the story of aanya and aaryan
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This is a lovely story! The emotions are very well conveyed. Here's the chapter with punctuation and some minor edits for better flow. I've tried to stay true to the original intent while improving readability. **Chapter Title Suggestion:** The Unexpected Guest (or) A Family Celebration **Revised Chapter:** आहान के विला में, सबने मिलकर चाहत और बच्चे के लिए स्पेशल तैयारी की थी। वह एक छोटी सी पार्टी कर रहे थे, जिसमें सिर्फ घर वाले ही शामिल थे। पार्टी शुरू होने से पहले, तनु आहान और चाहत को बुलाने आई थी। उसके जाने के बाद, आहान चाहत को अपने हाथों से तैयार कर रहा था। चाहत बाथरूम में जाकर ड्रेस खुद से चेंज करके आई थी। उसने इस वक्त नेवी ब्लू कलर का कम्फ़र्टेबल फ्रॉक पहन रखा था, जो लॉन्ग स्लीव्स का था। चाहत के बाथरूम से आते ही, आहान ने एक नज़र उसे देखा और फिर हिलाकर कहा, “यू नो व्हाट, डॉल? तुम कुछ भी पहन लो, खूबसूरत लगती हो। वैसे, कुछ ना भी पहनो तो...” आहान अपनी बात पूरी करता, उससे पहले चाहत ने उसकी बात बीच में काटते हुए जल्दी से कहा, “आहान, यह कैसी बातें कर रहे हो आप? बेबी ने सुन लिया तो उसके ऊपर क्या असर होगा?” आहान ने आइज़ रोल की और बोरियत भरे लहजे में कहा, “कम ऑन, डॉल। इसे अभी कुछ समझ नहीं आता, यह सिर्फ़ एक वीक का है। और तुम मुझसे क्यों शर्मा रही हो?” बोलते हुए, आहान चाहत के पास आया और उसे कमर से पकड़कर अपने करीब कर लिया था। आहान ने चाहत की नाक पर अपनी नाक रखते हुए कहा, “तो मेरी डॉल को मुझसे ही शर्म आ रही है?” “ऐसा कुछ नहीं है। बहुत टाइम से हम दोनों दूर हैं, तो...” चाहत ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी थी। आहान उसकी बात पूरी करते हुए बोला, “दूर है, तो इसका मतलब यह नहीं, डॉल, कि मैं अजनबी हो गया हूँ। आज फिर तुम मेरी वही डॉल हो, जिससे मैं पागलों की तरह प्यार करता हूँ।” आहान की बात सुनकर चाहत के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई थी। उसके गाल लाल हो रहे थे। चाहत ने धीरे से कहा, “आप सच में बदल रहे हो। पहले कभी आपने इस तरह खुलकर प्यार का इज़हार नहीं किया, और आजकल तो आपको मुझ पर कुछ ज़्यादा ही प्यार आ रहा है।” “हाँ, क्योंकि तुमसे दूर रहना मेरे लिए एक सज़ा की तरह था। अच्छा हुआ ना, डॉल, मेरी याददाश्त चली गई, वरना शायद मैं तुम्हारा इस तरह दूर जाना झेल ही नहीं पाता।” आहान ने इंटेंस वॉइस में कहा। वह दोनों वैसे ही पोज़िशन में खड़े बातें कर रहे थे, तभी किसी काम के चलते आयुष वहाँ पर आया। कमरे का दरवाज़ा लॉक नहीं था। आयुष के दरवाज़ा खोलते ही, उसने आहान और चाहत को एक-दूसरे के करीब देखा। तो उसने जल्दी से अपनी आँखों पर हाथ रखते हुए कहा, “अरे बाप रे! मैं तो बिल्कुल गलत, बहुत ही गलत टाइम पर आ गया। आप दोनों अपना रोमांस कंटिन्यू