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यक्षिणी प्रेम

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“यार! आखिरकार आ गया!” — मेरा रूममेट तुषार एक अजीब पैकेज के साथ लिविंग रूम में घुसा। पुराने भूरे कागज़ में लिपटी एक सदियों पुरानी चमड़े की किताब निकालते ही उस के चेहरे पर खुशी झलक उठी थी। किताब का नाम था — "राक्षस-विद्या"। तुषार, जो एक टिपिकल गां...

Total Chapters (48)

Page 1 of 3

  • 1. यक्षिणी प्रेम - Chapter 1

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    “यार! आखिरकार आ गया!” — मेरा रूममेट तुषार एक अजीब पैकेज के साथ लिविंग रूम में घुसा। पुराने भूरे कागज़ में लिपटी एक सदियों पुरानी चमड़े की किताब निकालते ही उस के चेहरे पर खुशी झलक उठी थी। किताब का नाम था — "राक्षस-विद्या"।


    तुषार, जो एक टिपिकल गांजा प्रेमी था, बड़े गर्व से बोला, “ये कोई आम किताब नहीं... ये सब समस्याओं का हल है!”


    मैं ने झल्लाते हुए पूछा, “कहीं ये उसी 2000 रूपये की तो नहीं जो मैं ने किराए के लिए दिए थे?”


    वो हंसा, “अगर सब सही हुआ, तो किराया, नौकरी, सब का झंझट खत्म!”


    मैं नाराज़ हुआ लेकिन फिर भी उस की बात सुनने बैठ गया। उस ने बताया कि किताब में "यक्षिणी" नामक राक्षसी स्त्रियों को बुलाने की विधि है — जो न केवल कामुक इच्छाएं पूरी करती हैं बल्कि शक्ति, समृद्धि और भाग्य भी देती हैं।


    “और जिसे हम बुला रहे हैं,” तुषार बोला, “वो है श्राविका — पहली और सब से शक्तिशाली यक्षिणी। वो एक रानी थी जो शापित हो कर राक्षसी बन गई।”


    बुलाने की विधि में चाहिए थे — एक पंचकोण, धातु का कटोरा, एक चिट्ठी और पुरुष के शरीर का खून। तुषार ने पंचकोण बनाया, मैं अलमारी से एक सींगों वाला काला-लाल प्याला लाया।


    हम दोनों ने श्राविका को संबोधित करते हुए अपनी गुप्त इच्छाएं लिखीं। मैं ने अपनी चिट्ठी पर अपनी उंगली के खून से लिखा कि मुझे एक हॉट, रहस्यमयी, वफादार  प्रेमिका चाहिए — जो मेरी ज़िंदगी में प्यार और एडवेंचर लाए। मैं ऐसी स्त्री चाहता हूँ जो सिर्फ मेरी हो और जो मेरे मन, शरीर और आत्मा — तीनों को समझे और कबूल करे।


    मैं ने यह भी लिखा कि मैं आत्मा से जुड़ा रिश्ता चाहता हूँ, सिर्फ जिस्म से नहीं। साथ में कुछ फैंटेसी से भरी कामनाएँ भी लिखीं। जैसे ही हम ने वो कागज़ जलाया, सारी लाइट्स चली गईं और मोमबत्तियाँ खुद-ब-खुद बुझ गईं। कमरे में अजीब ठंडक फैल गई।


    “अगर ये विधि सफल हुई,” तुषार बोला, “तो यक्षिणी सपने में आएगी।”


    वातावरण भारी था। तुषार थका हुआ अपने कमरे में चला गया और मैं वहीं खड़ा सोच रहा था— “क्या हम ने वाकई किसी चीज़ को बुला लिया है?”
     

    मैं हमारे अपार्टमेंट के रंग-बिरंगे दागों से भरे लकड़ी के फर्श पर चलता हुआ अपने कमरे की ओर बढ़ा। जब मैं आखिरकार अपने कमरे में पहुंचा, तो मैं ने कपड़े उतारे और उन्हें कोने में गंदे कपड़ों के ढेर पर फेंक दिया। फिर मैं अपने बीस साल पुराने गद्दे पर कूदा और आराम से लेट गया। मैं ने अभी दो मिनट भी छत पर बने छेद को नहीं देखा था कि मेरी आंखें झपक गईं और मैं गहरी नींद में खो गया। 


    अगली चीज जो मुझे याद है, वो थी मेरे कमरे के उस पार से आती खटपट की आवाज़, जिस ने मुझे नींद से जगा दिया। मैं ने आंखें मिचमिचा कर देखने की कोशिश की कि ये कोई चूहा है या कॉकरोच जो हंगामा मचा रहा है, लेकिन कमरा सिर्फ मेरे अलार्म क्लॉक की तेज लाल रोशनी से हल्का-सा जगमगा रहा था। उस पर समय दिख रहा था—रात के 3 बजे। चुड़ैलों का समय। क्या सचमुच? इस समय कौन दरवाज़ा खटखटा रहा था? ज़ब मेरी आंखें कम रोशनी में ढलने लगीं, मैं ने कमरे में किसी घुसपैठिए का निशान ढूंढने की कोशिश की और अपने बेड के नीचे रखा बैट उठाया। घड़ी की रोशनी में, मैं ने मुश्किल से अपने दरवाजे पर खड़ी एक आकृति को देखा। 


    “तू कौन है, भाई? मैं वार्निंग दे रहा हूं! मेरे कमरे से तुरंत निकल, वरना मैं…” मैं ने बिस्तर से उतरते हुए बैट को तैयार करते हुए चिल्लाना शुरू किया। 


    मेरे शब्द गले में अटक गए, जब मैं ने उसे देखा। मेरे दरवाज़े पर एक नग्न औरत खड़ी थी। उस के लंबे काले बाल कंधों तक लटक रहे थे और मुश्किल से उसे ढक रहे थे। उस की आंखें अंधेरे में बैंगनी धुंध के साथ चमक रही थीं, जो उस के शार्प, खूबसूरत चेहरे को और निखार रही थीं। अगर उस की आंखों की असामान्य चमक न होती, तो मैं उसे बस एक साधारण औरत ही समझता। क्या मैं सपना देख रहा था? या ये वही थी जो मुझे लग रहा था? क्या तुषार वाकई सही था...? 


    वो काले बालों वाली एक कदम आगे बढ़ी, उस ने धीरे से मेरे बैट पर हाथ रखा और मेरी आंखों में गहरी निगाहों से देखते हुए उस को नीचे कर दिया। उस की बैंगनी आंखें इतनी चमकदार थीं कि वो चमक बैट की प्लेन लकड़ी पर रिफ्लेक्ट हो कर उस के खूबसूरत चेहरे को रात के अंधेरे में और रोशन कर रही थीं। अगर मुझे पता नहीं होता, तो मैं सोचता कि ये कोई एंजेल है। 


    “तुम्हें इस की ज़रूरत नहीं पड़ेगी,” उस ने मोहक अंदाज में कहा– “मेरा नाम कामिनी है। मुझे श्राविका ने तुम्हारी सेवा के लिए भेजा है, जीवांश।” 


    मेरे दिमाग को अभी स्थिति को समझने का मौका भी नहीं मिला था कि उस ने मुझे मज़ाकिया नज़ाकत से बिस्तर पर धकेल दिया। जैसे ही गद्दे की आवाज़ गूंजी, वो  मेरे पास आई, जहां मैं पीठ के बल लेटा था और मेरे ऊपर चढ़ गई। फिर, एक चालाक मुस्कान के साथ, उस ने मेरे कपड़े उतार दिए। कुछ ही पलों में उस ने अपने हाथों से मुझे छूना शुरू किया।


    “चिंता मत करो, जीवांश,” उस ने मेरे ऊपर चढ़ते हुए कहा– “सब कुछ वैसा ही होगा जैसा तुम चाहते हो। मैं इस की गारंटी देती हूं।” 


    फिर उस ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखे और मुझे जोश के साथ चूमने लगी।


    अगली सुबह मैं कामिनी की मुलायम त्वचा की गर्माहट के साथ जगा, जो मेरे शरीर से चिपकी हुई थी। उस का सिर मेरी सीने पर था और उस का दायां पैर मेरी कमर के चारों ओर लिपटा हुआ था। शब्दों में बयान करना भी मुश्किल है कि पिछली रात तीन घंटे की प्रेम-क्रीड़ा ने मुझे कितना रोमांचित किया था। उस यक्षिणी ने मेरी सारी जंगली इच्छाओं को पूरा किया था और उस से भी बढ़ कर। पूरा तो मैं ने भी उस की कई इच्छाओं को किया था। रात भर मेरे कमरे में गूंजती आनंदमय आवाज़ें, उस की सिसकियां और आहें—यही बता रही थीं। बीच-बीच में, कामिनी बार-बार कह रही थी कि उसे सदियों से इतना मज़ा नहीं आया। उस ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये आमतौर पर किस तरह के लोगों से मिलती होगी। 


    कामिनी एक जोशीली मगर संवेदनशील प्रेमिका थी। वो दबदबा कायम करने वालियों में से नहीं थी लेकिन उसे पता था कि वो क्या चाहती है और वो उसे किसी भी तरह हासिल कर लेती थी। वो खूबसूरत यक्षिणी आखिरकार हिली और मेरे शरीर से दूर लुढ़क गई, तभी मेरे पेट ने जोर से गुर्राहट मारी। मुझे अपने थके हुए शरीर और स्टैमिना को रिफ्यूल करने की ज़रूरत थी। 


    मैं धीरे से उस के नीचे से खिसका और अपनी कमर को ढकने के लिए एक पैंट पहन ली। पैंट खींचते वक्त मैं ने फिर से उस के सुडौल शरीर को निहारा। क्या मैं अभी भी सपना देख रहा हूँ? मैं ने सोचा कि खुद को चिकोटी काट लूं, लेकिन तभी कामिनी हिलने लगी। 

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 2. यक्षिणी प्रेम - Chapter 2

    Words: 1142

    Estimated Reading Time: 7 min

    “गुड मॉर्निंग, प्यारे,” यक्षिणी ने हौले से मुस्कराते हुए कहा।


    “गुड मॉर्निंग,” मैं ने प्यार से उस के काले बालों में उंगलियां फिराईं – “कुछ खाना पसंद करोगी? हमारे पास ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन मैं तुम्हें कॉर्नफ्लेक्स और एक कप कॉफी दे सकता हूं।” 


    “वो तो बहुत अच्छा लगता है,” उस ने मोहक अंदाज में जवाब दिया। 


    मैं धीरे-धीरे किचन की ओर बढ़ा, सोचते हुए कि क्या तुषार को भी मेरी तरह किस्मत मिली होगी। शायद उस ने भी कोई परफेक्ट गांजा-प्रेमी यक्षिणी बुला ली हो। मैं खुद पर हंसा और अलमारी से दो सफेद सिरेमिक कटोरे और उन के साथ दो चम्मच निकाले। 


    जब मैं कॉफी मशीन में कॉफी पाउडर डाल रहा था, तो मेरे दिमाग में बीती रात की यादें ताजा हो गईं। हम ने घंटों तक प्रेम किया था और मेरा पूरा इरादा था कि पेट भरने के बाद फिर से उस की ओर लौट जाऊं। 


    जब कॉफी मशीन खटखट और बुलबुले की आवाजें करने लगी, मैं ने अलमारी में तलाशी शुरू की। ढेर सारे मैगी के पैकेट्स के पीछे, सब से पीछे, एक कॉर्नफ्लेक्स का पैकेट पड़ा था। शायद किसी दिन हम ब्रांडेड सामान खरीद पाएं। लेकिन आज वो दिन नहीं था। 


    मैं ने बाकी बचा कॉर्नफ्लेक्स दो कटोरों में डाला, उस में दूध डाला और फिर कॉफी मशीन की ओर बढ़ा, जो नीचे के बर्तन में कैफीन का काला अमृत उड़ेल रही थी। मैं ने हमारे पास मौजूद पांच मग्स में से दो में कॉफी डाली, ताकि इसे कामिनी के पास ले जा सकूं। भले ही ये ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन मैं अपने बेडरूम में मौजूद उस देवी को सब कुछ देने को तैयार था। 


    “हाय, मेरे हैंडसम,” मैं ने उस की आवाज सुनी, जब मैं ने कॉफी डालना खत्म किया। मैं ने नजर उठाई तो देखा कि वो मेरे कमरे के दरवाजे पर खड़ी थी। एक पल के लिए मेरा सिर घूम गया, जब मैं ने उस के परफेक्ट शरीर को देखा। मेरा दिल सीने में ऐसे धड़क रहा था जैसे कोई ट्रेन का इंजन हो। 


    “अह्ह्ह, ह-हाय,” मैं ने हकलाते हुए खुद को उसे घूरने से रोकने की कोशिश की। मैं ने उस की बैंगनी आंखों पर ध्यान केंद्रित किया और कमरा धीरे-धीरे स्थिर होने लगा। “मैं ने अभी नाश्ता तैयार किया है।” 


    “ओह, बहुत अच्छा,” उस ने मोहक अंदाज में कहा और  चल कर टेबल पर बैठ गई। 


    मैं ने उसे कॉर्नफ्लेक्स का कटोरा और कॉफी का मग थमाया। फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गया, चम्मच मुंह तक ले गया और उस बासी कॉर्नफ्लेक का स्वाद लिया। आमतौर पर मैं नाश्ते के वक्त अपनी बकवास नौकरी छोड़ कर कहीं और नई जिंदगी शुरू करने के बारे में सोचता रहता था। लेकिन आज, मेरे दिमाग में सिर्फ कामिनी थी। 


    “कल रात तुम्हें मजा आया? मुझे तो बहुत आया,” कामिनी ने मधुर स्वर में कहा, अपने चम्मच में कॉर्नफ्लेक्स उठाते हुए। 


    मैं ने देखा कि उसकी जीभ उसके होंठों के बीच से निकली और धीरे-धीरे चम्मच के निचले हिस्से पर फिसली। उस ने दूध का स्वाद लेते ही हल्की-सी सिसकारी ली, फिर आँखें बंद कर के एक आह भरी और धातु के चम्मच को अपने भरे हुए होंठों के बीच धीरे से सरकाया। उस ने अपनी कुर्सी पर पीछे झुक कर चेहरा ऊपर उठाया और एक और आह भरी, फिर चम्मच को जोरदार ‘पॉप’ की आवाज के साथ धीरे से बाहर निकाला। 

    शायद उस वक़्त मैं सांस लेना भूल गया था। 


    “तो?” उस ने एक भौंह तानते हुए पूछा। 


    “उह्ह… क्या?” मैं ने पूछा। 


    “कल रात तुम्हें मजा आया?” उस ने हँसते हुए दोहराया। 


    “ये भी कोई सवाल है?” मैं ने आँख मारते हुए कहा, “तीन घंटे में सात बार। ऑफकोर्स! मज़ा क्यों नहीं आएगा?।” 


    कामिनी की आँखें चमक उठीं, उसकी पुतलियाँ फैल गईं। “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा,” उसने हल्की-सी सिहरन के साथ कहा – “हजारों साल तक यक्षिणी रहने के बाद, मैं ने कभी ऐसा पुरुष नहीं देखा जो न सिर्फ मेरे बराबर हो, बल्कि मुझ से भी आगे निकल जाए! ये थोड़ा हैरतअंगेज़ है।” 


    मुझे एहसास हुआ कि मैं पिछले एक मिनट से कॉर्नफ्लेक्स का भरा हुआ चम्मच हाथ में पकड़े बेवकूफ की तरह बैठा था, तो मैं ने जल्दी से एक कौर लिया और जवाब दिया। “रुको, तुम ने कहा हजारों साल पुरानी? तुम तो मुझ से छोटी दिखती हो।” 


    “बस करो,” वह शरमाई। “ये तो हमारे काम का हिस्सा है। खास कर यक्षिणियों के लिए, क्योंकि हमारा पूरा मकसद ही तुम जैसे पुरुषों और तुम्हारे उस दोस्त को सुख देना है।” उस ने तुषार के बंद बेडरूम के दरवाज़े की ओर इशारा किया। “अगर हम बूढ़ी और ढीली-ढाली हों, तो ये काम नहीं कर सकतीं।” 


    “तुम्हें नहीं पता मुझे क्या पसंद है,” मैं ने मुस्कुराते हुए कहा और एक और कौर लिया। 


    कामिनी ने मेज के पार हाथ बढ़ाया और अपनी तर्जनी उंगली से मेरे सीने पर दिल का आकार बनाया।

    “दरअसल, मुझे पता है,” उस ने आँख मारते हुए बताया – “तुम और तुम्हारे दोस्त ने जो छोटा-सा नोट महा यक्षिणी श्राविका को लिखा था, वो काफी स्पष्ट था।” 


    “पता नहीं वो कैसे होंगे?” मैं ने तुषार के दरवाजे की ओर देखते हुए कहा। क्या उस का सपना भी मेरी तरह सच हुआ था, या वो बस दोपहर तक सो रहा था जैसा कि हम हमेशा करते थे? तुषार रात को देर तक जागता रहता था और इंटरनेट पर कांस्पिरेसी थ्योरीज़ या माथोलॉजी देखता रहता था।

     
    “मुझे यकीन है कि उस की रात भी हमारी तरह शानदार रही होगी!” कामिनी हँसी, जैसे उस ने मेरे दिमाग की बात पढ़ ली हो। खिलखिला कर बोली – “तुम्हारा दोस्त बिल्कुल ठीक है। मेरे साथ मेरी एक बहन भी पृथ्वी पर आई थी और मुझे पता है कि उसे तुम्हारे उस दोस्त के लिए भेजा गया था।” 

    “तो इस वक्त मेरे अपार्टमेंट में दो यक्षिणियां हैं?” मैं हँसा – “मैं शायद धरती का सब से भाग्यशाली इंसान हूँ। तुम्हारा नाम कामिनी क्यों है?”

    कामिनी ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया। “इस का मतलब है ‘वासना’। मैं ने ये नाम ज़ाहिर तौर पर कुछ खास वजहों से चुना। मेरी छह और बहनें हैं, जिन के नाम भी कुछ ऐसे ही हैं।” 

    “सात घातक पाप?” मैं ने भौंह उठा कर सोचते हुए कहा। 

    वो चालाकी से मुस्कुराई – “हर राक्षस स्वामी अपनी यक्षिणियों के नाम थीम के हिसाब से रखना पसंद करता है। श्राविका को पापों का कॉन्सेप्ट बहुत पसंद था। उन्होंने हम में से हर एक का नाम उस पाप के आधार पर रखा जो हमारी पर्सनैलिटी से सब से ज़्यादा मेल खाता था।” 

    “खैर, मैं खुश हूँ कि श्राविका ने मुझे क्रोध वाली यक्षिणी नहीं भेजी। मैं अभी उस तरह की चीज़ के लिए तैयार नहीं हूँ!” मैं उस यक्षिणी के साथ हँसा। 

    कामिनी ने मुस्कुराते हुए कहा – “सही कहा। मेरी बहन विरुषा का स्वाद… थोड़ा अलग है।” 

    मैं ने पूछा - “मतलब…” 

    “तुम उस का स्वाद लेना नहीं चाहोगे,” कामिनी ने सिर हिलाया। “मुझ पर भरोसा करो।” बोलती हुई वह सिहर उठी थी।  


    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 3. यक्षिणी प्रेम - Chapter 3

    Words: 1338

    Estimated Reading Time: 9 min

    अपनी आँख के कोने से मैं ने देखा कि तुषार का दरवाज़ा खुला। हालाँकि मैं ने छोटे-छोटे, तेज कदमों की आवाज सुनी, जो कमरे से बाहर निकली, लेकिन मुझे दिखाई नहीं दिया कि वो किस के थे। 

    “क्या तुम ने वो सुना?” मैं ने अपना कटोरा नीचे रखते हुए पूछा। 

    “लगता है वो उठ गए,” कामिनी ने कहा, लेकिन जब मैं चेक करने के लिए उठा, तो मैं लगभग एक छोटे से प्राणी पर गिर पड़ा, जो मेरी टेबल के कोने से तेजी से भागा आया था। 



    मैं पीछे की ओर लड़खड़ाया, जब वो छोटा-सा प्राणी फर्श पर लुढ़कता हुआ किचन के सिंक के नीचे अलमारी से जा टकराया। वो प्राणी करीब तीन फुट लंबा था, उस की त्वचा गहरी लाल थी और उस के पैर छोटे-छोटे खुरों जैसे थे। उस के सिर पर दो सींग थे, जो चमकीले काले पत्थर जैसे दिखते थे। वो एक पल के लिए चक्कर में पड़ा रहा, फिर एक छोटे कुत्ते की तरह अपने आप को झटका और ब्रूस ली स्टाइल में खड़ा हो गया। फिर वो ऐसे मेरी ओर बढ़ा जैसे वो इस जगह का मालिक हो। 

    “सॉरी यार,” उस ने कंधे उचकाते हुए कहा। “अभी इन खुरों की आदत नहीं पड़ी।” उस ने अपने आप को इशारे से दिखाते हुए मुझे अपनी छोटी-छोटी काली आँखों से हैरानी से देखा। 

    “ये क्या बकवास है?” मैं ने चिल्लाते हुए काउंटर पर पड़ा चाकू उठा लिया ताकि अपनी रक्षा कर सकूँ। वो छोटा राक्षस बस हैरान दिखा। 

    “प्लीज, ये मत कहना कि तुम ने सारे कॉर्नफ्लेक्स खा लिए,” उस ने अपनी तोंद पर थपथपाते हुए कहा। “मुझे तो भयंकर भूख लगी है।” 

    “तूने मेरे दोस्त का क्या किया? क्या तू वही यक्षिणी है जिसे उस ने कल रात बुलाया था? तूने उस की आत्मा ले ली?” मैं ने चाकू को उस के सामने लहराते हुए पूछा। 

    “शांत हो जा, जीवांश,” उस प्राणी ने अपने हाथ उठाते हुए चिल्लाया – “ये मैं हूँ!” 

    “क्या… रुक, तुषार?” मैं ने पूछा, मेरा दिमाग अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि ये सब क्या हो रहा है – “क्या ये सचमुच तू है?” 

    “अरे यार, मैं ही हूँ। मैं आधा किराया देता हूँ, है ना?” उस अजीब से भूत जैसे जीव ने मेरे चाकू को देख कर डरते हुए जवाब दिया। 

    “वो तो महीने पर निर्भर करता है,” मैं ने उस प्राणी पर तंज कसा – “तुझे ये क्या हो गया?” 

    “क्या मतलब, जीवांश?” उस भूत ने मुझे उत्सुकता से देखा। 

    “तू तीन फुट का लाल चमड़ी वाला शैतान बन चुका है जिस के पैरों में शैतानी खुर हैं?” मैं ने हैरानी में उस की ओर इशारा किया। 

    “और…?” तुषार ने मेरी चिंता पर भौंह उठाई। 

    मैं ने डरते हुए कहा – “और तुझे डरना चाहिए। ज़रा देख खुद को! तू तो किसी भूतिया फ़िल्म से निकला हुआ लग रहा है!” 

