यह एक **ओपन रोमांस स्टोरी** है – दो दुश्मन घरानों की। एक तरफ़ है **तामस**, शेरवुल्फ़ों का वारिस। दूसरी तरफ़ है **रीवा शाह**, वैंपायर कुल की चमकती हुई राजकुमारी। दोनों की नसों में नफ़रत बहती है, दोनों के खून में सदियों पुरानी दुश्मनी का ज़हर है…... यह एक **ओपन रोमांस स्टोरी** है – दो दुश्मन घरानों की। एक तरफ़ है **तामस**, शेरवुल्फ़ों का वारिस। दूसरी तरफ़ है **रीवा शाह**, वैंपायर कुल की चमकती हुई राजकुमारी। दोनों की नसों में नफ़रत बहती है, दोनों के खून में सदियों पुरानी दुश्मनी का ज़हर है… लेकिन दिल? वो किसी नियम को नहीं मानता। तामस – 22 साल का, लंबा-चौड़ा और जंगली-सा आकर्षण रखने वाला। उसकी आँखों में हमेशा गुस्से की आग जलती है और उसकी मौजूदगी इतनी भारी कि सामने वाला अनजाने ही झुक जाए। वो अपने कुल का सबसे ख़तरनाक शिकारी है, जिसकी ताक़त और स्पीड बाकी सब शेरवुल्फ़ से कई गुना ज़्यादा है। लेकिन उसकी असली पहचान सिर्फ़ कुछ ही लोगों को पता है— उसकी नसों में दौड़ रहा है एक अंधेरे देवता का श्राप, जो उसे बाकी सब से अलग और कहीं ज़्यादा ख़तरनाक बनाता है। रीवा शाह – दिखने में 19 साल की, मगर असल में 120 साल से भी पुरानी। उसकी हँसी में चुलबुलापन है, चालाकी है और आँखों में ऐसा जादू कि कोई भी पलभर में उसके वश में आ जाए। बोल्ड, बेबाक और बेहद शरारती। बाकी वैंपायरों की तरह उसका दिल ख़ामोश नहीं, बल्कि इंसानों की तरह धड़कता है। यही उसकी कमी है और यही उसकी सबसे बड़ी ताक़त भी। खून उसके लिए ज़रूरत ही नहीं, नशा और खेल दोनों है। कॉलेज की भीड़, क्लासरूम का शोर और कैंटीन की गहमागहमी के बीच इन दोनों की पहली नज़रें मिलीं। तामस की आँखों में शिकारी का गुस्सा, और रीवा की आँखों में चुनौती की चमक। पहली मुलाक़ात ही टकराव में बदल गई— जैसे आग और तूफ़ान आमने-सामने आ खड़े हों। तामस ने उसे देखा तो भीतर ही भीतर एक अजीब बेचैनी उठी। यह लड़की दूसरों जैसी नहीं थी। वो जानता था कि इसके पीछे कोई राज़ है। रीवा ने उसे देखा तो होंठों पर तिरछी मुस्कान आ गई। इतना दबदबा, इतनी जंगली नफ़रत— ये उसके लिए नया शिकार भी था और नया खेल भी। लेकिन यह कहानी मासूम इश्क़ की नहीं थी। यह कहानी थी – नफ़रत के बीच पनपते प्यार की। यह कहानी थी – जहाँ हर छुअन में आग थी, हर नज़र में चुनौती और हर मुलाक़ात में एक छुपा हुआ पैशन। दोनों के बीच खिंचाव ऐसा था जैसे दो चुंबक एक-दूसरे की ओर खिंचते हों, लेकिन बीच में सदियों पुरानी दुश्मनी दीवार बनकर खड़ी हो। वो दीवार टूटेगी या और मज़बूत होगी, यही तय करेगा उनका अंजाम। क्योंकि जब **शेरवुल्फ़ और वैंपायर** आमने-सामने हों… तो या तो खून बहता है, या आग भड़कती है। और यहाँ तो दोनों होने वाले थे— खून भी, आग भी… और प्यार भी।
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काली हवेली…
जैसे रात का अंधेरा उसमें घुलकर उसी का हिस्सा बन गया हो। सदियों से वीरान यह हवेली अपने भीतर न जाने कितने राज़ और कितनी परछाइयाँ समेटे बैठी थी। बाहर हवाओं की सनसनाहट थी, खिड़कियों के टूटे शीशों से छनकर आती ठंडी हवा अंदर कमरे में अजीब-सी खामोशी के साथ गूंज रही थी।
ऊपर की मंज़िल का सबसे बड़ा कमरा — आलिशान, मगर डरावना। दीवारों पर लटके पुराने पेंटिंग्स धुंधले पड़ चुके थे, फर्श पर मोटा कालीन बिछा था, और बीच में रखा था एक भव्य बिस्तर। बिस्तर पर गहरी लाल और काली मखमली चादरें, जैसे किसी की साँसों से गर्म हो रही हों।
उस बिस्तर पर लेटी थी एक लड़की।
**नग्न अवस्था में।**
उसका गोरा चमकता बदन चाँदनी की रौशनी में और भी निखर रहा था। काले, लहराते बाल उसके चेहरे और कंधों पर बिखरे हुए थे। उसकी टाँगें हल्की-सी फैलीं, हाथ ढीले-ढाले तकिए पर टिके, और उसका उभार हर साँस के साथ धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रहा थे । नींद गहरी थी, मगर बेचैनी उसके होंठों की हल्की हरकत से साफ झलक रही थी। होंठों पर एक दम गहरे लाल रंग कि लिपस्टिक थी ,
कमरे में सन्नाटा था, लेकिन उस सन्नाटे के बीच अचानक… **एक आहट।**
फर्श पर जैसे किसी ने धीरे से कदम रखा हो। मगर वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया।
एक अदृश्य शक्ति धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी।
उसका कोई चेहरा नहीं था, कोई आकृति नहीं। सिर्फ़ एक मौजूदगी—भारी, गहरी, और रहस्यमयी। कमरे की हवा अचानक और ठंडी हो गई। झूमर हल्का-सा हिला, खिड़की का परदा सरसराया।
वो शक्ति बिस्तर तक पहुँची।
चादर पर एक लहर उठी… जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उसे छुआ हो। लड़की नींद में ही करवट बदल गई। उसकी नंगी पीठ अब पूरी तरह से चाँदनी में नहा गई।
अचानक…
वो अदृश्य छुअन उसके होंठों को छू गया।
पहले हल्के से, जैसे कोई बर्फ़ का टुकड़ा वहाँ रख दिया हो। फिर उस छुअन में एक अजीब गर्मी घुल गई। लड़की ने अनजाने में होंठों को भींच लिया।
वो छुअन धीरे-धीरे उसके चेहरे से सुराही जैसी गर्दन की तरफ़ सरकने लगी।
उसकी साँसें भारी हो गईं।
गर्दन पर जैसे किसी ने अपनी उंगलियाँ फिराईं हों, वहाँ से सिहरन उसकी पूरी रीढ़ में दौड़ गई। नींद में डूबी उसकी बदन बिस्तर पर करवटें बदलने लगी।
कमरा और भारी हो चुका था।
झूमर अब तेज़ी से हिल रहा था, परदों से आती हवा मानो अदृश्य शक्ति की साँसों जैसी लग रही थी।
अब वो छुअन उसके उभारों के बीच तक उतर आया।
वो जगह जहाँ उसकी साँसों की धड़कन सबसे साफ़ सुनाई दे रही थी।
एक पल को वो स्पर्श रुक गया—जैसे कोई निहार रहा हो, महसूस कर रहा हो।
लड़की की आँखे फड़की।
उसके हाथों ने बिस्तर की चादर कसकर पकड़ ली।
और फिर अचानक—
उसकी नींद टूटी।
उसकी आँखें खुलीं।
चारों तरफ़ अंधेरा और सन्नाटा।
मगर दिल धड़कने लगा तेज़।
क्योंकि उसे महसूस हो रहा था—**कोई है यहाँ।**
वो अदृश्य स्पर्श अब भी था।
उसका यक़ीन पक्का था कि किसी ने उसके नंगे उभारों को छुआ है।
उसने साफ़ महसूस किया कि जैसे **कोई उसके स्तनों को हाथों में लेकर दबा रहा हो।**
उसका गला सूख गया।
चेहरे पर पसीना छलक आया।
आँखें डर और चाहत के बीच काँप रही थीं।
उसने एक झटके से करवट ली।
पर सामने… सिर्फ़ खाली हवा थी।
कोई नहीं।
मगर उसका शरीर बता रहा था कि कोई है।
हर नस, हर साँस उस छुअन की गवाही दे रही थी।
उसके होंठ काँप उठे।
वो डर और सिहरन के बीच फँस गई।
चाहत की एक महीन लहर भी उसके अंदर उठ रही थी, जिसे वो खुद समझ नहीं पा रही थी।
वो आँखें फैलाए कमरे के हर कोने को देख रही थी, लेकिन सामने अब भी कुछ नहीं।
और तभी…
फिर वही दबाव।
उसके नग्न बदन पर किसी अदृश्य हाथ का स्पर्श—
जिसे वो महसूस कर सकती थी, मगर देख नहीं पा रही थी।
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हवेली की रात और भी घनी हो चुकी थी। बाहर हवाओं की सनसनाहट अब कमरे तक साफ़ सुनाई दे रही थी। लेकिन उस पल, उस कमरे में, बिस्तर पर लेटी लड़की के लिए सारी आवाज़ें गायब हो चुकी थीं।
वो केवल **एक छुअन** महसूस कर रही थी।
उसका नग्न शरीर चादरों पर सिकुड़-सा गया था, लेकिन फिर भी उसके उभार ऊपर-नीचे हो रहा थे। उसकी साँसें अब सामान्य नहीं थीं—हर साँस के साथ हल्की **आह्ह्हृ......** उसके होंठों से फिसल रही थी।
वो अदृश्य शक्ति अब उसके और क़रीब आ चुकी थी।
इतनी क़रीब कि लड़की को लग रहा था जैसे कोई झुककर उसके बदन को अपने में समेट रहा हो।
उसकी नाज़ुक त्वचा पर गर्म और ठंडी लहरें एक साथ दौड़ रही थीं।
एक पल ऐसा लगा, जैसे उसके उभारों पर हल्का-सा दबाव बढ़ गया हो।
वो सिहर उठी।
उसकी आँखें अब भी खुली थीं, लेकिन सामने सिर्फ़ अंधेरा था।
फिर भी उसे महसूस हुआ—
कोई अदृश्य चेहरा उसके उभार पर झुक रहा है।
कोई उसे ऐसे छू रहा है, जैसे उसका हर अहसास पढ़ लेना चाहता हो।
उसके होंठों से अनायास एक **कराह** निकली।
धीमी, थरथराती, मगर स्पष्ट।
वो घबराई, मगर खुद को रोक न सकी।
उसका हाथ बिस्तर की चादर से छूटकर धीरे-धीरे हवा में उठा—जैसे किसी अदृश्य कंधे को पकड़ लेना चाहता हो।
लेकिन वहाँ कुछ नहीं था।
बस वही मौजूदगी, जो और गहरी होती जा रही थी।
कमरा अब आहों और सिसकियों से गूंजने लगा।
हर बार जब वो छुअन उसके उभारों के इर्द-गिर्द घूमती, उसके गले से दबा-दबा **सिसकारा** बाहर निकल आता। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके उभार कोई पी रहा है |
उसके गाल लाल हो गए।
पलकों पर भारीपन था, मगर आँखें खुली रहना चाहती थीं।
वो देखना चाहती थी कि कौन है…
कौन है जो उसे इस तरह महसूस करा रहा है।
लेकिन उसकी नज़रें बार-बार हार जातीं।
सिर्फ़ हवा, सिर्फ़ सन्नाटा, सिर्फ़ अदृश्य लहरें।
वो अब डर और चाहत के बीच पूरी तरह बँट चुकी थी।
एक तरफ़ उसके भीतर की मासूमियत कह रही थी—“नहीं… ये ग़लत है।”
और दूसरी तरफ़ उसका थका हुआ तन उस स्पर्श को रोकना नहीं चाहता था।
उसने होंठ काट लिए।
उसके बदन से पसीने की बूँदें फिसलकर बिस्तर की चादर पर गिर रही थीं।
हर बूंद जैसे उस हवेली की खामोशी में एक नई ध्वनि बना रही थी।
अब वो अदृश्य शक्ति और बेबाक हो गई थी।
उसका स्पर्श नर्मी से गहराई तक उतर रहा था।
लड़की की कराहें और ऊँची होती जा रही थीं।
हर आह में डर और सुख का मिला-जुला स्वाद था।
उसके सीने से उठती हल्की सिसकियों ने कमरे की हवा बदल दी।
झूमर ज़्यादा तेज़ी से हिलने लगा।
खिड़की का परदा जैसे खुद-ब-खुद फड़फड़ाने लगा।
और फिर अचानक—
उसने आँखें भींच लीं।
उसका सिर पीछे की ओर झुक गया।
और होंठों से दबा-दबा एक लम्बा **“आह्ह…”** निकला।
उस पल, उसने खुद को रोकना छोड़ दिया।
वो उस अदृश्य छुअन को स्वीकार कर चुकी थी।
अब वो उसके साथ थी।
उसके बदन की हर नस उस रहस्यमयी शक्ति को आमंत्रित कर रही थी।
कमरा अब सिर्फ़ उसकी कराहों और सिसकियों से भरा था।
कभी धीमी, कभी तेज़।
कभी दबा-दबा स्वर, कभी खुला और मदहोश।
उसका शरीर चादरों पर तड़पता, करवटें लेता।
कभी हाथ कसकर चादर पकड़ते, कभी हवा में फैल जाते जैसे किसी को पकड़ना चाहते हों।
उसके बाल पसीने से भीगकर चेहरे से चिपक गए थे।
और वो अदृश्य शक्ति…
वो अब पूरे अधिकार से उसे छू रही थी।
उसकी साँसों में घुल रही थी।
उसके बदन पर अपनी मौजूदगी की लकीरें छोड़ रही थी।
लड़की अब पूरी तरह उसके साथ थी।
उसकी आँखों से डर मिट चुका था।
अब बस एक अजीब-सी तृप्ति की छाया थी, जो उसकी हर आह में गूंज रही थी।
उसके होंठों पर मुस्कान और सिसकी एक साथ तैर रही थी।
उसकी आँखें कभी खुलतीं, कभी बंद हो जातीं।
और हर बार उसे यही लगता कि कोई अदृश्य चेहरा उसके बेहद क़रीब है।
उसकी आहटों से हवेली की वीरानी अब और रहस्यमयी हो गई थी।
जैसे सदियों से खाली ये कमरा अब उसकी साँसों का घर बन गया हो।
वो अदृश्य शक्ति उसे पिघलाती रही…
वो लड़की उस अदृश्य आलिंगन में सिसकती रही…
और हवेली की दीवारें चुपचाप उस मिलन की गवाह बन गईं।
रिवा झटके से उठ बैठी। उभारों पर हाथ रखे, पसीना माथे से ढलक रहा था। आँखें खोलीं तो सामने वही पुराना लकड़ी का छत, वही लंबी खिड़की और पर्दों से आती हल्की सी सुबह की धूप। उसने हड़बड़ाकर चारों ओर देखा—कमरा वही था, उसकी अपनी हवेली का पुराना रूम।
*"ये… सपना था?"*
उसके होंठ बुदबुदाए। लेकिन दिल की धड़कन अब भी तेज़ थी। उसे साफ़ महसूस हो रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले कोई उसके बेहद पास था। उसकी साँसों में अब भी वही अजीब-सी गर्माहट बसी थी। रिवा ने पानी की बोतल उठाई, दो घूँट पिए और चेहरा आईने में देखा।
आईने में वही रिवा शाह खड़ी थी—लंबे खुले बाल, हल्की-सी उलझन आँखों में और होंठों पर बेचैनी का निशान। उसने गहरी साँस ली और खुद को झटका दिया, *"नो! ये सपना था, और कुछ नहीं।"*
वो तेजी से उठी, वार्डरोब खोला और अपने फेवरेट आउटफिट की ओर बढ़ गई। उसने काला क्रॉप टॉप निकाला, जिसके किनारे पर सिल्वर की चमक थी, और साथ में नीली हाई-वेस्ट पेंट। एक-एक कपड़ा पहनते हुए वो खुद से बड़बड़ाती रही, *"डर से कुछ नहीं होता… और अगर वो कोई सच में था भी, तो… वो कौन हो सकता है?"*
कपड़े पहनकर उसने शीशे में खुद को देखा। होंठों पर हल्की लिप-ग्लॉस, आँखों में हल्की काजल की लाइनिंग और गले में चेन—पूरी तरह तैयार। उसने बालों को झटककर कहा,
*"कौन कहेगा मैंने रात भर डरावना सपना देखा था?"*
उसने बैग उठाया और जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोला, हवेली का हाल दिखाई दिया। बड़ा-सा हॉल, ऊँची छतें और दीवारों पर लगी पुरानी पेंटिंग्स। लेकिन आज वहाँ रौनक थी।
दो सहेलियाँ पहले से ही वहाँ खड़ी थीं—रिया और तन्वी। दोनों हँसते हुए किसी बात पर ठहाके मार रही थीं।
"ओ हो, हमारी क्वीन आ ही गई!" रिया ने इशारा किया।
"आज तो किसी रैम्प वॉक से उतरकर आ रही लग रही है।" तन्वी ने छेड़ा।
रिवा ने हँसते हुए बाल झटक दिए, "देखो भई, कॉलेज है, कोई गाँव का मेला नहीं। ड्रेसिंग तो करनी ही पड़ेगी।"
तीनों की हँसी पूरे हॉल में गूँज उठी। तभी अचानक पीछे से किसी की आवाज़ आई—
"Wow… मेरी बेटी तो बिल्कुल मॉडल लग रही है।"
सबकी नजरें दरवाज़े की तरफ़ मुड़ीं। वहाँ उसकी माँ खड़ी थी। लंबे खुले बाल, वेस्टर्न ड्रेस—फ्लोरल शॉर्ट ड्रेस और हाई हील्स में। रिवा की माँ हमेशा की तरह जवान और स्टाइलिश लग रही थीं।
"मॉम!" रिवा दौड़कर उनसे गले मिली।
माँ ने हँसते हुए उसे कसकर पकड़ लिया और बोलीं, "यार, तुमसे एक शिकायत है।"
रिवा ने आँखें सिकोड़ लीं, "क्या?"
