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Nasha tere ishq ka

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shalini singh(ss)

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Description

यह कहानी है कसक अग्निहोत्री और अभ्रम मल्होत्रा की, जहां अभ्रम मल्होत्रा जिसकी उम्र 30 वर्ष बहुत ही खतरनाक बिजनेसमैन के साथ ही वह मुंबई का बिजनेस टायकून भी है और साथ में माफिया किंग भी, जो की करता है अपने ही बाप और भाई से बेइंतहा नफरत, दोनों भाई हैं ए...

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अभ्रम मल्होत्रा

Hero

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कसक अग्निहोत्री

Heroine

Total Chapters (63)

Page 1 of 4

  • 1. Nasha tere ishq ka - Chapter 1

    Words: 1610

    Estimated Reading Time: 10 min

    मुंबई।

    एक सुनसान सड़क पर दो कारें आपस में रेस लगा रही थीं। दोनों कारों में बैठे लोग एक-दूसरे को हराने के जुनून से सराबोर थे; कोई भी हारना नहीं चाहता था।

    दोनों की उम्र लगभग तीस वर्ष थी। दोनों के चेहरों पर अहंकार और गुस्सा साफ झलक रहा था।

    उन कारों के पीछे और भी कारें चल रही थीं, पर वे कारें केवल उनके पीछे ही चल रही थीं; वे आपस में रेस नहीं लगा रही थीं।

    आगे एक काली मर्सिडीज़, और उसके पीछे एक नीली मर्सिडीज़। ऐसा लग रहा था कि दोनों एक-दूसरे को टक्कर देने ही वाले हैं, चाहे वह कार हो या रेस।

    दोनों कारें हवा चीरती हुई आगे बढ़ रही थीं। काली कार अभी भी आगे थी, जिस कारण नीली कार वाला व्यक्ति उसे टक्कर मारते हुए आगे बढ़ गया। लेकिन जैसे ही उसने काली कार को टक्कर मारी, काली कार वाला अपनी स्टीयरिंग घुमाते हुए स्पीड बढ़ा दी। इससे नीली कार वाले का बैलेंस बिगड़ गया। काली कार में बैठा व्यक्ति उसे देखकर एक खतरनाक मुस्कान मुस्कराया।

    पर नीली कार वाला कहाँ कम था? उसने अपनी लाल आँखों से उसे घूरते हुए, अपनी कार का बैलेंस सही करते हुए, अपनी स्पीड बढ़ा दी।

    दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे और अपनी स्पीड कम करने का नाम नहीं ले रहे थे। दोनों को ही एक-दूसरे से जीतना था, पर जीत तो कोई एक ही सकता था, और वह कौन, यह रेस खत्म होने के बाद ही पता चलता।

    अब नीली कार काली कार से आगे थी। काली कार वाला आदमी उसे देखकर गुस्से से काँपने लगा। उसकी आँखें उस वक्त सर्द और लाल हो चुकी थीं। वह नहीं चाहता था कि नीली कार वाला उससे जीते।

    वह दोनों अभी एक-दूसरे से रेस लगा ही रहे थे कि तभी अचानक एक लड़की सड़क पार कर रही थी। लगभग बीस वर्ष की लड़की, काले लंबे बाल, पाँच फुट तीन इंच लंबी, पतले होंठ, और निचले होंठ पर एक तिल, गोरी त्वचा, और हल्के भूरे रंग की आँखें।

    पर जैसे ही उस लड़की ने देखा कि दो कारें बहुत तेजी से आ रही हैं, उसके पैर जम गए। वह खुद को हिला भी नहीं पा रही थी। डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। वह हिलना चाहती थी, पर चाहकर भी नहीं हिल पा रही थी।

    दोनों कारें अपनी गति से आगे बढ़ रही थीं। दोनों ने उस लड़की को देख लिया था, पर किसी ने भी अपनी स्पीड कम नहीं की। दोनों ने जब उस लड़की को इस तरह सड़क पर खड़े देखा तो उनके चेहरों पर गुस्सा साफ दिख रहा था। वे उसे घूर रहे थे।

    जैसे इस लड़की ने न जाने कितना बड़ा गुनाह कर दिया हो, उनकी हार और जीत में बीच में आकर खड़ी हो गई हो।

    लड़की अभी भी डर के मारे अपना चेहरा छुपाए खड़ी थी, तभी अचानक कार उसके बिल्कुल पास आ गई। उस लड़की को लगा कि अब तो वह गई। लड़की डरते हुए भगवान से बोली, "अब तो मैं गई भगवान जी! अब तो मेरा राम नाम सत्य होने वाला है। ये दो कार वाले मुझे पक्का जान से मार देंगे। हे भगवान! इतनी सी उम्र में मुझे अब उठा रहे हो?"

    तभी दोनों कारें उसके बिल्कुल करीब आकर तेज रफ्तार से रुक गईं। कार उस लड़की से बस कुछ ही दूरी पर रुकी थी। लड़की के डर से चीख निकल गई।

    उन दोनों कारों के रुकते ही पीछे जितनी भी कारें आ रही थीं, सब रुक गईं।

    तभी उन दोनों कारों से दो लड़के बाहर निकले।

    ब्लैक कार से एक लड़का बाहर निकला जिसकी उम्र तीस साल थी, कद छह फुट तीन इंच, तेजतर्रार, शानदार ढंग से सेट किए हुए बाल, गेहूँआ रंग का, दिखने में काफी गुस्से वाला और अहंकार से भरा, हल्के नीले रंग की आँखें।

    उसने अभी भी अपने आँखों पर चश्मा लगाए हुए थे।

    नीली कार वाला लड़का, जिसकी उम्र भी तीस साल थी, कद छह फुट चार इंच, गोरा रंग का। दोनों की पर्सनालिटी एक जैसी थी, बस आँखों का रंग अलग था; एक के हल्के नीले और दूसरे के गहरे नीले। और दोनों में सिर्फ इतना ही अंतर था कि दोनों का रंग एक-दूसरे से अलग था; एक बहुत गोरा, दूसरा थोड़ा साँवला।

    वे दोनों उस लड़की को घूर रहे थे। लड़की डर से काँप रही थी।

    जब लड़की को लगा कि वह ठीक है, कुछ नहीं हुआ, तो उसने अपनी आँखें खोलीं। जैसे ही उसने आँखें खोलीं, दोनों को देखकर उसकी हालत खराब हो गई, क्योंकि दोनों ही उसे गुस्से से घूर रहे थे। लड़की घबराहट में बोली, "मैं सुसाइड थोड़ी ना कर रही थी! ये जानबूझकर नहीं हुआ, ये गलती से हो गया। आप लोग इतनी स्पीड में कार चला रहे थे कि मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ।"

    वह बोल रही थी, लेकिन काली कार वाले लड़के की नज़र उस लड़की पर पड़ी तो एक पल के लिए उसकी नज़र उस लड़की पर टिक गई।

    वह उस लड़की को देख रहा था, जैसे उस लड़की में कोई ऐसा नशा हो जो उसे अपनी पलकें नीचे नहीं करने दे रहा था। वहीं नीली कार वाला लड़का भी उसे देख रहा था, पर वह उसकी बातें भी सुन रहा था। सुनते हुए बोला, "इट्स ओके, तुम जा सकती हो।"

    दूसरा लड़का उस लड़के की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए बोला, "तुम कौन होते हो उसे यह बताने वाले कि वह जा सकती है या नहीं जा सकती?"

    दूसरा लड़का अहंकार से बोला, "क्या, नाम भूल गए हो मेरा? अर्शित मल्होत्रा मेरा नाम है।"

    उसकी बात सुनकर सामने वाला हँसते हुए बोला, "मल्होत्रा लगाने की ज़रूरत तुम्हें है, मुझे नहीं। मेरा नाम ही मुझमें काफी है। अभ्रम मेरा नाम है।" यह बोलते हुए उसके चेहरे पर अहंकार झलक रहा था।

    वह लड़की उन दोनों को इस तरह बातें करते देख रही थी, पर अभी तक वह कुछ नहीं बोल रही थी। जब उसे लगा कि वे दोनों आपस में बातें कर रहे हैं और वह वहाँ से जाने लगी, तभी अभ्रम ने अहंकार से उससे कहा, "तुम्हें यहाँ से जाने को किसने बोला?"

    वह लड़की मासूमियत से अभ्रम की तरफ देखते हुए बोली, "तो क्या करूँ? आप लोग आपस में बात कर रहे हो, तो मेरा क्या काम? और वैसे भी, आप दोनों भाइयों के बीच में मैं कौन होती हूँ बोलने वाली? मैं तो आप दोनों को जानती भी नहीं।" उन दोनों की बॉडी लैंग्वेज और आँखें एक जैसी थीं, जिस वजह से उस लड़की को लगा कि वे दोनों भाई हैं।

    तभी दोनों ही गुस्से में उसे घूरते हुए, दाँत पीसते हुए बोले, "भाई नहीं हैं हम!"

    दोनों एक-दूसरे को गुस्से से घूर रहे थे, तभी अभ्रम के फ़ोन पर एक कॉल आई। वह फ़ोन को एक बार देखते हुए अर्शित को घूरने लगा और फिर फ़ोन उठा लिया।

    पर उसने कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप फ़ोन रिसीव किया और बिना कुछ बोले सामने वाले की बात सुनकर फ़ोन काट दिया और जाने लगा। जैसे ही वह अपनी काली मर्सिडीज़ में बैठा, वैसे ही अर्शित भी अपनी मर्सिडीज़ में बैठने को तैयार हुआ।

    लेकिन तभी अभ्रम के आदमी उस पर बंदूक तानकर उसे घेर लेते हैं।

    वहाँ पर अर्शित के भी आदमी थे, परन्तु इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, अभ्रम के आदमियों ने अर्शित को बंदूक के निशाने पर ले लिया था।

    अभ्रम अर्शित को फिर से एक खतरनाक मुस्कान देते हुए वहाँ से निकल गया।

    जब उस लड़की ने सबको बंदूक के निशाने पर देखा तो उसकी हालत खराब हो गई। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाकर उन सबको देखते हुए अर्शित को छुड़ाने के लिए आगे बढ़ी और चिल्लाते हुए बोली, "ये क्या कर रहे हैं आप लोग इस तरह से? किसी को कैसे मार सकते हैं? देखिए, मैं अभी पुलिस को फ़ोन कर दूँगी। इससे पहले कि पुलिस आ जाए, आप यहाँ से चले जाइए।"

    उसकी बात सुनकर अभ्रम के आदमी उसे देखते हुए बोले, "ए लड़की! जाओ यहाँ से! ये हमारा मामला है। अगर ज़्यादा बकवास की ना तो यहीं पर लाश गिरा दूँगा तेरी!"

    वह लड़की उनकी बात सुनकर घबरा गई और घबराते हुए बोली, "ठीक है, ठीक है। मैं जा रही हूँ। आप लोगों को जो करना है करिए।"

    इतना बोलकर वह चल दी, आगे बढ़ गई। लेकिन जैसे ही उसने देखा कि उन लोगों की नज़र उस पर नहीं है, वह अपने पैर के पास पड़े एक पत्थर को उठाती है और उस आदमी पर फेंक देती है जिससे उस आदमी की बंदूक नीचे गिर गई।

    अब क्या था? अर्शित ने उस आदमी का हाथ पकड़ा और एक झटके में मरोड़ते हुए तोड़ दिया।

    अब माहौल वहाँ गरम हो चुका था। दोनों ही गुटों में गैंगवार छिड़ चुकी थी। जैसे ही उस लड़की ने उन सबको इस तरह लड़ते देखा, वह डरते हुए बोली, "भाग यहाँ से! ये लोग तो सच में पागल हैं। एक-दूसरे को भी मार देंगे। अगर तू बीच में गई ना तो तू भी चली जाएगी काम से! भाग यहाँ से!" इतना बोलते ही वह भाग गई।

  • 2. Nasha tere ishq ka - Chapter 2

    Words: 1135

    Estimated Reading Time: 7 min

    इतनी बातें कहकर वह चल दी और थोड़ी देर बाद आगे बढ़ गई। जैसे ही उसने देखा कि उन लोगों की नज़र उस पर नहीं है, उसने अपने पैर के पास पड़े एक पत्थर को उठाया और उस आदमी पर फेंक दिया। इससे उसकी बंदूक नीचे गिर गई।

    अब अर्शित ने उस आदमी का हाथ पकड़ा और एक झटके में मरोड़कर तोड़ दिया। माहौल और भी गरम हो चुका था और दोनों गुटों में गैंगवार छिड़ गई थी। यह सब देखकर वह लड़की डरते हुए बोली,

    "भाग कसक, यहां से! ये लोग सच में पागल हैं, एक-दूसरे को भी मार देंगे। अगर तू बीच में आई तो तू भी मारी जाएगी! भाग यहां से!"

    इतना कहकर वह भाग गई।

    दूसरी ओर, अब्राहम अपनी कार तेज गति से चला रहा था। कुछ देर बाद उसकी कार एक घर के पास रुकी। वह कार से उतरकर तुरंत घर में गया और घंटी बजाई, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला। अब्राहम बिना कुछ सोचे-समझे दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गया। उसने हाल में इधर-उधर देखा, पर कोई नहीं था। गुस्से में, वह घर के एक कमरे की ओर बढ़ा, जो अंदर से बंद था। उसे समझने में देर नहीं लगी कि कमरे में कोई है। उसने तुरंत जोर से दरवाजा तोड़ा और अंदर घुस गया। वहाँ दो लोग थे, एक लड़का और एक लड़की। अब्राहम को देखते ही दोनों की हालत खराब हो गई।

    लड़का काँप रहा था और अब्राहम के चेहरे पर एक खूंखार मुस्कान थी। लड़की को अभी तक कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह आदमी कौन है और इस तरह से दरवाजा तोड़कर अंदर कैसे आ सकता है। अब्राहम बिना कुछ सोचे-समझे लड़के के पास गया, उसका कॉलर पकड़ा और उसे घसीटते हुए बाहर हाल में लाकर जमीन पर पटक दिया। लड़का अब्राहम के पैर पकड़कर माफी मांगने लगा,

    "माफ़ कर दीजिए सर, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। मैंने यह सब जानबूझकर नहीं किया, अगर मैं यह नहीं करता तो वह मुझे जान से मार देते।"

    अब्राहम उसकी बात सुनकर शैतानी तरह से हँसने लगा और बोला,

    "तुम्हें उसकी मौत से डर है, मेरी मौत से नहीं? अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि अब्राहम किस तरह की मौत देता है गद्दारों को।"

    इतना कहकर उसने अपनी कमर से बंदूक निकाली और उसके पैर पर गोली मार दी। लड़की चिल्लाते हुए रोने लगी और लड़के के पास आकर गिड़गिड़ाने लगी।

    अब्राहम जब लड़की को देखता है, तो उसे कसक का चेहरा नज़र आने लगता है। उस वक्त अब्राहम को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, उसे बस कसक ही नज़र आ रही थी। उसने तुरंत अपनी आँखें बंद कीं और फिर से खोलीं तो कसक नहीं, कोई और था। अब्राहम समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है। लड़की गिड़गिड़ाते हुए अब्राहम का पैर पकड़ लेती है और रोते हुए माफी मांगती है,

    "माफ़ कर दीजिए इन्हें, जो भी किया है उसके लिए माफ़ कर दीजिए। अगर इन्हें कुछ हो गया तो मैं जी नहीं पाऊँगी।"

    अब्राहम उसकी बात सुनकर कहता है,

    "इसने जो गलती की है, उसकी सज़ा मिलेगी। इसे छोड़ो मेरा पैर।"

    इतना कहकर वह उसे धक्का देता है और फिर से लड़के की ओर देखने लगा। लड़का डरते हुए अपने पैरों को पकड़े हुए था। अब्राहम उसके पास आया और घुटनों पर बैठते हुए उसके घाव पर बंदूक रखकर बोला,

    "तू मेरे साथ काम कर रहा था, आर्डर किसी और का। ये तो बहुत गलत बात है। इसका मतलब तुझे मुझसे डर ही नहीं है और अगर आज तू नहीं डर रहा है तो कल को कोई और नहीं डरेगा।"

    इतना कहकर उसने फिर से गोली मार दी जिससे लड़के के पैर में छेद हो गया और वह दर्द से छटपटाने लगा।

    लड़की रोते हुए लड़के के पास आ गई और अब्राहम की ओर देखते हुए गिड़गिड़ाने लगी। अब्राहम ने फिर से उसे कसक के रूप में देखा और अपनी आँखें बंद कर लीं। अब्राहम का उद्देश्य लड़के को मारना था, लेकिन वह उसे बहुत ही आसान मौत देकर चला गया। लड़की डर के मारे चुप हो चुकी थी, उसकी आवाज़ तक नहीं निकल रही थी। अब्राहम वहाँ से चला गया और अपनी कार में बैठ गया। कार में बैठकर वह बस कसक के बारे में सोच रहा था, हालाँकि उसे कसक का नाम तक नहीं पता था। दूसरी ओर कसक अपनी सहेली के घर में जाकर बैठकर उससे बातें कर रही थी। उसकी सहेली, अनिका, उससे पूछती है,

    "तू इतनी घबराई हुई क्यों है? क्या तूने कोई कांड किया?"

    कसक उसे डाँटते हुए बोली,

    "अनिका, तू चुप हो जा। क्या मैं तुझे ऐसी लगती हूँ?"

    फिर अनिका ने कहा,

    "हाँ, जब देखो तब तुझे मेरी बुराई दिखाई देती है।"

    कसक ने फिर कहा,

    "चल, अब शाम हो गई है, खाना बनाते हैं। वैसे भी कल सुबह जल्दी उठना है और हमें जाना भी है।"

    अनिका की बात सुनकर कसक कन्फ्यूज होते हुए बोली,

    "कहाँ जाना है हमें?"

    अनिका ने कहा,

    "मैडम, तुम भूल चुकी हो कि तुम यहाँ जॉब करने के लिए आई हो। डेढ़ महीने हो गए, लेकिन अभी तक तुमने कोई जॉब नहीं खोजा है। मैंने कल जॉब के लिए बात कर ली है और हम दोनों कल इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं। समझी?"

    कसक ने मुँह बनाते हुए कहा,

    "हाँ, हाँ समझ गई।"

    अनिका किचन की ओर चली गई और कसक आज हुई बातों के बारे में सोच रही थी।

    "अच्छा हुआ मैंने अनिका को कुछ नहीं बताया। अगर बताती तो उल्टा गलती मेरी ही निकलती।"

    दूसरी ओर एक बंगले में, एक लड़के ने पूरी तोड़फोड़ मचा रखी थी। ऐसा लग रहा था कि पूरे कमरे की हालत खराब हो चुकी थी। गुस्से में वह बड़बड़ा रहा था,

    "मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूँ। मैं तुम्हें कभी खुद से जीतने नहीं दूँगा। तुम्हारा घर और वह चीज़ छीन लूँगा जिससे मुझे हमेशा आगे रहते हो। जितनी नफ़रत में तुमसे करता हूँ, उतनी मैं किसी से नहीं करता।"

    यह कोई और नहीं, अर्शित था।

    दूसरी ओर, अकरम के ऑफिस में अभ्रम कर रहा था। तभी उसके केबिन का दरवाजा खुला। अब्राहम ने अंदर आने के लिए कहा। एक आदमी अंदर आया और अपना सर नीचे झुका लिया। अभ्रम बिना उसकी ओर देखे पूछा,

    "क्या हुआ? बच गया?"

    वह आदमी बोला,

    "हाँ सर, और हमारे कुछ आदमी भी घायल हो चुके हैं।"

    यह सुनकर अभ्रम ने बिना उसकी ओर देखे दराज खोला और उसमें से नोटों की गड्डी निकालकर उस आदमी की ओर देखते हुए कहा,

    "अपने आदमियों का इलाज करवाओ।"

    वह आदमी नोटों की गड्डी लेकर चला गया।

    अभ्रम अपनी कुर्सी पर पीछे की ओर झुकते हुए बोला,

    "मारना कौन चाहता था तुम्हें? तुम्हें तो मैं ज़िंदा रखूँगा। अगर मारना होता तो कब का मार चुका होता। तुम्हें तो मैं पल-पल तड़पाना चाहता हूँ।"

    यह कहते हुए उसके चेहरे पर खूंखार मुस्कान थी।

  • 3. Nasha tere ishq ka - Chapter 3

    Words: 1374

    Estimated Reading Time: 9 min

    दूसरी तरफ, अभ्रम के ऑफिस में अभ्रम काम कर रहा था। तभी उसके केबिन का दरवाज़ा खुला। अभ्रम ने अंदर आने के लिए कहा। एक आदमी अंदर आया और अपना सर नीचे झुका लिया।

    अभ्रम ने बिना उसकी तरफ देखे पूछा, "क्या हुआ? बच गया?"

    "हाँ सर, और हमारे कुछ आदमी भी घायल हो चुके हैं।"

    यह सुनकर अभ्रम ने, बिना उसकी तरफ देखे, ड्रॉअर खोला और उसमें से नोटों की गड्डी निकालकर उस आदमी की तरफ देखते हुए कहा, "अपने आदमियों का इलाज करवाओ।"

    वह आदमी नोटों की गड्डी लेकर चला गया।

    अभ्रम अपनी चेयर पर पीछे की तरफ झुकते हुए बोला, "मारना कौन चाहता था तुम्हें? तुम्हें तो मैं जिंदा रखूँगा। अगर मारना होता तो कब का मार चुका होता। तुम्हें तो मैं पल-पल तड़पाना चाहता हूँ।"

    यह कहते हुए उसके चेहरे पर किलर स्माइल थी।

    कुछ देर वह यूँ ही मुस्कुराता रहा। उसके बाद वह उठा और अपने केबिन से बाहर चला गया, और पार्किंग एरिया में जाकर अपनी कार में बैठकर चल दिया।

    एक घंटे बाद अभ्रम की कार एक बड़े से आलीशान बंगले में आकर रुकी। अभ्रम ने अपनी कार पार्क की और आगे बढ़ गया। बंगला काफी खूबसूरत था।

    वह बंगला प्योर व्हाइट कलर का था। अभ्रम सीधे अंदर हाल में गया, जहाँ पर कोई नहीं था, सिर्फ़ एक-दो नौकर थे, जो अभ्रम को देखकर अपना सर नीचे झुका लेते थे।

    अभ्रम ने उन पर एक सरसरी निगाह डाली और ऊपर की तरफ बढ़ गया। ऊपर जाते ही वह एक कमरे में गया जिस कमरे की कलर व्हाइट और ग्रे थीम की थी। दिखने में वह बहुत ही खूबसूरत, काफी लग्ज़रियस था। उस कमरे में एक फ़ोटो थी जो बेड के सामने दीवार पर लगी थी।

    उसमें अभ्रम अपने आप को खड़ा दिखा रहा था; उसका एक पैर कार के बोनट पर और एक पैर जमीन पर, एक हाथ कार के बोनट पर और दूसरे हाथ से वह वाइन पी रहा था और शर्टलेस था।

    बस उसने एक ब्लैक जीन्स पहन रखी थी, जिसमें वह काफी हैंडसम लग रहा था। उसकी मस्कुलर बॉडी, सिक्स पैक एब्स उभर कर दिख रहे थे। वह बहुत ही हॉट लग रहा था।

    अगर कोई वह फ़ोटो देख लेता तो उसकी नज़र ही ना हटती। उसकी लाइट ब्लू आँखें पूरी नशीली लग रही थीं। वह बहुत ही हॉट और हैंडसम लग रहा था।

    अभ्रम अंदर आकर सीधे बाथरूम में चला गया। बाथरूम में जाकर आधे घंटे बाद शॉवर लेकर वापस आया।

    वह इस वक़्त तौलिए में था। थोड़ी देर बाद वह अलमारी में जाकर एक ब्लू कलर का लोअर पहनकर बाहर आया।

    ऊपर उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था। जैसे ही वह कमरे में आया, वैसे ही उसके फ़ोन पर रिंग होने लगा। उसने एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ अपना फ़ोन देखा।

    उस पर एक नंबर फ़्लैश हो रहा था, जिसे देखकर उसने उठाते हुए बस "हाँ" बोला। दूसरी तरफ़ से किसी ने कुछ कहा तो वह मुस्कुराते हुए बोला, "ठीक है।" इसके बाद उसने फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया।

    बिना कुछ खाए ही वह बेड पर सोने के लिए चला गया। वहाँ के नौकरों में किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उससे पूछ सके कि उसके लिए कुछ बना दिया जाए, या वह कुछ खाएगा! जब तक वह ऑर्डर नहीं करता था, तब तक कोई कुछ नहीं कर सकता था।

    अभ्रम ऐसे ही बेड पर लेट गया और आँखें बंद कर लीं। जैसे ही उसने आँखें बंद कीं, उसकी आँखों के सामने किसी की लाइट ग्रे आँखें दिखाई देने लगीं। वह और कोई नहीं, कसक थी। उसे कसक की आँखें बार-बार दिख रही थीं। उसने अपनी आँखें खोलकर सामने की तरफ़ देखा,

    पर कोई नहीं था।

    वह फिर से सब कुछ इग्नोर करके सोने की कोशिश करने लगा, लेकिन बार-बार उसकी आँखों के सामने कसक की आँखें दिखाई दे रही थीं, जिसे देखकर वह इरिटेट हो रहा था।

    बार-बार करवट बदल रहा था। कई कोशिशों के बाद उसे नींद आई और वह सो गया।

    दूसरी तरफ़, कसक और अनिका अपने कमरे में थे। दोनों कमरे में बैठकर अच्छे से खाना खा रहे थे। तभी कसक के मोबाइल का रिंग बजा। कसक उस नंबर को देखकर थोड़ा सा उदास हो जाती है। वह फ़ोन उठाना तो नहीं चाहती थी, लेकिन फिर भी उसने फ़ोन उठाया।

    दूसरी तरफ़ से कोई कुछ कहता है, तो वह उनकी बात सुनकर बोली, "कल से लग गया है जॉब। अगले महीने से मैं आपको हर महीने पैसे भेजती रहूँगी।" इतना बोलकर उसने बिना कुछ सुने फ़ोन रख दिया।

    और खाना एक तरफ़ कर दिया। अनिका समझ चुकी थी कि यह कौन है। वह उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "यार कसम, तू उदास मत हो। तुझे पता है कि वह कभी नहीं बदल सकते, तो तू उनके लिए खुद को क्यों परेशान कर रही हो?"

