यह कहानी है आशना की,,, जो एक प्रोफेशनल वकील है और अपने काम के लिए बहुत ही ज्यादा डेडिकेट है लेकिन उसे अपने बॉयफ्रेंड माहिर से बहुत प्यार है मगर माहिर से उसे अपने ही बर्थडे पर बहुत बड़ा धोखा मिलता है जिसके बाद वो बुरी तरह टूट जाती है और अपने बॉयफ्रेंड... यह कहानी है आशना की,,, जो एक प्रोफेशनल वकील है और अपने काम के लिए बहुत ही ज्यादा डेडिकेट है लेकिन उसे अपने बॉयफ्रेंड माहिर से बहुत प्यार है मगर माहिर से उसे अपने ही बर्थडे पर बहुत बड़ा धोखा मिलता है जिसके बाद वो बुरी तरह टूट जाती है और अपने बॉयफ्रेंड से बदला लेने के लिए एक कोल्ड हॉर्टेड पर्सन के करीब जाती है पर जैसे जैसे वो उसके करीब जाती है वैसे वैसे वो उसके प्यार मे पड जाती है पर बाद में उसे उस पर्सन के बारे में ऐसी बाते चलती है जिससे वो अपने ही जाल में फंस जाती है । क्या है उस कॉल्ड हार्टेड पर्सन के इरादे,,, क्या होगा आशना का सफर....
Shraddha
Healer
Ekyam
Hero
Aashna
Heroine
Mahir
Villain
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सुबह की हल्की धूप दिल्ली की ऊंची इमारतों पर पड़ रही थी। आशना अपने अपार्टमेंट की बालकनी में खड़ी थी, हाथ में कॉफी का मग थामे हुए थी । आज उसका 27वां जन्मदिन था। उसकी खूबसूरती ऐसी थी कि लोग उसे देखकर रुक जाते,, गोरी चमकती त्वचा, लंबे घुंघराले बाल, और गहरी भूरी आंखें, जो जिंदगी में बहुत कुछ कहना चाहती थीं। लेकिन आशना सिर्फ खूबसूरत चेहरा नहीं थी; वो एक टॉप लॉ फर्म में वकील थी, जहां उसकी प्रैगमैटिक सोच और आत्मविश्वास कोर्टरूम में जज को भी इम्प्रेस कर देता था । उसकी लाइफ इतनी बिजी थी कि वो देर रात घर लौटती और सुबह जल्दी फिर ऑफिस निकल पड़ती। पर्सनल लाइफ? वो तो जैसे बस नाम की थी।
मगर आज का दिन अलग था। आशना ने सोचा था कि वो अपने बॉयफ्रेंड माहिर के साथ शाम बिताएगी। माहिर, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जिसकी सादगी और केयरिंग नेचर आशना को हमेशा सुकून देती थी। वो दोनों दो साल से साथ थे, और आशना को लगता था कि माहिर ही वो इंसान है जो उसकी तेज रफ्तार जिंदगी को थामता है। जो उससे सच्चा प्यार करता है, वो उससे बहुत प्यार करती थी, इतना कि वो उसके साथ अपना हर दिन बिताना चाहती थी ।
"आज शाम को कैंडललाइट डिनर, मूवी, और बस हम दोनो," उसने मुस्कुराते हुए खुद से कहा। वो आज बहुत खुश थी, उसने जल्दी से फोन उठाया और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी। ब्लैक पैंटसूट, व्हाइट शर्ट, हाई हील्स—उसका रोज का स्टाइल था। आज बर्थडे था, तो उसने हल्की पिंक लिपस्टिक लगाई, बालों को साफ-सुथरी पोनीटेल में बांधा, और आंखों में हल्का काजल लगाया।
ऑफिस पहुंचते ही दिन की भागमभाग शुरू हो गयी थी । मीटिंग्स, क्लाइंट कॉल्स, केस फाइल्स—आशना का रूटीन यही था। लेकिन आज वो शाम 7 बजे तक फ्री होना चाहती थी।
दोपहर में उसने माहिर को मैसेज किया, "माहिर, आज शाम सरप्राइज है न? तुम फ्रि हो जाओगे न?"
सामनें से माहिर का जवाब आया, "बिल्कुल, बेबी। इंतजार कर रहा हूं। हैप्पी बर्थडे फिर से मेरी जान! ❤️" आशना की मुस्कान गहरी हो गई। उसकी बिजी लाइफ में ये छोटे-छोटे पल उसका फ्यूल थे। वो आज बहुत एक्साइटेड थी,, आखिर कार महिनो की थकान को वो आज माहिर की बांहो में खत्म करना चाहती थी ।
शाम 6 बजे, आशना डेस्क समेट रही थी, तभी उसका फोन वाइब्रेट हुआ। स्क्रीन पर मिस्टर शर्मा का नाम—एक हाई-प्रोफाइल क्लाइंट, जिसका केस वो हैंडल कर रही थी।
"हेलो, मिस आशना? इमरजेंसी है। अभी मीटिंग चाहिए। आ सकती हैं?" उनकी आवाज में हड़बड़ी थी। आशना की सांस रुक-सी गई।
आज? वो कुछ पल के लिये खामोश हो गयी,, सामनें से दोबारा मिस्टर शर्मा नें आवाज दी वो होश में आयी उसका दिल तो मना करना चाहता था लेकिन वो प्रोफेशनल थी, और काम को इग्नोर नहीं कर सकती थी।
"ठीक है, सर। लोकेशन शेयर करें," उसने शांत स्वर में कहा, लेकिन उसकी आंखों में उदासी तैर रही थी। माहिर के साथ का प्लान—सब चौपट हो गया था।
वो माहिर को कॉल करने ही वाली थी कि तभी दूसरा कॉल आया।
"श्रद्धा" उसकी बेस्ट फ्रेंड, एक डॉक्टर, जिसकी लाइफ भी आशना जितनी ही भागदौड़ वाली थी—लेट नाइट हॉस्पिटल शिफ्ट्स, इमरजेंसी केस में वो भी उलझी रहती थी। इसलिये दोनों एक-दूसरे की जिंदगी को अच्छे से समझती थीं।
"हाय, श्रद्धा? कैसी हो" आशना ने कॉल उठाया, उसकी आवाज में हल्की सी थकान थी।
"आशू! हैप्पी बर्थडे टू यू... हैप्पी बर्थडे डियर आशू..." श्रद्धा ने जोर से गाना शुरू किया, जैसे वो सामने केक काट रही हो।
वो थोडा उदास होकर आगे बोली "सॉरी यार, दिन भर ऑपरेशन थिएटर में फंसी थी। अब फ्री हुई। तू बता, क्या प्लान है? माहिर के साथ रोमांटिक डिनर?"
वो उसे छेड रही थी,, तो आशना के होंठों पर हल्की मुस्कान आई, लेकिन वो जल्दी गायब हो गई।
वो निराश भाव से बोली "थैंक्स, श्रद्धा। लेकिन... प्लान कैंसल हो गया। अभी क्लाइंट का कॉल आया। इमरजेंसी मीटिंग। मुझे जाना पड़ रहा है।"
"अरे, क्या? आज तेरा बर्थडे है, आशू!" श्रद्धा की आवाज में हैरानी थी ।
" ह्म्म..."
"माहिर को बताया?"
"अभी बताने वाली थी, लेकिन... समझ नहीं आ रहा वो कैसे रिएक्ट करेगा, वो भी इतना एक्साइटेड था, मैं सचमुच परेशान हूं, श्रद्धा, ये दिन हमारे लिए खास था, बस थोड़ा सा टाइम साथ चाहिए था, लेकिन ये लाइफ... हर बार कुछ न कुछ हो ही जाता है "
श्रद्धा भी दुःखी हो गयी थी, वो आशना को गले लगाना चाहती हो।
"आशू, सुन। मैं जानती हूं ये कितना बुरा लगता है। मैंने भी कितनी डेट्स कैंसल की हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसे सैक्रिफाइस करने पड़ते हैं। तू इतनी मेहनती और कमिटेड है, यही तेरी ताकत है। माहिर समझेगा। वो तुझे सपोर्ट करता है न? बर्थडे तो फिर से आएगा, लेकिन ऐसे मौके जो तुझे प्रोफेशनली ग्रो कराएं, वो कम मिलते हैं। जाकर मीटिंग में रॉक कर, और बाद में माहिर से बात करना,, और एक डिनर प्लान कर लेना,,,मैं तेरे साथ हूं, हमेशा।"
आशना ने गहरी सांस ली, उसकी आंखें नम थीं, लेकिन उसने खुद को संभाला। "तू सही कह रही है, श्रद्धा। थैंक्स। तू नहीं होती तो मैं सचमुच परेशान ही हो जाती। ठीक है, अब माहिर को कॉल करती हूं। लव यू।"
"लव यू टू, आशू। और हैप्पी बर्थडे फिर से। जल्दी मिलते हैं," श्रद्धा ने कहा और कॉल कट गया।
आशना ने फोन को पकड़े हुए माहिर का नंबर डायल किया। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था।
"हेलो, बेबी?" माहिर की आवाज आई, हमेशा की तरह नरम और प्यार भरी थी।
"हाय, माहिर। सुनो... मुझे सॉरी कहना है,आज का प्लान... कैंसल हो रहा है। क्लाइंट का इमरजेंसी कॉल आया। मुझे मीटिंग के लिए जाना पड़ रहा है। मैं सचमुच परेशान हूं। आज का दिन हमारे लिए कितना खास था।"
माहिर की आवाज में कोई गुस्सा नहीं था।
वो उसे समझाते हुए बोला "अरे, बेबी, कोई बात नहीं। मैं समझता हूं। तुम प्रोफेशनल पर्सन हो, और ये तुम्हारी जॉब का हिस्सा है। मैं तुम्हारे साथ हूं, हमेशा। जो भी तुम करोगी, मैं सपोर्ट करूंगा। बर्थडे तो हम वीकेंड पर भी सेलिब्रेट कर सकते हैं। तुम टेंशन मत लो, मैं तो तुमसे हमेशा बहुत प्यार करता हूं।"
यह बाते सुन आशना के चेहरे पर हल्की मुस्कान लौट आई। माहिर की बातें सुनकर उसका दिल थोड़ा हल्का हुआ। वो मन ही मन सोचने लगी—कितना अच्छा है माहिर, कितना समझता है मुझे।
"थैंक्स, माहिर। तुम सच में बेस्ट हो। मैं भी तुमसे बहुत बहुत सारा प्यार करती हूं। हम एक दो दिन में प्लान करके मिलते हैं।"
माहिर नें ठीक है कहा और उसे एक प्यार भरी किस दी । आशना बहुत अच्छा महसूस कर रही थी,, कॉल कटते ही आशना ने खुद को समेटा। वो अपनी बॉस, मिसेज़ कपूर, के साथ कार में बैठी थी। मिसेज़ कपूर सीनियर पार्टनर थीं, सख्त लेकिन फेयर थी,
रात के नौ बजे,,,
मीटींग में पहुचने के बाद आशना ने रूड क्लाइंट को इतनी चतुराई से हैंडल किया कि मिस्टर शर्मा को केस जीतने का पूरा विश्वास हो गया । वो आशना और मिसेज कपूर पर पूरा भरोसा दिखाते है और आशना नें भी उन्हें समझाया कि दूसरी पार्टी की सारी एलिगेशन झूठी साबित हो जाएगी और कल उनकी इमेज पर जो भी दाग लगे है वो भी खत्म हो जाएगे बस कल बार वो कल कोर्ट में पहुच जाये ।
मिस्टर शर्मा को आशना की बाते सुन बहुत खुशी होती है । कुछ देर बाद,वापसी में कार में मिसेज़ कपूर ने कहा, "आशना, तुमने आज फिर कमाल कर दिया, मिस्टर शर्मा जैसे क्लाइंट को संभालना कोई आसान काम नहीं। पर तुमने तो सच में कमाल कर दिया,,,तुम्हारी तारीफ बनती है।"
"थैंक यू, मैम," आशना ने शांत स्वर में कहा, वो जानती थी कि अभी कल कोर्ट में भी जीतना जरूरी है वरना मिस्टर शर्मा को समझाना नामुमकिन होगा,, अनायास ही उसका ध्यान कहीं और चला गया था। उनकी कार ट्रैफिक में फंसी थी। बाहर शाम का धुंधलापन छा रहा था, और स्ट्रीट लाइट्स जल रही थीं। आशना की नजर एक कैफे के बाहर गई। वहां माहिर खड़ा था। लेकिन अकेला नहीं था। उसके साथ एक लड़की थी— जोलंबे बाल, स्किनी जींस, टॉप में थी। वो दोनों इतने करीब थे कि माहिर का हाथ उसकी कमर पर था, और वो उसे अपनी तरफ खींच रहा था। दोनों हंस रहे थे, जैसे दोनो के बीच कोई पुराना रिश्ता हो। लड़की ने माहिर के गाल पर हाथ रखा, और माहिर ने मुस्कुराते हुए उसे और करीब किया।
यह देख आशना की सांस जैसे थम गई। वो अपनी आंखो को मसलती है,, वो माहिर ही था,, उसका चेहरा पीला पड़ गया, और हाथों में हल्का कंपन सा आया। वो एकदम खामोश थी पर अंदर शोर उठ रहा था,, उसकी आंखें उस सीन को गौर से देख रही थीं, जैसे दिमाग कुछ समझने की कोशिश कर रहा हो।
"आशना, सब ठीक है?" मिसेज़ कपूर ने पूछा। उसका बिहेवियर अचानक ही बदल गया था उसे देखकर मिसेज कपूर भी हैरान थी ।
वो होश में आयी और धीमी आवाज में बोली "हां, मैम,,, बस थोड़ा सिरदर्द," उसने शांत स्वर में जवाब दिया, लेकिन उसकी आवाज में हल्की सी कंपकंपी थी।
ट्रैफिक हट गया,, और कार आगे बढ़ गई, लेकिन आशना का दिमाग उसी सीन में अटक गया था। माहिर का प्यार, उसकी बातें—क्या सब झूठ था? उसका जन्मदिन, जो इतना खास होने वाला था, अब एक अनचाहा सवाल बन चुका था। वो शांत थी, कंट्रोल में थी, लेकिन अंदर से एक तूफान उठ रहा था। उसने अपने आप को सम्भाला हुआ था पर वो ही जानती थी कि यह सीन देखकर उसके दिल का अंदर से क्या हाल हो गया था ।
" क्या होगा आगे? क्या करेगी आशना,,, क्या वो माहिर को इस धोखे के लिये माफ कर पाएगी,,,,"
कार की पिछली सीट पर बैठी आशना की आंखें अब भी उस सीन को याद कर रही थी,,, सब कुछ इतना स्पष्ट था कि वो चाहकर भी भूल नहीं पा रही थी। मिसेज कपूर ने उसे घर के बाहर ड्रॉप किया, और जाते-जाते कहा, " अच्छे से आराम करो, आशना,, कल कोर्ट में हमें जीतना है।" आशना ने बस सिर हिलाया, लेकिन उसके अंदर का तूफान अब और तेज हो चुका था। वो अपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ती गई, हर कदम के साथ दिल भारी होता जा रहा था। घर पहुंचते ही उसने दरवाजा बंद किया, और बालकनी की तरफ बढ़ी जहां सुबह वो इतनी खुश थी। अब वो जगह भी उदास लग रही थी।
उसका फोन अब भी वाइब्रेट कर रहा था,,, श्रद्धा के मैसेज, फैमिली के बर्थडे विशेज, लेकिन वो किसी को जवाब नहीं देना चाहती थी।
माहिर... क्या वो सच में झूठा था? या कोई गलतफहमी? नहीं, वो जो देखा था, वो सच्चाई थी,, लेकिन फिर भी, दिल मानने को तैयार नहीं था। उसने गहरी सांस ली, खुद को संभाला, और फोन उठाकर माहिर का नंबर डायल किया। रिंग गई, और दूसरी तरफ से माहिर की आवाज आई— एकदम नरम, प्यार भरी आवाज जो हमेशा उसे सुकून देती थी।
"हेलो, बेबी? सब ठीक है? मीटिंग कैसी रही?" माहिर ने पूछा, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
आशना ने खुद को कंट्रोल किया, उसकी आवाज में वही पुराना प्यार था। वो नहीं चाहती थी कि अभी कुछ पता चले।
"हां, माहिर। मीटिंग ठीक थी। बस... थक गई हूं। तुम कहां हो?"
