शिवानी ने कभी नहीं सोचा था कि आरव मल्होत्रा, जिसे वो बचपन से जानती और भरोसा करती थी, एक दिन उसके सामने शादी का ऐसा प्रपोजल रखेगा, जिसमें शर्तें होंगी और समझौता भी। दस साल का उम्र का फर्क, सोच में जमीन-आसमान का अंतर, और एक शादी जो हालात की मजबूरी बन ज... शिवानी ने कभी नहीं सोचा था कि आरव मल्होत्रा, जिसे वो बचपन से जानती और भरोसा करती थी, एक दिन उसके सामने शादी का ऐसा प्रपोजल रखेगा, जिसमें शर्तें होंगी और समझौता भी। दस साल का उम्र का फर्क, सोच में जमीन-आसमान का अंतर, और एक शादी जो हालात की मजबूरी बन जाती है। आरव , एक सख्त और कामयाब बिज़नेस मैन, जिसकी ज़िंदगी डिसिप्लिन और कंट्रोल से चलती है। शिवानी, एक खुले विचारों वाली, सेल्फ रिस्पेक्ट रखने वाली लड़की, जिसे अपनी पहचान और हदें पता हैं। जब मजबूरी उन्हें एक साथ लाती है, तो क्या उनका ये रिश्ता प्यार में बदल पाएगा? या ये बस एक समझौते की शादी बनकर रह जाएगा? क्या शिवानी आरवके बनाए नियम तोड़ पाएगी? या खुद को खो बैठेगी? जानने के लिए पढ़िए
Ibrahim Mirza
Hero
Zara Hashmi
Heroine
Sharda Maa
Advisor
Page 1 of 2
मैं आप सभी से निवेदन करतीं हुं । रिक्वेस्ट करतीं हुं कि आप स्टोरी को बोल्ड सीन होने के लिए, या फिर किसी दुसरी स्टोरी की कोपी होने के लिए रिपोर्ट नहीं करें 🙏🏼 प्लीज ।
54 साल की निवेदिता मल्होत्रा, मल्होत्रा ग्रुप ओफ इन्डस्ट्रिस की एकमात्र ओनर , के माथे पर झुर्रियाँ पड़ गई हैं, अपनी उम्र की वजह से नहीं बल्कि एक अजीब खबर के फोन कोल के आने पर। सुबह के 4 बजे थे। उसने बंद आँखों से अपना मोबाइल ढूँढने के लिए हाथ हिलाया और आखिरकार फ़ोन कटने से पहले ही उसे ढूँढ़ लिया था।
"क्या ...!" जब उसने दूसरी तरफ़ से आवाज़ सुनी तो वह एकदम से सीधी बैठ गई और जल्दी से अपना शॉल उठाया और अपने बेटे के कमरे की ओर भागी थी।
मल्होत्रा इंडस्ट्री के इकलौते वारिस, 29 साल के आरव मल्होत्रा ने अपनी माँ के लिए दरवाज़ा खोलते हुए जम्हाई ली और अपनी माँ के आँसू भरे चेहरे को देखकर उसकी नींद उड़ गई थी।
"मोम, क्या हुआ...?" उसने चिंतित स्वर में पूछा, जबकि वह अपने आँसू पोंछते हुए बोली —
"श्यामा अब नहीं रही..."
श्यामा देशमुख।
बचपन से निवेदिता की सबसे अच्छी और इकलौती दोस्त, जो हमेशा उसके साथ खड़ी रही थी।
श्यामा देशमुख, बचपन से ही निवेदिता की सबसे अच्छी और एकमात्र दोस्त, जो उसके हर सुख-दुख में उसके साथ खड़ी रही, अचानक ही हार्ट अटैक से चल बसी थी।
"क्या !!" उसने भी कहा, लेकिन उसकी माँ उसकी पहली प्राथमिकता थी। उन्हें उसे रोता देखकर चिंता हो रही थी, और वह क्यों नहीं रोएंगी।
पिछले 3 सालों से वह कभी नहीं रोई, जब से उनके पति की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। यह आखिरी बार था जब आरव ने अपनी माँ को रोते हुए देखा था और वह तब भी बहुत दुखी थी और अब भी है। उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की और उसने उसे सुझाव दिया कि उन्हें वहाँ जाना होगा क्योंकि श्यामा आंटी की इकलौती बेटी अकेली होगी।
"हाँ... पता नहीं शिवानी कैसी है... चलो... जल्दी चलो।" उसने अपने आँसू पोंछे और वे श्यामा देशमुख के घर चले गए थे।
श्यामा देशमुख का घर।
श्यामा की इकलौती बेटी, 19 साल की शिवानी देशमुख, जो इंजीनियरिंग के सेकेंड ईयर की पढ़ाई कर रही है, किसी बेजान मूर्ति की तरह बैठी हुई थी और अब आँसू नहीं बहा पा रही थी।
उसके आँसू अब नहीं बचे थे, क्योंकि वह बह चुके थे।
उसके आँसू नहीं बचे थे, क्योंकि 3 साल पहले जब उसके पापा की मौत हुई थी — उसी एक्सीडेंट में जिसमें निवेदिता के पति राज मल्होत्रा की मौत हुई थी — और अब उसकी माँ अचानक उसे छोड़कर चली गई थी। जब निवेदिता उसके पास आई और उसे अपनी बाहों में लिया, तो शिवानी फूट-फूट कर रोई थी।
निवेदिता ने हमेशा शिवानी को अपनी बेटी की तरह माना था और उसे बहुत लाड़-प्यार दिया था, क्योंकि शिवानी श्यामा की शादी के कई साल बाद पैदा हुई थी। उसने सभी को अपने आने का इंतज़ार करवाया था। शिवानी ने हमेशा सभी की तरह अपनी माँ श्यामा देशमुख और निवेदिता मल्होत्रा की दोस्ती को रिस्पेक्ट किया है।
अपने जिंदगी की सबसे बड़ी ट्रेजेडी के बाद भी, उन दोनों दोस्तों ने कभी भी एक्सीडेंट के लिए एक-दूसरे के लाइफ पार्टनर को दोषी नहीं ठहराया था, बल्कि अपने मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनकर खड़ी रही थीं। और अपनी दोस्ती के लिए सम्मान और प्यार हासिल किया था। उनके सर्कल के सभी लोग उनकी दोस्ती से जलते थे।
श्यामा के जाने के बाद निवेदिता बिल्कुल अकेली हो गई थी। बिल्कुल शिवानी की तरह।
हालाँकि आरव और शिवानी की उम्र में 10 साल का अंतर था, और वे कभी भी एक-दूसरे के इतने करीब नहीं थे, सिवाय कुछ मुस्कुराहटों के।
श्यामा ने हमेशा आरव को अपने बेटे की तरह माना था क्योंकि वह शिवानी से पहले पैदा हुआ था और जबकि वह अपनी शादी के बाद कई सालों तक एक बच्चे के लिए तरस रही थी।
शिवानी न तो आरव की दोस्त थी और न ही रिश्तेदार। वह बस उसकी माँ की सहेली की बेटी थी, जिसे उसने बचपन से देखा था और यही बात शिवानी के साथ भी लागू होती है।
चूँकि वह उससे बड़ा था, इसलिए उनके पास बातचीत करने के लिए कभी कोई कॉमन टॉपिक नहीं था। और सबसे बढ़कर, अपने 20s में प्रवेश करने के समय से ही आरव ने जो पावरफुल और सीरियस ओरा हासिल किया था, उसने शिवानी को सबसे ज़्यादा नर्वस किया था। और वह उससे थोड़ी डरी हुई थी और उससे दूरी बनाए रखती थी।
लेकिन उसे रोता देखकर, आरव का दिल टूट गया और वह घर से बाहर निकल गया और पास की कुर्सी पर बैठ गया था।
"अरे हम उसे क्यों ले जाएंगे...? वो तो तुम्हारे ही भाई की बेटी है... ये तुम्हारी जिम्मेदारी है..." आरव ने वहाँ मौजूद लोगों में से एक को कहते सुना था।
"जिम्मेदारी से तुम्हारा क्या मतलब है...? वो भाई बहुत पहले मर चुका है और उसकी बीवी-बच्चों से हमें क्या लेना-देना...!??"
"जो आज मरी है वो तुम्हारी बहन है ना... तो उस लड़की को अपने साथ ले जाओ..." दूसरे आदमी ने कहा, जो शिवानी का चाचा माना जाता है, उसके नाम भर के मामू से कहा था।
"वो हमारी अपनी बहन नहीं है... ये बहुत पुराना रिश्ता है... हमारे घर में पहले से ही 6 लोग रह रहे हैं.. .हम उसे अपने साथ नहीं रख सकते..." दूसरे ने बड़बड़ाते हुए अपनी पत्नी के पास गया था ।
"मेरी बात ध्यान से सुनो... हम उस लड़की की देखभाल नहीं कर सकते... ये बहुत बड़ा बोझ है... उसकी पढ़ाई और फिर शादी और फिर उसके बच्चे और ये लिस्ट बहुत लंबी है... मैं तुम्हें बता रहा हूँ.. किसी की बात मत मानो..." उस चाचा की पत्नी ने अपने पति पर फुसफुसाते हुए चिल्लाया जिसने आज्ञाकारी ढंग से सिर हिलाया था।
"डिसगस्टिंग रिलेटिव्स..." आरव ने सोचा और उसके चारों ओर इंसानियत को मरा देखकर उसकी उंगलियाँ तक सफेद हो गई थीं।
वह अंदर गया और देखा कि शिवानी, आरव की मोम की गोद में लेटी हुई थी और सुबह के 6 बज रहे थे।
"मोम... मैं 10 बजे तक वापस आ जाऊँगा... अगर आपको कुछ चाहिए तो राहुल यहाँ होगा..." आरव ने कहा और निवेदिता ने उसके ऑफिस की जिम्मेदारी को जानते हुए उससे कोई सवाल नहीं किया था। और वह यह भी जानती थी कि वह अपनी श्यामा आंटी से बहुत प्यार करता था। और वह उस टाइम सब कुछ हैंडल करने की कोशिश कर रहा है।
"राहुल, उनका ख्याल रखना... मैं कुछ देर में वापस आ जाऊँगा..." उसने जाने से पहले कहा और राहुल, उसके मैनेजर ने अपने बॉस को सिर हिलाकर इशारा किया था।
कुछ घंटों बाद, जब आरव वापस लौटा, तो दूर के रिश्तेदार माने जाने वाले लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए संख्या में बढ़ गए और शिवानी अभी भी उसी जगह पर थी जबकि उसकी मोम उसे कुछ खिलाने की कोशिश कर रही थी।
जब गिनती कम हुई, तो उसने उसी रिश्तेदार कपल को फिर से बहस करते हुए सुना, लेकिन यह पहले जो उसने सुना था, उसके बिल्कुल उल्टा था।
"वह हमारे भाई की बेटी है... हमारा हक पहले है... वो हमारे साथ ही रहेगी..." शिवानी के चाचा ने कहा था।
आरव उनके बदले हुए तेवर देखकर बिल्कुल हैरान रह गया था।
क्या होगा शिवानी का अब?
क्या करेगा आरव उसकी मदद के लिए?
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
"वो हमारे भाई की बेटी है... पहले हमारा हक है... वो हमारे साथ ही रहेगी..." शिवानी के चाचा ने कहा था ।
"ऐसे कैसे.. .हमारी कोई बेटी नहीं है और मेरी बहन हमारे बहुत करीब थी... अगर तुम चाहो तो शिवानी से खुद ही पूछो... वो हमारे साथ ही रहना पसंद करेगी... हम उसे ले जाएंगे..." शिवानी के उस दुर के मामू ने जवाब दिया था ।
आरव ने भौंहें सिकोड़ लीं, न जाने पिछले कुछ घंटों में ऐसा क्या हो गया कि उनकी बातचीत 360 डिग्री बदल गई थी ।
अपने एक्सपीरियंस से, वह जानता था कि सिर्फ एक चीज ही किसी इंसान के ख्यालों को बदल सकती है, और वह है
पैसा पैसा और पैसा ।
जब वह सोच रहा था, उसने देखा कि उनमें से एक कपल एक तरफ कोने में चला गया था और आरव ने उन्हें बात करते हुए सुना "छोड़ो ना गणित...यह 100% पक्की खबर है कि इस घर की कीमत लगभग 1 करोड़ है और यह घर शिवानी के नाम पर ही है... हमें उसे अपने कब्जे में करना है..."
"लेकिन हम उसकी एज्युकेशन और बाकी सब खर्चों का ख्याल कैसे रख सकते हैं..." चाचा ने अपनी समझदार पत्नी को पूछा था ।
"देखो वो पूरी तरह से टूट चुकी है और जो भी इस टाइम उसकी देखभाल करेगा, वो उसके लिए वफ़ादार रहेगी... हम 2, 3 महीने बाद उसका ट्रांसफर पेपर पर साइन करवा सकते हैं और उसके बाद वो कही भी जाए हमें क्या... बस कुछ महीनों की बात है... हम कहा उसको ज़िंदगी भर पालेंगे..." उसकी पत्नी ने जवाब दिया था ।
आरव ने अपनी आँखें घुमाई और आह भरी क्योंकि उसका अंदाजा बिल्कुल सही था । यह सब पैसे के बारे में था ।
""Bloody monsters"" उसने सोचा और अंतिम संस्कार की रस्में पूरी होने तक इंतज़ार किया था ।
2 घंटे के बाद,
"आरव ...तुम घर जाओ बेटा...मैं शिव के साथ रहूँगी..." निवेदिता ने उसे कहा था ।
जब उसे लगा कि दोनों रिश्तेदार कपल अपना नाटक शुरू करेंगे, तो वह उनके सामने खड़ा हो गया और फिर अपनी मोम की ओर देखा और कहा "नहीं मोम... आपकों यहाँ रहने की ज़रूरत नहीं है...
लेकिन आरव में शिवानी को इस हालत में अकेले छोड़ कर नहीं जा सकतीं !
आपकों शिवानी को छोड़ कर जाने की जरूरत नहीं है मोम । आरव ने कहा था ।
फिर उसने रिश्तेदारो को देख कर अपनी भौंहें चढ़ाईं और उसने कहा "शिवानी भी हमारे साथ आएगी..."
"अरे ऐसे कैसे... ! ? हम सब उसके लिए हैं यहां ... वह किसी ऐसे आदमी के घर क्यों जाएगी जो उसका रिश्तेदार भी नहीं है... ! ? ?" कथित चाची ने कहा था ।
आरव ने उन पर मुस्कुराया और पुकारा "शिवानी..."
हालाँकि वह उसकी आवाज से झिझकी, लेकिन उसने अपनी पलकें ऊपर उठा कर उसे देखा था और आरव ने उससे पूछा "क्या तुम हमारे साथ आने के लिए तैयार हो... ! ?"
शिवानी ने निवेदिता की ओर देखा, जो हमेशा उसे दूसरी माँ की तरह प्यार करती थी और फिर अपने नाम के रिश्तेदारों की ओर, जिन्होंने उसके पापा की डेथ के बाद कभी उन मां बेटी की तरफ सिर नहीं घुमाया था और फिर आरव की ओर हां में अपना सिर हिलाया था ।
आरव ने शिवानी के मतलबी रिश्तेदारों को घूरकर देखा जो एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे और फिर शिवानी से कहा "जाओ और अपना बैग पैक करो..."
निवेदिता शिवानी के साथ उसके कमरे में गई थी और उसे ज़रूरी सामान पैक करने में मदद की थी ।
निवेदिता उसके साथ उसके कमरे में गई और ज़रूरी सामान पैक करने में उसकी मदद की और कहा कि वह बाद में अपना बाकी सामान ले आए, जबकि आरव उन दोनों के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था ।
जब उसने उन्हें बैग लेकर बाहर आते देखा, तो उसने राहुल की तरफ़ देखा, जिसने जल्दी से बैग उनसे ले लिया और कार में रखने के लिए चला गया था ।
"घर का मेन गेट बंद करो शिवानी" आरव ने कहा, पुरे टाइम रिश्तेदारों को घातक नज़रों से घूरते हुए थे ।
निवेदिता को कुछ कुछ से अंदाज़ा हो गया कि क्या हुआ होगा और किस वजह से आरव ने यह कदम उठाया है और चाहे जो भी रिजन रहा हो, वह इस बात से खुश थी कि शिवानी उसके साथ रहेगी ।
"और चाबियाँ अपने पास संभाल कर रख लो ... यह घर तुम्हारा है और तुम्हारा ही रहेगा..." आरव ने शिवानी से कहा, लेकिन लालची रिश्तेदारो को देखते हुए । और हर एक वर्ड पर ज़ोर देते हुए, रिश्तेदारों को चुप करा दिया था । उसका लहजा इतना रौबदार था कि , जिसको अपपोज करने के बारे मे कोई भी अपने सपनों में भी नहीं सोच सकता था ।
शिवानी के रिश्तेदारों को आरव की नजरों से घुटन महसूस हो रही थी । उसका चेहरा ही उन्हें उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं करने के लिए कह रहा था, जो कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था ।
आरव ने अपनी मोम को सिर हिला कर इशारा किया और वह शिवानी के साथ कार की ओर चल पड़ी थी ।
मल्होत्रा हाउस ।
"मोम... मैं स्टडी रूम में हुं ... अगर आपको कुछ चाहिए तो मुझे बुला लेना..." आरव ने घर पहुँचने के बाद अपनी माँ से कहा और शिवानी पर एक नज़र डाली जो पूरे रास्ते के दौरान चुप रही थी और फिर राहुल के साथ ऊपर की ओर चला गया था ।
निवेदिता शिवानी को उसके कमरे में ले गई जबकि नौकर ने सामान उठाने में उनकी मदद की थी । शिवानी पहले भी उन लोगों के घर कई बार आ चुकी थी, लेकिन अपनी माँ के साथ, और कभी भी एक दिन से ज़्यादा नहीं रुकी है ।
"शिव बेटा.. .यह तुम्हारा कमरा है.. .घर जैसा महसूस करो... हम तुम्हारा बाकी सामान कल ले आएँगे... बस मुझे बता देना अगर तुम्हें कुछ चाहिए..." निवेदिता ने अलमारी में शिवानी के कपड़े रखते हुए कहा था ।
शिवानी चुप चाप बैठी रही थी और निवेदिता ने कहा "जाओ फ्रेश होकर आओ..."
कुछ मिनट बाद, शिवानी अपना चेहरा धोकर बाहर आई और निवेदिता ने पूछा "क्या तुम कुछ खाओगी... ? ? तुमने दूध के गिलास के अलावा कुछ नहीं खाया..."
"नहीं आंटी... मैं बस थोड़ी देर सोना चाहती हूँ..." उसने थके हुए स्वर में कहा और निवेदिता ने उसे अपनी गोद में लिटाकर सुला दिया था ।
उसने शिवानी को देखते हुए अपने आँसू पोंछे और यह तसल्ली करने के बाद कि वह सो गई है, वह धीरे धीरे कमरे से बाहर निकल गई और अपनी सबसे अच्छी दोस्त के बारे में सोचते हुए लिविंग रूम में बैठ गई थी ।
कुछ देर बाद, राहुल नीचे आया और जाने से पहले निवेदिता को गुडबाय कहा था ।
"बॉस की आधे घंटे में मीटिंग है मैम... वह अपना काम खत्म करने के बाद आएंगे..." राहुल ने कहा था और निवेदिता के सिर हिलाने के बाद चला गया था ।
उसने टाइम देखा और रसोई में खाना बनाने चली गई, जबकि घर की नौकरानी उसकी मदद कर रही थी ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
आरव के रूल्स सैट करना और शिवानी का फोलो करना
"अरे मोम आपको खाना तो खा लेना चाहिए था ना...?" उसने अपने प्यारे बेटे को उसका इंतज़ार करते हुए देखा और वह बस मुस्कुराया जब वह उसके साथ खाने के लिए बैठी थी ।
"क्या वह ठीक है...?" उसने बीच में पूछा और निवेदिता ने कहा "ठीक होने की कोशिश कर रही है ...उसे थोड़ा टाइम चाहिए होगा..."
उसने समझ में सिर हिलाया और उन्होंने अपना डिनर जारी रखा था ।
अगले दिन, डिनर पर,
"उसे हमारे साथ आकर डीनर के लिए कहो मोम..." आरव ने डिनर करने के लिए अपनी सीट पर बैठते हुए कहा था ।
"थोड़ा टाइम दे बेटा..." निवेदिता ने कहा और आरव ने सिर हिलाकर कहा "हमें टाइम नहीं मिलता मोम.. .हमें टाइम के साथ चलना पड़ता है ... इसलिए कहते हैं ' वक्त किसी का इंतज़ार नहीं करता'" आरव ने कहा और शिवानी के कमरे की तरफ चला गया और दरवाज़ा खटखटाया था ।
वह उसे देखकर चौंक गई और उसने पूछा "क्या तुम्हें हमारे साथ डिनर पर आने में कोई प्रोब्लम है शिवानी ...?"
उसकी पर्सनालिटी में एक अलग ही एनर्जी और पावर थी और कोई भी 'ना' कहने की हिम्मत नहीं कर सकता था, ठीक उसी तरह जैसे उस समय शिवानी ने बस सिर हिलाया और उसके डाइनिंग टेबल पर साथ चली आई थी और निवेदिता ने उसे देखकर मुस्कुराई और सभी को खाना परोसा था । कुछ नज़रों को छोड़कर डिनर में सन्नाटा था ।
एक हफ़्ते बाद,
कुछ भी नहीं बदला, सिवाय इसके कि अगले दिन से शिवानी खुद ही उनके साथ डिनर पर शामिल हो गई और डिनर करते वक्त कुछ नज़रों का आदान प्रदान हुआ था । आरव को सुबह उसे देखने का मौका नहीं मिलता था क्योंकि वह आमतौर पर आरव के ऑफिस जाने के बाद ही अपने कमरे से बाहर आती और सारा दिन निवेदिता के साथ रहती थी ।
ऐसी ही एक रात, शिवानी हमेशा की तरह अपना डिनर खत्म करने के बाद लिविंग रूम में चली गई थी ।
"मोम... शिवानी कॉलेज क्यों नहीं जा रही है...!?" आरव ने धीरे से पूछा और निवेदिता ने कंधे उचकाते हुए कहा "शायद वह अभी भी तैयार नहीं है... मुझे भी नहीं पता था कि उससे कैसे पूछूँ..."
"यह क्या है मोम...!? वह हमेशा ऐसे नहीं रह सकती ना... प्लीज उससे बात करो..." आरव ने सुझाव दिया और उसने सिर हिलाया और वे डाइनिंग रूम से वापस लिविंग रूम में चले गए थे । । ।
शिवानी खड़ी थी और आरव को निवेदिता के साथ लिविंग रूम में आते हुए देख रही थी, जो उसने पिछले एक हफ़्ते में कभी नहीं किया था । वो उठकर अपने कमरे में जाने लगीं थीं कि निवेदिता ने उसे खींचकर बैठाया और पूछा "शिवी बेटा... तुम कब तक अपने कॉलेज में वापस जोइन करने की सोच रही हो...!?"
शिवानी की आँखों में आँसू आ गए और निवेदिता ने जल्दी से उसे गले लगा लिया और वह चुपचाप रो पड़ी थी ।
"शश्श्श्श् शांत हो जाओ बेटा..." उसने उसे दीलासा देने के लिए उसकी पीठ सहलाई जबकि आरव इस दौरान चुप रहा था ।
"मैं नहीं जाना चाहती आंटी... मैं नहीं जाना चाहती..." उसने रोते हुए कहा और आरव ने आह भरते हुए पूछा "कब तक...!?? तुम कब तक ऐसे ही रहोगी...!??"
"आरव..." निवेदिता ने उसे टोका और उसे चुप होने के लिए कहा क्योंकि वो अपने बेटे केे सख्त मिजाज से वाकिफ थी । लेकिन शिवानी कों इस तरह देखकर आरव का मूड खराब हो गया था ।
"शिवानी ...तुम अपनी पूरी जिंदगी एक कमरे में बैठकर... कुछ नहीं कर सकती... क्या तुम सारी जिंदगी रोते हुए गुजरने वाली हो..!?" उसने थोड़ी ऊंची आवाज में पूछा जिससे वह झेंप गई और वह अपने कमरे में भाग गई थी ।
"आरव ...मैं तुम्हारा कंसर्न समझती हूं... लेकिन तुम्हें उसके साथ पेंशन रखना होगा..." निवेदिता ने कहा और शिवानी से बात करने जा रही थी लेकिन आरव ने कहा "मोम... मुझे उससे बात करने दो.. .बस एक बार प्लीज..." उसने सिर हिलाया और वह उसके कमरे में चला गया और उसके दरवाजे पर दस्तक दी थी । जब उसने दरवाजा नहीं खोला, तो उसने धीरे से दरवाजा खोला और देखा कि वह बिस्तर पर बैठी रो रही है ।
वह दरवाजा खुला छोड़कर अंदर चला गया और वह उसे देखकर तुरंत खड़ी हो गई थी ।
आरव ने आह भरी और बिस्तर पर बैठ गया और अपने बगल में जगह थपथपाते हुए उसे बैठने के लिए कहा था । उसने अपने आंसू पोंछते हुए सांस रोकी और उसके बगल में बैठ गई थी ।
"मुझे माफ़ कर दो... मेरे कहने का मतलब तुम्हें डराना या दुख पहुँचाना नहीं था शिवानी..." उसने कहा और शिवानी ने फिर से अपने आँसू पोंछे थे ।
"देखो शिवानी ...हम अपने जींदगी में एक पल पर रुक नहीं सकते... यह जींदगी चलती रहती है... हमें आगे बढ़ना है... उन्हें देखो..." उसने लिविंग रूम में अपनी मोम की ओर इशारा किया जिसे वे जिस कमरे में बैठे थे वहाँ से देख सकते थे और कहा "मिसेज निवेदिता मल्होत्रा... उन्होंने अपने जींदगी का आधा से ज़्यादा हिस्सा मेरे डैड राज मल्होत्रा के साथ बिताया है... और जब उनका एक्सिडेंट हुआ, तो उन्हें उनके अंतिम संस्कार के 11 वें दिन ही ऑफिस में एक मीटिंग में पार्ट लेने, कंपनी के शेयर बचाने के लिए बाहर जाना पड़ा था ...क्या होता अगर उन्होंने खुद को बंद कर लिया होता...!?? हमारे लिए काम करने वाले हज़ारों वर्कर्स का क्या होता...!?"
