यह कहानी है आर्य राठौर की जो एक जांबाज पुलिस ऑफिसर थी जिसके जांबाजी के चर्चे हर पुलिस डिपार्टमेंट में हर शख्स करता था । लेकिन उसे आर्य ने अपने हाथों से अपनी मोहब्बत को मारा था जिसके लिए वह जीने मरने की कसमे खाया करती थी जो एक हर लड़की का ख्वाब होता ह... यह कहानी है आर्य राठौर की जो एक जांबाज पुलिस ऑफिसर थी जिसके जांबाजी के चर्चे हर पुलिस डिपार्टमेंट में हर शख्स करता था । लेकिन उसे आर्य ने अपने हाथों से अपनी मोहब्बत को मारा था जिसके लिए वह जीने मरने की कसमे खाया करती थी जो एक हर लड़की का ख्वाब होता है कि वह अपनी मोहब्बत के साथ अपनी जिंदगी ऐसी गुजरेगी वैसे गुजरेगी लेकिन आर्य ने अपने हाथों से अपनी मोहब्बत की जान ली थी और आखिर में उसके साथ भी धोखा होता है उसके अपने ही टीम डिपार्टमेंट के लोग उसे मौत के घाट उतार देते हैं मजा तो तब आता है जब आर्य का रिबॉर्न एक ऐसी लड़की की शरीर में होता है और एक कहानी की दुनिया में होता है... जिस किसी ने भी प्यार नहीं दिया अपने घर में रहकर भी वह एक अजनबी की तरह रही है। जानने के लिए पढ़िए " Reborn - Find My Love "
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एक पहाड़ी इलाका यह कह सकते हैं शिमला की वादियां यहां की वादियां बेहद खूबसूरत थी और यहां की पहाड़ी इलाके और भी खूबसूरत थे इस वक्त दिसंबर का महीना था और ठंड काफी हो रखी थी और सर्द हवाएं चल रही थी जिसे शिमला का मौसम और भी सुहाना हो रखा था। इसी पहाड़ी इलाके में एक पहाड़ के पास एक कपल खड़ा हुआ था कपल एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर खड़े हुए थे लेकिन दोनों का चेहरा एक दूसरे की तरफ था।
एक लड़का पहाड़ी की चोट पर खड़ा था और वही एक लड़की उसी के सामने खड़ी थी खुले घुंघराले बाल और काजल से सनी आंखों में वह लाल पान साफ बयां कर रहा था कि वह अपने आंसुओं को जप्त कर रही है।
वही उसके सामने खड़ा लड़का जिसने इस वक्त थ्री पीस सूट पहन रखा था ऊपर से एक ओवरकोट पहन रखा था और वह ओवरकोट काफी जगह से गंदा भी था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह बचते बचते वहां पर खड़ा हुआ है। वही वह लड़की भी जिसने इस वक्त जींस और टॉप पहना था उसके ऊपर एक ओवरकोट पहन रखा था शिमला की ठंडियों को देखकर उन दोनों ने ठंडी के हिसाब से कपड़े पहन रखे थे लेकिन दोनों के कपड़े गंदे थे मिट्टी से सने हुए थे।
उसे लड़की की आंखें भी काफी लाल थी और उसकी गहरी नीली आंखें साफ बयां कर रही थी कि उन आंखों में कई सारे राज दफन है उसे लड़के की हाइट यही कोई 6 फीट 5 इंच होगी वह दिखने में लंबा चौड़ा हटा कटा इंसान था साफ जाहिर हो रहा था उसकी बॉडी को देखकर कि उसने जिम में काफी मेहनत की होगी अपनी बॉडी के लिए।
उसी के सामने खड़ी लड़की जो अब तक शांत खड़ी होकर उसे देख रही थी अचानक की अपने ओवरकोट में से एक रिवाल्वर निकलती है और उसे लड़के की तरफ पॉइंट कर देती है।
वही वह लड़का जो अब तक शांत खड़ा था उसे लड़की के हर एक चेहरे के एक्सप्रेशन को नोट कर रहा था उसके बॉडी के हर एक हलचल को मूवमेंट को वह नोट कर रहा था वह जब उसे लड़की के हाथ में रिवाल्वर देखा है तो उसके चेहरे पर एक डेविल मुस्कुराहट आ जाती है और वह उसे देखते हुए अपनी कर्कश आवाज में कहता है।
"Not bad 'Mehbooba'!! पूरी तैयारी के साथ आई हो तुम तो"!
ऐसा कहकर वह स्मृति स्माइल देते हुए उसे लड़की को देखने लगता है वही वह लड़की जब उसे लड़के के मुंह से अपने लिए महबूबा सुनती है तो अचानक ही उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है और वह अपनी नजर बराबर उसे लड़के पर जमी हुई थी और जमाए हुए ही कहती है।
" Ofcrs ' तुम जैसे माफिया के लिए तो पूरी तैयारी के साथ ही आना चाहिए "!!!
वह लड़की इतना कहती है कि उसके सामने खड़ा लड़का जो की एक माफिया था उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है और वह मुस्कुराहट साफ बयां कर रही थी कि वह वह अपने सामने मौजूद लड़की से काफी इंप्रेस हुआ था।
अपने सामने खड़े उसे माफिया के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर उसे लड़की के चेहरे पर एक दर्द के भाव आकर गुजर गए और वही सामने मौजूद जो कि माफिया था वह सामने मौजूद लड़की के चेहरे के एक्सप्रेशन को बहुत अच्छे से नोट कर रहा था वह उसके चेहरे पर दर्द भरे एक्सप्रेशन देखकर जो तुरंत ही चले गए थे लेकिन उसके नजरों से तो नहीं छपे थे ना उसने देख लिया था और वह डेविल स्माइल करते हुए उसे लड़की की तरफ देखा है और कहता है।
" कोई बात नहीं महबूबा भी तो देखूं कि आखिर मेरी महबूबा में कितना जिगर है अपने इस बेदर्द माफिया को मौत के घाट उतारने का "!!!
ऐसा कहकर वह उसे लड़की की आंखों में देखने लगता है और वही वह लड़की जब अपने लिए दोबारा उसके मुंह से महबूबा सुनती है तो उसकी नज़रें उसकी आंखों पर ठहर जाती है तो काफी देर तक उसकी आंखों में देखती रहती है और फिर अपनी आंखें बंद करके गहरी सांस लेती है गहरी सांस लेने के बाद आंखें खोलता है और अपने सामने खड़े शख्स को देखते हैं और अपनी फिंगर गन की ट्रिगर्ड पर कश्ती है और उसकी तरफ निशान साथ देती है। इसी के साथ गोली चलने की आवाज आती है और उसे आवाज के बाद जितने भी परिंदे आसपास थे वह आसमान में उड़ने लगते हैं। और इस आवाज के बाद अगर कुछ आवाज आ रही थी तो वह परिंदों की फड़फड़ाना की और उनके उड़ने की की।
यह मेरी नई कहानी का छोटा सा ट्रेलर है और उम्मीद है आप सबको अच्छी लगेगी और आप सब इस कहानी को सपोर्ट करेंगे और अपना प्यार देंगे मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए ख्याल रखिए खुश रहिए और मेरी कहानी को पढ़ते रहिए।
एक पहाड़ी इलाका यह कह सकते हैं शिमला की वादियां यहां की वादियां बेहद खूबसूरत थी और यहां की पहाड़ी इलाके और भी खूबसूरत थे इस वक्त दिसंबर का महीना था और ठंड काफी हो रखी थी और सर्द हवाएं चल रही थी जिसे शिमला का मौसम और भी सुहाना हो रखा था। इसी पहाड़ी इलाके में एक पहाड़ के पास एक कपल खड़ा हुआ था कपल एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर खड़े हुए थे लेकिन दोनों का चेहरा एक दूसरे की तरफ था। एक लड़का पहाड़ी की चोट पर खड़ा था और वही एक लड़की उसी के सामने खड़ी थी खुले घुंघराले बाल और काजल से सनी आंखों में वह लाल पान साफ बयां कर रहा था कि वह अपने आंसुओं को जप्त कर रही है। वही उसके सामने खड़ा लड़का जिसने इस वक्त थ्री पीस सूट पहन रखा था ऊपर से एक ओवरकोट पहन रखा था और वह ओवरकोट काफी जगह से गंदा भी था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह बचते बचते वहां पर खड़ा हुआ है। वही वह लड़की भी जिसने इस वक्त जींस और टॉप पहना था । ........!!!!!
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एक पहाड़ी इलाका यह कह सकते हैं शिमला की वादियां यहां की वादियां बेहद खूबसूरत थी और यहां की पहाड़ी इलाके और भी खूबसूरत थे इस वक्त दिसंबर का महीना था और ठंड काफी हो रखी थी और सर्द हवाएं चल रही थी जिसे शिमला का मौसम और भी सुहाना हो रखा था। इसी पहाड़ी इलाके में एक पहाड़ के पास एक कपल खड़ा हुआ था कपल एक दूसरे से थोड़ी दूरी पर खड़े हुए थे लेकिन दोनों का चेहरा एक दूसरे की तरफ था। एक लड़का पहाड़ी की चोट पर खड़ा था और वही एक लड़की उसी के सामने खड़ी थी खुले घुंघराले बाल और काजल से सनी आंखों में वह लाल पान साफ बयां कर रहा था कि वह अपने आंसुओं को जप्त कर रही है। वही उसके सामने खड़ा लड़का जिसने इस वक्त थ्री पीस सूट पहन रखा था ऊपर से एक ओवरकोट पहन रखा था और वह ओवरकोट काफी जगह से गंदा भी था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह बचते बचते वहां पर खड़ा हुआ है। वही वह लड़की भी जिसने इस वक्त जींस और टॉप पहना था उसके ऊपर एक ओवरकोट पहन रखा था शिमला की ठंडियों को देखकर उन दोनों ने ठंडी के हिसाब से कपड़े पहन रखे थे लेकिन दोनों के कपड़े गंदे थे मिट्टी से सने हुए थे। उसे लड़की की आंखें भी काफी लाल थी और उसकी गहरी नीली आंखें साफ बयां कर रही थी कि उन आंखों में कई सारे राज दफन है उसे लड़के की हाइट यही कोई 6 फीट 5 इंच होगी वह दिखने में लंबा चौड़ा हटा कटा इंसान था साफ जाहिर हो रहा था उसकी बॉडी को देखकर कि उसने जिम में काफी मेहनत की होगी अपनी बॉडी के लिए। उसी के सामने खड़ी लड़की जो अब तक शांत खड़ी होकर उसे देख रही थी अचानक की अपने ओवरकोट में से एक रिवाल्वर निकलती है और उसे लड़के की तरफ पॉइंट कर देती है। वही वह लड़का जो अब तक शांत खड़ा था उसे लड़की के हर एक चेहरे के एक्सप्रेशन को नोट कर रहा था उसके बॉडी के हर एक हलचल को मूवमेंट को वह नोट कर रहा था वह जब उसे लड़की के हाथ में रिवाल्वर देखा है तो उसके चेहरे पर एक डेविल मुस्कुराहट आ जाती है और वह उसे देखते हुए अपनी कर्कश आवाज में कहता है। "Not bad 'Mehbooba'!! पूरी तैयारी के साथ आई हो तुम तो"! ऐसा कहकर वह स्मृति स्माइल देते हुए उसे लड़की को देखने लगता है वही वह लड़की जब उसे लड़के के मुंह से अपने लिए महबूबा सुनती है तो अचानक ही उसकी दिल की धड़कन बढ़ जाती है और वह अपनी नजर बराबर उसे लड़के पर जमी हुई थी और जमाए हुए ही कहती है। " Ofcrs ' तुम जैसे माफिया के लिए तो पूरी तैयारी के साथ ही आना चाहिए "!!! वह लड़की इतना कहती है कि उसके सामने खड़ा लड़का जो की एक माफिया था उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है और वह मुस्कुराहट साफ बयां कर रही थी कि वह वह अपने सामने मौजूद लड़की से काफी इंप्रेस हुआ था। अपने सामने खड़े उसे माफिया के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर उसे लड़की के चेहरे पर एक दर्द के भाव आकर गुजर गए और वही सामने मौजूद जो कि माफिया था वह सामने मौजूद लड़की के चेहरे के एक्सप्रेशन को बहुत अच्छे से नोट कर रहा था वह उसके चेहरे पर दर्द भरे एक्सप्रेशन देखकर जो तुरंत ही चले गए थे लेकिन उसके नजरों से तो नहीं छपे थे ना उसने देख लिया था और वह डेविल स्माइल करते हुए उसे लड़की की तरफ देखा है और कहता है। " कोई बात नहीं महबूबा भी तो देखूं कि आखिर मेरी महबूबा में कितना जिगर है अपने इस बेदर्द माफिया को मौत के घाट उतारने का "!!! ऐसा कहकर वह उसे लड़की की आंखों में देखने लगता है और वही वह लड़की जब अपने लिए दोबारा उसके मुंह से महबूबा सुनती है तो उसकी नज़रें उसकी आंखों पर ठहर जाती है तो काफी देर तक उसकी आंखों में देखती रहती है और फिर अपनी आंखें बंद करके गहरी सांस लेती है गहरी सांस लेने के बाद आंखें खोलता है और अपने सामने खड़े शख्स को देखते हैं और अपनी फिंगर गन की ट्रिगर्ड पर कश्ती है और उसकी तरफ निशान साथ देती है। वही वह लड़का खामोशी के साथ जो की कोई और नहीं बेदर्द माफिया माहिर सहगल था वह अपने सामने खड़ी अपनी महबूबा को देख रहा था जो उसके लिए उसके दिल जान मैं बजने वाली एक लौटी शख्सियत थी जो उसके दिल पर उसकी जिंदगी पर राज करती थी आज अगर उसके हाथों उसे बेदर्द माफिया की जान भी चली जाएगी तो उसके होठों से ऑफ तक नहीं निकलेगी और यह सच ही था उसके होठों पर एक मुस्कुराहट थी एक ऐसी मुस्कुराहट जो साफ बना कर रही थी कि वह कितने सुकून में है अपनी मोहब्बत के हाथों मर कर भी । माहिर अपने सामने खड़ी अपनी महबूबा के हर एक एक्सप्रेशन को बहुत अच्छे से नोट कर रहा था या यूं कहे कि वह देखना चाहता था कि आखिर उसकी महबूबा उसे करने के लिए क्या-क्या कर सकती है वह जानता था कि उसका प्रोफेशन जैसा है एक न एक दिन उसकी मौत होने देता है और वह मौत उसे अपनी महबूबा अपनी मोहब्बत के हाथों में ली थी तो उस खुशनसीब की बात उसके लिए और क्या हो सकती थी। सामने मौजूद लड़की कोई और नहीं आर्य राठौर एक पुलिस ऑफिसर थी एक जांबाज पुलिस ऑफिसर जिसके जाबाजी के चर्चे पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में होते थे। वह अपने सामने खड़े उसे शख्स को देख रही थी जिसकी जिंदगी में वह कुछ सालों पहले ही आई थी लेकिन इस बात का पता कुछ दिन पहले ही चला था। खैर अपने सामने खड़ी माहिर बेदर्दी माफिया को देख कर वह अपने कदम पीछे नहीं लेना चाहती थी। माहिर भी एक तक उसे देख रहा था और आर्य भी उसे एक तक देख रही थी। आर्य माहिर की तरफ ट्रिगर्ड पॉइंट करती है और माहिर को देखते हुए अपनी सर्द आवाज में रहती है। " अलविदा बेदर्द माफिया "!!! वह जानती थी कि उसके मुंह से अल्फाज कितनी मुश्किल से निकले थे क्योंकि उसके दिल के किसी कोने में माहिर के लिए मोहब्बत बेशुमार थी बेपनाह थी जो माहिर भी बहुत अच्छे से जानता था। माहिर उसके लिए अल्फाज सुनकर मुस्कुराता है और उसे देखा है माहिर की आंखों में देखते हुए आर्य की आंखों में कब आंसू आ जाते हैं पता ही नहीं चलता वह अपने आंसुओं को जप्त कर कर खुद के अंदर माहिर की तरफ देख रही होती है माहिर भी उसकी तरफ देख रहा होता है। ऐसा कहकर वह गन की ट्रिगर्ड दबा देता है और एक गोली की गूंज उसे पहाड़ी इलाके में गूंज उठती है और इसी के साथ माहिर जो खड़ा था वह पहाड़ी खाई की तरफ गिर जाता है आर्य ने जो गोली चलाई थी वह गोली उसके सीने में लगी थी और गिरने से पहले माहिर ने उसे देखा और अपने लव हिलाई थे और इसी के साथ वह गिर गया आर्य जो वहां खड़ी थी उसने जब माहिर के लाभ ही लेते तो उसने वह पढ़ लिया था क्योंकि उसे लिप रीडिंग बहुत अच्छे से आई थी उसने जैसे ही वह पड़ा उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई और वह दौड़ते हुए उसे पहाड़ी के किनारे पर गई और जोर से चिल्लाई। माहिर उसकी चिक उसे दिशा में गूंज गई और माहिर उन पहाड़ियों से गिरते वक्त आर्य को देख रहा था और उसकी आंखों में आंसू थे और होठों पर एक मुस्कुराहट थी मुस्कुराहट लिए उसे देख रहा था। और आर्य को यही मुस्कुराहट बहुत चुभ रही थी। न जाने क्यों माहिर को गोली मारने के बाद भी उसका दिल बेचैन हो उठा था इतनी स्पीड के साथ धड़क रहा था जैसे मानो अभी निकलकर बाहर आ जाएगा या अभी उसकी धड़कनें रुक जाएगी। आर्य भी माहिर से बेपनाह मोहब्बत करती थी लेकिन माहिर एक बेदर्द माफिया और उसने बहुत से लोगों की जान ली थी जाहिर तौर पर उसका अंजाम यही होना था आर्य एक तक उसे दिशा में देखते हुए अपने हाथ में पड़ी हुई गण को देखते हैं और जमीन पर कस कर दे मरती है इसी के साथ आर्य के हाथों में चोट लग जाती है और खून बहने लगता है और वह वैसे ही अपना हाथ मारती ही रहती है जमीन पर और मरते हुए कहती है। " अपनी मोहब्बत की कातिल बन गई हूं मैं जिस मोहब्बत को मैंने अपने दिल में जगह दी थी आज इस मोहब्बत की जान ली है मैंने जानती हूं तुम एक बेदर्द माफिया थे लेकिन इस दिल को कैसे समझाऊं तुम इस दिल के लिए क्या थे मैं खुद को माफ नहीं कर पाऊंगी और शायद दोबारा कभी किसी और से मोहब्बत नहीं कर पाऊंगी नहीं कर पाऊंगी मैं "!!! ऐसा कहकर वह चीख चीख कर रोने लगती है और उसकी ठीक है उसे पहाड़ी इलाके में गूंज रही थी उसकी चीकू में इतना दर्द था कि जो साफ जाहिर कर रहा था कि उसकी मोहब्बत कितनी गहरी थी और कितनी बेपनाह थी। आर्य काफी देर तक वैसे ही रोती रहती है तकरीबन आधे घंटे तक। उसका रोना अभी भी बंद नहीं हुआ था उसकी आंखें लाल थी जो साफ बयां कर रही थी कि उसकी मोहब्बत अब उसके पास नहीं थी उससे दूर हो गई थी जो उसने खुद करी थी। तकरीबन 1 घंटे बाद आर्य ने अब तक कुछ हद तक अपने आप को संभाल लिया था और वह अभी आर्य उसे पहाड़ी के किनारे पर बैठी ही ठीक है वहां कई सारी कर आकर रुकी और उनमें से 5 6 लोग वर्दी में बाहर आए। और वह सभी आकर आर्य के पीछे खड़े हो गए। आर्य को ऐसे जमीन पर बैठे हुए देखकर उनमें से जो एक लड़का जिसकी हाइट यही कोई साथ फिट थी जॉन सब में काफी लंबा चौड़ा था वह आगे आता है और आर्य के कंधे पर हाथ रखता है तो आर्य होश में आती है और पलट कर देखती है तो उसके सामने 5 से 6 लोग खड़े हुए थे जिन्होंने इस वक्त पुलिस की वर्दी पहनी हुई थी वह सभी आर्य के टीम मेंबर थे। वह सब खड़े थे आर्य अपनी जगह से खड़ी होती कि तभी कुछ और कार्स जाकर वहां रूकती है इतनी कार्स को देखकर आर्य की आइब्रो टांग जाती है और वह सभी को अपनी सर दर्द निगाहों से देखने लगती है के वह जो कार्य रुकी थी उनमें से कुछ ब्लैक कपड़े पहने लोग बाहर आते हैं उनमें से एक और शख्स बाहर आता है जिसने व्हाइट कलर का कुर्ता पजामा और सादरी पहना हुआ था। उसको देखकर आर्य के एक्सप्रेशन बिगड़ जाते हैं और वह उसे शख्स को देखती रहती है वह शख्स चश्मा लगाए हुए आगे आता है और आर्य को देखकर मुस्कुराता है और हाथ जोड़कर नमस्ते करता है तो आर्य एक्सप्रेशन लेस आंखों के साथ उसे देखती रहती है वही वह शख्स आगे आता है और आर्य को देख मुस्कुराता है और फिर कहता है। " क्या बात है ऑफिसर साहिबा आपने तो मेरा काम बहुत आसान कर दिया उस बेदर्द माफिया को मार कर "!!! जैसे ही उसे शख्स में यह कहा वैसे ही आर्य के एक्सप्रेशन बिगड़ जाते हैं और उसके मुंह से एक अल्फाज निकलता है वह गुस्से में उसे शख्स को देखते हुए कहती है। " तो क्या हुआ अगला नंबर तेरा है पाटिल "!!! आर्य के इस तरह खाने से जो सामने मौजूद शख्स था वह कोई और नहीं विराज पाटील था जो एक पॉलिटिकल लीडर था। पाटिल आर्य के जवाब से गुस्से में आ जाता है और वह उसे देखकर कुछ देर घूरता है और उसके बाद मुस्कुराते हुए कहता है। " अफसर तुझे बहुत गुरूर है ना अपनी इस वर्दी पर ज्यादा गुमान मत कर तेरी वर्दी को यूं 2 मिनट में तेरे जिस्म से अलग कर सकता हूं तेरे जैसी लड़कियां रोज मेरे बिस्तर पर आती है। अपने जिस्म की आज मिटाने के लिए "!!! आर्य जो काफी गुस्से में पहले से ही थी वह पाटिल की बात सुनकर और गुस्से में आ जाती है और उसके कुर्ते का कॉलर पड़कर एक घुसा उसके मुंह पर दे मरती है ऐसा करते ही पाटिल के जितने भी आदमी वहां मौजूद थे वह सभी आकर आर्य को पकड़ लेते हैं और पाटिल जो आर्य के घुसे से संभाल नहीं पाया था उसके होठों से खून आने लगता है वह खून को थूकता है और अपने अंगूठे से पहुंचने के बाद आर्य की तरफ देखते हुए कहता है। " साली वर्दी की आड़ में मुझे गुरुर दिख रही है तेरे जैसे दो टके की लड़कियां रोज मेरे बिस्तर पर आती है बहुत घमंड है ना तुझे अपनी इस वर्दी पर और तूने विराज पाटील पर हाथ उठाया इसका अंजाम भूगड़ने के लिए तैयार हो जा"!!! वही आर्य पाटिल को एक नजर देखी है फिर बाकी तीन मेंबर को देखते हैं जो बिल्कुल शांत खड़े थे जैसे अपने सामने हो रहे इस चीज को देखकर उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। यह देखकर आर्य के एक्सप्रेशन और सर्द हो जाते हैं वह अपनी टीम मेंबर को गर्दन टेढ़ी करके देखते हैं जिससे सभी एक पल के लिए उसे देखते रह जाते हैं क्योंकि आर्य इस वक्त बेहद खतरनाक लग रही थी। और वही पाटिल आर्य को देखकर मुस्कुराता है और आर्य की नजरों का पीछा करते हुए कहता है। " क्या देख रही हो उधर कुछ नहीं करेंगे वह लोग वह लोग तेरे साथ जरूर है लेकिन काम मेरे लिए करते हैं"....!!! यह सुनकर आर्य के एक्सप्रेशन और भी खतरनाक हो जाते हैं और वह उन सभी को गुस्से में घूमने लगती है अचानक ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है वह मुस्कुराते हुए उन सभी को देखते हैं वही पाटिल जो आर्य को पहले गुस्से में देखकर मुस्कुरा रहा था लेकिन जब उसके चेहरे पर मुस्कुराहट देखी तो उसके चेहरे पर एक कन्फ्यूजन वाले एक्सप्रेशन आ जाते हैं वह कंफ्यूज नजरों के साथ आर्य को देखने लगता है और देखते हुए कहता है । " लगता है तुझे कुछ ज्यादा ही सदमा पहुंचा है इस बात का की तेरे टीम मेंबर तेरे साथ न होकर मेरे साथ है"!!!!! आर्य एक नजर अपनी टीम मेंबर को देखते हैं जो अभी भी वैसे ही खड़े हुए थे और फिर विराज पटेल को देखते हैं और उसके बाद विराज पाटील को देखते हुए कहती है। " नाना मुझे तो पहले से पता था कि यह मेरे लिए काम करते हैं लेकिन आदमी तो तेरे हैं"!!! ऐसा कहकर वह जोर-जोर से हंसने लगती है और उसे इस तरह हंसते हुए देखकर आर्य की टीम मेंबर्स और पाटिल सभी हैरान भरी नजरों से देखने लगते हैं। अभी वह लोग एक दूसरे को देख ही रहे थे कि तभी उन्हें बॉडीगार्ड्स के चीखने की आवाज सुनाई देती है सभी की नजरे उधर जाती है तो जितने भी बॉडीगार्ड आर्य को पकड़े हुए थे वह सभी जमीन पर पड़े चिल्ला रहे थे क्योंकि आर्य ने पलक झपकते ही उन लोगों की हालत ऐसी कर दी थी जैसे वह लोग किसी भी पल अपनी आंखें बंद कर सकते थे। पाटिल के जो और बॉडीगार्ड थे वह सभी दौड़कर आर्य के पास आते हैं आर्य के पास एक्सीडेंट नाइफ हमेशा रहते थे वह हिडन नाइफ से ही उसने उन सभी बॉडीगार्ड्स किए हालत की थी और जितने भी बॉडीगार्ड दौड़कर उसकी तरफ और आए थे उन सभी को पलक झपकते हैं उसमें मौत के घाट उतार दिया था वही उसके तीन मेंबर्स जो पहले से ही यह जानते थे आर्य का एक्शन बहुत ही धमाकेदार होता था । सभी बॉडीगार्ड्स को मार कर अपने कदम पाटिल की तरफ बढ़ा देती है पाटिल के पास पहुंचकर वह उसको कॉलर से पकड़ कर जमीन पर पटकती है और उसके चेहरे पर घूस के साथ बरसात करने लगती है। थोड़ी देर में पाटिल की हालत अधूरी हो जाती है अभी आर्य पाटिल को और भी मार पाती कि तभी उसे अपने सीने में तेज जलन का एहसास होता है वह अपने सीने पर हाथ रख कर देखती है तो कुछ गीला महसूस होता है क्योंकि वहां से ब्लड निकल रहा था और आर्य अपनी नजर घुमा कर देखती है तो वह वही शख्स के हाथों में गान देखते हैं जिसने अभी थोड़ी देर पहले उसके कंधों पर हाथ रखा था जिसकी हाइट तकरीबन 7 फीट थी। जो उसके टीम मेंबर मैं सबसे लंबा चौड़ा था इस शख्स के हाथों में गण थी जिसे आर्य की तरफ पॉइंट करके चलाई थी आर्य यह देखकर मुस्कुराती है और उन सभी को देखकर कहती है। " क्या लगता है मुझे इस चल के बारे में अंदाजा नहीं था मैं अपने साथ काम कर रहे हैं लोगों की एक सेकंड की खबर रखती हूं जब मैं अपने दुश्मनों की इतनी खबर रखती हूं तो जाहिर तौर पर मैं तुम लोगों की भी खबर रखूंगी ना मुझे बहुत पहले ही पता चल गया था कि तुम लोग इस पाटिल से मिले हुए हो। खैर छोड़ो कोई बात नहीं तुम लोगों ने अपनी ड्यूटी के लिए बहुत अच्छे से निभाई और मैं अपनी ड्यूटी बहुत अच्छे से निभा निभाई है और मैं खुश हूं कि तुम लोग कम से कम अपने एक बॉस के लिए लॉयल तो "!!! ऐसा कहकर आर्य मुस्कुराते हुए उन सभी को देखते हैं और उसके बाद कुछ ही पल में उसकी सांसे बंद हो जाती है। आर्य जो जमीन पर उसकी बॉडी पड़ी हुई थी उसकी टीम मेंबर्स आर्य का यह एक्सप्रेशन देखकर एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं कि आखिर सच ही तो कहा था आर्य ने वह वह हर किसी की खबर रखती थी उसके साथ चाहे कम कर रहा हूं चाहे कुछ ही वक्त के लिए कोई उसके साथ क्यों ना हो वह उसे इंसान की हर पल-पल की खबर रखती थी जाहिर तौर पर यह तो उसके टीम मेंबर्स थे जिनकी खबर रखता उसके लिए जरूरी था वह बहुत पहले ही जान गई थी कि आखिर यह लोग उसके साथ काम जरुर कर रहे हैं लेकिन यह टीम मेंबर्स उसे पाटिल के लिए काम करते हैं जो उसके साथ मौजूद है और पल-पल की खबर उसे देते रहते हैं। फिर यहां आर्य और माहिर के किस का समाप्त हो चुका था। मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में तब तक के लिए ख्याल रखिए खुश रहिए https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S Follow for more update
