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"तबाह इश्क में"(one night mistek)

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Sahnila

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Description

"कौन था वो…?" श्रव्या — एक मासूम लड़की, जिसे अपने ही प्रेमी ने धोखे और विश्वासघात की गहरी खाई में धकेल दिया। एक खौफनाक रात… एक अनजाना चेहरा… और...

Characters

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अव्यान

Healer

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श्रव्या

Warrior

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कियारा

Mage

Total Chapters (48)

Page 1 of 3

  • 1. "तबाह इश्क" - Chapter 1

    Words: 1833

    Estimated Reading Time: 11 min

    मुंबई के फाइव स्टार होटल में, श्रव्या की 22वीं जन्मदिन की पार्टी खत्म हो गई थी, उसके दोस्त जा चुके थे, लेकिन जाने क्यों शराब को हाथ ना लगाने के बावजूद, उसका सिर घूम रहा था और आंखो पर धुंधलापन सा छाया था, उसके गाल ला हो चुके थे, मानो उस पर बहुत ज़्यादा ब्लश लगा दिया गया हो।

    धीरे – धीरे वो मदहोशी के सागर में ऐसे डूबी की उसे खुद का ही ख्याल ना रहा, तभी किसी ने उसकी कलाई पकड़ कर खिंची, ये करीना थी, जो काफी देर पहले ही बर्थडे पार्टी से निकल गई थी।

    उसे देखते ही श्रव्या मुस्कुराई और गले पड़ते हुए बोली..."करीना मुझे ठीक नहीं लग रहा, अजीब सी बेचैनी हो रही है।"

    "हां मैं समझ गई, अब चलो मेरे साथ।"...कहते हुए करीना ने उसे अपने साथ घसीट लिया और जल्द ही दोनो लिफ्ट के अंदर चली गईं।

    लिफ्ट से आठवीं मंजिल पर पहुंचने के बाद, करीना ने श्रव्या का हाथ और कसकर पकड़ लिया और यह निश्चय किया कि वह भाग ना पाएं। आगे बढ़ते हुए उसने मन ही मन सोचा..." तुम्हे वरुण के साथ एक सुखी जिंदगी बिताने नही दूंगी श्रव्या, मैं तुम्हे बर्बाद करने के लिए आई हूं।"

    सोचने के बाद, उसने श्रव्या को गलियारे के अंत में एक कमरे की ओर खींचा, जहां एक वेटर ने अभी-अभी रूम सर्विस दी थी और जाने ही वाला था।

    उस वेटर को दरवाजा बंद करता देख करीना ने उसे रोका..."अरे, प्लीज दरवाज़ा खुला छोड़ दो। मेरा दोस्त इस कमरे में है। मैं उससे मिलने जा रही हूँ।"

    बिना किसी संदेह के, वेटर ने पहिए वाले डाइनिंग टेबल  को धक्का दिया और चला गया।

    करीना ने पीछे से बाथटॉवल पहने एक लंबे आदमी को देखा, जो बता रहा था कि वह अभी-अभी नहाकर आया है। उसे देख करीना के होंठो पर मुस्कान छा गई..."तुम्हारे लिए एक जवान आदमी ठीक रहेगा।"

    इसके अगले ही पल उसने बिना किसी हिचकिचाहट के श्रव्या को जोर से कमरे में धकेल दिया, और तेजी से दरवाजा बंद कर दिया। जिसके बाद उसने अपना सिर ऊपर उठाकर कैमरा की तलाश की। किंतु सौभाग्य से, वहां कैमरे एसी जगह पर जहां से कुछ भी रिकॉर्ड नही हो सकता था।

    ये देख वो अपने किस्मत पर इठलाई और लहराते लंबे बालों को ठीक करने के बाद, दूसरे कमरे की ओर चली गई, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

    मंद प्रकाश वाले कमरे में, श्रव्या ने चकित होकर एक आदमी को देखा, जिसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था, किंतु वो लम्बा– चौड़ा प्रतीत हो रहा था।

    आदमी थोड़ा आगे बढ़ा तो झूमर से निकली रौशनी उसके आंखों पर पड़ी,उसकी ओर देखते हुए वह यह सोचकर काँप उठी कि उसकी आँखें कितनी कठोर और गहरी थीं।

    हालाँकि, उसकी असहजता ने उसके विचारों और डर  को मार डाला,वह लड़खड़ाती हुई फर्श से उठ कर खड़ी हुई और उसके पास चली गई। वो उस अनजान आदमी से कुछ चाहती थी, लेकिन उसे भी नहीं पता था कि वास्तव उसे में क्या चाहिए?

    अचानक उस आदमी की तरफ से एक आवाज कर्कश आवाज आई..."बाहर निकलो!"...

    श्रव्या रुक गई, वो उससे तीन मीटर को दूरी पर थी, इसलिए वो अनजान सख्स अपने कमरे में अचानक प्रकट हुई इस लड़की को आसानी से देख सकता था।

    उसने अपने लंबे काले बालों को एक खूबसूरत और विस्तृत चोटी में बांधा था, जो उसकी शान और शालीनता को दर्शाता था। सफ़ेद रंग की लॉन्ग स्लिम ड्रेस में उसका बदन बेहद आकर्षक नजर आ रहा था, उसकी कमर इतनी पतली थी की वो उसे अपने एक हाथ से पकड़ कर आसानी से उठा सकता था।

          ड्रेस का निचला किनारा, छोटे चमकते हीरों से सजा हुआ था, जिससे दाहिनी ओर उसका लंबा गोरा पैर दिख रहा था। हीरे जड़ित 4 सेमी की पतली हिल्स वाली सैंडल उसके सुखद, स्पष्टवादी और ईमानदार व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है।

    वो उसे ऊपर से नीचे तक देखता रहा कि तभी श्रव्या ने अपनी  ऊँची हिल्स को बेढंगे ढंग से उतार दिया। और एक बार फिर आगे बढ़ी, जब वो एक मीटर की दूरी  पर थी, तो उसने देखा कि लड़की का चेहरा असामान्य तरीके से लाल हो रहा था।

    "मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। क्या तुम मुझे एक कप ठंडा पानी दे सकते हो?"... श्राव्या दूसरी ऊँची हिल्स को उतारने की कोशिश कर रही थी।

    अंत में, उसने अपना दाहिना हाथ उस व्यक्ति की गर्दन के चारों ओर डाला और बाएं हाथ से सैंडल को दूर फेंक दिया।

    उसके परफ्यूम की हल्की महक से पता चलता है कि यह विश्व प्रसिद्ध ब्रांड इंडल्जेंस का परफ्यूम है, जो सफेद वाटर लिली और लिली ऑफ द वैली की खुशबू से बना है।

    ऊपर से नीचे तक देख उस आदमी ने श्रव्या के शान और शालीनता के बारे में सोचना शुरू कर दिया..." एक अमीर लड़की गलत कमरे में घुस गई? क्या ऐसा हो सकता है या ये किसी को साजिश है?"

    अव्यान काविश जो कि उस लड़की को समझ ना सका, बिना किसी हिचकिचाहट के उसकी पतली बांह को अपने गर्दन के चारों ओर से खींच लिया और दरवाजे की ओर चल दिया।

    श्रव्या खुद को संभाल नहीं पाई और सफेद कालीन पर घुटनों के बल बैठ गई, अव्यान की हथेली अब भी उसके हाथों के पकड़ में थी, वो कोमल एहसास उसके पूरे बदन में सिहरन भर गई।

    "यह क्या हो रहा है मुझे?... अव्यान अधीर हो गया, हालांकि उसने अगले ही पल अपना हाथ झटक दिया, और फ्रंट डेस्क पर कॉल करने के लिए आगे बढ़ा।

    जैसे ही उसने फोन हाथों में उठाया, श्रव्या बिना उसके ध्यान में आए खड़ी हो गई और पीछे से उसकी कमर के चारों ओर अपनी बांह लपेट ली।

    "मुझे ठीक नहीं लग है। प्लीज मुझे छोड़ के मत जाओ।" इस अंधेरी रात में उसकी कोमल विनती में विशेष आकर्षण था।

    अव्यान कुछ ठंडा पड़ गया..."आपको किसने बताया कि मैं आज मुंबई पहुंचूंगा, और आपको किसने भेजा है...".. अव्यान ने फोन रख दिया और उसे ठंडे और तीखे अंदाज में देखा।

    इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी करता, श्रव्या ने उसे जोर से पीछे सोफे पर धकेल दिया, और तुरंत उस पर झपट पड़ी।

    "अरे यार कितना सवाल करते हो! मुझे... अब सच में अच्छा नहीं लग रहा है। मैं तुम्हें आदेश देती हूँ कि तुम मुझसे प्यार करो।"... श्रव्या उसकी आंखो के सामने अजीब तरह से मुस्कुरा रही थी, जैसे उसे अपने करीब आने के लिए लालच दे रही हो।

    अव्यान ने खुद को शांत करने की कोशिश की और बिना किसी हिचकिचाहट के उसे एक जोरदार धक्का दिया।

      हालंकि, उसे यह तो मानना ही पड़ा कि यह छोटी दिखने वाली लड़की बहुत आकर्षक थी और लड़कों को उकसाना जानती थी। लेकिन, लड़की को यहाँ भेजने वाले ने उसके आत्मसंयम को कम आंका होगा।

    "एक आखिरी बार कहूंगा, बाहर निकलो!"... अव्यान ने उसे डांटते हुए कहा।

    श्रव्या अपने उसकी बात सुनने से पहले कई कदम पीछे हट गई। वह मुश्किल से सुन पा रही थी कि वह आदमी क्या कह रहा था। उसे बस इतना पता था कि जैसे-जैसे उसके आकर्षक पतले होंठ खुलते और बंद होते जा रहे थे, वो अधिक अधीरता में डूबती जा रही थी।

    "मैं बस तुम्हे पाना चाहती हूं।"...कहते हुए श्रव्या ने अपने ड्रेस की ज़िप खोल दी, पोशाक बिना कोई आवाज़ किए कालीन पर गिर गई।

    उसके नग्न शरीर के सामने, अव्यान नियंत्रण खो रहा था। ऐसा लग रहा था कि उसे एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी मिल गया है जिसने एक बहुत ही आकर्षक महिला भेजी है, ताकि उसकी रिपीटेशन बर्बाद की जा सके।

    यद्यपि होश में न होने के बावजूद श्रव्या ने उस आदमी पर फिर से हमला किया, लेकिन इस बार अव्यान खुद को रोक ना सजा और उसे अपने बाहों में उठाए बेड तक आ गया।

    "तुमने मुझे मजबूर किया है लड़की! इसके बाद अफसोस करने की गुंजाइश नहीं बचेगी, तुम सुबह उठ कर मुझ पर इल्जाम भी नही लगा सकती"...कहते हुए अव्यान उसकी ओर झूंका और उसके कोमल बदन पर अपने प्यार के निशानियों को छोड़ता गया, बेहद खूबसूरत और मदहोश पलों के बाद आखिरकार श्रव्या को नींद आ गई, उसने खोद को समेट लिया था, जैसे उसे ठंड लग रही हो, इस तरह सिमट जाने से वो छोटी और बेहद कोमल नजर आ रही थी, जिसके कारण अव्यान उसे अपने बाहों में भरने से खुद को रोक ना सका।

    एक अंधेरी रात के बाद सूरज चमका और उसकी किरणे वास्तविकता का सामना करने के लिए उन्हें जगाने खिड़कियों से अंदर कूद गई।

    श्रव्या गहरी नींद से जाग गई, क्योंकि एयर कंडीशनर बहुत कम तापमान पर सेट था। उसने अपनी आँखें खोलीं और हाथ आगे बढ़ाए ताकि वह रजाई को वापस खींच ले और एक गहरी नींद का मजा उठाएं।

    हालंकि उसने आंखे खोली और एकदम से चौंक गई....रुको! कुछ तो गड़बड़ है। मेरे पूरे शरीर में दर्द क्यों हो रहा था?मैं होटल में क्यों सो रही हूं?"

    वह अचानक उठ बैठी और उसने पाया कि इस डीलक्स कमरे को उसने कभी बुक नही किया था,,कुछ पलों के बाद थोड़ा होश में लौटी तो उसकी नजर फर्श पर पड़े उसके कपड़े और एक बाथटॉवल पड़ी।

    वह सदमे में अपने शरीर को देखने लगी, उस पर बैंगनी फूलों के समान कुछ निशान थे , जिन्हे देख वह अच्छी तरह समझ गई कि उसके साथ क्या हुआ था।

    "लेकिन ऐसा कैसे?"...उसके होंठो से धीमी आवाज निकली।

    कल रात करीना आराम करने के लिए उसे ऊपर ले आई थी,  फिर क्या हुआ? वह आदमी कौन था? आखिर उसकी यादें उतनी धुंधली क्यों थी?

    "अरे यार! मुझे तो कुछ भी याद नहीं है।"...बड़े बिस्तर पर हतप्रभ होकर बैठे हुए, श्रव्या ने रोने की कोशिश की, लेकिन एक आंसू भी नहीं बहा सकी।

    वह बिस्तर से उठी, कमज़ोर पैरों से खिड़की तक जाने की कोशिश की और पर्दा खोल दिया।

    चमकती हुई धूप से पता चल रहा था कि शाम हो चुकी है, हालांकि उसने अनुमान लगाया कि दोपहर का समय है।

    श्रव्या समझ नहीं पा रही है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। आखिर क्या गड़बड़ थी? खिड़की से बाहर देखते हुए, उसे पता चला कि वह अभी भी होटल में ही थी। बाहर हवा चल रही थी जिससे पर्दा हिल रहा था, और फूलों की खुशबू आ रही थी। गुलाबी पर्दा हवा में लहरा रहाते हुए बहुत खूबसूरत लग रहा था, लेकिन उसे सुंदर दृश्य की सराहना करने की कोई इच्छा नहीं थी।

    उसे कुछ भी पता नहीं था। उसने अपनी दुखती हुई भौंह को रगड़ा और आह भरी। ऐसी स्थिति में,जब वो किसी के साथ रात बिता चुकी थी...उसके पास इसके लिए कोई तर्क नही था।

    खिड़की बंद कर वो वापस मुड़ी तो नजर बेडसाइड टेबल पर पड़ी। वहां दो खूबसूरत पैकिंग बॉक्स रखे थे। उसने बॉक्स खोले और उसमें एक सफ़ेद शिफॉन ड्रेस देखा।

    अफसोस करने में वक्त जाया किए बिना वो बॉथरूम की ओर बढ़ी और नहाकर जल्दी से जल्दी यहाँ से जाने की योजना बनाई। बॉथरूम में उसे कुछ महंगे पुरुषों के टॉयलेटरीज़ मिले। उसने अनुमान लगाया कि ये उस आदमी के होंगे जिसके साथ वो सोई थी।

    उसने अपना सिर हिलाया और बाथटब का नल खोल दिया। टब पानी से भर गया और वह गर्म पानी से नहाने लगी।

    "कल रात वह आदमी आखिर कौन था?"... उसने पिछली भयावह रात को याद करने की कोशिश की और बुदबुदाया।

    (क्रमश:)

  • 2. "तबाह इश्क" - Chapter 2

    Words: 1818

    Estimated Reading Time: 11 min

    श्रव्या ने बहुत कोशिश की लेकिन वह अपने शरीर से उन बैंगनी निशानो को नहीं धो पाई। उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गई, उसका सबसे कीमती कौमार्य, जिसे उसने बचा रखा था, अब चला गया है और उसे नहीं पता कि कैसे ! इससे भी बुरी बात यह है कि उसे डर था कि वह गर्भवती ना हो जाए।

    "श्रव्या कियान..अब तुम दो साल की बच्ची नहीं रह गई हो। तुम पहले से ही 22 साल की हो चुकी हो। देखो तुमने क्या कर दिया है! यह क्या गड़बड़ है।"...वो खुद में ही बड़ाबड़ा रही थी..." आखिर अब तुम आरुष को कैसे समझोगी? अपने पिता को कैसे बताओगी कि तुमने पूरी रात किसके साथ बिताई है? मुझे मार डालो कोई।"... नहाते हुए वो खुद को कोसती रही।

    नहाने के बाद उसे काफी बेहतर महसूस हुआ, उसने अपने शरीर पर तौलिया लपेटा, बाथरूम का दरवाजा खोला, जल्दी से अपने बाल सुखाए और उस आदमी द्वारा तैयार की गई ड्रेस को पहनकर होटल से बाहर निकल गई।

    कुछ मिनट बाद वह आदमी वापस आया और पाया कि उसका इंतजार एक खाली कमरा कर रहा है। बेडसाइड टेबल पर खुला हुआ बॉक्स यह संकेत दे रहा था कि वह जा चुकी है। उसने इधर-उधर देखा और बेडसाइड टेबल पर एक कागज़ का टुकड़ा पाया, जिस पर लिखा था "हेलो, मिस्टर एस्कॉर्ट। कल रात एक गलती हो गई। मुझे उम्मीद है कि आप अपने प्रोफेशनल एथिक का पालन करेंगे और हम कभी एक दूसरे के सामने आ जाए तो भी मुझसे अनजान बने रहेंगे। असल में, मैं आपको फिर से नहीं देखना चाहती...एक और बात, मुझे कल रात आपकी सेवा के लिए मुझे 5000 रुपए देने हैं। अगली बार मुझे याद दिलाना! मिलते हैं।"

    एस्कॉर्ट? 5000 रुपए? वेश्या मास्टर? यह पहली बार था जब अव्यान काविश अभिभूत महसूस कर रहा था और अचानक क्रोधित हो गया। कागज को निचोड़ते हुए, उसने बेड पर नज़र डाली। सफ़ेद चादर पर सुर्ख धब्बों से पता चलता था कि यह उसकी पहली रात थी।

    चिलचिलाती धूप में चलते हुए श्रव्या को असहज महसूस हो रहा था। उसने सड़क पर एक टैक्सी बुलाई और ड्राइवर का फोन उधार लेकर कार में राधिका को कॉल किया।

    राधिका, जो कि उसकी सबसे अच्छी दोस्त है। 24 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय रेसिंग कार चैंपियन राधिका से उसकी मुलाकात कार रेसिंग के दौरान ही हुई थी और तभी से दोनो अच्छी दोस्त थीं।

    "हैलो।"... राधिका ने फोन उठाया, लेकिन हमेशा की तरह वह उतनी सहज या मुक्त नहीं लग रही थी।

    "मैं हूँ, तुम्हारी दोस्त ! तुम्हें क्या हुआ है?"... श्रव्या ने धीमी आवाज में पूछा।

    "क्या तुम श्रव्या हो, किस नंबर से कॉल किया है?", आगे से राधिका ने कहा।

    "हाँ, मैं ही हूँ! यहाँ इमरजेंसी है। मेरा हैंडबैग खो गया है। मैं टैक्सी से तुम्हारे पास आ रही हूँ। मेरे लिए किराया दे दोगी?"... श्रव्या लगभग गिड़गिड़ाई।

    "हां बिलकुल..? तुम कहाँ हो? कार्तिक तुम्हे पिक कर लेगा।"... ऐसा लग रहा था कि श्रव्या बड़ी मुसीबत में थी, फिर भी राधिका कुछ शांत प्रतीत हुई।

    "आज तुम अजीब तरह से बोल रही हो। मैं दस मिनट बाद आऊँगा। कार्तिक को कहो कि सड़क किनारे मेरा इंतज़ार करे।"...फोन रखकर टैक्सी ड्राइवर को धन्यवाद देने के बाद, श्रव्या ने ड्राइवर को गंतव्य बताया और झपकी लेने के लिए सीट पर पीछे झुक गई।

    ड्राइवर ने रेडियो चालू कर दिया। "... चेयरमैन को बर्खास्त कर दिया गया। दो महीने पहले उनके सभी शेयर दूसरे लोगों को दे दिए गए। यानी, उनका शानदार करियर खत्म हो गया है। रिपोर्टर इंद्रा की ओर से न्यूज.. धन्यवाद।"

    श्रव्या का दिमाग कल रात की घटना से भरा हुआ था। इसलिए, उसने रेडियो बिल्कुल नहीं सुना।

    कुछ ही मिनटों में टैक्सी रुक गई। एक अपार्टमेंट के नीचे राधिका का बॉयफ्रेंड कार्तिक उसका इंतजार कर रहा था। श्रव्या को टैक्सी से उतरते देख, कार्तिक ने किराया चुकाया और श्रव्या के चेहरे के भावों को ध्यान से देखा, उसे कुछ खास नहीं लगा, बस थोड़ी थकान नजर आ रही थी।

    चुकी कार्तिक उसका बेस्टफ्रेंड था, इसलिए उसने चिंता से पूछा... "क्या तुम कल रात घर नहीं है थी? आखिर तुम थी कहां?"

    "तुम्हें यह कैसे पता चला कि मैं घर नही गई!"... श्रव्या ने तेजी से प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसे चिंता हुई कि शायद कार्तिक कुछ जानता है।

    "तुम घर नहीं गई, है न?"..कार्तिक ने उसका हाथ पकड़ा और जल्दी से लिफ्ट की ओर चल पड़ा। श्रव्या उलझन में थी क्योंकि कार्तिक ने आज बहुत अजीब व्यवहार किया था।।

    "मुझे तुमसे एक बात कहनी है। बस तुम शांत रहना, ठीक है?"...कार्तिक कुछ कश्मकश में दिखा, लिफ्ट से उतरने के बाद कमरे के और बढ़ते हुए उसने वही से कहा..."मैं तुम्हें एक वीडियो दिखाऊंगा, तुम शांत रहना, ठीक है?"

    "कार्तिक, यह किस तरह का वीडियो है, जो तुम्हें इतना गंभीर बना रहा है?"... श्रव्या कुछ घबरा गई।

    कार्तिक हमेशा चीज़ों को सहजता से लेता था, वह शायद ही कभी उसने इस तरह का व्यवहार किया था। क्या उस आदमी ने कल रात जो कुछ किया उसका वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया है?

    "मुझे नहीं पता कि कल रात क्या हुआ था। कैसे..."श्रव्या ने कार्तिक को निराश भाव से देखा, उसका एक आदमी के साथ सोना अब पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गया है? यह कितना शर्मनाक था? अजीब सी कल्पना श्रव्या के दिमाग पर कब्ज़ा करने लगी थी।

    कार्तिक कुछ समझ ना सका, इसलिए उसे सीधे कंप्यूटर के पास ले गया और वह वीडियो खोला। वीडियो में पत्रकारों की भीड़ हाथ में माइक्रोफोन पकड़े हुए दिख रही थी।

    वीडियो होटल से अलग जगह पर लिया गया था, जिससे उसकी कल्पना रुक गई। उसने राहत की सांस ली ही थी की तभी उसे एहसास हुआ की वह उसके पिता की कंपनी थी जो वीडियो में दिखाई दे रही थी। क्या कल रात जो कुछ भी उसके और उस आदमी के बीच हुआ वो खबर उसके पिता तक पहुंच गई और रिपोर्ट उसके पिता से सवाल करने पहुंच गए?

    "नमस्ते, मेरे प्यारे नेटिज़न्स। मैं एनडी न्यूज़ से अमन हूं। मुझे एक गुप्त सूचना मिली है कि कियान ग्रुप के सीईओ  रिश्वतखोरी, सार्वजनिक धन का गबन, शेयरों की बिक्री और मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं। अब आइए इसकी जांच करने के लिए उनसे सवाल करते हैं।"... वीडियो में खड़ी रिपोर्ट ने गंभीरता से कह।

    "पापा? रिश्वतखोरी? सार्वजनिक धन का गबन? शेयरों की बिक्री? मनी लॉन्ड्रिंग? "बकवास... यह बिल्कुल पॉसिबल नही है। डैड ईमानदार, सच्चे और अच्छे हैं। वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।".... श्रव्या घबराहट से कार्तिक की ओर ताकने लगी।

    "शांत हो जाओ। यह अभी खत्म नहीं हुआ है।"...कार्तिक ने उसे शांत किया, लेकिन अगली रिपोर्ट और भी ख़राब थी।

    "नमस्ते! सीनियर मैनेजमेंट की अभी बैठक चल रही है, आइए सुनते हैं उनकी राय..."...कहते हुए एक रिपोर्ट अंदर घुसा। समय-समय पर बैठक कक्ष से हिंसक झगड़े की आवाजें सुना जा सकता था। उनकी आवाजें से स्पष्ट था कि चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।

    न्यूज आगे बढ़ी और वाइस प्रेसिडेंट की आवाज वीडियो से गूंजी..."यह दुख की बात है कि सीईओ कियान ने इस्तीफा दे दिया है। मैं अब से उनका पदभार संभालूंगा.. मैं आप सभी की मदद की सराहना करता हूं, धन्यवाद!".... कियान ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट विजय शर्मा ने सुर्ख चेहरे के साथ मीडिया को सूचित किया।

    फिर मीडिया ने कुछ सवाल उठाए। ये सब सुन श्रव्या अचानक से रो पड़ी। दशकों से उसके पिता ने अपनी सारी ऊर्जा कंपनी को समर्पित कर दी थी। और आज उनकी कम्पनी उनसे छीन ली गई वो भी उनके अपने दोस्त के जरिए, जिनके बेटे के साथ वो बड़ी हुई थी और एक प्रेम भरे रिश्ते में थी।

    काफी सोचने के बाद वो संभली..."मुझे कंपनी में ले चलो।"...उसने धीरे से कहा।

    कार्तिक ने बिना कुछ कहे कंप्यूटर बंद कर दिया, अपनी मोटरसाइकिल की चाबी लेकर पार्किंग गैराज की ओर बढ़ गया, श्रव्या उसकी ओर भागी और जल्दी से मोटरसाइकिल पर बैठ गई।

    मौसम काफी गर्म था। जब वे कंपनी में पहुंचे तो, श्रव्या  को लगा कि उसकी त्वचा जल गई है। कियान ग्रुप के हॉल में प्रवेश करने के बाद, उसे ठंडी हवा से घिरा होने के कारण बेहतर महसूस हुआ।

    पहली मंजिल पर लॉबी खाली थी। श्रव्या लिफ्ट से सीधे 28 वीं मंजिल पर पहुंची, जहां प्रेसिडेंट ऑफिस स्थित था। जैसे ही वह लिफ्ट से उतरी, उसने अपने बॉयफ्रेंड वरुण को मीडिया को सूचित करते हुए सुना... "मैं जल्द ही एसएम ग्रुप के सीईओ की बेटी मिस करीना मलिक से सगाई करने जा रही हूं, आप सभी को आना होगा..थैंक यू।"

    "वह जल्द ही... मिस करीना से सगाई करने जा रहा है... एसएम ग्रुप के सीईओ की बेटी। करीना मलिक? मेरी दोस्त?"... श्रव्या के शब्द कई टुकड़ों में टूट गए और शायद हिम्मत भी।

    श्रव्या पर एक और बम गिराया गया। उसके पीछे खड़ा कार्तिक उन शब्दों को सुनकर क्रोधित हो गई और उसे पीटने का इरादे से आगे बड़ा, लेकिन श्रव्या ने उसके कपड़े के किनारे को जोर से खींचा और अपना सिर हिलाया, क्योंकि वह सुनना चाहती थी कि उसका बॉयफ्रेंड वरुण आगे क्या कह रहा है।

    "मिस्टर वरुण...ऐसा कहा जा रहा है कि आप मिस्टर कियान की बेटी श्रव्या को डेट कर रहे हैं।लेकिन अब अचानक करीना मलिक से सगाई... क्या आप इसे समझा सकते हैं?"

