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मल्लिका - शक्ति महलों की

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Aaradhya singh

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कहते हैं - हर शाम सुहानी नहीं होती, हर चाहत की पीछे की कहानी नहीं होती कुछ तो असर होता है मोहब्बत में नहीं तो महलों में रहने वाली मां पार्वती, श्मशान में रहने वाले भोलेनाथ की दीवानी नहीं होती ll

Total Chapters (32)

Page 1 of 2

  • 1. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 1

    Words: 1151

    Estimated Reading Time: 7 min

    कहते हैं - हर शाम सुहानी नहीं होती, हर चाहत की पीछे की कहानी नहीं होती कुछ तो असर होता है मोहब्बत में नहीं तो महलों में रहने वाली मां पार्वती, श्मशान में रहने वाले भोलेनाथ की दीवानी नहीं होती ll ******** यह कहानी है एक राजमहल से... जहां की राजकुमारी प्रथमा, एक साधारण इंसान के प्यार में पड़कर इतना प्रेम मग्न हो गई कि उन्होंने सब कुछ खो दिया l अपना परिवार, राज पाठ.. पर क्या वह राजकुमारी एक बार फिर से सब कुछ पायेंगी? क्या अपना राज महल जो उन्होंने खोया है वह दोबारा हासिल कर पाएंगीं? यह कहानी है एक बदले की, एक स्वाभिमान की, एक नारी के विश्वास की... ******* आज राजमहल में सब बहुत ही खुश थे, आखिर सात पीढ़ियों के बाद उनके परिवार में एक बेटी का जन्म हुआ था l इस कन्या के जन्म से पूरे राज्य में उत्साह का माहौल उत्पन्न हो चुका था l राजा जी ने पूरे राज्य के लिए अपने अनाज के गोदाम खुला दिए थे परंतु उनकी रानी कामाक्षी, जिन्होंने राजकुमारी को जन्म दिया था, वह खुश नहीं थी l उन्हें एक पुत्र चाहिए था जो उनके कुल को आगे बढ़ा सके, पर राजा जी की ख़ुशी के आगे उनकी एक न चली और आखिर किस्मत को आज तक कौन रोक पाया है ll जहां एक तरफ पूरी जनता राजकुमारी के आगमन पर ख़ुशी मना रही थी तो वही रानी कामाक्षी इस बात का दुख मना रही थी कि उन्हें एक बेटी हुई है l उन्होंने उस बच्ची के जन्म के बाद उसका चेहरा तक नहीं देखा था l राजा ने दसवें दिन राजकुमारी के नामकरण के लिए ज्योतिष को बुलाया हुआ था l ज्योतिषी जी के साथ-साथ एक बहुत ही महान आचार्य आए हुए थे जो बहुत कम ही इस राज्य में आया करते थे l वह अपना ज्यादातर वक़्त पहाड़ों की चोटियों पर व्यतीत किया करते थे और अपने इष्ट का ध्यान किया करते थे l राजा जी ने उन दोनों का ही खुले दिल से स्वागत किया, अपने महल में आने के लिए रास्ता दिया l राजकुमारी को व्यवस्थित करके लाया गया, इन सबके दौरान भी रानी कामाक्षी वहां पर मौजूद नहीं थी l राजा जी, राजकुमारी को खुद गोद में लेकर बैठे हुए थे और फिर ज्योतिष जी को दिखाया l आचार्य के मस्तक में कुछ संदेह की रेखाएं नजर आ रही थी जब राजा जी ने यह देखा तो उन्होंने आचार्य जी से सवाल किया - "क्या बात है आचार्य जी? कुछ समस्या है क्या? आप कुछ दुविधा में लग रहे हैं?" आचार्य जी राजकुमारी की तरफ देखते हुए बोलते हैं - "इसमें कोई भी संदेह नहीं है की राजकुमारी पूर्णतया लक्ष्मी माता का स्वरूप है और यह एक शुभ संकेत है l राज परिवार में सत पीढ़ी के बाद एक लड़की का जन्म हुआ है परन्तु राजकुमारी के साथ एक अशुभ संकेत भी जुड़ा हुआ है l वह यह है कि वह एक समय पर अपना परिवार, यह राजमहल और बाकी सब कुछ खो देंगी सिवाय अपनी जान के ll" राजा जी. आचार्य जी आप यह क्या कह रहे हैं? आप पहले बोल रहे हैं कि राजकुमारी के पद चिन्ह शुभ है फिर यह सब? आचार्य जी जैसे होश में आते हैं और कहते हैं - क्या हमने कुछ और कहा? राजा जी असमंजस में पड़ चुके थे l उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आचार्य जी की बोली गई बात सच होने वाली है या फिर उन्होंने ऐसे ही किसी भ्रम में बोल दिया है पर वह यह भूल गये थे कि किस्मत का खेल अपनी रफ्तार से ही चलता है और उसमें कोई फेर बदल नहीं होता l राजकुमारी की जन्म पत्रिका बनाई गई और उनका नामकरण संस्कार पूरा हुआ l ज्योतिष जी द्वारा उनका नाम प्रथमा रखा गया l राजा जी और बाकी सभी को ये नाम काफ़ी पसंद आया l समय बीतता जा रहा था और राजा जी, राजकुमारी को हर तरह की कौशल शिक्षा प्रदान कर रहे थे l राजकुमारी प्रथमा भी बहुत ही अच्छे से सब कुछ सीख रही थी l उनकी बुद्धि का कोई भी तोड़ नहीं था पर इन सबके बीच रानी का व्यवहार वैसा का वैसा ही था l वो आज भी राजकुमारी प्रथमा को नहीं देखना चाहती थी ना ही उनके समक्ष जाती थीं l राजकुमारी ने आज तक रानी कामाक्षी को नहीं दुख था हालांकि वो अपनी माँ के लिए तरसती थीं l राजा जी भी ये बात बखूबी समझते थे पर वो कुछ भी नहीं कर पाते थे l राजकुमारि धीरे धीरे दस वर्ष की हो चुकी थी l उन्हें आगे की शिक्षा के लिए अब विद्यालय जाना था l राजा जी ने उनकी सुरक्षा के लिए एक सैनिक नियुक्त किया था जो उनकी सुरक्षा कर सके l वह राजकुमारी से दो साल बस ही बड़ा था l उसका दाखिला भी राजकुमारी के ही विद्यालय में कराया गया जिससे राजकुमारी का ख्याल रखा जा सके l आज वह दिन था ज़ब राजकुमारी को विद्यालय भेजा जा रहा था l राजा जी ने उनके लिए सभी सामान नया मंगाया था l  राजकुमारी सुबह जल्दी ही उठ चुकी थी l सुबह स्नान करके माता लक्ष्मी की पूजा की l राजा जी और बाकी सबको को प्रसाद दिया l उसके फलाहार खाकर जैसे ही निकलने लगीं l राजा जी ने उन्हें रोका और दही शक़्कर खिलाया l अपने विश्वासपात्र सेनापति के साथ उन्हें विद्यालय के लिए रवाना किया l राजकुमारी के जाने के बाद राजा भी अपने राज्य की समस्या सुलझाने के लिए राज दरबार चले गये l उजे मंत्री और रक्षक उन्हीं के साथ थे l राज दरबार में कई लोग आए हुए थे l राजा के आने की घोषणा दरबान से सुनने के पश्चात सब अपनी जगह पर खड़े हो चुके थे l राजा जी ने आकर यं सभी को बैठने के लिए बोला और खुद भी अपनी राजगद्दी में बैठ गये l वहां बैठे एक मंत्री खडे होकर राजा जी को प्रणाम करते हैं और फ़िर कहते हैं - राजा जी हमारे समक्ष कुणार राज्य के मौजूद हैं जो यहाँ पर अपनी समस्या का समाधान लेने आये हुए हैं l राजा अपना हाथ उठाकर उन्हें बोलने का इशारा करते हैं l कुणार राज्य के राजा सर झुकाते हुए - कौशिकपुरा के महाराज चंद्रधि को मेरा प्रणाम! महाराज आपके राज्य से कावेरी नदी बहती है जो हमारे कुणार राज्य से होते हुए गुज़रती है l आपके राज्य के कुछ लोग उसमे कई तरह के पदार्थ मिला रहे हैं जिससे नदी का पानी दूषित हो रहा है l उस नदी का पानी ही हमारे राज्य के लिए एकमात्र जीने का सहारा है और अब उस नदी के पानी की वजह से हमारे राज्य की जनता बीमार हो रही है तो हम चाहते हैं कि आप इस समस्या का समाधान करें l राजा चंद्रधि उनकी समस्या सुनते हैं और उन्हें एक दिन अपने महल में ही रुकने का प्रस्ताव देते हैं और इस बारे में जाँच करने के आदेश सुनाते हैं l कैसे करेंगे राजा चंद्रधि इस समस्या का समाधान? जारी है... Aaradhya..

  • 2. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 2

    Words: 1146

    Estimated Reading Time: 7 min

    मोहब्बत मुझे थी उसी से सनम, यादों में उसकी यह दिल तड़पता रहा, मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी, कब्र में भी यह दिल धड़कता रहा।। ****** राजा चंद्रधि अपने सेवकों को बुलाकर कुणार राज्य के राजा के रुकने की व्यवस्था करवाने के लिए कहते हैं l सेवक भी राजा महेंद्र को लेकर चले जाते हैं l राजा अपनी विश्वास पात्र सेवकों की टोली को बुलाते हैं और उन्हें कावेरी नदी के आस पास के इलाके की जाँच पड़ताल करने का आदेश सुनाते हैं और गुनहगारों को उनके सामने लाने को कहते हैं l उनकी टोली भी उन्हें प्रणाम करके वहां से अपने काम के लिए निकल जाती है l कुछ ही समय पश्चात् राजा अपनी सभा को बर्खास्त कर देते हैं और महल के अंदर जाने लगते हैं l तभी उनकी रानी कामाक्षी उनके समक्ष प्रस्तुत होती हैं l उनके साथ इस समय कोई भी मौजूद नहीं था l राजा चंद्रधि. क्या बात है रानी जी जो आपको इस तरह से आना पड़ा? रानी कामाक्षी. बात ही कुछ ऐसी है कि हम इंतजार ना कर सके l राजा चंद्रधि. जी बताइये! रानी कामाक्षी. काफ़ी समय पश्चात हमारे भाई सा अपने घर लौटे हैं और हम उनसे मिलने के लिए अपने नैहर जाना चाहते हैं l राजा चंद्रधि. तो इसमें हमसे पूछने वाली कौनसी बात थी? आप अपनी सवारी तैयार करवा लीजिये एयर चली जाइये l हम प्रथमा को तैयार करने का आदेश दे देते हैं रानी कामाक्षी. महाराज, हम अकेले जाना चाहते हैं l राजा चंद्रधि. पर प्रथमा का क्या? रानी कामाक्षी. आपको अच्छे से पता है कि हम आपकी राजकुमारी को जरा सा भी नहीं पसंद करते हैं फ़िर भी आप हमसे ऐसे सवाल कर रहे हैं l राजा चंद्रधि. वहीं तो हम भी आपसे कहना चाह रहे हैं आपको इतनी राजकुमारी पर दया नहीं आती है कि वो कैसे अपनी माँ क्व प्यार के लिए तरसती है और आप उसे नज़र भरकर भी नहीं देखती हैं l रानी कामाक्षी. नहीं है वो हमें पसंद और अगर आप ऐसे ही उनका ज़िक्र करते रहेंगे तो हम ये महल छोड़कर चले जाएंगे l राजा चंद्रधि. वही तो जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों आप उसे नहीं पसंद करती हैं? अरे! एक नज़र देखना तक मंज़ूर नहीं है आपको, कैसी माँ है आप, आप ही का खून है वो l रानी कामाक्षी. नहीं चाहिए थी हमको बेटी, हमें एक बेटा चाहिए था जो हमारे वंश को आगे बढ़ा सके l राजा चंद्रधि. जब हम इस बात की फिक्र नहीं कर रहे हैं कि हमारा वंश कौन आगे बढ़ाएगा तो आप कौन होती है इस बात से हमारी बेटी को ना मंजूर करने वाली, उनका दिल दुखाने वाली... हम आखरी बार आपको समझा रहे हैं हमारी बेटी को उसकी मां का प्यार लौटा दीजिए वरना हम उनके लिए नई माँ ले आएंगे l रानी कामाक्षी. कोई भी औरत किसी दूसरे की औलाद को प्यार नहीं देती है, यह बात आपको मालूम होनी चाहिए l राजा चंद्रधि. सब आपकी तरह नहीं होते हैं महारानी जी l आप तो खुद की ही बेटी को प्यार नहीं दे रही हैं l अगर आपको अपने नैहर ही जाना है तो शौक से जाइये, हम अपनी बेटी को नहीं भेजेंगे l पर याद रखिएगा अगर हमारी बेटी ने आपके साथ जाने की ज़िद की और आपने उसका दिल दुखाया तो आप कभी दोबारा यहां नहीं आ पाएंगीं l रानी कामाक्षी. महारानी है हम इस राज्य की, आप ऐसे ही हमें यहां से नहीं निकाल सकते है l राजा चंद्रधि. आप सिर्फ महारानी है और हम यहां के राजा हैं l अपनी बेटी और जनता की भलाई के लिए जो हमें उचित लगेगा हम करेंगे l रानी कामाक्षी. महाराज पछताएंगे आप एक दिन आपको आपकी कही बात के लिए कर्ज चुकाना होगा l राजा चंद्रधि. हम सोच समझ कर ही बोलते हैं l इस वजह से हमें कोई भी कर्ज नहीं चुकाना होगा हमने अपनी शर्त आपको बता दी है l अब आगे आपकी मर्जी है कि आपको क्या करना है? आप हमारी बेटी को उसकी मां का प्यार दे रही है या हम दूसरी महारानी लाने का बंदोबस्त करें l रानी कामाक्षी. हमें कुछ वक्त चाहिए l राजा चंद्रधि. आने वाली पूर्णिमा तक का वक्त है आपके पास, उसके बाद आप अपना फैसला हमें सुना दीजिएगा उसी के अनुसार हमें कार्य करना होगा l क्या महारानी राजा के कहे अनुसार राजकुमारी प्रथमा को उनकी मां का प्यार लौटायेंगी? अपनी सेविका के आने पर रानी कामाक्षी अपनी पालकी में सवार होकर अपने नैहर के लिए निकल गयी l राजा ने पहले ही कुछ तोहफों का बंदोबस्त कर दिया था l रास्ते में रानी ने अपनी सेविका कुमारी से पूछा - कुमारी एक बात बताओ l अगर कभी तुम्हें पुत्र की चाहत हो फ़िर वो चाहत पूरी ना हो और तुम्हें पता चले कि तुम दोबारा माँ नहीं बन सकती तब तुम क्या करोगी? कुमारी समझ गयी थी कि महारानी अपने अनुभव को लेकर ये सब पूछ रही थी l वह थोड़ी देर चुप रहती है फ़िर बोलती है - महारानी, बच्चा तो भगवान की देन होती हैं अगर उन्होंने हमारी चाहत नहीं पूरी की है तो इसका मतलब होगा कि उन्होंने हमारे कुछ अच्छा ही सोचा होगा l रानी जी उससे आगे कुछ नहीं बोलती हैं तो कुमारी भी चुप रहती है l शाम तक वे सब महारानी के नैहर की सीमा तक पहुंच चुके थे l महारानी को लेने उनका भाई आया हुआ था l महारानी भी उन्हीं के साथ चली गयी l सेवक उनका सामान लेकर महल पहुँचे l महारानी का नैहर एक राज्य ही था पर वो ज़रा छोटा था l वहां भी राजा का आदेश चलता था पर जनता की सलाह का भी ध्यान दिया जाता था l महारानी का काफ़ी स्वागत हुआ l उनके लिए ढ़ोल नगाड़ा मगाया गया था l एक तरह से पूरे राज्य में उत्सव का माहौल था l महारानी भी यहाँ आकर आज़ाद महसूस कर रही थीं l ये कुछ ऐसा था जो उन्हें महल में महसूस नहीं होता था l शायद यही था कि वहां वो अपने काम को करने को स्वतंत्र थीं पर उन्हें वो प्रेम नहीं मिलता था जो अपने यहां मां बाप से मिलता था l महारानी कामाक्षी के लिए खूबसूरत स्वादिष्ट व्यंजन बनाये गये थे l महारानी भी इस समय उन्हें चाव से खा रही थीं l आखिर इतने सको बाद अपने यहाँ लौटने के बाद और ये व्यंजन खाने के बाद उनके मन को सुकून पहुँच रहा था l कौशिकपूरा... राजकुमारी प्रथमा को अपनी मां की याद आ रही थीं जिस वजह से वो काफ़ी रो रही थीं l हालांकि महारानी कामाक्षी ने आज तक राजकुमारी प्रथमा को अपनी गोद में नहीं लिया था पर मां के पास होने का एहसास राजकुमारी को होता था l महाराज उसे चुप कराने की कोशिश के रहे थे पर कोई फायदा नहीं हुआ l सभी दासियाँ राजकुमारी के लिए भिन्न भिन्न खिलौने लेकर उपस्थित थीं पर राजकुमारी ने उन्हें देखा तक नहीं l कैसे चुप होंगी राजकुमारी प्रथमा? continues....

