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ये कहानी है अभिमन्यु और मोहब्बत की जो की एक दुसरे से बिल्कुल अलग थे। जहां अभिमन्यु गुस्से वाला और खड़ूस इन्सान है। अभिमन्यु बहुत गुस्से में रहता है। हर वक्त गुस्सा और लोगों को मारना ही उस का काम है। लोगों की नजर में वह एक नर्क का राजा है। तो वही दुसर... ये कहानी है अभिमन्यु और मोहब्बत की जो की एक दुसरे से बिल्कुल अलग थे। जहां अभिमन्यु गुस्से वाला और खड़ूस इन्सान है। अभिमन्यु बहुत गुस्से में रहता है। हर वक्त गुस्सा और लोगों को मारना ही उस का काम है। लोगों की नजर में वह एक नर्क का राजा है। तो वही दुसरी तरफ है। मोहब्बत है। एक डरी सहमी सी 16 साल की मासुम सी बच्ची। जिस के खुद के संगे पिता ने 14 साल की उम्र में ही उस से तिन गुना ज्यादा बड़े आदमी से शादी करा दी। और शादी के बाद ही मोहब्बत विधवा हो गई। जिसे बाद उस की जिंदगी नर्क बन गई। तो कैसे होगी अभिमन्यु और मोहब्बत की मुलाकात। कैसे मिलेंगे दोनों के दिल । क्या मोहब्बत को मिलेगा कभी प्यार।
मोहब्बत
Heroine
अभिमन्यु मित्तल .....
Hero
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इटली
घने जंगल के बीच एक विला था, जो देखने में किसी खंडहर की तरह लग रहा था, पर वह खंडहर नहीं था। उस विला के बाहर नेमप्लेट पर Hell King लिखा हुआ था।
विला को चारों तरफ से गार्ड्स ने घेर रखा था, और उन गार्ड्स के हाथों में मशीन गन थी। सभी गार्ड्स दिखने में काफी ज्यादा डरावने लग रहे थे।
सभी गार्ड्स ने काले रंग के कपड़े पहन रखे थे, जिन पर King का लोगो लगा हुआ था।
उस विला के अंदर से किसी के चीखने की आवाजें आ रही थीं, जिन्हें सुनकर ही लग रहा था कि किसी को बहुत बेरहमी से टॉर्चर किया जा रहा है।
इतनी भयानक और दर्द भरी चीखें सुनने के बाद भी किसी भी गार्ड के चेहरे पर शिकन तक नहीं थी। सभी गार्ड्स निर्विकार भाव से खड़े थे, जैसे उनके लिए यह आम बात हो।
उस विला के अंदर एक लड़के को बहुत बुरी तरह से टॉर्चर किया जा रहा था। उस लड़के के शरीर पर इस वक्त एक भी कपड़ा नहीं था। उसके शरीर पर जगह-जगह चोटों के निशान थे, और उसके शरीर से खून बह रहा था। उसकी हालत काफी खराब थी।
उस लड़के ने अपने सामने बैठे एक हैंडसम लड़के को देखा और कांपती आवाज़ में कहा, "मु...मुझे माफ कर दो... मुझसे गलती हो गई। मैं अब किसी भी लड़की को नहीं देखूंगा। मैं किसी लड़की को हाथ भी नहीं लगाऊंगा। बस... मुझे छोड़ दो।"
वह लड़का, जो सामने सोफे पर बैठकर दूसरे लड़के को टॉर्चर होते हुए देख रहा था, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वह बेहद हैंडसम था। उसकी मस्कुलर बॉडी, जिसे उसने जिम में घंटों मेहनत करके बनाया था, और उसकी हरी आंखें, जो गुस्से में चमक रही थीं, उसे और भी डरावना बना रही थीं। उसकी उम्र लगभग 26-27 साल रही होगी।
वह लड़का बड़े ही एरोगेंट अंदाज में बैठा था। उसके चारों ओर का ओरा इतना खतरनाक था कि वहां खड़े गार्ड्स के डर के मारे पसीने छूट रहे थे। उसी दौरान, जब टॉर्चर हो रहा लड़का गिड़गिड़ाते हुए कुछ बोल रहा था, तो सोफे पर बैठे उस लड़के की आंखों में गुस्सा भर आया। उसने अपनी जलती हुई निगाहों से उसे घूरते हुए देखा और ठंडी, मगर खौफनाक आवाज में कहा, "किंग की अदालत में किसी गुनाह की माफी नहीं होती। अगर कुछ होता है, तो वह है सिर्फ सजा।"
इतना कहकर किंग अपने सोफे से उठ खड़ा हुआ और धीमे कदमों से उस लड़के के पास पहुंचा।
किंग की यह बात सुनकर वह लड़का डर से कांपने लगा। उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा,
"किंग, प्लीज मुझे छोड़ दो। मैं आइंदा ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा।"
उसकी बात सुनकर किंग ने गुस्से से उसका गला पकड़ लिया और खतरनाक आवाज में कहा,
"तू अपने गुनाह को गलती का नाम दे रहा है? तूने एक मासूम बच्ची का रेप किया और फिर उसे बड़ी बेरहमी से मार दिया। और अब तू चाहता है कि मैं तुझे माफ कर दूं? नहीं! तुझे मैं ऐसी सजा दूंगा कि तू इस जन्म में तो क्या, अगले सात जन्मों तक इसे याद रखेगा।"
किंग की इतनी खतरनाक आवाज सुनकर वहां खड़े गार्ड्स का भी बुरा हाल हो गया। उस लड़के को तो मानो किंग के रूप में अपनी मौत नजर आ रही थी।
वहीं किंग जो कि हमारी कहानी का हिरो है। अभिमन्यु मित्तल। जो कि इंडिया का no 1 business tycoon है। साथ ही में वह एक माफिया किंग भी है। जिसे लोग नकर का राजा कहते हैं। अभिमन्यु के बारे में आगे कहानी में जानेंगे। अभी चलते हैं कहानी की और अभिमन्यु उस लड़के को अपनी जलती हुई निगाहों से देख रहा था।
अभिमन्यु ने उस लड़के को देखते हुए। अपने पिछे हाथ कर लिया। तो उसके बॉडीगार्ड ने जल्दी से उसके हाथ में एक लोहे की किल ने लगा हुआ चाबुक दे दिया। जिस पर नूकूले किल लग रहें थे। जो एक पड़ने पर ही किसी की जान ले लें।
अभिमन्यु ने उस लड़के के ऊपर उस चाबुक से मारना शुरू कर दिया। जिसे उस लड़के की खाल उस चाबुक के साथ निकल रही थी। जिसे उस लड़के के पिरान हाथ में आ रहें थे।
उस लड़के ने कहा, “किंग माफ़ कर दो। मैं अब नहीं करूंगा।”
उस लड़के की बात सुनकर अभिमन्यु और भी ज्यादा गुस्से में आ गया उसने कहा, “तु ने उस बच्ची का रेप किया और तु उसे गलती बता रहा है। तुझे पता भी है तुने किया किया है। तुझे तो मैं उस बच्ची से भी ज्यादा दर्द दुगा। जिसे तेरी रूह भी काफ जायें गई।”
इतना कहकर अभिमन्यु ने वह नुकीले कील का चाबुक उस लड़के के प्राइवेट पार्ट पर मार दिया। उसकी दर्दनाक चीख पूरे विला में गूंज गई। वहां खड़े गार्ड्स भी एक पल के लिए कांप उठे।
अभिमन्यु ने उस लड़के के प्राइवेट पार्ट पर तब तक चाबुक बरसाया, जब तक उस लड़के की दर्द से मौत नहीं हो गई।
उसने चाबुक को साइड में फेंक दिया और सोफे पर बैठकर एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ाकर सिगरेट के कस लेने लगा।
अभिमन्यु की आंखों में अभी भी गुस्सा झलक रहा था। उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और सोफे पर सिर टिका कर बैठ गया।
अभी वह अपनी आंखें बंद करके बैठा ही था कि तभी उसका असिस्टेंट उसके पास आया और सिर झुका कर बोला, "किंग, जिस काम के लिए आपने कहा था, वह हो गया है। लेकिन उसके लिए आपको इंडिया जाना होगा। आपकी वहां जरूरत पड़ेगी।"
अभिमन्यु ने कहा, "ठीक है, जाने की तैयारी करो। हम आज ही जाएंगे। मैं अब इस काम में और देरी नहीं करूंगा। मुझे यह काम जल्द से जल्द निपटाना है।"
अभिमन्यु की बात सुनकर असिस्टेंट बोला, "ओके बॉस।"
वह जाने लगा तो अभिमन्यु ने कहा, "रोहित, इस लड़के की लाश को ले जाओ और उस लड़की के घर के बाहर फेंक दो। उस बच्ची के माता-पिता को भी तो पता चलना चाहिए कि उनकी बच्ची को न्याय मिल गया है।"
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित ने वैसा ही किया।
वहीं दूसरी तरफ, रामगढ़ गांव में।
एक लड़की तालाब के किनारे अपनी आंखों में आंसू लिए बैठी थी। उस लड़की की खूबसूरत नीली आंखों में आंसू किसी ओस की बूंद की तरह चमक रहे थे। वह लड़की दिखने में किसी परी से कम नहीं थी। वह बहुत खूबसूरत थी। गोरा रंग, नीली आंखें, गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ। उसके ऊपरी होंठ के पास एक काला तिल था, जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था।
कमर से नीचे तक आते लंबे बाल। उसकी उम्र करीब 16 साल की होगी। उसकी हाइट लगभग 5 फुट 3 इंच होगी। कुल मिलाकर वह लड़की बला की खूबसूरत थी।
उसने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी, जिसे उसके गोरे रंग ने और निखार दिया था। उसने अपने शरीर को अपनी सफेद साड़ी से इस तरह ढक रखा था कि कोई भी उसके शरीर को देख नहीं सकता था। बस उसने अपना चेहरा खुला रखा था, पर उसके सिर पर भी साड़ी का पल्लू रखा हुआ था।
tu be continued ✍️ ✍️..
वहीं दूसरी तरफ, रामगढ़ गांव में।
एक लड़की तालाब के किनारे अपनी आंखों में आंसू लिए बैठी थी। उस लड़की की खूबसूरत नीली आंखों में आंसू किसी ओस की बूंद की तरह चमक रहे थे। वह लड़की दिखने में किसी परी से कम नहीं थी। वह बहुत खूबसूरत थी। गोरा रंग, नीली आंखें, गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ। उसके ऊपरी होंठ के पास एक काला तिल था, जो उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था।
कमर से नीचे तक आते लंबे बाल। उसकी उम्र करीब 16 साल की होगी। उसकी हाइट लगभग 5 फुट 3 इंच होगी। कुल मिलाकर वह लड़की बला की खूबसूरत थी।
उसने सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी, जिसे उसके गोरे रंग ने और निखार दिया था। उसने अपने शरीर को अपनी सफेद साड़ी से इस तरह ढक रखा था कि कोई भी उसके शरीर को देख नहीं सकता था। बस उसने अपना चेहरा खुला रखा था, पर उसके सिर पर भी साड़ी का पल्लू रखा हुआ था।
तो ये है हमारी कहानी की हिरोइन मोहब्बत जो की बहुत मासूम है। मासुमियत तो इसके चहरे पर ही झलकती है। पर कोई देखता नहीं है। इस की मासुमियत को। बचपन से लेकर आज तक मोहब्बत को किसी का प्यार नहीं मिला। अगर कुछ मिला है तो वो है लोगों की नफ़रत। लोगों की गन्दी नजरे । जिन्हें देखने भर से ही मोहब्बत डर से कांप जाती है। मोहब्बत को हर कोई कुछ ना कुछ कहता ही रहा था। जिसे वह चुप सुन लेती थी।
इतनी कम उम्र में ही उसने इतना कुछ सह लिया था की। अब तो उस के जिने की इच्छा ही खत्म हो गई थी। वह हर वक्त भगवान से अपनी मौत मांग रही थी। पर कम वक्त आ ही नहीं रही थी।
मोहब्बत तालाब के किनारे बैठ कर डुब ते हुऐ सूरज को देख रहीं थीं। उसकी आंखों में आसूं निकल रहें थे। उस की आंखें खाली थी। उन में कुछ नजर नहीं आ रहा था। सिवाय ख़ाली पन के। और आंसुओं के।
मोहब्बत ने डूब थे हुए सूरज को देखते हुए कहा। हमारी जिंदगी में इतना दुख क्यों लिखा है महादेव। हमारी क्या ग़लती है जो हमें इतना दर्द दें रहें हैं। क्यों आप ने हमारी जिंदगी में थोड़ा सा भी प्यार नहीं दिया। इतना कहकर मोहब्बत की आंखों के आंसु और भी तेजी से बढ़ गये। वह रो रही थी पर उस के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। बस उस की आंखों के आंसु वह रहें थे।
तभी उसे किसी के चिल्लाने के आवाज आई जिसे सुन वह डर से कांप उठी। वह हिम्मत कर के उठीं उस के पैर डर से कांप रहें थे। और कुछ उस के पैरों में चोट भी लगी थी। वह जिसे उसे चला भी नहीं जा रहा था।
मोहब्बत हिम्मत कर के जहां से आवाज आई उस दिशा में चली गई। मोहब्बत को फिर से आवाज आई। ओ कलमुंही कहा मर गई। अरे कूलछनी कहा चलीं गईं। लगता है आज की मार को भुल गयी। दुबारा खुराक़ देनी पड़ेगी। इस महारानी को। जब देखो। ये मनहूस काम ना करने के बहाने ढूंढती रहती है।
एक घर जो दिखने में ज्यादा बड़ा नहीं था। पर उसे देख कर लग रहा था कि उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है। उस घर के अंदर से एक बुड्ढी औरत जिस की उम्र यही करीब 70 के आस पास की होगी। वह जोर जोर से चिला कर मोहब्बत को यहां सब कह के बुला रही थी।
मोहब्बत जो कि अभी अभी घर के अंदर लड़खड़ाते हुए कदमों से चलती हुई। आनंद ही आ रही थी। अपनी सांस की बातें सुनकर उस की आंखें फिर से नम हो गई।
तो वहीं वह बुड्ढी औरत मोहब्बत को देख कर अपनी नफरत भरी नजरों से देखते हुए कहती हैं। कहा मर गई थी। तुझे दिखाई नहीं दे रहा है। की ख़ाने का वक्त हो गया है। और तु महारानी बन कर यहा से वहां गुम रहीं हैं। चल जल्दी से खानें को बना। यहां खाना बनाने को तेरी मारी हुई मां। यहां तेरा शराबी बाप नहीं आने वाला। चल निकल यहा से।
मोहब्बत अपनी सास की बात सुन कर रसोई घर की तरफ चली गई।
मोहब्बत का चहरा साड़ी के पहलु से ढका हुआ था। उसे इजाजत नहीं थी अपना चहरा किसी को भी दिखाने की। हालांकि कोई भी मोहब्बत का चहरा ही नहीं देखना चाहता था। सब उसे मनहूस समझते थे। सब सोचते थे कि उस का चहरा देख लिया तो सब का दिन खराब जायेगा। या फिर कोई ना कोई मर जायेगा। अब सब ऐसा क्यों सोचते थे। ये तो कहानी में आगे ही पता चलेगा।
मोहब्बत के ससुराल में बहुत लोग थे। करीब 12.13 लोगों का खाना मोहब्बत अकेले मट्टी के चूले पर बनातीं है। हालांकि घर में गैस सिलेंडर है पर फिर भी मोहब्बत को परेशान करने के लिए उसकी सासु मां उसे चुले पर ही खाना बनाती थी।
तो चलो कहानी सुरू करने से पहले जान लेते हैं मोहब्बत के ससुराल वालों के बारे में।
वह बुड्ढी औरत जो कि मोहब्बत को सुना रही थी। वह है उस की सासु मां। और इनके तिन बेटे एक बेटी है। हालांकि चार बेटे थे पर उन का बड़ा बेटा। जो कि मोहब्बत का पति था। उसकी मौत हो गई थी। जिस के बारे में हम बाद में पड़ेंगे।
मोहब्बत के तिन देबर और तिन देवरानी थी। उन तिनों के बच्चे भी मोहब्बत से ज्यादा बड़े थे। और उन में से दो बच्चों की तो शादी भी हो रही थी। और उनकी एक बेटी की शादी फिक्स भी हो गई थी।
अब ये सब मोहब्बत की किस्मत थी। या फिर कुछ और पता नहीं।
कहानी में आगे सब के बारे में धिरे धिरे पता चलता रहेगा। इतना बड़ा कुनबा करा है बुढ़िया ने। एक साथ बतायेंगे ना तो कहीं इस के कुनबा के इंट्रोडक्शन में ही निकल जायेगी। बुढ़िया को और कुछ काम ही नहीं था किया बच्चे पेंदा करने के अलावा। 😂🤪
मोहब्बत सब के लिए खाना बनाने लगी। तो तभी उसकी एक देवरानी इतराते हुए आईं और मोहब्बत को देखते हुए कहा। एक मनहूस में आज रोटी नहीं खाऊंगी। मेरे लिए खुछ और बना। और हैं मिठे में मेरे लिए रसगुल्ले बनाना। और एक बात और कल के खानें में तुने तिखा कम डाला था। आज थोड़ा ज्यादा डालना।
मोहब्बत अपनी देवरानी जिस का नाम रेखा था। उस की तरफ देखे बिना ही अपना सिर हिला देती है। तो रेखा अपने होंठों पर तिरछी मुस्कान लेकर मटकते हुए चलीं जाती है। शायद उसे दिमाग में कुछ चल रहा था जो मोहब्बत देख नहीं पाई।
tu be continued ✍️✍️✍️
मोहब्बत सब के लिए खाना बनाने लगी। तो तभी उसकी एक देवरानी इतराते हुए आईं और मोहब्बत को देखते हुए कहा। एक मनहूस में आज रोटी नहीं खाऊंगी। मेरे लिए खुछ और बना। और हैं मिठे में मेरे लिए रसगुल्ले बनाना। और एक बात और कल के खानें में तुने तिखा कम डाला था। आज थोड़ा ज्यादा डालना।
मोहब्बत अपनी देवरानी जिस का नाम रेखा था। उस की तरफ देखे बिना ही अपना सिर हिला देती है। तो रेखा अपने होंठों पर तिरछी मुस्कान लेकर मटकते हुए चलीं जाती है। शायद उसे दिमाग में कुछ चल रहा था जो मोहब्बत देख नहीं पाई।
करीब दो घंटे बाद मोहब्बत ने सब के लिए खाना बना दिया था। और सब के लिए डायनिंग टेबल पर लगा दिया। मोहब्बत ने सब की फरमाइश का खाना बनाया था। ये हर बार का था। सब मोहब्बत को अपनी अपनी पसंद का खाना बनाने के लिए बोलते थे। और मोहब्बत को वह सब बनाना भी पड़ता था।
आज भी उस ने सब कि पसंद का खाना बनाया था। और सब के लिए लगाने लगी। सब डाइनिंग टेबल पर आ कर बैठ गए। तो मोहब्बत ने सब को खाना परोसा। ।।
खाना परोस कर मोहब्बत वहीं साईड में खड़ी हो गई। जैसे वह इस घर की नोकरानी हों। और था भी ऐसा ही उस की हसियत उस के घर वालों के सामने एक नोकर की ही थी।
सब खाना खाने लगे। और मोहब्बत अपने चहरे पर घुंघट लिए सिर को झुका कर खड़ी थी।
रेखा जो कि अपने खाने को तिरछी मुस्कान लिए देख रहीं थीं। उस ने एक नजर मोहब्बत को देखा और फिर। अपनी साईड में बैठी अपने से छोटी दोनों देवरानी को। जिन का नाम। सुरेखा जो कि रेखा की छोटी बहन और साथ में देवरानी भी थीं। और दुसरी शोभा थी जो कि सब से छोटी देवरानी थी। दोनों ने रेखा की तरफ आंख मार दी तो । रेखा ने तिरछी मुस्कान लिए। अपना सिर हिला दिया।
रेखा ने खानें का एक कोर लिया। खाना रेखा के मुंह में गया भी नहीं था कि उसने चीलाना शुरू कर दिया। वह जोर जोर से खांसने लगी। सुरेखा जल्दी से रेखा के पास आईं। और उसे पानी दिया। रेखा ने पानी पिया। और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी।
शोभा ने कहा। क्या हुआ जिजी। आप ठीक तो हो ना।
रेखा के पति सुरेश ने कहा। क्या हुआ रेखा तुम्हें अचानक से किया हों गया।
रेखा ने कहा। आज तो मैं बच गई जी। वरना ये मनहूस तो मुझे आज मार ही डालतीं। देखो जरा सुरेखा कितनी मिर्च डाल रखीं हैं। इस ने मेरे खानें में।
रेखा की बात सुनकर सुरेखा जल्दी से उसके खानें की पिलेट में से थोड़ा सा खातीं है। तो वह भी ड्रामा करते हुए कहती हैं। आ मियां रे। मर गई कितना तिखा बनाया है। आज इस कलमुंही ने।
और तिरछी नजरों से रेखा की तरफ देख कर अपनी आंखें मार देती है।
उन की सासु मां कुसुम देवी। । जो इतनी देर से ये सब देख रही थी। उसने गुस्से में कहा। क्या हुआ रेखा बहु। आज तुम्हारे खानें इतना तिखा कैसे बना है।
रेखा ने मासुम सा चहरा बनाते हुए कहा। मां जी। मेने मोहब्बत से बोला था कि आज मैं रोटी नहीं खाऊंगी तो मेरे लिए खिचड़ी बना देना। क्योंकि डॉ ने मुझे शादा खाना खाने के लिए खा है। मैंने इसे बोला था कि कम तिखा डाल ना। तो देखो क्या किया इस मनहूस ने। इतनी मिर्च डाल दी खानें में की अब ये मुझसे खाया भी नहीं जा रहा।
रेखा की बात सुनकर सास कुसुम देवी गुस्से में आ गई । उन्होंने गुस्से से मोहब्बत की तरफ देखा। मोहब्बत तो उन सब की बात सुनें भर से ही कांप उठी थी। जैसे उसे पता चल गया हो की अब उसके साथ किया होगा।
कुसुम देवी गुस्से से अपनी जगह से खड़ी हुई और मोहब्बत के पास आ कर बिना देरी करें उस के चहरे पर एक थप्पड़ जड़ दिया। और मोहब्बत के बालों को पकड़ कर कहा । क्यूं री कलमुंही मेरे बड़े बेटे को तो खा गयी। अब क्या मेरे घर के बाक़ी सदस्य को भी खायेंगी ।
मोहब्बत ने रोते हुए कहा। नहीं दादी जी। मैं ने कुछ नहीं किया। मोह ने तो उतना ही डाला था जितना काकी ने कहा था। मोहब्बत ने मासुमियत से कहा।
मोहब्बत की बात सुनकर सब को और भी ज्यादा गुस्सा आया। तो कुसुम देवी ने अपनी छड़ी उठाईं और मोहब्बत को मारने लगी। मोहब्बत दर्द से चिला रही थी। पर सब उसे गुस्से और नफ़रत भरी नजरों से देख रहें थे।
सुरेखा ने कहा। मां जी आप रहने दीजिए। इस को तो मैं देख लुंगी। इतना कहकर सुरेखा गुस्से में आईं और मोहब्बत के हाथ को पकड़ कर उसे रसोई घर में लेकर चलीं गईं
और चूल्हे पर रखा गर्म दूध में उस का हाथ दें दिया। जिसे मोहब्बत की एक दर्द भरी चींखें उस पुरे घर में गूंज गई।
वही दूसरी तरफ। ..................