    "हाँ, मैं उससे डेटिंग कर रहा था, लेकिन हमें अलग हुए काफी समय हो गया है।"...वरुण ने मीडिया को जवाब देते हुए चेहरे पर एक समान सौम्य भाव और नरम लहजे रखा।

    हालाँकि, उसने जो कहा, वह श्रव्या के दिल में एक तेज चाकू की तरह चुभ गया। उसे अचानक याद आया कि वरुण द्वारा उसे दी गई वाइन का गिलास पीने के तुरंत बाद उसे असहज महसूस हुआ था, और यह करीना ही था जो उसे ऊपर एक अनजान कमरे में ले गई था।

    "हाहाहा..." पीछे से व्यंग्य की आवाज़ आई, जो इतनी तेज़ थी कि हॉल में मौजूद हर कोई इसे सुन सकता था, जब रिपोर्टरों ने वरुण का क्लोज़-अप लिया।

    सभी ने उत्सुकता से पीछे देखा और पाया कि जो लड़की जोर से हंस रही थी, वह परिचित लग रही थी।

    "श्रव्या कियान! वह प्रिंसेस कियान है! मिस्टर कियान की प्यारी बेटी!"...एक अनुभवी रिपोर्टर ने श्रव्या को पहचान लिया। तभी, सभी रिपोर्टर उसके पास दौड़े और उसे घेर कर खड़े हो गए।

    श्रव्या को देखकर वरुण का चेहरा फिंका पड़ गया, वह यहाँ कंपनी में क्यों है? रेड वाइन पीने के बाद वह कहाँ थी? वरुण उससे बिल्कुल भी प्यार नहीं करता। उसे बस उसका शरीर चाहिए, और वह कल रात उसे पाने के बहुत करीब था। लेकिन पता नही वो अचानक कहां गायब हो गई थी..जिसका अफसोस उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था।

    "मिस कियान, आप क्यों हंस रही हैं?"

    "मिस कियान, क्या आप मिस्टर कियान के बारे में कुछ जानती हैं?"

    "आपने जनरल मैनेजर वरुण से रिश्ता क्यों तोड़ लिया?"

    पत्रकार लगातार सवाल पूछते रहे। श्रव्या ने कुछ नहीं कहा और बस वरुण का नाखुश चेहरा देखती रही, उसकी आंखो में प्यारा की जगह आज दुश्मनी थी।

    उसने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। किंतु क्या वह यह निष्कर्ष निकाल सकती थी की वरुण और उसके पिता ने मिलकर उसके पापा की कंपनी को लूट लिया था और उसे छोड़ कर उसी के फ्रेंड से सागई करने जा रहा था।

    (क्रमश:)

  • 3. "तबाह इश्क" - Chapter 3

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    वह किसी और पर दोष नहीं लगा सकती थी, क्योंकि कार्तिक ने उसे कई बार चेतावनी दी थी कि वरुण अच्छे इरादों वाला इंसान नहीं है, वो उसे इस्तमाल कर रहा रहा, लेकिन उसने कार्तिक के सलाह को नजरअंदाज कर दिया था।

    "तुम लोग क्या जानना चाहते हो? मैं तुम्हें बताऊं कि हमारा ब्रेकअप क्यों हुआ? अच्छा, क्या तुम जानते हो कि मैंने वरुण शर्मा को क्या निकनेम दिया है.. "थ्री सेकंड वरुण"... हाँ, वह बिस्तर पर कम समय तक टिकता है,वह सदोम के सेब की तरह है..अंदर से बिल्कुल  खोखला... इसलिए मैने उससे रिश्ता खत्म कर दिया, उसने मुझसे प्यार का दिखावा किया ताकि मेरे पिता को फंसा सके और उनकी कंपनी पर कब्ज़ा कर ले।"

    श्रव्या की बात खत्म होने के कुछ सेकंड बाद ही सभी चुप हो गए। वरुण ने उसे उतरे हुए चेहरे के साथ देखा। श्रव्या ने जो कहा उसका एक तिहाई हिस्सा सच था, लेकिन उसने उसे थ्री-सेक करुण कहने की हिम्मत कैसे की? वे तीन साल से साथ थे..पर उनका रिश्ता कभी आगे बढ़ा ही नही था, फिर वो भरी महफिल में ऐसा कैसे कह सकती है?

    "श्रव्या, मैं समझता हूँ कि तुम अभी कैसा महसूस कर रही हो। फिर भी, तुम इस तरह की बातें बनाकर मुझे बदनाम कर रही हो, अंकल कियान के खिलाफ़ सबूत पेश किए गए हैं, मेरे डैड और कम्पनी के बाकी मेंबर्स भी तुम्हारे डैड से नाखुश है और वैसे भी..."...कहते हुए वरुण ने अपना मूड ठीक किया और अपनी कोमल आवाज़ फिर से शुरू की। लेकिन इससे पहले कि वह अपनी बात पूरी कर पाता, श्रव्या वरुण की मदद से सीधे प्रेसिडेंट ऑफिस में चली गई।

    ऐसे में, पत्रकारों को फिर से वरुण पर ध्यान केंद्रित करना पड़ा।

    कार्तिक दफ़्तर के अंदर नहीं गया। इसके बजाय, वे बाहर ही इंतज़ार करने लगे। श्रव्या ने धीरे से दरवाज़ा धकेला और ऑफिस में चली गई, उसके पापा कुर्सी पर बैठे अपने माथे को दाहिने हाथ से पकड़े हुए थे और बेहद परेशान प्रतीत हो रहें थें।

    "पापा...".. श्रव्या ने धीरे से उन्हे पुकारा।

    "श्रव्या...तुम आ गई?"..मिस्टर कियान मुस्कुराए, जिससे श्रव्या की आँखों में आँसू आ गए, क्योंकि उसकी मुस्कुराहट इतना नकली था कि वह रोने से भी अधिक बदसूरत लग रहा था।

    "पापा, उदास मत होइए। दादी और मैं आपके साथ रहेंगे, ठीक है?"... श्रव्या ने अपनी आवाज़ को आसान और सहज बनाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रही और जब अपने पिता के सिर पर कुछ सफ़ेद बाल देखे तो वह रो पड़ी।

    "श्रव्या, मैं भविष्य में तुम्हें वह सब कुछ नहीं दे पाऊंगा जो तुम चाहटिट हो..."...मिस्टर कियान ने कंप्यूटर पर डेटा को देखते हुए खा, इस वक्त वो ऐसा महसूस कर रहे थे जैसे कोई चाकू उसके दिल को चीर रहा हो।

    "पापा, मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं बस यही उम्मीद करती हूँ कि दादी, आप और मैं साथ-साथ, सुरक्षित और स्वस्थ रह सकें।"... श्रव्या अपने पिता के पास चली गई, और धीरे से उन्हें गले लगा लिया, जो उसके जन्म से ही उसकी रक्षा कर रहे थे।

    अपनी समझदार बेटी को देखकर मिस्टर कियान को बहुत अच्छा लगा, और उन्होंने उसने हाथ से उसकी पीठ थपथपाई और समान पैक करने को कहा।

    मिस्टर कियान और श्रव्य एक साथ ऑफिस से बाहर निकलें। वरुण वहां से जा चुका था, हालंकि रिपोर्टर अभी भी उनका इंतज़ार कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने श्रव्या को देखा, वे उस पर टूट पड़े।

    "मिस्टर कियान, क्या आप आरोपों के बारे में कुछ कहना चाहते हैं?"

    "मिस्टर कियान, आपके वाइस प्रेसिडेंट ने कहा है कि आपके प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा देने के बाद वे आप पर करवाही नही करेंगे, क्या आप इस बारे में कुछ कहना चाहेंगे?"...

    "प्रेसिडेंट कियान..."

    रिपिटर्स आगे सवाल पूछते उससे पहले ही श्रव्या ने उनके मांघड़क इल्जामों पर तर्क दिया... "आप मेरे पिता को ऐसी बातें स्वीकार करने के लिए क्यों मजबूर कर रहे हैं जो उन्होंने कभी की ही नहीं? उन्हें उन नीच लोगों ने फंसाया है। किसी दिन मेरे पिता की बेगुनाही साबित करने वाले सबूत मिल जाएँगे और तब मैं सारा सच सामने ले आऊंगी।"

    रिपोर्ट ने उत्सुकता के साथ पूछा.... "मिस कियान, क्या मिस्टर शर्मा वही नीच लोग हैं जिनके बारे में आपने अभी कहा कहा ?"

    शायद वह रिपोर्टर हंगामा खड़ा करने के लिए उत्सुक था, इसलिए उसने तुरंत मुख्य मुद्दा पकड़ लिया और श्रव्या के बयान को अपने न्यूज में मसाले की तरह प्रयोग करना चाहा।

    "मुझे लगता है कि मैंने अपनी बात साफ लफ्जों में कह दिया है, आपको किसी दिन सच्चाई पता चल ही जाएगी।"... कंपनी के व्यवसाय के बारे में कुछ भी नहीं जानने के बावजूद, श्रव्या डरपोक नहीं थी और दूसरों को अपने पिता को बेवजह परेशान नहीं करने देती थी।

    _____________

    श्रव्या के छोटे चेहरे पर दृढ़ता देखकर, टेलीविज़न के सामने बैठे आदमी ने अपने पतले होंठों के किनारों को थोड़ा ऊपर उठाया,जैसे वो मुस्कुरा रहा हो, उसके पास ही उसका असिस्टेंट हर्ष चिंता में खड़ा टीवी पर चल रहे न्यूज को बड़ी गौर से देख रहा था।

    "बॉस, कियान ग्रुप बर्बाद हो गया है। क्या हमें अभी भी प्लान के अनुसार ग्रुप को टेकओवर करना चाहिए?"...असिस्टेंट हर्ष ने अव्यान की और आज्ञाकारी नजरों से देखते हुए पूछा।।

    हर्ष के सवाल का जवाब न देते हुए, अव्यान ने अपनी पतली उंगलियों से टीवी स्क्रीन पर इशारा किया..."इस लड़की के बारे में पता करो, मुझे उसके बारे में छोटी से छोटी डिटेल चाहिए।"

    उसके अप्रासंगिक शब्दों ने हर्ष को भ्रमित कर दिया।

    एक लड़की? मिस्टर कियान की बेटी? क्या उनकी बेटी का कियान ग्रुप को खरीदने से कोई लेना- देना था?

    सवालों से भरी होने के कारण, हर्ष ने केवल..."हां, सर"...कहा और वहां से चला गया।

    कार्तिक की मदद से श्रव्या और उसके पिता ने पत्रकारों से छुटकारा पाया और अपने कार में घर चले गए। उनका विला शहर के पूर्वी हिस्से के अमीर इलाके में स्थित था, जहाँ ताज़ी हवा और खूबसूरत माहौल था, मुंबई के सबसे अमीर परिवार ही यहाँ घर खरीद सकते थें।

    उस विशाल विला में श्रव्या की दादी लंबे समय से सोफे  पर बैठी,उनका इंतजार कर रही थी। जब उन्होंने बेटे और पोती को आते देखा, तो वह तुरंत अपनी छड़ी लेकर खड़ी हो गई।

    "वहाँ क्या हो रहा है, श्रव्या?"...भूरे बालों वाली बूढ़ी  दादी ने जल्दी में पूछा, जिस पर दोनो चुप रहें।

    मिस्टर कियान ने अपना मुंह खोला लेकिन कुछ भी ना बोल सका, क्योंकि वह इतनी बुढ़ापे में अपनी मां को चोट नहीं पहुंचाना चाहता था।

  • 4. "तबाह इश्क" - Chapter 4

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    कार्तिक की मदद से श्रव्या और उसके पिता ने पत्रकारों से छुटकारा पाया और अपने कार में घर चले गए। उनका विला शहर के पूर्वी हिस्से के अमीर इलाके में स्थित था, जहाँ ताज़ी हवा और खूबसूरत माहौल था, मुंबई के सबसे अमीर परिवार ही यहाँ घर खरीद सकते थें।

    उस विशाल विला में श्रव्या की दादी लंबे समय से सोफे  पर बैठी,उनका इंतजार कर रही थी। जब उन्होंने बेटे और पोती को आते देखा, तो वह तुरंत अपनी छड़ी लेकर खड़ी हो गई।

    "वहाँ क्या हो रहा है, श्रव्या?"...भूरे बालों वाली बूढ़ी  दादी ने जल्दी में पूछा, जिस पर दोनो चुप रहें।

    मिस्टर कियान ने अपना मुंह खोला लेकिन कुछ भी ना बोल सका, क्योंकि वह इतनी बुढ़ापे में अपनी मां को चोट नहीं पहुंचाना चाहता था।

    "दादी,आप चिंता न करें..." श्रव्या ने अपनी दादी को समझाया, हालांकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह उन्हें कैसे सांत्वना दे।

    "मैं इसके बारे में चिंता क्यों नहीं कर सकती? आज कई चैनलों पर खबर दी गई है। वहाँ क्या चल रहा है? मुझे अभी बताओ।"...हालाँकि दादी अब बूढ़ी हो गई थी, लेकिन जब वह जवान थी, तो बिजनस पर हावी रहती थी, चेहरे पर गंभीर भाव के साथ, उसने वॉकिंग स्टिक से ज़मीन पर वार किया, जिससे श्रव्या और मिस्टर कियान का दिल जोर से धड़कने लगा।

    "माँ, प्लीज नाराज़ मत होइए, अपना ख्याल रखिए..आपको को दिल की बीमारी है और आपको नाराज़ नहीं होना चाहिए..." इससे पहले की मिस्टर कियान अपनी बात पूरी नहीं कर पाते, दादी उर्मिला ने उन्हे बीच में ही टोक दिया।

    "चुप रहो..मैं अपनी शारीरिक स्थिति जानती हूँ।" दादी उर्मिला के गुस्से से डर कर मिस्टर कियान ने कहा..."आप जानती है, मैने अपनी कंपनी खो दी है।"

    वह दशकों से जीवित है, लेकिन उसके सबसे करीबी दोस्त ने ही उसे धोखा दिया, जिस पर उसने इतना भरोसा किया था।

    "क्यों? क्या तुमने सच में कोई अपराध किया है? या तुम्हें धोखा दिया गया है?" ...दादी उर्मिला को पूरा यकीन था कि उसका बेटा कभी भी कोई गलत काम नहीं करेगा। हालाँकि, वह यह नहीं समझ पाई कि ऐसा क्यों हुआ।

    "मैने कोई अपराध नहीं किया, उन लोगों ने मुझे धोखा दिया विजय शर्मा और वरुण शर्मा दोनों नंबर वन के धोखेबाज हैं।"... कहते हुए मिस्टर कियान याद सोफे पर बैठ गए, और उनकी स्मृतियां ने 20 साल पहले खींच ले गई।

    बीस साल से भी ज़्यादा समय पहले, वे एक-दूसरे को सगे भाई मानते थे। हालाँकि, वे उसी समय एक महिला से प्यार करते थे.." अमृता " जो की श्रव्या की माँ भी थी।दस पहले वो एक हादसे में गुजर गई, लेकिन वो अब भी जनता था कि विजय शर्मा अमृता से प्यार किया करता था और आज यह धोखा उसी अधूरे प्यार का नतीजा था।

    दूसरी ओर अचानक बूढ़ी दादी उर्मिला की साँस फूल गई, वह बेहोश होकर फर्श पर गिरी।

    "माँ ..."..मिस्टर कियान उनकी और भागे।

    "दादी..."... श्रव्या अपनी दादी के चेहरे को छूटी हुए होश में लाने की कोशिश करने लगी।

    ________

    शाम 5 बजे दादी उर्मिला  को दिल का दौरा पड़ने के कारण अस्पताल भेजा गया। ऑपरेशन विफल रहा। उस रात 8 बजे दादी उर्मिला होश में आईं और अपने बेटे और पोती को देखते हुए चल बसीं।

    उनकी मृत्यु से पूरा मुंबई सदमे में आ गया, क्योंकि शुरुआत से ही उनका बिजनस वर्ल्ड पर बहुत प्रभाव रहा था, साथ ही जब वह जवान थीं तो कई पुरुषों के सपनो की प्रेमिका भी हुआ करती थी।

    उनके कई पुराने मित्र शोक प्रकट करने के लिए अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जबकि मिस्टर कियान के साथ अच्छे संबंध रखने वाले कई अन्य लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए, बल्कि उन्होंने अंतिम संस्कार के लिए पुष्पमालाएं भेज दी।

    विजय शर्मा और उसका बेटा भी अंतिम संस्कार में आए थे, जिससे मिस्टर कियान क्रोधित हो गए और नियंत्रण खो बैठे। इसलिए श्रव्या ने गार्डों को बुला कर उन दोनो को बाहर निकालने का आदेश दिया। इस घटना को समाचार मीडिया ने लंबे समय तक कवर किया। कई लोगों ने निष्कर्ष निकाला कि मिस्टर कियान को विजय शर्मा के साथ दोस्ती करने में असफलता मिली और वह अपनी कंपनी को उनसे बचाने में बहुत कमजोर साबित हुए।

    अंतिम संस्कार के बाद, अदालत ने कियान फैमिली के कीमती सामान को नीलामी के लिए रख दिया ताकि उसके भारी कर्ज को चुकाया जा सके, साथ ही उसके विला को भी सील कर दिया गया।

            मिस्टर कियान, अपनी बेटी श्रव्या कियान के लिए एक नोट छोड़ने के बाद गायब हो गए। कोई नहीं जानता कि वह कहाँ गए...वह जीवित है या मर चुके हैं।

    नोट हाथ में लिए, श्रव्या एक सूटकेस के साथ बारिश में खड़ी थी, उसका चेहरा चिपचिपा और उलझन में था।

          क्या यह उसका सपना है? कुछ दिन पहले तक सब कुछ ठीक था, और यहाँ तक कि उसकी दादी ने भी उसके लिए खुशी-खुशी जन्मदिन का तोहफा चुना था। आख़िरकार चीजें इस तरह कैसे खत्म हो गईं?

    हालाँकि नोट पर लिखे शब्द बारिश में धुल गए थे, फिर भी वे पहचानने लायक थे। श्रव्या ने कई बार नोट की जाँच की क्योंकि उसे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था।

    "श्रव्या..,तुम्हारी माँ और मैंने तुम्हें 22 साल पहले एक नदी के किनारे पाया था और तुम्हें घर ले आए थे। अब मेरे पास कुछ भी नहीं है। तुम्हें अपने बायोलॉजिकल माता-पिता को खोजने जाना चाहिए। अलविदा, मेरी राजकुमारी।"...

    नोट पढ़ते हुए वो सड़क पर उकडू हो कर बैठ गई और जोर से चिल्लाई..."दादी, पापा और मम्मी, मैं तुमसे नफरत करती हूं..तुम सबने मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया? मुझे आप सब की बहुत याद आ रही है....विजय शर्मा, वरुण शर्मा और करीना मलिक, मैं तुम सबसे बहुत नफरत करती हूं.. तुम सब ने मुझे धोखा क्यों दिया?"

    कहते हुए वो अचानक रुकी और उसे वह रात याद आया, और एक बार फिर वह रो पड़ी..." वह आदमी भी...जिसे मैं नही जानती, उससे भी नफरत है।।"

    बारिश तेज़ होती जा रही थी। श्रव्या शारीरिक और मानसिक पीड़ा दोनों को सहन नहीं कर सकी और वहीं बेहोश होकर गिर गई।

    उसके बेहोश होने के बाद एक लिमिटेड एडिशन कार उसके पास आकर रुकी। कार  कर दरवाजा खुला और सेक्रेट्री हर्ष ने बाहर निकल कर छाता लगाया और कार का पिछला दरवाज़ा खोला। एकदम चमचमाते चमड़े के जूते पहने एक आदमी कार से उतरा और श्रव्या को अपनी बांहों में उठाया। फिर कार अस्पताल की ओर चल पड़ी।

    (क्रमश: )

  • 5. "तबाह इश्क" - Chapter 5

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    प्राइवेट अस्पताल के एक लक्जरी वीआईपी वार्ड में, आँखें खोलने के बाद, श्रव्या ने मंद रोशनी वाला एक झूमर देखा। उसे अपने बाएं हाथ पर कुछ महसूस  हुआ, आंखे घुमा कर उसने अपने हाथ को देखा, ठंडा तरल उसके बाएं हाथ से धीरे-धीरे उसके शरीर में जा रहा था। किंतु सवाल ये था कि वह थी कहाँ?

    "तुम जाग गई हो?"...एक ठंडी आवाज़ सुनकर उसे सिहरन हुई। उसने बैठने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रही,कमजोरी के कारण उसमे हिम्मत नही आई, इसलिए उसने जल्द ही हार मान ली।

    अचानक, एक सफ़ेद शर्ट पहना आदमी आकर बिस्तर के पास खड़ा हुआ और उसकी ओर निहारने लगा।

         श्रव्या ने पलकें झपकाई और सोचा कि वह आदमी कितना सुंदर है। उसकी आकर्षक भौहें, गहरी आँखें, तीखी नाक और पतले होंठ उसकी शान और शालीनता को दर्शा रहे हैं। लंबा और पतला शरीर उसे और भी आकर्षक बनाता था, हालाँकि, उसके ठंडे, घमंडी स्वभाव ने श्रव्या को अनजाने में अपनी गर्दन सिकोड़ने पर मजबूर कर दिया। यह आदमी थोड़ा जाना-पहचाना लग रहा था...

    "आप कौन हैं?"... श्रव्या ने धीमे स्वर में पूछा।

    "मैं तुम्हारा आदमी हूँ।".... अव्यान ने बिना किसी झिझक के कहा।

    "क्या आप किसी बीमारी के शिकार है?"... श्रव्या ने उसके साथ तिरस्कारपूर्ण व्यवहार किया, जिससे अव्यान थोड़ा हैरान हुआ और बेडसाइड पर लगे कॉल बटन को दबा दिया।

    एक अलार्म की लंबी बीप के बाद, एक मिनट के अंदर ही डॉक्टर और नर्स का एक समूह कमरे के अंदर आ गया।

    गॉज मास्क पहने एक नर्स ने श्रव्या को धीरे से बैठने में मदद की और उसके पीठ के पीछे तकिया रख दिया ताकि वह उस पर टिक सके।

    डॉक्टर और नर्सों के समूह में सबसे आगे वाला आदमी शायद छब्बीस साल का होगा। मोटी भौंहों को ऊपर की ओर उठाए और सुबह की ओस की तरह साफ़ आँखों के साथ, वह मेडिकल इक्यूपमेंट को ध्यान से देख रहा था।

    "इसे देखो..शायद इस लड़की ने अपनी यादस्त खो दी है।".... अव्यान ने सफेद कोट पहने सुंदर लड़के से कहा।

    26 वर्षीय डॉक्टर रेहान एक माहिर डॉक्टर था, वो अक्सर बीमार लोगो की सेवा करता था, पर उनसे पैसे निकालना उसे बेहद मनोरंजक काम लगता था, हॉस्पिटल के चीफ डॉक्टर के बेटे होने के कारण उसे हर कोई इज्जत देता था। हालाँकि, वह ठंडा और सनकी था, उसके पास कोई दोस्त भी नही थे, सिवाय कुछ लोगो के जिन्हे वो काफी लंबे समय से जनता था।।

    "मैं कर चुका हूँ..वो बिल्कुल ठीक है और आप बार बार उस तरह अलार्म बजा कर हमे नही बुला सकते, हॉस्पिटल में और भी पेसेन्ट है, जिन्हे हमारी जरूरत है"...डॉक्टर रेहान ने अपनी आँखें चिकित्सा उपकरणों से हटा लीं, और जब उसने देखा कि श्रव्या उसे कोमल निगाहों से देखते हुए आहे भर रही है तो वह भौंचक्का रह गया।

    पैंट की जेबों में हाथ डाले, अव्यान ने उनके नैन मटके को तोड़ते हुए बोला..."मैं समझ गया, आप जा सकते है डॉक्टर।"

    डॉक्टर रेहान ने एक नजर श्रव्या को देखा और सिर हिलाते हुए, अपने टीम के साथ चला गया।

    उसके जाने से वार्ड में सन्नाटा छा गया, श्रव्या को शांत देख अव्यान लैपटॉप में दस्तावेज जांचने के लिए डेस्क पर वापस चला गया।

    "अरे....तुम वहां वापस क्यों गए?"... श्रव्या तपाक से बोली..."जाओ ना तुम्हारा घर नहीं है क्या? क्या मुझसे ही चिपके रहोगे? मैं बता देती हूं कि तुम मुझसे हॉस्पिटल लेकर आए थे, मैने ऐसा करने को नही जहा था..इसलिए बिल नही भरूंगी मैं, बिल देते हुए जाना यहां से।"

    वह आगे भी बोलना चाहती थी, लेकिन अचानक कुछ सोचकर रुक गई। अव्यान बिना कुछ बोले बस उसे देख रहा था।

    श्रव्या ने सीने पर हाथ बांधे और संदेह के साथ फिर से बोली..."मुझे क्या हुआ था? क्या तुमने मेरे साथ कुछ किया और अच्छा बनने के लिए यहां ले आए, मुझे अच्छे से याद है मैं सड़क पर थी.. कहीं तुमने मुझे टक्कर तो नही मारी थी ना? मुझे यकीन है तुमने मुझे टक्कर मारी होगी।"

    "नही, अपने दिमाग के घोड़ों को कम दौड़ाओ, तुम बेहोश पड़ी थी वहां.." अव्यान ने उसे एक सरल उत्तर दिया और फिर से अपने लैपटॉप पर ध्यान केंद्रित करने लगा।

    "अगर ऐसा है तो थैंक यू, वैसे मैं अस्पताल से कब छुट्टी ले सकता हूँ?".... श्रव्या कुछ गंभीर ही गई और उदास भी।

    "कल।"... अव्यान ने एक छोटे शब्द के साथ अपना उत्तर खत्म किया।

    जवाब मिलने पर श्रव्या के मन में सवाल उठा कि अस्पताल से निकलने के बाद वह कहां जाएगी? अपने नाना के घर? नहीं, वह यहां से बहुत दूर किसी देहात में था, राधिका के घर के बारे में क्या ख्याल है? शायद नहीं, क्योंकि उसका बिस्तर इतना बड़ा नहीं है कि वे दोनों उस पर सो सकें।

    अपने विचारों के साथ उसने अंतिम विकल्प को चुना. जो को कार्तिक का घर था, चुकी उसके पास दो बेडरूम वाला अपार्टमेंट था, इसलिए वह फिलहाल वहाँ रह सकती है और नौकरी ढूँढ सकती है।

    इस ख्याल के साथ श्रव्या ने फिर कार्तिक को फोन करने का फैसला किया, किंतु उसका फ़ोन तो पार्टी के दौरान कहीं खो गया था।

    ऐसी स्थिति में उसे पास केवल एक विकल्प बचा, सामने बैठे उस अनजान आदमी से फोन मांगना,हालांकि वह ठंडा दिख रहा था, लेकिन वह गर्मजोशी से भरा हुआ हो सकता है क्योंकि उसने उसे बचाया था।

    "माफ कीजिए, सर, क्या मैं आपका फोन उधार ले सकता हूँ?" .... श्रव्या हिचकिचाते हुए बोली।

    अव्यान को उसका सर कहना पसंद नही आया, इसलिए उसने धीरे से कहा..."अव्यान कावीश"

    "क्या?... श्रव्या समझ ना सकी और मूंह खोले बोली..."ओह सरफीरों के सरदार फोन मांग रहीं हूं।"

    वह अपने बातों से इतना शोर मचा रही थी कि अव्याण अपने काम पर ध्यान नहीं दे पा रहा था। इसलिए, उसने अपना लैपटॉप बंद कर दिया और उसे एक बार फिर अपना नाम बताया..." अव्यान कावीश नाम है मेरा।"

    "तो मैं क्या करूं? तुम्हारा नाम बैगन हो या भिंडी हो, मुझे उसे क्या? अपने नाम पर लटके मत रहो, इतना भी कोई खास नाम नही है।"... श्रव्या ने उसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली, उसने उसे इस तरह अनदेखा किया जैसे वो मिस्टर इंडिया हो।

    उसकी बात सुन अव्यान का चेहरा पहले से अधिक जम गया और भौंहें बहुत कसकर सिकुड़ गईं, उसकी तीखे नाक पर गुस्सा उतर आया। जिसके अगले ही पल उसने बड़े कदम उठाए और एक दो कदम में ही श्रव्या तक पहुंच गया।

    (क्रमश:)

  • 6. "तबाह इश्क" - Chapter 6

    Words: 1121

    Estimated Reading Time: 7 min

    "लड़की! ध्यान से सुनो की तुम्हारे आदमी का नाम अव्यान काविश है। अगर तुम इसे सही से नही बोल पा रही तो क्या मैं तुम्हे राइटिंग और स्पेलिंग सिखाऊं?"... अव्यान अपने दांत पीसते हुए बिस्तर पर झुका और श्रव्या के बेहद करीब हो गया।

    "तुम बहुत अजीब हो... क्या तुम मुझे जानते हो? तुम मेरे आदमी कैसे हो सकते हो?"... उसकी नजदीकियों पर झेपती श्रव्या थोड़ी क्रोधित हो गई, उसे समझ नही आया कि आखिर उसके सामने खड़ा अजनबी बार – बार उसका आदमी होने का दावा क्यों कर रहा था।जबकि उसे अपने बारे में सब कुछ याद था, बेहोश होने से पहले की सारी बातें उसे याद थी, इसलिए वो सख्स उसे गुमराह नही कर सकता था।

    "देखिए मिस्टर विष...मैं आपको नही जानती और आप अपने दिमाग का इलाज करवा लीजिए प्लीज।"....होंठो को बिचकाए उसने फिर से कहा और अपना मुंह फेर कर खिड़की से बाहर देखने लगी।

    तभी अव्यान ने गंभीर आवाज में कहना शुरू किया..."तो तुम्हारा दवा है कि मैं तुम्हारा आदमी नहीं हूं और तुम मुझे नहीं जानती। लेकिन श्रव्या मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानता हूं, तुम्हारा पूरा नाम श्रव्या कियान है, तुम्हारा राशि मिथुन है और तुमने पिछले महीने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है, इसके अलावा कुछ दिन पहले तुमने अपना 22वां जन्मदिन मनाया, और उसी दिन होटल की 8वीं मंजिल पर कमरा 888 में एक आदमी के साथ सोई..."

