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The heart' s desire

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Chhaya Rani

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अवनी कपूर जो कि एक साधारण परिवार से बिलिंग करती थी।उसकी फैमिली में सब थे ।मगर उसकी सौतेली मां को अवनी कभी फूटी आंख नहीं सुहाती थी।वो उसे काफी दिख और तकलीफ देती ।मगर इन सब के बवाजूद वो कभी किसी से शिकायत नहीं करती थी।एक दिन अवनी मुंबई में एक माफिया क...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. The heart' s desire - Chapter 1

    Words: 814

    Estimated Reading Time: 5 min

    Banglore.

    Night टाइम।


    रात का समय ।
    एक घर जो न ज्यादा बड़ा था न ही ज्यादा छोटा था।उस घर के बाहर एक लड़की दरवाजे पर दस्तक दे रही थी।पर कोई दरवाजा नहीं खोल रहा था।

    लेकिन कुछ देर बाद एक औरत ने आकर दरवाजा खोला और गुस्से से कहा,आज इतनी देर कैसी हुई आने में? तुझे आने का समय नहीं पता।या काम के डर से जल्दी नहीं आना चाहती थी।अब जल्दी से अन्दर आ और किचेन में जितना भी बर्तन है उसे धो कर सारा खाना बना ।वैसे भी भी तेरे पापा और भाई आते ही होंगे।अगर उन्हें वक्त पर खाना न मिला तो वो लोग मुझे सुनाएंगे।अगर तेरे कारण मैं सुनी तो तेरी खाल उधेड़ने में ज्यादा समय नहीं लगाऊंगी मैं अवनी।एवं
    लेकिन कुछ देर बाद एक औरत ने आकर दरवाजा खोला और गुस्से से कहा,आज इतनी देर कैसी हुई आने में? तुझे आने का समय नहीं पता।या काम के डर से जल्दी नहीं आना चाहती थी।अब जल्दी से अन्दर आ और किचेन में जितना भी बर्तन है उसे धो कर सारा खाना बना ।वैसे भी भी तेरे पापा और भाई आते ही होंगे।अगर उन्हें वक्त पर खाना न मिला तो वो लोग मुझे सुनाएंगे।अगर तेरे कारण मैं सुनी तो तेरी खाल उधेड़ने में ज्यादा समय नहीं लगाऊंगी मैं अवनि।

    अबअब अवनी जल्दी से अन्दर आई।उसने अपना बाग किचेन के प्लेटफॉर्म पर रखा और चुपचाप   बरतना साफ करने के बाद खाना बनाने लगी।खाने बनाने के बाद उसने सबको खाना सर्व किया।तभी उसके पापा विशाल कपूर ने कहा,अरे बेटा! आज तेरी मां ने खाना बहुत लाजवाब बनाया है।तू बैठ कर खाना खा न हमारे साथ। तेरी मां ये सब काम कर लेगी।

    अवनी ने एक नजर अपनी मम्मी को देखा  और चुपचाप अपने भाई कुणाल कपूर के साथ खाने लगी।

    कुछ देर में सबका खाना खाया हुआ ।सब अपने कमरे की तरफ चले गए।तभी सुषमा अवनी के पास आई उसका पकड़ कर मरोड़े हुए बोली,बड़ी मस्ती से बैठ कर खान का रही थी।अगर मजे से पेट भर लिए हो तो जा जाकर ये सारे बर्तन धो।सुबह जल्दी से उठ जाना।
    अवनी ने  जल्दी से सारे बर्तन उठा लिए और किचन में ले जाकर उन्हें साफ करने लगी और उन बर्तनों को साफ करते हुए उसकी आंखों से आंसुओं की धार बह रही थी जैसे वह कुछ सोच रही हो।

    कुछ देर बाद सारे बर्तन  को साफ करके वह अपने कमरे में गई। उसके कमरे की हालत कुछ स्टोर रूम जैसी थी ।एक छोटा सा कमरा जिसमें एक छोटा सा बिस्तर लगा हुआ था। जिस पर एक  चादर भी नहीं बिछी हुई थी। ठीक उसके सामने एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था और शीशे के सामने एक टेबल रखा हुआ था।

    अवनी उस शीशे के पास जाकर अपने चेहरे को देखने लगी। पहले वह कितनी सुंदर हुआ करती थी। सुंदर तो वह अभी थी मगर काम करते-करते जैसे उसका शरीर घिस गया हो ।

