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सुकून..... एक इश्क का एहसास।।

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Anjali Pathare

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‎सुकून!!! इश्क का एहसास ‎ ‎सुकून… एक ऐसी चीज़ है जो ज़िंदगी में हर किसी कोचाहिए, पर हर किसी को मिलती नहीं! इंसान अपने पूरे जीवन उस सुकून की तलाश में निकाल देता है, पर शायद यह भूल जाता है कि असल सुकून किसमें है? क्या वो किसी रिश्ते में है? या किसी...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. सुकून..... एक इश्क का एहसास।। - Chapter 1

    Words: 912

    Estimated Reading Time: 6 min

          हर हर महादेव , दोस्तो!!!      ये कहानी सिर्फ काल्पनिक है, और वास्तविक जिंदगी पर इसका कोई अनुभव नहीं है , तो आप सिर्फ एंजॉय करे, और नॉवेल को सपोर्ट करे!!            मुंबई,          कहते मुंबई एक सपनों का शहर है, कितने ही लोग होंगे जो मुंबई के लिए अपनी उड़ान भरते है, वही कोई अपने करियर के लिए आते है या कोई अपने सपने पूरे करने , मुंबई शहर जितना दिन में ही खूबसूरत है ,उतना ही रात में भी रंगीन होता है।           मुंबई के कैस्टल विला जो कि एक बड़े सी जगह पर बना था।  उसकी खूबसूरती और royalistic डिजाइन के लिए आकर्षक था।  ये विला मुंबई के बाहर काफी हरियाली और पेड़ो की बीच में बना हुआ था। बहुत कम लोग थे जो इस विला को जानते थे।  ये विला जिसका था, ओ यह सिर्फ अपनी प्रायरिटी एंजॉय करने के लिए आता था।  विला के अगल बगल सिर्फ हरे पेड़ और गार्ड थे और विला किसी राजा की महल की तरह था। सारे विला के protection तो ऐसा था जैसे कोई इस विला को ही ना उठा ले जाए।          रात का वक्त था विला के अंदर  कमरे में लाइट ऑफ थी। और कमरे की हालत कुछ ऐसी थी कि दो लोगोंको कपड़े नीचे फर्श पर पड़े थे। और बेड पर दो लोग अपने प्लेजर में पूरी तरह से डूबे हुए थे।  वही उसकी उस रूम की फ्रेगरेंस में खो जाने मन कर रहा था।  रूम साउंडप्रोफ था और इसी वजह से उस रूम मे होने वाली आवाज से पूरा विला अंजान था।          रूम में लड़की की आवाज पूरे रूम की अंदर किसी परफ्यूम की तरह घुल चुकी थी और उसकी दर्द भरी आवाज भी उस आदमी को उस पर रेहम करने ने लिए काफी नहीं थी।  इससे अंदाजा लगाया जा सकता की ओ आदमी कितना हार्टलेस और निर्दयी था।           दर्द और तकलीफ से लड़की आवाज  रूम की दीवारों तक रेहम करने के लिए मजबूर कर रही थी लेकिन ओ निर्दयी इंसान उस पर रेहम करने की बजाय और passoinate हो रहा था।        इसी दर्द में उस लड़की की रात गुजर सुबह की किरण में बदल चुकी थी।           सुबह जैसी इंसान के जिंदगी मे एक नई किरण लेकर अति है।  वैसी ही उस लड़की की आंख भी सूरज की किरण के साथ खुल गई , जो उसे एक नया सवेरा होने का आगाज कर रही थी।  लड़की ने धीरे से अपनी आंख खोली और सूरज की उस किरण में खुद को छोड़ दिया , जैसे ओ अपने अंदर एनर्जी भर रही हो।         वही उसकी  नजर वॉल की घड़ी पर गई और उसने देखा कि सुबह के 6:30 बज चुके थे।  लड़की उठने को हुई तो तभी उस आदमी ने फिर से उसे अपने घेरे मे घेर लिया।  लड़की एक बार के लिए तो डर सी गई लेकिन फिर उसने देखा कि ओ आदमी सो रहा था।  लड़की ने येक राहत भरी सांस ली और धीरे से उसके हाथ को अपने खुले बदन से हटाए और बेड पर बैठ गई।         नीचे पड़ी हुए ड्रेस उठाई और पहन ली और खड़ी हो गई तो उसके शरीर में एक दर्द की लहर दौंड गई।  पर उस दर्द की उसे आदत थी इसलिए इस दर्द को ignor कर ओ बाथरूम की और चली गई।         बाथरूम में जाकर उसने खुद को miror के सामने खड़ा होकर खुद को देखा तो उसके शरीर की  हालत ऐसी थी कि उसे देखते हुए भी शर्म आ रही थी। और उस लड़की के आंखो आंसू आ गए उसने खुद से ही मिरर में देखते हुए कहा,   " कब तक?  मुझे इस आदमी का शिकार होना पड़ेगा, कोई नहीं है क्या जो मुझे इस बद्तर जिंदगी से बाहर निकाल सके"          लड़की की आंखो आंसू किसी नदी के बाढ़ के जैसे थे।  अगले ही पल उसे कुछ याद आया और ओ शॉवर लेने चली गई।  थोड़ी देर बाद जब ओ बाहर आई तो उसकी पहली नजर उस आदमी पर गई जो सोफे पर बैठा अपने लैपटॉप में काम  कर रहा था। लड़की उसे देख और क्लोजेट रूम मे जाकर अपने कपड़े पहन लिए और फिर अपना बैग लेकर उस आदमी की सामने खड़ी हो गई।        लड़की को सामने देख उस आदमी ने एक नजर उसे देखा और कुछ पैसे उसके सामने कर दिए।  लड़की उस पैसे को देख रही थी जिसके आंखो में नाराजगी और मजबूरी साफ थी।  आदमी ने एक नजर अपने हाथ की पैसे पर डाली और येक नजर उस लड़की पर डाली।       उसने लड़की तरफ देखते हुए अपनी कठोर आवाज में कहा,    " क्या तुम्हे और चाहिए?         उस आदमी का सवाल सुन लड़की अपने होश में आई और उसके हाथ से पैसे लेते हुए धीरे से अपनी आवाज में बोली,  " नहीं"      इतना बोल उसने उस आदमी को भी नहीं देखा और दरवाजे की ओर चल पड़ी।  तभी पीछे से उस आदमी की एक जोर दार आवाज सुनाई दी।  " कॉन्ग्रेस!!! तुमने कॉलेज मे top किया है"        जब ये आवाज उस लड़की ने सुनी तो ओ पीछे मुड़ कर हैरान भरी नजरो से उस आदमी को देखने लगी।  उसे समझ नहीं आया कि सामने बैठा इंसान बिना किसी result के मुझे topper क्यों बता रहा था? लेकिन उस लड़की को ये भी पता था कि सामने बैठा इंसान कुछ भी कर सकता है!!       ओ लड़की ज्यादा न सोचते हुए वह से निकल गई और ओ आदमी वही बैठा उसे अपनी लैपटॉप के स्क्रीन पर देख रहा था।           कोन थी ओ लड़की? और क्यू हर रात उसे उस आदमी के हैवानियत का शिकार बनना पड़ता था? ऐसा क्या था डूबे के बीच ? जानने के लिए पढ़ते रहिए सुकून,  इश्क का एहसास!!०0                  