    "रुको, रुको, रुको!"... अचानक श्रव्या लगभग चिल्ला पड़ी। यह आदमी कौन है? उसे कैसे पता कि वह एक आदमी के साथ सोई थी?

       मन ही मन सोचते हुए श्रव्या की आंखे फैल चुकी थी और दाईं हथेली उसके मुंह पर दबी हुई थी।।

    "तुम्हें मेरी बात बीच में नहीं रोकनी चाहिए, मिस अफलातून"...कहते हुए उसने उसके तन पर एक नजर डाली.... "तुम बी-कप हो, कमर का नाप 70 सेमी है, और तुम्हारे शरीर पर एक काला निशान है...यह जन्मजात तिल जैसा नहीं लगता...हालांकि तुम्हारे सीने पर जो तिल है वो नजर के टीके जैसा लगता है।"

    इतना सुनना था की श्रव्या ने अपने मुंह से हाथ हटा कर, उसके मुंह पर अपने दोनो हाथो को मजबूती से दबा दिया.. "क्या तुम चुप हो सकते हो? तुम्हें कैसे पता चला? मुझे बताओ! क्या तुमने मुझे नहाते समय देखा था? या छुप कर वीडियो बनाया?"...कहते हुए उसने अव्यान को घूर कर देखा, जो भाव-भंगिमाओं से परे बहुत प्यारा लग रहा था।

    उसका प्यारा सा भय देख कर, जब अव्यान ने उसके हाथों को अपने होठों से हटाने का इशारा किया, तो श्रव्या ने तुरंत अपने हाथ पीछे खींच लिए और उन्हें सफेद चादर पर रगड़ दिया, जैसे कि उसके हाथ गंदगी लग गई थी।

    उसकी इस हरकत पर अव्यान ने इस बचकानी लेकिन जिद्दी लड़की को घृणा से देखा, लेकिन बिना कुछ कहे मेज तक वापस गया, कागज के कुछ टुकड़े उठाया और श्रव्या को सौंपते हुए बोला..."पढ़ो इसे।"

    "एक विवाह-पूर्व समझौता?" ... श्रव्या उलझन में पड़ गई जब उसने कवर पर उन शब्दों को देखा और अपना सिर उठाया।

    जबकि समीप खड़ा अव्यान गंभीर और सहज था, जब उसने श्रव्या से उलझन को दूर करते हुए जवाब दिया...."हाँ...तुमने मेरा कौमार्य छीन लिया, इसलिए तुम्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।"

    ये कहते हुए अव्यान ने आसानी से श्रव्या पर एक भारी बम फेंका, जिससे श्रव्या का गला सूख गया और वो मन ही मन बड़बड़ाई..." हे महादेव! ये वही आदमी है, जिसके साथ मैं उस रात...लेकिन मैं उसकी जिम्मेदारी क्यों लूं?इसकी हिम्मत तो देखो..कह रहा है मैने उसका कौमार्य  छीन लिया।"

    सोचते हुए वो गुस्से में एकदम से चिल्लाई..." तुमने मेरी लाइनें चुरा ली है मिस्टर, ये मुझे कहना चाहिए था।" उसकी आँखें लगभग बाहर निकल आईं क्योंकि उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही आदमी है, जिसके साथ वह उस रात सोई थी, हालंकि उसने फिर खुद से मन के भीतर बाते की..."हाँ, यह वही है..मिस्टर एस्कॉर्ट! क्या अब मुझे बिस्तर से उठकर उसे पीट-पीटकर मार डालना चाहिए?"

    "ठीक है।अगर ऐसी बात है तो बिना वक्त गंवाए, समझौते पर साइन कर दो, उसमे तुम्हारे भी फायदा है".... अव्यान ने एक हाथ पैंट की जेब में डाला, और दुसरे हाथ से फाउंटेन पेन को उसकी ओर बढ़ाया।

    "नहीं! मैं नही करूंगी"...इनकार करते हुए श्रव्या आगे बोली...सबसे पहली बात, मैं मानती हूं कि हम दोनो ने नाजायज काम किया,लेकिन फिर भी हम एक दूसरे के लिए अजनबी हैं। दूसरी बात, मैं इस समय इतनी बदकिस्मत हूं कि शादी करने का मूड नहीं हो रहा। और तीसरी बात, अगर आप लड़कियों की तस्करी करते हो तो क्या होगा?मैं अपने आप को बचाना जानती हूं, यह सच है कि हम एक दूसरों को रूप-रंग से नहीं आंक सकते। आप टॉल, डार्क एंड हैंडसम है इसका मतलब ये नही है कि मुझे आप पर भरोसा है।"

    उसकी लम्बी चौड़ी भाषण सुन के बाद अव्यान ने अपनी उंगलियों से भौंहों के बीच रगड़ा। उसका सिर थोड़ा दर्द करने लगा था, क्योंकि यह पहली बार था, जब उसे किसी लड़की ने अस्वीकार कर दिया था। इससे भी बुरी बात यह थी कि वह लड़की बेहद बातूनी थी।

    खुद को शांत करते हुए अव्यान ने इस नए रिश्ते को सौदा में तब्दील कर दिया...." अगर तुम मुझसे शादी करो तो, मैं तुम्हारे पालने वाले पिता और तुम्हारे जैविक माता-पिता को खोजने में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। जो भी तुम चाहती हो सब कुछ तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा।"...

    अव्यान अपनी जिंदगी में कभी नही पछताया। लेकिन, उसे इस समय कुछ हद तक एहसास हुआ कि पछतावा कैसा होता है, हालंकि उसने मन ही मन सोचा..." ये कितनी घमंडी है! बस इंतजार करो लड़की...मैं तुम्हें जीत लूँगा और तुम्हारा घमंड भी निगल जाऊँगा।"

    उसकी बातों में आ कर श्रव्या कुछ शांत दिखी और गंभीरता से सवाल किया.."तुम्हारा नाम क्या है?"

    "तुमने कमाल कर दिया है लड़की, मैं पहली बार किसी को अपना नाम इतनी बार बता रहा हूं, तुमने नया रिकॉर्ड बनाया है। खैर मेरा नाम है... अव्यान काविश।".... अव्यान झुंझलाते हुए बोला।

    उस नाम को ध्यान से सुनने पर श्रव्या को याद आया कि उसने इस व्यक्ति के बारे में पहले भी सुना था। व्यापार जगत में एक महान व्यक्ति, रहस्यमय, निजी जीवन के बारे में लो-प्रोफ़ाइल, बेहद शक्तिशाली, लंबे समय तक विदेश में रहने वाला और ना जाने कितनी बातें एक साथ उसके दिमाग में कौंध गई, हालांकि उसने इस पर विश्वास करना ठीक नहीं समझा और आंखे सिकोड़ते हुए पूछ लिया....."आप अपनी पहचान कैसे साबित कर सकते हैं। आईडी कार्ड बेकार है, क्योंकि इसे जाली बनाया जा सकता है, इसलिए पहले सबूत दो के आप वही अव्यान काविश हो और मैं उस रात आपके साथ ही सोई थी।"

    "सबूत?"... अव्यान ने भौहें उठाई और एकदम से उसके होंठों को चूमने के लिए आगे झुका..."अगर तुम्हें मेरी बात पर यकीन नहीं है, तो मैं हमारी पहली रात को यहाँ दोहरा सकता हूँ, वो सब कुछ मुझे अच्छे से याद है...तुम्हारी तेज सांसे और धड़कते दिल को तेज धड़कन भी।"

    (क्रमश:)

  • 7. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 7

    Words: 1798

    Estimated Reading Time: 11 min

    अपनी बात खत्म कर उसने धीरे से अपने अधरो को उसके लबों से छुआ। श्रव्या की मुट्ठियां कस गई, हालंकि उसने महसूस किया कि अव्यान के होंठ थोड़े ठंडे थे, और उसकी तेज खुश्बू वाला परफ्यूम उसके सिर को घुमा रहा था।

    हालांकि श्रव्या ने अपना सिर पीछे खींच लिया और आंखे फाड़े धमकाते हुए बोली..." मैं तुमसे शादी नहीं करूँगी। तुम लड़‌कियों को पटाने में बहुत माहिर हो, तुम ज़रूर कोई पिकअप आर्टिस्ट हो।"

    "पिकअप आर्टिस्ट?"... अव्यान ने अपनी मोटी भौंहें उठाईं। वो दो शब्द परिचित लग रहे थे, लेकिन ये उसके लिए अपमानजनक थे।

    "तुम्हारे पास मुझसे शादी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।"... अव्यान ने गुस्से में कहा..." जानकारी के अनुसार, तुम्हारे पास केवल दो अच्छे दोस्त हैं राधिका जिसने रेसिंग के दौरान तुम्हारी जान बचाई है, और दूसरा कार्तिक, लेकिन जल्द ही दोनो शादी कर लेंगे और तुम अकेली रह जाओगी, ऐसे में सिर्फ मैं तुम्हे सहारा दे सकता हूं।"

    उसकी बात गौर करने वाली थी,ये सच था कि इस दुनिया में उसका कोई अपना साथ नही था और वरुण शर्मा, उसके पिता विजय शर्मा से बदला लेने के लिए उसे एक मजबूत सहारे की जरूरत थी, जो शायद वही आदमी बन सकता था, जो उसके सामने खड़ा था।

        काफी विचारों के बाद आखिरकार उसने कहा...."ठीक है, मैं इस पर हस्ताक्षर कर दूंगी,लेकिन उससे पहले मेरी कुछ शर्तें होंगी।"

    "मैं सुन रहा हूँ।" .... अव्यान कुर्सी पर पैर मोड़कर बैठ गया और ध्यान से सुनने लगा।

    "सबसे पहले, बिना मेरे परमिशन के तुम मुझे मत छूना, और कोई सपने भी मत सजाना, मैं तुम्हे परमिशन नही दूंगी।"...उसकी शर्त पर अव्यान ने सहजता से सिर हिलाया..."यह तो बहुत आसान है, मेरे भी विचार कुछ ऐसे ही हैं।"

    श्रव्या ने आगे कहना जारी रखा..."दूसरा, मेरे होते हुए तुम दूसरी लड़कियों को घर नही लाओगे, या उनसे संबंध नहीं रखोगे, मुझे झूठे रिश्ते में भी धोखा पसंद नही है।"

    अव्यान ने सहमति में सिर हिलाया जैसे की आश्वासन दे रहा हो कि वह दूसरी औरतों के चक्कर में नहीं पड़ेगा।

    "तीसरा, पब्लिक एरिया में ऐसा दिखावा करोगे कि हम एक-दूसरे को नही जानते।"...

    उसकी तीसरी शर्त सुनने के बाद अव्यान कुछ पल रुका, फिर झिझक के साथ सिर हिलाया, हालंकि उसके मन में एक विचार जाग गया..."इस लड़की ने अपनी पहली और तीसरी शर्त के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की, काफी भोली सौदागर है।"

    सोचते हुए अव्यान ने अपनी गहरी आवाज में कहा..."मैं तुम्हें अपनी शर्त  बता देता हूं, जितना हो सके हमारी शादी के बारे में कम ही बात करना। मैं किसी झंझट में नहीं पड़ना चाहता।"

    "सौदा मंजूर है।"... श्रव्या ने आत्मविश्वास के साथ अपनी भौंहो को तान दिया, जिस पर अव्यान खामोश ही रहा।

    ______________

    लगभग दो घंटे बाद, अव्यान द्वारा खरीदे गए कपड़ों को पहन कर श्रव्या ने कॉन्ट्रैक्ट को फिर से पढ़ा और साइन करते हुए बोली...."अब मुझे क्या करना होगा?"

    "कुछ नही बस अपने घर चलो।".. अव्यान ने पेपर्स को उठा कर रखा लिया और वार्ड से बाहर की ओर बढ़ा, श्रव्या कुछ घबराई लेकिन उसके साथ चल पड़ी।

    हॉस्पिटल से निकल कर अव्यान, श्रव्या को सीधे अपने आलीशान विला में ले गया, उसकी भव्यता देख कर श्रव्या को कुछ खास फर्क नही पड़ा, क्योंकि वो बचपना से ही ऐसे ही परिवेश में बड़ी हुई थी।

    कार से उतर कर श्रव्या अव्यान के कदमों के निशान पर चलने लगी। दोनो जैसे ही विला में दाखिल हुए, रात के खाने की खुशबू ने उनका स्वागत किया, और सर्वेंट नेहा रसोई से बाहर आईं..." ओह सर, आपको देख कर खुशी हूं, आपका बिजनस ट्रिप कैसा रहा।"

    अव्यान ने जवाब के बदले सिर हिला दिया और थोड़ी देर रुकने के बाद श्रव्या को अपने पीछे से निकाल कर आगे खड़ा कर दिया...." ये वहीं हैं, जिनके बारे में आपको बताया था, क्या कमरा और डिनर तैयार है?"

    नेहा ने श्रव्या को गौर से निहार, जैसे अपनी मालकिन को नही, बल्कि नई बहु को देख रही हो..." बहुत ब्यूटीफुल हैं..मैडम।"

    इतना कह उसने अव्यान की तरफ गर्व से देखा और आगे बोली... "रात का खाना जल्दी ही तैयार हो जाएगा और मेरी मालकिन का कमरा मैने तैयार कर दिया है। कमरा दूसरी मंजिल पर दाईं ओर बीच में है।"....

    नेहा ने कई वर्षों तक सी परिवार की सेवा की थी। जब अव्यान विदेश में था, तब भी नेहा ही उसका देखभाल किया करती थी, इसलिए अव्यान के पिता ने अपने बेटे के देखभाल के लिए उसे मुंबई भेज दिया था।

    उनकी बातें खत्म होंने के बाद श्रव्या ने हाथ जोड़ कर उसका अभिवादन किया और आंखे सिकोड़े बोली......"नमस्ते आंटी!आपको परेशान करने के लिए सॉरी और कमरे के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।"

    "इसमें कोई परेशानी नहीं हुई मैडम, यही तो मेरा काम है, आप पहले कमरा देख लीजिए अगर कुछ बदलना हो तो बता दीजिए, जब तक आप दोनो डिनर करेंगे मैं बदल दूंगी।"....नेहा ने श्रव्या के सिर को स्नेह पूर्वक सहलाया।

    उन्हे देखते हुए अव्यान ऊपर कमरे की ओर बढ़ने लगा, श्रव्या भी आज्ञाकारी ढंग से उसके पीछे चली। तभी अव्यान एक कमरे के सामने रुक और दरवाज़ा खोल दिया.... "यही आपका कमरा है। लेकिन हम यहाँ कुछ दिन ही रहेंगे। इसके बाद मैं आपको 8 पर्ल विला ले चलूंगा।"

    "8 पर्ल विला? "...हैरानी से श्रव्या की आंखे फैल गई और वो मन ही मन सोचने लगी..." क्या ये उसी विला के बारे में बात कर रहा है, जो एशिया का सबसे बड़ा विला है। जो आलीशान, ज़्यादा शानदार और बेहतरीन कारीगरी का नमूना है! ऐसा कहा जाता है कि एक रहस्यमई आदमी ने उस विला को बनाने में अरबों डॉलर खर्च किए। वहां आठ विला है और प्रत्येक विला 1000 वर्ग मीटर से ज़्यादा के क्षेत्र में फैला हुआ है, बगीचे और स्विमिंग पूल का तो कहना ही क्या। क्या मैं वहां रहने वाली हूं?"

    सोचते हुए श्रव्या खुद में ही शरमाने लगी,जिसे देख अव्यान बोल पड़ा...."सपने देख लिए तो अंदर आ जाइए।"

    श्रव्या अपने ख्यालों से बाहर निकली और मुंह बनाते हुए अंदर आ गई, कदम अंदर रखते हुए उसे पैरो के नीचे कुछ मुलायम महसूस हुआ। फर्श पर सफेद ऊनी कालीन बिछा हुआ था और इस 80 वर्ग मीटर के कमरे में एक डबल बेड,एक अलमारी, कंप्यूटर डेस्क और कुर्सी के साथ–साथ एक ड्रेसिंग टेबल भी था।

        रूम के बाईं ओर हल्के भूरे रंग की सजावट वाला एक बाथरूम था, जिसमे शंख से सजावट किया गया एक गोल बाथटब, जिसके बाईं ओर तौलिए का एक शेल्फ, दाईं ओर एक नल और नल के सामने बड़ा सा आईना लगा हुआ था।

    हालाँकि श्रव्या के पास पहले भी एक आलीशान, शानदार और क्लासी कमरा था, लेकिन इसकी तुलना उस कमरे से नहीं की जा सकती। फिर भी कमरे में चक्कर लगाते हुए उसने मुंह बनाया...."ठीक ही है, मैं अर्जेस्ट कर लूंगी।"

    "अभी इस कमरे से काम चला लीजिए। हम जल्द ही यहां से चले जाएंगे।"... अव्यान कह ही रहा था कि उसने देखा, श्रव्या ने खुद को लगभग बिस्तर पर फेंक दिया और खुशी से फैल गई..." यह काफी अच्छा और मुलायम है, मुझे नींद आ रही है। तुम जाओ।"

    उसकी बातों पर श्रव्या कभी भी गौर नही किया करती थी, जिससे अव्यान खूनस से भर गया और बदले की भवना के साथ वो उसके ऊपर आ गया,अचानक हुई इस हरकत से श्रव्या बुरी तरह डर गई। उसकी बाहों से घिरे हुए श्रव्या ने अपने नाजुक बदन पर भारी वजन महसूस किया, जिससे उसका दिल तेजी से धड़कने लगा था।

        वे इतने करीब आ गए थे कि उनके चेहरों के बीच की दूरी एक सेंटीमीटर से भी कम रह गई थी।

    "इस पल तो आपको जागने की जरूरत है,और इस बिस्तर की जगह मैं आपके लिए काफी हूं, मैं इससे भी ज्यादा मुलायम हूं।"... वह उसके प्यार की भावनात्मक फुसफुसाहटों से मदहोश हो रही थी, उसके दिल में अजीब सी गुदगुदाहट होने लगी थी, हालांकि उसने अपने हाथों को अव्यान के छाती पर टिकाया, लेकिन उसका विद्रोह करना भूल गई।

    अव्यान की गहरी आंखें इतनी रहस्यमयी और आकर्षक थी, मानो वहां कोई भंवर छुपा हो, जो उसे खोज करने के लिए लुभा रहा था, उनकी खुशबुएं एक दूसरे में यूं घुली की जज्बात अधीर होने लगे।

    अव्यान भी खुद को बहकने से रोक ना सका और उसके गालों को चूमना चाहा, तभी बर्तन गिरने की एक हल्की सी आवाज़ आई, जिससे श्रव्या अपने होश में लौट आई और अव्यान को जोरदार धक्का देने से पहले उसके सिर पर एक झापड़ लगा दिया।

    अव्यान के लिए यह आश्चर्य की बात थी कि इस लड़की ने उसके सिर पर तमाचा मारा और उसे धक्का दे कर छूट गई। अपनी हार से अव्यान बेचैनी से भर गया और उससे बदला लेने के लिए, ठंडे चेहरे के साथ उठ कर बैठ गया।

    "खरगोश की तरह तेज और काफी बदमाश हो।"...कहते हुए उसने श्रव्या की कलाई खींची और उसे फिर से अपनी बांहों में गिरा लिया।।

    "तुमने मुझे पहले बहकाया था!"... श्रव्या क्रोधित होने के साथ-साथ थोड़ी शर्मीली भी थी, हालंकि इस बार अव्यान ने उस पर पकड़ ढीली रखी थी, जिससे श्रव्या करवट बदलने में कामयाब हो गई और मुड़ कर देखा कि वो वहीं लेटा हुआ मुस्कुरा रहा था। जिसके दूसरे ही पल उसने कहा...."दिलचस्प ! यहाँ आओ, मैं आपको खा नही जाऊंगा"...

    श्रव्या ने एक तकिया उठाया और उसके ऊपर फेंक दिया.... "अव्यान काविश, मैं तुम्हारी जाना ले लूंगी।तुम कितने बदमाश हो, तुमने वादा किया है कि तुम मुझे नही छुओगे और क्या तुम मुझे अपने करीब आने के लिए मजबूर कर रहे हो?"

    कहते हुए वो बेड से उतर कर काफी दूर तक भागी और कनखी नजर से उसे घूरते हुए मन ही मन बड़बड़ाई..." पुरुषजात जन्म से ही फ्लर्ट करना सीखते हैं और मुझे यकीन है की ये लड़का एक माहिर पिकअप आर्टिस्ट है, क्या ये एक बिजनस मैने के साथ–साथ कॉल बॉय है?"

    उसके चेहरे पर बदलते भावों को देख, अव्यान ने कुछ अदांजा लगाया और बेड से उतर कर खड़ा हो गया..." मेरे बारे में ज्यादा मत सोचिए और याद रखिए की आज तक किसी ने भी मुझे मना करने की हिम्मत नहीं की है, आप पहली हैं जो मुझसे इस तरह पेश आती हैं!"

    कहते हुए उसने अपने कपड़ों को ठीक किया और दरवाजे की ओर चला गया... "चलिए नीचे चलते हैं,नही तो भूखे सोना होगा आपको।"

    खराब मूड में खड़ी, श्रव्या ने गुस्से से अव्यान की पीठ को देखा और अनिच्छा से नीचे जाने के लिए उसका पीछा किया।

    __________

    डायनिंग टेबल पर नेहा ने रात का खाना परोसना शुरू कर दिया था। श्रव्या अपनी कुर्सी पर बैठने से पहले बोली..." मुझे हाथ धोना है।"

    अव्यान उसे अनसुना करते हुए नेहा से बोला..."आपने टेबल पर पानी नही रखा।"

    "मैं ले आती हूं।"...कहते हुए नेहा किचन की ओर भागी।

    खुद को इग्नोर होता देख, श्रव्या ने शांति से काम लिया और अव्यान की और झुंक कर दांत पीसते हुए बोली..." कुछ देर पहले मैंने आपको छुआ था मिस्टर काविश! जिससे आपका सारा विष मेरे हाथों पर लग गया, अगर मैं ऐसे ही खा लूंगी तो मर जाऊंगी और आप पांच घंटों के शादी के बाद विडोमैन हो जायेंगे।"

    (क्रमश:)

  • 8. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 8

    Words: 1524

    Estimated Reading Time: 10 min

    खुद को इग्नोर होता देख, श्रव्या ने शांति से काम लिया और अव्यान की और झुंक कर दांत पीसते हुए बोली..." कुछ देर पहले मैंने आपको छुआ था मिस्टर काविश! जिससे आपका सारा विष मेरे हाथों पर लग गया, अगर मैं ऐसे ही खा लूंगी तो मर जाऊंगी और आप पांच घंटों के शादी के बाद विडोमैन हो जायेंगे।"

    उसकी बात सुन, अव्यान ने पलकें उठाई और कुछ दो मिनट तक उसे घूरते रहने के बाद बोला...." किचन में हाथ धो लीजिए।"

    "थैंक यू।".... ऐंठते हुए श्रव्या मुड़ी और किचन में चली गई। हाथ धोते हुए उसने देखा कि नेहा अपने दोनों हाथों में सर्विंग बाउल लिए हुए चल रही थी, जिससे उसने हाथ धोना खत्म किया और आगे बढ़ कर नेहा के हाथ से एक सर्विंग बाउल लेते हुए बोली..."मैं आपकी मदद करती हूं।"

    "अरे इसकी कोई जरूरत नही मैडम, मैं कर..."... नेहा ने जल्दबाजी में कहा, लेकिन श्रव्या मुस्कुराई और उसकी बात बीच में ही रोकते हुए बोली..." कोई बात नही, मेरे पास वैसे भी कोई काम नहीं तो, मुझे मदद करने दीजिए।"

    दोनो को किचन से साथ आते देख अव्यान के होठों पर हल्की मुस्कान आ गई, उसे श्रव्या बनावटी नही लगी, उसे नेहा की मदद करता देख वो उसके सादे प्रकृति की ओर आकर्षित हुआ।

    मेज पर सर्विंग बाउल रखने के बाद श्रव्या अव्यान के ठीक सामने वाले चेयर पर बैठ गई, नेहा ने उसके प्लेट में खाना परोसा और वापस अपने कामों में लग गई, जिसे देख श्रव्या ने कहा...."नेहा आंटी! आप भी आइए हमारे साथ डिनर में शामिल होइए।"

    अपनी बात कहते हुए उसने सावधानी से अव्यान के चेहरे पर एक नज़र डाली, जो बिना किसी जल्दबाजी के पनीर के एक टुकड़ा खा रहा था। नौकर को खाने की मेज पर दावत देने से उसे कोई परेशानी ना दिखी तो श्रव्या ने फिर एक बार कहा..."आंटी इतना अच्छा खाना बनाया है आपने, आइए ना हमारे साथ बैठिए।"

    "नहीं, थैंक यू मैडम! आप मेरे सर के साथ खाने  का आनंद लीजिए, मैं क्लींजर खरीदना भूल गई, इसलिए मुझे अभी जाकर खरीदना होगा।"....नेहा ने अपने हाथ धोए, जूते पहने और बाहर जाने के लिए तैयार हो गईं।

    "ठीक है, तो फिर, बाहर अंधेरा है। प्लीज केयरफुल रहिएगा"..... श्रव्या ने अपना हाथ हवा में लहराते हुए कहा।

    नेहा के बाहर जाने के बाद, श्रव्या ने चम्मच उठाई और खाने को घूरना शुरू कर दिया। डायनिंग टेबल अलग अलग रेसिपी से भरी थी,,काफी दिनों से उसने ठीक से खाया नही था तो उसकी भूख आंखो में साफ नजर आने लगी थी, इतनी मुश्किलों के बाद आखिरकार उसे खाने का आनंद लेने का मौका मिला, हालाँकि मेज़ पर एक अजनबी भी था। किंतु शायद कुछ दिनों में वे एक-दूसरे के लिए अजनबी नहीं रहेंगे।

         श्रव्या ने अव्याण को देखते हुए सोचा जो शान से बैठा खाना खा रहा था।

    अपना खाना खत्म कर अव्यान ने सिर उठाया, तो देखा श्रव्या के प्लेट में अभी भी एक तिहाई पुलाव और पनीर बची हुई थी। इसलिए वो इत्मीनान से बैठा अपने फोन को घूरने लगा। शायद उसे डर था की मेज से उठने पर वो अपना खाना खत्म नहीं करेगी और उसके साथ ही उठ जायेगी।

    हालंकि दूसरी ओर श्रव्या ने महसूस किया कि वो उसके लिए ही वहां बैठा है, इसलिए जल्दी से खाना खत्म कर उसने अपना मुंह पोंछा और उठ कर मेज साफ करने के लिए हाथ बढ़ाया।

    ये देख अव्यान ने सीने पर हाथ बांध लिया और उसे अकुशलता से प्लेटों को सजाते देखा..." क्या आप अपने घर भी ये किया करती थीं?...पूछते हुए अव्यान ने उसके चेहरे पर गौर से देखा।

    "नहीं, मैंने कभी नहीं किया।"... जवाब देते हुए श्रव्या ने अपनी पिछली ज़िंदगी को याद करते हुए आँखों में आँसू भर लिए। जब वह अपने घर में थी, तो उसे निश्चित रूप से ऐसी छोटी-मोटी चीजें करने की जरूरत नहीं थी। सुबह उठते ही उसके पैरों के नीचे स्लीपर्स रखा जाता था और हाथों में कॉफी का कप पकड़े वो गर्म पानी से भरे बाथटब की ओर बढ़ जाती थी। लेकिन अब हालत अलग है, अब वो बेघर है और शायद उसे खुद को राजकुमारी जैसा ट्रीट करना बंद कर देना चाहिए और काम करना चाहिए।

    उसके आंसु देख अव्यान असहज हो गया, उसने कभी किसी रोती हुई लड़की को शांत नही कराया था, इसलिए नहीं जानता था की वो क्या करें, हालंकि उसने मन में आई बात कही..."श्रव्या, अब से यही आपका घर है। आप मेहमान नहीं हो और ये सारे काम मत करो, आप जैसे अपने डैड के घर रहती थी, वैसे ही रहिए...अगर आपको और सर्वेंट चाहिए तो मैं ला दूंगा। "....

