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"One Night, One Lie"

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Sahnila

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Description

वो एक रात… किसी हादसे की तरह आई थी। राशा ने कभी नहीं सोचा था कि अपनी बहन की ज़िंदगी बचाने के लिए उसे अपनी अस्मिता की सबसे बड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। एक अमीर, पर ज़िंदगी से थका हुआ शख़्स — शिवांक ऑबेरॉय, जिसने अपनी होने वाली दुल...

Characters

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शिवांक

Warrior

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राशा

Healer

Total Chapters (32)

Page 1 of 2

  • 1. "One Night, One Lie" - Chapter 1

    Words: 1830

    Estimated Reading Time: 11 min

    राशा एक चौबीस वर्षीय लड़की, जिसकी कद 5 फुट 4 इंच थी, रंग गोरा, आंखे हिरणी सी, नाक किसी छुरी सी ओर होंठ खिले हुए गुलाब की पंखुड़ी से थे, तेजी से हॉस्पिटल के अंदर दाखिल हुई। उसने हल्की गुलाबी रंग की अनारकली सूट पहना था, जो थोड़ा मैल दिख रहा था, उसके लंबे बाल कमर तक लटक रहे थे और वो लिफ्ट में चढ़ने तक तेजी से सांस ले रही थी।
      हॉस्पिटल के कैश काउंटर पर उसने बकाया चिकित्सा व्यय की भरपाई की, जो उसकी मां के इलाज में लगा था। फिर वह अदिरा विला के पीछे की छोटी सी झोपड़ी में लौट आई।

    वो छोटा सी झोपडी, राशा का घर था,, झोपड़ी के सामने आदिरा के आलीशान और भव्य विला ने सारी धूप रोक दी थी जिसकी वजह से राशा की झोपडी पूरे साल ठंड रहती थी।

    राशा के पिता रजनीश बाबू, मिस्टर मल्होत्रा के ड्राइवर थे, और उसकी माँ सुमन मिसेज मल्होत्रा की सबसे अच्छी नौकरानी थीं।

    अपने पिता रजनीश बाबू के निधन के बाद, वह और उनकी माँ इस जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी में रहने लगे, क्योंकि उनके घर का रेंट बहुत अधिक आता था, जो राशा अकेले नहीं कमा सकती थी।

    "राशा!" विला के सामने से गुजरते समय, खानसामा जितेंद्र ने आक्रामक रूप से उसका नाम चिल्लाया, "तुम इतनी सुबह कहाँ चली गई? जल्दी करो और सब्जियाँ काटो"

    मल्होत्रा परिवार में, राशा एक नीच पदवी की नौकरानी थी, जिसे कोई भी आदेश दे सकता है। राशा ने कोई जवाब ना दिया और रसोई की ओर चली गई।

    खानसामा ने उसके गोरे चेहरे को देखा और भौंहें सिकोड़ने से खुद को नहीं रोक सका, "तुमने मास्क क्यों नहीं पहना है? क्या तुम मिस अदिरा को परेशान करने की कोशिश कर रही हो?"

    क्योंकि राशा और मिस्टर मल्होत्रा की इकलौती बेटी अदिरा बहुत हद तक एक जैसे दिखती थी, अदिरा ने एक नियम बनाया कि जब तक राशा इस घर में होगा, उसे मास्क पहनना होगा। अन्यथा, उसने अपना चेहरा दिखाने की हिम्मत की, तो उसे थप्पड़ मारा पड़ेगा।

    इस बात को याद करते हुए, उसने जल्दी से अपनी जेब से मास्क निकाला और उसे पहन लिया, उसका आधा चेहरा ढका हुआ था, केवल एक जोड़ी चमकदार और बड़ी आँखें बची थीं।

    हाउसकीपर ने उसे एक कठोर नज़र से देखा, और खानसामा के साथ बात करते हुए वहां से चला गया।

    दूसरी ओर आदिरा विला के बाहर एक महंगी कार रुकी।
    स्मोकी ग्रे बिजनस सूट में एक आदमी कार से बाहर निकला, उसकी छाती पर महंगा ब्रोच धूप में चमक रहा था, वह लंबा, सुंदर और आकर्षक चेहरे का मालिक था।

    जैसे ही हाउसकीपर रसोई से बाहर आया, उसने आदमी को तेजी से देखा, और उसे उत्साहित रूप से अभिवादन किया, "मिस्टर शिवांक राजकुंवर अब्रॉल, आपका स्वागत है।"

    आगंतुक कोई और नहीं बल्कि शिवांक राजकुंवर था, जो अब्रॉल परिवार का चौथा सबसे छोटा बेटा था, जिसकी कुल संपत्ति सैकड़ों अरबों में थी, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध और सबसे अमीर परिवार में से एक था।

    हाउसकीपर ने सम्मानपूर्वक शिवांक का दरवाजे पर स्वागत किया और नौकर को निर्देश दिया, "जल्दी करो और अदिरा बेबी को इनफॉर्म करो और राशा को चाय परोसने का आदेश दो!"

    शिवांक अपने पैरों को स्वाभाविक रूप से एक पर एक चढ़ा कर सोफे पर बैठ गया, और अदिरा का इंतजार करने लगा।

    राशा ने चाय ली और अपना सिर झुकाए हुए चली गई, और धीरे से चाय की ट्रे को कॉफी टेबल पर रख दिया।

    अनजाने में अपनी आँखें ऊपर उठाते हुए, उसने शिवांक का चेहरा देखा, और वह एक पल के लिए स्तब्ध रह गई।

    यह वही था, उस रात उसे चूमने वाले आदमी। वह दृश्य अचानक उसके दिमाग में समुद्र के पानी की तरह दौड़ गया, जिससे वह अपने शरीर पर कसैले दबाव को भी स्पष्ट रूप से महसूस करने लगी।

    उस आदमी की गहरी और कर्कश आवाज उसके कानों में गूंजी, "मैं तुम्हारे लिए जिम्मेदार रहूंगा। इन सब के बाद..तुम मेरी पत्नी होगी।", राशा इन शब्दों को आज तक नहीं भूल पाई थी, जो उस रात शिवांक ने उसके कान में कहा था।

    उन यादों से राशा घबरा गई और अनजाने में उसका हाथ हिल गया। जिससे उसके हाथ से चाय की कुछ मात्रा कप से बाहर छलकी, जिसे राशा ने अवचेतन रूप से अपने हाथ से रोक लिया, उसकी हथेली जलने लगी, लेकिन कुछ बूंदें अभी भी शिवांक की पतलून पर छलक गई।

    इस छोटी नौकरानी को देखते हुए जो थोड़ी सुस्त थी, शिवांक की पुतलियाँ ठंडी होकर सिकुड़ गईं। उसने अपना सिर नीचे कर लिया, एक मोटा मास्क, सफेद शर्ट और जींस पहने हुए, वो काफी दुबली पतली लड़की थी।
    भले ही वह सिर्फ एक नौकरानी थी, लेकिन यह उसे बेवजह परिचित लग रही थी।

    "राशा, तुमने ये क्या किया?", खानसामा ने ठंडे चेहरे से डांटा, और जल्दी से शिवांश से माफी मांगी, "हमे माफ कीजिएगा, नई नौकरानी थोड़ी लापरवाह है, मैं बाद में उसे अच्छी तरह से अनुशासित करूँगा।"

    राशा ने अपना सिर नीचे किया, और उसके पतले कंधे थोड़े कांपने लगे, यहाँ तक कि उसने अपनी हथेली पर गर्म चाय के छींटों से होने वाले दर्द को भी अनदेखा कर दिया।

    शिवांक ने कुछ नहीं कहा, लेकिन राशा को हल्के से देखता रहा।

    खानसामा शब्दों और भावों को समझने में माहिर था, इसलिए तुरंत बोला, " राशा, ये की तरीका है चाय सर्व करने का? उनसे माफी मांगी और शुक्रिया कहो कि उन्होंने तुम्हारे साथ सख्ती नहीं की।"

    "थैंक यू, थैंक यू..मिस्टर शिवांक, मुझे माफ कर दीजिए ", राशा ने अपने धीमे स्वर में कहा। फिर उसने अपना सिर नीचे किया, जल्दी से कॉफी टेबल पर रखा टिशू लिया, नीचे झुकी और उस आदमी की पतलून पर लगे चाय के दागों को पोंछ दिया।

    सफाई करने के बाद, राशा ने राहत की लंबी सांस ली, और जल्दी से चाय की ट्रे को गले लगाकर चली गई।

    उसकी हरकतों के बाद, चेरी के फूलों की एक जानी-पहचानी खुशबू आई, जो बिल्कुल वैसी ही थी जैसी उस रात शिवांक ने महसूस की थी, जब वो अदिरा के साथ था।

    शिवांक ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं, "रुको !"

    राशा रुक गई, उसका दिल धड़कना बंद हो रही थी। उसने चाय की ट्रे को कसकर पकड़ लिया, कोशिश कर रही थी कि उसकी घबराहट बाहर न आए। लेकिन उसके थोड़े कांपते शरीर ने उसे धोखा दे दिया और शिवांक की आँखें जल्दी ही असंतोष से भर गई।

    वह अपने पैरों को मोड़कर सोफे पर बैठ गया, उसके पतले होंठ थोड़े खुले हुए थे, और उसने गहरी आवाज़ में पूछा, "क्या मैं इतना डरावना हूँ? मुझे थोड़ा पानी पिलाओ या कांपती रहेगी?

    राशा ने अपना सिर घुमाया, अपनी हथेलियों को जकड़ा, अपना सिर झुकाया और कहा, "यह पहली बार है जब मैं आपके जैसे प्रतिष्ठित अतिथि को देख रही हूँ, मैं थोड़ी घबरा रही हूँ।  नाराज़ न हों सर।"

    यह देखकर कि वह अभी भी डरी हुई लग रही थी, शिवांक ने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया, ताकि वो नाजुक सी लड़की इसके खौफ से कंपना बंद कर दे।

    हालांकि उसे अपने सोच पर हैरानी हुई, ये उसकी तुलना उस लड़की से कैसे कर सकता है, जिसके साथ उसने रात बिताई हो? ये इतनी पतली और छोटी दिखती थी कि शिवांक ने अपने विचार खो दिए।

    राशा ने अब और रुकने की हिम्मत नहीं की, और पीछे के दरवाजे से अपने घर वापस आ गई, उसने दरवाजा बंद कर दिया और दरवाजे के पैनल के खिलाफ झुक गई, फिर उसने राहत की सांस ली।

    सौभाग्य से शिवांक ने उसे नहीं पहचाना था, लेकिन यदि अदिरा को पता चला कि वो शिवांक के सामने गई थी तो वो उसकी जान ले लेगी।

    लिविंग रूम में, शिवांक ने घबराहट में भागती उस लड़की की पीठ की ओर देखा, और उसकी आँखें थोड़ी मंद हो गई, "क्या इस विला में चेरी ब्लॉसम के पेड़ हैं?"

    "हाँ, घर के पीछे।" हाउसकीपर ने उत्तर दिया।

    शिवांक ने सिर हिलाया, कोई आश्चर्य नहीं की उस लड़की से चेरी ब्लॉसम फ्लावर की खुशबू क्यों आ रही थी। उसी समय, एक महिला की तीखी आवाज सुनाई दी, "शिवांक...!"

    शिवांक ने सिर ऊपर किया, और सीढ़ियों पर अदिरा को देखा, हल्के मेकअप के साथ एक हल्के नीले रंक की पोशाक पहने हुए, सीढ़ियों से उतरी। उसके साथ उसकी मां भी थी, जो उसका हाथ पकड़े नीचे आ रही थी।

    दूसरी से मिस्टर मल्होत्रा भी वहां आ चुके थे और अपने होने वाले दामाद को देखते हुए बोले, "शिवांक बेटा, आपको इंतज़ार करवाने के लिए माफ करना।"

    शिवांक की नज़र अदिरा पर पड़ी, वो अपनी जगह से उठा और उनका अभिवादन करते हुए बोला, "मुझे अदिरा ने कॉल  किया था, उसने कहां की सगाई के बारे में बात करनी है तो मैं आ गया।"

    हर कोई हैरान था, और अदिरा और भी ज़्यादा खुश थी, क्योंकि पिछली बार जब उसने शिवांक को घर बुलाया था, उसने उसे झिड़कते हुए मना कर दिया।

    मिस्टर और मिसेज मल्होत्र ने इस रिश्ते के लिए पहले ही तैयार थे, इसलिए उनके होंठो पर एक गुप्त मुस्कान छा गई।

    "मै ज्यादा देर नहीं रुक सकता, मुझे एक मीटिंग में जाना है तो मैं बस अदिरा से ये कहना चाहता था कि सगाई दो दिन में कर लेते हैं। वो जो सगाई में जो चाहती है, जैसा चाहती है, कर सकती है...बिल मेरे असिस्टेंट के पास भेज दीजियेगा।", शिवांक ने अपनी बात बिना किसी घुमाव के उन्हें समझा दिया और जाने के किए तैयार होने लगा।

    ________________

    यह खबर कि अब्रॉल परिवार के चौथे राजकुंवर की सगाई, मल्होत्रा परिवार के अदिरा से होने जा रही थी, जयपुर की सड़कों और गलियों में फैल गई, और सैकड़ों समाचार मीडिया ने एक साथ इसकी रिपोर्ट की।

    दूसरी ओर, मल्होत्रा परिवार के रसोईघर में, खानसामा ने राशा के सामने कामों की एक सूची रखी और उसे आदेश दिया कि वह सोने से पहले उन सभी को खत्म कर दे।

    राशा को अच्छी तरह पता था कि खानसामा जानबूझकर उसके लिए चीजें मुश्किल बनता था और ढेरों काम सौंप कर खुद आराम करता था, लेकिन उसे शिकायत करने की अनुमति नहीं थी।

    रात के 11 बजे तक व्यस्त रहने के बाद, राशा ने सब कुछ तैयार कर लिया, उसने वो सारे काम कर लिए जो खानसामा से उस सूची में लिखा था।
      अंत में उसने रसोई का दरवाज़ा बंद किया और घर जाने ही वाली थी कि अदिरा से उसकी मुलाकात हो गई, जो शायद अभी-अभी बाहर से आई थी।

    इससे पहले कि राशा अपना मुँह खोल पाती, अदिरा के चेहरे पर उदासी छा गई, और उसने अचानक राशा को एक थप्पड़ मार दिया। दर्द से राशा के गाल सुन्न हो गए, और उसका मन, जो कई दिन से तनाव में था, फिर से दुखने लगा।

    अदिरा बहुत गुस्से में थी, क्या ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि शिवांक ने उसे दिन में पहचान लिया था?

    "तुम्हें मास्क न पहनने को किसने कहा!!", अदिरा गुस्से से दहाड़ उठी, उसे राशा से नफरत थी, क्योंकि राशा काफी हद तक उसके जैसी दिखती थी। इसलिए, जब भी वो राशा को देखती उसका दिल करता की वो उसका मुंह किसी खंजर से बर्बाद कर दे।


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    (क्रमशः)

  • 2. "One Night, One Lie" - Chapter 2

    Words: 1338

    Estimated Reading Time: 9 min

    राशा ने अपने होठों को कसकर काटा, उसके मुट्ठीबंद हाथ थोड़े कांप रहे थे। लेकिन वो इस बात से राहत में थी कि अदिरा ये नहीं जानती कि वो शिवांक से मिली थी।

    "मुझे अगली बार दिखना तो मास्क पहन के दिखाना, वरना मानो या न मानो, मैं चाकू से तुम्हारा चेहरा खरोंच दूँगी।" आदिरा ने अत्यधिक घृणा से कहा, राशा जो बस एक नौकर थी और असल में अपने चेहरे पर कोई महंगे प्रोडक्ट्स इस्तमाल नहीं करती थी, फिर भी उसका चेहरा राशा से कहीं अधिक साफ और गोरा था। जबकि अदिरा को हर रोज मेकअप के जरिए खूबसूरत होना पड़ता था।
         इसके अलावा, उस रात शिवांक के साथ जो महिला थी, जिसे वो अदिरा समझता रहा। वह भी राशा ही थी, जो अदिरा के नफरत का कारण बन गई थी।

    अदिरा ने राशा के चेहरे को देखा, उसकी आँखों में घृणा एक जहरीले साँप की तरह थी, जो उसे खा जाना चाहती थी।

    तभी, अदिरा का मोबाइल फोन बज उठा, उसने कॉलर आईडी पर नज़र डाली, और उसके चेहरे के भाव तुरंत नरम हो गए। कॉल का जवाब देते हुए, वह मुड़ी और ऊपर अपने बेडरूम की ओर चली गई,, एक नरम आवाज़ के साथ उसने कहा, "शिवांक, मै अभी भी तुम्हारे कॉल का ही इंतज़ार कर रही थी, सोए नहीं..."

    जब वो चली गई, तब राशा ने राहत की साँस ली और लगभग घबराहट में घर भाग गई। शिवांक के उस कॉल ने उसे अदिरा से बचा लिया। अन्यथा, अदिरा उसे और भी यातना देती।

    राशा ने अपी छोटे से झोपड़ी का दरवाजा बंद कर लिया, चुकी उसकी मां हॉस्पिटल में थी, इसलिए वो इस झोपड़ी में अकेले ही रहती थी, वो मल्होत्रा परिवार के एहसानो तले दबी हुई थी, उसकी मां का इलाज भी मिस्टर मल्होत्रा ही करवा रहे थे, इसलिए अदिरा की इतनी क्रूरता के बाद भी वो इस परिवार में नौकरी करती थी।

    सोचते हुए वो अपने बिस्तर पर बैठ गई, उसके झोपड़ी में एक ओर बिस्तर था और एक ओर चूल्हा था, जिस पर वो कभी खाना नहीं बनाती। नहाने की व्यवस्था मल्होत्रा विला के पीछे एक छोटे से कमरे में थी, जहां बाकी नौकरों के लिए भी सार्वजनिक शौचालय था।

    राशा सोने लगी थी, तभी उसका फोन बजा, कॉल उसकी दोस्त शिवानी का था, जो उसकी सबसे अच्छी और पुरानी दोस्त थी। कॉल उठाते ही शिवानी ने कहा, " राशा तुमने फोन क्यों उठाया? मैंने तुम्हें कई बार कॉल किया है।"

    राशा ने अपनी सांस को शांत किया, और धीरे से उत्तर दिया,  "मैं काम पर थी, मैंने नहीं सुना होगा,  क्या बात है? कुछ जरूरी बात थी क्या?

    "परसों तुम्हारा जन्मदिन है। चलो ना कहीं घूमने चलते हैं, क्लास  बंक कर के।", शिवानी ने कहा।

    राशा मुस्कुराई। हाल ही में, अपनी माँ की देखभाल करने के लिए, वह इतनी व्यस्त थी कि वो अपना जन्मदिन तक भूल गई। अप्रत्याशित रूप से, उसकी दोस्त को अभी भी यह याद था, जिससे राशा भावुक हो गई, " शिवानी थैंक यूं।"

    "अरे छोड़ो भी, हम अच्छी दोस्त हैं ना, तुम्हारे किए एक सरप्राईज भी है, अब रोने मत लगना।", शिवानी ने कहा।

    "सरप्राइज़", राशा के दिल में गर्मी महसूस हुई। इस दुनिया में, उसकी माँ के अलावा, केवल शिवानी ही उसके बारे में सोचती थी।

    शिवानी के साथ बात करने के बाद, राशा ने फोन रख दिया।

    _____________

    अगले दिन, यूनिवर्सिटी में सुबह की क्लास के बाद, राशा जल्दी से बाहर भागी।

    ऑब्रोल परिवार के लोग आज दोपहर को आ रहे थे, मिसेज मल्होत्रा ने उसे पहले से ही आदेश दे रखा था कि वो कल देर ना करे, अन्यथा उसे और उसकी माँ को घर से बाहर निकाल दिया जाएगा।

    जैसे ही वह स्कूल के गेट से बाहर भागी, एक लाल सुपरकार अचानक उसके बगल में एक तेज ब्रेक के साथ रुक गई।

    राशा ने ड्राइवर की सीट पर बैठे आदमी को देखा, यह उसके यूनिवर्सिटी  में पढ़ने वाला एक लड़का था, जिसका नाम आर्यन था, जो कि यूनिवर्सिटी का सबसे प्रचलित लड़का था, उस लड़के ने कई बार राशा से बात करने की कोशिश की थी, जिससे उसे पता था कि वो इतना बुरा लड़का भी नहीं था, जितना दूसरे लोग उसे कहा करते थे।

    "लवली गर्ल, तुम इतनी तेज चल रही हो, क्या तुम्हें जल्दी है।", आर्यन ने एक हाथ से कार की खिड़की को सहारा दिया और उसे एक दुष्ट मुस्कान दी, "क्या तुम चाहोगी कि मैं तुम्हें सवारी दूँ?"

    राशा ने भौहें सिकोड़ीं, वह ऐसे अमीर लड़के से ज्यादा बात नहीं करना चाहती थी, लेकिन क्लास देर से छुटने के कारण उसका बस छूट गया था और घर जाने में देरी के लिए उसे बड़ी सजा दिया जाता, इसलिए, बार-बार हिचकिचाने के बाद, उसने अपने दाँत पीस लिए और कार में बैठ गई, "थैंक यू आर्यन।"

    "डोंट मेंशन इट", आर्यन ने कहा ओर लाल सुपरकार सड़क पर सरपट भागी

    कार में, आर्यन ने रियरव्यू मिरर पर नज़र डाली, "तुमने मुझे अभी तक नहीं बताया कि तुम्हारा घर कहाँ है?"

    "सांझ रोड, सेक्टर ए, मल्होत्रा विला।", राशा का पता सुन आर्यन  ने अपनी भौहें उठाई, क्या संयोग था, वो भी उस तरफ ही जा रहा था।

    आधे घंटे बाद, कार सेक्टर ए में चली गई, "राशा तुम्हारा विला कौन सा है?"

