यह कहानी है आशना की,,, जो एक प्रोफेशनल वकील है और अपने काम के लिए बहुत ही ज्यादा डेडिकेट है लेकिन उसे अपने बॉयफ्रेंड माहिर से बहुत प्यार है मगर माहिर से उसे अपने ही बर्थडे पर बहुत बड़ा धोखा मिलता है जिसके बाद वो बुरी तरह टूट जाती है और अपने बॉयफ्रेंड... यह कहानी है आशना की,,, जो एक प्रोफेशनल वकील है और अपने काम के लिए बहुत ही ज्यादा डेडिकेट है लेकिन उसे अपने बॉयफ्रेंड माहिर से बहुत प्यार है मगर माहिर से उसे अपने ही बर्थडे पर बहुत बड़ा धोखा मिलता है जिसके बाद वो बुरी तरह टूट जाती है और अपने बॉयफ्रेंड से बदला लेने के लिए एक कोल्ड हॉर्टेड पर्सन के करीब जाती है पर जैसे जैसे वो उसके करीब जाती है वैसे वैसे वो उसके प्यार मे पड जाती है पर बाद में उसे उस पर्सन के बारे में ऐसी बाते चलती है जिससे वो अपने ही जाल में फंस जाती है । क्या है उस कॉल्ड हार्टेड पर्सन के इरादे,,, क्या होगा आशना का सफर....
Shraddha
Healer
Ekyam
Hero
Aashna
Heroine
Mahir
Villain
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सुबह की हल्की धूप दिल्ली की ऊंची इमारतों पर पड़ रही थी। आशना अपने अपार्टमेंट की बालकनी में खड़ी थी, हाथ में कॉफी का मग थामे हुए थी । आज उसका 27वां जन्मदिन था। उसकी खूबसूरती ऐसी थी कि लोग उसे देखकर रुक जाते,, गोरी चमकती त्वचा, लंबे घुंघराले बाल, और गहरी भूरी आंखें, जो जिंदगी में बहुत कुछ कहना चाहती थीं। लेकिन आशना सिर्फ खूबसूरत चेहरा नहीं थी; वो एक टॉप लॉ फर्म में वकील थी, जहां उसकी प्रैगमैटिक सोच और आत्मविश्वास कोर्टरूम में जज को भी इम्प्रेस कर देता था । उसकी लाइफ इतनी बिजी थी कि वो देर रात घर लौटती और सुबह जल्दी फिर ऑफिस निकल पड़ती। पर्सनल लाइफ? वो तो जैसे बस नाम की थी।
मगर आज का दिन अलग था। आशना ने सोचा था कि वो अपने बॉयफ्रेंड माहिर के साथ शाम बिताएगी। माहिर, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जिसकी सादगी और केयरिंग नेचर आशना को हमेशा सुकून देती थी। वो दोनों दो साल से साथ थे, और आशना को लगता था कि माहिर ही वो इंसान है जो उसकी तेज रफ्तार जिंदगी को थामता है। जो उससे सच्चा प्यार करता है, वो उससे बहुत प्यार करती थी, इतना कि वो उसके साथ अपना हर दिन बिताना चाहती थी ।
"आज शाम को कैंडललाइट डिनर, मूवी, और बस हम दोनो," उसने मुस्कुराते हुए खुद से कहा। वो आज बहुत खुश थी, उसने जल्दी से फोन उठाया और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। ब्लैक पैंटसूट, व्हाइट शर्ट, हाई हील्स—उसका रोज का स्टाइल था। आज बर्थडे था, तो उसने हल्की पिंक लिपस्टिक लगाई, बालों को साफ-सुथरी पोनीटेल में बांधा, और आंखों में हल्का काजल लगाया।
ऑफिस पहुंचते ही दिन की भागमभाग शुरू हो गयी थी । मीटिंग्स, क्लाइंट कॉल्स, केस फाइल्स—आशना का रूटीन यही था। लेकिन आज वो शाम 7 बजे तक फ्री होना चाहती थी।
दोपहर में उसने माहिर को मैसेज किया, "माहिर, आज शाम सरप्राइज है न? तुम फ्रि हो जाओगे न?"
सामनें से माहिर का जवाब आया, "बिल्कुल, बेबी। इंतजार कर रहा हूं। हैप्पी बर्थडे फिर से मेरी जान! ❤️" आशना की मुस्कान गहरी हो गई। उसकी बिजी लाइफ में ये छोटे-छोटे पल उसका फ्यूल थे। वो आज बहुत एक्साइटेड थी,, आखिर कार महिनो की थकान को वो आज माहिर की बांहो में खत्म करना चाहती थी ।
शाम 6 बजे, आशना डेस्क समेट रही थी, तभी उसका फोन वाइब्रेट हुआ। स्क्रीन पर मिस्टर शर्मा का नाम—एक हाई-प्रोफाइल क्लाइंट, जिसका केस वो हैंडल कर रही थी।
"हेलो, मिस आशना? इमरजेंसी है। अभी मीटिंग चाहिए। आ सकती हैं?" उनकी आवाज में हड़बड़ी थी। आशना की सांस रुक-सी गई।
आज? वो कुछ पल के लिये खामोश हो गयी,, सामनें से दोबारा मिस्टर शर्मा नें आवाज दी वो होश में आयी उसका दिल तो मना करना चाहता था लेकिन वो प्रोफेशनल थी, और काम को इग्नोर नहीं कर सकती थी।
"ठीक है, सर। लोकेशन शेयर करें," उसने शांत स्वर में कहा, लेकिन उसकी आंखों में उदासी तैर रही थी। माहिर के साथ का प्लान—सब चौपट हो गया था।
वो माहिर को कॉल करने ही वाली थी कि तभी दूसरा कॉल आया।
"श्रद्धा" उसकी बेस्ट फ्रेंड, एक डॉक्टर, जिसकी लाइफ भी आशना जितनी ही भागदौड़ वाली थी—लेट नाइट हॉस्पिटल शिफ्ट्स, इमरजेंसी केस में वो भी उलझी रहती थी। इसलिये दोनों एक-दूसरे की जिंदगी को अच्छे से समझती थीं।
"हाय, श्रद्धा? कैसी हो" आशना ने कॉल उठाया, उसकी आवाज में हल्की सी थकान थी।
"आशू! हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे डियर आशू..." श्रद्धा ने जोर से गाना शुरू किया, जैसे वो सामने केक काट रही हो।
वो थोडा उदास होकर आगे बोली "सॉरी यार, दिन भर ऑपरेशन थिएटर में फंसी थी। अब फ्री हुई। तू बता, क्या प्लान है? माहिर के साथ रोमांटिक डिनर?"
