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Devil's prinsess

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Tina Sinha

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कहते है ना हर लडकी का खौब होता है की कोई उसकी लाइफ में  ऐसा  आए  जो उसे  एक  प्रिंसेस  तरह  ट्रीट करे और ऐसी ही होता  है सुरभी के साथ जो अपने ज़िंदगी के आखिरी मोड़ पर खड़े  सिर्फ एक दुआ  मांगती है।  जो प्यार उसे इस  ज़िंदगी में नही मिला उस अगले जन्म...

Total Chapters (10)

Page 1 of 1

  • 1. Devil's prinsess - Chapter 1

    Words: 1056

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज से हजारों साल पहले जब इस दुनियां में सिर्फ काली शक्तियों का राज था  जहां पर लोग  दिन में  भी  अपने घर से बाहर निकलने से डरते थे   जब  इंसानों और   पूरे दुनिया में शासक था    उन   शैतानों का उन इक्चाधारी चील    का  ,,,,,,,,,   




    एक भाव्या महल जो  पता नही कितने अकड़ की जमीन पर फैला था जिसके शान और ऊंचाई  आसमान छू रही थी पर वो महल  दिखने में जीतना  खूबसूरत था   उसे कई ज्यादा  भयानक और खौफनाक था क्योंकि उस महल का  रंग काल और डार्क ब्लू था  उसके आस - पास फैला हुआ वो  खौफज्यदा  एक्टिविटी  वो रूह कंपाने वाली शांति जहां किसी सांसों तक की आवाज गूंज उठे   वहां आस - पास फैले खुबसूरत  पेड़ों और जंगलों के बावजूद वहां  एक परिंदा तक  पार नही मार रहा था दिन के  उजाले में भी वहां पर जैसे अंधेरा ही छाया हुआ था 

    और  उन अंधेरे और हल्के उजाले में वो दूर से चमकते वो खतरनाक लाल  आंखे  ही दिख रहे थे  जो उस पूरे जगह में कुछ कुछ दूरी पर किसी रेड बल्ब के तरह नज़र आ रहे थे  पर वो  आंखे थी उस महल पर उस जगह पर पहरे देने वाले उन इच्छा धारी चीलों की,,,,

      तभी उस फैले शांति को चीरते एक डरावनी आवाज गूंजी  युवराज,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,




      उस आवाज के साथ चारो तरफ चील फड़फड़ाने लगे 

    महल के अन्दर जो उतना ही खूबसूरत और आलीशान था पर जहां से ये आवाज आई थी वहां पर पांच आदमी पुराने जमाने के किसी राजपरिवार के लोगो के तरह कपड़े पहनें हुए  थे वहीं उन अदामियो के सामने  एक आदमी किसी राजा के तरह अभिषण के साथ पोशाक पहने खड़ा जिसके तेज , ताकत उसके बॉडी देख कर ही पता चल रहे थे  वो देखने में अब भी जवान था पर उसके उम्र ६० साल के आस पास के होंगे वो आदमी जो सामने खिड़की से बाहर के तरफ देख रहा था  ये थे इस पूरे दुनिया पर राज करने वाले और  चीलो के महाराज   सूर्यवंशज,,,,,,,,, वो पीछे मुड   उन सामने खड़े आदमियों को अपने हरी नजरों से घूरते हुए कहने लग - कहा है युवराज ,,,,,

    वो समाने खड़े  लड़के जिनके उम्र २५ से तीस साल के बीच के होंगे जो देखने में  किसी हीरो को भी मात दे वो पांचों सामने  उस आदमी को देखते कहने लगे




    पहला लड़का -  हमें सच में नही पता था बड़े पिता श्री वो दोनो कहा है ,,,,




    वो आदमी उन लोगो को घूरते  हुए - क्या  आप लोगो ने हमें बेवकूफ  समझ रखा है   राजकुमार  हर्ष,,,,,,,,,,,




    दूसरा लड़का -  नही बड़े पिता श्री हम ऐसा क्यों समझेंगे आप जो है वही समझते है  हम 




    महराज   सूर्यवंसज उस लड़के के बात सुन   गुस्से  से चीखे  - राजकुमार  प्रभात,,,,,,,




    दुसरा लड़का जल्दी से अपने बात सभलाते हुए कहने लगा - महराज आप तो इस पूरे दुनियां और चीलों के महाराज है लोग आपके नाम सुन कर कांपते है 




    सूर्यवंसज जी उनको घूरते हुए -   हम आपने प्रजा से मोहब्बत करते है ना की उन्हे खौफ देते है और हमारी प्रजा  के खौफ और डर की वजह कौन है हमे सब मालूम है   




    तीसरा लड़का - पर महाराज हमें में इस बार नही   पता है वो है कहा,,,




     सूर्य वंशज जी उसको घूरते हुए - तो पता करिए राजकुमार  अर्श,,,,,,,  सूरज सर पर चढ़ने से पहले वो दोनो हमे महल में दिखने चाहिए ,,,,




    चौथ लड़का - प,, पर आप तो जानते ही है  बड़े पिता श्री उन्हे  उनके मर्जी के  बिना कोई पता नही लगा सकता   और पिछले बार वो दोनो तो अपने नई शक्ति के लिए समुद्र के,,,,,, वो इतना ही कहा था की 




    तीसरा लड़का उसके कंधे पर जोर से हाथ रखा जिसे चौथा वैसे ही वो अपने  आंखे बड़े किए उन लोगो को देखने लगा जो उसे  जान से मार डालने वाली नजरों से घूर रहे थे वो उनके तरफ देख हल्का सा स्माइल करते समाने सूर्यवशज जी के तरफ देखा  जहां सूर्या वंशज जी उन पांचों को अपने दहकती नजरों से देख रहे थे 




    सूर्या वंशज जी  चौथे लड़के को घूरते  हुए अपने दामदार आवाज के साथ - क्या कहा  आपने राजकुमार वैभव,,,,,,




    पांचवा लड़का जल्दी से बात सभलाने की कोशिश करते हुए  - महाराज इसका मतलब  है की वो लोग  समुद्र की  सैर करने गए थे  है ना  राजकुमार वैभव,,,,,




    वैभव जल्दी से अपने गर्दन हा में हिलाते हुए - हा,,, हा महाराज राजकुमार    अंश सही कह रहे है




      सूर्यवंशज जी   उन पांचों को अपने गुस्से भरी नजरों से घूरते हुए - क्या किया था उस बार उन्होंने इस का पता तो हम लगा कर ही रहेंगे पर फिलहाल उनको   सूरज की किरने महल में पहुंचने से पहले वो  दोनो हमे महल के अंदर चाहिए और आप पांचों ये कैसे करते है आप जानिए,,,,,

    जाए यहां से ,,,




    वो पांचों  फिर एक दुसरे को देखते  एक मिनिट में किसी बहुत बड़े खतरनाक चीलों में वो पांचों परिवर्तित होते वहां से खिड़कियों से उड़ते बाहर चले गए 




    तभी वहां एक आदमी  हो वही खड़ा सब कुछ देख और सुन रहा था जिसके उम्र कुछ ज्यादा थे वो  महाराज सूर्य वंशज के तरफ बड़ते हुए कहने लगा -  महाराज शांति रखिए सब ठीक ही होगा  




    सूर्यवंशज उनके तरफ मुड़ते - हम शांति ही रख रहे है भिजेंद्र,,,,,, पर आपको भी ज्ञात है   उनके लिए हमारे राज  गुरु ने क्या कहा है  




    भिजेन्द्र - हम जानते है महराज पर हमारे युवराज बहुत ताकत वार है उनका मुकाबल इस धरती में तो क्या इस धरती के बाहर भी कोई नही कर सकता लोग उनके नाम सुन कर भी कांपते है और रही बात इंसानों की  उनका सामना तो हमारा एक मामूली सा चील भी कर लेता है तो वो लोग हमारे   युवराजों का क्या ही बिगड़ पाएंगे 




      सूर्य वंशज जी -  वो नही भिजेन्द ,,, एक लड़की ,,, एक इंसानी लडकी,,,,,,,  




    भिजेंद् - पर महराज एक इंसानी लडकी जिसमे कोई खासियत ही नही वो हमारा या हमारे  युवराजो का क्या ही बिगड़ लेगी आप ही सोचिए रोज  हजारों लड़किया दासिया हमारे महल में होती है   हार रात के लिए हमारे युवराज के पास खूबसूरती  लड़कियों की फौज लगी रहती  है  जिनके तरफ वो लोग  देखना भी जरूरी नहीं समझते है  फिर कैसे वैसा होगा महाराज चलो वैसे कुछ हुआ  भी तो  हम उस लड़की जो हमारे युवराजों के बिस्तर पर लायेंगे उसके बाद हुस्न के रंग उतरते ही सब मोह भी खतम हो  जायेगा महाराज,,,,




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    धन्यवाद !

  • 2. Devil's prinsess - Chapter 2

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    वही इंसानों बस्ती में   जहां पर शांति सुख फैला हुआ  था सभी अपने कामों में लगे हुए थे तभी आचनक वहां काले बादल मंडराने लगे और चीलों की चीखे सुनाई देने लगें जिसको देखते और सुनते लोग जल्दी जल्दी अपने  घरों में छुपाने लगे खास कर  लड़किया और औरते  ,,,,,
    तभी वहां आसमान बड़े  - बड़े पांच चील के साथ उनके पीछे  उनसे थोड़े  छोटे आकार में  और  चील नजर आने लगे

    वो लोग इंसानी  बस्ती में आते  वहां बीचों- बीच  जहां चील का एक बड़ा  सा  प्रतिमा  बना हुआ था उसके पास  खड़े होते वो लोग  इंसानी रूप में बदल गाए
    ये लोग वही थे  राजकुमार हर्ष ,राजकुमार प्रभात राजकुमार अर्श  ,राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश   चीलों के राजकुमार जो दिखने  में  हॉलीवार्ड हीरो समान हैंडसम , सेक्स पैक एब्स वाली बॉडी ,थोड़े  लंबे हेयर जैसे इतिहास में राजकुमारों के होते है  पर उनके चेहरे पर किसी राजकुमार जैसे भाव  नही बल्कि  पांचों के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थे      उनके पहनाव बिल्कुल  राजकुमार के तरह जिनके निचले बॉडी में ही वस्त्र थे तो  उपर बॉडी पूरे तरह निर्वस्त्र जहां पर सोने के  डिजाइनिंग आभूषण पहने हुए थे  वो लोग अपने शैतनी चील हरी आंखों से सभी तरफ देख रहे थे और  वही उनके पीछे  जो और चील थे वो वहां के सैनिक थे 

      उनके आते  ही वहां चारों तरफ मातम जैसे मौहोल  छाया हुआ था वही  सामने उन से थोड़ी दूरी   पर वहां के पुरुष और मुख्या  हाथ जोड़े खड़े  कांप रहे थे  उस  गांव  के  मुख्या कांपते हुए कहने लगे  रा ,,,,, राजकुमार  आप ,,, आप सब,,,,,, यहां ,,,,, हम   सब से  कुछ ,,,,, अपराध  हो  गया क्या राजकुमार  हम सब को  छमा कर दीजिए  हमें मौका दिजिए हमारे  गलती सुधरने  का,,,,,,

      राजकुमार अर्श    टेडी मुस्कुराते अपने हाथ दिखते खामोश कराते हुए कहने लगा  क्या हम सब यहां ऐसे  ही नहीं आ सकते जो हमसे सवाल किया जा रहा है

      मुख्या जल्दी से अपने घुटनों के    कर बाल बैठते कांपते हुए कहने लगा  हमें  क्षमा कीजिए राजकुमार हमारा  अर्थ ऐसा नही था  ,,,

    राजकुमार प्रभात  उस मुख्या के पास जाते  टेडी मुस्कान से उसे देखते हुए कहने लगा गलती किया  है हमसे  सवाल करके तो सजा तो मिलेंगे ही न ,,,,,
       
    मुख्या - हमे क्षमा कीजिए राजकुमार प्रभात   ,,,
    राजकुमार प्रभात उस मुख्या के कंधे पर जोर से हाथ रखते हुए  इस गांव  में  सबसे सुंदर  स्त्री उसे  महल में भेज देना ,,,,

    राजकुमार  अर्श -  प्रभात  ,,,,,,,,  हम  जिस काम के लिए आए है उसमे ध्यान  दिजिए

      राजकुमार  वैभव -   क्या यहां से  युवराजोँ  के    निशानी नज़र आए है तुम में किसे को,,,,?  या फिर किसी को  न उनका आभास किया हो ,,,,?