इटली में।..........
Hell mention ...
अभिमन्यु सोफे पर बैठा सिगरेट के लम्बे लम्बे कसक ले रहा था। उस के चहरे पर कुछ ठीक भाव नहीं थे। वह थोड़ा बैचेन सा लग रहा था।
उसने लग भग चार सिगरेट के पेकिट खत्म कर दिए थे। । तभी वहां पर रोहित आया उसने कहा।
किंग जाने की तैयारी हो गई है। अब हमें निकलना चाहिए।
तभी रोहित की नजर अभिमन्यु के चहरे पर गई । जिसे चहरे के हाव भाव कुछ ठीक नहीं थे। अभिमन्यु बार बार अपने सिने पर हाथ रख रहा था।
रोहित ने परेशान भरी आवाज में कहा। किंग Are you all right ,
रोहित की बात सुनकर अभिमन्यु ने अपनी कठोर नजरों से उस की तरफ देखा। तो रोहित डर गया।
अभिमन्यु ने कठोर आवाज में कहा। It shouldn't matter to you whether I have done it or not । Now you leave from here. We will leave for India after some time, not now.
(तुम्हें इसे कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि मुझे किया हुआ है किया नहीं। और अब निकलों यहां से हम थोड़ी देर बाद इंडिया के लिए निकलेंगे अभी नहीं। )
रोहित अभिमन्यु की बात सुनकर जल्दी से वहां से निकल गया।
रोहित के जाने के बाद अभिमन्यु ने उसे फिर से अपनी आंखें बंद कर ली और गहरी सांस लेते हुए। खुद से कहा। ये मुझे इतनी बैचेनी क्यों हो रही है। इतने साल हो गए। पर ये बैचेनी ये अन देखा सा मेरे सिने में उठता हुआ दर्द। अभी तक बंद नहीं हुआ है।
ऐसा लगता है कि कोई मेरा अपना दर्द तकलीफ़ में हों । इतना कहकर अभिमन्यु ने अपने कहें हुए शब्दों पर ध्यान दिया।
उसने अपनी आंखें खोल गुस्से में कहा। अपना। मेरा कोई अपना नहीं है। कोई नहीं। और मुझे किसी से भी कोई मतलब नहीं है। मुझे किसी के दर्द किसी की तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं है।
इतना कहकर अभिमन्यु ने चिल्लाते हुए सामने रखी हुई टेबल पर पैर मारा। जिसे वह टुट गयी।
अभिमन्यु गुस्से में उठा और विला से बहार चला गया। और जा कर कार में बैठ गया। और कुछ ही देर में अभिमन्यु की कार एयरपोर्ट पर आ कर रूकी।
तो अभिमन्यु सिंधे अपने पर्सनल जेट में आ कर बैठ गया। और वह अपने लेपटॉप पर काम करने लगा पर वह अपने काम पर भी फोकस नहीं कर पा रहा था। उसे अजिब सी बैचेनी हों रहीं थीं जिसे वह समझ नहीं पा रहा था।
अभिमन्यु ने गुस्से में कहा। मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी के भी दर्द तकलीफ़ से। अभिमन्यु मित्तल एम हार्टलेस इंसान हैं।
अभिमन्यु खुद को समझा रहा था। ये सब कह कर।
Tu be continued ✍️✍️✍️✍️✍️✍️
अभिमन्यु गुस्से में उठा और विला से बहार चला गया। और जा कर कार में बैठ गया। और कुछ ही देर में अभिमन्यु की कार एयरपोर्ट पर आ कर रूकी।
तो अभिमन्यु सिंधे अपने पर्सनल जेट में आ कर बैठ गया। और वह अपने लेपटॉप पर काम करने लगा पर वह अपने काम पर भी फोकस नहीं कर पा रहा था। उसे अजिब सी बैचेनी हों रहीं थीं जिसे वह समझ नहीं पा रहा था।
अभिमन्यु ने गुस्से में कहा। मुझे फर्क नहीं पड़ता किसी के भी दर्द तकलीफ़ से। अभिमन्यु मित्तल एक हार्टलेस इंसान हैं। ....
अभिमन्यु खुद को समझा रहा था। ये सब कह कर। . .....
अभिमन्यु इतना कहकर अपने काम में लग गया। और इस बार उसने जैसे तैसे कर के अपने काम पर फोकस कर ही लिया था।
अभिमन्यु अभी लेपटॉप पर अपना काम कर ही रहा था कि तभी उसके पास उस का असिस्टेंट रोहित उसके पास आया। रोहित ने अपने सिर को झुका कर अभिमन्यु से कहा। किंग दादी जी का कॉल आया था। वह एक बार आप से मिलना चहाती है। आप को देखना चहाती है। दादी जी बोल रहीं थीं की एक बार आप उन से बात कर लें।
अभिमन्यु जिस के हाथ लेपटॉप पर चल रहे थे । रोहित की बात सुनकर उसके हाथ अचानक रूक गये। उसने अपनी सर्द नजरों से रोहित की तरफ देखा और कहा। दादी मां का किसने बताया मेरे इंडिया आने के बारे में।
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित के माथे पर पसीने की बुंद आ गई। उस ने घबराते हुए कहा। सो .. सोरी किंग दादी जी पुंछ रहीं थीं आप के बारे में। तो मुझे बताना पड़ा ।
अभिमन्यु रोहित को गुस्से में कहा। get away from here ।
रोहित अभिमन्यु की गुस्से भरी आवाज सुनकर जल्दी से वहां से भाग गया।
कुछ घंटे बाद अभिमन्यु की flight mumbai airport पर land हो गई। अभिमन्यु एयरपोर्ट से बाहर आया और कार में आ कर बैठ गया।
तभी अभिमन्यु का फोन रिंग करने लगा अभिमन्यु ने फोन देखा तो उसके चहरे पर कठोर भाव आ गए।
अभिमन्यु के फोन पर उसकी दादी का फोन आ रहा था। अभिमन्यु ने अपनी आंखें बंद कर ली फिर गहरी सांस लेकर उस ने फोन को पिक अप किया। अभिमन्यु ने कुछ नहीं कहा। तो दुसरी तरफ से उसकी दादी मां ने अपनी रूआंसी आवाज में कहा। क्या हम इतने बुरे हैं। जो हमारा खुद का पोता अब हम से बात भी नहीं कर रहा।
अभिमन्यु देखो जो हों गया उसे बुल जाओ। और .....
अभिमन्यु ने उन की बात काटते हुए सर्द आवाज में कहा। किस लिए फोन किया है। आप ने दादी मां। ये बताइए फालतू की बातें मत किजिए।
अभिमन्यु की दादी जी ने रोते हुए कहा। रहीं कह रहे हों बेटा अब तो तुम्हें हमारी बातें फालतू ही लगेगी। ख़ैर हमने आप के पास इस लिए फोन किया है। की हम एक बार आप को देखना चाहते हैं। प्लीज एक बार अपनी दादी से मिल लो। हमें मत तरसाओ तुम्हें देखने के लिए हमारी आंखें तरस रही है। बेटा
अभिमन्यु ने खुछ नहीं कहा और फोन कट कर दिया। और उस ने अपने सिर को सिट से अपना सिर टिका लिया। और अपनी आंखें बंद कर ली।
तभी उस की आंखों के सामने कुछ अतीत की यादें आने लगी।
एक औरत दरवाजे के बाहर खड़ी हो कर जोर जोर से उस पर हाथ मार रहीं थीं। और रोते हुए कह रही थी । मां जी हमें हमारे अभि को दे दिए। बस एक बार । बस एक बार उसे देख लेने दिए। उस की तबियत ठीक नहीं मां जी। हमारा अभि हमारे बिना नहीं रहता। और हम भी उसके बिना मर जायेंगे। मां जी हमारे अभि को हमें दें दो। हम उसे देखना है।
इतना कहकर वह औरत वहीं दरवाजे पर रोते रोते बैठ गई। वह बार बार बस एक ही बात बोल रहीं थीं। हमें हमारे अभि को देखने दो।
अभिमन्यु की आंखों से एक कतरा आंसु का वह गया। उसने अपनी आंखें खोल ली और अपनी सर्द आवाज में कहा। नहीं दादी नहीं मैं नहीं भुल सकता। मैं नहीं भुल सकता उनके आंसुओं को अपनी मां की बेबसी को। उनके दर्द को। मैं नहीं भुल सकता। जिस तरह आप ने और सब ने मेरी मां को तरसाया है ना उसही तरह में तरसाऊंगा। मेरी मम्मा मुझे छोड़ कर नहीं जाती। उनके जाने के जिम्मेदार आप सब लोग हों।
ये सब कहते हुए उसकी आंखों में एक नफ़रत थी और साथ ही में दर्द भी था।
रोहित ने कहा। किंग किधर जाना है। I mean आप मेंशन जाओगे या फिर सिंधे रामगढ़ के लिए निकलोगे।
अभिमन्यु ने कहा। नहीं हम रामगढ़ के लिए जा रहे हैं। मुझे ये काम जल्द से जल्द करना है।
अभिमन्यु की कार रामगढ़ के रवाना हो गए।
रामगढ़ में।.......
मोहब्बत अपने कमरे में बैठीं अपने हाथ को देख रहीं थीं। जो की जला पड़ा था। उस का हाथ बुरी तरह से जल गया था। उसका हाथ पुरी तरह से छालों से भर गया था।
और साथ ही में कहीं कहीं की तों खाल ही हट गई थी। उसे बहुत दर्द हो रहा था। और साथ हि में जलन से उसके हाथ में आग सी बल रहीं थीं।
(जैसे हमारा हाथ कभी फुक जाता है ना तो तब जितनी जलन और दर्द होता है ना इस वक्त मोहब्बत का हाल उसे भी ज्यादा बुरा था।)
मोहब्बत अपने हाथ पर फूंक मर रही थी । उसकी आंखों से आंसु पानी की तरह बह रहे थे ।
वह बच्ची ही थी।उसे नहीं पता था । की जले पर किया लगाना चाहिए।
मोहब्बत ने रोते हुए अपने हाथ को देखते हुए कहा। दर्द हो रहा है। मां मोह को बहुत दर्द हो रहा है। उसे जल रहा है। इतना कहकर मोहब्बत रोने लगी। और रोते हुए कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला।
अगली सुबह।
अभिमन्यु रामगढ़ पोंछ चुका था। और उस की कार गांव के सरपंच के घर के बहार आ कर रूकी। रोहित कार से उतरा और सरपंच के घर की डोर बेल बजाई। तो एक लड़की जिसने सफेद रंग की साड़ी और अपने चहरे पर घुंघट डाल रखा था। उस ने दरवाजा खोला।
उस लड़की को देख कर रोहित ने कहा। जी मैं रोहित हम लोग मुंबई से आ ये है। हमें सरपंच जी से बात करनी है। क्या वह है घर पर।
Tu be continued ✍️✍️✍️✍️
अगली सुबह।
अभिमन्यु रामगढ़ पोंछ चुका था। और उस की कार गांव के सरपंच के घर के बहार आ कर रूकी। रोहित कार से उतरा और सरपंच के घर की डोर बेल बजाई। तो एक लड़की जिसने सफेद रंग की साड़ी और अपने चहरे पर घुंघट डाल रखा था। उस ने दरवाजा खोला।
उस लड़की को देख कर रोहित ने कहा। जी मैं रोहित हम लोग मुंबई से आ ये है। हमें सरपंच जी से बात करनी है। क्या वह है घर पर।
वह लड़की कुछ कहतीं उसे पहले ही उस लड़की के पिछे से एक बुड्ढी औरत ने कहा। कर्मजली क्या अपने यार से बतला रहीं हैं दरवाजे पर खड़ी हो कर। कोन आया है।
उस बुड्ढी औरत की बात सुनकर जहां वह लड़की डर से कांप उठी थी तो वहीं रोहित को उस औरत की बात सुनकर गुस्सा आया। रोहित ने थोड़े गुस्से में कहा। जी तमिज से बात करिए। और हम यहां पर किसी से बात करने नहीं आये है। हमारे बॉस को सरपंच जी से बात करनी थी। तो किया हम उनसे मिल सकते हैं।
उस औरत ने जब रोहित को देखा तो उसके पहनावे से वह समझ गई थी कि जरूर कोई पैसे वाला है। और वह बुड्ढी औरत लग भी लालची रहीं थीं।
तो उस ने कहा। हां बेटा। अंदर आ जाओ। मैं अभी सुरेश को बुला कर लाती हूं।
तो मैं आप सब को बता दु की रोहित और किसी के घर नहीं आया था वह मोहब्बत के घर ही आया था। और वह बुड्ढी औरत मोहब्बत की सो कोल्ड सासु मां कुसुम देवी थी। और सुरेश कुसुम देवी की बेटा था जो की गांव का सरपंच था। पर उसके घर वाले बोहोत लालची थे।
मोहब्बत तो अपनी सास के आते ही चलीं गईं थीं। वह नहीं चाहती थी कि उसे दुबारा से मार पडे।
रोहित कुसुम देवी की बात सुनकर अभिमन्यु के पास चला गया। अभिमन्यु जो कि अपनी कार में बैठा था। उस के दिल की धड़कन तेजी से बढ़ रही थी। और वह उन्हें काबू में लाने की कोशिश कर रहा था।
रोहित अभिमन्यु के पास आया उसने कहा। किंग सरपंच घर पर ही हैं। आप अंदर चलिए। वैसे भी मैंने पहले ही बात कर ली थी। सरपंच सुरेश से।
अभिमन्यु कार से उतरा और घर के अंदर चला गया। अभिमन्यु के साथ रोहित और उसके चार बॉडीगार्ड भी थे। अभिमन्यु अपने साथ ज्यादा गार्ड नहीं लेकर आया था। क्योंकि उसे पता था कि गांव में ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध नहीं रही थी । गांव में ऐसा कोई होटल भी नहीं था जो वह अपने गार्ड के साथ वहां पर सुक जाता। वैसे भी उसे ज्यादा गार्ड की जरूरत नहीं थी। उस के अंदर खुद इतनी कैपिसिटी थी की वह सोयों आदमियों को अकेले ही खत्म कर दें। वह ऐसे ही माफिया किंग नहीं बन गया था।
वहीं सुरेश को जैसे ही पता चल की शहर से कोई आया है। तो वह समझ गया कि कोन आया होगा।
सुरेश जल्दी से अपने कमरे में से आया और वह अभिमन्यु और रोहित के पास आ गया । उसने रोहित की तरफ देखते हुए कहा।
अरे राम राम साहब केसे है आप। रोहित ने कहा। जी हम ठीक है।
क्या वह काम हो ज्या जो हमाने आप से कहा था।
सुरेश ने कहा। अरे साहब आयें बैठी ये। पहले काम हों होता रहेगा।
रोहित ने अभिमन्यु की तरफ देखा । तो अभिमन्यु ने हां में सिर हिला दिया। और वह वहां पर रखें सोफे पर बैठ गया।
अभिमन्यु बिल्कुल राजा की तरफ बैठा था। उस के पास से आ रहे खतरनाक ओरे के सुरेश जी भी महसूस कर रहा था। जिसे उस के भी माथे पर पसीना आ गया।
सुरेश ने एक नजर अभिमन्यु की तरफ देखा और फिर अपनी मां कुसुम देवी की तरफ देखते हुए कहा। मां ज़रा सहाब के लिए कुछ खाने पिने के लिए मंगवाओ। सहाब बहुत दुर से आयें है।
कुसुम देवी ने कहा। हां बेटा में अभी मंगवाती हुं। ओ कलमु..... उन अभी इतना ही कहा था कि तभी सुरेश ने कहा। मां और की तरफ अपनी आंखों से ही कुछ इशारा किया। तो कुसुम जी ने भी अभिमन्यु और रोहित की तरफ देखा। जो कि उस को ही देख रहें थे।
कुसुम जी ने नक़ली हंसी हंसते हुए कहा। आ में अभी आई। इतना कहकर वह उठ गई। और मोहब्बत को आवाज लगाते हुए चलीं गईं।
मोहब्बत अरे कहां हों मोहब्बत। कहते हुए। वह मोहब्बत के पास आ गई।
तो वहीं मोहब्बत का नाम सुनते ही। अभिमन्यु के दिल की धड़कन एक बार फिर तेजी से बढ़ ने लगीं। उस ने अपने दिल पर हाथ रख लिया । अपनी दिल की धड़कनों को संभालने लगा।
रोहित ने सुरेश जी से कहा। देखिए मिस्टर सुरेश आप को तो पता ही है की हम यहां पर किस लिए आयें है। हम यहां पर कुछ दिन तक रहेंगे। और हमारे बॉस चहाते है कि उन का काम जल्द से जल्द हो। जायें।
सुरेश ने कहा। जी साहब आप जमीन देख लिजिए उसके बाद आप को जो जमीन पसंद आयेगी। मैं उस के लिए बात कर लुंगा। आप देख लो बस ज़मीन को।
रोहित ने कहा। ठीक है तो फिर हम आज ही जमीन देखेंगे।
सुरेश ने कहा। ठीक है मैं दोपहर में दिखा दुगा। तब तक आप लोग आराम कर लिए। मेने आप के कमरे तैयार करवा दिए हैं। साहब लम्बे सफ़र से आयें हों तख गये होंगे।
रोहित ने अभिमन्यु की तरफ देखा तो अभिमन्यु ने कहा। हमम दोपहर में ठीक रहेगा। वैसे भी हम कुछ दिन तो यही रहेंगे। तो आराम से देख लेंगे। तुम्हें पता है रोहित मुझे इस काम में कोई गड़बड़ी नहीं चाहिए। ये मेरी मॉम का ड्रीम है।
दरअसल अभिमन्यु यहां पर एक हॉस्पिटल बनाना चाहता है। और वह उसके लिए ही यह जमीन देखने आया है। अभिमन्यु की मां का सपना था कि वह अपने गांव में एक हॉस्पिटल बनवाये जिसे गरिबों का मुफ्त इलाज हो। अभिमन्यु की मां भी रामगढ़ की थी। जिनके बारे में आगे स्टोरी में पता चलेगा।
अभिमन्यु ने ब्रेकफास्ट किया और फिर सुरेश जी अभिमन्यु और रोहित को उसके रूम दिखाने चलें गये।
अभिमन्यु रूम में आया तो उसे कुछ अजीब सा लग। उसे एक अन कहा सा सुकुन मिल रहा था उस रूम में। पर अभिमन्यु ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया।
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रोहित ने अभिमन्यु की तरफ देखा तो अभिमन्यु ने कहा। हमम दोपहर में ठीक रहेगा। वैसे भी हम कुछ दिन तो यही रहेंगे। तो आराम से देख लेंगे। तुम्हें पता है रोहित मुझे इस काम में कोई गड़बड़ी नहीं चाहिए। ये मेरी मॉम का ड्रीम है।
दरअसल अभिमन्यु यहां पर एक हॉस्पिटल बनाना चाहता है। और वह उसके लिए ही यह जमीन देखने आया है। अभिमन्यु की मां का सपना था कि वह अपने गांव में एक हॉस्पिटल बनवाये जिसे गरिबों का मुफ्त इलाज हो। अभिमन्यु की मां भी रामगढ़ की थी। जिनके बारे में आगे स्टोरी में पता चलेगा।
अभिमन्यु ने ब्रेकफास्ट किया और फिर सुरेश जी अभिमन्यु और रोहित को उसके रूम दिखाने चलें गये।
अभिमन्यु रूम में आया तो उसे कुछ अजीब सा लग। उसे एक अन कहा सा सुकुन मिल रहा था उस रूम में। पर अभिमन्यु ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। और बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया।
दोपहर में अभिमन्यु रोहित और सुरेश जी के साथ जा कर जमीन देख कर आ गया था। उसे जमीन पसंद आ गई थी उसने बोल भी दिया था की जल्द से जल्द जमीन उसे नाम हों ताकि हॉस्पिटल बनें का काम जल्दी ही सुरू कर दें । अभिमन्यु तब तक वहीं पर रूकने वाला था जब तक हॉस्पिटल का काम सुरी नहीं हो जाता। और वह संतुष्ट नहीं हो जाता की है अब सब ठीक चल रहा है।
और वैसे भी उस के बोहोत से दुश्मन थे। उस का तो खुद का परिवार उसके खिलाफ था। कोई नहीं चहाता था कि वह हॉस्पिटल बनवाये। और उसे लग रहा था कि जरूर कोई ना कोई आ कर उसे काम में कुछ ना कुछ गडबड तो करेगा ही। तो वह किसी को भी कोई मोका नहीं देना चाहता था।
वह अपनी मां के सपने को केसे भी करके पुरा करना चाहता था।
उस की मां की आखरी इच्छा भी यही रहीं थीं। तो वह केसे ना पुरा करना। अभिमन्यु ने बोहोत महनत करी थी। बिना अपनी फैमिली के सपोर्ट के वह आज इतने उचे मुकाम पर हैं। . इंडिया का no.1 बिजनेसमैन और साथ ही में अंडरवर्ल्ड का माफिया किंग। जिसे पुरी दुनिया डरती है।
शाम के चार बज रहे थे। ।
अभिमन्यु अपने रूम में बैठा लेपटॉप पर कुछ इम्पोर्टेंट वर्क कर रहा था। तभी उस के रूम का डोर नॉक हुआं।
तो अभिमन्यु ने अपनी सर्द आवाज में अंदर आने के लिए कहां। मोहब्बत जो कि शाम की चाय और नाश्ता लेकर आयी थी। वह अभिमन्यु की सर्द आवाज सुनकर डर गई। पर वह हिम्मत कर के अंदर कमरे में जाती है।
पर उस के हाथ जलने के कारण उसे वह चाय की ट्रे सही से पकड़ी नहीं जा रही थी। कुछ तो अभिमन्यु के डर से उसके हाथ कांप रहें थे और कुछ दर्द की वजह से।
मोहब्बत जैसे तैसे कर के अभिमन्यु के पास आईं पर वह जेसे ही चाय की ट्रे को टेबल पर रखने वाली थी। गलती से वह चाय की ट्रे अभिमन्यु के लेपटॉप पर गिर जातीं हैं। जिसे अभिमन्यु गुस्से में बौखला जाता। और वह बिना ये देखें की सामने वाला कोन है वह मोहब्बत के गाल पर थप्पड़ मार देता है और गुस्से से चिल्लाते हुए बोलता है। Can't you see this? Are you blind? Nonsense. B.....