उसकी सिसकियाँ धीरे धीरे कम होती गईं और वह आगे कहता रहा "श्यामा माँ ...वह मेरे लिए भी माँ जैसी थी... जब तुम्हारे पापा की डेथ हुईं, तो उन्होंने खुद को बंद नहीं किया... जबकि तुम्हारे रिश्तेदारों या परिवार से कोई सहारा नहीं मिला, फिर भी वह अपने लिए खड़ी हुई और एक हफ्ते बाद ही अपनी जोब पर चली गई... वह तुम्हारे लिए बहादुर बन गई थी ...
फिर आरव ने उसके ताजा आँसू पोंछे और कहा "मैंने भी... मैंने अपने पूरे 25 साल अपने डैड की गोद में बिताए हैं... और जब वह अचानक हमें छोड़कर चले गए, तो मुझे उनके अंतिम संस्कार के अगले ही दिन ओफीस जाकर डोक्युमेंट पर सिग्नेचर करने पड़े... मेरे पास शोक मनाने के बारे में सोचने का मौका ही नहीं था ।
मुझे खुद को बंद करके अपनी मोम के लिए कमज़ोरी बनने का मौका नहीं मिला. ..अब सोचो शिवानी ...तुम क्या करना चाहती हो...!? मैं इसे तुम्हारे ऊपर छोड़ता हूँ..."
वह हिचकी ले रही थी क्योंकि वह चुप रहा और आरव ने एक गिलास पानी शिवानी को दिया और उसने अपने आँसू पोंछने से पहले दो बार घूँट लिया था ।
"मुझे डर लग रहा है..." उसने धीरे से कहा और उसने थोड़ा सा मुँह बनाया और उसने दोहराया "मुझे डर लग रहा है" ।
उसने आह भरी और उसकी हथेलियाँ अपने हाथों में लीं और पूछा "क्यों...!? तुम क्यों डर रही हो...!?"
एक लड़की को बस यही चाहिए । चाहे वह एक मजबूत और इंडिपेंडेंट लड़की हो या एक कमजोर और सेंसिटिव लड़की, एक लड़की को बस यही चाहिए । थामने के लिए एक हाथ । बस यही चाहिए था शिवानी को भी ।
उसने कुछ और मिनटों के लिए अपने आंसू बहने दिए ।
उसने कुछ और मिनटों तक अपने आंसू बहने दिए और वह चुप रहा ।
"मैं अकेली हूँ.. .मुझे लगता है कि मेरे पास कोई नहीं है... और अगर मैं बाहर कदम रखूँगी, तो कोई भी मेरा फ़ायदा उठा सकता है... मुझे... मुझे नहीं लगता कि मैं खुद को संभाल पाऊँगी..." उसने रोते हुए कहा जिससे वह आहें भरने लगा था ।
उसने फिर से उसके आंसू पोंछे और इस बार, उसने उसके चेहरे को सहलाया और कहा "हम तुम्हारा परिवार हैं शिवानी ... जैसा कि मैंने कहा, श्यामा माँ मेरे लिए भी माँ थी... ठीक वैसे ही जैसे मेरी मोम तुम्हारे लिए है... उन्होंने कभी हमारे बीच भेदभाव नहीं किया... तो फिर तुम अपनी निवेदिता आंटी को अपना परिवार क्यों नहीं मानती... यह तुम्हारा घर है... और सबसे इंपॉर्टेंट बात, मैं यहाँ हूँ... तुम्हें प्रोटेक्ट करने के लिए... हम तुम्हारे साथ हैं... तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा जाएगा... मैं वादा करता हूँ... मेरा यकीन करो... और अगर छोडना ही होता तो, मैं तुम्हें तुम्हारे रिश्तेदारों के पास छोड़ देता शिवानी...
उसने उसकी तरफ देखा और उसने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और उसके आंसू पोंछते हुए कहा "अब तुम इस बारे में सोचो... मैं सुबह तुमसे मिलूँगा... गुड नाईट..."
"गुड नाईट..." उसने धीरे से कहा और उसने
उसने उसकी तरफ देखा और उसने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और उसके आंसू पोंछते हुए कहा "अब तुम इस बारे में सोचो... मैं सुबह तुमसे मिलूंगा... गुड नाईट ..."
"गुड नाईट..." उसने धीरे से कहा और वह कमरे से बाहर चला गया, अपने पीछे दरवाजा बंद करके ।
"सब ठीक है ??" उसकी माँ ने पूछा और उसने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और कहा "चिंता मत करो मोम... वह ठीक हो जाएगी... आप जाके सो जाएँ... गुड नाईट..."
वह अपने बेटे के बारे में जानकर मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई और आरव अपने कमरे में चला गया था
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें...
पहले भाग के लिए प्यारी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद...आशा है कि यह जारी रहेगा...
आपको यह दिखाने के लिए इंतज़ार नहीं कर सकती कि कहानी कैसे सामने आती है...
नियमित अपडेट इस बात पर निर्भर करता है कि आप
अपनी कमेंट के माध्यम से कितना प्यार बरसाते हैं... :)
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
अगली सुबह,
आरव ने शिवानी के दरवाजे पर दस्तक दी और जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसने उसे मौका नहीं दिया, बल्कि कहा "गुड मॉर्निंग... 8:30 बज रहे हैं... तुम्हारे पास 15 मिनट हैं... मैं कार में इंतज़ार कर रहा हूँ... मैं तुम्हें कॉलेज छोड़ दूँगा और फिर ओफीस चला जाऊँगा... चलो जल्दी आओ..." आरव ने अपनी ओथोरेटिव टोन में कहा था ।
"आज ही से...!??" उसने टेंशन और अभी भी थोड़ा डरे हुए होकर पूछा था ।
वह उसे देखने के लिए मुड़ा और उसके सिर के बराबर झुका और कहा "आज ही से नहीं, बल्कि अभी से... अब... चलो..."
आरव कभी ऐसा इंसान नहीं था जो अपना फ़ैसला दूसरों पर थोपता हो, लेकिन इस मामले में, वह जानता था कि शिवानी को एक पुश की ज़रूरत है और वह बस यही कर रहा था ।
"क्या तुम्हें यकीन है कि वह ठीक हो जाएगी...!?" निवेदिता ने शिवानी के लिए उतनी ही चिंतित होकर पूछा था ।
"मेरा ट्रस्ट करो मोम..." उसने कहा और अपनी कार की ओर चल दिया था । निवेदिता ने शिवानी को अपना पैक किया हुआ नाश्ता दिया और जाने से पहले उसे गले लगाते हुए कहा, "अगर तुम्हें किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे फ़ोन करना" ।
वह झिझकते हुए पेसेंजर सीट पर बैठी रही, जबकि आरव ने कार स्टार्ट करने से पहले एक छोटी सी मुस्कान बिखेरी थी । पुरी ड्राइव शांत थी और वह अपने कॉलेज के स्टूडेंट्स को देखकर थोड़ा कांप उठी थी । आरव ने आह भरी और उसका हाथ पकड़ते हुए कहा "तुम यह कर सकती हो शिवी ..."
"मुझे अभी भी डर लग रहा है... क्या हम कल आ सकते हैं...!??" उसने रिक्वेस्ट की और वह मुस्कुराया और फिर बोला "अगर तुम आज एक कदम नहीं उठाओगी तो वह कल कभी नहीं आएगा... मेरा यकीन करो... अच्छा ठीक है... हमने तुम्हें पूरे एक हफ्ते तक अपनी मर्जी से जीने दिया है... तो सिर्फ़ हमारे लिए, 3 दिन के लिए कॉलेज जाओ... सिर्फ 3 दिन... और उसके बाद जो भी तुम्हें अच्छा लगे वो करो... चाहे तुम जारी रखना चाहती हो या घर पर रहना चाहती हो, हम बाद में तय करेंगे... लेकिन अभी के लिए, सिर्फ़ 3 दिन के लिए कॉलेज जाओ..."
उसने एक पल सोचा और फिर सिर हिलाकर उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था ।
"वैरी गुड.. .शाम को तुम्हारी क्लास कब खत्म होगी...!?" उसने पूछा था ।
और उसने जवाब दिया "4 बजे"
"ठीक है... ड्राइवर तुम्हें लेने आएगा..." आरव ने कहा था ।
और शिवानी ने तुरंत पूछा "आप नहीं आओगे...!??"
उसने हंसते हुए कहा "नहीं... मुझे काम निपटाना है.. .चिंता मत करो मैं ड्राइवर को टाइम पर भेज दूंगा..."
उसने सिर हिलाया और कार से उतर गई और कुछ कदम चली लेकिन जब उसने फोन किया तो रुक गई थी । जब वह कार से उतरा तो वह उसके पास वापस चली आई थी ।
"क्या तुम्हारे पास मेरा नंबर है...!?" आरव ने पूछा और उसने सिर हिलाकर ना कहा था । उसने उसका मोबाइल लिया और अपना नंबर सेव किया और कहा "अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे कॉल करना.. .मैं बस एक कॉल दूर हूँ..."
"जी" उसने कहा और अपनी क्लास में जाने से पहले थोड़ा मुस्कुराई और आरव अपने ओफीस चला गया था ।
शिवानी के लिए डरने की कोई बात नहीं थी क्योंकि उसके क्लासमेट उसके लिए बेहद नोर्मल लग रहे थे जबकि ओफीस में आरव समय समय पर अपना फोन चेक करता रहता था ।
उसका फ़ोन बज उठा और उसका ध्यान उसकी माँ पर गया था । ।
"आरव .. शिवी ठीक है न...!? तुम्हें यकीन है कि वह ठीक होगी न...!?" उसकी माँ ने फ़ोन उठाते ही पूछा था ।
उसने आँखें घुमाईं क्योंकि वह उसी के बारे में सोच रहा था और खुद भी टेंशन में था, लेकिन उसने अपना गला साफ़ किया और फिर कहा "मोम कालम हो जाओ... वह ठीक थी और ठीक हो जाएगी... बस उसे दोपहर के लंच के टाइम फ़ोन करना... मुझे यकीन है कि वह ठीक होगी..." और फ़ोन काट दिया था ।
हालाँकि उसने अपनी माँ को शांत किया, लेकिन उसके अपने विचार उस काँपते हुए छोटी सी लड़की के इर्द गिर्द घूम रहे थे जिसे उसने सुबह कोलेज छोड़ा था ।
"उम्मीद है कि मैंने उसे भेजकर कोई गलती नहीं की... जब कि वह तैयार नहीं है..." उसने सोचा और अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से रगड़ा और टाइम देखा था ।
दोपहर के 3:45 बजे थे ।
उसने अपनी माँ को फ़ोन करके पूछा कि क्या उसने शिवानी से बात की है ।
"उसने मेरा फोन नहीं उठाया बेटा... सोचा कि शायद वो क्लास में होगी... बस उसकी क्लास खत्म होने का इंतज़ार कर रही थी..." निवेदिता ने कहा और आरव ने टेंश होकर अपने होंठ सिकोड़े थें ।
"ठीक है मोम चिंता मत करो... मैं उसे लेने के लिए ड्राइवर भेज दूँगा..." उसने कहा और जल्दी से शिवानी को फ़ोन किया और उसका फ़ोन भी अनरिचेबल रहा था ।
उसने आह भरी और अपनी कार की चाबियाँ लीं जबकि राहुल उसे मीटिंग के बारे में याद दिलाने के लिए उसके केबिन में आया था । आरव ने बस अपनी उंगलियों से इशारा किया कि मीटिंग को एक घंटे के लिए टाल दिया जाए और अपनी कार की ओर चल दिया था ।
वह उसके कॉलेज में उसके बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था और वह उसे देखकर हैरान रह गई थी । उसे ठीक देखकर उसने राहत की गहरी साँस ली और एक सिम्पल मुस्कान के साथ ।
"आप यहाँ...?? आपने कहा था कि आपको काम है ना..." उसने पूछा था ।
और आरव ने जवाब दिया "हाँ , काम हो गया.. .तो सोचा कि बस तुम्हारे हालचाल पूछूँ और तुम्हें घर छोड़ दूँ..."
जब आपकी राहत आपकी टेंशन से ज़्यादा हो जाती है, तो आपकी फिलिंग्स पीछे छूट जाती हैं ।
इस मामले में आरव को झूठ बोलने या अपनी टेंशन या गुस्से या किसी भी फिलिंग्स को दिखाने की कोई ज़रूरत नहीं थी ।
"ओह" उसने कहा और थोड़ा मुस्कुराई और ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठ गई थी ।
"तो...सब ठीक है...??" उसने गाड़ी चलाते हुए पूछा और उसने सिर हिलाते हुए कहा "हाँ.. .सब ठीक है... कोई प्रोब्लम तो नहीं..."
"हमने तुम्हें कॉल करने की कोशिश की थी..." उसने उसे बताने के लिए कहा और उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और उसने तुरंत अपने बैग में अपना मोबाइल ढूँढ़ा था ।
"मे बहुत अपोलोजेटिक हूं.. .मेरा फोन साइलेंट मोड में था और मैं दोपहर से लाइब्रेरी में थी... एक्चुअली में कुछ किताबें चेक कर रही थी..." उसने माफ़ी मांगी और उसने हंसते हुए कहा "कोई बात नहीं... रिलैक्स करो... मोम को टेंशन थी कि तुम ठीक हो या नहीं..."
"ओह..." उसने कहा और निवेदिता आंटी को फ़ोन करके बताया कि वह वापस आ रही है ।
शिवानी का दिल हल्का हो गया जब उसे डरने की कोई बात नहीं थी, जैसे उसने सोचा और समझा कि अभी भी ऐसे लोग हैं जो उसके बारे में फिक्रमंद हैं ।
उसे नोर्मल देखकर आरव ने राहत की सांस ली और उसे घर छोड़ दिया और कहा "मोम से कहो कि मैं डीनर के टाइम तक वापस आऊँगा..."
"जी" उसने कहा और उसे जाते हुए देखा और अंदर चली गई थी ।
"शिवी बेटा... आ गई तू... चलो फ्रेश होकर आओ... चलो साथ में मस्त चाय पीते हैं..." निवेदिता ने चहकते हुए कहा शिवानी ने मुस्कुराया और उन्होंने बगीचे में शाम की चाय पी थी ।
उन्होंने साथ में गार्डेनिंग की और शिवानी ने अपनी क्लासेज के बारे में थोड़ी बात की थी ।
शाम के 6 बज रहे थे और शिवानी बोली "आंटी.. .मुझे कुछ नोट्स बनाने हैं..."
निवेदिता ने कहा "हाँ चलो बेटा.. .मैं डिनर की तैयारी भी देख लूँगी..."
"आंटी... अभी तो सिर्फ़ 6 बजे हैं ना... एक घंटा रुको... मैं भी तुम्हारी मदद करने आ जाऊँगी..." उसने कहा और निवेदिता आंटी ने कहा "कोई ज़रूरत नहीं बेटा... कुक दीदी है ना मेरी मदद करने के लिए... तुम पढ़ाई करो.. .बस जब तुम्हारा काम हो जाए और अगर तुम्हें बोरियत महसूस हो..." और उसे नोर्मल होने की कोशिश करते देख खुद पर मुस्कुराई। थीं ।
7:30 बजे तक, आरव ऑफिस से वापस आ गया और उसने देखा कि उसकी मोम और शिवानी लिविंग रूम में टीवी देख रही थीं ।
निवेदिता अपनी रेगुलर के अनुसार डाइनिंग टेबल सेट करने के लिए खड़ी हो गई जबकि शिवानी उसे देखती रही थी । आरव ने एक हल्की सी मुस्कान दी और अपने कमरे में चला गया था ।
आरव को फ्रेश होने के बाद नीचे आते देख निवेदिता ने कहा "बेटा... 5 मिनट रुको... मैं रोटी बनाकर तुम्हें बुलाती हूँ..." निवेदिता ने गरम रोटी डिब्बे में डालते हुए कहा । शिवानी रसोई से बाहर निकली तो देखा कि आरव लिविंग रूम में उसके नोट्स चेक कर रहा था ।
वह उसके पास खड़ी रही थी, जब वह उसके तैयार किए गए नोट्स देख रहा था और उसने अपनी भौंहें ऊपर उठाने से पहले उसकी ओर देखा और पूछा "तुम मुझे प्रोफेसर समझकर सामने एक स्टूडेंट की तरह क्यों खड़ी हो...!?"
जबकि उसने दूसरा पेज पलटा और पूछा "क्या तुमने ये नोट्स तैयार किए हैं...?"
उसने हाँ में सिर हिलाया और उसने मुस्कुराते हुए कहा
"Good... Crisp and short... But detailed..."
वह थोड़ा मुस्कुराई और तभी निवेदिता आंटी ने उन्हें डिनर के लिए बुलाया और यह ऑफिस के बारे में एक नोर्मल सी छोटी सी बातचीत थी और वे अपने अपने कमरे में चले गए थे ।
अगली सुबह, वह शिवानी को लिविंग रूम में कॉलेज जाने के लिए तैयार देखकर खुद पर मुस्कुराया था । उन्होंने निवेदिता को गुडबाय कहा और उसने राहत की सांस लेते हुए उसे कॉलेज में छोड़ दिया था ।
दो दिन बाद,
आरव ने ऑफिस से लौटकर देखा कि शिवानी अपनी किताबों के साथ लिविंग रूम में है और निवेदिता डाइनिंग रूम में डिनर के लिए टेबल सेट कर रही है ।
वह तुरंत खड़ी हो गई और आरव को देखकर अपनी किताब हाथ से छोड़ दी, जिससे आरव की हंसी छूट गई थी ।
रिलैक्स करो... मैं तुम्हें नहीं खाऊंगा... टेक इट इजी" उसने कहा और ऊपर की ओर चला गया, जबकि वह किताब से अपना सिर थपथपा रही थी और खुद पर मुस्कुरा रही थी ।
डाइनिंग टेबल पर,
"तो शिवानी ..." आरव ने अपनी डोमिनेटिंग आवाज में पुकारा, जिससे वह तुरंत निवाला निगल गई और अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसे देखने लगी थी ।
निवेदिता ने उसका रिएक्शन देखकर अपनी हंसी रोक ली, जबकि आरव ने अपना सिर हिलाया और पूछा "तुमने कॉलेज के बारे में क्या फैसला किया है...?"
निवेदिता ने भौंहें सिकोड़ीं क्योंकि उसे उनके बीच 3 दिन की डील के बारे में पता नहीं था और शिवानी आरव को घूर रही थी ।
"देखो... डील तो डील है... मैंने तुमसे वादा किया है... तुम जो भी करना चाहो, हम उससे एग्री होंगे... तो तुम अपना कॉलेज जारी रखना चाहती हो या बंद करना चाहती हो...??" आरव ने अपना खाना चबाते हुए कहा और उसने निवेदिता की तरफ देखा जो बेखबर दिख रही थी और फिर आरव की तरफ जो उसे देखकर मुस्कुराने या हंसने से बचने की पूरी कोशिश कर रहा था ।
"मैं कोलेज रेगुलर रखूंगी..." उसने बुदबुदाया और आरव ने कहा "तुम्हारी आवाज़ नहीं आ रही... प्लीज ज़रा ज़ोर से बोलो..."
"मैं कॉलेज जाऊँगी..." उसने थोड़ा जोर से कहा और वह मुस्कुराया और बोला "अच्छा... तुम्हारी एग्जाम कब से हैं...?"
"एक महीने में..." उसने नीचे देखते हुए जवाब दिया और उसने सिर हिलाते हुए कहा "अच्छी तरह से तैयारी करो.. .अगर तुम्हें कोई मदद चाहिए तो मुझे बताना..."
शिवानी ने उसकी ओर देखे बिना अपना सिर हिलाया जबकि निवेदिता ने उनकी बातचीत के दौरान अपनी आँखें घुमाईं थी ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
शिवानी को कोलेज जातें हुए अब 2 विक हो गये थे ।
शिवानी अपनी एग्जाम की तैयारी कर रही थी, जबकि निवेदिता आंटी डिनर तैयार कर रही थी और आरव के ऑफिस से लौटने का इंतज़ार कर रही थी । निवेदिता वोशरुम गई और तभी उसका मोबाइल बजा, जिसमें आरव का नाम था और शिवानी ने एक पल सोचा और कॉल उठाया था ।
उसकी आवाज़ सुनकर, आरव ने पूछा " हैलो अरे शिवानी. मोम कहाँ है...?"
"वो... वह वॉशरूम में है... कुछ बोलना है...?" उसने पूछा था ।
"हाँ मोम से कहो कि आज मैं थोड़ा देर से आऊँगा.. .मेरी क्लाइंट मीटिंग है... तुम दोनों अपना डिनर कर लेना..." उसने कहा था ।
"जी मैं आंटी को बता दूँगी..." शिवानी ने कहा और आरव ने कॉल काट दिया था ।
तभी निवेदिता वहां आई और शिवानी ने कहा "आंटी... आपके बेटे ने कॉल किया था ..."
"तो क्या कहा... मेरे बेटे ने...!" निवेदिता ने मुस्कुराते हुए पूछा था और मेरे बेटे पर ज़ोर देते हुए कहा था । जबकि शिवानी ने शर्म से मुस्कुराते हुए कहा ।
" उसने कहा कि वह देर से आएंगे... लगता है उनकी कोई मीटिंग है..."
"ओह... लेकिन मुझे भूख लगी है..." निवेदिता ने मुंह बनाया था ।
"आपने खा लिजिए आंटी... उन्होंने कहा कि इंतजार मत करना ..." उसने तुरंत कहा और निवेदिता ने पूछा "और तुम...?"
"मुझे भूख नहीं लगी है... मैं खाना बाद में खा लूँगी..." शिवानी ने पढ़ते हुए जवाब दिया और निवेदिता ने आह भरते हुए कहा "ठीक है... मैं अपना खाना खा रही हूँ... मुझे दवाइयाँ भी लेनी हैं..."
एक घंटे बाद,
शिवानी ने देखा कि निवेदिता आरव का इंतज़ार करते हुए नींद की झपकीयो के बिच जागने की कोशिश कर रही थी ।
"आंटी... आप प्लीज जाकर सो जाइए..." शिवानी ने कहा और निवेदिता ने खुद को सीधा करते हुए कहा "अरे नहीं बेटा... आरव घर आता होगा ना... मैं ठीक हूँ... यह सिर्फ दवाइयों का असर है..."
"मैं समझती हूँ आंटी... लेकिन आप आराम करो... मैं वैसे भी यहाँ पढ़ाई कर रही हूँ.. . उनके आने पर मैं आपको जगा दूँगी..." उसने सुझाव दिया और निवेदिता ने एक पल सोचा और कहा "तुमने भी खाना नहीं खाया ना... चलो आओ..."
"मुझे अभी भूख नहीं है आंटी... जब मुझे भूख लगेगी तो मैं खुद ही खा लूँगी... इसलिए मैं कह रही हूँ कि आप जाकर आराम करो... उनके आने पर मैं आपको फोन करूँगी..." उसने फिर कहा था ।
"are you Sure ?" निवेदिता ने पूछा और शिवानी ने हां में में सिर हिलाया और निवेदिता को उसके कमरे में जाने दिया था ।
2 घंटे बाद आरव लौटा और उसने देखा कि शिवानी अपनी आँखें मल रही है और पढ़ने की कोशिश कर रही है ।
"अरे... अभी तक सोई नहीं...?" उसने अंदर आते हुए पूछा जबकि वह तुरंत उसे देखकर खड़ी हो गई थी । उसने अपनी नींद भरी आँखों से मुस्कुराने की कोशिश की और कहा ।
"मैं एग्जाम की तैयारी कर रही हूँ..."
"ओह ओ के... मोम कहाँ है...?" उसने अपना ब्लेज़र उतारते हुए पूछा और शिवानी ने जवाब दिया "वो... उन्हें दवाइयों की वजह से नींद आ रही थी... तो मैंने उन्हें सोने के लिए कहा... क्या मैं आंटी को जगा दूँ...?"