माहिर ने हल्के से हंसते हुए जवाब दिया, "मैं? अरे, मैं तो ऑफिस से अभी घर जा रहा हूं, बेबी। ट्रैफिक में फंसा हूं क्यों, क्या हुआ? यार आज तो मैं काफी थक गया हूंं,,, मुझे तो बहुत नींद भी आ रही है, आज का दिन लंबा था। अब बस सोना चाहता हूं,,, कल सुबह जल्दी उठना है तुम भी आराम करो, थक गयी होगी,"
आशना की सांस रुक गई। घर जा रहा हूं? नींद आ रही है? वो झूठ बोल रहा था, बिल्कुल साफ-साफ झूठ । उसने फोन कान से लगाए रखा, लेकिन दूसरी हाथ से अपना टैबलेट उठाया। वो और माहिर ने लोकेशन शेयरिंग ऑन रखी थी, बस कभी एक-दूसरे पर ट्रस्ट दिखाने के लिए,,, । टैबलेट पर मैप ओपन किया, और वहां माहिर की लोकेशन ब्लिंक कर रही थी—एक पॉपुलर बार की, वही कैफे के पास वाला जहां वो उसे देख चुकी थी। दिल जैसे किसी ने चाकू घोंप दिया हो। झूठ... सब झूठ बोला जा रहा था । लेकिन वो अभी कुछ नहीं बोली। उसकी आवाज अभी भी शांत थी,
"ओके, माहिर। गुड नाइट।"
"लव यू बेबी। सो जाओ," माहिर ने कहा और कॉल कट गया।
आशना ने फोन नीचे रखा, उसकी आंखें नम हो गईं, लेकिन वो रोई नहीं । नहीं, अभी नहीं रो सकती हूं,,,। वो उठी, अलमारी से अपना स्कार्फ निकाला—उसने उसे गले में लपेटा, चाबियां उठाईं, और बाहर निकल गई। कार स्टार्ट की, और सीधे उस बार की तरफ ड्राइव करने लगी। रास्ते में ट्रैफिक था, स्ट्रीट लाइट्स चमक रही थीं, लेकिन उसका दिमाग सिर्फ एक चीज पर अटका था— क्या वो वाकई वैसा है? या कोई गलतफहमी हो रही है ?
बार पहुंचते ही उसने कार पार्क की। बाहर से ही म्यूजिक की आवाज आ रही थी, लोग हंस रहे थे, पार्टी का माहौल था। आशना ने गहरी सांस ली, स्कार्फ को और टाइट किया, और अंदर चली गई। डिम लाइट्स, स्मोक, और भीड़ ही भीड थी । उसकी नजरें माहिर को ढूंढ रही थीं। और फिर... वो एक जगह बैठा दिखायी दिया । बार के एक कोने में, सोफे पर बैठा माहिर—एकदम प्लेबॉय लग रहा था । उसके चारों तरफ चार-पांच लड़कियां थीं, सब हंस रही थीं, ड्रिंक्स पी रही थीं। माहिर का एक हाथ एक लड़की की कमर पर था, वो उसे अपनी तरफ खींच रहा था, और दूसरे हाथ से दूसरी लड़की के थाई को टच कर रहा था। अचानक, वो झुका और एक लड़की के होंठों पर किस कर दिया,,, गहरा, पैशनेट किस,, लग रहा था जैसे वो उस लडकी के होंठो को चबा जाना चाहता हो,,, । बाकी लड़कियां हंस रही थीं, जैसे ये उनका रूटीन हो। एक लडकी के सीने पर उसका हाथ था,,, वो उसके सीने को दबा रहा था ।
यह सब देखकर जैसे आशना की दुनिया जैसे रुक गई। क्या था यह सब ? उसे सदमा लगा,,, सदमा इतना गहरा था कि उसके पैर लड़खड़ा गए। वो दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो गई, सांस तेज चल रही थी। दिल धड़क रहा था, आंखें जल रही थीं। गले में जैसे पत्थर अटक गया हो,, वो रोना चाहती थी पर रो भी नही पा रही थी ।
ये माहिर था? वही माहिर जो उसे जान से बढकर कहता था, जो उसके काम को सपोर्ट करता था? वो प्लेबॉय. है,,, धोखेबाज है,,,!!
वो कुछ पलो तक ऐसे ही जम गयी,, लोग उसे ठोकर मारकर जा रहे थे पर उसे तो कोई फर्क ही नही पड रहा था। बडी मुश्किल से वो खुद को संम्भाला,,, अभी रोना नहीं है अभी बिल्कुल नहीं। वो सीधी उसकी तरफ बढ़ी, भीड़ को चीरते हुए। माहिर अभी भी उस लड़की को किस कर रहा था, जब आशना उसके सामने पहुंची।
उसनें माहिर का कॉर्लर पकडकर खींचांं और बिना सोचे समझे एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर लगा दिया —आशना ने अपना सारा गुस्सा उस थप्पड़ में उतार दिया। माहिर का चेहरा एक तरफ हो गया, लड़कियां चौंक गईं, म्यूजिक अभी भी बज रहा था लेकिन वो कोना शांत हो गया। माहिर ने हैरानी से ऊपर देखा, और उसके चेहरे पर पहले आश्चर्य भर आया, लेकिन फिर गुस्सा दिखायी देने लगा । वो उठ खड़ा हुआ, उसकी आंखें लाल हो गयी ।
आशना की आंखों से आंसू बहने लगे, वो आंखो में आंसू भरते हुए बोली, "मेरे बर्थडे पर ऐसा गिफ्ट दोगे, माहिर? मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम... तुम ऐसा करोगे। तुम्हारा प्यार, वो सारी बातें, सब झूठ था? मैंने तुम्हें अपना सब कुछ माना, तुम्हारे लिए मैंने कितना कुछ छोड़ा, और तुम... इन लड़कियों के साथ? तुम ऐसा कैसे कर सकते हो!! मैं तुमसे इतना प्यार करती थी, हर दिन तुम्हारे बारे में सोचती थी, और तुम... ये सब? तुम्हें मुझसे झूठ बोलने में एक बार भी शर्म नही आयी,,,,"
माहिर ने गुस्से से उसे घूरा, उसके चेहरे पर अब कोई इनोसेंस नहीं था—बस क्रूरता थी । वो चिल्लाया, "तुम यहां क्या करने आई हो, आशना? ये मेरी प्राइवेट लाइफ है! जाओ यहां से, मुझे डिस्टर्ब मत करो!"
आशना को उसकी बात सुनकर और उसका रवैया देखकर और बुरा लगा। वो सदमे में थी, लेकिन गुस्सा भी था। उसने माहिर की कॉलर पकड़ ली, जोर से खींचा, और बोली, " प्राइवेट लाइफ,,,?? कैसी प्राइवेट लाइफ, हां,,,क्यों किया तुमने यह सब, माहिर? क्या मिला यह करके? मैंने तुम पर कितना ट्रस्ट किया, कितना प्यार दिया, और तुमने मुझे धोखा दिया? वो सारी रातें, वो प्रॉमिसेज, सब झूठ? बताओ, क्यों? क्या मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं थी?"
माहिर ने अपना हाथ झटका, उसे खुद से दूर धकेल दिया—इतनी जोर से कि आशना पीछे लड़खड़ा गई। वो हंसते हुए बोला, "क्योंकि मैं ऐसा ही हूं, आशना। तुम्हें पता आज चला तो इसमें मेरी क्या गलती है? चलो, अच्छा हुआ, अब मुझे नाटक तो नहीं करने पड़ेंगे। दो साल से मैं तुम्हारे साथ हूं, लेकिन तुम तो खुद को छूने भी नहीं देती थीं। हमेशा काम, काम, काम। अब मैं भी तो लड़का हूं, मुझे तो इन सब चीजों की जरूरत है—फन, एक्साइटमेंट, बॉडी की नीड,,, तुम्हारी तरह बोरिंग लाइफ नहीं जी सकता। और वैसे भी, तुम्हें जिस चीज की जरूरत है, वो तो मैं तुम्हें दे ही रहा हूं।"
वो यह सब सुन दंग रह गयी,,, आशना हैरान होकर उसे देखती रही, आंसू बहते जा रहे थे।
वो उसे देखते हुए बोली "मुझे... मुझे किस चीज की जरूरत है, माहिर? बताओ?"
माहिर ने ठंडे स्वर में कहा, "पैसों की, आशना,,, पैसों की। तुम कितना कमाती हो? एक लाख महीना? हाहा, और मेरा तो खर्चा ही लाखो में है,, मैं अमीर हूं, मेरी कंपनी, मेरी लाइफस्टाइल। तुमने तो बस मेरा पैसा देखकर ही तो मुझसे प्यार किया था, है न? तुम्हारी वो महंगी ड्रेसेज, गिफ्ट्स, ट्रिप्स—सब मैंने दिए। तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारे प्यार के लिए ये सब कर रहा था? नहीं, तुम मेरे लिए एक ट्रॉफी थीं—एक हॉट लॉयर गर्लफ्रेंड,,, जिसको मैं सभी के सामनें दिखा सकता था,,, लेकिन अब बस हो गया,, अगर तुम मेरे साथ इन. सब के बावजूद भी रहना चाहती हो तो रहो वरना मत रहो,, वैसे तो तुम रहोगी क्योंकि यू नीड माय मनी,, आई कैन गीव यू ऑल द हैप्पीनेस ऑफ द वर्ल्ड,,,!! "
माहिर अभी भी अपनी अकड़ में था,, वो यह सब बोलता जा रहा था पर आशना को ये शब्द जैसे तीर की तरह लगे। हर्ट इतना गहरा हुआ था कि वो सोच भी नहीं सकती थी। जिस लड़के से वो इतना प्यार करती थी, वो ऐसा सोचता था? पैसा? वो कभी पैसों के लिए नहीं थी उसके साथ। वो उसके केयरिंग नेचर के लिए थी, उसके सपोर्ट और उसके प्यार की वजह से उसके साथ थी । लेकिन अब सब टूट चुका था।
माहिर ने और बुरा भला कहा, "तुम जैसे लड़कियां बस अमीर लड़कों के पीछे भागती हो। गोल्ड डिगर! जाओ, अपनी लॉ फर्म में जाकर रोओ। मुझे मत डिस्टर्ब करो, मेरी सारी पार्टी खराब कर दी।"
आशना का दिल टूट चुका था। उसने गले से वो लॉकेट निकाला—वही लॉकेट जो माहिर ने उसे पहली एनिवर्सरी पर दिया था, दिल के शेप का। उसने उसे जोर से पूरी ताकत से माहिर के मुंह पर मारा, और बोली, "ये लो अपना गिफ्ट वापस,,, तुम जैसे धोखेबाज के साथ मैं कभी नहीं रह सकती। पर याद रखना एक दिन तुम मेरे सामनें गिडगिडाओगे,, रोओगे और तब तुम्हें मैं अपने पैरो पर गिराकर माफी मंगवाऊंगी,,, तुमने जो किया है वो तुम्हारी लाइफ की सबसे बडी गलती साबित होगा,,,,"
इतना कहकर वो तेजी से मुड़ी और बार से बाहर निकल गई, आंसू बहते जा रहे थे लेकिन वो अब रुकना नहीं चाहती थी।
वो कार में बैठी,कार स्टार्ट की, और रोते हुए बस ड्राइव करने लगी। रास्ते में वो रोना रोक नहीं पाई। आंसू ऐसे बह रहे थे जैसे बांध टूट गया हो।
वो चीख उठीं,,, कल उसकी इतनी जरूरी मिंटिग थी,, पर आज उसका सबकुछ खत्म हो गया था ।
"कैसे... कैसे कर सकता है वो?" वो खुद से बड़बड़ाती जा रही थी। ट्रैफिक में कार रुकी, तो वो स्टीयरिंग पर सिर रखकर बहुत रोई। घर पहुंचते-पहुंचते रात के 11 बज चुके थे।
घर में घुसते ही उसने माहिर का दिया हर सामान निकाला—वो चैन, गिफ्ट्स, फोटोज, कपड़े,सब कुछ एक जगह इकट्ठा किया, और बालकनी में आग जलाई, उसनें उस आग में सब जला दिया। आग की लपटें देखकर उसका गुस्सा थोड़ा शांत हुआ, लेकिन दर्द नहीं ।
वो रात भर रोती रही—सोफे पर बैठी, घुटनों में सिर छिपाकर। फोन बजता रहा—डैड-मॉम के कॉल्स, श्रद्धा के मैसेज, लेकिन वो किसी का भी रिसीव नहीं किया। दिल्ली की अकेली रात में वो अकेली अपने अपार्टमेंट में बैठी थी, टूटे दिल के साथ, जहां उसनें आज अपना पहला प्यार खो दिया था,,, उसकी बाते आशना के लिये किसी गहरे जख्म की तरह बन गयी थी । बाहर की लाइट्स चमक रही थीं, लेकिन उसके अंदर अंधेरा था।
वहीं दूसरी तरफ, दिल्ली की एक ऊंची इमारत के ऑफिस में, खिड़की के पास एक आदमी खड़ा था। चेहरा अंधेरे में छिपा था, सिर्फ सिल्हूट दिख रहा था—लंबा कद, सूट पहने । वो नीचे दिल्ली की चमचमाती बिल्डिंग्स और सड़कों को देख रहा था, जहां से अभी कुछ देर पहले उसने आशना को कार ड्राइव करते जाते देखा था। उसके होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
"मिस कॉर्पोरेट लॉयर..." वो खुद से बड़बड़ाया, और मुस्कुरा दिया, उसकी मुस्कुराहट काफी अलग थी पर उतनी ही अजीब भी । न जाने वो आशना के बारे में क्या सोच रहा था ।
अगली सुबह सूरज की पहली किरणें दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर पड़ रही थीं, लेकिन आशना के अपार्टमेंट में अंधेरा अभी भी छाया हुआ था। रात भर की नींद न आने की वजह से उसकी आँखें सूजी हुई थीं, चेहरा थका हुआ लग रहा था। फोन पर अलार्म बजा, और वो उठ बैठी। कल की घटनाएँ अभी भी उसके दिमाग में घूम रही थीं—वो एक पल के लिए भी कुछ भूल नहीं पाई थी। दिल जैसे किसी ने फिर से चीर दिया हो। लेकिन आज का दिन खास था। मिस्टर शर्मा का केस—एक बड़ा कॉर्पोरेट डिस्प्यूट, जहाँ लाखों रुपये दाँव पर थे। आशना जानती थी कि अगर वो हार गई, तो उसके करियर पर बुरा असर पड़ेगा। वो खुद को आईने में देखती हुई बड़बड़ाई, "मैं माहिर जैसे धोखेबाज़ के लिए अपना सब कुछ बर्बाद नहीं कर सकती।"
वो उठी, ठंडे पानी से मुँह धोया, और तैयार होने लगी। ब्लैक सूट, व्हाइट शर्ट, बालों को टाइट बन में बाँधा—हमेशा की तरह उसका परफेक्ट प्रोफेशनल लुक। नाश्ता करने का मन नहीं था, लेकिन उसने जबरदस्ती एक कप कॉफी पी ली। फोन पर बॉस मिसेज कपूर का मैसेज आया:
"मिस्टर शर्मा तुम्हारा वेट कर रहे होंगे..."
आशना ने जवाब दिया: "ओके, मैम..."