    “मैं इसे तारीफ मानता हूँ,” भूत ने हँसते हुए कहा। 

    “हमें तुझे तुरंत वापस इंसान बनाना होगा!” मैं ने अपनी मुट्ठियाँ भींचीं – “वो दूसरी यक्षिणी कहाँ है? उसे इस की कीमत चुकानी पड़ेगी…” 

    “नहीं हो सकता यार,” तुषार ने सिर हिलाया। “मैं अपनी डील से सौ फीसदी खुश हूँ।” 

    मैं ने पूछा – “तू क्या बकवास की बात कर रहा है? कौन-सी डील?”  

    “यही तो मैं चाहता था, दोस्त,” भूत ने हँसते हुए कहा और नाश्ते की मेज की ओर खिसका, फिर डगमगाते हुए एक स्टूल पर कूद गया। “मैं ने श्राविका से साफ़-साफ़ यही बोला था — मुझे ये धमाकेदार नया शरीर चाहिए।”

    मैं ने सिर हिलाया, तुषार की बातों को समझने की कोशिश करते हुए कहा – “तूने इतनी मेहनत से वो प्राचीन किताब ढूंढ कर मंगवाई, एक सुपर हॉट यक्षिणी को बुलाया और उस से क्या माँगा… ये बौना शरीर?” 

    “भाई, मेरी प्रायोरिटीज़ सेट हैं,” छोटे तुषार ने हँसते हुए अपनी नन्ही मसल्स दिखाईं – “तू सच में बोलेगा कि तू ऐसा ज़बरदस्त डेमन नहीं बनना चाहता जैसा मैं हूँ?” 

    वो थोड़ा हिला-डुला ताकि ठीक से बैठ सके, फिर काउंटर से एक सेब उठाया और एक ही बाइट में पूरा चबा गया। फिर अपनी छोटी सी काया को जितना हो सका पीछे झुकाया और सेब का स्वाद लेते हुए लंबी “उम्म्म...” की आवाज़ निकाली।

    “यार, हमें तेरी यक्षिणी से बात करनी होगी और ये पता लगाना होगा कि तुझे वापस कैसे बदला जाए,” मैं तुषार के कमरे की ओर बढ़ने के लिए खड़ा हुआ। 

    “कतई नहीं, यार! मैं ने कभी इतना अच्छा महसूस नहीं किया!” उस ने कंधे उचकाते हुए जवाब दिया।

    तभी मुझे कमरे के उस पार से एक लड़की की आवाज़ सुनाई दी, “थोड़ा शोर कम कर सकते हो? एक यक्षिणी को अच्छी नींद चाहिए होती है। खास कर जब उसे रात का पूरा मज़ा न मिला हो।” 

    दूसरी यक्षिणी चमड़े के पुराने सोफ़े से उठी और नींद में आँखें मलने लगी। वो कामिनी जैसी बिल्कुल नहीं दिखती थी, लेकिन फिर भी अब तक देखी गई सब से हॉट लड़कियों में से एक थी। उस के छोटे सुनहरे बाल बॉब कट में थे, जो उस के पतले गालों पर झूल रहे थे। उस का पूरा शरीर किसी एथलीट जैसा फुर्तीला और फिट था —  कसा हुआ शरीर, शानदार एब्स और ऐसी थाईज़ जो किसी आदमी का सिर तक कुचल सकती थीं। मुझे नहीं पता वो सात जानलेवा पापों में से किस पर आधारित थी, लेकिन उस पल मैं सारे पाप करने को तैयार था बस उसे पाने के लिए।

    “हम भले ही ‘काम’ पूरा न कर पाए हों, लेकिन जो तुम ने मेरे लिए किया उस के लिए शुक्रिया, तृषा!” तुषार ने खुशी से कहा। “अब तो सारी लड़कियाँ लाइन लगाएंगी — मुझे पाने के लिए!”

    “तू ने इस के साथ मस्ती नहीं की…” मैं ने कहना शुरू किया, लेकिन तुषार ने मुझे बीच में रोका। 

    “नहीं यार। जैसे ही इस ने मुझे इस शरीर में बदला, मैं बस सोना चाहता था। अब मैं सिर्फ खाना, नशा करना और कुछ वीडियो गेम खेलना चाहता हूँ।” 

    “उफ्फ…” तृषा ने अपने सिर को सोफे के पीछे टिकाते हुए आह भरी – “कितना निराशाजनक है।” 

    “मैं तो निराश नहीं हूँ!” तुषार हँसा। 

    “पुरुष कभी नहीं होते,” तुषार की बुलाई हुई यक्षिणी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा। 

    “मुझे जीवांश के साथ ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई!” कामिनी ने उत्साह से बताया। 

    तृषा ने एक भौंह उठाई, अपने होंठ काटे और बैंगनी आँखों से मुझे ऊपर से नीचे तक देखा। “सचमुच? शायद हमें वापस अपने मालिक के पास जाने से पहले अदल-बदल कर लेना चाहिए। इस ने तो बस मुझ से खुद को नटुल्ले शैतान में बदलवाया और कुछ नहीं।” 

    “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि तू ने इस के साथ कुछ नहीं किया,” मैं तुषार से बोला। 

    “जीवांश,” तुषार ने सिर हिलाया। “मैं बस चाहता था कि वो मेरी सब से जंगली इच्छाएँ पूरी करे। जिन में से एक थी कि मैं खुद एक शैतान बन जाऊँ! मैं ने उन के बारे में सब पढ़ा है, लेकिन अब लोग मेरे बारे में पढ़ेंगे!” 

    “ठीक है, जैसी तेरी इच्छा,” मैं ने कंधे उचकाए और फिर सोफे की ओर मुड़ा। “एक्सक्यूज मी, अह -- ओह्ह!” 

    तृषा अचानक मेरे बगल में नाश्ते की मेज पर बैठ गई थी। उस ने मुझ से हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। 

    “तृषा,” उस ने कहा, जब हमारे हाथ मिले। 

    “लालच?” मैं ने पूछा। 

    यक्षिणी ने कामिनी की ओर एक चालाक मुस्कान फेंकी – “ये तो हैंडसम के साथ समझदार भी है। तुझे तो सचमुच अच्छा वाला मिला, कामी।” 

    मैं ने कोशिश की कि मेरी निगाहें तृषा के शरीर पर न भटकें और आगे पूछा। “क्या, उह, कोई चांस है कि तुम इसे वापस बदल सको?” मैं ने उस भूत की ओर इशारा किया, जो अब अपने फोन से म्यूजिक बजा रहा था, वो किचन के काउंटर पर खड़ा था और एक ऐसा नाच नाच रहा था, जो भरतनाट्यम और ब्रेकडांस का मिक्सचर लग रहा था, साथ में पागलपन भरी हँसी भी थी। 

    तृषा ने अपने नाखूनों को देखते हुए कंधे उचकाए। “ये ऐसा ही बनना चाहता था।” 

    “अब क्या होगा?” मैं ने यक्षिणियों से पूछा, क्योंकि उस पल तक मैं कॉन्ट्रैक्ट की बात पूरी तरह भूल चुका था। “क्या तुम हमारी आत्माएँ चुरा कर वापस चली जाओगी, या…?” 

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 4. यक्षिणी प्रेम - Chapter 4

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    “हम उस तरह की यक्षिणियाँ नहीं हैं, जीवांश,” कामिनी ने अपनी उंगली उठाई और अपने लंबे काले बालों की एक लट को लपेटते हुए फर्श को देखा। “और मुझे नहीं लगता कि मैं अब वापस जाऊँगी। कल रात के बाद, मैं तुम्हारे साथ यहीं रहना चाहती हूँ।” 


    उस की बहन को ये बात ज़रा भी अच्छी नहीं लगी।

    “कामी, तुम जानती हो कि हम ऐसा नहीं कर सकतीं,” उस ने चेतावनी दी। “क्या तुम्हें याद है कि शिथिला के साथ क्या हुआ था?”
     

    मैं ने पूछा – “शिथिला मतलब आलसी?”


    दूसरी यक्षिणी ने धीरे से सिर हिलाया – “हाँ। उस को ये नाम इसलिए मिला क्योंकि वो हम बहनों में सब से लापरवाह थी। उसे अपने काम की कोई परवाह नहीं थी। वो अपने पुरुष की सेवा पूरी करने के बाद भी पृथ्वी पर कई दिन बिताती, बस इधर-उधर घूमती और मस्ती करती रहती थी। वो बस खेल-कूद में लगी रहती थी, काम में उस का मन ही नहीं लगता था।” 


    “और फिर उस के साथ क्या हुआ?” मैं ने पूछा। “मुझे लगता है तुम्हारी मालकिन को ये सब पसंद नहीं आया होगा?” 


    तृषा के शब्द उस के गले में अटक गए जब उस ने बोलने की कोशिश की। “श्राविका को आखिरकार उस की आलस से चिढ़ हो गई। जब वो इंसानों के साथ मौज कर रही थी, महा यक्षिणी खुद पृथ्वी पर आई और उस का पीछा किया। वो एक खूनी मंजर था। सैकड़ों इंसान उस लड़ाई में मारे गए और हमारी बहन को पाताल के गड्ढों में वापस घसीट लिया गया, जहाँ उसे एक हजार साल तक सजा दी गई।” 


    “लगता है श्राविका ऐसी शख्सियत है, जिस से पंगा लेना ठीक नहीं,” मैं ने कहा, जब मैं ने तृषा को डर से काँपते देखा। “कम से कम, जानबूझ कर तो बिल्कुल नहीं।” 


    “वो बहुत ताकतवर है,” कामिनी ने कहा और अपनी बहन को सांत्वना देने के लिए उस के कंधे पर हाथ रखा। “आखिर वो पहली यक्षिणी है।” 


    “बिल्कुल, बहन। इसलिए हमें यहाँ ज्यादा देर नहीं रुकना चाहिए।” तृषा ने बोलते हुए अपना सिर अपनी बहन के कंधे पर टिका दिया। 


    “सब ठीक हो जाएगा, तृषा। शिथिला अकेली थी। हम साथ होंगे और हमारे पास ये लोग होंगे!” उस ने मेरी और तुषार की ओर इशारा करते हुए उत्साह से बोला। 


    “माफ करना मगर मुझे यकीन नहीं हो रहा कि एक मामूली इंसान और उस का पिद्दी सा दोस्त हमें महा यक्षिणी से बचा पाएंगे।” तृषा ने हमें ऊपर से नीचे तक देखा – “बुरा मत मानना, बस कह रही हूँ।”


    कामिनी मुस्कराती हुई बोली - “ये कोई साधारण इंसान नहीं है, बहन। कुछ घंटे जीवांश के साथ बिता लो, फिर खुद समझ जाओगी कि ये कल्पनाओं से भी कहीं ज़्यादा खास है!”


    तृषा ने आह भरी, लेकिन फिर उस के चेहरे पर एक चालाक मुस्कान फैल गई, जब उस ने मेरी ओर देखा। “लगता है मुझे अभी थोड़े डिस्ट्रैक्शन की ज़रूरत है। वैसे भी, कल रात… कुछ खास नहीं थी।” उस ने मेरे रूममेट की ओर देखा – “बुरा मत मानना।” 


    “हाँ, समझ गया,” तुषार ने कंधे उचकाए। “तुम्हें मस्ती चाहिए थी और मैं ने वो नहीं दिया। और अब मुझे भी तुम में कोई दिलचस्पी नहीं है। पता नहीं क्यों।” 


    “रुक, तुझे इस में दिलचस्पी नहीं है?” मैं ने तृषा की ओर इशारा किया – “तूने इसे देखा है?” 


    “हाँ, देखा है।” तुषार ने फिर से कंधे उचका दिए। “मुझे पता है मुझे इस पर फिदा होना चाहिए, या फिर इस बात से चिढ़ना चाहिए कि तू इस के साथ सोना चाहता है जिसे मैं ने बुलाया था, लेकिन नहीं... मुझे कुछ भी महसूस नहीं हो रहा।” उस ने हल्की मुस्कान दी। “अगर तेरी मर्ज़ी है, तो बेहिचक कर।”


    “सचमुच?” मैं ने मुश्किल से निगलते हुए पूछा – “तुझे सचमुच कोई फर्क नहीं पड़ता?” 


    “बिल्कुल भी नहीं,” तुषार ने बोरियत भरी निगाह से कहा। “लाखों दूसरी चीजें हैं जो मैं करना चाहता हूँ, भले ही ये सुनने में पागलपंती लगे।” 


    “तो, जीवांश, तुम क्या कहते हो?” तृषा ने पूछा, जब उस की उंगलियाँ मेरे कलाई के चारों ओर लिपट गईं। 


    “मुझे लगता है कि ना कहना बेवकूफी होगी,” मैं हँसा।


    “बस यही सुनना चाहती थी मैं,” तृषा खिलखिलाई और मुझे भी खींच कर अपने साथ खड़ा कर लिया। फिर वो मुझे मेरे ही बेडरूम की ओर ले चली – हर कदम पर जानबूझ कर अपनी कमर मटकाते हुए।

    “जाओ, टाइगर, दिखा दो!” कामिनी ने चिल्ला कर कहा, जब मैं और तृषा मेरे बेडरूम में दाखिल हुए, लेकिन इस से पहले कि मैं कामिनी को जवाब देता, तृषा ने मेरे चेहरे को दोनों तरफ से पकड़ा, मुझे अपनी ओर खींचा और अपनी जीभ मेरे गले तक डाल दी। 

    फिर उस ने दरवाज़ा लात मार कर बंद कर दिया। 

    जब हम किस करते रहे, उस ने बड़ी निपुणता से मेरी पैंट उतार दी थी। 

    “कैसा है?” कामिनी ने बेडरूम के दरवाजे के बाहर से हँसते हुए पूछा। 

    तृषा अपने अपने होंठ चाटती बोली – “मैं ने फैसला कर लिया, कामी। श्राविका जाए भाड़ में। मुझे लगता है हमें अब यहीं रहना चाहिए।” 

    ________

    क्या दिन था। मैं अपने पुराने, घिसे-पिटे नाश्ते की मेज पर बैठा एक सेब चबा रहा था। हमारे इस बदहाल अपार्टमेंट में, मेरे सामने कामिनी बैठी थी—वो भरे हुए सीने और काले बालों वाली खूबसूरत कन्या बार-बार हँस रही थी और अपनी चमकीली बैंगनी आँखों से मुझे प्यार भरी नज़रों से देख रही थी। वहीं, तृषा – यानी वो कसे बदन वाली आकर्षक यक्षिणी – हमारे टूटे-फूटे सोफे पर लेटी थी और अपने पैर कॉफी टेबल पर रखे हुए थे। उस के चेहरे पर खुशी भरा मगर शांत भाव था, जो बता रहा था कि वह यहाँ रहने के अपने फैसले से बेहद खुश थी। 

    तुषार, मेरा छोटा भूतिया दोस्त, अपनी पसंदीदा कुर्सी पर आराम फरमा रहा था जोकि एक रिक्लाइनर थी। तुषार को ये कुर्सी बरसों पहले हमारे अपार्टमेंट के पीछे कूड़ेदान में मिली थी और उसे पहली नज़र में ही उस से प्यार हो गया था। उस दानवाकार कुर्सी को यहाँ लिविंग रूम तक लाने में हमें करीब दो घंटे लगे थे। मैं ने उसे मनाने की कोशिश की थी, लेकिन वो नशेड़ी तब तक नहीं माना जब तक मैं ने उस की सच्ची मोहब्बत को अपार्टमेंट में लाने में उस की मदद नहीं कर दी। कुर्सी लिफ्ट के लिए बहुत बड़ी थी, तो मेरे दोस्त और मुझे उसे छह मंजिल की सीढ़ियों से उठा कर लाना पड़ा। ये कोई सुखद अनुभव नहीं था, क्योंकि तुषार की ताकत किसी चींटी जितनी थी और ये कोई रूपक नहीं है।


    अब ये तुषार का तख्त था, जहाँ वो बैठ कर सुट्टा फूंकता, आराम फरमाता और अपने पसंदीदा हॉरर शो के एपिसोड देखता। 


    कल से पहले, मैं तुषार का इन चीजों के लिए मज़ाक उड़ाता था। मुझे बचपन से स्वर्ग - नर्क और ऐसी चीजों पर यकीन करना सिखाया गया था। लेकिन जब तुषार यूएफओ, यति और राक्षसों की बातें करता, मैं बस आँखें घुमा कर उस का मज़ाक उड़ाता। अब, मैं एक ऐसे कमरे में बैठा था, जिस में दो यक्षिणियाँ थीं, जिन्हें हम ने बुलाया था और मेरा सब से अच्छा दोस्त एक तीन फुट का लाल त्वचा वाला भूत था, जिस के सिर पर सींग और पिछवाड़े पर पूँछ थी।


    “तुम बहुत चुप बैठे हो, जीवांश,” तृषा ने अपने घुटनों पर हाथ रखते हुए मुस्कुरा कर पूछा – “क्या हमारी खिदमत ने तुम्हें बोलने लायक नहीं छोड़ा?” 

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  • 5. यक्षिणी प्रेम - Chapter 5

    Words: 1189

    Estimated Reading Time: 8 min

    “चुप रहना इस के लिए नॉर्मल नहीं है,” तुषार ने हँसते हुए कहा – “इस के पास तो हमेशा कोई न कोई ज्ञान होता है ठोकने के लिए!” 


    “बात वो नहीं है।” मैं ने सिर हिलाया। “बस... ये सब एक साथ पचाना मुश्किल हो रहा है, समझ रही हो? अगर तुम दोनों और तुम्हारी मालकिन वाकई असली हो, तो इस का मतलब मेरी धर्म से जुड़ी सारी सीख, कहानियाँ, सब कुछ सच है। सारी शिक्षाएं, सारे अस्तित्व... ये सब पागल कर देने वाला है।” 


    तुषार ने अपने नन्हें हाथ बड़े हास्यास्पद ढंग से लहराए – “धर्म?” 


    “उह, तुषार… तू ही तो मुझे हमेशा कांस्पिरेसी थ्योरी बताता रहता था कि दुनिया कैसे देवताओं और राक्षसों के सबूत छुपा रही है और अब तू ने अपनी आँखों से ये देख लिया है। फिर भी तू किसी धर्म को नहीं मानता – ये कैसे मुमकिन है?” मैं ने भौं चढ़ाते हुए पूछा।


    “पता नहीं। मुझे बस दूसरों का हुक्म मानना पसंद नहीं,” उस ने कंधे उचकाए। “मैं बस यहाँ पृथ्वी पर मस्ती करना चाहता हूँ, जितना हो सके और इस नए गजब के शरीर के साथ अब मेरी मस्ती की कोई सीमा नहीं है!” 


    कामिनी ने मेज़ के पार हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ थाम लिया। उस की त्वचा वैसी ही नरम थी जैसी पिछली रात और उसके स्पर्श ने रात की सारी यादें एक झटके में वापस ला दीं। वो बोली – “मुझे पता है ये सब बहुत भारी है। जो भी इंसान हमें बुलाता है, वो सवाल ज़रूर करता है। तुम भी कुछ भी पूछ सकते हो।” 


    “ठीक है, तो पहला सवाल: क्या तुम लोग बस श्राविका के लिए फ्रीलांसिंग कर रही हो?” मैं ने पूछा। “या वहाँ नीचे कोई सिस्टम है? मतलब, कोई आदेशों की कड़ी या कमांड की लाइन?”


    “मुझे सचमुच अच्छा लगेगा अगर तुम इंसान इसे ‘नीचे’ कहना बंद करो,” तृषा ने बीच में टोका। “स्वर्ग, पाताल, नर्क आदि सब पूरी तरह अलग-अलग ब्रह्मांडीय परत पर हैं। ऐसा नहीं है कि अगर तुम जमीन में बहुत गहरे खोदो तो पाताल मिल जाएगा।” 


    “ये बात तो मुझे पहले से ही पता थी,” तुषार ने कुर्सी पर बैठ कर अकड़ के साथ गर्दन हिलाई। 


    “अब तुम्हारे सवाल का जवाब दूँ, जिस से पहले मेरी बहन बीच में कूद पड़ी थी,” कामिनी ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, जिस से तृषा ने उसे घूर कर देखा। कामिनी बोली -- “हर यक्षिणी और यक्ष बिना सवाल किए श्राविका की सेवा करते हैं। वो ब्रह्मांड की पहली महिला थी जिस ने अपनी मर्जी से कई यौन संबंध बनाए। इसी वजह से उसे 'यौन विकृति' वाली घोषित कर दिया गया।”
     

    “वाह,” मैं ने हँसते हुए बोला – “अगर बस इतनी सी बात है, तो मुझे नहीं लगता कि इस धरती पर कोई ऐसा इंसान होगा जो इस कैटेगरी में न आए। मुझे तो अपनी कुछ पुरानी गर्लफ्रेंड्स की याद आ रही हैं, जो बेडरूम में बात तक नहीं मानती थीं। तमीरा तो निश्चित रूप से श्राविका की बहन थी…” 


    तुषार ने कमरे के उस पार से सिसकारी भरी। “यार, तूने वादा किया था कि उस का नाम दोबारा नहीं लेगा! हम इस घर में उस भूतनी का नाम नहीं लेते।” 


    “तमीरा कौन है? कोई राक्षसी है जिसे मैं नहीं जानती?” तृषा ने हैरत से पूछा।


    “वो मेरी एक्स है, लेकिन मैं अभी इस बारे में बात नहीं करना चाहता,” मैं ने आह भरते हुए जवाब दिया – “चलो वापस अपने टॉपिक पर लौटते हैं। तो, श्राविका सभी यक्षिणियों और यक्ष की मालकिन है? आगे बताओ!” 


