ईरा, एक बेबाक आर्टिस्ट, और आर्यन खन्ना, एक अहंकारी CEO, पैसों और वसीयत के लिए एक फर्जी शादी के बंधन में बँध जाते हैं। उनकी शर्त है: वे एक-दूसरे से दूर रहेंगे, पर दुनिया को दिखाएंगे कि वे दीवाने हैं। लेकिन जब आर्यन की दखलंदाज़ माँ, मालिनी ख... ईरा, एक बेबाक आर्टिस्ट, और आर्यन खन्ना, एक अहंकारी CEO, पैसों और वसीयत के लिए एक फर्जी शादी के बंधन में बँध जाते हैं। उनकी शर्त है: वे एक-दूसरे से दूर रहेंगे, पर दुनिया को दिखाएंगे कि वे दीवाने हैं। लेकिन जब आर्यन की दखलंदाज़ माँ, मालिनी खन्ना, उन्हें नज़दीक आने पर मज़बूर करती हैं,पेंटिंग करने से लेकर एक ही बेडरूम में सोने तक, तो उनका झूठा रोमांस डगमगाने लगता है। आर्यन की चालाकी और ईरा का पलटवार उनके बीच नफ़रत की चिंगारी को एक अनचाहे आकर्षण में बदल रहा है। क्या यह कागज़ी समझौता सच में दिल की धड़कन बन पाएगा, या उनका सच सामने आ जाएगा?
आर्यन खन्ना
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इरा शर्मा
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ईरा शर्मा के लिए, आज का दिन उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मज़ाक था। भारी बनारसी सिल्क का लाल जोड़ा, जिसे पहनने का उसका कभी सपना नहीं था, उसके बदन पर बोझ की तरह लग रहा था। मंडप की चमकीली सजावट और ढोल-शहनाई की गूंज उसके कानों में शोर पैदा कर रही थी, जबकि उसके दिल में भयानक खामोशी थी।
उसने नज़र उठाकर सामने बैठे आदमी को देखा—आर्यन खन्ना।
वह एक परफेक्ट दूल्हा था। काला रेशम का कुर्ता, जिस पर बारीक कढ़ाई थी, उसके मस्कुलर फ़्रेम (Muscular frame) पर एकदम फिट बैठ रहा था। उसका रंग गोरा था, बाल करीने से सँवारे हुए थे, और उसकी आँखें... उसकी आँखें बेहद सख्त थीं। उनमें न कोई उत्साह था, न कोई भावना। वह किसी बिज़नेस मीटिंग में बैठे हुए लग रहा था, एक हाथ में उसका महंगा फ़ोन और दूसरे हाथ में कागज़ात का एक बंडल।
यह प्यार नहीं है, ईरा, उसके अंदर की आवाज़ ने फुसफुसाया। यह एक सौदा है। एक साल का कॉन्ट्रैक्ट।
ईरा (Ira) ने अपनी नज़रें ज़मीन की ओर झुका लीं, लेकिन उसके माथे पर लगा भारी टीका और लाल बनारसी दुपट्टा भी उसके चेहरे की पीली पड़ चुकी रंगत को छुपा नहीं पा रहे थे। वह अपनी जगह पर, सोफे के किनारे, एक मूर्ति की तरह बैठी थी। उसके आस-पास रिश्तेदार और सहेलियाँ थीं, उनकी हँसी और उत्साह की आवाज़ें एक कोलाहल बन चुकी थीं, जो उसके अंदरूनी डर को और भी गहरा कर रही थीं। उसने एक क्षण के लिए कमरे में फैले तेज गुलाब जल और चंदन की सुगंध को महसूस किया, जो विवाह की पवित्रता का प्रतीक था, पर आज उसे वह महक भी नकली और घुटन भरी लग रही थी।
उसने गहरी साँस ली। अगर उसके पिता पर खन्ना इंडस्ट्रीज़ का वह भारी कर्ज़ा न होता, अगर उसकी माँ का इलाज इतना महंगा न होता, तो वह आज यहाँ नहीं होती। पर अब यह उसकी नियति थी। एक साल तक इस ठंडे CEO की पत्नी बनकर रहने की मजबूरी।
"गठबंधन करो," पंडित जी की आवाज़ आई।
ईरा की माँ ने रोते हुए उसके दुपट्टे का कोना आर्यन के कुर्ते से बाँधा। जैसे ही गाँठ लगी, ईरा को लगा जैसे उसकी आज़ादी की साँसें खींच ली गई हों।
आर्यन के लिए यह शादी एक ज़रूरी औपचारिकता थी। एक ऐसी मीटिंग, जिसे टालना संभव नहीं था।
उसने एक नज़र अपनी बगल में बैठी लड़की पर डाली—ईरा शर्मा। उसने सिर्फ़ तस्वीरों में उसे देखा था। वह सुंदर थी, इसमें कोई शक नहीं था, लेकिन उसके चेहरे पर आज़ादी की एक ऐसी ज़िद थी जो आर्यन को पसंद नहीं आई। उसे ऐसी लड़की चाहिए थी जो उसके नियमों को माने, चुपचाप रहे, और उसकी कंपनी की सोशल इमेज (Social image) को अच्छा बनाए।
"सात फेरे," पंडित जी ने कहा।
आर्यन बिना किसी भावना के खड़ा हुआ। हर फेरा उसके दिमाग में एक ही बात दोहरा रहा था: वसीयत (The Will)
उसके दादाजी की वसीयत साफ थी:
"अगर आर्यन को कंपनी के पचास प्रतिशत शेयर चाहिए, तो उसे एक साल के भीतर शादी करनी होगी और उस लड़की के साथ एक साल तक रहना होगा। अगर वह असफल रहा, तो शेयर उसके प्रतिद्वंद्वी चचेरे भाई राहुल को चले जाएँगे।"
आर्यन अपनी मेहनत से बनी कंपनी किसी भी हाल में राहुल के हाथ में नहीं जाने दे सकता था। इसलिए उसने यह सौदा किया।
सात फेरे पूरे हुए। जैसे ही आर्यन ने ईरा की माँग में सिंदूर भरा और उसके गले में मंगलसूत्र बाँधा, उसने खुद से कहा: यह सिर्फ़ दिखावा है, आर्यन। इस लड़की से तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं।
शादी की रस्में खत्म हुईं। विदाई के वक्त ईरा ज़रा भी नहीं रोई, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। उसने अपने माता-पिता को गले लगाया, और बस इतना कहा, "मैं जल्द ही वापस आऊँगी। अपना ध्यान रखना।"
उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी—प्रतिज्ञा की चमक।
रात ग्यारह बजे, उनकी गाड़ी मुंबई के सबसे ऊँचे टावर के एक पेंटहाउस के सामने रुकी।
ईरा ने लिफ्ट में खड़े आर्यन को देखा।
"यह बहुत बड़ा है," उसने शांत आवाज़ में कहा।
"ज़रूर है," आर्यन ने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया। "और इस बड़े घर के कुछ नियम हैं, जो तुम्हें अभी जानने होंगे।"
जैसे ही वे आलीशान लिविंग रूम में पहुँचे, आर्यन ने एक सफ़ेद फ़ाइल ईरा की तरफ बढ़ाई।
"इसे पढ़ो," उसने अपनी सख्त, CEO वाली आवाज़ में कहा। "यह हमारा मैरिज कॉन्ट्रैक्ट है।"
ईरा ने फ़ाइल खोली। उसमें दस सख्त नियम लिखे थे:
1.हमारा रिश्ता केवल एक समझौता (Agreement) है।
2.हम एक ही घर में रहेंगे, पर अलग कमरों में।
3.हम बिना किसी की इजाज़त के एक-दूसरे के कमरे में दाखिल नहीं होंगे।
4.घर के बाहर, हम एक खुशहाल शादीशुदा जोड़े की तरह व्यवहार करेंगे।
5.घर के अंदर, हमारे बीच कोई बातचीत ज़रूरी नहीं है।
6.एक साल बाद, बिना किसी शर्त के तलाक (Divorce) होगा।
ईरा ने कागज़ वापस मेज पर रख दिया। उसके चेहरे पर अब गुस्सा नहीं, बल्कि एक स्थिर शांति थी।
"यह सब मैंने पहले ही मान लिया था, मिस्टर खन्ना," ईरा ने कहा। "मुझे कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों को पढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरी तरफ से सिर्फ़ एक शर्त है।"
आर्यन ने भौंहें चढ़ाईं। "क्या?"
"तुम मेरे काम में दखल नहीं दोगे। मैं एक आर्टिस्ट हूँ। मैं पेंटिंग करती हूँ और मेरा एक छोटा सा आर्ट कैफ़े है। मैं सुबह नौ बजे तक वहाँ जाती हूँ। तुम मेरी आज़ादी और मेरे काम के बीच नहीं आओगे।"
आर्यन ने उसे ऊपर से नीचे देखा। यह लड़की, जिसे उसने पैसों के बदले खरीदा था, उससे शर्त रख रही थी?
"ठीक है," उसने सहमति दी। "तुम्हारी आज़ादी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, जब तक तुम मेरी कंपनी के नाम पर कोई दाग नहीं लगाती। और अब, यह तुम्हारा कमरा है। और यह मेरा। गुड नाइट।"
आर्यन ने दूसरा कमरा खोला और अंदर चला गया।
ईरा ने अपने कमरे में प्रवेश किया। वह भी आर्यन के कमरे जितना ही बड़ा और शानदार था, पर उसमें एक भी किताब या पेंटिंग नहीं थी। वह कमरा बेजान था।
ईरा ने भारी लहंगे को उतारा, गहने फेंके, और बेड पर बैठ गई। उसने अपना फ़ोन निकाला और अपने बचपन के दोस्त करण को मैसेज किया:
"डील डन। मैं अब मिसेज़ आर्यन खन्ना हूँ। मेरे लिए यह शादी एक साल की जेल है। और मैं इस जेल से आज़ादी पाने के लिए हर दिन लड़ूँगी।"
उसने अपने बाल खोल दिए, खिड़की से बाहर चमकती मुंबई को देखा, और उसके चेहरे पर एक निर्णायक मुस्कान आई।
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कहानी का पहला पार्ट कैसा लगा बताइएगा जरूर। आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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©® Writer Tanu ✍🏻
शादी को तीन दिन बीत चुके थे। तीन दिन जिनमें ईरा ने आर्यन का चेहरा केवल नाश्ते की मेज पर देखा था, और वह भी बिना किसी बातचीतक के। वह अपने आर्ट कैफ़े में सुबह जल्दी चली जाती और देर रात लौटती। आर्यन या तो ऑफ़िस में होता, या अपने स्टडी रूम में बंद।
उन दोनों के कमरे की दीवारें, उनके बीच की दूरी की गवाह थीं।
चौथे दिन सुबह, जब ईरा नाश्ते के लिए लिविंग रूम में आई, तो आर्यन पहले से बैठा था। उसने फ़ोन नीचे रखा और सीधे ईरा की तरफ देखा। उसकी आँखों में वो ही ठंडी, व्यापारिक चमक थी।
"आज रात तुम्हें मेरे साथ खन्ना इंडस्ट्रीज़ की एनुअल पार्टी में चलना होगा," आर्यन ने सीधे कहा।
ईरा ने अपनी कॉफ़ी का कप उठाते हुए पूछा, "क्या यह ज़रूरी है? कॉन्ट्रैक्ट में ऐसी कोई शर्त नहीं थी।"
"ज़रूरी है," आर्यन ने कठोरता से जवाब दिया।
"दादाजी की वसीयत सिर्फ़ घर के अंदर की शादी के बारे में नहीं थी। यह सामाजिक दिखावे के बारे में भी थी। बाज़ार में यह बात फैलनी चाहिए कि मैं एक खुशहाल शादीशुदा इंसान हूँ। तुम्हें वहाँ मेरी पत्नी का किरदार निभाना होगा। बिल्कुल परफ़ेक्ट।"
ईरा ने एक गहरी साँस ली। "किरदार निभाऊँगी, मिस्टर खन्ना। मुझे अपनी डील याद है। लेकिन यह याद रखना, मैं तुम्हारी कठपुतली नहीं हूँ।"
शाम होते-होते, माहौल बदल गया। आर्यन ने अपने असिस्टेंट को ईरा के लिए डिज़ाइनर कपड़े और ज्वेलरी भेजने का निर्देश दिया।
जब ईरा ने पैकेज खोला, तो उसमें एक गहरा नीला गाउन था, जो ऊपर से बंद और कमर से एकदम कसा हुआ था। उसके साथ की हीरे की ज्वेलरी इतनी चमकदार थी कि ईरा की आँखें चौंधिया गईं।
"यह तो बहुत ज़्यादा है," उसने फुसफुसाया।
तभी, दरवाज़े पर दस्तक हुई। आर्यन की माँ, श्रीमती मालिनी खन्ना, अंदर आईं। आर्यन ने शादी के बाद उन्हें केवल फ़ोन पर बात की थी।
"अरे वाह, मेरी बहू आज रात तहलका मचा देगी!" मालिनी जी ने प्यार से कहा।
"आर्यन को अपनी परवाह नहीं होती, पर मुझे पता है कि ऐसी पार्टियों में तुम्हारी एंट्री कैसी होनी चाहिए।"
मालिनी जी ने खुद अपने हाथों से ईरा को तैयार किया। जब ईरा पूरी तरह तैयार होकर आईने में खुद को देखा, तो उसे लगा जैसे वह कोई और है—एक रानी, जिसने मजबूरी में यह मुकुट पहना हो।
ईरा, आर्यन का इंतज़ार कर रही थी।
तभी आर्यन अपने कमरे से बाहर आया। उसने एक काले रंग का टक्सीडो पहना हुआ था। वह आज हमेशा से ज़्यादा आकर्षक लग रहा था। उसकी आँखें, जो अक्सर गणना (Calculations) में डूबी रहती थीं, अब तेज़ और अधूरे इंतज़ार में थीं।
जैसे ही उसकी नज़र ईरा पर पड़ी, वह एक पल के लिए ठहर गया। उसकी आँखें... वे पहली बार ठंडी नहीं थीं। उनमें एक अचम्भा था, एक ऐसी भावना जिसे आर्यन खन्ना शायद ही कभी महसूस करता था।
ईरा ने पहली बार उसके चेहरे पर इतनी करीबी से नरमी देखी।
"तुम... तुम अच्छी लग रही हो," आर्यन ने बेहद रूखेपन से कहा, जैसे वह किसी मशीनरी की तारीफ कर रहा हो।
"शुक्रिया, मिस्टर खन्ना। आपको भी यह सूट करता है कि आप इंसान लग रहे हैं, कोई रोबोट नहीं।"
आर्यन की भौंहें चढ़ गईं। "ज़बान सँभाल कर, ईरा। और हाँ," उसने अपनी तरफ से एक हीरे का ब्रेसलेट निकाला।
"यह पहन लो। दिखावा महँगा होना चाहिए।"
ईरा ने ब्रेसलेट पहना, और जैसे ही उसने हाथ आगे बढ़ाया, आर्यन ने उसका हाथ पकड़ लिया। यह पहली बार था जब उन्होंने एक-दूसरे को छुआ था।
ईरा की साँसें थम गईं।
"वहाँ," आर्यन ने धीरे से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा भारीपन था। "हर समय मेरे साथ रहना। कोई गलती नहीं।"
जैसे ही आर्यन और ईरा पार्टी में दाखिल हुए, सैकड़ों आँखें उन पर टिक गईं।
आर्यन खन्ना इंडस्ट्रीज़ का वारिस था, और ईरा, उसकी नई पत्नी, चर्चा का केंद्र थी।
पार्टी में भीड़ थी, पर आर्यन एक मैग्नेट की तरह था—सभी की नज़र उसी पर थीl
"स्माइल करो, ईरा," आर्यन ने मुस्कुराते हुए फुसफुसाया। उसका हाथ ईरा की कमर पर कसा हुआ था। यह छूना सार्वजनिक था, पर ईरा को लगा जैसे उस स्पर्श से उसके अंदर की नफ़रत और आकर्षण की आग भड़क उठी हो।
ईरा ने अपनी सबसे प्यारी और नकली मुस्कान दी।
तभी एक शख्स उनके पास आया। यह था आर्यन का चचेरा भाई, राहुल।
"वाह, आर्यन! मुझे तो पता ही नहीं था कि तुम में इतनी रोमांटिक नसें हैं," राहुल ने ताना मारा।
"बधाई, मिसेज़ खन्ना। मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम्हारा यह 'प्यार' एक साल से ज़्यादा चलेगा। नहीं तो... आर्यन को बहुत कुछ गँवाना पड़ेगा।"
राहुल की आवाज़ में छिपी धमकी ईरा को महसूस हुई। उसने आर्यन का हाथ ज़ोर से भींच लिया।
"शुक्रिया, राहुल जी," ईरा ने मुस्कान को ज़रा भी कम न होने दिया। "लेकिन आप चिंता न करें। हमारा प्यार चलेगा... हमारी शर्तों पर।"
पार्टी में कुछ देर बाद, ईरा को दम घुटने लगा। उसने आर्यन से कहा कि वह बाहर बालकनी में जा रही है। बालकनी में ईरा अकेली खड़ी थी, ठंडी हवा उसके चेहरे को छू रही थी।
तभी आर्यन पीछे से आया। "तुम्हारी ज़बान ज़्यादा तेज़ नहीं हो रही है, ईरा?"
"मुझे राहुल पसंद नहीं आया," ईरा ने पलटकर कहा। "तुम्हारे रिश्तेदार तुम्हारे जैसे ही ठंडे और मतलबी हैं।"
"उनकी चिंता मत करो," आर्यन ने उसे अपने और दीवार के बीच फँसा लिया। उसकी आँखें ईरा की आँखों में थीं। "तुम्हें सिर्फ़ मेरी चिंता करनी चाहिए।"
दोनों के बीच की दूरी लगभग खत्म हो चुकी थी। ईरा को आर्यन की साँसों की गर्मी महसूस हो रही थी।
"तुम... तुम क्या कर रहे हो?" ईरा की आवाज़ काँप रही थी।
"वही जो इस वक्त हमें करना चाहिए," आर्यन ने धीरे से कहा। "याद है? हमें खुशहाल शादीशुदा जोड़ा दिखना है। और यह वो जगह है जहाँ... लोग हमें देख सकते हैं।"
इससे पहले कि ईरा कुछ समझ पाती, आर्यन ने बिना किसी चेतावनी के अपने होंठ ईरा के होंठों पर रख दिए। यह पहला चुंबन था—अचानक, ज़बरदस्त, और भावनाओं से रहित।
यह चुंबन एक नाटक था, एक दिखावा...
लेकिन जैसे ही आर्यन पीछे हटा, उसने देखा: ईरा की आँखें बंद थीं, और उसकी दिल की धड़कन बेकाबू हो चुकी थी।
आर्यन भी खुद से नाराज़ था। यह सिर्फ़ दिखावा नहीं था। जब उसके होंठ ईरा को छू रहे थे, तब उसे महसूस हुआ कि यह सिर्फ़ नाटक नहीं था... आग दोनों तरफ लगी थी।
पार्टी से लौटकर, पेंटहाउस का माहौल बेहद तनावपूर्ण था।
पार्टी में हुआ अचानक, अनियोजित किस उन दोनों के बीच एक अनकही चीज़ बन गया था। यह दिखावा था, एक नाटक... पर उस नाटक का असर गहरा हुआ था। इतना गहरा कि दोनों में से कोई भी उसे नज़रअंदाज़ नहीं कर पा रहा था। वह पल कुछ सेकंड का ही सही, पर उसने उनके बीच की हवा बदल दी थी। नज़रों की खामोशियाँ अब और भारी हो गई थीं, शब्द अधूरे पड़ने लगे थे और हर बार पास आने पर वही याद, वही अजनबी सी नज़दीकी, फिर से जी उठती थी। उस एक झटके में हुआ स्पर्श, होठों की वह छुअन, न चाहते हुए भी उनकी सोच में घर कर चुकी थी। यह महज़ एक गलती थी या किसी छिपी चाहत की पहली आहट—कहना मुश्किल था। पर इतना तय था कि उस रात के बाद उनके बीच जो भी था, वह पहले जैसा नहीं रहा।
ईरा ने दरवाज़ा खोलकर अपने कमरे में प्रवेश किया और तुरंत दरवाज़ा बंद कर दिया। तेज़ धड़कनों की आवाज़ जैसे पूरे कमरे में गूंज रही थी। उसने खुद को आइने में देखा—चेहरे पर हल्की लाली, आँखों में उलझन, और होंठ… उसके होंठ अब भी गर्म थे। उस स्पर्श की गर्माहट जैसे त्वचा में गहराई तक उतर गई थी, जिसे चाहकर भी मिटाया नहीं जा सकता था।
आर्यन ने उसे क्यों चूमा था? क्या यह सिर्फ राहुल को दिखाने के लिए था, एक खेल, एक बहाना? या फिर उसमें थोड़ा-सा भी… कुछ और था? कोई ऐसा जज़्बा, जिसे वह मानने से डर रहा हो? सवाल उसके मन में लगातार गूंजते रहे। जवाब कहीं नहीं था, पर उस एक पल ने उसकी पूरी दुनिया हिला दी थी।
वह अपने नियम तोड़ने के लिए खुद पर नाराज़ थी। मन ही मन खुद को डाँटती रही—ईरा, यह कैसी बेवक़ूफ़ी थी? वह CEO है, हर खेल उसके कंट्रोल में रहता है। यह किस भी उसका एक और तरीका था तुम्हें काबू में लेने का। वह आइने में खुद को देखती रही, होंठों पर अब भी बची उस गर्मी से डरती हुई, जैसे यह उसके वजूद को चुपचाप बदल रही हो।
दूसरी तरफ, आर्यन अपने कमरे में खड़ा था। उसने झटके से अपनी जैकेट उतारी और सोफ़े पर फेंक दी। उसका दिमाग, जो हमेशा शांत और नियंत्रित रहता था, इस समय अराजकता से भरा हुआ था। वह खुद से बार-बार पूछ रहा था—क्यों? मैंने ऐसा क्यों किया?
उसने ईरा की धड़कनें अपनी पकड़ में महसूस की थीं। उसने उसके होंठों की गर्मी महसूस की थी। और सबसे बुरी बात यह थी कि वह पल उसे अच्छा लगा था—खतरनाक हद तक अच्छा। एक पल के लिए, उसके भीतर का ठंडा व्यापारी गायब हो गया था और उसकी जगह कोई और आ गया था, जो सिर्फ उस एहसास को जीना चाहता था।
आर्यन ने गहरी साँस खींची और अपने आप को रोक लिया। प्यार? नहीं। प्यार कमज़ोरी है। और कमज़ोरी उसके जैसे आदमी के लिए मौत है। यह लड़की उसके लिए बस एक साल का सौदा है, और कुछ नहीं। उसने ठंडी साँस छोड़ी, अपनी आँखें बंद कीं और खुद को फिर से वही दीवारों में कैद कर लिया—वे दोनों अपने नियमों पर टिके रहेंगे।
अगली सुबह नाश्ते की मेज पर, उनके बीच की दूरी और बढ़ गई थी। वे दोनों आँखें मिलाने से कतरा रहे थे।
आर्यन ने अपना ध्यान अख़बार पर केंद्रित कर रखा था, जबकि ईरा अपनी कॉफ़ी का कप इतनी ज़ोर से पकड़े थी जैसे वह टूट जाएगा।
ईरा ने चुप्पी तोड़ी। "कल रात जो हुआ..."