    शीशे की तरह देखते क्यों मुझे छोड़ कर चली गई। नहीं गई होती तो आज मेरी जिंदगी कुछ राजकुमारी की तरह होती ।मगर अभी देखो मेरी हालत कैसी हो गई है। यह कहते हुए फूट-फूट कर रोने लगी और रोते रोते वह बिस्तर पर कब सो गई पता ही नहीं चला।।

    समुद्र के बीचो-बीच एक बहुत बड़ी शिप इंडिया की तरफ आ रही थी। वो शिप जिसे" क्वीन ऑफ द शिप"कहा जाता था।उस शिप के अंदर एक बड़े से हॉल में एक किंग साइज पर बैठा हुआ था। उसके सामने काफी सारे माफिया लोग बैठे हुए थे।

    उन में से एक माफिया ने कहा,आपकी इस बंदूक का निशाना तो वाकई बहुत अच्छा है।10 किलोमीटर बैठे टारगेट को खत्म कर सकती है।मुझे आपके साथ ये डील मंजूर है।

    उसे आदमी ने अपने असिस्टेंट की तरफ देखा जो नजरों से ही उसे सबसे ठीक होने का इशारा कर रहा था।

    उसे आदमी ने कहा रुद्राक्ष राय सिंघानिया ऐसे वैसे डील नहीं करता उस के साथ डील करने की एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।अगर मंजूर है तो बोलो।उसकी बात सुन कर सभी माफिया लोग सोच में पड़ गए कि आखिर रुद्रांश राय सिंघानिया कौन सी शर्त रखने वाले है?

    उस माफिया ने कहा,कौन शर्त है मिस्टर सिंघानिया बोलिए!

    रुद्राक्ष ने कहा,अपनी कुर्सी मेरे नाम करनि होगी।मतलब तुम समझ रहे हो न।चिंता मत करो।राज तुम ही करोगे।पर नाम तुम्हारा ही रहेगा।अगर मंजूर है तो ठीक वरना।नुकसा तुम्हारा ही है।अब सोच समझ कर जवाब देना।ये कह कर वो वहां से उठ गया।

    उसके पीछे उसका असिस्टेंट राघव जाते हुए बोला,बॉस! ये सब क्या था? आप को लगता है कि वो मानेगा?

    रुद्राक्ष ने कहा ,वह मानेगा क्योंकि उसके पास मैंने कोई रास्ता नहीं छोड़ा है ।अगर उसने डील तोड़नी चाहिए तो उसे करोड़ का नुकसान झेलन होगा।

    अगर उसने मुझे कुर्सी देनि चाहिए तो दोनो में फायदा हमारा ही है।अब कल इंडिया पहुंच कर सारी बात करेंगे।ये कह कर उसने एक सिगरेट जलाई और कुछ वक्त के लिए उन लहरों को महसूस करने लगा।
     

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  • 2. The heart' s desire - Chapter 2

    Words: 813

    Estimated Reading Time: 5 min

    रुद्राक्ष पर हमला।

    अगली सुबह।

    अभी सुबह जब अवनी के आंख खुली तो उसने देखा उसके पास सुषमा खड़ी हुई थी और उसे पर चिल्ला रही थी।मगर गहरी नींद में होने के कारण उसे उस वक्त कुछ सुनाई नहीं पड़ा ।

    जब उसकी आंखें खुली तो सुषमा ने कहा ,अरे! कर्मजली! कितना देर तक सोएगी? तुझे पता नहीं क्या तुझे जल्दी उठना और घर का सारा काम करना है। पता आज लेट भी हो गया और जल्दी से उठ कर सारा नाश्ता बना इस से  पहले की तेरे पापा उठ जाए।

    पता नहीं कब तक इस कलमुंही को झेलना पड़ेगा।ये कह कर वो उसके कमरे से चलीं गई।अवनी के आंखों से फिर से आसूं बहने लगे।क्योंकि उसे उसकी सौतेली मां ने इतना जो सुनाया था।अवनी जैसे तैसे उठी और जल्दी से तैयार होकर किचेन में सबके लिए नाश्ता बनाने लगी।

    कुछ देर बाद सबने नाश्ता किया और अपने अपने काम पर लौट गए।अवनी भी जब जाने लगी तो सुषमा ने उसे रोकते हुए कहा,अरे सुन तो ! अवनी रुक कर खड़ी हो गई। सुषमा उसके पास आकर बोली,आज तुझे महीने की तनख्वाह मिलेगी न तो लाकर मेरे हाथ में दे देना।और पूरे के पूरे पैसे चाहिए।वरना घर में आने की सोचना भी मत अब जा यहां से।