  • 2. सुकून..... एक इश्क का एहसास।। - Chapter 2

    Words: 2571

    Estimated Reading Time: 16 min

    " अब आगे, " तुम कभी मुझसे दूर नहीं जा सकती?" उस आदमी ने एक ही सुर में अपने मन को बोला। ओ आदमी उस लड़की को जाते हुए देखता रहा, जब तक ओ लड़की विला से बाहर नहीं जाती।  आदमी का चेहरा पूरा expression less था, तभी उसे किसी का कॉल आता है,फोन पर शो हुए नाम को देखने बाद उस आदमी की चेहरे की सारी रूडनेस जैसे गायब सी हो जाती है और ओ  देर न करते हुए काल को उठा कर  बड़े ही प्यार से  बोलता है,    " हां,  दी !! बोलिए"    सामने से चिंता भरी आवाज आती है ,    " कहा है तू , छोटे,? Mention आजा, यहां मीखु टेरेस पर चढ़ा है, और नीचे नहीं उतर रहा है, जल्दी आजा छोटे"।     आवाज को सुनते ही उस आदमी का चेहरा जो अभी अभी प्यार से भर गया था। वही अब चिंता से भर चुका था।  उस आदमी ने हिम्मत देते हुए कहा,    " डोंट वरी , di!!! मै बस आ रहा हूं"।  इतना बोल ओ इंसान वह से अपना जैकेट और गॉगल लेकर निकल जाता है।  नीचे जाते ही उसकी  कार रेडी थी और गार्ड वही खड़ा था, और ड्राइवर कार के अंदर था, जैसे उनकी नजर सामने आ रहे इंसान से मिली तो गार्ड ने कार का door ओपन किया और ओ आदमी जल्दी से कार की अंदर बैठ कर ड्राइवर से बोला,   " मेंशन चलो"    ड्राइवर ने कार को मेंशन की तरफ घुमा लिया।  अक्ष राय सिंघानिया , राय सिंघानिया एंपायर ceo, जिसने ये कंपनी अपनी खुद की मेहनत पर खड़ी थी,  अक्ष येक रूड, गुस्सैल, hreatless, एरोगेंट, और ओवर कॉन्फिडेंट इंसान था, जैसे ही उसके तेवर थे, वैसे ही उसका औरा भी काफी स्ट्रांग था, और उसके ही साथ उसकी स्मार्टनेस, और टैलेंट, जिससे ओ बिजनेस की वर्ड का बादशाह था,  आज तक उसने एक भी deal हारी नहीं थी। अक्ष , ३०साल का  नो जवान, 8पैक ऑफ बॉडी, handsome लुक, और खतरनाक expression जिससे कोई भी इंसान की हिम्मत उसके पास जाने को नहीं करती थी, लड़किया तो दूर की बात थी, बड़े बड़े आदमी भी अक्ष से बात बिना वजह से  करने से डरते थे। अक्ष जितना रूड और हार्टलेस था, उतना ही ओ sensetive और लविंग भी था, लेकिन ये सब बस उसके फैमिली के लिए था।  अक्ष को तीन बहने थी , जिसमें उसकी बड़ी बहन काव्या, दो ट्विन सिस्टर रिद्धि सिद्धि, और उसका भतीजा मीखू, इनमें ही उसकी दुनिया बस्ती थी।    अक्ष की कार मेंशन की आगे खड़ी हुई । मेंशन की मेन गेट पर खड़ा गार्ड ने गेट को ओपन किया और अक्ष की कार मेंशन की अंदर चली गई।  मेंशन में बड़े सी स्टाइलिश तरीके से बनाया गया था।  ये मेंशन मुंबई की बीचों बीच एक बड़े सी जगह पर बनाया था, और उस पर बड़े ही स्टाइलिश शब्दों से लिखा था.   " काशपी"     काशपी अक्ष की मां का नाम था, उनके डेथ के बाद अक्ष ने उनके ही नाम पर ये मेंशन बनाया था। जितनी सुंदर उसकी मां थी, उतनी ही सुंदर तरीके से मेंशन को बनाया गया था।    अक्ष अन्दर जाकर सीधा टेरेस पर गया, उसने देखा की वहा मीखू टेरेस पर खड़ा होकर नीचे देख रहा था।  मीखू की उम्र सिर्फ 7साल थी, लेकिन ओ दिमाग से थोड़ा कमजोर था, इसलिए जब उसे गुस्सा आता था , या कोई उसकी जिद पूरी नहीं होती थी, तो meekhu ऐसी हरकत करता था, mikhu की हालत देख कोई उसे कुछ नहीं बोलता था।  टेरेस पर काव्या, रिद्धि सिद्धि, और अक्ष के मामा रतन और मामी माया भी वही खड़ी थी।  ओ mikhu को लगातार रोकने की कोशिश कर रहे थे।      तभी इन सब के बीच में एक जोरदार आवाज से सब पीछे देखने लगते है,  " mikhu, बेबी"     जब सबकी नजर पीछे खड़े अक्ष पर जाती है , तो सब राहत की सांस लेते है।  तभी अक्ष सामने आकर mikhu को रोकते हुए बोलता,   " बच्चा,  चलो , नीचे आओ, see, मम्मा कितनी रो रही है, अपने promiss किया था ना, की आप मम्मा को परेशान नहींकरेंगे , तो नीचे आओ,"     अक्ष की आवाज mikhu के कानके अंदर जैसे जाती हैं, तो उसका बिहेव एक दम से चेंज हो जाता है, और नीचे उतर कर अपने मामा को यानी अक्ष को बड़े ही प्यार से बोलता है,     " मामू मुझे तो स्कूल जाना है,  मै यहां?  Mikhu सोचते हुए सब की तरफ देखते हुए फिर से बोलता है,    " मैं यहां कैसे?,  और मम्मा!!! क्यों रो रही है"   उसकी बात को सुन कर सब एक दूसरे को देख रहे थे।  और माया अपने सीने पर हाथ रख कर खुद को नॉर्मल कर रही थी। सब को mikhu की बातो को सुन कर पता चल चुका की mikhu फिर से सब कुछ भूल गया है।    मुख्य की बीमारी ऐसी ही थी।  और बचपन से mikhu इस बीमारी का शिकार था।  और वक्त के रहते ये बीमारी बढ़ती जा रहीं थी,उसके लिए कितने बड़े बेहद डॉक्टरों से mihku का टेस्ट करवाया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ, और mikhu की बीमारी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रहीं थी, और इसलिए काव्या हमेशा परेशान रहा करती थी।     अक्ष ने mihku को अपनी गोद में उठा लिया और सब उसके साथ नीचे आ गए।  सब अपने चेयर पर बैठ गए।  Mikhu को देख कर बिल्कुल भी नहीं लगता था कि अभी अभी उसने सबकी जान निकाल दी थी।      अक्ष mikhu  लेकर चेयर पर बैठ गया और सब के सामने servant ने नाश्ता serve किया और सब नाश्ता करने लगे।  अक्ष ने mikhu को नाश्ता करवाए और अपने साथ अपनी रूम में लेकर गया। Mikhu जब अक्ष के पास होता था तो काव्या को टेंशन नहीं था। वरना हमेशा किसी ना किस को उस पर ध्यान रखना ही पड़ता था।   इधर छोटे से घर में एक रूम  में एक औरत बेड पर बैठी थी।  ओ बस नीचे फर्श को देख रही थी।  तभी एक लड़की जिसकी उम्र 16 साल और स्कूल पढ़ाई कर रही थी , इसका नाम आरवी था।  उसने बेड पर बैठी अपनी मां मयूरी से कहा,   " मम्मी, नाश्ता कर लो, " इतना बोल कर उसने नाश्ते की प्लेट की उसके हाथ में दी और मयूरी प्लेट में खाने को देख खाने लगी।  खाना भी ऐसे खा रही थी कि जैसे बस ओ कोई चीज है , जो करना जरूरी होती थी     आरवी ने अपनी मां को नाश्ता दिया और बाहर आई तो door बेल बजने लगी ।  उसने खुद से ही कहा,   " लगता है दी आ गई!!" इतना बोल कर उसने जल्दी से door ओपन किया और उसके सामने खड़ी लड़की , ये आरोही थी।  आरोही ने आरवी की तरफ देखा और बोला,   " तू स्कूल नहीं गई?"       "  दी बस , जा ही रही हूं, बस आप का ही तो वेट कर रही थी, मैने आपको बताया था ना, मुझे आज अपनी ट्यूशन फीस देने ही," उसकी बात सुन कर आरोही ने अपने बैग्स से पैसे निकाले और आरवी देते हुए बोली,   " ये ले , और अपनी ट्यूशन फीस fill करदे"    " Di, आपके sir, कितने अच्छे है, उसके ही फ़रोसे ही हमारा घर चलता है, मैं तो चाहतीं कि ओ हमेशा खुश रहे, और साथ ही मैं हमे भी खुश रखे" इस  बात को सुन कर आरोही को कल रात की दर्द भरी यादों में चली जाती है।  ये वही जानती थी कि ये पैसे उसे किस चीज के मिले थे।    " तो bye दीदी, मै आपको शाम को मिलती हूं, आप नाश्ता  कर ले ना, मैने आज आपका मन पसंद फिश  बनाई है" आरवी की बात सुन कर आरोही अपनी बुरे यादों की खयाल से बाहर आती है और उसे bye बोलती है और अपनी मां की तरफ जाती है।  जब ओ रूम मे जाती है , तो देखती है कि उसकी उसकी मां नाश्ता खा रही थी।    उसे खाते हुए देख कर आरोही अपने आप से ही बोली,   " आप कब ठीक होगी, मम्मा,  !!!  