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His love is a whitch

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रिमझिल की मौत जहां एक रहस्य है वही मुक्ति पाने के लिए बन गई किसी की रखैल ,,, नहीं पता रिमझिम को दुनिया में क्या पहचान थी उसकी ? क्या है रहस्य रिमझीम का ? किसने मारा इसे ? किसकी थी वो प्यार? क्या मुक्ति मिलेगी रिमझिम को ? इंसानों की दुनिया में कौन बने...

Total Chapters (31)

Page 1 of 2

  • 1. His love is a whitch - Chapter 1

    Words: 1278

    Estimated Reading Time: 8 min

    प्लीज मुझे मत मारिये मैं जीना चाहती हूं प्लीज! एक लड़की जिसने सफेद कलर का फ्रॉक पहन रखा था वो घुटने के बल बैठ के अपनी हाथों को आपस में मिला के गिड़गिड़ा रही थी लेकिन सामने खड़ा इंसान जिसका चेहरा तो नही दिख रहा था और न ही उसने कोई रहम दिखाई बिचारी उस लड़की के सर पर गोली मार देता है   जिसके चलते हो  वो लड़की वही पर मर जाति है।। 

    ✨✨✨✨

    रिमझीम उठ ! रिम  प्लीज बच्चे उठ जा वरना आज हम दोनो को सूली पर लटका दिया जाएगा " एक  लड़की जिसने सफेद कलर का सूट पहन रखा था उसने दूसरी लड़की जिसका नाम रिमझीम है वो इस वक्त वो  कब्र पर सोई हुई थी  ऐसे जैसे कोई बेड हो  उसने कब्र पर अपना हांथ पैर फेक कर सोई है ,, लेकिन इतना बुलाने पर भी वो लड़की उठने को  तैयार नही थी।। 

    तभी  दूसरी ने रिम को देखते हुए कहा " ये लड़की यहां घोड़े बेच के सो रही है और वहा हेड मेरे सिर पर नाच रही है अब क्या करूं इसे कैसे उठाऊं मैं " 

    उस लड़की के पास एक बुजुर्ग ने आते हुए कहा " रागनी बेटा तुम्हे तो पता है हमारी रिमझीम इस वक्त सब कुछ भूल जाति है इसी लिए इसे उठाने के लिए हमे कुछ और सोचना  होगा नही ऐसे तो सुबह हो जाएगी और हम रिम को उठा नही पाएंगे " 

    रागनी जो रिम को उठाने की कोशिश कर रही थी उसने कुछ सोचने हुए कहा " हां मेरे पास एक आईडिया है इस नीद की  दुकान को उठाने का लेकिन पता नहीं वो काम करेगा या नही "  

    उसके कहते ही वह मौजूद भूतो की टोली यानी कुछ बच्चे बूढ़े बुजुर्ग और कुछ लड़के, लड़कियां भी थे।  सभी के एक साथ कहा " क्या आईडिया है  .? 

    उसके कहते ही रागनी ने सब को पास में बुलाया और कुछ कहा उसके कहते ही सभी एक साथ अपना थंब दिखाते हुए स्माइल करने लगते है। 

    तभी रागनी ने फिर से रिम को उठते हुए कहा " रिम मैं ये आखिरी बार कह रही हूं उठने के लिए अगर नही उठी न तो अच्छा नही होगा तुम्हारे लिए " 

    उसने इतना सब कह दिया लेकिन रिम वैसे की वैसे खराटे ले रही थी तभी सभी रिम के आस पास खड़े हो जाते है और साथ में ही ही ही ही हसने लगते है उनकी हसी इतनी जोर और भयानक थी की रिम क्या आस पास के जंगली जानवर जो भूतो और चुडैलो को देख और सुन सकते है सभी एक जगह चुप कर बैठ गए  किसी की हिम्मत नही हो रही थी की कुछ बोले।। और कोई हरकत करे।। ये कब्र शहर के बाहर बना है जहा ज्यादा तर भूत एक साथ रहते है और उनकी हेड यहां की कुछ चुड़ैल जिसमे से रिमझीम भी सामिल है।

     हसने के आवाज सुन के  रिम उठ के बैठ गई थी उसे उठते हुए  सभी ने देखा तो चुप हो गए  और रागनी ने रिम के सामने बैठते हुए कहा " महारानी प्लीज उठने  का कस्ट करे क्यू की हमारी चूड़ैल हेड ने सभा में बुलाया है अगर कोई वक्त पर नही गया तो सभी का वाट लग जायेगा और तुम अच्छे से जानती हो तुम्हारे बिना यहां से कोई हिलने वाला नही है सभी तुमसे कितना प्यार करते है रात से तुम्हरा इंतज़ार कर रहे है एक तुम हो जो दो दिन से यही पड़ी हो एक बार तुम्हे हमारे बारे में सोचना चाहिए था  " 

    रागनी अपनी बात कर के चुप हो गई वही रिम अपनी आंखे मसलते हुए सभी के तरफ देखते हुए " आप सब यहां क्या कर रहे हो क्या आज कुछ खास है जो सब एक साथ खड़े है। " 

     रिम की बाते उसके जैसी मासूम भी है  जिसे  सुन के सभी ने अपने सिर पीट लिया रागनी ने वही अपना सिर पकड़ के बैठ गई और कहा " ये लड़की कभी नही सुधरने वाली है यहां हमारी जान खतरे में है और इस मासूम को ये नहीं पता लोग यहां आए ही क्यों है " 

    रिम ने जब सब को देखा तो उसे कल की बात आई मधु यानी वहा की भूतो की हेड ने उसे सारी बात बताई थी और उसे सभा भवन जाना है  समझ में देर नहीं लगी उसने जल्दी से खड़ी होते हुए लगा " आज तो मोटी अम्मा चुड़ैल से मिलने जाना था तो आप सब यहां क्या करे रहे चलिए चलते है अगर देर हुई तो हमे पैरिशमेंट मिलेगा और बच्चो को भी इससे पहले वो यहां आ जाए हमे चला चाहिए " 

    उसके कहते ही एक लड़की जिसने साड़ी पहन रखा था उसका पैर जमीन पर न होके हवा में उड़ रहा था उसने आगे आके कहा " इसी लिए तो हम तुम्हे उठा रहे है पर तुम्हारी नीद  है की खत्म  होती  ही नहीं है " 

    रिम ने मासूम चेहरा बनाते हुए कहा " तो आप सब ने उठाया क्यू नही मुझे अगर आप लोग उठा देते तो लेट नही होते " 

    उसकी बाते सुन सभी ने रोने जैसा मुंह बना लिया उन्हे पता था लास्ट में यही होगा सब कुछ करने के बाद ये लड़की सारा इल्जाम इन पर ही डालेगी और हुआ भी वही रिम साफो साफ निगल गई। की गलती सब की उसकी तो कुछ नही बिचारे भूत कब से इस पागल को उठाने की सोच रहे थे और ये तो कुछ और ही कह गई।

    रागनी ने सभी के तरफ देखते हुए कहा " अब हम सब ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए सुबह होने से पहले हमे सभाभवन पहुंचना है चलिए" 

    उसके कहते ही सभी एक साथ जाने के लिए जैसे ही हांथ ऊपर करते है की उनके कानो में हंसने की आवाज जाति है ही! ही!  तो अभी मुड़ के समान की तरफ देखते है जहा एक औरत चार लोगो के साथ आ रही थी।। 

    उन्हे देख के सभी के पसीने झूट जाते है लेकिन एक रिमझिम थी जिसे कोई फर्क नही पड़ रहा था वो बस आंखे फाड़े देख रही थी।। 

    वही आसमान से उठती हुई औरत नीचे उतरती है तो सभी लाइन में खड़े हो जाते है और उस चुड़ैल के  पीछे तीन जींद जो  काफी ताकत वर होते है उस औरत के बॉडीगार्ड थे। ये कोई और नहीं चूड़ैलो की हेड थी जिनसे हर कोई डरता है।। 

    हेड ने गार्ड्स के तरफ देखा तो दो गार्ड्स ने जल्दी से उस समामसम से कुछ खोपड़िया इकद्दा कर के रख  दिया जिस पर हेड जाके बैठ जाती है।।  उन्होने इस वक्त सफेद साड़ी पहन रखी थी और बाल खुले हुए थे।

    दूसरी तरह ....

    शहर के बाहर जंगल के बीचों बीच चार से पांच लोग जंजीर में बंधे हुए थे उनके शरीर से खून नही मांस कट के गिरने लगा था और उन्हे चारो तरफ से पचास से भी ज्यादा बॉडीगार्ड ने घेर रखा था चारो तरफ से।। और वो पांच लोग डर से कांप रहे थे।। 

    तभी वहा पर एक साथ काफी सारे लोगो के कदमों को आवाज आने लगी ये आवाज पैरो की थी जैसे ही सामने सब के देखा एक आदमी जिसने बिजनेश सूट पहन रख था उसके हांथ के उंगलियों के बीच  में सिगरेट जल रही थी बगल में  खड़ा एक और लड़का  उसी की तरह और पीछे कई सारे बॉडीगार्ड वो लोग जिस तरफ से हवा के झोके से भी तेज आ रहे थे उसी तरह उनके पहने हुए ब्लेजर हवा में उड़ के पीछे की तरफ जा रहे थे इस वक्त वो इंसान नही सीधा यमराज लग रहा  है  जो अपने दूतो के साथ चलये हुए आगे बड़ रहा है ।। 

    उन पांचों ने अपना सिर नीचे कर लिया दुबारा उन लोगो की हिम्मत नही थी की सामने खड़े इंसान को देख सके ना बॉडीगार्ड की सभी अपना सर चुकाए खड़े थे।।





    जारी..✍️ 

  • 2. His love is a whitch - Chapter 2

    Words: 1235

    Estimated Reading Time: 8 min

    सामने खड़ा आदमी जिसने सिगरेट के  धुएं को  हवा में छोड़ रहा था उसने एक लंबी कस लेते हुए कहा " सो मैने पहले ही कहा था मुझसे धोखा मत करना क्यू की धोखा देने वाले मुझे बिलकुल पसंद नहीं है और तुम लोगो की इतनी हिम्मत हो गई की मेरे कंपनी की इनफॉर्मेशन दूसरी  कंपनी में देके चले आए तुम्हे क्या लगा था की मैं  तुम्हे ज़िंदा छोड़ दूंगा या फिर तुम लोगो ने सोचा मुझे  पता नही चलेगा "  

    अपनी बात कह के वो फिर से कस पर कस लेने लगा वही उसके बातो से पांचों कांपने लगे और तभी  एक ने हिम्मत करके  कहा " सॉरी सर हमसे लगती हो गई दुबारा .... 

    " तुम्हे लगता है दुबारा मौका मिलेगा तुम्हे तो भूल जाओ की ऐसा कभी होगा क्यू की आज तुम लोगो की मौत पक्की है " 

    सामने खड़े आदमी के बगल में जो लड़का खड़ा था उसने कहा तभी उसने उस कस लेने वाले आदमी को देखते हुए कहा " अध्वंश इनका क्या करना है क्या यही पर इन्हे खत्म कर दे " 

    अध्वंश रघुवंशी जो इंडिया का टॉप बिजनेश मैन होने के साथ साथ एक माफिया  किंग है जिसके नाम से लोगो की रूह तक कांप जाती है अध्वंश को धोखा देने वाले और झूठ बोलने वालो से सक्त नफरत हैं ऐसे लोगो को वो माफी नही सीधा सूली पर चढ़ा देता है चाहे उसके अपने ही क्यों न हो वो किसी  को नही बक्शता उसकी दुनिया बस पैसा प्रॉपर्टी है और बाकी सब बेकार है उसके लिए चाहे वो फैमिली हो या कोई लड़की  इस सब के लिए उसके अंदर कोई मोह माया नही है।। 

    उस लड़के की बात सुन के अध्वंश ने सिगरेट नीचे फेक दिया और पैरों से मसलते हुए कहा " इतनी आसानी से नहीं अभी मुझे सुकून नही मिला है दो दिन तक उन्हे उस जगह लेके जाओ जहा खुद यमराज तक नही आता है आगे का मुझे बताने की जरूर नही है। 

    अपनी बात कह के वो वहा से जाने के लिए मुड़ गया और उसके पीछे कई सारे बॉडीगार्ड्स भी चलने लगे इसके कहे अनुसार पांचों की घसीटते हुए वहा से ले जाने लगे।। पांचों जान की भीख मांगने लगे पर इन कर किसी ने कोई रहम नही दिखाई बल्की इतना छोट लगने के मावजूद इस तरह से घसीट रहे थे की उनके हड़िया भी घिसने लगी थी।। 

    दूसरी तरफ ...

    हेड की नजर रिम पर  बनी थी वो गुस्से से उसे घूर रही थी जो रागनी अच्छे से समझ रही थी उसने आगे आके कहा " हेड आप यहां,, हम आई रहे थे आप को तकलीफ करने की जरूरत थी  " 



    हेड ने सभी को घूरते हुए कहा " हां पता है कितना आ रही थी तुम लोगो के पहुंचते ही सुबह हो जाति और ये लड़की यही फस के रह जाति अब हेड मैं हूं तो सभी की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है कोई यहां बरसो तक फसा रहे मैं ये तो नही देख सकती हूं ना  " 



    रागनी ने घबराते हुए कहा  " नही  वो ... बीच में चुड़ैल ने कहा " मुझे ना नुकुर नही सुनना है मै इस लड़की को अच्छे से जानती हूं इसे बस खाना सोना इसके अलावा कुछ  नही आता जिसके चलते आज तक ये किसी लड़की को डरा तक नही पाई और आज ये अपनी सक्तिया भी खोने वाली है हमेशा के लिए इसे तो भूतो में जन्म लेना था लेकिन पता नहीं कहा से चुड़ैल बन गई " 



    हेड की बात सही थी  क्युकी रिम को कही भी भेजा गया है डराने के लिए वो कोई न कोई गड़बड़ कर के आती या बस खा के आती। इसी लिए किसी ने कुछ नही कहा लेकिन रिम को बुरा लगा  रहा उसने आगे आके कहा " बडी अम्मा इसमें मेरी क्या गलती है जब भी मैं किसी को डराने जाति हूं कोई डरता ही नही है तो मैं क्या करूं मैं अपनी तरफ से कोशिश तो करती हूं मैं इसमें क्या ही कर सकती हूं आप ही बताइए  " 

    रिम जब से यहां आई है हेड को बड़ी अम्मा ही बुलाती है क्यू सब से आगे पहले उसे वही मिली थी।

    हेड ने  हस्ते हुए कहा " सही कहा इसमें तो सारी गलती हमारी है जो हमने तुम्हे चुड़ैल बना दिया ये खुद हमारे दैत्य गुरु ने बनाया है ना की हम तो अब जब तुमने अपनी शक्ति खो दिया है तो हमने तुम्हारे लिए कुछ ऐसा सोचा है जिससे तुम्हे शक्ति भी  मिलेगी और तुम मुक्ति भी पा सकती हो " 



    हेड की बात सुन के सभी खुश हो जाते है और एक दूसरे को देखने लगते है वही  रिमझीम भी वो उझलते हुए कहती है " वो क्या है अम्मा जल्दी बताइए मैं अब सब कुछ करूंगी "  



    हेड  कहती है " तुम्हे एक ऐसे इंसान को डराना है जो खुद मौत से नही डरता हो जो मौत का देवता हो जिसके आगे लोग अपनी जान की भीख मांगते हो तुम्हे एक ऐसे इंसान को डराना है " 



    अम्मा की बात सुन के सभी एक दूसरे को देखने लगते है तभी एक बुजुर्ग आगे एक कहते है "हेड ऐसा इंसान कोई है मुझे नही लगता इंसान तो सबसे ज्यादा मौत से ही डरते है तो ऐसा इंसान इस दुनिया में होना मुस्किन है " 



    उस बूढ़े की बात सुन के अम्मा अजीब तरह से हसने लगी और उनके साथ कुछ और लोग भी चुड़ैल के साथ  हसने लगी  इंसानो की तरह नही बल्कि बहुत डरावनी है। कहा लोगो को डरा के शक्ति मिलती है वही बार बार हसने से उन्हे प्यास नही लगती है। इस तरह से इनकी हसी है अगर ये लोग हंसना छोड़ से तो इन्हे एनर्जी नही मिलती इसी लिए हार बात और रात को उनका हसने का काम है। 

    उसकी बात सुन के हेड कहती है " इस दुनियां में ऐसा इंसान है वो कहा है क्या करता है उसे ढूंढने का काम रिमझिम का है मैं आज उसे एक ऐसे सक्ति दुंगी जो इसके पास एक हफ्ते तक रहेगा एक हफ्ते के अंदर उस आदमी को ढूंढ के डराना है उसके लिए जो करना पड़े वो करो अगर वो डर गया तो दुबारा  तुम्हे शक्ति लेने की जरूरत नहीं है उसके पास से तुम सबसे ज्यादा सक्ति साली बन जाओगी। 

    हेड की बात सुन के सभी चुप थे कोई क्या बोले किसी को कुछ नही पता तभी रिम ने आगे आके कहा " लेकिन मैं उस इंसान को कहा ढूंढूंगी अगर वो नही मिला तो " 

    हेड कहती है " ये तुम्हरा काम है ना की हमारा " 

    अपनी बात कह के हेड वहा से खड़ी को हवा के झोंके की तरह रिम के पास आके खड़ी हो जाति और उसके सर पर जैसे ही हांथ रखती है तभी कुछ और चुडैले आके रिम के सिर पर अपना हांथ रख देती है उनके ऐसा कहते ही वहा पर बिजली की तरह काफी तेज रोशनी रिम के सर पर जलने लगती है और वहा के सास पास के कब्र से ऊर्जाएं रिम के अंदर आने लगती है।। 

    थोड़ी देर तक ऐसे ही रिम के अंदर ऊर्जाएं आती रहती। है इतना ज्यादा हो जाता है की रिम बर्दाश नही कर पाती और बेहोश होके वही गिर जाती है उसके गिरते ही सभी घबराने लगे आपस में काना फूसी होने लगा।  लेकिन हेड और बाकी चार चुडैलो के चेहरे पर स्माइल होती है। 

    जिसे कोई नही  समझ पता है तभी रोशनी ने रिम के पास आते हुए कहा " इसे क्या हुआ ये बेहोश क्यू हो गई " 



    जारी. ✍️

  • 3. His love is a whitch - Chapter 3

    Words: 1134

    Estimated Reading Time: 7 min

    रागनी की बात सुन के एक चुड़ैल ने कहा " शक्ति अभी इसके  लिए ज्यादा है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है ये रात तक ठीक हो जाएगी सुबह होने से पहले सभी अपने अपने कब्र में चले जाओ और इस लड़की को पुराने महल लेके जाओ और वो वही से अपनी माजिल के लिए निकलेगी और हां एक बात सभी लोग खान खोल के सुन लो इसकी मदद कोई नही नही करना चाहिए अगर किसी ने गलती से भी किया उसकी शक्ति छीन लिया जायेगा और बीना शक्ति के भूतो का कोई अस्तित्व नही रहता है ये बात मुझे समझाने की जरूर नही है "

    उसकी बात सुन के सभी ने अपना सर झुका दिया तो हेड चुड़ैल और उनके साथ चार और पीछे जींद सभी वहा से हवा की तरह गायब हो जाते है और बाकी सभी अपने अपने कब्र में चले जाते है बस रागनी और मधु जो की इस समसान की हेड है वो रिम को लेके पुराने महल जाती है जो समसान के पीछे के रास्ते पर है वहा न कोई आता है और ना कोई जाता है ।

    दूसरी तरफ ...



     सुबह के 6 बजे बिल्डिंग के 65 फ्लोर पर एक बड़ा सा कैबिन  जिसमे दीवाल पर एक बड़ी सी पेंटिंग और एक तरफ सोफा दूसरी तरफ टेबल और चेयर रखा है जिसमे अध्वंश कांच के बाहर उगते हुए सूरज को देख रहा था सूरज जिस तरह से अपनी रंगे बिखेरते हुए निगल रहा था वैसे वैसे अध्वंश की मुठिया कस गई थी उसने सूरज को घूरते हुए कहा " आखिर तुम उगते क्यू है पूरी तरह इस दुनिया में अंधेरा क्यू नही रहने देते है तुम्हारी रोशनी से पता नही कितनो की जिंदगी बदल जाती है" 



    " और यही सूरज बहुतों की जिंदगी बना भी देता है मेरे दोस्त अगर सूरज से शिकायत करना हो गया हो तो चलो कॉफी पी लो " एक लड़के ने हाथों में दो कप कॉफी लेके अंदर आते हुए कहा । 



    उस लड़के की बात सुन के अध्वंश ने पीछे मुड़ के देखा लेकिन कुछ कहा नही और आके सोफे पर बैठ गया उसके बैठते ही सामने खड़ा लड़का उसने अध्वंश को कॉफी दिया और उसके बगल में बैठते हुए कहा " मुझे पता है सुबह सुबह तू किसी से मिलना नही चाहता और न किसी की सकल देखना चाहता है लेकिन मैं तुझे अकेले नही छोड़ने वाला हूं मरते दम तक तेरे साथ रहूंगा और ऐसे ही सुबह सुबह अपना मुंह दिखाई करूंगा भले ही तू सगुन न दे लेकिन फिर भी मैं आऊंगा ऐसे ही " 



    लड़के की बात सुन के अध्वंश ने कॉफी का एक सिप लेते हुए कहा " मीटिंग कब से है " 



    इस बात पर लड़के ने अपना मुंह बना लिया और कॉफी का कप टेबल पर रखते हुए कहा  " जब देखो तब काम काम सोचा था एक लड़की आयेगी तो मेरा दोस्त बदल जायेगा लेकिन आई तो चुड़ैल जो बस खून पीना जानती है और ये उसके आने से और खराब हो गया " वो लड़का खुद में बड़बड़ाने लगता है । 



    " दक्ष मैं कुछ पूछ रहा हूं "  अध्वांश ने अपनी काली आंखो से सामने बैठा लड़का जिसका नाम दक्ष है उसे घूरते हुए कहा । 



    दक्ष ने अपना मुंह बनाते हुए कहा " हां बता रहा हूं इतना उतावला क्यू है काम तो पूरा दिन ही करना है मीटिंग 11 बजे से है और .... वो आगे कुछ बोलता उससे पहले ही गेट नॉक करने की आवाज आती है ।। 

    तो दक्ष गेट की तरफ देखते हुए कहता है " इतनी सुबह कौन है " 

    इतना कह के उसने अन्दर आने को कहता है तो दो लड़के अंदर आके अपना सर झुकाए खड़े हो जाते है । जिन्हे देख कर दक्ष कहता  है तुम दोनो यहां क्या बात है । दक्ष की बाते सुन के दोनो अध्वंश की तरफ देखते है जो सिर्फ काफी पीने पर ध्यान दे रहा था ।। 

    दक्ष ने जब देखा दोनो कुछ बोल नहीं रहे है तो उसने अध्वंश के तरफ देखते हुए कहा " क्या बात है कुछ हुआ है क्या " कुछ देर तक कोई कुछ नही कहता है जिससे दक्ष बुरी तरह छिड़ जाता है और गुस्से से खड़ा होके कहता है "बात क्या है कोई कुछ कहेगा या फिर मैं खुद पता कर लूं । 

    उसे इस तरह से चिल्लाते देख कर दोनो आदमी दो कदम पीछे होके खड़े हो जाते है वही दक्ष दोनो को गुस्से से घूरते हुए कहता है " श्याम , सुन्दर तुम दोनो मुझे बता रहे हो या नहीं या फिर मैं ..  दक्ष आगे कुछ न बोल के दोनो को घूरने लगा वही श्याम सुंदर जो की दोनों ट्विंस है और अध्वंश के सबसे ईमानदार आदमी है जो कई सालो से उसके लिए काम करते है ।। 

    श्याम सुन्दर ने दक्ष की बात सुन वो अपना सर झुका लिया तभी श्याम ने कहा " बॉस को मिस्टर रघुवंशी ( यानी अधवंश के दादा जी ) बुला रहे है ये उनका ऑडर है की बॉस फॉरन  विला आए .।।

    " मुझे सक था ये बात दादा जी से जुड़ा ही होगा आखिर वो चाहते क्या है शादी करने को कहा अध्वंश ने कर लिया और अब उन्हें क्या चाहिए " दक्ष ने गुस्से से उबलते हुए कहा । 

    वही सोफे पर बैठा अध्वंश जिसे इन सब से कोई फर्क नही पड़ रहा था वो बस अपनी कॉफी को इंजॉय कर रहा था मजे से ।। 

    तभी दक्ष ने अध्वंश के तरफ देखते हुए कहा " मुझे पता है उसी ने कहा होगा दादा जी को कुछ इस लिए तुझे जाने की जरूरत नही है मैं संभाल लूंगा उस लड़की को मैं ऐसी सब सिखाऊंगा की वो कभी भूल नही पाएगी बहुत सर पर चढ़ने लगी है " 

    कहते हुए दक्ष ने अपने शर्ट के कॉलर को ठिक कर फोन लिया और बाहर जाने के लिए मुड़ गया लेकिन वो आगे जाता उससे पहले उसके कानो के एक दम दार आवाज पड़ी" अकेले कहा जा रहा है " 

    ये आवाज अध्वंश की थी जो अपने जेब के पॉकेट में हांथ डाल के खड़ा था उसके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था ना दुख दर्द नफरत न कुछ  प्यार जैसा कुछ नही था उसे देख ऐसा लगता वो कोई इंसान नही  रोबर्ट हो ।। 



    अध्वंश की बात सुन के दक्ष ने पीछे मुड़ के उसे देखते हुए कहा " तेरे कहने का क्या मतलब है क्या तू चलेगा वहा " 

    अध्वंश ने अपने कदम आगे लेते हुए कहताहै " क्यू मैं नही जा सकता हूं ये मेरे और उसके बीच की बात है तू इन सब में मत पड़ मैं संभाल लूंगा आखिर मैं भी देखना चाहता हूं इस बार मेरे प्यारे दादा जी आखिर करना क्या चाहते है " 

    इस बार दक्ष ने कुछ नही कहा और अध्वंश के साथ बाहर निकल गया वही उनके पीछे घबराये हुए श्याम सुन्दर दोनो जाने लगे ।  



    जारी..✍️

  • 4. His love is a whitch - Chapter 4

    Words: 1138

    Estimated Reading Time: 7 min

    रागनी अपने गोद में रिम यानी रिमझिम को लेके बैठी थी उसने परेशान भाव से कहा " पता नही इसे कब तक होश आयेगा मैं तो समझ नही पा रही हूं हेड ने ऐसा क्यू किया " 



    रागनी की परेशानी समझते हुए मधु ने कहा " रागनी बेटा  मैं 200 सालो से हेड को जानती हूं अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो उसमे जरूर हमारी रिम की भलाई ही है अगर ऐसा कोई इंसान सच मेंमिल जाए और रिम उसे डरा दे तो वो आज से ज्यादा ताकत वर बन जायेगी " 



    रागनी ने रोते हुए का " लेकिन अगर ऐसा कोई नही मिला तो हमारी रिम का क्या होगा आप को पता है जब मेरे अपनो ने मुझे मारा तब मेरा सब कुछ छीन गया मैं इस दुनिया के आ गई जब उन लोगो को पास से जाके उन्हे खुश देखती थी तो दिल में दर्द सा होने लगता था आखिर मेरी गलती क्या थी जो मुझे ऐसी जैसा मिनी मैं उस देवता को कोशिति रहती जिसने बनाया।।