    कुछ देर बाद सबने नाश्ता किया और अपने अपने काम पर लौट गए।अवनी भी जब जाने लगी तो सुषमा ने उसे रोकते हुए कहा,अरे सुन तो ! अवनी रुक कर खड़ी हो गई।सुषमा ने कहा,आज तुझे तनख्वाह मिलेगी।वो पूरी लेकर में हाथ में दे देना। अगर एक रुपए भी कम निकले न तो घर के भर फेक दूंगी।

    अवनी ने कुछ नहीं कहा।वो सर झुका कर घर से बाहर निकल गई और ऑटो पड़कर आपकी मंजिल की तरफ चली गई

    इधर रुद्राक्ष का समुद्री जहाज "द क्वीन ऑफ द सी" मुंबई की बंदरगाह के पास खड़ी हो चुकी थी। रुद्राक्ष जहाज की सबसे टॉप पर खड़ा था। जहां से सारा समुद्र आराम से देखा जा सकता था ।

    जब जहाज रुकी तो रुद्राक्ष जहाज से नीचे आया। जहाज के पास उसकी बहुत सारी गाड़ियां ब्लैक कलर की गाड़ियां थी जो देखने में एक से एक काफी महंगी और आलीशान लग रही थी।


    एक गार्ड में गाड़ी का दरवाजा खोका। रुद्राक्ष और उसका असिस्टेंट राघव सिंह गाड़ी में बैठ गया और कुछ देर में गाड़ी वहां से निकल पड़ी। राघव ने कहा,बॉस! आपने जैसा कहा था ,बिल्कुल वैसे ही हुआ। उसने अपनी कुर्सी आपके नाम कर दी। साथ ही  यह डील भी आपके नाम हुई। इसका मतलब इस सौदे में फायदा आपका ही हुआ।

    रुद्राक्ष के चेहरे पर एक कातिलना  मुस्कान थी। राघव की बात सुनके उसने कहा ,यह तो वह नहीं था। खैर! मेरा प्लेन कभी भी जाया नहीं जाता।अब रुद्राक्ष की गाड़ियां मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही थी।

    आपकी अब तक ऑफिस पहुंच चुकी थी। वो अपने चेयर पर काफी हताश होकर बैठ गई।तभी उसके कंधे पर किसीने हाथ रखा।उसने अपना सिर ऊपर करके देखा तो उसकी दोस्त  सिया खड़ी थी।

    सिया ने  उसे देखते हुए कहा, क्या हुआ अवनी? तेरी इतनी खूबसूरत सी आंखों में इतने मोटे-मोटे आंसू कौन सी खुशी में है?

    अवनी ने अपना सिर हिलाया   और नीचे करते हुए कहा, तुझे ये आसूं खुशी के दिखते हैं क्या?

    तुझे नहीं पता कि मेरे साथ क्या हो रहा है? सिया ने उसके पास कुर्सी खींच कर बैठते हुए कहा, तेरी लाइफ की छोटी से छोटी चीजों के बारे में मुझसे ज्यादा कौन अच्छे से जान सकता है? अवनी  मुझे पता है कि तेरे साथ इस वक्त क्या बीत रही है ?और तेरे साथ क्या हो रहा है?
    तू रो मत। एक दिन देखना सब कुछ अच्छा हो जाएगा ।तेरी जिंदगी में एक राजकुमार आएगा जो तुझे राजकुमारी की तरह क्या महारानियों की तरह रखेगा। इसलिए आंसू बहाना छोड़ और एक अच्छे से स्माइल कर। वैसे भी तुझे पता है मुंबई वाले प्रोजेक्ट के लिए सर किसी पांच लोगों को मुंबई भेज रहे है।वो भी पांच दिनों के लिए।अब देख किसका नाम आता है?