एक हॉस्पिटल रूम रूम दिखने में काफी आलीशान था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि वह एक लग्जरियस रूम है हॉस्पिटल का और उसी रूम में एक लड़की बेड पर मशीनों के बीच गिरी हुई बेटी हुई थी और उसके हाथ पर सिविल लगी हुई थी और उसके आसपास काफी सारी मशीन रखी हुई थी जिससे आवाज़ आ रही थी। धीरे-धीरे उसे लड़की को होश आने लगता है और वह लड़की धीरे-धीरे कर कर उसे बेड से उठने लगती है वह काफी कोशिश कर रही थी खुद को संभालने की लेकिन उसकी बॉडी उसका साथ नहीं दे रही थी उसकी बॉडी बहुत ज्यादा वीक थी और वह लड़की आंखें खोल कर अपनी इधर-उधर देखते हैं तो खुद को एक लग्जरियस हॉस्पिटल के रूम में पाकर उसकी आंखें एक पल के लिए हैरानी से बड़ी हो जाती है और दूसरे ही पल वह उठने की कोशिश करती है कि उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकल जाती है क्योंकि वह लड़की दिखने में काफी ज्यादा पतली दुबली थी और उसके चेहरे पर काफी सारे निशान थे और दिखने में हालांकि वह लड़की गोरी खूबसूरत थी लेकिन फिर भी उसका शरीर काफी दुबला था जैसे वह काफी महीने से कोमा में है। वह लड़की धीरे-धीरे कर कर अपनी जगह से उठने की कोशिश करती है लेकिन लाख कोशिशें के बाद भी वह उठ नहीं पाती क्योंकि वह काफी ज्यादा कमजोर थी और वह उठने के चक्कर में साइड टेबल पर कुछ इक्विपमेंट रखे हुए थे लाइक सीजर और कॉटन एंड मान्य मोर वहां रखी हुई थी और वह गिर जाती है ट्रे के साथ जिसकी आवाज उसे रूम में गूंज जाती है। समान और उसके के गिरने के थोड़ी देर बाद ही उसे रूम का डोर ओपन होता है वह लड़की जो होश में आ रही थी डोर ओपन होने की आवाज सुनकर सामने देखती है तो वहां एक नर्स खड़ी हुई थी जो हैरान भरी नजरों से उसी की ओर देख रही थी। वह लड़की कुछ कहने की कोशिश करती है लेकिन कुछ कह नहीं पाती वही वह नर्स जब उसे लड़की को कोशिश करते हुए देखते हैं तो वह तुरंत दौड़कर उसके पास आती है और उसका हाथ पकड़ कर उसे सही से बैठी है बैठने के बाद एक नजर उसे देखकर बेड के साइड में लगे हुए एक स्विच को प्रेस कर देती है। वही वह लड़की नर्स की हर एक एक्सप्रेशन और उसकी एक्टिविटी को नोट कर रही थी वह खामोश नजरों से नर्स को देख रही थी और वही नर्स भी खामोश नजरों से उसे देख रही थी लेकिन नर्स की नजरों में एक हैरानी थी जो सामने बैठी लड़की साथ महसूस कर पा रही थी। नर्स ने अभी भी उसे लड़की का हाथ पकड़ा हुआ था और वह लड़की सही से बैठी हुई थी अभी ज्यादा देर ही नहीं हुए थे की दोबारा से डोर ओपन होता है और एक डॉक्टर हफ्ते हुए अंदर आता है उसे इस तरह हफ्ते हुए देखकर उसे लड़की के चेहरे के एक्सप्रेशन वैसे ही रहते हैं लेकिन आंखों में आए सवालिया एक्सप्रेशन जरूर थे। वही वह डॉक्टर अपने कदम आगे बढ़कर उसे लड़की के पास आता है और उसे लड़की को देखकर हैरान तो वह भी काफी था क्योंकि जिस लड़की को होश में लाने के लिए वह लोग कोशिश कर रहे थे उसे लड़की ने तो जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। आज उसे होश में देख कर ऐसा एक्सप्रेशन और ऐसा रवैया होना लाजिमी था उन लोगों का। डॉक्टर आगे जाकर उसे लड़की को अपनी शार्प नजरों से देखता रहता है वही वह लड़की भी एक तक उसे देख रही होती है लड़की ने अब तक कुछ बोला नहीं था और ना ही उसे डॉक्टर ने कुछ भी बोला था डॉक्टर उसे इस तरह देखकर गहरी सांस लेता है और फिर उसके पास जाकर उसके हाथ को पड़कर उसकी नव चेक करता है चेक करने के बाद वह उसके हाथ को छोड़ता है और अपनी नजर उन मशीन पर करता है मशीन पर सब चीज नॉर्मल देखकर वह राहत की सांस लेता है और फिर उसे लड़की को देखकर हल्की मुस्कुराहट के साथ कहता है। " आखिर तुम जाग गई इतनी लंबी नींद के बाद "!!! वह लड़की जो वहां बैठी हुई थी वह अपने सामने खड़ी डॉक्टर की बात सुनकर कुछ समझ नहीं पाई थी वह सवाल या नजरों से उसे देख रही थी और वही यह डॉक्टर भी साफ महसूस कर रहा था। वही नर्स उन दोनों को देख रही थी उसे रूम में काफी शांति थी वहां अगर किसी चीज की आवाज थी तो वह सिर्फ और सिर्फ मशीन की बीप की आवाज थी। डॉक्टर उसे अच्छे से चेक करता है चेक करने के बाद उसे एक इंजेक्शन देता है इंजेक्शन के बाद उसे लड़की की आंखें नींद से बोझेल हो जाती है और वह दोबारा सो जाती है। वही उसके सो जाने के बाद नर्स जो वहीं मौजूद थी वह उसे ठीक से बेड पर लेट आती है लेट आने के बाद वह उसे कंबल से कर करती है और फिर एक नजर डॉक्टर को देखकर उसे रूम से चली जाती है वही वह डॉक्टर भी उसे लड़की को देखकर वहां से बाहर निकल जाता है। बाहर आने के बाद डॉक्टर अपने कदम केबिन की तरफ बढ़ा देता है कि बिन में आने के बाद उसकी डेस्क पर रखा फोन वह काफी देर तक उसे फोन को देखा है और उसे फोन को उठाकर अपनी कॉल लिस्ट खोलना है कॉल लिस्ट ओपन करने के बाद वह एक नंबर सर्च करता है और उसे पर कॉल लगा देता है। वहीं दूसरी तरफ एक हवेली जो दुल्हन की तरह सजी हुई थी वह हवेली काफी आलीशान और काफी बड़ी थी जिसे साफ जाहिर हो रहा था कि वह इस शहर की सबसे मशहूर खूबसूरत और किसी बहुत बड़े बिजनेसमैन फैमिली की हवेली है। उसे हवेली का रंग हल्का चॉकलेटी कलर का था जो उसकी खूबसूरती को और भी निखर कर बाहर ला रहा था। उसी के साथ दो और हवेली थी जो वाइट एंड ऑफ व्हाइट कलर की हवेली थी। तीनों हवेली का मैं गेट एक ही था और एक ही रास्ता था तीनों हवेली में जाने का। खैर जो उनमें से लेफ्ट साइड वाली हवेली थी यानी की हल्की चॉकलेटी कलर की वह काफी खूबसूरत थी से सजाई गई थी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी की शादी है। उसे हवेली के गार्डन को बहुत ही खूबसूरती के साथ सजाया गया था और वहां पर बहुत खूबसूरत सा बड़ा सा मंडप लगा हुआ था। और मंडप में एक दूल्हा और दुल्हन बैठे हुए थे और हवन कुंड में अग्नि जल रही थी और साथ ही गार्डन में गिने-चुने ही लोग मौजूद थे। यह परिवार कोई और परिवार नहीं मुंबई का सबसे फेमस परिवार है और सबसे बड़ा भी यह तीनों हवेली राजवंशी राणावत और राठौर परिवार की हवेली है यह तीनों हवेली ओल्ड मेंबर बहुत अच्छे दोस्त हैं और हमेशा से ही साथ रहे हैं यह बिजनेस में भी नंबर वन है। थोड़ी देर में एक मिडल एज कपल आकर मंडप में बैठे कपल का कन्यादान करने लगते हैं थोड़ी ही देर में कन्यादान समाप्त होता है और उसके बाद पंडित जी उन दोनों कपल को खड़े होकर फेरे के लिए कहते हैं। वही इस लेफ्ट साइड की पहली वाली हवेली जो की दुल्हन की तरह सजी हुई थी इस हवेली के लिविंग हॉल में टेलीफोन बज रहा था। काफी देर तक वह टेलीफोन बचता रहता है और और वहां पर इस टेबल पर काम से कम 3 से 4 फोन रखे हुए थे वह फोन भी बज कर एक-एक करके सभी बज रहे थे लेकिन उठाने वाला और उनकी आवाज सुनने वाला कोई भी नहीं था क्योंकि सभी लोग गार्डन में मौजूद थे और शादी अटेंड कर रहे थे। अभी उनमें से एक फोन बज रहा था कि एक सर्वेंट जो वहां किसी काम से आया था उसने जब फोन को बजाते हुए देखा तो वह काफी देर तक इस फोन को देखता रहता है और वह फोन उठाकर कान में जैसे ही लगता है उधर से सुनकर वह फौरन बाहर गार्डन की तरफ चला जाता है। Stay tuned... Bye
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वहीं अस्पताल में डॉक्टर का केबिन इस वक्त उसे डॉक्टर के हाथ में मोबाइल था और थोड़ी ही देर बाद जब वह अपने फोन को देखा है तो कॉल पिक कर लिया गया था और डॉक्टर तुरंत अपने कान से फोन लगाकर उधर बस इतना ही बोलता है। " होश आ गया है उनको "!!! इतना बोलकर उधर से कुछ जवाब दिया जाता है जिसके बदले में डॉक्टर इधर से फोन ओके कह कर रख देता है और थोड़ी देर बाद वह अपने फोन को देखा है और खुद से ही कहता है। " बात तो दिया है अब देखो कौन आता है वहां से। इतना कहकर वह डॉक्टर फोन रख देता है और रखने के बाद वह दोबारा से अपने डेस्क पर बैठकर कुछ फाइल जो पेशेंट की थी वह चेक करने लगता है। वहीं दूसरी तरफ इस वार्ड में वह लड़की को धीरे-धीरे करके दोबारा होश आने लगता है और वह जैसे ही होश में आती है अपने आप को एक अनजान जगह प्रकार हैरान हो जाती है हालांकि इस वक्त उसकी बॉडी काफी ज्यादा वीक थी लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके अपनी जगह से उठती है अपने सर पर हाथ रख कर कहती है। " मैं कहां हूं? ? यह कहकर वह आसपास देखने लगती है वह जिस रूम में मौजूद थी वह काफी एक्सपेंसिव और काफी लग्जरी रूम था हॉस्पिटल का वहां हर एक फैसिलिटी मौजूद थी वह जहां पर लेटी थी वह बेड भी काफी खूबसूरत थी और देखने से लगी नहीं रहा था कि वह किसी अस्पताल का रूम होगा। वह लड़की गहरी सांस लेकर अपने सर पर दोबारा हाथ रखती है और धीरे-धीरे उसे दबाने लगती है क्योंकि इस वक्त उसके सर में बहुत ज्यादा दर्द हो रही थी और वह फिर से अपनी आंखें खोल कर उसे पूरे रूम को देखकर मुंआएना करती है लेकिन उसे रूम में उसके सिवा कोई दूसरा मौजूद नहीं था और आसपास लगी मशीन उसमें से आवाज आ रही थी। लड़की के चेहरे पर अभी भी ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था वह लड़की अपने चेहरे से ऑक्सीजन मास्क हटती है और अपनी नजर इधर-उधर दौड़ आता है फिर अपने हाथ में सिरिन लगी हुई देखी है तो वह निकलती है और फिर अपनी जगह से खड़ी होती है पहली बार कोशिश करने पर वह ठीक से खड़ी नहीं हो पाती दोबारा कोशिश करती है तो वह अपनी जगह से खड़ी हो जाती है और वह दीवार का सहारा लेकर वॉशरूम की तरफ अपने कदम बढ़ा देती है। लेकिन इस दौरान उसने अपने ऊपर जरा भी खुद पर ध्यान नहीं दिया था। जैसे-तैसे वह वॉशरूम तक पहुंचती है गेट ओपन करके अंदर जाती है वहां उसे वॉश बेसिन दिखता है वॉश बेसिन के पास जाकर वह सबसे पहले टॉप ओपन करके अपना फेस वॉश करती है एंड सुद्दनली उसकी नजर इस वॉश बेसिन के पास लगे मिरर पर जाती है मिरर में खुद के चेहरे को देखकर वह हैरान हो जाती है और खुद का चेहरा एक तक उसे मिरर में देखने लगती है और अपने चेहरे पर हाथ फेरती है। उसका चेहरा वह था ही नहीं वह किसी और का चेहरा था चेहरा तो छोड़ो वह किसी और की बॉडी भी थी अब जाकर वह खुद पर ध्यान देती है वह अपने हाथ को देखते हैं अपनी नजर जैसे ही नीचे करती है उसकी नजर एक जगह जाकर टिक जाती है और वह देखकर उसके मुंह से जोरों की चीख निकलती है। लेकिन जल्दी खुद को संभाल लेती है और दीवार का सहारा लेकर खड़ी हो जाती है और खुद को आईने में देखती है और उसकी आंख से आंसू निकलने लगता है। क्योंकि जब उसकी नजर जिस जगह पर ठहरी थी वह जगह कोई और नहीं उसका पेट था और उसका पेट काफी बड़ा हुआ था जो साफ जाहिर कर रहा था कि वह प्रेग्नेंट है। उसका पेट तकरीबन एक 6 महीने की प्रेगनेंट लेडी की तरह लग रहा था। और पेट काफी बड़ा था यह देखकर वह लड़की खुद को आईने में देखी और है और खुद से कहती है.। " यह कैसे हो सकता है मैं तो उसे पहाड़ी पर थी ना जहां मैं माहिर को मारा माहिर को करने के बाद मैं पाटिल और अपनी टीम मेंबर से लड़ाई की थी और टीम मेंबर्स में से ही किसी ने मुझे मारा था तो फिर यह मेरी बॉडी नहीं है मैं किसके शरीर में हूं ?? ऐसा कहकर वह लड़की मुंह पर हाथ रख लेती है उसे काफी रोना आ रहा था क्योंकि ना तो यह इसकी बॉडी थी और पता नहीं वह किस जगह पर थी यह कोई और नहीं आर्य थी। और तो और उसका जन्म किसी दूसरी की बॉडी में हुआ था दूसरी बात वह प्रेग्नेंट थी लगभग 6 महीने के हिसाब से वह प्रेग्नेंट थी। वहीं दूसरी तरफ राठौर रघुवंशी एंड राणावत हवेली जो नौकर भागते हुए आया था वह फोन तुरंत एक इंसान को जाकर देता है जिनकी आगे तकरीबन 70 से 75 साल की थी। शख्स अपने हाथ में फोन लेकर दूसरी तरफ से कुछ ऐसा कहा जाता है जिसे सुनकर उसके हाथ से वह फोन गिर जाता है और उसके हाथ से वह फोन जैसे ही गिरता है वह भी लगभग लगभग लड़खड़ा गए थे । लेकिन उन्होंने जल्द ही खुद को संभाल लिया और किसी की नजर में आने से पहले ही फोन दोबारा से अपने कान के पास लगाकर कुछ कहते हैं और उसके बाद सभी को देखते हैं जो शादी में कंसंट्रेट कर रहे थे काफी अच्छे से इंजॉय कर रहे थे। वह गहरी सांस लेकर फोन रखते हैं और जो नौकर जो सर्वेंट लेकर आए थे फोन उनके आगे भी लगभग लगभग 50 से 55 के बीच में थी और वह अपने मालिक को देखते हैं तो वह कुछ कहता उससे पहले ही वह बुजुर्ग आदमी जो थे वह उन्हें देखते हुए कहते हैं। " अभी कुछ नहीं बता सकता लेकिन जल्दी सब कुछ बताऊंगा पहले मुझे इस बारे में अच्छी तरह से सुनिश्चित हो लेने दो। "!!! यह कहकर वह दोबारा से फोन में किसी का नंबर डायल करते हैं और कुछ कहते हैं उसके बाद अपना फोन रख देते हैं और थोड़ी ही देर में शादी के सभी फंक्शन और फेयर वगैरह जो भी थे वह समाप्त हो चुके थे और सभी लोग बाकी की जो बची हुई रसमें थे वह पूरी करने में लग जाते हैं दादाजी भी सबको अपने रूम में आराम करने का कहकर अपने रूम में चले जाते हैं।
आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में
वहीं दूसरी तरफ, हॉस्पिटल में… अस्पताल में इस वक्त आर्य अपने आपको सँभाले खड़ी थी। उसने अपना एक हाथ पेट पर रखा था, तो दूसरा हाथ दीवार पर रखकर उसके सहारे खड़ी थी। उसने अभी पेट पर हाथ रखा ही था कि अचानक उसे कुछ महसूस हुआ। वो एहसास होते ही उसकी आँखें बड़ी हो गईं, और उसकी आँखों में जो आँसू थम चुके थे, वो एक बार फिर निकलने लगे। जब उसने अपने पेट पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उसे महसूस किया, तो उसे एक हल्की सी किक महसूस हुई। यह एहसास करके उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। एक तो वह नई बॉडी में आई थी, और अब उसे अपने अंदर दो नन्हीं जानें महसूस हो रही थीं। "क्या सच में…?" उसने धीरे से फुसफुसाया। फिर उसने दोबारा अपने हाथ को दूसरी तरफ पेट पर रखा, और वहाँ भी उसे एक हल्की सी किक महसूस हुई। यह देखकर आर्य के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए। उसने दो बार किक महसूस की थी—दोनों तरफ से, एक साथ! वह तुरंत खड़ी हो गई, और उसके होठों पर हल्की मुस्कान आ गई। उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। कुछ देर तक वह वहीं खड़ी रही, फिर खुद को आईने में देखा। अपने आँसू पोंछते हुए उसने खुद से कहा— " जो भी हो… मैं जिस भी शरीर में हूँ, यह पल मुझे बहुत हसीन लग रहा है। मेरे अंदर दो नन्हीं सी जानें हैं, जिन्हें मैं बहुत अच्छे से महसूस कर रही हूँ…" यह कहकर आर्य ने फिर से खुद को आईने में देखा। वह अपना मुँह धोने के बाद वॉशरूम का गेट ओपन करती है और बिना कमरे को ठीक से देखे, दीवार का सहारा लेने के लिए हाथ बढ़ाती है। जैसे ही उसने दीवार को छुआ, वह धीरे-धीरे उसके सहारे अपने कदम बेड की तरफ बढ़ाने लगी। जैसे ही वह बेड पर बैठी, कमरे का दरवाजा अचानक खुला। कोई अंदर आया। आर्य ने अपनी नजरें उठाईं, तो उसके चेहरे पर कन्फ्यूजन के भाव आ गए। उसके सामने एक कपल खड़ा था। उनके चेहरे पर खुशी थी, पर आँखों में आँसू। लड़की की उम्र 28-30 के बीच थी, जबकि लड़के की उम्र 24-25 साल के आसपास। वे दोनों धीरे-धीरे आर्य की तरफ कदम बढ़ाने लगे। आर्य का माथा हल्का सा सिकुड़ गया। "ये लोग कौन हैं?" उसने सोचा। वो दोनों पास आए और आर्य का हाथ पकड़कर प्यार से पूछा— "कैसी हो, आर्य?" आर्य ने कंफ्यूजन भरी नजरों से उन्हें देखा और धीरे से सिर हिला दिया। वह समझ नहीं पा रही थी कि ये लोग कौन हैं और इसे इसके असली नाम से क्यों बुला रहे हैं? वह दोनों कपल आर्य के चेहरे पर उलझन के भाव देखकर एक-दूसरे की ओर देखने लगे। उनकी आँखों में गहरी उदासी थी। तभी आर्य के पेट में हल्का सा दर्द उठा, और उसने कराहते हुए अपना हाथ पेट पर रख लिया। "आह…" उसकी हल्की सी दर्द भरी आवाज सुनकर वे दोनों घबरा गए। उन्होंने आर्य को तुरंत बेड पर लिटा दिया और अच्छे से ब्लैंकेट ओढ़ा दिया। आर्य ने वैसे भी दवाई ली थी, जिससे वह धीरे-धीरे नींद में जाने लगी। जब वह गहरी नींद में चली गई, तब वे दोनों उसके पास बैठकर उसे प्यार से देखते रहे। फिर लड़का झुककर उसके माथे पर किस करता है, और लड़की भी उसके हाथ को चूमती है। इसके बाद वे दोनों आर्य को एक आखिरी नजर देखकर उसके कमरे से बाहर निकल जाते हैं और सीधे डॉक्टर के केबिन की तरफ बढ़ते हैं। --- डॉक्टर का केबिन डॉक्टर इस वक्त अपनी केबिन में बैठकर एक फाइल पढ़ रहे थे। फाइल देखकर वे काफी शॉक और हैरान थे। तभी केबिन का दरवाजा नॉक हुआ। "अंदर आ सकते हैं?" डॉक्टर ने सिर उठाकर कहा— "हाँ, आइए!" दरवाजा खुला और वही कपल अंदर आया। डॉक्टर उन्हें देखकर अपनी कुर्सी से उठे और लड़के से हाथ मिलाया। फिर उन्होंने दोनों को बैठने का इशारा किया। डॉक्टर ने शांत नजरों से दोनों को देखा, जिनकी आँखों में अभी भी नमी थी। वे समझ गए कि ये लोग अभी-अभी आर्य से मिलकर आए हैं। डॉक्टर ने गहरी सांस ली और बोले— "हाँ, यह सच है कि आर्य की याददाश्त जा चुकी है। उसे पिछला कुछ भी याद नहीं है। उसे बस यही याद है कि वह नींद से जागी है… बस इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। यहाँ तक कि उसे अपना नाम भी याद नहीं है।" डॉक्टर की बात सुनकर वे दोनों स्तब्ध रह गए। लड़की ने अपने हाथों से मुँह ढक लिया और बेतहाशा रोने लगी। लड़के ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे चुप कराते हुए कहा— "सौम्या… हमारी आर्य बहुत मजबूत है। देखो ना, वह मौत से लड़कर वापस आई है! हमें खुश होना चाहिए कि वह हमारे पास है। हम उसके साथ नई यादें बनाएंगे… अच्छा ही है कि वह पुरानी यादें भूल गई…" सौम्या, जो लड़की थी, अपने पति ऋषभ की ओर देखने लगी। ऋषभ और सौम्या पति-पत्नी थे, और आर्य की करीबी दोस्त भी। सौम्या आर्य की बेस्ट फ्रेंड थी, जबकि ऋषभ को आर्य ने हमेशा अपना बड़ा भाई माना था। --- डॉक्टर ने दोनों को देखा और फिर ऋषभ को फाइल पकड़ाते हुए कहा— "यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि जब आर्य का एक्सीडेंट हुआ था, तब वह डेढ़ महीने की प्रेग्नेंट थी… और अब वह पूरे छह महीने की प्रेग्नेंट है। यानी, कोमा में रहने के बावजूद उसके बच्चे जिंदा रहे और सांस लेते रहे। लेकिन हाँ, आर्य अभी भी बहुत कमजोर है। उसे बहुत देखभाल और खुशी की जरूरत है।" यह सुनकर दोनों खुश भी हुए और परेशान भी। यह सच में किसी चमत्कार से कम नहीं था कि आर्य के बच्चे कोमा में जाने के बाद भी जिंदा रहे। थोड़ी देर बाद, ऋषभ ने डॉक्टर की तरफ देखा और गंभीरता से पूछा— "डॉक्टर, आर्य की याददाश्त वापस आने के कितने चांसेस हैं?" डॉक्टर, जो अपनी चीजें समेट रहे थे, अचानक ठहर गए। उन्होंने गहरी सांस ली, और ऋषभ की तरफ देखते हुए कहा— "याददाश्त वापस आने के 50-50% चांस हैं, श्री मल्होत्रा… यह जल्दी भी आ सकती है, और शायद कभी ना आए!" ऋषभ और सौम्या एक-दूसरे को देखने लगे। उनके दिल को थोड़ी राहत मिली कि उम्मीद अभी बाकी थी। --- आर्य के वार्ड में… ऋषभ और सौम्या आर्य के वार्ड में वापस आए। डॉक्टर ने आर्य का चेकअप किया, सब कुछ नॉर्मल था। उन्होंने आर्य के और उसके बच्चों के ब्लड सैंपल लिए और चले गए। आर्य को ठीक-ठाक देखकर ऋषभ और सौम्या की आँखों में फिर से आँसू आ गए। सौम्या, ऋषभ के गले लग गई। ऋषभ ने भी उसे कसकर बाहों में भर लिया। "हमें हिम्मत नहीं हारनी सौम्या… हमें खुद को भी संभालना है और आर्य को भी। और उसके होने वाले बच्चों को भी…" ऋषभ ने जबर्दस्ती मुस्कुराते हुए कहा— "जल्दी ही हम मामा-मामी बनने वाले हैं… हमारे नन्हे शैतान इस दुनिया में आने वाले हैं!" सौम्या भी मुस्कुरा दी… कम से कम अब उन्हें उम्मीद थी कि सब कुछ ठीक होगा। --- (अगले अध्याय में जारी… बने रहिए!)