      मुख्या - न,,,  नही  राजकुमार  वैभव     युवराजों  का कोई भी आभास  हम में से किसी को नही हुआ अगर ऐसा रहता तो हमें पता होता

      वो पांचों को एक  दुसरे को देखने लगे
    राजकुमार अंश - हम इस तरह पता नही लगा पाएंगे 

    राजकुमार  हर्ष -हम इस तरह क्या,,?  किसी भी तरह उनका पता नही  लगा सकते जब तक वो न चाहे 

    राजकुमार प्रभात - पर हमें  कैसे भी करके उन तक  संदेश पहुंचना ही होगा वरना  महाराज से हम सब  को कोई नही बचा पायेगा

      राजकुमार   वैभव -  ये दोनो खुद तो बच जाते है पर हमे मरवाएंगे ही    पता नही अब कौनसे शक्ति प्राप्त करने ने लगे होंगे   

      राजकुमार  अंश -  सूरज सर पर चढ़ने वाला है  हमारे पास वक्त नहीं है अब  हम इस तरह उन्हे ढूंढ नही  पाए  हम सब  को  अलग - अलग दिशा में जाना होगा

      राजकुमार हर्ष -  हा तुमने सही कहा अंश हम सब अलग  - अलग दिशा में बठतें है  और सभी  सैनिकों  यहां आस - पास  उनके तालाश करेंगे
    वो सभी अपने सर हा में हिलाते फिर से चील ने बदलते चीखते हुए वहां से  अलग -अलग दिशा में बटे

    वहीं   एक खतरनाक जंगल  जहां के पेड़ पौधे हरे नही बल्के काले थे जहां पर लगा हुआ फल अंगनी के भाती जल रहा था वो जंगल इतना घना था की   सूरज की किरने वहां कभी पहुंच ही नही सकते  थे पर वहां का तापमान  इतना  था की  हड्डियों तक पिघला दे    उस  जंगल से  बहुत खतरनाक और डरावने आवाजे सुनाई दे रहे  थे जो दूर से किसी के रुह को कांप दे

    उसी जंगल के बीचों  बीच  एक लड़का  जो वहां उन खतरनाक जानवरों इतनी तेज़ स्पीड से लड़ रहा था  जिसे  सिर्फ  उसके परछाई  ही नजर आ रहे थे
    तभी वो सभी खतरनाक  जानवर  एक मिनिट में ढेर हो गए उसी के साथ वो लड़का  रुका और  उन खतरनाक शक्तिशाली जानवरों  से काली ऊर्जा निकलते उस  लड़के के बॉडी में समाया वैसे ही उस लड़के ने अपने आंखे खोली जो खून से भरी हुई  थी वो धीरे - धीरे अपना  रंग डार्क ग्रीन में   बदलनेगा

      नॉर्मल इंसान से कुछ ज्यादा ही ऊंची लंबी कद काठी उसका वो गोरा मस्कुलर बदल जिस में  वो  उभरती लाल नशे नजर आ रहे था   सेक्स पैक ऐप्स का  वो चौड़ा   सीना हैंडसम इतना क्या ही कहे   तीखी नाक ,लम्बे पतले होठ, डार्क ग्रीन आईज ,,,,  कांधे तक आते उसके वो शयनी बाल   जो किसी के सपने में सोचा   प्रिन्स हो  उसके पास से वो डोमेनेटिक  एक्टिविटी वो खतरनाक आभा हर एक को खौफ से मरवा दे,,,,,
    ये है युवराज    युवराज  त्रिमय ,,, हमारी कहने का सेकेंड हीरो,,, ,,,,,,,,

    वही उसी जंगल में बनी एक नदी  जिसके पानी का  रंग बिलकुल काला था वो पानी   जितना शांत नजर आ रहा था वो उतना ही गहरा और खतरनाक था

      उस पानी के अंदर इस वक्त  एक अजीब सा खौफ छाया हुआ था उस पानी में मवजुध वो खतरनाक डरावने  जानवर जो दर्द से   तड़पते हुए  अपना सर झुकाए घुटने टेक हुए थे उन जानवरो की संख्या इतने थे की गिनती भी न की जा सजे
    उन्ही जानवरों के सामने   एक  हीरे के तरह चमचमाते पत्थर पर एक लड़का बैठा हुआ था  जिसके आसही पास से  इतनी  जानलेवा आभा निकल रहे थे की  उसके पास का पानी भी  उबाल रहा  था  हमारे कहानी का पहला हीरो युवराज   त्रिजल   जो दिखने में जितना हैंडसम उसे कई ज्यादा खतरनाक      उसके लंबी कद काठी  हैंडसम चेहरा बिल्कुल युवराज  त्रिमय के तरह जिसमे कोई अंतर नही थी सिर्फ रंग के  सिवा जहां इनका रंग गेहुंआ था पर त्रिमय  जो किसी  का ड्रीम  प्रिंस हो तो ये  किसी के ड्रीम  डेविल,,,, जिसके  एक नजरे ही काफी थे सामने वाले को तोड़ने के लिए

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    धन्यवाद !

  • 3. Devil's prinsess - Chapter 3

    Words: 1229

    Estimated Reading Time: 8 min

    कुछ वक्त बाद  राज कुमार  हर्ष , राजकुमार  प्रभात, राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव ,राजकुमार अंश सभी उस काले  जंगल के कुछ दूरी पर खड़े उस जंगल को ही देख रहे   थे उन्होने  हर जगह जहां उनके होने को असंक थे उन्होंने वहां  पता लगाया था खुद जा कर या फिर अपने शक्तियों अपने गुफ्तचारों के माध्यम से  उन पांचों ने हर एक कोशिश की थी उन्हे ढूंढने   की पर कही से  भी उनका  छोटा सा  सुराग तक  उन्हे  हासिल नही  हुआ था अब बचा था तो सिर्फ  ये  मायावी जंगल जो बड़े से बड़े शैतान को  कुछ ही कदम अंदर जाने पर मौत के घाट उतार सकता था  वो सभी उस तरफ देख ही रहे  थे

    राजकुमार हर्ष -  हमने  हर एक दिशा हर एक जगह उनके पता लगाने की कोशिश किया   चाहे वो  धरती हो   आमान या वो जल  हो  या अग्नि  पर कही से उनका कोई सुराग तक नही मिला हमें  अब बचा है सिर्फ ये मायावी जंगल ,,,,

    राजकुमार प्रभात  - पर हर्ष ये जंगल कितना खतरनाक है हम सब जानते है   हमें उनके शक्तियों पर कोई शक नही पर इस जंगल में    हमें नही लगता वो होंगे क्योंकि  इतिहास  गवाह है ये जंगल कितना खतरनाक है

    राजकुमार  अर्श -   उनके शक्तियों के आगे इस जंगल  का भी  कोई वजूद नहीं  है प्रभात  उनके आंखों में जो जुनून जो तलब जो जिद्द जो चाहता है    वही उन्हे सबसे खतरनाक बनाता   है हो ना हो वो यही ही है

      राजकुमार वैभव -  पर हम ये पता करेगें कैसे क्योंकि इस जंगल पर हमारी कोई भी शक्ति कम नहीं करता है  और इतने बड़े  जंगल में  हमने  अपने  शक्तियों के बिना  उनके तलास किया तो  लगभग दस वर्ष तो लग ही  जायेंगे वो तो छोड़ो कुछ  ही पल में मौत की नींद सो रहे होंगे

      राजकुमार अंश -  वैसा कुछ नही होगा वैभव अगर हम एक साथ रहेंगे तो यहां की कोई भी मायावी शक्ति हमारा कुछ नही बिगड़ सकता और अगर वो यहां  हैबतो उनके निशानियां जरूर मिलेंगे
     
    राजकुमार हर्ष- हमारे पास अब वक्त नही  कुछ  पल में ही सूरज सर पर होगा ,,,, हमे कोशिश करना ही होगा
    वो लोग अभी आगे बड़ते या कुछ करते की

    वहां उस  जंगल से किसी के रोंगटे खड़े कर देने वाली चीखी सुनाई देने लगे   और देखते ही देखते  दो बड़े - बड़े  चील की परछाई नजर आने   लगे वो इतने बड़े थे की जिसकी कल्पना   ही हम कर सकते है

    उस चीख और परछाई को देखते वो पांचों अपने सर उपर कर आसमान के तरफ देखे  जहां पर दो खतरनाक विशाल चील उनके तरफ आते नजर आ दे थे उन दोनों चील को देखते उन पांचों के चेहरे एक   डरावनी स्माइल खिली

      तभी वो चील बिलकुल उनके सामने आते इंसानी रूप में बदल गए

    वैसे ही उन पांचों के मुंह से शब्द निकला युवराज त्रिजल ,,,,,, युवराज त्रिमय ,,,,,,,,,

    वैसे ही सूरज जिस पर ध्यान   उन में किसी को नही रहा था  वो सर के ऊपर आ चुका था और वो  किरने सीधे युवराज  त्रिजल और युवराज त्रिमय के ऊपर  पड़े उसी के साथ उनका वो मस्कुलर   जिस्म अग्नि  के भाती कुछ - कुछ जगह  जलते हुए चमकने लगा

    वैसे ही युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अपने सर उपर कर आसमान के तरफ उस सूरज को देखने लगें
    वही हर्ष , प्रभात, अर्श, वैभव , अंश के आंखे  हैरानी से फैल गए

    वही   एक छोटे से कुटिया नुमा घर में एक लडकी एक छोटे से   खट में एक बहुत खुबसुरत लड़की सोए हुई थी वो इतने खुबसुरत थी जैसे कोई पारियों की रानी   हो  दुध सा गोरा रंग ,गोल  चेहरा ,बडी बडी वो नीली आंखे  परफेक्ट बॉडी परफेक्ट हाइट लम्बे क़मर से भी नीचे आते उसके बाल  पर उसके कपड़े  बहुत बहुत गंदे और बहुत पुराने लग रहे थे जो कुछ कुछ जगह फटे हुए थे  वो अभी सोए हुई ही थी आचनक से उसके ऊपर किसी ने पानी मारा और वो हड़बड़ाते हुए उठी-   ये भगवान  क्या  नर्क में भी बारिश होने लगी है अब

      वो लडकी अभी उठी बडबडा ही रही थी की उसके कानों में एक चीखती हुई आवाज पड़ी  आरी वो कर्मजलि आज क्या  नशा वसा की  है जो यहां महारानी जैसे  सो रही हैं सूरज सर पर है अभी तक खाना नही बना है   चाल उठ और जल्दी से  अपने काम में लग उसके बाद मैं तूझे  ऐसा सबक सिखाऊंगी न तेरे महारानी गिरी सब निकल  जायेगी मनहूश कही

    ये कहते वो   औरत उस लड़की  के  बाल  खींचते उस छोटे से खट से  उठा  उस कमरे से  बाहर लाते वहां बने एक छोटे से किचन में जा धक्का देते  बेदर्दी से पटक दी

    जिसे  उस लडकी की  चीख निकल गई   वो अभी जैसे नीद से जैसे ठीक से जागी ही नही थी की  और उसके साथ ये क्या  हो  रहा है उसे जैसे समझ ही नही आया था  पर गिराने की वजह से  उसके हाथो में  चोट आ चुके थे वो गुस्से से उस  औरत  को घूरने लगी

    जिसको देखते वो   औरत उसके पास आते उसके बाल को फिर से खींचते एक थप्पड़ उसे मरते हुए बोली आंखे नीचे रख समझी और जल्दी अपना काम मेरे  बच्ची  कब से भूखे है  फिर मैं तुझे बताती ,,, इतना कहते वो औरत  वहां से चली गई

    वही वो लड़की अपने बालों को पकड़ सहला रही थी उसे  जैसे समझ ही नही आया उसके साथ क्या हुआ पर वो उठते अपने सर को सहलाते इधर- उधर देखने लगी वो जहां थी वो बहुत पुराने जमाने का किचन था वो घर भी वैसा ही था झोपड़ी नुमा  मिट्टी का चूल्हा मिट्टी के सभी बर्तन और कुछ  सब्जियां  और अब कुछ बहुत पुराने जमाने के समान वो सब कुछ देखते खुद से कहने लगी ये मैं,,, कहा हूं क्या ये नर्क है वो   औरत इस नर्क रक्छाषी  ,,,, लग तो ऐसा ही रहा है  पर ये नर्क इंसानी दुनिया जैसे क्यों है ,,,, पर ये  इतना अजीब क्यों ,,,,,

