कहते है ना हर लडकी का खौब होता है की कोई उसकी लाइफ में ऐसा आए जो उसे एक प्रिंसेस तरह ट्रीट करे और ऐसी ही होता है सुरभी के साथ जो अपने ज़िंदगी के आखिरी मोड़ पर खड़े सिर्फ एक दुआ मांगती है। जो प्यार उसे इस ज़िंदगी में नही मिला उस अगले जन्म... कहते है ना हर लडकी का खौब होता है की कोई उसकी लाइफ में ऐसा आए जो उसे एक प्रिंसेस तरह ट्रीट करे और ऐसी ही होता है सुरभी के साथ जो अपने ज़िंदगी के आखिरी मोड़ पर खड़े सिर्फ एक दुआ मांगती है। जो प्यार उसे इस ज़िंदगी में नही मिला उस अगले जन्म में मिले कोई उसे इतना प्यार करे जो आज तक किसी ने किसी से न किया हो उसे किसी प्रिंसेस की तरह ट्रीट करे चाहे वो प्रिंस हो या फिर डेविल । और उसकी मांगी ये आखिरी दुआ कबूल भी होती है उसका रिबॉर्थ होता आज से हजारों साल पहले शैतानों की दुनिया में जहां हर एक लम्बा मौत से भरा हुआ था तो आखिर क्या राग लाएगी ये कहानी क्या मिलेगी सुरभी को उसका प्रिंस या फिर डेविल या,,,, होगा एक अनोखी कहानी की शुरुवात,,,,,,,,
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आज से हजारों साल पहले जब इस दुनियां में सिर्फ काली शक्तियों का राज था जहां पर लोग दिन में भी अपने घर से बाहर निकलने से डरते थे जब इंसानों और पूरे दुनिया में शासक था उन शैतानों का उन इक्चाधारी चील का ,,,,,,,,,
एक भाव्या महल जो पता नही कितने अकड़ की जमीन पर फैला था जिसके शान और ऊंचाई आसमान छू रही थी पर वो महल दिखने में जीतना खूबसूरत था उसे कई ज्यादा भयानक और खौफनाक था क्योंकि उस महल का रंग काल और डार्क ब्लू था उसके आस - पास फैला हुआ वो खौफज्यदा एक्टिविटी वो रूह कंपाने वाली शांति जहां किसी सांसों तक की आवाज गूंज उठे वहां आस - पास फैले खुबसूरत पेड़ों और जंगलों के बावजूद वहां एक परिंदा तक पार नही मार रहा था दिन के उजाले में भी वहां पर जैसे अंधेरा ही छाया हुआ था
और उन अंधेरे और हल्के उजाले में वो दूर से चमकते वो खतरनाक लाल आंखे ही दिख रहे थे जो उस पूरे जगह में कुछ कुछ दूरी पर किसी रेड बल्ब के तरह नज़र आ रहे थे पर वो आंखे थी उस महल पर उस जगह पर पहरे देने वाले उन इच्छा धारी चीलों की,,,,
तभी उस फैले शांति को चीरते एक डरावनी आवाज गूंजी युवराज,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उस आवाज के साथ चारो तरफ चील फड़फड़ाने लगे
महल के अन्दर जो उतना ही खूबसूरत और आलीशान था पर जहां से ये आवाज आई थी वहां पर पांच आदमी पुराने जमाने के किसी राजपरिवार के लोगो के तरह कपड़े पहनें हुए थे वहीं उन अदामियो के सामने एक आदमी किसी राजा के तरह अभिषण के साथ पोशाक पहने खड़ा जिसके तेज , ताकत उसके बॉडी देख कर ही पता चल रहे थे वो देखने में अब भी जवान था पर उसके उम्र ६० साल के आस पास के होंगे वो आदमी जो सामने खिड़की से बाहर के तरफ देख रहा था ये थे इस पूरे दुनिया पर राज करने वाले और चीलो के महाराज सूर्यवंशज,,,,,,,,, वो पीछे मुड उन सामने खड़े आदमियों को अपने हरी नजरों से घूरते हुए कहने लग - कहा है युवराज ,,,,,
वो समाने खड़े लड़के जिनके उम्र २५ से तीस साल के बीच के होंगे जो देखने में किसी हीरो को भी मात दे वो पांचों सामने उस आदमी को देखते कहने लगे
पहला लड़का - हमें सच में नही पता था बड़े पिता श्री वो दोनो कहा है ,,,,
वो आदमी उन लोगो को घूरते हुए - क्या आप लोगो ने हमें बेवकूफ समझ रखा है राजकुमार हर्ष,,,,,,,,,,,
दूसरा लड़का - नही बड़े पिता श्री हम ऐसा क्यों समझेंगे आप जो है वही समझते है हम
महराज सूर्यवंसज उस लड़के के बात सुन गुस्से से चीखे - राजकुमार प्रभात,,,,,,,
दुसरा लड़का जल्दी से अपने बात सभलाते हुए कहने लगा - महराज आप तो इस पूरे दुनियां और चीलों के महाराज है लोग आपके नाम सुन कर कांपते है
सूर्यवंसज जी उनको घूरते हुए - हम आपने प्रजा से मोहब्बत करते है ना की उन्हे खौफ देते है और हमारी प्रजा के खौफ और डर की वजह कौन है हमे सब मालूम है
तीसरा लड़का - पर महाराज हमें में इस बार नही पता है वो है कहा,,,
सूर्य वंशज जी उसको घूरते हुए - तो पता करिए राजकुमार अर्श,,,,,,, सूरज सर पर चढ़ने से पहले वो दोनो हमे महल में दिखने चाहिए ,,,,
चौथ लड़का - प,, पर आप तो जानते ही है बड़े पिता श्री उन्हे उनके मर्जी के बिना कोई पता नही लगा सकता और पिछले बार वो दोनो तो अपने नई शक्ति के लिए समुद्र के,,,,,, वो इतना ही कहा था की
तीसरा लड़का उसके कंधे पर जोर से हाथ रखा जिसे चौथा वैसे ही वो अपने आंखे बड़े किए उन लोगो को देखने लगा जो उसे जान से मार डालने वाली नजरों से घूर रहे थे वो उनके तरफ देख हल्का सा स्माइल करते समाने सूर्यवशज जी के तरफ देखा जहां सूर्या वंशज जी उन पांचों को अपने दहकती नजरों से देख रहे थे
सूर्या वंशज जी चौथे लड़के को घूरते हुए अपने दामदार आवाज के साथ - क्या कहा आपने राजकुमार वैभव,,,,,,
पांचवा लड़का जल्दी से बात सभलाने की कोशिश करते हुए - महाराज इसका मतलब है की वो लोग समुद्र की सैर करने गए थे है ना राजकुमार वैभव,,,,,
वैभव जल्दी से अपने गर्दन हा में हिलाते हुए - हा,,, हा महाराज राजकुमार अंश सही कह रहे है
सूर्यवंशज जी उन पांचों को अपने गुस्से भरी नजरों से घूरते हुए - क्या किया था उस बार उन्होंने इस का पता तो हम लगा कर ही रहेंगे पर फिलहाल उनको सूरज की किरने महल में पहुंचने से पहले वो दोनो हमे महल के अंदर चाहिए और आप पांचों ये कैसे करते है आप जानिए,,,,,
जाए यहां से ,,,
वो पांचों फिर एक दुसरे को देखते एक मिनिट में किसी बहुत बड़े खतरनाक चीलों में वो पांचों परिवर्तित होते वहां से खिड़कियों से उड़ते बाहर चले गए
तभी वहां एक आदमी हो वही खड़ा सब कुछ देख और सुन रहा था जिसके उम्र कुछ ज्यादा थे वो महाराज सूर्य वंशज के तरफ बड़ते हुए कहने लगा - महाराज शांति रखिए सब ठीक ही होगा
सूर्यवंशज उनके तरफ मुड़ते - हम शांति ही रख रहे है भिजेंद्र,,,,,, पर आपको भी ज्ञात है उनके लिए हमारे राज गुरु ने क्या कहा है
भिजेन्द्र - हम जानते है महराज पर हमारे युवराज बहुत ताकत वार है उनका मुकाबल इस धरती में तो क्या इस धरती के बाहर भी कोई नही कर सकता लोग उनके नाम सुन कर भी कांपते है और रही बात इंसानों की उनका सामना तो हमारा एक मामूली सा चील भी कर लेता है तो वो लोग हमारे युवराजों का क्या ही बिगड़ पाएंगे
सूर्य वंशज जी - वो नही भिजेन्द ,,, एक लड़की ,,, एक इंसानी लडकी,,,,,,,
भिजेंद् - पर महराज एक इंसानी लडकी जिसमे कोई खासियत ही नही वो हमारा या हमारे युवराजो का क्या ही बिगड़ लेगी आप ही सोचिए रोज हजारों लड़किया दासिया हमारे महल में होती है हार रात के लिए हमारे युवराज के पास खूबसूरती लड़कियों की फौज लगी रहती है जिनके तरफ वो लोग देखना भी जरूरी नहीं समझते है फिर कैसे वैसा होगा महाराज चलो वैसे कुछ हुआ भी तो हम उस लड़की जो हमारे युवराजों के बिस्तर पर लायेंगे उसके बाद हुस्न के रंग उतरते ही सब मोह भी खतम हो जायेगा महाराज,,,,
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धन्यवाद !
वही इंसानों बस्ती में जहां पर शांति सुख फैला हुआ था सभी अपने कामों में लगे हुए थे तभी आचनक वहां काले बादल मंडराने लगे और चीलों की चीखे सुनाई देने लगें जिसको देखते और सुनते लोग जल्दी जल्दी अपने घरों में छुपाने लगे खास कर लड़किया और औरते ,,,,,
तभी वहां आसमान बड़े - बड़े पांच चील के साथ उनके पीछे उनसे थोड़े छोटे आकार में और चील नजर आने लगे
वो लोग इंसानी बस्ती में आते वहां बीचों- बीच जहां चील का एक बड़ा सा प्रतिमा बना हुआ था उसके पास खड़े होते वो लोग इंसानी रूप में बदल गाए
ये लोग वही थे राजकुमार हर्ष ,राजकुमार प्रभात राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश चीलों के राजकुमार जो दिखने में हॉलीवार्ड हीरो समान हैंडसम , सेक्स पैक एब्स वाली बॉडी ,थोड़े लंबे हेयर जैसे इतिहास में राजकुमारों के होते है पर उनके चेहरे पर किसी राजकुमार जैसे भाव नही बल्कि पांचों के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थे उनके पहनाव बिल्कुल राजकुमार के तरह जिनके निचले बॉडी में ही वस्त्र थे तो उपर बॉडी पूरे तरह निर्वस्त्र जहां पर सोने के डिजाइनिंग आभूषण पहने हुए थे वो लोग अपने शैतनी चील हरी आंखों से सभी तरफ देख रहे थे और वही उनके पीछे जो और चील थे वो वहां के सैनिक थे
उनके आते ही वहां चारों तरफ मातम जैसे मौहोल छाया हुआ था वही सामने उन से थोड़ी दूरी पर वहां के पुरुष और मुख्या हाथ जोड़े खड़े कांप रहे थे उस गांव के मुख्या कांपते हुए कहने लगे रा ,,,,, राजकुमार आप ,,, आप सब,,,,,, यहां ,,,,, हम सब से कुछ ,,,,, अपराध हो गया क्या राजकुमार हम सब को छमा कर दीजिए हमें मौका दिजिए हमारे गलती सुधरने का,,,,,,
राजकुमार अर्श टेडी मुस्कुराते अपने हाथ दिखते खामोश कराते हुए कहने लगा क्या हम सब यहां ऐसे ही नहीं आ सकते जो हमसे सवाल किया जा रहा है
मुख्या जल्दी से अपने घुटनों के कर बाल बैठते कांपते हुए कहने लगा हमें क्षमा कीजिए राजकुमार हमारा अर्थ ऐसा नही था ,,,
राजकुमार प्रभात उस मुख्या के पास जाते टेडी मुस्कान से उसे देखते हुए कहने लगा गलती किया है हमसे सवाल करके तो सजा तो मिलेंगे ही न ,,,,,
मुख्या - हमे क्षमा कीजिए राजकुमार प्रभात ,,,
राजकुमार प्रभात उस मुख्या के कंधे पर जोर से हाथ रखते हुए इस गांव में सबसे सुंदर स्त्री उसे महल में भेज देना ,,,,
राजकुमार अर्श - प्रभात ,,,,,,,, हम जिस काम के लिए आए है उसमे ध्यान दिजिए
राजकुमार वैभव - क्या यहां से युवराजोँ के निशानी नज़र आए है तुम में किसे को,,,,? या फिर किसी को न उनका आभास किया हो ,,,,?
मुख्या - न,,, नही राजकुमार वैभव युवराजों का कोई भी आभास हम में से किसी को नही हुआ अगर ऐसा रहता तो हमें पता होता
वो पांचों को एक दुसरे को देखने लगे
राजकुमार अंश - हम इस तरह पता नही लगा पाएंगे
राजकुमार हर्ष -हम इस तरह क्या,,? किसी भी तरह उनका पता नही लगा सकते जब तक वो न चाहे
राजकुमार प्रभात - पर हमें कैसे भी करके उन तक संदेश पहुंचना ही होगा वरना महाराज से हम सब को कोई नही बचा पायेगा
राजकुमार वैभव - ये दोनो खुद तो बच जाते है पर हमे मरवाएंगे ही पता नही अब कौनसे शक्ति प्राप्त करने ने लगे होंगे
राजकुमार अंश - सूरज सर पर चढ़ने वाला है हमारे पास वक्त नहीं है अब हम इस तरह उन्हे ढूंढ नही पाए हम सब को अलग - अलग दिशा में जाना होगा
राजकुमार हर्ष - हा तुमने सही कहा अंश हम सब अलग - अलग दिशा में बठतें है और सभी सैनिकों यहां आस - पास उनके तालाश करेंगे
वो सभी अपने सर हा में हिलाते फिर से चील ने बदलते चीखते हुए वहां से अलग -अलग दिशा में बटे
वहीं एक खतरनाक जंगल जहां के पेड़ पौधे हरे नही बल्के काले थे जहां पर लगा हुआ फल अंगनी के भाती जल रहा था वो जंगल इतना घना था की सूरज की किरने वहां कभी पहुंच ही नही सकते थे पर वहां का तापमान इतना था की हड्डियों तक पिघला दे उस जंगल से बहुत खतरनाक और डरावने आवाजे सुनाई दे रहे थे जो दूर से किसी के रुह को कांप दे
उसी जंगल के बीचों बीच एक लड़का जो वहां उन खतरनाक जानवरों इतनी तेज़ स्पीड से लड़ रहा था जिसे सिर्फ उसके परछाई ही नजर आ रहे थे
तभी वो सभी खतरनाक जानवर एक मिनिट में ढेर हो गए उसी के साथ वो लड़का रुका और उन खतरनाक शक्तिशाली जानवरों से काली ऊर्जा निकलते उस लड़के के बॉडी में समाया वैसे ही उस लड़के ने अपने आंखे खोली जो खून से भरी हुई थी वो धीरे - धीरे अपना रंग डार्क ग्रीन में बदलनेगा
नॉर्मल इंसान से कुछ ज्यादा ही ऊंची लंबी कद काठी उसका वो गोरा मस्कुलर बदल जिस में वो उभरती लाल नशे नजर आ रहे था सेक्स पैक ऐप्स का वो चौड़ा सीना हैंडसम इतना क्या ही कहे तीखी नाक ,लम्बे पतले होठ, डार्क ग्रीन आईज ,,,, कांधे तक आते उसके वो शयनी बाल जो किसी के सपने में सोचा प्रिन्स हो उसके पास से वो डोमेनेटिक एक्टिविटी वो खतरनाक आभा हर एक को खौफ से मरवा दे,,,,,
ये है युवराज युवराज त्रिमय ,,, हमारी कहने का सेकेंड हीरो,,, ,,,,,,,,
वही उसी जंगल में बनी एक नदी जिसके पानी का रंग बिलकुल काला था वो पानी जितना शांत नजर आ रहा था वो उतना ही गहरा और खतरनाक था
उस पानी के अंदर इस वक्त एक अजीब सा खौफ छाया हुआ था उस पानी में मवजुध वो खतरनाक डरावने जानवर जो दर्द से तड़पते हुए अपना सर झुकाए घुटने टेक हुए थे उन जानवरो की संख्या इतने थे की गिनती भी न की जा सजे
उन्ही जानवरों के सामने एक हीरे के तरह चमचमाते पत्थर पर एक लड़का बैठा हुआ था जिसके आसही पास से इतनी जानलेवा आभा निकल रहे थे की उसके पास का पानी भी उबाल रहा था हमारे कहानी का पहला हीरो युवराज त्रिजल जो दिखने में जितना हैंडसम उसे कई ज्यादा खतरनाक उसके लंबी कद काठी हैंडसम चेहरा बिल्कुल युवराज त्रिमय के तरह जिसमे कोई अंतर नही थी सिर्फ रंग के सिवा जहां इनका रंग गेहुंआ था पर त्रिमय जो किसी का ड्रीम प्रिंस हो तो ये किसी के ड्रीम डेविल,,,, जिसके एक नजरे ही काफी थे सामने वाले को तोड़ने के लिए
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कुछ वक्त बाद राज कुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात, राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव ,राजकुमार अंश सभी उस काले जंगल के कुछ दूरी पर खड़े उस जंगल को ही देख रहे थे उन्होने हर जगह जहां उनके होने को असंक थे उन्होंने वहां पता लगाया था खुद जा कर या फिर अपने शक्तियों अपने गुफ्तचारों के माध्यम से उन पांचों ने हर एक कोशिश की थी उन्हे ढूंढने की पर कही से भी उनका छोटा सा सुराग तक उन्हे हासिल नही हुआ था अब बचा था तो सिर्फ ये मायावी जंगल जो बड़े से बड़े शैतान को कुछ ही कदम अंदर जाने पर मौत के घाट उतार सकता था वो सभी उस तरफ देख ही रहे थे
राजकुमार हर्ष - हमने हर एक दिशा हर एक जगह उनके पता लगाने की कोशिश किया चाहे वो धरती हो आमान या वो जल हो या अग्नि पर कही से उनका कोई सुराग तक नही मिला हमें अब बचा है सिर्फ ये मायावी जंगल ,,,,
राजकुमार प्रभात - पर हर्ष ये जंगल कितना खतरनाक है हम सब जानते है हमें उनके शक्तियों पर कोई शक नही पर इस जंगल में हमें नही लगता वो होंगे क्योंकि इतिहास गवाह है ये जंगल कितना खतरनाक है
राजकुमार अर्श - उनके शक्तियों के आगे इस जंगल का भी कोई वजूद नहीं है प्रभात उनके आंखों में जो जुनून जो तलब जो जिद्द जो चाहता है वही उन्हे सबसे खतरनाक बनाता है हो ना हो वो यही ही है
