खयालो की दुनिया से बहार आया  और अलीशा की तरफ देखा जो कशीश के आगे खड़ी थीं 

    फिर अलीशा ने लगभग विनती करते हुए प्रेम से बोली :

     " देखो प्रेम  कशीश यहा नईं आयीं हैं और उसे तुम्हारे बारे मैं कुछ नहीं पता है। तो उसे इस बार जानें दो प्लीज  । " 

    वहीं अलीशा को यूँ रिक्वेस्ट करता हुआ देख कशीश खुदको रोक नहीं पाई और गुस्से से  बोली :

     " तुम इससे रिक्वेस्ट क्यु कर रहीं हो अलीशा  ? मैंने थोड़ी ना कोई गलती कीं  है  ? जो किया हैं उसी ने किया है  और  मैंने जो  कहा वो सही ही कहा हैं  । तो मूझे उससे कोई डर नहीं लगता  और तुम्हें भी उससे  विनती कर नें कीं कोई  जरूरत नहीं हैं  । "

     कशीश को फिर से बोलता देख अब  अलीशा को भी गूस्सा आया वो  उसकी तरफ़ देख गुस्से से बोली :

    "  चूप ! कब से कहें रही हू की चूप हो जा पर तू है की सुनती हीं नहीं है । बस नोनस्टोप बोलें हीं जा रहीं हैं  ! अब तेरे मुँह सें एक भी शब्द नहीं निकलना चाहिए समझीं  ।  मैं बात कर रहीं  हू ना  तो अब तुम्हारी आवाज़ नहीं आनी चाहिए  । " 

      पर में तों...  कशीश डरते हुए बोली 

     

    उसको फिर से बोलता देख अलीशा नें अपनी गुस्से से लाल पड चुकी आखों से उसे घुरा।

    तो कशीश डर के मारे चूप हो गई   ।

    वही प्रेम जो ये सब कूछ देख रहा था और कशीश के उस भोले सें चहेरे  को भी  श। जो एक छोटे बच्चे की तरह मासूम और प्यारा लग रहा था जैसे किसी बच्चे को किसी बड़े नें डाटा हो और वो डर के मारे चूप हो गया हो  । उसे मन ही मन हसी भी आ गई  । पर सबके सामने जाहिर नहीं की ।

    फिर एकदम से ही उसे खयाल आया की वो क्या कर रहा है।

    तो वो हैरानी से मन ही मन खुदशे बोला  :

     " यें क्या कर रहा हू में । मैं हस क्यु रहा हू मूझे तो इस लड़की पर गुस्सा आना  चाहिए तो मुझे उस पर गुस्सा क्यू नहीं आ रहा है । यें आज अचानक मूझे  हो  क्या  गया हैं । पहलें तो कभी एसा नहीं हुआ । कहीं मेरी तबियत तो खराब नहीं हो गई? " प्रेम खुद की हालत देख खुद से ही सवाल कीये जा रहा था।

    फिर खुद को संभाल आगे बोला

    "जो भी हो आज इस लड़की ने सबके सामने मेरी इनसल्ट की है इसे सज़ा मिलनी ही चाहिए  । "

    यह सोच वो कुछ केह नें ही जा रहा था तभी अलीशा उसके कुछ  बोलने से  पहलें  ही बोली  :

    " देखों प्रेम जो हुआ अंजानेमे हुआ है  । कशीश सच में तुम्हारे  बारे मैं कूछ नहीं जानतीं । उसकी तरफ से मे माफी मांगती हू  । प्लीज उसे माफ़ करदो ।" ये बोलते हुए अलीशा ने सच में प्रेम के सामने हाथ जोड दिये । 

    वहीं अपनी दोस्त को अपने लिये यू माफ़ी मागता देख कशीश को बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था । उसे बोहोत बुरा  । पर उसे अलीशा ने ही कुछ भी बोलने से मना किया था इसलिए वो कुछ नहीं बोली पर मन ही मन खुदशे ही बोली  :