"नहीं नहीं... उन्हें सोने दो..." उसने उसे रोकते हुए कहा और वे दोनों एक पल के लिए चुप हो गए थे ।
आरव को कभी भी खुद खाना परोसने की आदत नहीं थी और हमेशा उसकी माँ ही उसे खाना परोसती थी । हालाँकि अभी कुछ दिन ही हुए हैं, शिवानी ने उनकी शिड्यूल्ड देखी है और सिचुएशन को समझ रहीं थीं ।
"आप... फ्रेश हो कर आइए... मैं टेबल पर खाना लगाती हूँ..." उसने कहा जिससे वह आहें भरता हुआ मुस्कुराया और वह अपने कमरे में चला गया था ।
वह कुछ मिनट बाद डाइनिंग पर आया जबकि उसने बर्तन गर्म करके सब कुछ तैयार कर रखा था ।
शिवानी ने उसे निवेदिता की तरह ही खाना परोसा और पहला निवाला खाने से पहले आरव ने उसने पूछा "क्या तुमने खाया...?", यह सवाल वह अपनी माँ से पूछना कभी नहीं भूलता था ।
उसने ना में सिर हिलाकर कहा था ।
"मुझे भूख नहीं थी और मैं पढ़ रही थी..."
उसने मुस्कुराया और उसे बैठने का इशारा करते हुए दूसरी प्लेट पलट दी और आरव ने खुद परोस कर दी ।
उन्होंने चुपचाप कुछ निवाले खाए और उसने पूछा "आज आप इतनी देर से क्यों आएं हो ? ?"
"वो... हमारा केलिफोर्निया क्लाइंट के साथ प्रोजेक्ट मर्जर है... इसलिए वह सुबह के टाइम मीटिंग चाहता था... और सिर्फ़ आज ही नहीं, यह एक हफ़्ते या शायद 10 दिन तक जारी रहेगा..." उसने कहा और उसने चौंककर उसकी तरफ देखा और पूछा "तो आप अगले 10 दिनों तक हमारे साथ डिनर पर नहीं आओगे...??"
उसने कंधे उचकाते हुए सिर हिलाया और पूछा "तुम बताओ... कॉलेज कैसा चल रहा है...?? तुम्हारी एग्जाम कब शुरू होंगी...??"
निवेदिता की नींद अचानक टूटी और घड़ी में टाइम देखकर चौंक गई और उसने दरवाज़ा खोला तो देखा कि आरव और शिवानी साथ में अपना डिनर कर रहे थे ।
उसने मुस्कुराते हुए आह भरी और सोचा "चलो अच्छा है... कम से कम नोर्मल लोगों की तरह बात तो कर रहे हैं " और अपने बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया उन्हें शिवानी हमेशा से ही पसंद थी । लेकिन आरव और शिवानी कि एज में लंबे डीफरेंश और उन दोनों के बिच की ओकवरडनेस को देखकर वह अपनी ख्वाहिश कभी बता नहीं पाई थी ।
जब उन्होंने अपना डिनर खत्म किया, तो शिवानी ने उसकी मदद से बर्तन साफ किए और अपनी किताबें लीं और वे एक दूसरे को देखने लगे थे ।
"गुड नाइट..." शीवानी ने कहा था ।
"हाँ गुड नाइट और... उम्म थैंक यू..." आरव ने कहा और अपने कमरे में चला गया, जबकि वह उसे देखकर मुस्कुराई थी ।
अगली सुबह, जब तक शिवानी तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आई, निवेदिता लिविंग रूम में थी ।
"गुड मॉर्निंग बेटा..." उन्होंने कहा और शिवानी ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया था ।
गुड मॉर्निंग आंटी ।
"अच्छा शिवी ... नाश्ता तैयार है... इसे खा लो और ड्राइवर इंतज़ार कर रहा है.. .वह तुम्हें छोड़ देगा... आरव आज ऑफिस के लिए जल्दी निकल गया..."
शिवानी ने उन्हें भौंहें सिकोड़ते हुए देखा और पूछा "इतनी जल्दी...??"
"हाँ बेटा... उसने कहा कि उसे कुछ काम है... वह 8 बजे ही चला गया..." निवेदिता ने नाश्ता परोसते हुए कहा था ।
शिवानी ने उन्हें भौंहें सिकोड़ते हुए देखा और पूछा "इतनी जल्दी...??"
"हाँ बेटा... उसने कहा कि उसे कुछ काम है... वह 8 बजे ही चला गया..." निवेदिता ने नाश्ता परोसते हुए कहा था ।
"ओह हां... कल रात उन्होंने कहा था कि उनकी मीटिंग्स होंगी और वह अगले 10 दिनों तक देर से आएंगे..." शिवानी ने नाश्ता करते हुए कहा और निवेदिता ने सिर हिलाते हुए कहा "हाँ उसने जाते वक्त मुझसे भी यही कहा था..."
उसने जल्दी से अपना नाश्ता खत्म किया और कॉलेज चली गई थी ।
उस रात को भी , पिछली रात की तरह ही दोहराया गया ।
जब निवेदिता जागने की कोशिश कर रही थी।
"आंटी... मैं आपको जगा दूँगी..." उसने कहा और निवेदिता ने अपनी मुस्कान छिपाते हुए पूछा "हाँ कल की तरह...??"
शिवानी ने इधर उधर देखा और कहा ।
"मैं आपको जगाने वाली थी आंटी... उन्होंने कहा नहीं जगाने को ..."
वह हँसी और बोली "अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे जगा देना..."
"जी आंटी..." उसने जवाब दिया और निवेदिता अपने कमरे में सोने चली गई थी ।
3 घंटे बाद, जब मानिक आया तो पिछले दिन की तरह हैरान नहीं हुआ, बल्कि मुस्कुराया और फ्रेश होने चला गया और शिवानी अपनी रुटीन की तरह टेबल सेट करने के लिए रसोई में चली गई थी ।
उन्होंने चुपचाप अपना डिनर किया, ज़्यादातर अपने अपने काम और पढ़ाई से थके हुए थे ।
अगली सुबह, जब शिवानी 8 बजे तक तैयार हो गई, तो आरव मीटिंग में शामिल होने के लिए 7 बजे ही ऑफिस चला गया था ।
उस रात, हमेशा की तरह, डिनर करते टाइम उसने पूछा "कल भी, आप जल्दी निकलोगे...??"
उसने एक पल सोचा और कहा "उम नहीं... कल मीटिंग है... लेकिन मैं 8:30 बजे तक निकल जाऊंगा... मुझे दूसरे ब्रांच की ऑफिस जाना है...
"ओह, तो आप मुझे क ल भी कॉलेज नहीं डरोप सकते...??" उसने झिझकते हुए पूछा और आरव ने हंसते हुए कहा ।
"बेशक मैं तुम्हें ड्रोप कर दूंगा..."
शिवानी ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को गुड नाइट कहा और अपने कमरे में चली गई थी ।
सुबह, दोनों ने निवेदिता को अलविदा कहा और उसके कॉलेज के लिए निकल पड़े । उसे जम्हाई लेते देख वह हंस पड़ा और जब तक वे कॉलेज पहुंचे, आरव उसे सोता हुआ देखकर हैरान रह गया था ।
उसने बेयकीनी में अपना सिर हिलाया और उसका नाम पुकारा । जब वह नहीं जागी, तो उसने उसे थोड़ा हिलाया, उसका नाम थोड़ा जोर से पुकारा जिससे वह घबराहट में तुरंत जाग गई ।
"ओह.. .हम पहुँच गए..." उसने अपने बालों को ठीक करते हुए कहा और उसने आँखें घुमाते हुए कहा "तुम जल्दी क्यों नहीं सो जाती...?? जल्दी सोया करो ना..."
उसने अपना बैग लेते हुए अपने होंठ हिलाए और कहा था ।
"तो आप जल्दी घर आ जाया करो ना..."
आरव ने अपनी आँखें सिकोड़ लीं और शिवानी ने अपनी जीभ काट ली, उसकी ओर न देखते हुए । उसने जल्दी से अपना बैग ठीक किया और कहा "सॉरी... और.. .ड्रॉप करने के लिए थैंक यू... बाय..."
उसके कुछ कहने से पहले ही वह कार से बाहर निकल गई और जाते समय उसे अपना सिर थपथपाते देखकर वह मुस्कुराया था ।
उस रात, निवेदिता और शिवानी 7 बजे आरव को देखकर हैरान रह गईं और निवेदिता ने पूछा " आरव ...आज तुम जल्दी आ गए...!!"
"हाँ मोम ... मैं... मुझे जोर की में भूख लगी है..क्ष.मैं अभी फ्रेश होकर आता हूँ..." उसने कहा और अपने कमरे में चला गया था ।
"ये लड़का भी ना... अब डिनर भी आधा अधूरा बना है... शिवी बेटा... आओ मेरी मदद करो ना..." उन्होंने आवाज़ लगाई और जब तक आरव मेज़ पर आया, शिवानी ने जल्दी से निवेदिता की रोटियाँ बनाने में मदद की थी ।
"काम खत्म हो गया है कि आज तुम जल्दी आ गए...??" निवेदिता ने डिनर करते हुए पूछा था ।
"उम नहीं मोम... लेकिन मैंने सोचा कि घर से ही मीटिंग अटेंड कर लूँ... अगर देर हो गई तो दिक्कत होगी ना..." उसने कहा था ।
उन्होंने अपना डिनर खत्म किया और निवेदिता अपने कमरे में चली गई थी ।
वह जाने के लिए मुड़ा लेकिन शिवानी की तरफ देखा और सिर हिलाया जैसे पूछ रहा हो ।
' Okay?' ठीक है ?'
शिवानी ने अपना सिर झुकाया और मुस्कुराते हुए कहा । "Thank you "
" "Good night" आरव ने कहा और उसने भी मुस्कुराकर जवाब दिया था । । ।
कुछ दिन बाद ।
"तुम्हारी स्टडीज कैसी चल रही हैं?" आरव ने शिवानी से कॉलेज छोड़ते टाइम एक रेगुलर दिन पूछा था ।
"हाँ अच्छी चल रही है ... एग्जाम चल रहे हैं 3 पेपर और बाकी हैं... और फिर छुट्टियाँ..." उसने मुस्कुराते हुए कहा था ।
"अच्छा... वैरी गुड..." आरव ने कहा और उसके उतरने के बाद उसे बाय कहा था ।
"थैंक यू ..." उसने हाथ हिलाकर जवाब दिया और अंदर चली गई थी ।
शिवानी के आखिरी पेपर से पहले ।
शिवानी अपने कमरे में अपनी पेपर की तैयारी कर रही थी जबकि निवेदिता और आरव लिविंग रूम में थे ।
"आरव ... शिवानी की एग्जाम कल तक खत्म हो जाएँगी... क्या हम कहीं छुट्टी मनाने चलें...!? उसको भी अच्छा लगेगा..." निवेदिता ने कहा और आरव ने अपने फोन से नज़रें उठाकर कहा "उम्म मोम ... मैं नहीं आ सकता... मुझे ओफीस में बहुत काम है मोम ..."
"प्लीज़ ना आरव ..." उसकी मोम ने रिक्वेस्ट की और आरव ने आह भरते हुए कहा "मोम प्लीज समझने की कोशिश करो... अभी अभी हमें एक नया प्रोजेक्ट मिला है... मेरी यहाँ ज़रूरत है... मैं नहीं आ सकता मोम ... लेकिन... तुम दोनों आगे बढ़ो... बस मुझे जगह बताओ और मैं सारी अरेंजमेंट कर दूँगा..."
हालाँकि निवेदिता ने अपने होंठ हिलाए, फिर उसने कहा ठीक है और शिवानी के पास चली गई थी ।
"बेटा... क्या मैंने तुम्हें परेशान किया...??" निवेदिता उसके कमरे में घुसते ही पूछा था और शिवानी ने जल्दी से मुस्कुराते हुए कहा "अरे नहीं आंटी.. .मैं बस ब्रेक लेने ही वाली थी..."
"ओह... शिवी बेटा... तुम छुट्टियों में कहाँ जाना चाहती हो...?" उसने पूछा और शिवानी नी ने तुरंत कहा "मैंने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा आंटी..."
"सोच के बताओ बेटा... हम दोनों कहीं जाकर मौज -मस्ती करेंगे..." निवेदिता ने कहा था और शिवानी ने पूछा था ।
"सिर्फ हम दोनों?"
कुछ दिन बाद…
इब्राहिम ने पूछा था ।
“तुम्हारी स्टडीज़ कैसी चल रही हैं?”
(कॉलेज छोड़ते समय रेगुलर दिन पर पूछा)
“हाँ, अच्छी चल रही हैं... एग्ज़ाम चल रहे हैं—3 पेपर हो चुके और बाकी बचा है... फिर छुट्टियाँ...”
ज़ारा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया था ।
इब्राहिम:
“अच्छा... वेरी गुड...”
(उतरने के बाद)
“बाय।”
ज़ारा:
“थैंक यू...”
(हाथ हिलाकर)
कॉलेज के लॉन पर ज़ारा अपनी दो सहेलियों, लाना और मरयम, के बीच एक बेंच पर चली गयी थी।
इब्राहिम अपनी कार लेकर निकल गया था।
और उनकी प्रेजेंस से ज़ारा का ध्यान बेमन से टूट गया। इसके कुछ ही पल बाद लाना चुटकी लेते हुए मुस्कुराई,
"वो देखा? इब्राहिम फैज़—वो तुम्हें देखकर हँस तो नहीं दिया?"
मरयम ने भी हँसते हुए कहा, "तुम्हारे रंगत से पता चलता है, कोई बात है!" दोनों की बातें सुन ज़ारा का चेहरा लाल हो गया। उसने धीरे से कहा, "कुछ नहीं, बस... वह इब्राहिम है—मेरी अम्मी के फ्रेंड के बेटा हैं ।"
लेकिन ज़ारा के दिल पर फिर भी एक हल्की सी गर्माहट दौड़ गई थी।
सुबह इब्राहिम के "वेरी गुड" कहने की मीठी आवाज़, उसके इंतज़ार में टूटी नींद पर ज़ारा की चिंता दिखाना, और उससे मिली हेल्प ा—ये सब उसके जहन में घूम रहे थे।
उसने खुद से पूछा, "क्या मैं वाकई शिकायत करना चाहती हूँ कि मैं उससे बहुत बात करती हूँ? क्या ये सिर्फ दोस्ती है?"
सांसों के बीच उसकी दिल की धड़कन तेज हो उठी। लाना और मरयम ने फिर एक बार हंसते हुए देखा, लेकिन ज़ारा मुस्कुराकर टाल गई।
फिर भी अंदर ही अंदर एक हल्की सी उमंग और अनजानी सी उलझन थी —और ये छोटे-से पल उसे खुद के अंदर एक नए एहसास से रूबरू करा रहे थे।
ज़ारा के आख़िरी पेपर से पहले…
ज़ारा अपने कमरे में तैयारी कर रही थी, जबकि नसीरा बेग़म और इब्राहिम लिविंग रूम में थे।
नसीरा बेग़म:
“इब्राहिम... ज़ारा की एग्ज़ाम कल तक ख़त्म हो जाएँगी... क्या हम कहीं छुट्टी मनाने चलें? उसे भी अच्छा लगेगा...!”
इब्राहिम:
(फोन से नज़रें उठाकर)
“उम्म मॉम, मैं नहीं आ सकता... मुझे ऑफिस में बहुत काम है...”
नसीरा बेग़म:
“प्लीज़ ना इब्बु...”
(रिक्वेस्ट करती हुई)
इब्राहिम:
“मॉम, प्लिज समझने की कोशिश करो... अभी हमें एक नया प्रोजेक्ट मिला है... मेरी यहाँ ज़रूरत है... मैं नहीं आ सकता मॉम... लेकिन तुम दोनों आगे बढ़ो—बस मुझे जगह बताओ, और मैं सारी अरेंजमेंट कर दूंगा।”
नसीरा बेग़म:
(होठ हिलाते हुए)
“ठीक है।”
(ज़ारा के पास चली गई)
नसीरा बेग़म:
“बेटा... क्या मैंने तुम्हें परेशान किया?”
(कमरे में घुसते)
ज़ारा:
“अरे नहीं खाला ... मैं बस ब्रेक लेने वाली थी...”
(जल्दी से मुस्कुराकर)
नसीरा बेग़म:
“ओह... ज़ारा बेटा... तुम छुट्टियों में कहाँ जाना चाहती हो?”
(पूछते)
ज़ारा:
“मैंने इसके बारे में अभी तक सोचा नहीं, खाला...”
नसीरा बेग़म ने सुझाव दिया, “सोच के बताओ बेटा… हम दोनों कहीं जाकर मौज–मस्ती करेंगे।”
ज़ारा ने पूछा, “सिर्फ हम दोनों?”
नसीरा बेग़म उदास स्वर में बोली, “हाँ बेटा, तुम्हारा भाई ऑफिस की वजह से नहीं आ पाएगा।”
ज़ारा ने एक पल सोचा और फिर चिंता जताई, “लेकिन खाला… अगर हम दोनों जाएँ, तो क्या वो अकेले मैनेज कर पाएगा? वैसे भी हाउस हेल्प है, लेकिन…”
नसीरा बेग़म ने कंधे उचकाते हुए कहा, “हाँ, मैंने भी यही सोचा है... लेकिन करना तो कुछ है—दूध, खाना सर्व करना…”
ज़ारा झिझकते हुए बोली, “मुझे भी घूमने का मन नहीं है… क्यों न यहीं आसपास घूम लिया जाए? वैसे भी, उसे अकेले मैनेज करना मुश्किल हो सकता है... डिनर के लिए तो आपको ही चाहिए…”
नसीरा बेग़म मुस्कुराई, “बात तो ठीक कही…” फिर उसकी आवाज़ नरम हुई, “लेकिन…”
नसीरा बेग़म ने कंधे उचकाते हुए कहा, “हाँ, मैंने भी यही सोचा है... लेकिन करना तो कुछ है—दूध, खाना सर्व करना…”
ज़ारा झिझकते हुए बोली, “मुझे भी घूमने का मन नहीं है… क्यों न यहीं आसपास घूम लिया जाए? वैसे भी, उसे अकेले मैनेज करना मुश्किल हो सकता है... डिनर के लिए तो आपको ही चाहिए…”
नसीरा बेग़म मुस्कुराई, “बात तो ठीक कही…” फिर उसकी आवाज़ नरम हुई, “लेकिन…”
ज़ारा ने तुरंत कहा, “कोई बात नहीं खाला, अगले सेमेस्टर के बाद छुट्टियाँ होंगी, तब हम एक बड़ी ट्रिप पर चलेंगे।”
जाने से पहले ज़ारा ने नर्मी से कहा, “खाला...”
नसीरा बेग़म मुड़ी और ज़ारा ने झिझकते हुए पूछा, “अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो, तो क्या हम एक बार अजमेर शरीफ़ चलेंगे? मम्मा वहाँ जाना चाहती थीं लेकिन नहीं जा पाईं।”
नसीरा बेग़म की आंखें चमकीं, उसने उदास मुस्कान दी और कहा, “ज़रूर बेटा, हम चलेंगे... तुम इतना हिचकिचा क्यों रही हो?”
ज़ारा ने बस हल्की मुस्कान दी, जबकि नसीरा बेग़म ने जल्दी से अपने आंसू पोंछते हुए कहा, “चलो, चलो खाना भी खा लेते हैं।”
अगली सुबह...
नसीरा बेग़म ने इब्राहिम (आरव) से कहा, “हम एक या दो दिन के लिए अजमेर शरीफ़ जाना चाहते हैं…”
इब्राहिम भौंंचक्का हुआ, “बस दो दिन? फिर बाकी दिनों में आप क्या करेंगी?”
ज़ारा चम्मच से खेलते हुए धीरे बोली, “मैं अभी कहीं जाना नहीं चाहती… सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियाँ मिलेंगी, तब चलेंगे।”
इब्राहिम ने आह भरी, फिर मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है… मैं सारी अरेंजमेंट कर दूँगा।”
कुछ दिन बाद...
नसीरा बेग़म और ज़ारा अजमेर शरीफ़ के लिए निकल पड़ीं, और जब इब्राहिम ऑफिस से लौटा, घर शांत था।
“भगवान का शुक्र है कि सिर्फ दो दिन की योजना बनाई है…” उसने सोचा और हाउस हेल्प दीदी से रात का खाना लेकर अपने कमरे में चला गया।
रात में...
इब्राहिम ने पहले ज़ारा को फोन किया, लेकिन उसने कहा, “जी सब ठीक है...” और फोन उसकी माँ को दे दिया।
“बोल बेटा...” नसीरा बेग़म ने फोन उठाया, हँसते हुए कहा, “सब ठीक है, फोन साइलेंट था, मिस्ड कॉल भी देख लिया।”
इब्राहिम ने पूछा, “ठीक है… आप कब वापस आ रही हैं?”
नसीरा बेग़म ने मुस्कुराकर कहा, “तुमने ही तो टिकट बुक किए थे—परसों लौटेंगे।”
इब्राहिम ने मुस्कुरा कर फोन काट दिया।
दो महीने बाद...
नया सेमेस्टर शुरू हो चुका था। एक शाम इब्राहिम ऑफिस से लौटा, तो वह लिविंग रूम में आंसुओं में डूबी ज़ारा को ढाढ़स देती देख हैरान रह गया।
नसीरा बेग़म बोली, “प्लीज़ ज़ारा, रोना बंद कर दो… हम मिलकर इसे सुलझा लेंगे।”
लेकिन ज़ारा की सिसकियाँ रुकीं नहीं।
लिविंग एरिया में सन्नाटा था—इब्राहिम की आँखें फ्रस्ट्रेशन से बंद हो गईं।
तभी वह चिल्लाया, “चुप!”
नसीरा बेग़म बीच में आईं, और इब्राहिम व्याकुल स्वर में बोले, “क्या हुआ?”
नसीरा बेग़म ने हिम्मत कर कहा, “ज़ारा के इस सेमेस्टर में एक सब्जेक्ट में समस्या हो गई—असाइनमेंट में बहुत कम मार्क्स मिले हैं।”
इब्राहिम ने तीखे स्वर में पूछा, “कौन सा सब्जेक्ट?” फिर अपनी आँखें ज़ारा पर टिकाईं।
ज़ारा ने भारी साँस ली और फुसफुसाई, “इकोनोमिक्स।”
कुछ दिन बाद, शाम का वक़्त...
---
इब्राहीम ने एक गहरी साँस ले कर कहा,**
“पिछले कुछ महीनों से मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है—अगर तुम्हें किसी मदद की ज़रूरत हो, तो मेरे पास आओ? कई बार, है न?”
ज़ारा चुप थी; तभी वह चिल्लाया,
“हाँ या ना कहो?”
ज़ारा डर के मारे बमुश्किल बोली, “हाँ...”
इब्राहीम बोले, “तो फिर यह क्या है? इस छोटी‑सी बात पर ये आंसू क्यों बहा रही हो? तुम्हें अगर किसी सब्जेक्ट—जैसे इकोनोमिक्स—में परेशानी थी, तो तुम बस मुझे या खाला को बता देती। हम मदद करते, अरेंज करते... तुम इतने महीनों से क्या कर रही थी?”
नसीरा बेग़म बीच में आईं और शांत करने की कोशिश की। एक पल चुप रहने के बाद, आरव ने नरमी से कहा,
“ठीक है… ज्यादा वरी मत करो... बस रात के बाद अपनी किताबें लेकर पढ़ाई में आ जाओ। हम साथ मिलकर काम करेंगे।”
ज़ारा बेचैन मन से मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई।
---
थोड़ी देर बाद, नसीरा बेग़म ने आकर हल्के तानों में पूछा,
“ओये... तुम इतनी हक्का-बक्का क्यों दिख रही हो?”
ज़ारा ने उस पर आँखे घुमाईं और जवाब दिया,
“इकोनोमिक्स ऑब्जेक्ट है, खाला…”
**नसीरा बेग़म मुस्कुराईं:**
“तो? मेरा बेटा MBA ग्रेजुएट है—इकोनोमिक्स में टॉपर है!”
ज़ारा ने खुली मुस्कान के साथ नसीरा बेग़म की तरफ देखा।
“बस बस... चलो...” खाला ने हँसते हुए उसे टोक दिया।
---
**नाइट डाइनर के बाद...**
इब्राहीम ने ज़ारा को किताबें उठाते देखा और चिढ़ते हुए पूछा,
“तुम्हारा रोना बंद हो गया?”
फिर कहा, “चलो, स्टडी रूम में चलते हैं… मुझे भी काम निपटाना है।”
ज़ारा पीछे- पीछे चली गई।
इब्राहीम ने किताबें लीं और पूछा,
“क्या हम पहले चैप्टर से शुरू करें या तुम्हारे पास कोई खास चैप्टर है?”
ज़ारा मुश्किल से सिर हिलाकर 'नहीं' में जवाब दी। इब्राहीम ने पहला चैप्टर समझाना शुरू किया।
---
**एक घंटे बाद...**
इब्राहीम ने पैन और कागज दिया और कहा,
“अब अपने शब्दों में लिखो—जो कुछ समझा।”
ज़ारा ने डेली-लाइफ़ उदाहरण के साथ समझाया और उसे कागज़ पर उतारा।
इब्राहीम ने चेक किया, ज़ारा काँप गई।
इब्राहीम ने पूछा,
“क्या समझ गई हो या कोई कन्फ्यूजन है?”
