20 साल इशानी की ज़िंदगी एक रात के धोखे से पलट गई। एक अजनबी के साथ बिताई उस रात ने उसकी दुनिया बदल दी। जब उसे पता चला कि वह प्रेग्नेंट है, तो हर तरफ से उसे ताने सुनने को मिले, और लोग उससे मुंह मोड़ने लगे। हर कोई उसे अकेला छोड़ चुका था, लेकिन इशानी ने... 20 साल इशानी की ज़िंदगी एक रात के धोखे से पलट गई। एक अजनबी के साथ बिताई उस रात ने उसकी दुनिया बदल दी। जब उसे पता चला कि वह प्रेग्नेंट है, तो हर तरफ से उसे ताने सुनने को मिले, और लोग उससे मुंह मोड़ने लगे। हर कोई उसे अकेला छोड़ चुका था, लेकिन इशानी ने ठान लिया कि वह उस अजनबी का पता लगाएगी, जिसने उसकी ज़िंदगी को इस तरह से उलट दिया। उसके पास उस अजनबी की सिर्फ एक महक है थी जिसे वो अब भी महसूस कर सकती थी । तो उसे क्या उस महक से इशानी उस अजनबी का पता लगा पाएगी? वह कौन है जिसने इशानी के जीवन को इस मोड़ पर ला खड़ा किया? क्या इशानी अपने बच्चे को जन्म दे पाएगी? जानने के लिए पढ़ें।
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Trope:
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"To the women who carry storms beneath calm waters,
you deserve someone who sees past your surface,
who touches the depths of your being,
where the night begins with your breath hitching
and ends with your soul branded by his love."
हिंदी अनुवाद,
( उन महिलाओं के लिए जो शांत पानी के नीचे तूफान रखती हैं,
आप किसी ऐसे व्यक्ति के लायक हैं जो आपकी सतह को देखता है,
जो आपके अस्तित्व की गहराई को छूता है,
जहां रात आपकी सांस लेने के साथ शुरू होती है
और उसकी मोहब्बत से ब्रांडेड आपकी आत्मा के साथ समाप्त होती है।")
इशानी की आँखें धुंधली हो चुकी थीं, और उसका शरीर नशे में डूब चुका था। पब की हलचल में, वह खुद को खो चुकी थी, और शराब के असर से उसके मन में एक अजीब सा धुंधलापन फैल गया था। आज की रात वह किसी और ही दुनिया में थी, और पब का शोर उसकी सुनवाई में म्यूट हो चुका था। जूस के गिलास में हर एक घूँट उसकी ज़िंदगी से एक नई उम्मीद को निगलता चला गया। वह धीरे-धीरे नशे में डूबती जा रही थी, और उसके विचार बेतहाशा भाग रहे थे, मानो वह किसी बुरे तूफ़ान का सामना कर रही हो।
इतने में, एक सर्द हवा के झोंके की तरह, एक अजनबी की शख्सियत ने उसके आसपास का माहौल बदल दिया। उसकी आँखों में एक रहस्यमयी आभा थी, जैसे वह किसी और ही दुनिया से आया हो। काले कपड़े, चमड़े की जैकेट और आत्मविश्वास से भरा हुआ, वह आदमी जैसे ही उसके पास आया, इशानी का दिल कुछ ठहर सा गया। उसकी नज़रें सीधी इशानी पर थीं, जैसे उसकी आत्मा को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।
“तुम अकेली हो?” उसकी आवाज़ ने इशानी के दिल को धक्का दिया, जैसे वह किसी खौफ़नाक कहानी का हिस्सा बन रही हो।
इशानी ने हल्की मुस्कान के साथ सिर झुकाया और नशे में कहा, “हाँ, बस कुछ वक्त अकेले बिताना चाहती थी।”
उस आदमी ने उसकी आँखों में एक शरारती चमक देखी और धीरे से उसके पास आकर बैठ गया और कहा,
“कभी-कभी अकेले रहना हमें उन चीज़ों के करीब लाता है, जिन्हें हम ढूंढ नहीं सकते।”
इशानी ने नशे में चुराई हुई अपनी सोच से झटका लिया, लेकिन फिर भी उसे उस आदमी की मौजूदगी ने किसी अजीब खिंचाव में बाँध लिया था। उसकी आँखों में एक खतरनाक आकर्षण था, जैसे वह सिर्फ़ एक छलांग में उसे अपनी गिरफ्त में ले सकता था।
वह उसके पास और करीब आ गया। इशानी का दिल तेजी से धड़कने लगा, और उसके गालों पर गर्मी महसूस होने लगी। नशे में वह खुद को और नियंत्रित नहीं कर पा रही थी और इसी तरह उस आदमी की हंसी के साथ उसकी दुनिया और भी धुंधली होने लगी। पर उसे कुछ होता तभी वह शख्स कहता है।
“क्या तुम जानती हो कि तुम किससे बात कर रही हो?”
उसकी शख्सियत की आवाज़ अब गहरी और सख्त हो गई थी और यह कहकर वह पास में पड़ा हुआ एक ड्रिंक की बोतल उठा लेता है और गटक लेता है एक ही बार में और मूंद लेता है अपनी आँखें। तो वही इशानी ने उसके शब्दों को हल्के में लिया, पर उसका सिर चकरा रहा था, लेकिन वह जानती थी कि इस अजनबी में कुछ था, जो खतरनाक था। पर तभी वह कहता है,
“हाँ, तुम जैसे जान सकती हो, (हंसकर)। लेकिन यह भी तो कोई नहीं जानता…” उसने धीरे से कहा और एक और बोतल गटक ली जैसे वह पानी पी रहा हो और उसकी आँखों में सवाल उभर आए।
वह आदमी मुस्कराया, लेकिन उसकी मुस्कान में गहरी एक रहस्य छिपी हुई थी और इसी अंदाज़ में वह कहता है,
"तुम जानती हो मेरे पास एक ऐसी ताकत है, जो तुम्हारे दिमाग को आसानी से झुका सकती है। और मुझे लगता है, तुम उसे चाहने लगी हो।”
और यह कहकर वह पल भर में ही उसके करीब झुक सा जाता है और वही इशानी को लगने लगता है अब, लेकिन वह फिर भी उस डर के बावजूद, उसकी हिम्मत टूटने नहीं देती है और कहती है,
“मैं खुद को जानती हूँ… और मुझे कुछ भी ज़रूरी नहीं…” वह बेमन से बोली।
और इतना बोल वह वहाँ से हटने लगती है कि तभी वह आदमी उसकी गर्दन को हल्के से छू लेता है, वही इशानी की साँसें थम सी जाती हैं। हालांकि वह नशे में थी, लेकिन उसका शरीर उसकी ज़िद के खिलाफ कुछ और ही महसूस कर रहा था और वही उसे ऐसे पाकर उस शख्स की अंगुलियाँ इशानी के कंधे पर चली गईं, और वह उसके पास खींच लेता है और कहता है,
“क्या तुम जानती हो कि तुम क्या कर रही हो?” उस आदमी का गला रुंधा हुआ था, उसकी आँखों में गहरा तूफ़ान था। उसकी आवाज़ में दबाव था, जैसे वह उसे अपनी गिरफ्त में लेना चाहता हो। जिससे वही फिर इशानी का दिल तेजी से ही धड़कने लगता है, लेकिन वह फिर भी पीछे हटने की कोशिश करने लगती हैं और कहती है।
“तुम्हारी ये हरकतें ठीक नहीं हैं…”
“जो सही नहीं है, वही तो मज़ा भी देता है,” वह आदमी उसके कान के पास झुका, और उसके गालों को हल्के से छुआ।
जिस पर से पल भर में ही इशानी की आँखों में डर और विरोध का मिला-जुला भाव भर सा जाता है। वह अब किसी तरह से खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे खुद पर कोई विश्वास नहीं था। क्योंकि उसका नशा, वह आदमी, और उसका खतरनाक आकर्षण—सब कुछ मिलकर उसे और भी जकड़े हुए था और वह बहका रहा होता है इशानी को तो वही वह आदमी अपनी पकड़ को मजबूत करता हुआ, धीरे से उसके होठों के पास आ जाता है और अब उसकी साँसों की गर्मी इशानी के चेहरे पर महसूस होने लगती है तब फिर वह उसे दूर करने लगती है और कहती है।
"तुम्हारी हरकतें ठीक नहीं हैं।"
"वेल, क्या तुम चाहती हो कि मैं तुमसे दूर जाऊँ?"
वह शख्स धीमी और गहरी आवाज़ में पूछता है। उसकी आँखों में वही खतरनाक लहर थी जो इशानी के अंदर तक समा रही थी। जिसके कारण वही फिर इशानी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे, उसकी ज़िंदगी के इस मोड़ पर क्या सही था। वह नशे में थी, और उस आदमी की बुरी इच्छाओं से घिरी हुई थी। लेकिन फिर भी, उसे यह सब कुछ महसूस हो रहा था जैसे एक बुरे सपने का हिस्सा हो, जिसे वह कभी भूलना नहीं चाहती थी। पर फिर वह उसका हाथ झटक कर वहाँ से तेजी से ही दौड़ जाती है और सीधे ही घुस जाती है वॉशरूम में और धोने लगती है जल्दी-जल्दी अपना चेहरा। लेकिन उसका नशा नहीं उतरता है बल्कि उसे तो अपने जिस्म में जैसे आग लग गई हो वह सब महसूस होने लगता है और वह वही वॉशरूम में खड़े ही खड़े नोचने लगती है अपना शरीर।
उसे अब अपने अंदर हलचल सी महसूस होने लगती है कि तभी धड़ाक से ही बाथरूम का दरवाज़ा खुल सा जाता है और उधर से तीन लड़के जिनके चेहरे पर बहुत गंदी सी मुस्कान थी वे आ जाते हैं अंदर और मुस्कुराते हुए उनमें से एक कहता है।
“आज रात भर इस गुलाबी परी के साथ रंगरेलिया मनाने में अलग ही मज़ा आएगा।”
“पहले मैं करूँगा फिर तुम,” उनमें से बीच वाला आदमी कहता है और फिर झट से ही आकर वह इशानी के शरीर को सेंशुअल तरीके से दबाते हुए उसे उठा लेता है अपने कंधे पर और हँसते हुए ही बढ़ जाता है एक कमरे की तरफ़ और वही इशानी नशे में पूरी तरह बेहोश वैसे के वैसे पड़ी रहती है।
कमरे में पहुँचकर, वह आदमी इशानी को बिस्तर पर ले जाता है। उसकी आँखों में एक भूख है, जो इशानी के अंदर की हलचल को और बढ़ा देती है। वह धीरे से उसके शरीर पर हाथ फेरता है, जैसे किसी प्यासे को पानी मिल गया हो। इशानी की साँसें तेज हो जाती हैं, और उसका शरीर उसकी छुअन के साथ झुलस जाता है।
“तुम कितनी खूबसूरत हो,” वह आदमी उसके कान के पास फुसफुसाता है, और उसके गालों पर हल्के से चूमता है। जिससे वही इशानी की आँखें बंद हो जाती हैं, और वह अपने आप को उसकी छुअन के साथ बहने देती है क्योंकि उसे तो होश ही नहीं है कि यहाँ उसके साथ क्या हो रहा है।
कैसा लगा, भाग?
पब में गोलियों की आवाज गूंज रही थी और चारों तरफ खलबली मच गई। पूरे पब की लाइटें बुझ गई थीं और अंधेरा छा गया था। जिससे तभी वही इधर इशानी, जिसे होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है वो अचानक से ही बेड से उठ जाती है और जो लड़का उसपर झुक रहा था उसे नशे वाले हाल में ही जोर से ही धक्का देकर वो उस लड़के को खुद से दूर कर देती हैं और फिर अंधेरे में ही लड़खड़ाते हुए निकल जाती है कमरे से बाहर । इसके बाद वो अंधेरे में ही कॉरिडोर की दीवार पर हाथ रखते हुए , बस वो वहां से चलती चली जाती है और जब उसका हाथ एक दरवाजे पर अटकता है , तब तो वो फिर अंधेरे में ही डोर को छूते-छूते अंदर आ आ जाती है और पल भर में हु फर्श खोने के कारण गिर जाती है नीचे।
परंतु वो यहां भी नहीं रूकती है बल्कि फिर वो वह अपना सर पकड़ लेती है और "अहहह" की आवाज निकालकर उठ जाती है वहां से और जैसे ही आगे बढ़ती है और जब वह चलने की कोशिश करती है। तभी उसका पैर गलती से ही बेड से टकरा जाता है और वह अपना संतुलन खोए हुए धम से गिर जाती है बेड पर । वैसे बिस्तर काफी मुलायम, गर्म स्पर्श उसे महसूस करवा रहा होता है। जिससे वही फिर इशानी वो अपने आप में ही मुस्कुरा देती हैं और फिर मूंद लेती है। अपनी आंखें।
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कुछ समय बाद,
इशानी बेहोश पूरी हक चुकी थी और कमरे में लाइट अब भी नहीं थी
चारों तरफ कमरे में अंधेरा पसरा हुआ था और माहौल बहुत डरावना सा लग रहा होता है को तभी धड़ाक से ही कमरे का दरवाजा खुल जाता और एक शख्स, जो सिर्फ पैंट में था वो आ जाता है अंदर। वह लड़खड़ाते हुए आया, क्योंकि उसने ड्रिंक कर रखा था। उसके हाथ में फोन था, जो उसके कान के पास लगा हुआ था और कोई बात कर रहा होता उससे और तभी कोई कहता है, "बॉस, आज आपने पहली बार डिमांड की थी एक लड़की के लिए पर..."
लेकिन बात पूरी हो पाती । उससे पहले ही फोन उस शख्स के हाथ से छूट जाता है और गिर जाता है कही पर उस शख्स को कोई फर्क नही पड़ता है बल्कि वो उचकते हुए धीरे से भी बेड के पास आ जाता है और खड़े रहता है वहीं। पर फिर कुछ पल बाद उसकी धुंधली आंखे बेड पर टिक जाती और फिर वो ऊंघते हुए झुक जाता है और जैसे ही लेटता है, वह सीधे ही इशानी के ऊपर गिर जाता है।जिसकी वजह से वही फिर इशानी के टच से अचानक से ही इस शख्स के अंदरें एक तरंग सी उठ जाती है और वो अपना सर झटक के उठा लेता है अपना चेहरा और फिर वही खिड़की से आती हल्की रोशनी में वो निहारने लगता है बेड पर जहां इशानी बेहोश थी। जिसकी वजह से वही फिर उस शख्स के चेहरे पर अब एक कुटिल जहरीली सी मुस्कुराहट बिखर जाती है और वो हकलाते हुए कहता है।
"ओह... लड़की... आज रात भर के लिए लड़की मिल गई वाह... वैसे भी मुझे कोई क्यों ही मना करेगा... Vikrant Yadhuvanshi... ये नाम सुनकर ही ये लड़की मुझसे अपने शरीर की प्यास बुझाने आ गई," वह हंसकर कहता है।
और फिर कसकर ही दबोच लेता है उसे कंधे से । जिसकी वजह से वही फिर इशानी जो बेहोश थी वो अपने हाथ पर ऐसी पकड़ फील कर धीरे ही धीरे अपनी धुंधली आंखे खोल लेती हैं और फिर ताकने लगती है उसे पर उसे कुछ समझ नहीं आता है और ना ही उसे कुछ असर हो रहा होता है और फिर ऐसे ही वो मूंद लेती है फिर से अपनी आंखे तो वही विक्रांत उसके करीब आकर उसे छूने लगता है और फिर पल भर में ही उसकी ड्रेस को फिसला देता है उसके एक कंधे से । सच मे वो बहुत प्यारी लग रही थी । उसके चेहरे पर मासूमियत से भरा नज़र आने लगता है और इसी वजह से विक्रांत जो नशे में ही हाथ बढ़ाकर उसके बालों को हटाने लगता है और उसकी उंगलियाँ इशानी की नाजुक त्वचा को छूने लगती हैव।।जिसकी वजह से वही फिर वो इतना मुलायम और मखमली सा महसूस कर कहता है ,
"माल," उसने धीमी, गहरी आवाज में पुकारा और वही इस शब्द को सुनकर इशानी उचक जाती है, वो हल्के से आंखें खोलकर। उसकी नजरें विक्रांत पर पड़ती हैं, पर उसे कुछ समझ नहीं आता क्योंकि एक तो बहुत कम रौशनी उसपर से आंखे भारी थी उसकी तो वो फिर से बेसुध हो जाती है और वही पल भर में विक्रांत उसे अपने नीचे दबाते हुए झुककर उसके चेहरे को हड़बड़ाए हुए हाथ से अपने हाथों में ले लेता है और उसकी त्वचा की गर्मी को महसूस करते हुए फेरने लगता है वहां पर और फुसफुसाते हुए कहता है ,
"भाग जाओ... वरना मुझसे बचेगी नहीं," वह कहता है।
पर इशानी को तो कोई होश नहीं था तो भागती कहा से तो बस विक्रांत उसे अब फिर ऐसे पाकर फिर जोर-जोर से हंसने लगता है और बंद आंखों से ही दबोच लेता है उसके जबड़े को और गुस्से में बिलबिलाए हुए कहता है,
" पैसों की भूखी है... ठीक , आज मिटाता हु तुम्हारी भूख "
और ये कहकर फ़िर विक्रांत अपने होंठ को उसके जबड़े पर रख देता है और चूम लेता है वहां है। जिसकी वजह से वही फजर इशानी तो अचानक से ही फिर चिहुंक उठती है, पर आगे कुछ नहीं होता। तो वही विक्रांत जो खुद में लगा था वो अब उसके गालों पर एक के बाद एक जोरदार चुंबन देने लगता है और इशानी हल्का-सा सिहरन महसूस कर उचकने लगती हैं अपनी जगह पर। वो अंदर ही अंदर अजीब सी सिहरन फील कर रही थी पर कुछ नहीं कर पा रही थी।
तो वही विक्रांत पर नशा खुमार था । वो अब उसके लबों की ओर देखने लगता है और फिर धीरे से ही अपने चेहरे को उसके पूरे ही चेहरे से जोड़ दबोच लेता है उसके लबों को अपने लबों में । यह अहसास हल्का था, जैसे वह उसकी अनुमति मांग रहा हो। लेकिन जब उसने कोई विरोध नहीं किया, तो विक्रांत अपना स्पर्श और गहरा कर देता है जैसे कितने जन्मों का भूखा हो और फिर उसकी बाहें इशानी के चारों ओर कस जाती है और और उसने उसे अपनी ओर खींच जकड़ लेता है अपनी मजबूत लोहे जैसी बाह में और वो उसके नीचे एक छोटी ढेर जैसी ढक सी जाती है।
Continue............
कैसा लगा आज का भाग?
उम्मीद है आपको कहानी अब तक पसंद आई है एंड यस..... पिछला भाग थोड़ा एडिट कर दिया है जाकर वापस से पढ़ सकते है।
पिछले भाग में हमने पढ़ा था कि वो उसे अपनी बाहों में घेर अपने आगोश में भर में लेता है।
अब आगे ,
अब इशानी की सांसें तेज हो गई थीं और उसका जिस्म ऊपर नीचे हो रहा था । पर तभी वह अध्बेहोसी के हालत में है उसके कंधे पर नाखून गड़ाने लगती है और फिर हाथ रख लेती है उसके पीठ पर । जिससे फिर वहीं इसकी वजह से विक्रांत जो उसके ऊपर था वो तो दर्द में ही चिल्ला देता है जोर से और भींच लेता है अपनी मुट्ठियों को ।
वैसे सच मे इशानी की चुभन बहुत तेज थी क्योंकि उसके नाखून बड़े थे और चुभने पर ऐसे लगे जैसे किसी ने नुकीला किल चुभा दिया हो तो इसकी वजह से फिर वही विक्रांत को वापस से ही गुस्सा भी आने लगता है।और इसीलिए फिर वह अगले ही पल उसके चेहरे को छोड़ते हुए एक गहरी सांस भरता है और फिर से ही उसकी ओर झुककर वह कसकर ही जड़ देता है उसके होंठो पर अपने होंठ साथ में जोर से काटते हुए और इसी के साथ अब उसके लब इशानी त्वचा पर भी धीरे धीरे फिसलने लगते है।
अब विक्रांत का हर स्पर्श के साथ, उसकी चाहत और जुनून बढ़ता ही चला जा रहा था। अब तो एक नशे के साथ उसमें गुस्सा भी खुमार था और वो इसलिए वो धीरे-से उसके ऊपर होते है अपने स्पर्श से सहलाना जारी रखेगा है और फिर हल्के से निशान दे देता है वो वहां। जिसकी वजह वही इशानी तो दर्द के मारे हल्के से ही कहरा उठाती है, पर कुछ बोलती नहीं हैं। और इसी वजह से विक्रांत जो निशान देने में लगा था वो उसकी सिसकियां सुन .... फिर उसकी तरफ ताकने लगता है और फिर एक जहरीली मुस्कुराहट छोड़ वो उससे आजाद हुए, उसकी ड्रेस को थोड़ा सा आजाद कर देता है और उसे अपनी बाहों में लिए फिर से देने लगता है अपना स्पर्श (होंठो से )।
इसके बाद फिर वो अब उसकी आंखों पर चूम लेता है और एक ही बार में आ जाता है वो इशानी के चेहरे के करीब और धीरे-से इशानी के कान में फुसफुसाए हुए कहता है, "तुझे स्पर्श देकर अब तुझसे नफरत ही नहीं, हवस भी जागने लगी है और इसीलिए आज रात तुझे छोडूंगा नहीं एक पल भी।"
और ये कहकर वो फिर अपनी उंगलियों से अठखेलियां करने लगता है और छूने लगता है उसको हर तरफ से । उसकी आंखों में नशे के साथ-साथ अब हवस भी थी और वह बस बढ़ती ही जा रही थी इशानी को ऐसे देख और साथ में उसकी आंखे लाल हो रही थी अब इशानी का मनमोहक जिस्म देखकर जो उसे ललकार रहा होता है अपनी तरफ। जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत उसे अपनी ओर और ज्यादा खींचते हुए बिस्तर के मिडिल में कर लेटा देता और एक झटके से उसकी तरफ चिपक कर वो इसके शरीर के हर हिस्से को सांसों से स्पर्श देते हुए, फेरने लगता है उसको। जिसपर से इशानी तो उसकी इस हरकत पर चिहुंक जाती है और कहती है ।
"Ufffff," इशानी ने हल्का-सा कराहते हुए अपनी आवाज निकाली। वैसे अब उसकी आवाज में दर्द था, साथ में वह एक सिहरन भी , जो उसकी भावनाओं को और बढ़ा रही थी । जिससे वह फिर अपनी जगह पर ही गहरी सांस लेने लगती है और विक्रांत उसकी इस आवाज को सुन उसकी नाजुक त्वचा को अब अपने हाथों से छूने लगता है चारों ही तरफ और इसी वजह से विक्रांत के अब हर स्पर्श से इशानी के अंदर एक अजीब सी हलचल पैदा होने लगती है जो असहनीय थी । लेकिन विक्रांत नहीं रुकता है बल्कि इसके बाद वो खुद को भी कपड़ो के बंधन से पूरा आजाद कर देता है और फिर इशानी को अपने आगोश में भरते हुए , वो उसके हाथ को अपने हाथों से थाम लेता है और जानबूझकर ही उसकी उंगलियों को दबाकर " जैसे पीड़ा देने की कोशिश कर रहा हो " वो उसे इस हाल में बिस्तर पर दबा देता है और इसके बाद फिर वह यू ही फिर से उसे शुरू हो जाता है देने निशान जो उसके हर जगह पर एक लाल निशान छोड़ रहे होते है। वो उसकी त्वचा पर अपने सांसों में फिर से रख स्पर्श देने लगता है और फिर पकड़ लेता है उसके बालों को लेकिन हल्के से और फिर धीरे-से उसके उदर पर एक मीठा स्पर्श देता है और फिर निहारने लगता है उसे ।
लेकिन उसे देखते ही वो न जाने क्यों भड़क जाता है और इसीलिए झट ही वो खींच लेता है उसके बाल। जिससे वही इशानी जो होश में आ रही थी तो कभी बेहोश वो अब बालों में खिंचाव महसूस कर तो फिर अब दर्द में तिलमिलाने लगती है पर नहीं उठती हैं और वही विक्रांत फिर भी उसके कंठ पर अपने स्पर्श रखे, और वहां से धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगता है उसके बालों को छोड़, बस यू ही उदर पर सहलाए हुए वो उसे अपने बाहों के आलिंगन में कर लेता है और थम जाता है " जैसे वक्त थम गया हो "।. जिसपर से वही फिर इशानी जो सब कुछ फील कर रही थी वो अब उसके ठहराव को महसूस कर ऊंघने लगती है और बंद आंखों से ही उसके ऊपर रख लेती है वो अपना हाथ ।
जिससे जब विक्रांत जो शांत था वो जब इशानी के इस हरकत को फील करता है । तब फिर वो उसके बालों में उंगली डाले हुए उसे अपनी बाहों के चारों ओर लपेट लेता है और उसे चिपका लेता है अपने सीने से।
इसके बाद फिर विक्रांत उसके चेहरे को अब अपने हाथों में लेकर उसे फिर से गिला करने लगता है और इस बार यह ये अहसास गहरा और लंबे समय तक चला। जिसे खुद इशानी उसकी हर संवेदना को महसूस करने लगती है । पर जब विक्रांत फिर से रुक जाता है तब फिर इशानी अलसाय हुए हु अपने पैरो को पटकने लगती है और इसी वजह से विक्रांत जो शायद खुद ऐसा चाहता था वो उसके ऐसे करने ओर अब उसके पैर को अपनी उंगलियों से सहलाने लगता है , और फिर धीरे-धीरे नीचे सरक के बढ़ता चला जाता है आगे क्योंकि उसकी हर हरकत में आकर्षण और जुनून का मेल था । जिससे वही फिर इशानी भी उसके ऐसे करने पे बहकने लगती है उसकी इस क्रिया पर और फिर अगले ही पल वो छोड़ देती है अपना शरीर ढीला जैसे वो खुद को आराम दे रही हैं ।
तो वही विक्रांत का हर स्पर्श इशानी के भीतर एक तेज सिहरन पैदा कर रहा था। अब उसकी सांसे और महक इशानी से होते हुए उसकी मध्य पर रुकीं, और उसने पल भर में ही उसे अपनी ओर खींच जड़ देता है टीवी से ही वहां एक चुंबन । वैसे यह अहसास पहले से भी गहरा था और इसीलिए वो करने लगता है उसके साथ मनमानी । वह अब बिल्कुल भी रुकना नहीं चाहता था और इसीलिए वह उसे अपने आगोश में भर उसके दोनों ही हाथों को ऊपर कर देता है और फिर से लगता है उसके जिस्म पर रसपान करने । जिससे वही अब इशानी जो पूरी ही गहराई में चली गई थी .....पर शरीर उसकी हर हरकत को महसूस कर रहा था। वो फिर विक्रांत के इस हरकत पर सिसकियां भरने लगती हैं और वही विक्रांत उस पल का मौका उठाकर उसके बालों को थाम लेता है और उसे खुद के और करीब खींच अंधेरे में ही टटोलने लगता है वो उसका चेहरा ।
लेकिन फिर अगले ही पल वो रुक जाता है और बिना किसी भाव के ही वो हर बंधन से आजाद कर देता है इशानी को और उसे इसी हालत में हालत में कसकर ही देने लगता है उसके बदन पर हल्का सा स्पर्श और फिर इसी तरह आगे बढ़ने लगता है । उसने उसके गाल पर फिर हल्के-से अपने लब रखे और वहां एक जोरदार निशान दिया। फिर उसने अपनी दाढ़ी के हल्के स्पर्श से भी उसकी त्वचा को छुआ, जिससे इशानी की सांसें तेज हो गईं।
उसने फिर उसके हाथों को हटाया और उसके माथे पर स्पर्श रख दिए और अब हर स्पर्श के साथ खुद विक्रांत के दिल की धड़कनें तेज होने लगती है । वह उसकी नाजुकता को महसूस कर रहा था और फिर उतर जाता है वो वहां - जहां से सब कुछ बदलने वाला था ।
तो वही इशानी की साँसों में भी अब पूरा ही तूफान आ चुका था और वह कांप रही होती है।जिसकी वजह से फिर वही विक्रांत उसके जिस्म में हो रही सिरहन को महसूस करे उसके बालों को अपने हाथों में लपेट लेता है और फिर निहारने लगता है उसको । वैसे वो अब मुस्कुरा रहा होता है उसे देख जैसे कुछ जीत लिया हो और इसीलिए फिर वो उसे अब पूरी तरह से ढक लेता और उसके पास झुककर उसकी आंखों में लगता है निहारने पर विक्रांत को कुछ नजर नहीं आ रहा था क्योंकि कमरे में अब पूरा अंधेरा हो चुका था तो बस इसीलिए विक्रांत फिर से ही उसका चेहरा पकड़ यू ही उनपर हाथ फेरने लगता है जैसे उसे नाप रहा हो और फिर अगले ही समय उसके होंठ इशानी पर धीरे-धीरे फिसलने लगते है जैसे " "उसने उसकी हर संवेदना को महसूस कर ,उसकी हर सांस को अपने अंदर समेट लिया " और फिर वो अपनी उसकी उंगलियाँ इशानी के बालों में डालते हुए उसकी गर्दन पर कर - कस लेता है वहां और रगड़ने लगता है अपना चेहरा वहां और काटने लगता है वहां और इसी वजह से इशानी भी आहे भरने लगती है और अब कमरे में मच चुका था तूफान आग दोनों और लग चुकी थी।
अगले ही पल अब इशानी पूरी तरह से विक्रांत में खो चुकी थी। उसने अपनी बाहें उसकी गर्दन पर रख दीं और उसे और करीब खींच लिया। तो वही विक्रांत भी इस पल में आकर्षण की ऐसे पड़ाव पर था कि उसे खुद नहीं पता है कि वह क्या कर रहा है। लेकिन हां उसकी उंगलियों, हाथ....इशानी को हर तरफ से नाप रही थी और वही इशानी अब एक लाश की तरह पड़ी हुई बस उसे बहका रही थी। नहीं, एक्चुअली में वह पूरी तरह से बहक चुका था।
कमरे में गर्मी फैल चुकी थी चारों तरफ दर्द का सैलाब था। दोनों की ही आवाज अंदर उठ रही थी और बाहर गोलियों की बौछार। इधर अंदर क्या हो रहा है उसका किसी को अंदाजा नहीं। जहां बाहर लोगों में आग लग गई है तो वही इधर अंदर विक्रांत एक जानवर का रूप ले चुका है। वह अपने नशे और मद में कुछ इस तरह से बन चुका है कि वह उसे जानवरों की तरह निचोड़े हुए बिना कुछ सोचे बढ़ गया। जिससे वही इशानी की करुणा भरी आवाज निकल गई पर विक्रांत का यह भयानक हवस भरा रूप एक बार भी अब नहीं रुकता है और वह बस बढ़ते ही चला जाता है।
कैसा लगा आज का भाग ?
उम्मीद है पसंद आया होगा ।.....
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सूरज की हल्की किरणें कमरे में धीरे-धीरे फैल रही थीं और खिड़की के पर्दे आधे खुल चुके थे । साथ ही बाहर से पक्षियों की चहचहाहट की आवाज सुनाई देने लगी थी और पर इधर इतना होने पर भी कमरे का माहौल शांत था। लेकिन उस शांति के बीच एक अजीब-सी बेचैनी छिपी हुई थी एंड वही हमारी इशानी पड़ी हुई थी बेड पर.... वो भी बेहाल हाल में और उसके सिर में हो रहा है था हल्का - हल्का दर्द ,जिसकी वजह से उसकी आंखें भारी हो चुकी है । पर फिर वो अगले ही पल अब धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलने लगती है और झटके से ही हो नाती हैं सो शॉक क्योंकि उसके ये आसपास का माहौल उसके लिए अजनबी था।
जिसपर से फिर वही उसने बिस्तर पर अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाने लगती है और पाती है की पलंग पर बिखरा हुआ कंबल, बगल में रखा एक गिलास और पानी की आधी भरी बोतल , कुछ कपड़े ऐसे ही पड़े हुए है फर्श पर । तब फिर वो ये सब देखकर तो अब बहुत ज्यादा ही शॉक हो जाती है और उसका दिमाग घूमने लगता है कि ये क्या है । पर । परंतु उसकी नजर चली जाती है अपने कपड़ों पर , जो अस्त-व्यस्त हाल में पड़े थे और बाल बिखरे हुए। तब फिर ये सब देख तो वही इशानी अब और भी ज्यादा ही डर जाती है और इसीलिए जैसे ही उठने की कोशिश करती है , तभी धम से कर वो वही वापस से ही बेड पर ही गिर जाती है और कहराने लगती है दर्द के मारे ही और उसी के बीच में ही "" वो दर्द भरी आवाज में कहती है ,
“यह जगह कौन-सी है?” उसने खुद से बुदबुदाया। पर तभी उसकी नज़र कमरे के कोने में खड़े एक शख्स पर चली जाती है जो वही खिड़की के पास खड़ा था । वो वाइट शर्ट में , हाथ में एक सिगरेट पकड़े हुए , बाल अच्छे से सेट वाले हाल में था। उसकी आंखें गहरी और चेहरे पर गंभीरता थी। वह बाहर दूर horizon की ओर देख रहा था, जैसे किसी गहरी सोच में डूबा हो और सूरज की रोशनी उसके माथे पर पड़ रही थी और साथ में उसकी हर सांस के साथ सिगरेट से निकलता धुआं कमरे में घुल रहा था। जिसपर से वही इशानी ये सब देख तो फिर खुद को संभालने की कोशिश करने लगती है । हां उसे बीती रात की कोई बात साफ-साफ याद नहीं थी। पर उसका सिर अब भी भारी था और आंखे धुंधली तो वो अपनी कमजोर आवाज में एक बार फिर से कहती है।
“मैं... मैं यहां कैसे आई और ये कौनसी जगह जगह है "।"
तो वही उस शख्स ने अब फाइनली जाकर उसकी ओर देखा। उसकी आंखों में हल्की लाली थी, जैसे उसने रात भर नींद नहीं ली हो और वो दिखने में भी काफी ज्यादा ही हैंडसम लग रहा था । पर अब जब वो इशानी की आवाज़ सुनता है । तब फिर वो तुरंत ही अपनी सिगरेट बुझा देता है और एक पल के लिए चुपचाप खड़ा रह , फिर धीमी लेकिन ठंडी आवाज में कहता है ,
“तुमने खुद को मुसीबत में डाल लिया था और तुम्हें बचाने के लिए मुझे तुम्हें यहां लाना पड़ा , लेकिन अब और नहीं , इसीलिए बेहतर होगा कि जल्दी से यहां से निकल जाओ "।"
और ये कहकर वो वापस से ही खिड़की की ओर देखने लगता है तो वही उसके शब्दों ने तो इधर इशानी को और उलझा दिया। वो हैरानी से ही देखने लगती है उसे और फिर अपने सिर पर हाथ रख याद करने की कोशिश करने लगती है कि ये क्या है और फिर कहती है ।
“मुसीबत? कैसी मुसीबत?” उसने फुसफुसाते हुए पूछा।
जिसपर से वही उस शख्स ने अब ये सुनकर तो एक गहरी सांस ली, जैसे वह हर बात उसे बताने का मन नहीं बना पा रहा हो और इसीलिए फिर वह खिड़की से हटकर सोफे पर बैठ जाता है और देखने लगता है उसे । खैर उसकी चाल में एक अजीब-सी शक्ति थी, जो उसे और डरावना बना रही थी और फिर वो इशानी को बिना किसी भाव के ही देख रहा होता है तो ये किसी डर से कम तो था नहीं । लेकिन इशानी ने अब सवाल किया ही था तो बस वो कहता है ।
“पब में गोलीबारी हुई थी। तुम वहां थी, और तुम्हारी हालत देखकर लगा कि तुम खुद को संभाल नहीं पाओगी। इसलिए मैं तुम्हें यहां ले आया क्योंकि तुम सुबह मुझे बाहर पब के रोड पर पड़ी हुई मिली थी ....वो भी बेहोश।
और इतना कहकर वो सामने टेबल पर पड़े अखबार की तरफ नजरें कर लेता है । तब वही इशानी जिसने उसकी बातें सुनीं , वो तो अपनी भौंहे सिकोड़ लेती हैं और देखने लगती है उसे । पर तभी अचानक से ही वो अपना सर दबाने लगती है और याद करने लगती है कि आखिर हुआ क्या था । परंतु उसके दिमाग में कुछ भी साफ नहीं था। उसकी यादें धुंधली थीं। वह समझ नहीं पा रही थी कि वह सच कह रहा है या उससे कुछ छिपा रहा है और इसीलिए वो हैरानी से ही कहती है।
“लेकिन तुम... तुम मुझे जानते भी नहीं तो तुमने मेरी मदद क्यों की?” उसने उसकी ओर देखते हुए पूछा।🥺
जिसपर से फिर वही वो शख्स अब इशानी की बात सुनकर उसकी ओर देखने लगता है और उसी वक्त उसकी गहरी आंखें सीधे इशानी की आंखों में उतरती हुई महसूस होने लगती है । जिससे फिर उसने कुछ सेकंड तक चुप रहकर उसे यूं हु निहारता रहता है और फिर बिना भाव के कहता है ,
“कभी-कभी किसी को बचाना हमारी मर्जी नहीं, बल्कि मजबूरी होती है। खैर अब मेरे पास तुम्हारे सवालों का जवाब देने का वक्त नहीं है। आराम करो।”
और बस ये बोलकर वो शख्स अखबार पढ़ने लगता है । तो वही इशानी उसकी इस बेरुखी से तो अब बुरी तरह से सहम जाती है । खैर एक कमरा और उसमें एक लड़का और लड़की ....दोनो ही अकेले और लड़की की हालत कमजोर, लड़का वही मजबूत एंड आगे क्या हो जाएगा अब ये सोचकर तो बस इशानी तुरंत ही वहां से उठने की कोशिश करने लगती है और फिर जब बिस्तर से पैर नीचे रखती है। तभी उसके कदम वही पर लड़खड़ा जाते है और वो खो देती है अपना बैलेंस । लेकिन वो गिर पाती । तभी उस शख्स ने फुर्ती से आगे बढ़कर उसे पकड़ लिया। उसकी पकड़ मजबूत थी, और उसके हाथों में एक अजीब-सा नर्म अहसास था और वो इसी हालत में कहता है ,
“मैंने कहा था, तुम से की पहले ठीक हो जाओ, फिर खड़े होना ( उसे बिठाते हुए ) अब कहीं नहीं जाओगी। अभी तुम्हारी हालत ठीक नहीं है,” उसने सख्त लहजे में कहा।
जिससे वही इशानी जो अब भी उसकी बाहों में थी अब ये सुनकर तो बस गुस्से में ही उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगती है और कहती है ।
“तुम मुझे यहां जबरदस्ती नहीं रोक सकते। मुझे जाना है!”😑
और ये कहकर वो गुस्से में ही अपना हाथ छुड़ाने लगती है । तब तो फिर वही उस शख्स का चेहरा अब एक पल के लिए ही कठोर हो जाता है और वो छोड़ देता है उसकी कलाई छोड़ी लेकिन उसकी आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था और वो इसी हालत में कहता है ,
“अगर मैं तुम्हें वहां नहीं लाता, तो तुम शायद अब तक जिंदा नहीं होतीं। मैं तुम्हें यहां इसलिए लेकर आया क्योंकि वहां हालात खराब थे। यह एहसान है, ज़बरदस्ती नहीं।”
तो वही इधर इशानी ने उसकी बात को अनसुना करते हुए दरवाजे की ओर कदम बढ़ा लिया । अब तो बस एक ही लक्ष्य था उसका की वो किसी भी तरह से यहां से निकले , लेकिन जैसे ही उसने कुछ कदम उठाए, उसे चक्कर आ गया। पर इससे पहले कि वह गिरती, तभी धड़ाक से ही उस शख्स ने फिर से उसे संभाल लिया और कहता है ।
“तुम इतनी जिद्दी क्यों हो?( उसने झुंझलाते हुए कहा उसकी आवाज में गुस्से के साथ-साथ चिंता भी झलक रही थी ) तुम्हें समझ नहीं आता? तुम अभी बाहर नहीं जा सकती। अपनी हालत देखो। तुम्हें आराम की जरूरत है।” 😑
अब उस शख्स ने उसे बिस्तर पर वापस लिटाते हुए कहा और इस बार उसकी पकड़ में थोड़ी नरमी थी - साथ ही आवाज में भी और फिर इसके बाद उसने पास रखे पानी का गिलास उठाया और उसकी ओर बढ़ाकर कहां,
“पानी पियो,” उसने आदेश भरे लहजे में कहा।
जिसपर से वही इशानी जो सब में दर्द में है बहुत वो तो अब बस चुपचाप ही उसकी बात मान लेती हैं और पीने लगती है पानी न लेकिन उसकी नजरें अब भी उस शख्स पर थीं। वह इस आदमी को समझ नहीं पा रही थी। उसकी हरकतें अजीब थीं। कभी वह मददगार लगता, तो कभी डरावना। और इसीलिए कुछ देर की खामोशी के बाद उसने धीरे से कहती है ,
“तुम कौन हो?”
तो वही उस शख्स ने इशानी का ये सवाल सुनकर तो उसकी ओर तुरंत ही पलटकर देखने लगता है । उसकी आंखों में एक गहरा तूफान था और वो सुन्न भरे हालत में थे जैसे कितना खालीपन हो तो। उसे ऐसे देख अब इशानी असहज सा महसूस करने लगती हैं और तब ही वो इंसान धीमे लेकिन ठंडे स्वर में कहता है ,
" देवांश ठाकुर " लेकिन मेरे बारे में ज्यादा जानने की कोशिश मत करो। जो मैं करता हूं, वो तुम्हारे लिए जानना खतरनाक हो सकता है।”
उसकी बातों ने इशानी के दिल में और सवाल खड़े कर दिए। उसने उसे और कुछ नहीं कहा। लेकिन उसकी आंखों में डर और उलझन साफ झलक रही थी। जिसपर से वही फिर सामने खड़ा देवांश जो उसे ही देख रहा था ....वो अब उसके चेहरे के भावों को समझने लगता है और फिर खिड़की की ओर देखते हुए कहता है।
“तुम्हारे पास दो रास्ते हैं,” देवांश ने पीछे मुड़कर कहा। “या तो आराम करो और ठीक हो जाओ, या खुद को और मुश्किल में डाल लो। चुनाव तुम्हारा है।”
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और बस ये कहकर वो खिड़की से बाहर देखने लगता है । तब फिर वही इशानी अब उसे कोई जवाब नहीं देती । यहां तक कि वह चुपचाप ही तकिए पर सिर रखकर लेट जाती है , लेकिन उसका मन बेचैन था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। हां, उसे याद था कि वह पब में थी और उसने ड्रिंक किया था, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, यह धुंधला था। और उसपर से अब वो एक दूसरे कमरे में और उसके सामने एक अंजान आदमी खड़ा है तो बस ये सब देखते हुए वो अपना सर पकड़ लेती है । लेकिन तभी अचानक से ही उसका ध्यान देवांश पर चला जाता है , जो वॉशरूम की तरफ जा रहा होता है और जैसे ही दरवाजा बंद होता है। तब तो फिर वही इधर से इशानी अब उसे अंदर देख ....धीरे-धीरे बिस्तर से ही उठ जाती है । लेकिन तभी उसके पेट में तेज़ दर्द होने लगता है , और वह कराह उठती है ।उसका शरीर जवाब देने लगता है । पर वो खुद को संभालने की कोशिश करना जारी रखती है और फिर किसी भी तरह से लड़खड़ाते हुए कदमों के साथ वह निकल जाती है कमरे से बाहर और वहां वो लचकते हुए हालत में सीधे ही पहुंच जाती है मुख्य रोड पर और अपना पेट पकड़े हुए ताकने लगती है चारों ही तरफ। तब फिर उसी वक्त उसकी नजर सामने से गुजरते एक घोड़ा गाड़ी वाले पर जा पड़ती है । जिसपर से वो फिर अब सीधी ही हो जाती हैं और तुरंत उसे रुकने का इशारा कर ... जाकर ही खड़ी हो जाती हैं उसके सामने और अपना पर्स लगती है टटोलने लेकिन जब पता चलता है कि उसके पास कुछ है नही तो बस .... फिर वो बिना वक्त गंवाए हुए उसे अपनी उंगली से अंगूठी उतार गाड़ीवान को थमा देती है और कहती है।
"जल्दी चलो, मुझे यहां से दूर ले चलो," उसने हड़बड़ाते हुए कहा और गाड़ी में बैठ गई।
जिससे वही वो गाड़ी वाला अब इशानी को ऐसे देख अंगूठी ले लेता है और सड़क पर दौड़ाने लगता है गाड़ी। जिसपर से फिर इशानी जो दर्द और घबराहट में पीस रही थी वो अब पीछे मूड - मुड़ के ताकने लगती है और फिर वह सीट पर बैठी-बैठी खुद को संभालने की कोशिश लगती है करने । लेकिन उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी क्योंकि कमरे से भागने का साहस तो कर लिया था, लेकिन अब वह खुद को अकेला और असहाय महसूस कर रही थी।
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कैसा लगा चैप्टर ?
कैसा लगा आज का भाग ?
आपको क्या लगता है क्या होगा आगे ?
Writers POV
( राजमहल )
ये खूबसूरत और भव्य घर जो बाहर से ही एक फिल्मी महल की तरह लगता है ,वहां छिपी हुई है एक दुखभरी कहानी। ऊंचे गेट्स, जो शाही महलों की याद दिलाते है , और उसमें लगे सुनहरे लोहे के कांटे, जैसे किसी राजघराने का प्रतीक हों "वो सब किसी नर्क से कम नहीं है " क्योंकि उसमें रहने वाले लोग " जैसे नर्क से ही निकले हो ".
" इस महल के अंदर जाते हुए आपको वहां एक शानदार बगीचा नजर आएगा , जो हरियाली से ढका हुआ है चारों ही तरफ और वही एक साइड पर गहरी नीली और सफेद रंग की झीलों में बत्तखें तैरते हुए नजर आएंगी जो " इस नर्क रूपी महल की शोभा बढ़ाती है ",। तो वही थोड़ा आगे बढ़ने पर आपको उस महल के हर कोने में गुलाब, चमेली, और मोगरा के फूल लगे हुए नजर आएंगे और साथ में वहां पर तरह - तरह के लहलहाते हुए पेड़ भी जो इस महल के चारों ओर फैले हुए और जब हवा चलती है । तब ये लहलहाते हुए पूरे ही जहां को ठंडक पहुंचाने लगते है और इसी के बीच इस खूबसूरत से नर्क रूपी महल में ...एक कोना है जहां पर रहती है एक खूबसूरत सी राजकुमारी जो 💗🎀 इस नर्क को जन्नत बनाने की चाह रखती है और उसका नाम कुछ और नहीं बल्कि " इशानी "है ।
महल के अंदर ,
( इशानी का कमरा )
एक छोटा सा प्यारा कमरा जो किसी के भी प्रवेश करते ही एक सर्द, नीरस और ठंडक में तब्दील हो जाता है वहां रहती है हमारी राजकुमारी इशानी । जब हर बार उसके कमरे का दरवाजा खुलता है तो वो एक अजीब सा आवाज़ करते हुए " चर - चर " करने लगता है और जब उस कमरे के अंदर आते है तो वहां पर अब नज़र आने लगती है एक साइड की दीवार जिसपर धुंधली सीलन के निशान है "जैसे समय का वजन उस पर पड़ चुका हो। तो वही थोड़ा और अंदर आने पर अब वहां उस कमरे में एक छोटी सी खिड़की भी दिखाई देने लगती है जिसपर आधे पर्दे लगे हुए और उसके ऊपर सफेद धूल की परत जमी हुई । पर ये सब भी काफी नहीं है क्योंकि जैसा दृश्य अंदर कमरे का है , उसी तरह उस छोटी सी खिड़की से अगर बाहर झांकें तो वहां बाहर का दृश्य भी भयावह है क्योंकि उसके कमरे के पीछे बहुत सारा पत्तों का सूखा हुआ कचरा भरा है और साथ में ही इस महल में रहने वालों का भी ।
वही इस छोटे से कमरे में शांति से ही सारी चीजें रखी हुई है जैसे " एक पुरानी अलमारी, पुरानी चादरें, और एक पुरानी लकड़ी का बिस्तर, जो खुद ही बीती हुई जिंदगी की गवाही दे रहा की इशानी का जीवन कैसा है और कैसे रहती है वो यहां । क्योंकि इस महल की राजकुमारी होने के बावजूद भी , उसकी स्थिति किसी नौकर से कम नही है ।
हां इशानी की उम्र 21 वर्ष है, लेकिन उसकी आँखों में 40 साल के अनुभव की थकावट और तनाव दिखाई देती है और अब उसके चेहरे पर छाए परेशानियों के घेरे है जो उसकी रातों की नींद और दिल की बेचैनियों का इशारा कर रहे है । उसकी त्वचा जो कभी चमकदार थी, अब अपनी कोमलता न जाने कहा खो दिया है और उसके लंबे काले बाल बेतरतीब जो पहले बंधे होते थे , अब वो कभी - कभी ही कंघे का दर्शन कर पाते क्योंकि " इस महल की राजकुमारी दिन भर महल में रहने वालों की सेवा में लगी रहती । "
वह हर रोज घर के सारे कामों में उलझी रहती है । कभी माँ और बहन की जरा सी भी मांग पूरी करने की कोशिश करती तो ,कभी बाहर का काम और उनके हर आदेश पर उसकी नजरें हमेशा ही झुकी रहती है " जैसे एक प्राचीन वफादार जो अपने मालिक के हर हुक्म को बेज़ुबान होकर पूरा करता है और अंत में रातों में वो चला जाता है थका हाल नींद के अघोष में " । वैसे ही इस महल की राजकुमारी का भी हाल था।"
Pov - End
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अगली सुबह ( ये दृश्य हफ्ते बाद का है जब इशानी उस पब में थी और उस शख्स के पास सी भागी थी ठीक। )
आज सुबह होते ही राधिका जी और सृष्टि ड्रॉइंग रूम में बैठकर नाश्ता कर रही थीं वो भी काफी ज्यादा चाव से और दोनों ही किसी टॉपिक पर बात भी कर रही थी । साथ ही वही एक साइड पर कुछ सर्वेंट पेंटिंग्स टांग रहे थे जिसमें उन दोनो की तस्वीर थी और वो दोनो ही लग रही थी उसमें बहुत ज्यादा ही खूबसूरत और साथ ही सर्वेंट ने उस पेंटिंग्स वाली एरिया को काफी ज्यादा खूबसूरती से लाइट्स से डेकोरेट कर दिया था ।
( राधिका - इशानी की मां और सृष्टि उसकी छोटी बहन)
लेकिन महल जैसी इस जगह का माहौल जितना सुंदर था, उतना ही सख्त। क्योंकि जहां वो दोनो मां - बेटी एक साथ बैठकर भोजन कर रही थी । तब वही इसी महल की एक और राजकुमारी अकेले ही रसोई घर में लगी हुई थी और बना रही थी खाना । खैर इस महल की राजकुमारी इशानी की हालत अभी किसी नौकर से कम नही थी । उसकी जिंदगी बहुत जिल्लत भरी और उदास भी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि उसका अपना कोई नहीं है । पर तभी राधिका जी की तेज कड़क आवाज़ रसोई घर के अंदर गूंज जाती और वो कहती है,
"इशानी!"
"जी माँ," इशानी ने धीमे स्वर में उत्तर दिया और वह तुरंत ही प्लेट में परांठे रखते हुए , भागकर ही रसोई से बाहर आ जाती है और जल्दी से ही प्लेट रख देती है टेबल और और वहां से जाने ही लगती है । तब ही राधिका जी कहती है।
"तू देर से क्यों आई और ये पराठे कैसे हैं? ठंडे क्यों पड़े हुए हैं!"
" मॉम इससे कुछ नही होगा , किसी काम की नही है और इसको तो बस खाने को भरपेट चाहिए " 😡
ये बात अचानक से हु सामने बैठी हुई उसकी छोटी बहन सृष्टि कहती है वो भी उसकी तरफ निहार एक कुटिलता से । जिसकी वजह से वही इशानी उसकी बात सुनकर तो उसकी तरफ देखने लगती है और काफी ज्यादा संयम से कहती है ।
" सॉरी सृष्टि, मैं जल्दी में थी"
पर अब सृष्टि उसे कोई जवाब नहीं देती हैं बल्कि लगती है वो गर्म परांठे जो सच में ही गर्म थे उन्हें वो मुंह बनाते हुए खाने । जिसकी वजह से वही अब फिर इशानी उसकी तरफ से कोई जवाब न पाकर तुरंत ही वहां से हट जाती हैं और लग जाती है वापस से किचन के काम में जो उसे जल्दी ही पूरा करना होगा ।
खैर वैसे ये सब इशानी की जिन्दगी में ये छोटे - छोटे ताने रोज़ सुनने का हिस्सा बन चुके थे। वो इन सबकी आदि हो चुकी थी , किसी को कोई मतलब नहीं होता था । भले ही वो बड़ी थी सृष्टि से पर कुछ बोल नही सकती थी क्योंकि अपनी मां को ऐसे उसके साथ इतना बुरा बर्ताव करने पर यही हाल सेम सृष्टि ने भी बना लिया है । वो भी जानबूझकर उसको तंग करने के बारे में कुछ न कुछ सोचती रहती हैं " भले ही वो सगी बहने ही क्यों न हो । परंतु उन दोनो को इशानी की मेहनत और संघर्ष कभी भी इनकी नजरों में मायने नहीं रखा और हर वक्त सिर्फ उसपर अहसान ही जताए। जिससे वही फिर इशानी .... उनके इस बिहेवियर से अब कुछ नही बोलती है और लगी रहती है अपने काम में
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शाम के वक्त ,
अब दिन भर का काम खत्म होने के बाद, इशानी अपने कमरे में लौट आती है। उसकी आँखें थकी हुई थीं, शरीर पर दर्द था, और मन में अनगिनत सवाल थे। कमरे में कदम रखते ही वह बिस्तर पर गिर गई और खुद से पूछा, "क्या मैं कभी इस अंधेरे से बाहर निकल पाऊँगी?" उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन उसने उन्हें खुद से छुपा लिया। उसका मन अपनी जिन्दगी की बेबसी पर विचार कर रहा था। पर जब वह खिड़की से बाहर देखती, तो उसे चाँद की हल्की सी रौशनी मिलती, जो उसकी उम्मीद की तरह नज़र आती थी। एक उम्मीद कि शायद एक दिन कुछ बदल जाएगा, लेकिन उसे यह भी पता था कि बदलाव इतना आसान नहीं होगा। यह सच्चाई थी कि उसका जीवन एक अंतहीन संघर्ष है क्योंकि राधिका जी और सृष्टि कभी उसे नहीं अपनाने वाले है । वो दोनो ही उससे नफरत करते है। राधिका जी और सृष्टि दोनों ने इशानी के साथ हमेशा दुर्व्यवहार किया था। राधिका, जो कभी उसकी माँ थी, जिसने खुद उसे कोख से जन्मा अब वो उसे हमेशा उसे दोषी मानती है और हर बार एक ही शब्द कहती है कि ,
"तेरे जन्म से पहले सब ठीक था। पर तू बड़ी हुई और उसके बाद ही मेरा सुहाग चला गया,"
और बस ये सुनकर हर दिन इसकी वजह से वही फिर इशानी खुद को रोने से नहीं रोक पाती है और फिलहाल अभी फिर से ही उसकी मां नीचे हॉल से चिल्ला रही है और उन्हीं शब्दों को बोल रही है है तो ये सब एक बार फिर से ही उसके दिल में गहरा घाव छोड़ रहे है वो भी पूरी गहराई से जो शायद ही कभी भरेंगे ।
लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी वो हमेशा यह सोचती है " काश उसकी मां उसे फिर से अपना ले और उसे वही प्यार दे जो वो श्रृष्टि को देती है , परंतु शायद ये इतना आसान नही था उसके लिए।
वो हर रात ,हर दिन,हर पल,हर साल ....अपने दर्द को अकेले सहने की कोशिश करती है , लेकिन कभी न कभी वह खुद से सवाल कर जाती है कि "क्या यह सच है कि मैं अपने जीवन में कभी खुश नहीं हो सकती?"
और बस इन सवालों के साथ वो बिना किसी जवाब के अपना दिल मजबूत करने की कोशिश करती है और खुद से सांत्वना देती रहती है कि " "एक दिन, सब कुछ बदल जाएगा । उसे भी वो प्यार मिलेगा ...जिसकी वो चाहत रखती है " ।
और इसीलिए अब वो खिड़की पर सीधी हो जाती हैं और अपने गले में पहने हुए लॉकेट को लगती है वो प्रेस करने और कहती है ,
"मैं कुछ कर सकती हूँ," उसने धीरे से कहा, "मैं कुछ बदल सकती हूँ।"
इतना कह उसने खुद से ही यह छोटा सा वादा किया और मुस्कुरा के ही निहारने लगती है आस्मां में उस खूबसूरत चांद को जो उसके इस वादे का साक्षीथा । हां वह जानती थी कि इस अंधेरे कमरे से बाहर निकलना आसान नहीं होगा, लेकिन उसके दिल में अब एक नई धड़कन थी।
लेकिन अब दिनभर की मेहनत और तनाव के बाद, अब इशानी की आंखे उसे भारी - भारी महसूस होने लगती है । जिसपर से फिर वही वो अब आहिस्ते से ही आकर लेट जाती है बेड पर और अब वह खुद को विश्वास दिलानी लगती है हैं कि बदलाव संभव है और बस उस बदलाव के लिए उसे अपनी आवाज़ सुननी होगी और ये सोचते हुए ही वो कमरे की रौशनी बुझा देती है और खुद को ढक लेती हैं कंबल से ।
मिलते है अगले भाग में।
वैसे आज का भाग कैसा लगा ?!
अगली सुबह,
( कॉलेज जाने की तैयारी)
अंदर कमरे में इशानी सुबह - सुबह जल्दी तैयार हो रही होती है और साथ में ही अपने बालों को भी सुलझाए हुए बना रही होती है उनकी चोटी। लेकिन जब वो नहीं बनते है क्योंकि बाल आज कुछ ज्यादा ही सिल्की हुए पड़े थे। तब फिर वही इशानी अब उन्हें ऐसे ही खुला आजाद छोड़ देती हैं और फिर अब लगती है सामने मिरर में निहारते हुए अपना दुप्पटा भी ठीक करने। लेकिन बालों की तरह ही वो भी नहीं टिक रहे होते है । तब फिर वो दुप्पटा अब बेड पर फेंक देती हैं और पंखे से चल रही ठंडी हवा को अपने चेहरे पर महसूस कर वो जाकर ही बैठ जाती है बेड पर और अगले ही पल लेट जाती है वहीं पर धम से ही और आंखे बंद किए हुए वो कचोटने लगती है अपनी ड्रेस क्योंकि। उसका मन अभी बहुत विचलित है और वो गहरी सोच में डूबे हुए बस सोच रही है कि जो वो सोच रही है वो ठीक है या नही। क्योंक जो हफ्ते पहले रात को उसके साथ हुआ था वो उस घटना को लेकर उलझन में है । वो आज रात उसी बात की वजह से सो नही पाई है बल्कि सच तो ये है कि उसे उस रात का कुछ भी याद नही। परंतु सुबह जो दृश्य था सब एंड उस अंजान शख्स....वो उसे अच्छे से याद है और इसीलिए बार - बार सब कुछ भूलना चाह रही है क्योंकि उसे इतना जरूर याद है कि उसने कुछ गड़बड़ किया है और उसे लग रहा है कि उसने अपनी हद पार कर दी है ( जो असल में सच है ) पर वो अपने दिल को ये बात नही मनवा पा रही है और बस पूरी रात बेचैनी में रही है। लेकिन स्टूडेंट है तो यूनिवर्सिटी तो जाना ही पड़ेगा तो बस .... इसीलिए अब वो अपना दुप्पटा बैग उठाती हैं और निकल जाती है अपने रूम से बाहर।
( आगे बढ़ने से पहले इशानी का एक छोटा सा इंट्रो))