    " अलीशा कितनी अच्छी है  । अभी कुछ घंटे हीं हुए हैं हमे मिले फिर भी मेरे लिए किसी से माफ़ी भी मांग रही हैं ।  कितना साफ दिल है अलीशा का  । अमीर परिवार से हैं फिर भी मूझ जैसी मिडल क्लास  लडकी के लिए किसी से रिकवेस्ट कर रहीं हैं । अमीर होने का जरा सा भी घमंड नहीं है  । सच में मैं  लकी हू जो मुझे अलीशा जैसी दोस्त मिलीं   । 

    वहीं अलीशा को इस कदर माफी मागता देख प्रेम उसकी बात मान वोर्निग भरे लहजे में बोला

    " ठीक है । तुम्हारे कहेने पर पहेली और आखरी बार में इसे माफ़ कर रहा हू । पर आइंदा से इसने मुझसे इस तरीके से बात की तों मुझसे बुरा कोई नहीं होगा  । तब तुम भी इसे नहीं बचा सकोगी  । ये बात तुम इसे अच्छे से समझा देना  । "

    इतना बोल प्रेम अपने लंबे कदमो से वहा से चला गया । वो दूर खड़ी अपनी गाड़ी के पास पहुंचा फिर आखरी बार पलटकर एक नज़र कशीश की तरफ देखा  ।

    जो अभी भी चूपचाप खड़ी थीं । प्रेम के होठों पर अनायास ही स्माइल आ गई  । वो उसे कुछ देर तक देखता रहा फिर वहा से चला गया  ।

    दूसरी तरफ वो लडक़ी जिसका पक्ष लेकर कशीश प्रेम को सुना रही थी  वो प्रेम के जाते ही  कशीश के सामने आकर एटिट्यूड से बोली :

     " हैं  यू  । तुम्हें किस ने कहा था  मेरे और प्रेम के बीच बोलने को  ? मैने तुम्हारी मदद मांगी थी क्या  ?  अपने काम से काम नहीं रख सकती । बेकार में हीं प्रेम का मुड़ खराब कर दिया  । एक साल से ट्राय कर रहीं थी ,आज शायद उसे मना भी लेती पर तुमने मेरा सारा प्लान चोपट कर दिया  । आइंदा से मेरे और प्रेम के बीच बोलने की कोशिश भी  मत करना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा   समझीं  ? तुम्हें देखकर पता चल हीं जाता है की तुम्हारा खानदान कैसा होगा  तो अपनी औकात में रहो समझी। तुम जैसे छोटे लोगों के तों में मुह भी नहीं लगती  । पता नहीं कहा कहा से आ जाते है यू मुँह उठाये  । "

    इतना बोल वो लडक़ी घमंड और एटीट्यूड के साथ मटकते हुये वहा से चली गई  ।

    वही उस लडकी की  बात सुनकर कशीश मानो सदमे मे जा चुकी थी।

    उसके पास तों शब्द ही नहीं थें की वो कुछ  बोलें  । उसे बोहोत बुरा लगा कि जिस लडक़ी की रिस्पेक्ट के लिए वो किसी से लड रही थी। वही लडकी उसकी बुरी तरीके से इनसल्ट करके चली गई।

    तभी उसका कंधा हिलाते हुए अलीशा  बोली  :

    "     क्या हुआ  ?  अब कुछ नही केहना तूझे  ? अब बोल , चूप क्यु हैं  ? कबसे बोलें  ही जा रहीं थी। मेरी बात भी नही सुन रहीं थीं  । अब क्यु चूप चाप खड़ी है ?  "

    अलीशा के कंधे हिलाने से और उसकी बात आवाज सुन

    कशीश अपनी सेंस में वापस आई और अलीशा की तरफ देखते हुए सोकिंग एक्सप्रेशन लिए बोली :

     " ये क्या था अलीशा  ? मैंने इस लडक़ी के लिए  उस प्रेम से क्या कूछ नहीं कहा और ये लड़की मूझे Thank you बोलने के बजाय उल्टा मेरी ही इनसल्ट करके चली गई  ।  मूझे हीं सुना कर चलीं गई वो भी इतनें घमंड से । "