    "थैंक यू आर्यन, अब मै चली जाऊंगी।", राशा ने उसे कार रोकने का इशारा करते हुए कहा।

    लेकिन, आर्यन ने कार नहीं रोकी, बेशक वह जानना चाहता था कि राशा कहाँ रहती थी,  "अगर तुमने मुझे नहीं बताया कि तुम कहां रहती हो, तो मैं बस यहीं चक्कर लगाता रहूँगा।"

    राशा थोड़ा असहाय महसूस कर रही थी, किंतु अब उसके पास कोई रास्ता नहीं था, इसलिए उसने कहा, "वहाँ, बिल्डिंग 7 के बाद, मल्होत्रा विला है।"

    आर्यन ने अपनी आँखें थोड़ी सिकोड़ीं, जब कार बिल्डिंग नंबर 7 के बाद विला के सामने रुकी, तो राशा जल्दी से कार से बाहर निकली और आर्यन को धन्यवाद कहते हुए ,वो विला के अंदर जाने ही वाली थी कि आर्यन के कार के सामने एक काली बेंटले मोटर्स लिमिटेड कार आ कर खड़ी हो गई।

    यह देखकर, आर्यन ने अपनी रोक दी, फिर कार से बाहर निकला और बेंटले कार में बैठे, शिवांक को हाथ हिलाकर कहा, "अरे शिवांक भाई, आप लोग समय के बहुत पाबंद हैं, लेकिन पहले मै आ गया।"

    राशा को उम्मीद नहीं थी कि वह शिवांक से फिर एक बार सीधे टकरा जाएगी। ये किस्मत उसे फिर से असहज करने लगा था।

    शिवांक कार से बाहर निकला, आर्यन को देखा, और फिर उसकी नज़र राशा पर पड़ी, जो बुत बनी खड़ी थी, ऐसा लग रहा था उसके अंदर जान ही ना हो और वो कोई पत्थर  की गुड़िया हो।

    "उफ़, मै मास्क पहनना भूल गई।", राशा खुद में ही चिल्लाई। तभी, आर्यन ने जल्दी से परिचय कराया, "राशा, यह मेरे चचेरे भाई शिवांक और उनके साथ जो खड़े है, वो शिवांक भाई के छोटी बहन अनिका हैं।

    "भाई, यह मेरी... क्लासमेट है, जिसका नाम राशा है।", आर्यन ने राशा का भी परिचय दिया।

    "राशा...", शिवांक ने उसके नाम को चबाया, उस नौकरानी के बारे में सोचते हुए जो उस दिन एक छोटे जानवर की तरह घबरा गई थी, उसके मन में उत्सुकता बढ़ गई।

    "आप लोग एक दूसरे को जानते हैं?", आर्यन हैरान था और उसके बगल में खड़ी अनिका भी राशा को देखने से खुद को रोक नहीं सका।

    अचानक शिवांक, राशा के सामने धीरे-धीरे चला, उसने अपना सिर थोड़ा नीचे किया और राशा के सुंदर चेहरे को हल्की-सी जांचती हुई निगाहों से देखा। उसे लगा जैसे सामने खड़ी लड़की और अदिरा काफी एक जैसे थे। अगर उसने इसे अपनी आँखों से नहीं देखा होता, तो शायद उसे यकीन ही नहीं होता कि इस दुनिया में दो लोग इतने हूबहू दिखते हैं।

    शिवांक द्वारा इतनी नज़दीक से देखे जाने पर, राशा को लगा कि उसका पूरा शरीर तनाव में है, इस डर से कि वह उसे उस रात वाली महिला के रूप में पहचान लेगा। राशा ने जल्दी से समझाया, " मै चलती हूं सर।"

    शिवांक ने अपनी भौहें ऊपर उठाई, महिला को देखते हुए जो डर से काँप रही थी लेकिन मुस्कुराने को मजबूर थी। उसकी आँखों में एक गहरी नज़र चमक उठी और उसने पूछा, "अदिरा के साथ तुम्हारा क्या रिश्ता है?"

    (क्रमशः)

  • 3. "One Night, One Lie" - Chapter 3

    Words: 1605

    Estimated Reading Time: 10 min

    राशा को को अपने पूरे बदन में ठंडक महसूस हुई और उसकी तनी हुई हथेलियों ठंडे पसीने से तर हो गई। उसी समय, एक अचानक अदिरा  की आवाज़ आई,  " शिवांक, तुम यहाँ हो।"

    सभी ने देखा कि अदिरा, हल्के गुलाबी रंग की पोशाक पहने हुए और उत्तम मेकअप के साथ विला से बाहर निकल रही थी।

    आर्यन ने बगल से देखा और पाया कि उसकी होने वाली भाभी और राशा वास्तव काफी एक जैसी दिखती थीं। इसलिए, वह स्पष्ट रूप से मुस्कुराया,  " भाई, राशा और  भाभी एक जैसी दिखती हैं, और वे दोनों ही यहाँ रहती हैं तो जाहिर सी बात है ये बहने होंगी।"

    राशा हैरान रह गई। लेकिन, इससे पहले कि वह इस रिश्ते की सच्चाई बताती, अदिरा जोर से चिल्लाई, "यह कैसे संभव है? वह हमारे परिवार की सिर्फ एक नौकर है और आखिरकार कुछ पैसे बचाने के बाद,उसने प्लास्टिक सर्जरी का सहारा लिया होगा, ताकि मेरी तरह दिख सके।"

    ऐसा कहते हुए, उसने राशा को एक कठोर नज़र से देखा,"रसोई में बहुत जाम है,  जल्दी करो और मदद करने जाओ।"

    राशा ने केवल अपने दिल को जलता हुआ महसूस किया। यह पहली बार नहीं था जब अदिरा ने उसे इस तरह से बेइज्जत किया था, लेकिन किसी कारण से इस बार, वह नहीं चाहती थी कि शिवांक उसे नीची नज़र से देखे। उसके मुट्ठी बंद हाथ फिर से ढीले हो गए, उसने सिर हिलाया, मुड़ी और विला में चली गई।

    उसके पीछे, अदिरा की आवाज़ अस्पष्ट रूप से सुनाई दी, जो शायद शिवांक से कह रही थी,  "शिवांक, तुम नहीं जानते ये कितनी चालक लड़की है, अगर मेरे डैड को इसकी मां से हमदर्दी ना होती तो मैं जब का इसे विला से बाहर कर चुकी होता। इसकी आदत है अमीर लड़को से चिपकने की।"

    यह सुनकर, आर्यन का चेहरा काला पड़ गया, और उसने आधी मुस्कान के साथ कहा, "मिस अदिरा ऐसा लगता है आपने प्लास्टिक सर्जरी करवाई है,  मुझे तो आपकी नाक ज़्यादा हिली हुई लग रही है?"

    "आर्यन ", शिवांक ने आर्यन को धीमी आवाज़ में डांटा, लेकिन उसके लहजे का मतलब उसे दोष देना नहीं था। आर्यन ने कंधे उचकाए और सबसे पहले विला के भीतर दाखिल हुआ।

    अदिरा ने अपने हाथों को मुट्ठी में बंद कर लिया, इतना गुस्सा कि वह कांपने से खुद को रोक नहीं सकी, उसे आर्यन से मिले दो पल नहीं हुए थे और उसे वो बिल्कुल पसंद नहीं आया। शिवांक के साथ आगे बढ़ते भी उसने मन ही मन सोचा, " यह सब उस कामिनी ने किया, उसकी हिम्मत कैसे हुई शिवांक के सामने अपना मास्क पहने बिना आने की।  सौभाग्य से, शिवांक ने उसे नहीं पहचाना।"


    खाने की मेज पर–


    आर्यन पहले ही अदिरा से चिढ़ गया था, इसलिए अदिरा ने अपना सारा ध्यान अपनी होने वाली ननद अनिका और शिवांक पर रखा और चेहरे पर मुस्कान के साथ अनिका के प्लेट में खुद खाना परोसने लगी और धीरे से कहा, "अनिका ये शाही पनीर ट्राई करो, हमारा रसोइया खाना बहुत टेस्टी बनाता है।"

    "मुझे पनीर पसंद नहीं हैं।", अनिका ने नाक भौं सिकोड़ी और ऐसा लगा जैसे अपने चेहरे पर "नापसंद" शब्द लिख दिया। उसे इस औरत का पाखंडी रूप पसंद नहीं आया, अदिरा से अच्छी उसे राशा लगी जो शांत स्वभाव की और काफी सुंदर भी थी।

    हालांकि अदिरा ने उसकी इस हरकत पर कोई खास नाराजगी नहीं दिखाई और एक और डिश उठा लिया, " अच्छा तो ये...राजमा और चिकन कटलेट ट्राई करें..."

    "सुनो, अदिरा...मेरे हाथ हैं, मै खुद ले सकती हूं, मुझे परेशान करना बन्द करो।", अनिका थोड़ी नाराजगी और तंज कसते हुए बोली।  जिस पर अदिरा को अपमानित महसूस हुआ, उसने प्लेट टेबल पर रख दी और उदास मन से कहा, " सॉरी, मुझे लगा कि मै सर्व करूं तो अच्छा होगा।"

    खाने की मेज पर माहौल तुरंत ठंडा हो गया। मिसेज मल्होत्रा अपनी बेटी को इस तरह से परेशान होते हुए नहीं देख सकती थी, लेकिन उसने अनिका ऑब्रोल को नाराज़गी से देखा पर कहा कुछ नहीं।

    तभी शिवांक जो शांत बैठा था, अचानक बोल पड़ा, " अनिका खाना खाओ और अगर तुम्हे भूख नहीं तो बाहर कार में मेरा इंतजार करो।"

    "यहां रुकना भी कौन चाहता है?", अनिका बाहर जाने का इंतजार भी नहीं करना चाहती थी। वो तुरंत उठी और बाहर जाने लगी।

    ठीक इसी समय राशा गर्म सूप का कटोरा लेकर किचन से बाहर आई, दोनों एक दूसरे की देख ना सकी और अचानक दोनों एक दूसरे से टकरा गई।

    "आह--", अनिका चिल्लाई।

    राशा ने अपने होंठ काटे और सूप का कटोरा मजबूती से पकड़ लिया, ज़्यादातर गर्म सूप उसकी कलाई पर ही गिरा, लेकिन अनिका भी हल्का फुल्का जल गई थी।

    खानसामा तुरंत बाहर आया और राशा को डाँटने लगा, "राशा! तुम क्या कर रही हो?क्या तुम मिस अनिका को जलना चाहती थी?"

    फिर अनिका ने तुरंत कहा, "मैं ठीक हूँ।"

    वह ज़्यादा नहीं जली थी, लेकिन उसके कपड़े थोड़े गंदे हो गए थे, यह स्पष्ट था कि राशा ज़्यादा गंभीर रूप से घायल थी, और उसके हाथ का पिछला हिस्सा काफ़ी लाल हो गया था।

    यह देखकर कि मिस अनिका नाराज नहीं थी, खानसामा ने अपनी आँखें घुमाई, और अवसर का फ़ायदा उठाते हुए कहा, "मिस अनिका, आप नहीं जानती कि यह नौकरानी अक्सर आलसी और फिसलन भरी होती है, और यह हर काम में गड़बड़ करती है। पिछली बार, उसने मिस्टर शिवांश को लगभग जला ही दिया था!"

    "क्या?", अचानक अदिरा चौंक कर उठी, वो ज्यादा नाराज इस बात से नहीं थी कि शिवांश जल गया, बल्कि इस बात से थी कि उसके गैर मौजूदगी में राशा शिवांश के सामने क्यों आई?
        बिना किसी और बात के, उसने तुरंत राशा के चेहरे पर थप्पड़ मारा और गुस्से से डांटा,  "राशा, हमने सोचा कि तुम गरीब हो और तुम्हें रहने के लिए घर दिया, खाना दिया। लेकिन तुम बहुत लापरवाह हो, तुम शिवांश और उनकी बहन अनिका को चोट पहुँचाना चाहती हो, मुझे लगता है कि तुमने यह जानबूझकर किया! अब तुम्हारी इनसे क्या दुश्मनी है?"

    कमरा पूरी तरह से शांत था, और किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि अदिरा उस जवान लड़की को सब के सामने थप्पड़ मार देगी।

    राशा का और नीचे था, उसने केवल यह महसूस किया कि उसके गाल गर्म और दर्द में था, लेकिन वह विरोध नहीं कर सकी...क्योंकि उसकी कोई हैसियत नहीं थी। एक आंसू गर्म लाल गाल पर गिरा। जिसके अगले ही पल, आर्यन उठा और अचानक राशा की कलाई पकड़ कर पीछे खींचा, फिर ठंडे भाव से बोला, "क्या ये ज्यादा भाई हो रहा? यह सिर्फ एक दुर्घटना थी, मिस अदिरा आओ नहीं लगता कि राशा को थप्पड़ मारना आपकी मेंटल हेल्थ को दर्शाता है?"

    हालत बिगड़ते देख, मिसेज मल्होत्रा ने तुरंत बात संभाली, " अरे आर्यन बेटे, अदिरा बस शिवांक बेटे के किए टेंशन में आ गई थी, इसलिए ऐसा हर दिया, वो थोड़ी जज्बाती है।"

    अदिरा ने भी उनकी हां में हां मिलाई, " हां, होने वाले देवर जी यही बात है।"

    हालांकि आर्यन को उनकी बात बनावटी लगी, उसने मुंह बनाया और एक आह के साथ उनसे मुंह फेर लिया।

    हालाँकि, मिसेज मल्होत्रा ने विषय बदल दिया, उन्होंने तुरंत राशा को देखा और कहा, "राशा, अनिका के साथ ऐसी लापरवाही के बाद तुम्हे नौकरी से निकाला जा रहा है, अपने तीन महीने की सैलरी लो और निकल जाओ।"

    राशा थी हैरान रह गई, वो मल्होत्रा परिवार  को छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी, उसकी मां अभी भी बीमार थी और उनके इलाज के लिए उसे मल्होत्रा परिवार में रहना बहुत जरूरी था। वह इतनी चिंतित थी कि वह अपने हाथों में दर्द की परवाह तक नहीं कर सकी, और जल्दी से विनती करती हुई बोली,  "मैडम, मुझे पता है कि मैं गलत थी, प्लीज मुझे जॉब से मत निकाले।"

    "मिसेज मल्होत्रा, आप उसे जॉब से क्यों निकाल रही है?", आर्यन का दिल फट रहा था। तभी मिसेज मल्होत्रा ने कहा, " आर्यन बेटे, हमारे मल्होत्रा परिवार के पास ही ये हक रहने दो कि हमे किसे रखना है और किसे बाहर निकलना है।"

    मिसेज मल्होत्रा को पहले ही शक था कि राशा मिस्टर मल्होत्रा की नाजायज बेटी है, लेकिन वो इस बात को कभी कंफर्म नहीं कर पाई थी, इसलिए आज वो राशा को इस घर से निकालने का मौका छोड़ना नहीं चाहती थी।

    हालांकि, जैसे ही मिसेज मल्होत्रा ने बोलना समाप्त किया, शिवांक, जो अब तक चुप था, खड़ा हो गया, "अनिका ने पहले ही कह दिया है कि वह ठीक है, इसलिए इस लड़की की गलती भूल जाइए।"

    कहते हुए उसकी नज़र हल्के से राशा के हाथ के पीछे चली गई, उसकी आँखें काली पड़ गईं, जब उसने विनम्रता और अलगाव से कहा,  "इसे जॉब से निकालने की जरूरत नहीं है। अब हम चलते हैं, चलो अनिका।"

    यह देखकर कि वह जाने वाला था, अदिरा के भाव थोड़े बदल गए, और उसने जल्दी से शिवांक की बाँह पकड़ ली, "शिवांक।"

    शिवांक ने उसके हाथ पर नजर डाली, उसकी नजरों के कारण आदिरा ने बेवजह खुद पर दबाव महसूस किया, और अवचेतन रूप से उसका हाथ छोड़ दिया, जिसके बाद शिवांक ने कहा, " मै बाद में फोन कॉल करूंगा।"

    उसके इन शब्दों से, अदिरा के दिल की बेचैनी शांत हो गई, इसलिए वो विचारपूर्वक मुस्कुराई,  "अच्छा,  सड़क पर सेफ्टी से गाड़ी चलाना और अनिका, मुझे सच में बुरा लग रहा है कि तुम्हे हमारे घर चोट  लग गई।"

    अनिका ने उसकी ओर देखने की भी जहमत नहीं उठाई, यह महिला बहुत पाखंडी थी, जो जबरदस्ती अपने स्वर को मीठा बनाने की कोशिश करती थी।

    विला से निकल कर, कार में बैठने के बाद,  अनिका अब और नहीं रोक सकी और पूछा, "भाई, आप सच में उस अदिरा से शादी करने जा रहे हैं?"

    अगर कहानी ने दिल छुआ हो,
    तो फॉलो कीजिए… और प्यार में ⭐ भी दीजिए!
    आपका एक छोटा सा इज़हार, हमें आगे लिखने की बड़ी वजह देता है। ❤️📖



    (क्रमशः)

  • 4. "One Night, One Lie" - Chapter 4

    Words: 1082

    Estimated Reading Time: 7 min

    विला से निकल कर, कार में बैठने के बाद,  अनिका अब और नहीं रोक सकी और पूछा, "भाई, आप सच में उस अदिरा से शादी करने जा रहे हैं?"


    "वह भविष्य में तुम्हारी भाभी होगी, उसका सम्मान करो।", शिवांक ने अपनी बहन को आंखे दिखाई।

    "भाभी? क्या मेरा भाई अंधा हो गए है? मुझे ऐसी पाखंडी लड़की पसंद है। उसके ड्रामे मुझे कभी पसन्द नहीं आते।",अनिका अभी भी चिढ़ी हुई थी,  पर उसने जब अपने नहीं को देखा, उसने पाया कि शिवांक आर्यन की ओर देख रहा था, जो विला के बाहर उस छोटी नौकरानी के साथ खड़ा, उसके जले पर मरहम लगा रहा था।

    "लगता है, आर्यन भाई को वो पसंद है। वो उसकी परवाह करते हैं।", अनिका के चेहरे पर मुस्कान थी, " आर्यन भाई समझदार है...अपनी दुल्हन चुनने में पैसे नहीं देखते।"

    अनिका अभी भी अपने भाई की निगाहों को राशा पर ही टीका हुआ देख रही थी, इसलिए उसने भौंहें सिकोड़ ली और मुस्कुराते हुए बोली, "भाई, क्या तुम मल्होत्रा परिवार की उस छोटी नौकरानी में रुचि रखते हो? अगर तुम्हें चिंता है कि उसे मल्होत्रा परिवार से निकाल दिया जाएगा, तो तुम उसे हमारे अब्रॉल परिवार में ले आओ।"

    आदमी ने अपने होठों को सिकोड़ा, उसकी आँखें गुप्त थीं, जब उसने कहा,  "यह नामुमकिन तो नहीं है...पर मैं ये नहीं करना चाहता।"

    "अहम्म्म!", अनिका ने अचानक अपना सिर बाहर निकाला, "भाई, क्या तुम सीरियस हो? उसे मेरी भाभी बना दो...वो मुझे बहुत प्यारी लगी।"

    "शट अप।", शिवांक ने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ गया।

    कुछ ही देर में आर्यन भी वहां से चला गया, जिसके अगले ही पल अदिरा ने उसे आवाज दी, जिसे सुन कर वो विला के अंदर चली गई।


    जैसे ही राशा लिविंग रूम में दाखिल हुई, उसे सोफे पर बैठे मिसेज मल्होत्रा ने रोक लिया।

    राशा ने माफी मांगते हुए सिर झुकाया, "मैडम, मुझे माफ़ करें, मैंने आज आपको परेशान किया, मै आगे से इस पर ज़रूर ध्यान दूँगी, क्या आप मुझे माफ कर सकती है!"

    पास बैठे मिस्टर मल्होत्रा ने हाथ हिलाकर उसे सोफे पर बैठने का संकेत दिया, और उनका लहजा जितना शांत था, जब उन्होंने कहा, "राशा, मैंने तुम्हें बड़ा होते देखा है, और मल्होत्रा परिवार तुम्हारा घर है। आज जो कुछ हुआ उसके लिए मैं तुम्हें किसी से माफी मांगने की जरूरत नहीं है।"

    "थैंक यू अंकल।", राशा ने धीमे स्वर में कहा। यह जानते हुए कि उसे यहां से निकाला नहीं जाएगा, राशा ने आखिरकार अपने चेहरे पर मुस्कान दिखाई। तभी  मिस्टर मल्होत्रा ने फिर पूछा, "आपकी माँ कैसी है?"

    "वो ठीक हो रही हैं। डॉक्टर ने कहा कि हाल ही में उनकी हालत काफी अच्छी है।", राशा ने धीरे से कहा।

    उसकी बात सुनकर, मिस्टर मल्होत्रा ने सिर हिलाया, और उसे एक बैंक कार्ड दिया, "ये लो, इसमें पैसे हैं, तुम अपनी मां का इलाज करवाओ और अच्छे से खाना खाया करो।"

    "डैड!", यह देखकर, अदिरा उन्हें रोकने से खुद को रोक नहीं पाई।

    लेकिन मिस्टर मल्होत्रा ने उसकी बात नहीं सुनी, और बैंक कार्ड को जबरन राशा के हाथ में थमा दिया। राशा एक पल के लिए हिचकिचाई, फिर कार्ड स्वीकार कर लिया, और कहा, "थैंक यूं, सर...! अब मै हॉस्पिटल जा सकती हूं?"

    "हां जाइए।", मिस्टर मल्होत्रा ने उसके सिर पर हाथ रख कर थपथपाया।

    राशा के जाने के बाद ही अदिरा ने असंतुष्ट होकर कहा, "डैड राशा ने कितनी बार गलती की और अपने उसे पैसे दे कर जाने को कह दिया, आप उसे निकाल क्यों नहीं देते।"

    अदिरा  की बात में मिसेज मल्होत्रा भी उसकी मदद करना चाहती थी, लेकिन मिस्टर मल्होत्रा ने उसे बीच में रोक दिया, "राशा के पिता का निधन मेरी वजह से हुआ, और उसकी माँ गंभीर रूप से बीमार है। क्या आप दोनो सच में चाहती हैं कि मैं उसे बाहर निकाल दूं? आप दोनो इस मामले पर फ्यूचर में मुझसे डिस्कशन मत कीजिएगा, राशा यहीं रहेगी।"


    ऊपर जाने से पहले, उसने अपनी पत्नी को चेतावनी देते हुए उन्होंने आगे कहा, "आदिरा नादान है, लेकिन क्या आप नहीं जानती कि राशा के डैड की मृत्यु कैसे हुई?"