इशानी राजवंशी , 21 साल की मासूम और खूबसूरत लड़की है, जिसकी बड़ी-बड़ी गहरी आँखें और गुलाबी होंठ किसी गुलाब की पंखुड़ियों से कम नहीं है। उसकी मखमली सी त्वचा और रेशमी बाल उसकी सुंदरता को और निखारते है ( पर फिलहाल उसकी हालत बहुत खराब है )। 5'5" की लंबी, थोड़ी chubby और उसकी सुडौल काया उसे शालीन और आकर्षक बनाती है " जैसे वो कोई फूल कुमारी हो "।
उसका स्वभाव बेहद सरल, प्यारा और मददगार है। दूसरों के दर्द को महसूस करने वाली इशानी की आवाज़ में मिठास और मासूमियत झलकती है। भोली और विनम्र, इशानी हर दिल में अपनी जगह बना लेती है पर उसके लिए कोई नहीं है । क्योंकि अपनी मां - बहन के होने के बाद भी वो हमेशा ही अकेली है। भले ही वो एक राजवंशी परिवार से है पर उसकी हालत .....किसी की नजरों में कुछ नही और उसे ज्यादा लोग नही पसंद करते है।)
अब इशानी जल्दी ही जल्दी टाइम देखते हुए सीधे ही नीचे हॉल में आ जाती हैं और जैसे ही डाइनिंग टेबल पर से अपना टिफिन पैक करने लगती है । तभी उसी वक्त राधिका जी .... किचन में से एक प्लेट में सलाद खाते हुए आ जाती है इशानी के पास और उसे देखकर कहती है।
"इशानी, तुम ये यूनिवर्सिटी क्यों इतनी जल्दी चली जाती हो?... घर में बहुत काम पड़ा रह जाता है 😡 चलो पहले वो पूरा करना फिर जहां - जाना है जाओ
ये आवाज राधिका जी की होती है जिसे चिढ़ है इशानी के यूनिवर्सिटी जाने पर । वैसे तो सृष्टि भी जाती है और मां को उससे कोई प्रॉब्लेम नहीं है क्योंकि वो चाहती है की सृष्टि जल्दी से ही सब कुछ कर अपने पापा का काम संभाले जिसे वो उनके जाने के बाद से संभाल रही है। हां , इशानी भी बहुत काबिल है पर वो इशानी को इससे दूर रखना चाहती है । क्योंकि वो चाहती है कि जल्दी से ही इशानी उसकी ये बेफिजूल की पढ़ाई पूरी करे और शादी कर उसे हमेशा के लिए विदा करे क्योंकि वो बहुत नफरत करती है ।
लेकिन फिलहाल अब वो अपनी मां की बात सुन उन्हें देखने लगती हैं और अपना बैग कसकर ही पकड़े हुए कहती है।
"वो बस, माँ, पढ़ाई बहुत ज़रूरी है, और आज तो कुछ इंपोटेंट क्लास भी है तो जाना पड़ेगा ," इशानी उन्हें बिना किसी भावना के उत्तर देती हैं वो भी बिना उसकी तरफ देखे हुए । क्योंकि उसे पता है कि वो उनकी तरफ ज्यादा देर तक देखेगी तो आगे उसके बोलने की हिम्मत नहीं रहेगी । इसीलिए अभी वो उन्हें जानबूझकर ही नजरअंदाज कर रही । साथ ही वो अपनी माँ के गुस्से से डरती है और वो जानती है कि उसकी मां को ये सब नही पसंद पर इसी बीच इशानी की नजर अपने जूतों की तली पर चली जाती है जो उखड़ रहा होता है " तो उसे देख वो गहरी सांस भरती है और निश्चय कर लेती है कि वो अपने लिए कुछ करकर रहेगी " जैसे वही उसे इस दुखभरे माहौल से बाहर निकाल सकता था। लेकिन सच तो यह था कि हर कदम पर उसके दिल में एक खालीपन और दर्द महसूस हो रहा था, जैसे वह किसी अजनबी दुनिया में खो गई हो। लेकिन वो कुछ सोच पाती....तभी राधिका जोर से ही इशानी के हाथ में 2000 का नोट थमा देती है और नाक सिकोड़ते हुए कहती है।
" ले तेरे इस महीने की पगार , और अब मुझसे मांगना भी मत और घर जल्दी आना "
और बस इतना कहकर फिर राधिका जी आंखे रोल करने लगती हैं और निकल जाती हैं उसके सामने से । तब वही इशानी तो उन्हें अब .. शॉक में ही ताकने लगती हैं । सच मे उसे खुद पर तरस आ रहा होता है कि उसने अपना क्या हाल बना लिया है। उसकी आंखो से आंसु लुड़क पड़ते है पर फिर वो उन्हें तुरंत ही पोंछ घर से बाहर निकल आती है और अपनी स्कूटी जिसे उसके पापा ने खरीदा था उसके लिए...वो उसे लिए निकल जाती है यूनिवर्सिटी की तरफ।
यूनिवर्सिटी में ,
अब इशानी यूनिवर्सिटी पहुंच चुकी थी और बिना किसी की तरफ देखते हुए वो जा रही होती है अपनी क्लास की तरफ ताकि आज उससे कोई न भिड़े ।
वैसे शुरू से ही हमेशा ही लड़के और लड़कियाँ उसका मजाक बनाते है और वो उनके फालतू चीजों की हमेशा ही टार्गेट रहती है । वो वैसे किसी से बात नही करना चाहती है और सिर्फ खुद से मतलब रखना पसंद करती है क्योंकि यूनिवर्सिटी में कई लोग उसकी हालत से वाकिफ है और इसका पूरा श्रेय जाता है " सृष्टि" को जो जलती है अपनी बहन से । उसने न जाने कैसी - कैसी बाते उसके बारे में फैला रखी है तो बस.....वो इसीलिए जल्दी से ही वहां से निकलने लगती है । ताकि उसे कोई रोके और बोले न कि तभी एक लड़की जो बाइक पर थी वो हंसती हुई कहती है ,
"ओ, इशानी! तुम कहां से आ रही हो?" किसी ने चुटकी ली।
"कहीं से नहीं," उसने फाइनली जाते हुए ही उसने धीरे से जवाब दिया, लेकिन अंदर कुछ जल रहा था। इस लगातार तंग करने वाले माहौल से वह तंग आ चुकी थी और फिलहाल वो बोलना नहीं चाहती थी ज्यादा लेकिन तभी फिर से कोई कहता है।
"वैसे किसके साथ रात बिताई थी तूने पिछले हफ्ते ?" एक और आवाज आई, और बस सब लोग हँसी में फूट पड़े। जिसकी वजह से वही इशानी का चेहरा तो अब ये सुनकर पूरा का पूरा ही सख्त हो जाता है और वो कंट्रोल करने लगती है खुद को पर उसे खुद पर कोई कंट्रोल नहीं हो पाता है और वो अपनी पूरी ताकत से मुड़ जाती है उन लोगों की तरफ और गुस्से में ही कहती है ,
"तुम लोग क्या समझते हो खुद को हां ? तुम्हारे लिए सब कुछ मजाक हो सकता है, लेकिन मेरे लिए यह मेरी ज़िंदगी है तो आइंदा से मेरे बारे में कोई फालतू बात बोलना वरना .......एक - एक को खत्म ही कर दूंगी ठीक है ( गुर्राते हुए ) हमेशा सोचती हु कि तुम लोगो को कुछ न बोलूं लेकिन नहीं ....😡तुम लोग लात खाने लायक ही हमेशा काम करते हो । इसीलिए अब अगर मुझसे नहीं पीटना है तो मुझसे अब दूर रहना वरना ......
और बस ये कह इशानी उन सबको उंगली दिखाने लगती और फिर वही उसका ये जवाब सुनकर सब चुप हो जाते है । लेकिन उसकी आँखों में जो आक्रोश था, वह साफ नजर आ रहा था। पर वह फिर भी अकेली खड़ी रही, अपने मन में न जाने कितनी बातें दबाए हुए और संभालने लगती है खुद को और फिर तेजी से ही वो बढ़ जाती है बिना किसी की तरफ देखे हुए क्लास की तरफ और पेड़ से टिकी हुई अपनी एक दोस्त जो उसके लिए बहुत कुछ है उसे दूर से ही देखकर कहती है।
"प्रतिक्षा, तुम मेरे साथ चलोगी?" इशानी ने अपनी एकमात्र दोस्त से पूछा।
"हां पर तुम्हे क्या हुआ , तुम ये इतना हॉफ क्यों रही हो ....क्या हुआ?" प्रतीक्षा अब उसके पास आते हुए कहती है ।
" कुछ नहीं, बस आज उन बेवकूफों को सुनाया है ," इशानी ने हलके से मुस्कराते हुए कहा।
जिसकी वजह से वही फिर प्रतीक्षा अब उसे देखते हुए उसका हाथ थाम लेती हैं और बहुत प्यार से कहती है ,"तुम चिंता मत करो, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।"❤️
" हां "
इशानी ने बस अब इतना ही कहा और एक गहरी साँस भर , हामी में सर हिलाते हुए वो बढ़ जाती है अपनी क्लास की तरफ।
खैर आज भी उसे कोई नहीं समझ सकता है लेकिन प्रतिक्षा के साथ रहते हुए उसे यह थोड़ा कम महसूस हो रहा था। वो उसकी सबसे अच्छी दोस्त है और शायद इकलौती भी। हां सृष्टि के फूहड़ - फूहड़ बाते फैलाने के बाद से इशानी से कोई जल्दी बात नही करता ( उसके क्लासमेट) पर प्रतीक्षा ही सिर्फ़ है जो उसे समझती है। क्योंकि प्रतिक्षा......एक मिडल क्लास फैमिली से है और इशानी के बारे में सब कुछ अच्छे से जानती है । वो तो उसे बोलती रहती है कि इतनी तंग कर रहे है तो वो अपनी प्रॉपर्टी लेकर अलग हो जाए पर इशानी का दिल उसके लिए तैयार नहीं है तो बस सो कुछ नही सोचती इसपर।
अब क्लास में ,
अब दोनों ही आ जाती है अंदर क्लास में और जैसे ही इशानी और प्रतीक्षा एक साथ आगे वाली डेस्क पर बैठती है । तभी उसी वक्त सबकी ही नजरे हो जाती है उसपर। जिससे वही प्रतिक्षा तो अपनी किताब खोल उसे देखने लगती है , लेकिन इशानी अब सबकी ही नज़रें अपने ऊपर महसूस कर अपने होंठो को काटने लगती है और फिर ध्यान देने की कोशिश करने लगती है लेक्चर पर जो शुरू हो चुका था ।
पर इतना होने पर भी इशानी के मन में उथल - पुथल मचा था । उसका अब पढ़ाई के दौरान भी, उसके मन में वही बुरे ख्याल घूम रहे थे और वो काट रही होती है अपने होंठो को जैसे खून ही निकाल देगी। क्योंकि आजकल उसे हर तरफ खालीपन नजर आ रहा है और साथ में ही उसकी आँखों के सामने उस रात का दृश्य भी बार-बार घूमने लगा है " जहां हफ्ते पहले उसने किसी से एक संबंध बनाया था। ( हां उसे ये सब पर अब यकीन होने लगा है कि पक्का वो किसी के साथ थी ) , लेकिन उस व्यक्ति का चेहरा अब भी धुंधला है और यही चीज उसे फिक्र और तड़पा रही है। वो हर वक्त कुछ करने से पहले इसी सोच में ही डूब जा रही है और खुद से ही सवाल कर रही है कि ,
क्या उसने सचमुच अपना आत्म-सम्मान खो दिया ?
पर उसे इस सवाल का जवाब कौन ही देगा । लेकिन अब जब प्रतीक्षा उसके कंधे पर हाथ रखती है । तब फिर वही इशानी झटके से ही होश में आ जाती हैं और देखने लगती है चारों ही तरफ और पाती है की वो अब भी क्लास में और एक बार फिर से अपने ख्यालों में डूब गई थी। तो वह ....अब फिर तुरंत ही अपने बैग से पानी की बॉटल निकाल उसे पी लेती हैं और वापस से उसे रखते हुए ध्यान लगाने की कोशिश करने लगती है लेक्चर पर।
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शाम के वक्त रोड पर ,
अब शाम हो चुकी थी और इशानी की क्लास भी खत्म । तो बस दिनभर के काम के बाद, इशानी अब यूनिवर्सिटी से अपने घर लौटने के लिए अपनी स्कूटी पर निकल चुकी थी और ठंडी हवाओं को फील करते हुए वो देख रही होती है सामने रोड पर । लेकिन तभी अचानक से ही उसे रास्ते एक साइड पर दो कपल नजर आने लगते है " जहां लड़की कार से टिकी थी और लड़का उसके सामने। " तब फिर वही इशानी का ये देख तो अचानक से ही माथा ठनक सा जाता है और गुम हो जाती है उस हफ्ते पहले वाले दिन जब वो उस शख्स के पास से भागी थी ।
flashback ,
वह रात जब वह बार में गई थी, जब वह उस अजनबी के बीच खुद को खो बैठी थी, जब उसने बिना किसी सोच-विचार के किसी के साथ संबंध बना लिया था और अगली सुबह ऐसे बेसुध मिली थी वो भी एक अंजान शख्स के पास। तब फिर वो पल भर में ही डर गई थी और इसीलिए ही भाग गई वहां से बिना बताए ही और पूरे रास्ते वो खुद से ही अजीब - अजीब सवाल करने लग गई थी कि क्या गलत है ,क्या सही और ऐसे ही सवालों के साथ वो पहुंच गई थी घर और जब वो गेट पर आई थी । तब फिर घर के सामने पड़े हुए कचरे को देख ...उसे पहले ही अंदाजा हो गया था कि उसका स्वागत कैसा होगा। क्योंकि जैसे ही वह दरवाजे से अंदर घुसी थी , राधिका जी और सृष्टि दोनों ही उसका इंतजार कर रही थीं। जिसपर से फिर अब वो उन दोनो को ही अपने सामने पाकर ....अपनी ड्रेस कसकर पकड़ लेती हैं और तन राधिका जी गुस्से में ही कहती है ,
"कहाँ थी तू पूरी रात हां ( गुर्राते हुए ,)"तुम्हें समझ नहीं आता कि तुम्हें कहाँ होना चाहिए था?" 😡😡
( no response)
" बोल न ,कहा थी पूरी रात तू " एक बार फिर से ही राधिका जी चिल्लाते हुए कहती है।
जिससे वही फिर इशानी अब उनका इतने गुस्से वाली आवाज़ सुन तो बस फिर कसकर ही अपनी मुट्ठी भींच लेती है हकलाते हुए कहती है।
""माँ, मैं तो प्रतिक्षा के घर थी " "
"ओह हो झूठ बोलने का यही वक्त था?" अब सृष्टि ने तंज किया, "कहाँ-कहाँ घूमती रहती हो, वैसे ( मुस्कुराते हुए )किसी से संबंध बना लिया है क्या?"
और बस ये कहकर सृष्टि उसके पास आ जाती है और झट से ही वो पकड़ लेती है उसके बाल और अपनी मुट्ठी में भींचकर कहती है ।
" देखो मम्मी , कहा था न ....ये पक्का किसी के साथ ...
लेकिन उसके शब्द पूरे हो पाते। उससे पहले ही इशानी ...सृष्टि के हाथों से अपने बालों को आज़ाद कर लेती हैं और फिर गुस्से में ही लगती है दोनों को ही देखने और कहती है ।
"आप दोनों को क्या लगता है?" इशानी ने बुरी तरह गुस्से में कहा, "क्या आप दोनों ही कभी मुझे समझ सकोगी?" 😤
और बस इतना कहकर इशानी तुरंत ही उधर से उनके पास से निकल जाती है अपने कमरे की तरफ और इधर सृष्टि और राधिका जी की नजरें हैरानी में ही उस पर जलती हुई लगती है पड़ने " जैसे उसे राख ही बना देगी । लेकिन वही इशानी जो रूम में पहुंच गई थी ...वो अब खुद को और ज्यादा चोट पहुंचाना जरूरी नहीं समझ , पल भर में ही अपनी ड्रेस बदल लेती हैं और फिर चुपचाप ही अपनी कमज़ोरी और दर्द में डूबकर लेट जाती है वो बेड पर और धीरे ही धीरे चली जाती है नींद के अघोष में।
flashback end
अब इशानी की आँखों में आंसू भर गए थे , उन सभी पुराने दर्द को फिल करते हुए , जिन्हें वो सालों से फील कर रही है और किसी को नहीं पता लगा कभी । आजतक किसी ने उससे कुछ पूछा ही नहीं कि वो कैसी है या क्या करती है। इसीलिए अब वह दिनभर के संघर्ष, अपमान और अकेलेपन में डूब चुकी थी। वह जानती थी कि यह सब खत्म होने वाला नहीं है और उसे ये सब कुछ हमेशा ही करना पड़ेगा .... चाहे वो रोए या गाए और बस ये ही सोचते हुए अब उसकी आँखों से आंसू गिरने लगते है कि । तभी उसके आंखों के सामने ही एक कार नज़र आने लगती है जो बिल्कुल ही उसकी स्कूटी के सामने थी ।तब तो फिर इसकी वजह से वही इधर से इशानी हड़बड़ा सी जाती हैं और अब अपनी स्कूटी सम्भल पाती है , उससे पहले ही .... उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वह अचानक से ही टकरा जाती है आती हुई सामने कार से और धम से गिर जाती है नीचे रोड पर एक असंतुलित हालत में ।
अब इशानी के हाथ में स्कूटी का हैंडल था, और सर पर हेलमेट और वो लुढ़की पड़ी हुई थी साइड के। जिससे वही उधर फिर वो शख्स ..जिसकी गाड़ी से टक्कर लगा था इशानी को , वो फिर अब खुद से ही कार के डोर ओपन किए कार से बाहर आ जाता है और चिल्लाते हुए कहता है ।
"देखकर नही चल सकती है क्या " ?
तो वही इशानी जो अब भी उलझन में थी वो अब अचानक से इतनी डरावनी आवाज सुन तो ऊपर की तरफ देखने लगती है, लेकिन वह समझ नहीं पाती है कि यह व्यक्ति कौन है। क्योंकि उसकी आंखे धुंधली हो रही थी और माथे से खून बहने लगता है , लेकिन उसकी आँखों में कुछ था, जो इशानी को डरा देती है पल भर में । जिससे फिर वही इशानी अब पीछे - पीछे ही हटने लगती है कि , तभी वो इंसान जो वही खड़ा उसे देख रहा था , वो अब इशानी के माथे पर खून देख इसके पास आ जाता है और कहता है।
"तुम ठीक हो?" अब उस आदमी ने फिर से पूछा एक अलग ही टोन में ।
जिसपर से फिर वही इशानी एक बार फिर से उस शख्स की आवाज सुन अब उसे देखने की कोशिश करने लगती है क्योंकि अब उसकी आवाज़ में एक चिंता नजर आ रही थी । इसीलिए फिर अब अपना हाथ धीरे ही धीरे ऊपर करने लगती है पर अगले ही पल धम से गिर जाती है और हो जाती है बेहोश। जिसके कारण अब वो शख्स जो उसके सामने खड़ा था ....वो अब इशानी को अचानक से ऐसे करते पाकर तो तुरंत ही उसके पास झुक जाता और देखता है कि वो बेहोश हो चुकी है । परंतु अभी भी उसके माथे और बॉडी पर से खून बहना रुक ही नहीं रहा है , तब फिर वो पल भर में ही अपनी मुट्ठी भींच लेता है और आंखे रोल किए लगाने लगता है अपने फोन को पॉकेट से निकाल किसी को कॉल और कहता है।
"हॉस्पिटल में एक वार्डरूम रेडी करो ( इशानी की तरफ देखकर ) Its an order .....
और बस इतना कह वो कॉल कट कर देता है और लगता है इशानी को ही देखने।
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कहानी कैसी लग रही है ?
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सड़क पर अंधेरा धीरे-धीरे घिरने लगा था और वह रोड पूरा ही हो गया था सुनसान । वहां दूर - दूर तक कोई भी गाड़ी नहीं नजर आ रही थी और ना ही कोई जानवर । जिससे फिर वही इधर वो शख्स जो अब भी यही था वो अब सड़क पर किनारे में लगे स्ट्रीट लाइट्स की मद्धम रोशनी में ...अब अपने सामने पड़ी हुई इशानी को देखने लगता है और उलझन भरे हाल में ही फेरने लगता है अपने बालों में ही उंगली और गुस्से में ही Damn it "कह , एक पैर कार पर मार वो कूदकर ही बैठ जाता" उसपर और अब एक बार फिर से ही वो निहारने लगता है इशानी को जो अब थोड़े साइड में ही थी और उसका सर लुढ़का हुआ था दूर और माथे से बह रहा होता है खून । जिसकी वजह से वही वो शख्स जिसके कारण ...इशानी की ये हालत हुई , वो अब फिर से ही उसे ऐसे देख ....अपना फोन पॉकेट में से निकाल लेता है और करने लगता है वो किसी को कॉल और साथ ही हल्के ही हल्के कदमों से ही आ जाता है वो एक बार फिर से ही इशानी के पास और देखने लगता है उसको । वैसे रोड पर रौशनी कम थी तो उसे उसका चेहरा साफ नही नजर आ रहा था पर वो बेहाल हाल में थी । जिससे वही फिर वो इंसान उसे निहारते हुए ही थोड़ा झुक कर उसे देखने लगता है और और पकड़ लेता है वो उसका हाथ और फिर अगले ही पल सुकून से कहता है।
" ... ये लड़की अब तक जिंदा है ...well it's good ".
और ये कह फिर वो उसके गालों पर अब हल्के ही हल्के से थपथपाने लगता है और कहता हैं।
"सुनो, उठो! क्या तुम मुझे सुन सकती हो?"
तो वही इधर इशानी की अब भी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी क्योंकि वो तो बेहोश है न । पर अब उसके चेहरे पर एक मासूम-सी शांति थी, और नजर आ रहा होता है ढेर सारा दर्द । जिससे वही तब इसकी वजह से विक्रांत( जी हां वही है पब वाला ) वो उसके चेहरे पर से हल्के से बाल हटा देता और पलभर के लिए ही अनायास ही वो खो जाता उसकी मासूम से चेहरे में । उसके खुले सूखे हुए लाल होंठ और माथे से बहता हुआ खून विक्रांत को अपनी तरफ खींचने लगते है और उसका भोला सा चेहरा उसे मजबूर कर देता है कि वो अपनी निगाह वहां से हटा ही न पाए। लेकिन जब तुरंत ही उसे एहसास होता है कि वो क्या कर रहा है , तब फिर वो अब सर झटक .... फ़टाफ़ट से ही इशानी को उठा लेता है और लेकर ( गोद में लिए हुए ही )वो बढ़ जाता है अपनी कार में और फिर उसे अच्छे से बिठाए हुए वो एक नजर उसे देखता है और फिर दौड़ाने लगता है कार रोड पर क्योंकि अब तो वो एम्बुलेंस का इंतजार करने को रहा ।
पर तभी कार चलाते हुए ही उसकी निगाह चारों ही तरफ पड़ जाती है और वो शॉक हो जाता है सड़क के किनारे लगे एक सीसीटीवी कैमरा को देख । जिससे वही विक्रांत का ये देख तो उसकी फिर नस ही तन जाती है और भींच जाते है जबड़े। वैसे यह जगह कैमरे की रेंज में थी और इसीलिए विक्रांत की भौंहें तन गईं। क्योंकि वह जानता था कि अगर मामला बढ़ा, तो उसके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
इसीलिए वो फ़िर जल्दी से सामने से अपना फोन उठा लेता है और किसी को कॉल कर कुछ बाते करते हुए वो वापस रख देता है सामने और जैसे ही वापस से ही कार स्टार्ट करने लगता है । तब उसे महसूस होता है कि , इशानी के बाल सीट में यूं हु फंस गए है । जिसपर तब फिर वो तुरंत ही उसकी तरफ झुक जाता है और फिर उसके बाल बड़ी सावधानी से ही निकाल उसे लिटा देता है वापस से ही सीट पर और अनायास ही इस वक्त दोनों का ही चेहरा हो जाता है पास । तो फिर वही इससे अब इशानी की गर्म सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूस होने लगती है और वो क्षण भर में ही फील करने लगता है एक एहसास। लेकिन वो फिर अगले ही पल खुद को गहरी सांस भर संयत में रखने लगता है क्योंकि इशानी की सुंदरता उसे न चाहते हुए भी एक पल के लिए फिर से उसका ध्यान खींच लिया था। पर फिर वो अंदर ही अंदर भड़कते हुए उसे एक नजर देख मुस्कुरा देता है और कहता ,"इतनी मासूम और खूबसूरत..."
और इसी के विक्रांत के होठों पर हल्की मुस्कान आ गई, लेकिन तुरंत उसने अपनी सोच को झटका दिया और फिर वो गाड़ी स्टार्ट कर तेजी से फिर बढ़ा लेता है हॉस्पिटल की ओर जो रफ्तार में थी ।
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कुछ समय बाद ,
वो दोनो अब भी रोड पर ही थे और वही पर बैठा हुआ विक्रांत जिसका ध्यान पूरा रोड पर था वो अब गाड़ी चलाते हुए खुद से ही दिमाग में कई ख्याल लाने लगता है कि "अगर ये लड़की जाग गई और उसने सीसीटीवी फुटेज के जरिए केस कर दिया तो ....( गाड़ी तेज कर ) नहीं ये कुछ नही कर पाएगी , मैं इसे कुछ करने ही नही दूंगा ( इशानी को देख )विक्रांत का कोई कुछ नही बिगाड़ सकता ! मतलब कोई भी नहीं ..." और ये कहते हुए वो गाड़ी को मोड़ते हुए ही कुछ समय में वो पहुंच जाता है हॉस्पिटल के सामने और जैसे ही वार्डबॉय सब उसे देखते है। तब फिर वो सब उसे ग्रीट करने लगते है और फिर इशानी को स्ट्रेचर पर लिटाए हुए वो बढ़ जाते है वॉर्ड रूम की तरफ।।
वार्ड रूम ,
अंदर रूम में डॉक्टरों ने तुरंत ही इशानी का का इलाज शुरू कर दिया था और इधर बाहर विक्रांत वेटिंग रूम के सामने बिना भाव के होकर चहलकदमी कर रहा था। उसकी नजरें कभी डॉक्टर के कमरे की ओर जातीं तो कभी उसके फोन पर और फिर वो फैसला कर लेता है कि ये कौन है उसके बारे में जानकारी जुटानी जरूरी है। तो बस इसीलिए वो फिर तेजी से ही हॉस्पिटल से बाहर निकल जाता है और पहुंच जाता है अपनी कार के सामने और गाड़ी की पीछे वाली सीट से उठा लेता है वो इशानी का बैग जो बंद था । जिससे फिर वो उसके बाद बिना किसी झिझक के ही उसका 👜 पर्स अंदर बैग में से ही निकाल लेता और उसे खोलते हुए ही उसमें खोजने लगता है कि कुछ मिल जाए । तब फिर वही उसे अब उसमें एक फोन और एक आईडी कार्ड मिलती है और साथ में एक पेपर भी । जिसकी वजह से वही फिर वो बैग को वही छोड़ देता है और निहारने लगता है 🆔 card को और फिर पेपर को और कुछ पल बाद कहता है।
"इशानी..." उसने नाम धीरे से पढ़ा।
ये आईडी उसके कॉलेज की थी, और दूसरा एक पेपर था लेकिन ये इंटरव्यू पेपर था किसी कंपनी का )। जिससे वही फिर विक्रांत अब कंपनी का नाम पढ़ तो हल्की सी ही मुस्कान बिखर देता है और अगले ही पल फिर सख्त हो जाता है उसका चेहरा क्योंकि यह कंपनी किसी और की नहीं बल्कि उसके दोस्त की है जिसका नाम कृष है। जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत अब उसका फोन देखने लगता है और तभी उसकी नजर अटक जाती है स्क्रीन पर लगी इशानी की तस्वीर पर ,
जिससे वो फिर अब उसे देखने लगता है और एक smirk से मुस्कुरा देता है और टिक जाता है कार की बोनट से और तुरंत ही कॉल लगाने लगता है कृष को और जब उधर से अटेंड होता है । तब फिर विक्रांत कहता है।
" हैलो "
"हैलो, भाई! क्या हाल है?" कृष की आवाज में हमेशा की तरह उत्साह था।
"हैलो कृष, अच्छे से आकर मिलता हू पर इतनी रात को कॉल कर रहा हूं। एक अजीब-सी सिचुएशन हो गई है।" विक्रांत बोनट से टीके पर एक राजा की तरह ऊंची शान में कहता है
"क्या हुआ?" कृष ने पूछा।
"तुम्हारी कंपनी में इशानी नाम की कोई लड़की इंटरव्यू के लिए गई थी" विक्रांत फॉर्म देखते हुए कहता है।
"हां ..... दो-तीन महीने पहले ही आई थी ...क्यों , क्या हुआ ? क्यों पूछ रहे हो?" कृष उलझन वाले हालत में पूछता है।
जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत एक हाथ बोनट पर पर रख लेता है और कहता है ,
" उसका एक्सीडेंट हो गया। मेरी गाड़ी से टकरा गई वो "
" WHAT ....( शॉक में ही ) ओह! क्या आप ठीक हो? और वो लड़की?" कृष की आवाज में चिंता थी।
"मैं ठीक हूं। वो भी शायद ठीक होगी। डॉक्टर देख रहे हैं। लेकिन मुझे यह पता करना था कि यह लड़की या उसका परिवार कोई परेशानी तो नहीं खड़ी करेगा?" विक्रांत डायरेक्ट पूछता है।
जिसपर फिर विक्रांत पूरी बात उसे बता देता है और सीसीटीवी वाली भी तो उधर से कृष शॉक में ही मुंह खोल लेता है और कहता है,
" भाई ये क्या बोल रहे हो ( हंसते हुए ) आप चाहे तो वो सीसीटीवी को ही उड़ा सकते हो,जैसे कभी था ही नही फिर आपको क्या ....
( विक्रांत बीच में ही )
" इनफॉर्मेशन दो इशानी के बारे में "
" हां तो ( कृष ने कुछ देर सोचा) "देखो भाई, लड़की गरीब परिवार से लगी मुझे । इंटरव्यू वाले दिन .....उसकी हालत देख मुझे वही लगी बाकी पता नहीं है, । वैसे ऐसे लोग आमतौर पर बड़े मसले नहीं बनाते। लेकिन अगर सीसीटीवी में कुछ कैद हुआ, तो संभलकर रहना।"
"तुम्हें उसके बारे में और कुछ पता है?" विक्रांत ने पूछा।
"हां, बस इतना कि लड़की बहुत सीधी और मेहनती लगी है। उसने जल्दी जॉब मांगी थी पर मैंने मना कर दिया था क्योंकि उसके पास डिग्री नही थी , लेकिन उसने कोई झगड़ा नहीं किया। शायद घर पर कोई बड़ी समस्या है।"
तो वही इधर विक्रांत अब इशानी के बारे में ये सुनकर तो कुछ सोचने लगता है और फिर गहरी सांस भरकर ही पर्स से ही फिर से ही निकाल लेता है वो फोन और निहारने लगता है उसकी तस्वीरे एक नशे में । वैसे असली चेहरे की तरह ही फोटो में भी इशानी की मासूम मुस्कान और आंखों की चमक ने उसका ध्यान खींच लिया था और इसीलिए वो खो गया था एक बार फिर से । लेकिन तभी उधर से कृष कहता है।
"क्या सोच रहे हो ?" कृष ने चुटकी ली।
"वो...बहुत मासूम लगती है और खूबसूरत भी।" विक्रांत तस्वीर निहारते हुए ही कहता है ।
जिससे वही फिर उधर से कृष जो ऑफिस में ही था अपने वो अब अपनी सीट से खड़ा हो जाता है और कहता है ।
"भाई, उसे परेशान मत करना। ऐसी लड़कियां तुम्हारी दुनिया में फिट नहीं होतीं।"कृष अचानक से विक्रांत की बाते सुन कहता है।
"हम देखेंगे," विक्रांत ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
और तभी उसे अंदर से ही वार्ड बॉय बुलाने आ जाता है ।जिसकी वजह से वही फिर इधर से अब विक्रांत कॉल कट कर , इशानी का सारा ही सामन वापस कार में डाल देता है और तुरंत ही अंदर पहुंचकर वो बात करने लगता है डॉक्टर से ,तब डॉक्टर कहते है।
"वेल घबराने की बात नहीं है। बस थोड़ी चोटें आई थी ,लेकिन अब वो ठीक है तो किसी भी वक्त उन्हें होश आ सकता है।"
" ok " विक्रांत बस एक छोटा सा जवाब देता है....
और फिर इसके बाद डॉक्टर उससे कुछ और भी बाते करने लगता है और थोड़े समय बाद ....उसे " "excuse me sir " ... कहकर निकल जाता है वहां से । जिससे तब वह फिर इधर विक्रांत उन्हें जाते पाकर एक राहत की सांस लेता है और देखने लगता है इशानी को । लेकिन अब उसके दिमाग में अब कुछ और खिचड़ी पक रही थी और इसीलिए वो उसको निहारते हुए कहता है ,
"इशानी..." वह धीरे से उसका नाम बुदबुदाया। "ये मुलाकात शायद यूं ही नहीं हुई।"
कैसा लगा आज का भाग ?
कमेंट रेटिंग कर दीजिएगा 🫠कहानी पसंद आ रही हो तो ।
At hospital
( वार्ड रूम के अंदर )
अंदर वार्ड रूम में इशानी अब भी लेटी हुई थीं और उसके हाथ और माथे पर लगी हुई थी पट्टी । उसके चेहरे का रंग उतर चुका था और साथ ही उसके गुलाब से पंखुड़ी वाले होंठो से भी अब निकल रही थी पपड़ी सी " "जो ऐसे लग रहे थे जैसे उसकी खूबसूरती पर दाग लगा रहे हो " । तो वही उसके चेहरे पर साफ - साफ दर्द भी नजर आ रहा होता है कि वो कितनी पीड़ा में । लेकिन तभी अब वो बेड पर ही ऊंघने लगती हैं और वही उसकी आवाज सुन ...अंदर रूम में बैठी हुई एक लड़की जो bodycon ड्रेस में थी ,साथ में जैकेट पहने हुए वो धीरे से ही अपने पर्स के साथ आ जाती है इशानी के पास और फिर कहती है।
" Hey... कैसी हो तुम अब "?
तो वही इशानी को अब धीरे ही धीरे होश आने लगता है और सर में दर्द होने लगता है एक भयानक सा । वो बेड पर पड़ी हुई ही आंखों से आंसु बहाने लगती है और जब वापस से फिर से किसी की आवाज़ सुनती है । तब फिर वही वो अधखुली आंखों से ही अपना मुंह खोल लेती हैं और कहती है।
" पन...पानी "
" ओह वेट.....
इतना कहकर फिर वो लड़की तुरंत ही साइड में से एक ग्लास पानी ले लेती हैं पर जब देखती है कि इशानी खुद से ही उठने की कोशिश कर रही है तो वो उसे हाथ से पकड़ लेती है और उसे बिस्तर पर बैठने में मदद कर उसे टीका देती है तकिया पीछे रखते हुए और तभी डॉक्टर भी आ जाती है । जिसकी वजह से वही फिर डॉक्टर इशानी को अच्छे से चेक करती है और कहती है
" तुम अब डिस्चार्ज के लिए फिट हो "
और ये कहकर फिर वो इशानी को रेस्ट करने को कह देती है और जैसे ही वो निकल जाती है बाहर तब फ़िर इशानी पानी की तरफ लपक जाती है । लेकिन वो लड़की उसे पकड़ वापस से टिका देती है और फिर खुद से ही पानी लिए लगती है उसे पिलाने। जिसकी वजह से वही फिर इशानी भी पानी उसे सवालिया नजरों से देखते हुए पीने लगती हैं और जब वो पी लेती है । तब वो लड़की कहती है
" Hey .... मै रूहानी और आप शायद इशानी है राइट "?
" जी " इशानी काफी हल्की आवाज में कहती हैं क्योंकि उसे अब भी अजीब लग रहा होता है तो फिर रूहानी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा देती है और फिर कहती है।
" आप कैसी है अब"?
"ठीक लग रहा है " इशानी फिर से कहती है और अपने सिर को दोनों हाथों से पकड़ लेती है और कहती है ," मै यहां हूँ?" ( उसने कमजोर आवाज में पूछा) , "और हुआ क्या था? मुझे बहुत अजीब लग रहा है।
"वेल आपका एक्सीडेंट हुआ था ( रूहानी ने धीरे से कहा) , "लेकिन अब सब ठीक है, डॉक्टर ने भी आपको डिस्चार्ज करने की इजाजत दे दी है तो आप बता दीजिए मै आपको छोड़ आऊंगी " रूहानी मुस्कुराकर कहती है।
जिसकी वजह से वही फिर इशानी उसे देखने लगती है और कहती है
"मैं यहाँ कैसे पहुँची? मतलब ..... सॉरी मेरी वजह से आपका भी एक्सीडेंट हो गया "।🥺
" अरे नही....वो ...वो तो बस खैर आपका एक्सिडेंट मेरी वजह से नहीं बल्कि भाई की वजह से हुआ । शायद आप गाड़ी अपनी गलत रूट में चला रही थी पर शुक्र है आप ठीक है "रूहानी फिर से जवाब देती है।।
जिसपर से वही फिर इशानी अब अपना चेहरा नीचे कर लेती है और कहती है
"बहुत मेहरबानी है उनकी , मेरी गलती ही थी, , मैने हेलमेट भी अच्छे से नहीं पहना था और न जाने कब गलत रूट पर चली गई ( इशानी उसे देखकर ) वैसे , "क्या मैं उनसे मिल सकती हूँ? मुझे उन्हें थैंक्स बोलना है "।
" Umm सॉरी, लेकिन उन्हें जाना पड़ा था जब उन्हें पता चला कि आपको होश आ चुका है , एक्चुअली में वो बहुत बिजी रहते हैं और जब एक्सीडेंट हुआ तो वो किसी मीटिंग से वापस आ रहे थे पर ....(रूहानी बीच में ही रुक के ) "लेकिन उन्होंने आपके लिए कुछ दिया है।"
और ये कहकर फिर रूहानी अपने बैग में हाथ डाल लेती है और एक चेक का पेपर पेन के साथ रख देती हैं उसके सामने । जिसकी वजह से वही फिर इशानी उस चेक को निहारने लगती है जिसमें विक्रांत नाम लिखा हुआ था और साथ में एक जगह पर अमाउंट भी जो सच मे उसके लिए बहुत ज्यादा ही था मतलब मां तो पैसे देती नहीं और इतने पैसे की तो इसकी स्कूटी भी नही तो इतना सारा पैसा देख वो शॉक हो जाती । जिसकी वजह से वही रूहानी ....इशानी के ये एक्सप्रेशन देख एक टाइट ऐ स्माइल उसे पास कर देती है और कहती हैं
" वेल कुछ कम लगे तो बता देना "
"उन्होंने मुझे यह चेक क्यों दिया?" इशानी हड़बड़ाहट में ही ये सवाल करती है।
जिसपर से वही फिर रूहानी उसके सामने से उठ जाती हैं और कहती है।
"यह एक कॉम्पेंसेशन के तौर पर है," ( रूहानी ने बताया) , "तुम्हें चोट उनकी वजह से लगी है, इसीलिए और साथ में आपकी स्कूटी भी ठीक हालत में नहीं है तो बस इसीलिए और यह एक एक्सीडेंट था, उनका कोई इरादा नहीं था तुम्हें चोट पहुँचाने का। फिर भी, तुम्हें तकलीफ हुई, इसलिए यह कॉम्पेंसेशन है ....सो आप रख लो "।
"सॉरी, पर मैं यह नहीं ले सकती," इशानी तुरंत हु मुस्कुराते हुए चेक वापस करते हुए कहती है और उठने ही लगती है । तब फिर रूहानी उसके सामने आ जाती है और कहती है ,
"क्या मैं जान सकती हूँ क्यों?" ?
" वो बस मुझे नहीं लगता कि इसकी कोई जरूरत है, ( इशानी ने कहा,) वैसे भी ये बस एक एक्सीडेंट था। उन्होंने जानबूझकर मुझे चोट नहीं पहुँचाई और रही बात स्कूटी की तो कोई बात नही , नई ले लूंगी"। इशानी कहती है।
"ओह ओके ....ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी,"रूहानी ने चेक वापस लेते हुए कहा पर (उसे रोक ) "लेकिन मुझे आपके कुछ साइन पेपर्स पर चाहिए। ये लीगल पेपर्स हैं, जिन पर लिखा है कि आप भाई के खिलाफ इस एक्सीडेंट को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहती है "
"ज़रूर," इशानी ने मुस्कुराते हुए कहा और पेपर्स पर साइन कर दिए।
" Okay मै चलती हु "रूहानी ने कहा, वैसे बाहर एक गाड़ी आपका इंतजार कर रही है, जो आपको छोड़ देगी और रही बात आपकी स्कूटी की तो उसे भाई ने गैरेज भेज दिया है रिपेयर के लिए। शाम तक आपके घर पहुँचा दी जाएगी अगर वो बन पाई तो ।
और फिर ये कहकर वो इशानी को संभालते हुए लेकर कार की तरफ बढ़ जाती है और उसे आराम से बिठाए हुए वो खुद भी निकल जाती है घर की तरफ।
Royal palace
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वही इधर विक्रांत अपने स्टडी रूम में बैठा था और देख रहा होता है अपने सामने पड़े हुए तलवारों को जो चमक रही होती है । उनकी चमक और धार साफ - साफ दिख रही होती है कि तभी उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती हैं। जिसकी वजह से वही फिर वो आवाज सुन ….जो काम कर रहा होता है उसे छोड़ दे देता है और कहता है ,
"हाँ, अंदर आओ," उसने रूहानी को अंदर आने की इजाजत देते हुए कहा। जिससे वही फिर कुछ पल बाद डोर ओपन हो जाता है और सामने से आते हुए रूहानी कहती है।
"उसने चेक लेने से मना कर दिया भाई ," रूहानी विक्रांत को चेक वाला लिफाफा वापस देते हुए कहा।
जिससे वही फिर विक्रांत वो लिफाफा लेता और उसे खोलकर लगता है देखने । जिसमें वही चेक था, जिस पर उसने साइन किया था और जो इशानी ने लेने से मना कर दिया था। तो यह देखकर वह कुछ पल के लिए हैरान हो जाता है और फिर कहता है ।
"ठीक है,"( उसने रूहानी से कहा), "तुम जाओ और डिनर करो "।
" आप नहीं करेंगे क्या भाई " रूहानी पूछती है।
" No " वो चेक को मुट्ठी में भींच कहता है और वही उसे ऐसे देख रूहानी चली जाती है कमरे से बाहर।जिसकी वजह से वो फिर चेक डस्टबिन में डाल उसमें आग लगा देता है और काफी देर तक उस चेक को देखता रहता है और उस चेक पर लिखे इशानी के नाम पर भी और जब वो जलने लगता है। तब उसको देख विक्रांत के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती हैं और वो मुस्कुराते हुए उठा लेता है डेस्क पर से एक ब्रश और बढ़ जाता है धीरे ही धीरे एक दीवार के सामने और वहां से खींच देता है वो कर्टेन और तभी उसके सामने नजर आने लगती है एक बड़ी सी पेंटिंग जिसमे कोई लड़की थी और वो फिर ब्रश ऊपर कर कहता है ,
, "बड़ी खुद्दार हो , जान-ए-मन। तुम्हारे साथ खेलने में बड़ा मजा आएगा।"
कैसा लगा आज का भाग ?
प्लीज पढ़ने के बाद ये तो बता दिया करो कि कहानी कैसी लग रही है ?
🥺
विक्रांत यदुवंशी , 30 साल का एक ऐसा पुरुष है जिसे देखकर ही रूह कांप जाए। उसके व्यक्तित्व में शाही रौब और अनकही क्रूरता की झलक है। वो यदुवंशी खानदान का आखिरी वारिस है, और उसके राजसी ठाठ-बाठ, गहन दृष्टि, और दृढ़ व्यक्तित्व से उसकी विरासत का बोझ स्पष्ट दिखाई देता है।
विक्रांत का स्वभाव ठंडे लोहे की तरह है—सख्त, मजबूत, और घातक। वो अपने गुस्से को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है, लेकिन उसकी असली ताकत उसकी घातक चुप्पी है। उसकी आँखें हमेशा किसी अनकहे दर्द और गहरी जिज्ञासा से भरी होती हैं। वह दुनिया के लिए क्रूर और निर्दयी है, लेकिन जब बात उसके परिवार की आती है, तो वो एक ढाल बन जाता है।
अपने परिवार, खासकर अपनी बहन के प्रति विक्रांत का जुनून देखने लायक है। उसकी बहन उसकी कमजोरी है और ताकत भी। अगर किसी ने उसकी बहन की तरफ गलत निगाह भी डाली, तो विक्रांत उसे नर्क में भी शरण लेने नहीं देगा। वो अपने परिवार के लिए किसी भी हद तक जा सकता है, और यही उसका सबसे बड़ा गुण और सबसे बड़ा अभिशाप है।
विक्रांत के व्यक्तित्व में शाही गरिमा और गहरी उदासी का संगम है। वो अपने गुस्से और जुनून से संचालित होता है, लेकिन उसकी आँखों में ऐसा खालीपन है, जैसे उसने अपनी जिंदगी में कुछ अमूल्य खो दिया हो। वह अपनी शाही विरासत को निभाने के लिए हर संभव कोशिश करता है, लेकिन अंदर ही अंदर वो अपने जीवन की अधूरी इच्छाओं और अनकहे सपनों से जूझ रहा होता है।
विक्रांत यादवंशी—एक नाम जो डर और सम्मान दोनों का पर्याय है।
_____________💛
महल में
( डिनर टेबल के पास )
रात का सन्नाटा शाही महल के गलियारों में पसरा हुआ था। चारों तरफ गहरी शांति थी, और कोई कुछ नहीं बोल रहा था । हां बस भोजन कक्ष के भीतर हल्की सी चांदी की कटोरियों की खनक गूंज रही थी क्योंकि वहां कुछ लोग कर रहे होते है डिनर और उस लंबी और राजसी डाइनिंग टेबल के एक छोर पर विक्रांत यदुवंशी बैठा हुआ था । उसने सफेद कुर्ता है पायजामे में था एंड चेहरे पर जो भी भाव नहीं था , जिससे साफ - साफ़ उनकी व्यक्तित्व की गंभीरता और रॉयल ठाठ साफ झलक रहे थी ।
( कुछ ऐसे )
तो वही उसके सामने उसकी मां " काव्या जी " जो टेबल के ठीक सामने बैठी हुई थी वो भी वहीं थी और उन्होंने पीले रंग की साड़ी पहनी थी जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही थी और वही उनके बगल में बैठी थी विक्रांत की छोटी बहन रूहानी, जो केवल 23 साल की है । बहुत प्यारी और विक्रांत की जान ।
एंड फिलहाल वो बैठी हुई कभी अपने भाई की ओर तो कभी मां की तरफ निहार रही थी। ये पल भोजन का दौर चल रहा था और डाइनिंग टेबल के दोनों ही कोने में दो सेवक खड़े थे, जो तुरंत आदेश का पालन करने के लिए तैयार थे। परंतु अभी किसी को कुछ भी नही चाहिए था तो काव्या जी इशारे से ही उन दोनो को वहां से जाने को कह देती है और फिर अपना मौन तोड़ते हुए कहती है,
"विक्रांत, बेटा, अब समय आ गया है कि आप शादी कर लो। यदुवंशी खानदान का कामकाज और यह वंश केवल आप पर टिका है। बिना दुल्हन के इस खानदान का भविष्य अधूरा रहेगा और आपको ये पद भी तभी सही मायने में मिलेगा जब आप विवाह कर लेंगे "।
और ये कहकर वो लगती है उसकी तरफ देखने की वो कुछ बोले तो वही विक्रांत बिना किसी प्रतिक्रिया के, अपने हाथ में पकड़ी चांदी की कांटा-चम्मच से धीरे-धीरे अपना खाना खाना जारी रखता है। हालांकि उसकी आंखों में एक हल्की सी नाराज़गी आ गई थी लेकिन उन्होंने अपनी भावनाओं को दबाए रखता है और फिर खाना खत्म कर तुरंत ही अपने बगल में रखा नेपकिन पेपर निकाल हाथ पोंछ लेता है और और दूसरे पेपर को धीरे से मेज पर फैला मानो यह इशारा कर रहे हों कि, "इस विषय पर अब कोई बात नहीं होगी।" इस हाल में सो उन्हें देख उठ जाता है वहां से । उनकी गहरी आंखें उनकी मां की ओर देखे बिना ही स्पष्ट कर रही थीं कि उन्हें इस समय ऐसी बातें बिल्कुल पसंद नहीं।पर काव्य जी कहां मानने वाली थीं। आखिर मां है तो बस वो अपना खाना छोड़ एक नजर रूहानी को देखती है और फिर मुस्कुराते हुए देखने लगती है विक्रांत को और कहती है
"विक्रांत, बेटा, मैं जानती हूं कि तुम्हें ये बातें पसंद नहीं, लेकिन मेरा भी फर्ज है तुम्हें समझाना। इस खानदान की गरिमा को बनाए रखने के लिए तुम्हारी शादी बहुत जरूरी है। और तुमसे बेहतर वारिस इस खानदान को कोई नहीं मिल सकता , इसीलिए मैं चाहती हु कि तुम अब इस विषय पर सोचो। अगर तुम्हारी नजर में कोई लड़की है तो मुझे बताओ पर वो किसी राजघराने से ही होनी चाहिए। हम किसी को भी ऐसे अपने यदुवंशी खानदान की बहु नही बना सकते है। एक राजघराने में जन्मी हुई लड़की ही हमारे राजघराने के तौर तरीकों को समझ सकती हैं और फिर भविष्य में इन सब मुद्दों पर अगर हमारे विचार की आवश्यकता होगी तो उसके साथ - साथ वो भी रहेगी और हमारा कामकाज बहुत आसान हो जाएगा । इसलिए आपको अगर कोई पसन्द है तो आप बताए वरना हमारी नजर में है बहुत सारी राजकुमारियां जो हमारे इस महल की शान शौकत हो सकती है ( मुस्कुराकर ) मैं आपके जवाब का इंतजार करूंगी। उम्मीद है आप बहुत जल्दी ही अपना जवाब देंगे "
और ये कहकर वो फिर से लगती है डिनर करने तो वही रूहानी जो बैठी हुई कबसे यह सब चुपचाप सुन रही थी , वो अब अपने होंठो को काट लेती है। वो अच्छे से जानती है कि यह विषय उसके भाई को परेशान करता है।उसे बिल्कुल भी नहीं पसंद और इसीलिए वो मां की ओर इशारे में समझाने की कोशिश की, लेकिन काव्या जी ने उसे अनदेखा कर दिया और लगती है विक्रांत की तरफ देखने । तो वही विक्रांत ने कुछ नहीं कहा। उनकी खामोशी पूरे कमरे में भारी पड़ने लगी। उन्होंने धीरे-धीरे गुलाब जामुन खत्म करता है , पानी का गिलास उठाया, एक घूंट लिया और बिना कोई प्रतिक्रिया दिए उठकर बढ़ जाता है अपने कमरे की तरफ । जिसकी वजह से वही फिर अपने बेटे को ऐसे जाते हुए देख वो इधर अपना सर पकड़ लेती हैं भरने लगती है एक गहरी सांस ली। तभी रूहानी ने हिम्मत जुटाते हुए कहती है।
"मां, भैया अभी शादी के लिए तैयार नहीं हैं। फिर भी आप हर समय यही बात क्यों करती हैं?"आपको पता है न उनका मूड कितना गंदा है। फिर भी आपने और ये बात कहकर 😐कहकर खराब कर दिया । आप जानती भी है भाई जबसे अपने स्टडी रूम से निकले है तभी से उनकी मिजाज कितना गर्म है । ( पाउट बना ) आज उनकी कार से एक लड़की का एक्सीडेंट हो गया था और इसीलिए भाई में उसको कुछ पैसे देने की पर उसने सीधे चेक लेने से ही मना कर दिया तो बस बुरा लग गया है उनको एंड ऊपर से 🥺🙂😐 आप शादी का टॉपिक लेकर बैठ गई ।
और ये कहकर वो आखिरी बाइट ले लेती हैं और उठने लगती है कि तभी काव्या जी कहती है ,
"आपके भैया की शादी तो करवानी ही है चाहे तो मेरी मर्जी से करे या जबरदस्ती क्योंकि मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती हु । हमारे खानदान में आजतक जितने भी राजकुमार - राजकुमारों की शादी हुई थी वो सब बचपन से तय थी सिवाय आप दोनों के । पर अब करना ही है तो सुनो करिए ।। हां आपकी शादी का भी वक्त आ गया है। तो बताइए आप कब कर रही हो शादी ? आपको कोई पसंद है ....पर वो राजघराने से होना चाहिए।
इतना बोल वो फिर सर्वेंट को आने का इशारा कर देती है और सब कुछ साफ करने को कहती है तो वही रूहानी तो अपनी शादी की बात सुनते ही झुंझलाहट में आ जाती है। उसका मुंह फुल जाता है और वो आंखे रोल करने लगती है । उसने आंखें तरेरीं और हल्की मुस्कान के साथ कहती है ।
"मां, वैसे आप न भैया की शादी पर ध्यान दें। मेरी शादी की चिंता मत करें और वैसे भी मां मुझे कहना था कि अगर मुझे किसी से प्यार हुआ तो जरूरी नहीं कि वो राजघराने से हो ( मुस्कुराए ) कोई भी हो सकता है क्योंकि अब प्यार ये सब देख के तो होगा भी नहीं और वैसे भी मां ....क्या ही समस्या है ...आप भी तो किसी राजघराने से नहीं है तो फिर ...हम भी क्यों करेंगे ...😐
और यह कहकर फिर वह अपनी कुर्सी छोड़ते हुए तेजी से अपनी जगह से उठ जाती है और जोर दे दौड़ जाती है अपने कमरे की ओर भाग गई और वही इधर 🤣जोर से ही काव्या जी की हसीं पूरे हवेली में गूंज उठती है। लेकिन जैसे ही रूहानी दिखना बंद होती है । तब काव्या जी का चेहरा लटक जाता है और वो निहारने लगती है सामने टंगे एक मजबूत मिरर के शीशे में जिसमें रखा हुआ था इस राजमहल का पुस्तैनी " कमर छल्ला "
जिसपर पीढ़ी दर - पीढ़ी रानियों का हक होता है और वो अपनी मृत्य से पहले तक उसको पहनती थी पर उनके नसीब में ये कभी नहीं हुआ
कैसा लगा आज का भाग ?
🫠क्या कॉमेंट्स रेटिंग की उम्मीद कर सकती हु ?
अपने कमरे में विक्रांत भारी कदमों से दाखिल हुए। कमरे का माहौल ठंडा और गंभीर था, ठीक उनके व्यक्तित्व की तरह। वो हर बार की तरह फिर से डिस्टर्ब हो गया है । वो हमेशा ही इस टॉपिक से बचने की कोशिश करता है पर ..... , न चाहते हुए भी मां हमेशा ही इस बात को ला देती है और वो झुंझला जाता है । और हर रोज की तरह वो आकर खड़ा हो जाता है अपने कमरे में । अभी वो एक बड़ी सी बालकनी से बाहर झांकते हुए सामने जंगल की तरफ निहार रहा है ।
पर वो यहां नहीं रहना चाहता है। असल में उनका महल जो काफी बड़ा है पर वो ये नहीं है। असली महल जो है वो " चन्द्रगिरि " के पहाड़ी इलाके वाले गांव में है । वो पहले वही रहता था पर समय के साथ उसने अपना निवास स्थान बदल दिया जब उसकी बहन पैदा हुई और कुछ ऐसा हुआ जो नहीं होना चाहिए था । वो अब कई सालों से यहां इधर रह रहे है पर मन अब भी विक्रांत का उनके चंद्रगिरी के उस महल में ही लगा हुआ है।
फिलहाल जहां है वो जंगल यानी पूरा महल दूर तक चारों ओर विस्तार में फैला हुआ है और चारों तरफ से उसकी बॉडीगार्ड में घेर रखा है । दूर दूर तक रौशनी के पूरे इंतजाम है पर जो कमरा विक्रांत के साइड पर है उस साइड उसने अंधेरा करवा रखा है। उसे नहीं पसंद है ये सब क्योंकि रौशनी की वजह से अगर कोई उसपर हमला करना चाहे तो उसके लिए ये एक आसान राह होगा । वैसे भी उसके कम दुश्मन नही है । कब कौन कहा से और किसके जरिए से आ जाए नहीं पता । अब उसका चेहरा कठोर है , लेकिन उनकी आंखों में एक अनकहा दर्द झलक रहा था। वे हमेशा अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए तैयार रहता है , लेकिन शादी का नाम सुनते ही उनके अंदर एक कड़वाहट जाग जाती थी। वो हमेशा से ही कठोर रहा है । वो किसी के अस्तित्व में रहकर खुद को दबाना नही चाहता। वो बेफिक्र से रहना चाहता है ना कि उसकी जिंदगी में किसी के दखल अंदाजी का और ना ही वो चाहता है कि लोगों को उसके बारे में पता चले। शादी यानि सामने वाले के अधीन अपना सारा राज खोल देना पर विक्रांत ऐसा नहीं चाहता । वो ऐसा नहीं है । अभी उसके दिमाग में मां की बात गूंज रही थी कि
"विक्रांत, बेटा, तुम्हारी शादी के बिना यदुवंशी खानदान अधूरा रहेगा।"
जिसकी वजह से वही ये सब याद कर वो अपनी मुट्ठी कस लेता है और खिड़की से बाहर चांद की ओर देखते हुए खुद से कहता है।
"शादी... यह सिर्फ एक बंधन नहीं, एक ज़िम्मेदारी है। लेकिन मैं उस ज़िम्मेदारी के लिए तैयार नहीं हूं। मैं अपनी शर्तों पर जीता हूं, और उसी पर मरूंगा , फिर चाहे कोई कुछ भी कर ले "।
और ये कह वो फिर अपना कड़ा हाथ से निकाल देता है और आकर लेट जाता है बेड पर लेकिन जैसे ही आंखे बंद करता है तब उसे इशानी का माथे पर लगे हुए चोट वाला चेहरा नजर आने लगता और वो झटके से खोल निहारने लगता है ऊपर ।
वैसे उसका कमरा बहुत खूबसूरत है । कमरे के अंदर ही एक छोटी सी उसकी निजी सीढ़ी है और वहां से अंदर बालकनी होने के साथ - साथ बाहर भी बालकनी है । सब कुछ ही वहां पर सलीके से रखा हुआ है और जो चीज जहां रहती वो वही रहने देता। उसे पसंद नहीं किसी का रखाव । इतने नौकर - चाकर होने के बावजूद भी वो अपने कमरे का काम खुद करता है। प्रतिबंध है किसी का आना उसके कमरे में । वहां सिर्फ तारों ,चांद और सूरज की चमक , हवाएं और चिड़ियों का गुंजन ही स्वीकार है बस उसे।
अभी वो यू ही देख रहा है ऊपर । मद्धम - मद्धम बयार उसके जिस्म को सुकून पहुंचा रही है और फिर क्या इसी तरह कुछ देर की कोशिशों कि बाद आखिर में वो मूंद लेता है अपनी आंखे और वही उसके कमरे में लगी वो एक खूबसूरत पेंटिंग जैसे इस सोते हुए राजकुमार को देखती है वो मुस्कुरा देती है।
( सिर्फ भाव है कि वो मुस्कुरा रही ठीक है , असली में नहीं )
रूहानी का कक्ष
रूहानी अपने कमरे में आते ही बिस्तर पर गिरी पड़ी हुई थी । बचपन से ही वो बहुत लाड प्यार में पाली हुई है । आजतक उसे कभी किसी भी चीज़ की कमी नहीं हुई । हर पल उसे वो सब बोलने से पहले ही मिला जिसकी वो चाहत रखती है सिवाय उस शख्स को जिसको वो चाहती है । वो अभी बेड पर पड़ी हुई हल्के - हल्के से अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी उसके बारे में सोचते हुए लेकिन अपनी मां की बातों पर चिढ़ भी गई थी। खैर उसे अच्छा भी लग रहा था शादी वाली बात क्योंकि वो सिर्फ उसकी होनी चाहती है । पर छोटी है अभी वो एंड विक्रांत से पहले उसका चांस नहीं है । इसीलिए फिर वो अपने लाल तकिए को पकड़ उठ जाती है बेड से और फिर झुके के वो जाकर बैठ जाती है कमरे में लगे हुए झूले पर और लगती है खुलने और सामने से निहारते हुए कहती है ,