इतना बोल कर आरोही अपने रूम की तरफ चली जाती है और कॉलेज के लिए रेडी होकर कॉलेज के लिए निकल जाती।     इधर जब आरोही कॉलेज पहुंचती थी है तो सारे स्टूडेंट ऑडिटोरियम की तरफ जा रहे थे।  इसलिए आरोही भी वही गई, उसने देखा कि वह उसकी फ्रेंड बबली भी बैठी थी।  आरोही उसके पास आकर बैठ जाती है, और उसे कन्फ्यूज्ड होते हुए बोलती है,    " हम लोग यहां क्यू आए है?"   "पता नहीं यार,  ओ कला टमाटर ,बच्चो से कुछ भी  करवाटा है, पता नहीं अब उसे किसी की अनाउसमेंट करनी है" इतना बोल कर बबली आरोही को देखती हैं।       " क्या हुआ?,  तू आज कुछ ज्यादा ही weak लग रही है" बाबलि ने आरोही से पूछा तो आरोही इस बात पर कुछ नहीं बोल पाई।    " क्या उसने तेरे साथ कुछ ज्यादा ही" बबली इतना ही बोली तो आरोही ने कहा,   " किस बात को लेकर बैठ गई,  सामने देख प्रिंसिपल आ रहे है"            क्या  अब आगे, " तुम कभी मुझसे दूर नहीं जा सकती?" उस आदमी ने एक ही सुर में अपने मन को बोला। ओ आदमी उस लड़की को जाते हुए देखता रहा, जब तक ओ लड़की विला से बाहर नहीं जाती।  आदमी का चेहरा पूरा expression less था, तभी उसे किसी का कॉल आता है,फोन पर शो हुए नाम को देखने बाद उस आदमी की चेहरे की सारी रूडनेस जैसे गायब सी हो जाती है और ओ  देर न करते हुए काल को उठा कर  बड़े ही प्यार से  बोलता है,    " हां,  दी !! बोलिए"    सामने से चिंता भरी आवाज आती है ,    " कहा है तू , छोटे,? Mention आजा, यहां मीखु टेरेस पर चढ़ा है, और नीचे नहीं उतर रहा है, जल्दी आजा छोटे"।     आवाज को सुनते ही उस आदमी का चेहरा जो अभी अभी प्यार से भर गया था। वही अब चिंता से भर चुका था।  उस आदमी ने हिम्मत देते हुए कहा,    " डोंट वरी , di!!! मै बस आ रहा हूं"।  इतना बोल ओ इंसान वह से अपना जैकेट और गॉगल लेकर निकल जाता है।  नीचे जाते ही उसकी  कार रेडी थी और गार्ड वही खड़ा था, और ड्राइवर कार के अंदर था, जैसे उनकी नजर सामने आ रहे इंसान से मिली तो गार्ड ने कार का door ओपन किया और ओ आदमी जल्दी से कार की अंदर बैठ कर ड्राइवर से बोला,   " मेंशन चलो"    ड्राइवर ने कार को मेंशन की तरफ घुमा लिया।  अक्ष राय सिंघानिया , राय सिंघानिया एंपायर ceo, जिसने ये कंपनी अपनी खुद की मेहनत पर खड़ी थी,  अक्ष येक रूड, गुस्सैल, hreatless, एरोगेंट, और ओवर कॉन्फिडेंट इंसान था, जैसे ही उसके तेवर थे, वैसे ही उसका औरा भी काफी स्ट्रांग था, और उसके ही साथ उसकी स्मार्टनेस, और टैलेंट, जिससे ओ बिजनेस की वर्ड का बादशाह था,  आज तक उसने एक भी deal हारी नहीं थी। अक्ष , 28साल का  नो जवान, 8पैक ऑफ बॉडी, handsome लुक, और खतरनाक expression जिससे कोई भी इंसान की हिम्मत उसके पास जाने को नहीं करती थी, लड़किया तो दूर की बात थी, बड़े बड़े आदमी भी अक्ष से बात बिना वजह से  करने से डरते थे। अक्ष जितना रूड और हार्टलेस था, उतना ही ओ sensetive और लविंग भी था, लेकिन ये सब बस उसके फैमिली के लिए था।  अक्ष को तीन बहने थी , जिसमें उसकी बड़ी बहन काव्या, दो ट्विन सिस्टर रिद्धि सिद्धि, और उसका भतीजा मीखू, इनमें ही उसकी दुनिया बस्ती थी।    अक्ष की कार मेंशन की आगे खड़ी हुई । मेंशन की मेन गेट पर खड़ा गार्ड ने गेट को ओपन किया और अक्ष की कार मेंशन की अंदर चली गई।  मेंशन में बड़े सी स्टाइलिश तरीके से बनाया गया था।  ये मेंशन मुंबई की बीचों बीच एक बड़े सी जगह पर बनाया था, और उस पर बड़े ही स्टाइलिश शब्दों से लिखा था.   " काशपी"     काशपी अक्ष की मां का नाम था, उनके डेथ के बाद अक्ष ने उनके ही नाम पर ये मेंशन बनाया था। जितनी सुंदर उसकी मां थी, उतनी ही सुंदर तरीके से मेंशन को बनाया गया था।    अक्ष अन्दर जाकर सीधा टेरेस पर गया, उसने देखा की वहा मीखू टेरेस पर खड़ा होकर नीचे देख रहा था।  मीखू की उम्र सिर्फ 7साल थी, लेकिन ओ दिमाग से थोड़ा कमजोर था, इसलिए जब उसे गुस्सा आता था , या कोई उसकी जिद पूरी नहीं होती थी, तो meekhu ऐसी हरकत करता था, mikhu की हालत देख कोई उसे कुछ नहीं बोलता था।  टेरेस पर काव्या, रिद्धि सिद्धि, और अक्ष के मामा रतन और मामी माया भी वही खड़ी थी।  ओ mikhu को लगातार रोकने की कोशिश कर रहे थे।      तभी इन सब के बीच में एक जोरदार आवाज से सब पीछे देखने लगते है,  " mikhu, बेबी"     जब सबकी नजर पीछे खड़े अक्ष पर जाती है , तो सब राहत की सांस लेते है।  तभी अक्ष सामने आकर mikhu को रोकते हुए बोलता,   " बच्चा,  चलो , नीचे आओ, see, मम्मा कितनी रो रही है, अपने promiss किया था ना, की आप मम्मा को परेशान नहींकरेंगे , तो नीचे आओ,"     अक्ष की आवाज mikhu के कानके अंदर जैसे जाती हैं, तो उसका बिहेव एक दम से चेंज हो जाता है, और नीचे उतर कर अपने मामा को यानी अक्ष को बड़े ही प्यार से बोलता है,     " मामू मुझे तो स्कूल जाना है,  मै यहां?  Mikhu सोचते हुए सब की तरफ देखते हुए फिर से बोलता है,    " मैं यहां कैसे?,  और मम्मा!!! क्यों रो रही है"   उसकी बात को सुन कर सब एक दूसरे को देख रहे थे।  और माया अपने सीने पर हाथ रख कर खुद को नॉर्मल कर रही थी। सब को mikhu की बातो को सुन कर पता चल चुका की mikhu फिर से सब कुछ भूल गया है।    मुख्य की बीमारी ऐसी ही थी।  और बचपन से mikhu इस बीमारी का शिकार था।  और वक्त के रहते ये बीमारी बढ़ती जा रहीं थी,उसके लिए कितने बड़े बेहद डॉक्टरों से mihku का टेस्ट करवाया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ, और mikhu की बीमारी कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रहीं थी, और इसलिए काव्या हमेशा परेशान रहा करती थी।     अक्ष ने mihku को अपनी गोद में उठा लिया और सब उसके साथ नीचे आ गए।  सब अपने चेयर पर बैठ गए।  Mikhu को देख कर बिल्कुल भी नहीं लगता था कि अभी अभी उसने सबकी जान निकाल दी थी।      अक्ष mikhu  लेकर चेयर पर बैठ गया और सब के सामने servant ने नाश्ता serve किया और सब नाश्ता करने लगे।  अक्ष ने mikhu को नाश्ता करवाए और अपने साथ अपनी रूम में लेकर गया। Mikhu जब अक्ष के पास होता था तो काव्या को टेंशन नहीं था। वरना हमेशा किसी ना किस को उस पर ध्यान रखना ही पड़ता था।   इधर छोटे से घर में एक रूम  में एक औरत बेड पर बैठी थी।  ओ बस नीचे फर्श को देख रही थी।  तभी एक लड़की जिसकी उम्र 16 साल और स्कूल पढ़ाई कर रही थी , इसका नाम आरवी था।  उसने बेड पर बैठी अपनी मां मयूरी से कहा,   " मम्मी, नाश्ता कर लो, " इतना बोल कर उसने नाश्ते की प्लेट की उसके हाथ में दी और मयूरी प्लेट में खाने को देख खाने लगी।  खाना भी ऐसे खा रही थी कि जैसे बस ओ कोई चीज है , जो करना जरूरी होती थी     आरवी ने अपनी मां को नाश्ता दिया और बाहर आई तो door बेल बजने लगी ।  उसने खुद से ही कहा,   " लगता है दी आ गई!!" इतना बोल कर उसने जल्दी से door ओपन किया और उसके सामने खड़ी लड़की , ये आरोही थी।  आरोही ने आरवी की तरफ देखा और बोला,   " तू स्कूल नहीं गई?"       क्या annoucment होने वाला था , कॉलेज में?    क्या अनाउसमेंट बदल देंगी आरोही की जिंदगी?     जानने के पढ़ते रहिए नेक्स्ट एपिसोड।