वो उसे छेड रही थी,, तो आशना के होंठों पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन वो जल्दी गायब हो गई।
वो निराश भाव से बोली "थैंक्स, श्रद्धा। लेकिन... प्लान कैंसल हो गया। अभी क्लाइंट का कॉल आया। इमरजेंसी मीटिंग। मुझे जाना पड़ रहा है।"
"अरे, क्या? आज तेरा बर्थडे है, आशू!" श्रद्धा की आवाज में हैरानी थी ।
" ह्म्म..."
"माहिर को बताया?"
"अभी बताने वाली थी, लेकिन... समझ नहीं आ रहा वो कैसे रिएक्ट करेगा, वो भी इतना एक्साइटेड था, मैं सचमुच परेशान हूं, श्रद्धा, ये दिन हमारे लिए खास था, बस थोड़ा सा टाइम साथ चाहिए था, लेकिन ये लाइफ... हर बार कुछ न कुछ हो ही जाता है "
श्रद्धा भी दुःखी हो गयी थी, वो आशना को गले लगाना चाहती हो।
"आशू, सुन। मैं जानती हूं ये कितना बुरा लगता है। मैंने भी कितनी डेट्स कैंसल की हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसे सैक्रिफाइस करने पड़ते हैं। तू इतनी मेहनती और कमिटेड है, यही तेरी ताकत है। माहिर समझेगा। वो तुझे सपोर्ट करता है न? बर्थडे तो फिर से आएगा, लेकिन ऐसे मौके जो तुझे प्रोफेशनली ग्रो कराएं, वो कम मिलते हैं। जाकर मीटिंग में रॉक कर, और बाद में माहिर से बात करना,, और एक डिनर प्लान कर लेना,,,मैं तेरे साथ हूं, हमेशा।"
आशना ने गहरी सांस ली, उसकी आंखें नम थीं, लेकिन उसने खुद को संभाला। "तू सही कह रही है, श्रद्धा। थैंक्स। तू नहीं होती तो मैं सचमुच परेशान ही हो जाती। ठीक है, अब माहिर को कॉल करती हूं। लव यू।"
"लव यू टू, आशू। और हैप्पी बर्थडे फिर से। जल्दी मिलते हैं," श्रद्धा ने कहा और कॉल कट गया।
आशना ने फोन को पकड़े हुए माहिर का नंबर डायल किया। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।
"हेलो, बेबी?" माहिर की आवाज आई, हमेशा की तरह नरम और प्यार भरी थी।
"हाय, माहिर। सुनो... मुझे सॉरी कहना है,आज का प्लान... कैंसल हो रहा है। क्लाइंट का इमरजेंसी कॉल आया। मुझे मीटिंग के लिए जाना पड़ रहा है। मैं सचमुच परेशान हूं। आज का दिन हमारे लिए कितना खास था।"
माहिर की आवाज में कोई गुस्सा नहीं था।
वो उसे समझाते हुए बोला "अरे, बेबी, कोई बात नहीं। मैं समझता हूं। तुम प्रोफेशनल पर्सन हो, और ये तुम्हारी जॉब का हिस्सा है। मैं तुम्हारे साथ हूं, हमेशा। जो भी तुम करोगी, मैं सपोर्ट करूंगा। बर्थडे तो हम वीकेंड पर भी सेलिब्रेट कर सकते हैं। तुम टेंशन मत लो, मैं तो तुमसे हमेशा बहुत प्यार करता हूं।"
यह बाते सुन आशना के चेहरे पर हल्की मुस्कान लौट आई। माहिर की बातें सुनकर उसका दिल थोड़ा हल्का हुआ। वो मन ही मन सोचने लगी—कितना अच्छा है माहिर, कितना समझता है मुझे।
"थैंक्स, माहिर। तुम सच में बेस्ट हो। मैं भी तुमसे बहुत बहुत सारा प्यार करती हूं। हम एक दो दिन में प्लान करके मिलते हैं।"
माहिर नें ठीक है कहा और उसे एक प्यार भरी किस दी । आशना बहुत अच्छा महसूस कर रही थी,, कॉल कटते ही आशना ने खुद को समेटा। वो अपनी बॉस, मिसेज़ कपूर, के साथ कार में बैठी थी। मिसेज़ कपूर सीनियर पार्टनर थीं, सख्त लेकिन फेयर थी,
रात के नौ बजे,,,
मीटींग में पहुचने के बाद आशना ने रूड क्लाइंट को इतनी चतुराई से हैंडल किया कि मिस्टर शर्मा को केस जीतने का पूरा विश्वास हो गया । वो आशना और मिसेज कपूर पर पूरा भरोसा दिखाते है और आशना नें भी उन्हें समझाया कि दूसरी पार्टी की सारी एलिगेशन झूठी साबित हो जाएगी और कल उनकी इमेज पर जो भी दाग लगे है वो भी खत्म हो जाएगे बस कल बार वो कल कोर्ट में पहुच जाये ।