"मां भी ना, बस शादी की बातें करती रहती हैं। भैया तो वैसे ही हमेशा गुस्से में रहते हैं।वैसे पता नहीं उनकी शादी कब होगी । लेकिन अब भाई को कर लेनी चाहिए और मेरा उफ्फ मां भी न ....पता नही क्या मिलता है उनको ये सब करके ।❤️
और फिर ये कहकर वो अपने झूले के ऊपर जो तकिया रखा हुआ था उसको उठा लेती हैं और उसकी चेन खोल आहिस्ते से ही निकाल लेती है एक तस्वीर और उसपर हाथ फेर मुस्कुरा देती हैं बहुत ज्यादा ही और फिर कुछ समय तक यू ही वहां बैठने के बाद वो आ जाती है सीधे बेड पर और पेट के बल लेटे हुए करने लगती है सोने की कोशिश।
अगली सुबह,
सुबह का सूरज इस छोटे से पर खूबसूरत से महल के के बड़े-बड़े झरोखों से अंदर झांक रहा था । अंदर महल में चहल पहल शुरू हो गई थी और साथ में एक संगीतमय धुन भी । खैर ये धुन हर रोज का काम था और ये कही और से नही बल्कि आ रही होती है ये आवाज़ श्रृष्टि के कमरे से जिसकी आदत थी कि वो सुबह उठने के बाद जब तक कमरे से बाहर नहीं आ जाती तब तक इसको बजाती रहती है । पर तभी अचानक से ही ये धुन बंद हो जाती है और श्रृष्टि जो बाल आधे बना चुकी थी वो गुस्से में ही अपने नथुने फुलाए हुए महल के कॉरिडोर में आ जाती हैं और चिल्लाकर कहती है ,
" मम्मी .......कल रात वो इतनी लेट आई है घर पर , उसपर से पापा वाली स्कूटी भी नही थी उसके साथ तो आप उसको कुछ बोलेगी नहीं क्या ? उसपर से आजकल वो कुछ ज्यादा ही लेट आ रही है ..........( नीचे उतरते हुए ) अब तो जब तक आप उसको सजा नहीं दोगी , तब तक मैं आपके साथ कही नही जाने वाली …..😑😑
और ये कहकर वो सीधे ही आकर बैठ जाती है सोफे पर और देखने लगती है किचेन की तरफ जहां.... इशानी कल के एक्सिडेंट के बावजूद भी वो रेस्ट करने के बजाए किचेन में खाना बना रही है।
कैसा लगा ये भाग?
आज इशानी को यूनिवर्सिटी भी जाना था पर इतने दर्द में तो बस हो गया सब । आज उसका इंपॉर्टेंट लेक्चर था और कितने दिन से उसका इंतजार कर रही थी पर लगता नहीं है कि अब वो जा पाएगी । माथे पर भयानक दर्द हो रहा है । गिरी भी था तो बॉडी पर थोड़ा बहुत छिल गया था लेकिन दर्द तो दर्द ही है न । लेकिन वो लगी पड़ी हुई है ब्रेकफास्ट बनाने में क्योंकि रसोई में उसके अलावा कोई नही है और सुबह के 8 बज गए है । इस समय पर खाना नही बना तो बस मां तो जैसे बोल बोल के जान ही ले लेंगी तो बस वो तेजी से ही मटर कढ़ाई में डालते हुए पुरिया छानने लगती हैं और एक तरफ पर मीठे में खीर । शुक्र है चावल साफ आते है वरना उसका और भी समय बर्बाद हो चुका होता । वो खाना बनाते हुए साथ में समय भी देख रही होती है । बार - बार उसकी निगाह ऊपर खड़ी पर ही जा रही होती है कि तभी इशानी की मां किचन में आ जाती हैं और इशानी को पीछे से देखते हुए एक कर्कश आवाज़ में कहती है।
" मैडम को .....इतनी क्या फिक्र हो रही है ,क्या बार बार टाइम देख रही है ? कही जाना है क्या ?
तो वही इशानी का ध्यान पूरियां छानने में लगा था पर जब मां की आवाज आती है तब फिर वो उनकी तरफ मुड़ जाती है और तुरंत ही गैस ऑफ करके कहती है ।
" वो मां..…..खाना बन गया है ,बस मुझे यूनिवर्सिटी भी जाना है तो इसीलिए टाइम देख रही हु "।
" ये चोट कैसे लगी है तुझे " वो अब भी डोर पर खड़ी हुई ही पूछती है।
" वो...वो कल घर आते हुए एक एक्सीडेंट हो गया था " इशानी उनकी तरफ हल्का सा मुस्कुराकर देख कहती है क्योंकि बहुत समय बाद इशानी की मां ने उससे उसके चोट के बारे में पूछा वरना आज से पहले कभी नही पूछा उन्होंने ।
" अच्छा तो मतलब ..... तुम्हारे पापा की स्कूटी गई , देखा मैने वो गैरेज में नहीं है ( थोड़े गुस्से में ) गाड़ी देख के नही चला सकती थी तु ......( भुनभुनाते हुए ) पैसे पेड़ पे नहीं उगते है और मैं अब कोई फालतू खर्चा नही करूंगी तुम पर " 😑
इशानी की मां भड़के हुए किचन में घुसकर कहती है और फिर फ्रिज में से सेब निकाले हुए चाकू उठा लेती हैं और किचन से बाहर निकल कहती है ,
" मेरा और श्रृष्टि का खाना डाइनिंग टेबल पे जल्दी से लगाओ , ऐसे काम करेगी तो कैसे चलेगा सब , ससुराल जाकर भी यही करना है क्या .....( उसकी तरफ देख कर ) कान खोलकर सुन लो , अपने ससुराल में कोई गलती हुई और मुझे शिकायत मिली तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ....
और ये कहकर वो गुस्से में ही किचन से निकल जाती है और इधर इशानी की मुट्ठी कस जाती है बुरी तरह से । उसकी आंखो से आंसु लुड़क पड़ते है पर जब इशानी की मां चिल्लाती है वापस से । तब फिर इशानी तुरंत ही धीरे ही धीरे दर्द भरे हालत में खाना लेकर पहुंच जाती है डाइनिंग रूम में जहां श्रृष्टि पहले से बैठी हुई थी और देख रही होती है अपना फोन और उसकी मां अखबार । इसीलिए जब इशानी खाना सर्व करने लगती है । तभी श्रृष्टि अपना प्लेट गुस्से में ही सरका देती है और इशानी को घूरते हुए कहती है ।
" तुम मुझे ये अपनी तरह मोटी बनाना चाहती हो क्या , दिखता नहीं है क्या की मैं अपना फिगर कितना मेंटेन करके रखती हूं और तू ( उसकी कमर पर चूंटी काट जो कर्व्स में थी क्योंकि इशानी का फिगर नॉर्मल था न ज्यादा मोटी न ज्यादा पतली ) इतना पेट निकल रहा है तुम्हारा और मैं जीरो फिगर में हु । ये पुरिया किसने कहा था बनाने को ? ...( अपनी मम्मी को देख ) मॉम 😑 ये लड़की को आपने अब तक डांटा नहीं ना ?
मेरा पूरा मूड खराब कर दिया है इसने सुबह सुबह ही और अब ये तला हुआ लेकर आ गई 🤬🤬🤬🤬
श्रृष्टि बहुत ज्यादा भड़कते हुए चीख - चीख के बोलती है और घर के सारे नौकर - चाकर देखने लगते है उनकी तरफ तो वही इशानी ... श्रृष्टि की तरफ देखने लगती हैं और फिर कहती है ,
" कल रात तुमने ही तो कहा था कि तुमको ये खाना है तो मैं......
( श्रृष्टि बीच में ही )
"तू ही खा ले ( अपना पर्स उठाकर ) मेरे सामने अब पड़ना भी मत वरना मुझसे बुरा कोई नही होगा "🤬
और ये कहकर सृष्टि अपनी जगह से उठ जाती हैं और फिर जाने ही लगती है । तभी उधर से मां भी अपनी जगह से उठ आती हैं और झट से ही वो पकड़ लेती है इशानी के बाल और वही निकल जाती है इशानी की चीख क्योंकि चोट उसके माथे पर ही तो लगी थी । पर उसकी मां को कोई फर्क नही पड़ता है और वो धकेल देती है इशानी को टेबल से थोड़ी दूर और उबलते हुए कहती है ,
" जा और जाकर अभी के अभी तुरंत सृष्टि के लिए सैंडविच बना के ला और साथ में कॉर्नफ्लैक्स भी वरना भूल जाना की तुझे अपने यूनिवर्सिटी भी जाना है 🤬...
और इतना बोलकर वो फिर पुचकारते हुए तेजी से ही डोर की तरफ दौड़ जाती हैं और श्रृष्टि जिसका मुंह फूला था उसको लिए हुए वो आ जाती है अंदर डाइनिंग टेबल पर और अपनी जगह पर बिठाते हुए कहती है ,
" भेज दिया मैने लाने के लिए , तुम अपना दिमाग क्यों खराब करती हु उस पागल लड़की के लिए , तू ही तो सब है मेरा अब ....तेरा ही तो सब है और तू ही नाराज होती है ऐसे कैसे चलेगा ( उसका सर चूमकर ) तुम अपना खून मत जलाओ । ये घर सब तुम्हारा है तो तुम्हे जैसे जो करना है जैसे खाना है वैसे ही होगा मेरी लाड़ली राजकुमारी ठीक है .....🥰....
ये बोल फिर वो अपने हाथों से ही सृष्टि के लिए फ्रूट्स कट करके खिलाने लगती हैं और वही किचन के डोर पर खड़ी इशानी का दिल भारी सा हो जाता है । ये प्यार लाड़ एक समय पर उसको भी मिलता था जब उसके पापा जिंदा थे पर जैसे ही वो गए , सब ही जैसे सपने जैसा खत्म हो गया और अब बस पीड़ा ही पीड़ा । लेकिन वो अपने आंसुओं को पोंछ लेती हैं और तुरंत ही लाकर रख देती हैं वो टेबल पर खाना और देखने लगती है उन्हें। तब फिर इशानी की मां उसे बिना देखे ही वहां से जाने का इशारा कर देती हैं और वही इशानी बस मौका पाते ही भागकर ही आ जाती हैं अंदर अपने रूम में और तुरंत ही एक अच्छी सी फ्रॉक निकाल वो ड्रेस चेंज कर लेती हैं और