    “श्राविका ने आधे पाताल को नर्क जैसी शक्ल दे रखी है। उसे महारानी यक्षिणी के नाम से जाना जाता है, लेकिन पाताल में और भी रानियाँ और राजा हैं।” काले बालों वाली ने अपना बैंगनी आँखों वाला सिर हिलाया – “वो सब विभ्रष्ट के सब से बड़े सहयोगी हैं, लेकिन उन में सब से क्रूर और भयानक है – श्राविका। उस के अधीन हैं कई राक्षस सेनापति – बेहद ताकतवर, जो दुश्मन सेना के खिलाफ युद्धों में जनरल का काम करते हैं।” कामिनी ने मेरी उलझन देख कर जोड़ा, “मतलब स्वर्ग की सेना के ख़िलाफ। फिर आते हैं छोटे स्तर के राक्षस — जैसे लड़ाकू सिपाही।”


    “विभ्रष्ट कौन?” मैं ने आश्चर्य से पूछा।


    “वो राक्षस जिस की नर्क और पाताल दोनों जगह पूजा होती है और आए दिन स्वर्ग पर धावा बोलता रहता है।”


    “तो मेरा अगला सवाल आसान है,” मैं ने पूछा – “क्या तुम लोगों के पास कोई शक्तियाँ हैं? जितने भी राक्षस मैं ने फिल्मों और कहानियों में देखे हैं, वो लोगों पर जादू कर सकते हैं, अदृश्य हो सकते हैं और ऐसा ही कुछ।” 


    “हाँ भी और नहीं भी,” कामिनी ने जवाब दिया। “सभी अलौकिक प्राणियों के पास जादुई शक्तियाँ होती हैं। जितना ऊँचा उन का पद होता है, उतनी ही ज़बरदस्त उन की शक्तियाँ। दिक्कत ये है कि हम ने तुम्हारे साथ एक कॉन्ट्रैक्ट किया है, जिस का मतलब है कि अभी के लिए, तुम हमारे नए मालिक हो।” 


    “हालाँकि मुझे लगता है कि हम दोनों को बहुत अच्छा लगेगा अगर तुम हमेशा हमारे मालिक बने रहो,” तृषा ने फ़ौरन हँसते हुए कहा। 


    “वो तो बहुत अच्छा होगा,” कामिनी मुस्कुराई – “लेकिन हम जैसे निचले स्तर के प्राणियों की शक्तियाँ हमारे मालिकों से बंधी होती हैं। चूँकि हम ने तुम्हारे जैसे नए इंसान के साथ शुरुआत की है, हमारी शक्ति का स्तर शून्य पर रीसेट हो गया है।” 


    “हम उन्हें वापस कैसे बढ़ा सकते हैं?” मैं ने सवाल किया। 


    “हमारा अपने मालिक के साथ जितना गहरा रिश्ता होगा, हमारी शक्तियाँ उतनी ही मजबूत होंगी,” कामिनी ने मेरीओर पलकें झपकाईं। “अभी हमारा रिश्ता बस शुरू हुआ है, तो हमारी शक्तियाँ बेसिक लेवल पर हैं।” 


    तृषा हँसी। “दूसरे शब्दों में, हम तीनों जितना ज्यादा सेक्स करेंगे, हमारी शक्तियाँ उतनी ही बढ़ेंगी।” 


    “अरे वाह, ये तो मेरे भी दिल को छू गया!” मैं ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।


    “उम्मीद है और कहीं भी छू गया हो… ” तृषा ने अपने होंठ काटे और मेरी तरफ एक भूखी नज़र से देखा।


    “मैं यहाँ खाना खाने की कोशिश कर रहा हूँ, यार,” भूतिया तुषार खीज कर बोला – “क्यों नहीं वापस अच्छी बातों पर आते? मैं तो सचमुच बहुत कुछ सीख रहा था!” 


    “शुक्रिया, तुषार,” मैं ने आह भरते हुए कहा। “तो, क्या तुम लोगों को सचमुच कोई आज़ादी नहीं है कुछ भी करने की? तुम सब बस दूसरे की मातहत हो?” 


    “खास तौर पर हमारे मालिक, खप्परसुर की,” तृषा ने कहा, उस की आवाज में नफरत भरी थी। “वही हमें काबू में रखता है और सुनिश्चित करता है कि जिन इंसानों ने हमें बुलाया, वो समय आने पर कीमत चुकाएँ।” 


    “लगता है वो सचमुच बहुत बड़ा कमीना है,” मैं ने जितना हो सके सहानुभूति दिखाने की कोशिश करते हुए कहा – “जो मुझे मेरे अगले सवाल पर लाता है। उस के तुम्हारे पीछे आने की कितनी संभावना है? तुम्हें तो मेरी आत्मा ले कर लौट जाना चाहिए, है ना?” 


    “पता नहीं,” तृषा धीरे से बोली और दोनों यक्षिणियाँ झिझक कर एक-दूसरे को तनाव भरी निगाह से देखने लगीं। “हो सकता है हम अभी उस के रडार पर न हों।” 


    “और अगर हुई तो?” मैं ने गंभीर आवाज़ में पूछा।


    “तो वो हमारे पीछे आएगा और हमें वापस ले जाएगा, चाहे हम जाना चाहें या न चाहें,” कामिनी ने उदास हो कर जवाब दिया।

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 6. यक्षिणी प्रेम - Chapter 6

    Words: 996

    Estimated Reading Time: 6 min

    “लेकिन उदास मत हो। हमारे पास अभी भी ढेर सारा समय है मस्ती के लिए, तो हमें यहाँ का वक्त जितना हो सके, मज़े ले कर बिताना चाहिए।” 


    “लेकिन रुको,” मैं ने गला साफ किया और एक उंगली हवा में उठाई। “मैं नहीं चाहता कि कोई कमीना राक्षस तुम दोनों को मुझ से छीन ले। क्या हम कुछ कर सकते हैं उसे रोकने के लिए? क्या मैं उस से लड़ सकता हूँ या कुछ और?” 


    दोनों खूबसूरत यक्षिणीयों ने एक-दूसरे की ओर देखा। मैं उन के इस छोटे से आदान-प्रदान को ज्यादा समझ नहीं पाया, लेकिन तृषा ने सिर हिलाया और फिर कामिनी ने हल्की मुस्कान के साथ मेरी ओर देखा।


    “तुम हमारे लिए लड़ोगे?” 


    “बिल्कुल,” मैं ने कंधे उचकाते हुए जवाब दिया – “तुम दोनों मेरी हो और मुझे तुम सचमुच बहुत पसंद हो।” 


    “हमें भी तुम पसंद हो,” तृषा ने अपने खूबसूरत सुनहरे बालों को माथे से पीछे करते हुए कहा। “हम तुम्हारे साथ हमेशा रहना चाहेंगी। अगर हम ऐसा कर सकीं।” 


    “तो कोई रास्ता है?” मैं ने पूछा और मैं ने देखा कि तुषार दिलचस्पी के साथ आगे झुका। 


    “हाँ,” दोनों सुंदर कन्याओं ने एक साथ कहा। 


    “तुम्हें और मज़बूत होना होगा, बहुत ज़्यादा मज़बूत,” कामिनी अपने होंठ काटते हुए बोली। 


    “तो, मतलब ….और ज़्यादा जिस्मानी ताल्लुक?” मैं ने पूछा। 


    “ढेर सारा,” तृषा ने मोहक आवाज़ में कहा। “बहुत, बहुत, बहुत सारा लेकिन और भी चीज़ें हैं जो हमें करनी होंगी। हमें एक बहुत गहरा रिश्ता बनाना होगा। ताकि जब खप्परसुर आए, हम तीनों मिल कर उसे हरा सकें।” 


    “चार,” तुषार बोला – “मुझे इस राक्षसी जंग से बाहर मत रखना। मैं इस में जीतने के लिए आया हूँ। फाड़ देंगे बे सब को!” उस ने अपनी छोटी सी लाल छाती पर जोर से मुक्का मारा और गज़ब की ढोल जैसी गूँजती हुई आवाज़ निकली।


    “समझ गया,” मैं ने तुषार की ओर सिर हिलाते हुए कहा। “हम चार हैं।” 


    कामिनी बोली – “सब से पहले तो तुम्हें ये आदत डालनी चाहिए कि तुम हमारे मालिक हो। थोड़ा हमें हुक्म दो, अपना दबदबा दिखाओ जैसे कोई शक्तियों वाला करता है।”


    “लेकिन मेरे पास तो कोई शक्तियाँ नहीं…” 


    तृषा ने कंधे झटकारते हुए जवाब दिया – “जब तक नहीं हैं, तब तक नाटक करो, हैंडसम। पाताल में तो यही चलता है।” 


    “हाँ ये मैं कर सकता हूँ,”  


    कामिनी ने अपने हाथ ताली बजाने के लिए जोड़े। “बहुत मज़ा आने वाला है! मुझे पहली नज़र में ही पता चल गया था कि तुम में कुछ खास है और फिर जब तुम ने मुझे रात में पूरी तरह तृप्त किया, तो ये पक्का हो गया। मैं इंतज़ार नहीं कर सकती कि तुम उस कमीने खप्परसुर को हराओ।” 


    “क्या तुम मुझे उस के बारे में कुछ बता सकती हो?” मैं ने पूछा। 


    “उफ्फ,” कामिनी ने मुँह बनाया। “अभी के लिए हम अपने बारे में बात करें तो ज़्यादा अच्छा है। जब वो हमारे पीछे आएगा, तब उस की बात करेंगे।” 


    तृषा ने कंधे उचकाते हुए कहा, “हो सकता है वो न आए। फिर भी, मुझे जीवांश के साथ ढेर सारा मज़ा करने और इसे और ताकतवर बनाने में बड़ा मज़ा आएगा।” 


    “मुझे भी,” कामिनी बोली। 


    “ठीक है,” मैं बोला।


    “तो, बाबू मोशाय, अब आप का हुक्म क्या है?” तृषा ने नशीले अंदाज़ में पूछा, जब वह सोफे से उठी और लंबी अंगड़ाई ली।


    “क्या रेफरेंस मारा है, बहन,” तुषार ने हँसते हुए कहा और अपनी आवाज़ दबाने के लिए मुँह पर हाथ रख लिया। “अब बोलो, ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं!”


    “मुझे नहीं लगता कि पाताल में फिल्में और टीवी होते हैं, तुषार,” मैं हँसा जब दोनों यक्षिणियाँ भूत को ऐसे देख रही थीं जैसे वो पक्का पागल हो। 


    “तुम्हें हैरानी होगी,” तृषा ने कंधे उचका कर जवाब दिया – “कई यक्षिणियाँ यहाँ पृथ्वी पर सिर्फ इसलिए बुलाई जाती हैं ताकि अकेले लोगों का साथ दें। मैं ने तो कई बोरिंग डिनर और खराब फ़िल्में देखते हुए इंसानों के साथ वक्त बिताया है सिर्फ इसलिए कि मुझे बुलाने वाला मेरी सेवा लेने से पहले मुझे खाना खिलाना और शराब पिलाना चाहता था।” 


    “तुम्हें किस बात की शिकायत है? मुझे तो शराब और खाना बहुत पसंद है,” कामिनी ने सपनीली मुस्कान के साथ कहा। 


    तृषा ने बस कंधे उचकाए – “मैं तो सीधी-सपाट लड़की हूँ। जल्दी आओ, काम निपटाओ और निकल लो। हम यक्षिणियाँ हैं – हमारा काम है उन के साथ संबंध बनाना, दोस्ती निभाना नहीं।” वो हँस पड़ी।


    “तू तो एकदम सख्त किस्म की है,” कामिनी हँसते हुए बोली और मज़ाक में तृषा की पीठ पर चपत मार दी। और सच्चाई ये है कि तृषा का शरीर इतना टाइट और फिट था कि उस पर सिक्का भी फेंका जाए तो उछल जाए!

     
    “यही तो बात है, बहन,” फिट यक्षिणी ने दिलकश मुस्कान के साथ कहा और मुझे एक फ्लाइंग किस दी। “जीवांश को ये जल्दी ही पता चल जाएगा।” 


    “क्या तुम लोग सेक्स के अलावा और कुछ सोचती भी हो?” तुषार हँसा। 


    “खैर, ये तो हमारे काम का हिस्सा है,” कामिनी ने तुषार को जीभ चिढ़ाई – “कल रात तो किसी को शिकायत नहीं थी!” 

    “बिल्कुल सही सुंदरी,” तुषार ने सिर हिला कर कहा। 

    “श्राविका का क्या?” मैं ने पूछा, क्योंकि मैं खप्परसुर से लड़ने के प्लान के बारे में और सोचने लगा था। “क्या उसे पता चलेगा कि तुम दोनों गायब हो?” 

    “नहीं,” तृषा ने पूरे यकीन के साथ सिर हिलाते हुए कहा। “मुझे हैरानी होगी अगर श्राविका को हमारे नाम भी पता हों। हम तो बस उस की विशाल सेना में दो साधारण यक्षिणी हैं। लेकिन अगर खप्परसुर ने उस का ध्यान इस ओर खींचा… खैर, हम इस बारे में सोचेंगे भी नहीं। वो इतना डरपोक है कि श्राविका से आमने-सामने मिलने की हिम्मत नहीं करेगा। अगर वो आएगा, तो अकेला आएगा।” 


    “तो चलो, हमारी नई दोस्ती का जश्न मनाएं और जीवांश को और ताकतवर बनने में मदद करें!” कामिनी ने उत्साह से कहा। 


    “पहले सब से ज़रूरी बात,” मैं ने सामने खड़ी बेपर्दा यक्षिणियों को निहारते हुए कहा। “हमें तुम्हारे लिए कुछ कपड़े ढूंढने होंगे। और फिर, मैं तुम्हारी पावर्स को एक्शन में देखना चाहता हूँ।” 

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 7. यक्षिणी प्रेम - Chapter 7

    Words: 1049

    Estimated Reading Time: 7 min

    “मुझे अभी भी हैरानी है कि तुझे मेरे दोनों यक्षिणियों के साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं,” मैं ने तुषार से कहा, जब हम अपने शहर की चहल-पहल भरी सड़कों पर चल रहे थे। 


    “पता नहीं यार। जब से मुझे ये शानदार भूत का शरीर मिला है, वो मुझे… आकर्षक नहीं लगतीं। मुझे लगता है अब मुझे बस मेरी जैसी ही पसंद आएंगी,” तुषार ने कंधे झटकाए। 


    “ठीक है,” मैं बोला, हालाँकि मुझे इस पर यकीन नहीं हो रहा था। दोनों लड़कियाँ हमारे साथ सिर्फ सोलह घंटे से थीं और मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि मुझे दोबारा उन के साथ कब मौका मिलेगा। 


    और ये सिर्फ इसलिए नहीं था कि तृषा और कामिनी ने मुझे अपने प्यार का गज़ब जादू दिखाया था। मुझे वाकई में उन दोनों से बात करना अच्छा लग रहा था। वो चालाक, मज़ाकिया और होशियार थीं। ऊपर से ऐसा लगता था कि उन्हें मेरी फिक्र है। 


    पहले कभी किसी एक लड़की ने भी मेरी इतनी परवाह नहीं की थी, दो बला की खूबसूरत लड़कियों की तो बात ही छोड़ दो और मैं किसी भी राक्षस को उन्हें नरक वापस ले जाने नहीं देना चाहता था। 


    अगर तृषा और कामिनी को हमारे साथ पृथ्वी पर रहना था, तो उन्हें यहाँ के माहौल में घुलना-मिलना था। इसलिए मैं ने उन्हें अपने कुछ पुराने कपड़े उधार दिए, ताकि उन्हें सड़कों पर नग्न न चलना पड़े। 


    चूँकि तृषा को वाकई में कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वो क्या पहनती है, उस ने खुशी-खुशी मेरी एक पुरानी स्वेटपैंट और एक घिसी-पिटी स्वेटशर्ट पहन ली और बिल्कुल खुश नज़र आई। वो ‘पहले काम, फिर मज़ा’ टाइप की लड़की थी।


    दूसरी ओर, कामिनी को मर्द के कपड़े पहनने का विचार बिल्कुल भयानक लगा। इतना कि उस ने कहा हमें सब से पहले उन के लिए ‘सही कपड़े’ खरीदने जाना चाहिए, वो भी उन पैसों से जो उन के मालिक ने उन्हें उन के काम के लिए दिए थे। कामिनी को अपना नारीत्व दिखाना ज़्यादा पसंद था और वो उन खूबसूरत ड्रेस और छोटी स्कर्ट्स को ताक रही थी, जो हमारे पास से गुजर रही दूसरी लड़कियों ने पहनी हुई थीं। 


    तुषार भी एक समस्या था। हम दिन के उजाले में एक तीन फुटिये भूत को अपने साथ नहीं ले जा सकते थे, तो मैं ने उस को अपने एक बैग में डाल दिया था, ताकि बाहर घूमते वक्त वो सुरक्षित रहे। अजीब बात थी कि उसे ये आइडिया बहुत अच्छा लगा, क्योंकि मैं जो उसे ढोने वाला था।


    फिर भी, जब हम मॉल की ओर बढ़ रहे थे तो वो बेचैन होने लगा। “अबे तुझे पता है, इस बैग में तेरे पुराने कच्छे की बदबू आ रही है। कोई बिल्ली ढोने वाला डिब्बा ही ले ले! समझ में आता है कि तू मुझे दिखाना नहीं चाहता, लेकिन कम से कम सांस तो लेने दे!’”


    “शांत हो जाओ, छुटकू,” तृषा ने बैग की ओर झुक कर कहा। “बस जब तक हम अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच जाते। फिर हम तुम्हें बाहर निकालेंगे और तुम जितना चाहो फुदकना।” 


    “सचमुच? तुम मुझे छुपाने की कोशिश नहीं करोगे?” तुषार ने कुछ हैरान हो कर पूछा। 



    “बिल्कुल नहीं, तुषार,” मैं हँस कर बोला – “तू मेरा सब से पुराना दोस्त है। सिर्फ इसलिए कि तू टमाटर सा लाल और छोटा हो गया है, मैं तुझे उस बकवास छोले समोसे की तरह बाहर थोड़ी फेंक दूँगा जो हम ने पिछले हफ्ते खाया था।” 


    तुषार ने अपने होंठ चटकाए। “वो तो लाजवाब था!” 


    मैं ने मॉल के दरवाजे के पास पहुँचते हुए भौंह उठाई। “तू उस वक्त पूरी तरह नशे में था।”   


    मैं ने लड़कियों के लिए दरवाज़ा खोल दिया। 


    जब हम चारों मॉल में दाखिल हुए, वो पूरी तरह हैरान दिखीं। मुझे पाताल के बारे में ज्यादा नहीं पता, लेकिन मुझे यकीन था कि वहाँ दर्जनों कपड़े की दुकानें, खूबसूरत फव्वारे, सफेद टाइलों वाला फर्श और तरह तरह की लाइट्स नहीं होती होंगी।


    और वहाँ स्पीकर्स पर अरिजीत के गाने तो बिल्कुल नहीं बजते होंगे।


    खुशी भरी चीखों के साथ, तृषा और कामिनी दोनों पहली कपड़े की दुकान की ओर भागीं। 


    उन के पीछे भागते वक़्त मैं अपना अहसास नहीं बता सकता आप को और न आप समझ पाएंगे। पिछली रात मैं ने बरसों में सब से ज़्यादा जिंदगी महसूस की थी। पहली बार, मुझे लगा कि मेरे पास कंट्रोल है। कामिनी और तृषा दोनों खूबसूरत थीं। और ये तथ्य कि उन्होंने मेरे लिए अपने राक्षस स्वामियों की अवहेलना कर पृथ्वी पर रहने का फैसला किया, उन्हें और भी आकर्षक बना रहा था।


    तुषार सही था, इन दोनों को बुलाना उस का अब तक का सब से अच्छा आइडिया था। दूसरी अच्छी बात, तुषार भी अपनी नई ज़िंदगी से खुश लग रहा था। अब जब वो एक भूत बन गया था, वो सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त था। वो सारा दिन दारु पी सकता था, वीडियो गेम खेल सकता था और जब इन से से बोर हो जाता, तो जितनी चाहे शरारत कर सकता था।


    जब मैं कपड़े की दुकान में दाखिल हुआ, मैं ने देखा कि वहाँ कुछ हंगामा हो रहा था। 


    एक बुजुर्ग औरत अपने छोटे पोते को खींचते हुए बाहर भागी। कुछ किशोर लड़कों ने कपड़ों की कतारों की ओर इशारा करते हुए भीड़ बना ली थी, उन के मुँह आश्चर्य से खुले थे और मेरा दिमाग संभावनाओं के बारे में सोचने लगा। 


    “क्या वो एक-दूसरे को चुम्मा ले रही हैं?” तुषार ने बैग की ज़िपर के साथ खेलते हुए लापरवाही से पूछा। 


    जब मैं कॉर्नर से मुड़ा, तो मैं ने देखा कि हंगामा किस वजह से था। कामिनी और तृषा दोनों वहाँ पूरी तरह नग्न खड़ी थीं, हँसते हुए कपड़ों की रैक से कपड़े उठा उठा कर आज़मा रही थीं। कामिनी अपनी नरम गुलाबी त्वचा पर एक चाँदी की ड्रेस पकड़े हुए थी। तृषा ने मुस्कुरा कर कामिनी के फैशन चॉइस को सराहा और फिर अपनी टाँगों पर जाँघ तक ऊँचे मोज़े पहनने के लिए झुकी। मेरा दिल उस दृश्य पर धड़कना भूल गया, लेकिन मुझे पता था कि हमें सिक्योरिटी बुलाए जाने से पहले कुछ करना होगा। 


    घबराहट में मैं उन की ओर दौड़ा और अपने हाथ उठाए। 


    “अरे, अरे, अरे! तुम लोग दुकान के बीच में ऐसी बे-लिबास नहीं हो सकती!” मैं चिल्लाया। 


    दोनों यक्षिणियाँ हैरान दिखीं। “अगर हम अपने पुराने कपड़े न उतारें तो नए कपड़े कैसे आज़माएँ?” तृषा ने पूछा। 


    “हाँ, जीवांश! कैसे?” बैग से तुषार की खीखी वाली हँसी गूँजी।

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 8. यक्षिणी प्रेम - Chapter 8

    Words: 1505

    Estimated Reading Time: 10 min

    “इसके लिए ड्रेसिंग रूम होते हैं,” मैं ने हँसी दबाते हुए  पीछे की ओर इशारा किया और कामिनी के उजागर सीने को ढकने के लिए एक शर्ट उठाई। “जो कपड़े आज़माने हैं, उन्हें वहाँ ले जाओ और वहाँ बदलो ताकि बाकी लोग तुम्हें न देखें।” 


    “मुझे समझ नहीं आया,” कामिनी ने कन्फ्यूज़ हो कर मुँह बनाया। “क्या हमारा शरीर दिखाना तुम्हें परेशान करता है? अगर हाँ, तो मैं फिर से ऐसा नहीं करूँगी।” 


    तृषा ने भी बात जोड़ी – “हाँ, हम तुम को नाराज़ होता नहीं देख सकतीं।”


    “बात वो नहीं है,” मैं ने लंबी सांस ली और सिर हिलाया। “देखो लड़कियों, क्या तुम सच में सब का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहती हो? तुम ने यक्षिणी होने के सारे नियम तोड़ दिए और ये भी कहा कि तुम हमेशा के लिए मेरे साथ रहना चाहती हो। अब ज़रूर कुछ ताकतवर राक्षस या दानव तुम्हारी तलाश में होंगे। तुम्हें थोड़ा आम इंसानों जैसा बर्ताव करना चाहिए।”


    “समझ गई,” कामिनी बोली और अपने बालों को पोनीटेल में बाँधने लगी। “अब ठीक है?”
     