    तभी वो अचानक से रुकते  अपने गले  में हाथ रखते कहने लगी ये,,, ये मेरे आवाज को क्या हुआ ये इतनी  मीठी क्यो निकल रही है   तभी उसे दर्द महसूस हुआ वो  अपने हाथों के तरफ देखी जहां से  खून निकल रहा था ,,, 
    पर जैसे ही वो अपने हाथ को देखी शौक हो  गई उसके हाथ दूध जैसे  गोरे और  इतने मुलायम और सॉफ्ट  thr जैसे कोई मक्खन  हो वो  अपने  हाथो को इधर - उधर घूमते देखते खुद से कहने लगी ये,,,,, ये,,,,  मेरे हाथ ,,  नही,,, नही ये मेरे  हाथ  तो  नही है  तभी उसके नजर  अपने पूरे बॉडी पर गए गए वैसे ही उसके आंखे शौक और आश्चार्य से  फैलाने लगे  थे  वो खुद से ही कहने लगी मैं,,, मैं तो अस्सी साल की थी मैं तो बुड्ढी हो चुकी थी  उसके बाद  बीमार हो कर में मार  गई तो क्या नर्क में मुझे  मेरी जवानी वापस मिल गई  पर,,, पर मैं तो अपने यंग एज में भी ऐसी नही थी  मेरा रंग तो बिल्कुल डार्क  था फिर ये दूध जैसा गोरा और मेरे बॉडी  इतना मुलायम कैसे  हो  गया ,,,,

       अयाना ,, अयाना कहा है यहां मुझे  अपना चेहरा देखना है ये कहते वो इधर - उधर देखने लागी पर उस कुछ  नजर  नही आया तभी  उसके नजर एक पानी रखे पतीले पर पड़े  वो  उस जगह जाते   जैसे ही अपना चेहरा देखी तो  जैसे बस सदमे से मरने ही वाली थी ,,,,,

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  • 4. Devil's prinsess - Chapter 4

    Words: 1179

    Estimated Reading Time: 8 min

    वो लडकी खुद का चेहरा उस  पतीले भरे पानी में देखते शौक से अपने चेहरे को छूते हुए  कहने लागी ये,,, ये,,,, रुप सुंदरी कौन है ये,,, ये मैं ,,तो नही मेरा चेहरा  मेरे बॉडी नही है ये,,,,,,  तो क्या नर्क में भी बॉडी चेंज हो जाते,,, ?

    नही ,,, नही,,, तू,,   तू पागल हो गई है क्या सुरभी ऐसा नही हो    सकता ,,,    ये नर्क नही  ये धरती ,,, ही है  और और हम किसी और के बॉडी में  आ गए पर ऐसे कैसे हो सकता यार ,,,,,   क्या,, मेरा  मरने के बाद  रिबर्थ हुआ ,,,?  वो भी किसी और के बॉडी में  ,,,,?अभी तो ऐसा ही लग रहा है पर ,, पर मैं  हूं कहा  इस वक्त और ये  लडकी कौन है जिसके बॉडी में हम है   आ,,, मेरा सर ,,,,,

    सुरभी अपने सर को पकड़ कर चिल्लाई उसके सर में  अचानक से तेज दर्द करने लगा और  उसके दिमाग में  एक एक उस लड़की की  सारी यादें आने  लगे  उस लड़की का नाम था    वैदेही  जो एक भोली भाली मासूम लड़की   थी  उसके परिवार में  उसके बाबा और उसकी सौतेली मां और  सौतेली बहने रहती थी वैदेही की मां उसे जन्म देते ही  गुजार गई थी उसके बाद उसके बाबा उसके परवरिश के लिए   कोकिला नाम की औरत से दूसरे शादी किए जिसके पहले से एक बेटी थी  चित्रलेखा,,,,   जो उस पर नौकरों से अत्याचार करते उसके बाबा को भी उसके  खिलाफ उसके  सौतेली मां और बहन ने इस तरह कान भर दिए थे की उसके बाबा उसके तरफ  एक नजर देखते भी नही  जैसे उसके वो कुछ लगती ही न हो  और उसके  सौतेली बहन   जो उसके खून ही नही थे उसके बाबा  उसे खुद के बेटी से बड़ कर प्यार करते उसके एक एक जिद पूरे करते

    इन सब में मासूम सी   वैदेही  कुछ नही कर   पाई  और सारे अत्याचार सहते जैसे उसके आदत सी हो गई और आज  उसको सुबह से तेज बुखार था उसके बावजूद भी वो बड़ी  मुश्किल से वो घर का काम की सिर्फ दोपहर का खाना बनाना बचा था पर जब उसे चक्कार आने लगे तो वो थोड़ा आराम करने म  रूम में चली  गई वैसे ही सोते उसकी रूह उसके जिस्म से अलग हो गई जैसे भगवान को अब और  उसकी तकलीफ देखी न गई हो  ठीक उसी वक्त  सुरभी का डेथ हुआ था जिसके रूह वैदेही के बॉडी में आ गई    वैदेही की यादों से सुरभी को ये भी पता चला की ये धरती  है  इंसान भी है पर ये उसकी दुनिया नही है इसमें विकास के नाम पर कुछ भी नही था कहा जाए तो इक्किश्वी सदी था ही नही वो  पास्ट में आ चुकी थी
    सारे    यादें आते सुरभी का दर्द भी कम होने लगा और वो खुद से कहने लगी ये कैसी दुनिया में आ गई मैं  और वो भी ऐसी  मासूम से लड़की की बॉडी में जिसने कभी  सर उठा कर  किसी के तरफ देखा भी नहीं ओ गॉड क्या किया आपने ये मेरे साथ   अरे मेरा रिब्रथ ही करना था तो किसी स्ट्रॉन्ग लड़की के बॉडी में करते या फिर किसी विलन के बॉडी जैसे होता है ना नॉवेल   में     विलीन के बॉडी में रिबीर्थ  जो बुरी तो रहती पर स्टोर्ंग भी  जो  सबसे लड़ सकती है अपने हक और खुद के किए पर मुझे इस मासूम स्टूप्ड लड़की बॉडी में क्यों भेजा यार जिसके साथ नौकरों से भी बत्तर  ट्रीट करते हैं

      अब क्या करे हम मैं इसके तरह  तो बिल्कुल भी नही रह सकती  जिस पर इसकी   पिशाचानी मां और बहन हुकूमत चिलाती है  कितना कुछ सहा है  इसने  पर,, पर मैं ,, में बिल्कुल भी  नही रह सकती उसकी जैसी ,,,,,
    फिर वो गहरी सांस लेते खुद के चेहरे को देखते हुए कहने लगी  बस अब बहुत हुआ भाले ही तुमने सब कुछ सहा हो  वैदेही पर  मैं तुम्हारी जैसी नही हूं ना बन सकती हूं तुम्हारी ये बॉडी अब मेरी है  और मैं खुद के साथ कोई Atrocity  बर्दास्त नही करूंगी  ये कहते  वैदेही ( यानिकि सुरभी अब सुरभी को हम वैदेही कहेंगे )   अपने चोट को एक नज़र देख  उस  किचन से बाहर निकाली  तभी एक आवाज के साथ उसके कदम वही पर ही रुक गाए 

    ,,, वो वैदेही कहा चाली   खाना कौन लगाएगा कब से मै यहां भूखी मार रही  हूं आने दो मां को  सब बताती हूं फिर तेरी सारी खाल उतरेगी वो और वो  तेरा हो कर भी न होने वाला बाप भी

    वैदेही इस  आवाज को सुनते पीछे मुड कर देखी जहां पर एक लड़की जो चमकीली वस्त्र के साथ गहनों से सजी बैठी अपने पैरो मे मेंहदी लगा रही थी   जिसके बॉडी  रंग डार्क रंग था जिसके वजह से वो सुन्दर नही लगती थी
    जिस वजह से वो वैदेही की सुंदरता उसके रूप  से जलती थी और उसके साथ अत्याचार करते  झूठी  कहानी बुनते अपने मां और बाबा को बता कर उसे खूब मरवाती थी  ये वैदेही की सौतेली बहन चित्र लेखा थी ।

    वैदेही की यादों से  सुरभी को सब कुछ पता चाल चुका था वो  उसे देखते हल्का सा मुस्कुराई और अपने मीठी आवाज से बोली अभी लाती हूं मेरी प्यारी दीदी 
    ये कहते वैदेही किचन के तरफ बड़ गई वहीं चित्रलेखा उसे जाते देख मुंह बहाते हुए बोली   ये आज  इतना अजीब व्यवहार क्यों कर रही है जो कभी नजरे उठा कर भी नही देखी  जिसके मुंह से एक आवाज भी कांपते हुए निकलती वो आज इस तरह  हमारी आंखों में देखते बाते कर रही है  इसको तो मैं अभी बताती  हूं ये कहते चित्रलेखा किचन के तरफ बडी तभी किचन से बाहर आते वैदेही से वो टकराई और उसके जोर की चीख वहां गूंजी और अपनी हाथों पैरो को हिलाते चीखने लगी  आ,,, आ,,,,, मार गई ,,  मार गई ,,,

      वैदेही उस लड़की को देखते टेड़ा मुस्कुराई फिर  वो झूठी फिक्र करते हुए कहने अरे दीदी ये आप को कितना जल गैस  हम आ रहे थे न आप किचन में क्यों आई ,,, हमे माफ कर दीजिए  आप पर गर्म पानी गिर गया    आपको कितना दर्द  हो रहा है अब इसमें फोले पड़ेंगे और उसके  निशान बनेंगे आपकी ये  चमकीली  त्वचा  रूखी हो जायेगी

    ये सुनते  चित्र लेखा जो चीख रही  थी  एकदम से  शान्त होते  रोते हुए ही अपने हाथ और पैरों के तरफ देखने  लगी जो फोले पड़ने लगे थे ये देखा  चित्रा लेखा  अपने हाथो पर जोर जोर से फूक मरते  रोते हुए ही कहने लगी    यहां खड़ी खड़ी क्या देख रही है जा,, जा जल्दी से जंगल से  जड़ी बूटी ले  कर  आ।
    आ,,,, हमारी सुंदर त्वचा  ,,, मां,,,, ,, ई,,, ,,,
    खड़ी क्या है जा जल्दी    
    वैदेही  मुस्कुराई और अपने मुस्कुराहट को  जल्द ही छुपाते हुए कहने लगी जी ,,, दीदी हम अभी लाते  है ,,,
    ये कहते वो वहां से जाने को हुई  की चित्र लेखा उसे रोकते हुए बोली तुझे पता भी है वो स्वत के पत्ते कहा मिलते है तुझे तो कुछ पता नही है गवार कही की यहां से    दक्षिण दिशा में जाना और मायावी जंगल के कुछ दूरी पर उसका पौधा मिलेगा  अब  देख क्या रही है जा जल्दी
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  • 5. Devil's prinsess - Chapter 5

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    वैदेही   उस घर से निकाल सुकून की सांस लेते चारों तरफ देखी  वो   एक छोटा सा जंगल से घिरा गांव था जहां पर घर बहुत दूर - दूर नज़र आ रहे थे जो झोपड़ी नुमा बना हुआ था  वो आसमान के तरफ देखते कहने लगी - oo गॉड  ये आप ने ये  मुझे कौनसी सी सदी में भेजा है   दुर से इतने बड़े - बड़े बेड और ऐसा गांव ऐसे रास्ते   हे,, भगवान इतना पुराना इतिहास  के किसी किताब में नही था  इसका मतलब है की मुझे आपने आदिमानव के   जमाने  में  भेज दिया है ,,,, नही ,,,नही  इतना पुराना भी नही है  यहां की भाषा  कपड़े गहने तो है  है इतना विकाश  तो है फिर,,, ,,,,,,,चाल सुरभी,, अरे अब   तू सुरभी नही वैदेही है वैदेही ,,,   अब ज्यादा न सच  वरना तेरा ये न्यू दिमाग  शौक पर शौक  से पर फट जायेगा अब बहुत से झटके खाना बाकी है हमें oo गॉड रक्षा करना ।