राजकुमार वैभव - पर हम ये पता करेगें कैसे क्योंकि इस जंगल पर हमारी कोई भी शक्ति कम नहीं करता है और इतने बड़े जंगल में हमने अपने शक्तियों के बिना उनके तलास किया तो लगभग दस वर्ष तो लग ही जायेंगे वो तो छोड़ो कुछ ही पल में मौत की नींद सो रहे होंगे
राजकुमार अंश - वैसा कुछ नही होगा वैभव अगर हम एक साथ रहेंगे तो यहां की कोई भी मायावी शक्ति हमारा कुछ नही बिगड़ सकता और अगर वो यहां हैबतो उनके निशानियां जरूर मिलेंगे
राजकुमार हर्ष- हमारे पास अब वक्त नही कुछ पल में ही सूरज सर पर होगा ,,,, हमे कोशिश करना ही होगा
वो लोग अभी आगे बड़ते या कुछ करते की
वहां उस जंगल से किसी के रोंगटे खड़े कर देने वाली चीखी सुनाई देने लगे और देखते ही देखते दो बड़े - बड़े चील की परछाई नजर आने लगे वो इतने बड़े थे की जिसकी कल्पना ही हम कर सकते है
उस चीख और परछाई को देखते वो पांचों अपने सर उपर कर आसमान के तरफ देखे जहां पर दो खतरनाक विशाल चील उनके तरफ आते नजर आ दे थे उन दोनों चील को देखते उन पांचों के चेहरे एक डरावनी स्माइल खिली
तभी वो चील बिलकुल उनके सामने आते इंसानी रूप में बदल गए
वैसे ही उन पांचों के मुंह से शब्द निकला युवराज त्रिजल ,,,,,, युवराज त्रिमय ,,,,,,,,,
वैसे ही सूरज जिस पर ध्यान उन में किसी को नही रहा था वो सर के ऊपर आ चुका था और वो किरने सीधे युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के ऊपर पड़े उसी के साथ उनका वो मस्कुलर जिस्म अग्नि के भाती कुछ - कुछ जगह जलते हुए चमकने लगा
वैसे ही युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अपने सर उपर कर आसमान के तरफ उस सूरज को देखने लगें
वही हर्ष , प्रभात, अर्श, वैभव , अंश के आंखे हैरानी से फैल गए
वही एक छोटे से कुटिया नुमा घर में एक लडकी एक छोटे से खट में एक बहुत खुबसुरत लड़की सोए हुई थी वो इतने खुबसुरत थी जैसे कोई पारियों की रानी हो दुध सा गोरा रंग ,गोल चेहरा ,बडी बडी वो नीली आंखे परफेक्ट बॉडी परफेक्ट हाइट लम्बे क़मर से भी नीचे आते उसके बाल पर उसके कपड़े बहुत बहुत गंदे और बहुत पुराने लग रहे थे जो कुछ कुछ जगह फटे हुए थे वो अभी सोए हुई ही थी आचनक से उसके ऊपर किसी ने पानी मारा और वो हड़बड़ाते हुए उठी- ये भगवान क्या नर्क में भी बारिश होने लगी है अब
वो लडकी अभी उठी बडबडा ही रही थी की उसके कानों में एक चीखती हुई आवाज पड़ी आरी वो कर्मजलि आज क्या नशा वसा की है जो यहां महारानी जैसे सो रही हैं सूरज सर पर है अभी तक खाना नही बना है चाल उठ और जल्दी से अपने काम में लग उसके बाद मैं तूझे ऐसा सबक सिखाऊंगी न तेरे महारानी गिरी सब निकल जायेगी मनहूश कही
ये कहते वो औरत उस लड़की के बाल खींचते उस छोटे से खट से उठा उस कमरे से बाहर लाते वहां बने एक छोटे से किचन में जा धक्का देते बेदर्दी से पटक दी
जिसे उस लडकी की चीख निकल गई वो अभी जैसे नीद से जैसे ठीक से जागी ही नही थी की और उसके साथ ये क्या हो रहा है उसे जैसे समझ ही नही आया था पर गिराने की वजह से उसके हाथो में चोट आ चुके थे वो गुस्से से उस औरत को घूरने लगी
जिसको देखते वो औरत उसके पास आते उसके बाल को फिर से खींचते एक थप्पड़ उसे मरते हुए बोली आंखे नीचे रख समझी और जल्दी अपना काम मेरे बच्ची कब से भूखे है फिर मैं तुझे बताती ,,, इतना कहते वो औरत वहां से चली गई
वही वो लड़की अपने बालों को पकड़ सहला रही थी उसे जैसे समझ ही नही आया उसके साथ क्या हुआ पर वो उठते अपने सर को सहलाते इधर- उधर देखने लगी वो जहां थी वो बहुत पुराने जमाने का किचन था वो घर भी वैसा ही था झोपड़ी नुमा मिट्टी का चूल्हा मिट्टी के सभी बर्तन और कुछ सब्जियां और अब कुछ बहुत पुराने जमाने के समान वो सब कुछ देखते खुद से कहने लगी ये मैं,,, कहा हूं क्या ये नर्क है वो औरत इस नर्क रक्छाषी ,,,, लग तो ऐसा ही रहा है पर ये नर्क इंसानी दुनिया जैसे क्यों है ,,,, पर ये इतना अजीब क्यों ,,,,,
तभी वो अचानक से रुकते अपने गले में हाथ रखते कहने लगी ये,,, ये मेरे आवाज को क्या हुआ ये इतनी मीठी क्यो निकल रही है तभी उसे दर्द महसूस हुआ वो अपने हाथों के तरफ देखी जहां से खून निकल रहा था ,,,
पर जैसे ही वो अपने हाथ को देखी शौक हो गई उसके हाथ दूध जैसे गोरे और इतने मुलायम और सॉफ्ट thr जैसे कोई मक्खन हो वो अपने हाथो को इधर - उधर घूमते देखते खुद से कहने लगी ये,,,,, ये,,,, मेरे हाथ ,, नही,,, नही ये मेरे हाथ तो नही है तभी उसके नजर अपने पूरे बॉडी पर गए गए वैसे ही उसके आंखे शौक और आश्चार्य से फैलाने लगे थे वो खुद से ही कहने लगी मैं,,, मैं तो अस्सी साल की थी मैं तो बुड्ढी हो चुकी थी उसके बाद बीमार हो कर में मार गई तो क्या नर्क में मुझे मेरी जवानी वापस मिल गई पर,,, पर मैं तो अपने यंग एज में भी ऐसी नही थी मेरा रंग तो बिल्कुल डार्क था फिर ये दूध जैसा गोरा और मेरे बॉडी इतना मुलायम कैसे हो गया ,,,,
अयाना ,, अयाना कहा है यहां मुझे अपना चेहरा देखना है ये कहते वो इधर - उधर देखने लागी पर उस कुछ नजर नही आया तभी उसके नजर एक पानी रखे पतीले पर पड़े वो उस जगह जाते जैसे ही अपना चेहरा देखी तो जैसे बस सदमे से मरने ही वाली थी ,,,,,
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वो लडकी खुद का चेहरा उस पतीले भरे पानी में देखते शौक से अपने चेहरे को छूते हुए कहने लागी ये,,, ये,,,, रुप सुंदरी कौन है ये,,, ये मैं ,,तो नही मेरा चेहरा मेरे बॉडी नही है ये,,,,,, तो क्या नर्क में भी बॉडी चेंज हो जाते,,, ?
नही ,,, नही,,, तू,, तू पागल हो गई है क्या सुरभी ऐसा नही हो सकता ,,, ये नर्क नही ये धरती ,,, ही है और और हम किसी और के बॉडी में आ गए पर ऐसे कैसे हो सकता यार ,,,,, क्या,, मेरा मरने के बाद रिबर्थ हुआ ,,,? वो भी किसी और के बॉडी में ,,,,?अभी तो ऐसा ही लग रहा है पर ,, पर मैं हूं कहा इस वक्त और ये लडकी कौन है जिसके बॉडी में हम है आ,,, मेरा सर ,,,,,
सुरभी अपने सर को पकड़ कर चिल्लाई उसके सर में अचानक से तेज दर्द करने लगा और उसके दिमाग में एक एक उस लड़की की सारी यादें आने लगे उस लड़की का नाम था वैदेही जो एक भोली भाली मासूम लड़की थी उसके परिवार में उसके बाबा और उसकी सौतेली मां और सौतेली बहने रहती थी वैदेही की मां उसे जन्म देते ही गुजार गई थी उसके बाद उसके बाबा उसके परवरिश के लिए कोकिला नाम की औरत से दूसरे शादी किए जिसके पहले से एक बेटी थी चित्रलेखा,,,, जो उस पर नौकरों से अत्याचार करते उसके बाबा को भी उसके खिलाफ उसके सौतेली मां और बहन ने इस तरह कान भर दिए थे की उसके बाबा उसके तरफ एक नजर देखते भी नही जैसे उसके वो कुछ लगती ही न हो और उसके सौतेली बहन जो उसके खून ही नही थे उसके बाबा उसे खुद के बेटी से बड़ कर प्यार करते उसके एक एक जिद पूरे करते
इन सब में मासूम सी वैदेही कुछ नही कर पाई और सारे अत्याचार सहते जैसे उसके आदत सी हो गई और आज उसको सुबह से तेज बुखार था उसके बावजूद भी वो बड़ी मुश्किल से वो घर का काम की सिर्फ दोपहर का खाना बनाना बचा था पर जब उसे चक्कार आने लगे तो वो थोड़ा आराम करने म रूम में चली गई वैसे ही सोते उसकी रूह उसके जिस्म से अलग हो गई जैसे भगवान को अब और उसकी तकलीफ देखी न गई हो ठीक उसी वक्त सुरभी का डेथ हुआ था जिसके रूह वैदेही के बॉडी में आ गई वैदेही की यादों से सुरभी को ये भी पता चला की ये धरती है इंसान भी है पर ये उसकी दुनिया नही है इसमें विकास के नाम पर कुछ भी नही था कहा जाए तो इक्किश्वी सदी था ही नही वो पास्ट में आ चुकी थी
सारे यादें आते सुरभी का दर्द भी कम होने लगा और वो खुद से कहने लगी ये कैसी दुनिया में आ गई मैं और वो भी ऐसी मासूम से लड़की की बॉडी में जिसने कभी सर उठा कर किसी के तरफ देखा भी नहीं ओ गॉड क्या किया आपने ये मेरे साथ अरे मेरा रिब्रथ ही करना था तो किसी स्ट्रॉन्ग लड़की के बॉडी में करते या फिर किसी विलन के बॉडी जैसे होता है ना नॉवेल में विलीन के बॉडी में रिबीर्थ जो बुरी तो रहती पर स्टोर्ंग भी जो सबसे लड़ सकती है अपने हक और खुद के किए पर मुझे इस मासूम स्टूप्ड लड़की बॉडी में क्यों भेजा यार जिसके साथ नौकरों से भी बत्तर ट्रीट करते हैं
अब क्या करे हम मैं इसके तरह तो बिल्कुल भी नही रह सकती जिस पर इसकी पिशाचानी मां और बहन हुकूमत चिलाती है कितना कुछ सहा है इसने पर,, पर मैं ,, में बिल्कुल भी नही रह सकती उसकी जैसी ,,,,,
फिर वो गहरी सांस लेते खुद के चेहरे को देखते हुए कहने लगी बस अब बहुत हुआ भाले ही तुमने सब कुछ सहा हो वैदेही पर मैं तुम्हारी जैसी नही हूं ना बन सकती हूं तुम्हारी ये बॉडी अब मेरी है और मैं खुद के साथ कोई Atrocity बर्दास्त नही करूंगी ये कहते वैदेही ( यानिकि सुरभी अब सुरभी को हम वैदेही कहेंगे ) अपने चोट को एक नज़र देख उस किचन से बाहर निकाली तभी एक आवाज के साथ उसके कदम वही पर ही रुक गाए
,,, वो वैदेही कहा चाली खाना कौन लगाएगा कब से मै यहां भूखी मार रही हूं आने दो मां को सब बताती हूं फिर तेरी सारी खाल उतरेगी वो और वो तेरा हो कर भी न होने वाला बाप भी
वैदेही इस आवाज को सुनते पीछे मुड कर देखी जहां पर एक लड़की जो चमकीली वस्त्र के साथ गहनों से सजी बैठी अपने पैरो मे मेंहदी लगा रही थी जिसके बॉडी रंग डार्क रंग था जिसके वजह से वो सुन्दर नही लगती थी
जिस वजह से वो वैदेही की सुंदरता उसके रूप से जलती थी और उसके साथ अत्याचार करते झूठी कहानी बुनते अपने मां और बाबा को बता कर उसे खूब मरवाती थी ये वैदेही की सौतेली बहन चित्र लेखा थी ।
वैदेही की यादों से सुरभी को सब कुछ पता चाल चुका था वो उसे देखते हल्का सा मुस्कुराई और अपने मीठी आवाज से बोली अभी लाती हूं मेरी प्यारी दीदी
ये कहते वैदेही किचन के तरफ बड़ गई वहीं चित्रलेखा उसे जाते देख मुंह बहाते हुए बोली ये आज इतना अजीब व्यवहार क्यों कर रही है जो कभी नजरे उठा कर भी नही देखी जिसके मुंह से एक आवाज भी कांपते हुए निकलती वो आज इस तरह हमारी आंखों में देखते बाते कर रही है इसको तो मैं अभी बताती हूं ये कहते चित्रलेखा किचन के तरफ बडी तभी किचन से बाहर आते वैदेही से वो टकराई और उसके जोर की चीख वहां गूंजी और अपनी हाथों पैरो को हिलाते चीखने लगी आ,,, आ,,,,, मार गई ,, मार गई ,,,
वैदेही उस लड़की को देखते टेड़ा मुस्कुराई फिर वो झूठी फिक्र करते हुए कहने अरे दीदी ये आप को कितना जल गैस हम आ रहे थे न आप किचन में क्यों आई ,,, हमे माफ कर दीजिए आप पर गर्म पानी गिर गया आपको कितना दर्द हो रहा है अब इसमें फोले पड़ेंगे और उसके निशान बनेंगे आपकी ये चमकीली त्वचा रूखी हो जायेगी
ये सुनते चित्र लेखा जो चीख रही थी एकदम से शान्त होते रोते हुए ही अपने हाथ और पैरों के तरफ देखने लगी जो फोले पड़ने लगे थे ये देखा चित्रा लेखा अपने हाथो पर जोर जोर से फूक मरते रोते हुए ही कहने लगी यहां खड़ी खड़ी क्या देख रही है जा,, जा जल्दी से जंगल से जड़ी बूटी ले कर आ।
आ,,,, हमारी सुंदर त्वचा ,,, मां,,,, ,, ई,,, ,,,
खड़ी क्या है जा जल्दी
वैदेही मुस्कुराई और अपने मुस्कुराहट को जल्द ही छुपाते हुए कहने लगी जी ,,, दीदी हम अभी लाते है ,,,
ये कहते वो वहां से जाने को हुई की चित्र लेखा उसे रोकते हुए बोली तुझे पता भी है वो स्वत के पत्ते कहा मिलते है तुझे तो कुछ पता नही है गवार कही की यहां से दक्षिण दिशा में जाना और मायावी जंगल के कुछ दूरी पर उसका पौधा मिलेगा अब देख क्या रही है जा जल्दी
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वैदेही उस घर से निकाल सुकून की सांस लेते चारों तरफ देखी वो एक छोटा सा जंगल से घिरा गांव था जहां पर घर बहुत दूर - दूर नज़र आ रहे थे जो झोपड़ी नुमा बना हुआ था वो आसमान के तरफ देखते कहने लगी - oo गॉड ये आप ने ये मुझे कौनसी सी सदी में भेजा है दुर से इतने बड़े - बड़े बेड और ऐसा गांव ऐसे रास्ते हे,, भगवान इतना पुराना इतिहास के किसी किताब में नही था इसका मतलब है की मुझे आपने आदिमानव के जमाने में भेज दिया है ,,,, नही ,,,नही इतना पुराना भी नही है यहां की भाषा कपड़े गहने तो है है इतना विकाश तो है फिर,,, ,,,,,,,चाल सुरभी,, अरे अब तू सुरभी नही वैदेही है वैदेही ,,, अब ज्यादा न सच वरना तेरा ये न्यू दिमाग शौक पर शौक से पर फट जायेगा अब बहुत से झटके खाना बाकी है हमें oo गॉड रक्षा करना ।
चाल वैदेही उस डायन के किए मेडिसिन आई मेन जड़ी बूटी लाने क्या बोली थी वो हा दक्षिण दिशा में जाना है
ओ इधर - उधर देखने लगी क्योंकि उसको दिशा ज्ञान भी पता नही चल रहा था क्योंकि सुराज बिलकुल सर के ऊपर था
वो अपने कमर में हाथ रख इधर - उधर देखते हुए कहने लगी हे,,, भगवान अब यहां दिशा ज्ञान कैसे करे सूरज किस तरफ से निकाला ,,,,
ये कहते वैदेही आसमान के तरफ देखने लागी - हे सूरज मामा,,, आई मीन चाचा क्या आपको अभी इसी वक्त हमारे सर पर चढ़ना था यार अब मैं कैसे पता करू यहां दक्षिण दिशा कौन सा है
तभी वहां एक औरत लकड़ियां लेते जा रही थी उसको देखते वैदेही तेजी से उसके पास बडी और उसको आवाज देते कहने लगी Wait ,, वेट,, one minute वेट प्लीज़,,,
वो औरत आवाज सुनते रुकी और अजीब नजरो से वैदेही के तरफ देखते हुए कहने लगी वैदेही बेटियां आप ने कुछ कहा हमें,,,
वैदेही - जी आंटी क्या आप मुझे बता सकती है South direction किस तरफ है
वो औरत अजीब नजरो से वैदेही को देखते हुए - ये आप किस तरह की बाते कर रही है वैदेही बिटिया क्या हो गया आपकों लगता आप पर किसी चुड़ेल का साया आ गया है चलिए हमारे साथ अभी ,,,,
वैदेही उसके बात सुनते जैसे होश में आई की वो क्या बोले जा रही है वो जल्दी से अपने बातों को संभालते हस्ते हुए कहने लागी - चाची,, ,, आ,, काकी,, काकी हम बिल्कुल ठीक है आप चिन्ता न कीजिए हमें आपसे ये जाना था की यहां पर दक्षिण दिशा किस तरफ है ओ,, ओ क्या है ना ,, हम,, हम भूल गए है ,,, ये सब कहते वैदेही को किस तरह शर्मिंदा जैसा महसूस हो रहा था वही जानती थी क्योंकि वो औरत उसे अब भी अजीब नजरो से देखे जा रही थी
वो औरत वैदेही के सर को सहलाते हुऐ - आप की वो डायन मां आप पर कितना आर्यचार करती है की आप का मानसिक संतुल भी बिगड़ने लगा है भगवान आपकी रक्षा करे बिटिया और दक्षिण दिशा उस तरफ जिस तरफ से हम आ रहे है
इतना कहते वो औरत फिर आगे बड़ गई
वही वैदेही उस औरत को घुर कर जाते हुए देख रही थी वो खुद से कहने लगी मानसिक संतुलन वो भी मेरा खराब अभी तो मेरा मानसिक संतुलन ठीक हुआ है क्योंकि ये वैदेही अलग है
इतना कहते वो उस दिशा में आगे बड़ने लगी वो जैसे जी जैसे आगे बड़ रही थी पेड़ पौधे घने और लम्बे होते जा रहे थे और मौहौल ठंडा और एक अजीब सा खौफ पैदा कर रहा था