  • 3. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 3

    Words: 1065

    Estimated Reading Time: 7 min

    ना दिल काबू में है, ना काबू में हैं जज़्बात, बना ली है मैंने सबसे दूरी मुझको करनी है खुद से मुलाक़ात! ******* राजा साहब, राजकुमारी के लिए कई तरह के करतब करवाते हैं पर राजकुमारी का रोना शांत नहीं होता है l तभी राजा के पास संदेश पहुँचता है कि बहुत ही पहुँचे हुए महा मुनि राज्य में आए हुए था तो राजा उन्हें सादर के साथ दरबार में लाने का आदेश सुनाते हैं l जब महा मुनि राजदरबार में आते हैं तो वह एक बच्ची को रोते हुए देखते हैं जिसके चेहरे पर एक तेज था वह यह देखकर दंग रह जाते हैं l उसके तेज को देखकर महा मुनि भी अपना सर झुकाकर उसे प्रणाम करते हैं l वह राजकुमारी प्रथमा ही थीं l महा मुनि के राजदरबार में आते ही प्रथमा अचानक ही चुप हो गयीं l महा मुनि. महाराज क्या यह आपकी पुत्री हैं? राजा. जी महा मुनि.. महा मुनि. क्या हम एक बार इनके चरण स्पर्श कर सकते हैं? राजा. महा मुनि आप ये क्या कह रहे हैं, हमारी पुत्री कन्या है और आप एक महान ऋषि हैं l हम भला आपको कैसे रोक सकते हैं पर ये विचित्र होगा हमें अपनी पुत्री के लिए आपका आशीर्वाद चाहिए l महा मुनि. महाराज आप बहुत भाग्यशाली हैं जो इन्होने आपके राज्य में जन्म लिया और ये तो हमारा सौभाग्य होगा जो हम पुत्री के चरण स्पर्श करेंगे l इतना कहकर राजकुमारी प्रथमा के पैर छू लेते हैं l चरण स्पर्श के बाद वे बोले - हम देख सकते हैं इनका भविष्य बहुत उज्जवल है l ये एक महान नायिका होंगी और हमारे समाज को नई दिशा दिखाएंगी l ये भविष्य की उत्तम महारानी होंगी जिन्हें हराना नामुमकिन होगा l राजा. पर महामुनि राज्य में पुत्री का विवाह होता है नाकि राज्याभिषेक फ़िर ये कैसे? महा मुनि. महाराज ये सब नियति का तय किया गया है l इसमें हम और आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं l राजा. हो सकता है कि आप सही कह रहे हो पर राजकुमारी के नामकरण के वक़्त आचार्य ने भविष्यवाणी की थी कि "इसमें कोई भी संदेह नहीं है की राजकुमारी पूर्णतया लक्ष्मी माता का स्वरूप है और यह एक शुभ संकेत है l राज परिवार में सात पीढ़ी के बाद एक लड़की का जन्म हुआ है परन्तु राजकुमारी के साथ एक अशुभ संकेत भी जुड़ा हुआ है l वह यह है कि वह एक समय पर अपना परिवार, यह राजमहल और बाकी सब कुछ खो देंगी सिवाय अपनी जान के ll" महा मुनि कुछ पल के लिए सोच में पड़ जाते हैं पर राजकुमारी की चमकती आँखों को देखकर उनके मन का जंजाल दूर हो जाता है और वह मुस्कुराते हुए कहते हैं - महाराज राजकुमारी की किस्मत में जो भी लिखा होगा वह उनके लिए उचित होगा आखिर देवी अपने ही अंश के जीवन में सिर्फ पीड़ा नहीं दे सकती हैं l अभी सब कुछ जैसा चल रहा है चलने दीजिये l नियति का खेल अपने हिसाब से ही चलेगा उसे कोई नहीं रोक पायेगा l जय मां भवानी! राजा. जय मां भवानी.. सारे दरबारी भी जय मां भवानी का नारा लगाते हैं l महा मुनि राजा जाने से पहले राजकुमारी के लिए अभिमंत्रित कलावा भी दे जाते हैं l कुछ ही दिनों बाद महारानी भी लौट आई थीं पर अब भी वो प्रथमा पर ध्यान नहीं देती थी l प्रथमा भी घुड़सवारी, अध्ययन और कई कौशल शिक्षायें सीख रही थीं l अब वे महारानी को बहुत ही कम याद करती थीं l महाराज हर पल उनका मनोबल बढ़ाया करते थे l राजकुमारी हमेशा की तरह राजमहल के मुख्य बगीचे में अपनी  तलवार बाजी का अभ्यास करती थीं l तभी उनके पास एक दासी आती है और उसे प्रणाम करती है l राजकुमारी अपनी तलवार रोक देती हैं और उसके कुछ कहने की प्रतीक्षा करने लगीं l दासी. राजा साहब ने आपको राज दरबार में उपस्थित होने का आदेश सुनाया है l राजकुमारी. आप चलिए, हम आते हैं l राजकुमारी राजदरबार में पहुँचती हैं तो देखती है कि उनके पिता किसी से कुछ चर्चा कर रहे थे जो राजकुमारी के आने के बाद वह स्थगित कर देते हैं l राजकुमारी अपने सर को झुकाते हुए - प्रणाम पिता महाराज.. महाराज. प्रणाम राजकुमारी इनसे मिलिए ये हैं हमारे पडोसी राज्य मेदाता के राजकुमार नक्षत्र और राजकुमार ये हैं हमारी आन हमारी शान राजकुमारी प्रथमा जिनसे मिलने के लिए आप हमारे राज्य आये हैं l राजकुमार नक्षत्र. प्रणाम राजकुमारी राजकुमार. प्रणाम राजकुमार राजकुमार. हमने आपकी तलवार बाजी की बहुत चर्चा सुनी है और हम चाहते हैं कि आप हमारे राज्य में होने वाले वार्षिक तलवारबाजी समारोह में भाग लें l हम खास निमंत्रण देने यहाँ आये हैं l राजकुमारी अपने पिता की तरफ देखती हैं तो वह उनके मन की उलझन को समझ लेते हैं l राजा जी. राजकुमार आप आज रात यही विश्राम कर लें l राजकुमारी भी कल यहीं दरबार में अपना फैसला सुना देंगी l अभी हो सकता है कि वो अपना फैसला सुनाने में असमर्थ हों l आखिर आज से पहले उन्हें ऐसा प्रस्ताव नहीं मिला l राजकुमार भी महाराज के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेते हैं l राजदरबार को वहीं रोक दिया जाता है l सब अपने अपने कक्ष में चले जाते हैं l महारानी, महाराज से उनके कक्ष में आने की अनुमति मांगती हैं l राजा जी भी उन्हें आने की अनुमति दे देते हैं l महारानी. शुभ संध्या महाराज राजा जी. शुभ संध्या महारानी जी, आज आप यहाँ, कोई खास वजह? महारानी. जी नहीं, वो बस हम कुछ पूछने आये थे l हमने रानी महल की दासियों से सुना कि मेदाता राज्य के राजकुमार नक्षत्र हमारे महल में आये हुए हैं l राजा जी. आपने बिलकुल सही सुना है, राजकुमार नक्षत्र यहां रुके हुए हैं l महारानी. ठीक है हम समझ गये, हम उनके लिए खास भोजन का प्रबंध करवाते हैं l इतना बोलकर वहाँ से चली जाती हैं l क्या सच में महारानी बस इतना ही जानने आई थी या फ़िर उनके यहाँ आने की कोई और मंशा थी? जारी है... Note:- महाराजा - किसी बड़े क्षेत्र पर शासन करने वाला शासक महाराजा कहलाता है। राजा- किसी छोटे क्षेत्र पर शासन करने वाला शासक राजा कहलाता है। (हम कहानी में राजा और महाराजा दोनों ही शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं पर हमारा मतलब महाराजा से है कुछ शार्ट फॉर्म के लिए राजा का उपयोग किया जा रहा है l ) Bhool chuk maaf kijiye, hmne kahani bilkul sahi tarike likhne ka prayas kiya hai. ©aaradhya...

  • 4. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 4

    Words: 1023

    Estimated Reading Time: 7 min

    परवाने को शमा पर जलकर कुछ तो मिलता होगा यूं ही मरने के लिए कोई मोहब्बत नहीं करता... ******* राजकुमारी रात्रि विश्राम के समय महाराज से तलवारबाजी समारोह के विषय में चर्चा करती हैं तो महाराज उन्हें इस समारोह में सम्मिलित होने का सुझाव देते हैं जो राजकुमारी भी विचार कर रही थी हालांकि वह इस बारे में पूरी तरह से पुष्ट नहीं थीं l राजकुमारी भी अपने कक्ष में लौट जाती हैं l अगली सुबह अपनी दिनचर्या के अनुसार राजकुमारी अपनी तलवारबाजी का अभ्यास कर रही थीं उन्हें इस बात की खबर नहीं थी कि राजकुमार नक्षत्र उन्हें अपने मेहमान कक्ष की खिड़की से देख रहे हैं l राजकुमारी की तलवार किसी नवयुवक से कम नहीं थी जबकि राजकुमारी की उमर अभी 14 साल ही थी l राजकुमार कुछ पल राजकुमारी को देखते रहते हैं l ज़ब उन्हें अपने चेहरे पर सूर्य की रौशनी महसूस होती है तो वह सूर्य देव को प्रणाम करते हुए कक्ष में ही कसरत करने लगते हैं l उनके द्वारा की गयी कसरत उनके गठीले शरीर को प्रदर्शित करती थी l राज दरबार का वक़्त हो चला था l राजकुमार बेसब्री से राजकुमारी के जवाब का इंतजार कर रहे थे l आखिर सबका इंतजार खत्म हुआ l राजकुमारी दरबार में आई और महाराज को प्रणाम किया l राजकुमारी. हम मेदाता के वार्षिक समारोह में भाग लेने के तैयार हैं परन्तु उससे पूर्व हम राजकुमार के साथ तलवारबाजी का आयोजन चाहते हैं l महाराज. ऐसा क्यों राजकुमारी? राजकुमारी. महाराज हम सब जानते कि राज्य का प्रतिनिधित्व सेनापति करते हैं जो राजकुमारों को कौशल शिक्षा भी प्रदान करवाते हैं तो एक तरह से राजकुमार राज्य के लोगों और सैनिकों का आइना होते हैं l हम अगर राजकुमार के साथ तलवारबाजी का मुक़ाबला करेंगे तो वहां के लोगों का मनोबल जान पाएंगे जिससे हमें प्रतियोगिता में आसानी रहेगी l महाराज, राजकुमार की तरफ देखते हैं l राजकुमार नक्षत्र. हम तैयार हैं पर हम चाहते हैं कि ये मुक़ाबला आज ही हो l हमें आज ही अपने राज्य लौटना है l राजकुमारी. हमें मंज़ूर है l महाराज. मुक़ाबले की सारी तैयारी की जाएँ l आप दोनों अपने मुक़ाबले से पहले अभ्यास कर लीजिए l दोनों ही अलग जाकर अभ्यास करने लगते हैं l तय समय पर मुक़ाबला शुरु होता है l महाराज़ के लिए एक ऊँचा स्थान बनाया गया था l उसी से थोड़ा दूर महारानी के लिए राजगद्दी बनायीं गयी थी जिसे परदे से विभाजित किया गया था l इस मुक़ाबले को देखने महारानी भी अपनी कुछ दासियों के साथ आई थीं l राजकुमारी और राजकुमार दोनों ही  अपने प्रतियोगिता के उचित वस्त्रों में थे और इस समय मैदान में एक दूसरे के समक्ष खड़े हुए थे l महाराज की आवज गूंजती है - मुक़ाबला शुरू किया जाएं और इसी के साथ बिगुल बजता है जैसे ये कोई सच का महामुक़ाबला हो l दोनों ही अपनी तलवार को म्यान से निकालकर म्यान सम्मानपूर्वक एक एक सेवक को दे देते हैं l तत्पश्चात दोनों ही अपनी तलवार को माथे से लगाते हैं और इसके बाद मुक़ाबला शुरू हो जाता है l पूरे मैदान में तलवार के टकराने की आवाज ही आ रही थी l किसी को भी अपनी आँखों में यक़ीन नहीं हो रहा था कि 14 साल की राजकुमारी 20 साल के राजकुमार को बराबरी स्वागत टक्कर दें रही थीं l सभी ने राजकुमारी की कला के चर्चे सुने थे पर आज अपनी आँखों से देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था राजकुमार ने राजकुमारी पर एक वार किये जिससे बचते बचते भी राजकुमारी को तलवार छू गयी पर उसके तुरंत बाद ही राजकुमारी ने अपनी लचक का प्रयोग करते हुए दूसरी तरफ कूद गयी l सब लोग बेहद गौर से मैदान में नज़रे गड़ाए हुए थे l राजकुमारी ने एक गहरी सांस ली और घूमते हुए राजकुमार के साथ मुक़ाबला करने लगी l तलवार से तलवार की टकराहट का शोर ही हो रहा था l कभी राजकुमार खुद को बचाने की लिए तलवार का प्रहार कर देते तो कभी राजकुमारी अपने आप को बचाते हुए तलवार को घुमा देती थी जिससे तलवार की और तेज़ हो जाती l कुछ ही क्षणों का मुक़ाबला घंटो का बन चुका था पर कोई भी हार मानने को तैयार नहीं था l सिर्फ प्रतिनिधित्व का कौशल देखने के लिए ये आयोजन किया गया था पर दोनों ही इस मुक़ाबले को गंभीर ले लिया था l जब महाराज ने देखा कि ये मुक़ाबला इतनी आसानी से खत्म हो गया तो उन्होंने घोषणा की कि यह मुक़ाबला यही रोका जाता है l आवाज सुनकर दोनों के हाथ एक जगह रुक गये और साथ ही उनके बढ़ते कदम भी l राजकुमारी और राजकुमार दोनों ही पसीने से लथपथ थे l उन लोगों ने मुक़ाबला करीब सर पर चढ़े सूरज के साथ शुरू किया और अब सूरज ढलने को आया था l राजकुमारी सर झुकाते हुए - प्रणाम महाराज़, क्षमा कीजियेगा हम मुक़ाबले के दौरान भूल चुके थे कि हम युद्ध नहीं कर रहे हैं l राजकुमार भी अपना सर झुकाते हुए महाराज को प्रणाम करते हैं और कहते हैं - हमें भी क्षमा कर दीजिये महाराज, हम राजकुमारी के कौशल को देखकर हैरान थे इसीलिए हमारी तलवार खुद चाहती थी कि हम ये मुक़ाबला करें l महाराज. आप दोनों ही इस मुक़ाबले के विजेता हैं l आप दोनों ने ही एक दूसरे को बराबरी से टक्कर दी है और किसी को चोट भी नहीं पहुंचाई है इसी वजह से हम आप दोनों को ही एक एक इनाम देना चाहते हैं l राजकुमार आप आज की रात और यही रुक जाइये l आपके राज्य जाने का मार्ग दुर्गम है और रात में जाते वक़्त और भी कठिनाई होगी l कल सुबह आप अपने राज्य के लिए प्रस्थान कर सकते हैं l राजकुमार भी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं l राजकुमार और राजकुमारी दोनों को ही उनका इनाम दें दिया जाता है और फ़िर सब अपने अपने कक्ष की तरफ बढ़ जाते हैं l राजकुमारी एक नज़र अपनी माँ की तरफ देखती हैं जिनकी आँखों में एक ख़ुशी थी फ़िर अपने कक्ष की तरफ चली जाती हैं l जारी है... Hamne kahani ko behd rochak dhang dene ka prayas kiya hai. Ho skta hai kahani me kuchh kamiyan ho to hme is bare me avgat karaya jaye. @aaradhya..

  • 5. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 5

    Words: 955

    Estimated Reading Time: 6 min

    नफरत भी प्यार की बुनियाद होती है मुलाक़ात से अच्छी तो किसी की याद होती है मोहब्बत में फसलों का वजूद नहीं होता क्यूंकि दिल की दुनिया तो ख्यालों से आबाद होती है ll ******** प्रातः काल राजकुमार, महाराज से आज्ञा लेकर अपने राज्य मेदाता के लिए निकल जाता है l इधर राजकुमारी अपने अभ्यास के बाद अपना घोड़ा लेकर वन के पास आखेट करने के लिए जा चुकी थी l वह ज़ब नदी के पास पहुँचती हैं तो जल स्वच्छ होने के कारण मछलियों का अटखेलियां करना सफाई नज़र आ रहा था l वह नदी के पास ही अपना घोड़ा बांध देती हैं और वहीं नदी के किनारे बैठकर उन मछलियों को देखने लगती हैं l कुछ ही देर हुए थे कि उनके पीछे से एक आवाज़ आती है आप कौन हैं और यहां इस घने जंगल में नदी के किनारे क्या कर रही हैं? राजकुमारी पलटती हैं l सामने एक नवयुवक खड़ा था पर उनके वेश - भूसा से वो एक पथिक लग रहा था l राजकुमार. आप कौन है युवक? युवक. हम इस वन के संरक्षक हैं l हमारा नाम धिराज है परन्तु आप कौन हैं l राजकुमारी ना जाने क्यों अपना असलियत परिचय ना देते हुए कहती हैं - हमारा नाम मेघा है और हम पड़ोसी राज्य अंजम की कन्या है l हम यहां पर आखेट के लिए आये थे परन्तु यहां पर आकर इन मछलियों को देखने में व्यस्त हो गये l ना जाने कितनी ही देर वे लोग बातें करते रहे l धिराज राजकुमारी को मछलियों के बारे में भज बताने लगे थे l राजकुमारी को मछलियां बहुत ही प्यारी लगी थीं और उन्हें उनके बारे में इतनी ज्यादा खबर नहीं थी तो वह भी बड़ी उत्सुकता के साथ सबकुछ सुन रही थीं l शाम ढलने से पहले राजकुमारी अपने महल के लिए लौट आती हैं l इस बात को कुछ दिन हो चुके थे, राजकुमारी सब कुछ भूलकर अपनी तलवार बाजी में व्यस्त हो चुकी थी l उनके दिमाग़ से यह बात निकल चुकी थी कि वह किसी धिराज से भी मिली थीं l मेदाता की प्रतियोगिता में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त करके अपने नाम को सार्थक किया था l मेदाता के राजा ने राजकुमारी उपहार दिए थे और एक दिन रुककर मेदाता का भ्रमण करने का भी सुझाव दिया था l राजकुमारी ने भी उनके सुझाव को सहर्ष स्वीकार कर लिया था l राजकुमार ने राजकुमारी को राज्य घुमाने की जिम्मेदारी ले ली थी l अगले दिन राजकुमारी प्रथमा ने पूरा मेदाता राज्य घूमा l लौटते वक़्त.. राजकुमार. राजकुमारी आपने तलवारबाजी क्यों सीखनी चाही? राजकुमारी. पता नहीं हमें तलवार की चमक अच्छी लगती थी l हम अपने महल में सैनिकों का अभ्यास देखा करते थे l उनका वो करतब, वो तलवार की चमक, राज्य की सुरक्षा के लिए ललक,.. एक दिन हमारे मन में आया अगर हमारे राज्य की प्रजा अपने राज्य की सुरक्षा के लिए इतना कुछ कर रही है पर हम राजकुमारी होकर भी एक भी अस्त्र उठाना नहीं जानते हैं l अगर कभी हमारी जरूरत हुई तब तो हम किसी की मदद नहीं कर पाएंगे उल्टा संकोच हमारी ही सुरक्षा करना पड़ जाएगी l उसी दिन हमने प्रण लिया कि हम अपने राज्य की वो राजकुमारी बनेंगे जो अपने राज्य की सुरक्षा कर सके नाकि किसी और को हमारी सुरक्षा करनी पड़े और अगले दिन ही हमने पिता महाराज से इस विषय में बात की l पहले तो उन्होंने हमारे इस सुझाव को इंकार कर दिया परन्तु हमारे बहुत ज़िद करने के बाद उन्होंने हमें कुछ दिन अभ्यास करने को कहा और हमारे अंगरक्षक को हमें तलवार बाजी सिखाने के लिए कहा l उन्हें लगा था कि हम सबको देखकर कह रहे हैं कुछ दिनों बाद हम स्वयं ही इसके लिए मना कर देंगे पर जिस दिन हमने तलवार उठाई थी उस दिन हमें लगा था कि हम इस तलवार ने साथ पूरे राज्य की सुरक्षा कर सकते हैं l उस दिन ऐसा था जैसे कोई जादू हो जो हमें तलवारबाजी सीखने के लिए प्रेरित कर रहा हो l हम अपने राज्य की पहली कन्या थे जो तलवारबाजी सीख रहे थे l ज़ब पिता महाराज ने हमारी तलवारबाजी देखी तो उन्हें ये संदेह नहीं रह गया कि हम बस कुछ वक़्त का मनोरंजन चाहते हैं और उस दिन के बाद हम हर दिन अपनी तलवार के साथ खुद को खुद से ही बेहतर बनाने की प्रतिस्पर्धा करते हैं l राजकुमार. आपके विचार सच में बहुत ही उच्च हैं l क्या आप हमारी मित्र बनेंगी? राजकुमारी. पर आपके तो बहुत सारे मित्र होंगे आप हमें क्यों अपना मित्र बनाना चाहते हैं? राजकुमार. हमारे मित्र बहुत कम हैं क्यूंकि हमें ज्यादा बात चीत करना पसंद नहीं है पर आपके साथ हमें अजीब नहीं लगता है और आप ज़ब चाहे हमारे साथ तलवारबाजी भी कर सकती हैं l राजकुमारी. हमें विचार करने का वक़्त मिलेगा? राजकुमार. बिलकुल आप अपना समय ले लें l अगर आपकी ना भी होंगी तो हमें मंज़ूर है l राजकुमारी. और आपको ऐसा क्यों लगता है कि हम ना ही करेंगे हो सकता है हम हाँ कर दें तब..? राजकुमार. ये तो हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी अगर आप हमारी मित्र बन जाएँ l दोनों बातचीत करते हुए महल तक आ पहुँचे थे l दोनों ही विश्राम के लिए चले जाते हैं l अपने विश्राम कक्ष में पहुंचने के बाद राजकुमारी सोच रही थी कि उन्हें राजकुमार से मित्रता करनी चाहिए या नहीं l इससे उनके राज्य के संबंध में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा l सोच विचार करते करते वो निंद्रा में चली जाती हैं l राजकुमार अपने कक्ष में टहलते हुए - क्या राजकुमारी को हमारा प्रस्ताव पसंद आएगा? क्या वो हमसे मित्रता करेंगी? हम कैसे बतायेंगे राजकुमारी को कि हमें उन्हें अपनी ज़िन्दगी में शामिल करना चाहते हैं? क्या जान पाएंगी राजकुमारी, राजकुमार के मन की बात? जारी है.. Aaradhya..