    चाल वैदेही  उस डायन के किए मेडिसिन आई मेन जड़ी बूटी लाने  क्या बोली थी वो हा दक्षिण दिशा में  जाना है

    ओ इधर - उधर देखने लगी  क्योंकि  उसको दिशा ज्ञान भी पता नही चल रहा था क्योंकि सुराज  बिलकुल सर के ऊपर था

    वो अपने कमर में हाथ रख इधर - उधर देखते हुए कहने लगी  हे,,, भगवान अब यहां दिशा ज्ञान कैसे करे  सूरज किस तरफ से निकाला ,,,,
    ये कहते वैदेही आसमान के तरफ देखने लागी -  हे सूरज मामा,,, आई मीन चाचा क्या आपको अभी  इसी वक्त हमारे सर पर चढ़ना था   यार अब मैं कैसे पता करू यहां दक्षिण दिशा कौन सा है

    तभी वहां एक  औरत  लकड़ियां लेते जा रही थी  उसको  देखते  वैदेही तेजी से उसके पास बडी और उसको आवाज देते कहने लगी    Wait ,, वेट,, one minute    वेट प्लीज़,,,

    वो औरत आवाज सुनते रुकी और अजीब नजरो से वैदेही के तरफ देखते हुए कहने लगी वैदेही बेटियां आप ने कुछ कहा  हमें,,,

      वैदेही  - जी आंटी क्या  आप मुझे बता सकती है South direction  किस तरफ है

    वो औरत अजीब नजरो से वैदेही को देखते हुए - ये आप किस तरह की बाते कर रही है वैदेही  बिटिया क्या  हो  गया आपकों लगता आप  पर किसी चुड़ेल  का साया आ गया  है चलिए हमारे साथ अभी ,,,,

    वैदेही उसके बात सुनते जैसे होश में आई की वो क्या बोले जा रही है  वो जल्दी से अपने बातों को संभालते हस्ते हुए कहने लागी - चाची,, ,, आ,, काकी,, काकी हम बिल्कुल ठीक है आप चिन्ता न कीजिए  हमें आपसे ये जाना था की  यहां पर दक्षिण दिशा किस तरफ है  ओ,, ओ क्या है ना ,, हम,, हम भूल गए है ,,, ये सब कहते वैदेही को  किस तरह शर्मिंदा जैसा महसूस हो रहा था वही जानती थी  क्योंकि वो औरत उसे अब भी अजीब नजरो  से देखे जा रही थी

      वो औरत वैदेही के  सर  को सहलाते हुऐ - आप की वो  डायन  मां आप पर कितना आर्यचार  करती है   की   आप का मानसिक संतुल भी बिगड़ने लगा है  भगवान आपकी रक्षा करे  बिटिया  और दक्षिण दिशा उस तरफ जिस तरफ से हम  आ रहे है

    इतना  कहते वो औरत फिर   आगे बड़ गई

    वही वैदेही उस औरत को घुर कर जाते हुए देख रही थी  वो खुद से कहने लगी मानसिक संतुलन  वो भी मेरा खराब अभी तो मेरा मानसिक संतुलन ठीक हुआ है  क्योंकि ये वैदेही अलग है

    इतना कहते वो उस दिशा में आगे बड़ने लगी वो जैसे जी जैसे आगे बड़ रही थी पेड़ पौधे घने  और लम्बे होते जा रहे थे   और मौहौल ठंडा और एक अजीब सा खौफ पैदा कर रहा था

    वैदेही उस जंगल के सामने आ कर रुकी  वो अभी सिर्फ रास्ते से गुजरी थी जिसमे उसके रोंगटे खड़े हो गए थे ठंडी  बड़ने लगी  वो उस घने जंगल को देखते हुए कहने लगीं ,,, ये भगवान ये कितना भयानक  खौफ नाक जंगल है  इतने लम्बे - लम्बे    पेड़ ऐसा लग रहा  है जेसे आसमान  को छू रहा हो  हमारे तो नजरे भी नही पहुंच  थे  है  और इतना घना की सूरज की किरने भी नही पहुंच रहे है और ये बड़ती ठंडी  हे,,, भगवान हम कैसे जाए ये भयानक जंगल के अन्दर  ऐसा लग रहा है जैसे मैं  आमेजोआन जंगल के सामने के सामने खड़ी हूं ,,, नही ,, नही ये तो उसे कई ज्यादा खतरनाक लग रहा  है  और  इसमें  रहने वाले जानवर भी कितने खतरनाक होंगे   हम तो सोच भी नही सकते क्या करे हम  ,,,  जाए या ना जाए ,,,, जाना  तो  बड़ेगा वैदेही जाना तो पड़ेगा उस डायन के लिए जड़ी बूटी लाने ताकि उसके चोट ठीक कर उस में नमक डाल सकूं  जितना दर्द  असली वैदेही को दिया है उतना दर्द उसे  दे सकें

    इतना कहते वैदेही गहरी सांस लेते अपने हाथ जोड़ उस जंगल को देखते कहने लगी हे भगवान रक्षा करना यार आज  मैं मौत के मुंह में खुद जा रही हूं

    ये कहते वैदेही धीरे- धीरे उस जंगल के अंदर बड़ने लगी वैसे वैसे ही ठंड  बड़ने लगी वो  अपने हाथो को  एक दुसरे से रगड़ते बहुत चौकन्ना हो कर इधर- उधर देखते चल रही थी  वहां वो  लंबे मोटे  पेड़  वो सर सर चलाती हवाएं और जंगल के अन्दर बड़ने के साथ अंधेरा बड़ने लगा था  तभी वैदेही के नज़र एक पेड़  पर गए  ऊपर से नीचे तक बड़े बड़े जहरीले सांपों से लिपटा हुआ था वो ये नजारा देखते उसके आंखे फैल गाए वो झट से अपने मुंह पर हाथ रखी क्योंकि  उसके  मुंह से चीख निकलने ही वाली थी
    वैदेही उसी जगह कप कांपने लगी और खुद से कहने लगी ना ,, नही z,,,,नही हम इस तरह नही डर सकते हमें आगे  बड़ाना ही होगा ये कहते वैदेही दबे पैर चलने लगी  ताकि उसके पैरो के आवाज सूखे पत्तों पर  पड़ते  थोड़ा भी आवाज न करे
    वो आगे बड़ रही  थी वैसे ही उसके आंखे खौफ से फैलते जा रहे थे उसके बॉडी ठंडी पड़ते कांपते जा रही थी क्योंकि आगे का नजारा और भी ज्यादा खतरनाक और डरावना होता जा रहा  था आगे वैसे ही पेड़ कई सारे थे जिस में सांप लिपटा हुआ था तो किसी  mr अजीब अजीब बड़े बड़े कीड़े बड़ी बड़ी माखिया तो किसी पेड़ में अजीब  गरीबों फल जिसमे कीड़े निकल रहे थे तो किसी पेड़ में कुछ पक्छिया जो सुंदर  थे तो खतरनाक भी लग रहे थे

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  • 6. Devil's prinsess - Chapter 6

    Words: 1091

    Estimated Reading Time: 7 min

    वैदेही जैसे - जैसे आगे बड़ रही  थी वैसे - वैसे उसको वो  जंगल  खतरनाक और डरावना नजर आ रहा था  वो जैसे गहरियो में जा रही थी वहां अंधेरा और सफ़ेद धुंध उठाते नजर आ रहे  थे जंगली जानवरों को वो खतरनाक  डरावनी आवाज  वो खतरनाक लंबे मोटे पेड़ वो कंपते हुए संभाल कर आगे बड़ रही थी   उसको   ऐसा लगा रहा था जैसे  इस जंगल से जिंदा वापस  लौट ही नही सकती उसको मौत कभी भी किसी भी वक्त  आ सकती है  वो थूक निगलते आगे  बड़ते  हनुमान चालीस  बुदबुदाने लगी


    जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
    जय कपीश तिहु लोक उजागर

    राम दूत अतुलित बल धामा
    अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा
    महाबीर विक्रम बजरंगी,,,,,,

      बजरंगी,,, बजरंगी,,,, आगे,, आगे क्या आता ,,,क्या आता है आगे हे भगवान मुझे तो  पूरा हनुमान चालीसा भी नही  आता ,,,,

    हे हनुमान जी रक्षा करना हमारी पुरा नही कुछ लाइन तो बोला ना प्लीज़ इसे काम चाला लो,,,,,

    वैदेही का चेहरा इस वक्त  ऐसा बना हुआ था जैसे वो   रोने ही वाली हो ,,,  वो  चलते - चलते जंगल के बहुत  अन्दर आ चुकी थी वो पेड़ के नीचे खड़े होते अपने घुटनों में हाथ रख गहरी सांस लेते कहने लगी अब ये स्वत के पत्ते कहा है यार उसने क्या बोल जंगल का अंतिम छोर अरे इस जंगल के  अंतिम छोर तक पहुंचते  यहां के जानवरो और भूतो से न सही पर बुड्ढी हो कर जरूर  मार जाओगी   क्या  जरूरत थी मुझे अपना ज्यादा दिमाग लगाने की उसके लिए मेडिसिन लाने के चक्कर में मैं फिर से मरने वाली हूं ,,,,,

    हे भगवान मुझे  आगे  चलने की  एनर्जी दो  यार वैदेही इतना ही  बोली थी की  आचनक से ऊपर से उस पर  कुछ गिरा जिसे वैदेही चौकते हुए  अपने गले में देखी  वैसे ही जैसे उसके प्राण ही सूखने लगे उस पर गिरा वो लम्बा बड़ा सा  सांप था  वैदेही - आ,,,,,,   मम्मी,,, और  उस सांप को फेकते वो चीखते हुए बिना कुछ सोचे जंगल के अंदर के तरफ दौड़ने लगी  वो  दौड़ते और बहुत अन्दर बड़ते जा रही थी की आचनक से वो किसी से टकराई वैसे ही वो फिर से चीख उठी मम्मी,,,,,,,

    और कस कर  अपने  आंखों को बंद कर ली  उसको दिल डर की वजह से तेजी से धड़क रहा था वो जैसे डर से कुछ देखना सुनना ही नही चाहती  थी पर कुछ  वक्त  बाद भी जब उसको कुछ महसूस नही हुआ बल्की एक बहुत ही स्टोरंग खुशबू और  अजीब से ठंडी महसूस होने लगे  जिसे  वैदेही धीरे से अपने आंखे खोली उसके नजरे सीधे उस सर्द डार्क ग्रीन नजरों से टकराए जो  एक तक उसको देख रहा था वैदेही  उसके आंखों में खोए हुए देखते ही रह गई वो अभी खोए हुए थी की  उसके कानो में एक सर्द  डोमेनेटिक वॉइस पड़ी -  भाई ,,,,,,,

    इस आवाज  से वैदेही और  वो सख्स अपने होश ने आए पर वो सक्स कुछ हरकत किए बिना उसको उसी तरह  कमर से थामा रहा पर वैदेही उस सक्स को पुस करते उस पांच कदम दूर होते  अपने सामने खड़े  उस सख्स  को उपर से नीचे तक देखने लगी वो लम्बा दमदार पर्सनालिटी वाला इंसान जो किसी नॉर्मल इंसान से कई ज्यादा मजबूरत और तकवार और अकर्षति नजर आ रहा था  उसके वो  हैंडसम चेहरा जो  एक कपड़े से ढका हुआ था जिसे उसके वो सिर्फ  डार्क  ग्रीन  एक्ट्रेक्टिव  आईज नजर आ रहे थे जो उसे एक तक देख रहा  था उसके नजरो में उसके आस पास निकलते   औरा उसके पर्सनालिटी कुछ तो बहुत अजीब था जो वैदेही को खौफ दे रहा था उसके वो नजरे खुद पर महसूस करते उसको  अंदर तक कपकपी महसूस हो रहे थे

    तभी उसके कानो में फिर से वही सर्द  अट्रेक्टिव  डरावनी आवाज पड़ी - कौन हो तुम,,,,,