    फिर अनिका परेशान होते हुए बोली, "और तूने अंकल से यह क्यों कहा कि तुझे जॉब लग गई है? अगर तेरी जॉब नहीं लगी और तूने उन्हें पैसे नहीं भेजना शुरू किया तो, तुझे पता है ना, वह तेरी माँ और तेरा जीना हराम कर देंगे।"

    कसक उसकी बात सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, "क्या करूँ? अगर मैं ऐसा नहीं बोलती तो वो अभी माँ के साथ क्या करते क्या नहीं, तू नहीं जानती।"

    "छोड़, कल कुछ भी करके मैं यह जॉब ढूँढ कर ही रहूँगी। कल कुछ भी करके मुझे जॉब चाहिए, तो चाहिए।"

    इतना बोलकर उसकी आँखों में नमी आ गई। अनिका उसकी बात सुनकर उसे हक़ देते हुए बोली, "तू टेंशन मत ले यार, कुछ ना कुछ करके जॉब लग जाएगा। वैसे भी मैंने कल बात कर रखी है, क्या पता वहीं पर हमारा जॉब लग जाए।"

    कसक उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती है, और दोनों सहेलियाँ सोने चली गईं।

    अगली सुबह, अभ्रम अपने कमरे में सो रहा था। तभी उसे ऐसा लगा कि कोई उसके कमरे में है। जैसे ही उसने आँखें खोलीं, उसके सामने कसक का चेहरा था।

    कसक उसके सामने दरवाज़े पर खड़ी मुस्कुरा रही थी और अपनी लाइट ग्रे आँखों से उसे घूर रही थी। जिसे देखकर अभ्रम सवालिया नज़रों से देखते हुए बोला, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

    कसक मुस्कुराते हुए उसके पास आई और बोली, "आप ही को तो नींद नहीं आ रही थी मेरे बिना! पूरी रात बेचैन थे, मेरे लिए करवट बदल रहे थे, तो मैंने सोचा रात में ना सही, सुबह-सुबह तो चैन दे ही सकती हूँ ना!"

    उसकी बात सुनकर अभ्रम उसकी तरफ़ देखते हुए बोला, "तुम्हें कैसे पता?"

    कसक उसके चेहरे पर अपनी उँगलियाँ सेंसिटिव तरीके से चलाते हुए बोली, "अब आप मेरे लिए बेचैन हैं तो! मुझे नहीं पता चलेगा तो किसें चलेगा?" इतना बोलकर वह उसके गले पर झुकती है और अपने होंठ उसके गले पर रख देती है, जिसे महसूस करके अभ्रम की आँखें बंद हो जाती हैं।

    पर तभी कसक ने देखा कि जब अभ्रम की आँखें बंद हो चुकी हैं तो उसने एक किलर स्माइल की और उसके होंठों पर अपने दांत गड़ा दिए। यह महसूस होते ही अभ्रम अपनी आँखें खोलता है और घूर कर कसक की तरफ़ देखने लगता है। जैसे ही उसने आँखें खोलकर कसक की तरफ़ देखा, तो सामने कोई नहीं था।

    वह कमरे में अकेला सो रहा था। उसने अभी तक जो देखा, जो महसूस किया, वह सिर्फ़ एक सपना था। मतलब कसक उसके सपने में आकर उसे बेचैन कर रही थी।

    अभ्रम यह महसूस करते ही अपनी आँखें बंद कर लेता है और अपने मन में बोला, "जब से आँखों में तेरा नशा छाया, आँखें बंद होने पर भी तू ही नज़र आती है।"

    इतना बोलकर वह अपनी आँखें खोलता है और फिर से बोला, "कौन हो तुम ड्रीम गर्ल और क्या हो! जो इस कदर तुम मेरे ख्यालों में मुझे बेचैन कर दी हो। एक नशा हो गया है तुम्हारे लिए, मुझे अब तो तुमसे मिलना पड़ेगा। जो जो अभ्रम को सपने में इतना बेचैन कर सकती है, वह सामने होगी तो क्या करेगी ड्रीम गर्ल?"

  • 4. Nasha tere ishq ka - Chapter 4

    Words: 1177

    Estimated Reading Time: 8 min

    अभ्रम ने यह महसूस करते ही अपनी आँखें बंद कर लीं और मन ही मन बोला,

    "जब से आँखों में तेरा नशा छाया, आँखें बंद होने पर भी तू ही नज़र आती है।"


    इतना बोलकर उसने अपनी आँखें खोलीं और फिर से बोला, "कौन हो तुम, ड्रीम गर्ल? और क्या हो! जो इस कदर मेरे ख़यालों में मुझे बेचैन कर दी हो? एक नशा हो गया है तुम्हारे लिए, मुझे अब तो तुमसे मिलना ही पड़ेगा। जो अभ्रम को सपने में इतना बेचैन कर सकती है, वह सामने होगी तो क्या करेगी, ड्रीम गर्ल?" यह सब बोलते हुए उसकी आँखों में एक अलग ही नशा था, कसक को पाने की कसक। फिर वह बाथरूम की ओर बढ़ गया।

    थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर आया और क्लोजेट की ओर बढ़ गया। क्लोजेट में जाकर उसने ब्लैक पैंट, ब्लैक शर्ट और ब्लैक ब्लेज़र पहनकर बाहर आया, जिसमें वह काफ़ी हैंडसम और स्मार्ट लग रहा था।

    उसने अपने बालों को अच्छे से सेट किया और ऑफिस के लिए निकल गया।


    दूसरी ओर,

    अनिका कसक को जगाने की कोशिश कर रही थी, पर कसक उठ नहीं रही थी। अनिका उसे हिलाते हुए बोली, "कसक, उठ! देख, बहुत टाइम हो गया है, और हमें इंटरव्यू के लिए भी जाना है। तुझे पता है ना, आज हमारा इंटरव्यू है? उठना जल्दी!"


    कसक ने एक तकिया खींचकर मारा और बोली, "क्या है यार! मुझे नहीं उठना है। बाद में दे देंगे ना इंटरव्यू? थोड़ी देर सोकर उठती हूँ, फिर चलेंगे।" उसकी बात सुनकर अनिका ने अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके बोली, "हाँ, तेरे बॉयफ्रेंड की कंपनी है ना! जब मर्ज़ी हो, तब चलें और इंटरव्यू दें और पास हो जाएँ! चल, जल्दी उठ जा!"


    उसकी बात सुनकर कसक ने अपने कान पर दूसरा तकिया रखकर सोना शुरू कर दिया। इसे देखकर अनिका ने अपने सर पर हाथ रख लिया और साइड टेबल पर रखा हुआ पानी से भरा जार उसके ऊपर डाल दिया। ऐसा होते ही कसक हड़बड़ाकर उठी और चिल्लाते हुए बोली, "मम्मी! मम्मी! बारिश हो रही है!"


    अनिका उसकी बात सुनकर हँसते हुए बोली, "बारिश हुई नहीं है, मैंने करवाई है! अब जल्दी उठ, तब तक मैं नाश्ता तैयार करती हूँ।" इतना बोलकर वह चली गई। फिर कसक पैर पटककर बाथरूम की ओर बढ़ गई।


    दूसरी ओर,

    अभ्रम अपने ऑफिस में काम कर रहा था, तभी उसके केबिन में नॉक हुआ। उसने बिना देखे अंदर आने को कहा। अंदर एक छह फ़ीट एक इंच का लड़का आया, जिसके काले बाल, गोरा रंग, तेजस्वी निगाहें और सिक्स पैक थे। वह देखने में बहुत हैंडसम था। उसका नाम आरव था।


    वह अभ्रम की ओर देखते हुए एक फ़ाइल उसे देते हुए बोला, "यह फ़ाइल है यार, और यह टेंडर का डिटेल है। एक हफ़्ते बाद मीटिंग है, और अर्षित मल्होत्रा इस टेंडर को पाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।"


    अभ्रम उसकी ओर देखते हुए बोला, "लगाने दो उन मल्होत्रा को एड़ी-चोटी का जोर! हर बार की तरह उन्हें उनकी औक़ात पता चल जाएगी।"


    आरव हँसते हुए बोला, "उसकी औक़ात तो कल ही पता चल गई होती, हमारे आदमियों ने उसे अच्छे से सबक सिखाते, लेकिन उस लड़की की वजह से वह बच गया।"


    अभ्रम, जो अभी तक अपनी नज़रें नीचे किए हुए लैपटॉप में काम करते हुए बात कर रहा था, वह तुरंत आरव की ओर देखने लगा। उसने जब लड़की का ज़िक्र सुना तो उसे कसक का चेहरा और आँखें याद आने लगीं। जाने क्यों, जाने क्यों लड़की का ज़िक्र सुनकर उसकी आँखों के सामने कसक ही आ गई। वह बस आरव की ओर घूर रहा था,


    या यूँ कहें कि आरव को देख रहा था, पर वह कसक के बारे में सोच रहा था। आरव ने जब देखा कि अभ्रम उसे इस तरह से घूर रहा है, तो उसने उसे देखते हुए बोला, "क्या हुआ? मुझे इस तरह से क्यों घूर रहे हो? मैंने क्या कर दिया?"


    अभ्रम उसकी बात सुनकर बोला, "कौन सी लड़की?"


    अभ्रम की बात सुनकर आरव बोला, "मैं तो वहाँ था ही नहीं, लेकिन मैंने सुना कि तुम दोनों जो रेस कर रहे थे, तो एक लड़की तुम दोनों के बीच आ गई थी। तुम्हारे जाने के बाद इस लड़की ने उसकी जान बचाई।"


    अभ्रम जब यह सुनता है, तो उसके चेहरे के भाव सख्त हो जाते हैं। उसे न जाने क्यों अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था।


    अभ्रम आरव की ओर देखते हुए बोला, "और कुछ पता है उसके बारे में? कोई और जानकारी?"


    आरव उसकी बात नहीं समझ पाया और बोला, "किसके बारे में?"


    अभ्रम उसकी बात सुनकर गुस्से में दाँत पीसते हुए बोला, "ड्रीम…"


    पर आगे कुछ बोल नहीं पाया और चुप हो गया। फिर आरव को देखते हुए बोला, "तुम जा सकते हो।" आरव उसकी बात सुनकर कन्फ्यूज़ होकर उसकी ओर देखते हुए बोला, "ठीक है, मैं चलता हूँ।"


    दूसरी ओर,

    अर्षित अपने ऑफिस में काम कर रहा था। काम करते हुए एक आदमी को देखते हुए बोला, "क्या हुआ? कुछ पता चला?"


    वह आदमी घबराते हुए बोला, "कुछ पता नहीं चला कि वह लड़की कौन थी।"


    अर्षित यह सुनकर खड़ा हो गया और उसके करीब आकर बोला, "मैंने तुम्हें ना बोलने के लिए अपने पास नहीं रखा है। मेरे फेंके हुए टुकड़ों पर काम करते हो और मुझे ही ना बोलते हो?"


    वह आदमी उसे देखते हुए बोला, "सॉरी सर, मैं ना नहीं बोल रहा हूँ, पर बहुत पता लगाया, पर नहीं। उनका कोई फ़ोटो नहीं है, नहीं कि वह लड़की कौन है? इसीलिए थोड़ी प्रॉब्लम हो रही है, लेकिन बहुत जल्द हम पता लगा लेंगे।"


    उसकी बात सुनकर अर्षित उसका गला दबाते हुए बोला, "आर्गुमेंट करने के लिए मैंने नहीं बोला था तुम्हें। तेरी इतनी औक़ात नहीं कि तुम मुझसे आर्गुमेंट करो! जाओ जल्दी, पता लगाओ वो लड़की कौन है!"


    वह आदमी डरते हुए अपना सर नीचे कर लिया और वहाँ से चला गया।


    अर्षित चेयर पर बैठकर फिर से सोचने लगा। उसके सामने कसक का चेहरा था, जब कसक ने उसे बचाया था। वह कसक के बारे में सोचते हुए बोला, "कौन हो तुम, परी? तुमने मेरी जान बचाई। एक बार मैं तुमसे मिलना तो ज़रूर चाहूँगा। तुम सच में कोई परी ही हो, वरना इस तरह से मेरी जान बचाकर ग़ायब नहीं हो जाती। और अर्षित की निगाहों से कोई इस तरह से ग़ायब हो जाए, यह अभी तक हुआ नहीं था। पर कोई बात नहीं, बहुत जल्द मैं तुम्हें ढूँढ लूँगा।"


    दूसरी ओर,

    कसक और अनिका अब तक कंपनी में पहुँच चुके थे और लाइन में लगी हुई थीं। वे दोनों अपने नंबर का इंतज़ार कर रही थीं। कुछ देर बाद कसक का नंबर आया। कसक अनिका की ओर देख रही थी। अनिका ने अपनी पलकें झपका दीं। कसक आगे इंटरव्यू देने के लिए गई। उसने गेट नॉक किया। सामने से किसी ने अंदर आने के लिए कहा। जैसे ही वह अंदर गई, उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया।

  • 5. Nasha tere ishq ka - Chapter 5

    Words: 1579

    Estimated Reading Time: 10 min

    कसक और अनिका कंपनी पहुँच चुके थे और लाइन में लग गए थे। वे दोनों अपने नंबर का इंतज़ार कर रही थीं। कुछ देर बाद कसक का नंबर आया। कसक अनिका की तरफ देख रही थी; अनिका अपनी पलकें झपका दीं। कसक इंटरव्यू देने आगे गई और उसने गेट पर दस्तक दी। अंदर से किसी ने आने को कहा। जैसे ही वह अंदर गई, उसने अपने मुँह पर हाथ रख लिया।

    क्योंकि सामने कोई और नहीं, अभ्रम बैठा था। जिसे देखकर कसक की आँखें बड़ी हो गईं और उसने मुँह पर हाथ रखे, खुद से मन ही मन बोली, "अरे यह तो वही गुंडा है! कहाँ फँस गई कसक? भाग यहाँ से! अगर इसने तुझे देख लिया तो यह तेरा कचुम्बा निकाल देगा। वैसे भी दिखने में भी खड़ूस है। इससे पहले कि वह तुझे देखे, तू निकल यहाँ से।" इतना बोलकर वह पीछे हटने लगी। तभी अभ्रम अपनी नज़रें ऊपर उठाकर देखता है तो सामने कसक थी। जिसे देखकर उसने उसे रुकने के लिए कहा, "स्टॉप! कहाँ जा रही हो?"

    उसकी बात सुनकर कसक के कदम वहीं रुक गए। झूठी मुस्कराहट के साथ बोली, "नहीं, कहीं नहीं जा रही। मैं तो इंटरव्यू के लिए आई थी। मुझे लगता है, मैं गलत जगह आ गई हूँ, तो मुझे यहाँ से चलना चाहिए। मैं अच्छे से देख लेती हूँ कि कहाँ इंटरव्यू हो रहा है।" इतना बोलकर वह फिर से जाने लगी, लेकिन अभ्रम फिर उसे रोकते हुए बोला, "सही जगह आई हो और कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है तुम्हें।" इतना बोलकर वह कसक को गहरी नज़र से देखने लगा, पर उसके चेहरे के भाव बिलकुल सामान्य थे।

    जिसे देखकर कोई भी नहीं पता लगा सकता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। कसक उसकी बात सुनकर अपने कदम रोक देती है और मन ही मन बोलने लगी, "हे भगवान! कहीं इस पागल आदमी ने मुझे पहचान तो नहीं लिया? अब तेरा क्या होगा कसक? कहाँ आई थी तू जॉब ढूँढने और कहाँ यह तुझे जान से मार डालेगा? चलो, अब हो जा मरने के लिए तैयार।"

    इतना बोलकर वह आगे बढ़ गई। अभ्रम अभी भी उसे गहरी निगाहों से देख रहा था। वहीं कसक अपने मन में सोच रही थी और अजीब सा मुँह बना रही थी, जिसे अभ्रम अच्छे से समझ रहा था।

    कसक को देखते हुए अभ्रम ने उसे बैठने का इशारा किया और उसकी फाइल माँगी। वह उसकी फाइल पढ़ने लगा। यह सब देखकर कसक थोड़ी सी कंफ़्यूज़ होकर मन ही मन बोली, "यह तो अच्छे से मुझे ट्रीट कर रहा है। लगता है, भूल गया। अच्छा हुआ भूल गया। थैंक गॉड! भगवान जी, यह भूल गया, वरना मैं तो डर ही रही थी।" तभी उसके कानों में आवाज़ आई, "तुम्हें यह जॉब किस लिए चाहिए? और वैसे भी तुम एक्सपीरियंस भी नहीं हो और इतनी बड़ी कंपनी में तुम जॉब कैसे कर पाओगी?"

    तो कसक ने उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, "सर, ज़रूरी तो नहीं है कि जिसका एक्सपीरियंस है वही अच्छे से काम कर सके। कभी-कभी नॉन-एक्सपीरियंस लोग भी बहुत ही अच्छा काम कर जाते हैं।"

    कसक की बात सुनकर अभ्रम उसे देखता ही रह गया। फिर उसने कसक से दूसरा सवाल पूछा, "तुम यह जॉब क्यों करना चाहती हो? आई थिंक तुम्हारी उम्र नहीं है जॉब करने की।" अभ्रम की बात सुनकर कसक मुँह बनाते हुए बोली, "लोग जॉब क्यों करते हैं? ऑब्वियसली पैसे कमाने के लिए, सेल्फ़ डिपेंडेंट होने के लिए। और सेल्फ़ डिपेंडेंट होने की कोई उम्र नहीं होती।"

    अभ्रम उसकी बातें सुनकर मन ही मन बोला, "यह लड़की सच में बहुत चालू है। इसे बिलकुल भी मुझसे डर नहीं लग रहा है। देखो तो किस तरह से मुझसे बातें कर रही है।" वह अभी सोच ही रहा था, तभी कसक मासूमियत से बोली, "क्या हुआ सर? आप किस सोच में डूब गए?" कसक की बात सुनकर अभ्रम अपने होश में आया और बोला, "कुछ नहीं। मैं बस यह सोच रहा था कि मैं तुम्हें जॉब दूँ या ना दूँ।"

    कसक जब उसकी बातें सुनती है तो कंफ़्यूज़ हो जाती है और अपने मन में बोली, "यार, जॉब तो मुझे चाहिए। अगर इस पागल ने मुझे जॉब नहीं दी तो फिर मैं कहाँ जाऊँगी? और घर पर भी सबको बोल दिया है। और अगर अभी यह जॉब मुझे नहीं मिली तो घरवालों को क्या बोलूँगी? कैसे मैं नेक्स्ट मंथ उनको पैसे भेजूँगी?"

    यह सब सोचते हुए, फिर अपने होश में आकर बोली, "सर, यह तो आप ही डिसाइड कर सकते हैं। वैसे आप जैसे समझदार और गुड लुकिंग, हैंडसम आदमी जो भी सोचेगा, अच्छा ही सोचेगा।" कसक जानबूझकर उसे मक्खन लगाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसे यह जॉब मिल जाए।

    वहीं अभ्रम जब यह सुनता है, तो उसकी दिल की धड़कन ना जाने क्यों तेज हो गई और वह कसक की तरफ देखने लगा। कसक उसे प्यारी सी स्माइल करके देख रही थी। अभ्रम जब कुछ नहीं बोलता है, तो कसक अपनी फाइल उठाकर, सर नीचे करके, मासूमियत से बाहर जाने लगी। उसने अपने मन में बोला, "मुझे लगा कि इसे यह जॉब नहीं मिलेगी। चल कसक, तेरी किस्मत ही खराब है इस खड़ूस के यहाँ।"

    इसलिए वह जाने लगी, तभी अभ्रम ने उसे रोकते हुए कहा, "मैंने तुम्हें जाने के लिए नहीं बोला था, फिर तुम कैसे जा सकती हो?" अभ्रम की बात सुनकर कसक वहीं रुक गई और उसकी तरफ देखते हुए बोली, "पर सर, आप ही तो बोले कि मैं सोच रहा हूँ कि यह जॉब दूँ या ना दूँ। और आपकी बातों से नहीं लग रहा है कि आप मुझे जॉब देंगे, तो मैं क्यों न चलूँ? वैसे भी मुझे आपको देखकर लगा कि आप बहुत अच्छे इंसान हैं। आप जैसा इंसान पहली बार मैंने देखा। आप जैसे इंसान के पास काम करके बहुत ही प्राउड फील होता मुझे। और मैं आपसे एक्सपेक्ट कर बैठी थी कि आप यह जॉब देंगे।"

    अभ्रम जब कसक की बातें सुनता है तो अपनी एक आईब्रो ऊपर करके देखने लगा और अपनी आईब्रो पर उंगलियां रखते हुए, मन ही मन सोचते हुए बोला, "झूठी कही की! कितनी झूठी है यह लड़की! अभी उस दिन हमारी मुलाक़ात हुई थी और कितनी जल्दी कितनी साफ़ झूठ बोलती है। ड्रीम गर्ल! तुम्हें कैसे बताऊँ कि उस मुलाक़ात के बाद मेरी नींद हराम हो चुकी है।"

    फिर अभ्रम अपने टेबल पर पेपरवेट को घुमाते हुए बोला, "वेल, तुम्हें देखकर पता चल गया कि तुम्हें लोगों को पहचानना बहुत अच्छे से आता है। काफ़ी इंटेलिजेंट हो तुम। वैसे जॉब तो मैं तुम्हें दे सकता हूँ। मुझे एक्सपीरियंस की ज़रूरत नहीं है। वह तो मैं तुम्हें खुद एक्सपीरियंस करवा दूँगा।"

    उसकी बातें सुनकर कसक मुस्कुरा रही थी, पर उसे क्या पता कि यह अभ्रम उसके साथ डबल मीनिंग बातें कर रहा है। वहीं कसक एक्साइटेड होकर उसके करीब आकर उसका हाथ पकड़कर बोली, "थैंक यू! थैंक यू सर! आप सच में बहुत अच्छे हो। आप जैसा इंसान तो इस दुनिया में ही नहीं मिलेगा। आप जैसा नेकदिल इंसान तो मैंने आज तक नहीं देखा।"

    एक तो अभ्रम इम्प्रेस्ड हो रहा था, ऊपर से कसक ने उसका हाथ पकड़ लिया। अभ्रम अपना हाथ उसके हाथों पर रखते हुए बोला, "और मैं तुम्हें कभी जाने भी नहीं दूँगा।" अभ्रम की बात सुनकर कसक उसे कंफ़्यूज़न में देखने लगी। तभी अभ्रम उसे इस तरह से देखते हुए बोला, "जॉब तो मैं तुम्हें दे दूँगा, बट मेरी एक शर्त है।" कसक को फिलहाल यह जॉब चाहिए थी, जिस वजह से उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "हाँ सर, कोई भी शर्त रख लीजिये सर। मुझे सारी शर्तें मंज़ूर हैं। आप जो कहेंगे मैं वह सब कर सकती हूँ। मैं बहुत इंटेलिजेंट हूँ। एक बार आप मुझे जॉब पर रख के तो देखिये, फिर मैं बताती हूँ मैं कितनी ज़्यादा इंटेलिजेंट हूँ।"


    दूसरी तरफ़, अनिका कसक का इंतज़ार कर रही थी। इंतज़ार करते हुए वह खड़ी हो गई और कॉरिडोर में दूसरे साइड जाकर टहल रही थी और भगवान से मना रही थी कि कसक की जॉब लग जाए। वह कसक की जॉब के लिए बहुत परेशान थी क्योंकि अनिका उसके बारे में सब कुछ जानती थी और उसे पता था कि कसक इस समय किस स्थिति से गुज़र रही है। वह अपने मन में बोली, "गॉड, प्लीज़, जॉब लग जाए। आपको तो पता है ना कैसी प्रॉब्लम है और कितनी बड़ी। उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि उसकी प्रॉब्लम कितनी बड़ी है, पर मैं जानती हूँ। प्लीज़ गॉड, यह जॉब मुझे भले ही ना मिले लेकिन उसे मिल जाए।"

    वह यह सब सोचते हुए टहल रही थी, तभी उसकी किसी से जोर से टक्कर हो जाती है और वह सिर पकड़कर नीचे बैठ गई और गुस्से में बोली, "कौन पागल है? दिखाई नहीं देता? इडियट!"