"इतनी हॉट लग रही हो कि लोग कहेंगे, ये बेटी है या बहन?"
रिया और तन्वी हँसते-हँसते लोटपोट हो गईं। रिवा ने शर्माते हुए मुँह बना लिया, "मॉम, आप भी ना…"
माँ ने उसके गाल पर हाथ रखा और अचानक गंभीर हो गईं।
"बेटा… तुम्हें याद है ना, मैंने कल क्या कहा था?"
रिवा चौंकी, "क्या?"
"आज कॉलेज में किसी से झगड़ा मत करना।"
रिवा ने भौंहें चढ़ाईं, "लेकिन क्यों? मतलब मैं किसी से लड़ने थोड़ी जाती हूँ।"
माँ ने गहरी साँस ली और उसकी आँखों में देखकर बोलीं,
"तुम्हारे डैड ही आकर तुम्हें सब समझाएँगे। तब तुम्हें सब पता चल जाएगा। अभी बस इतना याद रखो—आज के दिन कुछ भी ऐसा मत करना जो मुसीबत खड़ी करे।"
रिवा थोड़ी देर माँ की आँखों में देखती रही। माँ के चेहरे पर हल्की-सी चिंता की झलक थी।
*"डैड? और झगड़ा? आखिर ये सब चल क्या रहा है?"* उसने मन ही मन सोचा।
फिर उसने नटखट अंदाज़ में हँसते हुए कहा, "ओके मॉम… आज कोई फाइट नहीं। लेकिन अगर कोई खुद ही लड़ाई के लिए आगे आ जाए, तो?"
माँ ने हल्की मुस्कान दी, "फिर भी… इस बार तुम पीछे हट जाना।"
रिवा ने होंठ काटे और हाँ में सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखों में वही जिद थी। *"देखते हैं, आज क्या होता है।"*
उसने बैग कंधे पर डाला, सहेलियों को इशारा किया, "चलो, कॉलेज चलते हैं। आज मज़ा आएगा।"
हॉल में उसकी हँसी गूँज गई, लेकिन पीछे खड़ी माँ की आँखें कुछ और कह रही थीं—जैसे उन्हें पहले से अंदाज़ा हो कि कॉलेज में आज रिवा के सामने कौन-सी **तूफानी टक्कर** आने वाली है।
कार घर के सामने खड़ी थी। हमेशा की तरह ड्राइवर ने दरवाज़ा खोला और झुककर बोला,
“मैडम, बैठिए।”
लेकिन रिवा ने तुरंत हाथ उठाकर इशारा किया,
“नहीं शर्मा अंकल, आज मैं खुद ड्राइव करूंगी।”
“पर बेटा…”
रिवा ने चाभी झटकते हुए हँसकर कहा,
“आज मूड है स्पीड का। रिलैक्स, आप आराम करो।”
रिया और तन्वी ने आँखें फैलाकर देखा,
“ओ हो! आज तो मैडम का स्टंट मोड ऑन है।”
रिवा ने कंधे उचकाए, “ड्राइविंग का मज़ा तब है जब हवा से रेस लगे।”
तीनों लड़कियाँ कार में बैठीं और अगले ही पल इंजन गरज उठा। घर का आँगन छोड़ते ही कार तेज़ी से सड़क पर दौड़ने लगी। हवा में उनके बाल उड़ रहे थे, बैक सीट पर रिया और तन्वी चिल्ला-चिल्लाकर गाने गा रही थीं, और स्टीयरिंग पर बैठी रिवा की आँखों में वही आत्मविश्वास झलक रहा था।
“आज का दिन धमाकेदार होगा…” उसने मन ही मन सोचा, लेकिन कहीं न कहीं माँ की कही बात गूँज भी रही थी—“किसी से झगड़ा मत करना।”
कॉलेज का गेट नज़र आया। सुबह का समय था, तो कैंपस हलचल से भरा हुआ था। नए-नए स्टूडेंट्स इधर-उधर अपने क्लास ढूँढते फिर रहे थे। कुछ बच्चे डर-डर के खड़े थे, कुछ ग्रुप्स में बातें कर रहे थे।
रिवा ने कार पार्क की और बाहर उतरी। हमेशा की तरह उसकी एंट्री ने कई निगाहें अपनी तरफ़ खींच लीं। उसकी ड्रेसिंग, उसकी चाल, और उसके चारों ओर फैला अजीब-सा कॉन्फिडेंस—सब उसे भीड़ से अलग बना देता था।
लेकिन तभी हॉल के बाहर हलचल मच गई।
क्लास के नए स्टूडेंट्स का एक झुंड इकट्ठा था और बीचों-बीच एक लड़का खड़ा था—लंबा, चौड़े कंधे, चेहरे पर शरारती मुस्कान और आँखों में बदतमीज़ी का नशा। उसके साथ चार-पाँच और लड़के थे।
“अरे! नए बच्चे, वेलकम टू कॉलेज…” उस लड़के ने ज़ोर से कहा।
उसका नाम था डैनी—आज ही कॉलेज में आया था, लेकिन उसके तेवर पहले दिन से ही गुंडों वाले थे।
वो एक दुबले-पतले नए लड़के के सामने खड़ा होकर बोला,
“तुम्हें हमारी रैगिंग पास करनी होगी। वरना यहाँ टिकना मुश्किल है।”
बच्चा सहम गया।
रिया ने धीरे से तन्वी के कान में कहा,
“ये कौन है यार? पहले दिन से ही बॉस बना घूम रहा है।”
लेकिन रिवा चुप नहीं रह पाई। उसने आगे बढ़कर ज़ोर से कहा,
“ए, तुम! ये कोई रोडसाइड गुंडों का अड्डा नहीं, कॉलेज है।”
डैनी ने उसकी ओर देखा और आँखें तरेरीं।
“और तुम कौन हो मुझे रोकने वाली?”
“रिवा शाह,” उसने सीधा जवाब दिया।
पूरे कैंपस में अचानक सन्नाटा छा गया। सब जानते थे रिवा का नाम, उसकी फैमिली, और उसकी दबंग पर्सनैलिटी।
डैनी ने मुस्कराकर ताली बजाई,
“ओह… तो तुम हो मिस पॉपुलर। लेकिन यहाँ पॉपुलैरिटी नहीं चलेगी, यहाँ सिर्फ मेरा रूल चलेगा।”
वो उसके क़रीब आया और बोला,
“और अगर तुम्हें इतना शौक है हीरोइन बनने का, तो एक काम करो…”
उसने ज़ोर से कहा,
“सबके सामने अपना टॉप उतारो।”
पूरा कैंपस हैरान रह गया। लड़कियों ने चीखें दबाईं, लड़कों ने सीटी बजाई। रिया और तन्वी का चेहरा सफेद पड़ गया।
“क्या बकवास है?” रिवा गरज उठी।
लेकिन डैनी और उसके दोस्त हँसते हुए चारों ओर से उसे घेरने लगे।
“क्यों? डर गई? अभी तो कहा था कॉलेज है… दिखा दो ना कॉन्फिडेंस।”
रिया घबराकर बोली,
“रिवा… छोड़ो, मत उलझो इनसे।”
रिवा के होंठों पर गुस्से की कंपकंपी थी। उसका हाथ अनजाने में उठ गया था—वो डैनी को थप्पड़ मारने ही वाली थी।
लेकिन उसी पल माँ की आवाज़ उसके कानों में गूँजी—
“आज किसी से झगड़ा मत करना।”
उसने खुद को रोक लिया।
डैनी ने उसकी झिझक देखी और और ज़ोर से हँस पड़ा,
“देखा सबने? हमारी मिस रिवा शाह भी डरती है। अब या तो टॉप उतारो, या मान लो कि तुम सिर्फ नाम की शेरनी हो।”
उसके दोस्त और पास आ गए। चारों ओर का सर्कल छोटा होता जा रहा था। रिया और तन्वी असहाय खड़ी थीं।
रिवा का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। एक तरफ़ माँ की चेतावनी थी, दूसरी तरफ़ उसकी खुद की इज़्ज़त और गुस्सा।
उसने होंठ काटते हुए सोचा—
"अगर मैंने हाथ उठाया तो माँ की बात टूट जाएगी। लेकिन अगर चुप रही तो ये कमीना समझेगा मैं डर गई…"
डैनी ने फिर कदम आगे बढ़ाया, उसके बेहद क़रीब आकर फुसफुसाया,
“चलो बेबी… आज पूरे कॉलेज को शो दो। वरना तुम्हारे कपड़े मैं ही उतार दूँ।”
रिवा की आँखों में खून उतर आया। उसके हाथ अब काँप नहीं रहे थे, बल्कि मुट्ठी बन चुके थे।
उस पल रिवा ने महसूस किया—ये सिर्फ़ बदतमीज़ी नहीं, ये उसकी पहली असली टक्कर थी।
और शायद यही वो टक्कर थी जिसकी माँ ने पहले से चेतावनी दी थी।
डैनी की हँसी की गूँज पूरे कैंपस में फैल रही थी।
रिवा की साँसें तेज़ थीं, गुस्से से उसकी आँखें सुर्ख़ थीं। भीड़ गोल घेरे में खड़ी थी—कुछ के चेहरे पर हैरानी, कुछ पर मज़ाक, और बाकी सब तमाशे का मज़ा लेने में व्यस्त।
रिया ने काँपते हुए तन्वी का हाथ पकड़ लिया, “ये… ये तो हद कर रहा है। चल, प्रिंसिपल के पास चलते हैं।”
दोनों जल्दी-जल्दी कदम बढ़ाकर भीड़ को चीरती हुई निकल गईं।
अब मैदान में रिवा अकेली थी।
सामने डैनी—अपने पाँचों गुंडा दोस्तों के साथ।
चारों तरफ़ दबे-दबे स्वर, धीमी हँसी और मोबाइल कैमरे ऑन हो रहे थे।
डैनी ने उसकी आँखों में देखकर कहा,
“क्या हुआ शेरनी? डर गई? अभी-अभी तो बड़ी अकड़ में थी।”
रिवा की मुट्ठियाँ भींची हुई थीं। माँ की आवाज़ अब भी कानों में गूँज रही थी—
"आज किसी से झगड़ा मत करना, बेटा।"
उसने गहरी साँस ली।
लेकिन तभी डैनी ने अचानक कदम आगे बढ़ाए और उसकी कलाई कसकर पकड़ ली।
भीड़ से कुछ लड़कियों की हाँफने की आवाज़ आई।
“अब सबके सामने साबित कर दो कि तुम सच में बिंदास हो… टॉप उतारो।”
उसकी आवाज़ इतनी ज़ोरदार थी कि पूरा कैंपस गूँज उठा।
एक पल को रिवा को लगा जैसे ज़मीन उसके पैरों तले खिसक गई हो।
उसके सीने में दिल धड़क नहीं—धमक रहा था।
भीड़ से किसी ने सीटी बजाई।
किसी और ने मोबाइल ऊपर उठा लिया।
एक लड़के ने ताना मारा—
“अरे जल्दी करो, इतना भी क्या सोचना!”
रिवा की आँखों में आँसू तैरने लगे थे, लेकिन होंठ अब भी ज़िद्दी बंद थे।
गुस्से और अपमान का तूफ़ान उसके भीतर उमड़ रहा था।
डैनी ने मुस्कुराकर कहा,
“चुप क्यों? या तो अभी सबके सामने कर लो… या फिर मैं खुद मदद कर दूँ।”
उसके दोस्त ठहाके लगाकर हँसने लगे।
भीड़ और पास खिसक आई।
रिवा की साँसें काँप रही थीं—
“माँ… अगर मैं आज भिड़ गई तो आपकी बात टूट जाएगी।
लेकिन अगर चुप रही तो ये कमीना जीत जाएगा।”
उसके काँपते हाथ धीरे-धीरे ऊपर उठे।
भीड़ में सन्नाटा छा गया।
सिर्फ कैमरों की लाल बत्ती टिमटिमा रही थी।
डैनी ने आँखें चमकाकर कहा,
“हाँ… ऐसे ही। सबको आज मज़ा मिलेगा।”
रिवा के माथे पर पसीने की बूँदें फिसल रही थीं।
उसने होंठ दबाए, दिल पर पत्थर रखा और धीरे से अपनी टाॅप की चेन पकड़ ली।
भीड़ में दबे स्वर—
“ये सच में कर रही है क्या?”
