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Marham tere pyar ka

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Narmada Nayak

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रात के वक्त... बारिश जैसे सब कुछ बहाने के फितरत में था । एक अधेड़ उम्र के आदमी सड़क पर भागे जा रहा था , उसके हाथ में एक नव जात शिशु था जो बारिश के वजह से रोए जा रहा था । उस आदमी भागते हुए ही उस बच्चे को अपने सीने से लगाते हुए बोला " प्रिंसेस !...

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Marham tere pyar ka - Chapter 1

    Words: 1082

    Estimated Reading Time: 7 min

    रात के वक्त... बारिश जैसे सब कुछ बहाने के फितरत में था । एक अधेड़ उम्र के आदमी सड़क पर भागे जा रहा था , उसके हाथ में एक नव जात शिशु था जो बारिश के वजह से रोए जा रहा था । उस आदमी भागते हुए ही उस बच्चे को अपने सीने से लगाते हुए बोला " प्रिंसेस !  रो मत, देखो, दादू है ना तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे " । वो बच्ची एक दम से चुप हो गया जैसे वो अपने दादू के बात के साथ साथ उनके दर्द को भी समझ रही हो । वहीं बहत देर तक भागते भागते उस आदमी के पैर सुन होने लगे थे वो एक जगह खडे हो कर इधर उधर नजर दौड़ाए तो उन्हें पास में एक मंदिर दिखाई दिया, वो जैसे तैसे करके उस मंदिर के पास गए । बारिश के वजह से मंदिर अभी पूरी तरह से खाली था । वो उस बच्ची को लिए मंदिर के अन्दर बढ़ गए । ये एक शिव मंदिर था, वो आदमी भगवान के मूर्ति के आगे खडे हो कर बोला " मेरा तो सब कुछ आपने छीन लिया , अब आप ही रास्ता दिखाये मुझे आगे क्या करना है " तभी मंदिर के अन्दर से पंडित जी आते हुए बोले " आरे इतने बारिश के वक्त कौन हो आप " फिर उनके हाथ में बच्चे को देख कर बोले " लगता है आपके साथ कुछ बुरा हुआ है " कह कर बच्ची के माथे पर हाथ रख कर अपने आंखे बंद कर लिए । फिर आंखे खोल कर बोले " चिंता मत करो, इसे कुछ नहीं होगा , जिसके रक्ष्या खुद महादेव करेंगे उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है " उनके बात पर वो आदमी पंडित जी को देखने लगा । पंडित जी थोड़ा मुस्कुराए और बोले " मुझे पता है अभी तुम्हे मेरे बात पर यकीन नहीं हैं, कोई नहीं धीरे धीरे तुम्हें सब कुछ समझ आ जाएगा बस महादेव पर भरोसा रखना , अच्छा ये बताओ अपने बच्चे का क्या नाम रखा " उनके बात पर वो आदमी अपना सर ना में हिला दिया तो पंडित जी मुस्कुराते हुए बोले " ठीक है आज से इस बच्ची का नाम रुद्रांशी होगा " कह कर वो वहां से चले गए । वो आदमी बस उन्हे जाते हुए देखते रह गए । बीस साल बाद । वहीं शिव मंदिर में आज बहत चहल पहल था, एक लडकी जिसके काले लंबे बाल उसके कमर से नीचे तक लहरा रहे थे, काली काली बड़ी बड़ी आंखे जो काजल में सने हुए थे , माथे के बीचों बीच एक काले बिंदी और होंठ सुर्ख गुलाबी जिसे एक बार कोई देख ले तो दीवाना बन जाए, वो लडकी अपने दुपट्टे को अपने कमर पर बांध कर अपने पायल को छम छम करते हुए मंदिर के सीढियों से नीचे