    मैं तो बड़ी एक्साइटेड हु। काश हम दोनो का नाम आ जाये तो मजा आ जाए ।बहुत एंजॉय करेंगे वहां पर।

    तभी कंपनी का बॉस  केबिन से निकल कर वहां आया।उसने कुछ नाम अनाउंसमेंट किए।जिस में एक नाम अवनी और एक नाम सिया का था। सिया तो बहुत खुश हो गई मगर अवनी के चेहरे पर चिंता की लकीर आ गई।

    वही रुद्राक्ष अपने आलीशान विला मैं पहुंचा तो किसी ने उसके पैरों के पास ही शूट कर दिया।जिस से एक पल के लिए वो सहम गया।मगर जब उसने नजरें उठा कर देखी तो सामने खड़े इंसान को देख कर उसका दिमाग ही खराब हो गया।


    रुद्राक्ष तेजी  से दौड़ते हैं उसके पास आया और उसने उसका कॉलर पकड़ के उसके मुंह  पर का कर वार कर दिया। जिस से वो इंसान नीचे गिर गया। उसने उसे देखते हुए कहा,मैने कहा था न कि आप मुझे मेरी आंखों के सामने कभी मत दिखना तो फिर ये क्या था।?

  • 3. The heart' s desire - Chapter 3

    Words: 812

    Estimated Reading Time: 5 min

    दोपहर का समय।

    रुद्राक्ष अपने कमरे में शॉवर लेने के बाद तैयार होकर के नीचे आया तो उसने देखा डाइनिंग टेबल पर उसका बड़ा भाई विक्रांत राय सिंघानिया बैठा हुआ था।उसे आते देख कर विक्रांत ने कहा,नाश्ता तो करते जाओ।

    आज का नाश्ता बड़े ही मन से मॉम ने बनाया है।अगर नहीं करोगे तो मॉम को बुरा लग जायेगा।और तुम भी नहीं चाहते कि मॉम को बुरा लगे।

    रुद्राक्ष उसके पास आते हुए बोल, मैं भूखे रह सकता हूं मगर आपके साथ बैठकर कुछ भी करना मेरे लिए इंपॉसिबल है। क्योंकि मुझे आपकी शक्ल से नफरत होती है। मुझे नफरत होती है आपसे समझ गए न। अब दोबारा मुझे बुलाने की कोशिश मत करना।

    ये कह कर रुद्राक्ष तेजी से अपने ऑफिस की तरफ निकल गया।उसके जाते ही विक्रांत ने कहा,कब तक मुझ से नफरत करोगे।पता नहीं ! आखिर ऐसी क्या बात है  जो तुम मुझसे नफरत करते हो।खैर ! बात चाहे जो भी हो।मगर इसमें फायदा मेरा ही है।तुम नफरत की आग में। जलो।एक दिन ये सब कुछ मेरा होगा।

    रुद्राक्ष अपने केबिन में बैठा हुआ था। तभी उसके अस्सिटेंट राघव ने अन्दर आते हर कहा,बॉस! एक बात बतानी थी।वो मिस्टर कुशल सिन्हा की कंपनी अपने कुछ लोग भेज रही है।जो यहां आकर उस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले है एक हफ्ते के लिए।

    रुद्राक्ष ने काफी गंभीर और गहरी आवाज में कहा, एक बात ध्यान से सुनो राघव। मुझे मेरा यह प्रोजेक्ट बहुत प्यार है। पूरे 300 करोड रुपए लगे हैं। अगर एक भी गलती हुई ना तो इसकी पूरी भरपाई तुम्हें करनी होगी ।इसलिए मेरे इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कोई भी गड़बड़ी मुझे बिल्कुल पसंद नहीं।

    राघव उसके बातों के एक पल के लिए डर गया मगर उसने कहा सर चिंता मत करिए आप किसी प्रोजेक्ट को पूरा होने में कोई गड़बड़ी नहीं होगी। यह प्रोजेक्ट  अच्छे से पूरा हो जाएगा।


    ैंगलोर 
      । रात का वक्त ।
    । अवनी घर पर आ चुकी थी। वह हाल में इंटर करती उससे पहले ही उसकी मां सुषमा ने रोक लिया।उसने कहा,आज पेमेंट तो मिली होगी।का दे मुझे।मैं भी तो देखूं कि कितनी कमाई की है इस महीने तूने।

    अवनि ने अपना पर्स खोला और उसमें से एक एनवलप निकला कर उसके हाथ में थमा दिया।सुषमा खुश होकर उसके हाथ से वो एनवलप लेकर जल्दी से उसे निकाल कर देखा।उसने पैसे गिने तो अवनी को देख कर कहा ,इतने कम क्यों ? इस बार पूरे 2000 रुपए कम है।कहीं तूने पहले तो नहीं निकल लिए?