“ओ माय गॉड…”
“रिकॉर्ड कर, रिकॉर्ड कर!”
डैनी की हँसी और चौड़ी हो गई।
उसने फुसफुसाकर कहा,
“गुड गर्ल। यही चाहिए था मुझे।”
रिवा का हाथ काँप रहा था।
उसने चेन नीचे खिसकाना शुरू किया।
एक-एक इंच नीचे, और भीड़ की साँसें और तेज़ होती गईं।
अब माहौल ऐसा था कि हर कोई थम गया हो।
कोई बोल नहीं रहा था, कोई रोक नहीं रहा था।
बस खामोशी थी और रिवा का अपमान होता जा रहा था।
डैनी झुककर उसके कान में बोला,
“शाबाश… अब तो आधा काम हो गया। आगे बढ़ो… पूरा कर दो।”
रिवा की आँखें लाल हो चुकी थीं। वो अब तक टाॅप उतार चूकी थी और अब ब्रा में थी ,
उसकी नज़रें भीड़ पर गईं—सबकी आँखों में तमाशा देखने की भूख।
उसके कानों में डैनी की बात गूँजी—
“अब पैंट भी उतारो।”
पूरा कैंपस सन्न हो गया।
किसी ने चीख दबाई, किसी ने फिर सीटी बजाई।
रिवा का चेहरा सफेद पड़ चुका था।
उसके हाथ फिर से काँप उठे।
उसके अंदर दो तूफ़ान टकरा रहे थे—
माँ की बात… और उसकी खुद की इज़्ज़त।
भीड़ अब और पास आ गई थी।
डैनी उसकी ओर झुका और होंठों पर वही शैतानी मुस्कान लिए बोला,
“चलो शेरनी… अब असली शो टाइम।”
रिवा की साँस अटक गई।
उसकी उंगलियाँ बेल्ट के पास जा पहुँचीं…
और ठीक उसी पल—
रिया और तन्वी दौड़ते-हांफते प्रिंसिपल के ऑफिस पहुँचीं।
दरवाज़ा धड़ाम से खोला और दोनों अंदर घुस गईं।
प्रिंसिपल सर उस वक़्त किसी फाइल में डूबे थे। अचानक दो घबराई हुई लड़कियों को देखकर उन्होंने चौंककर चश्मा उतारा।
“क्या हुआ? क्यों ऐसे भागी आ रही हो?”
रिया की साँसें टूटी हुई थीं। उसने लगभग रोते हुए कहा,
“सर… कैंपस में बहुत बड़ा हंगामा हो रहा है।”
तन्वी ने जल्दी-जल्दी जोड़ा,
“नए एडमिशन वाला लड़का… उसका नाम डैनी है। वो सबके सामने रिवा से बदतमीज़ी कर रहा है। पूरे कॉलेज के बच्चे वहाँ जमा हैं। उसने—उसने हद पार कर दी है।”
प्रिंसिपल का चेहरा सख़्त हो गया।
“क्या? रैगिंग? और वो भी लड़कियों के साथ बदतमीज़ी?”
रिया ने सिर हिलाया, आँखों में आँसू थे।
“जी सर… सब लोग देख रहे हैं, लेकिन कोई रोक नहीं रहा। सब सिर्फ तमाशा बना रहे हैं। रिवा अकेली फँस गई है।”
तन्वी ने हाथ जोड़कर कहा,
“प्लीज़ सर, जल्दी चलिए। वरना बहुत देर हो जाएगी।”
प्रिंसिपल ने कुर्सी से तुरंत उठते हुए स्टाफ रूम की ओर इशारा किया।
“सब प्रोफेसर्स को बुलाओ… अभी!”
और वे तेज़ी से ऑफिस से बाहर निकल पड़े।
तभी रिवा ने पेंट भी उतार दी अब वो सिर्फ ब्रा पेंटी में शर्मिंदा खड़ी ,
डैनी की आँखों में खतरनाक चमक थी।
वो आगे झुककर गुर्राया—
“अगर सच में अकड़ दिखानी है तो… मेरे लिए कैटवॉक करके दिखा।”
भीड़ में ठहाकों की गूँज उठी।
किसी ने सीटियाँ बजाईं, किसी ने मोबाइल और ऊँचा उठा लिया।
रिवा का दिल धड़क रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर अब एक अलग-सी ठंडक उतर आई थी।
उसने गहरी साँस ली, और धीरे-धीरे पीछे हटकर बीचोंबीच जगह बनाई।
डैनी हँस पड़ा,
“ओ हो! अब मज़ा आएगा… शेरनी बनी मॉडल।”
लेकिन अगले ही पल रिवा ने सीधी गर्दन उठाई और पूरे आत्मविश्वास से अपने कदम आगे बढ़ाए।
उसकी चाल में न डर था, न झिझक।
जैसे किसी रैंप पर रौशनी में उतरती हुई मॉडल हो।
भीड़ एक पल को चुप हो गई।
सभी हैरान रह गए।
डैनी की मुस्कान थोड़ी देर के लिए जमी—उसने सोचा था रिवा रोएगी, टूटेगी, लेकिन यहाँ तो तस्वीर उलटी हो गई थी।
रिवा के कदम ताल पर, उसकी आँखें सीधी डैनी की ओर।
कदम दर कदम उसकी चाल में ऐसा कॉन्फिडेंस था कि लोग दंग रह गए।
वो डैनी के सामने आकर ठिठकी और बोली—
“मेरे जैसी लड़की शायद ही तुमने कभी देखी होगी। तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कि मैं कौन हूँ।”
भीड़ में सरगोशियाँ फैल गईं।
डैनी ने भौंहें तानी,
“क्या मतलब?”
रिवा ने हल्की हँसी दी,
“मतलब ये कि मैं इस साल का बिकिनी कॉम्पटीशन जीत चुकी हूँ। लोगों की नज़रें, कैमरे, तालियाँ—मैं सब देख चुकी हूँ। तुम्हारी ये घटिया धमकियाँ मुझे हिला नहीं सकतीं।”
भीड़ में कई लड़कियों के चेहरे चमक उठे—जैसे रिवा उनके लिए बोल रही हो।
कुछ लड़कों की हिम्मत टूट गई।
लेकिन डैनी अब और खिसिया गया था।
उसकी आँखों में झुंझलाहट उतर आई।
“बहुत अकड़ है न तुझमें…”
वो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा और हाथ उठाकर उसके कंधे को छूने ही वाला था।
भीड़ सन्न।
किसी ने आवाज़ नहीं निकाली।
और तभी—
धड़ाक!!!
एक जोरदार थप्पड़ डैनी के गाल पर पड़ा।
आवाज़ इतनी तेज़ थी कि पूरा कैंपस गूँज उठा।
डैनी लड़खड़ा गया।
उसकी आँखें हैरत से फैल गईं।
वो पलटकर देखने लगा कि किसने हिम्मत की।
भीड़ के बीच से कोई लंबा-चौड़ा लड़का आगे आया। सुपर हैंडसम,
आँखों में गुस्से की आग, चाल में ऐसा रौब कि भीड़ अपने आप हटती चली गई।
उसने डैनी की कॉलर पकड़कर तना चेहरा दिखाया और दहाड़ा, डैनी ने कहा,
“ ब्रो… आप।
भीड़ में सनसनी दौड़ गई।
रिवा ने भी पहली बार राहत की साँस ली। ये था डैनी का बड़ा भाई तामस ,
डैनी का चेहरा उस थप्पड़ की गूंज से अब भी सुलग रहा था।
उसकी आँखों में गुस्सा और हैरत दोनों ही तैर रहे थे।
भीड़ में हलचल मच गई।
हर कोई फुसफुसा रहा था—
“किसने मारा?”
“इतना जोरदार थप्पड़… और वो भी डैनी को?”
सभी की नज़रें एक ही दिशा में टिक गईं।
भीड़ के बीच से हटते चेहरों और घबराई साँसों के बीच एक शख़्स आगे बढ़ रहा था।
उसकी चाल में अजीब-सा रौब था। जैसे उसके हर कदम से ज़मीन खामोश हो जाती हो।
काला फिटेड शर्ट, ऊपर से खुले दो बटन, जिससे उसकी चौड़ी छाती झलक रही थी।
डेनिम जीन्स, भारी बूट्स और हाथ की मोटी घड़ी उसके स्टाइल को और खतरनाक बना रहे थे।
चेहरे पर हल्की दाढ़ी, तेज़ जॉलाइन और नज़रों में ऐसी आग…
जैसे कोई बादशाह अपने इलाक़े में घुस आया हो।
भीड़ में किसी ने फुसफुसाकर कहा—
“ये… ये तो तामस है!”
तुरंत दूसरी आवाज़ आई,
“डैनी का बड़ा भाई… और कॉलेज का सबसे हॉट, सबसे हैंडसम लड़का।”
लड़कियों की साँसें जैसे अटक गईं।
कईयों ने मोबाइल निकालकर छुप-छुपाकर रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।
रिवा की आँखें भी पल भर को चौंधिया गईं।
उसने कभी इतना हॉट और डेंजरस इंसान एक साथ नहीं देखा था।
तामस ने सीधे जाकर डैनी की कॉलर पकड़ ली।
उसकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि डैनी का गुस्सा वहीं ठंडा पड़ गया।
“डैनी…” उसकी भारी आवाज़ गूँजी,
“लड़कियों से इस तरह की हरकत दोबारा की… तो ये थप्पड़ तेरी सबसे छोटी सज़ा होगी।”
भीड़ एकदम खामोश।
सिर्फ तामस की दहाड़ गूँज रही थी।
उसने डैनी को झटका देकर पीछे धकेला।
फिर सबके सामने गरजकर बोला—
“लड़कियों की इज़्ज़त करना सीख। किसी की बेटी, किसी की बहन तेरे लिए तमाशा नहीं है। अगर हिम्मत दिखानी है तो मैदान में दिखा… किसी मासूम पर नहीं।”
डैनी शर्मिंदा-सा सिर झुकाए खड़ा रह गया।
लेकिन तभी…
तामस की नज़र रिवा पर गई।
वो पल जैसे ठहर गया।
भीड़, शोर, सारी हलचल जैसे गायब हो गई हो।
उसकी नज़रें बस रिवा पर टिक गईं—
भीगी आँखें, लेकिन चेहरे पर अजीब-सा कॉन्फिडेंस।
शरीर भले ब्रा-पेंटी में शर्मिंदगी के साथ ढका हुआ था, लेकिन उसकी आँखों में एक आग थी।
तामस को यक़ीन नहीं हुआ कि इस हालत में भी कोई लड़की इतनी मज़बूत खड़ी रह सकती है।
उसका दिल धड़कने लगा।
रिवा ने तुरंत पास रखे अपने कपड़े उठाए।
सभी के सामने उसने बिना झिझक शॉल और जीन्स पहन ली।
उसकी हर हरकत में अब भी वही शान थी, मानो वो किसी रैंप पर तैयार हो रही हो।
तामस की नज़रें उसके हर मूव पर टिकी रहीं।
वो चाहता तो नज़रें फेर लेता, लेकिन न जाने क्यों… कुछ उसे खींच रहा था।
भीड़ में सरगोशियाँ फिर शुरू हो गईं।
“लगता है तामस को रिवा पर नज़र टिक गई है।”
“पहली बार उसे किसी लड़की को ऐसे देखते हुए देखा है।”
रिवा ने कपड़े पहनकर सीधी गर्दन उठाई और बिना तामस से कुछ कहे वहाँ से निकलने लगी।
उसके कदम तेज़ थे, लेकिन दिल में अजीब-सी हलचल।
“ये कौन है…? और इतना क्यों देख रहा था मुझे?” उसके ज़ेहन में सवाल गूंजा।
तभी पीछे से डैनी की आवाज़ आई—
“भाई… रुकिए। आप जानते भी हो ये कौन है?”
तामस ने धीमे से भौंहें तानी।
“कौन है?”
डैनी ने गुर्राते हुए कहा—
“ये… हमारे दुश्मनों की बेटी है। मैं इसे बस सबक सिखा रहा था।”
भीड़ में सनसनी।
रिवा ठिठककर पल भर को रुक गई।
उसकी साँस अटक गई।
तामस की आँखों में पहले तो हैरत झलकी, फिर होंठों पर धीमी-सी मुस्कान खेल गई।
वो ठंडे स्वर में बोला—
“ओह… तो ये दुश्मन की बेटी है।”
डैनी ने उत्साहित होकर कहा—
“हाँ भाई… इसलिए मैं…”
लेकिन तामस ने बीच में ही रोक दिया।
उसकी गहरी आवाज़ भीड़ में गूँजी—
“तो पहले ये कहना चाहिए था, डैनी। क्योंकि ऐसी लड़की को तो मैं भी… कभी छोड़ने वाला नहीं हूँ।”
उसकी नज़रों में अब अजीब-सी चमक थी।
भीड़ ने सांसें खींच लीं।
कॉलेज की लाइब्रेरी उस वक्त लगभग खाली थी।
ऊँची-ऊँची लकड़ी की शेल्फ़ों के बीच हल्की पीली रौशनी टिमटिमा रही थी।
हर तरफ़ किताबों की महक और सन्नाटा पसरा था।
लेकिन उस सन्नाटे में एक कोना ऐसा था, जहाँ साँसों की गर्माहट गूँज रही थी।
डैनी उस कोने की टेबल पर बैठा था, उसके सामने एक लड़की—स्लिम, गोरी, और आँखों में शरारती चमक लिए।
वो लगातार डैनी को ऐसे देख रही थी जैसे उसके हर शब्द, हर नज़र का इंतज़ार हो।
डैनी ने धीरे-धीरे हाथ बढ़ाया और उसके बालों की लट कान के पीछे सरका दी।
लड़की ने गहरी साँस ली और होंठ काटकर मुस्कराई।
“डैनी… अगर किसी ने देख लिया तो?”