उतर कर पास के तालाब के किनारे जा कर बैठ गई । वो तालाब के पानी को देखते हुए नाराजगी से बोली " महादेव में आपसे नाराज हुं , आपको बोल कर ही गया था मुझे क्लास में टॉप करना है आपने तो एक नंबर से मुझे हरा दिया, कोई बात नहीं अगली बार ऐसा किया तो एक हफ्ते तक आपको दूध नहीं दूंगी " कहते हुए पानी में पत्थर फेक ने लगी । कुछ देर तक बैठने पर जब मन भर गया वो उठ कर वापस मंदिर के अन्दर चली गई । वो सीढियों से ऊपर जा ही रही थी की उसके पैर मुड़ गए, गिरने के डर से उसके दोनो आंखे बंद हो गए । वहीं किसीने उसे पीछे से थाम लिया । कुछ देर तक उसके कोई हरकत ना करते देख वो लड़का उसे सीधा खड़ा करते हुए बोला " क्या आप खडे होने के कस्ट करेंगे " । उसके बात पर रुद्रांशि अपने आंखे खोली तो सामने एक लड़का व्हाइट शर्ट और ब्लैक फॉर्मल पेंट में खड़ा था जिसके सबला रंग में उसके भूरी आंखे उसे बेहद आकर्षक बना रहे थे जो अभी फिलहाल गुस्से में रुद्रांशी को ही घूर रहा था । जिससे रुद्रांशी उसे डर कर दो कदम पीछे हट गई फिर उसे माफी मांगते हुए बोली " आई एम सॉरी, मेरे पैर मुड़ गए और थैंक यू आपने मुझे बचा लिया " तभी उसे पीछे से किसके आवाज सुनाई दिया " प्रिंसेस कहां है आप ? " वो अपने सर पे हाथ मार कर बोली " मर गए " कहते हुए वहां से भाग गई । वहीं वो लड़का उसे जाते हुए देख कर बोला " कैसी अजीब लडकी है " फिर वो भी अंदर के तरफ़ बढ गया । वहीं मंदिर के अंदर एक पचास साल की औरत पंडित जी से बात कर रही थी , वो अपने बेटे के कुंडली पंडित जी को दिखाते हुए बोले " पंडित जी, देख कर बोले मेरे बेटे के शादी के लिए अभी सही समय है की नहीं " पंडित जी उनके हाथ से कुंडली ले कर देखने लगे जैसे जैसे वो देख रहे थे उनके माथे पर बल पड़ता जा रहा था । वो औरत पंडित जी को ऐसे गंभीर होते देख कर बोले " पंडित जी क्या हुआ ? कुछ गलत है क्या ? " उनके बात पर पंडित जी उन्हें चुप रहने को बोले । कुछ देर तक अच्छे से कुंडली को देखने के बाद पंडित जी बोले " बिटिया तुम्हारे बेटे के कुंडली में बहत सारे दोष है लिकिन चिंता करने की कोई जरूरत नहीं तुम्हारे बेटे के जिंदगी में एक ऐसी जीवनसाथी का जोग है जिसके आने से उसके सारे दोष खंडन हो जायेंगे "  । पंडित जी के बात पर वो औरत खुस होते हुए बोले " ये तो बहत अच्छी बात है पंडित जी लिकिन कौन है वो लडकी क्या आपके नजर में कोई अच्छी लडकी है तो बताएं " तभी पीछे से वो लड़का आते हुए बोला " मां क्या आपका हो गया ? " उस लड़के के आने पर वो औरत और पंडित जी चुप हो गए । वो औरत अपने जगह से उठते हुए बोली " शिव तू आ गया बाबा , चल मेरा हो गया चलते हैं " उनके बात पर शिव उन्हे सहारा देते हुए मंदिर से बाहर के तरफ ले गया  । वहीं शिव के जाने के बाद रुद्रांशी पंडित जी के पास आते हुए बोली " बाबा बच्चा लीजिए " उसे ऐसे अपने पास आता देख पंडित जी बोले " क्या हुआ बिटिया " । तभी सामने से आवाज आई " वो क्या बताएंगे में बताती हूं " कहते हुए एक बूढ़ा आदमी वहां आ गया । आगे क्या होगा जानने के लिए जुड़े रहे इस कहानी के साथ ।