मिस्टर शर्मा को आशना की बाते सुन बहुत खुशी होती है । कुछ देर बाद,वापसी में कार में मिसेज़ कपूर ने कहा, "आशना, तुमने आज फिर कमाल कर दिया, मिस्टर शर्मा जैसे क्लाइंट को संभालना कोई आसान काम नहीं। पर तुमने तो सच में कमाल कर दिया,,,तुम्हारी तारीफ बनती है।"
"थैंक यू, मैम," आशना ने शांत स्वर में कहा, वो जानती थी कि अभी कल कोर्ट में भी जीतना जरूरी है वरना मिस्टर शर्मा को समझाना नामुमकिन होगा,, अनायास ही उसका ध्यान कहीं और चला गया था। उनकी कार ट्रैफिक में फंसी थी। बाहर शाम का धुंधलापन छा रहा था, और स्ट्रीट लाइट्स जल रही थीं। आशना की नजर एक कैफे के बाहर गई। वहां माहिर खड़ा था। लेकिन अकेला नहीं था। उसके साथ एक लड़की थी— जोलंबे बाल, स्किनी जींस, टॉप में थी। वो दोनों इतने करीब थे कि माहिर का हाथ उसकी कमर पर था, और वो उसे अपनी तरफ खींच रहा था। दोनों हंस रहे थे, जैसे दोनो के बीच कोई पुराना रिश्ता हो। लड़की ने माहिर के गाल पर हाथ रखा, और माहिर ने मुस्कुराते हुए उसे और करीब किया।
यह देख आशना की सांस जैसे थम गई। वो अपनी आंखो को मसलती है,, वो माहिर ही था,, उसका चेहरा पीला पड़ गया, और हाथों में हल्का कंपन सा आया। वो एकदम खामोश थी पर अंदर शोर उठ रहा था,, उसकी आंखें उस सीन को गौर से देख रही थीं, जैसे दिमाग कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो।
"आशना, सब ठीक है?" मिसेज़ कपूर ने पूछा। उसका बिहेवियर अचानक ही बदल गया था उसे देखकर मिसेज कपूर भी हैरान थी ।
वो होश में आयी और धीमी आवाज में बोली "हां, मैम,,, बस थोड़ा सिरदर्द," उसने शांत स्वर में जवाब दिया, लेकिन उसकी आवाज में हल्की सी कंपकंपी थी।
ट्रैफिक हट गया,, और कार आगे बढ़ गई, लेकिन आशना का दिमाग उसी सीन में अटक गया था। माहिर का प्यार, उसकी बातें—क्या सब झूठ था? उसका जन्मदिन, जो इतना खास होने वाला था, अब एक अनचाहा सवाल बन चुका था। वो शांत थी, कंट्रोल में थी, लेकिन अंदर से एक तूफान उठ रहा था। उसने अपने आप को सम्भाला हुआ था पर वो ही जानती थी कि यह सीन देखकर उसके दिल का अंदर से क्या हाल हो गया था ।
" क्या होगा आगे? क्या करेगी आशना,,, क्या वो माहिर को इस धोखे के लिये माफ कर पाएगी,,,,"
कार की पिछली सीट पर बैठी आशना की आंखें अब भी उस सीन को याद कर रही थी,,, सब कुछ इतना स्पष्ट था कि वो चाहकर भी भूल नहीं पा रही थी। मिसेज कपूर ने उसे घर के बाहर ड्रॉप किया, और जाते-जाते कहा, " अच्छे से आराम करो, आशना,, कल कोर्ट में हमें जीतना है।" आशना ने बस सिर हिलाया, लेकिन उसके अंदर का तूफान अब और तेज हो चुका था। वो अपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ती गई, हर कदम के साथ दिल भारी होता जा रहा था। घर पहुंचते ही उसने दरवाजा बंद किया, और बालकनी की तरफ बढ़ी जहां सुबह वो इतनी खुश थी। अब वो जगह भी उदास लग रही थी।
उसका फोन अब भी वाइब्रेट कर रहा था,,, श्रद्धा के मैसेज, फैमिली के बर्थडे विशेज, लेकिन वो किसी को जवाब नहीं देना चाहती थी।
माहिर... क्या वो सच में झूठा था? या कोई गलतफहमी? नहीं, वो जो देखा था, वो सच्चाई थी,, लेकिन फिर भी, दिल मानने को तैयार नहीं था। उसने गहरी सांस ली, खुद को संभाला, और फोन उठाकर माहिर का नंबर डायल किया। रिंग गई, और दूसरी तरफ से माहिर की आवाज आई— एकदम नरम, प्यार भरी आवाज जो हमेशा उसे सुकून देती थी।
"हेलो, बेबी? सब ठीक है? मीटिंग कैसी रही?" माहिर ने पूछा, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
आशना ने खुद को कंट्रोल किया, उसकी आवाज में वही पुराना प्यार था। वो नहीं चाहती थी कि अभी कुछ पता चले।
"हां, माहिर। मीटिंग ठीक थी। बस... थक गई हूं। तुम कहां हो?"