वो नीचे आई, कार स्टार्ट की, और कोर्ट की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में ट्रैफिक था, लेकिन उसका दिमाग केस की डिटेल्स पर फोकस करने की कोशिश कर रहा था। माहिर की यादें आतीं, तो वो रेडियो ऑन कर देती।
कोर्ट पहुँचते ही मिस्टर शर्मा मिले—एक मिडिल एज बिजनेसमैन, जिनकी कंपनी पर फ्रॉड का आरोप था। वो आज थोड़े नर्वस लग रहे थे।
"आशना, आज सब कुछ तुम्हारे हाथ में है," उन्होंने कहा।
आशना ने मुस्कुराकर कहा, "चिंता मत कीजिए, सर। हम ही जीतेंगे।"
कोर्ट रूम में एंट्री की, जज साहब आए, और हियरिंग शुरू हुई। दूसरी तरफ के वकील ने मजबूत आर्ग्यूमेंट्स दिए—एविडेंस दिखाए, विटनेस बुलाए। आशना ने हर छोटी-छोटी बात पर फोकस किया। वो हर पॉइंट पर काउंटर जवाब देती, सारे वैलिड डॉक्यूमेंट्स दिखाए, लीगल प्रेसिडेंट्स कोट किए। उसकी आवाज़ में कॉन्फिडेंस था।
"योर ऑनर, ये आरोप बेबुनियाद हैं। हमारे क्लाइंट की कंपनी ने सभी रेगुलेशंस फॉलो किए हैं... मिस्टर मेहरा ने शर्मा इंडस्ट्री पर जितने भी इल्ज़ाम लगाए हैं, सब बेबुनियाद हैं..." वो बोली, और एक-एक करके विपक्ष के आर्ग्यूमेंट्स को तोड़ती गई।
मिस्टर शर्मा कोर्ट रूम में बैठे उसे देखकर हैरान थे। वो इतनी शार्प थी, इतनी डिटेल्ड कि सब उसे देखते ही रह गए। हियरिंग खत्म हुई, और जज ने फैसला सुनाया—मिस्टर शर्मा के पक्ष में।
कोर्ट रूम में तालियाँ बजीं। मिस्टर शर्मा उठे और आशना से हाथ मिलाया।
"आशना, तुम कमाल हो! मैं इम्प्रेस हूँ। तुम्हारी वजह से आज मैं बच गया। थैंक यू सो मच!" उन्होंने कहा, उनकी आँखों में कृतज्ञता थी।
आशना ने मुस्कुराकर कहा, "वेलकम, सर... ये मेरा काम है।"
वो तेज़ी से कोर्ट से बाहर निकली, सीढ़ियाँ उतर रही थी। सूरज चमक रहा था, लोग इधर-उधर जा रहे थे। तभी एक आदमी दौड़ता हुआ उसके पास आया—एक यंग मैन, सूट पहने हुए, कोई अजनबी।
"हैलो मैडम, क्या आप प्लीज़ हमारे साथ चल सकती हैं? हमारे सर आपसे मिलना चाहते हैं। वो आपको ड्राइव पर ले जाना चाहते हैं!" उसने कहा, जैसे कोई बड़ा ऑफर हो।
आशना रुक गई। कल की घटनाओं की वजह से उसका गुस्सा अभी भी उबाल पर था। यह सब सुनकर उसे माहिर की याद आई। "सारे आदमी मौकापरस्त होते हैं," वो मन में बोली।
आशना का चेहरा लाल हो गया। "क्या बकवास है ये? मैं किसी रोड छाप मजनू को एंटरटेन करने नहीं बैठी हूँ! जाओ यहाँ से, और अपने सर को बोलो कि ऐसी हरकतें किसी और के साथ करें। मुझे मत डिस्टर्ब करो!" वो चिल्लाई, अपना सारा गुस्सा निकालते हुए उसे घूरकर देखती रही। वो आदमी हैरान रह गया, लेकिन आशना ने उसे और नहीं सुना। वो तेज़ कदमों से सीढ़ियाँ उतर गई, कार की तरफ बढ़ी। पीछे से वो आदमी उसे देखता रहा, लेकिन कुछ नहीं कहा। वहीं पास ही एक लग्ज़री कार में बैठा एक शख्स उसे देख रहा था। आशना के गुस्से को देखकर उसने गहरी साँस ली।
तभी वो उसका आदमी वापस कार में आया और बोला, "सर, वो तो सुनना ही नहीं चाहतीं... अब क्या करें?"
"किसी और से बात करो..." वो आदमी गंभीर होकर बोला।
इधर, आशना कार में बैठी, इंजन स्टार्ट किया, और ऑफिस की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में फोन पर मिसेज कपूर का कॉल आया।
"आशना, गुड जॉब! तुमने तो एक और केस जीत लिया! मैं तो तुमसे बहुत खुश हूँ... सच में तुम लाजवाब हो..."
आशना ने स्पीकर ऑन किया और बात करने लगी। "थैंक्यू मैम... आपकी गाइडेंस की वजह से ही सब हुआ है..." वो ड्राइव करते हुए बात कर रही थी, तभी एक ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी। बगल में एक लग्ज़री होटल था। अचानक उसकी नज़र वहाँ गई—सामने देखकर वो स्तब्ध रह गई। वहाँ माहिर था! एक खूबसूरत लड़की के साथ—वो लड़की छोटे कपड़ों में थी, मिनी ड्रेस, हाई हील्स, उसने हँसते हुए माहिर की बाँह पकड़ी हुई थी। माहिर उसे होंठों पर किस कर रहा था, और दोनों होटल के अंदर जा रहे थे। यह देखकर आशना का दिमाग हिल गया। कल रात का दृश्य फिर से जीवित हो गया।
सिग्नल ग्रीन हुआ, लेकिन आशना का ध्यान भटक गया। वो एक्सीलरेटर दबाती हुई आगे बढ़ी, लेकिन सामने वाली कार को ठीक से नहीं देखा। उसने अचानक ब्रेक लगाया, लेकिन देर हो गई—उसकी कार सामने वाली से टकरा गई, बंपर थोड़ा डेंट हो गया।
"ओह नो... गॉड!" वो चिल्लाई। मिसेज कपूर कॉल पर थीं।
"आशना, क्या हुआ?" सामने से आवाज़ आई।
आशना ने बताया, "मैम, एक छोटा एक्सीडेंट हो गया... ध्यान भटक गया था मेरा..."
"तुम्हें चोट तो नहीं लगी? हॉस्पिटल जाओ फटाफट!" मिसेज कपूर ने कहा।
"पर मैम, मैं ठीक हूँ..."
"मैंने कहा न, तुरंत हॉस्पिटल जाओ, चेकअप कराओ!" मिसेज कपूर ने ज़ोर दिया। आशना ने अनमने मन से हाँ कहा और कार साइड में लगाई। उसका हाथ थोड़ा छिल गया था, खून आ रहा था। उसने सामने वाले ड्राइवर से माफी माँगी और कम्पनसेशन दिया।
वो हॉस्पिटल पहुँची—उसने रिसेप्शन पर अपने बारे में बताया और वेटिंग रूम में बैठ गई। थोड़ी देर बाद नर्स आई, "आशना मैम, अंदर आइए..."
वो नर्स के साथ इमरजेंसी रूम में गई। वहाँ श्रद्धा थी, उसकी सबसे खास दोस्त।
श्रद्धा ने उसे देखा और खुशी से चिल्लाई, "आशना! ओएमजी, तुम यहाँ? क्या हुआ?"
आशना ने हाथ आगे किया तो श्रद्धा ने उसे घूरा। वो डाँटते हुए बैंडेज बाँधने लगी।
"बस भी कर यार, मेरी माँ बन गई है तू तो... बस एक छोटा एक्सीडेंट ही तो है!" आशना ने मुस्कुराने की कोशिश की।
"अगर आगे ऐसी गलती की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!" श्रद्धा ने गुस्से से कहा और उसका हाथ साफ किया, एंटीसेप्टिक लगाया।
श्रद्धा ने उसका हाथ छोड़ते हुए कहा, "अब ठीक है, लेकिन ये बता तू उदास क्यों लग रही है?"
आशना चुप रही, लेकिन आँसू बहने लगे। श्रद्धा ने पूछा, "क्या हुआ? बताओ ना।"
उसके बार-बार पूछने पर आशना ने सब बता दिया—माहिर का धोखा, बार का सीन, ब्रेकअप, उसकी कही गई बातें। श्रद्धा चुपचाप सुनती गई, और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।
"क्या? उसने ऐसा किया, वो भी तेरे बर्थडे पर? वो साला धोखेबाज़! हमेशा तेरी फिक्र करने का कितना नाटक करता था और उसका असली चेहरा ऐसा था..." वो गुस्से से पागल हो गई।
रूम में जो सामान था—एक ट्रे, कुछ पेपर्स—वो उठाकर फेंकने लगी।
"श्रद्धा, रुक!" आशना ने उसे पकड़ा।
"शांत हो जा। अस्पताल में नुकसान करने से कुछ नहीं होगा," आशना ने समझाया।
श्रद्धा ने उसे गले से लगा लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली, "तू इतनी अच्छी है, वो कैसे कर सकता है? मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है। मेरा मन कर रहा है कि इसी वक्त उसे जाकर जान से मार दूँ या फिर कोई पॉइज़न वाला इंजेक्शन लगा दूँ।"
आशना ने उसे शांत किया, पानी पिलाया। "क्या फायदा ऐसे लोगों को बोलने का? गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है, क्योंकि वो कह रहा था कि मैं उसके पैसों के लिए उसके साथ हूँ, उसने मुझे गोल्ड डिगर कहा।"
श्रद्धा ने दाँत पीसकर कहा, "अगर उसने कहा तो तू बन के दिखा! ताकि उसे पता चले कि किसी लड़की का दिल तोड़ने का क्या असर होता है। मैं तो कहती हूँ तू उसके कंपनी के बॉस को फँसा ले। वो हमेशा कहता है ना कि मैं इतनी बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ? तू उसकी मालकिन बन जा। तू इतने अमीर बिजनेसमैन से मिलती रहती है, किसी अमीर बिलियनेयर को फँसा ले, और उसको मज़ा चखा। उसे दिखा कि तू क्या चीज़ है!"
उसकी ऐसी बातें सुनकर आशना हँस पड़ी। "पागल है तू... सच में कैसे-कैसे आइडिया देती है!"
"मैं आइडिया नहीं दे रही, मैं सच बोल रही हूँ। और यही तरीका है अपने आँसुओं का जवाब लेने का!"
श्रद्धा की बातें आशना के दिमाग में चल रही थीं। उसने तो ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था, लेकिन उसे इतना पता था कि अगर उसे अपने आँसुओं का बदला लेना है, तो उसे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा। हालाँकि वो अपने बदले के लिए किसी तीसरे इंसान को इसमें नहीं लाना चाहती थी।
श्रद्धा ने माहिर की कंपनी के बारे में पता लगाना शुरू किया और उसके कंपनी के डायरेक्टर की जानकारी निकालने लगी। हालाँकि डायरेक्टर के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं मिला, बस एक बूढ़े आदमी की तस्वीर थी, जिसे देखकर श्रद्धा का चेहरा उतर गया। वो बिल्कुल नहीं चाहती थी कि उसकी दोस्त बदला लेने के लिए किसी बुड्ढे आदमी से प्यार कर ले। आशना को उसकी बातें सुनकर हँसी भी आ रही थी, लेकिन तभी उसे ऑफिस से काम का कॉल आ गया। वो अस्पताल से निकल गई।
आशना अस्पताल से निकलते ही अपनी कार में बैठी। हाथ में दर्द अभी भी हल्का-हल्का महसूस हो रहा था। श्रद्धा की बातें उसके दिमाग में घूम रही थीं—लेकिन आशना को ये सब बकवास लग रहा था, कोई अमीर आदमी को वो कैसे फंसाएगी, वो कोई ऐसी वैसी लडकी तो नही है । वो ऐसी लड़की नहीं थी जो बदले की आग में किसी तीसरे को झोंक दे। फिर भी, श्रद्धा की बातों ने उसके मन में एक बीज बो दिया था। क्या वो सच में इतनी कमजोर थी कि माहिर जैसे आदमी को ऐसे ही छोड देती,,, नहीं, बिल्कुल भी नही,, उसनें माहिर को अपना सबकुछ दिया था, वो इस धोखे की हकदार तो नही थी ।
कार स्टार्ट करके वो ऑफिस की तरफ निकल पड़ी। दिल्ली की सड़कें दोपहर में और भी व्यस्त हो गई थीं। ट्रैफिक जाम में फंसी हुई वो, रेडियो पर कोई पुराना गाना सुन रही थी ।
"तुने तो मेरा दिल कुछ ऐसे तोडा था,
मुझे तेरी जरूरत थी, जब तुने मुझको छोडा था... ." गाने की धुन ने उसे फिर से माहिर की याद दिला दी।आशना ने स्टीयरिंग व्हील को जोर से पकड़ लिया।
"बस, अब काफी हो गया," वो खुद से बड़बड़ाई। "मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ूंगी और उससे बदला भी लूंगी,,,, "ऑफिस पहुंचते ही पार्किंग में कार लगाई। लिफ्ट में चढ़ी, और जैसे ही दरवाजा खुला, ऑफिस का माहौल उसे चौंका गया। सभी कलिग्स खड़े होकर तालियां बजा रहे थे।
"कॉन्ग्रेचुलेशंस, आशना!" "वाह, तुमनें तो एक ओर केस जी लिया है!" "तुम तो हमारी ऑफिस की स्टार हो!" हर तरफ से बधाइयां आ रही थीं। आशना ने मुस्कुराकर सबका शुक्रिया अदा किया, लेकिन अंदर से वो थकी हुई थी। रात की नींद न आने की वजह से सिर दर्द कर रहा था, लेकिन वो किसी को दिखाना नहीं चाहती थी। उसकी कलिग रिया दौड़कर आई और उसे गले लगा लिया।
"आशना, तुमनें तो कमाल कर दिया! मिस्टर शर्मा का तीन महिनो से खींचा हुआ केस तुमने तो एक हफ्ते में ही खत्म कर दिया,,, बॉस ने सबको बताया कि जज ने तुम्हारी तारीफ की।"
आशना ने हंसकर कहा, "थैंक्स, रिया,, पर यह तो हमारा ही टीम वर्क था।"
लेकिन रिया ने सिर हिलाया, "नहीं, ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है,, अब जाओ, बॉस तुम्हारा इंतजार कर रही हैं।"
आशना ने अपना बैग डेस्क पर रखा और सीधे मिसेज कपूर के केबिन की तरफ बढ़ी। दरवाजा खटखटाया और अंदर गई। केबिन में मिसेज कपूर अपनी डेस्क पर बैठी फाइलें देख रही थीं। उनके बगल में एक लड़की खड़ी थी—बुलबुल। बुलबुल को देखते ही आशना ने मुस्कुराकर "हाय" कहा, लेकिन बुलबुल ने मुंह फेर लिया, जैसे आशना वहां नहीं हो। आशना को पता था कि बुलबुल उसे पसंद नहीं करती। ऑफिस में दोनों के बीच हमेशा एक अनकही लडाई चलती रहती थी। बुलबुल हमेशा सोचती थी कि आशना को सबकुछ मिल जाता है, वो दोनो कॉलेज से ही साथ थे, एक समय पर दोनो की अच्छी दोस्ती थी पर आज सबकुछ उल्टा था, बुलबुल, आशना को बस कैसे भी करके गिराना चाहती थी, कही न कही उनके बीच की बहस का कारण माहिर ही था, लेकिन आशना कभी इस पर ध्यान नहीं देती थी। वो बस अपना काम करती जाती। मिसेज कपूर ने सिर उठाया और आशना को देखकर मुस्कुराईं।
"आशना, आओ बैठो। सबसे पहले, गुड जॉब! मिस्टर शर्मा का केस जीतना—वो भी इतने मजबूत ओपोजिशन के खिलाफ। मैं इम्प्रेस हूं।"
आशना ने बैठते हुए कहा, "थैंक यू, मैम,,, सब आपकी गाइडेंस की वजह से हुआ है,,, "
मिसेज कपूर ने हंसकर कहा, "नहीं, ये तुम्हारी मेहनत है,, अब, मैं तुम्हें एक नया केस देना चाहती हूं,,, बड़ा ही यूनिक केस है और मुझे तो हैरानी है कि हमें ये केस मिल कैसे गया।"