वैदेही उस जंगल के सामने आ कर रुकी वो अभी सिर्फ रास्ते से गुजरी थी जिसमे उसके रोंगटे खड़े हो गए थे ठंडी बड़ने लगी वो उस घने जंगल को देखते हुए कहने लगीं ,,, ये भगवान ये कितना भयानक खौफ नाक जंगल है इतने लम्बे - लम्बे पेड़ ऐसा लग रहा है जेसे आसमान को छू रहा हो हमारे तो नजरे भी नही पहुंच थे है और इतना घना की सूरज की किरने भी नही पहुंच रहे है और ये बड़ती ठंडी हे,,, भगवान हम कैसे जाए ये भयानक जंगल के अन्दर ऐसा लग रहा है जैसे मैं आमेजोआन जंगल के सामने के सामने खड़ी हूं ,,, नही ,, नही ये तो उसे कई ज्यादा खतरनाक लग रहा है और इसमें रहने वाले जानवर भी कितने खतरनाक होंगे हम तो सोच भी नही सकते क्या करे हम ,,, जाए या ना जाए ,,,, जाना तो बड़ेगा वैदेही जाना तो पड़ेगा उस डायन के लिए जड़ी बूटी लाने ताकि उसके चोट ठीक कर उस में नमक डाल सकूं जितना दर्द असली वैदेही को दिया है उतना दर्द उसे दे सकें
इतना कहते वैदेही गहरी सांस लेते अपने हाथ जोड़ उस जंगल को देखते कहने लगी हे भगवान रक्षा करना यार आज मैं मौत के मुंह में खुद जा रही हूं
ये कहते वैदेही धीरे- धीरे उस जंगल के अंदर बड़ने लगी वैसे वैसे ही ठंड बड़ने लगी वो अपने हाथो को एक दुसरे से रगड़ते बहुत चौकन्ना हो कर इधर- उधर देखते चल रही थी वहां वो लंबे मोटे पेड़ वो सर सर चलाती हवाएं और जंगल के अन्दर बड़ने के साथ अंधेरा बड़ने लगा था तभी वैदेही के नज़र एक पेड़ पर गए ऊपर से नीचे तक बड़े बड़े जहरीले सांपों से लिपटा हुआ था वो ये नजारा देखते उसके आंखे फैल गाए वो झट से अपने मुंह पर हाथ रखी क्योंकि उसके मुंह से चीख निकलने ही वाली थी
वैदेही उसी जगह कप कांपने लगी और खुद से कहने लगी ना ,, नही z,,,,नही हम इस तरह नही डर सकते हमें आगे बड़ाना ही होगा ये कहते वैदेही दबे पैर चलने लगी ताकि उसके पैरो के आवाज सूखे पत्तों पर पड़ते थोड़ा भी आवाज न करे
वो आगे बड़ रही थी वैसे ही उसके आंखे खौफ से फैलते जा रहे थे उसके बॉडी ठंडी पड़ते कांपते जा रही थी क्योंकि आगे का नजारा और भी ज्यादा खतरनाक और डरावना होता जा रहा था आगे वैसे ही पेड़ कई सारे थे जिस में सांप लिपटा हुआ था तो किसी mr अजीब अजीब बड़े बड़े कीड़े बड़ी बड़ी माखिया तो किसी पेड़ में अजीब गरीबों फल जिसमे कीड़े निकल रहे थे तो किसी पेड़ में कुछ पक्छिया जो सुंदर थे तो खतरनाक भी लग रहे थे
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वैदेही जैसे - जैसे आगे बड़ रही थी वैसे - वैसे उसको वो जंगल खतरनाक और डरावना नजर आ रहा था वो जैसे गहरियो में जा रही थी वहां अंधेरा और सफ़ेद धुंध उठाते नजर आ रहे थे जंगली जानवरों को वो खतरनाक डरावनी आवाज वो खतरनाक लंबे मोटे पेड़ वो कंपते हुए संभाल कर आगे बड़ रही थी उसको ऐसा लगा रहा था जैसे इस जंगल से जिंदा वापस लौट ही नही सकती उसको मौत कभी भी किसी भी वक्त आ सकती है वो थूक निगलते आगे बड़ते हनुमान चालीस बुदबुदाने लगी
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश तिहु लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा
महाबीर विक्रम बजरंगी,,,,,,
बजरंगी,,, बजरंगी,,,, आगे,, आगे क्या आता ,,,क्या आता है आगे हे भगवान मुझे तो पूरा हनुमान चालीसा भी नही आता ,,,,
हे हनुमान जी रक्षा करना हमारी पुरा नही कुछ लाइन तो बोला ना प्लीज़ इसे काम चाला लो,,,,,
वैदेही का चेहरा इस वक्त ऐसा बना हुआ था जैसे वो रोने ही वाली हो ,,, वो चलते - चलते जंगल के बहुत अन्दर आ चुकी थी वो पेड़ के नीचे खड़े होते अपने घुटनों में हाथ रख गहरी सांस लेते कहने लगी अब ये स्वत के पत्ते कहा है यार उसने क्या बोल जंगल का अंतिम छोर अरे इस जंगल के अंतिम छोर तक पहुंचते यहां के जानवरो और भूतो से न सही पर बुड्ढी हो कर जरूर मार जाओगी क्या जरूरत थी मुझे अपना ज्यादा दिमाग लगाने की उसके लिए मेडिसिन लाने के चक्कर में मैं फिर से मरने वाली हूं ,,,,,
हे भगवान मुझे आगे चलने की एनर्जी दो यार वैदेही इतना ही बोली थी की आचनक से ऊपर से उस पर कुछ गिरा जिसे वैदेही चौकते हुए अपने गले में देखी वैसे ही जैसे उसके प्राण ही सूखने लगे उस पर गिरा वो लम्बा बड़ा सा सांप था वैदेही - आ,,,,,, मम्मी,,, और उस सांप को फेकते वो चीखते हुए बिना कुछ सोचे जंगल के अंदर के तरफ दौड़ने लगी वो दौड़ते और बहुत अन्दर बड़ते जा रही थी की आचनक से वो किसी से टकराई वैसे ही वो फिर से चीख उठी मम्मी,,,,,,,
और कस कर अपने आंखों को बंद कर ली उसको दिल डर की वजह से तेजी से धड़क रहा था वो जैसे डर से कुछ देखना सुनना ही नही चाहती थी पर कुछ वक्त बाद भी जब उसको कुछ महसूस नही हुआ बल्की एक बहुत ही स्टोरंग खुशबू और अजीब से ठंडी महसूस होने लगे जिसे वैदेही धीरे से अपने आंखे खोली उसके नजरे सीधे उस सर्द डार्क ग्रीन नजरों से टकराए जो एक तक उसको देख रहा था वैदेही उसके आंखों में खोए हुए देखते ही रह गई वो अभी खोए हुए थी की उसके कानो में एक सर्द डोमेनेटिक वॉइस पड़ी - भाई ,,,,,,,
इस आवाज से वैदेही और वो सख्स अपने होश ने आए पर वो सक्स कुछ हरकत किए बिना उसको उसी तरह कमर से थामा रहा पर वैदेही उस सक्स को पुस करते उस पांच कदम दूर होते अपने सामने खड़े उस सख्स को उपर से नीचे तक देखने लगी वो लम्बा दमदार पर्सनालिटी वाला इंसान जो किसी नॉर्मल इंसान से कई ज्यादा मजबूरत और तकवार और अकर्षति नजर आ रहा था उसके वो हैंडसम चेहरा जो एक कपड़े से ढका हुआ था जिसे उसके वो सिर्फ डार्क ग्रीन एक्ट्रेक्टिव आईज नजर आ रहे थे जो उसे एक तक देख रहा था उसके नजरो में उसके आस पास निकलते औरा उसके पर्सनालिटी कुछ तो बहुत अजीब था जो वैदेही को खौफ दे रहा था उसके वो नजरे खुद पर महसूस करते उसको अंदर तक कपकपी महसूस हो रहे थे
तभी उसके कानो में फिर से वही सर्द अट्रेक्टिव डरावनी आवाज पड़ी - कौन हो तुम,,,,,
वैदेही ये सुनते झट से पीछे मुड कर देखी तो उसके नजरे फिर से उसी तरह डार्क ग्रीन नजरों से टकराए जो उसको देखते जैसे उसके आंखे जो हद्द से सर्द और डरावनी थी उसमे कुछ अजीब से नजर आने लगे और उसको बस एक तक देख रहा था वैदेही उस सख्स के नजरो से नजरे हटाते उसको ऊपर से नीचे तक देखने लगी वो सेम वैसा ही था वैसे ही बॉडी वैसे ही वेब्स वैसे ही पर्सनालिटी वैसे ही वो हरी आंखे वैसे ही सोल्डर तक आते बाल बस उसका रंग थोड़ा ज्यादा गोरा था बाकि हर एक चीज उस पहले वाले इंसान के तरह सर था उन दोनो को कोई देखे बस देखता ही रहा जाए जो किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना दे ऐसे थे वो दोनो पर सुरभी वैसी लड़की नही थी उसने अपना पहले जीवन सिर्फ अकेले तन्हाइयो में जिया था जिसे उसके अन्दर लड़को के लिए जो अट्रेक्टिन जैसे खत्म हो चुका था बस उसने आखिरी पल तक ख्वाइश की थी की कोई उसे हमसफर मिले जो उसे प्यार करे बेहद प्यार उसका भी वो सपनो का राजकुमार आए पर उसका जो मोह था वो खतम हो चुका था। क्योंकि उसके पिछले रूप के कारण उसको कोई लड़का पसंद ही नही करता वैदेही उन दोनो को देखते उसको ऐसे लगाने लगा जैसे वो सामने वाले को शीशे में देख रही हो ,,,,
वो कभी एक को देखती तो कभी दूसरे को जो दोनो बस एक तक उसको देख रहे थे
तभी उसके कानो में कुछ आवाजे पड़ी युवराज त्रिजल,,,,, युवराज त्रिमय ,,,,,,,, चलिए सूरज ढल रहा है
वैसे ही वैदेही के नज़र उन पांच लड़कों पर गए जो उसको ही देखते चुप हो गए थे वो पांच लड़के भी बेहद अक्रसिक और बलवान लग रहे थे वैदेही को ऐसे लगाने लगा जैसे वो कही के राजकुमारों को देख रही हो
वैदेही यानेकि सुरभी खुद में मन ही मन कहने लगी ये,,, ये सब कौन है ,,, क्या हमारा रिबोर्थ किसी राजा महाराजो के जमाने में हुआ है इनके कपड़े इनके वस्त्र इनके बाते वैसे ही लग रहे है हे भगवान मतलब हम इन राजकुमारों के बीच में फंस चुके है और और हमने सुना है की कैसे राज शाशक के लोग जिस वूमेन पर उनके नजरे पड़ते उन्हे उठा कर ले जाते ,,,है और और ये ,,,,,ये दोनो इनके आस पास इन सब के आस पास इतना खतरनाक वेबस् आ रहे जैसे ये ये लोग इंसान नही शैतान हो ,,,, नही नही ,, हमें हमें इनके कोई दासी या कैदी नही बना भाग यहां से सुरभी,,, आ,, वैदेही,,, भाग यहां से वैदेही इसी में तेरी भलाई है
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धन्यवाद!
अगर आप लोग को कहानी पसंद आ रही आगे पड़ना चाहते है तो अच्छे अच्छे कॉमेंट्स किजिए तभी मैं कहानी को आगे बढ़ाऊंगी वरना आप लोगो का सपोर्ट नही आया तो आगे पार्ट नही आयेंगे
वैदेही,,, उन सब के तरफ़ डर भरी नजरो से देखते अपने थूक निगलते हुए खुद से मन ही मन कह रही थी भाग,, वैदेही भाग ,,, यहां से एक तो इस डरावनी जंगल में अकेली और ये आठ खतरनाक पर्सनलिटी के लड़के,,, अगर इन्होंने तेरे साथ कुछ भी किया न तो तू तो गई नही,,, नही हमें भागना ही होगा
वैदेही खुद से कहते अपने कदम पीछे लेने लगी पर तभी पीछे पड़े पत्थर से उसका पैर लगाते हुए वो लडखडा कर गिराने ही वाली थी किसी ने उसको कमर से थामा वैदेही गिराने के डर से अपने आंखों को बंद की हुई थी वो चोट का एहसास न होने पर वो धीरे से अपने आंखे खोली उसके नजरे सीधे उन दूसरे हरी नज़रों से टकराए वैदेही फिर से जैसे उन हरी नजरों में खोने लगी थीं पर वो जल्दी से अपने सर झटकते होश में आते उस लड़के के सीने में हाथ रख पुस करते हुए वो एक झटके से उसे दुर होते उसके तरफ़ देखने लगी जो उसे एक तक देख रहा था उसे वो दूसरी हरी नजरों वाले उस दमदार ठंडी पर्सनालिटी वाले सक्स ने उसे संभाला था
वो उसे नजारे फेर उसी के हमशक्ल के तरफ देखने लगी फिर वो उन आठों के तरफ नजरे घुमाई जो उसे ही देख रहे थे फिर वो अपने ल्लाहंगे को पकड़ बीना कुछ सोचे समझे पीछे मुड तेजी से भागने लगी वैसे उसके पायल के आवाजे सूखे पत्ते के आवाजे उस सनत्ता फैले जंगल में शोर करने लगे उसके वो लम्बे बाल हवा में लहरा रहे थे साथ उसके चुन्नी जिसका उसे होश भी नही था वो उड़ते हुए वही किसी पेड़ की सखाओ में फंसते हुए उसके जिस्म से अलग हो हो गया
वही वो आठ उसको जाते एक तक देखते रहे ये और कोई नही पहले हरी आंखों वाला लड़का युवराज त्रिजल था दूसरी हरी आंखों वाला लड़का युवराज त्रिमय था बाकि पांच राजकुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात , राजकुमार अर्श , राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश थे
राजकुमार वैभव - कोई मुझे जगाओ मैं खुली आंखों से सपने दिखने लगा हूं तभी प्रभात जो खुद भी जैसे होश में नही था वो वैभव के हाथो को पकड़ कर जोर से मोड़ा जिसे वैभव जोर से चीखते हुए होश में आया आ,,,
उसके चीख से जैसे बाकी सभी भी अपने होश में आए और वैभाव अपने हाथ को झटकते हुए कहने लगा इसका मतलब मैं ने अभी जो देखा था वो सपना नही था ,,? क्या हमारे सामने कोई अप्सरा थी ,, ,,, या फिर सिर्फ मुझे भ्रम हो हुआ है
प्रभात - सिर्फ तुझे नही मुझे भी हुआ है पर उसका रूप अप्सराओं से कई सुंदर था वो दूध से गोरा मखमली बदन
वैभव - वो उसके उसके सूरेली बदन
प्रभात - वो समुद्र से नीली आंखे
वैभव - जिसमे पहरे देते वो घनी लंबी पलके
प्रभात - उसके वो खूबसूरत चेहरा
वैभव - जिसको छुपाने की कोशिश करते उसके वो लहराते काले लम्बे केश
प्रभात,,
वैभव,,,,
वो दोनों एक शब्द भी आगे कुछ बोलते उसे जैसे उनके आवाज ही गायब हो गए दोनो बोलने चीखने की कोशिश करते अपने गर्दन को पकड़े रहे वही उनको खामोश होते हर्ष ,अर्श, अंश उनके तरफ देखे तभी वैभव प्रभात के साथ उन लोगो के नजरे युवराज त्रिजल, युवराज त्रिमय पर गए वैसे ही जैसे उन लोगो के रूह कपकपने लगे क्योंकि युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अपने दहकते नजरों से वैभव और प्रभात को इस तरस देख रहे थे जैसे अभी जला कर ही भस्म कर देंगे उन दोनो की डार्क ग्रीन नजरे इस समय किसी अंगारे के तरह जल रहे थे
युवराज त्रिजल ,युवराज त्रिमय अपने एक एक कदम उनके तरफ बड़ते वैभव और प्रभात के बिलकुल सामने जा कर खड़े होते उसे जलते नजरों से देखते अपने डरावनी आवाज से एक एक शब्द में जोर देते हुए कहने लगे
त्रिजल - उनके लिए अगर अब ऐसे कुछ, एक भी शब्द किसी के भी मुख से निकला तो बोलने के लायक नही रहेंगे ,,,,,
त्रिमय- अब किसी के नजरे उनके तरफ उठी तो वो नजरे फिर कभी कुछ देखने लायक नही रहेंगे ये तुम सब के पहली और आखिरी गलती है
वो इतना कहते उन लोगो से अपने नजरे फेर उसी दिशा में फिर से देखने लागे जिस तरफ से अभी वैदेही गई थी वही उनके नजरे फेरते जैसे वैभव और और प्रभात के आवाज के सांसे भी वापस आए वो पांचो हैरानी भरी नजरो से यूवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय को देखने लगे
हर्ष कुछ कहने वाला था उसे पहले युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय बड़े से चील में बदलते हवा में उड़ते हवा से गायब हो गए
वो पांचों एक दूसरे को देखते वो लोग भी चील में बदलते हुए उनके पीछे बड गए
वही वैदेही तेजी से उस जंगल के बाहर के तरफ दौड़ रही थी वो फिर एक पल के लिए नही रुकी थी वो जब जंगल के बाहर पहुंची तब जा कर वो रुकते लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी तभी उसका ध्यान आस- पास गया इस वक्त रात्रि हो चुकी थी और वो जंगल और भयानक और डरावना लग रहा था इतना अंधेरा और उस जंगल से आती जंगली जानवरों कीटों की आवाजे किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे वो आस पास देखते फिर से उस रास्ते में तेजी से दौड़ते आगे बड़ने लगी
चीलों के महल के एक आलीशान कामरा जहां पर हर एक चीज़ बेस्कीमत और सोने से बने हुए थे उस कमरे में जहां खिलाड़ी से आते चांद की रोशनी फैले हुई थी वहां युवराज त्रिजल खड़े बाहर उस अंधेरे फैले घने डरवाने जंगल को देख रहा था वही युवराज त्रिमय अपनी तलवार को हाथों में लिए एक तक देख रहा था
तभी वहां महाराज सूर्यवंसज के आने की घोषणा हुई पर उन दोनो ने कोई हरकत नहीं किया महाराज सूर्या वंशज वहां उन दोनो को देख गुस्से से चीखते हुए कहने लगे कहा थे आप दोनों युवराज,,,? हमने क्या कहा था आप दोनो से क्या आप को याद नही रहा युवराज,,,,
आप दोनों को हम बाल पान से कहते आ रहे है आप दोनो कही भी जाना हो तो सूर्यास्त के पश्चात जायेगा पर नही आप दोनो को हमेशा हमारे खिलाफ़ ही जाना है हमारे बातों को इस तरह नजरंदाज करना है जैसे हम कुछ कह ही न रहे हो
युवराज ,,,,,,,, सून रहे है आप दोनो हम क्या कह रहे है ,,,,
त्रिजल अजीब सा इरिटेटिंग वाला फेस बनाते सूर्यवांशज जी के तरफ देखते अपने ठंडी डोमेनेटिक आवाज में कहने लगा - क्या आप अभी तक तो ज्ञात नही हुआ है महाराज की आपके पुत्र सुन सकते है भी या नही ,,?
