**एक खूबसूरत मोहब्बत की कहानी** शेखावत हाउस में आज खुशी का माहौल था, और हो भी क्यों ना! शेखावत खानदान का लाडला, रूद्र सिंह शेखावत, जो पिछले तीन सालों से पेरिस में था, आज घर वापस आ रहा था। रूद्र, जो 28 साल का एक आकर्षक युवक है, 6 फी... **एक खूबसूरत मोहब्बत की कहानी** शेखावत हाउस में आज खुशी का माहौल था, और हो भी क्यों ना! शेखावत खानदान का लाडला, रूद्र सिंह शेखावत, जो पिछले तीन सालों से पेरिस में था, आज घर वापस आ रहा था। रूद्र, जो 28 साल का एक आकर्षक युवक है, 6 फीट 4 इंच की प्रभावशाली कद-काठी, गोरा रंग, और गहरी आँखों वाला एक परफेक्ट हैंडसम बॉय है। अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह पेरिस के सबसे बड़े अस्पताल में एक कुशल और प्रतिष्ठित डॉक्टर के रूप में चुना गया। मगर रूद्र की एक कमी है - वह बहुत जल्दी गुस्सा हो जाता है। शायद यही वजह है कि अब तक उसे संभालने वाली कोई लड़की नहीं मिली। रूद्र की माँ, पूजा जी, एक नेक दिल की खूबसूरत महिला हैं, जो अपने इकलौते बेटे से बहुत प्यार करती हैं। उनके पिता, अभय शेखावत, एक सफल बिजनेसमैन हैं, जिनका बिजनेस भारत और विदेशों में फैला हुआ है। शेखावत परिवार राजस्थान के सबसे रईस खानदानों में से एक है, जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची और उनके दो बच्चे - आदित्य और अनन्या भी शामिल हैं। रूद्र के घर वापसी की खुशी में, एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया गया है, लेकिन फिलहाल रूद्र अभी रास्ते में है। अब मिलिए हमारी कहानी की नायिका से - सोनाक्षी सिंघानिया। 18 साल की सोनाक्षी 5 फीट 2 इंच की एक खूबसूरत लड़की है, जिसके काले बाल कमर तक आते हैं, काली आँखें, और घनी पलकें उसे एक मोहक रूप देती हैं। शांत स्वभाव की सोनाक्षी को प्यार से सब सोना बुलाते हैं। उसके पिता, मनीष सिंघानिया, एक सफल बिजनेसमैन हैं, और उनका बड़ा बेटा, नक्श, भी पिता के व्यवसाय में हाथ बँटाता है। सोनाक्षी की माँ, रिचा, एक अच्छी महिला हैं, और उसके दादा-दादी खुले विचारों वाले लोग हैं। एक तरफ एक गुस्सैल लड़का और दूसरी तरफ एक शांत स्वभाव की लड़की... देखते हैं, उनके प्यार का सफर कैसा होता है! बने रहिए हमारे साथ। kiki🦋,...............
रुद्राक्ष सिंह शेखावत
Hero
Sonakshi सिंघानिया
Heroine
अनन्या सिंह शेखावत
Priestess
आदित्य सिंह शेखावत
Side Hero
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**एक खूबसूरत मोहब्बत की कहानी**
शेखावत हाउस में आज खुशी का माहौल था, और हो भी क्यों ना! शेखावत खानदान का लाडला, रूद्र सिंह शेखावत, जो पिछले तीन सालों से पेरिस में था, आज घर वापस आ रहा था। रूद्र, जो 28 साल का एक आकर्षक युवक है, 6 फीट 4 इंच की प्रभावशाली कद-काठी, गोरा रंग, और गहरी आँखों वाला एक परफेक्ट हैंडसम बॉय है।
अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह पेरिस के सबसे बड़े अस्पताल में एक कुशल और प्रतिष्ठित डॉक्टर के रूप में चुना गया।