"कैसा केस, मैम?" मिसेज कपूर ने एक मोटी फाइल आगे सरकाई।
"ये एल.एम.एम. कंपनी का केस है। एशिया की टॉप टेक कंपनियों में से एक है,, जानती हो न,,, एक इंटरनेशनल पेटेंट डिस्प्यूट है, उनकी एक सब्सिडियरी पर एक अमेरिकन कंपनी ने सूट फाइल किया है,, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी थेफ्ट का आरोप है,,, लाखों डॉलर्स की डिमांड की है ,,,सच कहूं तो हमारी फर्म को ये केस इसलिए मिला क्योंकि उनके लीगल हेड ने हमें रेफर किया,, लेकिन ये काफी हाई-प्रोफाइल है, मीडिया अटेंशन मिलेगा,,, "
यह सुनकर आशना ने फाइल खोली और पन्ने पलटने लगी। कंपनी का नाम सुनते ही उसकी आंखें फैल गईं। एल.एम.एम. एक पॉपुलर टेक जायंट, जो एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और स्मार्ट डिवाइसेज में लीडर थी। दिल्ली में रहते हुए भी आशना कभी उनके ऑफिस नहीं गई थी। वो कंपनी उनकी पहुंच से बहुत ऊपर थी—बिलियन डॉलर वैल्यूएशन, ग्लोबल प्रेजेंस मे इंडिया की लिडिंग कम्पनी, केस पढ़ते हुए वो एनालाइज करने लगी। आरोप थे कि एल.एम.एम. ने अमेरिकन कंपनी के एक एल्गोरिदम को कॉपी किया था। एविडेंस कॉम्प्लिकेटेड थे लेकिन आशना को ऐसे केस में एक्सपीरियंस था। वो पहले भी कई आईपी डिस्प्यूट्स हैंडल कर चुकी थी। ( जिसको समझ नही आ रहा है वो इतना जान ले कि यह केस कॉपीराइट का है )
मिसेज कपूर ने कहा, "अगर तुम इस केस को लेना चाहती हो तो देख लो,, वरना मैं ये केस बुलबुल को देने वाली थी।"
तभी बुलबुल, जो अब तक चुप खड़ी थी, अचानक बोल पड़ी। उसकी आवाज में चिढ़ साफ झलक रही थी।
"मैम, आपने फिर मुझे क्यों इस बारे में बताया? अगर आपको आशना को ही ये केस देना था तो..." वो आशना की तरफ देखकर मुंह बनाती हुई बोली,
मिसेज कपूर ने शांत स्वर में कहा, "बुलबुल, शांत हो जाओ, मैं चाहती हूं कि तुम दोनों एक साथ इस केस पर काम करो। ये बड़ा केस है, दो ब्रिलियंट माइंड्स से बेहतर रिजल्ट आएगा। टीम वर्क से हमारी फर्म की रेपुटेशन बढ़ेगी।" बुलबुल चिढ़ गई, उसके चेहरे पर गुस्सा साफ था। वो कुछ कहना चाहती थी, लेकिन मिसेज कपूर की तरफ देखकर चुप रह गई। उसने सिर्फ सिर हिलाया और मुंह फेर लिया।
आशना ने फाइल बंद की और कहा, "मैम, मैं ये केस लूंगी। ये इंटरेस्टिंग है, और मुझे लगता है मैं इसे हैंडल कर सकती हूं।"
मिसेज कपूर ने मुस्कुराकर कहा, "गुड। बुलबुल, तुम आशना की हेल्प करोगी। कल ही क्लाइंट से मीटिंग फिक्स करो।"
बुलबुल ने अनमने मन से "ओके, मैम" कहा और बाहर निकल गई।
आशना भी उठी और केबिन से बाहर आई। उसके मन में खुशी की लहर थी—ये केस उसके करियर को नई ऊंचाई दे सकता था।
अगले दिन सुबह, आशना और बुलबुल एल.एम.एम. कंपनी के ऑफिस की तरफ निकलीं। दिल्ली के पॉश इलाके में स्थित उनका हेडक्वार्टर एक ग्लास टावर था,, मॉर्डन आर्किटेक्चर, हाई-सिक्योरिटी तैनात थी, कार पार्क करके दोनों अंदर गईं। तभी एक लडकी उनका वेलकम किया, लंबे बाल, स्माइलिंग फेस, जिससे वो काफी सुंदर लग रही थी । वो यहां की मैनेजर थी ।
आशना ने कहा, "हाय, हम लॉ फर्म से हैं। मिस्टर राणा से मीटिंग है, केस से रिलेटेड।"
प्रिया ने मुस्कुराकर कहा, "वेलकम। सर ऊपर 20वीं फ्लोर पर हैं। मैं आपको ले चलती हूं।" वो दोनों को लिफ्ट तक ले गई।
रास्ते में प्रिया ने कंपनी के बारे में थोड़ी बातें कीं,, कैसे एल.एम.एम. इनोवेशन में लीडर है, उनके प्रोडक्ट्स पूरी दुनिया में यूज होते हैं। आशना सुन रही थी, जबकि बुलबुल फोन पर स्क्रॉल कर रही थी, जैसे यह सब सुनकर बोर हो रही हो। 20वीं फ्लोर पर पहुंचते ही एक बड़ा केबिन दिखा। प्रिया ने दरवाजा खटखटाया और अंदर जाने का इशारा किया।
अंदर एक आदमी बैठा था, जो इस कम्पनी का चेयरमैन था,, ऐकयम् सिंह राणा,,, वो चालीस साल का था, लेकिन दिखता सिर्फ तीस जैसा था । हल्की बियर्ड, शार्प फीचर्स, डार्क सूट में वो बेहद आकर्षक लग रहा था। उसकी आंखें गहरी थीं, जैसे किसी राज को छिपा रही हों। लड़कियां उसकी दीवानी थीं—मैगजीन्स में उसकी खबरें आतीं, लेकिन रियल लाइफ में वो बहुत कम लोगों से मिलता था। एक रेयर बिलियनेयर, जो मीडिया से बहुत दूर रहता था। बुलबुल उसे देखते ही ठिठक गई। उसका दिल धड़क उठा।
"ओह माय गॉड, यह कितना हैंडसम है,,," वो मन ही मन बोली। वो तुरंत मुस्कुराई और आगे बढ़ी। आशना भी उसे देखकर एक पल को रुक गई, उसकी पर्सनालिटी इतनी मजबूत थी कि कोई भी प्रभावित हो जाता।
लेकिन आशना ने खुद को संभाला और प्रोफेशनल मोड में आ गई।
"गुड मॉर्निंग, मिस्टर राणा,, मैं आशना हूं, और ये बुलबुल है,,, हम आपके केस पर बात करने आये है,,।"
ऐकयम् ने सिर उठाया, लेकिन उसकी आंखों में कोई गर्मजोशी नहीं थी। वो कॉल्ड और सीरियस लग रहा था।
"बैठिए।" उसने बस इतना कहा। दोनों बैठ गईं। आशना ने केस की डिटेल्स शुरू कीं।
"मिस्टर राणा, अमेरिकन कंपनी के आरोप हैं कि आपके एल्गोरिदम में उनके पेटेंट का वॉयलेशन है। हमने एविडेंस एनालाइज किए हैं। अगर हम कोर्ट में साबित कर दें कि ये इंडिपेंडेंट डेवलपमेंट है, तो..."
ऐकयम् ने बीच में ही रोक दिया "मिस आशना, मुझे डिटेल्स पता हैं। आप बस बताइए, कितने चांस हैं जीतने के?" उसकी आवाज ठंडी थी, जैसे वो उनका कोई इंटरव्यू ले रहा हो।
आशना ने जवाब दिया, "80 प्रतिशत, अगर हम सारे टेक्निकल एक्सपर्ट्स को लाइन अप करें।"
ऐकयम् ने भौंहें चढ़ाईं " बस 80? मुझे 100% चाहिए, अगर आप इतनी कॉन्फिडेंट नहीं हैं, तो मैं दूसरी फर्म हायर कर लूंगा।" उसने बिना वजह आशना को डांट दिया।
आशना स्तब्ध रह गई। वो कुछ कहना चाहती थी, लेकिन ऐकयम् इतना बड़ा आदमी था कि वो चुप रह गई। उसके मन में गुस्सा था, लेकिन प्रोफेशनलिज्म ने उसे रोक लिया।
बुलबुल को ये देखकर मजा आ रहा था।
वो मुस्कुराई और ऐकयम् की तरफ झुककर बोली, "मिस्टर राणा, मैं बुलबुल हूं। मैंने आपके बारे में बहुत पढ़ा है, आपकी कंपनी की इनोवेशंस अमेजिंग हैं, अगर आप चाहें, तो मैं पर्सनली इस केस पर फोकस कर सकती हूं,, " वो अपना जादू चलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ऐकयम् ने कोई भाव नहीं दिया।
"थैंक्स, लेकिन मुझे रिजल्ट्स चाहिए, फ्लर्टिंग नहीं।" उसने ठंडे स्वर में कहा। बुलबुल का चेहरा लाल हो गया, लेकिन वो चुप रह गई।
मीटिंग खत्म हुई। आशना और बुलबुल केबिन से बाहर निकलीं। आशना के मन खिन्न उठ रही थी, बाहर निकलते ही आशना किसी से टकरा गई।
"ओह, सॉरी!" वो बोली। सामने वो आदमी था, वही यंग मैन जो कोर्ट के बाहर उसे लॉन्ग ड्राइव का ऑफर दे रहा था। वो ऐकयम् का सेक्रेटरी था। उसे देखकर वो मुस्कुराया और बोला,
"हैलो, मैडम, हम यहां फिर मिल गये,,!! आशना शॉक्ड रह गई।
"तुम यहां?" उसका मुंह खुला रह गया।
वो आदमी हंसा, "हां, मैं मिस्टर राणा का असिस्टेंट हूं, सर ने ही आपको इनवाइट किया था, लेकिन आपने मना कर दिया।"
आशना को सब समझ आ गया। उसे नही समझ आया कि अब क्या कहे,, वो कुछ कहे बिना आगे बढ़ गई। उसके मन में उथल-पुथल थी । क्या वो आदमी जो उसके पीछे कोर्ट तक आया था वो ऐकयम् था ।
आशना और बुलबुल लिफ्ट में चढ़ीं। लिफ्ट के दरवाजे बंद होते ही बुलबुल फट पड़ी।
"क्या आदमी है वो! इतना रूड,, लेकिन इतना हैंडसम भी।" वो अपने बाल संवारते हुए बोली।
आशना ने सिर हिलाया, "हां, लेकिन हमारा काम केस जीतना है, उस पर इम्प्रेस होना नहीं।"
बुलबुल ने मुंह बनाया, "तुम तो हमेशा सीरियस रहती हो,, मुझे मत बताओ मुझे क्या करना है,,, मेरा प्यार छीन लिया था तुमनें, अब मेरी जिंदगी में नाक मत घुसाओ,,, और मैं तो मिस्टर रूड पर ट्राई करूंगी, वैसे भि ऐसे आदमी मिलते कहां हैं?
आशना ने कुछ नहीं कहा। उसके मन में ऐकयम् की इमेज घूम रही थी, लेकिन वो खुद को याद दिलाती रही कि वो यहां काम के लिए है, रोमांस के लिए नहीं। नीचे पहुंचकर दोनों कार में बैठीं। रास्ते में बुलबुल ने फोन निकाला और ऐकयम् के बारे में सर्च करने लगी।
"देखो, मैगजीन्स में क्या लिखा है, बिजनेस टायकून ऐकयम् सिंह राणा, 40 साल, अभी तक सिंगल है लड़कियां मरती हैं उस पर, लेकिन वो कभी किसी के साथ स्पॉट नहीं होता। मिस्टिरियस टाइप बंदा है,, वाओ यार,, मतलब अभी तक सिंगल है,,, "
आशना ने कहा, "बुलबुल, फोकस केस पर,,, हमें कल तक स्ट्रैटेजी बनानी है,, " लेकिन बुलबुल सुन नहीं रही थी। वो सपनों में खोई हुई थी।
ऑफिस पहुंचकर आशना अपनी डेस्क पर बैठ गई। फाइल खोली और केस की डिटेल्स में डूब गई।
एल.एम.एम. का एल्गोरिदम, ये एक एआई बेस्ड सिस्टम था जो डेटा एनालिसिस करता था। अमेरिकन कंपनी क्लेम कर रही थी कि कोड का पार्ट उनके पेटेंट से कॉपी है। आशना ने नोट्स बनाए, टेक्निकल एक्सपर्ट्स को बुलाया उनसे बात की,, इंडिपेंडेंट डेवलपमेंट प्रूव जमा किये,, पेटेंट लॉ के प्रेसिडेंट्स कोट किये, वो घंटों काम करती रही।
वो काम से फ्रि हुई तो ऐकयम् का चेहरा आंखो के सामनें घुम गया । वो चेयर पर सिर टिकाकर ऊपर देखते हुए बोली " मैनें उसे गुस्सा दिला दिया था तभी वो मुझ पर चिढ़ा था क्या,, पर ऐसा कैसे हो सकता है,, क्या वो सच में चाहता था कि मैं उसका केस हैंडल करूं,,,, क्या वो मुझमें इंट्रेस्टेड था,, नही यार ऐसा कैसे हो सकता है,, मैं कोई कहानी की हिरोइन थोडी हूं जो कोई अमीर आदमी मेरे प्यार में गिर जाएगा,,, सच में इस माहिर से बदला लेने के चक्कर में मेैं क्या क्या सोच रही हूं,,,!! "
आशना नें सोचते हुए गुस्से से अपना सिर अपने लैपटॉप पर मार दिया और उदास होकर वही पसर गयी ।
अगली सुबह आशना की आंखें जल्दी खुल गईं। रात भर नींद नहीं आई थी।क्योंकि एकयम् के केस के ऊपर काम कर रही थी । वो बिस्तर से उठी, आईने के सामने खड़ी होकर खुद को देखा। आंखों के नीचे हल्के काले घेरे थे, लेकिन वो उन्हें मेकअप से छिपा लेगी।
" एकयम् सिंह राणा,,, कितना खडूस आदमी है वो,, अगर इस बार कुछ पसंद नही आया तो पता नही किसके सामनें क्या बोल दे,,," वो खुद से बोली।
उसनें नाश्ता किया, कॉफी का मग हाथ में लिया और केस की फाइल फिर से खोली। रात भर वो नोट्स बनाती रही थी,,, वो जानती थी कि ऐकयम् जैसे क्लाइंट को इम्प्रेस करना आसान नहीं होगा। वो 100% सक्सेस चाहता था, और आशना को पता था कि वो उसे रिजल्ट दे सकती है, अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला ।
उसनें फौरन बुलबुल को भी मैसेज किया "सुबह 9 बजे ऑफिस मिलते हैं, फिर एल.एम.एम. जाना है,,,, मै कैस की डिटेल भेज रही हूं,,,,,"
वो तैयार होकर ऑफिस पहुंची तो बुलबुल पहले से ही इंतजार कर रही थी। वो आज कुछ ज्यादा ही सजी-धजी लग रही थी, उसनें रेड ड्रेस पहनी थी,, पैरो में हाई हील्स, और बाल खुले थे ।
आशना ने मुस्कुराकर कहा, " तुम तो आज तो एकदम सुंदर लग रही हो,,,!!
बुलबुल ने आंखें घुमाईं, "हां, क्योंकि आज मिस्टर हैंडसम से मिलना है न,,, तुम तो हमेशा यह बिजनेस सूट में ही रहती हो, टलती फिरती कोई रोबोट लगती हो।"
उसकी बात पर आशना ने हंस दिया, "ये प्रोफेशनल मीटिंग है, बुलबुल, और हम वकीलो को यह काले कपडे ही जचते है,,, खैर छोडो यह सब,,, चलो, निकलते हैं,, "
दोनों कार में बैठीं। रास्ते में आशना ने केस की डिटेल्स डिस्कस कीं "हमें टेक्निकल एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट दिखानी होगी,,, यह देखो,, मैंने कल रात एक स्ट्रैटेजी बनाई है, अगर हम प्रूव कर दें कि एल्गोरिदम इंडिपेंडेंटली डेवलप हुआ है, तो केस जीत जाएंगे,,, "
बुलबुल ने फोन पर स्क्रॉल करते हुए कहा, "हां-हां, पता है। लेकिन वो ऐकयम्... वो कल कितना रूड था, थोडा सम्भलकर रहना,, वरना तुम्हारी वजह से मुझे शर्मिंदा होना पडता है,,,!!
आशना ने सिर हिलाया, "हम्म!! "
अंदर ही अंदर आशना भी सोच रही थी कि पता नही एकयम् को आज उसकी एनालिसिस पसंद भी आएगी या नहीं,,,, वो कार ड्राइव करती रही, दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर ट्रैफिक से बचते हुए वो जैसे तैसे एल.एम.एम. के हेडक्वार्टर पहुंचे। वो ग्लास टावर हमेशा की तरह उतना ही इम्पोजिंग लग रहा था। दोनो ही सिक्योरिटी चेक से गुजरीं, रिसेप्शन पर नाम बताया ।
ऊपर फ्लोर पर पहुचे तो प्रिया, वही मैनेजर लड़की, मुस्कुराकर मिली। "वेलकम बैक,, सर से मीटिंग है न?"