  • 3. सुकून..... एक इश्क का एहसास।। - Chapter 3

    Words: 1853

    Estimated Reading Time: 12 min

         अब आगे,     प्रिंसिपल वहां ऑडिटोरियम में पहुंच चुका था।  और सारे स्टूडेंट को देखते हुए उसने माइक कोलिया और   स्टेज पर घूमते हुए बोला,   " आप सभी स्टूडेंट को पता होगा कि समर छुट्टी या शुरू हो चुके है, और सारी एग्जाम भी खत्म हो गई है, तो अब बारी थी , रिजल्ट की , तो रिजल्ट हमारे कॉलेज का रुल होता है, रिजल्ट में top करने वाले को कॉलेज की फीस और स्कॉलरशिप भी मिलेंगी, तो उस सूटडेंट को कॉलेज की तरफ से टॉफी भी दी जाएंगी" इस अनाउसमेंट को सुन कर आरोही के अंदर एक अलग सी एनर्जी फील होती है, लेकिन फिर उसे सुबह वाली बात याद अति हैं।   " कॉन्ग्रेस, !! तुमने कॉलेज मे top किया है" आरोही कान  में फिर से ओ शब्द गूंजते हैं और ओ खुद से बोलती है "। उन्हें कैसे पता कि  आज हमारे कॉलेज में रिजल्ट देने वाले थे" आरोही इतना सोच ही रही थी तभी प्रिंसिपल ने कहा,  " आज सिर्फ उस स्टूडेंट को यहां बुलाया जाएगा, जिसने एग्जाम को क्रैक किया हो, और अपनी मेहनत से पढ़ाई कर ये मुक्काम हासिल किया हो, उसी को कॉलेज की तरफ से ये सारी बेनिफिशल दिए जाएंगे"     प्रिंसिपल की आवाज सुन सारे स्टूडेंट प्रिंसिपल को देखने लगते है।  तभी प्रिंसिपल आगे फिर बोलता है,   " हमारे कॉलेज जिसने इस साल third नंबर से एग्जाम क्रैक किया है, उसका नाम बबली है" इन्हें पूरे 456मार्क मिले है, और ये थर्ड नंबर पर है, इनकी clapping के साथ इनका welcome किया जाए"    बबली तो अपना नाम सुन कर हैरान हो जाती है।  तो आरोही उसे हिलाते हुए बोलती है,   " ओय मेरी मिस्टर इंडिया किस दुनिया में चली गई, तेरा ही नाम लिया है,  जा अभी !!!"    बबली ने जब आरोही की बात सुनी तो उसने कहा,   " यार, मुझे तो लग रहा है कि मैं हवा मेउड़ रही हूं" उसकी ये बकवास बात सुन कर आरोही ने खुदसे ही सिर पर हाथ मारते हुए कहा,   " ये पागल लड़की इसका नाम आया है, और ये यहां ही उड़ने लगी है"   " अरे,  पहले जा तो सही, उसके बाद बदलो में जाकर उड़ना" आरोही ने इतना फिर से कहा।  तो तब जाकर बबली ऑडिटोरियम के स्टेज की तरफ चली गई।  वहां जाकर प्रिंसिपल ने उसे एक टॉफी दी और एक सर्टिफिकेट भी दी और उसका clapping के सहित सम्मान किया।  बबली को आज बहुत खुशी हो गई।       तभी बबली अपनी जगह पर आकर बैठ गई तो आरोही ने भी उसे कांग्रेस किया और उसे hug कर लिया और प्रिंसिपल ने फिर सेकंड नंबर की अनाउसमेंट की।    उसका भी सम्मान किया और अब बारी थी ओ फर्स्ट नंबल वाले की ,  कोन था फर्स्ट नंबर पर...    सब बस प्रिंसिपल को देखने लगे और वही ऑडिटोरियम का हॉल पूरा गर्म होता महसूस हुआ, और सब बस प्रिंसिपल को हैरान भरी नजरो से देखने लगते है।       तभी प्रिंसिपल ने अनाउसमेंट किया,   " जिसने इस साल ,इस कॉलेज को, हर साल की तरह विनर बनाया है, येक बार उस कॉलेज की रेपुटेशन बढ़ाई है और ओ है,  ओ नाम है,  miss आरोही सिन्हा,  जिन्होंने पूरे 601मार्क लेजर कॉलेज मे top किया है, क्लैपिंग फॉर हर!!!!       आरोही के कान पर जब ये नाम पड़ा तो उसे उतनी हैरानी नहीं हुई जितनी बबलका नाम होने पर हुई थी।  क्योंकि उसे पता था कि ये सब उसके मेहनत का फल नहीं था।  उसकी तो एग्जाम भी इतनी अच्छी नहीं गई थी कि ओ just पास भी हो सके ।     आरोही के नाम पर बबली ने कहा,   " आरोही आरोही आरोही!!! तू नंबर वन पोजीशन पर है"    बबली ने चीखते हुए कहा और सब ने भी आरोही का नाम लेना शुरू किया।  वह आरोही बस sad थी।  ओ बे मन से स्टेज पर गई और सारी टॉफी और सारे सार्टिफिकेट लिए और अपने डेस्क पर आकर बैठ गई।    इसके ही साथ आज दिन भी खत्म हुआ और आरोही बबली की स्कूटी पर घर के लिए निकल गई।  तब तक आरोही बहन आरवी भी स्कू से वापस आ गई थी।  और उसने कहा,   कॉन्ग्रेस दी, आप ने कर दिया, और देखना अब आपकी इस कॉलेज के लिए डिमांड भर दी जाएगी"    " हां, ये तो होना ही था,  " बबली ने आरवी क़िबात पर कहा क्योंकि उसे भी पता था कि शायद ये किसने किया था।  " तो पार्टी तो बनती है ना" आरवी ने चहकते हुए कहा।    आरोही ने कहा,  " लेकिन मुझे अपने काम पर भी जाना है," तो बबली ने कहा,   " तो क्या एक छूटी नहीं निकाल सकती"    बबली की बात सुन कर आरोही ने कुछ नहीं कहा और उसे याद आया कि एक दिन ओ अक्ष से झूठ बोल कर बबली के साथ गई थी, तब उसके साथ क्या हुआ था?      ओ याद आते ही आरोही ने आरवी की तरफ देखते हुए कहा,   " नहीं मुझे जाना जरूरी है, कम के लिए नो कॉम्प्रोमाइज" इतना बोल कर एक बार फिर आरोही अपनी मां की रूम में गई उसने देखा कि उसकी मां इस वक्त सो रही थी।   मयूरी ज्यादा तर नींद में ही रहती थी, उसकी बीमारी की वजह से और दवाई की असर से आधा से ज्यादा टाइम ओ नींद में रहती थी।  आरोही अपनी मां के पास आई और उसके माथे पर चूम कर उसने अपनी आंखो में आंसू लेकर कहा,    " आप ठीक हो जाओ, मम्मी,  मुझे आपकी जरूरत है, आप ठीक हो गई ना, तो मुझे ये सब नहीं करना पड़ेगा" आरोही ने खुद से ही कहा लेकिन उस सब का अब तो इस वक्त कोई फायदा नहीं था।        आरोही ने अगले पल खुद को संभाला और उस रातों से निकल कर अपनी काम पर चली गई और जाते हुए उसने आरवी को बताकर गई की मा को दवाई दे ना और अपनी पढ़ाई करना।    आरोही का घर अच्छे सोसाइटी में था वह लोग अपने अपने घर में ही रहते थे इसलिए कौन कहा जाता हैं और कौन कहा से आता है, ये ज्यादा तर किसी को भी पता नहीं चलता था।       आरोही फिर से अपने मंजिल की तरफ निकल पड़ती है।  थोड़ा आगे जाकर येक कार उसके सामने आकर रुक जाती है और आरोही कार को देख कर कार में बैठ जाती है।             क्रिस्टल विला,      रात की अंधेरे घेरे मे इस विला कलर और भी खूबसूरत बन जाता है।  अक्ष अपने रूम में बालकनी में खड़ा होकर सिगरेट की कश भरने लगता है।   विला से पूरे मुंबई की शहर की लाइट जगमगाने लगती है और इस नजारे को देखते हुए अक्ष कश को और पैशनेटली भरने लगता हैं।      तभी उसे पीछे से किसी का होने का एहसास होता है।  अक्ष पीछे मुड़ कर देखता  देखता है तो पीछे आरोही खड़ी थी।  आरोही खामोश थी, ओ अकसर अक्ष के सामने कुछ नहीं बोलती थी।  अक्ष ने आरोही को नीचे से ऊपर तक देखा , और आरोही आज पीले रंग की लांग कुर्ती  में बहुत सुंदर लग रही थी।  अक्ष आरोही को देख कर अपनी पैशनेट नजर को ताजा करता है।        अक्ष सिगरेट को छोड़ ओ आरोही का हाथ पकड़ उसे अपने तरफ खींचता है और उसके चेहरे को देखते हुए बोलता है,   " आज तो तुम खुश होगी!!! तुमने कॉलेज में top जो किया है, तो क्यों ना, इस खुशी को हम कुछ अलग तरीके से एंजॉय करे, " अक्ष की बात सुन कर आरोही को अब थोड़ा डर लगने लगता है, क्योंकि अक्ष का कुछ अलग करना मतलब , आज उसे पूरी रात किसी और दर्द से गुजरना था।     " आरोही,  पता नहीं तुम्हे देख कर मेरी बॉडी , इतनी रिएक्ट क्यों करने लगती है, जैसे ओ सिर्फ तुम्हारी ही demand कर रही हो," अक्ष की बातो पर आरोही कोई जवाब नहीं देती।    " क्या तुम खुश नहीं हो" अक्ष का सवाल सुन आरोही उसके तरफ देखने लगती है और फिर अक्ष भी उसे देखते हुए बोला,   " लिटिल बर्ड, तुम्हे देख कर मैं खुद पर काबू नहीं कर पाता" इतना बोल अक्ष आरोही के पूरे चेहरे को चूमने लगता है।  वही ओ उसे किस करते हुए ही बाथरूम में ले जाकर शावर के नीचे खड़ा कर और पैशनेट किस करने लगता है, और थोड़ी ही देर बाद उस बाथरूम का माहौल गर्म हो जाता हैं और वही  आरोही की दर्द भरी आवाज बाथरूम में  गूंजने लगती है।         थोड़ी देर बाद अक्ष आरोही को अपनी गोद में उठ कर बेड लेकर आता है और फिर ये रात उन रातों में बदल जाती है जिसका सवेरा अभी होने के लिए वक्त भी कम पड़ता है।         सुबह की करण के साथ विला की पेड़ो में रहने वाले पंछियों की आवाज गूंजने लगती है।  और आरोही नींद उनकी आवाज को सुन कर खुल जाती है।  उसकी आंख जब खुलती है तब उसे एहसास होता है कि ओ बेड पर अकेली होती है।   तभी उसकी नजर विंडो से बाहर जाती है जहां हरे पेड़ पूरे एनर्जी से लहरा रहे थे।  ओ देख कर उसके चेहरे पर खुशी तो आती है लेकिन अगले ही पल ओ दूसरी तरफ देखती है तो वही खुशी गायब होकर दर्द चेहरे पर उभरता है।  सामने अक्ष अपनी सोफे पर बैठ कर लैपटॉप पर काम में लगा था।  वही उसकी नजर सिर्फ लैपटॉप पर थी और आरोही उसे काम करते हुए देख रही थी।  कोई नहीं बोल सकता था कि इस इंसान का एक रूप ऐसा भी था, लेकिन आरोही को अक्ष की आदत हो गई थी।  लेकिन ओ हर बार की तरह आज हैरान भरी नजरो सेअक्ष को  देख कर खुद में ही बड़बड़ाते हुए बोलती है,   "कमाल का स्टैमिना है, इस आदमी का  , कोई थकान नहीं और नहीं शिकन तक इसके चेहरे पर है, क्या ये सब कर ये और एनर्जी में आता है, जिस स्पीड से काम कर रहा है, लग तो ऐसा ही रहा है"      आरोही खुद से बोली और फिर बाथरूम की तरफ चली गई।  आज उसका कॉलेज नहीं था लेकिन ओ यहां से फिर भी जल्दी जाना चाहती थी। उस आदमी के पास रहना आरोही को पता नहीं क्यों अच्छा नहीं लगता था।  आरोही और अक्ष को एक साल हो चुका था , जो दोनो एसे ही एक दूसरे के साथ पीजीकल होते थे।  पर आरोही  को अब तक समझ नहीं आया था कि अक्ष ने इसके लिए उसे ही क्यू चुना?       आरोही ने ये सोचते हुए शावर लिया और कपड़े पहन बाहर आई।   तभी अक्ष के सामने खड़ी रह कर उसने देखा कि अक्ष कितने ध्यान से काम कर रहा था।  तभी अक्ष ने आरोही की सामने कुछ किया तो आरोही उसे देखते हुए उस पैकेट को लिया और देखने लगी तभी अक्ष की आवाज उसे सुनाई दी,    " ओपन करके देखो,"     तो आरोही ने उसे ओपन किया तो उसमें दो टिकट्स थी शिमला की जो एक अक्ष की नाम की थी और दूसरी आरोही की नाम की थी।  उसे देखते हुए आरोही ने झट से कहा,   " sorry, sir पर मै नहीं आ पाऊंगी, मुझे अपनी मां को डॉक्टर के पास भी लेजाना है, और मेरी बहन"। आरोही इतना बोल रही थी कि अक्ष ने कहा,   " मैं तुम्हे बता नहीं रहा , सिर्फ दिखा रहा हूं, की हम यह जा रहे है, अब ओ तुम सोचो , की तुम्हे इसके लिए करना है"    अक्ष ने इतना कहा और चुप हो गया।           अकड़है ने आगे क्या प्लान किया था? और कितना आरोही को अपने शिकार बनाएगा अक्ष ? जानिए next episod में। स्टोरी को सपोर्ट करे🙏