मगर रूद्र की एक कमी है - वह बहुत जल्दी गुस्सा हो जाता है। शायद यही वजह है कि अब तक उसे संभालने वाली कोई लड़की नहीं मिली। रूद्र की माँ, पूजा जी, एक नेक दिल की खूबसूरत महिला हैं, जो अपने इकलौते बेटे से बहुत प्यार करती हैं। उनके पिता, अभय शेखावत, एक सफल बिजनेसमैन हैं, जिनका बिजनेस भारत और विदेशों में फैला हुआ है। शेखावत परिवार राजस्थान के सबसे रईस खानदानों में से एक है, जिसमें दादा-दादी, चाचा-चाची और उनके दो बच्चे - आदित्य और अनन्या भी शामिल हैं।
रूद्र के घर वापसी की खुशी में, एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया गया है, लेकिन फिलहाल रूद्र अभी रास्ते में है।
अब मिलिए हमारी कहानी की नायिका से - सोनाक्षी सिंघानिया। 18 साल की सोनाक्षी 5 फीट 2 इंच की एक खूबसूरत लड़की है, जिसके काले बाल कमर तक आते हैं, काली आँखें, और घनी पलकें उसे एक मोहक रूप देती हैं। शांत स्वभाव की सोनाक्षी को प्यार से सब सोना बुलाते हैं। उसके पिता, मनीष सिंघानिया, एक सफल बिजनेसमैन हैं, और उनका बड़ा बेटा, नक्श, भी पिता के व्यवसाय में हाथ बँटाता है। सोनाक्षी की माँ, रिचा, एक अच्छी महिला हैं, और उसके दादा-दादी खुले विचारों वाले लोग हैं।
एक तरफ एक गुस्सैल लड़का और दूसरी तरफ एक शांत स्वभाव की लड़की... देखते हैं, उनके प्यार का सफर कैसा होता है! बने रहिए हमारे साथ......
अनन्या और सोना, राजस्थान के सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल में अपनी इंटर्नशिप कर रही थीं, जो शेखावत परिवार के स्वामित्व में था। जल्द ही, अस्पताल को रुद्राक्ष सिंह शेखावत का मार्गदर्शन मिलने वाला था। अनन्या और सोना, बचपन की गहरी दोस्त थीं, एक-दूसरे के लिए जान देने को तैयार।
"मैं खुशी से पागल हो जाऊंगी, सोना! मेरा प्यारा भाई आ रहा है!" अनन्या ने उत्साहित होकर कहा।
"अरे, मेरी जान, चुप हो जा! सुबह से हजार बार सुन चुकी हूँ," सोना ने मज़ाक में कहा।
"तो मैं हजार बार बोलूंगी!" अनन्या ने प्रतिवाद किया। "वह इतना प्यारा, देखभाल करने वाला है, है ना?"
सोना ने सिर झुका लिया, क्योंकि अनन्या ने सुबह से ही अपने भाई, रुद्र सिंह शेखावत की तारीफों के पुल बांधे थे।
आज, दोनों कुछ ज़रूरी काम के लिए कॉलेज आई थीं। अनन्या, जो आमतौर पर कॉलेज से दूर रहती थी, आज सोना के साथ आई थी। उनके साथ उनकी दो-तीन और सहेलियाँ थीं, जो सादगी और मिठास से भरपूर थीं, किसी में भी धन का घमंड नहीं था। उन्होंने अपना काम जल्दी से निपटाया और रात की पार्टी का वादा करके विदा ली।
"चलो, मेरी जान!" अनन्या ने सोना से कहा।
"कहाँ?" सोना ने पूछा।
"मेरे घर," अनन्या ने जवाब दिया।
"अभी क्यों? रात को आ जाऊंगी। अगर अभी चलोगी, तो तुम अपने भाई से मिलोगी।"
सोना ने हैरानी से अनन्या को देखा। "क्या? मुझे खास तौर पर मिलवाओगी? औरों को क्यों नहीं?"
अनन्या मुस्कुराई, मन में सोचते हुए, "क्योंकि तुम मेरी होने वाली भाभी हो।"
सोना ने कहा, "बड़ी माँ ने मुझे तुम्हें साथ लाने के लिए कहा था। वह कह रही थीं कि तुम बहुत दिनों से घर नहीं आई।"
"अरे, अभी घर में ज़रूरी काम है। रात को आऊँगी, पक्का!"
"प्लीज़, अब जल्दी जाओ। तुम्हारे भाई आ गए होंगे।" (सोना, रुद्र की माँ को माँ बुलाती है, क्योंकि पूजा जी ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था।) "माँ को बताना कि मैं आ जाऊँगी।"
अनन्या कुछ कहती, इससे पहले ही सोना ने उसे गाड़ी में बिठाया और कहा, "आऊँगी, पक्का! बाय!"