अभिमन्यु जो इतनी देर से अपने लेपटॉप के देखते हुए मोहब्बत से ये सब बोल रहा था। वह अब सामने देखता है तो एक लड़की को अपने सामने देख वह हैरान हो जाता है अचानक अभिमन्यु को एहसास होता है कि उसने गुस्से में किया कर दिया। अभिमन्यु कभी भी किसी लड़की पर हाथ नहीं उठाता था। पर आज अपने गुस्से में आकर उसने मासुम सी मोहब्बत पर हाथ उठा दिए।
अभिमन्यु मोहब्बत को देखता है जो डर से कांप रही थी। पर उस के मुंह से कुछ नहीं निकल रही थी। जिसे देखकर अभिमन्यु को अपने सीने में एक दर्द सा महसूस हुआ पर उस ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया ।
मोहब्बत ने अभी भी अपने चहरे पर घुंघट डाल सका था। जिसे अभिमन्यु मोहब्बत का चहरा तो नहीं देख सकता था पर हैं वह मोहब्बत को देख कर इतना अंदाजा लगा सकता था की उसकी उम्र कम है।
अभिमन्यु मोहब्बत से कुछ कहता तभी वह पर सुरेश उसकी मां और रोहित और सब ही आ गये थे अभिमन्यु का गुस्से से चिल्लाने कि आवाज़ सुन कर।
सुरेश कि मां जब वह मोहब्बत को देखतीं हैं और चाय की ट्रे टेबल पर टुटी हुईं देखती है तो वह बिना किसी की सुनें मोहब्बत के पास आती है और मोहब्बत के बालों को पिछे से पकड़ कर कहती हैं। ये किया किया तुने मनहूस लड़की। और मोहब्बत के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देती है।
मोहब्बत अपनी बच्चों वाली दर्द आवाज में कहतीं हैं। दादी मोह से गलती हो गई। अब नहीं होगी माफ़ कर दो। मोह को दर्द हो रहा है। अब नहीं होंगी गलती। माफ़ कर दो।
अभिमन्यु तो मोहब्बत की मासुम प्यारी सी आवाज सुन खो गया था। वह एक टक मोहब्बत को ही देख रही थी जिसे गुलाबी होंठों घुंघट हल्का उपर होने की वजह से दिख रहें थे। अभिमन्यु एक टक मोहब्बत को ही देख रही थी।
अभिमन्यु अपने होश में जब आया जब उसने मोहब्बत की दर्द भरी चींखें सुनी।
अभिमन्यु ने देखा कि सुरेश की मां मोहब्बत के बालों को अपने मुठ्ठी में भर उसे खिंच रही थी जिसे मोहब्बत को दर्द हो रहा था वह उस के सामने गिडगिडा रही थी। अब अभिमन्यु को सुरेश की मां कुसुम देवी पर हद से ज्यादा गुस्सा आ रहा था।
अभिमन्यु ने गुस्से में कहा। छोड़ो उसे।
कुसुम देवी अभिमन्यु की तरफ देखतीं हैं। जिसकी आंख गुस्से से लाल थीं। जिसे वह डर जातीं हैं
कुसुम देवी जल्दी से मोहब्बत को छोड़ देती है । और कहतीं हैं। अरे बाबू सहाब हम तो बस इसे इस की ग़लती की सजा दे
रहे थे। इस की वजह से आप का कितना नुक्सान हो गया है।
अभिमन्यु गुस्से से कहता है। तो इसका ये मतलब नहीं की आप उसके साथ ये सब करोगी। मुझसे गलती हुई थी मेने बिना देखे इन पर हाथ उठा दिया। मैं अपनी ग़लती को मानता भी हुं। पर इस का ये मतलब नहीं की आप भी किसी मासुम के साथ ये सब करें।
अभिमन्यु मोहब्बत को देखने लगता है। ...
लो भाई पहली बार ही इस खड़ूस ने मेरी मोहब्बत पर हाथ उठा दिया। बिचारी को इतना डरा दिया खुद से। अब इन दिनों के बिच प्यार केसे होगा यार। इस खड़ूस को कुछ नहीं आता सिवाय गुस्सा करने के। 😏😏😍
सो फ्रेंड अगर आप सब को स्टोरी पसंद आ रही हों तो लाइक और कमेंट दें अपना रिव्यू भी दे दो और हां प्लीज़ सेयर जरूर कर देना। 🙏😞🙏🙏
Tu be continued ✍️ ✍️
कुसुम देवी अभिमन्यु की तरफ देखतीं हैं। जिसकी आंख गुस्से से लाल थीं। जिसे वह डर जातीं हैं
कुसुम देवी जल्दी से मोहब्बत को छोड़ देती है । और कहतीं हैं। अरे बाबू सहाब हम तो बस इसे इस की ग़लती की सजा दे
रहे थे। इस की वजह से आप का कितना नुक्सान हो गया है।
अभिमन्यु गुस्से से कहता है। तो इसका ये मतलब नहीं की आप उसके साथ ये सब करोगी। मुझसे गलती हुई थी मेने बिना देखे इन पर हाथ उठा दिया। मैं अपनी ग़लती को मानता भी हुं। पर इस का ये मतलब नहीं की आप भी किसी मासुम के साथ ये सब करें।
अभिमन्यु मोहब्बत को देखने लगता है। ... अभिमन्यु चल कर मोहब्बत के पास आता है
मोहब्बत जब अभिमन्यु को अपने पास आता देखतीं हैं। तो डर से दो कदम पिछे हट जाती है।
तो अभिमन्यु अपनी जगह पर ही रूक गया। और वह मोहब्बत की तरफ देखते हुए अपनी धिमी आवाज में कहा। तुम ठीक हो।
मोहब्बत ने डरते हुए हां में सिर हिला दिया। और अपने हाथ जोड़ते हुए कहा। माफ़ करना बाबू साहब हमारी गलती की वजह से आप का नुक़सान हो गया।
मोहब्बत अपनी बात बोल कर कमरें से चलीं गईं। वहीं अभिमन्यु अपनी पेंट की पॉकेट में हाथ डालें खड़ा था उसकी हाथों की मुठ्ठी बनीं हुईं थीं। जिसे पता चल रहा था कि वह अपने गुस्से को कन्ट्रोल किये खड़ा है ।
बाकी सब भी जानें के लिए मुंडे ही थे की अभिमन्यु ने उन्हें रोक लिया। अभिमन्यु ने सब की तरफ देखते हुए कहा। ये लड़की कोन है। वैसे।
अभिमन्यु की बात सुनकर सुरेश जी के माथे पर पसीने की बुंद दिखने लगी। कुसुम देवी ने कहा। वह मेरे ब....
नौकरानी। वह हमारे घर की नौकरानी है। कम करतीं हैं हमारे घर बिचारी विधवा है। सुरेश ने अपनी मां की बात काटते हुए अभिमन्यु से कहा।
कुसुम देवी सुरेश को घुरने लगी तो उसने आंखों से उन्हें शान्त रहने के लिए कहां।
अभिमन्यु ने अपना सिर हिला दिया। तो वह सब चलें गये। अभिमन्यु ने रोहित को रोखा और नया लेपटॉप लाने के लिए कहां
रोहित के जाने के बाद अभिमन्यु के कानों में मोहब्बत की प्यारी मासूम आवाज गूंजने लगी। और साथ ही में मोहब्बत को थप्पड़ मारना भी याद है गया। उस का दर्द। अभिमन्यु को अब खुद पर ही गुस्सा आ रहा था। अभिमन्यु ने गुस्से में दीवार में अपने उसी हाथ को दे मारा जिसे उसने मोहब्बत को थप्पड़ मारा था।
पता नहीं क्यों पर उसे बहुत तकलीफ़ हो रही थी। उसे अपने सिने में दर्द एक चुंबन सी महसूस हो रही थी। जिसे अभिमन्यु बैचेन था।
अभिमन्यु का मन था कि वह एक बार मोहब्बत के पास जाएं उसे पुछे की वह ठीक है या नहीं। पर उस ने अपने जज्बातों को अपने अंदर ही दब दिया था।
तो वहीं अभिमन्यु के रूम से निकलने के बाद मोहब्बत सोते हुए रसोई घर में आ गई थी। वह वहीं रसोई के एक कोने में छुप कर बैठ गई और अपने मुंह पर हाथ रख के रोने लगी। उसे बहुत तकलीफ़ हो रही थी।
मोहब्बत ने रोते हुए कहा। सब बुरे हैं। सब बहुत बुरे हैं। मोह को सब मारते हैं। कोई मोह से प्यार नहीं करता। सब उसे दर्द देते हैं। ये बाबू सहाब भी बुरे हैं। मोह को मारा।
इतना कहकर मोहब्बत फुट फुट कर रोने लगी।
कुछ देर रोने के बाद उसने अपने आप को संभाला और घर के कामों में लग गई।
तो वहीं सुरेश के कमरे में।
सुरेश की मां कुसुम उसे घुर कर देख रही थी। उसने गुस्से में कहा। अब तु मुझे बतायेगा भी ना नहीं। आखिर कार तुने मुझे ये क्यों नहीं बोलने दिया की वह मेरे बड़े बेटे की विधवा है।
सुरेश ने कहा। मां आप को नहीं पता ये जो शहरी लोग होते हैं। इन्हें ये सब चिजे गेर कानूनी लगती है। वह बाल विवाह जैसे कामों को। ग़लत मानते हैं। अब आप ही बताइए अगर आप ये बता देती की वह इस घर के बड़े बेटे की विधवा बहू है। तो वह उसकी उम्र देखकर समझ जाता की हमने उसका विवाह उस लड़की से तिन गुना ज्यादा बड़े इंसान से करवाया है। तो वह हमें जेल भेज देता।
और मैं आप को एक बात और बता दु। की जो जमीन देखने ये शहरी बाबू आया है ना उसे हमारी ही जमीन पसंद आयी है। और वह हमें ये जमीन दो क्या तिन गुना ज्यादा बड़े दामों में ले रहा है। तो ऐसे में इसे अगर हमारे बारे में पता चल गया ना तो वह हमारी जमीन नहीं लेगा। बस इस लिए मना किया था। मां आप समझतीं क्यों नहीं है।
कुसुम देवी ने कहा। हां हां समझ गयी अब कुछ नहीं बोलुंगी। और वैसे भी तुने कोन सा झूठ बोला था। वह हां तो हमारी नौकर ही। हां बस फर्क इतना है कि वाकी नौकरों को हमें तनख्वाह देनी पड़ती। ये हमें फ्री की मिल गई।
इतना कहकर दोनों मां बेटे हंसने लगे।
रात के करीब 11 .,11:30 का वक्त हो रहा था । सब खाना खाकर सुकुन की निंद सो रहे थे। पर दो सख्श ऐसे थे जो अपने अपने दर्द में एक टक आसमान में चमक रहें चांद को देख रहें थे।
बस फर्क इतना था कि एक अपनी बालकनी में खड़ा होकर देख रहा था तो दुसरा तालाब के किनारे बैठ कर। अपनी आंखों में आसूं लिए चांद को देख रहीं थीं।
मोहब्बत तालाब के किनारे बैठीं चांद को देख रहीं थीं। उसने उसे देखते हुए कहा। मां आप मोह को इतनी जल्दी छोड़ कर क्यों चली गई। किया मोह अच्छी बच्ची नहीं है। जो आप उसके साथ नहीं हो।
तो उधर अभिमन्यु ने चांद को देखते हुए कहा। मॉम मुझे पता है आप मुझे छोड़ कर नहीं जाती पर आप को उन लोगों ने मजबुर किया मुझे छोड़ कर जाने के लिए। बरना आप तो अपने अभि से बहुत प्यार करती है ना मॉम। आप का अभी भी आप से बहुत प्यार करता है मॉम।
ये सब कहते वक्त अभिमन्यु की आंखों से एक कतरा आंसु बह कर गाल पर आ गया। पर उसने जल्दी ही उसे पोंछ लिया।
तभी अभिमन्यु की नजर सामने तालाब पर गयी जहां उसे एक लड़की सफेद साड़ी में बैठीं दिखी। अभिमन्यु उसे देखते ही पहचान गया। की हों ना हो ये वह लड़की है जिसे उसने थप्पड़ मारा था।
अभिमन्यु का मन करा की वह उसके पास जाये। और वह बेख्याली में ही अपने रूम से निकल तालाब के पास आ गया। और मोहब्बत की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगा। अभिमन्यु मोहब्बत का चहरा देखना चाहता था। वह देखना चाहता था की वह कैसी दिखती है। उसने बस उसे गुलाबी पंखुड़ी
जैसे होंठ ही देखें तो। जिसे उसका मन अब उसे चहरे को देखने का कर रहा था।
तो वह उसकी तरफ़ जाने लगा।
अभिमन्यु तालाब के किनारे बैठीं मोहब्बत के पास जाने लगा। वह जैसे जैसे आगे बढ़ रहा था उसे मोहब्बत का हल्का हल्का चहरा दिख रहा था। मोहब्ब्त के चहरे पर बार बार उसकी साड़ी का पलु आ रहा था जिसे उसने अपने सिर पर रख रखा था और हल्की हल्की ठंडी हवा चलने की वज़ह से वह उस के चहरे पर आ रहा था।
अभिमन्यु मोहब्बत के हल्के दिखते चहरे को देखते हुए उस के पास जा रहा था।
तभी अभिमन्यु को मोहब्बत की दर्द भरी पर मासुम और प्यारी सी आवाज सुनाई दी। जिसे सुन कर वह वहीं पर रुक गया।
मोहब्बत ने चांद को देखते हुए कहा। मां आप को पता है मोह को बहुत दर्द हो रहा है हाथ में। ये जल रहा है। और मोह को तो पता भी नहीं है कि ये ठीक केसे होगा।
फिर मोहब्बत अपने जले हुए हाथ को देखतीं हैं और सुबकते हुए कहती हैं। ये जल रही है। इसे ठीक करने के लिए मां किसी को भेज दो ना।
फिर दुबारा चांद को देखते हुए मोहब्बत कहतीं हैं।
आप तो बोलते थी की जब भी मोह दर्द में या तकलीफ़ में होगी तो उसे दुर करने के लिए मोह के पास उस का राजकुमार आयेगा और उसे बहुत प्यारी करेगा। पर वो नहीं आया । मां आप ने झूठ बोला था वह भी मोह से प्यार नहीं करता।
इतना कहकर मोहब्बत अपने आंसु साफ करतीं हैं और तालाब के किनारे जो गिली मिट्टी थी उसे उठा कर अपने जले हुए हाथ पर लगाने लगतीं हैं। उसे राहत मिलती रही थी अपने दर्द में। उसे ठंडा ठंडा लग रहा था।
अभिमन्यु जो मोहब्बत की सारी बातें उसके पास खड़े होकर ही सुन रहा था। उसे मोहब्बत की बातें तकलीफ़ दें रहीं थीं उसके दर्द को अभिमन्यु अपने सिने में महसूस कर रहा था। उस का मन कर रहा था कि वह अभी मोहब्बत के पास जाये और उसे अपनी बाहों में भर लें। और उसे कहें कि वह है उस के पास। उस के दर्द और तकलीफ़ को दुर करने के लिए। पर अभिमन्यु अभी अपनी उस फीलिंग को अपने अंदर ही दबाकर रख रहा था उन्हें बहार नहीं आने दें रहा था।
मोहब्बत की पीठ अभिमन्यु के सामने थी। तो वह साइड में से होकर मोहब्बत के पास जा कर बैठ जाया और हल्का सा अपना चहरा आगे कर के मोहब्बत के चहरे को देखने की कोशिश करने लगा।
मोहब्बत ने अपना चहरा निचे कर रखा था। जिस वजह से अभिमन्यु बस उस का अदा चहरा ही देख पा रहा था । जिसे देखकर ही अभिमन्यु के दिल की धड़कन तेजी हों गई थी। वह बहार आने को तैयार थी।
अभिमन्यु की धड़कनों का सोर इतना था कि मोहब्बत तक भी पहोंच गया। धड़कनो कि आवाज सुनकर मोहब्बत ने अपना चहरा एक दम से अभिमन्यु की तरफ किया ।
तो दोनों एक दूसरे की आंखों में खो गये। अभिमन्यु मोहब्बत का चहरा देखने लगी। वे दाग़ दूध से सफेद छोटा सा चहरा उसकी छोटी सी नाक जो कि रोने की वज़ह से लाल हो गई थी साथ ही में उसके मोटे-मोटे गले जो कि पक्का टिमाटर लग रहें थे। गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ उसके वह नीली आंखें जो की रात में सितारे की तरह चमक रही थी। और उन प्यारी खुबसूरत आंखों में आसूं जो कि किसी ओस की बुंद की तरफ लग रही थी।
अभिमन्यु तो मानो किसी और दुनिया में ही चला गया था। वह तो मोहब्बत की खुबसूरती पर फिदा ही हों गया था। मोहब्बत के चहरे को देखते हुए अभिमन्यु के मुंह से अपने आप ही मोहब्बत के लिए। Beutiful ❤️ मेने आज से पहले कभी भी इतनी खुबसूरत हसीन नहीं देखीं। ।
मोहब्बत जो कि अभिमन्यु की आंखों में ही देख रही थी वह अचानक अभिमान की बात सुनकर होश में आई और जल्दी से घबराते हुए कहा। आप आप यहां किया कर रहे हैं बाबू सहाब।
मोहब्बत ने अभिमन्यु को देख तो रखा था पर सही से नहीं देखा था। पर उसे पता था कि यहां वहीं है जो उसके ससुराल में जमीन देखने के लिए आयें है।
मोहब्बत को खुद से डरते देख अभिमन्यु को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग था । अभिमन्यु ने अपनी आवाज को सोफ्ट करते हुए कहा। तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है बच्चा में। तो बस तुम से बात करने के लिए आया हूं। किया तुम मुझे कुछ देर बात करोगी।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत अभी भी उसे ही डरते हुए देख रही थी तो अभिमन्यु ने मासुम सा चहरा बनाते हुए कहा। वो मुझे इतनी जल्दी सोने की आदत नहीं है ना और मेरे पास कोई था भी नहीं बात करने के लिए। तो मुझे मेरे रूम की बालकनी से तुम दिखाई दी तो सोचा कुछ देर तुम सो ही बात कर लु।
मोहब्बत ने अभी भी कुछ नहीं कहा। वह बस अपना सिर झुकाये बैठीं थीं। तो अभिमन्यु ने कहा। किया तुम मुझसे बात नहीं करना चहाती।
तो मोहब्बत ने डरते हुए कहा। आप मोह को मारों गे। जैसे सब मारते हैं। मोह को दर्द होता है।
मोहब्बत की बात सुनकर अभिमन्यु को फिर से वह याद आ गया जब उसने उसे थप्पड़ मारा था। उसे गिल्ट महसूस हो रहा था।
अभिमन्यु ने कहा। मुझे माफ कर दो मुझे तुम्हें मारना नहीं चाहिए था। पर मुझे नहीं पता था कि तुम हो बरना तो मैं तुम्हें मारता नहीं।