    कहते हुए अव्यान ने उसके हाथ से खाली कटोरा छीन लिया, और ऊपर जाने के लिए उसकी कलाई पकड़ ली..." जहां मैं रहूंगा वही आपका घर होगा।"

    श्रव्या ने उदासी से अपनी पतली कलाई पर उसके बड़े हाथ को देखा। वह थकी हुई थी आराम करना चाहती है, इसलिए चुपचाप उसके साथ चल पड़ी।

       जब वे दूसरी मंजिल पर पहुंचे, तो अव्यान ने उसे कमरे में जाने नहीं दिया। इसके बजाय, वह उसे अपने साथ स्टडी रूम में ले गया।

    "मुझे सच में थकान है, क्या हम कल बातें करें?"... श्रव्या ने अव्यान को कुछ ढूंढते हुए देख कर पूछा।

    अव्यान ने कोई जवाब ना दिया और अपने डेस्क की दराज से दो कार्ड निकाल कर उसकी ओर बढ़ाते हुए बोला...."मेरे पास अभी कैश नहीं है इसलिए ये दो कार्ड ले लीजिए और अपने लिए जो भी चाहे खरीद लीजिए, इसे अपने पास रखिए।"

    श्रव्या आंखे नीचे की और उन दो कार्ड्स को घूर कर देखा, जिसमे से एक सीमित संस्करण वीआईपी ब्लैक कार्ड था। दुनिया भर में इस तरह के केवल 88 कार्ड जारी किए गए हैं और इसमें कोई क्रेडिट सीमा नहीं है, वो जितना चाहे खर्च कर सकती थी, जो चाहे खरीद सकती थी और अपनी सारी ख्वाइशों को पूरा कर सकती थी, हालांकि उस कार्ड को लेने में वो झिझकी और मन में उठ रहे कई सवालों पर विचार करना शुरू कर दिया।

    काफी सोचने के बाद उसने अपना सिर उठाकर अव्यान को देखा, जो एक पोकर फेस बनाए हुए था। उसे देख वो  और अधिक असमंजस में पड़ गई..वह उसके साथ इतना अच्छा व्यवहार क्यों करता है, जबकि वे सिर्फ अजनबी हैं! क्या सिर्फ इसलिए कि उन्होंने अपनी पहली रात एक साथ बिताई है?

    विचारों के कशमकश में उलझी श्रव्या ने धीरे से अपने मन की बात को स्पष्ट करना चाह...."तुम मुझे यह क्यों दे रहे हो? मैं तुमसे प्यार नहीं करती... क्या तुम्हे यकीन है कि मैं इसे लेकर भागूंगी नहीं? मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई फिलिंग्स नहीं है और ऐसा लगता है कभी होगा भी नहीं, क्योंकि मैंने पहले ही सच्चा प्यार किया और उसमें धोखा खा चुकी हूं। वरुण मेरे पहला प्यार..."

    इसके आगे श्रव्या कुछ कह पाती, उससे पहले ही अव्यान  ने उसे टोक दिया, शायद उसका मूड थोड़ा अपसेट था और गुस्से में भी ,जब उसने कहा...."जाइए जल्दी सो जाइए। हम कल मैरेज रजिस्ट्री के लिए जाएंगे।"

    ऐसा कहते हुए उसने अचानक श्रव्या के हाथ में कार्ड थमाया और उसे दरवाजे से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया।

    क्या वह नाराज़ है?  श्रव्या ने अपने सामने स्टडी रूम के बंद दरवाज़े की ओर देखा,पर कोई निष्कर्ष ना निकाल सकी। अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए उसने कार्ड को कई बार देखा और अंततः उसके होंठो पर एक मुस्कान खिल गई।

    दिन भर अव्यान के साथ रहने के बाद आखिरकार वो कमरे में अकेली थी। उसके मन में असंख्य विचार और कल्पनाएं भरी थी, जिससे उसकी आंखो में आंसू उभर आए।

    पापा ने अपनी कंपनी खो दी है, दादी का निधन हो गया है, पापा ने मुझे छोड़ दिया और अब वे गायब भी हो गए हैं। विजय और उसके बेटे वरुण की वजह से मैने सब कुछ खो दिया। अपने दोस्त से धोखा मिला और लोगो की जहरीली बातें सुनने को मिली।

    सोचते हुए श्रव्या उदास होकर बालकनी में झूले पर बैठ गई और रात के काले आसमान में अपनी जगह तलाश करने लगी थी। उसके चेहरे पर आँसू बह रहे थे, हालंकि दिनभर उसने मज़बूत दिखने की कोशिश की थी, लेकिन इस वक्त उसके सीने में दबा दुख फट गया था।

    दुसरी ओर अव्यान, श्रव्या से पूछना चाहता था कि उसका आईडी प्रूफ कहाँ है। इसलिए स्टडी रूम से निकालकर उसके कमरे तक आ गया, हालांकि वह दरवाजे पर नॉक करता उससे पहले ही उसने श्रव्य के सिसकने  की आवाज सुनी।

    उसकी सिसकियां जाने क्यों उसके दिल को छेद रहीं थी, इसलिए उसने चुपके से उसका दरवाज़ा खोला और अंदर झांक कर श्रव्या की दशा जानने की कोशिश की, किंतु श्रव्या बालकनी में झूले पर सिमटी हुई थी। उसने श्रव्या के बकबक के आधार पर, एक मज़बूत महिला समझा था, जो किसी भी चीज की परवाह नहीं करती थी, लेकिन वो इस पल बहुत अधिक संवेदनशील और मासूम लग रही थीं।

    वो दबे पांव चला और झूले के पीछे खड़ा, उसे आलिंगन में भर लिया।

    श्रव्या अचानक गले लगने से डर गई और तुरंत रोना बंद कर दिया। जब उसने देखा कि उसे गले लगाने वाला अव्यान था, तो वह और भी दुखी होकर रोने लगी... "तुम यहाँ क्यों हो? तुमने मुझे रोते हुए पकड़ लिया, मुझे कितनी शर्म आ रही है! रोते हुए मेरा नाक भी बहता है।"

    (क्रमश:)

    रेटिंग्स दे कर जाइए.. रात को अच्छे सपने आयेंगे।

    गुड नाईट

  • 9. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 9

    Words: 1426

    Estimated Reading Time: 9 min

    वह जिद्द और दुख से भरी हुई प्रतीत हो रही थी, उसकी बातें अव्यान को मुस्कुराने पर मजबूर करती थी, लेकिन वो उसके दुख में शामिल हुआ और आगे बढ़ कर उसके साथ झूले पर बैठते हुए बाहों को फैला दिया।।

    श्रव्या अनाथ बच्चे की तरह उसके सीने से चिपक गई और आधे घंटे तक उसकी बाहों में रोती रही, उसके आँसुओं ने अव्यान के कपड़े गीले कर दिए थे और उसकी सिसकियां बेहद उदास लग रही थी।

      "बस यह अखरी बार है, आप फिर कभी नही रोएंगी।".... अव्यान ने उसके पीठ को सहलाते हुए कहा।

    "मैं आपकी बात क्यों मानूँ?मुझे गुलाम तो नही समझते ना आप? और क्या मुझे धमका रहें हैं"... श्रव्या और भी दुखी होकर रोने लगी, किंतु उसके शब्दों में उपहास छुपा था।

    "नही भला मैं आपको कैसे धमकी दे सकता हूं? आप बहुत देर तक रो रही हैं। क्या इससे कुछ मदद मिलती है?रोने से हम प्रॉब्लम सॉल्व नही कर सकतें।"... अव्यान उसे शांत करने की कोशिश करता है, उसे नहीं पता कि जब वह श्रव्या को रोते देखता है तो, उसे असहज क्यों महसूस होता है।

    उसकी बात सुनने पर, श्रव्य ने रोना बंद कर दिया और अपनी नाक साफ करते हुए दयनीय दृष्टि से उसकी ओर देखा..."तुम्हारे पास शराब है?"

    उसकी ऐसी मासूमियत पर अव्यान उसके अनुरोध को ठुकरा नहीं सका और अपने पॉकेट से रुमाल निकाल कर उसे थमाते हुए बोला..."क्या आप पीना चाहोगी?"

    "ज़रूर! मैंने अपना मन बना लिया है..हाल ही में जो कुछ हुआ है, उसे मैं शराब के सहारे भूल जाऊँगा!"....उसके रुमाल से नाक साफ करते हुए श्रव्या ने धीमी आवाज में कहा।

    "ठीक है, आप अपना चेहरा धो लीजिए, फिर हम साथ में ड्रिंक करते हैं। लेकिन, मैं बता दूं कि आपको बहती हुई नाक के साथ देखना काफी रोमांचक है।"... कहते हुए अव्यान ने उसे हंसाने की कोशिश की, लेकिन श्रव्या कुछ ना बोली और मुंह धोने वाशरूम के भीतर चली गई।

    अव्यान भी झूले से उठा और बाथरूम के बंद दरवाजे को घूरते हुए खुद में ही बड़बड़ाया..." इसे रोता देखना, अजीब क्यों लगता है?"

    बॉथरूम में श्रव्या ने अपने चेहरे पर पानी डाला और अपने बिखरे हुए लंबे बालों को एक बन में बांध लिया।

    इधर अव्यान ने वाइन रैक को देखते हुए,काफी देर तक कुछ सोचा फिर वाइन की एक बोतल और दो गिलास निकाल कर उसके कमरे में वापस लौट आया। जहां पहले से ही श्रव्या सोफे पर बैठी उसकी राह देख रही थी, किंतु उसके हाथ में रेड वाइन की बोतल देख वो खुश नही हुई।

    "मुझे रेड वाइन नहीं चाहिए।  मैं कुछ स्ट्रॉन्ग पीना चाहती हूँ, केवल स्ट्रॉन्ग अल्कोहल ही मेरी चिंता और क्रोध को दूर कर सकता है।"....कहते हुए वो मुंह फेर कर बैठ गई।

    हालंकि उसकी बातों को अनदेखा करते हुए, अव्यान ने बोतल खोली और वाइन को दो गिलासों में डाला दिया..."यही मिलेगा, इससे ज्यादा मैं आपको नही दे सकता।"

    श्रव्या ने असंतुष्ट होकर मुंह बनाया,लेकिन उसके हाथ से गिलास लेकर एक ही सांस में वाइन गटक गई,फिर गिलास आगे करते हुए बोली..."और चाहिए।"

    तभी अचानक उसकी नजर खाली गिलास पर पड़ी और उसे याद आया कि वरुण द्वारा दी गई रेड वाइन पीने की वजह से ही उसने अपने सामने खड़े आदमी के साथ एक बिस्तर शेयर किया था। उस रेड वाइन में शायद नशीला पदार्थ मिलाया गया था। सोचते हुए श्रव्या ने व्यंग्यात्मक मुस्कान भरी और एकदम से क्रोधित हो गई..." वो कमीना..उसे जान से मार डालूंगी।"

    अचानक उसे बड़बड़ाता सुन अव्यान ने वाइन की बोतल पीछे खींच ली और आंखो मे हैरानी की भाव लिए हुए घूरने लगा, जिस पर श्रव्या अपने दोनो हाथो को तेजी हिलाते हुए बोली...." मैं तुम्हे नही कह रही थी..मैं तो उस कुत्ते, कमीने वरुण की बात कर रही थी, वो नेवला उसकी हिम्मत कैसे हुई मुझे धोखा देने की।"

    इस वक्त भी उनके बीच वरुण की बातें थी, जो अव्यान को अच्छी ना लगी और उसने श्रव्या को वाइन देने से इंकार कर दिया..."पीने के बाद आप उसकी बात करती हैं, इसलिए अब रहने दीजिए। वैसे भी आप हॉस्पिटल से आज ही लौटी हैं तो आपको कम ड्रिंक करना चाहिए।"

    "मुझे मत सिखाइए।"...कहते हुए श्रव्या गुस्से से उठी, उसके हाथ से बोतल छीन ली और अपना गिलास रेड वाइन से भर लिया..."चीयर्स मिस्टर विष।"

    गिलास से वाइन की आखरी बूंद पीने के बाद श्रव्या ने खुशी से डकार ली और अव्यान के नाखुश चेहरे को अनदेखा करते हुए फिर अपना गिलास भरने लगी, तभी अव्यान ने उसकी कलाई पकड़ी और उसे रोक दिया..."बस करो आप नशे में हो।"

    श्रव्या ने उसका तिरस्कार किया... "क्या हुआ? इतने बुरे और कंजूस मत मानो! मैंने तुम्हारी वाइन की आधी बोतल ही खत्म की है, मैं इसके पैसे दे दूंगी...या किस्स से भरपाई कर दूंगी।"

    कहते हुए उसने फिर से डकार ली और पाउट बना कर आंखे मारते हुए बोली..." मिस्टर विष..कहिए मैं आपको कहां किस्स करू?"

    उसकी ऐसी हरकतों को देख, अव्यान खड़ा हुआ, उसे दो पलों तक निहारा और फिर अचानक उसे बाहों में उठाते हुए वाशरूम की ओर बढ़ गया।

    श्रव्या बेवजह शरमाई, उसके पहले से लाल गाल और अधिक सुर्ख हो गए, जब उसने पूछा..."क्या आप मेरे साथ शॉवर लेना चाहते हैं?"

    अव्यान ने भौहें तान दी और उसे शॉवर के नीचे खड़ा कर शॉवर चालू कर दिया, ठंडे पानी की बूंदे उसके बदन पर पड़ी तो कांपते हुए उसने अव्यान के शर्ट को मुट्ठियों से भींच लिया। उसके कपड़े गीले हो गए और उसके शरीर से कसकर चिपक गए, जिससे उसका सुंदर शरीर लगभग दिखने लगा।

    ठंड से उसे गुस्सा भी आया और वो चिल्लते  हुए बोली..."अव्यान, क्या तुम पागल हो? मैंने अभी तक अपने कपड़े नहीं उतारे हैं, मैं कपड़े पहन के नही नहाती, मेरे पास यही एक अच्छा सेट था।"

    अपनी बात खत्म करतें हुए उसने अव्यान के उतरे चेहरे पर देखा, फिर कांपते  हुए सोचने लगी..." क्या वह गुस्से में है। वह भयानक क्यों लग रहा है? मैने उसे गुस्सा कब दिलाया?"

    अव्यान जो कि खुद को रोके खड़ा था, अचानक उसकी ओर बढ़ने लगा, श्रव्या ने कदम पीछे खींचे और जल्द ही दोनो शॉवर के नीचे आ गए।

    "क्याहुआ तुम्हे? ऐ..ऐसे क्यों देख रहे हो?".... श्रव्या हकलाई।

    अव्यान ने उसके गीले बदन पर एक नजर डाली और जलन भरे अल्फाज को होंठो से उछाल दिया..."क्या वरुण अब भी आपके दिल में है? क्या कभी छुआ उसने आपको?"

    "अचानक वरुण की बातें कहा से आ गई? वो मेरा पहला प्यार था, जाहिर सी बात है मुझे उसे भूलने के लिए वक्त...."...इसके आगे वो कुछ कह पाती उससे पहले ही अव्यान ने अपनी काली आंखो की पलकों को उठाया और उसके चेहरे यूं देखा कि वो अपने शब्दों को निगल गई।

    कमरे का तापमान तेजी से बढ़ गया और रोमांटिक माहौल उनके चारों ओर फैलने लगा।

    "रुको! क्या वो गुस्से में है?" ....मन के ख्यालों को झटकते हुए श्रव्या को पहली बार उससे डर लगा, लेकिन वो समझ ना सकी कि आखिर उसने ऐसा क्या कर दिया।

    अपने कदम पीछे खींचते हुए श्रव्या ने उसके नजदीकियों को इनकार करना चाहा, लेकिन उससे पहले ही अव्यान ने उसके होठों को चूम लिया, उसका बड़ी हथेली श्रव्या के सिर के पीछे जमी हुई थी, जिससे वह अपना सिर हिला कर उसका विरोध भी ना कर सकी।

    हालाँकि, उसने उसके सीने के खिलाफ अपने हथेलियों को दबा, लेकिन अव्यान ने उस कमजोर विरोध को नज़रअंदाज़ कर दिया और अगले ही पल उसके दोनो कलाइयों को पकड़ कर दीवाल के खिलाफ दबा दिया।

    पिछली बार वो नशे में थी और समझ ना सकी थी कि वो उसके साथ क्या कर रहा है, लेकिन इस बार उसने थोड़ी सी वाइन पी थी, जिससे उसे थोड़ा होश था और वो जान चुकी थी कि अव्यान खुद को रोक नहीं पा रहा, धीरे–धीरे वो और अधिक एग्रेसिव होता जा रहा था।

    जिससे श्रव्या को दर्द महसूस हुआ और उसने अनजाने में अव्यान के होठों को काट लिया। उनके मुंह के बीच खून की हल्की गंध फैल गई, तीखे दर्द के कारण अव्यान ने उसे छोड़ दिया और भौंहैं सिकोडे बोला...."आप माहिर हैं इसमें। पिछली बार आपने ही मुझे बहकाया था, फिर आज क्या हुआ आपको? मुझे प्ले बॉय, वैश्या मास्टर कहा और 5000 रुपए भी अदा की? सच कहूं तो..आपने मेरे अब तक बहुत इंसल्ट की है मेरी।"

    कहते हुए अव्यान ने श्रव्या के खामोश और शांत भाव पर गौर किया और फिर से कहने लगा..." फिर भी श्रव्या कियान...आप पर मैने बहुत सारे एहसान किए, आप अपने डैड का बदला लेना चाहती हैं, इसलिए इस शादी के लिए हामी भरी, लेकिन मेरे पास आपसे जुड़ने का कोई मकसद नही। तो, आपको नही लगता कि मेरे इन एहसानो के बदले आपको इस तरह इनकार नहीं करना चाहिए, इस शादी के बदले मैं इतना तो डिजर्व करता हूं ना?"

    (क्रमश:)

  • 10. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 10

    Words: 1321

    Estimated Reading Time: 8 min

    अव्यान ने उसके कान में धीमी आवाज में फुसफुसाते हुए कहा..."मुझे आपके काटने का अंदाज भी पसंद आया। आप ना केवल बातूनी हैं, बल्कि वाइल्ड भी हैं।"

    इतना कह उसने अपने होठों पर लगे खून की जरा भी परवाह नहीं की और ना ही श्रव्या से इजाजत लेने की सोची।

      श्रव्या उसके होंठो को अपने गले पर फिसलते हुए महसूस कर सकती थी, लेकिन जाने क्यों उसने उसे रोकने का इरादा छोड़ दिया, शायद इस वक्त वो अपने फैसले पर पछता रही थी।

    श्रव्या की शिकायतें, धीरे-धीरे बाथरूम में हल्की सांस लेने की आवाज मे बदल गईं, उसने कई बार अव्यान को रोकना चाहा, लेकिन शायद वो खुद भी पूर्ण कोशिश नही कर रही थी।

    __________

    बॉथरूम से निकल कर, कपड़े बदल लेने के बाद श्रव्या जब बेड पर लेटी तो उसने अपने बदन के हर हिस्से में अजीब सा दर्द महसूस किया, जिससे उसने ड्रेसिंग के सामने खड़े अव्यान को घूर कर देखा और नफरत से बोली..."जानवर!"

    अव्यान ने कोई जवाब ना दिया, जिसके दस मिनट बाद फिर श्रव्या की आवाज आई..."मैं तुम्हारे साथ मैरेज रजिस्टर नही करूंगी।"

    बाथ टावल में खड़े अव्यान ने उसकी बात सुनी। लेकिन, कहा कुछ नही,वो तक तक वहां खड़ा रहा, जब तक कि श्रव्या सो नही गई, फिर आखिरकार उसने कमरे की लाइट बुझाई और दरवाजे से बाहर चला गया।

    _______________

    अगली सुबह उन्हे मैरेज रजिस्ट्री के लिए जाना था। लेकिन, श्रव्या दोपहर के दो बजे तक सोती रही, अव्यान भी सुबह ही कहीं चला गया था, इसलिए नेहा ने श्रव्या को डिस्टर्ब नही किया और अपने कामों में लगी रही।

    दो बजे के बाद जब श्रव्या की आंख खुली तो उसने देखा, कमरे में अव्यान नही था, जिससे जाने क्यों उसे थोड़ी निराशा हुई।

      कल रात का घटना याद करते हुए उसने फिर से शॉवर लेने का सोचा और उठ कर बाथरूम की ओर बढ़ गई। नहाते हुए उसने अपने शरीर पर नीले पड़े निशानों को देखा था तो एक लंबी आह भरते हुए खुद में ही बड़बड़ाई..." उसने मुझसे शादी सिर्फ मेरी बॉडी के लिए तो नही किया...साफ तौर पर वो कल रात गुस्से में और बहुत ज्यादा एग्रेसिव था। क्या मुझे उसके साथ मैरेज रजिस्ट्र करना चाहिए?"

    कहते हुए वो अपने दिमाग में कई बातों पर विचार करने लगी...चुकी वो एक दूसरे के साथ दो बार सो चुके थे, इसलिए उसे अव्यान के साथ मैरेज रजिस्ट्री करवा लेना चाहिए, भले ही उनके रिश्ते में फेरे और सिंदूर की रस्मे नही थी, लेकिन वो काफी आगे बढ़ चुके थे। कम से कम, मैरेज रजिस्ट्री उनके बीच एक ऑफिसियल रिलेशन साबित करेगा। अन्यथा वह विवाह प्रमाणपत्र के बिना उसके द्वारा आर्थिक रूप से समर्थित एक रखैल की तरह प्रतीत होगी।

    सोचते हुए श्रव्या ने नहाने की गति तेज़ कर दी..." नही मैं उसकी रखैल नही बन सकती, कम से कम मैरेज रजिस्ट्री के बाद वो मेरा पति तो होगा।"

    नहाने के बाद उसने कपड़े पहने, और मेकअप किए बिना अपने बालों को बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गई। उसे सीढ़ियों पर देख नेहा मुस्कुराई और आदर से पूछा..."मैडम खाना गर्म कर दूं?"

    "नही मुझे कहीं और जाना है।"...कहते हुए श्रव्या जल्दबाजी में घर से निकल गई। हालांकि वो बड़े से लोहे के गेट की पर कर पाती, उससे पहले ही उसे अव्यान की कर आती दिखी और वो वहीं रुक गई।

    जल्द ही अव्यान से उतरा और सवालिया अंदाज में पूछा..." आप बाहर क्यों हैं?"

    "चलो..मैरेज रजिस्ट्री करवाते हैं, वक्त नहीं है।".... श्रव्या ने उसे वापस कार के भीतर धकेला और खुद भी बैठ गई।

    "आप इतनी जल्दबाजी क्यों कर रहीं हैं?" ... अव्यान आश्चर्यचकित था और सोच रहा था कि अचानक श्रव्या का मन कैसे बदल गया।

    "मुझे तुम्हारे साथ शादी का लाइसेंस जल्दी चाहिए क्योंकि..."....कहते हुए उनसे अपनी बात अधूरी छोड़ दी और ड्राइवर की ओर पलट गई..."मैरेज ब्यूरो चलिए, जरा जल्दी कीजिए...मैं इसे आज ही रजिस्टर करना चाहती हूं।

    उसकी बातों को सुनते हुए अव्यान ने उसके गर्दन पर हल्के बैंगनी निशानों पर एक तिरछी नज़र डाली और उसके कानो तक झुक आया...."क्या कल रात आप इतनी सेटिसफाइड हुईं कि मेरी ऑफिसियल वाइफ बन कर हर रात मेरे साथ गुजरना चाहती हैं?"

    उसके शब्दों को सुनते हुए श्रव्या को वास्तव में उसका गला पकड़ कर काटने और दूर कहीं फेंक आने की इच्छा हुई, हालांकि उसने मन ही मन सोचा...." तुम्हारे साथ हर रात? Go to hell."

    मन ही मन उसे कोसने के बाद श्रव्या शांतिपूर्वक और सुरुचिपूर्ण ढंग से कार में सीधी बैठी, अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं और अपने बगल में बैठे मोटी चमड़ी वाले अव्यन को नजरअंदाज करने का फैसला किया।

    अव्यान उसकी स्पष्ट रूप से बंद मुट्ठियों को देखकर हल्का सा मुस्कुराया..."मैं इस खामोशी को हाँ के रूप में लेता हूँ।"

    इसके बाद दोनों की बातचीत बंद रही, कार मैरेज ब्यूरो जाने के बजाय श्रव्या के पुराने विला के सामने रुकी, जिसे खिड़की से देखते हुए श्रव्या ने पूछा..." मैने मैरेज ब्यूरो चलने को कहा था, यहां क्यों?"

    ड्राइवर ने उसकी उलझन को सुलझाते हुए जवाब दिया..." आपके कार में आने से पहले सर ने मुझे यहां लाने को कहा था।"

    उसके जवाब पर श्रव्या पूरी तरह से दंग रह गई, वो अव्यान से इसका कारण जान पाती, उससे पहले ही उसने देखा कि अव्यान कार से बाहर निकल कर, एक पतली चाभी से विला का गेट खोल रहा है।

    श्रव्या कर से उतरी और उसके करीब जाते हुए पूछा...."क्यों... क्यों... तुम्हारे पास मेरे घर की चाबी क्यों है? घर को नीलामी में बेचा दिया गया था, चाभी पाना बिल्कुल भी आसान नहीं है। क्या तुम्हे इस विला के मालिक ने चाभी दे दी? क्या उसे जानते हो तुम?"

    उसके सवालों को इग्नोर करते हुए अव्यान ने दरवाजा खोला और एक नजर उसकी ओर देखते हुए बोला...."अपना आईडी ढूँढ़ने जाओ। जल्दी करो।"

    उसे जवाब देने के मूड में ना देख श्रव्या ने मुंह बनाया और धीरे-धीरे विला के भीतर चली गई। घर, जो पहले चहल-पहल से भरा हुआ था, अब ठंडा और उदास हो चुका था।

      ये देख श्रव्या, अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए दूसरी मंजिल पर चली गई, और अपने पिता स्टडी रूम से अपनी आईडी और जरूरत के कागजात ले लिया।  विला छोड़ने से पहले, अपने कमरे में गई, उसका सारा सामान  पहले की तरह ही रखे हुए थे, वहां एकमात्र बदलाव यह था कि अब उन समान की अधिकारी वहां नही रहती थी।

    श्रव्या ने अपनी आँखों के कोनों से आँसू पोंछे और सीढ़ियों से नीचे चली आई। इस वक्त वह दरवाज़े पर खड़े अव्यान की आभारी महसूस कर रही थी। उसकी मदद की बदौलत, वह अब अपने घर को एक बार फिर देख सकी।

    आगे बढ़ते हुए उसने खुद से एक वादा किया..."मेरे पास  पैसा हो जाने पर मैं यह विला वापस खरीद लूंगी!"