अध्याय— रात बीत चुकी थी… एक नई सुबह ने दस्तक दी थी। सूरज की हल्की रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी, और कमरे में एक सुकून भरी शांति थी। आर्य की पलकें हल्की-हल्की काँपीं, और कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोलीं। उसकी नजर सामने रखे वॉटर बॉटल पर पड़ी। हल्की प्यास महसूस होते ही वह उठने लगी, लेकिन शरीर में कमजोरी की वजह से उसे खुद को सँभालने में दिक्कत हुई। "उफ्फ..." उसने हल्की कराह के साथ पेट पर हाथ रखा। तभी, दरवाजा खुला, और सौम्या अंदर आई। "आर्य!" सौम्या दौड़कर आई और उसे सहारा देकर वापस बिस्तर पर बैठाया। "तुम उठ क्यों रही थी? कुछ चाहिए तो मुझे बोलो न!" आर्य ने कुछ पल सौम्या को देखा। वह समझ नहीं पा रही थी कि ये लड़की कौन है, जो उसके लिए इतनी चिंता कर रही है। लेकिन जाने क्यों, सौम्या की आँखों में उसे अजीब सा अपनापन महसूस हुआ। "मैं... मैं बस पानी लेना चाह रही थी," आर्य ने धीरे से कहा। सौम्या ने तुरंत पानी का गिलास उठाया और उसे पकड़ाया। आर्य ने हल्के हाथों से गिलास थामा और धीरे-धीरे पानी पीने लगी। सौम्या उसे प्यार से देख रही थी। "कैसी तबीयत लग रही है?" सौम्या ने नरमी से पूछा। आर्य ने गहरी सांस ली और हल्का मुस्कुराई, "अब ठीक महसूस हो रहा है… लेकिन सिर में भारीपन है।" "वो तो होगा ही, इतने लंबे समय तक comma me रहने के बाद यह नॉर्मल है," सौम्या ने उसे तसल्ली दी। आर्य कुछ सोचते हुए बोली, "तुम कौन हो…?" सौम्या के हाथ एक पल के लिए ठिठक गए। उसकी आँखों की नमी बढ़ गई, लेकिन उसने खुद को संभाला और मुस्कुराकर कहा, "मैं तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड सौम्या… और ये दुनिया का सबसे लकी दिन है कि मेरी दोस्त वापस मेरे पास आ गई है!" आर्य ने सौम्या की बात सुनी, लेकिन कुछ भी याद नहीं आया। "मैं सच में… कुछ भी याद नहीं कर पा रही," आर्य ने अपनी हथेलियाँ घूरते हुए कहा। सौम्या ने उसका हाथ थाम लिया, "कोई बात नहीं… हम सबकुछ फिर से याद दिलाएँगे। पहले तुम ठीक हो जाओ, फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे, ठीक?" आर्य ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में अब भी अनगिनत सवाल थे। कुछ देर बाद दरवाजे पर हल्की दस्तक हुई, और ऋषभ अंदर आया। उसके हाथ में एक फलों की टोकरी थी। "गुड मॉर्निंग, छोटी!" उसने मुस्कुराकर कहा। आर्य ने उसे ध्यान से देखा। "छोटी?" "अरे, तूने तो हमेशा मुझे अपना बड़ा भाई माना था, और अब नाम भी भूल गई?" ऋषभ ने मजाकिया अंदाज में कहा, लेकिन उसकी आँखों में गहरी तकलीफ छुपी थी। आर्य ने धीरे से सिर हिलाया। "सॉरी… मुझे सच में कुछ याद नहीं आ रहा।" "कोई बात नहीं, याददाश्त जाए तो चली जाए, लेकिन मेरी बहन को कोई टेंशन नहीं लेनी!" ऋषभ ने मुस्कुराकर कहा और टोकरी टेबल पर रख दी। आर्य हल्का मुस्कुराई, लेकिन फिर अचानक गंभीर हो गई। "मुझे… कुछ पूछना है।" सौम्या और ऋषभ ने एक-दूसरे की ओर देखा। "पूछो, आर्य।" आर्य ने धीरे से अपने पेट पर हाथ रखा और फिर दोनों की ओर देखा। "मैं… प्रेग्नेंट हूँ, है ना?" दोनों एक पल को चौंक गए। फिर सौम्या ने मुस्कुराकर कहा, "हाँ, और यह बहुत ही खूबसूरत बात है, आर्य।" आर्य की आँखों में सवाल थे। "लेकिन… मैं माँ बनने वाली हूँ, तो… मेरे बच्चों का पिता कौन है?" कमरे में अचानक शांति छा गई। सौम्या और ऋषभ एक-दूसरे को देखने लगे। आर्य की साँसें अटकने लगीं। "बताइए… मेरा पति कौन है? मेरे बच्चों का पिता कौन है?" ऋषभ ने गहरी सांस ली और धीरे से कहा— "आर्य… तुम्हारे बच्चों के पिता का नाम… रुद्र है।" " रुद्र "??? आर्य का दिल तेजी से धड़कने लगा। "वह कौन है? कहाँ है? मुझसे मिलने क्यों नहीं आया?" सौम्या ने होंठ भींच लिए, और ऋषभ ने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। आर्य इस सौम्या और ऋषभ की तरफ देखा और फिर अपने सवाल उनसे करें " पूरा........पूरा नाम जानना है मुझे "??? ऋषभ ने आर्य को देखा और फिर गहरी सांस लेकर इसे नाम बताया। रुद्र सिंह राणावत।? नाम सुनकर आर्य की आंखों के सामने कुछ धुंधले से से पल आकर गुजर गए और वह पल इतनी ज्यादा धुंधले थे कि आर्य को कुछ समझ ही नहीं आया अचानक की उसके सर में तेज दर्द उठा और उसने अपना सर पकड़ लिया। दूर खड़े ऋषभ और सौम्या ने जब आर्य को अपने दिमाग पर जोर देते हुए देखा तो वह दोनों दौड़कर उसके तरफ भागे और दोनों ही अपनी फिक्रमंद आवाज में बोले। " मना किया था ना छोटी, अपने दिमाग पर जोर बिल्कुल भी मत दो, तुम्हें धीरे-धीरे करके सब कुछ याद आएगा, एक बार भी कुछ भी याद नहीं आएगा , इसलिए अपने दिमाग पर जोर देने की जरूरत नहीं है "!!!! ऋषभ की बात सुनकर आर्य जो अपने सर पर हाथ रखी थ थी वह अपनी आंखें हल्की सी आंखें खोल कर ऋषभ की तरफ देखती है और कहती है। " क्या रूद्र को मेरी हालत के बारे में पता नहीं है ?? आर्य का सवाल सुनकर ऋषभ और सौम्या ने एक दूसरे को देखा और फिर गहरी सांस लेकर आर्य को दिखा आर्य को देखने के बाद एक बार फिर दोनों ने एक दूसरे को देखा आंखों ही आंखों में सौम्या ने कुछ इशारा किया ऋषभ को इसके बदले में ऋषभ ने गहरी सांस ली और आर्य को देखकर अपनी बात कही,"!!। " तुम्हारा और उसका डिवोर्स हो चुका है डाइवोर्स हुए 6 महीने हो चुके हैं और इन 6 महीना में रुद्र में एक बार भी तुम्हें पलट करने नही देखा और ना ही तुम्हारे बारे में उसे कुछ भी पता है ।,"!!! आर्य के कान में जैसे ही 'डाइवोर्स', शब्द गए उसकी सांस मानो जैसे आना बंद हो गई है उसके दिल की धड़कनें अचानक से थम सी गई थी और वह सांस रोक कर ऋषभ और सौम्या को देख रही थी सौम्या और ऋषभ भी एक दूसरे को देख रहे थे ऋषभ ने जब आर्य से यह बात कही उस दौरान सौम्या की पकड़ ऋषभ के हाथ पर बहुत ज्यादा थी और वह ऋषभ के हाथ को कसकर पड़े हुई थी कि सब कुछ जानने के बाद आर्य का रिएक्शन कैसा होगा वह देख पा रहे थे कि आर्य का रिएक्शन कैसा है? ? दोनों एक दूसरे को देखते हैं और कुछ पल तक आर्य खामोश रहती है क्योंकि उसके पास कोई शब्द ही नहीं थी वह क्या कहती एक तो वह एक अनजान जगह अनजान बॉडी में आई थी अनजान बॉडी में आने के बाद उसे पता चला कि वह प्रेग्नेंट है दो बच्चों के साथ और दूसरी बात उसने जब इन बच्चों के पिता अपने हस्बैंड के बारे में जाने की कोशिश की तो उसे पता चल रहा है कि उसका डिवोर्स हो चुका है। आर्य ने जो सौम्या का हाथ पकड़ा था सौम्या को अपने हाथ पर आर्य की पकड़ ढीली होती हुई महसूस हुई उसने तुरंत ऋषभ की तरह देखा तो ऋषभ ने भी उसे देखा आंखों से ही शांत रहने का इशारा किया तो सौम्या शांत हो गई और आर्य को देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कुछ कुछ भी अचानक से उसकी जिंदगी इस तरह से पलटी और पलटी तो पलटी इस तरह से पलटी क्यों से समझ ही नहीं आ रहा उसे करना क्या चाहिए। यह सब सो कर ही आर्य का हाथ खुद ब खुद अपने पेट की तरफ चला गया जिनमें दो नन्हीं जान पगली थी उन दोनों नन्हीं जान का क्या कसूर था डिवोर्स की वजह क्या थी यह सभी कुछ उसे जानना था लेकिन वह शुरुआत कहां से करें उसे समझ में नहीं आ रहा था। (अगले अध्याय में जारी…) https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S Follow krna न bhule।।।।।।। Take care Stay tuned... Bye
अध्याय— ( ऋषभ और सौम्या की बातों ने आर्य के दिल में हलचल मचा दी थी। उसका दिल एक पल के लिए कांप उठा—वह प्रेग्नेंट है…! उसने अपने पति के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि उसका डिवोर्स हो चुका है…! "लेकिन क्यों?" "क्या वजह थी?" "क्या रीज़न था इस डिवोर्स का?" ये सवाल उसे चैन नहीं लेने दे रहे थे। उसका दिमाग एक के बाद एक सवालों से भरता जा रहा था, और इन सबका जवाब देने के लिए उसके सामने सिर्फ दो लोग बैठे थे—ऋषभ और सौम्या। वह दोनों को घूरने लगी। सौम्या और ऋषभ अच्छी तरह समझ चुके थे कि उसका अगला सवाल क्या होगा। उन्होंने खुद को तैयार कर लिया था कि वह अब उसे सब सच बताएंगे—खुलकर, बिना किसी झूठ के। आर्य ने गहरी सांस ली, फिर धीरे से ऋषभ का हाथ पकड़ लिया। ऋषभ ने जब अपनी छोटी बहन का हाथ अपने हाथ में महसूस किया, तो उसकी आंखों में दर्द उभर आया। उसने कसकर उसका हाथ थाम लिया और फिर उसकी आंखों में झांककर देखा। आर्य भी उसकी आंखों में ही जवाब ढूंढ रही थी। "रीजन क्या था डाइवोर्स का? क्या वजह थी?" मुझे सब कुछ जानना है।" उसने गहरी सांस ली, फिर सौम्या का भी हाथ पकड़ लिया और उन दोनों को बारी-बारी से देखते हुए कहा— "उम्मीद है कि तुम दोनों मेरे सवालों का जवाब दोगे… और मुझे मेरे जवाब का इंतजार रहेगा।" ऋषभ और सौम्या ने एक-दूसरे को देखा। सौम्या ने हल्के से पलके झपकाईं, मानो इशारा कर रही हो कि सच बताने का वक्त आ गया है। ऋषभ ने उसकी आंखों का इशारा समझा और फिर बेहद नरमी से आर्य से कहा— "तुम्हारे और रुद्र के डिवोर्स की वजह बस एक थी— 'अनवांटेड मैरिज'। तुम भले ही रुद्र से प्यार करती थी, लेकिन रुद्र ने कभी तुमसे प्यार नहीं किया। उसके दिल में हमेशा कोई और थी, और वह उसी के साथ अपना भविष्य बनाना चाहता था। लेकिन रुद्र के दादाजी ने तुम्हारी और रुद्र की शादी बचपन में ही तय कर दी थी। उन्होंने सोचा था कि शायद रुद्र वक्त के साथ बदल जाएगा और तुमसे मोहब्बत करने लगेगा। लेकिन…" ऋषभ रुका, उसने आर्य को देखा। उसकी आंखों में हल्की नमी आ चुकी थी। "पर दादाजी नहीं जानते थे कि उनकी सबसे बड़ी गलती यही थी। रुद्र सिर्फ राजस्थान का 'हुकुम' नहीं था, बल्कि एशिया का नंबर वन बिजनेसमैन भी था। दादाजी ने तुम्हारी शादी सिर्फ इसलिए करवाई थी ताकि उनका वादा पूरा हो जाए और उनका पोता उनके बस में रहे। पर शादी के बाद रुद्र का रवैया तुम्हारे लिए बहुत बदल गया। वह हर पल तुम्हें टॉर्चर करता, परेशान करता… लेकिन फिर भी तुमने कभी हार नहीं मानी। तुमने हर जिम्मेदारी निभाई। लेकिन जब उसका टॉर्चर हद से ज्यादा बढ़ गया, तो घरवालों ने तुमसे बात की… रुद्र को समझाने की कोशिश की… मगर उसने किसी की नहीं सुनी। उसे हमेशा यही लगता था कि तुमने उसके परिवार को अपने वश में कर लिया है। और यही चीज उसे और बर्बाद करती गई। पर सबसे बुरा तब हुआ…" ऋषभ का गला भारी हो गया। उसने गहरी सांस ली और फिर आगे बोला— "सबसे बुरा तब हुआ जब दादाजी का एक्सीडेंट हुआ… और उस एक्सीडेंट का इल्ज़ाम तुम पर लगाया गया। और यह सब किया धरा किसी और का नहीं, बल्कि रुद्र की गर्लफ्रेंड सुमोना चक्रवर्ती का था। हाँ… सुमोना चक्रवर्ती…! रुद्र की गर्लफ्रेंड…! शादी के बाद भी उसने रुद्र के पास आने की हर कोशिश की और आखिर में वो रुद्र के पास लौट भी आई। "और जब तुमने उन दोनों को साथ देखा…" ऋषभ रुका… आर्य की आंखों में दर्द तैर रहा था। "जब तुमने उन दोनों को साथ देखा, तुम रोई थी… और तुम्हारे रोने से रुद्र को सुकून मिलता था!" एक दिन ऐसा आया जब रुद्र ने सबके सामने ऐलान कर दिया कि… "वो अब और इस जबरदस्ती के बंधन में नहीं रह सकता।" "वो तुमसे अलग होना चाहता है।" और फिर… उसने तुम्हें डिवोर्स दे दिया। डिवोर्स के बाद… डिवोर्स के बाद तुम अपनी पढ़ाई के लिए लंदन चली गई। तुम्हारे साथ सिर्फ एक शख्स था—सौम्या। तुम और सौम्या बचपन से साथ पली-बढ़ी थी। साथ में खेली थी, पढ़ी थी… और सबसे बढ़कर, तुम दोनों बेस्ट फ्रेंड्स थी। सौम्या ने तुम्हारी खातिर अपना परिवार छोड़ दिया।" ऋषभ चुप हो गया। आर्य कुछ नहीं बोल पाई। उसके होंठ कांप रहे थे, आंखों में आंसू उमड़ आए थे। उसने धीरे से सिर उठाया और सौम्या को देखा। सौम्या का सिर झुका था। उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थे। "सच हमेशा कड़वा होता है…" आर्य की आंखों से झर-झर आंसू गिरने लगे। कोई भी औरत अपने पति को किसी और के साथ नहीं देख सकती… और यही चीज उसके साथ भी हुई थी। उसने सब कुछ सह लिया था— रुद्र का टॉर्चर, उसकी नफरत… लेकिन जब उसकी जिंदगी में सुमोना आई, तब सब बदल गया। सुमोना ने कोई कसर नहीं छोड़ी उसे तोड़ने में, उसे कमजोर करने में। और अब, ये कड़वा सच सुनकर… आर्य की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा… उसका सिर घूमने लगा… और फिर… वो बेहोश हो गई। "आर्य!" सौम्या और ऋषभ घबरा गए। दोनों दौड़कर डॉक्टर को बुलाने गए। डॉक्टर ने आर्य का चेकअप किया और गंभीर स्वर में बोले— "इनका इस तरह बेहोश होना ठीक नहीं है। ये पहले से ही बहुत कमजोर हैं। इन्होंने अपने दिमाग पर बहुत ज्यादा जोर डालने की कोशिश की है, जिससे कुछ यादें ट्रिगर हो गई हैं। इन्हें अब पूरी तरह आराम की जरूरत है…" सौम्या और ऋषभ एक-दूसरे को देखने लगे। अब क्या होगा? आर्य क्या करेगी? क्या वो इस अतीत से बाहर निकल पाएगी…? वहीं दूसरी तरफ इंडिया राठौर राजवंश और राणावत हवेली जो तीनों हवेली एक साथ थी जिसे दुल्हन की तरह सजाया गया था वह कोई और नहीं राणावत हवेली। राणावत हवेली जिसमें काफी जोरों शोरों से तैयारी चल रही थी , सब लोग इधर से उधर भाग रहे थे और लिविंग हॉल में ही कुछ लोग बैठे हुए थे इंट्रोडक्शन अगले चैप्टर में हो जाएगा। राठौर हवेली जिसे सजाया गया था। वह भी दुल्हन की तरह सजी हुई थी वहां भी मंडप लगे हुए थे। वही राठौर हवेली दादाजी का रूम दादाजी इस वक्त अपनी रूम में मौजूद अपने फोन को ही देख रहे थे वह काफी देर से बैठे बस एक तक अपने फोन को देखे जा रहे थे जैसे वह किसी के फोन का इंतजार कर रहे हैं थोड़ी ही देर में फोन रिंग करती है और दादाजी जब उधर से फोन पिक करते हैं उधर से कुछ ऐसा कहा जाता है जिसे सुनकर दादाजी बेसुध से अपनी जगह पर बैठ जाते हैं और उनके हाथ में जो फोन था वह छूट कर गिर जाता है और उनकी आंख से आंसू निकलने लगता है। और वह बस एक ही बात बोले जा रहे थे। " नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता मेरी आर्य को कुछ नहीं हो सकता कुछ नहीं भूल सकती कुछ भी नहीं "!!! ऐसा कहकर वह रोने लगते हैं और वही इस दौरान जब वह रो रहे थे तो रूम में कोई इंटर करता है और वह कोई और नहीं दादी की थी वह अपने हस्बैंड को इस तरह रोते हुए देखते हैं तो वह जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाकर अपने हस्बैंड के पास आती है और उनके कंधे पर हाथ रखती है दादाजी जो रो रहे थे वह दादी जी के हाथों का स्पर्श महसूस करके अपना सर उठाकर दादी जी को देखते हैं तो उन्हें देखकर वह उनके हाथ पकड़ कर उसे पर अपना कर रख लेते हैं और वह बेतहाशा रोने लगते हैं और रोते हुए वह बस एक ही बात कर रहे थे। " गायत्री जी हमारी आर्य..........हमारी आर्य "!!!!! इतना कह कर दादाजी रोने लगते हैं और वही दादी जी जब आर्य का नाम सुनती है तो उनकी आंख में भी आंसू आ जाता है। और उनके दिल की धड़कनें अचानक से बढ़ जाती है आर्य का नाम सुनकर उन्हें लग रहा था कि कहीं कोई अनहोनी तो नहीं हुई उनकी आर्य के साथ? ? दादी जी तुरंत दादाजी का हाथ थामती है और तुरंत उनसे पूछती है.. " क्या हुआ है हमारी आर्य को आप बोलते क्यों नहीं कुछ क्या हुआ है हमारी आर्य को हम आपसे कुछ पूछ रहे हैं। "!!! दादा जी बस खामोशी के साथ रोए जा रहे थे और वहीं दादा जी को इस तरह रोते हुए देखकर दादी जी की आंखों से भी आंसू बहने लगते हैं और वह भी रोने लगती है क्योंकि अब उन्हें अंदाजा हो गया था कि दादाजी किसी छोटी बात पर तो नहीं रो रहे जरूर कोई बात बड़ी है तभी इस तरह से वह रो रहे हैं। तीनों फैमिली का इंट्रोडक्शन धीरे-धीरे होगा और जल्दी होगा अपना साथ बनाए रखिए और यूं ही पढ़ते रहिए मेरी कहानी और मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में ख्याल रखिए खुश रहिए और हंसते मुस्कुराते रहिए। https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S और मेरे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो करना ना भूले (अगले अध्याय में जारी…)
⭐ राणावत, रघुवंशी और राठौर परिवार का पूरा परिचय (उम्र सहित) --- 🔹 राणावत परिवार 👑 बुजुर्ग पीढ़ी (फैमिली हेड) दिग्विजय सिंह राणावत (दादाजी) – 76 साल आस्था सिंह राणावत (दादीजी) – 73 साल 👨👩👦 पहली पीढ़ी (तीन बेटे और दो बेटियां) 1. आकाश सिंह राणावत (सबसे बड़े बेटे) – 56 साल पत्नी: पार्वती सिंह राणावत – 53 साल बच्चे: रुद्र सिंह राणावत (मुख्य हीरो) – 29 साल कार्तिक सिंह राणावत – 28 साल 2. अभिषेक सिंह राणावत (दूसरे बेटे) – 54 साल पत्नी: स्वर्ण सिंह राणावत – 51 साल बच्चे: सौम्या सिंह राणावत – 23 साल आरव सिंह राणावत (जुड़वा) – 22 साल अमन सिंह राणावत (जुड़वा) – 22 साल 3. श्रीकांत सिंह राणावत (तीसरे बेटे) – 49 साल पत्नी: शैलजा सिंह राणावत – 49 साल बच्चे: कीर्ति सिंह राणावत– 24 साल कृष्ण सिंह राणावत – 23 साल 4. ऐश्वर्या सिंह राणावत (बड़ी बेटी) – 50 साल पति: सक्षम रघुवंशी – 53 साल बच्चे: अध्ययन रघुवंशी – 28 साल विरांश रघुवंशी – 26 साल 5. प्रियंका सिंह राणावत (छोटी बेटी) – 45 साल पति: कैलाश राठौर – 52 साल बच्चे: लव राठौर – 19 साल कुश राठौर – 19 साल --- 🔹 रघुवंशी परिवार 👑 बुजुर्ग पीढ़ी (फैमिली हेड) महेश रघुवंशी (दादाजी) – 76 साल कौशल्या रघुवंशी (दादीजी) – 73 साल 👨👩👦 पहली पीढ़ी (दो बेटे, दो बेटियां) 1. पार्वती रघुवंशी (सबसे बड़ी बेटी) – 54 साल पति: आकाश सिंह राणावत – 56 साल 2. स्मृति रघुवंशी (दूसरी बेटी) – 54 साल पति: शाश्वत राठौर – 54 साल बच्चे: रेयांश राठौर – 28 साल बेटी आर्या राठौर 21 साल की स्मृति और पार्वती जी जुड़वा है। 3. सक्षम रघुवंशी (पहले बेटे) – 52 साल पत्नी: ऐश्वर्या रघुवंशी – 49 साल बच्चे: अध्ययन रघुवंशी – 27 साल विरांश रघुवंशी – 25 साल 4. आदित्य रघुवंशी (दूसरे बेटे) – 49 साल पत्नी: प्रेरणा राठौर – 49 साल इनको कोई बच्चे नहीं है --- 🔹 राठौर परिवार 👑 बुजुर्ग पीढ़ी (फैमिली हेड) कृष्णमूर्ति राठौर (दादाजी) – 76 साल गायत्री राठौर (दादीजी) – 73 साल 👨👩👦 पहली पीढ़ी (तीन बेटे, तीन बेटियां) 1. अभिमन्यु राठौर (सबसे बड़े बेटे) – 56 साल पत्नी: साक्षी राठौर – 63 साल बच्चे: अभिमान राठौर – 29 साल पायल राठौर – 26 साल 2. शाश्वत राठौर (दूसरे बेटे) – 54 साल पत्नी: स्मृति रघुवंशी – 54 साल बच्चे: रेयांश राठौर – 28 साल Arya rathore - 21 sbse choti beti hai sbki ladli.. Bhi 3. कैलाश राठौर (तीसरे बेटे) – 52 साल पत्नी: प्रियंका राठौर (राणावत परिवार की बेटी) – 49 साल बच्चे: लव राठौर – 19 साल कुश राठौर – 19 साल 4. स्वर्ण राठौर (सबसे बड़ी बेटी) – 54 साल पति: अभिषेक सिंह राणावत – 56 साल 5. प्रेरणा राठौर (छोटी बेटी) – 45 साल पति: आदित्य रघुवंशी – 49 साल 40 saal ki akansha ji hai.... Ek famous lawyer and inka khud ka business bhi hai... --- राठौर हवेली में सन्नाटा पसरा हुआ था... दादाजी इस वक्त हाल में बैठे हुए थे, उनके साथ दादीजी भी थी। वो बेहद उदास नजर आ रही थीं, और दादाजी भी गहरी खामोशी ओढ़े बैठे थे। हॉल में मौजूद सभी लोगों की नजरें उन दोनों पर टिकी थीं। माहौल में एक अजीब-सी बेचैनी थी। अभिमन्यु जी ने कैलाश जी की तरफ देखा। कैलाश जी ने भी अपना सिर हल्के से हिला दिया, जैसे वो भी कुछ नहीं जानते थे। "सच तो यही था कि वो वाकई कुछ नहीं जानते थे!" कैलाश जी अपने कमरे की ओर बढ़ने ही वाले थे कि उनकी नजर आकांक्षा जी पर पड़ी। वो अपने पिता जी के कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी, लेकिन अगले ही पल... "ठन्न!" आकांक्षा जी के हाथ से ट्रे गिर गई। आवाज इतनी तेज थी कि कैलाश जी पलटकर उसके पास गए, मगर इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते, आकांक्षा जी बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गईं! हॉल में खामोशी और घबराहट... अभिमन्यु जी को अंदर ही अंदर घबराहट होने लगी थी। "आकांक्षा को तो पैनिक अटैक काफी समय से नहीं आया था..." वो सोचने लगे। जब भी उसे पैनिक अटैक आता, वो बुरी तरह कांपने लगती, सांसें तेज हो जातीं। और ऐसा तब ही होता, जब वो किसी बात को दिल से लगा लेती थी। "मगर आज तो ऐसी कोई बात नहीं थी..." तो फिर...? उनका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "कहीं कुछ छुपाया तो नहीं जा रहा?" उन्होंने एक नज़र अपने पिता जी पर डाली, जो अभी भी अपनी छड़ी पकड़े, सिर झुकाए बैठे थे। फिर उन्होंने अपनी मां की तरफ देखा—वो भी खामोशी से बैठी थीं। "यह खामोशी किसी तूफान का इशारा कर रही थी!" अब तो परिवार के बाकी सदस्यों की बेचैनी भी बढ़ने लगी थी। अभिमन्यु जी ने आखिरकार हिम्मत जुटाई और अपने पिताजी की तरफ देखा, फिर घबराई आवाज़ में पूछा— "आखिर बात क्या है, पिताजी? आकांक्षा इस तरह से बेहोश कैसे हो गई...? उसे पैनिक अटैक आया था, बहुत बुरी तरह से! उसने खुद को तकलीफ देना बहुत पहले छोड़ दिया था... फिर आज ऐसा क्या हुआ?" हॉल में गूंजती उनकी आवाज़ के साथ ही सबकी निगाहें दादाजी पर टिक गईं। दादाजी ने धीरे-धीरे अपना सिर उठाया, और जैसे ही उनकी आँखें सभी ने देखीं... सबके चेहरे पर हैरानी के भाव आ गए! "दादाजी की आँखें नम थीं!" "जो इंसान पत्थर की तरह मजबूत था, जिसके आंसू कभी नहीं गिरते थे, वो आज रो रहा था?" अभिमन्यु और कैलाश जी ने अपने पिताजी की आँखों में आंसू देखे, तो दोनों अवाक रह गए! वो घबराए हुए उनकी तरफ बढ़े। "पिताजी...?" कैलाश जी फिक्रमंद आवाज़ में बोले, "क्या हुआ...? आप इस तरह से क्यों रो रहे हैं...? आखिर ऐसी कौन-सी बात हो गई जो आपको इस तरह तोड़ रही है...?" दादाजी बस चुपचाप बैठे रहे। मगर उनकी आँखों से बहते आँसू उनका दर्द बयां कर रहे थे। "पिताजी, प्लीज... कुछ तो बोलिए!" अभिमन्यु जी ने झकझोर कर पूछा। दादी जी, जो अब तक अपने आँसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थीं, वो भी अब खुलकर रोने लगीं। "यह क्या हो रहा है?" हॉल में खड़े हर सदस्य के मन में यही सवाल था। इसी बीच, शाश्वत राठौर और उनकी पत्नी स्मृति राठौर भी अंदर दाखिल हुए। जब उन्होंने दादाजी को यूँ रोते हुए देखा, तो बिना कुछ सोचे-समझे तेज़ी से उनके पास दौड़कर आ गए। साक्षी जी और प्रियंका जी, जो अब तक एक कोने में खड़ी थीं, वो भी घबराकर आगे आईं। अपने ससुर को इस तरह रोते हुए देखना उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं था। "ये पहली बार था जब पूरे परिवार ने दादाजी को इस तरह टूटा हुआ देखा था!" रघुवंशी और राणावत परिवार की एंट्री इसी बीच, रघुवंशी परिवार के मुखिया और राणावत परिवार के दादाजी भी हवेली पहुंच चुके थे। जैसे ही वो दोनों हॉल में दाखिल हुए, उन्होंने देखा कि पूरा परिवार एक जगह इकट्ठा था। माहौल में कुछ अजीब-सा तनाव था। जैसे-जैसे वो अंदर बढ़े, वैसे-वैसे उनके कानों में किसी के रोने की आवाज़ आई। "यह आवाज़...?" उन दोनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर सीधा आगे बढ़ गए। जब उन्होंने दादाजी को इस तरह रोते हुए देखा, तो उनके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गईं। उनकी भारी आवाज़ हॉल में गूंजी— "क्या हो रहा है यहाँ...? सब लोग एक जगह इकट्ठा क्यों हैं?" उनकी आवाज़ सुनकर सभी लोग उनकी तरफ मुड़ गए। अभिमन्यु जी की आँखें अब भी नम थीं। उन्होंने आगे बढ़कर राणावत और रघुवंशी दादाजी के सामने आकर कहा— "चाचा जी... देखिए ना, पता नहीं पिताजी को क्या हो गया है... बस रोए जा रहे हैं! ऊपर से आकांक्षा की तबीयत भी खराब हो गई, वो बेहोश है। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा कि करें तो करें क्या...? पिताजी कुछ भी नहीं बोल रहे, और माँ भी बस रोए जा रही हैं!" राणावत और रघुवंशी दादाजी ने चिंता से एक-दूसरे की तरफ देखा, फिर दादाजी की तरफ। अब वो दोनों तेजी से उनके पास बढ़े। "जो इंसान ज़िन्दगी भर मजबूत रहा... वो आज यूँ बिखर क्यों रहा था?" "क्या ऐसा कुछ था, जिसे वो सबके सामने कहने से डर रहे थे...?" "या फिर, कोई ऐसा सच था... जो अब तक दफन था?" (अभी तो बस ये शुरुआत थी... तूफान अभी आना बाकी था!) To be continue