  • 6. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 6

    Words: 1181

    Estimated Reading Time: 8 min

    जो दिल के करीब थे , वो जबसे दुश्मन हो गए जमाने में हुए चर्चे , हम मशहूर हो गए  l ***** राजकुमार अपने कक्ष में टहलते हुए अपने प्रेम के बारे में सोच रहे थे जो उन्हें ना जाने कब राजकुमारी प्रथमा से हो चूका था l वो यह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे पर प्रेम में किसका बस चला है जो राजकुमार का चल पाता l इन सबसे अनजान राजकुमारी अपनी नींद पूरी करने में व्यस्त थीं l ना जाने किस पहर में राजकुमार की भी आंख लग गयी l अगली सुबह राजकुमार ने राजकुमारी को अपना पूरा महल दिखाया और भोजन के पश्चात्  उन्हें अपने सैनिकों के सुरक्षा घेरे में उनके महल की ओर रवाना किया l राजकुमारी आज वापस पहुंचकर विश्राम करती हैं और अगली सुबह फिर से उस जंगल की तरफ बढ़ जाती हैँ l आज उन्हें आखेट करने की नहीं मछलियों को देखने की इच्छा थी l वह जाकर उसी नदी के किनारे अपना घोड़ा बांधती हैँ और वही नदी ने पैर डालकर बैठ जाती हैँ l कुछ ही वक्त के बाद उन्हें अहसास होता होता है कि उनके पीछे कोई मौजूद है वह बिना पीछे पीछे देखे ही अपनी तलवार को घुमाती है l तभी आवाज आती है - मेघा ये आप क्या कर रही हैं मेरी जान लेंगी क्या? राजकुमारी पीछे पलटकर देखती हैं तो धिराज था l उसे देखकर याद आता है है कि वो उससे एक बार मिल चुकी है। वह उसे देखकर पूछती है - आप आज फिर यहां कैसे? धिराज. उस दिन आपको बताया तो था इस जंगल का संरक्षक हूँ l राजकुमारी. हाँ आपने बताया था पर क्या हमेशा ही इस नदी के किनारे होते हैं? धिराज. ऐसा नहीं है पर ये नदी इस राज्य का एकमात्र स्त्रोत है l यहां पर कई लुटेरे आकर अपना अड्डा बना लेते हैं और साथ ही कई दुर्व्यसनों से इस नदी का पानी भी दूषित करते हैं l इसी वजह से हमें नदी का खास संरक्षण करना होता है। वैसे आपने नहीं बताया कि आप यहाँ दोबारा कैसे ? राजकुमारी. हम दोबारा इन मछलियों को को देखना चाहते थे इसीलिए यहां आ गये l धिराज. वैसे आपसे कुछ कहें आप बुरा तो नहीं मानेंगी ? राजकुमारी. ऐसा क्या कहना चाहते है आप हमसे ? धिराज. मेघा जी, हमने आपके तलवार चलाने का तरीका देखा है ? वो हमें बहुत ही बेहतरीन लगा, क्या आप हमें bhi सिखा सकती हैं ? राजकुमारी (मेघा जी) कुछ सोचते हुए उन्हें मना कर देती हैँ l माफ कीजिएगा धिराज जी वैसे तो तलवारबाजी की कला ऐसी है जिसे सबको आना चाहिए पर हम कोई गुरु नहीं है और यह तलवारबाजी हमारे पिताजी की देन है, हम बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं कि इसका गलत उपयोग हो l धिराज. पर राजकुमारी हम तो इस जंगल के संरक्षक है भला हमसे कैसे इसका गलत उपयोग हो सकता है l राजकुमारी. हमारा मानना है कि जिस जगह पर जिस चीज की जरूरत होती है वो वहीं पर अच्छी लगती है l आपसे जंगल में कोई भी किसी भी प्रकार का युद्ध करने नहीं आ रहा है, अगर हमारे पिताजी ने हमें तलवारबाजी सिखाया है तो आपके राज्य ने आपको तीरंदाजी की कला का ज्ञान कराया है l शाम के ढलते सूरज को देखकर राजकुमारी कहती हैं- हमें जाना होगा वनरक्षक जी, हमारे पिता श्री हमारा इंतजार कर रहे होंगे l धिराज. पर अभी तो पूर्णतया सांझ भी नहीं हुई है l राजकुमारी. हम इस बारे में कोई भी चर्चा नहीं करना चाहते हैं l कृपया आप हमारा मार्ग छोड़ने का कष्ट करें,  हमें विलंब हो रहा है l धिराज ना चाहते हुए उसके रास्ते से हट जाता है और राजकुमारी अपने अश्व में सवार होकर वहां से चली जाती हैं l जब वह अपने राज्य में पहुंचने ही वाली होती है तभी उन्हें कुछ लोगों की आवाज सुनाई देती है, जो आपस में बात कर रहे थे l हमारे राज्य में कितने तरह के प्रकार के लोग प्रशिक्षित होते हैं तो क्या हमारे राज्य के लोगों को प्रशिक्षित होने का कोई भी अधिकार नहीं है l आखिर वे तो इसी राज्य के निवासी हैं l महाराज का फर्ज बनता है कि वह अपने पूरी प्रजा की देखभाल करें l वे अपने महल और सेना के लिए बाहर से लोगों को बुलाकर प्रतियोगिता करवाते हैं परंतु राज्य के लोगों को इस प्रतियोगिता में आमंत्रित नहीं किया जाता जबकि राज्य में भी कई गुणवान लोग मौजूद हैं l राजकुमारी के पास इन सभी बात का कोई भी तर्क नहीं था l वह अपने मन में बात सोचती हुई राजमहल पहुंचती है और अपने अश्व को उसके अस्तबल मे ले जाकर छोड़ देती हैं अपने कक्ष मे पहुंचने तक उनके मन में यही विचार चल रहा था कि वे क्या करें? उनकी प्रजा के लोगों का कहना भी सही था उनके महल में मौजूद सभी सैनिक खास प्रशिक्षण पर रखे जाते थे जिन्हें वे लोग बाहर के राज्यों से बुलाते थे परंतु उन सबका इस बात में कभी ध्यान ही नहीं गया कि वह यह प्रतियोगिता अपने राज्य के लोगों के बीच में भी रखवा सकते हैं l आज रात्रि भोज के समय राजकुमारी ने महाराज से इस विषय में चर्चा करने का सोच लिया था l रात्रि भोज का समय... आज राजकुमारी रात्रि भोज के लिए सबसे पहले आ चुकी थी, जब महाराज आए तो उन्होंने उठकर उन्हें प्रणाम किया और फिर दोनों ही अपने स्थान पर बैठ गए l महाराज. क्या बात है पुत्री, आप यहां पर इतना शीघ्र कहीं हमसे आने में विलंब तो नहीं हो गया? राजकुमारी. नहीं पिता श्री आपसे आने में विलंब नहीं हुआ हम ही शीघ्र आ गए थे l हमारे अंतर्मन में एक बात चल रही थी जिसे हम आपसे कहना जरूरी समझ रहे थे बस इसी वजह से यहां पर शीघ्र आ गए l महाराज उन्हें बोलने के लिए कहते हैँ और अपने हाथ के इशारों से भोजन परोसने के लिए कहते हैं l राजकुमारी. हम चाहते हैं महल में सैन्य प्रशिक्षण के लिए अश्व प्रतियोगिता हो जिसमें हमारे राज्य के लोग भी भागीदार बने l महाराज. अचानक यह विचार आपके मन में कहां से आया राजकुमारी? राजकुमारी. आज हम भ्रमण पर निकले थे तो लौटते वक्त हमें प्रजा से सुनने में आया क़ि हमारे राज्य में भी बहुत सारे गुणवान व्यक्ति मौजूद हैं परंतु उनको इस बात का कोई भी मौका नहीं मिल पाता है कि वह अपना जीवन अपने राज्य की सुरक्षा में लगा सकते हैं l महाराज. धन्यवाद राजकुमारी हम इस बात को ध्यान में रखते हुए चल जल्द ही घोषणा करवाते हैं l दोनों ही अपने भोजन पर ध्यान देने लगते हैं l महाराज सब अपने कक्ष में पहुंचते हैं तो राजकुमारी के दिए सुझाव के बारे में सोचते हैं और अगले दिन ही इस बारे में घोषणा करवाने का सोचते हैं l अगले दिन ही इस बात की घोषणा हो जाती है कि होने वाले लाल चाँद के उत्सव के तुरंत बाद राजमहल में प्रतियोगिता आयोजित करवाई जा रही है उसमें कोई भी भागीदार बन सकता है l तय दिन में यह प्रतियोगिता आरंभ होने के लिए लोग एकत्रित होने लगते हैं l क्या होगा इस प्रतियोगिता में? कैसे करेंगी राजकुमारी सभी के साथ न्याय ? @aaradhya..

  • 7. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 7

    Words: 1507

    Estimated Reading Time: 10 min

    राजकुमारी प्रतियोगिता के शुरू करने की घोषणा करती हैँ l कुल अठारह लोग इस प्रतियोगिता मे शामिल होने थे l उनके तीन समूह बनाये गए थे जिसमें 6 प्रतिभागी थे l जिनके साथ प्रतियोगिता शुरू करनी थी और उसमे से दो बेहतर प्रतिभागी चुने जाने वाले थे l और अंत मे सभी समूह से चुने गए 6 प्रतिभागियों को एक साथ भाग लेना था जिसमें से सबसे बेहतरीन 5 व्यक्तियों को चुना जाना था जिन्हे पुरस्कृत किया जाता l प्रतियोगिता आरम्भ हो चुकी थी इस प्रतियोगिता के लिए सभी प्रतिभागी अपने अपने अश्व लेकर आये थे l सब इस रेस को जीतने की कोशिश मे थे l आखिर प्रतियोगिता के प्रथम विज़ेता को एक राज्य उपहार स्वरूप मिलने वाला था l लगभग घंटे भर बाद इस प्रतियोगिता का समापन होता है l राजकुमार नक्षत्र अपनी जगह से खडे होकर उन विजेताओं को मुबारकबाद देते हैँ l राजकुमारी ने अपने कहे अनुसार ही प्रथम विजेताओं को एक राज्य के कागजात दिए l दूसरे विजेताओं को उनकी सेना मे सम्मलित होने के कागजात मिले क्युकी वो कौशिकपुरा का ही वासी था l इसी तरह से बाकि तीन विजेताओं को उनके इनाम दिए गए l इन सबके बाद भोजन का प्रबंध किया गया तो सभी उपस्थित लोग भोजन के लिए चले गए जबकि राजकुमारी, राजकुमार नक्षत्र को साथ लेकर राज दरबार के लिए चली गयी l आज राज दरबार मे एक बैठक होनी थी जिसमें राजकुमारी का उपस्थित होना अनिवार्य था और अब जबकि राजकुमार नक्षत्र यहां मौजूद थे तो उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता था l राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने ही झुककर महाराज को प्रणाम किया l महाराज. आइये आइये आप फोनो का ही इंतजार हो रहा है l अपना स्थान ग्रहण कीजिये l राजकुमारी जाकर महाराज के सबसे करीब रखी गद्दी मे बैठ गयी जो उनका स्थान था और राजकुमार के लिए एक स्पेशल गद्दी का इंतज़ाम किया हुआ था l उन दोनों के ही बैठने के बाद महाराज, राजकुमार से - राजकुमार आपके राज्य से लगने वाले बागोम की सीमा से खबर मिली है कि वहा पर कुछ अनावश्यक गतिविधियां नज़र मे आई हैँ और आपको ये भली भांति ज्ञात है कि कौशिकपुरा और मेदाता राज्य के सम्बन्ध कितने अधिक गहरे हैँ l आप ज़ब राज्य लौटे तो महाराज को इस बारे मे अवगत करा दीजियेगा और अगर आपकी सेना इसे ना संभाल पाए तो हमारे बस एक पत्र भेजवा दीजिये l कौशिकपुरा राज्य की आपकी सहायता के सदैव उपलब्ध है l राजकुमारी को कुछ कागजात दिए जाते हैँ l राजकुमारी वो कागज अपने हाथ मे लेती हैँ और कहती है - राजकुमारी हमारे राज्य की सीमा से कुछ दूर ही एक जंगल है जिसके कुछ हिस्से पर कुछ दिनों पहले ही लोगो ने कब्जा किया है l उस हिस्से से जुड़े राजा ने हमसे मदद की गुहार लगाई है l राजकुमारी. क्या ये वही जंगल है जो ताहेर से जुडा हुआ है और जिसमें एक जंगल का संरक्षक है l महाराज. जी राजकुमारी, पर इस बारे मे आपको कैसे खबर है? राजकुमारी. हम दो बार इस जंगल मे जा चुके हैँ, पहली बार शिकार पर गए तब इस जंगल मे भटके थे और उस जंगल मे मौजूद खूबसूरत नदी को देखा था और वहा पर खूबसूरत मछलियां भी हैँ और दूसरी बार उसी नदी मे मौजूद मछलियों को देखने के लिए गए थे l महाराज. क्या आपने जंगल संरक्षक के सामने अपनी पहचान जाहिर कर दी? राजकुमारी. नहीं महाराज, हमने उन्हें बस ये बताया कि हम अंजम राज्य की साधारण कन्या और ताहेर व अंजम राज्य की दुश्मनी से सभी राज्य परिचित हैँ l भले ही एक दूसरे के राज्य मे आने जाने के लिए कोई मनाही नहीं है ना ही वह सभी एक दूसरे राज्य की कन्याओं और महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करते हैँ परन्तु जब भी युद्ध होता है तो कुछ छोटी बातों मे ही होता है l महाराज. आपको जैसा सही लगे कीजियेगा, हम आपको ये जिम्मेदारी दे रहे हैँ कि आप उस जंगल को मुक्त कराएंगी ताकि हम वादे पर कायम रह सकें l राजकुमारी. हम आपको निराश नहीं करेंगे महाराज, आपको जल्द ही शुभ समाचार मिलेगा l वह दोबारा अपनी जगह पर बैठ जाती हैँ l ये बैठक काफ़ी देर तक चलती है और कई अधिकारियों को उनके दायित्व और काम सौपें गए l उसके बाद सबको भोजन के लिए जाने का समय मिला l राजकुमार नक्षत्र और राजकुमार इस समय महाराज के सेह ही सही भोजनालय मे जा रहे थे l राजकुमार. महाराज हम आपसे एक आज्ञा चाहते हैँ? महाराज. बताइये राजकुमार.. राजकुमार. असल मे हम भी राजकुमारी के साथ ताहेर के जंगल मे जाना चाहते हैँ l हम जानते हैँ राजकुमारी दृढ़ निश्चय स्वभाव और हथियारों के बारे जानती भी हैँ परन्तु हम भी आना चाहते हैँ l हम सब जानते हैँ कि जिन्होंने कब्जा किया है वे बहोत ही खतरनाक लोग हैँ और महिलाओं को भी छोड़ते हैँ l हम राजकुमार के कौशल को नज़रअंदाज नहीं कर रहे हैँ बस उनकी मदद के लिए जाना चाहते हैँ l महाराज कुछ पल के लिए सोच मे पड़ जाते हैँ l उन्हें ये भी लगता है कि राजकुमार सही बोल रहे हैँ और वह इस बारे मे अपना फैसला सुना सकते हैँ किन्तु वह राजकुमारी का फैसला जानना चाहते हैँ इसीलिए उनकी तरफ देखते हैँ l राजकुमारी आँखों से ही उन्हें मंज़ूरी दे देती हैँ l राजकुमारी की मंज़ूरी मिलते ही वे राजकुमार को हाँ कर देते हैँ l राजकुमार मन ही मन बहोत प्रसन्न होते हैँ l भोजन के बाद सब विश्राम के लिए कक्ष की तरफ चले जाते हैँ l अगले दिन राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही ताहेर के जंगलों की तरफ निकल जाते हैं l जंगल के करीब जाकर राजकुमार, राजकुमारी को पहले प्रस्थान करने के लिए बोलते हैं और थोड़ी देर बाद ही खुद के पहुंचने का आश्वासन देते हैं l राजकुमारी को उनकी बात सुनकर जंगल में प्रवेश करती हैँ l राजकुमारी जंगल के अंदर जा ही रही थी तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है - मेघा जी, वो आवाज जाहिर तौर पर धिराज की थी l वह अपना भाला लेकर राजकुमारी के समक्ष खड़ा था l आज राजकुमारी अलग वेश मे थी l आखिर वो अपने लिए नहीं बल्कि एक छोटे से युद्ध के लिए आई थी l राजकुमारी. क्या बात है? आप इस तरह से हमारा रास्ता क्यों रोके हुए हैँ? धिराज. क्या आपको याद नहीं है कि हमने उस दिन आपसे कहा था कि आपसे कुछ जरूरी बात बतानी है l राजकुमारी. जी बताइये,, धिराज ज़ब देखता है कि राजकुमारी (मेघा) अपने अश्व से निचे नहीं उतर रही हैँ तो वह एक गहरी सांस लेता है और कहता है - मेघा जी हम आपको पसंद करने लगे हैँ l आपको इस जंगल की संरक्षिका बनाना चाहते हैँ, आपको अपने माता पिता से भी मिलवाना चाहते हैँ l उस दिन भी यही कहना चाहते थे l राजकुमारी जिन्होंने आज तक कभी ऐसी स्तिथि का अनुभव नहीं किया था उनके गाल जलने लगते हैँ l तभी एक आवाज आती है - आपको खबर है आप क्या बोल रहे हैँ संरक्षक महोदय,, धिराज तुरंत पीछे पलटकर देखता है तो सामने राजकुमार नक्षत्र थे l वह उन्हें देखकर प्रणाम करता है l आखिर मेदाता के राजकुमार की वीरता के चर्चे सभी जगह थे l धिराज. माफ़ी कीजिए राजकुमार हम बस अपने प्रेम को व्यक्त कर रहे थे, आखिर इसमें गलत ही क्या है? हर मनुष्य को प्रेम का अधिकार है l राजकुमार. प्रेम करने का अधिकार छीनने वाले हम कौन होते हैँ परन्तु आप जिसके सामने अपना प्रेम व्यक्त कर रहे हैँ, उनकी असली पहचान की मालूमात कर लीजिये फिर अपनी भावनाओं को व्यक्त कीजियेगा l धिराज. आपके कहने का क्या तात्पर्य है राजकुमार? राजकुमार. आपके समक्ष जो ख़डी हुई है वो कोई आम इंसान नहीं है बल्कि कौशिकपुरा की राजकुमारी है और एक राजकुमारी के समक्ष प्रेम की अभिव्यक्ति करने की सज़ा तो मालूम होंगी न आपको l धिराज लड़खड़ाती जबान से - क्या..? राजकुमारी..? पर ऐसा कैसे हो सकता है, मैं इनसे मिल चुका हूं पर इन्होंने अपना णाम मेघा बताया था और ये अंजम राज्य की रहने वाली थीं l वह यह सब राजकुमारी की तरफ देखकर बोल रहा था l राजकुमार. सही बताया जा रहा है ये राजकुमारी प्रथमा ही हैँ और हम यहां पर एक जरूरी काम से आये हैँ l धिराज. मेघा जी, ये सब क्यों? राजकुमारी उसकी तरफ देखते हुए क्युकी अभी भी सब हमारी पहचान से अनजान है और हमारी पहचान को पिता महाराज ने सबसे छुपाने के लिए कहा था बस इसी वजह से सच नहीं बताया l अब हमें जाने दीजिये, विलम्ब हो रहा है l धिराज भी रास्ते से हट जाता है l उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था l राजकुमारी और राजकुमार दोनों ही जंगल के दूसरी हिस्से की तरफ बढ़ जाते हैँ l धिराज उनको जाते देख. आप राजकुमारी हो या आम इंसान मेघा जी... आपको मेरी जिंदगी मे आना ही होगा l मैं अपने प्रेम को व्यर्थ जाने दूँ, ऐसा इंसान नहीं हूं l क्या करेगा धिराज और क्या बढ़ेंगी राजकुमारी की मुसीबतें? जारी है.. Rajkumari ke sangharsh ko janne ke liy is kahani ke sath bane rahiye aur intezar kijiye iske agle bhag ka... @Aaradhya