"हां,"
आशना ने कहा। "हमें केस की डिटेल्स सर के साथ डिस्कस करनी हैं,,, "
प्रिया ने लिफ्ट में ले जाते हुए कहा, "सर आज थोड़े बिजी हैं, उनकी आज मीटिंग शेड्यूल्ड है।"
वो 20वीं फ्लोर पर पहुंचे। केबिन के बाहर वेट किया । थोड़ी देर बाद ऐकयम् का असिस्टेंट आया—वही यंग मैन, जो कोर्ट के बाहर लॉन्ग ड्राइव ऑफर कर रहा था।
उसने मुस्कुराकर कहा, "हैलो, मैडम,,, सॉरी पर सर अभी यहां नहीं हैं,,, वो एक इमरजेंसी मीटिंग में फंस गए।"
यह सुन आशना का चेहरा उतर गया। "क्या? हम इतनी दूर से आए हैं, इतनी तैयारी की है,, कम से कम कॉल करके बता देते।" वो थोडे गुस्से से बोली।
अंदर से उसे बुरा लग रहा था। रात भर नींद त्यागकर नोट्स बनाए, स्ट्रैटेजी प्लान की, और अब क्लाइंट ही नहीं है? ये एकदम प्रोफेशनल नहीं था। उनके मेहनत की किसी को कोई परवाह ही नही थी ।
वही बुलबुल ने कंधा झटका, "चलो, वापस चलते हैं,, टोटली वेस्ट ऑफ टाइम,,,, " वो तो इस वजह से परेशान थी कि एकयम् को इम्प्रेस नही कर पाएगी, उसे केस से तो जरा भी फर्क नही पडता था ।
दोनों लिफ्ट की तरफ बढ़ीं। आशना के मन में उथल-पुथल थी,, तभी आशना का फोन बजा। अननोन नंबर था, वो उठाई, "हैलो?"
"मैडम, मैं ऐकयम् सर का पर्सनल असिस्टेंट बोल रहा हूं,,, मैनें सर से बात की तो सर ने कहा है कि अगर आप चाहें तो होटल मिराज आ सकती हैं,,, वो वहां एक मीटिंग अटेंड कर रहे हैं, लेकिन आपके लिए टाइम निकाल लेंगे,, केस से रिलेटेड बात हो जाएगी,, "
यह सुन आशना रुक गई। "होटल मिराज? वो कहां है?"
"दिल्ली के सेंट्रल एरिया में, सर का फेवरेट प्लेस है,, आप वहां बारह बजे तक पहुंच जाना,,, सर वही मिलेगे,,,।"
आशना ने हामी भरी और फोन रखा। बुलबुल की तरफ मुड़ी, "चलो, होटल मिराज चलते हैं,, ऐकयम् सर वहां है।"
बुलबुल ने मुंह बनाया, "अभी? मुझे ऑफिस से कॉल आया है, एक और केस की मीटिंग है,,, तुम अकेले जाओ,,,,,"
आशना ने सोचा, " ठीक है जाओ,,,!!
"हां, लेकिन तुम हैंडल कर लो,,, मैं बाद में अपडेट ले लूंगी,,,," बुलबुल ने कहा और कार की तरफ बढ़ गई। जाने का मन तो बुलबुल का भी नही था पर बॉस का ऑर्डर था तो वो क्या ही कर सकती थी,, एकयम् के लिये तो वो इतना सजकर आयी थी और अब उससे ही मिल नही सकती थी ।
अब आशना अकेली रह गई। वो अपनी कार में बैठी और होटल मिराज की तरफ निकल पड़ी। होटल मिराज दिल्ली का एक लग्जरी होटल था,, आशना पार्किंग में कार लगाकर अंदर गई । उसनें रिसेप्शन पर नाम बताया,
"मिस्टर ऐकयम् सिंह राणा से मीटिंग है।"
रिसेप्शनिस्ट ने चेक किया और मुस्कुराई, "हां, मैम,,, वो प्राइवेट लाउंज में हैं,,, ऊपर दूसरी मंजिल, रूम 205,,, "
आशना लिफ्ट से ऊपर गई। उसका दिल थोड़ा तेज धड़क रहा था। इस तरह अकेले आना, क्या ये प्रोफेशनल लग रहा था? लेकिन वो फिर खुद को याद दिलाई, ये सिर्फ मीटिंग है और उसे मिटिंग के लिये आना ही था । उसनें दरवाजा खटखटाया।
"कम इन," अंदर से ऐकयम् की ठंडी आवाज आई। अंदर ऐकयम् एक सोफे पर बैठा था, लैपटॉप खोलकर काम कर रहा था। कमरा लग्जरी था, सॉफ्ट लाइटिंग जल रही थी, बड़ी खिड़कियां जिसनें धूप अंदर आ रही थी, और टेबल पर कॉफी रखी थी । वो अपनी जगह से उठा नहीं, बस सिर उठाकर उसे देखा।
"बैठिए, मिस आशना।" आशना बैठ गई, फाइल निकालकर रख दी ।
"थैंक यू सर, टाइम देने के लिए,,,,, मैंने स्ट्रैटेजी तैयार की है,,, अगर हम एल्गोरिदम के डेवलपमेंट हिस्ट्री को डॉक्यूमेंट करें, और एक्सपर्ट विटनेस बुलाएं, तो क्लेम को इनवैलिड कर सकते हैं,,, यहां देखिए, पेटेंट लॉ के सेक्शन 102 के तहत..."
ऐकयम् ध्यान से सुन रहा था। उसकी आंखें आशना पर टिकी थीं, लेकिन चेहरे पर कोई भाव नहीं। आशना बोलती रही,,, वो घंटे भर बोलती रही, बीच-बीच में ऐकयम् सवाल पूछता— "ये एविडेंस कितना स्ट्रॉन्ग है?ये कोर्ट में ये होल्ड करेगा?"
" जी सर !! " आशना नें कहा ।
आखिर में, आशना ने कहा, "तो सर, मेरे हिसाब से 90% चांस हैं जीतने के,,, मैंने कल की तुलना में और रिसर्च की है,, आई होप आपको मैनें इस बार निराश नही किया है,,, "
ऐकयम् ने लैपटॉप बंद किया और पीछे टिक गया। "गुड,,, आपकी तैयारी इम्प्रेसिव है,,, ज्यादातर लॉयर्स सिर्फ बातें करते हैं, लेकिन आप... डिटेल्स में जाती हैं,,, जैसे कोई... अपने काम के लिये हद से ज्यादा ही पैशनेट हो।"
यह सुन आशना रुक गई। ये तारीफ थी? या सिर्फ कमेंट? एकयम् की आवाज में कुछ नरमी थी, लेकिन चेहरा वही ठंडा था। वो कन्फ्यूज हो गई। "थैंक यू सर, लेकिन ये मेरा काम है।"
"हां, लेकिन सब ऐसा नहीं करते,,,, कॉफी?"
आशना ने मना किया। मीटिंग खत्म हुई। ऐकयम् उठा, "मुझे जाना है,,, आपकी स्ट्रैटेजी पर काम करेंगे। गुड डे।"
वो बाहर की तरफ बढ़ा। आशना भी बैग उठाकर पीछे-पीछे चली। मन में खुशी थी,,,, मीटिंग अच्छी गई थी, लेकिन तारीफ? वो सोच रही थी, क्या वो इनडायरेक्टली फ्लर्ट कर रहा था? नहीं, वो इतना सीरियस आदमी है।
वो ऐसा कभी सपनें में भी ना करे,,,, वो लोग लॉबी में पहुंचे। आशना बाहर जाने लगी, तभी उसकी नजर माहिर पर पडी । वो होटल के बार एरिया में बैठा था, उसके साथ एक लड़की—जो लंबे बाल, मिनी ड्रेस में थी । माहिर हंस रहा था, लड़की उसके कंधे पर हाथ रखे। आशना का दिल धक से रह गया। वो इग्नोर करके तेज कदमों से बाहर की तरफ बढ़ी। लेकिन माहिर ने देख लिया। "अरे, आशना! क्या बात है, तुम यहां,,,,,"
आशना रुक गई, लेकिन मुड़ी नहीं थी । माहिर उठकर आया, वो लड़की पीछे-पीछे थी ।
" क्या हुआ? अभी तक मुझे गिल्टी फील नहीं करवाया? कोई मिला नहीं न मेरे अलावा? अभी भी वक्त है, मेरे पास वापस आ जाओ। मैं तुम्हें उतना ही प्यार करूंगा, जितना पहले करता था, लेकिन अब तुम्हें मेरा असली चेहरा पता है, तुम मेरे साथ ही अच्छी लगती हो, अब वैसे भी, तुम्हारे पास खूबसूरती है, मेरे पास पैसा,,,, हमारी जोड़ी बहुत जचेगी।"
यह सब सुनकर आशना का खून खौल उठा। गुस्सा इतना कि आंखें नम हो गईं। वो कुछ कहना चाहती थी, लेकिन शब्द नहीं निकले। वो बस मुड़कर जाने लगी। तभी वो लड़की आगे आई और जानबूझकर पैर लगाकर आशना को गिराने की कोशिश की। आशना लड़खड़ाई, लेकिन संभल गई। वो मुड़ी,इस बार उसकी आंखों में आग थी ।
"मुझे तुम्हारी जरूरत नहीं है। मैं यहां अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ आई थी। और जल्द ही जो मैंने कहा था, वो करूंगी भी।" इतना कहकर आशना ने देखा,,, ऐकयम् अभी बाहर नहीं निकला था, वो थोड़ा आगे खड़ा फोन पर बात कर रहा था। उसकी पीठ माहिर की तरफ थी। आशना तेजी से उसके पास गई, ऐकयम् का हाथ पकड़ा और खुद को उससे चिपका लिया। ऐकयम् हैरान हो गया, फोन नीचे गिरते-गिरते बचा।
"क्या...?" वो एकदम बोला ।
आशना ने उसके कान में फुसफुसाया, "प्लीज,,, हेल्प मी,,,, मिस्टर राणा,,,,"
फिर जोर से बोली, "डार्लिंग, चलो न।" वो ऐकयम् के साथ चिपककर फ्लर्ट करने लगी,,,
उसके कोट को ठीक किया, वो मुस्कुराई, और बोली "तुम कितने हैंडसम लग रहे हो आज,,, आई नो तुम हो ही इतने हैंडसम,,, कि तुम्हें तो कोई भी लडकी मना नही कर सकती,,,,"
माहिर दूर से देख रहा था। वो आदमी की शक्ल नहीं देख पाया, क्योंकि ऐकयम् की पीठ थी, लेकिन आशना को किसी अमीर दिखने वाले आदमी के साथ देखकर हैरान रह गया।
"क...कौन है वो?" वो बड़बड़ाया, माहिर को उसनें तिरछी नजर से देखा और मुस्कुरा दी, आशना ऐकयम् को लेकर बाहर निकल गई।
ऐकयम् अभी भी हैरान था। बाहर पार्किंग में पहुंचकर वो रुका, उसनें खुद को आशना को अलग किया।
वो बोला "ये क्या था, मिस आशना?"
आशना घबरा गई, लेकिन फ्लर्ट जारी रखा। "ओह, सर... मतलब डार्लिंग, वो मेरा बॉयफ्रेंड था,,, बस उसे जलाना चाहती थी,,,, लेकिन सच कहूं तो मुझे तो आपकी बाहों में अच्छा लगा,,,, सच में पहली बार किसी मर्द की खुशबूं नें मुझे इतनी जल्दी अपना बना लिया,,,," वो उसके करीब आई, उसकी आंखों में शरारत थी ।
ऐकयम् की आंखें उस पर टिकी थी, लेकिन फिर वो मुस्कुराया । आशना तो उसकी स्माइल को ही देखती रह गयी,,,
" है यह मुस्कुराते भी है !! वो मन में बोली । पर उसकी मुस्कुराहट में जैसे वो खो गयी । तभी उसे झटका लगा जब एकयम् नें आशना की कमर पकड़कर करीब खींचा।
"तो तुम्हें किसी को जलाना है? ठीक है,,, अगर तुम मेरा इस्तेमाल ही करना चाहती हो तो ठीक हेै कर लो,,, लेकिन मैं सिर्फ प्रोफेशनल नहीं हूं,,, पर्सन भी होना जानता हूं,,, और कोई अगर खुद करीब आये तो इतना शरीफ भी नही हूं कि मौका हाथ से जाने दूं,,,," उसकी आवाज नरम हो गई, आंखें आशना के होंठों पर ठहर गयी ।
"तुम्हारी आंखें... झील सी गहरी है,,,, अगर तुम अपने बॉयफ्रेड के साथ खुश नही हो तो बता दो,,, आई विल गिव यू द लव यू डिजर्व,,,, और वो पैशन... वो केस में नहीं, तुममें है,,, अगर तुम चाहो, एक दूसरे को पर्सनली भी जान सकते है मिस आशना,,,,"
यह सब बाते एकयम् के मुंह से सुनकर आशना घबरा गई। उसका दिल जोर से धड़क रहा था। ये क्या हो रहा था? वो फ्लर्ट कर रही थी, लेकिन ऐकयम् अब सीरियस लग रहा था। वो अब कुछ ज्यादा ही क्लोज हो रहा था । उसकी छुअन गर्म थी, उसकि नजरें गहरी थी ।
"स...सर, मैं..." वो घबरा गयी ।
ऐकयम् ने और करीब आकर फुसफुसाया, "शशश... डार्लिंग,,, अगर तुम्हारा बॉयफ्रेंड देख रहा है, तो शो जारी रखें,, लेकिन मैं सच कहूं, तो तुम्हें देखकर मैं पहले से तुममें इंट्रेस्टेड हूं,,, कोर्ट के बाहर... वो मैं था, जो तुम्हें देखकर रुक गया,,, सच में तुम्हारे बदन की खुशबू भी कुछ कम नही,,,,, If you’re looking for a sugar daddy who’s all yours, I’m ready—with my heart and everything else.”
उसका इन्टिमेट ऱूप देखकर आशना की सांसें तेज हो गईं। वो पीछे हटना चाहती थी, लेकिन ऐकयम् की पकड़ मजबूत थी। वो रोमांटिक फिल... ये असली लग रहा था। क्या वो सच था।यह सब बोल रहा है...? नहीं, ये सिर्फ मजाक ही है। लेकिन अब उसका शरीर कांप रहा था,,, आशना की हालत अब खराब हो रही थी ।
आशना की सांसें तेज हो रही थीं। एकयम् की पकड़ मजबूत थी, और उसकी आंखें अब आशना के चेहरे पर टिकी हुई थीं, जैसे वो उसके चेहरे की हर हलचल को पढ़ रहा हो। पार्किंग एरिया में हल्की धूप पड़ रही थी, लेकिन आशना को लग रहा था जैसे चारों तरफ तेजी से गर्मी बढ़ गई हो। उसका दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे लग रहा था कि एकयम् भी उसकी धडकनो को सुन सकता है। उसका किया गया वो फ्लर्ट सिर्फ एक झूठ था, माहिर को जलाने के लिए, लेकिन अब ये सब कुछ ज्यादा रियल लग रहा था। एकयम् की सांसें उसके चेहरे पर महसूस हो रही थीं, और वो और करीब आ रहा था। एकयम् के साथ उसका किया गया फलर्ट उस पर भारी पड रहा था ।
"सर... प्लीज," आशना ने धीरे से कहा, उसकी आवाज कांप रही थी। वो पीछे हटने की कोशिश कर रही थी, लेकिन एकयम् ने उसकी कमर पर हाथ और सख्त कर लिया। उसकी उंगलियां आशना की कमर पर दबाव डाल रही थीं, और वो महसूस कर रही थी कि ये कोई मजाक नहीं था।
एकयम् की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो आशना को अब अपनी कैद में रख लेना चाहता था ।
" घबरा क्यो रही हो आप मिस आशना,,,!! " एकयम् ने फुसफुसाया, उसकी आवाज गहरी और इंटेंस थी।
"तुम्हें डर लग रहा है? लेकिन तुमने खुद शुरू किया ये सब, अगर तुम्हें किसी को जलाना है, तो मैं मदद कर सकता हूं। लेकिन याद रखो, मैं वो आदमी नहीं हूं जो आधे-अधूरे काम करता हूं, खैर जलाना ही क्यो है, मैं तो कहता हू तुम मेरे सैथ ही क्यो नही आ जाती,तुम जैसी खुबसूरत लडकी को अगर एक शुगर डैडी चाहिए, जो तुम्हें सब कुछ दे सके, पैसे, लग्जरी, और वो प्यार जो तुम कभी नहीं भूलोगी, तो मैं बन सकता हूं।" उसने अपना चेहरा और करीब लाया, इतना कि आशना की सांसें रुकने लगीं।
"तुम्हारी ये सांसे,,,. इतनी अपना लग रही हैं कि मैं अब इसमें डूब जाना चाहता हूं। तुम्हारा ये बदन, इतना सॉफ्ट, जैसे मेरे ही छूने के लिए बना हो। मैं तुम्हें वो खुशी दे सकता हूं जो तुम्हारा बॉयफ्रेंड कभी नहीं दे पाया। वो रातें जो कभी खत्म न हों, सुबहें जो तुम्हारी मेरी बांहो में शुरू हों। लेकिन ये सब फ्री नहीं आएगा, आशना,,, तुम्हें मुझे अपना बनाना होगा, पूरी तरह से,,, हर एक इंच से,,,, मैं तुम्हें हर रात स्पॉइल करूंगा, और. तुम सिर्फ मेरी हो जाओगी,,, हर रात, हर पल के लिये,,, क्या तुम तैयार हो?"