कीजिए, पार्टी तो हम बाद में भी कर लेंगे।” आयुष के अचानक आने पर चाहत हड़बड़ा गई। वह आहान से दूर होना चाहती थी, लेकिन आहान ने उसे कसकर थाम लिया था। उसके बाद, आहान ने आयुष की तरफ़ देखते हुए कहा, “बिल्कुल... जब तुम्हें एहसास हो ही गया है कि तुम गलत टाइम पर आए हो, तो फिर आगे की बकवास करना ज़रूरी नहीं था।” “यह आप कैसी बातें कर रहे हैं, आहान? आयुष हमें पार्टी के लिए बुलाने के लिए ही आया होगा।” चाहत ने आहान को प्यार से डाँटते हुए कहा। “हाँ, देख लीजिए मेरी भाभी मुझे समझ रही है, लेकिन लगता है भाई के अंदर कोई इमोशंस नहीं हैं।” आयुष ने बच्चों जैसा मुँह बनाकर कहा। आहान ने उसकी तरफ़ देखकर सार्कास्टिकली सिर हिलाया और कहा, “तुम्हें जितने ड्रामा करने हैं, कर लो, लेकिन जिस दिन तुम्हारी शादी होगी, हम भी तुम्हें इसी तरह परेशान करेंगे।” शादी की बात सुनकर आयुष के गाल लाल होने लगे थे। तभी चाहत ने कहा, “मैं आपसे बात करने ही वाली थी। हमें आयुष के लिए भी एक अच्छी लड़की ढूँढनी चाहिए ना? बहुत दिनों से किसी की शादी अटेंड नहीं की।” “लड़की हमें ढूँढने की ज़रूरत नहीं है, डॉल। तुम्हारे प्यारे देवर ने पहले ही अपने लिए किसी को ढूँढ रखा है।” आहान ने जवाब दिया, जिस पर चाहत हैरानी से आयुष की तरफ़ देखने लगी। वह मुँह बनाकर बोली, “यह तो बहुत गलत बात है। आपने इस बारे में मुझे क्यों नहीं बताया? आजकल आप दोनों भाई मुझे बहुत कुछ छुपाने लगे हो।” आयुष ने अपनी तरफ़ से सफ़ाई देते हुए कहा, “भाई बेवजह आपने हम दोनों के बीच में लड़ाई लगवा दी। अभी तो मैंने कार्तिक को बताया तक नहीं कि मैं उसे पसंद करता हूँ।” “चलो, डॉल, तुम्हें अब तो लड़की का नाम पूछने की भी ज़रूरत नहीं है। उनके मुँह से खुद ही निकल गया। और वन मोर थिंग, तुम्हारे भरोसे रहता तो अब तक तुम्हारी कार्तिक की डोली उठ चुकी होती। मैंने बात कर ली है उससे... वह शादी के लिए तैयार है, और वह तैयार है, तभी आज उसे हमारे फैमिली फंक्शन में शामिल होने का मौका मिला है।” आहान ने बातों ही बातों में आयुष को सब कुछ बता दिया था। “क्या सच में, भाई? ओ माय गॉड! आप दुनिया के सबसे बेस्ट भाई हो! मुझे यह कभी नहीं हो पाता।” आयुष खुश होते हुए बोला। वह जल्दी से आहान के पास आया और उसके गले लग गया था। आयुष को खुश देखकर आहान के चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कराहट आ गई। वहीं, चाहत के चेहरे के भाव गंभीर हो गए थे। कार्तिक का नाम सुनने के बाद उसके चेहरे की खुशी गायब हो गई थी। आहान से अलग होने के बाद, आयुष चाहत के गले लगने को हुआ, तभी आहान ने अपना हाथ आगे करके कहा, “अरे नहीं! तुमने बहुत टाइटली हग किया है, और डॉल इस वक़्त काफी वीक है। इतना टाइटली तो मैं भी इसे हग नहीं कर रहा हूँ। अपनी खुशी बाद में जता लेना।” “ठीक है, भाई...” आहान ने जवाब दिया और फिर चाहत से बोला, “भाभी, आप बहुत लकी हो जो आपको ऐसा भाई मिला। देखा जाए तो आपको कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती होगी। इतने स्टेट ऑफ़ द आर्ट भाई हैं कि खुद ही सब समझ जाते हैं और सब कुछ बोल भी देते हैं।” “हाँ हाँ, ठीक है। अब बटरिंग करना बंद करो और बाहर जाओ। मुझे डॉल को तैयार करना है।” आहान ने जवाब दिया। आहान ने आयुष को बाहर भेज दिया था। उसके जाते ही, चाहत ने अपने चेहरे पर फीकी मुस्कराहट दी। कुछ भी कहकर वह आयुष की खुशी को कम नहीं करना चाहती थी। चाहत ने भले ही कुछ ना कहा हो, लेकिन आहान ने उसके चेहरे के बदले हुए भावों को नोटिस कर लिया था। आयुष के जाते ही, आहान ने गंभीर चेहरे के साथ पूछा, “क्या हुआ, डॉल? अचानक से परेशान क्यों हो गई? मैंने नोटिस किया कि कार्तिक का नाम सुनकर तुम्हें खुशी नहीं हुई।” “हाँ, क्योंकि आजकल आसानी से किसी पर यकीन करने का मन नहीं करता है। हम उसे सिर्फ़ एक हफ़्ते से जानते हैं, आहान। फिर से हमारे आयुष के लिए कैसे चुन सकते हैं? मुझे उसे देखकर अच्छी वाइब नहीं आती है। दोस्ती सब ठीक है, लेकिन शादी बहुत बड़ी चीज़ हो जाती है।” चाहत ने अपने दिल का डर आहान को बता दिया था। आहान उसकी बात समझ रहा था। उसने चाहत का हाथ अपने हाथ में लिया और सहलाते हुए कहा, “तुम ठीक कह रही हो, लेकिन कई बार एक बार देखना ही काफी होता है। मैंने तुम्हें पहली बार देखा था, तभी लगा था कि तुममें कुछ अलग बात है। मैंने कार्तिक के बैकग्राउंड के बारे में पता कर लिया है, वह सच में एक अच्छी लड़की है।” चाहत ने इस बात को आगे नहीं बढ़ाया और अपने दिल की फ़ीलिंग को एक बहन समझकर जाने दिया। उसने आहान की बात मान ली और बात बदलते हुए कहा, “अच्छा, ठीक है। अब मुझे जल्दी से तैयार कर दीजिए। इतने दिनों से हॉस्पिटल के बेड पर काफी बोरिंग लगता था। चलिए ना, सबके बीच बैठकर पार्टी करते हैं।” आहान चाहत को आईने के सामने लेकर गया और उसके बालों को खुला छोड़कर हेयर बैंड लगा दिया था। बिना किसी मेकअप के भी चाहत खूबसूरत लग रही थी। उसके बाद, आहान ने बच्चे का ड्रेस चेंज किया और उनके साथ बाहर आया। बाहर आते ही, चाहत की नज़र सबसे पहले कार्तिक पर गई। उसने अपने मन में कहा, “न जाने इसे देखकर अच्छी फ़ीलिंग नहीं आती है। ऐसा बहुत कम मौकों पर होता है कि मुझे किसी से नेगेटिव वाइब आए। आई होप कि यह बस मेरा वहम ही हो।” श्रद्धा चाहत के आते ही बाहर आई और उसे ले जाकर सामने के सोफ़े पर बिठा दिया था। आहान भी उसी के पास में बैठा हुआ था। उन्होंने सबने मिलकर लिविंग एरिया को काफी अच्छे से डेकोरेट किया था। वह सब देखकर चाहत के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने उन सब से कहा, “थैंक यू सो मच! आपने हमारे लिए इतने एफ़र्ट्स डाले।” “अच्छा, आप थैंक यू कहना बंद करो। तुम्हारा इन सब पर हक़ बनता है, इस घर की बहू हो तुम।” शिवानी ने जवाब दिया। फिर वह उन सब की तरफ़ देखकर बोली, “अच्छा, सबसे पहले हम बच्चे का नाम डिसाइड करते हैं। पूरे एक हफ़्ते से कोई किसी नाम से बुला