फिर फटाफट से ही खुद को संवारते हुए निहारने लगती है अपना माथा सामने मिरर में जो आज पहली बार उसके कमरे में है क्योंकि कल रात जब इशानी आई थी तो मां ने सृष्टि का पुराना वाला कमरा उसको दे दिया जो सुन्दर था और सृष्टि के लिए नया कमरा ।

परंतु इशानी ने कुछ नही बोला क्योंकि उस पुराने वाले कमरे से बेहतर था ये तो बस वो फिर एक बिस्कुट निकाल खाते हुए जल्दी से पैंकिलर ले लेती हैं और अपना बैग ( सारा सामन रखते हु ) वो निकल आती है कमरे से बाहर और वहां से जल्दी में ही अपना टिफिन पैक कर वो काफी आजादी से निकल जाती है घर से बाहर क्योंकि ( सृष्टि और मां निकल चुके थे कार में ) और अपने महल जैसे घर से निकल के वो चलने लगती है रोड पर क्योंकि स्कूटी उसे अब तक नही मिली है और फिर तुरंत ही एक ऑटो पकड़ वो रवाना हो जाती है यूनिवर्सिटी की तरफ जहां आज लेक्चर देने कोई बहुत खास शख्स आ रहा है जिसके अधीन वो युनिवर्सिटी आधी है।
कैसा लगा आज का भाग ?
कोई कमेंट नही करता सिवाय 4 लोगो के पर पढ़ रहे है ज्यादा लोग । अब इतना भी बुरी कहानी नही है कि रिस्पॉन्स ही नही आए क्योंकि शुरुआत है और ये हाल है तो लगने लगा है कि कहानी लिखनी भी चाहिए थी यहां या नहीं 🙂।
"अगर औरत की वफादारी चाहिए, तो उसे न कभी मोहब्बत दिखाना, न उसकी इज़्ज़त करना, और न ही उसके साथ वफ़ादारी से चलने की भूल करना... क्योंकि जब औरत इश्क़ में पड़ती है, तो या तो वो ताउम्र किसी की हो जाती है, या फिर ऐसी आग लगा देती है कि मर्द अपनी ही राख समेटता रह जाता है!"
"मर्द को बर्बाद कर देती है मोहब्बत... ये ऐसा जहर है जो धीरे-धीरे नसों में उतरता है और एक दिन उसे खत्म कर देता है! खुद को जलाने से बेहतर है कि औरत जैसी चीज़ को अपने जूते की नोक पर रखो, ताकि वो तुम्हारे क़दमों की धूल बनने के अलावा कुछ और न कर सके!"
"औरत की मोहब्बत और ज़हर में कोई फ़र्क़ नहीं, बस एक मीठा लगता है और दूसरा कड़वा, मगर अंजाम दोनों का एक ही होता है—मौत! मर्द अगर ज़िंदा रहना चाहता है, तो उसे मोहब्बत की गंदगी से दूर रहना होगा... वरना एक दिन वही औरत जिसे उसने दिल में बसाया था, उसी दिल को कुचलकर चली जाएगी!"
और ये बात तुम्हे अपने ज़हन में जीवनभर रखना है। औरत खेलने की चीज है ,उसको प्यार नही देना है बल्कि उसका खूब इस्तमाल करो .......उसको सर पर मत चढ़ाओ वर्ना अंजाम ऐसा होगा की देखने के लिए तुम्हारी आँखें नही बच पाएगी ....
और इसी के साथ उस कमरे में गोली चल जाती है और......
वो सर झटक के देखने लगता है इधर - उधर । वो खुद को अभी अपने सोफे पर पाता है, वो भी स्टडी रूम के और सहलाने लगता है अपना माथा । उसके बाल उलझे हुए हालत में पड़े हुए थे और आंखे भी पूरी नही खुली थी उसकी। माथे पर पसीने का सराबोर था और उसके जबड़े भींच रहे होते है अपने आप ही की तभी कमरे का डोर ओपन हो जाता है और सामने से आ जाती है रूहानी वो भी