⭐ राणावत, रघुवंशी और राठौर परिवार का परिचय 🔹 राणावत परिवार ◼ फैमिली हेड: दिग्विजय सिंह राणावत ◼ उनकी पत्नी: आस्था सिंह राणावत ▪ राणावत परिवार के तीन बेटे और दो बेटियां: 1. आकाश सिंह राणावत (सबसे बड़े बेटे) पत्नी: पार्वती सिंह राणावत बच्चे: रुद्र सिंह राणावत (मुख्य हीरो) कार्तिक सिंह राणावत 2. अभिषेक सिंह राणावत (दूसरे बेटे) पत्नी: स्वर्ण सिंह राणावत बच्चे: सौम्या सिंह राणावत आरव सिंह राणावत (जुड़वा) अमन सिंह राणावत (जुड़वा) 3. श्रीकांत सिंह राणावत (तीसरे बेटे) पत्नी: शैलजा सिंह राणावत बच्चे: कीर्ति सिंह रायजादा कृष्ण सिंह रायजादा ▪ राणावत परिवार की बेटियां: 4. ऐश्वर्या सिंह राणावत (बड़ी बेटी) – रघुवंशी परिवार की बहू 5. प्रियंका सिंह राणावत (छोटी बेटी) – राठौर परिवार की बहू --- 🔹 रघुवंशी परिवार ◼ फैमिली हेड: महेश रघुवंशी ◼ उनकी पत्नी: कौशल्या रघुवंशी ▪ रघुवंशी परिवार के चार बच्चे (दो बेटे, दो बेटियां): 1. पार्वती रघुवंशी (सबसे बड़ी बेटी) पति: आकाश सिंह राणावत (राणावत परिवार) 2. स्मृति रघुवंशी (दूसरी बेटी) पति: शाश्वत राठौर (राठौर परिवार) 3. सक्षम रघुवंशी (पहले बेटे) पत्नी: ऐश्वर्या रघुवंशी बच्चे: अध्ययन रघुवंशी विरांश रघुवंशी 4. आदित्य रघुवंशी (दूसरे बेटे) पत्नी: प्रेरणा राठौर (राठौर परिवार से) --- 🔹 राठौर परिवार ◼ फैमिली हेड: कृष्णमूर्ति राठौर ◼ उनकी पत्नी: गायत्री राठौर ▪ राठौर परिवार के तीन बेटे और तीन बेटियां: 1. अभिमन्यु राठौर (सबसे बड़े बेटे) पत्नी: साक्षी राठौर बच्चे: अभिमान राठौर पायल राठौर 2. शाश्वत राठौर (दूसरे बेटे) पत्नी: स्मृति रघुवंशी बच्चे: रेयांश राठौर बेटी आर्या राठौर ( यह घर में सभी से सबसे छोटी है 3. कैलाश राठौर (तीसरे बेटे) पत्नी: प्रियंका राठौर (राणावत परिवार की बेटी) बच्चे: लव राठौर कुश राठौर (दोनों हॉस्टल में पढ़ते हैं) ▪ राठौर परिवार की बेटियां: 4. स्वर्ण राठौर – राणावत परिवार की बहू (अभिषेक सिंह राणावत की पत्नी) 5. प्रेरणा राठौर – रघुवंशी परिवार की बहू (आदित्य रघुवंशी की पत्नी) 6. आकांक्षा राठौर - इनका डाइवोर्स हो चुका है अपने हस्बैंड से और यह अब राठौर फैमिली के साथ रहती है (यह एक लॉयर है) . --- राणावत हवेली में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। घर का माहौल खुशनुमा दिख रहा था, लेकिन यह खुशी सिर्फ दिखावे की थी। हवेली के बड़े बेटे रुद्र सिंह राणावत की दूसरी शादी हो रही थी, लेकिन इस शादी से कोई भी दिल से खुश नहीं था। दादाजी और दादीजी भी इस झूठी खुशी का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। उन्होंने बहुत कोशिश की थी रुद्र को समझाने की कि आर्य ही उसके लिए सबसे बेस्ट थी, लेकिन रुद्र ने कभी उनकी बातों को तवज्जो नहीं दी। उसने आर्य को दर्द दिया, इतना कि वह चुप हो गई थी, दर्द सहते-सहते। कभी वह चुलबुली और हंसमुख लड़की थी, लेकिन अब सिर्फ एक खामोश अक्स बनकर रह गई थी। रघुवंशी हवेली यहाँ का माहौल भी राणावत हवेली से अलग नहीं था। कोई भी रुद्र की इस शादी से खुश नहीं था। क्योंकि रघुवंशी परिवार के लिए हमेशा से उनकी बहू सिर्फ आर्य ही थी। वे मानते थे कि भगवान हमेशा सबसे अच्छी चीज़ ही देता है, लेकिन कुछ लोग अच्छे को छोड़कर बुरे की तरफ भागते हैं। रुद्र ने भी यही किया—उसने आर्य जैसी हीरे को ठुकराकर, सुमोना चक्रवर्ती को चुना। राठौर हवेली राठौर हवेली में मातम सा माहौल था। दादाजी चुपचाप बैठे थे, उनकी आँखें रो-रोकर लाल हो चुकी थीं। दादीजी भी खामोश थीं। उनके कमरे में सिर्फ सन्नाटा पसरा था। दादीजी ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी और धीमी आवाज़ में पूछा— "आर्य का एक्सीडेंट कब हुआ था?" दादाजी ने नज़रें उठाकर अपनी पत्नी गायत्री जी की तरफ देखा और गहरी सांस लेते हुए बोले— "साढ़े चार महीने हो गए… वो कोमा में थी… कल ही होश आया है… और वो सब कुछ भूल चुकी है… सब कुछ…" दादीजी ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया। उनकी सबसे प्यारी पोती—जिसे वे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करते थे, चार महीने से कोमा में थी, और किसी को खबर भी नहीं हुई? अब जब वह जागी थी, तो अपनी यादें खो चुकी थी। यह सुनकर दादीजी की आँखों में अब तक रुके हुए आँसू और तेजी से बहने लगे। लेकिन वे इस बात से अंजान थीं कि दरवाजे पर खड़ी आकांक्षा राठौर उनकी हर बात सुन रही थी। वह अपनी दादी-दादाजी से मिलने आई थी, लेकिन उनकी बातचीत सुनकर उसके कदम ठिठक गए। जैसे ही दादाजी ने कहा कि "आर्य सब भूल चुकी है…", आकांक्षा के हाथ में पकड़ी ट्रे ज़मीन पर गिर गई। उस आवाज़ से दादाजी और दादीजी ने चौंककर दरवाजे की ओर देखा, जहाँ आकांक्षा आँखों में आँसू लिए खड़ी थी। आकांक्षा के लिए आर्य सिर्फ बहन नहीं थी, बेटी थी। जब आकांक्षा का डिवोर्स हुआ था, तब सिर्फ आर्य ही थी, जो उसके करीब आई थी। वह उसे "छोटी मिमी" कहकर बुलाती थी और उसे फिर से जीना सिखाया था। अब वही आर्य… अपनी यादें खो चुकी थी…! आकांक्षा की आँखों से अश्रुधारा बह निकली, और इससे पहले कि वह बेहोश होकर गिरती, किसी ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। वह कोई और नहीं, उनके बड़े भाई कैलाश राठौर थे। "आकांक्षा!" कैलाश ने उसे गिरने से बचाया। हवेली में बेचैनी का माहौल आकांक्षा की हालत देखकर कैलाश पैनिक हो गए। उन्होंने हमेशा उसे हंसते-मुस्कुराते देखा था, लेकिन आज उसकी आँखों में जो दर्द था, वह असहनीय था। यह वही हालत थी, जो उसका डिवोर्स होने के बाद हुई थी। उस समय भी आर्य ही थी, जिसने उसे संभाला था। अब, जब वही आर्य ही इस हाल में थी, तो आकांक्षा कैसे खुद को संभालती? दादाजी भी घबराए हुए उनकी ओर बढ़े, लेकिन कैलाश ने पहले ही आकांक्षा को अपनी गोद में उठा लिया। "डॉक्टर को बुलाओ!" कैलाश ने जल्दी से आदेश दिया। आकांक्षा की बॉडी काँप रही थी, उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था। जब डॉक्टर हवेली में घुसे, तो लिविंग हॉल में बैठे बाकी सभी लोग घबराकर खड़े हो गए। सब सोच रहे थे कि अचानक किसी को क्या हो गया? लेकिन डॉक्टर बिना किसी से कुछ कहे सीधे दादाजी के कमरे की ओर बढ़ गए। डॉक्टर की जाँच डॉक्टर ने बिना देर किए आकांक्षा का चेकअप किया। फिर उन्होंने कैलाश, दादाजी और दादीजी की ओर गंभीर नज़रों से देखा और पूछा— "अचानक ऐसा क्या हुआ कि यह इतना पैनिक करने लगी?" डॉक्टर की बात सुनकर कमरे में गहरी चुप्पी छा गई। कोई भी कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। घर की सबसे लाडली आकांक्षा थी, और आकांक्षा की लाडली सिर्फ आर्य थी। आकांक्षा आर्य के बिना अपना जीवन अधूरा मानती थी। आज जब उसे पता चला कि आर्य अपनी यादें खो चुकी है, तो यह खबर उसके लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं थी। "वो… आर्य को लेकर…" कैलाश कुछ कहने ही वाले थे, लेकिन उन्होंने कमरे की नज़ाकत को देखकर चुप रहना ही बेहतर समझा। डॉक्टर ने सिर हिलाया और फिर एक प्रिस्क्रिप्शन लिखकर कैलाश को पकड़ा। "इन्हें अभी आराम की जरूरत है। अगर ज्यादा चिंता करेंगी, तो उनका ब्लड प्रेशर और बढ़ सकता है। इन्हें ज्यादा भावनात्मक तनाव न दें।" कैलाश ने सिर हिलाया। डॉक्टर के जाने के बाद, कैलाश ने अपनी नज़रें उठाकर अपने पिताजी की ओर देखा। उनकी आँखों में सवाल थे। अगले ही पल, अभिमन्यु राठौर ने भी कैलाश की ओर देखा। सभी की नज़रें अब दादाजी पर थीं। और दादाजी की नज़रें… बस बेहोश पड़ी आकांक्षा पर टिकी थीं। कमरे में एक अजीब सी शांति थी। हर कोई अपनी-अपनी सोच में डूबा था। थोड़ी देर बाद, सभी लोग दादाजी के कमरे से बाहर चले गए और लिविंग हॉल में बैठकर आकांक्षा के होश में आने का इंतजार करने लगे। ______ To be continue.... https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S Follow my what's app channel.... 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हवेली में सन्नाटा था। सब लोग हॉल में इकट्ठा थे, लेकिन कोई कुछ बोल नहीं रहा था। दादाजी की आँखों से आँसू बह रहे थे, और दादी भी चुपचाप रो रही थीं। अभिमन्यु और कैलाश जी घबराए हुए थे। वो समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्या हुआ जो दादाजी इस तरह टूट गए। "पिताजी, कुछ तो कहिए। आप ऐसे चुप क्यों हैं?" कैलाश जी ने परेशान होकर कहा। दादाजी ने काँपते हाथों से अपनी छड़ी पकड़ी और धीमे से बोले— "आर्या..." बस एक नाम और पूरे हॉल में हलचल मच गई। "आर्या...?!" सबकी आँखें चौड़ी हो गईं। "पर आर्या तो लंदन में थी, पढ़ाई कर रही थी ना?" कैलाश जी ने चौंककर कहा। "हाँ, फिर अचानक से उसका ज़िक्र क्यों?" अभिमन्यु जी ने भी सवाल किया। दादाजी ने गहरी सांस ली। उनकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन अब सच छुपाने का कोई फायदा नहीं था। "आर्या... चार महीने पहले एक हादसे में बुरी तरह से घायल हो गई थी। वो... कोमा में चली गई थी। और दो दिन पहले ही उसे होश आया है।" हॉल में खड़े सभी लोग सन्न रह गए। हॉल में सन्नाटा छा गया। दादाजी की बात सुनते ही सबके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था। "क्या...?!" कैलाश जी के मुँह से बस यही निकला। अभिमन्यु जी को तो अपनी सुनाई पर यकीन ही नहीं हो रहा था। उन्होंने घबराकर पूछा, "पिताजी, ये आप क्या कह रहे हैं...? आर्या कोमा में थी? चार महीने से? और हमें आज तक कुछ नहीं बताया गया?" दादाजी ने आँखें बंद कर लीं। उनके चेहरे पर गहरा दर्द था। "हमें क्यों नहीं बताया गया?" इस बार आवाज़ दादीजी की थी। उनकी आँखों में आँसू थे, आवाज़ काँप रही थी। "हमारी बच्ची इतने दिनों तक मौत से लड़ती रही, और हमें उसकी खबर तक नहीं दी?" अब माहौल में तनाव बढ़ चुका था। प्रियंका जी और साक्षी जी ने एक-दूसरे को देखा, उनकी आँखों में भी आँसू थे। "माँ... प्लीज, रोइए मत।" अभिमन्यु जी ने दादी को संभालने की कोशिश की। मगर उनकी खुद की आँखें भी नम हो चुकी थीं। "आर्या अभी कहाँ है?" कैलाश जी ने गहरी आवाज़ में पूछा। दादाजी ने उनकी तरफ देखा और बोले, "अभी अस्पताल में है। दो दिन पहले ही होश आया है उसका।" "मतलब... हमारी आर्या आज तक अस्पताल में थी... अकेली?" स्मृति जी की आवाज़ कांप गई। वो खुद को संभाल नहीं पा रही थीं। इसी बीच, अचानक एक ज़ोरदार आवाज़ आई— "नहीं!!!" सबका ध्यान आकांक्षा जी की तरफ गया। उन्होंने झटके से अपनी आँखें खोलीं और बुरी तरह हाँफ रही थीं। उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे। "मुझे पहले ही लग रहा था कि कुछ बहुत बड़ा छुपाया जा रहा है!" आकांक्षा जी की आवाज़ कांप रही थी, लेकिन उसमें दर्द भी था। "आर्या को अकेले इतनी तकलीफ झेलनी पड़ी... और हमें कुछ भी नहीं पता था?" अब तक हॉल में मौजूद हर किसी की आँखें नम हो चुकी थीं। लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब दादाजी ने कहा— "मैंने डॉक्टर को सख्त हिदायत दी थी कि किसी को इस बारे में कुछ भी ना बताया जाए।" "क्या...?" अबकी बार आवाज़ शाश्वत जी की थी। उन्होंने गुस्से से दादाजी की तरफ देखा। "आपने ऐसा क्यों किया, दादाजी?" सक्षम जी का भी चेहरा सख्त हो चुका था। दादाजी की आँखों में अब भी आँसू थे, लेकिन उन्होंने धीमे से कहा, "क्योंकि... आर्या अब वैसी नहीं रही जैसी वो थी।" सबने चौंककर उनकी तरफ देखा। "मतलब?" कैलाश जी ने घबराई हुई आवाज़ में पूछा। दादाजी ने काँपते हाथों से अपनी छड़ी पकड़ी, और गहरी आवाज़ में बोले— "वो हमारी आर्या तो रही ही नहीं... जो लड़की कोमा से बाहर आई है, वो कोई और है..." अब हवेली में मौजूद हर इंसान का खून ठंडा पड़ चुका था... हवेली में सन्नाटा छा गया। आर्या... शाश्वत जी और स्मृति जी की बेटी... राठौर परिवार की सबसे छोटी और सबकी लाडली... वो लड़की जिसे पूरा परिवार अपनी जान से ज्यादा चाहता था, वो अब उनके लिए अजनबी बन चुकी थी? "आप क्या कह रहे हैं, दादाजी?" शाश्वत जी की आवाज़ काँप गई। उनका चेहरा सफेद पड़ चुका था। "मेरी बेटी... मेरी आर्या... वो मेरी आर्या नहीं रही? इसका क्या मतलब है?" स्मृति जी, जो अब तक गहरे सदमे में थीं, अचानक आगे बढ़ीं और दादाजी के सामने आकर घुटनों पर गिर पड़ीं। "बोलिए, बाबूजी... मेरी बेटी को क्या हुआ है?" उनकी आवाज़ में इतनी बेबसी थी कि पूरा हॉल उनकी तरफ देखने लगा। "मेरी बच्ची को क्या हो गया...? क्यों कह रहे हैं आप ऐसा?" अब तक साक्षी जी, प्रियंका जी और बाकी औरतें भी रोने लगी थीं। दादाजी ने भारी सांस ली, और बहुत मुश्किल से बोले— "वो अब कुछ भी याद नहीं कर पा रही, स्मृति।" सबकी सांसें अटक गईं। "आर्या की याददाश्त चली गई है..." हॉल में मौजूद हर इंसान का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "क्या...?" शाश्वत जी एकदम से पीछे हट गए। उनकी आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थीं। "नहीं... ये सच नहीं हो सकता..." स्मृति जी को तो जैसे अपनी सुनाई पर यकीन ही नहीं हो रहा था। उन्होंने अपनी सूनी आँखों से दादाजी को देखा और धीरे से बुदबुदाईं— "मेरी... मेरी बेटी मुझे भूल गई?" दादाजी ने सिर झुका लिया। उनके पास इस दर्दनाक सच का कोई जवाब नहीं था। "मेरी... मेरी बेटी मुझे भूल गई?" स्मृति जी का दिल जैसे किसी ने मुट्ठी में जकड़ लिया हो। उनकी साँसें लड़खड़ा गईं, और वो वहीं दादाजी के पैरों में गिर पड़ीं! "स्मृति!" शाश्वत जी ने फौरन उन्हें संभाला, मगर तब तक उनकी आँखें बंद हो चुकी थीं। "माँ!" प्रेरणा और आकांक्षा दौड़कर उनकी तरफ आईं। प्रियंका जी भी घबराई हुई उनके पास पहुँचीं। "माँ को क्या हो गया?" शाश्वत जी ने काँपते हाथों से स्मृति जी का चेहरा छुआ। वो एकदम ठंडी पड़ गई थीं। दादाजी ने तुरंत अभिमन्यु जी की तरफ देखा— "डॉक्टर को बुलाओ, अभी के अभी!" अभिमन्यु जी बिना समय गँवाए फोन निकालकर कॉल करने लगे। हवेली के माहौल में हड़कंप मच चुका था। शैलजा जी ने स्मृति जी की नब्ज़ चेक की और घबराई हुई आवाज़ में बोलीं— "इनका ब्लड प्रेशर बहुत लो हो गया है!" प्रियंका जी दौड़कर पानी लेकर आईं, मगर स्मृति जी का शरीर एकदम ढीला पड़ चुका था... शाश्वत जी ने उनका सिर अपनी गोद में रखा, और उनकी आँखों से आँसू गिरने लगे। "स्मृति... आँखें खोलो... देखो, हमारी आर्या हमें फिर से मिल गई है..." मगर स्मृति जी की पलकें ज़रा भी नहीं हिलीं। "माँ!" प्रेरणा की चीख पूरे हॉल में गूंज उठी। पूरा परिवार अब उनके चारों तरफ खड़ा था। सबकी आँखों में डर था... "कुछ नहीं होगा माँ को!" आकांक्षा ने खुद को मजबूत दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसकी खुद की आवाज़ काँप रही थी। दादाजी ने अपनी छड़ी ज़मीन पर पटकी और कड़क आवाज़ में बोले— "कोई डॉक्टर को बुलाने गया या नहीं?" "भैया, डॉक्टर बस दो मिनट में पहुँचने वाले हैं!" अभिमन्यु जी ने हड़बड़ाते हुए कहा। मगर दो मिनट भी बहुत भारी लग रहे थे... शाश्वत जी ने अपनी पत्नी का चेहरा देखा— वो अब भी बेहोश थीं, मगर उनकी आँखों के कोनों से आँसू बह रहे थे। "मेरी माँ का दिल टूट गया है..." प्रेरणा ने सुबकते हुए कहा। "वो आर्या के बिना नहीं रह सकतीं, और अब..." हॉल में खड़े सभी लोग एक-दूसरे को देख रहे थे। आर्या सिर्फ शाश्वत और स्मृति की बेटी नहीं थी... वो इस परिवार की सबसे लाडली थी। और अब... जब उसे उनकी पहचान ही याद नहीं थी, तो ये परिवार उसे कैसे वापस पाएगा...? "मगर..." दादाजी की सोच कुछ और ही कह रही थी। "अगर आर्या को कुछ याद नहीं... तो क्या उसे वो भी याद नहीं कि..." "रुद्र कौन है?" पूरा सच अभी सामने नहीं आया था... और जब आएगा, तब क्या होगा? To be continue Wait wait guy's rudr ko galat mt smjho... Uski side abhi dikhayi nhi hai humne.... हीरो बदला जा नहीं सकता क्योंकि हर बार हम अपनी हीरोइन के लिए दूसरा हीरो लाते हैं और इस बार हमने सोचा है क्यों ना रूद्र को मौका दिया जाए और जब तक आप लोग रुद्र की साइड नहीं देख लोगे तब तक आप लोग कोई भी डिसीजन नहीं मत लो प्लीज मेरी रिक्वेस्ट है आप सभी से एक बार रुद्र की साइड में आप लोगों को दिखाऊंगी तब आप लोग जो भी डिसीजन लोग मुझे मंजूर होगा बट पहले रुद्र की साइड देखो आप लोग ठीक है और मैंने एक पोल किया था मेरे व्हाट्सएप चैनल पर तो वहां सब ने यही वोट किया था कि हम कुछ अनएक्सपेक्टेड करें तो कुछ अनएक्सपेक्टेड ही करेंगे और अगर आप लोगों को ज्वाइन करना है मेरा व्हाट्सएप चैनल तो मैंने काफी सारे चैप्टर में लिंक प्रोवाइड की है अपने चैनल की तो आप लोग ज्वाइन कर सकते हो... और रही बात हीरो की तो हीरो रुद्र ही है रुद्र के अलावा आपकी दूसरा कोई नहीं है और लव ट्रायंगल देखने को मिल सकता है आपको लेकिन हीरो एक ही है और वह है रुद्र यह कंफर्म हो चुका है पहले hi..... और जब तक आप लोग उसकी साइड नहीं देख लेते तब तक आप लोग डिसाइड मत करो कि रूद्र को सबक सिखाना चाहिए हां उसे उसके किए की सजा मिलेगी लेकिन उसने कुछ गलत किया ही नहीं है और जब उसने कुछ गलत किया नहीं है तो फिर सजा कैसे आप कहानी पूरी पढ़ो ठीक है अभी तो स्टार्टिंग ही है चैप्टर के ज्यादा है भी नहीं चैप्टर चैप्टर 9 चल रहा है अभी तो आप लोग इतनी जल्दी कैसे डिसाइड कर सकते हो कि रूद्र गलत हो सकता है अभी तुमने रुद्र की झलक भी नहीं दिखाई आप लोगों को जब आप लोग उसकी झलक देखोगे ना तब आप लोग समझोगे ठीक है और एक बात और आप लोग आर्य की फैमिली को गलत क्यों समझ रहे हो आर्य की फैमिली ने आर्य के साथ कुछ गलत नहीं किया है आर्य से दूर क्यों रखा जाए सीरियसली अभी 9 चैप्टर हुए हैं मुश्किल से और आप लोग सब कुछ डिसाइड कर रहे हो फ्यूचर का प्लीज ऐसा मत करो आप लोग कहानी पूरी पढ़ो और उसे समझो प्लीज उसके बाद आप लोग डिसाइड करो और ऐसे ही मेरे साथ मेरी कहानी में बने रहिए मिलते हैं कल ख्याल रखिए खुश रहिए... https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S What's app channel ko zarur follow kre.....