  • 8. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 8

    Words: 1143

    Estimated Reading Time: 7 min

    धिराज उन दोनों को जाते देख. आप राजकुमारी हो या आम इंसान मेघा जी... आपको मेरी जिंदगी मे आना ही होगा l मैं अपने प्रेम को व्यर्थ जाने दूँ, ऐसा इंसान नहीं हूं l मैं अपनी जिंदगी में आने वाले किसी भी शख्स को अपनी जिंदगी से नहीं जाने देता इसे आप मेरा जुनून समझे या मेरी ज़िद... आप अपनी खुशी से मेरी जिंदगी में शामिल होंगी तो यह आपके लिए ही अच्छा है वरना मुझे लोगों को अपनी जिंदगी में शामिल करना आता है l धिराज के दिमाग में चल रही बात से अनजान राजकुमारी और राजकुमार दोनों ही उस छोर के पास पहुंच जाते हैं जहां पर लोग एकत्रित थे, वे लोग इस समय बिल्कुल ही निश्चिन्त थे, उन्हें किसी भी बात का डर नहीं था और इस समय नदी के दूसरे छोर पर आग जलाकर मछलियों को सेंक रहे थे l यह देखकर राजकुमारी को बहुत बुरा लगता है l आखिर इन्हीं मछलियों के लिए वह इतनी दूर आया करती थी और आज कुछ लोगों को उसे भोजन के रूप में ग्रहण करते देखकर उसे गुस्सा भी आ रहा था l वह राजकुमार की तरफ देखती हैँ तो राजकुमार अपने घोड़े के साथ आगे बढ़ जाते हैँ किसी और की मौजूदगी को महसूस करके वे लोग अपने सामने देखते हैं l उनके सामने एक लड़की खड़ी थी जिसने योद्धा की पोशाक पहनी हुई थी और चेहरा नकाब से ढका हुआ था तो वहीं दूसरा युवक एक योद्धा की पोशाक में था और उसका चेहरा पेड़ों से छनकर आती धूप में दमक रहा था l वे लोग तुरंत सतर्क होकर अपनी जगह से खड़े होते हुए कहते हैं - कौन हो तुम लोग और यहां कैसे आ गए? क्या तुम्हें मालूम नहीं है यह जंगल किसके हिस्से में आता है? राजकुमार अपने अश्व से उतरते हुए कहते हैं - यह तो मालूम है कि यह जंगल किसके हिस्से में आता है पर हमें यह भी खबर मिली है कि कुछ डकैतों ने इस हिस्से पर कब्जा कर लिया है और इस हिस्से को खाली करने की इरादे में नहीं है l एक व्यक्ति आगे बढ़ते हुए कहता है - हां नहीं है खाली करने के मूड में,, तो... क्या करोगे? और हो कौन तुम? तुम्हारी इतनी हिम्मत हो गई कि तुम पता होते हुए कि यह जंगल किसी और के कब्जे में आ चुका है फिर भी यहां चले आए l क्या तुम्हें अपनी जिंदगी का जरा भी डर नहीं है l राजकुमार अपने कदम आगे बढ़ाते हुए कहते हैं - मुझे अपनी जिंदगी का डर है या नहीं l इसका तुमसे कोई भी वास्ता नहीं है पर तुम्हें अपनी खैर मनानी चाहिए कि मैं अभी यहां पर चुपचाप खड़ा हूं l कहीं ऐसा ना हो जाए कि मेरी जिंदगी का डर बताते बताते तुम अपनी जिंदगी खो दो l इससे बेहतर यही होगा कि तुम लोग चुपचाप से यहां से अपना सामान उठाकर चले जाओ और ताहेर के राजा को उनका जंगल वापस कर दो l उनमें से एक व्यक्ति. तो अब तुम लोग हमें बताओगे कि हमें क्या करना है? तुम शायद भूल गए हो तुम्हारे साथ एक युवती भी है और तुम्हें खबर होनी चाहिए कि एक युवती को युद्ध के मामलों में नहीं लाना चाहिए था l यह तो पता ही होगा ना कि युवती का काम है घर पर बैठकर अपने घर के मर्दों का इंतजार करना और उनके आने पर भोजन करवाना l उसकी बात सुनकर भी राजकुमारी चुप रहती है जबकि राजकुमार को गुस्सा आता है और वह कहते हैं - तुम जैसे लोगों की सोच खराब है इसमें युवतियों का कोई दोष नहीं है l उनका क्या काम है और उन्हें क्या करना चाहिए, तुम जैसे लोग कभी नहीं बता सकते हो l मैं बस यही कहूंगा कि तुम लोग चुपचाप से यहां चले जाओ l तभी उनमें से एक व्यक्ति गुस्से मे एक खंजर से वार करता है जिसे राजकुमार अपने हाथों से रोक देते हैँ और हाथ को घुमाते हुए कहते हैँ - मैं शांति से बात कर रहा हूं तो तुम लोगों को प्यार की भाषा समझ नहीं आ रही है l लगता है अब तुम लोगों को सबक सिखाना पड़ेगा l इसके बाद वह उस व्यक्ति का हाथ मरोड़ देते हैं l राजकुमारी चुपचाप यह सब देख रही थी l वहां एकदम से ही माहौल बदल चुका था और सभी लोग राजकुमार पर हावी होने की कोशिश करे रहे थे पर राजकुमार अपने बुध्दिमता के साथ उन सबको हरा रहे थे l तभी एक व्यक्ति धोखे उनके पीठ पर खंजर खोपने की कोशिश करता है, तभी राजकुमारी तुरंत अपने घोड़े से कूदते हुए उसको रोक लेती हो और उसके पैर पर लात मारते हुए कहती हैं - जब वह सामने से युद्ध कर रहा है तो तुम पीठ पर खंजर कैसे घोंप सकते हो? क्या तुम लोग इतने कायर हो चुके हैं कि किसी दूसरे का सामना करने से डरते हो? राजकुमारी की कही बात उन लोगो के अहं पर लगती है और वह सब एक दूसरे की तरफ देखते हुए एक साथ हमला करने की योजना बनाते हैं और उन दोनों पर हमला कर देते हैं l राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही एक साथ नीचे झुक जाते हैं जिससे उन लोगों का वार खाली जाता है l इसके तुरंत बात ही वे लोग उठते हुए उनके साथ तलवारों से युद्ध करने लगते हैँ l अब तक उन लोगों की तलवार भी निकल चुकी थी l कोई भी एक दूसरे से हार नहीं मान रहा था l पहले तो उन लोगों को लगा था कि वह एक लड़की है तो उससे क्या ही हार और जीत का फर्क पड़ेगा पर जब उन्होंने उसे अपने बराबर से युद्ध करते देखा तो उस पर भी हमला करने मे कोई कसर नहीं छोडी और बराबरी से युद्ध करने लगे l अभी तक राजकुमार व राजकुमारी दोनों ही सिर्फ खुद का बचाव कर रहे थे पर अब वह दोनों भी उनके वार का करारा जवाब देने लगे थे और कुछ ही पलों में उन्होंने उसे पूरे समूह को हरा दिया l राजकुमार उनमें से एक की गर्दन पर तलवार रखते हुए - तो अब बताओ तुम लोग सीधे तरीके से इस जंगल से जाओगे या नहीं l एक व्यक्ति. कौन हो आप लोग? आपके युद्ध की कौशलता देखकर यह तो समझ आ चुका है कि आप कोई आम इंसान नहीं हो परंतु आप लोगों ने हमसे युद्ध क्यों किया हमारी तो आपसे कोई दुश्मनी नहीं थी l राजकुमार सही कहा हमारी कोई दुश्मनी नहीं थी पर ताहेर के राजा ने कौशिकपुरा से मदद की गुहार लगाई थी और इसी के लिए हमें आना पड़ा l समूह का सरदार. हमें माफ कर दीजिए हम नहीं जानते थे कि आपके कौशिकपुरा से हैँ वरना हम आपसे कभी भी युद्ध नहीं करते l हम आज ही यह जंगल छोड़कर चले जाएंगे और फिर कभी लौटकर नहीं आएंगे l राजकुमार और राजकुमारी भी दोनों जंगल से वापस महल की तरफ आ जाते हैँ l जारी है... @Aaradhya...

  • 9. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 9

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    ज़माने से सुना था कि मोहब्बत हार जाती है, जो चाहत एक तरफ हो वो चाहत हार जाती है, कहीं दुआ का एक लफ्ज असर कर जाता, और कहीं बरसों की इबादत भी हार जाती है लल ******* महल में वापस आकर राजकुमार महाराज मिलकर अपने राज्य के लिए लौट जाते हैं l कुछ दिन ही बीते थे कि वह अपने पिता के साथ दोबारा कौशिकपुरा आते हैं l इस बार उनकी माता श्री भी उनके साथ थी l उन तीनों के आने पर महाराज चंद्रधि और महारानी कामाक्षी उनका खुले दिल के साथ स्वागत करते हैं आखिर वे मित्र इतने वक्त के बाद मिल रहे थे l महारानी कामाक्षी अपने विवाह के बाद रानी रैना की दोस्त बन चुकी थी l शाही भोजनालय में पहले उनके भोजन का प्रबंध किया जाता है और इस समय वे लोग भोजन ही कर रहे थे l तत्पश्चात महाराज चंद्रधि, राजा अश्विन के साथ अपने कक्ष मे तो वहीं महारानी कामाक्षी, रानी रैना के साथ अपने कक्ष में चले जाती हैँ l राजकुमार नक्षत्र ने अब तक पूरा महल नहीं देखा था तो उन्होंने राजकुमारी प्रथमा से इस विषय में कहा l राजकुमारी प्रथमा ने भी उनको महल दिखाने के लिए हां कर दिया और सबसे पहले उनको अपने महल के पुस्तकालय में लेकर गईं, जहां तरह-तरह की किताबें रखी हुई थी l किताबों को देखकर राजकुमार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, ऐसा नहीं था कि उनके राज्य और महल में कोई पुस्तकालय नहीं था पर यहां जो किताबें थी वह बेहतरीन से बेहतरीन थी l यहां पर कई राज्यों का इतिहास भी मौजूद था जो हर राज्य के पास नहीं होता है और ना ही इतनी आसानी से किसी को प्राप्त होता है l यहां पर मौजूद कई किताबें विदेश से खास तौर पर राजकुमारी के लिए मंगाई गई थी जिसका उन्होंने अध्ययन भी किया था l राजकुमार. राजकुमारी आपको अगर किसी प्रकार की    समस्या ना हो तो क्या हम यहां बैठकर कुछ समय के लिए इन पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं l राजकुमारी. जी बिल्कुल, पुस्तकालय अध्ययन के लिए ही होता है आपको जो भी किताब चाहिए वह आप चुन लीजिए l राजकुमार अपनी पसंदीदा किताब को चुनते हैं और वही बनी हुई एक गद्दी में बैठ जाते हैं l उनके बैठने के बाद राजकुमारी भी अपने लिए किताब चुनती है और उनसे कुछ दूरी पर बैठकर अपना अध्ययन करने लगती हैँ l दोनों को ही किताबें पसंद थी इसीलिए अध्ययन करते-करते कब समय बीत गया उन्हें पता भी नहीं चला l तभी राजमहल से एक दासी आती है जो राजकुमारी खोजते खोजते यहां पर आ पहुंची थी, उन्हें रानी रैना ने बुलावा भेजा था l राजकुमारी. आप चले हम अभी आते हैं l राजकुमारी, राजकुमार की तरफ देखते हुए पूछती हैं - आप यही बैठना पसंद करेंगे या हमारे साथ चलेंगे? राजकुमार जो किताब के पन्ने पलट रहे थे, वह कहते हैं - हम इस किताब के मध्य में है और इसे ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहते हैं तो क्या हम यहां रुक सकते हैं? राजकुमारी. इसमें सवाल करने जैसा कुछ भी नहीं है l हमें बस काकी सा ने बुलवाया है, हम कुछ वक्त बाद आपसे वापस यहीं मिलेंगे l राजकुमार. जी ठीक है l राजकुमारी वहां से बाहर निकल जाती है l जब वह महल में पहुंचती है तो उन्हें पता चलता है रानी रैना, महारानी के कक्ष में है l इस बात को सुनकर उन्हें समझ में नहीं आता है कि उन्हें जाना चाहिए या नहीं... पर वह ना जाकर काकी सा का अपमान भी नहीं कर सकती थीं पर उन्हें आज तक महारानी के कक्ष में जाने की अनुमति भी नहीं मिली थी l वह असमंजस में ही थी तभी एक दासी जाकर बोलती है - राजकुमारी सा, महारानी सा ने आपको तुरंत आने का आदेश सुनाया है l यह सुनकर राजकुमारी खुश हो जाती हैँ l इसका सीधा-सीधा अर्थ था कि राजकुमारी प्रथमा, महारानी के कक्ष में आ सकती हैं l वह खुशी-खुशी महारानी के कक्षा की ओर बढ़ जाती हैँ l प्रथमा, महारानी के कक्ष के द्वार पर जा खड़ी होती है l आज उन्हें पहली बार किसी चीज का डर लग रहा था, वह यह था कि कहीं उनकी माताश्री नाराज तो नहीं हो जाएंगीं, हालांकि वह नाराजगी बचl न से सहती आ रही थी पर उन्हें और नाराज नहीं करना चाहती थीं l तभी रानी रैना की आवाज आती है जिन्होंने उसे द्वार पर खड़े हुए देख लिया था - अंदर आ जायें राजकुमारी सा, आप ही का इंतजार हो रहा है l राजकुमारी अंदर जाकर काकी सा के पैर छूकर - खम्मा घणी काकी सा... रानी रैना. घणी खम्मा राजकुमारी सा, स्थान ग्रहण कीजिये l राजकुमारी प्रथमा. कैसी हैँ आप काकी सा? रानी रैना. हम तो ठीक हैँ राजकुमारी सा, आप अपनी खबर बतायें l हमने सुना है कि आपने अभी कुछ दिनों पहले ही घुड़सवारी की प्रतियोगिता कराई थी और उसके तुरंत बाद ही ताहेर की जंगलों को आजाद कराया था l राजकुमारी. काकी सा, आपने बिल्कुल सही सुना है पर इन सब में हमारे साथ राजकुमार नक्षत्र भी मौजूद थे l रानी रैना. बस आपको पता है कि हम आज यहां किस लिए आए हैं? राजकुमारी. यह हमें कैसे पता हो सकता है पर जितना हमने जाना है शायद आप मासा और पिता महाराज से मिलने आईं हैँ l रानी रैना. यह तो सच है कि हम इनसे ही मिलना है पर हम आपसे भी मिलने आए हैं l आपसे कुछ इजाजत लेने भी आए हैं l राजकुमारी. हमसे इजाजत..? क्या कुछ खास बात है काकी सा? रानी रैना, राजकुमारी का हाथ थामती हुए कहती हैं - हम आपका हाथ अपने पुत्र नक्षत्र के लिए मांगना चाहते हैं l हम उनका विवाह आपके साथ करना चाहते हैं l आपको अपनी पुत्रवधू बनाना चाहते हैं l राजकुमारी यह सुनकर हैरान रह जाती हैँ l वह लड़खड़ाती आवाज में - क्या इस बारे में राजकुमार को खबर है? रानी रैना. नहीं हमने बस उनसे यही कहा था कि हम अपने मित्र से मिलना चाहते हैं l हम पहले इस बारे में आपकी राय जानना चाहते थे? क्या जवाब होगा राजकुमारी का? क्या महाराज और महारानी इस विवाह के लिए अपनी अनुमति देंगे? जारी है.... @Aaradhya...