आर्यन ने बिना अख़बार से नज़र हटाए कहा, "कल रात, हमने वही किया जो वसीयत के लिए ज़रूरी था। हम एक खुशहाल शादीशुदा जोड़ा दिख रहे थे। बात खत्म।"
उसकी बात सुनकर ईरा के दिल में चुभन हुई। उसका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
"ठीक है, मिस्टर खन्ना! माफ़ करना कि मैं ज़रा इमोशनल हो गई थी! मुझे याद दिलाने के लिए शुक्रिया कि यह सिर्फ़ एक बिज़नेस डील है!"
वह गुस्से से अपनी कॉफ़ी वहीं छोड़कर उठ खड़ी हुई।
ईरा जल्दी से अपने कैफ़े, 'द आर्टिस्ट कॉर्नर' पहुँची। यह उसकी पनाहगाह थी। यहाँ रंग, कैनवस और कॉफ़ी की खुशबू थी।
थोड़ी देर में, उसका बचपन का दोस्त, करण आया। करण हमेशा से ईरा का सबसे अच्छा दोस्त और अनकहा चाहने वाला रहा है।
"मिसेज़ आर्यन खन्ना, आप कल रात की पार्टी में कहर ढा रही थीं!" करण ने मज़ाक किया।
"बकवास बंद करो, करण," ईरा ने रूखेपन से कहा।
"क्या हुआ? क्या आर्यन ने फिर तुम्हें अपने CEO रूल्स बताए?"
ईरा ने उसे कल रात के किस के बारे में बताया, लेकिन उसने इसे सिर्फ़ गुस्से और गुस्से की कहानी के रूप में पेश किया।
"वह इतना ठंडा है कि मुझे लगा जैसे मैंने किसी बर्फ के पहाड़ को छुआ हो," ईरा ने झूठ बोलते हुए कहा।
करण ने ईरा का हाथ पकड़ा। "तुम्हें ख़ुद को क्यों सज़ा देनी है, ईरा? तुम मुझसे प्यार करती थी... कम से कम तब तो करती थी जब मैं तुम्हारे बगल में रहता था। एक साल! यह बहुत लंबा है। मैं चाहता हूँ तुम इस सौदे को तोड़ दो।"
"मैं यह नहीं कर सकती, करण," ईरा ने अपना हाथ वापस खींच लिया। "मेरे माता-पिता की गरिमा दाँव पर है। यह सिर्फ़ एक साल है। मैं बच जाऊँगी।"
उसी शाम, आर्यन ऑफ़िस में एक ज़रूरी वीडियो कॉल पर था, तभी उसका असिस्टेंट, प्रतीक, कमरे में आया।
"सर, मिसेज़ खन्ना आज सुबह बहुत जल्दी अपने कैफ़े चली गईं। मैंने जैसा कहा था, उनकी सुरक्षा के लिए एक बॉडीगार्ड दूर से उनकी निगरानी कर रहा है।"
"उनकी सुरक्षा ज़रूरी है," आर्यन ने कहा। "राहुल को लगता है कि वह उन्हें परेशान कर सकता है, पर वह मेरी संपत्ति हैं, और मैं अपनी संपत्ति की रक्षा करता हूँ।"
"जी सर। लेकिन एक और बात है। उनके कैफ़े में करण नाम का एक आदमी अक्सर आता है। वह उनका बचपन का दोस्त है, और कल रात भी उसने मिसेज़ खन्ना को एक लंबा मैसेज भेजा था।"
यह सुनकर आर्यन ने पहली बार अपनी मीटिंग रोक दी।
बचपन का दोस्त?
ईरा ने उस ठंडक के बारे में बात की थी। लेकिन अगर उसकी ज़िंदगी में पहले से कोई था, तो उसने यह सौदा क्यों किया? क्या वह उसे धोखा दे रही थी?
ईरा का गुस्सा, उसकी आज़ादी की ज़िद... और अब यह करण।
"प्रतीक," आर्यन की आवाज़ अब और ज़्यादा कठोर थी। "मुझे उस करण के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए। वह कौन है, वह क्या करता है, और ईरा के साथ उसका रिश्ता कितना गहरा है। कल सुबह तक रिपोर्ट मेरे सामने चाहिए।"
आर्यन ने फ़ोन रखा। उसकी आँखें गुस्से से लाल थीं।
ईरा शर्मा ने साफ़ कहा था कि वह अपनी मर्ज़ी से जीएगी। पर अगर वह कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ रही थी, तो आर्यन इसे कभी बर्दाश्त नहीं करने वाला था। यह उसकी शर्तें थीं, और उसके हिसाब से ही सबकुछ चलना था।
लेकिन अब आर्यन का गुस्सा सिर्फ़ वसीयत या सौदे तक सीमित नहीं रहा था। आग उसके भीतर किसी और वजह से जल रही थी—क्योंकि उसने किसी और को ईरा की ज़िंदगी में दखल देते देखा था। यह बात उसे असहनीय लगी।
सबसे अजीब यह था कि आर्यन खुद भी इस गुस्से को समझ नहीं पा रहा था। नियमों और तर्क पर चलने वाला आदमी अचानक ऐसे एहसास से घिर गया था, जो उसके अपने नियंत्रण से बाहर थे।
सुबह दस बजे, ईरा अपने आर्ट कैफ़े से लौटी। कपों और ब्रशों की खुशबू अब भी उसके हाथों से लगी थी, लेकिन मन पूरी तरह बेचैन था। पिछले दिन की बहस और करण से हुई बातचीत ने उसके मूड को और भी भारी बना दिया था। वह पेंटहाउस के दरवाज़े से अंदर आई, कदम थके-से, चेहरा चुपचाप तनाव में डूबा हुआ।
वह लिविंग रूम से गुज़र रही थी कि तभी अचानक हवा जैसे ठिठक गई। उसके नाम की आवाज़ गूंजी—तेज़, कठोर, और खतरनाक।
"ईरा शर्मा! रुको!"
उस आवाज़ में सिर्फ़ गुस्सा नहीं था, बल्कि एक ऐसा दावा छिपा था जिसे नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन था। ईरा का दिल एक पल को ज़ोर से धड़का, उसके कदम वहीं रुक गए।
आर्यन दरवाज़े के पास खड़ा था। उसकी मौजूदगी पूरे कमरे पर छा गई थी। चेहरे पर वह ठंडी, नियंत्रित सख्ती नहीं थी जो अक्सर एक CEO की तरह उसे घेरे रहती थी; उसकी जगह एक तीखा, उबलता हुआ गुस्सा था। उसकी आँखों में ऐसी आग जल रही थी, जिसे ईरा ने पहले कभी नहीं देखा था—नियंत्रण से बाहर, किसी तूफ़ान की तरह।
उसके हाथ में कागज़ों का एक बंडल था, जिसे उसने कसकर थाम रखा था। सफ़ेद पन्नों पर नाम, तस्वीरें और जानकारी छपी थी—करण की पूरी प्रोफ़ाइल। हर शब्द, हर तस्वीर मानो आर्यन के गुस्से में ईंधन डाल रही थी।
ईरा की साँसें अटक गईं। उसके कदम खुद-ब-खुद पीछे हटे। कमरे की हवा भारी हो चुकी थी, और उस भारीपन के बीच आर्यन की निगाहें सिर्फ़ उस पर टिकी थीं।
"यह क्या है?" आर्यन ने कागज़ ईरा के सामने फेंकते हुए पूछा। "मुझे बताओ, ईरा, यह करण कौन है? बचपन का दोस्त? या तुम्हारा अफेयर है?"
ईरा ने कागज़ों को देखा। करण की तस्वीरें, उसके मैसेज, उसका पेशा... आर्यन ने उसकी पूरी ज़िंदगी की जाँच करवा ली थी।
"यह मेरी ज़िंदगी है, मिस्टर खन्ना! तुम्हारे पास मेरी हर चीज़ की जाँच करवाने का अधिकार किसने दिया?" ईरा ने आवाज़ ऊँची की।
"तुम्हारे पति ने," आर्यन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा। "तुम्हारी शादी मुझसे हुई है। तुम मेरी पत्नी हो, और तुम मेरी संपत्ति हो, जब तक यह कॉन्ट्रैक्ट चलता है। और मेरे कॉन्ट्रैक्ट में धोखे के लिए कोई जगह नहीं है।"
"धोखा?" ईरा हँसी। यह हँसी कड़वी थी। "हमारा रिश्ता ही धोखे पर टिका है, आर्यन! यह सिर्फ़ एक कागज़ का टुकड़ा है। और करण मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। हमने यह सौदा किया है, मेरी आज़ादी का नहीं।"
"तुम्हारी आज़ादी?" आर्यन ने नज़दीक आकर फुसफुसाया। उसके चेहरे पर अब कंट्रोल करने की इच्छा साफ झलक रही थी। "तुम अपनी आज़ादी, अपने दोस्तों, और अपने कैफ़े को तब तक ही एंजॉय कर सकती हो, जब तक वे मेरे व्यवसाय के लिए खतरा न बनें। और यह करण... यह एक खतरा है।"
"तुम्हें किस बात का खतरा है, आर्यन?" ईरा ने सीधे उसकी आँखों में देखा। "क्या तुम्हें डर है कि तुम्हारे दादाजी को पता चल जाएगा कि तुम्हारी नकली पत्नी का कोई दोस्त है? या फिर तुम्हें डर है कि...?"
ईरा की आवाज़ में एक चुनौती थी। आर्यन ने अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे वह खुद को शांत कर रहा हो।
"यह सब बंद होना चाहिए," आर्यन ने सख्त आवाज़ में कहा। "आज के बाद तुम उस कैफ़े में अकेले नहीं जाओगी। तुम उससे मिलोगी नहीं। और अगर तुमने मेरा यह नियम तोड़ा..."
ईरा ने उसे बीच में टोका। "तो क्या, आर्यन? तुम मुझे कमरे में बंद कर दोगे? तुम मुझे खरीद सकते हो, पर तुम मुझे नियंत्रित नहीं कर सकते!"
आर्यन ने गुस्से में अपने हाथ से बगल के टेबल को ज़ोर से मारा। काँच की आवाज़ के साथ ही दोनों एकदम शांत हो गए।
"मैं तुमसे प्यार नहीं करता, ईरा," आर्यन ने अपनी आवाज़ को नियंत्रित करते हुए कहा, लेकिन उसमें अब एक अजीब-सी तीव्रता थी। "मुझे तुम्हारी भावनाओं से कोई मतलब नहीं है। पर मैं एक अफ़वाह नहीं चाहता, जिससे मेरी कंपनी खतरे में पड़ जाए।"
उसने अपनी जेब से एक ब्लैक कार्ड निकाला और ईरा की तरफ फेंका।
"यह लो। यह तुम्हारा पर्सेनल कार्ड है। कैफ़े बंद करो। जो भी नुकसान होगा, मैं उसकी भरपाई करूँगा। मैं नहीं चाहता कि मेरी पत्नी को छोटे-मोटे काम के लिए बाहर जाना पड़े।"
इनमें से हर एक शब्द किसी की सीमाएँ तय करने की कोशिश कर रहा था। ईरा ने महसूस किया कि यह लड़ाई सिर्फ़ पैसे या कैफ़े की नहीं थी; यह स्वाभिमान की लड़ाई थी। पर्सनल कार्ड उसे ऑफ़र किया गया था जैसे कोई सौदा—पर ईरा का आत्म-सम्मान किसी कागज़ की कीमत पर बिकने वाला नहीं था।
उसने अपने हाथों को देखा—उन पर पेंट की हल्की-सी झीना, कैफ़े की गंध अभी भी उंगलियों में घर कर रही थी। कैफ़े उसके लिये केवल काम नहीं था; वह जगह थी जहाँ उसने खुद को बनाया था—जहाँ सुबह की हल्की धूप और गंदे कपों के बीच उसने अपने सपने सींचे थे। वहाँ जाकर वह खुद को पहचानती थी, और अगर किसी ने उसे वहाँ से दूर कर दिया, तो एक बड़ा हिस्सा खो जाएगा।
ईरा की आँखों में अपमान के आँसू आ गए।
"तुम्हें लगता है कि तुम मेरे सपने को खरीद सकते हो?" ईरा काँपते हुए बोली।
"मेरा कैफ़े मेरा आत्म-सम्मान है! यह सिर्फ़ एक छोटा-मोटा काम नहीं है! मैं तुम्हारा दिया हुआ एक पैसा भी नहीं लूँगी। और मैं कल भी वहाँ जाऊँगी, और करण से भी मिलूँगी, अगर मुझे ज़रूरी लगा तो।"
ईरा ने कार्ड उठाया और ज़ोर से आर्यन के सीने पर फेंक दिया।
"तुम्हारे नियम तुम्हारी दुनिया में चलते होंगे, मिस्टर खन्ना। मेरी दुनिया मेरी है। और हाँ," ईरा ने अपनी आवाज़ को शांत किया, "कल रात जो हुआ, वह तुम्हारी जलन थी, ज़रूरत नहीं। और तुम्हें यह जलन क्यों हुई, यह तुम खुद से पूछो।"
ईरा तेज़ी से अपने कमरे की तरफ बढ़ी, दरवाज़ा ज़ोर से बंद किया।
आर्यन अकेला खड़ा था। उसके सीने पर Black Card पड़ा हुआ था, ठंडी प्लास्टिक की सतह उसकी सूखी शर्ट से छूटती-छपती महसूस हो रही थी। उसकी साँसें अब भी तेज़ चल रही थीं, छाती उठती और गिरती, हर एक सांस के साथ अंदर एक बेचैनी फैल रही थी।
जलन? उसने खुद से पूछा। क्या यह सच में जलन थी? या सिर्फ़ कंट्रोल खोने का गुस्सा था? सवाल उसके मन में बार-बार उभर कर गायब हो रहे थे, जैसे कोई कटा-फटा सा विचार जो उसे देखने से मना कर रहा हो। वह आदमी जो हमेशा तर्क और गणना से चलता था, अब अपने भीतर उन भावनाओं की पहचान करने में असमर्थ था जो उसे हल्का नर्ब कहने से रोक रही थीं।
उसने ज़मीन से कार्ड उठाया। उसकी उंगलियाँ प्लास्टिक के कोने पर टिक गईं, और कार्ड की ठंडक कुछ क्षण के लिए उसकी त्वचा तक पहुँच गई। उसका दिमाग उसे बता रहा था कि उसे इस लड़की को सबक सिखाना चाहिए—यह कार्रवाई औपचारिक, ठंडी और निश्चित होनी चाहिए। पर उसके अंदर कुछ और था—एक अजीब-सी चाहत जो इस लड़की के सामने झुकने को तैयार नहीं थी, पर उसे दूर भी नहीं जाने देना चाहती थी। यह चाहत शब्दों में बँधने से इनकार कर रही थी; वह उसे भूल कर भी जाने नहीं दे रहा था।
अगली सुबह पेंटहाउस में माहौल ऐसा था, मानो चारों ओर बर्फ जमी हो। हवा ठंडी और भारी थी, और कमरे की खामोशी हर कदम के साथ गूंज रही थी।
ईरा कल रात की लड़ाई के बाद देर से उठी। नींद अभी भी उसकी आँखों में अधूरी थी, बाल उलझे हुए और चेहरे पर हल्की लालिमा थी। उसने धीरे-धीरे अपने कमरे से बाहर कदम रखा, मन में उम्मीद थी कि आर्यन ऑफ़िस जा चुका होगा। शायद सुबह की चाय, या सामान्य दिन की शुरुआत—कुछ भी ऐसा जो उसे उससे बचा दे।
लेकिन वह वहीं था। लिविंग रूम में खड़ा, खिड़की की तरफ़ मुंह करके मुंबई की हलचल को निहारता हुआ। उसकी बॉडी लैंग्वेज पूरी तरह से बयान कर रही थी कि गुस्सा अभी भी उसके भीतर उबल रहा है, और साथ ही कोई उलझन, कोई सवाल, जो उसने खुद से भी नहीं सुलझाए थे। उसकी कंधों की तान, हाथों की स्थिति, और स्थिरता में निहित हलचल—सब कुछ बता रहा था कि वह शांत नहीं, बल्कि भीतर से असहज और बेचैन है।
ईरा ने उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया। वह सीधे किचन की ओर बढ़ी, जहाँ कुक उनके लिए नाश्ता तैयार कर रहा था।
"मैं आज जल्दी जा रही हूँ," ईरा ने कुक से कहा। "मुझे कैफ़े में काम है।"
तभी, दरवाज़े पर ज़ोरदार दस्तक हुई।
इससे पहले कि कुक दरवाज़ा खोलता, आवाज़ आई, "मुझे पता है तुम दोनों यहीं हो! दरवाज़ा खोलो!"
यह श्रीमती मालिनी खन्ना की आवाज़ थी—आर्यन की माँ।
आर्यन और ईरा दोनों एक-दूसरे की तरफ घूरने लगे। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि मालिनी जी बिना बताए आ सकती हैं।
मालिनी खन्ना, अपने महंगे सिल्क सूट और आत्मविश्वास के साथ अंदर आईं। उनके चेहरे पर चिंता और उत्सुकता का मिश्रण था।
"हे भगवान! तुम दोनों अभी तक यहीं हो?" मालिनी जी ने ईरा को देखते ही कहा। उन्होंने ईरा को गले लगाया, पर उनकी आँखें पूरे घर का निरीक्षण कर रही थीं।
"मॉम, आप बिना बताए? सब ठीक है?" आर्यन ने अपनी CEO वाली शांति वापस लाने की कोशिश की।
"सब ठीक नहीं है, आर्यन," मालिनी जी ने तुरंत कहा। "तुम्हारी शादी को चार दिन हुए हैं, और तुम एक भी रात मेरे घर पर नहीं आए। मैंने तुम्हें फ़ोन किया, तुमने मीटिंग का बहाना बनाया। कल रात की पार्टी में भी तुम दोनों के बीच एक अजीब-सी दूरी थी। मुझे लगा कहीं तुम दोनों ने झगड़ा तो नहीं कर लिया?" मालिनी जी की नज़र तुरंत दो अलग-अलग बंद कमरों पर गई।
"क्या यह कमरा तुम्हारा है, ईरा? और यह तुम्हारा, आर्यन?"
दोनों ने एक-दूसरे को देखा। आर्यन ने तुरंत स्थिति को संभाला।
"नहीं, माँ! क्या बात कर रही हैं आप? हमने दरवाज़े पर नाम नहीं लिखा, तो क्या हम अलग सो रहे हैं?"
मालिनी जी ने संशय से दोनों को देखा। "मुझे विश्वास नहीं हो रहा है। तुम दोनों इतने ठंडे क्यों हो? तुम दोनों की शादी हुई है, कोई व्यापारिक समझौता नहीं!"
मालिनी जी ने तुरंत अपना सामान रखा। "मैं आज कहीं नहीं जा रही हूँ। मैं तुम दोनों के साथ लंच करूँगी और देखूँगी कि मेरे बेटे की बहू को कोई तकलीफ़ तो नहीं है। और हाँ," उन्होंने ईरा की तरफ इशारा किया, "तुम आज कैफ़े नहीं जा रही हो। तुम दोनों मेरे सामने बैठोगे और मुझे अपनी रोमांटिक बातें बताओगे।"
ईरा को लगा जैसे उसका दिमाग फट जाएगा। मालिनी जी की उपस्थिति में, वह आर्यन से लड़ नहीं सकती थी।
दोपहर में, मालिनी जी ने उनके बीच की असहज चुप्पी को देखा।
"आर्यन, तुम तब से अपने फ़ोन में हो। ईरा, तुम किताबों में। यह कैसा नया शादीशुदा जीवन है?" उन्होंने लंच टेबल पर ज़ोर देकर कहा।
मालिनी जी ने एक प्लान बनाया। "ईरा, मैंने सुना है तुम बहुत अच्छी आर्टिस्ट हो। आर्यन को पेंटिंग में कोई दिलचस्पी नहीं है, इसलिए मैं चाहती हूँ कि आज तुम दोनों मिलकर मेरे लिए मेरे कमरे के लिए एक फोटो फ़्रेम पेंट करो। यह यादगार होगा। और हाँ, तुम दोनों पेंटिंग एक ही ईज़ल (Easel) पर बैठकर बनाओगे, ताकि मुझे लगे कि तुम दोनों के बीच तालमेल है।"
आर्यन ने गुस्से से अपनी माँ को देखा, पर वह जानता था कि अगर उसने मना किया, तो वसीयत पर सवाल उठ सकता है।
शाम चार बजे, आर्यन और ईरा, लिविंग रूम के कोने में एक बड़े से ईज़ल के सामने बैठे थे। बीच में एक कैनवस था और ढेर सारे रंग।
मालिनी जी सोफ़े पर बैठकर दोनों को मुस्कुराते हुए देख रही थीं।
"तो, तुम किस रंग से शुरुआत करोगी, मेरी प्यारी बहू?" मालिनी जी ने पूछा।
ईरा ने गहरी साँस ली और आर्यन की तरफ़ देखा। "लाल। हमेशा जुनून (Passion) और गुस्से का रंग।
आर्यन ने बिना कुछ कहे नीला रंग उठाया। "और मैं नीला रंग लूँगा। शांति का रंग।"
जैसे ही उन्होंने पेंट करना शुरू किया, उनकी उंगलियाँ और ब्रश टकराने लगे।
"ध्यान से, मिस्टर खन्ना! आप मेरे काम में दखल दे रहे हैं!" ईरा ने फुसफुसाकर कहा।
"तुम्हारी पेंटिंग बहुत ज़्यादा अव्यवस्थित (Messy) है, ईरा! थोड़ा संगठन रखो!" आर्यन ने फुसफुसाते हुए पलटवार किया।
अचानक, लाल रंग का एक छींटा आर्यन के गाल पर पड़ा।
"ईरा!" आर्यन ने गुस्से से कहा।
"सॉरी! जानबूझकर नहीं किया!" ईरा अपनी हँसी रोकने की कोशिश कर रही थी।
मालिनी जी ने देखा कि वे फुसफुसा रहे हैं, उनके चेहरे पास हैं, और वे एक-दूसरे पर रंग लगा रहे हैं।
"वाह! देखो आर्यन, तुम कितना खुश लग रहे हो! तुम्हारी शादी तुम्हें बदल रही है!" मालिनी जी ने खुशी से कहा।
आर्यन को यह नाटक निभाना पड़ा। उसने तुरंत झूठा प्यार दिखाते हुए, ईरा की कमर पर अपना हाथ रखा और उसके कान में धीरे से फुसफुसाया, "अगर माँ के सामने ज़रा भी अकेलेपन का नाटक किया, तो मैं तुम्हारा कैफ़े आज रात खरीद लूँगा।"
ईरा की दिल की धड़कन बढ़ गई। उसका हाथ उसकी कमर पर था, और उसकी धमकी रोमांटिक लग रही थी।
"और अगर तुमने माँ को तंग किया," ईरा ने पलटकर उसी तीव्रता से फुसफुसाया, "तो मैं इस पेंट को तुम्हारे टक्सीडो पर फेंक दूँगी!"