माहिर ने हल्के से हंसते हुए जवाब दिया, "मैं? अरे, मैं तो ऑफिस से अभी घर जा रहा हूं, बेबी। ट्रैफिक में फंसा हूं क्यों, क्या हुआ? यार आज तो मैं काफी थक गया हूंं,,, मुझे तो बहुत नींद भी आ रही है, आज का दिन लंबा था। अब बस सोना चाहता हूं,,, कल सुबह जल्दी उठना है तुम भी आराम करो, थक गयी होगी,"
आशना की सांस रुक गई। घर जा रहा हूं? नींद आ रही है? वो झूठ बोल रहा था, बिल्कुल साफ-साफ झूठ । उसने फोन कान से लगाए रखा, लेकिन दूसरी हाथ से अपना टैबलेट उठाया। वो और माहिर ने लोकेशन शेयरिंग ऑन रखी थी, बस कभी एक-दूसरे पर ट्रस्ट दिखाने के लिए,,, । टैबलेट पर मैप ओपन किया, और वहां माहिर की लोकेशन ब्लिंक कर रही थी—एक पॉपुलर बार की, वही कैफे के पास वाला जहां वो उसे देख चुकी थी। दिल जैसे किसी ने चाकू घोंप दिया हो। झूठ... सब झूठ बोला जा रहा था । लेकिन वो अभी कुछ नहीं बोली। उसकी आवाज अभी भी शांत थी,
"ओके, माहिर। गुड नाइट।"
"लव यू बेबी। सो जाओ," माहिर ने कहा और कॉल कट गया।
आशना ने फोन नीचे रखा, उसकी आंखें नम हो गईं, लेकिन वो रोई नहीं । नहीं, अभी नहीं रो सकती हूं,,,। वो उठी, अलमारी से अपना स्कार्फ निकाला—उसने उसे गले में लपेटा, चाबियां उठाईं, और बाहर निकल गई। कार स्टार्ट की, और सीधे उस बार की तरफ ड्राइव करने लगी। रास्ते में ट्रैफिक था, स्ट्रीट लाइट्स चमक रही थीं, लेकिन उसका दिमाग सिर्फ एक चीज पर अटका था— क्या वो वाकई वैसा है? या कोई गलतफहमी हो रही है ?
बार पहुंचते ही उसने कार पार्क की। बाहर से ही म्यूजिक की आवाज आ रही थी, लोग हंस रहे थे, पार्टी का माहौल था। आशना ने गहरी सांस ली, स्कार्फ को और टाइट किया, और अंदर चली गई। डिम लाइट्स, स्मोक, और भीड़ ही भीड थी । उसकी नजरें माहिर को ढूंढ रही थीं। और फिर... वो एक जगह बैठा दिखायी दिया । बार के एक कोने में, सोफे पर बैठा माहिर—एकदम प्लेबॉय लग रहा था । उसके चारों तरफ चार-पांच लड़कियां थीं, सब हंस रही थीं, ड्रिंक्स पी रही थीं। माहिर का एक हाथ एक लड़की की कमर पर था, वो उसे अपनी तरफ खींच रहा था, और दूसरे हाथ से दूसरी लड़की के थाई को टच कर रहा था। अचानक, वो झुका और एक लड़की के होंठों पर किस कर दिया,,, गहरा, पैशनेट किस,, लग रहा था जैसे वो उस लडकी के होंठो को चबा जाना चाहता हो,,, । बाकी लड़कियां हंस रही थीं, जैसे ये उनका रूटीन हो। एक लडकी के सीने पर उसका हाथ था,,, वो उसके सीने को दबा रहा था ।
यह सब देखकर जैसे आशना की दुनिया जैसे रुक गई। क्या था यह सब ? उसे सदमा लगा,,, सदमा इतना गहरा था कि उसके पैर लड़खड़ा गए। वो दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो गई, सांस तेज चल रही थी। दिल धड़क रहा था, आंखें जल रही थीं। गले में जैसे पत्थर अटक गया हो,, वो रोना चाहती थी पर रो भी नही पा रही थी ।
ये माहिर था? वही माहिर जो उसे जान से बढकर कहता था, जो उसके काम को सपोर्ट करता था? वो प्लेबॉय. है,,, धोखेबाज है,,,!!
वो कुछ पलो तक ऐसे ही जम गयी,, लोग उसे ठोकर मारकर जा रहे थे पर उसे तो कोई फर्क ही नही पड रहा था। बडी मुश्किल से वो खुद को संम्भाला,,, अभी रोना नहीं है अभी बिल्कुल नहीं। वो सीधी उसकी तरफ बढ़ी, भीड़ को चीरते हुए। माहिर अभी भी उस लड़की को किस कर रहा था, जब आशना उसके सामने पहुंची।
उसनें माहिर का कॉर्लर पकडकर खींचांं और बिना सोचे समझे एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर लगा दिया —आशना ने अपना सारा गुस्सा उस थप्पड़ में उतार दिया। माहिर का चेहरा एक तरफ हो गया, लड़कियां चौंक गईं, म्यूजिक अभी भी बज रहा था लेकिन वो कोना शांत हो गया। माहिर ने हैरानी से ऊपर देखा, और उसके चेहरे पर पहले आश्चर्य भर आया, लेकिन फिर गुस्सा दिखायी देने लगा । वो उठ खड़ा हुआ, उसकी आंखें लाल हो गयी ।
आशना की आंखों से आंसू बहने लगे, वो आंखो में आंसू भरते हुए बोली, "मेरे बर्थडे पर ऐसा गिफ्ट दोगे, माहिर? मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम... तुम ऐसा करोगे। तुम्हारा प्यार, वो सारी बातें, सब झूठ था? मैंने तुम्हें अपना सब कुछ माना, तुम्हारे लिए मैंने कितना कुछ छोड़ा, और तुम... इन लड़कियों के साथ? तुम ऐसा कैसे कर सकते हो!! मैं तुमसे इतना प्यार करती थी, हर दिन तुम्हारे बारे में सोचती थी, और तुम... ये सब? तुम्हें मुझसे झूठ बोलने में एक बार भी शर्म नही आयी,,,,"
माहिर ने गुस्से से उसे घूरा, उसके चेहरे पर अब कोई इनोसेंस नहीं था—बस क्रूरता थी । वो चिल्लाया, "तुम यहां क्या करने आई हो, आशना? ये मेरी प्राइवेट लाइफ है! जाओ यहां से, मुझे डिस्टर्ब मत करो!"