  • 10. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 10

    Words: 2043

    Estimated Reading Time: 13 min

    वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है ******* राजकुमारी लड़खड़ाती आवाज में - क्या इस बारे में राजकुमार को खबर है? रानी रैना. नहीं हमने बस उनसे यही कहा था कि हम अपने मित्र से मिलना चाहते हैं l हम पहले इस बारे में आपकी राय जानना चाहते थे? राजकुमारी काफ़ी समय तक सोचती हैँ l महारानी कामाक्षी जो बहुत देर तक उसकी ख़ामोशी देख और समझ रही थीं वह रैना जी से कहती हैँ - इस बारे में राजकुमारी कैसे फैसला कर सकती हैँ, आखिरी फैसला तो महाराज का ही होगा l आखिर विवाह कोई बच्चों का खेल नहीं है जिसका फैसला बच्चे करें l रानी रैना. ऐसा नहीं है, आखिरी फैसला भले ही महाराज ले पर प्रथमा को अपने मन का जीवन साथी चुनने का अधिकार होना चाहिए l आखिर हम लोगो को पूरा जीवन साथ नहीं गुज़ारना है बल्कि इन्ही लोगो का गुज़ारना है l उनकी बात सुनकर राजकुमारी उनकी तरफ देखती हैँ तो रानी रैना जवाब देते हुए कहती हैँ - हाँ ये पूरी तरह से सच है कि जिंदगी तुम लोगों को बितानी है भले ही आज हम इसका फैसला करे पर यह तुम लोगों की इच्छा के विरुद्ध होगा l राजकुमारी कुछ सोचते हुए कहती हैं - हमें इस बारे में राजकुमार के साथ बात करनी है और साथ ही हमें कुछ वक्त चाहिए? रानी रैना. हम आपको पूरा वक्त देने के तैयार हैँ l राजकुमारी दोनों को प्रणाम करके वहाँ से पुस्तकालय की तरफ बढ़ जाती हैँ l जाते वक़्त में उनके मन में यही चल रहा था कि क्या वे इस विवाह के लिए तैयार हैँ? क्या वो राजकुमार को अपने पति के रूप में देख पाएंगी? अभी तो उन्हें राजकुमार से मिले कुछ ही वक़्त हुआ था तो ऐसे में क्या उनके साथ अपने विवाह की मंज़ूरी देन उचित होगा? ऐसे कई सवाल राजकुमारी के मन में चल रहे थे l राजकुमारी ज़ब पुस्तकालय में पहुँचती हैँ तो देखती हैँ राजकुमार अभी भी किताबें पढ़ रहे थे l ज़ब वह वहीं खड़े खड़े उन्हें देखने लगती हैँ l उनका व्यक्तित्व सच में बहुत ही आकर्षक था, कोई भी युवती उनके प्रेम पड़े बिना नहीं रह सकती थीं l वो हलकी भूरी आँखें, पतली नाक, पतले होंठ (जिन्हे देखकर लग रहा था कि उनमें सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग किया हो पर ये तो प्रकृति की देन थी l) राजकुमार को जब अपने ऊपर किसी की आंखों का ताप महसूस होता है तो वह अपना सर उठाकर सामने देखते हैं उनके सामने दरवाजे पर राजकुमारी खड़ी थी जो बिना पलके झपकायें उन्हें ही देखे जा रही थी l राजकुमार को ये थोड़ा अजीब लगता है तो वह उन्हें आवाज देते हुए कहते हैँ - राजकुमारी प्रथमा आप वहां पर किसका इंतजार कर रही है? राजकुमारी जैसे किसी सम्मोहन से जागती हैं और अपना सर हिलाते हुए कहती हैं- ऐसा कुछ भी नहीं है राजकुमार, हम बस कुछ सोचने में व्यस्त हो गए थे l फिर कुछ सोचते हुए कहती हैं- हमें आपसे एक जरूरी समय चर्चा करनी है l राजकुमार किताब को किनारे पर रखते हुए कहते हैं - बताइए..? राजकुमारी अपनी उंगलियों को दूसरे हाथ की उंगलियों से उलझाते हुए कहती हैं - आप विवाह के बारे में क्या सोचते हैं? राजकुमार पहले तो उनके प्रश्न को सुन कर हड़बड़ा जाते हैं, फिर क्या गहरी सांस लेते हुए कहते हैं - हमारे लिए विवाह एक जिम्मेदारी की तरह है l यह दो लोगों के बीच का एक मिलन है जो उन लोगों के बीच, साथ ही उनके किसी भी समधियों के बीच अधिकारों और दायित्वों को स्थापित करता हैl हम बस ये चाहते हैँ कि जो भी हमारी युवरानी होंगी वह हमारे साथ राज्य के कार्य में मदद कर सकें l राजकुमारी. क्या आप अपने विवाह का फैसला स्वयं लेना चाहेंगे या अपने पिता पर यह फैसला छोड़ देंगे? राजकुमार.  राजकुमारी हमारे माता-पिता हमारा भला ही चाहते हैँ l अगर वह हमारा विवाह किसी के साथ तय करेंगे तो उन्होंने उनमें कुछ गुण देखे होंगे, तभी उन्होंने हमारे राज्य और हमारे लिए चुनाव किया होगा l हम इस बारे किसी तरह का प्रतिरोध नहीं करेंगे l वह जहां पर और जिसके साथ भी विवाह करने को कहेंगे, हम उनकी खुशी के लिए विवाह कर लेंगे परंतु राजकुमारी हम यह नहीं समझ पा रहे हैँ कि आप हमसे आज यह सवाल क्यों कर रही हैं? राजकुमारी जो पहले उनसे इस विवाह प्रस्ताव के बारे में चर्चा करने की सोंची थी पर फिर कुछ सोच कर कहती हैं- ऐसा कुछ खास नहीं है l काकी सा और माता श्री हमारे विवाह की चर्चा कर रहीं थी तो बस इसी वजह से हमने विवाह के बारे में आपसे जानना बेहतर समझा l राजकुमार. परंतु राजकुमारी इतनी शीघ्र विवाह? असल में राजकुमारी के विवाह बात सुनकर उनकी भावनाओं में ज्वार उठ चुका था l उन्होंने अब सोच लिया था कि वह इस बारे में अपनी माता श्री से बात करेंगे पर उन्हें क्या पता था कि जो उन्होंने अभी तक कहा भी नहीं है वह भी उनकी माता श्री ने समझ लिया है और यहां उनका रिश्ता लेकर आई हैँ l इधर राजकक्ष मे... महाराज चंद्रधि, राजा अश्वन से प्रथमा और नक्षत्र के विवाह की बात कर ही रहे थे l तभी एक सैनिक उनके कक्ष के बाहर आकर दरवाजा जोर से खटखटाता है l महाराज अचानक आई इस आवाज से चौंक उठते हैं और उठकर दरवाजा खोलते हैं l सामने सैनिक को खड़े देखकर पूछते हैं - क्या बात है? सैनिक. महाराज, अभी अभी गुप्तचर से खबर मिली है कि ताहेर का वनरक्षक हमारे दुश्मन राज्यों से मिल गया है और साथ ही वे लोग जल्दी हम पर आक्रमण करने की योजना बना रहे हैं l महाराज. ताहेर के राजा की हमने इतनी मदद की, फिर भी वहाँ के वनरक्षक ने ऐसा क्यों किया? सैनिक. यह तो अभी तक पता नहीं चला है महाराज, परंतु शायद वे लोग बहुत बड़ी योजना बना रहे हैं l तभी राजा अश्वन भी दरवाजे तक आ जाते हैं और सैनिक से बोलते हैं- तुम जाओ और सेनापति को यहां पर भेजो l सैनिक दोनों को प्रणाम करते हुए वहां से चला जाता है राजा अश्वन. मित्र तुम परेशान ना हो, मेदाता तुम्हारी पूरी मदद करेगा l महाराज चंद्रधि. हमें यह समझ नहीं आ रहा है कि ताहेर के राजा की मदद करने के बाद भी उनके ही वनरक्षक ने हमारे दुश्मन से हाथ कैसे मिला लिया? क्या यह हमारे खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है जिसमें ताहेर के राजा भी मिले हुए हैं या फिर उसे वनरक्षक की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वह कौशिकपुरा में हमले करवा कर उसे बर्बाद करने के सपने देख रहा है l राजा अश्वन. मित्र, तुम फिकर ना करो l हम ऐसा कुछ भी नहीं होने देंगे l हम मिलकर दुश्मन राज्य की सेना का संघर्ष करेंगे और अपने कौशिकपुरा को बचाएंगे l मुझे पूरा यकीन है कि वे लोग साधर की तरफ से आक्रमण करने योजना बना रहे होंगे परंतु हम लोग साधर को कुछ वक्त के लिए अपने कब्जे में लेकर अपने सैनिक को वहां पर भेज देंगे l अगर और सेना की भी जरूरत होगी तो हम अपने मित्र राज्य से मदद मांग सकते हैं l कौशिकपुरा कभी बर्बाद नहीं होगा l कुछ ही देर में सेनापति जयभान वहां पर उपस्थित होते हैं और महाराज से कक्ष के अंदर आने की आज्ञा मांगते हैं l महाराज उन्हें सहज रूप से अंदर आने की आज्ञा देते हैं, वह अंदर जाकर सर्वप्रथम दोनों राजाओं को प्रणाम करते हैं l सेनापति जयभान. महाराज आपने हमें बुलवाया? महाराज. सेनापति अब तक आपके पास भी यह खबर पहुंच चुकी होगी कि हमारे दुश्मन राज्य हम पर आक्रमण करने की योजना बना रहे हैं तो हम यह चाहते हैं कि आप कौशिकपुरा राज्य की सीमा को इस युद्ध के लिए हर प्रकार से तैयार करें क्योंकि ये युद्ध कौशिकपुरा की आन, बान, शान का होगा l हम सबको मिलकर अपने राज्य को बचाना ही होगा l सेवा में किसी भी चीज की जरूरत हो तो हमें तुरंत ही अवगत कराया जाए और राजकोष से धन लेकर उस चीज की कमी को तुरंत पूरा करवाया जाये l सेनापति जयभान. जैसा आपका आदेश महाराज  हम अभी से सेना की तैयारी शुरू करवाते हैं क्या हम आपसे एक सवाल पूछ सकते हैं? महाराज. पूछिए सेनापति. महाराज क्या हर बार की तरह राजकुमारी थी इस युद्ध में शामिल होंगी? महाराज. कौशिकपुरा की सुरक्षा का सवाल है और हमें उम्मीद है कि इसके लिए राजकुमारी मना नहीं करेंगी, हालांकि हम उनसे एक बार इस विषय में चर्चा करना चाहते हैं l आपको कल तक इस बारे में अवगत कर दिया जाएगा l सेनापति तुरंत ही वहां से चले जाते हैं l इन सबसे अनजान राजकुमारी पुस्तकालय में पुस्तक का अध्ययन कर रही थी और उनके विषय में राजकुमार नक्षत्र से चर्चा भी कर रही थी l दोनों ही अध्ययन में इतने मग्न थे कि उन्हें रात्रि का भी एहसास नहीं हुआ कुछ समय पश्चात एक दासी उन्हें भोजन के लिए बुलाने आई तब जाकर उन्होंने पुस्तक बंद की l शाही भोजनालय... महाराज. राजकुमारी शायद अब तक आपको सूचना नहीं मिली है? राजकुमारी. किस बात की सूचना पिता महाराज? महाराज. गुप्तचर ने हमें बताया है कि ताहेर का वनरक्षक हमारे दुश्मन राज्य पतेलिया से मिल चुका है और पतेलिया राज्य हम पर आक्रमण करने की योजना बना रहा है l हम यह अच्छी तरह से जानते हैं की साधर की तरफ से आक्रमण करना उनके लिए बहुत आसान होगा l हम यह जानना चाहते हैं क्या आप हर बार की तरह सेना में शामिल होंगी? राजकुमारी. पिता महाराज ये युद्ध कौशिकपुरा के लिए हो रहा है और जिसके लिए हम अपनी जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं l कौशिकपुरा की तरफ जो भी आंख उठाकर देखेगा उसका हर्ष बहुत बुरा होगा l महाराज. हमें आप पर गर्व है राजकुमारी! आप किसी युद्ध में भाग नहीं ले रही है राजकुमारी... महारानी कामाक्षी की आवाज आती है l पहली बार महारानी कामाक्षी ने राजकुमारी प्रथमा के विषय में बोला था, परंतु यह समय सही नहीं था l राजकुमारी उनकी बात को अस्वीकार करते हुए कहती हैं- माफ कीजिएगा मासा हम आपकी इस बात का पालन नहीं कर सकते हैं l महारानी कामाक्षी. राजकुमारी भूलिए मत आपके विवाह की चर्चा हो रही है l राजकुमारी. विवाह से अधिक जरूरी हमारे लिए पिता महाराज और कौशिकपुरा है l महारानी कामाक्षी. इसके लिए सेना है वह इन सबको संभाल लेगी, आपको इसमें सम्मिलित होने की कोई जरूरत नहीं है l राजकुमारी. यह राज्य हमारा है और इसके प्रति कुछ जिम्मेदारी हमारी भी है l हम इसे मुसीबत के समय अकेला नहीं छोड़ सकते हैं l हम यह अच्छी तरह से जानते हैँ कि हमारी सेना किसी भी राज्य का मुकाबला करने के लिए तैयार रहती है, परंतु हम भी इस युद्ध में भागीदार बनना चाहते हैं l अपने राज्य की रक्षा करना चाहते हैं, इसमें गलत क्या है? महारानी कामाक्षी. गलत यह है कि आप एक राजकुमारी है राजकुमार नहीं.... राजकुमार का युद्ध में जाना शोभा देता है परंतु राजकुमारी युद्ध में नहीं जाती हैं l पर पता नहीं आपको यह बात समझ क्यों नहीं आती है? महाराज. महारानी साहब, यह आप कैसे बात कर रही हैं?वह हमारी पुत्री है और इस राज्य की राजकुमारी, उसका इस राज्य पर अधिकार है l महारानी कामाक्षी. आप शायद भूल रहे हैं महाराज, राज्य राजकुमार को मिलता है, राजकुमारी को नहीं महाराज. परंतु हम ऐसा होने नहीं देंगे, हम हमारे पुत्री को उसका अधिकार देकर रहेंगे l महारानी कामाक्षी. महाराज विवाह के पश्चात उनके पति इस राज्य को संभाल लेंगे, जैसा हमेशा से होता आया है l महाराज. जो पहले हुआ है जरूरी नहीं है कि वह आज भी होगा l वे एक दूसरे की बात के लिए इंकार कर ही रहे थे l तभी महाराज अश्वन उन्हें टोकते हुए कहते हैं - अभी जो हुआ नहीं उसके बारे में चर्चा करनी ही क्यों है? और क्षमा कीजिएगा महारानी जी, राजकुमारी के युद्ध में जाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है l यह उनका अपना राज्य अगर वह अपने सेवा की मदद करना चाहती हैं तो उन्हें करने दीजिए l रानी रैना भी यही बात बोलती है तो महारानी कामाक्षी को चुप होना पड़ता है पर ना जाने क्यों इस बार महारानी कामाक्षी राजकुमारी को युद्ध मे नहीं जाने देना चाहती थी पर अब कुछ भी नहीं हो सकता था l सभी लोग राजकुमारी क़ी तरफ ही थे l जारी है....