     लेकिन जब मैने पहली बार रिम को समसान में अकेले सोते हुए देखा तो मुझे लगा वो कोई इंसान है पर जब मुझे पता चला वो मर चुकी है और कैसे तो इसके आगे मेरा दुख कुछ लगा ही नही और मैं अपने दर्द को भूल के रिम के दर्द को महसूस करने लगी पर आज मेरी रिम इस हालत में है और मैं कुछ कर नही सक्ति हूं मैं इतनी मजबूर हूं की उसे उठा के कुछ खिला भी नही सकती मेरी रिम तो भूख बर्दाश तक नही कर सकती है उसे तो  सुबह ही कुछ खाने को चाहिए था पर देखिए कैसे लेटी है ।। 



    कहते हुए रागनी के आंखो से आंसू निकलने लगे तभी उसके कानो में एक मीठी आवाज गई किसी और की नही बल्कि रिम की थी और अब तक उसे होश आ गया था वो तो कब का उठ गई थी बस रागनी के आंसू और उसकी बाते सुन रही थी ।।



    " दीदी प्लीज आप रोइए मत मैं आप के साथ हमेशा रहूंगी  " रिम जो की रागनी के गोद में थी उसने अपना सर ऊपर कर रागनी को देखते हुए कहा ।। वही रिम की बाते सुन के रागनी के होंठो पर स्माइल आ गई। उसने प्यार से इसके  बालो को सहलाते  हुए कहा " मुझे पता है मेरी बच्ची मेरे बीना नही रह सकती और न मैं  मुझे बहुत खुशी है  की तुम ठीक हो अच्छा  कही दर्द तो नहीं हो रहा है ना अगर होता है तो मुझे बताओ मैं डॉक्टर क बुलाऊं। 



    ( अब आप लोग सोच रहे होंगे डॉक्टर कहा से आयेगा तो डॉक्टर भी भूत होते है ऐसे कई सारे डॉक्टर एक्सिडेंट से  मर के भूत बने है रागनी उन्ही की बात कर रही है ) 



    रागनी की बात सुन के रिम उठ के बैठ गई और उसके आसू साफ करते हुए कहा "  आप परेशान मत होइए मैं ठीक हूं और आप को पता है मेरे शरीर में मुझे लग रहा है की कुछ चिंटिया रेंग रही है जैसा फील हो रहा है " 



    रागनी ने घबराते हुए कहा " इसी लिए तो मैं कह रही हूं की डॉक्टर को दिखा दो अगर कोई प्रोबलन होगी तो ठीक हो जाएगी ।। 



    रिमझिम ने रागनी के चेहरे को हांथ में लेते हुए कहा " दीदी कोई बीमारी जैसी नहीं लग रही है बल्कि मुझे अच्छा लग रहा है मेरा हवा में उड़ने का मन कर रहा है " 



    रिम की बाते रागनी समझ नही पा रही थी उसे समझ नही आ रहा रिम कहना क्या चाहती है ।।तभी रिम खड़ी होके कुछ दूर जा के खड़ी हो जाति है ।।

    कुछ देर ऐसे ही दूर जाते जाते अचानक से रिमझिम ऊपर  उड़ने लगती है उसके पैर उल्टे हो जाते है और बाल लम्बे उसे इस तरह से देख कर रागनी  शॉक होके खड़ी हो जाति है वही मधु जी भी रागनी के पास आके खड़ी हो जाति है दोनो के चेहरे को देख लग रहा था की वो दोनो काफी खुश है ।। 

    मधु जी खुश होके कहती है " ये तो सच में काफी ज्यादा सक्ति साली हो गई है " 

    रागनी  ने अपना सर हिलाते हुए हां कहा कुछ देर ऐसे ही उड़ने के बाद रिमझिम आके दोनो लोगो के पास खड़ी हो जाति है और कहती है " देखा मैं पहले से ज्यादा सक्ति साली हो गई हूं अब मैं कही भी जा सकती हूं और कुछ भी कर सकती हूं " 

    रागनी   कहती है " सच में हेड ने तो सारी परेशानी खत्म कर दिया तभी बीच में मधु जी कहती है " अभी नही रिमझिम को जो मिसन मिला है उसे पहले पूरा करना है इसी लिए हमे यहां से चलना चाहिए । 



    दूसरी तरफ ..  

    रघुवंशी मेंशन के लिविंग रूम में एक बूढ़ा आदमी जिसके चेहरे पर झुरिया पड़ गई थी बाल सफेद थे वह बड़े से चेयर पर बैठा था ठीक उनके सामने अध्वंश किसी राजा की तरह एक पैर पर दूसरा पैर किए बैठा था

     जिसे देख कर वो बूढ़े आदमी यानी अध्वंश के दादा जी अभिराज रघुवंशी ने कहा " मैं ये क्या सुन रहा हूं तुम पूरा  दिन और रात सिर्फ ऑफिस में गुजार रहे हो घर तक नही आते ना मेरी पोता बहु का फोन उठाते हो आखिर तुम चाहते क्या हो क्या चैन से इस उम्र में मुझे रहने नही देगो अगर ऐसा है तो बताओ मुझे  " 

    उनकी बात सुन एक अध्वंश कुछ नही कहता है बस बीना भाव के चहरे से देख रहा था जैसे इन सब से उसे कोई फर्क ही ना पड़ता हो उसे इस तरह से देखता देख  दादा जी और गुस्से में आ गए।।

    इस बार काफी तेज चिल्लाते हुए कहते है " शादी दो लोगो के बीच होता है और उस शादी को दोनो निभाते है ना की एक , ऋषिता ने पूरे दिल से इस रिश्ते को निभा रही है लेकिन तुम बस उसे इग्नोर कर रहे हो क्या दिक्कत है .... खो खो तेज बोले से दादा जी को खासी आने लगती है 

    तभी बगल में खड़ी ऋषिता जो की अध्वंश की पत्नी है उसने जल्दी से दादा जी के हाथों में पानी का ग्लास देते हुए कहा " दादू प्लीज शान्त हो जाइए आप ऐसे चिल्लाएंगे तो कही बीमार न हो जाए और मुझे। अच्छा नही लगेगा मैं यही सोचूंगी की ये सब मेरी वजह से हुआ है प्लीज आप शांत रहिए " 

    चहरे पर मेकअप के साथ साथ झूठ फरेब का मुखौटा पहने लड़की ऋषिता ने कहा जिसे सुन के अध्वंश के बगल में खड़ा दक्ष ने अपने कानो में ब्लूटूथ डाल लिया और श्याम सुंदर ने अपनी उंगलियों से कान खिजाने लगे उन्हे ऐसा करते देख लग रहा था की जैसे इंसान नही किसी चुड़ैल की आवाज सुन लिया हो ।। इन सब के रिएक्शन को ऋषिता ने देख लिया था लेकिन अपना नाटक बरकरार रखते हुए उसने आगे लगा ..

    जारी...✍️ 

  • 5. His love is a whitch - Chapter 5

    Words: 1153

    Estimated Reading Time: 7 min

    ऋषिता ने अपना नाटक बरकरार रखते हुए कहा " दादू मुझे नही पता मैने ऐसी क्या गलती कर दिया है की ये मेरे साथ ऐसा व्यवहार करते है पर प्लीज आप इन सब में मत पड़िए  मैं नही चाहती पति पत्नी के बीच कोई दूसरा आए ये हमारे बीच की बात है और मैं खुद इसे उलझा लूंगी " 

    दादा जी ने ऋषिता के सिर पर हांथ फेरते हुए कहते है " बेटा मैं तुम्हे इस तरह से  दुखी नही देख सकता हु।  बस इसी लिए मैने सोचा कुछ करूं तुम्हारे लिए " 

    दक्ष जो कब से चुप था उसने मन में कहा " दुखी और ये चुड़ैल कभी नही । 

    अध्वंश जो कब से इन दोनो की बाते सुन रहा था उसने सोफे से खड़े होके कहा " अगर आप दोनो का नाटक हो गया हो तो मैं चलता हूं मेरी इंपोटेंट मीटिंग है " 

    उसकी बात सुन के अभिराज रघुवंशी गुस्से से में अपनी झड़ी के सहारे खड़े हो जाते है और कहते है " ये सब तुम्हे नाटक लग रहा है एक लड़की अपना सब कुछ छोड़ के हमारे घर आई है और तुम उसके दर्द को नाटक कह रहे हो ये सब मेरी गलती है मुझे अपनी बेटी की शादी तुमसे करनी  ही नही चाहिए थी काम से कम उसकी जिंदगी तो बर्बाद नही होती " 

    अध्वंश अब पूरी तरह एडीटेट हो चुका था उसने अपने घड़ी में टाइम देखा और कहा " जब पता है तो अपनी गलती सुधाइए जहा से आई है वही भेज दीजिए इस लड़की को "  

    अपनी बात कह के अध्वंश वहा से बाहर की तरफ चला जाता है वही उसके पूछे दक्ष और श्याम सुंदर तीनो निकल जाते  है पीछे से बस अभिराज जी चिल्लाते रह जाते  है ।।

    " मैं इसे नही छोडूंगा मुझे  अब इस लड़के को सबक सिखाना ही पड़ेगा " अभिराज जी ने चेयर पर बैठते हुए कहा वही ऋषिता भी अध्वंश को बात सुन के काफी गुस्से में थी उसके जबड़े कस गए थे । 

    " अध्वंश रघुवंशी कब तक मुझसे भागोगे तुम्हे इतना मजबूर कर दूंगी की तुम खुद मेरे पास चल के आओ इसके लिए मुझे क्या करना है मैं अच्छे से जानती हूं । ऋषिता ने मन ही मन कहा  और कुछ सोच के इसके चहरे पर एविल स्माइल आ गई जिसे उसने तुरत ही छुपा लिया तभी उसके कानो में अभिराज जी की आवाज जाति है " ऋषिता बेटा सॉरी आज भी मैं  तुम्हारे लिए कुछ कर नही पाया लेकिन मैं तुमसे वादा करता हूं एक दिन अध्वंश को अपनी गलती का अहसास होगा और वो खुद तुम्हारे पास  आयेगा " 

    " बूढ़े तू वैसे भी किसी काम का नही है पता नही तू मेरे पल्ले पड़ा ही क्यों " ऋषिता ने मन में कहा फिर चेहरे पर एक बनावटी मुस्कान लाते हुए कहा " दादू आप एसी बाते क्यू कर रहे है इन सब में आप की कोई गलती नही है अब आप  ये सब छोड़िए मैं अध्वंश को देख लूंगी बस आप अपना ध्यान रखिए चलिए पहले आप कुछ खा लिजिए उसके बाद दवाई मैं दे देती हूं " 

    उसकी बात  सुन के अभिराज जिनके आंखो में ऋषिता से ज्यादा संस्कारी लड़की इस दुनिया में  नही है वो उसकी बात सुन के अपना सिर हिला देते है ।। 

    इसी तरह  ही धीरे धीरे शाम हो गई थी जहा कुछ लोग अपने काम से घर  लौट रहे थे वही कुछ लोग रात की पार्टी इंजॉय करने निकल गए थे और यहां शहर के बाहर शमशान में विदाई का माहौल बना हुआ था ।। 

    रिमझिम वही वाइट फ्रॉक और सूज पहन के रेडी थी उसके बालों की दो चोटियां बनी  हुई थी जो रागनी और मधु ने  बनाया था  ।। वही बाकी सब एक एक कर के रिमझिम के गले से लग रहे थे क्यू की आज से रिमझिम अपने मिसन पर जाने के लिए निकलने वाली थी ।।

    सब लोग काफी दुखी थे क्यू की इस समशान की शान रिमझिम थी रात होते ही वो यहां के कब्र में रहने वाले को परेशान करना शुरू कर देती थी और सभी थक हार के यहां से भाग जाते तो फिर रिमझिम उन्हे ढूंढ के परेशान करती अब तो वो कुछ दिनो के लिए जा रही थी । लेकिन फिर भी सब को काफी दुख था ।  

    रागनी ने रिमझिम के गले से लगते हुए कहा " रिम मेरी बात ध्यान से सुन पहली बात अगर वो इंसान नही भी मिला तो दुखी मत होना हम सब यहां है तुम हमारे पास आ जाना और दूसरी बात अगर किसी जिंद ( जो सबसे खरनाक भूत होते है जो कब्र से बाहर होते है और कई सौ सालो से जिंदा होते है जिनके अक्सर एक बॉडी पार्ट नही होते है  ) अगर वो लोग परेशान करे तो हमे फौरन बुना लेना वैसे तो हम तुम्हारे आस पास ही रहेंगे और हां तीसरी बात की पर जल्दी से यकीन मत करना  और कही भी सोना मत अगर नीद आए तो किसी अच्छे कब्र पर जाके सो जाना समझी " 

    रागनी के हर एक बात पर रिमझिम ने अपना सर हिला दिया और सभी को बाय बोल के वहा से निकल गई ।। सभी उसे हवा में उड़ते हुए देख कर बाय करने लगे ।। 

    कुछ देर बाद ...

    रिमझीम शहर के सबसे बड़े AR   होटल के सामने खड़ी होके देख रही थी  ये होटल अध्वंश का ही था उसने अपने आस पास देखा जहा से कई सारे लोग अंदर जा रहे थे कोई अकेले तो कोई अपनी फेमिली के साथ तभी रिमझिम के बगल से एक छोटी सी बच्ची अपने मम्मा पापा का हांथ पकड़ के जा रही थी जिसे देख रिमझिम के चेहरे पर स्माइल आ गई । फिर कुछ सोच के रिमछिम होटल के अंदर चली जाती है जबसे पहले वो पार्टी एरिया में जारी है जहा कुछ कॉलेज के लड़के और लड़कियां पार्टी कर रहे थे वहा इधर  से उधर देखते हुए विधि ने कई लोगो को डराया और जब कोई न कोई रिएक्ट कर देते जिसे देख रिमझिम उदास होके वहा से बाहर लॉबी में आ गई ।। 

    उसने खुद से कहा " यहां तो लोग सिर्फ ग्लास और सोफे हिलाने से डर जा रहे है अगर रियल में मुझे देखते तो क्या करते अब मैं उस  इंसान को कहा ढूंढीगि " 

    खुद से बाते करते हुए रिमझिम वहा से टैरेस पर चली जाती है और उसके बारजे पर बैठ कर चांद को देखने लगती है तभी पीछे से किसी की दर्द भरीआवाज आती है जिसे सुन के  रिम पीछे मुड के देखती है की एक लड़की खून से लथपथ होके दर्द से तड़प रही थी ।। 

    रिमझिम उसे देख कर  जैसे ही आगे बड़ती है की दो हट्टे कट्टे आदमी उस लड़की के बालो से पकड़ के दीवाल से सटा देते है और गुस्से से कहते है " आज तेरी मौत पक्की है तुझे यहां बचाने कोई नही आने वाला है " 

    कहते ही वो आदमी उस लड़की के पेट में दो से तीन बार चाकू घुसा देते है । 

    जारी ..✍️ 

  • 6. His love is a whitch - Chapter 6

    Words: 1730

    Estimated Reading Time: 11 min

    रिमझिम उस लड़की को देख कर  जैसे ही आगे बड़ती है की दो हट्टे कट्टे आदमी उस लड़की के बालो से पकड़ के दीवाल से सटा देते है और गुस्से से कहते है " आज तेरी मौत पक्की है तुझे यहां बचाने कोई नही आने वाला है " 

    कहते ही वो आदमी उस लड़की के पेट में दो से तीन बार चाकू घुसा देते है । 

    अब आगे ...

    उस लड़की के पेट में चाकू जाते ही उसके मुंह से खून निकलने लगता है वही रिमझीम खड़ी होके ये सब देख रही थी आज से पहले खुद के सामने उसने ऐसा कोई सीन नहीं देखा था ये पहली बार था जिसे देख रिम पूरी तरह सन्न हो चुकी थी उसे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा क्या करे वो बस खड़ी होके देख रही थी ।। 

    उस आदमी न मारने के बाद उस लड़की को जमीन पर फेक दिया और दूसरे ने दो दिन लात मार के कहा " तू इसी के लायक है मैने तुझे पहले ही कहा था हमारे साथ धोखा मत करना वरना तेरे साथ अच्छा नही होगा लेकिन तूने हमारी बात नही मानी और हमे दिखा दिया,, धोखे की कीमत सिर्फ मौत है समझी " 

    पहले आदमी ने दूसरे वाले के कंधे पर हांथ रख के कहा " चल यहां से चलते है वैसे भी ये अब बच नहीं सकती क्यू की यहां तो इसे बचाने वाला कोई नहीं  है  और न कोई आएगा " 

    उसके कहते ही दोनो  हस्ते हुए वहा से चले गए उनके जाते ही वो लड़की दर्द से चीखने चिल्लाने लगी पर उसे बचाने के लिए कोई नही आया अब तो वो इतनी घायल हो चुकी थी की सांस भी लेना उसके लिए मुस्कीन था उस लड़की ने रोते असमान में देखते हुए कहा " क्यू मॉम आप चली गई मुझे छोड़ के अगर आप होती तो ये सब मेरे साथ नही होता आप क्यू गई मेरा भाई मुझसे प्यार नही करता है अगर वो करते तो आज मेरे पास होते मुझे बचाने आते पर वो नहीं आय मैने कितनी बार कॉल किया लेकिन एक बार भी उठा कर ये नही पूछे की मैं कैसी हूं " 

    कहते हुए वो लड़की बुरी रोने लगी उसके आंखो से आंसू की नदिया बह रही थी वह बगल में खड़ी होके रिमझिम सब कुछ देख और सुन रही थी उस लड़की की बात सुन के उसे भी बहुत बुरा लगा की उसका कोई है नही ।। 

    प्लीज मुझे कोई बचालो " उस लड़की ने लास्ट बार कहा जिसे सुन के रिमझिम अपने होस में आई और उस लड़की के पास जाके उसे उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं था क्यू की वो लड़की को छू तक नही पा रही थी ।। 

    रिमखिम परेशान होके खड़ी हो गई और अपने सर पर हांथ रखते हुए  कहा " मैं क्या करूं इन्हे कैसे बचाएं मैं तो सामने भी नही जा पाऊंगी और न ये मुझे  देख सकती है क्या करूं मैं " कहते हुए रिमझिम अपने आस पास देखने लगी । तभी उसके पीछे से किसी की आवास आई । 

    " रिम तू यहां क्या कर रही है तुझे दुसरे एरिया में जाना था ना " ये आवाज रिम अच्छे से पहचानती थी वो पीछे मुड के देखती है तो रागनी खड़ी थी रिम जल्दी से रागनी के पास जाके कहती है " दीदी देखो ना उस लड़की को कोई मार के चला गया हमे कुछ करना चाहिए चलिए हम उसे बचाते है प्लीज दीदी किसी को बुलाइए  " 

    रिम की बात सुन के रागनी ने उसे अपने पास कर लिया और लड़की को देखते हुए कहा  " हम ऐसा नहीं कर सकते ही " 

    " रिमझिम कहती है " लेकिन क्यू दी वो लड़की अभी जिंदा है और उसे किसी डॉक्टर की जरूरत है  अगर कोई यहां आ गया तो वो लड़की बच सकती है " 

    रागनी ने कहती है " रिम ये हमारे हांथ में नही है और ना हमारा  हक है। इसे मरना है उसे मारने दो बस तुम अपने काम पर ध्यान दो जो तुम यहां करने आई हो ना की किसी और पर " 

    रागनी की बात रिमझिम को बिल्कुल अच्छा नही लगा उसने थोड़े गुस्से से कहा " दीदी ये आप कैसी बाते कर रही है हमे हर किसी की मदद करनी चाहिए वो लड़की वहा मर रही है और हम बस खड़े होके देख रहे है क्या हम उसकी हेल्प नही कर सकते लेकिन क्यू ऐसा क्यों " 

    उसकी बात सुन के रागनी ने कस के अपनी आंखे बंद किया और गहरी सांस छोड़ते हुए कहा " देखो रिम ये काम इंसानों का है ना की हमारा हम खुदरत और इंसान के बीच में नही आ सकते  क्यू की हम उनसे अलग है जिसकी मौत जब लिखी है तभी होगी वो चाहे जो कर के  अगर हम उन्हे बचाने की कोशिश भी करते है या फिर बचा लेते है तो इसके लिए हमे सजा भी मिल सकती है ये सिर्फ हमारे लिए नही बल्कि हमारे पूरे भूत समाज के लिए अच्छा नहीं है इस लिए तुम इन दोनो के बीच में मत पड़ो बस अपना काम करो बस वो करो जो करने आई हो " 

    रागनी की बात सुन के रिमझिम मायूस हो जाति है उसे कुछ समझ में नहीं आता वो क्या करे बस कैसे भी कर  के उस  लड़की को बचाना है उसके लिए अगर उसे खुदरत के खिलाफ भी जाना पड़े तो मंजूर है लेकिन कैसे करेगी वो यही सब रिमझिम के दीमाक में चलने लगा रागनी जो रिमझिम को ही देख रही थी वो तुरत समझ जाति है इसी लिए उसका हांथ पकड़ के कहती ही " 

    चलो हमे यहां से चला होगा " कहते हुए रागिनी आगे बड़ जाति है लेकिन रिमझिम अपनी जगह पर ही होती है और वो वहा से हिलती तक नही रागनी पीछे मुड़ के रिम को देखते हुए कहती है " रिम मैने कहा चलो यहां से जो तुम करने की सोच रही हो उसके लिए तुम्हारे साथ अच्छा नही होगा प्लीज चलो यहां से " 

    रागनी की कोई बात रिम नही सुनती है बल्कि अपना हांथ चूड़ा के नीचे की तरफ भाग जाति है उसे ऐसा करते देख रागनी गुस्से से अपनी मुठिया बंद के कहती है " रिम मैं इस बार तुम्हरा साथ नही देने वाली क्यू की इसकी कीमत तुम्हारी जान होगी जो मैं कभी होने नही दूंगी " 

    कहते हुए रागनी भी रिम के पीछे भागती है तभी उसे रिम नीचे आ रहे इंसानों को रोकते हुए देखती है जो हर किसी के सामने जाके रोक रही थी और सभी उसे पार कर आगे बड़ जा रहे थे  वो लोग पूरी तरह रिमझिम को छूंके निकल जाते और उन्हे अहसास तक नही होता वही रिमझिम पूरी तरह हार मान गई तब भी उसके पास रागनी ने आके कहा " हो गया कर  लिया अपनी मर्जी का  कुछ बाकी है तो कर लो मैंने पहले ही कहा है अगर उसे बचाना होगा तो कोई भी आके उसे बचा सकता है तुम बस करो और चलो मेरे साथ  

    " नही मैं कही नही जाने वाली हूं आप के साथ मैं किसी को ऐसे मरते हुए  छोड़ के नही जा सकती हूं " रिम ने कहा।

    " रिम आखिर तुम शांति से कोई बात क्यू नही समझती हो मैं कह रही हूं ना चलो यहां से " रागनी ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा । 

    " नही नही नही मैं नही जाने वाली " रिमझिम ने जोर जोर से अपना हांथ छुड़ाते  हुए कहा जिसे सुन रागनी ने गुस्से में रिम का हाथ पकड़ लिया और  जबरन से अपने साथ लेजाने लगी वही रिम छुड़ाते हुए " दी प्लीज छोड़िए मुझे मैने कहा छोड़िए मुझे " 

    रिमझिम चिल्लाती रही लेकिन रागनी ने एक नही सुना  और  कुछ दूर जाते ही गायब हो गई ।। उधर वो लड़की अपनी आखिरी सांसे ले रही थी लेकिन उसे बचाने कोई नही आया वो दर्द से कहराते हुए ,वैसे अपनी आत्मा को इंसान बांध के रखता है उसे छोड़ दिया उसकी आत्मा शारीर से निकल के खुद के बॉडी को देखने लगी ।। फिर वहा से आगे बड़ गई ।। उसे नही पता कहा जाना है कैसे जाना है बस जिस रास्ते से आई थी उसी पर जाने लगी ।। 

    अगली सुबह.....

    रिम फिर से अपने मंजिल पर निकल चुकी थी वो इस बार होटल के बजाए बड़े बड़े कंपनियों में जाने लगी जहा लड़की की कमी नही थी पर उसे कोई मिला । ऐसे ही 2 दिन बीत गया और रिमझिम उस लड़की को भी भूल गई उसे याद तक नही था एक कारण ये भी था की रागनी ने शक्तियों से उसे बुला दिया था जिससे दुबारा रिमझिम याद न कर सके। 

    रिमझिम फिर से थक हार के कम्पनी के कैफेटेरिया में बैठी थी वो जिस सोफे पर बैठी थी वहा चार आदमी भी बैठे थे लेकिन वो लोग रिमझिम को देख नही सकते थे लेकिन रिमझिम उन्हे देख सुन सब कर सकती थी ।। 

    रिमझिम अपनी थकान मिटा रही थी तभी उसके कानो में उन लोगो की आवाज गई ।। 

    एक कदमी ने कहा "सुना है AR ने उन लोगो को पकड़ के बहुत टॉर्चर किया और उन्हें मार दिया " 

    दूसरे ने कहा " क्या सच मैं इसी लिए इस कम्पनी में जॉन नही करता पता नही कब कोई गलती हो जाए और AR हमे सूली पर चढ़ा दे इसी लिए दूर से ही भैया राम राम काम खायेगे लेकिन जिंदा तो रहेंगे " 

    तीसरे ने कहा " वो सब तो पता लेकिन इस बारे में किसी ने पॉलिश को क्यू नही कहा क्या पता AR पड़ा जाते । 

    तीसरे आदमी की बात सुन के दोनो उसे अजीब तह से देखने लगे तभी एक ने कहा " तुम्हे पता है AR कौन है " 

    उसके कहते ही तीसरे आदमी ने ना में सर हिला दिया तो दोनो ने हस्ते हुए कहा " आज के बाद कभी उसका नाम और पुलिस का नाम मत लेना " 

    तीसरे ने पूछा " लेकिन क्यू अगर कोई गलत कर रहा ही तो सजा तो मिलनी चाहिए " 

    पहले आदमी ने कहा " सजा कौन सी सजा वो खुद एक यमराज है जो दूसरी को सजा देता है बल्कि उनकी जाने भी छीन लेते है उनका नाम कोई लेता नही ही पता क्यू की दुबारा वो बोलने के लायक नही रहता है " 

    उसके इतना कहते ही तीसरे आदमी ने अपने मुंह पर हांथ रख लिया । और चुप हो गया । 

    जारी..✍️

    देखना ये है की रिमझिम कैसे मिलती है अध्वंश से .? क्या अध्वंश उसे देखा सकेगा .? 

  • 7. His love is a whitch - Chapter 7

    Words: 1512

    Estimated Reading Time: 10 min

    पहले आदमी ने कहा " सजा कौन सी सजा वो खुद एक यमराज है जो दूसरी को सजा देता है बल्कि उनकी जाने भी छीन लेते है उनका नाम कोई लेता नही ही पता क्यू की दुबारा वो बोलने के लायक नही रहता है " 

    उसके इतना कहते ही तीसरे आदमी ने अपने मुंह पर हांथ रख लिया । और चुप हो गया । 

    अब आगे .. 