सोना जानती थी कि अनन्या ज़िद्दी है, लेकिन उसे घर के ज़रूरी काम के लिए जाना ही था। अनन्या मुंह बनाकर बैठी, लेकिन उसके चेहरे पर एक प्यारी मुस्कान आ गई। अनन्या के घर में हर कोई सोना को पसंद करता था, लेकिन पूजा जी और अनन्या की खिचड़ी कुछ अलग ही पक रही थी।
रुद्र की फ्लाइट उतर चुकी थी। आदि, उसका छोटा भाई, उसे लेने गया था। रुद्र, नीली डेनिम जींस, काली शर्ट और डेनिम जैकेट में बेहद हैंडसम लग रहा था। एयरपोर्ट पर मौजूद सभी लड़कियों की निगाहें उस पर टिकी थीं। मीडिया और बाकी सभी उससे बात करना चाहते थे, क्योंकि द स्पेशलिस्ट हार्ट सर्जन, डॉक्टर रुद्र सिंह शेखावत, भारत लौट आए थे। लेकिन रुद्र को इन सबमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसने सुरक्षा गार्ड्स की मदद से जल्दी से बाहर निकलकर अपने भाई आदि को गले लगाया। आदि भी बहुत खुश था।
कुछ ही देर में, दोनों घर पहुँचे। घर में खुशी का माहौल था। पूजा जी की आँखों में आँसू थे, जो तीन साल बाद अपने बेटे को देख रही थीं। राजस्थानी परंपरा के अनुसार, रुद्र का भव्य स्वागत किया गया।
"क्या हुआ, माँ? आप रो रही हैं?" रुद्र ने अपनी माँ के आँसू पोंछते हुए कहा।
"तू मुझसे बात मत कर! एक बार भी मिलने नहीं आया," पूजा जी ने नाराज़गी से कहा।
रुद्र ने अपनी माँ को गले लगाते हुए कहा, "माफ़ करना, मेरी जान। अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा, यहीं रहूँगा।"
यह सुनकर सभी मुस्कुरा दिए। रुद्र ने सभी बड़ों के पैर छुए और सबसे प्यार से गले मिला। सबसे मिलने के बाद, रुद्र ने अपनी चाची, अनु जी से पूछा, "छोटी माँ, अनन्या कहाँ है?"
इससे पहले कि अनु जी जवाब देतीं, अनन्या तेज़ी से गेट से दौड़ती हुई आई और रुद्र के गले लग गई। रुद्र और बाकी सभी मुस्कुरा दिए।
"कॉलेज गई थी, अभी आ रही हूँ," अनन्या ने कहा।
"कैसा है मेरा बच्चा?" रुद्र ने अनन्या को प्यार से पूछा।
"मैं ठीक हूँ, और आप?" अनन्या ने कहा।
"मैं भी ठीक हूँ, बिट्टू।"
"मुझे तो कोई प्यार ही नहीं करता!" आदि ने कहा।
"आजा, तू भी," रुद्र ने आदि को भी गले लगाया।
सभी बहुत खुश थे। रुद्र अपने परिवार से बहुत प्यार करता था। सब बैठकर बातें करने लगे। पूजा जी अनन्या को एक तरफ ले जाकर कुछ पूछने ही वाली थीं कि अनन्या ने जल्दी से कहा, "बड़ी माँ, वह थोड़ी देर में आने वाली है।" इतना कहकर दोनों मुस्कुरा दीं।
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रुद्र और बाकी घर वाले मिलकर बातें कर रहे थे, इतने में लंच का समय हो गया। घर में बहुत सारे नौकर थे, लेकिन रुद्र की माँ ने सारा खाना अपने बेटे की पसंद का ही बनाया था और अपने हाथों से खिलाया, जिससे रुद्र के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गई। "बेटा, तुम कुछ देर आराम कर लो। आज तुम्हारे आने की खुशी और तुम्हारी बड़ी कामयाबी मिलने की खुशी में, हमने बहुत शानदार पार्टी रखी है," रुद्र के पापा ने कहा। "ओके पापा," रुद्र ने जवाब दिया।