    अदिरा को अपने पिता से कोई सहयोग नहीं मिला, तो अदिरा अपनी मां के सामने पैर पटकते हुए बोली, " मां, ये राशा ऐसा क्यों करती है? उसे शिवांक के सामने जाने से मना किया था मैने।"

    "चुप रहो, अब तुम्हारे लिए सबसे इंपॉर्टेंट बात यह है कि अपना मन शांत करो और शिवांक से सगाई के लिए  तैयार रहो। अपना सम्मान मत गिराओ, तुम्हे उस नौकरानी से उलझने की कोई जरूरत नहीं है।", मिसेज मल्होत्रा, अपने पति के आदेश के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं कर सकती थी, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को समझाया और उठ कर वहां से चली गई।

    ____________________

    अगले दो दिनों तक, राशा कॉलेज और अस्पताल के चक्कर लगाती रही और जितना हो सके मल्होत्रा परिवार से बचने की कोशिश करने लगी। उसने सोचा कि जब तक सगाई की रात नहीं आ जाती, वो अदिरा के सामने नहीं जाएगी।

    हालांकि आखिरकार आज वो रात थी, जब अदिरा और शिवांक की सगाई होने वाली थी, उसकी सगाई की तैयारी शहर के सबसे आलीशान रेजिडेंस में हुई थी, जहां राशा को जाने से मना कर दिया गया था।

    हालांकि इस सगाई में हर कोई मौजूद था, सिवाए दुल्हन और उसके मां बाप के। जब वो वैन्यू पहुंचने सके थे, उन्हें एक कॉल आया, जिसके तुरंत बाद मिस्टर और मिसेज मल्होत्रा हॉस्पिटल के लिए निकल गए।

    अदिरा ने दिन में अपने कुछ साथियों के साथ बहुत अधिक शराब पी ली थी और उसे शराब से एलर्जी थी, जिसके कारण वह अभी भी अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश लेटी हुई थी।

    मिसेज  मल्होत्रा ने अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश बेटी को देखा और अपने सोचने की शक्ति खो दी, "मुझे क्या करना चाहिए...इसे मार डालू क्या? ये इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है?"

    मिस्टर मल्होत्रा असंतुष्ट थे, उन्हें खुन्नस से अपनी पत्नी की ओर देखा, " देख लो अपनी बेटी की करतूत, इसे एक पैसे ही तमीज नहीं है, तुमने इसे क्या सिखाया है?"

    मिसेज मल्होत्रा को भी असहज महसूस हुआ, "अब मुझे डांटने का क्या फायदा? कुछ सोचो सगाई एक घंटे में शुरू होने वाला है। अगर अब्रॉल परिवार के लोगों को पता चल गया कि हमारी बेटी बेवकूफी की वजह से अस्पताल में  है। तो सगाई यही खत्म कर दी जाएगी।"

    कहते हुए मिसेज मल्होत्रा जल्दी से घूम गई और बिना रुके वार्ड में आगे-पीछे चलने लगा। तभी अचानक, उनके दिमाग में कुछ ख्याल आया और आँखें चमक उठीं, "वैसे, राशा कहाँ है, वो लड़की कहाँ है। उस लड़की को अदिरा की जगह लेने दो। वैसे भी ये सिर्फ सगाई गई...शादी नहीं।"

    समीक्षा याद से करें।

    (क्रमशः)

  • 5. "One Night, One Lie" - Chapter 5

    Words: 1126

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब मिस्टर मल्होत्रा ने यह सुना, तो उन्होंने एक पल सोचने के बाद तुरंत सिर हिलाया, "मैं राशा को फोन करता हूँ, तुम होटल पहुंचों।"

    कुछ ही समय बाद, राशा को मिस्टर मल्होत्रा ने होटल में बुलाया और सीधे दुल्हन के लाउंज में ले गए। मिसेज मल्होत्रा ने अदिरा के समान इस चेहरे को देखा और बार बार सिर हिलाया।

    आप्रत्याशित रूप से, वह चेहरा जिससे वह सबसे अधिक नफरत करती थी, वास्तव में आज उसकी बहुत मदद करेगा, लेकिन राशा का सौम्य व्यवहार अदिरा के तीखे और गर्वित व्यवहार से बहुत अलग था, जो बड़ी समस्या थी।

    काफी देर बाद, मिसेज मल्होत्रा ने राशा से मदद मांगने की बात की, और अंत में वह चेतावनी देना नहीं भूली,  "राशा, हमारा हल्होतरा परिवार तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करता है। सगाई के खत्म होने के बाद, मैं तुम्हारी माँ के लिए एक एक्सपर्ट बुलाऊंगी, लेकिन आज तुम्हें इस मामले को अपने पेट में रखना होगा, अगर यह लीक हो गया, तो तुम परिणाम जानती हो।"

    राशा ने अपने हाथों को कस कर जकड़ लिया। उसने सोचा कि इस रात के बाद, उसका और उस आदमी का फिर से एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं होगा, लेकिन उसने कभी उम्मीद नहीं की थी कि वो शिवांक से सगाई कर सकती है, सपने में भी नहीं।

    यह मामला निस्संदेह बहुत जोखिम भरा था, अगर वह सावधान नहीं रही, तो शिवांक को पता चल जाएगा कि वो राशा है अदिरा नहीं।

    "ठीक है, मैं आपसे वादा करती हूँ कि मैं इस बात को किसी से नहीं कहूंगी। लेकिन, आप मेरी ना का इलाज करवा दीजियेगा।", राशा के जवाब देने के बाद, दो सहायकों की मदद से, उसने करोड़ों की कीमत की एक महंगी पोशाक पहनी, उसकी ड्रेस में चमचमाते हीरे जड़े हुए थे। यह बेहद खूबसूरत था।

    जब वो तैयार हो गई, मिस्टर मल्होत्रा ने उसका हाथ पकड़ा और एक पिता के भांति नीचे की ओर ले गए, जिसके बाद उन्होंने राशा का हाथ शिवांक के हाथ में दे दिया।

    शिवांक ने उसका हाथ पकड़ लिया, हालंकि उसने हाथों में सफेद ग्लब्स पहन रखी थी, फिर भी शिवांक के हाथ की गर्मी उसे महसूस हो रही थी।

    उसका दिल धड़क उठा, यह सब ख्वाब जैसा था। एक असाधारण सगाई समारोह, करोड़ों की कीमत  की पोशाक और उसके सामने खड़ा सुंदर आदमी।

    "ठीक है, चलों हमारे भावी दूल्हा और दुल्हन सगाई की अंगूठियाँ एक्सचेंज करो।",  समारोह के संचालक की आवाज ने राशा को उसके विचारों से वापस खींच लिया, और उसने अपनी आँखें उठाई, जिससे उसकी नजरें शिवांक के नजरों से टकरा गई।

    अपने सामने शर्मीली और डरपोक लड़की को देखकर, शिवांक को अपने दिल में एक अजीब सी खुशी महसूस हुई, उसे ऐसा पहली बार लगा कि शादी करना बुरा नहीं है।

    उसने मुस्कुराते हुए सगाई की अंगूठी राशा के बीच वाली उंगली में पहना दी, हीरे की अंगूठी खूबसूरती से चमक उठी, जिससे राशा की आंखे भर आई।

    समारोह के संचालक द्वारा याद दिलाए जाने पर, राशा ने भी एक अंगूठी उठाई और उसे शिवांक की उंगली में पहनाने लगी, हालंकि वो कांप रही थी।

    ये देख शिवांक ने उसे धीमी आवाज़ में दिलासा दिया, "घबराओ मत।"

    राशा को अपने दिल में थोड़ी खटास महसूस हुई, उसने अपनी आँखें उठाई और सुंदर सहज चेहरे को देखा।सामने खड़े आदमी ने धीमी हंसी दी, उसका हाथ थामा, धीरे से उसकी उंगली पकड़ी, और अंगूठी को धक्का देते हुए कहा, " तुम सुंदर लग रही हो।"

    तभी किसी ने हूटिंग की, " क्या तुम दोनो एक दूसरे को चूमना नहीं चाहती?"

    शिवांक हमेशा से उदासीन और संयमित व्यक्ति था, राशा को यकीन था कि वो इस हीटिंग से प्रभावित नहीं होगा, लेकिन आज उसकी सगाई है, उसने अपना सिर नीचे किया, गाउन पहने सुंदर महिला को देखा, अपनी बाहें उसकी कमर के चारों ओर रखीं, और विस्मय के साथ, उसके होंठो को चूम लिया।

    उसके होंठ नरम थे, चेरी के फूलों की हल्की खुशबू की वही याद शिवांक के दिमाग में ताजा हो गई, जो दो महीने पहले उस होटल के कमरे में थी। उस रात की याद आते ही शिवांक ने उसके कमर को और अधिक कस लिया और दोनो का चुंबन गहरा होने लगा।

    राशा को किस्स से घुटन हो रही थी। उसका दूसरा हाथ उस आदमी ने पकड़ रखा था, फिर भी उसने थोड़ा विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप शिवांक ने उसे छोड़ दिया।


    "अदिरा तुम बघबरा रही हो?" , शिवांक ने महिला की कमर पर हाथ रखे, उसे हाँफते और अकड़ते हुए देखा, उसे हैरानी हुई क्योंकि अदिरा कभी उस तरह नहीं शर्माती।

    वहीं, राशा के कान में अदिरा का नाम पड़ा तो, वो इस  सपने की दुनिया से बाहर निकल आई और शिवांक को निहारने लगी। तभी मिसेज मल्होत्रा ने राशा के कंधे पर हाथ रखा और शिवांक से बोली, " बेटा बड़ों का आशीर्वाद ले लो।"

    आशीर्वाद लेने के बाद, शिवांक ने राशा का हाथ पकड़ा और धीरे से बोला " अदिरा तुम कुछ खाना चाहती हो? मै ला दू?"

    "नहीं, मै अपना मेकअप ठीक करना चाहती हूं।", कहते हुए राशा ने उससे दूरी बनाई और मिसेज मल्होत्रा की ओर बढ़ने से पहले बोली, " ये ड्रेस भी काफी भारी है तो मैं बदल भी लूंगी, तुम इंजॉय करो..मै आती हूं।"

    राशा जल्दी से अपना ड्रेस बदलना चाहती थी और इससे पहले कि कोई उसे नोटिस करे, वहाँ से निकल जाना चाहती थी।

    हालाँकि, जैसे ही वो कमरे में गई और अपनी ड्रेस उतारी, उसने लाउंज का दरवाज़ा खुलने की आवाज सुनी, उसके बाद शिवांक की आवाज़ आई. "अदिरा..."

    "उफ़, में जल्दी में थी और दरवाज़ा बंद करना भूल गई।", राशा खुद में बड़बड़ाई और अवचेतन रूप से पीछे मुड़ी है।

    तभी उसकी नजर शिवांक पर पड़ी, जो दरवाजे पर खड़ा उसे भौहें सिकोड़कर देख रहा था।

    राशा ने ड्रेस को कसकर गले लगाया और अपने शरीर को ढकने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसके गाल लाल हो गए, "तुम, तुम यहाँ क्यों हो?"

    शिवांक ने उसकी आँखों में घबराहट में देखा, और गहरी आवाज़ में पूछा, "क्या हुआ?"

    "कपड़े भारी हैं, मै नीचे जाने से पहले कपड़े बदलना चाहती थी, बताया था ना..." उसने शांत रहने की पूरी कोशिश की, लेकिन घबराहट अभी भी उसकी आँखों से नहीं छिप पाई।

    शिवांक की आँखें थोड़ी काली पड़ गई। जब वह पहली बार अंदर आया, तो उसने पहली नज़र में ' अदिरा' की पीठ पर ध्यान दिया। यह बिना किसी दाग के चिकनी, सफेद, कोमल थी। किन्तु उसे याद आया कि उसने एक बार अदिरा की पीठ पर एक ज़बरदस्त जलने का निशान देखा था, जो इस वक्त गायब था, जबकि अदिरा ने बताया था कि वो दाग कभी नहीं जा सकता, सर्जरी से भी नहीं।

    यह सोचते हुए, शिवांक ने आगे बढ़कर उसके कंधे को पकड़ लिया, और धीमी आवाज़ में कहा, "पीछे पलटों राशा...!"

    "हां..!", राशा अपना नाम सुन के इतना घबरा गई कि उसके हाथ से कपड़ा छूट कर नीचे गिर गया।

    समीक्षा जरूर करें।
    (क्रमशः)

  • 6. "One Night, One Lie" - Chapter 6

    Words: 1026

    Estimated Reading Time: 7 min

    "जी सर।", राशा ने सिर हिलाया, जिसके अगले ही पल शिवांक मुड़ और बेहद बुरे मूड के साथ बाहर निकल गया, वो बस जानना चाहता था कि वो छोटे सी महिला किस मिट्टी की बनी है। क्या वो हद से ज्यादा बेवकूफ है? जो उसकी पत्नी बनने का इतना अच्छा मौका छोड़ रही है? हालांकि वो भींगे हुए बिल्ली के बच्चे की तरह इतनी सहमी हुई रहती थी कि वो उसके साथ जबरदस्ती भी नहीं कर सकता था।

    "एक दिन तुम खुद आओगी मेरे पास, मिस राशा से मिसेज राशा शिवांक अब्रॉल बनने।", मन ही मन सोचते हुए, उसने अपने पीछे दरवाजा बंद किया और राशा कमरे में अकेली रह गई।

    जैसे ही वह गया, मिसेज मल्होत्रा कमरे के भीतर दाखिल हुई, उन्होंने राशा शिवांक के कोट में देखा तो गुस्से आगे बढ़ कर उसके बाल पकड़ लिए, "छोटी कुतिया, अपनी औकात मत भूल गई तुम? मेरे दामाद को रिझाने की कोशिश कर रही थी? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"

    "अगर आपको ऐसा लगता है, तो मै यहां क्यों हूं? मुझे जाने दीजिए...मै वैसे भी आपकी बेटी की जगह नहीं लेना चाहती।", राशा ने व्यंग से कहा। हालांकि उसकी लाल बाकी बता रही थी कि वो कुछ देर पहले रो रही थी।


    "तुम अभी भी जिद्दी होने की हिम्मत करती हो!", मिसेज मल्होत्रा ने उसे घूर कर देखा, अगर उसके चेहरे की आज जरूरत ना होती तो वो उसे  इतनी थप्पड़ मारती की उसका पूरा चेहरा सूझ जाता।

    "वो यहां क्या कर रहा था।", मिसेज मल्होत्रा ने सख्ती से पूछा।

    राशा जवाब नहीं देना चाहती थी, वास्तव में शिवांक को मना करने के बाद, वो दिल ही दिल में पछता रही थी, लेकिन उसे अपनी मां के लिए ये करना जरूरी था। इसलिए उसने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, "वो मुझसे पूछ रहे थे कि मेरे पीठ पर अदिरा की तरह भद्दा निशान क्यों नहीं है...इस तरह उन्हें मै ज्यादा सेक्सी लगी।"

    "तुम...बेगैरत लड़की!", मिसेज मल्होत्रा का गुस्सा फूटा और एक उड़ता हुआ थप्पड़ राशा के गाल पर पड़ा, उसे यकीन था कि उसे मार पड़ेगी, पर वो मिसेज मल्होत्रा के दिल में भी आग लगाना चाहती थी, वो चाहती थी कि मिसेज मल्होत्रा भी तड़पे।

    "तुम सच में नीच हो। मै तुम्हे नहीं झेल सकती...बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। तुम पहले अपने कपड़े बदलो, और होटल के पिछले दरवाजे से बाहर जाओ। मैं तुम्हें वापस ले जाने के लिए किसी का इंतज़ाम कर दूंगी।", मिसेज मल्होत्रा ने उसके असंतोष को आज बाहर के लिए सहन किया।


    इसके बाद, राशा ने मिसेज मल्होत्रा की ओर पीठ करके अपने कपड़े बदले, तब तक कुछ सोचते हुए मिसेज मल्होत्रा उसकी पीठ को घूर रहा था, यह वास्तव में मलाई की तरह चिकना और गोरा था, बेहद खूबसूरत....


    कपड़े बदलने के बाद, राशा  चुपचाप होटल से निकल कलर, कार में बैठ गई। उसका मिशन पूरा हो गया था, आज रात के बाद, वह और शिवांक एक दूसरे से फिर कभी नहीं मिलेंगे। उसने राहत की सांस ली कि शिवांक ने किसी को कुछ नहीं बताया पर मन में एक डर अभी भी था कि ना जाने वो आगे क्या करेगा? अमीर लोगों की सनक से वो अच्छी तरह परिचित थी, वो कब क्या कर बैठे उन्हें ही पता नहीं होता....

    ____________________

    एंगेजमेंट वैन्यू से लौटने के बाद, मिस्टर और मिसेज मल्होत्रा हॉस्पिटल पहुंचे,अपनी बेटी को देखा जो अभी भी अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश थी। ये देख मिसेज मल्होत्रा गुस्से में अपने पैर पटकने लगा। उनकी इस नकारी औलाद ने अपने सगाई के दिन ही ऐसी गड़बड़ी की कि आज शिवांक के नाम के साथ एक नौकरानी का नाम जुड़ गया था।

    भले ही उन्होोने चालाकी की थी, पर वो ईश्वर को धोखा नहीं दे सकती थी। वो राशा की किस्मत नहीं चुरा सकती।

    सोचते हुए,वो वहीं बैठ गई और मिस्टर मल्होत्रा ने डॉक्टर से पूछा, "डॉक्टर, मेरी बेटी कब उठेगी?"

    "मिस अदिरा को शराब से एलर्जी है और मुझे लगता है कि वह कल जाग जाएगी। आप लोगों को उन्हें पहले ही शराब पीने से रोकना चाहिए था..!", डॉक्टर के जवाब से मिस्टर मल्होत्रा अस्तुष्ट और शर्मिंदा दिखे।

    मिसेज मल्होत्रा ने राहत की सांस ली कि उसकी बेटी कल जाग जाएगी और तुरंत डॉक्टर को भुगतान करने के लिए अपने बैग से पैसे निकाले, यह मामला अभी भी गुप्त रखा गया है, दूसरे लोगों को पता न चलने दें कि मेरी बेटी यहां भर्ती है।"

    पैसे लेते हुए डॉक्टर मुस्कुराया, फिर सिर हिला कर वहां से चला गया।

    _________________


    अगली सुबह, मिसेज मल्होत्रा ने बिस्तर से उठते ही अपना मोबाइल फोन निकाला और हाउसकीपर को फोन किया, "मैंने आपको जो तैयारियां करने के लिए कहा था, क्या वो हो गया?"

    "सब कुछ आपके आदेशानुसार चल रहा है, मैडम।", आगे से आवाज आई।

    "यह अच्छा है, इसे साफ-सुथरे ढंग से करो और मैं नहीं चाहती कि उसे इस बात की भनक भी लगे।" मिसेज मल्होत्रा ने कहा।

    "हाँ, आप बेफिक्र रहिए।", आगे से फिर आवाज आई।

    जीर्ण-शीर्ण छोटे क्लिनिक में, हाउसकीपर ने फोन रख दिया, और राशा की ओर देखा, जिसे पेट के बल लिटा कर बिस्तर से बांध दिया गया था।

    " तुमने सब सुना? उन्हें हमें ऐसा करने को कहा है, हम उनका विरोध नहीं कर सकते।", हाउसकीपर ने राशा का चेहरा छुटे हुए धीरे से कहा।

    राशा ने कभी नहीं सोचा था कि मिसेज मल्होत्रा इतनी उन्मत्त हो जाएगी। सिर्फ इसलिए कि शिवांक ने उसकी बेदाग पीठ देख ली थी, मिसेज मल्होत्रा ने उसे जलाने की निर्णय लिया। यह कितना कष्टदायक है।

    राशा ने हताश होकर अपना सिर हिलाया, लेकिन उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे और वह हिल नहीं सकती थी, और उसके मुंह में एक मोटा कपड़ा ठूंस दिया गया था, जिससे वो कुछ भी बोल नहीं पा रही थी।

    बीस मिनट बाद मिसेज मल्होत्रा वहां आई, उन्होंने वास्तव में राशा को एनेस्थीसिया भी नहीं दिया, और उसे जबरदस्ती दागने लगी।

    जब गर्म लोहे ने त्वचा को जलाया, तो राशा के दिल को चीर देने वाला दर्द पूरे शरीर के अंगों और हड्डियों में फैल गया। वह दर्द से कराह उठी, लेकिन क्योंकि उसका मुंह कपड़े से भरा हुआ था, इसलिए वह आवाज नहीं निकाल सकी, उसे बस अपने पूरे शरीर में दर्द महसूस हुआ।

    अंत में, राशा को केवल अपनी आँखों के सामने अंधेरा महसूस हुआ, और वह दर्द से बेहोश हो गई....

    (क्रमशः)

  • 7. "One Night, One Lie" - Chapter 7

    Words: 1026

    Estimated Reading Time: 7 min

    "जी सर।", राशा ने सिर हिलाया, जिसके अगले ही पल शिवांक मुड़ और बेहद बुरे मूड के साथ बाहर निकल गया, वो बस जानना चाहता था कि वो छोटे सी महिला किस मिट्टी की बनी है। क्या वो हद से ज्यादा बेवकूफ है? जो उसकी पत्नी बनने का इतना अच्छा मौका छोड़ रही है? हालांकि वो भींगे हुए बिल्ली के बच्चे की तरह इतनी सहमी हुई रहती थी कि वो उसके साथ जबरदस्ती भी नहीं कर सकता था।

    "एक दिन तुम खुद आओगी मेरे पास, मिस राशा से मिसेज राशा शिवांक अब्रॉल बनने।", मन ही मन सोचते हुए, उसने अपने पीछे दरवाजा बंद किया और राशा कमरे में अकेली रह गई।

    जैसे ही वह गया, मिसेज मल्होत्रा कमरे के भीतर दाखिल हुई, उन्होंने राशा शिवांक के कोट में देखा तो गुस्से आगे बढ़ कर उसके बाल पकड़ लिए, "छोटी कुतिया, अपनी औकात मत भूल गई तुम? मेरे दामाद को रिझाने की कोशिश कर रही थी? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"

    "अगर आपको ऐसा लगता है, तो मै यहां क्यों हूं? मुझे जाने दीजिए...मै वैसे भी आपकी बेटी की जगह नहीं लेना चाहती।", राशा ने व्यंग से कहा। हालांकि उसकी लाल बाकी बता रही थी कि वो कुछ देर पहले रो रही थी।


    "तुम अभी भी जिद्दी होने की हिम्मत करती हो!", मिसेज मल्होत्रा ने उसे घूर कर देखा, अगर उसके चेहरे की आज जरूरत ना होती तो वो उसे  इतनी थप्पड़ मारती की उसका पूरा चेहरा सूझ जाता।

    "वो यहां क्या कर रहा था।", मिसेज मल्होत्रा ने सख्ती से पूछा।

    राशा जवाब नहीं देना चाहती थी, वास्तव में शिवांक को मना करने के बाद, वो दिल ही दिल में पछता रही थी, लेकिन उसे अपनी मां के लिए ये करना जरूरी था। इसलिए उसने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा, "वो मुझसे पूछ रहे थे कि मेरे पीठ पर अदिरा की तरह भद्दा निशान क्यों नहीं है...इस तरह उन्हें मै ज्यादा सेक्सी लगी।"

    "तुम...बेगैरत लड़की!", मिसेज मल्होत्रा का गुस्सा फूटा और एक उड़ता हुआ थप्पड़ राशा के गाल पर पड़ा, उसे यकीन था कि उसे मार पड़ेगी, पर वो मिसेज मल्होत्रा के दिल में भी आग लगाना चाहती थी, वो चाहती थी कि मिसेज मल्होत्रा भी तड़पे।

    "तुम सच में नीच हो। मै तुम्हे नहीं झेल सकती...बाकी सब मुझ पर छोड़ दो। तुम पहले अपने कपड़े बदलो, और होटल के पिछले दरवाजे से बाहर जाओ। मैं तुम्हें वापस ले जाने के लिए किसी का इंतज़ाम कर दूंगी।", मिसेज मल्होत्रा ने उसके असंतोष को आज बाहर के लिए सहन किया।


    इसके बाद, राशा ने मिसेज मल्होत्रा की ओर पीठ करके अपने कपड़े बदले, तब तक कुछ सोचते हुए मिसेज मल्होत्रा उसकी पीठ को घूर रहा था, यह वास्तव में मलाई की तरह चिकना और गोरा था, बेहद खूबसूरत....