    सामने कोई और नहीं, आरव था। आरव उसकी बात सुनता है तो अपनी आँखें बड़े करते हुए बोला, "व्हाट? तुमने मुझे पागल कहा?" आरव की बात सुनकर अनिका अपना सर पकड़कर खड़ी होकर उसकी तरफ़ घूरते हुए बोली, "सॉरी, मैंने तुम्हें पागल कहा, क्योंकि तुम पागल ही नहीं, साथ में अंधे भी हो।"

    आरव अनिका की बात सुनता है तो उसका चेहरा एकदम सख्त हो गया, क्योंकि आज पहली बार किसी ने उससे इस तरह से बदतमीज़ी से बात की थी। आरव सख्त आवाज़ में बोला, "तुम्हें पता भी है मैं कौन हूँ?" अनिका उसकी बात सुनकर बोली, "लगता है तुम्हें भूलने की बीमारी है। अभी-अभी तो बताया कि तुम कौन हो?"


    इन दोनों सहेलियों को पंगा लेने की आदत है। अब देखते हैं दोनों सहेलियों के साथ क्या होता है।

  • 6. Nasha tere ishq ka - Chapter 6

    Words: 1500

    Estimated Reading Time: 9 min

    आरव सामने था। आरव उसकी बात सुनकर आँखें बड़ी करता हुआ बोला, "व्हाट? तुमने मुझे पागल कहा?"

    अनीता आरव की बात सुनकर सिर पकड़कर खड़ी हो गई और घूरते हुए बोली, "सॉरी, मैंने तुम्हें पागल कहा। क्योंकि तुम पागल ही नहीं, साथ में अंधे भी हो।"

    आरव अनिका की बात सुनकर सन्न रह गया। आज पहली बार किसी ने उससे इतनी बदतमीज़ी से बात की थी। आरव ने सर्द आवाज़ में कहा, "तुम्हें पता भी है मैं कौन हूँ?"

    अनिका ने उत्तर दिया, "लगता है तुम्हें भूलने की बीमारी है। अभी-अभी तो बताया कि तुम कौन हो?"

    आरव गुस्से से लाल हो गया। उसने गुस्से में कहा, "हाउ डेयर यू? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे पागल बोलने की?"

    अनिका ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "वैसे तुम पागल होते हुए भी समझदार हो। कितनी जल्दी समझ गए कि मैं तुम्हें पागल बोल रही हूँ।"

    आरव काँपते हुए उसके बिलकुल करीब गया और उसे दीवार से सटाते हुए बोला, "तुम्हें तो मैं अब बताता हूँ कि मैं कितना बड़ा पागल हूँ।" अनिका थोड़ी डर गई क्योंकि आरव बिलकुल उसके करीब था।

    अनिका ने इधर-उधर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। अचानक अनिका शोर मचाने लगी, "बचाओ! बचाओ! यह पागल इस कंपनी में पता नहीं कहाँ से घुस गया है और मुझ पर हमला कर रहा है! बचाओ!"

    आरव अनिका की हरकत देखकर चुपचाप खड़ा रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह लड़की कितनी बड़ी पागल है। उसे पागल कह रही है और खुद पागलों जैसी हरकतें कर रही है।

    आरव को कुछ समझ नहीं आ रहा था, इसलिए उसने अनिका के मुँह पर अपना हाथ रख दिया। अनिका एकदम चुप हो गई। आरव ने उसे घूरते हुए कहा, "चुप! एक शब्द मत निकालना तुम। तुम्हारा दिमाग ख़राब है। ऐसे कौन शोर मचाता है?"

    अनीता चुपचाप आँखें बड़ी करके उसे देख रही थी। आरव फिर बोला, "बोलती क्यों नहीं हो?" अनिका चुप थी क्योंकि आरव ने उसके मुँह पर हाथ रखा हुआ था।

    अनिका अपनी पलकें झुकाकर नीचे की ओर इशारा किया। आरव ने उसका इशारा देखा और अपना हाथ हटा लिया। अनिका ने उसे धक्का देते हुए कहा, "मुँह पर हाथ रखकर कौन पूछता है? और शोर नहीं मचाऊँ तो क्या करूँ? यहाँ मैं इंटरव्यू देने आई थी और पता नहीं किस पागल से पाला पड़ गया मेरा। ऊपर से अभी तक कसक आई भी नहीं।"


    दूसरी तरफ़, कसक की बात सुनकर अभ्रम मुस्कुराते हुए बोला, "तुम सच में बहुत इंटेलिजेंट हो। पर पहले मेरी शर्त तो सुन लो।"

    कसक बोली, "हाँ सर, बोलिए क्या शर्त है?"

    अभ्रम ने अपने दोनों पैंट के पॉकेट में हाथ रखते हुए कहा, "तुम्हें यह जॉब दे दूँगा और सैलरी भी अच्छी खासी मिलेगी। लेकिन शर्त यह है कि तुम्हें मेरे साथ मेरे घर पर रहना होगा।"

    कसक के चेहरे का एक्सप्रेशन बदल गया। वह अभ्रम को देखते हुए बोली, "क्या कहा आपने? एक बार फिर से जरा बोलिएगा।"

    अभ्रम मुस्कुराया और एक हाथ पॉकेट से निकालकर उसके कमर में डालते हुए उसके कान के पास जाकर बोला, "You will get this job only if you stay with me in my house, in my room and be mine."

    कसक ने उसे खुद से दूर धक्का देते हुए कहा, "यह क्या बकवास है? ना मैं कभी ऐसा मज़ाक करती हूँ और ना ही मुझे पसंद है।"

    अभ्रम बोला, "अभ्रम मल्होत्रा ने आज तक कभी किसी के साथ मज़ाक नहीं किया है। तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं तुम्हारे साथ मज़ाक करूँगा? मैं सीरियस हूँ। हाँ बोलो, ड्रीम गर्ल। फायदे में रहोगी। यह जॉब और सैलरी दोनों ही अच्छी मिलेगी तुम्हें।"

    कसक काँपने लगी और अभ्रम को एक थप्पड़ मारते हुए बोली, "मुझे तो लगा था आपके अंदर कुछ तो शराफ़त होगी, लेकिन नहीं। आप तो एक नंबर के घटिया इंसान निकले। और आपको क्या लगता है, हर लड़की बिकाऊ होती है जो आप उसे अपने पैसे से खरीद सकें? नहीं! कसक अग्निहोत्री ऐसी नहीं है। अपना पैसा और अपना जॉब अपने पास रखिए। मुझे नहीं करना आपका यह घटिया जॉब।"

    कसक की आँखों से आँसू निकल रहे थे। अभ्रम का चेहरा एक तरफ़ झुक गया था। अभ्रम ने अपने गाल पर हाथ रखकर उसे सर्द निगाहों से देखा और उसके कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने से चिपका लिया। कसक के हाथ अभ्रम के सीने पर चले गए। अभ्रम उसकी आँखों में देखते हुए दांत पीसते हुए बोला, "शुक्र मनाओ कि यह थप्पड़ तुमने मारा है, ड्रीम गर्ल। अगर तुम्हारी जगह कोई और होता ना, तो उसकी लाश अब तक फ़र्श पर पड़ी होती। अभ्रम मल्होत्रा ने आज तक कभी किसी की निगाहें खुद पर बर्दाश्त नहीं की, फिर यह तो एक थप्पड़ था।"

    उसने उसके बालों में अपनी मुट्ठी भरकर कसते हुए कहा, "पर क्या करूँ, ड्रीम गर्ल? तुम इसलिए बच गई कि तुम्हारा नशा हो चुका है मुझे। तुम्हारी एक झलक ने ही मुझे बेचैन कर दिया।"

    कसक ने अपने बाल छुड़ाते हुए कहा, "हाँ तो अपना नशा जाकर किसी बार में उतारिएगा, कसक अग्निहोत्री से नहीं। वरना अभी एक लगा है, दूसरा भी लगा सकती हूँ मैं।"

    अभ्रम के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वह अपनी लाइट ब्लू आँखों से घूरते हुए उसके होठों पर अपने होठ रख दिया और उसे जोरदार किस करने लगा। कसक खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर वह अभ्रम को हिला भी नहीं पा रही थी। अभ्रम उसे नहीं छोड़ रहा था। वह उसके होठों को अपने दाँतों में दबाकर खींच रहा था और साथ ही चूम भी रहा था। कसक को बहुत गुस्सा आ रहा था, पर वह अभ्रम को खुद से दूर नहीं कर पा रही थी।

    कुछ देर किस करने के बाद अभ्रम उसे छोड़ता है, लेकिन उससे दूर नहीं हुआ। कसक उसे गुस्से में देख रही थी। अभ्रम ने उसकी होठों पर अपनी अंगूठे को हल्का सा टच करते हुए कहा, "शराब में इतनी औकात कहाँ जो तुम्हारा नशा मुझ पर से उतर सके?"

    कसक को अभ्रम की बातें अजीब लग रही थीं। वह अभ्रम को घूर रही थी। फिर अचानक उसने अभ्रम को खुद से दूर धक्का दिया। अभ्रम दो कदम दूर हो गया। कसक ने फिर से हाथ उठाया।

    लेकिन अभ्रम ने उसका हाथ पकड़कर उसके कमर से लगाते हुए कहा, "ड्रीम गर्ल, ऐसी गलती मत करना। हर बार मैं तुम्हारी गलती को माफ़ कर सकूँ, इतना अच्छा इंसान भी नहीं हूँ मैं।"

    कसक ने कहा, "ख़ुद को इंसान समझने की गलती मत कीजिए। आप इंसान नहीं हो सकते और अच्छा तो कभी नहीं।"

    अभ्रम उसे देखता ही रह गया क्योंकि कसक उससे बिलकुल भी नहीं डर रही थी। अभ्रम ने कहा, "ड्रीम गर्ल, क्या तुम्हें मुझसे डर नहीं लगता?"

    कसक ने कहा, "नहीं। कसक किसी से नहीं डरती और तुम जैसे से तो बिलकुल नहीं।" हालांकि कसक को अंदर डर लग रहा था।

    अभ्रम अभी भी उसका हाथ पकड़े हुए था। कसक अपना हाथ छुड़ा रही थी, पर अभ्रम नहीं छोड़ रहा था। कसक ने उसके कंधे पर जोर से काटा। अभ्रम तुरंत दूर हो गया और घूरने लगा। कसक ने कहा, "भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी नौकरी। मुझे नहीं चाहिए।"

    वह जाने लगी तो अभ्रम उसके करीब आकर बोला, "ड्रीम गर्ल, बहुत पछताओगी तुम। आना तो तुम्हें मेरे ही पास है और अब तुम्हें मुझसे कोई दूर नहीं कर सकता।"

    कसक ने दांत पीसते हुए कहा, "तुम जैसे पागल आदमी के पास कभी नहीं आने वाली। मैं जाकर इलाज कराओ अपनी पागलखाने में।" वह वहाँ से निकल गई। अभ्रम उसे जाते हुए देखकर मुस्कुरा रहा था।

    वह अपने चेयर पर बैठकर बोला, "पहली नज़र में तुम्हें देखकर बेकाबू हो रहा था। तब मैं बार-बार यही सोच रहा था कि ऐसा क्या है तुममें जो तुम बार-बार मुझे बेकाबू कर जाती हो। पर आज पता चला कि तुम सिर्फ़ अभ्रम मल्होत्रा की हो। तुम ही हो जो मुझे हैंडल कर सकती हो, ड्रीम गर्ल।"

  • 7. Nasha tere ishq ka - Chapter 7

    Words: 1659

    Estimated Reading Time: 10 min

    कसक ने उसकी बात सुनी और गुस्से में दांत पीसते हुए कहा, “तुम जैसे पागल आदमी के पास कभी नहीं आने वाली। मैं जाकर इलाज कराऊँगी अपने पागलखाने में।” इतना कहकर वह वहाँ से निकल गई। अभ्रम उसे जाते हुए देखकर मुस्कुरा रहा था।

    वह अपने चेयर पर बैठकर बोला, “पहली नजर में तुम्हें देखकर बेकाबू हो रहा था। तब मैं बार-बार यही सोच रहा था कि ऐसा क्या है तुममें, जो तुम बार-बार मुझे बेकाबू कर जाती हो। पर आज पता चला कि तुम सिर्फ़ अभ्रम मल्होत्रा की हो, तुम ही हो! जो मुझे हैंडल कर सकती हो, ड्रीम गर्ल।”


    आरव अनिका के बिल्कुल करीब था। अनिका उसकी आँखों में देख रही थी। अंदर-अंदर उसे डर लग रहा था। आरव उसके बिल्कुल करीब, गुस्से में आ रहा था। तभी कसक अनिका को खोजते हुए कॉरिडोर में पहुँची। उसे अनिका के साथ आरव दिखा। वह आरव को घूर रही थी। एक तो उसका मूड पहले से ही खराब था।


    वह अनिका के बिल्कुल करीब जाकर बोली, “तू यहाँ इसके साथ क्या बातें कर रही है? मैं कब से तुम्हें ढूँढ रही हूँ।” आरव जब कसक की बात सुनी तो वह हड़बड़ाते हुए अनिका से दूर हो गया। अनिका कसक को देखने लगी। अनिका जब कसक को देखती है, तो कसक के चेहरे पर गुस्सा साफ़ दिख रहा था। अनिका, उसको देखते हुए बोली, “मैं तो यहाँ तेरा वेट कर रही थी। पर तेरे चेहरे पर इतना गुस्सा क्यों है? क्या हुआ? सिलेक्शन नहीं हुआ क्या?” कसक जब अनिका की बात सुनी तो दांत पीसते हुए बोली, “भाड़ में जाएँ जॉब! मुझे किसी लफंगे के साथ यह जॉब नहीं करनी है। लफंगा कहीं का! समझता क्या है अपने आप को?”


    अनिका उसकी बात सुनकर परेशान होते हुए उसके करीब आकर बोली, “क्या हुआ? तू ठीक तो है ना? कुछ किया क्या उस लफंगे ने? चल, बताती हूँ मैं उसे।” कसक जब उसकी बात सुनी तो उसको रोकते हुए बोली, “तुझे जाने की ज़रूरत नहीं है। उसे तो मैंने अच्छे से बता दिया है। चल, मुझे यहाँ पर जॉब नहीं करनी है। मैं घर जा रही हूँ।”


    अनिका उसकी बात सुनकर बोली, “हाँ, चल मैं भी चलती हूँ। वैसे भी यह कंपनी लफंगों से भरी पड़ी है।” यह बात उसने आरव को देखते हुए कही। आरव चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था। आरव जब अनिका को अपनी तरफ़ देखते हुए पाया तो उसको फिर गुस्सा आ गया। वह कुछ बोलने को हुआ,


    लेकिन कसक ने अनिका का हाथ पकड़ा और वहाँ से चल दी। आरव उन दोनों की तरफ़ देखते हुए बोला, “मुझे तो लगा एक इसका ही दिमाग खिस्क गया है, पर नहीं, इसके साथ वाली का भी खिस्क गया है। और यह दूसरा लफंगा कौन है?”


    कुछ देर ऐसे सोचते हुए, फिर एक लंबी साँस लेता है, और अभ्रम के केबिन में चल दिया। अभ्रम अभी भी अपने केबिन में बैठकर कसक के बारे में सोच रहा था। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट थी, जैसे उसे पता हो कि आज नहीं तो कल कसक उसी की होगी। तभी उसके केबिन में आरव आया। आरव को देखकर अभ्रम अपने एक्सप्रेशन नॉर्मल कर लेता है और अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए बोला, “क्या हुआ? तेरे चेहरे का रंग ऐसा उड़ा क्यों है?”


    आरव अभ्रम की बात सुनकर बोला, “कुछ नहीं है। एक पागल लड़की से पाला पड़ गया। एक तो पागल थी, तभी अचानक से दूसरी पागल भी आ गई, और मुझे लफंगा बोलकर चली गई।” अभ्रम आरव की बात सुनता है, तो हँसने लगा और उसको देखते हुए बोला, “दूसरी वाली ने सही पहचाना तुझे।” आरव अभ्रम की बात सुनकर उसकी तरफ़ घूर कर देखने लगा। तभी अभ्रम उसको देखते हुए अपने लैपटॉप को उसकी तरफ़ दिखाते हुए बोला, “मुझे इसकी पूरी डिटेल्स चाहिए, और साथ ही साथ यह कब, कहाँ, कैसे और किसके साथ कहाँ-कहाँ जाती है, कहाँ रहती है, सब कुछ।”


    आरव जब अभ्रम की बात सुनता है तो वह उसके लैपटॉप में देखने लगता है। वह कोई और नहीं, कसक थी। आरव कसक को देखकर अपनी आँखें बड़ी कर लेता है और उसको देखते हुए बोला, “तू कब से लड़कियों की डिटेल्स माँगने लगा? और यह दूसरी पागल लड़की यही तो है!”


    अभ्रम जब आरव की बात सुनता है तो गुस्से में काँपने लगा और अपनी मुट्ठियाँ कसते हुए, दांत पीसकर बोला, “How dare you call her crazy, she is my dream girl, if you call her crazy again then no one will even get a hold of you.”


    उसने इतने गुस्से में यह सब बोला कि आरव उसकी बात सुनकर डर गया और डरते हुए बोला, “यार, तू पागल हो गया है! अपने दोस्त से ऐसी कौन बोलता है? और तू मुझे जान से मारेगा?”


    अभ्रम उसकी बात सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए, एरोगेंट वॉइस में बोला, “उसके लिए मैं किसी को भी कुछ भी कर सकता हूँ। और जाओ, पता लगाओ जो कहा है।” आरव उसकी बात सुनकर हाँ बोलते हुए जा रहा था। फिर उसकी तरफ़ देखते हुए बोला, “अच्छा, तो दूसरा लफंगा तुम हो?” अभ्रम उसकी बात सुनकर कन्फ़्यूज़न में उसकी तरफ़ देखने लगा। तभी आरव बोला, “यह मैंने नहीं बोला, तुम्हारी गर्ल ने बोला था कि इस कंपनी में एक और लफंगा है। यह पूरी कंपनी ही लफंगों की है। अब पता चला, वो लफंगा तुम हो।”


    उसकी बात सुनकर अभ्रम उसको घूर के देखने लगा, तो आरव वहाँ से चल दिया। फिर अभ्रम चेयर पर बैठकर उसकी फ़ुटेज देखते हुए बोला, “ड्रीम गर्ल, मैं तुम्हें बहुत जल्द बताऊँगा कि मैं कितना बड़ा लफंगा हूँ।”


    दूसरी तरफ़, अनिका और कसक ऑटो में बैठकर एक पार्क में जाकर उतरती हैं। अनिका कसक को देखकर बोली, “क्या हुआ? तेरा मूड इतना खराब क्यों है?”


    कसक अनिका को सब कुछ बताना तो चाहती थी, लेकिन वह बता नहीं पाई क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि अनिका यह सब सुनकर परेशान हो जाएगी। इसलिए वह उसको देखते हुए बोली, “कुछ नहीं यार, बस जॉब नहीं मिली और इसी बात पर बहस हो गई।”


    अनिका उसकी बात सुनकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, “छोड़ अब। जो होना था सो हो गया। कल हम कहीं और ट्राई करेंगे और कहीं ना कहीं तो हमारी जॉब लग ही जाएगी। तो तू टेंशन मत ले।”


    कसक उसकी बात सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, “हाँ, कल ज़रूर ट्राई करेंगे। और अगर तेरा घर ना होता तो मैं क्या करती? कहाँ जाती? इतने टाइम से मैं तेरे घर पर हूँ। और अगर तेरा घर नहीं होता तब तो मैं…”


    वह आगे बोल ही रही थी कि तभी अनिका उसको गुस्से से बोली, “क्या मतलब है? मेरा घर? तुझे पता है कि मैंने कभी यह सब नहीं सोचा और तू तेरा-मेरा कर रही है। तेरी बातों से लग रहा है कि तू तो मुझे अपना फ़्रेंड नहीं समझती।”


    कसक उसकी बात सुनकर बोली, “नहीं यार, मेरा मतलब वह नहीं था। मैं तो बस ऐसे ही बोल दी।” फिर अपना कान पकड़ते हुए बोली, “सॉरी, माफ़ कर दे। आज के बाद कभी नहीं बोलूँगी।” और अपना मासूम सा चेहरा बनाने लगी। अनिका उसे ऐसा करते हुए देखकर उसको गले लगाते हुए बोली, “कभी मत सोचना कि वह घर तेरा नहीं है। वह घर तेरा है, हमेशा तेरा ही रहेगा।”


    कसक उसकी बात सुनकर बोली, “हाँ, वह घर मेरा है। चल, जल्दी मुझे भूख लगी है। कुछ बनाते हैं।” इतना बोलकर दोनों फ़्रेंड घर के लिए निकल गईं।


    दूसरी तरफ़, केबिन में अभ्रम अपने चेयर पर बैठकर अपने लैपटॉप में बड़े ही ध्यान से देख रहा था। उसके लैपटॉप में इस वक़्त लाइव वीडियो चल रही थी, जिसे देखकर वह डेविल स्माइल करने लगा। फिर अपने लैपटॉप को ऑफ करता है और अपना सर पीछे करते हुए, आँखें बंद करके कुछ सोचने लगा।


    रात के 8:00 बजे दोनों सहेलियाँ किचन में कुकिंग कर रही थीं। कसक सब्ज़ी बना रही थी और अनिका को देखते हुए बोली, “देखना, कैसी सब्ज़ी बना रही हूँ। और सीख मुझसे कुछ तू।” अनिका कसक की बात सुनकर उसकी घूर के देखते हुए बोली, “क्या सीखें? बिना नमक की सब्ज़ी बनाना?” अनिका की बात सुनकर कसक अपनी एक उंगली का नाख़ून मुँह में दबाते हुए हल्का सा मुस्कुरा दी और बोली, “वह तो मैं डालने वाली थी। वह तुम्हें दिख रही थी कि सब्ज़ी कैसे बनती है। नमक बस डालने वाली थी, भूली थोड़ी ना थी। मुझे याद था।” अनिका कसक की बात सुनती है तो उसके सिर पर एक थप्पड़ लगाते हुए बोली, “हाँ, हाँ, पता है, पता है। चल, ज़्यादा बातें मत बना। नमक डाल उसमें।” तभी अनिका के घर का डोरबेल बजा। दोनों एक-दूसरे को देखने लगीं और एक-दूसरे को देखते हुए कसक बोली, “इस वक़्त इतनी रात को कौन हो सकता है?” अनिका अपना कंधा उचका देती है और बोली, “पता नहीं। चल, देखते हैं कौन आया है।”


    फिर दोनों मेन डोर के पास जाकर डोर खोलती हैं तो सामने दो आदमी खड़े थे। दोनों आदमियों को देखकर कसक और अनिका उनको सवालिया नज़रों से देखने लगीं। उनमें से एक आदमी उन दोनों को देखते हुए बोला, “तुममें से अनिका कौन है?”


    अनिका उसकी बात सुनकर आगे आते हुए बोली, “जी, मैं हूँ। कहिए।” तो एक आदमी उसको एक पेपर थमाते हुए बोला, “हमें घर तोड़ने का नोटिस मिला है, तो आप अभी इस घर से निकल जाइए और हम अभी घर को तोड़ेंगे।”


    यह बात सुनकर कसक और अनिका के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। अनिका उनको देखते हुए बोली, “क्या बकवास है यह? और किसने तुम्हें नोटिस दिया? यह घर तोड़ने का? यह मेरा घर है।”


    वो आदमी उसको देखते हुए बोला, “आपका घर इल्लीगल है। इसीलिए इसे तोड़ना है। चाहे तो यह पेपर पढ़ सकती हैं।”


    कसक के फ़ोन पर बार-बार रिंग बज रही थी। कसक अपने फ़ोन की रिंग सुनी, फिर उसे इग्नोर कर दिया और उसे पेपर को लेकर खुद पढ़ने लगी। अभी वह पेपर पढ़ रही थी, तभी फिर से उसके फ़ोन पर रिंग बजने लगा। कसक गुस्से में अपना फ़ोन उठाती है। तभी किसी ने फ़ोन पर बोला, “कैसा लगा सरप्राइज़, ड्रीम गर्ल?” कसक जब यह बात सुनती है तो उसकी मुट्ठी फ़ोन पर कसी गई। उसे समझ में आ गया कि यह कोई और नहीं, अभ्रम है।

  • 8. Nasha tere ishq ka - Chapter 8

    Words: 1113

    Estimated Reading Time: 7 min

    यह बात सुनकर कसक और अनिका के पैरों तले जमीन खिसक गई। अनिका उन आदमियों को देखते हुए बोली, "क्या बकवास है यह? और किसने तुम्हें नोटिस दिया? यह घर तोड़ने का? यह मेरा घर है!"

    वह आदमी उसको देखते हुए बोला, "आपका घर अवैध है, इसीलिए इसे तोड़ना है। चाहें तो यह पेपर पढ़ सकती हैं।"

    कसक के फोन पर बार-बार रिंग बज रही थी। कसक ने अपनी फोन की रिंग सुनी, फिर उसे इग्नोर कर दिया और पेपर को खुद पढ़ने लगी। अभी वह पेपर पढ़ ही रही थी कि फिर से उसके फोन पर रिंग बजने लगा। कसक गुस्से में अपना फोन उठाती है। तभी किसी ने फोन पर बोला, "कैसा लगा सरप्राइज, ड्रीम गर्ल?"