उसके मुंह से ऐसी बाते सुन आशना का पूरा शरीर कांप रहा था। ये शब्द इतने इंटेंस थे कि उसे डर लगने लगा। क्या ये सच था? या सिर्फ एक खेल चल रहा था ? एकयम् की आंखें अब उसके होंठों पर ठहरी हुई थीं, और वो और करीब आ रहा था, जैसे किसी भी पल वो उसे किस कर लेगा। आशना ने अपने हाथों से उसे धक्का देने की कोशिश की, लेकिन उसकी ताकत कम पड़ रही थी।
"न... नहीं, सर... ये... ये गलत है," वो बड़बड़ाई, डर इतना था कि उसे लग रहा था जैसे वो फंस गई हो। एकयम् की खुशबू, उसकी गर्माहट, सब कुछ उसे घेर रहा था। वो सोच रही थी कि क्या वो चीखे? या भागे? लेकिन पार्किंग में कोई नहीं था, और एकयम् इतना पावरफुल आदमी था कि वो कुछ भी कर सकता था।
एकयम् ने हल्के से हंस दिया, लेकिन उसकी हंसी में एक डार्कनेस थी।
"डर रही हो? अच्छा है। क्योंकि मैं, वो नहीं हूं जो आसानी से रुक जाता हूं। अगर तुम्हें मेरी जरूरत है, तो मैं तुम्हारी जरूरत बनूंगा लेकिन अगली बार सोचना, क्योंकि मैं तुम्हें वो सब दूंगा जो तुम मांगोगी... और शायद उससे भी ज्यादा,,, तुम्हारा ये फ्लर्ट, ये क्लोजनेस... सब मेरे लेवल का है,,, मैं तुम्हें टच करके देख सकता हूं कि तुम कितनी हॉट हो,, मैं तुम्हारे लिये शुगर डैडी भी बन सकता हूं लेकिन बदले में तुम्हारी रातें मेरी होंगी,, इमेजिन करो, हम दोनों एक लग्जरी सुइट में, सिर्फ हम... कोई रोकने वाला नहीं,,, और मैं तुम्हारे बदन के हर कतरे में डूब रहा हू,, तुम सोच नही सकती कि मै तुम्हें दर्द के साथ जन्नत का वो मजा भी दे सकता हूं जो कोई तुम्हें नही दे पाएगा ,, क्या तुम्हें वो चाहिए?"
आशना का डर अब पीक पर था। उसकी सांसें फंस गईं, और वो सोच रही थी कि ये कैसे खत्म होगा। वो एक गढ्ढा खोदकर उसमें लेट जाना पसंद करेगी पर अभी कैसे भी करके एकयम् की पकड से छूट जाये,,, एकयम् का चेहरा अब इंच भर दूर था, और वो महसूस कर रही थी कि उसकी सांसें उसके होंठों को छू रही हैं।
"प... प्लीज... दूर हटिए," वो बडी मुश्किल से बोली, लेकिन आवाज नहीं निकली। डर इतना था कि उसके पैर सुन्न हो गए थे। अचानक, एकयम् ने खुद को पीछे खींच लिया। उसने आशना को छोड़ दिया, और एक कदम पीछे हट गया। उसकी आंखों में अब वो इंटेंसनेस नहीं थी, बल्कि एक ठंडी मुस्कान थी।
"बस इतना ही? आप तो मेरे फलर्ट को पांच मिनट भी नही झेल पायी,,, मैं हर बार ऐसे मदद नहीं करूंगा, मिस आशना। अगर दोबारा मौका दिया जाएगा, तो मैं पूरा फायदा उठाऊंगा। समझीं?" उसने एक ठंडी मुस्कुराहट के साछ कहा, उसकी आवाज वापस प्रोफेशनल हो गई थी, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
आशना की धड़कनें अब और तेज हो गईं। वो एकयम् को देखती रह गई, उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। क्या ये सब एक मजाक था? या रियल? उसका शरीर अभी भी कांप रहा था, और वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी। एकयम् ने एक आखिरी नजर उसे देखा, फिर मुड़ा और अपनी कार की तरफ चला गया। वो बैकसीट पर बैठ गया, आशना वहां चुपचाप खड़ी रह गई, उसका दिल अभी भी जोर से धड़क रहा था।
कुछ मिनटों तक वो वहीं खड़ी रही, खुद को संभालने की कोशिश करती हुई। उसकी सांसें सामान्य होने लगीं, लेकिन मन में उथल-पुथल थी।
"ये क्या था?" वो खुद से बड़बड़ाई। एकयम् की वो बातें, वो क्लोजनेस... सब कुछ इतना रियल लगा था कि उसे अब डर लग रहा था कि कहीं वो सच में इंटरेस्टेड तो नहीं। लेकिन नहीं, वो एक प्रोफेशनल क्लाइंट था, और ये सब सिर्फ उसकी मदद थी... या बदला था जो आशना नें किया, वो उसका दस गुना कर गया था ? वो अपना बैग संभालती हुई अपनी कार की तरफ चली। हाथ अभी भी कांप रहे थे, लेकिन वो खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रही थी।
कार के पास पहुंचकर उसने चाबी निकाली और ड्राइवर सीट पर बैठ गई। इंजन स्टार्ट किया, लेकिन जैसे ही कार आगे बढ़ाने की कोशिश की, उसे लगा कि कुछ गड़बड़ है। कार हिल नहीं रही थी। वो बाहर निकली और देखा, तो टायर पंक्चर हो गया था।
"अरे नहीं! ये कब हुआ?" वो चिल्लाई, अब वो फंस गई थी। समय देखा, दोपहर के 1 बज रहे थे, और उसे ऑफिस जाना था।
"अब क्या करूं?" वो फोन निकालकर मैकेनिक को कॉल करने लगी, लेकिन तभी उसका फोन बजा। ऑफिस से था, मिसेज कपूर का नंबर था ।
"हैलो, बॉस ?" आशना ने उठाया।
"आशना, कहां हो तुम? यहां एक क्लाइंट आया है, मिस्टर मेहरा, वो पर्सनली तुमसे मिलना चाहते हैं,, केस की डिटेल्स डिस्कस करनी हैं, और वो काफी इरिटेटेड हैं। जल्दी आओ!" मिसेज कपूर की आवाज तेज थी।
"मैं... मैं आ रही हूं, लेकिन मेरी कार का टायर पंक्चर हो गया है। मैं टैक्सी बुलाती हूं," आशना ने कहा, लेकिन मन में घबराहट थी। क्लाइंट इंतजार कर रहा था, और वो यहां फंसी हुई थी। फोन रखकर वो चारों तरफ देखने लगी। तभी उसे याद आया—एकयम् की कार अभी दूर नहीं गई होगी। वो तेज कदमों से पार्किंग के एंट्री की तरफ दौड़ी, जहां एकयम् की कार रुकने वाली थी। वो कार अभी गेट पर थी, आशना ने दौड़कर उसके पास पहुंची और खिड़की पर टैप किया। एकयम् ने खिड़की नीचे की, उसकी भौंहें चढ़ी हुई थीं।
"सर... प्लीज, मुझे लिफ्ट दे दीजिए। मेरी कार का टायर पंक्चर हो गया है, और ऑफिस में इमरजेंसी है। क्लाइंट वेट कर रहा है," आशना ने रिक्वेस्ट की, उसकी आवाज में मिन्नत थी।
एकयम् ने उसे एक ठंडी नजर से देखा।
"सॉरी, मिस आशना, लेकिन मेरी कार में जगह नहीं है। और वैसे भी, मैं बिजी हूं। गुड लक, टेक्सि बुला लिजिये,,,," इतना कहकर उसने खिड़की ऊपर कर ली, और ड्राइवर ने कार आगे बढ़ा दी। आशना वहीं खड़ी रह गई, हैरान और गुस्से से वो उसे जाते हुए घूरने लगी ।
"कितना रूड है ये आदमी!" वो बड़बड़ाई। गुस्सा इतना आया कि वो वापस अपनी कार के पास गई और गुस्से में अपना पैर कार के टायर पर मार दिया।
"आउच!" पैर में चोट लगी और दर्द हुआ, लेकिन गुस्सा कम नहीं हुआ।
तभी उसे लगा कि कोई उसे देख रहा है। मुड़ी तो माहिर पार्किंग में आ रहा था, वो आशना को देख देखने वाला था, पर उसके साथ आयी लडकी उसे वापस ले गयी । वो ज्यादा कुछ देख नही पाया,
"आखिर वो आदमी कौन था?" माहिर जाते हुए खुद से बड़बड़ाया। उसे जलन हो रही थी कि आशना किसी अमीर आदमी के साथ थी, आशना ने उसे इग्नोर किया और फोन निकालकर टैक्सी बुक की।
"मुझे उस पागल आदमी से दूर रहना है," वो मन में सोच रही थी । वो लम्हें याद करके उसको बदन में अभी भी झुरझुरी उठ रही थी ।
आशना वही खडी थी,,, तभी टैक्सी आई, और आशना जैसे-तैसे उसमें बैठ गई।
ड्राइवर ने पूछा, "मैडम, कहां जाना है?" आशना ने ऑफिस का पता बताया, लेकिन उसका मन अभी भी एकयम् की बातों में था। आज का दिन जैसे एक बुरे सपने की तरह गुजर रहा था,, सुबह एकयम् के साथ वो अजीब मीटिंग, फिर फ्लर्टिंग का वो डरावना मोमेंट, कार का टायर पंक्चर, और अब ऑफिस में इमरजेंसी । वो खिड़की से बाहर देख रही थी, दिल्ली की व्यस्त सड़कों पर ट्रैफिक इतना था कि टैक्सी भी ठहर ठहर कर मंजलि तक पहुचने वाली थी । हॉर्न की आवाजें, धूल-धुंआ, सब कुछ उसे और चिड़चिड़ा बना रहा था। पसीना उसके माथे पर चिपक रहा था, और वो बार-बार अपना चेहरा पोंछ रही थी। यह पसीना गर्मी की वजह से कम और एकयम् के करीब आने के लम्हो को याद कर ज्यादा आ रहा था।
"कितना समय लगेगा?" उसने ड्राइवर से पूछा।
"मैडम, आधा घंटा तो लगेगा ही, ट्रैफिक जो है," ड्राइवर ने कहा।
आशना ने सिर हिलाया, लेकिन अंदर से वो चिडचिडी हो रही थी। ऑफिस से मिसेज कपूर का कॉल आया था, क्लाइंट इंतजार कर रहा था, और वो यहां फंसी हुई थी। उसका फोन फिर बजा ।
"आशना, कहां हो? क्लाइंट बहुत गुस्से में है!"
आशना ने कहा, "आ रही हूं, ट्रैफिक बहुत है मैम,,,।" लेकिन मन में वो सोच रही थी कि आज सब कुछ गलत क्यों हो रहा है। पसीने से उसकी शर्ट चिपक रही थी, और वो खुद को असहज महसूस कर रही थी।
आखिरकार, आधे घंटे बाद टैक्सी ऑफिस के बाहर रुकी। आशना ने पैसे दिए और तेज कदमों से अंदर दाखिल हुई। ऑफिस में घुसते ही शोर सुनाई दिया। लॉबी में हंगामा मचा हुआ था। मिस्टर मेहरा, एक मोटा-ताजा आदमी,,, जिनके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था, बाल सफेद हो चुके थे,, और उन्होंने ग्रे सूट पहना हुआ था—वो मिसेज कपूर से चिल्ला रहे थे। उनकी आवाज इतनी तेज थी कि पूरे ऑफिस में गूंज रही थी।
"कितनी देर से वेट करवा रही हो? मैं यहां अपना टाइम वेस्ट करने नहीं आया! आशना कहां है? मैं पर्सनली उससे बात करूंगा! अगर आज ही केस की डिटेल्स क्लियर नहीं हुईं, तो मैं तुम्हारी फर्म छोड़ दूंगा और दूसरा लॉयर हायर कर लूंगा! क्या लगता है, मैं यहां बैठकर तुम्हारी नाकामयाबी देखता रहूं? तुम जैसे वकिलो को मैं अच्छी तरह जानता हूं,,,," मिस्टर चौधरी के हाथ बात करते हुए हवा में लहरा रहे थे, और उनका चेहरा लाल हो गया था। मिसेज कपूर घबरा रही थीं, उनके हाथ कांप रहे थे, और वो बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थीं। ऐसे साइको लोगो को सम्भालना उनके भी बस में नही था । यह काम सिर्फ आशना ही कर सकती थी ।
"सर, प्लीज शांत हो जाइए। वो आ रही होगी... मैंने अभी कॉल किया था। ट्रैफिक की वजह से लेट हो गई होगी," मिसेज कपूर ने डरते हुए कहा, लेकिन मिस्टर मेहरा और जोर से बोले, "ट्रैफिक? मै सब जानता हूं ये सब बहाना है! मैं यहां एक घंटे से ज्यादा समय से बैठा हूं, अभी तक ट्रैफिक ही नही हट रहा क्या??? प्रोफेशनलिज्म का नामोनिशान नहीं! मैंने इतने पैसे दिए हैं, और बदले में ये मिल रहा है?" लॉबी में मौजूद दूसरे स्टाफ सदस्य भी रुककर देख रहे थे, कुछ तो फुसफुसा रहे थे। आशना ने ये सब सुन लिया था। वो तेजी से आगे आई, खुद को शांत दिखाने की पूरी कोशिश करते हुए।
उसने गहरी सांस ली, अपना चेहरा मुस्कान से सजाया, और बोली, "मिस्टर मेहरा, आई एम एक्स्ट्रीमली सॉरी फॉर द डिले। प्लीज, कम इन माई केबिन,,, आपकी जो भी प्रॉब्लम है,, हम अभी डिस्कस करेंगे।" उसकी आवाज में आत्मविश्वास था ।
मिस्टर मेहरा अभी भी गुस्से में थे, उनकी सांसें तेज चल रही थीं, लेकिन आशना की प्रोफेशनल तरीके से हैंडल करने पर वो थोड़ा शांत हुए। वो बड़बड़ाते हुए बोले, "ठीक है, लेकिन ये आखिरी बार है। अगर आज मुझे रिजल्ट पर भरोसा नहीं हुआ, तो..."
आशना ने उन्हें केबिन की तरफ ले जाकर बैठाया। केबिन में बैठकर आशना ने केस की डिटेल्स डिस्कस कीं। ये एक प्रॉपर्टी डिस्प्यूट था—मिस्टर मेहरा की फैमिली प्रॉपर्टी पर उनके भाई का क्लेम था, और इसमें पुराने डॉक्यूमेंट्स, विटनेसेस, और लीगल क्लॉज शामिल थे। आशना ने सब कुछ क्लियर किया। वो फाइल खोलकर दिखाती गई, "सर, देखिए, यहां सेक्शन 54 के तहत ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट लागू होता है। हम कोर्ट में स्ट्रॉन्ग एविडेंस पेश करेंगे—आपके पुराने डीड्स, विटनेस स्टेटमेंट्स, और एक्सपर्ट ओपिनियन सब काम आएगा,,, आप चिंता मत कीजिए, हम केस जीतेंगे।" वो हर पॉइंट पर डिटेल में जाती गई, मिस्टर मेहरा के सवालों का जवाब देती गई।
मिस्टर मेहरा पहले तो सवाल पर सवाल दाग रहे थे—"ये एविडेंस कितना स्ट्रॉन्ग है? क्या कोर्ट इसे एक्सेप्ट करेगा?"