उसकी आवाज़ फुसफुसाहट थी, लेकिन उसमें छिपी बेसब्री साफ़ झलक रही थी।
डैनी हल्के से हंसा—
“डर मत… यहाँ कोई नहीं आएगा। और अगर आया भी, तो तुझे देखकर जल ही जाएगा।”
उसने लड़की की ठुड्डी उठाई और होंठ उसके कान के करीब ले आया।
उसकी साँसों की गर्मी से लड़की का बदन काँप गया।
धीरे-धीरे उसने अपनी स्कर्ट की हेम पकड़कर ऊपर खिसकाई।
डैनी की आँखों में चमक आ गई।
उसने झुककर उसकी जांघों पर उंगलियाँ फेरीं।
लड़की की साँसें तेज़ हो गईं।
उसने खुद अपने टॉप के बटन खोले, एक-एक करके…
बटन खुलते ही उसकी नाज़ुक गर्दन और कंधे झलकने लगे।
डैनी की नज़रें हर बार और गहरी होती गईं।
वो उसके और पास आया और धीरे से फुसफुसाया—
“तू पागल कर रही है मुझे…”
लड़की ने शरमाते हुए हँसी दबाई और अचानक अपना टॉप उतारकर फेंक दिया।
अब बस उसका शरीर हल्की ब्रा में ढका हुआ था।
डैनी ने बिना रुके अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए।
उसकी उँगलियाँ पीठ पर घूम रही थीं, और लड़की की आँखें बंद हो गईं।
उसका बदन गर्म होता जा रहा था।
हर छुअन पर उसकी साँसें और भारी हो रही थीं।
डैनी ने ब्रा की स्ट्रैप को खींचा। और उसे बदन से ऊपर कर दिया,
लड़की हल्की-सी झिझकी, लेकिन अगले ही पल उसने खुद उसे ढीला कर दिया।
डैनी की आँखें चमक उठीं—मानो कोई खज़ाना सामने खुल गया हो।
उसने झुककर अपने होंठ उसके उभार पर रख दिए।
एक हाथ से उसे कसकर थाम लिया, और दूसरे से उसके उभार को सहलाने लगा।
लड़की का सिर पीछे की तरफ़ गिर गया।
उसके होंठों से दबे-दबे कराह निकलने लगे।
“डैनी… बस… प्लीज़…”
उसकी आवाज़ काँप रही थी, लेकिन रुकने की गुज़ारिश में भी एक अजीब-सी चाहत छिपी थी।
डैनी ने और गहराई से उसे महसूस किया।
उसकी उँगलियाँ अब हर हिस्से को छू रही थीं।
लड़की की पीठ में सनसनाहट दौड़ गई।
उसने डैनी के बालों में हाथ फँसाकर उसे और पास खींच लिया।
उसकी आँखें पूरी तरह बंद थीं और चेहरा लाल हो उठा था।
“ओह गॉड… डैनी…”
उसकी ये हल्की चीखें लाइब्रेरी की खामोशी को चीरती हुई बस उसी कोने में कैद हो गईं।
डैनी का अंदाज़ जैसे उसे जीत लेने वाला था।
लड़की अब पूरी तरह पिघल चुकी थी—
उसकी साँसें तेज़, शरीर ढीला, और आँखों में बस वही नशा… जो डैनी ने दिया था।
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लाइब्रेरी के उस सन्नाटे में सिर्फ़ घड़ी की हल्की टिक-टिक थी और बीच-बीच में पन्ने पलटने की आवाज़। लेकिन टेबल के उस कोने पर माहौल बिल्कुल अलग था।
डैनी और वो लड़की आमने-सामने थे। किताबें उनके सामने खुली थीं, मगर दोनों को मालूम था कि अब न किताबें पढ़ी जा रही थीं और न ही कोई पढ़ाई हो रही थी।
लड़की की स्कर्ट पहले ही थोड़ी ऊपर खिसक चुकी थी। उसकी जांघों पर हल्की रोशनी पड़ रही थी। डैनी ने धीमे-धीमे अपनी उँगलियाँ उसकी टांग पर रखीं।
जैसे ही उसका हाथ उसकी त्वचा को छुआ, लड़की की साँस अटक गई। उसने अपनी उँगलियाँ कसकर किताब पर दबाईं और नज़रें झुका लीं, लेकिन उसकी धड़कनों की तेज़ी को छुपा पाना नामुमकिन था।
डैनी मुस्कराया और झुककर उसके कान के पास फुसफुसाया—
“डर मत… मैं बस तुझे महसूस कराना चाहता हूँ।”
उसकी गर्म साँसें लड़की के कान से टकराईं, जिससे उसका पूरा बदन काँप उठा। उसने होंठ भींच लिए, पर नज़रें डैनी से हट न सकीं।
डैनी की उँगलियाँ धीरे-धीरे उसकी जांघों पर ऊपर सरकने लगीं। हर इंच बढ़ने पर लड़की की साँसें गहरी होती गईं। उसकी आँखें बंद हो गईं जैसे वो खुद को इस अहसास में खो देना चाहती हो।
अब डैनी का हाथ उसकी स्कर्ट के भीतर जा पहुँचा। वहाँ बस पतली-सी परत बाकी थी। उसने उस जगह पर रुककर हल्के-हल्के सहलाना शुरू किया।
लड़की के होंठों से एक अनजानी कराह निकली। उसने टेबल के किनारे को कसकर पकड़ लिया।
“डैनी…”
उसकी आवाज़ धीमी और काँपती हुई थी, जैसे रोकना भी चाह रही हो और आगे भी बुला रही हो।
डैनी ने मुस्कुराकर उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई।
“प्लीज़ क्या? रुक जाऊँ… या और पागल कर दूँ?”
लड़की ने काँपते हुए उसकी आँखों में देखा। शर्म, चाहत और हल्की जिद सब कुछ उस नज़र में था। उसने धीरे से सिर झुकाया और बमुश्किल फुसफुसाई—
“…और…”
यही सुनते ही डैनी का हाथ और आगे बढ़ा। उसने उसकी पैंटी के अंदर अपनी उँगलियाँ सरका दीं। वहाँ की नर्मी ने जैसे उसे पागल कर दिया। उसकी उँगलियाँ उस गुलाबी पंखुड़ियों जैसी जगह को धीरे-धीरे सहलाने लगीं।
लड़की का पूरा बदन झटके से काँप उठा। उसकी आँखें कसकर बंद हो गईं और होंठों से तेज़ साँस निकल गई।
“आह… डैनी…”
उसके गालों का रंग गहरा लाल हो चुका था। उसने अपनी बाहें डैनी की गर्दन में डाल दीं और खुद को उसके और करीब खींच लिया।
डैनी की उँगलियाँ लय बनाकर चल रही थीं। कभी हल्की, कभी गहरी। हर बार लड़की की कमर अचानक ऊपर उठ जाती, जैसे उसका शरीर खुद उसके टच के पीछे भाग रहा हो।
“डैनी… तुम… मुझे पागल कर दोगे…”
उसकी आवाज़ फुसफुसाहट और कराह के बीच उलझी हुई थी।
डैनी ने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए। धीरे-धीरे चूमता हुआ उसके जबड़े तक पहुँचा। फिर होंठों पर कब्ज़ा कर लिया। लड़की ने पूरी तरह खुद को उसके हवाले कर दिया। उसकी साँसें टूट रही थीं, सीना तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहा था।
अब उसकी उँगलियाँ किताबों की जगह डैनी की पीठ पर थीं। वो कसकर पकड़ रही थी, जैसे खुद को सँभाल नहीं पा रही।
डैनी ने और गहराई से उसकी नर्मी को सहलाया। उसकी उँगलियाँ हर बार और बेबाक हो रही थीं।
लड़की का पूरा बदन अब भीग चुका था। उसके होंठ काँपते हुए बार-बार डैनी के होंठों को ढूँढते।
“प्लीज़… मत रुको…”
उसकी सिसकियों में चाहत साफ़ सुनाई दे रही थी।
डैनी ने उसकी आँखों में देखते हुए फुसफुसाया—
“तो फिर खो जा… सिर्फ़ मेरे लिए।”
लड़की की साँसें अब बेकाबू थीं। उसने खुद अपनी जांघें और खुली कर दीं, जैसे डैनी को और गहराई में बुला रही हो।
डैनी की उँगलियाँ अब और गहराई तक उतर चुकी थीं। हर बार जब वो उस जगह को छूता, लड़की एक हल्के झटके के साथ उसकी बाँहों में कसकर सिमट जाती।
उसके होंठों से लगातार सिसकियाँ और धीमी कराह निकल रही थीं। चेहरा पूरी तरह लाल, बाल बिखरे हुए और आँखें नशे से भरी हुई।
डैनी ने उसके कान में फुसफुसाया—
“कितनी नर्म हो तुम… तुम्हें छूते ही लगता है जैसे जन्नत छू ली हो।”
लड़की ने काँपती आवाज़ में जवाब दिया—
“डैनी… तुम मुझे पूरा अपना बना रहे हो…”
उसका बदन अब डैनी की हर हरकत के साथ थरथरा रहा था। वो पूरी तरह टूटकर उसके स्पर्श में बह रही थी।
लाइब्रेरी का सन्नाटा अब सिर्फ़ उनकी साँसों और दिल की धड़कनों से भर चुका था। बाहर की किताबें, शेल्फ़, कुर्सियाँ—सब जैसे ग़ायब हो गई थीं।
वहाँ बस एक लड़की की मदहोशियाँ थीं और एक लड़के का बेकाबू जुनून।
डैनी ने झटके से अपनी टी-शर्ट उतारी और साइड में फेंक दी। उसकी साँसें गरम थीं और आँखों में पागलपन भरा जूनून।
लड़की की नज़रें उसके चौड़े सीने पर टिक गईं। उसने काँपते हाथों से उसे छूना शुरू किया — कभी उंगलियों से हल्का-सा फेरना, तो कभी पूरी हथेली से कसकर दबाना।
डैनी ने उसे अचानक अपनी ओर खींचकर दीवार से सटा दिया। उसकी साँसें लड़की के चेहरे पर गिर रहीं थीं।
उसकी ब्रा ऊपर खिसक चुकी थी और डैनी ने बेकाबू होकर अपने होंठ वहाँ रख दिए। हर स्पर्श पर लड़की का पूरा बदन काँप जाता। उसकी उँगलियाँ डैनी के बालों में उलझ गईं, जैसे उसे और करीब खींच रही हों।
“डैनी… बस…” उसकी टूटी हुई आवाज़ में चाहत और बेकली दोनों छिपे थे।
डैनी ने मुस्कुराते हुए उसकी आँखों में देखा और फिर अपने हाथ नीचे सरकाए। उसके स्पर्श से लड़की का पूरा जिस्म सिहर उठा। उसने खुद उसके हाथों को वहीं दबा लिया, जैसे चाह रही हो कि डैनी वहीं ठहर जाए, वहीं उसे और गहराई से महसूस करे।
“तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है… तुम मुझे कितना पागल कर रही हो,” डैनी फुसफुसाया।
लड़की ने आँखें बंद कर दीं, उसके होंठ काँपते हुए फिर से डैनी को ढूँढने लगे। उसकी साँसें अब पूरी तरह बेकाबू थीं, और वो अपने पूरे शरीर से डैनी को अपने और करीब बुला रही थी।
डैनी ने जैसे ही स्कर्ट उतारी, उसकी नज़रें नीचे जाकर टिक गईं। लड़की का चेहरा शर्म से लाल था लेकिन आँखों में आग थी।
उसने खुद उसका हाथ पकड़कर अपनी पैंटी में डाल दिया और फुसफुसाई—
“प्लीज़… यहाँ टच करो…”
ये कहते ही उसके बदन में कंपकंपी दौड़ गई।
डैनी की साँसें गरम हो चुकी थीं। उसने होंठ काटते हुए उसकी आँखों में देखा और धीमे स्वर में कहा—
“तुम खुद मुझे बुला रही हो… तो अब रोकना मत।”
उसकी उँगलियाँ जैसे ही हल्के-हल्के हरकत में आईं, लड़की की साँस अटक गई। उसने झटके से डैनी की गर्दन पकड़ ली और खुद को उससे चिपका दिया। उसकी कराह इतनी साफ़ थी कि जैसे पूरा सन्नाटा उसी आवाज़ से टूट गया हो।
“आह… डैनी…”
उसकी टाँगें अनायास ही काँप गईं।
डैनी ने उसे उसकी पैंटी में छूपी उसकी गुलाबी पंखुड़ियां को और कसकर दबा लिया। उसके हाथ अब और गहराई में उतर रहे थे। जहां लड़की गिली है रही थी ,
लड़की ने खुद उसके हाथ को अपने गुलाबी पंखुड़ियां में वहीं कसकर दबा दिया, जैसे कह रही हो— “यहीं… और…”
डैनी की आँखों में अब पागलपन साफ़ था। उसने अपने होंठ उसके गले पर रख दिए, कभी चूमता, कभी हल्का काटता। लड़की की सिसकियाँ और चाहत से भरी साँसें उसके कानों में गूँज रही थीं।
उसने डैनी के कान में फुसफुसाया—
“मत रुको… प्लीज़… और करो…”
डैनी ने मुस्कराते हुए उसकी ठुड्डी उठाई, और उसके होंठों पर बेतहाशा किस करने लगा। दोनों के बीच अब न किताबें थीं, न लाइब्रेरी का डर… बस एक बेकाबू आग थी जो दोनों को और करीब खींच रही थी।
दोनों एकदम से चौक गए। लड़की की साँसें अब भी टूटी हुई थीं, चेहरा लाल और बाल बिखरे हुए। डैनी ने झटके से अपना हाथ पीछे खींचा, और वो जल्दी से अपनी स्कर्ट ठीक करने लगी।
कुछ सेकंड तक दोनों सिर्फ़ एक-दूसरे को देखते रहे—धड़कनों की तेज़ी अब भी वैसी ही थी, मगर चेहरे पर बेचैनी आ गई थी।
डैनी झुककर उसके कान में बुदबुदाया—
“आज तो बच गए… पर ये अधूरा काम मुझे काट रहा है।”
उसकी आवाज़ में वही गर्मी थी। लड़की ने होंठ भींचकर नीचे देखा, फिर धीरे से सिर उठाया और आँखों में शरारत के साथ कहा—
“तो रात को पूरा कर लेना।”
डैनी ने भौंहें उठाईं, मुस्कराया—
“रात को? पक्का?”