    कसक जब यह बात सुनती है तो उसकी मुट्ठी फोन पर कसी गई। उसे समझ में आ गया कि यह कोई और नहीं, अभ्रम है।

    कसक ने अपने हाथों की मुट्ठी कसकर दांत पीसे और बोली, "तो यह सब आपने किया है? मैं सोच भी नहीं सकती थी कि आप इतना गिर जाएँगे। आप क्या सोचते हैं? आपके यह सब करने से मैं डर जाऊँगी?" कसक की बात सुनकर अभ्रम स्मोकी वॉइस में बोला, "अभी तक तो मैंने कुछ किया भी नहीं, ड्रीम गर्ल, और तुम मुझे ब्लेम कर रही हो? दिस इज़ नॉट फेयर, ड्रीम गर्ल।"

    कसक को उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया। वह गुस्से में चिल्लाते हुए बोली, "तो यह आदमी किसके कहने पर आए हैं? आप ही ने भेजा है ना इन्हें यह घर तुड़वाने के लिए?"

    अभ्रम ने उसकी बात सुनकर धीरे से कहा, "ड्रीम गर्ल, इतना मत चिल्लाओ, वरना तुम्हारा गला खराब हो जाएगा। और हाँ, भेजा तो मैंने ही है। क्या करूँ? तुम मेरी बात मान जातीं तो यह सब नहीं करना पड़ता, और ना ही तुम्हारी फ्रेंड का घर टूटता। सोचो, जिसने तुम्हें अपने घर में रखा, तुम्हारी वजह से उसका घर टूट रहा है।"

    कसक ने उसकी बात सुनकर आँखें बड़ी करते हुए फोन में कहा, "यह सारी बातें आपको कैसे पता?"

    अभ्रम ने उसकी बात सुनकर हँसते हुए बोला, "तुमसे जुड़ी हर बात मुझे पता है, ड्रीम गर्ल। खैर, यह सब बातें हम बाद में करेंगे। कि यह बातें मुझे कैसे पता, कैसे नहीं, मेरे पास आ जाओगी, तब हम आराम से बैठकर ये बातें करेंगे।"

    कसक उसकी बात सुनकर गुस्से में भड़कते हुए बोली, "हाँ, सपने में! और यह सपना मैं कभी पूरा नहीं होने दूँगी!" इतना बोलकर उसने फोन काट दिया।

    अनिका कब से कसक को इस तरह से बातें करते हुए सुन रही थी। वह कसक के पास गई और उससे पूछा, "क्या हुआ? तू किस पर इतना चिल्ला रही थी? किसका फोन था?" कसक ने उसकी बात सुनकर उन दोनों आदमियों की तरफ देखते हुए कहा, "कुछ नहीं।"

    फिर वह उन दोनों आदमियों के पास जाकर बोली, "आप अभी इस वक्त यह घर नहीं तोड़ सकते हैं।" वह दोनों आदमी उसकी तरफ देखते हुए बोले, "जी नहीं, आर्डर आया है, तो हम इसे अभी तोड़ेंगे।" कसक गुस्से में उनके पास जाकर बोली, "आर्डर आया था तो पहले बताना चाहिए था! एक महीना, पंद्रह दिन, या चौबीस घंटे पहले आपको यह सब बताना चाहिए था। पर आप अचानक आकर यह सब बातें नहीं कर सकते! और आपने यह सब किया ना, तो मैं आप दोनों पर केस कर दूँगी।"

    एक आदमी हँसते हुए बोला, "जाओ, कर दो। किसने मना किया है?" कसक ने उसकी बात सुनकर कहा, "हाँ, हम जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले अगर तुम दोनों ने यह घर तोड़ा ना, तुम दोनों का तो पता नहीं, पर जिसने यह करवाया है ना, उसे मैं बिल्कुल नहीं छोड़ने वाली।"

    इतना बोलकर वह बाहर निकल गई। वहीं अनिका उसकी बात सुनकर हैरानी से उसे देखने लगी। अनिका उसके पीछे जाकर बोली, "तुझे पता है यह सब किसने करवाया? कौन है? और तुझे कैसे पता कि यह सब किसने करवाया?" कसक ने उसकी बात सुनकर कहा, "तू चल मेरे साथ। बाद में मैं बताती हूँ सब कुछ। अभी पहले हमें पुलिस स्टेशन चलना होगा।"

    दोनों सहेलियां पुलिस स्टेशन चली गईं। करीब आधे घंटे बाद दोनों पुलिस स्टेशन पहुँचीं। कसक और अनिका ऑटो से उतरकर पुलिस स्टेशन में अंदर गईं। अंदर एक पुलिस ऑफिसर बैठा था। जिसे देखकर कसक उसके बिल्कुल करीब जाकर बोली, "सर, हमें एक रिपोर्ट लिखानी है। प्लीज सर, जल्दी कर दीजिए। बहुत अर्जेंट रिपोर्ट है सर।" कसक की बात सुनकर पीछे से आवाज आई, "तुम्हारी रिपोर्ट लिखी जाएगी। पहले आराम से बैठो और पानी तो पियो। इतनी दूर से भागते हुए आई हो, गला सूख गया होगा तुम्हारा, ड्रीम गर्ल।"

    उसकी बात सुनकर कसक बिल्कुल सुन हो चुकी थी, क्योंकि उसे पता चल चुका था कि यह आवाज और 'ड्रीम गर्ल' कहने वाला कोई और नहीं, अभ्रम था।

    कसक पीछे मुड़कर देखती है तो सामने चेयर पर एटीट्यूड के साथ अभ्रम अपने पैरों पर रखकर बैठा हुआ था। उसके पीछे कमिश्नर खड़े थे, और बगल में आरव भी बैठा था, और वह उन दोनों को देख मुस्कुरा रहा था।

    वहीं अनिका जब आरव को देखती है तो उसकी आँखें बड़ी हो गईं। दोनों सहेलियाँ एक-दूसरे को देखने लगीं। अभ्रम कसक को देखते हुए बोला, "क्या हुआ? तुम चुप क्यों हो गईं, ड्रीम गर्ल? बोलो ना, क्या रिपोर्ट लिखवानी है? यहाँ सब तुम्हारी रिपोर्ट भी लिखेंगे और बातें भी सुनेंगे।"

    उसकी बातें सुनकर कसक बिल्कुल उसके करीब आकर उसकी कुर्सी पर झुकते हुए गुस्से में बोली, "वह तो दिख रहा है कि सब मेरी रिपोर्ट भी लिखेंगे और बातें भी सुनेंगे। आपको देखकर ही मुझे पता चल गया था। और जिस तरह से लोग पीछे आपकी खड़े हैं ना, देखकर ही समझ में आ रहा है कि ये कितने अच्छे पुलिस ऑफिसर हैं।"

    कसक की बात सुनकर अभ्रम मुस्कुराते हुए उसको देखने लगा और देखते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है। जिस वजह से अचानक ऐसे होने से कसक अभ्रम के गोद में जाकर गिर गई। पर वहाँ पर जितने लोग खड़े थे उनमें से किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसके तरफ आँखें उठाकर भी देख ले। लेकिन अनिका अपनी बड़ी आँखें करके कसक और अभ्रम को देख रही थी। कसक ने उसके सीने पर हाथ रखकर उसे दूर होने की कोशिश करने लगी, पर अभ्रम ने उसे कस के पकड़ लिया और कान में बोला, "ड्रीम गर्ल, ऐसे मत हिलो, मुझे कुछ हो रहा है।"

    कसक ने उसकी बात सुनकर उसको घूर कर देखते हुए कहा, "मुझे भी हो रहा है! मन तो कर रहा है आपको एक और खींच के लगाऊँ सबके सामने!" कसक की बात सुनकर अभ्रम ने डेविल स्माइल किया और बोला, "ठीक है, ड्रीम गर्ल, तो लगा दो ना! किसने मना किया है? तुम मुझे खींच कर लगाओ और उसके बाद मैं भी वही करूँगा जो अगली बार तुम्हारे लगाने के बाद मैंने किया था।"

    जैसे ही अभ्रम ने यह शब्द बोले, कसक को उसका किस करना याद आ गया।

  • 9. Nasha tere ishq ka - Chapter 9

    Words: 1064

    Estimated Reading Time: 7 min

     वह उसके तरफ आंखें उठा कर भी देख ले,लेकिन अनिका अपनी बड़ी आंखें करके कसक और अभ्रम देख रही थी कसक उसके सीने पर हाथ रखकर उसे दूर होने की कोशिश करने लगी पर अभ्रम ने उसे कस के पकड़ लिया,और कान में बोला” ड्रीम गर्ल ऐसे मत हीलो मुझे कुछ हो रहा है “

    कसक उसकी बात सुनती है तो उसको घूर कर देखते हुए बोली “मुझे भी हो रहा है मन तो कर रहा है आपको एक और खींच के लगाउ सबके सामने” कसक की बात सुनकर अभ्रम डेविल स्माइल कर दिया और बोला” ठीक है ड्रीम गर्ल तो लगा दो ना किसने मना किया है, तुम मुझे खींच कर लगाओ और उसके बाद मैं भी वही करूंगा जो अगली बार तुम्हारे लगाने के बाद मैंने किया था “

    जैसे ही अभ्रम ने यह शब्द बोला कसक को उसका किस करना याद आ गया, वही यह सब देखकर अभ्रम के चेहरे पर स्माइल आ गई अभ्रम अभी कसक को देख ही रहा था, तभी अचानक से अनिका पीछे से आती है,और कसक को अपनी तरफ खींच ली जिससे कसक उसे दूर हो गई,ऐसा होते ही अभ्रम के चेहरे पर गुस्सा साफ झलकने लगा।



    वो अनिका को गुस्से में देखने लगा, अनिका कसक के कंधे पर हाथ रख के बोली” तू ठीक है ना!” कसक अपना सर हा मे हिला दी वही अभ्रम गुस्से में खड़े होकर अनिका के पास आकर दांत पीसते हुए बोला “ये तुम्हारी आखरी गलती है इसके बाद अगर तुमने कोई भी गलती की तो, उसके बाद अभ्रम मल्होत्रा की कोई गलती नहीं होगी “

    अभ्रम की बात सुनकर अनिका थोड़ा सा डर जाती है,क्योंकि उसकी आंखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था,फिर भी वह हिम्मत करके अभ्रम से बोली “आप हो कौन और इस तरह से मेरी फ्रेंड के साथ ऐसी हरकत कर कैसे सकते हो”

     अभ्रम उसकी बात सुनकर एटीट्यूड में बोला” मैं वह हूं जो इसके साथ कैसी भी हरकत कर सकता हूं “अभ्रम की बात सुनकर दोनों उसको घूर के देखने लगी,अभ्रम बिना किसी के परवाह किए हुए कसक की तरफ देखकर बोला “बहुत टाइम वेस्ट कर लिया ड्रीम गर्ल अब घर चलते हैं,वैसे भी बहुत नींद आ रही है मुझे “इतना बोलकर वह कसक का हाथ पकड़ता है,और अपने साथ ले जाने लगा,कसक अपना हाथ छुड़ाने लगी।



    पर अभ्रम ने उसकी हाथ को कस के पकड़ रखा था,अनिका जब देखती है कि अभ्रम कसक का हाथ पकड़ के उसे ले जा रहा है,तो वह भी उसके पीछे जाती है,लेकिन तभी आरव ने अनिका का हाथ कस के पकड़ लिया और बोला “दूसरी गलती करने की कोशिश बिल्कुल मत करना “अनिका उसको गुस्से में देखते हुए बोली “छोड़ो मेरा हाथ होते कौन हो तुम दोनों इस तरह से हम दोनों के साथ बिहेव करने वाले “

    अनीका की बात सुनकर आरव मुंह बनाते हुए बोला “मुझे तुम्हारा कुछ होने में कोई इंटरेस्ट नहीं है, ना हीं मैं कभी चाहूंगा कि हम दोनों में कुछ हो “

    दूसरी तरफ

     कसक का हाथ पकड़े हुए ही अभ्रम उसको अपने गाड़ी तक ले जाता है,और कार में बिठाते हुए खुद भी अंदर बैठ गया, और ड्राइवर से पार्टीशन ऑन करने को बोला और कार स्टार्ट करने को कसम उसको गुस्से में घूरे जा रही थी और अचानक से उसको धक्का देते हुए बोली “जाने दो मुझे वरना सर फोड़ फोड़ दूंगी मैं आपका “

    इतना बोलकर वह कार का डोर खोलती है,तभी अभ्रम अपने फोन से किसी को फोन करते हुए बोला” बहुत वेट कर लिया तोड़ दो घर “कसक जब ये बात सुनी तो वह वहीं पर रुक गई और अभ्रम की तरफ नम आंखों में देखने लगी और उसे देखते हुए “बोली क्यों कर रहे हैं आप, क्या किया है मैं आपका क्या बिगाड़ा है” 



    कसक की बात सुनकर अभ्रम बोला मेरी नीद मेरा चैन सब कुछ छीन के पूछ रही हूं क्या बिगाड़ा है मेरा,अब इससे ज्यादा क्या बिगड़ोगे ड्रीम गर्ल “कसक उसकी बात सुनकर दांत पीसते हुए बोली “हां तो किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ ना मेरे पीछे क्यों पड़े हो”



     उसकी बात सुनकर अभ्रम उसको झटके से अपनी गोद में बिठाते हुए और कस के पकड़ते हुए बोला” मेरा इलाज तुम्हारे अलावा कोई नहीं कर सकता ड्रीम गर्ल,इसीलिए तो तुम्हारे पास आया हूं खुद का इलाज करने”

     यह सब बोलते वक्त वह अपने होठों को कसक के गार्दन के पास ले गया और अपने गर्म सांस छोड़ रहा था,जिस वजह से कसक माने या ना माने वह सीहर रही थी उसकी धड़कनें तेज हो गई,कसक को इस तरह से सीहरते हुए देखकर अभ्रम के चेहरे पर स्माइल आ गई,



    वह अपने होठों को कसक के गर्दन पर रब करने लगा यह सब महसूस होते ही कसक कांपने लगी वो अपने गर्दन को हल्का सा टेढ़ा करती है तो उसकी होंठ अभ्रम के होंठ के बिल्कुल करीब हो गया,जिसे देखकर अभ्रम को बेचैनी होने लगा और बिना एक पल करवाए वो उसके होठों को अपने होठों में भर लेता है।



    और उसे यूं ही पकड़े हुए किस करने लगा कसक उसको रोकने के लिए अपने हाथ से पूस करने लगी पर अभ्रम कहां मानने वाला था,वह उसको और अच्छे से होल्ड करते हुए किस करना स्टार्ट कर दिया,कभी वह ऊपरी लिप को किस करता तो कभी नीचे वाली लिप को किस करता ओ धीरे-धीरे उसके होठों को शक कर रहा था,और अपने किस को डीप करने लगा अभ्रम लगातार उसके होठों पर अपने होठों में भरकर शक कर रहा था।



    अब धीरे-धीरे अभ्रम के हाथ कसक की बॉडी पर चलने लगे,और और उसके शर्ट के अंदर चले गए और उसकी बॉडी अपने हाथ को चलना स्टार्ट कर दिया,धीरे-धीरे उसके हाथ उसके सीने पर बढ़ गए,कसक सीना अभ्रम के हाथों में था जो उसके हाथों में अच्छे से आ गया।



    किस करते हुए अभ्रम उस पर दबाव बनाना स्टार्ट कर दिया, जिस वजह से कसक को दर्द हो रहा था कसक की सिसकियां निकलने लगी थी,पर अभ्रम को यह सब करने में बहुत मजा आ रहा था वो लगातार उसके सीने को प्रेस कर रहा था,कसक भी धीरे-धीरे अभ्रम में खोने लगी थी।इस बीच दोनों के किस ब्रेक नहीं हुए थे, अभ्रम ने अपने टंग को कसक के मुंह में डालकर एक्सप्लोरर करना स्टार्ट कर दिया,पूरी तरीके से उसके मुंह को एक्सप्लोर कर रहा था।



    वो ये सब करते हुए वह एक्साइटेड हो रहा था अभ्रम युही ही उसकी गोद में बिठा हुए उसे किस कर रहा था और उसके सीने को प्रेस कर रहा था

    aaj ke liye itna hi Milte Hain Kal

  • 10. Nasha tere ishq ka - Chapter 10

    Words: 1549

    Estimated Reading Time: 10 min

    अभ्रम ने किस करते हुए कसक पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। इससे कसक को दर्द हो रहा था और उसकी सिसकियाँ निकलने लगी थीं। पर अभ्रम को यह सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था। वह लगातार उसके सीने को दबा रहा था। कसक भी धीरे-धीरे अभ्रम में खोने लगी थी। इस बीच दोनों का किस नहीं टूटा था। अभ्रम ने अपनी टांग कसक के मुँह में डालकर उसे पूरी तरह एक्सप्लोर करना शुरू कर दिया था।


    वह यह सब करते हुए उत्तेजित हो रहा था। अभ्रम उसे अपनी गोद में बिठाए हुए किस कर रहा था और उसके सीने को दबा रहा था। इससे कसक की सिसकियाँ निकल रही थीं और कसक बेख़याली में अपने हाथ अभ्रम के बालों में फेर रही थी।


    दूसरी तरफ, आरव यह सब कहकर बाहर आ गया था। उसके पीछे अनिका भी आ गई थी। आरव अपनी कार में बैठकर कार स्टार्ट करने लगा था, लेकिन तभी उसके दिमाग में न जाने क्या आया। उसने अनिका की तरफ देखते हुए कहा, "चलो, मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ।" अनिका ने उसे देखते हुए कहा, "कोई ज़रूरत नहीं है। मैं ऑटो से चली जाऊँगी।" और ऑटो देखने लगी, पर दूर-दूर तक कहीं कुछ नहीं दिख रहा था।


    अनिका को घर भी जल्दी पहुँचना था, जिस वजह से उसने बिना समय गँवाए बगल वाली सीट पर बैठकर, उसकी तरफ देखे बिना ही कहा, "ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हारे दोस्त की वजह से हम इस मुसीबत में पड़े हैं। इसलिए चलो, मेरे घर तक छोड़ दो।" आरव ने उसकी बात सुनकर मुँह टेढ़ा करते हुए मन ही मन में कहा, "मैं भी तो यही कह रहा था।" फिर उसने अपनी कार स्टार्ट करके अनिका के बताए हुए एड्रेस पर चल दिया। थोड़ी देर में वे लोग अनिका के घर पहुँच गए। अनिका कार से उतरी और अपने घर की तरफ़ देखने लगी। घर आधा टूट चुका था। यह देखकर अनिका की आँखों में आँसू आ गए। वह भागते हुए अपने घर की तरफ़ बढ़ी, लेकिन तभी आरव ने उसे पकड़ लिया और उसे देखते हुए कहा, "पागल हो गई हो क्या? लग जायेगी तुम्हें। कहाँ जा रही हो?"


    अनिका उससे दूर होते हुए बोली, "हाँ, पागल हो गई हूँ। घर है वो मेरा, और अपने ही आँखों के सामने उसे टूटते हुए कैसे देख सकती हूँ मैं?" आरव को उसकी बातें सुनकर बुरा लग रहा था क्योंकि अनिका ने कुछ गलत भी नहीं कहा था। आरव अनिका की बात सुनकर बोला, "तुम्हारे इस तरह से वहाँ पर जाने से वो वापस आधा नहीं जुड़ जायेगा।" अनिका ने उसकी बात सुनकर अपने नम आँखों से देखते हुए कहा, "पता है, आधा नहीं जुड़ पाएगा, लेकिन पूरा टूट भी तो नहीं पाएगा। मैं उसे पूरा टूटते हुए नहीं देख सकती।"


    आरव अनिका की बात सुनकर न जाने क्या सोचते हुए उन लोगों को रोक दिया जो घर तोड़ रहे थे। आरव की बात सुनकर वे लोग अपने क्रेन और बुलडोज़र पीछे कर लेते हैं। आरव फिर अनिका को कुछ नहीं बोला और अपनी कार की तरफ़ बढ़ गया और कार का दरवाज़ा खोलने लगा। पर जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, किसी ने पीछे से उसके कॉलर को पकड़कर खींच लिया। अचानक ऐसे होने से आरव लड़खड़ाते हुए पीछे की ओर गिर गया।


    फिर पीछे मुड़कर देखा तो पीछे कोई और नहीं, अनिका थी जो गुस्से में उसे घूर रही थी। आरव ने उसे इस तरह से देखते हुए अपने दाँत पीसकर कहा, "यह क्या हरकत है? और तुम मुझे इस तरह से क्यों घूर रही हो? तुम्हीं ने तो कहा था कि तुम अपने घर को पूरा टूटते हुए नहीं देख सकती, तो मैंने उसे रुकवा दिया। उसके बावजूद भी तुम मेरे साथ इस तरह से हरकत कर रही हो। मतलब क्या है तुम्हारा?"


    आरव की बात सुनकर अनिका ने उसे देखते हुए कहा, "बहुत बड़ा एहसान नहीं किया। तुम दोनों की वजह से ही मेरा घर टूटा है, और जब तक मेरा घर नहीं बनेगा, तब तक मैं कहाँ रहूँगी? कहाँ जाऊँगी मैं?" आरव ने उसकी बात सुनकर बेपरवाही से कहा, "मुझे क्या पता। जहाँ मर्ज़ी वहाँ जाओ।" आरव की बात सुनकर अनिका ने अपनी आँखें बड़ी करते हुए कहा, "ऐसे कैसे? जहाँ मर्ज़ी वहाँ जाओ? एक तो तुम दोनों की वजह से मेरा घर टूटा, ऊपर से मैं जहाँ मर्ज़ी वहाँ कैसे जाऊँ? मुझे मेरा घर अभी बनवा कर दो।" उसकी बात सुनकर आरव ने अपनी आँखें बड़ी करते हुए उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "ऐसे कैसे अभी बनवा कर दो?"


    अनिका ने भी उसकी बातों को दोहराते हुए कहा, "जैसे तुड़वाया है, वैसे ही। नहीं तो फिर मुझे अपने उस दोस्त के घर लेकर चलो। उसको तो मैं अभी बताती हूँ। कसक का किडनैप भी कर लिया, ऊपर से मेरा घर भी तुड़वा दिया।" अनिका की बात सुनकर आरव ने उसकी तरफ़ देखकर कहा, "अगर मैं अभी तुम्हें उसके घर लेकर गया ना, तुम्हें भी सुट कर देगा और मुझे भी।"


    आरव की बात सुनकर अनिका बोली, "ठीक है, तो अपने घर ले चलो।" उसकी बात सुनकर आरव उसे मुँह खोले हुए देखने लगा और देखते हुए बोला, "मैं? मैं क्यों तुम्हें अपने घर लेकर चलूँ?" अनिका ने उसकी बात सुनकर उसका कॉलर पकड़कर अपनी तरफ़ खींचते हुए कहा, "क्योंकि मेरे पास रहने का ठिकाना नहीं है। मेरा घर तुम दोनों ने मिलकर तुड़वा दिया है, तो अब मैं तुम्हारे घर रहूँगी, जब तक कि मेरा घर नहीं बन जाएगा। और तुम्हारा जीना हराम कर दूँगी और तुम्हारे सीने पर मूँग डालूँगी।"


    आरव उसकी बात सुनकर थोड़ा सा कन्फ़्यूज़ होते हुए बोला, "मूँग डालूँगी? वो क्या होता है?" अनिका ने उसकी बात सुनकर कहा, "अभी ले तो चलो घर पर, फिर बताती हूँ क्या होता है।" आरव ने उससे अपना कॉलर छुड़ाते हुए कहा, "जी नहीं, मैं अपने घर पर तुम्हें नहीं ले जाने वाला। मुझे तुम जैसी चुड़ैल को अपने घर पर रखने का कोई शौक नहीं है।"


    अनिका ने उसकी बात सुनकर उसे देखते हुए कहा, "तुमने मुझे चुड़ैल कहा?" आरव ने उसकी बात सुनकर बेपरवाही से कहा, "हाँ, तो चुड़ैल को चुड़ैल ही तो कहूँगा।" अनिका जब आरव की बात सुनती है, मुस्कुराते हुए उसे देखते हुए दूसरी तरफ़ जाकर कार में बैठ गई। आरव ने जब उसे इस तरह से कार में बैठते हुए देखा, तो उसके पीछे जाकर दरवाज़ा खोलते हुए बोला, "उतर नीचे। तुम मेरे साथ कहीं नहीं जा रही हो और ना ही मैं तुम्हें अपने घर लेकर जा रहा हूँ।" आरव की बात सुनकर अनिका ने दरवाज़ा पकड़कर खींचकर बंद करते हुए कहा, "मैं तुम्हारे साथ ही जा रही हूँ और तुम ही मुझे अपने घर लेकर जाओगे और मेरा यह घर बनवाकर भी दोगे।"


    वहीं दूसरी तरफ़, अभ्रम और कसक एक-दूसरे को किस करते हुए सब कुछ भूल चुके थे। अचानक से कार का ब्रेक लगा, जिस वजह से दोनों होश में आ गए। कसक ने जब देखा कि वह किस हालत में और क्या कर रही थी, तो वह तुरंत अभ्रम की गोद से उतरकर नीचे बैठ गई और अपने मन में बोली, "यह क्या कर रही थी कसक उसके साथ? अगर कार का ब्रेक नहीं लगता, तो न जाने क्या-क्या कर बैठती। तू हे भगवान! इस आदमी के साथ रहकर मैं भी ठरकी ना बन जाऊँ।" फिर अपने ख्यालों को झटकते हुए, "नहीं-नहीं, मुझे इस जैसा नहीं बनना।"


    यह सब सोचते हुए उसने अभ्रम की तरफ़ देखा, पर बगल में अभ्रम नहीं था। कसक ने जब देखा कि उसके बगल में अभ्रम नहीं है, तो वह घबराते हुए सोची, "भगवान! ये कहाँ चला गया?" तभी अचानक किसी ने उसे गोद में उठाकर धीरे से कार से बाहर निकाल लिया। वह कोई और नहीं, अभ्रम था। कसक ने उसे इस तरह से गोद में उठाते हुए अपने हाथ-पैर चलाते हुए कहा, "उतारिए मुझे। क्या कर रहे हैं आप?"