    अवनी ने डर से कांपते हुए कहा,नहीं मां।वो इस बार हम सब के पैसे कटे है।क्योंकि सर एक हफ्ते के लिए हमें मुंबई के लिए भेज रहे है।वो एक प्रोजेक्ट के लिए। सुषमा ने उसका हाथ जोर से पकड़ते हुए कहा,तू झूठ बोल रही है।तू पीछा छुड़ाना चाहती है।ताकि यहां के काम न करना पड़े है न।अवनी को इस तरह से बहुत दर्द हो रहा था।उसके आंखों में आसूं आ गए थे।

    तभी अवनी का फोन बजा।सुषमा ने उसका हाथ छोड़ा।अवनी जल्दी से फोन उठाई तो कोई अंजान नंबर था।उसने फोन उठाया तो जानी पहचानी आवाज आई।फिर उसने वो फोन सुषमा को दे दिया।उधर से कुछ कहा गया तो सुषमा ने कहा,ठीक है ।मैं इसे समय पर भेज दूंगी।आप चिंता मत कीजिए।

    सुषमा ने अब अपना फोन रखा और अवनी को देते हुए कहा,चल ठीक है।जा पैकिंग कर ले।लेकिन एक बात याद रखना वहां जाकर गुलछर्रे मत उड़ाना।क्योंकि तुझे वापस आना तो यही है।इसलिए उड़ने की कोशिश भी मत करना।अवनी ने अपना सिर हिलाया और अपने कमरे की तरफ चली गई।

    उसके जाते ही सुषमा ने कहा,अब एक हफ्ते तक मुझे सब कुछ करना होगा।पर क्या करना तो है।अगर ये जाएगी नहीं तो पैसे कहां से आएंगे।और में अपने बेटे के लिए ऐश आराम की जिंदगी कैसे दूंगी?

    मुंबई।

    रुद्राक्ष इस वक्त एक क्लब मैं आया हुआ था।जहां पर सारी लड़कियां और लड़के डांस कर रहे थे।रुद्राक्ष ने ड्रिंक करते हुए कहा,यहां हर कोई सिर्फ अपने मतलब और अपने शरीर को नीलम करने आया है। कोई यहां शरीर की प्यास बुझने आया है तो कोई अपनी जिस्म की गर्मी शांत करने आया।किसी को भी किसी से सच्चा वाला प्यार नहीं है।

    तभी उसके पास बैठे उसके दोस्त सागर ने कहा ,ये जरूरी नहीं है कि यहां सब अपनी जिस्म को गर्मी शांत करने के लिए है।यहां कुछ सच प्यार करने वाले है।देखना  एक दिन आयेगा जब रुद्राक्ष राय सिंघानिया को भी प्यार होगा वो बेशुमार होगा।और उस वक्त  तुम्हारे लिए प्यार की डेफिनेशन सबसे लग होगी।

    रुद्राक्ष ने ग्लास खाली करते हुए कहा,ऐसा कभी नहीं होगा।क्योंकि लड़कियां सिर्फ एक धोखा है।एक मायाजाल है।ये प्यार नहीं देती ।देती है तो सिर्फ धोखा।जो कि इनका काम है। सागर ने कहा,भगवान करे वो वक्त बहुत जल्द आए जब तेरी ये सोच बदले ।

    इधर अवनी भी अपने पैकिंग मैं जुटी हुई थी।उसे भी आज समझ नहीं आ रहा था कि खुश हो या रोए ।क्योंकि आने वाली जिंदगी में क्या होना था वो तो वक्त ही बताता।

  • 4. The heart' s desire - Chapter 4

    Words: 838

    Estimated Reading Time: 6 min

    अवनी का मुंबई आना।


    बैंगलोर ।

    सुबह का समय।

    अवनी  आज  जल्दी सो कर उठी थी। क्योंकि उसे आज मुंबई के लिए निकलना था ।उसने रात में ही अपनी सारी पैकिंग कर ली थी ।अवनी  जल्दी से बेड पर से उठी और  फ्रेश होकर के बाहर आई। उसने आज रेड कलर का फ्रॉक सूट पहन रखा था। जिसका दुपट्टा गोल्डन कलर का था और उसके ऊपर गोल्डन कलर के फूल बने हुए थे।।

    उसने जल्दी से अपने बाल संवारे और अपना बैग लेकर नीचे आ गई।नीचे हॉल में सब खड़े थे।अवनी के पापा और उसका भाई खुश था कि आज अवनी पहली बार मुंबई जा रहीं है।