ज़ारा ने यकीन से सिर हिलाया—“समझ गई।”
इब्राहीम ने मुस्कुरा कर कहा,
“ठीक है, कल अगला चैप्टर लेते हैं—अब देर हो चुकी है, जाओ सो जाओ।”
ज़ारा ने गर्मजोशी से कहा,
“जी… थैंक यू।”
इब्राहीम ने नर्मी से कहा,
“जारा...”
ज़ारा रुक गई।
इब्राहीम ने प्यार से कहा,
“किसी भी बात पर रोने या परेशान होने की ज़रूरत नहीं है... बस मुझे कहना... मैं इसका ध्यान रखने के लिए यहाँ हूँ—हम दोनों मिलकर संभाल लेंगे, ठीक है?”
ज़ारा ने एक हल्की मुस्कान के साथ हां में सिर हिलाया।
* इब्राहीम** “गुड नाईट।”
**ज़ारा:** “गुड नाईट।”
---
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें...
प्लीज़ चैप्टर को लाइक करें और कॉमेंट करना मत भूलें... खुश रहें 😊
हालाँकि निवेदिता ने अपने होंठ हिलाए, फिर उसने कहा ठीक है और शिवानी के पास चली गई थी ।
"बेटा... क्या मैंने तुम्हें परेशान किया...??" निवेदिता उसके कमरे में घुसते ही पूछा था और शिवानी ने जल्दी से मुस्कुराते हुए कहा "अरे नहीं आंटी.. .मैं बस ब्रेक लेने ही वाली थी..."
"ओह... शिवी बेटा... तुम छुट्टियों में कहाँ जाना चाहती हो...?" उसने पूछा और शिवानी नी ने तुरंत कहा "मैंने इसके बारे में कुछ नहीं सोचा आंटी..."
"सोच के बताओ बेटा... हम दोनों कहीं जाकर मौज -मस्ती करेंगे..." निवेदिता ने कहा था और शिवानी ने पूछा था ।
"सिर्फ हम दोनों?"
"हाँ मेरे बेटे को कुछ काम है... इसलिए वह हमारे साथ नहीं आ सकता..." उसने उदास होकर कहा था ।
शिवानी ने एक पल सोचा और कहा "लेकिन आंटी... क्या वह अकेले मैनेज कर पाएगा अगर हम दोनों जाएँगे तो ...!?"
"हाँ वो मैंने भी सोचा है... लेकिन क्या करें... उसे अकेले ही मैनेज करने दों ...वैसे भी हाउस हेल्प हैं न..." निवेदिता ने कंधे उचकाते हुए कहा था ।
"आंटी... मुझे भी कहीं जाने का मूड नहीं है... चलो यहीं रुकते हैं और कहीं आस- पास ही चलते हैं... इसके अलावा, वह अकेले मैनेज नहीं कर पाएगा... उनको तो डिनर सर्व करने के लिए आप चाहिए..." शिवानी ने कहा था ।
निवेदिता ने हंसाते हुए कहा और कहा "बात तो सही है... लेकिन..."
"कोई बात नहीं आंटी... साल खत्म होने के बाद मुझे और छुट्टियाँ मिलेंगी.. . तब हम एक बड़ी ट्रिप पर जाएँगे..." उसने निवेदिता को मुस्कुराते हुए और सिर हिलाते हुए कहा था ।
जब वह जाने वाली थी, तो शिवानी ने उसे "आंटी" कहकर पुकारा था ।
"हाँ बोल बेटा" वह मुड़ी और शिवानी ने झिझकते हुए पूछा "वो अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो, तो क्या हम एक बार शिरडी चलें...!? मम्मा जाना चाहती थीं, लेकिन नहीं जा सकीं थी..."
निवेदिता ने उदास मुस्कान दी और कहा "ज़रूर जाएंगे बेटा... तुम इतना क्यों हिचकिचा रही हो...!!!"
शिवानी ने बस हल्की सी मुस्कान दी, जबकि निवेदिता ने जल्दी से अपने आंसू पोंछे और कहा "चलो... चलो खाना खाते हैं... चलो..."
"आरव ... हम एक या दो दिन के लिए शिरडी जाना चाहते हैं... बस..." निवेदिता ने कहा, जिससे आरव भौंचक्का हो गया और पूछा "बस..?? सिर्फ़ 2 दिन...?? बाकी दिनों में आप दोनों क्या करोगी...?"
उसने शिवानी की तरफ़ देखा, जो अपने चम्मच से खेल रही थी और नीचे देखने लगी थी । उसने नंदिनी की ओर देखा जो अपने चम्मच से खेल रही थी और जवाब देने से पहले नीचे देखा "वो... मैं अभी कहीं नहीं जाना चाहती ...अगले सेमेस्टर के बाद, मेरी और छुट्टियाँ होंगी.. फिर जाएंगे."
आरव ने आह भरी और कहा "ठीक है... मैं अरेंजमेंट कर लूँगा..."
कुछ दिनों बाद ।
निवेदिता और शिवानी शिरडी चली गईं और जब तक आरव ऑफिस से वापस आया, घर लगभग खाली हो चुका था ।
"भगवान का शुक्र है कि उन्होंने सिर्फ़ दो दिन की प्लानिंग बनाई है..." उसने सोचा जबकि हाउस हेल्प वाली दीदी उसे रात का खाना परोस रही थी ।
खाली कुर्सियाँ देखकर उसने अपने होंठ हिलाए और जल्दी से अपना खाना खत्म करके अपने कमरे में चला गया था ।
आरव ने अपनी मोम को फ़ोन किया और जब उसने फ़ोन नहीं उठाया, तो उसने शिवानी को फ़ोन किया था ।
"हैलो शिवानी ...सब ठीक है...??" आरवने फ़ोन रिसीव होते ही कहा था ।
"जी... सब ठीक है..." उसने जवाब दिया था ।
"मोम को फ़ोन किया था ... उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया... कहाँ है...?" उसने पूछा और शिवानी ने फ़ोन उसकी मोम को दे दिया था ।
"बोल आरव " निवेदिता ने फोन उठाते हुए कहा और उसने पूछा "मोम तुम्हारा फोन कहाँ है...? कोई दिक्कत है क्या...?"
"अरे रिलेक्स मेरी जान... सब ठीक है और फोन साइलेंट मोड पर है... सॉरी..." निवेदिता ने अपना फोन और मिस्ड कॉल चेक करते हुए कहा था ।
"ठीक है मोम ... आप लोग कब वापस आ रहे हो...?" उसने अपने बिस्तर पर लेटे हुए पूछा था ।
"तुमने ही हमारे लिए टिकट बुक किए थे बच्चे... परसों है..." उसने एक मजाकिया मुस्कान के साथ जवाब दिया जिससे वह आहें भरता हुआ फोन काट दिया था ।
दो महीने बाद ।
शिवानी की अगले सेमेस्टर की क्लासेज शुरू हो गई थी और दिन रेगुलर हो गये थे ।
एक ऐसी ही रेगुलर शाम, जब आरव ऑफिस से लौटा, निवेदिता आंसुओं से लथपथ शिवानी को तसल्ली दे रही थी ।
"प्लीज शिव बेटा... मत रोओ... हम इसे सुलझा लेंगे..." वह कह रही थी लेकिन शिवानी की सिसकियाँ जारी रहीं थीं ।
निवेदिता ने आह भरी और कहा "देखो... आरव के आने का टाइम हो गया है । और उसको यह पसंद नहीं आएगा जब उसके आस- पास के लोग इस तरह रोएँ ...अब उसके लौटने का टाइम आ गया है... प्लीज चुप हो जाओ...
शिवानी ने अपने आंसुओं को कंट्रोल करने की कोशिश की, लेकिन आरव के बोलने तक वह ऐसा नहीं कर पाई, "यहाँ क्या हो रहा है...??"
उसने जल्दी से अपने आँसू पोंछे और उसे अपनी ओर कदम बढ़ाते देख वह अपनी जगह पर खड़ी हो गई, जैसा कि वह हमेशा करती थी ।
"आरव ... तुम जाकर फ्रेश हो जाओ... डिनर तैयार है..." निवेदिता ने उसे अंदर भेजने की कोशिश की, लेकिन वह शिवानी को घूर रहा था, जो लगातार रो रही थी और अपने बहते हुए आँसू पोंछ रही थी ।
लिविंग एरिया में उसकी सिसकियों की आवाज़ के अलावा सन्नाटा था और आरव ने फस्ट्रेशन में अपनी आँखें बंद कर लीं थीं ।
"चुप..." आरव ने उसे चौंकाते हुए चिल्लाया और निवेदिता ने भी कुछ ऐसा ही होने की उम्मीद में अपनी आँखें बंद कर लीं थीं ।
"क्या हुआ??" उसने अपनी नाक फड़कते हुए सख्त लहजे में पूछा और शिवानी उसकी डांट को बर्दाश्त नहीं कर सकी थी ।
निवेदिता को बीच में आना पड़ा, उसने शिवानी को चुप, थोड़ा काँपते हुए और आरव के गुस्से को बढ़ता हुआ देखा था ।
"वो... इस सेमेस्टर में उसे एक सब्जेक्ट में प्रोब्लम हो गई है... असाइनमेंट में उसे बहुत कम मार्क्स मिले हैं..." निवेदिता ने कहा और आरव ने बेयकीनी में अपनी आँखें घुमाईं थी ।
"कौन सा सब्जेक्ट???" आरव ने पूछा और निवेदिता के जवाब देने से पहले, उसने अपना हाथ दिखाया और पुकारा "मैं तुमसे पूछ रहा हूँ शिवानी"
शिवानी ने घुटन भरी साँस ली और कहा "इकोनोमिक्स"
आरव
आरव ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा "पिछले कुछ महीनों से, मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि अगर तुम्हें किसी मदद की ज़रूरत हो तो मेरे पास आओ...!??? कई बार, है न..??"
वह चुप खड़ी रही और उसने चिल्लाते हुए कहा "हाँ या ना कहो..??"
"हाँ हाँ..." उसने डरते हुए कहा था ।
"तो फिर यह क्या है...?? इस छोटी सी बात पर ये आंसू क्यों...?? अब क्या हुआ...??? तुम्हें किसी सब्जेक्ट में प्रोब्लम है... तुम्हें बस मोम या मुझे बता देना चाहिए था...अगर हमें पता चल जाए तो हम मदद करेंगे या फिर हम मदद का इंतज़ाम करेंगे.. .तुम इतने महीने से क्या कर रही हो...??" उसने पूछा और वह अपना सिर नीचे झुकाकर खड़ी हो गई थी ।
निवेदिता ने उसे शांत होने का इशारा किया और आरव ने एक मिनट रुककर फिर शांति से कहा "ठीक है... ज्यादा वरी मत करो... बस रात के खाने के बाद अपनी किताबें ले कर स्टडी में आओ... हम साथ मिलकर इस पर काम करेंगे..."
शिवानी ने हैरानी से उसकी ओर देखा लेकिन उसने आह भरी और अपने कमरे में चला गया था ।
"ओये... तुम इतनी हक्का बक्का क्यों दिख रही हो???" निवेदिता ने पूछा था ।
"यह इकोनोमिक्स है आंटी..." उसने फिर कहा और निवेदिता ने हंसते हुए कहा "तो...?? मेरा बेटा एमबीए ग्रेजुएट है... इकोनोमिक्स में टॉपर है..."
शिवानी ने अपना मुंह चौड़ा करके हंसती हुई निवेदिता को देखा था ।
"बस बस... चलो..." निवेदिता ने उसके खुले हुए मुंह को बंद करके कहा था ।
रात के खाने के बाद ।
"तुम्हारा रोना बंद हो गया???" उसने उसे किताबें लेते हुए देखकर ताना मारा और वह बस मुंह फुलाकर उसे देखती रही था ।
"चलो, स्टडी रूम में चलते हैं... मुझे भी कुछ काम निपटाना है..." आरव ने कहा और आगे बढ़ गया, उसके पीछे -पीछे वह भी चली गई थी ।
आरव ने उसकी किताब ली और पूछा "क्या हम पहले चैप्टर से शुरू करें या तुम्हारे पास कोई खास चैप्टर है??"
शिवानी ने उसके साथ नयी डांट से डरते हुए 'नहीं' में सिर हिलाया और उसने पहला चैप्टर को समझाना शुरू किया था ।
एक घंटे बाद, उसने एक पैन और कागज दिया और कहा "अब अपने टर्म्स में लिखो... जो कुछ भी तुमने समझा है..."
आरव ने अपने मेल चेक किए जबकि शिवानी ने डेली लाइफ के एकजाम्पल के साथ जो कुछ भी समझाया था उसे लिख लिया था ।
"हो गया?" शिवानी ने उसे पेपर आगे बढ़ाते हुए कहा और फिर डर के मारे अपनी अंगुलियों को चटकाया क्योंकि उसने जो लिखा था उसे आरव चेक कर रहा था ।
"अच्छा... तो क्या तुम समझ गई हो या कोई कंफ्युजन है...??" आरव ने उसे पूछा और उसने 'नहीं' में सिर हिलाया और कहा "समझ गई..."
"ठीक है तो... हम कल अगला चैप्टर कवर करेंगे... पहले ही देर हो चुकी है... जाओ और सो जाओ..." उसने अपना काम भी खत्म करते हुए कहा था ।
"जी... थैंक यू ..." उसने कहा और जाने के लिए खड़ी हो गई थी ।
"शिवानी" उसने पुकारा और वह वहीं रुक गई थी ।
"किसी भी बात पर रोने या परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है... तुम्हें बस मुझसे कहना है ।
मैं इसका ख्याल रखने के लिए यहाँ हूँ... उम्म... मेरा मतलब है कि हम इसका ख्याल रखने के लिए यहाँ हैं... ठीक है...??" आरव ने कहा और शिवानी ने एक छोटी सी मुस्कान के साथ हां में सिर हिलाया था । ।
"गुड नाईट" आरव ने कहा और कमरे से बाहर जाने से पहले उसने भी जवाब दिया था । ।
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें...
प्लीज चैप्टर को लाइक करें । ।
कोमेंटस करें । ।
रिव्यू देना बिल्कुल भी ना भूले । ।
सुखी रहें । । सुरक्षित रहे । । पढ़ते रहे । ।
Marriage Talks
पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि ।
"शिवानी" उसने पुकारा और वह वहीं रुक गई थी ।
"किसी भी बात पर रोने या परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है... तुम्हें बस मुझसे कहना है ।
मैं इसका ख्याल रखने के लिए यहाँ हूँ... उम्म... मेरा मतलब है कि हम इसका ख्याल रखने के लिए यहाँ हैं... ठीक है...??" आरव ने कहा और शिवानी ने एक छोटी सी मुस्कान के साथ हां में सिर हिलाया था ।
"गुड नाईट" आरव ने कहा और कमरे से बाहर जाने से पहले उसने भी जवाब दिया था ।
। । और अब आगे । ।
उस दिन के बाद से शिवानी को स्टडीज में हेल्प करना आरव ने अपना रेगुलर रुटीन बना लिया था ।
कुछ दिन बाद आरव ने उसे एक चैप्टर समझाया और फिर उसे नोट्स बनाने को कहा ।
लेकिन जब उसने लिखना खत्म किया और उसे चैक करने के लिए दिया, तो आरव ने गुस्से में अपने दाँत पीस लिए और उसे घूरते हुए उसकी तरफ देखा था ।
""What the hell is this ??? मज़ाक चल रहा है क्या यहाँ पर...??" आरव ने पूछा और वह चौंक गई थी ।
"क्या तुमने सुना भी जो मैंने समझाया...??? यह उस चैप्टर से रिलेटेड भी नहीं है जो मैंने अभी पढ़ाया था..." उसने कागज को उसके चेहरे की ओर करते हुए कहा और वह अपना सिर नीचे झुकाकर चुपचाप बैठी रही थी ।
आरव ने गहरी साँस ली और एक मिनट के लिए पूछा "क्या हुआ शिवानी...?? क्या तुम्हें कुछ परेशान कर रहा है...??" उसने धीरे से सिर हिलाकर ना कहा और उसने फिर से पूछा "तो फिर तुम ध्यान क्यों नहीं लगा रही हो...?? ठीक है बताओ... मैं कुछ नहीं कहूँगा... तुम्हारा ध्यान किस बात पर भटक रहा है...??"
उसने अपनी आँखें झपकाईं और फिर धीरे से कहा "मुवी"
"क्या..??" आरव। ने भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा और उसने सही करते हुए कहा "शाहरुख खान की मुवी" आने वाली है टीवी पर ।
आरव ने आह भरी और कहा "बस.. .इतनी सी बात...!!! तुम्हें मुझे पहले ही बता देना चाहिए था... चलो मुवी देखते हैं..."
वह मुस्कुराई और वे मुवी के खत्म होने तक टीवी के सामने बैठे रहे थे ।
3 घंटे बाद,
"अब खुश हो...?? क्या हम पढ़ाई करें...??" उसने पूछा और शिवानी ने खुशी से सिर हिलाया था ।
वे फिर से अपनी जगह पर चले गए और इससे पहले कि वह बैठ पाती, उसने उसे रोकते हुए कहा "खड़ी रहो"
शिवानी ने कंफ्युजन में उसकी ओर देखा और उसने कहा "जब तक मैं इसे फिर से समझाता हूं, और तुम इसे सही से लिखती हो, तब तक खड़ी रहो... यह पहले से न कहने और टाइम वेस्ट करने की तुम्हारी सजा है..."
शिवानी ने बच्चों की तरह मुंह बनाया लेकिन आरव पिघला नहीं और चैप्टर को फिर से समझाने लगा था ।
उसे समझाने में एक घंटा लग गया और शिवानी को इसे लिखने में बहुत डीफिकल्टी हुई थी ।
"अच्छा... अब जाकर सो जाओ..." आरव ने कहा और वह गुस्से से मुंह बनाकर चली गई, जिससे वह हंसने लगा था ।
दिन नदी की तरह बीतते गए और एक साल से ज़्यादा हो गया है जब से शिवानी मल्होत्रा हाउस में रह रही थी ।
वह अपने थर्ड यर में आ गई थी और उसकी फाइनल एग्जाम नज़दीक थें ।
उसे आरव की मौजूदगी की आदत हो गई थी और वो पुरी तरह से उनकी रुटीन के साथ एडाप्ट हो गई थी । , हालाँकि वह अभी भी उसके लहज़े से थोड़ी डरी हुई रहती थी । लेकिन निवेदिता ने जो उस पर प्यार बरसाया था उसने उसे अपनी मां की कमी से जल्दी उबरने में मदद की थी ।
आरव ने उससे प्रोमिस किया था वो हर कदम पर उसके साथ खड़ा रहेगा और उसने इस प्रोमिस को अपने बिजी सेड्यूल के बाद भी बहुत अच्छी तरह से निभाया था ।
एक दिन शिवानी अपने पुराने घर की साफ सफाई करवा कर वापस आई तो उसने आरव और निवेदिता को ज़ोर ज़ोर से बातें करते हुए सुना था ।
"मोम ...प्लीज़ मोम ...मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि इस टोपिक को फिर से मत उठाओ... जब मैं खुशी से रहता हूँ तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता...?? तुम मुझे शांति से क्यों नहीं जीने देती...??" उसने फस्ट्रेड होकर पूछा था ।
निवेदिता भी उतनी ही गुस्से में थी और चिल्लाई "मैं तुम्हें चैन से जीने नहीं दूंगी...है न...?? सुनो आरव ...मैं तुमसे कोई अजीब बात नहीं पूछ रही जो कोई भी माँ अपने बेटे से पूछती है ... तुम बड़े हो गए हो... अगर तुम्हें लगता है कि तुम अभी भी टीन एज में हो, तो मैं तुम्हारा कंफ्युजन तोड़ दूँ... तुम अपने पिछले बर्थ डे पर 32 साल के हो गए हो..."
आरव ने आँखें घुमाई और चिल्लाया "हाँ तो..." लेकिन निवेदिता की आँखों में पानी देखकर बीच में ही रुक गया और पीछे देखा तो शिवानी उलझन और चिंता में खड़ी थी ।
"शिव बेटा... आ गई तू... चलो जाओ... जाओ फ्रेश होकर आओ..." निवेदिता ने प्यार से कहा लेकिन शिवानी हिली नहीं और पूछा "क्या हुआ आंटी...?"
"कुछ नहीं बेटा... तुम जाकर फ्रेश हो जाओ... मैं हमारे लिए चाय बनाती हूँ..." उसने मजबूरी भरी मुस्कान के साथ कहा था ।
"लेकिन आंटी..." शिवानी ने फिर से पूछने की कोशिश की लेकिन आरव ने अपने सख्त लहजे में कहा था ।
"शिवानी..."
शिवानी ने उसकी तरफ देखा और गले में कुछ अटका लिया और आरव ने कहा "अंदर जाओ" और वह जल्दी से अपने कमरे में चली गई और उसकी बात मान गई थी ।
उसने आह भरी और फिर अपनी माँ की ओर मुड़ा और कहा था "मोम ... ऐसा कोई रुल नहीं है कि एक बार जब आप 30 साल के हो जाते हैं, तो आपको शादी कर लेनी चाहिए... तब भी नहीं जब आप 30 + के हो जाते हैं... शादी कोई ज़रूरत नहीं है मोम ... आपको इसे समझना होगा... और जब मुझे लगेगा कि मुझे कोई ऐसी लड़की मिल गई है जो मुझे और इस घर को संभाल सकती है, तो मैं शादी कर लूँगा... अब प्लीज़..."
निवेदिता को चुप देखकर, उसने उसका हाथ पकड़ा और कहा "आप पर चिल्लाने के लिए I am sorry ..." और निवेदिता को सोच में उलझा छोड़ कर अपने कमरे में चला गया था ।
कुछ देर बाद, शिवानी ने देखा कि निवेदिता अभी भी उसी जगह पर थी और आरव होल में कहीं नहीं था ।
उसने आह भरी और फिर अपनी माँ की ओर मुड़ा और कहा था "मोम ... ऐसा कोई रुल नहीं है कि एक बार जब आप 30 साल के हो जाते हैं, तो आपको शादी कर लेनी चाहिए... तब भी नहीं जब आप 30 + के हो जाते हैं... शादी कोई ज़रूरत नहीं है मोम ... आपको इसे समझना होगा... और जब मुझे लगेगा कि मुझे कोई ऐसी लड़की मिल गई है जो मुझे और इस घर को संभाल सकती है, तो मैं शादी कर लूँगा... अब प्लीज़..."
निवेदिता को चुप देखकर, उसने उसका हाथ पकड़ा और कहा "आप पर चिल्लाने के लिए I am sorry ..." और निवेदिता को सोच में उलझा छोड़ कर अपने कमरे में चला गया था ।
कुछ देर बाद, शिवानी ने देखा कि निवेदिता अभी भी उसी जगह पर थी और आरव होल में कहीं नहीं था ।
"आंटी..." उसने निवेदिता के कंधे पर हाथ रखकर उसे बुलाया और पूछा था ।
"सब ठीक है...?"
निवेदिता ने बस मुस्कुराकर थोड़ा सिर हिलाया और शिवानी को उसे इस तरह देखकर और परेशान करने का मन नहीं हुआ था । इसलिए उसने ज्यादा पुंछ ताछ नहीं की थी ।
रात को, निवेदिता ने आरव के दरवाजे पर दस्तक दी और उसकी परमिशन मिलने पर अंदर चली गई थी ।
"मोम ...आओ... बैठो..." उसने कहा और उसके पास बैठ गया था ।
"आरव ...मुझे पता है कि एक खास उम्र में शादी करना कोई नियम नहीं है.. . ...लेकिन जब तुम्हें वह लड़की मिल जाएगी, तो तुम शादी कर लोगे ना...??" निवेदिता ने पूछा और उसने उसके हाथ पकड़ कर कहा था ।
"अओफ कोर्स मोम ..."
"क्या होगा अगर... क्या होगा अगर मैं कहूँ कि मुझे वह लड़की मिल गयी है...??" निवेदिता ने पूछा और उसने भौंहें सिकोड़ते हुए कहा जब वह आगे बोली "क्या होगा अगर वह लड़की तुम्हारे हर मूड को संभाल सकती है...!? क्या होगा अगर वह लड़की हमारी फैमिली के इतने करीब है...!?"
आरव ने उनके हाथ छोड़ दिए और वह आगे बोली "क्या होगा अगर वह लड़की हमारी इतनी खास है और हमें अंदर- बाहर से जानती है...!?"
आरव अपनी जगह पर खड़ा हो गया और सिर हिलाकर ना में कहा "मोम ...मैं... मैं समझता हूँ कि यह कहाँ जा रहा है.. .लेकिन नहीं मोम ..नहीं प्लीज..."
"क्यों बेटा...?? आरव सुनो... मैंने उसे बचपन से देखा है और मैंने उसे इस एक साल में अच्छी तरह से देखा है... तुम्हे शिवानी से बेहतर लड़की कभी नहीं मिल सकती..." उसने कहा और आरव ने गहरी साँस ली और अपनी आँखें बंद करके फिर से उसके पास बैठ गया और कहा था ।
"मैंने उसे कभी उस तरह से नहीं देखा मोम ..."