    वैदेही ये सुनते झट से पीछे मुड कर देखी तो उसके नजरे फिर से उसी तरह डार्क ग्रीन नजरों से टकराए जो उसको देखते जैसे  उसके आंखे जो हद्द से  सर्द और डरावनी थी उसमे कुछ अजीब से  नजर आने लगे और उसको बस एक तक  देख रहा था वैदेही उस सख्स के नजरो से नजरे हटाते उसको ऊपर से नीचे तक देखने लगी  वो सेम वैसा ही था वैसे ही बॉडी वैसे ही  वेब्स वैसे ही पर्सनालिटी    वैसे ही वो हरी आंखे वैसे ही सोल्डर तक आते बाल बस उसका रंग  थोड़ा ज्यादा  गोरा था बाकि हर एक चीज  उस  पहले वाले इंसान के तरह सर था  उन  दोनो को कोई देखे बस देखता ही रहा  जाए जो किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना दे  ऐसे थे वो दोनो  पर  सुरभी  वैसी लड़की नही थी उसने  अपना पहले जीवन सिर्फ  अकेले तन्हाइयो में जिया  था जिसे उसके अन्दर  लड़को के लिए जो  अट्रेक्टिन जैसे खत्म हो चुका था बस उसने आखिरी पल तक  ख्वाइश की थी की कोई उसे  हमसफर मिले जो उसे प्यार   करे बेहद प्यार उसका भी वो सपनो का राजकुमार आए पर उसका जो मोह था  वो  खतम हो चुका  था। क्योंकि उसके  पिछले रूप के कारण उसको कोई  लड़का  पसंद ही नही करता वैदेही उन  दोनो को देखते  उसको ऐसे लगाने लगा जैसे वो सामने वाले को शीशे में देख रही हो ,,,,
    वो कभी   एक को देखती तो कभी दूसरे  को जो दोनो बस एक तक उसको देख रहे थे

    तभी उसके कानो में कुछ आवाजे पड़ी  युवराज त्रिजल,,,,, युवराज त्रिमय ,,,,,,,,  चलिए सूरज ढल रहा है
      वैसे  ही वैदेही के नज़र उन पांच लड़कों पर गए  जो उसको ही देखते चुप हो गए थे  वो पांच लड़के   भी बेहद अक्रसिक और  बलवान लग रहे थे वैदेही को   ऐसे लगाने लगा जैसे वो कही के राजकुमारों  को देख रही हो
    वैदेही यानेकि सुरभी खुद में मन ही मन कहने लगी ये,,, ये सब कौन है ,,, क्या हमारा रिबोर्थ  किसी राजा  महाराजो के  जमाने में हुआ  है इनके कपड़े इनके वस्त्र इनके   बाते वैसे ही लग रहे है  हे भगवान मतलब हम इन राजकुमारों के बीच में फंस चुके है और और हमने सुना  है की कैसे राज शाशक के लोग जिस वूमेन पर उनके नजरे पड़ते उन्हे उठा कर ले जाते  ,,,है और  और ये ,,,,,ये दोनो इनके आस पास इन सब के आस पास इतना  खतरनाक वेबस् आ रहे  जैसे  ये ये लोग इंसान नही शैतान हो ,,,,  नही नही ,, हमें हमें इनके कोई दासी या कैदी नही बना भाग यहां से सुरभी,,, आ,, वैदेही,,,  भाग यहां से वैदेही  इसी में तेरी भलाई है

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  • 7. Devil's prinsess - Chapter 7

    Words: 1884

    Estimated Reading Time: 12 min

    वैदेही,,, उन सब के तरफ़ डर भरी नजरो से देखते अपने थूक निगलते हुए खुद से मन ही मन कह रही थी  भाग,, वैदेही भाग ,,,  यहां से  एक तो इस डरावनी जंगल में अकेली और ये आठ खतरनाक पर्सनलिटी  के लड़के,,, अगर इन्होंने तेरे साथ कुछ भी किया न तो तू तो गई  नही,,, नही हमें भागना  ही होगा
    वैदेही खुद से कहते अपने कदम पीछे लेने लगी पर तभी पीछे  पड़े पत्थर से उसका पैर लगाते हुए वो लडखडा कर गिराने ही वाली थी किसी ने  उसको  कमर से थामा वैदेही गिराने के डर से अपने आंखों को बंद की हुई थी वो चोट का एहसास न होने पर वो धीरे से अपने आंखे खोली उसके नजरे सीधे  उन दूसरे  हरी नज़रों से टकराए  वैदेही  फिर से जैसे   उन हरी नजरों में  खोने लगी थीं पर वो जल्दी से अपने सर झटकते  होश में  आते  उस लड़के के सीने में हाथ रख पुस करते हुए वो एक झटके से उसे दुर होते उसके तरफ़ देखने लगी जो उसे  एक तक देख रहा था  उसे  वो दूसरी हरी नजरों वाले उस दमदार ठंडी पर्सनालिटी वाले सक्स ने उसे संभाला  था

      वो उसे नजारे फेर  उसी के हमशक्ल के तरफ देखने लगी    फिर वो उन आठों के तरफ नजरे घुमाई जो उसे  ही  देख रहे थे फिर  वो अपने ल्लाहंगे को पकड़ बीना कुछ सोचे समझे पीछे मुड  तेजी से भागने लगी वैसे उसके पायल के आवाजे   सूखे पत्ते के  आवाजे  उस सनत्ता फैले जंगल में शोर करने लगे उसके वो लम्बे बाल हवा में लहरा रहे थे साथ उसके चुन्नी जिसका उसे होश भी नही था वो उड़ते हुए  वही किसी पेड़ की सखाओ में फंसते हुए उसके जिस्म से अलग  हो   हो गया

      वही वो आठ उसको जाते एक तक देखते रहे ये और कोई नही पहले हरी आंखों वाला लड़का युवराज त्रिजल था दूसरी हरी आंखों वाला लड़का युवराज त्रिमय  था    बाकि पांच राजकुमार हर्ष  ,  राजकुमार प्रभात , राजकुमार अर्श , राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश थे

          राजकुमार  वैभव -  कोई मुझे जगाओ मैं खुली आंखों से सपने दिखने लगा हूं    तभी  प्रभात जो खुद भी जैसे  होश  में नही  था वो  वैभव के  हाथो को पकड़ कर जोर से मोड़ा जिसे वैभव जोर से चीखते हुए होश  में  आया आ,,, 

    उसके चीख से जैसे बाकी सभी भी अपने होश  में आए  और वैभाव अपने हाथ को झटकते हुए  कहने लगा इसका मतलब  मैं ने अभी जो देखा था वो  सपना  नही  था ,,? क्या हमारे सामने कोई अप्सरा  थी ,, ,,, या फिर  सिर्फ मुझे भ्रम  हो   हुआ है

    प्रभात -   सिर्फ तुझे नही  मुझे भी हुआ है पर उसका रूप अप्सराओं से कई सुंदर था वो   दूध से  गोरा   मखमली बदन
    वैभव - वो  उसके  उसके सूरेली बदन

    प्रभात - वो समुद्र से नीली आंखे

    वैभव - जिसमे पहरे देते वो घनी लंबी पलके

    प्रभात - उसके वो खूबसूरत चेहरा

    वैभव - जिसको छुपाने की कोशिश करते उसके वो लहराते    काले  लम्बे केश

    प्रभात,,
    वैभव,,,,
    वो दोनों एक शब्द भी  आगे कुछ बोलते उसे  जैसे उनके आवाज ही  गायब हो गए  दोनो बोलने चीखने की कोशिश करते अपने गर्दन को पकड़े रहे वही उनको खामोश  होते हर्ष ,अर्श, अंश उनके तरफ देखे तभी वैभव प्रभात के  साथ उन लोगो के नजरे युवराज त्रिजल, युवराज त्रिमय पर गए वैसे ही जैसे उन लोगो के  रूह कपकपने लगे   क्योंकि  युवराज त्रिजल और  युवराज त्रिमय अपने  दहकते नजरों से वैभव और प्रभात को इस तरस देख रहे थे जैसे अभी जला कर ही भस्म कर देंगे  उन दोनो  की   डार्क ग्रीन नजरे इस   समय किसी अंगारे के तरह  जल रहे थे 

    युवराज त्रिजल ,युवराज त्रिमय  अपने  एक  एक कदम उनके तरफ बड़ते  वैभव और प्रभात के बिलकुल सामने जा कर खड़े होते उसे जलते नजरों से देखते अपने  डरावनी आवाज से एक एक शब्द में  जोर देते हुए कहने  लगे

    त्रिजल - उनके लिए अगर   अब ऐसे कुछ, एक भी शब्द        किसी के भी  मुख से निकला तो  बोलने के लायक नही   रहेंगे ,,,,, 

      त्रिमय-   अब किसी के नजरे उनके तरफ  उठी तो वो  नजरे फिर कभी कुछ देखने लायक नही रहेंगे ये तुम सब के  पहली और आखिरी गलती है 

      वो इतना कहते उन  लोगो से अपने नजरे फेर उसी दिशा में फिर से देखने  लागे जिस तरफ से अभी वैदेही गई थी वही उनके नजरे फेरते जैसे वैभव और और प्रभात  के आवाज के सांसे भी  वापस आए वो पांचो हैरानी भरी नजरो से  यूवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय को देखने लगे 
    हर्ष कुछ कहने वाला  था उसे पहले युवराज  त्रिजल और युवराज त्रिमय  बड़े से चील में  बदलते हवा में उड़ते हवा से गायब हो गए
      वो पांचों एक दूसरे को देखते वो लोग भी  चील में बदलते हुए उनके पीछे बड गए

      वही वैदेही  तेजी से उस जंगल के बाहर के तरफ दौड़ रही थी   वो फिर  एक पल के लिए नही रुकी थी  वो  जब जंगल  के बाहर  पहुंची तब जा कर वो रुकते   लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी  तभी उसका ध्यान आस- पास गया इस वक्त रात्रि हो चुकी  थी और वो जंगल और भयानक और डरावना लग रहा था इतना अंधेरा और उस जंगल से आती जंगली  जानवरों कीटों की आवाजे किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे वो आस पास देखते फिर से उस रास्ते में तेजी से दौड़ते आगे बड़ने लगी

    चीलों के महल के  एक आलीशान  कामरा   जहां पर  हर एक चीज़ बेस्कीमत और सोने से बने हुए थे  उस कमरे में जहां खिलाड़ी से आते चांद  की  रोशनी फैले हुई थी वहां युवराज त्रिजल  खड़े बाहर  उस अंधेरे फैले  घने डरवाने जंगल को देख रहा था वही युवराज त्रिमय   अपनी तलवार को हाथों में लिए एक तक देख रहा  था 

      तभी वहां महाराज सूर्यवंसज के आने की  घोषणा हुई पर उन दोनो ने   कोई हरकत नहीं किया महाराज सूर्या वंशज वहां उन दोनो को देख गुस्से से चीखते हुए कहने लगे कहा थे आप  दोनों  युवराज,,,?  हमने क्या कहा था आप  दोनो  से   क्या  आप   को याद नही  रहा युवराज,,,,

    आप दोनों को हम बाल पान से कहते आ रहे है  आप दोनो कही भी जाना हो तो सूर्यास्त के पश्चात जायेगा  पर नही आप दोनो को  हमेशा    हमारे खिलाफ़ ही जाना है  हमारे बातों को इस तरह नजरंदाज करना है जैसे हम कुछ कह ही न रहे हो

    युवराज ,,,,,,,, सून रहे है आप दोनो हम क्या कह रहे है ,,,,

    त्रिजल  अजीब सा इरिटेटिंग वाला फेस बनाते  सूर्यवांशज जी के तरफ  देखते  अपने ठंडी  डोमेनेटिक  आवाज में कहने लगा -  क्या आप  अभी तक तो ज्ञात नही हुआ है  महाराज की  आपके पुत्र सुन सकते है भी या नही ,,?

    सूर्य वंशज जी अपने हाथो की मुट्ठी कस लिए और गुस्से से उन दोनो को घूरने लगे   फिर गहरी सांस लेते थोड़े ठंडी स्वर में कहने लगे   हमें बताएं  युवराज इस बार भी सूर्य की सीधी किरणों की एक भी आभा आप दोनो को नही छुआ ,,?