    मगर उसकी सौतेली मां उसे देख कर खुश नहीं थी।उसे तो बहुत गुस्सा आ रहा था ।क्योंकि उसके जाने के बाद सारा काम उसे ही तो करना था।

    मगर ज्यादा गुस्सा न जताते हुए उसने बड़े प्यार से अवनी को अपने पास बुलाया और कहा," ये ले दही चीनी खा ले" ।भगवान करे तुझे इसी तरह से तरक्की मिलती रहे ।ये कह कर उसने अवनी को दही चीनी खिलाई।फिर उन्होंने अपना मुंह दबा कर कहा," मेरी बात को गांठ बंद लेना।वहां जाकर ज्यादा मस्ती करने की मत सोचना।क्योंकि तुझे आना तो यहीं है।अब चल जा"।

    अवनी फिर अपने पापा और भाई को मिल कर वहां से निकल गई।

    मुंबई।

    सिंघानिया मैंशन।

    रुद्राक्ष अपने कमरे में तैयार हो रहा था।तभी उसके रूम का दरवाजा नॉक हुआ।उसका कमरा मानो ऐसा था । जैसे उसने खुद की ही दुनिया बसा ली हो।देखने में जितना ही आलीशान और आकर्षक था उतना ही रॉयल look से भरा हुआ था।

    रुद्राक्ष ने पीछे मूड कर देखा तो उसकी मां अमृता सिंघानिया थी।रुद्राक्ष ने उन्हें एक नजर देखा और वापिस मोड़ते हुए कहा, " कहिए ! क्या कहना है आपको? अमृता ने कहा,क्या तुम मेरे रूम आ सकते हो? मुझे तुमसे कुछ बात करनी है"।

    रुद्राक्ष ने बिना देखे ही जवाब देते हुए कहा, "आप जाइए।मैं आ रहा हूं।कुछ देर बाद रुद्राक्ष उनके कमरे में गया।अमृता ने कहा,बात ये तुम्हारे लिए एक लड़की का रिश्ता आया है अगर तुम देख लो तो।उनकी ये बात सुन कर रुद्राक्ष का जबड़ा का गया।

    उसने कहा, " मैने आपको पहले ही वॉर्न किया है ।मुझे कोई दिलचस्पी नहीं शादी करने में।आप फिलहाल ये बात अपने सो कॉल्ड बेटे से पूछ लीजिए।

    उसे लड़कियों की बहुत तलब होती है।इसलिए अक्सर हर रात किसी ने किसी लड़की के साथ मेरे होटल में होता है।अमृता ने कुछ नहीं कहा।

    क्योंकि वो जानती थी।उसका वो बेटा ऐसा ही है।अब दोबारा इस टॉपिक पर बात न हो।वरना मेरा इस घर में आना बंद।ये कह कर वो वहां से चला गया।

    अमृता हताश होकर बेड पर बैठ गई।उसने एक लड़की की फोटो देखते हुए कहा,क्या सच में मेरा बड़ा बेटा कभी नहीं सुधरेगा? क्या सच में रुद्राक्ष कभी शादी नहीं करेगा? फिर उसने ऊपर की तरफ देखते हुए कहा,पता नहीं भगवान क्या है इन दोनों के नसीब में।

    इधर सिंघानिया इंडस्ट्रीज में रुद्राक्ष अपने केबिन में कुर्सी पर बैठ कर अपनी आखें बंद करते हुए बोला,"मेरी किस्मत मैं अपने ही हाथों से लिखता हूं।कोई मेरी किस्मत का मालिक नहीं है।जो हूं वो सिर्फ मैं हूं।मैं अपनी किस्मत अपने हाथों से लिखता हु ।मेरा लिखा भगवान तो क्या मैं खुद भी नहीं मिटा सकता।"

    मुंबई एयरपोर्ट।

    सिया ,अवनी ,राहुल ,श्वेता और कनक इस वक्त एयरपोर्ट के बाहर खड़े थे।वो अपनी गाड़ी का इंतेज़ार कर रहे थे।तभी कनक ने कहा, वाओ! मुझे तो यकीन ही नहीं होता कि हम लोग रुद्राक्ष सर की कंपनी के साथ काम करने वाले है।मुझे तो उन्हें देखना का बहुत ही मन है।


    तभी श्वेता ने कहा,तुझे पता है न कि वो कितने रूड और घमंडी टाइप के इंसान है।उन्हें लड़कियां नहीं पसंद ।तब भी तुम इस तरह की बात कर रही हो।कनक ने अपने बालों को स्टाइल से पीछे करते हुए कहा," मेरा हुस्न और मेरा एटीट्यूड ही ऐसा है कि उन पर मेरा जादू चल ही जाएगा।