लड़की ने गहरी साँस लेते हुए फुसफुसाया—
“हाँ… घर पर आज कोई नहीं है… तुम आ जाना।”
डैनी के होंठों पर एक शैतानी मुस्कान फैल गई। उसने धीरे से उसकी उँगलियों को दबाया और धीमी आवाज़ में कहा—
“तैयार रहना… मैं आधा काम कभी नहीं छोड़ता।”
लड़की के गाल और भी लाल हो गए। उसकी आँखें शर्म और चाहत से झुकीं, लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान थी।
इतने में कोई दूसरी टेबल से खाँसने की आवाज़ आई। दोनों ने एक-दूसरे को देखा और तुरंत किताबों में नजरें गड़ा लीं।
पर दोनों जानते थे—अब रात का इंतज़ार और भी बेचैन करने वाला होने वाला है।
लाइब्रेरी सीन – तामस और रिवा का टकराव
कॉलेज की लाइब्रेरी उस दोपहर कुछ ज़्यादा ही खामोश थी।
पंखों की हल्की-सी आवाज़ और पन्नों की सरसराहट ही माहौल को तोड़ रही थी।
रिवा कोने वाली मेज़ पर बैठी थी। सामने किताबों का ढेर, लैपटॉप और पानी की बोतल।
उसका चेहरा ध्यान में डूबा था, बाल खुले हुए कंधों पर बिखरे हुए थे।
किताबों में डूबते हुए भी उसकी नज़र बार-बार दरवाज़े की तरफ़ उठती।
क्योंकि उसे पता था— डैनी पिछले कुछ दिनों से उसका पीछा कर रहा है।
कभी कैंटीन, कभी कॉरिडोर, कभी क्लास— हर जगह उसकी आँखें रिवा को ढूँढ लेतीं।
लेकिन आज शायद डैनी आसपास नहीं था।
आज माहौल अपेक्षाकृत शांत था।
रिवा ने चैन की साँस ली और फिर किताब पलटने लगी।
अचानक ऊपर वाली शेल्फ़ से एक किताब खिसककर नीचे गिरी।
धप्प।
रिवा चौंक गई।
उसने झुककर किताब उठाई… और तभी किसी और का हाथ भी उसी किताब पर पड़ा।
धीरे-धीरे रिवा ने नज़रें उठाईं।
सामने खड़ा था वही शख़्स— तामस।
काली शर्ट की बाँहें मोड़ी हुईं, हाथ में वही ठंडी-सी घड़ी, और चेहरे पर वही दबंग नज़रें।
उसकी आँखों में अजीब-सी चमक थी, जैसे किसी को पकड़कर सवाल पूछने का इरादा हो।
तामस ने किताब उठाई और होंठों पर हल्की मुस्कान लाते हुए बोला—
“तो… तुम वही हो?”
रिवा ने भौंहें चढ़ाईं।
“मतलब?”
तामस ने किताब बंद की और मेज़ पर रख दी।
उसकी गहरी आवाज़ धीमे से गूँजी—
“दुश्मनों की बेटी। हमारे खानदानी दुश्मनी है वैरवुल्फ हैं हम और तुम वो वैंपायर”
रिवा की साँस हल्की-सी अटक गई।
लेकिन उसने खुद को सँभाला और सीधी नज़रें तामस की आँखों में डालकर बोली—
“हाँ। तो क्या? तुम्हें इससे इतनी हैरानी क्यों हो रही है?”
तामस ने कदम आगे बढ़ाए।
“हैरानी इसलिए… क्योंकि इतने सालों से ये कॉलेज मेरा है।
और मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे दुश्मन की बेटी मेरे सामने बैठी है।”
रिवा ने किताब ज़ोर से बंद की और कुर्सी पर टिक गई।
उसकी आवाज़ में वही गुस्से भरा एटीट्यूड था—
“क्योंकि मैं यहाँ पहले थी ही नहीं।
मैं किसी और कॉलेज में थी… बस एक महीना हुआ यहाँ आए।
तो मिलना हुआ कैसे?”
तामस की आँखें हल्की-सी सिकुड़ गईं।
वो पलभर उसे घूरता रहा, जैसे उसकी हिम्मत को परख रहा हो।
फिर उसके होंठों पर धीमी-सी मुस्कान उभरी।
“दिलचस्प।”
रिवा ने माथे पर लटें हटाईं और झटके से किताब उठाकर बैग में रखी।
“दिलचस्प तो बस ये है कि मैं यहाँ पढ़ने आई हूँ,
ना कि खानदानी झगड़े में वक़्त ज़ाया करने।”
तामस ने उसकी इस बात पर हल्का-सा हंसी दबाया।
“ओह… तो तुम सोचती हो कि खानदानों की दुश्मनी इतनी आसानी से भुलाई जा सकती है?
ये जो खून में है… वो किताबों से नहीं धुलता।”
रिवा ने तिरछी मुस्कान दी।
“खून की बात वही करते हैं,
जिन्हें अपने दिमाग़ से ज़्यादा अपनी ताक़त पर भरोसा हो।”
ये सुनकर तामस ने गर्दन हल्की-सी तानी।
उसकी आँखों में गुस्से और अजीब-सी प्रशंसा का मिश्रण था।
“तुम्हारा एटीट्यूड मुझे पसंद है… लेकिन ध्यान रखना,
ये एटीट्यूड तुम्हें इस कॉलेज में मुसीबत भी दिला सकता है।”
रिवा खड़ी हो गई।
उसने अपनी बोतल उठाई और बैग कंधे पर डाला।
“मुसीबत से डरने वाली होती तो उस दिन सबके सामने खड़ी न होती।
याद है न… तुम्हारे प्यारे भाई डैनी की करतूत?”
तामस की मुस्कान गायब हो गई।
उसकी आँखों में पलभर को ठंडा गुस्सा झलका।
वो उसके और करीब आया, अब दोनों के बीच सिर्फ़ आधा कदम का फासला था।
धीरे से बोला—
“डैनी की गलतियाँ मुझे मत गिनाओ।
लेकिन हाँ… दुश्मनों की बेटी से मेरा हिसाब मैं खुद करूँगा।”
रिवा ने ठंडी साँस छोड़ी।
“तो हिसाब रखना अपने पास।
क्योंकि मैं यहाँ किसी के डर से जीने नहीं आई।”
दोनों की नज़रें पलभर के लिए भिड़ गईं।
उस भिड़ंत में नफ़रत भी थी, अजीब-सी खिंचाव भी।
लाइब्रेरी में बैठे बाकी स्टूडेंट्स अब चोरी-छुपे इस टकराव को देख रहे थे।
कुछ के हाथों में मोबाइल थे, कुछ फुसफुसा रहे थे।
“ये वही है न… रिवा?”
“हाँ… और तामस से सीधे टकरा रही है।”
“पता है? तामस कभी किसी लड़की से बात भी नहीं करता।”
“लेकिन आज… देखो नज़रों का खेल।”
रिवा ने इन कानाफूसियों को अनसुना कर दिया।
उसने सीधा दरवाज़े की तरफ़ कदम बढ़ाए।
तामस वहीं खड़ा रहा, नज़रें उस पर टिकाए।
उसकी आँखों में अजीब-सी आग थी,
जैसे वो मान चुका हो कि अब ये टकराव… सिर्फ़ शुरुआत है।
रिवा ने बाहर निकलते हुए मन ही मन सोचा—
“ये तामस… खतरनाक है।
लेकिन मुझे डराना आसान नहीं।”
रिवा लाइब्रेरी से बाहर निकलते ही तेज़ कदमों से कॉरिडोर की ओर बढ़ी।
दिल अब भी तेज़ धड़क रहा था, लेकिन चेहरे पर वही ठंडी-सी शांति बनी हुई थी।
“हाय राम…” उसने धीरे से खुद से बुदबुदाया, “ये तामस सच में अजीब है। गुस्सा भी… और न जाने क्यों उसकी आँखों में वो अजीब-सा आकर्षण भी।”
तभी पीछे से दो आवाज़ें एक साथ गूंजी—
“रिवा!”
उसने मुड़कर देखा—तन्वी और रिया दौड़ती हुई आ रही थीं। दोनों के चेहरों पर उत्सुकता और शरारत साफ झलक रही थी।
तन्वी आते ही उसके बाजू पकड़कर बोली,
“मैडम, ये क्या था लाइब्रेरी में? आधा कॉलेज तुम्हें और तामस को घूर रहा था!”
रिया ने झट से जोड़ा,
“हाँ! और सब फुसफुसा रहे थे कि ‘तामस पहली बार किसी लड़की से सीधे भिड़ रहा है।’ अब बता भी दे, हुआ क्या?”
रिवा ने बैग को थोड़ा ऊपर किया और बोली,
“कुछ खास नहीं। किताब उठाने गई थी… और तामस भी वहीं टपक पड़ा।”
तन्वी ने आँखें गोल कीं,
“अरे वाह, ये तो फिल्मी मुलाक़ात लग रही है। किताब पर हाथ… ऊपर से निगाहें टकराईं… फिर दुश्मनी का ऐलान।”
रिया ने हँसते हुए ताली मारी,
“लव-स्टोरीज़ की शुरुआत ऐसे ही होती है।”
रिवा ने घूरते हुए दोनों को चुप कराया।
“ए हेलो! दिमाग़ में ज़रा ब्रेक लगाओ। ये लड़का वैसा नहीं है।
तुम्हें पता है न, वही तामस है… डैनी का भाई।”
तन्वी और रिया दोनों पलभर चुप हुईं, फिर एक-दूसरे की ओर देखा।
तन्वी ने होंठ काटते हुए कहा,
“मतलब, दुश्मन नंबर वन?”
रिया ने ठंडी साँस भरी,
“उफ्फ, फिर तो मामला और भी इंटरेस्टिंग हो गया।”
रिवा ने झुंझलाकर सिर हिलाया।
“इंटरेस्टिंग नहीं, खतरनाक। उसने साफ़ कहा है—‘दुश्मनों की बेटी से मेरा हिसाब मैं खुद करूँगा।’”
तन्वी ने नकली डर का इज़हार किया,
“ओह माय गॉड! क्या वो तुम्हें लायब्रेरी में ही उठा ले जाता?”
रिया ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा,
“उठा नहीं पाया तो कम से कम सबके दिल ज़रूर उठा दिए होंगे। पूरे कॉलेज की लड़कियाँ तामस को देख-देख कर पिघल रही थीं। और तुम… मिस एटीट्यूड, एकदम बराबरी से भिड़ गईं।”
रिवा ने उनकी बातों को अनसुना किया और क्लासरूम की तरफ़ बढ़ी।
“तुम दोनों को हंसी-मज़ाक सूझ रहा है… और मैं सोच रही हूँ कि ये मामला कहाँ जाकर रुकेगा।”
तन्वी उसकी बाजू में चल पड़ी,
“देख, सच बोलूँ तो मुझे तामस की आँखों में कुछ अजीब लगा। गुस्सा तो था, लेकिन… जैसे वो तुम्हारी हिम्मत से इम्प्रेस भी हुआ हो।”
रिया ने तुरंत हामी भरी,
“हाँ, बिल्कुल। उसकी आँखों में वो ‘डेंजरस क्रश’ वाली वाइब थी।”
रिवा ने झुँझलाकर बोला,
“क्रश और तामस? प्लिज़! वो सिरफ़ दुश्मनी निभाने के लिए सामने आया था।”
लेकिन उसके दिल में गहराई में कहीं… तन्वी और रिया की बातों ने हल्की-सी गूंज जरूर छोड़ दी थी।
क्लासरूम का माहौल
तीनों क्लासरूम में दाखिल हुईं।
अंदर पहले से ही हलचल थी। कुछ लड़के फुटबॉल की बातें कर रहे थे, कुछ लड़कियाँ ग्रुप स्टडी में डूबी थीं।
जैसे ही रिवा अंदर गई, कुछ लोग उसकी ओर देखने लगे।
बेशक, लाइब्रेरी का पूरा किस्सा अब वॉट्सऐप ग्रुप्स पर पहुँच चुका था।
तन्वी ने फुसफुसाकर कहा,
“देखा? सब तुम्हें ऐसे घूर रहे हैं जैसे तुमने कोई स्कैंडल कर दिया हो।”
रिया हँस पड़ी,
“हाहा, स्कैंडल नहीं, सीन बना दिया। अब तो अगले हफ़्ते के कॉलेज गॉसिप पेज पर तुम्हारा नाम पक्का। हेडिंग होगी— ‘दुश्मनी या मोहब्बत? तामस-रिवा आमने-सामने।’”
रिवा ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा,
“बहुत हो गया, अब चुप हो जाओ। मुझे सच में पढ़ाई करनी है।”
लेकिन पढ़ाई पर ध्यान कहाँ था।
वो बार-बार तामस की आँखों को याद कर रही थी—वो ठंडी नज़र, वो आधा कदम का फासला, और वो धीमी आवाज़ जिसमें गुस्सा भी था और एक अनकहा आकर्षण भी।
क्लास ख़त्म होते ही रिवा ने अपनी कार निकाली।
तन्वी और रिया भी साथ बैठ गईं।
कॉरिडोर से लेकर कैंपस गेट तक सबकी नज़रें अब भी उस पर थीं।
तन्वी हँसते हुए बोली,
“देख, तू तो आज की स्टार बन गई। लाइब्रेरी से लेकर क्लासरूम तक… हर जगह सिर्फ़ तेरे और तामस की चर्चा।”
रिया ने फोन दिखाया,
“देख, व्हाट्सएप ग्रुप में किसी ने लिखा है— ‘फायर मीट्स आइस— तामस vs रिवा!’”
रिवा ने आँखें घुमाईं,
“उफ़्फ़… इन लोगों को और कोई काम नहीं क्या? मुझे फ़र्क नहीं पड़ता।”
कार रोड पर तेज़ी से बढ़ रही थी कि तभी पीछे से काली-सी स्पोर्ट्स कार ने हॉर्न बजाया।
पलभर में वो उनकी कार को ओवरटेक कर आगे निकल गई।
तन्वी ने चौकते हुए कहा,
“ये… ये तो तामस की कार है!”
रिया ने तुरंत चिंतित होकर कहा,
“रीवा, प्लीज़ बच के रहना। इसके इरादे ठीक नहीं लगते। जो लड़का पूरे कॉलेज को इग्नोर करता था, वो अचानक तुझसे भिड़ने क्यों आ गया? और अब तेरी कार के आगे-आगे क्यों घूम रहा है?”
रिवा ने होंठ टेढ़े किए,
“अरे रिलैक्स। मैं किसी से डरने वाली नहीं। इसका भी हाल ऐसा करूँगी कि याद रखेगा ज़िंदगी भर।”
तन्वी ने कहा,
“लेकिन ये डैनी का भाई है…”
रिवा तुरंत बोल पड़ी,
“तो क्या हुआ? डैनी हो या तामस… दोनों को सबक सिखाना आता है मुझे। बस टाइम का इंतज़ार है।”
रिया ने सिर हिलाया,
“तू तो पक्की पागल है। लड़ाई-झगड़े को तू ऐसे ले रही है जैसे पिकनिक हो।”
रिवा हँस दी,
“अरे, मज़ा भी तो वहीं है। मैं रिवा हूँ— किसी से पीछे हटना मुझे आता ही नहीं।”
घर पर – माँ से सवाल
शाम तक रिवा घर पहुँची।
कार पार्क करके जैसे ही अंदर गई, माँ शाॅपिग कर लौटीं।
रिवा ने सीधे पूछा,
“माँ, एक बात पूछनी है।”
माँ ने उसे गौर से देखा,
“इतनी सीरियस क्यों दिख रही है?”
रिवा ने बैग रखते हुए कहा,
“उस रोज़ आपने मुझे झगड़ने से क्यों मना किया था? आपने कहा था कि ‘आज नहीं’। ऐसा क्यों? मैं हारने वाली नहीं थी, माँ।”
माँ ने गहरी साँस भरी और पास सोफ़े पर बैठ गईं।
धीरे-धीरे बोलीं,
“बेटी, बात सिर्फ़ हार-जीत की नहीं है। हम… वैंपायर हैं। और हर महीने एक ख़ास दिन आता है जब अगर हम लड़ाई करें, तो हमारी शक्ति कम हो जाती है। पूरा एक महीना… हम कमज़ोर रहते हैं।”
रिवा चौंक गई,
“मतलब उस रोज़… अगर मैंने झगड़ा किया होता तो?”