राठौर हवेली, इंडिया हवेली में इस वक्त सभी लोग मौजूद थे। एक सोफे पर स्मृति जी लेटी हुई थीं। डॉक्टर आकर उन्हें चेक करके गए थे और सबको बताया भी था कि उन्हें किसी बात का गहरा धक्का लगा है, जिसकी वजह से वह बेहोश हो गई थीं। आकांक्षा जी, जो काफी देर पहले होश में आ चुकी थीं, वह भी स्मृति जी के पास बैठी थीं। प्रियंका और प्रेरणा जी भी वहीं मौजूद थीं। दादी जी एक सोफे पर बैठी हुई थीं, और दादाजी भी खामोशी से बैठे थे। शाश्वत जी सुनी आँखों से अपनी पत्नी को देखे जा रहे थे। हाल तो उनका भी बेहाल था, लेकिन वह इस तरह से अपनी हिम्मत नहीं हार सकते थे। शाश्वत जी काफी देर खामोश रहे, और सबकी नज़रें स्मृति जी पर थीं। धीरे-धीरे उन्हें होश आने लगा, और जैसे ही वह होश में आईं, उनकी नज़र शाश्वत जी पर पड़ी, जो उन्हें ही देख रहे थे। यह देखकर स्मृति जी ने उनका हाथ पकड़ लिया और रोते हुए बोलीं, "शाश्वत, कुछ करिए... प्लीज़! मुझे मेरी आर्य को अपनी आँखों के सामने देखना है। मुझे वह अपनी आँखों के सामने चाहिए!" उनकी बात सुनकर सभी की नज़रें शाश्वत जी और स्मृति जी पर आकर रुक गईं। शाश्वत जी ने अपनी नज़रें उठाकर अपने पिताजी की तरफ देखा, जो उन्हें ही देख रहे थे। वह काफी देर से खामोश थे। फिर, अपने पिताजी की ओर देखते हुए वह गंभीर स्वर में बोले, "बस बहुत हो गया, पिताजी! हमारी बेटी हमारे सामने रहेगी, और वह यही रहेगी। मैं कुछ नहीं जानता! जिस वजह से वह यहाँ से गई थी, वह बात अलग थी, लेकिन अब... अब रुद्र अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ रहा है, शादी कर रहा है, और मेरी बेटी अकेले सफर कर रही है! मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता यह सब! मुझे मेरी बेटी अपनी आँखों के सामने चाहिए!" शाश्वत जी की बात को सभी समझ रहे थे, क्योंकि वह एक बेटी के पिता थे। जब रुद्र अपनी लाइफ में आगे बढ़ सकता था, तो आर्य क्यों नहीं? और सबसे बड़ी बात, आर्य का इतना बड़ा एक्सीडेंट हुआ था, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था। अब जब यह सब सामने आया है, तो जाहिर तौर पर एक पिता के लिए अपनी बेटी को अपने सामने देखना सबसे ज़रूरी था। चाहे आर्य की हालत कैसी भी हो... चाहे उसे कुछ भी याद न हो... चाहे उसकी याददाश्त चली गई हो... लेकिन एक माँ-बाप का फर्ज़ होता है कि वह अपनी औलाद को वही प्यार, वही अपनापन दें, जो उन्होंने हमेशा दिया है। शाश्वत जी की बात सुनकर स्मृति जी सहमति में सिर हिलाती हुई बोलीं, "हाँ, पिताजी! प्लीज़, आर्य को वापस ले आइए... हम उसे अपने सामने देखना चाहते हैं! भले ही उसे हम याद नहीं हैं, लेकिन हम उसे याद दिलाएँगे। वही प्यार, वही एहसास, वही अपनापन देंगे, जो हम हमेशा से देते आए हैं। इसके ज़रिए वह ठीक हो जाएगी!" स्मृति जी की बात सुनकर आकांक्षा जी, प्रेरणा जी और प्रियंका जी ने भी सहमति जताते हुए कहा, "बिल्कुल सही कह रही हैं स्मृति! हमें यही करना चाहिए। आर्य को अपने सामने रखकर उसकी देखभाल अच्छे से करनी चाहिए!" लंदन, हॉस्पिटल इस वक्त आर्य अपने रूम की खिड़की के पास खड़ी थी और बाहर के नज़ारे देख रही थी। अभी लंदन में हल्की ठंड का मौसम था, और ठंडी हवाएँ चल रही थीं। वह खिड़की के पास खड़ी होकर अस्पताल के गार्डन को देख रही थी, जो काफ़ी बड़ा था। वहाँ कई पेशेंट्स अपने परिवारवालों के साथ बैठे हुए थे। कुछ बच्चे, जो अस्पताल के पेशेंट ड्रेस में थे, वहाँ टहल रहे थे—कोई खेल रहा था, कोई व्हीलचेयर पर बैठकर घूम रहा था। तभी आर्य की नज़र एक कपल पर पड़ी। वह एक विदेशी कपल था। ज़ाहिर सी बात थी कि लंदन में होने के कारण वे फॉरेनर्स ही होंगे। वह महिला प्रेग्नेंट थी, और उसका पति उसका हाथ थामे मुस्कुराते हुए उससे बात कर रहा था। धीरे-धीरे वे दोनों गार्डन में टहल रहे थे। आर्य एकटक बस उन्हें देखे जा रही थी... खोई-खोई सी। तभी सौम्या जब आर्य के वार्ड में आई, तो उसने पहले उसे नहीं देखा। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र खिड़की की ओर गई, वह ठिठक गई। आर्य बिल्कुल खामोश थी, खोई हुई थी। सौम्या ने उसकी नज़रों का पीछा किया, तो उसकी भी नज़र उसी कपल पर पड़ी। कुछ पल के लिए सौम्या की आँखें नम हो गईं। वह समझ सकती थी कि आर्य के दिल और दिमाग में क्या चल रहा था। जो स्थिति आर्य की थी, वैसा ही वह प्रेग्नेंट लेडी काफ़ी खुश थी। उसे देखकर कोई भी अकेली औरत यही सोचती कि काश, उसकी ज़िंदगी भी ऐसी ही होती... सौम्या आर्य की हालत बहुत अच्छे से समझ रही थी। उसने धीरे से आर्य के कंधे पर हाथ रखा। आर्य, जो बाहर देख रही थी, अचानक कंधे पर किसी के स्पर्श को महसूस कर ख्यालों से बाहर आई और पलटी। उसने देखा—सौम्या खड़ी थी, हल्की मुस्कान के साथ उसे देखती हुई। सौम्या को मुस्कुराते देख, आर्य ने भी हल्का मुस्कुरा दिया... लेकिन उसकी आँखों में छिपे दर्द को सौम्या साफ़ देख पा रही थी। राठौर हवेली, इंडिया स्मृति जी की बात सुनकर सहमति जताते हुए आकांक्षा जी, प्रेरणा और प्रियंका जी भी कहती हैं— "बिल्कुल सही कह रही है स्मृति, हमें यही करना चाहिए। आर्य को अपने सामने रखकर उसकी देखभाल अच्छे से अच्छी करनी चाहिए।" दादाजी ने सभी की बातें सुनी और गहरी सांस लेते हुए बोले— "ठीक है, तुम लोग यही चाहते हो तो यही सही। मैं आर्य के डॉक्टर से बात करके देखता हूँ कि उनकी क्या राय है।" दादाजी की बात सुनकर सभी के चेहरे पर राहत आ गई। शाश्वत जी ने भी स्मृति जी की तरफ देखा। स्मृति जी भी उनकी ओर देख रही थीं। अभिमन्यु और कैलाश जी की आँखें भी नम थीं। वे दोनों भी इस बात से सहमत थे। घर के सभी लोग यही चाहते थे कि आर्य यहीं रहे। वह जो कुछ भी भूल गई है, उसे धीरे-धीरे याद दिलाएंगे, लेकिन अपनी आँखों के सामने। दादाजी ने हवेली के पुराने नौकर शंभू को इशारा किया। शंभू जी तुरंत समझ गए और उनका फोन लाकर दिया। दादाजी ने फोन हाथ में लेते ही डॉक्टर एलेक्स को कॉल कर दिया। --- लंदन, हॉस्पिटल डॉक्टर एलेक्स अपने केबिन में बैठे हुए आर्य की फाइल पढ़ रहे थे। वे अभी-अभी उसका डेली चेकअप करके आए थे। तभी उनका फोन रिंग करने लगा। स्क्रीन पर "श्री कृष्णमूर्ति राठौर" का नाम चमकता देख वे कुछ पल फोन को देखते रहे, फिर गहरी सांस लेकर कॉल पिक कर लिया। --- राठौर हवेली, इंडिया दादाजी ने कॉल स्पीकर पर डाल दिया, ताकि सभी लोग आर्य की हालत के बारे में सुन सकें। कॉल कनेक्ट होते ही दादाजी ने अपनी सख्त और रौबदार आवाज में कहा— "हेलो, डॉक्टर एलेक्स। मैं कृष्णमूर्ति राठौर बोल रहा हूँ, आर्य का दादा। मुझे आर्य की कंडीशन के बारे में जानना है।" --- लंदन, हॉस्पिटल डॉक्टर एलेक्स के केबिन में ऋषभ भी मौजूद था, जो अभी थोड़ी देर पहले ही वहाँ आया था। जैसे ही उसने दादाजी का नाम सुना, उसे समझ आ गया कि दादाजी ने सबको आर्य के बारे में बता दिया होगा। डॉक्टर एलेक्स ने फोन को देखा, फिर ऋषभ की ओर नजरें उठाईं। उधर से दादाजी का सवाल सुनकर ऋषभ ने गहरी सांस ली और डॉक्टर की तरफ देखा। डॉक्टर एलेक्स भी उसे देख रहे थे। फिर वे फोन की स्क्रीन पर नजरें गड़ाते हुए बोले— "जी श्री राठौर, आर्य की हालत पहले से बेहतर है। वह बहुत अच्छे से रिकवर कर रही है। उसकी चोटें तो पहले ही भर चुकी थीं, और रही बात कमजोरी की तो धीरे-धीरे वह भी ठीक हो रही है। उसे यहाँ एक स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा है, जो उसके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।" --- राठौर हवेली, इंडिया डॉक्टर के जवाब सुनकर सभी की आँखों में राहत की चमक आ गई। शाश्वत जी ने स्मृति जी का हाथ कसकर पकड़ लिया। उनकी नजरें फोन पर जमी थीं। हवेली में मौजूद हर शख्स फोन स्क्रीन पर टकटकी लगाए हुए था। डॉक्टर की बात सुनकर स्मृति जी की आँखों से आँसू छलक पड़े। उन्होंने अपना सिर शाश्वत जी के कंधे पर टिका दिया। शाश्वत जी ने उन्हें हल्के से गले लगा लिया और उनका हाथ सहलाने लगे। दादाजी की आँखों में भी एक नर्मी आई, लेकिन उन्होंने अगला सवाल किया— "और आर्य की याददाश्त वापस आने के चांसेस कितने हैं? उसे कितना कुछ याद आया है और क्या नहीं याद आया है?" --- लंदन, हॉस्पिटल दादाजी का सवाल सुनकर कुछ पल सन्नाटा छा गया। डॉक्टर एलेक्स ने ऋषभ की ओर देखा, फिर गहरी सांस लेकर फोन की स्क्रीन पर नजरें गड़ा दीं। कुछ सेकंड्स की खामोशी के बाद वे बोले— "इस बारे में अभी कुछ भी पक्का नहीं कहा जा सकता, मिस्टर राठौर। आर्य की याददाश्त कब वापस आएगी, आएगी भी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। लेकिन हाँ, अगर उसे धीरे-धीरे कुछ चीजें याद दिलाई जाएँ, अगर वह अपनों के बीच रहे और उसके आसपास खुशहाल माहौल हो, तो हो सकता है कि वह अपनी पुरानी यादें वापस पा सके।" --- राठौर हवेली, इंडिया डॉक्टर के जवाब ने सबको बेचैन कर दिया। हवेली में मौजूद सभी लोग एक-दूसरे को देखने लगे। खासकर, स्मृति जी और शाश्वत जी के चेहरे की उदासी कोई नहीं समझ सकता था। दादाजी ने गहरी सांस लेते हुए अगला सवाल किया— "तो क्या आर्य इंडिया आ सकती है? आपने ही कहा कि अपनों के पास रहने से उसे यादें वापस आ सकती हैं।" --- लंदन, हॉस्पिटल डॉक्टर एलेक्स ने ऋषभ की ओर देखा। ऋषभ भी उनकी तरफ देख रहा था। फिर डॉक्टर ने फोन की स्क्रीन पर नजरें टिकाते हुए कहा— "हाँ, मिस्टर राठौर। आर्य इंडिया आ सकती है। वहाँ उसे फैमिली का साथ मिलेगा, अपनों का प्यार मिलेगा। यह सब उसे रिकवरी में बहुत मदद करेगा।" --- राठौर हवेली, इंडिया डॉक्टर का जवाब सुनते ही हवेली में मौजूद सभी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। दादाजी ने हल्का सा सिर हिलाया और बोले— "आर्य कब तक वापस आ सकती है?" --- लंदन, हॉस्पिटल दादाजी के सवाल पर डॉक्टर एलेक्स ने गहरी सांस लेकर कहा— "आप जब चाहें, कल, परसों… जब भी बुलाना चाहें।" --- राठौर हवेली, इंडिया डॉक्टर का जवाब सुनकर सभी की उम्मीदें और बढ़ गईं। सबने दादाजी को देखा। दादाजी ने भी एक लंबी सांस लेकर फोन की स्क्रीन को देखा और ठहरते हुए बोले— "ठीक है, जो भी फॉर्मेलिटीज हैं, उन्हें पूरा कर लीजिए। मुझे दो दिन बाद अपनी पोती इंडिया में चाहिए।" --- लंदन, हॉस्पिटल डॉक्टर एलेक्स ने सिर हिलाते हुए हामी भरी और फोन रख दिया। ऋषभ, जो अब तक शांत बैठा था, धीरे से उठा और आर्य की रिपोर्ट लेकर उसकी वार्ड की तरफ बढ़ गया। वह भी खुश था कि आर्य अब अपनी फैमिली के पास होगी। धीरे-धीरे सही, लेकिन वह अपनी यादें वापस पा सकेगी। राठौर हवेली, इंडिया डॉक्टर से बातचीत खत्म होने के बाद हवेली में खुशी की लहर दौड़ गई। स्मृति जी, प्रियंका जी, आकांक्षा जी, प्रेरणा जी—सभी औरतों की आँखों में खुशी के आँसू थे। राठौर, रघुवंशी और राणावत खानदान के सभी लोग खुश थे कि आर्य वापस आ रही थी। अब सबकी निगाहें उस दिन पर थीं, जब आर्य फिर से अपने घर की चौखट लांघेगी। To be continue....