    उसकी बात सुन अलीशा बोली :

    "  इसी लिये तो में तुम्हें रोक रही थी की बीच में मत पड पर तू किसी की सुनती हीं कहा हैं  । ये  सब तो यहा रोज होता है  । तुम यहा नई हो इस लिए तुम्हें कुछ नहीं पता हैं  । यें लड़की भी कुछ कम नहीं है में जानतीं हू इसे । इसे भी अपने पैसों का घमंड हैं  । प्रेम के जितना नहीं है पर बोहोत कम भी नहीं हैं और ए सब प्रेम के  पैसों की वज़ह से हीं उसके पीछे  पडी है , उपरशे वो कितना डैसिंड लगता है । कौन उसे पाना नहीं चाहेगी । पर मै हैरान हु प्रेम के गुस्से से आज तक कोई  नहीं बच सका । उसने आज तक कीसी की गलती माफ नहीं की ।  तुम पहेली लड़की हो, इन्फेक्ट पहली इंसान हो जिसे प्रेम ने कुछ नहीं कहा और बिना सजा दिये ही जाने दिया  । वरना कोई कितनी भी मिन्नतें कर ले प्रेम किसी को भी नहीं छोड़ता था । "

    तभी वहा खड़े सारे स्टूडेंट में से एक लडके ने कहा  :

     " हा अलीशा सच कहा तुमने  । प्रेम किसी को भी  नही छोड़ता । याद है  एकबार किसी ने प्रेम की इनसल्ट की थी तो प्रेम ने उसे बर्बाद कर दिया था  और रातो रात इस शहर को छोडने पर मजबूर कर दिया था  । और कल की हीं बात ले लो। सुना है एक लडके ने  प्रेम के खिलाफ पुलिस कंप्लेन की थी उसकी तो प्रेम ने जुबान ही कटवा दी । ताकी  वो दुबारा कुछ बोलने लायक हीं ना रहे। उसकी भी पुरी फैमिली को बर्बाद कर दिया  । और वो भी सब शहर छोड़कर चले गए । अपने खिलाफ बोलने वाले हर शख्स को प्रेम ने सजा दी थी फिर पता नही इस लडक़ी को कैसे छोड़ दिया । " वो लडका और पुरा कॉलेज इस बात से हैरान था।

    वही उस लड़के की बात सुनकर कशीश के तो होश ही उड़ गए  उसने अलीशा की तरफ देखते हुए हैरानी और डर के मिले जुले भाव के साथ कहा :

    " ये सच कहे रहा है क्या  ? वो इतना पावरफूल है की किसी को भी बर्बाद कर दे ।और तो और उसने एक लडके की जुबान तक कटवा दी क्योंकि उसने उसके खिलाफ पुलिस कंप्लेन की थी । कोई इतना cruel कैसे हो सकता अलिशा। " कशीश अविश्वास से बोली



    तभी अलीशा ने हा मी भरते हुए कहा  : 

     " हा बिलकुल सही कहे रहा है वो । इसलिए तो मै बीच मे आइ थी वरना प्रेम  तुम्हारा भी वही हाल करता जो बाकियो का किया था । उसके अंदर किसी के लिए ना ही हमदर्दी है और ना ही दया । वो एकदम हार्टलेस इंसान हैं । 

    पर तुम बोहोत लकी हो की उसने तुम्हे कुछ नहीं किया  तो अब उससे दूर हीं रहेना समझी। वरना हरबार तुम लकी नही हो सकती  । मेरे कहने का मतलब समझ रही हो ना कशीश  ? 

    कशीश ने घबराते हुये हा मे चेहरा हिला दिया।

     

    आखिर क्यो सजा नहीं दे पाया प्रेम कशीश को ?

    क्या प्रेम समझ पायेगा इस एहसास को ?

    जानने के  लिए  पढ़ते  रहिये ए  कहानी  " इश्क या जुनून "

    नोवेल की अपडेट के लिए मुझे फोलो करना ना भुले।