बिल्कुल ही अच्छे ढंग से तैयार हुए और अपना दुप्पटा संभालते हुए कहती है।
" Good morning भैया "...💖
" मॉर्निंग " विक्रांत ( हां वही है ) वो उसकी तरफ बिना देखे ही बोलता है।
" आज आप इतनी देर तक सो रहे है ( टेबल पर से पानी उठाकर ) ऐसा तो कभी नहीं हुआ और आप आज स्टडी रूम में क्यों सो रहे है .......आप ठीक तो है न ?
रूहानी बहुत ज्यादा फिक्रमंद हुए हाल में विक्रांत को देखते हुए कहती है क्योंकि महल में अगर सबसे पहले कोई जागता है तो वो कोई और नहीं बल्कि विक्रांत होता है पर आज सबसे आखिर में । तब फिर रूहानी उसके माथे पर हाथ फेरने लगती है और कहती है।
" बुखार तो नहीं है फिर "
" मैं ठीक हु रूहानी , आप जाए यहां से और ..... आइंदा मेरे रूम में या मैं कही भी रहु बिना नॉक के आप नही आएंगी ( पानी पीते हुए ) ये नियम आपको पता होना चाहिए राजकुमारी रूहानी ( अपनी जगह से खड़े हुए ) आप राजकुमारी है ......और आप ही अगर इन नियमों का पालन नही करेंगी तो मैं बाकियों से क्या उम्मीद कर सकता हु .........
और ये बोलकर विक्रांत सोफे पर से अपना लाल शॉल जिसपर बहुत प्रिंटिंग का वर्क हुआ था उसे अपने दोनों तरफ से डाल खुद को ढक लेता है और कहता है ,
" मां के साथ आज आप अकेली ही चले जाए जमीन देखने , साथ में बॉडीगार्ड और सब लोग होंगे वहां पर ( बाथरूम की तरफ जाते हुए ) मुझे एक जरूरी इन्विटेशन पर कही जाना है और हां ड्राइवर को बोल दीजिए कि वो 10 मिनिट में बाहर तैयार खड़ा रहे ....... मुझे देरी नहीं मंजूर .... ।
और इतना कहकर विक्रांत बाथरूम का डोर बंद कर देता है और वही बाहर खड़ी रूहानी जो सच मे आज हैरान है और अपनी जगह पर जमी हुई है वो अवाक भरे हालत में बस वही खड़ी रह जाती है। वो अपनी जगह से हिलती तक नहीं और उसके हाथ में जो पानी का ग्लास था वो भी कबका गिर चुका था । परंतु जब बाहर से रूहानी को काव्या जी पुकारने लगती है। तब फिर वो तेजी से ही लगभग भागते हुए वो निकल जाती है कमरे से उसके बाहर और वहां से सीधा ही नीचे हॉल में और वो आकर बैठ जाती है काव्या जी के बगल में और अपना हाथ अपनी गोदी में रख उनकी तरफ देखकर कहती है ।
" आज भाई ने मुझसे बहुत नाराज़गी वाले भाव में बात किया मम्मी , वो बहुत नाराज़ लगे है मुझे "🥺..
" क्यों...क्या हो गया उन्हें अब ( सोफे से खड़े हुए ) मन क्यों खराब है उनका अब , और आपसे क्यों नाराज है भला ....( रूहानी का हाथ पकड़ के ) नाराज होना तो मुझसे होय न ,आखिर शादी की बात मैने की थी तो वो ....
पर तभी वो शांत हो जाती है जब एक सर्वेंट आकर खड़ी हो जाती है उनके सामने और कहती है ,
" महारानी जी ....आज आप भोजन यही करेंगी या बाहर "?
" हम लोग ब्रेकफास्ट बाहर करेंगे , आप बस भैया के लिए बनवा दीजिए " "
रूहानी आगे आकर कहती है क्योंकि विक्रांत को घर का ही खाना ज्यादा बेहतर लगता है। वो बहुत कम ही बाहर खाता है फिर चाहे कोई जश्न ही क्यों न हो और इसकी एक खास वजह भी है और वो ये की " बाहर उसके खाने में कौन कब क्या मिला दे , इसका कोई अता - पता नही । वैसे भी बहुत लोग है जो उसके पीछे पड़े है। राजकुमार होना जितना लाभ है उसके लिए उतना ही हानि भी है। कब कहा से कौनसा नया दुश्मन पैदा हो जाए नही पता। वैसे भी अगर विक्रांत की जान जाती है तो उसके साथ ही ये पूरा खानदान यही समाप्त हो जाएगा । आखिरी वारिश है वो इसीलिए काव्या जी को बहुत फिक्र होती है । हालांकि विक्रांत का अपना अलग ही तेज है कि लोग उससे दूर रहते है पर...कुछ भी हो सकता है।
अब वो सर्वेंट वहां से रसोई घर की तरफ बढ़ जाती है पर तभी रूहानी उसे रोकते हुए कहती है ,
" भैया का भोजन बनने के बाद आपको उनके सामने ही सब एक बार खाना होगा , इसलिए अच्छे से पकाए"।
रूहानी काफी ज्यादा हल्के तरीके से ये बात कहती हैं परन्तु उसकी आंखो में अपने भाई के लिए पूरा ही अपनापन था । वो कभी भी उसे परेशानी में नहीं देख सकती है और उस सर्वेंट को खाना चखने वाली बात इसलिए कहा क्योंकि 🙂भले ही वो सारे सर्वेंट सब बहुत भरोसेमंद है और न जाने कितने सालों से उनकी सेवा में लगे है पर कब कौन भरोसा तोड़ दे इसका कोई अंदाजा नही लगा सकते। फिर ..... चाहे कितना भी रुतबा , डर, खौफ का माहौल विक्रांत बनाकर रखे , अगर कोई किसी को बर्बाद करने पर आ जाए तो वो किसी की नहीं सोचता है । तो बस इसलिए बहुत संभल के सब करना पड़ता है।
इसके बाद फिर रूहानी विक्रांत का उनके साथ न जाने वाली बात भी बता देती हैं क्योंकि विक्रांत को कही और भी जाना है तो ये सुनकर फिर काव्या जी अपना सर पकड़ लेती हैं क्योंकि जमीन तो आज के लिए बहाना था । बल्कि सच तो ये है कि वो उसे कही और ले जाना चाहती थी। लेकिन अब वो कुछ नही कर सकती है उसके इस फैसले पर । जानती वो उसे अच्छे से की अगर वो कुछ तय कर लेता है तो वही करता है तो बस वो फिर आकर वापस से बैठ जाती है सोफे पर और जैसे ही टीवी ऑन करने लगती है । तभी ऊपर से विक्रांत फूल व्हाइट कलर के सूट में उन्हें नजर आने लगता है जो सच मे बहुत ज्यादा हैंडसम लग रहा होता है वो नीचे आते हुए फिक्स कर रहा होता है अपनी वॉच और फिर जब आ जाता है । तब वो रूहानी को एक नजर देख उसके सर पर हाथ फेरने लगता है और फिर जाकर छू लेता है वो अपनी मां का पैर और आशीर्वाद लिए वो खड़े हो जाता है काव्या जी के सामने और कहता है ।