माँ ने गंभीर नज़र से कहा,
“तो तू खुद को मुश्किल में डाल लेती। तामस जैसे लोग ऐसे मौकों का फ़ायदा उठाने के लिए ही इंतज़ार करते हैं।”
रिवा ने होंठ काटते हुए माँ की बात सुनी।
दिल में कहीं गुस्सा भी था और सवाल भी—
रात गहराती जा रही थी।
सड़कें सुनसान और अंधेरे से ढकी हुई थीं।
डैनी अपनी काली कार चलाते हुए कुछ सोच में डूबा था।
चेहरे पर वही गहरी परत— आधा गुस्सा, आधा रहस्य।
कार का म्यूज़िक बंद था, बस इंजन की आवाज़ और बाहर बहती हवा की सरसराहट।
उसकी उंगलियाँ बार-बार स्टीयरिंग पर थपथपा रही थीं, जैसे किसी अधूरी बेचैनी को छिपाने की कोशिश कर रही हों।
आँखों में एक अजीब-सी ठंडक थी, लेकिन होंठों पर हल्की-सी मुस्कान खेल रही थी— जैसे वो जानता हो कि जहाँ जा रहा है, वहाँ कुछ ऐसा मिलेगा जो किसी और को पता नहीं।
करीब आधे घंटे बाद कार एक सुनसान-सी गली में मुड़ी।
चारों ओर पुरानी कोठियों जैसे घर, ज़्यादातर अंधेरे में डूबे हुए।
सिर्फ़ एक घर के बाहर हल्की-सी पीली रोशनी जल रही थी।
डैनी ने कार धीरे से वहीं रोकी।
एक नज़र इधर-उधर डाली और फिर बिना आवाज़ किए कार से उतरा।
कदमों की आहट बेहद धीमी थी, लेकिन उसके चेहरे से साफ़ था कि वो पहली बार यहाँ नहीं आया।
दरवाज़े पर पहुँचकर उसने घंटी नहीं बजाई।
बस एक हल्की दस्तक दी।
अंदर से जैसे किसी ने पहले से इंतज़ार किया हो—
दरवाज़ा तुरंत खुला।
सामने वही लड़की खड़ी थी।
लंबे खुले बाल, हल्की-सी नाइटी में लिपटा बदन, आँखों में नींद और मुस्कान का अजीब मिश्रण।
उसने बिना कुछ कहे दरवाज़ा थोड़ा और खोला और एक तरफ़ हट गई—
जैसे डैनी को अंदर आने का इशारा हो।
डैनी की मुस्कान गहरी हो गई।
वो अंदर कदम रखता है और दरवाज़ा धीरे-से बंद हो जाता है।
डैनी ने जैसे ही दरवाज़ा बंद किया, उसकी नज़रें सीधी लड़की पर टिक गईं।
एक पल भी गँवाए बिना उसने झटके से उसे अपनी मज़बूत बाहों में भर लिया।
लड़की हल्की-सी हाँफ उठी,
“डैनी…”
लेकिन डैनी की आँखों में उस वक़्त एक अजीब-सी भूख जल रही थी।
उसने उसे अपनी बाहों में कसकर उठाया और सीधे ड्रॉइंग रूम के सोफ़े तक ले आया।
सारी हलचल इतनी तेज़ थी कि लड़की को संभलने का भी वक़्त न मिला।
वो उसके सीने से चिपकी बस उसकी धड़कनें सुन पा रही थी।
सोफ़े पर जैसे ही डैनी ने उसे लिटाया, उसके चेहरे पर वही ठंडी लेकिन खतरनाक मुस्कान उभरी।
उसने झुककर उसके होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया—
गहरी, लंबी और बेताब चुम्बन।
लड़की की उँगलियाँ अनजाने में उसकी शर्ट को पकड़ चुकी थीं।
डैनी ने एक झटके से उसकी नाइटी की ढीली सिल्क को ऊपर खिसकाया।
उसकी जाँघें चमकती रोशनी में नज़र आने लगीं।
उसने बिना कुछ कहे उन नर्म हिस्सों पर अपने होंठ रख दिए।
पहले धीमे, फिर बेतहाशा…
हर चुम्बन जैसे उसकी बेचैनी को और बढ़ा रहा था।
लड़की का बदन हल्का-हल्का काँप रहा था, होंठों से दबी-दबी सिसकियाँ निकल रहीं थीं।
वो उसकी उँगलियों को कसकर थाम चुकी थी, जैसे खुद को रोक पाने में असमर्थ हो।
डैनी का स्पर्श, उसकी गर्म साँसें और वो बेकाबू चाह—
कमरे की खामोशी को और भारी बना रही थी।
उसका हर अंदाज़ साफ़ कह रहा था—
ये रात, ये लम्हा… सिर्फ़ उसी का है।
लड़की ने अचानक हल्का-सा धक्का देकर खुद को छुड़ाया।
वो उठकर सोफ़े पर बैठ गई, उसके चेहरे पर लाली और साँसें अब भी तेज़ थीं।
डैनी ने उसे गौर से देखा—
वो उसके पास ही खिसक आया और बिना कुछ कहे फिर से उसकी बाँहों में भर लिया।
लड़की ने धीमी आवाज़ में कहा,
“तुम… हमेशा ऐसे क्यों करते हो? पहले डराते हो, फिर…”
डैनी ने उसकी ठोड़ी उठाई और मुस्कराते हुए बोला,
“क्योंकि तेरे बिना मेरा दिल चैन से धड़कता ही नहीं।”
उसने धीरे-धीरे अपने हाथ से उसके गालों को सहलाया।
उसकी उँगलियों का नर्म स्पर्श लड़की को भीतर तक छू गया।
फिर उसके कान के पास झुककर फुसफुसाया,
“क्या जितने ये गाल नाज़ुक हैं… उतनी ही नाज़ुक तुम्हारी वो हैं।”
लड़की शरमा गई।
उसने अपनी नज़रें झुका लीं और हल्की मुस्कान दबाते हुए बोली,
“तुम्हें तो बस बहाने चाहिए, मुझे चिढ़ाने के।”
डैनी ने उसके बालों की एक लट कान के पीछे सरकाई और गहरी नज़र से उसे देखा,
“नहीं… मैं तो बस तुम्हें चाहता हूं, तुम्हारी हँसी, तुम्हारी बातें, सब कुछ।”
लड़की की पलकों पर शर्म की छाया थी, लेकिन होंठों पर मुस्कान और दिल में हल्की-सी धड़कन की मीठी बेचैनी भी।
कमरा उस पल जैसे सिर्फ़ उनकी साँसों और उनके राज़ से भर गया था।
डैनी ने लड़की को अपनी ओर और खींच लिया।
उसकी साँसें उसके गालों पर गर्माहट छोड़ रही थीं।
लड़की ने हल्की-सी झिझक के साथ उसकी कलाई थाम ली—
“डैनी… मत करो…” उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें एक अजीब-सी थरथराहट छिपी थी।
डैनी ने उसकी आँखों में देखते हुए हल्की मुस्कान दी।
“मत करूँ? या और करूँ?”
लड़की की पलकों ने झुककर ही जवाब दे दिया।
उसके गाल लाल हो गए थे।
डैनी ने उसकी ठोड़ी को उँगलियों से उठाया और होंठों पर धीमे-धीमे चूमने लगा।
पहले नरमी से, फिर जैसे-जैसे उसकी बेचैनी बढ़ी, वैसी ही बेताबी से।
लड़की अब खुद भी उसकी बाँहों में ढलती जा रही थी।
उसकी साँसें टूटी-टूटी और भारी होने लगीं।
डैनी की उँगलियाँ धीरे-धीरे नीचे सरक आईं, नाइटी की सिल्क के कपड़े से होकर उसकी जाँघों तक।
लड़की हल्का-सा काँप उठी और उसकी पकड़ कस गई।
डैनी उसके कान में फुसफुसाया,
“जानती हो… तुम्हारी ये नर्मी मुझे और बेकाबू कर देती है।”
लड़की ने आँखें बंद कर लीं, होंठों से अनजाने में एक सिसकी निकल गई।
उसके पूरे जिस्म में एक अजीब-सी बेचैनी फैल रही थी।
डैनी की उँगलियाँ अब और नीचे उतर आईं—
नाइटी की ढीली परत से होते हुए, सीधा उस नाज़ुक जगह तक।
वो पल… लड़की ने खुद को उसकी बाँहों में और कस लिया।
साँसें टूटीं, बदन काँपा।
डैनी की उँगलियाँ अब उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी गुलाबी पंखुड़ियों को छू रही थीं—
धीमे, लेकिन तीखे स्पर्श के साथ।
लड़की की आहें गहरी हो गईं, और उसकी आँखें जैसे डैनी की आँखों में खो गईं।
डैनी की उँगलियाँ अब भी उसकी पैंटी के ऊपर से खेल रही थीं।
उसकी आँखों में वही खतरनाक चाहत झलक रही थी।
वो हल्के से मुस्कराया और फुसफुसाया,
“इतनी गर्म लग रही हो… जैसे अभी पूरा समंदर मेरे हाथों में समा जाए।”
लड़की ने साँसें सँभालते हुए शरारती नज़र डाली,
“तो डूबने की हिम्मत है तुम्हें उस समंदर में?”
डैनी हँस पड़ा, उसके होंठ उसके कान को छूते हुए बोले,
“हिम्मत? मैं तो उसी लहर में डूबकर जीना चाहता हूँ।”
लड़की की उँगलियाँ अब उसकी गर्दन पर कस गईं।
उसने भी धीमी आवाज़ में कहा,
“लेकिन ध्यान रखना… ये लहर तुम्हें खींचकर और गहराई में ले जाएगी।”
डैनी ने उसकी जाँघ को और कसकर दबाया,
“यही तो चाहता हूँ मैं… तेरी हर गहराई तक जाना।”
लड़की ने आँखें झुकाते हुए होंठ काटे और शरारत से बोली,
“इतनी आसानी से जाने दोगी, ये सोच भी कैसे लिया? पहले परखना पड़ेगा, कितनी देर तक टिक सकते हो।”
डैनी की साँसें और भारी हो गईं।
उसने उसकी ठोड़ी उठाकर होंठों के करीब कहा,
“टिकना मेरी आदत नहीं… मैं तो जीतकर ही छोड़ता हूँ।”
लड़की ने मुस्कान दबाई, लेकिन उसके चेहरे की लाली गहरी हो चुकी थी।
उसने धीमी आवाज़ में जवाब दिया,
“तो फिर तैयार रहो… ये खेल आसान नहीं होगा।”
दोनों की आँखें एक-दूसरे में जमीं थीं।
कमरे की हवा में अब सिर्फ़ चाहत, रोमांच और डबल मीनिंग से भरे उनके अल्फ़ाज़ गूँज रहे थे।
डैनी और लड़की आमने-सामने बैठे थे।
उनकी आँखें एक-दूसरे में इतनी गहरी अटक गईं कि जैसे पूरा कमरा ही गायब हो गया हो।
डैनी ने धीरे से उसका चेहरा अपनी उँगलियों में थाम लिया और ठोड़ी ऊपर उठाई।
उसके होंठ लड़की के होंठों से बस एक इंच दूर थे।
वो मुस्कराया, जैसे पूछ रहा हो—
“क्या मैं आगे बढ़ सकता हूँ?”
लड़की ने बिना कुछ कहे आँखें बंद कर लीं।
उसकी साँसें तेज़ हो गईं और होंठ काँपते-से खुल गए।
डैनी ने झुककर पहले बहुत हल्की-सी किस दी।
एक पल के लिए जैसे चेक कर रहा हो कि वो तैयार है या नहीं।
और अगले ही सेकंड उसने होंठों को पूरी तरह कैद कर लिया।
ये कोई साधारण किस नहीं थी— ये गहरी, बेताब और लम्बी फ्रेंच किस थी।
उसकी ज़ुबान धीरे-धीरे उसके होंठों को खोलते हुए अंदर उतर गई।
लड़की ने भी अब समर्पण कर दिया और उसकी बाँहों में कसकर सिमट गई।
उनकी साँसें एक-दूसरे में घुलने लगीं।
कमरा पूरी तरह खामोश था, बस उनके होंठों की आवाज़ और बीच-बीच में निकलती हल्की-सी आहें सुनाई दे रही थीं।
हर बार जब डैनी थोड़ा पीछे हटता, लड़की बेचैन होकर उसके गले में बाँहें डालकर उसे फिर से अपने पास खींच लेती।
उसकी उँगलियाँ डैनी के बालों में उलझ चुकी थीं।
और डैनी की बाँहें उसकी कमर पर कसकर पकड़ बनी हुई थीं।
ये किस कुछ सेकंड का नहीं था—
ये मिनटों तक चलता गया।
हर पल पहले से और गहरा होता गया।
दोनों का बदन गर्म हो चुका था, दिल की धड़कनें तेज़ थीं, जैसे सीने से बाहर निकल जाएँगी।
आख़िरकार जब दोनों अलग हुए, तो दोनों की साँसें हाँफती हुई थीं।
लड़की ने शर्म से नज़रें झुका लीं, लेकिन होंठों पर एक हल्की-सी मुस्कान खेल रही थी।
उसने धीरे से कहा,
“अगर ये शुरुआत है… तो आगे तुम सच में कैसे सँभालोगे, डैनी?”