वे दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे—नफ़रत, तनाव, और अनचाहा आकर्षण, सब एक ही पल में उनकी आँखों में टकरा रहे थे। हर पल की खामोशी भारी लग रही थी, जैसे समय खुद थम गया हो। मालिनी जी दूर से देखकर मुस्कुरा रही थीं; उन्हें लगा कि उनके बच्चे आखिरकार एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं, भले ही यह करीबियाँ झगड़े और विरोध की छाया में ही क्यों न हों।
मालिनी जी नौ बजे के आसपास पूरी तरह से संतुष्ट होकर चली गईं। जाते-जाते उन्होंने आर्यन को ईरा का ध्यान रखने और जल्दी खुशखबरी देने की चेतावनी भी दी थी, जैसे यह सब कुछ उनके लिए बिल्कुल स्वाभाविक और तयशुदा हो।
जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ, कमरे की हवा का बोझ अचानक बदल गया। आर्यन ने अपनी कमर से ईरा पर रखा हाथ झटके से हटा लिया, मानो उसने किसी गरम तवे को छू लिया हो और तुरंत पीछे हटना ज़रूरी हो। उसके चेहरे पर वह ठंडी कठोरता लौट आई, जबकि ईरा के भीतर अभी भी उस स्पर्श की जलन गूंज रही थी।
"बहुत हो गया नाटक," आर्यन ने सीधे होते हुए कहा। उसके चेहरे पर फिर से CEO वाली ठंडक आ गई थी।
"मैंने अपनी माँ को खुश कर दिया। तुम्हारा काम खत्म।"
ईरा ने कैनवास से चिपके अपने बालों को पीछे किया।
"हाँ, मिस्टर खन्ना। और मुझे भी अब तुम्हारी CEO वाली ड्रामा एक्टिंग से छुट्टी मिल गई।" उसने मुस्कुराते हुए कहा। उसकी मुस्कान में चिढ़ाने का भाव था।
आर्यन ने पेंटिंग की तरफ़ देखा। लाल और नीले रंग बुरी तरह से एक-दूसरे से टकरा रहे थे—उनके रिश्ते की तरह, जहाँ नफ़रत और आकर्षण कभी भी एक-दूसरे को जगह नहीं देते। उसकी आँखें ठंडी हो गईं और आवाज़ में वही धार लौट आई।
"यह पेंटिंग कचरा है। मैं इसे अभी जलवा दूँगा।"
"उसे छूने की हिम्मत भी मत करना!" ईरा ने तुरंत ब्रश नीचे रख दिया, उसकी आवाज़ काँपी नहीं, बल्कि और सख़्त हो गई। "वह मेरी तरफ़ का हिस्सा है, और वह तुम्हारी माँ का यादगार तोहफ़ा है।"
लिविंग रूम में अब पूरी तरह से सन्नाटा था। हवा तक थमी हुई लग रही थी, जैसे दीवारें भी उस खामोशी को सुन रही हों। सिर्फ़ उन दोनों की ज़बरदस्त ज़िद टकरा रही थीl एक अदृश्य टकराव, जिसमें न शब्द थे न हरकत, बस आँखों की कठोरता और साँसों की तेज़ी।
"देखो, ईरा," आर्यन ने कहा। "यह नाटक कल भी चलेगा। लेकिन अब मेरी बात ध्यान से सुनो। माँ ने देखा कि हम साथ में एक ही कमरे में सोते हैं या नहीं। आज रात... यह शर्त है।"
ईरा की साँस एक पल के लिए रुक गई। "क्या?"
"हाँ। आज रात, तुम्हें मेरे बेडरूम में सोना होगा।" आर्यन ने अपने हाथ बाँध लिए। "सिर्फ़ एक रात। मैं सोफ़े पर सो जाऊँगा। अगर तुम मेरे कमरे में सोती हो, तो माँ को लगेगा कि हम नज़दीक आ रहे हैं। इससे वसीयत की बात भी मज़बूत होगी।"
ईरा को लगा जैसे उसके कान से धुआँ निकल रहा है। "तुम क्या सोचते हो? मैं तुम्हारी कठपुतली हूँ कि जहाँ चाहो, मुझे डाल दोगे?"
"कठपुतली नहीं," आर्यन ने कहा। "समझदार बिज़नेसमैन। सोचो, यह तुम्हारी अगले महीने की किश्त है, जिसे तुम मेरे कमरे में सोकर चुका रही हो।"
यह बात ईरा को तीर की तरह चुभ गई। उसने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं। "ठीक है, मिस्टर खन्ना। मुझे तुम्हारी शर्त मंज़ूर है। पर मेरी भी एक शर्त है।"
"क्या?" आर्यन ने संदेह से पूछा।
"तुम सोफ़े पर नहीं सोओगे।" ईरा ने नज़दीक आकर उसकी आँखों में देखा। "तुम मेरे कमरे में सोओगे। मुझे तुम्हारी लग्ज़री की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे छोटे से, अव्यवस्थित कमरे में सोओगे। और अगर तुम सुबह तक वहाँ रुक गए, बिना ज़रा भी शिकायत किए... तो मैं तुम्हारी शर्त मान लूँगी।"
आर्यन ने अहंकार से सिर हिलाया। "यह कोई शर्त नहीं है, यह तो बहुत आसान है।"
"नहीं, मिस्टर खन्ना," ईरा ने धीमी आवाज़ में कहा। "यह चुनौती है। यह मेरा क्षेत्र है। वहाँ पेंट की गंध है, वहाँ टूटी हुई चीजें हैं, वहाँ सुकून नहीं है। और वहाँ तुम सोफ़े पर नहीं, ज़मीन पर सोओगे। क्योंकि मेरे पास अतिरिक्त बिस्तर नहीं है।"
आर्यन का चेहरा सख्त हो गया। उसकी आँखों में अविश्वास और गुस्से की परतें साफ़ झलकने लगीं। ज़मीन पर? वह... आर्यन खन्ना... जो पचास लाख के बिस्तर पर सोता है, जिसके लिए आराम और विलासिता कभी समझौते की चीज़ें नहीं रहीं। यह विचार ही उसके अहंकार को भीतर तक झकझोर देने वाला था।
"मंज़ूर है," उसने तुरंत कहा, हालाँकि उसकी आवाज़ में हल्का-सा तनाव था। "लेकिन शर्त याद रखना, तुम आज रात मेरे बेडरूम में सोओगी।"
रात के ग्यारह बजे।
ईरा ने अपने छोटे, कलाकृतियों और किताबों से भरे कमरे की चाबी आर्यन को थमाई।
आर्यन ने कमरे के अंदर कदम रखा और तुरंत नाक सिकोड़ ली। हर जगह तेल रंगों की तेज़ गंध, तारपीन की चुभती हुई महक और गीली मिट्टी की सोंधी परत फैली हुई थी। यह सब उसके लिए असहनीय था, मानो कमरे की हवा ही दूषित हो गई हो।
कमरे के बीचों-बीच ज़मीन पर एक छोटा-सा गद्दा रखा था, जिसके ऊपर ईरा ने एक पुरानी, फीकी चादर बिछा रखी थी। वह दृश्य उसके आलीशान जीवन और आदतों के ठीक उलट था—बिलकुल साधारण, यहाँ तक कि उसकी नज़र में अपमानजनक।
"यह... यह क्या है?" आर्यन ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा।
"तुम्हारा बेडरूम," ईरा ने कहा। "खुशकिस्मती से, तुम्हारा फ़ोन यहाँ नेटवर्क नहीं पकड़ेगा। गुड नाइट, मिस्टर ज़मीन-पर-सोने-वाले खन्ना।"
ईरा वहाँ से निकली और खुद आर्यन के आलीशान बेडरूम की ओर बढ़ी।
आर्यन अपने जूते उतारकर गद्दे के पास खड़ा रहा। उसके लिए यह दृश्य किसी सज़ा से कम नहीं था। उसे यह अपमानजनक लगा—वह, जो हमेशा आलीशान ज़िंदगी का आदी रहा है, अब इस पतली चादर वाले गद्दे के सामने खड़ा था। उसने अपनी जैकेट उतारी, धीरे-धीरे नीचे झुका और ज़मीन पर लेट गया। गद्दा उसकी चौड़ी कद-काठी के नीचे दब गया, और कमर में तुरंत एक अजीब-सा दर्द उठने लगा। उसकी आँखें छत पर टिक गईं, और होंठों पर एक कसैलापन तैर गया।
उधर, ईरा आर्यन के विशाल और शानदार बेडरूम में थी। कमरे से हल्की, महँगी परफ़्यूम की ख़ुशबू फैल रही थी, जो उस जगह की ऐशो-आराम की गवाही दे रही थी। उसने विशाल, क्लाउड जैसे नरम बिस्तर पर लेटकर एक गहरी आह भरी, मानो शरीर को तुरंत सुकून मिल गया हो।
लेकिन उसकी आँखें खुली रहीं। नींद दूर-दूर तक नहीं थी। क्या आर्यन सच में उस छोटे, रंग और मिट्टी की गंध वाले कमरे में सो रहा होगा? यह सवाल उसके मन में घूमता रहा। और कल सुबह, जब वह उससे बदला लेने आएगा, तब क्या होगा?
एक-दूसरे के बेडरूम में सोने का यह समझौता अब सिर्फ़ एक खेल नहीं रहा। यह उनके बीच तनाव की एक नई, निजी सीमा खींच चुका था—एक ऐसी सीमा, जिसे दोनों ने पार तो कर लिया था, लेकिन उसके बाद की आगामी लड़ाई से वे खुद भी अंजान थे।
रात के बारह बज रहे थे।
आर्यन खन्ना के विशाल, अत्याधुनिक और वातानुकूलित बेडरूम में, ईरा खुद को किसी विस्मयकारी गैलरी में रखे एक छोटे, अजीब से कलाकृति की तरह महसूस कर रही थी। बिस्तर की गद्दी इतनी नरम थी कि उसे लगा जैसे वह किसी स्वर्गिक बादल पर लेटी है,यह उस कठोर, पतले गद्दे से मीलों दूर था जिस पर वह अपने छोटे से कमरे में सोती थी। हालाँकि, यह आलीशान आराम भी उसे नींद नहीं दे पा रहा था।
उसके दिमाग में आर्यन के अपमानजनक शब्द गूँज रहे थे। "यह तुम्हारी अगले महीने की किश्त है, जिसे तुम मेरे कमरे में सोकर चुका रही हो।"
वह अपनी मुट्ठियाँ भींचकर उठी। उसके अंदर का कलाकार और विद्रोही मन दोनों आर्यन के साम्राज्य को नफ़रत भरी जिज्ञासा से देखना चाहते थे। यह कमरा सिर्फ़ एक बेडरूम नहीं था, यह आर्यन खन्ना के अभिमान और सफलता का अभेद्य किला था।
ईरा ने लाइट ऑन की। कमरे का डिज़ाइन मिनिमलिस्टिक थाl सफ़ेद और गहरे भूरे रंग का संगम। हर चीज़ अपनी जगह पर थी, इतनी व्यवस्थित कि उसे देख कर उसकी कलात्मक आत्मा को घबराहट होने लगी।
उसने पहले वॉक-इन क्लोसेट की तरफ़ देखा। आर्यन के सूट, महंगे ब्रांडों के जूते और टाई करीने से रखे थे। सब कुछ दोषरहित था, बिल्कुल आर्यन के बाहरी आवरण की तरह।
फिर उसकी नज़र स्टडी टेबल पर पड़ी। एक तरफ़ दो लैपटॉप, कुछ वित्तीय रिपोर्टें और महंगी घड़ियाँ रखी थीं। लेकिन इन औपचारिक चीज़ों के बीच, कोने में, एक पुरानी, नक़्क़ाशीदार लकड़ी की डिब्बी रखी थी, जो उस कमरे के बाक़ी फर्नीचर से मेल नहीं खाती थी। ऐसा लगा जैसे किसी ने गलती से अतीत का एक टुकड़ा इस अत्याधुनिक वर्तमान में रख दिया हो।
जिज्ञासा पर काबू पाना असंभव था। ईरा ने काँपते हाथों से डिब्बी उठाई। वह हल्की थी। उसने ढक्कन खोला।
डिब्बी के अंदर कोई महंगी चीज़ नहीं थी, कोई गहना या गुप्त दस्तावेज नहीं, बल्कि एक पुराना, फीका पड़ चुका पेपर था। यह एक ड्राइंग थी, जिसे किसी बच्चे ने बनाया होगा। ड्राइंग में एक टेढ़े-मेढ़े पहाड़ को दिखाया गया था, जिसके ऊपर एक छोटी-सी, बेतरतीब ढंग से बनी झोपड़ी थी। झोपड़ी की सीढ़ियाँ टूटी हुई थीं। ड्राइंग में रंगों का इस्तेमाल बहुत उदासी भरा था, गहरा भूरा और काला।
सबसे चौकाने वाली बात पेंटिंग के कोने में थी। बड़े, बच्चों वाले अक्षरों में लिखा था: "मेरा घर"।
ईरा पूरी तरह से स्तब्ध रह गई। उसने हमेशा यही सोचा था कि आर्यन खन्ना सोने का चम्मच लेकर पैदा हुआ होगा, एक ऐसा इंसान जिसे कभी किसी कमी, किसी असुरक्षा का सामना न करना पड़ा हो। लेकिन यह पेंटिंग उसके सारे भ्रम तोड़ रही थी। इसमें जो रंग बिखरे थे, वे किसी असुरक्षित और अकेले बच्चे की भावनाओं को उभार रहे थे। यह पेंटिंग उस आत्मविश्वास से भरे, ठंडे और सख्त CEO की छवि से बिल्कुल उलट थी। इसमें मौजूद अधूरापन और अकेलापन इतना असली था कि ईरा ने अनायास ही एक सिहरन महसूस की।
धीरे-धीरे उसने वह पेंटिंग वापस डिब्बी में रख दी, मानो किसी गहरे राज़ को दोबारा छुपा दिया हो। फिर उसकी नज़र पास रखी एक चमड़े की बाइंडिंग वाली पुरानी डायरी पर गई। डायरी बहुत मोटी थी, और उसके किनारों पर घिसाव के स्पष्ट निशान थे। चमड़े की सतह पुरानी और मुलायम हो चुकी थी, जैसे इसे बार-बार खोला और छुआ गया हो। उसकी नज़रें उस पर अटक गईं, मानो यह डायरी भी अपने भीतर वही सच समेटे थी, जिसे बाहर की दुनिया कभी नहीं देख पाई थी।
उसने डायरी को उठाया और उसकी उंगलियाँ चमड़े की सतह पर टिक गईं। यह स्पर्श अलग था, भारी और निजी। इसमें कोई संदेह नहीं था कि यह किसी बहुत निजी चीज़ का भंडार थी, जिसे शायद किसी और ने कभी छुआ भी न हो।
धीरे से उसने डायरी खोली। पहली ही झलक में ईरा को समझ आ गया कि यह वह नहीं था जिसकी उसने उम्मीद की थी। यह न तो किसी रोमांटिक प्रेम कहानी का पन्ना था, न ही किसी निजी दुख या टूटे रिश्ते का बोझ। इसमें आँसुओं या मोहब्बत की नहीं, बल्कि अनुशासन और कठोरता की गंध थी।
पन्ने कंपनी के जटिल डेटा, बैठक के नोट्स और बेहद सटीक लिखे हुए व्यक्तिगत 'लक्ष्यों' से भरे थे। हर पन्ना जैसे किसी प्रशिक्षण की गवाही दे रहा था, एक ऐसा प्रशिक्षण जो उसने खुद को दिया था। यह किसी CEO की डायरी नहीं थी, बल्कि एक ऐसे इंसान की थी जो हर हाल में खुद को सुरक्षित रखना चाहता था। हर लक्ष्य, हर नोट, हर लाइन उसके भीतर छुपे उस आत्म-सुरक्षात्मक पक्ष को उजागर कर रही थी, जो उसकी बाहरी ठंडक और नियंत्रण की असली वजह था।
एक तारीख के नीचे, बड़े अक्षरों में एक घोषणा लिखी थी:
"कमज़ोरी एक बीमारी है। आर्यन, तुम कभी नहीं झुकोगे। कोई प्रेम नहीं, कोई दोस्ती नहीं, केवल खन्ना एम्पायर्स। तुम्हारे पिता ने जो बनाया, उसे बनाए रखने की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है। दुनिया को सिर्फ़ तुम्हारा परिणाम दिखना चाहिए, तुम्हारा दर्द नहीं। तुम एक मशीन हो, भावना नहीं।"
आगे के पन्नों पर भी इसी तरह के कठोर और आत्म-दंडित करने वाले नियम लिखे थे:
'हर सुबह 5 बजे, चाहे कितनी भी थकावट हो।'
'हर डील में 200% की मार्जिन, कम नहीं।'
'किसी पर भरोसा मत करना।
किसी को अपनी योजना मत बताना।'
ईरा ने धीरे से डायरी बंद कर दी। उसकी उंगलियाँ अब भी उस पर टिकी थीं, जैसे भीतर लिखी हर पंक्ति का वज़न उसकी नसों तक उतर आया हो। अब उसे साफ़ दिख रहा था कि आर्यन खन्ना का अहंकार महज़ एक दिखावा नहीं है। वह उसका कवच है,एक स्व-निर्मित दीवार, जो उसे अतीत के डर और कड़वे अकेलेपन से बचाए रखने के लिए खड़ी की गई है।
हर ठंडी नज़र, हर बेरहम शब्द, हर अकड़,सब उस कवच का हिस्सा थे। यह घमंड नहीं, बल्कि खुद को टूटने से बचाने का तरीका था। वह लगातार एक अदृश्य युद्ध लड़ रहा है,शायद अपने पिता के साए से, या शायद खुद के ही भीतर पलते उस खालीपन से।
ईरा ने अनचाहे ही एक लंबी साँस ली। वह आदमी, जिसकी बेरुखी और अकड़ से वह इतनी नफ़रत करती थी, अब उसकी आँखों में अलग दिख रहा था। उसके सख़्त चेहरे के पीछे वह एक थका हुआ इंसान था, जो कठोर नियमों और अनुशासन की जंजीरों में खुद को कैद कर चुका था। और उस चेहरे की दरारों से झाँकता हुआ, एक असुरक्षित, अकेला लड़का थाl जो किसी ने कभी देखा ही नहीं।
उसे अपने कमरे में ज़मीन पर सोए हुए आर्यन पर अब गुस्सा नहीं आ रहा था। बल्कि पहली बार उसके भीतर गहरी सहानुभूति की लहर उठी। वह आदमी, जिसे वह अब तक सिर्फ़ अकड़ और क्रूरता का प्रतीक मानती आई थी, अचानक उसे बेहद मानवीय लगा—थका हुआ, नाज़ुक और भीतर से टूटा हुआ।
उसने जल्दी से डायरी और पेंटिंग को उसी सावधानी से वापस जगह पर रखा, जैसे कोई किसी अनमोल चीज़ को छिपाता है। फिर धीरे-धीरे बिस्तर पर लेट गई। आँखें बंद करते ही उसका दिल बेचैन हो उठा।
उसे एहसास हुआ कि उसने अभी-अभी एक बहुत बड़ा रहस्य खोज निकाला है—एक ऐसा सच, जो अगर सामने आया तो उनके बीच खड़ी नफ़रत की दीवारों को हिला सकता है। यह सच उनके झूठे रिश्ते को हमेशा के लिए बदलने की ताक़त रखता था।
तनाव से भरी वह रात आख़िरकार ख़त्म हुई।
सुबह के ठीक सात बजे, आर्यन अपने छोटे, पेंट और तारपीन की गंध वाले कमरे में, कराहते हुए उठा। पूरी रात ज़मीन पर सोने के कारण उसकी कमर अकड़ गई थी। उसने खुद को जैसे-तैसे सीधा किया। उसके चेहरे पर साफ़ थकान थी।
"मैं... आर्यन खन्ना... ज़मीन पर सोया," उसने अविश्वास से फुसफुसाया। "यह बदला लेने का मेरा तरीका था, ईरा। अब देखो मैं तुम्हें क्या सज़ा देता हूँ।"
वह बड़ी मुश्किल से दरवाज़े की तरफ़ बढ़ा कि तभी दरवाज़े पर ज़ोरदार, अनपेक्षित दस्तक हुई।
"ईरा! आर्यन! दरवाज़ा खोलो! मुझे तुम दोनों से बात करनी है!"
यह फिर से श्रीमती मालिनी खन्ना की आवाज़ थी, और वह बिल्कुल भी ख़ुश नहीं लग रही थीं।
आर्यन हड़बड़ा गया। उसने दर्द को दबाते हुए, बेमन से दरवाज़ा खोला।
मालिनी जी अपने महंगे सिल्क सूट में अंदर आईं। उनके पीछे उनका ड्राइवर सामान लिए खड़ा था। उनकी आँखें सबसे पहले कमरे की दुर्गंध (पेंट और तारपीन की) और फिर ज़मीन पर रखे गद्दे पर पड़ीं। उनका चेहरा तुरंत गंभीर संदेह में बदल गया।
"आर्यन! तुम... तुम इस... बदबूदार छोटे कमरे में क्या कर रहे थे? यह तो ईरा का कमरा है, है ना?" मालिनी जी ने भौंहें चढ़ा लीं।
आर्यन को तुरंत अपनी CEO वाली शांति वापस लानी पड़ी। "माँ! मैं... मैं बस सुबह का योगा कर रहा था। आप तो जानती हैं, मेरे डॉक्टर ने कहा है कि..."
इससे पहले कि वह सफ़ाई पूरी कर पाता, आर्यन के बेडरूम का दरवाज़ा खुला। ईरा, आर्यन की एक ओवरसाइज़्ड, सफ़ेद टी-शर्ट पहने हुए, नींद की खुमारी में बाहर निकली। वह टी-शर्ट उसके घुटनों तक थी और उस पर आर्यन के महँगे परफ़्यूम की हल्की-सी ख़ुशबू आ रही थी।
मालिनी जी की नज़र ईरा पर पड़ी और फिर उनके चेहरे पर संदेह की लहर दौड़ गई। उन्होंने दोनों कमरों को देखा, उनकी आँखें स्थिति का आकलन कर रही थीं:
ईरा: आर्यन के कमरे से निकलती हुई, उसके कपड़े पहने हुए।
आर्यन: ईरा के छोटे, अव्यवस्थित कमरे में, ज़मीन पर सोने के बाद कमर दर्द में और थकान में।
"यह क्या चल रहा है?" मालिनी जी की आवाज़ में अब खुशी नहीं, बल्कि गंभीर संदेह था। "आर्यन, तुम उस छोटे, गंध वाले कमरे में सो रहे थे, और तुम," उन्होंने ईरा की तरफ़ इशारा किया, "तुम मेरे बेटे के कपड़े पहने हुए उसके कमरे से निकल रही हो? तुम दोनों अपनी शादी के कमरे बदल रहे हो?"
ईरा ने घबराकर अपनी टी-शर्ट को नीचे खींचा। "नहीं, मालिनी जी, बात यह है कि..."
"बस!" मालिनी जी ने हाथ उठाकर उन्हें चुप कराया। "मुझे लगता है कि तुम दोनों के बीच कुछ बहुत बड़ा छिपा हुआ है। मैं बिना जाने यहाँ से नहीं जाऊँगी।"
मालिनी जी ने तुरंत अपना फ़ोन निकाला और अपने वकील को फ़ोन लगा दिया।
"मैं आज ही तुम दोनों के शादी के समझौते को देखना चाहती हूँ, आर्यन। मुझे पता लगाना है कि यह शादी प्यार की है या सिर्फ़ एक कागज़ी नाटक!"