    रिमझिम उन सब को बड़े ध्यान से देख रही थी उसे नही समझ में आया क्या बात और किसके बारे के हो रही है लेकिन उसे कहीं न कहीं लगा कही वो आदमी यही तो कही जिसे वो ढूंढ रही है इसी के खुशी में रिमझिम ने कहा " क्या आप लोग मुझे बता सकते गई ये AR कौन है मुझे मिलना है " 

    रिमझिम के कहने के बाद भी किसी ने नही कुछ नही कहा क्युकी की उसकी आवाज वो लोग सुन तक नही पाए थे और ये बात रिमझिम भूल गई कल तक लोगो को बीच में बैठ कर उसे लगा वो भी एक इंसान है उसके दीमाक से ये बात निकल गई उसकी बाते और उसे कोई देख सुन नही सकता है। 

    रिमझिम उदास होके बैठ गई अब वो कैसे इस इंसान के बारे में पता करे उसे तो कुछ पता भी नही है और ऊपर से ये शॉर्ट फॉम रिमझिम उदास बैठी थी तभी उसके कानो के फिर से इन सब की बात गई । 

    " मैने सुना है कल हमारे बॉस की डील AR  के साथ में है सबसे बड़ी खुश खबरी ये है की मैं इस मीटिंग का हिस्सा नही हूं वरना पता नहीं मेरा क्या होता मैं तो देख कर हार्ट अटैक से मर जाता ।

    उसकी बात सुन के दूसरे ने हस्ते हुए कहा " बस कर भाई इतना मजाक अच्छा नही है पता है उसके साथ मीटिंग में जाने वाली को हमारे बॉस बोनस दे रहे है । 

    तीसरे ने कहा " तो तू जाके ले ले हमे उसकी जरूरत नही है वैसे भी कोई उस AR के होने से  मीटिंग में नही जाना चाहता है जिसका फायदा उठाने के लिए हमारे बॉस रिश्वत दे रहे है पता है कितना जोखिम है उस मीटिंग रूम में जाना अगर पसंद नही आता है तो सीधा ऊपर भेज देते है नही भाई मुझे पैसे और बोनस की जरूरत नहीं है मैं ऐसे ही सैलरी में बहुत खुश हूं वैसे तू चला जा तेरे घर पर थोड़ी दिक्कत भी है । 

    उस लड़की की बात सुन के दोनो चुप हो गए और वही रिमझिम उन की बात सुन के वहा से उठ के चली गई ।  

    दूसरी तरफ ... 

    बिल्डिंग के 65 फ्लोर पर अपने कैबिन में अध्वंश बैठा था उसके हांथ लगा तार लैपटॉप पर चल रहे थे तभी बीना नॉक किए कोई केबिन का दरवाजा खोल के अन्दर आया ।। लेकिन अध्वंश ने एक बार भी अपना सर ऊपर कर के देखा नही कौन है।। इस लिए की सायद उसे पता चल गया था कौन है ।

    " तुम मुझे इग्नोर क्यू कर रहे हो आखिर प्रॉबलम क्या है तुम्हारी मैं यहां रात भर तुम्हरा वेट कर रही थी ना तुम आए और न ही बात करी आखिर तुम चाहते क्या हो मुझसे यही बता दो और वैसे भी शादी हम दोनो के मर्जी से हुआ था ना की जबरन" ऋषिता ने दमदमाते हुए पूछा । 

    लेकिन अध्वंश ने कोई जवान नही दिया बल्कि शांति से बैठा रहा उसके चेहरे पर इस वक्त कोई भाव नहीं था वही उसका न बोलना ऋषिता को बर्दाश नही हो रहा था वो आगे फिर से कुछ बोलने को हुई की कैबिन में दक्ष ने आते हुए कहा " हे बजरंग बली सुबह सुबह किसका चेहरा देखने को मिल गया है प्रभु दिन अच्छा करना  " 

    कहते हुए वो अंदर आ रहा था वही उसकी बात ऋषिता के कानो ने छुभने लगी उसने जोर से दक्ष से कहा "shut up " 

    उसके इस तरफ से चिल्लाने की आवास सुन के अध्वंश ने अपनी मुठिया बंद कर लिया लेकिन कुछ कहा वही दक्ष ने ऋषिता को घूर के देखते हुए कहा" अपनी औकात में रहना मेरे ऊपर चिल्लाने की जरूरत नहीं है समझी वरना जहा तुम खड़ी हो ना दुबारा आ नही पाओगी इस लिए दूर रहो और मेरे से ऐसे चिल्ला के बात तो बिल्कुल भी नही । 

    ऋषिता ने गुस्से से कहा " करूंगी क्या कर लोगे मेरी मर्जी मैं किसी पर चिल्लाऊं तुम होत कौन हो मुझे  सुनाने वाले मेरी औकात बाद में देखना अपनी देख लो अभी तक एक पी ए ही बन के रह गए हो तुम्हारी जगह कोई और होता तो कब का वो  सीईओ बन चुका होता।।। पर तुम हो जो बेफकूफ के साथ साथ एक नंबर का बेकार इंसान भी है । 

    उसकी बात सुन के दक्ष ने गुस्से से अपनी मुठिया बंद कर लिया और गुस्से से ऋषिता के तरफ बड़ते हुए कहा " मेरी छोड़ो खुद को देखो जो दूसरी की खुशियां चुरा के जिंदा रहती है जो बस पैसे से प्यार करती है इंसान से नही जो अपने बाप तक का लिहाज नही करती वो यहां मुझे ज्ञान दे रही है तो ऋषिता खेसागर ज्ञान देने का शॉक है तो कही और जाओ और अभी के अभी यहां से निकलो  ।। 

    ऋषिता ने कुछ आगे बोलने को हुई की दोनो के कानो में अध्वंश की गुस्से और कड़क आवाज गई "shut up  दोनो बाहर निकलो" 

    दोनो जो एक दूसरे को गुस्से से घूर रहे थे अध्वंश की आवाज सुन के दोनो होश में आते ऋषिता ने अध्वंश की तरफ बड़ते हुए लगा " बेबी इसे यहां से बाहर निकलो जब भी आता है बेकार सा अपना मुंह खोलता है उसे कहो ये यहां से बाहर जाए " 

    कहते हुए ऋषिता अपना हांथ अध्वंश के कन्धे पर रखें को हुई की उससे खुद के ऊपर अधवंश की जलती हुई निगाहे महसूस हुआ वो तुरत अपना हांथ पीछे कर लेती गई तभी अध्वंश अपने दांत पीसते हुएकाहा " आगे से अपनी इस जबान को लगाम में रखना बरना मैं बर्दाश भी करूंगा कोई मुझे इस तरीके से बुलाए मैने शादी सिर्फ दादा जी के कहने पर लिया है मैं कुछ कहता नही इसका ये मतलब नही है की मैं दादा जी से डरता हूं चाहु तो तुम्हे अभी उस घर से फेक सकता हूं  अगर तुम ये सब नहीं चाहती तो अपनी जबान बंद कर लिया करो ।। 

     अध्वंश का गुस्सा देख के ऋषिता घबरा गई और हां में सिर हिला दिया अब वहा रुकने को वो  एक मिनट भी नहीं चाहती थी उसे कल दादा  जी ने इतना सब सुनाया है तो  उसे लगा अध्वंश उसकी सुनेगा क्या पता आज उसके साथ डिनर तो करने जाता    लेकिन उसका सारा प्लान खराब हो चुका था इस लिए ऋषिता वहा से चली गई । जिसे देख दक्ष काफी खुश था सोफे पर बैठते हुए कहा " अच्छा हुआ चुड़ैल चली गई । सुबह सुबह मुंह भी खराब कर के चली गई ।  

    " दक्ष जो काम कहा था वो हुआ " अध्वंश ने पूछा तो दक्ष अपनी ख्यालों से बाहर आके कहा । 

    " सॉरी यार मैंने हर जगह पता किया और हर जगह ढूंढा भी पर वो कही कही मिली और न ही वो कॉलेज में थी मुझे कुछ अजीब लगा रहा है अगर तू कहे तो एक बार फिर से उसकी डिटेल निकलवा लूं क्युकी की वो अभी तक मिली भी नही और  उसका पता  भी नही चल सका । 

    दक्ष की बात सुन के अध्वंश ने कहा " हम्मम बस मुझे वो चाहिए इस बार " 

    दक्ष " ठीक है इस बार मैं उसे कही से भी पकड़ के लाऊंगा तू फिकर मत कर वैसे भी जायेगी कहाआना तो यही है उसकी चालाकी इस बार नही चलने दूंगा मैं " 

    इस बार अध्वंश ने कुछ नही कहा और दक्ष खुद ही बड़बड़ाने लगा ।। 

    इधर  रिमझिम जिस कंपनी में थी उसके कैबिन में जाके बैठी थी पर उसे वहा से कुछ नही मिला  अब उस इंसान से मिलने के लिए उसे कल तक का इंतजार करना पड़ेगा इसी लिए रिमझिम। वहा से निकल जाती है ।। 

    थोड़ी देर में  रिमझिम एक झोपड़ी के सामने खड़ी थी उसे बाहर से देखते हुए कहा " क्या दादी अभी भी यहां होंगी या चली गई है " 

    कहते हुए वो झोपड़ी के तरफ चली गई जब वो अंदर गई तो कोई नही था सब कुछ एक जगह समान पड़ा हुआ था रिमझिम जाके उनके चारपाई पर बैठ जाती है । 

    अब तक शाम का वक्त हो चुका था सूरज ढलने के लिए तैयार था वही रिमझिम उदास होके बैठी थी पहली बात तो वो अध्वन्श नही मिल पाई दूसरी की वो काफी दिनो से कोई तक नही है ।। 

    वही चारपाई पर लेटे लेटे रिमझिम को नीद आ गई और वो गहरी नीद में चली गई।   इसी तरफ वक्त बीतता गया और रात के कुछ 12 के आस पास अचानक से रिमझिम को अपने आस पास से बहुत बदबू आने लगी जो इतना तेज था की विधि के लिए बर्दाश करना मुस्किल था ।। 

    रिमझिम ने कसमसाते हुए अपनी आंखे खोली और सामने देख कर होश उड़ गए " अअह्ह्ह्ह" चिल्लाते हुए विधि झोपड़ी के एक कोने में खड़ी हो गई ।। 

    जारी ...✍️...

  • 8. His love is a whitch - Chapter 8

    Words: 2072

    Estimated Reading Time: 13 min

    वही चारपाई पर लेटे लेटे रिमझिम को नीद आ गई और वो गहरी नीद में चली गई।   इसी तरफ वक्त बीतता गया और रात के कुछ 12 के आस पास अचानक से रिमझिम को अपने आस पास से बहुत बदबू आने लगी जो इतना तेज था की विधि के लिए बर्दाश करना मुस्किल था ।। ।।।



    रिमझिम ने कसमसाते हुए अपनी आंखे खोली और सामने देख कर होश उड़ गए " अअह्ह्ह्ह" चिल्लाते हुए विधि झोपड़ी के एक कोने में खड़ी हो गई ।। 

    " तू.. तुम लोग कौन हो और यहां क्या कर रहे हो जाओ यहां से " रिमझिम झोपड़ी के दीवाल से  सट के खड़ी थी इस वक्त उसके आंखो में डर चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी वही रिम ने सामने खड़े लोगो से  कहा ।। 

    लेकिन उसके कहने  का कोई फायदा नही था वो लोग जो 3_4 थे वो कोई और नहीं जिंद थे किसी के सर नही था तो किसी के सिर्फ सर था शरीर नही था किसी के हांथ थे तो किसी के हांथ ही नही उनका ये रूप इतना डरावना था की रिम एक ताकतवर होके के बाद भी उनसे डर रही थी ऐसा नहीं को वो इतनी डरपोक है लेकिन उनका ये भयानक रूप ही ऐसा है की कोई भी देख के डर जाए जो रिम के साथ हो रहा है ।

    रिम ने जैसे ही सब को खुद के करीब आते देखा तो जोर जोर से चिल्लाने लगी " मेरे पास मत आना वरना अच्छा नही होगा समझे दूर रहो तुम लोग मुझसे दूर रहो जाओ यहां से ,, कोई है प्लीज मुझे  बचाओ दादी मां आप कहा हो प्लीज मुझे बचाइए ,, रागनी दी" 

    रिम सभी को चिल्लाने लगी लेकिन इस वक्त वहा कोई नहीं था तभी रिम ने खुद के डर को काबू करते हुए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया उसने सामने अपना हांथ किया जिसमे से नीले और लाल कलर के कुछ रोशनी दार गोले निकलने लगे और तेज तेज तरह से रिम उनके तरफ फेके जा रही थी लेकिन सामने जो सिर्फ खाली सर था वो आगे आ के सारे गोले को अपने मुंह के समा जाता ऐसे ही कई टाइम तक रिम ने किया लेकिन उसका कोई फायदा नही था है ।। रिम बुरी तरह थक चुकी थी अब उसके अंदर इतनी एनर्जी नही बची थी ऐसा नहीं था किसकी शक्तियां कम नही थी लेकिन उसके सामने खड़े जिंद काफी ताकत वर थे जो किसी की भी शक्तियां ले सकते है जो रिम के साथ किया उसके पास जाके उसकी शक्तियों को खुद के अंदर लेने लगे ।। 

    जैसे कोई इंसान कोमा से बाहर आता है उसके होंठ सुख जाते है और आंखे पीली हो जाति है बुरी तरह बीमार उसी तरह रिम की हालत हो गई थी वो दीवाल का सहारा लेके वही बैठने की कोशिश करने लगी लेकिन फिर भी उन चारों को वो खुद के पास आने नही दे रही उसने अपना हांथ आगे कर रखा था ।  

    " हा हा हा! तुम हमसे बच नहीं सक्ति हो आज हम पूरी तरह तुम्हे खा जायेंगे " एक जिंद जिसके सर नही पूरी बॉडी थी उसने हस्ते हुए कहा । उनकी बात सुन रूम की रीड की हड्डियां तक कांप गई एक तो उसे एक हफ्ते के लिए ही शक्तियां मिली है ऊपर से अब उसके पास कुछ ही बचा है अगर ये लोग ऐसे ही करते रहे तो रिम पूरी तरह उनकी गुलाम हो जायेगी । 

    असल में जिंद और चुड़ैल और भूत थोड़े अलग है इन तीनो में कुछ एक अलग कटेगर होती है जैसे हम इंसानों में यहां अमीर गरीबी पर अत्याचार करते है उसे जात के कुछ निचे जात के ऐसे ही समीजकता इनमे  भी ही है । जैसे की भूत वो होते है जो अपने परिवार से मुक्ति नही पा सके है उनके परिवार ने उनका श्राद्ध नही किया है और चुड़ैल जिनकी मौत भगवान की मर्जी के खिलाफ जाके हुआ हो जो सुसाइट कर लेते है तीसरे वो जो अक्सर किसी एक्सीडेंट में मरे गए हो जिनके शरीर से कोई एक अंग गायब हो उनके पास चुडैलो की तरह शक्तियां होती है ।।इसी लिए चौड़लो को भूत की हिफाजत करने के लिए रखा गया है नही तो जिंद उन्हे पकड़ के अपना गुलाम बना लेते है लोगो के घरों में जाके कब्जा करते है उन्हे परेशान करते है।

    ( ये सब एक काल्पनिक है रियल में ऐसा कोई कटेगरी नही होती है ये तो मैने अपनी तरफ से बाट  दिया और बताया है की कौन क्या है ये सारी चीज़े रियल लाइफ से काफी दूर है वैसे जो भूत मानते है वो समझ सकते है की भूत चुड़ैल और जिंद में क्या फर्क है लेकिन मुझे लगता गई ऐसा कोई नही है जो भूतो को मानता हो 😂 आप लोग भी यही सोच रहे होंगे की भगवान को मानने के बारे में सुना है भूत के लिए पहनी बार सुन रहे है तो ये एक मजाक है तो मजाक पर रख लीजिएगा 😂 ) 

    रिम के लिए खुद को संभालना मुस्किल था वो हार मान के अपना हांथ नीचे कर लेती है और अपना सर नीचे कर के गहरी सांसे लेने  लगती है तभी उन चारो जोर जोर से  हस्ते हुए काफी रफ्तार से रिम को जैसे ही छूने को हुए की उनके आंखो के सामने आगे जलने लगी जिसे देख चारो एक नही दस कदम पीछे हो गए क्यू की वो लोग सबसे ज्यादा आग से ही डरते है जिंद का दुश्मन सिर्फ आग है और कुछ नही ।। 

    " तुम हरामियो की हिम्मत कैसे हुई मेरी बच्ची को हांथ लगने की दूर हट" एक  बूढ़ी औरत जिसने हाथों में एक डंडा पकड़ रखा था वो आके रिम के सामने खड़ी हो जाति है तभी उन चारो ने फिर से आगे बड़ते हुए कहा " ये बूढ़ी हट यहां से वरना अच्छा नही होगा " 

    कहते हुए जैसे ही वो लोग आगे बड़ते है उस औरत ने अपने छड़ी उनके सामने कर दिया और  चारो कुछ दूरी पर जाके गिरते है " मुझे कमजोर समझने की कोशिश मत करना तुम लोग मेरे आगे टिकने  के लायक नही हो समझे अगर जिंदा रहना चाहते हो तो यहां से दफा हो जाओ वरना इतने छोटे टुकड़े जाऊंगी की खुद को और नहीं पहचान पाओगे वैसे भी भी कौन सा पहचान रहे हो खुद को " 

    उस बूढ़ी औरत ने काफी गुस्से से कहा जिसे सुन के चारो वहा से गायब हो जाते गई धुएं की तरफ तभी दादी ने रिम को देखा जिसका चेहरा पूरा पीला पड़ चुका था उन्होंने उसे गोद में लेते हुए कहा " रिम बच्चे आंखे खोलो  अपनी दादी को देखो  आप की दादी मां वापस आ गई है आंखे खोलो बच्चे " 

    रिम के गालों पर थपकी लगाते हुए दादी मां रिम को उठाने लगी लेकिन रिम कोनी आंखे नही खोल रही तभी दीदी मां ने रिम के सर पर हांथ रख के अपनी आंखे बंध कर कुछ कहने लगी उसके कुछ सेकंड के बाद ही रिम ने धीरे से अपनी आंखे खोल के जैसे ही सामने दादी मां को देखा उसके आंखो में आंसू भर गए वो जोर से लिपट के रोने लगी ।। 

    " दादी मां मैं डर गई थी मुझे लगा वो लोग मुझे ले जायेंगे मैं यहां बस आप  से मिलने आई थी अगर मुझे पता होता तो मैं कभी नही आती " रिम ने सुबकते हुए कहा ।।

    दादी मां ने रिम को खुद से अलग किया और प्यार से उसके गालों को सहलाते हुए कहा " बच्चे मेरे होते तुम्हे कोई हांथ लगा नही लगा सकता अभी तुम्हारी दादी तुम्हारे पास में है मैं ऐसे कैसे किसी को ले जाने देती अब ये रोना बंद करो मेरी रिम तो हस्ते हुए अच्छी लगती है ना की रोते हुए चलो उठोऔर मुझे  बताओ यहां कैसे आना हुआ वो भी उतनी रात को " ।

    कहते  कहते ही रिम जाके चारपाई पर बैठ गई और दादी मां  भी बैठ गई रिम ने उदास होते हुए कहा " आप को तो पता चल क्या रहा  होगा जूझे कैसा काम दिया गया है बस मुझे समझ में नहीं आ रहा मैं इस इंसान को कहा ढूंढू मैने बहुत कोशिश किया लेकिन ऐसा कोई नही मिला  कभी कभी मुझे लगता है मैं जिन्दा होने पर भी एक डरपोक लड़की थी आज भी वही हूं पता नही मैं खुद डरती हूं लोगो को क्या ही डरा पऊंगी इसी लिए मेरे पास वो शक्तियां नही है जो दूसरो के पास में है दादी मां मैं सच में वो सब   पाना चाहती हूं ऐसा नही है आप सब मुझे पसन्द नहीं हो लेकिन अब  थक गई हूं जब लोग खुद को कहते है की हम मर जाए और भूत बन जाए उनकी लाइफ कितनी अच्छी होती है लोगो को डराओ और ना किसी काम की फीस लेकिन चाहे इस दुनिया के कोई जिंदा हो या फिर मर गया हो सब को तकलीफ है और सभी अपने अपने जगह पर परेशान है ।। 

    " तुम सही कर रही हो लेकिन लोगो और दुनिया से हम कोई लेना देना नही है वो लोग अपने कर्म बना रहे है और हम अपने कर्मी का गुनाह भुगत रहे है वैसे भी यहां तक हमे जब तक लिखा है तभी तक हम यहां रहेंगे इसके बाद हमारी गद्दी पर कोई और बैठेगा और हम मुक्ति पा सकेंगे ।। दादी मां ने रिम का हांथ अपने हाथों के कहा ।। 

    जिसे सुन रिम काफी उदास हो गई आखिर उसे किस कर्म की सजा  मिल रही है इतने कम उम्र में उसने ऐसा क्या कर दिया की किसी ने उसे मार दिया और उसे यहां सजा के तौर पर रहना पड़ रहा है ।। 

    रिम ने दादी के गोद में अपना सर रख के लेट गई वही दादी उसके बालो में प्यार से हांथ फेरते हुए उसे समझा लगी " मुझे पता है किसी को ढूंढना आसान नहीं है लेकिन नामुमकिन तो नही है जा बस तुम कोषिश करती रही आज नही तो कल वो इंसान तुम्हे मूल ही जायेगा " 

    हम्मम" रिम ने कहा ।। इसी तरह रिम की पुरी रात कट गई 

    अगली सुबह ....



    रिम इस वक्त जाके उसी कंपनी के सामने खड़ी थी जहा पर उसने AR के बारे में सुना था वो सीधे जाके मीटिंग रूम चली जाती है ।। रिम वहा जाके देखती है तो कुछ लोग शांति से बैठ के किसी के आने का वेट कर रहे थे रिम भी उन सभी के साथ बैठ जाती है काफी देर तक ऐसे ही बैठी रहती है पर कोई नही आता है जिस तरह रिम परेशान थी उसी तरफ वहा बैठे लोग भी तभी उनमें से एक आदमी ने  कहा " अभी तक AR सर आए क्यू नही वो अपने टाइम के पक्के है तो आज क्या हो गया है  " 

    उस आदमी की बात सुन जो उनका बॉस था उनसे अपने असिस्टेंट से कहा " पता करो AR कहा है ।

    उसके कहते ही एक आदमी ने किसी को कॉल किया और कुछ देर बात करने के बाद आके कहा " सर वो AR सर की सिस्टर का डेथ हो गई है " 

    " व्हाट ये कब हुआ " उस आदमी के बॉस ने कहा ।। 

    तभी उसके असिस्टेंट ने कहा " पता नही सर ये खबर आज सुबह ही  पता चला है  पूरे न्यूज चैनल में चल रही है " 

    " ओके गाड़ी निगकनो हम भी वही जाते है " बॉस ने कहा तो उसके असिस्टेंट ने फिर से कहा  " नही सर वहा किसी को भी आने की इज़्जत नही है वैसे भी AR को आप जानते ही है की वो किसी को न कभी पार्टी देते है किसी चीज़ के लिए और न ही कभी अपने गम में किसी को आने देते है उनकी शादी के वक्त भी किसी को नही बुलाया गया था और उनकी दादी के टाइम भी किसी को अंतिम समय और नहीं एक दिया गया था ।। 

    असिस्टेंट की बात सुन के जहा वो आदमी शांत हो गया वह रिम हैरान भले ही लोग अपनी खुशियां ज्यादा किसी से नहीं बटाना पसंद करते ahi लेकिन गम में सांत्वना देने के लिए चाहे हजार इंसान क्यू ना हो वो भी काम लगते है पर ये कौन है जो किसी को नही सामिल करते अब रिम को लग रहा था की वो सही दिशा में जा रही है ।।।।



    दूसरी तरफ रघुवंशी मेंशन के गार्डन में जगा एक डेड बॉडी रखी थी उसे पूरी तरह सफेद कोड़े से ढका दिया गया था वही गेट के बाहर मीडिया की भीड़ लगी थी जिन्हे गार्ड रोक खड़े थे और वो सभी जबरन अंदर आने की कोशिश कर रहे थे ।। 



    जारी.  ✍️ ...

  • 9. His love is a whitch - Chapter 9

    Words: 1960

    Estimated Reading Time: 12 min

    दूसरी तरफ रघुवंशी मेंशन के गार्डन में जगा एक डेड बॉडी रखी थी उसे पूरी तरह सफेद कोड़े से ढका दिया गया था वही गेट के बाहर मीडिया की भीड़ लगी थी जिन्हे गार्ड रोक खड़े थे और वो सभी जबरन अंदर आने की कोशिश कर रहे थे ।। 

    अब आगे...

    " मेरी अध्वी का ये क्या हाल हो गया है मेरी बच्ची मैने तुमने कहा था इसे घर से जाने मत दो लेकिन तुमने मेरी एक नही सुनी देख लिया न मेरी प्रिंसेस का क्या हाल हो गया वो हमे छोड़ के चली गई अब मैं तुम्हारी दादी को क्या कहूंगा कि मैने अपनी पोती को बचा नही सका " मिस्टर रघुवंशी ने अध्वंश से कहा जो बीना कोई एक्सप्रेशन लिए खड़ा था उसकी आंखे बेहद लाल हो  गई थी भले ही उसके आंसू की बूंद दिखाई नही दे रही लेकिन खून के आंसू जरूर थे उसकी मुठिया कस गई थी वही बगल में खड़ा दक्ष उसके आंखो से लगा तार आंसू निकल रहे थे ।। 

    दादा जी की बात पर भी अध्वंश ने कुछ नही कहा तभी ऋषिता ने दादा जी को पड़ते हुए कहा "दादा जी खुद को संभालिए आप के इस तरह रोने से अध्वी वापस नही आ जायेगी अगर आप ऐसे टूट जायेंगे तो हमारा क्या होगा दादू " 

    " कैसे खुद को संभाले मैने अपनी जान को वादा दिया था की मैं अपने  पोते पोतियों की हिफाजद करूंगा लेकिन आज मैने वो वादा तोड़ दिया मेरी पोती बेजान सी मेरे सामने पड़ी है ऊपर से  दादी ये सब देख कर क्या सोच रही होंगी " मिस्टर रघुवंशी जी ने रोते हुए कहा और जमीन पर बैठ गए आज उनके ऊपर दुखो का पहाड़ टूट चुका था अध्वंश की छोटी बहन अध्वी जो मिस्टर रघुवंशी और अध्वंस की जान थी पर आज उनकी ही जान अपनी जान खो चुकी है ।। 

    ऋषिता मिस्टर रघुवंशी जी को वही लेके जमीन पर बैठ गई और अध्वंश की नजर सिर्फ जमीन पर पड़ी अपनी बहन के ऊपर था उसके पीले पड़े चेहरे की तरफ तभी दक्ष ने अध्वंश के कंधे पर हांथ रख के कहा " अगर ये उसके  जिद्द पर हम छोड़ के नही जाति तो ये सब नही होता लेकिन इस लड़की के हमारी एक कही सुनी दादी जी के जाने के बाद ये पूरी तरह हमसे नफरत करने लगी आखिर कौन किसी  को जाने से रोक सकता है लेकिन नही उसे तो अपनी मर्जी करनी थी आज हमारी छोटी बहन का ये हाल हुआ है पता नही।कितना दर्द हुआ होगा उसे कैसे बर्दाश किया होगा उसने ,, " 

    कहते हुए दक्ष बुरी तरह रोने लगा असल के अध्यक्ष और अध्वी दोनो ट्विंस है बस अध्वंश 5 मिनट का बड़ा है और दोनो की एज सेम है कुछ साल पहले अध्वंश की दादी की मौत होगी कैंसर से लेकिन इस बात को अध्वि बर्दाध नही  कर पाई और सभी को इन सब चीजों का जिम्मेदार समझने  लगी इसके कहने के मुताबिक कैंसर के बारे में क्यू नही पता चला किसी को अगर वक्त पर डॉक्टर को दिखाते तो दादी बच सकती थी अध्वंश और अध्वी के जिंदगी में सिर्फ दादा और दादी ही है उनके  मां पापा बचपन में ही छोड़ गए है ।। 

    ऋषिता ने दादा जी को संभाल रखा था अध्वंश ने अभि तक कोई जवाब नही दिया कुछ देर में साव को समासन लेके जाया गया और उन्हे पूरे विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार किया गया इस बॉडी को जलते हुए अध्वंश देख रहा था उसके आंखो के अंगारे थे बदला लेके के वही उसके बगल में एक लड़की चेहरे पर दर्द था वो अध्वंश को देखते हुए कहती है " सॉरी भाई मैने आप की बात नहीं। मानी किस्मत में यही था की मैं आप लोगो के साथ नही रह पाऊं इसी लिए मैं।आज इस दुनिया में हूं जहा मेरा कोई नही है" 

    उस लड़की की बात अध्वंश तक नही पहुंच रही थी वो लड़की कोई और नहीं अध्वी की आत्मा होती है जो अध्वंश के पास में खड़ी थी इधर रिमझिम ऑफिस से निकल के और भी जगह ढूंढती है पता करती है पर उसे कुछ नही मिला टीवी में AR यानी अध्वंश रघुवंशी की ही बाते हो रही थी और उसकी बहन की लेकिन रिम को उसका अड्रेस नही किला और अगर न्यूज वाले बता भी देते कौन सा रिम इतनी आसानी से समझ जाति है ।। 

    रिम यही पता करने के लिए टीवी देख रही थी तभी उसमे अध्वंश और अध्वी की फोटो दिखाई दिया रिम की आंखे अध्वी की फोटो पर जाके टिक गई " मैने इन्हे देखा है कहा देखा है " 

    रिम को अध्वि कुछ जानी पहचानी लग रही थी लेकिन उसे याद नही आ रही उसने  कहा देखा है तभी अचानक से  उसे कल रात का सीन याद आता है जहा पर एक लड़की को दो लोगो ने मारा था रिम उसे बचाना चाहती थी लेकिन रागनी से उसे रोक लिया ये याद आते है रिम की आंखे बड़ी हो गई अब वो और अध्वंश के घर जाना चाह रही थी ।। 

    शाम का वक्त....