अभिमन्यु मोहब्बत से ऐसा क्यों बोल रहा था उसे खुद नहीं पता था। वह बस मोहब्बत से बात करना चाहता था। वह उसके डर को दुर करना चाहता था। उसकी वह मिठी चासनी जैसी आवाज उसे सुना चहाता था।
और ऐसा क्यों वह कर रहा था ये खुद अभिमन्यु को भी नहीं पता था।
मोहब्बत ने अभिमन्यु की तरफ देखा और मासुमियत भरी नजरों से देखते हुए कहा। क्या आप सच्ची मे मोह को कभी नहीं मारे गए। आप को पता है मोह को सब मारते हैं और दर्द भी देते हैं।
इतना कहकर मोहब्बत रोने लगी। तो अभिमन्यु ने आगे बढ़कर उसे आंसु साफ किए। और प्यार से कहा। इन खुबसूरत आंखों में आसूं अच्छे नहीं लगते । शोना बच्चा।
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अभिमन्यु मोहब्बत से ऐसा क्यों बोल रहा था उसे खुद नहीं पता था। वह बस मोहब्बत से बात करना चाहता था। वह उसके डर को दुर करना चाहता था। उसकी वह मिठी चासनी जैसी आवाज उसे सुना चहाता था।
और ऐसा क्यों वह कर रहा था ये खुद अभिमन्यु को भी नहीं पता था।
मोहब्बत ने अभिमन्यु की तरफ देखा और मासुमियत भरी नजरों से देखते हुए कहा। क्या आप सच्ची मे मोह को कभी नहीं मारे गए। आप को पता है मोह को सब मारते हैं और दर्द भी देते हैं।
इतना कहकर मोहब्बत रोने लगी। तो अभिमन्यु ने आगे बढ़कर उसे आंसु साफ किए। और प्यार से कहा। इन खुबसूरत आंखों में आसूं अच्छे नहीं लगते । शोना बच्चा।
अभिमन्यु के शोना बच्चा कहने पर मोहब्बत अपनी मासुमियत भरी नजरों से उसे ही देखने लगी।
मोहब्बत ने क्यूट सा फेस बनाते हुए कहा। मोह शोना बच्चा नहीं है । वह मोह है ।
अभिमन्यु ने मोहब्बत की नाक को पिंच करते हुए कहा। पर मैं तो तुम्हें शोना बच्चा ही कहुंगा। क्योंकि तुम हो शोना बच्चा।
मोहब्बत ने अपने होंठों का क्यूट सा पाउट बना लिया। और कहा। आप क्यों कहोगे। मोह को शोना बच्चा।
अभिमन्यु की नजर मोहब्बत के पाउट बनाने की वज़ह से उसे गुलाबी होंठों पर चलीं गईं थीं। जिसे अभिमन्यु का गला सुख ने लगा। उस ने खुद को कन्ट्रोल करने के लिए अपने हाथों की मुठ्ठी कस ली।
और अपने गले को तर करते हुए उस ने अपनी आंखों को बंद कर गहरी सांस लें। फिर अपनी आंखें खोल मोहब्बत से कहा। पहले तुम मुझे ये बताओं कि। ये मोह कोन है।
मोहब्बत ने कहा। मोह तों मोह है।
अभिमन्यु ने कहा। हां यही तो पुंछ रहा हूं कि ये मोह कोन है।
मोहब्बत ने कहा। मोह में हुं और कोन।
अभिमन्यु ने कहा। ओं तो तुम्हारा नाम मोह है।
मोहब्बत ने कहा। नहीं मोह का नाम तो मोहब्बत है। पर मोह अपने आप को प्यार से मोह बुलाती है।
अभिमन्यु जैसे ही मोहब्बत के नाम को सुनता है। उस के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। और वह अपने मन में कहता है। मोहब्बत। मेरी मोहब्बत।
अभिमन्यु मोहब्बत से कहता है। कितना प्यारा नाम है तुम्हारा। और तुम अपने आप को मोह क्यों बुलातीं हों।
मोहब्बत उदास होकर कहती हैं। क्योंकि कोई भी मोह का नाम नहीं लेता। सब उसे गन्दे गन्दे नामों से बुलाते हैं। तो मोह खुद को ही प्यार से मोह बुला लेती है।
अभिमन्यु को मोहब्बत की बात सुनकर अपने सिने में चुवन सी महसूस होती है।
अभिमन्यु मोहब्बत से अपनी सोफ्ट आवाज में कहता है। तो मैं हुं ना आप को प्यार से बुलाने के लिए । मैं आप को प्यारे प्यारे नामों से बुलाया करूंगा। ठीक है।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत के होंठों पर छोटी सी मुस्कान आ गई। जिसे देख अभिमन्यु को भी अच्छा लगा।
तभी अभिमन्यु की नजर मोहब्बत के जले हुए हाथ पर चलीं गईं। जिस पर मिट्टी लगीं थीं।
अभिमन्यु ने जल्दी से मोहब्बत के हाथ को पकड़ा और चिंता भरी आवाज में कहा। शोना बच्चा ये आप के हाथ में किया हुआ।
मोहब्बत जो कि अभिमन्यु के आ जाने से अपना दर्द भुल गयी थी। अब फिर अपना दर्द याद आ गया। मोहब्बत ने दर्द भरी आवाज में कहा। ये दर्द कर रहा है। इसे ठीक करों ना।
अभिमन्यु ने अपना फोन निकाल और किसी को फोन किया।
और कहा। जल्दी से मेरे रूम से medicine box लेकर पिछे तलाब के पास आ जाओ। अगले पांच मिनट में आ जाओ।
अभिमन्यु ने मोहब्बत के चहरे को देखा जिस पर दर्द नज़र आ रहा था ।
अभिमन्यु को तकलीफ़ हो रही थी। जो चीज उसने आज महसूस हो रही थी। उसे कभी भी ये सब महसूस नहीं हुआ।
अपनी मां के जाने के बाद अभिमन्यु कठोर बन गया था। उसे किसी के दर्द तकलीफ़ से कोई फर्क नहीं पड़ता था। पर आज मोहब्बत के दर्द से उसे भी दर्द हो रहा था। उसकी तकलीफ़ उसे बैचेन कर रही थी।
मोहब्बत ने रोते हुए कहा। ये कैसे ठीक होगा। दर्द कर रहा है।
मोहब्बत को रोता देख अभिमन्यु ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया। और उसे माथे को चुमते हुए कहा। शोना बच्चा अभी ठीक हो जायेगा। बस कुछ देर और। फिर उसे थोड़ा अलग कर। उसके आंसु साफ करते हुए कहा। मुझे ये बताओं ये कैसे जला।
मोहब्बत ने कहा। छोटी काकी ने गर्म दूध में मोह का हाथ डाल दिया। मोह को बहुत दर्द हुआ था। और अब भी हो रहा है। इसे ठीक कर बाबू साहब।
मोहब्बत की बात सुनकर सुनकर अभिमन्यु ने खुद से कहा। इस छोटी काकी से मिलना पड़ेगा। और ये रोहित कहा मर गया। अभी तक आया क्यों नहीं। अभिमन्यु ने गुस्सा करते हुए कहा।
अभिमन्यु की बात खत्म हुई। थी की तभी रोहित भागते हुए उस के पास आया। और अपने खड़ूस बॉस को किसी लड़की के पास बैठा देख । रोहित तो सदमे में ही चला गया था। और वह भी मोहब्बत के चेहरा देखने के लिए उतावला हो गया। उसने झांक ते हुऐ मोहब्बत को देखने की कोशिश की।
उसे ऐसा करते देख उसे घुर कर देखने लगा। अभिमन्यु ने अपनी सर्द आवाज में कहा। बॉक्स जल्दी दो और दफा हो जाओ यहां से।
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित ने डरते हुए उसे मेडिसिन बॉक्स दें और मोहब्बत को एक नजर देख चला गया। उसने जातें हुए अपना मुंह बनाते हुए कहा। इस खड़ूस ने तो मुझे उस लड़की का चहरा भी नहीं देखने दिया। मैं भी तो देखता कोन है वह खूब नसीब जिस की मेरा खड़ूस बॉस केयर कर रहा है। बताओं यार कितने ताजुब की बात है। जो शैतान नर्क का राजा सब को नर्क दिखाता है। सब कि इतनी बुरी हालत करता है की देखने भर से ही लोगों को मौत आ जायें। वहीं शैतान आज किसी लड़की के ज़ख्मों पर मरहम लगा रहा है।
वैसे ये सिन तो में भी देखूंगा फ़िर चहाऐ छुप कर ही क्यों ना देखु पर देखूंगा ज़रूर।
रोहित जल्दी से एक पेड़ के पिछे छुप गया। जहां से मोहब्बत और अभिमन्यु साफ़ दिख रहें थे।
अभिमन्यु ने मोहब्बत के हाथ को आहिस्ता से अपने हाथ में लिया। और उसके हाथ में दवाई लगाने लगा। तो मोहब्बत दर्द से कराह उठी। इशशशशश।।।
मोहब्बत की कराह सुनकर अभिमन्यु ने मोहब्बत को देख जिस के चहरे पर दर्द दिख रहा था। और आंखों में नमी।
तो अभिमन्यु फूंक मारते हुए मोहब्बत के हाथ पर दवाई लगाने लगा।
देखा जाए तो अभिमन्यु एक तोर पर मोहब्बत के ज़ख्मों पर मरहम ही लगा रहता था। जिस का इंतजार मोहब्बत ना जाने कितने सालों से देख रही थी।
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अभिमन्यु ने मोहब्बत के हाथ को आहिस्ता से अपने हाथ में लिया। और उसके हाथ में दवाई लगाने लगा। तो मोहब्बत दर्द से कराह उठी। इशशशशश।।।
मोहब्बत की कराह सुनकर अभिमन्यु ने मोहब्बत को देख जिस के चहरे पर दर्द दिख रहा था। और आंखों में नमी।
तो अभिमन्यु फूंक मारते हुए मोहब्बत के हाथ पर दवाई लगाने लगा।
देखा जाए तो अभिमन्यु एक तोर पर मोहब्बत के ज़ख्मों पर मरहम ही लगा रहता था। जिस का इंतजार मोहब्बत ना जाने कितने सालों से देख रही थी।
मोहब्बत अभिमन्यु के चहरे को देख रहीं थीं। उसे सच्ची मे यकिन नहीं हो रहा था। की कोई है उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाने के लिए। मोहब्बत ना चहाते हुए भी। एक उम्मीद बांध रही थी। । पर उसे ये भी लग रहा था कि कहीं उसकी उम्मीद ना टुट जायें।
यही सब सोचते हुए। मोहब्बत ने अपनी भीगी पलकों को झुका लिया। और चुप चाप अपना सिर झुकाये बैठ गई।
अभिमन्यु ने मोहब्बत के हाथ पर पट्टी बांध दी। फिर कुछ सोच कर उस हाथ पर हल्के से चुम लिया। जिसका एहसास मोहब्बत को नहीं हुआ। क्योंकि उस का चहरा झुका हुआ था।
अभिमन्यु ने मोहब्बत के चहारे के तरफ़ देखते हुए कहा। शोना बच्चा। मेरी तरफ देखो।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत अपना सिर उठा कर उसे देखती है। तो अभिमन्यु कहता है। बच्चा तुम अपने हाथ को पानी में मत भिंगोना। ठीक है। और कुछ काम भी मत करना। बरना ये जल्दी से ठीक नहीं होगा। और तुम्हें इन्फेक्शन हो जायेगा। हाथ में। फिर ज्यादा दिक्कत होगी तुम्हे।
अभिमन्यु की बात सुन। मोहब्बत ने डरते हुए कहा। पर अगर मोह काम नहीं करेंगी। तो काकी और दादी मारेगी। फिर मोह को दर्द होगा। ना। और मोह ही तो घर का सारा काम करती है। अगर नहीं करेगी तो। फिर सब डांटेंगे और मारेंगे भी।
इतना कहकर मोहब्बत की आंखें फिर से नम हो गई।
उसे तकलीफ़ में देखकर अभिमन्यु को भी तकलीफ़ हो रही थी। और साथ ही में गुस्सा भी आ रहा था। मोहब्बत के ससुराल वालों पर। पर वह अभी अपने आप को कन्ट्रोल करें हुए था।
अभिमन्यु ने मोहब्बत के आंसु साफ करते हुए कहा। नहीं अब तुम्हें कम नहीं करना पड़ेगा। और ना ही कोई तुम्हें मारेगा। मेरे होते तो कोई भी तुम से कुछ नहीं कहा सकता शोना बच्चा।
तो तुम जाओ और आराम करो। ठंड बहुत बढ़ गई है। इस वक्त तुम्हें बाहर नहीं होना चाहिए ना। और तुमने कुछ गर्म कपड़ा क्यों नहीं पहना रखा है। ऐसे सिर्फ साड़ी में हों ठंड नहीं लग रही है क्या। मेरे शोना बच्चा को।
दरअसल ठंड का मोसम था। दिसंबर की स्टार्टिंग थी। जिस वजह से ठंड थी। रात को तो कोहरा छाया हुआ था। पर वह दोनों एक दूसरे से बात करने में इतने खो गये थे कि उन्हें पता ही नहीं चला था कि कब कोहरा बढ़ गया था। पर अभिमन्यु ने मोहब्बत को ठंड से कांपते हुए देख लिया था जिस वजह से वह उसे जाने के लिए बोल रहा था।
अभिमन्यु की बात सुनकर। मोहब्बत ने कहा। लग रही है ना बहुत ठंड लग रही है। पर मोह और कुछ नहीं पहन सकती ना। वह बस इस सफेद साड़ी में ही रहेंगी। और कुछ नहीं पहना सकतीं। जभि तो मोह ने देखो। (अपनी साड़ी दिखाते हुए) इस तरह से साड़ी उठ रखीं हैं।
अभिमन्यु मोहब्बत की साड़ी की तरफ देख ने लगा। मोहब्बत ने अपनी साड़ी से आपने दोनों हाथ और अपने पल्लू से अपने सिर को ढक रखा था। पर उसे ठंड से चहरा लाल हो गया था। उसकी क्यूट सी छोटी सी नाक लाल हो गई थी। और उसे फुले हुए गाले पक्के टमाटर।
अभिमन्यु का तो मन उन्हें खानें का कर रहा था। पर बिचारे ने अपनी भावनाओं को काबू में रख रखा था।
अभिमन्यु ने अपनी बल्क कलर की जैकिट उतारीं और मोहब्बत को कन्धों पर डाल दी।
मोहब्बत ने अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर उसे देखा और वह कुछ कहती उसे पहले ही अभिमन्यु ने कहा। कुछ मत कहो बच्चा। तुम्हें ठंड लग रही है। और तुम्हें अगर अपनी काकी और दादी का डर है कि वह क्या कहेगी। तो तुम उन्हें बताओं ही मत। बस अपने कमरे में ही इसे पहन कर रखना ठीक है।
अपनी केयर करते देख कर मोहब्ब्त को अच्छा लग रहा था। उसे सच्ची मे बहुत ठंड लगती थी। पर वह कुछ नहीं कर सकतीं थीं और ना ही किसी से कह सकतीं थीं।
मोहब्बत ने हल्की इसराइल करते हुए कहा। ठीक है बाबू सहाब मोह किसी को भी नहीं देंगी ये।
आप को पता है इसे पहन कर तो मोह को गर्म गर्म लग रहा था। ये बहुत अच्छी है।
अभिमन्यु की जैकिट बहुत गर्म थी और साथ ही में सोफट भी। वह कम्पेटिबल थी। अभिमन्यु किंग था। तो वह छोटा मोटा समान तो लेता नहीं। उसके सारे कपड़े करोड़ों के थे।
अभिमन्यु मोहब्बत की बात सुनकर मुस्कुरा उठा। अभिमन्यु ने मोहब्बत के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। अब तुम जाओ रात बहुत हो गई है। और तुम्हें काम करने की कोई जरूरत नहीं है। तुम बस आराम करो।
मोहब्बत ने कहा। पर काकी और दादी। ...
अभिमन्यु मोहब्बत की बात बिच में ही काटते हुए कहता है। मैं सब देख लुंगा। शोना बच्चा। तुम आराम करो।
मोहब्बत अब कुछ नहीं कहती । पर उसे डर लग रहा था कि अगर वह घर का काम नहीं करेंगी तो क्या होगा।
मोहब्बत कुछ दुरी पर चलतीं है कि तभी उसे कुछ याद आया। वह अभिमन्यु के पास आईं और घबराईं आवाज में कहतीं हैं। बाबु साहब आप किसी को भी मत बताना कि आप ने मोह का चहरा देखा। कल मोह आप के लिए मंदिर जायेगी। आप को कुछ नहीं होगा। मोह कुछ नहीं होने देंगी आप को। आप मत बताना कि आप ने मोह को देखा। मोह मंदिर जायेगी आप को कुछ नहीं होने देंगी।
मोहब्बत की बहकी-बहकी बातें सुनकर अभिमन्यु कन्फ्यूज़ हों गया। अभिमन्यु मोहब्बत को देखता है जो कि अपने होश में नहीं थी। वह कुछ ना कुछ बड़बड़ा रही थी। जिसे देखकर अभिमन्यु परेशान हो गया। अभिमन्यु ने मोहब्बत के कन्धे को पकड़ कर हिलाया और कहा। शोना बच्चा होश में आओ मैं किसी से कुछ नहीं कहुंगा। होश में आओ ।
मोहब्बत अभिमन्यु के हिलाने से अपने होश में आई। और अभिमन्यु को देख कर जल्दी से अपना घुंघट कर घर के अंदर भाग गई ।
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मोहब्बत कुछ दुरी पर चलतीं है कि तभी उसे कुछ याद आया। वह अभिमन्यु के पास आईं और घबराईं आवाज में कहतीं हैं। बाबु साहब आप किसी को भी मत बताना कि आप ने मोह का चहरा देखा। कल मोह आप के लिए मंदिर जायेगी। आप को कुछ नहीं होगा। मोह कुछ नहीं होने देंगी आप को। आप मत बताना कि आप ने मोह को देखा। मोह मंदिर जायेगी आप को कुछ नहीं होने देंगी।
मोहब्बत की बहकी-बहकी बातें सुनकर अभिमन्यु कन्फ्यूज़ हों गया। अभिमन्यु मोहब्बत को देखता है जो कि अपने होश में नहीं थी। वह कुछ ना कुछ बड़बड़ा रही थी। जिसे देखकर अभिमन्यु परेशान हो गया। अभिमन्यु ने मोहब्बत के कन्धे को पकड़ कर हिलाया और कहा। शोना बच्चा होश में आओ मैं किसी से कुछ नहीं कहुंगा। होश में आओ ।
मोहब्बत अभिमन्यु के हिलाने से अपने होश में आई। और अभिमन्यु को देख कर जल्दी से अपना घुंघट कर घर के अंदर भाग गई ।
अब आगे।........
मोहब्बत के जाने के बाद अभिमन्यु के चहरे के एक्सप्रेशन एक दम बदल गये। जहां वह अभी कुछ देर पहले मोहब्बत के साथ इतने प्यार से बात कर रहा था। और उसके चहरे के एक्सप्रेशन बहुत प्यारे थे। पर अब ऐसा कुछ नहीं था। अभिमन्यु का ओरा खतरनाक हो गया था। वह अपनी गुस्से से लाल आंखों से उस घर को देख रहा था।
अभिमन्यु ने गुस्से में अपनी डरावनी आवाज में कहा। रोहित....