अब, उनका झूठा नाटक एक बड़े खतरे में था। आर्यन और ईरा को पहली बार किसी असली मुसीबत का सामना करना पड़ रहा था—और यह सब उनकी ज़िद्दी चुनौती के कारण हुआ।
मालिनी खन्ना का गुस्सा पेंटहाउस के वातानुकूलित माहौल में एक तूफ़ान की तरह फैल गया था।
"वकील अभी आएगा, और मैं जानना चाहती हूँ कि मेरे बेटे और बहू के बीच यह कमरा बदलने का नाटक क्यों चल रहा है! कहीं यह शादी सिर्फ़ पैसों का दिखावा तो नहीं है?" मालिनी जी ने सोफे पर बैठते हुए गरजकर कहा।
ईरा घबराहट से आर्यन को देख रही थी। आर्यन की सफ़ेद ओवरसाइज़्ड टी-शर्ट में वह अपनी असुरक्षित स्थिति को महसूस कर रही थी।
"हाँ माँ, वकील ज़रूर आएँगे," आर्यन ने तुरंत अपने चेहरे पर एक ठंडी, पेशेवर शांति लाई। ज़मीन पर सोने का दर्द और ईरा की टी-शर्ट पहनने की शर्मिंदगी अब पूरी तरह से गायब थी। "पर मुझे लगता है कि आपको वकील के आने से पहले कुछ छोटी-छोटी बातें याद दिलानी चाहिए।"
आर्यन ने धीरे-धीरे ईरा के नज़दीक आकर, उसके कंधे पर हाथ रखा,ठीक मालिनी जी की आँखों के सामने।
"सबसे पहली बात," उसने ईरा के कान में फुसफुसाने का नाटक किया, लेकिन उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि मालिनी जी साफ़ सुन सकें। "ईरा, मैंने तुम्हें कल ही कहा था कि मेरी स्पोर्ट्स टी-शर्ट पहनकर ऑफ़िस के लिए रेडी मत हुआ करो। यह इंटीमेट लगता है। माँ क्या सोचेंगी?"
ईरा भौंचक्की रह गई। आर्यन अपनी बात में तुरंत रोमांस का एंगल जोड़ रहा था।
"और दूसरी बात, माँ," आर्यन ने ईरा की तरफ़ देखकर आँख मारी, "ईरा बहुत ख़राब सोती है। उसे रात को अंधेरे से डर लगता है, और मेरे बेडरूम में बहुत बड़ी खिड़की है। इसलिए कल रात उसने शर्त रखी कि मैं उसका 'भूत भगाने' वाला काम करूँ और वह मेरे कमरे में सोएगी। मैं तो बस उसे प्यार से कंपनी दे रहा था, माँ।"
मालिनी जी ने दोनों को संदेह से देखा। उनके चेहरे इतने करीब थे कि ऐसा लग रहा था मानो वे अभी चुंबन कर लेंगे। "प्यार से कंपनी? इसलिए तुम ज़मीन पर सो रहे थे?"
"बिलकुल! ईरा को नीचे ज़मीन पर लेटे हुए बात करना पसंद है, और मुझे पता था कि वह मेरे बिस्तर पर नहीं सोएगी, क्योंकि वह बहुत इमोशनल है। हम अपनी छोटी-छोटी नोकझोंक को ऐसे ही मज़ेदार बनाते हैं, माँ। पर मुझे पता नहीं था कि आप सुबह इतने जल्दी इंस्पेक्शन के लिए आ जाएँगी।"
ईरा को लगा कि उसका दम घुट रहा है। आर्यन कितनी सफ़ाई से झूठ बोल रहा था!
ठीक उसी क्षण दरवाज़े पर दस्तक हुई और आर्यन के वकील मिस्टर गोयल सूट-बूट में अंदर आए।
"आर्यन! मिसेज़ खन्ना! माफ़ी चाहता हूँ, मैं सुबह-सुबह बिना किसी अपॉइंटमेंट के आया हूँ," मिस्टर गोयल ने मालिनी जी को देखकर विनम्रता से कहा।
"गोयल साहब, मुझे शादी के कॉन्ट्रैक्ट की एक प्रति चाहिए। अभी!" मालिनी जी ने सख्ती से कहा।
आर्यन ने तुरंत मिस्टर गोयल को एक गुप्त इशारा किया, जो केवल वे दोनों समझ सकें।
"ज़रूर, मिसेज़ खन्ना," मिस्टर गोयल ने कहा। उन्होंने अपना ब्रीफ़केस खोला और एक फ़ाइल निकाली।
"यहाँ नियम 1, 2, और 3 हैं," मिस्टर गोयल ने पढ़ना शुरू किया।
नियम 1: "श्रीमान आर्यन खन्ना और श्रीमती ईरा खन्ना 'खुशहाल विवाहित जीवन' की अवधि के दौरान, सार्वजनिक और निजी दोनों जगहों पर एक-दूसरे के प्रति सम्मान और स्नेह का व्यवहार बनाए रखेंगे।"
नियम 2: "वे अपने माता-पिता और शुभचिंतकों को अपने रिश्ते की सच्चाई पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं देंगे।"
नियम 3: "किसी भी पक्ष को दूसरे पक्ष के करियर (व्यवसाय या कला) में तब तक दखल नहीं देना चाहिए, जब तक कि वह दखलअंदाज़ी स्नेह या आपसी समर्थन पर आधारित न हो।"
जैसे ही मिस्टर गोयल ये नियम पढ़ रहे थे, ईरा को एहसास हुआ कि ये वे नियम नहीं हैं जो असली कॉन्ट्रैक्ट में थे। असली कॉन्ट्रैक्ट में बेडरूम, वसीयत और पैसों की बात थी! मिस्टर गोयल को आर्यन ने पहले ही एक झूठा, ‘प्यार भरा’ कॉन्ट्रैक्ट तैयार करने का निर्देश दिया था!
"क्या... बस यही नियम हैं?" मालिनी जी ने संदेह से पूछा। "पैसे और वसीयत के बारे में कोई नियम नहीं है?"
आर्यन मुस्कुराया। "ओह, माँ! हमने कभी पैसों के बारे में बात ही नहीं की। मिस्टर गोयल, क्या इसमें कोई भी नियम 'फ़िज़िकल प्रॉक्सिमिटी' (शारीरिक नज़दीकी) के बारे में है?"
मिस्टर गोयल ने पन्ना पलटा। "हाँ, मिस्टर खन्ना। यहाँ 'व्यक्तिगत प्राथमिकताएँ' शीर्षक के तहत एक खंड है: 'दोनों पार्टियाँ एक-दूसरे की व्यक्तिगत जगह (Personal Space) और सोने की आदतों का सम्मान करेंगी।'"
आर्यन ने जीत की मुस्कान के साथ ईरा की तरफ़ देखा। "देखा माँ? ईरा को ज़मीन पर लेटना पसंद है, और मुझे उसे कंपनी देना। यह हमारी 'व्यक्तिगत प्राथमिकता' है। कॉन्ट्रैक्ट को पढ़ने के लिए धन्यवाद, मिस्टर गोयल। अब आप जा सकते हैं।"
मालिनी जी हैरान थीं, पर उनके पास कोई कानूनी सबूत नहीं था। आर्यन ने अपनी CEO वाली चालाकी से उनकी कानूनी जाँच को रोमांटिक नौटंकी में बदल दिया था।
मालिनी जी मिस्टर गोयल के जाने के बाद भी संतुष्ट नहीं थीं।
"यह अजीब है, आर्यन। बहुत अजीब," उन्होंने कहा। "मुझे तुम्हारे रिश्ते में कुछ अधूरापन महसूस होता है। मैं कुछ और दिन यहाँ रहूँगी।"
"ज़रूर, माँ। आपको रुकना ही चाहिए," आर्यन ने कहा, लेकिन उसके चेहरे पर भयंकर तनाव था।
उसने तुरंत ईरा को कोहनी मारी। "अब, हमारी 'रोमांटिक आदतें' दिखाने का समय है। चलो, ईरा! हम साथ में ऑफ़िस जाते हैं।"
"लेकिन मेरा कैफ़े..."
"आपका कैफ़े मेरी कंपनी से ज़्यादा ज़रूरी नहीं है। आपको मेरे साथ जाना होगा। पूरा दिन मेरे साथ रहो, मेरे ऑफ़िस में, मेरे सामने। ताकि माँ को लगे कि हम एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते।"
मालिनी जी के सामने, आर्यन ने ईरा का हाथ पकड़ा और उसे दरवाज़े की तरफ़ खींचने लगा। ईरा को मजबूरन उसके पीछे चलना पड़ा।
उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। आर्यन के हाथों का स्पर्श, उसके कंधे पर रखा हाथ... यह सब झूठा था, पर उसके अंदर अनचाही धड़कनें पैदा कर रहा था।
अब कहानी में एक नया मोड़ है। मालिनी जी उन दोनों को पूरे दिन साथ रहने के लिए मजबूर कर रही हैं।
आर्यन की बुलेटप्रूफ़, शानदार Mercedes-Benz कार मुंबई की भागती सड़कों पर दौड़ रही थी। पिछली सीट पर, आर्यन, अपने ₹2 लाख के कस्टम-मेड सूट में। और ईरा एक साधारण कॉटन कुर्ती और जींस में। दूर-दूर बैठे थे, मानो उनके बीच कोई अदृश्य दीवार हो।
मालिनी जी ऊपर बालकनी से उन पर नज़र रखे हुए थीं, इसलिए आर्यन को ईरा का हाथ पकड़ना पड़ा।
"तुम्हारा हाथ कितना ठंडा है," आर्यन ने बिना देखे फुसफुसाया।
"क्योंकि मेरी आत्मा ठंडी है, मिस्टर खन्ना," ईरा ने जवाब दिया। "और मुझे यह दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं है। तुम्हारे वकील की चालाकी से हम बच तो गए, पर मालिनी जी अब भी यहीं हैं।"
"तुम चुपचाप मेरी बीवी का रोल निभाओ," आर्यन ने सख्ती से कहा। "आज तुम्हें पूरा दिन मेरे ऑफ़िस में मेरे सामने बैठना होगा। मेरी आँखों के सामने, ईरा। और हाँ, कोई पेंटिंग नहीं, कोई बकवास नहीं। मेरी दुनिया में, संगठन (Organization) और शांति (Silence) ही नियम है।"
ईरा ने चिढ़ाते हुए कहा, "संगठन? तुम्हारी ज़िंदगी बहुत उबाऊ है, आर्यन। मैं वादा करती हूँ, अगर मुझे बोरियत हुई, तो मैं तुम्हारे ऑफ़िस को
पेंट कर दूँगी।"
आर्यन ने एक गहरी साँस ली। "अगर तुमने मेरे ऑफ़िस की किसी भी चीज़ को छुआ, तो मैं तुम्हारे कैफ़े को एक कैट-फ़्री ज़ोन (Cat-Free Zone) घोषित करवा दूँगा।"
ईरा ने हाथ झटक दिया। "हाथ छोड़ो! हम अब बिल्डिंग के अंदर जा रहे हैं।"
खन्ना एम्पायर्स के हेडक्वार्टर में ईरा का प्रवेश किसी तूफ़ान से कम नहीं था। पूरे ऑफ़िस का माहौल ग्रे, स्टील और ग्लास से बना था, जहाँ हर कर्मचारी रोबोट की तरह काम कर रहा था।
जब वे VIP लिफ़्ट में घुसे, आर्यन की निजी सचिव, रीना, उनके साथ आईं। रीना एक दम सधी हुई, पेशेवर महिला थी, जो ईरा को शक की निगाहों से देख रही थी।
"गुड मॉर्निंग, सर। गुड मॉर्निंग, मैम," रीना ने ईरा को न चाहते हुए भी 'मैम' कहा। "सर, आपकी आज सुबह की पहली मीटिंग..."
"रीना," आर्यन ने आवाज़ का स्तर ऊँचा किए बिना कहा, "आज मेरा कोई मीटिंग नहीं है, जब तक कि वह बहुत ज़रूरी न हो। और मेरी पत्नी, श्रीमती ईरा खन्ना, आज मेरे साथ रहेंगी। उनके लिए मेरे केबिन के अंदर, खिड़की के पास एक ख़ास वर्क-स्टेशन तैयार करवा दो। आरामदायक होना चाहिए, रीना। मेरी पत्नी को रंगों और खुली जगह से प्यार है।"
ईरा ने रीना की तरफ़ विजयी मुस्कान फेंकी।
आर्यन के विशाल केबिन में, जहाँ का नज़ारा पूरा मुंबई था, ईरा के लिए एक छोटा-सा गोल मेज़ और एक आरामदायक कुर्सी रखी गई थी।
जैसे ही आर्यन काम करने बैठा, ईरा ने अपना काम शुरू कर दिया। उसे बोरियत होने लगी।
ईरा ने अपना बैग खोला और अंदर से एक छोटी सी स्केचबुक और पेंसिल निकाली। वह चुपचाप आर्यन का स्केच बनाने लगी। वह उसे बोरियत और कठोरता के अवतार के रूप में चित्रित कर रही थी।
"तुम क्या कर रही हो?" आर्यन ने 15 मिनट बाद बिना सिर उठाए पूछा।
"मैं अपनी बोरियत को मैनेज कर रही हूँ," ईरा ने जवाब दिया।
आर्यन ने काम रोककर उसकी तरफ़ देखा। "मुझे दिखाओ।"
ईरा ने हँसते हुए स्केचबुक उसकी तरफ़ बढ़ाई। स्केच में आर्यन को एक गोल्डन सूट पहने हुए, हाथ में एक हथौड़ा पकड़े हुए दिखाया गया था, और वह खुद को एक आइस क्यूब में बंद कर रहा था।
"यह मैं हूँ?" आर्यन ने अपनी आवाज़ को नियंत्रित करते हुए पूछा।
"हाँ। गोल्डन हैमरमैन। वह व्यक्ति जो बहुत क़ीमती है, लेकिन इतना ठंडा कि उसने खुद को बर्फ में जमा लिया।"
आर्यन के होंठों पर एक छोटी-सी मुस्कान आई, जिसे उसने तुरंत छुपा लिया। "यह बचकाना है।"
"हाँ। और तुम इस बचकानेपन को बर्दाश्त कर रहे हो, मिस्टर खन्ना। क्योंकि तुम्हारी माँ देख रही है।"
तभी, रीना दरवाज़ा खोलकर अंदर आई। "सर, मिस्टर कपूर यहाँ हैं। वे आपके साथ लंच के लिए गए थे।"
"उन्हें अंदर भेजो," आर्यन ने कहा।
मिस्टर कपूर एक पुराने निवेशक थे, जो थोड़े लाउड और अनौपचारिक थे। मिस्टर कपूर ने ईरा को देखा और ज़ोर से हँसे।
"आर्यन! मिसेज़ खन्ना! मैंने सुना था कि आप दोनों की जोड़ी बहुत ख़ास है! यह बिल्कुल सच है!"
मिस्टर कपूर ने आर्यन को हाथ मिलाया और फिर ईरा से हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़े। जैसे ही ईरा हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ी, मिस्टर कपूर ने थोड़ा ज़्यादा ही जोश दिखाया और उनके हाथ को दबा दिया।
ईरा असहज हो गई।
इससे पहले कि ईरा कुछ कह पाती, आर्यन की आँखों में अचानक गुस्सा आ गया। उसने तुरंत अपना बायाँ हाथ उठाया और ईरा की कमर पर ज़ोर से रखा, उसे अपनी ओर खींचते हुए।
"माफ़ करना, मिस्टर कपूर," आर्यन की आवाज़ अब ** CEO की नहीं, बल्कि एक पति** की थी, जिसमें एक सुरक्षात्मक गूँज थी। "ईरा थोड़ी पज़ेसिव (अधिकार जताने वाली) है। वह नहीं चाहती कि कोई दूसरा आदमी उसे इतनी देर तक छुए। है ना, डियर?"
उसने ईरा के कान में फुसफुसाया, "नाटक करो, वर्ना सब बिगड़ जाएगा।"
ईरा की दिल की धड़कन बढ़ गई। आर्यन का हाथ उसकी कमर पर था, उसका स्पर्श गर्म और मज़बूत था। यह झूठा नाटक था, पर यह बहुत असली लग रहा था।
"बिल्कुल," ईरा ने हाँफते हुए जवाब दिया। उसने आर्यन की तरफ़ झूठे प्यार से देखा, और मिस्टर कपूर से हाथ छुड़ाकर आर्यन के सीने से लग गई।
मिस्टर कपूर असहज होकर हँसे। "वाह! क्या प्यार है! मुझे लगा था कि तुम दोनों बिज़नेस डीलर की तरह हो, पर तुम तो... बहुत ही जुनूनी हो!"
आर्यन ने मिस्टर कपूर से डील पर बात की, पर उसका ध्यान लगातार ईरा पर था, जो अब भी उसके सीने से लगी थी। उसका परफ़्यूम, उसकी साँसें, उसके दिल की धड़कन... सब कुछ आर्यन को विचलित कर रहा था।
डील खत्म होने के बाद, मिस्टर कपूर चले गए।
आर्यन ने तुरंत ईरा को खुद से दूर किया।
"तुम क्या कर रही थी?" उसने धीमी, गुस्से वाली आवाज़ में पूछा। "तुम मेरे सीने से चिपक गई थी!"
"मैं एक्टिंग कर रही थी!" ईरा ने पलटवार किया। "और मैं मिस्टर कपूर के हाथों से बचने की कोशिश कर रही थी, क्योंकि तुम्हारे सुरक्षात्मक पति का नाटक मुझे यह करने पर मजबूर कर रहा था। वैसे, गोल्डन हैमरमैन... तुम्हें अपनी पत्नी की सुरक्षा करते हुए देखना अच्छा लगा।"
आर्यन ने मेज पर हाथ मारा। "यह नाटक है! और इसे नाटक ही रहने दो! मेरे पास इतना समय नहीं है कि मैं तुम्हारे चुलबुलेपन को बर्दाश्त करूँ!"
उसने फिर से अपनी फ़ाइलें उठाईं और काम में लग गया, लेकिन ईरा जानती थीl उसका ध्यान अब फ़ाइलों में नहीं था। अनचाहे आकर्षण ने उनके बीच तनाव की एक नई रेखा खींच दी थी।
शाम के चार बज चुके थे।
ईरा आर्यन के केबिन में बैठी थी, गोल्डन हैमरमैन(आर्यन) पर एक और कॉमिक स्केच बनाने में व्यस्त। उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे पेंसिल घुमाती रही, पन्ने पर हँसी और कल्पना के रंग भरते हुए। आर्यन फ़ोन पर किसी ज़रूरी डीलिंग में व्यस्त था, आवाज़ गंभीर और निर्णायक।
वह बार-बार अशांत होकर अपनी टाई ठीक कर रहा था, जैसे यह छोटी-सी हरकत उसे थोड़ा संभाल सके। लेकिन ईरा की मौजूदगी उसे लगातार विचलित कर रही थी; उसकी आँखें बार-बार उस पृष्ठ से हटकर ईरा की तरफ़ जातीं, और वह तुरंत ध्यान केन्द्रित करने की कोशिश करता।
ईरा ने चुपके से उसकी तरफ़ देखा। दोपहर में मिस्टर कपूर से जिस तरह उसने उसे बचाया था। भले ही वह झूठा नाटक था। उसने उसे अंदर से एक अजीब सुरक्षा का एहसास दिया था। वह एहसास, छोटा और क्षणिक, अब भी उसके दिल में हल्की हलचल छोड़ गया था।
तभी, दरवाज़ा ज़ोर से खुला।
रीना तेज़ी से अंदर आई, उसके चेहरे पर घबराहट थी। "सर! माफ़ करना, मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, पर उन्होंने कहा..."
रीना अपनी बात पूरी कर पाती, इससे पहले ही केबिन का दरवाज़ा खुला और एक खूबसूरत, आत्मविश्वासी महिला ऊँची हील्स की आवाज़ के साथ अंदर दाखिल हुई।
वह महंगी, लाल ड्रेस पहने हुए थी, और हर कदम उसके आत्मविश्वास को और बढ़ा रहा था। उसकी आँखें सीधी आर्यन पर टिकी थीं, जैसे कि वह पूरे कमरे को अपने आसपास गोल कर रही हो। यह आर्यन की पूर्व प्रेमिका, सान्या मेहरा थी। मुंबई के एक बड़े हीरा व्यापारी की बेटी, जो आर्यन की दुनिया की हर चीज़, उसकी आदतें, उसके फैसले, और उसके व्यवसाय के नियम, से पूरी तरह परिचित थी।
"डार्लिंग!" सान्या ने सीधा आर्यन के पास जाकर उसे ज़ोर से गले लगाया, जैसे ईरा वहाँ मौजूद ही न हो। उसकी मुस्कान में आत्मविश्वास और प्रभुत्व दोनों झलक रहे थे, और उसका यह कदम पूरे कमरे में मौजूद तनाव को और बढ़ा रहा था।
आर्यन ने झटके से खुद को उससे दूर किया। "सान्या! तुम यहाँ क्या कर रही हो? यह मेरा ऑफ़िस है।" उसकी आवाज़ में ठंडक थी, पर भीतर एक हल्की असहजता भी महसूस हो रही थी।
"क्या मैं अपने सबसे पसंदीदा आदमी से मिलने नहीं आ सकती?" सान्या ने आर्यन के गाल पर हल्का हाथ फेरा। फिर उसकी नज़र ईरा पर पड़ी, और वह ठहरी।
सान्या ने ईरा को सिर से पाँव तक घूरा—साधारण कुर्ती, बिखरे बाल, और हाथ में स्केचबुक। उसकी आँखों में तुरंत घृणा और अहंकार भर गया, जैसे यह दृश्य उसके मन में किसी अनदेखी चुनौती को उभार रहा हो।
"ओह। तुम कौन हो? तुम यहाँ मेरे बेस्ट फ्रेंड के केबिन में क्या कर रही हो?" सान्या ने जानबूझकर ईरा को 'बेस्ट फ्रेंड' कहा, शब्दों में वह ताना और दबदबा दोनों व्यक्त कर रही थी।
आर्यन ने सख्ती से कहा, "सान्या, यह मेरी..."
"मैं हूँ ईरा," ईरा ने आत्मविश्वास से खड़ी होते हुए, आर्यन को बीच में टोक दिया। उसने आर्यन की तरफ़ देखा, जैसे उससे अधिकार छीन रही हो। "ईरा खन्ना। और अगर आपको लगता है कि आप किसी की बीवी को 'बेस्ट फ्रेंड' के केबिन में बैठी एक अनजान लड़की कह सकती हैं, तो आप ग़लत हैं।"
सान्या हक्का-बक्का रह गई। उसने आर्यन की तरफ़ देखा। "आर्यन? यह... यह वही लड़की है जिसकी शादी का नाटक तुम कर रहे थे?"