  • 4. सुकून..... एक इश्क का एहसास।। - Chapter 4

    Words: 1855

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    .  अब आगे,              अक्ष ने आरोही के तरफ देखा ओ बस सोच रही थी।  आरोही ने येक घूंट भरा और अक्ष की तरफ बढ़ी हिम्मत से देख कर उसने बोला,    " आप मुझसे कुछ भी नहीं करवा सकते, मै आपकी हर बात नही मान सकती , हमारे बीच में जो deal हुई थी, आप बस उसे ही फॉलो करे, प्लीज!!!! मै कोई प्रोटेस्टेड नही हूं, जो आपकी हर डिमांड को पूरी करू, मै एक मजबूर लड़की हूं sir,  "         ये सब बोलते हुए आरोही की आंखो में आंसू आ गए थे।  और अक्ष ने उसके आंखो में आंसू देख लिए और येक नजर आरोही को देखते हुए उसने अपनी गुस्सैल भरी आवाज में कहा,   "आरोही सिन्हा,  मेंने तुम्हे कभी भी किसी चीज के लिए फोर्स नही किया है,  तुम जो कुछ भी  कर रही हो, ओ अपने मर्जी से कर रही हो, तो dont blem me,  "             अक्ष की तेज और गुस्सैल भरी आवाज सुन कर आरोही येक पल के लिए डरने लगती है और कही न कही अक्ष की बाते भी सही थी।  अक्ष ने आरोही को अपने साथ कोई जोर जबरदस्ती से नहीं रखा था।          ये बात करीबन येक साल पहले के थी।  जहा आरोही अपनी 19साल की बर्थडे पर येक कैफे में गई थी, जहां की entry pass उसे free में मिलीं थी, लेकिन उसे क्या पता था कि ये फ्री में मिलने वाली पास उसकी आगे को आने जिंदगी बदल ही देंगी।  आरोही को उस कैफे में किसी ने ड्रग दिए थे, और उसी ड्रग की नशे में आरोही अनजाने में ही किसी से इंटीमेटेड हुई थी।  सुबह जब हुई तो ओ किसी के  बेड पर किसी के बाहों में आराम से सो रही थी।  जिसके साथ उसने कल रात गुजरी थी, ओ अक्ष राय सिंघानिया था, अक्ष जो हमेशा ही लड़कियों से दूर रहता था, उसने आरोही सामने येक प्रपोजल दिया जिसमें ओ आरोही की सारी फाइनेशियल प्रॉब्लम solve करेगा, बदले में हर रात आरोही को उसके साथ बितानी होगी, आरोही ने उस वक्त उसकी बात मान भी ली क्योंकि उस वक्त उसके परिवार पर आए हुए संकटको  दूर करने का उसके पास बस एक यही तरीका था। और उसने भी मजबूरी में ही लेकिन अक्ष की बात मानली, वरना आरोही क्या कोई भी लड़की एसे काम खुद अपने मन से नहीं कर सकते, ओ मजबूरी ही है, जो उनसे ऐसे काम करवाते है, तब से लेकर आज तक आरोही बस अक्ष के साथ थी।  लेकिन रात होने पर और हर सुबह की किरण होने पर आरोही खुद को बस एक मजबूर और बेसहारा मान कर ये किया करती थी।         अक्ष ने उसे रोते हुए देखा और अक्ष ने उसके हाथ को पकड़ कर अपने तरफ खींचा जिस कारण से आरोही अक्ष की गोद में बैठ गई।   " लिटिल bird, तुम अभी बहुत छोटी हो, इसलिए दुनिया के दुनिया दारी से अंजान हो, फिर भी ये तुम्हारा फैसला है, मैं तुम पर कोई जोर जबरदस्ती नहीं कर रहा हूं, और नहीं कभी करूंगा," अक्ष की बातो को आरोही अपनी आंखो में आंसू लेकर देखने लगती है।       आरोही की आंखे किसी क्रिस्टर की तरह लग रही थी, उसके आंखो में आंसू की एक एक बूंद, हीरे की तरह लग रही थी, जिसे अक्ष बड़े ही शिद्दत से देख रहा था।  तभी अचानक अक्ष की नजर आरोही की बालो पर गई।  उसने उसके बालो को हाथ में लेकर कहा,   " क्या तुमने अपने बालों का स्ट्रीमिंग करवाया है, फ्रेगरेंस वेरी नाइस!!!,"  अक्ष की ये बात सुन कर उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन आगे जो अक्ष ने कहा उसे सुनकर तो आरोही के होश ही उड़ गए।        " ये क्या तुमने अपने बालों को कटवाया है," इतना बोल अक्ष आरोही को थोड़े गुस्से से देखने लगा।  आरोही  अक्ष की  एक्सप्रेशन से समझ गई कि उसका बाल कटवाना अक्ष को बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा, उसने अपना सिर नीचे करते हुए ही कहा,  " sorry"       अक्ष ने जब ये सुना तो उसने आरोही का चेहरा ऊपर करते हुए कहा,   " आज के बाद कभी भी अपने बाल मत कटवाना, मुझे तुम्हारे इतने घने बालों की आदत हो गई है, तो ये बात याद रखना"। आरोही ने जब अक्ष की बात सुनी तो।उसने अपने मन से ही थोड़ा गुस्से से कहा,   " अब क्या मुझे इनके हिसाब से जिंदगी जीनी पड़ेंगी, लेकिन ये तो प्रपोजल में नहीं था, क्या ये कुछ ज्यादा ही मुझे पर अपना हक नहीं मान रहे, मैं इनकी wife नहीं हूं जो इनकी हर डिमांड पूरी करूं, देखना आज ही सारे बाल कटवा दूंगी"        आरोही येक 20साल की  खूबसूरत लड़की थी।  उसके बाल भी उसी तरह लंबे और घने थे, और आरोही का मासूम सा चेहरा और खूबसूरत नीली आंखे किसी को भी पागल करने के लिए काफी थी।               आरोही के नजरे नीचे थी और बस अपने मन ही मन में अक्ष को गालियां दे रही थी। अक्ष को देखते हुए आरोही ने अपना सिर ऊपर अक्ष को देखा तो अक्ष उसे ही देख रहा था।  आरोही को अक्ष की गोद में थोड़ा uncomfront लग रहा था।  आरोही अक्ष को देखते हुए हिम्मत जुटाकर बोली,   " मै आपके साथ शिमला नहीं आ सकती, please!!! मै कुछ दिन अपने परिवार के साथ रहना चाहती हूं ,sir"          अक्ष ने जब ये सुना तो उसे गुस्सा तो आया।  लेकिन आगे उसने कुछ नहीं कहा और अपना काम करने लगा।  आरोही अक्ष का कोई रिपोंस न पाकर फिर वहां से चली गई।  अक्ष उसे जाते हुए देख रहा था।                आरोही जब अपने सोसाइटी में आई तो सोसाइटी के गार्ड ने उसे देखते हुए कहा,    " आरोही बेटा,"          आरोही अपने ही धुंध में चल रही थी।  