सूर्य वंशज जी अपने हाथो की मुट्ठी कस लिए और गुस्से से उन दोनो को घूरने लगे फिर गहरी सांस लेते थोड़े ठंडी स्वर में कहने लगे हमें बताएं युवराज इस बार भी सूर्य की सीधी किरणों की एक भी आभा आप दोनो को नही छुआ ,,?
इस सवाल से त्रिजल और त्रिमय के सामने वो नजारा सामने आने लगा जब वो दोनो उस मायावी जंगल के बाहर आए वैसे ही उन पर सूरज की वो सीधी किरण पहली बार पड़े थे जिनसे उनके बॉडी किसी अंगारे के तरह जलाने लगे थे जिसे उन दोनो को कोई फर्क नही पड़ा वो दोनो अपने सर उठाते सूर्य को देखने लगे थे जो अपने तेज किरणे से जैसे उन दोनो को जला रहे थे
ये नजारा देखते राजकुमार हर्ष ,राजकुमार प्रभात राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव ,राजकुमार अंश के आंखे हैरानी से फैल चुके थे उन सब के चेहरे पर डर की लकीरें नज़र आ रही थी उन पांचों के कानों में सुर्यवंशज जी के कहे बाते गूंजने लगे वैसे ही राजकुमार हर्ष और राजकुमार अर्श, राजकुमार अंश तेजी से अपने फुर्ती दिखाते बड़े से चील में बदलते वो तीनो युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के उपर उड़ते हुए किसी छतरी की तरह बन गए जिसे सूरज की किरणे उन दोनो पर अब नही पड़ रहे थे पर उनके स्किन उसी तरह जल जरूर रही थी
राजकुमार प्रभात घबराए हुए - युवराज जल्दी चलिए यहां से चलिए युवराज ,,,
वैभव - पर जाएंगे कहा युवराज। इस मायावी जंगल में फिर से नही जा सकते क्योंकि युवराजो के बॉडी से निकलते तेज से वो जल जायेगा
चील बने राजकुमार अर्श - युवराज आप दोनों उस औषधि जंगल में बड़ाए वहां सूरज की किरणे बहुत हद्द तक नही पहुंचते और वहां आपके चोट के लिए औषधि भी मिल जायेंगे
चील बने राजकुमार अंश - हा युवराज अर्श सही कह रहे है
चील बने राजकुमार हर्ष - चालिए युवराज हमारे पास इस वक्त कुछ सोचने का वक्त नही है कृपया कर चलिए युवराज
फिर वो सभी उस औषधि जंगल में बड़ गए जहां पर सूरज की किरणे न के बराबर पहुंचते वहां उनके चोट ठीक करने की औषधि भी थे वो अपने चोट को खुद की शक्तियों से भी ठीक कर सकते थे पर उनके बॉडी से निकलती ज्वाला सूर्य के तेज थे जहां पर उनकी शक्तियां कम नही करते थे
उस जंगल में पहुंचते उन्होंने वहां सबसे तेज औषधि से उन जले हुए को ठीक किया फिर फिर उसके उनके मुलाकात उस जंगल में वैदेही से हुई थी
यही सब नजारा उनके आंखों के सामने किसी रील के तरह घूम रहा था तभी उनका ध्यान सूर्यवंशज जी के आवाज से टूटा हमने कुछ प्रश्न किया आप दोनो से युवराज जवाब दीजिए हमें ,,
युवराज त्रिजल उनके तरफ बिना देखे सामने उस चांद को देखते हुए - हमें देख आपको क्या लगता ,,,,
उसका इतना कहना काफी था की वो कुछ नही कहने वाला और ऐसा हमेशा से ही होता आया है सूर्य वंशज जी गहरी सांस लेते उन दोनो को ऊपर से नीचे तक देखे उन्हे सब कुछ ठीक लग रहा था
हमारे बाते ध्यान रखिएगा आप दोनो गलती से सूरज की सबसे त्रीव्व किरणे आप दोनो को नही छूनी चाहिए
इतना कहते वो वहां से चले गए
वही युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के नजरों के सामने वही नजारा घूम रहा था जो उस जंगल में हुआ उस अंजान लड़की का सुंदर चेहरा उसके वो नीली बड़ी बड़ी नजरे उसके वो घनी झपकती पलके उसके लंबे उड़ाते केश उसके ऊपर नीचे होता उसका सीना उसके चेहरे के वो घबराहट वो बेचैनी दौड़ने वक्त उसके पायल की वो मधुर आवाजे
त्रिजल उस अंधेरे फैले जंगल को देखते हुए अपने डरावनी डोमेंटिक वॉइस में खुद से कहने लगा - पहली बार किसी ने किसी ने हमें इस तरह असमंजस में डाला है पहले बार कोई स्त्री हमारे करीब आने की कोशिश की आप को आपकी इस गुनाह की कैसे सज़ा दे हम क्योंकि आपने तो सबसे बडा अपराध किया है
त्रिमय जो अपने तलवार को एक तक देखते उस लड़की के बारे में सोच रहा था वो त्रिजल के आवाज सुन उसके तरफ़ देखने लगी उसके चेहरे पर हल्के से टेडी मुस्कान खिली वो अपने जगह से उठ त्रिजल के पास बड़ते उस अंधेरे जंगल को देखते हुए अपने ठंडी डोमेनेटिक वाइव से - आखिर कौन थी वो भाई जिसने अपनी पहली ही झलक में चील सामज्या के युवराजों को पहली बार किसी में खोने पर मजबूर किया आखिर वो कौन थी जिसने हमारे ह्रदय को हमारे खिलाफ जाने पर मजबूर कर रहा है
त्रिमय के बात सुन त्रिजल के चेहरे पर बहुत खतरनाक मुस्कान खिली जो जितने ज्यादा हॉरर थी वो उसे उतना ही दिलकस बना रहा था
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और कहनी पसंद आ रही हो तो अच्छी अच्छी कॉमेंट्स किजिए ताकि मुझे मोटिवेट मिले
वही उसी महल के एक कमरे में जो की राजकुमार हर्ष का कमरा था जिसमे इस वक्त वो पांचों राजकुमार मावजूध थे और उन पांचों के चेहरे पर चिंता के लेकर थे क्योंकि जंगल में उन्होने युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय का जो रूप देखा था वो हद्द से ज्यादा खतरनाक था एक पल के लिए मिली उस लड़की के लिए उन्होंने उन दोनो के आंखों में एक आग देखा एक जुनून देखा था एक पागलपन देखा था वो भी पहले बार किसी स्त्री के लिए उनका आकर्षण था वरना उन लोगो को किसी स्त्री के तरफ देखना तो दूर के बात उनका नाम तक लेना मंजूर नहीं था
राजकुमार प्रभात - अब हम क्या करे जो हमारी आंखों ने देखा वो एक बहुत बड़ी तबाही का आदेश है
राजकुमार अर्श - उन्हे रोकना होगा आगर बड़े पिता श्री को पता लगा तो पता नही क्या करेंगे वो
राजकुमार वैभव - ये सब हमारे ही गलती के वजह से हुआ है सूरज की वो तेज किरणे उन तक पहुंच चुकी हो न हो ये इसका ही परिणाम है वरना जिन्हे अपने आस पास किसी स्त्री को मावजूदगी भी बरदस्तत नही उनके आंखों में उस एक पल के लिए मिली लड़की के लिए ऐसा जुनून ,,,,,,?
राजकुमार अंश - पर हमें ये बात को बताना ही होगा वही कुछ कर सकते है हम इस बात को उनसे छुपा नहीं सकते है
राजकुमार हर्ष - पर हम ऐसे उनसे नही कह सकते ये सही नही होगा जरूर नही हैं जो हम लोगों ने देखा जो महसूस किया वो सही होगा क्योंकि त्रिजल और त्रिमय को आज तक कोई नही समझ पाया है की कब उनके अंदर क्या चलता रहता है हमे पहले उनसे जानना होगा अगर सच हुआ तो हम उन्हे अपने तरफ से रोकने को कोशिश करेंगे उसके बाद हमें लगा बड़े पिता श्री को बताना चाहिए तो हम उन्हे सब कुछ बता देंगे
तभी वहां महाराज सूर्यवंसज के आने का एन्नुसमेंट हुआ जिसे वो सभी खामोश होते अपने जगह से खड़े हो गए
महराज सूर्यवंशज वहां आते उन सब के देख घूरते हुए कहने लगे क्या हुआ वहां हमें सब कुछ विस्तार में बताए ,,
वो पांचों को एक दुसरे को देखने लगे राजकुमार हर्ष फिर सूर्य वंशज जी के तरफ देखते कहने लगा
बड़े पिता श्री आप ने जैसा कहा था हमने वैसे ही किया हम युवराज पर सूरज की तेज किरणे पड़ने नही दिए ये कहते वो एक एक कर सब बताने लगा सिर्फ दो बात को छोड़ की कैसे सूरज की किरणे उन तक पहुंचे और कैसे एक स्त्री उनसे टकराई जिसके लिए उन्होंने उनके आंखों में जुनुनियत की हद्द देखी थी
सूर्य वंशज जी उनके बात सुन उन सब को देखते हुए शांति से कहने लगे - युवराजो के लिए कभी भी आप लोगो को ऐसा लगे कि उनके स्वभाव से विपरीत हो रहा है या जो नही होना चाहिए वो हो रहा है तो हमारे पास तुरंत खबर कीजिए समझ गए आप सभी
वो पांचों एक साथ -जी बड़े पिता श्री
फिर महराज वहां से चले गए और पांचों एक दूसरे को देखने लगे उनके अंदर से जैसे एक आवाज उठी थी क्या उन्होंने सही किया महाराज से सच छुपा कर पर फिलहाल उन्हें यही सही लग रहा था
वही दुसरे तरफ वैदेही अपने घर पहुंची वो जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसके नजर सामने उन मां बेटी पर पड़े जहां चित्रलेखा अपने मां के गले लगे रो रही थी
वही एक आदमी जो वेद लग रहा था वो उसके हाथ पैरों की जांच कराते हुए जड़ी बूटियों लगा रहा था वही एक आदमी खडा चिंतित से सब कुछ देख रहा था वैदेही उस आदमी को देखते ही पहचान गई थी वो असली वैदेही के हो कर भी न होने वाले पिता है
तभी कोकिला के नजर वैदेही पर गाए उसे देखते वो चिल्लाते हुए कहने लगी आ गई मनहूश कही की दरवाज़े पर क्या खड़ी है जल्दी अंदर आ और जो जड़ी बूटी लाई है उसे दे,,
वैदेही को गुस्सा तो हद्द से ज्यादा आ रहा था उसका मन कर था था वो औरत को उसी जंगल में छोड़ कर आ जाए तब पता चलाता मनहूस क्या होता है पर इस वक्त वो शांत रहना ही बेहतर समझ थी क्योंकि फिलहाल के लिए अभी उसे इन्ही लोगो के साथ रहना था क्योंकि उसे इस दुनिया के बारे कुछ नही पता था और कितने खतरनाक थी ये दुनिया उसने उस जंगल में महसूस कर लिया था
इस लिए वो चुप चाप अंदर आई
चित्र लेखा उसे देखते जल्दी से कहने लगी जड़ी बूटी लाई है स्वत के दे ना जल्दी से वेद जी को ,,,
वैदेही कुछ देर खामोश रही फिर कुछ छोटे - छोटे पीले फूल को वेद जी के तरफ बड़ा दी जिसे देखते चित्रलेखा गुस्से से चीख उठी - ये क्या लाई है तूझे मैं ने क्या लाने कहा स्वत के पत्ते कहा है वो ,,,,, लाई है या नही अगर नही न लाई तो तेरी टांगे तोड़ दूंगी समझी
वेद जी उस फूल को लेते देखते हुए कहने कहने लगें - ये फूल बहुत उपयोगी है स्वत के पत्ते न सही पर इसे बहुत हद तक इलाज हो सकता है और स्वत के पत्ते यहां से जंगल के आखिरी छोर में होने की आशका है जो सिर्फ ग्रीम मौसम में ही पाए जाते है और अभी ग्रीम का मौसम नही तो उसके पत्ते मिलना नामुमकिन है वैदेही बिटिया ने अच्छा किया जो उन्होंने ये फूल ला लिए
वैद जी के बात सून वो दोनो मां बेटी थोड़ी शांत हुई और थोड़े शौक भी इस फूल के उपयोग के बारे में तो उन लोगो को भी पता नही था फिर ये वैदेही को कैसे ज्ञात था
वही वैदेही खामोश थी पर मन ही मन कहने लगीं अच्छा हुआ जो अपने पिछले जन्म में कुछ Herb का नॉलेज लिया हमारे लिए तो न सही काम से काम इस डायन के लिए तो काम आया ये कहते वो जंगल में जो हुआ वो याद करने लगी जब वो जंगल के अंदर जा रही थी तो उसी सांपो के पेड़ के नीचे ये फूल गिरे दिखे थे जिसे उसने बहुत मुस्किक से पकड़ा था
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कहनी पसंद आ रही जी तो अच्छी अच्छी कॉमेंट कीजिए मैं देख रही हु अब कॉमर्स काम होते जा रहे है क्या स्टोरी पसंद नही आ रही ?
अगली सुबह जब ठीक से सुबह भी नही हुआ था क्योंकि पूरे तरह अंधेरा ही थे वही औषधि जंगल के गहराई में उसी जगह युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय खड़े थे वो दोनो अपने गहरी चील वाली नजरों से चारो तरफ देख रहे थे वहां पर वो लोग उसकी प्रेजेंसी उसकी खुशबू को जैसे महसूस करना चाह रहे थे
युवराज त्रिमय चारो तरफ अपने गहरी नजरों से देखते उन छोटे - छोटे पैरो के निशान को अजीब तरफ़ से देखने लगा वो नीचे घुटनों के बाल बैठ उन पैरो के निशान पर अपने हाथ को फेरने लगा वैसे ही उसके आंखे बंद हो गए और उनके सांस तेज चलने लगे और एका एक उनके मुंह से शब्द एंजल ,,,,,,,, और उसके चेहरे पर खतरनाक मुस्कान खिली थी वो अपने आंखे खोल जो इस वक्त किसी ब्लैक डायमंड के तरह चमक रहे थे
युवराज त्रिमय एक नजर अपने भाई को देखते उन पैरो के निशान का पीछा करते हुए आगे बड़ने लगे पर कुछ दूरी पर उन पैरो के निशान गायब हो चुके थे क्योंकि सुखी पतियों से ढक चुका था
वो उन पत्तियों को अपने जलते नजरों से घूरने लगे तभी एक दुप्पटा उड़ाते हुए उनके चेहरे पर आते हुए लगा वैसे ही उसके आंखे सुकून से जैसे बंद हो गए
फिर धीरे से उस दुप्पटे को अपने चेहरे से हटाने लगा और उस गुलाबी पीली दुप्पटे को देखने लगा उसके नज़रों के सामने वैदेही का चेहरा सामने आने वो आस पास देखने लगा जैसे उसको तलास रहा हो उसके नज़रों में एक अजीब से बैचेनी थी पर उसकी चील जैसे नजरो में उन्हें दूर - दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था
वो उस दुप्पटे को अपने गहरी नजरों से देखते हुए कहने लगा ये ओढ़नी आपका है ,,,,,,,,,,
वो उसे अपने होटों की पास ले जाते हुए उस पर अपने होटों को फेरते गहरी सांस लेने लगा जैसे उसके खुशबू को वो महसूस कर रहा हो
उस दुप्पटे को देखते हुए वो अपने आंखों को बंद किया वैसे ही वो एक झटके से अपने आंखे खोलते हैरानी से उस दुप्पटे को देखने लगा फिर वो अपने आंखे बंद किया इस बार भी उसे कुछ भी नज़र नही आया वो झटके से अपने आंखे खोलते हैरानी से उस दुप्पटे को देखने लगा ऐसे ही वो तीन से चार बार करता रहा पर उसे कुछ भी नज़र नही आया वो शौक था क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा था की उसकी दिव्य दृष्टि किसी के लिए काम नहीं कर रहे थे उसको सिर्फ अंधेरे के सिवा कुछ नज़र नही आ रहा था
वो युवराज त्रिजल के तरफ देखते हुए हैरानी से कहने लगा - भाई मेरी दृष्टि इनका ज्ञान नही कर पा रहे है
युवराज त्रिजल युवराज त्रिमय के तरफ देखा फ़िर वो उस पैरो के निशान को देखते हुए उस पर अपने हाथ रख आंख किया वैसे ही उसके चेहरे के भाव बदलने लगे वो कुछ देर बाद अपने आंखे खोलते उस पैरो के निशान को हैरान निगाहों से देखते फिर से अपने आंखे बंद किया पर इस बार भी उसे कुछ भी नजर नहीं आया वो हैरान नज़रों से उन पैरो के निशान को देखते हुए अपने ठंडी डोमेनेटिक वॉइस से कहने लगा - ऐसा कैसे हो सकता है की हम का ज्ञान नही लगा पा रहे है हमारी शक्तियां कभी भी विषफल नही हुआ चाहें वो देवता हो या फिर असुर फिर आप तो एक साधारण सी मनुष्य है
युवराज त्रिमय अपने ठंडी डोमेन्टिक आवाज से -आपने सही कहा भाई ,, वो मानव थी उनके स्पर्श से हमे ये ज्ञात हुआ पर एक साधारण सी मानव स्त्री का ज्ञात हमारी शक्तियां क्यो नही लगा पा रहे है
वही महल में सुबह होते ही राजकुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात , राजकुमार अर्श , राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश पांचों सीधे युवराज के कक्षा के तरफ बड़े और इजाजता मिलते वो लोग अंदर गए वैसे ही उनके आंखों में हैरानी नजर आने लगे वो पांचों एक दूसरे को देखते सामने देख रहे थे क्योंकि युवराज त्रिमय के हाथो में एक औरत की उड़ानी थी जिसे वो अपनी गहरी नजरों से एक तक देख रहा था उसके आंखो मे कुछ अजीब से चीज थे उस ओढ़नी को देखते हुए जो बहुत हैरान कर देने वाले बात थी
वही युवराज त्रिजाल उस उगते हुए सुरज एक तक अपने गहरी नजरों से देख रहा था उस सूरज की चमकती किरणे उनके उनके खुले बटन पर पड रहे थे जिसे वो हद्द से ज्यादा अक्रसित लग रहा था
राजकूमार हर्ष - युवराज त्रिमय ये,, आप के हाथों ओढ़नी कैसा ,,,,?