    टीवी में ब्रेकिंग न्यूज अभी तक यही था अध्वंश की बहन के बारे में वही रिम पूरी कोशिश करने लगी अध्वंश के घर जाने के लिए उसे अहसास था  वो लड़की इस वक्त उसके घर पर होगी रिम अब उस लड़की से एक बार मिल ले बात करना चाहती है भले ही उसकी आत्मा को अभि तक रिम ने नही देखा था लेकिन वो समझ गई थी जिस तरह से इस लड़की को मारा गया था मुक्ति पाना आसान नहीं है ।। 

    दूसरी तरफ दादा जी सुबह से अपने कमरे में थे उनके आंखो के सामने उनकी पत्नी और अध्वी की फोटो लगी थी जिसे वो देख कर उदास थे इधर ऋषिता अपने कमरे के  बैठी नेट पेंट लगा  रही थी और किसी से फोन पर बात करते हुए कहती है " ओ मॉम आप न फिर से सुरु मत हो जाइए मैं पहले ही कह चुकी हूं मुझसे ये नाटक नही होगा उस बूढ़े को समझाते समझाते थक गई हूं पर उसके आंसू है की कम।नही हो रहे है अब मैं फिर से जाके कुछ नही करने वाली हूं अगर उन्हें रोना ही तो रोने दो थोड़ी देर बात खुद चुप हो जायेंगे " 

    दूसरी तरफ की बात सुन के फिर से ऋषिता ने कहा " अच्छा ठीक है मैं बाद में बात करती हूं मैं थोड़ा बिजी हूं ok बाय मॉम" अपनी बात ख़त्म कर के ऋषिता अपने नाखूनों पर फुक मारने लगती है और खुद को मिरर में देखते हुए कहती है " आज इतनी अच्छी पार्टी रखी थी और इस डायन को आज ही। मरना था कल नही मर सकती  थी जब जिंदा थी तो। चैन से रहने नही देती और अब मरने के बाद भी नही रहने को मिल रहा ही सुबह से सर में दर्द होने लगा  है "  

    वो ये सब बोले जा रही थी इससे अनजान होके की उसकी सारी बात कोई सुन रहा है वो और कोई नही बल्कि खुद अध्वी थी जो उसके कमरे के खड़ी थी वो तो आखिरी बार सब को देख कर इस घर से पूरी तरह जाने वाली थी अपनी दुनिया के पर यहां तो कुछ और ही चल रहे है । 

    अध्वी बीना कुछ बोले वाला से निकल जाती है और जाके अपने मॉम डैड के कमरे में बैठ के बचपन की तस्वीरे देखने लगती है आखिर आज उसका सब कुछ चला गया कही ना कही इसमें उसकी की गलती है ।। 

    दूसरी तरफ अध्वंश गुस्से के बैठा था उसकी आंखे जल रही थी तभी दक्ष ने एक फाइल इसके सामने करते हुए कहा " ये रही फाइल अध्वी ने जब घर छोड़ा तो उसने एक गैंग से हांथ मिला लिया था ये अक्सर कॉलेज के लोग ही होते है लेकिन इस गैंग में कुछ लोग बाहर के थे कुछ दिन पहले अध्वि ने इनसे पैसे लिए थे हॉस्टल की फीस देने के लिए लेकिन इसके पास था नही वो लोग बार बार लेने आते पर अध्वी वहा से भाग जाति ऐसे ही कर के  ही उस दिन अच्छा से अध्वी की किसी दोस्त ने कहा कि उसे काम है अध्वी उससे हो मिलने के लिए गई तभी वो लोगो ने उसे कोड किया । आधी ने कहा पैसे वापस कर देगी लेकिन किसी ने नही सूना उसने बोला किसी को पता चला पहले की तरह फिर से वहा से भागने की कोशिश किया लेकिन उसका कोई फायदा नही था " । इतना बोल दक्ष के आंखो से फिर से एक आंसू निकल जाए है ।  

    कुछ देर बाद वही दोनो आदमी जंजीर से बंधे थे उनके साथ 5 और थे जिनकी हालत इतनी खराब थी कोई नॉर्मल इन्सान उन्हे देखा नही सकता है दोनो सामने बैठे आदमी को देख कर अपनी जान की भीख मांग रहे थे " प्लीज हमें माफ कर दीजिए  हमे नही पता था वो आप की बहन है अगर हम पता होता तो हम ऐसा नहीं करते " 

    उसके कहते ही एक जोर दार लात उस आदमी के चेहरे पर पड़ी ये लात कोई और नहीं बल्कि दक्ष ने मारा और गुस्से से कहा " माफी मेरी बहन को मारने से पहले नही सोचा और अब माफी चाहिए आज तुम लोगो का वो हाल होगा इसके बारे  तुमने कभी सोचा भी नही होगा हमारे घर की बेटियो पर हांथ डालने का क्या मतलब होता है वो हम तुम्हे बताएंगे  " 

    दक्ष ने बेहद गुस्से से कहा जिसे सुन दोनो डर से कांप गए दक्ष अध्वंश से कम नही था बस जहा अध्वंश काम बोलता है और दक्ष ज्यादा पर दोनो का गुस्सा किसी के लिए बर्दाश करना आसान नहीं है ।। 

    इधर अध्वंश बस जलती निगाहों से सभी को देख रहा उसके दिमाग़ में इया चल रहा है ये कोई नही जान सकता है तभी दक्ष ने बॉडीगार्ड की तरफ इशारा किया जिसे देख चार बॉडीगार्ड आके उन दोनो को पकड़ लिया और एक बॉडीगार्ड्स ने उन दोनो के ऊपर थोड़े थोड़े केमिकल डालने लगा जिसे दोनो की चीख अरे कमरे के गूज गई उनकी दर्द भरी चीख सुन के अध्वंश ने अपनी आंखे बंद कर लिया उसे सुकुन मिल रही थी  उसके सामने अपनी बहन का हस्त हुआ चेहरा दिखाई दे रहा था वही इस चीज  से उसे काफी सुकुन मिल रहा था ।।

    दूसरी तरह रिम जिस रास्ते से जा रही थी अचानक से उसके कानो में किसी के चीखने  की आवाज आती है तो वो उसी दिशा में जाने लगती है चलते हुए एक बंगलो के सामने रुकती है जहा पर बहुत अंधेरा होता है रिम के कानो में लगा तार उस घर से दर्द भरी चीख सुनाई देती है ।। रिम अपने कदम उस घर के अंदर ले जाती है कुछ देरी में वो उसी कमरे के खड़ी थी जहा से वो चीख आ राही थी वहा जैसे ही रिम दोनो को को देखती है तो वो पहचान जाति है वो कौन है लेकिन वो हैरान तब होती है जब उन्हें जख्मों को देखती है जिसके चमड़े जल चुके है हड़िया दिखानी लगी है वही उनके बगल के अधमरे 5 लोग पड़े थे ।। 

    रिम के माथे पर पसीने आने लगे उसने ये सीन पहली बार देखा है आज तक उसने कभी नही इस तरह से किसी को मारते हुए देखा है रिम अपने सोच में थी की उसके कानो में काफी खतरनाक आवाज जाति है " इन सब के टुकड़े कर दो" 

    ये आवाज अध्वंश की थी जो सोफे से खड़े होके सीधे दक्ष से कहता है रिम पलट गई जैसे ही अध्वंश को देखती है उसकी नजरे उस पर थम सी जाति है वही अध्वंश के कहने के मुताबिक कुछ और गार्ड्स आगे आके उन सभी को एक साथ पकड़ लेते है और एक नोक धार तलवार से उनके बोटी बोटी करने लगते है ये सीन इतना खतरनाक है की रिम खुद बर्दाश नही कर पाई और चिल्लाते हुए अध्वंश को देखने लगी जिसके चेहरे पर को भाव नहीं था ।। 

    जारी ..✍️ 

  • 10. His love is a whitch - Chapter 10

    Words: 1671

    Estimated Reading Time: 11 min

    अध्वंश के कहने पर उन सभी को बेरहमी से उनके बॉडी के टुकड़े कर दिए गए इस तरीके से गार्ड्स उनके टुकड़े कर रहे थे जो देख कर  रिम डर से कांपने लगी वो बिलकुल बर्दाश नही कर पा रही थी जिससे उसी  मुंह से एक चीख निकल गई  उसने अपने।मुंह पर हांथ।रख लिया । और वो अध्वंश के तरफ देखने लगी जो बीना किसी एक्सप्रेशन के चेयर पर किसी राजा की तरह बैठा था 

     वही रिम की आवास किसी के कानो तक नही गई और ना उसका होना किसी को महसूस हुआ रिम को जब अंदर उन लोगो को देख कर रहा नही गया तो वो बाहर निकल जाती है और वही गेट के पास बैठ के लम्बी लम्बी सांसे लेने लगती है तभी उसके दिमाक में हेड की बाते गुजारी है " ऐसा इंसान होगा इससे खुद मौत डरेगी  वो खुद अपने लोगो का यमराज होगा वह जिस तरह से मौत देगा उसे खुद मौत आने से डरेगी " 

    " ये नही हो सकता कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है माना की उनकी गलती थी लेकिन फिर भी किसी को इस तरह से टुकड़े करना सही नही है जो इंसान खुद दूसरो को मौत दे रहा है मैं उन्हें जैसे डराऊंगी यहां तो मै खुद डर के बैठी हूं " रिम के खुद से कहा तभी उसे पिछे से किसी के चलने की आवाज आई उसने पीछे मुड के देखा तो अध्वंश और उसके पीछे दक्ष दोनों बाहर की तरह आ रहे थे जिसे देख रिम वहा से हट के बगल में खड़ी हो जाति है । 

    " आज हमे घर जाना चाहिए दादा जी काफी दुखी है और वैसे भी अध्वी ऐसे अचानक हमे छोड़ के गई है की दादा जी के लिए बर्दाश करना मुश्किल है " चलते हुए दक्ष ने अध्वंश से कहा जिसे सुन के अध्वंश ने कोई जवाब नही दिया बल्कि वो सीधे कार में जाके बैठ गया ।। 

    वही रिम की नजर अध्वंश पर ही बनी थी जैसे ही उसने बैठते हुए देखा वो उसके पीछे भागने लगी लेकिन तब तक कार स्टार्ट हो चुका था लेकिन रिम उसके पीछे भागती ही रही तभी एक जगह रिम खड़ी होके कहती है " मैं भाग क्यू रही हूं मेरे पास अभी शिक्तिया है मैं उसे यूज कर सकती हूं " 

    कहते हुए रिम अपनी चुटकी बजाती है लेकिन कोई असर नहीं होता है ऐसे ही उसने दो से तीन बार किया लेकिन कोई फायदा नही था रिम गुस्सा हो जाति है और बार बार करने लगती है ऐसा करते वो बुरी तरह थक चुकी थी " ये मेरी शक्तियां काम क्यू नही कर रही है इन्हे क्या होगा है कल तक तो ठीक थी और ये अचानक से क्या हो गया है " 

    रिम के खुद से कहा और वही  हताश होके  सड़क पर बैठ गई ।। दरअसल उस रात हुए एक्सीडेंड से रिम की कुछ शक्तियां खत्म हो चुकी थी जिसे उसने अपनी जान बचाने के लिए किया था अगर ये शक्तियां उसकी खुद की होती तो ऐसा कोई प्रोब्लम नही होता लेकिन ये किसी ने दिया है उसे ।।

    अगली सुबह....

    सूरज पूरे सर पर चढ़ चुका था वैसे  धूप भी बहुत तेज हो रखी थी  वही झाड़ियों के नीचे रिम आराम से सो रही थी सब से बेफिक्र होके लेकिन जैसे ही उसके फेस पर धूप पड़ती है वो कसमसाते हुए उठ जाती है अंगड़ाई लेते हुए रिम जैसे ही अपने आस पास देखती है वो थोड़ी हैरान हो जाति है आखिर वो किस जगह सो रही है तभी उसे याद आया है की रात को क्या हुआ और वो यहां आके कैसे  सोई थी कल उसके साथ जो हुआ उसके बाद वो दादी के झोपड़ी में नही जाना चाहती और ऊपर से कल का सीन उसके लिए काफी भयानक था जिसे भूलना इतना आसन नही होता ।।

    रिम  अध्वंश के बारे में सोचती है   लेकिन फिर वो  सब कुछ  इग्नोर कर के खड़ी हो गई और कहा " अब जब मुझे पता चल गया है ये वही इंसान है जिनसे मुझे सक्तियां मिल सकती है तो कैसे भी कर के मुझे अपना काम करना पड़ेगा चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े कुछ भी मतलब कुछ भी " 

    रिम ने खुद से कहा और वहा से गायब हो गई ।। 

    दूसरी तरफ रागनी पुराने महल बैठी थी वो काफी उदास थी रिम के जाने से क्यू की एक रिम ही थी जिसने उससे प्यार किया रागनी के  अपनो ने बस बदले में उसे सिर्फ धोखा ही दिया है  लेकिन आज उसके पास रिम  होके भी नही है तो कुछ खाली सा फील हो रहा था रागनी ने मधु जी से कहा " मुझे लगता ही एक बार रिम से मिल लेना चाहिए पता नही वो कैसी होगी वो इंसान उसे मिला भी  है या नही मुझे डर लग रहा है आखिर वो कैसे सब कुछ हैंडल कर रही होगी " 

    मधु जी के रागनी की परेशानी को देखते हुए दुखी मन से कहा " रागनी बेटा प्लीज तुम  ऐसी बाते मत  करो तुम्हे तो पता है उस दिल हेड ने सभी को वार्निग दिया है की कोई रिम से मिल नही सकता  मन तो मेरा भी है उसे एक बार देखने के लिए लेकिन क्या करूं अगर गई तो पैनिशमेंट काफी भयानक मिलेगी मुझे मेरी चिंता नही है बल्कि यहां और भी जो लोग है उनकी है पता नही वो सब कैसे रहेंगे " 

    रागनी कहती है " आप सही कह रही है वैसे भी अब हमारी रिम बहुत स्ट्रॉन्ग हो गई है । 

    " रागनी दीदी मधु आंटी" एक लड़का चिल्लाते हुए अंदर आ रहा था रागनी और मधु जो आपस में बात कर रही थी वो दोनो पीछे मुड के देखने लगती है तभी लड़का उनके पास एक कहा " दीदी , आंटी जल्दी चलिए बड़ी दादी आई है वो आप दोनो को कुछ बताना चाहती है " 

    रागनी ने हैरान होके कहा " बड़ी दादी ऐसे अचानक कैसे आ गई और क्या बात है जो इतने सालो बाद वो यहां आई है  

    मधु जी ने रागनी के कन्धे पर हांथ रख के कहा " जरूर कोई बडी बात होगी चलो चल के देखते है क्या बात है " 

    रागनी  कहती है " हम्मम चलिए तू भी चल पिंटू " 

    ( पिंटू जो लड़का भागते हुए आया था उसका नाम है ) 

    कहते हुए तीनो लोग वहा से निकल गए ।। 

    इधर रिम को नही पता अध्वंश का घर कहा है और वो कहा रहता है इसी लिए जहा जहा रिम को पता था उसने हर जगह ढूंढा लेकिन अध्वंश उसे नही मिला अब तो उसके पास इतनी शक्तियां भी नही बची थी की वो पता कर सकें और ऊपर से अब उसके पास बस 4 दिन मुस्किल से बचे थे ऐसे में अब रिम को दीमाक से काम लेना था । 

    काफी थकान के बाद रिम जाके पार्क के एक बेंच पर बैठ जाति है तभी उसके पीछे से किसी के रोने की आवाज आई रिम अभी अपनी आंखे बंद ही किया था रोने की आवाज सुन वो आस पास देखने लगी लेकिन कोई था नही पूरा पार्क खाली था उसने मन में कहा " यहां तो कोई नही है फिर ये रोने की आवाज कहा से  रही है । 

    वो ये सब सोच ही रही थी की ओर तेज रोने की आवाज हो गई रिम ने ध्यान दिया तो उसके पीछे से आ रही थी रिम के पीछे मुड के देखा लेकिन कोई नही था वो उठ के पीछे जाके देखा तो एक छोटा सा बच्चा बेंच के पास में सिकुड़ के बैठा था और काफी बुरी तरह से रो रहा था उसने घुटने को सीने से कहा रखा था ।। रिम ने जैसे देखा उसके पास जाके बैठ गई और उसके बालों की सहलाते हुए कहा " क्या हुआ बेटा आप रो क्यू रहे हो " 

    रिम की आवाज सुन वो लड़का चौक गया उसने बड़ी बड़ी आंखें कर रिम को देखने लगा तभी रिम ने उसकी हैरानी समझते हुए कहा " मैं भी तुम्हारी तरह सिर्फ एक आत्मा हूं इसी लिए मैं तुम्हे देख सक्ति हूं और बाते भी कर सकती हूं बताओ मुझे आप रो क्यू रहे हो क्या बात है " 

    रिम की बात सुन के लड़का थोड़ा ठीक हुआ फिर उसने उदास होके कहा " मैं मरना नही चाहता था मैं बड़ा होके कुछ करना चाहता था अपनी मां के लिए वो मुझसे बहुत प्यार करती है मेरी दो बहने है मुझे बहुत प्यार करती है अभी दोनो बहुत छोटी है मैं जब स्कूल से आता तो उनके लिए कुछ खेलने को लाया करता था पर जब से मैं मर गया हूं खेलने के लिए उनके पास कुछ नही है मैने देखा मां मेरी फोटो लेके रो रही थी मेरी बहने दरवाजे पर बैठ के मेरा इंतज़ार कर रही थी की मैं कब आऊं और उनके लिए खिलौने लाऊं मुझसे उनकी तकलीफ देखी नही जाति है आखिर हमारे साथ ऐसा क्यू होता है जिसे जाना होता है वो यही रहते है और हमे क्यू अपनो से  दूर कर दिया जाता है " 

    उस लडके की बात सुन के रिम काफी दुखी हो जाति है उसके  आंखो से  लगा तार आंसू निकलने लगते है उसने उस बच्चे को गले से लगाते हुए कहा " मरना तो कोई नही चाहता पर हमारे चाहने से क्या होता गई जब जिसको जाना है वो तभी जायेगा हमे कोई रोक नही सकता है " 

    बच्चे ने कहा " हमारे ही साथ ऐसा क्यू होता है " 

    रिम ने समझाते हुए कहा " बस समझ लो यही हमारी किस्मत है अच्छा ये सब छोड़ो और बताओ तुम्हारा घर कहा है और तुम्हारी बहने कहा है आज हम उनके लिए खिलौने लेके जायेंगे " 

    " क्या पर कैसे  ? वो हमे देख नही सकती है । बच्चे ने हैरानी से कहा । 

    रिम बच्चे के बालो को बिगाड़ते हुए  कहती है " हम्मम ये तो है पर तुम इसकी टेंशन मत लो मैं हूं ना तुम बस देखते जाओ मैं क्या क्या करती हूं आज तुम्हारी बहने खिलौने नही बल्कि खिलौनों का बाजार लगाएंगी" 



    जारी.....✍️

    आखिर अब क्या करेगी रिम..? कैसे दिलाएगी खिलौने..? क्या दुबारा मुलाकात रिम की  अध्वंस से होगी .? क्या नया होगा आगे ..? 

  • 11. His love is a whitch - Chapter 11

    Words: 1917

    Estimated Reading Time: 12 min

    रिमझिम के कहने पर बच्चे ने पहले उसे पहले अपने घर लेके गया फिर उसके बाद दोनो छोटी छोटी बच्ची से मिली  दोनो अभी 5_3 साल की थी बच्चे ने जैसी ही अपने बहनों को देखा उसके आंखो में  आंसू भर गए वही रिमझिम उन्हे देख काफी खुश थी वो तो खेलना चाहती थी लेकिन वो उन बच्चियों को छू नही पा रही इसी लिए  दूर से उन्हे देख रही थी ।। 

    " सच में तुम्हारी बहने तो कितनी प्यारी है बिलकुल मेरी तरह " रिमझिम ने चहकते हुए कहा वही उस बच्चे ने हामी भरते हुए कहा " हां वो तो है आप भी काफी सुंदर है " 

    उसके कहते ही रिमझिम थोड़ा इतराने लगी और अपने बाल सवारने लगी ।। तभी बच्चे ने कहा _

    " दीदी आप ने कहा था की आप मेरी बहनों को खिलौना देंगी पर कैसे हम उसे लेके आयेंगे " बच्चे से परेशानी दिखाते हुए पूछा तो रिम अपने सुंदर दिखने के ख्यालों से बाहर आके बच्चे को देखा फिर उसकी तरह झुक के उसके कन्धे पर हांथ रख के कहा। " तुम्हे इस बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है मैने कहा है ना की मैं इन दोनो को दिलावऊंगी तो मैं करूंगी बस तुम मेरे साथ चलो और मेरी थोड़ी हेल्प करो यहां के मार्केट को देखने में क्यू की मैं यहां पहली बार आई हूं मुझे कुछ पता नही है यहां पर कौन सा मॉल कहा है और क्या है ? तुम करोगे ना ? 