       इस सवाल से त्रिजल और त्रिमय के सामने वो नजारा सामने  आने लगा जब वो दोनो उस     मायावी  जंगल के  बाहर आए वैसे ही  उन पर सूरज की वो सीधी किरण पहली बार पड़े थे जिनसे उनके बॉडी किसी अंगारे के तरह जलाने लगे थे  जिसे  उन दोनो को  कोई फर्क नही पड़ा वो दोनो अपने सर उठाते सूर्य  को देखने लगे थे जो अपने तेज किरणे  से जैसे उन दोनो को जला रहे थे

    ये नजारा देखते राजकुमार हर्ष ,राजकुमार  प्रभात राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव ,राजकुमार अंश के आंखे हैरानी से फैल चुके थे  उन सब के चेहरे पर डर की लकीरें नज़र आ रही थी   उन पांचों के कानों में  सुर्यवंशज जी के कहे बाते गूंजने लगे वैसे ही राजकुमार  हर्ष और राजकुमार अर्श, राजकुमार   अंश तेजी से अपने फुर्ती दिखाते बड़े से चील में बदलते वो तीनो  युवराज त्रिजल और युवराज  त्रिमय के उपर उड़ते हुए किसी छतरी की तरह बन गए   जिसे सूरज की किरणे उन दोनो पर अब नही  पड़ रहे थे पर उनके स्किन उसी तरह जल जरूर रही थी
      राजकुमार प्रभात  घबराए हुए - युवराज जल्दी चलिए यहां से चलिए युवराज ,,,
    वैभव   - पर जाएंगे कहा युवराज। इस मायावी जंगल में  फिर से नही जा सकते क्योंकि युवराजो के  बॉडी से निकलते तेज से वो जल जायेगा

      चील बने राजकुमार  अर्श -   युवराज आप दोनों उस   औषधि  जंगल में बड़ाए    वहां  सूरज की किरणे बहुत हद्द तक नही पहुंचते और वहां आपके चोट के लिए औषधि भी मिल जायेंगे

    चील बने   राजकुमार  अंश -  हा युवराज  अर्श सही कह रहे है 

    चील बने राजकुमार हर्ष - चालिए युवराज हमारे पास इस वक्त कुछ  सोचने का वक्त नही है कृपया कर चलिए युवराज

    फिर वो सभी  उस औषधि जंगल में बड़ गए जहां पर सूरज की किरणे न के बराबर पहुंचते वहां उनके चोट ठीक करने की औषधि भी थे वो अपने चोट को खुद की शक्तियों से भी ठीक कर सकते थे पर उनके बॉडी से निकलती ज्वाला सूर्य के तेज थे जहां पर उनकी शक्तियां कम  नही करते थे  

    उस जंगल में पहुंचते उन्होंने  वहां सबसे तेज औषधि से उन जले हुए को   ठीक किया फिर  फिर उसके उनके मुलाकात उस जंगल में  वैदेही से हुई थी

    यही सब नजारा उनके आंखों के सामने किसी रील के तरह घूम रहा था   तभी उनका ध्यान सूर्यवंशज जी के आवाज से टूटा   हमने कुछ प्रश्न किया आप दोनो से युवराज जवाब दीजिए हमें ,,

    युवराज  त्रिजल उनके तरफ बिना देखे सामने उस  चांद को देखते हुए - हमें देख आपको क्या लगता ,,,,

    उसका इतना  कहना काफी था की वो कुछ नही कहने वाला  और  ऐसा हमेशा से  ही होता आया है सूर्य वंशज जी गहरी सांस लेते उन दोनो को ऊपर से नीचे तक देखे उन्हे सब कुछ ठीक लग रहा था

    हमारे बाते ध्यान रखिएगा आप दोनो गलती से  सूरज की सबसे त्रीव्व किरणे आप दोनो को नही छूनी चाहिए
    इतना कहते वो वहां से चले गए

    वही युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के नजरों के सामने वही नजारा घूम रहा था जो उस जंगल में हुआ उस अंजान लड़की का  सुंदर चेहरा उसके वो नीली बड़ी  बड़ी  नजरे उसके वो घनी झपकती पलके उसके लंबे उड़ाते केश  उसके ऊपर नीचे होता उसका सीना  उसके चेहरे के वो घबराहट वो बेचैनी दौड़ने  वक्त  उसके पायल की वो मधुर आवाजे

      त्रिजल उस   अंधेरे फैले जंगल को देखते हुए अपने डरावनी  डोमेंटिक वॉइस में खुद से कहने लगा -  पहली बार किसी ने   किसी  ने हमें इस तरह  असमंजस में डाला है  पहले  बार कोई  स्त्री हमारे करीब आने की कोशिश की आप को आपकी इस गुनाह की कैसे सज़ा दे हम क्योंकि आपने तो सबसे बडा अपराध किया है  
     
    त्रिमय जो अपने तलवार को एक तक देखते  उस लड़की के बारे में सोच रहा था वो त्रिजल के आवाज सुन उसके तरफ़ देखने लगी उसके चेहरे पर हल्के से टेडी मुस्कान खिली वो अपने जगह से उठ त्रिजल के पास बड़ते उस अंधेरे जंगल को देखते हुए अपने ठंडी डोमेनेटिक वाइव से - आखिर कौन  थी   वो भाई  जिसने अपनी पहली ही झलक में चील सामज्या के युवराजों को पहली बार किसी में  खोने  पर मजबूर किया आखिर वो  कौन थी जिसने हमारे  ह्रदय    को हमारे खिलाफ जाने पर मजबूर कर रहा है 
      त्रिमय के बात सुन त्रिजल के चेहरे पर बहुत खतरनाक मुस्कान खिली  जो जितने ज्यादा हॉरर थी वो उसे उतना ही दिलकस बना रहा था

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  • 8. Devil's prinsess - Chapter 8

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    वही उसी  महल के एक  कमरे में जो  की  राजकुमार हर्ष  का कमरा था   जिसमे इस वक्त वो पांचों  राजकुमार  मावजूध थे और उन पांचों के चेहरे पर चिंता के लेकर थे  क्योंकि  जंगल में उन्होने  युवराज त्रिजल और  युवराज  त्रिमय का जो रूप देखा था वो हद्द से ज्यादा खतरनाक था  एक पल के लिए मिली उस लड़की के लिए उन्होंने उन दोनो के आंखों में एक आग देखा  एक जुनून देखा था एक पागलपन देखा था  वो भी पहले बार किसी   स्त्री के लिए उनका आकर्षण था  वरना   उन लोगो को किसी स्त्री के तरफ देखना तो दूर के बात  उनका नाम तक लेना मंजूर नहीं था

    राजकुमार प्रभात - अब हम क्या  करे   जो हमारी आंखों ने देखा वो एक बहुत बड़ी  तबाही   का आदेश है

    राजकुमार  अर्श -    उन्हे रोकना होगा    आगर  बड़े पिता श्री को  पता लगा तो   पता नही क्या करेंगे वो

      राजकुमार वैभव - ये सब हमारे ही गलती के वजह से हुआ है  सूरज की वो तेज किरणे उन तक पहुंच चुकी  हो न हो ये इसका ही  परिणाम है  वरना जिन्हे अपने आस पास किसी  स्त्री को  मावजूदगी भी  बरदस्तत  नही उनके  आंखों में  उस एक पल के लिए मिली लड़की के लिए ऐसा जुनून ,,,,,,?

    राजकुमार अंश -  पर हमें ये बात   को बताना ही होगा  वही कुछ कर सकते है हम इस बात को  उनसे छुपा नहीं सकते है
    राजकुमार  हर्ष - पर हम  ऐसे उनसे नही कह सकते  ये सही नही होगा  जरूर नही हैं  जो हम लोगों ने  देखा जो महसूस किया वो सही होगा क्योंकि  त्रिजल और त्रिमय को आज  तक  कोई नही समझ पाया है की  कब उनके अंदर  क्या चलता रहता  है  हमे पहले उनसे जानना होगा अगर सच हुआ  तो हम उन्हे अपने तरफ से रोकने को कोशिश करेंगे    उसके बाद  हमें लगा बड़े  पिता श्री  को बताना चाहिए तो हम उन्हे सब  कुछ बता देंगे

    तभी वहां  महाराज सूर्यवंसज के आने का एन्नुसमेंट हुआ   जिसे   वो  सभी खामोश होते अपने  जगह से खड़े हो   गए 
      महराज सूर्यवंशज वहां आते  उन सब के देख घूरते हुए  कहने लगे    क्या हुआ वहां   हमें सब कुछ विस्तार में बताए ,,

    वो पांचों को एक दुसरे को देखने लगे राजकुमार  हर्ष फिर   सूर्य वंशज जी के तरफ देखते कहने  लगा
    बड़े पिता श्री आप ने  जैसा कहा था हमने वैसे ही किया  हम युवराज  पर सूरज की तेज किरणे पड़ने नही दिए ये कहते वो एक एक कर सब बताने लगा सिर्फ दो बात को छोड़ की कैसे सूरज की किरणे  उन तक पहुंचे और कैसे एक स्त्री  उनसे टकराई जिसके लिए उन्होंने उनके आंखों  में     जुनुनियत  की हद्द देखी थी

    सूर्य वंशज जी उनके बात सुन उन सब को  देखते हुए शांति से कहने लगे - युवराजो के लिए कभी  भी आप लोगो को ऐसा लगे कि  उनके स्वभाव से विपरीत हो रहा है  या जो नही होना चाहिए वो हो रहा है तो हमारे  पास तुरंत खबर कीजिए  समझ गए आप सभी

    वो पांचों  एक साथ -जी बड़े पिता श्री

    फिर  महराज वहां से चले गए और पांचों एक दूसरे को देखने लगे    उनके अंदर से जैसे एक आवाज  उठी थी  क्या उन्होंने सही किया महाराज से सच छुपा कर पर  फिलहाल उन्हें यही सही लग रहा था

    वही दुसरे तरफ वैदेही  अपने  घर पहुंची वो जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसके नजर सामने उन मां बेटी पर  पड़े  जहां   चित्रलेखा अपने मां के गले लगे रो रही थी

    वही  एक आदमी जो वेद  लग रहा था वो उसके हाथ  पैरों की जांच कराते हुए  जड़ी बूटियों लगा रहा था वही एक आदमी खडा चिंतित से सब कुछ देख रहा था  वैदेही उस आदमी को देखते ही पहचान गई थी वो असली  वैदेही के हो कर भी न होने वाले पिता है

    तभी कोकिला के नजर   वैदेही पर गाए उसे देखते वो चिल्लाते हुए कहने लगी आ गई मनहूश कही की दरवाज़े पर क्या खड़ी है जल्दी अंदर आ और जो जड़ी   बूटी लाई है उसे दे,,

       वैदेही को गुस्सा तो हद्द से ज्यादा आ रहा था उसका मन कर था था वो औरत को उसी जंगल  में छोड़ कर आ जाए तब  पता चलाता मनहूस क्या होता है  पर इस वक्त वो शांत रहना  ही  बेहतर समझ थी  क्योंकि फिलहाल के लिए  अभी उसे इन्ही लोगो के साथ रहना था क्योंकि उसे इस  दुनिया  के बारे कुछ नही पता था और कितने खतरनाक थी ये दुनिया उसने उस जंगल में महसूस कर लिया था
      इस लिए  वो चुप चाप अंदर आई

       चित्र लेखा उसे देखते जल्दी से कहने लगी जड़ी बूटी लाई है स्वत के दे ना जल्दी से वेद जी को ,,,

      वैदेही कुछ देर खामोश रही  फिर कुछ छोटे - छोटे पीले फूल को  वेद जी के तरफ बड़ा दी जिसे देखते चित्रलेखा गुस्से से चीख उठी - ये क्या लाई है   तूझे मैं  ने क्या लाने कहा स्वत के पत्ते कहा है वो ,,,,, लाई है या नही अगर नही  न लाई तो  तेरी टांगे तोड़ दूंगी समझी

    वेद जी उस फूल को लेते देखते  हुए कहने  कहने  लगें - ये फूल बहुत उपयोगी   है स्वत के पत्ते न सही पर इसे  बहुत हद तक  इलाज हो सकता है   और  स्वत के पत्ते यहां से  जंगल के आखिरी छोर में होने की आशका है जो सिर्फ  ग्रीम मौसम में  ही पाए  जाते   है और अभी  ग्रीम का मौसम नही  तो उसके पत्ते मिलना नामुमकिन  है वैदेही बिटिया ने अच्छा   किया जो  उन्होंने ये फूल ला  लिए

    वैद जी के बात सून वो दोनो मां बेटी थोड़ी शांत हुई और थोड़े शौक भी इस फूल के उपयोग के बारे में तो  उन लोगो को भी पता नही था फिर ये  वैदेही  को कैसे ज्ञात था
    वही वैदेही  खामोश थी पर मन ही मन कहने  लगीं अच्छा हुआ जो अपने पिछले जन्म में  कुछ Herb  का नॉलेज  लिया हमारे लिए तो न सही काम से काम इस डायन के लिए तो  काम आया  ये कहते वो जंगल में जो हुआ वो याद करने लगी जब वो जंगल के अंदर जा रही थी  तो उसी  सांपो के पेड़ के  नीचे ये फूल  गिरे   दिखे थे जिसे उसने बहुत मुस्किक से पकड़ा था

      आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्सट पार्ट का
    धन्यवाद!
      कहनी पसंद आ रही जी तो अच्छी अच्छी कॉमेंट कीजिए मैं देख रही हु अब कॉमर्स काम होते जा रहे है क्या स्टोरी पसंद नही आ रही ?