पर आशना के समझाने पर वो धीरे-धीरे संतुष्ट होते गए। उनकी भौंहें अब नीचे होने लगी थी, वरना तो वो गुस्से से ही सब देख रहे थे । आखिर में, मिस्टर मेहरा आशना पर विश्वास कर वहां से चले गए।
जैसे ही आशना फ्री हुई, वो अपनी चेयर पर पीछे टिक गई, वो बेहद थकान महसूस कर रही थी। लेकिन तभी दरवाजा जोर से खुला, और बुलबुल उसके केबिन में घुसी। बुलबुल का चेहरा पहले से ही तमतमाया हुआ था, जैसे वो पहले से हमला करने के लिए तैयार थी ।
"क्या हुआ मीटिंग में? अपडेट दे, ऐकयम् सर से क्या बात हुई? जल्दी बता!" बुलबुल ने एकदम से पूछा, लेकिन उसकी आवाज में एक तेजी थी। आशना ने सारी डिटेल्स बताईं,
"मीटिंग अच्छी गई, अब आगे काम करेंगे। उन्होंने कहा कि तैयारी इम्प्रेसिव है।" आशना ने बात खत्म की लेकिन बुलबुल खुश नहीं लगी।
वैसे तो वो तो बिल्कुल खुश नहीं थी,,, उसका गुस्सा जैसे फूट पड़ा। उसकी आंखें लाल हो गईं, और वो चिल्लाकर बोली, " यह सब काम करेगा,,, तुम्हें लगता है यह काफी है,, इसमें काफी पॉइट मिस है,, तुम्हें सही से काम करना ही नही आता है,,,!!
" बुलबुल मैनें अपनी तरफ से सब किया है,,,!! "
" तुमसे नही होगा,,, इसमें काफी डिटेल नही है,,,, तुम भले ही ज्यादा ही समझदार बनती हो लेकिन हो नही,,, मैं कोई बाकि लोगो की तरह नही हूं जो तुम्हारी बातो को मान जाऊं,,!! "
आशना नें उसे एकटक देखा,,, बुलबुल की आवाज इतनी तेज थी कि बाहर के स्टाफ भी सुन सकते थे। वो अपनी कुर्सी से उठी, मेज पर हाथ पटका, और आशना की तरफ उंगली दिखाकर बोली, " मुझे तुम्हें अकेले जाने ही नही देना चाहिये था,,, पता नही बॉस नें मुझे ही क्यो बुलाया,,, तुम्हें ही किया था न सब,, वरना मैं वहां होती मिस्टर राणा के साथ,,, पर तुम्हें यह काम मिल गया,,, और तुम्हारी डिटेल भी पूरी नही थी,,,!!
आशना ने समझाने की कोशिश की, "बुलबुल, शांत हो जा,, एकयम् सर नें कहा है यह सब ठीक है,,,!! "
लेकिन बुलबुल नहीं मानी। वो और जोर से चिल्लाई, "नहीं! नहीं! तुम्हारी वजह से केस हाथ से निकल जाएगा! तुम्हें पता नहीं क्लाइंट को कैसे हैंडल करना। मैं कहती हूं, मुझे दे दो केस! मैं दिखाती हूं कैसे सब किया जाता है!"
बुलबुल का गुस्सा अब पीक पर था, उसकी सांसें तेज चल रही थीं, और वो आशना को घूर रही थी जैसे वो ही उसकी सबसे बडी दुश्मन हो। आशना का धैर्य अब जवाब दे गया। आज का दिन इतना खराब था,, कि उसका सब्र अब जवाब दे गया ।
वो बोली, "ठीक है, ले लो केस। मैं निकल रही हूं इससे। तुम ही सब हैंडल करो।" इतना कहकर वो उठी,
अपना बैग उठाया, और गुस्से से केबिन से बाहर चली गई। बुलबुल हैरान रह गई, लेकिन फिर खुश हो गई, " वाह यह तो इतनी आसानी से मान गयी , अब मैं मिस्टर राणा से सिर्फ मैं ही मिलूंगी! लगता है मेरी जिंदगी में प्यार आने वाला है,,,!! " वो मन ही मन सोच रही थी।
इधर,, आशना ने किसी को कुछ नहीं बताया,,, न मिसेज कपूर को, न किसी स्टाफ को। वो सीधे ऑफिस से बाहर निकल गई, उसका चेहरा लाल था, आज सभी उसके खिलाफ ही जा रहे थे,,, वो अभी ऑफिस के बाहर ही आयी थी कि रिया मिल गयी जो किसी काम से नीचे आयी थी ।
आशना, रिया को देखकर बोली " आशना क्या हुआ,, इतने गुस्से में क्यो हो,,,"
आशना नें कहा " नही,, कोई बात नही है !! "
पर उसकी शक्ल देखकर रिया नें कहा " तू अब मुझसे बातें छिपाएगी,,, बता न यार,,,"
अब आशना नें गुस्से से कहा " आज का तिन खराब है मेरा,,, ऊपर वो बुलबुल पता नही क्यो हर बात से मुझसे नाराज ही रहती है,,, "
रिया नें उसे शांत करवाते हुए कहा " अब क्या बोल दिया उसनें,,,"
" और क्या, वही सब कि मेरे काम का तरिका ठीक नही है,, मैं यहां काम ही क्यो कर रही हूं, "
" अरे यार, तो तू उसकी बातो के बारे में इतना सोचती ही क्यो है,, तू एक काम कर माहिर के साथ जाकर टाइम बिता, तेरा मूड ठीक हो जाएगा और ग्रुप में एक दो तस्वीर भेंज देना, वो तुझे माहिर के साथ देखकर वैसे भी जल भुन जाएगी,,,"
" मै,, अब माहिर के साथ नही हूं, परसो हमारा ब्रेकअप हो गया था,,!
रिया यह सुनते ही शॉक्ड रह गयी, वो बोली " यह कब हुआ,, क्यो हुआ,,, क्या हो गया अचानक, तुम दोनो तो इतने परफेक्ट थे,, फिर,,"
" उसे लगता है कि मैं उसके पैसो के लिये उसके साथ थी,, उसे सेक्स वगैरा चाहिये था जो मुझसे नही मिला उसे,,, तो वो,,," आशना का गला भर आया ।
" साला,, ह*** आदमी,,, उसको तो मैं गधे पे बैठाकर पूरे शहर में घुमाऊंगी,,, उसकी तो,, अच्छा ही हुआ जो तुनें छोड दिया वरना, वो तेरा बस इस्तेमाल करता,,, तेरा प्यार, केयर, जज्बात कुछ नही था,,, सेक्स के लिये इतना डेस्पेरेट था वो कि किसी ओर के पाल चला गया, पता नही वो कैसे कैसे लोग होते थे जो सालो अपने प्रेमी के इंतजार में निकाल देते थे,,, यहां तो लोग दो दिन में ही दूसरा ढुंढने लगते है,,,"
रिया की बाते सुन आशना खामोश हो गयी,, रिया नें उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा " चल ठीक है तू जा,, मैं बॉस को बता दूंगी कि तुने लिव ले ली है,,,"
" हम्म,,," आशना नें सिर हिलाकर कहा ।
" और हां, उस कुत्ते को तो एक थप्पड मेरी तरफ से भी मारना,, और अब तुझे उससे अच्छा कोई चाहने वाला मिलेगा देख लेना,,," रिया नें उसे देखकर कॉन्फिडेंश के साथ कहा ।
" चाहने वाला!? हा हा " आशना के चेहरे पर फिकी सी मुस्कुराहट आ गयी,,
वो वहां से निकली और घर की तरफ पैदल ही जाने लगी । सडक पर रास्ते में ट्रैफिक फिर से था, कारें दौड़ रही थीं, वो पैदल ही थोड़ा आगे बढ़ी। सड़क पर लोग भाग-दौड़ कर रहे थे, वेंडर्स चिल्ला रहे थे, और हवा में धूल उड़ रही थी। तभी सड़क पर एक बूढ़े अंकल आ रहे थे, वो थोडे परेशान लग रहे थे—उनकी उम्र करीब 70-75 साल की होगी, बाल पूरी तरह सफेद, चेहरे पर हल्की झुर्रियां, और वो पैंट शर्ट पहने हुए थे,,, उल पर ब्लैजर था, हाथ में एक छोटा सा बैग था, शायद दवाइयों का, और वो धीमे धीमे चल रहे थे। अचानक उनका पैर फिसला, शायद किसी गड्ढे में, और वो गिरने ही वाले थे। आशना ने दूर से देख लिया। वो दौड़कर उनके पास पहुंची, उनके हाथ पकड़े, और उन्हें संभाला।
"अंकल, आप ठीक हैं? गिर जाते तो चोट लग जाती,, " उसनें अंकल को सहारा दिया ।
" क्या मैं आपकी कोई मदद करूं?" आशना ने चिंता से पूछा, अंकल ने सांस ली, और मुस्कुराया, "बेटा, थैंक यू,,, मैं ठीक हूं, लेकिन पैर में पुराना दर्द है,,, डॉक्टर नें पैदल चलने को कहा था,, बस घर जा रहा था, अगर तुम सहारा देकर घर तक छोड दो तो बड़ी मेहरबानी होगी।" उनकी आवाज कमजोर थी, लेकिन आंखों में आशना से रिक्वेस्ट की भावना थी।
आशना ने हामी भरी। वो सोच रही थी कि आज का दिन खराब था, लेकिन किसी की मदद करके शायद अच्छा लगे। "अंकल, कोई बात नहीं। मैं टैक्सी बुलाती हूं। कहां है आपका घर?"
अंकल ने पता बताया,,, उनका घर दिल्ली के एक पॉश इलाके में था, आशना ने अपना ऐप खोला, टैक्सी बुक की, और इंतजार करने लगी। इंतजार में वो अंकल से बात करने लगी, "अंकल, आप अकेले रहते हैं? फैमिली कहां है?" अंकल ने कहा,
"बेटा, मेरी पत्नी गुजर गईं, बच्चे है पर साथ नही रहते है बस एक पोता है मेरा,, जो मेरा ख्याल रखता है अगर उसे पता चला कि मैं ऐसे बाजार में घुम रहा हूं तो वो धरती आकाश हिला देगा,,, "
वो बोली, " आप उनको बताना ही मत न अंकल, वैसे आपको अपना ख्याल रखना चाहिए,,,"
अंकल नें उसे देखकर स्माइल पास कर दी,,, टैक्सी आई, आशना ने अंकल को पहले बैठाया, फिर खुद बैठी। रास्ते में अंकल ने बातें कीं,,, वो रिटायर्ड बिजनेसमैन थे, पहले इंपोर्ट-एक्सपोर्ट का काम करते थे, अब किताबें पढ़ते हैं, गार्डनिंग करते हैं। आशना ने सुना, और थोड़ा अपना दिन शेयर किया,,, बिना डिटेल्स के, सिर्फ कि दिन व्यस्त था।
अंकल ने कहा, "बेटा, लाइफ में उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन अच्छे काम से सुकून मिलता है।" आशना मुस्कुराई, उसे अच्छा लगा।
घर पहुंचकर आशना बिल्कुल हैरान रह गई। ये कोई साधारण घर नहीं, एक बड़ा विला था,,,, बड़ी-बड़ी दीवारें, गेट पर सिक्योरिटी गार्ड तैनात थे,, अंदर विशाल गार्डन जिसमें फूलों की क्यारियां, फाउंटेन, और एक स्विमिंग पूल दिख रहा था। विला सफेद रंग से पेंट था, दो मंजिला, और छत पर सोलर पैनल्स लगे थे।
" अंकल, आपका घर तो पैलेस जैसा है! इतना आलीशान घर, और आप बाजार में पैदल चल रहे थे,, आप तो यही पर वॉक कर लेते तो भी दो किलोमीटर का रास्ता तय हो जाता,,"
आशना ने कहा ।
अंकल ने हंसकर कहा, "अंदर आओ, बेटा,, चाय पीओ,,, इतनी मदद की है, कम से कम चाय तो पिलाऊं।"
आशना ने मना करने की कोशिश की, "नहीं अंकल, मुझे घर जाना है।"
लेकिन अंकल ने जिद की, "नहीं-नहीं, आओ , मैं ऐसे नही जाने दूंगा ।" आशना अंदर गई। विला लग्जरी था, मार्बल फ्लोर चमक रहा था, दीवारों पर एंटीक पेंटिंग्स, फर्नीचर इटालियन स्टाइल का, बड़ा सा लिविंग रूम जिसमें प्लाज्मा टीवी, सोफा सेट, और एक फायरप्लेस था। हवा में हल्की खुशबू बह रही थी,
अंकल ने सर्वेंट को बुलाया, "चाय लाओ, और कुछ स्नैक्स भी।" उन्होने आशना को सोफे पर बैठने को कहा, और बातें करने लगे।
"बेटा, तुम क्या करती हो?" अंकल ने पूछा।
आशना ने बताया, "मैं लॉयर हूं, केस हैंडल करती हूं।"
अंकल ने कहा, "अच्छा, मेरे जमाने में लॉयर्स बहुत व्यस्त रहते थे। तुम्हारी तरह मदद करने वाले कम मिलते हैं।"
चाय आई। आशना ने चाय पी, और बातें कीं,,, अंकल ने अपनी जवानी की कहानियां सुनाईं, कैसे बिजनेस शुरू किया, पता नही क्यो पर आशना को अंकल का चेहरा बडा ही जाना पहचाना सा लग रहा था,, वो बार बार अपने दिमाग पर जोर दे रही थी कि आखिर उनको कहा देखा है पर याद न आने पर सिर झटक देती ।
उनसे बाते कर आशना को अच्छा लगा, उसका मूड थोड़ा ठीक हुआ। लेकिन फिर आशना को वॉशरूम जाना था।
"अंकल, वॉशरूम कहां है?" अंकल ने कहा,
"उस रूम में जाओ, बेटा। दाहिने तरफ।" आशना उठी और बताए रूम की तरफ गई पर वहां दो रूम थे, आशना लेफ्ट वाले रुम में एंटर कर गयी । रूम का दरवाजा खुला था, लेकिन अंदर अंधेरा था,, शायद खिडकी के पर्दे गिरे हुए थे। वो अंदर घुसी, हाथ से दीवार टटोलकर लाइट का स्विच ढूंढने लगी। अचानक उसका पैर किसी चीज से टकराया, और वो आगे की तरफ झुकी।
तभी वो किसी से टकरा गई,, वहां एक आदमी था, लंबा, मजबूत कद का। उसकी छाती से आशना का सिर टकराया, और वो पीछे हट गई।
आशना घबरा गयी,, यहां कौन हो सकता है,, तभी आवाज आयी " क्या कर रही हो यहां आप,,,"
"ओह, सॉरी! मैं... मैं वॉशरूम ढूंढ रही थी," आशना ने घबराकर कहा, लेकिन उसकी परफ्यूम की स्मेल जानी-पहचानी लगी।
ऐसी खुशबू जो किसी तो भी अपनी तरफ खींच ले,, "ये... ये तो बिल्कुल वैसी खुशबू है?" वो सोची, दिल की धड़कन तेज हो गई। अंधेरे में चेहरा नहीं दिख रहा था, इतना पता चल रहा था कि, लंबा कद है , ब्रॉड शोल्डर्स है। आदमी ने अब कुछ नहीं कहा, बस खड़ा रहा, जैसे हैरान हो। आशना ने फिर स्विच ढूंढा, लेकिन हाथ कांप रहे थे।
"क... कौन हैं आप?" उसने पूछा, लेकिन जवाब नहीं आया। खुशबू और मजबूत लग रही थी, जैसे वो करीब हो। आशना का मन सवालो से उलझ गया,, वो पीछे हटने लगी, लेकिन रूम अंधेरा था, और वो दरवाजे की तरफ मुड़ी पर तभी किसी नें उसके पेट पर अपना हाथ रख लिया और उसके पेट को दबाते हुए अपना तरफ खींचकर फुसफुसाकर कहा " इतनी बैचेनी मिस आशना, कि आप मेरे रूम तक आ गयी, लगता है मेरी बाते आपको अच्छी लगी थी,, इसलिये आप सिर्फ दो घंटे बाद ही मेरे बेडरुम में आ गयी है,,, इसका मतलब आप भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूं,,, आप भी चाहती है कि मेैं आपको अपना बना लूं,,,, "
आशना के गर्दन पर वो गर्म सांसे पड रही थी और उसकी धडकने तेजी से चलने लगी थी । वो उन गर्म सांसो को महसुस कर ओर भी घबराने लगी ।
आशना की सांसें रुक सी गईं। वो गर्म सांसें, जो उसकी गर्दन पर पड़ रही थीं, वो आग की लपटों की तरह उसे झुलसा रही थीं। उसके पेट पर वो मजबूत हाथ, जो उसे अपनी तरफ खींच रहा था, वो पकड इतनी टाइट थी कि वो हिल भी नहीं पा रही थी। उसका दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था कि लग रहा था, कहीं बाहर न निकल आए।
" आ,,आप,,," वो घबराकर बोली । उसकी आवाज कांप रही थी, जैसे कोई बच्चा डर से बोल रहा हो। पर एकयम् से आती वो खुशबू... वो परफ्यूम की महक, जो अब और भी तेज हो गई थी, उसे याद दिला रही थी कि यह खुशबू एकयम् की है । लेकिन वो कैसे हो सकता है? यहां, इस अंधेरे कमरे में?