"तो अब से उसे देखना..."
"मोम प्लीज... वह अभी भी शादी जैसी रिस्पोंसिबिलिटी के लिए बहुत छोटी है..."
"तो तुम मानते हो कि तुम बूढ़े हो गए हो...??" निवेदिता ने पूछा था ।
"वो अभी भी पढ़ रही है मोम ..." आरव ने कहा था ।
"तो...?? मैंने कभी नहीं कहा कि वो शादी के बाद नहीं पढ़ सकती... क्या तुम उसे रोकोगे ...??" निवेदिता ने पूछा और आरव ने आँखें घुमाईं और उसने कहा "मोम हमारी उम्र में 10 साल का डीफरेश है..."
"मेरे और तुम्हारे पापा के बीच उम्र में 12 साल का डीफरेश है... श्यामा और उसके पति के बीच उम्र में 9 साल का डीफरेश है... इस में कितनी नई बात है...!??" उसने उसे चुप कराते हुए पूछा था ।
"उसे इसके लिए एग्री होना चाहिए..." आरव ने कहा और निवेदिता ने जवाब दिया "आरव ...मैं तुम्हारे बारे में बात कर रही हूँ.. . चलो पहले तुम्हारी तरफ से इसे साफ़ कर लेते हैं..."
उसने अपने बालों को पीछे की ओर ब्रश किया और कहा "मुझे नहीं पता.. .मुझे सिरियसली से समझ नहीं आ रहा है कि मैं आपको क्या बताऊँ..."
निवेदिता ने थोड़ा मुस्कुराया और उसके हाथ थाम लिए और कहा "देखो आरव ...मैंने तुम्हें जन्म दिया है और 30 साल तक पाला है... मैं तुम्हारी माँ हूँ आरव और सबसे बढ़कर, मैं एक वुमन और एक वाइफ हूँ... मैंने तुम्हारे डैड के साथ 25 साल से ज़्यादा टाइम तक साथ निभाया है... और तुम उनकी स्प्लिट इमेज हो... मुझे पता है कि कुछ ऐसे पोइंट हैं जिन पर तुम अपनी माँ से डीसकस नहीं कर सकते, लेकिन जब मैं यह कह रही हूँ तो मेरा ट्रस्ट करो... शिवानी बिल्कुल मेरी तरह है... मैं इसे महसूस कर सकती हूँ आरव ...मैंने पर्सनली से खुद ही समझ सकती हूँ... मैंने तुम्हारे पापा के डोमिनेटिंग नैचर को EVERYTHING में संभाला है... तुम शिवानी के साथ सेटिस्फाइड रहोगे... तुम मेरी बात समझ रहे हो ना...??"
उसने चुपचाप उसकी तरफ देखा और वह बोली "ठीक है... यह सब छोड़ो... कुछ दिनों के लिए, बस कुछ दिनों के लिए, उसे इस तरह से देखने की कोशिश करो... मेरा मतलब है कि उसे अपनी जरूरतों के हिसाब से देखो... अगर तुम्हें लगता है कि उसमें वो सारी खूबियाँ हैं जो तुम अपने लाइफ पार्टनर में चाहते हो, वो बातें जो तुम मुझे नहीं बता पा रहे हो... तो हम इस मेटर को आगे बढ़ाएँगे... लेकिन मेरे हिसाब से, वह हर लिहाज से तुम्हारे लिए सबसे अच्छी है..."
आररव ने बेबसी से आह भरी और कहा "मुझे नहीं पता क्या कहूँ... आप तो बस अपनी बातों से मुझे समझाने में माहिर हो..."
"प्लीज आरव ... एक कोशिश तो कर लो..." निवेदिता ने रिक्वेस्ट की थी ।
"हूँ... ठीक है... मैं कोशिश करूँगा ..." उसने मान लिया था ।
"लेकिन पोजिटिव तरीके से सोचो और बेवकूफी भरे रिजंस से इनकार मत करो... ठीक है...??" निवेदिता ने उसने अपनी उंगली दिखाते हुए कहा और उसने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा था ।
"ठीक है, लेकिन मेरी एक शर्त है"
"क्या है??" निवेदिता ने पूछा और उसने जवाब दिया था ।
"मुझसे वादा करो कि तुम शिवानी से कुछ नहीं कहोगी... तुम नहीं लाओगे
आप उसके सामने यह टोपीक नहीं लाओगी ...उसे ऐसे ही रहने दो.. .उसे अपना लास् यर पूरा करने दो और... भले ही मेरी तरफ से हाँ हो, उसे खुद को ना कहने से रोकना नहीं चाहिए अगर वह आगे पढ़ना चाहती है... हम अपने फैसले उस पर नहीं थोपने जा रहे हैं.. .किसी भी टाइम फाइनल डीसीजन उसका होना चाहिए..."
"मैं प्रोमिस करती हूँ..." निवेदिता ने कोफीडेंस में कहा और फिर उसके गाल को सहलाते हुए कहा था ।
"और बहुत -बहुत थैंक यू आरव ...मेरा यकीन करो तुम मेरी पसंद के लिए थैंक फुल होगे..."
आरव ने मुस्कुराया और कहा "देखते हैं..."
उन्होंने एक- दूसरे को गुड नाईट विश दीं और वह अपने बिस्तर पर लेट गया, गहरी सोच में डूबा हुआ, और खुद से कहा था । ।
"तो... मुझे कल से उसके लिए अपना नज़रिया बदलना होगा... देखते हैं..."
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें...
देखते हैं क्या होता है आरव अपने लाइफ पार्टनर में क्या देखना चाहते हैं... आप क्या सोचते हैं...??
कोमेंट करें । । चैप्टर को लाइक करें । ।
सुखी रहें । । सुरक्षित रहे । । पढ़ते रहे । ।
"मुझसे वादा करो कि तुम शिवानी से कुछ नहीं कहोगी... तुम नहीं लाओगे"
आप उसके सामने यह टोपीक नहीं लाओगी ...उसे ऐसे ही रहने दो.. .उसे अपना लास् यर पूरा करने दो और... भले ही मेरी तरफ से हाँ हो, उसे खुद को ना कहने से रोकना नहीं चाहिए अगर वह आगे पढ़ना चाहती है... हम अपने फैसले उस पर नहीं थोपने जा रहे हैं.. .किसी भी टाइम फाइनल डीसीजन उसका होना चाहिए..."
"मैं प्रोमिस करती हूँ..." निवेदिता ने कोफीडेंस में कहा और फिर उसके गाल को सहलाते हुए कहा था । ।
"और बहुत -बहुत थैंक यू आरव ...मेरा यकीन करो तुम मेरी पसंद के लिए थैंक फुल होगे..."
आरव ने मुस्कुराया और कहा "देखते हैं..."
उन्होंने एक- दूसरे को गुड नाईट विश दीं और वह अपने बिस्तर पर लेट गया, गहरी सोच में डूबा हुआ, और खुद से कहा था । ।
"तो... मुझे कल से उसके लिए अपना नज़रिया बदलना होगा..."
" देखते हैं..."
। । और अब आगे पढें । ।
अगली सुबह, आरव ऑफिस के लिए तैयार हो गया और नाश्ते पर निवेदिता के साथ शिवानी को देखने के लिए नीचे आया था ।
शिवानी निवेदिता से कह रही थी "आंटी... यह आपका जूस और आपकी गोलियाँ हैं... मैंने अपने और उसके लिए नाश्ता पैक कर लिया है..."
आरव को डाइनिंग की ओर आते देख, वह खड़ी हो गई और रसोई में चली गई, जबकि वह अपनी माँ को गुड मॉर्निंग विश देने के बाद बैठ गया था ।
"आपका इकोनॉमिक टाइम्स और सुबह की चाय..." शिवानी ने उसे देते हुए कहा था । और वह मुस्कुराया और कहा ।
" थैंक यू ..."
उसने भी मुस्कुराहट का जवाब दिया और अपना जूस लेकर बैठ गई थी ।
पिछले कुछ महीनों से, वह उनकी रुटीन में इतनी ढल गई थी कि उसे उस घर में काम करने का तुरंत शौक हो गया था ।
निवेदिता ने आरव को शिवानी की ओर देखने के लिए कहा, जबकि उसने अपनी आँखें घुमाई और आह भरी थी ।
शिवानी पैक्ड नाश्ता लेने के लिए अंदर गई और उसने फुसफुसाते हुए कहा "मोम प्लीज... कल रात ही हमने इस बारे में बात की थी और तुमने सुबह -सुबह ही शुरू कर दिया... मुझे थोड़ा -सा टाइम दो मोम ..."
"बेशक बेटा... अपना टाइम लो लेकिन सोचना जरूर... मैं तुम्हें बस याद दिला रही थी..." उसने कंधे उचकाते हुए और मुस्कुराते हुए कहा था ।
"चले??" आरव ने शिवानी की ओर देखते हुए पूछा और उसने सिर हिलाकर कहा "जी"
"क्या तुमने अपने रिकॉर्ड रख लिए...?? तुमने कहा था कि आज तुम्हारी लैब है...??" आरव ने पूछा और उसे अपनी जीभ काटते हुए अपने कमरे में भागते हुए अपने रिकॉर्ड लाने के लिए कहा जो उसने दो दिन पहले पूरे किए थे । वह शर्म से मुस्कुराई जिससे आरव बेयकीनी में अपना सिर हिलाने लगा और निवेदिता हंस पड़ी थी ।
उन्होंने निवेदिता को बाय कहा और उसके कॉलेज के लिए निकल पड़े थे ।
शिवानी ने नोटिस किया कि वह बहुत चुप था और गहराई से सोच रहा था । ओर दिनों के उलट जब वह उसकी क्लासेज के बारे में पूछता रहता था ।
"आप ठीक हो ना...??" शिवानी ने उसे पूछा था जब वे उसके कॉलेज पहुँचने वाले थे ।
आरव ने उसकी तरफ देखा और शिवानी ने तुरंत नीचे देखा था और कहा "नहीं वो... तुम बहुत चुप हो... और ऐसा लगता है कि आप किसी बात को लेकर टेंशन में हो..."
आरव ने आह भरी और उसके कॉलेज के पास रुक गया और वह नीचे उतरने से पहले वापस मुड़ी और कहा " "Don't worry. शिवानी .. .. .तुम्हें अपने सारे जवाब मिल जाएँगे..."
वह थोड़ा मुस्कुराया और आगे कहा "मुझे उम्मीद है ..."
वह भी मुस्कुराई और अपनी क्लास में जाने से पहले उसे बाय कहा और वह अपनी मोम कि बातों के बारे में सोचते हुए अपने ओफीस चला गया था ।
दोपहर को लंच टाइम में ,
वह शिवानी का कोल आता देखकर हैरान रह गया और उसने फोन उठाया था ।
"आपने लंच किया...??" शिवानी ने पूछा और उसने उलझन भरे लहजे में जवाब दिया "नहीं... मुझे अभी करना है..."
"मुझे लगा ही था... आप सुबह से ही परेशान थे ...मुझे लगा कि शायद आपने अपना लंच नहीं किया होगा..." उसने मुस्कुराते हुए कहा था ।
आरव ने पूछा "क्या तुमने लंच कर लिया ...??"
"करने वाली हूँ" उसने जवाब दिया और आगे कहा था ।
"आप भी खा लीजिए..."
उसने हम्म किया और कॉल काट दिया और उन इंसिडेंट को रिवाइंड किया जब भी शिवानी उसे काम के बारे में टेश या स्ट्रेस देखकर बेतरतीब ढंग से कॉल करती थी और लंच के बारे में पूछती थी ।
उसने अपना सिर हिलाया और उसी टाइम काम करते हुए अपना लंच ले लिया था ।
रात को जब शिवानी अपनी किताबों के साथ थी, तो उसके मोबाइल पर आरव का मेसेज आया था -
' मुझे देर हो जाएगी...मोम को इंफोरम कर देना...'
आरव के लिए आखिरी बार डायल किए गए नंबर के अकोरडिंग पर शिवानी या निवेदिता में से किसी को भी पिंग करना आसान हो गया था ।
शिवानी ने हाँ कहकर जवाब दिया और किचन में जाकर देखा कि निवेदिता ने रात का खाना बनाना लगभग पूरा कर लिया था ।
"आंटी... उन्होंने फोन किया कि उन्हें देर हो जाएगी..." उसने कहा और निवेदिता ने फसटरेशन में कराहते हुए कहा "यह बंदा मैं तुम्हें बता दूँ... मुझे बहुत भूख लगी है.. .मैं उसका इंतज़ार नहीं कर सकती... और तुम...??"
शिवानी ने जवाब दिया "मैं एक टोपीक पर नोट्स बना रही हूँ... इसे पूरा करने के बाद मैं खाना खा लूंगी ..."
उसने आह भरी और अपना खाना खाया और एक घंटे बाद, उसने शिवानी को कहा था "तुम खा लो बेटा... और अगर तुम्हें नींद आ रही हो तो सो जाओ... उसे अकेले खाना सर्व करके खाने दो... मैं अपने कमरे में जा रही हूँ..."
शिवानी ने हँसते हुए उसे गुड नाईट कहा और अपने नोट्स बनाए थे ।
जब उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी तो उसने अपनी नींद भरी आँखें खोलीं और आरव को देखा था ।
आरव ने उसे थकी हुई मुस्कुराहट दी थी ।
"मैं टेबल लगाती हुं" शिवानी ने उसे कहा था ।
आरव ने उन रातों के बारे में सोचा जब शिवानी पुरे पेशंस के साथ उसके लौटने का इंतज़ार करती थी और उसे खाना सर्व करने के बाद ही सोती थी और सिर्फ़ उसके साथ ही खाना खाती थी, सिवाय उन दिनों के जब वह शहर से बाहर होता था ।
शिवानी ने पहले भी कई बार ऐसा किया था , लेकिन जब आरव ने इस पर ध्यान देने का फैसला किया, तो यह उसके लिए एक बड़ी तस्वीर बन गई थी ।
शिवानी ने पहले भी कई बार ऐसा किया था , लेकिन जब आरव ने इस पर ध्यान देने का फैसला किया, तो यह उसके लिए एक बड़ी तस्वीर बन गई थी ।
"एक ही दिन में...!!!!" आरव ने फ्रेश होने के बाद अपने ट्रैक पहनते हुए सोचा और ख्यालों को झटक दिया और उसे बर्तन गर्म करने के बाद सेट करते हुए देखने के लिए नीचे चला गया था ।
शिवानी ने उसे पहले सर्व किया और आरव ने पूछा "क्या तुमने खाया...?", हालाँकि उसे जवाब पता था और शिवानी ने सिर हिलाकर मना कर दिया था ।
आरव ने उसकी प्लेट पलट दी और उसे बैठने का इशारा किया और उन्होंने साथ में खाना खाया था ।
"क्या तुम स्टडीज कर रही थी...??" उसने पूछा और शिवानी ने सिर हिलाते हुए कहा " मैं अपने लास्ट सेमेस्टर की प्रोजेक्ट के लिए टोपीकस ढुंढ रही थी और अपने प्रोफेसर को दिखाने के लिए एक शोर्ट नोट्स तैयार कर रही थी..."
आरव ने सिर हिलाया और शिवानी ने उसे पूछा था ।
"अभी आप ठीक हो...??"
"हाँ" आरव ने केजुअल तरीके से कहा और शिवानी ने आगे कुछ नहीं पूछा था ।
"क्या तुम्हें किसी मदद की ज़रूरत है...?" आरव ने खाना खत्म करने और उसे अपनी किताबें लेते हुए देखने के बाद पूछा था ।
"नहीं, मेरा काम हो गया... मुझे अपने टीम मेम्बर्स से इस पर डीसकसन करनी होगी..." उसने कहा और उसने कहा "ठीक है... गुड नाईट ..."
"गुड नाईट " उसने जवाब दिया और उसके ऊपर जाने तक इंतजार कीया था ।
वह अपने कमरे में प्रवेश करने से पहले रुक गया और रेलिंग के पास खड़ा हो गया और उसने देखा कि वह टेबल साफ कर रही है और मेन गेट बंद कर रही है, लाइट बंद कर रही है और फिर अपने कमरे में चली गई थी ।
उसने अपने निचले होंठ को काटा और समझ गया कि उसकी मोम क्यों चाहती थी कि वह उसके बारे में सोचे ।
कुछ दिन बीत गए और निवेदिता ने आरव को हर तरह से सोचने और अपने डीसीजन पर आने दिया था ।
उस सुबह जब आरव उसे कॉलेज छोड़ने जा रहा था, तो शिवानी ने कहा " मुझे अपने प्रोजेक्ट के लिए कुछ सामान लेने जाना है..."
"अभी??" आरव ने पूछा था ।
"शाम को " उसने जल्दी से कहा था क्ष।
"अकेली..?? क्या मैं आऊं या ड्राइवर को भेजूं..??"आरव ने पूछा और शिवानी ने अपना सिर हिलाते हुए कहा "नहीं मैं अपने टीम मेम्बर्स के साथ जाऊंगी..."
"ओह ठीक है..." आरव ने कहा और उसके कॉलेज के आगे रुक गया और शिवानी ने झिझकते हुए पूछा "तो मैं जाऊं...?"
आरव ने कई बार शिवानी से कहा था कि परमिशन मत मांगो, बस इंफोरम करो और जाओ, लेकिन उसने हर बार उसकी या निवेदिता की परमिशन लेना जरूरी समझा था ।
उसकी हां का इंतज़ार कर रही लड़की को देखकर, आरव का छिपा हुआ मेल इगो हर बार सेटिस्फाइड हो जाता था, हालाँकि वह नहीं चाहता था कि शिवानी किसी भी बात के लिए परमिशन मांगे ।
"हाँ हाँ... लेकिन क्या मैं तुम्हारे टीम मेम्बर्स के नंबर ले सकता हूँ!!? सिर्फ़ सैफटी रिजंस के लिए..." आरव ने अपना मोबाइल निकालते हुए पूछा और वह हमेशा की तरह उसकी केयर देखकर खुश हो गई थी ।
शिवानी ने उसे नंबर्स के मेसेज भेजे और उसने उन्हें पढ़ा " रोहित, मोनिशा... दो लड़के और दो लड़कियाँ...!!?"
उसने सिर हिलाया और उसने जवाब दिया "ठीक है... ठीक है... केयरफुल रहना... कुछ भी ज़रूरी हो, तो बस मुझे फ़ोन करना ...और घर पहुँचने पर मुझे बताना... ठीक है...??"
"जी" शिवानी ने मुस्कुराते हुए कहा और अपनी क्लास में चली गई थी ।
"हो सकता है मोम सही कह रही हो..." आरव के सबकॉन्शांइस मनने कहा था , लेकिन जल्दी ही सोचा 'आरव ...तुम्हारे साथ और भी बहुत सी चीजें जुड़ी हैं और उन्हें देखो और तय नहीं किया जा सकता... इसे ध्यान में रखना...'
उसने साँस छोड़ी और अपने ओफीस की ओर चला गया, यह सोचते हुए कि उसे कुछ और टाइम देना चाहिए ।
कुछ दिनों बाद,
आरव ऑफिस से देर से लौटा, जबकि शिवानी हमेशा की तरह उसका इंतज़ार कर रही थी । वह उसे देखकर खड़ी हो गई और उसने फ्रेश होने से पहले थका हुआ मुस्कुराया था ।
जब वह वापस आया तो उसने उसे खाना सर्व किया और इससे पहले कि वह एक निवाला खा पाता, उसने देखा कि वह बहुत घबराई हुई थी । हालाँकि वह भौंहें सिकोड़ रहा था, लेकिन उसने भूख की वजह से अपना निवाला खा लिया था ।
उसकी भौंहें और गहरी हो गईं क्योंकि उसे दूसरे दिनों से अलग स्वाद मिला था ।
"इसे किसने बनाया?" उसने पूछा और वह डर के मारे हांफने लगी और बोली "मैं.. .मुझे माफ़ करना... मुझे पता है.. .मुझे लगा ही था कि यह अच्छा नहीं है... मैं दूसरा कुछ सर्व कर दूँगी... छोड़ो..."
उसने उसे घबराते हुए देखकर आह भरी और उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी प्लेट हटाने से रोका और कहा "शश.... क्या तुम प्लीज शांत हो जाओगी...!?? मैंने क्या पूछा...!?"
उसने घुटन भरी आवाज़ में कहा "वह सब्जी किसने बनाई है!"
"और मुझे लगता है.. .तुमने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है..." आरव ने कहा और शिवानी ने नीचे देखा और फिर कहा "मैं ने"
"अच्छा" उसने कहा और खाना जारी रखा जिससे वह हैरानी से उसकी ओर देखने लगी थी ।
आरव ने उसकी तरफ देखा और कहा "क्या...!!!??? यह अच्छी बनी है...हाँ यह मोम के बनाए खाने से अलग है लेकिन यह एकचुली में अच्छी है..."
उसने आह भरी और मुस्कुराई और उसने पूछा "तुमने इसके साथ क्या किया...??"
"मैंने इसमें शिमला मिर्च नहीं डाली" उसने अपनी प्लेट से खाते हुए कहा और उसने पूछा "ओह्ह यही अंतर है... लेकिन क्यों?"
"क्योंकि जब भी आंटी ने यह सब्जी बनातीं है, तो आपको मिर्ची हटाते हुए मैंने देखा है... मुझे लगा आपको यह पसंद नहीं है..." उसने कहा और आरव ने मुस्कुराते हुए कहा "यह सच है... मुझे मिर्ची पसंद नहीं है..."
कुछ मिनट की चुप्पी के बाद, उसने पूछा "लेकिन तुम इतनी घबरा क्यों गई...!? मेरा मतलब है कि क्या तुम मुझसे डरती हो...??"
उसने अपना सिर नीचे झुकाया और थोड़ा सिर हां में हिलाया और फिर कहा "मुझे पता है कि यह आपकी पसंदीदा डिश है... और मैं इसे खराब नहीं करना चाहती थी.. .इसलिए मैं डर गई थी कि अगर आपको यह पसंद नहीं आया तो क्या होगा...!!!"
उसने आह भरते हुए पूछा "सिर्फ इतना ही नहीं शिव ... क्या तुम मुझसे हर टाइम डरती रहती हो...!?"
"मुझे आपके टोन से डर लगता है... लेकिन हर टाइम तो नहीं ...!? ऐसा क्यों लगा आपको...!?" उसने पूछा था ।
आरव ने हंसते हुए कहा "मेरा मतलब है... जब भी तुम मुझे आते हुए देखती हो, तुम अपनी जगह से खड़ी हो जाती हो... तुम हर काम करने से पहले मेरी परमिशन मांगती हो... तुम कभी बहस नहीं करती या मुझे जवाब नहीं देती... यह सब क्या है...!?"
"यही मेरी आपके लिए रिस्पेक्ट है..." शिवानी ने उसकी ओर देखे बिना कहा और उन्होंने अपना खाना खत्म कर लिया था । उसने बर्तन साफ किए और आरव ने पूछा "मैंने तुमसे यह रिस्पेक्ट पाने के लिए क्या किया...!?"
शिवानी ने उसकी ओर देखा और कहा " रिस्पेक्ट पाने के लिए कुछ करने की ज़रूरत नहीं है... हम बस किसी इंसान का सम्मान कर सकते हैं कि वह कौन है... मैं आपकी रिस्पेक्ट उस पर्सनालिटी के लिए करती हूँ जो आप हो..."
वह मुस्कुराया और उसके साथ सोफे पर बैठ गया और पूछा "तुम्हारा क्या मतलब है...!? मेरी जो पर्सनालिटी है ...!?"
"शुरू से ही... मेरी माँ आपसे बहुत प्यार करती थी... हाँ, हमारे बीच कभी बातचीत नहीं हुई और बचपन में हम साथ में मस्ती नहीं कर पाए, लेकिन मुझे पता है कि माँ आपसे कितना प्यार करती थी..." शिवानी ने कहा था ।
और आरव अपनी श्यामा माँ को याद करके मुस्कुराया था , जबकि शिवानी ने आगे कहा "उस दिन... आप मेरे साथ खड़े रहे और मेरी वैलबिइंग के लिए फैसला लिया.. .मैं अपने रिश्तेदारों के बारे में जानती हूँ... जब मेरे अपने रिश्तेदारों ने कभी मेरी मां या मेरी परवाह नहीं की, तब आपने की... आपने अपनी माँ से नहीं पूछा या उन्हें अपने फैसले के बारे में नहीं बताया, लेकिन आपने वही किया जो मेरे लिए अच्छा था... आपने मुझे फिर लाइफ को आगे बढ़ने के लिए इंस्पायर किया है । चाहे लाइफ में कोई हो या कोई चला गया हो... "
" जिस तरह से आप मेरा ख्याल रखते हो... छोटी- छोटी बातों से लेकर बड़ी -बड़ी बातों तक... मेरे दोस्तों के कोटेकट रखने से लेकर यह देखने तक कि मैं घर पहुँच गयी हूँ या नहीं.. .एक बार नहीं बल्कि रोज़ाना..."