    “ये बेहतर है,” मैं हँसा, “लेकिन तुम्हें ड्रेसिंग रूम इस्तेमाल करना होगा।” मैं उन दोनों पर गुस्सा नहीं हो सकता था। वो बस मज़े करना चाह रही थीं और मैं उन का मज़ा खराब नहीं करना चाहता था। लेकिन सच कहूँ तो, हमें लोगों के ध्यान से बचने की सख्त ज़रूरत थी।


    लड़कियों के ड्रेसिंग रूम में जाने से पहले एक मोटा-ताज़ा दिखने वाला आदमी हमारे पास आया। उस ने एक सादी नीली ड्रेस शर्ट पहनी थी, जिस की जेब में एक पेन और कागज़ का पैड था, साथ ही एक सादी काली ड्रेस पैंट। उस की कमर पर बेल्ट इतनी कस कर लगी थी जैसे पैंट को गिरने से रोकने के लिए संघर्ष कर रही हो। उस का चेहरा गुस्से से लाल था और वो दौड़ते-दौड़ते बार-बार अपनी पैंट ऊपर खींच रहा था।


    “लड़कियों, तुम्हें पता है कि तुम यहाँ दुकान के बीच में ऐसा नहीं कर सकतीं!” वो गुर्राया। 


    “माफ़ कीजिए,” मैं ने हाथ उठा कर उसे शांत करने की कोशिश की। “ये विदेशी हैं, इस के बाल तो देखिये। वहाँ न्यूडिटी के अलग क़ानून होते हैं, आप को पता ही होगा। बस थोड़ा कल्चर शॉक हो गया!” मैं ने मुस्कराते हुए लड़कियों की तरफ इशारा किया और उन्होंने झेंप कर माफी माँगते हुए सिर हिलाया। 


    “देखो, मिस्टर,” उस भारी-भरकम आदमी की आँखें सिकुड़ीं। “मैं इस शॉप का मैनेजर हूँ। मुझे परवाह नहीं कि ये लड़कियाँ नेपाली हैं, अमरीकी हैं, रूसी हैं या परियों के देश से आई हैं। तुम अच्छी तरह जानते हो कि ये यहाँ खुले में अपने चिन-चिन टिन-टिन नहीं दिखा सकतीं। मैं नहीं चाहता कि मेरी दुकान रिपब्लिक टीवी की खबरों में आ जाए सिर्फ इसलिए कि दो विदेशी लड़कियाँ अपने कपड़े पहनना भूल गईं!” 


    “ठीक है, इतना रूखा होने की ज़रूरत नहीं,” मैं ने सिर हिलाया। 


    “और ये क्या बकवास है?” उस ने मेरे कंधे पर लटके बैग की ओर इशारा करते हुए पूछा। “क्या तुम कपड़े चुराने की कोशिश कर रहे हो? यहाँ बैग्स की इजाज़त नहीं है।” 


    मैं तंग आ कर बोला – “रुखाई दिखाना एक बात है, लेकिन मुझे चोर कहना? हद है!”


    “क्या तुम्हारी चाल है ये? अपनी अश्लील गर्लफ्रेंड्स से हमारा ध्यान भटका कर खुद आराम से जो चाहिए वो चुराना चाहते थे?”


    “हमें ये सब बकवास सुनने की ज़रूरत नहीं,” मैं ने उस आदमी की हास्यास्पद बात पर आँखें घुमाईं और अपने दोस्तों की ओर मुड़ा। “मैं तुम्हारा सामान तब भी नहीं चुराता, अगर मेरी जान पर बन आती। चलो, लड़कियों…” 


    “सुनो,” मैनेजर के चेहरे पर एक भद्दी मुस्कान उभरी, जब उस ने अधनंगी हालत में खड़ी दोनों लड़कियों को घूरा। “मैं तुम्हारे साथ पीछे चलता हूँ। अगर उचित… मुआवजा दिया जाए, तो मैं ये सारी बात भूलने को तैयार हूँ।” 


    “क्या तुम वही कह रहे हो जो मुझे लग रहा है?” मैं ने घृणा के साथ पूछा। 


    “तुम चाहते हो कि मैं मॉल सिक्योरिटी को बुलाऊँ?” उस ने शैतानी हँसी के साथ कंधे उचकाए। 


    तृषा ने भौंहें चढ़ाईं और मैनेजर की ओर बढ़ी। “हम जीवांश की यक्षिणियाँ हैं। हम अपने शरीर से शर्माती नहीं, लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि हम किसी को भी मुफ्त में सुख देने लगें।”


    उस ने बात करते हुए मैनेजर की तोंद की तरफ इशारा किया और उस की शक्ल गुस्से से लाल से नीली होने लगी।


    “हाँ,” कामिनी ने अपनी कमर पर हाथ रखे –  “हम कोई साधारण वेश्याएँ नहीं हैं!” 


    आदमी ने बड़बड़ाते हुए कहा, “तो मतलब तुम मना कर रही हो? फिर मैं सिक्योरिटी को बुला रहा हूँ।” 


    मैं ने हालात को संभालने की कोशिश की – “देखो मैं खुद इन्हें ड्रेसिंग रूम तक ले जाऊँगा। और कोई परेशानी नहीं होगी।” मैं ने उस की ओर एक कदम बढ़ाया और ऐसा करते ही मुझे अपने अंदर एक ऐसी रोष की लहर महसूस हुई जैसी पहले कभी नहीं हुई थी। “लेकिन तुम मेरी लड़कियों से दूर रहो। जितना दूर तुम्हारा मोटा शरीर तुम्हें जाने दे। समझे?” 


    “ठीक है,” मैनेजर डर से कांपता हुआ बोला और पीछे हट गया। मैं समझ नहीं पाया कि वो इतना क्यों डर गया, लेकिन शायद मैं पहला था जिस ने उसे खरी-खरी सुनाई थी।

    जब वो मेरी नज़रों से ओझल हुआ, मेरे भीतर का गुस्सा शांत हुआ। मैं ने बैग उठाया और दोनों लड़कियों को अपने पीछे आने का इशारा किया। 

    “चलो, मैं तुम्हें ड्रेसिंग रूम तक ले चलता हूँ,”

    हमें वहाँ एक छोटा गलियारा मिला और दोनों खूबसूरत लड़कियां हँसते हुए सब से बड़े रूम में एक साथ जा घुसीं। 


    “जब तुम कपड़े बदल लो, तो बाहर आ कर हमें ज़रूर दिखाना,” मैं ने गलियारे के आखिरी छोर पर कुर्सी पर बैठते हुए कहा। 


    कामिनी पहले बाहर आई और वो उतनी ही लुभावनी लग रही थी जितनी मैं ने उसे पहली बार देखा था। उस ने एक टाइट ब्लैक ड्रेस पहनी थी, जो उस के सारे कर्व्स को गले लगाए हुए थी। ये कोई नई बात नहीं थी, लेकिन ड्रेस का गला इतना नीचे था कि कामिनी के "बेस्ट फीचर्स" पूरी तरह से दिख रहे थे। उस ने टाइट स्टॉकिंग्स पहनी थीं जो ऊपर तक ड्रेस से मिल रही थीं, जिस से बस उस की हल्की-सी गोरी जांघ झलक रही थी और उस के लुक को पूरा किया फ्लैट डार्क शूज़ ने, जिन पर एक छोटी-सी गोल्डन पंख जैसी डिज़ाइन थी।

    “वाह,” मैं बोला, कोशिश करते हुए कि मेरी जीभ किसी कार्टून भेड़िये की तरह फर्श पर न लटक जाए। 

    “पसंद आया?” कामिनी ने अपनी कमर पर उंगलियाँ फिराते हुए मुझे नशीले अंदाज़ में आंख मारी।
     
    “हाँ,” मैं ने जवाब दिया, अपने चेहरे को हाथों से हवा देते हुए – “मुझे अभी इसे उतारने का मन कर रहा है।” 

    “ओह, कितने शरारती हो,” उस ने हँसते हुए कहा, जब उस की उंगलियाँ उस ड्रेस को धीरे से खींचने लगीं – “मुझे शरारत बहुत पसंद है।” 

    “मेरी बारी!” तृषा ने आवाज दी, फिर दरवाजा खुला और मेरी नज़रें काले बालों वाली यक्षिणी से हट कर सुनहरे बालों वाली का आउटफिट देखने लगीं। 

    तृषा की ड्रेस देख कर साफ़ लग रहा था कि वो कामिनी जितनी फैशनेबल नहीं है। वो चेंजिंग रूम से बाहर निकली एकदम टाइट लेगिंग्स और सिंपल सफेद टॉप पहन कर। हाँ, लेगिंग्स कैज़ुअल थीं, लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं थी। कामिनी की गहरी कट वाली ड्रेस की तरह ये भी औरत की सब से खास विशेषता को उभार रही थी। उस ने जो टॉप चुना था, वो एक साधारण रैप स्टाइल था जो लगभग एक टाइट-फिटिंग ट्यूनिक जैसा था और उस के एथलेटिक शरीर को पूरी तरह से निखार रहा था। 

    “ये सचमुच कमाल का लग रहा है, तृषा,” मैं ने सुडौल तृषा को निहारते हुए कहा। 

    “मुझे खुशी है कि तुम्हें पसंद आया,” उस ने अपने निचले होंठ को काटते हुए जवाब दिया और मेरी कमर की ओर देखा। “हाँ। हाँ। हाँ। तुम्हें सचमुच पसंद आया। मैं खुश हूँ।” 

    “किसे पता था कि कपड़े भी जीवांश को इतना उकसा सकते हैं?” कामिनी ने मुस्कुराते हुए पूछा।

    “मुझे अभी भी बिना कपड़ों के रहना पसंद है, लेकिन अभी के लिए मैं ये चला लूँगी,” तृषा ने मुस्कुराते हुए कहा – “तो, जीवांश, हम बाकी दिन क्या करने वाले हैं?” 


    कामिनी ने दिलकश अंदाज़ में जवाब दिया – “हमें कुछ मज़ेदार करना चाहिए। कुछ ऐसा जो हम ने… शायद कई घंटों से नहीं किया।” 


    “ड्रेसिंग रूम में?” तृषा ने उस रूम की ओर इशारा किया, जिस में वो अभी थी। 

    तुषार ने अजीब आवाज निकाली – “ब्राह!! मुझे बहुत बोरियत हो रही है। हमें कोई कमाल की शैतानी करनी चाहिए। चलो मॉल का बाकी हिस्सा देखें, कुछ नया आज़माएँ और थोड़ा गड़बड़ झाला करें।” 

    मेरे दिमाग में एक आइडिया कौंधा। “ओह! मुझे पूरा यकीन है कि पाताल में आइसक्रीम जैसी कोई चीज़ नहीं होती होगी। आज़माना चाहोगी?” 

    “हाँ!” कामिनी ने हवा में मुट्ठी लहराते हुए एक्साइटमेंट के साथ कहा। 

    “क्या खयाल है, तुषार? मुझे यकीन है तुझे अब भूख लग रही होगी,” मैं ने भूत से पूछा, जो असामान्य रूप से चुप था। 


    मैं ने बैग के अंदर से उस की आवाज़ सुनी – “हम्म। मुझे आइसक्रीम तो पसंद है, लेकिन मुझे लगता है तुम तीनों को जाना चाहिए। मुझे थोड़ा अकेले घूमना है। अभी-अभी एक आयडिया आया है …” 


    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 9. यक्षिणी प्रेम - Chapter 9

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    “अरे नहीं,” मैं ने कहा। 


    तुषार ने हँसते हुए कहा। “मैं बस उस बारे में सोच हूँ जो मैनेजर कामी और तृषा के साथ करना चाहता था। शायद अब मुझे उस से थोड़ी मस्ती लेनी चाहिए। क्या कहते हो, बॉस?”


    उस ने बैग की खुली ज़िपर से उम्मीद भरी पिल्ले जैसी आँखों से मुझे देखा और जैसे ही मैं ने उसे देखा, मेरे दिमाग में मैनेजर का मोटा चेहरा उभर आया। पहले वाला गुस्सा फिर से उमड़ पड़ा और इस बार ये सिर्फ मेरी दो लड़कियों के लिए नहीं था, बल्कि उन सारे लोगों के लिए था जिन्हें उस ने शायद सालों से तंग किया होगा। हाँ, थोड़ा बदला लेना तो बनता है। 


    “तुषार। मुझे लगता है तू सही है,” मैं ने अपने दोस्त की ओर सिर हिलाया। “जा, मज़े कर।” 


    भूत इतनी तेज़ी से बैग से बाहर निकला कि उस ने अपने पीछे धूल का बादल-सा छोड़ दिया। फिर मैं ने एक धमाके की आवाज़ सुनी, जब कपड़ों की एक रैक दुकान के ज्वेलरी डिस्प्ले केस में धकेल दी गई। वो नन्हा भूत और शरारत करने के लिए उछलता-कूदता चला गया जब कि मैं अपनी लड़कियों की ओर मुड़ा। 


    “तो, चलो यहाँ से निकलें,” मैं ने उन के हाथ अपने हाथों में लिए और बाहर की ओर चलने लगा। “क्योंकि ये देखना भले मज़ेदार होगा पर मुझे सिक्योरिटी से निपटने का मन नहीं है।” 


    कामिनी ने हँसते हुए कहा। “चलो वो क्रीम लेते हैं जो तुम अभी कह रहे थे।” 


    मैं ज़ोर से हँसा। “मैं आइसक्रीम की बात कर रहा हूँ।” 


    “मुझे ठीक-ठीक नहीं पता कि वो क्या है, लेकिन सुनने में स्वादिष्ट लग रहा है,” कामिनी बोली।। 


    मैं ने मुस्कुराते हुए कहा। “बिल्कुल है।” 


    तृषा ने मेरे पास सटते हुए कहा – “मैं बस तुम्हारे साथ, थोड़ा और वक्त बिताना चाहती हूँ। सिर्फ हम तीनों।” 


    “हाँ, हम तीनों मिल कर बहुत मज़ा कर सकते हैं,” उस की बहन ने अपनी बात जोड़ी जब हम जल्दी-जल्दी कपड़ों की कतारों से गुज़रे। मैं ठीक-ठीक नहीं देख सका कि तुषार शॉप में क्या कर रहा था, लेकिन मैनेजर डर से चीख रहा था और मुझे यकीन है कि मैं ने कैश रजिस्टर खुलने की आवाज़ सुनी थी। 





    हम मॉल में वापस पहुँचे और फिर करीब पचास गज चल कर एक सेंट्रल प्लाज़ा तक गए। चलते वक्त, हम एक और कपड़े की दुकान के पास से गुज़रे, जिस के सामने मैनिकिन्स लगी थीं और दोनों लड़कियां नए कपड़ों की ओर इशारा करते हुए एक-दूसरे से फुसफुसाईं। 


    दो गर्लफ्रेंड्स रखना यक़ीनन बहुत ज़्यादा खर्चीला काम है लेकिन मेरे लिए ठीक था।  


    “अरे, ये तो मुझे याद ही नहीं था,” मैं ने एक मैनिकिन की ओर इशारा करते हुए कहा और तृषा की ओर देखा। “तुम्हारे बाल सुनहरे क्यों हैं? जो मैं ने पढ़ा है, उस के मुताबिक यक्षिणियों के बाल काले या लाल होते हैं।” 


    तृषा थोड़ा हिचकिचाई लेकिन एक पल बाद उस ने सिर हिला कर जवाब दिया। “जैसा कि मैं ने पहले शायद बताया था, मैं हमेशा से यक्षिणी नहीं थी। पहले, मैं स्वर्ग की योद्धा थी, जो विभ्रष्ट और उस के मातहतों के खिलाफ लड़ी थी फिर मुझे स्वर्ग से निकाल दिया गया।” 


    “क्यों?” 


    उस ने तुरंत जवाब दिया। “एक बार जब कोई स्वर्गदूत इन्द्रिय सुख की ओर झुक जाए तो उसे निष्काषित कर दिया जाता है।”

    मैं ने पूछा। “कैसा लगता है अनंतकाल की जंग में पक्ष बदलना?” 


    तृषा ने कंधे उचकाए।  “ज्यादा फर्क नहीं लगता। मेरे पास अभी भी शक्तियाँ हैं। मैं अभी भी अमर हूँ। बस इतना फर्क है कि अब मुझे बुरा बनने में ज़्यादा मज़ा आता है!” 


    “तुम्हें इस बात से कोई परेशानी नहीं कि तुम अब एक तरह से राक्षसों के लिए काम कर रही हो?” मैं ने पूछा। 


    “विभ्रष्ट,” उस ने सुधारा। “उसे विभ्रष्ट कहलाना पसंद है। और नहीं, वाकई नहीं। मैं तो सब से पुरानी जंग में एक मोहरा हूँ बस। तो मैं इस का मज़ा क्यों न लूँ?” 


    “खैर, मैं तो खुश हूँ कि तुम ने ये फैसला लिया,” कामिनी ने कहा, जब हम आइसक्रीम पार्लर के चमकीले हरे साइन के पास पहुँचे।


    मैं ने दुकान की ओर इशारा करते हुए कहा। “तुम ने कभी आइसक्रीम तो खाई नहीं होगी।” मैं मुस्कराया। “और ये खास दुकान तो मेरी पसंदीदा रही है। यहाँ पच्चीस अलग-अलग फ्लेवर होते हैं और तुम उन्हें मिला कर भी खा सकती हो।”


    इतना कह कर, मैं ने उन की उलझन को अनदेखा किया और उन्हें अंदर ले गया। फर्श की टाइलें दुकान की पुरानी हालत दिखा रही थीं – कभी सफेद रहा फर्श अब भूरा और बदरंग हो चुका था। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कभी-ना-कभी हेल्थ इंस्पेक्टर इस जगह को बंद कर देगा, लेकिन शायद यहाँ की ज़बरदस्त स्वादिष्टता ने इसे अब तक बचाए रखा था। फिर भी, वक़्त ने इस जगह को बख्शा नहीं था।


    “हम तीन कोन लेंगे!” मैं ने काउंटर के पीछे खड़े बूढ़े आदमी से खुशी-खुशी कहा, फिर अपनी यक्षिणियों की ओर मुड़ा। “तुम लोग कौन-कौन सा फ्लेवर लोगी?”

    “हम्म्म…” कामिनी सोचती हुई ग्लास के कवर के ऊपर झुकी।


    मैं ने देखा कि बूढ़े के माथे पर पसीने की बूँदें बनने लगी थीं, क्योंकि वह पूरी कोशिश कर रहा था कि झुकी हुई कामिनी को घूरे नहीं। वह फ्लेवर को और करीब से देखने के लिए और झुक गई और अब उस का सीना सीधे काँच के गार्ड से चिपक चुका था। मैं सोचने लगा कि क्या ये इस बेचारे बूढ़े को दिल का दौरा दिला देगी।


    उस ने उस सम्मोहित बूढ़े की तरफ देखा। “मैं कोकोनट वाला ट्राय करूँगी!”


    “और तुम, तृषा? तुम क्या लोगी?” मैं ने पूछा जब सर्वर कामिनी की आइसक्रीम निकाल रहा था।


    “मैं तो सिम्पल लड़की हूँ। मुझे चॉकलेट चाहिए।” उसने कंधे उचका दिए।


    मैं ने उस के लिए मिंट चॉकलेट लिया। उस आदमी ने मेरी आइसक्रीम भी निकाल दी और इशारे से मुझे काउंटर पर बुलाया जब मैं अपनी पिछली जेब से अपना चमड़े का पुराना पर्स निकालने झुका था। मैं ने पैसा निकाला, तो काउंटर वाला सिर हिलाने लगा।


    “कोई बात नहीं बेटा, ये कोन तो हमारी तरफ से हैं,” उस ने धीरे से मुझ से कहा जब मैं उस के पास पहुंचा। “मेरी शॉप पर खड़ी इन दो हसीनाओं के लिए तुम्हारा धन्यवाद करना तो बनता है! यकीन मानो, आज के दिन की सब से शानदार बात है ये। अब मेरी सेल बढ़ जाएगी।”

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 10. यक्षिणी प्रेम - Chapter 10

    Words: 1114

    Estimated Reading Time: 7 min

    “शुक्रिया!” मैं ने तीन कोन लेते हुए कहा। फिर मैं मुड़ा और दोनों यक्षिणियों की ओर वापस चला। 


    “तुम दोनों मेरे लिए लकी चार्म हो,” मैं ने कहा जब दुकान से बाहर निकलते हुए मैं ने उन्हें उनके कोन थमाए। “उस ने हमें ये मुफ्त में दे दिए।” 


    “इंसान कितने दयालु होते हैं,” कामिनी ने हँसते हुए कहा, जब हम दुकान के पिछले हिस्से की ओर बढ़े, जहाँ टेबल्स थीं। 


    “और हमारे लिए उन्हें मनाना भी आसान होता है,” तृषा ने हँस कर कहा और उस की बहन ने सिर हिला कर सहमति जताई। 


    हम तीनों एक टेबल पर बैठ गए और अपनी आइसक्रीम का मज़ा लेने लगे। दुकान को ऐसा डिज़ाइन किया गया था जैसे ये सीधे 90 के दशक से आई हो। या शायद ये उतनी ही पुरानी थी? जब हम बैठ कर बातें कर रहे थे, तब भी दुकान में कई अन्य पुरुष मेरी दोनों प्रेमिकाओं को घूर रहे थे। ये मुझे चिढ़ना चाहिए था, लेकिन मैं खुश था, क्योंकि दोनों यक्षिणियों की नज़रें सिर्फ मुझ पर थीं। 


    “तुम्हें मज़ा आ रहा है?” मैं ने पूछा, जब सिक्योरिटी गार्ड्स का एक ग्रुप आइसक्रीम शॉप के पास से तेज़ी से गुज़रा और मुझे याद आया कि तुषार भी मॉल में खूब मज़े कर रहा है। 


    “मुझे तो बिल्कुल मज़े आ रहे हैं।” तृषा ने जवाब दिया।


    कामिनी ने तृषा की कोन की ओर निराशा से इशारा किया। “तुम्हारी चॉकलेट वाली मेरी वाली से कहीं ज़्यादा बड़ी है!” 