    विला से बाहर निकलने पर अव्यान ने गेट पर वापस ताला लगाया और कार में बैठ गया, श्रव्या भी कार के भीतर आई और खिड़की से विला को तब तक निहारती रही, जब तक कि वह आंखो से ओझल ना हो गया।

    __________

    जब वें मैरेज रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे, तो ऑफिसियल वर्क करने में उन्हें लगभग शाम हो गई। सुबह और दोपहर का खाना छोड़ देने के कारण श्रव्या को इतनी ही देर में कई बार भूख का एहसास हुआ, उसके पेट पर हाथ रखने के अंदाज से अव्यान बता सकता था कि वो भूखी है।

        इसलिए रजिस्ट्री ऑफिस से निकल कर वो उसे एक रेस्तरां में ले गया, जहां श्रव्या ने भर पेट खाना खाया और अव्यान चुपचाप उसके सामने बैठा निहारता रहा।

    जब से को श्रव्या से मिला था, तब से अभी तक में ये पहली बार था, जब वो इतनी चुप– चुप थी, उसके चेहरे पर उदासी थी और शायद वो उससे नाराज भी थी। हालांकि अव्यान ने आज तक किसी की नाराजगी पर अधिक ध्यान नहीं दिया था और ना ही इतनी अहमियत दी थी, लेकिन श्रव्या की चुपी उसे खलने लगी, वो उसकी आंखो में झांकता और उसकी नाराजगी को पढ़ने की कोशिश करता, लेकिन श्रव्या एक पल भी उससे नजरें मिलने की इरादे में नही थी।

    (क्रमश:)

    रेटिंग्स की उम्मीद तो नही, फिर भी कह रही.. प्लीज कॉमेंट जरूर दीजियेगा।

  • 11. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 11

    Words: 2286

    Estimated Reading Time: 14 min

    रेस्तरां में खाना खाने के बाद, अव्यान ने श्रव्या को कुर्सी से उठाया और उसका बैग अपने हाथों में लेकर कार की ओर बढ़ गया। श्रव्या ने उसके हाथ से अपना बैग लेने की जहमत नहीं की, हालांकि वो उसके साथ चली, जब तक की दोनो सड़क किनारे ना आ गए।

    जल्द ही वहां एक ब्लैक कार रुकी, जिसके अंदर श्रव्या को बैठते हुए अव्यान ने कहा..." मॉल चलो।"

    ड्राइवर को कार मॉल के सामने पहुंचने में मात्र छह मिनट का वक्त लगा, श्रव्या कार से उतरी और एक बार फिर अव्यान के इशारे में पर चली पड़ी।

    मॉल अच्छी तरह से व्यवस्थित है, जिसमे पहली मंजिल पर आभूषण, दूसरी मंजिल पर स्किन केयर प्रोडक्ट्स और ब्यूटी एक्सिरिज भी मौजूद था, तीसरी मंजिल पर महिलाओं के कपड़े और बैग, चौथी मंजिल पर पुरुषों के कपड़े, पांचवीं मंजिल पर घरेलू सामान, छठी मंजिल पर आउटडोर उपकरण, सातवीं मंजिल पर शराब और आठवीं मंजिल पर हीरे की दुकानें थी।

    अव्यान शॉपिंग के जरिए उसकी नाराजगी दूर करना चाहता था, इसलिए वो इधर – उधर भटकने के बजाए उसे सीधे डायमंड शॉप में ले गया।

    वहां सभी शॉपिंग गाइड वर्दी पहने हुए थी, चुकीं श्रव्या पहले  ही इस शॉप में कई बार आ चुकी थी, इसलिए वो इनमे से कइयों को जानती थी। हालांकि उसे कुछ खास अटेंशन नहीं दिए क्योंकि उसके साथ खड़ा इंसान बेहद आकर्षक और पैसे वाला प्रतीत हो रहा था।

    श्रव्या अभी भी सोच रही थी कि अव्यान उसे यहाँ क्यों लाया है.."क्या वह उसे अंगूठी खरीद कर देगा? शायद नहीं! हालाँकि, उन्हें मैरेज सर्टिफिकेट मिल गया है, लेकिन वे दोनों जानते हैं कि यह रिश्ता प्यार के लिए नहीं जुड़ा, इस शादी के पिछे दोनो का एक मकसद हैं, हालंकि वह नहीं जानती कि अव्यान क्या चाहता है?"

    क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने अपनी पहली रात साथ बिताई है? जैसा कि उसने कहा था वो कभी किसी के करीब नही गया। वह बेवकूफ नहीं है, वह अच्छे से जानती है कि अव्यान उसके करीब किसी मकसद से आ रहा है। लेकिन, अब उसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है केवल एक चीज जो वह उसे चुका सकती है वह है उसका शरीर...

    "यहाँ आओ! आपको यह पसंद है?" ... अव्यान ने उसके भटकते विचारों को बाधित किया, जिससे श्रव्या ने अपने ख्यालों को झटका और उसकी ओर चल पड़ी।

    "हेलो, मैडम! यह हीरे की अंगूठी इंटरनेशनल डिजाइनर, एम.के . की नई डिजाइन है। यह कल मुंबई लाई गई है, इस अंगूठी में लाल हीरे का उपयोग किया गया है,  दुनिया में केवल तीन ऐसे लाल हीरे हैं- एक एम. के. ने अपनी पत्नी को भेंट किया था, और एक पहले ही खरीदा जा चुका है, अब ये आखरी ही बचा है।क्या आप पहन के देखना पंसद करना चाहेंगे?.... शॉपिंग गाइड ने श्रव्या के सामने एक बेहद खूबसूरत अंगूठी पेश की।

    हालांकि श्रव्या धीरे से अव्यान के बाजू में बुदबुदाई...."तुम ये क्यों खरीद रहे हो? इस बेकार से रिश्ते में हमे  इसकी ज़रूरत नहीं है..."

    "आपकी राय किसी ने मांगी? इसे पहन के देखो...।" उसकी बात को अनदेखा करते हुए, अव्यान ने उसका हाथ पकड़ा और अगले ही पल अंगूठी पहना दी।

    श्रव्या ने अंगूठी को घूरा जो उसके बाएं हाथ की चौथी उंगली में लावे सा दमक रहा था। तभी अव्यान उसके कानो तक झुका और उसे एहसास हुआ कि अव्यान के होंठ उसके कानो पर रगड़ खा रहा है..."इसे उतरने की जरूरत नही है, ये आपके लिए ही बना था।"

    श्रव्या ने पलकें उठा कर उसे देखा, हालांकि वो अब भी इतने महंगे रिंग को नही लेना चाहती थी, उसकी आत्मा ये गवारा नहीं कर रही थी कि वो अव्यान के पैसे अपने ऊपर खर्च करे, जबकि दोनो में रिश्ता होकर भी कोई रिश्ता नहीं है।।

    " मैं कार्ड से पेमेंट करूंगा"... अव्यान ने अपने वॉलेट से एक कार्ड निकाला, और बिना पलक झपकाए उसे शॉपिंग गाइड को थमा दिया। शॉपिंग गाइड बहुत हैरान लग रही थी, जन उसने कहा..."सर, इस अंगूठी की कीमत 29 मिलियन है। क्या आप अब भी ये लेना चाहेंगे? .... शॉपिंग गाइड का चेहरा बता रहा था की उसे  यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी महंगी अंगूठी इतनी आसानी से बिक जाएगी।

    "Yes, please।"...अपने गंभीर चेहरे के भाव को बदलने बिना, अव्यान ने सरलता से उत्तर दिया, जिससे गाइड मुस्कुराई और बिल बनने में लग गई।

    "रुको!"... श्रव्या ने तुरंत शॉपिंग गाइड को रोक दिया और अव्यान के आस्तीन को पकड़ कर नीचे खींचा, जिससे अव्यान ने आज्ञाकारी रूप से सिर नीचे कर के  अपने कानो उसके मुंह तो किया..."यह बहुत ज्यादा कीमत का नही लगा रहा? वैसे भी हमारी शादी एक सौदा है, जो ज्यादा समय तक नही चलने वाली, इसलिए तुम्हे मेरे लिए इतने पैसे खर्च करने की जरूरत नही। मैं बाद में तुम्हे कुछ भी नही दूंगी।"

    उसकी बात गौर से सुनने के बाद अव्यान ने धीमे से सिर हिलाया और मद्धम आवाज में बोला..."फिक्र मत करिए, मैं आपसे कुछ नही लूंगा। ये बस मेरी तरफ से आपकी मुंह दिखाई समझ लीजिए।"

    इतना कह अव्यान सीधा खड़ा हुआ और शॉपिंग गाइड और देखने लगा..."आप बिल बनाइए।"

    दूसरी ओर श्रव्या अब भी इतनी महंगी रिंग लेने के खिलाफ थी, इसलिए उसने उसे रोकना चाहा..."अव्यान।"

    हालांकि इसके आगे वो कुछ कह पाती,उससे पहले ही अव्यान ने उसे तीखी नज़र से देखा और बिल पे करते हुए दूसरी ओर मुड़ गया।

    श्रव्या मुंह फुलाए कोने में खड़ी हो गई...."जिद्दी, कमीना, बेवकूफ, अहंकारी, मूर्ख, नाग, जहरीला, जानवर..कहीं का।"

    रिंग लेकर दोनो लिफ्ट की ओर बढ़े तो श्रव्या उससे दूरी बना कर चलने लगी, उसकी हिल्स की आवाज से अंदाजा लगाया जा सकता था की वो गुस्से में है। उसका गोल चेहरे पर सिकुड़ी हुई भौंहैं और फूले हुए नथुने अव्यान का ध्यान आकर्षित कर रहे थे।

    लिफ्ट के भीतर खड़े होने पर अव्यान ने थोड़ी दूर चल रही श्रव्या को देखा और उसके अंदर आने का इंतजार किया बिना बटन तक अपनी भुजाओं को उठा लिया।

        उसे बटन प्रेस करने के इरादे में देख श्रव्या लिफ्ट के भीतर दौड़ी, जिससे अव्यान को थोड़ा अजीब और प्रसन्नता महसूस हुआ, क्योंकि उसकी प्यारी सी पत्नी, बचकानी और गुस्सैल लग रही थी।

    लिफ्ट में उनके अलावा कोई और नहीं था, इसलिए श्रव्या  उससे दूर कोने में खड़ी गहरी सांसे भरती रही। जब वे ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचे, तो अव्यान ने सक्रिय रूप से उसका हाथ पकड़ कर, कार की ओर चलने के लिए कहा..." घर चले या आपको कुछ और भी खाना है? आइसक्रीम खाएंगी?"

    उसके पकड़ को देखते हुए श्रव्य ने शुरू में उसे दूर करने की कोशिश की। हालाँकि, उसने जितना ज़्यादा प्रयास किया, अव्यान की पकड़ उतनी ही मज़बूत होती गई, उसने आखिरकार हार मान ली और गुस्से में बोली..."मुझे कुछ नही खाना।"

    इसके बाद अव्यान ने सहजता से उसका हाथ छोड़ दिया और कार का दरवाजा खोला, लेकिन श्रव्या ने आगे बैठने के बजाए कार का पिछला दरवाजा खोला, और गुस्से में पीछे की सीट पर बैठ गई।

    "आगे की सीट पर आओ।"... अव्यान ने भावशून्यता से कहा।

    "नहीं!"... श्रव्या पीछे की सीट पर झुक गई और अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे वो उसे देखने से इनकार कर रही हो।

    अव्यान ड्राइविंग सीट पर बैठा और इत्मीनान से रेडियो चालू करके एक रोमांटिक  संगीत बजाते हुए बोला..."ठीक है, मैं भी गाने की आवाज तेज कर के कार के पिछले सीट पर आ जाता हूं, अगर आप चाहती है तो मैं इनकार नहीं कर सकता? वैसे भी कार में एक्सप्रियंस करना अच्छा होगा।"

    "किस इरादे में हो?"... श्रव्या झट से सीधी हुई और फ्रंट मिरर की मदद से अव्यान के शरारत से भरी निगाहों को देखा।

    "इरादे बता दूं तो शर्मा जाएंगे आप".... अव्यान का इतना कहना था कि श्रव्या ने एक बार फिर कहा.."जानवर।"

    जिसके बाद उसने पीछे का दरवाज़ा खोला और अनिच्छा से सामने वाली सीट पर आ कर बैठ गई। अव्यान ने हल्की मुस्कान के साथ कार स्टार्ट की और कार आगे बढ़ गई।

    पार्किंग से निकलते हुए जब वे एक सफ़ेद रंग की फ़रारी स्पोर्टस कार के सामने से गुज़रे, तो सामने की पैसेंजर सीट पर बैठी भूरे रंग के लहराते बालों वाली लड़की(करीना) ने हैरानी से उस लग्जरी कार की तरफ देखा, क्योंकि जो कुछ भी दिखाई दिया, उस पर उसे यकीन नहीं हो रहा था।

    करीना ने अपने कार की खिड़की से सिर बाहर निकाला और अपने सामने से गुजरती मेबैक कार के फ्रंट सीट पर बैठी श्रव्या को ध्यान से देखना शुरू किया, जो की काफी दिनो से गायब थी।

    "तुम क्या देख रही हो?" पार्किंग करते हुए वरुण ने अपनी मंगेतर करीना की ओर देखा,जो ड्राइविंग सीट पर बैठ कार से उतरते की जल्दी में था।।

    "मैंने देखा... मैने अभी श्रव्या को देखा।"... करीना ने वरुण के चेहरे को ध्यान से देखा, जिसने भौंहें सिकोड़ते हुए सीट बेल्ट खोल दी और कुछ नहीं बोला।

    कार से निकल कर करीना के लिए दरवाजा खोलते हुए वरुण ने नाराजगी से कहा ..."तुमने उसका ज़िक्र क्यों किया? मुझे उसका नाम सुनना पसंद नही!"...

    वरुण ने उसके कंधे पर हाथ रखा और दोनो लिफ्ट के भीतर दाखिल हो गए, करीना ने वरुण के गाल पर किस किया और आत्मसंतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए सोचने लगी...."श्रव्या कियान! तुम्हारे पास आखिरकार कुछ भी नहीं बचा।  देखो! जिस आदमी से तुम सबसे ज़्यादा प्यार करती हो, वह तुम्हारा ज़िक्र तक नहीं करना चाहता।"

    उनकी लिफ्ट डायमंड स्टोर पर खुली, एम. के. स्टोर का बैनर पढ़ते हुए दोनो अंदर दाखिल हुए। जब वे काउंटर पर पहुंचे तो कई शॉपिंग गाइड गर्ल्स चेकआउट काउंटर के आसपास उत्साह से कुछ चर्चा कर रहीं थी।

    "29 मिलियन! हे भगवान! उस अमीरजादे ने तीन मिनट के अंदर ही बिल चुका दिया। उसके साथ आई लड़की बहुत ज्यादा भाग्यशाली थी, मुझे यकीन है की वो अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता है।"....

    शॉपिंग गाइड की बातें करीना के कानो तक पहुंचने लगी थी, इसलिए उसने गला साफ करके उन्हें बताया कि उनके शॉप पर कोई और भी आया है।

    "स्वागत है, मिस्टर वरुण और मिस करीना।"... शॉपिंग गाइड इन दो अमीर मेहमानों को देखकर काम पर वापस चले गए।

    करीना, श्रव्या के साथ कई बार यहाँ आ चुकी थी। इसलिए सभी अनुभवी शॉपिंग गाइड उसका नाम जानती थी और वरुण भी आज कल हर टीवी चैनल पर नजर आता था, इसलिए उन्हें वरुण को पहचानने में देर ना लगी।

    "मैंने आपके मैनेजर से एम.के. के  नए ज्वेलरी के बारे में पूछा था, मेरा मतलब लाल हीरे से है। मुझे दिखाओ आज मैं वह खरीदना चाहती हूं।"... कहते हुए उसने अपने प्रयासों को याद किया जो वरुण को मनाने में उसने लगाए थे, ताकि वह उसके लिए वह अंगूठी खरीद दे।

    "माफ करना, मिस करीना। अंगूठी पहले ही बिक चुकी है। मैं आपको कुछ और अंगूठियां दिखाऊं।"... शॉपिंग गाइड ने उदास और क्षमा भाव से कहा।

    "पहले ही बिक चुकी है?" ...करीना ने हैरानी से अपनी आवाज़ ऊँची की..."इसका क्या मतलब है?"

    "करीना, कोई बात नहीं। चलो दूसरी अंगूठियों भी देख लेते हैं।"...वरुण ने दूसरी अंगूठियों देखते हुए कहा। वैसे भी वह इस महंगी अंगूठी को नहीं खरीदना चाहता, इसलिए वह मन ही मन खुश हुआ कि वह अंगूठी पहले ही बिक चुकी है और अब उसे वह खरीदना नहीं पड़ेगा।

    करीना उदास भाव से दूसरी अंगूठियां को देखने लगी तभी शॉपिंग गाइड ने कहा..."हाँ। वह लड़की जो पिछली बार आपके साथ अपना बर्थडे गिफ्ट लेने आई थी, उसी लड़की के पति ने वह अंगूठी खरीदा।"

    शॉपिंग असिस्टेंट के अनजाने शब्दों ने करीना को खोखला कर दिया, उसका दिमाग एक पल को सुन्न हो गया, बड़ी मुश्किल से उसने खुद को संभाला और अचानक तेज आवाज में बोली..."श्रव्या कियान?"

    "हाँ, वही थीं। पिछली बार आप उनके साथ आई थी।" शॉपिंग गाइड ने धीमी आवाज़ में जवाब दिया।

    वरुण और करीना ने जब यह सुना तो, एक दूसरे की ओर देखा और सोच में डूब गए, हालंकि करीना जल्दी ही मुस्कुराई और अपने लेटो पर उंगलियां लपेटते हुए बोली...."महंगी कर में सफर और हीरे की इतनी महंगी अंगूठी क्या श्रव्या किसी अमीर आदमी की रखैल बन गई है? क्योंकि इतने पैसे वाला तो कोई बूढ़ा ही हो सकता है। कोई भी जवान आदमी इतना अमीर नहीं हो सकता। अगर यह सच है तो मैं उसे मिलना चाहूंगी और लोगों से कहूंगी कि उसने अपने आप को एक रखैल बना लिया है

    "तुम सही हो डार्लिंग, चलो अपनी शॉपिंग पर ध्यान देते हैं।"... कहते हुए वरुण भी हंसा और दोनों एक दूसरे के हाथों को पकड़ कर अंगूठियां देखने लगे।

    ________________

    दूसरी ओर जब अव्यान और श्रव्या घर पहुँचे, तो श्रव्या ने जूते बदले और सीधे अपने कमरे में चली गई। उसकी नाराजगी देर अव्यान भी उसके साथ कमरे के भीतर दाखिल हुआ..."क्या हुआ आपको?"

    उसकी बात पर ध्यान न देते हुए, श्रव्या ने अपना बैग खोला, अपने नए को फोन निकाला और उससे खेलने लगी।

    श्रव्या  से अनदेखा किया जाना, अव्यान को बेचैन करक रहा था, इसलिए उसने उसका फोन पकड़ा और उसे छीनते हुए बोला..."आप नाराज़ क्यों हो?"

    उसके सवाल पर श्रव्या ने अपना सिर इधर-उधर घुमाना शुरू कर दिया, जैसे वह उसे जवाब नहीं देना चाहती हो।

    अव्यान उसके जैसी जिद्दी और ढींट लड़की से कभी नही मिला था, साथ ही वह कभी उसकी नही सुनती थी। ऊब कर उसने तल्ख भरे अंदाज में कहा...." काफी तीखी हैं आप, मिस श्रव्या अव्यान काविश।"

    "अच्छा! चख के देखिए..जहरीली भी हूं, एक ही बार में काम तमाम।"... तपाक से कहते हुए वो बिस्तर से उठी और वहां से खिड़कियां खोलने बढ़ी।

       उसके जवाब  पर अव्यान ने अपनी भौंहैं उछाल दी और उसका हाथ पकड़ कर अपने करीब खींच लिया..."तब टेस्ट करना तो बनता है ना?"

    "क्या?"...हैरानी से श्रव्या आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही अव्यान ने उसके अधरों को अपने कैद में ले लिया।

    भींगे होंठ के बदौलत दिल में लगी आग ने उसके नियंत्रण को भस्म कर दिया, दो बार उसके साथ इंटीमेसी के बाद भी अव्यान को सब कुछ पहली बार सा लगता था, श्रव्या के लिए उसका जुनून बढ़ता ही जा रहा था। वो श्रव्या की खुशबू और उसके सांसों की गर्मी का एडिक्टेड होता जा रहा था।

  • 12. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 12

    Words: 2000

    Estimated Reading Time: 12 min

    अव्यान का विरोध करते हुए श्रव्या ने उसे खुद से दूर धकेल दिया..." क्या हो जाता है तुम्हे? मैं तुमसे दूर रहना चाहती हूं।"

    खुद को संभालने के बाद अव्यान ने अपनी नाराज पलकों को उठाया तो देखा श्रव्या किसी नवजात शिशु की तरह लाल हो गई थी, उसके गाल शर्म से लाल हो चुके थे और नाक रोने के कारण गुलाबी चमक रही थी।

    अव्यान श्रव्या के इनकार से थोड़ा अपसेट हो गया था, हालांकि वो सोफे पर बैठ और अपने मन में उत्पन्न गुस्से को दबाते हुए पूछा..." आपकी उम्र कितनी होगी?"

    श्रव्या ने अपने मिंच ली.."26! मैं 26 की हूं।"

    "फिर आपको मेरे करीब आने से क्या प्रॉब्लम है? क्या आप अभी भी वरुण के बारे में सोचती हैं? "... अव्यान ने गंभीर लहजे में पूछा।

    श्रव्या उसके ठीक सामने बिस्तर पर पैरों को मोड़ कर बैठ गई और अपने सीने पर हाथ बांधे बोली..."तुम्हारी उम्र कितनी है?"

    "31!..क्यों?".... अव्यान ने जवाब के साथ एक सवाल भी पूछ लिया।

    श्रव्या झुंझलाई..."देखो! तुम मुझसे पाँच साल बड़े हो। तुम्हें मेरी बात माननी चाहिए। मैं जो करना चाहती हूँ, उसके लिए तुम्हें 'ना' नहीं कहना चाहिए। तुम्हें मुझे वह करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए जो मैं नहीं करना चाहती, तुम्हें मुझे परेशान नहीं करना चाहिए और बार– बार मेरे करीब तो बिल्कुल भी नहीं आना चाहिए..."

    उसके इस प्रकार के विरोध ने अव्यान को चकित कर दिया,वो अपनी बातों को सरलता से समझा सकती थी। हालंकि वो बातों को मोड़ना भी जानती थी, क्योंकि उसका सवाल वरुण के बारे में था, जिसे देने से वो बच गई। शायद वो अब भी उसे अपने दिल से नही निकाल पाई थी, जिसके ख्याल से अव्यान अपनी जगह पर ही खड़ा हो गया..." देखा जाए तो, ये हमारी शादी की पहली रात है और हमे इसे इस तरह बर्बाद नही करना चाहिए।"

    "शादी!.."... श्रव्या हंसी.."तुम इसे शादी कहते हो? एक पेपर पर सीने किया और हो गई शादी, ना फेरे ना मंगलसूत्र...क्या तुम मुझे पेपर वाली रखैल बनाना चाहते हो?"

    "मेरे लिए यही शादी है। मैं तुम्हारे साथ फेरे लूं या मंगलसूत्र पहनाऊं! ऐसी कोई उम्मीद मुझसे मत रखना, वैसे भी हमारा रिश्ता पब्लिक के सामने नही है और मैं लाना भी नही चाहता...और सच कहूं तो मुझे इन रस्मो को कोई दिलचस्पी नहीं हैं।".... अव्यान शख्त लहजे में बोला।

    उसकी बात से श्रव्या का दिल दुख गया, उसने काफी लंबे समय तक अव्यान को निहारा फिर अपनी आवाज में धीमपान लेट हुए बोली...." मेरे लिए तुम रहस्यों से भरे हुए इंसान हो, मैं तुम पर यकीन नही कर सकती। तुमने मुझे दुनिया के सामने लाने से इंकार किया और बेवजह मुझ पर रहम दिखाई, मैं ये भी नही जानती की मेरे साथ इस शादी के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है? ये जानते हुए कि तुम मुझे सिर्फ अपनी बॉडी नीड के लिए इस्तमाल कर रहे हो...मैं तुम्हे अपने बॉडी के साथ मनमानी करने क्यों दूं? कल को तुमने मुझे छोड़ दिया तो, क्या कोई और मुझे अपनाएगा?"

    श्रव्या की बात खत्म हुई तो अव्यान अपनी जगह से उठ कर उसकी ओर कदम बढ़ाने लगा और अंततः उसने श्रव्या के ठुड्ढी को पकड़ कर अपनी ओर देखने को मजबूर किया...." मैने पहले भी बताया था,आप मेरे बारे में जितना कम जानेंगी, उतना अच्छा होगा। वैसे भी ये शादी नही सौदा है...आपको अपने डैड को ढूंढना है और उनका बदला लेना है, जिसमें मैं आपकी मदद कर रहा हूं तो बदले में मेरा इतना हक तो बनता ही है कि आप मेरे नजदीकी को एक्सेप्ट कर लें। मुझे उसी रात से आपमें दिलचस्पी बढ़ गई थी..जिस रात आपने मुझे बिस्तर पर लाने की मेहनत की थी।

    "तुम घटिया हो, मैने तुम्हे अब तक कुछ और समझा था..लेकिन तुममें जरा भी दया नही। तुम एक गिरे हुए इंसान हो, जो मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहा है।"....गुस्से से दांत पीसते हुए श्रव्या निडरता से बोली।

    उसकी आंखो मे डर की कोई झलक ना देख, अव्यान एक बार फिर उसकी और अकृषित हुए और हंसते हुए उसने ठुड्ढी से अपनी उंगलियां हटा लीं...."आपकी ये तीखी जुबान मुझे और आकर्षित करती है, हालंकि आज मैं आपको छोड़ रहा हूं, पर हर बार ऐसा नही होगा..आप हर रात नखरें नही कर सकतीं, मुझे नखरीली औरतें पसंद नही हैं।"

    लंबी बात–चीत के बाद अव्यान कमरे से निकलने के बजाय बाथरूम की ओर बढ़ गया और आखिरकार श्रव्या ने राहत की सांस भरी।

       जैसा की उसने कहा था वो उसके साथ आज की रात कुछ भी नही करेगा, इसलिए उसने बेफिक्री से रूम में ही अपने कपड़े बदलें और सॉफ्ट सिल्क की लॉन्ग नाइटी पहन कर बेड पर दुबक गई।

    चुकी उसने आज पूरा दिन घूमते हुए बिताया था इसलिए अव्यान के कमरे में लौटने से पहले ही उसे नींद आ गई।

    बाथरूम से निकलने पर अव्यान ने अपने शरीर में सॉफ्ट साटन का बाथरोब डाल रखा था। उसके बाल गीले थे और माथे पर झूल आएं थे, जिनसे हर कुछ देर में एक दो बूंद पानी टपक जाता था।

    श्रव्या को सोया देख उसने अपना रुख सोफे की और किया, जहां बैठे हुए भी वो श्रव्या को ही निहारता रहा, उसके दिल ने कई बार कहा कि वो बेड पर जा कर उसे अपनी बाहों में घेर लें, लेकिन वह वहां से हिला भी नहीं और आखिरकार आधी रात को उठकर कमरे से बाहर चला गया।

    ________________

    श्रव्या अगली सुबह देर से उठी? फिर भी इतनी उसे इतना आलस आ रहा था कि उसे नहाने के लिए बाथरूम जाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।

        कपड़े पहनने के बाद, वह खाने के लिए कुछ खोजने नीचे चली गई। किचन में वो फ्रिज खोल कर खड़ी थी, तभी पीछे से नेहा ने कहा...." मैडम आपका खाना गर्म कर दूं।"

    श्रव्या पीछे मुड़ी और सहमति में सिर हिला दिया, जिस पर नेहा मुस्कुराई और खाना को फ्रिज निकलते हुए आगे बोली..." सर ऑफिस गए है, जाने से पहले उन्होंने मुझे ऑर्डर दिया था कि मैं आपको अच्छे से खाना खिला दूं, और आपसे इजाजत ले लूं कि, क्या मैं इस घर में दो और नौकरों को रख सकती हूं?"