रोहित जो कि पेड़ के पिछे छुप कर अभिमन्यु और मोहब्बत को देख रहा था। रोहित मोहब्बत के खुबसूरत चहरे में खोया हुआ था। और अपने बॉस को उसके साथ इतने प्यार से पेश आते देख वह सदमे में चला गया था। वह अचानक से होश में आ और हड़बड़ी में उसका सिर पेड़ में लग गया। रोहित ने अपने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। ओं मम्मी री मर गया। मैं तो। फुट गया मेरा सिर।
तभी उसे दुबारा से अभिमन्यु की आवाज आई। तो वह डरते हुए उसके पास चला गया। ठंड में भी उसके चहरे पर पसीना आ रहा था। रोहित ने उसे पुछते हुए। कहा। जी बॉस। आप बुला रहे थे।
अभिमन्यु ने गुस्से में फटते हुए कहा। ताका-झांकी हों गई हो तो कल सुबह तक मुझे मोहब्बत की सारी इन्फोर्मेशन चाहिए। कुछ भी नहीं छूटना चाहिए। बरना में तुम्हें नहीं छोड़ूंगा।
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित की हालत खराब हो गई। उस बिचारे का मुंह देखने लायक था।
रोहित ने हिम्मत कर के कहा। बॉस अभी तो रात हो रही है ना। किया में कल काम करूं अभि मुझे निंद आ रही है।
अभिमन्यु ने कहा। ओं ताका-झांकी करने में तुम्हें निंद नहीं आईं। जो अब निंद आ रही है। मुझे कुछ नहीं सुना। कल सुबह तक मतलब सुबह था। इतना कहकर अभिमन्यु चल गया।
और रोहित को छोड़ गया। ठंड में काम करने के लिए। रोहित ने रोने जैसी आवाज में कहा। मेरा जलाद बॉस। मेरी निंद का दुश्मन। मुझे सोने भी नहीं देता।
रोते हुए रोहित अपना काम करने में लग गया ।
तो वह मोहब्बत भाग कर रसोई घर में आईं। और एक कोने में। जहां उपर जाने के लिए सीढ़ीयां थी। उन्होंने निचे अपने सोने के लिए कपड़े बिछा। और अभिमन्यु की जैकिट ओढ़ कर आपस में मैं ही सुकूड कर लैट गई। मोहब्बत रो रही थी। उसने रोते हुए कहा। नहीं महादेव आप बाबू साहब को कुछ मत होने देना। हम से गलती हो गई। अब हम कभी भी उन्हें अपना चहरा नहीं दिखायेंगे। सब उन्हें कुछ मत करना महादेव।
मोहब्बत अपनी आंखें बंद कर रोने लगी और रोते रोते कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला।
अभिमन्यु जब रूम में आया तो वह बहुत गुस्से में था। वह volcano बना हुआ था। जो बस फटने के लिए ही तैयार था।
अभिमन्यु रूम आ आया और गुस्से में अपनी कमीज़ उतार कर फेंक दी और दीवार में अपना हाथ दें मारा। जिसे वह दीवार भी हील गई। अभिमन्यु ने गुस्से में कहा। नहीं छोड़ूंगा। नहीं छोड़ूंगा। जिस जिस ने तुम्हारे साथ गलत किया है ना शोना। तुम्हें दर्द दिया है। सब से उस का दुगना दर्द दुगा। बस एक बार मुझे तुम्हारी इन्फोर्मेशन मिल जाए। और जो में सोच रहा हूं। तुम वही निकलीं तो मैं सब कुछ तबाह कर दुगा। सब कुछ। तुम अब माफिया किंग अभिमन्यु मित्तल का पहली नजर वाला प्यार है। उस का जूनून हों। और उसकी मोहब्बत हो।
अभिमन्यु की आंखों में मोहब्बत के लिए बे सुमार जुनून दिख रहा था। उसके हाथों से खून निकल रहा था पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। इस से। अभिमन्यु चल कर बेड के पास गया और पेट के बल लेट गया। उसने अपनी आंखें बंद कर ली। तो उसे मोहब्बत का खुबसूरत चहरा दिखने लगा। जिसे उसका गुस्सा अपने आप शान्त होने लगा और उसके चहरे पर मुस्कान आ गई। अभिमन्यु ने आंखे बंद करें हुए ही कहा। मोहब्बत मेरी मोहब्बत। मेरा शोना बच्चा।
और कुछ ही देर में अभिमन्यु भी मोहब्बत के चहरे को याद करते हुए सो गया।
सुबह का वक्त।
मोहब्बत अपने रोज़ के समय के अनुसार उठीं। चार बजे। मोहब्बत उठ कर नहा कर सब से पहले घर में ही बने पूजा घर में गई। और पूजा कर सब के कमरे की सफाई करने के लिए चलीं गईं।
मोहब्बत सफाई करते हुए अभिमन्यु के कमरे में आ गई। उसने धीरे से दरवाजा खुला और पहले झांक कर देखा की वह जग तो नहीं रहा है। पर अभिमन्यु अभी भी पेट के बल सो रहा था।
मोहब्बत अंदर गई और कमरें की बिना आवाज करें सफाई करने लगीं। पर मोहब्बत बार बार अभिमन्यु की तरफ देख रही थी। रूम में हल्की रोशनी जल रही थी जिसे अभिमन्यु का हैंडसम सा चहरा और भी हैंडसम लग रहा था। जिसे मोहब्बत की नजर उसे हैंडसम से फेस पर जा रही थी।
जब उसे नहीं रहा गया। तो वह अपने छोटे छोटे कदमों से चल कर उस के पास आईं । और वह निचे जमीन पर अपने घुटने टेक कर बैठ गई। और उसे देखते हुए। अपनी बच्चों जैसी क्यूट सी आवाज में कहा। हे महादेव। ये कितने खुबसूरत है।
इतना कहकर मोहब्बत ने अभिमन्यु के माथे पर आए बाले के हटा देती है। तभी अभिमन्यु अपनी आंखें खोल उसे देता है तो वह चोक जाती है।
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मोहब्बत अंदर गई और कमरें की बिना आवाज करें सफाई करने लगीं। पर मोहब्बत बार बार अभिमन्यु की तरफ देख रही थी। रूम में हल्की रोशनी जल रही थी जिसे अभिमन्यु का हैंडसम सा चहरा और भी हैंडसम लग रहा था। जिसे मोहब्बत की नजर उसे हैंडसम से फेस पर जा रही थी।
जब उसे नहीं रहा गया। तो वह अपने छोटे छोटे कदमों से चल कर उस के पास आईं । और वह निचे जमीन पर अपने घुटने टेक कर बैठ गई। और उसे देखते हुए। अपनी बच्चों जैसी क्यूट सी आवाज में कहा। हे महादेव। ये कितने खुबसूरत है।
इतना कहकर मोहब्बत ने अभिमन्यु के माथे पर आए बाले के हटा देती है। तभी अभिमन्यु अपनी आंखें खोल उसे देता है तो वह चोक जाती है।
अब आगे।
मोहब्बत जो अभिमन्यु के हैंडसम चहरे में खोई हुई थी। वह अचानक अभिमन्यु के आंखें खोल देने से घबरा गई। वहीं अभिमन्यु मोहब्बत के इतने सुबह अपने रूम में दे कर। हैरान था। पर साथ ही वह खुश भी थी। उस की सुबह अपने शोना बच्चा के चहरे देखने से जो हुईं थीं।
वह तो रोज इस चहरे को देखना चाहता था। वह रोज अपने शोना बच्चा को देखना चाहता था।
अभिमन्यु कुछ कहता उसे पहले ही मोहब्बत ने अपनी चहरे का घुंघट से ढक लिया। और जाने के लिए मुड़ी। की तभी अभिमन्यु ने उस का हाथ पकड़ लिया। मोहब्बत अभिमन्यु के हाथ पकड़ ने से घबरा गई। और उस का हाथ हल्का हल्का कांपने लगा।
मोहब्बत ने अभिमन्यु की तरफ अपना चहरा किया। तो अभिमन्यु उस के चहरे पर घूंघट देख कर उसकी आंखें छोटी हो गई।
वह बेड पर उठ कर बैठ गया। और उसने मोहब्बत का हाथ पकड़ अपने पास बेंड पर बैठा लिया।
अभिमन्यु ने अपनी आंखें छोटी कर मोहब्बत को घुरते हुए अपनी सोफ्ट आवाज में कहा। शोना ये तुम ने मुझे देख कर अपने चहरे पर घूंघट क्यों डाल लिया।
इतना कहकर मोहब्बत के घूंघट को उठाने के लिए जैसे ही अपने हाथ उठाये तो मोहब्बत बेंड से उठ गई। और घबराते कहा। नहीं नहीं बाबू साहब । मोह का चहरा मत देखो। मत देखो।
मोहब्बत को घबराता और उस की बात सुनकर अभिमन्यु की आंखें एक बार फिर से छोटी हो गई। उस ने मोहब्बत के हाथ को पकड़ कर फिर एक बार बेड पर बैठा लिया। और एक झटके में मोहब्बत के घूंघट को उस के चहरे से हटा दिया। जिसे मोहब्बत समझ नहीं पाईं। की अभी उस के साथ हुआं क्या।
अभिमन्यु आगे बढ़कर मोहब्बत के माथे को प्यार से चूमता है। तो मोहब्बत की आंखें अभिमन्यु के प्यार भरे स्पर्श से अपने आप बंद हो गई। और एक कतरा आंसु उसे गाल पर आ गया।
जिसे अभिमन्यु ने गाल पर आने से पहले ही अपने होंठों से रोक लिया। और मोहब्बत के चहरे को देखते हुए अभिमन्यु ने बड़े प्यार से कहा। शोना। बच्चा किया बात है। तुम मुझे खुल कर बता सकतीं हों। के कुछ नहीं कहुंगा।
अभिमन्यु की प्यार भरी आवाज सुनकर मोहब्बत ने अपनी नजर उठा कर देखा तो उस की नजरें अभिमन्यु की नजरों से जा टकराईं।
कुछ देर तक दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगें। तो मोहब्बत अभिमन्यु की आंखों में देखते हुए कहती हैं। बाबू साहब मोह को जाना है। काम करना है। किया मोह जायें। अगर दादी या फिर किसी और ने मोह को आप के पास देख लिया तो वह मोह को मारेंगे। फिर दर्द होगा ना। ।।
मोहब्बत की बात सुनकर अभिमन्यु ने घुर कर मोहब्बत को देखा और हल्के गुस्से में मोहब्बत के चहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर जूनून भर आवाज में कहा। किसी में भी इतनी औकात नहीं हैं की वह अभिमन्यु की मोहब्बत पर हाथ उठाये। उसे अपनी नज़र उठा कर देखें। ये अभिमन्यु मित्तल इतनी हिम्मत रखता है की जो कोई उसकी मोहब्बत को आंखें उठा कर देखने की हिम्मत करेगा ना उसकी आंखें उठने से पहले ही निकाला कर फेंक दूंगा। और हाथ उठाने की सोचें तो काटा कर फेंक दुगा।
और तुम अभिमन्यु the mafia King का जूनून उसकी मोहब्ब्त हों तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है। शोना बच्चा।
इतना कहकर अभिमन्यु मोहब्बत को देखने लगा। उसकी आंखें में अभिमन्यु अपने लिए डर देख रहा था। वह देख रहा था कि कैसे मोहब्बत उसके गुस्सा और बातों से डर गयी है। जिसे अब अभिमन्यु को आपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था कि क्यों वह अपने गुस्से को कन्ट्रोल में नहीं रख पाया। पर वह भी किया करता। जब उसने मोहब्बत के मुंह से सुना की उस की दादी या फिर और कोई उसे मारेंगा। तो उसे गुस्सा आ गया। जो उसने मोहब्बत पर उतार दिया।
अभिमन्यु ने अपनी आंखें बंद कर ली। और फिर खुद को नॉर्मल कर मोहब्बत की तरफ देखता है। और अपनी आवाज को सोफ्ट करते हुए कहता है। बच्चा सोरी मेने गुस्सा किया। सोरी शोना।
मोहब्बत रोने लगी और बेंड से उठते हुए कहती हैं। आप बुरे हो । आप भी बुरे हो। बाबू साहब। मोह अब आप से बात नहीं करेगी। आप भी सब की तरफ मोह को गुस्सा करते हों। मोहब्बत जाने लगी।
अभी मोहब्बत रूम के डोर तक पहोंची ही थी की तभी। अभिमन्यु जल्दी से बेंड से उठ कर मोहब्बत के हाथ को पकड़ लेता है। और अपनी तरफ खिंचता है। जिसे मोहब्बत घबरा कर अभिमन्यु के सोने पर हाथ रख देती है और अपनी आंखें बंद कर लेती है।
अभिमन्यु मोहब्बत के डरे हुए चहरे को देख रहा था। जो इस वक्त वहोत प्यारा लग रहा था। मोहब्बत बहुत क्यूट लग रही थी इस वक्त। रोने की वजह से उस का चहरा लाल हो गया था। खास कर नाक और गाल जो की पक्के टिमाटर की तरफ लग रहें थे।
अभिमन्यु मोहब्बत को देख अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सका और निचे झुक कर मोहब्बत के गाल पर किस करता है। और साथ ही में उस के गाल पर हल्के से बाइट कर लेता है। जिसे मोहब्बत की हल्की सी आह निकल जाती है । जिसे सुन कर अभिमन्यु जहां बाइट किया था उस ही जगह पर अपने टंग निकल कर सक कर लेता है। जिसे मोहब्बत कांप उठती है। और वह एक दम से अभिमन्यु से अलग हो जातीं हैं।
अभिमन्यु जो कि मोहब्बत में खो रहा था। मोहब्बत के अलग होने से होश में आया। तो देख मोहब्बत अभिमन्यु को ही अपनी घबराईं नजरों से देख रही थी।
अभिमन्यु ने प्यार से कहा। क्या हुआ शोना।
मोहब्बत ने मुंह बनाते हुए कहा। आप गंदे हो बाबू साहब। आप ने मोह को कांट। यहां कांटा अपने गाल की तरफ इशारा करते हुए मोहब्बत ने कहा।
अभिमन्यु भी मोहब्बत के गाल को देखने लगी। जो उस के बाइट करने से और भी ज्यादा लाल हो गया था। और मोहब्बत की soft skin था । जिस वजह से अभिमन्यु के हल्के बाइट करने से भी वह उस के दांतों का हल्का निशान हों गया था।
अभिमन्यु ने मासूम सा चहरा बनाते हुए कहा। मैं किया करता शोना बच्चा। अब इस मैं मेरी कोई ग़लती नही है। मेरे शोना बच्चा के गाल लाल सोब की तरह लग रहें थे। तो मेने हल्के से खा लिया।
मोहब्बत ने अपने होंठों का पाउट बनाते हुए कहा। मोह अब आप से बिल्कुल भी बात नहीं करेगी। मोह जा रही है।
इतना कहकर मोहब्बत विना अभिमन्यु की बात सुनें या देखें। भाग कर चलीं गईं।
मोहब्बत के जाने के बाद अभिमन्यु ने अपनी बढ़ती धड़कने को शान्त करतें हुए कहा। अब बस भी करो। कितना भागों की। थकतीं नहीं हो किया।
जब भी अपने शोना बच्चा के करीब आ था हुं। ये बढ़ने लगाती है।
अभिमन्यु अपने धड़कनों से बात करते हुए बालकनी में आ गया। और workout करने लगा।
तो वहीं मोहब्बत भाग कर रसोई घर मे आ जाती है। और लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए अपने आप से कहतीं हैं। ये किया हों जाता है मोह को। बाबू साहब जब भी मोह के पास आते हैं ना तो। मोह की धड़कन बढ़ जाती है। और पेट में गुदगुदी होती है। ये किया होता है मोह को।
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मोहब्बत के जाने के बाद अभिमन्यु ने अपनी बढ़ती धड़कने को शान्त करतें हुए कहा। अब बस भी करो। कितना भागों की। थकतीं नहीं हो किया।
जब भी अपने शोना बच्चा के करीब आ था हुं। ये बढ़ने लगाती है।
अभिमन्यु अपने धड़कनों से बात करते हुए बालकनी में आ गया। और workout करने लगा।
तो वहीं मोहब्बत भाग कर रसोई घर मे आ जाती है। और लम्बी लम्बी सांसें लेते हुए अपने आप से कहतीं हैं। ये किया हों जाता है मोह को। बाबू साहब जब भी मोह के पास आते हैं ना तो। मोह की धड़कन बढ़ जाती है। और पेट में गुदगुदी होती है। ये किया होता है मोह को।
अब आगे।
अभिमन्यु अपने रूम की बालकनी में pusp कर रहा था। की तभी उसे कुछ याद आया। तो वह उठा और अपने फोन को ले रोहित को कॉल करने लगा।
तो वह रोहित जो कि अपने रूम में आराम से सो रहा था तभी उस का फोन रिंग करने लगा। रोहित ने अपनी अध खुली आंखों से फोन को देख और फिर अपने कान पर लगा कर नींद भरी आवाज में कहा। कोन है वे। क्या तुम्हें रात में भी चेन ना हैं। साला एक तो मेरा वो खड़ूस बॉस। मुझे सोने नहीं देता और अगर सो जाऊं तो तुम लोग मुझे फोन कर के परेशान करते हों। सो......
तभी अभिमन्यु ने फोन पर अपनी गुस्से भरी आवाज में कहा। अच्छा तो तुम मुझे खड़ूस बुलाते हों।
अभिमन्यु की आवाज सुनकर रोहित के शब्द उस के मुंह में ही रहा गये। वह जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया और सलूक करते हुए कहा है। जय हिन्द सर। I mean. Good night sir. फिर रूम के बहार देखता है। तो सुबह हों गई थी। पर ठंड की वजह से हल्का कोहरा था।
जिसे वह फिर हड़बड़ा जाता है और कहा है। Good morning boss. King 👑.
ं
रोहित नींद में इतना हड़बड़ा गया था कि उसे खुद को नहीं पता था कि वह किया कर रहा है।
अभिमन्यु ने इरिटेट होते हुए कहा। अपनी बकवास बंद करों और मुझे ये बताओं जो काम मेने तुम्हे करने के लिए दिया था वह हों गया किया। ।
रोहित ने कहा। जी किंग। पर...
अभिमन्यु ने उसे बीच में ही रोकते हुए कहा । पर वर जो भी हो मेरे रूम में आओ। पहले तब बात करते हैं।
रोहित ने कहा ओके बॉस।
रोहित जल्दी से फ्रेश हो कर अभिमन्यु के रूम में चला गया।
अभिमन्यु भी रेडी हो कर रोहित के आने का वेट कर रहा था। उस के रूम का डोर नॉक हुआं। तो अभिमन्यु ने कम इन बोला। और रोहित उस के सामने आ कर खड़ा हो गया।
अभिमन्यु ने रोहित को एक नजर देख कर फिर से अपनी नजर लेपटॉप पर गड़ा दी। और उसे बोलने के लिए कहां।
रोहित ने कहा। किंग। मुझे मोहब.... अभिमन्यु ने उसे घुर कर देख तो रोहित ने डर से आयें अपने पसीने को साफ करते हुए अपनी बात को सुधारते हुए कहा। मेरा मतलब मैम। ...
ईडीअभिमन्यु ने फिर रोहित को घुरते हुए देखा और अपनी सर्द आवाज में कहा। Queen कहों उसे। वो the mafia King ki queen 👑 है। तो तमीज से बात करो उस के बारे में भी।
रोहित पहले तो अभिमन्यु के मुंह से King ki queen सुनकर हैरान हो गया था। पर उस ने जल्द ही अपने आप को संभाल लिया था।
रोहित ने कहा। सोरी किंग।
अभिमन्यु ने हां में सिर हिला दिया और उसे बोलने के लिए कहां।
रोहित ने कहा। किंग मुझे क्वीन के बारे में ज्यादा तो नहीं पता था। पर जितना पता चला है। वह बहुत बुरा है किंग। जब मुझे क्वीन के बारे में पता चला था तो मैं हैरान रह गया बॉस।
अभिमन्यु की आंखें छोटी हो गई। रोहित की बातें सुन कर उस ने लेपटॉप पर काम करना बंद किया और रोहित की तरफ देखते हुए कहा। तुम्हारा कहने का किया मतलब है साफ़ साफ़ बताओं अखीर ऐसा किया पता चला है तुम्हें मेरे शोना बच्चा के बारे में। ज़रा मुझे भी तो बताओ।
रोहित ने कहा। बॉस। क्वीन इस घर की नौकरानी नहीं बल्कि सुरेश जी के बड़े भाई की विधवा पत्नी है।
रोहित के मुंह से ये बात सुन कर तो अभिमन्यु भी हैरान रह गया। उसे ये तो पता था कि मोहब्बत विधवा है। पर ये नहीं पता था कि जिस घर में वह रह रहा था उसी घर के बड़े बेटे की विधवा पत्नी है।
रोहित ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा। दरअसल किंग। क्वीन का बाल विवाह कर दिया था। जब वह सिर्फ 14 साल की ही थी तभी उनके पिता ने ही शराब के लालच में आकर कर क्वीन का सोदा सुरेश के बड़े भाई। वीरेश कुमार जिस की उम्र उस वक्त 45 साल की थी उस के साथ कर दिया था। वीरेश इस गांव का सरपंच था। जिसे उस के पास गांव के लोगों से एटा हूआ पैसा था। और उस के शराब के बहुत सारे ठेके थे।
क्वीन के पिता शराब बहुत पिते थे वह शराब के आगे किसी को भी नहीं देखता था। वह शराब पीना जुआ खेलने। लड़की बाज़ी करना। बस इन्हें चीजों में हर वक्त रहता था।
क्वीन के पिता नीरज ने अपनी सारी प्रोपर्टी जुआं और शराब में ही खो दी। वह इतना पीता था उसे अपनी बीवी बच्चों से कोई मतलब ही नहीं था। शराब पीकर अपनी बीवी और बच्चों को मारना।
बस ये सब ही करता था। निरज। एक दिन जब उस के पास पीने के लिए पैसे नहीं थे और ना ही जूआ खेलने के लिए उस के पास कुछ बचा था। तभी उस के पास वीरेश आया।
फ्लैशबैक।......
तीन साल पहले।
मोहब्बत का पिता आ सुबह से ही बेचैन था। वह ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कितना बिमार हों। निरज यहां से वह घुम रहा था। उन ने सब से पैसे मांगे पर उसे किसी ने भी एक फूटी कौड़ी नहीं दी
निरज ने शराब और जुआं कि लत में भीख तक मांगी थी। पर उसे किसी ने भीख भी नहीं दी ।
नीरज शाम के वक्त सड़क पर लेटा हुआ था। उस के होठ सुके पड़े थे। शराब ना पीने की वजह से।
तभी कोई उस के पास आ कर बैठ गया और उस के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा। मैं तुम्हें शराब और पैसे दोनों ही दुंगा। पर उस के लिए तुम्हें मेरी एक शर्त मानी होगी।
निरज ने जब उस सख्श की बात सुनी तो उसने अपनी आंखें खोली और देखा। तो सामने वीरेश गांव का सरपंच था।
वीरेश को देख कर नीरज उठ गया और उस के पैरों में बैठ गया। और बोला। कैसी शर्त सरकार। मैं सारी बात मानूंगा। बस मुझे पैसे दे दो।
वीरेश अपने चहरे पर गन्दी मुस्कान लाते हुए कहता है। ज्यादा कुछ नहीं । सुना है तेरी दो बेटी है। और दोनों ही खुबसूरत है। तेरी छोटी बेटी तो मेने देखीं नहीं है। पर तेरी बड़ी बेटी बहुत कमाल है। और ज़बान भी है। तु बस अपनी बड़ी बेटी की शादी मेरे साथ करा दें। उसके बदले में तुझे अपने दो शराब के ठेके दे देगा। और साथ ही में तुझे एक लाख रुपए । दें दुंगा। बस बदलें में अपनी बेटी मुझे दे दो।
वीरेश कि बात सुनकर निरज पहले तो हैरान हो जाता है पर जैसे ही दो शराब के ठेके और एक लाख की बात आती है। तो वह खुश हो जाता है। उस के मन में लालच आ जाता है।
निरज खुश होते हुए कहता है। सरकार ये तो मेरा सो भाग्य है। जो आप मेरे दामाद बनोगे। भला मैं इतने अच्छे रिश्ते के लिए मना कैसे कर सकता हूं। मैं तैयार हूं। अपनी बेटी की शादी आप से कराने के लिए।बस आप ये बता दिए। कब करोगे शादी।
वीरेश निरज की बात सुनकर खुश हो गया। वीरेश ने कहा। कल सुबह तैयार रहना। मैं कल सुबह अपनी पत्नी को लेने के लिए आऊंगा।
फिर वीरेश अपनी जेब में से एक नोटों की गंढी निकाल कर दें देता है। और कहता है।
बाकी कल शादी होने के बाद।
नीरज पैसे को ललचाई नज़रों से देखते हैं हां सिर हिला देता है। और कहता है। जी सरकार।
वीरेश चला जाता है। और निरज शराब के ठेके पर शराब किने के लिए चला जाता है।
रात को दस बजे जब निरज अपने घर पहोच ता है तो देखता है कि दो लड़की निचे जमीन पर एक दुसरे को गले लगाएं हुईं लेटीं है। जिन्हें से एक लड़की की उम्र तो 17 थी और एक की 14 दोनों एक दूसरे को गले लगा कर सुकून से सो रही थी।
निरज लड़खड़ाते हुए कदमों से चलकर उन दोनों लड़की के पास आया और एक लड़की को लात मार कर उठाता है। ऐ लड़की। उठ मुझे खाना दे। ऐ लड़की।
जिसे दोनों लड़की की आंखें खुल जाती है। तो दोनों ही अपनी आंखों में आसूं लिए अपने पिता को देखतीं हैं।
बड़ी बेटी कहती हैं। बाबा आप हमें इस तरह से क्यों बुलाते हों। हम दोनों तो आप की ही बेटी है ना। तो आप हमें हमारे नाम से बुराइये ना।
निरज ने कहा। अच्छा क्या है तेरा नाम। ज़रा मुझे बता ना। वो किया है ना में भुल गया तेरा नाम।
वह लड़की खुश हो गई। उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा। कोई बात नहीं बाबा में बता देती हुं ना। नंदनी। नंदनी ना हैं बाबा। अब आप याद रखना।
नंदनी ने मासुमियत से अपना नाम बताया।
नीरज पहले तो हंसता है । और फिर नंदनी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है और कहता है। मुझे बताने की जरूरत नहीं है तुझे। तेरी मां तुम दोनों को जन कर मेरी छाती पर बैठा कर गयी है। तो केसे भुल जाउंगा तुम दोनों को।
नंदनी रोते हुए अपने बाबा को देखतीं हैं। निरज उठ कर लड़खड़ाते कदमों से चलकर एक क़मर में चलें गया। और वही वह मासुम सी और प्यारी सी बच्ची डर से कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। वह तो नंदनी के सिने में अपना सिर छुपाए बैठीं थीं और रो रही थी कांप रही थी डर से।
जिस वजह से नंदनी ने अपने आंसु साफ किए। और उस बच्ची के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। । नहीं नहीं बच्चा सोते नहीं। मोहब्बत। दीदी है ना तेरे पास तो फिर क्यों रो रही है । तु मोहब्बत।
मोहब्बत अपना सिर उठा कर नंदनी की तरफ देखा । और रोते हुए कहा। दीदी बाबा। बाबा मारे गए।
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निरज ने कहा। अच्छा क्या है तेरा नाम। ज़रा मुझे बता ना। वो किया है ना में भुल गया तेरा नाम।
वह लड़की खुश हो गई। उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा। कोई बात नहीं बाबा में बता देती हुं ना। नंदनी। नंदनी ना हैं बाबा। अब आप याद रखना।
नंदनी ने मासुमियत से अपना नाम बताया।
नीरज पहले तो हंसता है । और फिर नंदनी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ देता है और कहता है। मुझे बताने की जरूरत नहीं है तुझे। तेरी मां तुम दोनों को जन कर मेरी सिर पर बैठा कर गयी है। तो केसे भुल जाउंगा तुम दोनों को।
नंदनी रोते हुए अपने बाबा को देखतीं हैं। निरज उठ कर लड़खड़ाते कदमों से चलकर एक क़मर में चलें गया। और वही वह मासुम सी और प्यारी सी बच्ची डर से कुछ बोल ही नहीं पा रही थी। वह तो नंदनी के सिने में अपना सिर छुपाए बैठीं थीं और रो रही थी कांप रही थी डर से।
जिस वजह से नंदनी ने अपने आंसु साफ किए। और उस बच्ची के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। । नहीं नहीं बच्चा सोते नहीं। मोहब्बत। दीदी है ना तेरे पास तो फिर क्यों रो रही है । तु मोहब्बत।
मोहब्बत अपना सिर उठा कर नंदनी की तरफ देखा । और रोते हुए कहा। दीदी बाबा। बाबा मारे गए।
अब आगे।....