    रिम की बात सुन के उस बच्चे से हां में सर हिला के स्माइल करने लगा  और  तभी दोनो वहा से निकल गए अब तो रिम के पास इतनी शक्तियां थी नही वो गायब हो सकती  और ना उस बच्चे में था इसीलिए दोनो पैदल ही मार्केट की तरफ चले गए ।।

    सड़क के साइड में काफी सारे स्टॉल लगे थे खिलौने के जिन्हे देख कर बच्चे ने खुश होके कहा " दीदी यहां देखिए कितने सारे खिलौने है हम यहां से ले सकते है ना बहुत सुंदर है सारे उन्हे पसन्द भी आयेगा  " 

    सारे खिलौने देख रिमझिम भी काफी खुश हो गई थी उसकी आंखे चमकने लगी थी तभी उसने कुछ सोचते हुए कहा " नही हम यहां से नही ले सकते है " 

    " क्यू दीदी ? बच्चे ने पूछा ।

    " क्यू की अगर हमने यहां से एक भी खिलौना उठाया तो उन्हे पता चल जायेगा की खिलौना गायब है भले ही हमे कोई देखा नही सकता है लेकिन समान ले जाते हुए कोई देखा सकता है और तुम समझ सकते हो अगर उस वक्त किसी ने हमे देख लिया तो भूतो के समाज के लिए दिक्कत हो जाएगी " 

    " इन सब से भूतो का क्या लेना देना है दीदी " बच्चे ने  ना समझी से पूछा वो तो बस अपनी बहनों के लिए खुश था उसे को मतलब नही था और न ही समझ ने आ रहा था इसी लिए कहा ।

    " लेना देना है तुम सोचो हमरा शरीर न दिख कर बस हवा में  समान उड़ते हुए  दिखे तो लोगो में  अफरा तफरी हो जायेगी ये कह के की उन्होंन भूत  देख लिया  है और सभी गुरु और पंडित के जरिए सभी को बस में  करने लगेंगे उससे किसी को  भी मुक्ति तो नही मिलेगी बल्की सब और परेशान हो जायेंगे इसी लिए हमे कुछ और करना होगा जिससे हमारा काम भी हो जाए और किसी को पता भी न चले " 

    " अब हम क्या करेंगे " बच्चे ने उदास मन से कहा । 

    तभी कुछ सोचते हुए रिम ने कहा " क्या तुम मुझे बता सकते हो ये सारे खिलौनों की फैक्ट्री कहा है ये सब जहा बनते है वही से हम चुरा लेते है इससे  हमे मिल भी जायेगा और किसी को पता भी नही चलेगा क्या तुम्हे ऐसी कोई जगह पता है  " 

    " हां मैं जानता हूं लेकिन वहा पर थोड़ा खतरा रह सकता है " बच्चे ने कहा ।

    " कैसा खतरा " रिम ने पूछा तो बच्चे ने कहा " अगर किसी को पता चल गया तो हमे बहुत बड़ी पैनिशमेंट मिल सकती है क्यू की मेरी मम्मी बताती है की वहा का बॉस काफी खरनाक है वो अपने काम में गड़बड़ी बिलकुल बर्दाश नही करते है  और मेरी मम्मी ने ये भी कहा है की किसी को मारने से पहले एक बार नही सोचते है पहले मेरी मम्मी वहा काम करती थी पर जब से मेरी छोटी बहन हुई है मम्मी ने काम छोड़ दिया क्यू की उन्हे वहा पर दिक्कत होती थी " 

    "  अच्छा ये बात है लेकिन उनके बॉस से हमे क्या लेना देना है और वैसे भी हमें जब कोई देखेगा ही नही तो किसी  को पता चलने की गुंजाइश ही कहा है हम जायेंगे और लेके गायब हो जाएंगे न कोई देखेगा और न कोई पैनिशमेंट मिलेगी हमे " रिम ने कहा तो बच्चा खुश हो गया उसने हां में अपना सर हिला के रिम के साथ उसी फैक्ट्री के तरफ चला गया रिम को पता नही है वो फैक्ट्री कहा है लेकिन बच्चे को पता है इसी लिए जिस रास्ते से रिम को ले के जाता वो उसी रास्ते से आगे बड़ गई ।। 

    कुछ देर बाद दोनो  शहर के सबसे बड़े AR टॉय फैक्ट्री के सामने खड़े थे रिम और बच्चे ने एक नजर एक दूसरे को देखा फिर अंदर चले गए  कुछ देर इधर उधर देखने के बाद दोनो जैसे ही उस एरिया में गए जहा नए नए खिलौने बना के रखे गए थे दोनो की आंखे चमक जाती है रिम ने जल्दी से उसने  पास जाके कहती है " wow ये सब कितने प्यारे प्यारे टॉय है मुझे ये  भालू चाहिए ये कितना प्यारा है नही नही मुझे ये डॉल चाहिए मैं इसका बाल बनाऊंगी और उसे नहलाके रोज उसके कपडे चेंज करूंगी , इसके बाल बनाऊंगी मुझे चाहिए  " रिम बच्चो की तरह हरकते करने लगी ।

    वही रिम की बात सुन के बच्चे ने अपना  सिर पीटते हुए कहा " सच में ये लडकिया एक जैसी होती है अभि मेरे लिए यहां आई थी अब खुद देख कर ललचा रही है अब मुझे ही इन्हें संभालना पड़ेगा नही तो इनके साथ साथ मैं भी जाऊंगा " 

    कहते हुए बच्चे ने  रिम का हांथ पकड़ के अपनी तरफ खीच लिया और कहा " दीदी ये आप क्या कर रही है आप ये सब नही खेल सकती है आप बड़ी हो गई है क्या आप भूल गई है यहां मेरे लिए आई है " 

    रिम कहती है " अरे हां मुझे याद है मैं तुम्हारी बहनो के लिए लेने आई हूं लेकिन मुझे भी कुछ ले लेना चाहिए देखो कितने प्यारे प्यारे है मैं ना वो बड़ा वाला टेडी बियर लूंगी और रोज रात को लेके सो जाऊंगी मुझे नीद भी अच्छी आएगी वैसे भी कुछ दिनो से ठीक से सोई भी नही पहले कब्र पर आराम से आंटी की गोद में सो जाती थी पर अब तो यहां कब्र में अच्छे भूत नही सैतान रहते है इसी लिए मुझे सोने के लिए ये चाहिए " 

    बच्चे ने कहा " अच्छा ठीक है लेकिन पहले हमे इन सब को यहां से लेके जाना पड़ेगा ना अगर लेके जायेंगे नही तो आप खेल पाएंगी  " 

    रिम ने अपने माथे पर फिंगर रखते हुए कहा " बात तो सही है मुझे पहले यहां से लेके जाना होगा पर हम कैसे लेके जानयेंगे हमने तो कोई बैग भी नही लाए है अपने साथ  " 

    कहते हुए रिम अपने आस पास देखती है तभी अचानक से रिम को वही बगल में एक प्लास्टिक का बैग दिखाई देता है वो जल्दी से जाके उसे लेके आती है और कहती है " मिल गया चलो जल्दी जल्दी इसमें भर लेते है इससे पहले कोई आए " 

    कहते हुए दोनो जल्दी से उस बैग में भरने के लिए पहले बड़ा बाला टेडी बियर उठाते है लेकिन वो दोनो के हाथों में नही आता है सायद दोनो भूल गए थे की वो किसी भी इंसान के  समान को छू नही सकते है और ना इंसान को,, दोनो कई बार कोशिश करते है जब नही होता तो वही  बैठ जाते है । 

    " दीदी हम तो भूल गए थे की हम ये काम नही कर सकते है अब क्या करेंगे अभी तो यहां कोई है नही अगर कोई आया और वो बैग को यहां पर देखा तो क्या होगा " बच्चे ने उदास मन से कहा तो रिम जो अपने सर पर हांथ रख के बैठी थी उसने कहा " मुझे कुछ सोचने दो की हमें क्या करना चाहिए अभी मैं बीना इन सब को लिए जाने वाली तो नही हूं " 

    दोनो थोड़ी देर तक चुप होके बैठे रहे तभी रिम ने चहेते हुए कहा " क्यू ना हम किसी की हेल्प ले ले और आसानी से यहां से निकल भी जायेंगे " 

    " पर दीदी हमारी हेल्प करेगा कौन " बच्चे ने कहा तभी दोनो के पूछे से एक आवाज आई " मैं करूंगी तुम्हारी हेल्प " 

    इस आवाज को सुन रिम के चेहरे पर स्माइल आ गई वही  बच्चा कन्फ्यूज होके पूछे मुड़ के देखने लगा रिम ने जैसे देखा वो भागते हुए जाके गले से लगा गई " रागनी दीदी आप यहां मैने आप को बहुत मिस मिस किया मैं बता नही सकती मैं कितना आप के पास आने के लिए तड़प रही थी " 

    रिम की बात सुन के रागनी के चेहरे पर स्माइल aa गई उसने रिम की खुद से लगा कर उसके गालों पर हांथ रख के कहा " मैने भी तुम्हे बहुत मिस किया बच्चे " 

    " दीदी पर आप यहां कैसे हेड ने तो मुझसे  किसी को भी मिलने के लिए मना किया था ना " रिम जो सडेंली याद आते ही उसने पूछ  ही लिया जिसे सुन के एक पल के लिए रागनी की स्माइल गायब हो गई पर दूसरे पल खोद को नॉर्मल कर के उसने कहा " हम्मम माना तो किया था लेकिन बड़ी दादी के कहने पर मुझे तुम्हारे पास आने दिया इसी लिए कई यहां आज तुमसे मिलने के लिए आई हूं ये याद दिलाने के लिए की अब तुम्हारे पास सिर्फ 4 दिन बाकी है और इस दिन  तुम्हरा टाइम खत्म होगा उसके अगले सुबह ही तुम इंसानों की तरह सभी को दिखने लगेगी लेकिन तुम्हारी हसी और जब तुम ज्यादा खुश होगी वो उड़ने की शक्ति नही जायेंगी " 

    " क्यू दीदी हेड ने कहा था की मैं पूरी तरह शक्ति हिन हो जाऊंगी " रिम ने पूछ तो रागनी ने समझाते हुए कहा " हां कहा था लेकिन ये दोनो हम चुडैलो की पहचान है वो कही भी जाए ये पहचाना नहीं छोड़ सकती है मैं बस आज के लिए तुम्हारे पास आई हूं और कल चली जाऊंगी बस तुम ये सब याद रखना जो मैने अभी बताया ही " 

    रिम के हां में सर हिला दिया तो बच्चे ने बीच में आके कहा " क्या अब हम बैग भर ले दीदी " 

    रिम ने कहा " हम्मम दीदी प्लीज इसके आप हमारी हेल्प कर दो ये सारे टॉय इसमेंm भर दो और हमे इसके घर लेके जाना है वही पर छोड़ भी दो अब मेरे पास इतनी शक्तियां नही है की मैं इसे घर तक लेके जाऊं" 

    रिम की बात सुन के रागनी ने मन में कहा " इसी लिए तो बड़ी दीदी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है खतरा अभी टला नहीं है वो तीनो तुम्हारे आस पास है पर उससे पहले तुम्हे इस फैक्ट्री का मालिक अध्वंश रघुवंशी मिल जाए मेरा काम खत्म हो जाएंगे " 



    जारी...✍️ 

    क्या तीनो मिल के खिलौने यहां से लेके जा पाएंगे ? रागनी को कैसे पता ये फैक्ट्री किसकी है ? क्या रागनी रिम को अध्वंश से मिला पाएंगी.? 

  • 12. His love is a whitch - Chapter 12

    Words: 1842

    Estimated Reading Time: 12 min

    रिम की बात सुन के रागनी ने मन में कहा " इसी लिए तो बड़ी दादी ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है खतरा अभी टला नहीं है वो तीनो तुम्हारे आस पास है पर उससे पहले तुम्हे इस फैक्ट्री का  मालिक  मिल जाए मेरा काम खत्म हो जाएंगा" 

    " दीदी आप कहा खो गई " रिम ने रागनी को पुकारते हुए कहा ।

    वही रागनी अपने ख्यालों से बाहर आके कहा " कही नही बस यही हूं चल पहले इन सब को भरते है " 

    उसकी बात सुन के रिम ने हां में सर हिला दिया तभी रागनी ने अपनी शक्तियों से सारे टॉय बैग में भर दिए जिसे देख रिम और बच्चा दोनो खुश हो गए तभी बाहर से कुछ सोर उन तीनो के कानो पड़ने लगी जिसे सुन के तीनो घबरा के गए और जल्दी से बैग सही किसी कोने में जाके चुप गए ।।

    वही बाहर से कुछ 3 कर्मचारी आपस में बात करते हुए अंदर आए और जैसे ही सामने देखा उनके चेहरे पर डर ने अपनी जगह बना लिया तभी उनमें से एक ने कहा " यहां से सारे सैंपल कहा गए 

    दूसरे ने कहा  " अरे  हां यहां से सारे सैंपल अचानक से गायब कहा हो गए अभी तो हमने सभी को यही रखा था " 

     तभी तीसरे ने कहा  ने कहा " अब हम क्या करेंगे बॉस आने वाले है हमे उन्हे क्या बोलेंगे ये सैंपल आज के मीटिंग के लिए इंपोर्टेंट थे जिसे देख कर बॉस आगे काम को बड़ाने के लिए कहते है अब हम खिलौने का सैंपलकैसे दिखाएंगे क्या करे " 



    तीनो बुरी तरफ डर और घबरा गए थे उन्हे समझ नही आ रहा की वो क्या करे तभी बाहर से एक आदमी ने आके कहा " तुम तीनों यहां क्या कर रहे हो मीटिंग स्टार्ट होने वाली है सारे सैंपल लेके कॉन्फ्रेस रूम के रखने के लिए कहा गया है ना तो जाओ जल्दी से रखो उन्हे " 

    जो टॉय यह रखे गए थे वो अभी बस कुछ सैंपल थे अगर इनके बॉस को पसन्द आता तो ही आगे उन्हे बनाया जाता ।।

    उस आदमी की बात सुन के तीनो एक दूसरे को देखने लगे वही सामने खड़ा आदमी ने तीनो को देख कहा " क्या बात है ? 

    उसके कहते है उसमे से एक ने डरते हुए कहा "  मैनेजर सर सारे सैंपल हमने यही रखा था पर जब देखने आए तो सारे खिलौने गायब है " 

    कहते हुए सामने से तीनो हट गए और मैनेजर ने जैसे ही सामने खाली जगह को देखा उसके माथे पर पसीने की बूंदे आने लगी उसने पॉकेट से रुमाल निकल के उसे साफ किया और बेहद घबराहट भरी आवाज के कहा " ये तुम लोगो ने क्या  किया इसका मतलब पता है आज नौकरी तो जायेगी की उससे पहले जान जायेंगी मीटिंग बस सुरु होने ही वाली है अगर बॉस को कोई सैंपल भी मिला तो हम चारो मारे जायेंगे " 

    मैनेजर की बात सुन के एक आदमी ने कहा " सर ये सब हमारी गलती नही है हमने अभी कुछ देर पहले ही सारे सौंपल यही रख के गए थे अभी कुछ 15 मिनट हुए है" 

    बीच में आते हुए दूसरे ने  कहा" वही तो मैनेजर साहब हम भी यही  कहना चाहते है की अभी हमे ज्यादा देर नही हुआ है रखे पर अचानक  से सारे टॉय कहा गायब हो गए मुझे लगता ही किसी छोर ने चुराया है " 

    " किसने चुराया किसने नही मुझे इससे कोई लेना देना नही है मुझे बस सारे  सैंपल  चाहिए ,, चाहे ईमानदारी से या फिर जबरजस्ती जाके ढूंढो किसने किया है चाहे जहा पर वो इंसान हो " मैनेजर ने गुस्से से कहा 

    तीनो ने अपना सिर हिलाया और वहा से चले गए तभी मैनेजर ने कहा "अब ये क्या नई बवाल है कही इसकी वजह से डेविल  हमे ना मार दे ।।

    कहते हुए वो भी बाहर चले गए तभी अंदर से  तीनो बाहर निकलते हुए कहते है " दीदी अब हम क्या करे कही पकड़े तो नही जायेंगे न  " 

    रागनी कहती है " क्या ऐसा कोई है जो हम चुडैलो को पकड़ भी सकता है 

     अरे हां मैं तो भूल गई थी पर दीदी हम इस बैग को कैसे लेके जायेंगे  "  रिम ने परेशान होते हुए कहा । 

    हम नही मै इस बच्चे को और बैग को लेके  जाति हूं  तू अपने काम पर निकल जा "  रागनी ने कहा ।

    उसकी बात सुन के रिम ने कहा " नही मुझे भी उसमे से एक  टॉय चाहिए मुझे वो पंडा पसंद है " 

    " अच्छा ठीक है मैं वो तेरे लिए ले लूंगी अब तू जा " रागनी ने कहा तो रिम ने अपना सर हिला दिया उसके हां करते ही रागनी और वो बच्चा बैग के साथ गायब हो गए वही रिम गायब तो हो नहीं सकती थी इसी लिए वो गेट से बाहर जाने लगती है वो आगे बड़ती उस पहले ही कुछ लोग दौड़ते हुए अंदर घुस जाते है ।।

    रिम कुछ नही समझ पा रही थी तभी उसके  कानो के एक दमदार आवाज जाति है " पता करो यहां से सारे माल कहा गए मुझे 1 घंटे के अंदर वो इंसान चाहिए जिसने ये सब किया है " 

    रिम इस आवाज को पहचान गई थी इसी लिए  उसके मुंह से बस एक शब्द निकला " डेविल यहां" 

    दरवाजे से आ रहे रोशनी के आगे अध्वंश खड़ा था इसी लिए उसका चेहरा दिखाई नहीं दिया पर जब वो थोड़ा अंदर के तरफ आया तो रिम उसके हेंडसम चेहरे को देखने लगी । वो किसी इंसान को इतने सिद्धत से देखेगी ये तो उसे भी नही पता था तभी दक्ष ने कहा " आखिर ऐसा कौन हो सकता है जो हमारी कंपनी के सैंपल चुरा सकता है " 

    दक्ष की बात पर अध्वंश ने कहा "जो भी  है लगता है उसे अपनी जान प्यारी नही थी जो उसने अध्वंध रघुवंशी पर हांथ डाला है जिस हांथ से उसने ये काम किया होगा मैं उसके हांथ काट दूंगा " 

    अध्वंश की धमकी सुन के रिम खुद डरने लगी उसने अपने हाथों को देखा और रोने जैसी सकल बना के कहा " नही मैं अपने प्यारे प्यारे हांथ खो नही सकती हूं अगर ये चले गए तो मैं खाना कैसे कहूंगी नही नही  ,,, उसने फिर से कहा " अरे ये मेरे हांथ क्यू काटेंगे मैने बैग में नही वो तो रागनी दीदी ने भरा था और ये सब उन तक तो पहुंच नही .... रिम आगे कुछ कहती तभी कुछ सोच के अचानक से उसकी आंखे बड़ी हो गई उसने खुद से बड़बड़ाते हुए कहा " नही नही अगर बच्चे के घर पर सारे टॉय मिल गए तो ये लोग समचेंगे की उसकी मां ने चुराया है और उनके साथ नही नही मुझे कुछ करना होगा मैं पहले उसके बारे में दीदी को बता देती हूं पर कैसे मैं कुछ कर भी नही  सकती और इतनी जल्दी उनके पास भी नहीं जा पाऊंगी रिम कुछ सोच क्या करेगी  अगर इस डेविल ने बच्चियों को कुछ कर दिया तो नही नही मैं ऐसा कुछ नही होने दूंगी " 

    रिम अपने ही ख्यालों में उलझती जा रही थी तभी फिर से उसके कानो के अध्वंश की आवाज गई " दक्ष इस मीटिंग को अभि के लीए कैंसिल कर दो उनसे कह दो की अगर वो चाहे तो हम कुछ दिन बाद इसपर डिस्कशन कर लेंगे तब तक नए सैंपल बनवाओ मीटिंग के लिए " 

    दक्ष कहता है " ओके बॉस " 

    इतना कह के दोनो वहा से जाने लगे जिन्हे देख रिम भी उनके साथ वहा से चली गई फैक्ट्री से  निकल के अध्वंश ने जैसे ही कार के अंदर बैठा रिम भी उसके बगल में जाके बैठ गई तभी अचानक से अध्वंश को लगा उसके बगल में कोई बैठा है वो ध्यान से जहा रिम बैठी थी वही पर देखने लगा रिम अध्वंश को खुद को देखते देख रही थी वही अध्वंस को वो जगह सिर्फ खाली दिख रही थी क्युकी उसे अहसास तो हुआ लेकिन कोई दिखा नही तभी दक्ष आगे की तरफ बैठते हुए कहा " क्या हुआ  तुम ऐसे क्या देख रहे हो " 

    अध्वंश ने कहा " कुछ नही घर चलो " 

    दक्ष कहता है " कौन से घर के लिए विला चलना है या फिर रघुवंशी मेंशन " 

    अध्वंश ने खिड़की के बहार देखते हुए कहा " रघुवंशी मेंशन " 

    दक्ष पीछे अध्वंश को देखते हुए कहता है " क्या तुम उसके बुलाने पर जा रहे हो तुम्हे पता है वो जान बुझ कर दादा जी को इमोशन ब्लैक मेल करती है और दादा जी तुम्हारे ऊपर प्रेसर करते है उसके साथ रहने के लिए आज फिर उसने कोई नही चल चली होगी मुझे पता है आखिर वो कब अपने इन हरकतों से बाज आयेंगी इसी लिए मुझे वो बिलकुल पसंद नहीं है कभी कभी सोचता हूं की वो मेरी ब.... दक्ष बीच में रुक गया और अपनी आंखे बंद कर सीट पर सर टिका दिया । 

    वही उसकी बातो का अध्वंश ने कोई जवाब न दिया। वही रिम दोनो की बाते बड़े ध्यान से सुन रही थी वैसे उसे तो कुछ समझा के आया तो नही लेकिन उसकी नज़र अध्वंश के ऊपर जमी थी जिसके कारण अध्वंश किसी की नजर महसूस कर के अपने टाई को बार बार सरकाने लगा उसे एक अलग सी बैचैनी होने लगी थी जो आज तक उसने कभी महसूस नही किया था उसे ये फील हो रहा था की उसके बगल में कोई है jonउसे लगा तार घूर रहा है लेकिन अध्वंश जब आंखो के कनखी से देखता तो सीट पूरी खानी नजर आती उसे समझ में नहीं आ रहा था उसे ऐसा क्यू लग रहा है ।। 

    " ये मुझे क्या हो रहा है मेरा दिल अचानक से इतना धड़कने क्यू कहा क्या मुझे डॉक्टर के पास जाना चाहिए पर ऐसा तो कभी नही हुआ "  अध्वंश ने अपने सिने को हाथो से सहलाते हुए कहा जिसने अपनी रफ्तार तेज कर दिया था जब अध्वंश से ये बैचेनी सह नहीं गया तो वो अपनी आंखे बन्द कर दक्ष की तरह सर सीट पर टिका दिया ।। 

    तभी उसे फिर से अपने आस पास किसी की सांसे महसूस होने लगी जिसके कारण अध्वंश ने अपनी आंखे कस के बंद कर लिया वही रिम अध्वंश के हेंडसम चेहरे को देखने के चक्कर में वो अध्वंश के बेहद करीब यानी अपना चेहरा अध्वंश के चेहरे के पास ले जाके उसके चेहरे अपनों एक अंगुली से चेहरे ken फिचर को देखने लगी ।। 

    " बंद आंखे कितनी प्यारी है और ये नाक उससे कई ज्यादा तो गुलाबी होंठ ऐसा लगा रहा है इन्होंने लिपस्टिक लगा के रखा हो क्या सच में लगाया है एक बार टच के देखूं क्या " रिम कहते हुए अपने अंगूठे को अध्वंश के होंठो के पास ले जाने लगी ।। वो छूती उससे पहले ही इतनी तेज़ कार का ब्रेक लगा की रिम सीट के पीछे पलट के सीधे दक्ष के गोद में गिरी उसके गिरते ही अचानक से दक्ष के मुंह से एक चीख निकल गई " आआह्ह्हह्ह" 

    ये इतना तेज था की ड्राइवर के साथ साथ अध्वंश भी घबरा गया । और वही रिम ने अपने दोनो कानो पर अपना हाथ रख के आंखे बंद के दक्ष के गोद में बैठी रही । 😂

    जारी...✍️

  • 13. His love is a whitch - Chapter 13

    Words: 1591

    Estimated Reading Time: 10 min

    " बंद आंखे कितनी प्यारी है और ये नाक उससे कई ज्यादा तो गुलाबी होंठ ऐसा लगा रहा है इन्होंने लिपस्टिक लगा के रखा हो क्या सच में लगाया है एक बार टच के देखूं क्या " रिम कहते हुए अपने अंगूठे को अध्वंश के होंठो के पास ले जाने लगी ।। वो छूती उससे पहले ही इतनी तेज़ कार का ब्रेक लगा की रिम सीट के पीछे पलट के सीधे दक्ष के गोद में गिरी उसके गिरते ही अचानक से दक्ष के मुंह से एक चीख निकल गई " आआह्ह्हह्ह" 

    ये इतना तेज था की ड्राइवर के साथ साथ अध्वंश भी घबरा गया । और वही रिम ने अपने दोनो कानो पर अपना हाथ रख के आंखे बंद के दक्ष के गोद में बैठी रही । 😂

    दक्ष की आवाज सुन के अध्वंश कार से बाहर निकल गया उसके साथ में ड्राइवर भी बाहर आ गया  । 

    " दक्ष क्या हुआ तुम इतनी जोर से क्यू चिल्लाए हो " अध्वंश ने दक्ष के तरफ  का गेट खोल के पूछा  अब रिम भी अपना हांथ कान से हटा  कर टुकुर टुकुर दक्ष को देखने लगी उसे अहसास तक नही था की वो इस वक्त कहा पर बैठी है वही दक्ष का पूरा चेहरा पीला पड़ चुका था और माथे पर पसीने आ गए थे उसे इतना दर्द हो रहा था की  वो क्या बोले कुछ समझ में नहीं आ रहा था बस बिचारे  ने अपना मूंह रोने जैसा बना के  अध्वंश ko देखने लगा उसे इस तरह से  देखते देख अध्वंश छिड़ते हुए कहा " ऐसे लड़कियों की तरह रोने जैसी सकल बना के क्यू देख रहा है क्या हुआ है बताएगा भी या फिर मैं कुछ और समझूं " 

    दक्ष ने आंखो में आंसू भर के कहा " बहुत जोर से लगी यार दर्द हो रहा है " 

    उसे इस तरह से कहते सुन अध्वंश को कुछ समझ में नहीं आया की वो क्या कहना चाहता है तभी उसने ड्राइवर के तरफ देखते हुए कहा जो उसके कुछ दूरी पर ही खड़ा था " इसे पानी पिलाओ और देखो कहा लगी है  " 

    उसके कहते ही ड्राइवर अपनी सीट के तरफ जाके पानी का बोतल दक्ष के तरफ किया और कहा " सर पानी वैसे कहा लगी है आप को मुझे दिखाइए " 

    दक्ष ने  अध्वंश को घूरते हुए मन में कहा " साला दोस्त भी किसी काम का नही है ये मुझे समझ नही सकता कितनी जोर की लगी ऐसा लगा की मैं अब बाप बनने लायक भी  नही बचा हूं और एक ये मुझे पानी पिलाने आया है  मन कर रहा दोनो का सर फोड़ दू" 

    दक्ष ड्राइवर को घूर के देख रहा था उसके इस तरह घूरने से ड्राइवर घबरा गया और  पानी का बोतल लेके बाहर निकल गया अध्वंश जो की खड़ा होके सब कुछ देख रहा था उसने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा "  क्या है घूर क्यू रहा है अब बताएगा भी  यूं मुंह बना के बैठा रहेगा मेरे पास टाइम नही है जल्दी बोल " 

    " हां बोलो भी कुछ मुंह बना के बैठे हो मुझे भी सुनना है  आप के चिल्लाने से मैं कितना डर गई थी मुझे लगा मेरे कान के पर्दे फट जायेंगे " रिम ने दक्ष को देखते हुए कहा जो उसके बोलने का इंतज़ार कर रही थी ।। 

    तभी दक्ष ने एक मोंटी आंसू बाहर निकालते हुए कहा " मेरे यहां पर जोर से लगी । दक्ष ने अपने प्राइवेट पार्ट पर इशारा कर के बोला । फिर दुबारा कहा " ऐसा लगा की कोई सीधे आके यही गिरा है और मेरा पैर  भी भारी हो गया है मैं हिल तक नही पा रहा हूं मुझे नही पता पर अचानक से कुछ भारी भारी लग रहा है मेरे पैरों पर ।  अरे भाई क्युकी तुम्हारे पैरों पर हमरी नादान रिम बैठी है 😂 ।

    दक्ष की बात सुन के अध्वंश की आंखे सिकुड़ गई उसे समझ नही आ रहा था की कार रुकने से उसे वहा पर कैसे चोट लग सकती है  वही रिम भी दक्ष के इशारे की जगह पर देख रही थी बेशर्मों की तरह  मासूम रिम को अभी तक समझ नही पाई की उसके बैठने से दक्ष का ये हाल हो रहा है अभि भी अपनी मासूमियत लेके टुकुर टुकुर दक्ष को देखे जा रही है ।। तभी अध्वंश उसने सक्त लहजे में कहा " दक्ष किसी चीज की हद होती है अगर तुम मेंशन नही जाना चाहते हो तो इस तरह से मेरे सामने नाटक मत किया करो मुझे सक्त नफरत है ऐसी चीजों से अगर नही जाना है तो तुम अभी यहां से उतर सकते हो या फिर कोई दूसरी गाड़ी मांगा लो।। अध्वंश को लग रहा की दक्ष कोई बहाना कर रहा है क्युकी ये पहली बार नही हुआ था अध्वंश के साथ ऐसे कई बार दक्ष काम के चक्कर में बहने बना चुका है । वही अध्वंश को आज भी लग रहा था ।।

    दक्ष कहराते हुए कहता है " तू मेरा दोस्त है या दुश्मन अगर तेरी  जगह कोई और होता तो वो भी मेरे चेहरे के दर्द को देख कर समझ जाता पर तू है की बोल रहा है मैं नाटक कर रहा हूं देख मेरे आंखो को क्या उसमे तुझे दर्द दिखाई नहीं दे रहा है देख मेरे पैरों को वो हिल तक नई रहे है " 

    उसके ऐसा कहते ही रिम ने पैरो को देखते हुए कहा " क्यू हिल नही रहे है " कहते हुए वो दक्ष के पैर हिलाते हुए कहती है " ये देखो हिल तो रहे है " 

    उसके ऐसा कहते ही दक्ष की आंखे  हैरानि से बड़ी हो गई  वो  अपने पैरों को देखता है ये तो बस वही महसूस कर सकता है की उसके पैर बीना उसकी मर्ज़ी के हिल रहे है वही अध्वंश को लगा दक्ष सच के नाटक कर रहा है इसी लिए उसने ड्राइवर को चिल्लाते हुए कहा " गाड़ी स्टार्ट करो और अगर ये ज्यादा नाटक करे तो कार से बाहर फेक देना " 

    इतना कर के अध्वंश फिर कार में पीछे के सीट पर आके बैठ जाता है वही दक्ष आंखे फाड़े अपने हिलाते हुए पैर को देख रहा था ।। उसने मन में कहा " ये ..ये क्या हो रहा है क्या मैं मरने वाला हूं या फिर मेरे पैर खराब हो गए है नही ऐसा नहीं हो सकता है अभि तो मेरी शादी तक नही हुई मेरे 6 बच्चो का सपना उसका क्या होगा भगवान जी मेरी रक्षा करिए " उसने इतना कहा ही था की एक बार फिर उसके मुंह से दर्द भरी चीख निकल गई  लेकिन उसके चीख से अध्वंश को कोई फर्क तक नही पड़ा और  दक्ष वो अपने पार्ट पर हांथ रख के मुंह से फुक मारने लगा  क्यू की रिम ने जैसे ही अध्वंश को पीछे बैठते देखा वो खड़ी होके पूछे की सीट पर जाने लगी जिसके कारण उसका पैर दक्ष के पैरों के बीच में लग गया ।। 

    दक्ष की आवाज सुन के अध्वंश ने पूरी तरह इग्नोर कर के अपने फोन में ईमेल चेक करने लगा वही ड्राइवर वो  दक्ष के दर्द को देख कर काफी दुखी था अब वो अध्वंश की तरह है नही की किसी के दर्द को पहचान न सके दक्ष का चेहरा दर्द से लाल हो चुका था उसके आंखे आंसुओ से भीगी थी वो लम्बी लम्बी सांसे ले रहा खुद के दर्द को बर्दाश करने के लिए ।। 

    उधर रिम अध्वंश के बगल में बैठ के कभी उसके चेहरे को देखती तो कभी उसके फोन को वो पढ़ने की कोशिश करती पर उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा और वो अब बोर भी होने लगी  थी ।। 

    " ये तो मेरी तरफ देख भी नहीं रहे है बस इस अजीबो गरीब चीज़ में लपटे हुए है वैसे ये है क्या " रिम ने फोन देख कहा ।

    ( हां मैं एक चीज़ बताना भूल गई थी अब रिम कब की मरी है वो कौन से जनरेशन की है वो उसे भी नही पता है इसी लिए कुछ चीज उसके लिए नए है इस लिए कोई  जज मत करना  बस स्टोरी पढ के इंजॉय करिए ) 

    कहते हुए रिम फोन के स्क्रीन को टच कर देती है जिससे अचानक से कोई दुसरा ऑप्शन खुल जाता है जिसे देख अध्वंश ना समझी से अपना फोन देखने लगा ।। फिर उसने अपना सर झटक के फिर से ईमेल खोल के पढ़ने लगा ।। 

    वही रिम को एक बार करने में काफी मजा आया उसने फिर से अपनी उंगलियों से फोन के स्क्रीन को टच करने लगी वैसे वो लगा तार बार बार करने लगी।   और एक साथ कई सारी चीज़े खुलने लगी जिसे देख अध्वंश हैरानी से अपना फोन देखने लगा वो बस देख सकता था अचानक से उसके फोन में ये क्या हो रहा है ।। वही रिम मजे से टैब करती जा रही थी ।

    इससे गुस्सा होके अध्वंश ने फोन को लॉक कर के दक्ष के पास फेकते हुए कहा " ये खराब हो गया है घर जाते ही नया ले के आना" 

    उसके ऐसा करते ही रिम न समझी से देखने लगी और उसका चेहरा पूरी तरह मुर्झा गया था आखिर उसे इतना मजा जो आ रहा  था अध्वंश के फोन को छेड़ने में 😂 ।  

    वही दक्ष ने एक बार फोन को ऑन कर देखा और मन में कहा " ठीक तो है अब इसे।क्या हो गया जो नया चाहिए पता नही लगता है आज ये पागल हो गया है वैसे मुझे इया कौन सा इसने मेरे साथ अच्छा किया है अभी hmm " 

    अब कार में पूरी तरह शांति हो रखी थी और कुछ देर के रघुवंशी मेंशन में सामने जाके रुकी ।। जिसके अंदर अध्वंश का इंतज़ार कोई बेसब्री से कर रहा है ।। 

    जारी...✍️

  • 14. His love is a whitch - Chapter 14

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे ...