आशना को उसकी बात सुनकर और उसका रवैया देखकर और बुरा लगा। वो सदमे में थी, लेकिन गुस्सा भी था। उसने माहिर की कॉलर पकड़ ली, जोर से खींचा, और बोली, " प्राइवेट लाइफ,,,?? कैसी प्राइवेट लाइफ, हां,,,क्यों किया तुमने यह सब, माहिर? क्या मिला यह करके? मैंने तुम पर कितना ट्रस्ट किया, कितना प्यार दिया, और तुमने मुझे धोखा दिया? वो सारी रातें, वो प्रॉमिसेज, सब झूठ? बताओ, क्यों? क्या मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं थी?"
माहिर ने अपना हाथ झटका, उसे खुद से दूर धकेल दिया—इतनी जोर से कि आशना पीछे लड़खड़ा गई। वो हंसते हुए बोला, "क्योंकि मैं ऐसा ही हूं, आशना। तुम्हें पता आज चला तो इसमें मेरी क्या गलती है? चलो, अच्छा हुआ, अब मुझे नाटक तो नहीं करने पड़ेंगे। दो साल से मैं तुम्हारे साथ हूं, लेकिन तुम तो खुद को छूने भी नहीं देती थीं। हमेशा काम, काम, काम। अब मैं भी तो लड़का हूं, मुझे तो इन सब चीजों की जरूरत है—फन, एक्साइटमेंट, बॉडी की नीड,,, तुम्हारी तरह बोरिंग लाइफ नहीं जी सकता। और वैसे भी, तुम्हें जिस चीज की जरूरत है, वो तो मैं तुम्हें दे ही रहा हूं।"
वो यह सब सुन दंग रह गयी,,, आशना हैरान होकर उसे देखती रही, आंसू बहते जा रहे थे।
वो उसे देखते हुए बोली "मुझे... मुझे किस चीज की जरूरत है, माहिर? बताओ?"
माहिर ने ठंडे स्वर में कहा, "पैसों की, आशना,,, पैसों की। तुम कितना कमाती हो? एक लाख महीना? हाहा, और मेरा तो खर्चा ही लाखो में है,, मैं अमीर हूं, मेरी कंपनी, मेरी लाइफस्टाइल। तुमने तो बस मेरा पैसा देखकर ही तो मुझसे प्यार किया था, है न? तुम्हारी वो महंगी ड्रेसेज, गिफ्ट्स, ट्रिप्स—सब मैंने दिए। तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारे प्यार के लिए ये सब कर रहा था? नहीं, तुम मेरे लिए एक ट्रॉफी थीं—एक हॉट लॉयर गर्लफ्रेंड,,, जिसको मैं सभी के सामनें दिखा सकता था,,, लेकिन अब बस हो गया,, अगर तुम मेरे साथ इन. सब के बावजूद भी रहना चाहती हो तो रहो वरना मत रहो,, वैसे तो तुम रहोगी क्योंकि यू नीड माय मनी,, आई कैन गीव यू ऑल द हैप्पीनेस ऑफ द वर्ल्ड,,,!! "
माहिर अभी भी अपनी अकड़ में था,, वो यह सब बोलता जा रहा था पर आशना को ये शब्द जैसे तीर की तरह लगे। हर्ट इतना गहरा हुआ था कि वो सोच भी नहीं सकती थी। जिस लड़के से वो इतना प्यार करती थी, वो ऐसा सोचता था? पैसा? वो कभी पैसों के लिए नहीं थी उसके साथ। वो उसके केयरिंग नेचर के लिए थी, उसके सपोर्ट और उसके प्यार की वजह से उसके साथ थी । लेकिन अब सब टूट चुका था।
माहिर ने और बुरा भला कहा, "तुम जैसे लड़कियां बस अमीर लड़कों के पीछे भागती हो। गोल्ड डिगर! जाओ, अपनी लॉ फर्म में जाकर रोओ। मुझे मत डिस्टर्ब करो, मेरी सारी पार्टी खराब कर दी।"
आशना का दिल टूट चुका था। उसने गले से वो लॉकेट निकाला—वही लॉकेट जो माहिर ने उसे पहली एनिवर्सरी पर दिया था, दिल के शेप का। उसने उसे जोर से पूरी ताकत से माहिर के मुंह पर मारा, और बोली, "ये लो अपना गिफ्ट वापस,,, तुम जैसे धोखेबाज के साथ मैं कभी नहीं रह सकती। पर याद रखना एक दिन तुम मेरे सामनें गिडगिडाओगे,, रोओगे और तब तुम्हें मैं अपने पैरो पर गिराकर माफी मंगवाऊंगी,,, तुमने जो किया है वो तुम्हारी लाइफ की सबसे बडी गलती साबित होगा,,,,"
इतना कहकर वो तेजी से मुड़ी और बार से बाहर निकल गई, आंसू बहते जा रहे थे लेकिन वो अब रुकना नहीं चाहती थी।
वो कार में बैठी,कार स्टार्ट की, और रोते हुए बस ड्राइव करने लगी। रास्ते में वो रोना रोक नहीं पाई। आंसू ऐसे बह रहे थे जैसे बांध टूट गया हो।
वो चीख उठीं,,, कल उसकी इतनी जरूरी मिंटिग थी,, पर आज उसका सबकुछ खत्म हो गया था ।