मोहब्बत की बात सुनकर नंदनी ने उस के आंसु साफ करते हुए कहा। नहीं ना बच्चा बाबा नहीं मारेंगे तेरी नंदु दीदी है ना। तो बाबा नहीं मारेंगे तुझे।
इतना कहकर नंदनी मोहब्बत को अपनी गोद में सिर रख कर सुलाने लगती है। मोहब्बत भी रोते हुए सो जातीं हैं।
नंदनी मोहब्बत के सोने के बाद नंदनी मोहब्बत के माथे पर किस्स कर उसे आराम से सिदा लिटा कर। उठ गई और अपने बाबा के लिए खाना लेकर निरज के क़मरे में चली गई।
नंदनी ने रूम में आ कर देखा तो निरज खाट पर लेटा हुआ था उस के एक हाथ में अभी भी शराब की बोतल थी।
नंदनी ने गहरी सांस ली और निरज के पास जा कर खड़ी हो गई। नंदनी ने कहा। बाबा लो खाना खा लो । ।
नंदनी की बात सुनकर निरज अपनी आंखें खोलता है और नंदनी को देखता है। वह उठ कर बैठ जाता है और कहता है। मुझे खाना नहीं खा ना तु इसे लेकर चली जा।
नंदनी जाने लगी तो निरज कहता है। सुन कल तेरी शादी हैं। तो तैयार रहना। और हैं कोई नाटक मत करना।
निरज की बात सुनकर नंदनी कन्फ्यूज़ हों जाती है। तो वह पुछती है। शादी। आप मेरी शादी करा रहे हैं बाबा पर अभी तो मैं 18 की भी नहीं हुई हुं। और आप मेरी शादी करा रहे हैं। और किस के साथ करा रहे हैं मेरी शादी। ज़रा मुझे बताओगे आप।
निरज ने कहा। सरपंच वीरेश के साथ। सरकार तुझ से शादी करना चाहते हैं। और में मान गया।
अपने बाबा की बात सुनकर नंदनी तो जैसे सदमे में ही चलीं गईं थीं। उसे विश्वास नहीं हो रहा था।
नंदनी ने कहा। बाबा वीरेश सरकार के साथ आप ने मेरा रिश्ता पक्का किया है। आप को पता है ना बाबा वो कैसा है। और वो मुझसे कितना बड़ा है। वह आप की उम्र का है बाबा। मैं उस की बेटी जैसी लगती हुं। और आप मेरी शादी करा रहे हैं। उस आदमी के साथ।
निरज ने चिड़ते हुए कहा। बेटी जैसी लगती है। तु बेटी तो नहीं है ना। उस की। जो ऐसे बोल रहीं हैं। । और वैसे भी तेरे बदले में सरकार मुझे दो शराब के ठेके और एक लाख रुपए दे रहे हैं। तो मैं क्यों मना करू। चल अब चलीं जा और सुबह तैयार रहना शादी के लिए।
नंदनी ने कहा। नहीं बाबा में शादी नहीं करूंगी। उस बुड्ढे आदमी से मुझे शादी नहीं करनी है।
नंदनी की बात सुनकर निरज को गुस्सा आ गया। और उसने गुस्से में उठ कर नंदनी के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया। और कहा। मैं भी देखता हूं। की तु कैसे नहीं करेगी। सरकार से शादी।
नंदनी रोते रहीं और माना करती रही शादी के लिए। । पर वह नहीं माना। नंदनी जितनी बार शादी के लिए मना करती ।निरज उतनी बार नंदनी को मारता।
सुबह का वक्त।
सुबह के नो वज रहे थे। और मोहब्बत सारे घर में। अपनी दीदी को ढुंढ रहीं थीं । पर उसे नंदनी कही नहीं मिली। मोहब्बत के बाबा तो सुबह ही वीरेश के घर चला गया था। उसे कुछ नहीं पता था। नंदनी के बारे में।
मोहब्बत नंदनी को ढुढते ढुडते हुए। एक क़मरे के पास आईं। जो की उन के घर के पिछे। वाले हिस्से में था। वहा ज्यादा किसी का भी आना जाना नहीं था।
मोहब्बत उस रूम के बहार आई। पर वहां से जाने लगी यही सोच कर की यहां कैसे उस की दीदी होगी । यहां तो कोई भी आता जाता नहीं है।
वह जानें लगी की तभी उस की नजर टूटी हुई खिड़की के अंदर पड़ा। तो वह हैरान रहा गई । मोहब्बत खिड़की पर अपने छोटे छोटे हाथों से मारने लगी। और रोते हुए कहती हैं। दीदी। नंदु दीदी।
मोहब्बत भाग कर घर के सामने आई। तभी वह किसी से टकरा गई। तो मोहब्बत ने अपना मासुम सा चहरा उठा कर देखा। तो उस के सामने एक अंजान सख्श था। मोहब्बत उसे पहचान नहीं पाईं। पर फिर भी वह उस आदमी से कहतीं हैं। चाचा जी । चाचा जी। नंदु दीदी। को पता नहीं क्या हो गया। चलों ना चाचा।
वह आदमी तो। मोहब्बत को ही देख रहा था। उस की नजर बस मोहब्बत के खूबसूरत चहरे पर थी। रोने की वज़ह से मोहब्बत और भी ज्यादा खुबसूरत लग रही थी। उसे के गाल नाक। चहरा सब लाल हो गया था। मोहब्बत वे सक 14 साल की मासुम सी बच्ची थी। पर वह खुबसूरती में। बड़े बड़ों बड़ों को फेल कर देती है।
वह सख्श होश में आया। जब निरज ने उस के कंधे पर हाथ रखा और उसे हिलाते हुए कहा। सरकार सरकार कहा खो गये आप। चलो अंदर।
ये सख्श और कोई नहीं वीरेश था। जो मोहब्बत की खुबसूरती में पागल हो गया था। वीरेश कुछ कहता उसे पहले ही। मोहब्बत निरज के पास गयी और निरज का हाथ पकड़ते हुए। कहतीं हैं। बाबा। बाबा देखो ना दीदी को । दीदी को किया हो गया।
निरज मोहब्बत को नफरत भरी नजरों से देखने लगा। और कुछ कहता पर मोहब्बत की बात सुनकर। उसकी आंखें छोटी हो गई। निरज ने कहा। क्या हो गया । से तेरा किया मतलब है।
मोहब्बत निरज का हाथ पकड़ कर। उसे लेकर। घर के पिछे बाले क़मरे मे ले कर आ गई। और रोते हुए कहने लगी। देखो ना बाबा दीदी इस के अंदर है। और पता नहीं किया हो गया है दीदी को।
निरज दरवाजा खोलने कि कैसी करता है। पर वह अंदर से बंद था। जिसे अब निरज भी डरने लगा। उसे नंदनी के कुछ हो जाने से डर नहीं था। उसे वीरेश का डर था । अपने हाथ से शराब और पैसे जाने का डर था।
निरज वीरेश की तरफ देखता है। जो उस के पास ही था। और मोहब्बत को ही अपनी हवस भरी नजरों से देख रहा था। जिसे निरज देख लेता है। पर कुछ कहता नहीं है। वह वीरेश से कहता है। सरकार जरा मेरी दरवाजा खोलने में मदद करना।
वीरेश होश में आता है। और अपने साथ आये आदमियों से दरवाजा खोलने के लिए कहता है। । सब दरवाजा खोलते हैं। तो देखते हैं की नंदनी की लाश पंखे पर लेटी हुई थी।। उस को देख कर मोहब्बत सदमे में चली गई। उस किसी का होश नहीं था। वह बस एक टक नंदनी की लाश को देंख रही थी।
वीरेश के आदमियों ने नंदनी की लाश को उतारा और वह लिटा दिया।
निरज वीरेश की तरफ देख रहा था। वह रोते हुए वीरेश के पास आया और उस के पैरों में बैठ कर। कहता है। सरकार माफ कर दो। मुझे नहीं पता था कि ये ऐसा कर लेंगी। सरकार। बस एक मोका दे दो।
निरज की बात सुनकर वीरेश निरज को लात मारता है। गुस्से में कहता है। बस निरज। मुझे मेरे पैसे दे। मुझे कुछ नहीं सुना अब। मेरी पैसे अभी के अभी दे ।
निरज वीरेश की बात सुनकर डर गया। उस ने वीरेश के पैर पकड़ते हुए कहा। सरकार एसा मत करों मेरे पास तो एक फुटी कोड़ी भी नहीं है।
फिर मोहब्बत को देखता है। और वीरेश की तरफ देखते हुए कहता है। सरकार एक राश्ता है। मेरे पास।
वीरेश के चहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। जैसे वह जानता हों की निरज किया कहना चाहता है।
फिर भी वीरेश अंजान बनते हुए कहता है। किया राश्ता है। तेरे पास।
निरज जल्दी से कहता है। मेरी बड़ी बेटी ही तो मरी हैं। छोटी तो नहीं। आप मेरी छोटी बेटी से शादी कर लो।
वीरेश कुछ देर सोचने का नाटक करता है। फिर कहता है। ठीक है। पर सिर्फ पांच मिनट है तेरे पास।
निरज उठ गया और मोहब्बत के पास गया। निरज मोहब्बत का हाथ पकड़ता है। और उसे लेकर अपने घर आ गया। मोहब्बत बिना कुछ कहे वो सूद होकर जा रही थी। उसे किसी चीज का होश नहीं था।
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चेप्टर केसा लगा कॉमेंट में जरूर बताना। 🥰
फिर मोहब्बत को देखता है। और वीरेश की तरफ देखते हुए कहता है। सरकार एक राश्ता है। मेरे पास।
वीरेश के चहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। जैसे वह जानता हों की निरज किया कहना चाहता है।
फिर भी वीरेश अंजान बनते हुए कहता है। किया राश्ता है। तेरे पास।
निरज जल्दी से कहता है। मेरी बड़ी बेटी ही तो मरी हैं। छोटी तो नहीं। आप मेरी छोटी बेटी से शादी कर लो।
वीरेश कुछ देर सोचने का नाटक करता है। फिर कहता है। ठीक है। पर सिर्फ पांच मिनट है तेरे पास।
निरज उठ गया और मोहब्बत के पास गया। निरज मोहब्बत का हाथ पकड़ता है। और उसे लेकर अपने घर आ गया। मोहब्बत बिना कुछ कहे वो सूद होकर जा रही थी। उसे किसी चीज का होश नहीं था।
अब आगे।....
निरज मोहब्बत को खिंचते हुए घर के अंदर लेकर जा रहा था और मोहब्बत बेसुध होकर जा रही थी।
निरज मोहब्बत को लेकर कमरे में आया और मोहब्बत को वो शादी का जोड़ा दिया जो नंदनी के लिए आया था।
निरज गुस्से में मोहब्बत के मुंह को अपने हाथों में भरते हुए। दांत पिसते हुए कहता है। ऐ लड़की मेरी बात कान खोल कर सुन लें। ये लहंगा पहना कर जल्दी से बहार आ बरना अभी जो हालत तेरी नंदु दीदी की है ना वो तेरी होगी।
मोहब्बत अपनी सुनीं आंखों से निरज की तरफ देखतीं हैं। पर कुछ कहती नहीं ।
निरज मोहब्बत को धमकी दें कर चला जाता है। और मोहब्बत कभी अपनी हाथ में लहंगे को देखतीं हैं तो कभी दरवाजे की तरफ। मोहब्बत डर से कांप रही थी। उस की हालत खराब थी। उसे सच में इस वक्त। प्यार की जरूरत थी। वह 14 साल की मासुम सी बच्ची थी। जिसे प्यार और अपने पन की बहुत जरूरत थी।
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह किया करें। अभी मोहब्बत सोच ही रही थी कि तभी क़मरे का दरवाजा खुला और उसमें से एक लड़की आई। और विना कुछ कहते मोहब्बत के हाथ में से वह शादी का लहंगा लें। मोहब्बत को पहनने लगी।
कुछ देर बाद।
मोहब्बत अपने चहरे पर घुंघट लिए मंड़प में बैठीं थीं। और उस की साइड में वीरेश अपने चहरे पर गन्दी मुस्कान लिए बैठा था। और निरज अपने चहरे पर बडी सी मुस्कान लिए दोनों को देख रहा था। उसे लग रहा था कि आज जैसे उसने कितना अच्छा काम किया है।
पंडित जी ने दोनों को फेरें के लिए खड़ा किया तो। वीरेश खड़ा हो गया पर मोहब्बत अभी भी बैठीं हुईं थीं। जिसे देख कर। निरज और वीरेश दोनों को ही गुस्सा आ गया। वीरेश ने गुस्से में मोहब्बत का हाथ पकड़ा और जबरदस्ती खिंचते हुए मोहब्बत के साथ फेरे लेने लगा।
थोड़ी देर में मोहब्बत और वीरेश की शादी हो गई। और मोहब्बत एक जिंदा लाश बन गई ।
वीरेश निरज के पास आया और उसे अपने दोनों शराब के ठेके की चाबी और एक लाख रुपए देते हुए कहता है। आज के बाद अपनी सकल मत दिखाना मुझे। दफा हो जा यहा से। इस गांव में दिख मत जाना।
निरज पैसे और शराब के लालच में आकर कर। गंदी हंसी हंसते हुए कहता है। जी सरकार अब मैं यहां करूंगा भी किया।
निरज तो चला गया मोहब्बत की जिंदगी नरक बना कर। वीरेश भी मोहब्बत को जबरदस्ती अपने साथ लेकर चला गया।
फैलासबैक ऐंड 🔚
नंदनी ने तो अपने जान देकर अपने आप को बचा लिया। किंग। पर उसने ये नहीं सोचा की उस के बाद उस का जलाद बाप उस मासूम सी बच्ची को अपने लालच का शिकार बन देगा। रोहित ने अपनी नम आंखों से अभिमन्यु को देखते हुए कहा।
तो वह रोहित की बात सुनकर अभिमन्यु की आंखें गुस्से से लाल थीं। उस के अंदर गुस्से का ज्वालामुखी बन कर फूटने के लिए तैयार था।
जब उसे अपना गुस्सा कन्ट्रोल नहीं हुआ तो। उस ने गुस्से में खड़ा होकर टेबल को जोर से लात मारी। जिसे वह टुट गयी। और रोहित डर कर एक कोने में छुप गया।
अभिमन्यु ने गुस्से में कहा। नहीं छोड़ूंगा। मैं किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा।
सच्ची मे अगर आज वीरेश जिंदा होता ना। तो अभिमन्यु अभी जा कर उस को बेरहमी से काट कर उस के टुकड़ों को अपने ( टाइगर और टाइसन काला तेंदुआ 🐯 ) (जैक और जैकी शोर 🦁) को खिला देता।
अभिमन्यु ने अपनी खतरनाक आवाज में रोहित से कहा। निरज कहा है वो कमीना। पता करों उस का।
रोहित ने डरते हुए कहा। जी किंग। मेने पहले ही उस का पता लगाने के लिए हमारे आदमियों को लगा दिया है।
अभिमन्यु ने कहा। और ये वीरेश कैसे मरा। कुछ पता चला उस की मौत के बारे में।
रोहित ने कहा। जी किंग। जब वह क्वीन को लेकर अपने घर आया था। तब सब पहले तो मना किया था। शादी को मानें के लिए। पर बाद में पता नहीं वीरेश ने सब को किया बताया सब मान गये। पर उस के दो बच्चे लड़के थे। जो शादी को मानें के लिए तैयार नहीं थे। और इस के खिलाफ थे। पर किसी ने उन दोनों की बात नहीं मानी तो वह दोनों अपनी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दिल्ली चले गए। और अब वह वहीं रहते हैं।
रात के वक्त वीरेश नसें में दूत होकर घर आ रहा था कि तभी रास्ते में उसे अपने उस के सिने में दर्द उठ। वह दर्द इतना था कि वह सहन नहीं कर पाया और वह उस की मौत हो गई । जब सब को उस की मौत की खबर मिली तो सब ने मोहब्बत को ही इस का जिम्मेदार माना। और उस दिन से लेकर आज तक। मोहब्बत की जिंदगी नरक से बतर बनाने में किसी ने भी कोई कमि नहीं छोड़ी।
रोहित की बात सुनकर अभिमन्यु गुस्से में पागल हुए जा रहा था। वह कैसे अपने गुस्से को काबू किए हुए था ये केवल वही जानता था।
अभिमन्यु ने कहा। और कुछ।
रोहित बोल नहीं किंग। बस इतना ही पता चला है अभी तो।
अभिमन्यु ने कहा । ठीक है। पता करों की ऐसा किया कहा था। वीरेश ने अपने परिवार बोलों को जिसे वह शादी को मान गए। और ये भी की निरज कहा है।
रोहित ठीक है कह कर चला गया।
रोहित के जाने के बाद अभिमन्यु ने अपनी आंखें बंद कर ली तो उसे मोहब्बत का मासूम सा चहरा नज़र आया। अभिमन्यु ने कहा। शोना तुम्हारे हर एक आंसु का बदला लेकर रहुगा। हर किसी को खुन के आंसु ना रूला दिये ना तो मैं भी अभिमन्यु मित्तल नहीं।
अभिमन्यु इतना कहकर। रूम से बाहर निकल गया। और मोहब्बत को ढूंढने लगा।
Tu be continued ✍️ ✍️
वीरेश ने अपने परिवार बोलों को जिसे वह शादी को मान गए। और ये भी की निरज कहा है।
रोहित ठीक है कह कर चला गया।
रोहित के जाने के बाद अभिमन्यु ने अपनी आंखें बंद कर ली तो उसे मोहब्बत का मासूम सा चहरा नज़र आया। अभिमन्यु ने कहा। शोना तुम्हारे हर एक आंसु का बदला लेकर रहुगा। हर किसी को खुन के आंसु ना रूला दिये ना तो मैं भी अभिमन्यु मित्तल नहीं।
अभिमन्यु इतना कहकर। रूम से बाहर निकल गया। और मोहब्बत को ढूंढने लगा।
अब आगे।
अभिमन्यु मोहब्बत को ढूंढते ढूंढते निचे आ गया। और अपनी नजरें घुमा कर मोहब्बत को यहां वहां देखने लगा।
तभी उस की नजर रसोई घर में पड़ी। जहां देख कर अभि के सिने में एक दर्द की लहर दौड़ गई। अभिमन्यु मोहब्बत को देखने लगा।
जहां मोहब्बत अपना हल्का सा घूंघट हटा कर मिटी के चूले में आग जला रही थी।
जिसे आग का धुआं मोहब्बत की आंखों में और मूंह में जा रहा था। और वह बार बार ख़ास रही थी। और अपनी आंखों में धुऐ की वजह से आ रहे आसूं को साफ कर रहीं थीं।
मोहब्बत को ऐसे देख कर अभिमन्यु को बहुत तकलीफ़ हो रही थी। उस का बस चलता ना तो वह अब तक मोहब्बत का हाथ पकड़। उसे अपने सिने से लगा लेता। और कहीं लें जा कर छुपा देता जहां उसे एक खरोंच तक ना लगे।
अभिमन्यु मोहब्बत के पास जाने के लिए अपना कदम बढ़ाता है। की तभी वह पर शोभा आ जाती है। जिसे देख कर अभिमन्यु अपने कदम वहीं रोक लेता है।
और शोभा वहां मोहब्बत के पास खड़ी हो कर उसे कहतीं हैं। ऐ मनहूस चल जल्दी से सब के लिए नाश्ता बना। कितना समय लगातीं है तु काम करने में।
मोहब्बत कहीं है। बस छोटी काकी अभी बना देती हुं। इतना कहकर मोहब्बत अपने हाथों को जल्दी जल्दी चलाने लगती है।
हालांकि उस से अपने हाथ से काम नहीं हो रहा था। क्योंकि उस के एक हाथ में तों अभिमन्यु ने पट्टी बांध दी थी। तो वह बस आपने एक हाथ को ज्यादा चला रहीं थीं।
अभिमन्यु मोहब्बत को देख कर अपने मन में कहता है। मेने मना किया था ना शोना बच्चा। की तुम कोई काम नहीं करेंगी फिर भी तुम वही कर रहीं हों जो मेने करने के लिए मना किया है। अब जब तुम ने मेरी बात को इग्नोर किया है तो इस की पनिशमेंट तो तुम्हें ज़रूर मिलेगी ना शोना बच्चा।
So now you get ready to my punishment. You have ignored Abhimanyu's words.
अभिमन्यु अपनी बात बोल कर मोहब्बत के पास जाने लगा। और रसोई घर के पास खड़ा हो कर। कहता है। किया मुझे एक गिलास पानी मिलेगा।
अभिमन्यु की आवाज सुनकर कर शोभा जो अभी भी वहीं खड़ी थी वह मुड़ कर अभिमन्यु को देखतीं हैं। तो एक पल के लिए तो वह भी अभिमन्यु के हैंडसम चहरे और उस की बॉडी पर मर मिटी। वह अपनी आंखें फ़ाड़ कर अभिमन्यु को देख रहीं थीं।
अभिमन्यु जब शोभा की नजर खुद पर पाता है। तो उस की आंखें छोटी हो जाती है। और वह शोभा को घुर कर देखने लगता है।
अभिमन्यु शोभा को खा जाने वाली नज़रों से घूरने लगता है । तो शोभा अभिमन्यु की नजरों से घबरा जातीं हैं। और वह अपने आप को संभाल कर अभिमन्यु से कहतीं हैं।
ज़ी सहाबा किया चाहिए आप को।
अभिमन्यु अपनी सर्द आवाज में कहता है। किया तुम्हें कम सुनाई देता है। मुझे अपनी बात को दोह रहाना पसंद नहीं है।
शोभा अभिमन्यु की आवाज सुन कर डर जातीं हैं। वह अपनी डरी हुई आवाज में कहतीं हैं। माफ़ किए साहब।
अभिमन्यु फिर उसे अपनी गुस्से से हुईं लाल आंखों से घूरने लगता है। तभी उस के सामने एक गिलास आता है तो वह उधर की तरफ देखता है। तो मोहब्बत अभिमन्यु के सामने पानी लिये खड़ी थी।
अभिमन्यु अपना हाथ आगे बढाता है और मोहब्बत की उंगलियों को छुते हुए। पानी का गिलास अपने हाथों में लेता है । और मोहब्बत पर ही अपनी नजर रखते हुए पानी पीता है।
पानी पिने के बाद अभिमन्यु शोभा की तरफ देखता है। और कोल्ड आवाज में कहता है। किया ये लड़की ही खाना बनाती है।
शोभा डरते हुए कहती हैं। जी हां सहाबा। ये ही खाना बनाती है । ये इस घर की नौकरानी है तो खाना तो ये ही बनाएगी ना।
अभिमन्यु शोभा की बात सुनकर गुस्से में आ जाता है। और वह अपनी सबसे खतरनाक आवाज में शोभा पर चिल्लाते हुए कहता है। किया तुम पागल हो। तुम्हें इतनी जल्दी मरने का सोक है। तो मुझे बता सकतीं हों तुम। मैं बहुत अच्छी मौत देता हूं। सब को। तुम्हें भी अच्छी मौत दुगा।
शोभा अभिमन्यु की बात सुनकर और भी डर जातीं हैं और वह डर से कांप जाती है। वह अपनी कांपती हुई आवाज में कहतीं हैं। क्यूं किया हुआ सहाबा।
वहीं अभिमन्यु की आवाज सुनकर मोहब्बत के सारे ससुराल वाले भी आ जाते हैं। और देखते हैं। की मोहब्बत वह साइड में खड़ी खड़ी डर से कांप रही थी। शोभा वह अभिमन्यु के सामने खड़ी डरी हुई थी।
कुसुम देवी मोहब्बत को देखते हुए अपनी नफ़रत भरी आवाज में आपने बेटों से कहतीं हैं। अब किया कर दिया इस कलमुंही ने। जो ये शहरी बाबू इतना गुस्से में है।
सुरेश कहता है। पता नहीं मां। पर ये मनहूस हमारा बना बनाया काम बिगाड़ देगी। देखना आप।
अभिमन्यु गुस्से में फिर से चिल्लाते हुए कहता है। रोहित अब हम यहां नहीं रहेंगे। मेरे सारा समान पेक करों और चलों यहां से। मुझे मरने का कोई सोक नहीं है। अभी मुझे बहुत कुछ करना है अपनी लाइफ में।
रोहित अभिमन्यु की बात सुनकर कन्फ्यूज़ हों जाता है। और वह कन्फ्यूज़ भरी आवाज में कहता है। ज़ी बॉस पर....