जब गार्ड की आवाज उसने सुनी तो ओ गार्ड के पास आकर बोली ,   " हां,  अंकल"          " बेटा , तुम्हारी मां की तबियत कल रात को ही खराब हो गई थी,  इसलिए  आरवी और बबली उन्हें सिटी हॉस्पिटल लेकर गए है, और तुम्हे भी वही आने को कहा है"        गार्ड की बात सुन कर आरोही तो एक पल के लिए घबरा गई और ओ उल्टे कदमों से ही हॉस्पिटल के लिए निकल गई।  वह जाकर उसने देखा कि आरवी और बबली वही खड़ी थी।           " Aaru!!!,कितने कॉल किए तुझे?" बबली ने थोड़ा चिड़ते हुए कहा।   आरोही ने जब सुन तो उसने कहा,   " मम्मी !! Mummy को क्या हुआ है?"।        तभी डॉक्टर बाहर आए और बोलने लगे।  डॉक्टर को देखते हुए आरोही और बबली, आरवी डॉक्टर के पास आ गई।   "Listen!!! मैंने तुम्हे पिछली बार ही कहा था कि ऐसे ट्रॉमा उन्हें आते ही रहेंगे, और ऐसे ही ओ अपनी जान खतरे में डालती रहेंगी, इससे अच्छा है की इन्हें देहरादून भेज दो,   वहा इनकी कंडीशन के सारे पेशेंट होते है, और वहां की treatment से तुम्हारा मां ठीक हो जाएंगी"          " डॉक्टर, अभी मेरी मम्मा कैसी है?"। आरोही ने चिंता करते हुए कहा।   " आरोही !! अभी तुम्हारी मम्मी ठीक है, चोट आई है, लेकिन ज्यादा गहरी नहीं है, कुछ दिन में ठीक हो जाएंगी, लेकिन आज तुमने उन्हें बचा लिया, पर, कल अगर उन्होंने और ऐसा कुछ किया तो क्या तुम हर वक्त उनके पास रहोगी, बेटा!!! मुझे पता है, तुम्हारी कंडीशन सही नहीं है, लेकिन तुम्हे अब कोई फैसला लेना होगा, अपनी मां के खातिर, अगर तुम उन्हें जिंदा देखना चाहती हो तो मैंने जो कहा ओ करो, तुम्हारी मां जल्दी ठीक हो जाएंगी"।          डॉक्टर के समझाने पर सब की नजरे बस बेबस थी डॉक्टर ने समझ लिया।  और ओ वहा से अपने केबिन की तरफ चला गया।    मयूरी , जब से आरोही के पापा की डेथ हो गई, तब से ही मयूरी की हालत बिगड़ गई और आज उनकी ये बीमारी इतनी बिगड़ गई कि ओ अपनी जान की खुद दुश्मन बनी थी।       आरोही वही बेंच पर बैठ गई और उसके ही पास बबली और आरवी भी बैठ गए।   तीनो ही कुछ पल तक खामोश ही थी। लेकिन आरोही का mind बस कुछ सोच में घूम था।         उसने खड़े होते हुए कहा,    " मैं मम्मी को देहरादून भेजने के लिए तैयार हूं, मुझे कुछ नहीं चाहिए, मेरी मम्मी एक बार ठीक हो जाए, बस!! उसके बाद मैं अपनी जिंदगी में कुछ नहीं चाहती"        आरोही की बात सुन कर बबली और आरवी उसके तरफ देखते हुए बोले,   " पर ये कैसे होगा?  देहरादून को भेजना मतलब भी जानती हो तुम?   बहुत पैसे चाहिए aaru "        " चाहे जो हो जाए,  अब मुझे खुद को भी गिरवी रखना पड़े तो , मै ओ करूंगी, लेकिन मैं अब ऐसे अपनी मम्मी को नहीं देख सकती,  आज ओ बच गई, लेकिन कल ,  कल अगर उन्होंने फिर से ऐसा किया और अपनी जान लेने की कोशिश की और ओ उसमें कामयाब हो गई तो,  फिर मेरा और आरवी क्या होगा?,  हम दोनो ही अकेले पड़ जाएंगे, पापा तो पहले ही चले गए हमें छोड़ कर , अब मैं अपनी मम्मी की नहीं खोना चाहती, अब वही होगा जो डॉक्टर अंकल बोल रहे है, मैं आज ही मम्मी को देहरादून भेज दूंगी"        आरोही ने रोते हुए अपने दर्द भरी आवाज में कहा।  बबली भी उसका दर्द समझ गई।  उसने भी आगे कुछ नहीं कहा।  आरोही वहां से निकल कल डॉक्टर की केबिन के अंदर चली गई और डॉक्टर को बोली,    " अंकल,   मै अपनी मम्मी को देहरादून भेजना चाहती हूं, और ओ भी आज!! मै अब और इतंजार नहीं करना चाहती, आप अभी ही उनका जाने का बंदोबस्त करिए, और पैसों की चिंता मत करिए, आपको आपके पैसे मिल जाएंगे" डॉक्टर ने आरोही को देखा।   डॉक्टर पिछले  5साल से मयूरी का इलाज कर रहे थे। और इन पांच सालों में आरोही को उन्होंने कितनी बार बताया था कि उसकी मां की condition अच्छी नहीं हैं,लेकिन आरोही पैसे न होने की वजह से बस चुप थी।           " Ok!!! आज दोपहर को ही उन्हें देहरादून के लिए भेज देते है, and बेटा,  वहां जाकर तुम्हारी मां बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगी, ठीक है"। आरोही ने इतना सुना और डॉक्टर के केबिन से निकल कर अपनी मां की रूम में आई जहां उन्हें रखवाया गया था।        बबली और आरवी भी वही थी।  आरोही ने आकर अपनी मांके सिर चूम लिया और रोते हुए बोली,   " एक मां अपनी बच्चों पर आने वाले हर मुसीबतों का सामना कर बच्चे को बचा लेती है, तो एक बेटी क्यों ये नहीं कर सकती?, मैं भी आपको ठीक कर दूंगी मम्मी, देखना बोहोत जल्दी आप मेरी पहले जैसी मम्मी बन जाएंगी"          उसकी बाते सुन कर बबली और आरवी के आंखो में भी आंसू आ गए और ऐसे में ही दोपहर हो गई और मयूरी को डॉक्टर ने हॉस्पिटल की एंबुलेंस के बैठा दिया।  अब मयूरी को होश आ चुका था लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।  आरोही ने और आरवी ने येक बार अपनी मम्मी के गोद में सिर रख लिया और खुद को नॉर्मल कर उन्हें अपनी मम्मीको  मंजिल के लिए भेज दिया।           एसे में ही शाम हो गई और आरोही फिर एक बार अपने रास्ते पर चल पड़ी।  आरोही जब क्रिस्टल विला आई तो उसने देखा कि रूम की बालकनी में अक्ष बैठा था।  अक्ष को देखते हुए आरोही ने खुद को स्ट्रॉन्ग किया और रूम की तरफ चल पड़ी।                हेलो दोस्तो, ये new नॉवेल है, तो आप इसे रिपोंस दीजिए, कहानी रोमांस है, और सीक्रेट लव है, तो कहानी के चैप्टर पूरे पढ़िए, आधे अधूरे न छोड़े,🙏🙏   ।   क्या आरोही अक्ष की शिमला जाने वाली बात मन लेंगी?  जानिए नेक्स्ट एपिसोड में।                                