"कैसे... कैसे कर सकता है वो?" वो खुद से बड़बड़ाती जा रही थी। ट्रैफिक में कार रुकी, तो वो स्टीयरिंग पर सिर रखकर बहुत रोई। घर पहुंचते-पहुंचते रात के 11 बज चुके थे।
घर में घुसते ही उसने माहिर का दिया हर सामान निकाला—वो चैन, गिफ्ट्स, फोटोज, कपड़े,सब कुछ एक जगह इकट्ठा किया, और बालकनी में आग जलाई, उसनें उस आग में सब जला दिया। आग की लपटें देखकर उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ, लेकिन दर्द नहीं ।
वो रात भर रोती रही—सोफे पर बैठी, घुटनों में सिर छिपाकर। फोन बजता रहा—डैड-मॉम के कॉल्स, श्रद्धा के मैसेज, लेकिन वो किसी का भी रिसीव नहीं किया। दिल्ली की अकेली रात में वो अकेली अपने अपार्टमेंट में बैठी थी, टूटे दिल के साथ, जहां उसनें आज अपना पहला प्यार खो दिया था,,, उसकी बाते आशना के लिये किसी गहरे जख्म की तरह बन गयी थी । बाहर की लाइट्स चमक रही थीं, लेकिन उसके अंदर अंधेरा था।
वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली की एक ऊंची इमारत के ऑफिस में, खिड़की के पास एक आदमी खड़ा था। चेहरा अंधेरे में छिपा था, सिर्फ सिल्हूट दिख रहा था—लंबा कद, सूट पहने । वो नीचे दिल्ली की चमचमाती बिल्डिंग्स और सड़कों को देख रहा था, जहां से अभी कुछ देर पहले उसने आशना को कार ड्राइव करते जाते देखा था। उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
"मिस कॉर्पोरेट लॉयर..." वो खुद से बड़बड़ाया, और मुस्कुरा दिया, उसकी मुस्कुराहट काफी अलग थी पर उतनी ही अजीब भी । न जाने वो आशना के बारे में क्या सोच रहा था ।
अगली सुबह सूरज की पहली किरणें दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर पड़ रही थीं, लेकिन आशना के अपार्टमेंट में अंधेरा अभी भी छाया हुआ था। रात भर की नींद न आने की वजह से उसकी आंखें सूजी हुई थीं, चेहरा थका हुआ लग रहा था। फोन पर अलार्म बजा, और वो उठ बैठी। कल की घटनाएं अभी भी उसके दिमाग में घूम रही थीं— वो कुछ भी एक पल के लिये भी भूल नही पायी थी । दिल जैसे किसी ने फिर से चीर दिया हो। लेकिन आज का दिन खास था। मिस्टर शर्मा का केस—एक बड़ा कॉर्पोरेट डिस्प्यूट, जहां लाखों रुपए दांव पर थे। आशना जानती थी कि अगर वो हार गई, तो उसकी करियर पर बुरा असर पड़ेगा। वो खुद को आईने में देखती हुई बड़बड़ाई, " मैं माहिर जैसे धोखेबाज के लिए अपना सब कुछ बर्बाद नहीं कर सकती।"
वो उठी, ठंडे पानी से मुंह धोया, और तैयार होने लगी। ब्लैक सूट, व्हाइट शर्ट, बालों को टाइट बन में बांधा,, हमेशा की तरह उसका एक परफेक्ट प्रोफेशनल लुक। नाश्ता करने का मन नहीं था, लेकिन उसने जबरदस्ती एक कप कॉफी पी ली। फोन पर बॉस मिसेज कपूर का मैसेज आया:
" मिस्टर कपूर तुम्हारा वेट कर रहे होगें,,," आशना ने जवाब दिया:
"औकें, मैम,,,," वो नीचे आयी,, कार स्टार्ट की और कोर्ट की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में ट्रैफिक था, लेकिन उसका दिमाग केस की डिटेल्स पर फोकस करने की कोशिश कर रहा था। माहिर की यादें आतीं, तो वो रेडियो ऑन कर देती।
कोर्ट पहुंचते ही मिस्टर शर्मा मिले—एक मिडिल एज बिजनेसमैन, जिनकी कंपनी पर फ्रॉड का आरोप था। वो आज थोड़े नर्वस लग रहे थे।
"आशना, आज सब कुछ तुम्हारे हाथ में है," उन्होंने कहा।
आशना ने मुस्कुराकर कहा, "चिंता मत कीजिए, सर। हम ही जीतेंगे।"
कोर्ट रूम में एंट्री की, जज साहब आए, और हियरिंग शुरू हुई। दूसरी तरफ के वकील ने मजबूत आर्ग्यूमेंट्स दिए—एविडेंस दिखाए, विटनेस बुलाए।
आशना ने हर छोटी छोटी बात पर फोकस किया। वो हर पॉइंट पर काउंटर जवाब देती, उसनें सारे वेलिड डॉक्यूमेंट्स दिखाए, लीगल प्रेसिडेंट्स कोट किए । उसकी आवाज में कॉन्फिडेंस था,