रहा है, तो कोई किसी नाम से... मैं चाहती हूँ कि अब इसे एक अच्छा सा नाम मिले।” “हाँ, मॉम, मैं तो एक लंबी सी लिस्ट बना रखी है।” आयुष ने जल्दी से कहा। उनमें से कोई कुछ आगे बोलता, उससे पहले चाहत ने कहा, “सॉरी टू इंटरप्ट यू, लेकिन आहान ने बच्चे का नाम पहले ही रख दिया है।” “नाम रख दिया? यह तो अच्छी बात है, लेकिन इसमें सॉरी कहने की क्या बात हो गई? तुम दोनों इसके पेरेंट्स हो, और तुम्हारा पूरा हक़ बनता है।” तनु ने मुस्कुराकर कहा। फिर वह आहान की तरफ़ देखकर बोली, “इसने नाम रखा है, तो ज़रूर कुछ अपनी तरह से अजीब सा नाम रखा होगा। वैसे, क्या नाम सोचा है?” “धैर्य...” आहान ने जवाब में कहा। “अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा नाम है।” शिवानी ने मुस्कुराकर कहा। उसके बाद सब डांस करने और गेम्स खेलने में बिज़ी हो गए थे। कार्तिक उनके साथ थी, तो सही, लेकिन वह पूरी तरह इंवॉल्व नहीं हो रही थी। उन सबको इस तरह साथ में हँसते-गाते देखकर कार्तिक के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट थी। “कितनी प्यारी है इनकी फैमिली... मॉम, डैड, भाई, बहन, सब हैं। ऊपर से किसी चीज़ की कमी नहीं है। काश हमारे भी मॉम-डैड हमारे साथ होते, तो हमारी फैमिली भी आज इतनी ही खुशहाल होती।” सोचते हुए कार्तिक की आँखें नम होने लगीं। उसे कहीं ना कहीं उनकी फैमिली देखकर जलन हो रही थी। रात के लगभग 10:00 बजे तक उन्होंने साथ में पार्टी की। पार्टी ख़त्म हो जाने के बाद, खाना खाने के बाद, आयुष कार्तिक को बाहर तक छोड़ने के लिए आया था। बाहर आने के बाद, आयुष ने कार्तिक से कहा, “तुम बेवजह ज़िद कर रही हो। मैं तुम्हें घर पर छोड़कर आ जाता, और बच्चों के लिए खाना भी ले लेते। घर जाकर तुम्हें खाना बनाना होगा, मुझे यह सोचकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा।” “लेकिन मुझे इसकी आदत है। तुम मेरी आदत मत बिगाड़ो। मैं खुद कर लूँगी। वैसे भी, अस्पताल से देर रात को आने-जाने की वजह से मुझे रात को घूमने में अजीब भी नहीं लगता। तुम अपनी फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करो, हम बाद में भी मिल लेंगे।” कार्तिक ने मुस्कुराकर कहा। आयुष उसे घर ड्रॉप करने के लिए जाना चाहता था, लेकिन कार्तिक ने इसके लिए मना कर दिया था। आयुष से थोड़ी देर बात करने के बाद, कार्तिक ने टैक्सी ली और फिर अपने घर पहुँच गई थी। उसने रास्ते में बच्चों के लिए बाहर से खाना लिया था। जैसे ही कार्तिक घर में कदम रखा, वह उन सबको आवाज़ लगाकर बुलाने लगी, “कीर्ति, कहाँ हो तुम? घर में इतनी शांति कैसे है? क्या आदित्य और अर्जुन सो गए हैं? मैं तो तुम लोगों के लिए तुम्हारा फ़ेवरेट पिज़्ज़ा और पेस्ट्री लेकर आई थी।” कार्तिक मुस्कुराते हुए अंदर आ रही थी, लेकिन घर में बिल्कुल शांति थी। यहाँ तक कि लाइट तक किसी ने ऑन नहीं की थी। कार्तिक ने अंदर जाकर लाइट ऑन की, तो देखा उसका घर खाली पड़ा हुआ था। इस तरह