युवराज त्रिमय अपने ठंडी डोमेनेटिक आवाज से ये उन्ही का है जिन्होने अपने निगाहों से चील साम्राज्य के युवराजों को परेशान किया जिसने अपने खुशबू से चील समर्ज्या के युवराजों के ख्यालों में आने की गलती किया है ये उन्ही का है,,,,
राजकुमार प्रभात असमंजस से सवाल करते हुए - कौन युवराज आप किसके बाते कर रहे है ,,,,?
राजकुमार अर्श - कौन युवराज,,,? ऐसी कौन सी स्त्री है जो चील के युवराज को खोने पर मजबूर कर दिया है
राजकुमार वैभव - क्या आप दोनो उन्हे सजा देना चाहते है युवराज तो आगर आप उसे जान से मरना चाहते है उसे पहले उन्हे मुझे दे दीजिए मैं उसके सा,,,,,,
वो इतना ही कहा था की एक उसके आगे के आवाज उसके गले में रहा गए और वो हवा में लटका अपने गर्दन को पकड़े झटपटा रहा था वो खौफ भारी नजारों से युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के तरफ देख रहा था जहां वो दोनो अपने लावा निकलते नजरों से उसे देख रहे थे वो दोनों इस वक्त गुस्से से इस तरह दहक रहे थे की उनके बदन से अग्नि निकलने लगे थे ऐसा पहली बार हो रहा की उन दोनो के गुस्सा इस हद्द तक था बाकि राजकुमार उनका ये रूप देखते अपने जगह से दस कदम पीछे हटाते खौफ और हैरानी भरी नजरो से उनके तरफ देख रहे थे
युवराज त्रिजल राजकुमार अपनी जलती नजरों से देखते बहुत डरवाने तरीके से कहने लगा - उनके तरफ नजरे उठाना तो दूर की बात उनके नाम तक लेने की हैसियत नहीं है किसी के भी तुम सब को ये आखिर बार चेतवानी दे रहे हैं उनके लिए जो भी शब्द निकले उसमे वही दर्जा और वही मन सम्मान होना चाहिए जो हमारे लिए है या फिर हमसे बड़ कर ,,
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त्रिजल ने अपनी बात खत्म किया वैसे ही ही राजकुमार वैभव नीचे फर्श पर गिरते जोरों से खांसने लगा और अपने गर्दन हा में हिलने लगा और बाकी सभी राजकुमार भी
राजकुमार प्रभात आगे बड़ते हुए राजकुमार वैभव को सभलते हुए खड़ा किया वैसे सभी माफी मांगते हुए कहने लगे - हमें क्षमा कीजिए युवराज हमे नही पता था वो आपकी इतनी खास है ,,,,,
राजकुमार अंश - युवराज त्रिजल क्या आपको उस स्त्री से मोहब्बत हुआ है और युवराज त्रिमय आपको किसी स्त्री से मोहब्बत हुआ मतलब आप लोगो एक साथ मोहब्बत हुआ है ,,,?
राजकुमार हर्ष - वैसे हमारी युव रानियां है कौन युवराज ,,?
राजकुमार त्रिमय -उस चुनरी को एक तक देखते हुए अपने सर्द डोमेनेटिक आवाज से कहने लगे - मोहब्बत किसे कहते है पता नही पर हमें जो हुआ है वो बेहद है बेहद ,,, ये कैसे एहसास जिसे शब्दों में बयां नही होता पर इतना जानते है ये एहसास जिनके लिए है हमारा दिल जिनके एहसास से धड़कने लगा वो हमें चाहिए हर हाल में हर कीमत पर आगर इसे ही मोहब्बत कहते है तो मोहब्बत ही सही ,,,,,,
राजकुमार प्रभात - युवराज त्रिजल,,,, क्या आपको भी ,,,? पर वो स्त्रियां है कौन युवराज जिन्होने कुछ ही वक्त में चील साम्राज्य के युवराजों को अपना दीवाना बना दिया
युवराज त्रिमय अपने डोमेनेटिक वॉइस से - वो दो नहीं एक है इस साम्राज्य की होने वाली महारानी एक है हमें एक ही स्त्री से मोहब्ब्त हुआ है
इतना सुनाते वो पांचों राजकुमार एक दूसरे को आश्चर्य से देखने लगे
राजकुमार अर्श - ये आप क्या कह रहे है युवराज आप दोनों को एक ही स्त्री से मोहब्बत और एक ही स्त्री इस साम्राज्य की महारानी,,,,?
युवराज त्रिमय उसके तरफ उसके तरफ अपने सख्त निगाहों से देखते अपने डरावनी आवाज से - क्यों एक स्त्री से मोहब्बत नहीं हो सकते हमें ,,,?
राजकुमार अंश - पर युवराज ये संभव कैसे हो सकता है एक स्त्री दो पुरुषों में कैसे बांट सकती है और आप में किसी एक के ताकत को बर्दाश्त करना एक बहुत बड़ी बात है आप के ताकत कोई शक्तिशाली स्त्री ही सह सकती है फिर आप में से दोनों की शक्तियों दुनिया की कोई शक्तिशाली स्त्री तो छोड़िए कोई शक्तिशाली पुरुष भी नहीं सह सकता
राजकुमार हर्ष - अंश सही कह रहे है युवराज आप दोनों का विवाह एक स्त्री से हो भी गया तो पति पत्नी के रिश्ते को आगे कैसे बढ़ेगा युवराज उस स्त्री की तो उसी वक्त,,,,,,,,,,
इतना कहते हर्ष अपने बात को अधूरा ही छोड़ दिया
राजकुमार वैभव डरते हुए - वो ,, वो स्त्री है कौन युवराज क्या,,,? कौनसी शक्तिशाली मायावी कन्या है
युवराज त्रिजल अपने ठंडी डोमेनेटिक वॉइस में एक अलग सी कशिश लिए - वो वही जो उस औषधि जंगल की सुंदरी ,,,,जो हमें किसी हवा के तरह स्पर्श कर चली गई वो वही है एक मानव कन्या,,,
जिसके जानकारी हमें अमावस्या की रात्रि से पहले चाहिए
वही वो पांच उनके बात सुन स्तंभ से रहा गए थे वो वही स्त्री जिसका डर उनको था वही हो चुका है
वो लोग कुछ कहते उसे पहले युवराज त्रिजल उनके तरफ अपने डरावनी निगाहें से देखते हुए कहने लगा इस बात की जानकारी अगर हमरी इज़ाजत के बैगर किसी को भी लगी तो उसको ऐसे सजा मिलेंगे कि उसके रूह भी कांप उठे
उसके इतने कहते वो पांचों खामोश से हो गए उनके पास जैसे अब कुछ कहने के लिए रहा ही नहीं गया था
वही इंसानों के आबादी में जो जहां सुकून था जहां लोग इधर उधर चहल कदमी करते हुए अपने कामों में लगे हुए वही
वही अचानक से उनके ऊपर जैसे चीलों की फौज मंडराने लगे चील की चीख के साथ बड़ी- बड़ी परछाइयां बना लगे सब आसमान के तरफ देखें जहां बड़े बड़े चील नजर आ रहे वैसे ही सभी स्त्रियां अपने काम को छोड़ जल्दी जल्दी अपने घरों के तरफ भागने लगी वही सभी पुरुष एक जगह खड़े होते अपने हाथ जोड़ कांपते हुए सामने देखने लगे
वो सभी चील वहां बीचों बीच बने उस चील ही प्रतिमा के सामने खड़े होते इंसानों में बदले वो सभी युवराज त्रिजल, युवराज त्रिमय ,राजकुमार हर्ष, राजकुमार प्रभात राजकुमार अर्श ,राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश थे उन्हें देखते वो सभी ग्राम वाशी आने घुटने टेक अपने सर झुका उनका अभिवादन करने लगे
उन में से जो मुख्या था वो अपने हाथ जोड़ कंपते हुए कहने लगा युवराज की जय हो ,,,? आ,, आप सभी हम इंसानों की बस्ती में,,, हमसे कोई अपराध हो गया क्या युवराज की ,, आपको खुद यहां पर आने का कष्ट उठाना पड़ा,,,? कौन से पापा हो गया हमसे होने वाले महराज,,,,
राजकुमार प्रभात ओर राज कुमार वैभव आगे बढ़ते उस मुख्या को देख टेढ़ी मुस्कुराते उसके कंधे पर हाथ रख उसे पूस करते हुए
राजकुमार प्रभात -तुमसे हमने पिछली बार क्या कहा था मुख्या जी क्या तुम भूल गए
राजकुमार वैभव - लगता है बुढ़ापा सर पर चढ़ ओर यादाश्त कम हो रहे ,,, औषधि जंगल की औषधीय तुम्हें लिए कम पड़ थे है क्या मुख्या जी
वो मुख्या कांपते हुए कहने लगा न,, नहीं राजकुमार ,,,, हम,, हम हमारे बात का अर्थ ऐसा नहीं है ह,, ह,,, हमें ,, हमें क्षमा की,, कीजिए यू,, युवराज,,
त्रिजल अपने ठंडी निगाहों से चारों तरफ देखते अपने सख्त डोमेनेटिक आवाज से कहने लगा यहां जितने भी स्त्रियां है चाहे वो विवाहित हो या न हो सभी को अभी के अभी हमारे सामने लाया जाए
ये सुनते वहां के गांव के लोग डर से एक दूसरे को देखने लगे मुख्या हिम्मत कर अपने कांपते जबान से कहने लगा क्या,,, क्या हुआ युवराज का,, क्या कुछ गलती हो गई हमारे यहां के औरतों से
त्रिमय उन्हें अपने डरावनी नजरों से देखते अपने डरावनी आवाज से जो कहा जा रहा है वही करो युवराज से सवाल करने की क्या सजा दी जाती पता ही होगा तुम सब को
मुख्या डर से कांपने लगा और बाकी सब भी
राजकुमार हर्ष उन डर को देखते हुए कहने लगे - तुम सब को डरने की जरूरत नहीं युवराज किसी स्त्री कोई सजा देने नहीं बुला रहे है बल्कि इंसानी स्त्रियों के लिए एक बहुत अच्छा उपहार है इस लिए किसी भी तरह की फिक्र न कर यहां पर जितनी स्त्री है सभी को बुलाया जाए
उनके बात सुन सभी के चेहरे पर सुकी के भाव आए साथ में असमंजस के भी की ऐसी कौनसी से उपहार है जो युवराज उनके यहां की स्त्रियों को देना चाहते है
मुख्या जी सभी को अपने यहां की हर एक स्त्री को लाने का हुकुम किए
वहीं चूल्हे में रोटियां बना रही थी वैदेही गुस्से से धीरे से खुद से ही बाते करते हुए कह रही थी मन तो कार रहा है इन चुड़ैल मां बेटी के खाने में जहर मिला कर खिला दूं रहेंगे ये दोनों न इनके लिए ये सब नौटंकी करना पड़ेगा मुझे
फिर गहरी सांस लेते खुद से कहने लगी शांत वैदेही शांति तुझे शांति से काम लेना होगा एक बार तुझे तेरे गुस्से के वजह से उस डायन के लिए मेडिसिन लाने उस भयानक जंगल में जाना पड़ा फिर से गुस्से से काम ले कर अपने लिए फिर से कोई मुसीबत खड़ी नहीं कर सकते। वैदेही गहरी सांस लेते हुए अपना काम करने लगी
तभी उसको बाहर से आवाज सुनाई दी जो कि वैदेही के बाबा के थे
आरी वो कोकिला चित्रलेखा बिटिया कहा हो
कोकिला - क्या हुआ इस तरह चीख क्यों रहे है अब कौनसी आफत आ गई,,? क्या कहा उन चीलों ने क्यों आय है वो हम इंसानों की बस्ती में
बाबा - इस बार कोई मुसीबत नहीं बल्कि अच्छी खबर है तुम सब के लिए युवराज तुम औरतों को कुछ उपहार देना चाहते है इस लिए वो सभी औरतों को बुलाए है जल्दी चलो,,,,
ये सुनते चित्र लेखा जो अपने हाथों में मेंहदी लगा रही थी वो खुशी से चीखते हुए कहने लगी क्या सच में बाबा युवराज हमें उपहार देने बुलाए है
बाबा - ह बेटियां चलो जल्दी
चित्र लेखा जल्दी से शीशे के सामने जाते खुद को देखते हुए कहने लगी मां मै युवराज को पसंद आऊंगी न हम पहली बार उनके सामने जाने का अवसर मिल रहा है वो हमें देखते ही हमसे विवाह कर हमें अपनी महारानी बना लेंगे फिर हम पूरे दुनिया पर राज करेंगे क्यों मां हमने सही कहा न ? युवराज को हम पसंद आयेंगे न कहते है दोनों युवराज में किसी ने भी आज तक किसी भी स्त्री के तरफ आंख उठा कर भी नहीं देखे है
कोकिला अपने बेटी की बलैया लेते हुए कहने लगी अरे उन्होंने आज तक तुम्हारी जैसी सुंदर स्त्री देखे कहा होंगे हमें पूरा विश्वाश है वो तुम्हे देखते ही देखना मंत्र मुक्त हो जाएंगे आखिर तुम हमारी बेटी हो हमारे हमारे जैसे रूप है तुम्हार जो इस दुनिया में किसी भी स्त्री के पास नहीं अब हमारे बुरे दिन गए अब तुम पूरे दुनियां के महारानी होगी और हम राज करेंगे सब पर
चित्रलेखा -सच में मां मै अभी अच्छे से सज कर आती हूं पर कही मेरे जले हुए हाथ पैर देख युवराज हमें पसंद नहीं किए तो ( चित्रलेखा रोते हुए बोली )
कोकिला - अरे मेरी बच्ची तेरी मां है न फिर तुझे फिक्र करने की क्या जरूरत चल मेरे साथ
वहीं वैदेही जो सब कुछ सुन रही थी वो खुद से कहने लगी ये डायन कितनी भी सज ले तुम्हे कोई महराज तो दूर की बात कोई सैनिक भी आंख उठा कर न देखे और क्या कह रही थी चील इसका क्या लेना देना है और कुछ वक्त पहले चीलों के भयानक आवाजे भी तो आई थी अरे अभी छोड़ वैदेही ये सब अब गिफ्ट लेने चल आखिर क्या देंगे यहां के युवराज कोई सोना, चांदी ,हीरे ,मोती ह ह राज महाराजा लोगो यही सब तो देते है पर फिलहाल हमें कोई अच्छा सा वस्त्र ही दे दे वही काफी है ये एक ही वस्त्र पहना पड़ रहा है हमें कितना गंद हो गया है ये यक ,,, ,,,
वैदेही अपने हाथ साफ कर बाहर आई और उन मां बेटी को देखने लगी जो दुनिया भर कर सज धज रही थी
वैदेही उनको देख मन ही मन कहने लगी इन दोनों को देखते हमें ऐसे लगता है जैसे ये कोई मूवी चल रही हो और ये दोनों विलन हो ओर हम हीर वायन है ,,,,
तभी चित्रलेखा के नजर वैदेही पर गए वो उसे देखते फिर से उसका सीना जैसे जलने लगा क्योंकि वैदेही बिना कोई सज सिंगार के ही बहुत खूबसूरत लगती थी
वो गुस्से से उठते वैदेही के पास जाते कहने लगी तू यहां क्या देख रही है मनहूस कही की जा कर अपना काम कर बार -,बार अपने मनहूस सकल मत दिखाया कर
वैदेही को गुस्सा हद्द से ज्यादा आ रहा था वो अपने हाथों की मुट्ठी कस गुस्से को काबू करते अपने होठों पर झूठी मुस्कान लिए कहने लगी वो दीदी युवराज का आदेश आया है न सभी स्त्री को उपहार देने बुला रहे है
चित्र लेखा गुस्से से - महाराज ने हम जैसे खूबसूरत स्त्री को उपहार देने बुलाए है न कि तुझ जैस बदसूरत और मनहूस को जो कही भी जाए अपने मनहूसियत का छाया ले कर जाती हैं हमारे युवराजो का ओर राज परिवार का नाम भी न ले अपने अपनी काली जबान से समझी जा अब यही से काम कर अपना,,
वैदेही अपने हाथों मुट्ठी कसते अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी और उसकी जलती नजरे चित्र लेखा पर ही थे वो उसे घूरते वहां से जाने लगी कि
रुक,,,
कोकिला की आवाज से उसके कदम रुक गए
वो पीछे मूड उनके तरफ देखी
कोकिला उसके पास आते उसको ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहने। लगी तू है तो मनहूस पर है तो स्त्री ही और हम युवराज के आदेश का उल्लंघन नहीं कर सकते इस लिए तू भी चलेगी इतनी कहते उसके दुप्पटे को बेदर्दी से खींचते उसके चेहरे को ढकते हुए बोली अपना ये मनहूस चेहरा किसी को देखना मत समझी वरना इसके अंजाम के लिए तैयार रहना अब जा यहां से।
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वैदेही अपने हाथों की मुट्ठी कसे वहां से चलो गई वही वैदेही के जाते चित्रलेखा गुस्से से चीखते हुए कोकिला से कहने लगी मां,,, ये अपने क्या किया उस मनहूस को क्यों ले रही है हमारे साथ ,,,,
कोकिला अपनी बेटी के गालों को सहलाते हुए प्यार से कहने लगी अरे मेरी बेटियां तू फिक्र क्यों कर रही है तेरी मां जो करती है न बहुत सोच समझ कर करती है देख ये मनहूस हमारे साथ जाएगी तो इसे भी उपहार मिलेगा और वो उपहार उसका नहीं हमारा होगा समझी ,,,, और फिक्र क्यों करती है तू तो कितनी सुंदर है तेरे सामने वो मनहूस कुछ भी नहीं वैसे ही उसका चेहरा घूंघट में है वो किसी को अपने मनहूस शक्ल नहीं दिखाएगी फिक्र न कर
चित्र लेखा कुटिल मुस्कान से अपने मां के गले लगाते हुए कहने लगी सच में मां तुम हमारी ही मां हो
कोकिला - ह हा चल अब ज्यादा तारीफ न कर देर हो रहे है हमें चल
फिर वो लोग बाहर आई और एक नजर वैदेही को देख अपने मुंह बनाते कोकिला उसे अपने पीछे चलने को बोल वो लोग आगे बढ़ गई
वहीं वैदेही उनके पीछे चलते अपने घूंघट को संभालते हुए उन्हें खुद में गालियां दिए जा कहने लगी - डायन कही की अगर तुम दोनों हमारे जमाने में रहती न तो तुम दोनों बेटी को मै ऐसा सबक सिखती कि तुम लोगों का ये सारा एटीड्यूट किसी दुकान में तेल लेने चल जाता
पर साला हमें यहां मजबूरी इस दुनिया में रहने और जाने के लिए मजबूरन इन डायनों के साथ रहना पड़ा रहा है
तभी वो किसे पत्थर से टकराते उसके हल्की चीख निकल गई आ,,,,, ओर उसका ध्यान भटका
वो गुस्से से कहने लगी साला ये घूंघट है या कैदखाना है साला कुछ दिख ही नहीं रहा कैसे चले हम ओर ये दोनों डायन किस तरफ गायब हो गई अभी तो थी यही,,, कहा है ये ,,,,, वो घूंघट को थोड़ा सा ऊपर कर इधर- उधर देखने लगी पर वो दोनों मां बेटी उसे नजर नहीं आ रहे थे
हे भगवान अब हम कहा जाए किधर गई ये दोनों चुड़ैल ,,,, हमें कुछ समझ न आ रहा यहां तो चार -चार रस्ते है किस तरफ जय हम