    “मुझे बड़ी चीज़ें पसंद हैं,” तृषा ने मोहक अंदाज़ में कहा और फिर मेरी ओर आँख मारी। 


    “खैर, कभी-कभी साइज़ ज़रूरी नहीं होता,” कामिनी ने कंधे उचकाते हुए कहा। “वैसे भी, बड़ी चीज़ों के साथ ये करना ज़्यादा मुश्किल होता है।” उस ने कोन के आकार को एक नज़र देखा, अपना मुँह जितना हो सका खोला और कोन का ज़्यादातर हिस्सा अपने मुँह में ठूंस लिया। उस के होंठों ने उस शानदार सफेद क्रीम को निगला और उस ने स्कूप को आधे रास्ते में काटते हुए मुँह बंद किया। जब उस ने निगलने के लिए सिर पीछे किया, तो पिघलती हुई क्रीम उस की ठोड़ी से बहती हुई उस की हथेली पर टपक गई। ऐसा लग रहा था जैसे उस ने अपनी क्षमता से ज़्यादा ले लिया हो और एक पल रुक कर फिर से और लेने के लिए झुकी। उस ने एक और बड़ी बाइट को एक घूंट में निगल लिया। 


    “अरे! तुम्हारे हाथ पर थोड़ा लग गया,” तृषा बोली और उस ने कामिनी का हाथ उठाया, उस की उंगलियों को अपने मुँह में डाला और बाकी बची क्रीम को चट कर गई। 


    “ओह नहीं, अब तुम्हारी कोन टपक रही है!” कामिनी फुसफुसाई। 


    तृषा गुर्राई – “तो मेरी मदद करो। मैं इस की एक भी बूंद बर्बाद नहीं होने दूँगी। सब कुछ हमारे पेट में जाना चाहिए।” दोनों यक्षिणियों ने एक साथ अपनी जीभ का इस्तेमाल शुरू किया, ताकि तृषा की आइसक्रीम से गिरने वाली हर बूंद को पकड़ सकें। 


    मैं ने अपनी कोन को अभी तक छुआ भी नहीं था और मुझे एहसास हुआ कि आइसक्रीम पिघल कर मेरे हाथ पर बह रही है। क्या कहूँ? मैं इस में पूरी तरह डूबा हुआ था। ज़ाहिर है, बाकी सब भी। जब तक दोनों यक्षिणियों ने अपनी मिठाई खत्म की, तब तक चार लड़कों का एक ग्रुप खिड़की के पास अपने थोबड़े चिपकाए मेरी गर्लफ्रेंड्स को घूरता रहा।


    “क्या हम ने कुछ गलत किया?” कामिनी ने पूछा, अब उसे एहसास हुआ कि सारी नजरें उन पर थीं। 


    मैं हँसता हुआ बोला – “नहीं।”


    “अरे, तुम ने तो अपनी वाली भी नहीं खाई,” कामिनी ने मेरी पिघली हुई कोन देख कर मुँह बनाया। 



    “शायद ये तुम्हारी शक्तियों की गर्मी की वजह से जल्दी पिघल गई। तुम्हें अभी उन की आदत नहीं पड़ी,” तृषा ने कंधे उचकाए। 


    मैं ने आइब्रो उठाई। “शक्तियाँ? मेरे पास पहले से शक्तियाँ हैं? मैं ने तो सोचा था कि हमें ढेर सारा सेक्स करना होगा ताकि…” 


    कामिनी ने समझाया, “जब तुम एक यक्षिणी को संतुष्ट करते हो, तो तुम्हारा बंधन गहरा होता है। लेकिन, तुम ने दो अलग-अलग यक्षिणियों को संतुष्ट किया है तो तुम्हारी शक्तियाँ दोगुनी हो सकती हैं।” 


    “डबल हेलफायर मैजिक!” तृषा ने उत्साहित होते हुए मुस्कुरा कर कहा। 



    मैं ने समझने की कोशिश करते हुए पूछा – “तुम कह रही हो कि मैं अपने हाथों से आग निकाल सकता हूँ और राक्षस बुला सकता हूँ, ऐसा कुछ?” 


    कामिनी ने कहा – “तुम धीरे धीरे ये करने लग जाओगे।” उस ने अपनी बैंगनी आँखों से मेरी पिघली हुई आइसक्रीम को देखा। “शुरुआत हो चुकी है, क्योंकि आइसक्रीम बहुत जल्दी पिघल गई।”



    तृषा बोली –  “मैं सचमुच थोड़ी हैरान हूँ! मुझे लगा था कि तुम्हें कोई शक्ति मिलने से पहले हमें कई बार संबंध बनाना पड़ेगा। इस का मतलब है कि तुम्हारे अंदर ज़बरदस्त क्षमता है। हमें इसे किसी सुरक्षित जगह पर आज़माना चाहिए।”


    “राक्षस बुलाने वाली बात का क्या?” मैं ने पूछा। 


    तृषा ने कंधे उठाए और बोली –“तुम्हारा दोस्त अब तक तुम्हारे साथ शरारती या आक्रामक क्यों नहीं हुआ, सोचो?नन्हें शैतान तो इन्हीं चीजों के लिए जाने जाते हैं। वो जानता है कि तुम उस के भी मालिक हो, जैसे हमारे हो।”


    मैं ने अपनी पिघली कोन की ओर देखते हुए हम्म की आवाज़ निकाली। कोन पूरी तरह गल चुकी थी, लेकिन मुझे परवाह नहीं थी। 


    मैं देखना चाहता था कि क्या मैं अपने हाथ से अग्नि-गोला निकाल सकता हूँ। 


    मैं जल्दी से खड़ा हुआ और पिघली कोन को पास के डस्टबिन में फेंक दिया। “चलो, तुषार को ढूंढते हैं। मुझे अपनी शक्तियाँ आज़माने का मन है।” 


    तृषा को जैसे मालूम था कि तुषार कहाँ है और जब हम ने आखिरकार उस भूत को ढूँढा, वो एक लॉन्जरी स्टोर में रैक के अंदर छुपा हुआ उन औरतों को घूर रहा था जो अपनी निजी चीज़ें खरीदने आई थीं और साथ ही वो मोमो स्टॉल से चुराए हुए मोमोज़ चबा रहा था। सच कहूँ, मुझे नया तुषार पुराने से ज़्यादा पसंद आ रहा था। 


    “मज़े कर रहे हो?” कामिनी ने उस की ओर हँसते हुए कहा जब उस ने मोमो का एक टुकड़ा निगला और चेंजिंग रूम के पास औरतों के एक ग्रुप को घूरता रहा। 


    उस ने जवाब दिया – “हाँ, बहुत मज़ा आ रहा है। फिर उस ने खत्म करके चिकन लेगपीस निकाले और खींच खींच कर चबाने लगा। मुझे यक्षिणियों में दिलचस्पी नहीं है, लेकिन इंसानी औरतें अभी भी मज़ेदार लगती हैं।” 


    मैं ने हँसते हुए कहा – “ये सुन कर मुझे हैरान कर देने वाला सुकून मिला है। मुझे तो डर था कि कहीं तू…” 


    तुषार ने मुझे बीच में टोक दिया – “चुप! बिल्कुल चुप! मुझे मालूम है तू क्या बोलेगा। कि मैं गे हो गया हूँ, यही ना?” 
     

    “हमें काम करना है,” मैं ने हँसते हुए कहा और फिर उस की टांग पकड़ कर अपने बैग में ठूँस लिया।

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 11. यक्षिणी प्रेम - Chapter 11

    Words: 878

    Estimated Reading Time: 6 min

    तुषार बैग के अंदर चिल्ला रहा था और हमारे पास से गुजर रहा एक मॉल सिक्योरिटी गार्ड हमारी ओर झटके से मुड़ा। 


    “शश्श!” मैं फुसफुसाया और अपनी दोनों गर्लफ्रेंड्स को थोड़ा तेज़ चलने का इशारा किया, जब हम मॉल के एग्जिट की ओर मुड़े। 


    “मुझे लगता है यहाँ एक गली है,” मैं ने मॉल के किनारे की ओर इशारा करते हुए कहा – “मैं ने कभी-कभी वहाँ बच्चों को क्रिकेट खेलते देखा है। ये मेरी नई जादुई शक्तियों को आज़माने के लिए अच्छी जगह हो सकती है।” 


    “रास्ता दिखाओ, जीवांश,” तृषा बोली और हम सब उस तरफ बढ़े। 


    गली एक गोदाम के पास खत्म हो रही थी और एक तरफ कुछ बड़े हरे कचरे के डिब्बे थे, लेकिन इस के अलावा वो सुनसान थी।  दोपहर की धूप मॉल की दीवारों के कारण यहाँ तक नहीं पहुँच पाती थी। 


    ये मेरी नई शक्तियों को आज़माने के लिए एकदम सही जगह थी। मैं ने अपना बैग खोला ताकि तुषार बाहर कूद सके। 


    जब हम उस अंधेरी गली में खड़े थे, तुषार ने एक सिगरेट निकाली और कश लिया। उस ने एक लंबी साँस छोड़ी धुआँ आसपास की हवा में फैल गया। 


    “तूने ये कहाँ से लिया? तेरे पास तो जेबें भी नहीं हैं,” मैं ने खाँसते हुए कहा।


    “ओह, मेरे अपने राज़ हैं,” उस ने हँसते हुए कहा और एक और कश लिया – “कई सारे राज़।” 


    तृषा ने भूत के हाथ में सफेद सिगरेट को उत्सुकता से देखा। तुषार के चेहरे पर शैतानी मुस्कान फैल गई, उस ने फिर से साँस छोड़ी और अपना हाथ बढ़ा कर तृषा को ऑफर किया। यक्षिणी ने सिगरेट को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच ऐसे पकड़ा, जैसे कोई पहली बार सिगरेट छू रहा हो। उसे अपने होंठों तक उठाया, लेकिन मैं ने उसे रोकने के लिए हाथ बढ़ा दिया। 


    “अरे, अरे!” मैं ने उस के हाथ से सिगरेट छीन ली। “मुझे नहीं लगता कि तुम अभी इस तरह के ज़मीनी सुख के लिए तैयार हो!” 


    तृषा ने सीने पर हाथ बाँध कर मुँह बनाया – “जीवांश, मैं ने तुम्हारे और तुम्हारी मर्दानगी की वजह से इस ज़मीन के सब से बड़े सुख पहले ही अनुभव कर लिए हैं। एक जलते हुए कागज़ का कश लेने से क्या नुकसान होगा? तुषार तो इस के लिए पागल है!” 


    “हाँ, यार, मूड खराब मत कर। ये तो असली माल है,” तुषार ने एक दीवार पर हाथ रख कर स्टाइल से खड़े होते हुए कहा – “मुझे ये फर्स्ट फ्लोर पर एक सुट्टेबाज़ से मिला। उस ने कहा कि ये पैसों में मिलने वाली सब से बढ़िया चीज़!”




    “बस यही कारण है कि तृषा को ये नहीं पीने देना चाहिए। मुझे उस आदमी पर बिल्कुल भरोसा नहीं,” मैं ने कहा और उसे सिगरेट वापस कर दी।


    तुषार ने कंधे उचकाए – “थैंक्स। पता नहीं कब एक सुट्टा साला ज़रूरत बन जाए। ज़िंदगी तेज़ी से पलटती है, भिड़ु। हमें ही देख लो – दो दिन पहले हम दोनों एक घटिया अपार्टमेंट में रहने वाले बदकिस्मत रूममेट्स थे। और अब? मेरे पास धाकड़ बॉडी है और तेरे पास दो आइटम जो तेरे लिए लड़ने को तैयार हैं। कितने बेहतर हो चुके हैं हमारे हालात!”


    मैं ने एक आइब्रो उठाई– “अबे हम अभी भी उसी बदहाल अपार्टमेंट में रहते हैं और अभी भी गरीब हैं। इस हफ्ते का आखिरी खाना मैं ने ही खा लिया था, याद है?”


    तृषा ने धीरे से अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा। “ये बिलकुल भी सच नहीं है, जीवांश,” उस ने नरम आवाज़ में कहा। “अब तुम्हारे पास भी वही हेलफायर है जो हमारे पास है। अभी तुम्हारी शक्तियाँ शुरुआती दौर में हैं, लेकिन जल्द ही ये तुम्हारी कल्पना से भी ज़्यादा हो जाएँगी।”


    “मेरी कल्पना तो काफी जंगली है।” मैं ने सुनहरे बालों वाली की कमर में हाथ डाल दिया।


    तृषा की बातें मेरे कानों में मधुर संगीत जैसी थीं। वह बिल्कुल सही थी। अब मेरी किस्मत खुद मेरे हाथ में थी और कोई भी मेरे रास्ते में नहीं आ सकता था।


    मैं ने पूछा – “तो, लड़कियों, मेरे पास कैसी शक्तियाँ हैं? क्या हम उन्हें यहीं इस गली में आज़मा सकते हैं? या मुझे कहीं एकांत जगह चाहिए, अगर मैं गलती से हमारी दुनिया में हज़ार राक्षस बुला लूँ तो?” 


    “तुम अभी इतने ताकतवर नहीं हो,” कामिनी ने कंधे उचकाए। “लेकिन मुझे लगता है कि तुम्हारी शक्ति तेज़ी से बढ़ेगी। ये जगह आज के लिए ठीक है, लेकिन हो सकता है कि तुम गलती से दीवारें तोड़ दो।” 


    “दीवारें तोड़ दूँ?” मैं हैरान हो कर बोला – “क्या मैं सचमुच ऐसा कर सकता हूँ?” 


    तृषा बोली – “हमें तब तक पता नहीं लगेगा जब तक तुम इसे आज़मा नहीं लेते। लेकिन हाँ, मेरी बहन सही है। हमें कहीं ज़्यादा सुरक्षित जगह पर जाना चाहिए।” 


    “मुझे एक सही जगह मालूम है!” तुषार उत्साह से चिल्लाया जैसे उस के नशे में डूबे दिमाग में कोई बल्ब जल उठा हो।। 

    वो सड़क पर मुर्गे की तरह टाँग फेंकता हुआ भागा और हमें पीछे आने का इशारा किया। वो गली के अंत तक पहुँचा था कि मुझे किसी की चीख सुनाई दी। तुषार मुड़ा और उस ने और भी ज़्यादा नाटकीय ढंग से इशारा किया, लेकिन मैं ने अपनी कमर पर हाथ रखे, ज़मीन की ओर देखा और ना में सिर हिलाया। पहले तो वह नहीं समझा, फिर मुझे अपने कंधे पर लटके बैग की ओर इशारा करना पड़ा।

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 12. यक्षिणी प्रेम - Chapter 12

    Words: 1139

    Estimated Reading Time: 7 min

    “अबे यार…” वह बड़बड़ाया और हार मानते हुए सिर झुका कर हमारी तरफ वापस आ गया।


    “सॉरी दोस्त, तुझे पता है कि हमें जितना हो सके उतना गुप्त रहना है। तू अपने आरामदायक झूले से हमें रास्ता दिखा सकता है!” मैं ने मज़ाक किया जब वह नटखट बैग में चढ़ गया। 


    “ये बड़ी अच्छी बात कही आप ने। अब चल, मेरे घोड़े!” उस ने मुस्कुराते हुए कहा जब मैं ने बैग की ज़िप बंद की। 


    “तुषार महाराज की जय!” मैं ने कहा। 


    “शाबाश!” तुषार ने बैग के अंदर से कहा। 


    थोड़ी ही देर में उस ने हमें शहर के पश्चिमी हिस्से में एक पुरानी, सुनसान पार्किंग गैराज का रास्ता दिखाया। लगता है वो वहां तब जाया करता था जब उसे छुप कर सुट्टा फूंकना होता था। वहाँ तक पहुँचने में करीब एक घंटा लगा, क्योंकि हमारा भूतिया जीपीएस हमें तीन-चार बार भटका चुका था। लेकिन मैं उसे ज्यादा दोष नहीं दे सकता, क्योंकि वो शायद ही देख पा रहा था कि हम कहाँ जा रहे हैं। 


    उसे सुनसान पार्किंग गैरेज कहना भी शायद बहुत मेहरबानी की बात है। साफ लग रहा था कि ये लोकल गुंडों का पसंदीदा अड्डा है। पूरी इमारत चटख लाल रंग और गाली गलौज से ढकी थी। कई सपोर्ट कॉलम्स से कंक्रीट के टुकड़े गायब थे और मुझे हैरानी हुई कि ये जगह अभी भी खड़ी कैसे है? क्या ये उस चीज़ को सहन कर पाएगी जो हम करने जा रहे हैं? 


    “जगह तो ठीक ही है,” मैं बोला और बैग नीचे रख कर ज़िप खोली ताकि छोटा भूत आज़ाद हो जाए। वो तुरंत बैग से निकला और पास के खंभे पर बंदर की तरह चढ़ गया। 


    “तुम्हारी शक्तियाँ अभी भी बढ़ रही हैं,” तृषा ने मेरे कंधे पर हाथ फेरते हुए कहा, “लेकिन मैं तुम्हें इस का मोटा अंदाज़ा दे सकती हूँ। राक्षसों की शक्तियाँ उन के वर्तमान भावनाओं पर आधारित होती हैं और उन की अंतरंग कल्पनाओं से ऊर्जा लेती हैं। जब कोई राक्षस गुस्से में होता है, तो जो शक्तियाँ सामने आती हैं वो अलग होती हैं और जब वो किसी और भावना में हो, तो शक्तियाँ भी अलग होती हैं—लेकिन हर बार वो उन के अंदरूनी स्वभाव और इच्छाओं से रंगी होती हैं। तो बताओ तुषार, तुम्हारी सब से गहरी इच्छाएँ क्या हैं?”


    “तुम्हारा मतलब पिछली रात जो तुम दोनों ने किया उस के अलावा?” मैं ने मज़ाकिया लहजे में पूछा। 

    कामिनी ने कुछ सोचते हुए हवा में उंगली उठाई। “जीवांश एक दयालु इंसान है। एक अच्छा प्रेमी भी है। मुझे पूरा यकीन है कि इस की कुछ शक्तियाँ रक्षक प्रवृत्ति की हैं।” 


    मैं ने भौंह उठा कर पूछा – “मतलब?”


    जवाब तृषा ने दिया – “तुम में चीजों की रक्षा करने की आदत है। इसीलिए तुम हमें दोस्त और इंसानों जैसा ट्रीट कर रहे हो न कि सिर्फ किसी गुलाम जैसा। हमारे पहले मालिक ऐसे नहीं थे। वे हम से बस एक ही चीज करवाना चाहते थे। और जब हम मना कर देते, तो हमें बेहद निर्दयी तरीकों से पीटते और यातना देते। मुझे पता है कि तुम्हारा ध्यान कहीं और था, लेकिन क्या तुम ने कल रात मेरी जांघ के अंदर का बड़ा सा निशान देखा?” उस ने दुख से सिर झुका लिया। “वह खप्परसुर ने दिया। हमारा ‘मौजूदा’ राक्षस सरदार। मेरी एक बहन ने उस की घिनौनी बात मानने से इनकार कर दिया, तो उस ने उसे नर्क भिजवा दिया और आग से बने कोड़ों से मार खिलवाया। मैं ने उस का बचाव करने की कोशिश की, लेकिन उसे यह पसंद नहीं आया और फिर…”
     

    बोलती बोलती वो टूट गई तो मैं ने उस को गले लगा कर आश्वस्त किया। “वो अब बस यादें हैं। मैं अब कभी तुम्हारे साथ ऐसा कुछ नहीं होने नहीं दूँगा।” 


    मैं ने पूरे दिल से उस से ये वादा किया था। मैं अपनी यक्षिणियों और दोस्तों की रक्षा के लिए धरती के छोर तक, या उस से भी आगे जा सकता हूँ। तृषा और कामिनी के पूर्व मालिक क्रूर और दुष्ट थे। पर मैं इस का ठीक उल्टा बनना चाहता था। चाहे मेरी शक्तियाँ कुछ भी हों, मैं उन का इस्तेमाल अच्छे के लिए करूँगा… और ज़ाहिर है, थोड़ा मज़ा भी लूँगा। 


    तृषा ने सिर हिलाया और खुद को संभाला। “ठीक है, रक्षक शक्तियाँ… इन से तो मैं काम चला सकती हूँ। जीवांश, मैं चाहती हूँ कि तुम अपने मन के सब से अंदर झाँको। सोचो कि इस दुनिया में तुम्हारे लिए सब से ज़रूरी चीज़ क्या है और सोचो कि उसे बचाने के लिए तुम क्या करोगे?”
     

    मैं ने अपनी आँखें बंद कीं और उस की बातों पर ध्यान केंद्रित किया। मेरे मन में अपने परिवार की तस्वीरें घूमने लगीं। मैं ने तुषार के नए रूप के बारे में सोचा। फिर तृषा और कामिनी के बारे में। जब ये तस्वीरें मन में घूमने लगीं, सीने में एक हल्की जलन सी हुई, जो मुझे उस दिन की याद दिला रही थी जब मैं ने एक पूरी बोतल व्हिस्की पी ली थी। लेकिन इस बार, मैं बाथरूम में उल्टी करते हुए नहीं पड़ा था। बल्कि, जब मैं ने आँखें खोलीं, तो मैं शांत था।


    मुझे तृषा की उत्साहित करने वाली आवाज़ सुनाई दी– “बहुत अच्छा। मैं तुम्हारी संवेदना महसूस कर सकती हूँ। अब मुझे दिखाओ कि तुम कितनी परवाह करते हो!”


    उस के हाथों से नर्क की आग निकलने लगी और उस ने एक बास्केटबॉल के आकार की लाल का रूप धर लिया। तृषा ने वो गेंद तुषार की ओर फेंक दी, जो अब अपने शैतानी पंजों से खंडहर की छत से चिपका हुआ था। 


    “तुम क्या कर रही हो?” मैं ने चिल्लाते हुए तुषार की ओर हाथ बढ़ाया और ऐसा करते ही मेरी त्वचा चमकने लगी। 


    हाथों से बैंगनी चिंगारियाँ निकलीं और उंगलियों से गर्मी की एक लहर फूटी। तुषार ने उस जानलेवा गोले को देखा जो गुस्से में उस की ओर आ रहा था, लेकिन वह बस पलक ही झपक सका। तभी उस के आगे की हवा हल्की सी चमकी फिर आग और तुषार के बीच एक बैंगनी ढाल बन गई।


    तृषा का गोला उस चमकती बैंगनी दीवार से टकराया, ढाल के किनारों से हो कर घूम गया और तुषार के चारों ओर की छत को जला गया, जिस से छत उस के ऊपर गिर गई। वह छोटा-सा भूत अपने छोटे-छोटे हाथ पाँव मारता हुआ गिरा, लेकिन ज़मीन पर गिरने की बजाय वह बैंगनी ढाल से टकराया।


    मैं अपनी आँखों पर यकीन नहीं कर पा रहा था। मैं ने उस ढाल को बनाया था, जैसे ये मेरा दूसरा स्वभाव हो। मैं बस अपने दोस्त को खतरे से बचाना चाहता था और मेरी शक्तियाँ मेरी भावनाओं के अनुसार बिना सोचे समझे चालू हो गईं।


    “मुझे पता था तुम ये कर सकते हो!” तृषा ने उछलते हुए कहा, जिस से उस पर गुस्सा करना मुश्किल हो गया, जब कि उस ने तुषार को भस्म करने की कोशिश की थी।

    उस ने कहा –“अब अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर के उसे धीरे से ज़मीन पर उतारने की कोशिश करो।”

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 13. यक्षिणी प्रेम - Chapter 13

    Words: 1240

    Estimated Reading Time: 8 min

    मैं ने फिर से फोकस करते हुए अपने हाथ से इशारा किया और तुषार के तीन फीट नीचे एक और बैंगनी ज्वाला की दीवार बनाई। पहली ढाल गायब हो गई और भूत दूसरी पर गिरा। फिर मैं ने इस क्रिया को कई बार दोहराया ताकि मेरा दोस्त सुरक्षित ज़मीन पर पहुँच जाए। जब वो गिर रहा था, तो एक सिकुड़ा हुआ लाल टमाटर जैसा लग रहा था। ज़मीन पर पहुँचने के बाद, उस ने खुद को छू छू कर देखा।


    “ये… क्या… बकवास था?” उस ने पूछा, उस की आँखें तश्तरियों जितनी बड़ी हो गई थीं। 


    कामिनी ने हमारे पीछे से हँसते हुए कहा। “देखा? रक्षात्मक शक्तियाँ!” 


    मैं ने पूछा – “बैंगनी लपट नर्क की आग से कैसे बचा सकती है? क्या ये कोई सफेद ढाल नहीं होनी चाहिए या ऐसा कुछ और?”