"यह कोई नाटक नहीं है, सान्या। ईरा मेरी पत्नी है," आर्यन ने कहा। यह पहला मौका था जब उसने यह शब्द इतनी मज़बूती से और सार्वजनिक तौर पर कहा था।
सान्या के चेहरे पर जलन साफ़ दिखाई दी। उसने ईरा की तरफ़ देखा। "तुम? एक सड़क छाप आर्टिस्ट? आर्यन के पैसे और वसीयत के लिए यहाँ आई हो, है ना? मैं जानती हूँ आर्यन। तुम कभी इस तरह की साधारण लड़की से शादी नहीं करोगे।"
ईरा को सान्या की नफ़रत से ज़्यादा, 'साधारण लड़की' कहे जाने पर गुस्सा आया।
"और मैं जानती हूँ आर्यन," ईरा ने मुस्कुराते हुए पलटवार किया। "तुम इस तरह की लाउड और प्लास्टिक लड़की से शादी नहीं करोगे, जो तुम्हारी मीटिंग्स को तोड़ती है और तुम्हें 'डार्लिंग' कहती है। यह शायद इसलिए है क्योंकि तुम जानते हो कि असली आर्ट हमेशा असली होती है, प्लास्टिक नहीं।"
आर्यन को यह देखकर एक अजीब गर्व महसूस हुआ कि ईरा बिना डरे सान्या का सामना कर रही है। हालांकि, वह जानता था कि इस लड़ाई को फ़ायदा उठाने के लिए इस्तेमाल करना होगा।
आर्यन तुरंत ईरा के पास गया, उसे अपनी बांहों में लिया, और सान्या की तरफ़ देखा।
"सान्या," आर्यन ने गहरी और धमकी भरी आवाज़ में कहा। "मुझे तुम्हारी सलाह नहीं चाहिए। ईरा मेरी ज़िंदगी है। और हाँ," उसने ईरा की तरफ़ झुका, उसके गालों को थपथपाया, "मैं ईरा से प्यार करता हूँ। और तुम यहाँ से चली जाओ।"
सान्या का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने आर्यन को घूरकर देखा। "मुझे पता है यह सब तुम्हारी माँ को दिखाने के लिए है। पर यह याद रखना, आर्यन। यह गेम बहुत जल्द खत्म होने वाला है। और जब तुम अकेले होगे, तब मैं वापस आऊंगी।"
सान्या ने गुस्से में दरवाज़ा खोला और तेज़ी से बाहर निकल गई।
जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ, ईरा ने तुरंत आर्यन को धक्का दिया।
"क्या था वह सब?" ईरा ने फुसफुसाते हुए पूछा। "तुम मुझे 'डार्लिंग' क्यों कह रहे थे? और तुम मुझे गले क्यों लगा रहे थे?"
"मुझे नाटक करना था!" आर्यन ने बचाव किया। "तुमने देखा नहीं? सान्या कितनी खतरनाक है। वह सीधे मेरी माँ के पास जाकर सब कुछ बता सकती थी! मुझे उसे यह दिखाना था कि तुम मेरी हो।"
ईरा की दिल की धड़कन अभी भी तेज़ थी। सान्या की बातों से उसे गुस्सा आया था, लेकिन आर्यन का झूठा अधिकार जताना उसके अंदर एक अजीब सी जलन पैदा कर गया था।
"तुम्हारी पूर्व प्रेमिका," ईरा ने कहा, "बहुत पज़ेसिव है। क्या तुम्हारी सारी प्रेमिकाएँ ऐसी ही होती हैं?"
आर्यन ने अपनी टाई धीरे-धीरे ढीली की, उसकी उंगलियाँ कपड़े पर हल्की खरोंच छोड़ती हुई। उसने थोड़ी देर तक ईरा को देखा, उसकी आँखों में हल्की मुस्कान और वही तीखी धार दोनों झलक रही थीं। "यह तुम्हारी समस्या नहीं है," उसने कहा, आवाज़ में गंभीरता और मज़ाक का अजीब सा मिश्रण था। "तुम्हारी समस्या यह है कि तुम इतनी तेज़ी से पलटवार करती हो कि मुझे लगता है तुम सच में मेरी बीवी हो।"
ईरा ने उसकी तरफ़ सीधा देखा, बिना झिझके। "मैं हूँ तुम्हारी बीवी! कागज़ी ही सही।" उसके शब्दों में विश्वास और हल्की चुनौती दोनों थी। वह जानती थी कि यह बात आर्यन को थोड़ी हड़बड़ी में डाल देगी।
आर्यन ने हल्की हँसी के साथ आगे बढ़ते हुए कहा, "हाँ। और कागज़ी पत्नियाँ कभी पूर्व प्रेमिकाओं के बारे में जलन महसूस नहीं करतीं।" उसका स्वर ईरा को उकसाने के लिए था, हल्की तकरार की चमक उसकी आँखों में झलक रही थी।
ईरा तुरंत नज़रें झुका लीं, उसके गाल पर हल्की लालिमा फैल गई। "मुझे कोई जलन नहीं है। मैं बस तुम्हारे नाटक को परफ़ेक्ट कर रही थी।" उसने अपनी आवाज़ में सख़्ती बनाए रखी, लेकिन भीतर एक अजीब-सा धड़कन महसूस हो रही थी।
कमरे में एक नमी-सी, अनकही तकरार का माहौल बन गया। शब्द तो छोटे थे, लेकिन उनके बीच की हवा भारी और घनी हो गई थी। अब, सान्या का खतरा सामने आ गया था—एक ऐसा खतरा जो न सिर्फ़ ईरा की मौजूदगी को चुनौती दे रहा था, बल्कि आर्यन और ईरा के बीच पहले से ही जटिल भावनात्मक समीकरण को और उलझा रहा था।
आर्यन-ईरा की यह छोटी-सी बहस अब सिर्फ़ मज़ाक या दिखावे की नहीं रही थी। यह उनके बीच एक नई भावनात्मक उथल-पुथल की शुरुआत थी, जिसमें आकर्षण, जलन, और दबे हुए अहंकार की लहरें एक साथ टकरा रही थीं। हर शब्द, हर नजर, हर खिंचाव उनके रिश्ते की जटिलता को और गहरा कर रहा था।
अगली सुबह पेंटहाउस में थोड़ी राहत-सी महसूस हो रही थी। पिछली रात के तनाव की जगह अब एक थकी हुई चुप्पी थी। आर्यन फर्श पर बिछे गद्दे से उठकर बैठा, अपनी कमर को सहलाते हुए बड़बड़ाया—ज़मीन पर सोना उसके लिए किसी सज़ा से कम नहीं था। दूसरी तरफ़, ईरा अपने कमरे में तेज़ी से तैयार हो रही थी, बालों में क्लिप लगाती, अपनी स्केचबुक समेटती, जैसे किसी मिशन पर जा रही हो।
मालिनी जी की मौजूदगी और शक से बचने के लिए दोनों ने मजबूरी में साथ बैठकर नाश्ता किया। मेज़ पर औपचारिक मुस्कुराहटें थीं, पर उनके बीच का तनाव साफ़ झलक रहा था। आर्यन के लिए यह बस एक और नाटक था, जबकि ईरा अपने भीतर लगातार ये दोहराती रही कि वह इस सबके बीच भी अपनी पहचान नहीं खोएगी।
नाश्ते के बाद, जब ईरा कैफ़े जाने के लिए दरवाज़े की तरफ़ बढ़ी, आर्यन ने ठंडी, सख़्त आवाज़ में कहा, "याद रखना, ईरा। वहाँ पूरी तरह से सामान्य व्यवहार करोगी। कोई ड्रामा नहीं, कोई चीखना-चिल्लाना नहीं। और अपनी उस कैट-लेडी दोस्त को मेरी शादी के बारे में कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है।"
ईरा ने एक पल के लिए रुककर उसकी ओर देखा, होंठों पर हल्की मुस्कान और आँखों में चुनौती थी। "तुम अपनी कॉर्पोरेट दुनिया के लिए नियम बनाओ, मिस्टर खन्ना," उसने पलटकर कहा, "मेरी दुनिया में कला और आज़ादी चलती है।"
उसकी आवाज़ धीमी थी, मगर इतनी मज़बूत कि आर्यन के सीने में हल्की-सी खटपट पैदा कर गई। वह जानता था कि ईरा को रोकना आसान नहीं होगा।
बोहोटॉपिया कैफ़े अपने शांत, धूप से भरे माहौल में डूबा हुआ था। दीवारों पर ईरा की ज्वलंत पेंटिंग्स टंगी थीं, और हर कोने में किताबें, पौधे और मुलायम कुशन रखे थे। ईरा खुद कैफ़े के छोटे काउंटर पर खड़ी थी, अपने असिस्टेंट प्रीतम के साथ कॉफ़ी पर चर्चा कर रही थी।
प्रीतम, एक लंबी, शांत रहने वाली लड़की थी, जो ईरा की सबसे अच्छी दोस्त और साथी थी।
तभी, दरवाज़े पर ज़ोरदार आवाज़ हुई।
सान्या मेहरा, एक चमकदार, महँगी ड्रेस पहने और धूप का चश्मा लगाए अंदर आई। उसके पीछे एक सुरक्षा गार्ड और एक फ़ोटोग्राफ़र था।
"यह जगह कहाँ है?" सान्या ने अपनी नाक सिकोड़ते हुए कहा। "इतनी गंदगी और इतनी पेंट की गंध!"
ईरा को तुरंत समझ आ गया कि तूफ़ान आ गया है।
सान्या सीधे काउंटर पर पहुँची और अपनी उंगलियों से पेंटिंग्स को छूकर उन्हें खराब करने की कोशिश की।
"तुम यहाँ क्या कर रही हो, सान्या?" ईरा ने शांत रहने की कोशिश करते हुए पूछा।
"ओह, मैं तो बस आर्यन की नई 'पत्नी' को देखने आई थी," सान्या ने ज़ोर देकर कहा। "मुझे देखना था कि आर्यन खन्ना ने अपनी ज़िंदगी बर्बाद करने के लिए किस तरह के कचरे को चुना है। और हाँ, मैंने सुना है तुम यहाँ से पैसे कमाती हो? कितना शर्मनाक!"
सान्या ने तुरंत अपने पर्स से पचास लाख रुपये का चेक निकाला और काउंटर पर रख दिया।
"यह ले लो। यह तुम्हारे इस टूटते-बिखरते कैफ़े को बंद करने के लिए है। आर्यन को तुम्हारी ज़रूरत नहीं है, और न ही हमें तुम्हारे इस बोहोटॉपिया की ज़रूरत है। बस यह चेक लो और आज़ादी से दूर चली जाओ।"
कैफ़े में मौजूद कुछ ग्राहक और प्रीतम हक्का-बक्का रह गए। यह एक खुला अपमान था।
ईरा को सान्या की नफ़रत से ज़्यादा उसके पैसे की ताकत का प्रदर्शन पसंद नहीं आया। उसने एक गहरी साँस ली, ताकि उसकी आवाज़ काँपे नहीं।
"सान्या," ईरा ने शांत पर तेज़ आवाज़ में कहा। "मुझे तुम्हारे गंदे पैसे की ज़रूरत नहीं है। तुम अपनी जलन को वापस अपने साथ ले जा सकती हो।"
ईरा ने चेक उठाया और उसे फाड़कर दो टुकड़े कर दिए, फिर तीन... और उसके बाद उन टुकड़ों को सान्या के सामने, ज़मीन पर फेंक दिया।
"यह कैफ़े मेरी कला है, यह मेरी ज़िंदगी है," ईरा ने कहा। "तुम और तुम्हारे पैसे, हम दोनों को छूने की हिम्मत मत करना।"
सान्या का चेहरा गुस्से से सफ़ेद पड़ गया। "तुमने... तुमने क्या किया? तुम जानती हो यह कितना पैसा था?"
"हाँ। और तुम जानती हो यह कितनी आज़ादी थी? और मेरी आज़ादी बेची नहीं जाती।"
सान्या को अब समझ आया कि यह लड़की वैसी नहीं है जैसी उसने कॉर्पोरेट पार्टी में समझी थी। यह लड़ाई अब पैसे बनाम सिद्धांत की हो गई थी।
गुस्से में, सान्या ने मेज पर रखे पेंट के एक टिन को उठाया और उसे ईरा की एक पेंटिंग पर फेंकने ही वाली थी।
तभी, एक आवाज़ आई, "यह हिम्मत भी मत करना, सान्या!"
दरवाज़े पर आर्यन खन्ना खड़ा था। वह अपने सूट में था, पर उसकी टाई ढीली थी। उसके चेहरे पर भयंकर गुस्सा था, जिसने पूरे कैफ़े को खामोश कर दिया।
आर्यन की कार में आज सुबह एक ट्रैकर लगाया गया था, जिसकी जानकारी मालिनी जी को थी। आर्यन को लगा था कि मालिनी जी उसे ट्रैक करेंगी, लेकिन अब उसे शक हुआ कि किसी और ने भी उसे ट्रैक किया है। उसे अचानक याद आया कि सान्या का ड्राइवर उसके ऑफ़िस में काफ़ी देर रुका था।
"यह मेरी पत्नी की जगह है," आर्यन ने ज़ोर देकर कहा। उसकी आवाज़ में सच्चा अधिकार था। "और तुम मेरी पत्नी की चीज़ों को छूने की हिम्मत भी मत करना।"
सान्या का हाथ हवा में रुक गया। "आर्यन! तुम यहाँ क्या कर रहे हो? यह लड़की अभी-अभी तुम्हारा पचास लाख का चेक फाड़ दिया है!"
"वह मेरी मर्ज़ी है," ईरा ने आर्यन को टोकते हुए कहा।
"नहीं, वह हमारी मर्ज़ी है!" आर्यन ने तुरंत ईरा की तरफ़ देखा और उसे अपने पास खींच लिया। उसने ईरा की कमर पर अपना हाथ रखा और उसे सान्या के सामने पूरी तरह से प्रदर्शित किया।
"सान्या, सुनो," आर्यन ने धीरे-धीरे, लेकिन शक्तिशाली तरीके से कहा। "अगर तुमने ईरा या उसके किसी भी चीज़ को दुबारा छूने की कोशिश की... तो मैं तुम्हारे पिता के यूरोपियन डील को बर्बाद कर दूँगा। तुम मेरी पत्नी के कैफ़े में आकर हंगामा नहीं कर सकती। अब यहाँ से चली जाओ।"
सान्या डर गई। आर्यन की धमकी सीधे उसके पिता के व्यवसाय पर थी। वह गुस्से से काँपी, फ़र्श पर पड़े चेक के टुकड़ों को देखा, और तेज़ी से कैफ़े से बाहर निकल गई।
कैफ़े में मौजूद हर कोई, यहाँ तक कि प्रीतम भी, आर्यन को देख रहा था—वही कठोर CEO, जो अभी-अभी झूठे प्यार के लिए एक झूठी लड़ाई लड़ गया था।
आर्यन ने धीरे से ईरा को खुद से दूर किया। उसकी आँखें अभी भी गुस्से में थीं।
"मैंने तुम्हें कहा था, ड्रामा नहीं," आर्यन ने फुसफुसाते हुए कहा।
"और मैंने तुम्हें कहा था, यह मेरी दुनिया है," ईरा ने पलटवार किया।
आर्यन ने बिना कुछ कहे, फाड़े गए चेक के टुकड़ों को उठाया और गुस्से में उन्हें अपनी जेब में डाल लिया। "तुम्हारा यह कैफ़े तुम्हारी अव्यवस्थित मूर्खता का प्रदर्शन है।"
"और तुम," ईरा ने कहा। "तुम एक सुरक्षात्मक पति का बेहतरीन प्रदर्शन हो।"
आर्यन ने ईरा को घूरकर देखा। वह अपनी कार की तरफ़ तेज़ी से बढ़ा।
ईरा कैफ़े में खड़ी रही। उसे गुस्सा आ रहा था, पर साथ ही वह अजीब-सी खुशी भी महसूस कर रही थी। आर्यन का गुस्सा केवल उसकी संपत्ति के लिए नहीं था; उसमें एक निजी सुरक्षा का भाव भी था, जो उसके दिल को छू गया।
अब, सान्या का खतरा कुछ समय के लिए टल गया है। ईरा ने आर्यन की मदद के बावजूद, उसे चुनौती दी है।
मालिनी खन्ना, सान्या के ड्रामे से पूरी तरह अनजान, उसी शाम एक ज़रूरी फैमिली इवेंट के लिए पुणे निकल गईं। जाने से पहले उन्होंने ईरा और आर्यन को मजबूर किया कि दोनों एक प्यारा-सा, लेकिन नकली ‘गुड नाइट किस’ दें। जाते-जाते फिर वही ‘जल्दी खुशखबरी’ की याद दिलाई, जो दोनों के कानों में चुभी थी।
रात ग्यारह बजे का समय था। पेंटहाउस में अजीब-सी खामोशी छाई थी। यह पहली बार था कि आर्यन और ईरा पूरी तरह अकेले थे—न मालिनी जी, न कोई नौकर, न कोई बाहरी निगाह। बस दो लोग और उनके बीच की एक पतली दीवार, जो सान्या के अचानक हुए हमले के बाद और भी बोझिल लग रही थी।
आर्यन अपने विशाल बेडरूम की बालकनी में खड़ा था। हाथ में महंगी व्हिस्की का गिलास था, जिसकी हर चुस्की उसकी नसों में जमी अकड़न को भी नहीं खोल पा रही थी। ज़मीन पर सोने की वजह से उसकी कमर अब भी तनी हुई थी। लेकिन असली बेचैनी कुछ और थी—ईरा का कैफ़े, सान्या का हंगामा, और इन सबके बीच उसकी पकड़ से बाहर होती परिस्थितियाँ।
उसने गहरी साँस ली, व्हिस्की का आख़िरी घूँट लिया और गिलास साइड टेबल पर रख दिया। अब और इंतज़ार करना बेकार था। उसके कदम खुद-ब-खुद दिशा तय कर चुके थे।
आर्यन सीधे ईरा के कमरे की तरफ़ बढ़ा। दरवाज़ा बिना किसी दस्तक के खोला।
अंदर, ईरा बिस्तर पर लेटी थी, हाथ में एक पुरानी किताब, जिसकी रोशनी उसके चेहरे पर हल्की छाया बना रही थी। जैसे ही उसने दरवाज़ा खुलने की आहट सुनी, उसकी उंगलियाँ पन्ने पर अटक गईं और आँखें धीरे-धीरे ऊपर उठीं—सीधा आर्यन की ओर।
"आज रात, कोई ज़मीन पर नहीं सोएगा," आर्यन ने बेडरूम के दरवाज़े पर खड़े होकर घोषणा की।
ईरा ने भौंहें चढ़ाई। "क्या मतलब है तुम्हारा, मिस्टर खन्ना?"
"मतलब यह कि हम इस नाटक को और आगे नहीं बढ़ा सकते। मेरे पास तुम्हारी तरह ज़मीन पर सोने का स्टैमिना नहीं है। और मुझे पता है, तुम मेरे क्लाउड-जैसे बिस्तर को छोड़कर अपने अव्यवस्थित गद्दे पर दुखी हो। आज रात हम दोनों अपने-अपने कमरों में बिस्तर पर सोएंगे।"
"क्या तुम्हें अब मेरी नींद की ज़्यादा चिंता होने लगी है, गोल्डन हैमरमैन?" ईरा ने कटाक्ष किया।
"नहीं। मुझे मेरे स्वास्थ्य की चिंता है। और सुनो," आर्यन ने अपने होंठ भींचे, "कल माँ फिर वापस आ सकती हैं। इसलिए आज रात तुम मेरे कमरे में सोओगी, और मैं तुम्हारे कमरे में। लेकिन सिर्फ़ बिस्तर पर।
ईरा को यह सुनकर राहत मिली, लेकिन उसने अपनी जीत नहीं दिखाई। "ठीक है। लेकिन अगर तुम मेरे किसी पेंटिंग के टिन को भी हाथ लगाओगे, तो मैं तुम्हारा 200 करोड़ का ऑफ़िस तोड़ दूँगी।"
"डील," आर्यन ने कहा, और तुरंत दरवाज़ा बंद करके, ईरा के बेडरूम में चला गया।
ईरा अब आर्यन के बेडरूम में थी, और आर्यन ईरा के बेडरूम में।
ईरा बिस्तर पर लेटी थी, पर उसे नींद नहीं आ रही थी। सान्या की बात, आर्यन का बचाव, और अब यह बेडरूम की अदला-बदली... सब कुछ अजीब लग रहा था।
उसे याद आया कि उसने आर्यन की मेज़ पर क्या देखा था: पुरानी पेंटिंग और कठोर डायरी।
वह बिस्तर से उठी और मेज की ओर बढ़ी। उसने लकड़ी की डिब्बी निकाली और वह बचपन की पेंटिंग बाहर निकाली—वह अ
धूरा पहाड़ और टूटी हुई सीढ़ियों वाली झोपड़ी, जिस पर 'घर' लिखा था।
तभी, दरवाज़ा खुला। आर्यन अंदर आया।
वह भी शांत नहीं रह पा रहा था। "ईरा! मुझे अपने कमरे से मेरी फ़ाइल चाहिए थी। तुम्हारी चीज़ों की गंध से मुझे छींक आ रही है!"
उसकी नज़र ईरा के हाथ में पकड़ी पेंटिंग पर पड़ी। उसका चेहरा तुरंत सख्त हो गया।
"तुम... तुम इसे क्या कर रही हो?" उसकी आवाज़ अब शांत नहीं, बल्कि गहरी और डरी हुई थी।
"यह बहुत प्यारी है," ईरा ने धीरे से कहा। "और थोड़ी दुखी भी।"
आर्यन तुरंत उसके नज़दीक आया और लगभग झपटकर पेंटिंग छीन ली। "तुम्हें मेरे किसी भी निजी सामान को छूने का कोई हक़ नहीं है!"
उसने पेंटिंग को वापस डिब्बी में बंद कर दिया और डिब्बी को दराज में फेंक दिया।
"हाँ, शायद," ईरा ने कहा। उसकी आवाज़ में गुस्सा नहीं, बल्कि गहरी समझ थी। "लेकिन यह मेरी दुनिया की तरह लगता है, मिस्टर खन्ना। अधूरा, और इसे ठीक करने वाला कोई नहीं है।"
"तुम्हारे जैसे लोग हमेशा मेरे अंदर कमज़ोरी ढूँढ़ते हैं," आर्यन ने पलटवार किया, पर उसकी आवाज़ में पहली बार दर्द था। "यह सिर्फ़ बचपन का कचरा है। इसमें कुछ नहीं है।"
"नहीं, आर्यन," ईरा ने कहा। उसने उसका नाम पहली बार सिर्फ़ आर्यन कहा था, न कि 'मिस्टर खन्ना' या 'गोल्डन हैमरमैन'। "यह तुम्हारा डर है। यह डर है कि अगर तुम ज़रा भी रुके, तो दुनिया तुम्हें रौंद देगी। तुम्हारी डायरी कहती है कि तुम्हें हमेशा मशीन बने रहना है। पर मशीनें घर की पेंटिंग नहीं बनातीं।"
आर्यन एक पल के लिए स्तब्ध रह गया। ईरा का सीधा प्रहार उसके सबसे सुरक्षित कवच पर लगा था।
"तुमने मेरी डायरी देखी?" उसने गुस्से से पूछा।
"हाँ। और मैंने देखा कि आर्यन खन्ना नाम का CEO प्यार नहीं चाहता, वह सिर्फ़ सुरक्षा चाहता है।" ईरा उसकी तरफ़ बढ़ी, उसके और आर्यन के बीच की दूरी बहुत कम थी। "और सुरक्षा पाने के लिए तुम अपनी कला को मार रहे हो, अपने रिश्तों को मार रहे हो।"
आर्यन ने एक गहरी साँस ली। वह ईरा की आँखों में देख रहा था, जहाँ कोई निर्णय नहीं था, सिर्फ़ शांत सवाल था। वह पहली बार किसी को इतनी नज़दीकी से अपने डर के बारे में बात करते हुए सुन रहा था।प
"यह तुम्हारी समस्या नहीं है, ईरा," आर्यन ने फुसफुसाते हुए कहा।
"हाँ, है। यह मेरी समस्या है, क्योंकि मैंने तुम्हारे साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है। और अगर तुम इतनी कमज़ोर सोच के साथ कॉन्ट्रैक्ट चलाओगे, तो यह टूट जाएगा।"
अचानक, ईरा ने अपने हाथों से आर्यन के ढीले पड़े टाई को छुआ, और उसे धीरे से हटा दिया। यह एक निजी, अनचाहा स्पर्श था, जो पूरी तरह से स्नेह से रहित था, पर गहरी अंतरंगता (Intimacy) से भरा था।
"जाओ सो जाओ, आर्यन," ईरा ने लगभग फुसफुसाते हुए कहा। "तुम्हें कल फिर से गोल्डन हैमरमैन का रोल निभाना है।"
आर्यन वहाँ से हिल नहीं पाया। ईरा का स्पर्श, उसका नाम, और उसकी आँखों में वह शांति... उसने आर्यन के गुस्से की आग को बुझा दिया था। वह चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया, पेंटिंग की डिब्बी को सीने से लगाए हुए।
आज रात, दोनों ने अपने-अपने कमरों में, अपने-अपने बिस्तरों पर रात बिताई। दरवाज़े बंद थे, और बीच की दूरी बरकरार थी, फिर भी एक अजीब-सा एहसास उन दोनों को चैन से सोने नहीं दे रहा था।
ईरा छत की तरफ़ देखते हुए बार-बार आर्यन के शब्दों को याद कर रही थी, उसके व्यवहार की ठंडक के पीछे छिपी झलकियों को समझने की कोशिश कर रही थी। दूसरी तरफ़, आर्यन अपनी करवटें बदलते हुए यह मानने से इनकार कर रहा था कि उसके मन में ईरा की मौजूदगी अब बोझ नहीं, बल्कि किसी अनकही ज़रूरत जैसी बनती जा रही है।
उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई, न ही कोई छूटा हुआ इशारा। फिर भी, कमरे की खामोशी में एक अनकहा रिश्ता साँस ले रहा था। अब, उनकी भावनात्मक दीवार में दरार पड़ चुकी थी—छोटी-सी, लेकिन गहरी। एक ऐसी दरार, जो उन्हें पहले से कहीं ज़्यादा नज़दीक महसूस करा रही थी।
अकेली रात के बाद सुबह का माहौल अजीब तरह का भारी था। दोनों के बीच की खामोशी शब्दों से कहीं ज़्यादा बोल रही थी। आर्यन बार-बार ईरा की कही बातें याद कर रहा था—कला, सुरक्षा, मशीन—जैसे वे उसके सीने में चुभी हुई हों। और ईरा… वह चाहकर भी उस दबे हुए दर्द को भूल नहीं पा रही थी, जो उसे आर्यन की आँखों में पहली बार नज़र आया था।
लेकिन सुबह होते ही सब जैसे बदल गया। आर्यन फिर वही बन गया जो बाहर की दुनिया देखती थी—ठंडा, संयमी, और पूरी तरह कॉर्पोरेट नक़ाब में ढका हुआ।
नाश्ते की मेज़ पर उसने अख़बार के पन्ने खोले, कॉफ़ी के घूँट लिए, और ईरा को ऐसे अनदेखा किया मानो वह वहाँ मौजूद ही न हो। ईरा भी बिना कुछ बोले चुपचाप अपने टोस्ट पर ध्यान दे रही थी।
तभी अचानक आर्यन का फ़ोन बजा। स्क्रीन पर मिस्टर गुप्ता का नाम चमक रहा था।
“गुड मॉर्निंग, गुप्ता,” आर्यन ने सामान्य लहजे में कहा।
लेकिन दूसरी तरफ़ से गुप्ता की आवाज़ घबराई हुई थी।
“सर, आपने डेली स्कैंडल अख़बार देखा? यह पूरे शहर में सुर्ख़ियों में है! लोग कह रहे हैं कि आपकी शादी सिर्फ़ वसीयत का एक दिखावा है… और ईरा मैम आपको तलाक देने वाली हैं!”
आर्यन की उंगलियाँ कस गईं। उसने तुरंत ईरा की तरफ़ एक तीखी नज़र डाली, फिर नौकर को इशारा किया। अगले ही पल अख़बार उसके हाथों में था।
मुख्य पृष्ठ पर वही तस्वीरें छपी थीं—पेंटहाउस के दो दरवाज़े, दोनों अलग-अलग बेडरूम की तरफ़ जाते हुए। तस्वीरों को ज़ूम करके ऐसे छापा गया था मानो यह किसी जासूसी मिशन का नतीजा हो। नीचे बड़े अक्षरों में लिखा था:
“CEO खन्ना का प्रेम नाटक हुआ फ्लॉप: पत्नी ने मांगा अलगाव!”
ईरा का चेहरा सफेद पड़ गया। आर्यन ने अख़बार को मेज़ पर पटक दिया, और उसकी आँखों में गुस्से की वो आग थी जो किसी तूफ़ान से कम नहीं थी।
यह साफ़ था कि यह किसी बाहरी व्यक्ति का काम है, जो उनके निजी जीवन में घुसपैठ कर रहा है। आर्यन को तुरंत सान्या पर शक हुआ, लेकिन तभी उसे एक और नाम याद आया: राहुल, जिसे वह पिछली पार्टी में ईरा के पास देखता था।
आर्यन ने तुरंत मिस्टर गुप्ता को जाँच के लिए कहा। 15 मिनट बाद, मिस्टर गुप्ता का फ़ोन आया।
"सर, यह काम राहुल दीक्षित की पीआर टीम का लगता है। उसने कल रात एक टैब्लॉइड पत्रकार को मोटी रकम दी थी। वह बाज़ार में आपकी छवि को धूमिल करना चाहता है।"
आर्यन का चेहरा सख्त हो गया। राहुल अब व्यक्तिगत प्रतिशोध ले रहा था, और सीधे आर्यन की सबसे कमज़ोर जगह पर वार कर रहा था: कंपनी की विश्वसनीयता।
"ईरा," आर्यन ने कागज़ को मेज पर फेंकते हुए कहा। उसकी आवाज़ ठंडी थी। "तुम्हारा कोई पुराना दोस्त, राहुल दीक्षित, मेरी ज़िंदगी और मेरी कंपनी को बर्बाद करने की कोशिश कर रहा है।"
ईरा अख़बार देखकर सदमे में थी। "राहुल? पर वह ऐसा क्यों करेगा? वह... मेरा दोस्त था।"
"दोस्त?" आर्यन ने उपहास किया। "तुम्हारे दोस्तों की परिभाषा मेरी परिभाषा से अलग है। अब सुनो, ईरा। यह सिर्फ़ शादी का नाटक नहीं रहा। यह मेरे 500 करोड़ के साम्राज्य की बात है। अगर यह ख़बर फ़ैल गई, तो मेरे शेयर गिर जाएँगे। हम इसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते।"
पब्लिक डिस्प्ले का अल्टीमेटम (The Public Display Ultimatum)
आर्यन ने तुरंत एक फ़ोन किया और अपनी कार तैयार करवाई। उसने ईरा को घूरकर देखा।
"आज हम पब्लिक में जा रहे हैं। हमें यह दिखाना होगा कि हम पूरी तरह से एक-दूसरे के प्यार में पागल हैं। और तुम, ईरा, कोई कलात्मक कपड़े नहीं। तुम मेरी पत्नी की तरह तैयार होगी। यह आख़िरी नाटक है, और इसे असली दिखना चाहिए।"
दो घंटे बाद, आर्यन और ईरा, अब एक परफेक्टली मैचिंग, क्लासी कपल की तरह, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए निकले। ईरा ने आर्यन के कहने पर एक महँगी, लाल साड़ी पहनी थी, और आर्यन की नज़रों में उसे देखकर एक नई चमक थी।
उन्हें शहर के सबसे भीड़-भाड़ वाले मॉल के बाहर रुकना पड़ा, जहाँ पहले से ही कैमरों का हुजूम था।
"तैयार हो जाओ," आर्यन ने फुसफुसाते हुए कहा। "तुम्हें मेरे साथ पूरी नज़दीकी दिखानी होगी। कोई दूरी नहीं।"
"ठीक है," ईरा ने गहरी साँस ली। "पर अगर तुमने मुझे असहज किया, तो मैं तुम्हारे सामने सब सच बता दूँगी।"
जैसे ही वे कार से बाहर निकले, कैमरों की फ़्लैश लाइटें चमक उठीं। पत्रकार चीख़ रहे थे।
आर्यन ने तुरंत ईरा की कमर को अपनी तरफ़ खींचा, इतना कि उनके बीच ज़रा भी जगह नहीं बची। उसने ईरा के कान में फुसफुसाया, "मुस्कुराओ, डार्लिंग! यह हमारे झूठे प्यार का सबसे बड़ा प्रदर्शन है।"
जैसे ही एक पत्रकार ने तेज़ आवाज़ में सवाल दागा—"क्या आप तलाक ले रहे हैं?"—पूरा माहौल और भी गरम हो गया। माइक और कैमरे आर्यन के चेहरे पर तने हुए थे, सब उसके जवाब का इंतज़ार कर रहे थे।
आर्यन ने पल भर की भी देरी नहीं की। उसकी आँखों में वो ठंडी चमक गायब हो चुकी थी, अब वहाँ एक अलग ही आग थी। उसने बिना सोचे-समझे अपना CEO वाला नक़ाब उतार फेंका और ईरा की तरफ़ कदम बढ़ाए। सबके सामने, उसने ईरा को अपनी मज़बूत बाँहों में समेट लिया।
ईरा की साँस अटक गई। वह समझ भी नहीं पाई कि आगे क्या होने वाला है, तभी आर्यन ने उसकी आँखों में सीधा देखा—उसकी हैरानी, उसका डर, उसका विरोध सब पढ़ते हुए—और अगले ही पल, उसने उसके होंठों पर ज़ोरदार, passionate किस कर दिया।
यह कोई नाटक नहीं था। इसमें अधिकार की सख़्ती थी, गुस्से की तपिश थी, डर की बेचैनी थी और अनचाहे आकर्षण की तीव्रता थी। आर्यन को लगा कि उसने यह दुनिया को शांत करने और अफ़वाहों को रोकने के लिए किया है। लेकिन ईरा के लिए, वह पल उसके पूरे शरीर को हिला देने वाला था—मानो उसकी साँस छिन गई हो। उस स्पर्श में गर्मी थी, ताक़त थी, और एक ऐसा चौंकाने वाला सच, जिसे वह खुद से भी छुपा नहीं पाई।
कैमरों की फ्लैश लाइटें पागलपन की हद तक चमकने लगीं। भीड़ में खुसर-पुसर थम गई, हर कोई उस पल का गवाह बन गया।
जब आर्यन ने आखिरकार उसे छोड़ा, तो ईरा हाँफ रही थी। उसकी उंगलियाँ अनजाने में होंठों पर जा पहुँचीं, जैसे वो यक़ीन नहीं कर पा रही हो कि अभी क्या हुआ।
आर्यन ने माइक थामा, उसकी आवाज़ गहरी और गूँजदार थी।
"यह मेरे प्यार का जवाब है। और मेरी पत्नी, ईरा खन्ना, हमेशा मेरे साथ रहेगी।"
भीड़ तालियों और हैरानी के बीच गूँज उठी।
ईरा वहीं खड़ी थी, दिल बेकाबू धड़क रहा था। उसने महसूस किया कि जो कुछ अभी तक सिर्फ़ झूठा नाटक था, वह धीरे-धीरे असली धड़कनों में बदलने लगा है।
राहुल का दाँव उल्टा पड़ चुका था। लेकिन आर्यन और ईरा के बीच अब एक नई असहज, फिर भी खतरनाक रूप से तीव्र नज़दीकी आ चुकी थी—जिसे दोनों न चाहकर भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते थे।
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कहानी पसंद आ रही है तो मुझे फॉलो करना ना भूले 💗
पेंटहाउस में रात के ग्यारह बज रहे थे।
पब्लिक किस के बाद का माहौल बिजली से भरा हुआ था। आर्यन और ईरा अपने अलग-अलग कमरों में जाने से डर रहे थे, क्योंकि वे जानते थे कि अगर वे अकेले रहे, तो उन्हें उस अचानक और अनियंत्रित स्पर्श के बारे में सोचना पड़ेगा।
आर्यन, अपनी CEO वाली कठोरता को बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रहा था। वह लिविंग रूम में खड़ा था, अपनी व्हिस्की पी रहा था।
ईरा ने अपने होंठों को छुआ। उसका दिल अब भी उस चुंबन के बारे में सोचकर तेज़ हो रहा था। यह झूठा नाटक था, लेकिन आर्यन की पकड़ और उसकी तीव्रता किसी भी तरह से नाटक नहीं थी।
ईरा लिविंग रूम में आई। "तुम्हारा चेहरा क्यों लाल हो रहा है, मिस्टर खन्ना?" उसने जानबूझकर चिढ़ाते हुए पूछा।
"मेरा चेहरा लाल नहीं हो रहा है," आर्यन ने तुरंत पलटा। "मैं बस इस बात से नाराज़ हूँ कि राहुल ने मेरी कंपनी को अस्थिर करने की कोशिश की।"
"ठीक है। पर तुमने जो 'तलाक का खंडन' किया, वह कुछ ज़्यादा ही प्रभावशाली था," ईरा ने कटाक्ष किया। "मुझे लगा तुम मुझे खा जाओगे।"
"यह सिर्फ़ ज़रूरत थी। कैमरे थे, ईरा। और हाँ, अगर तुम्हें लगा कि मैंने तुम्हें 'खाने' की कोशिश की, तो शायद तुम्हें अभिनेताओं के साथ काम करना चाहिए था, CEO के साथ नहीं।"
तनाव इतना ज़्यादा हो चुका था कि अगर वे इसे तुरंत तोड़ते नहीं, तो शायद लड़ पड़ते या फिर... कुछ और हो जाता।
"हम यह तनाव क्यों झेल रहे हैं?" ईरा ने अचानक कहा। "हम झूठ बोल रहे हैं, तो कम से कम मज़ेदार झूठ बोलें। क्या तुम जानते हो, मेरे कॉलेज में, जब तनाव ज़्यादा होता था, तो हम क्या करते थे?"
"मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है तुम्हारे कॉलेज की अराजकता में," आर्यन ने कहा।
"हाँ, है। तुम्हें है। क्योंकि तुम यह देखने की कोशिश कर रहे हो कि मैं कितनी अव्यवस्थित हूँ," ईरा ने दो ग्लास उठाए। "आज रात, हम कभी नहीं या कभी नहीं (Never Have I Ever) खेलेंगे।"
आर्यन ने घूरकर देखा। "क्या? वह बचकाना खेल?"
"हाँ। और अगर तुमने झूठ बोला, तो तुम्हें यह वोदका पीनी पड़ेगी। यह तुम्हारी व्हिस्की की पवित्रता को तोड़ देगी।"
ईरा को पता था कि आर्यन कभी भी शराब पीने के मामले में खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहेगा।
"मंज़ूर है," आर्यन ने कहा, अपनी बांहें बांधते हुए। "पर तुम मुझसे कोई बिज़नेस का राज़ जानने की कोशिश नहीं करोगी।"
खेल शुरू हुआ। शुरुआत में आर्यन केवल कॉर्पोरेट और ऊबाऊ बातें कह रहा था, जैसे: 'मैंने कभी कंपनी की मीटिंग में नक़ली फ़ोन पर बात नहीं की है।'
पर ईरा ने तुरंत खेल का रुख बदल दिया।
ईरा: "कभी नहीं या कभी नहीं... मैंने कभी चोरी-छिपे अपनी ज़िंदगी के किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देखा है जो मुझे लगता है कि अकेला है।"
ईरा ने आर्यन की आँखों में देखा। वह उस पर पेंटिंग और डायरी का दबाव डाल रही थी।
आर्यन झेंप गया। उसने भारी मन से ग्लास उठाया और एक घूँट लिया। "तुम चीटिंग कर रही हो।"
"मैं सच बोल रही हूँ," ईरा मुस्कुराई।
आर्यन ने पलटवार किया। "कभी नहीं या कभी नहीं... मैंने कभी किसी ऐसे लड़के के साथ रिलेशनशिप का नाटक नहीं किया है जिसे मैं अंदर ही अंदर पसंद करती थी।"
यह सवाल ईरा के लिए एक झटका था। क्या आर्यन को उसके और राहुल के रिश्ते के बारे में पता है? या क्या वह जानबूझकर इस झूठी शादी की तरफ़ इशारा कर रहा है?
ईरा ने आँखें बंद कीं और पूरी वोदका पी ली।
"तुमने पी ली!" आर्यन की आँखें बड़ी हो गईं। "क्या तुम... तुम राहुल की बात कर रही हो?"
"ज़रूरी नहीं," ईरा ने हँसने की कोशिश की, पर उसकी आँखें नम थीं। "अगला सवाल तुम्हारा।"
ईरा: "कभी नहीं या कभी नहीं... तुमने कभी किसी के साथ रिश्ते में होने का नाटक नहीं किया है, जबकि तुम चाहते थे कि वह रिश्ता असली हो।"
यह सीधा प्रहार था। आर्यन चुप हो गया। उसने ग्लास उठा लिया, पर पीने से पहले, उसने ईरा की आँखों में देखा। गुस्सा, अस्वीकृति और दुख... सब कुछ वहाँ था।
"तुम... तुम बहुत खतरनाक हो," आर्यन ने फुसफुसाया, और फिर उसने ग्लास खाली कर दिया।
ईरा को झटका लगा। क्या आर्यन सच में कुछ असली चाहता है?
आर्यन ने अपनी आवाज़ को स्थिर करने की कोशिश की। "कभी नहीं या कभी नहीं... तुम्हें कभी किसी के स्पर्श से इतनी घबराहट महसूस नहीं हुई कि तुम भाग जाना चाहती थी, लेकिन तुम रुकी रही।"
यह सवाल पब्लिक किस के बारे में था। अब खेल राज़ से निकलकर स्पर्श तक आ गया था।
ईरा को लगा कि उसका दम घुट रहा है। वह झूठ नहीं बोल सकती थी। उसने ग्लास उठाया और पी लिया।
जैसे-जैसे वोदका का असर होने लगा, दोनों के बीच की कॉर्पोरेट और कलात्मक दीवारें गिरने लगीं।
आर्यन: "ईरा... जब मैं तुम्हें उस मॉल में किस कर रहा था... मुझे लगा कि मैंने पूरी दुनिया को ख़ामोश कर दिया है।"
ईरा: "और मुझे लगा कि... मुझे लगा कि मैं पहली बार किसी की असलियत देख रही हूँ... तुम्हारे नक़ाब के पीछे।"
आर्यन अपने हाथ से अपने माथे को दबा रहा था। "यह... यह सब बकवास है। यह सिर्फ़ शराब है। हम दोनों एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं।"
ईरा धीरे-धीरे आर्यन के नज़दीक आई। "अगर तुम मुझे पसंद नहीं करते, तो तुमने सान्या के सामने मेरी सुरक्षा क्यों की? और अगर तुम मुझे पसंद नहीं करते, तो तुम मेरी पेंटिंग और मेरी अराजकता को बर्दाश्त क्यों कर रहे हो?"
आर्यन ने अचानक ईरा का हाथ पकड़ लिया। "क्योंकि... क्योंकि तुम मेरे कॉन्ट्रैक्ट में हो, ईरा! और मैं अपने कॉन्ट्रैक्ट्स को टूटने नहीं देता!"
ईरा मुस्कुराई। "हाँ, मिस्टर खन्ना। कॉन्ट्रैक्ट। अब मुझे सोने दो, मुझे कल फिर से तुम्हारी झूठी पत्नी का रोल निभाना है।"
वह लड़खड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ़ बढ़ी।
आर्यन वहीं खड़ा रहा, उसके हाथ में खाली ग्लास था। वह अब न तो CEO था और न ही गोल्डन हैमरमैन। वह सिर्फ़ एक ऐसा आदमी था जिसे पता नहीं था कि उसके अंदर की अकेली आग और ईरा की खुली लौ अब एक-दूसरे से टकराने लगी हैं।
अब, उनकी भावनात्मक नज़दीकी चरम पर है।
सुबह की हल्की रोशनी खिड़कियों से छनकर पेंटहाउस में फैल रही थी। मेज़ पर रखी प्लेटें और आधी खाली कॉफी कप सब गवाही दे रहे थे कि घर में एक बार फिर सुबह का नाश्ता अधूरा ही रह गया था।
ईरा, बिना आर्यन से कुछ कहे, चुपचाप अपने कमरे से बाहर निकली थी। उसके पैरों में स्लीपर्स की हल्की सी आवाज़ आई थी, फिर दरवाज़ा खुला और वो बाहर निकल गई थी। जाने से पहले उसने बस एक छोटा-सा नोट मेज़ पर छोड़ दिया था—कागज़ का छोटा टुकड़ा, जिस पर बड़ी जल्दी में लिखे शब्द अब भी स्याही की तरह ताज़ा लग रहे थे:
"मुझे खुली हवा चाहिए। मैं कैफ़े में हूँ। वापस आने पर बहस कर सकते हैं।"
आर्यन जब नाश्ते की टेबल पर पहुँचा और वो नोट देखा, तो उसकी भौंहें सिकुड़ गईं। उसने नोट को हाथ में उठाया, पढ़ा… और फिर दोबारा पढ़ा। ईरा की लिखावट में वही ढिठाई, वही बगावती टोन था, जो हमेशा उसे खून खौलाने पर मजबूर करता था।
"खुली हवा चाहिए? बहस कर सकते हैं?"
आर्यन के अंदर ग़ुस्से का दरिया उफान मारने लगा। उसके लिए यह सिर्फ़ एक नोट नहीं था, यह सीधा-सीधा चैलेंज था। कौन सी पत्नी यूँ पति को नोट थमा कर निकल जाती है?
उसने मुट्ठी कस ली और कागज़ लगभग मरोड़ ही डाला। उसके दिमाग़ में अब भी कल रात की तस्वीरें घूम रही थीं—ईरा की चौड़ी हुई आँखें जब उसने उसे बाँहों में उठाया था, मॉल की भीड़, फ्लैश लाइट्स की बौछार, और वो ज़बरदस्त किस… जिसके बाद ईरा की साँसें थम-सी गई थीं।
"हवा? यह कोई नाटक नहीं है, ईरा! यह 500 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट है!" उसने खुद से कहा।
हालांकि, आर्यन को यह भी पता था कि अगर वह ईरा पर ज़्यादा दबाव डालेगा, तो वह विद्रोह कर देगी। और कहीं वह भागकर राहुल के पास न चली जाए—यह विचार उसे असहज कर गया।
आर्यन ने अपना सूट पहना, लेकिन इस बार उसने अपनी टाई ढीली रखी। वह सीधे अपनी कार लेकर बोहोटॉपिया कैफ़े की तरफ़ रवाना हुआ। यह पहला मौका था जब वह अपनी मर्जी से किसी औपचारिक डीलिंग के बिना ईरा को ढूँढने जा रहा था।
जब वह कैफ़े पहुँचा, तो माहौल हमेशा की तरह गर्मजोशी भरा और अव्यवस्थित था। ईरा अपने दो करीबी दोस्त—प्रीतम (कैफ़े की असिस्टेंट) और नकुल (एक नाटककार)—के साथ ज़ोर-ज़ोर से बातें कर रही थी।
आर्यन को देखते ही ईरा और उसके दोस्त चुप हो गए। आर्यन का महँगा सूट और उसकी तीव्र बॉडी लैंग्वेज उस कलात्मक माहौल में पूरी तरह से बाहरी लग रही थी।
"हमें बात करनी है," आर्यन ने ईरा की तरफ़ देखकर सख़्ती से कहा।
"मुझे नहीं करनी," ईरा ने पलटवार किया। "मैं अपनी दुनिया में हूँ, जहाँ झूठे CEO का स्वागत नहीं होता।"
आर्यन ने एक गहरी साँस ली और शांत रहने की कोशिश की। उसने समझा कि वह ईरा को यहाँ खींचकर बात नहीं कर सकता।
"मैं अभी जाता हूँ," आर्यन ने कहा। "पर मुझे तुम्हारी आज़ादी के बारे में कुछ जानने की ज़रूरत नहीं है। मुझे बस यह जानना है कि तुम कब तक वापस पेंटहाउस आ रही हो, ताकि मैं मालिनी माँ को कॉल करके 'सब ठीक है' बता सकूँ।"
ईरा ने अपनी आँखें घुमाईं और अपने दोस्तों की तरफ़ देखकर हँसी।
नकुल ने आर्यन की तरफ़ देखा। "सर, आप अपनी पत्नी को इतना डराते क्यों हैं? क्या आप उनसे सच में प्यार नहीं करते?"
यह सवाल आर्यन को तीर की तरह चुभा। आर्यन ने गुस्से से ईरा की तरफ़ घूरा, पर वह जानता था कि वह सच नहीं बता सकता।
"मैं उसे... मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ," आर्यन ने लगभग गुस्से में कहा। "पर मुझे अपनी पत्नी की आज़ादी पर बात करना पसंद नहीं है।"
आर्यन वहाँ से तेज़ी से निकल गया। वह जानता था कि उसने नाटक कर दिया, लेकिन यह नाटक बहुत ही खोखला महसूस हो रहा था।
आर्यन के जाते ही, ईरा मेज पर बैठ गई, उसका सिर हाथों में था।
प्रीतम ने चिंता से ईरा को छुआ। "ईरा, क्या हुआ? तुम क्यों रो रही हो?"
"मैं रो नहीं रही हूँ!" ईरा ने कहा। "मैं घबरा रही हूँ!"
नकुल: "तुम आर्यन से क्यों भाग रही हो? उसने तो अभी तुम्हें बचाने के लिए, हमारे सामने इतना बड़ा झूठ बोला।"
ईरा ने अपनी भावनाओं को बाहर आने दिया। "यही तो समस्या है, नकुल! वह झूठ बोलता है, पर वह झूठ अब मेरी धड़कन बन रहा है।"
ईरा ने टेबल पर ज़ोर से हाथ मारा।
"मुझे आर्यन से नफ़रत करनी चाहिए!" उसने लगभग चिल्लाकर कहा। "वह अभिमानी है, कठोर है, वह मेरी कला का मज़ाक उड़ाता है, और वह मुझे किश्तें चुकाने वाला सामान मानता है!"
प्रीतम: "तो फिर क्या हुआ?"
"तो फिर, जब वह मुझे पब्लिक में किस करता है, तो मुझे ऐसा क्यों लगता है कि मेरा दिल पिघल रहा है?" ईरा ने दर्द से कहा। "जब सान्या ने मुझ पर हमला किया, तो मुझे क्यों लगा कि सिर्फ़ वही मेरी रक्षा कर सकता है? जब उसने ज़मीन पर सोने के बाद मुझे दर्द में देखा, तो मुझे सहानुभूति क्यों महसूस हुई?"
नकुल: "शायद, ईरा, तुम... तुम उसे पसंद करने लगी हो।"
"नहीं!" ईरा ने अपनी आँखें बंद कीं। "मैं उस गोल्डन हैमरमैन को पसंद नहीं कर सकती, जो भावनाओं को मार देता है! लेकिन... लेकिन मुझे लगता है कि मैं आर्यन खन्ना नाम के उस अकेले, डरे हुए लड़के को पसंद करने लगी हूँ, जो मेरी पेंटिंग को देखकर डर जाता है। उसकी अकड़ के पीछे जो कमज़ोरी है, वह मुझे खींच रही है।"
ईरा ने अपने दोस्तों की तरफ़ देखा। उनकी आँखों में सवाल थे, लेकिन जवाब उसके पास भी पूरे नहीं थे। उसने गहरी साँस लेकर कहा,
"मैं सच में सोच रही हूँ… अगर यह समझौता कल ख़त्म हो गया, तो क्या मैं वाक़ई में ख़ुश हो पाऊँगी? या फिर… मुझे उसकी सख़्त आवाज़ की, उसकी लगातार डाँट की, यहाँ तक कि उसकी अकड़ की भी कमी खलेगी?"
उसकी आवाज़ धीमी थी, जैसे किसी ने उसके दिल से सच को खींचकर बाहर रख दिया हो। कप में बची कॉफ़ी अचानक बहुत कड़वी लगने लगी।
कैफ़े में सन्नाटा छा गया। चारों तरफ़ चहल-पहल थी, लेकिन उनकी टेबल पर बस ख़ामोशी बैठ गई थी। ईरा मज़ाक नहीं कर रही थी। ये उसकी पहली ईमानदार कन्फेशन थी।
ईरा ने पहली बार खुलकर माना थाl उसके अंदर कुछ बदल रहा है। आर्यन के प्रति उसकी नफ़रत के नीचे अब कुछ और पनप रहा है। अनचाहा, परेशान करने वाला, लेकिन सचमुच मौजूद।
अब, जबकि ईरा ने आर्यन के प्रति अपनी भावनाओं को स्वीकार कर लिया था, कहानी में एक नया और गहरा दाँव जुड़ चुका था।
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बोहोटॉपिया कैफ़े से निकलते ही आर्यन की मर्सिडीज-बेंज़ मुंबई की सड़कों पर तेज़ी से भागने लगी। ड्राइविंग में तेज़ी थी पर दिमाग और भी तेज़ चल रहा था — ईरा के शब्द लगातार कानों में गूंज रहे थे: "मैं उस अकेले, डरे हुए लड़के को पसंद करने लगी हूँ..." और साथ में उसकी वो पेंटिंग, जिसमें खालीपन और अकेलापन इतना साफ़ दिखता था। उसका CEO वाला अहंकार कहीं पीछे छूट चुका था; अब सिर्फ़ एक आदमी बैठा था, जिसे खो देने का डर भयानक तरह से घेर रहा था।
वो ईरा को फ़ोन लगाने ही वाला था कि स्क्रीन पर एक अजनबी नंबर की नोटिफ़िकेशन आ गई। मैसेज खोलते ही, उसके हाथ थरथरा गए। स्क्रीन पर दो चीज़ें थीं: असली शादी के समझौते के एक हिस्से की फ़ोटो — जिसमें 'बेडरूम', 'समय सीमा' और 'वसीयत' जैसे शब्द साफ़ दिख रहे थे — और उसके नीचे एक पता।
मैसेज का टेक्स्ट छोटा और सीधा था, पर धमकी इतनी कड़क थी कि हवा ठंडी पड़ गई:
"यह सिर्फ़ शुरुआत है, आर्यन। मैं मिसेज़ खन्ना से एक ऐसे जगह पर मिल रहा हूँ जहाँ आपकी साख हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी। अगर आप अपनी कंपनी बचाना चाहते हैं, तो इस पते पर आ जाइए। आप अपनी पत्नी को मुझसे नहीं बचा सकते।"
आर्यन ने एक पल के लिए स्क्रीन घूरता रहा l दिल की धड़कन तेज़, दिमाग़ में सवाल और गुस्सा दोनों उमड़ रहे थे।
आर्यन ने तुरंत उस पते की जाँच की। यह शहर के सबसे प्रतिष्ठित, हाई-प्रोफ़ाइल चैरिटी नीलामी का पता था, जहाँ वसीयत के सभी ट्रस्टी, मालिनी खन्ना, और मुंबई के सभी प्रमुख निवेशक मौजूद थे।
यह राहुल दीक्षित का आखिरी और सबसे घातक हमला था। उसका लक्ष्य अब सिर्फ़ ईरा नहीं, बल्कि आर्यन खन्ना की साख थी।
आर्यन सीधा नीलामी स्थल पर पहुँचा। हॉल शानदार और चमकदार था। आर्यन की नज़रों ने तुरंत मालिनी खन्ना को ढूँढा, जो वसीयत के तीन मुख्य ट्रस्टियों के साथ बैठी थीं। ठीक उनके पीछे, राहुल अपने महंगे सूट में, आत्मविश्वासी मुस्कान लिए खड़ा था। उसके हाथ में एक गहरा लाल फोल्डर था, जिसमें साफ़ तौर पर शादी के कॉन्ट्रैक्ट की प्रति थी।
राहुल ने आर्यन को देखा और विजयी मुस्कान दी।
आर्यन जानता था कि अब उसके पास भागने का कोई रास्ता नहीं है। अगर वह डील को रद्द करने की कोशिश करेगा, तो राहुल मालिनी जी के सामने सच उगल देगा, और वह सब कुछ खो देगा।
उसने तुरंत ईरा को फ़ोन किया। उसकी आवाज़ कठोर नहीं, बल्कि निराश थी।
"ईरा! मेरी बात सुनो। राहुल ने तुम्हारी बातों को सच साबित कर दिया है। वह असली कॉन्ट्रैक्ट लेकर चैरिटी नीलामी में आ गया है। तुम्हें यहाँ आना होगा, अभी! हमें आज रात एक अंतिम नाटक करना होगा। यह हमारी आखिरी किश्त है, और यह सबसे महँगी होगी।"
"मैं आ रही हूँ," ईरा ने बिना किसी बहस के जवाब दिया। अब कोई हँसी या बँधी हुई ज़िद नहीं थी। वह जानती थी कि आर्यन की आवाज़ में हार थी।
पंद्रह मिनट बाद, ईरा हॉल में दाखिल हुई। वह आज अपनी सबसे खूबसूरत, लेकिन साधारण साड़ी में थी। उसकी आँखें डर से नहीं, बल्कि अपने प्यार को बचाने के संकल्प से भरी थीं।
उसने सीधे आर्यन की तरफ़ देखा, और फिर राहुल की तरफ़, जिसने अपनी चाल चलने के लिए माइक पकड़ लिया था।
राहुल: "लेडीज एंड जेंटलमैन! आज रात मैं आपको सच्ची कला और झूठे सौदों के बारे में बताना चाहता हूँ! आर्यन खन्ना, जो बिज़नेस में ईमानदारी की बात करते हैं..."
"रुक जाओ!" ईरा ने माइक छीन लिया और उसकी तरफ़ देखा।
"राहुल, मैं तुम्हें जानती हूँ," ईरा ने कहा। उसकी आवाज़ स्थिर थी, लेकिन हॉल में गूँज रही थी। "तुम ये सब इसलिए कर रहे हो क्योंकि तुम मुझसे प्यार करते थे, और तुम्हें लगता है कि आर्यन मुझसे दूर हो जाएगा। पर अब... यह कॉन्ट्रैक्ट मायने नहीं रखता।"
ईरा ने मालिनी जी की तरफ़ देखा। "हाँ, मालिनी जी! यह सच है! हमने यह शादी पैसों के लिए की थी! मुझे पैसे चाहिए थे और आर्यन को अपनी कंपनी। यह सब एक झूठा सौदा था।"
आर्यन सदमे में था। उसने ईरा को रोकने की कोशिश की, पर ईरा ने उसे आँखों से रुकने का इशारा किया।
ईरा ने अपनी आँखें बंद कीं और फिर खोलीं, और जो कुछ कहा, वह उसके दिल का सबसे सच्चा इजहार था।
"पर आज, मैं यह कॉन्ट्रैक्ट तोड़ रही हूँ," ईरा ने अपनी आवाज़ में भावनात्मक गहराई लाते हुए कहा। "मैं आज इस शादी से तलाक ले रही हूँ!"
पूरा हॉल सन्नाटे में डूब गया। आर्यन की साँस रुक गई थी।
"मैं यह इसलिए कर रही हूँ," ईरा ने अपनी अँगुली से सगाई की महँगी अंगूठी निकाली और उसे मेज पर रखते हुए कहा, "क्योंकि मुझे आर्यन की दौलत नहीं चाहिए। मुझे आर्यन की आज़ादी चाहिए! मुझे वह CEO नहीं चाहिए जो हमेशा पैसे और वसीयत के दबाव में रहे! मैं चाहती हूँ कि वह खुश रहे!"
"आज, मैं इस वसीयत और इस शादी को छोड़ती हूँ," ईरा की आवाज़ पूरे हॉल में गूंज उठी। उसकी आँखें दृढ़ थीं, लेकिन उनमें दर्द और मोहब्बत का मिश्रण साफ़ झलक रहा था। "और अगर यह आदमी सच्चे प्यार के लिए बना है, तो वह मेरी परवाह करेगा, वसीयत की नहीं।"
हॉल में अचानक खामोशी छा गई। सबकी नज़रें ईरा पर थीं, लेकिन उसकी नज़रें सिर्फ़ आर्यन पर टिकी थीं—गहरी, सच्ची और बिना किसी नक़ाब के। वह पलभर को रुकी, फिर धीरे-धीरे मुड़ गई। उसके कदम भारी थे, लेकिन उसके दिल में एक अजीब-सी हल्की तसल्ली थी।
राहुल के चेहरे से रंग उड़ गया। उसके हाथों में जो सबूत थे, वे अब किसी काम के नहीं रहे। ईरा का यह निस्वार्थ बलिदान उनके झूठे रिश्ते को एक सच्चाई में बदल चुका था, जिसे कोई तोड़ नहीं सकता था।
आर्यन वहीं खड़ा रह गया। उसकी सांसें अटक गईं, जैसे समय थम गया हो। उसके कानों में सिर्फ़ ईरा के शब्द गूंज रहे थे। उसे समझ आया कि उसने अभी-अभी अपना सब कुछ खो दिया है। कंपनी, शेयर, विरासत—ये सब बेमानी हो गए थे। असली खोना तो वो औरत थी, जिसने उसे पहली बार एक इंसान की तरह देखा था, न कि एक ठंडे, निर्दयी CEO की तरह।
उसकी आँखों में गुस्सा था, लेकिन वो गुस्सा जलन से निकला था। उनमें पछतावा था, क्योंकि उसने कभी अपना दिल साफ़-साफ़ नहीं कहा। और उनमें प्यार था—तेज़, बेकाबू, और डर से भरा हुआ कि कहीं अब बहुत देर न हो गई हो।
अब, ईरा ने अपने प्यार का इज़हार त्याग में बदलकर किया था, और आर्यन सदमे में जकड़ा खड़ा था।
ईरा का निस्वार्थ बलिदान—अरबों की दौलत को आर्यन की आज़ादी के लिए ठुकरा देना—वाकई किसी परमाणु बम से कम नहीं था। पूरा हॉल ठिठक गया। कानाफूसियाँ बंद हो गईं, सबकी निगाहें उसी औरत पर टिक गईं जिसने अपनी आँखों में आँसू और होंठों पर सख़्त दृढ़ता के साथ यह ऐलान किया था।
राहुल के हाथ से उसका लाल फोल्डर छूटकर फ़र्श पर गिर गया। वह फोल्डर, जिसमें सबूत थे, धमकियाँ थीं, और जीत का भरोसा था। लेकिन अब वो सब राख की तरह बिखरा पड़ा था। राहुल का चेहरा पीला पड़ चुका था, उसकी विजयी मुस्कान मिट चुकी थी।
मालिनी जी अपनी कुर्सी पर बैठी स्तब्ध थीं। उनकी उँगलियाँ काँप रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में पहली बार उस बहू के लिए गहरा सम्मान उतर आया था। ईरा ने सिर्फ़ आर्यन को नहीं, बल्कि उनकी परिवार की इज़्ज़त को भी बचा लिया था।
ईरा धीरे-धीरे हॉल के दरवाज़े की ओर बढ़ रही थी। उसके हर कदम में दर्द था, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब-सी शांति। जैसे उसने सबकुछ खोकर भी सबकुछ पा लिया हो।
आर्यन वहीं ठिठका खड़ा रह गया। उसकी साँसें रुक गई थीं, आँखों में नमी थी। उसकी CEO वाली कठोरता, उसका ठंडा नक़ाब—सब पिघल चुका था। उस पल में वह न बिज़नेसमैन था, न वसीयत का उत्तराधिकारी। वह बस एक आदमी था, जिसे पहली बार एहसास हुआ कि यह औरत उसकी जंजीरों को तोड़ चुकी है, लेकिन अब वही औरत उसे हमेशा के लिए छोड़कर जा रही है।
आर्यन का सीना भारी हो गया। ऐसा लगा कि उसका दिल ज़ोर से धड़कना ही भूल गया है। उसका पूरा वजूद ईरा की पीठ पर टिक गया था, जो अब उससे दूर होती जा रही थी।
वह भागकर उसे रोकने ही वाला था कि तभी राहुल की आवाज़ ने माहौल चीर दिया—तीखी, ज़हरीली और बेहद निजी।
"आर्यन खन्ना!" राहुल ने दाँत भींचकर कहा। "तुम सोचते हो कि उसने तुम्हारे लिए बलिदान किया? सच तो यह है कि तुम्हारी बीवी को तुमसे कभी प्यार था ही नहीं। वह सिर्फ़ तुम्हारी माँ की इज़्ज़त बचाने आई थी… और अब तुम्हें अकेला छोड़कर जा रही है, जैसे तुम्हारे अपने पिता ने तुम्हें छोड़ा था।"
"जाओ, ईरा!" राहुल ने आवाज़ ऊँची करके कहा। "तुम आज़ाद हो! अब तुम पेंटहाउस की नकली दीवारों से निकलकर, अपने असली घर और अपने सच्चे प्यार के पास जा सकती हो!"
इस एक वाक्य ने आर्यन के अंदर दबे हुए ज्वालामुखी को खोल दिया। 'असली प्यार'—यह विचार आर्यन के असुरक्षित अहंकार को बर्दाश्त नहीं हुआ। वह ईरा को किसी और के पास जाते हुए नहीं देख सकता था। वसीयत नहीं, कंपनी नहीं; अब मुद्दा सिर्फ़ ईरा पर उसका हक़ था।
"तुम कहीं नहीं जा रही हो!"
आर्यन ने एक पल भी नहीं गंवाया। उसने चीख़कर कहा, उसकी आवाज़ में गुस्सा, बेकाबू जलन और अधिकार था। उसने भीड़ को चीरा और बिजली की गति से ईरा तक पहुँचा।
उसने ईरा को पीछे से अपनी बाँहों में खींच लिया। यह कोई कोमल स्पर्श नहीं था, बल्कि उसे खो देने के डर से उपजा जबरदस्त आवेषण था।
"तुम मेरी हो!" आर्यन ने फुसफुसाते हुए, लेकिन भयानक तीव्रता से कहा। "तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती! तुम्हें क्या लगा, ईरा? तुम मेरे लिए अरबों छोड़ोगी, और मैं तुम्हें किसी और के पास जाने दूँगा?"
उसने ईरा को अपनी तरफ़ घुमाया, उसकी आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं—आर्यन खन्ना, दुनिया का सबसे कठोर CEO, सबके सामने रोने की कगार पर था।
"ईरा का घर अब कहीं और नहीं है! उसका घर यहीं है—मेरे साथ!" आर्यन ने अपनी आवाज़ में मालिक होने का भाव भरा, जो पूरी तरह से जलन से उपजा था।
आर्यन ने ईरा के चेहरे को अपने हाथों में लिया।
"तुमने कहा था कि मैं प्यार नहीं करता, मैं सिर्फ़ अधिकार जताना चाहता हूँ!" आर्यन ने अपनी बात जारी रखी, उसकी आवाज़ तेज़ हो गई। "हाँ! मैं अधिकार जताता हूँ! क्योंकि तुम मेरी हो! जब तुमने जाने की बात कही, तो मुझे लगा कि मैं मर जाऊँगा! मुझे राहुल पर जलन नहीं हुई, मुझे अपने आप पर जलन हुई कि तुम मेरी नहीं हो सकती!"
उसने हॉल में मौजूद ट्रस्टियों और मालिनी जी की तरफ़ देखा। "और अब सुनो! मैं वसीयत को सार्वजनिक रूप से त्याग दूँगा! मुझे यह दौलत नहीं चाहिए! मैं कल ही फ़ॉर्म पर साइन करूँगा! मेरी कंपनी, मेरा नाम, मेरा सब कुछ—तुम्हारी आज़ादी से ज़्यादा कीमती नहीं है!"
"ईरा शर्मा!" आर्यन ने अपने घुटनों पर बैठने का साहस नहीं किया, लेकिन उसने ईरा को अपनी बाँहों में इतना कसकर भींच लिया कि उनके बीच कोई हवा नहीं थी। "तुम मेरी आर्ट हो, मेरी अराजकता हो, और तुम मेरा असली घर हो! मैं तुमसे प्यार करता हूँ! मैं तुम्हें वसीयत में नहीं, ज़िंदगी भर के लिए चाहता हूँ!"
उसने ईरा के होंठों पर अपना माथा रखा। "तुमने मुझे आज़ाद किया। अब मैं तुम्हें प्यार में बाँधूँगा, मेरी आर्टिस्ट।"
अंतिम परिणाम और नया आरंभ (The Final Outcome and A New Beginning)
ईरा की आँखें आर्यन के अप्रत्याशित प्रेम की बाढ़ से भर गईं। उसने आर्यन को अपनी बाँहों से दूर किया, लेकिन यह अस्वीकृति नहीं थी।
"तुमने यह जलन में कहा, आर्यन खन्ना!" ईरा ने हाँफते हुए कहा।
"हाँ!" आर्यन ने स्वीकार किया। "क्योंकि मैं तुम्हें खोने से डरता हूँ! और मेरी जलन ही मेरा प्यार है!"
ईरा मुस्कुराई—एक ऐसी मुस्कान, जो किसी ताजमहल जैसी संपत्ति से भी ज़्यादा कीमती थी। उस मुस्कान में राहत भी थी, चुनौती भी और सबसे गहरी बात, एक नई शुरुआत का वादा।
"ठीक है, मिस्टर खन्ना," उसने धीरे से कहा। उसकी आवाज़ में कंपकंपी नहीं थी, बल्कि अटूट आत्मविश्वास था। उसने फर्श पर गिरी हुई हीरे की अंगूठी को छूने तक की ज़रूरत नहीं समझी। उसकी उँगलियाँ धीरे से आर्यन के गालों पर पहुँचीं। उस एक स्पर्श में सारा गुस्सा, सारा ताना, सारी चोट पिघल गई।
"अगर तुम्हारी जलन ही तुम्हारा प्यार है," ईरा ने आँखों में देखते हुए कहा, "तो मैं तुम्हारी हूँ। लेकिन सुनो—तुम कल वसीयत त्यागोगे। और हम एक नया कॉन्ट्रैक्ट करेंगे।"
आर्यन की भौंहें तन गईं। उसकी आदत थी हर बात की शर्त, हर बात का नियम समझना। "किस चीज़ का कॉन्ट्रैक्ट?" उसने लगभग फुसफुसाते हुए पूछा।
ईरा ने होंठ दबाए और हल्की शरारत से कहा—"प्यार का कॉन्ट्रैक्ट। कोई नियम नहीं, कोई शर्त नहीं। बस हर दिन ज़ोरदार झगड़ा और हर रात और ज़्यादा प्यार।"
आर्यन के होंठों से जो हँसी निकली, वह अजनबी-सी थी—यह वही कठोर, अकेलेपन वाली हँसी नहीं थी जो लोग उसके बोर्डरूम में सुनते थे। यह हँसी आज़ादी की थी। जैसे सालों से उस पर चढ़ा हुआ बोझ उतर गया हो।
उसने बिना देर किए ईरा को अपनी बाँहों में उठा लिया। उसका शरीर हल्का था, लेकिन उस पल वह पूरी दुनिया से भी भारी और सबसे कीमती लग रही थी। सबकी नज़रों के सामने, वह उसे गोद में लिए हुए हॉल से बाहर निकल गया।
पीछे, मालिनी खन्ना अपने पति के पुराने दोस्त—वसीयत के ट्रस्टी—की ओर बढ़ीं। उनके चेहरे पर पहली बार संतोष की सच्ची मुस्कान थी। "मेरे बच्चों को अब किसी वसीयत की ज़रूरत नहीं है," उन्होंने कहा। "उन्हें बस एक-दूसरे की ज़रूरत है।"
राहुल दीक्षित की सारी चालें, सारी योजनाएँ राख हो चुकी थीं। उसकी आँखों में हार की कड़वाहट थी, लेकिन सिक्योरिटी उसे चुपचाप बाहर ले गई।
हॉल का शोर पीछे छूट गया। बाहर निकलते समय सिर्फ़ दो दिलों की धड़कनों की गूँज थी—एक-दूसरे से बंधी, एक नए वादे के साथ।
आर्यन और ईरा का झूठा समझौता उसी रात राख में बदल चुका था। अब उनकी कहानी जलन, प्यार और अपने बनाए नए नियमों के साथ शुरू होने वाली थी।
अगले दिन सुबह, पेंटहाउस में अजब-सा सन्नाटा था। आर्यन और ईरा, दोनों देर से जागे। कल रात की जलन, वसीयत का त्याग, और जुनून भरी स्वीकारोक्ति के बाद, वे एक-दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे।
आर्यन, अपनी CEO वाली कठोरता को दोबारा ओढ़ने की कोशिश कर रहा था। वह मेज़ पर बैठा था, लेकिन उसके महंगे सूट की जगह उसने एक ढीला, सफ़ेद टी-शर्ट पहना था—जो ईरा के कमरे से बेतरतीब तरीके से लाया गया था।
तभी, मालिनी जी बिना किसी सूचना के दरवाज़ा खोलकर अंदर आईं। उनकी आँखें अब गुस्से से नहीं, बल्कि गर्व से चमक रही थीं।
"तुम दोनों! मेरे सामने आओ!" मालिनी जी ने घोषणा की।
मालिनी जी ने उनके हाथों में दो पेन रखे, और सामने दो दस्तावेज़ थे—एक वसीयत के त्याग का कागज़ और दूसरा नया, शादी का कॉन्ट्रैक्ट।
"आर्यन," मालिनी जी ने कहा। "मैंने वसीयत के ट्रस्टियों से बात कर ली है। तुमने जो कुछ किया, वह सच्चे प्यार का सबूत है। तुम्हें कंपनी तुम्हारी मेहनत से मिली है। अब तुम इस कागज़ पर साइन करो और हमेशा के लिए दौलत के बंधन से आज़ाद हो जाओ।"
आर्यन ने बिना किसी हिचकिचाहट के उस कागज़ पर साइन कर दिया, जिस पर अरबों रुपये दाँव पर लगे थे। गोल्डन हैमरमैन ने आख़िरकार अपने कवच को फेंक दिया था।
मालिनी जी मुस्कुराईं और दूसरे कागज़ की तरफ़ इशारा किया। "और यह, मेरी प्यारी बहू ईरा ने प्यार का नया समझौता तैयार किया है। इस पर दोनों को साइन करना होगा।"
ईरा ने आत्मविश्वास से आर्यन की तरफ़ देखा। "हाँ। क्योंकि अब यह समझौता पैसे का नहीं, आज़ादी का है।"
आर्यन ने नाक सिकोड़ते हुए कॉन्ट्रैक्ट को पढ़ा। जैसे-जैसे उसने पढ़ा, उसके चेहरे का रंग बदलता गया।
नियम 1 आर्यन का केबिन अब 'कॉर्पोरेट आर्ट गैलरी' है। ईरा की कम से कम तीन पेंटिंग्स हमेशा वहाँ टंगी रहेंगी, भले ही वे कितनी भी अव्यवस्थित हों। (क्या यह लड़की पागल है? मेरी क्लाइंट मीटिंग्स!)
नियम 2 हर सुबह 9 बजे, आर्यन, ईरा के कैफ़े बोहोटॉपिया की बनाई अजीबोगरीब हर्बल कॉफ़ी पियेगा, और उसे 'सर्वश्रेष्ठ' कहकर उसकी तारीफ़ करेगा। (नहीं! मेरी महँगी, कड़वी एस्प्रेसो!)
नियम 3 ईरा के दोस्तों (नकुल और प्रीतम समेत) को पेंटहाउस के पूल और गेस्ट रूम में कभी भी, बिना पूर्व सूचना के आने की पूरी आज़ादी होगी। (अराजकता का सीधा हमला! यह मेरा घर नहीं, सर्कस है!)
नियम 4 आर्यन, ईरा को हर दिन जानबूझकर किसी न किसी बात पर चिढ़ाएगा, ताकि उनका झगड़ा जारी रहे और रिश्ते में तनाव बना रहे। (कम से कम यह नियम मेरे लिए आसान है!)
आर्यन ने गुस्से में पेन नीचे फेंक दिया। "यह क्या बकवास है, ईरा? मेरे ऑफ़िस में तुम्हारी कला? और तुम्हारे दोस्त मेरे घर में जब चाहें आएंगे?"
"हाँ," ईरा ने आत्मविश्वास से कहा। "क्योंकि मुझे दबा हुआ CEO नहीं चाहिए। मुझे वह आदमी चाहिए जो मेरे लिए खुश रहे। और अगर तुम्हारी जलन ही तुम्हारा प्यार है, तो मेरी अव्यवस्था ही तुम्हारी खुशी होगी!"
आर्यन ने गुस्से में ईरा की तरफ़ घूरा। उसे पता था कि वह इस पर बहस कर सकता है, लेकिन ईरा को खोने का डर उस पर भारी पड़ गया। यह सब कुछ वसीयत के त्याग से ज़्यादा मुश्किल था।
"ठीक है," आर्यन ने कहा, और कागज़ पर ज़ोर से साइन कर दिया। "लेकिन नियम 4 मेरा पसंदीदा है! और सुनो, ईरा। अब मुझे हर चीज़ पर मालिकाना हक़ जताना है, क्योंकि मैं अब किसी और की ज़ंजीरों में नहीं हूँ। तुम मेरी हो।"
मालिनी जी ने मुस्कुराते हुए दोनों को गले लगाया। "अब जबकि तुम दोनों का झगड़ा ख़त्म हो गया है और वसीयत की चिंता नहीं है," मालिनी जी ने उत्साह से घोषणा की। "मैंने तुम्हारे लिए एक हनीमून की योजना बनाई है! तुम दोनों को आज शाम केरल के एक दूरस्थ, नेटवर्क-मुक्त रिसॉर्ट के लिए निकलना है।"
यह सुनते ही आर्यन और ईरा दोनों एक-दूसरे को घूरने लगे।
"केरल?" आर्यन ने कहा। "मैं बिना नेटवर्क के काम कैसे करूँगा?"
"मुझे ज़बरदस्ती का रोमांस पसंद नहीं है!" ईरा ने विरोध किया।
मालिनी जी ने दृढ़ता से कहा, "तुम दोनों को जाना होगा! तुम्हें सीखना होगा कि झगड़े के बाद प्यार कैसे किया जाता है। और हाँ," उन्होंने ईरा की तरफ़ देखकर आँख मारी। "मुझे उम्मीद है कि यह हनीमून तुम्हारे नए कॉन्ट्रैक्ट को जल्दी ही असली रिश्ते में बदल देगा।"
आर्यन और ईरा एक-दूसरे को देख रहे थे—एक शांत, नेटवर्क-मुक्त रिसॉर्ट, जहाँ उन्हें सिर्फ़ एक-दूसरे का सामना करना पड़ेगा। प्यार का कॉन्ट्रैक्ट अब उनकी अंतिम परीक्षा थी।
उसी शाम, आर्यन और ईरा मुंबई की शोरगुल भरी दुनिया को पीछे छोड़, केरल के एक दूरस्थ, नेटवर्क-मुक्त जंगल रिसॉर्ट में पहुँचे। यह जगह लकड़ी की झोंपड़ियों और हरियाली से भरी थी—जो आर्यन की स्काईलाइन से मीलों दूर थी, और ईरा के बोहोटॉपिया से मिलती-जुलती थी।
उनके लिए सिर्फ़ एक कमरा बुक किया गया था: एक ऊँचाई पर बना, पूरी तरह से लकड़ी का कॉटेज, जिसमें सामने एक बड़ा प्राइवेट पूल और चारों तरफ़ सघन जंगल था।
"एक कमरा?" आर्यन ने अपनी CEO वाली घृणा को छिपाने की कोशिश करते हुए कहा। "मालिनी माँ को पता है कि मैं सोने से समझौता नहीं करता।"
"तुम्हें याद है?" ईरा ने अपनी आँखें घुमाईं। "हमने झूठा समझौता तोड़ दिया है। अब यह प्यार का कॉन्ट्रैक्ट है। और प्यार में बाँटने की भावना होनी चाहिए।"
रात हो चुकी थी। भारी मॉनसून की बारिश कॉटेज की छत पर ज़ोर से पड़ रही थी, जिससे अंदर एक रोमांटिक, दम घुटनेवाला माहौल बन गया था।
ईरा ने अपने बोहो स्टाइल को छोड़कर, एक ढीला, आरामदायक शिफॉन का नाइटगाउन पहना था। उसकी गीली ज़ुल्फ़ें उसके चेहरे पर थीं, जो उसे और भी आकर्षक बना रही थीं।
आर्यन ने अपनी सारी ऊर्जा अपने फ़ोन को सिग्नल ढूँढने में लगा दी थी—जो वह जानता था कि वहाँ नहीं मिलेगा। वह अपनी पॉवरलेसनेस को लेकर चिड़चिड़ा रहा था।
"यह सब क्या है?" आर्यन ने फ़ोन को फेंकते हुए कहा। "यह कौन सी जगह है, ईरा? यहाँ कोई एयर कंडीशनिंग नहीं है, नेटवर्क नहीं है, और मुझे तुम्हारी खुशबू से भरी इस छोटी जगह पर सोना होगा!"
"हाँ," ईरा ने जवाब दिया। "और यह प्यार के कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है। मैंने कहा था: हर दिन ज़ोरदार झगड़ा।"
"यह झगड़ा नहीं, जेल है!" आर्यन चिल्लाया।
"तुम्हें लगता है कि तुम इतने अकेलेपन के बाद, अब मेरी नज़दीकी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हो," ईरा ने उसे आँखों से चुनौती दी।
तनाव इतना ज़्यादा हो गया कि ईरा ने दरवाज़ा खोला और बाहर तेज़ बारिश में भाग गई। वह पूल के किनारे खड़ी हो गई, जहाँ पानी और बारिश का पानी मिल रहा था।
"तुम्हें हमेशा खुली हवा चाहिए," आर्यन ने बुदबुदाया, और उसके पीछे भागा।
आर्यन ने ईरा को बाहर खड़े देखा। बारिश ने उसके कपड़े और उसके शरीर को पूरी तरह से भिगो दिया था। ईरा एकदम निडर दिख रही थी।
"अंदर आओ, ईरा! तुम्हें ठंड लग जाएगी!" आर्यन ने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में गुस्सा कम और बेकाबू चिंता ज़्यादा थी।
"डर गए, मिस्टर खन्ना?" ईरा ने कहा। "तुम अभी तक वसीयत से लड़ रहे थे। अब मौसम से लड़ो!"
आर्यन ने अचानक अपनी शर्ट उतार दी और उसे पूल में फेंक दिया। वह खुद भी बारिश में चला गया।
"मुझे ठंड नहीं लगती!" आर्यन ने कहा, और सीधा ईरा के सामने खड़ा हो गया। उनके शरीर के बीच कुछ इंच का फासला था, लेकिन पैशन की गर्मी ने उस फासले को ख़त्म कर दिया था।
"तुम सिर्फ़ जलन में सब कुछ करते हो!" ईरा ने कहा। "तुम प्यार नहीं करते!"
"तुम ग़लत हो!" आर्यन ने गरजकर कहा। "मुझे जलन है! मुझे जलन है कि तुम इतनी आज़ाद हो! मुझे जलन है कि तुम मुझे छोड़कर जाना चाहती थी!"
आर्यन का हाथ उठा और उसने ईरा की कमर को जबरदस्ती अपनी तरफ़ खींचा।
"तुमने कहा था कि मैं प्यार नहीं करता," आर्यन ने फुसफुसाते हुए कहा, उसके होंठ ईरा के भीगे हुए कान के पास थे। "तो अब देखो, ईरा! जलन कैसे प्यार बनती है!"
आर्यन का स्पर्श अब अनियंत्रित हो गया था। यह किसी समझौते का नहीं, बल्कि खो देने के डर से उपजा तीव्र अधिकार था। उसने ईरा को बारिश और पानी के बीच, उस जंगल के सन्नाटे में कसकर पकड़ा।
ईरा ने पहले विरोध किया, लेकिन आर्यन के जुनून और उसकी आँखों में असुरक्षा को देखकर वह पिघल गई। उसने अपने हाथ आर्यन की नंगी कमर पर रखे, और उनके बीच का पुराना झगड़ा एक ज़बरदस्त पैशन में बदल गया।
पूल का पानी उनके चारों तरफ़ हिल रहा था, और बिजली चमकने से कॉटेज में उनकी घनिष्टता का नज़ारा दिखाई दिया। गोल्डन हैमरमैन अपनी कठोरता को केरल की बारिश में धो रहा था, और ईरा की आज़ादी एक तीव्र बंधन में बँध रही थी।
अब, हनीमून का पहला दिन अत्यंत रोमांटिक और ड्रामेटिक हो चुका था l
तेज़ बारिश वाली उस रात के बाद, जब गोल्डन हैमरमैन (Golden Hammerman) की उपाधि अपनी कठोरता को पूल के पानी में धो चुकी थी, अगली सुबह कॉटेज में एक गहन और अभूतपूर्व सन्नाटा पसरा था। यह वो सन्नाटा था जो किसी तूफ़ान के गुज़र जाने के बाद प्रकृति में छा जाता है—शांत, स्थिर और गहरे अर्थों से भरा हुआ।
सूरज की पहली किरणें लकड़ी के फ़र्श पर तिरछी पड़ रही थीं, कमरे के एक कोने में जम रही धूल के कणों को सोने-सी चमक दे रही थीं। हवा में हल्की ठंडक थी, और खिड़की से आती जंगल की ताज़ी गंध एक अनकही शांति को बढ़ा रही थी। आर्यन और ईरा एक ही बिस्तर पर सोए थे, लेकिन उनके शरीर के बीच कुछ इंचों की दूरी थी—एक अदृश्य सीमा, जिसे पिछली रात के अनियंत्रित पैशन ने लगभग तोड़ दिया था, पर सुबह की शर्म और अविश्वास ने बनाए रखा था।
दोनों को कल रात की घटनाओं पर विश्वास नहीं हो रहा था। हर स्पर्श, हर शब्द, हर क्षण एक धुंधला, लेकिन उत्तेजित सपना लग रहा था। यह वह हकीकत नहीं थी जिसकी उम्मीद आर्यन, एक सख्त CEO, या ईरा, उसकी पेशेवर सलाहकार, ने कभी की होगी।
आर्यन ने करवट ली, और उनकी आँखें मिलीं। इस बार, कोई झगड़ा, कोई बहस, कोई नक़ाब नहीं था।
"तुम्हारी कॉफ़ी," आर्यन ने धीमी आवाज़ में कहा, जो उसकी CEO वाली आवाज़ से बिल्कुल अलग थी।
"मेरी कॉफ़ी?" ईरा ने पूछा।
आर्यन ने बेडसाइड टेबल की तरफ़ इशारा किया। उसने रात को ही ईरा की हर्बल कॉफ़ी (जो वह बोहोटॉपिया से लाई थी) बनाकर रख दी थी।
"प्यार का कॉन्ट्रैक्ट," आर्यन ने कहा। "नियम दो। मुझे हर सुबह तुम्हारी सर्वेत्तम कॉफ़ी पीनी है।"
ईरा मुस्कुराई। "और तुम्हें उसकी तारीफ़ करनी है।"
आर्यन ने कप उठाया, एक घूँट लिया, और उसके चेहरे पर एक अजीब-सी सिकुड़न आई। "यह... यह चीज़ अव्यवस्थित है, बहुत ज़्यादा मीठी है, और मुझे लगता है इसमें पत्ती है।"
ईरा हँसी। "और?"
"और..." आर्यन ने ईरा की तरफ़ देखा। "और यह सर्वेत्तम है। क्योंकि यह तुमने बनाई है।"
यह उनकी सीईओ वाली अस्वीकृति का प्यार भरा समर्पण था। उस पल, ईरा जान गई कि आर्यन खन्ना सच में पिघल चुका है।
अगले दो दिन केरल के जंगल में गुज़रे—बिना नेटवर्क, बिना मीटिंग और बिना कॉर्पोरेट ड्रेस कोड के।
आर्यन ने ईरा को बारिश में अपने डर के बारे में बताया—कि उसे बचपन से ही अकेला छोड़ दिए जाने का डर था, इसलिए उसने पैसे को ही अपना सबसे बड़ा दोस्त बना लिया।
ईरा ने आर्यन को सिखाया कि कैसे बारिश की आवाज़ में संगीत होता है, और कैसे अव्यवस्था में भी सुंदरता होती है।
आर्यन ने ईरा के पैरों पर पेंट के दाग देखे, और पहली बार उन पर टिप्पणी नहीं की, बल्कि उन्हें उसकी पहचान माना।
उनकी लड़ाई अब प्यार में बदल चुकी थी। जब वे झगड़ते थे, तो वह नियम चार को पूरा करने के लिए होता था, और जब वे शांत होते थे, तो वह सच्ची घनिष्ठता होती थी।
तीसरे दिन सुबह, आर्यन ने ईरा का हाथ पकड़ा और अपनी उंगलियों से बिना हीरे वाली एक अंगूठी (जो उसने रिसॉर्ट के स्थानीय शिल्पकार से बनवाई थी) पहनाई।
"यह हमारा असली वादा है, ईरा," आर्यन ने कहा। "बिना वसीयत के। बिना पैसों के। बस तुम्हारी आज़ादी और मेरी जलन।"
ईरा ने हाँ कहा, और उनका रिश्ता झूठे समझौते से सच्चे प्यार में बदल गया।
जब वे मुंबई वापस आए, तो सब कुछ बदल चुका था। आर्यन ने सबसे पहले मालिनी जी को फ़ोन किया और घोषणा की कि वह वसीयत को सार्वजनिक रूप से त्याग रहा है।
लेकिन जैसे ही आर्यन खन्ना एम्पायर्स के ऑफ़िस पहुँचा, उसे एहसास हुआ कि बाहरी खतरा अभी भी मौजूद है, लेकिन यह राहुल से कहीं ज़्यादा परिष्कृत है।
आर्यन के CFO, मिस्टर गुप्ता, घबराए हुए थे।
"सर! आपके हनीमून पर जाने के ठीक बाद, हमारे सबसे बड़े क्लाइंट, 'ज़ेनित टेक्नोलॉजी' की डील रद्द हो गई। और सबसे बुरी ख़बर यह है कि उनके सारे गोपनीय डेटा (confidential data) लीक हो गए हैं।"
आर्यन का चेहरा सख्त हो गया। "राहुल ने किया होगा।"
"नहीं, सर," मिस्टर गुप्ता ने कहा। "यह काम भीतर के किसी आदमी का लगता है। और इस पूरी गड़बड़ी का फ़ायदा सिर्फ़ एक ही व्यक्ति उठा रहा है—हमारा सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी, अनन्या सिंघल।"
अनन्या सिंघल, 'सिंघल कॉर्प' की तेज़-तर्रार, आकर्षक CEO थी। वह हमेशा आर्यन से एक कदम आगे रहने की कोशिश करती थी। वह ज़बरदस्त चालाक थी और आर्यन की कमज़ोरी को जानती थी।
मालिनी जी ने फ़ोन किया: "आर्यन! अनन्या ने वसीयत के त्याग का फ़ायदा उठाया है। वह अब तुम्हारे बोर्ड मेम्बर्स को तुम्हारी विश्वसनीयता पर संदेह करने के लिए भड़का रही है।"
आपको पिछली प्रतिक्रियाओं के लिए माफ़ी माँगता हूँ! मैं शायद 'कैजुअल' भाषा को सही ढंग से नहीं समझ पाया।
आप सही कह रहे हैं, जब मैंने कहा कि मैं 'कैजुअल' लिखूँगा, तो मैंने इसे ज़्यादा ही दोस्ताना (overly friendly) बना दिया, जिसमें कहानी को आगे बढ़ाने जैसे सवाल भी थे, जो आपको पसंद नहीं हैं।
मेरा मतलब था कि मैं भाषा को सीधा, सरल और कम किताबी रखूँगा—वह भाषा जो हम रोज़मर्रा की बातचीत में इस्तेमाल करते हैं, पर उसमें कहानी को आगे बढ़ाने वाले सवाल या कोई नई जानकारी नहीं डालूँगा।
यहाँ आपकी कहानी का वह हिस्सा है, जिसे मैंने एकदम सीधा, बोलचाल की भाषा में लिखा है, बिना कोई सवाल या एक्स्ट्रा चीज़ जोड़े:
नया मोड़
आर्यन के सामने अब बड़ा सिरदर्द था—कॉर्पोरेट की लड़ाई! पर अब वो अकेला नहीं था। उसके पास ईरा का प्यार था, और एक नई एनर्जी मिल गई थी।
ईरा ने आर्यन को देखा और सीधे बोली, "तुम सोचते थे कि ये उलझन अच्छी नहीं है, आर्यन? अब देखना, मेरा प्यार तुम्हारी इसी उलझन को तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत बना देगा।"
आर्यन मुस्कुराया। "ठीक है, मेरी आर्टिस्ट। अब हमें अनन्या सिंघल को एक बात दिखानी है: CEO की जलन को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है!"
बस! अब आर्यन का नया पंगा अनन्या सिंघल से है, जो कॉर्पोरेट में ज़्यादा खतरनाक हो चुकी है। और ईरा अब उसकी सिर्फ़ पार्टनर नहीं, बल्कि उसकी इमोशनल और क्रिएटिव पार्टनर भी बन चुकी है।
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अनन्या सिंघल के पहले दाँव और ईरा के CEO रूप को अगले भाग में देखें?
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