डैनी की आँखें अब भी उसी पर टिकी थीं।
वो मुस्कराया, उसके होंठों पर हल्का-सा बाइट लिया और धीमे से बोला,
“आगे तो अभी पूरी रात बाकी है…”
डैनी के होंठ अब भी उसके होंठों पर थे।
उसके हाथ धीरे-धीरे उसकी कमर पर फिसलते हुए ऊपर-नीचे हो रहे थे।
वो उसकी साँसों में घुल चुका था, और लड़की भी अब खुद को रोक नहीं पा रही थी।
डैनी ने उसके कान के पास फुसफुसाया—
“अब ये कपड़े हमें बीच में नहीं आने देंगे…”
उसने धीरे-धीरे उसकी नाइटी की स्ट्रैप्स कंधों से नीचे खिसकानी शुरू की।
लड़की ने हल्की-सी झिझक दिखाते हुए फिर खुद ही आँखें बंद कर लीं और उसके सीने से सिमट गई।
कमरे की हवा और भी भारी हो गई थी… कपड़े एक-एक कर ढीले होते जा रहे थे, और दोनों के बीच अब कोई दूरी नहीं बच रही थी।
डैनी ने लड़की को पूरी तरह नग्न कर लिया। उसकी गर्म साँसें लड़की की गर्दन पर झुलस रही थीं। वह उसे बाहों में कसकर उठा ले गया, मानो अपने कब्ज़े में ले चुका हो। कमरे का दरवाज़ा तेज़ी से बंद हुआ और अगले ही पल उसने लड़की को बिस्तर पर जोश से फेंक दिया। गद्दे पर गिरते ही लड़की की साँसें बेकाबू हो गईं, आँखों में चाहत और डर का मिला-जुला नशा झलकने लगा। डैनी ऊपर झुक आया, उसका चेहरा उसकी साँसों में घुल चुका था।
उसने लड़की को कसकर बाहों में भर लिया।
धीरे-धीरे उसके कोमल उभारों पर अपनी उँगलियाँ फेरने लगा।
उसके स्पर्श से लड़की की साँसें तेज़ हो गईं, बदन काँपने लगा।
वो आँखें मूँदकर उसकी बाँहों में सिमट गई, जैसे हर अहसास को अपने अंदर उतार लेना चाहती हो।
उसके होंठ जैसे ही लड़की के उभारों पर टिके, वो सहमकर थोड़ी सख़्त हुई लेकिन अगले ही पल उसके भीतर से एक लंबी सिसकी निकल गई।
गर्म साँसों और भीगे एहसास ने उसकी नसों में बिजली-सी दौड़ा दी।
उसकी उँगलियाँ अपने आप डैनी के बालों में उलझ गईं, वो उसे और पास खींचने लगी।
उसकी कमर बेचैनी से करवटें लेने लगीं, होंठों से दबे हुए कराह निकल रहे थे।
आँखें बंद थीं, लेकिन हर स्पर्श पर उसका बदन तड़प-तड़प उठ रहा था।
उसके दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि जैसे पूरे कमरे में गूंज रही हों।
जैसे ही डैनी की उँगलियाँ उसके उभारों को थामने लगीं, लड़की के पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ गई।
उसका हर स्पर्श उसे और बेचैन कर रहा था। वो करवटें बदलती, कभी उसकी पकड़ से निकलना चाहती, लेकिन फिर उसी गर्माहट में सिमट भी जाती।
उसकी आवाज़ काँप उठी, उसने धीमे से कहा— “डैनी…”
ये नाम जैसे उसके होंठों से खुद-ब-खुद निकल आया था।
डैनी की उंगलियों का खेल उसकी साँसों को तेज़ करता जा रहा था। दिल की धड़कनें बेकाबू हो चुकी थीं। वो बार-बार उसकी ओर झुकती, जैसे उसके करीब रहना ही अब सबसे ज़रूरी हो।
उसके होंठों से अनजाने में हल्की-सी सिसकियाँ निकल रही थीं। आँखें अपने आप बंद हो गईं।
डैनी की पकड़ और शरारत ने उसे पूरी तरह बेबस कर दिया था।
उसके भीतर चाहत और झिझक दोनों टकरा रही थीं, मगर अब उससे दूर जाना उसके लिए बिल्कुल भी मुमकिन नहीं रहा।
उसके बदन से खेलते हुए डैनी मुस्कराया—
डैनी (फुसफुसाकर): “तुम्हारा ये नर्मपन… मुझे पागल कर देगा।”
लड़की की साँसें तेज़ हो गईं, उसने आँखें बंद कर हल्की सिसकारियों में कहा—
लड़की: “रुको मत… तुम्हारे हर स्पर्श से मेरा जिस्म जल रहा है।”
डैनी ने उसके उभार कसकर थाम लिए।
डैनी: “ये मेरे हैं… बस मेरे।”
लड़की ने करवट लेकर उसके सीने से लिपटते हुए धीमी आवाज़ में कहा—
लड़की: “जब तुम छूते हो… तो लगता है जैसे मेरी सारी साँसें तुम्हारे हवाले हो गईं।”
डैनी ने होंठों से उसके गले पर उतरते हुए मुस्कराकर जवाब दिया—
डैनी: “आज तुम्हें अपनी बाँहों में इतना खो दूँगा… कि तुम सिर्फ़ मेरी बनकर रह जाओगी।”
लड़की ने काँपते हुए उसकी पीठ पर नाखून चला दिए।
लड़की: “डैनी… और करीब आओ… मुझे पूरा महसूस कराओ।”
डैनी की उँगलियाँ जैसे ही उसकी जाँघों के बीच पहुँचीं,
वही जगह जहां उसकी गुलाबी पंखुड़ियां थी , लड़की का पूरा बदन एक झटके से काँप उठा। उसकी साँसें टूटकर बाहर आईं, होंठों से बेक़ाबू सिसकी निकली।
वो पहले हल्की-सी सख़्त हुई, फिर खुद ही ढीली पड़ गई, जैसे अब खुद को उसके हवाले कर चुकी हो। उसके भीतर की नमी डैनी की हर हरकत का जवाब दे रही थी। वो अब पुरी तरह से गिली हो रही थी ,
लड़की ने आँखें भींच लीं, उसकी कमर अपने आप उठने लगी। उसके होंठ काँपते हुए नाम पुकार बैठे—
“डैनी… आह्ह… और पास आओ…”
डैनी उसके चेहरे की ओर झुक गया, उसकी बेताब साँसों को होंठों से थाम लिया। उसके हाथ अब भी नीचे उसी जगह उसे सहला रहे थे, और लड़की का बदन करवटों में टूट रहा था।
उसकी उँगलियाँ डैनी के बालों में उलझ गईं, उसने उसे और कसकर खींच लिया। उसकी आवाज़ काँपते हुए निकली—
“मैं तुम्हें रोक नहीं सकती… तुम्हारा हर स्पर्श मुझे पागल कर रहा है।”
डैनी ने उसकी गर्म साँसों में फुसफुसाया—
“तुम्हारा ये पल… अब पूरी तरह मेरा है।”
लड़की पूरी तरह उसकी बाँहों में पिघल गई। उसकी चाहत अब छुपी नहीं थी, वो हर स्पर्श पर और खुलती चली जा रही थी।
कमरे की खामोशी अब उनकी साँसों से भर चुकी थी। डैनी के होंठ अब भी लड़की के होंठों को छू रहे थे, मगर उसकी उँगलियाँ नीचे जाँघों के बीच गुलाबी पंखुड़ियां में अपनी धीमी-धीमी हरकत जारी रखे हुए थीं। लड़की का बदन हर पल उसके स्पर्श पर काँप रहा था।
“आह्ह… डैनी…” लड़की की टूटी-टूटी आवाज़ कमरे में गूँज गई।
डैनी मुस्कुराया, उसके कान के पास झुककर बोला—
डैनी: “ये सिसकी… तुम्हारे अंदर की सारी बेचैनी खोल देती है।”
उसकी उँगलियाँ लड़की कि पंखुड़ियों पर हल्के से दबाव बनाते हुए उस नाज़ुक जगह पर गहराई में घूमने लगीं। लड़की की आँखें कसकर बंद हो गईं, उसकी कमर अपने आप उठने लगी।
“हूँह्ह… आह्ह…” उसने करवट बदलते हुए डैनी को और कसकर पकड़ लिया।
लड़की (काँपती आवाज़ में): “तुम्हारे बिना मैं साँस भी नहीं ले सकती… हर स्पर्श… जैसे आग लगा रहा है।”
डैनी ने उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए, गर्म साँसें उसकी त्वचा में उतर गईं। जांघों के बीच उँगलियाँ अब और गहराई में घूम रही थीं। लड़की की देह पिघलने लगी, हर कराह उसके होंठों से बाहर आ रही थी।
“आह्ह… उफ्फ्फ…”
उसकी उँगलियाँ डैनी की पीठ पर फिसलती चली गईं, नाखून उसकी त्वचा में धँस गए।
डैनी (फुसफुसाकर): “तुम्हारी ये नमी… सिर्फ मेरे लिए है। मैं तुम्हें पूरी तरह अपना कर लूँगा।”
लड़की ने आँखें खोलकर उसकी तरफ देखा, उसकी पुतलियों में चाहत और बेक़रारी साफ़ झलक रही थी।
लड़की: “तो रोको मत… मुझे और जलाओ… और डूबो।”
उसकी साँसें टूट रही थीं। हर हरकत पर उसकी कमर बेकाबू होकर ऊपर उठ रही थी।
“आह्ह… डैनी… रुको मत…”
डैनी ने उसकी टाँगों को अपने हाथों से और कसकर अलग किया। उसकी उँगलियाँ अब जांघों के बीच गहराई में वहाँ तेज़ी से घूम रही थीं। लड़की बिस्तर पर तड़पने लगी।
लड़की (सिसकारियों में): “हूँह्ह… आह्ह… डैनी… और… और…”
उसकी आवाज़ अब कराहों में बदल चुकी थी। पसीने की बूंदें उसकी गर्दन पर चमक रही थीं। डैनी हर सिसकी सुनकर और पागल हो रहा था।
डैनी: “तुम्हारी ये हालत देखकर मेरा जी चाहता है… तुम्हें कभी छोड़ूँ ही ना।”
लड़की ने उसे अपनी ओर खींचते हुए होंठों से दबा लिया। उनके चुंबन अब और गहरे हो गए। लेकिन उसकी जाँघों के बीच लड़की कि गहराई में डैनी की उँगलियाँ अब भी खेल रही थीं, और लड़की का बदन बेकाबू होकर हर झटके पर काँप रहा था।
“आह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ…”
लड़की ने उसकी गर्दन पर सिर रख दिया, उसकी गर्म साँसें डैनी के सीने से टकराने लगीं।
लड़की (टूटी आवाज़ में): “तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है… तुम्हारे हर स्पर्श से मैं कितनी पागल हो रही हूँ।”
डैनी ने उसके होंठों पर हल्की-सी काट ली और कान में फुसफुसाया—
डैनी: “मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी हर धड़कन, हर आहट… सिर्फ मेरे नाम से जुड़े।”
लड़की ने उसकी ओर देखते हुए कहा—
लड़की: “तुम मुझे छुओ तो लगता है जैसे मैं खुद से बाहर निकल गई हूँ… आह्ह्ह…”
उसकी आवाज़ फिर से एक लंबी कराह में डूब गई। डैनी ने उसकी हर प्रतिक्रिया को महसूस करते हुए और भी गहराई से उँगलियाँ चलाईं। लड़की अब बेकाबू होकर बिस्तर पर टूट रही थी।
“आह्ह… डैनी… बस करो… मुझे पूरा कर दो…”
उसके शब्द उसके दिल की प्यास थे। डैनी उसकी आँखों में झाँकते हुए मुस्कुराया और बोला—
डैनी: “अभी नहीं… तुम्हें और तड़पाना है… ताकि तुम जान सको… कि तुम कितनी मेरी हो।”
लड़की ने उसकी पीठ पर कसकर नाखून चला दिए, उसकी साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि जैसे पूरे कमरे में गूँज रही हों।
“आह्ह्ह… हूँह्ह…”
उसका बदन अब काँप रहा था, होंठ लगातार सिसकियों में टूट रहे थे।
लड़की: “डैनी… मैं… मैं और नहीं सह पाऊँगी…”
डैनी ने उसकी आँखों में देखते हुए उसके माथे पर किस किया और फुसफुसाया—
डैनी: “तुम्हें आज ऐसी हद तक ले जाऊँगा… कि कल भी तुम्हारे होंठों से सिर्फ मेरा नाम निकलेगा।”
लड़की ने सिसकते हुए आँखें बंद कर लीं, उसका पूरा जिस्म अब उसी के हवाले था।
लड़की की साँसें अब टूट चुकी थीं। उसकी देह पसीने और चाहत से भीग रही थी। डैनी की उँगलियाँ अब भी उसकी गहराई को छू रही थीं और हर स्पर्श पर वो बेकाबू हो रही थी।
उसने खुद डैनी को कसकर खींचा और टूटती आवाज़ में कहा—
लड़की: “मुझे और मत तड़पाओ… मुझे पूरा महसूस कराओ।”
डैनी की आँखों में एक पागलपन-सा उतर आया। उसने उसके होंठों को जोर से चूमा, फिर फुसफुसाया—
डैनी: “तुम अब सिर्फ मेरी हो… तुम्हें आज पूरी तरह अपना बना लूँगा।”
इसके बाद उसने बिना रुके उसे अपने आगोश में लिया और खुद को उसकी गहराई में उतार दिया।
लड़की का बदन अचानक झटके से काँप उठा। उसके होंठों से एक लंबी आह निकल गई—
“आह्ह्ह… डैनी…”
उसकी आँखें कसकर बंद हो गईं, दोनों हाथ डैनी की पीठ पर कस गए। उसकी कमर अपने आप ऊपर उठने लगी, मानो उसे और भीतर तक चाह रही हो।
डैनी: “तुम्हारी ये गर्माहट… मुझे पागल कर रही है।”
लड़की करवटें बदलते हुए सिसक उठी। हर हरकत पर उसके होंठों से कराह निकल रही थी।
“हूँह्ह… आह्ह… डैनी… और…”
कमरे की हवा भारी हो चुकी थी। दोनों के बीच बस टूटती साँसें, आहटें और कराहें गूँज रही थीं।
डैनी ने उसकी आँखों में झाँककर कहा—
डैनी: “आज के बाद तुम कभी मुझसे दूर नहीं हो पाओगी।”
लड़की की टूटी आवाज़ उसके कानों में पिघल गई—
लड़की: “मैं तो पहले ही तुम्हारी हूँ… अब पूरी तरह खो गई हूँ।”
उसके बाद दोनों का मिलन और भी गहरा होता चला गया। वो पल सिर्फ़ उनका था—जहाँ हर आह, हर सिसकी, और हर धड़कन ने उन्हें एक कर दिया।
डैनी अब रुकने वाला नहीं था। उसने अपने पूरे जोश के साथ उसे कसकर थाम लिया और उसकी गहराई में उतरते हुए तेज़ झटके देने लगा।
लड़की हर झटके पर बिस्तर से उठ जाती, उसकी साँसें टूट-टूटकर बाहर आ रही थीं।
“आह्ह्ह… डैनी… धीरे…” उसकी कराह कमरे में गूँज रही थी, लेकिन अगले ही पल उसकी ही आवाज़ और भी पागलपन में बदल जाती—
“और… और…”
उसके हाथ डैनी की पीठ पर कस गए, नाखून गहरे धँस गए। बदन पसीने से भीग चुका था, साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि दोनों के सीने एक-दूसरे से टकरा रहे थे।
डैनी (गहरी साँसों में): “तुम्हारी ये हालत देखकर… मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा।”
लड़की पूरी तरह खो चुकी थी। उसकी आँखों से चाहत और थकान की नमी बह रही थी। उसके होंठ बार-बार डैनी का नाम पुकारते—
“डैनी… आह्ह… मैं… मैं नहीं सह पा रही…”
डैनी के हर झटके पर उसका बदन काँप उठता, उसकी आहें टूटती और गहरी कराह में बदल जातीं। कमरे में सिर्फ़ बेकाबू धड़कनें और उनकी आवाज़ें गूँज रही थीं।
कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा—वो दोनों अपनी सारी ताक़त और चाहत एक-दूसरे पर लुटाते रहे।
आखिरकार, लड़की थककर उसकी बाँहों में ढह गई। उसके होंठों से टूटी-सी फुसफुसाहट निकली—
लड़की: “अब… बस… और नहीं…”
डैनी ने भी गहरी साँसें छोड़ते हुए उसे अपनी बाँहों में दबा लिया। दोनों के बदन पसीने से भीगे थे, दिल की धड़कनें अब भी तेज़ थीं।
कुछ देर तक कोई नहीं बोला। बस उनकी गर्म साँसें एक-दूसरे से टकराती रहीं।
धीरे-धीरे लड़की की आँखें भारी होने लगीं। उसने डैनी के सीने से लिपटते हुए आँखें बंद कर लीं। डैनी ने उसके बालों में हाथ फेरा और खुद भी उसी के साथ लेट गया।
थकान और सुकून ने दोनों को अपने आगोश में ले लिया—और आखिरकार, वो एक-दूसरे से लिपटे-लिपटे गहरी नींद में सो गए।
रिवा ने नहाने के बाद टॉवल कसकर लपेटा हुआ था। शीशे के सामने खड़ी होकर वो अपने बालों में तौलिया घुमाती जा रही थी और चेहरे पर थोड़ी सी चिढ़ी हुई मुस्कान थी। अलमारी खोली तो उसमें ढेर सारे कपड़े लटके हुए थे, लेकिन हमेशा की तरह वही कन्फ्यूजन—"आज क्या पहनूँ?"
