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बेरहम मोहब्बत

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Muskan Gupta

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नायरा खन्ना को हमेशा यक़ीन था कि उसकी ख़ूबसूरती और मासूमियत से कोई भी इंकार नहीं कर पाएगा। लेकिन रेयांश मेहरा… उसने न सिर्फ़ उसे ठुकराया बल्कि उनकी सगाई भी तोड़ दी, जिससे नायरा सबके बीच हंसी का पात्र बन गई। तीन साल बाद, नायरा ने ठान लिया कि वह...

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. बेरहम मोहब्बत - Chapter 1

    Words: 1214

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक जुनूनी और क़रीबी रात के बाद, नायरा खन्ना ने महसूस किया कि उसके पास लेटा हुआ शख़्स उठकर बाथरूम में चला गया है।

    वो थकी हुई बिस्तर पर ही पड़ी रही, हिलने की हिम्मत तक नहीं थी।

    बाथरूम से पानी की आवाज़ आ रही थी। नायरा ने बड़ी मुश्किल से आंखें खोलीं और फर्श पर बिखरे कपड़ों की तरफ़ देखा।

    रात के लम्हे उसकी आंखों के सामने ताज़ा हो उठे। उसका चेहरा लाल हो गया और उसने घबराकर चादर को अपने सीने से कसकर पकड़ लिया।

    वो और रेयांश…

    बचपन से ही दोनों की सगाई परिवार वालों ने तय कर दी थी। लेकिन रेयांश को इस रिश्ते में कभी दिलचस्पी नहीं रही। वह हमेशा उससे दूर-दूर ही रहता, और नायरा कभी समझ नहीं पाई कि वो क्या सोचता है।

    फिर जब रेयांश का एक्सीडेंट हुआ था, तब नायरा ने पूरे तीन महीने उसकी सेवा की थी। उस समय से उसका रवैया थोड़ा बदला, और वो नायरा के करीब आने लगा।

    अब जब दोनों एक-दूसरे के हो चुके थे, तो क्या वो उसकी ज़िम्मेदारी लेकर उससे शादी नहीं करेगा?

    यही सोचकर नायरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा और आंखों में चमक भर आई।

    इसी बीच बाथरूम का दरवाज़ा खुला।

    रेयांश आराम से बाहर आया। उसकी कमर पर बस एक तौलिया बंधा था। चौड़ी छाती, जिस पर अब भी पानी की बूंदें चमक रही थीं, उसे और भी दिलकश बना रही थीं।

    भले ही वो अब नायरा का हो चुका था, फिर भी नायरा की नज़रें झुक गईं।

    लेकिन रेयांश का चेहरा हमेशा की तरह ठंडा और सख़्त था। उसकी आंखों में सर्द अंधेरा झलक रहा था।

    वो बिना एक नज़र डाले नायरा के पास से गुज़र गया और आराम से कपड़े पहनने लगा।

    नायरा ने चादर कसकर पकड़ ली। गहरी सांस लेकर हिम्मत जुटाई और धीमे से बोली—

    “रेयांश… हम…”

    वो आगे बोल नहीं पाई, लेकिन रेयांश चुप ही रहा।

    थोड़ा रुककर नायरा ने फिर से कहा—

    “जब हम एक हो चुके हैं… तो क्या तुम्हें नहीं लगता कि…”

    रेयांश ने सूट का आख़िरी बटन लगाया और उसकी तरफ मुड़ा।

    उसकी भौंहें हल्की सी उठीं, आंखें सीधे नायरा पर टिक गईं।

    नायरा की ज़ुबान वहीं थम गई।

    उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे, पर उसकी नज़रों की सख़्ती से नायरा का दिल सहम गया।

    रेयांश ने धीरे-धीरे उसकी शक्ल पर नज़र डाली, और जब उसे नायरा की घबराहट दिखी, तो होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई।

    “एक हो चुके? कब?” उसने ठंडी आवाज़ में कहा।

    नायरा सन्न रह गई।

    उसका मतलब क्या था?

    क्या पिछली रात जो हुआ वो कुछ भी नहीं था?

    क्या अब उसे उससे शादी करनी चाहिए थी, और वो इनकार कर रहा था?