    लेकिन कसक की बातों को अनसुना करते हुए अभ्रम अपने कदम घर के अंदर बढ़ा दिया। कसक लगातार अपने हाथ-पैर चला रही थी, पर उससे अभ्रम को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। अभ्रम उसे यूँ ही लिए अंदर आ गया और अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया। उसे ऐसे किसी लड़की के साथ देखकर सारे नौकर हैरानी से उसे देख रहे थे।


    पर किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह उसे कुछ बोल पाए। ऊपर से कसक की हरकतें, वह अपने पैरों को चलाते हुए अभ्रम को मार रही थी। "छोड़िए मुझे! नहीं जाना है मुझे आपके साथ आपके घर। आप क्यों मुझे लेकर जा रहे हैं?" अब कसक को समझ आ गया था कि वह घर पहुँच चुकी है।


    अभ्रम उसे कमरे में लेकर जा रहा था। उसने उसे अपने कमरे में ले जाकर सीधे बिस्तर पर पटक दिया। लेकिन कसक तो बस एक ही बात दोहरा रही थी, "मुझे आपके साथ आपके घर नहीं जाना है।" अभ्रम उसे चुप कराने के लिए बोलना चाहता था, पर वह बोल नहीं पा रहा था। कसक बार-बार एक ही बात बोल रही थी, जिस वजह से उसने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। कसक बिल्कुल चुप हो गई। उसकी आवाज़ ही नहीं निकली। करीब 2 मिनट तक किस करने के बाद अभ्रम उससे दूर हुआ और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "चलो, तुम्हें चुप कैसे करते हैं, आइडिया भी पता चल गया और यह आइडिया टेस्टी भी है।"

  • 11. Nasha tere ishq ka - Chapter 11

    Words: 1430

    Estimated Reading Time: 9 min

    अभ्रम ने उसे कमरे में ले जाकर सीधे बिस्तर पर पटक दिया। कसक एक ही बात दोहरा रही थी, "मुझे आपके साथ आपके घर नहीं जाना है।" अभ्रम उसे चुप कराना चाहता था, पर वह बोल नहीं पा रहा था। कसक बार-बार वही बात दोहरा रही थी। इसलिए उसने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। कसक बिल्कुल चुप हो गई; उसकी आवाज़ ही नहीं निकली। लगभग दो मिनट तक किस करने के बाद अभ्रम उससे दूर हुआ और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "चलो, तुम्हें चुप कैसे करते हैं, आइडिया भी पता चल गया और यह आइडिया टेस्टी भी है।"

    इतना बोलकर वह बाथरूम की ओर चल दिया। कसक उसे जाते हुए देखकर अपने होठों पर हाथ रखते हुए मन में बोली, "इस आदमी ने मेरे होठों को समझ क्या रखा है? जब देखो तब टूट पड़ता है! जैसे मेरे होंठ नहीं, कुछ और हो गए।"

    कसक ये सब सोच ही रही थी कि अभ्रम बाथरूम से बाहर आया और अलमारी की ओर बढ़ गया। कसक ने अभी तक ध्यान नहीं दिया था कि अभ्रम बाथरूम से बाहर आ चुका है; वह अपने ख्यालों में डूबी हुई थी। अभ्रम क्लोजेट से एक काली लोअर पहनकर शर्टलेस बाहर आया। उसके सिक्स पैक, मैसी बाल, हल्की नीली आँखें; इस वक़्त कोई देख ले तो बस उसे देखा ही रह जाए, लेकिन कसक तो उसकी ओर देख भी नहीं रही थी।

    इसे देखकर अभ्रम उसके बिल्कुल करीब जाने लगा। जैसे ही अभ्रम कसक के बिल्कुल करीब आया, कसक अपने होश में आई और उसे देखते हुए अपने होठों पर हाथ रख लिया। अभ्रम यह देखकर मुस्कुराने लगा और उसके ऊपर झुकने लगा। वहीं कसक अपने होठों पर हाथ रखकर सिर को ना में हिलाते हुए पीछे की ओर हट रही थी।

    अभ्रम भी उसके ऊपर झुकता ही जा रहा था। कसक पूरी तरह से बिस्तर पर लेट चुकी थी। अब अभ्रम उसके ऊपर आ चुका था। कसक ने डर की वजह से अपनी आँखें बंद कर लीं, लेकिन तभी उसे कुछ महसूस नहीं हुआ तो उसने अपनी आँखें खोलकर देखा तो अभ्रम वहाँ नहीं था। क्योंकि अभ्रम उसे किस करने नहीं, बल्कि अपना फ़ोन लेने आया था जो कसक के बगल में था और जो काफ़ी देर से वाइब्रेट हो रहा था।

    पर कसक अपने सोच में इस तरह डूबी हुई थी कि उसे अहसास नहीं हुआ कि उसके बगल में फ़ोन वाइब्रेट हो रहा है। वहीं अभ्रम फ़ोन उठाकर बिना कुछ बोले बालकनी की ओर बढ़ गया और सामने देखते हुए बोला, "गेम को खेलने वाले को खिलाड़ी नहीं कहते, लास्ट मोमेंट में गेम जीतने वाले को खिलाड़ी बोलते हैं। खेलने दो उसे जितना गेम खेलना है, लेकिन गेम तो सिर्फ़ अभ्रम ही जीतेगा।" यह बोलकर उसने फ़ोन काट दिया।

    और अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। थोड़ी देर बाद उसने अपनी आँखें खोलीं तो उसकी आँखें बहुत ही खतरनाक दिख रही थीं; उसकी आँखों में गुस्सा साफ़ दिख रहा था।


    दूसरी तरफ़,

    शहर से दूर एक सुनसान सी जगह जहाँ पर एक बड़ा सा फार्म हाउस बना हुआ था, वहाँ पर एक आदमी हॉल में सोफ़े के बीचोबीच अपने दोनों पैर एक दूसरे के ऊपर रखकर दोनों बाहें फैलाए हुए सामने की ओर देख रहा था। सामने एक आदमी अधमरे हालत में, जिसके सर और शरीर से खून बह रहा था, वह अपने हाथ-पैर जोड़कर गिड़गिड़ा रहा था। "प्लीज़ अर्शित सर, ऐसा मत कीजिए। अगर मैंने ऐसा कुछ किया ना, अभ्रम सर मुझे जान से मार देंगे। मैं इस डील के लिए हामी नहीं भर सकता, ना ही मैं इन पेपर्स पर साइन कर सकता हूँ।"

    हाँ, यह कोई और नहीं, अर्शित था। वह अपनी गहरे नीली आँखों से गुस्से में देखते हुए बोला, "तुम्हें अभी इस वक़्त इस सिचुएशन में उस अभ्रम की परवाह है! तुझे इस बात का डर नहीं कि अगर तूने इस पेपर पर साइन नहीं किया तो मैं तेरे साथ क्या कर सकता हूँ? अगर तूने अभी इस पर साइन नहीं किया तो मैं तेरी जान ले लूँगा।"

    वह आदमी अपना सिर नीचे करके गिड़गिड़ाते हुए बोला, "सर, मरना तो दोनों ही तरफ़ से है। अगर मैं आपकी बात नहीं मानी तो आप मुझे मारेंगे, उनकी बात नहीं मानी तो वह मुझे मारेंगे।" उसकी बात सुनकर अर्शित हँसने लगा और अपनी गहरे नीली आँखों से गुस्से में घूरते हुए बोला, "बहुत समझदार है तू! चल, साइन कर दे जल्दी से। मैं तुझसे एक वादा करता हूँ, उसके हाथों से तुझे मरने नहीं दूँगा।" अर्शित की बात सुनकर फिर भी वह आदमी अपनी बातों पर अड़ा रहा और उन फाइलों पर साइन नहीं कर रहा था। अर्शित उसे देखते हुए शैतानों की तरह हँसने लगा और बोला, "रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया। खैर, छोड़, मैं नहीं बोलूँगा तुझे साइन करने के लिए। तेरी जब मर्ज़ी होगी तब कर देना, वरना मत करना।"

    इतना बोलकर वह सामने रखी वाइन की बोतल से वहाँ रखे गिलास में वाइन भरता है और अपने होठों पर लगाकर एक घूँट लिया और आँखें बंद कर लीं। फिर उसने दूसरा घूँट लेने गया, लेकिन सिप लेते हुए रुक गया और बोला, "इस तरह से पीने को मज़ा नहीं आ रहा है। पीने का मज़ा तो तब आए जब कोई पिलाने वाली आ जाए।"

    इतना बोलकर वह अपने एक आदमी की ओर इशारा करता है। वह आदमी नीचे सिर झुकाकर वहाँ से चला गया और कुछ समय बाद वह एक लड़की को घसीटते हुए अर्शित के पास ले आया। वह लड़की खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, रो रही थी। वह आदमी उसे लड़की को अर्शित के पास खड़ा कर देता है। अर्शित एक झटके में उस लड़की को पकड़ता है और अपनी गोद में बिठा लेता है। वहीं उस लड़की को देखकर वह आदमी की आँखें बड़ी हो गईं। वह अपने पैरों के बल लड़खड़ाते हुए खड़ा होकर बिल्कुल अर्शित के करीब जाकर रोने लगा और बोला, "अर्शित सर, आप जो बोलेंगे मैं वह करूँगा। आपको इस पेपर पर साइन चाहिए ना, तो मैं अभी करने को तैयार हूँ।"

    और उस फाइल को अपने पास लेता है, पर उसके पास पेन नहीं था। वहीं अर्शित उस लड़की को कसकर पकड़े हुए था। वह लड़की रो रही थी, खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, पर उसने उसके दोनों हाथों को मज़बूती से अपने एक हाथ में पकड़ लिया था।

    और उसके गर्दन पर वाइन गिरते हुए लीक करने लगा। वह लड़की रोये जा रही थी, पर अर्शित को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह आदमी रोते हुए उसकी तरफ़ हाथ जोड़कर बोला, "प्लीज़ छोड़ दीजिए मेरी बेटी को। आप जो कह रहे हैं मैं वह करने को तैयार हूँ। प्लीज़ मेरी बेटी की ज़िंदगी बर्बाद मत कीजिए। उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी।"

    अर्शित उसकी बात सुनकर उसके पेट में ज़ोर से लात मारता है। वह आदमी दो कदम पीछे चला गया और सीधे ज़मीन पर जाकर गिर गया और अपने पेट को पकड़ लिया। अर्शित उसे देखते हुए बोला, "अब मुझे इस फाइल पर साइन नहीं चाहिए। तेरी बेटी के साथ वाइन पीने का मज़ा ही कुछ और है। नशा दुगुना हो रहा है। सोचो, बिस्तर पर कितनी अच्छी होगी।"

    यह सुनते ही दोनों बाप-बेटी फूट-फूट के रोने लगे। तभी अर्शित उसे देखते हुए बोला, "मुझे बुरा लग रहा है तुझे ऐसे रोते हुए देखकर। मैं जब तक यह वाइन फ़िनिश करता हूँ तब तक तू पेन ढूँढ ले और इस फाइल पर साइन कर दे। अगर साइन हो गई तो तेरी बेटी को छोड़ दूँगा।"

    इतना बोलकर वह फिर से उसके गर्दन पर वाइन गिराता है और उसे चाटने लगा, पर चाटते हुए वह उसकी गर्दन से नीचे की ओर बढ़ने लगा, जिस वजह से वह लड़की रोने लगी, चिल्लाने लगी, "नहीं, छोड़ दो मुझे, प्लीज़ मुझे जाने दो, मत करो मेरे साथ।"

    यह देखकर उसका बाप लड़खड़ाते कदमों से इधर-उधर पेन ढूँढने लगा, पर उसे पेन नहीं मिल रहा था। इस वक़्त उसे अपने दर्द से ज़्यादा अपनी बेटी की परवाह थी। उसे पता था कि अर्शित उसकी बेटी के साथ कुछ भी कर सकता है। वह वहाँ पर खड़े सारे आदमियों के पास जाता है, पर सारे आदमी हँस रहे थे, उसे पेन नहीं दे रहे थे। वह सबके पास पेन माँगने लगा, लेकिन किसी ने उसे पेन नहीं दिया। वहीं अर्शित उस लड़की के कॉलरबोन पर अपनी जीभ से चाटने लगा। तभी उसे एक आदमी के पास पेन मिलता है।

    क्या होगा जब अभ्रम को पता चलेगा इस डील के बारे में?

  • 12. Nasha tere ishq ka - Chapter 12

    Words: 1651

    Estimated Reading Time: 10 min

    उसे पता था.।कि अर्शित उसकी बेटी के साथ कुछ भी कर सकता है,वह वहां पर खड़े सारे आदमियों के पास जाता है पर सारे आदमी हंस रहे थे, उसे पेन नहीं दे रहे थे वह सबके पास पेन मांगने लगा लेकिन किसी ने उसे पेन नहीं दिया, वही अर्शित उस लड़की के क्लिजवन पर अपनी जीभ से लिक करने लगा करने लगा,तभी उसे आदमी को एक आदमी के पास पेन मिलता है, वो आदमी पेन लेकर लड़खड़ाते हुए अधमरी हालत में फिर से अर्शित के करीब बढा और टेबल पर रखे हुए फाइल पर साइन करने लगा,कर पर वह पेन चल नहीं रही थी जिस वजह से वह पेपर साइन नहीं कर पा रहा था।वो आदमी बार-बार अपनी पेन को हिला रहा था कि वह पेन चल जाए, अर्शित उस आदमी की हालत देखकर मुस्कुराने लगा। ,और वाइन बोतल को उठाया और उसे लड़की के सिर पर नीचे गिरा देता है जिस वजह से पूरी लाइन उसके शरीर पर गिर गई थी, वहां खड़े सारे लोग उसे लड़की को बहुत ही अजीब नजरों से देख रहे थे, नहीं वह लड़की बेबबी से बस रोए जा रही थी। अर्शित उस लड़की को एक नजर देखा है फिर लड़की के होठों की तरह बढा तभी वह आदमी, पेपर साइन करके वह फाइल उसकी तरफ बढ़ा दिया और हाथ जोड़ते हुए बोला ‘यह लीजिए आपकी फाइल और मेरी बेटी को छोड़ दीजिए, मै आपके हाथ जोड़ रहा हूं मैं आपके पैर पढ़ रहा हूं, आपने जो कहा मैंने कर दिया “इतना बोलकर वो उसके पैरों पर गिर गया, अर्शित उस फाइल को लेकर मुस्कुराने लगा।  और उस आदमी की तरफ देखते हुए बोला “तुमने अपना वादा पूरा किया अब मैं अपना वादा पूरा करूंगा,मैं तुझे उस अभ्रम के हाथों नहीं करने दूंगा “ इतना बोलकर वह अपने आदमी को देखने लगा,उसका एक आदमी उसके हाथों में गन थमाता है अर्शित उसे गम को लेता है और उसे आदमी की तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर गोली उसके सिर के आर पार कर देता है। यह देखकर उसे लड़की की चीख निकल जाती है, अपने पापा के करीब गई लेकिन अर्षित ने उसके बाल पड़कर अपने करीब खींच लिया, वह अर्शित शर्ट को पकड़ लेती है और जोर-जोर से रोने लगी। अर्शित उस लड़की के बालों को सहलाते हुए बोला” तुम अपने इस मरे हुए बाप के लिए इतना क्यों रो रही हो?वैसे भी इसको डर था कि यह अभ्रम के हाथों ना मरे,तो इसीलिए इसे मैंने मार दिया,चाहे मेरे हाथों, चाहे उसके हाथों मरना तो इसे था ही , वैसे तुम रो मत बेबी तुम्हारे बाप के जाने के बाद, मैं और मेरे आदमीयों में से कोई तुम्हें अकेला महसूस होने नहीं देगा, कुछ दिन मेरे साथ इंजॉय कर लेना उसके बाद मेरे आदमी है ही तुम्हारे साथ इंजॉय करने के लिए “ यह सुनकर वहां पर खड़े, अर्शित के आदमी हंसने लगे वह लड़की अर्शित को घिन भरे निगाहो से देखने लगी, और रोने लगी, अर्शित पहले उसे फाइल को अपने हाथ में लेता है, फिर उस लड़की को अपने कंधे पर उठा लेता है, और जाने को हुआ, लेकिन तभी उसके कानों में आवाज गुजी” इतनी जल्दी मूवी खत्म हो गई,अभी तो मैंने इसकी टेलर भी नहीं देखा, जहां तुम रहो वहां हर चीज ऐसे ही जल्दी ही खत्म हो जाती है, एंटरटेनमेंट तो अब शुरू होगी, क्योंकि अब मैं जो आ गया हूं”   इस आवाज को सुनकर अर्शित गुस्से में कापने लगा क्योंकि उसे अच्छे से पता था कि यह आवाज किसी और कि नहीं अभ्रम की है, इस वक्त अभ्रम सिर्फ ब्लैक शर्ट और ब्लैक लोअर में ही था, अभ्रम को देखकर अर्शित उस लड़की को नीचे उतार दिया और अपने हाथ में दिए हुए फाइल को एक नजर देखते हुए “बोला इस बार तू पीछे रह गया,अभ्रम यह डील मेरी हो गई और उसे आदमी को मैंने ही मार दिया, तुम्हारे हाथ कुछ भी नहीं आया, वैसे अपनी जीत की खुशी में! मैं इस लड़की को तुम्हें दे सकता हूं “ अभ्रम उसकी बात सुनकर एटीट्यूड में चलते हुए अंदर आया और सोफे पर बैठकर बोला “मै ऐसे सस्ते शौक नहीं पलता ऐसे शौक तो सिर्फ गीदड पालते हैं, और मैं तो इस साम्राज्य का किंग हूं, और राजा हर किसी पर नहीं सिर्फ अपनी रानी पर मरता है “और एटीट्यूड में अर्शित को देखने लगा, अर्शित उसे इस तरह से देखते हुए तिरछा मुस्कुरा कर बोला “बहुत जल्द मैं तेरे राज्य को भी खत्म कर दूंगा, फिलहाल तो तेरे लिए एक गुड न्यूज़ है! सॉरी बैड न्यूज़, जिस डील के लिए तू इतनी दिनों से तैयारी कर रहा था, वो डील अब मेरी हुई, “  फिर अर्शीत उसे फाइल दिखाते हुए बोला” बैड लक अब ये डील भी कैंसिल नहीं हो सकती, क्योंकि जो यह डील दोबारा कैंसिल कर सकता था,वह तो गया ऊपर, अभ्रम जब उसकी बात सुनता है तो जोर-जोर से हंसने लगा और हंसते हुए उसे देख रहा था,अर्शित उसको इस तरह से हंसते हुए देखकर कुछ समझ नहीं पाया वह उसको देखने लगा तभी हंसते हुए अभ्रम बिल्कुल चुप होकर सर्द निगाह से उसको देखते हुए बोला “ गुड न्यूज़ भी है, बैड न्यूज़ भी है बट गुड न्यूज़ मेरे लिए है, और बैड न्यूज़ तेरे लिए है, “ फिर खड़ा होकर उसके करीब आते हुए बोला “ज्यादा दिमाग मत चला मैं ही बता देता हूं, यह जो तेरे हाथ में फाइल है,इसमें जीस पेपर्स पे साइन हुई है, उन पेपर्स पर मेरे नाम है! तेरे नाम की जगह मेरा नाम मेंशन किया हुआ है”  अर्शित उसकी बात सुनकर अपनी आंखें बड़ा कर लिया और उसकी तरफ देखते हुए दांत पीसकर बोला “यह क्या बकवास है?यह पेपर्स मैंने खुद तैयार करवाई है, और उस पर तेरा नाम कैसे हो सकता है “ अर्शित की बात सुनकर अभ्रम उसकी तरफ देखकर बोला “ हां यह पेपर्स तूने तैयार करवाई है पर इस पर नाम तो मेरा ही है,वह क्या है ना जो चीज मेरा होता है?उसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता और तू तू तो कभी नहीं “ अर्शित उसकी बात सुनकर उस फाइल को खोल कर देखता है तो उसमें सच में अभ्रम का नाम लिखा हुआ था,जिसे देखकर उसे विश्वास ही नहीं हुआ वह हैरान होते हुए यह सब पढ़ रहा था,और गुस्से में कांपने लगा और कांपते हुए उस फाइल को अपने दोनों हाथ में पकड़ कर बोला “अगर यह डील मेरी नहीं तो तेरी भी नहीं, मैं तुझे कभी जीतने नहीं दूंगा” इतना बोलकर वह फाइल को फाड़ने लगा,  लेकिन तभी अभ्रम अपने कमर मे से गन निकाली और अर्शित के हाथों पर सूट कर दिया,वह गोली अर्शित के हाथ को छूकर निकल गई जिस वजह से वह फाइल सीधी जमीन पर गिरी, इससे पहले वह जमीन पर गिरती,अभ्रम ने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया,अर्शित के आदमी अभ्रम के ऊपर गन पॉइंट करके देखने लगे, अर्शित दर्द से जमीन पर बैठ गया, दर्द और गुस्से में कराहने लगा,तभी अभ्रम अर्शित के सिर के ऊपर गन पॉइंट करते हुए बोला” अपने गन नीचे फेंक दो सारे वरना इसे उड़ाने में मुझे एक सेकंड नहीं लगेगा “  उसकी बात सुनकर अर्शित के आदमी अपने गन फेंक देते हैं, अभ्रम उस लड़की को देखते हुए बोला सारे गन उठाओ और बाहर जाओ वह लड़की घबराते हुए अभ्रम को देखने लगी,तभी अभ्रम फिर से सर्द आवाज में बोला” जो बोला है वह करो “ वह लड़की डर की वजह से सारे गन उठाती हो और बाहर की तरफ निकल गई, वहीं अभ्रम अब अर्शित को देखकर मुस्कुरा रहा था और मुस्कुराते हुए बोला” चच च बुरा लग रहा है, मुझे भी तुझे ऐसे देखकर बहुत बुरा लग रहा है, वह क्या है ना मैं तुझे मारना नहीं चाहता क्यों की मै मुझे तो मैं पल-पल मरते हुए देखना चाहता हूं,तूझे कभी नहीं मारूंगा तुझे हर वक्त मौत का एहसास दिलाऊंगा,लेकिन मौत तुझे कभी नहीं दूंगा “ वो यह सब बोल रहा था। तभी अर्शित उसे गुस्से में घूर रहा था और घूरते हुए बोला “ और मैं तुझे ऐसी मार दूंगा की मौत की भी रूह कॉप जाएगी” तभी अर्शित का फोन रिंग होने लगा जिसे देखकर अभ्रम के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, और वह अर्शित के फोन तो छीन लेता है और फोन को उठाकर स्पीकर पर डाल देता है, जैसे उसने फोन को स्पीकर पर डाला आवाज आई “हेलो माय सन आई नो कि तुम यह डील कर चुके हो”  तभी अभ्रम उसकी बात सुनकर कड़वी और सर्दवास में बोला “ तुम्हारे और तुम्हारे बेटे में इतनी औकात नहीं है कि अभ्रम के रहते कोई डील कर सके “ अभ्रम की बात सुनकर मिस्टर मल्होत्रा अपनी आंखें बड़ी करते हुए बोले” तुम तुम वहां भी!” अभ्रम मुस्कुराते हुए बोला “मैं तो हर जगह रहूंगा मैं नहीं रहूंगा तो तुम दोनों को एहसास कौन दिलाएगा, बाय मुझे मुझे तुमसे बात करने में कोई इंटरेस्ट नहीं है डील हो गई है पर वह भी मेरी हुयी “इतना बोल के वो हंसने लगा,।  मिस्टर मल्होत्रा अभ्रम की बात सुनकर बोले “ मेरा बेटा अर्शित कहा है, तुम्हारे पास उसका फोन कैसे आया”  अभ्रम जब मिस्टर मल्होत्रा की बात सुनता है तो हंसते हुए बोला “ कितनी बेचैनी अपने बेटे के लिए रुको तुम्हें आवाज सुनता हूं, “इतना बोलकर वह नीचे घुटनों के बाल बैठता है और उसके बाजू पर अपने हाथों को कर देता है जहां पर उसे गोली लगी थी, ऐसा होते ही अर्शीत की चीख निकल गई,  तभी मिस्टर मल्होत्रा गुस्से में बौखलाते हुए फोन के दूसरे तरफ से बोले “ यह तुम सही नहीं कर रहे हो अभ्रम , बहुत बड़ी गलती कर दी है तुमने”  अभ्रम मिस्टर मल्होत्रा की बात सुनकर बोला “ मिस्टर मल्होत्रा गलतियां करने की आदत तुम्हारी होगी, मेरी नहीं, वादे में तेरे बेटे को जान से नहीं मारा है मैं बस गोलू उसके हाथ में छूकर निकली है “फिर अर्शित की तरफ देखते हुए बोला” जा तेरा बाप तेरा वेट कर रहा है “  इतना बोलकर वह कहां से उठता है और जाने लगा अर्शित के आदमी उसके पीछे जाने लगे, अभ्रम बीना उनके तरफ देखते हुए गन सॉर्ट करता है उसके आदमी वही ढेर हो गए।

  • 13. Nasha tere ishq ka - Chapter 13

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    मिस्टर मल्होत्रा गुस्से में बौखलाते हुए फोन के दूसरी तरफ से बोले, "यह तुम सही नहीं कर रहे हो अब्राहम, बहुत बड़ी गलती कर दी है तुमने।"

    अभ्रम मिस्टर मल्होत्रा की बात सुनकर बोला, "मिस्टर मल्होत्रा, गलतियाँ करने की आदत तुम्हारी होगी, मेरी नहीं। वादे के मुताबिक तेरे बेटे को जान से नहीं मारा है मैंने, बस गोली उसके हाथ को छूकर निकली है।"

    फिर अर्शित की तरफ देखते हुए बोला, "जा, तेरा बाप तेरा इंतज़ार कर रहा है।"

    इतना बोलकर वह वहाँ से उठा और जाने लगा। अर्शित के आदमी उसके पीछे जाने लगे, लेकिन अभ्रम बिना उनकी तरफ देखे ही अपनी गन निकाली और फायर किया। उसके आदमी वहीं ढेर हो गए।

    अभ्रम बाहर गया, तो वह लड़की बाहर डरी-सहमी खड़ी थी। अभ्रम ने उस लड़की को एक नज़र देखा, फिर कहा, "डरने की ज़रूरत नहीं है, वह तुम्हारे साथ कुछ नहीं करेगा।"

    वहाँ पर अभ्रम के कुछ बॉडीगार्ड्स भी खड़े थे। उनमें से एक बॉडीगार्ड को अभ्रम ने देखते हुए बोला, "इसे सिर्फ़ इसके घर छोड़ दो।"

    इतना बोलकर वह अपनी कार में बैठा और वहाँ से निकल गया।

    दूसरी तरफ, कसक इधर-उधर कमरे में घूम रही थी, पर उसका मन नहीं लग रहा था क्योंकि अभ्रम उसे बिना बताए कहीं चला गया था और उसे कमरे में बंद करके भी।

    कसक चिड़ते हुए बेड पर बैठकर बोली, "न जाने किस इंसान से पाला पड़ गया मेरा तो! पता नहीं कहाँ गए, मुझे यहाँ पर बंद कर दिया। अगर वह नहीं आए तो मैं क्या करूँगी? क्या मैं पूरे समय ऐसे ही बंद रहूँगी?"