वो खुद ही बुदबुदाई—
“इतने कपड़े हैं फिर भी लगता है कुछ पहनने को है ही नहीं… uff ये भी एक प्रॉब्लम है।”
इतना कहते-कहते ही उसका फोन बज उठा। स्क्रीन पर नाम चमका—तामस।
रिवा ने जैसे ही देखा, भौंहें सिकोड़ लीं।
“अब ये किसलिए फोन कर रहा है? सुबह-सुबह टेंशन देने का नया बहाना मिल गया क्या?”
उसने कॉल रिसीव किया और तुरंत मुँह बना लिया।
रिवा: “देखो तामस, मैंने तुमसे साफ़ कह रखा है कि मैं तुम जैसे लड़कों से बात नहीं करती। तो अब क्यों बार-बार कॉल करके परेशान करते हो?”
उधर से तामस की आवाज़ एकदम शांत मगर थोड़ी शरारती थी—
तामस: “अरे मैडम, ज़रा अपनी गलतफ़हमी दूर कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए फोन नहीं करता। और वैसे भी, तुम्हें घुमाने-फिराने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है।”
रिवा थोड़ी खीज गई—
“तो फिर फोन क्यों किया? सुबह-सुबह मज़ाक सूझ रहा है तुम्हें?”
तामस: “मज़ाक नहीं, सीरियस हूँ। जल्दी कॉलेज आओ। यहाँ तुम्हारे नाम पर बहुत बड़ी प्रॉब्लम खड़ी हो गई है।”
उसके चेहरे पर अब हैरानी उतर आई।
“मेरे नाम पर? कैसी प्रॉब्लम?”
तामस: “फोन पर सब नहीं बता सकता। बस इतना समझ लो कि अगर अभी नहीं आई तो बाद में पछताओगी। तो चलो जल्दी।”
फोन कट गया।
रिवा वहीं खड़ी कुछ सेकंड तक फोन को घूरती रही।
“ये लड़का हमेशा टेंशन देने के लिए ही पैदा हुआ है क्या? अब कौन-सी बला आ गई।”
उसने जल्दी-जल्दी अलमारी से जींस और टॉप निकाला। एक काले रंग की फिटिंग जींस और ऊपर से हल्के नीले रंग का टॉप पहनते हुए उसने आईने में खुद को देखा। बाल खुले छोड़ दिए, हल्की-सी काजल की लाइन खींची और बैग उठाकर कमरे से बाहर निकल गई।
कॉलेज के गेट तक पहुँचते ही उसके कदम थम गए।
भीड़-सी लगी हुई थी। दर्जनों लोग पोस्टर लेकर खड़े थे। हर पोस्टर पर एक ही नाम लिखा था—
“Vote for Riva!”
“Riva ही हमारी लीडर है।”
रिवा की आँखें फैल गईं।
“ये… ये क्या है?”
कुछ स्टूडेंट्स जोर-जोर से नारे लगा रहे थे—
“रिवा तुम्हें सलाम है!”
“स्टूडेंट्स यूनियन की असली लीडर कौन? — रिवा!”
वो अवाक खड़ी रही। उसके हाथ से बैग लगभग फिसल गया।
“ओह माय गॉड… ये सब मेरे नाम पर क्यों कर रहे हैं? मैंने तो कभी खड़ी ही नहीं हुई किसी चुनाव में।”
उसने चारों तरफ देखा तो सचमुच पूरा माहौल चुनावी हो चुका था। बैनर, पोस्टर, नारे—सब कुछ। और सबसे अजीब ये कि सारे पोस्टर उसी के नाम से भरे पड़े थे।
रिवा धीरे-धीरे भीड़ को चीरती हुई आगे बढ़ी। वहाँ तामस खड़ा हुआ था, दोनों हाथ बाँधकर जैसे इस तमाशे का मज़ा ले रहा हो।
रिवा गुस्से में सीधा उसके पास पहुँची—
“ये सब क्या है? तुमने ही किया है न ये ड्रामा?”
तामस मुस्कुराया, जैसे उसे इसी पल का इंतज़ार था।
“ड्रामा? अरे ये तो तुम्हारी पब्लिक डिमांड है मैडम। तुम्हें तो पता ही नहीं, कॉलेज के आधे बच्चे तुम्हें अपना लीडर मानते हैं। और देख लो… सब तुम्हारे नाम के पोस्टर लेकर खड़े हैं।”
रिवा ने सिर पकड़ लिया।
“लेकिन मैंने तो कभी खड़े होकर ये चुनाव नहीं लड़ा। मुझे तो मालूम ही नहीं था कि मेरा नाम किसी ने खड़ा कर दिया है। आखिर ये हुआ कैसे?”
उसी वक्त पीछे से कुछ लड़कियाँ आईं और उत्साहित होकर बोलीं—
“रिवा, हमें पता था तुम ही सबसे बेस्ट हो। अब जब तुम चुनाव लड़ रही हो, तो हमारी सारी प्रॉब्लम्स का हल मिल जाएगा।”
दूसरी बोली—
“हाँ, तुम तो हमेशा ही टीचर्स से खुलकर बात करती हो और बच्चों की तरफ से खड़ी रहती हो। अब तो तुम ऑफिसियल लीडर बन जाओगी।”
रिवा दंग रह गई।
“लेकिन मैंने तो… मैंने तो कभी नामांकन ही नहीं किया।”
तामस हँस पड़ा—
“नामांकन किया या नहीं, ये तो अब बाद में देखेंगे। अभी तो पब्लिक की डिमांड है। और जब पब्लिक चाहती है तो… तुम्हें तैयार होना ही पड़ेगा।”
रिवा ने उसे घूरा।
“तुम्हारी शरारत लग रही है मुझे ये सब।”
तामस ने मासूमियत से कंधे उचका दिए।
“देखो मैडम, मैंने कुछ नहीं किया। लेकिन हाँ, अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम हो रही है तो भीड़ के सामने जाकर खुद समझा दो। पर सुन लो— ये भीड़ इतनी आसानी से तुम्हें छोड़ने वाली नहीं है।”
रिवा की हालत सच में खराब हो चुकी थी। दिल तेज़-तेज़ धड़क रहा था।
“हे भगवान… मैं तो बस कॉलेज पढ़ने आई थी। ये चुनाव-चुनाव कहाँ से बीच में आ गया?”
वो भीड़ की ओर देखने लगी—हर तरफ से लोग उसकी तरफ देख रहे थे, जैसे कोई सुपरस्टार सामने आ खड़ा हो। सबके चेहरों पर उम्मीद की चमक थी।
रिवा सोच में पड़ गई—
“क्या मैं सच में इस कॉलेज की लीडर बनने जा रही हूँ? जबकि मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था…”
भीड़ का शोर अब और भी बढ़ चुका था। हर तरफ बस उसी का नाम गूँज रहा था—
“रिवा… रिवा… रिवा…”
उसके लिए ये सब किसी फिल्म का सीन जैसा लग रहा था। मन में बार-बार यही ख्याल आ रहा था— और जो इंसान रिवा के सामने इलेक्शंस लड़ रहा था वो तामस था ,
“ये हो क्या रहा है? मैं क्यों इसमें फँस रही हूँ? मेरा तो इरादा ही नहीं था।”
लेकिन तभी उसके कानों में डैनी की आवाज़ पड़ी।
डैनी वही लड़का जो हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने में सबसे आगे रहता था।
डैनी भीड़ से रास्ता बनाता हुआ उसके सामने आ खड़ा हुआ। चेहरे पर वही तिरस्कार भरी मुस्कान।
“तो मैडम, यही उम्मीद थी आपसे। पता था जैसे ही आपको पता चलेगा कि आपके सामने हमारे ‘भइया’ खड़े हैं, आप डरकर पीछे हट जाओगी।”
रिवा ने उसकी बात सुनते ही गुस्से से दाँत भींच लिए।
“क्या कहा तुमने?”
डैनी ने ताने भरे अंदाज़ में कहा—
“हाँ, डरना तो तुम्हारी फितरत है। वैसे भी… चुनाव का खेल कोई बच्चों का खेल थोड़ी है। तुम्हें लगता है कि तुम तामस भाइया का मुकाबला कर पाओगी? मज़ाक मत करो।”
रिवा के कानों तक खून चढ़ गया।
उसने बैग एक तरफ फेंक दिया और सीधा उसकी आँखों में देखती हुई बोली—
“बकवास बंद करो, डैनी! तुम समझते क्या हो अपने आप को? डरना मेरी फितरत नहीं है। और हाँ—अगर तुम सोचते हो कि मैं पीछे हट जाऊँगी तो सुन लो… अब मैं खुद कह रही हूँ—मैं तैयार हूँ चुनाव लड़ने के लिए।”
भीड़ से अचानक ज़ोरदार तालियों और नारों की आवाज़ गूँज उठी।
“रिवा… रिवा… लीडर बनके दिखाओ!”
डैनी का चेहरा उतर गया, लेकिन तामस अब भी खामोश खड़ा था। उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी।
अगले कुछ दिन – कॉलेज चुनावी रंग में डूब गया।
कॉरिडोर में चलते ही बच्चे उसके पास आकर कहते—
“रिवा दीदी, आप ही हमारी उम्मीद हैं।”
“आपके बिना इस कॉलेज का माहौल बदल ही नहीं सकता।”
रिवा को खुद हैरानी होती थी कि लोग उसे इतना क्यों मानते हैं।
दूसरी तरफ तामस के पोस्टर भी पूरे कैंपस में लगे हुए थे।
“Vote for Tamas – एक मज़बूत लीडर।”
हर दिन नए-नए भाषण, डिबेट, और सपोर्ट जुटाने का सिलसिला चलता रहा।
रिवा के मन में फिर भी शक था।
“पता नहीं… ये सब ठीक हो रहा है या नहीं। तामस और डैनी जैसे लोग कभी साफ़ खेल खेल सकते हैं क्या? कहीं धोखा न कर दें।”
इलेक्शन का दिन
कॉलेज का मैदान एकदम मेले जैसा बना हुआ था।
स्टूडेंट्स लंबी-लंबी कतारों में वोट डालने खड़े थे।
हर तरफ जोश और उत्साह।
रिवा ने जब वोटिंग बूथ में कदम रखा तो दिल इतनी तेज़ धड़क रहा था जैसे सीने से बाहर निकल जाएगा।
“क्या सच में मैं इस खेल में जीत सकती हूँ? सामने तामस जैसा चालाक और स्मार्ट लड़का है।”
उसने गहरी साँस ली और खुद से कहा—
“अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं। चाहे जो हो, डटी रहना है।”
पूरा दिन गहमागहमी में बीता। शाम होते-होते वोटिंग खत्म हुई और काउंटिंग शुरू हो गई।
रिज़ल्ट का ऐलान
स्टेज पर प्रिंसिपल खड़े थे।
सारी भीड़ मैदान में जुट चुकी थी।
साँसें थमी हुई थीं, सब कान लगाए खड़े थे।
“स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन 2025 का रिज़ल्ट…”
रिवा की उंगलियाँ काँप रही थीं। बैग की स्ट्रैप को कसकर पकड़ा हुआ था।
“इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली… और आपकी नई लीडर हैं—
रिवा शर्मा!”
पूरा मैदान तालियों और नारों से गूंज उठा।
“रिवा… रिवा… रिवा!”
रिवा की आँखों में खुशी और हैरानी दोनों थी।
“क्या? मैं… सच में जीत गई?”
उसने तुरंत तामस और डैनी की तरफ देखा।
उसे पूरा यकीन था कि रिज़ल्ट सुनते ही दोनों भाई हंगामा करेंगे या कोई चाल चलेंगे।
लेकिन… ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
तामस खामोशी से मुस्कुराता हुआ ताली बजा रहा था।
डैनी का चेहरा जरूर बुझा हुआ था, लेकिन उसने भी कुछ नहीं कहा।
रिवा की समझ में नहीं आया।
“ये कैसे हो सकता है? ये दोनों इतने चुप क्यों हैं?
क्या सच में इन्होंने कोई चीटिंग नहीं की?”
घर पर – रात को
रिवा अपने कमरे में बैठी थी। किताबें सामने खुली थीं, लेकिन दिमाग कहीं और अटका हुआ था।
वो जीत चुकी थी, लेकिन मन में सवाल ही सवाल थे।
आखिरकार वो नीचे गई और मां से बोली—
“माँ, मुझे आपसे कुछ पूछना है।”
माँ ने अखबार मोड़कर रखा और उसकी तरफ देखा।
“हाँ बेटा, क्या बात है? आज तो बहुत खुश होना चाहिए तुम्हें, तुमने सबका दिल जीत लिया।”
रिवा ने हिचकिचाते हुए कहा—
“माँ, मुझे समझ नहीं आ रहा। तामस और डैनी… मैंने हमेशा उन्हें चालाक, धोखेबाज़ समझा। लेकिन आज… आज उन्होंने कोई चाल नहीं चली। मैं सोच रही थी कि रिज़ल्ट पलट देंगे या गड़बड़ करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया।
क्या… क्या सच में वो उतने बुरे नहीं जितना मैं सोचती हूँ?”
माँ ने धीमी मुस्कान के साथ उसका हाथ थाम लिया।
“बेटा, दुनिया उतनी काली-सफेद नहीं होती जितनी हम सोच लेते हैं। हो सकता है वो लोग वैसे न हों जैसे तुमने अब तक समझा। हर इंसान में अच्छाई भी होती है और बुराई भी। कभी-कभी हमें सिर्फ देखने का नजरिया बदलना पड़ता है।”
रिवा चुपचाप माँ की बात सुनती रही।
उसका दिल धीरे-धीरे हल्का होने लगा।
“शायद… सच में मैंने तामस को गलत समझा। लेकिन अगर वो उतना बुरा नहीं है, तो फिर उसके असली इरादे क्या हैं?”
वो सोच में डूब गई।
सीन यहीं थम जाता है—
रिवा जीत चुकी है, लेकिन तामस और डैनी का रहस्य अब भी उसके दिमाग में खटक रहा है।