आरव ने अपनी भौंहें ऊपर उठाईं क्योंकि यह एक छिपा हुआ सिक्रेट था क्योंकि वह शुरू में अपनी मोम से पूछता था कि शिवानी कॉलेज से घर पहुँच गई है या नहीं । कुछ टाइम के बाद, वह सीधे उससे पूछने लगा लेकिन उसकी सेफ्टी के बारे में जानने के लिए एक दिन भी नहीं चूका था ।
वह मुस्कुराई और बोली "और सबसे इंपोर्टेड बात, जिस तरह से आप अपनी मोम का ख्याल रखते हो.. .मुझे पता है कि आप कभी भी उनसे पूछे बिना खाना नहीं खाओगे कि उन्होंने खाना खाया है या नहीं.. .चाहे आप कहीं भी हो, कितने भी बिज़ी हो, आप उन्हें फोन करके पूछोगे 'क्या तुमने खाना खाया? मोम '...इतना नहीं...!? हर बार जब मैं आपको खाना सर्व करती हूँ, तो आप मुझसे पूछे बिना कभी नहीं खाते कि मैंने खाया है या नहीं.. .और तब तक इंतजार करते हो जब तक मैं खुद को खाना सर्व नहीं कर लेती ..."
आरव उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया और शिवानी ने कहा "आप अपनी मोम के सामने चट्टान की तरह खड़े रहे... और जैसा कि मैंने सुना है... जो सबसे अच्छा बेटा बनाता है, वह सबसे अच्छा पति भी होगा... तुम्हारी होनेवाली पत्नी बहुत लक्की होगी ..."
आरव उसकी बात पर हँसा और बोला ""Thank you so much""
"हाँ... गुड नाईट ..." उसने कहा और फिर अपने कमरे में चली गई, जबकि वह उसी जगह पर बैठा हुआ उसकी बातों और अपने लिए उसके पोइंट ओफ वयु के बारे में सोच रहा था ।
अगली सुबह, वे जाने के लिए तैयार थे और उसने शिवानी से कार में Wait करने को कहा था ।
"मोम " उसने पुकारा और निवेदिता हैरान होकर मुड़ी क्योंकि वह दरवाजे से वापस आ गया था ।
"बोलो आरव " उसने कहा था ।
"उम्म... मेरी ओर से हाँ..." उसने कहा और वह भौंहें सिकोड़ गई थी ।
उसने आह भरते हुए कहा "मैंने बहुत सोच लिया मोम ...मेरी तरफ से हाँ है... हाँ कुछ और बातें हैं लेकिन उन्हें देखा और तय नहीं किया जा सकता... मुझे उनके बारे में शिव से खुद ही बात करनी होगी... लेकिन इसके लिए, तुम्हें पहल करनी होगी और उससे बात करनी होगी..."
निवेदिता ने मुस्कुराते हुए कहा "मेरा बच्चा... बहुत -बहुत थैंक यू ...मैं उससे शाम को बात करूँगी..."
"मोम ...इस मेटर को एकदम डीरेकटली मत पुछना ... बस शादी और फ्यूचर की प्लानिंग के बारे में उसकी राय पर एक नोर्मल बातचीत करो... हमने तय किया है कि हम अपने फैसले उस पर नहीं थोपेंगे... याद है ना ???" उसने पूछा और वह सिर हिलाते हुए मुस्कुराई "मुझे याद है आरव ...अगर वह नहीं चाहती तो मैं इस टोपीक को आगे नहीं बढ़ाऊंगी । अगर वह शादी नहीं करना चाहती तो मैं इसे आगे नहीं बढ़ाऊँगी... मैं उसके फ्यूचर प्लानिंग के बारे में
जानने के बाद ही इसे आगे बढ़ाऊँगी..."
""Thanks Maa..." आरव ने उन्हें गले लगाते हुए कहा था .
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें...
देखते हैं क्या होता है आरव अपने लाइफ पार्टनर में क्या देखना चाहते हैं... आप क्या सोचते हैं...??
कोमेंट करें । । चैप्टर को लाइक करें । ।
सुखी रहें । । सुरक्षित रहे । । पढ़ते रहे । ।
निवेदिता ने मुस्कुराते हुए कहा "मेरा बच्चा... बहुत -बहुत थैंक यू ...मैं उससे शाम को बात करूँगी..."
"मोम ...इस मेटर को एकदम डीरेकटली मत पुछना ... बस शादी और फ्यूचर की प्लानिंग के बारे में उसकी राय पर एक नोर्मल बातचीत करो... हमने तय किया है कि हम अपने फैसले उस पर नहीं थोपेंगे... याद है ना ???" उसने पूछा और वह सिर हिलाते हुए मुस्कुराई "मुझे याद है आरव ...अगर वह नहीं चाहती तो मैं इस टोपीक को आगे नहीं बढ़ाऊंगी । अगर वह शादी नहीं करना चाहती तो मैं इसे आगे नहीं बढ़ाऊँगी... मैं उसके फ्यूचर प्लानिंग के बारे में जानने के बाद ही इसे आगे बढ़ाऊँगी..."
""Thanks Maa..." आरव ने उन्हें गले लगाते हुए कहा था ।
और अब आगे पढें ।
उस दिन निवेदिता शिवानी से बात नहीं कर पाई क्योंकि वह अपने कोलेज से जुड़े काम में बिजी थी । आरव ने भी अपनी माँ से यह नहीं पूछा कि उसने उससे बात की है या नहीं क्योंकि वह खुद धीरे -धीरे आगे बढ़ना चाहता था ।
अगले दिन, शिवानी जल्दी घर आ गई क्योंकि क्लास नहीं थी और वे दोनों रसोई में शाम की चाय बना रहे थे ।
"तो शिव बेटा... तुम्हारे फाइनल्स कब हैं...!?" निवेदिता ने पूछा और उसने जवाब दिया
"दो महीने बाद आंटी"
"लास्ट यर भी हो जाएगा..." निवेदिता ने कहा और शिवानी ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया था ।
"तो तुम्हारा आगे का प्लान क्या है...?? हायर स्टडीज या जोब या ऐसी किसी चीज़ के बारे में कोई आइडिया...?" उसके ने पूछा और शिवानी की मुस्कान गायब हो गई, फिर उसने कहा "ईमानदारी से कहूं तो आंटी... मुझे नहीं पता कि आगे क्या करना है... मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा... जब मैंने 10 वीं पास की, तो मां ने मुझे कोमर्स और साइंस में से एक चुनने के लिए कहा. ..मैंने साइंस चुना क्योंकि मैं कोमर्स में अच्छी नहीं हूं... मुझे कोलेज में .4 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन मुझे नहीं पता कि आगे क्या करना है... कैंपस सिलेक्शन की जोब मिलने जितनी में इंटेलिजेंट नहीं हुं ।
निवेदिता ने केतली में चाय डाली और कहा "मेरे साथ आओ" और वे बगीचे में बैठ गए थे ।
"तो बताओ... तुम्हारा गोल क्या है...? बचपन से कुछ न कुछ सोचा होगा ना... कुछ बनना.. .क्या है...??" निवेदिता ने पूछा और शिवानी ने गले में अटकी गांठ को निगल लिया और असहज होकर अपनी सीट पर बैठ गई थी ।
"कोई बात नहीं बच्चा... तुम जानती हो कि तुम मुझसे कुछ भी शेयर कर सकती हो.. .मैं तुम्हें जज नहीं करूंगी..." निवेदिता ने उसे एंकरेज किया था ।
"आंटी... सच कहूँ तो... मेरा कभी कोई गोल नहीं रहा... मैं बस बहाव के साथ चलती रही... मैं इतनी युझलेस हूँ. ..इतनी होपलेस कि मुझे नहीं पता कि मुझे अपनी ज़िंदगी में क्या करना है..." शिवानी ने आँसू के साथ कहा और निवेदिता ने जल्दी से उसका हाथ अपने हाथों में लिया और कहा
"शशश ठीक है बेटा... कभी- कभी बड़े बड़े लक्ष्य न रखना भी ठीक है.. .हम सभी के पास छोटे -छोटे लाइफ गोल्स होते हैं... जैसे कि, अगर आप मुझसे पूछें कि मेरा गोल क्या है... हर साल हम अपने एम्प्लॉयस को हर त्यौहार पर मिठाई के डिब्बे देंगे लेकिन बोनस सिर्फ़ एक बार दिया जाएगा और वो है दिवाली. ..मेरा गोल ऐसा टर्नओवर पाना है कि मैं हर त्यौहार पर बोनस दे सकूँ..."
उसने कुछ देर रुककर कहा "अगर तुम आरव से पूछो कि आज से 20 साल के लिए आपका गोल क्या है, तो वह जवाब नहीं दे पाएगा... लेकिन अगर तुम उससे पूछो कि अगले 2 साल के लिए आपका गोल क्या है, तो मुझे यकीन है कि वह यही कहेगा कि हमारी कंपनी को इंडिया में टोप 10 में लाना जो अभी टोप 25 में है.. .इसे मिड टर्म गोल कहते हैं ।..."
"हो सकता है कि तुम्हें पता न हो कि 20 साल बाद क्या करना है... हो सकता है कि तुम्हें पता न हो कि 2 साल बाद क्या करना है... लेकिन मुझे बताओ कि अगले 2 महीनों के लिए तुम्हारा गोल क्या है...!?"
शिवानी ने अपने आंसू पोंछे और कहा "अच्छे से परीक्षा देना और 85% लाना..."
"अगले 2 हफ़्तों के लिए तुम्हारा गोल क्या है...??" उसने पूछा और शिवानी ने एक पल सोचा और जवाब दिया "अपना लास्ट प्रोजेक्ट। डॉक्यूमेंटेशन पूरा करना..."
"अगले 2 दिनों के लिए तुम्हारा गोल क्या है...??" निवेदिता ने फिर पूछा और उसने जवाब दिया "मेरे लास्ट प्रोजेक्ट के लिए सबसे अच्छी थिसिस तैयार करना..."
"बस इतना ही बच्चा... तुम जानती हो कि तुम क्या कर रही हो... तुम्हारे पास अपने शोर्ट टर्म गोल तैयार हैं... हो सकता है कि तुम्हारी फाइनल एग्जाम तक तुम्हें यह पता चल जाए कि आगे क्या करना है... अगर ऐसा नहीं भी हो, तो तुम बस यह पता लगाने के लिए अपना टाइम ले सकती हो... तुम्हें यह पता लगाने में 6 महीने या एक साल या 2 साल लग सकते हैं कि तुम क्या करना चाहती हो... तुम्हारा इंटरेस्ट किसमें है... और हम हमेशा तुम्हारा सपोर्ट करेंगे... चाहे कुछ भी हो... ठीक है....??" निवेदिता ने कहा और शिवानी ने उसे गले लगाते हुए कहा "थैंक यू आंटी..."
निवेदिता मुस्कुराई और बोली "और तुम अपने आप को करियर ओप्सन तक लिमिटेड मत रखो... तुम्हें जो B S C की डिग्री मिलेगी, उसके बेस्ड पर अगला कोर्स करने की ज़रूरत नहीं है... मैंने सुना है कि तुमने अपने कॉलेज में अपने दूसरे साल में फेस्ट का ओरगेनाइज किया था और अपनी फेकल्टी से वोलिंटेर से काम किया था... अगर तुम्हें इवेंट मैनेजमेंट करने में इंटरेस्ट है, तो तुम यह बहुत अच्छी तरह से कर सकती हो... तुम छोटे बच्चों के बर्थडे या ऐसे इवेंट से शुरुआत कर सकती हो... मैं तुम्हें कोंटेकट बनाने में मदद कर सकती हूँ..."
उसने अपनी चाय पी और कहा "जब भी तुम खाना बनाती हो, तुम इसे बहुत लगन और बहुत शौक के साथ करती हो... अगर तुम सीखना चाहती हो, तो तुम कुकिंग क्लासेज जा सकती हो और अलग- अलग डीसेज बनाना सीख सकती हो... अगर तुम्हारी इंटरेस्ट है तो तुम बेकिंग सीख सकती हो... डांस... म्युजिक ... सुलेख... कुछ भी... बस यह जानने की कोशिश करो कि तुम्हारा इंटरेस्ट किसमें है... देर आए दुरुस्त आए..."
"बहुत-बहुत थैंक यू आंटी... आपका सपोर्ट और शब्द मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं..." शिवानी ने कहा और उन्होंने अपनी शाम की चाय का आनंद लिया था ।
मुझे फोलो करें
उसने अपनी चाय पी और कहा "जब भी तुम खाना बनाती हो, तुम इसे बहुत लगन और बहुत शौक के साथ करती हो... अगर तुम सीखना चाहती हो, तो तुम कुकिंग क्लासेज जा सकती हो और अलग- अलग डीसेज बनाना सीख सकती हो... अगर तुम्हारी इंटरेस्ट है तो तुम बेकिंग सीख सकती हो... डांस... म्युजिक ... सुलेख... कुछ भी... बस यह जानने की कोशिश करो कि तुम्हारा इंटरेस्ट किसमें है... देर आए दुरुस्त आए..."
"बहुत-बहुत थैंक यू आंटी... आपका सपोर्ट और शब्द मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं..." शिवानी ने कहा और उन्होंने अपनी शाम की चाय का आनंद लिया था ।
कुछ देर बाद, निवेदिता ने पूछा "शादी के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है...?"
हालाँकि उसके सवाल से हैरान होकर, शिवानी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "यह अच्छी बात है आंटी... लाइफ टाइम के लिए एक साथी मिलना, उस एक इंसान के साथ सब कुछ शेयर करना... यह एक खूबसूरत एहसास है..."
"क्या तुम शादी करना चाहती हो???"निवेदिता ने पूछा और शिवानी मुस्कुराई और बोली "मुझे बहुत अच्छा लगेगा.. .लेकिन आंटी.. .कभी- कभी, यह ख्याल मुझे और भी डरा देता है..."
"क्यों बेटा...?" उसने अपना गाल सहलाते हुए पूछा और शिवानी बोली "मुझे बस डर लग रहा है कि... सब कुछ फिर से नया हो जाएगा... नए लोग... नया घर... नया माहौल... आपको और इस घर को छोड़ने का ख्याल ही मुझे परेशान कर रहा है आंटी..."
"क्या होगा अगर मैं कहूँ, शादी के बाद भी तुम्हें यह घर छोड़ने की ज़रूरत नहीं है...??" निवेदिता ने डाउटफुल भरी टोन में पूछा, उसकी ओर न देखते हुए ।
"यह कैसे पोसीबल हो सकता है आंटी...??" शिवानी ने आँखें घुमाते हुए कहा था ।
"क्या होगा अगर यह पोसीबल हो...!?" उसने फिर पूछा और शिवानी के शब्द अटक गए जब उसे एहसास हुआ कि निवेदिता किस बारे में बात कर रही थी ।
"आंटी...!!!" उसने धीरे से पुकारा और निवेदिता ने आह भरते हुए उसकी ओर देखा और कहा "शिव बेटा.. .इतनी सारी बातें तो हमने कर ली... मैं बात को घुमा- फिराकर नहीं बताना चाहती... मैं तुम्हारा साथ वैसे ही दूंगी, चाहे तुम्हारा जवाब हां हो या ना... क्या तुम मेरे बेटे से शादी करोगी...!? आरव से शादी करोगी...!?"
आरव हमेशा की तरह जल्दी घर लौटा और उसने देखा कि उसकी मां और शिवानी दोनों लिविंग रूम में गहरे ख्यालों में खोई हुई थीं ।
"Good evening ladies..." उसने उन्हें पुकारने की कोशिश की और शिवानी उसे देखकर एक हल्की सी मुस्कान के साथ खड़ी हो गई थी ।
उसने निवेदिता की ओर देखा और उसकी मोम ने बिना आवाज के उसने मुंह से इशारा करके कहा "पुछ लिया"
आरव ने यह समझकर आह भरी कि शिवानी क्या महसूस कर रही होगी और कहा "शिव ...मैं तुमसे बात करना चाहता हूँ... क्या हम राइड पर चलें प्लीज...!?"
शिवानी ने सिर हिलाया और उसके पीछे चली गई और वे चुपचाप गाड़ी चलाते रहे थे । वह एक जगह रुका और जब ठंडी हवा ने उसे छुआ, तो उसने देखा कि वे समुद्र तट पर थे ।
"आओ" उसने कहा और कार से उतरकर कुछ दूर चला गया और वह एक जगह बैठ गया और लहरों को देख रहा था ।
उसने ऊपर देखा और अपनी बगल की जगह की तरफ थपथपाया, उसे बैठने का इशारा किया और वह उसके बगल में बैठ गई थी ।
"शिवानी मैं समझ सकता हूँ कि तुम इस वक्त किस दौर से गुज़र रही हो... लेकिन मैं यह क्लियर कर दूँ... अगर तुम्हारा जवाब नां में है, तो कोई बात नहीं... तुम बिना किसी हिचकिचाहट के नां कह सकती हो... हमारा प्यार या देखभाल और सपोर्ट नहीं बदलेगा, मैं वादा करता हूँ... लेकिन प्लीज यह सोचकर हाँ मत कहना कि तुम्हें हमारी मदद करके या कुछ और करके हमारा एहसान चुकाना है.. .क्योंकि, अगर तुम्हारी जगह मैं होता, तो मैं तुम्हें ज़रूर बता सकता हूँ, श्यामा माँ भी यही करती..."
"वह भी मेरा ख्याल रखती जैसे मेरी माँ तुम्हारा जितनी अच्छी तरह से देखभाल कर रही है, उससे भी बेहतर तरीके से वह मेरी देखभाल करती.. .हम हमेशा से एक परिवार हैं...इसलिए अगर तुम्हारे मन में एहसान वापस करने का ख्याल है, तो उसे छोड़ दो... अगर तुम्हारा जवाब नां है, जैसा कि मैंने पहले ही कहा है, मेरी देखभाल कभी नहीं बदलेगी... मेरी मोम तुम्हें उसी तरह प्यार करेगी और मैं इस पर अपनी जान की बाजी लगा सकता हूँ... जब भी तुम शादी करना चाहोगी, हम तुम्हारे लिए सबसे अच्छे लड़के की तलाश करेंगे... मैं कसम खाता हूँ.. .कोई कड़वाहट नहीं होगी... तुम थी, हो और हमेशा हमारे परिवार रहोगी..."
आरव ने चुपचाप उसकी ओर देखा, जब वह रुका, साँस छोड़ी और फिर कहा "लेकिन अगर तुम्हारा जवाब हाँ है, तो मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे बारे में कुछ ऐसा जान लो जो मेरे प्यार और देखभाल से परे है... जो तुमने कभी नहीं देखा है ..."
शिवानी की उलझन भरी और सवालिया निगाहों ने उसे आगे बढ़ने पर मजबूर कर दिया "शिव ...जब से मैं बड़ा हुआ, मुझे हमारी कंपनी पर ध्यान फोकस करना था और फिर डैड के डेथ ने मुझे पूरी तरह से काम में डूबा दिया.. .हालांकि मैं शिकायत नहीं कर रहा हूँ... लेकिन मैंने अपनी सारी इच्छाओं को बोतल में बंद कर लिया है... अपनी मेनली डीजायरस को... और दिखाना चाहता था और सिर्फ मेरी पत्नी के साथ इंजोय करना ...तो... तो अगर तुम्हारा जवाब हां है, तो, तुम्हारा डीसिजन किसी भी चीज़ में सबसे ज़्यादा मायने रखेगा... तुम्हारा डीसिजन हर बात में फाइनल होगा सिवाय एक के..."
"कौन सा?" शिवानी ने धीरे से पूछा और आरव ने उसकी तरफ देखा और कहा " Intimacy...I mean...our...our physical relationship ...मेरा मतलब है... हमारा.. .हमारा शारीरिक संबंध.. .इसमें तुम्हारा कोई कहना नहीं होगा.. .हमारे बेडरूम के अंदर, जब शारीरिक संबंध की बात आती है, तो मैं ही पूरी तरह डीसिजन और डोमिनेंश रखूंगा... और तुम्हें कभी मना नहीं करना है ...यह मैं ही तय करूंगा, जब भी मैं चाहूं, जैसे भी मैं चाहूं... तुम मेरी बात सही समझ रही हो...?? इस पोइंट को छोड़कर, मैं हमेशा तुम्हारे सभी फैसलों में तुम्हारा सपोर्ट करूंगा..."
वह हैरान, परेशान, शर्मिंदा, कंफ्युज और न जाने क्या- क्या दिख रही थी ।
आरव ने उसे देख कर आह भरी और कहा "मुझे पता है कि यह तुम्हारे लिए बहुत ज्यादा है... अपना टाइम लो... कोई भी तुम्हें मजबूर नहीं करेगा... अब यह पूरी तरह तुम्हारा फैसला है... तुम्हें पता है कि मैं तुम्हें यहां क्यों लाया हूं...!?"
उसने लहरों को देखा और कहा "उन लहरों को देखो.. . जैसे हमारे दिमाग में कई ख्याल होते हैं, वैसे ही कई लहरें हैं जो हम तक पहुँचने की कोशिश करती हैं... वे हमारे दिल और दिमाग की तरह ही उतार- चढ़ाव करती हैं... लेकिन जिस तरह एक मजबूत लहर हमारे पैरों को छूती है, उसी तरह किसी फैसले की ओर झुकाव के लिए एक मजबूत रिजन का होना जरूरी है ... इस जगह ने हमेशा मुझे वह फैसले लेने में मदद की है... मुझे पता है कि अभी तुम्हारे लिए जवाब देना पोसीबल नहीं हो सकता... कम से कम कुछ टाइम अकेले बिताकर तो देखो... सोचो कि हम दोनों बस टहलने आएं थे और वापस ज रहें हैं ..."
आरव ने सिर हिलाया और किनारे पर चलते हुए उसे देखा, जबकि वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी । उसे पता ही नहीं चला कि कब अंधेरा हो गया और लाइटें जल गईं थीं ।
"केयरफुल" आरव की चीख ने उसे हकीकत में वापस ला दिया और देखा कि आरव उसके बगल में खड़ा था, अपना हाथ हिला रहा था ।
उसे यह समझने में एक मिनट लगा कि एक चाय बेचने वाला फिसल गया है और उसके ऊपर गर्म चाय गिरने वाली थी, लेकिन आरव ने टाइम पर आ गया और उसने चाय को अपने हाथ पर गिरने दिया था ।
"देख के चलो भैया..." उसने कहा और वेंडर ने माफ़ी मांगी और अपनी पानी की बोतल दी, जबकि शिवानी ने उसका हाथ साफ किया जिस पर अब तक लाल धब्बे पड़ गए थे ।
"चलो... चलो घर चलते हैं..." शिवानी ने उसके हाथ पर हवा फूंकने के बाद कहा था ।
"इतनी जल्दी...!?" आरव ने अपना हाथ जाँचते हुए पूछा और उसने उसकी ओर देखते हुए कहा था ।
"हाँ.... सबसे तेज़ लहर ने मेरे पैरों को छुआ है..." शिवानी ने कहा था ।
जिससे आरव एक बार हैरानी से उसकी ओर देखने लगा था । ।
गलतियों को नज़रअंदाज़ करें..
क्या जवाब देगी शिवानी?
क्या शादी हो पाएगी या नहीं?
किस तरह बदलेगा इन दोनों का रिश्ता?
जानने के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।
चैप्टर को लाइक करें । । कॉमेंट्स करें । ।
रिव्यू जरूर दें । ।
सुखी रहें । । सुरक्षित रहे । । पढ़ते रहे । ।
पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि ।
उसे यह समझने में एक मिनट लगा कि एक चाय बेचने वाला फिसल गया है और उसके ऊपर गर्म चाय गिरने वाली थी, लेकिन आरव ने टाइम पर आ गया और उसने चाय को अपने हाथ पर गिरने दिया था ।
"देख के चलो भैया..." उसने कहा और वेंडर ने माफ़ी मांगी और अपनी पानी की बोतल दी, जबकि शिवानी ने उसका हाथ साफ किया जिस पर अब तक लाल धब्बे पड़ गए थे ।
"चलो... चलो घर चलते हैं..." शिवानी ने उसके हाथ पर हवा फूंकने के बाद कहा था ।
"इतनी जल्दी...!?" आरव ने अपना हाथ जाँचते हुए पूछा और उसने उसकी ओर देखते हुए कहा था ।
"हाँ.... सबसे तेज़ लहर ने मेरे पैरों को छुआ है..." शिवानी ने कहा था ।
जिससे आरव एक बार हैरानी से उसकी ओर देखने लगा था ।
और अब आगे पढें ।
आरव और शिवानी चुपचाप घर लौट आए और निवेदिता ने उन्हें देखकर आह भरी थी ।
"हुह आ गए तुम दोनों...!! मुझे चिंता थी कि देर हो रही है... और ये क्या...!!!" उसने उनके रेतीले पैरों को देखकर कहा और कहा था ।
"तुम बीच पर गए थे...!??"
"हाँ मोम ...तुम कैसे जानती हो...!?" आरव ने पूछा और निवेदिता ने आँखें घुमाते हुए कहा "वो तो मैं देख सकती हूँ ना इसलिए ...फिर से हमें लिविंग रूम साफ करना है... अब जाओ... तुम दोनों फ्रेश होकर आओ... शिव बेटा चल ना... फ्रेश हो जाओ और आकर डिनर में मेरी मदद करो ना..."