तभी उसके नजर एक तरफ बहुत सारे पैरो के निशाना पर गए वो उन्हें देखते हुए - लगता है इधर ही गए है इतना कहता वो उस पैरो के निशान को देख वो उस तरफ आगे बढ़ने लगी
वो उस जगह पहुंची जहां पर बहुत सारे लोग थे वो अब घूंघट को थोड़ा - थोड़ा ऊपर कर चारों तरफ देखते हुए कहने लगी - अरे यार इतने लोगों में हम यहां के युवराज को कैसे देखे और इतने लोगों के बीच इतनी अजीब से शांति क्यों है जैसे कोई युवराज नहीं बल्कि कोई शैतान आया हो ,,,,
वो इधर उधर देखने की कोशिश कर रही थी पर घूंघट की वजह से उसको ठीक से कुछ भी नजर नहीं अ रहा था
तभी अचानक से उसके नजर ऊपर उन चील के प्रतिमा के सामने खड़े उन लोगों पर पड़े जिन्हें देखते उसके आंखे हैरानी से फैल गई
वहीं युवराज त्रिजल युवराज ,युवराज त्रिमय जो बेताबी से चारों तरफ देखते जैसे उनके नजरे किसी के तलाश रहे थे पर वो उन्हें उन हजारों चेहरे में भू कही पर भी नजर नहीं अ रही थी तभी एका एक उनका दिल तेज स्पीड से धड़कने लगा
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय एक नजर एक दूसरे को देख अपने लाल डार्क ग्रीन नजरों को ओर ज्यादा गहरा करते चारों तरफ देखने लगे
तभी मुख्या के आवाज उनके कानों में पड़े - यू,, युवराज हमारे या,, यहां की सभी स्त्रियां आ चुकी है
राजकुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात, राजकुमार हर्ष राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश भी चारों तरफ अपने गहरे नजरे फैलाए जैसे उसे तलाश रहे थे वहीं वहां जीतने लोग थे उन्हें जैसे समझ ही नहीं आ रहा था कि इतनी गहरी नजरों से उन्हें क्यों देख रहे है पर सभी को कपकपाहट जरूर महसूस हो रहे थे
वहीं चित्रलेखा और कोकिला बस मुंह खोले बस एक तक सामने युवराज को निहारा रहे थे
राजकुमार अर्श इस माहौल को संभालते हुए अपने सख्त आवाज से सभी को देखते हुए - सभी स्त्री यहां एक एक कर आए
वैसे ही अभी स्त्री एक एक कर राजकुमार प्रभात और राजकुमार वैभव के पास जाते उपहार लेने लगी
वो सभी स्त्रियां एक एक कर आ रही थी जिन पर गहरी नजर युवराजो के थे
तभी कोकिला ओर त्रिलेखा भी अपने होश में जबदस्ती बीच लाइन में घुसते अपने उपहार लेने आगे बढ़ा लगी वो दोनों मां बेटी युवराज और राजकुमार को देखते इस कदर शर्मा रही थी जैसे वो उनसे ही अभी उस वक्त विवाह कर लेंगे
वहीं युवराज बेचैनी में हर एक स्त्री में उसे ढूंढने की कोशिश करते मन ही मन कहने लगे
राजकुमार त्रिजल - कहा हैं आप हमारी राजकुमारी,,, हमें पता है आप इन्हें में है हमारा दिल गवाही दे रहा है आपके वजूद का फिर आप हमें नजर क्यों नहीं आ रही चीलों की नज़रों से कैसे बच सकती है आप कुछ तो बहुत खास है आप में आप इंसान हो कर भी कोई साधारण कन्या नहीं । हमें और न शताएं हमारी राजकुमारी वरना हमें तरह तड़पने की कीमत हम आप से ऐसे वसूलेंगे की आप कभी सोच भी नहीं सकती
इस वक्त त्रिजल के भाव बहुत खतरनाक और दीवानगी भरे थे
राजकुमार त्रिमय अपने मन में - क्यों तड़पा रही है हमें इस कदर आप ये सही नहीं कर रही है राजकुमारी बस एक बार हमारे नजरों में आए फिर देखिए हमारे तड़पा की कीमत किस कदर वसूलेंगे आप से
किसी को इतना सतना किसी को इतना तड़पा बिल्कुल भी सही नहीं है राजकुमारी और आप तो चील साम्राज्य के युवराजो के साथ ये जुर्म कर रही है इस भीड़ में रह कर हमारे नजरों से कब तक छुपाएंगे आप
युवराज त्रिमय के बाते बहुत गहरे एक जुनून भरा था
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वहीं राजकुमार हर्ष ,राजकुमार प्रभात ,राजकुमार अर्श राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश मन ही मन बस यही दुआ कर रहे थे कि वो लड़की किसी भी चील की नजरों में न आए क्योंकि किसी भी चील के नजरों में वो लड़की आई तो भले ही आंख उनके हो पर नजरे वो दृष्टि युवराजों के के आंखों में होंगे
वहीं वैदेही जो लोग उन लोगों देख शौक में थी वो उनके नजरे खुद पर पड़ने से पहले जल्दी से अपने होश में आते खुद को पूरे तरह घूंघट से ढकते हुए सामनी खड़ी औरतों के वजूद से खुद को छुपाने हुए खुद से ही फूस फूस फसते हुए कहने लगी ये लोग तो सच में यहां के प्रिंस निकले उन्होंने तो हमें देखा था कही हमें पहचान कर हमें कोई सजा न दे दे...... हे भगवान रक्षा करना हमारी इन राजा महाराजाओं और राजकुमार युवराज का दिमाग पहले ही सनका हुआ रहता है बिना किसी गलती के सजा सुना देते है हम तो पहले इनके जरों में आ गए है
क्या,,, क्या करे हम,,, यहां से चले जाए क्या नहीं ,, नहीं वरना सीधे उनके नजरों में हम ही आयेंगे हे भगवान बस इनके नजरों से छुपा लो,,,
वैदेही बस उनके नजरों से बचने की दुआ मांगते वो उस औरतों के लाइन में सबसे पीछे थी
वैसे ही एक एक कर सभी औरते अपने उपहार ले कर जाने लगी युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय की बेचैनी बढ़ाने लगे थे उनका दिल ओर तेजी से धड़कता जा रहा था उनके नजरे उपहार लेती हर एक औरत को भेद रहे थे जिसे वैदेही अपने घूंघट से ढके चेहरे से बहुत हद देख पा रही थी वो खुद से ही कहने लगी ये लोग यहां के हर एक स्त्री को इतने अजीब तरह क्यों देख रहे है जैसे इन औरतों में कुछ ढूंढ रहे हो पर क्या हो सकता है एक ,, एक मिनिट कही ,, कही ये लोग हमें ही तो नहीं ढूंढ रहे है सजा देने के लिए जो जंगल में हुआ कही वो उसे अपना अपमान तो नहीं समझ बैठे और हमें सजा देने आए हो ,, ,,,, oo गॉड ये किस मुसीबत में फंसा दिया आपने हमें प्लीज रक्षा करना यार प्लीज इनके नजरों से बचा लो फिर हम कभी इनके सामने न आयेंगे
सभी एक एक कर आते जा रहे थे अभी तीन लोग ही बस बाकी थे जिनमें से दो लोग आगे बढ़ते जैसे ही अपने उपहार ली तभी कुछ धड़ाम से गिरने की आवाज आई जिसे सभी का ध्यान उस तरफ चला गया वही वैदेही राजकुमार वैभव के हाथों में पकड़े उपहार को लेते वह से चली गई
वहीं वो आवाज एक पेड़ के गिरने के थे जो बिना किसी हवा या किसी वजह बिना गिरा था जो बहुत अजीब बात थे युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उस तरफ से अपने नाज हटाते सामने देखे जहां पर अब कोई भी स्त्री बाकी नहीं रह गए थे ये देखते उन दोनों के आंखों खून से भी गहरे खतरनाक होते जा रहे थे उनके आस- पास बहुत खतरनाक औरा निकला लगा जो किसी अग्नि के भाती जलने लगा था उनका रूप देखते सभी दस कदम पीछे हटते खौफ से कांपने लगे थे
युवराज त्रिमय अपने डरावनी आवाज में वे सभी के तरफ देखते हुए कहने लगे हमने क्या आदेश दिया था हर एक मानव स्त्री यहां होनी चाहिए...
और तुम लोग ने हमारे आदेश का उलंघन किया...
किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था जैसे वो क्या कह रहे है पर मुख्या कांपने हुए कहने लगे यूं,, युवराज ह,, हम मानवबने इतनी हिम्मत कहा जो,, जो हम आपके आदेश का उलंघन करे हम,,, हमारे सभी स्त्री यहां मावजूद है ,,,,
युवराज त्रिजल अपने लाल दहकते नजरों से सभी को देखते अपने गर्दन को अजीब तरह से घूमने लगा वो वैसे ही आधे चील और आधे इंसान में बदलते वो हद्द से ज्यादा भयानक लगाते किसी शैतान के तरह आवाज करने लगा और इसी के साथ वो पूरे तरह भयानक चील में बदलते वो वहां वहां से उड़ते हुए गायब हो गए उसके साथ ही युवराज त्रिमय और राजकुमार चील में बदलते हवा में उड़ते वहां से उनके पीछे गया हुए
वहीं वहां जीतने भी इंसान थे सभी खौफ से अब भी खौफ में कांप रहे थे वहीं वैदेही तो जैसे किसी सदमे में थी उसने अभी अपने आंखों के सामने क्या देखा उसे जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था उसे लग रहा था वो कोई भयानक डरावना सपना देख रही हो इच्छाधारी चील ..... एक इंसान एक खतरनाक भयानक चील में बदल गया इंपोसिबल.... इंपोसिबल... उसका दिमाग जैसे ये बात एक्सेप्ट ही नहीं कर रहा थे ये कैसे हो सकता है ऐसे तो सिर्फ किताबों में हो सकता था वो भी उसने कभी पढ़ा नहीं था ऐसी कोई किताब हा उसने अपने जमाने के टीवी शो में जरूर ये देखा था जो उसका फेवरेट शो भी था नागिन ५ पर .... पर वो भी इतना भयानक नहीं था जो उसने अभी अपने आंखों के सामने देखा उसे जैसे चक्कर आने लगे थे
तभी मुख्या के आवाज सभी के कानों में पड़े जाए सभी अपने काम में लग जाएं जो अभी आप सब ने देखा उसको फिलहाल के लिए अपने दिल दिमाग न लाने दीजिए वो हमारे मालिक हमारे युवराज है बस यही याद रखिए और उन्हें शुक्रियादा की ,,,,
सभी अपने सर ह में हिलते अपने घरों के ओर बढ़ गए
वहीं वैदेही उनके शब्द सुन अपने होश में आते हुए खुद से ही कहने लगी इसका मतलब हमने अभी जो ,, जो कुछ भी देखा ,, वो,, वो सच था ,,,, पर,,, ये ये, कैसे हो सकता है ,, और ,, और ये सब लोग अब कुछ ही मिनटों इतने नॉर्मल कैस हो गए,,,,,,, oo गॉड ये,,, ये अपने किस जादुई दुनिया में भेज दिया है यार क्या आपको हमारे रिबर्थ के लिए सिर्फ यही दुनिया मिली थी कितन खौफनाक थे वो लोग और हम उन लोगों के बीच उस दिन जंगल में अकेले थे ,,, आ,,, हमें इतने कंपकपी क्यों हो रही है ,,,, और ऐसे बाते क्यों किए वो की सभी स्त्रियां,,,,
हे भगवान ,,,,, ओ गॉड नहीं नहीं,, ऐसे न हो प्लीज न हो हमें बस उनसे अब दूर रखना है हम पर उनकी परछाई पड़ने न देना यार प्लीज
तभी वैदेही के नजर आस- पास गए जहां सभी चले गए थे सिर्फ वही खड़ी थी ये देखते उसके नजर सामने उस बड़े से चील की प्रतिमा पर पड़े जिसके वो लाल नजरे बहुत भयानक तरह से चमक रहे थे उन नजरों को देखते वैदेही कांप उठी और अब एक मिनट भी जाया किए बिना वो वहां से दौड़ते हुए गायब हुई
आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
धन्यवाद!
महल के उस युद्ध प्रयास कक्ष में युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय लाखों सैनिकों से घिरे तलवार बाजी किसी हवा से तेज गति से कर रहे थे जिसका सामना लाखों सैनिक मिल कर पा रहे थे युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय इस वक्त पसीने से भीगे गुस्से से किसी लावा के तरह दहकते इस वक्त इतने ज्यादा खतरनाक लग रहे थे कहा नहीं जा सकता था वहीं राजकुमार हर्ष राजकुमार प्रभात ,राजकुमार वैभव, राजकुमार अर्श, राजकुमार अंश वही एक तरफ विश्राम एरिया में खड़े सब कुछ देख रहे थे
राजकुमार अर्श सामने देखते हुए - अच्छा हुआ कि वो स्त्री किसी चील नजरों में नहीं आई ,,,
राजकुमार प्रभात सामने देखते हुए - पार वो कब तक ही बच पाएगी चील के नजरों से जो दुनियां के सबसे तेज नजरे है और उसके तलाश कोई साधारण चील भू नहीं कर रहा बल्कि इस दुनिया के सबसे ताकतवरों चीलों के राजकुमार को है
राजकुमार अंश - आज तक युवराजों ने जो चाहा वो पाया है और इस बार तो उन्हें दीवानगी का वो नशा चढ़ा जो जुनून की असीम सीमा है जो किसी पर चढ़ा जाए तो वो साधारण सी चीजें भी साधारण नहीं रह जाते
राजकुमार वैभव -मुझे तो ये समझ नहीं आ रहा तुम लोग इस तरह खामोश क्यों हो बड़े पिता श्री को सब कुछ सच क्यों नहीं बता देते फिर जो होगा देखा जाएगा हमारे चिंता तो दूर होंगे
राजकुमार हर्ष - और तुम क्या चाहते हो वैभव चीलों का विनाश हो जाए अगर हमने महाराज को कुछ भी खबर दिया तो हम सब जान से जाएंगे ही पर एक ऐसा युद्ध छिड़ेगा जिसे पूरे चीलों का अंत हो जाएगा इस वक्त हमें शांत ही रहना है बाकी जो आगे जो होगा वो देखा जाएगा
बस वो स्त्री किसी चील के नजरों में बस न आए
रात्रि का पहर युवराजो के कक्ष में जहां युवराज त्रिजल अपने हाथों में एक चमचमाती तलवार को पकड़े उसे एक तक अपने लाल दहकते नजरों से देख रहा था वहीं युवराज त्रिमय अपने हाथों में वही दुप्पटे को पाक उसे अजीब तरह से स्मेल करते लंबी- लंबी सांसे ले रहा था
वो अपने आंख खोला जो गहरे लाल थे वो युवराज त्रिजल के तरफ देखते कहने लगा आगर हम उसे ढूंढ भी लिए तो वो कभी हमारी नहीं हो पाएगी भाई उन लोगों ने सही कहा है हम उसे चाह कर अपना नहीं बना पाएंगे वो हमारी ताकत हमारी शक्तियों को सह नहीं पाएगी हम हमारी राजकुमारी पर एक आंच भी बरदाश्त नहीं कर सकते ,, ये कैसी स्थिति है जो हम अपनी मोहब्बत को अपने मोहब्बत जाया नहीं कर पाएंगे उसे छू नहीं पाएंगे ये कैसे परिस्थिति है कैसी ,,,,
युवराज त्रिमय के बातों एक अजीब से दर्द के साथ बेचैनी और गुस्सा थे
युवराज त्रिजल अपने दीवानगी भर ठंडी आवाज से - हमारी राजकुमारी हमारी और हमारी ही रहेंगी हमारे मोहब्बत हमारे ताकत हमारे शक्तियों को उन्हें सहन करना ही होगा उन्होंने हमें बेकाबू किया है उन्होंने हमारे हृदय को धड़कते हमारे जिस्म में उन्हें अपना बनानी की तलब उन्होंने ही किया है तो उन्हें हमारा प्यार सहन करना ही होगा पूरे श्रृष्टि में खूबसूरत - खूबसूरत शक्तिशाली स्त्रियों में हमें नजरे तो क्या तो क्या हमें जिक्र भी मंजूर नहीं पर उन्होंने सिर्फ एक अनजानी तकरार से हमारे हृदय को ही हमारे खिलाफ कर दिया वो कोई साधारण कन्या हो ही नहीं सकती छोटे ,, वो मानव जरूर है पर साधारण नहीं वो बहुत खास है बहुत खास उसे इस सृष्टि ने सिर्फ हमारे लिए बनाया है सिर्फ हमारे लिए ,,,
और जो वो हमसे लुका छुपी का खेल खेल रही है न ये खेल उन पर बहुत भारी पड़ेगा क्योंकि आज तक कोई भी चील के नजरों से बच नहीं पाया और उन पर नजरे तो हमारे है ,,,,
ऐसे ही वक्त बिताने लगे थे लगभग एक सप्ताह बीत चुका था पर जिस स्त्री के उन्हें तलाश थे उनके कोई निशानी उन्हें हासिल नहीं हुआ था वो अपने हर कोशिश कर रहे थे अपने हर शक्तियों को उसकी तलाश में लगाए थे पर पहली बार था जब उन्हें हर तरफ से निराशा हासिल हुआ था जो बहुत हैरान कर देने वाले बात थे इन बढ़ते वक्त के साथ युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय का गुस्सा जैसे अपने चरम सीमा पर पहुंचने लगा था और उसके इस रूप ओर गुस्से का सामना हर शख्स कर रहा था
वहीं महाराज सूर्यवंशज को जैसे कुछ खबर ही नहीं पहुंच रहे थे उनको सब कुछ बिल्कुल नॉर्मल ही लग रहा था क्योंकि उन तक खबरें पहुंचने ही नहीं दिया जा रहा था
एक सप्ताह पहले जो हुआ उसका आसार इंसानों पर भी हुआ था कोई भी स्त्री अपने घरों से उस दिन के बाद बाहर ही नहीं निकल रही थी सिर्फ पुरुष ही डर से अपने काम से बाहर निकलते क्योंकि उन पर हर घड़ी हर पल चीलों का खतरा जो मंडरा रहा था चीलों के बड़े- बड़े साए उनके वो लाल नजरे वहां नजर आते जो उन्हें खौफ देता था
वैदेही इस वक्त रसोई में खड़ी परेशान नजर आ रही थी तभी कोकिला वहां आते कुछ कहते उसे पहले उसके नजर पूरे रसोई पर गए वो वैसे ही वैदेही के बाल पकड़ गुस्से से चीखते हुए कहने लगी अभी तक खाना नहीं बना मनहूस हम लोगों को क्या तू भूखे मरने का सोच रही है इतने देर से यहां खड़ी - खड़ी क्या अपनी मारी हुई मां को देख रही थी? क्यों नहीं बनाया अभी तक भोजन जवाब दे मनहूस फिर मैं तेरी टांगे तोड़ती हूं..?