अपने घर में बच्चों को गायब देखकर उसके हाथ से खाना छूट गया था, और वह जमीन पर घुटनों के बल गिर पड़ी थी। “कीर्ति, आदित्य, अर्जुन, कहाँ गए तुम? मेरे भाई-बहन कहाँ गायब हो गए? उनके बिना मैं क्या करूँगी?” कार्तिक रोते हुए चिल्लाने लगी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से वह तीनों कहाँ गायब हो गए थे। °°°°°°°°°°°°°°°° फ़िलहाल के लिए इतना ही। अगले पार्ट पर मिलते हैं। प्लीज़ पढ़कर समीक्षा कर दीजिएगा। I hope these improvements help! 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एक गाँव था जो बहुत सुंदर था। वहाँ हर तरफ़ हरियाली ही हरियाली थी। लोग वहाँ खुशी-खुशी रहते थे। उस गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। मोहन को जंगल में घूमने का बहुत शौक़ था। वह अपने दोस्तों के साथ रोज़ जंगल जाता और वहाँ खेलता। एक दिन मोहन ने सोचा कि वह अकेले ही जंगल के अंदर गहराई तक जाएगा। उसके दोस्तों ने मना किया, पर मोहन ने उनकी बात नहीं मानी और वह सुबह जल्दी ही जंगल की तरफ़ निकल पड़ा। जंगल बहुत बड़ा और डरावना था, पर मोहन को कोई डर नहीं लगता था। वह सोच रहा था कि वहाँ उसे कोई रोमांचक चीज़ देखने को मिलेगी। चलते-चलते उसने बहुत सारे पेड़-पौधे और जानवर देखे। उसे सब बहुत अच्छा लग रहा था। वह धीरे-धीरे और आगे बढ़ने लगा। थोड़ी दूर पर उसे एक झरना दिखा। वह झरने के पास जाकर पानी पीने लगा। अचानक उसे झाड़ियों से आवाज़ आई। मोहन ने डरकर पीछे मुड़कर देखा तो एक बाघ उसकी तरफ़ आ रहा था। मोहन का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह वहाँ से भागने की कोशिश करने लगा, पर फिसलकर गिर गया। बाघ धीरे-धीरे उसके नज़दीक आ रहा था। मोहन को लगने लगा कि अब उसका अंत आ गया। तभी एक बड़ी चीख सुनाई दी और बाघ वहीं रुक गया। मोहन ने देखा कि एक साधु वहाँ खड़ा था। वह बाघ से कुछ बोल रहा था और बाघ वहाँ से चला गया। मोहन को बहुत आश्चर्य हुआ। उसने साधु से पूछा कि आपने बाघ को कैसे भगाया? साधु ने हँसते हुए कहा कि यह जंगल मेरा घर है और यहाँ के सब जानवर मेरे दोस्त हैं। साधु ने मोहन को समझाया कि प्रकृति और जंगल का जीवन में बहुत महत्व है और हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। मोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने वादा किया कि वह दुबारा जंगल में गहराई तक नहीं जाएगा और जंगल की रक्षा करेगा। घर लौटने के बाद उसने अपने दोस्तों को भी यह सब बताया और सबने मिलकर जंगल की देखभाल करने का ज़िम्मा लिया। गाँव के लोग भी इस मुहिम में शामिल हो गए और धीरे-धीरे गाँव और जंगल दोनों सुंदर और हरियाली से भर गए। मोहन ने यह सीखा कि प्रकृति का सम्मान करना कितना ज़रूरी है और उसने यह बात सब लोगों को बताई। अब गाँव में सब लोग खुश थे और जंगल भी हरियाली से लहरा रहा था। मोहन की ज़िंदगी बदल गई और उसने सबको बताया कि किस तरह से जंगल ने उसे एक नई राह दिखाई।