  • 9. Devil's prinsess - Chapter 9

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह जब ठीक से  सुबह भी नही हुआ था क्योंकि पूरे तरह अंधेरा ही थे वही  औषधि जंगल के गहराई में उसी जगह  युवराज  त्रिजल और युवराज त्रिमय खड़े  थे वो दोनो अपने गहरी चील  वाली नजरों से चारो तरफ देख रहे थे वहां पर वो लोग  उसकी  प्रेजेंसी उसकी  खुशबू को जैसे महसूस करना चाह रहे थे  

    युवराज त्रिमय चारो तरफ अपने गहरी नजरों से देखते उन छोटे  - छोटे पैरो के निशान को अजीब तरफ़ से देखने   लगा  वो नीचे घुटनों के बाल बैठ  उन पैरो के निशान पर अपने हाथ को  फेरने लगा    वैसे ही उसके आंखे बंद हो गए और उनके सांस तेज चलने लगे  और एका एक उनके मुंह से शब्द एंजल ,,,,,,,,  और उसके चेहरे पर  खतरनाक मुस्कान  खिली थी वो अपने आंखे खोल जो  इस वक्त किसी  ब्लैक डायमंड के तरह चमक रहे थे

       युवराज त्रिमय एक नजर अपने भाई को देखते उन पैरो के निशान का पीछा करते हुए आगे बड़ने लगे  पर कुछ दूरी पर उन पैरो के निशान गायब हो चुके थे क्योंकि  सुखी पतियों से ढक चुका था

       वो उन पत्तियों को अपने जलते नजरों से घूरने लगे   तभी एक  दुप्पटा  उड़ाते हुए उनके चेहरे पर आते हुए लगा वैसे ही उसके आंखे सुकून  से जैसे बंद हो गए 

      फिर   धीरे से उस दुप्पटे को अपने चेहरे से हटाने लगा और उस गुलाबी पीली दुप्पटे को देखने लगा उसके नज़रों के सामने वैदेही का चेहरा सामने आने   वो आस  पास  देखने लगा जैसे उसको तलास रहा हो उसके नज़रों में एक अजीब से बैचेनी थी   पर उसकी चील जैसे  नजरो में उन्हें  दूर - दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था

    वो उस दुप्पटे को अपने गहरी नजरों से देखते हुए कहने लगा  ये   ओढ़नी आपका है ,,,,,,,,,,

    वो  उसे अपने होटों की पास ले जाते हुए  उस पर अपने होटों को  फेरते गहरी सांस  लेने लगा जैसे उसके खुशबू को वो महसूस कर रहा हो

    उस  दुप्पटे को देखते हुए वो अपने आंखों को बंद किया वैसे ही वो एक झटके से अपने आंखे खोलते हैरानी से  उस दुप्पटे को देखने लगा  फिर वो  अपने आंखे बंद किया इस बार भी  उसे  कुछ भी नज़र नही आया वो  झटके से अपने आंखे खोलते हैरानी से उस दुप्पटे को देखने लगा    ऐसे ही वो तीन से चार बार करता रहा पर उसे कुछ भी नज़र नही आया  वो शौक था क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा था  की  उसकी दिव्य दृष्टि किसी के लिए काम नहीं कर रहे थे उसको सिर्फ अंधेरे के  सिवा  कुछ नज़र नही आ रहा था

      वो युवराज त्रिजल  के तरफ देखते हुए हैरानी से कहने लगा - भाई मेरी दृष्टि इनका  ज्ञान नही कर पा रहे है

      युवराज   त्रिजल युवराज त्रिमय के तरफ देखा फ़िर वो उस  पैरो के निशान को देखते हुए उस पर अपने हाथ रख आंख किया वैसे ही उसके चेहरे के भाव  बदलने लगे वो कुछ देर बाद अपने आंखे खोलते  उस पैरो के निशान को हैरान निगाहों से देखते फिर से अपने आंखे बंद किया पर इस बार भी उसे कुछ भी नजर नहीं आया वो हैरान नज़रों से उन पैरो के निशान को देखते हुए अपने ठंडी डोमेनेटिक वॉइस से कहने लगा  -  ऐसा कैसे हो सकता  है   की हम का ज्ञान नही लगा पा रहे है  हमारी  शक्तियां  कभी भी   विषफल नही हुआ  चाहें वो देवता हो या फिर असुर फिर आप तो एक  साधारण सी मनुष्य है

    युवराज त्रिमय अपने ठंडी डोमेन्टिक आवाज से -आपने सही कहा भाई ,, वो मानव थी  उनके स्पर्श से हमे  ये ज्ञात हुआ पर  एक साधारण  सी मानव स्त्री का ज्ञात हमारी शक्तियां क्यो नही लगा पा रहे है

    वही महल में सुबह  होते ही राजकुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात , राजकुमार  अर्श , राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश पांचों  सीधे युवराज के कक्षा के तरफ बड़े  और  इजाजता   मिलते वो लोग अंदर गए  वैसे ही  उनके  आंखों में हैरानी  नजर आने लगे  वो पांचों एक दूसरे को देखते सामने देख रहे थे क्योंकि युवराज त्रिमय के हाथो में  एक  औरत   की  उड़ानी  थी जिसे वो अपनी  गहरी नजरों से एक तक देख रहा  था  उसके आंखो मे कुछ अजीब से चीज थे उस  ओढ़नी को देखते हुए जो बहुत हैरान कर देने वाले बात थी

    वही  युवराज त्रिजाल उस उगते हुए सुरज एक तक अपने गहरी नजरों से देख रहा था उस सूरज की चमकती किरणे उनके  उनके खुले बटन पर पड रहे थे जिसे वो हद्द से ज्यादा अक्रसित लग रहा था

      राजकूमार हर्ष -  युवराज  त्रिमय ये,, आप के हाथों ओढ़नी कैसा ,,,,?

      युवराज  त्रिमय अपने ठंडी डोमेनेटिक  आवाज से ये उन्ही का  है जिन्होने अपने निगाहों से चील साम्राज्य के युवराजों   को  परेशान किया जिसने अपने  खुशबू    से चील समर्ज्या के युवराजों के  ख्यालों में आने की  गलती किया है ये उन्ही का है,,,,

      राजकुमार प्रभात  असमंजस से सवाल करते हुए - कौन युवराज आप किसके बाते कर रहे है ,,,,?

      राजकुमार  अर्श - कौन युवराज,,,? ऐसी कौन सी स्त्री  है जो  चील के युवराज को खोने पर मजबूर कर दिया है

    राजकुमार वैभव -  क्या  आप दोनो उन्हे  सजा देना चाहते है युवराज तो आगर आप उसे जान से मरना चाहते है उसे पहले उन्हे मुझे दे  दीजिए  मैं उसके सा,,,,,,

    वो इतना ही कहा था की एक उसके  आगे के  आवाज उसके गले में रहा गए और  वो  हवा में  लटका अपने गर्दन को पकड़े झटपटा रहा था  वो खौफ भारी नजारों  से  युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के तरफ देख रहा था जहां वो दोनो  अपने लावा निकलते नजरों से उसे देख रहे   थे वो दोनों इस वक्त गुस्से से  इस तरह दहक रहे थे  की उनके  बदन से अग्नि निकलने लगे थे   ऐसा पहली बार हो रहा की  उन दोनो के गुस्सा इस हद्द तक था बाकि राजकुमार उनका ये रूप देखते अपने जगह से  दस  कदम पीछे हटाते  खौफ और हैरानी भरी नजरो से उनके तरफ देख रहे थे

    युवराज त्रिजल    राजकुमार अपनी जलती नजरों से देखते  बहुत डरवाने तरीके से कहने लगा -    उनके तरफ  नजरे  उठाना तो दूर की बात उनके नाम तक लेने की     हैसियत नहीं है किसी  के भी   तुम सब को ये आखिर बार चेतवानी दे रहे हैं उनके लिए जो भी शब्द निकले  उसमे वही  दर्जा  और  वही मन सम्मान होना चाहिए जो हमारे लिए है  या फिर हमसे बड़ कर ,,

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  • 10. Devil's prinsess - Chapter 10

    Words: 1988

    Estimated Reading Time: 12 min

    त्रिजल ने  अपनी बात खत्म किया वैसे ही ही राजकुमार वैभव नीचे फर्श पर गिरते जोरों   से खांसने लगा और अपने  गर्दन हा में हिलने लगा और बाकी सभी राजकुमार भी

    राजकुमार  प्रभात आगे बड़ते हुए राजकुमार वैभव को सभलते हुए खड़ा किया वैसे सभी माफी मांगते हुए कहने  लगे - हमें क्षमा कीजिए   युवराज  हमे नही पता था वो आपकी इतनी खास है ,,,,,

      राजकुमार अंश -  युवराज  त्रिजल क्या आपको उस  स्त्री से मोहब्बत हुआ है  और  युवराज त्रिमय आपको  किसी स्त्री से मोहब्बत हुआ  मतलब आप  लोगो एक साथ मोहब्बत हुआ है ,,,?

    राजकुमार हर्ष -  वैसे हमारी युव रानियां है कौन युवराज ,,?

      राजकुमार  त्रिमय -उस चुनरी को एक तक देखते हुए अपने  सर्द डोमेनेटिक आवाज से कहने  लगे - मोहब्बत  किसे कहते  है पता नही पर हमें जो हुआ है वो  बेहद है बेहद  ,,,   ये कैसे एहसास जिसे शब्दों में बयां नही होता पर इतना जानते है ये एहसास जिनके लिए है हमारा दिल   जिनके एहसास से धड़कने लगा वो हमें चाहिए हर हाल में हर कीमत  पर आगर इसे ही मोहब्बत कहते है तो मोहब्बत ही सही  ,,,,,,

      राजकुमार  प्रभात - युवराज त्रिजल,,,, क्या आपको  भी ,,,?  पर  वो स्त्रियां है कौन युवराज  जिन्होने  कुछ ही वक्त में चील साम्राज्य के युवराजों को अपना दीवाना बना दिया

      युवराज त्रिमय अपने डोमेनेटिक वॉइस से  -  वो दो नहीं एक है   इस  साम्राज्य की होने वाली महारानी एक है हमें एक ही स्त्री से मोहब्ब्त हुआ है
     
    इतना सुनाते वो  पांचों राजकुमार एक दूसरे को  आश्चर्य से देखने लगे

      राजकुमार अर्श -  ये आप क्या कह रहे है युवराज  आप दोनों को एक ही स्त्री से मोहब्बत   और एक ही स्त्री इस साम्राज्य की महारानी,,,,?

    युवराज  त्रिमय उसके तरफ उसके तरफ अपने सख्त निगाहों से देखते अपने डरावनी आवाज से - क्यों  एक स्त्री से मोहब्बत नहीं हो  सकते हमें  ,,,? 