" घर आने में समय लगेगा मुझे क्योंकि एक यूनिवर्सिटी में जाना है ज़रूरी काम से और .….( उनकी तरफ देख ) आप ये मेरे लिए फालतू की खोजबीन बंद कर दीजिए । मैं कोई लड़की देखने नही जाऊंगा और ना ही अब आप ऐसी कोशिश वापस करेंगी .....( अब उनके बगल से गुजरते हुए ) ज़मीन देखने के बहाने जो आप करने वाली थी वो मुझे पता है पहले पर ......मेरे साथ कोई लड़की मेरे लिए किसी कैदी से कम नही हो पाएगी .....
और ये कहकर फिर विक्रांत डोर से बाहर निकल जाता है और तुरंत ही कार में बैठते हुए वो हो जाता है महल से रवाना और इधर बस वो दोनो मां - बेटी विक्रांत की कार को जाते हुए देखती रह जाती है।
...............
कैसा लगा आज का भाग ?
🙂 समीक्षा और रेटिंग की उम्मीद रख सकती हु ?
इशानी की क्लासेज़ हो गई थी जो जरूरी था एंड वो अब बैठी हुई थी गार्डन में प्रतीक्षा के साथ। वो अपनी कॉपी में कुछ लिख रही होती हैं और बार - बार टाइम भी देख रही होती हैं तो तभी उसके सामने बैठी हुई प्रतीक्षा उसका फोन छीन लेती हैं तपाक से ही और कहती है।
" क्या है 😑 ( मुंह फुलाए हुए ) तुम पहले ये कॉपी बंद करो अपना ,सही में .....मेरा दिमाग ख़राब हो जाता है तुम्हारे इस काम से "
" प्रतीक्षा मजाक बाद में ,अभी प्रोफ़ेसर ने नोट दिए है तो लिख लेने दो न वरना घर पर बिल्कुल भी टाइम नहीं मिलता" इशानी उसकी तरफ सीरियस लुक देते हुए कहती है....
जिसपर से वही फिर प्रतीक्षा उसकी कॉपी भी छीन लेती है और रख लेती हैं अपने बैग में और कहती है ,
" मै लिख दूंगी हैप्पी......( फोन वापस कर ) सो अब चलो , यूनिवर्सिटी में इतना मस्त प्रोग्राम चल रहा है और हम दोनो यहां अकेले बैठे बोर हो रहे है 😑( इशानी को उठाते हुए) प्लीज़ अब चल भी न ...
और ये कहकर वो इशानी का हाथ पकड़ लेती हैं और उसे उठाते हुए वो लेकर बढ़ जाती है हॉल की तरफ जहां आज प्रोग्राम होने वाला है और चलते हुए ही कहती है ,
" ये चोट तुझे कैसे लगी , अच्छी खासी तो तुम थी ही "?
" कुछ नही कल घर जाते हुए ही ये छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था " इशानी चारों तरफ निहारते हुए कहती है।
" एक्सीडेंट .... सीरियसली 😑.... तू मुझे एक बात बता ,जब तेरा ये हालत हुआ है तो युनिवर्सिटी क्यों आई है फिर " प्रतीक्षा काफी फिक्र वाली आवाज में बोलती है पर एक गुस्से के साथ ही ...
जिसकी वजह से वही इशानी उसकी तरफ तो बस देखकर ही मुस्कुरा देती है और कहती है ।
" घर पर रहती तो ढेर सारा काम होता और इस हालत में मुझसे और काम तो होने से रहा तो बस .....आ गई एंड वैसे भी मुझे बाहर आकर अच्छा लग रहा है " ।♥️
" Bhai I'm DONE with you now ......( उसे घूरकर) तुम मेरे साथ मेरे डॉरमेट्री में क्यों नहीं रहती है यार ...... atleast उस नर्क से बेहतर ही मेरा वो छोटा सा कमरा " प्रतीक्षा थोड़ी इरिटेट हुए बोलती है पर इशानी उसको कोई जवाब नहीं देती है बल्कि उसका हाथ पकड़ लेती है और सीधे ही वहां से वो घुस जाती है हॉल के अंदर और वहां से वो एक कॉर्नर वाली सीट पकड़ बैठ जाती है धीरे से ही और प्रतीक्षा की तरफ देखते हुए कहती है ।
" तुम मेरा सब छोड़ो बाते करना और ये बताओ .......तुम्हारा रिलेशन कैसा चल रहा है विशाल के साथ ....तुम खुश तो हो न "?
" मैं और खुश ( आंखे रोल किए हुए ) अगर सब अच्छा चल रहा होता न तो आज प्रोग्राम में तुम्हारे साथ नहीं बल्कि उसके साथ होती ....( अपनी नाक पोंछते हुए ) वो चीटिंग कर रहा था मेरे साथ वो भी उस रेखा के लिए 😑 हराम - साला... उच्च दर्जे का बेशर्म इंसान है और मैं तो मनाती हूं आज के प्रोग्राम में उसकी वो लीचड़ रेखा डांस करने वाली है न उसकी टांग ही टूट जाए और उस विशाल के तो बाल ही उड़ जाए ...😡😡.....
और ये कहकर प्रतीक्षा कोसने लगती है उन दोनो को ही तो वही उसके बगल में बैठी हुई इशानी उसे हैरानी से ही देखने लगती है और फिर उसके सर पर सहलाए हुए कहती है।
" ये सब सच हो जाएगा तो "?
" तो मुझसे ज्यादा खुश इस दुनिया में कोई लड़की नहीं होगी " 🤭🫣 प्रतीक्षा अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहती हैं और तभी उन दोनों के ही बगल में आ जाती है एक लड़की जो सिनियर थी और इशानी की दोस्त। खैर यूनिवर्सिटी में कुछ लोग तो थे जो 🥰उसको पसंद करते थे और उनके ही बीच थी ये शिवानी नाम की लड़की । अब वो लड़की इशानी के कंधे पर टैप करने लगती है और कहती है।
शिवानी - एक मिनिट बाहर आओगी,कुछ जरूरी बात करनी है
इशानी - हम्ममम ( अपनी सीट से उठकर) क्या हुआ ...सब ठीक तो है न ?
लेकिन शिवानी उसको इधर पर जवाब नहीं देती है बल्कि उसका हाथ कसकर ही पकड़ वो उसे सीधे ही लेकर आ जाती है गर्ल्स कॉमन रूम में जहां सारी ही लड़कियां तैयार हो रही होती है तो इशानी फिर ये देख अब और भी ज्यादा असंमजस वाले हाल में शिवानी को देखने लगती हैं और कहती है।
" क्या हुआ है , सब ठीक तो है "?
" कुछ भी ठीक नहीं है यार ( धम से सोफे पर बैठ कर ) रेखा हमारी डांसर जिसके डांस से ही हमारा प्रोग्राम शुरू होने वाला था वो अचानक से ही सीढ़ी से फिसल गई एंड अब वो इस हालत में नही है कि डांस कर पाए तो ( इशानी का हाथ पकड़ के ) प्लीज ....अब सब तुम्हारे हाथ में है। हम सबको पता है कि तुम बहुत अच्छा डांस करती हो तो हमारे यूनिवर्सिटी की इज्जत अब तुम्हारे हाथ में है। वैसे भी रेखा का प्रोग्राम बहुत खास था और ऊपर से कोई बहुत बड़ा आदमी भी आने वाला है As a special guest एंड हमने सुना है कि जिस सॉन्ग पर सब होने वाला था वो उनका पसंदीदा है सो खुद प्रिंसिपल मेम ने ये सेलेक्ट किया था । लेकिन अब लग रहा है कुछ नही हो सकता है इसलिए तुम ही हमारी लास्ट होप हो 🥺.....प्लीज मना मत करना वरना हम सबकी मेहनत बर्बाद हो जाएगी।
और ये कहकर शिवानी के साथ - साथ बाकी सारी लड़कियां भी देखने लगती है उसको तो वही इशानी तुरंत ही उनकी तरफ निहारना बंद कर देती है। वो अब उसकी बात सुनकर एक कशमकश में फंस सी जाती हैं और ताकने लगती है बाहर जहां से सब ही लोग एंट्री ले रहे होते है तो वो फिर एक गहरी सांस भरती है और कहती है ,
"मैं तैयार नहीं हूं... मुझे लगता है मैं नहीं कर सकती।"
ये बोलकर फिर इशानी बिना उनकी तरफ देखे ही डोर की तरफ बढ़ जाती हैं और जैसे ही जाने लगती है कि तभी पीछे से शिवानी कहती है।
" अगर तुम्हारा ये डांस बेस्ट हुआ तो , तुम्हे यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप और जो स्पेशल गेस्ट है उनकी तरफ से 10000 rs का कैश भी मिल सकता है अगर उनको तुम्हारा डांस भा गया तो ( उसकी तरफ बढ़कर ) रेखा ने भी डांस के लिए इसीलिए हामी भरा था तो तुम सोच लो .....
शिवानी धीरे से ही इशानी के करीब आकर ये बात कहती हैं और वही इशानी के कदम रुक जाते है डोर के पास।
______
कैसा लगा आज का भाग ?
🙂वेटिंग फॉर कमेंट्स , रेटिंग्स।
इशानी को पैसों की जरूरत है क्योंकि फिलहाल उसे अब भी कोई जॉब नही मिली है और उसका अपना थोड़ा बहुत खर्चा भी है । भले ही वो अमीर है पर उसके पास कुछ नहीं है । सब मां ने सृष्टि के लिए भर रखा है । उसपर से पढ़ाई का खर्चा भी वो उठाने को तैयार नहीं है तो बस वो फिर शिवानी की तरफ मुड़ जाती हैं और कहती है ।
" कॉस्ट्यूम कहा पर है , मुझे तैयार होने टाइम लगेगा "।
" Omg तुम मान गई ( उसे कसकर ही गले लगाकर ) मैं जानती थी तुम सही फैसला लोगी "...💖
और ये कहकर शिवानी ...इशानी का हाथ पकड़े हुए उसे लेकर वहां से बढ़ जाती है एक मिरर के सामने और वहां फिर वो क्लोज कर देती है कर्टेन ताकि प्राइवेसी रहे और फिर उसके सामने एक बैग रखकर कहती है ।
" इसमें सारा सामन रखा हुआ है और तुम्हारी मेकअप करने वाली को भी भेजती हु "।
" हां "
और ये कह इशानी ....शिवानी के जाने का इंतजार करने लगती है और जैसे ही वो निकल जाती है । तब फिर इशानी अब मुड़ जाती है मिरर के सामने और खुद को निहारने लगती है मिरर में जहां जैसे ही उसकी नजर जाती है । तभी उसका चेहरा खुद पर ही नीचे हो जाता है क्योंकि उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वो खुद को निहार सके और फिर क्या इसीलिए वो बैग अपने सामने रख लेती हैं और जैसे ही खोलती है । अंदर रखा हुआ कपड़ा देख तो उसकी आंखे शॉक के मारे ही चौड़ी सी हो जाती हैं और वो पल भर में ही निकल आती हैं पर्दे के पीछे से। इसके बाद वो सीधे ही शिवानी के पास आ जाती है और थोड़ी मुट्ठी भींच कहती है ।
" तुम मेरा मजाक बनवाना चाहती हो "?😐
" क्या " शिवानी हैरानी से कहती है ।
" सॉरी ....पर मैं ये सब नही करने वाली "....
और इतना कहकर इशानी तेजी से ही वो रूम का डोर ओपन कर लेती हैं और फटाफट से ही दौड़ जाती है अपनी ड्रेस को पकड़े हुए वहां से । सच मे उसे यकीन नही हो रहा था कि शिवानी उसके साथ ऐसा कर सकती है । वो डांस के लिए मान गई थी ये सोचकर कि कुछ अच्छा होगा और इसी बहाने उसे यकीन था कि वो ही जीतेगी और उसकी मदद हो जाएगी पर कुछ ऐसा पहनना पड़ेगा वो तो सोच भी नही सकती और इसीलिए वो फिर अपनी स्पीड और बढ़ा देती है लेकिन वो अब भटक चुकी थी ।
Shit ! आज से पहले वो इस कॉमन रूम वाले एरिया में तो कभी आई ही नही थी और इसीलिए उसे रास्ता ही नही पता कुछ। उसपर से यूनिवर्सिटी भी इतनी बड़ी है तो अभी तक वो पूरा खुद ही नही घूमी और अब उसे हो रहा है पछतावा । साथ में उसका सर भी हल्के से दर्द करना चालू हो गया था क्योंकि वो भागते हुए शिवानी ने जो कॉस्ट्यूम दिया था उसके बारे में सोच रही थी और बस इसी सोच में वो न जाने किस तरफ बढ़ जाती हैं और उसी वक्त चली जाती है लाइट । जिसकी वजह से वही वो तो अपनी जगह पर ही हड़बड़ा सी जाती है और इससे पहले वो कुछ सोच पाती । तभी अचानक से ही तभी चारों ही तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट शुरू हो जाती हैं और पल भर में ही लाइट का पूरा ही फोकस आ जाता है उसके ऊपर । जिससे वही उसकी आंखे तो फैल जाती है शॉक में ही जब वो सामने पूरा भरा हुआ हॉल देखती है और उसी समय उसे समझते देर नही लगता है कि आखिर है वो कौनसी जगह पर Yr इसीलिए वो अपनी जगह पर जम सी जाती हैं। लेकिन तभी कोई धीरे से ही कहता है ।
" डांस शुरू करो अपना , सॉन्ग चालू हो चुका है "।
तो वही इशानी के ये सब किसी सदमे से कम नही था । उसके पूरे जिस्म में सुरसुरी सी दौड़ जाती है और जब वापस से ही वो प्रोफेसर जो कोने में खड़ी थी गेट के वो इशानी को बोलती है। तभी वो अपना सर झटक उनकी तरफ देखने लगती है और फिर उसी वक्त लाइट बहुत सी हो जाती हैं स्टेज पर और छुप जाता है इशानी का चेहरा इस अंधेरे में । वो अब बस थोड़ी ही नजर आने लगती है मतलब सिर्फ उसकी ड्रेस पर फोकस और जब धुन खत्म होकर सॉन्ग बजने लगता है । तब इशानी न चाहते हुए ही सॉन्ग के हर लाइन के साथ ही नाचने लगती हैं और वही पूरे ही हॉल में छा जाती है एक शांति ।

सबकी नजर सामने स्टेज पर टिक जाती हैं क्योंकि इशानी का डांस सच मे बहुत अच्छा था । उसके हाथो के मूव्स , पैर , कमर की लचकन और उसका झूमना जैसे सबको ही मुग्ध सा कर देता है ।