    यह सब सोचते हुए वह अपने नाखून चबा रही थी।

    तभी उसकी नज़र बालकनी की तरफ़ जाते हुए स्लाइड डोर पर पड़ी। उसने स्लाइड डोर को स्लाइड किया और बालकनी की तरफ़ बढ़ गई।

    बालकनी का नज़ारा देखकर कसक के चेहरे पर मुस्कान आ गई। बालकनी के बीचो-बीच एक स्विमिंग पूल था और वहाँ पर बड़े-बड़े गमले और फूल लगे हुए थे, जो कि बहुत खूबसूरत गार्डन जैसा लुक दे रहे थे।

    लाइट जल रही थी, जिस वजह से वह लाइट पानी को काफी आकर्षक बना रही थी। यह देखते हुए कसक खुश होकर बोली, "अरे यार, कितना खूबसूरत है! मैंने आज तक इतना खूबसूरत नज़ारा लाइफ में कभी नहीं देखा।"

    फिर स्विमिंग पूल के बिल्कुल करीब चली गई और उसे पानी को टच करते हुए उछालने लगी और उछलते हुए बोली, "इसमें कितना अच्छा है, मन तो कर रहा है यहीं पर रह जाऊँ। लेकिन कैसे? उस ठरकी के रहते हुए तो मेरा जीना हराम हो जाएगा।"

    यह सब देखकर तो उसका कहीं जाने का मन भी नहीं कर रहा था। फिर अपने मन में बोली, "उस ठरकी को क्या ज़रूरत थी बालकनी को इतने अच्छे से सजाने की?"

    यह सब बोलते हुए वह बड़े ध्यान से चारों तरफ़ देख रही थी। तभी उसका पैर फिसला और वह स्विमिंग पूल में छपाक से गिर गई।

    गिरते ही उसने अपने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए क्योंकि उसे स्विमिंग नहीं आती थी। लेकिन स्विमिंग पूल इतना गहरा नहीं था कि वह डूब जाए।

    थोड़ी देर बाद जब वह रिलैक्स हुई तो उसे समझ में आया कि स्विमिंग पूल ज़्यादा गहरा नहीं है।

    जिस वजह से वह स्विमिंग पूल से बाहर आई और स्विमिंग पूल की तरफ़ देखते हुए बोली, "बच गई, मैं नहीं तो आज तो लगा था मर ही जाऊँगी।"

    फिर अपना मुँह बड़ा करते हुए बोली, "बच तो गई पर पहनूँगी क्या? मेरे पास तो कपड़े भी नहीं हैं।"

    यह सोचते हुए उसके चेहरे पर परेशानी की लकीर साफ़ दिख रही थी।

    वह परेशान होते हुए रूम के अंदर गई और इधर-उधर देखने लगी। वह अलमारी की तरफ़ बढ़ी और अलमारी में जाकर दरवाज़ा खोला। वहाँ पर अभ्रम के कपड़े थे।

    वह कपड़ों को देखते हुए सोचने लगी, "क्या करूँ? इसके कपड़े कैसे पहनूँ? ऊपर से मुझे होंगे भी नहीं। वो 6 फुट का और मैं 5 फुट की। ऊपर से उनकी बॉडी इतनी स्ट्राँग और मैं नाज़ुक सी। पर क्या करूँ? इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है मेरे पास।"

    यह सब सोचते हुए उसने एक सफ़ेद रंग का शर्ट निकाला और उसे पहन लिया। वह शर्ट कसक के जाँघ तक आ रही थी और इसमें वह काफी आकर्षक लग रही थी।

    वह शर्ट पहनकर रूम के अंदर आई और जल्दी से लेटकर सो गई। सोते हुए मन में भगवान को हाथ जोड़कर बोली, "हे भगवान, उसे अभी इस वक़्त यहाँ मत भेजना, सुबह भेज देना चलेगा, लेकिन रात में नहीं। वैसे ही इतनी रात को गए कहाँ हैं? इतना महत्वपूर्ण किसका फ़ोन था कि इतनी रात को गए? कहीं उनकी गर्लफ्रेंड का तो फ़ोन नहीं था? अगर उनकी गर्लफ्रेंड है तो वह मुझे बार-बार क्यों किस करते हैं? अपनी गर्लफ्रेंड को ही करें।"

    यह सब सोचते हुए वह परेशान होने लगी। तभी खुद के सिर पर मारते हुए बोली, "मैं उसकी गर्लफ्रेंड को सोचकर क्यों परेशान हो रही हूँ? मुझे क्या लेना-देना? जितनी मर्ज़ी उतनी गर्लफ्रेंड बनाएँ।"

    फिर आँखें बंद करके सोने की कोशिश की, लेकिन फिर अचानक आँखें खोलकर बोली, "क्या पता? उनका कोई काम होगा? उनकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी तो? मैं भी ना, कुछ भी सोचती रहती हूँ। वैसे भी उस खड़ूस इंसान की कोई गर्लफ्रेंड हो ही नहीं सकती।"

    यह सब सोचते हुए न जाने वह कब सो गई। रात के 1:00 बजे कसक गहरी नींद में सो रही थी। तभी उसके रूम में अभ्रम आया।

    अभ्रम जब अंदर आया तो उसकी नज़र बेड पर सो रही कसक पर पड़ी और वहीं पर रुक गई। कसक सिर्फ़ अभ्रम की शर्ट पहने थी, जिससे उसका गोरा बदन साफ़ दिख रहा था। यह देखकर अभ्रम के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    वह अंदर आते हुए अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और उसे नीचे जमीन पर फेंक दिया।

    फिर उसके बिल्कुल करीब जाकर उसके पैरों को हल्के से अपने होंठों से छूकर उसके को महसूस करने लगा। कसक नींद में अपने पैर हटा लेती है।

    यह देखकर अभ्रम हँसते हुए बोला, "ड्रीम गर्ल, तुम तो नींद में भी मुझसे दूर भागती हो, पर यह अभ्रम तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं जाने देगा।"

    फिर बेड के दूसरी साइड आकर कसक को देखते हुए बोला, "एक तो तुमने बिना परमिशन मेरी शर्ट पहनी, ऊपर से मुझे नींद में सेड्यूस कर रही हो। इसकी सज़ा तो मैं तुम्हें कल सुबह दूँगा, ड्रीम गर्ल।"

    इतना बोलकर वह कसक को अपनी बाहों में भरकर सो गया।

  • 14. Nasha tere ishq ka - Chapter 14

    Words: 1464

    Estimated Reading Time: 9 min

    फिर वह उसके बिल्कुल करीब गया और उसके पैरों को हल्के से अपने होठों से छूकर उसे महसूस करने लगा। कसक नींद में अपने पैर हटा ली। यह देखकर अभ्रम हँसते हुए बोला, "ड्रीम गर्ल, तुम तो नींद में भी मुझसे दूर भागती हो, पर यह अभ्रम तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं जाने देगा।" फिर वह बेड के दूसरी तरफ़ आकर कसक को देखते हुए बोला, "एक तो तुमने बिना परमिशन मेरी शर्ट पहनी, ऊपर से मुझे नींद में सेड्यूस कर रही हो। इसकी सजा तो मैं तुम्हें कल सुबह दूँगा, ड्रीम गर्ल।" इतना बोलकर वह कसक को अपनी बाहों में भरकर सो गया।


    अर्नव अनिका को अपने घर ले आया और उसे गेस्ट रूम की तरफ़ ले गया। विकास के पीछे-पीछे चलते हुए, अभ्रम ने कहा, "यह रहा तुम्हारा कमरा। अब मेरा पीछा छोड़ दो।"


    इतना कहकर वह जाने लगा, लेकिन अनिका ने फिर से उसकी कॉलर पकड़कर अपनी तरफ़ खींचा और बोली, "ऐसे कैसे पीछा छोड़ दूँ? मेरे कपड़े कहाँ हैं और बाकी का सामान जो हमें लड़कियों को चाहिए होता है?"


    अर्नव अपनी आँखें बड़ी करते हुए बोला, "पहली बात तो बार-बार मेरा कॉलर पकड़ना बंद करो और दूसरी बात, मैं इस वक़्त तुम्हारे लिए कपड़े और तुम्हारी ज़रूरत का सामान कहाँ से लाऊँगा?"


    अनिका बेपरवाही से बोली, "जहाँ मर्ज़ी वहाँ से लाओ। मुझे क्या पता!"


    अर्नव उसकी बात सुनकर गुस्से में देखते हुए बोला, "तुम अपने आप को समझती क्या हो? जब देखो मुझे ऑर्डर दिए जा रही हो और मुझसे बदतमीज़ी से बात कर रही हो। रहना है तो रहो, नहीं रहना है तो निकल जाओ। अब मैं तुम्हारी एक भी बदतमीज़ी और ऑर्डर नहीं मानने वाला। फ़िलहाल तुम इसी में एडजस्ट करो। अब मैं जा रहा हूँ और मुझे रोकने की कोशिश मत करना।"


    अर्नव ने यह सब गुस्से में कहा कि अनिका भी एक पल के लिए चुप हो गई। अभ्रम वहाँ से निकल गया। अनिका उसे जाते हुए गुस्से में अपने पैर पटक कर बोली, "तुम्हारा और तुम्हारे दोस्त का तो मैं ऐसा हल करूँगी कि तुम सोच भी नहीं सकते। तुम दोनों ने मेरा घर तुड़वा दिया ना और मेरी कसक ना जाने किस हाल में होगी।"


    यह सब सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए।


    सुबह 8:00 बजे अभ्रम और कसक एक-दूसरे की बाहों में सो रहे थे। दोनों ही एक-दूसरे को कसकर पकड़े हुए थे। कसक की नींद नहीं खुल रही थी, तभी उसने अपने ऊपर कुछ भारी महसूस किया। बिना आँखें खोले ही उसने अभ्रम के हाथों को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की, पर अभ्रम ने उसे कसकर जकड़ रखा था। कसक नींद में बड़बड़ाते हुए बोली, "अनिका, हट मेरे ऊपर से। तू कितनी भारी हो गई है, पहले तो नहीं थी।"


    उसकी बड़बड़ाहट सुनकर अभ्रम की नींद खुल गई। उसने सुन लिया कि कसक नींद में भी अनिका के बारे में सोच रही है। यह सुनकर अभ्रम के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए और वह उसे गुस्से में घूरने लगा। कसक अभी भी बड़बड़ा रही थी, "अनिका, हट ना मेरे ऊपर से। मुझे अभी भी बहुत नींद आ रही है।"


    अभ्रम की नज़र उसके होठों पर टिक गई और न जाने क्या सोचते हुए वह मुस्कुराने लगा। फिर वह धीरे-धीरे उसके होठों की तरफ़ बढ़ा और सॉफ्टली उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसके होठों को अपने होंठों में भरकर उसने धीरे-धीरे किस करना शुरू कर दिया।


    ऐसा होते ही कसक की नींद खुल गई और उसने अपनी आँखें खोलकर देखा कि अभ्रम उसे किस कर रहा था। उसने अभ्रम को दूर हटाने के लिए उसके हाथों को पकड़ लिया, पर अभ्रम ने उसे और गहराई से किस करना शुरू कर दिया, जैसे न जाने कितने दिनों बाद वह उसके होठों को महसूस कर रहा हो। कसक उसे हिला भी नहीं पा रही थी।


    अभ्रम लगातार उसे किस कर रहा था और कसक बार-बार उसे खुद से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। अपने चेहरे को हिला रही थी, तभी अभ्रम उसे अपनी लाइट ब्लू आँखों से घूरते हुए देखने लगा और थोड़ा सा उससे अलग होकर बोला, "तुम क्या सही से रह नहीं सकती? हर बार मुझे डिस्टर्ब करना ज़रूरी है क्या?"


    कसक उसकी बात सुनकर बोली, "आपको हर बार मेरे होठों को चबाना ज़रूरी है क्या?"


    उसकी बात सुनकर अभ्रम उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "तुम्हारे होठ मेरे होते हैं और मैं उनके साथ कुछ भी कर सकता हूँ।"


    कसक उसकी बात सुनकर नाक से फुँकारते हुए बोली, "अरे, मेरे होठ आपके कैसे हो गए? आपके होठ तो आपके पास हैं।"


    अभ्रम उसकी बात सुनकर उसकी गर्दन पर अपनी गरम साँस छोड़ते हुए सेडक्टिव वॉइस में बोला, "तुम्हारे होठ तो क्या, तुम्हारी बॉडी का हर एक इंच मेरा है। जब चाहूँ तब उसके साथ कुछ भी कर सकता हूँ और तुम मुझे नहीं रोक सकती।"


    उसकी इन बातों और हरकतों से कसक सहम रही थी, बल्कि यह कहना सही होगा कि वह सेड्यूस हो रही थी। उसकी बॉडी रिएक्ट कर रही थी। इसे महसूस करके कसक अपनी आँखें बंद कर ली और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी। अभ्रम उसके गर्दन पर बड़े ही सेडक्टिव तरीके से अपने होठ चला रहा था। जितना अभ्रम अपने होठों को उसकी गर्दन पर चलाता, उतना ही कसक अपनी साँसों को और तेज कर देती। वह चाहकर भी अपने आप को काबू नहीं कर पा रही थी।


    लेकिन फिर, खुद को कंट्रोल करते हुए, आँखें बंद किए हुए ही कसक बोली, "मुझे शावर लेना है।"


    अभ्रम उसकी गर्दन से दूर होते हुए उसके चेहरे को देखते हुए बोला, "मुझे भी लेना है। चलो, साथ लेते हैं।"


    **कसक और अभ्रम**


    अभ्रम की बातें सुनकर कसक की आँखें बड़ी हो गईं और वह घबराते हुए बोली, "मैं और आप एक साथ शावर कैसे ले सकते हैं?"


    अभ्रम कसक की बात सुनकर उसके होठों के बिल्कुल करीब जाते हुए बोला, "इतना भी नहीं पता, ड्रीम गर्ल? एक साथ शावर कैसे लेते हैं, कोई बात नहीं। आज मैं तुम्हें अच्छे से बताऊँगा कि एक साथ शावर लिया कैसे जाता है।"


    कसक उसकी बात सुनकर बोली, "नहीं, मुझे नहीं जानना है। मैं अकेले ही शावर ले सकती हूँ।"


    अभ्रम कसक की बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "हाँ, लेकिन अगर साथ में लेंगे तो पानी भी बचेगा और एनर्जी भी मिलेगी।"


    कसक उसकी बात सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए बोली, "शावर लेने से कौन सी एनर्जी मिलती है?"


    अभ्रम उसको देखते हुए मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए बड़े ही प्यार से उसके कानों के पास जाकर बोला, "वह तो मुझे मिलेगी तुमसे।"


    इससे पहले कि कसक कुछ रिएक्ट करती, अभ्रम ने उसके होठों पर अपने होठ रखकर उसे गोद में उठा लिया और उसे किस करना शुरू कर दिया। किस करते हुए ही उसे बाथरूम की तरफ़ ले गया। कसक ने इस वक़्त सिर्फ़ अभ्रम की एक शर्ट पहन रखी थी, जिसे महसूस करके अभ्रम पूरी तरह से हार्ड हो रहा था। वह बहुत ही अच्छे से कसक को महसूस कर पा रहा था। उसने कसक की बॉडी को अपनी बॉडी से अच्छे से चिपका लिया था। अभ्रम ने उसकी बॉडी को पूरी तरह से अपने आप में महसूस कर लिया था और हार्ड होता जा रहा था।


    कसक के लिए खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। वह अब उससे दूर नहीं हो पा रही थी क्योंकि उसे पता था कि अभ्रम मुझसे दूर होने वाला नहीं है। अब वह तो वही करेगा जो उसका मन करेगा और न जाने क्यों कसक भी उसकी इन अहसासों में खोती जा रही थी। अब कसक को कौन समझाए कि अगर कंट्रोल नहीं किया तो गई आज।


    अभ्रम उसके होठों को अपने होठों में भरकर चूमने लगा और उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ डालकर एक्सप्लोर कर रहा था। उसकी जीभ के साथ खेल रहा था।


    **अर्शित और मिस्टर मल्होत्रा**


    वहीं दूसरी तरफ़, अर्शित हॉस्पिटल के बेड पर लेटा हुआ था। तभी उसके डैड, मिस्टर मल्होत्रा, उसके बिल्कुल करीब आए और उसके सिर पर हाथ रखते हुए बोले, "तुम ठीक तो हो, माय सन? तुम्हें ज़्यादा लगी तो नहीं है? मैं बहुत घबरा गया था। आपने जो हरकत की है, इसके लिए मैं उसे कभी माफ़ नहीं करूँगा।"


    अर्शित, अपने डैड के हाथों को दूसरी तरफ़ झटकते हुए बोला, "आप क्या, मैं उसे कभी नहीं छोड़ने वाला। वह बार-बार मुझसे आगे निकल जाता है। यह सब आपकी वजह से है, डैड। आपकी एक गलती की वजह से आज तक हम उसे भोग रहे हैं।"


    मिस्टर मल्होत्रा उसकी बात सुनकर बोले, "हाँ, लेकिन बहुत जल्द मैं उस गलती को हमेशा के लिए ख़त्म कर दूँगा। फिर रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।"


    जब अर्शित अपने डैड की बात सुनता है, तो वह गुस्से में तमतमाते हुए बेड पर बैठ गया और अपने ड्रिप्स को हाथों से नोचकर फेंक दिया। वह उठते हुए बोला, "सोचना भी मत, डैड। आप ऐसा करने के लिए उसे... मैं मरूँगा। ऐसी मौत दूँगा कि उसकी रूह तक काँपेगी। आप हम दोनों के बीच कभी नहीं आएँगे। आपकी उस गलती को मैं सुधारूँगा, डैड।"

  • 15. Nasha tere ishq ka - Chapter 15

    Words: 1132

    Estimated Reading Time: 7 min

    मिस्टर मल्होत्रा ने उसकी बात सुनकर कहा, "हाँ, लेकिन बहुत जल्द मैं उस गलती को हमेशा के लिए खत्म कर दूँगा। फिर रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी।"


    अर्शित ने अपने पिता की बात सुनकर गुस्से से तमतमाते हुए बिस्तर पर बैठ गया और अपने ड्रिप्स को हाथों से नोचकर फेंक दिया। वह उठते हुए बोला, "सोचना भी मत, डैड। आप ऐसा करने के लिए उसे... मैं मरूँगा। ऐसी मौत दूँगा कि उसकी रूह तक काँपेगी। आप हम दोनों के बीच कभी नहीं आएँगे। आपकी उस गलती को मैं सुधारूँगा, डैड।"


    दूसरी तरफ, अभ्रम कसक को गोद में लिए हुए बाथरूम में पहुँचा और उसे किस करते हुए शावर चालू कर दिया। शावर चालू होते ही कसक थोड़ी असहज हुई और उसे कसकर गले लगा लिया, उसकी पीठ पर अपने हाथ कस लिए। यह महसूस होते ही अभ्रम का किस और अधिक उग्र होने लगा; वह उसे और तेज़ी से चूमने लगा।


    वह उसकी जीभ को और अधिक चूस रहा था। ऊपर से शावर की बूँदें उन दोनों के बदन को भिगो रही थीं। लगभग बीस मिनट तक इसी तरह चुम्बन करने के बाद अभ्रम कसक को नीचे उतारा और उसे छोड़ा। जैसे ही कसक अभ्रम के होठों से मुक्त हुई, वैसे ही उसने लंबी-लंबी साँसें लेना शुरू कर दिया। उसकी साँसें ऊपर-नीचे हो रही थीं। उसने सफ़ेद रंग की कमीज़ पहन रखी थी जो पानी में भीगने की वजह से उसके बदन से चिपक गई थी और उसका पूरा बदन साफ़ दिखाई दे रहा था।


    लंबी-लंबी साँसें लेने की वजह से उसका सीना ऊपर-नीचे हो रहा था, जिसे अभ्रम बहुत ही गहन नज़रों से देख रहा था। वह कसक के सीने को इस तरह देखकर बेकाबू हो रहा था।


    उसकी भी साँसें लंबी-लंबी चल रही थीं। अभ्रम कसक के पूरे शरीर को ऊपर से नीचे तक देखने लगा। जब उससे रहा नहीं गया तो उसने उसके गले में फिर से हाथ रखकर उसे चूमना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ को उसके शरीर पर सहलाना शुरू कर दिया।


    उसके स्पर्श से कसक पूरी तरह पिघल रही थी और वह सिसकियाँ लेने लगी, पर उसकी सिसकियाँ उसके मुँह में ही दबकर रह जा रही थीं। लगभग पाँच मिनट तक इसी तरह चुम्बन करने के बाद अभ्रम ने उसकी कमीज़ पकड़कर धीरे-धीरे उसके बटन खोलना शुरू कर दिए और उसके गले पर झुक गया, उसके गले पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा।


    वहीं कसक सब कुछ भूल चुकी थी। वह अभ्रम के आगोश में इस कदर खो चुकी थी कि उसे एहसास ही नहीं था कि अभ्रम उसके साथ क्या कर रहा है। वह भी लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। अभ्रम उसके गले से होते हुए उसके स्तनों तक पहुँच गया और धीरे-धीरे उसके स्तनों को चाटने लगा। यह सब करते हुए, उसने कब कसक के कपड़े उसके बदन से अलग कर दिए, कसक को पता भी नहीं चला। उसने अपने हाथ कसक के पूरे शरीर पर सहलाते हुए कमर से ऊपर की ओर बढ़ाए और उसके सीने पर रखकर दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। ऐसा होते ही कसक पूरी तरह बेचैन होने लगी। वहीं अभ्रम उसे इस तरह बेचैन देखकर मुस्कुरा रहा था; उसे अच्छा लग रहा था।


    कसक का शरीर उसके लिए प्रतिक्रिया दे रहा था। उसने उसके सीने पर अपने हाथों का दबाव और तेज कर दिया जिससे कसक की आह निकल रही थी, पर अभ्रम को अच्छा लग रहा था। वह अब कसक की आह सुनकर और उत्तेजित होने लगा। उसने उसे पलट दिया और उसकी पीठ पर लव बाइट देना शुरू कर दिया। कुछ देर उसकी पीठ पर लव बाइट देने के बाद वह फिर से उसे पलटा और उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "तुमने मुझे सच में पागल कर दिया है, ड्रीम गर्ल। तुम्हारे इतने करीब आने के बाद मुझे और करीब आने का मन कर रहा है, तुम्हारे एहसासों में खोने का मन कर रहा है।"


    इतना बोलकर, बिना कसक की बात सुने, उसने उसके सीने पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा। दूसरे हाथ से उसके सीने पर दबाव बढ़ाता रहा। वहीं कसक के हाथ अपने आप अभ्रम के बालों में चलने लगे।


    अभ्रम उसके सीने को जोर से चूस रहा था और दूसरे हाथ से भी दबाव बहुत तेज़ी से बनाए हुए था जिस वजह से पूरे बाथरूम में कसक की सिसकियाँ गूंज रही थीं। फिर अभ्रम ने अपने हाथ उसके सीने से हटाकर पेट से होते हुए कमर के नीचे ले जाने लगा। यह महसूस करके कसक के पैर काँपने लगे।


    अभ्रम ने अपने हाथ उसके पैरों के बीच में रख दिए। यह महसूस करके कसक ने अपने हाथों से उसके हाथ पकड़ लिए और काँपते हुए होठों से बोली, "नहीं, प्लीज़, यह नहीं। मुझे नहीं पता कि क्यों मैं आपके स्पर्श से इस कदर बहक गई, लेकिन मैं यह नहीं करना चाहती। कहीं बाद में आपको यह न लगे कि आपने गलती कर दी मेरे करीब आकर। हम दोनों एक-दूसरे से अलग हैं।" यह सब बोलते हुए कसक के होंठ काँप रहे थे।


    अभ्रम उसके होठों को देखते हुए बोला, "तुम्हारे ये होंठ मुझे बहकने पर मजबूर कर रहे हैं, लेकिन जब तक तुम नहीं कहोगी तब तक मैं तुम्हारे इतने करीब नहीं आऊँगा और तुम मेरे लिए कभी गलती नहीं हो सकती! तुम्हारे अंदर जो यह डर है ना, उसे मैं बहुत जल्दी खत्म कर दूँगा और फिर हम दोनों एक-दूसरे से इतने करीब आएँगे कि कोई हम दोनों को अलग नहीं कर सकेगा।" इतना बोलकर वह फिर से उसके होठों पर हाथ रखकर पाँच मिनट तक चुम्बन करता रहा, फिर शावर बंद करके उसे अपनी गोद में उठाकर बाहर निकल गया।


    और सीधे उसे अलमारी की तरफ ले गया। वहाँ जाकर उसने उसे गोद से नीचे उतारा और अलमारी खोली तो सामने ढेर सारे कपड़े कसक के नाप के थे। कसक ने यह देखकर अपनी आँखें हैरानी से बड़ी कर लीं क्योंकि कल रात तक तो ये नहीं थे। वह हैरानी से देखते हुए बोली, "ये कपड़े कब आ गए? रात में तो यहाँ नहीं थे।"


    अभ्रम ने उसकी बात सुनकर कहा, "ये तो पहले से ही यहीं पर हैं।"


    कसक ने उसकी बात सुनकर आँखें बड़ी करके कहा, "जी नहीं, ये नहीं थे। कल रात में स्विमिंग पूल में गिरकर भीगी थी तो मैं आई थी कपड़े लेने, लेकिन नहीं थे। तब मजबूरी में मुझे आपके कपड़े पहनने पड़े।"


    अभ्रम ने कसक की बात सुनकर उसकी तरफ देखा, उसके ऊपर झुकते हुए बोला, "तुम्हें दिख नहीं रहे थे, जानबूझकर तुमने नहीं देखा या तुम्हें मेरी इतनी याद आ रही थी कि तुमने सोचा कि मुझे तो उसे वक़्त फील कर नहीं सकती तो मेरे शर्ट को पहन के ही मुझे फील कर लो।"

  • 16. Nasha tere ishq ka - Chapter 16

    Words: 1193

    Estimated Reading Time: 8 min

    अभ्रम ने उसकी बात सुनकर कहा, “यह तो पहले से ही यहीं पर है।”


    कसक ने उसकी बात सुनकर आँखें बड़ी कर यह कहा, “जी नहीं, यह नहीं था। कल रात मुझे स्विमिंग पूल में गिरने के बाद, जब मैं कपड़े लेने आई थी, तो ये नहीं थे। मजबूरी में मुझे आपके कपड़े पहनने पड़े।”


    अभ्रम ने कसक की बात सुनकर उसकी ओर देखा, उसके ऊपर झुकते हुए कहा, “तुम्हें दिख नहीं रहा था? जानबूझकर तुमने नहीं देखा या तुम्हें मेरी इतनी याद आ रही थी कि तुमने सोचा कि मुझे तो इस वक़्त फील नहीं कर सकती, तो मेरे शर्ट को पहनकर मुझे फील कर लो?”