इधर, सोना घर पहुंची तो दादी के साथ मंदिर चली गई। सोना की दादी बहुत भारी विचारों वाली महिला थीं। घर में सब अपने काम से इधर-उधर जा रहे थे, तो दादी ने सोना को घर बुला लिया था। सोना भले ही बहुत अमीर परिवार से थी, पर उसमें बहुत अच्छे संस्कार थे। यही बात रुद्र की माँ को बहुत पसंद आई। सोना दादी के साथ मंदिर से घर आई ही थी कि उसके फोन पर अनन्या का कॉल आया। नाम फ्लैश हो रहा था। सोना ने कॉल पिक की तो अनन्या बोली, "आधे घंटे में घर आजा, रितिका मैम (जो कि उसकी बायो की टीचर हैं) मैम आधे घंटे में वीडियो कॉल करके हमें कुछ ऑनलाइन असाइनमेंट समझा रही हैं। हम जल्दी घर आ गए थे, तो लेक्चर मिस हो गया था।" इतना बोलकर उसने कॉल काट दिया। सोना ने फोन को घूरा और दादी से पूछकर तैयार होने चली गई।
सोना ने ऑरेंज फ्लावर प्रिंटेड कुर्ती के साथ व्हाइट प्लाजो पहना और मिरर प्रिंट का दुपट्टा लिया। लंबे स्ट्रेट बालों को खुला छोड़ कर पीछे एक प्यारा सा क्लिप लगा रखा था। माथे पर छोटी सी बिंदी और होठों पर ऑरेंज लिपस्टिक, कुल मिलाकर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। बायोलॉजी की फाइल उठाई और चली गई। जाते समय अपनी मॉम को कॉल कर दिया। "सोना, ड्राइवर काका जल्दी शेखावत हमेशा चलिए," सोना ने ड्राइवर से कहा। "जी बेटा," ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी।
जैसे ही रुद्र आराम करने के लिए लेटा, उसके फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर हिमांशु का नाम चमक रहा था। बालकनी में टहलते हुए, रुद्र ने फोन पर बात करते हुए एक सिगरेट सुलगा ली। उसे यह आदत हाल ही में लगी थी, जब वह घर वालों को बहुत याद करता था। अब यह उसकी आदत बन गई थी, जिसे वह छुपाता था।
तभी, एक विशाल कार आकर घर के सामने रुकी। सोना, जो उससे बाहर निकली, जल्दी से घर के अंदर भागी। रुद्र की निगाहें सोना पर टिकीं, मानो समय ठहर गया हो। वह इतनी प्यारी लग रही थी। सोना सीढ़ियों की ओर बढ़ी। "हेलो, मैडम! कहां जा रही हैं?"
सोना ने पीछे मुड़कर देखा। अनन्या, सोफे पर लेटी, बेफिक्री से गेम खेल रही थी। रुद्र, अभी भी फोन पर बात कर रहा था, बालकनी से बाहर आया। "अरे, तुम यहां आराम फरमा रही हो? चलो, कमरे में चलो। मैम का कॉल आने वाला है। बाकी सहेलियां कहां हैं?"
सोना की मीठी आवाज ने रुद्र को ऊपर की ओर खिंचा। उसने पहली बार किसी लड़की को इस तरह देखा था। "आई विल कॉल यू बैक लेटर," उसने हिमांशु से कहा और फोन काट दिया। "आओ, जान! बैठो तो," उसने सोना को अपने पास बैठाते हुए कहा, "पहले मैं अपना गेम खत्म कर लूं, फिर पढ़ाई करेंगे।"
सोना ने मुस्कुराते हुए कहा, "मेरा बच्चा, कितना जरूरी काम कर रही है!" उसने मासूमियत से गर्दन हिला दी। अनन्या को घूरते हुए, रुद्र ने कहा, "मुझे तो इतनी जल्दी बुलाया, जैसे मैं न आती तो आफत आ जाती।"
"सोना, क्यों मुझे बच्चों की तरह मार रही हो?" अनन्या ने कहा।
"अरे, तुम अच्छी और मासूम बच्ची!" सोना ने जवाब दिया।
दोनों की नोंक-झोंक देखते हुए, रुद्र रेलिंग पर टिका रहा। तभी, अनन्या की निगाह रुद्र पर पड़ी। "अरे, कोई तो मुझे इस जालिम लड़की से बचाओ!" उसने हंसते हुए कहा और सीढ़ियां चढ़ गई।
सोना को रुद्र ने कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींचा, जिससे दोनों के दिल एक साथ धड़क उठे। सोना दीवार से जा टकराई। "बिट्टू, तुम ठीक हो?" रुद्र ने अनन्या से पूछा।
"अरे, कमर तोड़ दी मेरी! रुद्र भाई, जिम कम जाया करो!" अनन्या चिल्लाई।
"आज तो सॉरी, अच्छा, गलती तुम्हारी ही थी," रुद्र ने कहा। सोना की ओर देखते हुए, उसने पूछा, "तुम ठीक हो?"