    “बैंगनी ज्वाला अधोलोक के उस हिस्से से आती है जहाँ आत्माएं यात्रा करती हैं। इस का मकसद है तुम्हें एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित पहुँचाना, इसलिए यह कुछ भी जलाती नहीं है।” यक्षिणी ने अपनी उंगली उठाई। “दूसरी ओर लाल आग नर्क के सब से गहरे गड्ढों से आती है और अगर तुम कभी नर्क नहीं गए हो, तो मेरी बात मानो, ये बहुत खतरनाक आग है!”


    तुषार ने कन्फ्यूज़ हो कर हाथ उठाए, “रुको एक मिनट, क्या राक्षस भी जल सकते हैं? नर्क तो पूरा आग और गंधक से भरा होता है। क्या हम सब को उस आग से सुरक्षित नहीं होना चाहिए? कम से कम जितनी वेबसाइट्स मैं ने पढ़ी हैं, वहाँ ऐसा ही कहा गया है।”


    “जो भी पढ़ते हो, उस पर यकीन मत करो,” कामिनी ने कंधे उचकाए। 


    तृषा ने समझाया,“नरक में आग ज़रूर है। लेकिन वो वैसी जगह नहीं है जैसी स्कूल में बताई गयी है, जहाँ सब कुछ जल रहा होता है या ज्वालामुखी फट रहे होते हैं। वो एक… निराकार किस्म की जगह है। वहाँ बहुत दर्द है… चीखें हैं … अंधकार है … और ऐसे राक्षस जिन्हें शब्दों में बयान करना भी मुश्किल है। वहाँ की आग उन इंसानों को जलाने के लिए होती है जो सज़ा के लिए भेजे जाते हैं – और उन राक्षसों के लिए भी जो अपने मालिकों की आज्ञा का उल्लंघन करते हैं। तो हाँ, राक्षस भी जल सकते हैं।”


    अब मेरी उत्सुकता बढ़ गई थी। मैं ने पूछा – “क्या मैं वैसा कुछ कर सकता हूँ जैसा तुम ने अभी किया?” 


    यक्षिणी हँसी – “तुम्हारी शक्तियाँ खुद विभ्रष्ट और नर्क के गड्ढों से आई हैं। तो हाँ, तुम आग बुला सकते हो। लेकिन इस के लिए तुम्हें वो भावनाएँ लानी होंगी जो तुषार को बचाते समय तुम ने नहीं दिखाईं। देखो,”


    कहते हुए उस ने मेरा हाथ अपने हाथ से पकड़ा और सीने की ऊँचाई तक उठाया। “अब मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी सब से काली फेन्टेसी और सब से पैशनेट यादों के बारे में सोचो… और फिर चुटकी बजा कर नर्क की आग बुलाओ।” 


    मैं ने आँखें बंद कर लीं और मेरा मन पीछे दौड़ने लगा– तृषा की उस छवि की ओर, जब वो मेरे कमरे में घुटनों पर बैठी थी, मेरी नेकेड बॉडी को देखती हुई, जैसे उस की साँसें थम गई हों। फिर कामिनी के साथ मुझे पहली रात याद आई। मुझे याद आया कैसे उस ने मुझे लगभग थका कर रख दिया था और वो सारी कराहती आवाज़ें जो उस ने आनंद में निकाली थीं, जब हम एक-दूसरे में खो गए थे। मैं ने सोचा कि ये सब मैं फिर से करना चाहता हूँ… और इस बार एकसाथ दोनों के साथ।


    तभी ऐसा लगा जैसे मेरी त्वचा में आग लग गई हो। मेरे हाथ चीख रहे थे, जैसे इन्हें हज़ारों छोटी, लाल-गर्म सुईयाँ चुभाई जा रही हों। फिर भी, कोई दर्द नहीं हुआ। मैं अपनी हथेलियों में नरकीय ज्वाला की गर्मी महसूस कर सकता था, लेकिन ये बिल्कुल भी जलाने वाला एहसास नहीं था। बल्कि, इस ने मुझे ज़िंदगी में पहली बार ताकत का एहसास कराया। 


    मैं ने आँखें खोलीं और देखा कि मेरी दोनों हथेलियाँ गहरे लाल-सुनहरे रंग की ज्वालाओं से घिरी हुई थीं। वो लपटें मेरी उँगलियों के सिरों पर नाच रही थीं, जैसे किसी भी पल ज़मीन को जला देने के लिए कूद पड़ेंगी। मैं ने पार्किंग गैरेज के एक खंभे की ओर निशाना साधा, अपना दायाँ हाथ पीछे घुमाया जैसे बेसबॉल फेंकने वाला हूँ और फिर खुला हुआ हाथ जोर से आगे फेंका। जलती हथेली से एक टेनिस बॉल जितना बड़ा आग का गोला निकला और सीधा उस खंभे से टकराया। आमतौर पर कंक्रीट जलता नहीं, लेकिन नर्क की गहराइयों से आई आग इतनी खतरनाक थी कि उसे जला कर राख करने लगी। खंभा कुछ सेकंड तक गहरे लाल रंग की लपटों में सुलगता रहा, फिर अचानक पिघल कर पत्थर, स्टील, गारे और प्लास्टर का एक कच्चा-सा दलदल बन गया। एक गहरी कराह के साथ वह ढांचा ढह गया और बड़े-बड़े कंक्रीट और डामर के टुकड़े ज़मीन पर गिरने लगे।


    मैं धीरे से बुदबुदाया – “ओ तेरी!”


    “ठीक है, मैं जा रहा हूँ!” तुषार ने कहा और गिरते हुए कंक्रीट के टुकड़ों से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगा और जैसे ही वो किनारे हुआ तो ऐसे गायब हो गया जैसे कहीं टेलीपोर्ट हो गया हो। मैं अब भी उस के खुरों की आवाज़ सुन सकता था, लेकिन उसे देख नहीं पा रहा था।


    मैं ने पूछा – “तुषार तू कहाँ है?” दोनों यक्षिणियाँ और मैं ने छोटे भूत को ढूँढने के लिए इधर-उधर देखा। 


    “मैं यहाँ हूँ!” उस ने पुकारा और हम तीनों ने छत को देखा। 


    “तुम हमें दिखाई नहीं दे रहे,” कामिनी ने मुँह बनाते हुए कहा। 


    “ओह। ये तो कमाल है।” तुषार का छोटा सा शरीर अचानक छत से लटकता हुआ दिखाई दिया और फिर वो ऊपर की बीम से झूल कर हमारे आगे ज़मीन पर उतरा। 


    “ये तूने कैसे …” मैं ने पूछना शुरू किया, लेकिन तुषार ने मुझे बीच में टोका और हँसता हुआ बोला – “लगता है मैं अब अदृश्य हो सकता हूँ। ये तो बहुत काम आएगा जब मैं अपने डीलर्स से मिलने जाऊँगा!” 


    तृषा मुझे देख कर मुस्कुराई – “हमें तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था। चूँकि हम इतने करीबी हैं तो हम तीनों तुम्हारी शक्तियों से ताकत ले सकते हैं। तुम जितने पावरफुल होगे, हमारी अपनी शक्तियाँ उतनी ही बढ़ेँगी। तुषार को अभी-अभी पहली शक्ति मिली है।” 


    कामिनी ने सर हिलाते हुए बोला – “ये इस की पर्सनैलिटी के लिए बिल्कुल सही है! अब ये सारी औरतों की जासूसी कर सकता है और जितना चाहे खाना चुरा सकता है, बिना पकड़ में आए।” 


    भूत ने स्टाइल में अपने हाथ सिर के पीछे रखते हुए कहा।  “अपुन है एकदम डेंजर पीस, बोले तो झक्कास।


    “वो तो जीवांश है,” तृषा ने इशारा किया। 


    “हाँ, ठीक है। अपुन इतना झक्कास सिर्फ जीवांश की दोस्ती की वजह से है।”


    “अरे यार,” मैं हँस पड़ा लेकिन तभी कामिनी ने पीछे से मुझे गले लगा लिया। 


    “तुम जानते हो सब से अच्छी बात क्या है?” वो मेरे कान में मधुरता से फुसफुसाई – “ये तो तुम्हारी शक्तियाँ हैं – सिर्फ दो यक्षिणियों के साथ। तुम्हारे पास इन्हें और बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है! अगर हमारा रिश्ता और गहरा हुआ या तुम्हारे साथ और यक्षिणियाँ जुड़ीं, तो तुम्हारी शक्तियाँ असीम हो सकती हैं। सोचो ज़रा—तुम ऐसे आग के गोले बुला सकते हो जो अभी वाले से दस गुना बड़े हों! तुम ऐसी लपट बुला सकते हो जो शहर की सब से ऊँची बिल्डिंग जितनी ऊँचे हों! और थोड़ी ट्रेनिंग से तुम्हारी बैंगनी ढालें पूरी टेलीकिनेसिस बन सकती हैं!”


    मैं ने पूछा – “मुझे बताओ हमारा रिश्ता कैसे बढ़ेगा और मैं कैसे और पावरफुल बनूँगा,”  

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 14. यक्षिणी प्रेम - Chapter 14

    Words: 847

    Estimated Reading Time: 6 min

    “याद है तुम ने हमें कैसे बुलाया था, अपने खून की एक बूंद से?” तृषा ने पूछा – “तुम्हारी आत्मा का एक टुकड़ा अब हमारे साथ बंधा हुआ है, जीवांश। जैसे-जैसे हम एक साथ वक्त बिताएंगे। एक-दूसरे का शारीरिक और भावनात्मक रूप से आनंद लेंगे, हमारा रिश्ता और मज़बूत होगा। इसलिए ये ज़रूरी है कि हम एक साथ रहें और जितना हो सके, उतना मज़ा करें।” 


    “वही तो मेरे यार की खासियत है!” तुषार ने उत्साह से ताली बजाई और पूछा –“तो, अब हम कहाँ जाएँ?”
     

    मैं ने कामिनी और तृषा की ओर मुड़ते हुए कहा।
    “मैं मूड तुम्हारा खराब नहीं करना चाहता, लेकिन मुझे अब खप्परसुर की चिंता होने लगी है जिस के बारे में तुम दोनों बार-बार बात कर रही हो। हम लोग करीब पूरे दिन से एक साथ हैं। यकीनन इस वक्त तक तो उसे पता चल गया होगा कि तुम दोनों गायब हो। हमें यहीं रुक कर ट्रेनिंग कंटिन्यू रखनी चाहिए ताकि अगर वह आया तो हम तैयार रहें।”


    तुषार ने जीभ से 'टक!' की आवाज़ निकाली और बोला – “देख बे... अगर बस काम पे लगे रहे और लाइफ़ में मजा नहीं लिया ना तो अपने जैसा चमकता हीरा भी काला कोयला बना जाएगा! समझा क्या? और इन हॉट यक्षिणियों की बातें सुनी न तूने? अपन को तो अब मज़ा चाहिए, फुल चिल, नो बिल।”


    कामिनी मचलती हुई बोली – “मैं इस लड़के से पूरी तरह सहमत हूँ। हम ने आज के लिए काफी काम कर लिया। अब खेलने चलें।” 


    मैं तृषा की ओर मुड़ा, ये मानते हुए कि वो मेरी तरफदारी करेगी – “आप क्या कहना चाहेंगी मैडम?”


    एथलेटिक यक्षिणी ने बस कंधे उचकाए। “तुम्हारे अभी के पावर लेवल के हिसाब से हम जो कर सकते थे, वो सब कर चुके हैं। अब तुम्हारे और ताकतवर बनने का सिर्फ एक ही तरीका है – हम तीनों के बीच का रिश्ता और गहरा बनाना।”


    तुषार ने खुशी से ताली बजाई – “यही तो। अपुन को एकदम सही जगह पता है। बताऊं क्या?”


    मैं उसे घूरता हुआ बोला – “मैं कब से नोटिस कर रहा हूँ तू मुंबईया टपोरियों के स्टाइल में बोल रहा है।”



    तुषार बोला – “हाँ, क्योंकि अपुन को मजनू भाई बहुत पसंद है और अपुन अब ऐसे ही बोलेगा। आखिर अपुन का भी कुछ अलग स्टाइल होना चाहिए। खैर, अब सुन। यहाँ से थोड़ी दूर एक छोटा-सा बार है। सस्ती बीयर, फाड़ू नॉनवेज और इस इलाके की सब से रापचिक हसीनाओं का छत्ता। मज़ा आ जाएगा!” हम में से कोई कुछ कह भी पाता, उस से पहले ही तुषार उधर भाग पड़ा और कुछ कदमों में गायब हो गया।


    मैं ने यक्षिणियों की ओर कन्फ्यूज़ हो कर कंधे उचकाए। “खैर, ये कोई बुरा आयडिया तो नहीं है। चलो उस भागते भूत की लंगोट के पीछे!” 


    हम तीनों सड़क पर उस ओर दौड़े जहाँ तुषार हमें ले जा रहा था। मुझे यकीन था कि ये धमाकेदार होने वाला है। 



    “हम पहुँच गए,” तुषार की बिना शरीर वाली हँसी गूंज उठी जब उस ने उस सस्ते बार के दरवाज़ों को लात मार कर खोला।



    उस टू-स्टार बार के सीन और महक ने हमें ऐसे झटका दिया जैसे कोई तेज़ ट्रेन टक्कर मार दे। पूरा बार सिगरेट के धुएं, व्हिस्की की बू और एक हल्की-सी अमोनिया जैसी गंध से भरा था, जिसे मैं बस यह सोच कर इग्नोर कर रहा था कि यह किसी अनजान ड्रिंक से आ रही होगी। जैसे-जैसे हम अंदर बढ़े, हमारे जूते हर कदम पर चिपचिपी शराब और शक्कर से भरी ज़मीन से चिपकते चले गए। एक उदास गाना रेडियो पर ज़ोर से बज रहा था और हम चारों धीरे-धीरे चलते हुए एक ऊँची टेबल तक पहुँचे और कुर्सियों पर बैठ गए।



    “चार बियर देना,” मैं ने पास से गुज़रते वेटर से कहा।



    “ठीक है,” उस आदमी ने सिर हिलाया और मेरी बात को अपने पैड पर लिखा, फिर तेजी से ड्रिंक्स लेने निकल गया।


    तुषार भुनभुनाता हुआ बोला – “अबे यार तू जानता है ना अपुन तीखी चीज़ें पीता है?”


    “ये अच्छा आइडिया नहीं है,” मैंने सिर हिलाते हुए कहा। “याद है पिछली बार जब तू ने टकीला पी थी तो क्या हुआ था?”


    अदृश्य तुषार की आवाज़ गूंजी – “नहीं याद।”


    मैं ने हँसते हुए कहा – “यही तो! लेकिन मुझे सब याद है। और मैं बियर ही अफॉर्ड कर सकता हूँ हम चारों के लिए, तो या तो पियो या छोड़ो,”


    “देख बहन,” कामिनी ने मुस्कराते हुए तृषा की बाजू थपथपाई – “कल रात इस ने हमें मस्ती कराई और अब शराब पिला रहा है। पहली बार ज़िंदगी में ऐसा अच्छा मालिक मिला है। खप्परसुर या लालसुर जैसा नहीं। याद है वो?”


    “बदकिस्मती से,” तृषा ने आँखें घुमा कर कहा।


    फिर कामिनी मेरी ओर मुड़ी और मुझे लालसुर के बारे में बताने लगी, “वो हमारा मालिक था खप्परसुर से पहले। उस के पास यक्षिणियों की पूरी फौज थी और उस के पास इंसानों की इच्छाओं को काबू करने की शक्ति थी। वो किसी को भी अपनी मीठी बातों में फंसा सकता था। इस के अलावा, उस का लोभ इतना ज़्यादा था कि वो नर्क की आग में गढ़े सब से सख़्त धातु के हथियार और कवच भी बुला सकता था।”

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 15. यक्षिणी प्रेम - Chapter 15

    Words: 1279

    Estimated Reading Time: 8 min

    “ये तो अपुन के टाइप का बंदा लगता है!” तुषार ने ताली बजाई। “उस के पास सारी हसीनाएँ हैं, सारा माल है और वो लोगों से जो चाहे करवा सकता है।” 


    मैं ने उत्सुकता से पूछा।  “तुम ने कहा मालिक था। उस के साथ क्या हुआ?”


    कामिनी ने तृषा के कंधे पर हाथ रखा। “उस ने श्राविका को परेशान किया तो उस ने उसे नष्ट कर दिया।” 


    “अरे बाप रे! महा यक्षिणी।” तुषार की आवाज़ में डर साफ़ झलक रहा था जब उस ने ये शब्द बोले। 


    कामिनी ने चिंतित हो कर उस की ओर देखा। “बिल्कुल। अपनी यक्षिणियों की सेना और अपार शक्तियों के बावजूद, लालसुर महारानी यक्षिणी के लिए बस एक कीड़ा था।” 


    तृषा ने नाटकीय ढंग से अपनी हथेली मेज पर पटकी और अपनी बात रखने के लिए झुकी। “तो उस ने उसे उसी तरह कुचल दिया, जैसे वो एक कॉकरोच हो। खून, आँतें और गंदगी हर तरफ बिखर गई थी! मैं वहाँ थी। उस की वो हालत देख मुझे बहुत मज़ा आया था।” 


    नन्हा तुषार ऊँची कुर्सी से नीचे सरकने लगा, “उह… यह सब कुछ अपुन के लिए ज़्यादा ही खौफनाक हो रहा है, अपुन चला बाथरूम।”


    मैं ने तुषार की बाँह पकड़ ली जब वो मेरे पास से गुज़रा। “बस बाथरूम और सीधा वापस, समझा? मुझे नहीं पता कि तुझे अपनी इनविज़िबल पावर का इस्तेमाल भी करना पड़ेगा या नहीं। ये लोग नशे में इतने धुत्त हैं कि शायद तुझे असली भी नहीं मानेंगे, लेकिन हमें फिर भी कोई परेशानी नहीं चाहिए।” 


    “ओके डोके, मिस्टर जीवू!” भूत ने बार के पीछे की ओर भागते हुए चिल्ला कर कहा। 


    बारटेंडर आखिरकार हमारे लिए बीयर की चार बोतलें ले आया, उन के ढक्कन खोल कर हमें पकड़ा दीं और फिर बिना कुछ बोले चला गया। मैं ने अपनी बोतल उठा कर टोस्ट का इशारा किया, लेकिन दोनों यक्षिणियाँ बस मुझे बिना किसी भाव के घूरती रहीं। मैं ने उन्हें इशारे से समझाया कि ऐसा ही करें, मगर उन्होंने सिर्फ मेरा चेहरा कॉपी कर लिया। 


    मैं ने फिर समझाया – “सेलिब्रेशन से पहले बोतल को ऐसे उठा कर टकराया जाता है।”


    “बस इतना ही?” कामिनी ने मोहक मुस्कान के साथ अपनी बोतल उठाते हुए पूछा। 
       

    हम तीनों ने अपनी बोतलें एक साथ टकराईं और फिर शराब को एक ही बार में अपने गले से नीचे उतार लिया। हम ने एक और राउंड ऑर्डर किया और उसे भी पहले जितनी ही तेज़ी से पी लिया। मैं ने आज ज्यादा खाना नहीं खाया था, तो मुझे शराब का असर पहले से ही महसूस होने लगा था। 


    “क्या यक्षिणियाँ भी नशे में धुत्त हो सकती हैं?” मैं ने दोनों लड़कियों से पूछा जब मेरी नज़र धुंधलाने लगी थी। 


    दोनों ने कंधे उठाए, फिर कामिनी बोली। “मुझे यकीन है तुम नशे में धुत्त ढेरों इंसानों के साथ रहे होगे। ज़रा सोचो, दो नशे में धुत्त यक्षिणियों के साथ होना कैसा होगा?” 


    “ओह, मैं तो अभी से सोचने लगा हूँ,” मैं ने मुस्कराते हुए कहा, जबकि दिमाग में सैकड़ों तस्वीरें दौड़ रही थीं। “बस मेरी एक चिंता है—कहीं ऐसा न हो कि उस पल में तुम अपनी शक्तियाँ कंट्रोल करना भूल जाओ और मैं टपक जाऊँ?”


    “ऐसा नहीं होता,” कामिनी ने तुरंत जवाब दिया।


    “जो भी हो, मैं ये जोखिम लेने को तैयार हूँ,” मैं नशे में बड़बड़ाया। 


    बारटेंडर एक और राउंड ले कर आया और मुझे याद भी नहीं कि हम ने उन्हें कब खत्म कर दिया। मेरी इंद्रियाँ जैसे एक-दूसरे में घुलने-मिलने लगी थीं। मैं तेज़ म्यूज़िक को सिर में धमकता महसूस कर रहा था और कमरे में तैरते सिगरेट के धुएँ का स्वाद जैसे मेरे मुँह में था। शायद मुझे शराब के असर को कम करने के लिए कुछ खाना चाहिए था। 


    मैं ने अपनी जेब से वॉलेट निकालने के लिए हाथ बढ़ाया ताकि कुछ ऑर्डर कर सकूँ और तब एहसास हुआ कि मेरे पास पैसे कम हैं और यहाँ चीज़ें महंगी हैं। मेरे मुँह से एक आह निकली और चिढ़ कर अपना वॉलेट टेबल पर फेंक दिया। 


    “शायद हम मदद कर सकते हैं?” तृषा ने मेरी हताशा देख कर सुझाव दिया और बारटेंडर को आने का इशारा किया।


    “मैं आप के लिए क्या कर सकता हूँ?” उस आदमी ने तृषा से पूछा। 


    “दो नाचोस। जितने नमकीन हों, उतने,” तृषा ने मुस्कुराते हुए कहा। 


    “बिल्कुल! क्या मैं इसे इन के हिसाब में डाल दूँ, या…” आदमी ने मेरी ओर देख कर कहना शुरू किया। 


    कामिनी की बैंगनी आँखें एकदम से चमकने लगीं, जब वो मेज के ऊपर झुकी और उस की आँखों में देखने लगी। “आप के लिए बहुत अच्छा होगा अगर आप हमें वो फ्री में दे दें।” 


    बारटेंडर की आँखें सुई की नोक जितनी छोटी हो गईं यानी कामिनी का जादू उस पर छा गया था। उस का पूरा शरीर तन गया, जैसे कामिनी के शब्द उसके दिमाग में गूँज रहे हों। फिर उस की आँखें सामान्य हो गईं और उस ने कन्फ्यूज़ हो कर अपना माथा रगड़ा। 


    वो उलझे शब्दों में बोला – “मैं अह…. मैं आप के लिए नाचोस लाता हूँ।” 


    जब वो गया, तृषा ने मुझे शैतानी मुस्कान दी। “देखा? मेरी बहनें और मैं अपनी बात मनवाने में माहिर हैं।” 


    “वाह,” मैं हँस कर बोला – “मुझे तुम से कुछ हाई प्राइस वाली बोतलें ऑर्डर करने को कहना चाहिए था!” 


    मेरे नीचे तुषार की भूतिया आवाज़ गूँजी – “अबे ओ… तुम लोगों ने अपुन के बिना पार्टी शुरू कर दी?” 