    “पर ड्रीम गर्ल, तुम्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं थी। अगर तुम्हें मुझे फील करना था, तो एक बार कह देतीं, मैं तुम्हें अच्छे से फील करवा देता।” अभ्रम की बात सुनकर कसक ने अपनी आँखें बड़ी कर लीं और उसकी ओर देखते हुए कहा, “जी नहीं, आपकी गलतफ़हमी है। ऐसा कुछ नहीं है, और वैसे भी, आप यहां से जाइए। मुझे कपड़े चेंज करने हैं।” कसक की बात सुनकर अभ्रम ने वॉर्डरोब से अपने लिए कपड़े निकालते हुए कहा, “मैं क्यों बाहर जाऊँ? कपड़े मुझे भी तो चेंज करने हैं।” इतना कहकर वह कपड़े चेंज करने लगा। कसक ने अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए जोर से चिल्लाया, “क्या कर रहे हैं आप? इस तरह से आप मेरे सामने कैसे कपड़े चेंज कर सकते हैं?”


    अभ्रम ने कसक की बात सुनकर अपनी आँखें बड़ी कर लीं और कसक की ओर देखने लगा। फिर अपनी आँखें छोटी करते हुए बोला, “जैसे चेंज करना चाहिए, वैसे ही कर रहा हूँ, ड्रीमगर्ल।” फिर उसके बिलकुल करीब आकर उसके कान में सेडक्टिव आवाज़ में बोला, “और ऐसा क्या है जो अभी तक तुमने नहीं देखा? वैसे मैंने तो सब कुछ देख लिया है, पर लगता है तुमने मुझे अभी भी अच्छे से नहीं देखा। अगर नहीं देखा है तो देख लो, वैसे भी मैं नहीं चाहता कि बार-बार तुम इस तरह से मुझे देखकर अपनी आँखें बंद करो, खासकर इस हालत में। मुझे बिलकुल पसंद नहीं कि तुम मुझे देखकर अपनी आँखें बंद करो। मैं तो चाहता हूँ कि जब भी मुझे इस तरह से देखो, तो अपनी आँखें बड़ी करके देखो।”


    उसकी बात सुनकर कसक ने अपनी आँखें बंद किए हुए ही चिल्लाकर कहा, “आप सच में बहुत बेशर्म इंसान हैं। आपसे ज़्यादा बेशर्म इंसान आज तक मैंने नहीं देखा।” कसक की बात सुनकर अभ्रम को बहुत मज़ा आ रहा था। वह कसक की ओर देखकर फिर से मुस्कुराते हुए बोला, “और मैं तुम्हें कभी देखने भी नहीं दूँगा, ड्रीम गर्ल।” इतना बोलकर वह चुप हो गया।


    कसक अपनी आँखें बंद किए हुए ही खड़ी रही, लेकिन जब उसे महसूस हुआ कि अभ्रम कुछ बोल नहीं रहा है, तो उसने एक आँख खोलकर अभ्रम को देखा। पर अभ्रम कहीं दिखाई नहीं दिया। उसने अपनी आँखें खोलकर इधर-उधर देखा, पर अभ्रम वहाँ नहीं था। गहरी साँस लेते हुए उसने अपने सीने पर हाथ रखकर कहा, “हे भगवान, कितना बेशर्म इंसान बनाया है आपने! अगर इस इंसान के साथ यूँ ही रही, तो न जाने क्या करने वाला है मेरा।” इतना बोलकर उसने अपने लिए एक नीली जीन्स और लाल टॉप, जिसकी पूरी बाजू थी, पहनकर बाहर आई। कमरे में देखने लगी, पर अभ्रम वहाँ भी नहीं था। फिर उसने मन ही मन कहा, “यह इंसान भी है या कुछ और? एक मिनट में गायब हो जाता है, एक मिनट में सामने आ जाता है।”


    दूसरी ओर, अनिका अपने कमरे में सो रही थी। कुछ समय बाद जब उसकी नींद खुली, तो उसने अपनी आँखों पर हाथ मलते हुए देखा और उसे याद आया कि वह कहीं और है, आरव के घर। यह सोचकर उसका चेहरा उदासी से भर गया। लेकिन फिर कुछ सोचते हुए वह बिस्तर से उठी और बोली, “इसे तो मैं अभी बताती हूँ। इसकी नींद में आरव करते हैं।” यह सोचते हुए वह बाहर जाने लगी। तभी सोफ़े पर एक पॉलीथिन बैग दिखाई दिया, जिसे देखकर वह रुक गई। बैग में उसने देखा कि उसके नाप के कपड़े और उसकी ज़रूरत की चीज़ें थीं। यह देखकर उसकी आँखें बड़ी हो गईं और वह उन सब चीज़ों को देखते हुए बोली, “यह सब तो मेरे समान है, और ऊपर से मेरी ज़रूरत की चीज़ें भी हैं। अब मैं उसे कैसे परेशान करूँगी?” फिर अपना सर खुजाते हुए बोली, “एक काम करती हूँ, पहले फ्रेश हो जाती हूँ, फिर सोचती हूँ इसको मैं कैसे परेशान करूँ। कुछ भी हो जाए, इसे तब तक नहीं छोड़ूंगी जब तक यह मेरा घर बनवाकर मुझे नहीं देगा और मेरी कसक से नहीं मिलवाएगा। बेचारी मेरी कसक, पता नहीं कहाँ होगी और किस हालत में होगी।” यह सब सोचते हुए वह बाथरूम की ओर बढ़ गई।


    दूसरी ओर, अभ्रम इस वक़्त हॉल एरिया में था और कसक का इंतज़ार कर रहा था। हालाँकि उसने कसक से कुछ नहीं कहा था, पर उसे पता था कि कसक उसे ढूँढ़ते हुए ज़रूर आएगी। और यह सच भी हुआ, क्योंकि कुछ समय बाद कसक उसे ढूँढ़ते हुए नीचे आई। उसके लम्बे खुले बाल, गुलाबी होंठ, आँखों में काजल और हल्का मेकअप देखकर अभ्रम उसे देखता ही रह गया। अभ्रम ने उसे देखते हुए कहा, “मुझे ऑफ़िस भी जाना है, ड्रीम गर्ल। जल्दी आ जाओ ताकि हम साथ में ब्रेकफ़ास्ट कर सकें। उसके बाद मुझे ऑफ़िस जाना है।” कसक ने उसकी बात सुनकर नाक सिकोड़ते हुए उसके पास आकर उसके बिलकुल करीब डाइनिंग टेबल पर उसके साथ बैठ गई और बिना अभ्रम को देखे हुए अपना ब्रेकफ़ास्ट करने लगी। अभ्रम ने उसे देखते हुए कहा, “मुझे पता नहीं है तुम्हें क्या पसंद है, इसीलिए आज यह बनवा दिया। उसके बाद तुम ऑर्डर कर दिया करना कि तुम्हें क्या पसंद है, वही बना करेगा।”


    अभ्रम की बात सुनकर कसक ने मन ही मन कहा, “मैं क्यों बताऊँ रोज क्या बनेगा और क्या नहीं। और मैं कौन सा रोज ही रहने वाली हूँ?” खाते हुए वह सोच रही थी। तभी अभ्रम ने उसे देखते हुए कहा, “क्या सोच रही हो, ड्रीम गर्ल?” कसक ने उसकी बात सुनकर नाश्ता करते हुए कहा, “कुछ नहीं। सोच रही हूँ कि अब बस मुझे चलना चाहिए, वैसे भी अनिका मेरे लिए बहुत परेशान हो रही होगी।” अभ्रम ने यह सुनते ही अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। वह डाइनिंग टेबल से खड़ा हुआ और डाइनिंग टेबल पर बिछे टेबलक्लॉथ को एक झटके में खींचकर जमीन पर गिरा दिया। उसके साथ सारा खाना नीचे गिर गया। वहीं कसक की आँखें डर से बड़ी हो गईं।


    अभ्रम गुस्से में कसक को देखते हुए बोला, “तुम्हारी हिम्मत कैसे होती है बार-बार मुझसे दूर जाने की बात करने की? तुमसे प्यार से पेश आता हूँ, तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम जो कहोगी मैं मान जाऊँगा।” फिर उसके बिलकुल करीब जाकर उसके गालों को अपने हाथों से पकड़ते हुए बोला, “इतना अच्छा नहीं हूँ मैं। और दोबारा मुझसे दूर जाने की बात की, तो तुम्हारी हालत अच्छी नहीं रहेगी। तुम्हें अब पूरी ज़िन्दगी मेरे साथ, मेरे पास रहना होगा। और यह बात तुम जितनी जल्दी समझ सको, उतना ही अच्छा होगा।” इतना बोलकर उसने कसक को झटके से छोड़ दिया और गुस्से में बाहर निकल गया।

  • 17. Nasha tere ishq ka - Chapter 17

    Words: 1635

    Estimated Reading Time: 10 min

    अभ्रम गुस्से में कसक को देखते हुए बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे होती है बार-बार मुझसे दूर जाने की बात करने की? तुमसे प्यार से पेश आता हूँ, तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम जो कहोगे, मैं मान जाऊंगा।" फिर उसके बिल्कुल करीब जाकर उसके गालों को अपने हाथों से पकड़ते हुए बोला, "इतना अच्छा नहीं हूँ मैं। और दोबारा मुझसे दूर जाने की बात की, तो तुम्हारी हालत अच्छी नहीं रहेगी। तुम्हें अब पूरी जिंदगी मेरे साथ, मेरे पास रहना होगा। और यह बात तुम जितनी जल्दी समझ सको, उतना ही अच्छा होगा।" इतना बोलकर वह कसक को झटके से छोड़ देता है और गुस्से में बाहर निकल जाता है। वहीं कसक बस उसे जाते हुए देख रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ चुके थे। वह अपनी नम आँखों से उसको देखते हुए मन में बोली, "इस खड़ूस की हिम्मत कैसे हो मुझे इस तरह से बात करने की? मुझे नहीं रहना इस पागल आदमी के साथ। मुझे मेरी आनीका चाहिए, कुछ भी हो जाए, मैं इस घर में एक मिनट भी नहीं रहने वाली।" फिर अचानक न जाने क्या सोचते हुए उसकी आँखों में चमक आने लगी और वह मुस्कुराते हुए अपने मन में बोली, "अब आएगा मजा बच्चू, देख लेना, खोजते रहोगे। भाग जाऊंगी मैं यहाँ से, फिर कभी तुम्हारे हाथ नहीं लगने वाली। ये कसक अग्निहोत्री किसी से नहीं डरती।" इतना बोलकर वह अपने आप में ही खुश हो रही थी। फिर जब उसने देखा कि अभ्रम वहाँ से चला गया है, तो वह मुस्कुराते हुए बाहर की तरफ बढ़ गई। लेकिन जैसे ही वह एंट्रेंस पर पहुँची, तभी गार्ड ने उसे रोक लिया और उसे देखते हुए बोला, "सॉरी मैम, हम आपको बाहर नहीं जाने दे सकते, सर का ऑर्डर है।" सुनते ही कसक के चेहरे का रंग बदल गया। वह उस गार्ड को देखते हुए अपने मन में बोली, "इस खड़ूस की तो! जाते-जाते अपने गार्डों को भी बोलकर गया है कि मुझे बाहर न जाने दे। ऐसे कैसे? मैं नहीं मानने वाली, मैं जाऊंगी बाहर।" इतना बोलकर उसने अपने कदम आगे बढ़ाए, पर गार्ड ने फिर से उसे रोकते हुए अपना हाथ आगे करके कहा, "सॉरी मैम, सर ने बोला है कि आपको बाहर न जाने दिया जाए। और अगर आप ज़्यादा ज़िद्द करेंगी, तो मुझे सर को कॉल करना पड़ेगा। उनके स्ट्रिक्ट इंटरेक्शन हैं कि आप इस घर में रहें। अगर आपको कुछ चाहिए, तो हम आपको लाकर दे देंगे, पर आप बाहर नहीं जाएंगी।" कसक अपने सिर पर हाथ मारते हुए बोली, "ये उनके गार्ड्स भी इन्हीं की तरह जिद्दी हैं। कुछ सोच कसक, यहाँ से जाने के लिए कुछ तो सोच, वरना तू यहीं पर रह जाएगी।" यह सब बोलते हुए वह सोचने लगी। तभी फिर मुस्कुराते हुए उसने गार्ड को देखकर बोला, "ठीक है, लगाइए फोन। हो जाने दीजिए मेरा सरप्राइज खराब। सोच रही थी आपके सर के लिए सरप्राइज क्रिएट करने के लिए, पर कोई बात नहीं। आने दीजिए उन्हें, मैं बताऊंगी कि आप लोग मेरे साथ किस तरह का बिहेव करते हैं।" वह गार्ड जब कसक की बात सुनता है, तो कसक की तरफ देखते हुए बोला, "आप बोल दीजिए, हम अरेंज कर देंगे। आपको क्या चाहिए?" कसक फिर से उसे देखकर मुँह बनाते हुए अपने मन में बोली, "आप बोल दीजिए, मुझे क्या चाहिए? भगाना है मुझे, भागने दोगे?" अपनी सोच से बाहर आकर उसने गार्ड की तरफ देखकर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा, "सरप्राइज किसका है? मेरा है ना, तो सब कुछ मैं ही अरेंज करूंगी। और मैं आपको बता दूंगी, तो आपको पता नहीं चल जाएगा? वैसे भी मुझे वह चीज सिर्फ उन्हीं को दिखानी थी, आप लोगों को नहीं। लेकिन कोई बात नहीं, मैं जा रही हूँ। आने दीजिए शाम को, फिर मैं बताऊंगी। और अगर उन्होंने गुस्सा किया या कुछ भी किया, तो इसकी जिम्मेदार आप लोग खुद होंगे, मैं नहीं।" इतना बोलकर वह धीरे-धीरे अपने कदम पैलेस के अंदर बढ़ने लगी और मन ही मन सोचने लगी कि गार्ड एक बार उसे रुकने को कह दे। लेकिन तभी गार्ड सच में उसे रुकने को बोल देता है। कसक जब यह सुनती है, तो अंदर ही अंदर मुस्कुराने लगी और उछलने लगी। फिर गुस्से भरे चेहरे के साथ गार्ड को देखते हुए बोली, "क्या है, क्यों रोका मुझे?" कसक को देखकर वह गार्ड अपना सिर नीचे करते हुए बोला, "मैम, प्लीज सर से कुछ मत कहिएगा। आप जाइए, लेकिन सर ने मुझे मना किया है। मुझे समझ में नहीं आ रहा है, मैं किसका साथ दूं?" उसकी बात सुनकर कसक मुस्कुराते हुए उसके करीब आकर बोली, "मेरा और किसका। अगर मैं खुश रहूंगी, तो आपके सर खुश रहेंगे, है ना? इसलिए आप मेरा साथ दीजिए और मुझे जाने दीजिए।" इतना बोलकर वह बाहर निकल गई। वहीं गार्ड उसको जाते हुए देख रहा था। बाहर निकलकर वो उछलने लगी और बोली, "बस यही तो चाहिए था मुझे। अब मैं इनके हाथ कभी नहीं आऊंगी। पहले मैं चलती हूँ अपनी आनीका के पास, उससे मिलती हूँ। फिर कुछ जुगाड़ लगाती हूँ, क्योंकि वह तो मुझे वहाँ भी ढूंढ लेंगे। उससे बात करती हूँ कुछ।" इतना बोलकर वह आनीका के पास जाने लगी। उसने एक ऑटो ली और आनीका के घर के लिए निकल दी। दूसरी तरफ, अभ्रम अपने ऑफिस में काम कर रहा था, पर उसका मन बिल्कुल भी काम में नहीं लग रहा था। उसे अंदर ही अंदर गुस्सा भी आ रहा था। वह अपनी लाल आँखों से लैपटॉप को घूर रहा था। तभी अचानक उसके कैबिनेट में कोई धड़धड़ाता हुआ अंदर आ गया। यह देखकर अभ्रम के चेहरे पर और ज्यादा गुस्सा आ जाता है। जब उसने सामने देखा, तो सामने कोई और नहीं, आनीका और आरव थे। उन्हें देखकर उसका गुस्सा और बढ़ गया। वह लाल आँखों से आरव की तरफ देखने लगा। वहीं आरव बेचारे का तो बेचारा सा ही शक्ल बना हुआ था, क्योंकि एक तरफ कुआं, दूसरी तरफ खाई थी। आनीका उसके बिल्कुल करीब जाकर अभ्रम को गुस्से में देखते हुए बोली, "कहाँ है मेरी कसक? क्या किया तुमने उसके साथ?" अभ्रम जब यह सुनता है, तो वह गुस्से में अपनी चेयर से उठता है और गुस्से में बोला, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उसे अपना कहने की? वह सिर्फ मेरी ड्रीम गर्ल है, इसके अलावा उसे पर किसी का कोई हक नहीं है।" आनीका जब यह सुनती है, तो वह भी बिना डरे बोली, "जी नहीं, वह मेरी फ्रेंड है, मेरी बेस्ट्टी है और उस पर हक मेरा है।" अभ्रम को गुस्सा आ जाता है। वह अपनी कमर से गन निकालते हुए उसकी तरफ पॉइंट कर देता है। लेकिन तभी आरव वहाँ पर पहुंचकर उसकी गन को अपने हाथों से ऊपर करते हुए बोला, "क्या कर रहे हो तुम? पागल हो गए हो क्या? इस तरह से कौन बिहेव करता है?" अभ्रम उसे देखकर घूरते हुए बोला, "हट जाओ मेरे रास्ते से। इस लड़की को तो मैं अभी ठिकाने लगाता हूँ। इसकी हिम्मत कैसे हुई मुझse इस तरह से बात करने की और मेरी ड्रीम गर्ल को खुद की बताने की, वह तुम्हारी नहीं किसी की नहीं वह सिर्फ मेरी है।" वहीं आनीका यह सब देखकर डर गई और कांपने लगी। उसने आरव का शर्ट पकड़कर आरव के पीछे छुप गई। वहीं आरव अभ्रम को संभालते हुए बोला, "तू पागल हो गया है? तू किस तरह की बातें कर रहा है? वह उसकी फ्रेंड है, जैसे हम दोनों हैं। वह तो बस उसके बारे में पूछ रही थी। कोई भी होता तो पूछता।" अभ्रम बिना एक्सप्रेशन के बोला, "जी नहीं, मैं अपनी ड्रीम गर्ल के अलावा किसी के बारे में नहीं पूछ सकता।" तो यह तुम्हारी गलतफहमी है, और अपनी गलतफहमी को दूर करो।" आरव यह सुनता है तो उसका मुँह खुला का खुला रह जाता है। वहीं अनिका आरव को देखते हुए बोली, "देख लो, कैसा दोस्त है तुम्हारा। ऐसे दोस्त होने से तो दुश्मनअच्छा है। मुझे कुछ नहीं पता, बस मेरी फ्रेंड मुझे चाहिए। एक बार मुझे उससे बात करनी है। मुझे मिलवाओ, वह सही है कि नहीं। पता नहीं इस इंसान ने मेरी फ्रेंड के साथ क्या किया।" अभ्रम गुस्से में कांपने लगा और चिल्लाते हुए बोला, "तुम उसे बार-बार 'अपना' कहना बंद करोगी कि नहीं? की मै यहीं पर मैं तुम्हारी लाश बिछा दूं।" आरव अनिका को तिरछी नजरों से देखते हुए बोला, "तुम्हें क्या शौक है खुदकुशी करने का? तुम 2 मिनट चुप नहीं रह सकती?" फिर उसने अभ्रम को संभालते हुए उसके गन को अपने हाथ में लिया और बोला, "ठीक है, वह उसकी नहीं है, वह तुम्हारी है। तुम्हारी ड्रीम गर्ल है। लेकिन एक बार बस इससे बात करवा दो, उसके बाद यह कभी तुम्हारे पास नहीं आएगी। आई प्रॉमिस मैं इसे तुम्हारे करीब नहीं आने दूंगा। लेकिन एक बार बात करवा दो, फिर तेरा भी टेंशन खत्म, मेरा भी टेंशन खत्म। इस लड़की ने मेरा भी जीना हराम कर दिया है।" अनिका यह बात सुनकर फिर से गुस्से में आरव को देखते हुए बोली, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे लिए यह सब बोलने की?" आरव उसे घूरते हुए बोला, "क्या तुम 2 मिनट चुप नहीं रह सकती?" अनिका भी उसे घूरने लगी पर कुछ बोली नहीं। वही अभ्रम ने लंबी लंबी सांस ली और फिर कुछ सोचते हुए उसने घर पर कॉल कर दिया। जैसे ही उसने कॉल किया और कसक के बारे में पूछने लगा, तभी उसे पता चला कि कसक घर से बाहर गई है। उसके चेहरे का एक्सप्रेशन बदल गया, उसकी आंखें बड़ी हो गई और गुस्से में उसने टेबल को जोर से लात मारी।  अनिका फिर से डरकर आरव के बिल्कुल करीब पहुंच जाती है। आरव को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हुआ क्या। अभ्रम गुस्से में चलते हुए बोला, "यह तुमने सही नहीं किया, ड्रीम गर्ल। बस तुम इस बार मुझे मिल जाओ, फिर मैं तुम्हें बताता हूं मेरे खिलाफ जाने का क्या नतीजा होता है।" तो क्या होगा? क्या मिलेगी कसक अभ्रम को? और अगर दोनों मिल गए तो अभ्रम कसक के साथ क्या करेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए **नशा तेरे इश्क़ का ।**

  • 18. Nasha tere ishq ka - Chapter 18

    Words: 1619

    Estimated Reading Time: 10 min

    अनिका भी उसे घूरने लगी, पर कुछ बोली नहीं। उसी समय अभ्रम ने लंबी-लंबी साँसें लीं और फिर कुछ सोचते हुए उसने घर पर कॉल कर दिया। जैसे ही उसने कॉल किया और कसक के बारे में पूछने लगा, तभी उसे पता चला कि कसक घर से बाहर गई है। उसके चेहरे का भाव बदल गया, उसकी आँखें बड़ी हो गईं और गुस्से में उसने टेबल को जोर से लात मारी।


    अनिका फिर से डरकर आरव के बिल्कुल करीब पहुँच गई। आरव को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हुआ। अभ्रम गुस्से में चलते हुए बोला, "यह तुमने सही नहीं किया, ड्रीम गर्ल। बस तुम इस बार मुझे मिल जाओ, फिर मैं तुम्हें बताता हूँ मेरे खिलाफ़ जाने का क्या नतीजा होता है।"


    यह सब बोलते हुए वह गुस्से में काँप रहा था। जब आरव ने अभ्रम को इस तरह देखा, तो वह उसके पास जाकर बोला, "क्या हुआ? तू इतने गुस्से में क्यों है और कसक को क्या हुआ?" आरव की बात सुनकर अभ्रम बोला, "मुझे आज वह मेरे सामने चाहिए। अगर मेरी ड्रीम गर्ल मेरे पास और मेरे सामने नहीं आई तो मैं सब कुछ जलाकर रख दूँगा। पता लगाओ कि इस वक़्त वह कहाँ है।"


    वहीं, अनिका ने उसकी बात सुनते ही अपनी आँखें बड़ी कर लीं और वह अपने सिर पर हाथ रखकर बोली, "अब क्या कर दिया इस लड़की ने? कहाँ चली गई? कुछ करने से पहले सोचती क्यों नहीं है?"