    कपड़े बदलने के बाद, राशा  चुपचाप होटल से निकल कलर, कार में बैठ गई। उसका मिशन पूरा हो गया था, आज रात के बाद, वह और शिवांक एक दूसरे से फिर कभी नहीं मिलेंगे। उसने राहत की सांस ली कि शिवांक ने किसी को कुछ नहीं बताया पर मन में एक डर अभी भी था कि ना जाने वो आगे क्या करेगा? अमीर लोगों की सनक से वो अच्छी तरह परिचित थी, वो कब क्या कर बैठे उन्हें ही पता नहीं होता....

    ____________________

    एंगेजमेंट वैन्यू से लौटने के बाद, मिस्टर और मिसेज मल्होत्रा हॉस्पिटल पहुंचे,अपनी बेटी को देखा जो अभी भी अस्पताल के बिस्तर पर बेहोश थी। ये देख मिसेज मल्होत्रा गुस्से में अपने पैर पटकने लगा। उनकी इस नकारी औलाद ने अपने सगाई के दिन ही ऐसी गड़बड़ी की कि आज शिवांक के नाम के साथ एक नौकरानी का नाम जुड़ गया था।

    भले ही उन्होोने चालाकी की थी, पर वो ईश्वर को धोखा नहीं दे सकती थी। वो राशा की किस्मत नहीं चुरा सकती।

    सोचते हुए,वो वहीं बैठ गई और मिस्टर मल्होत्रा ने डॉक्टर से पूछा, "डॉक्टर, मेरी बेटी कब उठेगी?"

    "मिस अदिरा को शराब से एलर्जी है और मुझे लगता है कि वह कल जाग जाएगी। आप लोगों को उन्हें पहले ही शराब पीने से रोकना चाहिए था..!", डॉक्टर के जवाब से मिस्टर मल्होत्रा अस्तुष्ट और शर्मिंदा दिखे।

    मिसेज मल्होत्रा ने राहत की सांस ली कि उसकी बेटी कल जाग जाएगी और तुरंत डॉक्टर को भुगतान करने के लिए अपने बैग से पैसे निकाले, यह मामला अभी भी गुप्त रखा गया है, दूसरे लोगों को पता न चलने दें कि मेरी बेटी यहां भर्ती है।"

    पैसे लेते हुए डॉक्टर मुस्कुराया, फिर सिर हिला कर वहां से चला गया।

    _________________


    अगली सुबह, मिसेज मल्होत्रा ने बिस्तर से उठते ही अपना मोबाइल फोन निकाला और हाउसकीपर को फोन किया, "मैंने आपको जो तैयारियां करने के लिए कहा था, क्या वो हो गया?"

    "सब कुछ आपके आदेशानुसार चल रहा है, मैडम।", आगे से आवाज आई।

    "यह अच्छा है, इसे साफ-सुथरे ढंग से करो और मैं नहीं चाहती कि उसे इस बात की भनक भी लगे।" मिसेज मल्होत्रा ने कहा।

    "हाँ, आप बेफिक्र रहिए।", आगे से फिर आवाज आई।

    जीर्ण-शीर्ण छोटे क्लिनिक में, हाउसकीपर ने फोन रख दिया, और राशा की ओर देखा, जिसे पेट के बल लिटा कर बिस्तर से बांध दिया गया था।

    " तुमने सब सुना? उन्हें हमें ऐसा करने को कहा है, हम उनका विरोध नहीं कर सकते।", हाउसकीपर ने राशा का चेहरा छुटे हुए धीरे से कहा।

    राशा ने कभी नहीं सोचा था कि मिसेज मल्होत्रा इतनी उन्मत्त हो जाएगी। सिर्फ इसलिए कि शिवांक ने उसकी बेदाग पीठ देख ली थी, मिसेज मल्होत्रा ने उसे जलाने की निर्णय लिया। यह कितना कष्टदायक है।

    राशा ने हताश होकर अपना सिर हिलाया, लेकिन उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे और वह हिल नहीं सकती थी, और उसके मुंह में एक मोटा कपड़ा ठूंस दिया गया था, जिससे वो कुछ भी बोल नहीं पा रही थी।

    बीस मिनट बाद मिसेज मल्होत्रा वहां आई, उन्होंने वास्तव में राशा को एनेस्थीसिया भी नहीं दिया, और उसे जबरदस्ती दागने लगी।

    जब गर्म लोहे ने त्वचा को जलाया, तो राशा के दिल को चीर देने वाला दर्द पूरे शरीर के अंगों और हड्डियों में फैल गया। वह दर्द से कराह उठी, लेकिन क्योंकि उसका मुंह कपड़े से भरा हुआ था, इसलिए वह आवाज नहीं निकाल सकी, उसे बस अपने पूरे शरीर में दर्द महसूस हुआ।

    अंत में, राशा को केवल अपनी आँखों के सामने अंधेरा महसूस हुआ, और वह दर्द से बेहोश हो गई....

    (क्रमशः)

  • 8. "One Night, One Lie" - Chapter 8

    Words: 1376

    Estimated Reading Time: 9 min

    अस्पताल में–

    अदिरा जाग गई, उठते ही उसने सबसे खुद को आईने में देखा, और चिल्लाने से खुद को रोक नहीं पाई, "आह-"

    उसका चेहरा लाल चकत्ते से ढका हुआ था,और बहुत खुजली हो रही थी।

    मिसेज मल्होत्रा जो राशा को गहरे निशान दे कर बस अभी आई थी, उसने जल्दी से दौड़कर अदिरा का हाथ पकड़ लिया, जो अपने चेहरे को खरोंचने वाली थी, " अदिरा उन्हें खरोच कर अपने चेहरे को खराब करना चाहती हो? इन्हें ऐसे ही छोड़ दो...ये अपने आप जान होंगें"

    अदिरा दुखी हो गई, , " क्या यह आज गायब हो सकता है?? माँ, में ऐसा क्यों हो गया?"

    "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे पूछने की।", मिसेज मल्होत्रा गुस्से से डांटा, "डॉक्टर ने कहा, अगर एक हफ्ते में ठीक नहीं हुआ तो दस या पंद्रह दिन से ज्यादा लगेंगे, तुम्हें शराब पीने के लिए किसने कहा?? अपने आप को देखो, क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारी वजह से मल्होत्रा परिवार का नाक कटने वाला था।"

    अदिरा ने अपना चेहरा ढक लिया, तभी उसे एहसास हुआ कि उसकी सगाई का समय बीत चुका है, "सगाई! आज तारीख क्या है? शिवांक कहाँ है?"

    मिसेज मल्होत्रा ने सांत्वना दी,  "तुम बेहोश थी, तो मैंने तुम्हारे पिता के साथ एक सौदा किया और राशा को तुम्हारे जगह भेज दिया। वैसे भी, राशा तुम्हारे जैसी दिखती है, और मेकअप लगाने के बाद किसी ने भी नोटिस नहीं किया।

    "क्या?", अदिरा की आवाज़ एक सप्तक ऊपर उठी।

    "माँ, आप उस छोटी डायन को कैसे जाने दे सकती है..." जब शब्द उसके होठों पर आए, तो उसे याद आया कि मिस्टर मल्होत्रा अभी भी यहाँ खड़े हैं, उसके पास गाली देना बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और उसने कहा, "तुम राशा की मेरी जगह कैसे जाने दे सकती हो।"

    "तो क्या सगाई तोड़ देती, तुम्हे लगता है...अब्रॉल परिवार ये जानने के बाद तुमसे रिश्ता जोड़ता की उनकी बहु एक शराबी है।", मिसेज मल्होत्रा ने उसे आंखे दिखाते हुए कहा, "वैसे भी शिवांक को कुछ भी पता नहीं चला और अब सब कुछ कंट्रोल में है।"

    __________________


    उस रात राशा की आंख खुली तो वो अपने छोटी सी झोपड़ी में थी, उसके पीठ में भयानक जलन हो रही थी और उस पर पट्टियां बांधी थी। वो इस दर्द की सहन नहीं कर सकती थी, उसे ऐसा लग रहा था, कोई उसके पीठ पर मिर्च और नमक छिड़क रहा हो।

    वो कराह उठी, तभी हाउसकीपर उसके झोपड़ी के अंदर दाखिल हुआ, उसके हाथ में एक दवाई दी और कहा, " ये लो खाओ, इससे दर्द और जलन कम हो जायेगा, फिर ये दवाई घाव पर लाग कर सो जाना। कल से तुम्हारे लिए नए काम है।"

    दर्द ने राशा को बीमार कर दिया था, वो कुछ ना बिल पाई, उसने दवाई लेकर बिना पानी के ही निगल लिया और यूं ही पीठ के बल लेटी रही। हाउसकीपर ने मरहम उसके पास फेंका और वहां से चला गया।

    दूसरी ओर शिवांक ये सोच कर पागल हुआ जा रहा था कि राशा की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो उसके साथ नहीं आना चाहती? उसे आज भी याद था जब उसने उस रात उस कोमल लड़की को पहली बार छुआ था, वो कमल के फूलों सी थी, इतनी नर्म की उसके बारे में सोचने मात्र से शिवांक की धड़कने आज भी तेज हो जाती थी।

    आधी रात की अचानक वो बिस्तर से उठा और बेचैनी से कमरे में टहलने लगा, आखिर में उसे राशा की इतनी याद आई कि उसने अपने कपड़े बदले, जूते पहने और कार की चाभी लेकर बाहर निकल गया।

    कार चला कर वो सीधे मल्होत्रा विला के पीछे वाली सुनसान जगह रुका, वो कार से उतरा और फोन की रौशनी में चेरी ब्लॉसम का पेड़ ढूंढना शुरू किया, आखिर में उसे वो पेड़ मिल गया, जिसके समीप ही एक कुटिया भी थी।

    अदिरा ने उसे बताया था कि इस कुटिया में भी राशा अपनी मां के साथ रहती है। उसकी मां की मौजूदगी के बारे में सोच कर शिवांक काफी लंबे समय तक वहां खड़ा रहा, फिर जाने के लिए मुड़ने लगा, तभी उसके कानो में किसी लड़की के कराहने की आवाज पड़ी।

    उसके कदम अपने आप ही ठिकक गए, क्या ये राशा के कराहने की आवाज थी? अगले ही पल वो पलटा और कुटिया के दरवाजे तक पहुंचा। दरवाजा बंद नहीं था, जो कि हल्के धक्के से ही खुल गया।

    शिवांक फूस और मिट्टी की कुटिया में पहली बार आया था, उसे हैरानी हुई कि लोग ऐसे घरों में भी रहते हैं। हालांकि उसने फोन की लाइट जलाई और थोड़ा ऊपर किया तो नजर सीधे एक लड़की के भयानक पीठ पर पड़ी, जो बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी।

    "उन्ह्ह्ह", उसके कराहने की आवाज से शिवांक वापस अपने होश में लौटा, उसने फोन की लाइट की थोड़ा और घुमाया तो देखा वो उसी राशा थी, जिसकी आंखे बंद थी और वो दर्द से कराह रही थी।

    "उसकी पीठ कल तक ऐसी नही थी फिर आज उसके साथ ऐसा किसने किया?", वो व्याकुलता से उसकी ओर बढ़ा और उस भयानक जले के निशान को देखते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए।

    उसने आंखे बंद कर ली और  उस सख्श की जान लेने की कामना की, जिसने उसकी होने वाली पत्नी के साथ, ऐसा करने की हिम्मत की।

    उसके फोन की लाइट राशा के आंखो पर पड़ रही थी, जिससे राशा नींद से बाहर आ गई। उसने आंखे खुलने पर एक अनजान परछाई को अपने सामने देख तो घबराहट में चिल्लाने की वाली थी कि शिवांक ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया, "शूऊऊ.. मै हूं।"

    राशा का पीला पड़ा चेहरा, अचानक दंग रह गया। शिवांक ने उसके मुंह से हाथ हटाया और पहला सवाल पूछा, "किसने किया ये?"

    राशा ने जो कपड़े पहने थे वो जला हुआ था, उसका पूरा बदन एक व्हाइट लॉन्ग फ्रॉक से ढाका था, बस पीठ के हिस्से की जलाया गया था, जिससे शिवांक को पता चला कि उसे यह जख्म सिर्फ इसलिए दिया गया, क्योंकि अदिरा के पीठ पर ऐसे निशान थे।

    राशा चुप रही, उसकी आंखो में उभरे दर्द की पढ़ाते हुए शिवांक जमीन पर घुटनो के बल बैठ गया, राशा के चेहरे को अपने हाथ में भरा और धीरे से पूछा, "क्या ये इसलिए हुआ क्योंकि अदिरा के पीठ पर भी ऐसे ही निशान है?"

    राशा की जिदंगी में पहला की मर्द आया था, जो उसकी परवाह कर रहा था, उसे फर्क नहीं पड़ता कि वो नौकरानी है, उसे फर्क नहीं पड़ता कि वो महलों में रहने वाली एक राजकुमारी नहीं है, उसे फर्क नहीं पड़ता कि वो एक टूटे हुए कुटिया में रहती है।
       उस सख्श को फर्क पड़ता है तो सिर्फ़ उसके दर्द से, उसके आंसुओं से, उसे कराहने से ओर उसकी तकलीफ से।

    राशा कुछ नहीं बोली तो शिवांक की आंखो में भी आंसू भर आया, उसने उठ कर राशा के माथे को चूम लिया और अगले ही पल उठ कर उसे बाहों में उठाया और लेकर कुटिया के बाहर चला गया।


    अपनी कार के पिछले सीट कर लिटाते हुए उसने यह सुनिश्चित किया कि उसे दर्द ना हो, पर वो चाहे जितनी मर्जी कोशिश कर ले, राशा के कमजोर करहाने की आवाज उसके सीने को चीर ही देती थी।

    उसे हॉस्पिटल ले जाने के बजाए, शिवांक उसे अपने प्राइवेट मेंशन के गया। जिसके ठीक सामने एक डॉक्टर का अपार्टमेंट भी था, जो उसकी काफी अच्छी दोस्त थी।

    मेंशन पहुंचने तक, राशा खामोशी से फ्रंट सीट पर बैठे आदमी को देखती रही। वो इतना परेशान था कि सारे रास्ते उसका नाम पुकारता रहा।

    लेकिन राशा इतने दर्द से गुजरी थी कि उसे जवाब देने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अंततः वो उसे अपने आलीशान मेंशन के भीतर ले गया, जहां बत्तियां जलाते हुए उसने बाहों में कांपती महिला को देखा और उसे लेकर अपने कमरे में चला गया।

    बिस्तर पर उसे पेट के बल लिटाते हुए, उसने अपनी डॉक्टर दोस्त चांदनी को कॉल किया और उसे तुरंत मेंशन आने की कहा।

    नींद से उठी चांदनी अपने पति की बाहों से निकलने से पहले दो मिनट तक इस सोच में पड़ी रही की उसे किसने कॉल किया? और क्यों किया।

    जब उसे होश आया तो उसने फोन नंबर चेक किया, स्क्रीन पर शिवांक का नंबर देख वो अनमने मन से उठी, अपने सोए हुए पति को घूर कर देखा और उठ कर नाइट सूट में ही अपना मेडिकल कीट उठा कर बाहर चली गई।

    प्लीज रेटिंग्स और समीक्षा जरूर दें।

    (क्रमशः)

  • 9. "One Night, One Lie" - Chapter 9

    Words: 1023

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब वो मेंशन के अंदर गई, शिवांक की परेशान देख ऊंघते हुए बोली, " क्या परेशानी है? तुम्हे कुछ हुआ है क्या?"

    शिवांक ने उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए कमरे में ले गया, " इसे चेक करो।"

    "किसे?", पूछते हुए चांदनी ने अपनी नजरें उसके इशारे करती हुई उंगली ओर घुमाया तो पाया कि वहां एक नाजुक सी लड़की लेटी हुई थी, उसके पीठ पर भयानक जले हुए निशान थे।

    "ओह माय गॉड..!", चांदनी तेजी से राशा की ओर बढ़ी और उसके जख्म को देखते हैरानी से कहा, " ये किसने किया? क्या ये कोई एक्सीडेंट है? डोमेस्टिक वायलेंस का केस लगता है...ये लड़की हैं कौन और तुम इसे यहां क्यों लाए हो?"

    "तुम सवाल पूछती रहोगी या उसका इलाज करोगी? दिखाई नहीं दे रहा उसे दर्द हो रहा है!", शिवांक झुंझलाते हुए चिल्लाया।

    उसके माथे पर पड़ी बल और पीसने को देखते हुए चांदनी ने कुछ देर और जांच की, फिर एक पन्ने पर कुछ दवाइयों लिखते हुए बोली, "जाओ ये फार्मेसी से ले आओ, घर में साफ कपड़ा या टावल है?"

    "हां..!", शिवांक ने कहा।

    "जाते हुए मुझे थोड़ा ठंडा पानी और टॉवल देते जाना।", चांदनी ने कहा राशा के सामने सिर झुकाते हुए बोली, " क्या तुम मुझे सुन सकती हो? मै तुम्हारे कपड़े उतार रही हूं।"

    कहते हुए उसने शिवांक पर एक नजर डाली, जो अभी भी वहीं खड़ा था। उसे देख चांदनी ने व्यंग से कहा, " तुम अब तक यहां क्यों खड़े हो? जाओ....अब क्या इसे बिना कपड़ों के देखना चाहते हो?"

    "नहीं...", ये देख कर कि चांदनी के हाथ में कैंची था और वो उसी से राशा के कपड़े को काटने वाली थी, शिवांक ने उसे तर्जनी उंगली दिखाते हुए कहा, "पर सुन लो, अगर तुम्हारी इस कैंची से उसे जरा भी चोट लगी तो अच्छा नहीं होगा।"

    "अरे जाओ ना...बकवास मत करो।", चांदनी उसके कपड़े काटने लगी। नीचे से ऊपर की ओर काटते हुए उसने देखा कि राशा के शरीर पर पुराने जख्मों के निशान भी थे।

    चुकी शिवांक जा चुका था, चांदनी ने उसके कपड़े उतरे, फिर उसे ब्लैंकेट के नीचे इस तरह ढक दिया की बस उसका पीठ नजर आ सके।

    जल्द ही शिवांक एक साफ टॉवल और ठंडे पानी का कटोरा रख गया। टॉवल और पानी की मदद से चांदनी ने सबसे पहले उसके जख्म को साफ किया, और उससे पूछा, "तुम्हारा नाम क्या है?"

    राशा की तरफ से कोई जवाब नहीं आया, एक मिनट..दो मिनट..तीन मिनट..! वक्त गुजरा पर वो कुछ नहीं बोली। ये देख चांदनी उसके चेहरे को देखने के लिए झुकी तो पाया कि वो सो गई थी।

    इतनी पीड़ा ने भी उसे नींद आ गई, इसका सिर्फ एक ही मतलब था कि उसे नींद की गोली दी गई थी, पर ये लड़की है कौन और शिवांक इसे यहां क्यों लाया?

    सोचते हुए उसने पंद्रह मिनट इंतजार किया, जिसके बाद शिवांक एक बैग में वो सारी दवाइयां और मरहम ले आया, जो उसने पन्ने पर लिख कर दिया था।

    उसके हाथ से बैग लेकर, चांदनी ने दवाइयां देखी, वहीं शिवांक अपनी राशा के पास बैठा, उसका नाम धीरे से पुकारा, " राशा..!"

    "तो इसका नाम राशा है...खैर, वो सो गई हैं, शायद तुम्हारे यहां लाने से पहले नींद की गोली ली थी उसने।", चांदनी ने आह भरी, दवाई उसके सामने रखी और उनसे से दो स्ट्रिप उठाए फिर से कहने लगी," ये दो दवाई इसे सुबह को देना है।", फिर उसने तीसरी स्ट्रिप ली और कहा, "ये रात के खाने के बाद और बाकी दो मरहम एक रात को लगा देना और दूसरा सुबह।"

    "हम्मम।", शिवांक ने धीरे से कहा। उसकी उंगलियां राशा के चेहरे पर थी, जो उसके लटो को कान के पीछे बांधने में व्यस्त थी।

    चांदनी बिस्तर पर चढ़ कर बैठी और आहिस्ता से राशा के पीठ पर मरहम लगाते हुए शिवांक से पूछा, " ये लड़की है कौन? कहां मिली तुम्हे?"

    शिवांक ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि राशा ऐसा नहीं चाहती थी कि वो किसी को भी अपनी सगाई के बारे में बताए।वो गुमनामी में जीना चाहती थी, जैसे उसका कोई वजूद ही ना हो।

    "ठीक है नहीं बताना चाहते तो..!", चांदनी ने मुंह बनाया, "मैने मरहम लगा दिया है, जब सुबह तुम इसके पीठ पर ये मरहम लगना तो पट्टी भी कर देना, इससे ये कपड़े पहन पाएगी।"

    "हम्मम!", एक और शान्त उत्तर, शिवांक ऐसा था, जिसे बिना उसकी मर्जी के जरा जा भी नहीं पढ़ा जा सकता था, चाहे कोई उसके कितने ही करीब क्यों ना हो।

    "कुछ ही तो मुझे कॉल करना, मै घर जा रही हूं।", कहते हुए चांदनी उतरी, अपना कीट उठाया और जाते हुए दरवाजा तक रुक गई, मुड़ी शिवांक की आंखों में उस अनजान लड़की के लिए फिक्र देखी तो कहा, " उसकी परवाह करते हो तो उसकी हिफाजत करो...निशान बता रहा है कि उसे किसी लोहे की रोड से जलाया गया है, ये जान बुझ कर किया गया गुनाह है, किसी ने उसे जानबूझ के दागा है...जैसे निशान बनाना चाहता हो।"

    अचानक शिवांक की कोमल निगाहें, गुस्से की भावना से लिप्त हो गईं, वो अच्छी तरह जनता था ये किसका काम है, और वास्तव में वो उसे छोड़ने वाला भी नहीं था, बेशक राशा के तकलीफों की कीमत मिसेज मल्होत्रा को चुकाना होगा।

    चांदनी के जाने के बाद, शिवांक बिस्तर के नीचे फर्श कर बैठा उसका हाथ सहलाता रहा, उसकी नजरें राशा के मुरझाए चेहरे पर टिकी थी। यूं ही राशा को तकते हुए उसे नींद आ गई। वो वहीं बिस्तर से सिर टिकाए नींद की आगोश में समा गया।

    _______________

    अगली सुबह, राशा की नींद आंखों पर सूरज की रौशनी पड़ने से टूटी। कई सालों में पहली बार उसकी नींद सूरज की रौशनी से खुली थी, उसे अपने दिल में एक गर्मी महसूस हुई, उसे लगा जैसे वो अपने उन दिनों में लौट गई हो, जब उसके पिता और भाई जिंदा थे। कितनी खुशहाल थी उसकी जिंदगी, हर कोई उससे प्यार करता था, उसके पिता उसे अच्छी जिदंगी देने के लिए मेहनत करते और मां लाड लड़ाती, तो भाई से हर दिन छोटे – छोटी बातों पर बहस करना आदत बन चुकी थी।

    उन यादों से निकल कर, राशा ने आंखे खोली और वास्तविकता का सामना करने के लिए खुद की बाध्य किया। लेकिन आंखे खुलने पर उसने जो देखा...इससे वो हैरान रह गई।

    (क्रमशः)

  • 10. "One Night, One Lie" - Chapter 10

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    उन यादों से निकल कर, राशा ने आंखे खोली और वास्तविकता का सामना करने के लिए खुद की बाध्य किया। लेकिन आंखे खुलने पर उसने जो देखा...इससे वो हैरान रह गई।

    बिस्तर पर सिर टिकाए सोए हुए उस आदमी की शालीन आभा ने ना जाने कैसे राशा की धड़कने बढ़ा दी। वो उसे निहारती रही, जब तक कि शिवांक थोड़ी हरकत में ना दिखा।

    जैसा ही वो हिला, राशा ने घबरा कर अपनी आंखे बंद कर ली। उसकी कस कर बंद आंखे साफ जाहिर कर रही थीं कि वो सो नहीं रही, पर दिखवा कर रही है।

    शिवांक उठा तो उसकी नजर सबसे पहले राशा के चेहरे पर पड़ी, उसे नाटक करता देख, वो मुस्कुराया और नजदीक जा कर उसके कान में फुसफुसाया, " आंखे खोलो...मै सुबह नाश्ते में सुन्दर लड़कियों को नहीं खाता।"

    राशा ने अपनी मुट्ठी में चादर भींच ली, उसने अपने होंठ काटे और अब उसके पास आंखे खोलने के सिवा कोई चारा नहीं था।

    "हम्मम, अब तकलीफ है पीठ में?", शिवांक ने उसके नग्न पीठ के जले हुए निशान पर नजर टिकाई।

    राशा ने मुंह खोला, " अब कम जल रहा है।"

    "ऐसे ही सोई रहो, मै इस पर मरहम लगा देता हूं...उसके बाद हल्की पट्टी कर दूंगा, तब उठ सकती हो।", कहते हुए शिवांक ने मरहम उठाई ही थी कि राशा बोल पड़ी, " नहीं, मै कर लूंगी...आप प्लीज बाहर चले जाइए।"

    राशा को याद था कि पिछली रात एक खूबसूरत लड़की उसके कपड़े उतारने की बात कह रही थी, जिसके बाद उसे नींद आ गई थी। किन्तु इस वक्त वो इस तरह बिना कपड़ों के शिवांक से नहीं मिलना चाहती थी, ये उसे असहज महसूस कराता।

    "पहले भी मैने तुम्हे देख रखा है..जिद्द मत करो मुझे लगाने दो।", शिवांक हमेशा की तरह अपनी स्पष्ट आवाज में बोला।

    राशा झेप गई, किन्तु उसने अगले ही पल हिचकिचाते हुए कहा, " लेकिन...उस रात होटल के कमरे में अंधेरा था, तो आपने कुछ भी नहीं देखा, है ना...?"

    पेट के बल लेटी इस तर्क देने वाली महिला को घूरते हुए शिवांक को हंसी आ गई, शायद ये पहली ऐसी लड़की है जिसे मिलने के बाद शिवांक वास्तव में खुश होता था, "हां, मैने नहीं देखा पर महसूस तो किया है...अगर तुम ऐसा नहीं चाहती तो मैं आंखे बंद कर लेता हूं, तुम्हारा हाथ यहां तक नहीं पहुंचेगा। अब जिद्द मत करो...वरना मुझे जबरदस्ती करना भी आता है।"

    क्या ये धमकी है? आगे कुछ भी कहने की राशा की हिम्मत नहीं हुई, वो खामोश दिखी तो शिवांक उसके पास बैठा, मरहम को अपनी उंगलियों से उसके जले पर फैलाना शुरू किया, जिससे राशा एक सिसकारी भरते हुए कांप गई।

    अचानक शिवांक ने अपनी उंगली उसके जख्म से हटा लिया और धीरे से पूछा, "दर्द हो रहा है?"

    "थोड़ा सा।", राशा ने जवाब के साथ सिर हिलाया। जिसके दूसरे ही पल शिवांक झुका और उसके पीठ पर धीरे से फूंक मारनी शुरू कर दी।

    उसकी ठंडी फूंक राशा के त्वचा से टकराई तो पूरे बदन में बिजली का करंट सा दौड़ गया। राशा का पूरा चेहरा गुलाबी हो कर गर्म हो जीएम उसने अपने पैर रगड़े और हड़बड़ाते हुए बोली, "जल्दी कर सकते हैं?"

    "जी बिलकुल।", शिवांक ने आदरपूर्वक कहा और वापस मरहम लगानी शुरू कर दी। अगले सात – आठ मिनट में उसने राशा की पीठ पर स्टेराइल गॉज पट्टी लगा दी, फिर उठ कर, राशा को बैठने में मदद करनी चाही, पर राशा ने सिर हिला कर उसे इनकार का इशारा किया।

    शिवांक ने सहमति में सिर हिलाई और थोड़ा दूर खड़ा हो गया। ये देख राशा ने अपने ब्लैंकेट को जिस्म के चारों को समेटा, फिर उठ कर बैठते हुए बोली, "मेरी मदद करने के लिए थैंक यूं, मै इस एहसान का बदला जरूर चुकाऊंगी। आपको कुछ चाहिए मुझसे? मै...आपको दे सकती हूं...अपना...."

    उसके पास कुछ भी ऐसा नहीं था जिससे वो शिवांक के एहसान का बदला चुका सके, वो तो खुद किसी और पर आधारित जिदंगी जी रही थी, ऐसे में उसका चेहरा उदासी से लटक गया।

    राशा का जर्द चेहरा और सफेद होंठो को गौर से देखते हुए , शिवांक उसके करीब बैठा। उसके चेहरे को अपनी हथेली ने भरा और एक सवाल पूछा, "क्या अब आना चाहती हो मेरे साथ? उन लोगों के बीच में तुम्हे क्यों रहना है जो तुम्हे चोट पहुंचाते हैं। मेरी ओर लौट आओ..मै तुम्हे कभी चोट नहीं लगने दूंगा।"

    राशा एकदम चुप हो गई। हालांकि उसके चेहरे पर एक बार फिर कुछ उसी तरह उदासी लौट आई थी, जैसे  गर्मी के बाद पतझड़ का मौसम लौटता है, अपने साथ सर्द हवाओं और उदासी को लेकर।

    उसका जवाब ना पा कर, शिवांक ने दांत पीस लिए, उसके चेहरे को अपने करीब खींचा और सीधे आंखों में देखते हुए बोला, "बड़ी बारीक सी बर्दास्त है मेरे दिल की, मै तुम्हारे गम बर्दास्त नहीं कर सकता, गम क्या? मै तुम्हारा दो पल के लिए लटका हुआ चेहरा बर्दास्त नहीं कर सकता... और तुम मुझसे अभी भी दूर रहना चाहती हो?"

    "मुझे जाना है..पर मैं क्या पहन कर जाऊं? मेरे कपड़े सच में काट दिए उन्होंने?", ऐसा नहीं था कि राशा इस प्यारे सख्श के साथ रहना नहीं चाहती थी, लेकिन उसे अंजाम का डर था। इसलिए उसने जल्दी से अपना चेहरा पीछे खींच लिया और बात बदलने की कोशिश की।

    शिवांक इस जिद्दी लड़की के आगे क्या बोल सकता था, वो खीजते हुए उठा और दो पलों तक वहीं टहलते रहने के बाद एकदम से उसके ठुड्ढी पकड़ कर अपने चेहरे की ओर उठाया, "मै तुम्हारी अगर हर बात को मानू ना... और तुम्हारे नखरें भी उठाऊं, फिर भी तुम खुश नहीं हो सकती...क्योंकि तुम जिद्दी हो।"

    राशा अपनी गोल आंखों से उसकी ओर देखती रही, जब तक उसने दुबारा नहीं कहा, " यहीं रहना कपडे ले कर आता हूं मै तुम्हारे लिए... बताओ साइज क्या है तुम्हारा?"

    "स्मॉल साइज।", राशा का ये जवाब एक सेकंड से भी कम समय में आया था, जिससे शिवांक को हैरानी हुई। उसने राशा के दुबले पतले शरीर एक नजर देखा और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि वो स्मॉल साइज कपड़े क्यों पहनती है।

    "मै जब तक नहीं आता, तुम मेरी अलमारी से कपड़े के कर पहन सकती हो...वो रही सामने, kiddo...!", शिवांक उतरे हुए चेहरे के साथ बाहर चला गया, वो जनता था कि कुछ ही देर में वो राशा से फिर अलग हो जाएगा और उसके लिए इस विरहा की आग में जलना मुश्किल होता जा रहा था।

    समीक्षा जरूर करें।

    (क्रमशः)

  • 11. "One Night, One Lie" - Chapter 11

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    शिवांक के जाने के बाद, राशा ने कोई जल्दबाजी नहीं की। उसने अपने शरीर के चारों को कम्बल को अच्छी तरह लपेट लिया, आहिस्ते से बिस्तर से उतरी और ठंडे फर्श पर कदम आगे बढ़ाते हुए पूरे कमरे को सरसरी नजर से देखा।

    कमरे की सजावट बेहद सामान्य और सरल थी, हर चीज़ साफ और खूबसूरत लग रहा था, कमरे में रखे फर्नीचर, पेंटिंग्स और शोपीसेश भले ही साधारण दिखती थी, लेकिन यह काफी महंगी और प्रसिद्ध थी। किन्तु ये सारी चीजें राशा को मुतसीर नहीं कर सकती थी।

    कमरे में टहलते हुए वो ड्रेसिंग के सामने रुकी, उसने खुद की आईने में देखा और तुरंत अपनी हथेली से चेहरे को धक लिया। वो कितनी बुरी लग रहीं थी, उसका चेहरा बोझल था, आंखो के नीचे काले धब्बे थे और बाल बिखरे हुए अजीब लग रहे थे, जैसे वो किसी से झगड़ कर आई हो।

    तभी अचानक किसी ने कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी, वो घबरा कर पीछे मुड़ी तो देखा, दरवाजे पर वही कल रात वाली खूबसूरत लड़की खड़ी थी, उसके हाथ में एक जोड़ी कपड़ा और जूते भी थे। मुस्कुराते हुए वो आगे बढ़ी, " तुम उठ गई हो? मैने शिवांक को कार से कहीं जाते हुए देखा। मुझे लगा तुम्हे कपड़े देना चाहिए, कल रात तुम्हारे कपड़े मैने निकाल दिए थे ना...ये मेरे पहले के कपड़े हैं, शायद तुम्हे फिट आ जाए।"

    "थैंक यूं।", राशा ने धीरे से उसका आभार व्यक्त किया, फिर चांदनी को ऊपर से नीचे तक देखा, बेहद खूबसूरत लड़की थी वो, इतनी खूबसूरत की राशा को एक पल के लिए लगा उसके सामने कोई देवी खड़ी हो।

    "थैंक यूं कि क्या बात है? शिवांक की गेस्ट हो तो मेरी भी गेस्ट हुई ना।", मुस्कुराते हुए वो और भी प्यारो लग रही थी, जिससे राशा उससे नजरें नहीं हटा सकी।

    "तुम कपड़े पहन लो, मै बाहर इंतजार करती हूं।", कहते हुए चांदनी ने उसके हाथ में कपड़े थमाए और मुड़ कर चली गई। हालांकि कमरे से बाहर निकल कर उसने दरवाजा बंद कर दिया।

    राशा ने हाथ में पकड़े महंगे और ब्रांडेड कपड़े को देखा, उसने ऐसा जोड़ा सिर्फ अदिरा को पहनते देखा था। कपड़े को पहनने में उसे थोड़ी हिचकिचाहट हुई, लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था।

    कपड़े और जूते पहनने के बाद, वो दबे पांव बाथरूम के गई, उसने अपने सामने आलीशान बाथरूम देखा, जो इतना साफ था कि उसकी आंखे चौंधिया गई। बेसिन के सामने खड़ी हो कर उसने पहले कुल्ला किया, मुंह और हाथ धोया, फिर पास में ही टंगे टॉवल तक हाथ बढ़ाया। लेकिन चुकी यह उसका नाम था, इसलिए इस्तमाल करने में उसे थोड़ी झिझक हुई।

    उसने सुना था कि अमीर लोग, दूसरों को अपनी टॉवल और तकिया इस्तमाल के लिए नहीं देते। इसलिए वो बिना अपने चेहरे को पोंछे ही बाहर निकल आई।

    अब यहां रहने के लिए, उसके पास कोई वजह नहीं था, इसलिए वो कमरे से बहार जाने के लिए आगे बढ़ी, पर उसका यहां से जाने का दिल नहीं कर रहा था, भले ही वो शिवांक को इनकार कर रही थी, लेकिन उसका स्नेह और दुलार उसके दिल को भा ने लगा था।
        किन्तु वो ये बात नहीं भूल सकती थी कि उसकी मां मिसेज मल्होत्रा के कब्जे में थी और अगर उसने उनकी बात नहीं सुनी तो वो उसकी मां की किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करवाएंगी और ना ही उसे बताएंगी कि उन्हें कल सुबह हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया है।

    इन बातों ने उसे उदास हर दिया, वो बोझल मन से आगे बढ़ी, दरवाजा खोला और जाने के लिए तैयार ही गई।

    "ओह, तुम इस ड्रेस में कितनी प्यारी लग रही हो!", चांदनी ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया, जो रेलिंग से टिक कर खड़ी, शिवांक के कंधे से लगी थी।

    उन्हें इन तरह खड़ा देख, एक पल के लिए राशा झेप गई और मन में एक ही सवाल आया, " ये दोनो इतने करीब क्यों है? क्या ये साथ रहते हैं?"

    हालांकि राशा ने कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं दिखाई और दोनों को चुपके से देखने लगी। शिवांक जो कि चांदनी के साथ एक बैग लिए खड़ा था, अचानक उसकी ओर बढ़ा, बेहद गहरी और काली नजरों से उसे देखते हुए उसने पूछा, "तुम्हारे चेहरे पर इतना पसीना क्यों है?"

    "नहीं..ये पानी है।", राशा ने अपना हाथ उठा कर चेहरे को छूने की कोशिश की, पर शिवांक ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने शर्ट के आस्तीन से उसके चेहरे को आहिस्ते  से पोंछते हुए बोला, "वाशरूम में टावल नहीं था क्या?"


    राशा उसकी हरकत पर स्तब्ध रह गई, वो यकीन नहीं कर पाई कि उसके सामने खड़ा मर्द, उसके चेहरे को अपनी आस्तीन से पोंछ रहा था। उसके चेहरे का सार पानी, जब उसके शर्ट के आस्तीन में समा गए, तब शिवांक ने उसकी ओर बैग बढ़ाया और कहा, " हम्मम, इन्हें रख लो।"

    राशा ने इनकार किया, " नहीं, अब मुझे इसकी जरूरत नहीं है, आप इसे वापस कर दीजियेगा।"

    "अच्छा! अब तुम मुझे ऑर्डर भी देने लगी हो। रख लो..मै खरीदा हुआ वापस करने नहीं जाता।", शिवांक ने जबरदस्ती उसके हाथ में बैग पकड़ाया और आगे कहने लगा, " मै नाश्ता बना रहा हूं, नीचे आ जाओ।"

    राशा परेशान थी कि वो मिसेज मल्होत्रा को घर पर नहीं मिली तो ना जाने क्या होगा, इसलिए वो इस वक्त बस यहां से निकलना चाहती थी। किन्तु शिवांक से यह कहना उसके लिए मुश्किल हो गया था।

    उसे नीचे जाते हुए देख, राशा ने बैग को वहीं दरवाजे के पास रख दिया और एक कदम आगे बढ़ी ही थी कि चांदनी को देखते हुए उसके मन में एक सवाल आया, जिसे पूछे बिना वो रह नहीं सकी, " आप और शिवांक सर...!"

    "रुक जाओ, कुछ मत कहना... और ये बिल्कुल मत सोचना को वो और मै किसी भी तरह के रिश्ते में हैं। वो बस मेरे भाई की तरह है, दोस्त की तरह है और कभी – कभी दुश्मन की तरह भी।", चांदनी अपनी प्यारी मुस्कान के साथ, उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली।

    "नहीं...मै ये नहीं पूछ रही थी, मै बस जानना चाहती थी कि क्या आप दोनो..!", राशा ने बात बदलने की कोशिश की पर वो नाकाम रही और आखिर में उसने कहा, "क्या मैं यहां से चुपके से चली जाऊं तो आप सर को बता देंगी।"

    "जाना जरूरी है.. तो नहीं..", चांदनी खुल कर हंसी।

    "थैंक यू।", राशा ने हाथ जोड़े और जाने से पहले शिवांक को याद करते हुए बोली, " सर से कह दीजियेगा कि उनकी मंगेतर जल्दी ही ठीक हो जाएगी और हमारा कोई जोट नहीं।"

    समीक्षा जरूर करें।

    (क्रमशः)

  • 12. "One Night, One Lie" - Chapter 12

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    राशा मल्होत्रा विला पहुंची तो सबसे पहले उस महंगे कपड़े को बदलने के लिए अपने छोटे से आशियाने में भाग गई। किस्मत से उस दिन विला के बाहर कोई नहीं था और ना ही कोई पीछे था, इसलिए वो पकड़ी नहीं गई।

    कपड़े बदल लेने के बाद, उसने अपने बाल बांधे और विला के अंदर आ गई। अंदर भी कोई नजर नहीं आ रहा था, ना ही खानसामा और ना ही हाउसकीपर। यहां तक कि मिसेज मल्होत्रा जिनके नाश्ते का वक्त हो गया था, वो भी डायनिंग टेबल पर नहीं मिली।

    रसोई की ओर धीरे से बढ़ते हुए उसने मन ही मन सभी की गैरमौजूदगी के बारे में सोचा, किंतु वो कोई निष्कर्ष ढूंढ पाती, उससे उसके पहले ही किसी ने कॉरिडोर से उसे आवाज दी।

    "राशा, तुम वहां क्या कर रही हो? जल्दी एक डस्टिंग क्लॉथ ले कर यहां मैडम के कमरे में आओ।", यह हाउसकीपर था, जिसका चेहरा थोड़ा उदास और डरा हुआ लग रहा था।

    राशा ने सिर हिलाया, और बिना समय गवाएं कपड़े का एक टुकड़ा लेकर सीढ़ियों चढ़ने लगी, जब वो मिसेज मल्होत्रा के कमरे की ओर बढ़ रही थी, उसने मिसेज मल्होत्रा के कराहने की आवाज सुनी।
        उस आवाज ने उसे उत्सुक किया, हालंकि लोगों को दुख में देख कर खुश होना उसके प्रकृति में नहीं था, लेकिन जाने क्यों मिसेज मल्होत्रा की आहें उसके दिल को राहत दे रही थी।

    जब वो कमरे में पहुंची, उसने मिसेज मल्होत्रा को पीले चेहरे के साथ, बिस्तर पर बैठे हुए देखा। उनके हाथ पर एक डॉक्टर मरहम लगा था, जो बुरी तरह जला हुआ और लाल नजर आ रहा था।

    राशा के दिल में वो एहसास कौंध गया, जो कल सुबह उसने अपने पीठ पर महसूस की थी, उस भयावह एहसास ने राशा की आंखो में आंसू ला दिए, वो कुछ आगे चली और फर्श पर गिरे पानी को पोंछते हुए डॉक्टर की आवाज सुनी, " खौलते तेल ने स्किन को पूरी तरह जाला दिया है, ये दवाइयों से ठीक तो हो जाएगा, पर निशान रह जायेगे।"

    मिसेज मल्होत्रा दर्द से सिसकते हुए रोने लगी, हाउसकीपर ने डॉक्टर की मरहम पकड़ाई और मिस्टर मल्होत्रा चुपचाप खड़े अपनी पत्नी को देखते रहें। सभी के चेहरे पर मायूसी थी, सिवाए नीचे बैठी राशा के, उसके होंठों के कोने धीरे से ऊपर की ओर मुड़े, दिल में राहत महसूस हुई और अगले ही पल उसने अपना काम खत्म कर लिया।

    जब वो कमरे से निकलने लगी, अचानक पीछे से मिसेज मल्होत्रा की आवाज सुनी, जो घर में काम करने वाले खानसामा को कोस रही थी।, " उसे जॉब से निकाल की नहीं? उस जाहिल ने मेरा पूरा हाथ जला दिया, उफ्फ... उस बावर्ची ने मेरा हाथ बर्बाद कर दिया। मै उसे छोडूंगी नहीं।"

    उनकी बात सुनते हुए राशा बाहर निकली तो सफाई करती एक हेल्पर की कलाई पकड़ी, फिर थोड़ी जिज्ञासा और उदासी के साथ पूछा, " क्या हुआ मैडम को!"

    हेल्पर ने मुंह बिचकाया, " तुम ठीक कहां? आज तो उस खानसामा की वजह से तुम्हारी गैरमौजूदगी का किस्सा टल गया, नहीं तो...खैर! खानसामा जिसने आज सुबह नाश्ते की टेबल लगाने से पहले मिसेज मल्होत्रा को बहाने से किचन में बुलाया और अनजाने में उनके हाथ पर खौलते हुए तेल को गिरा दिया था। तब से बस चीखे जा रही है। चुडैल कहीं की..मै तो बड़ी खुश हूं। लेकिन उस खानसामा को निकाल दिया, अच्छा ही किया बड़ी गंदी नजर थी उसकी।"

    राशा हैरान रह गई, उसे यकीन नहीं हुआ कि उसके साथ हुए अन्याय का बदला ईश्वर ने इतनी जल्दी लिया। वो खुश थी, जिससे उसकी आंखे भर आई। ये देख नज़दीक खड़ी हेल्पर ने कहा, " अब तुझे क्या हुआ? अच्छा तो हुआ बूढ़ी के साथ।"

    राशा ने झट से आंसू पोंछ लिए, अपने होंठो पर तर्जनी उंगली दबाई और चुप रहने का इशारा करते हुए वहां से नीचे बढ़ गई।

    ____________________

    दूसरी ओर शिवांक किचन में जब जूस बनाने के लिए फ्रीज से फल निकाल रहा था, पीछे से चांदनी ने आते हुए कहा, " सिर्फ अपने लिए बनना, वो चली गई और मैं जा रही हूं।"

    शिवांक अचानक रुक गया, वो मुड़ा और चांदनी को घूरने लगा, "तुमने उसे जाने क्यों दिया?"

    "मैं कौन होता हूं रोकने वाली?, उसने कहा कि मैं तुमसे कह दूं कि तुम्हारी मंगेतर जल्दी ही तुमसे मिलने आएगी और उसने ये भी कहा कि तुम्हारा उसका कोई जोट नहीं है।", चांदनी ने टोकरी से एक अंगूर उठा कर मुंह में डाला।

    "उसने ऐसा कहा।", शिवांक ने दांत पीस लिए, फिर फ्रिज खोल कर उसमें सारे फ़ल फेंकते हुए गुस्से से बोला, " ये जिद्दी लड़की...।"

    चांदनी ने उसे हैरानी से देखा, उसने शिवांक को आपा खोते हुए पहली बार देखा था, वो सामान्यतः बहुत गंभीर और सभ्य इंसान था, लेकिन इस लड़की के लिए उसके सिर पर जैसे कोई जुनून सवार हो गए था।

    "तुम इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो? मुझे बताओ तो वो आखिर है कौन? मै कोई मदद कर सकती हूं।", चांदनी ने उसके बनाएं स्क्रैमल्ड एग की प्लेट उठाई और उसमें से खाते हुए मजे से बोली, " उससे पहले ये बताओं कि जोट मतलब क्या है?"

    "मुझे नहीं पता।", शिवांक झुंझलाया।

    "तुम अपनी मंगेतर को चीट कर रहे हो क्या?", चांदनी खुद को पूछने से रोक ना सके।

    " मेरी मंगेतर मिलने आएगी, ऐसा कहा उसने?", शिवांक की आंखे अचानक उदास हो गई।

    "हां...! मैंने तो यही सुना।", चांदनी के जवाब पर शिवांक ने नाखुशी से सिर हिलाया।

    " इस लड़की को पाना इतना मुश्किल क्यों है? इसे कोई चीज़ मुतासिर नहीं कर सकती।", शिवांक का चेहरे पर बदलते भाव चांदनी के मन में उत्सुकता जगा गई, उसने शिवांक के कंधे पर हाथ रखा, " मुझे बताओ ना..मै किसी को नहीं बताऊंगी कि उस लड़की के साथ तुम्हारा क्या रिश्ता है?"

    कहते हुए वो चांदनी उसके कान के करीब आई और धीरे से फुसफुसाते हुए कहा, " वन नाइट स्टैंड किया था? क्यूटी के साथ!"

    शिवांक अचानक मुड़ा, उसकी कलाई पकड़ी और खींचते हुए लिविंग रूम की तरफ बढ़ा, "चलो तुम जाओ..तुम्हे हॉस्पिटल नहीं जाना क्या?"

    "बताओं ना, मै पक्का वादा करती हूं कि किसी से नहीं कहूंगी।", चांदनी कहती रह गई, लेकिन शिवांक ना रुक और के घर निकाल दिया।

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    (क्रमशः)

  • 13. "One Night, One Lie" - Chapter 13

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    शिवांक अचानक मुड़ा, उसकी कलाई पकड़ी और खींचते हुए लिविंग रूम की तरफ बढ़ा, "चलो तुम जाओ..तुम्हे हॉस्पिटल नहीं जाना क्या?"

    "बताओं ना, मै पक्का वादा करती हूं कि किसी से नहीं कहूंगी।", चांदनी कहती रह गई, लेकिन शिवांक ना रुक और के घर निकाल दिया।

    दरवाजा बंद करने से पहले शिवांक ने उसकी तरफ एक नजर देखा, फिर गंभीरता से बोला, " जल्द ही उसे दुल्हन बना कर इस घर में लाऊंगा। बस देखती जाओ..उसे अपनी जोट कैसे बनता हूं।"

    दरवाजा बंद करने के साथ ही वो चला, सोफे पर बैठा और अपना फोन निकाल कर किसी को कॉल किया, " जरा पता करो कि सेंट कॉलेज में पढ़ने वाली राशा किस ईयर और सब्जेक्ट की स्टूडेंट है।"

    इतना कह उसने फोन रख दिया, फिर सिर सोफे पर टिकाया और सीलिंग को देखते हुए खुद से कहा, " तो मल्होत्रा विला में जाने के बाद, आज राशा खुश हुई होगी?"

    कहते हुए वो पिछली रात के उस पल में खो गया, जब आधी रात को अचानक उसकी आंख खुली, उसने खुद को राशा का हाथ पकड़े हुए फर्श पर पाया। उसकी नींद राशा के कुछ बड़बड़ाने से खुली थी, उसे ध्यान से सुनने की कोशिश की तो पता चला कि वो खुद को ना जलाने की भीख मांग रही थी।

    उसकी आंखो के कोने से गिरते आंसू ने शिवांक के दिल को जख्मी कर दिया। वो उसी पल बाहर निकला, उसने अपनी कार मल्होत्रा विला की तरफ घुमाई और तेज स्पीड में कार चलाते हुए सीधे विला के सामने रुका।

    उस रात वॉचमैन ने उसे देखते ही सलाम किया। शिवांक कार से उतरा और सीधे उसके पास गया, उससे कुछ पल बात की, फिर उसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया और दूसरे ही पल वॉचमैन ने खुशी से खानसामा को कॉल कर के विला के बाहर मिलने बुलाया।

    दस मिनट में खानसामा आंखे मलते हुए विला के पीछे से चलते हुए बाहर आया, उसने शिवांक को देखते ही कदम थोड़ा पीछे खींचे, फिर सलाम करते हुए आगे बढ़ आया।

    "तो तुम्ही हो जो यहां खाना बनता है?", शिवांक की गंभीर और बुलंद आवाज ने उसे डरने पर मजबूर किया।

    "जी सर।", खानसामा ने हाथ जोड़ लिए।

    शिवांश ने उसे अपनी कार की ओर बढ़ने का इशारा किया, फिर दरवाज़ा खोल उसमें बैठा और उसे भी अंदर आने को कहा।

    जब खानसामा अंदर बैठा, शिवांश ने उसकी तरफ एक क्रेडिट कार्ड बढ़ाया, " उसने एक लाख हैं, इसके बदले में तुम्हे मेरे कुछ करना होगा।"

    उस खानसामा की आंखे लालच से चमक गई, "आपके लिए तो जान भी हाजिर हैं।"

    शिवांक तिरछी मुस्कान के साथ मुस्कुराया, उसकी आंखो ने अजीब शैतानी थी, वो इस वक्त नर्क के देवता के समान लग रहा था, जिसके दिल में सिर्फ क्रूरता भरी हो। शिवांक ने कुछ कहने के बजाए, अपने पॉकेट से एक पेपर निकाला और खानसामा के हाथ में रख दिया, " बस यही करो।"

    खानसामा ने पेपर पर लिखे शब्दों को मन में ही पढ़ा, " उसे भी वैसे ही जलाओ, जैसे राशा को जलाया था।"

    इन शब्दों को पढ़ कर उसे दो पल के लिए सदमा लगा पर क्रेडिट कार्ड ने उसके दिमाग को शांत कर दिया, वो मुस्कुराया सिर हिलाया और कार का दरवाजा खोल बाहर निकल आया। उसके हाथ में वो कार्ड था, होंठो पर मुस्कान थी और आंखो में शिवांक जैसी ही शैतानी। उसने शिवांक को आखरी बार सलाम किया और विला के अंदर चला गया।

    ----------------

    दो दिनों के बाद, पीठ की चोट अब इतनी दर्दनाक नहीं थी, लेकिन जब भी राशा निशान को देखती, तो उसे ऐसा लगता जैसे उसके शरीर पर शर्म की कोई आग जल रही हो।

    सुबह जब वो मल्होत्रा विला के अंदर आई, उसने मिसेज मल्होत्रा को सोफे पर बैठे हुए देखा, उनके हाथ पर पट्टी बंधी थी और हाथों में कुछ दवाइयां भी थीं। उन्होंने राशा को रोका और कहा, "राशा, मैंने तुमसे जो वादा किया था, वह कर दिया है। तुम्हारी मां का इलाज शुरू हो गया है, पर मै अभी तुम्हे नहीं बता सकती कि वो कहां हैं?"

    राशा ने अपने हाथों की अपनी बगल में लटका लिया। उसने सोचा था कि उनकी बात मानने के बाद वो अपनी मां को देख पाएगी, लेकिन मिसेज मल्होत्रा ने उसे कुछ नहीं बताया। जिससे उसने अधूरे स्वर में कहा, "थैंक यू मैडम।"

    मिसेज मल्होत्रा ने उसके रवैये की बिल्कुल भी परवाह नहीं की, और मुस्कुराते हुए कहा, "ज़्यादा चिंता मत करो, जब तक तुम अदिरा की भूमिका अच्छी तरह से निभाती रहोगी, मैं तुम्हारी मदद करती रहूंगी।"

    राशा ने अपनी आँखें चौड़ी की और अविश्वास में उसे देखा, "अदिरा मैडम की भूमिका निभाना जारी रखोगी? इसका क्या मतलब है?"

    "हम्ममम, अदिरा को कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती रहना होगा। शिवांक आमतौर पर व्यस्त रहता है तो हर दिन उससे मिलने की ख्वाइश नहीं करेगा। तुम्हे बस अदिरा का फोन लेना होगा और कभी-कभी उससे बात करनी होगी, अदिरा को रेस्ट की जरूरत है, उसका फोन लो और शिवांक के इंस्ट्रक्शन पर आगे बढ़ती रहो, लेकिन अदिरा बन के।"

    मिसेज मल्होत्रा बात करते हुए खड़ी हुई, राशा के पीछे गई और जानबूझकर, अपनी हथेली को उसके पीठ पर रख के दबाया, " अदिरा की जगह लेने के बारे में सोचना भी मत।"

    राशा दर्द से कराह उठी, तभी मिसेज मल्होत्रा ने आगे कहा, " अदिरा के ठीक होते ही तुम्हे उसकी जिंदगी से कचरे की तरह निकाला कर फेंक दूंगी मैं।"

    "आप..", राशा ने अपने दाँत पीस लिए, और आखिरकार अपनी मां के बारे में सोचते हुए, सारी नाराज़गी निगल ली, "मैं आपसे वादा करती हैं।"

    "तुम बहुत अच्छी हो।", मिसेज मल्होत्रा ने धीरे से हँसते हुए देखा कि दर्द से राशा के पूरे शरीर में पसीना आने लग गई , लेकिन उसने संतुष्टि में सिर हिलाया, " मैने तुम्हे ये निशान दिया और अब शिवांक कभी तुममें और अदिरा में अंतर नहीं कर पाएगा..अब ये काम आयोग।"

    राशा ने कोई जवाब नहीं दिया, वह समझ गई कि मिसेज मल्होत्रा का क्या मतलब था, लेकिन शिवांक पहले से ही जानता था कि वो अदिरा नहीं है। अब फिर से शिवांक का सामना करना, ना जाने कैसा होगा उसके लिए।

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    (क्रमश)

  • 14. "One Night, One Lie" - Chapter 14

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    यूनिवर्सिटी ए… लेक्चर थियेटर में~

    राशा ने अपनी दोस्त को अपने बगल में बकबक करते हुए सुना, "मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि शिवांक जैसे आदमी ने उस अदिरा से सगाई कर ली है, उसे तो किसी प्यारी लड़की से सगाई करनी चाहिए थी।

    ऐसा कहते हुए, वह धीमी आवाज़ में उसके पास आई," तुम जानती हो अदिरा का ओर भी चक्कर है, वो कमीनी औरत...मैने सुना है कि शिवांक ने उससे सगाई इसलिए की क्योंकि वो उसके बिस्तर पर चढ़ गई थी।

    राशा का लिखने वाला हाथ रुक गया, उस रात उस आदमी की हरकतों के बारे में सोचते हुए उसने महसूस किया कि उसकी धड़कने बढ़ गई है।

    उसने एक गहरी साँस ली, अचानक खड़ी हो गई. "मैं वाशरूम जा रहा हूं।"

    "हैं..? लेकिन क्लास शुरू होने वाली है? मैने सुना है कि आज की फाइनेंस क्लास में दुनिया की सबसे अच्छी  कंपनियों में से, एक नया लेक्चरर आने वाला है।", राशा की दोस्त ने कहा।

    उसका वाक्य पूरा होने से पहले, राशा ने अपना सिर छिपाए हुए दरवाज़े से बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन वो दरवाजे तक पहुंचती, उससे पहले ही किसी की बाहों में जा गिरी, और वह इतनी डर गई कि उसने अपना मुँह ढक लिया।

    इससे पहले कि वह कुछ प्रतिक्रिया दे पाता, अचानक उसके सिर के ऊपर से एक आदमी की गहरी आवाज़ आई, "क्या तुम ठीक हो?"

    यह आवाज, शिवांक की थी। राशा में झट से आंखे खोली, सामने शिवांक को देखा, जो कोमल नजरों से उसे देख रहा था, उसके होंठो पर हल्की मुस्कान थी।

    "शिवांक!", वो धीरे से उसका नाम पुकारते हुए सीधा खड़ी हुई।

    उसके मुंह से दबी हुई आवाज में अपना नाम सुन कर शिवांक ने संतुष्टि से आंखे बंद कर ली, उसने चुपके से उसका हाथ पकड़ा। लेकिन, राशा ने जल्दी से अपना हाथ पीछे खींच लिया, उसके दिमाग में हलचल मच गई।

    शिवांक ने भौहें सिकोड़ते हुए, उसे न जानने का नाटक किया? फिर नजरें दूर कर ली। तभी अचानक प्रिंसिपल ने कहा, " सीट पर जाओ, बाहर क्यों जा रही हो? अभी क्लास का टाइम हैं ना।"

    प्रिंसिपल की बात सुनते हुए, राशा को अनमने मन से अपने सीट कर लौटना पड़ा। शिवांक की तीखी निगाहें पूरे रास्ते उसका पीछा करती रहीं, जिससे राशा को मन हुआ कि वह टेबल के नीचे छुप जाए।

    अगले ही पल पोडियम पर लगे लाउडस्पीकर से शिवांक की गहरी आवाज़ आई, "गुड मॉर्निंग एवरीवन, मेरा नाम शिवांक ऑब्रोल है, अगले आधे सेमेस्टर के लिए, मैं आपके साथ फाइनेंस डिपार्टमेंट में रहूंगा।"

    शिवांक की बात खत्म हुई तो क्लास ने बैठी लड़कियों ने जल्दी से हाथ खड़े किए, और एक – एक कर सवाल पूछना शुरू कर दिया।

    "क्या प्रोफेसर ऑब्रोल की कोई शादी हो गई है?"

    "प्रोफेसर, क्या हम आपको अपने चैट ग्रुप ने एड कर सकते हैं?"...

    आखिर ने एक ओर लड़की ने पूछा, "प्रोफेसर, क्या आपकी शादी हो गई है? आपको किस तरह की लड़कियां पसंद है?"

    शिवांक के होठों के कोने में हल्की मुस्कान थी, और उसकी नज़र राशा पर पड़ी, जो चुपचाप सिर नीचे किए बैठी, अपने किताब को घूर रही थी, उसे देखते हुए शिवांक ने अपने हाथ को ऊपर उठाया,रिंग दिखाई और कहा, "माफ़ करें पर मेरी एक मंगेतर है।"

    क्लास में चीख-पुकार मच गई, वहीं राशा पूरी तरह से अवाक रह गई।

    उसके बगल में बैठी, उसकी दोस्त ने उसके कान में फुसफुसाया, "मुझे ऐसा क्यों लगता है कि प्रोफेसर शिवांक तुम्हें अजीब तरह से देख रहें है? तुम्हारे बीच कुछ हुआ है क्या? वो तो तेरे घर आते ही रहते होंगे ना।"

    क्लास में चीख-पुकार मच गई, वहीं राशा पूरी तरह से अवाक रह गई।

    उसके बगल में बैठी, उसकी दोस्त ने उसके कान में फुसफुसाया, "मुझे ऐसा क्यों लगता है कि प्रोफेसर शिवांक तुम्हें अजीब तरह से देख रहें है? तुम्हारे बीच कुछ हुआ है क्या? वो तो तेरे घर आते ही रहते होंगे ना।"


    राशा ने दोषी विवेक के साथ अपना सिर नीचे किया, "तुम किस बारे में बात कर रही हो, शहर में हर कोई जानता है कि उसकी मंगेतर अदिरा है।"

    "हां, यह तो सच है... लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि शिवांक यहाँ पढ़ाने आएगा। वह इस बार ऑब्रोल कॉर्पोरेशन का पद संभालने की तैयारी में था। खैर, मुझे क्या? जो भी हो कम से कम एक हैंडसम प्रोफेसर को देख कर कॉल्स बोरिंग तो नहीं लगेगी।", उसकी दोस्त खुद ने ही बड़बड़ाती रही, जिस पर राशा का ध्यान बिलकुल नहीं था। वह बस सोच रही थी कि उसे आगे शिवांक के सामने जाने से कैसे बचना है।

    बातचीत खत्म हो गई तो शिवांश ने स्पष्ट भाव से कहा, "ओके, प्लीज शांत हो जाइए। इसके बाद, मैं रोल कॉल करूँगा।"

    राशा को उस वक्त केवल यह महसूस हुआ कि वह पागल हो रही थी और उसकी हथेलियाँ ठंडी हो चली थी। तभी शिवांक ने उसका नाम पुकारा, " राशा..!"

    राशा तुरंत खड़ी हो गई, उसका सिर इतना नीचे था कि शिवांक उसका चेहरा भी ना देख सका। उसने जानबूझकर अपनी आवाज़ कम की और हल्के से दो शब्द में बोला, "प्रेजेंट सर"

    "बोलने के तुरंत बाद बैठ जाओ", शिवांक ने लिस्ट पर नजर डाली और थोडा सा भौंहें सिकोड लिया।

    रोल कॉल खत्म करने के बाद, शिवांक कुछ देर तक लड़कियों के बीच खड़ा सिलेबस को समझता रहा, फिर जब वो पोडियम तक आया, उसने परेशान करने वाली अपनी छोटी महिला को देखा।
       फिर अपनी आँखों में गहरे प्रकाश को छिपाया, और एक स्पष्ट आवाज में कहा, "राशा, उठिए और इंटरबैंक लोन को समझाइए।"


    राशा बिना हिले-डुले बैठी रही, उसने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। जिससे उसकी दोस्त ने चुपचाप उसकी बांह को दबाया, "अरे, प्रोफेसर ने तुम्हें कुछ समझने को कहा है..."

    राशा  हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई, लेकिन उसके दिमाग कई उलझने थी, डर था और चिंताएं थी। जिससे वो उस आसान सवाल का जवाब भी नहीं दे सकी। राशा ने अपने होंठ काटे और कोई जवाब नहीं दिया।

    शिवांक ने निशान लगाने के लिए एक कलम उठाई, और धीमी आवाज में कहा, "क्लास के बाद मेरे ऑफिस में आइएगा, मिस राशा।"

    "क्या?", राशा ने अचानक अपना सिर उठाया, वो उसे अपने ऑफिस में क्यों बुला रहा था?

  • 15. "One Night, One Lie" - Chapter 15

    Words: 791

    Estimated Reading Time: 5 min

    राशा के जर्द पड़े चेहरे को देखते हुए शिवांक उसकी ओर बढ़ा, उसके सामने खड़ा धीमे से मुस्कुराया और कहने लगा, " राशा, अगर आप मेरे ऑफिस नहीं आई और भागने का सोचा तो आपको फेल होने से कोई नहीं बचा सकता, मैने देखे हैं अपनी एटेंडेंस भी कम है और काफी कम नंबर मिले हैं आपको फाइनेंस में।"

    राशा ने उससे नजरें चुराते हुए और हिला कर जवाब दिया, फिर शिवांक के इशारे पर बैठ गई। इसके बाद सारी कॉल्स के दौरान राशा ने अपना और किताब में घुसाए रखा, आंखे नीचे रखी और शिवांक को देखने की कोशिश नहीं की।

    ______________________

    सारी क्लासेज खत्म होने के बाद, राशा शिवांक के ऑफिस के बाहर खड़ी थी। इंतजार करते हुए उसने एक गहरी साँस ली, और दरवाजा खटखटाया।

    अगले ही पल, ऑफिस का दरवाजा खुला, और इससे पहले कि राशा कुछ प्रतिक्रिया दे पाती, अंदर मौजूद व्यक्ति ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे अंदर खींच लिया।

    दरवाजा एक "धमाके" के साथ बंद हो गया, राशा की पीठ दरवाजे से दब गई, और उस आदमी की सांसे उसके गालों से टकराने लगी, जिसके अगले ही पल उसने अपने गाल पर होंठों को महसूस किया।

    उस ठंडे ओर गर्म एहसास ने राशा को उस रात की याद दिल दी। जब वो शिवांक की बांहों में थी और इस बात से बेखबर बस उससे प्यार करना चाहता था।

        इन यादों से राशा का चेहरा गर्म हो कर लाल ही गया, उसने अचानक शिवांक के सीने पर हाथ रखा और हल्के धक्के से साथ बोली, "क्या..? क्या कर रहें हैं आप?"

    शिवांक रुका, वो जाहिर नहीं करना चाहता था कि इस कॉलेज में सिर्फ उसकी वजह से आया है। शायद ये जानने के बाद  वो उससे दूरी बनाने लगती। इसलिए उसने ठंडे स्वर में कहा, "मुझे बताओ, मेरे सामने आने की इतनी कोशिश क्यों करती हो? क्या मकसद है तुम्हारा?"

    राशा चौंक गई, उसका सारा शरमाना और दिल की धड़कन इस पल अचानक रुक गई, उसने अपना सिर उठाया, उसकी पुतलियाँ भ्रम से भर गईं,  "मकसद?"

    शिवांक ने उसकी आंखों में हल्की घबराहट देखी, पर वो जानता था, राशा को प्यार उसकी ओर मुतासिर नहीं कर सकती थी। कभी – कभी अपने प्यार को अनदेखा कर देना भी मंजिल तक पहुंचा देता है।

    उसे देखते हुए शिवांक ने उसकी कलाई छोड़ दी, अपने शरीर को सीधा किया और गहरी आवाज़ में कहा, "तुमने मल्होत्रा विला में जानबूझकर मुझ पर चाय डाली, और तुम जानबूझकर मेरे चचेरे भाई से मिली, अदिरा की जगह मुझसे सगाई की और अब इस कॉलेज में भी हो। क्या ये सब कोई संयोग है?"

    राशा को आखिरकार समझ में आ गया कि वह जानबूझकर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है।इस पल में, उसका बेचैन दिल थोड़ा झुंझला  गया उसने अपने होंठ काट लिए, और शिकायत की भावना अचानक उसके दिल में आ गई। वो उसे नाराजगी से घूर रही थी।

    "दिलचस्प!", शिवांक ने उसे देखते हुए आह भरी, इस वक्त वो रूठी हुई बीबी की तरह लग रही थी। जिसे मनाया ना जाता तो वो वहां से चली जाती।

    उसने अपनी भावनाओं को दबाया और कहा, "सर, मानो या न मानो, मेरा कभी भी आपके करीब आने का इरादा नहीं था, और मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मुझे आपसे सगाई का रिश्ता नहीं रखना, आपको होने वाली बीवी जल्द ही ठीक हो जाएगी...जिसके इरादे नेक है। फिर मै यहां आपके ऑफिस में इसलिए आई क्योंकि आपने मुझे यहां आने को कहा था, तो मुझे दोष मत दीजिए।"

    बोलना समाप्त करने के बाद, उसने सम्मानपूर्वक सिर झुकाया, "अगर आपके पास कहने के लिए कुछ और नहीं है, तो मैं जा रही हूं।"

    इतना कह वो पलट गई और शिवांक के कुछ बोलने से पहले ही भाग गई।

    उसकी पतली पीठ को देखते हुए, शिवांक ने भौहें सिकोड़ ली," इस लड़के ने मेरे दिमाग में अलग उद्यम मचा रखा है। आखिर ये किस मट्टी की बनी है? इस पर प्यार असर नहीं करता, धमकी असर नहीं करता और अब देखो..मुझे तेवर दिखा कर भाग है... कमाल लड़की है।"

    शिवांक ने आज क्लास में लेक्चर के दौरान देखा था कि राशा ने स्मार्ट बोर्ड की तस्वीर लेने के लिए पहले अपने फोन का इस्तमाल किया था, फिर कुछ देर बाद उसने अदिरा का फोन निकला और उसके फोन से तस्वीर खींचने लगी। शायद उसके फोन का चार्ज खत्म हो गया हो।

    वो अदिरा का फोन अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसके दिमाग में एक नई योजना घूम रही थी। वो खुद में ही मुस्कुराया और अपनी आरामदायक कुर्सी पर बैठते हुए खुद से ही बोला, " तुम पर कुछ असर नहीं करती ना? लेकिन जलन का एहसास तुम्हारे पत्थर दिल पर जरूर असर करेगी। तुम्हे बहुत शौक है ना अदिर को मेरी दुल्हन बनाने का...अब बस देखती जाओ मै अदिरा के नाम से तुम्हे कैसे जलाता हूं।"

  • 16. "One Night, One Lie" - Chapter 16

    Words: 1173

    Estimated Reading Time: 8 min

    उसी दिन राशा अपनी दोस्त के साथ एक फ़िल्म देखने गई, जब दोनो कुर्सी पर बैठी और फिल्म शुरू होने ही वाला था कि अदिरा का फोन बज उठा। राशा ने हल्की जिज्ञासा से फोन स्क्रीन की तरफ देखा, उस पर "डार्लिंग" शब्द के साथ एक दिल वाला इमोजी भी सेट था।

    ये देख राशा तुरंत समझ गई कि ये कौन हो है! लेकिन उसे ये समझ नहीं आया कि सुबह तक उससे इजहारे मुहब्बत करता सख्श अचानक अदिरा को कॉल क्यों करने लगा?
      राशा उदास हो गई, फिल्फ देखने का उसका दिल पहले भी नहीं था, और अब उस कॉल से उसका चेहरा बिल्कुल उतर गया। शायद शिवांक समझ गया था कि राशा उसके तबके की नहीं है और ना ही उन दोनो की कोई जोड़ी हो सकती है।

    फोन बजता रहा तो उसने कॉल उठा लिया, उसके बगैर कुछ कहे, शिवांक ने आगे से काह, " आज रात हम  डिनर साथ में करेंगे, अदिरा... कहां हो तुम? मै तुम्हे लेने आ रहा हूं।"

    उसकी बात सुन कर राशा को अचानक सिरदर्द महसूस हुआ, इसलिए उसने धीमे लहजे में कहा, "माफ करना, मैं अभी बॉलीवुड कॉम्प्लेक्स में अपनी दोस्तों के साथ एक फिल्म देख रहा हूँ, मैं आपसे कभी और मिल लूंगी।"

    दूसरी तरफ एक पल की खामोशी छा गई, और थोड़ी देर बाद, एक जवाब आया, "ओके..!"

    उसके इस जवाब के बाद राशा ने राहत की साँस ली, तभी उसकी दोस्त ने उसका हाथ पकड़ते हुए पूछा,  "कौन है?"

    "एक दोस्त।", कहते हुए राशा ने फोन रख दिया और अगले ही पल फोन को बंद करते हुए जबरदस्ती मुस्कुराया।

    तुम्हारी हरकतें बहुत रहस्यमय है, क्या यह तुम्हारा बॉयफ्रेंड  हो है?", उसकी दोस्त ने उसकी ओर एक भौं उठाई, राशा मुस्कुराई, फोन को वापस बैग में रख लिया, और थोड़ा अवाक होकर बोली,  "क्या तुम्हें नहीं पता कि मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है? फिर तुम सवाल क्यों कर रही हो? अब चुपचाप फिल्म देखो।"

    ऐसा कहने के बाद, उसकी दोस्त ने कोई सवाल नहीं पूछे, वो फिल्म को ध्यान से देखने लगी, वहीं फिल्म के खत्म होने तक, राशा को हीरो का नाम तक पता नहीं चला। क्योंकि कहीं ना कहीं वो शिवांक के बारे में सोच रही थी। वो जानना चाहती थी कि शिवांक ने अदिरा के साथ रिश्ता आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया है या नहीं!"

    फिल्म देखने के बाद जब वो दोनो बाहर आईं, तो अचानक मौसम बदला और बाहर भारी बारिश होने लगी। राशा की दोस्त शिवानी ने अपने घर पर कॉल कर के डाइवर से उसे लेने आने को कहा। लेकिन बारिश की वजह से ट्रैफिक जाम था, और काफी देर बीत जाने के बाद भी उन्हें लेने ड्राइवर नहीं आया।  उसी समय, अदिरा का का सेल फोन फिर से बज उठा।

    इस बार भी यह शिवांक ही था, राशा ने बैग से फोन निकाल कर, कॉल पिक किया और थोड़ी झुंझलाहट से बोली, " हेलो.,!"

    "अभी आप कहाँ हैं? अदिरा ", शिवांक ने अभी-अभी बॉलीवुड कॉम्प्लेक्स के पास ही रेस्टोरेंट में एक दोस्त के साथ खाना खाया था, और उसे याद था कि राशा भी यही हैं। यह देखते हुए कि भारी बारिश रुकने वाली नहीं थी, इसलिए उसने उसे दुबारा कॉल कर लिया था।

    "आह, मै बॉलीवुड कॉम्प्लेक्स में हूँ...", राशा ने कोशिश की वो अपनी आवाज अदिरा की तरह घमंड से भरी हुई कर सके।

    अपनी कार में बैठे हुए, शिवांक ने आँखें उठाई, बॉलीवुड कॉम्प्लेक्स बिल्डिंग के धुंधले अक्स को दिखते हुए, उसने कहा, "रुको, मैं तुम्हें लेने आता हूँ।"

    राशा का दिल दहल गया, उसने उसे आज दोपहर को कॉलेज में भी देखा था, उसने उस वक्त जो कपड़े पहने थे, वहीं कैसे इस वक्त भी पहने थे। जिसकी वजह से शिवांक एक नज़र में ही जान जाता कि वह राशा है, अदिरा नहीं।


    राशा अचानक जल्दबाजी में बोली, "कोई ज़रूरत नहीं, मेरी दोस्त का ड्राइवर यहाँ आ गया है, और वे मुझे वापस घर ले जाएँगे।"

    बोलना समाप्त करने के बाद, उसने घबराहट में फ़ोन पकड़ लिया और उसकी हथेलियाँ तुरंत ठंडे पसीने से तर हो गईं।

    फ़ोन के दूसरी तरफ़ फिर से थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया, वो इससे ज्यादा घबराती उससे पहले ही शिवांक की आवाज़ आई, "ठीक है, अगर तुम ऐसा ही चाहती हो तो..!"

    राशा ने अनजाने में राहत की साँस ली, शिवांक से अस्वाभाविक लहजे में कुछ शब्द कहे, " गुड बाय, टेक केयर," इतना कह फ़ोन रख दिया।

    हालांकि ये झूठ था, शिवानी का ड्राइवर अब तक नहीं आय था। दस मिनट के इंतजार के बाद, दोनो को एक कार अपनी ओर बढ़ती हुई दिखाई थी, जिसकी लाइट उन दोनो के आंखो पर ही पड़ रहा था।

    जब राशा ने लाइसेंस प्लेट नंबर देखा, तो वह कई सेकंड के लिए स्तब्ध रह गई और मन में एक ही नाम आया, " शिवांक।"

    कार की खिड़की से, आदमी ने उन दो प्यारी लड़कियों को देखा जो कार का इंतजार कर रहीं थी, विशेष रूप से उसकी नजर राशा पर थी, जिसके कुछ सेकंड के बाद धीरे से कार की खिड़की नीचे हुई।

    राशा को नहीं पता था कि शिवांक यहाँ क्यों आया, उसने उसकी ओर देखने की हिम्मत नहीं की, और पास के एक पेड़ के पीछे छिपने ही वाली थी कि शिवानी ने उत्साह से उसका हाथ पकड़ लिया, " राशा ये तो प्रोफेसर शिवांक है।"


    राशा ने अपने दुखते सिर को हाथों से सहारा दिया, फिर नजरें नीचे झुका कर शिवांक को ना देखने का नाटक करने लगी, लेकिन उसकी दोस्त शिवानी फिर से जोरदार आवाज में चिल्लाई, " प्रोफेसर..आप यहां कैसे?"

    शिवांक सिर्फ राशा की ओर ताक रहा था, "तुम इतनी देर से घर क्यों जाती हो? राशा..!", शिवांक ने कहा, उसके स्वर में खुशी का कोई संकेत नहीं था।

    शिवांक के मुंह से अपना नाम सुन के राशा को राहत मिली, उसे लगा कि शायद शिवांक ये नहीं जान पाया है कि अदिरा बन के वही बात कर रही थी, इसलिए उसका तनाव कम होने लगा।

    अपने दिमाग को शांत करने के बाद, राशा का स्वर बहुत हल्का हो गया, उसके चेहरे पर मुस्कान थी, जब उसने कहा, "हमने अभी-अभी शॉपिंग पूरी की है, और बाहर आए तो बारिश शुरू हो गई थी... हमें उम्मीद नहीं थी कि बारिश होगी।"

    ठंडी हवा के साथ बरसात की रात, उस पर से आमने सामने खड़े दो झूठे प्रेमी। ये किस्मत क्या नहीं करती, दोनो एक दूसरे को निहारते रहे। राशा की नकली मुस्कान भी इतनी सुंदर थी कि शिवांक उससे नजरें ना हटा सका।

    शिवानी को की शिवांक के साथ कार में बैठना चाहती थी, इस स्थिति का फ़ायदा उठाया और पूछा, "प्रोफेसर क्या आप बिजी हैं? बारिश के दिनों में बिना कार के घर पहुंचना मुश्किल हो जाता है और मेरा ड्राइवर नहीं आ पा रहे, तो क्या आप हमें एक छोटी राइड दे सकते हैं?"

    उसकी बात सुनते ही राशा के चेहरे पर आई मुस्कान जम गई। हालांकि उसने खुद को शांत की और यह कहकर बात टालने कि कोशिश की कि, " शिवानी..प्रोफेसर शिवांक बहुत व्यस्त हैं, हम खुद टैक्सी ले सकते हैं, जिद्द मत करो..!"

    "कार में बैठो।", शिवांक की ठंडी आवाज़ ने एकाएक राशा की बात को बाधित किया।

    समीक्षा जरूर करें, good night ।
    (क्रमशः)

  • 17. "One Night, One Lie" - Chapter 17

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    इससे पहले कि वह मना कर पाती, शिवानी ने पहले ही एक हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया था, दूसरे हाथ से कार का दरवाज़ा खोला और उसे धक्का देकर अंदर बिठा दिया, फिर उत्सुकता से कहा, " काफी अच्छी कार है, कंफर्टेबल और रॉयल...थैंक यूं प्रोफेसर।"

    इतना कह वो राशा के कानो में फुसफुसाने लगी, " तू क्यों डरी हुई है? विला आने से पहले ही उतर जाना ना..शिवांक सर इतने बुरे भी नहीं है, देखना मल्होत्रस तुम्हे नहीं डांटेंगे।"

    शिवांक ने रियरव्यू मिरर से राशा को देखा जिसे कार में बैठने के लिए मजबूर किया गया था। जब राशा  ने अनजाने में अपनी आँखें उठाई, तो दोनों ने एक-दूसरे को देखा, और फिर राशा ने जल्दी से नज़रें फेर लीं।

    बाकी समय, उसने अपना सिर नीचे ही झुकाए रखा, जब तक कि शिवानी कार से बाहर नहीं निकल गई। शिवांक को धन्यवाद कर के वो चली गई, जिससे अब कार में केवल शिवांक और राशा ही रह गए।

    कार अपनी रफ्तार खाने लगी, कुछ पलों के बाद उसे एहसास हुआ कि कार की गति काफी धीमी हो गई है।

    चौराहे पर लाल बत्ती जली तो कार रुकी, अव्यान ने हरी बत्ती का इंतज़ार करते हुए सिगरेट जलाई। बारिश बहुत कम थी, इसलिए उसने हवा आने देने के लिए कार की खिड़की थोड़ी नीचे कर दी, सिगरेट का एक कश खींचते हुए उसने धीमे से पूछा, " मल्होत्रा परिवार के लोग अक्सर तुम्हें धमकाते हैं?"

    "क्या?", उसके सवाल पर राशा हैरान रह गई।

    वह पीछे की सीट पर बैठी थी, और अब हवा में बारिश और तंबाकू की गंध आ रही थी। उसने अपनी आँखें उठाई और जल्दी से शिवांक को देखा, उसे एहसास हुआ कि उसने शायद शिवानी के शब्द सुने होंगे, और जल्दी से कहा,  "नहीं, मल्होत्रा परिवार मेरे साथ बहुत अच्छा बरताव करता है।"

    शिवांक ने सिगरेट पीना समाप्त किया, तभी हरी बत्ती जली, उसने कार को फिर से चालू किया, " राशा, तुम मुझसे बहुत डरती हो..है ना?"

    "शिवांक सर, आपने गलत समझा है, मैं सिर्फ एक नौकर हूँ, और आप मल्होत्रा परिवार के जमाई हो। मेरे मन में आपके लिए सम्मान के अलावा कुछ नहीं है।" जब उसने यह कहा,वो बिल्कुल खुश नहीं लग रही थी।

    अंत में, उसने कहा, "इसके अलावा... आप मेरी मालकिन के मंगेतर हैं तो... प्लीज मुझसे दूर रहा कीजिए।"

    राशा एक झूठी जिंदगी जी रही थी और अब वो चाहती थी कि शिवांक भी उसमें शामिल हो जाए, वो ऐसा झूठ कैसे बोल सकती है? जिसके सच से वो दोनो अच्छी तरह वाकिफ थे? क्या वो मजाक कर रही है कि अदिरा उसकी मंगेतर है?

    इन सवालों से। शिवांक ने भौहें सिकोड़ी और आगे कुछ नहीं कहा। कार आगे बढ़ती रही, मल्होत्रा विला से काफी आगे, एक पार्क के सामने शिवांक ने कार रोक दी, बिना किसी चेतावनी के वो उतरा, कार के पीछे का दरवाज़ा खोला, अंदर बैठी राशा का हाथ पकड़ कर उसने उसे कार से बाहर निकला।

    घबराहट से राशा की आंखे फैल गईं, उसने शिवांक को दयनीय भाव से देखा। फिर आग्रह किया, " मुझे माफ कर दीजिए।"

    शिवांक गुस्सा नहीं था, वो बस इस झूठी लड़की को जी भर के देखना चाहता था, उसने राशा को घबराते देखा तो उसका हाथ छिड़ दिया, लेकिन भागने के लिए जगह ना देते हुए अपने हथेलियों को कार पर टिकाया और दोनों बाहों के दरम्यान राशा को घेरे बोला, " तुम चाह कर भी ना चाहने के तलाश में हो मुझे... और मै तुम्हे ना चाह कर भी, चाहने की...बस इतना सा फर्क है, तुममें और  मुझमें।"

    राशा कार में बिल्कुल चिपक कर खड़ी हो गई, वो शिवांक के जिस्म में जरा सा भी स्पर्श नहीं करना चाहती थी, ये देख शिवांक ने अपने आप ही उससे थोड़ी दूरी बना ली, हालांकि वो अब भी उसके घेरे में थी।

    "मुझे जाने दीजिए और मेरा पीछा मत कीजिए..इससे मेरी मुसीबतें बढ़ जायेगी।", राशा उसकी निहारती दो आंखों में देखते हुए झुंझला कर बोली।

    शिवांक उसकी नाराजगी भांप गया, जिससे वो थोड़ा मुस्कुराया और धीमे किन्तु स्पष्ट लहजे में बोला, " देखो अगर तुम नाराज रहेगी तो मैं तुम्हारा हाथ पकड़ लूंगा और तुम्हे सीने से लगा लूंगा, क्योंकि मै तुम्हे नाराज नहीं देख सकता।"

    राशा के दिल ने अजीब सी गर्माहट महसूस हुई, उसने अपनी जिंदगी ने ऐसे शब्द सुनने की उम्मीद छोड़ दी थी। कई सालों बाद किसी को उसकी नाराजगी से फ़र्क पड़ा था, किसी ने उसके एहसासों को अहमियत दी थी। हालांकि, राशा ने दबी आवाज में कहा, " लोग देख लेंगे..मैडम को पता चल जाएगा और देखिए कुछ लोग हमे देख भी रहें हैं।"

    "तुम..", शिवांक ने दांत पीसे और अचानक कार पर एक मुक्का मारा, " लोग तो कुछ भी कहते हैं, लोगो की...तुम उन कुछ के पीछे लग जाओगी?...हम्ममम?...मुझे सुनो ना, जो मै कहता हूं, तुम मेरी बात तो सुनती ही नहीं, मुझे देखती ही नहीं...मेरे समझे खुलती ही नहीं।"

    "मै बीच सड़क पर खड़ी हो कर, आपकी बात सुनु..आपकी ओर देखूं तो ये जमाना मुझे दूसरी औरत कहने लगेगा, मुझे अपने लिए ऐसा कुछ भी नहीं सुनना।", राशा ने पहली बार अपने दिल का डर उसके सामने खोला था, या यूं कहे कि वो पहला सख्श था..जिससे उसने सालों बात ऐसे बात की थी।

    शिवांक ने राशा को गौर से देखा, उसके चेहरे पर लटके गुस्ताख लटों को पीछे धकेलने के अपने इरादे को दबाते हुए शिवांक बड़े कोमल और आहिस्ते लहजे में बोला, " जमाने की फिक्र तुम मत करो, तुम्हे दूसरी औरत कहने से पहले मैं तुम्हे अपनी दुल्हन बना लूंगा। ये जमाना और तुम...इतनी आपस में नहीं बनेगी, लेकिन इसके बीच खड़ा हूं मैं...तुम्हे समझने के लिए।"

    राशा शर्मा गई, उसके गाल लाल हुए थे, शिवांक ने अपनी  बाहों को हटा लिया, उसे जाने का इशारा किया और आखिर में कहा, " kiddo... मै तुमसे शादी कर के रहूंगा।"

    राशा मुस्कुराई पर मुड़ कर उसकी ओर नहीं देखा और ना ही अपनी मुस्कान उसके सामने जाहिर की। वो दौड़ी और जल्द ही उसके आंखो से ओझल हो गई।

    कार में बैठा शिवांक, उस रास्ते को काफी देर तक घूरता रहा। जिससे ही कर उसकी राशा गई थी, न जाने वो दिन कब आने वाला था..जब ये लड़की उसकी होने को तैयारी हो जाएगी।

    फॉलो याद से करें।

    (क्रमशः)

  • 18. "One Night, One Lie" - Chapter 18

    Words: 1028

    Estimated Reading Time: 7 min

    मल्होत्रा परिवार।

    मिसेज मल्होत्रा अस्पताल से वापस आने के बाद से ही राशा का इंतजार कर रहा थी और जब वह इतनी देर से वापस घर आई तो मिसेज मल्होत्रा काफी गुस्सा हो गई, राशा देखते ही वो चिल्लाई, "खाना खाने में इतना समय लगता है? शिवांक के साथ थी अब तक?"