और वो बस अब मस्तानी सॉन्ग जो उसके लिए बजा था उसपर नाचती चली जाती है और जैसे ही सॉन्ग खत्म होता है । तब फिर वो धम से कर बैठ जाती है नीचे फर्श पर क्योंकि उसकी सांसे फूल रही थी और साथ में उसका चेहरा भी पूरा ही लाल हो गया था । पर जब तालियां बजने लगती है। तब फिर इशानी तुरंत ही आवाज सुन अब वहां से उठ जाती है और दौड़ जाती है उधर से बिना कुछ कहे ही कॉरिडोर में तेजी से ही इस बात से अंजान की उसके पैर में ब्लीडिंग हो रही है और उसके कदम छाप छोड़ रहे है नीचे फर्श पर । लेकिन वो वहां नहीं रूकती है और जल्दी से ही घुस जाती है अंदर बाथरूम और जैसे ही फेस वाश करने लगती है। तभी धड़ाक से ही कमरे का डोर ओपन हो जाता है और वो सकपका के ही टिक जाती है काउंटर से और उसी वक्त विक्रांत जो ( special guest) के तौर पर आया था वो वह बिना किसी शब्द के उसके पास आ जाता है और इशानी के गिर चुके पायल को वो उठाकर उसके हाथों में रखते हुए, बड़े शांति से कहता है ,
" अपनी चीज़ को कहीं और छोड़ देना, ये तो लापरवाही है मिस इशानी "।
तो वही इशानी जिसे सिर्फ और सिर्फ सदमे मिल रहे है । अब अचानक से ही किसी अंजान आदमी के मुंह से अपना नाम सुन तो उसकी तरफ देखने लगती है और काउंटर को कसकर ही पकड़ हकलाए हुए कहती है ।
" आ ....आप कौन "?
तो वही सामने खड़ा विक्रांत जिसके चेहरे पर किसी भी प्रकार के भाव नहीं थे वो इशानी को ऐसे देख उसकी तरफ एक और कदम बढ़ जाता है और धीरे से कहते है ।
"अपने कदमों को भी संभाल के रखो, इशानी क्योंकि अगर कहीं तुम्हारे कदम डगमगाए तो फिर संभाल नहीं पाओगी "।
और ये कह वो वापस से ही अपनी जगह पर आ जाता है और वही इशानी का दिल तेजी से ही लगता है धड़कने , उसके शब्दों में एक गहरी चेतावनी थी, जैसे वह उसे अपने रास्ते पर चलने का निर्देश दे रहा हो और सबसे खास भले ही वो उससे थोड़ा दूर थे पर इशानी उसकी सांसों की गर्माहट तक महसूस हो रही थी अपने चेहरे पर। जिसकी वजह से वही फिर वो अपना चेहरा झुका लेती हैं और जाने ही लगती हज वहां से। तभी विक्रांत झपटकर ही उसकी कलाई को अपनी मुट्ठी कसकर बंद कर लेता और फिर उसे घूरते हुए कहता है ,
" ये रहा चेक .. अगर एक्सीडेंट मेरी कार से हुआ था, तो तुम्हें अमाउंट लेना पड़ेगा क्योंकि मैं किसी की चीज़ अपने पास नहीं रखता, और अपनी चीज़ भी किसी के पास नहीं छोड़ सकता .....( उसका हाथ छोड़ ) + 100000 .... तुम्हारे अच्छे डांस से मुझे खुश करने के लिए .....
और ये कह विक्रांत खुद से ही चेक भर देता है और उसे इशानी की तरफ सरकाते हुए मुड़ जाता है डोर की ओर और जाते - जाते ही कहता है ,
, "फिर चाहे वह कुछ भी हो, कुछ भी..... मै नही छोड़ता "
और ये बोल वो वहां से धड़ से डोर क्लोज कर देता है और इधर इशानी हड़बड़ाई ही भींच लेती हैं काउंटर से टीके हुए उसे कसकर ही ।
...........
Waiting for 🙂 comment and rating .
अंदर वाशरूम में इशानी अब भी वही खड़ी थी और बाहर हॉल में बाकी के प्रोग्राम चालू हो चुके थे । लेकिन इशानी का सर घूम रहा होता है क्योंकि एक तो शिवानी का दिया हुआ कॉस्ट्यूम जो " कुछ और नहीं बल्कि टॉप और स्कर्ट थी और स्कर्ट ऐसा की जगह जगह पर कट्स लगे हुए थे उसपर गुस्सा और दूसरा ये जो अभी हुआ है उसपर।
सच मे उसका पूरा ही चेहरा लाल हो रहा है जो भी अचानक से ही उसके साथ घटा है वो फील कर और फिलहाल में इशानी की उंगलियां अब भी कांप रही हैं और उसकी सांसें भारी हो रही सब कुछ ही सोचकर । पर जब बाहर से कुछ आवाज आने लगती है । तब फिर वो कांपते हुए एक गहरी सांस भरती है और —फिर सामने काउंटर पर से वो देखने लगती है चेक, जिस पर बड़ी ही बेपरवाही से ₹1,00,000 की रकम लिखी गई थी और सच मे उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी ने इतनी आसानी से उसके डांस की कीमत लगा दी थी, जैसे वह कोई चीज़ हो और ये सोचकर उसे गुस्सा आ रहा है। इसीलिए वो फिर डोर की ओर देखने लगती है और याद करने लगती है उसके अल्फाज जो उसने जाते हुए बोला था कि ,
"फिर चाहे वह कुछ भी हो, कुछ भी... मैं नहीं छोड़ता।"
और बस ये याद करते हु तो इशानी अपनी मुट्ठी भींच है क्योंकि विक्रांत की आवाज़ में एक अजीब-सी ठंडक थी, जैसे चेतावनी हो, जैसे कुछ और कहना चाहता हो पर रुक गया हो।
जिससे वही फिर इशानी इधर वो सब याद गहरी सांस लेती है और खुद को काउंटर से अलग कर निहारने लगती है चेक को और फिर इसको झिझकते हुए कुछ सेकंड तक घूरती रही है और फिर गुस्से में ही पटक लेती है अपना पैर । Huh .....उसकी आंखों में अब एक अजीब-सी जलन थी—गुस्से की, अपमान की, और सबसे ज़्यादा खुद पर आई बेबसी की उसको यहां आना ही नही चाहिए था और इसीलिए ,
"ये नहीं चाहिए मुझे," वह खुद से फुसफुसाती हुए कहती हैं और फ़िर चेक को मोड़कर अपने हाथ में भींच वो निकल आती है कमरे से बाहर और बढ़ जाती है कॉरिडोर में तेजी से । हालांकि उसका सिर अब भी हल्का-हल्का घूम रहा था, और पैर में हो रहे दर्द का एहसास अब बढ़ रहा था। पर वो रुक नहीं सकती थी और इसीलिए फिर वो तेजी से ही अपनी ड्रेस संभाल बढ़ जाती है हॉल की तरफ और जैसे ही हल्का सा डोर ओपन करती है। वहां डांस का शोरगुल और तेज हो गया है उसे वैसा महसूस होने लगता है। जिसकी वजह से वही फिर इशानी अपने दांतों को पीस लेती हैं और फिर एक बार धीरे से अपनी ड्रेस को ठीक किए .…...बाहर निकलकर सीधे गलियारे की ओर बढ़ जाती है ।
लेकिन जैसे ही वो मुड़ने के लिए कदम बढ़ाती है । तभी अचानक सामने से कोई उसका रास्ता रोक लेता है और कहता है ,
"तो तुमने इनकार कर दिया?"
तो वही इशानी जो भागने में लगी थी और हां विक्रांत को खोज रही थी वो अचानक से उसे यहां देख चौंक जाती है। हालांकि विक्रांत दीवार से टिककर खड़ा था और उसके हाथ जेब में थे और चेहरे पर अब भी वही ठंडा, लेकिन जानलेवा आकर्षक भाव था। जिसकी वजह से वही इधर से इशानी उसे ऐसे देख बस निहारती चली जाती है लेकिन जब विक्रांत उसकी निगाह के सामने मुस्कुराए हुए चुटकी बजाता है । तब वो कहती है ,
"ये पैसे मुझे नहीं चाहिए," इशानी ने बिना झिझक जवाब दिया।
जिसपर से वही फिर विक्रांत ये सुनकर तो एक हल्की-सी मुस्कान दे देता है लेकिन वो ज्यादा देर तक नहीं टिकती और फिर बदल जाते है उसके भाव और वो अपनी आंखें इशानी के चेहरे पर टिका , जैसे कुछ ढूंढ रहा हो धीरे से कहता है ।
"क्यों? जरूरत नहीं है?"
तो वही इधर इशानी को उसका यह लहजा पसंद नहीं आया । बल्कि उसको गुस्सा आ रहा था और उसे लगा जैसे वह उसकी मजबूरी का मजाक उड़ा रहा है तो वो उसकी तरफ देख कहती है ।
"हाँ, नहीं चाहिए," उसने गुस्से में जवाब दिया और चेक को मोड़कर उसकी ओर बढ़ा दिया और जाने लगती हैं। तब फिर विक्रांत पल भर में ही अपना हाथ उसके आगे कर लेता है ( हां वो टच नहीं करता है ) और बिना चेक लिए ही, वह बस उसे घूरता रहता है और फिर धीरे से कहता ,
"जरूरत हर किसी को होती है, लेकिन हर कोई उसे कबूल नहीं कर पाता।"
ये कह लेकर वो अपना हाथ पीछे कर लेता है और वही इशानी उसकी बात का कोई जवाब नही देती है बल्कि वो चेक पेपर वही गिरा देती है और फिर एक गहरी सांस भर और मुड़कर वहां से जाने लगती है। तभी विक्रांत की आवाज़ पीछे से कहता है ,
"तुम्हें नौकरी चाहिए थी, सही कहा न?"
तो वही अब नौकरी का सुनकर तो इशानी के कदम जहां थे वही रुक जाते है और उसके हाथ अब भी कांप रहे थे, लेकिन उसने खुद को संभाला और बिना मुड़े जवाब देती है ,
"हाँ, लेकिन तुम्हारी दी हुई खैरात नहीं चाहिए।"
जिसपर से तभी पीछे से हल्की-सी हंसी की आवाज़ आती है और फिर विक्रांत कहता है ,
"खैरात? ( हंसकर ) अगर मैं कहूँ कि यह खैरात नहीं, बल्कि तुम्हारे टैलेंट की कीमत है तो ....."
"मतलब?" इशानी हैरानी से ही विक्रांत के इस अल्फ़ाज़ को सुन व्यक्ति है ।
जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत अब पूरी तरह सीधा खड़ा हो जाता है और निहारने लगता है इशानी को । खैर उसकी आंखें अब और ज्यादा गंभीर लग रही थीं और इसी गंभीर आंखों से वो कहता है ,
"तुम अच्छा डांस करती हो और मुझे एक ऐसी ही डांसर की जरूरत है "।
"मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं," इशानी ने तपाक से ही कहा और पलटकर बढ़ जाती है वहां से पर तभी विक्रांत पीछे से फिर से कहता है ,
"₹5,00,000... सिर्फ एक महीने की परफॉर्मेंस के लिए।"
और बस विक्रांत का ये बोलना था और उधर इशानी जो जा रही थी वो थम सी जाती है अपनी जगह पर एक बार फिर से ही ।
क्या यह किसी जाल की शुरुआत थी?
(जारी...)
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कैसा लगा यह नया मोड़? अब इशानी क्या करेगी? विक्रांत का असली मकसद क्या है?
इशानी की उंगलियाँ अब भी हल्के-हल्के कांप रही थीं। उसका दिल इतनी तेज़ धड़क रहा था कि उसे लगा, अगर इस वक्त उसने अपनी सांसों पर काबू नहीं रखा, तो शायद वो खुद को संभाल नहीं पाएगी। लेकिन नहीं—वो कमजोर नहीं पड़ सकती थी। उसने खुद से यही वादा किया था, और इस वक्त उसे उस वादे पर कायम रहना था।
तो वही उधर विक्रांत अब भी वहीं खड़ा था, हल्के झुके सिर और भूरी आँखों में वही रहस्यमयी गहराई लिए। वो नज़रों से ही सवाल कर रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर कोई विशेष भाव नहीं थे और जब इशानी रुकी थी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी । लेकिन उसने उसे झट से ही छुपा लिया था और अपना हाथ फोल्ड किए हुए कहता है।
" तो क्या सोचा तुमने "?
" पहली बात मै आपको जानती नहीं और दूसरी.......वो पैसे चेक वाले मुझे नहीं चाहिए ( अपनी ड्रेस कचोटे हुए ) हो गया था एक्सीडेंट ठीक है। मैं भी ठीक हु और हां मैंने आपसे किसी भी तरह का कंपनसेशन नहीं मांगा तो आप प्लीज मेरे साथ ज़बरदस्ती मत करिए ( उसकी तरफ देख ) मुझसे दूर रहिए आप जो भी है क्योंकि मै आपको नहीं जानती और न ही किसी भी तरह से जानना चाहती हु तो ...." नहीं "....मेरा जवाब No है ....
आखिर में इशानी ने ठहरकर अपनी बात कही , उसकी आवाज़ थोड़ी भारी थी, मगर आत्मविश्वास से भरी हुई। जिसकी वजह से वही विक्रांत तो उसकी तरफ देखने लगता है और कहता है।
"नहीं?" विक्रांत ने हल्की-सी भौंह उठाई, जैसे उसने गलत सुना हो।
"हाँ .... मेरा जवाब " NO" है " इशानी ने बिना झिझके दोहराया, उसकी आँखें अब भी विक्रांत की आँखों में टिकी थीं। "मुझे आपका ऑफर मंज़ूर नहीं और ना ही कभी होगा "।
और ये कह इशानी कुछ पल के लिए विक्रांत की तरफ देखना बंद कर देती है तो वही इधर विक्रांत हो जाता है चुप । उसकी हल्की मुस्कान गायब हो चुकी थी, और उसकी आँखों में अब सिर्फ़ एक ठंडी चमक थी जो गुस्से में बढ़ थी थी पर फिर भी वो कहता है ।
"शायद तुम ठीक से समझ नहीं रही," उसने धीरे से कहा, लेकिन इस बार उसका लहजा पहले से थोड़ा ज्यादा गंभीर था।
जिसपर से वही फिर इशानी तुरंत ही उसकी तरफ देखने लगती है और तपाक से ही कहती है ,
"नहीं ( इशानी ने तुरंत जवाब दिया ) "शायद आप समझने की कोशिश नहीं कर रहे ( मुठ्ठी भींचकर ) क्या प्रॉब्लम है आपकी , मैने जब कह दिया है को मुझे ज़रूरत नहीं है तो नहीं है और वैसे भी अगर मुझे पैसों की जरूरत होगी तो मैं कुछ और करुंगी लेकिन मुझे खुद की कीमत लगवाने की आदत नहीं है।"😑
तो वही ये सुनकर तो अबकी बार विक्रांत हल्का-सा हंसा और यह हंसी छोटी थी, मगर उसमें एक अजीब तरह की दिलचस्पी थी और वो कहता है ,
"कीमत? दिलचस्प है," उसने सिर हल्का सा झुका कर कहा।
"पर मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है," इशानी ने ठंडे लहजे में कहा और मुड़कर बढ़ जाती है जाने के लिए ही ।
लेकिन जैसे ही वो अपना पहला कदम बढ़ाती है तभी उसके पैर में दर्द सा उमड़ जाता है और वो लचक जाती है गिरने के लिए पर तुरंत ही वो खुद को झट से ही दीवार से टिका संभाल लेती हैं और उसी वक्त उसके मुंह से निकल जाती हल्की-सी चीख़ ।
अब उस पूरे कॉरिडोर में सिर्फ दो आवाज़ आ रही थी । एक हॉल में चल रहे प्रोग्राम का और दूसरा इधर खड़ी इशानी के मुंह से जो सिसकियों का रूप ले चुकी क्योंकि अब जाकर उसने ध्यान दिया है की उसके पैरो से ब्लीडिंग हो रही है पर जब उसे महसूस होता है कि सामने खड़ा विक्रांत उसे ही देख रहा है । तब फिर वो अपना पूरा पैर नीचे रख देती है और तभी विक्रांत कहता है ,
"भागने से चीजें बदल नहीं जातीं, इशानी।"
"मुझे बदलने की ज़रूरत भी नहीं है," उसने बिना मुड़े जवाब दिया।😑😑काफी ज्यादा गुस्से में ।
जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत एक बार फिर से ही वहीं से बढ़ बता है और कहता है।
"देखते हैं..."
इस बार विक्रांत की आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सा भरोसा था, जैसे वह जानता हो कि इशानी चाहे जितनी कोशिश कर ले, मगर वह दोबारा उसी जगह आकर खड़ी होगी और बस ये कहकर वो वहां से ओझल सा हो जाता है। जिसकी वजह से वही विक्रांत के जाने के बाद से इशानी धम से कर नीचे फर्श पर बैठ जाती हैं और चर्र - चर्र कर फाड़ लेती है अपना दुपट्टा और उसे तुरंत ही अपने पैरो में बांधकर वो फटे हुए दुपट्टे को खुद के गले में डाल लेती हैं और तेजी से ही बढ़ जाती है गेट की तरफ और जैसे ही जाने लगती है । तभी उसी समय कही से भागते हुए शिवानी आ जाती है इशानी के सामने और पल भर में ही उसका हाथ पकड़ कहती है।
"Im Really sorry yaar ...... मुझे सच में नहीं पता था कि रेखा ऐसी ड्रेस पहनेगी वरना कसम से मैं तुम्हे देती नही "।
" क ....कोई बात नही " इशानी हैरानी से कहती हैं और जाने लगती है फिर से।
तब फिर शिवानी उसे तुरंत ही रोक लेती है और अपनी सैंडल निकाल उसकी तरफ करके कहती है।
" तुम्हारी सैंडल कल दे दूंगी और ये तुम्हारा बैग ,प्रतीक्षा ने दिया क्योंकि उसको घर जाना पड़ा जल्दी में तो वो मुझे देकर निकल गई और im really sorry once again and Yes.... तुम्हारा डांस सच में कमाल का था । मैंने सुना कि " विक्रांत सर " जो स्पेशल गेस्ट के रूप में आए थे उन्हें तुम्हारा डांस बहुत पसंद आया और इतना की तुम्हारे डांस के बाद से उन्होंने किसी और का डांस देखा ही नहीं ( मुस्कुराकर) SO ..... YOU ARE SO LUCKY.......♥️... चलो मैं जाती हु ....
और ये कहकर शिवानी वहां से अंदर की तरफ बढ़ जाती है और इधर इशानी अपने बैग को कसकर ही सीने से लगाए हुए कहती है।
" विक्रांत "
बस ये बोलती है और फिर चल देती है उधर से बाहर लेकिन जैसे ही पहला कदम उस ऑडोटोरियम से बाहर रखती है । तब तो बस उसकी आंखे शॉक के मारे ही चौड़ी सी फैल जाती है और वो झटपट में ही देखने लगती है अपनी घड़ी में टाइम जहां शाम के 7 बज गए थे । तो बस ये देखकर तो इशानी का सर ही घूम जाता है और वो अपने दर्द की परवाह किए बिना ही तेजी से दौड़ जाती है गेट की तरफ पूरे ही जोर लगाते हुए क्योंकि उसे यकीन ही नही हो रहा है कि उसने इतना वक्त उधर लगा दिया । बल्कि वो शाम 5 बजे तक हमेशा घर होती हैं और कर रही होती है काम लेकिन आज ...." आज ...आज तो उसकी मां उसकी जान ही ले लेंगी "
और बस ये सोचकर इशानी का दिल भारी ही हुए जा रहा है और वो जैसे ही गेट से बाहर निकलती है। तभी उसके सामने हचाक से कर एक गाड़ी आकर खड़ी हो जाती हैं । जिससे वही इससे पहले की इशानी को समझ आता की ये क्या हो रहा है उसी पल एक मजबूत बाह कार से बाहर निकलता हैं और उसे अंदर खींचकर .... पलक झपकते ही हो जाती है वहां से गादी फरार।
🖤 कैसा लगा भाग ?
वेटिंग फॉर कमेंट्स रेटिंग्स 🙂......
रात अपने गहराई की तरफ बढ़ने लगी थी और इसी के साथ वो कार भी । उस वक्त कार की रफ्तार इतनी तेज़ थी कि इशानी को कुछ भी समझने का मौका नहीं मिला कि उसके साथ आखिर हुआ क्या । उसकी धड़कनें बेतहाशा बढ़ चुकी थीं, और उसका दिमाग सुन्न पड़ चुका था। ठंडी हवा उसके गालों से टकरा रही थी, मगर उसकी सांसें अटक गई थीं। वो समझ नहीं पा रही थी कि ये सब अचानक क्या हो गया... और क्यों? पर जब तक वो ध्यान नहीं देगी उसको आखिर समझ कैसे आएगा तो बस वो फिर अब अपना सर ऊपर कर लेती हैं और सहलाने लगती है अपने हाथो पर क्योंकि जिसने भी पकड़ा था उसके हाथ का दबाव वहां बहुत ज्यादा ही था । जिसकी वजह से वही उसका एक हाथ थोड़ा लाल हो गया था पर गाड़ी तभी हचक्का खाती है और वो " आह" सी आवाज़ निकाल अब सहलाने लगती है अपना सर क्योंकि वो आगे किसी चीज से टकराया। पर जब उसे अपने साइड में कोई महसूस होता है मतलब उसे उंगलियां नज़र आने लगती है जिसमें बड़ी बड़ी अंगूठियां थी । तब फिर उसकी आँखें अब हैरानी के मारे ही चौड़ी सी फैल जाती है और वो जैसे ही खुद को संभालते ...... डबडबाए हुए हाल में अपना पूरा चेहरा ऊपर करती है । तभी उसकी नज़र कार चलाने वाले शख्स पर पड़ जाती हैं वो सकपका जाती है बुरी तरह से और वो कहती है।
"त...तुम?" उसकी आवाज़ झटके से निकली, मगर उसकी घबराहट अभी भी कम नहीं हुई थी।
जिसकी वजह से वही उसके बगल में ड्राइविंग करते हुए वो तुम वाला शख्स यानी विक्रांत जिसके चेहरे पर अजीब-सी ठंडक थी, जैसे उसके लिए ये सब बहुत आम हो। वो कार की स्पीड थोड़ी और तेज कर लेता है और अपनी भूरी आंखों को अब भी आगे रास्ते पर टिकाए हुए कहता है ,
"तुम्हें लगा, मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने दूँगा?" विक्रांत ने बिना उसकी ओर देखे कहा।
जिससे वह इशानी का ये सुनकर तो बस दिल तेज़ी से धड़क उठता है और वो हड़बड़ा के ही तुरंत कार का दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगती है। परंतु कार तो लॉक थी तो वो जोर - जोर से ही खिड़की पर मारने लगती है और वही विक्रांत उसे ऐसे देख झट से ही उसका एक हाथ पकड़ अब अपना हाथ उसके हाथ पर रख लेता है और कहता है।

"तुम्हें क्या लगता है, मैं इतना बेवकूफ हूँ?" विक्रांत ने उसकी कोशिश देखकर एक कुटिलता से कहता है।
जिसकी वजह से वही इधर इशानी जो पहले से ही हैरान है , समझ नही आ रहा है कि ये किस पागल के साथ पाला पड़ गया है , वो अब अपने हाथ पर अपना हाथ महसूस कर तो बस उसका हाथ हटाने लगती है। लेकिन विक्रांत अपनी पकड़ और तेज कस देता है और वही गुस्से और डर का एक अजीब मिश्रण इशानी के चेहरे पर साफ़ झलकने लगता है। वो बहुत बुरी तरह से कांप जाती है और इसीलिए फिर अपनी जगह से हल्का-सा खिसकते हुए कहती है ,
, " आपको क्या लगता है कि इस तरह जबरदस्ती करके आप मुझे अपने हिसाब से चला सकते हो? आप पागल हो क्या?😑
तो वही बस अब इशानी का बोलना था और विक्रांत हचक्के से ही रोक देता है और और पल भर में वो पूरा ही झुक जाता है इशानी की तरफ। लेकिन उसकी आँखों में वही अजीब-सी चमक थी, जिससे इशानी खुद को असहज महसूस कर रही थी। इसीलिए वो फिर सीट से पूरी चिपक जाती हैं और खुद को बचाने लगती है विक्रांत के टच से। तब फिर वही विक्रांत बिना पलके ही झपकाए हुए कहता है ।।
"मैंने तुमसे कुछ मांगा था?" उसकी आवाज़ बेहद ठंडी थी, "नहीं ना? लेकिन तुमने मुझे 'ना' कहने की हिम्मत की और मुझे ना " नही " पसंद । ... तो बस मैं तुम्हारी हिम्मत की सज़ा दे रहा हूँ, इशानी।"
विक्रांत एक पागलपन वाले भाव में ये अल्फ़ाज़ कहता है और वही इशानी घबराते हुए सीट से खुद को और थोड़ा चिपक लेती हैं और कहती है ,
" तुम... तुम क्या करने वाले हो?"
तो वही विक्रांत जो अब कार स्टार्ट करने वाला था वो अब इशानी की बात सुन उसके हाथ पर अपनी पकड़ कस देता है और लगता है बिना कुछ कहे ही बाहर की तरफ निहारने । जिसकी वजह से वही फिर इशानी अपने हाथ को छुड़ाने लगती है । लेकिन विक्रांत जितना वो कोशिश करती उतनी ही मजबूती से जकड़ ले रहा था और इसी वजह से वो हिलते हुए ही देखने लगती है बाहर की तरफ ताकि किसी की हैप्पी ले सके। परंतु जब बाहर देखती है तब एक बार फिर से ही उसको हैरानी होती है क्योंकि बाहर चारों तरफ घना अंधेरा था और गाड़ी किसी वीरान जगह पर थी, जहां सिर्फ जुगनुओं की हल्की रोशनी दिख रही थी। जिसकी वजह से वही इधर इशानी ये सब देखकर तो और भी बुरी तरह डर जाती है और और जकड़ लेती है अपनी उंगलियाँ को मुट्ठी में ।
परंतु जब कुछ समय बाद उसका गला सूखने जैसा प्रतीत होने लगता है और साथ में माथे पर हल्का पसीना भी छलकने लगता है तब वो कहती है।
"देखिए.... आ... आप ( उसने खुद को शांत रखने की कोशिश करते हुए कहा)"अगर आपको कोई गलतफहमी हो गई है तो तुम मुझे अभी जाने दो, मुझे घर जाना है ......
तो वही विक्रांत ने अब धीरे-से उसका हाथ छोड़ दिया और सीट पर थोड़ा रिलैक्स होकर बैठ जाता । इसके बाद फिर वो गहरी सांस भरी और फिर हल्की-सी हंसी हंसते हुए कहता है "तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हें लेकर यहां सिर्फ तुम्हारी चिंता करने आया हूँ?"
तो वही अब इशानी को उसकी आवाज़ और खतरनाक लगने लगी थी। एक तो उसको आदत नहीं है ऐसे इतने लोगों से मिलने की । बल्कि वो ज्यादा किसी से मिलना ही पसंद नही करती है । परंतु आज तो जैसे सब उल्टा हो रहा है। एक तो घर जाने का लेट ऊपर से विक्रांत का कुछ इस तरह से लाना .... उसके दिल को अंदर ही अंदर दबा रहा है। उसे अब महसूस हो रहा है कि वो बेहोश न हो जाए तो बस वो फिर तुरंत ही कार के एक बटन की तरफ लपक जाती हैं और जैसे ही दबाने जाती है । तभी विक्रांत बिना हिले ही बस अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है ।
"इतनी भी जल्दी क्या है?" उसकी उंगलियाँ इशानी की कलाई को कसकर पकड़ चुकी थीं।
तो वही अब इशानी ने झटके से अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की, मगर विक्रांत की पकड़ मजबूत थी। जिसकी वजह से वो चीखते हुए कहती है।
"तुम पागल हो गए हो!" इशानी ने गुस्से में कहा, "ये क्या कर रहे हो?"😡😡
"तुम्हें क्या लगता है, इशानी?" विक्रांत ने उसकी तरफ झुकते हुए फुसफुसाया, "तुम मुझसे बच जाओगी?"
तो वही अब इशानी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसकी आँखों में हल्का-सा डर उभर आया था, मगर उसने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहती है।
"तुम्हें लगता है कि तुम इस तरह मुझे डरा सकते हो?" उसने जबरदस्ती हंसते हुए कहा, "तुम्हें नहीं पता, लेकिन मैं ऐसी नहीं हूँ कि डर जाऊँ।"😡😡
और फिर यह कहकर वो एक पैर से विक्रांत को मारने लगती है। तब फिर वही विक्रांत झट से ही उसकी एक टांग को पकड़ लेता है और एक - एक लंबी सांस लेकर और फिर धीरे-से कहता है
"अच्छा? तो फिर देखते हैं, तुम कितनी देर तक बहादुर बनी रहोगी।"
और यह कहकर वह अपनी एक टांग से उसकी टांग को ड़ा लेता है ताकि वो हिल ना सके और लगता है बाहर की तरफ ताकने।
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कुछ समय बाद ,
अब विक्रांत कार से बाहर कदम रखता है और दूसरी तरफ से आकर इशानी के लिए दरवाज़ा खोलकर कहता है।
"उतर जाओ।"
इशानी ने उसकी तरफ गुस्से से देखा, "मैं क्यों उतरूँ?"😡😡😡
"इच्छा से नहीं उतरोगी तो जबरदस्ती उतरना पड़ेगा।" विक्रांत बोलता है तपाक से और उसकी आवाज़ में एक ठंडापन था, जिसने इशानी को कुछ पल के लिए जड़ कर दिया । जिसपर फिर वही वो जो कब से शांत बैठी हुई थी क्योंकि कुछ नहीं कर पा रही थी ना ही हिल सकती वो अपने बैग को कसकर पकड़ धीमे-धीमे से बाहर निकल आती है ( उसके पैर अभी भी चोटिल थे, और चलते ही हल्का दर्द उठा ) और तिरछी निगाहों से लगती है ताकने चारों और उसका डर और बढ़ जाता है ये सब देखकर क्योंकि चारों तरफ घना जंगल था। दूर-दूर तक कोई नहीं था, बस झींगुरों की आवाज़ और पेड़ों की सरसराहट थी तो बस वो तुरंत ही कार से टिक जाती है और कहती है ।
"अब क्या?" इशानी ने विक्रांत की तरफ गुस्से से देखा।😡
तो वही विक्रांत जो पूरी शान से खड़ा था उसकी आवाज सुनकर अब उसकी तरफ एक नज़र डालता है और फिर सामने देखते हुए कहता है "अब? अब बस एक छोटी-सी बातचीत होगी।"
और ये कहकर विक्रांत धीरे - धीरे चलकर उसके सामने आ जाता है और अब कुछ मिनटों तक दोनों के बीच में छा जाती है एक अजीब सा सन्नाटा । पर जब अचानक से ही एक ठंडे हवा का झोंका गुजरता है , तब फिर इशानी मुट्ठी भींच धीरे-धीरे ही कांपने लगती है और ये ही देख विक्रांत उसकी तरफ थोड़ा सा झुक जाता है और धीरे से कहता है "आज के बाद से तुम मेरी नज़रों से बचने की कोशिश भी मत करना, समझी और ना ही मुझे NO बोलना .....
तो वही ये सुनकर इशानी ने गहरी सांस ली और उसकी आँखों में देखकर कहती है ।
"आपको लगता है कि मैं डर जाऊँगी?"😑
विक्रांत मुस्कुराया, "तुम डरोगी... बस वक़्त लगेगा।"
और ये कहकर वो आ जाता है तुरंत ही अंदर कार में और जैसे ही कार स्टार्ट करने लगता है । तभी झट से ही इशानी अंदर आकर बैठ जाती है और फेर लेती हैं अपना मुंह दूसरी तरफ और कहती है।
" प्लीज मुझे मेरे घर पहुंचा दो "
और बस इशानी इतना ही कहती है और फिर चेहरा नीचे किए हुए निहारने लगती है वहां क्योंकि अचानक से ही उसका जिस्म जो पहले से कांप रहा था वो और भी ज्यादा बुरी तरह से कांपने लगता है । उसे अब हल्का - हल्का सा दर्द भी उठने लगता है पेट में और वो सीट पर गिरने वाले हाल में पकड़ लेती है अपना पेट। जिसकी वजह से वही विक्रांत जिसका ध्यान सिर्फ सामने था वो अब इशानी की इस अजीब तरीके के हरकत से अपनी भौहें सिकोड़ लेता है और कुछ बोलने ही लगता है । तब thud वाले हाल में इशानी " जोर से ही अपने पेट को पकड़ चीख " देती है और इससे पहले की विक्रांत को समझ आता है कि यह क्या हो रहा है इशानी उसकी गोद में बेहोश थी और उसकी सीट पर फैला हुआ उसका ड्रेस पैरों के पास से पूरा हु लाल होते हुए गिला हो चुका था ।
।waiting for comment and ratings 🙂
विक्रांत की आँखें हैरानी के मारे फैली हुई थी और वो देख रहा होता है इशानी के कपड़े को जो पूरा ही नीचे से खून से लथपथ हो चुका था । उसे ये अजीब लगने लगता है उसपर से इशानी का चीखना अब तक उसके कान में गूंज रहा होता है तो बस वो फिर होश मेंआते हुए इशानी की ओर देखने लगता है और फिर उसे हिलाते हुए कहता है।
" उठो यहां से ....( हिलाते हुए ) हटो मेरे ऊपर से "।
तो वही इशानी का अब कोई रिस्पॉन्स नहीं होता है ,बल्कि वो अपनी जगह पर हिलती तक नही है । तब फिर इसकी वजह से वही अब विक्रांत का दिमाग तो अब और भी ज्यादा सा ही खराब होने लगता है और इसीलिए वो इशानी को झटक के ही कसर देता है खुद से ही दूर क्योंकि उसे किसी लड़की का खुद से करीब आना तक नहीं पसंद। पर जब इशानी का अपनी सीट पर आने के बाद भी हाल निढाल ही रहता है । तो फिर वो अब .....तुरंत ही इशानी की तरफ झुक जाता है और लगता है उसको पूरा ही ऊपर से नीचे की तरफ निहारने और फिर पल भर में ही अपनी जैकेट निकाल वो इशानी के ऊपर डाल देता है और कार को स्टार्ट किए हुए ही वो बढ़ा लेता है उसे हॉस्पिटल की तरफ। क्योंकि जो खून उसकी ड्रेस को गिला कर रहा था.... उसमें एक अलग सी गंध आ रही थी कुछ ऐसी जिसे आजतक उसने नही फील किया था और जिस गंध का वो पहले सोच रहा था वो होगा ....वो कही से भी उसके जैसे नहीं लग रहा था ।
तो बस अब वो कार को और तेजी से ही हॉस्पिटल की ओर कर लेता है और बीच - बीच में उसकी नजर जाकर अटकती रहती है इशानी पर।
At hospital......
अस्पताल का कमरा शांत था, लेकिन उस शांति में एक अजीब सा खालीपन था। मॉनिटर की हल्की बीप और दवाइयों की महक उस जगह को और ठंडा बना रही थी।
और इसी बीच इशानी जो बेहोश पड़ी थी, सफेद चादर में लिपटी, चेहरा उतरा हुआ और हल्की सूजन उसकी नाजुक काया को और कमजोर बना रही थी। उसकी साँसें स्थिर थीं, लेकिन हर बार जब वो हल्का सा भी बेहोशी में हिलती तो उसकी उँगलियाँ बेहोशी में भी चादर को कसने लगतीं—जैसे कुछ था जो उसने खो दिया, पर वो खुद नहीं जानती थी कि क्या।
तो वही दरवाजे के पास खड़ा विक्रांत गहरी नज़रों से उसे देख रहा था। उसकी आँखों में वो ठंडक नहीं थी जो आमतौर पर ऐसे हालात में दिखती, लेकिन कहीं न कहीं, उसके भीतर कुछ दरक रहा था। उसने खुद को संयत रखा, चेहरे पर एक सख्त परत चढ़ा रखी थी, लेकिन उँगलियाँ मुट्ठी में हल्का सा कस गई थीं। पर जब उसे डॉक्टर उसके कमरे से बाहर आते हुए नजर आने लगते है । तब फिर विक्रांत आकर वापस से ही सोफे पर बैठ जाता है और तभी डॉक्टर एक फाइल के साथ ही बाहर आ जाता है और विक्रांत की तरफ देखकर कहता है ।
"वेल मिस्टर यदुवंशी..( डॉक्टर ने गहरी साँस ली ) मिस इशानी का मिसकैरिज हुआ है और वो ब्लड उसका ही था न कि पीरियड्स का । उनकी हालत बहुत खराब थी और अचानक से हद से ज्यादा स्ट्रेस लेने की वजह से, और बॉडी टेम्परेचर बहुत बढ़ जाने से ..... उनका शरीर उसको सहन नहीं कर पाया सो ...i m sorry' "
ये अल्फ़ाज़ अब डॉक्टर कहते है और बाहर कॉरिडोर ने में जैसे एक अजीब सा ठहराव आ जाता है । अब विक्रांत ने पलकें झपकाईं, लेकिन उसका एक्सप्रेशन वैसा ही रहा—सख्त, शांत। पर एक लम्हे के लिए उसकी साँस अटक गई। पर किसी को भी महसूस नहीं हुआ, लेकिन उसके सीने के अंदर कुछ भारी सा उतर गया था।
और इसीलिए उसने आगे डॉक्टर की बात बिना किसी इमोशन के सुनी, जैसे कोई और मामला हो। हल्का सा सिर हिलाया और जेब में रखे हाथों को और कस लिया और कहता है।
" होश कब आएगा मिस इशानी को "?
"खैर उन्हें थोड़ा वक्त लगेगा और जब ये उठेंगी, इन्हें बहुत आराम की जरूरत होगी। इन्हें ज्यादा स्ट्रेस नहीं देना है क्योंकि ये फिर उनकी हालत और भी खराब कर सोता है " डॉक्टर अपनी फाइल पकड़ काफी संयत से ये बात कहते है ।
जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत ने बस एक ठंडी नज़र डालकर हल्के से सिर हिला दिया हामी भरते हुए और अपनी ड्रेस ठीक करते हुए वो शून्यता भरे हाल में निगाहें टीका लेता है सामने खाली दीवार पर।
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कुछ घंटों बाद...
अंदर वार्ड रूम में इशानी अब भी बेड पर थी लेकिन उसकी उंगलियां हरकत में आने लगी थी तो कहा जा सकता है कि धीरे ही धीरे उसको होगा आने लगा है। और हां इसी के साथ कुछ ही पल में इशानी की अब पलकें जो बंद थी वो अब भारीपन के साथ फड़कने लगती है जैसे ही सामने ट्यूबलाइट की रौशनी सीधे उसके आंखों पर पड़ती है । तब फिर वो " ऊंघ " कर .... वापस से ही अपनी आंखे बंद कर लेती हैं क्योंकि रौशनी आँखों में चुभ रही थी। लेकिन जब कुछ समय बाद उसे प्रकाश बंद है महसूस होने लगता है । तब फिर वो हौले से ही अपनी आंखें खोल लेती है और उसकी थकान भरे चेहरे पर एक सिलवट सी दौड़ जाती है । परंतु अब अचानक से ही उसे बहुत अजीब लग रहा था जैसे शरीर अजीब तरीके से सुन्न हो और कोई चीज़ उससे छीन ली गई हो, और वो खुद भी समझ नहीं पा रही है क्या है ।
वो बहुत कमजोर महसूस कर रहे थे और साथ में उसे कुछ दर्द भी। लेकिन जब सामने हो विक्रांत को खड़ा हुआ पाती है जो चुप शब्द हमेशा की तरह शांत नजर आ रहा होता है। तो फिर वह एक बार पलके झुका के धुंधली आंखों से उसकी तरफ देखने लगती है और काफी ज्यादा भारी और सुस्त आवाज में कहती है।
"क्या हुआ?" उसकी आवाज़ कमजोर थी, जैसे खुद से लड़ रही हो।
तो वही विक्रांत जो अंदर रूम में ही था जब वो उसकी आवाज सुनता है तब एक पल के लिए उसे देखता है और फिर बगल में खड़े डॉक्टर की तरफ इशारा कर देखने लगता है बाहर की तरफ। जिसकी वजह से वही फिर इधर से इशानी अपनी कमर पर हाथ रख लेती है और उठने ही लगती है कि तभी एक टीस जो उसके पूरे जिस्म में दौड़ता है उसकी वजह से वो वापस से ही कहराते हुए बेड पर गिर जाती है और उसे ऐसे देख तुरंत ही डॉक्टर आ जाते है उसके पास और कहते है।
" मिस इशानी आपके उठने की जरूरत नहीं है , आपके शरीर को आराम की जरूरत है"।
" मैं ....मैं यहां क्या कर रही हूं , मैं मैं तो घर जा रही थी " इशानी कहराते हुए आवाज़ में आखिरकार खुद को हॉस्पिटल में देखकर कहती है क्योंकि कुछ वक्त पहले उसको लगा कि वो अपने घर में है।
जिसकी वजह से डॉक्टर फिर वही पहले एक बार विक्रांत को देखते हैं और अब ईशानी की तरफ काफी ज्यादा नरम लहजे में कहते है ,
" कैसा फील कर रही हो "?
" डॉक्टर मैं यहां पर क्यों हूं ( अबविक्रांत की तरफ देख ) आ..... आपको मुझसे क्या चाहिए ?..... देखिए मैं..…मैं बहुत बार कह चुकी हूं कि मुझे आपके पैसे की जरूरत है तो आप मेरा पीछा करना छोड़ दीजिए.......
और यह क्या वह फिर से उठने लगती है कि डॉक्टर उसे पकड़ वापस से लिटा देते हैं और तभी वह कहती है।
" प्लीज़...... मुझे बहुत दर्द हो रहा है और ( हकलाते हुए) एक मिनिट ... डॉक्टर क्या यह मुझे हॉस्पिटल इसलिए लेकर आए है ताकि यह मेरी किडनी ले सके "? 😶
" What " विक्रांत तपाक से ही उसके बातें सुन उसकी तरफ देखते हुए कहता है।
लेकिन इससे पहले की इशानी कुछ बोल पाती तभी डॉक्टर नरम लहजे में कहते है।
"आपको मिसकैरिज हुआ है, मिस इशानी।"
और इसी के साथ कमरा एकदम शांत हो जाता है । अब कमरे में एक अजीब से ठंडक सी महसूस होने लगती है जैसे किसी ने पूरा बर्फ का गोला लगे रख दिया। आप कमरे में से सांसों की आवाज सुनाई दे रही थी और इधर बेड पर इशानी जो बोलने वाली थी अब शब्द सुनकर अवाक हुए हाल में देखने लगती है डॉक्टर की तरफ और उसने अपनी पलकें झपकाईं, जैसे शब्द उसके दिमाग में पूरी तरह पहुंचे ही न हों और फिर बड़ी मासूमियत से कहती है
"मिसकैरिज?" उसकी आवाज़ में कोई उतार-चढ़ाव नहीं था।
तो वही डॉक्टर ने हल्का सिर झुका दिया, जैसे उसके एक्सप्रेशनलेस रिएक्शन से कुछ असहज महसूस कर रहे हो और इधर इशानी का उनको ऐसे देखकर आँखें धीमे से झपकीं, और फिर... वो बस एकटक छत की तरफ देखने लगी।
अब कोई रोना नहीं, कोई चीख-पुकार नहीं। बस एक अजीब सा खालीपन था, जैसे किसी ने उसकी आत्मा से कुछ चुरा लिया हो, और वो उसे महसूस भी नहीं कर पा रही थी और खुद से कहती है।
"मैं प्रेग्नेंट थी?"
ये सवाल बहुत गहरा था और वही अब एक पल के लिए डॉक्टर भी चुप हो गए । उन्होंने सोचा था कि शायद वो भावुक हो जाएगी, या सवालों की बौछार कर देगी। पर इशानी बस वैसी ही पड़ी रही—ठंडी, बेजान और उधर विक्रांत ने भी बस उसे देखा, बिना कोई प्रतिक्रिया दिए । परंतु डॉक्टर इशानी को ऐसे पाकर उसकी तरफ ग्लास का पानी बढ़ा देते हैं और कहते है ,
"हाँ, लेकिन अब...... ध्यान रखिए अब अपना "
और ये कहकर वो इशानी की मेडिसिंस देखने लगते है और इधर इशानी की उँगलियाँ चादर के किनारे को हल्का सा कसने लगीं, लेकिन चेहरा अभी भी सपाट था। वो खुद को महसूस कर रही थी—हर उस हिस्से को, जो अब भी वैसा ही था। तो फिर क्या बदला था? क्यों ऐसा लग रहा था कि कुछ चला गया, लेकिन वो उसे कभी जानती ही नहीं थी?....
एंड ये सब सवाल उसे और घुमा देते है और वो देखने लगती है डॉक्टर की ओर और कहती है।
"ठीक है," उसने बस इतना कहा। आवाज़ सपाट थी, जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा।
जिसकी वजह से वही फिर डॉक्टर उसकी ये बात सुन थोड़ा सा रुक जाते है और फिर विक्रांत को एक नजर देख वो निकल जाते है कमरे से बाहर। जिससे फिर उनके जाने के बाद विक्रांत जो वहीं खड़ा था वो अब देखने लगता है इशानी की तरफ और उसके जेहन में सवाल घूमने लगे जैसे ,
कैसे इशानी ने न कोई सवाल नहीं किया, न ही कोई आँसू बहाए और ना ही कुछ बोल रही हैं ....क्या ये ठीक है ?
पर जब उन्हें महसूस होता है कि उसकी साँसें हल्की सी असमान्य हो रही थीं—जैसे वो रो नहीं रही थी, पर उसकी आत्मा रो रही हो तब फिर वो बिना कुछ बोले बस आगे बढ़ जाते है और, उसके सिर के पास कुर्सी खींचकर बैठ जाता है वहां । परंतु अब इशानी ने उसकी तरफ एक बार भी देखा नहीं बल्कि वो बस छत की तरफ देखती रहती है —जैसे कुछ ढूँढ रही हो, जो अब वहाँ नहीं है।