दूसरी तरफ, लंदन में... आर्य इस वक्त विंडो के पास खड़ी थी, जब उसे अपने कंधे पर हाथ का स्पर्श महसूस हुआ। वह जब पलट कर देखती है, तो सामने सौम्या खड़ी थी। सौम्या, आर्य की आंखों में आई नमी को देख पा रही थी। सौम्या जब आर्य की आंखों में नमी देखती है, तो वह तुरंत अपनी फिक्रमंद आवाज में कहती है, "क्या हो गया, आर्य? क्यों उदास हो? तुम्हारी आंखों में यह नमी क्यों है? कोई बात है दिल में, तो मुझे बताओ।" आर्य पहले खामोश थी, लेकिन सौम्या की बात सुनकर न जाने उसे क्या हुआ, वह सौम्या के गले लग गई। इस तरह अचानक गले लगने से सौम्या एक पल के लिए अचंभित रह गई, लेकिन उसने जल्दी ही खुद को संभाला और आर्य को कसकर गले से लगा लिया। इस दौरान उसकी भी आंखें नम हो गई थीं। पांच महीने... पांच महीने बाद उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड को गले लगाया था। कहने को वे दोनों कज़िन सिस्टर्स थीं, लेकिन उनका रिश्ता एक गहरी दोस्ती से बंधा था। वे सिर्फ बहनें नहीं, बेस्ट फ्रेंड्स भी थीं। सौम्या, आर्य को गले लगाए हुए उसकी पीठ सहला रही थी, और वहीं, आर्य भी सौम्या के गले लगकर सुकून महसूस कर रही थी। वे दोनों ऐसे ही काफी देर तक गले लगी रहीं... वहीं, डॉक्टर एलेक्स की केबिन के बाहर... ऋषभ के हाथ में एक फाइल थी। वह फाइल पढ़ता हुआ आर्य के वार्ड की तरफ जा रहा था। उसमें आर्य और उसके बच्चों की मेडिकल रिपोर्ट थी, जो डॉक्टर ने कल ब्लड सैंपल लेने के बाद तैयार की थी। रिपोर्ट में सब कुछ नॉर्मल था—बच्चे भी बिल्कुल ठीक थे और आर्य भी। बस, उसे थोड़ी कमजोरी थी, जो इस हालात में होना स्वाभाविक था। अब बात करते हैं आर्य के लुक की... आर्य की हाइट 5'7" थी। वह लंबी थी और उसके बाल घने, कमर तक लंबे थे। उसकी आंखें ओशियन ब्लू रंग की थीं, जो किसी गहरे समंदर की तरह लगती थीं। उसका रंग दूध-सा गोरा था, और उसकी खूबसूरती को दो तिल और भी खास बना देते थे—एक उसकी आंख के नीचे और दूसरा होंठ के किनारे। पहले वह थोड़ी चबी हुआ करती थी, लेकिन अब वह काफी दुबली-पतली हो गई थी। उसकी बैक साइड नेक पर "R" का टैटू था, और यह बात आर्य को खुद भी नहीं पता थी। अब बात करें सौम्या की... सौम्या की हाइट भी 5'7" थी। उसके बाल हल्के घुंघराले थे, जो कंधे से नीचे तक आते थे। उसकी आंखें फॉरेस्ट ग्रीन रंग की थीं। वह भी गोरी थी और पतली-दुबली थी। अब बात करें ऋषभ की... ऋषभ की उम्र 28 साल थी और उसकी हाइट 6'3" थी। वह एक जाना-माना बिजनेसमैन था। सौम्या और ऋषभ मैरिड थे, और उनकी शादी को 6 महीने हो चुके थे। यह लव मैरिज थी, लेकिन फैमिली की सहमति से। दोनों कॉलेज में सीनियर-जूनियर थे और एक-दूसरे को पसंद करते थे। हालांकि, ऋषभ अनाथ था, लेकिन उसने अपनी मेहनत से बहुत बड़ा बिजनेस खड़ा किया था। उसकी कंपनी टॉप 10 में आती थी। अब आते हैं कहानी पर... ऋषभ जब आर्य के वार्ड में आया, तो उसने सौम्या और आर्य को गले लगे देखा। यह देखकर उसके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई। उसने गला साफ करते हुए हल्के मजाकिया लहजे में कहा, "सारा प्यार सिर्फ सौम्या के लिए? मेरे लिए नहीं? अपने भाई को भी गले नहीं लगाओगी?" सौम्या और आर्य, जो अब तक एक-दूसरे को गले लगाए आंखें बंद किए बैठी थीं, ऋषभ की आवाज सुनकर चौकस हुईं। आर्य ने धीरे से अपना सिर उठाया और ऋषभ को देखा, जो हाथ फैलाए मुस्कुरा रहा था। यह देखकर आर्य भी मुस्कुराई और बिना कुछ कहे उसकी तरफ बढ़ी। उसने ऋषभ को कसकर गले लगा लिया। इतने वक्त बाद अपने भाई को गले लगाने से उसे बेइंतहा सुकून मिल रहा था। ऋषभ को भी... क्योंकि वह आर्य को दिल से अपनी छोटी बहन मान चुका था, और आर्य ने उसे दिल से अपना बड़ा भाई। कुछ देर बाद, जब आर्य ऋषभ और सौम्या से अलग हुई, तो सौम्या ने उसका हाथ पकड़कर उसे बेड पर बैठाया। फिर उसने आर्य के लिए जो फ्रूट्स काटे थे, वे उसे खिलाने लगी। आर्य चुपचाप खाती रही। ऋषभ भी वहीं बैठा उन्हें देख रहा था। कुछ देर बाद, उसका फोन बज उठा... फोन की रिंगटोन सुनकर आर्य और सौम्या की नजरें ऋषभ की तरफ चली गईं। ऋषभ ने भी उनकी तरफ देखा, फिर कॉल रिसीव की। "हैलो, दादा जी...?" दादाजी का कॉल था। ऋषभ सब कुछ जानता था, फिर भी उसने दादाजी को सारी बातें बताईं। दादाजी ने सौम्या का हालचाल लिया, फिर तीनों को इंडिया आने के लिए कहा। फोन कटने के बाद... ऋषभ ने गहरी सांस लेकर आर्य और सौम्या की तरफ देखा। वे दोनों सवालिया नजरों से उसे देख रही थीं। तब ऋषभ ने कहा, "इंडिया से दादाजी का कॉल था... हम सभी दो दिन बाद वापस इंडिया जा रहे हैं।" "इंडिया...?" इंडिया जाने की बात सुनकर आर्य के दिल में अजीब-सी हलचल हुई। वह खामोशी से ऋषभ को देखती रही। ऋषभ समझ गया कि वह क्या सोच रही है। वह आगे बढ़ा, आर्य का हाथ थामा, और उसके गाल पर हाथ रखते हुए प्यार से बोला, "छोटी, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। तुम परेशान मत हो। हम सब वहां तुम्हारे साथ रहेंगे—मैं और सौम्या खासतौर पर। और वहां तुम्हारी फैमिली है, जो तुम्हें बहुत मिस कर रही है। सबको तुम्हारे बारे में पता चल गया है और वे तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।" आर्य खामोशी से उसकी बातें सुनती रही। कुछ देर बाद, उसने हल्के से सिर हिलाया। यह देखकर ऋषभ मुस्कुराया और वापस सोफे पर बैठकर अपना काम करने लगा। वहीं, सौम्या खुश थी कि पांच महीने बाद वह अपनी फैमिली से मिलेगी। लेकिन आर्य के दिल का हाल... अलग ही था। एक तो वह किसी और की बॉडी में थी, दूसरा सबसे बड़ा झटका यह था कि वह पांच महीने से कोमा में थी और प्रेग्नेंट भी। और सबसे बड़ा सवाल... वह लड़की कौन थी? सब उसे सिर्फ "आर्य राठौर" कहकर बुला रहे थे। लेकिन... वह तो पहले भी आर्य राठौर थी...! थोड़ी देर बाद... सौम्या, आर्य को फ्रूट खिलाने के बाद, ऋषभ की मदद से व्हीलचेयर पर बैठाती है। फिर वे दोनों उसे गार्डन में लेकर जाते हैं। क्योंकि सौम्या समझ चुकी थी कि आर्य को ताजी हवा की जरूरत है... ताकि उसके दिल को थोड़ी राहत मिले। To be continue.... https://whatsapp.com/channel/0029VajGSg6LtOjJCANJvR0S Follow my what's channel... Take care bye...
आर्य को भी चलने में थोड़ी दिक्कत होती थी। वह ज्यादा चल नहीं पाती थी क्योंकि, एक तो वह कोमा से उठी थी, दूसरा वह पाँच महीने प्रेग्नेंट थी। इसी वजह से उसे चलने में थोड़ी मुश्किल होती थी। डॉक्टर ने उसे सीढ़ियों का इस्तेमाल करने से मना किया था। इसीलिए, सौम्या ने उसके लिए एक व्हीलचेयर मंगवाई और उसे उस पर बैठाकर एलीवेटर की तरफ ले गई। एलीवेटर में जाने के बाद, वे ग्राउंड फ्लोर पर पहुँचे और फिर अस्पताल के गार्डन में आ गए। वहाँ हर तरफ हरियाली ही हरियाली थी, तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे। ये खूबसूरत नज़ारा देखकर, आर्य के चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान आ गई। वह मुस्कुराते हुए चारों तरफ देखने लगी। सौम्या और ऋषभ दोनों उसके साथ थे। सौम्या ने आर्य की व्हीलचेयर पकड़ी हुई थी और ऋषभ उनके साथ-साथ चल रहा था। वे दोनों आर्य को मुस्कुराते हुए देख रहे थे। उन्हें भी उसके चेहरे की यह मुस्कान बेहद खूबसूरत लग रही थी। कुछ दूर जाने के बाद, सौम्या ने व्हीलचेयर रोक दी और वहीं खड़े होकर आर्य को गार्डन का नज़ारा दिखाने लगी। वहाँ बहुत ही खूबसूरत फूल खिले हुए थे। आर्य, जो अब तक व्हीलचेयर पर बैठी थी, धीरे-धीरे उठी। उसने एक हाथ अपने पेट पर रखा और दूसरा फूलों को छूते हुए आगे बढ़ने लगी। यह देखकर सौम्या और ऋषभ के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। राठौर हवेली इधर हवेली का माहौल भी बहुत खुशनुमा था।सभी लोग बहुत खुश थे क्योंकि आर्य वापस आने वाली थी। स्मृति जी ने उसके हिसाब से ग्राउंड फ्लोर पर ही एक रूम तैयार करवा दिया था। हालाँकि, घर में सबको यह पता था कि आर्य कोमा से बाहर आ चुकी है, लेकिन उसके प्रेग्नेंट होने की बात किसी को भी नहीं पता थी। शायद, जब वे उसे देखेंगे, तो यह उनके लिए सबसे बड़ा शॉक होने वाला था। अस्पताल में आर्य की विदाई दो दिन बीत चुके थे।आर्य इस वक्त अपने वार्ड में बैठी हुई थी। उसने सिंपल सी कुर्ती और प्लाज़ो पहना हुआ था और एक हल्का सा दुपट्टा कैरी किया था। उसके बालों में सौम्या ने हल्की सी चोटी बनाई थी। सौम्या ने लाइट पिंक कलर की साड़ी पहनी थी और ऋषभ ने ब्लैक कलर का थ्री-पीस सूट। डॉ. एलेक्स ने सारी फॉर्मेलिटीज पूरी कर दी थीं। जाने से पहले, वह एक बार फिर आर्य से मिलने आए। उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ आर्य को देखते हुए कहा,"मिस राठौर, हमें उम्मीद नहीं थी कि हम आपको दोबारा इस तरह देख पाएँगे। लेकिन यह जानकर बेहद खुशी है कि आप सही-सलामत हैं... और आपका बच्चा भी।" फिर वे गंभीर होकर बोले,"बस अपना ख्याल रखना। खुश रहना। अगर कभी कोई पुरानी बात याद आए, तो खुद को जबरदस्ती याद करने के लिए मजबूर मत करना। और हाँ, किसी भी तरह की टेंशन मत लेना, समझीं?" आर्य ने उनकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान दी और सिर हिलाया। डॉक्टर के जाने के बाद, नर्स भी आर्य से मिलने आई, जिसने इन दिनों उसकी देखभाल की थी। आर्य ने उससे भी मुलाकात की और सबको अलविदा कहा। फिर सौम्या ने आर्य को व्हीलचेयर पर बैठाया और लिफ्ट की ओर ले जाने लगी। यह सफर लंबा होने वाला था।आर्य के पास एनर्जी तो थी, लेकिन उसे चलने में अब भी थोड़ी दिक्कत हो रही थी।एक तो कोमा से उठी थी और दूसरा... वह प्रेग्नेंट थी। लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर पहुँची, फिर वे बाहर आए।ऋषभ और सौम्या की कार वहाँ पहले से खड़ी थी। उनके साथ दो और कारें थीं, जिनमें सिक्योरिटी गार्ड्स थे। वे सब कार में बैठे और काफिला एयरपोर्ट की तरफ चल पड़ा। एयरपोर्ट पर... थोड़ी देर में, वे लोग एयरपोर्ट पहुँच गए। सुबह के 4:00 बज रहे थे।अभी मुंबई जाने में छह घंटे लगने वाले थे। जेट में बैठते ही, सौम्या ने आर्य को एक रूम में लेटा दिया।आर्य भी बहुत थकी हुई थी। वह लेटते ही गहरी नींद में सो गई। राठौर हवेली में बेचैनी दूसरी तरफ, राठौर हवेली में किसी की आँखों में नींद थी... तो किसी की आँखों में बेचैनी। सभी लोग खुश थे और सुबह होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।दो दिन बहुत जल्दी बीत गए। अब सिर्फ इंतज़ार था आर्य के सामने आने का। घर के सभी बच्चे किसी पार्टी में गए हुए थे और वे कब वापस आएँगे, किसी को नहीं पता था।जो बड़े थे, वे बिज़नेस मीटिंग्स के कारण बाहर गए थे, और वे भी कब आएँगे, यह किसी को मालूम नहीं था। हवेली में सुबह की हलचल सुबह के 5:00 बजे ही, स्मृति जी, आकांक्षा जी, प्रियंका जी और प्रेरणा जी उठ गईं। वे तैयार होकर तैयारियों में लग गईं। घर में पूजा हुई।फिर सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे। सभी ने अपने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले ली थी।हालाँकि, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता था... क्योंकि, बॉस तो वे ही थे। लेकिन आज, सबके दिलों में खुशी थी, बेचैनी थी... "आर्य को देखकर हम क्या कहेंगे...? कहाँ से बात शुरू करेंगे...? कैसे उसे नार्मल फील कराएँगे...?"हर कोई यही सोच रहा था। स्मृति जी और बाकी लेडीज़ ने आर्य के पसंदीदा खाने की तैयारी कर ली थी।अब बस इंतज़ार था... आर्य के आने का। ऋषभ पहले ही सबको बता चुका था कि वे सुबह 10-11 बजे तक पहुँच जाएँगे। अब यह कुछ घंटे, सबके लिए सबसे मुश्किल लग रहे थे... क्योंकि,घर की लाडली बेटी उनके सामने होने वाली थी...! अब तक रघुवंशी एंड राणावत परिवार की बहुएं भी आ चुकी थी यहां और सभी लोग खुशी के साथ आर्य के स्वागत का इंतजाम कर रहे थे और सभी जेंट्स लिविंग हॉल में बैठे हुए थे आम दिनों की तरह आज का दिन बेहद खुश था उन लोगों के लिए आज बेहद खुश नमा माहौल था खासतौर पर दादाजी और दादी जी रघुवंशी फैमिली कब लोग आए हुए थे क्योंकि यह आर्य का ननिहाल था जाहिर तौर पर उसके मामा मामी मासी और नाना नानी भी मौजूद थे घर के जितने भी यंग बच्चे थे कोई मीटिंग में गया हुआ था तो कोई पार्टी में क्या हुआ था अब वह लोग कब वापस आने वाले थे इस बात का पता किसी को नहीं था। खैर धीरे-धीरे वक्त बीत रहा और सभी लोग लिविंग हॉल में बैठे हुए थे कोई चाय पी रहा था तो कोई वहां बैठकर बातें कर रहा था। सभी लोग थे। और सभी के लिए यह इंतजार की घड़ी सभी को मुश्किल लग रही थी।
--- राठौर हवेली लिविंग हॉल में सभी लोग बैठे हुए थे कि तभी उन्हें बाहर से गाड़ी रुकने की आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ इतनी साफ़ थी कि सुनते ही सभी के कान खड़े हो गए। वे एक-दूसरे को देखने लगे, फिर उनकी नज़र हाल में लगी घड़ी पर चली गई—रात के 9:00 बज रहे थे। यह देखकर सभी ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर उनकी नज़र राठौर हवेली के एंट्रेंस गेट पर टिक गई, जहाँ से इस वक्त पाँच लड़के अंदर आते दिखाई दिए। उन्होंने बिज़नेस सूट पहना हुआ था, लेकिन अब अपने कोट हाथ में पकड़े हुए थे। उनके दूसरे हाथ में लैपटॉप बैग था। ये पाँचों थे— कार्तिक सिंह राणावत, रियांश राठौड़, अध्ययन रघुवंशी, वीरांश राणावत, और अभिमान राठौर। ये सभी एक बिज़नेस मीटिंग के लिए गए थे और अब लौट रहे थे। उनमें से तीन लड़कों के साथ तीन लड़कियाँ भी चल रही थीं, जो कोई और नहीं, बल्कि उनकी पत्नियाँ थीं। इन तीनों की अभी दो दिन पहले ही शादी हुई थी, लेकिन यह शादी सीक्रेट रखी गई थी। घरवालों को छोड़कर किसी को इस बारे में पता नहीं था। शादी की सभी रस्में निभा दी गई थीं, लेकिन रिसेप्शन पार्टी तब होगी, जब वे अपनी शादी की आधिकारिक घोषणा करेंगे। घर के बच्चों को वापस आया देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। कार्तिक, रियांश, अध्ययन, वीरांश और अभिमान ने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, और उनके साथ आई लड़कियों ने भी ऐसा ही किया। इसके बाद वे सभी अपने-अपने कमरों में फ्रेश होने के लिए चले गए। अब जानते हैं, किसकी शादी किससे हुई— कार्तिक सिंह राणावत की पत्नी— सिया कार्तिक सिंह राणावत। अध्ययन रघुवंशी की पत्नी— आरती अध्ययन रघुवंशी। अभिमान राठौर की पत्नी— अदिति अभिमान राठौर। अब आप सोच रहे होंगे कि ये लोग राठौर हवेली में क्यों रुके हैं? तो बता दें कि तीनों हवेलियाँ पास-पास ही हैं, और अक्सर घर के बच्चे किसी भी हवेली में रुक जाया करते हैं। हर हवेली में उनके लिए अलग से कमरे बनाए गए हैं। इसी वजह से वे सभी आराम से राठौर हवेली में ही रुक गए। --- थोड़ी ही देर बाद फिर से गाड़ी रुकने की आवाज़ आई। सभी परिवार वालों की नज़र दोबारा गेट की ओर चली गई। इस बार पाँच लोग अंदर आ रहे थे—तीन लड़के और दो लड़कियाँ। दोनों लड़कियाँ उम्र में उन तीन लड़कों से बड़ी लग रही थीं। वे सभी हँसते-मुस्कुराते हुए अंदर आए और आते ही बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। ये पाँच लोग कौन थे? पायल राठौर कृति राठौर आरव रघुवंशी अमन राणावत कृष्णा सिंह राठौर इसके बाद वे सभी अपने-अपने माता-पिता से मिलने चले गए— पायल अपने मम्मी-पापा (अभिमन्यु और साक्षी राठौर) के पास गई। कृति और कृष्णा अपने माता-पिता (श्रीकांत और शैलजा राठौर) के पास गए। अमन अपने मम्मी-पापा (अभिषेक और स्वर्ण राणावत) के पास चला गया। घर के तीन छोटे चिराग भी अब आ चुके थे। ये तीनों थे— लव राठौर और कुश राठौर (कैलाश और प्रियंका राठौर के बेटे) सारांश रघुवंशी (आदित्य और प्रेरणा रघुवंशी का बेटा) इन तीनों की उम्र 19 साल थी, और ये तीनों हॉस्टल में पढ़ते थे। वे भी अपने मम्मी-पापा से मिले और फिर अपने-अपने कमरों में चले गए। --- आकांक्षा जी सभी को देखकर मुस्कुराईं और बोलीं— "सही मौके पर सारे बच्चे आ गए... अब सबकी मुलाकात आर्य से हो जाएगी।" उनकी बात पर सभी सहमति जताने लगे। अब बस इंतज़ार था आर्य के आने का। --- लंदन से वापसी— चार घंटे की गहरी नींद लेने के बाद आर्य की आँखें खुलीं। उसने धीरे-से आँखें खोलीं, खुद को स्थिर किया और फिर बिस्तर से उठ खड़ी हुई। सबसे पहले वह वॉशरूम गई, और फ्रेश होकर बाहर निकली। बाहर आते ही उसकी नज़र सामने रखे सोफों पर पड़ी। वहाँ ऋषभ और सौम्या बैठे आपस में बातचीत कर रहे थे। जैसे ही प्राइवेट जेट का दरवाज़ा खुला, उनकी नज़रें गेट की तरफ़ उठ गईं। आर्य को देख ऋषभ और सौम्या मुस्कुरा दिए। सौम्या तुरंत उठी और आर्य की ओर बढ़ी। आर्य भी हल्की मुस्कान के साथ उनकी ओर देखने लगी और फिर उन दोनों के पास जाकर विंडो सीट पर बैठ गई। बैठते ही उसने विंडो से बाहर देखा— आसमान के बीच उड़ता प्राइवेट जेट, बादलों का सफ़र, और वह नीला विस्तार... यह सब देखकर आर्य के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। --- मुंबई एयरपोर्ट पर लैंडिंग— सफ़र जल्द ही बीत गया और डेढ़ घंटे बाद प्राइवेट जेट मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड कर गया। जेट के रुकते ही ऋषभ और सौम्या पहले बाहर आए, फिर सौम्या वापस जेट में गई और आर्य की व्हीलचेयर लेकर आई। जब आर्य ने जेट से बाहर कदम रखा, तो उसे हल्की ठंडी हवा का झोंका छूकर निकल गया। उसने अपनी आँखें हल्की-सी बंद कीं और हवा को महसूस किया। उसके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान आ गई। --- सभी लोग एक बार फिर इंतजार करने लगे उनके लिए इंतजार की घड़ियां बहुत मुश्किल से कट रही थी खैर थोड़ी ही देर में सभी बच्चे फ्रेश होकर नीचे आ चुके थे और इस घर की तीनों बहुएं भी आ चुकी थी और सभी टेबल पर बैठकर इंतजार कर रहे थे उन्हें कब ब्रेकफास्ट दिया जाए रियांश जो वहीं मौजूद था उसने जब इतनी प्रिपरेशन अच्छी और अपनी छोटी बहन के पसंद का खाना देखा तो वह पूछे बिना रह नहीं पाया उसने अपनी मां की तरफ देखा स्मृति जी भी उसे देख रही थी यह देखकर रियांश ने उन्हें देखा और फिर अपनी बात जारी रखते हुए कहा । " क्या बात है हमारी इतनी तैयारी किस बात की और इतना सारा खान वह भी छोटी की पसंद का कुछ स्पेशल है क्या आज ?? रियांश की बात सुनकर कार्तिक अध्ययन अभियान वीरांश और पायल कृति आरव अमन कृष्ण लव कुश सारांश सबकी नजर घर के मेंबर्स पर पड़ती है तो घर के मेंबर्स सभी एक दूसरे को देखते हैं और फिर आकांक्षा जी मुस्कुराते हुए कहती है। " हां आज कुछ बहुत स्पेशल है तुम सभी के लिए एक्सरसाइज है और उसे सरप्राइस को देखकर तुम लोग बहुत खुश होंगे मुझे उम्मीद है। अपनी बुआ की बात सुनकर सारे बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और सभी लोग ब्रेकफास्ट करने लगते हैं वही तीनों बहुएं सिया आरती अदिति वह लोग भी सबके साथ बैठकर ब्रेकफास्ट करती है ब्रेकफास्ट करने के बाद वह लोग डाइनिंग टेबल से झूठे बर्तन हटाकर किचन की तरफ चली जाती है। अब बस, राठौर हवेली में उसके स्वागत की तैयारियाँ हो रही थीं... सभी की नज़रें सिर्फ़ और सिर्फ़ आर्य के आने पर टिकी थीं। खैर आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए बने रहिए और बनाए रहिए अपना साथ और पढ़ते रहिए मेरी कहानी....