    लेकिन मुझे तो डर है कहीं इस अवनी की चीप बहन जी वाली स्टाइल को देख कर वो हमारे साथ काम करने से मना न कर दे।क्यों बॉस ने इसे हमारे साथ आने के लिए चुना।

    तभी सिया ने कहा,वो जैसी भी है पर तुम्हारी तरह नहीं है।उसके अंदर तुम्हारे तरह एटीट्यूड और घमंड नहीं है।उस से भी बढ़ कर वो दिमाग से काम लेना जानती है।इसलिए इसे चुना गया है।तभी वहां एक बड़ी सी गाड़ी आई।

    सब लोग उस पर बैठ कर होटल के लिए निकल गए।जहां उनके  रुकने के लिए इंतजाम किया गया था।


    इधर सुषमा घर  में बैठी सारा काम कर रहे थी।लेकिन बार बार उनका ध्यान अवनी पर ही जा रुकता था।उन्होंने खुद से कहा , " ये चली तो गई है।मगर मेरा जी नहीं था भेजने का ।वहां रह कर ये पक्का मस्ती मजे करेगी।जो मुझे रास नहीं आएगी।इधर कुछ देर में अवनी की गाड़ी होटल पहुंच गई थी।

    उन्हें गाड़ी से बाहर निकल कर देखा तो होटल काफी ज्यादा बड़ा था।उस पर बड़े और गोल्ड अक्षरों से लिखा था singhania होटल।वो लोग अंदर जाने के लिए आगे बढ़े ।तभी अचानक से अवनी की टक्कर एक आदमी से हो गई।

  • 5. The heart' s desire - Chapter 5

    Words: 837

    Estimated Reading Time: 6 min

    मुंबई।

    अवनी ,कनक ,राहुल श्वेता और सिया मुंबई पहुंच चुके थे ।वो लोग इस वक्त होटल के सामने खड़े थे ।अवनी ने देखा कि होटल का बाहरी लुक काफी रॉयल और आलीशान था।तभी कनक के कहा, वाओ! अगर होटल बाहर से अच्छा है तो अंदर से कैसा होगा?

    तभी उसकी नजर होटल के सबसे टॉप पर गई ।जहां पर गोल्ड और डायमंड से लिखा हुआ था " होटल moonlight" ।

    उसने कहा,ये होटल तो कुछ जाना सा लगता है।क्योंकि ये होटल तो इंडिया के टॉप वन में है न।तभी  सिया ने कहा , " हां! ये राय सिंघानिया का होटल है।अब अंदर चलते है"।सब लोग दिया की बात मान कर होटल के अंदर जाने लगे।

    तभी अचानक से अवनी की टक्कर हो गई।वो गिरती उस से पहले ही किसी ने उसे थाम लिया ।अवनी ने अपनी आँखें बंद कर ली।मगर खुद को ही में महसूस कर उसने आंख खोली तो सामने एक आदमी खड़ा था।

    जो दिखने में काफी हैंडसम लग रहा था। उस आदमी को देख कर बाकी सबकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई थी।क्योंकि अवनी जिसकी बाहों में थी वो कोई और नहीं बल्कि विक्रांत राय सिंघानिया था।

    कनक ने उसे देखते हुए कहा," काश! इसकी बाहों में मैं होती और मुझे थामे खड़ रहता। तभी अवनी झटके से सीधी खड़ी हुई। उसने उसे देखते हुए कहा, " आई एम सॉरी! वो मेरा ध्यान नहीं था।इसलिए गलती हो गई। ये कह कर वो वहां से आगे बढ़ी।

    उसके जाते ही विक्रांत ने उसे दूसरी नजर से देखते हुए ,हुसैन की कमसिन कली है।क्या लड़की है।क्या फिगर है इसका।मुझे आज रात यही लड़की चाहिए।ये कह कर वो एक क्रिपी स्माइल करता हुआ वहां से चला गया।

    इधर सब लोग जल्दी से रेडी होकर होटल के सबसे बड़े कॉन्फ्रेंस हाल में इकठ्ठा हुए जहां पर बाकी के लोग भी आए हुए थे। सब लोगों ने देखा वहां पर काफी बड़े लोग आए थे।राघव वहां खाद होकर मीटिंग की तैयारी कर रहा था।उसने सब को बैठाया।अब बारी थी रुद्राक्ष के आने की