तभी एकयम् और करीब आ गया। उसका शरीर आशना के शरीर से सटने लगा। आशना ने महसूस किया कि उसके सीने की गर्माहट उसकी पीठ तक पहुंच रही थी। वो हाथ, जो उसके पेट पर था, अब धीरे-धीरे ऊपर की तरफ सरक रहा था, आशना को ऐसा लग रहा था उसके हाथो का स्पर्श ऐसा था जैसे कोई बर्फ पिघल रही हो। आशना के पूरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई,,, वो सिहरन जो डर और कुछ अनजाने एहसास की मिली-जुली थी। उसकी सांसें तेज हो गईं, और वो खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, लेकिन वो पकड़ इतनी मजबूत थी कि लग रहा था, ऐसा लग रहा जैसे एकयम् उसे छोडने के मूड में नही है
" स,, सर,,, छ... छोड़िए मुझे," आशना ने फुसफुसाकर कहा,
"इतनी जल्दी? अभी तो मैने कुछ किया ही नही है,, बेडरूम में आकर जाने की बात कर रही है आप,? मिस आशना।"
"एक... एकयम् स,, सर,, प्लीज?" आशना ने घबराकर कहा, तभी एकयम् नें उसके पास आकर उसकी गर्दन पर गर्म सांसे छोड दी,, भले ही अंधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था। पर जब वो अब और करीब आ गया, उसका चेहरा आशना की गर्दन के इतना पास कि उसके होंठ आशना की त्वचा को छूने वाले थे।
" क्या हुआ? हैरान हो? या खुश?" उसने फुसफुसाकर कहा, और उसके हाथ अब आशना की कमर पर टिक गए, उसे और टाइट पकड़ते हुए। आशना के शरीर में फिर से वो सिहरन दौड़ी,,,, एक गर्म लहर, जो उसके पैरों से सिर तक फैल गई। उसकी सांसें उखड़ रही थीं, और वो महसूस कर रही थी कि उसका शरीर खुद-ब-खुद रिएक्ट कर रहा था,
एकयम् का एक हाथ अब ऊपर की तरफ बढ़ा, आशना की गर्दन पर, और उसने धीरे से उसके बालों को छुआ। वो टच इतना डीप था, इतना इंटीमेट, कि आशना के पूरे शरीर में करंट जैसा कुछ दौड़ गया। उसकी उंगलियां आशना की त्वचा पर फिसल रही थीं, आशना की सांस रुक गई, उसका दिल इतनी तेज धड़क रहा था ।
" मैनें सोचा नही था कि आज ही हमारी दो बार मुलाकात होगी,,, क्या सुबह की वो बातें तुम्हें इतनी पसंद आ गईं कि तुम खुद चलकर आ गईं?" एकयम् ने कहा, उसका दूसरा हाथ अब आशना की कमर से नीचे सरक रहा था, उसे और करीब खींचते हुए। आशना ने महसूस किया कि उनके शरीर अब पूरी तरह सट गए थे,,, एकयम् का मजबूत सीना उसकी पीठ से चिपक रहा था, और एकयम् के सांसो की वो गर्माहट... वो गर्माहट उसे पागल कर रही थी।
आशना का दिमाग घूम रहा था। लेकिन वो टच... वो डीप टच, जो अब आशना की जांघों पर था, उसे कुछ भी सही से सोचने नहीं दे रहा था। उसके शरीर में सिहरन इतनी तेज हो गई थी कि उसके घुटने कमजोर पड़ रहे थे।
" मुझे जल्दी से यहा से जाना होगा,,," आशना ने कहा, और आखिरकार अपनी सारी ताकत लगाकर खुद को उसकी कैद से निकाल लिया। वो पकड़ थोड़ी ढीली हुई, और आशना ने मौका पाकर खुद को छुड़ाया। वो तुरंत दरवाजे की तरफ ओर भागी, लेकिन अंधेरे में उसका पैर फिर से टकराया, और वो गिरते-गिरते बची।
आशना ने जल्दी से खुद को सम्भाला, दरवाजा खोला और बाहर भागी, सीधे बिना सोचे समझे बगल वाले कमरे में घुस गई। वो दरवाजा बंद करके पीठ टिका कर खड़ी हो गई, उसकी सांसें तेज चल रही थीं,, उसके हाथ कांप रहे थे, और वो खुद को नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी।
"क्या... क्या था वो? एकयम्? यहां? और वो अंकल... क्या वो उनके दादाजी हैं?" आशना ने खुद से कहा, उसकी आंखें बंद करके गहरी सांसे भरी । उसका दिल अभी भी तेज धड़क रहा था, और वो सिहरन... वो सिहरन अभी भी उसके शरीर में थी, जैसे पूरे बदन में कोई आग सुलग रही हो। वो वॉशरूम में गई, जो इसी कमरे में था, और चेहरे पर पानी मारा। ठंडा पानी उसके गर्म चेहरे पर पड़ते ही थोड़ी राहत मिली।
"शांत हो, आशना। ये सब कॉइंसिडेंट है। लेकिन... लेकिन अब क्या करूं,, मेैं कैसे जाऊं यहा से,, किसी की मदद करने से पहले दस बार सोचना चाहिये मुझे,,,,कहा फंस गयी मैं,,,," वो खुद को डांट रही थी,
फिर उसने कमरे में नजर दौड़ाई। दीवारों पर ढेर सारी तस्वीरें लगी हुई थीं। पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फोटोज,। आशना ने करीब जाकर देखा, और उसकी आंखें फैल गईं। एक तस्वीर में वो अंकल थे, लेकिन जवान—करीब 30-35 साल के, मजबूत कद, बाल काले, और चेहरे पर वही मुस्कान।
उसके बगल में एक फैक्ट्री का बोर्ड: "राणा इंडस्ट्रीज" आशना के मुंह से निकला, "ओह माय गॉड! ये तो उदयसिंह राणा हैं! द ग्रेट राणा इंडस्ट्री के फाउंडर! दिल्ली के सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक!"
वो और तस्वीरें देखने लगी,,, एक में वो किसी अवॉर्ड फंक्शन में, हाथ में ट्रॉफी, अखबार की कटिंग्स के साथ लगे थे । दूसरी में फैमिली फोटो, जहां एक जवान लड़का था, जो एकयम् जैसा लग रहा था ।
" औह नो,,, तो... तो ये एकयम् राणा का घर है? और वो अंकल... उनके दादा?? " वो हैरान थी पर साथ ही अब उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करे,,, आशना ने अपना चेहरा हथेलियों में छिपा लिया, वो शर्म से लाल हो गई।
"कितनी बेवकूफ हूं मैं! इतने बड़े बिजनेसमैन के साथ ऐसे बातें कर रही थी, जैसे कोई आम अंकल हों,,, मैनें उमसे क्या क्या बाते कह दी,,,, ओह, आशना, तू कितनी उल्टी-पुल्टी बातें करती है,, सच में इतना पर्सनल जाने कि क्या जरूरत थी अंकल से,,,, अब वो लोग क्या सोचेगे मेरे बारे में,,,, " वो खुद को कोस रही थी, वो शर्म और गुस्से से कांप रही थी।
काफी देर तक खुद को संभालने के बाद, आशना ने हिम्मत जुटाई।
" पर यहां पर भी नही रह सकती,, नीचे जाना पड़ेगा। माफी मांगकर चुपचाप निकल लूंगी।" वो कमरे से बाहर निकली, सीढ़ियां उतरते हुए उसके पैर कांप रहे थे। लिविंग रूम में पहुंची, तो वहां दादाजी सोफे पर बैठे थे, और उनके बगल में... एकयम्। वो काले सूट में, शांत बैठा हुआ, फोन पर कुछ देख रहा था।
आशना को देखते ही दादाजी मुस्कुराए, "आ गई बेटा? बैठो" लेकिन आशना की नजरें एकयम् पर टिक गईं, और वो नजरें मिलाने से डर रही थी। उसका चेहरा अभी भी गर्म था, और वो नीचे देख रही थी। एकयम् ने एक बार भी उसकी तरफ नहीं देखा, बस शांत बैठा रहा, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
"अंकल... आई एम सॉरी,,,, अगर मेरी वजह से आपको कोई तकलीफ हुई हो,, पर अब मुझे जाना होगा,,, मैं... मैं निकलती हूं," आशना ने कहा, उसकी आवाज में थोड़ी कांपन थी।
दादाजी ने कहा, "अरे बेटा, क्या हुआ? बैठो न। और अकेली कहां जाओगी? मेरा पोता छोड़ देगा तुम्हें।
एकयम् ने अब सिर उठाया, लेकिन आशना की तरफ नहीं देखा। आशना ने एकयम् को देखा और कहा, "रहने दीजिए दादाजी, शायद गाड़ी में जगह नहीं होगी।" ये कहते हुए उसकी नजरें एकयम् पर थीं, जैसे ताना मार रही हो।
" अरे जगह कैसे नही है,, बहुत जगह है,,"
" नही अंकल बडे लोगो की गाडीयो में जगह नही होती है "
" क्या हुआ बेटा,, ऐसा क्यो बोल रही हो ,,,"
" कुछ नही अंकल,,,! "
" तो फिर,, चलो एकयम् छोड आओ आशना को,,,"
" नही अंकल,,, र,,,! "
तभी एकयम् ने कहा " दादाजी रहने दिजिये,, मिस आशना अपने बॉयफ्रेंड को बुला लेगी,,,"
तभी आशना बोली " सॉरी पर मेरा कोई बॉयफ्रेंड नही है !! "
" पर मुझे लगा है,,,,"
" जरूरी तो नही न,, जो आपको लगे वो सही हो "
" लगता होता तो मैं कहता ही नही पर मैने देखा है सुंदर लडकियो के बॉयफ्रेंड होते ही है "
" सॉरी पर मेरा नही है,,,,"
आशना नें मुंह बना लिया , वो दूसरी तरफ देखने लगी,, वही एकयम् में अपने होंठो पर हथेली रख ली,एकयम् के होंठो पर एक हल्की सी स्माइल आ गई,,, वो स्माइल जो इतनी क्यूट थी बस कोई भी उसे देखता ही रह जाये,, दादाजी वहां बैठे सबकुछ नोटिस कर रहे थे ।
" क्या तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो,,,? "
दादाजी के सवाल पर आशना नें एकयम् को देखा तो वो खामोश बैठा था,,, तभी आशना नें कहा " हम्म,,, काम के सिलसिले में मिले है हम,,,! "
" औह तो तुम्हारा ही लॉ फर्म है वो,, जो पैटेंट वाला केस देख रहा है,, और तुम ही वो वकील हो,,,, ,!!! "
" जी,, अंकल,,! "
" फिर तो बहुत अच्छा है,,, बेटा एकयम् के साथ ही चली जाना फिर तो,,, एकयम छोड दोगे न तुम आशना को,,,,"
एकयम् ने आंखें झुकाकर मुस्कुराया, उसके होंठ थोड़े से हिले, और वो बोला, "दादाजी , ठीक है,, मैं छोड़ दूंगा,,,"
यह सुन आशना का चेहरा लाल हो गया, लेकिन वो खुद को रोक नहीं पाई, इस बार मुस्कुराकर एकयम् को देखने लगी । तभी दोनो की नजरें मिली,, वो मोमेंट इतना क्यूट था, दोनों के बीच एक अनकही बात, जो शब्दों से ज्यादा बोल रही थी।
दादाजी ने कहा, "जाओ बेटा, आशना को सेफली पहुंचा देना और बेटा आशना जब भी मन हो तुम मेरे घर आ सकती हो,, मेरे घर का गार्डन बहुत बडा है मैं अगली बार तुम्हें जरूर दिखाऊंगा,,,,"
आशना नें सिर हिलाया, वो मन में बोली " मैं अब कभी नही आंऊ यहांं,,,, बार बार शेर के मुंह में जाने का शौक किसे है,,बस आज पहली और आखिरी बार ही था "
तभी एकयम् उठा, और आशना उसके पीछे चल पड़ी। बाहर गाड़ी में बैठते हुए माहौल अजीब था । आशना खिड़की से चिपक कर बैठ गई, वो बाहर देख रही थी, लेकिन उसकी आंखें बार-बार एकयम् की तरफ जा रही थीं। एकयम् मोबाइल पर कुछ कर रहा था, लेकिन वो भी आशना को रियर व्यू मिरर से देख रहा था,
अचानक एकयम् बोला, "तो मिस आशना , दादाजी के सहारे मेरे करीब आना चाहती है आप,,,,?"
आशना हैरत में पड गयी फिर आशना ने गुस्से से कहा, "नहीं! मुझे तो पता ही नहीं था कि वो आपका घर है।"
एकयम् नें उसे देखकर कहा, "तो फिर क्या कर रही थीं मेरे बेडरूम में? कोई किसी के घर में ऐसे घुसता है क्या? आप झूठ बोल रही हो मुझसे ?"
" झूठ? नही बिल्कुल नही!! "
" तो फिर मेरे बेडरुम में क्या करने आयी थी,, और दादाजी से कैसे मिली आप,, क्या वो आपके ऑफिस आये है या आपके घर ? और दादाजी को कौन नही जानता होगा तो आप यह तो कहना मत कि मैं नही जानती थी,,, राणा इंडस्ट्री के असली मालिक को कोई नही भूल सकता,,,सब जानबूझकर कर रही है न आप,, मौके का फायदा उठाना चाहती है,,? "
वो दांत भींचकर बोली " आप गलत समझ रहे है,, मैं दादाजी से बाजार में मिली थी, उनका पैर फिसल गया था, तो मैंने मदद की, उन्हें घर छोड़ा, वो वॉक पर गये थे तो,,,वो डर रहे थे कि कही आपको पता न चल जाये तो बस मैनें उनसे कहा कि वो आपको ना बताये, और मैनें उनकी घर तक आने में मदद की बस,,बाकि कु,,!!
वो बोलते बोलते रूक गयी,,, एकयम् उसके चेहरे को भौंहे ऊपर कर देख रहा था ।
आशना को अहसास हुआ कि वो ज़्यादा बोल गयी है ।
" पर मैनें तो इनको सबकुछ बता दिया,,,, ओह, नो,,,, कितनी बेवकूफ हूं मैं!" अपने होंठो को दांतो से काटते हुए वो फुसफुसाकर बोली । उसने अपनी उंगलिया अपने माथे पर रखी और सिर हिला दिया, जैसे खुद की बेवकूफी पर शोक जता रही हो ।
वही उसकी यह क्युट हरकत देखकर एकयम् ने चेहरा दूसरी तरफ कर लिया, लेकिन उसके होंठ मुस्कुरा रहे थे,,, वो क्यूट स्माइल, वो इतनी इनोसेंट थी कि लग रहा था, जैसे एक छोटा बच्चा खुश हो रहा है। आशना नें शर्मिंदगी से नजरें बाहर सडक पर कर दी पर मन ही मन खुद को ही कोस रही थी कि इतना सब बताने की क्या जरूरत थी ।पर उसकि यह हरकते एकयम् का दिल धडका गयी थी ।
अपने प्यारे कमेन्ट लिखना न भूले