    राजकुमार  अंश - पर युवराज   ये संभव कैसे हो सकता है एक स्त्री  दो पुरुषों में  कैसे बांट सकती है और  आप में किसी एक के ताकत को बर्दाश्त करना  एक बहुत बड़ी बात  है  आप के ताकत कोई  शक्तिशाली स्त्री ही सह सकती है फिर आप में से दोनों की शक्तियों दुनिया की कोई शक्तिशाली स्त्री तो छोड़िए कोई शक्तिशाली  पुरुष भी नहीं सह सकता

    राजकुमार हर्ष - अंश सही कह रहे है युवराज  आप दोनों  का विवाह एक स्त्री से हो  भी  गया तो पति पत्नी के रिश्ते को आगे कैसे  बढ़ेगा युवराज  उस स्त्री की तो उसी वक्त,,,,,,,,,,
    इतना कहते हर्ष अपने बात को अधूरा ही छोड़ दिया

    राजकुमार वैभव डरते हुए - वो ,, वो स्त्री है कौन युवराज क्या,,,? कौनसी शक्तिशाली मायावी कन्या है


     
    युवराज त्रिजल अपने ठंडी डोमेनेटिक वॉइस में एक अलग सी कशिश लिए - वो वही जो उस औषधि जंगल की सुंदरी ,,,,जो हमें किसी हवा के तरह स्पर्श कर चली गई   वो वही है एक मानव कन्या,,,
    जिसके जानकारी हमें अमावस्या की  रात्रि से पहले चाहिए

    वही वो पांच उनके बात सुन स्तंभ से रहा गए थे वो वही स्त्री  जिसका डर  उनको था  वही   हो चुका है
    वो लोग कुछ कहते उसे पहले युवराज त्रिजल उनके तरफ अपने डरावनी निगाहें से देखते हुए कहने लगा  इस बात की जानकारी  अगर हमरी इज़ाजत के बैगर किसी को भी लगी  तो उसको ऐसे सजा मिलेंगे कि उसके रूह भी  कांप उठे
    उसके इतने कहते वो पांचों खामोश से हो गए उनके पास जैसे अब  कुछ कहने के लिए रहा ही नहीं गया था


    वही इंसानों के आबादी में जो    जहां सुकून था  जहां लोग इधर उधर चहल कदमी करते हुए अपने कामों में लगे हुए वही

    वही अचानक से उनके ऊपर जैसे चीलों की फौज  मंडराने लगे चील  की चीख के साथ बड़ी- बड़ी परछाइयां बना लगे सब आसमान के तरफ देखें जहां बड़े बड़े  चील नजर आ रहे  वैसे ही सभी स्त्रियां अपने काम को छोड़ जल्दी  जल्दी अपने  घरों के तरफ भागने लगी वही सभी पुरुष एक जगह  खड़े होते अपने हाथ जोड़ कांपते हुए सामने देखने लगे
    वो सभी  चील वहां बीचों बीच बने उस चील ही प्रतिमा के सामने खड़े होते इंसानों में बदले वो सभी  युवराज त्रिजल,  युवराज त्रिमय  ,राजकुमार हर्ष, राजकुमार प्रभात राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश थे  उन्हें  देखते वो सभी  ग्राम वाशी आने घुटने टेक अपने सर झुका उनका अभिवादन करने लगे
    उन में से जो मुख्या था वो अपने हाथ जोड़  कंपते  हुए कहने लगा  युवराज की जय हो ,,,?  आ,, आप सभी हम इंसानों की बस्ती में,,, हमसे कोई अपराध हो गया क्या    युवराज की ,,   आपको  खुद यहां पर आने का कष्ट उठाना पड़ा,,,? कौन  से पापा हो गया हमसे   होने वाले महराज,,,,
    राजकुमार प्रभात  ओर राज कुमार  वैभव आगे बढ़ते उस मुख्या को देख टेढ़ी मुस्कुराते उसके  कंधे पर हाथ रख उसे पूस करते हुए
    राजकुमार प्रभात -तुमसे  हमने पिछली बार क्या कहा था मुख्या जी क्या तुम भूल गए

    राजकुमार वैभव -   लगता है बुढ़ापा सर पर चढ़  ओर यादाश्त कम हो रहे  ,,, औषधि जंगल की औषधीय तुम्हें लिए कम पड़ थे है क्या मुख्या जी

    वो मुख्या कांपते हुए कहने लगा न,, नहीं  राजकुमार ,,,, हम,, हम    हमारे बात का अर्थ ऐसा नहीं है ह,, ह,,, हमें ,, हमें क्षमा की,, कीजिए  यू,, युवराज,,

    त्रिजल  अपने ठंडी निगाहों से चारों तरफ देखते अपने सख्त डोमेनेटिक  आवाज से कहने लगा   यहां जितने भी  स्त्रियां  है चाहे वो विवाहित हो या न हो सभी को अभी के अभी हमारे सामने  लाया जाए


    ये सुनते वहां के गांव  के लोग डर से एक  दूसरे को देखने लगे मुख्या हिम्मत कर अपने कांपते जबान से कहने लगा  क्या,,, क्या हुआ  युवराज का,, क्या कुछ गलती हो गई हमारे यहां के  औरतों से

      त्रिमय उन्हें अपने डरावनी नजरों से देखते अपने डरावनी आवाज से जो कहा जा रहा   है वही करो  युवराज से सवाल करने की क्या सजा दी  जाती पता ही होगा तुम सब को
    मुख्या डर से कांपने लगा और बाकी सब भी

    राजकुमार हर्ष उन डर को देखते हुए कहने लगे -  तुम सब को  डरने की जरूरत नहीं युवराज किसी स्त्री कोई सजा देने नहीं बुला रहे है बल्कि इंसानी स्त्रियों के लिए  एक बहुत  अच्छा  उपहार है इस लिए किसी भी तरह की फिक्र न कर यहां पर जितनी स्त्री है  सभी को बुलाया जाए

    उनके बात सुन सभी के  चेहरे पर  सुकी  के भाव आए   साथ में असमंजस के भी की  ऐसी कौनसी से उपहार  है जो युवराज उनके यहां की स्त्रियों  को देना  चाहते है

    मुख्या  जी सभी को अपने यहां की हर एक स्त्री को लाने का हुकुम किए

    वहीं  चूल्हे में  रोटियां बना रही थी    वैदेही  गुस्से से   धीरे से खुद से ही बाते करते हुए कह रही थी मन तो कार रहा है  इन  चुड़ैल मां बेटी के खाने में जहर मिला कर   खिला दूं  रहेंगे ये दोनों न   इनके लिए ये सब नौटंकी  करना पड़ेगा मुझे

    फिर गहरी सांस लेते खुद से कहने लगी शांत वैदेही शांति तुझे शांति से  काम लेना होगा एक बार तुझे तेरे गुस्से के वजह से  उस डायन के लिए मेडिसिन लाने उस  भयानक जंगल में जाना पड़ा फिर से गुस्से से काम  ले  कर अपने लिए फिर से  कोई  मुसीबत खड़ी नहीं कर सकते। वैदेही गहरी सांस लेते हुए अपना काम करने लगी

    तभी उसको बाहर से आवाज  सुनाई दी  जो कि वैदेही के बाबा के थे
      आरी वो कोकिला    चित्रलेखा बिटिया कहा  हो
    कोकिला  - क्या हुआ इस तरह चीख क्यों रहे है अब कौनसी आफत आ गई,,?  क्या कहा उन चीलों ने  क्यों आय है वो हम इंसानों की  बस्ती में

      बाबा - इस बार कोई मुसीबत  नहीं बल्कि अच्छी खबर है तुम सब के लिए   युवराज तुम  औरतों को कुछ उपहार देना चाहते है इस लिए वो सभी औरतों को बुलाए है जल्दी चलो,,,,

    ये सुनते चित्र लेखा जो अपने हाथों में मेंहदी लगा  रही थी वो खुशी से चीखते हुए कहने लगी क्या सच में बाबा युवराज हमें  उपहार देने बुलाए है

    बाबा - ह बेटियां चलो जल्दी

    चित्र लेखा जल्दी से शीशे के सामने जाते खुद को देखते हुए कहने  लगी  मां मै युवराज को पसंद आऊंगी न हम  पहली बार उनके  सामने जाने का अवसर मिल रहा है वो हमें देखते ही हमसे विवाह कर हमें अपनी महारानी बना लेंगे फिर हम पूरे दुनिया पर राज करेंगे क्यों  मां हमने सही कहा न ? युवराज को हम  पसंद  आयेंगे  न कहते है दोनों युवराज  में किसी ने भी आज तक किसी  भी स्त्री के तरफ आंख उठा कर भी  नहीं देखे है

      कोकिला अपने बेटी की  बलैया लेते हुए कहने लगी  अरे उन्होंने  आज तक   तुम्हारी  जैसी सुंदर स्त्री   देखे कहा होंगे    हमें पूरा विश्वाश है वो  तुम्हे देखते ही देखना मंत्र मुक्त हो जाएंगे   आखिर तुम हमारी बेटी हो हमारे  हमारे जैसे रूप है  तुम्हार जो इस दुनिया में किसी भी स्त्री के पास नहीं अब हमारे बुरे दिन गए अब तुम पूरे दुनियां के महारानी होगी  और हम राज  करेंगे सब पर

    चित्रलेखा -सच में  मां मै अभी  अच्छे से सज कर आती हूं  पर  कही मेरे जले हुए हाथ पैर देख युवराज हमें पसंद नहीं किए तो ( चित्रलेखा रोते हुए बोली )

    कोकिला - अरे मेरी बच्ची तेरी  मां है न फिर  तुझे फिक्र करने की क्या जरूरत चल मेरे साथ
    वहीं  वैदेही  जो सब कुछ सुन रही थी वो खुद से कहने लगी ये डायन कितनी भी सज ले तुम्हे कोई महराज तो दूर की बात कोई सैनिक भी आंख उठा कर न देखे और क्या कह रही थी चील इसका क्या लेना देना है  और कुछ वक्त पहले चीलों के भयानक आवाजे भी तो आई थी    अरे अभी  छोड़ वैदेही  ये सब  अब गिफ्ट लेने चल   आखिर  क्या  देंगे यहां के युवराज  कोई सोना, चांदी ,हीरे ,मोती  ह ह राज महाराजा लोगो यही सब तो देते है  पर फिलहाल हमें कोई अच्छा  सा वस्त्र ही  दे दे वही काफी  है ये एक ही वस्त्र पहना पड़ रहा है हमें कितना गंद हो गया है ये  यक ,,, ,,,

    वैदेही अपने हाथ साफ कर बाहर आई और उन मां बेटी को  देखने लगी  जो दुनिया भर कर सज धज  रही थी
    वैदेही उनको  देख मन ही मन कहने लगी   इन  दोनों को देखते हमें ऐसे लगता है जैसे  ये कोई मूवी चल रही हो और ये दोनों विलन  हो ओर हम  हीर वायन   है ,,,,

       तभी चित्रलेखा के नजर वैदेही पर गए वो उसे देखते फिर से उसका सीना जैसे जलने लगा  क्योंकि वैदेही बिना कोई सज सिंगार के ही बहुत  खूबसूरत लगती थी
    वो  गुस्से  से उठते वैदेही के पास जाते कहने लगी   तू यहां क्या देख रही  है  मनहूस कही की जा कर अपना काम कर बार -,बार अपने मनहूस सकल मत दिखाया  कर
    वैदेही को गुस्सा हद्द से ज्यादा आ रहा था वो अपने हाथों की मुट्ठी  कस गुस्से को काबू करते अपने होठों पर झूठी मुस्कान लिए कहने लगी वो दीदी युवराज का  आदेश आया है न सभी  स्त्री को उपहार देने बुला रहे है 

    चित्र लेखा  गुस्से से - महाराज ने हम जैसे खूबसूरत स्त्री को उपहार देने बुलाए है न कि तुझ जैस बदसूरत और मनहूस को  जो कही भी जाए   अपने मनहूसियत का छाया ले कर जाती  हैं  हमारे  युवराजो  का  ओर राज परिवार का नाम भी न ले अपने अपनी काली जबान से  समझी जा अब यही से  काम कर अपना,,

    वैदेही अपने हाथों मुट्ठी कसते अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी और उसकी जलती नजरे चित्र लेखा पर ही थे वो उसे घूरते वहां से जाने लगी कि
    रुक,,,
    कोकिला की आवाज से उसके कदम रुक गए
    वो पीछे मूड उनके तरफ देखी
    कोकिला उसके पास  आते  उसको ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहने। लगी तू है तो मनहूस  पर है तो  स्त्री ही  और हम युवराज के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकते इस लिए तू भी चलेगी  इतनी कहते उसके दुप्पटे को बेदर्दी से खींचते उसके चेहरे को ढकते हुए बोली अपना ये मनहूस चेहरा किसी को देखना मत समझी वरना इसके  अंजाम के लिए तैयार रहना अब जा यहां से।

        आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
    धन्यवाद
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