  • 11. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 11

    Words: 1093

    Estimated Reading Time: 7 min

    तेरा वजूद तेरी शख्सियत, कहानी क्या किसी के काम न आए तो जिंदगानी क्या हवस है जिस्म की, आंखों से प्यार गायब है बदल गए हैं सभी इश्क के मआनी क्या ***** सुबह हो चुकी थी, अभी सूरज भी नहीं निकला था पर कौशिकपुरा के सैनिकों का अभ्यास शुरू हो चुका था और इस अभ्यास में राजकुमारी प्रथमा और राजकुमार नक्षत्र भी शामिल हो चुके थे l रात्रि के समय राजकुमार ने भी इस युद्ध मे सम्मलित होने क़ि अनुमति प्राप्त कर ली थी l सेनापति स्वयं इस अभ्यास को करवा रहे थे l उनके पास कुछ शस्त्र कम थे तो उन्होंने राजकोष से धन लेकर उन्हें मंगवाने का जिम्मा अपने एक जिम्मेदार शख्स को सौंप दिया था l वह यह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि कुछ शस्त्रों की कमी से कौशिकपुरा हार जाये हालांकि उन्हें अपने सैनिकों के गुटों पर भरोसा था l वह कुछ भी करते परंतु युद्ध में नहीं हारते परन्तु यह फर्ज उनका भी था कि वह अपने सैनिकों के सभी जरूर को ध्यान रखें l अभ्यास करते-करते अचानक ही राजकुमारी प्रथमा की तलवार टूट गई l सब उन्हें अचंभित होकर देख रहे थे l यह वही तलवार थी जो उनके पिता श्री ने उन्हें उनके सातवें जन्मदिन के समय दी थी तब से लेकर आज तक उन्होंने इस तलवार को खुद से अलग नहीं किया था l युद्ध से पहले वह इसी तलवार से अभ्यास करती थी और इसे ही युद्ध में ले जाया करती थीं पर आज अचानक ही ये तलवार टूट गयी l सेनापति. राजकुमारी आप अभी के लिए दूसरी तलवार ले लें हम आपकी तलवार की ठीक करा देंगे l उनके ऐसा बोलने के बाद भी राजकुमारी ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही दूसरी तलवार लिया l उन्हें अपनी तलवार सर्वाधिक प्रिय थी और अभी वो दुखी हो चुकी थीं l उनका मन भटकता देख सेनापति ने उन्हें विश्रामकक्ष में जाकर विश्राम करने के लिए कहा l राजकुमारी भी वहाँ से चली गयीं l राजकुमारी अपने कक्ष में थी तब उनका दरवाजा खटखटाया जाता है l वह जाकर द्वार खोलती हैँ तो सामने रानी रैना खड़ी थीं l राजकुमारी. काकी सा, आप इतनी सुबह यहाँ, सब ठीक है ना... रानी रैना. सब ठीक कैसे हो सकता है ज़ब हमारी राजकुमारी ही ठीक नहीं हैँ l राजकुमारी. परंतु हम तो ठीक है काक़ी सा हमें क्या हुआ है? रानी रैना. हमें आपकी दासी चंपा ने बता दिया है कि अभ्यास के वक्त क्या हुआ था और हम आपके लिए कुछ लेकर आए हैं l वह अपने हाथ पीछे से आगे लाती हैँ उनके हाथ में एक तलवार होती है जिसकी म्यान नीले रंग क़ी थी और उसके मुठ मे सुनहरा सूर्य जिसमे बाज जैसे पँख लगे थे और अंदर क़ी तरफ बाज क़ी घरी आँखें मानो किसी पर नज़र रखने के लिए हों l राजकुमारी उस तलवार को देखते हुए - काकी सा, ये तो त्रिस्वर्णिका है l ये यहाँ पर? रानी रैना. हमें अंदर आने दीजिये फिर बताते हैँ l राजकुमारी रास्ते से हट जाती हैँ l रानी रैना. हमें आपकी तलवार के टूटने का अफसोस है परंतु निर्जीव वस्तुओं से बहुत अधिक लगाव अच्छा नहीं होता है राजकुमारी.. राजकुमारी. परन्तु वो तलवार पिताश्री द्वारा दिया गया तोहफा थी और हम उनके दिए गए सभी तोहफ़े संभाल कर रखते हैँ l रानी रैना. राजकुमारी, तोहफ़े इंसान की ख़ुशी के लिए दिए जाते हैँ उन्हें सहेज कर रखना अच्छा है पर उनसे नियत लगाव ही होना चाहिए l अधिक लगाव आपको ही तकलीफ देता है l हमें आपसे कुछ और बात करनी थी l राजकुमारी. बताइये... रानी रैना. असल में हम आपको ये त्रिस्वर्णिका देने आये हैँ l राजकुमारी. परन्तु यह तो आपकी बेशकीमती तलवार है जिसने आज तक एक भी युद्ध नहीं हारा और ना ही कभी यह किसी और के पास गयी है l फिर आप इसे हमें क्यों दे रही हैँ? रानी रैना. आपका ये युद्ध जीतना बहुत जरूरी है और यह मेदाता की रानी के पास ही रहती है और आप उस राज्य की भावी महारानी है तो एक तरह से यह तलवार किसी और को नहीं इस तलवार क़ी सही उत्तराधिकारी को दी जा रही है l राजकुमारी. परन्तु काकी सा अभी हमने हाँ नहीं की है फिर आप इतने यक़ीन के साथ कैसे कह सकती हैँ कि हम ही भावी महारानी बनेंगे? रानी रैना. हम आप पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डालेंगे कि आप हमारी बात लीजिये परन्तु हम ये भी जानते हैँ कि आप किसी और को नहीं पसंद करती हैँ और हमेशा से यही सोचा है कि जहाँ आपके पिता महाराज कहेँगे आप वहीं विवाह करेंगी तो इसमें महाराज की अनुमति शामिल है और अगर आप इस फैसले को स्वीकार करें तो अच्छा रहेगा l आप अपना पूरा वक़्त ले सकती हैँ परन्तु अभी आप इस तलवार को सम्भालिये और अपना अभ्यास जारी रखिये l आपकी जीत सबकी जीत है l बहोत बहोत शुभकामनायें! राजकुमारी. आपका बहुत बहुत धन्यवाद काकी सा, हम इस तलवार का खुद से ज्यादा ध्यान रखेंगे यह एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है l रानी रैना. आप इसकी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र रहिये ये तलवार अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकती हैँ परन्तु ये याद रखियेगा कि ये त्रिस्वर्णिका है जो सायंकाल के समय किसी के लिए काल से कम नहीं है अगर सूर्यास्त के बाद इसने अपने उत्तराधिकारी के आलावा किसी और छू लिया तो बिना उसे खत्म किये ये नहीं रुकेगी, इसका संहार जारी रहेगा l राजकुमारी. इसका कोई उपाय तो होगा? रानी रैना. हाँ आपको सूर्यास्त के पश्चात इसे यज्ञ की अग्नि से 11 बार आर पार करना होगा ताकि ये अपने खुनी रूप से बाहर आ जाये l राजकुमारी. हम इस बात का खास ख्याल रखेंगे l रानी रैना. जरूर पर अपना ध्यान भी रखियेगा l आप इसकी उत्तराधिकारी हैँ इस बात को बताने के लिए मंत्र जरूर बोलिये l उनके कान मे मंत्र बताती हैँ l उसके बाद राजकुमारी का माथा चूमते हुए कक्ष के बाहर निकल जाती हैँ l उनके जाते ही राजकुमारी की आंख से एक आँशु की बून्द उनके हाथ में गिर जाती है l आखिर इतना प्रेम उनकी स्वयं क़ी माताश्री ने भी नहीं किया था और यहां पर उनके होने वाले पति क़ी माँ कर रही थीं l उन्हें महसूस हो रहा था क़ि दुनिया इतनी भी कठोर नहीं है l वह इस तलवार को अपने माथे से लगाती है और रानी रैना द्वारा दिया गया मंत्र पढ़ती हैँ l मंत्र पढ़ने के तुरंत बाद ही पूरे कमरे मे नीले रंग क़ी रौशनी  फ़ैल जाती है और वहाँ पर आवाज गूंजती है - त्रिस्वर्णिका अपने नए उत्तराधिकारी को प्रणाम करती है l प्रणाम स्वीकार करें भावी महारानी! राजकुमारी. प्रणाम त्रिस्वर्णिका Continues....

  • 12. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 12

    Words: 1051

    Estimated Reading Time: 7 min

    जलते हुए दिल को और मत जलाना, रोती हुई आँखों को और मत रुलाना, तेरी जुदाई में हम पहले ही मर चुके हैं, मरे हुए इंसान को और मत मारना l ******* युद्ध का दिन भी बहुत नजदीक आ चुका था और कौशिकपुरा में सब तरफ अभ्यास ही अभ्यास हो रहा था l कई नवयुवक बढ़ चढ़कर इस युद्ध के लिए भाग ले रहे थे, वे अपने राज्य कौशिकपुरा के लिए जान तक लगा दांव पर लगाने के लिए तैयार थे l महाराज के आदेशानुसार जिनको युद्ध कला का अत्यधिक अनुभव था उन्हें ही शामिल किया गया था l वह अपने राज्य के किसी भी व्यक्ति की जान का नुकसान नहीं चाहते थे परंतु वहां के लोग फिर भी अपनी मदद करने से पीछे नहीं हट रहे थे l युद्ध का बिगुल भी बज चुका था l सबको पता चल चुका था कि साधर की तरफ से आक्रमण हो चुका है और सभी सैनिकों ने अपने-अपने मोर्चे संभाल लिए थे l पूरी सेना को तीन गुटों में बांटा गया था जिसका नेतृत्व सेनापति, राजकुमारी और राजकुमार कर रहे थे l पूरे साधर को एक तरफ से घर लिया गया l पहके तो ताहेर के राजा को वनरक्षक के इस भयंकर कदम के बारे में मालूम नहीं था परन्तु ज़ब उन्हें पता लगा तो उन्होंने कौशिकपुरा की मदद का प्रस्ताव महाराज चंद्रधि के सामने रखा पर उके इस फैसले पर राजकुमारी ने आपत्ति जताते हुए कहा - आपके राज्य के अंदर काम करने एक युवक हमारे राज्य से युद्ध लड़ने को तैयार हो जाता है और राजा को पता भी चलता वो भी तब ज़ब उसी के सामने हमने उसके राज्य की मदद की हो l राजकुमारी का कहना भी सही था तो ताहेर के राजा भी कुछ नहीं कह पाते हैँ और अपने राज्य लौट जाते हैँ l युद्ध का दिन... सब तरफ घोड़े, हाथी की आवाज ही सुनाई थे और तलवार कि टकराहट की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी l सैनिक से लड़ रहे थे l कौशिकपुरा का एक सैनिक दुश्मन के दो सैनिको पर भारी पड़ रहा था l राजकुमारी एक साथ कई सैनिको का संहार करते हुए आगे बढ़ रही थीं l उन्हें किसी बात का डॉ नहीं था वो बस अपना लक्ष्य देख रही था जोकि कौशिकपुरा को बचाना था l दुश्मन सैनिको की संख्या कम हो रही थी तभी अचानक से 10000 सैनिक और आ गये l वे सब अपने हाथों में काली तलवार लिए थे जो ये प्रतीक था कि उनका दुश्मन राज्य  जोपारा भी शामिल हो चुका था l जोपारा एक ऐसा राज्य जो अपने काली शक्तियों के लिए विख्यात था l वहा का राजा का शाहबान अपनी काली शक्तियों की मदद से पूरे देश में अपना हक़ जमाना चाहता था परन्तु ज़ब उसने कौशिकपुरा के साथ अपने संबंध स्थापित करने के लिए वहा आया था तो कौशिकपुरा के पूर्व महाराज चन्द्रनयन ने ऐसा करने से मना कर दिया था l तब से ही जोपारा के राजा शाहबान उनका दुश्मन बन चुके थे l  महाराज चंद्रनयन, शाहबान की काली शक्तियों के बारे में अच्छी तरीके से जानते थे तो उन्होंने एक बहुत ही सिद्ध पुरुष से कौशिकपुरा राज्य को शुद्ध करवाया था और पवित्र शक्तियों के साथ पूरे राज्य में अभिमंत्रित घेरे बनवाए थे ताकि कोई दुश्मन राज्य उसमें प्रवेश न कर सके l वह घेरे 100 वर्षों तक चलने वाले थे और अब 100 वर्ष पूरे हो चुके थे तो जोपारा ने अपने मकसद को कामयाब करने का ठान लिया था l उसने यह बात अभी सबसे छुपा ली थी क्योंकि अगर सबको पता चला कि जोपारा, कौशिकपुरा के खिलाफ है तो वे लोग इस युद्ध से पहले ही कौशिकपुरा को फिर से अभिमंत्रित करवा देंगे और वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पायेगा इसीलिए इस बार छल के द्वारा ही जोपारा के राजा शाहबान ने कौशिकपुरा को अपने वश में करने का सोचा l राजकुमारी जो अब तक काली तलवार के बारे में नहीं जानती थी l राजकुमार उनके करीब आ चुके थे l उन्होंने एक सैनिक को बुलाकर वापस महल की तरफ लौटकर सबको खबर देने को बोला ताकि महाराज जल्द से जल्द कोई समाधान कर सकें l राजकुमारी जो अपनी तलवार के साथ युद्ध को राजकुमार को खुद के पास देखकर - क्या हुआ राजकुमार? राजकुमार. हम आपको यह बताने आए हैं कि आप अपनी तलवार को इस काली तलवार के सैनिकों से मत छूने दीजिएगा l आज युद्ध के खत्म होने तक इससे जितना दूर रह सके उतना रहियेगा l राजकुमारी. क्या बात है राजकुमार आप काफी परेशान लग रहे हैं l राजकुमार. राजकुमारी, अभी हम आपको सब कुछ तो नहीं बता सकते लेकिन यह जरूर बता सकते हैं कि यह जोपारा राज्य के सैनिक हैं जो यहां शायद बाकी दुश्मन राज्य की मदद करने के लिए आये हैँ और जोपारा के बारे में आपको कुछ मालूम हो या ना हो लेकिन यह जरूर मालूम होगा कि वह राज्य अपनी काली शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है l वहां मौजूद हर सैनिक के पास काली तलवार है जिसमें असीमित काली शक्तियां है परंतु वह काली शक्तियों तब तक काम नहीं करती हैँ जब तक वह तलवार किसी और राज्य के राजा या उनके खून की तलवार को छू नहीं ले और इस समय युद्ध में कौशिकपुरा की तरफ से आप मौजूद हैँ l अगर हमें ये बात पहले पता होती तो हम आपको यहां आने ही नहीं देने l राजकुमारी. परंतु राजकुमार यह हमारे पास हमारी तलवार नहीं है यह त्रिस्वर्णिका है और यह हमें काकी सा ने दी l बात करते और सुनते वक़्त भी राजकुमारी और राजकुमार की तलवार कि नहीं रुकी थी l वह इस युद्ध मैदान के बीच के हिस्से से थोड़ी दूर थे l राजकुमार. हमने त्रिस्वर्णिका के बारे काफ़ी सुना था परंतु कभी इसे देखने का मौका नहीं मिला इस वजह से हम पहचान नहीं पाए थे l हां आप इसके साथ युद्ध कर सकती हैं क्योंकि यह मेदाता के 17वें राजा की तलवार है जिसे उस समय के राजा ने इसे अपनी पुत्रवधु को भेंट के रूप में प्रदान की थी उसके बाद से यह वहां की प्रथा बन गई l राजकुमारी. हम अपना ध्यान रखेंगे आप इन सैनिकों को रोकिये जो सीमा के करीब जाने का प्रयास कर रहे हैं हम इन काली शक्तियों के लोगों को रोकते हैं l क्या राजकुमार और राजकुमारी इस युद्ध को जीत पाएंगे या जोपारा अपने मकसद में कामयाब हो जायेगा? जारी है.... @Aaradhya.

  • 13. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 13

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    कहाँ कोई मिला ऐसा जिस पर दिल लुटा देते, हर एक ने धोखा दिया किस किस को भुला देते, अपने दर्द को अपने दिल ही में दबाये रखा, अगर बयां करते तो महफिलों को रुला देते। ******* राजकुमारी. हम अपना ध्यान रखेंगे आप इन सैनिकों को रोकिये जो सीमा के करीब जाने का प्रयास कर रहे हैं हम इन काली शक्तियों के लोगों को रोकते हैं l राजकुमारी की बात मानकर राजकुमार सीमा की तरफ चले जाते हैँ जिस तरफ जोपारा के सैनिक बढ़ रहे थे l उनका असली मकसद युद्ध के जरिये सबका ध्यान बटाना था और कौशिकपुरा की सीमा के अंदर प्रवेश करना था l अगर वे एक बार सीमा से पार हो जाते तो कौशिकपुरा को कोई भी नहीं बचा पाता l राजकुमारी खुद को बचाते हुए सबसे युद्ध कर रही थी परंतु उन्हें एक साथ कई लोगों ने लिया था हालांकि राजकुमारी इससे आसानी से निकल सकती थी परंतु वे सभी जोपारा के अत्यधिक प्रशिक्षित सैनिक थे जिनका सामना करना उनके लिए भी मुश्किल हो रहा था l वे सभी राजकुमारी को घेर कर उनकी तलवार को छूना चाहते थे ताकि अपनी शक्तियों को जागृत कर सकें, परंतु उन्हें यह मालूम नहीं था की राजकुमारी का हाथ में मौजूद तलवार उनकी खुद की तलवार नहीं है l एक सैनिक जो दिखने में काफी हट्टा कट्टा उसने घोड़े के साथ राजकुमारी की तरफ कदम बढ़ाए ताकि वह उनकी तलवार को छू सके, परंतु राजकुमारी ने एक ही क्षण में उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी l यह देखकर बाकी सैनिकों को विश्वास नहीं हुआ की राजकुमारी कुछ ऐसा भी कर सकती हैँ l हालांकि वह भी देख रहे थे कि राजकुमारी दुश्मन राज्य के सैनिकों को किसी सब्जी की तरह काटते हुए अपना रास्ता साफ कर रही थी परंतु वे जोपारा के रुस्तम सैनिक थे l उन्हें अपनी शक्तियों पर और अपने ऊपर बहुत ही ज्यादा घमंड था जिसके चलते भी वे यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि एक स्त्री इतनी आसानी से उन सब को हरा सकती है l उन सबने एक दूसरे की तरफ देखा और राजकुमारी की तरफ अचानक की एक साथ हमला कर दिया उन सबकी तलवार राजकुमारी को छू भी पाती उससे पहले ही राजकुमारी ने त्रिस्वर्णिका को उन सबके समक्ष कर दिया l एक झटके के साथ तेज रोशनी वहां पर फैल गई l सभी के हाथ से उनकी तलवार गिर और सबने अपनी अपनी आंखों पर हाथ रख लिए l किसी को समझ में नहीं आया कि कुछ पल में ही यह क्या हुआ? राजकुमारी जिन्होंने अपनी तलवार आगे बढ़ाकर खुद को बचाने की कोशिश की थी l वह भी आवाक रह गई l उन्हें भी त्रिस्वर्णिका की इस मायावी की ताकत के बारे में नहीं मालूम था l ना ही इसके बारे में रानी रैना और राजकुमार ने उनसे चर्चा की थी l सीमा के पास खड़े राजकुमार जो सैनिकों से युद्ध करते हुए उन्हें सीमा के पार जाने से रोक रहे थे l अचानक से आसमान तक फैली इस रोशनी को महसूस किया परंतु उन्हें भी समझ में नहीं आया कि यह क्या था? उन्होंने ऐसे चमकते आसमान को कभी भी नहीं देखा था l उन्हें लगा कि यह जोपारा के किसी सैनिक का माया जाल है ताकि वे सब कौशिकपुरा की सीमा को पार कर सके l आसमान तक फैली इस अद्वितीय रोशनी को कौशिकपुरा के के मुख्य महल तक महसूस किया गया l मेदाता के राजा अश्वन ने तुरंत ही रानी रैना को बुलावा भेजा l रानी रैना भी अचानक इस बुलावे पर हैरान थी वह तुरंत ही राजा के पास पहुंची l राजा अश्वन. आपकी त्रिस्वर्णिका कहां पर है? रानी रैना. वह तो हमने कुछ दिनों पहले ही राजकुमारी को दे दी l राजा अश्वन. क्या आपने इस बार में हमसे पूछना भी उचित नहीं समझा? रानी रैना. क्या वो तलवार मेदाता की रानी के लिए नहीं है l आखिर ये तो कई पीढ़ियों से चली आ रही परम्परा है और राजकुमारी भी हमारे राज्य की भावी महारानी हैँ l उनकी तलवार अभ्यास के वक़्त खंडित हो गयी थी और वह उदास थीं जिस वजह से हमने वो तलवार उन्हें सौंप दी l राजा अश्वन. हम आपको कैसे समझाएं कि आपने इस बार कितनी बड़ी गलती कर दी है l वह तलवार ऐसे ही नहीं दी जा सकती थी, उसके लिए एक बहुत महत्वपूर्ण पूजा करवानी होती है जिसे विवाह से पूर्ण कराया जाता है और अभी तक वह पूजा संपन्न नहीं हुई थी जिसकी वजह से वह तलवार आप ही के पास रहनी थी पर आपने बिना किसी जानकारी के उसे राजकुमारी को सौंप दिया l रानी रैना. यह तो अनजाने में हमसे सच में बहुत बड़ी गलती हो गई l अब क्या होगा? राजा अश्वन. अब यह तो हम भी नहीं बता सकते हैं कि क्या होगा? बुरा भी हो सकता और अच्छा भी हो सकता है l वर्षों से चली आई यह प्रथा नियमों के अनुसार ही निभाई गयी है जिसकी वजह से हमें इसके बुरे परिणामों की कोई भी जानकारी नहीं है और ना ही हमारे इतिहास की किताबों में इसके विषय में लिखा गया है l त्रिस्वर्णिका कहां से आई थी और सबसे पहले किसके पास थी? इसका पता आज तक किसी को भी नहीं है l हममें से कोई भी नहीं जानता कि त्रिस्वर्णिका के अंदर कितनी शक्तियां हैं? त्रिस्वर्णिका अपनी शक्तियों के लिए जानी जाती है और यह मेदांता की महारानी की शान है परंतु उसकी सभी शक्तियों से हम सब अभी तक अनजान है l हमारी एक छोटी सी गलती उसे कितना बड़ा दिखाएगी यह तो भगवान ही जाने l रानी रैना. क्या हम लोग कुछ कर सकते हैं? राजा अश्वन. अब कुछ भी नहीं हो सकता है महारानी, हमें इस युद्ध के समाप्त होने का इंतजार करना ही होगा l हम चाह कर भी अब राजकुमारी की मदद नहीं कर सकते हैं l क्या पता इस युद्ध की समाप्ति के साथ सब कुछ सही हो जाए? आने वाले भविष्य से वह सभी अनजान थे l क्या सच में त्रिस्वर्णिका सबके लिए खतरा बन जाएगी? क्या होगा इस युद्ध का अंजाम? जारी है.... @Aaradhya.