    कार से निकलते ही अध्वंश लिविंग एरिया के तरफ चला गया वही उसके पीछे रिम भी थी।

    रिम अपनी आंखे फाड़े बस पुरे घर को देख रही थी उसने चारो तरफ नजरे दौड़ाते हुए कहा " ये घर कितना बड़ा है ये तो मेरे महल से भी इतादा बड़ा है अगर यहां मेरी भूतिया फेमिली आई तो आराम से रह सकती है ,,, हां और दिखने में लग रहा है यहां कमरे भी बहुत सारे है " 

    रिम इस घर में भूतो को लाने के बारे में सोच रही है उसे नही पता है इंसान के बीच में अगर भूत रहने लग जाए तो बीना बीमारी के इंसान मर जायेंगे 😂। खैर अब रिम को नही पता तभी वो ये सब सोच रही है।। और सोचते हुए घर के पीछे लेफ्ट साइड के तरफ चली गई।।।

    इधर लिविंग एरिया में पहुंचते ही अध्वंश ने एक सर्वेंट से पूछा " दादा जी कहा है डिनर किया है " 

    सर्वेंट अपना सर झुका के कहता है " जी सर वो अपने कमरे में आराम कर रहे है  आज उनकी तवियत कुछ ठीक नही है " 

    अध्वंश ने " हम्मम " कहा और अभिराज जी के कमरे के तरफ चल गया लेकिन वो आगे जाता उससे पहले ही सर्वेंट ने उन्हे रोकते हुए कहा" सर " 

    अध्वंश ने गुस्से से पीछे मुड के देखा तो सर्वेंट डर से कांपने कहा तभी अध्वंश ने कहा " क्या है बोलो ? 

    उसके कहते ही सर्वेंट ने डरते हुए कहा " स... र... वो बड़े साहब ने माना किया है वो किसी से आज मिलना नही चाहते है आज आराम कर रहे है अगर कोई पूछे तो मैं भी उन्हें कर दू वो आराम कर रहे है जिससे मिलना है कल मिलेंगे " 



    सर्वेंट की बात सुन के अध्वंश ने मन में कहा  " आज आप ने फिर से कोई काम खराब किया है इसी लिए मेरे सामने नही आ रहे लेकिन कब तक कल तो आप आयेंगे ही " 

    अध्वंश बीना कुछ कहे  सोचते हुए सीढ़िया चढ़ने लगा तभी उसके कानो के बहार से आ रहे दक्ष की आवाज गई जो कुत्तों की चाल चलते हुए अंदर आ रहा था।। 

    उधर रिम घूमते घूमते कॉरिडोर में पहुंच गई उसने बगल के कमरे को देख कहा " ये कमरा तो काफी बड़ा है क्यू ना इसमें रागनी दी, मधु आंटी और बिट्टू को रख दूं आराम से रह लेंगे वैसे भी बाकी कमरे छोटे है " 

    रिम कमरे को देख कर काफी खुश थी आज उसने अपनी फेमिली के लिए सारे कमरे ढूंढ लिए थे किसे कहा रहना है वो सब डिसाइड कर के दुसरी तरफ मुड़ी ही थी की अचानक से उसके कानो में।किसी के रोना की आवाज आती है ये आवाज थोड़ी अजीब थी जो इंसानों के लिए  काफी डरावनी है कोई इंसान इस आवाज को सुन के सीधा हॉस्पिटल के बेड पर जाके पड़े ऐसी ये आवाज आई थी।। 

    रिम ने उस आवाज की दिशा में जाते हुए कहा " इस वक्त कौन रो रहा है यहां वो भी ऐसे "  कहते हुए रिम आगे बड़ी जा रही थी।।

    दूसरी तरफ पूछे से दक्ष ने अध्वंस को चिल्लाते हुए कहा " अध्वंश  रुक जा।यार  " 

    उसके कहते ही सीढ़ियों पर ही अध्वंश रुक गया तभी दक्ष अपने पैरों के बीच में हांथ रख के और अपने दर्द को लिए अधवंश के पास आके कहा " भाई मैं चल नही पा रहा हूं प्लीज मुझे मेरे कमरे तक छोड़ दे बहुत दर्द हो रहा है आज कर दे दुबारा कभी नही कहूंगा प्लीज" 

    अध्वंश ने अपनी आंखों सिकोड़ के  दक्ष को देखा जो आके सीढ़ियों पर आके बैठ गया था तभी उसने चिल्लाते हुए  कहा " श्याम सुन्दर " 

    ये आवाज कैसे हो बाहर खड़े दोनो के कानो में गया दोनो  भागते हुए आके सीधे अध्वंश के सामने खड़े हो गए जिन्हे देख कर अध्वंश ने कहा " इसे इसके कमरे में फेक दो याद रखना दुबारा किसी को परेशान न कर सके और हां तुम ( अध्वंश के  दक्ष को देखते हुए कह ) कल ऑफिस जल्दी आ आना है " अपनी बात कह के अध्वंश कमरे के तरफ बड़ गया वही दक्ष अपना मुंह खोल बस जाते हुए अध्वंश को देख रहा था  उसे यकीन नही हो रहा ये उसका हो दोस्त है।। उसके कानो में बस एक हो सॉन्ग चल रहा था " दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार ना रहा" 



    "  पता नही आज किसका सकल देख के उठा था जरूर मेरे आंखों के सामने सुबह सुबह वो चुड़ैल ऋषिता आई होगी कल उसे बताता हूं  और ये दर्द खत्म क्यू नही हो रहा है " दक्ष ने अपने पैरों को हिलाते हुए कहा तभी श्याम सुन्दर जो दोनो पहले से खड़े होके दक्ष को देख रहे थे दोनो ने एक साथ कहा " सर क्या हम कमरे तक छोड़ दे " 

    उनकी बाते सुन के दक्ष ने। हां में सिर हिला दिया तो श्याम सुन्दर ने दक्ष का हांथ पैर पकड़ के उसे उसके कमरे में ले।गए और बेड पर फेक के कुछ दूरी पर जाके।खड़े हो गए वही ये सब अचानक था की दक्ष के मुंह से फिर एक चीख निकल गई " आह्ह्ह" कमीनो आराम से नही कर सकते थे इतनी जोर से करने की क्या जरूरत थी " 

    उधर अध्वंश जैसे ही कमरे का गेट खोल के अंदर गया कमरे अंदर का नजारा देख कर उसकी आंखे गुस्से से लाल हो गई ऊपर से उसकी मुठिया गुस्से कस गई क्युकी अंदर का नजारा था ही जैसा।। 

    " तुमने सही नही किया " अध्वंश ने अपने दांतो को। पिसते हुए कहा और गुस्से से कमरे को देखने।लगा जहा पर लाल गुलाब की।पंखुड़ियां फैली थी ऊपर से छोटे छोटे कैंडल जल रहे थे ये नजारा पहली रात की तरह था जिसे देख कर अध्वंश इतने गुस्से में आ गया तभी वॉशरूम का गेट खोल के ऋषिता बाहर आई और गेट पर अपनी अंदाओ से आके खड़ी हो गई आज उसने ट्रांस पैरेंट नाइट सूट पहन रखा था।। 



    जारी....✍️

    आखिर रिम की किसके रोने की आवाज सुनाई दे रही थी .? अब क्या करेगा अध्वंश ऋषिता के साथ में .? 

  • 15. His love is a whitch - Chapter 15

    Words: 1815

    Estimated Reading Time: 11 min

    रोने की आवाज सुन के रिम जैसे ही पास गई की सामने के कमरे से किसी के रोने की आवाज आ रही थी रिम कान से लगा के सुनने की कोशिश करने लगी तो किसी की अंदर से आवाज आया " I'm sorry'भाई मैने आप को गलत समझा अगर मैं उस दिन आप सब को छोड़ के नही जाति तो आज मैं आप के बीच के होती सारी गलती मेरी है मैने आप को और दादू को गलत समझा मुझे समझना चाहिए था की मौत किसी के गलती से नही हमारी किस्मत से आती है जैसे मेरी आई है मैं ना आप के पास रह सकती हूं और न आप से दूर मैं क्या करूं ऐसी दुनिया में आ गई हूं जहा से बाहर निकलना मुस्किल नही  नामुमकिन है अब तो इतनी जल्दी मुझे मुक्ति भी नही मिलेगी। 

    कमरे के अंदर कोई और नहीं बल्कि अध्वी थी जो अध्वंश की फोटो देख कर रो रही थी आज अपने किए पर उसे इतना पछतावा था की सायद वो इस गिल्ट से कभी ही वापस निकल पाए अध्वी जब 15 साल की थी तभी उसकी दादी की मौत हो गई थी उस वक्त अध्वी इंडिया से बाहर थी और किसी ने ये नही बताया था की दादी जी बीमार है सभी ने उससे झूठ बोला था की वो ठीक है पर जैसे ही अध्वि इण्डिया वापस आई तब जाके उसे पता चला की उसकी दादी कैंसर की वजह से भगवान को प्यारी हो गई जिसकी वज़ह से अध्वी , अभिराज जी और अध्वंश से गुस्सा होके घर छोड़ के चली  गई वो दादी को अपनी मां मानती थी क्युकी उसने कभी अपनी मां को देखा ही नहीं था क्युकी अध्वी के पैदा होते ही उसकी मां गुजर गई डैड कार एक्सीडेंट में मारे गए।।  ऐसा नहीं है अध्वंश ने अध्वि को खोजा नही था उसने बहुत ढूंढा पर वो कही नही मिली वही पढाई के साथ साथ अध्वी ने गैंग के साथ मिल के काम करने लगी स्टार्टिंग में उसे पता नही था की वो लोग गुंडे है।। 

    आज इसी बात का पछतावा हो रहा की वो आखिर क्यू गई छोड़ के नही जाना चाहिए था ? 

    बाहर खड़ी रिम सारी बाते सुन रही थी उसने अपने  दिल पर हांथ रख के कहा " मैने ये आवाज कही सुना है पर कहा ? कहा सुना है ?।

    रिम ने अभि अध्वी को देखा कहा है की अध्वी वही लड़की है रिम यही सब सोच के अंदर जाने का फैसला लेती है और जैसे ही अंदर जाके देखती है अंदर कोई था नही वो चारो तरफ देखती है पर कोई नही दिखता है " अभी तो आवाज यही से आ रही थी लड़की की आखिर वो गई कहा " 

    रिम ने बेड के नीचे अलमीरा के पास हर जगह ढूंढते हुए कहा पर जब कोई नही दिखा तो एक गहरी सांस लेके कमरे से बाहर चली गई।। 

    उसके बाहर निकलते ही 3 लोगो  दीवाल से बाहर आते है और एक दूसरे को देख कर हस्ते है वही उसके हाथों में अध्वी होती है और उन लोगो की हाइट नॉर्मल इन्सान से काफी  ज्यादा थी इतने बड़े की तीनो पूरे छत के दीवाल को छू रहे थे वही अध्वी ने रिम को नही देखा था उसने मन के कहा " ये कौन है क्या ये मुझे देख सकती थी क्या इसने मेरी बातो को सुन है अगर ये मुझे देख सकती है तो मेरे घर में क्या कर रही है मुझे पता करना होगा पर ये लोग कौन है ? 

    अध्वि जिनके हाथों में  उसका पिछे से गला पकड़ रखा था उन्हे नजर उठा के देखते हुए कहा " छोड़ों मुझे तुम लोग कौन हो .?मुझे क्यू पकड़ रखा है ? 

    " सीईईईईई" बच्चे ज्यादा नही बोलना चाहिए समझी चुप चाप हमारे साथ चलो " उस बड़े आदमी ने जिस तरीके से कहा था अध्वी डर से कांपते लगी उसकी आगे कुछ बोलने की हिम्मत ही नही हुई वही अपनी बात कह के तीनो अजीब तरह से हसने लगे ।। 

    तभी फिर से उसी आदमी ने कहा " तुम उस लड़की पर ध्यान रखो मैं इसे लेके जाता हूं " 

    Hmmm दूसरे ने कहा।। 

    अपनी बात कह के वो शख्स वहा से चला गया वही बस दोनो रह गए और कमरे के कोने में।जाके बैठ गए।। 

    इधर रिम बाहर निकल के लीविंग एरिया में आ गई उसने ऊपर का कमरा देखते हुए कहा " यहां भी इतने सारे कमरे है उसमे से डेविल का कमरा कौन सा है कहा से ढूंढू" 

    कहते हुए रिम सीढ़ियों के बजाए रेलिंग पर चलते हुए जाने लगी और वो सीधे दक्ष के कमरे के पहुच गई।।

    इधर अध्वंश ने जैसे ही वॉशरूम के गेट पर ऋषिता को देखा उसकी आंखे गुस्से से जलने लगी मुठिया कस गई थी।

    " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कमरे में आने की ओर ये सब करने की क्या पिछली बार का भूल गई हो " अध्वंश ने बेहद गुस्से में कहा।। जिसे सुन एक पल के लिए ऋषिता घबरा गई लेकिन दूसरे ही पल खुद को नार्मल कर के उसने आगे बड़े अदा से बड़ते हुए कहा।।

    " मैं कुछ नही भूली हूं सब याद है पर तुम पिछली बात भूल जाओ और एक नजर प्यार से मेरी तरफ तो देखो मैं तुम्हे वो दे सकती हूं जो कोई नही दे सकता " कहते हुए ऋषिता अध्वंश के बेहद करीब आके खड़ी हो गई।

    जिसे देख अध्वंश दो कदम पीछे हो गया और अपनी कड़क आवाज में।कहा " मेरी इज्ज्जात के बीना मेरे कमरे में आनी की सजा तुम्हारे लिए काफी खरनाक हो सकता है इसी लिए अभी के कभी इस कमरे से बाहर निकल जाओ और गलती से मेरे पास आने की कोषिश भी मत करना।

    उसकी बात सुन के ऋषिता ने अजीब तरह से हस्ते हुए  उसके  करीब आके सीने पर अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा " आज तुम चाह कर भी मुझे इस कमरे से नही निकाल सकते हो पता है क्युकी दादा जी ने मुझे इज्जाज्त दिया है आज रात इस कमरे में रहने के लिए भले ही तुम उनके खिलाफ जा सके हो पर सुबह इसका अंजाम क्या होगा तुम अच्छे से जानते हो " 



    अध्वंश ऋषिता के चल रहे हाथों को पकड़ लेता है और अपने दांत पीसते हुए कहता है " अंजाम जाए भाड़ में अभी के अभी मेरे कमरे से ये जो गंदगी फैला रखी है उसे समेत के बाहर निकल जाओ वरना।तुम्हे धक्के मार के।मैं इस कमरे से निकाल सकता हूं और आगे से मुझे किसी का नाम लेके धमकी देने की कोशिश भी मत करना नही तो जिस अंजाम की बात तुम कर रही हो ना वो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा " 

    अपनी बात कह के अध्वंश ने जोर से ऋषिता का हांथ झटक देता है जिससे वो कुछ दूरी पर जाके जमीन पर मुंह के बल गिरती है वही अध्वंश बस उसे।देख रहा था गुस्से से और ऋषिता के आंखो में। आंसू के बजाय आग चलने।लगी वो गुस्से से खड़ी हुई और अध्वंश से कहा " आखिर तुम खुद को समझते क्या हो हमारी शादी के इतने साल हो गए तुमने।मेरी।तरफ पलट के देखा तक नहीं आखिर मेरे अंदर कमी।क्या है (  कहते हुए ऋषिता अपनी नाइट सूट निकल के नीचे फेक देती है और अध्वंश के सामने बीना कपड़ो के खड़ी हो जाति है लेकीन फिर भी अध्वंश एक नजर भी नही देखा ) 

    तभी ऋषिता ने खुद को दिखाते हुए कहा " अध्वंश देखो मुझे क्या तुम्हारी  इच्छा नही होती मेरे पास आने की क्या कोई कमी है मुझमें ? नही न मुझे  पाने के लिए सब मरते  है लेकिन मैं तुम्हे चाहती हूं और तुम हो की मुझे तो समझ में।नही आता आखिर तुम्हारी प्रोब्लम क्या है मुझसे तुम मुझे इतना दर्द देते हो मैं उफ तक नही करती हूं बस मुझे प्यार चाहिए  तुम्हरा और कुछ नही। 

    अपनी बात कह के ऋषिता फिर से अध्वंश के करीब जाने।लगी लेकिन जब उसकी जलती हुई निगाह देगी तो वही पर रुक के अध्वंश को देखने लगी तभी उसने एक टेडी स्माइल। के साथ कहा " मैं तुम्हारे बेकार की।बातो का जवाब देना जरूरी नहीं समझता अपने कपड़े उठाओ और अभी के अभी यहां से निकल जाओ।कही ऐसा ना हो ये जो आग लगी है तुम्हारे अंदर उसे बुझाने के लिए मुझे किसी और को।बुलाना पड़े अगर ऐसा हो गया तो तुम उन्हे Satisfied नही कर पाओगी  " 

    अध्वंश की बात सुन के ऋषिता ने गुस्से से अपनी मुट्ठी बंद कर लिया और चिल्लाते हुए  कहा " तुम अच्छा नही कर रहे हो अध्वंश" 

    ऋषिता की बात को पूरी तरह इग्नोर कर के वॉशरूम के तरफ बड़ते हुए कहा " 5 मिनट के अंदर ये सब साफ हो जाना चाहिए " 

    अपनी बात कह के अध्वंश वॉशरूम के घुस गया । ऋषिता ने दादा जी को बड़का कर आज रात अध्वंश के कमरे में आती है पर उसका सारा प्लान खराब हो जाता है तभी  ऋषिता ने पूरे कमरे को देखते हुए कहा।" आज तुमने भले ही मुझे  यहां से निकाल दिया लेकिन जल्द ही मैं इस  कमरे में आऊंगी और तुम कुछ नही कर पाओगे और ये जो घमंड है ना वो जल्द ही टूटेगा आखिर तुम भी तो एक मर्द हो कभी न कभी तो तुम आरो की तरह मेरे इस जिस्म को पाने के लिए पागल हो जाओगे उसके लिए मुझे क्या करना है ये मैं अच्छे से जानती हूं  " 

    ऋषिता ने कपडे पहले और मिस्टिरियस स्माइल के साथ ऋषिता कमरे से बाहर चली गई वही उसे जाते हुए रिम देख रही थी वो भी इस वक्त अध्वंश के कमरे के तरफ आई ही रही थी उसने ऋषिता के ड्रेस को देखते हुए कहा " छी ये नंगू पंगु होके कहा जा रही है वैसे ये है कौन ? क्या शर्म नही है इन्हे "

    रिम ने अपना मूंह बना के कहा वही ऋषिता ने अपनी नाइटी ही पहन रखा था और बेशर्मो की तरफ कमरे के तरफ जा रही थी उसे तो उस बात के लिए भी शर्म नही आ रही की रास्ते में नौकर भी गुजरते हुए अपनी नजरे  नीचे झुका ले रहे है पर वो ऐसे ही चली गई।। 

    कुछ देर में कुछ नौकरों ने आके अध्वंश का कमरा साफ़ किया वही रिम बहार से खड़ी होके देख रही थी उसे तो कुछ समझ में आया तो था नहीं अंदर क्या हुआ है बस देख कर अंदर चली गई हो पुरी तरह साफ हो चुका था।। वो कमरे को देखते हुए बेड पर जाके बैठ गई।। 

    तभी वॉशरूम का गेट खुला और अपने भीगे बालो को साफ करते हुए अध्वंश बाहर आके मिरर के सामने खड़ा हो गया उसकी पूरी बॉडी पर पानी के बूंद उभरे हुए थे जो रिम को अपनी तरफ खीच रहे  वही रिम अध्वंश को ऐसे देख कर उसी में खो सी गई थी।। उसे अहसास नही हुआ वो काम जाके अध्वंश के पीछे जाके खड़ी हो गई है।। 

    जारी.... ✍️

     आगे क्या होगा इस कहानी में ? आखिर अब क्या करने वाली है ऋषिता...? क्या अध्वंश को कभी रिम के बारे में पता चलेगा .? रिम अब क्या करने वाली है ..? 