  • 2. Marham tere pyar ka - Chapter 2

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे । उस आदमी को देख कर पंडित जी बोले " आरे बेभब जी आप? " बेभव जी आगे बोले " सुनिए पंडित जी आज आप इन्हे नहीं बचाएंगे, हमेशा इनकी मनमानी नहीं चलेगी " उनके बात पर रुद्रांशि धीरे से बोली " दादू आप समझिए ना हमें काम करना है अपने पैर पर खडे होना है, अगले साल हमारी कालेज भी खतम हो जायेगी तब तो कुछ ना कुछ करना पड़ेगा "  । बेभव जी उसे रोकते हुए बोले " तब का तब देखेंगे लिकिन अब तुम कुछ भी नहीं करोगी " उनके इस बात पर रुद्रांशि गुस्से से वहां से निकल गई । वहीं उसके जाने के बाद पंडित जी वैभव जी को देखते हुए बोले " वैभव जी करने दीजिए उसे काम " बेभब जी वहीं पास में बैठते हुए बोले " आपको तो सब पता है पंडित जी मेरा और है ही कौन वैसे भी अब तबीयत बिगड़ने लगा है में चाहता हु वो शादी करके अपने घर बसा ले तो में चैन से मर पायूंगा लिकिन वो बाहर जा कर काम करने की जिद लगा कर बैठी है " । उनके इस बात का जवाब देते हुए पंडित जी ने कहा " वैभव जी सैयद आपके परेशानी के हल मेरे पास है " । पंडित जी के बात पर बेभब जी चौक ते हुए बोले " आप क्या कहना चाहते हैं पंडित जी " । बेभब जी के सवाल के जवाब देते हुए पंडित जी आगे बोले " देखिए अभी अभी मेरे पास सरस्वती देवी आए थे अपने बेटे के कुंडली ले कर, वो काफी अच्छे घर के हैं,तुम कहो तो मैं उनके लिए रुद्रांशी के बात कराता हूं " उनके बात पर वैभव जी खुस होते हुए बोले " ये तो बहत अच्छी बात है, लिकिन क्या प्रिंसेस मानेंगी " । उनके बात पर पंडित जी उन्हें समझाते हुए बोले " आपके उसे थोड़ा वक्त दे कर समझाना चाहिए " । वहीं दूसरी तरफ । रुद्रांशी सड़क पर चले जा रही थी शाम होने लगा था लिकन उसको ये होस भी नहीं था । वो गुस्से से बड़बड़ा ते जा रही थी " पता नहीं क्या सोचते हैं खुद को, हमेशा अपने मनमानी चलाते रहते हैं, उन्हे लगता है में छोटी बच्ची हुं, आज तो मैं उन्हे अच्छे से सबक सिखाऊंगी आज में बिलकुल भी घर नहीं जाऊंगी " कहते हुए वो पास के एक पार्क में चली गई और एक खाली बेंच देख कर बैठ गई । कुछ दूर सहर के बीचों बीच एक आलीशान महल जिसके गेट के पास साफ साफ अक्ष्यर में चौहान मेंशन लिखा हुआ था । उसी महल के एक कमरे में सरस्वती चौहान एक आराम चेयर पर बैठे थे वहीं शिव उनके सामने एक कुर्सी लगा कर बैठा था । वो अपने मां को समझाते हुए बोला " मां क्यूं आप जिद लगाके बैठे हैं, मुझे अभी नहीं करना शादी " । उसके बात का जवाब देते हुए सरस्वती देवी बोले " अब नहीं करोगे तो कब करोगे पहले ही छबीस के हो चुके हो तुम " कहते हुए रोने लगे । शिव अपने जगह से उठते हुए उनके पैरों के पास बैठ गया और उन्हें शांत कराने लगा । सरस्वती देवी सिसकियां लेते हुए बोले " मुझे तुम्हारे चिंता हो रहा है बाबा, बचपन से में तुम्हें अकेले सम्हाल रही हुं अब मैं चाहता हूं कोई तुम्हें सम्हालने वाली आ जाएं तो में चैन से रह पाऊंगी " । शिव अपने मां को चुप कराते हुए बोला " ठीक है ठीक है आप रोइए मत आप जो भी कहेंगे मैं करूंगा " उसके बात पर सरस्वती देवी खुस होते हुए बोले " तू सच कह रहा है बाबा तू शादी करेगा " । " हां में करूंगा शादी अब आप उठिए और चालिए खाना खाते हैं उसके बाद आपके दवाई भी लेने है " कहते हुए शिव उन्हे सहारा दे कर उठाया । पार्क में । रुद्रांशी अब तक वहीं अकेला बैठी थी तभी उसे अपने पास किसी के होने का एहसास हुआ वो अपने नजर ऊपर उठा कर देखी तो उसके पास बैभव जी बैठे थे । वो चौक ते हुए पूछी " दादू आप यहां " । उसके बात पर बैभब जी मुस्कुराते हुए बोले " आपके क्या लगा प्रिंसेस आप घर नहीं लौटेंगे तो हम चेन से रह पाएंगे, पिछले बीस साल में हम तुम्हें कभी खुद से अलग नहीं कर पाए "  । " में आप से दूर कहां जा रहे हैं दादू, नौकरी करना तो चाहते हैं बस " रुद्रांशी अपने दादू को देखते हुए बोली । वैभव जी रुद्रांशी के हाथ को अपने हाथ में ले कर बोले " प्रिंसेस आप हमारा एक बात रखेंगे " रुद्रांशी अपने दूसरे हाथ को अपने दादू के हाथ पर रख कर बोला " दादू में कभी आपके बात टाल सकता हुं, आप बोलिए क्या कहना चाहते हैं " । बैभब जी शांत भाव से बोले " प्रिंसेस हम चाहते हैं आप शादी कर लीजिए " उनके इस बात पर रुद्रांशी अपने हाथ खीच ली और बड़े बड़े आंखे करके वैभव जी को देखने लगी । बैभब जी आगे बोले " मुझे पता है आपके अभी शादी नहीं करना लिकन में चाहता हूं अपनी जिंदगी के आखिर सांस लेने से पहले हम आपके खुस देखना चाहते हैं " उनके ऐसे बात सुन कर रुद्रांशी के आंखो में आंसू बहने लगे थे । वो रोते हुए बोली " दादू आप चाहते हैं ना में शादी कर लूं आप जहां कहेंगे मैं वहीं शादी करूंगी लिकन आप मुझ से दूर जाने के बात मत करें " । वैभव जी रुद्रांशी के आंसू पोंछ कर उसे अपने सीने से लगा कर बोले " जब तक हम अपने प्रिंसेस को खुस नहीं देख लेते तब तक हमें कुछ नहीं होगा " फिर कुछ देर तक उसके सर को सहलाने के बाद उसे खुद से अलग करते हुए बोले " प्रिंसेस चलो अब घर चलते हैं बहत रात हो चुकी है " । उनके बात पर रुद्रांशी और वैभव जी धीरे धीरे अपने कदम घर के तरफ़ बढ़ा दिए । आगे इस कहानी में क्या हुआ जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ ।