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ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां"

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jiyaa

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"ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" एक भावनात्मक, रिश्तों से जुड़ी प्रेम कहानी है, जो दोस्ती से शुरू होकर दिलों की गहराइयों तक पहुँचती है। यह कहानी उन जज़्बातों, चुप्पियों, और उलझनों को सामने लाती है जो अक्सर हम शब्दों में नहीं कह पाते लेकिन दिल में...

Total Chapters (16)

Page 1 of 1

  • 1. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 1

    Words: 2367

    Estimated Reading Time: 15 min

    सुबह सुबह सर्दियों का मौसम हो रहा है हर जगह अगर है तो सफेद कोहरा जिसने पूरे शहर को अपने आगोश मे ले रखा है, और जल रहे अलाप इस मौसम में कुछ राहत का काम कर रहे हैं... इन्ही सब के बीच कोहरे को दूर करती हुए ट्रेन अपने तय समय से थोड़ी देरी से आई थी जिसकी वजह से लोगो की भीड़ ने जल्दी जल्दी चढ़ना शुरू कर दिया था वही अपनी ही सीट पर बैठी एक लड़की हल्का सावला रंग , काली आंखे , बाल की चोटी बनी हुई और पतले होंठ जिन पर ठंड की वजह से हल्की हल्की सफेदी छः चुकी थी अपने हाथ आपस मे रगड़ती हुए वो खुद को थोड़ा गर्म करने की कोशिश कर रही थी की तभी चाय वाले की आवाज़ सुन उसकी आंखो में एक चमक सी उत्तर आई .... चाय....चाय ...." ले लो .....चाय " वो चाय वाला ट्रेन में घूमते हुए आवाज़ लगता जा रहा था की तभी वो लड़की उसे रोकते हुए बोल उठी " भाई ये कप चाय देना " उस लड़की की बात सुन उस चाय वाले ने हां में सिर हिलाया और हाथ में पकड़ी अपनी केतली से गर्म गर्म चाय निकलने लगा .... की वही उस लड़की के पास वाली सीट पर बैठी एक महिला जो करीब करीब चालीस से पचास वर्ष की होगी वो एकदम से बोल उठी " ओह भईया... ये क्या तरीका है? आपने अपनी इस केतली से मेरी सीट खराब कर दी "

    असल में उसने अपनी केतली को सीट पर रख दिया था ताकि गर्म गर्म चाय वो परोस सके लेकिन ठंड होने कारण उसकी छाप उस औरत की सीट पर जा बनी थी जिसकी वजह से वो अपनी गुस्से से भरी आंखों से उस लडके को देखते हुए उस पर बरस चुकी थी... हमे माफ कर दो मम हमने जानकर नही किया " उस औरत को इस तरह चिल्लाते हुए देख वो लड़का बेहद डर चुका था ।

    ऐसे कैसे छोड़ दूं? तुमने मेरी सीट खराब की है तो अब भुगतान भी तुम ही करोगे ....चाय दो " उस औरत की बात सुन उस लड़के ने जल्दी से एक कप चाय निकली और उस औरत के सामने ले आया औरत ने उसके हाथ से कप लिया और कुछ देर तक उस को देखती रही फिर एक सिप ली और वही दूसरी ओर सीट पर जा बैठी  वो लड़का काफी देर तक उस औरत को देखता रहा फिर धीरे से बोला " वो चाय के पैसे? " उस लड़के ने अपनी आंखे नीचे कर ली की वो औरत बेफिक्री से बोली " तुमने इतना नुकसान किया है तो उसकी भरपाई के पैसे मांग रहे हो ? कोई पैसे नही मिलने वाले जाओ यहां से "

    वो लड़का उसे देखता रह गया वो अभी भी वही खड़ा था उसे इस तरह अभी भी खड़ा देख वो औरत भड़क उठी "सुनाई नही देता क्या कहा जाओ ?"  वो लड़का उनकी बात सुन धीरे से बोला " पर ...मेरे पैसे? " उसने कहा की वो औरत उठी और गुस्से में उसकी ओर बढ़ते हुए बोली " ऐसे नही मानेगा ये .. उसने जैसे ही उस लड़के की ओर अपना हाथ बढ़ाया ही था की तभी किसी ने उस औरत का हाथ रोक दिया वो लड़का थोड़ा हैरान रह गया उस औरत ने देखा तो वही लड़की जो सीट पर बैठी थी वो उस औरत का हाथ पकड़े हुए थी उस औरत ने उसे देखा और बोली " ये क्या कर रही हो ? हाथ छोड़ो मेरा ? "

    उस लड़की ने एक नजर उस लड़के को देखा और फिर उस औरत की ओर देखते हुए बोली " पैसे दिजाए"

    " तुम पागल हो गई हो " उस औरत ने उसे डाटा, लड़की ने उसका हाथ छोड़ा अब ट्रेन में बैठे सभी की नजरे उस औरत और लड़की की ओर घूम चुकी थी उस लड़के ने देखा की सब उसे ही देख रहे हैं तो वो उस लड़की से बोला " दी रह...." की उसकी बात पर ध्यान न देते हुए वो लड़की बोल उठी " पैसे दो मतलब दो " उसकी बात सुन वो लड़का बोल नहीं पाया तो वही वो औरत बोली " न दू"

    उसकी बात सुन वो लड़की हसीं और आराम से सीट पर जा बैठी वो औरत उसे असमंजस से देखने लगी कुछ देर बाद वो लड़की बोली " तो आप को इस चाय से ज्यादा पैसे देने होगे तो फायदा आपका है या नुकसान ये आप पर है "

    क्या ?? " वो औरत हैरत भरी नजरों से उसे देखने लगी की अगले ही पल गुस्से में बोली "तुम मुझे धमकी दे रही हो ? हो कौन तुम ? जो एक मामूली से चाय वाले के लिए मेरे से बहस कर रही हो ? "

    चाय वाला हो या कोई भी बड़ा अपनी मेहनत के पैसे पाने का हक सभी को है और आप किस बात की बात पर उसका पैसा रोक रही है? ये न ही आपका नौकर है न ही आप इसे पैसे देती है तो किस बात पर रोक रही है और तीसरी बात जिस बात के लिए आपने इसे इतना सुनाया है तो वो सीट भी आपकी पर्सनल नहीं है इसके आपने सरकार को पैसे दिए हैं तो अगर देखा जाए इसके खराब होने पर इसका मुआवजा रेलवे को लेना चाहिए और मुझे नही लगता की इन सब के लिए इतना बड़ा कुछ होगा " उस लड़की की बात सुन ट्रेन में बैठे लोग धीरे धीरे हंसने लगे उस औरत ने देखा तो थोड़ी झिझकी की वो लड़की बोली " अब आप सोच लो की क्या करना है बाकी आपकी मर्जी है "


    उस औरत ने उसे घूरा और फिर पर्स खोलकर उसमें से कुछ पैसे लिए और उस लड़के को देते हुए बोली " लो " उस लड़के ने उसे देखा और धीरे से ले लिया वो लड़के ने उस लड़की को देखा और बोला " थैंक्यू दी .." और जाने लगा की वो लड़की उसे रोकते हुए बोली " एक मिनट !! अभी एक चीज़ रह गई है " वो लड़का उसे देखने लगा की वो लड़की उस औरत की ओर देखा और बोली " आप ने उसे सॉरी नही कहा और इंसल्ट आपने की है तो यूं शोल्ड और मुझे फिर से लंबा सा बोलना अच्छा नही लगेगा एंड आई थिंक ऑडियंस भी बोर हो जायेगी तो सीधे से एक वर्ड बोल दे एंड ओवर " एक बार फिर सब धीमे से हस पड़े उस औरत ने कोई सीन क्रिएट नही किया और उस लडके को सॉरी बोल दिया ।


    लड़की ने कुछ नहीं कहा की लड़का बोला " दी थैंक्यू !! की वो लड़की हल्का सा मुस्करा दी की वो लड़का बोला "दी एक बात पूछूं? " लड़की ने हां में सिर हिलाया तो वो लड़का बोला "आपका नाम क्या है? "

    वो लड़की हल्की सी मुस्कुरा उठी और बोली " नाम क्या करोगे ? तुम ने तो दी बोला है तो अब जब भी याद आए इस दी की बस मुझे बता देना मैं आ जाऊंगी " वो लड़का मुस्कुराते हुए कुछ देर में वहां से चला गया ट्रेन में बैठे सभी लोग उस लड़की बढ़ाई कर रहे थे... सफ़र पूरा हुआ और ट्रेन पहुंच गई अपनी मंजिल पर उस लड़की ने अपना सामान उतारा और बाहर निकलने लगी की तभी भीड़ की वज़ह से उसे धक्का लगा वो गिरती की तभी किसी ने उसका हाथ थाम लिया उस लड़की ने कस के अपनी आंखे बंद कर ली तो वही वो उसे देखता रह गया।


    कुछ देर बाद उसे महसूस हुआ की वो गिरी नही है उसने अपनी आंखे खोली तो वो चोबीस साल का एक लड़का, कोई उसे देखे तो देखता रह जाए उस लड़की की नजर अपने हाथ पर पड़ी जो वो पकड़े हुए था लड़की ने एक पल को उसे घूरा और अगले ही पल एक मुस्कान देते हुए बोली " माना की तुमने मेरी जान बचा ली मुझे गिरने से पर क्या अब छोड़ेंगे वो क्या है न मुझे काम है " उसकी बात सुन उस लड़के ने उसे अपनी ओर किया जिससे वो उसके थोड़े करीब आ गई .… उस लड़के ने उसकी आंखो में देखते हुए कहा" थैंक्यू बोल दे  सिंपल"

    लड़की ने उसे घूरा और बोली " थैंक्यू " पर लड़के ने उसे नही छोड़ा लड़की गुस्से से उसे देखने लगी पर अगले ही पल वो हल्की सी मुस्कुरा उठी वो लड़का समझ पता की उसकी हल्की सी चीख निकल गई क्युकी उस लड़की ने उस लड़के के पैर पर अपनी सैंडल दे मारी थी जिससे उसका हाथ छूटा और वो ट्रेन से उतरी और एक नजर उस लड़के की ओर देखते हुए बोली " सॉरी !! एंड थैंक्यू !! बस !! और वहां से निकल गई वो लड़का उसे जाते हुए देखता रहा अगले ही पल वो मुस्कुरा उठा ।



    ..…..…..

    बेटा !!! ये तेरा टिफिन" चालीस साल की उम्र की एक औरत हाथ में टिफिन लिए आते हुए बोली ।

    थैंक्यू मोम " एक लड़की ने प्यार से कहा और जाने की तभी वो औरत बोली " जल्दी आना बेटा!! और अपना ध्यान रखना " वो लड़की हल्की सी मुस्कुराकर वहा से निकल गई वो औरत भी उसे जाते हुए देखती रही।

    गोल चेहरा लेकिन गोरा इतना की ये कहना गलत नही होगा की वो बहुत क्यूट थी चहेरे पर आती बालों की लटाए उसे और सुंदर बना रही थी जींस टॉप पहने एक तरफ अपना बैग कंधे पर लटकाएं वो तेज़ी से आगे बढ़ रही थी चहरे पर चिंता के भाव थे हाथ में बंधी घड़ी को देखते हुए वो आगे बढ़ रही थी की तभी वो एक बड़ी सी ब्लीडिंग के सामने जा रूकी उसने अपने दिल पर हाथ रखा और बोली " शुक्र है हम वक्त पर आ गए " वो अभी बोल रही थी की पीछे से किसी ने उसे आवाज दी " गुड मॉर्निंग श्री" उसकी आवाज़ सुन श्री पलटी उसके चहेरे पर मुस्कान खिल उठी वो बोली " गुड मॉर्निंग राज  "

    अर्थ श्री की ही तरह एक स्टूडेंट और टीचर है और दोनो साथ में आए थे तो काफी अच्छे दोस्त बन गए थे दोनो साथ में अंदर आने लगे अर्थ हल्का सा मुस्कुराते हुए बोला " आज कैसे लेट हो गई आप ? "

    क्या करे रोज सुबह जल्दी उठना चाहते हैं और लेट हो जाता हैं" उसने कहा तो राज बोला " इस बार किस कहानी को पढ़ते पढ़ते लेट हो गई ? " उसने जैसे ही कहा श्री ने दातों तले उंगली दबा ली उसकी ये हरकत देख अर्थ मुस्कुरा उठा।


    ……...…

    ये अब तक नही हुआ ? कब होगा ? " अपनी नजरे फाईल पर गढ़ाते हुए एक लड़का करीब करीब चौबीस साल का ऊंचा कद,  हल्का सावला रंग , जो देखे एक पल को थम जाए की सामने से कोई आवाज़ न आते देख उसने अपनी नजरे उपर की ओर की वैसे ही उसके माथे पर बल पड़ गया उसने अपनी फाइल को बंद किया और बोला  अभी तो नाश्ता पूछा होगा ? लंच भी पुछ लो? या एक काम करो डिनर भी "

    जी... सर....वो सामने खड़ा शक्श जिसके हाथ में फोन था और वो किसी से चैट कर रहा था उसने जैसे ही देखा उसने झट से अपना फोन अंदर रखा और हकलाते हुए बोला " सॉरी ... सर...वो ... गर्लफ्रेंड..." वो इतना ही बोला था की उसके सीनियर ने जोर से बोला" ये सब घर पर किया करो काम यहां और फाइल दो " उसने जैसे ही कहा उस ने सैल्यूट किया और फाइल लेने चला गया, कुर्सी पर बैठा  शक्श कुछ देर तक सोचता रहा फिर उसने अपना सिर झटका और वापिस काम में लग गया अभी कुछ समय ही हुआ था की उसका फ़ोन बज उठा उसने उस ओर देखा की उसके चहरे पर मुस्कान खिल उठी उसने अपना फोन उठाया और बोला


    हां क्या हुआ अब क्या रह गया? " उसकी बात सुन सामने फोन वाला शख्स ने मुंह बनाया और बोला " ये क्या बात हुए आदि भाई आप हमेशा मेरी खुशी का बैंड बजा देते हो "

    आदि जो सुन रहा था वो उसकी बात सुन हल्का सा मुस्करा दिया और बोला " क्योंकि तू जब भी खुश होता हैं तो सबसे पहले तेरा फोन मुझे ही आता है या फिर तू लड़ा होगा बता इस बार किससे लड़ा? राहुल ?


    राहुल ने मुंह बनाया और बोला " मैं इस बार नही लड़ा हूं और लड़ती वो है मेरे से जब देखो लड़ती है और फिर मुंह फुलाकर भाग जाती है" उसने जैसे ही कहा आदि जोर से हस पड़ा, उसे यूं हस्ता देख बाकी सब हैरान रह गए की जैसे ही आदि को भान हुआ की वो कहा है उसने अपनी हसी रोकी और एक नजर जैसे ही सबको देखा सब ने तुरन्त अपना ध्यान काम में लगा लिया

    आदि कुछ देर बाद राहुल से बोला " अच्छा मैं तुझे शाम को फोन करता हूं अभी काम कर रहा हूं" उसकी बात सुन राहुल ने हां किया और फ़ोन काट दिया वो काम कर रहा था की तभी जोर की आवाज़ आई जिसे सुन वो चौक उठा " ये क्या हुआ ? " उसने कहा और उठकर उस ओर भागा उसने जैसे ही सामने देखा वो चौक उठा।



    ....…......

    ट्रेन उतरकर वो अपना सामान लिए गाड़ी में बैठकर सीधे एक सोसाइटी जा पहुंची वो गाड़ी से उतरी और गाड़ी वाले को पैसे देकर अपना सामान लिया और अंदर चली गई वो एक फ्लैट के सामने जा रूकी उसके चहरे पर एक मुस्कान थी उसने जल्दी से चाबी निकली और उसे खोलने लगी पर वो उससे खुल ही नहीं रहा था " यार खुल जा " की वो खुल गया उसने जल्दी से खोला और अंदर आ गई उसने अपना सामान अंदर लिया और गेट बंद कर लिया.....  "आह काफी थक गई आज" वो सोफे पर जा बैठी उसने अपनी आंखे बंद कर ली की तभी उसके आंखो के सामने ट्रेन वाला लड़का आ गुजरा की उसने झट से अपनी आंखे खोल ली एक अजीब सी चीज़ उसे महसूस हुए की तभी उसका फ़ोन बज उठा उसने देखा तो चहरे पर एक मुस्कान खिल उठी उसने उठाया की सामने से आवाज आई " हाय जहान्वी दी" वही जहान्वी भी मुस्कुरा उठी।


    आखिर कौन है जिससे ऐसे ही मुलाकात हुए जहान्वी की ? और कैसे लगी श्री ? और आदि की एंट्री ? और कौन है ये राहुल ? क्या होगा ? आखिर क्या होगा ? इनकी कहानी? जानने के लिए मिलते हैं अगले भाग में।

  • 2. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 2

    Words: 1747

    Estimated Reading Time: 11 min

    हेलो जहान्वी दी " एक लड़की ने बहुत ही प्यार से कहा , उसकी आवाज़ सुन जहान्वी के चहरे पर भी मुस्कान खिल उठी वो बोली "गुड मॉर्निंग बच्चा और कैसे हो आप ?

    दी मैं बिलकुल ठीक हूं आप बताओ आप कैसे हो ? सब कैसा चल रहा है? " वो लड़की बोली

    बस अभी अभी घर आए हैं, अब फिर से काम पर लगाना है छुट्टियां कब निकल गई पता ही नहीं चला और कुछ स्टोरी भी है जो पूरी करनी है काफी समय हो गया है तो अब उन पर भी ध्यान देना चाहती हूं, तुम मेरी छोड़ो और अपनी बताओ तुम्हारी स्टोरी का क्या चल रहा है? आजकल कम आ रही हो ?" जाहन्वी ने पूछा तो वो लड़की जिसका नाम रायंशी था वो थोड़ा उदास सी बोली " दी!! बस काम में है हम भी और स्टोरी का तो पूछो ही मत कभी दो दिन नही लिखते तो कभी मन नही करता और तो और पैसे भी नहीं आए इस बार तो "

    अरे कोई बात नहीं आ जायेगे तुम फिक्र मत करो और बस लिखो तुम्हे अच्छा लगता है तो लिखो " जहान्वी ने रायांशी को समझाते हुए कहा तो वो हल्का सा मुस्कराते हुए बोली " जी दी!! अच्छा दी हम आपसे बाद में बात करते हैं जरा कुछ काम है"

    जहान्वी ने हां किया और फोन रख दिया काफी थके होने की वज़ह से वो उठकर फ्रेश होने चली गई ..... !!

    .........

    दूसरी ओर आवाज़ सुन आदित्य और बाकी लोग भागते हुए बाहर आए की सामने देखते ही आदित्य और बाकी सब हैरान रह गए आदित्य के चहरे पर गुस्सा उतर आया वो तुरंत वहां आया और अपनी बाइक को देखने लगा जो ठुक चुकी थीं उसे इस हाल में देख आदित्य का पारा चढ़ चुका था वहीं उसके साथी जो वहां खड़े थे वो धीरे से बोले " किसने सुबह सुबह अपनी मौत बुलाई है? जो उसे ठोकने को मिली भी तो सर की बाइक उनकी जान "

    ये तो मुझे भी नहीं पाता " दूसरे वाले ने कहा की तभी आदित्य ने उस ओर देखा जहां स्कूटी थी वो भी गिर चुकी थी उसे कोई उठा रहा था उसने हेलमेट पहन रखा था आदित्य ने गुस्से में कहा" ये क्या किया तुमने मेरी बाइक को टक्कर मारी सही से चला नही ..…" वो आगे बोल पता की उसे रोने की आवाज़ सुनिए पड़ी ....वो चौक उठा..  की उसका एक साथी साथ में बोला "सर ये तो रोने लगा " आदि ने उसे घूरा तो वो तुरन्त पीछे हो गया

    आदित्य ने उसे देखा और बोला "अच्छा अब हेलमेट उतारो और रो नही कोई बात नहीं " उसने कहा और एक से बोला " इनकी हेल्प करो स्कूटी उठाने में " उसने हां में सिर हिलाया और आगे बढ़कर स्कूटी उठाई इतने देर में उसने भी अपना हेलमेट उतार दिया और जैसे ही आदित्य की ओर पलटी आदित्य बस उसे देखता रह गया।

    वो कोई लड़का नही बल्कि लड़की थी , गहरी काली आंखे , माथे पर आती कुछ लाटे वो मसुमित से आदित्य की ओर सिर झुकाए खड़ी हुए थी अपने हाथो को आपस मे उलझाती हुए वो धीरे से बोली " आई एम सॉरी सर!! मैंने जानकर नही किया पता नहीं कैसे वो बीच में एक पप्पी आ गया और उसे बचाने की वज़ह से आपकी बाइक...." प्लीज़ मुझे और मेरी स्वीटी को जेल में मत डालना प्लीज़"

    वो बोले जा रही थी तो वही आदित्य को जैसे कुछ सुनिए ही नहीं दे रहा था वो बस उसे देख रहा था की तभी एक साथी बोला " सर " की आदि होश में लौटा उसने उस लड़की ओर देखा और बोला " कोई बात नहीं आप ठीक है न? "

    उसकी बात सुन लड़की ने हां में सिर हिलाया हालाकि आदि की नजर उसकी कोहनी में आई चोट पर पड़ चुकी थी उसने तुरंत कहा " इन्हे अंदर लेकर आओ " उसकी बात सुन वो लड़की डर गई  और बोली " सर सच में हमे माफ कर दे हमने जानकर नही किया सर " उसे इस तरह बोलता देख बाकी खड़े लोग भी आदि को बोलते की जैसे ही आदि ने उन्हें देखा वो चुप हो गए और लड़की से बोले "चलो मम" उस लड़की की आंखो में नमी आ गई पर वो कुछ नहीं बोल सकती थी चुपचाप सिर झुकाए वो आदि के पीछे चल पड़ी।

    आदि ने उसे पास पड़ी चेयर पर बैठने को कहा वो लड़की बोलती की आदि को देखते ही वो चुप हो गई और बैठ गई आदि उसके सामने बैठा और ड्रॉ से कुछ निकलने लगा लड़की ने देखा तो मन ही मन बोली " ये क्या करने वाले हैं मुझे मार नही....की आदि बोला हाथ आगे करो उसकी बात सुन वो चीख उठी नही, .....उसे इस तरह करते देख आदि हैरानी से देखने लगा।

    .............

    श्री अपना स्कूल पूरा कर वापिस लौट रही थी की तभी किसी ने उसे देख बोलना शुरू कर दिया पर शायद वो जानती थी इसलिए उसने उन्हे इग्नोर करना ही बेहतर समझा वो चुपचाप आगे बढ़ गई वो कुछ देर तक बोलता रहा की राज जो वहां से ये देख चुका था वो उसके पास आता की श्री ने उसे रोक दिया राज ने गुस्से में श्री को देखा तो वो न में सिर हिलाया राज को बेहद गुस्सा आया उसने उसे देखा और श्री से अपना हाथ छुड़ा कर आगे बढ़ गया श्री बिना किसी भाव के उसे देखने लगी उसने एक गहरी सांस ली और धीरे से बुदबुदाई "नोट अगेन " और उसके पीछे जल्दी आते हुए बोली " राज सुनिए .... राज .....? पर उसने जैसे सुना ही न हो की तभी श्री को कुछ याद आया और उसकी आंखो में एक चमक आ गई।

    .........…

    फ्रेश होने के बाद जाह्नवी को काफी अच्छा फील हो रहा था उसने समय देखा और फोन को जल्दी से जेब में डाल लिया हाथ में घड़ी पहने उसने जल्दी से अपना सामान लिया और तेज़ी से घर से निकल गई.....

    कुछ देर में वो दिल्ली के ट्रैफिक को जैसे तैसे वो एक मल्टी नेशनल कंपनी के सामने खड़ी थी उसने अपने कमर पर हाथ रखा और बोली " शुक्र है टाइम पर आ गई अब मिलते हैं असली जंग से .." उसने एक कातिल मुस्कान दी और अपने हाथ में एक पकड़ा चश्मा लगाया और आगे बढ़ गई।

    जहान्वी को सभी वहा जानते थे तो किसी ने भी उसे रोका नहीं कॉरिडोर से होते हुए उसने लिफ्ट ली ही थी की तभी वहां खड़े वॉचमैन ने कहा " बेटा कुछ दिनों से लिफ्ट में दिक्कत है तो आप स्ट्रेस..." उसकी बात सुन जहान्वी ने मसूमित सा चेहरा बनाया और स्ट्रेस की ओर बढ़ी पर फिर रूकी और अपने बैग से एक बिस्कुट का पैकेट निकला और वॉचमेन अंकल को देते हुए बोली "खा लेना काका एनर्जी मिलेगी " और निकल गई तो वही वॉचेम्न अंकल मुस्कुरा उठे ।

    जहान्वी सीढ़ियों को देखती है और मुंह बनाते हुए बोली " भाई आपको मैं ही क्यों मिलती हूं मासूम सी हूं और आप हो की सुन ही नहीं रहे हो " खुद से शिकायत करते हुए उसने कहा और एक गहरी सांस लेकर चढ़ने लगी .....

    फॉर फ्लोर चढ़ते चढ़ते वो बुरी तरफ हाफ उठी ...और अभी उसे तीन फ्लोर और चढ़ने थे उसने घूरते हुए उपर की ओर देखा और आगे बढ़ने लगी की तभी उसका पैर एकदम से मुड़ गया जिससे उसकी चीख निकल गई वो गिरती की तभी किसी ने उसे पकड़ा और अपनी ओर खीच लिया ...... जहान्वी ने कसके अपनी आंखे बंद कर ली की तभी एक आवाज़ उसके कान में पड़ी " आप रोज गिरती पड़ती है या मेरे साथ ही ऐसा होता है मिस सॉरी .…" उसकी बात सुनते ही जहान्वी ने झट से अपनी आंखे खोली और हैरानी से सामने देखने लगी

    सामने वही ट्रेन वाला लड़का था जहान्वी उसे हैरानी से देख रही थी की वो मुस्कुराते हुए बोला " आई नो आई एम हैंडसम बट इतना दिखेंगी तो नजर उतारनी पड़ेगी " उसकी बात सुन जहान्वी ने गुस्से में उसे घूरा और बोली " लीव मि "

    ओके" उसने अपनी भोहे ऊपर की ओर एक हल्की सी मुस्कान देते हुए उसने अपना हाथ जैसे ही हल्का किया जहान्वी की डर के मारे जान सुख गई वो सीढ़ीयो पर थी वो हल्का सा मुस्करा दिया और उसे वही बैठा दिया

    ढंग से चला करो " उसने कहा तो जाहन्वी ने मुंह बनाया और उठने लगी की तभी उसकी चीख निकल पड़ी उसने तुरंत रेलिंग पकड़ ली" क्या हुआ अब फिर से गिरना था क्या ? " वो हंसते हुए बोला की जैसे ही जहांवी ने उसकी ओर देखा उसकी हसीं जा रुकीं ..... उसकी आंखो में आसू आ गए थे

    न जाने क्या था की वो उसके आंखो में आए आसूं को देख अजीब सी बैचेनी उसे हो उठी वो उसके पास आया और नीचे झुका और जैसे ही जहान्वी का पैर छुना चाह जहान्वी ने एकदम से अपना पैर खींचना चाहा पर दर्द की वजह से नही कर पाई उसने उसका पैर पकड़ा और बोला " बहुत दर्द है? "

    " नही घूमने का मन है की ऐसे घूमो" वो चिढ़ उठी ।

    अच्छा ओके तो घूमो " उसने जैसे ही कहा जहान्वी का मन था की वही उसको मार दे , " तुम को मजाक लग रहा है मुझे सच में दर्द है " वो रोने लगी की उसने उसके गाल पर हाथ रखा और बोला " अच्छा सॉरी मैं बस ध्यान हटा रहा था तुम एक सेकंड तक मुझे देख लो प्लीज़ आई प्रोमिस सही हो जाएगा

    सच में? " उसने मासूमियत से कहा तो उसने हां में सिर हिलाया वो उसे देखने लगी की वो बोला " सॉरी " वो समझ पाती की तभी एक चटक की आवाज़ आई जिससे जहान्वी की चीख निकल पड़ी।

    " ये क्या किया मेरा पैर...." वो बोलती की तभी उसका ध्यान अपने पैर पर गया जो ठीक था उसने उसकी ओर देखा तो हल्की सी मुस्कान देते हुए बोला"कहा था न एक सेकंड "

    उसकी बात सुन वो कुछ नहीं बोली उसने अपनी घड़ी देखी और बोली " मुझे लेट हो गया और अभी तीन और है " उसने कहा और उपर सीढ़ियों की ओर देखने लगी वो जाने लगी की रूकी और बोली " थैंक्यू मिस...की वो बोल उठा

    राहुल!! नेम है मेरा !!

    उसने सुना और बोली " मिस्टर सॉरी थैंक्यू " और उपर चढ़ने लगी ।

    वो उसे जाते हुए देखता रह फिर अपना फोन निकाला और किसी से कुछ कहने के बाद फोन रख दिया और एक नजर उस ओर देखते हुए वो भी वापिस उपर की ओर धीरे धीरे बढ़ने लगा।

  • 3. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 3

    Words: 1478

    Estimated Reading Time: 9 min

    आदित्य उसके इस तरह चीख जाने से हैरानी से उसे देखने लगा " क्या हुआ ? वो उसी तरह बोला

    हमें मत मारो सच में हमने जानकर नही किया है"  अपनी बंध आँखों से ही वो डरी सहमी हुए थी ......

    की तभी उसे अहसास हुआ महरम का उसने धीरे से अपनी आंखें खोली तो एक पल को शांत पड़ गयी धीरे धीरे वो उसके महरम लगा रहा था  " शांत रहो" आदित्य की आवाज़ सुन वो उसे देखने लगी वो इस समय बिलकुल शांत सा लग रहा था, ड्रेसिंग करने के बाद उसने जैसे ही उसे देखा उस लड़की ने तुरंत अपनी नजरे फेर ली आदित्य का ये रूप देख उसके साथी काफी हैरान थे की उन में से एक बोला " यार मैं ही सपना देख रहा हूं या तू भी ?

    उसकी बात सुन वो दूसरा भी उसी तरह बोल उठा " लग तो मुझे भी ये ही रहा है सर वो भी किसी लड़की .." की तभी आदित्य का फोन बज उठा जिससे उसका ध्यान टूटा उसने उस लड़की से कहा " आप अपना अड्रेस लिखवा दो "

    लड़की उसे हैरानी से देखने लगी  " ओ गॉड!! क्या ये मेरी शिकायत घर से करेंगे ? नो नो इशू नो" खुद से बात करते हुए वो सोच रही थी की साथी ने उसे देखा और बोला " मम एड्रेस" उसकी आवाज सुन इशिका जो उस लड़की का नाम था उसने उसे देखा और फिर आदित्य की ओर देखते हुए बोली " सर..... सर कह रही हूं न जानकर नही किया आई एम सॉरी सर....आप एक काम करो मुझे अपनी बाइक दे दो "

    इश्का ने जैसे ही ये कहा आदित्य ने उसे घूरा जिससे वो कुछ देर के लिए चुप हो गई की आदित्य ने अपने साथी से जोर से कहा " इनका एड्रेस लेकर इनकी स्कूटी इनके घर पहुंचा दो और यूनिफॉर्म में मत जाना गेट इट"

    जी सर ......" दोनो ने कहा, की आदित्य आगे बढ़ गया एक पल को रुका और बिना उसकी ओर देखते हुए बोला " अब चलो घर छोड़ दूं वर्ना पाता नही अब किस की गाड़ी ठोक दो और फिर रोना शुरू कर दोगी"

    उसकी बात सुन इशिका ने मुंह बनाया " खडूस " उसने बोला ही था की आदित्य ने जैसे ही उसे देखा इशिका झट से आगे भाग उठी , आदित्य ने अपना सिर झटका और इशिका के पीछे ही निकल गया।

    **************************

    अर्थ राज से नाराज़ हो गया था , और उसे कैसे मानना है वो जान चुकी थी। वही राज मन ही मन बढ़बड़ा रहा था श्री को समझना पड़ेगा लेकिन ये तो हर बात को इतना लाइट ले लेती है ऐसे कैसे चलेगा ? सबक तो सीखना ही चाहिए उन्हे ज्यादा ही होने लगा है " की तभी श्री वहा आते हुए बोली " सीखा देगे पर अभी तो मेरा बिलकुल मूड नहीं है क्या करू एक तो बिचारी मैं भूखी और देखो उपर से इतना चलना पड़ा उफ्फ!!! किसी को मेरी कदर ही नहीं है "

    वो वही उसके पास बैठ गई राज ने श्री को घूरा तो वो इसी तरह से बोली " हाय हाय आई नो राज की हम ब्यूटीफुल है ऐसे भी नहीं देखो नज़र लग जायेगी " उसकी बात सुनते ही राज झेप उठा तो वही श्री जोर से हस पड़ी, श्री को यूं हंसते हुए देख राज एक पल को उसे देखता रह गया हंसते हुए वो लग ही इतनी प्यारी लग रही थी की वो उसमे खो ही गया ।

    की कुछ देर बाद राज बोला " कब तक ऐसे ही रहोगी? कभी तो लड़ो" श्री उसकी बात समझ चुकी थीं उसने उसे देखा और बोली " वो क्या सोचते हैं क्या करते हैं इन सब के लिए मैं इतना क्यों परेशान हूं? और वैसे भी एक तरह से अच्छा ही हुआ की उन्होंने ऐसा किया "

    अच्छा हुआ ? राज ने हैरानी से उसे देखते हुए कहा, की श्री ने बोल " और क्या उनकी वजह से तुम को गुस्सा आया और तुम्हे गुस्सा आया तो मुझे यहां आना पड़ा और इसी के चक्कर में मुझे भूख लग गई है तो अब तुम मुझे गोलगप्पे खिलाओगे  तो चलो अब" श्री ने जैसे ही कहा अर्थ हल्का सा मुस्करा दिया और बोला " , तुम्हरा कुछ नहीं हो सकता "

    हां मैं नही बदलूंगी वर्ना मेरे गोलगप्पे का टिकट कट जाएगा " वो उसे लेकर साथ चल पड़ी वही राज उसके साथ चल पड़ा।

    *****************

    अरे रुको " राहुल ने जहान्वी को आवाज़ देते हुए आगे बढ़ते हुए कहा , जहान्वी ने राहुल की आवाज़ सुनी तो खीज उठी " क्या है? अपना काम करो मेरे पीछे पीछे क्यों आ रहे हो ? " की राहुल ने कहा " अपना काम ही कर रहा हूं " जाहन्वी ने घूरा की राहुल बोला " अब तुम कब गिरो मुझे क्या पता हर समय तो मैं नही होगा न"

    तो मैंने कब कहा की रहो " जहान्वी ने कहा।

    हालाकि राहुल को जाहन्वी के चहरे पर दर्द अभी भी दिख रहा था उसने कुछ देर तक देखा और फिर हल्का सा मुस्कराते हुए बोल उठा " वैसे एक बात बताऊं? " जाहन्वी ने उसे देखा तो वो बोला " कोई मीटिंग है शायद तुम्हेरी और तुमने अभी अभी कहा की तुम लेट हो गई हो पर अगर इस स्पीड से चलोगी तो मीटिंग कल ही होगी

    राहुल की बात सुन जाहन्वी जो पहले से परेशान थी वो और परेशान हो उठी सच में वो लेट हो रही थी की राहुल आगे बोला " वैसे अगर तुम्हे बुरा न लगे तो मेरे पास एक आइडिया है"

    जहान्वी ने उसे देखा तो वो बोला " इफ यू वांट तो तुम मेरा हाथ ...." वो बोला ही था की  जाहन्वी ने उसे जैसे ही घूरा वो एकदम से बोल उठा" रिलेक्स मैं बस आइडिया दे रहा था भलाई का तो जमाना ही नहीं है बट क्या कर सकते हैं तुम आओ धीरे धीरे मै चलता हू "

    राहुल आगे बढ़ गया जाहन्वी उसे जाते हुए देखती रही फिर मन ही मन बोली " भाई आप क्यू मेरी बैंड बजा रहे हो ? आज ही लिफ्ट खराब होनी थी और अब ये पैर भी पर कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा ऑप्शन नहीं है मेरे पास अभी तो इससे ही हेल्प लेनी पड़ेगी " उसने राहुल को देखा और कुछ देर बाद आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया जाहन्वी ने जैसे ही राहुल का हाथ पकड़ा दोनो को एक अजीब सा एहसास छू दिया दोनो एक दूसरे को देखने लगे की वो बोली " ज्यादा मत सोचो मेरे लिए ये मीटिंग इंपोर्टेंट है बस इसलिए पकड़ा है " उसकी बात सुनते ही राहुल मुस्कुरा उठा और बोला " हम्म्!!! चलो अब आराम से " वो जाहन्वी को अनकंफर्टेबल फील नही करवाना चाहता था उसने बिलकुल नॉर्मल वे में कहा और दोनों ही आगे बढ़ गए।

    कुछ ही देर में दोनो पहुंच गए , जहान्वी ने अब कस के राहुल का हाथ पकड़ा हुआ था उन दोनो के उपर आते ही वहा काम कर रहे सारे लोग चौक उठे , जाहन्वी ने उन्हे देखा तो बोली " ये क्या हो रहा है? इन्होंने कौन सा भूत देख लिया जो ऐसे देख रहे हैं? राहुल ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और पास पड़े सोफे पर उसे बैठते हुए बोला " यही बैठो थोड़ी देर मीटिंग देखता हूं " जाहन्वी उसकी बात सुन कुछ बोल पाती की राहुल बिना उसकी सुने ही आगे बढ़ गया।

    अजीब है ये " जहांवी ने मुंह बनाते हुए कहा और वही बैठ रही ।

    की तभी दरवाज़ा खुला और तेज़ कदमों से आगे बढ़ गया उसे आगे बढ़ते हुए देख वहां खड़ा शख्स डर से पीछे हो गया था और डरते हुए बोला " सर....वो सर ..... " उसने उस शक्श की बात सुन उसने आराम से कहा " आधा घंटा सिर्फ आधा घंटा है या तो वो काम कर दे या उसके बाद जो होगा उसके लिए मैं कोई जिम्मेदारी नहीं लूंगा और हां आज पूरा स्टाफ सिर्फ और सिर्फ स्ट्रेस यूज करेगा अगर मुझे कोई भी वीवीआईपी या किसी भी और वे से जाता हुआ मिल गया तो उसका इस ऑफिस में लास्ट डे होगा "

    शक्श ने जैसे ही सुना उसने तुरंत हां में सिर हिलाया वो जाता की एक बार फिर वो उसे रोकते हुए बोला " मीटिंग रूम में आज किस की मीटिंग है मुझे डिटेल चाहिए और कीर्ति से बोलो मीटिंग में प्रेजेंट होनी चाहिए वो "

    जी...जी.. सर" उसने कहा और तेजी से बाहर निकल गया ।

    " क्या है मै क्यू बैठी हू मुझे लेट हो रहा है" वो बोल ही रही थी की तभी एक लड़की आई और बोली "जाहन्वी जी आप ही है? " जाहन्वी ने हां में सिर हिलाया तो वो लड़की उसे पकड़ते हुए बोली  " आए मेरे साथ " और उसे अपने साथ ले जाने लगी वही इस बर्ताव से जाहन्वी काफी हैरान थी पर इस समय उसकी मीटिंग थी तो उसने अपना सिर झटका और आगे उस लड़की के साथ चल पड़ी।

  • 4. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 4

    Words: 708

    Estimated Reading Time: 5 min

    मुखर्जी अभी तक नहीं आए थे , जाहन्वी अभी बैठी ही थी की तभी दरवाज़ा खुला और एक चालीस से पचास वर्ष के वाक्ति अंदर आए उनके साथ उनके कुछ आसिसेंट भी वही थे जाहन्वी को देखते ही वो हल्के से मुस्कुराते हुए बोले " गुड मॉर्निंग जाहन्वी कैसी है आप ? " उनकी मुस्कान को देखते ही जाहन्वी भी एक हल्की सी मुस्कान देते हुए बोली " गुड मॉर्निंग सर!! मैं भी अच्छी हूं " मुखर्जी आकर चेयर पर बैठ गए उन्होंने कहां " क्या बात है जहान्वी आप तो अभी से लेट होने लगी " उनकी बातो को सुन वो आराम से बोली " बेशक मुखर्जी जी वो क्या है न इन्तजार का फल मीठा होता हैं तो क्यों न हम भी मजा लेना चाहते हैं"

    मुखर्जी उसके तंज को साफ समझ चुका था उसने अपना हाथ आगे बढाया की तभी उसके एसिसेंट ने जल्दी से अपने बैग से कुछ पेपर्स निकाले और तुरंत उनके हाथ में रख दिया की मुखर्जी बोले " वैसे आपका टाइम इतना वेस्ट हुआ है तो फिक्र मत करिए हम आपका और टाईम नहीं लेंगे इसलिए आप इन्हे देख लो जमीन की एनओसी की कॉपी आ चुकी है आप देख लेना और अपने क्लाइंट्स को बोल दे की जल्दी ही वो उस जमीन को खाली कर सकते हैं , फिक्र मत करिए हमारी कम्पनी उन्हे कुछ पैसे भी दे देगे एक बात कहे जहान्वी जी आप है तो हम माना नही कर पाए आप चाहें तो हमारी कम्पनी ज्वाइन कर लें आपका पूरा ध्यान रखा जाएगा " गंदी नजरो से जाहन्वी को देखते हुए वो बोला

    जहान्वी ने कुछ नहीं कहा वो हल्की सी मुस्कुराते हुए बोली " क्या बात मुखर्जी आप मेरा ध्यान देंगे तो इस बात पर मुझे भी आपको कुछ देना ही चाहिए" उसकी बात सुन मुखर्जी थोड़ा हैरान रह गए पर अगले ही पल उनके चहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी अच्छी तो बिल्कुल नहीं थी ये बात तो सही थी .....

    दूसरी ओर एक कैबिन में कोई था जिसकी आंखे लाल हो चुकी थी उसके हाथ की मुठिया कस चुकी थी "  उसने झट से लैपटॉप बंद कर दिया और तेजी से कैबिन से बाहर निकल गया।

    तो वही जाहन्वी की बात सुन मुखर्जी काफी हैरान थे जहान्वी उठी और धीरे से मुखर्जी के पास आने लगीं अभी मुखर्जी जहान्वी को पकड़ पाते की एक चीख उस ऑफिस में गूंज उठी " आआआआअ छोड़ो क्या कर रही हो " मुखर्जी बुरी तरह से दर्द से कराह उठे थे उनके असिस्टेंट जहान्वी को कुछ कर पाते की तभी किसी ने उन्हे पकड़ लिया " डॉन्ट डेयर" उसकी आवाज़ सुन जाहन्वी ने उस ओर देखा तो कोई और नहीं राहुल ही था राहुल की नजर एक बार उस पर पड़ी की अगले ही पल में उसने उस एसिसेंट का हाथ पीछे झटका जिससे वो गिर गया

    जहांवी ने मुखर्जी को देखा और गुस्से में बोली " काफी मेरा ध्यान रखना है न तो अब आपकी ये जो मेरा ध्यान रखने का मन है उसे बहुत जल्द कोर्ट में रखिएगा और ये आपको याद रहेगा " उसने जोर से एक बार फिर बुरी तरह अपनी सैंडल उसके पैर पर गाढ़ी हुए थी जिससे मुखर्जी बुरी तरह से बिलबिला चुके थे .... उसने अपना पैर हटाया और गुस्से में वहां से निकल गई।

    राहुल की आंखे गुस्से से मुखर्जी को देख रही थीं उसे इस तरह देख मुखर्जी तो कुछ बोलने के लायक ही नहीं बचे राहुल ने आवाज़ लगाई " पवन !!! पवन !!! " उसकी आवाज़ सुनते ही एक लड़का जिसका नाम पवन था वो तेज़ी से अंदर आया और घबराते हुए बोला " जी.....जी सर...."

    रूम साफ करो मुझे गंदगी पसंद नहीं है और हां इन्हे भी सीढ़ियों से ही लेकर जाना " उसने मुखर्जी को देखा और तेज़ी से बाहर निकल गया।

    पवन ने मुखर्जी को देखा और फोन लगा दिया  मुखर्जी बेहद गुस्से में थे ।

    ये कहा गई ? जहान्वी को ढूंढते हुए राहुल बोल रहा था , वो सीधे बाहर आया पर उसे जहान्वी कही नहीं मिली उसे इस तरह से न मिलते देख वो परेशान हो गया था वो मुड़ा ही था की किसी की आवाज़ सुन रुक गया उसने देखा कोई नहीं था की तभी उसका ध्यान साइड में गया वो आगे बढ़ा और जैसे ही देखा हैरान रह गया।

  • 5. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 5

    Words: 1418

    Estimated Reading Time: 9 min

    आदित्य इशिका के बताए हुए एड्रेस पर उसे लेकर पहुंच गया उसने सामने देखा एक नॉर्मल लेकिन बहुत ही सुंदर तरीके से डेकोरेटेड घर था उसके बाहर ही एक छोटा सा गार्डन बना हुआ था जिसमे कई सारे फूल लगे हुए थे वो देख ही रहा था की कब इशिका गाड़ी से उतर चुकी थीं उसका ध्यान ही नहीं गया था इशिका ने उसे आवाज़ लगाई जिससे उसका ध्यान उस ओर हो गया ।

    थैंक्यू !! एंड सॉरी  " इशिका ने धीरे से कहा

    दोनो एक साथ क्यों?" आदित्य ने पुछा , उसकी बात सुन इशिका अपना सिर झुकाएं ही धीरे से बोली " वो थैंक्यू इसलिए क्योंकि आपने मुझे सजा नहीं दी और मुझे घर भी छोड़ा एंड सॉरी इसलिए क्युकी मेरी वज़ह से आपकी बाइक को लगी "

    आदित्य कुछ बोल पाता की तभी एक आठ साल का बच्चा बाहर भागते हुए आवाज़ देते हुए आया " दी!!! आप आ गए " जिससे इशिका और आदित्य का ध्यान उसकी ओर हो गया इशिका हल्का सा मुस्करा दी की वो बच्चा सीधे इशिका के पास आते हुए बोला " दी कहा थी आप? मैं कब से आपका वैट कर रहा था " वो अभी बोल ही रहा था की उसकी नजर इशिका के हाथ पर लगी चोट पर गई उसे देखते ही वो परेशान सा होते हुए बोला " दी क्या हुआ ये ? आपको ये चोट कैसी लगी आपको ? आप ठीक तो हो न? " चहेरे पर उसके डर साफ उतर आया था आदित्य ये सब देख रहा था की इशिका ने उसका सिर सहलाया और प्यार से बोली " हां मनु मैं बिलकुल ठीक हूं देख तेरे सामने खड़ी हूं वो भी एकदम नॉर्मल "

    इशिका की बात सुन मनु उसके गले लगाते हुए रोते हुए बोला "आपको कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा ? ऐसे तो मैं आ.…" वो बोलता की इशिका उसे डाटते हुए बोली " चुप !! आइंदा ऐसे बोला न तो एक लगेगा और मुझे क्या होगा तुझे पढ़ने से कोई छुटकारा नही मिलने वाला समझा "

    मनु उसकी बात सुन मुस्कुरा उठा वो उससे अलग हुआ की उसका ध्यान आदित्य पर गया जो उसे ही देख रहा था की मनु आदित्य को देखते हुए बोला " दी ये ? " की इशिका उसकी ओर देखते हुए बोली " ये ही है जिन्होने मुझे यहां ड्रॉप किया " आदित्य बस हल्का सा मुस्करा दिया।

    ........


    राहुल की आंखे बड़ी हो गई, जहान्वी एक साइड में बैठी बुरी तरह से गुस्से में थी उसे इतना गुस्सा था की उसने अपना हाथ बार बार दीवार पर मारना शुरू कर दिया था की राहुल तेज़ी से वह आया और जहाज्वी का हाथ पकड़ लिया वही वो गुस्से में उसे घूर रही थीं


    उसने गुस्से में उसे घूरा की जहान्वी की आंखे देख एक पल को राहुल भी रुक गया पर अगले ही पल वो गुस्से में बोला " क्या कर रही हो? पागल हो गई हो ?  "

    लीव माय हैंड " जाहन्वी ने गुस्से में कहा ।

    लेकिन राहुल ने जैसे सुना ही नहीं हो उसने उसे एक नजर देखा और दूसरा हाथ पकड़ते हुए उसे लेकर जाने लगा उसकी ये हरकत से जाहन्वी का गुस्सा और बढ़ गया उसने अपना हाथ छुड़ाया और गुस्से में बोली " समझ नहीं आता क्या बोला मैंने ? मुझे कोई हेल्प नही चाहिए जस्ट लीव मि एलोन "

    राहुल ने सुना तो उसके थोड़ा पास आया उसे पास आते देख जहान्वी चौंक उठी उसने गुस्से में बोला" क्या ! दूर रहो " की तभी उसने बिलकुल पास आकर उससे कहा" अकेले तो मैं नही छोड़ रहा चाहे तुम कुछ भी बोलो "


    राहुल की बात सुन न जाने क्यों वो कुछ बोल ही नहीं पाई ...... उसने उसका हाथ पकड़ा और उसे लेकर जाने लगा की वो उसे रोकते हुए बोली " मुझे वहां नहीं जाना " उसके इस तरह बोलने से उसने उसे एक नजर देखा और बाहर उसे लेकर निकल गया।



    पूरे रास्ते जहान्वी ने कुछ नहीं कहा उसकी ड्रेसिंग करवाके लौट रहे थे राहुल ने उसे देखा और बोला " घर कहा है? " जहान्वी ने उसे एक नजर देखा और बोली " सनराइज अपार्टमेंट " राहुल ने हल्का सा मुस्करा उठा जहान्वी बस बाहर की ओर देख रही थी।


    राहुल ने गाड़ी रोकी , जाहन्वी ने सामने देखा और अगले ही पल गाड़ी से उतरने लगी की  राहुल ने उसे आवाज़ देते हुए बोला " सुनो" उसकी आवाज़ सुन जहान्वी के कदम रुक गए लेकिन वो पलटी नही राहुल गाड़ी से उतरा और जहान्वी के पास चलते हुए आया और उसे देखते हुए बोला " तुम्हे लड़ना है तो लड़ो पर किसी की बातो को इतना मत सोचो की तुम खुद ही न लड़ पाओ" जहान्वी ने कुछ नहीं कहा और वहां से जाने लगी फिर रूकी और बोली " थैंक्यू"

    उसकी बात सुन वो हल्का सा मुस्करा उठा " अपना नाम तो बता दो  मिस ट्रेन "


    जान सको तो खुद जान लेना " उसने कहा और तेज़ी से अंदर की ओर बढ़ गई , उसकी ये बात सुन वो भी मुस्कुराए बिना नही रह पाया राहुल वापिस गाड़ी में बैठ गया उसने सामने की ओर देखा अगले ही पल उसके चहरे पर गुस्सा उतर आया उसने अपना फोन निकाला और कुछ करने लगा कुछ ही देर में उसकी आंखो में एक चमक आ गई, " गुड " उसने कहा और गाड़ी तेज़ी से आगे बढ़ा दी।





    उधर जहान्वी घर पहुंची उसने अपना बैग वही मेज़ पर रख और सोफे पर बैठ गई अभी कुछ ही सेकेंड हुए थे की उसका फोन बज उठा लेकिन वो बस उस बजते हुए फ़ोन को देख रही थी मानों उसे पता हो की ये किसका फोन होगा वो बजते बजते कट गया जाहन्वी अभी भी उसे ही देखे जा रही थी की तभी उसकी नज़र अपने हाथ पर बंधी पट्टी पर गई उसे देखते ही उसे राहुल की बाते याद आ गई " तुम्हे लड़ना है लड़ो पर किसी की बातों को इतना मत सोचो की खुद ही नहीं लड़ पाओ"


    सही तो कह रहा था वो मै क्यों इतना सोच रही हूं जो गलत है वो गलत है और मैंने वही किया जो मुझे सही लगा अब कुछ भी हो मैं पीछे नहीं होगी मुखर्जी जैसे लोगो को जवाब अब उनके ही जवाब में दूंगी " अपने आप से बात करती हुए वो फैसला ले चुकी थी की उसे क्या करना था उसने अपने हाथ को देखा तो चहरे पर हल्की सी मुस्कान उतर आई ।



    .....................


    श्री हमेशा की तरह अपने स्कूल के लिए निकल रही थी, अभी वो बाहर निकली ही थी की तभी उसे एक इंसान  दिख गया उसे देखते ही श्री की आंखे सिकुड़ गई लेकिन वो कोई बहस नहीं करना चाहती थी उसने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया और आगे की ओर बढ़ गई, की वो उसके पीछे पीछे आते हुए बोला " श्री मुझे .... " वो अभी पूरा भी नहीं बोल पाया था की श्री अपना फोन निकाला और अर्थ को मिला दिया उधर अर्थ ने श्री का फोन देखा तो चौंक उठा क्युकी वो अच्छे से जानता था की वो स्कूल टाइम पर कभी फ़ोन नही करती है वो कुछ देर तक सोचता रहा फिर फ़ोन उठाते हुए बोला " क्या हुआ ? श्री? आप ठीक तो हैं? कही फिर से वो लड़के आपको परेशान तो नहीं कर रहे? आप रुकिए मैं.." की उसकी बात बीच में काटते हुए वो बोली " ऐसा कुछ नहीं अर्थ हम ठीक है आप मेरी बात तो सुन ले " श्री ठीक है ये सुन अर्थ को शांति मिली कुछ देर के बाद वो बोला " हम्मम बोलिए "


    थैंक्यू राज आने के लिए " उसके मुंह से ऐसी बात सुन अर्थ हैरान रह गया श्री इस तरह की बात करेंगी उसे यकीन नहीं हो रहा था" ये इन्हे क्या हुआ है? ये ऐसे? हो न हो कुछ तो बात है " अपने आप से बात करते हुए अर्थ बोला वही उस लड़के ने जब श्री को किसी से बात करते हुए सुना तो उसे बेहद गुस्सा आया पर इस वक्त उसने शांत रहना ही बेहतर समझा और वहां से गुस्से में चला गया श्री ने जब देखा तो की वो चला गया तो उसने एक गहरी सांस ली और राज से बोली "आई एम सॉरी हमे इस तरह से आपको फ़ोन करना पड़ा "

    कोई बात नहीं श्री आप स्कूल पहुंचे मैं भी वही आ रहा हूं फिर बात करते हैं" उसकी बात सुन उसने हां किया और फोन काट दिया एक बार फिर उसे वो लड़का याद आ गया " नहीं इस बार नही" वो अपने आप से बोली और आगे बढ़ गई।


    ................

  • 6. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 6

    Words: 1875

    Estimated Reading Time: 12 min

    आदित्य मनु और इशिका की बात सुन मुस्कुरा दिया था की मनु बोला " आपका थैंक्यू भईया आपने मेरी दी हेल्प की आप सच में बहुत अच्छे हैं"

    " ये तो मेरा काम है मा....फिर रुकते हुए बोला " सॉरी मुझे तुम्हरा पूरा नाम नहीं पता था तो ..." की मनु बोला मानव नाम है मेरा और दी मुझे प्यार से मनु बोलती है आप ने मेरी दी की हेल्प की है तो आप भी मुझे मनु बोल सकते हो " उसकी बात सुन आदित्य मुस्कुरा उठा।

    की इशिका आदित्य को इतने प्यार से मानव से बात करते हुए देख मुंह बनाते हुए बड़बड़ा रही थी " अभी देखो कितने प्यार से बात कर रहे हैं तब कौन सी सास का प्रवेश हो गया था इन में जो मुझे इतना डाट रहे थे" की मानव आदित्य से बोला " आप भी अंदर चलो न भईया साथ में लंच करेगे दी लंच लेने ही गई थी "

    मानव की बात सुन इशिका को याद आया की वो लंच लेने गई थी लेकिन इस एक्सीडेंट में तो खाना भी गिर गया था जिस पर से उसका ध्यान ही नहीं गया था " अब क्या करूं? मानव को क्या खिलाऊंगी ? पैसे भी नहीं है अभी तो सैलरी मिली थी और अब" इशिका परेशान सी हो उठी ।


    आदित्य ने मानव से कहा " नही मानव आप और आपकी दी करो मुझे कुछ जरूरी काम है मैं चलता हूं"

    ओके !! पर नेक्स्ट टाइम आप हमारे साथ करोगे " मानव ने कहा तो आदित्य ने हां में सिर हिलाया, उसने एक नजर इशिका को देखा उसकी नजर भी आदित्य को देखने लगी की कुछ देर दोनो एक दुसरे को देख ही रहे थे की मानव की आवाज़ से दोनों का ध्यान टूटा " दी चलो न बहुत भूख लगी है"


    हा... ह " परेशान सी इशिका ने अपने चहरे पर जबरदस्ती मुस्कान लाते हुए उसे जवाब दिया मानव ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर ले गया आदित्य उन दोनो को जाते हुए देखता रहा फिर वहां से निकल गया।



    इधर राहुल आराम से बैठा अपने ऑफिस में कुछ काम कर रहा था उसकी उंगलियां अपने लैपटॉप के कीबोर्ड पर चल रही थीं की तभी कैबिन के दरवाज़े पर नॉक हुआ उस नॉक को सुन राहुल के चहेरे पर एक मुस्कान उत्तर आई जैसे उसे इसी का इन्तजार हो  उसने अपनी तेज भारी आवाज़ में कहा " कम इन"


    भीतर आई तेज़ आवाज़ सुन बाहर खड़ा पवन तेज़ी से अंदर की ओर आया उसके हाथ में एक टैबलेट थी राहुल की नजर अभी भी अपने लैपटॉप पर ही थी पवन ने उसकी ओर अपनी टेबलेट बढ़ाते हुए बोला


    सर डन " राहुल कुछ नहीं बोला पवन उसकी आदत से अच्छे से वाकिफ था उसने टैबलेट वही छोड़ी और कैबिन से बाहर निकल गया।



    उसके हाथ रुक गए उसने अपनी नजरे टैबलेट पर घुमाई और एक मुस्कान उसके चहरे पर उतर आई ।




    ............

    दुपहर का वक्त हो चला था अर्थ को श्री से बात करने का मौका ही नही मिल पाया था लंच में भी उसे किसी काम से प्रीसिपल सर ने बुला लिया था जिसकी वजह से वो बात नहीं कर पाया था और श्री क्लास आज ज्यादा थी तो वो भी उससे बात नहीं कर पाई थी ।


    छुट्टी होते ही श्री से बात करूंगा " अपने आप से कहते हुए अर्थ वापिस काम में लग चुका था , तो वही दूसरी ओर श्री कुछ पेपर्स चेक कर रही थी लेकिन रह रहकर उसे बार बार वही याद आ रहा था कहते हैं न की कुछ चीजे ऐसी होती है जिन्हे शायद भुलाना आसान नहीं होता है चाहे इंसान कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले श्री के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था की तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख उसे हिलाते हुए कहा " ये क्या कर रही हो श्री ध्यान कहां है तुम्हारा? " उस आवाज़ को सुन जैसे होश में आई उसने देखा तो उसकी फ्रैंड शिवि वहीं खड़ी हुए उसे देख रही थी उसने श्री के टेबल से कॉफी उठाई और बोली " ये क्या कर दिया श्री ?


    श्री ने कॉपी की ओर देखा तो उस पर जहां मार्क्स लिखे थे वहां पूरा रेड पेन से गोला बन चुका था वो कुछ इस तरह की उस पर अब दुबारा लिखना जैसे नामुंकिन सा हो गया था , " ये हमने क्या कर दिया ? ओह शीट!!! ऐसे कैसे हम इतना केयरलेस हो सकते हैं" उस कॉपी को शिवि से लेते हुए वो अपने हाथ से उसे साफ करने लगी लेकिन जितना वो हाथ लगाती उतनी ही इंक फैलती जा रही  थीं ... जिससे श्री और परेशान हो उठी शिवि कुछ बोल पाती की तभी किसी ने श्री के हाथ से वो कॉपी छीनते हुए कहा "

    रिलेक्स श्री इतना पैनिक मत हो ठीक हो जाएगा " श्री ने सामने देखा तो अर्थ खड़ा था उसने जैसे ही श्री की ओर देखा उसे समझते हुए देर नही लगी की श्री किसी बात से काफी परेशान हैं वर्ना वो अच्छे से जानता था की श्री कितनी शांत तरीके से हर चीज़ आसानी से सॉल्व कर लेती है और आज इतनी छोटी सी बात को लेकर वो इतना पैनिक हो गई है पर शिवि के वहा होने की वज़ह से उसने इस बारे कुछ नहीं कहा।

    अर्थ हमे कॉपी दे , पुरे मार्क्स ख़राब हो गए हैं "  वो परेशान सी उससे लाने आगे बढ़ी की राज ने वो कॉपी शिवि को देते हुए कहा " मम कंप्यूटर रूम में जितेन्द्र सर से इस कॉपी को स्कैन करवा दे और उन से कहें की ये ठीक कर दे "

    जी सर" शिवि ने कॉपी ली और वहा से चली गई , अर्थ ने श्री को देखा और फिर बोला " जाइए हाथ धो आइए "


    श्री ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वहा से चली गई, अर्थ  उसे जाते हुए देखता रहा अब उसके मन में आ रहा शक सच हो चुका था जिससे उसका अब पता लगाना ही था।



    .........


    मानव को खाने में क्या दू? उस एक्सीडेंट की वज़ह से सारा खाना खराब हो गया है और वो कितनी देर से इंतजार कर रहा है क्या करू माता रानी मेरे भाई को भूखा कैसे रहने दू? क्या करू? " ये सब सोचते सोचते इशिका की आंखे नम हो उठी , की तभी मानव की आवाज़ सुन उसने झट से अपनी आंखे साफ की और बोली आ रही हूं .... आ रही हूं " की मानव उसके पास आया की इशिका बोली " मैं आ रही थी न मनु " की तभी मनु ने अपने हाथ में पकड़ी थैली आगे स्लेप पर रखते हुए कहा " आप ये तो भूल ही गए थे अभी अभी ek पुलिस वाले अंकल आए थे उन्होंने मुझे ये दिया और बोला " की आप ये वहीं भूल गए थे तो वो लौटने आए थे आप भी न दी अब जल्दी से मुझे दो अब वैट नही हो रहा "


    मनु की बात सुन इशिका हैरान रह गए उसे कुछ नहीं समझ नहीं आ रहा था मनू वहा से चला गया इशिका ने थैली की ओर देखा और हैरानी से खुद से ही बात करते हुए बोली " मैं कब भूली ? वहा? " वो ये सोचते हुए उसे खोलती जा रही थी की उसने देखा अंदर तीन बड़े ब्लैक बॉक्स थे जिन में से काफ़ी अच्छी खुशबू आ रही थी जिससे ये साफ़ था की खाना भी बहुत टेस्टी था इशिका अभी देख ही रही की उसे एक बॉक्स पर छोटी सी चिट मिली  " ये क्या है? " उसने उसे निकाल और खोलकर देखने लगी


    आई एम सॉरी इशिका मेरी वजह से तुम्हरा खाना खराब हुआ था तो ये मेरी तरफ से मानव और तुम्हरे लिए है एंड हां मैं जानता हूं की तुम्हे ये लगेगा मैं तुम्हे बुरा फील करवाने की सोच रहा हूं तो ऐसा बिल्कुल नहीं इस खाने के बदले तुम कल मुझे थाने में मिलना अपनी डिग्री लेकर "

    आदित्य

    हीईईईईईई? डिग्री ये क्या करने वाले हैं? कहीं इस के बदले मुझे आया तो नहीं रखने की सोच रहे? " ये सोचते ही इशिका के सामने आदित्य का गुस्सा वाला चहेरा घूम गया  की वो डर उठी " नही नहीं मैं नहीं जाऊंगी " की तभी वो एकदम से बोली " पर नही गई और वो घर आ गए तो ? और फिर खाने के पैसे देने तो जाना ही पड़ेगा न इशू

    अपने ही विचारों में डूबी इशिका ने न जाने क्या क्या सोच लिया की खाने को देखते ही उसके चहरे पर मुस्कान खिल उठी उसने जल्दी से प्लेट में खाना लिया और किचन से बाहर निकल गई।



    आदित्य अपना काम कर रहा था की तभी उसका साथी आया और बोला " सर दे दिया " उसकी बात सुन आदित्य ने हां में सिर हिलाया की वो साथी वहां से चला गया " चलो उसके पास खाना तो पहुंचा " आदित्य मन ही मन बोला असल में जब मानव ने उससे खाने के बारे में पूछा था तो आदित्य ने इशिका के चहरे पर आई परेशानी को समझ लिया था जो उसे न क्यू अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने उसके के लिए खाना भेज दिया

    वो अभी सोच ही रहा था की तभी एक बार फिर उसके सामने इशिका का मासूम सा चेहरा घूम गया की उसे इस तरह खोए हुए देख काम कर रहे साथी काफी हैरान रह गए एक ने अपने दूसरे साथी के कान में फुसफुसाते हुए कहा " आज मुझे लग नही रहा की ये आदित्य सर ही है देख तो सर को " साथी ने उसकी ओर देखा तो आदित्य ने उल्टी फाइल पकड़ी हुए थी की वो साथी आगे आया और बोला " सर...." उसकी बात सुन आदित्य ने उसे देखा और बोला " क्या?  "


    उसकी आवाज़ सुन पहले तो साथी की हिम्मत नहीं हुए फिर डरते हुए बोला " सर.....वो आपने ...फाइल उल्टी पकड़ी है"

    आदित्य ने जैसे ही देखा वो सच में उल्टी फाइल पकड़े हुए था अब तो उसकी हालात ये हो चुकी थी की कही छूप जाए उसने अपनी नजरे इधर करी फिर एकदम से उसे सही किया नाराजगी से बोला " बस देख रहा था तुम मुझ पर ध्यान मत दो और जो काम मैंने बोला था वो आज शाम तक मुझे मेरी टेबल पर चाहिए "

    और वहां से निकल गया वही उस साथी ने खुद ही अपना पैर खुलहड़ी पर मार लिया था उसने तेज़ी से अपना काम पूरा करना था अब ।



    ये लड़की किसी दिन मुझे मरवाएगी " खुद से बडबडाते हुए उसने अपना ध्यान झटका और काम में लग गया ।



    .............

    जहान्वी अब आराम से बैठी हुई अपना काम कर रही थी की तभी उसका फ़ोन बज उठा उसने अपने कान में लगे ब्लूटूथ को दबाया और बोली " बोलो "


    सामने से एक बहुत ही प्यारी सी आवाज आई " मम उन्होंने के ... स" वो अभी पूरी बोल पाती की जहान्वी ने अपनी बात कही " आई नो रोज और उम्मीद भी क्या की जा सकती थी उन से नया क्या है ये बताओं डोंट गिव मि आ ओल्ड इंफॉर्मेशन"


    रोज ने तुरंत कहा " सॉरी मम.... " आई अपडेट यू सून " जहान्वी ने फोन काट दिया , मैं तुम्हे इतनी आसानी से नही छोड़ोगी मुखर्जी अब तुम तैयार हो जाओ की तुमने क्या किया है लेट्स वैट एंड वॉच " ये सब कहते हुए उसकी आंखे गुस्से में सुलग रही थी।

  • 7. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 7

    Words: 1326

    Estimated Reading Time: 8 min

    श्री हाथ धोकर आए तब उसने देखा राज ने सारी कॉपीज चेक कर दी थी और उन्हें रख रहा था उसने श्री को देखा और बोला " आ गई आप चलो ये काम तो हो गया और हां मम ने सर से कह दिया है वो उस कॉपी को भी ठीक कर देंगे तो उस बच्चे  के मार्क्स ख़राब नही होगे आप इतनी फिक्र कर लेती हैं आएं बैठ जाएं कुछ खाया आपने ? "


    श्री ने कुछ नहीं कहा जिसे समझते हुए अर्थ ने उसे वही कुर्सी पर बैठाया और खुद सामने वाली कुर्सी पर बैठते
    हुए बोला " पता था इसलिए पहले ही मैंने कुछ मांगा लिया है आता होगा " उसकी बात सुन श्री ने कुछ भी नहीं कहां की उसे चुप देख अर्थ  कुछ देर बाद बोला " बताएं क्या हुआ है? क्यों इतना परेशान हैं मुझे नही बताएंगी ?


    उसने उसकी ओर देखा तो राज ने हां में सिर हिला दिया।



    ...........

    आज जाहन्वी का केस था वो अपने अप्रटमेंट से निकली की सामने उसे राहुल दिखा उसे देखते ही वो बड़बड़ाते हुए बोली " ये यहां क्या कर रहा है? " की तभी वो बोल उठा" बस किडनैप की कोशिश करने वाला था पर याद आया की तुम तो लॉयर हो अगर ऐसा कुछ हुआ तो मुझे तो सजा पक्की है तो फिर ये आइडिया ड्रॉप कर दिया

    बकवास बंद करो " उसे घूरते हुए वो बोली और आगे बढ़ गई की वो उसके पीछे पीछे आते हुए बोला " ठीक है पर ये तो बता दो की बाते कौन सी बकवास थी वो अभी के अभी ड्रॉप कर देता हूं "

    ओह गॉड !! जहान्वी ने मन ही मन खुद को कंट्रोल किया और उसकी ओर देखते हुए जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली देखो !! कल तुमने मेरी हेल्प की उसके लिए ऑलरेडी थैंक्यू बोल चुकी हूं तो अब तुम अपना काम देखो और मुझे मेरा देखने दो "

    हां तो देखो न मैंने तो रोका ही नहीं है और वैसे भी आप से किसने कहा की मैं आपके लिए आया हूं? ये अप्राटमेंट सिर्फ आपका थोड़ी है " राहुल ने भी उसे वैसे ही कहा ।


    जहान्वी ने उसे घूरा और आगे बढ़ने लगी राहुल का उसका यूं चिढ़ना बेहद प्यारा सा लग रहा था , जहान्वी जाने लगी की एक बार फिर वो बोल उठा " सुनो " इस बार उसका पेशंस पूरी तरह से खत्म हो गया वो मुड़ी और उसके पास आते हुए एकदम गुस्से में बोली " क्या है? कितनी देर से अपनी बकवास करे जा रहे हो करे जा रहे हो ???? तुम जिससे मिलने आए हो मिलो न जाकर मेरा क्यों दिमाग खराब कर रहे हो ? "

    हाय राम इतना गुस्सा यार .... राहुल बोला ही था की वो एकदम से बोल उठी " मैं कोई यार नही हू तुम्हेरी समझे बोल मत देना अब "

    ओके!! ओके !! मिस .... " अब मत टोकना " जहान्वी बोली और जाने के लिए मुड़ी ही थी की एक बार फिर उसकी आवाज़ आई " सुनो "

    आज इसकी सुनो ....सुनो ....सुनो " जाहन्वी मन ही मन बोली और जैसे ही राहुल की ओर मुड़ी राहुल एकदम से किसी मासूम बच्चे की तरह बोल उठा " ऑल द बेस्ट !! बस ये ही बोलना था "

    उसका इस तरह से बोलता देख जाहन्वी का गुस्सा पल भर में जैसे गायब हो  गया वो उसे देखने लगी की तभी वो थोड़ा पास आते हुए बोला " इतना क्यूट हो बोल सकती हो "

    जाह्नवी को जैसे होश आया वो बोली " बिलकुल नहीं" और मुंह बनाते हुए वहा से चली गई ....राहुल उसे जाते हुए देख हस पड़ा वो गाड़ी में बैठा और वहा से निकल गया ।

    वही इतनी देर से कोई था जो ये सब देख रहा था उसने अपना फ़ोन लिया और बात करने के लिए वहां से थोड़ा आगे निकल गया ।


    गाड़ी में बैठी जाहन्वी बड़बड़ाए जा रही थी " क्यूट?? हु कहा से क्यूट मानता है ये खुद को ? शक्ल तो देखता नहीं होगा ...और मैं इसे क्यूट बोलूंगी ? भाई आपने इसका उपर का इस्क्रू ढीला छोड़ दिया था क्या ???? " जहान्वी बडबडा ही रही थी की तभी उसका फोन बज उठा उसने देखा तो उसके चहरे के भाव बदल उठे.... उसने तुरंत उठाया और बोली " बोलो "


    की सामने से किसी ने कुछ कहा जिसे सुन जाहन्वी के चहरे पर एक मुस्कान खिल उठी " गुड" उसने कहा और फोन काट दिया ।


    ....

    राहुल अपने ऑफिस आ चुका था उसे ऑफिस में आता देख सब अपने अपने काम में जा लगे की उसकी नजर लिफ्ट पर पड़ी जो अब ठीक हो चुकी थी वो उस ओर बढ़ा की तभी उसे कुछ याद आया और वो सीढ़ियों की ओर जाने लगा उसे उस ओर जाते हुए देख एक एम्प्लॉय बोला " सर लिफ्ट ठीक हो गई है आप फिर ...." उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी , राहुल ने उसकी ओर देखा और बोला " कभी कभी फिट भी रहना चाहिए और मुझे लिफ्ट से ज्यादा सीढ़िया ही पसंद है" और हल्का सा मुस्कुराते हुए वहां से चला गया राहुल का ये अंदाज एक बार फिर उसके एंप्लॉयज को सरप्राईज कर चुका था ।


    ..............

    आदित्य

    अपना काम कर रहा था लेकिन उसकी नजरे बार बार बाहर की जा रही थी ," लगता है सर को किसी का इंतजार है देखो तो कितनी देर से दरवाज़े की ओर ही देखे जा रहे हैं" आदित्य की ओर देखते हुए एक ऑफिसर नामित ने कहा।

    नामित की बात सुन उसके ही साथ खड़ा हिमांशु ने कहा " बिलकुल !! मैं भी ये ही देख रहा हूं पर तू मुझे बता तो सर इंतजार कर किस का रहे हैं? ऐसा कौन आने वाला है? "


    दोनो अभी बात ही कर रहे थे की तभी एकदम से जोर की आवाज़ आई जिससे सब चौक उठे , आदित्य और बाकी सब बाहर की ओर भागे आदित्य ने जैसे ही सामने देखा उसकी आंखे बड़ी हो गई वही बाकी सब भी हैरानी से देख रहे थे , एक बार फिर आदित्य की बाइक ठुक चुकी थी जिस पर एक डेंट पड़ चुका था

    आदित्य अपनी बाइक पर पड़े डेंट को घूरते देख रहा था की वहा खड़े बाकी ऑफिसर देख रहे थे की तभी आदित्य ने सामने की ओर देखा जहां इशिता डरी हुई सी थी आदित्य उसे देखता रहा फिर जोर से बोला " तुम सब अपने अपने काम लगो यहां खड़े रहने से कुछ नहीं मिलेगा " उसकी बात सुन सारे एक बार में ही खिसक गए ।



    ये अब फटे , यार इशू तुझे इनकी ही बाइक क्यों मिलती है? एक काम करती हूं इससे पहले ये गुस्सा हो जल्दी से इन्हे सॉरी बोल देती हूं और कल के लिए थैंक्यू भी " अपने मन में ही जवाब सवाल करती इशिका ने कहा और बिना आंखे खोली बोली " आई एम ....की तभी आदित्य बोल उठा " कोई बात नहीं" उसके इतना कहते ही इशिका ने झट से अपनी आंखे खोली और हैरानी से उसे देखने लगी " ये आप ही है न सर " इशिका ने उससे सवाल किया तो आदित्य ने उसे नासमझी से उसकी ओर देखा और बोला "  क्यों ?"

    वो आप इतना शांत आप तो ड्रैकुला....." वो बोल ही रही थी की उसने जैसे ही आदित्य को देखा उसे याद आ गया वो क्या बोली है क्योंकि वो उसे घूरते हुए देखे जा रहा था।



    *********

    अर्थ की बात सुन श्रृष्टि ( आप सबको बता दे श्री का पूरा नाम श्रृष्टि है उसे प्यार से श्री कहा जाता है) वो उसे देखने लगी की अर्थ  ने हां किया की श्री बोली " आज जब हम स्कूल के लिए आ रहे थे तो हमे ..... वो .... मिला ...था ..." उसने जैसे ही कहा तो राज के चहरे के भाव बदल उठे वो बोला " कौन श्री? बोलिए डरिए मत बस बोलिए कौन ? "

    श्री कुछ देर तक चुप रही की फिर बोली " गौरव " श्री के मुंह से गौरव का नाम सुनते ही राज ने अपना हाथ  हटा लिया ।

  • 8. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 8

    Words: 3774

    Estimated Reading Time: 23 min

    गौरव का नाम सुनते ही राज ने अपना हाथ पीछे खींच लिया वो उसे बिना किसी भाव के देखने लगा श्री ने उसे देखा तो समझ गई वो कुछ देर तक चुप रही फिर धीरे से कहा " हम नही गए थे वो हमारे घर के पास वाले बस स्टॉप पर आया था उसने हमसे माफी मांगी ..."

    और आपने माफ कर दिया? " राज ने कहा , श्रृष्टि ने उसे देखा और बोली "  नही हम नहीं कर सकते माफ राज उसे हम माफ ही तो नहीं कर सकते पर क्यों आया है वो ? क्या लेने आया है? हम अब संभल रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं तो वो फिर से आ गया ? क्यों ? आज जब उसे इतने सालों बाद वहा देखा तो एक पल को तो हमे लगा कि हम उसकी बातों में आ जाएंगे पर अगले ही पल हमे वो सब याद आ गया , वो जिल्लत, वो तकलीफ नही राज हम उसे माफ़ नहीं कर सकते कभी भी नही "

    राज ने सुना तो अगले ही पल वो हस पड़ा, उसे हंसते हुए देख श्रृष्टि नासमझी से उसे देखने लगी की राज  ने अपनी हसीं रोकी और थोड़ा गंभीर होते हुए बोला " तो आप क्यों परेशान हैं? वो आपसे माफी मांगने आया और आप उसे कोई माफ़ी नही देना चाहती तो बस बात खत्म फिर उसकी वजह से खुद को परेशान करने का कोई मतलब नहीं और आपके लिए वो मायने ही नहीं रखता तो फिर क्या फायदा ?? और न ही उसके लिए खुद को तकलीफ देने का "

    और उसने अगर फिर से मुझे परेशान करना चाह ? " श्रृष्टि ने कहा

    तो क्या आप कम थोड़ी है मैं जानता हूं आप उसे अच्छा सबक सिखा देंगी अब आप बिलकुल भी कमजोर नहीं है अच्छे से उसे मजा चखाएंगे न लेकिन अभी तो आपसे हो नही पाएगा "  उसने मुंह लटकाते हुए कहा।


    क्यों ??? "श्रृष्टि ने पूछा

    राज ने पास रखे समोसे को देखते हुए कहा " आप तो खायेंगी नही तो फिर कैसे लड़ेंगी ? और गौरव का तो फायदा हो जाएगा "


    ऐसे कैसे हो जाएगा और मै आपकी हर बात समझ रही हूं ये समोसे आपको अकेले खाने है न वो तो आपको मिलने से रहे , उसने हाथ में समोसे लिए और खाने लगी  उसे खाते हुए देख अर्थ के चहरे पर मुस्कान खिल उठी ये ही तो था जो उसे खुशी देता था तभी उसके दिमाग में एक चिंता उतर आई , जिसे वो श्रृष्टि के सामने नहीं लाना चाहता था ।

    ••••••••••••••
    जाहन्वी कोर्ट पहुंच चुकी थीं "गुड मॉर्निंग मम" उसके पीछे  पीछे आती हुए रोज़ तेज़ी से हाथ में काली रंग फाइल पकड़े उसके साथ चलते हुए बोली " मम आर यू ऑल राइट " पैर में लगी चोट को देखते हुए वो उसने कहा


    रोज़!!! यस मम आई एम फाइन " जाहन्वी ने कहा , की रोज बोली " मम आपके पैर में अभी चोट है आप क्यों आई ? मैं देख लेती या हम आगे की डेट ले लेते हैं सर से "

    नही रोज़ ये कैसी बात कर रही हो ? आज का ये केस कितना इंपोर्टेंट है तुम को भी पता है और इतनी छोटी सी चोट के लिए मैं डेट लू? " इस बार जाहन्वी का लहज़ा थोड़ा सख्त था

    सॉरी मम " रोज ने कहा।
      

    जाहन्वी और रोज अंदर जा ही रहे थे की तभी कोई उनके सामने आकर खड़ा हो गया उसे अपने सामने खड़ा देख जाहन्वी ने तिरछी निगाहों से उसे देखा और बोली " अब क्या पैसे दू? तब अंदर आने दोगे? "

    जाहन्वी ने जैसे ही कहा वहा खड़े बाकी सब हस पड़े जिससे वो बुरी तरह गुस्से में भरते हुए बोला " भूलो मत जाहन्वी की तुम किससे बात कर रही हो ? "

    उस लड़के की बात सुन उसने उसे पूरी तरह से नजरंदाज किया और अंदर आ गई जाहन्वी का इस तरह उसे बार बार इंसल्ट करना उस लड़के को बर्दाश्त नही हो रहा था लेकिन वो यहां कुछ भी नहीं कर सकता था जाहन्वी और रोज आगे आकर चेयर पर बैठ चुके थे उस लड़के ने गुस्से में उसे घूरते हुए अंदर आ गया

    सभी अपना काम कर रहे थे , की तभी मुखर्जी अपने वकील के साथ कोर्ट में आ रहे थे की रोज धीरे से जाहन्वी से बोली " मम इनका केस तो ये आकाश तंवर लड़ रहा है ये बहुत चालाक है "

    जाहन्वी ने एक बार भी आकाश की ओर नही देखा हालाकि उसे पहले से अंदाजा था की मुखर्जी जैसे घटिया लोगो का केस अगर कोई लड़ सकता है तो वो आकाश ही होगा और जब वो केस उसके अगेंस्ट हो तो कोई शक ही नही हो सकता था, पूरा कोर्ट आकाश को वहां देख आपस में खुसर फुसर करने लगे , असल में कहने को तो आकाश भी एक जनमाना लॉयर था उसके खिलाफ लड़ने की हिम्मत तो कोर्ट का कोई भी दूसरा वकील करने की सोचता भी नहीं था और अगर किसी ने कोशिश भी तो हार जाने के बाद वो या तो गायब हो जाता या आकाश उसका वो हाल कर देता की कोई भी उसे केस देने से पहले ही वो उसे खत्म कर देता , लेकिन इन पांच सालो में सब बदल चुका था आकाश से अगर कोई टक्कर लेने का दम कोई रखता था तो वो थी सिर्फ और सिर्फ जाहन्वी और वो जीती भी थी , जाहन्वी का एटीट्यूड और अंदाज देख आकाश ने बहुत बार उसे अपनी बातो में और कई बार तो उसे धमकाने की भी कोशिश तक कर चुका था पर इन सब से लड़ने के लिए जाहन्वी पहले से काफी अच्छे से ट्रैंड थी और उसने उसे कोर्ट में ही ऐसा जवाब दिया था की उसके बाद से आकाश के मन में अंदर ही अंदर उसके लिए गुस्सा था और वो जाहन्वी को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ता था हालाकि जाहन्वी को इन पांच सालो में उसकी इन हरकतों से कोई फर्क नही पड़ता था।

    और आज जब मुखर्जी आकाश के पास जाहन्वी के खिलाफ केस लड़ने की बात कही तो आकाश को तो मानो खुद ही पकी पकाई खीर मिल गई वो ये मौका कैसे अपने हाथ से जाने दे सकता था और उसने हां कर दिया ।


    " कैसे हैं मिस जहान्वी" उसके चेयर के पास आते हुए आकाश ने एक तंज भरी मुस्कान उसकी ओर देते हुए हाथ बढ़ाया ।

    सॉरी मिस्टर आकाश वो क्या है आप देख पा रहे हैं की मैं अभी थोड़ी सी बिज़ी हूं तो हाथ नही मिला पाऊंगी और वैसे भी तो अंग्रेजो का दिया हुआ है आप नमस्ते क्यों नहीं सीखते ? आपको तो पता ही होगा की जब भारत में कॉर्नोना जैसी बीमारी फैली तब से ये नमस्ते तो आपके अंग्रेजो ने भी सीख लिया और आप......" उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी


    आकाश हल्का सा मुस्कुराते हुए अपना हाथ पीछे करते हुए बोला " कोई बात नहीं मिस जहान्वी अब तो आपसे हाथ और नमस्ते दोनो ही केस जीतने के बाद ही मिलेंगे वैसे सुना है कल आप गिर गई थी? बुरा न माने तो आप इतना गिर कैसे गई ?" आकाश ने उसकी पैर की चोट को देखते हुए कहा।


    रोज ने सुना तो गुस्से में कुछ बोलती की जाहन्वी ने उसका हाथ पकड़ लिया रोज उसे देखने लगी आकाश मुस्कुरा रहा था की जाहन्वी ने उसकी ओर देखा और हल्की सी मुस्कान लेते हुए बोली " मुझे शायद पता चल गया था की आज आपसे मिलना पड़ेगा तो तैयार होना तो पड़ेगा न"


    रोज हस पड़ी लेकिन उसने अपनी हसी तुरंत अपने हाथ से रोक ली वही आकाश का चहेरा गुस्से में भर उठा वो बिना कुछ बोले वहा से अपनी चेयर की तरफ बढ़ गया जाहन्वी ने उसे एक नजर देखा और वापिस अपनी नजरे फाइल में लगा ली।

    कुछ ही देर में जज साहब कोर्ट में आ चुके थे , सब ने खड़े होकर उन्हे रिस्पॉन्स दिया जज आकर कुर्सी पर जा बैठा और उसने कहा " करवाई शुरु की जाए " उसके इतना कहते ही जाहन्वी और आकाश ने अपनी फाइल जज साहब को दी जिसे वो पढ़ने लगे जैसे ही उन्होंने पूरा पढ़ा वो चौकते हुए जाहन्वी की ओर देखते हुए बोले " मिस जहान्वी .....आप "


    जी सही पढ़ा है आपने जज साहब!! ये केस मेरी ही तरफ से है मिस्टर मुखर्जी के अगेंस्ट "

    जज साहब ने आगे कहा" ठीक है आगे बढ़ते हैं उन फाइल्स को वही रख दिया गया  और वो बोले " और मिस्टर आकाश आप क्या कहना चाहेंगे अपने क्लाइंट के लिए? "

    जज साहब!! मैंने जो अभी थोड़ी पहले आपको फाइल दी थी उसमे कुछ पेपर्स और रखे हैं मिस जहान्वी का मेरे क्लाइंट मुखर्जी पर बेबुनियाद आरोप है की उन्होंने उनके साथ बतामीजी की है ऐसा कुछ भी नहीं मिस्टर मुखर्जी खुद एक बहुत ही सभ्य समाज से है इनके खुद के कितने एनजीओ है जिसमे इतनी सारी बेसहारा लड़किया है और उन्हें मुखर्जी ने शरण दी ऐसे नेक इंसान पर मिस जाहन्वी का इतना सगीन जुर्म लगाना कहा से सही लगता है? "

    मिस्टर आकाश तो आप कहना चाहते की साधु बन कोई कुछ भी करे लेकिन है वो साधु ही राइट ? " जाहन्वी ने कहा।

    साधु है या नहीं पर आपने एक बहुत माने हुए इंसान पर इतना गम्भीर आरोप लगाया है मिस जहान्वी जिसके लिए आप जानती है आप को सजा भी हो सकती है " आकाश ने कहा


    फिलहाल सजा मुझे होगी या आपके क्लाइंट को ये तो बाद में जज साहब ही तय करेंगे अभी के लिए में आपके क्लाइंट के बेटे रिहान मुखर्जी को जज साहब के सामने पेश करने की अनुमति चाहती हूं" जज साहब की ओर देखते हुए उसने कहा


    ऑब्जेक्शन जज साहब!!! " मेरे क्लाइंट के बेटे रिहान का इस केस से भला क्या लेना देना? काबिल वकील साहीबा आपका और इस कोर्ट का वक्त जाया कर रही है " आकाश अपनी बात रखते हुए बोला

    जज साहब मुझे बुलाने की अनुमति दे दो मिनट में ही मैं मिस्टर आकाश के सवाल का जवाब दे दूंगी " बहुत ही शांत तरीके से उसने अपनी बात रखी ।


    ओबेजेक्शन ओवररूल्ड!! " जज साहब ने कहा तो जाहन्वी के चहरे पर हल्की सी मुस्कान खिल उठी उसने उन्हे थैंक्यू कहा और मुखर्जी के बेटे रिहान मुखर्जी को आने को कहा।



    रिहान घूरता हुआ उसे कठघरे में जा खड़ा हुआ जाहन्वी उसके सामने आए और बोली " रिहान मुखर्जी!! आप मुझे बता सकते हैं की आप अपने डैड यानी की शोभित मुखर्जी के साथ कंपनी में किस पोस्ट पर है ? "


    ये कैसे बेतुका ...." आकाश ने बोलना चाह की उसकी बात काटते हुए जाहन्वी ने कहा" मिस्टर आकाश सब्र रखिए और प्लीज बार बार मुझे रोक नही "

    आकाश मन मारकर वापिस बैठ गया , जाहन्वी ने अपनी बात जारी रखते हुए रिहान की ओर मुड़ते हुए कहा" हां तो रिहान बताए किस पोस्ट पर है आप ?

    डायरेक्टर ऑफ बोर्ड का मेंबर हूं " रिहान ने कहा

    ग्रेट !! तो क्या आप कभी कभी तो अपने डैड के साथ मीटिंग में जाते होगे ? नही मेरा मतलब है की वैसे तो आप इतना बिज़ी रहते होगे पर कोई न कोई मीटिंग तो अटैंड करते ही होगे?"

    हां जाता हूं" रिहान ने एक बार फिर जवाब दिया।


    जाहन्वी ने रोज को इशारा किया तो उसने जल्दी से एक पेपर उसे दिया तो जाहन्वी ने उसे जज को देते हुए कहा जज साहब अभी दो दिन पहले जिस मीटिंग के लिए मुखर्जी मेरे से मिले थे वो असल में रिहान के लिए था रिहान दो चार दिन पहले मिस्टर शिवम से मिला था ....मिस्टर शिवम एमएम कंपनी के ओनर है और मिस्टर रिहान के साथ उनकी  मीटिंग थी पर कुछ वजह से शिवम लेट हो गए तो उनकी सेक्रेट्री मिस शीना ने मुखर्जी को ग्रीट किया और ठीक अगले दिन बिना किसी को बताए मिस शीना ने जॉब छोड़ दी हालाकि वो मिस्टर शिवम के साथ पिछले 12 साल से काम कर रही थी "


    लेकिन इससे इस केस का क्या मतलब है मिस जाहन्वी? आप सीधे सीधे क्यू नही बताती है? " आकाश ने कहा ।

    बिलकुल तालुक है मिस्टर आकाश बल्कि मुझे तो हैरानी हो रही है की आप इतने काबिल वकील होकर भी अपने ही क्लाइंट का इतना इंपोर्टेंट प्वाइंट भूल गए ? लगता है इस बार होमवर्क पूरा नही कर पाए कोई बात नहीं मैं आपकी मदद कर देती हूं..... तो मिस्टर शीना को यहां बुलाना चाहती हूं "


    ये क्या हो रहा है जज साहब पहले ये रिहान को बुलाती है उन से न जाने क्या बेफालतू के सवाल करती है और अब शीना ये क्यूं केस को इतना उलझा रही है?" आकाश ने जज साहब से कहा।


    जज साहब!! आप भरोसा करे आप और न्याय के मंदिर का अपमान नहीं होगा " जज साहब कुछ देर तक देखते रहे फिर उन्होंने शीना को बुलाने को कहा


    शीना आई जाहन्वी उसके पास आई और बोली " मिस शीना आप इस सामने खड़े शक्श को पहचान सकती हैं? क्या आप हमे बताएंगी की आप इस शक्श को कैसे और कहां मिली ? "

    शीना ने सामने खड़े रिहान को देखा तो उसके चहरे पर गुस्सा झलक उठा वो उसे जलती हुई नजरों से देखते हुए बोली " इस इंसान को कैसे भुल सकती हूं मैं, इसकी वजह से मुझे कितना कुछ सहना पड़ा, मेरी फैमिली तक ने इससे नही छोड़ा .... " शीना की बात सुन जाहन्वी ने उसे कहा " हम समझते हैं शीना की आप पर क्या बीत रही है पर क्या बता सकती हैं की रिहान ने क्या किया है? "


    मैं इससे शिवम सर के ऑफिस में मिली थी मम सर को देर हो सकती थी इसलिए उन्होंने मुझे कहा की मैं इन्हे कांफ्रेंस रूम में बैठा दू और उनके खाने पीने का ध्यान रखूं मैंने वही किया पर मुझे नही पता की ये इतने घटिया इन्सान होगे इन्होंने मुझसे उस रूम में जो भी कहा उसे कहने में भी मुझे शर्म आ रही है....


    मैं समझ सकती हूं शीना पर कोर्ट को आपको बताना ही पड़ेगा " जाहन्वी ने उसे कहा

    शीना ने उसे देखा और फिर धीरे से बोली " इसने मुझसे कहा की मैं एक रात के लिए....इनके साथ ...." और जब मैंने इन्हे थप्पड़ मारा तब इन्होंने मुझसे कहा की अब ये मुझे जीने नही देगे और न मेरी फैमिली को मैंने अगले ही दिन जॉब छोड़ दी ....कुछ दिनों बाद हमारे घर पर तमाशे होने लगे मुझे न जाने क्या क्या नही कहने लगे मेरी फैमिली को ह्यूमिलेटेड किया जिसकी वजह से वो शहर छोड़कर जाने तक को मजबूर हो गए वो तो शिवम सर हमारी मदद की और मुझे जॉब तक दिलवाई और में इनके खिलाफ केस कर पाई ..... "


    शीना थैंक्यू सो मच जो आपने हमे ये सब बताया अब आप जा सकती हैं" जहान्वी के कहने पर शीना वह से चली
    गई

    तो जज साहब इससे ज्यादा मुझे कुछ भी कहना क्योंकि ये केस से साबित होता हैं की ये कैसे इंसान हैं और उस दिन मिस्टर मुखर्जी जी ने मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही किया जब मैंने इनके केस को लेने से मना कर दिया तो उन्होंने मेरे साथ ऐसा करना चाह और मिस्टर आकाश की ये बात की ये बहुत सभ्य समाज के इंसान हैं वो मैं बस बताना चाहती हूं

    पर आपके इस बात से रिहान पर लगे इल्जाम होते हैं मिस्टर मुखर्जी और आपके बीच हुए बात से क्या लेना देना और मान ले की मिस्टर मुखर्जी जी ने आपके साथ गलत करने की कोशिश की है तो उस दिन का कोई सबूत है आपके पास ? कहा है? आकाश ने कहा


    मिस्टर आकाश मेरे पास सबूत है " जहान्वी ने कहा और एक पेनड्राइव ली और बोली " जज साहब इस पैंड्रिव में उस दिन क्या हुआ था सब है " जहान्वी के इतना कहते ही मुखर्जी के होश उड़ गए... जज साहब ले पाते की मुखर्जी जोर से बोल उठे " ये झूठ बोल रही हैं ऐसा नहीं हो सकता ये नकली है"


    अपने क्लाइंट को इस तरह बोलता देख आकाश ने अपना सिर पीट लिया वो रोकता की मुखर्जी से जाहन्वी ने पूछा " क्यू नही हो सकता और ये नकली क्यों है इसमें सच है " की मुखर्जी बोले " क्युकी उस दिन की फुटेज तो खुद मैंने डिलीट करवा दी थी " उसकी बात सुन जाहन्वी के चहरे पर मुस्कान खिल उठी वही आकाश ने अपना सिर फोड़ लिया था ।



    ...........

    पूरे रास्ते इशिका अपने ही मन में न जाने कैसे कैसी विचार ला चुकी थी उसने आदित्य की ओर देखा और बोली " क्या होने वाला है ईशु यार ये क्या करवाने वाले हैं पैसे ले और मुझे जाने दे न मेरे वर्फिकेशन क्यू करवा रहे हैं? कोई चोर थोड़ी हूं मैं" की आदित्य ने गाड़ी रोकी जिससे इशिका का ध्यान टूटा उसने सामने बड़ी सी बिल्डिंग देखी तो आदित्य को नासमझी से देखने लगी आदित्य उसे समझ चुका था " नीचे उतरो"

    इशिका उतर गई आदित्य ने कहा " तुम्हे मुझे पैसे देने हैं न? " उसकी बात सुन उसने हां में सिर हिलाया

    और अगर मै बोलो मुझे पैसे के अलावा कुछ और चाहिए तो ? आदित्य के इतना कहते ही इशिका की आंखे बड़ी हो गई " क्या ? क्या चाहिए आपको ?" इशिका को इस तरह देख आदित्य उसके पास आने लगा... ये आप ....आप ...." वो पीछे हो जा रही थी आदित्य इशिका के बिलकुल पास आ गया इशिका की सास बिलकुल ही अटक उठी वो झुका ही था की इशिका ने कस के अपनी आंखे बड़ी हो गई , की तभी उसने उसके हाथ से फाइल ली और बोला " आज तुम्हरा इंटरव्यू है और तुम्हे वो क्लियर करना है मुझे ये चहिए समझी तुम और ये क्या तुम ऐसी खडी हुए हो "

    क्या ? इंटरव्यू? इशिका को हैरानी हुए " पर किस बात का इंटरव्यू? और कैसा इंटरव्यू? आप मुझे काम वाली बनने वाले हैं क्या ? देखिए माना की मेरे पास अच्छी जॉब नही है पर इसका मतलब ये नही की आप .....वो बोले जा रही थी की तभी आदित्य ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए हल्के सी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा" क्या बोले जा रही हो ? इतनी बड़ी कंपनी में तुम्हे काम वाली बनाने के लिए लाया होगा क्या ?

    बात तो उसकी भी सही है " अपने मन में खुदी खुद को जवाब देती हुए इशिका बोली की आदित्य ने उसे घूरा और बोला "अब बोलो भी " की इशिका ने आखों ही आंखो में उसे इशारा करा आदित्य थोड़ा सा जो चिढ़ सा चुका था वो बोला " क्या है मुंह से बोलो यहां कोई गेम नही खेल रहा मैं "


    हुऊऊऊऊ" उसने कहा की तभी आदित्य का ध्यान अपने हाथ पर गया जो उसने कब से इशिका के मुंह पर ही था उसने झटके में उसे खीच लिया और इधर उधर देखते हुए बोला " वो ... बस ... सॉरी ... तुम जाओ लेट हो रहा है" इशिका ने कुछ नहीं कहा और गाड़ी से उतर गई .... आदित्य ने उसे देखा तो वो बोली " थैंक्यू सर"


    उसने हां में सिर हिलाया इशिका पलट गई सामने इतनी बड़ी कंपनी को देख इशिका मन ही मन बोली " तुझे करना ही होगा ईशु होगा " वो आगे बढ़ी ही थी की तभी उसे किसी की आवाज़ आयी " चलो यह ही रहना है क्या? उसने देखा तो आदित्य था उसे वहां देख वो बोल पाती की वो बोल उठा " बाद में पहले काम और उसे साथ  लेकर आगे बढ़ गया वो बस उसके साथ चलती चली गई।


    ::::;;;;;;:::::::::::::::::::

    जहान्वी केस जीत चुकी थी एक बार फिर आकाश को मुंह की खानी पड़ी थी जिससे वो गुस्से में वहा से निकल चुका था मिस्टर मुखर्जी को और उनके बेटे दोनो को सजा मिली थी हालाकि उनके बेटे पर जो भी चार्जेस कोर्ट द्वारा लगाए गए थे उनकी सुनवाई जल्दी ही दूसरे तारीख पर हुए थी अपने बाप को जेल में जाता देख रिहान का दिमाग ख़राब हो चुका था वो जाहन्वी की ओर बढ़ा और गुस्से में बोला " तुमने जो किया है न जहान्वी उसकी तो कीमत चुकाओगी"  और जैसे ही उस पर हाथ बढ़ता की तभी किसी ने बीच में आकर उसे रोक दिया वही जाहन्वी ने जैसे ही उसको देखा उसकी आंखे बडी हो गई वो धीरे से बोली" फिर " तो वही रिहान अपने साथ खड़े शक्श को देखा और बोलता की तभी वो शक्श बोल उठा" कोशिश भी मत करना वरना इस बार वक्त मिला है लेकिन मै न वक्त देता हूं न सुनवाई सीधे सजा देता हूं  "

    रिहान उसकी आंखो में देख रहे गुस्से को देख कुछ बोल न सका और वहां से चला गया वो उसे जाते हुए देखता रहा और जैसे ही पलटा जाहन्वी उसे घूरते हुए देख रही थी उसे इस तरह देख वो मन ही मन बोला " अब क्या करेगी ये बेटा राहुल सोच कुछ वर्ना कही ये तुझे आज जेल माया के डर दर्शन न करा दे "

    तुम यहां क्या कर रहे हो ,? " जहान्वी ने घूरते हुए पूछा , की राहुल बोला " क्या कर रहा हूं से क्या मतलब है आपका मैं तो किसी काम से आया था एह से गुजर रहा था तो देखा आप है तो बस ....और फिर आप को क्या हुआ आप केस जीत गए न " उसने जैसे ही बोला जाहन्वी ने कहा" हां "


    राहुल हल्का सा मुस्करा दिया की जहान्वी ने रोज की ओर देखा तो वो अपना सामान रखने लगी थी जाहन्वी भी निकलने लगी की राहुल उसके साथ ही  चलने लगा रोज बोली " मम चलो आपको घर छोड़ दूं "

    नो इट ओके तुम जाओ लेट हो गया है आज अब घर जाओ" जहान्वी ने माना करते हुए कहा

    पर मम आपका पैर की तभी राहुल की नजर जहान्वी के पैर पर पड़ी जो सूझ चुका था उसकी आंखे बड़ी हो गई वो एकदम से बोला " रोज आप जाइए मैं इन्हे घर छोड़ दूंगा "


    क्यों मुझे कोई जरुरत नहीं है और तुम क्यूं छोड़ोगे " जाह्नवी ने कहा

    ताकि कुछ वक्त मेरा भी हो " राहुल ने जैसे ही कहा , जहान्वी ने उसे घूरा और बोली " क्या बोले ? "

    क्या बोला ? अभी आपने ही तो कहा की रोज को देर हो रही है अब वो आपको छोड़के नही आ सकती तो फिर खुद से जा नही पाएगी तो मैं हूं न और वैसे भी मुझे आपके केस का सुनना भी है क्यूकि ये केस हुआ तो मेरे सामने ही न "

    जहान्वी ने उसे घूरा की राहुल ने उसे नजनदाज किया और गेट खोल दिया जहान्वी कुछ नहीं बोली और बैठ गई रोज़ भी निकल गई राहुल भी जहान्वी को लेके निकल गया रास्ते में वो जहानवी को केस के  बारे में पूछता रहा दोनो घर आए जाहन्वी उतरी और कुछ बोलती की तभी राहुल ने आगे बढ़कर उसे गोदी में उठा लिया उसकी ये हरकत से वो बुरी तरह चौक उठी।

  • 9. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 9

    Words: 2323

    Estimated Reading Time: 14 min

    राहुल की इस हरकत से जाहन्वी बुरी तरह से चौक उठी , आस पास के लोग भी उसे देखने लगे की उसने हल्के गुस्से में उसकी ओर देखते हुए कहा " ये क्या कर रहे हो ? नीचे उतारो मुझे ? "

    क्या कर रहा हूं? आपको उठाकर लेकर जा रहा हूं " उसने कहा

    उसका यूं ही जवाब पाकर वो कुछ बोल पाती की वो उसे देखते हुए धीरे से बोला " अब मौका मिला है तो एंजॉय कर लो " उसने जैसे ही कहा जाह्नवी ने अपने हाथ का नाखून उसकी गर्दन के पास हल्का सा गाढ़ दिया

    आउच " वो बोल उठा , उसे इस तरह बोलता देख बाकी सब भी देखने लगे वही खड़ी एक औरत जो दोनो को ही देख रही थी वो मुंह चढ़ाते हुए अपनी दोस्त से बोली " आजकल के लड़के लड़कियों को तो कोई शर्म ही नहीं आती देखो तो कैसे .... छी .... हमारी उम्र में तो ऐसा करने की हम सोचते भी नहीं थे "

    अजी आंटी अगर इतना ही आपको जानना है तो मेरे घर पर आकर आराम से देख लेना हमे फिर बोल लेना वैसे आपकी बेटी कल रात किसी लड़के के साथ आई थी आपने पूछा नही ....नही वो बस इसलिए आपके घर में ये सब ...." जहान्वी की बात सुन आंटी एकदम से चुप हो गई और वहा से खिसक गई...... राहुल की ओर उसने देखा तो वो एकदम से बोल उठी " क्या ? क्यू देख रहे हों ऐसे ?

    मैं ये देख रहा हूं आपने उन्हे सुनाया ? " राहुल ने कहा

    हां तो ? वो गलत सोच रही है इस बात से मुझे फर्क है पड़ता बट वो इतना भी चुप नही रहना चाहिए कि कोई भी बात सुन ली जाए ... मैं भी उनकी बेटी जैसी ही हूं उन्हे तुम्हे मुझे इस तरह लाना तो दिख गया पर मेरे पैर में चोट लगी है ये नही देखा ? माना ये सोसाइटी है यहां गलत नजर देखी जाती हैं पर उस गलत नजर को सही करना भी हमारा ही काम है समझे "

    उसकी बात सुन राहुल के चहरे पर मुस्कान खिल उठी, वो उसे घर लाया और नीचे खड़ा किया " चाबी दो लाओ खोल दूं "

    मैं कर लुंगी " जाहन्वी ने कहा

    मैं भी कर लूंगा " उसने भी उसी तरह जवाब दिया

    पर मैं ठीक हूं और थैंक यू मेरी हेल्प के लिए अब तुम जा सकते हो " जाहन्वी ने कहा

    कैसी हो यार आप एक तो मैं तुम्हे हेल्प करके यहां तक लाया और आप हो की मुझे घर के अंदर आने की जगह बाहर से ही भेज रही है " राहुल ने मुंह बनाते हुए कहा

    जाहन्वी ने उसे घूरा और दरवाजा खोल दिया , वो अभी भी मुंह बनाए उसे देख रहा था की तभी वो बोल उठी " नौटंकी मत करो आओ अंदर " उसकी बात सुन राहुल के चहरे पर झट से मुस्कान आ गई उसने तुरंत जाहन्वी का हाथ पकड़ा और उसे अंदर लाते हुए बोला " वो तो मुझे पता था आप मुझे माना नही करोगी पर बिना परमिशन के आपके घर के अंदर थोड़ी आता मैं अब आप बैठो और मै अभी आया " राहुल ने उसे वही चेयर पर बैठाते हुए कहा


    उसने कुछ नहीं कहा और किचन में चला गया..... " ये कर क्या कर रहा है और बैठा तो ऐसे गया जैसे मैं इसके घर पर हूं न की ये मेरे "

    वो अभी बडबडा ही रही थी की तभी सामने से हाथ में एक छोटा सा टब और टॉवेल कंधे पर लिए वो आ रहा था जाहन्वी ने उसे देखा तो बोली " अब क्या घर के काम करने वाले हो तुम "

    आप बोलो तो वो भी कर लूं " उसने मुस्कान देते हुए कहा

    जिससे वो चिढ़ उठी , उसने वो टैब नीचे उसके पैरो के पास रखा और झुकते हुए उसके पैर पकड़ने को हुआ की तभी उसकी ये हरकत देख जाहन्वी चौकते हुए बोल उठी " ये कर रहे हो ???

    आप तो अभी से शरमाने लगी मिस ट्रेन" राहुल ने तंग करते हुए कहा

    जाहन्वी ने उसे घूरा की तभी वो एकदम से बोल उठा " मिस ट्रेन !! मुझे बाद में घूर लेना पर अभी आप इस गुनगुने पानी में अपना पैर डाले और थोड़ी देर बैठे जाए थोड़ा आराम मिलेगा देखिए तो कितना सूजन है सिखाए से आराम मिलेगा "

    उसने उसके पैर पकड़े की तभी जाहन्वी बोल उठी" मैं कर लुंगी थैंक्यू " उसने अपने पैर डाल लिए वो मुस्कुरा उठा उसने उसे टॉवेल दी और बोला " कुछ देर बाद इससे आप पैरो को पोंछ लेना "

    हुऊऊ" उसने धीरे से कहा

    राहुल उसके पास आया और धीरे से उसके गाल पर हाथ रखा और बोला " आप यही बैठो तब तक मैं आपके लिए कुछ बना कर लाता हूं"

    जाहन्वी कुछ बोलती तब तक वो किचन में बढ़ गया वो उसे जाते हुए देखती रह गई .... अनायास ही उसके हाथ अपने गाल पर चला गया जिससे उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान उतर आई

    आप हस सकती है " किचन में काम कर रहे राहुल ने जैसे ही कहा जाहन्वी हड़बड़ा उठी " ऐसा कुछ नहीं मैं बस बैठी थी और तुम न मुझ पर ध्यान देना बंद करो अगर मेरा किचन बिगड़ा न तो तुम्हे बिगाड़ दूंगी "

    मैं तो तैयार हुं" राहुल ने कहा और हस पड़ा , जहान्वी खीज उठी ।




    :::::::::::::::::::::::::::::::::::::
    अर्थ ने श्रृष्टि का दिमाग तो इन सब से बाहर निकाल दिया था लेकिन उसे परेशानी हो चुकी थी वो घर लौटा और अपना बैग वही बेड पर रख कर बैठ गया " मुझे पता करवाना ही होगा की गौरव क्यों आया है क्या सच में उसे श्रृष्टि से माफी मांगनी है या इस बार भी कोई न कोई बात है? मैंने श्रृष्टि को तो समझा दिया है पर वो अभी भी तो परेशान नही होगी न ? आज स्कूल में भी कितनी परेशान हो गई थी पूछ लेता हूं "


    खुदी से बात करते हुए राज ने अपना फोन निकाला और श्रृष्टि को फोन लगा दिया ।


    तो वही दूसरी ओर अपने कमरे में बैठी श्रृष्टि अपना सामान समेट रही थी की तभी उसका फोन बज उठा उसने देखा तो अर्थ का कॉल था उसका कॉल देखते ही सृष्टि के चहरे पर मुस्कान खिल उठी उसने फोन उठाया कुछ देर तक दोनो के बीच खामोशी बनी रही की अर्थ ने उस खामोशी को तोड़ते हुए कहा " ठीक है आप अब ?

    हम्मम्म " श्रृष्टि ने धीरे से कहा, एक बार फिर दोनो चुप हो गए क्या बोले क्या करे समझ नहीं आ रहा था की दोनो एक साथ बोल उठे " कुछ खा लिया" एक साथ दोनो को बोलता देख वो चौक उठे पर अगले ही पल दोनो हस पड़े ...... " आपने खाया राज ? आप घर तो आ गए होगे न "


    हां आ गया था बस अभी आकर बैठा हूं अभी कुछ बनाऊंगा " उसने कहा

    क्या सैंडविच ? सृष्टि ने जैसे ही कहा अर्थ का मुंह बन गया

    नहीं कुछ और सोच लूंगा नहीं तो बाहर से मांगा लूंगा " अर्थ ने कहा


    श्रृष्टि आगे बोलती की तभी राज बीच में बोल उठा " अच्छा श्रृष्टि आपसे बाद में बात करता हूं किसी का कॉल आ रहा है "

    हां ओके बाय" श्रृष्टि ने प्यार से कहा

    अर्थ ने फोन काट दिया श्रृष्टि कुछ सोचती है फिर फोन रखकर बाहर की ओर निकल जाती हैं।


    ::::::::::::::::::::::::::
    इशिका को इतने बड़े ऑफिस में बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था वो कभी भी इतनी बड़ी जगह नही आई थी ऑफिस के सारे लोग भी उसी की ओर देखे जा रहे थे जिससे उसकी घबराहट और बढ़ चुकी थी उसने अपने साथ चल रहे आदित्य की शर्ट का छोटा सा हिस्सा तुरंत जोर से अपने हाथ में ले लिया आदित्य ने देखा वो कुछ बोलता की इशिका का चेहरा देख वो चुप हो गया उसने उसका हाथ पकड़ लिया इशिका ने उसकी ओर देखा तो वो बोला " डोंट वरी आई एम हेयर"

    इशिका को न जाने क्यों उसकी बातो पर विश्वास था आदित्य उसे लेकर एक केबिन में आ गया उसने उसे वही चेयर पर बैठाया और कहा " तुम यही बैठो मैं अभी आया " वो मुड़ा और जाने लगा की तभी इशिका एकदम से बोल उठी " आप मुझे यहां अकेले छोड़कर तो नही जायेंगे न "

    आदित्य चौंकते हुए उसकी ओर देखने लगा इशिका ने अपनी नजरे चुराते हुए धीरे से कहा " नहीं मेरा मतलब वो ..... नही.....की " की तभी वो बोल उठा " यही हूं कही भी नहीं जा रहा डरो मत" और केबिन से चला गया इशिका उसे जाते हुए देखती रही फिर वही बैठ गई आदित्य यहां है  उसे इस बात की तस्सली थी .....


    आदित्य केबिन से बाहर निकला और किसी को फोन लगा लिया एक दो घंटी के बाद ही सामने वाले ने फोन उठा लिया " हां भाई " उसकी आवाज सुन आदित्य बोल उठा " कहां है तू? मैं तेरे ऑफिस आया था पर तू तो यहां भी नहीं है सब ठीक तो है ? आदित्य की फिक्र देख वो बोल उठा " हां भाई मैं ठीक हूं और मैंने पवन को बोल दिया है वो सब देख लेगा बाकी मैं आता हूं जल्दी "

    राहुल की बाते सुन आदित्य बोल उठा" थैंक्यू राहुल " की राहुल ने मुंह बनाते हुए कहा" क्या भाई अब आप मुझे थैंक्यू बोलेंगे ? चुप रहिए और वैसे भी मैंने जो भी किया वो मेरे फायदे के लिए ही तो किया आप मुझे इतनी अच्छी भाभी लाकर देने वाले हो तो हुआ न मेरा फायदा" राहुल ने उसे तंग करते हुए कहा की तभी आदित्य नाराज होते हुए बोल उठा

    " बस ज्यादा मत सोच और जल्दी आ जा तेरा मिलना भी तो जरूरी है"

    ओके भाई मैं आता हूं पर अभी किसी काम में हू और उसे नही छोड़ सकता लेकिन में निकलता हूं जल्दी ही " राहुल ने कहा की तभी किचन से सीटी की आवाज़ सुन आदित्य चौक उठा " तू किचन में है ? " आदित्य की बात सुन राहुल एकदम से हड़बड़ा उठा " अच्छा मुझे काम है रखता हूं" और फोन काट देता है

    इसे क्या हुआ ? " आदित्य ने फोन की ओर देखा फिर जेब मे रखते हुए केबिन की ओर वापिस बढ़ गया ।


    दूसरी ओर राहुल ने एक गहरी सांस ली और बोला " बच गया वर्ना अगर भाई को पता चल जाता की मैं किचन में हूं तो मुझे पूछकर तंग कर देते की तभी उसके चहरे पर मुस्कान खिल उठी वो अपने आप से बोला " क्या क्या नही करवा देती आप मिस ट्रेन मेरे से " उसने कहा और मुस्कुराते हुए अपनी मिस ट्रेन के लिए कुछ अच्छा सा बनने लगा ।


    थोड़ी ही देर में राहुल ने सैंडविच और चाय ट्रे में ली और मुस्कुराते हुए बाहर आते हुए बोला " ये लो मिस ....की तभी उसकी नजर सामने सो रही जहान्वी पर गई उसे यूं मेज़ हाथो के बीच में सिर रखते हुए सोता देख मुस्कुरा उठा उसने वही आके धीरे से मेज़ पर ट्रे रखी और सोते हुए जाहन्वी को देखने लगा वो सोते हुए बिलकुल मासूम सी लग रही थी " कितनी प्यारी लग रही है ये सोते हुए पर उठते ही भूचाल ला देगी , वो हल्का सा हस पड़ा पर उठना ही पड़ेगा " उसने कहा और जाहन्वी की ओर धीरे हाथ बढ़ाते हुए बोला " मिस ट्रेन " मिस ट्रेन "!! जाहन्वी ने सुना तो धीरे से अपनी आंखे खोलते हुए देखने लगी की राहुल ने कहा " लो  ये खाओ अच्छा लगेगा " जाहन्वी ने ट्रे की ओर देखा तो हैरान रह गई उसने राहुल की ओर देखा और बोली" ये तुमने बनाया है सच में? "

    उसकी बात सुन राहुल उसके पास आ उठा उसकी ये हरकत देख वो एकदम से हल्के गुस्से में बोली " क्या ... क्या कर रहे हो? पीछे ...." राहुल धीरे से उसके कान के पास अपने होठ लाते हुए बोला " खाकर देख लो आप शायद आपको स्वाद पसंद आ जाए "

    राहुल को अपने करीब देख जहान्वी की सास अटक रही थी उसने खुद को संभाला और गुस्से में पीछे करते हुए बोली " तो ये बात न वहां खड़े होकर भी बोल सकते हो बहरी नही हुं मैं..... और मुझे भूख भी नहीं है तुम ही खा लो "

    राहुल हल्का सा मुस्कुरा उठा ,  वो उसके पास वाली चेयर पर बैठते हुए बोला " ठीक है मत खाओ पर मुझे तो भूख लगी है और वैसे भी आप नही खायेंगी तो थोड़ी पतली........... राहुल आगे बोल पता की जाहन्वी ने एकदम से प्लेट उठाते हुए कहा " वे मेरा है समझे तुम्हे खाना है तो दूसरे बना लाओ और मुझे मोटी बोला तुमने ? मेरी मर्जी मैं खा रही हूं" और खाने लगती है वही जाहन्वी को खाते हुए देख राहुल मुस्कुरा उठा क्युकी जो वो चाहता था आखिर उसने कर ही दिया था ।

    की तभी राहुल का फोन बज उठा उसने देखा तो उसके चहरे के भाव बदल उठे जाहन्वी ने उसकी ओर देखा तो वो बोला " आप खाओ मैं जरा आया " और फोन लेकर चला गया जाहन्वी उसे जाते हुए देखती रही


    थोड़ी देर में वो लौटा " क्या हुआ तुम परेशान क्यों हो गए ? " राहुल को परेशान देख उसने पूछा की उसने उसे देखा और पास आते हुए बोला " आप को मेरी अभी से परवाह होने लगी है मिस ट्रेन कही सच में तो स्वाद का असर हो गया है? "

    ओह गॉड !! तुमसे तो पूछना ही बेकार है " जाहन्वी ने मुंह बनाते हुए कहा

    राहुल हल्का सा मुस्कुराते हुए उससे बोला " आपसे एक बात बोलूं मिस ट्रेन? " जाहन्वी ने उसकी ओर देखा तो वो बोला " आप चाहे कितनी भी मोटी क्यों न हो जाए मुझे तो कोई दिक्कत नही होगी " उसने  आंख मारी और हस्ते हुए वह से चला गया वही जाहन्वी का मुंह खुला का खुला रह गया।


    राहुल गाड़ी में बैठा और सीधे निकल गया लेकिन अब उसके चहरे के भाव बदल चुके ये जिससे देख हर कोई कांप जाए।

  • 10. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 10

    Words: 2993

    Estimated Reading Time: 18 min

    राज को समझ नहीं आया की श्रृष्टि ने उसे क्यों वहां बुलाया ये सब सोचते हुए वो चौराहे पर जा पहुंचा " श्रृष्टि ने क्यू बुलाया है? बात भी नहीं बताई है वो इधर उधर घूमते हुए उसका इंतजार कर रहा था की तभी उसे किसी ने आवाज दी " राज " उसने आवाज सुनी और पलटा की तभी अपने सामने उस शक्श को देखते ही उसके चहरे के भाव बदल उठे......... वो शक्श हल्की सी मुस्कान लेते हुए उसकी ओर आया और अपना हाथ बढ़ाते हुए बोला " राज !!! ये ही नाम है न तुम्हरा"

    हां " उसने एक छोटा सा जवाब दिया , की वो शक्श आगे बोला " मेरा नाम गौरव है मैं तुम्हे .... गौरव का जिक्र सुनते ही अर्थ की आंखे चढ़ उठी वो बेहद सख्त होते हुए बोला " क्या करने आए हो यहां? मुझेसे बात करने का कोई मतलब नही तो मुझसे दूर रहो और उससे भी ज्यादा श्रृष्टि से दूर रहो उसे परेशान करने की कोशिश भी अगर तुमने की तो याद रखना की मुझसे बुरा तुम्हरे लिए कोई   नहीं होगा "

    अरे..... तुम तो पूरी बात जाने बिना ही मुझ पर भड़क गए दोस्त .... मैं तो बस ये कहने आया था तुम श्रृष्टि का इतना खयाल रखते हो उसकी इतनी परवाह करते हो ये देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा.... वैसे सच बोलो तो जो भी मैंने उसके साथ किया मानता हूं गलत है..... पर मुझे मेरी गलती का एहसास हो चुका है और उसे लेकर ही तो मैं उससे माफी मांगने भी गया था पर वो तो मुझे माफ क्या मेरे से बात करने तक को भी तैयार नहीं है क्या करू कुछ समझ ही नही आया तो फिर सोचा कि तुमसे मिलकर देखता हूं अब उसके इतने अच्छे दोस्त हो ..... वो तुम्हरी इतनी सुनती है एक बार मेरी बात...." वो इतना ही बोल पाया था की तभी सामने से आवाज़ सुन दोनो का ध्यान उस ओर हो गया" राज मैं आपके .." हाथ में टिफिन बॉक्स को देखते हुए वो उसके पास ही आ रही थी की तभी उसकी नज़र दूसरी ओर खड़े गौरव पर पड़ी जिसे देखते ही उसकी आंखो की पुतलियां बदल उठी , चहरे पर गुस्सा उतर आया " तुम यहां क्या कर रहे हो ?? " वो बोल उठी।

    गुस्सा मत हो श्री...." की एक बार फिर वो उसकी बात काटते हुए बोली " डोंट इवन ट्राई टू से आई एम ऑनली श्रृष्टि फॉर दा स्टेंजर्स सो डोंट कॉल मि अगेन श्री यू गेट डट " उसकी बात सुन गौरव एक पल को चुप हो गया तो वही राज के चहरे पर मुस्कान खिल उठी श्रृष्टि ने आगे कहा" तो क्या बोलना है तुम्हे ? क्युकी जब तक तुम बोल नही लोगे तब तक यू मक्खी बन पीछे घूमते रहोगे तो उससे अच्छा है की अपनी बकवास पूरी करो और निकलो यहां से "


    गौरव को गुस्सा आ गया वो थोड़े गुस्से में बोला " बहुत ज्यादा बोल रही हो तुम मै तुमसे माफी मांगने आया था पर तुम तो और वैसे भी तुम को क्या लगता है ऐसे बोलने से तुम बदल जाओगी? एक पल को मुझे लगा था की मैंने तुम्हरे साथ जो किया वो गलत था पर अब तो मुझे लगता है की शायद मैं सही था तुम ऐसी...." उसने राज की ओर देखते हुए उसे तंज कसा की राज का गुस्सा बढ़ गया वो आगे आता की श्रृष्टि ने आगे बढ़कर गौरव की आंखो में आंखे डालते हुए कहा " अगर अपने हुलिए से जरा सा भी प्यार है तो यहां से अभी के अभी निकल लो वरना जितनी तुम्हरी सोच नीची है उससे ज्यादा तुम नीचे पड़े होगे एंड ट्रस्ट मी तब मुझे ये कहने में बिलकुल बुरा नहीं लगेगा की तुम जैसे थे उससे कहीं ज्यादा घटिया और गिरे हुए हो ..." गौरव का चहेरा गुस्से से भर गया श्रृष्टि ने मुस्कराते हुए उसे जाने का इशारा किया की उसने एक नजर राज और उस पर डाली और वहां से चला गया , श्रृष्टि उसे जाते हुए देखती रही उसने एक गहरी सांस ली और राज की ओर मुड़ गई ।

    आई एम सॉरी राज मेरी वजह से . " श्रृष्टि ने धीरे से कहा की राज  बोल उठा" आई एम प्राउड ऑफ यू श्रृष्टि आज मुझे सच में पता चल गया की आपका गुस्सा तो बडा खतरनाक है " राज  की बात सुन श्रृष्टि हल्की सी मुस्कुरा दी राज  ने उसके हाथ में टिफिन देखा और बोला " वो ठीक है पर अभी के अभी जल्दी से मुझे हॉस्पिटल में फोन करना पड़ेगा "


    क्यों?? क्या हुआ ? श्रीष्टि थोड़ी परेशान सी बोली की राज ने कहा" इतनी अच्छी खुशबू आ रही है और बस मैं खा नही पा रहा तो इस खुशबू से मेरा क्या होगा " उसने मासूमीयत से उस टिफिन को देखते हुए कहा।


    ओह!! वो इन सब में ये भूल ही गए और वैसे भी तुम्हे ये सिर्फ खुशबू से ही नहीं बल्कि ये तुम्हरे लिए ही लाई हूं तुम रोज कभी सैडविच कभी खिचड़ी ही खाते हो तो आज मेरे तरफ से मटर पुलाव खाओ " श्रृष्टि ने उसकी ओर बढ़ाया की राज खुश होते हुए बोला " वहाओ पुलाव थैंक्यू  श्रृष्टि " की श्रृष्टि बोली " पर एक चीज रह गई, वो उदास सी हो उठी और बोली " मैंने गाजर का हलवा बनाया था पर वो थोड़ा जल गया तो मीठा नही है"


    उसे यू उदास देख राज  उसके थोड़ा पास आया और उसकी ओर देखते हुए बोला " किसने कहा मीठा नही है?" श्रृष्टि उसे देखने लगी की वो बोला " आपके हाथो से बना हुआ खाना है मीठा हो गया न और आई लव मीठा " ये बोलते हुए वो मुस्कराते हुए आगे बढ़ गया वही श्रृष्टि के गाल उसकी बात सुन लाल हो उठे ।

    ..............

    आदित्य वापिस केबिन में लौटा की इशिका परेशान सी थी उसे इस तरह देख आदित्य उसके पास आते हुए बोला  इशिका परेशान मत हो सब अच्छा होगा " उसकी बात सुन उसने उसकी ओर देखा और बोली " सर मुझे बहुत घबराहट हो रही है आपने देखा न बाहर कितने अच्छे से लोग आए हैं और मैं? मुझे तो सही से कुछ भी नहीं आता है अगर उन्होंने कुछ ऐसा सवाल पूछ लिया जो मुझे नहीं आता हुआ तो ? या कुछ उल्टा पुल्टा हो गया मेरे से तो? नही नही सर आपकी भी इंसल्ट होगी मैं कोई इंटरव्यू नहीं दूंगी ..... चलिए वापिस ...." वो अपने ही धुन में बोलती हुए आगे बढ़ती की आदित्य ने उसे पकड़ा और बोला " चुप क्या बोल रही हो तुम ? क्या सोच रहा हो ? पागल हो गई हो क्या ? तुम इंटरव्यू दोगी मतलब दोगी बिना इंटरव्यू के तुम कही नही जा रही समझी तुम "

    उसकी बात सुन उसने धीरे से कहा" पर मेरे से नहीं होगा आप मुझे इतने भरोसे से यहां लाए हो अगर मेरे से कोई भी गलती हो गई तो आपसे कैसे नजरे मिला पाऊंगी ? उसकी बात सुन आदित्य ने एक गहरी सांस ली और बोला मुझे देखो लुक एट मि" इशिका ने उसकी ओर देखा तो वो बोला " तुम सिलेक्ट होती हो या नही ये मैटर नही करता मैटर करता है तुम्हरी कोशिश की तुमने क्या किया यहां बैठे लोगों के लुक्स उनकी स्टाइल कपड़े कुछ भी जज नही होगा अगर कुछ होगा तो सिर्फ और उनकी कैपेबिलिटी, उनका काम देन तुम इन बिना कुछ प्रूफ किए जाना चाहती हो ? और रही मेरे ईमेज की बात तो अगर तुम्हे सच में ऐसा लगता है की मेरे ईमेज को एफेक्ट होगा तो बिना कुछ किए जब तुम यहां से भाग जाओगी तब मुझे बुरा लगेगा "



    वो उसे देखने लगा की इशिका ने अपनी फाइल्स हाथ में ली और गेट की ओर बढ़ गई आदित्य उसे देख रहा था की तभी वो बिना मुड़े ही बोली " सर टाइम हो गया है इंटरव्यू का देर नहीं करना चाहिए " उसने कहा और केबिन से निकल गई वही उसकी बात सुन आदित्य के चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।


    .................…

    कुछ भी बोलता है ये " अपने आप से बात करती हुए जाहन्वी बोल रही थी की तभी उसका फ़ोन बज उठा उनसे देखा तो उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई उसने फ़ोन उठाया ही था की सामने एक प्यारी सी आवाज़ आई " हैलो दी थैंक यू सो मच दी..… थैंक यू.…... थैंक्यू " उस चहकती हुई आवाज़ को सुन जहान्वी ने प्यार से कहा " इतने सारे चलो एक ले लेती हूं" वो उसकी बात सुन हस पड़ी।


    तुम खुश हो मुझे और कुछ नहीं चाहिए हमेशा इसी तरह से खुश रहना " जहान्वी ने कहा, की उसकी बात सुन वो लड़की ने कहा" आप हो तो सब अच्छा है, सच बोलो दी अगर आप मुझे नहीं समझते तो शायद ही मैं उससे बात कर पाती मुझे तो समझ नहीं आ रहा था की क्या करु? मुझे कुछ भी नहीं समझ नहीं आ रहा था बट आपके एक कॉल ने मुझे हिम्मत दी की मैं कर सकती हूं एंड आपके और अर्थ की वजह से हम उसे मुंह तोड़ जवाब दे पाए "


    श्रृष्टि की बात सुन जाहन्वी ने कहा" मैंने कुछ भी नहीं किया है श्रृष्टि जो कुछ किया है खुद तुमने किया है एंड आई एम प्राउड ऑफ यू बस अब कभी ये मत सोचना की तुम कुछ नहीं कर पाओगी श्रृष्टि जो जैसा है उसे उसी तरह समझना पड़ता है और गौरव जैसे लोग वही भाषा समझते हैं "


    यू राइट दी" श्रृष्टि ने कहा, " अच्छा ये सब छोड़ो और वे बताओं राज के लिए जो खाना लेकर गई थी उसे अच्छा लगा? " जहान्वी ने पुछा की तभी श्रृष्टि को राज की बात एक बार फिर जेहन में घूम उठी "आपके हाथो से बना हुआ खाना है मीठा हो गया न और आई लव मीठा " उसके चहरे पर मुस्कान और शर्म उतर आई की श्रृष्टि को खयालों में खोया हुआ देख जहान्वी बोली " क्या हुआ अभी से खो गई तुम तो "


    नहीं.... नही दी ऐसा कुछ भी नहीं आप भी न " श्रृष्टि ने कहा तो वही उसकी हड़बड़ी देख जहान्वी हस पड़ी।

    जहान्वी ने उसे कोर्ट जाने से पहले फोन किया था तब श्रृष्टि ने उसे बताया था तभी जहान्वी ने उसे समझाया था यहां आपको बता दूं कि श्रृष्टि और जाहन्वी एक दूसरे को जानते हैं और अच्छे दोस्त के साथ साथ जहान्वी उसकी बड़ी सिस्टर भी है जिन में एक प्यारा सा रिश्ता है, की तभी श्रृष्टि के फोन पर फोन आता है तो वो बोलती है अच्छा दी हम आपसे बाद में बात करते हैं काल आ रहा है आप अपना ध्यान रखना"

    ओके चलो बाय " जहान्वी ने कहा और फोन रख दिया और गहरी सांस लेते हुए बोली " चल बेटा इसे किचन में रखकर आते हैं" उसने प्लेट ली और धीरे धीरे किचन की ओर बढ़ गई उसने प्लेट वहीं सींक में रखकर धोई और वापिस जाने लगी की तभी उसकी नज़र स्लैप पर रखे लॉकेट पर पड़ी " ये " ? उसने ये सोचते हुए उठा लिया

    ये किस का है ? " मेरा तो नहीं है? " वो उसे देखते हुए बोली की तभी उसे याद आया तो एकदम से बोली " कही ये उसका तो नही? यहां रह गया ? अब क्या करूं? मेरे पास तो उसका नंबर भी नहीं है? " जहान्वी सोचने लगी


    एक काम करती हूं कल रोज को बोल दूंगी वो ही ऑफिस में दे आएगी उसके " की तभी वो अपने आप को रोकते हुए बोली " नहीं जहान्वी उसने तेरी इतनी हेल्प की है और तू उसे सही से थंक्यू भी नहीं बोला एक काम करती हूं कल उसके ऑफिस जाकर उसे दे आऊंगी और थैंक्यू भी बोल दूंगी "


    हां हां ये ठीक है" वो खुद ही से बोल रही थी की तभी उसे राहुल की बात याद आ गई जिसे याद करते ही उसका मुंह बन गया " मैं और मोटी नेवर "


    ............

    राहुल एक जगह पर था की तभी एक शख्स तेज़ी से उसकी ओर भागता हुआ आया और बोला " सर आप मिल सकते है " राहुल ने एक नजर उस शक्श की ओर देखा और सीधे अंदर बढ़ गया उस के पीछे पीछे वो शक्श भी चल दिया राहुल अंदर आया की एक  आवाज़ वहा आई उस आवाज़ को सुन साफ अंदाजा लगाया जा सकता था की वो काफी डरा हुआ है पर गुस्से में इधर उधर अंधेरे में देखते हुए बोला " क्या है क्यों लाए हो मुझे ? मेरे से क्या मतलब है? " वो बोल रहा था की राहुल उसके पास आते हुए बोला " मतलब तो तुम मुझे बताओगे जो मैं पूछूंगा उसकी आवाज सुन उस शक्श ने उसकी ओर देखा और बोला " क्या मतलब और तुम हो कौन ? "


    राहुल के चहरे पर एक कातिल मुस्कान उतर आई उसने अपने साथ खड़े शक्श से कहा " इससे पूछो जो में जानना चाहता हूं और जब तक ये न बताए इसको नीद नहीं आनी चाहिए अगर एक मिनट भी ये सोए तो इसे ऐसा थप्पड़ जड़ना की उसकी गूंज इतनी तेज़ हो की ये चाहकर भी सो न पाए "


    उस शक्श ने हां में सिर हिलाया तो वही वो दूसरा शक्श राहुल की बात सुन चौंकते हुए बोला" ये क्या कर रहे हो ? तुम ..... तुम  .... क्या चाहते हो " राहुल ने उसकी ओर देखा और कहा " सच और वो भी बिलकुल सच अगर एक भी शब्द तुम्हरे मुंह से झूठ हुआ तो उसके बाद तुम्हरे साथ क्या होगा ये तुम देख लेना शाम तक का वक्त है तुम्हरे पास " उसने कहा और तेज़ी से वहां से निकल गया, वो शक्श किसी भूत की तरह बस राहुल को जाते हुए देखता रह गया।


    इशिका का इंटरव्यू पूरा हो चुका था आदित्य बाहर उसका ही इंतजार कर रहा था की तभी दरवाज़ा खुला और इशिका बाहर आई उसे बाहर आता देख आदित्य एकदम से उसकी ओर बढ़ा और बोला थोड़ा चौकते हुए बोला " क्या हुआ? तुम्हारा इंटरव्यू कैसा हुआ? क्या बात हुई? " इशिका चुप सी उसके सामने खड़ी थी उसे चुप देख आदित्य कुछ बोलता की तभी वो रोने लगीं उसे रोता हुआ देख आदित्य बोला " इशिका रो नही..... अगर सिलेक्शन न..." वो आगे कहता की वो रोते हुए बोली " मुझे जॉब मिल गई सर "

    कोई... की तभी उसे याद आया की इशिका ने क्या कहा वो हैरानी से बोला " क्या बोला तुम्हे जॉब मिल गई ? " उसकी बात सुन उसने हां में सिर हिलाया और आदित्य के गले जा लगी .... " हां सर सच में " वही आदित्य तो जम चुका था की इशिका को होश आया तो वो एक झटके में आदित्य से अलग हो इधर उधर देखने लगी" सॉरी....वो ...." आदित्य ने कुछ नहीं कहा दोनो नजरे चुरा रहे थे की तभी इशिका का फ़ोन बज उठा उसने अपना फ़ोन निकाला और उठाते हुए बोली " हेलो " की सामने से किसी ने कुछ कहा जिसे सुनते ही इशिका के हाथ से फ़ोन छूट गया वो दो तीन कदम लड़खड़ा गई " इशिका " आदित्य ने उसे संभाला "  क्या हुआ? " उसने भीगी पलकों से आदित्य को देखा और लड़खड़ाते हुए बोली " मनु "  मनु का नाम सुन आदित्य भी हैरान सा उसे देखने लगा।


    शाम हो चुकी थी राज  के चहरे पर मुस्कान थी वो बार बार श्रृष्टि के दिए हुए उस टिफिन की ओर देख रहा था की उसका दोस्त जो उसके घर आया था और पिछले आधे घण्टे से राज को ही देख रहा था वो बोला " तू एक बात बताएगा मानता हूं तू अकेला रहता है पर इसका मतलब यह तो नही की तू चीजों से बात करने लगे हम जैसे आम इंसानों पर भी रहम करे" उसने हाथ जोड़ते हुए कहा कि राज का ध्यान टूटा और वो बोला " बोल यार वो बस में कुछ सोच रहा था हर्ष तू भी न" वो बोला की हर्ष ने मुंह बनाते हुए कहा " चल चल मुझे मत बना बचपन से जनता हूं तुझे कब क्या सोचता है बड़ा आया सोचने वाला ये श्रृष्टि ने दिया है न तुझे ? "


    उसकी बात सुनते ही राज सकपकाते हुए बोला " क्या दिया है? ये? .... अरे नहीं इसे तो वापिस करना है कल वो आज उन्होंने खाना भेजा था मेरे लिए वो क्या है न मैंने उनकी वो कॉपी वाली जो तुझे बताया था हेल्प की थी न बस इसलिए और अब तू तो जानता है खाली टिफिन नही देना चाहिए तो क्या दू सोच रहा था "


    ओह ये बात ? तो तेरी प्रोब्लम सॉल्व एक काम करता हूं तू आराम कर मैं श्रृष्टि के लिए कुछ ले भी जाऊंगा और उन्हें ये दे भी दूंगा इस बहाने मिलना भी हो जाएगा " हर्ष ने कहा और टिफिन उठाने के लिए आगे बढ़ा ही था की राज ने तुरन्त टिफिन उठा लिया और नाराज़ होते हुए बोला " कोई जरूरत नहीं है तुझे मै ही थैंक्यू बोल दूंगा और सोच लूंगा तुझे मिलना है ऐसे ही मिल लेना " और जाकर टिफिन किचन में रख दिया अर्थ की हड़बड़ी देख हर्ष मुस्कुरा उठा की तभी मेज़ रखे राज का फ़ोन बज उठा हर्ष की नजर जैसे ही उस फ़ोन पर आ रहे नाम पर पड़ी उसके चहरे के भाव बदल गए " किस का है? " अर्थ ने वही से पूछा की हर्ष ने फोन लिया और साइलेंट करते हुए बोला " किसी का नही कंपनी यार " और जल्दी से फोन वापिस रख किचन की ओर बढ़ते हुए बोला" अब चाय तो मिला दे मेरे राज "

    हां बना रहा हूं" अर्थ ने कहा की हर्ष हल्का सा मुस्कराते हुए उसे देखा और एक बार फिर हाल में रखे मेज़ पर रखे फ़ोन पर चली गई उसने एक गहरी सांस ली और राज के साथ काम में लग गया।



    जहान्वी अपने कमरे मे ही थी की उसका फ़ोन बज उठा , उसने जैसे ही नाम पढ़ा और उठाया की सामने कोई बोला " जहान्वी जी आप जल्दी आ जाएं आपकी हेल्प चाहिए" उसकी बात सुन जाहन्वी एक पल को चौक उठी पर अगले ही पल उसने कहा" आ रहे हैं हम " और फोन रख जल्दी तैयार हुए और निकल गई।

  • 11. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 11

    Words: 2881

    Estimated Reading Time: 18 min

    जाहन्वी उस इंसान के बताए हुए जगह पर जा पहुंची , वो रिसेप्शन पर पूछती की तभी उसे सामने ही कॉरीडोर में वो इंसान बैठा हुआ दिखा उसे देखते ही जाहन्वी उसकी ओर बढ़ गई ... " इशिका संभालो .... " आदित्य ने रोती हुई इशिका से कहा ही था की जाहन्वी उसके पास आते हुए आदित्य से बोली " आदित्य जी " उसकी आवाज सुन आदित्य ने जाहन्वी को वहां देखा तो जाहन्वी थोड़ा चिंता करते हुए बोली " क्या हुआ? और आप यहां? " उसकी बात सुन आदित्य कुछ बोलता की तभी एकदम से इशिका उठते हुए बोली " मुझे मनु.... मनु सर....." वो रोते हुए उठने लगी की तभी जाहन्वी की नजर उस पर पड़ी उसे देखते ही वो समझ गई की हो न हो बात इनकी ही है वो इशिका के पास बैठते हुए बोली " आप ..... शांत हो जाओ पहले ...... कुछ नहीं होगा आपके मनु को " उसकी बात सुन इशिका उसकी ओर देखने लगी और बोली " उसे बहुत... दर्द हो रहा है.... आप करो न कुछ " जाहन्वी ने प्यार से कहा" देखो हम हॉस्पिटल में है न वो ठीक हो जाएगा और फिर आपको तो हिम्मत करनी पड़ेगी न मनु के लिए..... तभी तो वो ठीक होगा न "


    सच होगा " अपनी डबडबाई आंखों से वो बोली तो आदित्य ने कहा " बिलकुल होगा " उसकी बात सुन इशिका उठकर कमरे के बाहर से बेड पर बेहोश पड़े मशीनों से घिरे हुए मनु को देखने लगी..... जाहन्वी ने उसकी ओर देखा और फिर आदित्य की ओर तो एक गहरी सांस लेते हुए वो बोल उठा " ये इशिका है मनु यानी की मानव इसका छोटा भाई है.... "


    तो मानव इस हाल में? " जाहन्वी ने पूछा तो आदित्य ने कहा" मानव अचानक से कोलेप्स है हो गया था पड़ोसी उसे यहां एडमिट करवा गए इशिका को फोन आया तो इस समय मैं उसके साथ हीं था जैसे ही हमे पता चला हम दोनो यहां भागे ..... डॉक्टर अभी उसका ट्रीटमेंट कर रहे हैं.... मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करु ? इशिका की हालत भी सही नहीं है..... जब मैंने उससे पूछा की मानव को अचानक से क्या हुआ है? तो उसने कहा की उसे दिल में होल है "


    आदित्य की बाते सुन जाहन्वी हैरान सी उसे देखने लगी वो अभी कुछ बोलता की तभी डॉक्टर कमरे से बाहर निकल आए उन्हे देखते ही इशिका बोली " डॉक्टर ? क्या हुआ मनु को ? वो ठीक तो है न? मैं कर रही हूं उसकी सारी दवाइयां और बाकी जो भी है आप बता दो ? अभी तो ठीक था डॉक्टर वो फिर कैसे ? आपने ने कहा था उसे खेलने न दू तो वो भागता तक नहीं है डॉक्टर उसे ठीक कर दो डॉक्टर मेरा उसके अलावा कोई नहीं है इस जिंदगी में....." वो बिलख उठी।

    इशिका की हालत देख जाहन्वी की आंखे भी नम पड़ गई आदित्य ने खुद को संभाला और आगे बढ़कर इशिका से बोला " इशिका आप जाकर मनु पास बैठो मैं बात करता हूं डॉक्टर से देखो वो अकेला है आप जाओ जल्दी उसे होश आएगा तो डर जाएगा "

    हां हां आप सही कह रहे हो " ये बोलते हुए वो सीधे मनु मनु बोलते हुए अंदर चली गई आदित्य ने जाहन्वी की ओर देखा तो वो भी इशिका के पीछे पीछे चल पड़ी।

    डॉक्टर मानव ? " आदित्य ने पूछा की डॉक्टर ने कुछ देर बाद कहा " आप ? " आदित्य समझ गया उसने कहा " मैं इशिका का अच्छा दोस्त हूं डॉक्टर"

    डॉक्टर ने कहा " ओह ओके आइए मेरे केबिन में बात करते हैं" , आदित्य ने हां में सिर हिलाया और उनके पीछे निकल गया ।


    ......
    जहान्वी इशिका के साथ थी इशिका मनु के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली " तू न जल्दी से ठीक हो जा मनु ..... देख तेरी दी तेरे साथ है तेरे पास है " मनु बेहोश था उसे इस तरह देख इशिका एक बार फिर रो पड़ी ... जहान्वी ने उसे देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखा तो इशिका ने उसकी ओर देखा और रोते हुए बोली " देखो न इसे बोलो न ये उठे " उसे इस तरह देख जहान्वी ने उसे संभालते हुए कहा " इशिका मनु उठेगा अभी डॉक्टर्स ने उसे दवाई दी है न उसी की वजह से ये सो रहा है और अच्छा है न जितना सोएगा उतनी जल्दी सही हो पाएगा "

    इशिका ने हां में सिर हिलाया और एक बार फिर मनु को देखने लगी , तो वही जाहन्वी ने कहा" मैं आपके लिए पानी लाती हूं " ये कहकर वो कमरे से निकल गई ...... की तभी उसका फोन बज उठा जहान्वी ने देखा तो उसने फोन लिया और बोली " रोज इस समय मैं थोड़ी बिजी हूं बाद में बात करती हूं" ये कहकर जहान्वी फोन रखती की तभी रोज़ बोल उठी " मम आकाश सर का एक्सीडेंट हो गया है"


    व्हाट ???? " रोज की बात सुन वो हैरान सी बोल उठी की उसकी इतनी तेज आवाज़ सुन आस पास के लोग उसे देखने की जहान्वी ने धीरे से कहा " कब हुआ ? और कैसे? सुबह तक तो ठीक था वो ? "

    मम ये तो मुझे भी नहीं पता पर बस इतना पता है कि घर जाते समय रॉन्ग साइड से आ रही कार से टक्कर हुए हैं पर मम टच वुड की उन्हें ज्यादा नही लगी है हल्की फुल्की खरोच आई है बस "


    थैंक गॉड!!! " जहान्वी ने कहा की रोज़ बोली " बट मम उसे तो लग रहा है की आपने ऐसा करवाया होगा "

    हां उसके पास और काम ही क्या है? उसे तो छीक भी आए तो मुझे ही ब्लेम करेगा  खैर उसके घर बोके भेजवा देना और है खुद मत जाना किसी को साथ ले जाना मेहर को ले जाना " जहान्वी ने कहा


    ओक मम !!! जहान्वी मम एक बात और बोलो " रोज ने कहा तो जहान्वी बोली " अब क्या हुआ?

    मम वो जो आज सुबह वो सर कितने अच्छे थे न आपकी कितनी हेल्प की उन्होंने हाऊ स्वीट " रोज के मुंह से राहुल का जिक्र सुन एक पल को वो चुप हो गई उसे उसके लिए घर पर कुछ बनाना याद आ गया..... जहान्वी को चुप देख रोज बोली " मम " की जहान्वी होश में लौटी और हल्की सी नाराजगी से कहा " रोज अगर बात हो गई हो तो अब फोन रखो ये क्या लेकर बैठ गई तुम ? और वो कोई स्वीट डिश तो है नही जो स्वीट होगा " ये कहकर जहान्वी ने बिना सुने ही फोन काट दिया वही रोज अपनी मम का ये बर्ताव देख बोली " इन्हें क्या हुआ ????"



    दूसरी ओर आदित्य केबिन में डॉक्टर के साथ बैठा हुआ था डॉक्टर के हाथ में कुछ रिपोर्ट थी उन्हें देखते हुए उसने एक गहरी सांस ली और आगे बोला  देखिए मिस्टर आदित्य!! मैं मानव का केस पिछले तीन साल से हैंडल कर रहा हूं इशिका भी मुझे अपनी बेटी जैसी लगती है उसके पेरेंट्स नहीं है तब से इशिका और मानव ही एक दूसरे का सहारा है , लेकिन मानव के दिल में छेद है ये जानने के बाद भी उसने हार नही मानी और उसे सही करने में लगी रही उसकी हिम्मत और लगन देख मुझे भी यकीन हो गया की मानव ठीक हो जाएगा और जो हो सकेगा मैं करूंगा .... पर कहते हैं कि कुछ चीज़े हमारे हाथ में नही होती हम कितना भी कर ले वो बेबस कर ही देती है

    डाक्टर की बाते सुन आदित्य घबराहट में बोला " पर बात क्या है डॉक्टर आप ऐसा क्यू कह रहे हैं? और मानव वो ठीक तो हो जाएगा न ? आप ऑपरेशन करवा दो आप पैसे की फिक्र मत करिए बस मानव का ट्रीटमेंट सही हो "


    डॉक्टर ने सुना तो बोले " अगर ऐसा में कर सकता मिस्टर आदित्य तो कर चुका होता लेकिन मानव की हालत वो नहीं है की वो सर्जरी झेल सके और अगर हमने की भी तो चांसेज है की वही मानव ...." बोलते बोलते डॉक्टर चुप हो गए।

    तो क्या करे डॉक्टर ? " आदित्य बोला


    डॉक्टर उठे और उसके पास आते हुए बोले " झूठ नहीं बोलूंगा पर सच ये है कि मानव के पास अब वक्त नही है आज नहीं तो कल..... और नहीं तो कुछ दिन ....या फिर कुछ पल ...." डॉक्टर की बातें सुन आदित्य किसी सदमे की तरह उन्हें देखने लगा की वो आगे उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले " आदित्य ई  एम सॉरी पर ये ही सच है और आपको इसलिए बता रहा हूं क्यूंकि इशिका को ये आप ही बता सकते हैं अगर उसे नहीं पता चला तो पता नहीं मानव के बाद उसे कितना गहरा सदमा लगेगा या उसकी जान को भी खतरा हो सकता है... इसलिए ही आपको कह रहा हूं ये आप ही उसे बताए"  उनकी बात सुन आदित्य चुप रहा तो डॉक्टर वहा से चले गए।


    आदित्य कुछ ही देर में वापिस मानव के रूम के पास आ गया इशिका अभी भी अंदर थी जहान्वी भी उसके साथ थी किसी तरह उसे समझाकर जहान्वी ने इशिका को सुला दिया था आदित्य ने मानव को देखा तो उसकी आंखे भर आई उसने मानव के माथे को चूम लिया की उसकी नजर सामने सो रही इशिका पर पड़ी उसे देखते ही उसे डॉक्टर की बात याद आ गई .... जहान्वी ये देख रही थी की आदित्य ने उसे देखा और बाहर निकल गया वो भी उसके साथ ही बाहर निकल आई " आदित्य क्या हुआ? क्या कहा डॉक्टर ने मानव ? " उसकी फिक्र साफ थी वही आदित्य ने अपनी भीगी आंखो से उसे देखा की जहान्वी को समझते हुए देर नहीं लगी उसकी आंखे भी भीग उठी ..... की तभी किसी ने आगे बढ़ते हुए उसे आवाज़ लगाई " भाई....." आदित्य ने उस ओर देखा तो राहुल तेजी से उसकी ओर आ रहा था वही उसकी नजर अब तक जहान्वी पर नही पड़ी वही जहान्वी ने राहुल को वहां देखा तो चौक गई  पर उसने इस समय कुछ न कहना ही सही समझा ।



    भाई ये सब ? क्या हुआ ? और आप तो कह रहे थे की आप ऑफिस में हो ? मुझे अभी अभी सब पता लगा तो तुरंत में यहां भागा " आदित्य ने उसे देखा तो और वही चेयर पर अपने दोनों हाथ सिर पर रख लिया.... उसे इस तरह देख जहान्वी उसके पास आई और बोली " आदित्य संभालो खुद को इशिका को संभलना है हमे " राहुल का ध्यान जो अब तक उस पर नही पड़ा था आवाज सुन उसने जैसे ही देखा उसे वो हैरान रह गया हालाकि जहान्वी को उसकी नजरे अपने पर महसूस हो रही थी पर उसने उन्हें नजरअंदाज कर दिया की आदित्य बोला" कैसे? कैसे? सच बोल पाऊंगा मैं उसे जहान्वी जी ? कैसे ? जानता हूं की उसे मिले हुए अभी मुझे ज्यादा समय नहीं हुआ है पर फिर भी इतना समझ चुका हूं कि मानव उसकी जान है और मैं उसे कैसे बताऊं कि ...... बोलते बोलते वो चुप गया ।


    पर उसे सच बताना पड़ेगा आदित्य जी और ये सच उसे पता चलना ही है जो दर्द उसे मिलेगा शायद ही कोई समझ सके पर उस दर्द में उसका सहारा आपको बनना ही होगा ....... किसी का जाना कितना तकलीफ देता है ये बेहद दर्द देता है " ये कहते हुए जहान्वी के चहरे पर एक दर्द ने जगह ले ली थी,

    राहुल ने आदित्य के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा" हम सब है उनके साथ " आदित्य ने हां में सिर हिलाया और खुद को सही करते हुए बोला" जहान्वी जी आप इशिका को अपने घर ले जाएगी उसके घर में उसके और मानव के अलावा कोई नहीं रहता है पैरेंट भी नहीं है उसके और ऐसे में उसे अकेला छोड़ना चाहता "

    आदित्य जी मुझे कोई दिक्कत नही है इशिका मेरे साथ ही रहेंगी " जहान्वी ने कहा की तभी इशिका एकदम से चीख पड़ी उसकी चीख सुन राहुल आदित्य जहान्वी भी चौक गए .... तीनों अंदर भागे तो सामने इशिका मनु का हाथ पकड़े हुए थी " देख तुझे कुछ नहीं हुआ देख " उसकी ये हालत देख आदित्य उसके पास आया और बोला " इशिका " की उसने आदित्य की ओर देखा और बोली " सर ....सर ....इसे कुछ भी नहीं हुआ है न मैंने न सपना देखा की मनु.....वो रो पड़ी .... उसकी ये हाल देख आदित्य ने तुरंत उसे गले लगा लिया और उसे शांत करने लगा इस समय वो क्या बोले उसे भी समझ नहीं आ रहा था कैसे उसे इतना बड़ा सच समझाए वो ....तो वही उसकी ये हाल देख जहान्वी राहुल भी नम पड़ गए थे ।



    थोड़ी देर बाद इशिका को मनु के पास ही रहने दिया इस समय वो जितना समय उसके साथ रहती अच्छा होता वही जहान्वी और राहुल भी वही रुक गए थे ...... जहान्वी किसी सोच में डूबी हुए सीढ़ियों पर बैठी बाहर सामने की ओर  देख रही थी की तभी वही राहुल उसके पास जा बैठा दोनों ही चुप थे की तभी राहुल ने कहा " इशिका के बारे में सोच रही हो ? "


    नही!! हम भी कितने बेबस होते हैं न किसी आपने को हमारी आंखो के सामने जाते हुए देखना और फिर भी हम कुछ भी नहीं कर सकते ये नहीं कह सकते की हा हम तुझे कुछ नहीं होने देंगे , ये नहीं कह पाते की तुम ठीक हो जाओगे क्यूंकि अगर कह भी दे तो सच से वाकिफ होते हैं वो अपना जो कभी हमारे सामने होता है वो एक पल में ही हमसे इतनी दूर चला जाता है की हम उसे देखना तो दूर उसकी आवाज के लिए भी तरस जाते है....." ये कहते हुए उसकी आंखो में नमी उतर चुकी थी ।


    ये ही तो कड़वा सच है मिस ट्रेन इस दुनिया का जो सबसे खास और कीमती होता है उसे ही हमसे दूर करना पड़ता है... लेकिन हम उसे मानते हैं इशिका मानव के जाने से टूट जाएंगी.... पर क्या उसकी दुनिया रुक सकती हैं? नहीं उसे आज नहीं तो कल मानव को अपनी यादों में याद कर आगे बढ़ना ही होगा और सच बोलो तो ये ही उसके लिए सही होगा , वर्ना उसे बस तकलीफ़ के सिवा कुछ नहीं मिलेगा " राहुल ने कहा


    वो उसकी ओर देखने लगी बात तो उसकी भी सही थी राहुल ने उसके आंखो से आई नमी को पोछा और बोला " आप मुझे डाटते हुए ही अच्छी लगती है मिस ट्रेन प्लीज ऐसे रोए मत " जहान्वी ने कुछ नहीं कहा तो वो भी सामने देखने लगा...

    " इशिका को सच कैसे बताएंगे आदित्य जी " जहान्वी ने कहा

    सच तो मैं भी नहीं जानता पर इतना कह सकता हूं कि भाई की आंखों में आज पहली बार किसी अनजान के लिए फिक्र देखी है और इशिका उनके लिए खास है ये वो न भी कहे तो भी मैं जानता हूं और उन्हें वही बताए तो अच्छा होगा " राहुल ने कहा।

    तुम यहां कैसे ? वो भाई है तुम्हरे उन्हानें कभी बताया नहीं" जहान्वी ने कहा


    मैं भाई बोलता हूं उन्हें वो मेरे भाई है दोस्त है रिश्ता खून का न सही पर दिल का तो है और जब उन्हें मेरी जरूरत होती हैं मैं साथ होता हूं मुझे ऑफिस से पता चला की भाई इशिका को लेकर काफी परेशानी में निकले थे और जब उन्हें कॉल किया तो उन्होंने बताया कि वो यहां है तो यही आ गया " राहुल ने कहा।

    उसने कुछ कहा , " अंदर चले ? " जहान्वी ने कहा तो उसने हा में सिर हिलाया दोनों अंदर हॉस्पिटल की ओर बढ़ गए .....

    आदित्य ने उन दोनों को देखा तो बोला " काफी देर हो चुकी है आप जहान्वी और राहुल तुम घर जाओ मैं यहां हु कोई भी बात होगी तो मैं इनफॉर्म कर दूंगा "

    हां मिस ट्रेन.. आप घर जाइए मैं भी यही रुकूंगा भाई के साथ " राहुल ने कहा तो आदित्य हैरानी से बोला " मिस ट्रेन? इनका नाम जहान्वी है"

    जहान्वी ने अपनी आंखे उसकी ओर घुमाई तो वो हल्का सा मुस्कुराते हुए बोला " लंबी कहानी है भाई बाद में बताऊंगा " उसने जहान्वी को देखते हुए कहा तो वो उसे घूरने लगी और आदित्य से बोली " आदित्य एक बात बोले ? "

    जी बोलिए " आदित्य ने कहा

    जहान्वी ने बाहर से ही मनु और इशिका को देखते हुए गंभीर होते हुए बोली" मुझे लगता है की आपको इशिका के साथ जाना चाहिए दिखाए वो आपको ज्यादा जानती है आप पर भरोसा है उसे और आप ही उसे समझा सकते हैं इवन उसका रेस्ट करना भी जरूरी है.... आप मनु की फिक्र मत करिए मैं पूरा ध्यान रखूंगी उसका पर आप को इस समय उसे देखना है "


    आदित्य कुछ बोलता की राहुल बोल उठा " हा भाई वो ठीक कह रही है और अगर इशिका को भेज भी दे तो भी वो परेशान ही होगी पर आप के साथ वो शायद ठीक हो और फिर सुबह आप इशिका को ले आना "

    उनकी बात सुन आदित्य को सही लगी तो उसने हा में सिर हिलाया और बढ़ गया इशिका से बात करने , इशिका जाने को तैयार नहीं थी पर आदित्य ने उसे वादा किया की वो जल्दी ही उसे वापिस ले आएगा तो वो मान गई आदित्य इशिका को लेकर जहान्वी के घर निकल गया आज की रात उसके लिए सबसे मुश्किल होने वाली थी ।


    वही राहुल और जहान्वी मानव के कमरे के बाहर ही बैठे हुए थे ।

  • 12. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 12

    Words: 2917

    Estimated Reading Time: 18 min

    आदित्य इशिका को लेकर जहान्वी के घर आ चुका था उसने उसे वही बैठाया और बोला " तुम यहीं बैठो मैं पानी लेकर आया " वो किचन में चला गया इशिका चुप सी बैठी रही आदित्य ने उसे वही से देखा आज कितनी खुश थी वो उसकी जॉब लगी थी और आज ही मनु के बारे में उसे ये पता चला उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे वो उसे ये बोले कि मानव के पास अब वक्त नही है क्या बीतेगी उस पर .... पर डॉक्टर की बातें याद आते ही आदित्य ने खुद को संभाला और पानी लेकर बाहर निकल गया इशिका अभी भी चुप थी आदित्य ने उसे आवाज़ देते हुए कहा " इशिका पानी "


    पर इशिका को सुना ही न हो वो किसी बेजान की तरह वहां बैठी रही आदित्य ने एक गहरी सांस ली और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए एक बार फिर कहा " इशिका !!! " इशिका ने अपनी नजरे उसकी ओर की तो उसने पानी का गिलास बढ़ा दिया और उसे पीने का इशारा किया ... इशिका ने पानी पिया तब तक आदित्य उसे देखता हुआ मन ही मन बोल उठा " कैसे बोलो इसे ? क्या करू? " वो सोच ही रहा था की इशिका ने पानी का गिलास वापिस मेज़ पर रख दिया " तुम आराम करो कल चलते है मानव से मिलने " आदित्य ने कहा और अपने कदम बढ़ाए ही थे की वो बोल उठी " मानव के अलावा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं मां पापा तो एक एक्सीडेंट में ही गुजर गए थे तब मैं केवल 9 साल की थी और मानव मेरी गोदी में था उसे तो ये बात तक याद नहीं है की मां पापा कैसे दिखते थे उस एक हादसे ने मेरी पूरी दुनिया ही पल भर में उजाड़ दी .... मुझे अनाथ कर दिया...... उस समय जब मुझे रोना चाहिए था तब मैं एक भी आसू नहीं बहाया चाचा चाची को हमसे कोई मतलब नही था उन्होंने हमें कह दिया की वो जा रहे हैं..... और क्यू की घर पापा और चाचा के नाम था पापा के जाने बाद चाचा ने वो भी हमसे धोखे से ले लिया ......हम रात में ही सड़कों पर खड़े थे मानव छोटा सा रोए जा रहा था .... मैं क्या करू समझ नहीं आ रहा था..... तब शायद भगवान को तरस आया और उन्होंने हमें एक अनाथ आश्रम में भेजवा दिया वही मैंने मानव को पाला काम किया पढ़ाई की .... और जब लगा सब सही होगा तब वो अनाथ आश्रम को भी किस्मत ने हमसे छीन लिया और मानव की हालत के बारे में पता चला ..... और कैसे तैसे करके मैं उसका इलाज करवा रही हूं.... पर आज भगवान भी मुझसे ये छीन लिया क्यूयूू????" वो तड़प उठी ।


    उसकी बात सुन आदित्य समझ चुका था की उसे सब पता चल चुका है उसे समझ नहीं आ रहा था की वो कैसे उसे समझाए उसने उसे देखा तो उसकी आंखो में दर्द साफ था वो उसके पास बैठा और धीरे से उसके आसू पूछते हुए बोला " इस समय तुमसे कुछ भी कहूगा तो केवल तुम्हे एक सहनुभूति महसूस होगी या तुम्हे लगे की मैं तुम्हे दिलासा देना चाहता हूं तो ऐसा नहीं है, क्युकी कुछ चीज़ो में कुछ नहीं हो सकता तुम्हरे दर्द को तकलीफ को समझ नहीं सकता ...... पर लेकिन जो समय है वो तुम जी लो ...क्या मानव को जो तकलीफ हो रही है उसे तुम ऐसे देख पाओगी ?

    इशिका ने न में सिर हिलाया तो आदित्य ने आगे कहा " तो उसे खुश रहने दो जाने दो उसे पर खुशी से ताकि उसे ये दर्द न हो की उसकी दीदी अकेली पड गई हैं..... ताकि उसे चिंता न हो " उसकी बात सुन एक बार फिर इशिका के आंखो से आसू गिरने लगे ....... आदित्य ने बस उसे गले लगा लिया इस समय वो कुछ भी नहीं कर पा रहा था पर उसके दिमाग में कुछ तो चल पड़ा था ।


    दूसरी ओर वही जहान्वी और राहुल हॉस्पिटल में ही रुके थे मानव को दवाईयों के असर से सो रहा था राहुल ने उसकी ओर देखा और बोला " कितना कुछ सहा है इसने इतनी छोटी सी उम्र में उसकी ये हालत है कभी कभी समझ नहीं आता की भगवान ऐसा कर कैसे देते है? क्या उन्हें दया नही आती ? क्या वो नही जानते की मानव के अलावा इशिका का कोई भी नही है फिर भी ? उसके साथ ऐसा क्यू हो रहा है? "

    मानव की ओर देखते हुए राहुल ने सवाल किया कि उसकी बात सुन जहान्वी ने मानव को देखा और बिना किसी भाव के बोली " शायद उन्हें भी उतनी ही तकलीफ होती हो ?   जब वो ऐसा करते है मानव को इशिका से दूर करके उन्हें भी बुरा लगा होगा पर वो बंधे हुए हैं....अपने काम से पता है लोग न उन्हें बुरा बोलते है जब उन्हें लगता है की उनके हिसाब से नहीं हुआ या उन्होंने ऐसा क्यू हुआ कभी कभी हम उन्हें इतना कोसते हैं कि भूल जाते हैं हम क्या कर रहे हैं, मैं ये तो नही कह रही कि मानव के साथ जो हो रहा है वो सही है मेरी भी ये ही विश है की वो जल्दी सही हो जाए .... पर उन्हें किसी चीज़ के लिए इस तरह गलत कहना मुझे सही नहीं लगता "

    क्युकि तुम उन्हें अपना भाई बोलती हो न " उसकी बात सुन वो हैरानी से उसकी ओर देखने जिससे वो हल्की सी मुस्कान लेते हुए बोला " उस दिन तुम्हे बात करते हुए सुना था उन से और तुम भाई बोली तो लगा वही है "

    जहान्वी ने आगे कुछ नहीं कहा वो वही बैठ गई ... राहुल भी पास की ही बांच में जा बैठा ... राहुल की नजरे जहान्वी पर थी जिसे देख वो चिढ़ उठी" क्या है? क्यू देख रहे हो ऐसे?

    आप यही रुकिए " उसने कहा और उठकर चला गया।



    जहान्वी काफी थक चुकी थी , आदित्य के अचानक बुलाने से वो ऐसे ही भागी थी और उसका पैर भी हल्का सा दर्द करने लगा था उसने राहुल से कुछ नहीं कहा और आंखे बंद कर वही टेक लगा लिया।

    नहीं....मुझे बचा लो ... मैं मारना नहीं चाहती ... मैं... मारना नहीं चाहती .......

    उसकी बंद आंखो से ही पानी की धारा बह निकली ... " मिस ...ट्रेन " राहुल की आवाज सुन उसने झट से अपनी आंखे खोल ली जहान्वी के आंखो में आए आसू देख राहुल बेचेंन हो गया हालाकि जहान्वी ने जल्दी से खुद को संभाल लिया था ...

    ये आपके लिए " राहुल ने बात को नजरअंदाज करते हुए कहा वो समझ चुका था की जहान्वी उससे इस बारे में बात नहीं करना चाहती है"

    उसने देखा तो उसके हाथ में आइसपैक था , वो झुका और जहान्वी के पैर की ओर उसे लगाते हुए बोला " आराम मिलेगा इससे" उसे इस तरह करता देख वो खामोश पड़ गए कैसे वो बिना कहे उसकी बात समझ लेता था ? क्यू एक अंजान पर उसे अंजान होने जैसा नहीं लगता था ? राहुल ने उसकी ओर देखा तो दोनों की आंखे एक दूसरे से जा टकराई

    यू तो हजार दफा धड़कता है दिल
    पर तुझसे मिलकर थोड़ा तेज हो गया
    आंखो में नमी तेरे क्यू है ?
    इस सवाल से तू बेचेंन मुझे कर गया

    देखो तो कितने प्यार से अपनी बीवी का ध्यान रख रहा है और एक तुम हो हुऊऊ " पास से गुजर रहे एक बुजुर्ग कपल ने उन दोनों को देखते हुए कहा जिसे सुन जहान्वी और राहुल होश में लौट आए... वो कपल जा चुके थे जहान्वी ने पैक अपने हाथों से पकड़ लिया

    थैंक्यू " एक धीमी सी आवाज में उसने कहा, राहुल ने कुछ नहीं कहा और वही पास वाली बेंच में जा बैठा ।

    इन सब से बेखबर सृष्टि अपने कमरे में बैठी हुए लैपटॉप पर काम कर रही थी की तभी उसका फोन बज उठा, रात में फोन आता देख सृष्टि के चहरे पर हल्की सी मुस्कान आ उठी शायद वो पहले से जानती हो ... उसने फोन उठाया और कान पर लगाया की सामने एक चिढ़ी से आवाज़ आई " आप को समय मिलता ही नहीं है , आप तो बहुत खुद भी इतनी उलझी सी रहती हैं "


    उसकी ये चिढ़ी हुए आवाज़ को सुन श्रृष्टि हल्की सी मुस्कुराते हुए बोली " सुना लो पर ये बताओ क्या कांड करके आई हो ? और आंटी ने क्या करा ? "

    मैंने कोई कांड नही किया तुम लोगो को क्या मैं कांडी नजर आती हूं क्या ? और तू भी शुरू हो गई मतलब क्या फायदा बेस्ट फ्रैंड होने का फिर ? " मुंह बनाते हुए वो बोली


    अच्छा चलो अब नौटंकी बंद कर और बता क्या हुआ इस बार श्रृष्टि ने उसे पूछा

    कुछ देर तक वो चुप रही फिर धीरे से बोल उठी " ज्यादा कुछ नहीं किया बस आज सिर फुट गया किसी का मेरी वजह से पर गलती उसकी भी थी यार " रूचिता ने जैसे ही कहा

    व्हाट???? तुमने किसी का सिर फोड़ दिया रुचि ? " थोड़ी जोर से श्रृष्टि बोल उठी

    उसका ये रिएक्शन सुन रुचिता ने मुंह बनाते हुए कहा" धीरे भी बोल लेती तो सुन लुंगी यार बहरा क्यू कर रही है "

    तुम न बात मत बनाओ और हमे बताओ क्या हुआ ? कैसे हुआ ? और क्यों हुआ ? " श्रृष्टि ने उसे हल्की सी डाट लगाते हुए बोला

    रूचिता कुछ बोल पाती की तभी वो उसे रोकते हुए बोली " श्रृष्टि मै तुझे बाद में सब बताती अभी जाना पड़ेगा वर्ना मां मुझे छोड़ेगी नही... बाय"

    अरे पर .... श्रृष्टि कुछ बोल पाती की फोन कट चुका था उसने फोन की ओर देखा और खुद से बोली " इस लड़की का समझ नहीं आता क्या करू अब पता नहीं क्या कर आई है"

    उसने कहा और एक बार फिर अपने काम में जुट गई ।

    ............

    अगली सुबह.......

    पूरी रात हॉस्पिटल में ही राहुल और जहान्वी रुके रहे बीच बीच में मनु को भी देख रहे थे ... की राहुल की आंख खुली उसने धीरे से इधर उधर देखा की तभी उसकी नज़र उसके कंधे पर पड़ी जिस पर सिर टिकाकर जाहन्वी सो रही थी उसे इस तरह देख राहुल उसे देखता रहा वो लग ही इतनी प्यारी रही थी उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान खिल उठी की तभी राहुल का फोन बज उठा जिसे सुनते ही जाहन्वी की नीद खोल गई .... उसने राहुल को देखते हुए पाया तो बोल उठी....

    तुम मुझे ऐसे क्यू देख रहे हो और इतना पा..." की तभी राहुल उसकी बात काटते हुए बोला " एक मिनट ये कॉल इंपॉर्टेंट है " उसने कहा और फोन उठाकर बात करने लगा


    वो उसे ही देख मन ही मन बोली " ये मेरे पास क्या कर रहा था? और वो भी पास ... पर मुझे क्या हुआ था ? वो इतना पास था फिर भी मुझे अजीब सा क्यू नही लगा ? " वो अपनी ही सोच में गुम सी थी की तभी उसकी नज़र मनु पर गई जो गहरी सांस ले रहा था उसे इस तरह देख वो उसकी ओर तेजी से बोलती हुए भागी " मानव "

    जहान्वी के इस तरह बोलने से राहुल का ध्यान भी उसकी ओर गया मनु को देखते ही उसने फोन कटा और उसकी ओर भागते हुए आया" मनु.... मनु "

    डॉक्टर " राहुल चीखा .... उसकी चीख सुन डॉक्टर भागते हुए अंदर आए ..... हटिए " उन्होंने कहा और मनु को देखने लगे... मानव को  सास लेने में दिक्कत होने लगी .... की तभी दरवाज़ा खुला और इशिका और आदित्य अंदर आ गए .....

    इशिका की नजरे सिर्फ मानव पर थी जहान्वी राहुल सब उसे ही देख रहे थे वो धीरे धीरे मानव के पास आई और डॉक्टर से बोली " सर क्या मैं अपने भाई से बात कर सकती हूं आप चिंता मत करिए उसे कुछ नहीं होगा अभी "

    उसकी बात डॉक्टर ने कुछ कहना चाह की आदित्य ने उन्हे इशारे से रोकते हुए कहा " प्लीज़ डॉक्टर !!

    उसकी बात सुन डॉक्टर ने एक नजर उस पर डाली और पीछे हो गया.... इशिका ने मानव की ओर देखा और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए प्यार से बोली " मानव !! जानते हो तुम न बहुत स्ट्रोंग हो .... और लड़ सकते हो आई नो ... पता है जब तुम पहली बार मेरी गोदी में आए थे न तो मां ने मुझे क्या कहा था वो बोली थी की देखना ईशु तू और ये एक दूसरे के सबसे ज्यादा प्यार करेंगे , और मुझे भी मेरा छोटा भाई मिला था .. मां के जाने के बाद तो मेरे लिए तुम ही हो सब पर सच बोलो तो जितना मुझे तुम्हरा खयाल रखना चाहिए उससे कही ज्यादा तुमने मेरा रखा ..... जब तुम्हे पता चला था की तुम्हरे दिल में छेद है उसके बाद भी तुमने कितने प्यार से मुझे समझाया था की हार नही मानूंगा दी ... और तुमने फाइट भी की बहुत फाइट की ... पर अब ...." एक पल को इशिता खामोश हो गई... फिर हल्की सी मुस्कान लेते हुए बोली " अब तुम जीत गए हो ये फाइट तुमने विन की है और ... मां पापा तुम्हरा इंतजार कर रहे हैं, जितना पैन झेलना था तुमने झेल लिया अब सुकून से सो ....और हां मां पापा से मिलना और कहना की उनकी बेटी उन्हे बहुत मिस करती हैं आई एम सॉरी बोलना "

    दी.. मानव ने इशिता का हाथ पकड़ लिया.... इशिता हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली " जाओ मानव दी ... यही है " उसने उसका माथा चूम लिया... की अगले ही पल मानव का हाथ इशिता के हाथ से छुट गया... इशिता उससे अलग हुए और बस उसे देखती रही वहां कमरे में मौजूद आदित्य राहुल जहान्वी डॉक्टर्स सब की आंखे नम थी ....

    मानव जा चुका था .... इशिता बस उसे देख रही थी... की आदित्य ने हिम्मत जुटाकर उसके पास गया और बोला " ईशा... की उसकी बात काटते हुए वो बोली " सर मानव भी चला गया... " उसकी बात सुनते ही सब की आंखों से आसू बह निकले।

    दो दिन बाद

    मानव का अंतिम संस्कार कर दिया गया था इशिता ने उस दिन के बाद से एक शब्द नहीं बोला था वो बिलकुल शांत हो चुकी थी ... और इन्ही दो दिनों में उसने अपना ऑफिस भी ज्वाइन कर लिया था आदित्य ने उसे रोका पर इशिता रुकना नहीं चाहती थी जिसे देख राहुल ने आदित्य से वादा किया की वो उसका ध्यान रखेगा ... जिस से वो थोड़ा शांत तो था पर अभी भी उसे उसकी फिक्र थी ...

    इन सब में ही एक महीना निकल चुका था , इस बीच जहान्वी से इशिता थोड़ा बहुत बोलने लगी थी आदित्य आज इशिता से मिलने उसके घर निकल गया था बार बार ऑफिस जाना उसे भी सही नहीं लगता था तो वो उसके घर निकल गया, ... वो उसके घर पहुंचा ही था की सामने बाहर कोई औरत जोर से चीख पड़ी " तू यहां नही रहेगी समझी निकल यहां से पता नहीं कैसी है... उसने इशिता को धक्का दिया ही था की तभी किसी ने उसे पकड़ लिया... इशिता ने सामने देखा तो आदित्य था वो भी उसे देखने लगा की तभी उसका ध्यान उस औरत की ओर हो गया ....

    कौन है बे तू ? " वो औरत अपने लहजे में बोली , उसकी बोली सुन आदित्य ने अपनी आंखे तिरछी करते हुए कहा" डीएसपी आदित्य सिंह "

    डीएसपी सुन उस औरत का चेहरा ही सूख गया .. वो क्या बोलती उसे समझ नहीं आ रहा था की आदित्य इशिता की ओर मुड़ते हुए बोला " क्या हुआ? " उसकी आवाज में तेजी थी

    वो...कुछ नहीं बस ..." उस औरत ने कहा ही था की आदित्य जोर से बोला " इशिता वॉट हैपेंड ? " आदित्य के इस बोले अंदाज से औरत तो चुप ही रह गई।

    ये चाहती है हम घर से निकल जाए .. ये नही चाहती  हम अब यहां रहे हमने कहा की हमे दो दिन दे दो हम घर ढूंढ लेंगे पर ये सुन ही नहीं रही और हमे घर से बाहर निकल दिया ।

    साफ बात इशिता ने आदित्य को बोल दी , उसकी बात सुनते ही आदित्य ने उस औरत की ओर देखा और बोला " आपने इससे पैसे लिए है रहने के ? क्या वो पूरा हो गया है?

    न .. हां.. नही" वो हकलाते हुए बोली की तभी आदित्य ने कहा " आज से ये लड़की यहां आपके साथ नही रहेगी "

    इशिता की आंखे बड़ी हो गई, आदित्य ने इशिता का हाथ पकड़ा और गाड़ी में बैठाते हुए कहा " आप यही बैठो "

    वो कुछ बोल पाती तब तक आदित्य ने अपना फोन निकाला और किसी से बात करने लगा कुछ देर बाद उसने फोन रखा और उस औरत की ओर देखते हुए कहा " इशिता यहां रहिए है और वो नही चाहती हैं की आपको कोई दिक्कत हो इसलिए नही कर रहा पर एक बात कान खोलकर सुन ले मुझे अगली बार आप किसी भी लड़की या किसी के साथ भी ऐसा बर्ताव किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ये मेरी वार्निंग ही है.."

    आदित्य पलटा और गाड़ी में जा बैठा इशिता अभी भी उसे देख रही थी उसने उसकी ओर नही देखा और गाड़ी आगे बढ़ा दी ।

    ...............

    जहान्वी अपने काम में थी की तभी उसके घर की बेल बजी
    इस समय कौन है? " ये सोचते हुए वो उठी और जाकर गेट खोलती की सामने खड़े शक्श को देख वो हैरानी से बोली" तुम ? " की तभी किसी ने जहांवी के सिर पर डंडा दे मारा ।


    वही राहुल एक दम से जोर से बोल उठा" मिस ट्रेन " उसकी आवाज सुन बाकी सब हैरान से उसे देखने लगे ।

  • 13. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 13

    Words: 2377

    Estimated Reading Time: 15 min

    मिस ट्रेन " राहुल को अचानक से इस तरह बोलता देख वहां मौजूद सभी हैरान रह गए पवन ने धीरे से कहा " सर " की राहुल ने अपना फोन उठाया और बोला " सॉरी एवरीवन मुझे जाना होगा इट्स इमरजेंसी आप लोगो से एक बार फिर से सॉरी पवन ध्यान रखना ये कहते हुए वो तेजी से बाहर निकल गया राहुल की ये हरकत देख बाकी सब चौकते हुए उसे देखे जा रहे थे ये पहली बार था की राहुल ने अपनी मीटिंग छोड़ी थी , राहुल जल्दी से ऑफिस से बाहर निकला और गाड़ी की ओर बढ़ गया ड्राइवर आता की उसने कहा " मैं कर लूंगा " उसने कहा और तेज़ी से गाड़ी आगे बढ़ा दी ड्राइवर भी उसे जाते हुए देखता रहा ।


    आदित्य गाड़ी चला रहा था इशिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो कहा रहेगी अब ? उसके पास तो घर भी नहीं है? पैसे भी नहीं है? क्या करेगी वो ? और अभी अभी तो उसकी जॉब लगी है फिर क्या होगा ? इतने सारे सवाल उसके दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहे थे उसे इस तरह खोया हुआ देख आदित्य ने गाड़ी चलाते हुए कहा " परेशान मत हो तुम्हरे रहने का इंतजाम हो चुका है" उसकी बात सुन वो हैरान सी उसे देखने लगी वो अपनी बात जारी रखते हुए बोला


    राहुल की कंपनी अपने एम्प्लॉय को रहने के लिए घर प्रोवाइड करवाती हैं जो इस शहर में नए होते हैं और डोंट वरी उसका कुछ पेमेंट तुम्हारी सैलरी से कट हो जाएगा बाकी वहां रहने में तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी और अगर फिर भी कोई दिक्कत होती है तो मुझे बोल देना मैं देख लूंगा जहान्वी जी भी उसी अपार्टमेंट में रहती है तुम को अजीब भी नहीं लगेगा " आदित्य ने अपनी बात पूरी की।


    पर आप को कैसे पता चला हमारे बारे में" इशिता ने धीरे से सवाल किया ।

    आदित्य ने एक नजर उस पर डाली और बोला " मैं बस वहीं से गुजर रहा था तभी देखा तुम्हे " आदित्य ने झूठ बोल दिया, उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्यूं उसने इशिता से झूठ बोला था ? वो उससे ही तो मिलने आ रहा था ये क्यू नही बोल पाया था ।

    आदित्य की बात सुन इशिता ने उससे कुछ नहीं पूछा कि आदित्य ने सुनराइज़ अपार्टमेंट के पास ही गाड़ी रोकी की तभी वहां लगी भीड़ देख आदित्य ने कहा " यहां क्या हुआ है?

    देखते हैं आईए " इशिता ने कहा तो उसने हा में सिर हिलाया और दोनो गाड़ी से उतर गए भीड़ लगी हुए थी आदित्य और इशिता आगे आए सब आपस में खुसर पुसर कर रहे थे की तभी आदित्य को दीप और निरक्ष दो लोगो को पकड़कर ले जाते हुए देखे , वो दोनो उसके साथ ही काम करते हैं उन दोनो को वहां देख आदित्य ने उन्हे आवाज देते हुए कहा " दीप, निरक्ष "

    दोनो ने अपने नाम सुना और देखा तो आदित्य खड़ा था उसे देखते ही वो दोनो ने एकदम से उसे सलूट किया और बोले " सर आप "

    क्या हुआ है यहां? और तुम दोनो यहां कैसे ? आदित्य ने पकड़े हुए  आदमी को देखते हुए उन से पूछा ।

    सर फ्लैट नम्बर 402 में एक लड़की पर इन्होंने हमला किया  लड़की ने इतनी हिम्मत की चोट के बाद भी वो इन से लड़ी और किसी तरह इन्हें बाहर की ओर लेकर आई अभी वो घायल है उसके साथ फोर्स भी हुआ है " ये सुनते ही आदित्य और इशिता हैरान रह गए आदित्य ने उस आदमी को पकड़ा और गुस्से में बोला " फोर्स करना है न मैं बताऊंगा क्या होता है, निरक्ष ले जाओ इसे और इतना मारना कि ये सोना भी चाहे तो सो न सके "

    जी सर.. चल ..." उसे गुस्से से घसीटते हुए निरक्ष और दीप उसे ले गए , " वो लड़की ठीक तो होगी न ? " इशिता ने परेशानी से कहा आदित्य कुछ बोलता की तभी गाड़ी रुकी और तेज़ी से उस में उतरते हुए राहुल भागते हुए आया उसे यहां देख आदित्य और इशिता चौक गए वो दोनो उसके पास आए और कहा " राहुल तुम यहाँ? क्या हुआ? इतने परेशान ..." आदित्य आगे बोलता की उसकी बात काटते हुए राहुल बोला " भाई मिस ट्रेन!! वो ठीक नहीं हैं" ये बोलते हुए वो अंदर की ओर भागा "


    उसकी बात सुन वो दोनों चौक गए , जहान्वी ? इशिता ने आदित्य को देखा और दोनों तेजी से उसकी ओर भागे ..." राहुल जैसे ऊपर चढ़ रहा था उसका दिल और घबरा रहा था वो जैसे ही जहान्वी के फ्लैट के पास पहुंचा सामने का नजारा देख उसका दिल जैसे रुक सा गया ... पूरे फ्लैट में खून बह रहा था ... फर्श लाल हो चुका था

    मिस ट्रेन " चीखते हुए राहुल अंदर भागा, कुछ लोग जहान्वी को संभाले हुए थे वो बेहोश थी उसके सिर से खून बह रहा था राहुल ने उसे पकड़ा " मिस ट्रेन!!! मिस ट्रेन आंखे खोलिए !! मिस ट्रेन!! " वो बार बार उसका गाल थपथपाते हुए बोले जा रहा था उसने जहान्वी को अपने सीने से लगा लिया" एक बार आंखे खोलो जहान्वी " आंखे नम हो गई थी उसकी आदित्य और इशिता ने जैसे ही देखा वो भी भागते हुए आए " जहान्वी जी ? राहुल "

    भाई ...वो बोला कि इशिता बोली " राहुल जी आप जहान्वी जी को जल्दी से हॉस्पिटल लेके चलिए ये बेहोश है " इशिता की बात सुन राहुल ने जल्दी से जहान्वी को गोदी में लिया और हॉस्पिटल के लिए भागा ।


    मतलब वो लड़की जहान्वी जी थी " इशिता ने नम आंखों से कहा कि उसकी बात सुन आदित्य तेजी से बाहर निकल गया इशिता भी उसके साथ पीछे निकल गई ।

    एक घंटे बाद, राहुल की जान निकले जा रही थी जहान्वी की वो हाल देख उसका दिल जैसे रुक सा गया था कि तभी डॉक्टर बाहर आए उन्हे आता देख राहुल तेजी से उनकी ओर बढ़ते हुए बोला " सर जहान्वी ... डॉक्टर वो कैसे है अब ? उसे होश तो आ गया न "
    उसने घबराए हुए कहा।


    राहुल जी जहान्वी जी के सिर पर काफी गहरी चोट लगी है, अभी तो हमने उन्हें दवाई दे दी है.. वो बेहोश है बाकी जब उन्हें होश आएगा तब ही कुछ कह सकते हैं..." डॉक्टर ने कहा

    मैं उससे मिल सकता हूं" राहुल ने कहा

    जी " डॉक्टर ने कहा तो राहुल जहान्वी के रूम की ओर बढ़ गया ।

    जहान्वी के चहरे पर कुछ निशान बन चुके थे उसके कंधे पर भी घाव थे सिर पर पट्टी बांधी हुए थी उसकी ये हालत देख राहुल की आंखों में नमी उतर आई वो धीरे से उसके पास आते हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला " आप... ऐसी अच्छी नहीं लगती उठ जाए न मिस ट्रेन.... डाट लो मुझे आपको इतना दर्द झेलना पड़ा और मैं आपके साथ नही था ई एम सॉरी" उसकी आंखे झलक उठी ।


    की तभी आदित्य भी आ चुका ... राहुल शांति से जहान्वी को देख रहा था इशिता ने जहान्वी को देखा तो उसकी आंखे भर गई ... राहुल ने कहा " भाई ये सब कैसे हुआ ? "

    मैंने पता लगाया है राहुल जिस ने जाहन्वी जी पर हमला किया वो तो उन्हें पहले से जानता था जहान्वी जी ने उनका केस लड़ा था उससे पूछने पर उसने बताया कि उसे पैसे मिले थे जहान्वी जी के साथ ऐसा करने के लिए उसने बस जहान्वी जी पर हमला किया था बाकी उसने कुछ नहीं किया..." आदित्य ने कहा

    कुछ नहीं किया ? देखिए उन्हें और आप कह रह है कि कुछ भी नही किया इसने ? मैं जान ले लूंगा उसकी भाई " उसकी आंखे गुस्से से सुलग रही थी ।

    वो अकेला नहीं है राहुल कोई और भी था जिसने जहान्वी के साथ फो.. स वो बोलते हुए चुप हो गया आदित्य की बात सुन राहुल हैरान सा उसे देखते हुए बोला " क्या ? क्या कहा आपने भाई ? फोर्स...."
    उसकी आवाज हकला रही थी।


    आदित्य चुप रहा कि राहुल अब चीख उठा " बोलिए भाई क्या ऐसा हुआ है जहान्वी के साथ बोलिए " की दरवाजा खुला और एक नर्स जो इतना शोर सुन आई थी वो बोली " प्लीज़ ये हॉस्पिटल है पेशेंट को परेशान न करे " वो थोड़ी नाराजगी से बोली ।

    ई एम सॉरी नर्स ये थोड़े परेशान हैं आप फिक्र मत करिए अब ऐसा नहीं होगा " इशिता ने बात संभालते हुए कहा।

    नर्स वहां से चली गई की आदित्य राहुल को समझाते हुए बोला " मैं समझ रहा हूं तेरा गुस्सा राहुल पर गुस्से में कुछ ऐसा मत कर जो बाद में तुझे अफसोस हो .... और मैं नहीं चाहता तू कुछ ऐसा करे जो कानून तोड़े में हूं और वादा करता हूं तुझसे मैं उसे को ढूंढ के रहूंगा जिसने ये सब किया है भरोसा है न मेरे पर "


    राहुल ने उनकी ओर देखा वो कुछ बोलता की तभी जाहन्वी की कुछ आवाज पड़ी " नो .. नही " उसकी आवाज सुनते ही राहुल एकदम से उसकी ओर पलटा " मिस ट्रेन... मैं यही हूं" वो उसका हाथ पकड़े बोला जहान्वी एक बार फिर चुप हो गई ... आदित्य और इशिता बस देख रहे थे।

    कुछ देर बाद
    शाम हो चुकी थी जहान्वी अभी तक बेहोश थी राहुल एक पल के लिए भी वहां से नहीं हटा था आदित्य पुलिस स्टेशन जा चुका था बाकी के लिए इशिता वही रुक गई थी डॉक्टर चेकउप के लिए आए हुए तो राहुल बाहर बैठ गया इशिता ने उसे देखा तो वो भी वही बैठ गई राहुल काफी परेशान था कि तभी इशिता ने कहा


    आप फिक्र मत करिए राहुल जी जहान्वी जी ठीक हो जाएगी " इशिता ने उसे समझाते हुए कहा।

    इतना दर्द वो कैसे झेली होगी इशिता जी " राहुल की आंखों में दर्द उतर आया ।

    वो काफी ताकवर हैं राहुल जी मैं उन से जब पहली बार मानव ...बोलते बोलते वो एक पल को चुप हो गए फिर खुद को संभालते हुए बोली" तब उन्होंने मुझे समझाया था मेरा दर्द वो समझी थी और देखिए उन्होंने उस लड़के को भी पकड़वाया खुद को इतनी चोट लगने के बाद भी मुझे पूरा विश्वास है वो जल्दी ठीक होगी और वापिस से हम सब के साथ होगी " इशिता की बात सुन राहुल उन्हें देखने लगा कि एक बार फिर वो बोली " आप प्यार करते हैं न जहान्वी जी से ?"


    राहुल हैरान सा उसे देखने लगा इशिता ने कहा" आपकी आंखो में उनके लिए प्यार दिखता है राहुल जी "

    पता नहीं इशिता जी पर उन्हें किसी भी प्रकार की मुसीबत में नहीं देख सकता उन्हें एक भी तकलीफ होती है तो मैं परेशान सा हो जाता हूं नहीं जानता कि ये प्यार है या नहीं पर आज मैं उन्हें इस तरह नहीं देख पा रहा ... " राहुल की बाते सुन इशिता आगे बोलती की तभी जाहन्वी के रूम से चीखने की आवाज आई जिसे सुन वो दोनों चौक गए ... मिस ट्रेन " राहुल ने कहा और उस ओर भागा इशिता भी अंदर भागी राहुल जैसे ही अंदर आया सामने देखकर दंग रह गया।


    नही.... आह नहीं.... अपने वालो को नोचते हुए जहान्वी चीख रही थी उसकी ये हाल देख राहुल और इशिता दंग थे नर्स उसे रोकने की कोशिश कर रही थीं पर वो उसकी नहीं सुन रही थी... वो अपने बाल नोच रही थी... आह...." ... इशिता उसकी ओर भागी " जहान्वी जी रुक जाइए... रुक जाए... " पर उसे देख जहान्वी और बुरी तरह से डर गई वो " हटो.. हटो वो खुद को मारने लगी उसने कैची उठा ली.... हटो .. उसकी हाथ में कैची देख इशिता एकदम से पीछे हो गई... जहान्वी ने जैसे ही खुद को मारना चाह वैसे ही किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया....." नहीं मिस ट्रेन"

    उसने उस आवाज़ की ओर देखा तो राहुल खड़ा था उसने जहान्वी का हाथ पकड़ा हुआ था जहान्वी उसे देख रही थी उसने न में इशारा किया और बोला " रुक जाए प्लीज "

    तुम मुझे मरोगे ? उसने कहा कि वो बोला " नहीं कभी नहीं पर अगर आप इसे नहीं रखेंगी तो आपको लग जाएगी प्लीज़" राहुल ने कहा उसकी बात का पता नहीं क्या था जहान्वी एकदम से शांत पड़ गई उसने अपना हाथ नीचे कर लिया...  की नर्स आगे बढ़ती उसे देखते ही जाहन्वी ने एकदम से राहुल का हाथ पकड़ लिया" नहीं इसे दूर करो ...ये बहुत जोर से मार रही है "


    मैं बस इनकी चोट देख रही हूं अब बाल तो खींचेंगे ही न क्या करु मैं ये इस तरह से क्या कर रही है कि राहुल एकदम से बोल " तो आप इस तरह से करेगी? आपका काम है अपने पेशेंट को देखना उनका ध्यान रखना आप ही इस तरह से करेगी तो ? क्या होगा ये है आपका काम " उसकी बात सुन वो नर्स चुप हो गई।


    राहुल ने जहान्वी की ओर देखा और बोला " आप यहां रुको मैं अभी आया मैं आया " वो जाने लगा की उसने उसका हाथ पकड़ लिया राहुल ने देखा तो वो मासूमियत से उसे देख रही थी " तुम छोड़कर मत जाओ फिर मारेगे " उसकी बात सुन राहुल ने खुद को संभाला और बोला " नहीं मारेगे , मैं आऊंगा वापिस और ये न मेरी फ्रेंड है ये तब तक आपका ध्यान रखेंगी " उसने इशिता की ओर देखा तो इशिता ने हा में सिर हिलाया " हा बिल्कुल न "

    जहान्वी ने उसे देखा लेकिन वो घबरा रही थी कि राहुल ने प्यार से कहा " प्लीज़" उसकी बात सुन उसने हा में सिर हिला दिया और चुप हो गई राहुल हल्का सा मुस्कुराते हुए एक बार इशिता को देखा और वह से चला गया जाहन्वी उसे ही देख रही थी कि इशिता उसके पास आते हुए बोली " बाल बना दु? दर्द नहीं होगा पक्का " उसने प्यार से कहा जहान्वी ने हा में सिर हिलाया तो इशिता ने कांब ले लिया और धीरे धीरे उसके बाल करने लगी ।


    वही राहुल डॉक्टर के केबिन में बैठा हुआ था जहान्वी का ये बर्ताव उसे समझ नहीं आ रहा था कि तभी डॉक्टर आए उन्हे देख राहुल ने कहा " डॉक्टर जहान्वी " उसकी बात सुन डॉक्टर ने एक गहरी सांस ली और अपनी कुर्सी पर बैठे राहुल की ओर देखते हुए बोले " मिस्टर राहुल जो सोचा था वही हुआ " उनकी बात सुन राहुल उन्हें देखने लगा।

  • 14. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 14

    Words: 3778

    Estimated Reading Time: 23 min

    राहुल जिसका डर था वहीं हुआ " डॉक्टर ने रिपोर्ट्स को देखते हुए कहा राहुल उनकी बात सुन परेशान सा बोला " पर क्या हुआ ? डॉक्टर ? डॉक्टर ने एक गहरी सांस ली और बोले " जहान्वी के सिर पर चोट लगी है जहां उसे चोट आई है वो दिमाग का सबसे नाजुक हिस्सा होता है, जो भी चीज़ उसके सिर पर लगी है वो इतनी फोर्स से मारी गई थी कि सच बोलो तो मुझे यकीन नहीं हो रहा कि जहान्वी ने इतनी देर तक फाइट कैसे की ? कुछ चोट और कुछ सदमे की वजह से कभी कभी कोई गहरा सदमा लगता है या कोई पुराना हादसा हो अकसर ऐसी साइट्शन में दिमाग सही से काम नहीं कर पाता हमारे दिमाग ने एक जगह होती है जिस में सारी मेमोरी फिक्स्ड होती है... और याद करने पर हम रेकॉल कर पाते हैं

    पर जहान्वी के केस में उसका दिमाग इस समय पुरानी बातो को यादों को रिकॉल नहीं कर पा रहा है वो उस समय में अटक गया है जब वो बच्ची थी और इसलिए अभी जो तुमने देखा उसका बर्ताव वो भी इसी वजह से "

    डॉक्टर की बातों को सुन राहुल को झटका सा लगा उसकी मिस ट्रेन खुद को भूल चुकी थी ? वो क्या है ये उन्हें नहीं पता था ? उसकी आंखो में दर्द उतर गया " मैं समझ सकता हूं राहुल पर इस समय जहान्वी का पूरा ध्यान रखना होगा कोई भी ऐसी बात या कुछ भी जो उसे परेशान करे उसके लिए दिक्कत कर सकता है "

    डॉक्टर क्या जहान्वी को याद दिलाया जा सकता है? मेरा मतलब है कि उन्हें कब तक याद आ जाए खुद से " अपने आपको संभालते हुए वो बोला ।

    देखो राहुल ये कहना तो मुश्किल है क्यूंकि मुझे भी नहीं पता कि जहान्वी को सही होने में कितना वक्त लगे हो सकता है वो जल्दी ही याद कर ले या हो सकता कभी.. नहीं ऐसी हालत में तो सिर्फ उसे जितना अपना पन और प्यार मिलेगा उसके लिए अच्छा होगा और हां उसके दिमाग में जोर न पड़े अगर ऐसा हुआ तो उसके दिमाग की नस फट सकती जिससे उसकी जान जा सकती है" डॉक्टर ने उसे बताया ।

    राहुल चुप सा सुनता रहा वो उठा और जाने लगा कि डॉक्टर ने उसे आवाज देते हुए कहा " राहुल जहान्वी कभी कभी काफी गुस्सा भी कर सकती है ऐसे में वो तुम्हे या खुद को किसी को भी चोट पहुंचा सकती है तुम उसे संभाल पाओगे ? मेरी मानो तो उसे

    असायलम .... डॉक्टर ने इतना ही कहा था कि उनकी बात काटते हुए वो बोल उठा " वो कुछ नहीं करेगी मैं उन्हें संभाल लूंगा उन्हें इस समय अपनो की जरूरत है और मैं उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकता चाहे कुछ भी हो " और तेज कदमों से वहां से निकल गया डॉक्टर उसे जाते हुए देखते रहे ।

    इशिता जहान्वी से बात कर रही थी जिनका जवाब वो बस हा हू में दे रही थी " वो चले गए न " अपनी रोती हुए आवाज में उसने कहा जिसे सुन इशिता बोली " नहीं वो नहीं गए अभी आयेगे आपको चोट लगी है न तो डॉक्टर से पूछने गए हैं कि आप घर कैसे और कब जा सकती हैं"

    सच्ची न " उसने कहा।

    हा" इशिता ने प्यार से कहा कि तभी राहुल अंदर आया उसे देखते ही जाहन्वी एकदम से बोली " आ गए .. आ गए .." उसे इस तरह देख राहुल बस देखता रहा उसकी जहान्वी की क्या हालत हो गई थी उसका दिल कर रहा था की समय में वापिस जाकर उसे बचा लेता पर अब ऐसा होना नामूकिन था " आओ न " जाहन्वी की आवाज़ सुन वो होश में लौटा और हल्की सी मुस्कान लेते हुए उसके पास आते हुए बोला " देखो आ गया न कहा था न मैंने नहीं जाऊंगा "

    जहान्वी ने राहुल को गले लगा लिया और अपने हाथ उसके कमर के चारों और अपने हाथ बांधते हुए बोली " अब मत जाना मुझे अच्छा नहीं लगा " वो किसी बच्चे की तरह ही उससे बोली ये देख राहुल ने प्यार से उसका सिर सहलाते हुए कहा " ओके नहीं जाऊंगा "

    पनीकी प्रोमिस " उसने कहा

    पिंकी प्रोमिस " राहुल ने कहा तो जहान्वी खुश हो गई राहुल उसका सिर सहलाता रहा धीरे धीरे की कब ऐसे जहान्वी को नीद आ गई उसे पता ही नही चला राहुल और इशिता ने देखा तो मुस्कुरा दिए राहुल ने धीरे से उसे अलग किया और आराम से लिटा दिया उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला " मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा हमेशा उसकी आंखो से आसू की बूंद टपक गई जिसे उसने जल्दी से साफ किया और इशिता से बोला


    इशिता जी मुझे आदि भाई से मिलने जाना है आप बस तब तक जहान्वी जी को देख लेंगी ? मैं जल्दी आऊंगा " उसने कहा जिसे सुन इशिता बोली " राहुल जी आप कैसे बात कर रहे हैं? आप आराम से जाए मैं यही हूं कोई भी बात होगी में आपको फोन करूंगी "

    थैंक्यू इशिता जी " राहुल ने कहा तो इशिता हल्का सा मुस्कुरा दी राहुल ने एक नजर जहान्वी को देखा और वह से निकल गया इशिता वही जहान्वी के पास बैठ गई ।


    पुलिस स्टेशन

    आदित्य उस लड़के को बुरी तरह से पीट रहा था जिससे उसकी चीखे बाहर तक आ रही आदित्य का गुस्सा देख बाहर खड़े ऑफिसर भी आज डर रहे थे " सर आज इतने गुस्से में हैं इसकी जान ले लेंगे " एक ने कहा।

    तो लेनी ही चाहिए तू नहीं जानता इसने आदित्य सर की दोस्त पर हमला किया है सर तो इसका कीमा बना देगे " दूसरे ने कहा

    बोल .. कौन था वो बोल " उसे पीटते हुए वो बोल रहा था।

    सर...हमे नहीं पता मैंने कुछ नहीं किया मुझे बस जो कहा वही किया और कुछ .." वो लड़का आगे बोलता की तेजी से वहां आते हुए राहुल ने उस लड़के को देखा तो उसकी आंखे गुस्से से सुलग उठी उसके सामने जहान्वी का चेहरा घूम गया" कुछ नहीं किया तूने ? कुछ नहीं किया " ये कहते हुए उसने अंदर आकर आदित्य के हाथ से डंडा लिया और मारते हुए बोला" कुछ नहीं किया तूने ? तेरी वजह से वो अपनी जान खोते खोते बची हैं... तूने कुछ नहीं किया ? तेरी वजह से वो खुद को भूल गई है तूने कुछ नहीं किया ?...वो मार रहा था वही राहुल की बाते सुन आदित्य हैरान सा उसे देखने लगा ... और तू बोल रहा है तूने कुछ नहीं किया ... आज मार डालूंगा तुझे मैं " राहुल बुरी तरह से उसे मार रहा था की आदित्य ने उसे रोका " रुक जा राहुल वो मर जाएगा "

    तो मर जाने दो " राहुल ने मारना चाह की आदित्य बोल उठा " राहुल तुम्हे जहान्वी जी की कसम छोड़ उसे " आदित्य के इतना कहते ही राहुल के हाथ रुक गए , आदित्य ने न में इशारा किया राहुल ने उस लड़के को देखा और डंडा वही गिराकर बाहर निकल गया आदित्य उसे जाते हुए देखता रहा उसने उस लड़के की ओर देखा और बोला " जिंदा रहना चाहिए ये " और चला गया बाकी सब किसी भूत की तरह ये देखते रहे ।

    राहुल बाहर निकल आया था वो वही बेंच पर जा बैठा आदित्य ने उसे देखा तो उसके पास जाकर बैठ गया और धीरे से बोला "राहुल उनकी आवाज़ सुन राहुल ने अपनी सुनी आंखो से उसे देखा और अगले ही पल गले लग कर रो पड़ा .... आदित्य इतने वक्त से राहुल को जानता था उसने कभी उसे इस तरह रोते हुए नहीं देखा आज उसे इस तरह देख वो घबरा उठा

    राहुल क्या हुआ? बता न क्या बात है? तू इस तरह से रो रहा है बोल न जहान्वी जी ? वो ठीक है बोल न " आदित्य परेशान सा हो गया था राहुल थोड़ा अलग हुआ और खुद को संभालते हुए उसने आदित्य को वो सब बताया जो हुआ उसकी बात सुन आदित्य को झटका लग गया ....

    ये ...." आदित्य की आंखे भी भर उठी , ये सब उसने कहा कि राहुल बोला " वो दूसरा कौन है? भाई वो कहा भी हो मुझे वो चाहिए उसका वो हाल करूंगा कि उसे बेहद अफसोस हो और उस समय आप क्या कोई भी मुझे नहीं रोक पाएगा" उसकी आंखे सुलग रही थी, वो उठा और बोला " भाई इशिका जी कल से उन के साथ है अब मैं चलता हूं आप उन्हें घर ले जाओ वो आराम कर लेगी "

    ठीक है, मैं चलता हूं तेरे साथ " उसने कहा।

    राहुल ने कुछ नहीं आदित्य ने सबको ध्यान रखने को कहा और राहुल के साथ निकल गया इस बीच दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई।

    ..............


    सृष्टि दूसरी ओर अपना स्कूल करके लौट रही थी आज राज स्कूल नहीं आया ये सुन उसे थोड़ी हैरानी हुए क्युकी वो जानती थी की राज कभी बिना किसी वजह के घर पर नही होगा स्कूल की छुट्टी हो जाने पर उसने तय कर लिया की वो राज से मिलने जाएगी और वो अपने काम में लग गई लंच टाइम में भी उसने थोड़ा बहुत ही खाया और काम लग गई छुट्टी हुए तो उसने जल्दी से सारा सामान रखा और तेज़ी से राज के घर निकल गई

    आज पता नहीं क्यू हमे अच्छा नहीं लग रहा " आपने आप से बात करती हुए वो राज के घर जा पहुंची उसने गेट पर हाथ दिया ही था की तभी वो हल्के से खुल गया श्रृष्टि को काफी हैरानी हुई उसे पता था राज इतना लापरवाह नहीं है वो अंदर आते हुए बोली " राज !! तुम ठीक तो हो न " की तभी उसकी नज़र सामने जमीन पर पड़ी जिससे उसकी आंखे बड़ी हो गई समान हाथ से गिर गया

    राज !!!!!!! " वो चीख उठी।


    आधे घंटे बाद

    धीरे धीरे राज की आंखे खुली ... उसने देखा तो वो अपने कमरे में था उसने उठने की कोशिश की तभी उसे आवाज़ आई " रुको " उस आवाज को सुन वो हल्का सा चौक उठा श्रृष्टि अंदर आई और उसे सही से बैठाया " कैसा फील कर रहे हों अब ? " पास में एक बॉउल रखते हुए वो बोली

    आप यहां? वो थोड़ा हैरान सा था उसने एक नजर उस पर डाली और फिर पास ही दवाई हाथ में ली और गिलास में पानी लेकर उसकी ओर बढ़ा दी वो उसे देख रहा था" ले लो " वो कुछ नहीं बोला उसने दवाई खा ली श्रृष्टि ने पानी वापिस रखा और बाउल को हाथ में लेकर उसे सूप पिलाने लगी राज की नजर उस पर ही थी पर श्रृष्टि ने उसे कोई जवाब नहीं दिया वो चुपचाप से उसे सूप पिला रही थी सूप के बाद श्रृष्टि ने वापिस बाउल रख दिया

    आपके लिए खिचड़ी बना दी है हर्ष आ जायेगे आपके साथ रात में रुक जायेगे सुबह स्कूल के बाद मैं आ जाऊंगी और जब तक आप ठीक नहीं होते स्कूल मत आएगा हम सर को बता देगे अब आराम करे हर्ष आ जायेंगे तो हम चले जायेंगे " उसने कहा


    वो जाने लगी की राज बोल उठा" आप परेशान हो इसलिए नही बताना चाह था"  की उसकी बात काटते हुए वो पलटी की उसे देखते ही राज परेशान हो गया उसकी आंखो से आसू बह रहे थे

    श्रृष्टि आप .. वो उठने को हुआ की उसे चक्कर सा गया की उसने उसे पकड़ा और गुस्से में बोली " आप कहां जा रहे हैं? बैठिए चुप से आप को समझ नहीं आता क्या ? किसी को बताना जरुरी नहीं लगा आपको ? दो दिन से फीवर है आपको और उस हाल में आप स्कूल आ रहे थे और आज आप बेहोश पड़े हुए थे इतने लापरवाही आप कैसे कर सकते आप राज ? अगर आपको कुछ हो जाता तो ? आप किसी को नहीं बोल सकते थे? और डॉक्टर के पास क्यू नही गए थे?  आप को ...की तभी उसने अपनी उंगली उसके लबों में रख दी श्रृष्टि के पूरे बदन में एक सिरहन दौड़ गई...


    आप आ गई न अब मैं ठीक हो जाऊंगा " राज ने धीरे से उसकी आंखो में देखते हुए कहा ।


    दोनो एक दूसरे को देख रहे थे की राज ने कहा" उंगली हटा रहा हूं पर आप डाटेंगी तो नही न इतनी सारी सुन ली सॉरी न " उसने बच्चो की तरह मुंह बनाते हुए कहा की श्रृष्टि ने आंखो ही आंखो में उसे घूरा राज ने अपनी उंगली हटा ली और बोला" सॉरी न पक्का आगे से ऐसे नहीं करूंगा "

    अगर किया न तो हम आपको छोड़ेंगे नही समझे " श्रृष्टि ने कहा

    ओके " राज ने कहा तो श्रृष्टि हल्का सा मुस्कुरा दी ।


    अच्छा अब तो बताए आप को कैसे पता चला मेरे बारे में? " राज ने पूछा

    तुम स्कूल की छुट्टी ऐसे ही नहीं करते कॉल किया तो उठा नही रहें थे हमे समझ नहीं आ रहा था की क्या हुआ है? हमे फिक्र हो रही थी इसलिए हम तुमसे मिलने आए तो देखा तुम बेहोश थे " श्रृष्टि ने उसे बताया ।

    हां कुछ बना ही रहा था की पता नहीं कैसे गिर गया फिर याद ही नहीं रहा " राज ने कहा

    होगा कैसे बेहोश थे " श्रृष्टि ने कहा

    पर अच्छा हुआ न में बेहोश हुआ " राज ने कहा

    वो थोड़ा असमझ से उसे देखने लगी की उसे समझते हुए वो बोला " तभी तो आप घर आई और मुझे सूप भी पीने को मिला और साथ में आपकी डाट भी फ्री हो गई" उसने कहा ही था की श्रृष्टि ने उसे घूरा राज बोलता की उसका फोन बज उठा।

    हम देते हैं रुको " दूसरी साइड मेज़ पर रखा फोन उठाकर राज को उसने दिया " थैंक्यू" राज ने प्यार से कहा की तभी उसकी नज़र फोन पर आ रहे नाम पर पड़ी जिसे देखते ही उसके चहरे के भाव बदल गए राज को अचानक इस तरह देख श्रृष्टि ने कहा " क्या हुआ राज ? " राज ने उसकी ओर देखा और बोला " कुछ नहीं आप प्लीज मेरा एक काम कर देगी ? "

    हां बोलो " श्रृष्टि ने कहा

    आप एक कप चाय बना देगी मेरे लिए वो मेरे सिर में दर्द हो रहा है और आपके हाथ की चाय तो सबसे अच्छी होती है " राज ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा

    ओके लाती हूं पर तुम यहीं रहना " श्रृष्टि ने कहा

    राज ने हा में सिर हिलाया श्रृष्टि चाय बनने चली गई उसके जाते ही राज के चहरे पर आए भाव बदल उठे उसने फोन की ओर देखा और एक बार फिर कॉल लगा दिया कुछ ही पलो में फोन लग चुका था सामने से कोई कुछ बोलता की राज नाराजगी से बोला

    आप को साफ मना किया था कि मुझे कॉल मत करिए मेरी फिक्र करना छोड़ दे मैं जैसा हूं ठीक हूं अगर आपने अगली बार कॉल किया तो याद रखियेगा इस बार आपको पता भी नहीं होगा कि मैं कहा हूं " ये कहते हुए राज ने बिना सामने वाली की बात सुन फोन काट दिया उसके आंखो में एक दर्द पनप गया की तभी सृष्टि की आहट सुन उसने खुद को नॉर्मल कर लिया।



    .........

    आदित्य और राहुल हॉस्पिटल जा पहुंचे वो कमरे में आए तो देखा इशिता ने उसको तैयार कर दिया था जहान्वी को आज डिचार्ज मिल रहा था इशिता ने आदित्य और राहुल को देखा तो बोली " राहुल जी का वेट करते करते सो गई है बहुत देर से पूछ रही थी कहा है कब आयेगे रोते रोते सो गई ..." उसकी बात सुन राहुल जहान्वी के पास आया और उसका प्यार से सिर पर हाथ रखा ही था की जहान्वी की आंख खुल गई उसने राहुल को अपने सामने देखा तो एकदम से खुश होते हुए बोली " तुम आ गए "

    राहुल ने हां में सिर हिलाया और बोला " अब घर चलोगे ? " की जहान्वी गुस्सा करते हुए बोली " नहीं"


    क्यूं? वो थोड़ा हैरान हुआ ।

    तुम देर से आए तुमने कहा था जल्दी आओगे फिर ? तुम्हारी दोस्त से कब से पूछ रही थी पर तुम आए ही नहीं अब मैं भी नहीं जाऊंगी
    जहान्वी गुस्से में बोली

    पर मैं तो आपके लिए घर में सरप्राइज़ करने गया था अब आपको बता देता तो सरप्राइज़ कैसे रहता ? पर क्या होगा अब आप तो अब आओगे नहीं " राहुल ने बेचारगी से कहा।

    सच ? जहान्वी ने मासूमियत से पूछा

    मूछ" राहुल ने कहा तो वो एकदम से खुश हो उठी " मैं चलूंगी " उसे देख राहुल मुस्कुरा उठा की उसने जहान्वी की ओर अपना हाथ बढ़ाया तो उसने झट से पकड़ लिया वो उठी ही थी की तभी सामने खड़े आदित्य को पुलिस यूनिफॉर्म में देख उसने कस के राहुल को पकड़ लिया और उसके पीछे छुप गई।

    अचानक से जहान्वी को यूं घबराया हुआ देख राहुल बोला

    क्या हुआ ? आप डर क्यू रही है? " पर जहान्वी ने और कस के उसे पकड़ लिया और उसके पीछे छुपने लगी उसे इस तरह देख राहुल ने जब उसकी नजरो का सामना किया तो देखा कि आदित्य को देख वो डर रही है उसे ये समझते हुए देर नहीं लगी उसने जहान्वी का हाथ पकड़ा और बोला " डरिए मत ये कुछ नहीं करेगे ये तो मेरे दोस्त हैं आपसे मिलने आए हैं "

    नहीं... नही.. वो घबराई हुए सी और अंदर घुस गई , उसे इस तरह देख आदित्य ने आगे बढ़ना चाह की इशिता ने उसे रोकते हुए कहा

    सर जहान्वी जी शायद आपकी ड्रेस की वजह से आपसे डर रही है आप अगर यूनिफॉर्म में न आकर नॉर्मल आए तो हो सकता है वो डरे नहीं अभी इस समय अगर आप बात भी करेंगे तो वो शायद कर न पाए "

    इशिता की बात सुन आदित्य ने राहुल से कहा" राहुल तुम जहान्वी जी को घर ले जाओ मैं इशिता को लेके आता हूं "

    राहुल ने हा किया और जहान्वी को लेकर निकल गया आदित्य उसे जाते हुए देखता रहा फिर वो भी इशिता के साथ घर निकल गया ।


    जहान्वी चुप सी बैठी रही राहुल ने एक नजर उस को देखा और बोला " आप से एक बात पूछूं? "

    जहान्वी ने उसकी ओर देखा तो वो बोला " आपको मेरे दोस्त से डर लगा ? "

    हां वो मुझे ले जायेगे न मैंने तो कुछ नहीं किया फिर ?" उसकी बात सुन राहुल मुस्कुराते हुए बोला " क्यू ले जायेंगे? आपने कोई बेड काम किया ? "

    नहीं पोलिस वाले ले जाते हैं और मारते भी जोर से " उसने कहा

    उसकी बात राहुल एक पल को चुप हो गया की जहान्वी ने कहा" मुझे नहीं मिलना उससे मुझे नहीं मिलना "

    ओके नहीं मिलेगे अब शांत हो जाओ चलो और ये बताओ भूख लगी है? " राहुल ने उसकी बात को हा में सिर करते हुए कहा।

    हूउउऊ बहुत जोर से " जहान्वी ने कहा

    राहुल ने गाड़ी सुनराइज़ अपॉर्न्टेंट के सामने रोकी जहान्वी की नजर जैसे ही उस पर पड़ी उसके सामने कुछ घूमने लगा उसके सिर में दर्द होने लगा राहुल जो गाड़ी से उतरा था जहान्वी को उतारने के लिए जहान्वी को इस तरह से देख वो तुरंत परेशान हो गया

    जहान्वी ...... क्या हुआ आप ? उसने उसे पकड़ा ही था की वो जोर से चीखने लगी" नहीं जाना मुझे नहीं जाना ...नहीं " उसकी ये बात सुन राहुल हैरान रह गया... नहीं मुझे मार देगे नहीं मुझे नही जाना खून नहीं " वो अपना सिर पकड़े बोले जा रही थी उसका चेहरा लाल हो रहा था राहुल जहान्वी की हालात देख डर गया क्युकी वो जानता था कि इस समय जहान्वी के सिर पर जोर नहीं आना चाहिए उसने उसे संभाला और बोला " ओके ...ओके चलते है यह से शांत शांत आप अच्छे बच्चे हो न " उसे गले लगाकर शांत करते हुए वो बोला

    पर जहान्वी का दर्द कम नहीं हो रहा था की तभी वो जल्दी से गाड़ी में बैठा और वहा जहान्वी को लेकर निकल गया पर इस बीच जहान्वी दर्द की वजह से फिर से बेहोश होने लगी थी कि राहुल ने उसका हाथ पकड़ा और बोला " बस आ रहे हैं घर प्लीज़ मिस ट्रेन"

    उसकी आवाज़ सुन उसने उसका हाथ कस के थाम लिया... राहुल तेजी से एक घर के सामने पहुंचा वो जल्दी से गाड़ी से उतरा और जहान्वी के पास आकर दरवाजा खोला जहान्वी दर्द से अपनी आंखे नहीं खोल पा रही थी उसने उसे गोदी में उठाया और अंदर की ओर भागा " कॉल द डॉक्टर" उसकी इतनी तेज आवाज सुन सर्वेंट सीधे फोन करने भागे ।

    आधे घंटे बाद

    रूम पर डॉक्टर जहान्वी को चेक कर रहे थे " नहीं... नहीं.. " वो बडबडा रही थी " क्या हुआ डॉक्टर जहान्वी को वो ठीक थी पर अचानक से उसके दर्द होने लगा" वो परेशान सा बोला


    कुछ देर बाद डॉक्टर ने कहा " मिस्टर राहुल आपसे कहा था कि जहान्वी की स्टेट अच्छी नहीं है उसे किसी भी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए और अभी उसे डिस्चार्ज हुए चौबीस घंटे भी नहीं हुए उसकी ये कंडीशन हो गई है अगर ज्यादा देर होती तो उसकी दिमाग की नस फट सकती थी आप समझ रहे हैं"

    उनकी बात सुन राहुल काफी परेशान हो गया कि डॉक्टर ने आगे कहा " आपने जहान्वी को कुछ याद दिलाने की कोशिश की थी ?"

    नहीं डॉक्टर मैं ऐसा कुछ नहीं कर सकता मैं बस उन्हें उनके घर लेकर जा रहा था पर बिल्डिंग को देखते ही जहान्वी चीखने लगी और उनकी ये हाल हो गया" राहुल ने कहा

    हो सकता है जिस जगह जहान्वी के साथ ये हादसा हुआ वो उसी जगह को देख ऐसे रिएक्ट कर गई है मैं आपको ये ही कहूंगा राहुल जी की जहान्वी को वहां न ही ले जाए तो बेहतर होगा उनके लिए उन्हें अभी प्यार और केयर की बहुत ज्यादा जरूरत है वो जितना खुश रह सके आप करे और वो आपके साथ सेव फील करती हैं तो मेरा मानना ये ही होगा कि आप साथ रहे उनके "

    डॉक्टर की बात सुन राहुल जहान्वी को देखने लगा जो दवाईयों के असर से सो रही थी।

    डॉक्टर चले गए राहुल जहान्वी को देखता रहा इशिता और आदित्य को भी उसने कह दिया था कि जहान्वी को वो अपने घर ले आया था उसे अकेला नहीं छोड़ सकता था वो


    कुछ देर तक वो उसे देखता रहा फिर उसने अपना फोन उठाया और किसी को लगा दिया कुछ देर में सामने वाले ने फोन उठा लिया कि राहुल बोला " मुझे तुमसे मिलना है आधे घंटे में मेरी गाड़ी तुम्हे लेने आ रही है एड्रेस भेज दो "


    उसने कहा और फोन रख दिया और वापिस जहान्वी के पास आ बैठा उसने उसके सिर पर हाथ फेरा और बोला  " मिस ट्रेन आप को सही करने के लिए जो करना होगा मैं करूंगा " आसूं उसकी आंख में आ गया उसने अपनी आंखे बंद कर ली और वही जहान्वी के पास ही टेक लगाकर बैठ गया ।

  • 15. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 15

    Words: 2775

    Estimated Reading Time: 17 min

    आदित्य ने इशिता को घर छोड़ा वो काफ़ी परेशान लग रहा था ये बात उसने रास्ते में ही भाप ली थी " क्या मैं सर को फोन करो ? " आपने आप से ही पूछती हुए इशिता ने कहा कुछ देर की इस उलझन से लड़कर आखिर कर थोड़ा घबराते हुए उसने आदित्य के फोन पर फोन लगा ही दिया जैसे जैसे घंटी बज रही थी इशिता का दिल भी उतनी ही तेजी से धड़क रहा था .. असल में उसे समझ नहीं आ रहा था कि अगर आदित्य ने फोन उठा लिया तो वो क्या करेगी ?  क्या कहेगी ? " अपनी ही उलझन में उलझी हुए थी वो की फोन कट गया।

    इशिता – शायद बिजी है सर"

    उसने फोन को देखा और वापिस रख दिया पर अब उसे पता नहीं क्यू आदित्य का फोन न उठाना अच्छा नहीं लग रहा था ।

    इशिता को रहने को तो मिल गया और अब जॉब भी उसके पास थी लेकिन अब उसका भाई उसके पास नहीं था इस बड़े से घर में वो अकेली थी जिसे याद कर उसकी आंखो में नमी उतर आई वो छोटी सी बालकनी में जा खड़ी हुए जो उसके कमरे से ही लगी हुए थी

    इशिता – मम्मी पापा मनु आप सब मुझे अकेला क्यूं छोड़ गए ?  देखो मेरे पास तो अब जॉब भी है और घर भी मिला है मनु को अच्छा लगता था ऐसे घर लेकिन देखो मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूं

    आसमान में तारो से वो शिकायत कर रही थी , उसने अपने आंसू संभाले और हाथ जोड़कर खड़ी हो गई उसे जहान्वी की फिक्र थी और साथ ही आदित्य को परेशान देख वो भी चिंता में थी ।


    वहीं दूसरी ओर आदित्य जो कुछ काम कर रहा था उसका फोन चार्जिंग पर लगा था तो उसे आवाज का पता ही नहीं चला था उसने अपना फोन उठाया तो देखा उस पर मिसकॉल थी आदित्य ने खोला तो इशिता का कॉल था असल में जब उसने उसकी डेटलिस लिखवाई थी तभी इशिता का नम्बर भी उसके पास था इशिता का फोन इतनी रात को देख वो चौक गया ।

    आदित्य – इशिता का फोन ? इतनी रात को ? " वो चौक गया , " कही कोई बात तो नहीं हुए ? " वो खुद से ही परेशान हो गया

    उसने इशिता को वापिस कॉल लगा दिया जो जहान्वी के साथ हुआ था उसके बाद उसने इशिता की सिक्योरिटी तो कर दी थी लेकिन इशिता के लिए नई जगह है और अकेली है ये सोच कर उसे उसकी फिक्र थी ।

    उधर इशिता का फोन बजा तो उसका ध्यान टूटा उसने वापिस बेड के पास आकर फोन उठाया तो आदित्य का कॉल आ रहा था ये देखते ही इशिता ने झट से फोन उठा लिया।

    दोनो एक साथ – तुम/ आप ठीक तो हैं न ? "

    दोनो ही चौक पड़े , एक खामोशी छा गई, कुछ देर बाद आदित्य ने खामोशी तोड़ते हुए बोला

    आदित्य –  बोलो क्या हुआ? "

    इशिता क्या बोले उसे समझ नहीं आ रहा था उसे चुप देख आदित्य ने एक बार फिर कहा

    आदित्य – फैमिली की याद आ रही है? "

    आदित्य की बात सुन वो हैरान रह गई उसे कैसे पता चला? " वो अभी भी हैरान थी की उसकी चुप्पी समझते हुए आदित्य बोला

    "इशिता "


    इशिता – हां हां!! " वो अपने होश में आते हुए बोली ।

    आदित्य – आप ने कुछ खाया ? " उसने पूछा ।


    इशिता – मन नहीं हुआ , जहान्वी जी की फिक्र हो रही है उनके साथ ऐसा क्यों हो गया जो लोग अच्छे होते हैं उनके साथ ही ऐसा क्यू होता है? " उसने अपनी मन की बात उसके सामने रकते हुए कहा।

    आदित्य – जो हुआ उसे बदला नहीं जा सकता, पर जाहन्वी जी के साथ जी जिसने भी ये किया है उसे सजा दिलवा सकते हैं और राहुल जहान्वी जी के साथ है तो फिक्र की कोई भी बात नहीं है आप परेशान मत हो " उसे समझाते हुए उसने कहा।


    हम्मम्म" एक छोटा सा जवाब इशिता ने दिया ।

    दोनो एक बार फिर चुप हो गए , की तभी आदित्य ने कहा

    आदित्य – एक काम करिए अब कुछ खाएं और सो जाइए कल आपको ऑफिस भी जाना है "

    इशिता – जी !! दोनो चुप हो गए ।

    फोन कट गया इशिता फोन को देखती रही , अब उसे थोड़ा बेहतर महसूस हो रहा था कुछ देर बाद वो बेड पर लेट गई और आंखे मूंद ली ।




    श्रृष्टि के कहे अनुसार रात को हर्ष राज के पास रुक गया था ।

    ये ले भाई !! तेरे लिए खाना " एक प्लेट को लेकर आते हुए वो बोला और प्लेट वही राज के पास जा रखी ।

    राज ने प्लेट देखी तो उसने मुंह बना लिया उसने खिचड़ी थी वो बोला " यार अभी भी ये ही खाना पड़ेगा ? "

    हां !! और वैसे भी मैं तेरी कुछ नहीं सुनने वाला एक तो पहले से ही में तेरे से बेहद नाराज हूं" हर्ष ने घूरते हुए कहा।

    अब तू क्यू है ? " राज ने कहा।

    क्यू हो ? ये तू पूछ रहा है? तेरी इतनी तबीयत खराब है तू मुझे एक फोन नहीं कर सकता था साले वैसे तो बड़ा दोस्त करता है और अब बताया भी नहीं" हर्ष गुस्से में बोला।

    यार !! ऐसा नहीं मुझे लगा नोर्मल वायरल है ठीक हो जाएगा बस , राज ने अपनी सफाई देते हुए कहा।

    बस बस !! ज्यादा बन मत और खाना खा एक बार तू ठीक हो जाए फिर बताऊंगा तुझे ... वो तो अच्छा हुआ श्रृष्टि को पता चला वर्ना तो तू बेहोश ही होता ... वो कितनी फिक्र करती है तेरी " हर्ष ने कहा।

    सृष्टि का नाम सुन राज आज जो हुआ वो सुन मुस्कुरा उठा, " हां बहुत फिक्र है उन्हे मेरी जब मैं होश में आया तो वो मेरे पास ही थी बहुत डाटा भी मुझे ... " राज ने कहा।

    डाटाना क्या तुझे तो कूटना चाहिए " हर्ष ने कहा।

    राज ने बच्चो वाला मुंह बना लिया .. की हर्ष ने कहा" अब ये सब छोड़ और खिचड़ी खा ठंडी हो जायेगी और उसके बाद तुझे दवाई भी लेनी है "

    राज सड़ा हुआ सा मुंह बनके खाने लगा क्यूंकि उसे पता था की हर्ष उसे ऐसे ही नहीं छोड़ने वाला की तभी राज के फोन पर मैसेज आया उसने देखा तो श्रृष्टि का मैसेज था राज ने एक हाथ से मैसेज खोला और पढ़ने लगा

    मुझे पता है तुम्हे खिचड़ी अच्छी नहीं लग रही होगी , पर अभी ये जरूरी है, बट इसके बाद तुम अपनी बेड के पास बने ड्रॉ को खोलना उसमे तुम्हरे मैंने चॉकलेट रखी है टेस्ट थोड़ा अच्छा होगा पर खिचड़ी के बाद समझे ... और कल स्कूल के बाद तुमसे आकर मिलती हूं प्रिसिपल सर को कह दिया है तो अपनी क्लास की फिक्र मत करना वो सब हो जाएगा पहले ठीक हो जाओ ओके"

    श्रृष्टि का मैसेज पढ़ राज के चहरे पर मुस्कान खिल उठी... उसने फोन बंद किया और वापिस खिचड़ी खाने लगा पर इस बार उसके चहरे पर मुस्कान थी ।

    .....

    हॉल में राहुल बैठा हुआ था उसके चहरे पर गंभीरता झलक रही थी वहां की खामोशी तोड़ते हुए वो बोला " रोज़!! आप मिस.. ट्रे" फिर खुद को संभालते हुए अपनी बात जारी रखते हुए कहा " जहान्वी जी के साथ काम करती है, उन्हे अच्छे से जानती है क्या आप बता सकती हैं उनकी फैमिली कहां है? जाहन्वी जी के साथ इतना सब हुआ पर अभी तक उनकी फैमिली से कोई भी नही आया न उनका फोन आप ने उन्हे इन्फॉर्म किया है? "

    राहुल सर मम की फैमिली के बारे में किसी को नहीं पता " रोज की बात सुन वो चौक उठा ।

    नहीं पता? राहुल ने कहा

    जी सर असल में मम के पैरेंट्स से मैं कभी मिली तो नही हुं पर एक बार मैंने सुना था मम के मुंह से की उनके पैरेंट्स को उन से कोई फर्क नहीं पड़ता वो कहां है कैसे है कोई भी नही मम के पैरेंट्स शायद यहां इंडिया में भी नही.... डैड और उनकी मॉम अलग हो गए हैं जिसके बाद दोनो ने अलग अलग शादी कर ली और मम को कोई भी साथ रखने को तैयार नहीं हुआ मम ने अपनी पढ़ाई पूरी की और वापिस इंडिया आ गई और तब से वो यही रही है न ही कोई कभी उन से मिलने आता है न मम को कॉल "

    रोज की बात सुन राहुल खामोश हो गया... जहान्वी का बचपन ऐसा होगा उसने नही सोचा था ... उसे यू चुप देख रोज ने कहा " सर... आपसे एक बात बोलो "

    राहुल ने हां में सिर हिलाया तो रोज ने कहा " सर मम के साथ जो कुछ हुआ वो सब कौन कर सकता है? "

    राहुल एक पल को चुप हो गया, उसने कहा " रोज जहान्वी जी के जितने भी क्लाइंट्स है उनका डाटा है आपके पास ? "


    सर मेम के क्लाइंट्स मम तक ही होते हैं. क्यूं कि काफी कुछ कॉन्फिडेंशियल होता है जो वो किसी को नहीं बताते है. "


    ओके !! राहुल ने कहा।

    कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा " रोज आप मेरी एक मदद करेगी ?

    जी सर बोलिए ... " रोज के ऐसा कहते ही राहुल उसे देखने लगा।

    ..........