    रेयांश ने उसकी उलझन देखी और होंठों को तिरछा किया। फिर बेहद बेरहम लहज़े में बोला—

    “तुमने अपनी मर्ज़ी से मुझे अपनाया, अपनी मासूमियत दी… और अब चाहती हो कि मैं तुम्हारी ज़िम्मेदारी लूँ?”

    उसकी आवाज़ जितनी मधुर थी, उतनी ही बेरहम उसकी बातें थीं।

    नायरा का चेहरा पीला पड़ गया, हाथ काँपने लगे।

    हाँ, उसने ही पहल की थी, नशे में उसने ही रेयांश को चूमा था। लेकिन रेयांश ने उसे रोका तो नहीं था!

    बल्कि, उसने भी उसे अपनी बाँहों में भर लिया था…

    तो अब अचानक इतना बेरहम क्यों हो गया? क्या उसने कोई ग़लती की थी?

    रेयांश उसके करीब आया, उसकी ठोड़ी उंगलियों से उठाई और ठंडी आंखों से देखते हुए बोला—

    “मैं तुम्हें जवाब दूँगा।”

    नायरा ने पूरे एक हफ़्ते उस जवाब का इंतज़ार किया।

    आख़िरकार जवाब आया… वो भी रेयांश की कॉल से नहीं, बल्कि उसके असिस्टेंट की कॉल से।

    और उसमें सिर्फ़ एक बात कही गई थी—

    रेयांश मेहरा सगाई तोड़ना चाहता है।



    कॉल कटने के बाद नायरा सोफ़े पर बैठी रह गई। उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था।

    उसके पापा ने उसकी हालत देखी और सीधे पूछा,
    "नायरा, क्या वो रेयांश का फ़ोन था? उसने क्या कहा? क्या अब शादी होने वाली है?"

    माँ भी बगल में बैठी उम्मीद भरी नज़रों से उसे देख रही थीं, मानो जवाब का इंतज़ार कर रही हों।

    क्या अब शादी होने वाली है…?

    ये सवाल सुनकर नायरा एकदम से होश में आई। उसने काँपते हुए सिर उठाया और होंठ दबा लिए।

    उस रात के बाद, जब ये ख़बर बाहर निकली कि नायरा और रेयांश ने साथ रात बिताई थी, पूरे सोसायटी में ये बात आग की तरह फैल गई।

    मिस्टर और मिसेज़ खन्ना को जैसे ही पता चला, वो बेहद खुश हो गए। उन्हें तो हमेशा डर था कि रेयांश उनकी बेटी में दिलचस्पी नहीं रखता और सगाई टूट जाएगी। मगर अब, जब उसने नायरा के साथ रिश्ता निभा लिया, तो जाहिर है कि शादी तो पक्की थी।

    नायरा ने अपने पेरेंट्स के चेहरे पर मुस्कान देखी। वो कुछ कहना चाहती थी, पर गला सूख गया और शब्द बाहर नहीं निकले। उसकी आँखें बुझी हुई लग रही थीं।

    आख़िरकार उसके पापा को लगा कि कुछ ठीक नहीं है। उनकी मुस्कान गायब हो गई और उन्होंने गंभीर आवाज़ में पूछा,
    "नायरा, सच बताओ, क्या कहा उसने?"

    नायरा उनकी आँखों में देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। वो जानती थी कि उसके पेरेंट्स रेयांश से शादी की कितनी उम्मीद लगाए बैठे थे। उसने नीचे झुककर अपने काँपते हाथों को देखा और बहुत मुश्किल से शब्द निकाले—

    "रेयांश ने कहा है कि वो सगाई तोड़ना चाहता है..."

    उसकी आवाज़ बहुत धीमी और टूटी हुई थी।

    पापा तुरंत चुप हो गए, और माँ जैसे पत्थर की तरह जम गईं। कुछ देर बाद माँ ने कांपते हुए कहा,
    "क्या? यानी रेयांश ने तुम्हारे साथ सब कुछ करने के बाद भी, ज़िम्मेदारी लेने के बजाय सगाई तोड़ दी?"

    पापा का माथा सिकुड़ गया। वो बिज़नेसमैन थे, इसलिए खुद को संभाल लिया, और धीमे स्वर में बोले,
    "नायरा, तुम दोनों के बीच हुआ क्या है?"