  • 14. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 14

    Words: 1114

    Estimated Reading Time: 7 min

    परवाने को शमा पर जलकर कुछ तो मिलता होगा यूं ही मरने के लिए कोई मोहब्बत नहीं करता.. ****** त्रिस्वर्णिका अपनी शक्तियों के लिए जानी जाती है और यह मेदांता की महारानी की शान है परंतु उसकी सभी शक्तियों से हम सब अभी तक अनजान है l हमारी एक छोटी सी गलती उसे कितना बड़ा दिखाएगी यह तो भगवान ही जाने l रानी रैना. क्या हम लोग कुछ कर सकते हैं? राजा अश्वन. अब कुछ भी नहीं हो सकता है महारानी, हमें इस युद्ध के समाप्त होने का इंतजार करना ही होगा l हम चाह कर भी अब राजकुमारी की मदद नहीं कर सकते हैं l क्या पता इस युद्ध की समाप्ति के साथ सब कुछ सही हो जाए? राजा और रानी सब के लिए परेशान थे l उन्हें सच में त्रिस्वर्णिका की शक्तियों के बारे में मालूम नहीं था l रानी रैना भी इस तलवार का प्रयोग बहुत कम ही किया करती थी और ना ही उन्हें कभी ऐसी जरूरत पड़ी थी कि वह युद्ध में जाएं l युद्ध के सारे कामकाज राजा स्वयं संभालते थे, उनकी मदद करने के लिए राज्य में सेनापति भी मौजूद होते थे l महाराज चंद्रधि और महारानी कामाक्षी को भी इस बारे में खबर हो चुकी थी और वह लोग भी तुरंत ही राजा अश्वन और रानी रैना के पास आ चुके थे l महाराज. इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? राजा अश्विन. रानी सा को त्रिस्वर्णिका सौंपने से पहले होने वाली पूजा के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था और राजकुमारी की तलवार टूटने से वह उदास थी तो इन्होंने अपनी तलवार उनको दे दी l इन्हें यही लगा था कि मेदाता की भावी महारानी को वह तलवार देना गलत नहीं होगा और वैसे गलत नहीं था परंतु पूजा ना हो पाना इसका मुख्य कारण बन गया l महाराज. हम उनकी मदद के लिए और लोग भेज देते हैं l राजा अश्वन. त्रिस्वर्णिका की शक्तियों के आगे सामान्य लोग कहां ही टिक पाएंगे l हमें बस भगवान से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि सभी लोग सही सलामत लौट कर आएं l महाराज. भगवान किसी के साथ भी इतना गलत भी नहीं कर सकते हैं l उन्हें हमारे लोगों को वापस लौटाना ही होगा l महल में मौजूद द्वारपाल में से एक संदेश लेकर आता है - महाराज युद्ध भूमि से एक सैनिक आपसे मिलने आया हुआ है और आपके लिए कुछ संदेश लेकर आया है l महाराज. उसे आने दो l सैनिक आकर महाराज को तुरंत प्रणाम करता है और कहता है - महाराज, राजकुमार ने संदेश भिजवाया है कि जोपारा के लोगों ने हमसे षड्यंत्र रचा है l वे लोग भी इस युद्ध में शामिल हो चुके हैं l राजकुमारी को उनके बारे में खबर नहीं है परंतु वे फिर भी उनसे बराबरी का मुकाबला कर रही हैँ l पूर्वजों द्वारा किए गए सुरक्षित घेरे को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं और उसका असर भी खत्म हो चुका है, इसीलिए जोपारा ने एक बार फिर से कौशिकपुरा में अपना कब्जा जमाने का षड्यंत्र रचा है l भले ही राजकुमारी उनसे लड़ रही है परंतु वे उन्हें बहुत समय तक नहीं रोक पाएंगे आप कुछ कीजिए l महाराज. तुम जाओ और बाकी सबको हमसे तुरंत आकर मिलने के लिए कहो l सैनिक वहाँ से चला जाता है l महाराज. क्या ऐसा हो सकता है कि राजकुमारी की तलवार जोपारा के सैनिक से टकराई हो क्योंकि उन राक्षसों क़ी शक्तियां तभी जागृत हो सकती हैं और राजकुमारी के पास स्वयं की तलवार न होकर त्रिस्वर्णिका थी जिसकी वजह से त्रिस्वर्णिका ने अपना अस्तित्व दिखाना शुरू कर दिया है l इसकी वजह से ही आसमान तक यह रोशनी फैली हुई है l राजा अश्वन. क्षमा कीजिएगा महाराज हमें भी इस बारे में पूर्णतया जानकारी नहीं है l त्रिस्वर्णिका एक बहुत ही शक्तिशाली तलवार है इसके सभी प्रयोग के बारे में किसी भी इतिहास की किताब में वर्णन नहीं है l हम हमको बस इतना ही पता है कि 17वें महाराज ने इस तलवार को अपने पुत्रवधू को भेंट स्वरूप प्रदान किया था और उसके पश्चात उन्होंने अपने पुत्रवधू को दिया था तब से ही यह परंपरा चली आ रही है l महाराज और राजा अश्विन दोनों ही दरबार की तरफ चले जाते हैं जहां पर सभी लोग एकत्रित हो रहे थे l महारानी कामाक्षी और रानी रहना को भी दरबार में उपस्थित होना था l महाराज. क्या कुलपुरोहित जी को आने का संदेश भिजवा दिया गया है ? मंत्री. महाराज कुल पुरोहित जी इस समय राज्य में मौजूद नहीं है l वह औषधियों की खोज में गए बाहर हैं l इस समय उनके शिष्य यहां पर मौजूद है वह कुछ ही पल में यहां आ जाएंगे l महाराज. जैसा कि आप सबको पता है कि जोपारा युद्ध में शामिल हो चुका है l राजकुमारी और बाकि सब अभी उनसे युद्ध कर रहे हैँ परन्तु जोपारा की काली शक्तियों के बारे में सबको ज्ञात है l हम आप सबको आगाह करना चाहते हैँ कि आप सब अपनी सुरक्षा करें और जो लोग राज्य छोड़कर जाना चाहहते हैँ वे जा सकते हैँ l उन्हें किसी भी बंधन में नहीं बांधा जायेगा l सभी लोग. महाराज कौशिकपुरा ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है l अब मुसीबत के वक्त हम उसे छोड़कर नहीं जा सकते हैं l अगर कौशिकपुरा के लिए हमें अपनी जान देनी होगी तो भी हम खुशी खुशी देंगे परंतु अपने राज्य से गद्दारी कभी नहीं करेंगे l महाराज. हमें बहुत खुशी हुई कि आप सभी लोग ऐसी सोच रखते हैं परंतु आप सभी के घर में कई और लोग भी हैं, उनकी सुरक्षा भी जरूरी है l राज्य मुसीबत में है परंतु आप सब अपनी जान बचा सकते हैं l सभी महाराज की बात सुनकर सोचने पर मजबूर हो जाते हैं l महाराज. हम कभी भी नहीं चाहेंगे कि हमारे राज्य की जनता को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान हो l इसीलिए हम आपसे यह बलिदान नहीं चाहते हैं l युद्ध का मैदान... त्रिस्वर्णिका से फैली रौशनी ने सबको अचंभित कर दिया था l किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था l इसी बात का फायदा उठाकर राजकुमारी ने एक झटके में अपने आप को घेरे हुए लोगो की गर्दन को अलग कर दिया था l उन्होंने पहले ही उन सैनिको और अपने बीच की दुरी को माप लिया था l वह एक निश्चित दुरी के साथ ही आगे बढ़ रही थीं l वह भले ही कुछ देख नहीं पर रही थीं परन्तु अश्व की आवाज़ की सहायता से आसानी से सब कुछ समझ पा रही थीं l उन्होंने इस रौशनी को अपनी ढाल बनाया और युद्ध करने लगी l जोपारा के सैनिक जिनकी शक्तियाँ अभी जागृत हुई थीं वे इस हमले के लिए तैयार नहीं थे और राजकुमारी क़ी तलवार के वर से अपनी जान खो दे रहे थे l Continues.....

  • 15. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 15

    Words: 1461

    Estimated Reading Time: 9 min

    लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से ***** युद्ध का मैदान... त्रिस्वर्णिका से फैली रौशनी ने सबको अचंभित कर दिया था l किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था l इसी बात का फायदा उठाकर राजकुमारी ने एक झटके में अपने आप को घेरे हुए लोगो की गर्दन को अलग कर दिया था l उन्होंने पहले ही उन सैनिको और अपने बीच की दुरी को माप लिया था l वह एक निश्चित दुरी के साथ ही आगे बढ़ रही थीं l वह भले ही कुछ देख नहीं पर रही थीं परन्तु अश्व की आवाज़ की सहायता से आसानी से सब कुछ समझ पा रही थीं l वह आस पास के सभी लोगो को मार गिरा रही थीं l तभी आसमान में फैली रोशनी का रंग नीला हो गया l सफेद रोशनी की वजह से अभी सबकी आंखों के आगे अंधेरा छाया हुआ था और अब नीली रोशनी की वजह से उनकी आंखों में चमचमाहट होने लगी l वह नीली रोशनी आसमान में ज्यादा देर तक नहीं रही और एक पीली रोशनी के साथ ही यह खत्म हो गई l राजकुमारी इस समय अपनी त्रिस्वर्णिका लिए युद्ध कर रही थी, उन्हें रोशनी से कोई भी मतलब नहीं था l जब रोशनी हटी तो कुछ वक्त लगा सबको अपनी आंखों से देखने में पर जैसे ही उन सबने अपने सामने देखा तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई l मैदान में बहुत सारी लाशों का ढेर लग चुका था, जिसका पता किसी को भी नहीं चला था l कोई यह भी यकीन करने के लिए तैयार नहीं था कि राजकुमारी ने बिना देखे उन सबको मौत के घाट उतार दिया है l अब तक यह क्षमता किसी के पास भी नहीं थी l वे सभी तुरंत ही फुर्ती के साथ युद्ध करने लगे परंतु अब राजकुमारी का पलड़ा भारी हो चुका था l राजकुमार भी यह देख चुके थे परंतु वह जिस जगह पर खड़े थे वहां पर कई और सैनिक एकत्रित हो गए ताकि वो सब राजकुमार का ध्यान भटकाकर सीमा के पार जा सके l राजकुमार की कौशल क्षमता भी कुछ कम नहीं थी l उन्होंने अपने दोनों हाथों में तलवार पकड़ी और सैनिकों को उनके अश्व से गिराना शुरू कर दिया l वह किसी का भी लिहाज नहीं कर रहे थे l राजकुमार को घिरता देख कौशिकपुरा के कुछ सैनिक उनकी मदद के लिए आ गए l कौशिकपुरा.. महल में... सभी कुलपुरोहित जी के शिष्य का इंतजार कर रहे थे l सबको इंतजार करना मुश्किल हो रहा था l तभी वो शिष्य आते हुए नज़र आये l उन्होंने भगवा रंग की धोती पहनी थी और हाथ में एक कमंडल था जिसमें शायद जल था l महाराज अपनी राजगद्दी से खड़े होते हुए - आइये श्रीमान, आप ही का इंतजार था l शिष्य. सैनिक ने हमें बताया कि आप कुलपुरोहित जी को ढूंढ रहे हैँ परंतु उनके मौजूद ना होने की वजह से हम आये हैँ l महाराज. श्रीमान, हमारे राज्य पर बहुत बड़ी मुसीबत आ चुकी है जोपारा के महाराज और वहां की सैनिकों ने हमारे साथ छल का षड्यंत्र रचा है l वे हमारे दुश्मन देश से मिल चुके हैं और कौशिकपुरा को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं l वो शिष्य अपना कमंडल लेकर वहीं कालीन में बैठ जाते हैं और अपनी आंखें बंद करके ध्यान मैं मग्न हो जाते हैं l महाराज और बाकी सब उनके बोलने का इंतजार कर रहे थे l शिष्य आँखें बंद किये हुए ही - महाराज, जो होना था वो हो चुका है l उसे अब किसी भी तरह नहीं रोका जा सकता है  शायद इसीलिए जोपारा के महाराज ने छल का षड्यंत्र रचा था ताकि वे कौशिकपुरा को अपने हाथ पर ले सकें l वे कई काली शक्तियों के पुजारी हैं और उनकी उम्र लगभग 152 साल है और वह इस समय अपना 100 साल पुराना बदला लेने के फिराक में है l जो वे 100 साल पहले नहीं कर पाए थे वह अब करना चाहते हैं और उनका मकसद एक तरह से पूरा हो चुका है l महाराज. श्रीमान आप कहना क्या चाहते हैं? तभी ना जाने कैसे दरबार में जोपारा के राजा शाहबान वहा आ जाते हैँ l सब उसे ऐसे आते देखते हैं तो अपनी जगह से दो कदम पीछे हट जाते हैं l राजा शाहबान. शाहबान नाम है मेरा                    मनमर्जी चलाना काम है मेरा                    डरते हैं लोग जहां मैं जाता हूं                  सोचा जिसे वही मैं पाता हूं l हा हा हा.. महाराज चंद्रधि इस बार तुम्हारी हार पक्की है, कौशिकपुरा में मेरा राज होगा l यह सालों का सपना है मेरा, इस बार तुमने गलती की है, तुम्हें अपनी रक्षक को यहां से नहीं भेजना चाहिए था l महाराज चंद्रधि के चेहरे पर सवाल नज़र आ रहे थे पर वह तो जैसे चुप हो चुके थे l राजा शाहबान. चलो तुम्हारे दिमाग में कितने सवाल चल रहे हैं उसके जवाब दे देता हूं l रक्षक थी तुम्हारी बेटी इस महल क़ी, यहाँ क़ी प्रजा क़ी पर अब ज़ब तुमने गलती है उसे खुद ही युद्ध के मैदान में भेजनी क़ी l उसके जन्म के वक़्त की भविष्यवाणी याद है तुम्हे? महाराज चंद्रधि को याद आता है क़ि आचार्य जी ने उस वक़्त क्या कहा था -  राजकुमारी पूर्णतया लक्ष्मी माता का स्वरूप है और यह एक शुभ संकेत है l राज परिवार में सात पीढ़ी के बाद एक लड़की का जन्म हुआ है परन्तु राजकुमारी के साथ एक अशुभ संकेत भी जुड़ा हुआ है l वह यह है कि वह एक समय पर अपना परिवार, यह राजमहल और बाकी सब कुछ खो देंगी सिवाय अपनी जान के l राजा चंद्रधि के चेहरे के भाव समझकर शाहबान हस्ते हुए - तो याद आ ही गया तुम्हे, अब अपनी जान को खोने के लिये तैयार हो जाओ l राजा चंद्रधि. यानि मै आखिरी बार अपनी बेटी को भी नहीं देख सकता l राजा शाहबान. बहुत खूब... काफी समझदार हो तुम पर तुम फ़िक्र मत करो तुम्हारे बाद भी वो यहाँ ही रहेगी आखिर मेरी यानि शाहबान क़ी जो रानी बनेगी l इतना बोल वह अपने हाथ में पकड़ा तिकोना डंड दो बार घुमाता है और वहां मौजूद सभी लोग अपनी जगह पर गिर जाते हैं l कुछ ही देर के बाद उन सब की सांस थम जाती हैँ l शाहबान. मैं जो चाहूँ वो मुझे ना मिले ऐसा कभी नहीं होगा l आज ये सब नहीं हुआ होता अगर मुझे 100 साल पहले ये राज्य मिल चुका होता l आखिर मैंने कौन सी गलत मांग की थी एक राज्य ही तो चाहता था l वह अपने कदम आगे बढ़कर राजगद्दी में बैठ जाता है वही राजगद्दी जो कभी कौशिकपुरा के राजा के लिए शांति पर आज शाहबान ने उसे अपनी गलत इरादों के साथ अपवित्र कर दिया था l शाहबान सैनिक को आवाज देते हुए इधर आओ सबके सब! महल के सैनिक जो बाहर पहरा दे रहे थे, एक अनजान आवाज सुनकर भागते हुए अंदर आते हैं और दरबार का ऐसा दृश्य देखकर चौक उठते हैं उनके सामने सबकी लाशें पड़ी हुई थी और राजगद्दी पर शाहबान विराजित था l शाहबान. आज से मैं यहां का राजा हूं मेरे द्वारा दिया गया हर आदेश पूरा होना चाहिए l इस बात पर मुझे कोई भी लापरवाही नहीं चाहिए जिस किसी को भी मेरे राजा बनने से ऐतराज है वह खुशी-खुशी यह राज्य छोड़कर जा सकता है परंतु मेरे सामने सर उठाने की हिम्मत ना करें वरना उसका भी यही हश्र होगा जो इन सब का हुआ है अगर यह लोग सीधे तरीके से मेरी बात मान जाते तो मुझे यह सब करना ही नहीं पड़ता पर कहते हैं ना जो किस्मत में लिखा होता है वही होता है l सभी सैनिकों उसे एकटक देख रहे थे तभी शाहबान की फिर से आवाज आती है - मुझे अपनी आंख से आंख मिलाने वाले लोग जरा भी पसंद नहीं है तो आइंदा से अगर तुम लोग मेरे सामने आओ तो अपना सर झुका के रखना वरना गर्दन कलम करवाने में 1 मिनट की भी देरी नहीं होगी l जाओ और सादर की तरफ जो युद्ध हो रहा है उसे बंद करवाओ l आज शाम तक वह युद्ध बंद हो जाना चाहिए वरना तुम सब की खैर नहीं... सभी बहुत ज्यादा डर चुके थे l उस दुष्ट क़ी वजह उनके महाराज उनके बीच में नहीं हैँ और वह दुष्ट उनकी राजगद्दी में विराजमान है l वे सब अपना सर झुकाये वहाँ से चले जाते हैँ, वे चाहकर भी यहाँ से नहीं जा सकते हैँ उन्हें पता था क़ि वे आम इंसान है और यह इंसान कौन है अब तक पूरे राज्य के चारों ओर एक ऐसे प्रतिबंधित सीमा रेखा लगा दी गई होगी जिस पार कर पाना एक आम इंसान के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा l क्या होगा अब? कैसे वापस लेंगी राजकुमारी अपना राज्य? क्या वे जीत पाएंगी काली जादुई शक्तियों से? Continues....