    "जी बिल्कुल आप अपनी हेल्प के लिए जितनी भी नौकर चाहे रख सकती हैं।"... श्रव्या उछाल कर स्लेव पर बैठ गई और अपने पेट की चीख सुनते हुए बोली..."आंटी आप जरा जल्दी खाना लगाइए मुझे बहुत भूख लगी है।"

    "हां हां बस हो ही गया।"...कहते हुए नेहा ने डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया। स्लिप से उतरकर कुर्सी पर बैठते ही श्रव्या ने तेजी से खाना अपने मुंह में भरना शुरू कर दिया, उसके खाने की गति को देख कर नेहा मुस्कुराई और उसे आराम से खाने को कहा।

    खाने के बाद श्रव्या ने लगभग एक घंटे तक टीवी देखा, फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई, जहां उसने एक घंटा अपना नया फोन चलाया। अपने पिछले फोन के अकाउंट से लॉगिन करते ही उसने फोन में ढेर सारी मैसेज को गिरते देखा, जिसमे वरुण, करीना, राधिका और उसके सबसे अच्छे दोस्त कार्तिक में भी मैसेज किया था।

    उन सभी के मैसेज को इग्नोर करते हुए श्रव्या ने अंगूठी  के साथ, अपनी एक सेल्फी ली और इंस्टा पर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा..."डैड मैने शादी कर ली, आप कहां हैं?"

    उस पोस्ट पर जल्द ही ढेरों लाइक और कॉमेंट आने लगे, जिसमे कार्तिक ने लिखा..." तुम कहां हो? मुझसे ग्रैविटी नाइट क्लब में आ कर मिलो।"

    उसका मैसेज लेकर श्रव्या उठी और सिफोन की एक लॉन्ग फ्रॉक पहन कर अपने बालों को खोल, उसमे हेयर फ्रेगनेंस लगा लिया, जिसके बाद उसने पैरों में एक जोड़ा जूता डाला और पर्स लेकर बैठक में आ गई।

    "आंटी..मैं बाहर जा रही हूं, हो सकता है थोड़ी रात हो जाए।"...घर से निकलने से पहले श्रव्या ने नेहा से कहा, लेकिन नेहा ने उसे जाने से पहले रोका..."मैडम! जरा रुकिए।"

    "हम्मम...बोलिए क्या बात है?"... श्रव्या ने उसके बूढ़े कदमों को अपनी ओर आते देख थोड़ा इंतजार किया, जल्द ही नेहा ने उसके हाथ में दो चाभियां सौंप दी..." श्रव्या मैडम! ये वाली विला की चाभी है और ये एक अव्यान सर की कार का। उन्होंने कहा कि आपको कहीं जाना हो तो उनकी कार ले जाइए।"

    "ओह!"... दोनों चाबियां लेते हुए श्रव्या ने उन्हें अलविदा कहा और गैरेज की ओर बढ़ गई।

    गैरेज में, बिल्कुल नई सफ़ेद रंग की मासेराटी स्पोर्टस कार खड़ी थी। इस कार को देखकर श्रव्या को अपनी पिंक बीएमडब्ल्यू याद आ गई, जो उसके पिता ने उसे 20वें जन्मदिन पर भेंट की थी, वो कार उसके दिल के बहुत करीब था, हालांकि अब वो नही जानती की वो किसके हाथों में है।

    कार स्टार्ट करते हुए उसने रेडियों पर गाना चलाया और अपने बैग से एक च्विंगम निकाला कर मुंह में डाल लिया। जल्दी ही उसकी कार सड़क पर दौड़ रही थी,, कार रेसिंग उसे शुरुवात से पसंद थी। इसलिए इसमें कोई दोराय नहीं था कि वो अच्छी कार चालक थी।

    क्लब जाने से पहले श्रव्या अपनी दोस्त राधिका से मिलने उसके बुटीक शॉप पर पहुंची, जहां एक पतली– दुबली अपने कामों को करते हुए बेहद थकी हुई प्रतीत हुई, हालांकि उसकी खूबसूरती का वर्णन नही किया जा सकता था।

    "राधिका...!"... श्रव्या की आवाज पर राधिका मुड़ी और अगले ही पल भागते हुए उसे गले से लगा लिया...."तुम कहा थी? मैं चिंता से मरने ही वाली थी।"

    "अब मै ठीक हूं..लेकिन अगर तुमने मुझे कुच देर और इसी तरह गेल लगाया तो मैं मर जाऊंगी।".... श्रव्या हंसते हुए बोली।

    उससे दूर होते हुए राधिका ने काम से छुट्टी ली और दोनो एक कैफे की ओर बढ़ चलीं, जहां कॉफी ऑर्डर कर श्रव्या ने राधिका की अपनी अंगूठी दिखाते हुए कहा..."मैने शादी कर ली।"

    इतना सुनना था कि राधिका के मुंह से कॉफी निकल कर वापस उसके कप में गिर गया...."क्या?"

    "किससे?..कब?..कहां?"...राधिका को हैरान देख श्रव्या ने अव्यान से मिलने से लेकर अब तक की सारी बात बता दी, जिसे राधिका मुंह खोले तक तक सुनती रही जब तक की श्रव्या ने अपने शब्दों पर विराम ना दे दिया।

    अंततः राधिका ने भौंहैं सिकोड़ ली और कुछ सोचते हुए बोली..."इसका मतलब कि तुमने उसके साथ रात बिताई इसीलिए शादी कर ली? लेकिन तुम उसके बारे में कुछ भी नहीं जानती। वह तुम्हारे लिए बिल्कुल अनजान है, और यही बात तुम्हें परेशान कर रही है? है ना?"

    "हां ऐसा ही है।"... श्रव्या ने उदासीनता से उत्तर दिया।

    "क्या वह अपने बारे में बिल्कुल भी बातें नहीं करता?"... राधिका ने उसके हाथ पर अपने हाथों को रखते हुए पूछा।।

    "नही।".... श्रव्या ने धीमे लहजे में कहा..."ऐसा लग रहा है वह सिर्फ मुझे इस्तेमाल कर रहा है, जब तक कि यहां उसकी कोई गर्लफ्रेंड या मंगेतर ना आ जाए..."

    " चिंता मत करो अगर वह तुम्हारे साथ कुछ बुरा करेगा तो मैं उसे जिंदा नहीं छोडूंगी।".... कहते हुए राधिका ने उसे हौसला देने की कोशिश की, लेकिन श्रव्या अभी भी उदास थी।।

    कुछ देर और बातें करने के बाद श्रव्या ने राधिका से कहा...."मुझे एक जॉब की तलाश है। क्या तुम जिस बुटीक में काम करती हो वहां पर कोई नौकरी का पद खाली है?"

    राधिका ने उसके महंगे कपड़े, लिमिटेड एडिशन का बैग और उंगलियों में चमकते हीरे की अंगूठी पर ध्यान दिया, जब उसने कहा...."क्या तुम सच में इतनी छोटी सी नौकरी करना चाहती हो? तुम किसी बड़ी कंपनी में अप्लाई क्यों नहीं करती? तुम्हारे पास तो अच्छी डिग्री भी है।"

    "नही ऐसा नहीं है... डैड ने कहा था कि मैं उनकी कंपनी को टेकओवर कर लूं, इसीलिए मैंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और डैड के साथ काम सीखने लगी थी। पर अब हालात अलग है, मैं अव्यान पर निर्भर नहीं रहना चाहती, तुम क्या अपने सुपरवाइजर से मेरे बारे में बात कर सकती हो?"...

    श्रव्या की इस बात पर राधिका कुछ प्रतिक्रिया करती उससे पहले ही उसका फोन बज उठा, जिसके बाद राधिका को इमरजेंसी में वहां से उठकर जाना पड़ा, उसने कॉल पर बात करते हुए ही श्रव्या से माफी मांगी और जल्दी से कैफे से बाहर निकल गई।

    श्रव्या अकेली बैठी कुछ देर तक कैफ ने चल रही गाने की धुन सुनती रही, फिर उसने वक्त पर ध्यान दिया तो यह रात के 9:00 बज चुके थे। चुकी उसने कार्तिक से मिलने का वादा किया था इसलिए बिल दे कर, वह कैफे से बाहर निकली और अपने कार लेकर ग्रेविटी क्लब की ओर चल पड़ी।

  • 13. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 13

    Words: 1151

    Estimated Reading Time: 7 min

    नाइटलाइफ अभी शुरू ही हुई थी। इसलिए बार में अभी मेहमानों की भीड़ नहीं थी। मंद और टिमटिमाती रोशनी में, कई लोग जोरदार ढोल की थाप और भारी धातु की टक्कर के साथ संगीत पर जोश से नाच रहे थे।

    श्रव्या ने कॉकटेल का एक कप ऑर्डर किया, जिस पर बारटेंडर ने अपने हाथ में मिक्सर को खूबसूरती और लचीलेपन से घुमाना शुरू कर दिया सिर्फ़ एक मिनट के अंदर, बारटेंडर ने श्रव्या को नींबू के साथ एक कॉकटेल परोसा।

    श्रव्या ने गिलास पकड़ा, कॉकटेल का घूंट लिया और बैठने के लिए एक मंद रोशनी वाला कोना ढूंढ लिया।जहां उसने कार्तिक को कॉल कर उसे जल्दी आने का फरमान सुना दिया।

    दस मिनट बाद–

    अपनी मोटरसाइकिल पार्क करने के बाद, कार्तिक तेजी से बार के अंदर चला आया, जल्दी उसकी नजर श्रव्या पर पड़ गई, इसलिए वह बिना देरी की उसकी और बड़ा और एक कुर्सी खींचकर उसके सामने बैठ गया।

    बैठने के बाद, कार्तिक ने श्रव्या को ध्यान से देखा, जो हल्के से मुस्कुरा रही थी।उसे यह देखकर खुशी हुई कि श्रव्या पहले जैसी ही थी।

    "कैसे हो कार्तिक?"... श्रव्या ने कैक्टेल की एक घूंट ली।

    "मैं तो ठीक हूं पर क्या तुम मुझे बताओगी कि क्या हुआ है? आखिर तुमने शादी कब कर ली और किससे की?"...कार्तिक ने अपने बिखरे काले बालों को ठीक किया, जिससे श्रव्या को पता चल गया कि वह अपनी मोटरसाइकिल से तेज़ रफ़्तार से यहाँ आया था। उसने दाएं कान में नई खोपड़ी के आकार की बाली पहनी थी, जो विचित्र तरीके से चमक रही थी।

    "क्या समझाऊँ? सच यही है मैने एक गुमनाम राइसजादे से शादी कर ली, जैसा कि तुम देख रहे हो।".... श्रव्या ने आत्म-उपहास की मुस्कान पहन रखी थी। उसे एक तरह से बहुत ही असभ्य माना जा सकता है क्योंकि उसने अपनी दादी के निधन के कुछ समय बाद ही शादी कर ली थी।

    कार्तिक ने एक तंग भौंह को उछालते हुए बोला... "डार्लिंग...तुम इस तरह से शादी नही कर सकती। क्या तुम उसके बारे में जानती भी हो? उसे तलाक दे दो...तुम फिर से नई जिंदगी शुरू करो, अगर तुम्हें नहीं पता कि कैसे? तो मेरी गर्लफ्रेंड और मैं तुम्हारा खर्च उठा सकते हैं। तुम कैसे किसी अनजान लड़के को ढूँढ़कर शादी कर सकती हो?"

    कार्तिक की बात सुन कर श्रव्या के होंठो पर मुस्कान आ गई, उसे एहसास हुआ की कार्तिक उसका सच्चा दोस्त है।

    "तुम क्यों हंस रही हो? तुम उसे तलाक दोगी है ना?" ... कार्तिक ने उसके कॉकटेल को अपने हाथ में ले लिया।

    "नही.. मैं उसे तलाक नहीं दूंगी।"... श्रव्या ने अपने आप को टेबल पर झुकाया।

    "तब तो यकीनन तुम एक मूर्ख हो... माय डार्लिंग!" ...कार्तिक ने श्रव्या को खाली नज़रों से देखते हुए कहा।

    श्रव्या ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और वेटरर की ओर इशारा करते हुए जोर से चिल्लाई...."बेटर, रॉयल सैल्यूट की एक बोतल, प्लीज !"

    अपना ऑर्डर देकर वह फिर से कार्तिक की ओर मुड़ी... "कार्तिक, चलो नशे में धुत हो जाएँ। आज मुझे इतना पीने दो की मैं इस दुनिया को भूल जाऊं।"

    "अरे, अरे, अरे। रॉयल सैल्यूट की एक बोतल? इसके लिए मुझे तीन या चार महीने की तनख्वाह चुकानी पड़ेगी। तुम मुझे गरीब बना दोगी" .... कार्तिक अपनी जेब पर हाथ रखते हुए चिल्लाया। उसके पास कुछ जमा राशि ज़रूर थी, लेकिन वो उसे शराब पर खर्च नही करना चाहता था।

    "अच्छा हनी, रो मत, आज की ड्रिंक मेरी तरफ से है! क्योंकि मैं अव्यान के सारे पैसे खर्च कर देना चाहती हूं, वो भी शराब पर..."श्रव्य पीने से पहले ही बहकी– बहकी सी लग रही थी।

    "श्रव्या! तुम्हें इतने पैसे कहाँ से मिले की तुम शराब पर उड़ा देना चाहती हो?"...कार्तिक ने श्रव्या को ध्यान से देखने के लिए अपनी गर्दन आगे की ओर बढ़ाई, ताकि उसके चेहरे के भावों को पढ़ सके।

    "मेरे पति से, बेशक!..उसके पास बहुत पैसे हैं, उसने मुझे अपना ब्लैक कार्ड दिया। वह मुझे अपने बारे में नहीं बताता इसीलिए मेरा प्लान है कि मैं उसे कंगाल कर दूंगी और उसे बदला लूंगी".... कहते हुए श्रव्य शैतानी मुस्कान के साथ जोर– जोर से हंसने लगी।

    जल्द ही एक वेटर ने उन्हें शराब परोसी। कार्तिक ने वेटर की ओर मुस्कुराई कर देखा..एमथैंक यू बॉस।"

    वेटर मुस्कुराते हुए वहां से चला गया, तब कार्तिक ने अपनी कुर्सी श्रव्या के पास खिसकाई और फुसफुसाते हुए बोला..."सच बताओ। क्या तुमने एक बूढ़े आदमी से शादी कर ली है? आखिर उसने तुम्हें ब्लैक कार्ड कैसे दे दिया? क्या वह तुम्हारा सूगर डैडी है?"

    श्रव्या जोर से हंसी..."बिल्कुल नहीं, मैं लडको के मामले बहुत ज्यादा चूज़ी हूं।"

    "हां! ये तो है।"... कहते हुए कार्तिक ने किसी की बोतल खोली और दोनों जमकर पीने लगे।

    शराब ने उन्हें बातूनी बना दिया। दोनो के सिर पर नशा चढ़ आया था, नशे में होने पर वे दोनो एक दूसरे से शेखी बघारने लगे, श्रव्या ने अपना गिलास नीचे रखा और मुस्कुराते हुए बोली...."तुम्हें पता है मेरा पति बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है, उसके बाइसेप्स और सिक्स एप्स मुझे बहुत पसंद है, लेकिन वो क**** बहुत ही रहस्यमय है।"

    "क्या तुम पागल हो गए हो? तुम इस तरह अचानक शादी कैसे कर सकती हो? तुम कितनी मूर्ख हो!"...कार्तिक ने एक घूँट लिया। जितना ज़्यादा वह पीता गया, व्हिस्की उतनी ही स्वादिष्ट होती गई, वह गिलास नीचे रखने को भी तैयार नहीं था..." मैं तुम्हारी शादी सलमान खान के साथ कर सकता था लेकिन तुमने सब कुछ गड़बड़ कर दिया।"

    "ठीक है, अगर तुमने फिर मूर्ख कहा तो, मैं तुम्हारी पिटाई कर दूंगी।"... श्रव्या ने डकार ली और खड़ी होते हुए बोली..."मैं रिस्ट्रूम से आती हूं।"

    उसके जाने से पहले कार्तिक ने उसे रोक दिया और अपनी लड़खड़ाती आवाज में समझाया..."ध्यान से जाना! दरवाजे पर लगे साइन को ध्यान से देखना, पिछली बार तुम गलती से जेंस टॉयलेट में चली गई थी जहां काफी लड़के डर गए थे इसलिए इस बार लेडिस टॉयलेट को ध्यान से खोजना।"

    श्रव्या ने उसे हाथ हिलाकर इशारा किया कि वह ऐसा दोबारा नहीं करेगी, क्योंकि व्हिस्की का एक गिलास उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, हालाँकि वह लड़खड़ा रही थी, लेकिन उसे ज्यादा नशा नही हुआ था।

    __________

    टॉयलेट से बाहर आने के बाद, श्रव्या ने अपना चेहरा धोया, जिससे उसका नशा थोड़ा फीका पड़ गया।

    अपने चेहरे को टिस्सू पेपर से सुखाने के बाद, अपनी टेबल की ओर लौटते समय वह सीढ़ी से लड़खड़ा गई और लगभग जमीन पर गिर पड़ी।

    "उफ! हे भगवान!"....कहते हुए उसने उठने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही उसे किसी ने सहारा दिया।

    "तो फिर...कैसी हो माय लवली.. बेब"...अचानक एक जानी पहचानी आवाज श्रव्या के कानों में गूंजी, उसने संभाल कर पीछे देखा तो वहां वरुण अपने होठों पर एक तल्ख मुस्कान लिए खड़ा था।

    उसे देखते ही श्रव्या का बाकी नशा भी उतर गया और उसने अपने हाथों को जोर से हिलाया... "मुझे बेब मत कहो। मैं तुम्हारा मुंह तोड़ दूंगी!"

    इतना कह श्रव्या जाने के लिए मुड़ी, लेकिन वरुण ने उसे इतनी आसानी से जाने नहीं देना चाहता था, इसलिए उसने श्रव्या की कलाई पकड़ी और उसे बेरहमी से दीवाल के खिलाफ दबा दिया।

  • 14. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 14

    Words: 1592

    Estimated Reading Time: 10 min

    इतना कह श्रव्या जाने के लिए मुड़ी, लेकिन वरुण ने उसे इतनी आसानी से जाने नही देना चाहता था, इसलिए उसने श्रव्या की कलाई पकड़ी और उसे बेरहमी से दीवाल के खिलाफ दबा दिया।

    "बेबी सुनो, मै समझा सकता हूँ।".. वरुण ने सोचा कि वह भोली है, और उसे फिर से धोखा दिया जा सकता है। उसे उम्मीद है कि श्रव्या फिर से उसकी बातों में फंस जाएगी। हालांकि श्रव्या कसमसाई और ऊंची आवाज में बोली..."क**** छोड़ मुझे।"

    "बेबी.. लेट मी एक्सप्लेन ना।"... कहते हुए वरुण ने उसकी कलाई को और अधिक मजबूती से पकड़ लिया।

    " मुझे जाने दो!".. श्रव्या थोड़ा गुस्से में थी और उसे नशे की वजह से काफी असहज भी महसूस हो रहा था।

    "बेबी! मैं तुम्हें नही छोड़ सकता, करीना से मेरी शादी डैड ने तय की है। लेकिन सच कहूं तो.. तुम ही एकमात्र लडकी को जिससे मैं प्यार करता हूँ। मेरे पास वापस आजाओ। मैं तुम्हें वह सब कुछ दे सकता हूं जो तुम्हारे पास पहले था, सिवाय तुमसे शादी करने के मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूंगा।"...इसे मनाने की कोशिश करते हुए वरुण की नजर श्रव्या के हाथ में हीरे की अंगूठी पर पड़ी, जिससे उसकी आंखो में लालच चमक उठा।

    "वरुण, मुझे नही पता था कि तुम इतने बेशर्म हो । तुम मुझे कुछ भी दोगे सिवाय मुझसे शादी करने के... तो तुम्हारा ख्याल है कि में तुम्हारी रखैल बन जाऊं?"... उस पर चिल्लाते हुए श्रव्या उसकी पकड़ से छूट कर उसके चेहरे पर थप्पड़ मारना चाहती थी। लेकिन अब भी वो उसकी अपेक्षा बेहद कमजोर थी।

    "श्रव्या, इतनी सीधी मत बनो ! मैं तुम्हें गरीबी से निकलने का मौका दे रहा हूँ।" ... अपना चेहरा उसके कानो तक लाते हुए वरुण पूरी तरह से गुस्से में बड़बड़ाया।

    तभी श्रव्या ने अपने जूतों से उसके पैरो को कुचला और जल्द ही उसे छूट कर चेहरे पर जोरदार तमाचा जड़ दिया..." मेरे सामने बकवास करने की हिम्मत भी मत करना।"

    टॉयलेट के पास से बहुत सारे लोग गुजर रहे थे। जो वरुण को एक महिला द्वारा थप्पड़ खाते देख रुक गए, जिससे वो अपमानित महसूस करने लगा।

    "अगली बार मेरे सामने आए तो मेन पार्ट काट कर कुत्तों को खिला दूंगी और खबरदार जो कभी भी मुझे कमजोर समझने की गलती की।"... श्रव्या ने उसे तर्जनी उंगली दिखाते हुए गुस्से में कहा और वहां से भागने ही वाली थी कि तभी वरुण ने उसके बाल पकड़ लिए।

    बाल खिंचने से श्रव्या को दर्द महसूस हुआ, जिससे वो एक कदम भी आगे ना बढ़ सकी। जिसके दूसरे ही पल वरुण ने उसकी कलाई को बेरहमी से दबाया और खींचते हुए बगल के कमरे में ले गया।

    दुसरी ओर कार्तिक लंबे समय से श्रव्या का इंतज़ार कर रहा था, काफी देर भी जाने के बाद उसे श्रव्या की चिंता हुई, अपने कलाई पर बंधी हुई घड़ी में वक्त देखते हुए वह खुद में ही बरबड़ाया... "डार्लिंग कहां चली गई? कहीं वह फिर से जींस टॉयलेट में तो नहीं चली गई, जहां उसे किसी बदमाश में रोक लिया हो

    बडबडाते हुए अपनी जगह से उठा और टॉयलेट की ओर तेजी से बड़ा, जहां उसने देखा कि वरुण श्रव्या को नजदीक के कमरे की ओर जबरदस्ती घसीट रहा है।

    वह जानता था कि वरुण या अकेले नहीं आया होगा, फिर भी वो तेजी से श्रव्या के पास पहुंचा और अगले ही पल वरुण के चेहरे पर एक जोरदार पंच के साथ उसे नीचे गिरा दिया..."तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी डार्लिंग को छूने होने की।"

    आखिरकार श्रव्य को उससे दूर जाने का मौका मिला और एक कोने में खड़ी हो गई। नशे के कारण उसका सिर अभी भी घूम रहा था और वह भेद नहीं कर सकती थी कि कौन वरुण है और कौन उसका अपना दोस्त कार्तिक !

    फर्श से उठकर वरुण ने कार्तिक को देखा और तिरस्कार से मुस्कुराया, क्योंकि आज तक उन दोनो में कभी भी नही बनी थी, शुरुवात से ही दोनो के बीच जंग की एकमात्र वजह श्रव्या रही थी।

    "तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुमने मुझ पर हाथ उठाया, अभी तेरी हेकड़ी गुम करता हूं।... गुस्से से चिल्लाते हुए वरुण ने अपना फोन निकाल और उसमें टाइप करते हुए लिखा... "जल्दी आओ, मैं यहां वाशरूम के सामने खड़ा हूं, शायद आज रात हमें पीटने के लिए एक पंचिंग बैग मिल गए है और ऐश करने के लिए एक खुबसूरत लड़की।"

    मैसेज सेंड कर इससे पहले अपना फोन रख पाता, कार्तिक ने उसका फोन छीन कर दीवार पर पटक दिया और दोनों में घमासान हाथापाई शुरू हो गई।

    कुछ ही पलों के बाद, वाशरूम के पास सात या आठ लड़के दिखाई दिए, जिनके कपड़े मंहगे और ब्रांडेड थे, श्रव्या उनसे से कुछ लड़कों को जानती थी सभी अमीर खानदान के बिगड़े हुए औलाद थे, जिनमें ना शर्म थी और ना ही मैनर ।फर्श से उठकर वरुण ने कार्तिक को देखा और तिरस्कार से मुस्कुराया, क्योंकि आज तक उन दोनो में कभी भी नही बनी थी, शुरुवात से ही दोनो के बीच जंग की एकमात्र वजह श्रव्या रही थी।

    "तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुमने मुझ पर हाथ उठाया, अभी तेरी हेकड़ी गुम करता हूं।... गुस्से से चिल्लाते हुए वरुण ने अपना फोन निकाल और उसमें टाइप करते हुए लिखा... "जल्दी आओ,मैं यहां वाशरूम के सामने खड़ा हूं, शायद आज रात हमें पीटने के लिए एक पंचिंग बैग मिल गए है और ऐश करने के लिए एक खुबसूरत लड़की।"

    मैसेज सेंड कर इससे पहले अपना फोन रख पाता, कार्तिक ने उसका फोन छीन कर दीवार पर पटक दिया और दोनो में घमासान हाथापाई शुरू हो गई।

    कुछ ही पलों के बाद, वाशरूम के पास सात या आठ लड़के दिखाई दिए, जिनके कपड़े मंहगे और ब्रांडेड थे, श्रव्या उनमें से कुछ लड़कों को जानती थी सभी अमीर खानदान के बिगड़े हुए औलाद थे, जिनमें ना शर्म थी और ना ही मैनर ।

    श्रव्या की नजर उन लड़कों से हटी तो देखा, कार्तिक वरुण से बुरी तरह पीट रहा था, इसलिए उसने पास रखी एक फूलदान उठाकर दीवार पर पटक दिया, जिससे फूलदान कई टुकड़ों में टूट कर फर्श परगिर गया, जिनमे से एक नुखीला टुकड़ा उठा कर वो आगे बढ़ी और वरुण के गर्दन पर रख दिया..." कार्तिक को छोड़ दो। और अपने आदमियों से कहो कि वो यहां से चले जाएं वरन तू अपनी जान से हाथों बैठेगा, अगर इस क्लब से जिंदा जाना चाहता है तो चुपचाप मेरी बात मान ले... कमी**।"

    मरने के भय से वरुण लगभग कांप गया... "क्या? श्रव्या तुम पागल हो गई हो? ये खेलने की चीज नही है, इसे नीचे करो।"

    "हां! मैं पागल हो गई हूं, वैसे भी तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है तो.. तुम्हें मार के जेल चली जाऊं तब भी मुझे दुख नहीं होगा।"... श्रव्या का दिमाग गुस्से से फट रहा था।

    उसके गुस्से की देख कर वरुण की हालत ठीक नहीं थी, वो बुरी तरह कांपने लगा, हालांकि गर्दन पर रखे उस शीशे की वजह से उसमे हिलने तक की हिम्मत नही थी। लेकिन उसे अब भी अपने दोस्तों पर यकीन था, जो न जाने क्यों दूर खड़े बस तमाशा देख रहें थे।

    आखिरकार वरुण को अपने गर्दन पर बाहरी खनन को पूछने का मौका मिला, फर्श से खड़े होकर उसने श्रव्या की ठुड्डी पर चुटकी ली और उसे अपनी ओर देखने को मजबूर किया..."तुम तेज और स्वादिष्ट हो, देखना आज रात में और मेरे दोस्त कैसे तुम्हारे इज्जत के साथ खिलवाड़ करते हैं।"

    ... "तुम कमीने हो! एक असली मर्द कभी किसी औरत को नहीं धमकाएगा और उसके साथ जबरदाती करने की कोशिश नही करेगा।" श्रव्या दांत पीसते हुए चिल्लाई, जिसके अगले ही पल वरुण ठहाके मार के हंसने लगा जिसके गले जी पल अदाओं के साथ अपने सीने को हथेलियों से ढका और कहने लगा..." ठीक है तुम्हारे साथ जबरदस्ती करने के लिए मैं मर्द नही हूं। आई एम गे! फिर भी तुम्हे कौन बचाएगा।"

    "कुत्ते के बच्चे ! उसे जाने दो! अगर तुमने उसे छूने की हिम्मत की, तो मैं तुम्हें मरवा दूंगा!".... कार्तिक उन लड़कों से लगातार मार खाते हुए चिल्लाया।

    उसकी फिक्र सुन वरुण ने श्रव्या के चेहरे को दूसरी ओर झटक दिया... "मुझे नहीं पता था कि यह कमिना तुम्हारी इतनी चिंता करता है। क्या जब हम दोनों साथ थे तो तुम इसके साथ भी रिलेशन में थी? तुम दोनों ने कितने कितनी रातें साथ बीते है?"