  • 16. His love is a whitch - Chapter 16

    Words: 1889

    Estimated Reading Time: 12 min

    कुछ देर में नौकर आके अध्वंश का कमरा साफ़ कर के चले जाते है वही रिम पूरे कमरे को देखते हुए बेड पर बैठ जाति है  और अध्वंश को ढूंढने लगती है पर उसे वो कही नही दिखाई देता।।

    " ये तो डेविल का ही कमरा है फिर वो आखिर कहा है दिखाई नहीं दे रहे है रिम आज कैसे भी कर के तुझे अपना काम करना है जिसके लिए  तू  यहां आई है अब तेरे पास ज्यादा टाइम नही बचा है पता है ना बस 4 दिन जिसमे से एक दिन गायब हो चुका है अगर तुम्हे आज रात अपना काम कर दिया तो तू आराम से मुक्ति पा सकती है अगर नही हुआ तो 4 दिन बाद तू आधी इन्सान और आधी चुड़ैल हो जाएगी नही नही अगर मै सब को दिखने लगी और किसी को पता चला तो सब मुझे मारेंगे ये कह के की मैं  सभी का घर खराब करती हूं मुझे नही करना है  " 

    रिम ख़ुद से बड़बड़ाए जा  रही थी आखिर उसका भी कहना एक तरह  से सही है भले ही वो इंसानी की तरह दिखने लगेगी लेकिन वो एक चुड़ैल है उसकी पहचान तो नही छूट सकती है उसके भी कुछ कमिया जो वक्त के साथ उसे परेशान भी करती है इसी लिए  रिम डर रही थी।। ऐसे ही कुछ देर तक खुद के विचारो में खोई थी तभी उसके कान में खट की आवाज गई उसने आवाज की दिशा में देखा तो अध्वंश वाशरूम से बहार निकल रहा था जिसने कमर के नीचे टॉवेल लपेट रखा था और दूसरे  टॉवल को कंधे पर रख के अपने बालो को सूखते हुए मिरर के सामने आके खड़ा हुआ।।

    रिम ने जब अध्वंश को इस रूप में देखा तो उसकी नजरे उसके ऊपर जम सी गई काफी देर तक वो वैसे ही देखती रही तभी उसकी नजर  सीधे अध्वंश के पीठ पर उभरे पानी के बूंदों पर गई जो रिम को अपनी तरफ खीच रहे थे रिम अपनी गहरी नजरो से देख रही थी जिसे कही न कही अध्वंश को भी   महसूस होने लगा उसे फिर से कुछ देर पहले वाला अहसास होने लगा उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई और किसी की नजरे महसूस कर उसने मिरर में देखते हुए पूरे कमरे में अपनी नजर दौड़ा दिया लेकिन उसे कोई भी नही दिखा।।

    " आखिर मुझे ये सब हो क्या रहा है यहां कोई नही है तो मैं किसे महसूस कर रहा हूं कल मुझे डॉक्टर के पास जाना चाहिए कही फिर से वही प्रोब्लम तो नही हो गई" अध्वंश ने खुद से कहा और महसूस हो रहे जज़्बाद को पूरी तरह इग्नोर कर के अपने बालो को सुखाने लगा।। 



    वही रिम बेड से नीचे उतर के सीधे अध्वंश के पूछे आके खड़ी हो गई और उसके बॉडी को देखते हुए कहा " वैसे डेविल जैसा भी हो पर काफी हैंडसम और हॉट है काफी नही  बहुत है ये इनकी बॉडी तो दीवाल से भी ज्यादा मजबूत लग रही है और ये कितनी टाइट है " 

    कहते हुए रिम एक उंगली से अध्वंश के पीठ में घुसाने लगी तभी उसकी नजर उन पानी के बूंदों पर जाते है जो मोती की तरह चमक रहे थे रिम एक एक कर के अपनी उंगली जी उन्ही मिटाने लगती है उसे ऐसा करने में काफी मजा आ रहा था वो मजे से कर रही थी इससे अंजान की उसके ऐसा करने से अध्वंश के हांथ रुक गए थे वो अपनी बॉडी पर किसी के हाथों को महसूस कर सकता है बस वो हैरान था की अगर कोई उसके आस पास है तो दिख क्यू नही रहा है वो बस मिरर से देखने की कोशिश कर रहा था।। पर उसे कोई दिखाई तो नही दे रहा तभी अचानक से अपने सिने पर कुछ मुलायम सा महसूस होने लगा ऐसा लगा रहा था की किसी के हांथ उसके सीने पर चल रहे है वो हैरानी से अपने सीने को देखने लगा जहा जहां उसे महसूस हो रहा था।। 



    वही रिम अध्वंश के सिक्स पैक को देख रही थी वो उसी में खो गई थी उसे पता ही नही चला की वो पीठ से कब सीने पर आके अपने हांथ चलाने लगी उसने अध्वंश के सीने पर अपना हांथ चलाते हुए कहा " wow 😳 ये कितना सॉफ्ट है मैने आज से पहले ऐसा किसी का नही देखा था। ही ही ही! रिम अजीब तरह से हसने लगी।। लेकिन उसकी हसी अध्वंश के कानो तक भले ही नही जा रही थी लेकिन उसका हांथ जैसे जैसे चल रहा था उससे अध्वंश के अंदर कुछ अजीब जी हलचल मच गई अचानक  उसके माथे पर पसीने की बूंद दिखाई देने लगी और उसकी बॉडी कुछ रिएक्ट करने लगी इन अहसास को भले ही रिम को नही पता लेकिन अध्वंश अच्छे से जानता था वो अपनी आंखे बंद कर उसी मे खोते हुए गहरी गहरी सांसें लेने।लगा  उसे अच्छा लग रहा था वही रिम अपना हांथ चलाते हुए उसके पेट पर चलने लगी वो और नीचे जाति उससे पहले अध्वंश  को अजीब लगा वो  अपनी आंखे खोल के तेज कदमों से क्लोजेट रुम की तरफ चला गया  बस रिम ने उसे जाते   देख कर कहा " इन्हे क्या  हुआ ये चेले क्यू गए हटो मुझे इतना मजा आ रहा था मोम की तरह कितना सॉफ्ट था।। 

    रिम उदास होके जाके सोफे पर बैठ जाति है वही क्लॉजेट रुम के अंदर अध्वंश लम्बी लम्बी सांसे ले रहा था उसने अपने सीने को देखते हुए कहा " ये बीमारी उससे अलग है पहले मुझे ऐसा कुछ तो महसूस नही हुआ था तो आज ये नया क्यू हो रहा है कही उसीका नया सिमटम तो नही मुझे कल सुबह ही डॉक्टर से मिला होगा अगर इसका इलाज नहीं हुआ तो।मैं खुद को कंट्रोल नही कर पाऊंगा  " 



    बिचारा अध्वंश उसे क्या पता ये सब रिम का कमाल है जिसे वो बीमारी समझ रहा है वैसे तो अध्वंश को बचपन से एक बीमारी था बट वो अब तक ठीक भी हो चुका है लेकिन अब ये बात अध्वंश को कौन बताए ये बीमारी नही है  रिम के।हाथों का जादू है जादू।।😂 

    इधर उदास होके रिम बैठी थी सोफे से उठ के अलमीरा के ऊपर अपने घुटनो को सीने पर रख हाथों से बांध रखा था और झूलते हुए कहती है " इन्होंने अच्छा नही किया जब भी मुझे कोई चीज़ अच्छी लगती है कोई ना कोई ले लेता है और ये डेविन भी चले गए जब मुझे उनका चिकना बदन अच्छा लग रहा था कोई ना उन्होंने मेरे साथ किया ना अब मैं बताती हूं इसका अंजाम ऐसा डराउंगी ऐसा डराएंगी की वो खुद मेरे सामने अपना हांथ जोड़ के कहेंगे रिमझीम प्लीज रुक जाओ  मैं डर से मर जाऊंगा  " ही ही ही ही! कहते हुए रिम आपने मुंह पर हांथ रख के जोर जोर से हसने लगती है।।

    वैसे वो जो सोच रही है वो तो सपने में भी नही होने वाला अध्वंश रघुवंशी जिससे खुद यमराज डरता है वो रिम से डरेगा कभी नही अब तो देखना है रिम डराती कैसे है।।  



    थोड़ी देर में अध्वंश कपड़े पहन के बाहर आता है इस वक्त उसने टीशर्ट और लोवर पहन रखा था वो सीधे आके बेड पर लेट जाता है उसका आज खाने का मन बिलकुल नही था इसी लिए लाईट ऑफ कर देता है आज सुबह से वो बहुत ज्यादा थक चुका था एक तो उसकी बहन नही रही ऊपर से दादा जी सीधे एक सर दर्द को घर के ले आए है।। इन सब से अध्वंश काफी ज्यादा थक गया था।। वो आंखे बंद कर अभि सोने की कोशिश कर ही रहा था।। 

    इधर रिम ने अध्वंश को सोते हुए देखा तो कहा " सोना है डेविल को मैं सुलाती हूं " कहते हुए अचानक से पूरे कमरे के घड़ घड़ की आवाज आने लगी अध्वंश जो अभी आंखे बंद किया ही था की आवाज से उसकी आंखे खुल जाती है और बेड पर बैठ के वो जल्दी से लाईट ऑन करके चारो तरफ देखता है तो उसे  कही  कुछ दिखाए नही देता है  और अब आवाज भी बंद हो चुका था।। 

    क्युकी रिम पहले अलमीरा जोरो से हिला रही थी अध्वंश को उठते देख तो शान्त होके खड़ी हो गई जब अध्वंश को कुछ नही दिखा तो फिर से लाइट ऑफ कर दिया और लेट गया फिर से कानो के पानी गिरने की आवाज जाने लगी।। 

    अध्वंश ने एक दो बार इग्नोर किया जब नही बंद हुआ तो फिर से उठ के वाशरुम में जाके देखा तो सवार का पानी गिर रहा था  उसने बंद करते हुए कहा " अचानक से ये कैसे खुल गया मैने तो बंद किया था " 

    उसकी बात सुन के रिम अपना मुंह दबाए हसने लगी उसे अब मजा आने लगा अधवंश को परेशान करने में जब उसने उसे जाते हुए देखा तो सिर्फ से सवार का पानी चलू कर दिया अध्वंश ने गुस्से से सवार को देखा और आके  नीचे से लॉक कर के उसके पाइप को ही तोड़ के दूसरी साइड में फेक दिया जिसे देख रिम ने हैरानी से कहा " इतना गुस्सा अभी बताती हूं " वो जल्दी से बाहर निकल के बालकनी का गेट खोल देती है " जिससे तेज हवाएं अंदर घुसने लगी अध्वांश ने जब बहार आके देखा तो कुछ न कह के उसने उसे भी बंद कर दिया तभी रिम ने टेबल पर रखा वॉश उठा के जमीन पर दे मारा।। उसकी आवाज इतनी जोर की थी की बालकनी बंद करते हुए अध्वंश ने अपनी तेज नजरो से पिछे देखा तो गुस्से से उसकी नसे तन गई।। अगर रिम इस वक्त उसके सामने होती हो उसकी हालत खराब हो जाति।। लेकिन बीना किसी को देखा अध्वंश बोल भी तो नही सकता है।।

    खैर वो आगे बड़ के गुस्से से उस वॉश को देखने लगा वही रिम उसे मायूस होके देख रही की क्युकी अध्वंश के चेहरे पर डर नही बल्की गुस्सा ही छाया था रिम ने अपना मूंह बनाते हुए कहा " उतनी मेहनत किया पर ये तो डर तक नही रहे है अब क्या करूं अगर ये किसी और के साथ करती तो वो इंसान डर से कमरे से ही भाग जाता  पर ये तो गुस्सा हो रहे है ,, होए गुस्सा मैं भी देखती हूं कब तक नही डरते है मैं हार नहीं मानने वाली हूं " 

    अपनी बात कह के रिम फिर सारे कामों में जूट गई कभी वॉशरूम का पानी खो देती तो बालकनी कभी अलमीरा हिलती तो कभी कुछ ना कुछ तोड़ देती ,, कुछ न मिलता तो बिस्तर खराब कर देती और परदे हिलाने लगती वही बार बार अध्वंश सब कुछ ठीक करते करते थक गया था और रिम भी थक गई थी दोनो आके बेड पर बैठ जाते है रिम थक चुकी थी लेकिन  अध्वंश को डरा नही पाई बल्की उसका गुस्सा इतना ज़्यादा बड़ गया की वो खुद ही बेड के पास में रखे सामान को उठा के नीचे फेकने लगा।। 

    रिम उसके गुस्से को देख सहम सी गई और बेड के कोने में जाके बैठ गई उसने रोने जैसी सकल बना के कहा " अब मैं क्या करूं ये तो खुद ही सब कुछ तोड़ रहे है हेड आप ने मुझे कहा फसा दिया है मुझे रागनी दीदी के पास जाना है मैं यहां नही रहूंगी " 



    जारी...✍️ 

    आखिर अब क्या होगा इस कहानी में ? 

    क्या रिम अध्वंश को छोड़ के चली जाएगी ? 

     क्या रूम के बारे में अध्वंश को पता चलेगा ?

     जानने के लिए पढ़िए


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  • 17. His love is a whitch - Chapter 17

    Words: 1985

    Estimated Reading Time: 12 min

    अगली सुबह....

    सूरज की तेज किरण जब अध्वंश पर पड़ी  तो उसने कसमसाते हुए अपनी आंखें खोली  उसने उठने की कोशिश किया तो  उसे अपने सीने पर कुछ भारी सा  महसूस होने लगा  जैसे की कोई उसके ऊपर हो ,,, ,, रिम के अलावा कौन हो सकता है  इस वक्त रिम  उसके ऊपर सो रही  थी उसे अध्वंश का सीना इतना पसंद आया कि पूरी रात वो उसके ऊपर ही सोई रही इस समय उसके दोनों हाथ अध्वंश के गले में और पैर उसके कमर में लपेटे हुए थे  वही इस बात से अनजान की उसके ऊपर कोई है अध्वंश अपने सीने पर हाथ फेरते हुए कहता है " मुझे इतना भारी सा  क्यों लग रहा है कि मेरे सीने पर कुछ है ये अजीब जी सांसे क्यू महसूस हो रही गई   "

    अध्वंश अपने कान के पास में सांस और उसका भारी पन बस महसूस कर रहा था और उसके होने का बस अहसास था ना वो दिख रही ना अध्वंश देख पा रहा ।

    कुछ देर सोचने के बाद उसने फिर पूरी तरह  इग्नोर करके उठकर बैठ गया  उसके उठने से रिम की आंखें खुल गई  अपनी आंखे मसलते हुए उसने अध्वंश को देखा और अपनी मासूम आवाज में कहा "  आप उठ  क्यों गए मुझे अभी थोड़ा और सोना है प्लीज सो जाइए ना " रिम फिर से भूल गई थी कि उसकी आवाज अध्वंश के  कानों तक नहीं पहुंच रही है लेकिन फिर भी वह बोल रही थी वही अध्वंश ने उसकी कोई आवाज नहीं सुनी और बगल से फोन उठाकर किसी को मैसेज किया फिर फोन रख के बेड से उठने लगा  असल में  आज  पहली बार वह महसूस कर रहा था आज से पहले उसे ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हुआ था रिम ने जैसे ही देखा अध्वंश बेड से  नीचे जा रहा है वो गुस्से  में गोद से उतरकर  कंबल तान के सो गई वैसे भी रिम को सोना काफी पसन्द है और जब से अध्वंश के खोज में निकली थी वो ठीक से सोई नही थी आज उसके पास मौका था इतना अच्छा बेड मिला था सोने के लिए खैर   वही अध्वंश जो वॉशरूम की तरह जा ही रह था उसने अचानक से कंबल को हिलते हुए देखा तो  वो कंबल की तरफ देखने लगा उसे ऐसा महसूस हुआ कि कमल के अंदर कोई है क्योंकि ऊपर से किसी के शरीर के बनावट  दिख रही थी यह देखकर अध्वंश थोड़ा चौक जाता है वह धीरे से अपने हाथों को आगे बड़ा के  जैसे ही कंबल को हटाता है वहां पर कुछ नहीं था उसे कुछ  भी नहीं दिखाई देता है क्योंकि वहां पर भी रिम थी  पर उसे दिखाई नहीं दे रही थी अध्वंश फिर कंबल वैसे ही करके वह वॉशरूम की तरह बड़ जाता है



    थोड़ी देर बाद रिम अभी तक सो रही थी वही अध्वंश इस वक्त डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता कर रहा था उसके सामने दादा जी बैठे थे दक्ष का  पता नहीं था वो नाश्ता करने ही नही आया तभी दादा जी ने सर्वेंट से पूछा "दक्ष कहां है??? वह अभी तक क्यों नहीं आया और ऋषिता वह कहां है ..???

    उसकी बात सुन के सर्वेंट  ने कहा " दक्ष बाबू तो सुबह ही निकल गए थे उनकी कुछ  तबीयत खराब  थी तो उन्होंने कहा वह हॉस्पिटल जा रहे हैं   और ऋषिता मैडम वह घर पर नहीं है वह रात को ही बाहर निकल गई थी" 

    असल में जब अध्वंश  ने उसे  कमरे से निकला था तभी उसने किसी को कॉल कर घर से  बाहर निकल गई थी जो बात किसी को नहीं पता था।।

    सर्वेंट की बात सुनकर दादा जी को समझने में देर नहीं लगी कि कल रात को फिर से अध्वंश ने उसे कमरे से बाहर निकाल दिया उन्होंने गुस्से से कहा "  तुम ने उसे फिर से कमरे   से बाहर निकाल दिया  आखिर तुम चाहते क्या हो  तुम ऐसा क्यों कर रहे हो आखिर उसमें ऐसी क्या कमी है जो तुम उसके पास नहीं जा रहे हो वह तुम्हारी पत्नी है तुम्हारी शादी हुई है उसे भी तो हर किसी का प्यार  मिलना चाहिए ना तुम उससे प्यार  करते  हो ना उसकी तरफ देखते हो  ना तुम्हें उसका ख्याल है वह हमारे परिवार के लिए इतना सब कर रही है मेरा ख्याल रखती है    हमारे पूरे घर का ख्याल   रखती है और  बदले में तुम उसके लिए थोड़ा सा भी कुछ नहीं कर सकते हो " 



    आज अध्वंश उनकी  पूरी बात सुन रहा था इस वक्त उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था वही  उसने कुछ  कहा भी नही  और अपना नाश्ता कर खड़ा हो गया जिसे देख कर दादाजी ने गुस्से से कहा " तुम मेरी बात सुन भी रहे हो मैं इतना सब कह चुका हूं आखिर तुम जवाब क्यों नहीं देते हो " 

    उनकी बात सुन के अध्वंश ने कहा " मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता है की वो किसका ख्याल रखती है किसका नहीं मैंने पहले ही कहा था मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी है पर आपने जबरदस्ती मेरी शादी उस लड़की से करवाई क्योंकि वह आपके दोस्त की पोती थी वो  इतनी मासूम दिखती है पर मासूम है नहीं असली चेहरा  जिस दिन आपको दिखेगा  उसी दिन आपको समझ में आएगी मेरी बात " 

    उसकी बात सुन के दादाजी को  बहुत गुस्सा आता है वह  अपनी छड़ी के सहारे  खड़े हो जाते हैं और  गुस्से से कहते हैं"  तुम कहना क्या चाहते हो कि वह लड़की खराब है वह इतना सब करती है और घर में रहकर नाटक कर रही है " 

    अध्वंश ने टेडी स्माइल के साथ जवाब।दिया " जब जवाब  आपको सब कुछ पता है तो आप मुझसे क्यों पूछ रहे है।" 

    उसकी  बात सुनकर दादा जी  चिल्लाते हुए कहते है "  वह तुम्हारी पत्नी है मैं क्योंकि वह एक अच्छी और संस्कारी लड़की है उसकी  जैसी लड़की तुम्हे कही  नहीं मिलेगी " 

    दादाजी  की बात सुनकर अध्वंश ने  अजीब तरह से हंसते हुए कहा "  संस्कारी वो भी वो   जिस दिन  आप के आंखों की पट्टी खुलेगी उसे दिन आपको समझ में आएगा वह कितनी संस्कारी है  "



    इतना कह के वह वहां से चला जाता है वही दादाजी चेयर पर बैठ जाते है वो अध्वंश की बातें सोचने लगते हैं आखिर इसे  क्या हुआ है  इतनी अच्छी लड़की को इतना खराब क्यों समझ रहा है क्या कमी है ऋषिता  उसके जैसा कोई नहीं है ये सब सोच के वो काफी दुखी थे तभी उन्होंने कुछ सोचते हुए फोन उठाया और किसी का नंबर डायल कर दिया ।।



    दूसरी तरफ होटल के प्राइवेट रूम में एक लड़की अपना सर किसी लड़के के  खुले सीने पर रख के सो रही थी  तभी उसका  फोन बचने की आवाज आती है वो  नीद में कसमसाते हुए  अपने हाथ को टेबल की तरह बड़ा कर  फोन उठाती है वो जैसे ही  कान से फोन को लगाती है तभी  दूसरी तरफ से किसी की  आदमी की आवाज उसके कानो में पड़ती है " ऋषिता  बेटा  तुम कहां हो मैं कब से परेशान हूं  क्या तुम अपने दादा जी से नाराज हो प्लीज बेटा घर आ जाओ " 

    ये  कोई और नहीं ऋषिता थी  वो  जैसे ही दूसरी तरफ की आवाज सुनती है   वो उठ के बैठ गई   और उसके माथे पर पसीने आने लगे उसने खुद को ब्लैंकेट से कवर  करते हुए कहा "  दादाजी  आप " इस वक्त ऋषिता के शारीर पर कपड़े नही थे फिर भी उसे पसीने छूट रहे थे ।। 

    ऋषिता की बात सुन के दादा जी ने कहा " हां बेटा मैं हूं तुम कहा हो " 

     ऋषिता कहती है " वो दादा जी   मैं अपने दोस्त के यहां हूं क्या हुआ आप ठीक तो है "

     तभी दूसरी तरफ से दादाजी ने कहा "  मैं ठीक हूं बेटा और तुम रात भर अपने दोस्त के यहां  क्यों  रहने चली गई  ये घर तुम्हारा भी है किसी के कहने से क्या तुम घर छोड़ के चली जाओगी  तुम खुद को सजा क्यू दे रही हो गलती उस नालायक की है तुम्हारी नहीं तो सजा भी उसे मिलनी चाहिए  तुम्हे नही " 

     ऋषिता ने उदास होने की एक्टिंग करते हुए कहा " I'm sorry'दादाजी मुझे आप को बता के आना चाहिए था लेकिन मैं उनकी वजह से मैं काफी हॉट हुई थी और इसलिए मुझे वहां घर में रहने का मन नहीं किया इसी लिए मैं अपने दोस्त के यहां चली है "

    तभी दादाजी ने थोड़ी उदासी कहा"  मैं उसकी तरफ से माफी मांगता हूं बेटा तुम जल्दी से घर आ जाओ तुम्हारे बिना घर  पर अच्छा नही लगा रहा है " 

     उनकी बात सुनकर ऋषिता के फेस में स्माइल आ जाती है अजीब से तरह सी फिर उसने मायूस होने का नाटक करते हुए कहा   "    ठीक है दादा जी मैं अभी आता हूं आप प्लीज चिंता मत करिए"

     इतना कहके वह फोन कट कर देती है और फोन को साइड में फेंकते हुए अपने बालों को पीछे करती  है ।फिर अपने बगल में सोए हुए लड़के को देखती है जो सब से बेखबर होके सो रहा था ।। 

    " अनिकेत उठो "  वो लड़का जिस्का नाम अनिकेत है ऋषिता दो तीन बार उठाती है तो अनिकेत कसमसाते हुए कहता है " क्या हुआ बेबी" 

    (अनिकेत ऋषिता के कॉलेज का फ्रैंड है )

    उसकी बात सुन के ऋषिता कहती है 

    "  मुझे  नए कपड़े चाहिए" 

     उसकी बात सुनकर लड़काउठ के बैठ  जाता है और कहता है  "

    कपड़े वहां तो है जाकर ले लो" 

     ऋषिता गुस्से से कहती है "  कल रात तुम इतना ज्यादा एग्रेसिव हो गए थे कि तुमने मेरे कपड़े फाड़ दिए है वो पहनने के लायक नही है बिल्कल  भी अब मुझे घर जाने के लिए कपड़े चलते "

    अनिकेत कहता है " फिर से उस घर में जाना चाहती हो आखिर तुम उसके पीछे क्यों पड़ी हो जब वह तुम्हें प्यार ही नहीं करता है ना तुम्हें भाव देता है मैं यहां पर हूं तुम मुझे नज़रं अंदाज करके उसके पास जा रही हो  जो उसके पास है वो मेरे पास भी है मैं उससे भी ज्यादा कुछ तुम्हे दे सकता हूं "

    ऋषिता ने थोड़े गुस्से से कहा " वो  मेरा पति है " 

    तभी अनिकेत ने ऋषिता के आंखो में देखते हुए कहा " तो मैं कौन हूं क्या तुमने मेरे साथ बस  टाइम पास किया था " 

    उसकी बात सुन के ऋषिता  थोड़ी नॉर्मल हो जाती है और अपने मन में कहती है  ऋषिता तू उसे नाराज  नहीं कर सकती है  एक यही है तेरे पास अगर यह चला गया ना तो तेरा प्लान खराब हो जाएगा" 

     इतना कह के वो अपने  हाथों में  उसका चेहरा लेकर कहती है "  बेबी तुम नाराज क्यों हो रहे हो मैं तुमसे इतना कह रही थी तुम जानते हो ना उसको  धोखा देने वाले बिल्कुल पसंद नहीं है और उसे गलती से भी पता चला हमारे बारे में तो  मेरे साथ तुम्हें भी नहीं छोड़ेगा मैं नहीं चाहती की  तुम्हें कुछ हो  और तुम्हें कोई परेशान करें इसलिए मुझे अभी जाना होगा" 

    वैसे भी उस बूढ़े ने कॉल कर बुलाया है घर अब फिर से जाके एक्टिंग करनी पड़ेगी " 

    उसकी बात सुन के अनिकेत ऋषिता का हांथ पकड़ के उसे अपने पास खींच लेता है और उसके बालो को पीछे करते हुए कहता है " तुम्हे तो एक्टर होना चाहिए था तुम कितनी अच्छी एक्टिंग करती हो हम शादी के पहले से रिलेशनशिप में है पर आज तक न तुम्हारी फेमिली जान पाई है और ना ही तुम्हरा पति जिसे लोग यमराज करते है " 

    ऋषिता कहती है " मुझे पकड़ना इतना आसान नहीं है अगर होता तो पता नही कितने राज खुल जाते "

      ऋषिता की बात सुन के अनिकेत हैरान हो जाता है वो कहता है " राज कैसे राज क्या कुछ ऐसा है जो मैं नही जानता हूं ? 

    अनिकेत ने जैसे ही ये सावल किया ऋषिता के चेहरे का रंग ही उड़ गया  उसे अब जाके अहसास हुआ की उसने क्या बोल दिया ? 

    जारी..✍️ 

    आखिर ऐसा क्या है जो ऋषिता छुपा रही है वो किस राज की बात कर रही है .? क्या ऋषिता के धोखे के बारे में अध्वंश को पता नही है .? 

  • 18. His love is a whitch - Chapter 18

    Words: 1628

    Estimated Reading Time: 10 min

    ऋषिता की बात सुन के अनिकेत हैरान हो जाता है वो कहता है " राज कैसे राज क्या कुछ ऐसा है जो मैं नही जानता हूं ? 

    अनिकेत ने जैसे ही ये सावल किया ऋषिता के चेहरे का रंग ही उड़ गया  उसे अब जाके अहसास हुआ की उसने क्या बोल दिया ? 

    अब आगे ...

    जिस तरह से ऋषिता के चेहरे का रंग  उड़ा है की वो कुछ समझ ही नही पा रही की वो क्या कहे तभी अपनी बात फिर से कहा " ऋषिता मैं कुछ पूछ रहा हूं तुम कुछ छुपा रही हो जा अगर ऐसी कोई बात है तो मुझे बताओ आज तक हम दोनो में कोई भी बात सिक्रेट नही है तो ये क्या है जो तुमने मुझसे छुपा के रखा है "

    ऋषिता डर से अपनी थूक को निगलते हुए कहती है " ऐ... ऐसा कुछ नही है बस राज।की।बात।मेरे। मुंह से निकल गया . ऋषिता के शब्द लड़खड़ाने लगे थे वो तुरंत ही अनिकेत के गोद से उतर जाती है और चादर को खुद पर डालते हुए माथे पर आए पसीनो को साफ करती है वही उसकी घबराहट अनिकेत साफ साफ देख पा रहा था वो जानना चाहता था आखिर क्या है और जिस तरह से ऋषिता बिहेव कर रही थी वो समझ गया बात बहुत बड़ी है वह दुबारा कुछ कहता तभी ऋषिता कहती है " 

    "अनिकेत तुम यही सोच रहे होगे न की मैने बहुत बड़ी बात तुमसे छुपा रखा है मैने ऐसी कोई भी बात है जो तुम्हे नही बताया है तो क्या सच में तुम्हे लगता है की मैं ऐसा कुछ कर सकती हूं आज तक मैंने तुम्हे अपनी हर एक छोटी छोटी बात बताई है तो मैं कोई बात तुमसे कैसे छुपा सकती हूं " 

    एक बार फिर ऋषिता ने अपनी एक्टिंग सुरु करते हुए अनिकेल का चेहरा अपने हाथों ने रख लिया " मेरे कहने का ये मतलब था की हम दोनो का एक साथ रहना राज ही तो है क्या ये किसी राज से कम है और मैने ये राज एक सालो से छुपा के रखा है इसी लिए मैने कहा और तुम क्या से क्या सोचने लगे मैं भला तुम्हारे साथ धोखा कैसे कर सकती हूं तुम मेरा प्यार हो मेरी जान हो और मैं अपनी जान को इस तरह से कभी धोखा नहीं दे सकती हूं " 

    ऋषिता की बात सुन के अनिकेत के चेहरे पर स्माइल आ गई वो ऋषिता के बातो मे पूरी तरह घुल गया और कहा " क्या सच में यही बात है बेबी " 

    उसके कहने पर ऋषिता ने हां में सर हिला दिया तभी अनिकेत जोर जोर से ठहाके मार के हसने लगा उसे हस्त देखा ऋषिता अपनी आंखे सिकोड़ के देखने लगी और गुस्से से कहा " तुम हस क्यू रहे हो क्या मैं कोई जोक सुना रही हूं या मेरी बाते फनी थी ।

    उसकी बात सुन के अनिकेत ने एक बार फिर उसे अपने गोद में खिच लिया और उसके गालों पर किस करते हुए कहा " बेबी मुझे पता है तुम मुझसे कभी कोई बात नही छुपा सकती हो वो तो मैं भी थोड़ा मजाक कर रहा था मैं देखना चाहता था की मेरी जान कैसे रिएक्ट करती है और देखो वो तो पूरी तरह परेशान हो गई ".