    पिछले हफ़्ते से नायरा बार-बार यही सवाल खुद से पूछ रही थी, मगर उसे कोई जवाब नहीं मिलता। सब कुछ ठीक था, फिर अचानक रेयांश इतना बेरहम क्यों हो गया?

    माँ उसकी परेशानी देख कर बोल पड़ीं,
    "क्यों न तुम खुद उसे कॉल करो और बात साफ़ करो?"

    "नहीं!" नायरा ने तुरंत मना कर दिया।
    "वो फ़ोन भी उसके असिस्टेंट ने किया था। साफ है कि वो मुझसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता। अगर मैं उसे दोबारा कॉल करूँगी, तो ये मेरी बेइज़्ज़ती ही होगी।"

    उसे अभी भी वो रात याद थी जब उसने हिम्मत करके रेयांश से ज़िम्मेदारी लेने की बात कही थी, और उसने कितने ठंडे और बेरहम लहज़े में उसे जवाब दिया था।

    वो रेयांश के स्वभाव को अच्छी तरह जानती थी। वो जिद्दी और सख़्त इंसान था। एक बार अगर उसने फ़ैसला कर लिया, तो कोई बदल नहीं सकता था। अब जब उसने तय कर लिया कि वो शादी नहीं करेगा, तो नायरा जितनी भी कोशिश कर लेती, उससे सिर्फ़ उसकी नफ़रत और बढ़ती।

    माँ गुस्से में बोलीं,
    "क्या अब हम ऐसे ही चुपचाप सगाई टूटने देंगे? तुम्हारा क्या होगा? कौन तुमसे शादी करेगा? लोग तो हमारी हँसी उड़ाएँगे!"

    नायरा चुप रही। वो जानती थी माँ सही कह रही थीं। उस रात की बात सबको पता चल चुकी थी। अब अगर ये भी फैल गया कि सगाई टूट गई, तो पूरा परिवार मज़ाक बन जाएगा।

    काफी देर बाद, उसके पापा ने गहरी साँस ली और सीधे कहा—
    "कुछ समय के लिए बाहर चली जाओ। जब तक ये मामला ठंडा न हो जाए, तब तक वहीं रहो।"

    उनकी आवाज़ भले ही शांत थी, लेकिन ये आदेश था।

    to be continue

  • 2. बेरहम मोहब्बत - Chapter 2

    Words: 714

    Estimated Reading Time: 5 min

    पापा ने भले ही नायरा से कहा था कि कुछ समय के लिए विदेश चली जाओ, लेकिन नायरा जानती थी कि ये “कुछ समय” बहुत लंबा होने वाला है…

    फिर भी, उसके पास मना करने का हक़ नहीं था।

    अगले दिन उसने अपना सामान पैक किया और पढ़ाई के बहाने अमेरिका चली गई।

    हालाँकि सगाई टूटने की बात पब्लिकली नहीं बताई गई थी, लेकिन उनका सोसायटी सर्कल इतना छोटा था कि कुछ ही दिनों में सबको पता चल गया। और अफवाह ने सच का रूप ले लिया—
    सबको यही लगा कि नायरा ने जान-बूझकर रेयांश के साथ रात बिताई ताकि वो शादी करने पर मजबूर हो जाए। लेकिन उसकी चाल उल्टी पड़ गई और रेयांश ने सगाई ही तोड़ दी।

    लोगों की नज़र में वो अब बेहया औरत बन गई, जो मेहरा परिवार की बहू बनने लायक नहीं थी। और अपनी ही फैमिली की इज़्ज़त मिट्टी में मिलाने की वजह से उसे परदेस भेज दिया गया।

    जब ये बातें नायरा तक पहुँचीं, तब तक उसे विदेश गए हुए दो हफ़्ते हो चुके थे। इस दौरान रेयांश ने उससे एक बार भी संपर्क नहीं किया। धीरे-धीरे उसने देश की सारी ख़बरें खुद से दूर कर लीं। वो इंसान, जिसके साथ उसने अपनी पूरी ज़िंदगी बिताने का सपना देखा था, अब उसके लिए एक अजनबी बन चुका था।