  • 5. सुकून..... एक इश्क का एहसास।। - Chapter 5

    Words: 2057

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         हेलो, रीडर्स, please चैप्टर्स को पूरा read करिए!!   अब आगे,         आरोही ने देखा कि अक्ष बालकनी में खड़ा था।  अक्ष अपने फ्रेंड नयन से बात कर रहा था।   " तू ऐसी मुसीबतों में हर रोज फसता है, इसमें नई बात क्या हैं?"       सामने से नयन ने चिड़ते हुए अक्ष से थोड़े गुस्से से कहा,  "मै यहां सीरियस कंडीशन में हूं और तुझे बेकार की बाते सूझ रही है"।    अक्ष ने उसकी बात को सुनी  तो उसने भी अपनी आंखे छोटी करते हुए नयन से बोला,   " कितनी बार तुझे कहा है, लड़की यो से दूर रहा करो, लेकिन नहीं मेरी बात तुम्हे समझ नहीं आती"।       तो नयन सामने से चीखते हुए बोलता है,  " तू भाषण ही देगा , या कुछ करेंगे भी"      उसकी ये बात सुन कर अक्ष खुद में ही हस्ते हुए नयन से  बोलता है,   " ok!! तू रुक , मैं देव को भेज ता हूं"       इतना बोल कर अक्ष नयन का कॉल कट कर देता है।  नयन अक्ष का बेस्ट फ्रेंड है जो उसके लिए कुछ भी करने की लिए तैयार होता था।  नयन शेखावत , येक फेमस डिजाइनर कंपनी का ceo था, लेकिन उसका नेचर काफी अलग था, अक्ष जैसा रूड और स्ट्रीक है, नयन उससे से उलट ओ  शरारती था।  नयन और अक्ष बचपन के फ्रेंड्स थे । सारी स्टडी भी दोनो ने साथ में ही की थी। नयन और अक्ष के बीच में जो भरोसा था ओ बहुत ही स्ट्रॉन्ग था।             अक्ष ने कॉल को कट ही किया था कि  पीछे से आरोही आते हुए उसे नजर आई।  आरोही को देखते हुए अक्ष की चेहरे पर येक devil स्माइल आ गई।  शायद ओ जानता था कि आरोही यहां क्यों आई थी।             आरोही की आंखे थोड़ी लाल थी। जिससे अक्ष समझ गया कि बोहोत रोई है, लेकिन अक्ष तो अक्ष था उसे कहा किसी के रोने से फ़र्क पड़ता था।  आरोही रूम में आकर बस वही खड़ी हो गई। लेकिन अक्ष उसके पास गया और उसने बालो को ठीक करते हुए बोला,   " तो क्या decide किया है तुमने?"         अक्ष की सवाल सुन आरोही ने अपनी नजरे अक्ष पर डाली जो उसे ही देख रहा था।  आरोही के लिए अक्ष की नजरो से नजर मिलाना कभी भी ईज़ी नही होता था, लेकिन आज उसने अक्ष को देखते हुए अपने धीरे आवाज से कहा,   " i am ready, मै आज अपने आप को आपके पास गिरवी रखती हूं, आप मुझसे जो करवाने चाहते , करवा सकते है,"       आरोही इतना बोल कर चुप हो जाती है।  आरोही को चुप हो जाता देख अक्ष अपनी devilsh आंखो से उसे देखते हुए सोफे पर जाकर बैठ जाता है और आरोही को देखते हुए बोलता है,    " और इसके बदले में , तुम्हे कुछ तो चाहिए होगा ना, दुनिया का वसूल है, येक हाथ लेना तो दूसरे हाथ से देना, अब तुमने मुझे दिया लेकिन तुम्हे क्या चाहिए ?"       आरोही की जुबान से ये निकलना मुश्किल था कि उसे पैसे चाहिए।  अक्ष ने आरोही की चुप्पी को समझ लिया, उसने आरोही का हाथ का पकड़ उसे अपनी गोद में  बैठा लिया।  आरोही अक्ष को सहम ते हुए देखने लगती है।  अक्ष आरोही  की आंखो की भाषा को  समझ लेता है।  वैसे भी दोनों भी ज्यादा तर बात कम ही करते थे, लेकिन एक दूसरे की हरकतों को अच्छे से पहचान लेते है।           आरोही ने रुकते हुए कहा,   " ओ मुझे,  मुझे अपनी मां का इलाज करवाना है, तो मुझे पैसे की जरूरत है" इतनी बात आरोही बड़ी ही मुश्किल से बोली थी, लेकिन अक्ष को पता था कि आरोही उससे कभी पैसे की डिमांड खुद नहीं कर पाती थी।            उसकी बात सुन कर अक्ष ने आरोही  के सिर को ऊपर किया और बोला,   " पैसे तुम्हारे अकाउंट में ट्रांसफर किए जाएंगे"        आरोही ने जब ये सुना तो उसे अच्छा तो लगा लेकिन ओ जानती थी कि उसने इसके लिए खुद को बेच दिया था।  ये सोचते हुए उसके आंखो में आंसू तो आए लेकिन उसने उस आंसुओं को आंखो की अंदर ही रखा, आरोही अक्ष की सामने रो कर कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी।          " तभी अक्ष अपनी कठोर आवाज में बोला,  "इसकी टर्म और कंडीशन तुम्हे पता होना चाहिए,"। अक्ष की ये बात सुन कर आरोही ने अक्ष की तरफ सवाल भरी नजरो से देखा तो अक्ष ने एक devil स्माइल के साथ बोला,   " नंबर वन कंडीशन,  तुम मेरे अलावा किसी को भी अपने पास आने नहीं दोगी, सेकंड,... तुम हर काम मुझे बता कर करोगी, third.... तुम्हारा कोई मेल फ्रेंड होना मुझे  मंजूर नहीं हैं, और फोर्थ... मै जब चाहूं, तब तुम्हे मेरे लिए अवेलेबल होना होगा"         आरोही अपनी आंखो से देखते हुए अक्ष की हर येक बात को सुन रही थी।  उसका मन तो अक्ष को एक थप्पड़ मारने को कर रहा था लेकिन ओ ऐसा नहीं कर सकती थी।          उसने अपने मन ही मन में अक्ष को गालियां देते हुए कहा,   " डर्टी डेविल, पता नहीं इसे मुझमें ही क्या नजर आया है जो जब देखो तब बस मुझे खाने को तैयार रहता है, इसमें ये भी एड करना था कि सांस भी आपके मनअर्जी से लूं"         आरोही खुद से बोल ही रही थी कि अक्ष ने उसी कमर पर अपने हाथ कस लिए तो आरोही के अंदर से दर्द भरी सिसकी निकल गई।  तभी अक्ष ने आरोही को चेहरे को देखा जिसके चेहरे पर दर्द था।  आरोही को ये सारी कंडीशन और टर्म अक्ष ने बता तो दी, लेकिन आरोही ने उसे कुछ नहीं कहा। आरोही ने अपने ही मन में कहा,   " क्या ये भी कंडीशन का हिस्सा है, पता नहीं मुझे क्या क्या करना होगा, डर्टी डेविल!!!"              अक्ष आरोही को देखने में बिजी था।  तभी रूम का डोर ओपन कर सर्वेंट अपने हाथ में डिनर लेकर आता है और टेबल पर रख देता है।  आरोही डिनर को देखते हुए खुद से बोलती है,   " मैने तो सुबह से कुछ खाया नहीं," आरोही को खाने को देख कर याद आया कि उसने आज कुछ नहीं खाया था।          " Fry फिश, कितनी टेस्टी लग रही हैं, क्या मैं ये खा सकती हूं, नहीं , ये डर्टी डेविल , मुझे खाने नहीं देगा" आरोही खुद से ही बोल रही थी।    