मुंबई एयरपोर्ट सौम्या, आर्य को व्हीलचेयर पर बैठाकर प्राइवेट जेट से बाहर लेकर आई। ऋषभ भी उनके साथ था, और कुछ बॉडीगार्ड्स उनकी सुरक्षा के लिए आसपास खड़े थे। कोविल शेर के जरिए वे एयरपोर्ट के बाहर आए, जहाँ पहले से गाड़ी तैयार खड़ी थी। --- राठौर हवेली यहाँ का माहौल खुशियों से भरा हुआ था। लिविंग हॉल में सभी लोग हंसी-मजाक कर रहे थे, लेकिन दादाजी की नज़र बार-बार अपने फोन पर जा रही थी। घर के बाकी बड़े-बुजुर्ग भी फोन की तरफ ही देख रहे थे, लेकिन बच्चों की बातों में भी उनका ध्यान था। अध्ययन, वीरांश, रियांश और अभिमान सब कुछ नोटिस कर रहे थे, मगर वे चुपचाप हालात का जायजा ले रहे थे। --- एयरपोर्ट से सफर ऋषभ, आर्य और सौम्या के साथ गाड़ी में बैठ चुका था। सफर केवल 20 मिनट का था। ऋषभ ड्राइवर के बगल वाली सीट पर था, जबकि सौम्या और आर्य पीछे बैठी थीं। आर्य खिड़की से बाहर देखते हुए रास्ते को निहार रही थी। ऋषभ ने फोन निकाला और दादाजी को कॉल मिला दिया। --- राठौर हवेली - गार्डन एरिया अध्ययन, वीरांश, रियांश, अभिमान, कार्तिक और बाकी सभी बड़े बच्चे गार्डन एरिया में चले गए। उनके साथ सिया, आरती, अदिति, पायल, कृति, आरव, अमन, कृष्ण, लव, कुश और सारांश भी थे। हवेली अभी भी खूबसूरती से सजी हुई थी। सुबह ही आकांक्षा जी ने एंट्रेंस पर रंगोली बनाई थी। अंदर बड़े-बुजुर्ग बैठे थे, जिनकी निगाहें दादाजी के फोन पर टिकी थीं। आखिरकार, फोन बज उठा। दादाजी ने बिना देर किए कॉल रिसीव किया, और दूसरी तरफ से कुछ सुनते ही उनके चेहरे पर एक लंबी मुस्कान आ गई। उन्होंने फोन रखा और बोले, "बस 10 मिनट का इंतजार और!" यह सुनकर सभी के चेहरे खिल उठे, जबकि कुछ लोग अब भी कन्फ्यूज थे। --- हवेली के बाहर - आर्य की एंट्री 10 मिनट का सफर खत्म हुआ। गार्डन में मौजूद सभी लोगों ने गाड़ियों के रुकने की आवाज़ सुनी, लेकिन ज्यादा ध्यान नहीं दिया। ऋषभ सबसे पहले गाड़ी से उतरा। दूसरी तरफ से सौम्या भी उतरी और उसने व्हीलचेयर निकाली। फिर आर्य को उसमें बिठाया। वे हवेली के दरवाजे की ओर बढ़ने लगे। जैसे ही गाड़ी हवेली में दाखिल हुई, आर्य ने सामने दिख रही तीन विशाल हवेलियों को देखा। उनके एंट्रेंस गेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था— "राठौर, रघुवंशी & राणावत हवेली" यह पढ़ते ही आर्य के चेहरे पर अजीब से भाव उभर आए। वह इन नामों को देखती रही, जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रही हो। तभी अचानक उसकी आँखों के सामने धुंधली आकृतियाँ तैरने लगीं— एक छोटी बच्ची किसी शख्स के पीछे भाग रही थी। कोई लड़की कुछ लड़कों के पीछे भाग रही थी, और कुछ लड़के उस लड़की के पीछे भाग रहे थे। खिलखिलाती आवाज़ें उसके कानों में गूंजने लगीं। आर्य को इन आवाजों में अजीब सा अपनापन महसूस हुआ, लेकिन इसी के साथ उसके सिर में तेज़ दर्द होने लगा। ऋषभ ने आर्य के एक्सप्रेशन्स गौर से देखे, लेकिन कुछ कहा नहीं। --- हवेली के दरवाजे पर स्वागत घर की सभी औरतें जल्दी-जल्दी दरवाजे की तरफ बढ़ने लगीं। दादाजी, दादीजी, राणावत दादाजी-दादीजी, रघुवंशी नानाजी-नानीजी—सब वहाँ मौजूद थे। सभी की आँखों में नमी थी, लेकिन चेहरे पर खुशी भी थी। सौम्या ने व्हीलचेयर आगे बढ़ाई। आर्य की नज़र सामने गई, जहाँ सभी लोग खड़े थे। उनकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं, और आंसू छलक पड़े। गार्डन में खड़े बाकी सभी सदस्य भी हवेली के दरवाजे तक आ गए थे। उन्होंने देखा— एक लड़का, जिसने बिजनेस सूट पहना था। एक लड़की, जिसने लाइट पिंक साड़ी पहनी थी। एक व्हीलचेयर, जिसमें एक लड़की बैठी थी, जिसने ऑफ-व्हाइट कलर के कपड़े पहने थे। सभी लोग एक-दूसरे को देखकर कन्फ्यूज थे। सिया, आरती, अदिति भी उलझन में थीं। --- स्मृति जी की प्रतिक्रिया स्मृति जी आर्य को देखती रहीं, लेकिन जब उनकी नजर उसके पेट पर गई, तो उनकी आँखें आश्चर्य से फैल गईं। उनके साथ प्रियंका, प्रेरणा जी, आकांक्षा जी, शैलजा जी, और यहाँ तक कि शाश्वत जी भी आर्य को देखकर सन्न रह गए। उनकी नजरें आर्य के पेट पर जाकर टिक गईं, जो साफ तौर पर दिखा रहा था कि वह प्रेग्नेंट थी। लेकिन कैसे? वह पाँच महीने से कोमा में थी। उसे होश अभी-अभी आया था। तो फिर यह मुमकिन कैसे हो सकता है? --- आर्य का डर आर्य सबको सवालिया नजरों से देख रही थी। जब उसने खुद को इतनी निगाहों के बीच पाया, तो वह घबरा गई। उसने तुरंत ऋषभ का हाथ पकड़ लिया। ऋषभ उसकी घबराहट भाँप गया। उसने उसका हाथ कसकर थामा और दादाजी समेत सभी को देखकर बोला— "दादाजी, प्लीज! आर्य को इस तरह मत देखिए। वह परेशान हो रही है, पैनिक कर रही है। यह उसके लिए सही नहीं है। प्लीज!" ऋषभ की आवाज़ में एक गहरी चिंता थी। उसके कहने पर सभी जैसे होश में लौटे। उनकी नज़रें अब आर्य के चेहरे पर टिक गईं, जहाँ डर की लकीरें थीं। उनकी लाडली बेटी उनसे डर रही थी। यह एहसास सभी के दिल को गहरे तक चीर गया। सभी की नजरे आर्य के चेहरे पर टिकी हुई थी और वही आर्य भी सब कुछ देख रही थी उसके दिल में एक अजीब सा डर अजीब सी बेचैनी थी जो उसे समझ में नहीं आ रही थी घर में आने के बावजूद उसे अजीब अजीब सी आवाज है उसको सुनाई द दे रही थी जैसे एक बच्ची उसके पीछे कई सारे लड़के जा रहे हैं और वह बच्ची खेल रही है सबके साथ खेल रही है सबके आगे पीछे दौड़ रही है सभी चीज उसके दिमाग में घूम रही थी। इधर सौम्या भी अपने पेरेंट्स को देखकर थोड़ा इमोशनल हो हो गई थी आखिर वह भी तो उनसे 6 महीने बाद मिल रही थी सौम्या के पेरेंट्स अभिषेक और स्वर्ण जी थे ऋषभ और सौम्या अपने पेरेंट्स से मिलते हैं और फिर घर के सभी बड़े सदस्यों का आशीर्वाद लेते हैं वही आर्य की नजर भी सौम्या पर थी कि सौम्या कितनी आसानी से सबसे मिल रही थी और खास तौर से अभिषेक और स्वर्ण जी से आर्य को समझ में आ गया था कि अभिषेक और स्वर्ण जी सौम्या की पेरेंट्स है इसलिए वह उनसे मिल रही है। वही सौम्या को देखकर उसके आरव और अमन उसके भाई आकर उससे मिलते हैं और सौम्या भी अपने भाइयों से मिलती है कार्तिक रेयांश अध्ययन वीरांश अभियान पायल कृति आरव अमन कृष्ण लव कुश सारांश सभी से वह मिलती है और आर्य काफी बारीक नजरों से यह सभी चीज होते हुए देख रही थी आर्य की नजर तीन लड़कियों पर जाती है जो एक साइड खड़ी थी उन्होंने रेडन गोल्डन कलर की कांबिनेशन की साड़ी पहनी थी तीनों ने किसी ने रेड पहनी थी तो किसी ने मेहरून पहनी थी किसी ने रेड एंड गोल्डन गले की पहनी थी और वह तीनों ने एक न्यूली वेडेड लड़की की तरह श्रृंगार किया था सौम्या उनसे भी जाकर मिलती है और वह तीनों लड़कियां सौम्या से मिलती हैं।
आज के लिए इतना ही मिलते हैं नेक्स्ट पार्ट में तब तक के लिए बने रहिए और बनाए रही है अपना साथ
राठौर हवेली में आर्य की वापसी ऋषभ की आवाज सुनकर राठौर हवेली में मौजूद सभी लोगों के कदम ठिठक गए। रेयांश, अभिमान, कार्तिक, वीरांश और अध्ययन ने एक-दूसरे की तरफ देखा, जबकि घर के छोटे बच्चे—आरव, अमन, सारांश, कृष्णा, पायल, कृति—सभी हैरानी से एक-दूसरे की ओर देखने लगे। सभी के मन में बस एक ही सवाल था—"आखिर कौन आया है?" अभी वे सभी दरवाजे की तरफ बढ़ ही रहे थे कि उन्होंने देखा कि आकांक्षा जी और स्मृति जी आगे बढ़कर दरवाजे तक पहुँचीं। उनके पीछे दादी जी भी थीं। वहाँ एक व्हीलचेयर पर बैठी लड़की थी। जैसे ही उसने हवेली में कदम रखा, स्मृति जी और आकांक्षा जी ने प्यार से उसके माथे पर तिलक किया और आरती उतारी। दादी जी ने भी उसे काला टीका लगाया। हवेली की सभी औरतें आगे आईं, उन्होंने प्यार से उस लड़की का सिर चूमा और उसे अंदर आने का इशारा किया। यह नज़ारा देखकर हवेली में मौजूद सभी सदस्यों के चेहरे पर कई भाव उमड़ आए।जैसे ही सौम्या, आर्य को व्हीलचेयर पर लेकर हवेली के अंदर आई, आर्य की नज़र चारों ओर घूमने लगी।एक अजीब-सी बेचैनी उसके दिल में उतरने लगी। आँखों के सामने धुंधली-धुंधली तस्वीरें तैरने लगीं।यादें... कुछ भूली-बिसरी यादें...आर्य ने घबराकर अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, मानो उन यादों को आने से रोक रही हो। पहचान के कुछ पल... अभी आर्य की आँखें बंद ही थीं कि उसके कानों में कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी। उसने धीरे-से आँखें खोलीं और सामने देखा।पाँच जोड़ी आँखें उसकी तरफ देख रही थीं...अध्ययन, कार्तिक, रेयांश, वीरांश और अभिमान।उनके चेहरों पर अजीब-सी खुशी थी, पर जैसे ही उनकी नज़र आर्य के चेहरे से उसके पेट की ओर गई, उनकी आँखें हैरानी से फैल गईं। अभी कोई कुछ बोलता, उससे पहले सौम्या ने धीरे-से ऋषभ का हाथ पकड़ा।ऋषभ ने सौम्या की ओर देखा, जिसने हल्के से सिर हिलाकर इशारा किया।ऋषभ समझ गया। वह आगे बढ़ा, आर्य का हाथ थामा और बेहद प्यार से कहा—"छोटी, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं हूँ ना, यहाँ पर मैं हूँ... सौम्या भी है। और ये सब तुम्हारी फैमिली है। तुम मिलोगी ना, अपनी फैमिली से?" ऋषभ के इन शब्दों से आर्य थोड़ा शांत हुई।वह अनजान लोगों के बीच थी, अनजान जगह पर थी... और ऊपर से उसके दिमाग में अजीब-अजीब सी यादें उमड़ रही थीं।कुछ बच्चे... जो खेल रहे थे, हंस रहे थे, झगड़ रहे थे... उनकी हँसी की गूँज आर्य के दिमाग में बार-बार दस्तक दे रही थी। आर्य ने हल्के-से ऋषभ का हाथ पकड़ा और सिर हिलाया।ऋषभ हल्के से मुस्कुराया और सौम्या को पीछे हटने का इशारा किया।फिर उसने धीरे-से आर्य की व्हीलचेयर आगे बढ़ाई। फैमिली से मुलाकात हवेली में मौजूद सभी लोग ऋषभ की बातों को समझ चुके थे।लेकिन अगर कोई अभी भी उलझन में था, तो वे थे छोटे बच्चे— अमन, आरव, कृष्णा, सारांश, लव-कुश, सिया, आरती, अदिति, पायल, कृति...वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह क्या हो रहा है?सबको इतना तो समझ आ गया था कि यह उनकी आर्य दीदी है, पर उसकी हालत देखकर वे सभी हैरान थे।ऊपर से ऋषभ का यह कहना कि "यह अपनी फैमिली से मिल रही है," यह बात उनके लिए और भी ज्यादा चौंकाने वाली थी। ऋषभ सबसे पहले आर्य को लेकर राठौर दादाजी और दादी जी के पास गया।वह झुककर आर्य से बोला,"छोटी, ये तुम्हारे दादा-दादी हैं।" आर्य ने उन्हें देखा और धीरे से नमस्ते की।फिर राणावत दादा-दादी से मिलवाया।आर्य ने उनको भी नमस्ते किया। इसके बाद ऋषभ ने आर्य को रघुवंशी नाना-नानी के पास ले गया।वे उसके असली नाना-नानी थे।आर्य ने उन्हें देखकर भी झुकने की कोशिश की, लेकिन उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वह झुक सके। यह देखकर स्मृति जी की आँखों में आँसू आ गए।उनका दर्द अब और सहन नहीं हो रहा था।वे दौड़कर शाश्वत जी के गले लग गईं और रोने लगीं।शाश्वत जी ने भी अपनी आँखों की नमी छुपाने की कोशिश की, लेकिन वह भी खुद को रोक नहीं पाए। ऋषभ, आर्य को व्हीलचेयर पर बैठाए-बैठाए उनके पास ले गया।आर्य की ओसियन ब्लू आँखें, शाश्वत जी की ओसियन ब्लू आँखों से मिलीं।एक पल के लिए दोनों बस एक-दूसरे को देखते रह गए।आर्य को एक अजीब-सा अपनापन महसूस हुआ। वह धीरे-से बोली—"आप दोनों मेरे पेरेंट्स हैं, सही कहा ना?" आर्य के इस सवाल पर ऋषभ और दादा-दादी हल्के से मुस्कुराए।स्मृति जी खुद को रोक नहीं पाईं और दौड़कर आर्य को गले लगा लिया।आर्य एक पल के लिए चौंक गई, लेकिन उस गले लगाने में उसे एक अजीब-सा सुकून मिला। शाश्वत जी भी आगे बढ़े और अपनी बेटी के सिर पर हाथ रखा। भाइयों से मुलाकात यह देखकर रेयांश भी अपने कदम बढ़ाने लगा।उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन वह अपनी माँ और बहन को यूँ गले लगते हुए देखकर खुद को रोक नहीं सका। शाश्वत जी ने इशारे से उसे पास बुलाया और आर्य से कहा,"यह तुम्हारा बड़ा भाई है, रेयांश।" फिर वे अध्ययन, अभिमान, वीरांश और कार्तिक से भी मिलवाने लगे।उनकी पत्नियों से भी। घर के छोटे बच्चे भी एक तरफ खड़े थे।वे सब आर्य दीदी को इस हालत में देखकर बहुत बेचैन थे। छोटी माँ से पहचान अगर कोई चुपचाप खड़ा आर्य को देख रहा था, तो वह आकांक्षा जी थीं।वे आर्य को बस ध्यान से देखे जा रही थीं। आर्य की भी नज़र उन पर पड़ी।उसने धीरे-से ऋषभ की स्लीव खींची।ऋषभ झुका और उसने इशारे से आकांक्षा जी की तरफ देखा। ऋषभ ने मुस्कुराकर कहा,"छोटी, ये तुम्हारी 'छोटी माँ' हैं।" आर्य की आँखों के सामने कुछ यादें कौंध गईं...एक औरत... जो रो रही थी... और एक लड़की, जो उन्हें गले लगाकर कह रही थी—"छोटी माँ, आप मत रोइए... आपके पास आर्य है ना!" आर्य ने अपने दिमाग पर ज़ोर दिया, और तभी उसके सिर में तेज़ दर्द उठा।उसके मुँह से एक हल्की सी "आह!" निकली।उसने ऋषभ का हाथ कसकर पकड़ लिया। आर्य का कमरा ऋषभ ने तुरंत कहा,"छोटी, तुम्हें अपने दिमाग पर ज़रूरत से ज्यादा ज़ोर देने की जरूरत नहीं है। धीरे-धीरे सब याद आएगा।" इसके बाद सबने मिलकर उसे उसके ग्राउंड फ्लोर वाले कमरे में भेज दिया।सौम्या उसके साथ थी... और हवेली में सभी की आँखें नम थीं।
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राठौर हवेली सौम्या और आर्य के जाने के बाद लिविंग हॉल में बस ऋषभ रह गया था। शाश्वत जी आगे बढ़े और ऋषभ को देखते हुए गहरी आवाज़ में बोले, "यह सब क्या है? जब आर्य कोमा में थी तो वह प्रेग्नेंट कैसे हो सकती है?" उनके शब्दों ने पूरे हॉल में सन्नाटा फैला दिया। वहाँ मौजूद सभी बच्चे हक्के-बक्के रह गए। लेकिन सबसे बड़ा झटका रियांश को लगा। उसे तो यह भी नहीं पता था कि आर्य कोमा में थी! कार्तिक, अभियान, वीरांश और अध्ययन भी हैरान थे। किसी को अंदाजा तक नहीं था कि उनकी बहन इतने बड़े दर्द से गुज़री है। ऋषभ ने गहरी सांस लेते हुए सबको बैठने का इशारा किया। जब सभी बैठ गए, तो उसने शांत स्वर में कहा— "आर्य के साथ जो हुआ, वह सुनकर आप सभी को बहुत तकलीफ होगी, लेकिन सच बताना ज़रूरी है।" इसके बाद उसने एक्सीडेंट से लेकर डॉक्टर की हर बात बताई। पूरे हॉल में एकदम पिन ड्रॉप साइलेंस था। हवेली में शायद ही कभी इतनी गहरी चुप्पी पसरी होगी। जब यह सच सामने आया कि आर्य का एक्सीडेंट होने से पहले ही वह प्रेग्नेंट थी, और उसे उसी दिन पता चला था, तो सभी के दिल में दर्द उठ गया। लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा जब ऋषभ ने बताया कि कोमा में होने के बावजूद आर्य के बच्चे जिंदा थे, और अब भी हैं। बस, आर्य को देखभाल की जरूरत है, वह कमजोर है, और इसी वजह से अभी व्हीलचेयर पर है। अपनी बहन की हालत का सच सुनकर रियांश की आँखों से आँसू छलक पड़े। आँसू तो बाकी भाइयों की आँखों में भी थे—कार्तिक, विराज, अभियान, अध्ययन, वीरांश। घर के छोटे बच्चे—पायल, कीर्ति, कृष्ण, आरव, अमन, सारांश, लव और कुश भी सन्न रह गए। आर्य तो उनकी लाडली दीदी थी। परिवार के सभी सदस्यों को दुख था कि आर्य इस मुश्किल दौर में अकेली थी। जब उसे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब घर में शादियाँ हो रही थीं, खुशियाँ मनाई जा रही थीं, और वह वहाँ अपनी ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी। राणावत दादाजी, दादीजी, आकाश सिंह और पार्वती जी को एक तरफ राहत मिली कि आर्य और उसके बच्चे सही-सलामत हैं, लेकिन साथ ही अफसोस भी हुआ। वे हमेशा चाहते थे कि आर्य उनकी बहू बने, और बनी भी थी, लेकिन उनके बेटे ने कभी उसे अपनाया ही नहीं। और अब, जब पता चला कि आर्य प्रेग्नेंट थी, तो उनके दिल में टीस उठी—काश, उनका बेटा उसे अपनाता तो हालात कुछ और होते। ऋषभ ने सभी को देखा और गंभीर स्वर में कहा— "आर्य को एक खुशहाल माहौल चाहिए। इसलिए मैं उसे उसकी फैमिली के पास लाया हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप लोग उसे खुशी देंगे, उसे पिछली बातें याद नहीं दिलाएँगे। जितना हो सके, उसे धीरे-धीरे चीजें याद दिलाएँ, लेकिन कोई भी उस पर दबाव नहीं डालेगा। और सबसे ज़रूरी बात—उसके सामने रुद्र का नाम मत लीजिएगा।" सभी ने सहमति में सिर हिलाया। आकांक्षा जी जो अब तक चुप थीं, उन्होंने अपने आँसू पोंछे और किचन की तरफ बढ़ गईं। वहाँ जाकर उन्होंने नौकरों को खाना गरम करने का आदेश दिया। फिर वापस आकर बोलीं— "अब आँसू बहाने का कोई फायदा नहीं। हमारी आर्य हमारे पास है, सही-सलामत है। हमें उसे धीरे-धीरे उसकी खोई यादें वापस दिलानी हैं, लेकिन अतीत का कोई ज़िक्र नहीं होगा। और सबसे ज़रूरी बात—किसी को भी रुद्र का नाम तक नहीं लेना है।" सभी ने हामी भरी। ऋषभ ने राहत की सांस ली और हल्का मुस्कुराया। --- दूसरी तरफ सौम्या आर्य को लेकर कमरे में आई। कमरा बहुत खूबसूरत था, हर चीज़ महंगी और क्लासिक थी। उसने पहले आर्य को फ्रेश कराया, उसका मुँह धुलवाया, और फिर व्हीलचेयर पर बैठाकर बाहर लिविंग हॉल की ओर ले गई। जैसे ही आर्य वहाँ पहुँची, सारी औरतें—स्मृति जी, आकांक्षा जी, प्रेरणा जी, प्रियंका जी, शैलजा जी, स्वर्ण जी, पार्वती जी, ऐश्वर्या जी और साक्षी जी—आगे आ गईं और उसे घेर लिया। स्मृति जी ने अपनी आँखों से काजल निकालकर आर्य के कान के पीछे लगाया। आर्य चौंक गई कि ये सब उसे इस तरह घेरकर क्यों देख रही हैं, लेकिन फिर उनके इस प्यार भरे इशारे से मुस्कुरा दी। उसी वक्त, आकांक्षा जी जो सबसे पीछे खड़ी थीं, तेज़ आवाज़ में बोलीं— "अरे भई, ये क्या बात हुई? मुझे भी तो आने दो, मुझे भी अपनी भतीजी से मिलना है!" सभी हंस पड़ीं। आकांक्षा जी आगे आईं, आर्य के गालों पर प्यार से हाथ फेरा और बोलीं— "अरे, तुम आज भी उतनी ही प्यारी हो, जितनी पहले थी। और देखना, तुम्हारे बच्चे भी तुम्हारी तरह प्यारे होंगे!" फिर उन्होंने आर्य के माथे पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया। आर्य हल्के से हँसी और उनका हाथ पकड़कर उसकी हथेली पर एक कोमल चुम्बन देते हुए बोली— "आप भी बहुत प्यारी हैं, छोटी माँ।" एक पल के लिए पूरे माहौल में भावनाएँ उमड़ पड़ीं। लेकिन सबने खुद को संभाला। इसके बाद आकांक्षा जी ने सौम्या से व्हीलचेयर ली और आर्य को डाइनिंग टेबल की तरफ ले जाने लगीं। सभी परिवारजन उनके साथ डाइनिंग एरिया की ओर बढ़ गए। डाइनिंग टेबल घर के सभी बड़े बुजुर्ग हैं मौजूद थे और सभी लोग मौजूद हैं यहां पर और 1 घंटे पहले ही यहां पर अभी रियांश विरांश अभिमान कार्तिक और अध्ययन और घर के बच्चों ने भी ब्रेकफास्ट कर लिया था तो इस वक्त वह लोग लिविंग हॉल में बैठे हुए थे और वह स्नैक्स के मजे ले रहे थे कॉफी के साथ. आर्य डाइनिंग टेबल पर जब आए तो उसकी नजर पूरे डाइनिंग टेबल पर गए जहां उसके पसंद की अकॉर्डिंग सभी चीज रखी गई थी और सभी चीज देखकर उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और अचानक उसकी नजर एक चीज पर जाकर ठहर गई और उसे चीज को देखकर वह अपने होंठ पर जीभ फिरआने लगी। वही उसकी यह हरकत देखकर सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह चीज कोई और नहीं गुलाब जामुन थे आर्य उन्हें देखकर अपने होठों पर जीभ फेर रही थी। आकांक्षा जी ने उसे एक प्लेट में खाना निकाल कर दिया और उसके साथ वह रसगुल्ला भी दिया यह देखकर आर्य की आंखों में चमक आ गई और वह तुरंत रसगुल्ले की कटोरी उठाकर खाने लगी। वही उसी के साथ सभी लोगों ने खाना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में सभी लोगों ने अपना ब्रेकफास्ट नहीं हाफ लंच कह सकते हैं क्योंकि इस वक्त दोपहर के 12:30 बज रहे थे। और सभी लोग डाइनिंग टेबल से लिविंग हॉल में बैठे हुए थे और आर्य भी उनके पास बैठी हुई थी वह सभी के चेहरे देख रही थी जो उसे ही देख रहे थे यह देखकर आर्य के चेहरे पर थोड़ी नर्वसनेस थी फिर भी वह मुस्कुराते हुए उन सभी को देख रही थी। राठौर हवेली में अब एक नए सफर की शुरुआत हो रही थी—आर्य की ज़िंदगी के खोए पलों को प्यार से वापस लाने का सफर।
Stay tuned... Take care bye