वैदेही अपने बालों को पकड़ छुड़ाने की कोशिश करते अपनी गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहने लगी छोड़िए,,, हमें छोड़िए हमारे केस को .....हम बताते है हम ने भोजन क्यों नहीं बनाया पर आप हमारे केस को छोड़िए
कोकिला वैदेही के बालों को और ज्यादा खींचते हुए - तो तू मुझसे जबान लड़ाएगी मुझसे .....जवाब दे क्यों नहीं बनाया तू ने खाना
वैदेही दर्द से अपने आंखे बंद कर अपने बालों को छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहने लगीं - लकड़ियां....नहीं है हम कैसे भोजन बनाए,,, ।
कोकिला वैदेही को धक्का देते छोड़ते हुए कहने लगी - तो तू यहां कर क्या रही है मनहूस लकड़ियों लाने क्यों नहीं है
वैदेही अपने सर को सहलाते हुए कोकिला के तरफ घुस से देखते पर शांति से कहने लगी - हम कैसे लकड़ियों लाने जाए बाहर तो चीलों का साया है
कोकिला गुस्से से चीखते हुए - तो क्या तू हमे भूखा मारने का सोच रही है अभी के अभी जंगल जा कर लकड़ियों ला और वैसे भी तुझ मनहूस पर किसी चील की नजरे परे और तुझे नोच कर खा भी जाए तो हमारा लिए अच्छा ही होगा भगवान के शुक्र से तुझ जैसी मनहूस से हमारा पीछा तो छूटेगा अब देख क्या रही है जा यहां से
कहानी पसंद आ थी है तो कॉमेंट्स कीजिए आप लोग कॉमेंट्स नहीं कर तो लिखने का मन भी न होता तो नेक्स्ट पार्ट जल्दी चाहिए तो अच्छे - अच्छे कॉमेंट्स कीजिए और नेक्स्ट पार्ट बहुत अच्छा आने वाला है
आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
धन्यवाद
वैदेही मन ही मन गुस्से से कोकिला को गली देते हुए उस घर से बाहर निकली। वैसे ही उसको बहुत अजीब से शांति महसूस होने लगी वैदेही अपने डर भरी नजरों से आस- पास देखने लगी सब कुछ वैसा ही था पर अब उसको इस शांति का असली मतलब पता चला था तब से उसे इस सन्नाटे से खौफ आ रहा था क्योंकि यहां पर उन शैतानी चीलों का साया था जिसे यहां लोग अपने घरों से बहुत कम ही निकलते खास कर औरते वो आस- पास देख ही रही थी उसे चील की आवाज सुनाई दिए जिसे वो दौड़ते हुए फिर से घर के अंदर गई वैसे ही कोकिला उसे देखते चीखते हुए कहने लगी अभी तक गई नहीं कर्मजली चल जा जा जल्दी लकड़ियों लाने ,,, फिर तेरे टांगे तोड़ती हूं
वैदेही हकलाते हुए - वो ,,, वो चील,,
कोकिला वैदेही के बाजू को पकड़ते धक्के मार कर घर से बाहर निकलते हुए - ऐसे डर रही है जैसे पहले बार उन्हें देख रही हो हम उन्हीं के साए में कब से रहते आ रहे है और तेरा ये नाटक चल रहा है सब समझती हूं मैं तेरी काम चोरी तू एक बार लकड़ियों ला कर आ फिर ऐसे सबक सिखाऊंगी न की तेर सात पुश्तें भी याद रखेंगे और अगर खुद को उन चीलों से बचाना चाहती है तो अपनी मनहूस सकल धक लेना वरना तुझे नोच खाएंगे समझी
इतना कहते कोकिला दरवाजे को बंद कर दी
वहीं वैदेही गुस्से से उस दरवाजे को घूरते हुए बोली -अगर हमारी मजबूरी नहीं होती न तो तुझ जैसी डायन को हम बताते सबक ओर नौटंकी क्या होती है ..... क्या यार भगवान जी आप को बस यही दुनिया मिली थी मुझे मार कर फिर से जिंदा करने के लिए इसे अच्छा नर्क होगा कम से कम से वहां भेज देते मुझे ... पर नहीं एक मै ही मिली थी इस दुनियां के लिए...
तभी चीलों की फिर से चीख की आवाज आई जिसे वैदेही झट से एक पेड़ के पीछे छुपते हुए अपने चेहरे को जल्दी से घूंघट से धक ली और फिर से कहने लगी देख लो गॉड मुझे मार देना या इसे बत्तर जिंदगी दे देना पर .... पर पर हमारी इज्जत पर कोई आंच न आने देना रक्षा करना यार हमारी...
इतना कहते वैदेही अपने हाथ जोड़ उपर के तरफ देखते फिर आस- पास देखते धीरे से आगे बढ़ते हुए - चल वैदेही तुझे इस बार खतरों के खिलाड़ी बना पड़ेगा कसम से यार अगर हम अपने जमाने में उस शो में गए रहते न तो ऑनर ये सब देख कर हमें एक ही बार में घुटने टेकते ट्रॉफी दे देते कहता है ले , जाए सुरभी देवी आप तो महान है आप जैसे स्ट्रॉन्ग इस दुनिया में कोई है हो नहीं ,,,, क्या - क्या महान लाइन कहे जाते हमारे लिए और यहां चूल्हा फूंकने के लिए खतरे उठाना पड़ आए मेरी फूटी किस्मत,,,,
वैदेही फिर चौकना हो कर वहां से जंगल के रस्ते के तरफ धीरे ,- धीरे आगे बढ़ने लगी वैसे ही उसे खतरनाक आवाजें सुनाई देने लगे जिसे वो कांप उठती थी तो कभी उसे अपने ऊपर बड़े- बड़े चीलों की परछाई नजर आते वो खुद में धीरे - धीरे बुदबुदाते हुए आगे बढ़ रही थी
- आल ...तू जलाल तू ...आई बाला को टल तू,,, आल तू जलाल तू आई बाला को टल तू,......
उसने कभी चील या किसी जानवर से नहीं डरा था पर यहां पर उसने जो चीलों का रूप देख था उसके बाद तो जैसे चील शब्द लेने में भी उसने जबान लड़खाने लगे थे
वो जंगल के रस्ते में आगे बढ़ रही थी जहां कोई इंसान तो दूर के बात उसी किसी नॉर्मल पक्षी की आवाज तक नहीं दे रहे थे वो अपने कपड़ो को मुट्ठी में पकड़े जंगल रस्ते में ही जहां पेड़ थे वहीं आस - पास देखते हुए - हमें ... यही आस पास से ही लकड़ियों कलेक्ट करना चाहिए हम... हम फिर ... फिर से जंगल में नहीं जायेंगे पता नहीं इस बार जिंदा लौट पाए भी या नहीं
ये कहते वैदेही आस- पास देख उन सुखी लकड़ियों को अक्कठा करने लगी वो लकड़ियों को कलेक्ट की थी पर वो उतना सारा नहीं हुआ था कि उसे दो दिन का खाना बन सके और फिर से इस जंगल के सामने नहीं आना चाहती थी वो आस- पास परेशानी से देख ही रही थी कि। उसके नजर उस जंगल पर पड़े जहां पर पेड़ो की सुखी टहनियां बहुत से थे वो उस तरफ देखते हुए - बस उस लकड़ियों को लाना है चल वैदेही बस कुछ कदम ही तो चलना है तुझे इस जंगल में कुछ नहीं होगा चल वरना वो डायन तुझे कल फिर यहां भेजेगी चल वैदेही तू न डर सकती
वैदेही खुद से ही ये सब कहते गहरी सांस लेते डरते हुए अपने कदम उस जंगल के अंदर के तरफ बढ़ने लगी वैसे ही हवाओं का एक अजीब सा शोर होने लगा और वैदेही की वो खुशबू उन हवाओ में घुलते उस जंगल के गहराइयों में जाने लगे वैदेही जैसे ही उस जंगल में कदम रखते उन लड़कियों को पकड़ने के लिए नीचे झुकी वैसे ही उसको अपने आस - पास एक अजीब से ठंडी के साथ एक अजीब सा औरा महसूस होने लगा वैसे ही उसके रूह कंपकपाने लगे और उसका सीना तेजी से धड़कने लगा
वो अपने नजरे उठाते सामने देखी तो घूंघट से ढके उसके आंखों में खौफ फैला गया उसके सामने वही दो शख्स खड़े थे जिनसे वो पिछली बार इस जंगल में टकराई थी उसने इस अट्रैक्टिव पर्सनेलिटी पीछे इनका वो खौफ नाक रूप भी देखा था उसके सामने युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय खड़े थे जो उसे अपने एक अजीब से कशिश और दीवानगी लिए एक तक देख रह थे
वैदेही उन्हें देखते खड़े होते लड़खड़ाते हुए तीन कदम पीछे हट गई वो उन्हें ढके चेहरे से देख ही रही थी कि हवाओ ने अपना रूप बदल ओर उसका पल्ला जिसे उसने घूंघट डाला हुआ था वो एक झटके से उसके चेहरे से हट गया अब उसका वो सुंदर आकर्षित चेहरा उसके सामने था जिसमें खौफ और डर के भाव थे
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वैदेही अपने सामने खड़े उन तीनों शख्स को अपने शौक और हैरानी भरी नजरों से देख रही थी वहीं युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसको एक तक अपने आंखों में एक अजीब से कशिश और दीवानगी भरी अपनी ग्रे नजरों से उसके नीली आंख में देख रहे थे वो दोनों उसके उस खूबसूरत चेहरे को निहारते हुए उसके एक- एक अंग को अपने गहरी निगाहों से देखते उसे ऊपर से नीचे तक निहारने लगे उसका वो खुबसुरत चेहरा ,उसके वो डर से फैली हुई नीली आंखे ,उसके वो छोटी सी नाक ,उसके चेरी होठ, उसकी वो सुरीली गर्दन, उसके वो उड़ते हुए लंबे केस ,उसके वो सीना जो उनके डर से उपर नीचे हो रहा था ,उसकी वो पतली कमर जो उसके पल्ले से झाक रहा था
हर एक उसका अक्स उन दोनों के गहरी नजरों में समता ही जा रहा था
वैदेही उनके नजर खुद के हर बॉडी के हिस्से को एक अजीब तरह से निहारता देख उसके बॉडी कंपकपाने लगे बहुत अजीब थे उसके नजरे उस पर जो उसे अजीब सा खौफ दे रहा था वो तभी अपने होश में आते उन दोनों को देख अपने थूक निगल बिना एक पल गवाए झट से पीछे मूड भागने लगी
वहीं उसे इस तरह भागता देख युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान खिले जो कातिलाना था उनके वो गहरी नजरे उस पर ही थे जो अपने पूरे ताकत से उनसे दूर जाने की कोशिश कर रही थी
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अपने गर्दन को अजीब तरह से घुमाए वैसे ही उनके वो हरी नजरे हल्के से जाली और उनके पीछे दो न बड़े - बड़े खतरनाक पार निकल आए और दोनों वहां से किसी हवा के तेज से गायब हो गए
वहीं वैदेही जो बिना कुछ सोचे समझे दौड़ रही थी वो खुद से मन ही मन कहने लगी भाग ... भाग.. सुरभी वरना ये चील... तुझे जिंदा नोचते हुए खा जाएंगे... नहीं नहीं हमें इतने बेदर्द मौत नहीं मरना ....
तभी उसके मुंह चीख निकल गई आ.....
और वो दौड़ते हुए रुक डर भरी नजरों से सामने देखने लगी जहां युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय अचानक से उसके सामने आ गए थे वो दोनों के पार अब फैले हुए थे और हवाएं तेज चल रहा था जिसे उनके वो कंधे तक आते बाल हवा में उड़ रहे थे वो दोनों इस वक्त जितना हैंडसम लग रहे थे उतने ही खतरनाक भी दोनों के पार वैसे ही गायब हो गए और वो दोनों अपने एक एक कदम वैदेही के तरफ बढ़ते हुए अपने अट्रैक्टिव डोमेटिक वाइस से कहने लगे
युवराज त्रिजल -कहा जा रही है आप ...,?
युवराज त्रिमय - किसे भाग रही है आप ...? हमसे...?
वैदेही उनको अपने पास आया देख अपने कदम पीछे लेने लगी जैसे उसके मुंह से आवाज निकलना भी मुश्किल हो रहा था वो कभी किसी से नहीं डरती थी पर उसके सामने जो है वो इंसान के भेष में खतरनाक चील थे
वो अपने कदम पीछे लेते हुए अपने हिम्मत जुटा अपने थूक निगलते कहने लगी - दे... देखिए... यु... युवराज हमने... कु.... कुछ गलत ... न ...नहीं किया है ह... हमारी उस... उस दिन गलती से ... आ.. आप दोनों से टकरार हो ... हो .. गई थी ... उसके लिए आई एम सो.. सॉरी....
वैदेही झट से अपने जीभ को अपने दांतों के तले दबाते हुए खुद से मन ही मन कहने लगी शीट ......
अ... ह ... हमारा मतलब ह.. हमें माफ कर दीजिए युवराज हमें... हमें जा... जाने दीजिए.. हमसे .. हम फिर का... कभी .. आ,.. आप दोनों के सामने नहीं आएंगे
वैदेही पीछे होते एक पेड़ से सट चुकी थी वो पीछे मूड सामने देखी तो जैसे उसकी सांस ही रुक गए युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय बिल्कुल उसके सामने खड़े उसके दोनों तरफ अपने एक एक हाथ रखे उसको पूरे तरह घेर गहरी नजरों से देखते हुए कहने लगे
युवराज त्रिजल एक कातिलाना अंदाजा से - आप को पता ही होगा राजकुमारी जो एक बार किसी चील के नजरों में आ जाता है वो कभी उनसे बच नहीं सकता फिर आपने ऐसा सोचा भी कैसे
युवराज त्रिमय एक एविल मुस्कान से - आप चीलों से बचने की कोशिश कर रही थी आप उस दिन वहां पर थी न राजकुमारी...? पर आप कैसे भूल गई जिनके निग़ाहों में आप आई है वो कोई साधारण चील नहीं चीलों के युवराज है
और आपको ज्ञात होगा चील के इंसाफ में क्षमा जैसे शब्द भी नहीं है
वैदेही जिसके सांसे ही रुक गए थे वो उनके शब्द सुन खुद से मन ही मन कहने लगी हे भगवान कितने खतरनाक है ये दोनों क्षमा जैसे शब्द भी नहीं तो क्या ये लोग हमें जान से मार देंगे ... नहीं ..नहीं . नहीं हमें मरना इतनी जल्दी
युवराज त्रिजल वैदेही को गहरी निगाहों से देखते अपने गहरी आवाज से - आप कौन है राजकुमारी
वैदेही मन ही मन खुद से -हे भगवान ये दोनों हमें किस दुनिया की राजकुमारी समझ रहे है हमारी औकात तो यहां भिखारी से भी बत्तर है यार
वो दोनों को देखते - ह .. हम को .. कोई र .. राजकुमारी नहीं है यू.. युवराज हम .. हम एक साधारण से कन्या है वैदेही ...
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के कानों में एक यही शब्द गूंजने लगे थे वैदेही...... वैदेही.....
वहीं वैदेही उन दोनों देखते कुछ न बोलता देख वो जल्दी से झुकते युवराज त्रिमय के हाथों के नीचे से निकल वो फिर से भागते हुए मन हु मन कहने लगी -ओ गॉड प्लीज इन चीलों से बचा लो यार god please यार save me ...
वहीं युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसको फिर भागवत देख उन दोनों के चेहरे पर कातिलाना मुस्कान खिल गए
युवराज त्रिमय - आप हमसे चाह कर भी भाग नहीं सकती फिर कोशिश क्यों कर रही है आप
वहीं वैदेही भाग ही रही थी कि उसके सामने फिर से वो दोनों आ गए वैसे ही वैदेही फिर से रुक गई और खुद से फुसफुसाते हुए - हे भगवान हम कैसे बचे इनसे ..... वैदेही इधर- उधर देखने लगे और उन दोनों को एक नजर देख वो पीछे मूड जंगल के तरफ दौड़ने लगी
आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
धन्यवाद!
कहानी
वैदेही अपने पूरे ताकत से जंगल के अंदर के तरफ भागते हुए मन ही मन कह रही थी हे भगवान प्लीज बचा लो इन चीलों से ....Are you listening, God? प्लीज प्लीज कोई रास्ता दिखाओ इन चीलों से बचने के कोई मंत्र है क्या चील को भागने का ...?
वैदेही भगवते ये सब सोच ही रही थी कि अचानक से पांच विशाल चील उसे कुछ दूरी पर आ कर खड़े होते खतरनाक आवाजें करने लगे वैसे ही वैदेही अपने जगह पर ही रुक अपने थूक निगलते सामने देखने लगी वो पांच चील देखने ही देखते इंसानी रूप में ही बदल गए ये लोग भी वह थे जिसे उसने उस दिन जंगल में देखा था और उस उपहार देने में भी वो पांचों राजकुमार हर्ष राजकुमार अर्श, राजकुमार प्रभात ,राजकुमार वैभव राजकुमार अंश थे जो उसे ही देख रहे थे
वैदेही उनको देख भागने के लाए जैसे ही पीछे मुड़ी उसके सामने युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय खड़े थे जो उसको एक कशिश भरी एविल मुस्कान से देखते हुए उसके करीब बढ़ रहे थे
वैदेही उनको देखते वो खौफ से कंपकपाने लगी उसके आंखे डर से फैल चुके थे वो कभी पीछे देखती तो कभी आगे ,,,
युवराज त्रिजल वैदेही के तरफ बढ़ते हुए - आप वो कोशिश ही क्यों कर रही है राजकुमारी जो मुमकिन ही नहीं। आप चाह कर भी चील से तेज नहीं दौड़ सकती
वैदेही उसके बाते को सुन खुद से मन ही मन कहने लगी - हमें पता है हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते पर इस तरह खुद को कभी तुम चीलों के हवाले नहीं करेंगे हम खुद को बचाने की अपनी हर कोशिश करेंगे अगर उसके बाद हमारे जान भी चले जाए तो अफसोस तो नहीं होगा कि हमने खुद को सेव के लिए की कोशिश भी नहीं कर पाए
वैदेही उन लोगों को देख वो उनके तीसरे तरह दौड़ने के लिए अपने कदम बढ़ाई की राजकुमार हर्ष उड़ते हुए उसके समाने आ गया
वैदेही के कदम वैसे ही थम गए वो पीछे मूड चौथे रस्ते के तरफ दौड़ने के लिए बड़ी की उसके समाने राजकुमार प्रभात उड़ते हुए आ गया
वैसे ही चारों तरफ उन चीलों से घिरे अपने जगह पर ही खड़ी रह गई थी
युवराज त्रिमय वैदेही के तरफ बढ़ते हुए एविल मुस्कान से कहने लगा - क्या हुआ और कोशिश नहीं करना आपको हमसे दूर जाने की
वैदेही को ये नज़ारा देख हद्द से ज्यादा डर लग रहा था उसे ये सब किसी मूवी शूटिंग जैसा लग रहा था पर ये उसकी हकीकत थे उसके दिमाग में वो गलत ख्याल आ रहे थे क्या ये लोग मिल उसका गैंग रे *प करेंगे
नहीं ... नहीं... वो मर जाएगी वो खुद को खत्म कर देगी पर वो खुद की इज्जत को कुछ नहीं होने देगी
वैदेही को लगाने लगा वो नहीं बच सकती क्योंकि युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसके बेहद करीब आ चुके थे
वैदेही खुद से मन में कहने लगी -अगर हमें मरना है तो इनसे डरना ही क्या मौत से ज्यादा इनको हम अपने साथ कुछ करने देंगे भी नहीं ..