    दूसरी तरफ, कसक ऑटो से उतरकर अनिका के घर की तरफ देखती है तो वहाँ पर उसका घर टूटा हुआ था। इसे देखकर कसक की आँखें बड़ी हो गईं और उसने अपने मन में कहा, "घर तो टूट गया। अनिका कहाँ है? ठीक तो है वह? कहाँ गई होगी? क्या करूँ मैं? कहाँ ढूँढूँ उसे?" यह सब सोचते हुए वह परेशान हुई और फिर अपनी बगल में बैठे व्यक्ति से पूछती है, पर किसी को कुछ भी नहीं पता था। परेशान होते हुए बोली, "यह सब सिर्फ़ मेरी वजह से हुआ है। आज मेरी वजह से वह बेघर हो गई और न जाने कहाँ चली गई।" यह सब सोचते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए और बिना कुछ बोले वह वहाँ से पैदल ही उदास होते हुए निकल गई।


    वह उदास होते हुए कहाँ जा रही थी, उसे खुद नहीं पता था। वैसे ही सड़क पर जा रही थी, तभी उसे कुछ लोग दिखाई दिए जो एक औरत को कब से परेशान कर रहे थे। देखकर कसक को गुस्सा आ गया और वह उनके पास जाकर बोली, "क्या कर रहे हो तुम लोग? क्यों परेशान कर रहे हो? जाने दो उन्हें, नहीं तो मैं अच्छे से सब सिखा दूँगी।" वे लोग उसे देखते ही रह गए। तभी उनमें से एक आदमी कसक को देखते हुए बोला, "ये लड़की, चल यहाँ से, हमसे मुँह मत लगाना, नहीं तो हमसे बुरा कोई नहीं होगा।"


    कसक उसकी बात सुनकर उसकी तरफ घूर कर देखते हुए अपने कमर पर हाथ रखकर बोली, "मुझे नहीं, तुम लोगों को य?%"

  • 19. Nasha tere ishq ka - Chapter 19

    Words: 1316

    Estimated Reading Time: 8 min

    अभ्रम उसकी बात सुनकर पागलों की तरह हँसने लगा और बोला, "पता नहीं था? तो अब पता चल जाएगा। और मैं सबको बता दूँगा कि यह मेरी कौन है, यह मेरी ड्रीम गर्ल है और इसे छूने का नतीजा क्या होता है। यह भी बहुत अच्छे से सबको पता चल जाएगा।"

    इतना बोलकर अभ्रम फिर से अपनी बंदूक निकाली और उस आदमी के सिर पर बंदूक तानकर गोली उसके सिर के आर-पार कर दी। ऐसा होते ही अभ्रम के चेहरे पर उस आदमी के खून के छींटे पड़ गए, पर अभ्रम को कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने अपने चेहरे को अपने हाथों से साफ किया और पीछे मुड़कर कसक की तरफ देखा। कसक नीचे जमीन पर बेहोश पड़ी थी।


    अभ्रम उसके पास घूरते हुए आया और घुटनों के बल बैठकर उसके गाल पर आए बालों को उसके कान के पीछे करते हुए, बेहोशी की हालत में उसे देखकर बोला, "तुम्हारा यह मासूम चेहरा, यह मासूमियत मुझे पागल कर देती है, दीवाना बना देती है। पर जो तुम्हारी यह हरकतें हैं ना, मुझे गुस्सा दिलाती हैं, ड्रीम गर्ल। और अब मैं तुमसे बहुत प्यार से पेश आ चुका हूँ। अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि अभ्रम क्या चीज है और आज के बाद तुम मुझसे दूर जाने की सोच भी नहीं सकोगी।"

    इतना बोलकर उसने उसे गोद में उठाया और बाहर की तरफ निकल गया। गोद में लिए हुए ही कार में बैठा और ड्राइवर से कार स्टार्ट करने को कहा। ड्राइवर ने उसकी बात सुनकर तुरंत कार स्टार्ट की और घर के लिए रवाना हो गया। अभ्रम उसे अपनी गोद में लिए हुए था और उसके मासूम चेहरे को देख रहा था।


    कुछ समय बाद वे दोनों घर पहुँच गए। जैसे ही अभ्रम कार से उतरकर अंदर जाने को हुआ, सामने अनिका और आरव दिखाई दिए। उन्हें देखकर अभ्रम के चेहरे का रंग और लाल हो गया और एक्सप्रेशन बदल गए। उसने दोनों को इग्नोर करते हुए अंदर चला गया। अनिका और आरव भी उनके पीछे चल दिए। अभ्रम कसक को ले जाकर अपने कमरे में अच्छे से बिस्तर पर सुला दिया। वहीं अनिका उसके पीछे जाकर कसक के पास जाने को हुई, तभी अभ्रम ने गुस्से से उसे देखा। उसे देखकर अनिका अपनी जगह पर ही खड़ी हो गई और कसक की तरफ देखकर बोली, "क्या हुआ? यह बेहोश कैसे हो गई?"


    अभ्रम बिना उसकी तरफ देखे बोला, "वह ठीक है, कुछ समय बाद उसे होश आ जाएगा। तुम्हें टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है।"

    अनिका उसकी बात सुनकर फिर से उसे घूरते हुए बोली, "ऐसे कैसे टेंशन न लूँ? मेरी फ्रेंड है वह, और वैसे भी किसी के कहने से मैं उसकी टेंशन लेना छोड़ूंगी नहीं।"

    अभ्रम यह सुनकर अपनी मुट्ठियाँ कसकर उसके बिल्कुल करीब आकर बोला, "तुमसे एक बार नहीं, हज़ार बार बोला है, अब आखिरी बार बोल रहा हूँ, उसे अपनी कहना बंद कर दो। वह तुम्हारी नहीं, वह सिर्फ़ मेरी है।"


    अनिका उसकी बात सुनकर फिर से उसकी तरफ देखकर बोली, "अरे जब वह मेरी फ्रेंड है तो उसे मेरी ही बोलूँगी ना, और किसकी बोलूँगी? आपके कहने से वह आपकी नहीं हो गई, वह मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी।"

    आरव दोनों की बात सुनकर अपने सिर पर हाथ रख लिया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बोले, क्योंकि दोनों ही अपनी जगह पर अड़े हुए थे। कोई भी झुकने को तैयार नहीं था। आरव फिर दोनों के बीच में आते हुए अनिका को पकड़कर अपने करीब करते हुए बोला, "तुम क्या हर किसी से बस लड़ने ही रहती हो? कभी चुप नहीं रह सकती?"


    अनिका उसकी बात सुनकर उसे खुद से दूर धकेलते हुए अपनी उंगलियाँ दिखाते हुए बोली, "मैं नहीं लड़ती, तुम्हारे यह दोस्त जब देखो तब लड़ता रहता है और मेरी फ्रेंड को अपना बनता फिरता है। हाँ, किसी के कहने से वह थोड़ी न किसी की हो जाएगी।"

    उसने इतना ही बोला था कि गोली चलने की आवाज़ आई, जो अनिका से कुछ दूरी से होते हुए निकल गई और सीधे एक फ्लावर पॉट पर लगी, जिस वजह से वह फ्लावर पॉट टूटकर चूर हो गया। वहीं अनिका अपने कान पर हाथ रखकर चिल्लाई और सीधे आरव के गले लग गई। वह इतना डर गई थी कि उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई थी, उसके मुँह से आवाज़ भी नहीं निकल रही थी। अभ्रम बिना उन दोनों को देखे हुए सर्द आवाज़ में बोला, "दोबारा अगर उसे अपना कहा ना, तो यह गोली तुम्हारे बगल से नहीं गुज़रेगी, तुम्हारे माथे के आर-पार कर दूँगा। फिर न रहोगी तुम, न कहोगी उसे अपना।"


    अनिका का बुरा हाल हो गया था। आरव उसे पकड़कर उसके कान में बोला, "इसीलिए मना कर रहा था, लेकिन तुम्हें तो बस सबसे लड़ना होता है। और इस इंसान को तो मैं भी नहीं रोक सकता। दोबारा अगर अपनी ज़िंदगी प्यारी होगी, तो तुम कभी उसे अपना मत कहना।"

    अनिका अपनी आँखों में आँसू लिए हुए ही उसे गले लगाकर बोली, "अरे तो मैं उसको क्या बोलूँ? वह मेरी फ्रेंड है तो मेरी ही न बोलूँगी।"

    आरव उसकी बात सुनकर बोला, "हाँ, तो तुम उसे मेरी तब बोलना, जब वह आसपास न हो। उसके आसपास रहते हुए कभी तुम उसे अपनी मत बोलना, कुछ भी बोलना, लेकिन यह शब्द मत बोलना। वरना मैं नहीं जानता।" यह कहकर आरव ने अपना सिर हिलाया और उससे दूर होकर वहाँ से जाने लगा।


    पर तभी अनिका उसे देखते हुए दौड़कर उसके करीब गई और उसके हाथ पकड़कर बोली, "मैं बाद में आ जाऊँगी जब इसे होश आएगा। मुझे भी चलना है तुम्हारे साथ।"

    इतना बोलकर वह भी उसके साथ चल दी। फिर अपने मन में अभ्रम को देखते हुए सोचकर बोली, "यह तो सच में बहुत खतरनाक है, इसके दिमाग का तो कोई ठिकाना नहीं। बेचारी मेरी कसक, न जाने इस पागल आदमी के साथ कैसे रहेगी।"


    उन दोनों के जाने के बाद अभ्रम ने अपने कमरे को बंद कर दिया और सोफ़े पर आकर बैठ गया और एकटक सिर्फ़ कसक को देख रहा था। इस वक़्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वहीं कसक इन सब चीजों से बेखबर अभी भी बेहोश बिस्तर पर लेटी पड़ी थी। सुबह से अब शाम हो चुकी थी, लेकिन कसक को बिल्कुल होश नहीं आया। अनिका और आरव दोनों ही अभी भी अभ्रम के घर में थे, पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि अभ्रम के पास जाकर कुछ पूछ सके। अभ्रम अब सोफ़े पर बैठकर सिगरेट के कश बार-बार ले रहा था। पूरे कमरे में सिगरेट के धुएँ फैले हुए थे। उसकी लाइट ब्लू आँखों के नीचे अब लाली छा गई थी। वह एकटक अभी भी बस कसक को देख रहा था, या यूँ कहें कि वह अभी भी इंतज़ार कर रहा था कि कब कसक होश में आए।


    धीरे-धीरे कसक अपनी आँखों को हिला रही थी। धीरे-धीरे उसने अपनी आँखें खोलीं। आँखें खोलने के बाद जब वह पूरी तरह से सामने देखती है, तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती हैं। सामने अभ्रम था, जो अभी भी सिगरेट पी रहा था और कसक को बहुत ही गहरी नज़र से देख रहा था। वहीं कसक की हालत ख़राब हो चुकी थी, क्योंकि उसे सब कुछ याद आ चुका था। अभ्रम ने उसे जब होश में देखा, तो अपनी सिगरेट को नीचे फर्श पर फेंक दिया और अपने जूते से मसलकर मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था। कसक उसे इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर कुछ समझ नहीं पाई, क्योंकि उसे लगा था कि अभ्रम उस पर गुस्सा करेगा। पर अभ्रम तो उसे मुस्कुराकर देख रहा था और उसके चेहरे के भाव भी बदल गए थे, बिल्कुल सामान्य। इसीलिए सबको कुछ समझ नहीं आ रहा था। पर अभ्रम के दिमाग में क्या चल रहा था, वह तो अभ्रम ही जानता था।


    अभ्रम मुस्कुराते हुए सोफ़े पर से उठा और उसके करीब आने लगा।

  • 20. Nasha tere ishq ka - Chapter 20

    Words: 1749

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    धीरे-धीरे कसक अपनी आँखों को हिला रही थी। ओ धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलती है। आँखें खोलने के बाद जब वह पूरी तरह से सामने देखती है, तो उसकी आँखें बड़ी हो जाती हैं। सामने अभ्रम था, जो अभी भी सिगरेट पी रहा था और कसक को बहुत ही इंटेंस नजर से देख रहा था। वहीं कसक की हालत खराब हो चुकी थी, क्योंकि उसे सब कुछ याद आ चुका था। अभ्रम ने उसे जब होश में देखा, तो अपनी सिगरेट को नीचे फर्श पर फेंका और अपने जूते से मसलकर मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था। कसक उसे इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर कुछ समझ नहीं पाई, क्योंकि उसे लगा था कि अभ्रम उसे पर गुस्सा करेगा। पर अभ्रम तो उसे मुस्कुराकर देख रहा था और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन भी चेंज हो गए थे, बिल्कुल नॉर्मल। इसीलिए सबको कुछ समझ नहीं आ रहा था। पर अभ्रम के दिमाग में क्या चल रहा था, वह तो अभ्रम ही जानता था।  अभ्रम मुस्कुराते हुए सोफे पर से उठता है और उसके करीब आने लगा। वही कसक उसको अपने करीब आते हुए देखकर बेड पर से पीछे खिसकने लगी उसकी आँखों में डर साफ देखा जा सकता था वही अभ्रम उसके बिल्कुल करीब आकर मुस्कुराते हुए बोला “ड्रीम गर्ल क्या हुआ मुझसे क्यों डर रही हो मैंने तो अभी तक तुमसे कुछ नहीं कहा है और न ही कुछ किया है”। कसक उसकी बात सुनकर वहीं पर रुक जाती है। और उसकी बात सुनके बोली , 'क्या आप मुझसे गुस्सा नहीं हैं? क्या आप मुझसे नाराज नहीं हैं?' अभ्रम उसकी बात सुनकर, उसके ऊपर झुकते हुए बोला, 'क्यों, मैं तुमसे गुस्सा क्यों होऊँगा और नाराज क्यों होऊँगा?' कसक और अभ्रम की बात सुनकर न समझी और देखते हुए बोली, 'क्योंकि मैं..."यहाँ से चली गई थी हमेशा के लिए। अभ्रम उसकी बात सुनकर बोले, 'कोई बात नहीं, अब तुम नहीं जाओगी। अब मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा।' वह पूरी तरह से झुक गए और उसके बालों को अपने हाथों में पकड़कर कसकर दबा दिया, जिससे गज़ब की आह निकली और उसकी आँखें बड़ी हो गईं। वह खुद को छुड़ाते हुए बोली, 'क्या कर रहे हैं आप? छोड़िए मुझे।' अभ्रम की ओर देखते हुए बोले, 'अब नहीं, अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुमने क्या गलती की है। कोई गलती नहीं की? अभी तो तुम ठीक थीं, फिर अचानक क्या हो गया?'”अभ्रम ने उसके होंठों को अपने होंठों पर दबाना शुरू कर दिया। वह उसे चुम्बन दे रहा था और अधिक कसकर चुम्बन ले रहा था। कसक खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह सफल नहीं हो पा रही थी। अभ्रम उसके होंठों पर तब तक चुम्बन करता रहा, जब तक कि उसके होंठों से खून निकलने नहीं लगा।  कसक की आंखों से आंसू बहने लगे और वह खुद को छुड़ाने की कोशिश करती रही, लेकिन अभ्रम भी गुस्से में पागल हो चुका था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है। वह उसके पूरे शरीर पर अपने हाथ चला रहा था और उसके होंठों को तब तक चुम्बन करता रहा, जब तक कि उसे सांस लेने में मुश्किल नहीं होने लगी।  जब अभ्रम को महसूस हुआ कि कसक की सांसें ठीक से नहीं आ रही हैं, तब उसने उसे छोड़ा। कसक ने लंबी सांसें लेना शुरू किया, जिससे उसका सीना ऊपर-नीचे हो रहा था। अब अभ्रम उसके सीने को बिना पलक झपकाए देख रहा था। फिर उसके सीने को अपने हाथ रखकर दबाव डाला। ऐसा होते ही कसक की आह निकल गई और उसे दर्द होने लगा जिस वजह से उसके आँखों से आंसू निकल गए उसे इस तरह से देखकर गुस्से भरी निगाहों से बोला, '”बस, इतना दर्द सहन नहीं हो रहा है। अभी तो और दर्द देना बाकी है तुम्हें।' कसक ने उससे दूर होते हुए कहा, 'क्यों कर रहे हैं आप मेरे साथ ऐसा?' अभ्रम ने उसकी बात सुनकर कहा, 'तुम्हें नहीं पता मैं क्यों कर रहा हूँ। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे दूर जाने की? तुम सिर्फ मेरी हो और तुम्हारे शरीर पर, तुम्हारे रूप में, सब पर मेरा हक है। तुम्हें प्यार से बातें समझ में नहीं आती, न तुम्हें कैसे समझाऊँ कि तुम सिर्फ मेरी हो।' कसक ने उसकी बात सुनकर दांत पीसते हुए कहा, 'आपको क्यों लगता है कि मैं आपकी हूँ और आपके कहने से मै . मैं आपकी हो जाऊंगी, और आप जो कहेंगे मैं वह क्यों करूं आप होते कौन है मुझे रोकने वाले, और मुझे आपको लेकर कोई फीलिंग नहीं है कुछ फील नहीं होता है,दूर हटिया मुझसे आप मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं” "कसक की बात सुनकर, गुस्से में उसे बेड पर नीचे दबाते हुए बोले, 'मैं कैसे ठीक हो सकता हूँ, ड्रीम गर्ल? तुम्हारी इस हरकत की वजह से पता है आज क्या हो सकता था? मैंने तुम्हें यहाँ से जाने के लिए मना किया था, लेकिन तुमने मेरी एक बात नहीं मानी। अगर मैं वक्त पर नहीं आता, तो तुम जानती हो कि तुम कितनी बड़ी मुसीबत में पड़ जाती। पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी अब मैं तुम्हें बताऊँगा कि तुम सिर्फ मेरी हो, तुम्हारी हर चीज़ पर सिर्फ मेरा हक है।'   इससे पहले की कसक कुछ रिएक्ट करती अभ्रम उसकी होठों अपने होंठ भरकर उसे बीते करना स्टार्ट कर दिया उसके होठों को किस कम बाइट ज्यादा कर रहा था वही कसम खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर वह उसे छुड़ा नहीं पा रही थी। अभ्रम उसकी होठों पर तब तक किस करता है जब तक की उसके होठों से खून नहीं निकलने लगता है 7  वही कसक की आंखों में आंसू निकल गए वह उससे दूर होने की कोशिश कर रही थी पर उसे दूर नहीं कर पाती है अभ्रम था कि गुस्से में पागल हो चुका था , लाख कोशिश करने के बाद कसक खुद को ढीला छोड़ देती है और अभ्रम को उसकी मनमानी करने देती है जब कसक यह देखा है कि कसक खुदको ढीला ना छोड़ दिया है तो उसके चेहरे पर स्माइल आ गई,  और वह कसक के साथ सॉफ्ट हो जाता है उसका पूरा हाथ कसक की बॉडी पर चलने लगा उसके सीने पर दबाव बढ़ता तो कभी उसके सीने को शक करता है,  वही अभ्रम के ऐसा करने से न जाने क्यों कसक भी पिघल रही थी कुछ देर यूं ही उसके सीने को किसी और शक करने के बाद फिर से वह उसके होठों के तरफ बढ़ गया और उसके होठों पर किस करने लगा और उसकी पूरी बॉडी पर अपने हाथ चलाने लगा,  ऐसा होते ही कसक कि सिसकिया उसके मुंह में ही घुट के रह जा रही थी, वह तब तक उसे किस करता रहता है जब तक की उसको सांस लेने में प्रॉब्लम नहीं होती है, कसक लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी जिस वजह से उसका सीन फिर से ऊपर नीचे होने लगा अभ्रम यह सब देखकर और ज्यादा वाइल्ड होने लगा उसके गर्दन पर अपने होंठ रख देता है और उसके सीने को सक करता है ओर दबाता भी है कुछ देर युही शक करने के बाद जब उसका पूरा सीन लाल हो जाता है तो छोड़कर वह पूरे शरीर पर अपने होठों से किस करने लगा धीरे-धीरे करके वह नीचे जाने लगा और उसकी बली पर किस करने लगा इस वजह कसक के कमर अपने आप ऊपर होने लगी,  कुछ देर यूं ही वहां पर किसी और बाइट करने के बाद वह नीचे की तरफ बढ़ता है और कसक के बचे हुए कपड़े निकाल देता है साथ ही साथ हो अपने शर्ट को भी रिमूव कर देता है उसके गोरे बदन को देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई, फिर वह धीरे से उसके पैरों पर अपने होंठ रख देता है जिसे महसूस करके कसक के हाथ पैर कांपने लगे वह अपने पैरों कोकस के चिपका लेती है।  ये देखकर अभ्रम के चेहरे पर ईविल स्माइल आ गई और वह उसके पैरों को अपनी दोनों हाथों से अलग कर देता हैँ और उसके पैरों के बिच में अपनी होंठ देता हैँ, जीस वजह से कसक की मुठिया बेडशीट पर कस गई और उसकी सिसकियां तेज हो गई, अभ्रम अपनी होठों को रखकर वहां पर किस शक करने लगा साथ ही साथ लिक कर रहा था जीस वजह से कसक अपनी कमर को हल्का सा ऊपर उठती हैँ aur अभ्रम के बालों में अपनी हाथ रख कर दबाव बढ़ाने लगी यह महसूस करके अभ्रम के आँखों में अलग hi चमक आ गया करीब 20 मिनट उसके साथ ऐसे ही करने के बाद अभ्रम उससे अलग होता हैँ। और उपर कसक का चेहरा देखा है कसक चेहरा पूरा लाल और पसीने से लथपथ था अभ्रम अपने होठों को साफ करते हुए फिर से उसके ऊपर आता हैँ और कसक के गाल को अपने हाथ में भर के अपनी तरफ करता हैँ जीस वजह से कसक उसकी आँखों में मदहोश भारी निगाहों से देखती हैँ अभ्रम उसकी आँखों में देखते हुए फिर से उसके ऊपर झुकता हैँ,  यह देख कर ना जाने कसक को क्या हुआ उसके होंठ अपने आप खुल गई पर अभ्रम ने अचानक ही उसे अपने ऊपर पलट दिया जीस वजह से कसक के बाल अभ्रम के ऊपर आ गए, अभ्रम उसके बालों को उसके कानों के पीछे करते hue बोला “क्या हुआ ड्रीम गर्ल तुमने तो कहा था तुम्हें मेरे लिए कुछ फील नहीं होता हैँ फिर इतना फील कैसे कर लिया "यह सुनकर कसक का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया और उसने अभ्रम को देखा। अभ्रम ने कहा, 'चुपचाप सो जाओ। अगर तुम ऐसे ही देखती रहोगी, तो जो बचा हुआ है, वह भी मैं पूरा कर दूंगा। पूरी रात तुम मुझे महसूस करने में ही बिता दोगी।'” यह सुनकर कसक की आँखें बड़ी हो गईं और उसने शर्माते हुए अभ्रम को कहा, 'मुझे जाने दीजिए, मैंने कुछ भी नहीं किया है।' अभ्रम ने मुस्कुराते हुए कहा, 'तो क्या हुआ? आदत डालो। वैसे भी तुम्हें अक्सर मेरे सामने ऐसे ही रहना है।'  यह सुनकर सभी की आँखें बंद हो गईं और कसक का चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया। अभ्रम के चेहरे पर मुस्कान थी। उसने अपने सिर को अपने सीने पर रखकर, उसके बालों में प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, 'सो जाओ, ड्रीम गर्ल। वरना अगर ऐसी हरकतें करोगी, तो सच बता रहा हूँ, अपना कंट्रोलखो दूंगा। वैसे भी बहुत मुश्किल से खुद पर कंट्रोल रखा है।' कसक यह सुनते ही अपने सिर को उसके सीने पर रखकर आँखें बंद कर लेती है और सोने की कोशिश करती है। अभ्रम उसके बालों में प्यार से हाथ फेरते हुए, कुछ देर यूँ ही करता रहता है। ऐसा करने की वजह से, कसक सो जाती है और अभ्रम के चेहरे पर एक मुस्कान होती है।”