"जी आंटी... अभी आई..." उसने कहा और निवेदिता ने लिविंग रूम साफ करने के लिए मैड को बुलाया और खुद रसोई में चली गई थी ।
"आपका हाथ..." शिवानी ने गर्म चाय की वजह से उसके हाथ पर पड़े दाने को याद करते हुए कहा और उसने कहा था ।
"मैं फ्रेश होकर आता हूँ फिर तुम मरहम लगा सकती हो..."
वह मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई और सोचने लगी कि एक ही दिन में क्या -क्या हुआ ।
उसने जल्दी से फ्रेश होकर आइस पैक और फर्स्ट एड बॉक्स लिया और आरव के आने का इंतज़ार किया था ।
"क्या हुआ...!??" निवेदिता ने शिवानी को आरव के हाथ पर मरहम लगाते हुए देखा और पूछा था ।
शिवानी ने मरहम लगाया और रसोई में चली गई, जबकि आरव ने अपनी माँ को बताया कि उसे कैसे चोट लगी ।
जैसा कि आरव ने कहा, किसी ने भी उसके डीसिजन के बारे में नहीं पूछा और निवेदिता ने उसे टाइम देने के लिए उस टोपीक को उठाया ही नहीं, जिसकी शिवानी को जरुरत भी थी ।
शिवानी उस जैस्चर से खुश थी और जब उन्होंने अपना खाना ख़त्म कर लिया और निवेदिता अपने कमरे में जाने वाली थी, तो शिवानी ने उसे पुकारा था ।
"आंटी" उसने पुकारा ।
"बोलो बेटा..." निवेदिता ने शिवानी को देखने के लिए मुड़कर कहा था ।
उसने पेहले आरव और फिर निवेदिता की ओर देखा और पूछा "क्या मैं आपको 'मोम' कह सकती हूँ?? शादी के बाद...!??"
निवेदिता को एक बड़ी मुस्कान लाने में कुछ सेकंड लगे और उसने शिवानी के गालों को सहलाया और उसे अपने सीने से लगा लिया और कहा "बेशक बच्चा... मुझे बहुत खुशी होगी..."
आरव उन्हें देखकर मुस्कुराया और निवेदिता ने कहा "सुबह सबसे पहले... मैं पुजारी को बुलाऊँगी और उनसे मुहुर्त निकलने के लिए कहूँगी । और उनसे शुभ तिथियों की जाँच करने के लिए कहूँगी..."
"जी" शिवानी ने मुस्कुराते हुए कहा और निवेदिता खुशी -खुशी अपने कमरे में चली गई थी ।
"क्या तुम इस बारे में श्योर हो , शिव...!?" आरव ने पूछा जब वह अपने कमरे में जाने वाली थी ।
शिवानी ने सिर हिलाया और कहा "मुझे कुछ डाउट था लेकिन जब आंटी ने मेरा डीसिजन नहीं पूछा और मुझे टाइम देने के बारे में सोचा, तो मैंने तय किया कि तुम्हारे वादों पर भरोसा किया जा सकता है..."
"और मैंने तुम्हें जो बताया है...!?" आरव ने पूछा और शिवानी ने गले में कुछ अटकाकर कहा "मुझे कुछ टाइम चाहिए... क्या हम इस बारे में कल बात करेंगे...!?"
"ज़रूर... गुड नाईट..." उसने कहा और वे दोनों अपने अपने कमरे में चले गए थे ।
अगली सुबह,
आरव नीचे आया और उसने देखा कि निवेदिता खुशी -खुशी फोन पर बात कर रही थी ।
"अरे आरव ... गुड मॉर्निंग..." उसने कहा और शिवानी को बुलाया जो रसोई में थी ।
"बेटा मैंने पुजारी से बात की है... शिव की एक्जाम 1 महीने बाद हैं... इसलिए मैंने उनसे 2 महीने बाद की तिथियाँ देखने को कहा है...और उन्होंने कहा कि अब से 4 महीने बाद एक शुभ तिथि है... तुम क्या कहती हो शिव...!? यह ठीक है या हमें अगली तिथि बहुत बाद में लेनी चाहिए...!?" उसने पूछा और शिवानी मुस्कुराई और बोली "आप मेरे बारे में इतना सोचती हो आंटी.... मैं और क्या माँग सकती हूँ...!? जो आपको ठीक लगे... हाँ मुझे टाइम चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि 4 महीने ठीक ही रहेंगे..."
"चलो ठीक है... अभी के लिए तुम सिर्फ़ अपनी एक्जाम पर ध्यान दो... और अगर तुम्हें और टाइम चाहिए, तो बेझिझक मुझे बताओ... ठीक है...!?" उसने कहा और शिवानी ने सिर हिला दिया था ।
थोड़ी देर बाद, आरव ने शिवानी के दरवाज़े पर दस्तक दी और उसने दरवाज़ा खोला था ।
शिवानी ने उसे हैरानी से देखा और उसके लिए रास्ता बनाते हुए कहा "आप यहाँ...."
"हाँ, बस बात करना चाहता था ... क्या तुम पढ़ रही हो...!? क्या मैंने तुम्हें परेशान किया...!?" आरव ने पूछा और उसने तुरंत सिर हिलाकर मना कर दिया था ।
"तुम पूछना चाहते हो कि मुझे टाइम की जरूरत क्यों थी...!?" शिवानी ने उसके पास बैठते हुए पूछा और उसने हँसते हुए कहा था ।
"अरे नहीं शिवानी ...मैं समझ सकता हूँ... अगर मैं तुम्हें देखने और समझने के लिए अपना टाइम ले सकता हूँ, तो तुम्हें भी इस सिचुएशन को समझने और मुझे समझने के लिए अपना टाइम लेना होगा... मैं बस इतना जानना चाहता हूँ कि तुम मेंटली खुद को मजबूर तो नहीं कर रही हो ।
क्या तुमने यह फैसला पूरे दिल से लिया है...!?"
आरव ने उसका हाथ थामा, जब वह चुप हो गई और उसकी हथेलियाँ ठंडी हो गईं, तब उसने कहा
"नहीं... मैंने सोचा है..."
"तो क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम्हें छूने वाली सबसे तेज़ लहर कोनसी है ...!?" आरव ने उसके हाथ पकड़े हुए पूछा और वह मुस्कुराई और बोली "तुम्हारी परवाह... मुझे पता है कि यह हमारे रास्ते में आने वाली हर चीज़ पर हावी हो जाती है..."
"तुम पूछना चाहते हो कि मुझे टाइम की जरूरत क्यों थी...!?" शिवानी ने उसके पास बैठते हुए पूछा और उसने हँसते हुए कहा था ।
"अरे नहीं शिवानी ...मैं समझ सकता हूँ... अगर मैं तुम्हें देखने और समझने के लिए अपना टाइम ले सकता हूँ, तो तुम्हें भी इस सिचुएशन को समझने और मुझे समझने के लिए अपना टाइम लेना होगा... मैं बस इतना जानना चाहता हूँ कि तुम मेंटली खुद को मजबूर तो नहीं कर रही हो ।
क्या तुमने यह फैसला पूरे दिल से लिया है...!?"
आरव ने उसका हाथ थामा, जब वह चुप हो गई और उसकी हथेलियाँ ठंडी हो गईं, तब उसने कहा
"नहीं... मैंने सोचा है..."
"तो क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम्हें छूने वाली सबसे तेज़ लहर कोनसी है ...!?" आरव ने उसके हाथ पकड़े हुए पूछा और वह मुस्कुराई और बोली "तुम्हारी परवाह... मुझे पता है कि यह हमारे रास्ते में आने वाली हर चीज़ पर हावी हो जाती है..."
आरव भी मुस्कुराया और बोला "तो तुम कुछ कहना चाहती हो...!?"
उसने सिर हिलाया और कहा "बहुत कुछ है.. .लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ..."
"ठीक है... तुम मुझे कुछ भी बता सकती हो..." आरव ने अशयोरेंस दिया था ।
"बेशक,...मैं यह बात तुम्हारे अलावा किसी और को नहीं बता सकती..." शिवानी ने कहा था ।
आरव ने भौंहें सिकोड़ीं और तब तक इंतज़ार किया जब तक कि उसने बातचीत शुरू करने का मन नहीं बना लिया और कहा था।
"अब तक जब भी मैं तुम्हारी आवाज़ सुनी थी, तो मैं बस डर जाती थी या घबरा जाती थी... लेकिन कल से... जब से आंटी ने यह शादी वाला टोपीक उठाया है, मुझे कुछ कुछ होता है जब भी मैं तुम्हें मेरा नाम पुकारते हुए सुनतीं हूँ, जब भी तुम मेरे आस- पास होते हो, अभी भी जब तुमने मुझे छुआ... मेरी धड़कन ना... ऐसे तेज़ हो रही है जैसे मैंने मैराथन दौड़ लगाई हो... मेरे हाथ ठंडे हो रहे हैं... मेरे पैर कांप रहे हैं...और सबसे इंपोर्टेड बात, इस जगह ...इस स्टमक एरिया में कुछ अजीब सी फीलिंग हो रही है... जैसे गुदगुदी की फिलिंग ...क्या ये सब नोर्मल है...!?"
आरव ने अपनी हंसी को कंट्रोल किया और कहा "मुझे एक बात बताओ शिव ...क्या तुम्हें ये फिलिंग्स पसंद आ रही हैं या ये तुम्हें अनकंफरटेबल कर रही हैं...??"
"अनकंफर्टेबल तो नहीं हूँ... लेकिन टेंशन में हूँ कि क्या ये नोर्मल है या क्या मैं सिर्फ़ शादी के टोपीक के साथ कुछ अबनोरमल फिल कर रही हूँ...!?" उसने कहा था ।
आरव ने उसके गाल को सहलाया जिससे वो हांफने लगी और कहा "शिवानी .... चिंता मत करो... जब तक तुम्हें अनकंफरटबल महसूस न हो, ये फिलिंग्स एक कपल के बीच नोर्मल हैं..."
शिवानी ने तभी साँस छोड़ी जब आरव ने अपना हाथ हटाया और शिवानी ने पूछा "तो ये फिलिंग्स तुम्हें भी हो रही हैं...!?"
"उम्म नहीं क्योंकि... मैं ही स्पर्श की शुरुआत कर रहा हूँ या तुम्हारे साथ हूँ और इसलिए तुम्हें ये फिलिंग्स हो रही हैं..." आरव ने कहा था ।
शिवानी ने बीच में टोकते हुए कहा "तो अगर मैं पहल करूँ, तो तुम्हें भी ये फिलिंग्स महसूस होंगी...!?"
"हाँ शायद..." उसने मुस्कुराते हुए कहा और कंधे उचका दिए थे ।
आरव ने उसे सोचते हुए देखकर बेयकीनी में अपना सिर हिलाया और पूछा "तुम कभी किसी रिलेशनशिप में नहीं रही... क्या तुम...!?"
शिवानी ने अपना सिर ना में हिलाकर मना किया और उसने कहा "चिंता मत करो.. .तुमने 21 साल में जो कुछ भी एक्सपिरियंस किया है और मेरे 31 साल की लाइफ के एक्सपिरियंस में कोई डीफरेंश नहीं है... चलो साथ मिलकर एक्सप्लोर करते हैं..."
वह मुस्कुराई और आरव ने उसके सिर पर हल्के से हाथ मारा और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराया था ।
"एक बात और" शिवानी ने कहा जब वह जाने के लिए खड़ा हुआ था ।
"क्या तुम मदद करोगे.. .इन घबराहट भरी फिलिंग्स की आदत डालने के लिए... क्योंकि तुमने मुझसे यही एक चीज़ माँगी है... को- ओपरेट करने के लिए... और मैं तुम्हारे आस -पास होने पर घबराकर गड़बड़ नहीं करना चाहती... यही मेन रिजन है कि मुझे टाइम चाहिए था... अपनी बोड़ी में इन अजीब jittery feelings की आदत डालने के लिए..." उसने अपना सिर नीचे झुकाते हुए कहा था ।
वह खुद पर मुस्कुराया और उसकी ठुड्डी को पकड़कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और कहा "ओफ कोरस,... मुझे तुम्हारी मदद करके खुशी होगी... अगर मैं नहीं, तो कौन करेगा...!!! लेकिन इसके लिए, जब भी तुम मुझसे बात करोगी, तुम्हें मेरी तरफ देखना होगा... मेरी आँखों में... ठीक है...??"
शिवानी के गालों से कानों तक लाली की गर्मी फैलते ही उसने गले में कुछ डाला और जवाब में सिर हिलाया था ।
वह हंसा और "गुड नाईट" कहकर जाने के लिए मुड़ा था ।
"गुड नाईट आरव ..." शिवानी ने धीरे से कहा और उसे रुकने पर मजबूर किया और सिर झुकाकर उसकी मुस्कान देखने के लिए मुड़ा था ।
वह फिर से शिवानी की ओर बढ़ा और उसकी तरफ देखा और शिवानी ने उसकी धड़कन को जांचने के लिए उसके दिल को छुआ और कहा था ।
"देखो ना... अब तुम्हारी धड़कन भी तेज हो गई है... यहाँ पर भी कुछ हो रहा है....!?" शिवानी ने उसके पेट की तरफ इशारा करते हुए पूछा और वह मुस्कुराया और कहा था ।
"अभी नहीं हुआ लेकिन एक बार फिर मेरा नाम ले लो... .पक्का कुछ हो जाएगा..."
वह और भी मुस्कुराई और कहा "आरव"
आरव ने अपनी सांस छोड़ी और खुद को कंट्रोल करने में नाकाम रहा था, आरव ने अपने होंठ शिवानी के माथे पर दबा दिए और उसे अपनी आँखें बंद करने पर मजबूर कर दिया, उन दोनों के शरीर ने उन घबराहट के साथ -साथ उनके पहले किस का एक्सपिरियंस किया था ।
सारी रात आरव और शिवानी दोनों ही अपने बिस्तर पर तकिये के सहारे लोटते हुए मुस्कुरा रहे थे ।
बिल्कुल भी नहीं, । ।
यह मत सोचीएगा कि सब कुछ स्वीट स्वीट चलेगा । ।
कुछ नाकुछ गड़बड़ी हो कर रहेगी । ।
जानने के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
सुखी रहें । । सुरक्षित रहे । । पढ़ते रहे । ।
। पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।
"गुड नाईट आरव ..." शिवानी ने धीरे से कहा और उसे रुकने पर मजबूर किया और सिर झुकाकर उसकी मुस्कान देखने के लिए मुड़ा था ।
वह फिर से शिवानी की ओर बढ़ा और उसकी तरफ देखा और शिवानी ने उसकी धड़कन को जांचने के लिए उसके दिल को छुआ और कहा था ।
"देखो ना... अब तुम्हारी धड़कन भी तेज हो गई है... यहाँ पर भी कुछ हो रहा है....!?" शिवानी ने उसके पेट की तरफ इशारा करते हुए पूछा और वह मुस्कुराया और कहा था ।
"अभी नहीं हुआ लेकिन एक बार फिर मेरा नाम ले लो... .पक्का कुछ हो जाएगा..."
वह और भी मुस्कुराई और कहा "आरव"
आरव ने अपनी सांस छोड़ी और खुद को कंट्रोल करने में नाकाम रहा था, आरव ने अपने होंठ शिवानी के माथे पर दबा दिए और उसे अपनी आँखें बंद करने पर मजबूर कर दिया, उन दोनों के शरीर ने उन घबराहट के साथ -साथ उनके पहले किस का एक्सपिरियंस किया था ।
सारी रात आरव और शिवानी दोनों ही अपने बिस्तर पर तकिये के सहारे लोटते हुए मुस्कुरा रहे थे ।
और अब आगे पढें ।
अगली सुबह ।
"गुड मॉर्निंग आंटी" शिवानी ने निवेदिता को गले लगाते हुए चहकते हुए कहा और ब्रेकफास्ट की टेबल सेट करने में उसकी मदद की थी ।
"लगता है आज कोई बहुत खुश है...!!" निवेदिता ने कहा था ।जिससे उसका चेहरा लाल हो गया और जब उसने आरव को नीचे आते देखा तो उसका चेहरा और भी लाल हो गया था ।
वह जल्दी से उसकी चाय लेने गई और कप उसके पास रखते हुए कहा "आरव ...आपकी चाय..."
आरव ने जवाब में मुस्कुराते हुए कैजुअली थैंक यू कहा था ।
लेकिन निवेदिता की आँखें चौड़ी हो गईं और उसने अपनी मुस्कान छुपाते हुए कहा "ओह तो मेरे बेटे से आरव बन गया... अच्छा है ... Niceeee..."
शिवानी ने मुस्कुराते हुए अपना सिर झुकाया और अपनी चेयर पर बैठ गई जबकि निवेदिता ने अपने होंठ हिलाए और कहा था ।
"लेकिन मैं अभी भी आंटी से मोम नहीं बन पाई...!!!"
शिवानी ने बिना किसी एक्सप्रेसन के उसकी ओर देखा और निवेदिता ने कहा "और नहीं तो क्या...! तुमने मुझसे पूछा था कि क्या तुम मुझे मोम कह सकती हो... लेकिन अब तक तो नहीं बुलाया मोम कह कर ...तो मुझे तुम्हारी शादी होने तक इंतज़ार करना होगा....!?"
"ऐसा नहीं है.... मोम ..." शिवानी ने निवेदिता से मुस्कुराते हुए कहा और आरव ने उनकी तरफ देखकर मुस्कुराया था । वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मोम को एक बेटी की कमी कितना ज्यादा महसूस होती थी ।
"शिव ...मैं कार में इंतज़ार कर रहा हूं ..." उसने अपना ब्लेज़र लेते हुए कहा था ।
और शिवानी ने सिर हिलाते हुए कहा "जी, में अभी आई "
निवेदिता ने जाने से पहले शिवानी का हाथ पकड़ा और उसके हाथों को चूमते हुए कहा था ।
"शिव, मैं तुम्हें पहली बार मुझे मां कहने की मेमोरी के तौर पर तुम से एक वादा करना चाहती हूँ..."
निवेदिता ने शिवानी से मुस्कुराते हुए कहा "फ्यूचर में कभी भी, अगर तुम मुझसे कुछ भी शेयर करना चाहोगी, तो मैं पहले तुम्हारी माँ बनूँगी और फिर आरव की ... यह एक वादा है..."
"बहुत- बहुत थैंक यू मोम ..." शिवानी ने कहा और उन्हें कसकर गले लगा लिया था ।
जब आरव ने हॉर्न बजाया तो वे जल्दी से अलग हो गए और शिवानी ने हाथ हिलाकर बाय कहा और कार की तरफ भागी, ।
"हो गई माँ बेटी की बातें...!??" उसने गाड़ी चलाते हुए चिढ़ाते हुए कहा और वह मुस्कुराई थी ।
आरव ने अपना हाथ शिवानी के आगे बढ़ाया और कहा "क्या हम हाथ पकड़कर कंफर्टेबल हो जाएँ...!?"
शिवानी ने अपना निचला होंठ काटा और अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया, और उसने गियर बदलते हुए उसका हाथ पकड़कर गाड़ी चलाई थी ।
"दिल की धड़कन नोर्मल है...!?" जब वे उसके कॉलेज पहुँचने वाले थे, तो आरव ने पूछा था ।
"हो रही है..."और वह शरमाते हुए बोली थी ।
"
"Good... "..." आरव ने कहा और कार रोक दी, लेकिन उसके उतरने से पहले उसके फोरहेड पर एक किस लिया और फिर से उसकी धड़कन बढ़ा दी थी ।
कुछ दिन बीत गये, लेकिन उन दोनों के बीच लगभग कोई एडवांसमेंट नहीं हुई थी , सिवाय रोज आरव के उसके फोरहेड पर किस करने के ।
"आरव " शिवानी ने रात के खाने के बाद आवाज़ लगाई और जब वह उसकी ओर देखने के लिए मुड़ा, तो उसने पूछा " मुझे फाइनल प्रेजेन्टेशन तैयार करनी है... क्या आप प्लीज मेरी मदद कर सकते हैं...!?"
""Sure......" आरव ने हेप्पीली एक्सेप्ट कर लिया था और वे उसके ड्राफ्ट प्रेजेन्टेशन के साथ लिविंग रूम में बैठ गए थे ।
उसने अपने प्रोजेक्ट के बारे में इंफोर्मेशन दी और आरव ने उसके ड्राफ्ट को देखा और कहा "प्रोजेक्ट अच्छा है... लेकिन मुझे एक बात बताओ... जब यह पीपीटी चलाया जाएगा, तो आप और आपकी टीम कौन से पोइंट समझाएँगे...!?"
"ये पीपीटी में दिए गए पोइंट " शिवानी ने कहा था ।
आरव ने सिर हिलाकर कहा "बच्चे अगर व्युवर पीपीटी से आसानी से पढ़ सकता है, तो आप लोगों को फिर से वही बात समझाने का क्या फायदा...!?"
शिवानी ने उलझन में मुंह बनाया और आरव ने समझाया "देखो... व्युवर को पीपीटी से डीटेल्स नोट्स नहीं मिलने चाहिए... उसे बस यह अंदाजा होना चाहिए कि तुम क्या समझाने जा रही हों ...उसे आप जो बोलते हैं उस पर बराबर ध्यान देना चाहिए... उन सभी पैराग्राफ को हटा दें और इसे दो से तीन लाइंस के पॉइंटर्स में बदल दें... मैं तुम्हें दिखाता हूँ..."
उसने एक स्लाइड ली और उसे कुछ इंपोर्टेड लाइंस के साथ प्रेजेंटेशन करने लायक बनाया जिन्हें हाइलाइट करने की जरूरत थी ।
वह इसे देखकर मुस्कुराई और उसने लैपटॉप उसे दिया और कहा "अब दूसरी स्लाइड्स के साथ आगे बढ़ो... सेल्फ एकप्लेनेटरी पैराग्राफ की जगह में ज्यादा इमेजेस का युज करों ...और प्रेजेंटर को पीपीटी को समझाना चाहिए... समझ गई...!?"
उसने सिर हिलाया और उसके इंस्ट्रक्शंस के मुताबिक चेंजेस करना शुरू कर दिया, जबकि वह फोन पर अपने मेल चेक कर रहा था ।
"देखिए ना" उसने लैपटॉप आगे बढ़ाते हुए कहा और उसने दूसरी स्लाइड्स चेक की और कहां "Good"
शिवानी ने मुस्कुराते हुए कहा ""Thank you""
"चलो देर हो गई है... सो जाओ... गुड नाईट ..." आरव ने कहा और शिवानी ने अपना सामान लपेटा और उसे गुड नाईट कहते हुए अपने कमरे में चली गई थी ।
दिन बीतते गए और शिवानी की एक्जाम का टाइम आ गया था ।
"."All the best... Do well....." आरव ने उसे कॉलेज छोड़ते हुए कहा और वह मुस्कुराई और बोली "Thank you ...क्या आप मुझे लेने आओगे...!?"
"हाँ... अब जाओ..." आरव ने एक फ्लाइंग किस उसकी तरफ उछालते हुए कहा जिससे वह शरमा गई और आरव अपने ओफीस चला गया था ।
शाम को, जब वह बता रही थी कि उसका पेपर कैसा रहा, तो आरव ने गाड़ी चलाते हुए उसका हाथ अपने होठों पर रख लिया और शिवानी जो कुछ भी कह रही कहते कहते रुक गई थी ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
शिवानी ने अपना सिर नीचे झुकाते हुए अपने निचले होंठ को काटा और आरव ने सड़क की ओर देखते हुए फिर से उसकी उँगलियों को चूमा था ।
"आरव ..." वह लगभग कराह उठी और उसने हँसते हुए कहा "बस इतने से ही नर्वस हो गई ...!!! मैं इमेजिन भी नहीं कर सकता कि तुम हमारी ... सुहागरात को कैसे मैनेज करोगी..."
वह लाल हो गई और दूसरी तरफ मुड़ गई और आरव ने मुस्कुराया था ।
अगला दिन उसकी अगले पेपर की तैयारी का था और वह घर पर पढ़ाई कर रही थी ।
उसके मोबाइल पर आरव का नाम आया और उसने अपनी किताब एक तरफ रखकर उसके कोल को आंसर किया था ।
"शिवानी ...मुझे घर आने में देर हो जाएगी... मेरा इंतजार मत करना..." उसने लैपटॉप पर टाइप करते हुए कहा था ।
"It's okay...I'll wait..."
"ठीक है... मैं इंतज़ार करूँगी..." उसने धीरे से कहा था ।
"मैंने कहा है कि मेरा इंतज़ार मत करो ... डीनर खाओ और सो जाओ.. .कल तुम्हारा पेपर है न बच्चे...!!!" आरव ने कहा और उसने मुँह बनाते हुए कहा "तो घर आ जाएँ ना आप...!!!"
आरव ने उसकी जिद पर आह भरी और कॉल काट दी लेकिन साथ ही काम के लिए ज़रूरी सामान समेटा और जाने के लिए खड़ा हो गया था ।
"क्या वह नाराज़ हो गया...!!!" शिवानी ने अपना मोबाइल देखकर सोचा था लेकिन कुछ देर बाद उसकी कार का हॉर्न सुनकर वह मुस्कुराई थी ।
आरव ने उसे प्ले फुली से घूरा और वह मुस्कुराई और रात का खाना गर्म करने के लिए रसोई में चली गई जबकि वह अपना सिर हिलाकर फ्रेश होने चला गया था ।
"सॉरी..." शिवानी ने उसे खाना परोसते हुए कहा और उसने उसकी तरफ़ देखा और पूछा "और तुम क्यों सॉरी हो...!?"
"आपके साथ डिनर करने की आदत हो गई है... इसीलिए ज़िद किया, लेकिन आपका काम डीसटरब करने का इरादा नहीं था..." उसने नीचे देखते हुए कहा और आरव मुस्कुराया और बोला "कोई बात नहीं... तैयारी हो गई...!?"
"एक और चैप्टर रिविजन के लिए रह गया है" शिवानी ने कहा और आरव ने आह भरते हुए कहा "अपनी किताब ले लो"
उसने भौंहें सिकोड़ीं और अपनी किताब ले ली, जबकि उसने अपना चम्मच उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा "खाते हुए पढ़ाई करो..."
पहली बार आरव के हाथों से खाना खाते हुए वह शरमा गई थी और बचा हुआ चैप्टर पढ़ने लगी थी ।
रात के खाने के बाद, वह काम करने बैठ गया जबकि वह अपनी बुक पढ़ रही थी, लेकिन बीच -बीच में उसे देखती रही थी ।
जब आरव ने अपना लैपटॉप बंद किया, तो उसने शिवानी की ओर देखे बिना कहा "बस, ...अब बहुत हो गया मुझे चेक आउट करना ...जिंदगी भर का टाइम है... अभी पढ़ाई करो ..."
उसने शर्मिंदगी के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं और वह हंस पड़ा था ।
शिवानी ने अपना चेहरा छिपाते हुए कहा "मैं तुम्हें चेक आउट नहीं कर रही थी... वो मेरा रिवीजन हो गया था तो.. .ऐसे ही मैं तुम्हें देख रही थी..."
"इसे चेक आउट करना कहते हैं बेबी... चलो... अब जाकर सो जाओ..." आरव ने मुस्कुराते हुए कहा और उसने आरव को अपनी जीभ दिखाई और फिर अपने कमरे में भाग गई जिससे वह हंस पड़ा था ।
धीरे -धीरे उसकी एक्जाम भी हो गईं, जिससे पता चला कि उनकी शादी में सिर्फ़ 4 महीने बचे हैं ।"शिव बेटा... सिर्फ़ इन 4 महीनों के सिंगल लाइफ़ का मज़ा लो... तुम बाद में बाकी सब कुछ सोच सकती हो... बस कुछ भी करने के लिए खुद पर प्रेशर मत डालो..." निवेदिता ने एडवाइस दी जब शिवानी ने कहा कि उसे अभी तक समझ नहीं आया है कि आगे क्या करना है ।
शिवानी ने आरव के कप में चाय डालते हुए बस सिर हिलाया था ।
"वह अभी तक नीचे क्यों नहीं आया...!! बेटा जाकर देखो एक बार..." निवेदिता ने टाइम देखकर कहा था ।
शिवानी उसके कमरे के पास गई और उसे आरव की आवाज़ सुनाई दी । दरवाज़ा खुला देखकर उसने अंदर झाँका और देखा कि वह फ़ोन पर चिल्ला रहा था ।
"तुम्हारा क्या मतलब है...!?? क्या तुम इसके कंसीक्वेंस को भी समझते हो...!??" उसने चिल्लाया जिससे शिवानी उसकी आवाज़ सुनकर चौंक गई थी ।
उसने गले में कुछ अटका लिया और उसे चिल्लाते हुए सुना "बस मेरा सामना करने के लिए तैयार रहो और मैं ये स्टुपिड एक्सक्यूज नहीं सुनना चाहता... मुझे ऑफिस पहुँचने तक एक्सप्लेनेशन चाहिए..."
आरव की दहाड़ और उसकी धमकी इतनी तेज थी कि शिवानी डर गई । और पास में रखे फूलदान को धक्का लगा और वो टुकड़े- टुकड़े हो गया था ।
वह गुस्से में बैल की तरह फुफकार रहा था और इससे पहले कि वह उसे देख पाता, वह नीचे भाग गई थी ।
"क्या हुआ बेटा...!? तुम इतनी डरी हुई क्यों लग रही हो...!?" निवेदिता ने पूछा और शिवानी ने ना में सिर हिलाया, फिर भी उसके कानों में आरव की गुस्से भरी चीखें गूंज रही थीं ।
"आरव कहाँ है...!?" उसने फिर पूछा और इससे पहले कि शिवानी कुछ कह पाती, उसने आरव को नीचे आते देखा था ।
"आरव नाश्ता..." निवेदिता ने उसे जाते हुए देखकर उसे बुलाया था लेकिन वह यह कहते हुए निकल गया"नहीं मोम ...जल्दी जाना है..."
निवेदिता ने आह भरी और किचन में चली गई जबकि शिवानी आरव को दरवाजे पर रुकते और वापस अपनी ओर आते देखकर कांपने लगी थी ।
जैसे ही वह उसके पास पहुंचा और उसके माथे पर हल्के से किस करते हुए "बाय" कहा, शिवानी का बदन कांप उठा था ।
उसने रिस्पांस देने की कोशिश की लेकिन बुरी तरह नाकाम रही और वह ध्यान देने की स्टेट में नहीं थी और जल्दी में ओ चला गया था
यह तो आरव के गुस्से की एक हल्की सी झलक थी । जो शिवानी ने आज देखी ।
क्या शिवानी शादी के फैसले से पीछे हट जाएंगी ?
क्या होगा जब आरव शिवानी पर गुस्सा करेगा ?
जानने
के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।
चैप्टर को लाइक करें । । कॉमेंट्स करें । ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
या फिर आप मुझे U P I भी कर सकते हैं ।
nissab387@oksbi
। पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।
"आरव कहाँ है...!?" उसने फिर पूछा और इससे पहले कि शिवानी कुछ कह पाती, उसने आरव को नीचे आते देखा था ।
"आरव नाश्ता..." निवेदिता ने उसे जाते हुए देखकर उसे बुलाया था लेकिन वह यह कहते हुए निकल गया"नहीं मोम ...जल्दी जाना है..."
निवेदिता ने आह भरी और किचन में चली गई जबकि शिवानी आरव को दरवाजे पर रुकते और वापस अपनी ओर आते देखकर कांपने लगी थी ।
जैसे ही वह उसके पास पहुंचा और उसके माथे पर हल्के से किस करते हुए "बाय" कहा, शिवानी का बदन कांप उठा था ।
उसने रिस्पांस देने की कोशिश की लेकिन बुरी तरह नाकाम रही और वह ध्यान देने की स्टेट में नहीं थी और जल्दी में ओ चला गया था ।
और अब आगे पढें ।
जब रात को आरव घर वापस आया, तब तक उसकी माँ उसका इंतज़ार कर रही थी, जिससे उसे हैरानी हुई थी । क्योंकि कुछ महीनों से रोज रात को शिवानी उसका डीनर पर वेट करतीं थीं ।
"मोम ... आप अभी तक सोई नहीं...!?" उसने पूछा और वह मुस्कुराते हुए उठी और बोली "मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी.. .मैं रात का खाना लगा देती हूं ..."
"क्या आपने खाना खाया...??"आरव ने पूछा और उसने हां में सिर हिलाया था ।
"दवाएँ??" उसने पूछा और उसने फिर सिर हां में हिलाया था ।
"शिवानी कहाँ है??" आरव ने पूछा, यह अच्छी तरह जानते हुए कि वह दवाएँ लेने के बाद कभी भी उसकी मोम को जागने नहीं देती है ।
"वह अपने कमरे में है... पता नहीं सुबह से वह अजीब सी हो गई है... तुम बोलो... क्या ऑफिस में सब ठीक है...?" निवेदिता ने पूछा और आरव ने सिर हिलाते हुए कहा था
"हाँ मोम ..."
अचानक उसे एहसास हुआ कि शायद क्या हुआ होगा कि शिवानी ने खुद को रुम में बंद कर लिया और अब तक बाहर नहीं आई थी ।
"मोम, ... आप जाकर सो जाओ..." आरव ने अपनी माँ को रसोई में जाने से रोकते हुए कहा था ।
"लेकिन तुम्हारा खाना...!!?" उसने पूछा और आरव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया "शिवानी आ जाएगी..."
""Sure??" उसने पूछा और उसने सिर हिलाते हुए कहा "Very sure... आप जाएँ ... Good night..."
"Good night... निवेदिता ने कहा और अपने कमरे में चली गई, जबकि आरव शिवानी के कमरे की ओर बढ़ा और उसके दरवाजे पर नोंक किया था ।
शिवानी ने दरवाजा खोला और उसे देखकर चौंक गई और अपना सिर नीचे झुकाते हुए पूछा "आप...यहाँ...!!?"
आरव ने उसकी ओर देखा और उसके हल्के कांपते हाथों को देखा और उसे एक कदम पीछे हटने के लिए मजबूर करते हुए अंदर चला गया था ।
आरव ने एक आह भरी और बिस्तर पर बैठ गया और शिवानी उसकी ओर बढ़ने से पहले एक घूँट लिया था ।
शिवानी ने उसकी ओर देखने की हिम्मत नहीं की थी ।
आरव ने उसका नाम पुकारने से पहले उसका हाथ पकड़ लिया था ।
उसने ऊपर नहीं देखा और आरव ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके गाल को सहलाया, जिससे वह झेंप गई थी ।
आरव ने फिर से आह भरी और अपना हाथ वापस लिया और कहा "शिव ... हमें कोंटरेक्ट के लिए जो टेंडर जमा करना था, वह दूसरी कंपनी को लीक हो गया था... क्या तुम जानती हो इसका क्या मतलब है...??"
वह एक पल के लिए रुका और फिर बोला "कोई है जो हमारी सेलैरी पर जी रहा है, और किसी और के लिए काम कर रहा है... और हमें अभी तक पता नहीं कि इस तरह से और कितना डेटा लीक हो गया है ...!?? किसी ने हमें धोखा दिया है शिवानी ...क्या तुम्हें नहीं लगता कि ऐसी सिचुएशन में गुस्सा आना नोर्मल है...!??"
उसकी बात सुनकर शिवानी ने कांपना बंद कर दिया और अपना सिर हिलाकर उसे थोड़ा मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था ।
आरव ने उसके गाल को सहलाया और इस बार, उसने उसे ऐसा करने दिया था ।
"मुझे पता है कि तुमने मुझे गुस्सा करते देखा है... शायद पहली बार... लेकिन शिवानी .. फ्यूचर में भी ऐसी सिचुएशन होंगी... और तुम सीधे मेरे सामने होगी , हमारे कमरे में खड़ी रहोगी... तो क्या तुम फ्यूचर में भी मुझसे ऐसे ही छिपती रहोगी ...!?? या तुम्हें लगता है कि मैं बिना किसी वेलिड रिजन के गुस्सा हो जाऊँगा ...!?? क्या मैंने कभी तुम पर गुस्सा किया है...!??" आरव ने पूछा और वह अभी भी नीचे देख रही थी ।
"उस दिन जब तुमने मुझे डिनर के लिए घर आने के लिए कहा था, मुझे एक मीटिंग करनी थी.. .मुझे अपने क्लाइंट के साथ डिनर करने के लिए इंतज़ार करवाना था... क्या मैंने उस रात तुम्हारे अगेंस्ट कुछ भी रिएक्शन दीया था ...?? तुम्हारा कोलेज रिस्टार्ट करने के दूसरे दिन, जब तुम कॉलेज जा रही थी, तो तुमने हमारी कोई भी कॉल नहीं उठाई और मुझे जल्दी से तुम्हारा हालचाल पूछना पड़ा.. .क्या मैंने उस दिन तुमसे कुछ कहा था...??" आरव ने पूछा था ।
उसकी टोन हारस हो गयी थी , लेकिन वह कभी उससे नाराज नहीं हुआ और इस वजह से उसने 'नहीं' में सिर हिला दिया था ।
"तो तुम्हें मेरे नाराज होने के रिजन के बारे में डीसिजन लेना होगा और उसे समझना होगा... यह तुम पर डीपेंड करता है... I'm sorry, अगर मैंने तुम्हें डरा दिया है..." आरव ने कहा और जाने के लिए खड़ा हुआ लेकिन शिवानी ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक दिया था ।
आरव उसकी ओर मुड़ा और शिवानी ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा, ""Sorry... It's the first time.. .so...". .यह पहली बार है जब मेने आपको गुस्से में देखा था ...तो..."
"मुझे भूख लगी है... क्या हम डिनर कर लें ...?" आरव ने पूछा और शिवानी ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया था ।
कुछ दिनों बाद, एक रविवार की सुबह ।
"शिव बेटा... वह शायद काम कर रहा होगा... उसे यह चाय दे दो... वह नीचे नहीं आया..." निवेदिता ने नाश्ता बनाते हुए कहा और शिवानी ने कप को अपने हाथों में लेते हुए अपने होंठ काटे थे ।
वह पहले भी स्टडी रूम में ऊपर गई थी, जब आरव उसे अपनी स्टडीज में मदद कर रहा था । लेकिन वह कभी उसके बेडरूम में नहीं गयी थी ।
वह हमेशा उसके दरवाजे पर दस्तक देती थी और बताती थी कि उसकी मोम बुला रही है और नीचे आ जाती थी , लेकिन यह पहली बार होगा, जब वह उसके कमरे में एंटर करने जा रही थी ।
उसने दरवाजा खटखटाया और जब उसने एक धीमी आवाज में "come in," सुना , तो उसने दरवाजा खोला और देखा कि वह अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था और मोबाइल को कान पर लगाए हुए था ।
शिवानी को अपने कमरे में एंटर करते देख आरव को दो बार पलक झपकानी पड़ी और उसने तुरंत फोन काट दिया था । वह धीमे कदम बढ़ाते हुए 2 फीट दूर खड़ी हो गई और बोली "मोम ने तुम्हें चाय देने के लिए कहा था... तुम नीचे नहीं आए ना इसलिए..." शिवानी ने हिचकिचाते हुए कहा था ।
आरव को पता था कि शिवानी बहुत शाय नेचर की है और बहुत जल्दी नर्वस हो जाती है । उसे किसी के भी साथ या किसी भी चीज से कंफर्टेबल होने में काफी टाइम लगता है ।
वह कप लेकर मुस्कुराया और ""Thank you"" कहते हुए खड़ा हो गया था ।
शिवानी ने धीरे से अपनी आँखें उठाकर उसके कमरे में देखा और आरव चाय पीते हुए मुस्कुराया था ।
वह कमरे को देख रही थी जब आरव उसके पीछे गया और उसने अपने हाथ से कप को उसकी गर्दन के चारों ओर घुमाया, उसे छूए बिना, लेकिन इतना कि वह उसकी नजदीकी से चौंक गई थी ।
वह उसी तरह अपनी चाय पीता रहा जबकि शिवानी का शरीर काँप रहा था, हर बार जब वह उसकी गर्दन के पास एक घूँट लेता तो उसकी साँस उसके कानों को छूती थी ।
क्या तुम्हें हमारा कमरा पसंद आया...!?" आरव ने पूछा और उसकी आवाज़ की रिधम शिवानी के बदन में भी गूंज उठी थी ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें ❤️
क्या तुम्हें हमारा कमरा पसंद आया...!?" आरव ने पूछा और उसकी आवाज़ की रिधम शिवानी के बदन में भी गूंज उठी थी ।
शिवानी ने एक घूँट लिया और सिर हिलाया जबकि वह उस पर अपने अफेक्ट से मुस्कुराया और पूछा "क्या तुम कोई चेंजेस करना चाहती हो...?? It's okay, तुम मुझे बता सकती हो और मैं हमारी शादी से पहले उन्हें करवा दूँगा..." आरव ने कैजुअली कहा था ।
उसने महसूस किया कि शिवानी के गाल गर्म हो गए थे और उसके कान लाल हो गए थे और वह धीरे से सिर हिलाकर मना करने में कामयाब रही थी ।
शिवानी की बोड़ी को थोड़ा सिवर करता हुआ देखकर वह एक कदम पीछे हट गया और पूछा "तो आज का क्या प्लान है...??"
वह जाकर बिस्तर पर बैठ गया और बोला, "Come... Sit..."
वह बिस्तर की ओर बढ़ी और उसके बगल में बैठ गई, वह अपने दुपट्टे पर अपनी उंगलियों से हरकत कर रही थी और वह उसके कान के पास झुककर कहने लगा ।
"हमारी शादी के बाद... जब हम अपने कमरे में होंगे, तो यह तुम्हारी सीट होनी चाहिए..." और अपनी गोद में थपथपाया जिससे वह शरमा गई और शर्म से उठकर जाने लगी थी ।
आरव ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोका और वह बिना मुड़े उसकी ओर देखे शर्म से मुस्कुराई थी ।
"शादी के बाद तुम इस तरह भाग नहीं सकती.. .इस बात को ध्यान में रखना..." उसने वोरनिंग भरे लेकिन शरारती लहजे में कहा और वह "जी" कहते हुए चुप हो गई थी ।
"वैसे तुमने मुझे आज के प्लान नहीं बताए...!?" आरव ने उसका हाथ पकड़े हुए पूछा और शिवानी ने जवाब दिया "मोम ने कहा है कि हमें शॉपिंग के लिए जाना है..."
"क्या मैं भी तुम्हारे साथ चलूँ...!? आज मेरे पास कोई काम नहीं है..." आरव ने कहा और उसने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और इससे पहले कि वह उसके नजदीक जाता, उन्होंने निवेदिता को शिवानी को पुकारते हुए सुना और उसने जल्दी से अपना हाथ छुड़ाया और नीचे की ओर भागी थी ।
वह हंसा और अपने लाइफ की दो सबसे इंपोर्टेड लेडिस को शॉपिंग के लिए ले जाने के लिए तैयार हो गया और शिवानी निवेदिता को इंफोरम किया कि आरव भी उनके साथ जाएगा ।
""Good ...फिर हम तुम दोनों इंगेजमेंट की ड्रेस से शुरुआत करेंगे... और फिर ज्वेलरी और अगर टाइम मिल जाए तो हम कैजुअल शॉपिंग के लिए जाएंगे..." निवेदिता ने कहा और उन दोनों ने सिर हिलाया था ।
वे निवेदिता की सबसे पुरानी सहेलियों में से एक के ओनरशिप वाली एक डिज़ाइनर बुटीक में गए और निवेदिता ने अपनी सहेली से खुब बातचीत की, दोनों लंबे टाइम के बाद मिले थे ।
"मैं अपने बच्चों की सगाई के लिए सबसे अच्छे आउटफिट देखना चाहती हूं..." निवेदिता ने कहा और डिजाइनर ने मुस्कुराते हुए कहा ""Of course ...बच्चे इतने प्यारे हैं... आउटफिट खूबसूरत होने चाहिए... तो शिवानी ...क्या आपके मन में कोई खास रंग है...!?"
उसने निवेदिता और फिर आरव की ओर देखा, जबकि आरव ने कहा" "Your choice......"
"ऐसा कुछ नहीं... लेकिन मुझे लगता है कि कुछ पेस्टल अच्छा रहेगा..." शिवानी ने धीरे से कहा और डिजाइनर ने सिर हिलाकर उनके लिए चुनने के लिए कुछ आउटफिट निकाले थे ।
"मुझे लगता है कि यह तुम पर अच्छा लगेगा..." निवेदिता ने कहा और उसने आरव की ओर देखा, जिस पर उसने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया था ।
"अपरुवल मिल गया... एक बार ट्राई करके देखो... हम मेजरमेंट सही करके देखेंगे..." डिजाइनर ने उसे चिढ़ाते हुए कहा जिससे वह शरमा गई और वह ट्राइ करने चली गई थी ।
कुछ मिनटों के बाद, वह क्रीम रंग का ब्लाउज और मैरून दुपट्टे के साथ मैरून कढ़ाई वाला लहंगा पहनकर बाहर आई थी । वह अपना लहंगा पकड़े हुए आगे बढ़ी, जिससे सभी लोग अपनी जगह पर रुक गए और उसे देखने लगे थे ।
""Beautiful"" निवेदिता ने बड़बड़ाया और खुद को रोक नहीं पाई और उसके माथे को चूमने लगी और बोली ।
"लगता है कि यह सिर्फ तुम्हारे लिए ही बना है.. .है ना...!??"
डिजाइनर ने भी उससे एग्री किया और उसके लुक की तारीफ की और बदलाव करने के लिए सही माप की जांच करने लगी, जबकि शिवानी ने आरव की ओर देखा जो उसके बाहर निकलते ही अपनी आँखें उससे हटा नहीं पा रहा था और उसके लिए यह समझना काफी था कि वह उसकी आँखों में कितनी खूबसूरत लग रही थी ।
उन्होंने जल्दी से आरव के आउटफिट को जोड़ा और अपने दोनों आउटफिट को बदलने के लिए माप लिया और एक बार काम पूरा हो जाने के बाद घर पर डिलीवरी करने के लिए राजी हो गए थे ।
"यह तो उम्मीद से कहीं ज़्यादा जल्दी हो गया... चलो ज्वेलरी लेते हैं... अब जब हमें सगाई का जोड़ा पता चल गया है, तो हम अंगूठियाँ लेंगे और फिर मैचिंग ज्वेलरी लेंगे..." निवेदिता ने एक्साइटेड होकर कहा और वे दोनों मुस्कुराए थें ।
निवेदिता जब नेकलेस सेक्शन में थी, तब आरव अपने फोन में कुछ मेल चेक कर रहा था और उसने शिवानी से अपने इंगेजमेंट दिन के लिए अंगूठियाँ चुनने को कहा था ।
शिवानी अंगूठियों को चैक कर रही थी, जबकि सेल्समैन ने उसके हाथों में एक अंगूठी की तारीफ की थी ।
"That's a beautiful selection Madam..."
"यह बहुत सुंदर चयन है मैडम..."
आरव ने सेल्समैन को इग्नोर किया और एक मेल का जवाब दे रहा था, जब तक कि उसने सेल्समैन को यह कहते नहीं सुना "लाइए मैडम... मैं आपकी उंगली पर इसे ट्राई करके देखता हूँ..."
आरव ने अपना सिर उठाया और देखा कि शिवानी जो दूसरी अंगूठियों को देखने में बिजी थी और अनजाने में अपना हाथ उस लड़के की ओर बढ़ा रही थी ।
उस लड़के के चेहरे पर एक नज़र डालते ही उसे समझ आ गया कि वह उसे छूने के लिए एक्साइटेड है । इससे पहले कि वह उसका हाथ पकड़ पाता, आरव ने तेजी से शिवानी का हाथ पकड़ लिया और उसे हैरानी से अपनी तरफ देखने पर मजबूर कर दिया था ।
आरव ने बस शिवानी के हैरान चेहरे को देखकर मुस्कुराया और सेल्समैन को घूरते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा "असल में पहनाने वाला हूँ यह अंगूठी ...दे दो.. .मैं उसे अपने नाम की अंगूठी खुद ट्राइ करवा दुंगा ..."
"जी.. जी सर "
सेल्समैन ने चुपचाप अंगूठी आरव के हाथ में दे दी और आरव ने वापस सेल्समैन को घुर कर देखा , जबकि शिवानी पहले तो कलुलेस थी, लेकिन उसकी बातें सुनकर शरमा गई थी ।
वह उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और अंगूठी को उसकी उंगली पर पेहनाने की कोशिश की जो बीच में फंस गई थी । शिवानी ने सिसकार कर उसे एहसास दिलाया कि यह उसकी उंगली पर कसी हुई है और आरव ने इसे उतार कर अपने हाथ रोक दींए थें ।
"हमें कुछ और अंगूठियाँ दिखाओ..." आरव ने कहा लेकिन शिवानी ने जल्दी से कहा "लेकिन मुझे वही अंगुठी चाहिए..."
"यह टाइट है बच्चे ..." आरव ने तर्क दिया जिससे वह मुंह फुलाकर अंगूठी को उदास होकर देखने लगी थी ।
आरव ने उसे नाराज देखकर आह भरी और सैल्स मेन पूछा "क्या तुम्हारे पास अलग साइज़ की एक ही अंगूठी है...??"
उन्होंने सिर हिलाकर मना किया और कहा था "सर, यह सभी एक्सक्लूसिव लिमिटेड एडिशन की इंगेजमेंट रिंग्स है ।"
शिवानी ने कहा "मुझे वही रिंग चाहिए..."
और आरव ने उसकी जिद पर अपनी भौंहें सिकोड़ कोड़ लीं थीं ।
Story ko complete padhne ke liye mujhe follow kare
क्या होगा जब आरव शिवानी पर गुस्सा करेगा ?
जानने के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।
चैप्टर को लाइक करें । । कॉमेंट्स करें । ।
रिव्यू जरूर दें । ।
कमेंट करे ✍🏼 रिव्यू जरूर दें 📊
मुझे प्रोत्साहन देने के लिए स्टिकर भेजें