    एक घंटे बाद
    रोज आदित्य इशिता कोर्ट के बाहर खड़े हुए थे ... इशिता ने आदित्य को देखा और कहा " सर... सब ठीक होगा न राहुल जी ने हमे अचानक से यहां क्यों बुलाया है? सब ठीक तो होगा ना जहान्वी जी वो ? वो तो सही है? "

    मुझे भी नहीं पता इशिता उसका  फोन आया की तुरंत आए "

    दोनो परेशान थे की आदित्य ने रोज़ को देखा और बोला " आप को कुछ पता है? "

    जी नहीं..  उन्होंने बस कहा की यहां आओ "


    दोनो अभी कुछ बोलते की तभी एक गाड़ी उनके सामने आकर रुकी जिसे देख तीनों उस ओर देखने लगे .. गाड़ी का दरवाजा खुला और राहुल बाहर आया ..  राहुल ने दूसरी ओर से जहान्वी को बाहर निकाला वो अब होश में आ चुकी थी ... जहान्वी को देख इशिता और बाकी सब को राहत मिली ।

    अधेरे को देख जहान्वी थोड़ी से डर गई उसने कस के राहुल का हाथ पकड़ लिया और बोली " हम यहां क्यूं आए हैं? " उसकी बात सुन राहुल ने प्यार से कहा " अंदर चले फिर बताऊंगा "

    राहुल की बाते आदित्य रोज इशिता भी नहीं समझ पा रहे थे राहुल ने उन्हे भी अंदर आने को कहा और आगे उसे लेकर बढ़ गया .. वो लोग कोर्ट के अंदर एक कमरे में थे वहां रोज के अलावा एक वकील और मौजूद था और एक आदमी और था उन्हे देख राहुल ने कहा

    आप लोग मेरे इतने शॉर्ट नोटिस पर आए उसके लिए थैंक्यू "


    सर कैसी बात कर रहे आप ? " वकील ने कहा तो राहुल मुस्कुरा उठा।

    उसने आदित्य की ओर देखा और बोला " जानता हूं आप सबके मन में काफी सारे सवाल होगे क्यू ? कैसे ? बहुत कुछ पर मैंने जो भी फैसला लिया है बहुत सोच समझ के लिया है "

    पर क्या राहुल ? क्या फैसला लिया है तुमने ? " आदित्य ने पूछा।

    राहुल कुछ देर चुप रहा फिर उसने कहा " शादी करने का "

    सब चौक गए .. शादी ? इशिता ने कहा।


    राहुल ने एक गहरी सांस ली और जहान्वी की ओर देखा जो वहा चुप सी बैठी चारों ओर देख रही थी उसने आगे कहा" हां शादी मेरी शादी जहान्वी के साथ ... " उसकी ये बात एक और झटका थी सबके लिए...

    व्हाट????? " तुम क्या बोल रहे हो ये ? " अबकी बार आदित्य की आवाज थोड़ी तेज हो चली थी ।

    राहुल जी आप कैसे जहान्वी जी से शादी ? और क्यू ? " इशिता के पूछा ।

    राहुल चुप रहा की आदित्य आगे आया और गुस्से में बोला " तुम क्या बोल रहे हो तुम्हे अंदाजा भी है राहुल ? तुम शादी की बात कर रहे हो जहान्वी जी से ? शादी कोई खेल नहीं होता राहुल ..."


    हां जानता हूं भाई " राहुल ने छोटा सा जवाब दिया।


    आप राहुल जी शादी दो लोगो की मर्जी से होती है और जाहन्वी जी इस हाल में नहीं है अभी तो फिर आप कैसे शादी कर सकते हैं उन से .. ये तो सही नहीं है और फिर उनके पैरेंट्स? " इशिता ने कहा।


    नहीं राहुल ये शादी नही हो सकती मैं ऐसा नहीं होने दे सकता इशिता जाहन्वी जी को साथ लेकर आओ " आदित्य ने कहा।


    भाई ... रुक जाओ !! ये शादी बस जाहन्वी जी के ठीक होने तक है प्लीज़ एक बार मेरी बात सुन लो फिर आपको अगर मेरी बात गलत लगती हैं तो मैं ये शादी नहीं करूंगा " राहुल ने कहा।


    उसकी बात सुन आदित्य और इशिता उसे देखने लगे, राहुल ने रोज को थोड़ी देर के लिए बाहर जाने को कहा तो वो चली गई जाहन्वी अभी भी वही बैठी हुए थी .. राहुल जो कुछ भी हुआ वो सब इशिता आदित्य को बता दिया उसकी बात सुन दोनो खामोश हो गए राहुल ने जहान्वी की ओर देखा और एक गहरी सांस लेते हुए बोला


    इस वक्त ये शादी भले ही जहान्वी जी के बिना मर्जी के हो रही है लेकिन जिस दिन उन्हे सब याद आ जाएगा वो खुद को पहले की तरह ही संभालना शुरू कर देगी उस दिन मैं उन्हे इस शादी से आजाद कर दूंगा उनका जो फैसला होगा मुझे मंजूर होगा पर अभी मैं उन्हे अकेला नहीं छोड़ सकता .. और उससे भी बड़ी बात उनके मान पर कोई आच नही आने दे सकता हूं मैं उन्हे बिना शादी के रख कर उन पर कोई भी गलत उंगली नही बर्दाश्त कर पाऊंगा जब तक वो ठीक नहीं हो जाती और जिसने भी ये किया है वो पकड़ में नही आता तब तक " राहुल ने कहा।


    राहुल की बात आदित्य और इशिता ने एक दूसरे को देखा राहुल जहान्वी के पास गया जो बैठी हुए थी उसने जमाई ली और बोली " मुझे नीद आ रही है सोना है " उसकी बात सुन वो हल्का सा मुस्कुराते हुए उसके पास बैठा और एक हाथ पकड़े हुए बोला " अभी घर चलेंगे एक बात पूछूं आपसे ? "

    क्या ? " उसने कहा।

    आप मुझे अपना फ्रैंड मानती हैं सच में "

    हां !! सच्ची वाला " वो बोली

    तो आप इसे और सच्चा करोगे ? "

    हां…" वो बोली


    ओके तो अभी हम वो सच्ची वाली दोस्ती करने वाले हैं चले "

    जहान्वी ने खुशी से हा किया तो राहुल ने उसका हाथ पकड़ा और उसे सबके सामने लाया .. उसने रोज को भी बुला लिया थोड़ी ही देर में राहुल ने जहान्वी के गले में मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर भरा ..ये सब होते वक्त उसके मन में अजीब सी उलझन थी तो वही जहान्वी खुश हो रही थी" ये क्या है न्यू न्यू " ये क्यू पहने हूं मैं? " उसकी बात सुन आदित्य इशिता ने एक दूसरे को देखा राहुल क्या बोलता उसे समझ नहीं आ रहा था की इशिता उसके पास आई और बोली


    अभी अभी राहुल जी ने कहा न की आप दोनो सच्चे वाले फ्रैंड बन गए हो ये आपको गिफ्ट है इसे हमेशा पहनना जैसे फ्रिंडशिप बैंड होता है न वैसे "

    गिफ्ट .. ये मेरे लिए तुम लाए" जाहन्वी ने कहा तो राहुल ने हल्की सी मुस्कान के साथ है में सिर हिला दिया।

    पहले तो वो खुश हो गई पर अगले ही पल वो बोली " पर मेरे पास तो कुछ नहीं है देने को "


    इशिता कुछ बोलती की राहुल बोला " आप के पास है देने के लिए"

    क्या ? " जाहन्वी ने कहा।

    आपकी प्यारी सी स्माइल आप ऐसी ही स्माइल करोगी तो मुझे गिफ्ट मिल जाएगा " राहुल की बात सुन इशिता और आदित्य हल्का सा मुस्कुरा दिए ।

    ओके वादा !! पर अभी तो नीद आ रही है, जोर से " वो मुंह बनाते हुए बोली ।

    ओके चलो " उसने कहा और फिर आदित्य , इशिता और रोज की ओर देखते हुए बोला " थैंक्यू आप सबका आप लोगो ने मुझे समझा मेरा साथ दिया "

    आदित्य ने उसे गले लगाते हुए कहा" तूने जो किया है वो बहुत हिम्मत से हो सकता है अब बस जाहांवी जी और अपना ध्यान रख और किसी भी चीज की जरूरत हो तो मुझे बोलना "

    राहुल ने हां में सिर हिलाया और जाहांवी को लेकर वहा से निकल गया इशिता आदित्य उन दोनो को जाते हुए देखते रहे की वो दोनो भी रोजी को लेकर निकल गए ।


    राहुल गाड़ी चला रहा था जहान्वी सो चुकी थी वो एक हाथ से उसे पकड़ी हुए थी आज जहान्वी उसकी पत्नी थी शायद वो खुश था पर जाहन्वी को देख आंखे भर उठी।

    जारी!!!

  • 16. ये तेरे मेरे दिलों की उलझी डोरियां" - Chapter 16

    Words: 3609

    Estimated Reading Time: 22 min

    अगली सुबह
    श्रृष्टि स्कूल में थी .. उसने राज को फोन भी किया पर उसका फोन लगा ही नहीं जिस वजह से वो थोड़ा परेशान हो चली थी " ये फोन क्यू नही उठा रहे ? " अपना फोन देखते हुए वो बड़बड़ा रही थी

    कही फिर से तो राज की तबियत नहीं बिगड़ गई ? " वो सोच ही रही थी की तभी शीतल उसके पास तेज़ी से आते हुए बोली " श्रृष्टि !! श्रृष्टि !! " शीतल की आवाज़ सुन सृष्टि ने उसकी ओर देखा तो वो घबराए हुए सी थी उसे इस तरह देख श्रृष्टि ने कहा

    " क्या हुआ शीतल ? तुम इतनी डरी सहमी हुई सी क्यू हो ? "

    श्रृष्टि .. वो... नीचे ... कुछ ... लोग .. तुम जल्दी चलो ..... शीतल ने घबराते हुए कहा ।

    उसकी बात सुन श्रृष्टि हैरानी से तेज़ी से नीचे की ओर भागी, शीतल भी उसके पीछे तेज़ी से दौड़ी, श्रृष्टि नीचे आई तो सामने का नज़ारा देख उसकी आंखे हैरानी से फैल गई.. सामने गौरव और उसके आदमी खड़े हुए थे " मैंने कहा कौन हो तुम ?  निकल जाओ यहां से ? ये स्कूल है .. अगर तुम सब यहां से नहीं निकले तो पुलिस को बोल दूंगा " वर्मा जी जो स्कूल के प्रिंसीपल थे वो गुस्से से भड़कते हुए गौरव से बोले

    उनकी बात गौरव ने अपने साथियों की ओर देखा और ज़ोर से हस पड़े... बाकी सारे टीचर्स और श्रृष्टि उसे देखने लगे की गौरव ने श्रृष्टि की ओर देखा और बोला " सच में टीचर जी आपके स्कूल के लोग काफ़ी भोले हैं, श्रृष्टि ने गुस्से में उसे देखा की तभी गौरव ने वर्मा जी की गर्दन पकड़ ली जिससे सब डर गए बच्चें डर के मारे क्लास में छुप गए ...  गौरव ने थोड़ी पास आके वर्मा जी से कहा " फिक्र मत कीजिए मास्टर साहब हमारे जाने के बाद पुलिस और एम्बुलेंस भी आएगी आपको टूटा फूटा देख " उसकी बात सुन सब डर गए गौरव के लोगो के हाथों में रॉड और भी चीज़ थी ...

    तुम लोग थोड़ा बोर हो रहे हैं तो बच्चों से भी खेल लेंगे " उनकी बात सुन श्रृष्टि जो अब तक सुन रही थीं वो आगे बढ़ी और गौरव के सामने आई और गुस्से में बोली " ये क्या हरक़त है गौरव ? और तुम ये सब क्या कर रहें हो ? तुम्हरी इतनी हिम्मत हो गई और एक बात कान खोलके सुन अगर बच्चों और यहां के टीचर्स को तुमने हाथ  भी लगाया तो तुम्हरे टट्टू और तुम्हे मैं स्कूल का वो पाठ पढ़ाऊंगी की जिंदगी बर स्कूल याद रहेगा " श्रृष्टि ने कहा।

    गौरव ने वर्मा जी को छोड़ा और श्रृष्टि के पास आकर डरते हुए हाथ जोड़ते हुए बोला " माफ़ कर दो श्रृष्टि मै तो डर गया आप मुझे मुर्गा मत बनाना " वो बोला तो श्रृष्टि का चेहरा गुस्से से भर गया ... की अगले ही गौरव के चहरे के भाव बदल गए उसने श्रृष्टि के गाल पर हाथ रखा की श्रृष्टि ने उसका हाथ झटका और बोली " डोंट डेयर टू टच मि "

    ओह सॉरी !!!! मैं कैसे छू सकता हूं, वो थोड़ा पास आया और धीरे से श्रृष्टि के कान में बोला " ये राज का है न और भी न जाने क्या क्या... " वो आगे बोलता की श्रृष्टि का सब्र अब जवाब दे गया उसने गौरव को पीछे धकेला और एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया वो गूंज इतनी तेज़ थी की पूरे स्कूल में उसकी आवाज़ गूंज उठी... वही बच्चे ये देख ताली बजाने लगे .... गौरव  गुस्से से तमतमा उठा था " श्रृष्टि ..." वो आगे बढ़ता की तभी एक और थप्पड़ उसके गाल पर जड़ चुका था जिसे देख सब हैरान थे वही अबकी बार श्रृष्टि भी चौक गई थी क्युकी ये थप्पड़ उसने गौरव को नही मारा था ।


    राज....." उसके मुंह से निकला राज ने गौरव एक कॉलर पकड़ लिया और गुस्से में बोला " तेरी  हिम्मत कैसे हुए श्रृष्टि पर हाथ उठने की " उसे इस तरह देख सब हैरान रह गए आज तक राज को कभी किसी ने गुस्से में नहीं देखा था ।


    राज .. " श्रृष्टि उसके पास आई की गौरव हंसते हुए बोला " मुझे लगा ही था तू आएगा.. इसका आशिक!! वैसे क्या गलत है ये लड़की तो घूमती ही है"

    गौरव "!!! राज चीख उठा , अपनी हद में रह समझा "

    और तुम दोनो अपनी हद पार कर रहे हो उसका क्या ? " गौरव भी गुस्से में बोला ।

    राज ने उसका कॉलर छोड़ दिया और उसकी आंखो में आंखे डालते हुए बोला " एक बात बता तुझे परेशानी किस बात की है कि तूने श्रृष्टि को छोड़ा उसके बाद भी वो खुश है या इस बात की तुझे श्रृष्टि ने छोड़ा था इस बात की ?  इफ एम नोट रॉन्ग तुझे तो श्रृष्टि से शादी नहीं करनी थी न "

    रा..." श्रृष्टि ने बोलना चाह की उसकी ओर देखते राज बोला " नहीं श्रृष्टि आज इसे समझना ही होगा ये तमाशा ही चाहता था न तो चलो आज तमाशा ही करेंगे " एक बार फिर वो गौरव की ओर गुस्से से देखते हुए बोला ।


    तो गौरव !!!श्रृष्टि से शादी तय होने के बाद श्रृष्टि ने तुमसे शादी तोड़ दी थी ... क्यों ? इसकी कोई वजह है तुम्हरे पास ? "

    इसने नहीं मैंने तोड़ी थी इससे शादी ये क्या तोड़ेगी शादी ? देखा भी था इसने खुद को कभी आईने में? इस जैसी लड़की से शादी करूंगा मैं? गौरव ने बड़े इतराते हुए कहा।

    ओह !! ऐसा है तो फिर तो तुम देना वो नुकसान जो तुम्हारी वजह से श्रृष्टि का पापा का हुआ .. और जितना उन्होंने तुम्हे पैसे दिए हैं "

    राज की बात सुन गौरव की आंखे बड़ी हो गई वो गुस्से में बोला " क्या बकवास कर रहे हो तुम ? मैं क्यों पैसे दूंगा ? और कौन से पैसे?
    मैंने कोई पैसे नहीं दूंगा " वो बोला ।

    अगर तुमने पैसे नहीं लिए हैं फिर एक काम करते हैं तुमसे निकलवा लेते वो क्या है अब तुमने स्कूल पर इतनी गुंडागर्दी की एक पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाया और साथ ही साथ एक लड़की के साथ बतमीजी करने की कोशिश की बच्चों को डराया इतने सारे चार्ज जब पुलिस तुम पर लगाएगी तो पैसे तो तुम्हे देने पड़ेंगे न अपनी जमानत के लिए .. तो सोच रहा हूं कि अभी ले लेता हूं "

    पुलिस !!! ? ये सुनते ही गौरव के चहरे का रंग उड़ गया वही श्रृष्टि भी हैरानी से उसे देखने लगी कि वो आगे कुछ बोल पाती की तभी पुलिस वहां आ पहुंची उसे देख सब चौक गए पुलिस ने गौरव और उसके लोगों को पकड़ लिया की राज गौरव के पास आया और बोला " अगर आज के बाद तू या तेरे गुंडे मुझे इस गली या श्रृष्टि के आस पास भी मुझे दिखे तो मेरा वादा है तू इस दुनिया में नही होगा तो अगर शांति से रहना चाहता है तो समझ ले "

    पुलिस गौरव और उसके गुंडों को पकड़ के जा चुकी थीं, राज ने स्टाफ की ओर देखा कि प्रिंसिपल आगे बढ़कर बोले " थैंक्यू राज तुम्हारी वजह से आज हम बच गए .. वर्ना हमे तो डर था कि ये लोग बच्चों को कुछ न कर दे "

    सर इसमें थैंक्यू जैसा कुछ नही आप लोग सब ठीक तो है"

    जी " प्रिंसिपल ने कहा ।

    की श्रृष्टि धीरे से सबके पास आई और बोली " हमे माफ कर दीजिए आप सब आज हमारी वजह से ये सब हुआ हमे पता नहीं था कि गौरव ऐसा कुछ करेगा हम आप सब से माफी चाहते हैं " श्रृष्टि ने हाथ जोड़े ही थे कि प्रिंसिपल सर ने उसे रोकते हुए कहा

    श्रृष्टि इमसें तुम्हारी कोई गलती नहीं है तो माफी किस बात की ? बल्कि तुम जिस तरह से हम सबके लिए लड़ी अकेले उससे मुझे पता चल गया कि तुम तो कम से कम पचास लोगों को संभाल सकती हो ...सच में तुम बहुत स्ट्रांग हो और एक बात और हम सब भी तो तुम्हरा ही परिवार है अगर आगे से ये गौरव कुछ भी करे तो हमे पहले बताना "

    प्रिंसिपल सर की बात सुन सृष्टि की आंखों में नमी उतर आई उसने हा में सिर हिलाया कि बाकी सब भी मुस्कुरा दिए " अच्छा चलो अब बच्चे को घर छोड़वा देते हैं और आज छुट्टी सबकी सब लोग आराम करे और हा राज और श्रृष्टि तुम दोनो भी घर जाओ अब "

    उन्होंने कहा और चले गए बाकी सब भी धीरे चले गए शीतल ने श्रृष्टि के फोन को उसको दिया जब वो नीचे आई थी तभी उसने ले लिया था वो भी मुस्कुराते हुए चली गई अब सिर्फ राज और श्रृष्टि ही थे श्रृष्टि राज की तरफ आकर कुछ बोल पाती की तभी उसने उसका हाथ पकड़ा और बोला " चलिए मेरे साथ" और उसे लेकर निकल गया श्रृष्टि बस उसके साथ चल पड़ी।

    आदित्य पुलिस स्टेशन ही जा रहा था कि तभी उसने कुछ सोचा और गाड़ी आगे बढ़ा दी , थोड़ी ही देर में उसकी गाड़ी सनराइस अपार्टमेंट पर खड़ी हुए थीं वो गाड़ी से उतरा और अंदर बढ़ गया वो इशिता के घर के सामने ही खड़ा था कि उसने बेल बजा दी

    आए " अंदर से आवाज़ आई , वो कुछ देर खड़ा की तभी दरवाजा खुला सामने देखते ही आदित्य की आंखे बड़ी हो गई.. तो वही अपने काम में लगी इशिता ने बिना उसकी ओर देखे ही कहा " भैया कहा था न जल्दी आया करो आपकी वजह से हमें लेट हो जाता है " ये कहते हुए उसने जैसे ही सामने देखा वो चौक गई , " आप " उसके मुंह से निकला ।

    हा... पर मैं दूध नहीं लाया हूं" आदित्य ने इशिता के हाथ में पकड़े भिगोने को देखते हुए कहा कि इशिता ने तुरंत हाथ पीछे कर दिए और बोली " ई आम सॉरी मुझे लगा दूध वाला है" वो झेंपते हुए बोली ।

    क्या अंदर आ सकता हूं " आदित्य ने पूछा कि इशिता को अपनी बेवकूफी का अहसास हुआ कब से वो खड़ा हुआ था वो बोली " आइए.. " वो साइड हुए की आदित्य अंदर आ गया।

    आप बैठो मैं आपके लिए अभी चाय बना लाती हूं सर" उसने कहा और जाने लगी की आदित्य बोला " मेरी ही नही अपनी भी लेकर आना तुम्हे ऑफिस भी जाना है न तो बिना नाश्ता करे जाओगी क्या ?

    इशिता ने एक नजर उसे देखा और हा में सिर हिलाया और किचन में चली गई आदित्य वही बैठ गया ..  वो घर देखने लगा इशिता काफी अच्छे से रखा था घर ये देख वो हल्का सा मुस्कुरा दिया दीवार पर कुछ फोटोज लगी हुई थी आदित्य उन्हें देखने लगा इशिता के बचपन की फोटो थी तो कुछ .. मनु के साथ की वो दोनो बहुत प्यारे लग रहे थे कि तभी उसकी नज़र एक और तस्वीर पर गई उसे देखते ही आदित्य कुछ सोचने लगा कि तब इशिता भी चाय लेकर आ गई उसने आदित्य को इस तरह से देखा तो बोली " क्या हुआ सर आप क्या सोच रहे हैं?

    कुछ बस ऐसे ही तस्वीर देख रहा था काफी अच्छी है " उसकी बात सुन वो हल्का सा मुस्कुरा दी " चाय " उसने कप दिया तो आदित्य ने ले लिया और वही बैठ गया।

    सर कुछ पता चला जहान्वी जी के साथ जिसने ये सब किया है वो कौन है? " इशिता ने पूछा

    अभी तो नहीं.. लेकिन कोशिश कर रहे हैं " आदित्य ने कहा।

    दोनो चुप हो गए इशिता चाय पी रही थी की आदित्य बोला " एक बात पूछूं तुमसे ? "

    जी " इशिता ने कहा।

    ये सब तुम्हारी फैमली की फोटो है न " दीवार पर लगी तस्वीर को देखते हुए वो बोला कि इशिता ने भी सामने की ओर देखा और हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली " हा.. अब ये सब ही है मेरे पास जब भी अकेली होती हु तो यह आ जाती हूं ये सब यही है मुझे लगता है तो बस .."


    हम्मम" आदित्य ने बस इतना बोला फिर धीरे से बोला " तुम्हरे मम्मी पापा को तो समझ गया मानव को जानता हूं पर ये कौन है? "

    उसने एक तस्वीर को देखते हुए कहा कि इशिता ने उस ओर देखा और हल्की सी मुस्कुराते हुए बोली " ये शिवम है मेरे बचपन का दोस्त ...बचपन में ये मेरे साथ खूब खेलता था और आपको पता है बोलता था कि बड़े होकर शादी करेगा मेरे से " उसकी बात सुन सब हंसते थे... "

    इशिता की बात सुन आदित्य ने कहा" अब कहा है शिवम ? मेरा मतलब है कि मिला नहीं एक बार भी तुमसे ? "

    कैसे मिलता ? मां पापा के जाने के बाद चाचा चाची ने हमे घर से निकल दिया था और फिर शिवम की फैमली उस समय बाहर गए हुए थे ... शिवम जब तक आया तब मैं जा चुकी थी और फिर कभी नहीं मिले ..अब तो उसे याद भी न हो शायद मैं" वो थोड़ी उदास हो चली ।

    बहुत गहरी दोस्ती थी " आदित्य ने कहा।

    बहुत खास " इशिता ने उस तस्वीर को देख मुस्कुराते हुए बोली ।

    की आदित्य बोला " हो गया नाश्ता तो चलो तुम रेडी हो जाओ मैं तुम्हे ऑफिस छोड़ देती हूं"

    पर ... वो इतना ही बोली थी कि उसकी बात काटते हुए वो बोला " ये सब बाद में पर .. अभी जाओ रेडी हो " उसने थोड़ा तेज कहा तो इशिता ने हा में सिर हिलाया और अंदर चली गई .. आदित्य इशिता और शिवम के बचपन की तस्वीर देखने लगा।



    .....
    जहान्वी अभी तक सो रही थी राहुल पहले ही उठ चुका था उसने जहान्वी को देखा जो सो रही थी उसे देख वो हल्का सा मुस्कुरा दिया और उसके पास आकर धीरे से बोला " जहान्वी .. चलो उठो देखो मैं आपकी फेवरेट चीज लाया हूं"

    हूऊयू.. सोने दो न दोस्त "

    अच्छा ओके फिर मत कहना आप कि मैं कुछ लाया नहीं हूं" राहुल की बात सुन जहान्वी ने झट से आंखे खोल ली और बोली " क्या लाए हो एक ओर गिफ्ट है? वो खुशी से बोली ।

    हा बिलकुल है देखना है?" राहुल ने पूछा तो जहान्वी ने झट से हा में सिर हिलाया कि राहुल मुस्कुरा दिया... वो उठा और कुछ बैग्स लेकर आया और जहान्वी से बोला " ये देखो " जहान्वी ने वो बैग लिए और देखा तो खुशी से बोली " इतने सारे ड्रेस मेरे लिए?

    हा सब आपके लिए है कैसे लगे ? " राहुल ने पूछा तो जहान्वी खुशी से बोल उठी " बहुत अच्छे हैं बहुत मैं ये वाला पहन लूं आज ? " राहुल ने हा में सिर हिलाया तो वो खुशी से खिलखिला उठी उसकी हसी देख राहुल भी मुस्कुरा दिया ।

    अच्छा अब आप रेडी हो जाओ फिर हम नाश्ता करेंगे " राहुल ने कहा तो जहान्वी ने हा में सिर हिलाया और अंदर तैयार होने चली गई राहुल बस उसे देखता रहा कुछ देर बाद जहान्वी रेडी हो गई राहुल नाश्ता रेडी कर रहा था कि तभी उसे जहान्वी के रोने की आवाज़ आई " मिस ट्रेन " वो खुद से बोला और कमरे की ओर भागा " क्या हुआ? " उसने अंदर आते ही पूछा कि तभी जहान्वी को देखते ही वो हैरान रह गया।

    जहान्वी ने गुस्से में सारे बाल खराब कर लिए थे ... ड्रेस भी उसकी सही से नहीं पहनी हुए थी एक पल को तो राहुल ने अपनी नजर फेर ली की बोला " क्या हुआ जहान्वी आप रो क्यों रहे हो कि जहान्वी रोते हुए बोली " मुझे तैयार होना है पर हो ही नहीं पा रही कंघा लगा रही हूं तो दर्द हो रहा है" उसकी बात सुन राहुल ने उसे देखा और अंदर आया " लाओ मैं कर देता हूं" उसने कहा और कंघा ले लिया जहान्वी अभी भी रो रही थी कि उसने प्यार उसके गाल पर हाथ रखते हुए कहा " रो नहीं प्लीज़"

    उसने पहले धीरे से जहान्वी के बाल एक साइड करे और उसकी ड्रेस सही करने लगा.. फिर उसने कंघा लिया और धीरे धीरे उन्हें काढ़ने लगा ... उसने प्यारी सी एक चोटी कर दी उसकी ओर बोला " देखो अब " जहान्वी ने देखा तो अब वो अच्छी लग रही थी " मैं तो क्यूट हो गई"

    आप क्यूट हो " राहुल ने कहा तो जहान्वी उसके गले लग गई .. थैंक्यू दोस्त " राहुल हल्का सा मुस्कुरा दिया और बोला " अब नाश्ता करे? चले ? " उसने हा में सिर हिलाया और उसे साथ लेकर नीचे आ गया उसने जहान्वी को बैठाया और बोला " मैं लाता हूं

    सारे सर्वेंट जहान्वी को देख रहे थे उन लोगों को खुद को इस तरह देख वो डर गई और राहुल के पास जाकर उसका हाथ पकड़ कर छुप गई ..राहुल ने उसे देखा फिर बाहर देखा सर्वेंट जो उसे देख रहे थे वो समझ गया उसने जहान्वी का हाथ पकड़ा और वापिस उसे वही बैठते हुए बोला" डरो मत ये लोग कुछ नहीं करेंगे ये भी आपका ध्यान रखेंगे ...आपके साथ खेलेंगे..


    नहीं मुझे नहीं खेलना उनके साथ " जहान्वी ने कहा।

    ओके अच्छा पर मैं हु न आपके साथ मेरी बात मानोगे न , यहां बैठो मैं आपका नाश्ता लाता हूं और कोई कुछ नहीं करेगा कोई करे तो उसे मैं डाट लगाऊंगा" उसने प्यार से कहा।

    जहान्वी वही बैठ गई राहुल मुस्कुरा दिया उसने सर्वेंट्स की ओर देखा और बोला "आप लोग अपना अपना काम करे और जहान्वी के साथ एक दोस्त की तरह रहो समझे"

    ओके सर " सबने कहा तो राहुल चला गया जहान्वी वही बैठी हुए राहुल का वेट करने लगी थोड़ी देर में राहुल उसका नाश्ता ले आया जहान्वी ने नाश्ता देखा तो खुशी से बोली " पिज्जा ? "

    हां आपके लिए अब जल्दी से खाओ चलो " ठंडा हो जाएगा" राहुल ने एक पीस जहान्वी की ओर बढ़ा दिया, जहान्वी खुशी से खाने लगी ... राहुल उसे देख रहा था कि कुछ देर खाने के बाद राहुल प्यार से बोला " जहान्वी अब मुझे ऑफिस जाना है आप यहां रहना और कोई भी जरूरत हो तो ये ( उसने सर्वेंट की ओर इशारा करते हुए कहा) इन्हें बोलना मैं शाम को आऊंगा "


    उसकी बात सुन जहान्वी ने उसका हाथ पकड़ लिया राहुल ने देखा तो वो मासूमियत से बोली " आओगे न दोस्त पक्का ? "

    पक्का " राहुल ने प्यार से कहा।

    जहान्वी ने कुछ नहीं कहा, राहुल जाने लगा फिर रुका और सर्वेंट से बोला " जहान्वी का पूरा ध्यान रखना कोई भी बात हो तो मुझे बताना " ...

    जी सर" उन्होंने कहा तो राहुल ने एक नजर जहान्वी को देखा और चला गया।

    राहुल सीधे ऑफिस आ चुका था उसे आता देख सब खड़े हुए की राहुल ने सबको बैठने का इशारा किया और अपने केबिन की ओर बढ़ गया ..  इशिता को ऑफिस छोड़ने आया आदित्य भी राहुल से मिलने आया था आदित्य को वहां देख राहुल बोला

    " भाई आप यहां? " राहुल ने पूछा।

    क्यों मिलने नहीं आ सकता था? " आदित्य ने पूछा ।

    नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं है" राहुल ने कहा।

    जहान्वी जी कैसी है अब ? " आदित्य ने पूछा ।

    ठीक है भाई " राहुल ने कहा।

    हम्मम " आदित्य बोला ।

    भाई पता लगा जहान्वी पर ये हमला किसने किया है? " राहुल ने पूछा ।

    नहीं राहुल अब तक कोई लीड नहीं है.. मैंने जहान्वी जी के कोर्ट और उनके साथ जो क्लाइंट थे उन से बात की पर हर किसी का ये ही कहना है कि जहान्वी जी सिर्फ काम से काम रखती थी और वो कहा रहती है इन सब के बारे कभी उन्होंने किसी को नहीं बताया कभी "

    भाई अगर जहान्वी ने कभी किसी को  अपना एड्रेस नहीं बताया तो फिर उस हमलावर को कैसे पता चला उसका एड्रेस? " राहुल ने कहा।

    इसका मतलब कोई था जो जहान्वी जी की एक्टिविटी पर नजर रख रहा था " आदित्य ने कहा, तो राहुल और वो एक दूसरे को देखने लगे।

    राहुल एक काम करो तुम जहान्वी जी से बात करने की कोशिश करो शायद वो कुछ बता पाए मैं तब तक जहान्वी जी के घर के आस पास पता करता हूं हो सकता है किसी ने कुछ देखा हो "

    ओके भाई !! जहान्वी जी के साथ जिसने भी किया है उसे तो मैं पकड़ ही लूंगा " उसकी आंखो में गुस्सा उतर आया ।


    ......

    राज श्रृष्टि के सिर पर आई चोट की ड्रेसिंग कर रहा था " राज वो " श्रृष्टि ने कुछ कहना चाह पर राज ने उसे कोई जवाब नहीं दिया वो बस चुप सा उसकी ड्रेसिंग कर रहा था ... " राज कुछ तो बोलो " श्रृष्टि ने कहा तो राज ने एक नजर उसे देखा और बोला " क्या बोलो ? आपने ने कभी सुनी है मेरी तो क्या फायदा है मेरा बोलने का ? "

    श्रृष्टि ने सिर झुका लिया उसकी आंखो से आसू बहने लगे, राज ने उसे इस तरह देखा तो खुद को शांत करते हुए उसके पास आया और उसके आसूं पूछते हुए उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोला " मुझे नही पता श्रृष्टि ..आप क्या सोचती हैं क्या मानती है मुझे पर मेरे लिए आप बहुत खास है और आपको कुछ हो जाता तो मैं पता नहीं क्या करता "

    राज की बात सुन सृष्टि उसकी आंखो में देखने लगी ... की तभी श्रृष्टि का फोन बज उठा जिससे वो दोनो का ध्यान टूटा " मैं आता हूं आप बात करे " ये कहते हुए वो आगे बढ़ गया , श्रृष्टि उसे देखती रही फिर अपना फोन उठा लिया।

    ......
    शाम हो चली राहुल घर आ पहुंचा वो घर के अंदर आया तो सब और शांति सी थी " सब कहा गए ? " वो खुद से बोला ।
    जहान्वी ," उसने पुकारा और अंदर की ओर बढ़ गया वो कमरे में आया की तभी सामने जहान्वी को देख उसकी आंखे बड़ी हो गई।