वैदेही के आंखों में जो डर जो खौफ था वो जैसे कही गायब सा हो गया और युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय को देखते अपने कमर में रखा एक खंजर जो उसने जंगल में आने से पहले इस खतरे का अंदाजा लगाते हुए रखा था
वो उस खंजर को निकल अपने कमर के तरफ पॉइंट्स करते हुए कहने लगी खबरदार युवराज जो हमारे तरफ अपने एक भी कदम बढ़ाया तो ...
वैदेही की हरकत देखते युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के कदम अपने जगह पर ही रुक गए और उसके शब्द सुन तो जैसे सभी राजकुमारों के आंखे फैला चुके थे क्योंकि आज तक किसी के इतनी हिम्मत नहीं हुए थे कि कोई युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय से ऊंची आवाज में बात कर सके उनके आंखों देखने तक की हिम्मत नहीं कर सकता था कोई और यहां तो एक साधारण से मानव स्त्री चील साम्राज्य के युवराज से न केवल आंखों में आंखे देख ऊंची आवाज में बात कर रही है बल्कि धमकी भी दे रही यकीनन कुछ तो खास था इस स्त्री में या फिर बहुत खास
सभी राजकुमार वैदेही के तरफ पीछे के तरफ बढ़ने के लिए अपने कदम बढ़ाए की वैदेही जो चौकन्ना थी वो सभी के तरफ देख कहने लगी खबरदार जो आप में से किसी ने भी हमारे पास आने कोशिश किया तो वरना हम खुद की जान ले लेंगे
उसके बात सुन युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय की आंखे लाल गहरे लाल होने लगा उनके लाल नीली नशें उनके बॉडी से उभरते उन्हें भयानक बनाने लगे उनके कानों में बस यही शब्द गूंजा रहे थे हम अपनी जान ले लेंगे
उनके पास से निकलने वाले ओरा को महसूस कर सभी राजकुमार भी कंपकपाने लगे थे वहीं वैदेही उनका रूप, उनके जलती नजरे उनके पास से निकलने वाले ओरा सभी को देखते वो थरथराने लगी थी उसकी जैसे जो हिम्मत बनाई हुई थी उसके इस रूप को देख टूटने लगे थे
वो अपना थूक निकलते अपने हकलाते जबान से आगे कहने लगी -ह... हम स...च कह रहे है ह..हम अ..पनी जान ले ... लेंगे दु ... दूर रहिए हमसे ह.. हम खुद को मार डालेंगे
राजकुमार त्रिजल और राजकुमार अपने जलती नजरों से एक तक वैदेही को देखते उसके तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए
युवराज त्रिजल अपने गुस्से भरी रूह कांपने वाली आवाज से - आपकी हिम्मत भी कैसी हुई राजकुमारी वैदेही............. की आप अपने लिए ऐसे शब्द भी बोले कैसे हिम्मत हुई आपकी .. आप अपनी जान लेंगी आप ...?
वैदेही उनको अपने पास आता देख उनके शब्द सुन तो जैसे वो अपने कदम पीछे लेते कांपने लगी थी उसके मुंह से जैसे एक शब्द भी अब नहीं निकल पा रहे थे
युवराज त्रिमय उसके तरफ बढ़ते अपने गुस्से भरी डरावनी आवाज से - आप में इतनी हिम्मत है राजकुमारी वैदेही ..... तो एक खुद चोट तो पहुंचा कर बताए सौगंध है हमें आप आने वाले वंशज की .. हम आप को ऐसे सजा देंगे कि पूरी सृष्टि कांप उठेगी
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और
वैदेही उनके बात सुन उनका ये रूप देख ही कांप रही थी युवराज त्रिजल , युवराज त्रिमय चलते हुए उसके बेहद करीब आ चुके थे वैदेही जो उनका रूप देख जम चुकी थी उनको अपने इतने करीब पा कर हड़बड़ाते हुए झट से पीछे होने के लिए अपने कदम बढ़ाई की उसका पैर मुड़ और वो पीछे तरह गिरने को हुई को युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसके हाथ को पकड़ उसको गिरने से बचा लिए ओर एक तक वैदेही के खौफ भरी नजरों में अपनी दीवानगी भरी नजरों से देखने लगे
तभी अचानक से युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय वैदेही के हाथ को पकड़े हुए एक झटके से अपने तरफ खींचे जिसे वैदेही सीधे उन दोनों के सीने से लगी उसके आंखे कस कर बंद हो चुके थे उसके दोनों हाथ युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के एक एक तरफ उसके गर्दन में लिपटे हुए थे वहीं वैदेही के लंबे बाल युवराज त्रिजल युवराज त्रिमय के चेहरे पर उड़ रहे थे और उन दोनों के एक एक एक मजबूत हाथ वैदेही की खुली कमर पर थे
उन तीनों के धड़कन इस वक्त एक ही गति और एक ही धुन के धड़क रहे थे जिसे वो अच्छे से महसूस कर प रहे थे
वहीं युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय का गुस्सा वैदेही के छुअन से कही गायब सा हो चुका था उनका वो रूप जो कुछ वक्त पहले किसी अग्नि के तरह दहक रहा था वो किसी बर्फ से ज्यादा ठंडा पड़ चुका था
वैदेही गहरी - गहरी सांस लेते धीरे से अपने आंखे खोलने लगी उसको वैसे कप कापी सा महसूस होने लगा एक स्ट्रॉन्ग खुशबू महसूस होने जो उसके बेहद करीबी से आ रहा था बेहद करीब साथ ही उसको ऐसा लगाने लगा जैसे वो चट्टान से भी मजबूत चीज से टकराई हो उसके ब्रेस्ट जो उन दोनों के मजबूत सीने से टकराए थे उसमें उसको एक तेज दर्द महसूस होने लगा
वो एक झटके से उन दोनों से दूर हुई और लंबी - लंबी सांसे लेते अपने सामने खड़े उन दोनों को देखने लगी जो उसे एक तक दिलकश निगाहों से देख रहे थे
वैदेही को अपने सीने का दर्द असहनीय महसूस होने लगा वो उन दोनों से अपने नजर फेर अपने सीने में हाथ रख कस कर अपने आंखों को बंद कर ली जैसे अपने दर्द को सहन करने की कोशिश कर रही हो
पर उसको इतना दर्द हो रहा था जैसे किसी ने उसके ब्रेस्ट को किसी संतरे के तरह मसल दिया हो उसके आंखों से आंसु निकलने से नहीं रोक पाओ वो अपने आंख खोल रोते हुए उन दोनों के तरफ देखने लगी जो उसको हर एक हरकत को नोटिस करते हुए युवराज त्रिजल ,युवराज त्रिमय के चेहरे पर उसके फिक्र और चिंता के भाव नजर आने लगे थे
वैदेही उन दोनों को देख अपने दर्द की वजह से रोते हुए गुस्से से कहने लगी आ.. आप दोनों इंसान है या ...नहीं.. नहीं चील या फिर कोई चट्टान इसे अच्छा हमें नीचे ही गिरने दिए रहते क्या जरूरत थी हमें बचने की क्या हमने कहा हमें बचा कर हीरो बने के लिए आ... मम्मी ...... कितना दर्द हो रहा है हमें आ... अंदाजा भी है आप दोनों को कितने तकलीफ हो रही है ये शरीर है या फिर लोहा आ.... मम्मी ई.... ओ गॉड... अ....
वहीं राजकुमार हर्ष ,राजकुमार प्रभात, राजकुमार अर्श राजकुमार वैभव, राजकुमार अंश उन पांचों को तो जैसे शौक से शौक मिल रहा था उन लोगो को लगाने लगा कही सामने का नजारा देख सदमे से ही न मार जाएं
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय जिन्हें भूल कर कोई गुस्सा न दिलाना चाहे जो अगर एक बार गुस्सा हो जाए तो उस गुस्से का सामना पूरे सृष्टि को करना पड़ता जो अभी कुछ वक्त पहले ज्वाला मुखी बने दहक रहे थे वो दोनों इस लड़की के एक स्पर्श से ही किसी बर्फ के तरह ठंडे पड़ चुके थे
और ये मानव कन्या में पता नहीं कहा से इतनी हिम्मत आ रही थी कि वो युवराज के सामने उनको ही इस तरह बोल रही है जैसे उनकी कोई औकात ही न हो और पता नहीं उसे क्या हुआ वो रो भी रही है वही उसको दोनों युवराज फिक्र भरी निग़ाहों से देख रहे है
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय वैदेही को फिक्र भरी निगाहों से देखते उसको इस तरह रोता देख उसके बाते सब समझने की कोशिश कर थे कि वैदेही जो अपने सीने पर हाथ रखे हल्का- हल्का सहला रही थी वहां पर नजरे जमाते उन्हें सब समझ आ गया
वहीं वैदेही उनको अपने सीने के तरफ देखता देख गुस्से से उसका चेहरा लाल होने लगा वो अपने दर्द को इग्नोर कर अपने दुप्पटे से अपने सीने को ढकते हुए बोली निहायती बेशरम आदमी....
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसके मुंह से खुद के लिए ऐसे शब्द सुन उनके आंखे सख्त हो गए
वहीं राजकुमार हर्ष , राजकुमार प्रभात , राजकुमार अर्श राजकुमार वैभव , राजकुमार अंश की तो जैसे ही हंसी ही छूट गए जिनके सामने किसी की आवाज तक नहीं निकलती चाहे वो बड़े से बड़ शैतान ही क्यों न हो उनके सामने एक मानव कन्या उनके मुंह पर ही उन्हें इस तरह के शब्दों से नवाज रही है वैसे वो सच में इस लड़की की किस्मत और हिम्मत को दात दे रहे थे
वो लोग अभी हंस ही रहे थे कि युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उनके तरफ अपने डरावनी नजरों से देखे
जिसे उन लोगों के हंसी एक ही पल में गायब हो गए
युवराज त्रिजल - जब हम न कहे इस जंगल में तो क्या इस इलाके में भी कोई भी रूह की परछाई भी पड़ने चाहिए
वो पांचों एक साथ अपने सर झुकते - जो आज्ञा युवराज
फिर वो पांचों चील में बदलते हुए वहां से गायब हो गए
अब वहां पर सिर्फ वैदेही और वो दोनों युवराज ही थे देखते ही ही देखते हवाओ का थोड़ा शोर हुआ और एक ही पल ऐसे शांति छाई जैसे वह उन तीनों के अलावा कोई जीवा हो ही नहीं पेड़ पौधे भी किसी निर्जीव के भाती शांत हो चुके थे
वैदेही जो पहले से डरी हुई थी वो ये नजारा देख और ज्यादा डरने लगी और उन दोनों के तरफ देखते डरते हुए कहने लगी - ये.. ये.. सब क्या हुआ.. सब इस तरह शांत
युवराज त्रिमय वैदेही को गहरी निगाहों से देखते हुए - हमारे पास आए राजकुमारी....
आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
धन्यवाद!
नेक्स्ट
वैदेही उनके शब्दों को सुन और आस - पास का नजारा देख उसे डर लग रहा था वहीं युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसे अपना बात न मानता देख उसके तरफ अपने कदम बढ़ाने लगे
वैदेही उनको अपने पास आता देख अपने कदम पीछे लेते डरते हुए कहने लगी देखिए .. दूर... दूर रहिए हमसे ... हमारे.. हमारे पास मत आए
पर युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय उसके बेहद करीब आ चुके थे वैसे ही युवराज त्रिजल वैदेही के सीने को देख वैदेही के आंखों में कशिश भरी निगाहों से देखते हुए अपने हाथ बड़ा एक झटके से उसके दुप्पटे को उसके सीने से अलग कर दिया
जिसे वैदेही चीखते हुए जल्दी से अपने हाथों से अपने सीने को ढकने की कोशिश करते वो गुस्से और डर भरी निगाहों से उनके तरफ देखते हुए - ये क्या बातमीजी है ... देखिए ह.. हमारे साथ कुछ भी उल्टा सीधा करने के कोशिश किए तो ... तो.. तो हम .. हम आप.. दोनों की जान ले लेंगे
युवराज त्रिमय वैदेही को अपने दीवानगी भरी निगाहों से उसे ऊपर से नीचे तक निहारने हुए - आप हमारे जान और क्या ही लेंगी राजकुमारी वैदेही हम तो पहले ही अपने जान दे चुके है
वैदेही उन दोनों के नजरे खुद के जिस्म पर अजीब से महसूस करते हुए वो झट से पीछे मूड खुद से मन ही मन कहने लगी - तू इनसे चाह कर भी नहीं भाग सकती सुरभि न इनसे बच सकती है आज तुझे अपनी इज्जत या मौत में किसी एक को चुनना है तो अपने मौत को स्वीकार कर
वैदेही उन लोगों के तरफ बिना देखे - अगर आप दोनों को हमारे साथ कुछ भी करना है तो हमारी जिस्म चाहिए आपको तो पहले हमारे जान ले लीजिए उसके बाद हमारे इस जिस्म से आप जो करना चाहे कर सकते है पर पहले हमें मृत्यु दे दीजिए
युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के सामने वैदेही की गोरी मखमल पीट थी जिसमें वैदेही के लंबे काले बाल बिखरे हुए लहरा रहे थे
युवराज त्रिजल वैदेही की पीटी को देखते उसके बेहद करीब बढ़ते इतनी करीब की वैदेही को उनके वो गर्म सबसे भी अपने कंधे पर महसूस हो रहे थे जिसे उसके रूह कंपकपाने लगे थे वो खुद से मन ही मन कहने लगी हे भगवान ये दोनों हमें कैसी मौत देने वाले है क्या अपने नाखून से हमें फाड़ने वाले आ... Ooo गॉड मेरा रिबर्थ ही क्यों किया कितन अच्छे से ही थी मारी थी मैं
तभी उसके कानों में युवराज त्रिजल के गहरे आवाज पड़ी राजकुमार वैदेही.. हमारे तरफ देखिए..
उसके आवाज कुछ ऐसे थे कि वैदेही न चाहते हुए भी उसके तरफ देखने पर मजबूत हो गई वो पीछे मुड़ते उसको अपने बेहद करी देख जल्दी से दो कदम दूर होते डर भरी निगाहों से उसके तरफ देखने लगी
युवराज त्रिमय वैदेही को गहरी निगाहों से देखते हुए - आपके उभर पर चोट आया है राजकुमारी और उसका इलाज इस वक्त करना बेहद जरुर है वरना भविष्य में हमारे संतानों को समस्या होंगे
वैदेही उसके बात सुन उसको अजीब निगाहों से देखते खुद से मन ही मन कहने लगी ये क्या बोल रहे है और ये उभार क्या होता है जहां पर हमें चोट आई है ?
वैदेही खुद को बॉडी को देखने लगी तभी उसका ध्यान अपने सीने पर आया और वैसे ही उसको सब समझ आया उसका चेहरा गुस्से ओर शर्मा से पूरे तरह लाल होने लगा उसे इस वक्त हद्द से ज्यादा शर्मिंदा जैसे महसूस हो रहा था उसका जी चाह रहा था अभी के अभी इन दोनों के नजरों से कही दूर चली जाए
उसके लाल होते चेहरे को देख युवराज त्रिजल और युवराज त्रिमय के चेहरे पर एविल मुस्कान खिले उसका शर्माता लाल चेहरा उसे जैसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा था
युवराज त्रिजल - आप फिक्र न कीजिए राजकुमारी वैदेही हमारे होते कोई भी समस्या नहीं होंगे हम इसे ठीक कर देंगे
वैदेही अपने लाल चेहरे पर शौक से उसे देखते खुद से मन ही मन कहने लगी इसका कहने का क्या मतलब .. क्या ये हमारे ब्रेस्ट को .. नहीं.. नहीं हम ऐसे होने नहीं देंगे
वो गुस्से से उन दोनों को देखते हुए डरते कहने लगी - देखिए .. देखिए दूर रहिए हमसे हम ... हम ठीक है हमें कोई भी इलाज नहीं करवाना
युवराज त्रिमय अपने हाथों को वैदेही के बॉडी के उपर हवा में घुमाया वैसे ही वैदेही अपने जगह जैसे जाम सी गई
वो खुद हिलाने की कोशिश कर रही थी पर जैसे खुद को हिला भी नहीं पा रही थी वो खुद में मन ही मन कहने लगी -ये.. ये क्या हुआ हमें हम खुद को हिला क्यों नहीं पा रहे है
युवराज त्रिमय उसको कशिश भरी निगाहों से देखते हुए - आप कुछ वक्त के ऐसे ही रहेंगी राजकुमारी जब तक हम आपका इलाज नहीं कर देते तब तक क्योंकि आप अपना ऐसे ही इलाज करवाएंगी नहीं हमसे और आपके वहां इलाज होना बेहद जरूरी है ताकि हमें और हमारे आने वाले वंशज को कोई समस्या न हो
वैदेही के आंखे हैरानी से फैल रहे थे वो सब कुछ देख सुन सकती थी पर कुछ बोल नहीं पा रही थी
युवराज त्रिमय दीवानगी भरी निगाहों से वैदेही को देखते उसके पीछे जाते उसके लंबे केस पर अपने हाथों को फेरते हुए उसको एक सौदे सामने करते हुई उसके ब्लाउज की डोरी को खोलने ही वाला था जिसे महसूस करते वैदेही के आंखों से आंसु बाह रहे थे वो कस कर अपने आंखों को बंद की हुई थी
तभी युवराज त्रिजल जो एक तक वैदेही को देख रहा था वो उसके आंखों से आशुओं को साफ करते हुए ,- हमारी तरफ देखिए राजकुमारी..
वैदेही अपने लाल आंसु भरी नजरों से उसके तरफ देखी युवराज त्रिजल - जब तक आप पर हमारा पूरे तरह हर तरफ से अधिकार न हो जाए हम आपको नहीं देखेंगे राजकुमारी पर इसका मतलब ये नहीं आपका इलाज न हो
इतना कहते युवराज त्रिजल वैदेही के दुप्पटे को अपने आंखों में बंद दिया वैसे ही युवराज त्रिमय वैदेही की ब्लाउज की डोरी को खींच दिया जिसे वैदेही की ब्लाउज नीचे गिरने लगा जिसे युवराज त्रिमय पकड़ते एक तक वैदेही की गोरी पीठ को निहारने लगा
आगे जाने के लिए वेट कीजिए नेक्स्ट पार्ट का
धन्यवाद!
कहानी पसंद आ रही हो तो कॉमेंट्स कीजिए