    ।कुछ देर बाद एक हैंडसम और डार्क पर्सनेलिटी वाला आदमी आया जो कोई और नहीं बल्कि खुद रुद्राक्ष था।वो आया और अपनी हेड वाली चोर पर बैठ गया।

    उसके आते ही एक दम सन्नाटा था।कनक,श्वेता तो उसे देख कर हैरान हो गई ।क्योंकि उन्होंने सिर्फ उसे मैगजीन में देखा था मगर अवनी को उसकी पर्सनेलिटी से कोई मतलब नहीं था।उसे यहां सिर्फ काम से मतलब था।क्योंकि उसकी मां ने उसे सख्त चेतावनी दी थी।

    रुद्राक्ष ने मीटिंग शुरू करनेके  लिए कहा ।उसका ध्यान अब तक किसी पर नहीं था।तभी रूम की लाइट्स ऑफ हो गई।अवनी अपना लैपटॉप लेकर आगे आई और उसने अपना प्रोजेक्ट इंडिया सबके साथ शेयर करना शुरू कर दिया।

    लेकिन जब रुद्राक्ष ने अवनी को देख तो वो उसे देखता ही रह गया।उसने इस वक्त ब्लैक कलर का बिजनेस शूट पहना हुआ था।आंखों मैं काजल और सिंपल सी बंधी ही छोटी में भी वो काफी प्यारी लग रही थी।

    रुद्राक्ष की नजर तो उस पर से हट ही नहीं रही थी।वो एक  तक उसे हो घूरे जा रहा था।ये चीज उसके असिस्टेंट राघव सिंह ने भी नोटिस कर ली थी।उसे उस तरह देख कर राघव के चेहरे पर स्माइल आ गई।


    कुछ देर तक मीटिंग चली ।अवनी ने अपना बोलना खत्म किया।तभी कमरे की लाइट ऑन हुई।लाइट ऑन होते ही रुद्राक्ष होश में आया।उसने इधर उधर देखते हुए कहा, " वेल ! आपका इंडिया तो काफी अच्छा है मिस !  वॉट इस योर नेम?अवनी ने अपना नाम बताया।

    उसे उसका नाम सुन कर अच्छा लगा ।उसने कहा , वेल! मुझे idea काफी पसंद आया।आपका दिमाग भी काफी शार्प है।मैं बाद में बताया हु ।

    ये कह कर वो वहां से निकल गया।इधर अवनी और उसके साथ आए हुए लोग भी अपने होटल के कमरे में चले गए।

    रुद्राक्ष अपने ऑफिस के लिए निकल गया।वो गाड़ी में बैठा हुआ था।उसने अपनी आंखों बंद की ही थी।

    मगर आंखों में अवनी का अक्स दिखाई दे रहा था।बार उसका बोलना ,उसकी आँखें उसका चेहरा उसकी आंखों में ही घूम रहा था।तभी झटके से गाड़ी रुकी।

    गाड़ी रुकते ही उसने अपनी आंख खोली और कहा, " तुम सब लड़कियां एक धोखा हो।जो सिर्फ लोगों को अपने माया जाल में फंसाना जानती हो। इसलिए लड़कियां सिर्फ एक धोखा है मेरे लिए।वो गाड़ी से बाहर निकला और चला गया।

    रात का समय।

    अवनी  होटल के गार्डन एरिया में खड़ी थी।वो सिर्फ वहां ताज़ी हवा ले रही थी।तभी वहां पर सिया आई।उसने कहा,पहली बार यहां आकर बहुत मजा आ रहा है न।

    अपनी सौतेली मां से दूर  हर काम से दूर कुछ दिन के लिए ही सही पर थोड़ा तो रिलैक्स फील कर रही हो न।अवनी ने मुस्कुराते हुए कहा,क्या फायदा  ?  फिर तो उसी नरक में जाना है।इसलिए कुछ दिन की आजादी का कोई मतलब नहीं।

    चल चलते है अंदर ।मुझे बहुत नींद आ रही है।वो पिछे मुड़ी तो अचानक से हैरान हो गई।क्योंकि उसके सामने इस वक्त विक्रांत खड़ा था।वो उसे ही देख रहा था।वही सिया भी उसे देख रही थी।

    आगे की कहानी जानने के लिए मेरे साथ बने रहिए।और मुझे फॉलो करना बिलकुल मत भूलिए।