"योर ऑनर, ये आरोप बेबुनियाद हैं। हमारे क्लाइंट की कंपनी ने सभी रेगुलेशंस फॉलो किए हैं,,, मिस्टर मेहरा नें शर्मा इंडस्ट्री पर जितने भी इल्जाम लगाये है सब बेबुनियाद है,,,," वो बोली, और एक-एक करके विपक्ष के आर्ग्यूमेंट्स को तोड़ती गई।
मिस्टर शर्मा कोर्ट रूम में बैठे उसे देखकर हैरान थे। वो इतनी शार्प थी, इतनी डिटेल्ड कि सब उसे देखते ही रह गये । हियरिंग खत्म हुई, और जज ने फैसला सुनाया—
कोर्ट रूम में तालियां बजीं। मिस्टर शर्मा उठे और आशना से हाथ मिलाया।
"आशना, तुम कमाल हो! मैं इम्प्रेस हूं। तुम्हारी वजह से आज मैं बच गया। थैंक यू सो मच!" उन्होंने कहा, उनकी आंखों में कृतज्ञता थी।
आशना ने भी मुस्कुराकर कहा, "वेलकम, सर,,, ये मेरा काम है।"
वो तेजी से कोर्ट से बाहर निकली, सीढ़ियां उतर रही थी। सूरज चमक रहा था, लोग इधर-उधर जा रहे थे। तभी एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आया,,,, एक यंग मैन, सूट पहने हुए था , वो कोई अजनबी था ।
" हैल्लो मैडम, क्या आप प्लीज हमारे साथ चल सकती हैं? हमारे सर आपसे मिलना चाहते हैं। वो आपको ड्राइव पर ले जाना चाहते हैं!!" उसने कहा, जैसे कोई बड़ा ऑफर हो।
आशना रुक गई। कल की घटनाओं की वजह से उसका गुस्सा अभी भी उबाल पर था। यह सब सुनकर उसे माहिर की याद आई ।
" सारे आदमी मौकापरस्त होते है " वो मन में बोली ।
आशना का चेहरा लाल हो गया। "क्या बकवास है ये? मैं किसी रोड छाप मजनू को एंटरटेन करने नहीं बैठी हूं! जाओ यहां से, और अपने सर को बोलो कि ऐसी हरकतें किसी और के साथ करें। मुझे मत डिस्टर्ब करो!" वो चिल्लाई, अपना सारा गुस्सा निकालते हुए वो उसे घूरकर देखती है,, वो आदमी हैरान रह गया, लेकिन आशना ने उसे और नहीं सुना । वो तेज कदमों से सीढ़ियां उतर गई, कार की तरफ बढ़ी। पीछे से वो आदमी उसे देखता रहा, लेकिन कुछ नहीं कहा। वहीं पास ही एक लग्जरी कार में बैठा एक सख्स उसे देख रहा था। आशना के गुस्से को देखकर उसने गहरी सांस ली।
तभी वो उसका आदमी वापस कार में आया और उसने पूछा, "सर वो तो सुनना ही नही चाहती है,, अब, क्या करें?"
" किसी ओर से बात करो,,,!! " वो आदमी गंभीर होकर बोला ।
इधर,,, आशना कार में बैठी, इंजन स्टार्ट किया, और ऑफिस की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में फोन पर मिसेज कपूर का कॉल आया।
"आशना, गुड जॉब! तुमनें तो एक ओर केस जीत लिया,,!! मैं तो तुमसे बहुत खुश हूं,,, सच में तुम लाजबाव हो,,,,," आशना ने स्पीकर ऑन किया और बात करने लगी।
"थैंक्यू मैम,,,, आपकी गाइडेन्स की वजह से ही सब हुआ है,,, " वो ड्राइव करते हुए बात कर रही थी, तभी एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी। बगल में एक लग्जरी होटल था। अचानक ही उसकी नजर वहां गई— सामनें देखकर वो स्तब्ध रह गई। वहां माहिर था ! एक खूबसूरत लड़की के साथ—वो लड़की छोटे कपड़ों में थी, मिनी ड्रेस, हाई हील्स, उसनें हंसते हुए माहिर की बांह पकड़ी हुई थी । माहिर उसे होंठो पर किस कर रहा था, और दोनों होटल के अंदर जा रहे थे। यह देखकर आशना का दिमाग हिल गया। कल रात का दृश्य फिर से जीवित हो गया। "
सिग्नल ग्रीन हुआ, लेकिन आशना का ध्यान भटक गया। वो एक्सीलरेटर दबाती हुई आगे बढ़ी, लेकिन सामने वाली कार को ठीक से नहीं देखा। उसनें अचानक ब्रेक लगा दिया था, लेकिन उसे देर हो गई— उसकी कार सामने वाली से टकरा गई, बंपर थोड़ा डेंट हो गया था ।
"ओह नो,,, गॉड!" वो चिल्लाई। मिसेज कपूर कॉल पर थीं।
सामनें से कॉल पर आवाज आयी "आशना, क्या हुआ?