अभिमन्यु कहता है। जो कहा है वहीं करों। तुम्हें पता है मुझे अपनी बात को दोहराना पसंद नहीं है।
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित चला जाता है। तो वह सुरेश घबरा जाता है अभिमन्यु के जाने की बात सुनकर।
सुरेश जल्दी से अभिमन्यु के पास आता है और कहता है। सहाबा किया बात है। कोई बात हुई है किया। जो आप इतने गुस्से में है। माफ़ कर दिये सहाबा अगर कोई ग़लती हो गई हो तो।
अभिमन्यु सुरेश की तरफ देखते हुए कहता है। किया तुम सब मुझे इस लड़की के हाथ का खाना बना हुआ खिलाते।
सुरेश मोहब्बत की तरफ देखते हुए अपने मन में कहता है। ये मनहूस तो खाना अच्छा बनाती है। अब किया कर दिया इस ने। जरूर इस मनहूस ने हम सब से बदला लेने के लिए इस शहरी के खानें में कुछ मिला दिया होंगा। इस तों में बाद में बताता हूं।
tu be continued ✍️ ✍️ ✍️..
रोहित अभिमन्यु की बात सुनकर कन्फ्यूज़ हों जाता है। और वह कन्फ्यूज़ भरी आवाज में कहता है। ज़ी बॉस पर....
अभिमन्यु कहता है। जो कहा है वहीं करों। तुम्हें पता है मुझे अपनी बात को दोहराना पसंद नहीं है।
अभिमन्यु की बात सुनकर रोहित चला जाता है। तो वह सुरेश घबरा जाता है अभिमन्यु के जाने की बात सुनकर।
सुरेश जल्दी से अभिमन्यु के पास आता है और कहता है। सहाबा किया बात है। कोई बात हुई है किया। जो आप इतने गुस्से में है। माफ़ कर दिये सहाबा अगर कोई ग़लती हो गई हो तो।
अभिमन्यु सुरेश की तरफ देखते हुए कहता है। किया तुम सब मुझे इस लड़की के हाथ का खाना बना हुआ खिलाते।
सुरेश मोहब्बत की तरफ देखते हुए अपने मन में कहता है। ये मनहूस तो खाना अच्छा बनाती है। अब किया कर दिया इस ने। जरूर इस मनहूस ने हम सब से बदला लेने के लिए इस शहरी के खानें में कुछ मिला दिया होंगा। इस तों में बाद में बताता हूं।
अब आगे।।।
अभिमन्यु जब देखता है की सुरेश उस की बात ना सुन कर मोहब्बत को ही घुरे जा रहा है। तो उस और भी ज्यादा गुस्सा आ गया। उस ने अपनी डरावनी आवाज में कहा। मिस्टर सुरेश किया आप मुझे इग्नोर कर रहे हैं।
अभिमन्यु की आवाज सुनकर सुरेश होश में आया। और वह डरते हुए कहता है। नहीं साहब। आप को कोई परेशान ही साहब इस लड़की के खाना बनाने पर। किया इस ने कुछ किया है।
अभिमन्यु ने एक नजर मोहब्बत को देखा तो उसे अपने सिने में दर्द महसूस हुआ। मोहब्बत एक कोने में खड़ी डर से कांप रही थी। जिसे देख कर अभिमन्यु को अच्छा नहीं लग रहा था। उस का मन कर रहा था कि वह अपने शोना बच्चा के पास जाये और उसे अपने सिने से लगा लें . और कहें कि वह डरे नहीं उस का बाबू साहब है उस के साथ। पर अफसरों वह कह नहीं सकता था।
अभिमन्यु मोहब्बत को देख फिर सुरेश की तरफ देख कर के कहता है। किया आप सब को पता नहीं है कि उस के हाथ में चोट लगी है। और वह उसी हाथ से खाना बना रही है। उस के हाथ में इन्फेक्शन हो रहा होगा। और भी ना जाने किया हो रहा होगा। और आप मुझे उस के हाथ का खाना खिला रहें हों।
फिर अभिमन्यु सब की तरफ देख कर कहता है। देखो तुम सब को सोक होगा बिमार पड़ने का मुझे सोख नहीं है। मुझे साफ सफाई पसंद है। हर चीज मुझे parfect net and clean. ही मुझे चाहिए।
सो मैं यहा नहीं रह सकता। या तो कोई और खाना और जब तक में हूं घर का काम करें। बरना में जा रहा हुं मैं यहां नहीं रह सकता।
इतना कहकर अभिमन्यु रोहित को देखता है जो कि समान लिए खड़ा था। उस के कहता है। रोहित जिस की जमीन हम ने ली थी उस से मना करो जमीन के लिए हम कहीं और देखेंगे। और कल जो हॉस्पिटल को बनाने के लिए लोग आने वाले थे। उन्हें मना करो हम और कोई जमीन देखेंगे।
अभिमन्यु ने ऐसे सो किया था कि जैसे उसे पता ही नहीं है कि कोन है उस जमीन का मालिक। और उस ने पुरा मन बना लिया हो की वह तो अब जा कर ही रहेगा। यहां से। ऐसे दिखा रहा था। पर सब का कहा पता था। की ये अब नहीं जानें वाला। कोई इस का दिल तो उस के शोना बच्चा ने चुरा लिया है ना तो ये बंदा अब कहीं भी नहीं जाने वाला अपने शोना बच्चा को छोड़ कर।
तो वह अभिमन्यु की बात सुनकर सुरेश की हवा निकाल गई। वह डर गया कि अब तो उस के हाथ से पैसा गया। जो लक्ष्मी आने वाली थी वह अब नाराज़ हो कर जाती हुई दिख रही थी। सुरेश और उस के परिवार को।
सुरेश कहता है । नहीं नहीं साहब आप क्यों जा रहे हैं। मैं हुं ना जैसा आप कहोगे वैसा ही होगा। बस आप यूं हम से नाराज़ हो कर मत जाइये।
अभिमन्यु सुरेश की बात सुनकर मन ही मन मुस्कुराता है। उस के फैंस पर भी डेविल इस्माइल आ गई थी पर उस ने जल्द ही उसे छुपा लिया था। जिसे कोई भी वह देख नहीं पाया था। पर रोहित जो कि अपने शैतान बॉस को ही देख रहा था। उस ने उस की वह खतरनाक मुस्कान देख ली थी। रोहित अपने आप से मन में कहता है। अब किया चल रहा है मेरे शैतान बॉस के शैतान दिमाग में। जो ये इस तरह से मुस्कुरा रहा है। किया करने वाला है ये। जरूर कुछ खतरनाक ही करेगा। ये मेरा शैतान बॉस। पर जो भी हो मुझे तो मजा आने वाला है।
अभिमन्यु कहता है। ठीक है। तो मैं नहीं जानें का बस मेरी कुछ शर्ते हैं जो कि आप सब को मानी होगी।
सुरेश कहता है। जी सहाबा हमें सब मंजुल है। आप बोलों।
अभिमन्यु कहता है। मेरी पहली शर्त है कि। ये लड़की कुछ भी काम नहीं करेंगी।
दुसरी ये की जब तक में हु ये अपने रूम में ही रहेंगी।
तिसरी ये की मेरे रूम में कोई भी नहीं जायेगा मुझे पसंद नहीं है। हैं ये लड़की मेरे रूम को बस साफ़ कर दिया करेंगी। क्योंकि इस ने आज काफी अच्छी सफाई कि थी। मेरे रूम की। तो सिर्फ ये ही मेरे कमरे में आ सकती है। और कोई नहीं।
और भी है पर अभी के लिए ये ही सही है बोलो मंज़ूर है।
अभिमन्यु की बात सुन कर सुरेश की पत्नी रेखा कहतीं हैं। ये लड़की काम नहीं करेंगी तो फिर कोन करेगा। देखो सहाबा हमें आप की सारी शर्तें मंजूर है पर ये जो आप ने काम नहीं करेंगी ये लड़की कुछ भी बाली बोली है ना। ये हमें मंजूर नहीं है।
अभिमन्यु ने कहा। क्यूं मंजूर नहीं।
रेखा ने कहा। ऐसे फिर काम कोन करेगा। हमारे घर का। हमारा इतना बड़ा घर है। इसे साफ़ तो करने के लिए कोई चाहिये ना आप तो बोल रहे हैं की ये काम नहीं करेंगी। तो फिर कोन करेगा।
अभिमन्यु ने कहा। तुम सब। और कोन। तुम सब करोंगे घर का काम।
और मुझे ज्यादा बात करने की आदत नहीं है। और ना ही मुझे पसंद ज्यादा बोलना। तो बस। और मेरे लिए कुछ खाने के लिए बनाओं मुझे भुख लगी है जल्दी से।
और तुम लड़की चल कर मेरे रूम में मेरा सम्मान सेंट करों। वह रोहित ने पैक कर दिया था तो अब तुम उसे फिर से लगाओ। जाओ मेरे रूम में।
अभिमन्यु ने मोहब्बत को देखते हुए कहा। तो मोहब्बत अपने सिर को नीचे किए। जल्दी से अभिमन्यु के रूम की तरफ चली गई।
अभिमन्यु सुरेश की तरफ देखते हुए कहता है। जल्दी से ब्रेकफास्ट रेडी कराओ फिर तुम हमें जमीन वाली जगह लेकर चलना।
सुरेश सिर हिला देता है। तो अभिमन्यु अपने रूम में चला जाता है।
Tu be continued 🙏 🙇
रेखा ने कहा। ऐसे फिर काम कोन करेगा। हमारे घर का। हमारा इतना बड़ा घर है। इसे साफ़ तो करने के लिए कोई चाहिये ना आप तो बोल रहे हैं की ये काम नहीं करेंगी। तो फिर कोन करेगा।
अभिमन्यु ने कहा। तुम सब। और कोन। तुम सब करोंगे घर का काम।
और मुझे ज्यादा बात करने की आदत नहीं है। और ना ही मुझे पसंद ज्यादा बोलना। तो बस। और मेरे लिए कुछ खाने के लिए बनाओं मुझे भुख लगी है जल्दी से।
और तुम लड़की चल कर मेरे रूम में मेरा सम्मान सेंट करों। वह रोहित ने पैक कर दिया था तो अब तुम उसे फिर से लगाओ। जाओ मेरे रूम में।
अभिमन्यु ने मोहब्बत को देखते हुए कहा। तो मोहब्बत अपने सिर को नीचे किए। जल्दी से अभिमन्यु के रूम की तरफ चली गई।
अभिमन्यु सुरेश की तरफ देखते हुए कहता है। जल्दी से ब्रेकफास्ट रेडी कराओ फिर तुम हमें जमीन वाली जगह लेकर चलना।
सुरेश सिर हिला देता है। तो अभिमन्यु अपने रूम में चला जाता है।
अब आगे। .......
अभिमम्यु जब अपने रूम में आया तो उस ने देखा की मोहब्बत उस के कपड़ों को अलमारी में रख रही थी। मोहब्बत ने इस वक्त अपने चहरे पर हल्का सा घूंघट कर रखा था। जिसे उस का हल्का हल्का चहरा दिख रहा था।
अभिमन्यु दरवाजा बंद कर मोहब्बत के पास आने लगता है। वहीं मोहब्बत को जब किसी के आने का एहसास होता है। तो वह दरवाजे की तरह देखतीं हैं। जहां से इस वक्त अभिमन्यु उस के पास ही आ रहा था।
मोहब्बत अभिमन्यु को देख कर घबरा जातीं हैं। उसे याद आ जाता है। अभी कुछ देर पहले की अभिमन्यु की बात। जो उसने सुरेश और बाकी सब से कही थी।
मोहब्बत डरते हुए पीछे की तरफ जाने लगती है। अभिमन्यु मोहब्बत को देखते हुए उस के पास आने लगता है। मोहब्बत पिछे जाते हुए अलमारी से लग जातीं हैं। जब वह वहां से हटने की सोचतीं है तब तक अभिमन्यु उस के पास आ जाता है । और उस के सामने खड़ा हो जाता है।
मोहब्बत डर की वजह से कांपने और रोने भी लगती है। वह अपनी डरी हुई आवाज में कहतीं हैं। ब.. बा... बाबू सा साहब। बाबू साहब हमें मत मारना मोह कभी भी आप के सामने नहीं आयेगी। मत मारना मोह को। इतना कहकर मोहब्बत रोने लगी।
मोहब्बत की बात सुनकर अभिमन्यु को बुरा लगा। उसे अच्छा नहीं लग रहा था। मोहब्बत को खुद से डरता हूं देख कर। पर वह समझ रहा था की उस का शोना बच्चा क्यों उस से डर रहा है।
अभिमन्यु आगे बढ़ कर मोहब्बत को अपने सीने से लगा लेता है। और प्यार से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है। ..... शशशशश...... बस बस चुप हो जाओ शोना...... बच्चा में कुछ नहीं कर रहा हुं । तुम रोना बंद करो।
अभिमन्यु के प्यार से कहने पर भी मोहब्बत का रोना बंद नहीं हो रहा था। उल्टा उस का रोना बड गया था। जिसे अभिमन्यु और परेशान हो गया।
अभिमन्यु मोहब्बत को अपने सीने से अलग करता है। और उस के चहरे को अपने दोनों हाथों में भर लेता है। उस के माथे पर अपने होंठ को रख कर बेहद प्यार से चुम लेता है। इतने प्यार भरें छूंन को महसूस कर के मोहब्बत की आंखें अपने आप बंद हो गई । और वह अपने आप साथ हों गई।
अभिमन्यु मोहब्बत की दोनों आंखों को बारी बारी से चूमता है। उस की छोटी सी नॉज पर किस करता है। फिर उस के लेफ्ट गाल पर किस करता है। और फिर राइट गाल पर किस करता है। फिर अभिमन्यु मोहब्बत की ठोड़ी पर किस्स करता है। अभिमन्यु फिर अपने आंखों को हल्के से उठा कर मोहब्बत को देखता है जो की अपनी आंखें बंद कर अभिमन्यु के प्यार को महसूस कर रही थी। जिसे देख कर अभिमन्यु के होंठों पर हल्की सी इस्माइल आ गई।
अभिमन्यु अपने चहरे को मोहब्बत के चहरे से थोड़ा दूर करता है। और गोर से उस के चहरे को देखने लगता है। अभिमन्यु की नजर मोहब्बत के होंठों के पास के तिल पर थी। जिसे उस का गला सुख ने लगा। अभिमन्यु हल्के से झुक कर मोहब्बत के उस तिल को अपने होंठों से छू लेता है।
जिसे मोहब्बत की बॉडी में करंट सा दौड़ जाता है। वह अपनी आंखों को खोलतीं है तो देखतीं हैं की अभिमन्यु उस के बहुत पास है। और वह उसे प्यार से देख रहा है। अभिमन्यु की आंखों में खुद के लिए प्यार मोहब्बत देख सकतीं थीं। पर उसे समझ कुछ नहीं आ रहा था। वह मासुम थी। उसे दुनिया दारी की समझ कहां थीं और ना ही उसे कुछ पता था। प्यार मोहब्बत के बारे में।
वह तो प्यार बस उसे समझतीं थी। जो उस से प्यार से बात करे । उस का खिंयाला रखें। उस अपना मानें। मोहब्बत के लिए प्यार बस यही थी।
दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। वह खो गये थे एक दुसरे की आंखों में। अभिमन्यु मोहब्बत की आंखों म बेहद प्यार से देखते हुए कहता है।
कुछ सोचता हूं तो तेरा ख्याल आ जाता है , ❤️
कुछ बोलता हूं तो तेरा नाम आ जाता है , ❤️
कब तक छुपा के रखुं दिल की बात को , ❤️
तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है , ❤️
मोहब्बत अभिमन्यु की तरफ देखा रहीं थीं। वह अभिमन्यु की बात सुनकर अपना मासुम सा चहरा बना लेती है और कन्फ्यूज़ में अपने होंठों का पाउट बना कर अभिमन्यु को ही देखने लगतीं हैं।
अभिमन्यु मोहब्बत के होंठों को देख अपने गले को तर करता है। और मोहब्बत की आंखों में देखते हुए कहता है।
शोना। बच्चा अपने इन गुलाबी होंठों को अंदर कर लो बरना में अभी इन्हें अपने होंठों से चुम लूंगा। फिर मुझसे ये मत कहना कि बाबू साहब आप ने ये किया किया।
मोहब्बत को अभी भी अभिमन्यु की बात समझ में नहीं आयी थी। तो वह कन्फ्यूज़ में कहती है । आप किया बोल रहे हो बाबू साहब। और ये होंठों को चूमना किया होता है । मोह को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।
अभिमन्यु मोहब्बत की बात सुनकर हैरान हो जाता है। वह बिचारा तो सदमे में ही चला जाता है। मोहब्बत की बात सुनकर।
अभिमन्यु अपने मन में ही सोचता है। कि किया उस का शोना बच्चा इतना मासुम है। की उसे लिप्स किस्स के बारे में कुछ नहीं पता। क्या कोई सच में इतना मासुम हों सकता है। उसे सच में मोहब्बत को बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा।
फिर अभिमन्यु गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है। बहुत कुछ किया। स्टेटिंग से ही सिखाना पड़ेगा। चल अभि बेटा अभी से ही शुरू हो जा। बरना तुझे आगे चर कर बहुत दिक्कत आने वाली है।
अभिमन्यु खुन्नस में कहता है। ये मेरी स्टोरी के राइटर ने मेरे शोना बच्चा को इतना मासुम क्यों बनाया किया जरूरत थी इतना मासुम बनाने की। बताओं अब मुझे ही किस्स के बारे में बताना पड़ेगा। इस शिवानी को तो मैं छोड़ूंगा नहीं। एक बार बस मेरा शोना बच्चा मेरा हों जाये फिर उसे बताता हूं।
Tu be continued 🙏 🙏
शोना। बच्चा अपने इन गुलाबी होंठों को अंदर कर लो बरना में अभी इन्हें अपने होंठों से चुम लूंगा। फिर मुझसे ये मत कहना कि बाबू साहब आप ने ये किया किया।
मोहब्बत को अभी भी अभिमन्यु की बात समझ में नहीं आयी थी। तो वह कन्फ्यूज़ में कहती है । आप किया बोल रहे हो बाबू साहब। और ये होंठों को चूमना किया होता है । मोह को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।
अभिमन्यु मोहब्बत की बात सुनकर हैरान हो जाता है। वह बिचारा तो सदमे में ही चला जाता है। मोहब्बत की बात सुनकर।
अभिमन्यु अपने मन में ही सोचता है। कि किया उस का शोना बच्चा इतना मासुम है। की उसे लिप्स किस्स के बारे में कुछ नहीं पता। क्या कोई सच में इतना मासुम हों सकता है। उसे सच में मोहब्बत को बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा।
फिर अभिमन्यु गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है। बहुत कुछ किया। स्टेटिंग से ही सिखाना पड़ेगा। चल अभि बेटा अभी से ही शुरू हो जा। बरना तुझे आगे चर कर बहुत दिक्कत आने वाली है।
अभिमन्यु खुन्नस में कहता है। ये मेरी स्टोरी के राइटर ने मेरे शोना बच्चा को इतना मासुम क्यों बनाया किया जरूरत थी इतना मासुम बनाने की। बताओं अब मुझे ही किस्स के बारे में बताना पड़ेगा। इस शिवानी को तो मैं छोड़ूंगा नहीं। एक बार बस मेरा शोना बच्चा मेरा हों जाये फिर उसे बताता हूं।
अब आगे।....