    मैं ने अपने दोस्त को देखा। “ये इतिहास का सबसे लंबा पेशाब रहा होगा। तू वहाँ क्या कर रहा था??” 


    भूत हँसा। “अरे ना रे बाबा, अपुन तो बस अंदर एक झकास टाइप के बन्दे से टकरा गया रे, जो मेरे से ढेर सारे सवाल झाड़ने आया था। पूरे स्टाइल में था, सूट बूट में भी पूरा गे लग रहा था! इस घटिया जगह में एकदम मिसफिट। और मुझे क्या लगता मालूम? अपना रंग देखके जल गया होगा साला!”


    थोड़ी झूमी हुई हालत में, मैं ने तुषार को दोनों हाथों से ज़मीन से उठा लिया और उसे हवा में ऐसे लहराया जैसे सब को ये शो-पीस दिखा रहा हूँ। “कौन तुझे निहारना नहीं चाहेगा छोटे लाल भूत!” 


    “चलो एक गेम खेलते हैं!” कामिनी ने कहा और हम चारों लड़खड़ाते हुए डार्ट बोर्ड की ओर गए। 


    हमारे अधिकतर थ्रो पूरी निशाने से चूक गए और लकड़ी की दीवार में छेद कर गए। तुषार को खास तौर पर मुश्किल हुई, क्योंकि उसे अपने डार्ट्स को ऊपर की ओर फेंकना पड़ रहा था। फिर भी, वो अकेला था जो टारगेट पर कुछ डार्ट्स मार पाया था। उस ने अपना अगला थ्रो तैयार किया, जैसे ही डार्ट दूसरी रिंग से टकराने वाला था, मैं ने बीच में एक बैंगनी ढाल खड़ी कर दी और हँसने लगा। 


    “एक दिन आएगा रे जीवांश, सीधा चाँद पे भेजूँगा तेरे को!” तुषार ने दाँत दिखाते हुए अपनी छोटी सी मुठ्ठी मेरी तरफ लहराई।

     

    हम मस्ती में चलते हुए पूल टेबल की तरफ लपके। अब तक शराब का असर थोड़ा उतर चुका था, लेकिन मैं अब भी हलका टल्ली था, इसलिए ठीक से निशाना नहीं लगा पा रहा था। 


    जब हम चिप्स खा रहे थे तभी तृषा और कामिनी दोनों डर से जड़ हो गईं और उन के पूल क्यूज़ ज़मीन पर गिर गए, जब एक सूट बूट वाला शख्स हमारी ओर आया।  


    उस की लंबी परछाई, डूबते सूरज की रोशनी में बार के एक कोने से दूसरे तक फैल गई। चलने का अंदाज़ अजीब था, जैसे घिसटते हुए चल रहा हो और उस के चमकते काले जूते चिपचिपे लकड़ी के फर्श पर टक-टक कर रहे थे।

    बाहर से तो वह एक आम बिज़नेसमैन लग रहा था – ग्रे सूट में और बालों में इतनी जेल जैसे पूरी ट्यूब उड़ेल दी हो।


    लेकिन जो उसे बाकी सब से अलग बना रहा था – वो थीं उस की चमकती बैंगनी आँखें, जो डायरेक्ट मेरी आत्मा में झाँक रही थीं। 

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 16. यक्षिणी प्रेम - Chapter 16

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    नशे में धुत्त तुषार चीख कर बोला –  “ये वही बाथरूम वाला बंदा है।” 


    “हैलो, जीवांश,” उस आदमी ने शांतिपूर्वक सिर हिलाया। “मेरा नाम खप्परसुर है और मैं अपनी यक्षिणियों को वापस लेने आया हूँ।” 



    “आह, तो तुम वही हो जिसे कामिनी और तृषा पसंद नहीं करतीं,” मैं ने गुर्राते हुए कहा – “सोचा नहीं था कि राक्षस भी सूट बूट पहनते हैं।”


    तुषार ने हँसते हुए कहा – “वैसे, खप्परसुर कैसा नाम है? तेरे खप्पर से सुर निकलते हैं क्या?”


    “मेरा नाम कोई मायने नहीं रखता,” खप्परसुर ने अपने परफेक्ट नीले बालों में हाथ फेरते हुए मुझे देखा – “बात ये है, तुम ने मेरी दो यक्षिणियाँ ले ली हैं। मेरी सब से बेहतरीन यक्षिणियाँ। इन्हें तुम्हें और तुम्हारे दोस्त की सेवा पूरी कर के वापस लौटना था। हज़ारों लोग हर घंटे इन की सेवाएं माँगते हैं। मेरा बिजनेस तो खराब हो जाएगा बार-बार उन्हें टपका पड़ा कर।” 



    “कामिनी और तृषा मेरे साथ रहना चाहती हैं,” मैं ने कंधे उचकाते हुए कहा। मैं कूल दिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हकीकत में मेरा दिल नगाड़े की तरह धमधम कर रहा था। 
       


    उस ने मुझ से पूछा। “इस का मतलब ये तुझे वाकई पसंद करती हैं। तेरे जैसे टूचिये क्लाइंट को?”


    “जीवांश सिर्फ क्लाइंट नहीं हमारा नया स्वामी है,” कामिनी ने विरोध किया, जिस से तृषा के चेहरे पर डर साफ दिखा। 


    तुषार खप्परसुर से बोला – “तेरी बॉडी लैंग्वेज भी बड़ी अजीब है। जैसे किसी ने तेरे पिछवाड़े में झाड़ू का डंडा घुसा दिया हो।” 


    खप्परसुर ने भूत को घूरने के बाद तृषा से पूछा। “एक साधारण मानव स्वामी? मैं मानता हूँ तुषार कि तुझे इन की वफ़ादारी अच्छी लग रही होगी, पर ये पहली बार नहीं है जब मेरी यक्षिणियाँ ऐसी हरकत कर रही हैं। ये तो आम बात हो गई है। ये दोनों हमेशा कोई न कोई इंसान पकड़ लेती हैं, जिसे अपना नया मालिक बताती हैं, जो उन्हें मुझ से, श्राविका से और यहाँ तक कि विभ्रष्ट से भी बचा सके। और फिर क्या होता है? वो जल कर मर जाते हैं... या उस से भी बुरा।”


    “ये झूठ बोल रहा है!” तृषा कामिनी के पीछे से चिल्लाई।



    खप्परसुर ने हैरानी से तृषा को देखते हुए पूछा। “तुम तो कभी सीमा नहीं लांघती थी, खास कर शिथिला के साथ जो हुआ उस के बाद। लगता है ये इंसान तुम्हें बहुत पसंद आ गया है! शायद तुम तीनों की यातना गुरु से एक खास मुलाकात करानी होगी?”


    तुषार ने अपनी बीयर का एक और लंबा घूँट लेने के बाद कहा। “खप्परसुर अपना खप्पर उठा कर फूट ले यहाँ से।” 


    “बस कर!” खप्परसुर तुषार पर गुर्राया। “इस बातचीत का तुझ से कोई लेना-देना नहीं है। मैं यहाँ अपना हक लेने आया हूँ और तुम दोनों मूर्ख मुझे रोक नहीं सकते।” खप्परसुर की नज़रें हम दोनों के बीच झूलती रहीं, जब उस ने दोनों यक्षिणियों की ओर कदम बढ़ाया। 


    “ये यहीं रहेंगी, खप्परसुर,” मैं ने अपनी लड़कियों के सामने खड़े हो कर उस राक्षस का सामना करते हुए अपनी बात दोहराई। “इन दोनों ने मुझे तुम्हारे बारे में ज्यादा नहीं बताया, लेकिन जो बताया, उस से तुम एकदम हरामी लगते हो।” 


    इस समय तक, बार में सन्नाटा छा गया था, क्योंकि अब सब का ध्यान मेरे और सूट वाले के बीच की तनावपूर्ण स्थिति पर था। खप्परसुर को इस ध्यान की परवाह नहीं थी। उस ने बस अपने बाल पीछे किए और एक और कदम बढ़ाया। 


    मैं ने अपनी आस्तीन पीछे खींची और रात में तृषा एंड कामिनी के साथ मज़ा करने के बारे में सोचा। लगभग तुरंत ही, मेरे हाथ में बेसबॉल के आकार का एक अग्नि-गोला प्रकट हुआ। मुझे हथेली पर किसी गर्मी का अहसास नहीं हुआ, लेकिन बार में बाकी सब ने अपनी आँखें बंद कर लीं और हैरानी में चीखने लगे। 


    फिर जब मैं ने उस राक्षस पर पूरी ताकत से अग्नि-गोला फेंका, तो सब दौड़ भागे। 


    आग का गोला राक्षस के चेहरे पर बीचों-बीच जा टकराया और आधे पल के लिए ऐसा लगा जैसे वो गिरने वाला है लेकिन मेरे जादू ने सिर्फ उस का सिर पीछे धकेला और उसे एक पल के लिए भटका दिया। 


    “आऊ … तू ने तो मुझे मार ही डाला,” उस ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा फिर शांति से एक कंघी निकाली और अपने बिगड़े बालों को सँवारा। बार के लोग चीखते हुए एग्सिट की ओर भाग रहे थे।


    मैं ने तृषा की ओर मुड़ते हुए कहा। “तुम ने कहा था कि राक्षस जल सकते हैं!” 


    “तुम्हारी शक्तियाँ अभी नई-नई हैं, जीवांश!” उस ने चिल्ला कर बताया – “खप्परसुर के लिए वो हमला एक छोटे बच्चे के घूँसे से ज़्यादा कुछ नहीं था।” 


    मेरी आँखें अविश्वास में फैल गईं। “तुम मुझे ये पहले नहीं बता सकती थी, जब मैं ने उस पर हमला किया?” 


    “कोई टेंशन नक्को भिड़ुलोग! तुषार भाई आ गया है बचाने!” तुषार चिल्लाया और एक मजेदार कराटे पोज में एक टांग हवा में उठा ली। “बस ज़रा और करीब आ, फिर देख पुराना झन्नाटेदार लात कैसे पड़ता है।”


    “मूर्ख,” खप्परसुर ने तिरस्कार से कहा और अपनी उंगलियाँ खोलीं। एक तेज़ गर्म लहर उठी और अगली ही पल तुषार जलते हुए अंगारों और राख के गुबार में उछल कर पीछे जा गिरा।


    “तुषार!” मैं चिल्लाया, जब वो दूर की दीवार से टकराया और झुलसी त्वचा के साथ फर्श पर ढह गया। उस ने हिलने की कोशिश की, लेकिन वो बस मेरी आँखों से आँखें मिला पाया। 



    “जीवांश…” उस ने खाँसते हुए कहा – “मेरा सब से बढ़िया गांजा मेरी अलमारी में है…” इसी के साथ वो फर्श पर गिर गया।


    “तूने तुषार को मार डाला!” मैं ने चीखते हुए कहा, जब मुझ में गुस्सा फट पड़ा था। 


    “मैं ने उसे सिर्फ सबक सिखाया,” खप्परसुर ने कंधे उचकाए। “वो ठीक हो जाएगा, अगर मैं ने चाहा तो।” उस की नज़रें मेरी नज़रों से मिलीं और मेरा गुस्सा पहले से ज़्यादा तेज़ हो गया। वो घमंडी राक्षस सोचता था कि वो जो चाहे कर सकता है। 


    मेरे भीतर से ग़ुस्से की एक दहाड़ निकली और कमरे का तापमान एकदम से बीस डिग्री बढ़ गया। हवा में बिजली की चमक गूंजने लगी। बार में एक काली आँधी गूँज उठी, जो अपने साथ गंधक और नरक की दुर्गंध लिए आई थी। मेरे चारों ओर आग लहराने लगी।


    “तेरे जोश की दाद देनी पड़ेगी, जीवांश,” खप्परसुर ने मुस्कराते हुए कहा, “लेकिन मेरी आग... थोड़ी बड़ी है।” ये कहते हुए उस ने अपनी उँगलियों से विशाल लपटें निकालनी शुरू कर दीं और चालाकी से आइब्रो उठाई।

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 17. यक्षिणी प्रेम - Chapter 17

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    कामिनी मेरे पीछे से आगे बढ़ी और अपनी नरकीय ज्वाला का हमला तैयार किया। 



    “कामिनी, मुझे लगता है तू अपनी जगह भूल गई है,” खप्परसुर ने गुर्राते हुए कहा फिर उस ने अपने हाथ साइड में उठाए। “चिंता मत कर। अभी तुझे अच्छे से समझ आ जाएगा कि मैं असली में कितना भारी हूँ।”


    खप्परसुर ने अपने हाथ जोर से आपस में मारे, और गाढ़ी लाल लपटें तीन फुट तक ऊपर उठ गईं। कामिनी ने हमला करने के लिए अपने हाथ पीछे खींचे, लेकिन उसी पल खप्परसुर ने अपनी पूरी आग हमारे ऊपर छोड़ दी। मैं ने जल्दी से हमारे सामने एक बैंगनी आग की दीवार खड़ी कर दी ताकि उस की आग की गेंद को रोका जा सके।


    जब विशाल धमाका मेरी ढाल से टकराया, लाल और बैंगनी आग एक-दूसरे को मात देने की कोशिश में आपस में नाचने लगीं। मैं पहले धमाके को झेल गया लेकिन दूसरे हमले ने एक ज़बरदस्त प्रभाव पैदा किया। हम तीनों बार के पार उड़ गए, लकड़ी टूटने और काँच की बोतलें चकनाचूर होने की आवाज़ के साथ, हम चिपचिपी फर्श पर लुढ़कते चले गए। 


    “जितना मैंने सोचा था, उस से ज़्यादा स्ट्रांग हो,” खप्परसुर की आवाज़ गूँजी, जब वो किसी स्लैशर मूवी के सीरियल किलर की तरह कमरे में आगे बढ़ा। “लेकिन जल्द ही तुम भी उन्हीं की तरह जल जाओगे, जिन्होंने तुम से पहले हमें चुनौती देने की हिम्मत की थी।” 



    मैं ने कराहते हुए खुद को ज़मीन से उठाया। “सोच ले, जब मैं तेरी लात मार के धुलाई करूंगा, कामिनी और तृषा को अपने साथ घर ले जा कर एक ज़िंदगी दूंगा, तो तुझे कितना बड़ा झटका लगेगा।”


    खप्परसुर का चेहरा भले ही शांत दिख रहा था, लेकिन मुझे साफ पता चल गया कि मेरी बातों ने उसे झटका दे दिया है। उस की आंखें अंगारे जैसी जल रही थीं, जैसे मेरी आत्मा को चीर रही हों और उस के हाथ अब पूरी तरह मुठ्ठी में बदल चुके थे। वो बुरी तरह जल-भुन गया था कि मैं ने उस की लड़कियों को छीन लिया। उसके पास मुझे राख में बदलने की पूरी ताक़त थी, लेकिन अगर मैं उसे थोड़ी देर तक भटकाए रखूं, तो शायद कोई रास्ता मिल जाए उसे हराने का।


    “तुझे पता है, खप्परसुर, मैंने सोचा था कि ढेर सारी सुंदर यक्षिणियों की सेना का इंचार्ज राक्षस थोड़ा…  हैंडसम होगा?” मैं आम तौर पर कभी किसी की शक्ल पर तंज नहीं कसता और खप्परसुर वाकई बदसूरत नहीं था, लेकिन मुझे लग रहा था कि वो बहुत घमंडी है। 


    तुषार ने खाँसते खप्परसुर की ओर इशारा करने के लिए हाथ उठाया। “ये तो साफ़ तौर पर गे है। अपुन का गे-डार बीप, बीप, बीप कर रहा है!” 


    तृषा ने सोचते हुए मुँह बनाया – “तुम सही हो तुषार।”


    कामिनी ने भी सिर हिलाते हुए कहा, “हाँ, इस के यक्षिणियों से ज़्यादा यक्ष हैं? शायद कोई…” 


    “बस करो,” खप्परसुर ने मुझे इशारा करते हुए बीच में टोका। “मुझे अच्छे से पता है कि तू क्या करने की कोशिश कर रहा है और ये काम नहीं करेगा। मैं ने सैकड़ों सालों में दर्जनों राक्षसों और दूसरे जीवों को मारा है। क्या तुझे लगता है कि तू वो कर लेगा, जो वो नहीं कर सके?” 


    “मैं कोशिश तो करूँगा,” मैं ने अगले हमले के लिए खुद को तैयार करते हुए कहा। “मैं अपनी लड़कियों की रक्षा के लिए कुछ भी करूँगा।” 


    “आत्मसमर्पण कर दे,” खप्परसुर बोला, “तब मैं तुझे ज़्यादा दर्दनाक मौत नहीं…..” 


    तुषार की एड़ी खप्परसुर की कनपटी पर लगी, जब मेरे भूतिया दोस्त ने कराटे किड स्टाइल में उसे उड़ कर किक मारी, जिस ने खप्परसुर को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दिया। ज़मीन पर उतरते ही तुषार सरकता हुआ गया और खप्परसुर की टांग पर वार कर के उसे गिरा दिया।



    “मैं तो सीधा टांग पे मारूंगा बे, झोपड़ीवाले!” तुषार चिल्लाया और फिर मेरी तरफ मुड़ा। “अबे मार इस गे हरामखोर को, जीवांश!”



    “अभी ले!” मैं ज़ोर से चिल्लाया और अपनी पूरी ताक़त फिर से इकट्ठा कर ली।


    मेरी ज्वाला बैंगनी रोशनी से चमकने लगी, जब कि मैं अभी हमला करने की तैयारी ही कर रहा था। ये थोड़ा अजीब था, लेकिन सोचने का वक्त नहीं था, क्योंकि खप्परसुर तो पहले ही फिर से खड़ा होने लगा था। मैंने हाथ फैलाए और नर्क की बैंगनी आग का एक जबरदस्त गोला छोड़ा, जिसने उस राक्षस को पूरी तरह घेर लिया।


    “मुझे मारने के लिए इस से कहीं ज़्यादा चाहिए!” खप्परसुर की आवाज़ जलती आग के बीच से गूंजी, जैसे कोई दानव नरक से बाहर निकल रहा हो। उसके कपड़े झुलस चुके थे और चमड़ी भी थोड़ी भुनी हुई लग रही थी, लेकिन जब उस ने रुक कर अपनी टाई ठीक की, तब मुझे एहसास हुआ कि उसके घाव तो पहले से भरने लगे हैं। इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, उस ने एक और आग का गोला हमारी ओर फेंक दिया।

    तृषा और कामिनी की पीठ से एक बैंगनी लपट निकली, और उनके पीछे से पंख फूट निकले।


    “हमें यहां से भागना होगा!” तृषा चिल्लाई और मेरी पीछे की कॉलर पकड़ कर खींचते हुए बाहर ले गई। बार की छत थोड़ी नीची थी, लेकिन वो उड़कर हमले से ऊपर निकल गई। नीचे से गुज़री उस सफ़ेद आग ने तो मेरे जूते तक पिघला दिए।



    तृषा ने मुझे अपनी बाहों में लपेट लिया ताकि मुझे बचा सके। एक पल को मैं घबरा गया, लेकिन तभी देखा कि कामिनी ने तुषार को बचा लिया है। और ये वक़्त बिल्कुल सही था, क्योंकि विस्फोट ने बार की दीवार को पूरी तरह उड़ा कर उसे भाप बना दिया और सीमेंट के फर्श तक को उबलते लावे में बदल दिया था।


    “मैं उस का ध्यान भटकाऊंगी,” तृषा ने बोली और मुझे नीचे उतार दिया। कामिनी ने भी तुषार को मेरे पास उतारा। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, सिर हिलाया और फिर दो दिशाओं में फैल गईं ताकि वो अपने पुराने स्वामी को दोनों तरफ से घेर सकें।



    “तुम मेरा शिकार मुझ से छीनने की हिम्मत करी?” खप्परसुर चीखा और उस की झल्लाहट साफ़ झलकने लगी। “तुम जैसी वेश्याएं मेरी रहनुमाई के बिना कुछ भी नहीं हो!”


    उस ने तृषा पर आग का पूरा गोला छोड़ा, लेकिन तृषा ने अपने पंखों से हवा में झपट्टा मारते हुए बड़े ही नज़ाकत से उस हमले को चकमा दे दिया। फिर वो सीधे नीचे झपटी और उड़ते हुए जाते-जाते अपने पुराने मालिक के मुंह पर एक ज़ोरदार मुक्का जड़ दिया। खप्परसुर का पूरा शरीर उस चोट से घूम गया और जब वो खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था, कामिनी ने उस के सीने पर अपनी खुद की आग की गेंद दे मारी। वो सीधा बार के मेन काउंटर से टकरा गया।

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  • 18. यक्षिणी प्रेम - Chapter 18

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक पल के लिए मुझे लगा कि हमने उसे हरा दिया है, लेकिन खप्परसुर मलबे के ढेर से उठ खड़ा हुआ और अपनी गर्दन चटकाई। उस का सूट अब काले खून से सना हुआ था और उस के सीने पर बड़ा सा जला हुआ छेद था।



    कामिनी और तृषा ने फिर उसे दोनों तरफ से घेर लिया। कामिनी बाईं ओर से उस की तरफ आग के गोले पर गोले दागने लगी, वहीं तृषा पास से हमला करने के लिए आगे बढ़ी। खप्परसुर ने कामिनी की आग से तो बचाव कर लिया, लेकिन तृषा की फुर्तीली चाल से वह चौंक गया, जब उस ने अपने दोनों पैर उस की सीने में ठोक दिए और उसे ज़मीन पर घिसटते हुए दूर तक धकेल दिया।


    “चल कुछ करते हैं!” मैं ने तुषार से चिल्ला कर कहा और हम दोनों फिर से मैदान में कूद पड़े।


    तुषार ने खप्परसुर के सीने पर वार किया, जिस से हवा में लाल धुएं का गुबार फैल गया। लेकिन अगले ही पल, खप्परसुर ने उसे एक तरफ फेंक दिया। मैं पास पहुँचा और जितनी हेलफायर छोड़ सकता था, सब छोड़ दी—लेकिन खप्परसुर ने उन हमलों को ऐसे सोख लिया जैसे वो बर्फ की गोलियां हों।



    “तुझे हार माननी आती ही नहीं, है ना?” खप्परसुर बोला और फिर से खड़ा हुआ। उस ने अपनी उंगलियां मोड़ीं और उस के हाथों में लाल आग चमकने लगी।



    “इस जन्म में तो नहीं,” मैं ने तिरस्कार के साथ कहा और खप्परसुर की तरफ एक और आग का गोला मारा।


    वो खप्परसुर तक पहुँचता उस से पहले ही एक काली ज्वाला ने उसे निगल लिया और पल में खत्म कर दिया।


    “बस बहुत हो गया तुम दोनों का तमाशा,” एक तीखी, ऊँची आवाज़ दरवाज़े से आई और हम सब ने उस ओर देखा।



    बार के दरवाज़े से एक बेहद सुंदर और पूरी तरह नग्न लाल बालों वाली युवती अंदर आई। उस के बाल पीठ से नीचे गिरते हुए कसी हुई कमर और उस से नीचे ऐसे ढक रहे थे जैसे स्कर्ट हों। उस का चेहरा दिल जैसा था और बैंगनी आँखें छोटी नाक के मुकाबले कुछ ज़्यादा ही बड़ी लग रही थीं। शरीर छोटा, पतला था और उसकी त्वचा सफेद संगमरमर जैसी दमक रही थी। वो कामिनी और तृषा दोनों से कम उम्र की लग रही थी।


    वो इतनी खूबसूरत थी कि साँसें थम जाएं – ठीक वैसे ही जैसे कामिनी और तृषा।


    वो ऐसे चलती हुई खप्परसुर के पास पहुँची जैसे कोई सुपरमॉडल रैम्प पर चल रही हो। फिर उस के सामने खड़ी हो कर उस ने अपने सीने को हाथों से ढक लिया।


    खप्परसुर का गुस्से से भरा चेहरा अब झुंझलाहट में बदल गया। “तू यहाँ क्यों आई है, श्रेयाली?”