    तीन साल कब निकल गए, पता ही नहीं चला।

    जब नायरा एयरपोर्ट से बाहर निकली तो खन्ना परिवार का ड्राइवर अंकल चेन पहले से बाहर इंतज़ार कर रहा था। उसने तुरंत नायरा को देखा, सामान लिया और बोला,
    "मैडम, लंबा सफ़र करके आई हैं, थक गई होंगी।"

    नायरा ने हल्की-सी मुस्कान दी और सिर हिला दिया।

    कार जैसे ही सिटी की चौड़ी सड़कों पर चली, नायरा ने शीशा नीचे किया और बाहर देखा।
    तीन सालों में राजधानी काफ़ी बदल चुकी थी—ऊँची-ऊँची इमारतें, बढ़ती भीड़… और सबसे ज़्यादा नज़र आ रही थीं सु ज़िकियान की एड्स, जो हर जगह लगी थीं।

    सु ज़िकियान पिछले कुछ सालों में नेशनल लेवल की स्टार बन चुकी थी। यहाँ तक कि विदेश में रहते हुए भी नायरा ने उसका नाम कई बार सुना था।

    सिग्नल पर कार रुकी तो नायरा की नज़र एक बड़े शॉपिंग मॉल पर लगे उसके पोस्टर पर टिक गई। वो सच में बेहद खूबसूरत थी।

    नायरा ने कुछ पल उसे गौर से देखा, फिर नज़रें फेर लीं।

    घर पहुँचते ही उसे आराम करने का वक्त नहीं मिला। पापा उसे तुरंत अपने साथ एक बैंक्वेट में ले गए।

    ये पार्टी उसके बिज़नेस पार्टनर मिस्टर वू के बर्थडे पर रखी गई थी। जहाँ सिर्फ़ रईस और बड़े लोग मौजूद थे। नायरा वहाँ दो वजह से थी—एक तो पापा के साथ, और दूसरी… क्योंकि पापा उसे एक नए रिश्ते के लिए इंट्रोड्यूस करवाना चाहते थे।

    असल में, नायरा को तीन साल बाद वापस बुलाने की असली वजह यही थी।

    तीन साल पहले ही खन्ना ग्रुप की हालत बिगड़ने लगी थी। और जब मेहरा परिवार के साथ सगाई टूटी, तो हालात और बदतर हो गए। अब कंपनी पूरी तरह डूबने की कगार पर थी।

    कंपनी बचाने के लिए नायरा को इस नए रिश्ते में अच्छा इंप्रेशन बनाना ही था। अगर सामने वाला उसे पसंद कर लेता और शादी के लिए राज़ी हो जाता, तो शायद खन्ना ग्रुप को बचाया जा सकता था।

    पापा ने समझाते हुए कहा,
    "नायरा, मिस्टर झांग तुमसे थोड़े बड़े हैं, लेकिन बहुत सुलझे और परिपक्व इंसान हैं। वो तुम्हारा ख्याल रखेंगे। सबसे ज़रूरी ये कि उनके पास दो बड़ी कंपनियाँ हैं। वो तुम्हारे लिए परफेक्ट पार्टनर होंगे। तुम्हें ध्यान रखना है कि आज अपनी छवि अच्छी बनाना।"

    पापा की बातें सुनकर नायरा के होंठ दब गए। उसने बस हल्की-सी "हम्म" करके जवाब दिया।

    उसकी आज्ञाकारिता देखकर पापा खुश हो गए। उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और भीड़ में से निकालकर मिस्टर झांग की तरफ ले गए।

    मिस्टर झांग का कद मध्यम था और वो तकरीबन नायरा के पापा की उम्र के थे। उनका पेट बाहर निकला हुआ और आँखों में थकान झलक रही थी। जैसे ही उन्होंने नायरा को देखा, बिना रुके सिर से पैर तक घूरने लगे।

    उन्होंने पापा का इंतज़ार तक नहीं किया और तुरंत नायरा का हाथ पकड़कर बोले—
    "मिस खन्ना, आप तो सच में वैसी ही सुंदर हैं जैसी आपके पापा ने बताया था!"

    नायरा का चेहरा सिकुड़ गया, और वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही बैंक्वेट हॉल के दरवाज़े पर अचानक शोरगुल मच गया…