"जी, हम ठीक हैं। आप ठीक हैं?" सोना ने जवाब दिया।
"अरे, तुम ठीक हो?" सोना ने कहा।
"जानेमन, बड़ी जल्दी याद आ गई तुम्हें!" अनन्या ने कहा।
"सॉरी," सोना ने कहा। "चलो, जल्दी से दवाई लगाते हैं।"
"अनन्या, फैमिली डॉक्टर को कॉल कर दूं?" रुद्र ने पूछा।
"नहीं, भाई, मैं ठीक हूं," अनन्या ने जवाब दिया।
तभी, सोना के बायोलॉजी टीचर का फोन आया। "सोना, चलो जल्दी करो! रितिक मैम का कॉल आ रहा है। मैं नीचे से फाइल लाती हूं, जो तुमने आते समय छोड़ दी थी।"
"चलो, रूम में। मैं अभी आई," अनन्या ने कहा।
सोना जाने लगी, तभी उसका दुपट्टा रुद्र की घड़ी में फंस गया। हड़बड़ी में निकलने की कोशिश करते हुए, वह दुपट्टे को खींचती रही, पर वह नहीं खुला। रुद्र उसे बड़ी आराम से देख रहा था।
सोना ने हार मानकर कहा, "प्लीज़, आप मेरा दुपट्टा निकालने में मेरी मदद कीजिए ना।"
"क्यों? मेरे पास आई हो? अपना दुपट्टा खुद निकालो," रुद्र ने कहा।
सोना गुस्से से तिलमिला उठी। रुद्र की बात सुनकर उसका चेहरा लाल हो गया। 'पता नहीं क्या समझते हैं खुद को!' उसने मन ही मन सोचा। सोना ने दुपट्टा निकालने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं निकला। रुद्र को गुस्सा आने लगा। उसने सोना को कसकर अपनी ओर खींचा।
"तुम लड़कियों को कोई काम ढंग से नहीं आता क्या?"
"तो आप ही कर दीजिए ना," सोना ने कहा, अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए।
गुस्से में, रुद्र ने उसे कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींचा। "खींच कर पहले रिक्वेस्ट करो, फिर सोचूंगा। और रुद्र सिंह शेखावत किसी की नहीं सुनता, अपनी मर्जी का करता है।"
सोना परेशान हो गई। रुद्र ने उसे कसकर पकड़ रखा था, जिससे उसे दर्द होने लगा। उसकी आंखें नम हो आईं। यह देखकर रुद्र ने सोना को छोड़ दिया और अपनी घड़ी से उसका दुपट्टा निकालने लगा।
"बहुत बुरे हैं आप," सोना रुआंसी हो उठी।
जैसे ही सोना जाने लगी, रुद्र ने झटके से उसका हाथ पकड़ा। "इतना ही बुरा हूं, तो अच्छा बना दो ना। वैसे, एक तो मैं हेल्प कर रहा हूं, ऊपर से थैंक यू के बजाय इतनी बड़ी तारीफ? रुद्र सिंह शेखावत को फालतू बातें बिल्कुल पसंद नहीं, समझी तुम?"
सोना ने नज़रें झुका लीं और उससे दूर होने की कोशिश की। रुद्र ने झटके से उसे खुद से दूर किया, अपने बालों में हाथ घुमाया और चला गया।
"सच में, आप बहुत दुष्ट हो," सोना ने मन ही मन कहा और अनन्या के कमरे की ओर बढ़ गई।
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