    “तुम को पता है क्यों आई हूँ,” श्रेयाली ने माथे पर शिकन ला कर कहा – “तुम्हें तो पृथ्वी लोक में होना ही नहीं चाहिए था।”



    “ये इंसान दुर्नायक की सब से कीमती दो यक्षिणियों को छीनने की कोशिश कर रहा है,” खप्परसुर ने कहा – “मैं तो बस अपने स्वामी का भला कर रहा हूँ और…”


    श्रेयाली ने सिर हिलाया और हाथ लहरा कर उसे चुप करा दिया। “मुझे खुद उन्हीं ने भेजा है। कामिनी और तृषा ने अभी इस इंसान के साथ अपना अनुबंध पूरा नहीं किया है। इस का मतलब…”


    “तू मज़ाक कर रही है,” खप्परसुर ने लंबी सांस लेते हुए कहा।


    “बिलकुल नहीं,” श्रेयाली ने साफ़ कहा।


    “रुको, इस का मतलब क्या हुआ?” मैं ने पूछा और दोनों की आँखें मेरी तरफ घूम गईं।


    खप्परसुर ने अपनी बाँहें सीने पर बाँधी और आँखें घुमा कर बोला — “इन्हें तब तक पृथ्वी पर रहने की इजाज़त है, जब तक ये सारी शर्तें पूरी नहीं कर लेतीं।”


    “बिलकुल सही!” कामिनी खुशी से चहकी – “मैंने अभी तक वो सारी नॉटी चीजें नहीं कीं जो जीवांश ने अपनी लिस्ट में लिखी थीं!”


    “और मुझे तो अभी इस के साथ एक नई लिस्ट बनानी है!” तृषा खिलखिलाई, फिर दोनों लड़कियों ने एक-दूसरे को गले लगाया और मुझे देख कर मुस्कुराने लगीं।



    “मैं इन्हें लिए बिना यहाँ से नहीं जाऊँगा,” खप्परसुर गुर्राया, उस की नज़र उस तीसरी यक्षिणी पर टिकी थी।


    “तुम्हें हमारे नियम समझ नहीं आते क्या, खप्परसुर?” श्रेयाली ने आइब्रो उठाते हुए पूछा।


    “हाँ-हाँ, मुझे बुनियादी उसूल समझ में आते हैं,” खप्परसुर झुंझलाया, “लेकिन इस मामले में मैं…”


    “मुझे नहीं लगता कि तुम्हें सच में समझ है, खप्परसुर,” श्रेयाली ने नाक सिकोड़ते हुए उस की बात काट दी जिस से खप्परसुर का चेहरा और भी चिढ़ गया।


    “इन्हें इस इंसान के साथ करार में आए हुए चौबीस घंटे हो चुके हैं,” खप्परसुर ने तर्क दिया। “इस लौंडे ने साफ-साफ कहा है कि ये इन्हें हम से छीनना चाहता है! मैं तो बस खतरे को पहले ही खत्म कर रहा हूँ, इससे पहले कि ये और बढ़ जाए।”


    श्रेयाली बोली – “हम दोनों जानते हैं कि करार ऐसे नहीं चलता,” उस ने सिर हिलाया और उसके लाल बाल कमर के चारों ओर लहराने लगे। “दुर्नायक को तुम्हारी लगन की कद्र है, लेकिन उन्होंने तुम्हें वापस बुलाया है। तुम इस इंसान से सौदेबाज़ी कर सकते हो, शर्तें बदल सकते हो, लेकिन पहले हमारी लड़कियों को अपनी ज़िम्मेदारी निभाने दो। अगर ग्राहक अधूरा रह जाए, तो फिर यक्षिणियाँ किस बात की हुईं?”



    “ठीक है,” खप्परसुर गुर्राया, उस की बैंगनी आँखों में आग सी चमकी, “मैं तुम सब को एक और मौका दे रहा हूँ। तेरी यक्षिणियाँ अगले बहत्तर घंटे में करार की बची हुई शर्ते पूरी कर लें। अगर नहीं किया... तो फिर अंजाम भुगतना पड़ेगा – इन्हें भी और तुझे भी जीवांश।”


    तुषार हँसता हुआ बोला –  “लगता है आज तेरा बॉस तुझे चटनी बना के चाटेगा। भाग जा वापस, नहीं तो जीवांश भी तेरी लंका लगा देगा!”


    “ये खत्म नहीं हुआ है।” खप्परसुर ने अपना फटा हुआ सूट सही किया और दरवाज़े की ओर बढ़ गया। जैसे ही वो गया, उस के साथ ही सल्फर की भयंकर बदबू भी चली गई। अब बार में सिर्फ बासी बियर, सिगरेट के धुएं और खराब खाने की बू रह गई थी।


    श्रेयाली ने यक्षिणियों की ओर देखा और नाराज़ हो कर बोली — “ये सब क्या तमाशा था? मैं तुम्हें खप्परसुर और दुर्नायक से हमेशा नहीं बचा सकती।”


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  • 19. यक्षिणी प्रेम - Chapter 19

    Words: 1046

    Estimated Reading Time: 7 min

    “अरे ओए, ये जापानी कार्टून जैसी बाई कौन है रे?” तुषार ने गर्दन टेढ़ी करके पूछा, “और इस ने उस गे लॉर्ड को हमारे हाथों धुलाई से क्यों बचाया?”



    “ये श्रेयाली है,” कामिनी ने चुप्पी तोड़ी। “ये हमारी सीनियर है।”


    “और मुझे तो लग रहा है खप्परसुर हमारी बजाने ही वाला था,” मैं ने लंबी साँस लेते हुए कहा। “मैं ने अंदाजा ही नहीं लगाया था कि वो इतना ताक़तवर है।”



    लाल बालों वाली श्रेयाली ने अपनी जामुनी आँखें मेरी तरफ घुमाते हुए कहा, “लेकिन मुझे ये देख कर हैरानी हो रही है कि तुम अब तक ज़िंदा हो। उसे तो एक पल में तुम्हें मिटा देना चाहिए था।”



    “बोला ना मैं, अपना बंदा झकास है! पूरा झंझावात है!” तुषार हँसते हुए बोला।



    “हाँ, इस में कुछ तो खास बात है,” श्रेयाली ने मेरी तरफ धीरे से नीचे तक देखा और फिर उस के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई।



    “बहन श्रेयाली,” तृषा ने नग्न श्रेयाली को संबोधित किया, “हम यहीं जीवांश के साथ रहना चाहती हैं। ये हमारे लिए खप्परसुर, दुर्नायक या श्राविका से कहीं बेहतर स्वामी है।”



    “खतरनाक खेल खेल रही हो तुम, तृषा…” श्रेयाली ने चेतावनी दी। “ये इंसान बहुत आकर्षक है, लेकिन है तो अब भी एक नश्वर। अगर तुम इस के साथ रहने का फैसला करती हो, तो मैं तुम्हें किसी भी खतरे से नहीं बचा सकूंगी।”


    “पूरे सम्मान के साथ कह रही हूँ, बहन, जब एक बार जीवांश अपनी शक्तियों पर नियंत्रण पा लेगा, तो हमें आप की मदद की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।” सुनहरी बालों वाली यक्षिणी ने कंधे उचकाते हुए कहा।



    श्रेयाली ने मेरी ओर इशारा किया, “मैं उम्मीद करती हूँ कि तुम सही साबित हो वरना ये गया काम से। समझौते में बदलाव कर दिया गया है – अब तुम्हारे पास और बहत्तर घंटे हैं। इन का समझदारी से इस्तेमाल करना।”


    श्रेयाली हमारी टोली से कुछ कदम दूर चली गई, अपने हाथ नीचे गिरा दिए और अपने पैर फैला दिए, जिस से उस का नाज़ुक शरीर पूरी तरह उजागर हो गया। तभी हरे रंग की लपटें उस के पूरे शरीर को घेरने लगीं। श्रेयाली ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर शरारती मुस्कान दी और फिर वो लपटों में गायब हो गई।


    हम चारों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और थकान से ज़मीन पर गिरते हुए ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।


    “भगवान का शुक्र है इन कॉन्ट्रैक्ट की लूपहोल्स वाली शर्तों के लिए, नहीं?” मैंने हँसते हुए कहा।


    “पूरा मामला तो जैसे ऊपरवाले की सेटिंग लग रही है, भाई!” तुषार भी हँसते हुए बोला।


    कामिनी ने अपनी काली लटों को घुमाते हुए ज़मीन की ओर देखा। “तो… क्या अब हमें अपने कॉन्ट्रैक्ट पूरे करने होंगे?”


    “बिलकुल नहीं!” मैं ने ज़ोर से कहा। “हम किसी भी हालत में ऐसा नहीं करने वाले। उस कमीने ने बस हमें कुछ और दिन दिए हैं ताकि हम सोच सकें कि इस गड़बड़ से बाहर कैसे निकलें।”


    “हमें तुम्हारी पावर्स को बेहतर ढंग से जगाने में मदद करनी होगी, और ये भी जानना होगा कि हम एक टीम की तरह कैसे सब से अच्छा काम कर सकते हैं,” तृषा ने कहा, जब हम चारों थके-थके से बार से बाहर निकल रहे थे।


    “तुम सही कह रही हो,” मैं ने सिर हिलाते हुए अपनी टूटी हुई घड़ी की तरफ देखा और मुस्कुराया। “अब हमारे पास खप्परसुर के लिए तैयार होने का बहुत वक्त है। अगर हमें उस के सामने टिकना है, तो हमें ज़बरदस्त ट्रेनिंग करनी पड़ेगी। और फिर शायद... हाँ, शायद हमारे पास खेलने का भी थोड़ा सा वक्त बच जाए। हमें किसी भी तरह अपना आपसी रिश्ता और मज़बूत करते रहना होगा।”


    “तुम तो जानते ही हो, खेलने के लिए मैं हमेशा रेडी रहती हूँ,” कामिनी ने शरारती मुस्कान के साथ बोला।


    मैं ने तृषा की जामुनी आँखों में सीधा देखा और दोनों हाथ उस के कंधों पर रख दिए। “मैं जानना चाहता हूँ कि मैं असल में क्या-क्या कर सकता हूँ। मुझे सब कुछ दिखाओ।”


    हम चारों मेट्रो में चढ़े और शहर के सबसे जर्जर हिस्से की ओर निकल पड़े। ये जगह भले ही किसी वक्त एक फैला हुआ महानगर रही हो, लेकिन यहाँ भी परेशानियाँ कम नहीं थीं। मैं खुद भी शहर के एक खराब इलाके में रहता था, लेकिन जहाँ हम अब खड़े थे, वहाँ का हाल देख कर मेरा घर तो किसी लग्ज़री रिसॉर्ट जैसा लगने लगा। इस इलाके में पहले दर्जनों फैक्ट्रियाँ हुआ करती थीं, जिन में हजारों लोग काम करते थे। पर जैसे ही कंपनियों ने सस्ता मज़दूर पाने के लिए काम बाहर भेजना शुरू किया, यहाँ के लोग बेरोज़गार और बेसहारा हो गए। ये सब देख कर मुझे अपने पास जो थोड़ा-बहुत था, उस की कद्र और बढ़ गई।


    रेलवे स्टेशन से कुछ ही ब्लॉक दूर एक पुराना मकान खड़ा था, ऐसा लग रहा था जैसे उसे दशकों पहले ही छोड़ दिया गया हो। उस की ईंटों की दीवारें जगह-जगह से झड़ चुकी थीं और अब वो टूटे टुकड़े घास में बिखरे पड़े थे। कई खिड़कियाँ लकड़ी के पट्टों से बंद थीं, और जो नहीं थीं, वो इतनी टूटी-फूटी थीं कि शायद उन्हें भी बंद ही कर देना चाहिए था। जैसे ही हम उस घर के अंदर दाखिल हुए, हवा में एक अजीब सी फफूंदी की बदबू नाक में चुभ गई। शायद ये सीलन उस छत से आ रही थी जिस में बरसों से बारिश टपकती रही थी।


    “अबे बाप रे, इस भूत बंगले को तो ऐसी गाली वाली रिव्यू दूँगा… पाँच में से जीरो स्टार, एकदम चकनाचूर रेटिंग!” तुषार ने मटमैले पानी में पैर रखते ही मुँह बनाया। “कसम से, दोबारा यहाँ भूल के भी नहीं आने का!”


    “अगर इस से थोड़ी तसल्ली मिलती है, तो सुन लो — आज दिन ख़त्म होने तक ये जगह शायद तबाह हो चुकी होगी,” मैं ने कंधे उचकाते हुए कहा, “अगर इन दोनों की बात सही निकली और मेरी शक्तियाँ वाकई इतनी ज़ोरदार निकलीं तो।”


    तृषा ने मुझे भरोसा दिलाया – “तुम्हें जो हम अब तक सिखा चुके हैं, उन पर तुम्हारा ठीक-ठाक कंट्रोल आ चुका है, अब बस उन्हें और मज़बूत करना है, और तुम्हें अपनी पूरी ताक़त से वाकिफ़ कराना है। ये जगह ट्रेनिंग शुरू करने के लिए एकदम परफेक्ट है। तुम्हें याद है ना, तुम्हारे पास हेलफायर को कंट्रोल करने की क्षमता है — कम से कम उस की लपटों को। और आइसक्रीम शॉप वाला सीन याद है? तुम्हारी आइसक्रीम हमारी तुलना में सब से पहले पिघल गई थी।”

    ⋙ (...To be continued…) ⋘

  • 20. यक्षिणी प्रेम - Chapter 20

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    “तुम्हारी आइसक्रीम को तो पिघलने का मौका ही नहीं मिला,” मैं ने मुस्कुराते हुए उस सीन को याद करते हुए कहा – “तुम लोग तो ऐसे टूट पड़ी थी जैसे सालों से भूखी हो।”


    “मुझे अच्छी तरह पता होता है कि मेरी ज़ुबान क्या कर रही होती है… और वो हमेशा ही जानती है,” सुनहरी बालों वाली तृषा ने खिलखिला कर कहा और आँख मारी। “खैर, जैसे तुम लपटों से हमला कर सकते हो, वैसे ही हेलफायर की सिर्फ गर्मी को भी हवा में भेजा जा सकता है।”



    “तुम कह रही हो जैसे मैं कोई चलता-फिरता हीटर बन सकता हूँ?” मैं ने हैरानी से पूछा। “मुझे समझ नहीं आ रहा कि इस से हमारी क्या मदद होने वाली है।”



    “बस मुझ पर भरोसा करो,” तृषा ने समझाया – “अपनी भावनाओं की गहराई में उतर जाओ। ऐसा कुछ सोचो जो दिल को सुकून दे, लेकिन गुस्से में न ले जाए।”


    “मैं तो इस एक्सरसाइज़ के लिए प्यारे जानवरों के बारे में सोचती हूँ,” कामिनी हँसते हुए बोली।



    मैंने आंखें बंद कीं और ऐसी चीज़ के बारे में सोचने की कोशिश की जिससे मेरा दिल पिघल जाए। शुरुआत में मैंने कामिनी की सलाह मानी और उन चीज़ों पर ध्यान लगाया जो आम तौर पर ‘प्यारी’ मानी जाती हैं। मुझे कुछ महीने पहले ज़ू में दिखा बेबी पांडा याद आया और फिर वो छोटा पपी भी जिसे बचपन में पाला था मैं ने। लेकिन… कुछ भी नहीं हुआ।


    “ध्यान लगाओ,” तृषा की आवाज़ आई, जो मुझे शांत और केंद्रित करने की कोशिश कर रही थी।


    मैं ने सिर झटका ताकि सारे उलझे हुए ख्याल साफ़ हो जाएं। फिर उस बार के बारे सोचा जहाँ हम चारों एक साथ बैठे थे। फिर मुझे वो पल याद आया जब कामिनी की गर्म हथेलियाँ मेरे शरीर से लिपटी थीं, जब हम साथ सो रहे थे। मुझे याद आया जब तृषा परेशान थी और मैं ने उसे चुप कराया था। तभी मेरे हाथों में हल्की गर्मी सी महसूस हुई और शरीर का तापमान बढ़ने लगा। जब आंखें खोलीं, तो देखा कि तीनों दोस्त मुझे गौर से देख रहे थे। कामिनी ने जमीन की ओर इशारा किया जहाँ पहले पानी की छींटें थीं, और तृषा बस मुस्कुरा कर सिर हिला रही थी। कमरे के सारे गीले हिस्से सूख चुके थे।



    मैं ने मानते हुए कहा – “काफ़ी दमदार था। लेकिन मुझे अब भी नहीं समझ आ रहा कि ये खप्परसुर के खिलाफ हमारी क्या मदद करेगा।”


    “धीरे-धीरे आगे बढ़ो, जीवांश,” तृषा ने जवाब दिया। “अगर तुम इन आम शक्तियों पर नियंत्रण पा लेते हो, तो बाकी बड़ी शक्तियाँ और काम और आसान हो जाएंगे।”


    “मैं तो पहले ही तुम दोनों के साथ सो चुका हूँ… और वो भी काफी जोश में।” मैं ने मुस्कराकर कहा, “या फिर तुम ये कह रही हो कि हमें ये काम और बार-बार करना चाहिए…”


    “हां, बिल्कुल। तुम हम दोनों के साथ सो चुके हो, और हम भी एक-दूसरे के साथ…” तृषा ने कहना शुरू किया।


    मैं अपने कानों पर यकीन नहीं कर पाया, “एक-दूसरे के साथ?”


    “हां!” तृषा ने बीच में कहा – “हम दोनों सदियों से यक्षिणी हैं। तुम्हें लगता है हम ने कभी इस बारे में नहीं सोचा होगा? ये तो हर उस इंसान की फैंटेसी होती है जो हमें बुलाता है। और वैसे भी, तुम्हारी लिस्ट में भी ये है।”


    “बिलकुल,” मैं हँसा। “मैं तो बेसब्री से इंतज़ार कर रहा हूँ।”


    “हम भी,” कामिनी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।


    “तो फिर ये कब होगा?” दोनों हसीनाओं के साथ एक बेड शेयर करने का ख्याल आते ही मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा था।


    तृषा हँसी और हमारे बदबूदार माहौल को देखते हुए बोली, “यहाँ नहीं यार। पहले ट्रेनिंग खत्म कर लो, फिर बात करेंगे,”


    “क्या … तुम्हें लगता है एक साथ से हमारा बंधन और मज़बूत होगा?” मैं ने पूछा। “वैसे मैं तो कोई शिकायत नहीं करने वाला!”


    कामिनी ने कंधे उचकाए। “पक्का नहीं कह सकती। लेकिन अगर हम शारीरिक जुड़ाव को जल्दी गहरा करने का कोई तरीका निकाल पाएं… तो ट्राय करना तो बनता है ना?”


    “अबे सुन बे, मैं भी तो ग्रुप में हूँ न!” तुषार ने डरते-डरते पूछा – “मुझे इस चक्कर में घुसना तो नहीं पड़ेगा ना? अपन को वो वाला सीन नहीं पसन्द, समझा क्या!”


    कामिनी ने कंधे उचकाते हुए कहा, “तुम दोनों के बीच तो पहले से ही दोस्ती वाला कनेक्शन है।”


    “शुक्र है यार,” तुषार ने सिर हिलाते हुए कहा।


    तृषा मुस्कराई और अगला स्टेप सोच कर बोली, “हम पूरे बहत्तर घंटे सिर्फ ट्रेनिंग में तो नहीं बिता सकते। जब ये ट्रेनिंग वाला हिस्सा खत्म हो जाए, तो हमें कहीं और जा कर अपने रिश्ते को गहरा करने की कोशिश करनी चाहिए। उम्मीद है कि तुषार के बार से या इस जगह से बेहतर कोई जगह मिले।”


    “ए, बार तो झक्कास था बे! और तुम्हें भी पता है ये बात!” तुषार ने हाथ सीने पर मोड़े और जीभ निकाल दी।


    “झक्कास था? कचरा था बस।” सुनहरी बालों वाली ने पलट कर जवाब दिया और फिर मेरी तरफ मुड़ गई।


    “एक रैंडम सवाल पूछ लूं, फिर कठिन चीज़ों पर चलते हैं,” मैं ने यक्षिणियों की तरफ देख कर अपने सिर पर हाथ मारा। “तुम लोगों के सींग क्यों नहीं हैं? क्या वो राक्षसों की पहचान नहीं होती?”


    तृषा ने समझाते हुए कहा, “जिस तरह हमारे पंख हैं, उसी तरह सींग भी शक्ति-स्तर से जुड़े होते हैं। शायद तुम्हें पता हो या न हो, लेकिन हर राक्षसी ताकत विभ्रष्ट से आती है। जब भी हम उस की शक्ति का इस्तेमाल करते हैं, तो आभार के रूप में हमारे सिर से सींग उगते हैं – यह एक तरह से सम्मान पेश करने जैसा है। जितना शक्तिशाली राक्षस होता है, उतना ही वह जादू करते वक़्त विभ्रष्ट जैसा दिखने लगता है।”


    कामिनी ने आगे जोड़ा, “जब हम खप्परसुर के अधीन थीं, तब हर लड़ाई में हमारे सिर पर बड़े-बड़े सींग निकल आते थे। क्योंकि हम अनगिनत युगों से उस की सेवा कर रही थीं। अब जब हम ने नया स्वामी चुना है, तो सींगों का अपने पुराने आकार तक लौटना थोड़ा समय लेगा।”


    “और मेरा क्या? अगर मैं नर्क की शक्ति का इस्तेमाल कर रहा हूँ, तो मेरे सींग क्यों नहीं उगे?” मैं ने पूछा।


    तृषा ने कंधे उचकाते हुए कहा, “हमें नहीं पता। हमने पहले कभी किसी इंसान को अपना स्वामी नहीं बनाया, चाहे खप्परसुर ने तुम से कुछ भी क्यों न बोला हो।”



    “एक और रैंडम सवाल है,” मैं बोला – “पता है मैं बहुत पूछता हूँ, लेकिन क्या हर तरह की हेलफायर का रंग अलग होता है?”

    ⋙ (...To be continued…) ⋘