    दूसरी ओर अव्यान अपने ऑफिस से निकला तो आसान में कार्तिक पूर्णिमा के चांद को देखते हुए उसे श्रव्या की याद आ गई, जिससे उसका दिन भर का स्ट्रेस थोड़ा कम हुआ और वो हल्की मुस्कान के साथ कार में बैठ गया।

    आज ड्राइविंग सीट पर उसके ड्राइवर की जगह, उसकी असिस्टेंट ऊषा बैठी थी, जो हाल ही में विदेश से लौटी थी..." सर! आप कंफर्टेबल है तो कार स्टार्ट करूं?"

    "हम्मम चलो।"... अव्यान ने आदेश दिया और अपना सिर सीट पर टिका कर आंखे बंद कर ली।

    आज ड्राइविंग सीट पर उसके ड्राइवर की जगह, उसकी असिस्टेंट ऊषा बैठी थी, जो हाल ही में विदेश से लौटी थी..." सर! आप कंफर्टेबल है तो कार स्टार्ट करूं?"

    "हम्मम चलो।"... अव्यान ने आदेश दिया और अपना सिर सीट पर टिका कर आंखे बंद कर ली।

    उषा ने कर आगे बढ़ाया कुछ आठ नौ मिनट के बाद उनकी कर ग्रेविटी क्लब के सामने पहुंची तो अचानक उषा की नजर क्लब के बाहर पार्क किया सफ़ेद रंग की मासेराटी स्पोर्टस कार पर पड़ी, जिससे उसने अनायास ही कहा..." सर ! इस शहर में आपके जैसी सफ़ेद रंग की मासेराटी स्पोर्टस कार किसी और ने भी ले ली है!"

    इतना कह उसने नंबर प्लेट पर ध्यान दिया तो वह चौंक गई, क्योंकि उसे अव्यान से जुड़ी हर एक डिटेल याद थी, इसलिए उसने संदेह भाव से पुछा..." सर! क्या आपकी कार चोरी हो गई है? क्योंकि कार के लाइसेंस प्लेट का नम्बर भी सेम है।

    (क्रमशः))

  • 15. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 15

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतना कह उसने नंबर प्लेट पर ध्यान दिया तो वह चौंक गई, क्योंकि उसे अव्यान से जुड़ी हर एक डिटेल याद थी, इसलिए उसने संदेह भाव से पुछा..." सर! क्या आपकी कार चोरी हो गई है? क्योंकि इस कार का नंबर भी..."

    अपने शब्दों के साथ सवाल को समाप्त कर पाती, उससे पहले ही अव्यान ने भावशून्यता से कहा... "नहीं, मैंने उस कार को अपनी पत्नी को दे दिया है।"

    अव्यान के स्पष्ट शब्दों को सुनते ही उषा ने कार पर अचानक ब्रेक लगाया कर थोड़ी हिचका के साथ हैरान आवाज में पूछा... "सर! आपने शादी कर ली है? कब? मुझे इस बारे में क्यों नही पता था?"

    "हाँ! मैने शादी कर ली"... अव्यान ने सीधे स्वीकार किया। ऊषा कार की खिड़की खोली और आसमान में गौर से देखा कि कहीं आज लाल बारिश तो नही हो रही ना! उसका बॉस जिसे कोई भी औरत लुभा नही सकती थी और जिसे अपने मंगेतर से इतनी नफरत थी, भला उसने चुपके से शादी क्यों की?

    वो अपने ख्यालों से निकल पाती की उससे पहले ही अव्यान ने पूछा..."तुमने मेरी कार कहाँ देखी? वो लड़की अब तक बाहर क्यों है?"

    "सर! हमारे नए ग्रैविटी क्लब के बाहर कार पार्क है।"... उषा अभी भी सदमे में थी और कार चलाने की स्थिति में नही थीं, हालांकि अव्यान ने कहा..." कार क्लब की ओर मोड़ो।"

    कार, जो क्लब से कुछ दूरी पर रुकी हुई थी, आगे बढ़ी और चौराहे पर घूम गई, क्लब के बाहर ऊषा ने अपने कार को मासेराटी के बगल में पार्क कर दिया और उतर कर अव्यान के लिए दरवाजा खोल दिया।

    अव्यान कार से उतरा और कार के दरवाजे पर झुककर सिगरेट जला ली, वो क्लब के अंदर जाने के इरादे में नहीं था, फिर उसने ऊषा को अपना मैरेज लाइसेंस देते हुए निर्देश दिया कि वह मैरिज लाइसेंस पर फोटो चेक करे और क्लब में उस लड़की को ढूंढे।

    दो मिनट बाद, उषा क्लब के बाहर आई और जल्दबाजी में कहा ... "सर! रेस्टरूम के बाहर कुछ लोग आपस में मारपीट कर रहे हैं। मैंने आपकी पत्नी को वहाँ देखा। जिन्हे कुछ लड़कों ने पकड़ रखा था और उनके साथ जबरदस्ती..."

    "मुझे रास्ता दिखाओ!"... अव्यान ने बीच में ही उसे टोक दिया और मुंह में सिगरेट दबाए क्लब की ओर बढ़ा। अंदर रेस्टरूम जाने में उसे तीन मिनट से भी कम समय लगा।

    वहां का नजारा देख अचानक वो रुका और जोरदार आवाज में चिल्लाया.... "स्टॉप इट।"

    अव्यान की ठंडी आवाज सुनकर सभी डर गए और अनायास ही लड़ना बंद कर दिया। पलट कर उन्होंने देखा कि कुछ ही दूरी पर सफेद शर्ट पहने एक आदमी खड़ा था, जिसका एक हाथ सूट पैंट की जेब में था और दूसरा हाथ आधी पी हुई सिगरेट थामे हुए था, हालांकि वो अंधेरे में खड़ा था इसलिए उसका चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सका।

    वह अंधेरी रात के दूत की तरह था, रहस्यमय, निर्दयी और आक्रामक। उसकी ठंडी और डरवानी आभा देख अमीर लड़कों ने श्रव्या और कार्तिक को छोड़ गलियारे में तुरंत तितर-बितर हो गए, और उनमें से किसी ने भी आवाज़ करने की हिम्मत नहीं की। अब वहां केवल डीजे की आवाज गूंज रही थी।

    "वह कौन है? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बीच में बोलने की?"... अचानक डिप्टी मेयर के सबसे छोटे बेटे ने हिम्मत जुटाकर चिल्लाया।

    उसके सवाल को अनसुना करते हुए अव्यान ने फर्श पर सहम कर बैठी श्रव्या की ओर देखा, जिसने अपने दोनो कानो को ढक रखा था और आंखे मिच के बंद कर लीं थीं।

    "श्रव्या, यहाँ आओ।" अव्यान के इन शब्दों ने वहां खड़े लोगों को थोड़ा गर्मजोशी श्रव्या के कानो में उसकी धीमी आवाज पड़ी तो उसने सिर उठा कर उसकी ओर देखा। हालांकि उसे देखकर श्रव्या को सुखद अनुभव ना हुआ, बल्कि वो थोड़ा डर गई। क्योंकि नशे में भी उसे याद था कि उसके सामने खड़ा ठंडा आदमी परेशानियों से शख्त नफरत करता है, और दुनिया के सामने उसे अपनी पत्नी नही कहना चाहता।।

    फिर भी वो उठ और स्वाभाविक रूप से उसकी ओर बढ़ने लगी। वो अव्यान के जितने करीब आई, उतना ही अधिक सुरक्षित महसूस करने लगी। वह आज्ञाकारी रूप से उसके बगल में खड़ी हो गई और अपनी उंगलियों गोल-गोल घूमाते हुए उसे अपराध बोध से निहारते हुए बोली... "मैने नही पी।"

    कार्तिक और वरुण श्रव्या के इस नए रूप को देख हैरान रह गए, अविश्वास से उनके जबड़े खुले रह गए, और वे अपना दर्द भूल गए। उन्होंने श्रव्या को कभी इतने आज्ञाकारी तरीके से व्यवहार करते नहीं देखा था।

    "सर, मैने क्लब मैनेजर नमन कश्यप को कॉल किया है, वो आता ही होगा।।"... उषा ने धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन वहाँ मौजूद सभी लोगों ने उसकी बात सुनी और डर से थूक निकाल लिया।

    नमन कश्यप मुंबई का वह जाना-माना माफिया बॉस था, जो क्रूरता और कत्ल के बाद भी आज तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा था। हालंकि आगे उसके पीछे अव्यान काविश का सपोर्ट ना होता तो कभी भी मुंबई में उसे माफिया किंग का ताज नही पहनाया जाता।

    तीन मिनट, महज तीन मिनट के भीतर, नमन कश्यप, अपने पजामा में के बटन को लगाते हुए वहां आया, उसके पैरों को चप्पल भी उल्टी थी, उसके जिस्म पर लिपस्टिक के निशान थे और माथे पर पसीना फिर भी वो काफी हैंडसम और ताकतवर लग रहा था।

    आते ही उसने अव्यान के सामने सिर झुकाया.... "बॉस, आप यहाँ क्यों आए हैं? क्या कोई परेशानी है?"

    उसे यहां देख बाकी लोग डर के मारे ज़मीन पर जड़वत खड़े हो गए, हर किसी के लिए ये आश्चर्यजनक बात थी की मुंबई सीटी का सबसे बड़ा माफिया भी किसी के सामने झुंकता था और उसे बॉस कह कर संबोधित करता था।

    अव्यान की आंखें नाराजगी से भरी हुई थीं, क्योंकि उसने श्रव्या की सांसों में शराब की गंध महसूस कर ली थी, वो नशे के कारण सीधी खड़ी भी नही हो पा रही थी और हर कुछ देर पर अव्यान को मजबूत भुजाओं पर अपना सिर रख के आंखे बंद कर लेती।

    "सीधी खड़ी रहिए... श्रव्या!".... अव्यान ने उसके सिर को पाने बाजुओं से दूर धकेला।

    "मुझे नर्क के देवता की आवाज आ रही है? "... कहते हुए उसने आंखे खोली और सामने खड़े कार्तिक की ओर हाथ हिलाते हुए मुस्कुराई..." ओह! कार्तिक तुम भी नर्क में हो? क्या मिस्टर विष ने हम दोनो को मार डाला? तुम्हे पता है उसे परेशानी खड़ी करने लोग पसंद नही है।"

  • 16. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 16

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    "सीधी खड़ी रहिए... श्रव्या!".... अव्यान ने उसके सिर को पाने बाजुओं से दूर धकेला।

    "मुझे नर्क के देवता की आवाज आ रही है? "... कहते हुए उसने आंखे खोली और सामने खड़े कार्तिक की ओर हाथ हिलाते हुए मुस्कुराई..." ओह! कार्तिक तुम भी नर्क में हो? क्या मिस्टर विष ने हम दोनो को मार डाला? तुम्हे पता है उसे परेशानी खड़ी करने लोग पसंद नही है।"

    कार्तिक ने अपनी एक उंगली होंठो पर रखी और उसे चुप रहने का इशारा किया, जिस पर श्रव्या ने तुरंत मुंह फूला लिया..."अब तुम भी मुझे डांट रहे हो? एक तो मुझे बिना बताए मिस्टर विष ने मेरी जाना ले ली, लेकिन वो बहुत मस्त आदमी है... उसके सात रात बिताना और भी दिलचस्...."

    इसके आगे वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही अव्यान ने उसके होंठो पर हथेली रख के कानो तक झुक आया...."मुझे नही पता था कि आप इतनी स्टेस्फाइड हैं, लेकिन इसके बारे में हम घर पर बातें करेंगे।"

    इतना कहते हुए अव्यान ने उसे अपनी बांहों में उठाया और नमन की ओर देखते हुए बोला...." इन्हें जाना से मत मारना, हालांकि तुम इनके हाथ पांव तोड़ सकते "नही... उसे कुछ मत करना।"... अचानक श्रव्या बीच में ही बोल पड़ी, ये देख ऊषा और नमन चौंक गए, क्योंकि दोनो ही जानते थे कि अव्यान की बात को काटना यानी अपनी शामत लाना।

    हालांकि अव्यान भी चुप हो गया और अपनी प्रकृति के विपरीत श्रव्या की बातों पर गौर किया, श्रव्या उसे लगभग कच्छा चबा जाने वाली नजरों से घूर रही थी, जिसके अगले ही पल उसने एक मुक्का अव्यान के सीने पर मारा और भौंहैं सिकोड़ कर बोली.... "तुमने उसे कुछ किया तो मैं तुम्हे पीट पीट कर मार डालूंगी।"

    इस अकल्पनीय दृश्य को देख कर ऊषा और नमन की आंखे बाहर निकल आई, उनका सख्त और ठंडा बॉस स्पष्ट रूप से एक नाजुक लड़की द्वारा पीटा जा रहा था और उसके चेहरे पर एक शिकन तक ना थी।

    अंततः अव्यान ने श्रव्या को तीखी नजरों से घूरा और नमन को आज्ञा दिया...." इनके दोस्त को जाने दो, और ये कभी इस बार में आएं तो इन्हे शराब मत देना, हालंकि उस लड़के को जहर दे सकते हो।।"

    इतना कहना था की श्रव्या का एक और कमजोर पंच उसके सीने पर पड़ा..." उससे कहो कि मेरे दोस्त को जहर नही देना है। नही तो मैं तुम्हारे साथ नही जाऊंगी, मैं यहीं रहूंगी और अपने दोस्त की रक्षा करूंगी।"

    अव्यान ने आंखे बंद कर अपने गुस्से को दबाया और अगले ही श्रव्या को हताशा से घूरते हुए नमन से बोला...."उसे जहर मत देना।"

    अब श्रव्या के मुख पर थोड़ी शांति दिखी और उसने खामोशी से अपना सिर उसके सीने में छुपा लिया। जिसके बाद अव्यान मुड़ा और बिना किसी को देखे क्लब के बाहर चला गया।

    नमन जो कि उसे काफी लंबे समय से जनता था, ये देख की वो किसी की सुनने लगा है, मुस्कुराया और अपने सिर को खुजलाते हुए उन लड़कों की ओर पलट गया..." इसमें से जो कार्तिक है, वो बाहर जाओ और एंबुलेंस को कॉल कर दो ! बाकी सब इधर आओ, मेरे पास ज्यादा टाइम नही है। My girl is waiting for me."

    दूसरी ओर उषा ने अपने कदमों की गति बढ़ा ली और अव्यान का पीछा किया। कार तक पहुंच कर अव्यान ने श्रव्या को कार के पिछले सीट पर बैठाया और खुद भी उसके साथ बैठ गया।

    "सर! आपकी दूसरी कार विला यहीं है।"... ऊषा ने शीशे तक अपने सिर को झुकाया, जिस पर अव्यान ने कहा...."वहीं छोड़ दो।"

    "ओके सर।"... कहते हुए ऊषा ने कार के भीतर बैठी महिला को गौर से देखा, फिर जा कर ड्राइविंग सीट पर बैठ, कार स्टार्ट कर लिया। उसके मन में इस वक्त हजारों सवाल थे, लेकिन युवांश का सख्त चेहरे देख उसकी हिम्मत ना हुई की वो कुछ पूछ सके।

    विला में पहुंचने के बाद, श्रव्या ने आंखे बंद किए ही अपने जूते बदले और तेजी से ऊपर अपने कमरे में भागी, उसका मुंह उल्टी से भरा हुआ था, इसलिए उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और बेसिन पर लटक गई।

    उल्टी करते हुए उसका पेट ऐसे मरोड़ खाता, मानो अतरिया बाहर आ रही हो। कुछ ही देर में बाथरूम शराब की गंध से भर गया। जिसके बाद श्रव्या ने बेमन से गरारे किए, और ताजी हवा में सांस लेने के लिए बाथरूम की खिड़की खोल दी।

    उल्टी करते हुए उसका पेट ऐसे मरोड़ खाता, मानो अतरिया बाहर आ रही हो। कुछ ही देर में बाथरूम शराब की गंध से भर गया। जिसके बाद श्रव्या ने बेमन से गरारे किए, और ताजी हवा में सांस लेने के लिए बाथरूम की खिड़की खोल दी।

    उल्टी कर देने से उसका नशा थोड़ा कम हुआ लेकिन वो थकान से चूर थी, इसलिए नहाएं बगैर सीधे बिस्तर पर चली गई। हालांकि उसका गला सुख हुआ था और पेट भूख से आवाजें लगाने लगा।

    लेकिन, अव्यान का सामना करने से, उसे भूखे सो जाना बेहतर लगा और जल्द ही वो खराठे लेने लगी।

    कुछ आधे घंटे के इंतजार के बाद वो नीचे ना आई तो, नाराज अव्यान खुद ही ऊपर उसके कमरे में चला गया।

    कमरे में श्रव्या को नींद में देख, गुस्से से उसकी मुठिया कस गई, वो ऐसे गई थी जैसे उसके उसने कुछ ही ना हो !

    उसे जगाने के इरादे से वो उसके पास गया, लेकिन उसके उठे हुए हाथ हवा में ही रुक गए और सुकून से सोती उस नादान लड़की को वह जाग न सका। अपने हाथ पीछे खींचते हुए अव्यान ने उसका फोन उठाया और लेकर स्टडी रूम में चला गया।

    स्टडी रूम के कुर्सी पर बैठे हुए वह खुद में ही बड़बड़ाया...." कोई बात नहीं आप आज के लिए बच सकती हैं पर हमेशा के लिए नहीं।"

    स्टडी रूम में अव्यान ने उसका फ़ोन अनलॉक किया, और अपना पर्सनल नंबर डायल कर उसे "हसबेंड" नाम से सहेज दिया। फिर उसने वॉट्स ऐप खोला और अपना अकाउंट उससे जोड़ लिया। उसने श्रव्या के फोन में मौजूद दूसरे सोशल मिडिया ऐप पर भी गौर किया, जो उसके फोन में नही था, हमेशा उससे जुड़े रहने के लिए उसने उन ऐप्स को पाने फोन में डाउनलोड किए और श्रव्या को फॉलो कर लिया।।

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    (क्रमश:)

  • 17. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 17

    Words: 1144

    Estimated Reading Time: 7 min

    स्टडी रूम में अव्यान ने उसका फ़ोन अनलॉक किया, और अपना पर्सनल नंबर डायल कर उसे "हसबेंड" नाम से सहेज दिया। फिर उसने वॉट्स ऐप खोला और अपना अकाउंट उससे जोड़ लिया। उसने श्रव्या के फोन में मौजूद दूसरे सोशल मिडिया ऐप पर भी गौर किया, जो उसके फोन में नही था, हमेशा उससे जुड़े रहने के लिए उसने उन ऐप्स को पाने फोन में डाउनलोड किए और श्रव्या को फॉलो कर लिया।।

    इसके बाद उसने उसका फोन वापस कमरे में रख दिया और अपने कमरे में चला गया, क्योंकि वह एक शराबी महिला के साथ नहीं सोना चाहता था, वो भी तब जब उल्टी करने के बाद उसने कपड़े भी नही बदले थें।

    ____________

    अगली सुबह श्रव्या 10 बजे के बाद जागी। सिर में भयंकर दर्द के कारण उसने अपना चेहरा धोया और कुल्ला करने के बाद कुछ खाने के लिए नीचे चली गई।

    नेहा के अलावा पहली मंजिल पर दो अन्य महिलाएं काम कर रही थी, को शायद यहां नही थी, दोनो की उम्र लगभग तीस तीस रही होगी।

    नेहा, जो उन्हें काम सौंप रही थीं, श्रव्या को देखते ही उसकी ओर चल दीं..."मैडम! ये नई हाउसकीपर हैं, सर ने कहा था की घर के साफ–सफाई के लिए मैं और सर्वेंट ले आऊं! क्या आप उनसे मिलेंगी?"

    कहते हुए नेहा ने उसके आवाज दी, जिससे दोनो वहां आई और श्रव्या को मुस्कुरा कर देखने लगी..."नमस्ते मैडम!"

    "नमस्ते। प्लीज आप सब मुझे मैडम की जगह नाम से ही पुकारें, मैं यहां आप सबसे छोटी हूं।"... श्रव्या ने उनकी ओर सिर हिलाया।

    "ठीक है..हम ध्यान रखेंगे, मिजेस श्रव्या।"... उन्होंने मन ही मन राहत की सांस ली, क्योंकि देखा की उनकी मालकिन बाकी अमरी लोगों की तरह घमंडी नही थी और उसके साथ घुलना-मिलना बेहद आसान था।

    नेहा ने उन्हें काम शुरू करने का निर्देश दिया, और श्रव्या को हैंगओवर सूप का कटोरा देने के लिए रसोईघर की ओर बढ़ी..."श्रव्या बेटा! मैने सर के कहने पर ये सूप बनाया, उन्होंने कहा की आपके लिया हैंगओवर सूप बना दूं, इसका स्वाद कड़वा होता है पर काफी असरदार होता है।"

    कहते हुए नेहा रसोई रसोई से एक कटोरी लिए हुए डाइनिंग टेबल तक आई और कुर्सी खींचकर श्रव्या के बैठने का इंतजार करने लगी...."क्या आपने कल रात बहुत ज़्यादा पी ली थी? शराब अच्छी नहीं होती। भविष्य में इतना मत पीना। देखिए चेहरा कैसे उतार गया हैं आपका।"

    "ठीक है। मैं ध्यान रखूंगी आंटी "...कहते हुए श्रव्या कुर्सी पर बौथी और कुछ ही मिनट में सूप खत्म करने के बाद, उसने धीरे से पूछा..."वो कहां है? क्या वो काम पर चला गया?"

    नेहा जानती थीं कि वह किसकी बात कर रही थीं,लेकिन इससे पहले ही वो जवाब देती पीछे से अव्यान की बुलंद कर कड़कती हुई आवाज सुनाई दी...."नही! मैं आपके उठने के इंतजार में था।"

    उस एक पल में श्रव्या का दिल पेट मे उतर आया, वो इतना हड़बड़ाई की उसके हाथ से कटोरा छूट कर टेबल पर दो टुकड़ों में टूट गया। कहीं ना कहीं वो जानती थी की अब उसकी खैर नही।

    कटोरे के टूटने से उसकी आंखे फैल गई और अब उसका दिमाग भी काम करना बंद कर चुका था, उसके दिमाग में एक ही ख्याल घूमता रहा कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए या इतनी तेज रफ्तार से कमरे में भाग जाए ही अव्यान उसे पकड़ ही ना सके।

    दूसरी ओर अव्यान ने बड़े कदम उठाए और उसकी ओर बढ़ने लगा, नेहा ने दोनो के बीच तनाव महसूस किया तो खामोशी से वहां से चली गई।

    "तो कैसी थी आपकी रात मिसेज काविश!".... अव्यान उसके कुर्सी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया, जिससे श्रव्या ने थूक निगला और धीरे से बोली..."याद नही आ रहा।।"

    "मैं याद दिला दूं?"... कहते हुए अव्यान उसके कानो तक झुक गया, उसकी कोमल सांसे श्रव्या ने अपने कानो महसूस की तो अचानक घबरा कर खड़ी हो गई..."नही याद आ गया, लेकिन मुझे काम है तो मैं चलती हूं।"

    इतना कहो भागने लगी तभी अव्यान ने उसकी नाइट सूट के कॉलर को पीछे से पकड़ा और खींचते हुए वापस कुर्सी पर बैठा दिया..." अगर यहां हिलीं तो मेरी सजा देने की इच्छा और बढ़ जायेगी।"

    श्रव्या असहाय होकर उसे ताकने के अलावा कुछ ना कर सकी, अब उसमे इतनी हिम्मत ना थी कि वो वहां से हिल भी पाती, अव्यान ने नेहा से कॉफी मंगाई और उसके बिल्कुल सामने वाली कुर्सी पर बैठ कर कॉफी की चुस्कियां लेते हुए बोला...." शराब पीना आपका फेवरेट काम है नहीं?"

    "नही!.. मुझे शराब से नफरत है, वो तो कभी– कभी टेस्ट याद रखने के किए पी लेती हूं।"... श्रव्या ने हंस कर बात टालनी चाही, लेकिन अव्यान अब भी गंभीर था।

    "तो क्या कार्तिक के साथ पीना आपको पसंद है?"... अव्यान ने फिर कॉफी के एक घुट निगलने के बाद पूछा।

    श्रव्या फिर बनावटी हंसी के साथ मुस्कुराई..." क्या? कार्तिक...के साथ! वो तो हम बस चिल्ल कर रहें थें।।"

    इस बार अव्यान का गंभीर चेहरा ठंडा और क्रोधित नजर आने लगा, अचानक उसने कप को टेबल पर पटका और उठ कर खड़ा हो गया..." आप क्लब में चिल्ल करने गईं थीं? वहां किस तरह के लोग जाते हैं इस बारे में नही जानती आप? क्या होता अगर मैं वहां वक्त पर नही पहुंचा होता तो...क्या आप इसे याद रख पाने के लिए बच्ची हैं कि आप एक जवान लड़की हैं।"

    उसके गुस्से से श्रव्या कुर्सी पर ही दुबक गई, वो जानती थी कि उसने गलती की है, लेकिन आज से पहले कोई उस इस तरह नही चीखा। उसकी गोल आंखो से आंसू की मोटी – मोटी बुंद गालों पर लुढ़क आई, जिस देख अव्यान ने अनचाहे मन से अपनी आवाज को धीमा कर लिया और वापस कुर्सी पर बैठते हुए बोला..." वरुण की नियत जानते हुए भी आप उस बार में गईं, शराब पिया और जब वो बत्तमीजी करने लगा तो मुझे कॉल तक नही किया? आप खुद को इस तरह के रिस्क में कैसे डाल सकती हैं?"

    आंसू बहा कर श्रव्या थक गई तो कुर्सी से उठ कर एकदम से बोली... "अच्छा! मैने गलती की थी पी कर, मैं मानती हूं, लेकिन तुम्हे कॉल  करने से क्या फायदा होता! हां? तुमने देखा कि कल रात उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की फिर भी तुमने उन्हे एक पंच तक नही मारा।"

    श्रव्या की बात सुन अव्यान उपहास करते हुए हंसा और अगले ही पल सिगरेट जलते हुए कठोर लहजे में बोला..."तो आपने क्या सोचा था? मै आपके लिए अपने हाथ गंदे करता! आपको याद दिला दूं की दुनिया के सामने हम दोनो एक दूसरे से अनजान हैं और मुहसे इस तरह की उम्मीद कभी मत लगाइएगा कि आपके लिए मैं किसी को थप्पड़ मारू या गोली। सौदे के रिश्ते को निभाने का यही वसूल है।"

    श्रव्या उसकी बातें सुन कर हैरान थी, दिल का कोई कोना दुख गया था शायद उसका, जिसकी गवाही देता उसके आंसु कई धारों में बहने लगे और वो तेजी से अपने कमरे की ओर दौड़ गई।

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    (क्रमश:)

  • 18. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 18

    Words: 1259

    Estimated Reading Time: 8 min

    अव्यान के मन से भी नाराजगी कम नहीं हुई थी, इसलिए उसके पीछे जाने के बजाए अव्यान ने गहरी सांस भरी और विला से बाहर निकल गया।

    कमरे में बैठे काफी देर तक सुबकने के बाद श्रव्या ने अपना चेहरा शीशे में देखा और अपनी गुलाबी हो चुकी छोटी सी नाक को छूते हुए मासूमियत से बोली..."रोने से बाद ब्लश लगाने की जरूरत ही नही है, मैं ऐसे ही खूबसूरत हूं, फिर भी वो मुझ पर चिल्लाया...जानवर।"

    अव्यान को कोसने में वो आगे बढ़ पाती कि तभी उसके दरवाजे पर एक हल्की दस्तक सुनाई दी..." श्रव्या बेटी! क्या मैं अंदर आ जाऊं?"