अभिमन्यु अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था कि तभी उसे मोहब्बत की आवाज आई। अभिमन्यु मोहब्बत को देखता है। तो वह उसे अपने मासुमियत भरी नजरों से देख रही थी। मोहब्बत ने कहा। बोलो ना बाबू साहब ये होंठों को चूमना किया होता है। और मोह को क्यूं नहीं पता कुछ।
अभिमन्यु मोहब्बत के एक गाल पर हाथ रखते हुए प्यार से कहता है। क्योंकि तुम बहुत मासूम हों। इस लिए तुम्हें नहीं पता। पर मैं हुं ना में सब कुछ तुम्हें बता दुंगा। इन फेक्ट में तुम्हें सब कुछ सिखा दुगा। ठीक है मेरा शोना बच्चा।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत अपनी नीली आंखों को टिमटिमाने लगती है। और अपने होंठों का पाउट बनाते हुए मासुमियत से अभिमन्यु को देखने लगतीं हैं।
मोहब्बत के होंठों को देख कर अभिमन्यु का गला फिर से सुख ने लगता है। और वह उस के होंठों को देखते हुए ही अपने गले को तर करता है।
फिर मोहब्बत को देखते हुए कहता है । शोना बच्चा तुम मुझसे पुछ रहीं थीं ना की होंठों को चूमना किया होता है।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत बस अपना सिर हिला देती है। तो अभिमन्यु फिर से अपनी बात कहता है। तो किया में उसके कर के दिखाऊं। मैं चूम कर बताऊं होंठों को।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत पहले तो सोचतीं है फिर हां कहती हैं।
तो अभिमन्यु के मन में लड्डू फुटने लगते हैं। वह खुश हो जाता है।
( खुश हो ले बेटा तु जितना तुझे होना है। मेरी मासुम सी मोहब्बत की मासुमियत का तु फायदा उठा रहा है। रूक बेटा। समय आने पर बतातीं हुं तुझे तो मैं। ना तेरी नानी दादी सब याद ना करवाईं ना तो कहना। 😏😏 )
अभिमन्यु मोहब्बत के चहरे को अपने हाथ में थामता है। और फिर धीरे धीरे उस के होंठों की तरफ बढ़ने लगता है। मोहब्बत अभिमन्यु को अपने होंठों की तरफ आता देख घबरा जाती है।
वह अभिमन्यु के सिने पर हाथ रख उसे खुद से दूर करते हुए कहती हैं। ये । ये किया कर रहे हो आप बाबू साहब।
अभिमन्यु मोहब्बत को देखते हुए कहता है। शोना अभी तुम ने ही तो कहा था ना की ये। होंठों को चूमना किया होता है। वह बताउ तो मैं वहीं तो कर रहा हूं ना।
मोहब्बत कहतीं हैं। पर मोह को डर लग रहा है ना।
अभिमन्यु मोहब्बत के गाल पर किस करते हुऐ। मैं हुं ना शोना बच्चा। तो फिर क्यूं डर रही हों ।
इतना कहकर अभिमन्यु फिर से मोहब्बत के होंठों के करीब जाने लगा। पर इस बार अभिमन्यु ने पहले मोहब्बत की आंखों पर हाथ रख कर उस की आंखें बंद कर दी। और फिर। बिना देरी करें उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
जिसे मोहब्बत ने अपनी आंखें एक दम से खुली और बड़ी बड़ी कर ली अपने आंखें। तो वह अभिमन्यु तो मोहब्बत के गुलाबी होंठों का रस पी कर मानें पागल सा ही हों रहीं थीं। वह बेहद प्यारा से मोहब्बत के होंठों पर अपने होंठों को चला रहा था।
मोहब्बत के निचले होंठ को अपने होंठ से चुम रहा था। और सक कर रहा था। तो कभी वह अपर लिप्स को चूम रहा था।
अभिमन्यु अपनी आंखें बंद कर मोहब्बत के होंठों को चुम रहा था। तो वहीं मोहब्बत हैरान थी कि वह कर किया रहा है। उस के साथ।
अभिमन्यु मोहब्बत के होंठों पर अपनी जीभ निकाल कर फिराने लगा। और उस के मुंह में एंटर करने की कोशिश कर रहा था। पर मोह ने अपने मुंह नहीं खोला।
करीब 10 mint किस्स कर ने के बाद मोहब्बत की सांसें भारी हो ने लगीं तो वह अभिमन्यु को खुद से अलग करने लगीं वह उस के सिने पर मारने लगी।
जब अभिमन्यु को महसूस हुआ कि मोह को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। तब जाकर उस ने उस के होंठों को अपनी गिरफ्त से आजाद किया।
अभिमन्यु के होंठों से अलग होते हैं। मोह लम्बी लम्बी सांसें लेनी लगी। जिसे अभिमन्यु जल्दी से मोहब्बत को अपने सीने से लगा कर उस की पिट को सहलाने लगा। और उस के माथे को चूम ते हुऐ कहता है। Take a breath मेरा शोना। सांस लो।
कुछ देर बाद मोहब्बत नोर्मल हो गई। तो वह उस के सिने से अलग हुईं। और अभिमन्यु को देखतीं हैं। अभिमन्यु भी उसे ही देख रहा था।
सब साथ था। पर तभी अचानक से उस शान्त कमरे में । मोहब्बत के रोने की आवाज आने लगी। मोहब्बत रोने लगी और उसे रोता देख अभिमन्यु परेशान हों गया।
अभिमन्यु मोहब्बत के चहरे को पड़ते हुए कहता है। क्या हुआ बच्चा आप रो कि यूं रहें हों। किया हुआ। कहीं दर्द हो रहा है। तुम्हें।
मोहब्बत कुछ नहीं कहती। बस बच्चों की तरह रो रही थी। जिसे अभिमन्यु बैचेन हो रहा था। उस का रोना उस की जान ले रहा था।
अभिमन्यु मोहब्बत को अपने सीने से लगा लेता है और उस के सिर पर हाथ फेरते हुए परेशान भरी आवाज में पुछता है। क्या हुआ बच्चा। क्यूं रो रही हैं। बताओं तो। मेरा शोना बच्चा क्यों रो रहा है।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत। कुछ कहती हैं। जिसे सुनकर अभिमन्यु हैरान रहा जाता है।
Tu be continued 🙏 🙏🙏
अभिमन्यु मोहब्बत के चहरे को पड़ते हुए कहता है। क्या हुआ बच्चा आप रो कि यूं रहें हों। किया हुआ। कहीं दर्द हो रहा है। तुम्हें।
मोहब्बत कुछ नहीं कहती। बस बच्चों की तरह रो रही थी। जिसे अभिमन्यु बैचेन हो रहा था। उस का रोना उस की जान ले रहा था।
अभिमन्यु मोहब्बत को अपने सीने से लगा लेता है और उस के सिर पर हाथ फेरते हुए परेशान भरी आवाज में पुछता है। क्या हुआ बच्चा। क्यूं रो रही हैं। बताओं तो। मेरा शोना बच्चा क्यों रो रहा है।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत। कुछ कहती हैं। जिसे सुनकर अभिमन्यु हैरान रहा जाता हैं।
अब आगे।
अभिमन्यु मोहब्बत के चहरे को गोर से देखता है । और कहता है। किया कहा शोना तुम ने।
मोहब्बत अपने चहरे को ऊपर उठा कर अभिमन्यु को देखते हुए मासुम सा चहरा बना कर कहती हैं। आप बहुत बुरे हो बाबू साहब। आप ने मोह के होंठों को झूठा कर दिया। अब मोह आप से बात नहीं करेगी। आप बहुत गन्दे हो।
अभिमन्यु मोहब्बत की बात सुनकर हैरान था। अभिमन्यु ने अपने मन में कहा। होंठों को झूठा कर दिया। क्या मेरा शोना इस लिए रो रहा था। की मेने उस के होंठों को झूठा कर दिया। हां हां आईं मीन किस्स कर लिया। अभिमन्यु ने अपने सिर को झटका और मोहब्बत को देख अपनी बाहों में उठा लिया।
मोहब्बत गिरने के डर से उस के गले में बाहें डाल देती है। और घबराईं हुईं नजरों से अभिमन्यु को देखने लगतीं हैं।
अभिमन्यु मोहब्बत को गोद में उठा। उस लेकर बेंड पर बैठा जाता है। और उसे अपने गोद में ही बैठायें रखता है।
अभिमन्यु मोहब्बत के फूलें हुए गाल पर किस कर उस के आंसुओं को अपने हाथ से साफ़ करते हुऐ कहता है। बच्चा पहले तो रोना बंद करों क्योंकि मुझे मेरा शोना बच्चा रोता हुआ अच्छा नहीं लगता।
और रही तुम्हारे होठों को झूठा करने की बात तो। बच्चा वह तो मेने आप को चूम कर बताया है ना कि होंठों को चूमना किसे कहते हैं।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत मासुमियत भरें अंदाज में अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर कहती हैं। क्या होंठों को झूठा करें को चूमना कहते हैं।
अभिमन्यु मोहब्बत की खुबसूरत आंखों को चूमते हुए कहा। नहीं इसे प्यार करना कहते हैं। जो सिर्फ और सिर्फ में कर सकता हूं तुम्हारे साथ।
मोहब्बत मासुम सा चहरा बनाएं अभिमन्यु को ही देख रही थी। अभिमन्यु मोहब्बत को देखते हुए थोड़ा सिरियस वे में कहता है। मुझे ये बताओं जब मेने तुम्हे काम करने से मना करा था तो तुम क्यों काम कर रही थी। बताओं मुझे।
अभिमन्यु के इस तरह बात करने से मोहब्बत थोड़ी सी घबरा गई। और अपना सिर निचे झुका लेती है और कहती हैं। अगर मोह काम नहीं करेंगी तो फिर कोन करेगा। मोह ही तो सारा घर का काम करतीं हैं।
अभिमन्यु कहता है। नहीं मोह अब काम नहीं करेंगी। और तु काम नहीं करोगी तो घर में और भी औरतें हैं काम करने के लिए। वो करेंगी। और तुम मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो मुझे पसंद नहीं है अपनी बात को दोहराना। इस लिए बोल रहा हूं। तुम कुछ भी नहीं करोगी। तुम बस मेरे साथ रहोगी। मेरे पास रहेगी। तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है।
अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत हैरानी से उस को देखने लगतीं हैं। उस के मन में बहुत कुछ चल रहा था। मोहब्बत कुछ कहती उस से पहले ही अभिमन्यु ने कहा। कोई तुम से कुछ नहीं कहेगा। और आगे कुछ कहां भी ना तो मैं बैठा हुआ यहां। मैं अपने आप देख लुंगा। किसी की इतनी हिम्मत नहीं हैं जो अभिमन्यु की मोहब्बत से कुछ कह दें। मैं हूं ना। शोना बच्चा। मैं हमेशा तुम्हारे साथ तुम्हारे पास रहुगा।
पता नहीं कुछ पर अभिमन्यु की बात सुनकर मोहब्बत के चहरे पर अपने आप ही प्यारी सी मुस्कान आ गई। और उस की आंखों में हल्की सी नमी छा गई।
मोहब्बत मासुमियत भरी नजरों से देखते हुए अभिमन्यु से कहतीं हैं। क्या आप सच बोल रहे हैं। बाबू साहब। आप हमेशा मोह के पास उस के साथ रहेंगे। कभी उसे छोड़कर तो नहीं जाओगे ना।
अभिमन्यु मोहब्बत की आंखों में आयें आंसुओं को अपने होंठों से लिंक करता है। और कहता है। कभी नहीं बच्चा। ये तुम्हारा बाबू साहब कभी भी तुम्हारे छोड़ कर नहीं जायेगा और नहीं कभी तुम्हारा साथ छोड़ेगा। मैं तुम्हारे अपने साथ मुंबई लेकर चलूंगा। क्या तुम चलोगी मेरे साथ मुंबई।
अभिमन्यु की मुंबई जाने वाली बात सुनकर मोहब्बत उदास हो जाती है। और वह उदासी से अपने सिर को निचे कर लेती है। और दुखी मन से कहतीं हैं। पर मोह आप के साथ कैसे जाएंगी। दादी नहीं जानें देंगी मोह को। वो मोह को मारेगी अगर मोह आप के साथ शहर चली गई तो।
अभिमन्यु कहता है। क्या तुम भुल गई बच्चा मेने किया कहा था अभी थोड़ी देर पहले। मोहब्बत अभिमन्यु को देखने लगतीं हैं। तो अभिमन्यु कहता है। मेने कहा था ना कि मैं जब तक तुम्हारे साथ ही तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। मैं अपने आप सब संभाल लुंगा।
इतना कहकर अभिमन्यु मोहब्बत को अपने सीने से लगाए हुए ही उसे लेकर बेंड पर लेट गया। और मोहब्बत के सिर को प्यार से थपथपाने लगता है। अभिमन्यु कहता है। थोड़ी देर सो जाओ शोना बच्चा। तुम बहुत थकी हुई लग रही हो। सो जाओ।
इतना कहकर अभिमन्यु मोहब्बत के माथे कर किस करता है। मोहब्बत भी अभिमन्यु के इतने प्यार से सुलाने के कारण कुछ थकें होने के कारण निंद के आगोश में चली जाती है।
अभिमन्यु मोहब्बत के मासुम से चहरे को देखता है और कहता है। अब से कोई भी तुम्हें कुछ नहीं कहेगा मेरा शोना। जब तक तुम्हारे बाबू साहब की सांसें चल रही है तब तक कोई भी तुम्हें दर्द नहीं दें सकता। जो कोई भी तुम्हें दर्द देने के बारे में सोचेगा। उसे अभिमन्यु मित्तल। द हेल ऑफ किंग से सामना होगा। और ये मेरे बांदा है। मेरे शोना बच्चा को।
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अभिमन्यु मोहब्बत के माथे और लिप्स पर हल्के से किस्स करता है। और भी मोहब्बत को धिरे से अपनी बाहों में से आजाद कर बेहद प्यार से उसे साइड में सुलाता है। और फिर उसे ब्लैंकेट से कबर कर बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला जाता है ।
जहां अभिमन्यु अपने शोना बच्चा के साथ टाइम बिता रहा था। तो वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु के ऊपर चलें जाने के बाद। रेखा अपने पति सुरेश पर गुस्से में से चिल्लाकर कहतीं हैं।
किया बकवास कर रहे हैं आप किया अब हम इस शहरी के इशारों पर काम करेंगे। होता कोन है वो हमें हमारे ही कर में हम पर ही हुक्म चलाने वाला। हमें ये बताने वाला की हमें किसे काम करवाना है किसे नहीं।
सुनो जी। मैं कुछ नहीं करने वाली हुं। मुझसे नहीं होगा अब ये घर का काम। मैं नहीं करूंगी।
सुरेश रेखा से गुस्से में कहता है । कम नहीं करोगी तो वह शहरी घर से चला जायेगा।
तो रेखा की बहन सुरेखा कहतीं हैं। चलें जाने दिऐ तो भाई साहब। हमें किया लेना उस के जाने ना जाने से। और अच्छा ही है की चला जायेगा। कम से कम हमें ये काम तो नहीं करना पड़ेगा जो वह मनहूस करतीं हैं।
सुरेश कहता है। तुम सब समझ क्यों नहीं रहें हों अगर ये चला गया तो करोड़ों रुपए भी चलें जायेंगे उस के साथ। जो की में हरगिज नहीं चाहूंगा।
Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️ ✍️ ✍️
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जहां अभिमन्यु अपने शोना बच्चा के साथ टाइम बिता रहा था। तो वहीं दूसरी तरफ अभिमन्यु के ऊपर चलें जाने के बाद। रेखा अपने पति सुरेश पर गुस्से में से चिल्लाकर कहतीं हैं।
किया बकवास कर रहे हैं आप किया अब हम इस शहरी के इशारों पर काम करेंगे। होता कोन है वो हमें हमारे ही कर में हम पर ही हुक्म चलाने वाला। हमें ये बताने वाला की हमें किसे काम करवाना है किसे नहीं।
सुनो जी। मैं कुछ नहीं करने वाली हुं। मुझसे नहीं होगा अब ये घर का काम। मैं नहीं करूंगी।
सुरेश रेखा से गुस्से में कहता है । कम नहीं करोगी तो वह शहरी घर से चला जायेगा।
तो रेखा की बहन सुरेखा कहतीं हैं। चलें जाने दिऐ तो भाई साहब। हमें किया लेना उस के जाने ना जाने से। और अच्छा ही है की चला जायेगा। कम से कम हमें ये काम तो नहीं करना पड़ेगा जो वह मनहूस करतीं हैं।
सुरेश कहता है। तुम सब समझ क्यों नहीं रहें हों अगर ये चला गया तो करोड़ों रुपए भी चलें जायेंगे उस के साथ। जो की में हरगिज नहीं चाहूंगा।
अब आगे। .........
सुरेश की बात सुनकर सब उस की तरफ देखने लगें तो सुरेश कहता है। झूठ नहीं बोल रहा हूं। सच कह रहा हूं। अगर वह चला गया तो हमारे हाथों से आयीं लक्ष्मी भी चली जायेगी। और फिर हम सड़क पर आ जायेंगे।
सुरेश की बात सुनकर उस का भाई संजय कहता है। किया भाई हम कुछ समझें नहीं पैसे ना आने की बजे से हम सड़क पर क्यों आ जायेंगे। हम तो सरपंच है इस गांव के हमारे पास पैसे की कोई कमी नहीं है। फिर आप ऐसे क्यों कह रहे हैं।
सुरेश दुखी होते हुए कहता है। मेने तुम सब को नहीं बताया। पर सच तो ये है। की अब हमें पास पैसे की बहुत तंगि आने बाली है। पता नहीं क्या हो रहा है आज सुबह से। बड़े भाई के जितने भी दारू के ठेके थे सब में आग लग लगी। और जो जमीन शहरी लें रहा था। वह रामदास ( गांव का ही आदमी ) की थी। मुझे ये बात पता चली तो मैंने रामदास से वह जमीन ज्यादा पैसे में लें ली इस लालच में की जब शहरी बाबू ये जमीन खरीदें गा तो मैं ज्यादा पैसे में लें लुंगा। इस लिए बोल रहा हूं। जैसा वह कह रहा है। वैसा करो। जब तक करों जब तक वह पैसे नहीं दे देता। बरना हम भिखारी बन जायेंगे। ये रहीं सरपंची की तों ये बात तुम सब अच्छे से जानते हों की दो महीने बाद इलेक्शन है। सरपंची का इलेक्शन लड़ा जायेगा। और हमारे कर्म कैसे हैं ये तुम सब जानते हों हम नहीं बनें बाले इस बार सरपंच। कोई हमें वोट नहीं देगा। पहले हम इस वजह से सरपंच बन गये थे क्योंकि जब भाई साहब थे।
उन्होंने पता था की क्या चिज़ कैसे होती है। हम कुछ नहीं पता सिवाय पैसे खानें के और लोगों को टंगने के। इस लिए कह रहा हूं। मान जाओ। और लग जाओ काम पर।
संजय कहता है। पर भाई शराब के ठेके में कैसे आग लग गई। एक वहीं तो थे जहां से पैसा आते थे। हमारे पास तो और कोई काम भी नहीं है। करने के लिए। अब हम किया करेंगे।
सुरेश कहता है। कुछ नहीं करना है। मैं अब अपना पैसा फिर से शराब के ठेके सही करने में नहीं लगाने वाला। अब बस इस शहरी बाबू की है ये जमीन ले और हमें पैसे दे। फिर हम मज़े से रहेंगे।
सब सुरेश की बात सुनकर मुस्कुराने लगते हैं । सब के चहरे पर लालच दिखने लगता है।
और अब पैसे के लालच में तिनों औरतें काम करने में लग जातीं हैं। और जल्दी जल्दी अभिमन्यु के लिए नाश्ता बनाने लगती है।
अभिमन्यु के रूम में।
अभिमन्यु नहा कर बाथरूम से बहार आता है। और वह अपने बालों को towel से साथ करते हुए बहार आ रहा था। तभी उस की नजर बेंड पर सो रही अपने मासुम से शोना बच्चा पर चली गई। जिसे देख कर अभिमन्यु के होंठों पर इस्माइल आ गई।
अभिमन्यु मोहब्बत को देखता है। जो की छोटे से क्यूट खरगोश की तरफ अपने में ही सिमट कर सो रही थी। उस के होंठों का पाउट बाना हुआं था। जिसे वह बहुत क्यूट लग रही थी।
अभिमन्यु मोहब्बत के पास आता है। और उस प्यार भरी नजरों से देखने लगता है। अभिमन्यु निचे झुक कर मोहब्बत के पाउट बनें होंठों पर छोटी सी किस्स कर लेता है। उस से दुर हटते हुए अभिमन्यु कहता है। तुम सोते हुए कितनी प्यारी लगती है। बिल्कुल छोटे से क्यूट खरगोश की तरफ। मेरा छोटू सा क्यूट खरगोश।
इतना कहकर अभिमन्यु मोहब्बत के गाल पर किस्स कर लेता है। और अलमारी की तरफ चला जाता है और अपने कपड़े लें कर। दुबारा बाथरूम में चला जाता है।
थोड़ी देर बाद अभिमन्यु कपड़े पहन कर बाहर आता है। अपने बाल सेंट कर फिर से मोहब्बत को देखने लगता है। और उस देख कर रूम से बाहर निचे चला जाता है।
अभिमन्यु जब निचे आता है तो वह रसोई घर की तरफ देखता है। तो उस की आंखें छोटी हो जाती है।
क्योंकि रसोई घर में तिनों औरतें काम तो कर रहीं थीं। पर मोहब्बत की तरफ मिट्टी के चूल्हे पर नहीं गैस सिलेंडर पर काम कर रहीं थीं। जिसे देखकर अभिमन्यु अपने मन में कहता है। मेरा मासुम सा शोना बच्चा तो मिट्टी के चूल्हे पर काम करता है। और ये उस की चुड़ैल काकी गैस सिलेंडर पर काम कर रहीं हैं। मेरे बच्चे के साथ इतनी बड़ी ना इंसाफ तो मैं नहीं होने दुंगा।
अभी बताता हूं। मैं इन चुड़ैल काकी को तो। इतना कहकर अभिमन्यु रसोई घर की तरफ चला जाता है। और अपनी कड़क आवाज में कहता है।
ये किया कर रहीं हों आप सब। अभिमन्यु की आवाज सुनकर तिनों डर जातीं हैं। और डरते हुए अभिमन्यु से कहतीं हैं। किया हुआ साहब। कुछ चाहिए था किया।
अभिमन्यु अपने डरावनी आवाज में कहता है। मैं ये कह रहा हूं। कि तुम तिनों ये इस गैस सिलेंडर पर क्यों काम कर रहीं हों। वह लड़की तो इस ( मिट्टी के चूल्हे की तरफ इशारा करते हुए कहा ) पर खाना बनाती है ना। तो फिर तुम क्यों नहीं बना रही। मिट्टी के चूल्हे पर ही खाना बनाओं मुझे इस पर बना हुआ खाना ही चाहिए।
अभिमन्यु की बात सुनकर तिनों देवरानी जेठानी की तों हालत खराब हो गई थी। उन तिनों ने किया सोचा था कि जल्दी जल्दी गैस सिलेंडर पर काम कर लेंगी फिर आराम फरमाएंगी।
और अब अभिमन्यु उन्हें कह रहा था कि वह चूल्हे पर ही खाना बनाए । उन तिनों देवरानी जेठानी की तों इतने में ही हालात खराब हो रही थी। खा खा कर सांड जो हों रहीं थीं। काम कैसे होता। और ऊपर से जब से मोहब्बत आईं थीं। लगभग तीन साल से तो मैडमों ने किसी भी काम में हाथ नहीं लगाया। हराम पच रहा था। तिनों के।
इस लिए काम करने में इन की अम्मा मर रही थी। ......
कुछ देर बाद तिनों ने जैसे तैसे कर के नाश्ता बनाया और डाइनिंग टेबल पर लगाने लगी। तभी कुसुम देवी ने कहा। ये मोहब्बत कहा है दिखाई नहीं दे रही। आखिर कार खाना तो सब को दे ही सकतीं हैं ना। कहा मर गई ये।
अभिमन्यु कुसुम देवी की बात सुनकर गुस्से में आ जाता है। और अपनी लाल आंखों से उस की तरफ देखने लगता है।
Tu be continued ✍️ ✍️