✨✨✨✨✨✨✨✨✨
कैसा लगा पार्ट ?
यार पढ़ने के बाद थोड़े रेटिंग कमेंट तो कर दिया करिए ?....
इशानी हॉस्पिटल के बाहर खड़ी थी वो भी अपना पेट पकड़े हुए । उसे अब भी हल्का - हल्का दर्द हो रहा था पर वो सहन कर सकती थी । उसकी आंखे डबडबाई हुई थी पर चेहरे पर एक खौफ था । एक ऐसा खौफ जो इस दर्द को और बढ़ा सकता है और वो है घर जाना और अपनी मां का सामना करना । बहुत देर हो चुकी है अब उसे घर पहुंचने के लिए क्योंकि फिलहाल रात के 10 बज रहे है और डॉक्टर के बार - बार मना करने के बावजूद भी वो निकल आई है बाहर और इंतजार कर रही है ऑटो का ।

वैसे तो बाहर ठंड भी है पर उसे जैसे किसी और चीज की सुध - बुध नहीं है और इसी तरह वो अभी पेड़ से टीके लगती है रोड की तरफ निहारने की तभी एक ऑटो आकर उसके सामने रुक जाता है और ऑटो वाला कहता है।
" मैडम चलना है आपको "?
" हां....." इशानी कहराते हुए कहती है ।
और बढ़ जाती है वो ऑटो में चढ़ने के लिए की तभी पल भर में ही वो खुद को हवा में महसूस करने लगती हैं और कमर पर किसी का हाथ । जिसकी वजह से वही ऑटो वाला तो इशानी को किसी शख्स के गोद में देख तो तुरंत ही बाहर आ जाता है और घूरते हुए कहता है।
" ये क्या कर रहे हो तुम ...... छोड़ो मैडम को "।😑
पर वो शख्स उस ऑटो वाले को कोई जवाब नहीं देता है और बढ़ जाता है आगे की तरफ की तभी वो ऑटो वाला उस शख्स पर पीछे से ही अटैक कर देता है अपने बेल्ट से और दबोच लेता है उसकी गर्दन को बेल्ट में और गुर्राए हुए कहता है ।
" गला दबा दूंगा तेरा मै अगर तूने मैडम को अभी के अभी नही छोड़ा तो ( अपना दबाव कसते हुए ) अकेली लड़की देखी नहीं की मौका उठाने आ गए ....😡😡 छोड़ो .....
और ये कह वो अपना दबदबा बढ़ा देता है कि तभी उसी वक्त दो तीन वार्ड बॉय और एक डॉक्टर वही जिसने इशानी का इलाज किया वो तेजी से ही भागकर आ जाते है और पीछे से ही सब खींचने लगते है ऑटो वाले को और वो डॉक्टर गुस्से में ही कहते है।
" दिमाग खराब है तुम्हारा, जानते भी हो कि तुम किससे पंगा ले रहे "।😡
" ये कोई भी हो ( ऑटो वाला गुस्से में बेल्ट और कसते हुए बोला )
पंगा लेने वाले बड़े देखे हैं मैंने, पर किसी लड़की पर ज़बरदस्ती करने वालों की जगह सिर्फ़ एक होती है... सीधा नरक!"
इतना बोलकर वो फिर से उस शख्स से इशानी को छुड़ाने ही जाता है कि तभी वो इंसान मुड़ जाता है और एक चमक मतलब कुटिल मुस्कान से उसे देखकर कहता है ।
"रक्षक "......
" और तुम्हारे लिए भक्षक 😡" वो ऑटो वाला इशानी को फिर से छुड़ाने के लिए आगे बढ़ता है । पर इस बार वो शख्स खुद उसे हाथ दिखाते हुए रोक लेता है और कहता है ।
" बहुत कम लोग है जो तुम्हारी तरह सोच रखते है ( अपने ड्राइवर से ) इनके घर 4 ऑटो और साथ में 4 आदमी इनके साथ काम पर लगवाओ ( ऑटो ड्राइवर से ) और आज के बाद से तुम अपना ये बिजनेस और बढ़ाओ.....(अब इशानी को देख ) ख़ास है ये मेरी "।
और ये कहकर वो शख्स यानी विक्रांत ( हां वही है ) वो ईशानी को एक नजर निहार जो कबका ही बेहोश हो चुकी है इसीलिए प्रोटेस्ट नही कर पाई थी । उसे लिए बढ़ जाता है अपनी कार की ओर और आहिस्ते से ही डोर ओपन किए वो उसे लिटा देता है सीट पर और फिर अपनी सीट पर आकर वो बैठ जाता है और हाथ फोल्ड किए वो देखने लगता है सामने।
अब कार में काफी ज्यादा शांति थी क्योंकि इशानी बेहोश और विक्रांत की नजर है सिर्फ सामने । वो लगातार ही वही बाहर निहार है बिना पलके झपकाए हुए । लेकिन जब उसका फोन बजने लगता है । तब फिर वो आवाज सुन अपने पॉकेट से फोन निकाल लेता है और स्क्रीन पर फ्लैश हो रहे नाम को देख वो तुरंत ही अटेंड कर लेता है और कहता है।
" मां "....
" क्या ये कोई समय है आपका इस तरह से बाहर रहने का ?
आप सुबह का गए है पर अब तक आपकी कोई खबर नहीं ? उसपर से आपके बॉडीगार्ड भी नहीं है ( थोड़ा परेशान हुए ) राजकुमार है आप ! बार - बार क्यों भूल जाते है कि आप है तो हम है 🥺( एक गहरी सांस भरकर ) चलिए घर आए आप जल्दी । मै आपकी राह देख रही हु ठीक है "। विक्रांत की मां काफी ज्यादा भावुकता से ये सारे अल्फ़ाज़ कॉल पे उससे ये कहती है।
जिसकी वजह से वही इधर से फिर विक्रांत बस " हम्ममम मां आ रहा हु " बोलकर कॉल कट कर देता है और सामने फोन रख वो निहारने लगता है अब इशानी के होंठो को जो सूखे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह मुरझा चुकी थी।

उसके बाल एक तरफ़ घिरे हुए थे और होंठो पर हल्की सी पपड़ी सी निकल आई थी उसकी कमज़ोरी के कारण। जिसकी वजह से वही फिर विक्रांत उसकी तरफ थोड़ा सा झुक सा जाता है और रख देता है अपने अंगूठे को उसके होठों के ऊपर और बस यू ही लगता है वहां हल्के से ही सहलाने और फिर अपनी सीट पर सीधे हुए वो कार स्टार्ट किए, अब बिना रुके वो कार मोड लेता है इशानी के घर की तरफ ।

इशानी के घर के सामने ,
कार अब घर के सामने खड़ी थी और वही बाहर विक्रांत भी । वो शॉक में ही देख रहा होता है सामने खड़े इस राजमहल जैसे घर को और फिर अंदर पड़ी हुई इशानी को भी । हालांकि उसे कोई मतलब नही है इससे पर उसे सच मे लगा था कि इशानी मिडिल क्लास फैमिली से है । क्योंकि उसकी पुरानी स्कूटी , फिर कृष ( उसके दोस्त के कंपनी के लिए) अप्लाई करना ....ये सब उसके लिए किसी हैरानी से कम नहीं था । अब उसके दिमाग में तो ये बात चलने लगती है कि ये जब इतने बड़े घर में रहती है तो फिर इसको काम की क्या ही जरूरत होगी ?
पर फिर वो इन सवालों पर फूल स्टॉप लगा देता है और इशानी के साइड आते हुए वो हिलाने लगता है उसको ताकि वो जग जाए परंतु इशानी तब भी बेहोश रहती है । तो फिर वो अब हौले से ही इशानी को गोद में उठा लेता है और फिर

उसे लिए वो बढ़ जाता है धीरे ही धीरे Main Gate की तरफ जो खुला हुआ था और जैसे ही अंदर वाले गेट पर पहुंचकर नॉक करने जाता है। तभी अंदर से ही धड़ाक से ही गेट ओपन हो जाता है और सामने खड़ी इशानी की मां देखने लगती है बिना पलके झपकाए ही राजकुमार विक्रांत यदुवंशी की तरफ ।
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नोट - इशानी प्रेगनेंट थी और ये बात उसको खुद नहीं पता था और वो प्रेगनेंट वही जो शुरुआत पार्ट में पब वाला सीन था उसकी वजह से हुई ठीक।
कैसा लगा भाग ?
वेल कहानी पसंद नहीं आ रही है क्या ?
हमारा मतलब रेटिंग कॉमेंट बिल्कुल ना के बराबर है 🙂अब ऐसा भी मत करिए आप लोग । जिसके लिए लिख रही हु वो ही रिस्पॉन्स नही कर रहा है तो लिखना ही क्यों फिर।
पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि विक्रांत - इशानी को लिए उसके घर की तरफ बढ़ जाता है और आकर खड़े हो जाता है डोर पर । लेकिन वो डोर नॉक कर पाता । तभी उसी वक्त दरवाजा खुद ही एक आवाज के खुल जाता है
अब आगे ,
सामने इशानी की माँ अब दरवाजे पर खड़ी थीं। उनके चेहरे पर एक अजीब-सी कठोरता थी और मुट्ठी कसी थी बहुत ज्यादा ही गुस्से में । साथ में उनकी भी आँखें चौड़ी हो गई थी जैसे कोई भूत देख लिया हो । लेकिन वहां कोई और नहीं बल्कि डोर पर उन्होंने विक्रांत को अपनी बेटी को गोद में उठाए हुए पाया एंड साथ में उनके पीछे, श्रृष्टि भी खड़ी थी । जो देख रही होती है इशानी को काफी ज्यादा गुस्से में। जिसकी वजह से वही इधर सामने खड़ा विक्रांत जो उन दोनो को देख रहा था ।वो अब उनकी नज़रों में झलकते झटके और गुस्से को भांपकर बिना किसी संकोच के इशानी को आए अच्छे से पकड़ लेता है और अपनी भारी आवाज में कहता है
"इनकी की तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं इसे घर छोड़ने आया हूँ।"
तो वही विक्रांत का ये बोलना था और उसी वक्त इशानी की मां की आँखें एक पल के लिए इशानी के पीले पड़े चेहरे पर जाकर टिक जाती हैं जहां सच में पता चल रहा था कि वो बहुत बिखर है । परंतु फिर वो उसे नफ़रत से देखने लगती है और तुरंत ही विक्रांत की तरफ निहार एक तेज और कड़वी आवाज में कहती है।
"तुम कौन होते हो इसे घर छोड़ने वाले?"
और ये कहकर वो इशानी को फिर से देखने लगती है तो वही विक्रांत का ये मां के इस लहज़े को सुनकर तो उसकी नज़रों में हल्की-सी ठंडक आ जाती है पर वो कंट्रोल कर कहता है।
"मैं कौन हूँ, इससे ज्यादा ज़रूरी ये है कि आप इसे अंदर ले जाएँ और इसकी हालत देखें।"

ये बोलकर अब विक्रांत अंदर घर में आ जाता है पर वो और आगे बढ़ता । तभी श्रृष्टि , जो अब तक स्तब्ध खड़ी थी , वो तुरंत ही विक्रांत के आगे बढ़ जाती है और व्यंग्य से मुस्कुराते हुए कहती है।
"क्या बात है दीदी! तुम तो कहती थीं कि तुम किसी से कोई उम्मीद नहीं रखतीं, फिर ये शाही सवारी कैसे मिल गई तुम्हें?"
श्रृष्टि का बोलना किसी ज़हर से कम नही था। वो तंज कस रही होती है और उसके होंठो पर एक कुटिल सी मुस्कान थी। जिसकी वजह से वही फक्त विक्रांत जिसने श्रृष्टि की बातें सुनीं वो उसे नज़रअंदाज़ कर देता है और उसके सामने से हटकर सोफे की तरफ जाने ही लगता है कि तभी पीछे से राधिका जी कहती है।
"इसका दरवाज़ा बंद रहेगा आज रात!" मां ने अचानक ठंडे लहजे में कहा, जिससे विक्रांत के माथे की रेखाएँ गहरी हो गईं और वो मूड जाता है इशानी की मां की तरफ और कहता है।
"मतलब?" उसने सीधे उनकी आँखों में देखा।
"मतलब ये कि इस घर में इस लड़की के लिए कोई जगह नहीं है। जो मनमर्जी से घूमे, रात को किसी अजनबी के साथ घर लौटे, वो इस घर में रहने के लायक नहीं और मैं ऐसी लड़की को अब यहां नही रहने दूंगी । जहां बीमार मिली थी वहीं छोड़ आओ ( गुर्राते हुए ) ऐसी लड़की का क्या करूंगी मै जिसे मेरे घर की इज्जत का लिहाज ही नही ।😡😡
राधिका जी अब काफी ज्यादा कड़वे अंदाज में कहती हैं और अपने हाथो को फोल्ड कर वो घूरने लगती है इशानी को तो वही अब विक्रांत के अंदर तो बस कुछ उबलने सा लगता है। उसके कान अचानक से ही लाल हो जाते हैं और जिन बाहों में उसने इशानी को थामा था वो भींच सी जाती है और उसके मसल्स दिखने लगते है उसके शर्ट पर से ही। उसे गुस्सा आने लगा था ये सब सुनकर और इसीलिए वो कसकर ही इशानी को और अच्छे से पकड़ लेता है और ठंडे स्वर में कहता है।

"अगर ये घर इसे अपनाने को तैयार नहीं है, तो चिंता मत कीजिए... अब से ये मेरी ज़िम्मेदारी है।"
तो वही अब यह सुनकर तो राधिका जी और श्रृष्टि दोनों ही चौंक सी जाती हैं और राधिका जी आंखे सिकोड़ते हुए आ जाती है विक्रांत के सामने और एक तीखी आवाज़ में कहती है।
"तुम हो कौन और तुम्हें क्या लगता है? तुम इसे उठा ले जाओगे और हम कुछ नहीं कहेंगे?"
इतना बोलकर वो इशानी को फिर से देखने लगती है और फिर आ जाती है वो सृष्टि के बगल में लेकिन वही विक्रांत ने कोई जवाब नहीं दिया, सिर्फ अपनी जगह पर अडिग खड़ा रहता है। तभी वही श्रृष्टि ने हँसते हुए कहती है।
"वाह दीदी! तुम्हारी तो लॉटरी लग गई। अमीर आदमी खुद तुम्हें घर ले जाना चाहता है ........बहुत सही चाल चली है मां इसने तो "।😂😂
और ये बोलकर वो जोर - जोर से हंसने लगती है तो वही विक्रांत ने अबकी बार श्रृष्टि की तरफ देखा, उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी बेकार वाली जैसे सब छीनना चाहती हो । तब फिर वही विक्रांत इशानी को लेकर वहां से बढ़ जाता है और डोर से बाहर ही जाने ही लगता है । तभी पीछे से राधिका जी चिल्लाते हुए कहती है
"रुको! अगर तुम इसे ले गए, तो फिर ये लड़की इस घर में कभी वापस नहीं आएगी!"
तो वही विक्रांत भी - बिना मुड़े हुए ही जवाब देता है ।
"फिर तो इसका कोई अफ़सोस नहीं रहेगा ।"
इसके साथ ही, विक्रांत ने इशानी को अपनी कार में रखा और दरवाज़ा बंद कर दिया । उसने फिर एक आखिरी बार राधिका जी और श्रृष्टि की ओर देखा जहां —दोनों के चेहरे पर गुस्सा, जलन और अविश्वास का मिला-जुला भाव था और फिर धीरे से ही एक नजर ईशानी को भी निहार जिसे सच में इस वक्त रेस्ट की जरूरत थी पर कार में नही बल्कि बेड पर वो शांति से ही बढ़ा लेता है कार को स्टार्ट कर गेट के बाहर की ओर ।
कैसा लगा भाग?
वेल 🙂 कमेंट रेटिंग भी दिया करे अगर पढ़ रहे है तो।