तभी अक्ष ने आरोही के सामने फ्राई फिश को किया तो आरोही अक्ष की तरफ देखने लगी।  " खालों, " अक्ष की बात सुन कर आरोही ने फिश को लिया और खाने लगी।  आरोही को सच में बहुत तेज भूख लगी थी।  इसलिए उसने सारी फिशेज खा ली, और फिश उसकी पसंदीदा dish थी।           अक्ष बस उसे ही देखने लगा उसे समझ नहीं आया कि ये इतनी दुबली पतली लड़की इतना खा सकती है।  आरोही ने सारी फ़िशेस खा कर उंगलियां भी चाट ली।          अक्ष के सामने सिर्फ खाली प्लेटें थी।  आरोही अपने खाने में ही बिजी थी।  अक्ष ने पहली बार आरोही को ऐसे खाते हुए देखा था।  आरोही की नजर अक्ष की नजर से जा मिली, तब जाकर उसे ख्याल आया कि ओ क्या कर रही थी?  आरोही को भूख बर्दास्त नहीं होती थी,  और खास कर जब उसके सामने fry fish रखी हो।          आरोही ने अक्ष को देखा और फिर नीचे प्लेट में देखा। अब जाकर उसे समझ आया कि उसने तो सब कुछ अकेले खा लिया।  आरोही ने अपनी आंखे नीचे कर ली तो अक्ष ने उसे देखते हुए प्लेट को देखा और बोला,   " अब तुमने मेरा सारा डिनर खाया हैं तो, मुझे भी अब भूख लगी है, तो अब मैं तुम्हे खाऊंगा,  देखू तू सही , फिश का टेस्ट कैसा था?          अक्ष ने इतना कहा और बिना देर किए आरोही की होठों पर होठ रख उसे किस करने लगा।  अक्ष की हरकत से आरोही के आंखे बड़ी बड़ी हो गई और अक्ष आरोही की lips को स्मूच करने लगा।  थोड़ी देर बाद आरोही को सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी तो आरोही अक्ष को खुद से दूर करने में लगी।  लेकिन आरोही के हाथ नाजुक और अक्ष की बॉडी सख्त थी।  अक्ष ने एक्सरसाइज कर बॉडी को अच्छे से mentain किया हुआ था।  आरोही अक्ष के सामने कमजोर पड़ गई और अक्ष उसे पूरे शिद्दत से चूमने लगा। आरोही को जब रहा नहीं गया तो उसने अक्ष की होठों को काट लिया।              जिस कारण अक्ष आरोही को आंखे छोटी कर देखने लगा।  आरोही ने अपने आंखे नीचे  कर ली। और धीरे से कहा,   " i am sorry"           अक्ष ने जब ये सुना तो उसने भी आंखे विंक करते हुए आरोही से seductive आवाज में कहा,   " तुमने खा लिया , अब मेरी बारी है, और हां, मुझे खाते वक्त डिस्टर्बेंस बिल्कुल पसंद नहीं है"  आरोही ने जब अक्ष को वार्निंग में बोलते हुए देखा तो ओ और भी डर गई।              अक्ष ने आरोही को बेड पर लेकर गया और बिना वक्त करते ही उसकी ड्रेस को उसके शरीर से अलग कर दी और साथ ही मै अपनी शर्ट भी उतारी और आरोही के पूरे शरीर को चूमने लगा।  अक्ष की passionate किसिंग की वजह से आरोही की हालत तो हमेशा ही समझने के परे हो जातिं थी।   येक  साल से आरोही अक्ष के साथ थी लेकिन अब तक उसने खुद को अक्ष की हरकत के लिए नॉर्मल नही किया था।               अक्ष था ही ऐसा, ओ हर बार आरोही को अलग तरीके से प्यार करता था, इसलिए आरोही का नॉर्मल होना मुमकिन ही नहीं था।  आरोही की बॉडी अक्ष  को पूरी तरह से पागल कर देती  थी।  अक्ष की wild हरकते आरोही की शरीर पर निशान बना रही थी।   और आरोही की हालत हर बार की तरह बोहोत बुरी थी।  ओ दर्द और तकलीफ से गुजर रही थी। लेकिन अक्ष उस पर किसी तरह का रेहम दिखा नही रहा था।                  आज तो अक्ष ने आरोही के शरीर से पूरी एनर्जी जैसे निचोड़ ली हो, आरोही तो कब की अक्ष की बाहों में बेहोश हो गई थी।  अक्ष ने जब उसे छोड़ा तो उसकी हालत देख उसे बुरा लगा लेकिन ओ क्या करता था?               अक्ष जब पहली बार आरोही से intimated हुआ था।  तब उसे पता चला की आरोही एक virgin थी और पता नही क्यों अक्ष को आरोही की करीब जाकर येक अलग सा सुकून मिला था और उसी दिन उसे लगा की शायद ओ आरोही के साथ इंटीमेटेड हुआ इसलिए ही उसे इतना सुकून मिला और उसी के बाद से अक्ष ने आरोही अपने साथ रहने का ये offer दिया।  बदले में अक्ष उसकी हर problem को सॉल्व करता था।              " क्या है तुममें ऐसा की मैं खुद को तुम्हारे करीब आने से नही रोक सकता था,  तुम मेरी एनर्जी हो आरोही, मेरी  ताकत हो, तुम्हारे साथ रात कब बीत जाती है, पता ही नही चलती" इतना बोल कर अक्ष उसके पास से उठ कर टॉवेल को कमर पर लिपट लेता है  और उसके बाद ओ सिगरेट लेजर बालकनी में जाता है।           इस रात के अंधेरे में मुंबई शहर तारो जैसा जगमगा रहा था और अक्ष बालकनी में बैठ कर इस नजारे को देख रहा था। तभी उसने नयन को कॉल किया तो नयन ने कॉल को पिक कर लिया और कान को लगाते हुए बोला,    " मुझे नही लगा था की तू मुझे इस वक्त कॉल करेगा?"        " क्यू? मुझे कॉल करना नही चाहिए था?" अक्ष की बात सुन कर नयन ने कहा,    " नही यार, ओ बात नहीं है, मुझे लगा तू अभी बिजी होगा, अपनी लिटिल bird के साथ "           अक्ष ने जब उसकी बात सुनी तो उसने नयन को थोड़े गुस्से से कहा,    "तुझे नही लगता , तू मेरी प्राइवेट लाइफ में कुछ ज्यादा ही इन्वॉल्व नही करता है, ये bad manner है" अक्ष की बात सुन कर नयन थोड़ा गुस्सा करते हुए बोलता है,  " oh realy!! और तू , तू जो उस लड़की के साथ करता है, उसका क्या?, अक्ष , ओ सिर्फ 20साल की है, तू जानता है ना, इतना  वाइल्ड मत होया कर यार उसके साथ, कही आगे चल कर उसके लिए मुश्किल न हो जाए"। नयन की बात सुन अक्ष ने कहा,   " तुझे नही लगता की तू कुछ ज्यादा सोचता है, मैने कॉल तेरा हाल जानने के लिए किया था, लेकिन तेरी बातों से लगता है कि तू ठीक है" अक्ष इतना बोल कर कॉल को कट करता है।          और बेड के पास आकर एक नजर फिर आरोही  को देखने लगता है।  अक्ष आरोही के चेहरे को देखता है, जो दर्द और थकान की वजह से लाल पड़ चुका था।  उसके आंखो के पास सुखे हुए आंसू थे और उसके शरीर की हालत देख अक्ष को नयन की बात याद अति है।         क्या होगा ? क्या अक्ष आरोही के साथ ऐसा क्यों कर रहा था?  क्या था इसके पीछे का राज जानते next episod में।