    उसकी बात सुन के ऋषिता गुस्से से कहती है " तू अब मेरे साथ मजाक भी करने लगे हो तुम्हे पता है इसकी सजा क्या हो सकती है " 

    अनिकेत कहता है " मुझे तुम्हारी हर सजा मंजूर है अगर तुम अपने प्यार का सजा मुझे दोगी चाहो तो अभी देदो मेरे पास काफी एनर्जी है अभी देखो मैं कितना... उसने इतना ही बोला था की ऋषिता उसे धक्का देके चादर लपेट के खड़ी हो जाति है और वाशरूम के तरफ जाते हुए कहती है " मेरे लिए कपड़े मांगा तो घर जाना है बूढ़ा आदमी मेरे इंतेजार में बैठा हुआ होगा "

    दूसरी तरफ ... 

    AR हॉस्पिटल ले एक वाड़ में एक आदमी बिस्तर पर लेटा था उसके बगल के दो आदमी और खड़े थे वही डॉक्टर हांथ में फाइल लिए खड़े थे और सामने गुस्से से दहकते हुए एक आदमी खड़ा था  जिसे देख कर बिस्तर पर लेटा आदमी जिसने अपने मुंह को पिलो से ढक रखा था उसने थोड़ा हटा के देखा तो सामने खड़ा आदमी अभी भी उसे गुस्से से घूर रहा जिसे।देख वो झल्लाते हुए कहता है " 

    अध्वंश बस कर घूरना यार मैं तेरे घूरने से नही करूंगा लेकिन तेरी नजरे मुझे मार डालेंगे मैने कितनी बार कहा है तेरी आंखे काफी डरावनी है चूड़ैलो की तरह और तू बार बार मेरे सामने लेके आ जाता है पता है मैं कितना डर जाता हूं मेरा छोटा सा दिल है यार बच्चो के जैसा मासूम,, क्यू उसके पीछे पड़ा है " 

    इतना बोल वो चुप हो जाता है पुरे कमरे के फिर से कुछ देरी के लिए शांति पूरे तरीके से छा गई  बस सभी के सांसों की आवाज आ रही थी जिसे सुन के सामने लेटा दक्ष ने अपने चेहरे के ऊपर से पिलो को थोड़ा सा उठा के बगल में खड़ा श्याम से पूछा " वो  जल्लाद गया क्या " ??? उसकी बात सुन के श्याम धीरे से ना में सिर हिला देता है उसका ना सुन के दक्ष कस के अपनी आंखे बंद कर लेता है और फिर से पिलो मुंह पर डाल कर कुछ नही कहता वही सामने गुस्से से खड़ा अध्वंश उसने एक नजर डॉक्टर को देखा कर कहा " रिपोर्ट बताओ " 

    उसके कहते हुए रट्टू तोते की तरह डॉक्टर बोलना सुरु करता है " उनके पार्ट पर काफी गहरी छोट लगी है जिससे वहा पर स्वेलिंग आ गई उन्हे वहा कुछ दिनों तक दर्द रहेगा और ... आगे के शब्द डॉक्टर के मुंह में ही रह गया क्युकी अध्वंश ने हांथ दिखा के रोक दिया ,, डॉक्टर अपना सर झुकाए वही खड़ा रहा इस वक्त बिचारे की हालत ऐसी थी की जैसे बिल्ली के आगे चूहा,,, नही नही ऐसे कह सकते है शेर के आगे चूहा ये सही है ।। 

    खैर अध्वंध अपने भारी कदमों से दक्ष के बेड के पास जाके रुकता है और झटके से उसके पिलो को पकड़ के जमीन पर फेक के कहता है " जितनी जल्दी हो सके खड़े हो जाओ वरना वो हाल करूंगा की तुम सोच भी नही सकते हो " 

    अधवंश ने बेहद गुस्से में कहा जिसे सुन के श्यामा सुंदर बिचारे जो कि बगल में थे वो दो कदम पीछे हो जाते है वही डॉक्टर हैरानी से अध्वंश को देखने लगता है की अभि अभी उसने इतना सब बताया है  वो कितना बीमार है फिर वो पेसेंट को खड़े होने के लिए क्यू रहे है क्यू ? वो अपने ही ख्यालों के।था की तभी दक्ष ने।कहा " यार तुझे लग रहा है की मैं झूठ मूठ की नौटंकी कर रहा हूं यार ये सच है सच में मेरी हालत पंचर है और तू झूठ समझ रहा है " 

    उसके जवाब में अध्वंश ने कुछ नही कहा वो हस अपनी गहरी आंखे से उसे देखा रहा था जिससे दक्ष उठ के बैठ गया और कहा " हे भगवान मुझे उठा ले अब मेरा यार मेरा नही रहा इसे तो मेरे ऊपर यकीन ही नहीं है मैं क्या करूं अरे अब मुझे इस धरती पर रहने का क्या ही फायदा है एक मेरा कहने के लिए यही तो था पर अब यही नहीं है मेरा " कहते हुए वो झूठ मूठ का अपने। आंसू साफ करते हुए कहता है " दोस्त दोस्त ना रहा प्यार प्यार ना रहा " 

    उसकी सॉन्ग सुन के डॉक्टर के साथ साथ श्याम सुंदर की भी हसी छूट जाती है उनकी हसी सुन के अधवंश गुस्से से तीनो को घूरता है तो तीनो शांत होके खड़े रहते है तभी अध्वंश ने अपने दांत पीसते हुए कहा " अगर तुम्हारा नाटक हो गया हो तो सिर्फ 2 मिनट है तुम्हारे पास जितनी जल्दी हो सकते खड़े हो जाओ वरना तुम्हारे यही उसे उठा के।बाहर फिकवा दूंगा "

    दक्ष ने अपना मुंह बना के कहा " ओह अब मेरी बीमारी नाटक हो गई है कोई बात नही तुझे यकीन नही है ना तो ठीक है तू खुद देख ले कितना सूजन आ गया है इसके बाद कहना मुझे बाहर फेकने के लिए " 

    अपनी बात कह के दक्ष बेड पर खड़ा हो गया और जीप खोलते हुए अध्वंश को दिखाने लगा वही खड़े बाकी तीनों शॉक में चले गए थे दक्ष की इस हरक़त पर तभी उनके कानो में।किसी के चिल्लाने की आवाज जाति है " श्याम सुन्दर " ये आवाज इतना तेज़ था की दक्ष सीधा बेड के नीचे ज़मीन पर गिरता है और डॉक्टर के हाथों से फाइल नीचे गिर जाती है वहा मौजूद तीनो डर से कांपने लगते है ।। 

    उधर रिम की नीद खुल चुकी थी वो मायूस होके बेड पर बैठी और क्युकी नीद के चक्कर में उसने फिर से आज का दिन वेस्ट कर दिया उसे पता ही नही है अध्वंश कहा गया है और ना उसका ऑफिस उसे पता है इसी लिए उसने अपने बालो को गुजाते हुए कहा " अब क्या करूं वो तो चले गए मैं अपना काम भी नही कर पाई वैसे भी कौन सा वो मुझसे डर रहे है क्या करूं " 

    रिम उदास होके बैठी थी तभी उसे दादी का ख्याल आता है और उसके आंखो में चमक आ जाती है " हां मेरी हेल्प दादी कर सकती है मैं दादी से पूछती हूं मुझे क्या करना है चल रिम रेडी होके दादी के पास जा " 

    अपनी बात कह के रिम चादर हटा के बेड से नीचे उतर जाती है और वॉशरूम के तरफ बड़ जाति है अभि वो गेट खोने वाली ही थी की अचानक से उसकी आंखे बड़ी हो जाति है और वो हैरानी से पूछे मुड़ के बेड की तरफ देखती है और कहती है " ये सब क्या है " उसने घबराते हुए कहा और अपने हाथों को ऊपर कर देखने लगी ।। 

    जारी...✍️

  • 19. His love is a whitch - Chapter 19

    Words: 1604

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे ...

    रिम घबराई हुई खड़ी थी उसने अपने हाथों को देखते हुए कहा " क्या मैने इस चादर को हटाया है क्या मैं अब चीज को छू सकती हूं पर क्यू कैसे .? असल में कल तो रिम ने  ध्यान तो नही दिया की वो चादर खुद के ऊपर डाल के सो रही है पर आज जैसे ही उसने चादर को हटाया तभी उसी दिमाक में  ये चीज हिट कर गई वो हैरान होके बस  हाथों को देखने लगी ।। 

    रिम ने खुद से कहा और फिर जाके चादर को पकड़ के उसे हाथों में पकड़ने लगी जैसे ही करते उस कमरे के जितने भी समान थे सभी को वो छूने लगी फिर  उसने कहा " इसका मतलब मेरी शक्तियां कम हो रही है और मैं अपना काम भी नही कर पाई हूं मुझे इस बारे में जाके दादी से बात करनी होगी वही मेरी हेल्प कर सकती है हेड के पास जाने का वैसे भी कोई फायदा नही है गई तो दश ताने सुनाइगी " 

    अपनी बात कह के रिम घर से बाहर निकल जाती है वही दूसरी तरफ " मैने कहा छोड़ों मुझे अगर तुम लोग एक कदम भी आगे लेके गए तो मैं तुम दोनो को नही छोडूंगा " 

    ये आवाज़ दक्ष की थी जिसे श्याम सुंदर दोनो ने हांथपैर पकड़ के उठा रखा था वो भी अध्वंश के कहने पर दक्ष ने जो हरकत किया है उससे उसने अपनी चोट तो दिखा दिया लेकिन अध्वंश का  गुस्सा बड़ चुका था इसी लिए उसके कहने पर श्याम सुंदर दक्ष को उठा के लेके जा रहे और दक्ष पागल कुत्ते की तरह चिल्ला रहा है ।। 

    " अध्वंश सॉरी यार माफ कर प्लीज इनसे। कह की ये दोनो मुझे नीचे उतारे मैं ऑफिस इस तरह से नही जा सकता हूं अगर गया तो सब क्या सोचेंगे प्लीज यार मान जा न " दक्ष ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा जिसे सुन कर अध्वंश जो अभी हॉस्पिटल के गेट पर ही पहुंचा था वो रुक गया उसने पीछे मुड़ के एक नजर दक्ष को देखा और अपनी कड़क आवाज में कहा "  तुमने ही तो कहा था दर्द हो रहा है अब ये लोग हेल्प कर रहे है तो क्या प्रोब्लम है और बीना नखरा किए चलो नही तो किसी नदी में फिकवा दूंगा और ये मत सोचना मैं ऐसा कर नही सकता हूं तुम अच्छे से जानते हो मुझे इसी लिए ट्रेलर तुम्हे नही दिखा रहा सीधा पिक्चर दिखा दूंगा   " 

    उसकी धमकी सुन के दक्ष बिलकुल चाप हो गया और चुपचाप उनके साथ जाने लगा ।। 

    कुछ देर में अध्वंश और दक्ष ऑफिस पहुंच गए। । श्याम सुन्दर जिस तरह से दक्ष को लेके आए थे  सभी की नजर  बस उस पर बनी थी वही दक्ष शर्म से लाल हो गया था लड़किया उस पर मरने वाली आज बिचारे की नजर से देख रही है दक्ष ने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया जिससे कोई पहचान न पाए लेकिन आज उसे।कौन बताए की उसके अलावा अध्वंश इस तरह ऑफिस किसी को नही लायेंगे बल्कि गलती करने कर उसे  काट के कही फेक देंगे। 

    अध्वंश के आगे बड़ते वक्त सभी उसे मॉर्नग विश करते और दक्ष को एक नजर देख कर  चले जाते वही दक्ष मन में पूरी तरह झल्ला गया था " सालो मैं एक बार ठीक तो हो जाऊं फिर बताता हूं जो मुझे ही देखते हुए जा रहे हो आंखे निकाल लूंगा सभी की और तुम सब कुछ नही पर पाओगे " दक्ष गुस्से में मन मे बोले जा रहा था ।। अध्वंश ने दक्ष पर जरा सी भी रहम नही किया और उसे लेके मीटिंग के चला गया 

    दो मीटिंग अटेंड करने के बाद अध्वंश कैबिन में बैठ के कुछ फाइल चेक कर रहा था तभी उसके पास दक्ष ने आके कहा " हमे अभी वहा के लिए निकलना होगा नही तो लेट हो सकते है " 

    उसकी बात सुन के अध्वंश बीना उसकी तरफ देखे कहा " सारी तैयारी हो गई है " 

    दक्ष कहता है " हां हो गई है बस जाना बाकी है " 

    उसके कहते ही अध्वंश ने फाइल बंद कर चेयर से उठ गया और अपने ब्लेजर को हांथ में लेते हुए कैबिन से बाहर निकल गए ।।।



    इधर रिम जैसे ही कब्र तक पहुंची उसने एक औरत यानी भूत से पूछा " एंटी आप ने दादी को देखा है क्या आप बता सकती है वो इस वक्त कहा है क्युकी मैने कुटिया में  देख लिया वो वहा पर नही है " 

    रिम जिस औरत से पूछ रही थी वो गुस्से से रिम को देख रही और तभी उसने गुस्से से कहा " तुम अंधी हो क्या मैं तुम्हे आंटी दिख रही हूं ? 

    उनकी बात सुन के रिम कुछ समझ नही पाई आखिर उसने गलत क्या ही बोला था रिम कहती है " आप गलत समझ रही है मेरा मतलब था की क्या आप ने दादी को देखा है " 

    तभी वो औरत गुस्से से कहती है " नही मुझे नही पता तुम्हारी दादी वादी कहा है " इतना कह के वो वहा से चली जाती है वही रिम  उसे ऐसे जाते देखा हक्की बक्की रह जाति है कुछ देर में वो परेशान होके दादी को ढूंढती है पर वो कही नही मिलती है वह अपने पुराने महल जाके बिट्टू से कहती है "  क्या तुमने दादी को कही देखा है अगर देखा है तो बता दे मेरी शक्ति गायब हो रही है मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है अगर गई तो  मैं   सभी को दीखने लगूंगी और तो कभी मुक्ति नही पा सकूंगी प्लीज बिट्टू कुछ कर दे ना अगर दादी नही तो रागनी दीदी के बारे में बता दे " 

    बिट्टू जो रिम की बाते सुन रहा था इस वक्त उसके हाथों के हड्डियां थी उसने उसे चाटते हुए कहा " मुझे नही  पता है वो लोग कहा गई है मैने।सुन है कुछ दिन पहले एक लड़की जो की भूत मेंआती है हमारी कटेगरी में उसे किसी जिंद ने।पकड़।लिया है और वो।लोग उसे अपनी परफ करना चाहते थे मंत्रो के द्वारा इस बार तो उनके साथ कई सारे इंसान जो काला जादू करते है उन्होंने उन सभी से अपना हांथ मिला रखा था ये बात दादी को पता चलता गई और वो रागनी दीदी को अपने साथ लेके गई  उस लड़की को बचाने के लिए तभी उन्हें पता चलता है जो लड़की अभी मर के आई है वो दादी की पोती है इसी लिए सभी उनके साथ कही गए है जो मैं नही जानता हूं " 

    बिट्टू की बात सुन के रिम थोड़ी हैरान होती है

     " क्या कहा तुमने दादी की पोती ये कब और कैसे हुआ मतलब दोनो " तभी बीच में बिट्टी ने कहा _ अरे दीदी आप भी ना इतना हैरान क्यू हो रही है दादी को नही पता था की वो उनकी पोती है लेकिन वो लड़की जैसे ही दादी को देखती है और खुश होके कहती है " दादी आप कहा चली गई थी मैने आप को कितना मिस किया है तब जाके दादी को पता चला वो।उनकी पोती है ।। 

    रिम कहती है " अच्छा तो दादी नही मिलेंगी" 

    बिट्टू कहता है " नही वो कुछ दिन तक तो नही मिलेगी ।।

    रिम। बिट्टू के बात का बीना कोई जवाब दिए रिम वहा से चली जाती है ।।

    वो सीधे अध्वंश के कमरे में आती है अब तो बस उसे अध्वंश का ही इंतज़ार था अब वही उसकी शक्तियां दे सकता है रिम बेड पर बैठ के अध्वंश के आने का इंतज़ार करती है करते करते रात के 10 हो गए थे पर अध्वंश आया नही वही रिम को नीद आने लगी थी वो बेड पर बैठे ही सो जाती है इसी तरफ रात गुजर  गई पर अध्वंश नही आया सुबह भी रिम उसका इंतज़ार करती है पर कुछ पता नही था इसी तरह धीरे धीरे समय ऐसे गुजारा की 3 दिन बीत गए आज वो आखिरी दिन था जिसके बाद रिम पूरी उसी शक्तियां खत्म होने वाली है ।।

    वो उदास बैठी थी ना दादी मिली न रागनी और जा ही अध्वंश घर आया अब तो उसके आंखो से आंसू बहने लगे थे आखिर की जा बहे शक्तिया जाने के बाद रिम के साथ क्या क्या हो सकता गई वो अच्छे से जानती है इंसान तो इंसान उसके लोक के भूत नही छोड़ेंगे कौन बचाएगा उसे वो पूरी तरह अब मायूस हो गई थी आज उसके पास आखिरी दिन था बस आखिरी ,,, और वो आखिरी दिन भी तीन दिन की तरह गुजरने को आए थे रात का वक्त था रिम बकानी के।खड़ी चांद को देख रही थी ।।

    " अब मैं कुछ नही कर सकती हूं कल मैं पूरी तरह इंसान हो जाऊंगी अगर इस घर के किसी ने मुझे देख लिया तो सब मुझे घर से बाहर निकल देंगे क्या करूं क्या यहां से चली जाऊं पर कहा करूंगी " 

    खुद के उलझन में रहते हुए रिम बेड पर जाके लेट जाती है और कुछ देरी के उसे नीद आ जाति है ।। 

    दूसरी तरफ ... रात के अंधरे में खाली सड़क पर गाड़ियों का काफिला चल रहा था उसी गाड़ी में पिछले सीट पर बैठा इंसान इसकी नजर लैपटॉप पर था वो कहता है " कितना टाइम लगेगा " 

    उसके कहते ही सामने बैठे इंसान ने।कहा " बस थोड़ी देर में पहुंच जायेंगे " 

    इतना कह के वो सामने।देखने लगा तभी कुछ देरी में सारी गाड़िया एक बड़े से विला के सामने आके रुकती है और और उस गाड़ी से वो आदमी आंखो पर चस्मा लगाए बाहर आता है इस वक्त उसके आस पास दर्जनों के बॉडीगार्ड लगे हुए थे ।। 

    जारी...✍️

    कौन है ये आदमी ?? क्या रूम की कोई हेल्प करेगा ? रिम की शक्तियां जाने के बाद क्या होगा उसके साथ ? रिम कैसे रहेंगी लोगो के बीच में ? 

  • 20. His love is a whitch - Chapter 20

    Words: 1250

    Estimated Reading Time: 8 min

    इतना कह के वो सामने।देखने लगा तभी कुछ देरी में सारी गाड़िया एक बड़े से विला के सामने आके रुकती है और और उस गाड़ी से वो आदमी आंखो पर चस्मा लगाए बाहर आता है इस वक्त उसके आस पास दर्जनों के बॉडीगार्ड लगे हुए थे ।। 

    कुछ देर बाद ...

    वो आदमी ब्लैक सूट पहने बड़े से चेयर पर बैठा था वही उसके आसपास काफी सारे बॉडीगार्ड लगे थे और पीछे एक  आदमी उसका असिस्टेंट खड़ा था और सामने एक लड़का जिसकी उम्र लग भग कुछ 25 के आस पास थी ।।
    उसने अपना सिर झुका के कहा " सॉरी सर मैं ... बीच में ही उसकी बात काट के उस शख्स ने अपनी गहरी और भारी आवाज में कहा " सॉरी नही रिजल्ट चाहिए मुझे दो साल से तुम उसके साथ हो लेकिन आज तक ये नही पता कर पाए वो आखिर है कौन ?

    तभी उस लड़के ने कहा " मैने कई बार उससे जानने की कोशिश किया है पर वो कुछ बताती ही नही है "

    " बताती नही है क्या उसके प्यार के तुम भूल जाते हो या खुद पर कंट्रोल ही नही रहता है उसे देखने के बाद जो मेरी बात तुम्हे याद नही आती "

    " नही सर ऐसी कोई बात नही है मैं उससे प्यार नही करता हूं मेरा काम क्या है मुझे याद है "  उस लड़के ने घबराते हुए कहा

    " Good सुन कर अच्छा लगा की तुम्हे याद है अपना काम तो बताओ क्या काम है तुम्हरा जरा मैं भी तो सुनूं क्या याद है और कितना "

    " यही की ऋषिता के मुंह से सच्चाई बाहर लानी है बीस साल पहले का राज जो वो जानती है "

    " और तुम दो साल से इसी काम के हो पर अब तक पूरा नहीं कर पाए तुम जहा तक नही जान पाए उसका असली नाम  "

    " मैं काफी नजदीक पहुंच गया हूं उसने मुझे आज ही बताया है की वो कोई बड़ा राज जानती है और उसने उसी के लिए काफी कुछ किया है "

    " अबे यार ये तो हमे भी बात है पर राज क्या है ? ये बात उस शख्स के बगल में खड़े आदमी ने कह जिसकी बात सुन के सामने खड़े लड़के ने चीड़ के कहा " तू अपना मुंह बंद रखा कर दक्ष बॉस मुझसे पूछ रहे है ना तो मैं बता रहा हूं तेरा बीच में बोलना जरुरी है क्या  "

    सामने बैठा इंसान कोई और नहीं बल्कि अध्वंश है और पीछे खड़ा लड़का दक्ष और वही सामने खड़ा कोई और नहीं बल्कि अनिकेत है ऋषिता का बॉयफ्रेंड जो अध्वंश का एक खास आदमी है जिसे अध्वंश ने ऋषिता के ऊपर नजर रखने के लिए कहा है ।।

    अनिकेत की बात सुन के दक्ष कहता है " मैं क्यू मुंह बंद रखूं अगर  तू काम ठीक से नही करोगे तो मुझे बोलना ही पड़ेगा और तू एक लड़की के बारे में पता नही कर पा रहा है कैसा जासूस है यार कॉलेज में तो बड़े बड़े कांड किया करता था कही प्रिंसपल तो कही टीचर सभी के पोल पट्टी तेरे पास होती थी पर आज एक लड़की ।

    दक्ष की बात सुन के अनिकेत गुस्से से कहता है " अगर मैं अभी नही कर पाया तो तूने कौन सा तीर मार लिया दक्ष चौहान आखिर वो तेरी बहन है जब आज तक तूने अपनी बहन के बारे में नही जान आया तो मैं क्या कोई सुपर हीरो हूं की एक बार के मुझे पता चल जायेगा "

    दक्ष कहता है " वो मेरी बहन नही है समझा उस चुडैल को मेरी बहन मत बनाया कर "

    अनिकेत कहता है " मैं बना नही रहा हूं ये सच है तू इसे झुटला नही सकता है की वो तेरे बड़े पापा की बेटी है उसके लिए ही तू तुने अपना घर छोड़ दिया "

    दक्ष कहता है " तू पुरानी बात मत उठा मैं नही सुनना चहता  हूं "

    अनिकेत कहता है " क्यू तेरे ना सुनने से सच बदल नही जायेगा ये सब जानते है की वो तेरी बहन है तेरे बड़े पापा की बेटी जिसकी शादी  उसके पैदा होने के पहले ही तय हो गई थी बॉस से लेकिन ...

    बीच के अध्वंश की गुस्से भरी आवाज आई " बस"
    उसकी आवाज सुन के दोनो चुप हो गए वही अध्वंश ने अनिकेत को देखते हुए कहा " जितनी जल्दी हो सके मेरे पास सिर्फ रिजल्ट लेके आना वरना मत आना "

    इतना कह के अध्वंश खड़ा होके अपना कोट ठीक करता है और  एटीट्यूड के साथ वहा से बाहर निकल जाता है वही उसके पीछे दक्ष भी चला जाता है अनिकेत वही उन्हे जाते हुए बस देख रहा था ।।
    और उसने मन में कहा " भगवान कहा फसा दिया मुझे "

    अगली सुबह.......


    अध्वंश जो की अपने कमरे में सो रहा था उसे फिर से अपने बॉडी पर कुछ भारी सा लगता है वो थोड़ा कसमसाते हुए अपनी आंखे खोलता ही तो उसके आंखो के सामने धुंधला सा कुछ दिखाई देता है जैसे किसी के बाल उसके सर के पास में ही हो  लेकिन वो ज्यादा ध्यान नही देता आज पता नही क्यू लेकिन अध्वंश का दिल उठने को नही कह रहा था  उसका दिल कर रहा की ओ थोड़ा और सो जाए इसी लिए वो फिर से अपनी आंखे बंद कर  के सोने लगता है  और अपना हांथ  पेट पर रखता है तो उसे कुछ सॉफ्ट सॉफ्ट सा फील होता  है वो बार बार अपने हांथ हो उसी चीज पर फिराने लगता है ।।

    तभी अचानक से उसके हांथ रुक जाते है और उसकी भावे सिकुड़ जाती है और वो झटके से अपनी अभी  खोलता है तो उसके आंखो के सामने एक खुबसूरत सा चेहरा होता है जो दूध की तरह सफेद चेहरे पर कोई दाग नहीं बिलकुल साफ गालों पर कुछ लटे भिखरी हुई जिससे वो और खूबसूरत लग रही थी ।।

    ये कोई और नहीं रिम थी रात की रिम अध्वंश का इंतजार कहते करते सो गई थी पर जब अध्वंश आया तो उसे पहले की तरह अहसास हुआ था  पर ध्यान न देके सो गया लेकिन रात में रिम को चलने की वैसे भी आदत है  इसी लिए वो चलते हुए कब अपने सिकने बदन  अध्वंश पर आ गई उसे पता ही नही चला वैसे भी 24 घंटे खत्म हो चुके थे और रिम पूरी तरफ इंसान के रूप में आ चुकी थी अध्वंश के सामने ।।

    रिम को देख कर जैसे अध्वंश कुछ सोच समझ तक नही पा रहा था उसका खूबसूरत आ चेहरा उसके आंखो में बसता जा रहा था उसकी दिल की धड़कन काफी तेज हो गया था जिसे वो समान करना भी जाए तो नही कर पाए वही  उसकी सांसें थम सी गई थी रिम को देख के  रिम अध्वंश के खुले सीने पर अपना  सिर रख के सो रही थी उसका एक हांथ अध्वंश के सीने पर ही था ।। वो हार चीज से बेखबर होके सोने के लगी थी वही अध्वंश बुरी तरह बेचैन हो गया आज पहली बार कोई लड़की उसके यूं इतने करीब है नही तो आज से पता नही कितनी बार कभी सारी लड़किया आने की कोशिश करी गई पर अध्वंश ने किसी को भाव नही दिया वैसे दिया तो रिम को भी नही था पर आज उसे देख उसे अजीब सा लगने लगा ।।

    " मैं कब से लड़कियो का अपना  देखने लग गया ये मेरे साथ क्या हो रहा है " अध्वंश ने मन में कहा उसे लग रहा था की वो कोई सपना देख रहा है और उसे क्या पता ये खूबरूरत सा सपना नही सच है ।। रिम उसके सामने है ।।

    जारी..✍️