आशना ने बताया, "मैम, एक छोटा एक्सीडेंट हो गया,,, ध्यान भटक गया था मेरा,,,
" तुम्हें चोट आ गयी है तो हॉस्पिटल जाओ फटाफट,,,!! "
" पर मैम,, मैं ठीक हूं, ..."
मिसेज कपूर ने कहा, " मैनें कहा न,,, तुरंत हॉस्पिटल जाओ,,, चेकअप कराओ,,, आशना ने मना किया पर उसकी बॉस नही मानी तो उसनें अनमने मन से हां कहा और कार साइड में लगाई। उसका हाथ थोड़ा छिल गया था, खून आ रहा था। उसनें सामनें वाले ड्राइवर से माफी मांगी और कम्पनशेशन दिया....
वो हॉस्पिटल पहुंची— उसनें अपने बारे में रिसेप्शन पर बताया, और वो वेटिंग रूम में बैठ गई।
थोड़ी देर बाद नर्स आई, "आशना मैम, अंदर आइए,,,," वो नर्स के साथ एक इमरजेंसी रूम में गई। वहां डॉक्टर सौम्या थी,, उसकी सबसे खास फ्रेंड ।
सौम्या ने उसे देखा और खुशी से चिल्लाई, "आशना! ओएमजी, तुम यहां? क्या हुआ?"
आशना नें हाथ आगे कर दिया तो सौम्या नें उसे घूरा,,, वो उसे डाटते हुए बैंडेज बांधने लगी।
आशना ने मुस्कुराने की कोशिश की, " बस भी कर यार,, मेरी मां बन गयी है तु तो,,, बस एक छोटा एक्सीडेंट ही तो है,,,, !!!
" अगर आगे ऐसी गलती की तो फिर मुझसे बुरा कोई नहीं होगा !! " सौम्या ने गुस्से से कहा और उसने अपना हाथ साफ किया, एंटीसेप्टिक लगायी ।
सौम्या ने उसका हाथ छोड़ते हुए कहा"अब ठीक है,, लेकिन यह बता तू उदास क्यों लग रही है?"
आशना चुप रही, लेकिन आंसू बहने लगे। सौम्या ने पूछा, "क्या हुआ? बताओ ना।"
उसके बार-बार पूछने पर आशना ने सब बता दिया—माहिर का धोखा, बार का सीन, ब्रेकअप, उसकी कहीं गई बातें। सौम्या चुपचाप सुनती गई, और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
"क्या? उसने ऐसा किया वो भी तेरे बर्थडे पर? वो साला धोखेबाज! हमेशा तेरी फिक्र करने का कितना नाटक करता था और उसका असली चेहरा ऐसा था.." वो गुस्से से पागल हो गई।
रूम में जो सामान था—एक ट्रे, कुछ पेपर्स—वो उठाकर फेंकने लगी।
"सौम्या, रुक!" आशना ने उसे पकड़ा।
"शांत हो जा। अस्पताल में नुकसान करने से कुछ नहीं होगा,,," आशना नें समझाया
सौम्या ने उसे गले से लगा लिया और उसकी पीठ को सहलाते हुए बोली"तू इतनी अच्छी है, वो कैसे कर सकता है? मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है मेरा मन कर रहा है कि इसी वक्त उसे जाकर जान से मार दूं या फिर कोई पोइजन वाला इंजेक्शन लगा दू" आशना ने उसे शांत किया, पानी पिलाया।
" क्या फायदा ऐसे लोगों को बोलने का गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है,, क्योंकि वो कह रहा था कि मैं उसके पैसों के लिए उसके साथ हूं, उसनें मुझे गोल्ड डिगर कहा ।"
सौम्या ने दांत पीसकर कहा, " अगर उसने कहा तो तू बन के दिखा,,, ताकि उसे पता चले कि किसी लड़की का दिल तोड़ने का क्या असर होता है मैं तो कहती हूं तो उसके कंपनी के बॉस को फंसा ले,,, वो हमेशा कहता है ना कि मैं तो इतनी बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं,,, तू उसकी मालकिन बन जा,, तू इतने अमीर बिजनेसमैन से मिलती रहती है,,, किसी अमीर बिलिनेयर को फंसा ले, और उसको मजा चखा,, उसे दिखा कि तू क्या चीज है,,,"
उसकी ऐसी बातें सुनकर आशना ने हंस देती है
" पागल है तू,,,, सच में कैसे-कैसे आईडिया देती है,,,!! "
" मैं आईडिया नहीं दे रही मैं सच बोल रही हूं और यही तरीका है अपने आंसुओं का जवाब लेने का,,,,!!
सौम्या की बातें उसके दिमाग में चल रही थी उसमें तो ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था,,, लेकिन उसे इतना पता था कि अगर उसे अपने आंसुओं को बदला लेना है तो उसे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा । हालांकि वो अपने बदले के लिए किसी तीसरे इंसान को इसमें नहीं लाना चाहती थी ।
सौम्या नें माहिर की कंपनी के बारे में पता लगे और उसके कंपनी के डायरेक्टर के बारे में जानकारी निकालने लगी हालांकि डायरेक्टर के बारे में कुछ इतना बताया नहीं गया था बस एक बूढ़े आदमी की तस्वीर थी जिसे देखकर सौम्या का चेहरा उतर गया । वो यह तो बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसकी दोस्त बदला लेने के लिए किसी बुड्ढे आदमी से प्यार कर ले । वही आशना को उसकी बातें सुनकर हंसी भी आ रही थी लेकिन तभी उसे अपनी ऑफिस से काम आ गया तो वो अस्पताल से निकल गई ।