    राशा ने यह कहने की हिम्मत नहीं की कि उसका शिवांक के साथ कोई अपॉइंटमेंट नहीं था, इसलिए उसने धीमी आवाज़ में समझाया, "बाहर बारिश हो रही है, इसलिए देरी हुई। मै शिवांक सर के साथ कुछ और नहीं कर रही थी, हालांकि उन्होंने मुझे अदिरा समझ कर कई बार चूमने की कोशिश की।"

    "अच्छा, तुम छोटी कुतिया, तुम अभी भी मुझसे जबान लडाने की हिम्मत कर रही हो!", मिसेज मल्होत्रा ने अपने गुस्से को रोक रखा था, लेकिन जब उन्होंने राशा का जवाब सुन उनका क्रोध बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप उसने कॉफी टेबल पर रखे चीनी मिट्टी के कप को उठाया और उसे राशा पर फेंक दिया।

    सफेद चीनी मिट्टी का कप सीधे राशा के चेहरे की ओर उड़ गया,उसके पास प्रतिक्रिया करने का भी समय नहीं था इसलिए, राशा ने अवचेतन रूप से अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन अगले दो पलों बाद भी उसे कोई अपेक्षित दर्द नहीं हुआ, उसके चेहरे से कोई चीज नहीं टकराई।

    उसने केवल महसूस किया कि एक आकृति जो उसके सामने मजबूती से खड़ी थी, सफेद चीनी मिट्टी के कप को फुर्ती से पकड़े हुए।

    राशा की साँसों में बारिश की जानी पहचानी गंध समा गई, ये गंध कुछ वैसी ही थी, जैसे शिवांक के जिस्म से आई थी।

    उसने अचानक अपनी आँखें खोलीं, और शिवांक को देखा जो उसके सामने नाराजगी से मिसेज मल्होत्रा को घूर रहा था।

    केवल वह ही आश्चर्यचकित नहीं थी, मिसेज मल्होत्रा भी थी, उन्होंने शिवांक को देखते ही तुरंत अपना भाव बदला, "आह, हो..हो..शिवांक..बेटे। तुम यहां कैसे?"

    हालाँकि शिवांक उसका भावी दामाद था, लेकिन अब्रॉल परिवार की प्रमुख पारिवारिक पृष्ठभूमि और उसके ठंडे भाव से मिसेज मल्होत्रा थोड़ा भयभीत महसूस करती थीं।
        शायद वह इस बात से परेशान थी कि वो शिवांक को क्या समझाएगी कि उसने अपनी बेटी पर कप क्यों चलाया?

    "बेटा..मै अदि...

    लेकिन इससे पहले की वो कोई दलील देती, राशा बोल पड़ी, "मैडम!"

    "मैडम, आज दोपहर जब मैं वापस आई तो बहुत तेज़ बारिश हो रही थी। संयोग से मेरी मुलाकात मिस्टर शिवांक से हुई। मिस्टर शिवांक, आपसे मिलने आ रहे थे। इन्हें पता चला कि मैं यहां काम करती हूं तो इन्होंने मुझे यहां ड्रॉप कर दिया।", राशा ने सच्चाई खुल जाने से पहले सारी सच्चाई को दबा दिया, वह नहीं चाहती थी कि मिसेज मल्होत्रा यह जान कि शिवांक उसके बारे में सब कुछ जानता है, यहां तक कि यह भी जानता है कि शिवांक की सगाई उससे हुई है, ना कि अदिरा से।

    मिसेज मल्होत्रा जो कि राशा को अदिरा कह कर पुकारने ही वाली थी की राशा का बात सुन कर रुक गई, उनकी पीठ ठंडे पसीने से लथपथ थी, जब उन्होंने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा, "मैं समझ गई... तुम जल्दी से शिवांक के लिए नाश्ता पानी ले आओ, साथ में कॉफी भी बना लेना।"

    "हाँ, मैं अभी जाती हूं।", राशा ने सिर हिलाया, रसोई में गई और वहां काम कर रही एक नौकरानी से कॉफी बनाने को कहा, फिर खुद पीछे दरवाज़े से घर वापस भाग गई।

    जब उसने अपने कुटिया का दरवाज़ा बंद किया, तो उसकी पीठ दरवाज़े से दबी हुई थी, उसकी साँसें उखड़ रही थीं, उसका दिल उसके गले से बाहर निकले जा रहा था, और उसका दिमाग उस दृश्य से भरा हुआ था, जब शिवांक ने अभी-अभी उसके लिए कप पकड़ लिया था।

    यह पहली बार नहीं था, जब उसने मल्होत्रा के घर में इस तरह की परिस्थिति का सामना किया था। उसके लिए मारपीट और डांट सुनना पहले से ही आम बात थी, लेकिन यह पहली बार था जब कोई उसके लिए खड़ा हुआ था, उसे बचाने की कोशिश की थी....

    लिविंग रूम में।

    शिवांक ने हाथ में पकड़े साफेद चीनी मिट्टी का कप जो उसने अभी-अभी पकड़ा था, कॉफी टेबल पर जोर से पटक कर रखा। मिसेज मल्होत्रा को उसका गुस्सा समझ में नहीं आया, लेकिन वह अच्छी तरह जानती थी कि अभी-अभी जो दृश्य हुआ था, उससे शिवांक परेशान हो गया था।

    शिवांक उसे घूरते हुए सोफे पर बैठ गया, उसकी आभा इतनी शानदार थी कि मिसेज मल्होत्रा असहज रूप से थोड़ी घबरागई।

    अपने मूड को ठीक करने के बाद, मिसेज मल्होत्रा ने संकोच से कहा, "मुझे माफ करें, शिवांक बेटा, मैंने अभी-अभी अपना आपा खो दिया। राशा देरी से घर आई तो मुझे भी चिंता हो रही थी, अदिरा भी नहीं आती तो मुझे ऐसी ही फिक्र होती है।"

    शिवांक तिरछी मुस्कान के साथ उनकी ओर ताकने लगा, फिर तटस्थ  स्वर में बोला,"मिसेज मल्होत्रा का दिल वाकई बहुत दयालु है, जो एक नौकर की भी इतनी परवाह करता है।"

    मिसेज मल्होत्रा का चेहरा थोड़ा पीला पड़ गया, वह उसके शब्दों में व्यंग्य सुन सकती थी, लेकिन उसने न समझाने का नाटक किया और मुस्कुरा कर कहा, "बेशक, भले ही राशा एक नौकर है, मैंने उसे वैसे ही बड़ा किया है, जैसे अपनी बेटी को। इसके अलावा अदिरा भी राशा को अपनी छोटी बहन की तरह मानती है, दोनो में सगी बहनों जैसा प्यार है।"

    इतना सुनना था कि शिवांक की आंखें ठंडी हो गई, वह जानता था कि इस परिवार में राशा के साथ कैसा सलूक होता है! इसलिए, तो काफी देर तक मैसेज मल्होत्रा को घूरता रहा, उसे उस दिन का इंतजार था जब राशा खुद आकर उसके साथ को कुबूल करेगी, और उससे कहेगी कि वो मल्होत्रा परिवार को तबाह देखना चाहती है।

    "बेटा..क्या बात है, इस वक्त!", मिसेज मल्होत्रा ने उसकी नजरों में छुपे गुस्से को भांप लिया था, इसलिए उन्होंने बाद बदलना चाही, लेकिन, शिवांक खड़ा हुआ, उसने मिसेज मल्होत्रा को अनदेखा किया और कहा, " मुझे कुछ काम याद आ गया, तो मैं चलता हूं।"

    "जी बेटे।", मिसेज मल्होत्रा उसे दरवाजे तक छिड़ने के लिए बढ़ी, वो दरवाजे पर तब तक खड़ी रही, जब तक कि शिवांक की कार आंखों से ओझल ना हो गई।

    दूसरी ओर शिवांक ने कुछ दूर जा कर कारा वापस विला के पीछे वाले रस्ते पर मोड लिया, जहां राशा का छोटा सा खूबसूरत कुटिया था।

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    (क्रमशः)

  • 19. "One Night, One Lie" - Chapter 19

    Words: 1026

    Estimated Reading Time: 7 min

    राशा ने अपने घर के दरवाजे पर किसी के कदमों की आहट सुनी, जिससे वो चौकनी हो गई। उसने धीरे से पूछा, " कौन है?"

    कुछ देर की शांति के बाद, एक सरगर्मी आवाज उसके कानो में पड़ी, " kiddo...दरवाजा खोलो।"

    राशा को याद आया कि इस नाम से उसे सिर्फ एक ही इंसान पुकारता है, वो अपने चारपाई से उठी और तुरंत दरवाजा खोल दिया, शिवांक मुस्कुराता हुआ अंदर आया, उसके हाथ में मेडिकल बैग भी था।

    "आप यहां क्यों?", इससे पहले की राशा अपने सवाल खत्म कर पाती, शिवांक ने दरवाजे की कुंडी चढ़ा दी, हालांकि दरवाजा पक्का नहीं था, पर रात के इस पहर राशा के घर कोई नहीं आता था, इसलिए डरने की बात नहीं थी।

    पर राशा थी तो कमजोर दिल वाली ही, वो घबरा गई, " आप यहां क्यों आएं हैं? आपको किसी ने देख कोई तो मेरी शामत आ जाएगी।"

    "कितना बोलती हो?", शिवांक ने अचानक उसके मुंह पर हथेली रखा और मुस्कुराते हुए उसके नाक पर अपने नाक को सहलाते हुए आगे बोला, " मै आज रात यही रुकूंगा..तुम्हारे घाव पर मरहम भी लगाऊंगा और..."

    राशा की आंखे हैरानी से फैल गई, " और क्या?"

    "ज्यादा कुछ नहीं...बस मै उस चारपाई पर लेटा रहूंगा।", कहते हुए शिवांक ने उसके नाक को चूम लिया, फिर अपनी परेशान महिला का हाथ पकड़े उसे चारपाई की ओर खींचा।

    राशा उसे रोकने के लिए शब्द ढूंढने लगी पर शिवांक उसकी सुनता ही कब था? ना जाने आज रात क्या होने वाला था! खैर, वो खुद भी शिवांक का मुतवज्जा चाहती थी। इसलिए असमान्य रूप से चुप रह गई।

    शिवांक ने उसे चारपाई पर बिठाया और हाथ में लिए बैग को नीचे रखते हुए बोला, " उम्ममम, मुझे अपना घाव दिखाओ..मै इस पर मरहम लगा कर पट्टी बदल देता हूं।"

    "नहीं, इसकी जरूरत नहीं।", राशा अचानक खड़ी हो गई और घबराते हुए बहाना किया, " मिसेज मल्होत्रा ने आज सुबह अपने हाथ के लिए डॉक्टर बुलाया था तो मेरी भी पट्टी बदलवा दी थी...फिक्र मत कीजिए।"

    "सच में?", शिवांक को हैरानी हुई, क्योंकि मिसेज मल्होत्रा इस तरह की औरत बिल्कुल नहीं थी जो दूसरों a ख्याल करें।

    राशा ने पूरे सच्चाई के साथ सिर हिलाया, जिस पर शिवांक को ना चाहते हुए भी यकीन करना पड़ा। ये देख कि शिवांक की आंखो का सवाल समाप्त ही गए है, राशा ने उसे बाहर की ओर खींचना शुरू कर दिया, " अब आप जाइए... इधर की आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।"

    शिवांक अपनी जगह से हिला तक नहीं, दो मिनट की कोशिश के बाद, राशा ने भी हरा मान ली और थोड़ा गुस्सा हो कर कुटिया का लैंप बुझाते हुए बोली, " खड़े रहिए वहीं..मै सोने जा रही हूं।"

    "देखो तो..मेहमान के साथ ऐसे ही करते हैं? मुझे पानी के लिए भी नहीं पूछा।", शिवांक अंधेरे की वजह से राशा को देख भी ना पा रहा था, वो उसे ढूंढने के लिए आगे बढ़ा की तभी उसका घुटना किसी सख्त चीज से टकराया और एक तेज झनझनाहट उसके पूरे पैर में फैल गई, "आह!"

    राशा ने उसकी कराह सुनी तो मोबाइल का लाइट जलाया और चिंता से पूछा, " क्या हुआ? मैने कहा तो इस छोटे से घर से चले जाइए, मै आपके लायक नहीं..अभी लग गई ना चोट! देखने दीजिए मुझे..."

    राशा उसके कदमों के आगे झुकी ही थी कि शिवांक ने उसके दोनो बाजुओं को पकड़ा और उठाते हुए बोला, "इतनी प्यारी क्यों हो? मेरी परवाह करते हुए इतनी खूबसूरत क्यों लगती हो? दिल करता है..तुम्हे अपने सीने की तह में ख्वाइश की तरह छुपा लूं।"

    राशा शर्मा है, उसने नजरें झुकाई, हल्की रौशनी में उसकी खूबसूरती और अधिक नूरी लग रही थी, शिवांक ने उसे खींच कर अपने सीने से लगाया और सिर पर हाथ फेरते हुए बोला, " दो दिनों से तुमसे मिला नहीं था, तुम्हे देखा नहीं था..जानती हो क्या हाल हुआ था मेरा? मेरी शाम बेरंग ही गई थी, सवेरा धुंधला हो गया था...सूरज जो सब के लिए जलता रहता था, मेरे लिए बुझ चुका था, मै जाना गया हूं कि तुमसे प्यार करने लगा हूं, तुम्हारे बिना मेरा हर दिन फिंका सा लगता है।"

    राशा ने शिवांक के मुंह से ऐसे लफ्ज पहले भी सुने थे पर प्यार का इजहार तो नया था, वो वास्तव में उससे कह रहा था कि उसे उससे प्यार ही गया है! राशा के दिल में गुदगुदी हुई, वो अपने होंठो पर मुस्कान आने से रोक ना सकी और शर्माते हुए अपने चेहरे को उसके सीने में ही छुपते हुए आहिस्ते से बोली, " आपको घर नहीं जाना? रात हो गई है..सोना नहीं है?"

    "तुम्हारे बिना..मेरी तो रातों से नींदें, नींदों से आंखे और आंखो से सपने जुदा हो गए हूं, फिर बातों कैसे सो जाऊंगा मैं?", शिवांक राशा के बंदे हुए बाल को धीरे – धीरे खोलता रहा, जब उसने अपनी बात खत्म कर ली, अचानक उसने राशा को अपनी बाहों में उठाया और उसे चारपाई पर लेटा दिया, फिर खुद भी उस पर चढ़ा और उसे पीछे से आलिंगन करते हुए लेट गया।

    उसने राशा के सिर के नीचे अपनी बांह लगा दी और खुद तकिए पर सो गया। दूसरे हाथ से उसने राशा का फोन लिया और फ्लैश लाइट बंद कर दिया।

    राशा ने आंखे बंद कर ली, तभी शिवांक ने उसकी उंगलियों से अपनी उंगली उलझाई और उसके खुले बालों पर चुंबन देते हुए बोला, " तुम यहां अकेली रहती हो? तुम्हारे पेरेंट्स कहां है।"

    राशा ने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि खुद सवाल पूछा, "आपको इस बिस्तर पर सोने की आदत नहीं है..ये आपके लिए कंफर्टेबल नहीं होगा ना।"


    "मेरे लिए तुम तो बहुत कंफर्टेबल है, देखो...मेरे साथ एक सॉफ्ट टेडीबियर भी सोई है।", शिवांक ने राशा के गले पर चूमा और फिर उसे गाल पर अपने होंठ रखते हुए बोला, "कुछ और भी बोलो...कहती रहो, मुझे तुम्हे सुनना अच्छा लग रहा है।"

    "आप मुझे परेशान कर रहे हैं।", राशा उसके चुम्बन से शर्म से लाल हो गई थी, उसकी धड़कने तेज हो गई और वो खुद को उससे दूर खींचना चाहती थी, लेकिन शिवांक ने उसे मजबूती से पकड़ रखा था।

    "क्या सच में, परेशान कर रहा हूं?.....आअहाआअ मुझे उस दिन का इंतजार है, जब हमारी शादी की पहली रात होगी और मैं तुम्हे सच में परेशान करूंगा।", शिवांक ने हंसते उसके गाल को खींच लिया।

  • 20. "One Night, One Lie" - Chapter 20

    Words: 976

    Estimated Reading Time: 6 min

    उसका यूं गले लगाना, मुहब्बत की बातें करना और शादी के ख्वाब सजाना, राशा को खुश्कियों भरे जिंदगी की कल्पना करने को मजबूर कर गया।

    उसने आंखे बंद कर ली और वास्तव में शिवांक की पत्नी बनने का ख्वाब देखने लगी, उसके दिल में सुकून भर आया, जैसे किसी फरिश्ते ने उसके दिल में मुहब्बत भर दी हो। यूं ही उसे नींद आ गई।

    शिवांक उसके उंगलियों से अपनी उंगली उलझाएं जागता रहा, कभी उसके सिर को चूमते हुए तो कभी उसके पतली उंगलियों को आहिस्ते से सहलाते हुए, सारी रात उसके दिल में बेकरारी हलचल करती रही।

    ------------------

    अगली सुबह राशा की नींद खुली तो उसने अपने बिस्तर को खाली पाया, शिवांक जा चुकी था। वहां रह गई थी तो सिर्फ सिलवटें जो गवाह थी कि वो रात भर उसके साथ ही था। राशा ने बड़ी देर तक उस जगह को सहलाया, फिर आहिस्ते से उठी और अपने बाल बांध लिया, जिसके बाद उसने अपना एक जोड़ा साफ कपड़ा और ब्रश लिया और नहाने के लिए सर्वेंट वाशरूम में चली गई।

    नहा धो कर जब वो काम करने किचन की तरफ बढ़ी, अचानक मिसेज मल्होत्रा ने उसे रोक लिया और कहा, " बड़ी खुश लग रही हो! लगता है अच्छी नींद सोई हो।"

    सोने की बात सुनते ही राशा के चेहरे से खुशी गायब हो गई, उसने मिसेज मल्होत्रा के चेहरे पर बड़ी गौर से देर तक देखा, फिर थूक निगलते हुए बोली, " मैने उन्हें...!"

    इसके आगे वो कुछ बोल पाती, उससे पहले ही मिसेज मल्होत्रा ने कहा, " जब मैं बात कर रही हूं तो बच में मत बोलो...शिवांक ने अदिरा के फोन पर कॉल किया था? उससे अदिरा बन के बात की तुमने? उसे शक तो नहीं हुआ ना?"

    राशा जो सच उगलने ही वाली थी, उसने राहत की सांस ली। फिर सिर हिलाते हुए बोली, " हां, उन्होंने कॉल किया था.. और मैने अदिरा बन के बात कर ली थी, उन्हें शक नहीं हुआ।"

    "अच्छा है, अब तुम्हे ये नाटक करने की जरूरत नहीं है, मेरी बेटी आज हॉस्पिटल से वापस आ रही है, तो उसका फोन इधर लाओ।", मिसेज मल्होत्रा द्वारा मिले इस खबर से राशा उदास हो गई, उसने बारह घंटे पहले ही शिवांक के साथ एक खूबसूरत जिंदगी का सपना देख था, जो अचानक टूट गया। वो होश में लौट आई, वो कैसे भूल सकती है कि शिवांक कभी उसका नहीं था...वो अदिरा का था और अदिरा उसकी थी।

    उसने अपनी दुखी भावनाओं को जाहिर नहीं की और भाग कर अदिरा का फोन ले आई। मिसेज मल्होत्रा को फोन देते हुए उसने कहा, " तो क्या अब आप मेरी मां का एड्रेस बता सकती है? मुझे उनसे मिलना है।"

    "इतनी जल्दी क्या है? वैसे भी तुम्हारी मां का ऑपरेशन होने वाला है तो तुम्हे फिक्र करने की जरूरत नहीं है, चुपचाप जो मै कह रही हूं करती रहो...।", कहते हुए उन्होंने फोन लिया और चली गई।

    राशा भीतर से टूट चुकी थी, कल रात उसकी और शिवांक की आखरी मुलाकात थी। आज के बाद से वो दोनो कभी नहीं मिलने वाले थे और जल्द ही अदिरा उसकी दुल्हन बनने वाली थी।

    इन ख्यालों में उलझे हुए उसने रसोई का काम समेटा और अपने हिस्से का काम खत्म करने के बाद, कॉलेज के लिए निकल गई।

    पैदल चलते हुए, जब वो आधे रास्ते में पहुंची, अचानक उसे लगा जैसे उसका सिर चक्कर खा रहा हो, उसे मतली भी महसूस हुई और दो तीन कदम चलने पर वो खुद को उल्टी करने से रोक ना सकी।

    वो वहीं सड़क किनारे एक बड़े से नाले के पास सिर झुकाए खड़ी हो गई, एक औरत ने उसे इस तरह उल्टियां करते देखा तो इंसानियत के नाते उसके पीठ पर हाथ फेरा और कहने लगी, " बेटी ऐसी हालत में अकेले घर से नहीं निकला करते, पति के साथ घूमा करो...देखो बच रास्ते में तबियत बिगड़ गई ना।"

    "ऐसी हालत" से उस औरत का क्या मतलब था? क्या वो कुछ और समझ रही थी? राशा उसे समझाने लायक तबियत में नहीं थी, उसने सिर हिलाया और पति के रूप में शिवांक के बारे में सोचने लगी।

    कुछ देर में तबियत संभाली तो उसने अपने बैग से पानी का बोतल निकाला और मुंह से लगा लिया, कुछ घूंट पानी पी कर उसने उसने उसी ठंडे पानी से चेहरा धोया और वापस कॉलेज के लिए चल पड़ी, हालंकि उसने उल्टी की वजह स्ट्रेस और अपच को समझा , किंतु वो इस बात से इनकार भी नहीं कर सकती थी कि डेढ़ महीने पहले शिवांक के साथ रात बिताने के बाद उसे मानसिक धर्म नहीं आया था।

    उसने इस ख्याल को भी अपने दिमाग से झटक दिया, कई बार उसका मानसिक धर्म दो महीने या तीन महीने में एक बार आता था, इसलिए उसने खुद को समझाया कि उस औरत की बात बेबुनियाद थी। वैसे ही शिवांक किसी ओर का है तो उसे इस बात के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए।

    ---------------------

    दूसरी ओर मिसेज मल्होत्रा अपनी बेटी अदिरा को हॉस्पिटल लेने गई तो, उन्होंने अदिरा के कमरे में किसी आदमी को चुपके से घुसते देखा।

    जब तक मिसेज मल्होत्रा दरवाजे तक पहुंची, दरवाजा अंदर से लॉक कर दिया गया था। उन्होंने एक छोटे से छेद की मदद से अंदर झांकने की कोशिश की, तो देखा उनकी बेटी अदिरा, उसने जवां मर्द के साथ मोहब्बत में डूबी हुई थी।

    गुस्से से बौखलाते हुए उन्होंने दरवाजे तक दस्तक दी और गुस्से से बोली, " अदिरा दरवाजा खोलो"

    अंदर अदिरा सख्ते में आ गई। लेकिन,अब उसके पास कोई रास्ता नहीं था, उसने उस लड़के को बिस्तर के नीचे छुपा दिया और खुद आगे बढ़ कर मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला, " मां..आज इतनी जल्दी यहां क्यों आ गई, मै खुद भी घर आ सकती थी।"

    मिसेज मल्होत्रा ने उसे गुस्से से घूरा, बिना कुछ कहे आगे बढ़ी और जा कर बिस्तर के नीचे से उस आदमी को निकाल कर अपने सामने खड़ा कर दिया, " कौन हो तुम और मेरी बेटी को बहकाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"