    "जी आंटी!.."... श्रव्या ने अपने भींगे पलकों को जोर से रगड़ा और आ कर बेड पर बैठ गई।

    नेहा ने धीरे से दरवाजा खोला और एक ट्रे लिए हुए उसके सामने खड़ी हो गई..." आप ठीक हैं ?"

    "लगता तो नही है पर कहूंगी हां ठीक हूं।"...कहते हुए श्रव्या ने नेहा के चेहरे पर दो पलों तक घूरा,जैसा वो जानना चाहती हो कि वो यहां क्यों आई है।

    "आह! मैने आपके लिए ड्राई फ्रूट्स का हलवा बनाया है, मेरे सर तनाव में अक्सर खाते हैं, आप लेना चाहेंगी?"....नेहा ने श्रव्या के सामने  बेड पर ट्रे रख दिया और चम्मच उठा कर उसकी ओर बढ़ाया।

    उस सफेद बाउल में रखे हलवे की सुगंध से श्रव्या का उदास मन एक पल को सारी पीड़ाएं भूल गया, लेकिन उसने धीरे से सिर हिलाया और कहने लगी..."इसकी जरूरत नहीं है, मुझे इन सब की आदत ना लगे तो ही बेहतर है, क्या पता मुझे कब उनकी जिन्दगी से जान पड़े।"

    कहते हुए उसने गहरी सांस भरी.." अपका शुक्रिया, इसे आप अपने सर को ही दे दीजिए।"

    "लेकिन मैंने उसे आपके कोई तैयार किया था। सर! तो कब के कंपनी चले गए।"....नेहा आहिस्ते से बोली।

    अब श्रव्या के पास कहने के लिए शब्द नहीं थे। वैसे भी, वो उसे नही देखना चाहती थी और ना ही उसकी पाबंदियों में उलझ कर उसके दिए पैसे पर ऐश करने का उसका कोई इरादा था।

    अचानक उसके दुखी भाव बदले और उसने अपना फोन उठा लिया, जो ना जाने कब से तकिए के नीचे दबा पड़ा था। फोन का खोलते ही उसके फोन स्क्रीन पर जैसे कॉमेंट की बाढ़ आ गई, उसने बिना देंखे ही सारे मैसेज डिलीट कर दिया और अंततः अपने पोस्ट किए फोटो पर राधिका और कार्तिक के प्यार भरे कॉमेंट के रिप्लाई में.."थैंक यू" शब्द टाइप कर दिया।

    इंस्टा बंद कर उसने कॉन्टैक्ट लिस्ट खोला और राधिका को कॉल मिला लिया, जल्दी ही राधिका ने काल रिसीव किया और ऊंची आवाज में बोली.."जल्दी बोलो मैं काम पर हूं।"

    "मेरी जॉब की बात की अपने बुटीक पर?"....बिना वक्त बर्बाद किए श्रव्या ने आहिस्ते से पूछा।।

    "हां! मैने किया, तुम यहां आओ। मिल कर सेलरी और काम के घंटे फिक्स कर लेते हैं।"...कहते हुए राधिका ने फोन रख दिया।

    कान से फोन हटा कर श्रव्या ने पवार बटन पर उंगली दबाया की तभी उसकी बाहर संपर्क सूची में "हसबेंड" नामक एक नए संपर्क की झलक दिखी।

    "हसबेंड?"... श्रव्या सोच में पड़ गई, उसे जहां तक याद था..उसने कभी भी किसी सख्श का कॉन्टैक्ट नंबर "हसबेंड" नाम से सेव नही किया था, इसलिए उसने काफी देर तक उस नंबर को घूरा फिर कॉल करने  का फैसला किया।

    लेकिन कहीं ना कहीं उसे डर था कि फोन अव्यान द्वारा उठा लिया जाएगा, क्योंकि उसके अलावा उसका कोई हस्बैंड नहीं था इसलिए उसने अपने इस फैसले को अनदेखा किया और नेहा के हाथ ने ट्रे वापस देते हुए बोली..."आंटी मुंह काम के लिए बाहर जाना है, मैं इसे आ कर पक्का खाऊंगी।"

    नेहा के जाने के बाद उसने अपने ट्रॉली बैग से नीले रंग का कार्गो जींस और सफेद फूल स्लीव्स फिट टॉप निकाल लिया, चुकीं उसने सुबह शॉवर नही लिया था, इसलिए नहाने के बाद उसने कपड़े पहने और काफी सोचने के बाद अव्यान के साथ समझौता करने का फैसला लिया।

    अपना फोन उठाकर उसने अव्यान का वॉट्सअप अकाउंट खोला और एक छोटा मैसेज टाइप लिया..."मैं बाहर किसी से मिलने जा रहीं हूं, बॉस!

    मैसेज के रिप्लाई का इंतजार किए बिना उसने अपने बालों में कंघी किया तभी एक नया संदेश उसके फोन पर गिरा, जो अव्यान का था..." कहां और किससे?

    उसके इन तीन शब्दों में भी नाराजगी और व्यंग था, जिससे श्रव्या  ने आँखें घुमाकर जवाब दिया..."नौकरी ढूँढने के लिए जा रही हूं और राधिका से मिलूंगी।"

    अव्यान ने लिखा..."नौकरी ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है।"

    "मैं असहमता हूं, आप मेरी जिंदगी को कंट्रोल करना बंद कीजिए... अलविदा!"...आखिरी बार रिप्लाई कर, श्रव्या ने फोन अपने बैग में रख लिया और उसके मैसेज ना पढ़ने का फैसला किया।

    श्रव्या घर से निकलने लगी तो, नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए लग्जरी कार चलाने का विकल्प नहीं चुना। उसे डर था की उसकी कार देख कोई उसे जॉब पर नहीं रखेगा, जिससे वह लम्बी दूरी तक पैदल चली। धूप तेज थी तो उसने टैक्सी किया और राहत की सांस भरते हुए अपने बैग से पानी का बोलता निकाल लिया।

    -----------***----------
    के. एम बुटिक ------

    श्रव्य मॉल के बाहर खड़ी सोचने लगी कि किसी समय में वह इस माल से कपड़े खरीदने आई थी लेकिन आज वक्त ने उसे यहां काम करने को मजबूर कर दिया था। मॉल को जटिल भावना के साथ देखते हुए श्रव्या आगे बढ़ गई।

    राधिका लेडीज़ फ़ैशन में शॉपिंग गाइड के तौर पर काम करती थी। श्रव्या के आने से पहले ही राधिका ने अपने सुपरवाइजर को बता दिया था कि उसकी दोस्त यहां काम करना चाहती है। इसीलिए सुपरवाइजर श्रव्या से मिला और कुछ देर बातें करने के बाद उसे नौकरी दे दी।

    श्रव्या सुंदर, शालीन और मिलनसार थी, हालांकि उसके पास कोई कार्य अनुभव नहीं था, इसलिए सुपरवाइजर ने राधिका को जिम्मेदारी थी कि वह श्रव्या को काम सिखाए।

    राधिका ने खुशी से श्रव्या का हाथ पकड़ा और सुपरवाइजर के केबिन से बाहर निकल आई..."श्रव्या! कॉलेज में पढ़ाई करते हुए तुमने एक्स्ट्रा क्लासेस लिए थे, जिसमें तुम डांस और एक्टिंग सीखा करती थी फिर तुम बॉलीवुड में ट्राई क्यों नहीं कर रही या कोई टीवी सीरियल में या कोई छोटी-मोटी ऐड ही कर लो।"

    राधिका के सवाल पर श्रव्या सिर्फ मुस्कुराई, उसे याद था कि उन दिनों उसके लिए एक्टिंग के कई ऑफर आए थे, कुछ डायरेक्टर उसके घर मिलने भी आए थे लेकिन उसने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि "वह अपने डैड का बिजनेस संभाल चाहती है।"
        और करीना के मोह में आकर उसने उन प्रोजेक्ट्स को उसके झोली में डाल दिया, लेकिन जैसा कि वह उसके लायक नहीं थी उसने एक्टिंग करियर को भी आधा–अधूरा छोड़ दिया।

    _____________

    राधिका से काम की जानकारी लेने के बाद श्रव्या शाम होने से पहले घर लौट आई। नेहा ने उसे पानी दिया जिसे पी कर कमरे में जाने से पहले उसने अव्यान के कमरे का बंद दरवाजा देखा, फिर स्टडी रूम की और देखते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ गई। वो अब तक घर नहीं आया था, जिससे उसे थोड़ा सुकून आया और वो अपने बिस्तर कर लेट गई।

    इसके बाद वो दो घंटे तक यूं ही लेटे हुए सोचती रही कि अगर आज रात अव्यान उसके कमरे में आता है तो क्या उसे बाहर निकाल देना चाहिए ? या उसकी ख्वाइशों के आगे झुक जाना बेहतर होगा!

    हालांकि, श्रीयांश उस रात वापस नहीं आया। काफी देर रात तक इंतजार करते रहने के बाद श्रव्या अपने बिस्तर पर सोने के लिए चढ़ गई। इस दौरान नेहा ने कई दफा उसे खाने के लिए पूछा, पर हर बार उसका जवाब ना ही था।

    आखिर में उसने बगल के खाली पड़े बिस्तर को अपने हथेली से सहलाया और आंखे बंद कर ली।

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    (क्रमशः)

  • 19. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 19

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    दूसरी ओर अव्यान का विला ना जा पाने का कारण वर्क का ओवरलोड था, उसने रात में कई बार नेहा से उसकी खबर ली और अंततः उसे पता चला कि श्रव्या बिना डिनर किए ही सो गई।
        गुस्से में विला से निकल आने पर उसे थोड़ा अफसोस था, लेकिन उसने इस विषय पर दुबारा नहीं सोचा और अपने कामों में उलझे रहने के कारण रात दो बजे ऑफिस केबिन के सोफे पर ही सो गया।

    दूसरी सुबह श्रव्या नींद से जागी तो सबसे पहले उठ कर अव्यान के कमरे में झांक आई। दरवाजा अब भी लॉक था, इसलिए उसे मालूम हुआ कि वो रात को घर नही लौटा था! क्या वो उससे सच में इतना नाराज था कि उसे देखना तक नही चाहता था।

    "कितना बुरा, घमंडी और कमीना है, इसकी जात का।"...बड़बड़ाते हुए श्रव्या वापस अपने कमरे गई। नहा– धो कर उसने कपड़े बदले और नीचे नाश्ते के टेबल तक जाने से पहले अपने फोन को हैंडबैग के भीतर डाल दिया।

    नाश्ता करने के बाद उसने नेहा का धन्यवाद किया और विला से बाहर निकलने से पहले बोली..."आपके विष सर घर वापस आए तो उनसे कहिएगा की मैं अपने जॉब पर गई हूं।"

    "जी ठीक है, क्या मैं आपके किए लंच बॉक्स तैयार कर दूं?"...नेहा ने टेबल साफ करते हुए पूछा।।

    "नही! आप तीनो खा कीजिएगा, मैं चलती हूं।"....ऐसा कह श्रव्या ने हवा में हाथ हिलाएं और विला छोड़ कर चली गई।
    __________________

    काम पर पहला दिन उसके लिए मुश्किल था, राधिका ने उसे बुटीक का पूरा नियम समझाया और ग्राहक से बात करने का तरीका भी समझाया, लेकिन ये अनुभवी होने के लिए काफी नही था।

    राधिका ने श्रव्या को काम के माहौल से परिचित कराने के बाद, स्टोर की सफाई शुरू कर दी। श्रव्या ने भी राधिका की तरह सभी हैंगर साफ किए,और कल रात बिखरे गए कपड़ों को मोड़ कर तह करने लगी। हालांकि उसे ये काम बेहद थका देने वाला लगा और जल्द ही वो हांफने लगी।

    "श्रव्या, क्या तुम ठीक हो?"... श्रव्या का पसीने से तर माथे को देखते झा राधिकाने चिंतित भाव से देखते हुए पूछा।

    "मैं ठीक हूँ। मैं इसे संभाल सकता हूँ। बस थोड़ी गर्मी है।"... श्रव्या ने काम करना जारी रखा। बुटीक अभी खुला नहीं था, इसलिए एयर कंडीशनर नहीं चल रहे थे और इतनी ही देर में  वो पसीने से नहा गई।

    साफ– सफाई करने के बाद श्रव्या ने मुंह धोका और अपने चेहरे पर थोड़ा मेकअप कर राधिका के पास आ गई, बुटीक में अब ग्राहक आने लगे थे लेकिन उनका स्वागत करना उसे सफाई करने से भी अधिक चुनौतीपूर्ण लग रहा था।

    उसे झिझकते देख शॉप मैनेजर ने राधिका को निर्देश दिया कि वह श्रव्य को ग्राहक की सेवा करना सिखाए क्योंकि जो भी उसके बुटीक में आते थे वह अमीर और खानदानी लोग हुआ करते थे, जो छोटी सी भूल को भी अपने दिल से लगा लिया करते थे और रूठ कर बुटीक से चले जाते थे।

    काफी ग्राहकों को नाराज करने के बाद श्रव्या अपराध भाव से शॉप ऑनर के केबिन में पहुंची, जहां वो अपनी कजिन से वीडियो कॉल पर बातें कर रहा था,कॉल होल्ड कर उसने श्रव्या को नाराजगी से देखा और भौंहैं ताने कहा..." क्या तुम वही श्रव्या कियान हो, जिसका कुछ दिन पहले दिवालिया निकल गया था?"

    श्रव्या को शर्मिंदगी हुई, उसने उसने धीरे से अपने नाक को छुए और सिर हिलाते हुए बोली..."जी।"

    "ओह! तो तुम वही हो।"..... शॉप ओनर ने व्यंग से उसकी ओर देखा, जिसके बाद हल्की मुस्कान के साथ बोला..."ठीक है अब जाओ।"

    श्रव्या ने अपना सर झुकाया और वहां से चली गई हालांकि उसे अभी भी समझ नहीं आया कि शॉप ओनर ने उसे अपने केबिन में आने के लिए क्यों कहा था?

    दूसरी और उसके जाते ही शॉप ओनर ने वीडियो कॉल उठाया और स्क्रीन पर दिखती करीना से बोला..."की खबर है ये वही लड़की है इसका नाम श्रव्या कियान ही है।"

    "फिर उसे सबक सिखाओ! अच्छे से! मेरे लिए इतना तो कर ही सकती हो मेरे प्यारे बड़े भाई।"...करीना संतुष्टि से मुस्कुराई, जिससे शॉप ओनर ने सहमति ने सिर हिला दिया।

    अपनी बहन की बात सुनकर शॉप ओनर ने मैनेजर से कुछ डिटेल्स लिए और सीधे सेल्स गर्ल्स के पास पहुंच गया। चुकीं श्रव्या ग्राहकों को खुश नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने राधिका और श्रव्या को छोड़कर बाकी सभी को कम पर लौटने का आज्ञा दिया, फिर उसने कहा..."श्रव्या जैसा की तुम ग्राहकों को खुश नही कर सकती, इसलिए तुम और राधिका ऑफ– सीजन क्लॉथ को सड़क पर छोटी सी सेल लगा कर बेचोगी।"

    बाहर तेज धूप थी और लू भी चल रही थी, ऐसे में बाहर जाना बीमारी को दावत देना था। इसलिए श्रव्य ने शॉप ओनर के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा..."लेकिन सर बाहर तो बहुत तेज धूप है, इतनी कि अगर हम बाहर गए तो भुनी हुई मछली की तरफ पक जाएंगे। ये ठीक तो नहीं कि आप अपने स्टाफ से ऐसा काम करवाएं।""

    "देखो अब तुम किसी रईस बाप की बेटी नहीं रही, इसलिए यह प्रिंस ट्रीटमेंट छोड़ दो और जितना कहे उतना करो वरना दोनों जॉब से जाओगी। औकात कुछ है नहीं और जबान लड़ाने लगती हैं।"...कहते हुए शॉप ओनर ने अपनी बड़ी– बड़ी आंखो से उसे डराया।

    भले ही उसकी बात कड़वी थी पर ये सच था, अब वो इस शहर की अमीर आदमी की बेटी नही थी, बल्कि एक गुमान शख्सियत की मालकिन थी, इसलिए अब उसे नखरे करने की भी इज्ज्जत नही थी।

    "तुम दोनो को अपना काम शुरू कर देना चाहिए। यहां बैठने या हंसी ठिठोली करने तो नहीं आई हो"....अचानक शॉप ओनर की आवाज फिर उसके कानो में पड़ी।

    राधिका पहले भी ऐसे काम कर चुकी थी। इसलिए उसने श्रव्या को ओर खींचा और धीरे से बोली..."फिक्र मत करो, मैं कर लूंगी,तुम बस छाव देख कर बैठ जाना।"

    "नही! कोई बात नही, मुझे एक्सेप्ट कर लेना चाहिए कि अब मैं अमीर नहीं रही।"... कहते हुए श्रव्या ने चेहरा लटका लिया। वो उदास थी, उसके आंखों में निराशा और दुख साफ झलक रहा था। उसे अपनी पुरानी जिंदगी याद आ रही थी, जब वो अमीर थी, उसके पिता एक बार कहने पर उसकी सारी ख्वाइश पूरी कर दिया करते थे।

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    (क्रमशः)

  • 20. "Cold CEO, Warm Night" - Chapter 20

    Words: 1297

    Estimated Reading Time: 8 min

    गोदाम से ऑफ – सीजन कपड़े निकाल कर दोनो सड़क पर निकली तो दोपहर की चिलचिलाती धूप ने उन्हे हिम्मत को जला दिया, माथे पर हथेली रखे श्रव्या ने ऑफ–सीजन कॉलिथ का स्टॉल लगाने में राधिका मदद की और दोनो जोर–जोर से चिल्लाते हुए लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने लगी।

    कुछ लोग वहां आते और कपड़े को छू कर देखते फिर बिना खरीदे ही चले जाते, जिससे श्रव्या निराश होने लगी थी, वहीं राधिका ने कुछ पकड़े बेच लिए थे।

    धूप से श्रव्या की त्वचा कुछ ही देर में लाल हो गई और पसीने से उसका पूरा बदन चिपचिपा हो गया, हालांकि उसने राधिका को अकेला नहीं छोड़ा और शाम के पांच बजे तक वहीं खड़ी लोगों को बुलाती रही।

    आखिरकार दोनो की शिफ्ट खत्म हुई तो स्टॉल से कपड़े लेकर शॉप के अंदर चलीं गई, जहां एयर कंडीशनर की ठंडी हवा में श्रव्या का सारा पसीना सुख गया, लेकिन उसकी जली हुई त्वचा अभी भी रूखी नजर आ रही थी

    श्रव्या में अब चलने की भी हिम्मत न थी, इसलिए वो कपड़े लिए हुए ही एक चेयर पर बैठ गई, राधिका उसकी हालत देख जल्दी से ठंडा पानी की एक बोतल लाई और ढक्कन खोल कर उसके हाथ में थमा दिया।

    "पायो इसे, तुम्हे अच्छा लगेगा।"...राधिका के हाथ से पानी लेते हुए श्रव्या ने धीरे से कहा.."थैंक यू।"

    "कोई बात नही, मैं समझती हूं कि तुम्हे आदत नही है।"....कहते हुए राधिका मुस्कुरा कर एयर कंडीशनर के नीचे खड़ी हो गई।

    तभी शॉप ओनर वहां आया और उन्हें मुस्कुराते देख मर्जी से बोला..." क्या कपड़े बीके?"

    राधिका ने सिर हिलाया और सारे बिल्स की कॉपी उसे थमा दी, श्रव्या भी कुर्सी से खड़ी हो कर उसके चेहरे पर छपे भाव को पढ़ने की कोशिश करने लगी, जो संतुष्ट नहीं लग रहा था।

    उसने बिल मैनेजर को दे दिया और श्रव्या की ओर इस तरह देखने लगा, मानो कोई गलती ढूंढ रहा हो।

    श्रव्या ने कदम पीछे खींचे और धीरे से बोली..." मैने भी कुछ बेचे थे..सच में।"

    "तो फिर तुमने उन कपड़ों को अब तक पकड़े क्यों रखा है? उन्हे पूरा खराब कर दिया..देखो कितना पसीना लगा दिया तुमने उन कपड़ों पर। जानती भी हो कितने महंगे आते हैं वो।"....अचानक शॉप ओनर की चीख से श्रव्या हैरान हो गई, उसने जल्दी से कपड़ों को चेयर पर रख दिया और सिर नीचे कर अपराधबोध से बोली..."सॉरी सर।"

    "क्या तुम्हारे इस सॉरी से मेरा नुकसान पूरा हो जायेगा?उसे कौन खरीदेगा अब?"....शॉप ओनर की कटु वाणी गूंजी ही थी की तभी पीछे से एक बुलंद और स्पष्ट आवाज श्रव्या के कानो में पड़ी, जो इतनी जानी – पहचानी थी वो खुद को उस और देखने से रोक ना सकी।

    "मैं खरीदूंगा उसे।"....

    श्रव्या के साथ– साथ वहां मौजूद हर कोई उस आवाज को और मुड़ गया। ब्लैक इटालियन सूट पहने खड़े उस लम्बे आदमी ने चेहरे पर ब्लैक मास्क लगा रखा था, उसके आंखो पर चोपार्ड सनग्लास था, जो दूर से उसकी अमीरी को व्याख्या कर रहा था।

    शॉप ओनर इतने अमीर आदमी को अपने शॉप पर देख खुशी से आगे बढ़ा और उसके खिदमत में पेश होते हुए बोला...." सर! आपका स्वागत है, आप क्या खरीदना चाहते हैं? हमारे पास हर तरह का कलेक्..."

    इससे पहले की वो अपनी बात पूरी कर पाता, वो आदमी आगे बढ़ गया और सीधे श्रव्या के सामने खड़ा होते हुए बोला...." मैं उन्हीं कपड़ों को खरीदूंगा जो इस लड़की ने खराब कर दिए।"

    श्रव्य कल सुबह ही अपनी बातचीत अब तक भूल ही नहीं थी, उसे याद था कि अव्यान उस पर चिल्लाने के बाद उसे अकेले छोड़ कर चला गया था। यहां तक कि रात में उसे मनाने भी नही आया। फिर अचानक इस शॉप में आ कर उसके लिए स्टैंड लेने का क्या मतलब था? क्या वो पछता रहा था? या उस पर एहसान कर के उसे आनंद मिलता था?

    शॉप ओनर को उसकी बात समझ में नहीं आई, उसके लिए सबसे बड़ा प्रश्न ये था कि आखिर उस अमीर सख्श को उन कपड़ों को खरीदने में ही दिलचस्पी क्यों थी?

    "लेकिन सर! वो तो खराब हो चुके हैं.. उस पर इस नासमझ लड़की ने अपना पसीना.."...शॉप ओनर आगे बढ़ा और उसे समझाने की कोशिश कि लेकिन उसकी बात पूरी होने से पहले ही उस लम्बे आदमी ने उसका उपहास किया..." मुझे वह लोग पसंद नहीं जो लड़कियों की इज्जत नहीं करते, तुम्हें अपने हर एक शब्द को सोच समझ कर बोलना चाहिए जब तुम्हारे सामने एक लड़की खड़ी हो। वह तुम्हारे यहां काम करती है इसका मतलब यह नहीं कि तुम उससे गुलामी करवा सकते हो...याद रखो इससे तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो सकती है।"

    "क्या?"....शॉप ओनर की आंखे फैल गई, हालांकि उसने उसकी बात की गंभीरता को नही समझा और आगे बोला..." ये तो बस एक अनाड़ी सेल्स गर्ल है, इसे कुछ भी नही आता....काम करने के बजाए ये उन्हे बिगड़ना पसंद करती है।"

    इतना सुनना था कि अव्यान ने अपने चश्मे उतारे और बेहद ठंडी निगाहों से उसकी ओर घूरने लगा, इसकी आंखे  इतनी डरवानी थी कि शॉप ओनर की बोलती बंद हो गई।

    तभी श्रव्या ने अपने छोटे से बटुए से अव्यान का दिया हुआ ब्लैक कार्ड निकाला और उन दोनो के बीच आते हुए बोली..."मैं खरीद लूंगी।"

    कहते हुए उसने अव्यान को गुस्से से देखा फिर कपड़े उठा कर काउंटर पर चली गई, वहां खड़ी लड़की ने उसके हाथ में पड़े ब्लैक कार्ड के बड़े देर तक देखा, फिर अपना air झटकते हुए बोली..." मुझे नही पता था कि तुम इतनी अमीर हो।"

    "बिल बनाओ।"... श्रव्या ने गुस्से से कपड़ों को काउंटर पर पटक दिया और ब्लैक कार्ड को हथेली के पीछे छुपाने लगी, जैसे वो नही चाहती हो कि अव्यान की नजर इस पर पड़े।

    लेकिन, अव्यान ने पहले ही उसे देख लिया था, जो उसके होंठो पर मुस्कान ले आया, वो इस कार्ड के बारे में पूरी तरह भूल चुका था...अगर उसे याद होता तो वो कभी भी श्रव्या को बचाने नही आता।

    शॉप ओनर की निगाहे भी श्रव्या के हथेली में पड़े उस ब्लैक कार्ड पर ही टिकी थी, उसके लिए लिए मामला और अधिक पेचीदा हो गया। श्रव्या कंगाल हो चुकी थी, फिर अब तक उसके बाद ब्लैक कार्ड क्यों था? और यदि वो इस कार्ड की मालकिन थी फिर उसे काम करने की जरूरत ही क्या थी?

    कपड़े के पैसे दे कर श्रव्या ने सभी कपड़ो को एक ही बार में उठाया और अव्यान को घूरते हुए शॉप से बाहर निकल गई।

    शॉप ओनर को थोड़ी उत्सुकता हुई, उसने श्रव्या को अनदेखा किया और अव्यान की पलटे हुए बोला..."क्या आप उसे जानते हैं?"

    अव्यान को उसके सवाल का जवाब देने में कोई इंटरेस्ट नहीं था, उसने लंबे-लंबे कदम उठाए और श्रव्य के पीछे चला गया।

    बाहर बड़े से शीशे के दरवाजे के दूसरी ओर श्रव्या सड़क किनारे खड़ी हुई और जोर-जोर से लोगों को आवाज देते हुए कहने लगी..." फ्री!..फ्री!..फ्री!.. आई और मुफ्त में ले जाइए, ब्रांडेड और टिकाऊ कपड़े बिल्कुल मुफ्त। जल्दी लिए इससे पहले की कोई और लेकर चला जाए।"

    कुछ ही पलों में उसके आसपास एक बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसके हाथ जो भी लगा उन्होंने कपड़े उठाए और वहां से चले गए।

    दरवाजे के नजदीक खड़ा अव्यान उसके इस एटिट्यूड पर गर्व से मुस्कुराया, आज से पहले उसे कोई भी ऐसा नहीं मिला था जो उसके एटिट्यूड को टक्कर दे सके लेकिन, श्रव्या बिल्कुल अलग थी, उसमें कुछ तो बात थी जो अव्यान उसकी ओर खींचा जा रहा था।

    दूसरी ओर सड़क के दूसरे किनारे एक सफेद कार में बैठे आदमी की नजर श्रव्या पर पड़ी और उसने उसे पहली नजर में ही पहचान लिया, लगभग दो साल पहले पेरिस ट्रिप पर उसके श्रव्या को पहली बार देखा था, लेकिन वो जल्दी ही उसके आंखो से ओझल हो गई थी।
        आज दो सा बाद भी उस आदमी की निगाहें उसकी ओर खींच गई और उसने तिरछी मुस्कान के साथ कहा..." इंट्रेस्टिंग गर्ल।"

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    (क्रमश:)