--- आर्य इस वक्त लिविंग हॉल में ही सबके साथ बैठी थी, और सभी लोग उसे देखे जा रहे थे। वहीं, कार्तिक, वीरांश, अभियान, अध्ययन और रियांश—ये पाँचों लड़के एकटक आर्य को देख रहे थे, जो बड़ी बारीकी से अपनी नज़रों को घुमाते हुए हवेली का मुआयना कर रही थी। अभी वे लोग उसे देख ही रहे थे कि उनकी नज़र सौम्या पर गई, जो आर्य के लिए दवाइयाँ लेकर आ रही थी। दवाइयाँ देखकर आर्य के चेहरे पर अजीब से भाव आ गए, और वह मुँह बनाने लगी। यह देखकर सभी के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई, लेकिन फिर भी आर्य ने दवा ले ली। सौम्या उसे बाहर गार्डन में टहलाने के लिए ले गई। गार्डन में पहुँचकर, सौम्या ने आर्य की व्हीलचेयर वहीं रोकी और उसका हाथ पकड़कर उसे खड़ा किया। आर्य धीरे-धीरे छोटे-छोटे कदम लेते हुए टहलने लगी। इस वक्त गार्डन में घर के सभी छोटे बच्चे मौजूद थे—सारांश, लव और कुश। वे तीनों वहीं बैठे हुए थे और अपनी दीदी को एकटक देख रहे थे। वहीं, घर के अन्य सभी मेहमान एक-दूसरे को देखकर अपने-अपने घर चले गए। अब राठौर हवेली में सिर्फ राठौर परिवार के सदस्य ही बचे थे, क्योंकि कल रुद्र की शादी थी, और सभी रस्में उनके हिसाब से करनी थीं। आज रुद्र वापस आने वाला था; उसने पहले ही अपने दादाजी को कॉल करके बता दिया था कि वह आज शाम को सुमोना के साथ वापस आ रहा है और कल शादी करेगा। सभी ने उसकी बात मान ली थी। सभी के चेहरे पर उदासी और डर दोनों थे। उदासी इसलिए थी कि आर्य को कुछ भी याद नहीं था, और डर इस वजह से कि जब वह रुद्र के सामने आएगी, तो उसका रिएक्शन कैसा होगा। सबको सबसे ज्यादा डर आर्य के लिए लग रहा था, क्योंकि वे सभी जानते थे कि रुद्र कितना गुस्से वाला है। उसका रिएक्शन कैसा होगा, यह सोचकर सबके दिल में हलचल मच गई थी। आर्य थोड़ी देर टहलने के बाद फिर से अपनी व्हीलचेयर पर बैठ गई। वह गार्डन की खूबसूरती को अपनी आँखों में समेट रही थी कि उसकी नज़र सारांश, लव और कुश पर गई। वे तीनों उसे टकटकी लगाकर देख रहे थे, और उनकी आँखों में आँसू झिलमिला रहे थे। आर्य को समझ नहीं आया कि उसे क्या हो गया, लेकिन किसी अनजाने ख्याल से उसने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए। यह देखकर तीनों बच्चे एक-दूसरे को देखने लगे, फिर दौड़कर आर्य के पास चले आए। लेकिन वे उसे गले लगाते, उससे पहले ही सौम्या की परेशान सी आवाज़ आई— "लव, कुश, सारांश! संभलकर! आर्य की हालत ऐसी नहीं है कि वह तुम्हें कसकर गले लगा सके। अगर कुछ हुआ तो?" तीनों बच्चों को तब जाकर होश आया। वे मुस्कुराए और फिर धीरे से आर्य को गले लगा लिया। आर्य ने भी उन्हें अपने सीने से लगा लिया और प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरा। तीनों ने अपनी दीदी को बहुत मिस किया था, और उनके लिए आर्य सबसे फेवरेट दीदी थी। यह देखकर पायल, कीर्ति और कृष्णा, जो वहीं मौजूद थे, अपने आंसू रोक नहीं पाए। आर्य ने उन्हें देखा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए। यह देखकर वे तीनों भी दौड़कर उसे गले लगा लिया, लेकिन संभलकर। आरती, सिया और अदिति, जो पायल और कीर्ति को ढूंढने बाहर आई थीं, सामने का नज़ारा देखकर वहीं ठिठक गईं। वहीं, रेयांश, कार्तिक, अध्ययन, वीरांश और अभियान भी गार्डन में आ गए थे। उन्होंने यह दृश्य देखा तो उनकी आँखें भी नम हो गईं। सौम्या, जो आर्य के पास खड़ी थी, हल्के से मुस्कुराई। लेकिन तभी, उन छह बच्चों ने आर्य को और कसकर गले लगाया, और अगले ही पल उन्होंने अपने ऊपर आर्य को गिरते हुए महसूस किया। वे उसे हटाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तभी उनकी नज़र बेहोश पड़ी आर्य पर गई। आर्य को बेहोश देखकर सभी घबरा गए। सौम्या भी परेशान हो गई, और उसे अंदेशा हो गया कि आर्य ने जरूर अपने दिमाग पर ज़ोर डालने की कोशिश की है ताकि कुछ याद आ सके। सभी लोग बहुत ज़्यादा पैनिक करने लगे। उन्हें देख सौम्या ने उन्हें शांत करने की कोशिश की— "पैनिक होने की ज़रूरत नहीं है। आर्य बस बेहोश हुई है, उसे होश आ जाएगा। आप लोग इस तरह परेशान मत होइए, प्लीज़।" लेकिन सौम्या की बातों के बावजूद सभी के दिल में एक अनजाना डर समा गया था। फिर कार्तिक और रेयांश की मदद से सौम्या ने आर्य को उसके कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया। आर्य को आराम से लिटाने के बाद सभी लोग कमरे से बाहर आ गए। सौम्या ने सबको समझाया कि आर्य ने कुछ याद करने की कोशिश की थी, इसलिए वह बेहोश हो गई थी। --- वहीं दूसरी तरफ, लंदन डॉ. एलेक्स इस वक्त अपने केबिन में बैठे हुए थे और कुछ फाइल्स पढ़ रहे थे। तभी, बिना नॉक किए कोई उनके केबिन में दाखिल हुआ। डॉ. एलेक्स ने नज़र उठाई और सामने मौजूद शख्स को देखते ही अपनी जगह से खड़े हो गए। सामने एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला आदमी खड़ा था, जिसकी हाइट लगभग 6 फीट 5 इंच थी। उसने ऑफ-व्हाइट कलर का बिजनेस सूट पहना हुआ था, आँखों पर डार्क ग्लासेस और हाथ में एक ब्रांडेड वॉच थी। उसकी उपस्थिति ही इतनी प्रभावशाली थी कि डॉ. एलेक्स के मुँह से सिर्फ एक शब्द निकला— "किंग!" उस आदमी के चारों ओर एक खतरनाक आभा फैली हुई थी। डॉ. एलेक्स ने डर के मारे अपना पसीना पोंछा और झुककर अभिवादन किया। "किंग, आप यहाँ किसलिए आए? ज़रूरत होती तो मैं खुद आपके ब्लैक विला आ जाता!" लेकिन 'किंग' अब तक खामोश था। उसकी सर्द नज़रें डॉ. एलेक्स पर टिकी हुई थीं। वह उन्हें घूर रहा था, और उसकी आँखों की ठंडक डॉ. एलेक्स के शरीर में कंपकंपी भर रही थी। अब जानते हैं 'किंग' की पर्सनैलिटी— उसका रंग हल्का सांवला था, लेकिन चेहरे के नक्श बेहद तीखे और एकदम परफेक्ट थे। उसकी बॉडी पूरी तरह से जिम में तराशी हुई थी—8 पैक्स एब्स और मजबूत मसल्स इस बात का सबूत थे। उसके लंबे बाल थे, लेकिन उसने इस वक्त एक छोटी सी चोटी बना रखी थी। कुछ लटें उसके माथे पर गिरी हुई थीं, जिससे वह और भी आकर्षक लग रहा था। उसकी आँखें डार्क ग्रीन थीं, और चेहरे पर मास्क लगा था, जिससे उसका पूरा चेहरा नज़र नहीं आ रहा था। डॉ. एलेक्स ने जब 'किंग' की ठंडी, मगर खौफनाक आवाज़ सुनी, तो उनकी धड़कनें बढ़ गईं। "वह इस वक्त कहाँ है? उसका वार्ड पूरा खाली क्यों है?" डॉ. एलेक्स कुछ देर तक चुप रहे, उन्हें समझ नहीं आया कि 'किंग' किसके बारे में बात कर रहा था। लेकिन फिर उन्हें याद आया, और उन्होंने गहरी साँस लेते हुए उसे सब कुछ बता दिया। यह सुनकर 'किंग' का चेहरा एकदम कड़ा हो गया। उसकी आँखों में खतरनाक आग जल उठी। बिना कुछ कहे, वह वहाँ से उठकर चला गया। उसके जाते ही, डॉ. एलेक्स ने लंबी सांस ली और अपना पसीना पोंछते हुए बुदबुदाए— "थैंक गॉड! इनके पास रहते हुए कोई इंसान सांस भी कैसे ले सकता है? ये कितने खतरनाक हैं!" ऐसा कहकर वह दोबारा अपनी जगह पर बैठ जाते हैं और काम करने लगते हैं। To be continue.... ❤❤❤
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--- दूसरी तरफ, लंदन किंग जैसे ही डॉक्टर एलेक्स के केबिन से निकले, उन्होंने आँखों पर फिर से ग्लासेस लगा लिए। उनके साथ पूरी बॉडीगार्ड टीम थी, जो काफी हाई-लेवल की लग रही थी, क्योंकि वे सभी लंबे-चौड़े, हट्टे-कट्टे पहलवान जैसे थे। लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर रुकी। किंग अपनी अट्रैक्टिव चाल के साथ अपनी कार की ओर बढ़े और अंदर जाकर बैठ गए। "एयरपोर्ट!" बस एक शब्द निकला उनके होंठों से। कुछ ही देर में उनका काफिला लंदन की सड़कों पर दौड़ने लगा। किंग कार में बैठकर आराम से अपना सिर सीट की हेडरेस्ट से टिकाए हुए थे। उनके दोनों हाथ सीट पर थे, और वे कार की सीलिंग को घूर रहे थे। उनके हाथ में एक फोन था, और उनकी मिडिल फिंगर में एक रिंग थी। उन्होंने वह रिंग निकालकर उंगलियों में घुमाना शुरू कर दिया। फिर फोन ओपन करके एक फोटो निकाली—वह फोटो किसी और की नहीं, बल्कि आर्य की थी। फोटो को देखकर उनकी आँखों में हल्की नरमी आई, और वे बस इतना ही बोले— "आई एम कमिंग, माय वाइल्ड कैट!" हल्की-सी मुस्कुराहट उनके चेहरे पर आ गई। उनकी उंगलियाँ फोन की स्क्रीन पर फिरने लगीं, और उनकी आँखों में आर्य के लिए प्यार साफ झलक रहा था। कुछ ही देर में उनका काफिला एयरपोर्ट पहुँच चुका था, और वे अपने प्राइवेट जेट में बैठ गए। --- वहीं दूसरी तरफ... शाम हो चुकी थी। राठौर हवेली आर्य को अभी तक होश नहीं आया था। वह अपने रूम में सो रही थी। सौम्या ने सबको समझा दिया था, इसलिए सभी लोग शांत थे, लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर में हर कोई आकर आर्य को चेक कर रहा था कि कहीं वह उठ तो नहीं गई। धीरे-धीरे शाम ढलने लगी। सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे थे। हर किसी के चेहरे पर परेशानी की लकीरें साफ झलक रही थीं, क्योंकि थोड़ी देर में रुद्र आने वाला था। हालाँकि, आर्य के बारे में उसे बताने का कोई इरादा नहीं था। दादाजी ने सख्त हिदायत दी थी कि रुद्र के सामने कोई भी आर्य का नाम नहीं लेगा। --- शाम के 6:00 बजे रुद्र की कार हवेली के अंदर आ गई थी। जैसे ही वह कार से उतरा, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वह आगे बढ़कर अपने दादाजी और दादीजी का आशीर्वाद लेने लगा। उसके साथ सुमोना भी थी, जिसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। हालाँकि, राणावत फैमिली में अब तक सुमोना को एक्सेप्ट कर लिया गया था। वे समझ चुके थे कि किसी को जबरदस्ती किसी का हमसफर नहीं बनाया जा सकता, और जिस रिश्ते में जबरदस्ती हो, वह ज्यादा दिन नहीं टिकता। इसी वजह से उन्होंने रुद्र और सुमोना के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था। रुद्र, राठौर हवेली में सबसे मिला, और वहीं पर उसकी मुलाकात रघुवंशी फैमिली से भी हुई, जो इस समय ड्राइंग रूम में मौजूद थी। रुद्र और सुमोना पास ही बैठ गए। अचानक, एक कमरे से बाहर निकलती सौम्या पर उसकी नज़र पड़ी। सौम्या अपने फोन में कुछ देख रही थी और उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि हवेली में और कौन-कौन मौजूद है। जैसे ही उसने नज़र उठाई, उसकी आँखें रुद्र से जा मिलीं। रुद्र की गहरी ब्राउन आँखों में हल्का-सा भाव उभरा, पर सौम्या ने तुरंत अपनी नज़रें फेर लीं। रुद्र को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हुआ कि उसकी बहन उसके सामने थी। सौम्या ने तो उससे उसी दिन रिश्ता खत्म कर दिया था, जब उसने आर्य को टॉर्चर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आर्य की तकलीफ सौम्या से देखी नहीं गई थी, क्योंकि आर्य उसकी बेस्ट फ्रेंड थी। भले ही सौम्या उम्र में आर्य से दो साल बड़ी थी, लेकिन उनकी दोस्ती बेहद गहरी थी। सौम्या, आर्य को अपनी भाभी के रूप में पाकर बहुत खुश थी। लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसका भाई कभी आर्य को एक्सेप्ट ही नहीं करेगा। और जब उसने जाना, तो वह टूट गई। आर्य ने सब कुछ चुपचाप सह लिया था, पर जब वह अपने पति को किसी और औरत के साथ बर्दाश्त नहीं कर पाई, तो उसने इस रिश्ते को छोड़ना ही बेहतर समझा। सौम्या, रुद्र और सुमोना को इग्नोर करती हुई आगे बढ़ी और आकांक्षा जी के पास आकर बोली— "कुछ हल्का सा बना दीजिए, मेडिसिन का टाइम हो रहा है।" उसने यह बात धीरे से कही थी, जिसे सिर्फ आकांक्षा जी ही सुन पाईं। आकांक्षा जी ने हल्के से सिर हिलाया, और सौम्या वापस अपने कमरे की तरफ चली गई। --- जैसे ही सौम्या अंदर गई, उसने देखा कि आर्य उठने की कोशिश कर रही थी। जल्दी से उसके पास जाकर सौम्या ने उसका हाथ थाम लिया और उसे वॉशरूम ले गई। आर्य फ्रेश हुई, उसने अपना चेहरा धोया और फिर वापस कमरे में आ गई। उसका कमरा ग्राउंड फ्लोर पर था—एक बड़ा, सुंदर और सजीला कमरा, जहाँ ज्यादा सामान नहीं था। बस एक क्वीन-साइज़ बेड, एक मिरर टेबल, टीवी और एक काउच रखा हुआ था। कमरे की सबसे खास बात थी वह बड़ी-सी ग्लास विंडो, जिसे कर्टन से ढका गया था। उसके पास ही एक डोर था, जो सीधे गार्डन की ओर खुलता था। आर्य को अचानक बाहर जाने का मन हुआ, तो उसने दरवाजा खोला और गार्डन में चली गई। --- दूसरी तरफ... रुद्र को यह देखकर तकलीफ हुई कि उसकी बहन ने उससे नज़रें फेर ली थीं। उसे यह एहसास हुआ कि सौम्या के दिल में उसके लिए अब कोई जगह नहीं थी। पर उसने अपनी भावनाओं को दबाया और सुमोना को लेकर राणावत हवेली की तरफ रवाना हो गया। --- गार्डन में... आकांक्षा जी ने आर्य के लिए सूप बनाया था। वे सूप की ट्रे लेकर उसके कमरे की तरफ गईं। लेकिन अंदर जाते ही देखा कि कमरा खाली था! उन्होंने इधर-उधर देखा, पर आर्य कहीं नहीं दिखी। तभी उनकी नज़र गार्डन की ओर खुलने वाले दरवाजे पर पड़ी, जो हल्का-सा खुला हुआ था। उन्होंने गहरी साँस ली और बाहर आईं। आर्य वहाँ घास पर बैठी हुई थी। आकांक्षा जी ने मुस्कुराते हुए उसके पास जाकर, एक कटोरी में सूप निकाला और धीरे-धीरे उसे पिलाने लगीं। तभी उनकी नज़र आर्य के पैरों पर पड़ी। उसके पैर सूज गए थे और लाल हो रखे थे! उन्होंने तुरंत एक फीमेल सर्वेंट से गरम तेल लाने को कहा। जब तेल आ गया, तो आकांक्षा जी घास पर बैठ गईं और आर्य का पैर अपनी गोद में रखकर हल्के हाथों से उसकी मालिश करने लगीं। आर्य यह सब बड़े ध्यान से देख रही थी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन सोचा— "कितनी अच्छी फैमिली है मेरी... कितनी केयर करती है मेरी। लेकिन मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा?" फिर खुद को जवाब देते हुए बुदबुदाई— "फैमिली तो मेरी ही है... मैं इसी फैमिली का हिस्सा हूँ।" उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। आकांक्षा जी ने जब उसकी मुस्कान देखी, तो उनकी आँखों में भी प्यार छलक आया।
--- आर्य इस वक्त गार्डन के पिछले एरिया में बैठी हुई थी। उसके पास सौम्या बैठी थी, जो उसे सूप पिला रही थी, और आकांक्षा जी उसके पैर की मालिश कर रही थीं। तभी वहाँ स्मृति जी, प्रियंका और प्रेरणा जी आ जाती हैं। आकांक्षा जी को इस तरह ज़मीन पर बैठे देखकर वे तीनों एक-दूसरे को देखती हैं, फिर अपने कदम आगे बढ़ा देती हैं। जैसे ही वे पास आती हैं, उन्हें साफ़ नज़र आता है कि आकांक्षा जी आर्य के पैरों की मालिश कर रही हैं। वे तीनों देख सकती थीं कि आर्य के पैर में बहुत ज्यादा सूजन है। तभी सृष्टि भी आगे बढ़कर आर्य का दूसरा पैर पकड़ लेती है और धीरे-धीरे उसकी भी मालिश करने लगती है। आर्य उन्हें देखकर मुस्कुरा देती है और आँखें बंद करके अपनी चेयर पर सिर टिकाकर आराम से बैठ जाती है। उसे इस वक्त बहुत सुकून महसूस हो रहा था। प्रियंका और प्रेरणा दीदी, जो वहीं मौजूद थीं, उन्होंने आर्य के पैरों के नीचे एक मुलायम तकिया रख दिया। प्रेरणा जी के पास एक शॉल भी थी, जो वे आर्य के लिए लेकर आई थीं। क्योंकि अभी भी ठंड का मौसम था और यह आर्य के लिए नुकसानदेह हो सकता था, इसलिए उन्होंने आर्य को शॉल उढ़ा दी। खुद भी उन्होंने शॉल ओढ़ी और वे वहीं बैठ गईं। थोड़ी देर में अंधेरा होने लगा था और मौसम भी काफी ठंडा हो गया था। ठंडी हवाएँ भी चल रही थीं। आर्य इस वक्त गहरी नींद में थी, इसलिए वे उसे धीरे-धीरे व्हीलचेयर पर बैठाकर उसके कमरे में ले गईं और आराम से सुला दिया। आकांक्षा जी, स्मृति जी, प्रियंका और प्रेरणा एक-दूसरे को देखते हुए कहती हैं, "मैं सुमोना और रुद्र की मेहंदी में नहीं आ पाऊँगी। मुझे आर्य के साथ रहना है। उसकी देखभाल के लिए यहाँ कोई तो होना चाहिए।" आज सुमोना और रुद्र की मेहंदी थी और कल सुबह हल्दी, फिर शाम तक शादी होने वाली थी। इसलिए सभी को वहाँ जाना था। लेकिन आकांक्षा जी ने साफ़ मना कर दिया। स्मृति जी का भी जाने का मन नहीं था, इसलिए उन्होंने भी मना कर दिया। प्रेरणा और प्रियंका भी नहीं जाना चाहती थीं, लेकिन दादाजी के आदेश के कारण उन्हें मजबूरन जाना पड़ा, ताकि रुद्र को किसी तरह का शक न हो। राठौर हवेली स्मृति जी और आकांक्षा जी आर्य के पास बैठी थीं। वे सोती हुई आर्य को देख रही थीं, जो बिल्कुल उनके पति—शाश्वत जी की कॉपी लग रही थी। थोड़ी देर बाद, वे दोनों आर्य के कमरे से निकलकर किचन की तरफ चली गईं। जो लोग मेहंदी में नहीं जा रहे थे, उनके लिए डिनर तैयार था। --- वहीं दूसरी तरफ... किंग और उसकी पूरी बॉडीगार्ड टीम एयरपोर्ट पहुँच चुकी थी, लेकिन अंदर जाने से पहले ही किंग को एक इमरजेंसी कॉल आ गया। वह तुरंत वहाँ से वापस अपने ब्लैक विला लौट गए। अपना ज़रूरी काम निपटाने के बाद, किंग आधी रात में दोबारा एयरपोर्ट के लिए निकले और कुछ ही देर में अपने प्राइवेट जेट से मुंबई के लिए रवाना हो गए। --- राणावत हवेली इस वक्त हवेली को बेहद खूबसूरती से सजाया गया था। अब धीरे-धीरे गेस्ट आने लगे थे, जिन्हें रुद्र ने इनवाइट किया था—कुछ उसके बिज़नेस पार्टनर, कुछ उसके दोस्त और कुछ रिश्तेदार। सुमोना की फैमिली भी पहुँच चुकी थी। धीरे-धीरे मेहंदी का फ़ंक्शन शुरू हो गया। सुमोना को मेहंदी लग चुकी थी, और वह काफी खुश दिख रही थी। रुद्र के चेहरे पर भी खुशी थी, लेकिन परिवार के बाकी लोग थोड़ा उदास थे। उन्हें लग रहा था कि अगर सुमोना की जगह रुद्र आर्य से खुश होता, तो आज हालात कुछ और होते। खैर, धीरे-धीरे फ़ंक्शन खत्म हुआ। रात गहरा चुकी थी, सभी लोग थक चुके थे। डिनर करने के बाद मेहमान अपने-अपने घर चले गए। अब सभी को सुबह का इंतजार था, क्योंकि सुबह हल्दी की रस्म होने वाली थी... और उसके साथ एक बड़ा धमाका भी! --- आधी रात – राठौर हवेली आर्य इस वक्त अपने बेड पर गहरी नींद में थी। लेकिन उसके चेहरे पर पसीना था। वह बेचैनी से कुछ बड़बड़ा रही थी, अपना सिर इधर-उधर हिला रही थी। "नहीं... प्लीज़, मुझे छोड़ दो... मेरे साथ कुछ मत करो... नहीं... प्लीज़!" अचानक, वह हड़बड़ाकर उठ बैठी। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। उसका एक हाथ पेट पर था और दूसरा अपने चेहरे के पसीने को पोंछ रहा था। उसकी नज़र साइड टेबल पर रखे पानी के जग पर पड़ी। उसने झट से पानी उठाया और एक ही साँस में पूरा ख़त्म कर दिया। कुछ राहत महसूस होते ही, वह धीरे-धीरे उठी और बगल में लेटी सौम्या को देखा। सौम्या गहरी नींद में थी। आर्य ने उसे ध्यान से देखा, फिर प्यार से उसके ऊपर कंबल ठीक कर दिया। इसके बाद, वह खिड़की की तरफ बढ़ गई, जहाँ से बाहर का गार्डन साफ़ दिखाई दे रहा था। खामोशी से खड़ी होकर वह ठंडी हवाओं को महसूस करने लगी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। अचानक, उसकी आँखों के सामने एक चेहरा आया—माहिर का। माहिर को याद करते ही आर्य के चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई। उसने धीरे से उसका नाम पुकारा, "माहिर..." जैसे ही उसने नाम लिया, उसके कानों में एक फुसफुसाहट सुनाई दी— "मैं यहीं हूँ, जान..." आर्य ने तुरंत अपनी आँखें खोलीं। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। उसकी साँसें गहरी हो गईं। वह धीरे से खिड़की के फ्रेम पर सिर टिकाकर बाहर देखने लगी। ठंडी हवा से उसे ठंडक का एहसास हो रहा था, लेकिन वह वहीं खड़ी रही। "आज तुम्हारी याद आ रही है... बेहिसाब आ रही है... मेरी नज़रें तुम्हें तलाश कर रही हैं... और तुम हो कि तुम्हारी कोई खबर ही नहीं है!" आर्य की आँखों से एक आँसू बह गया। आज उसे माहिर की याद आ रही थी—जिसे उसने खुद अपने हाथों से मारा था। माहिर को याद करते ही उसके दिमाग में कई पुरानी यादें घूमने लगीं... एक रूम में माहिर पियानो बजा रहा था। आर्य सफेद शर्ट में थी, जबकि माहिर शर्टलेस था। उसकी उँगलियाँ पियानो पर बेहद नज़ाकत से चल रही थीं। आर्य पिलर से टिकी हुई थी, उसके शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे, और उसकी पूरी थाई विज़िबल थी। माहिर उसकी आँखों में देखते हुए एक गाना गाने लगा— "सुबह-सुबह... सुबह-सुबह तेरी यादें... सुबह-सुबह... सुबह-सुबह दिन बना दे..." आर्य ने खिड़की खोली और बालकनी में चली गई। जैसे ही उसने आँखें बंद कीं, उसे अपनी कमर पर किसी की पकड़ महसूस हुई—माहिर! माहिर ने उसे बैक हग किया, उसके कानों के पास आकर सरगोशी की— Tu Meri Kheedkiyo Pe Bikhre Din Banke Tu Mujhpe Dhupp Sa hai Girta Chhan Chhan Ke Chhan Chhan Ke Tu Ishq Hai Toh Main Baahon Mein Hoon Baahon Mein Hoon Toh Panaahon Mein Hooon Kajal Hoon Toh Main Nigahon Mein Hooon Tu Hain Toh Main Hoon.... आर्य माहिर से अलग होती है और थोड़ी दूरी पर जाकर खड़ी हो जाती है माहिर उसे देखा है और उसका हाथ पड़कर अपनी और खींच लेता है और इसी के साथ वह यह लाइन उसकी आंखों में देखते हुए गाता है। Kasmein.. Vadee.. Kyu.. Tu Hai To Main Hoon.. Bas Main Tera Hoon Tu Hai To Mai Hoon.. Seene Pe Likh Loon Tu Hain Toh Main Hoon... Tu Hai To Mai Hoon...:) Music.. सीन चेंज होता है और यह सीन एक खूबसूरत से जंगल का होता है और वहां का नजारा बेहद खूबसूरत था और पास में ही एक नहर बह रही थी जहां पास आर्य बैठी थी और माहिर एक पत्थर से लगकर उसे देखे जा रहा था इस वक्त उसके दोनों हाथ पैंट में थे और वह अपनी आंखों में बेशुमार प्यार लिए आर्य को देख रहा था Ek Moothi Khwahishon Ki Tere Aage Khol Ke... Zindagi Bhar Chup Rahoonga... Baatein.. Dil Kee Bol Ke... Na Tere Saaye Pe Bhi Aaye.. Koi Aanch Dua Maangoon.... Mai Sadkay Main Tere Apni... Khushi De Doonga Tol Ke... Subhe Subhe Subhe Subhe Teri Yaadein Subhe Subhe Subhe Subhe Din Bana De... Main tera shauk hoon.. Aa pura kar mujhko.. Doobara phir kahoon Aa pura kar mujhko.. haq Thujko.. यह लाइन गाते हुए माहिर अपने कदम धीरे-धीरे आर्य की तरफ बढ़ता है और आर्य जो वहीं बैठी उसे नहर के पानी में हाथ धुल रही थी वह हाथ डॉकर अपना सर उठाकर ऊपर माहिर को देखते हैं तो माहिर उसे देखते हुए नीचे झुकता है और उसे गोदी में उठा लेता है। आर्य भी अपने दोनों हाथ माहिर के गार्डन में लपेट लेती है और माहिर उसे बड़े ही प्यार से थमता है और उसे देखते हुए यह लाइन गाता है। Tu Rang Mein Teri Pehchaan Hoon Pehchaan Hoon Main Teri Jaan Hoon Main Koi Tera Hi Armaan Hoon... Tu Hain Toh Main Hoon.... Rasmon ko bhoolun.. tu hai toh main hoon.. main thuje mein jeelon.. tu hai toh main hoon.. Seene pe likh loon.. tu hai toh main hoon.. tu hai toh main hoon.. Music.. माहिर धीरे धीरे उसके करीब झुक कर उसके होठों पर हॉट रखकर किस करता है और थोड़ी ही देर में अलग हो जाता है और अब यहां पर सीन अलग होता है यह सीन वहां पास का था जब आर्य ने माहिर को गोली मारी थी और माहिर उसे देखते हुए वहीं खड़ा था खामोशी के साथ। Jhoothe Judaiyan Jhoothe Bichhode.. Yaad Kisi Ka Haath Na Chhode.. Yaad Kahe Yeh Humse Aksar Tu Hain.. Toh Main Hoon... Toh Main Hoon... Tu Hain Toh Main Hoon... Aaa main hoon.. TU HAI Toh Main Hoon... Tu Hain Toh Main Hoon... Han Main Hoon... Tu Hain Toh Main Hoon... आर्य के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों में आँसू भी थे। क्योंकि यह बस एक याद थी—माहिर अब उसके पास नहीं था...
(To be continued...) --- कैसा लगा? कमेंट करके जरूर बताना