  • 16. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 16

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    शाम ढले ये सोच के बैठे हम अपनी तस्वीर के पास सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने अपने मीर के पास ***** सभी सैनिक सादर की तरफ अपने कदम बढ़ा देते हैं और वहां पर घोषणा होती है कि यह युद्ध अब बंद किया जाता है l कौशिकपुरा राज्य अब जोपारा के राजा शाहबान के अधिकार में है और ये घोषणा उनकी तरफ से करवाई जा रही है कि यहां पर जो भी लोग कौशिकपुरा राज्य की तरफ से युद्ध कर रहे हैं, वे अभी तुरंत ही कौशिकपुरा लौट आये अन्यथा वे कभी अपने परिवार के पास और अपने राज्य नहीं लौट पाएंगे l जो सैनिक युद्ध कर रहे थे सभी अपनी जगह पर रुक जाते हैं और कुछ ही पल में जोपारा राज्य के सभी जादुई सैनिक वहां से गायब हो चुके होते हैं मानो उनका बहुत ही बड़ा मकसद पूरा हो चुका हो l उनके जाने के बाद सिर्फ वहां पर कुछ जीवित सैनिक बचते हैं और बाकी पूरे मैदान पर लाशों का ढेर लग चुका था l राजकुमारी अपनी त्रिस्वर्णिका से लड़ रही थी जब उन्होंने यह घोषणा सनी उनके दिल की बेचैनी एकदम से बढ़ गई l वे अपने पिताजी के लिए बहुत ही फिक्रमंद हो गई l वह तुरंत ही कौशिकपुरा लौट जाना चाहती थी l वे अभी अपने अश्व को मोड़कर कौशिकपुरा जाने की तरफ कदम बढाई ही थी कि राजकुमार नक्षत्र उनके सामने आकर खड़े हो गए l उन्हें देखकर राजकुमारी को याद आया कि उनके साथ और भी लोग मौजूद है जो वो घोषणा सुनते ही भूल चुकी थी l राजकुमार, राजकुमारी को आगे बढ़ने का इशारा देते हैं और खुद भी उनके आठ कौशिकपुरा की तरफ अपने कदम बढ़ा देते हैं l राजकुमारी के हाथ में त्रिस्वर्णिका अभी भी अपने खूनी स्वरूप में थी l इस स्थिति में राजकुमारी को रानी रैना की दी हुई चेतावनी याद नहीं रही और वह इस खूनी स्वरूप तलवार को लेकर कौशिकपुरा की तरफ कदम बढ़ा रही थी l कौशिकपुरा में कदम रखते ही राजकुमारी के हाथ से  त्रिस्वर्णिका गायब हो गई l राजकुमारी अपने अश्व को रोककर हैरानी से अपने हाथ की तरफ देखती हैं l राजकुमारी को रुका देखकर राजकुमार भी अपने अश्व को रोकते हुए उनसे पूछते हैं - क्या बात है राजकुमारी आप ऐसे अचानक रुक क्यों गई? राजकुमारी. हमें काकी सा ने अपनी तलवार दी थी और वह हमारे कौशिकपुरा के अंदर कदम रखते ही गायब हो गई l राजकुमार. राजकुमारी हम इतना जानते हैं कि त्रिस्वर्णिका की अपनी एक शक्ति है जो सभी को ज्ञात नहीं है परंतु आप उसकी उत्तराधिकारी हैँ तो जल्दी ही आप उन शक्तियों को जान जाएंगीं l फिलहाल हमें महल की ओर चलना चाहिए वहां हमारी जरूरत है l राजकुमारी को भी स्थिति का ध्यान आता है और वह अपने अश्व की गति को तेज करते हुए महल की तरफ बढ़ जाती हैँ l सैनिकों ने भी उन्हें नहीं रोका l जब राजकुमारी महल ke राजसी कक्ष में गई तो उन्होंने सिंहासन पर शाहबान को देखा उनकी आंखों से इक लौ धधक उठी जो किसी क़ी जान लेने पर ही शांत होने वाली थी l शाहबान ने राजकुमारी को देखा और खुश होते हुए बोला- आइये आइये राजकुमारी प्रथमा आपका स्वागत है l ओह्ह माफ कीजिएगा यह तो आपका ही राजमहल है, आपको स्वागत की क्या ही आवश्यकता है पर शायद आपको पता नहीं है कि अब से यह राजमहल और यह कौशिकपुरा राज्य मेरा यानी शाहबान का है l राजकुमारी प्रथमा ने बिना एक पल गवाएं अपनी कटार निकाली और सीधे शाहबान की तरफ फेंक दी l वह कटार शाहबान को छू भी पाती उससे पहले ही काले धुयें ने उस कटार को खत्म कर दिया l शाहबान हसते हुए - क्या हुआ राजकुमारी निशाना चूक गया या फिर अलौकिक शक्तियां किसी काम की नहीं l चलिए जब आपने बिना जाने अपनी कटार को खत्म होने का अवसर प्रदान कर ही दिया है तो आपको एक सच और बताते हैं l यह राज महल पूरी तरह से काली शक्तियों से घिर चुका है, आप चाह कर भी यहां पर हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं पर आप दोनों को ही ज्ञात नहीं है क़ि आपके पिता श्री को हमने मौत की घाट उतारा है आपकी माता श्री और काक़ी सा हमारे कब्जे में है l खैर यह तो हुई हमारी बात आपके सामने हम छोटा सा प्रस्ताव रखते हैँ, अगर आप हमारी बात को मंजूरी देते हुए मान लेती हैं तो हम आपको यह राजमहल तोहफे में दे देंगे l राजकुमारी गुस्से से - मुझे तुम्हारी कोई भी शर्त मंजूर नहीं है और तुम क्या ही मुझे यह राजमहल तोहफ़े में दोगे, तुम्हें भी पता है कि मैं इस राजमहल की उत्तराधिकारी हूं आज नहीं तो कल यह राजमहल मेरा ही होगा पर इस ताज महल पर अपना अधिकार जमाने से पहले मैं तुम्हें इस दुनिया से विदा करूंगी l यह वादा है राजकुमारी प्रथमा का अपने पिता से, अपने राजमहल से और अपने आप से l राजकुमारी, राजकुमार नक्षत्र का हाथ पकड़ कर बाहर निकल जाती हैँ l उनके वहाँ से जाने के बाद शाहबान हंसते हुए - जाओ जाओ, अगर तुम दोनों इस राज्य क़ी सीमा पार भी कर पाए तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी l अभी तुम दोनों को ही मेरी काली शक्तियों का अंदाजा नहीं है, मुझे पता था कि यह नौबत जरूर आएगी इसीलिए मैंने पूरे राज्य में पहले ही अग्रस पाश लगवा दिया है और इससे निकल पाना इतना आसान नहीं होगा पर शाहबान यह नहीं जानता था कि उसकी काली शक्तियों के ऊपर की कुछ शक्तियां है जिनका तोड़ शायद इस दुनिया में बना ही नहीं है l राजकुमारी, राजकुमार नक्षत्र का हाथ थामे हुए राज्य की सीमा को आसानी से पार कर जाती है l उन दोनों के ऊपर एक नीले और सुनहरे रंग का चक्र बना हुआ था जो उनकी सुरक्षा कर रहा था और इस बात का अंदाजा उन दोनों को ही नहीं था l उन दोनों के सीमा पार करते ही शाहबान को सूचना पहुंच जाती है और वह गुस्से में अपनी शक्तियों से राजमहल के राजसी कक्ष में तोड़फोड़ मचाने लगता है l नहीं ऐसा कैसे हो सकता है मेरी काली शक्तियों का कोई भी तोड़ नहीं बना है फिर वह दोनों कैसे इस राज्य को छोड़कर जा सकते हैं l मुझे कुछ भी करना होगा परन्तु उन दोनों को मेदाता जाने से रोकना होगा, अगर वे वहां पहुंच गए तो मैं कुछ भी नहीं कर पाऊंगा l मेरा कौशिकपुरा को अपने अधिकार में लेना बर्बाद हो जाएगा मैं ऐसा होने नहीं दे सकता l न जाने क्या-क्या राज छुपे हैँ इन राजमहलों की दीवारों में..., क्या करेगा अब शाहबान? क्या राजकुमार और राजकुमारी सुरक्षित मेदाता राज्य पहुंच पाएंगे? Continues....

  • 17. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 17

    Words: 1356

    Estimated Reading Time: 9 min

    प्यास दिल की बुझाने वो कभी आया भी नहीं, कैसा बादल है जिसका कोई साया भी नहीं, बेरुख़ी इस से बड़ी और भला क्या होगी, एक मुद्दत से हमें उसने सताया भी नहीं। ******- दोनों ही मेदाता की तरफ निकल जाते हैँ l दोनों ने ही ध्यान नहीं दिया था कि महल की मुंडेर पर एक नीले रंग का पक्षी बैठा हुआ था और उन्ही दोनों को देख रहा था l मेदाता आने के बाद राजकुमार एक दासी को बुलाकर राजकुमारी को अपनी माँ के बगल वाले कमरे में भेज देते हैँ और खुद कुलगुरु के पास चले जाते हैँ l कुलगुरु इस समय अपनी साधना में व्यस्त थे तो वह वहीं थोड़ी दूर पर बैठकर उनकी साधना पूरी करने का इंतजार कर रहे थे l जब कुलगुरु अपनी साधना पूरी कर लेते हैं तो वह अपनी आंखें खोलते हैं l अपने स्थान पर किसी और की मौजूदगी का एहसास करके वह इधर-उधर देखते हुए बोलते हैं -कौन है यहां पर सामने आओ l राजकुमार उस जगह से उठकर सामने आते हुए- प्रणाम कुलगुरु! कुलगुरु. प्रणाम राजकुमार, आप यहां पर हमें बुला लिया होता l राजकुमार. नहीं कुलगुरु आपको दरबार में या अपने पास बुलाने का आदेश देना एक गुरु का अपमान होता और हम आपका अपमान नहीं करना चाहते थे इसी वजह से खुद आ गए l कुलगुरु एक स्थान की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं - आसन ग्रहण करें राजकुमार l राजकुमार भी चुपचाप बैठ जाते हैँ l उनके बैठने के बाद कुलगुरु भी एक कालीन में बैठ जाते हैं l कुलगुरु. कहिये राजकुमार कैसे आना हुआ? राजकुमार उन्हें कौशिकपुरा में हुई सारी घटनाओं के बारे में अवगत कराते हैं l कुलगुरु उनकी सारी बातें शांति से सुनते हैँ और फिर कहते हैँ - क्या शाहबान ने अभी भी कौशिकपुरा पर अपना राज्य जमाया हुआ है? राजकुमार. कौशिकपुरा उसकी ज़िद थी जिसे उसे पूरा करना  ही था उसने उस ज़िद को पूरा तो किया ही साथ में कौशिकपुरा के महाराज और महारानी के साथ-साथ हमारे माता-पिता का भी छल से वध कर दिया और हमें उनका शरीर तक नसीब नहीं हुआ l राजकुमार की सारी बातें ध्यान से सुनने के बाद कुलगुरु अपनी आंखें बंद करते हैं और ध्यान लगाने लगते हैं l राजकुमार बस उन्हीं की तरफ देख रहे थे l वह उनके पास बड़ी उम्मीद से आए थे कि वह उन्हें कुछ रास्ता सुझाएंगे l इंतजार के बाद कुलगुरु अपनी आंखें खोलते हैं और कहते हैं आने आने वाले 3 साल आपके और कौशिकपुरा की राजकुमारी के लिए बहुत मुश्किल होंगे l यह 3 साल उन्हें छिपकर रहना होगा l वह अभी नहीं जानती हैं कि वह क्या है उन्हीं के हाथों शाहबान का वध होगा और तभी उन्हें उनका राज्य वापस मिलेगा l शाहबान के कौशिकपुरा में कब्जा करने के बाद भी वह उस राज्य की राजकुमारी रहेंगी कोई भी दुष्ट इंसान उनसे यह हक नहीं छीन सकता है, परंतु हम आपसे यही कहेंगे कि अगर वह इस महल में है तो आप उनकी सुरक्षा का प्रबंधन कर दीजिए l साथ ही कुछ ही दिनों में अपना राज्य अभिषेक भी करवा लीजिए, राजगद्दी ज्यादा दिनों तक खाली नहीं होनी चाहिए l राजकुमार. पर हम पिता श्री के स्थान पर कैसे विराजमान हो सकते हैं? कुलगुरु. राजकुमार यह प्रथा कई सालों से चली आ रही है l राजा सा ने पहले ही आपको युवराज घोषित कर दिया है जिसका अर्थ यही है कि उनके बाद आप इस राज्य के राजा बनेंगे तो आप जितना जल्दी हो सके खुद को तैयार कर लीजिए और आप कुँवारे राजगद्दी में नहीं बैठ सकते हैँ l आपको आपकी रानी सा को खोजना होगा l राजकुमार. परंतु कुलगुरु हम इतनी जल्दी विवाह कैसे कर सकते हैं? कुलगुरु. हम आपको एक उपाय बता सकते हैं l राजकुमार. जी जरूर l अभी इस समय कौशिकपुरा की राजकुमारी को आपकी जरूरत है, वैसे ही आपको उनकी जरूरत है l आप राज्य की राजगद्दी में बिना विवाह के नहीं बैठ सकते हैं पर यदि आप उनसे विवाह करते हैं तो वह इस राज्य की रानी बन जायेंगी और फिर उनका कोई भी कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा l राजकुमारी पूरी संतुष्टि के साथ इस महल में रह पाएंगी, उन्हें यह किसी भी तरह का बोझ नहीं लगेगा और ना ही यहाँ रहने में परहेज होगा क्युकी तब ये उनका हक़ भी होगा l आप इस विषय में एक बार विचार कर लीजिए अन्यथा हम आपके लिए अन्य राज्य की राजकुमारियों के विवाह प्रस्ताव मंगवा सकते हैं l राजकुमार. सर्वप्रथम हम राजकुमारी से इस विषय में बात करेंगे, उसके बाद ही आपको कोई फैसला बता सकते हैं कुलगुरु. जैसी आपकी इच्छा, हमें आपके जवाब का इंतजार रहेगा l राजकुमार, कुलगुरु को प्रणाम करके अपने कक्ष की तरफ बढ़ जाते हैँ l राजकुमारी की बाहर निकलने की इच्छा नहीं थी तो वह उस कक्ष से बाहर निकलती हैँ l वह बस अपनी उदास आंखों से खिड़की के बाहर के नजारे को देख रही थी l वह मेदाता राज्य में पहली बार नहीं आई थी परंतु इस बार वह रहने के लिए आई थी l उन्हें यह बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी कि वह यहां पर रहे परंतु फिलहाल के लिए उनके पास कोई और दूसरा उपाय नहीं था और ना ही वह किसी को जानती थीं l राजकुमारी प्रथमा ने बहुत कम उम्र में ही युद्ध करना प्रारंभ कर दिया था, जिस वजह से उन्हें समय कम मिला करता था और उनके राज्य की लड़कियां तब युद्ध करना पसंद नहीं करती थी l राजकुमारी अपने राज्य की पहली ऐसी लड़की थी जिन्होंने तलवार उठाई थी l उनके मित्र बहुत कम थे जिस वजह से वह किसी से मदद भी नहीं मांग सकती थी और ना ही उनका जमीर इस बात की इजाजत देता था l अगले दिन... राजकुमार ने एक दासी को राजकुमारी को बुलाकर लाने के लिए कहा l दासी जाकर राजकुमारी के कक्षा का दरवाजा खटखटाती है l अंदर से आवाज आती है -आ जाओ l दासी जब अंदर पहुंचती है तो राजकुमारी बिस्तर पर बैठी हुई थी और उनके ऊपर सफेद रंग की चादर पड़ी हुई थी l राजकुमारी. आप यहां पर दासी. आपको राजकुमार ने याद किया है वह शाही-भोजनालय में आपका इंतजार कर रहे हैं l राजकुमारी. आप चलिए हम अभी आते हैं l दासी कक्ष का दरवाजा ढककर वहां से चली जाती है l कुछ मिनट के बाद राजकुमारी शाही-भोजनालय की तरफ चली जाती है l राजकुमार बैठे हुए उन्ही का इंतजार कर रहे थे l अभी तक उनकी थाली भी परोसी नहीं गई थी l भोजनालय कक्षा में काम से कम 10 12 लोग हाथ बांधे खड़े हुए थे l राजकुमारी जब राजकुमार को ऐसे बैठे हुए देखते हैं तो उन्हें बुरा लगता है पर वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी l राजकुमार अपनी मर्जी से यह सब कर रहे थे वह चाहते तो भोजन कर सकते थे l उनके लिए काम करने वाले सभी लोग उनका काम समय पर करके देते थे l भोजन के पश्चात... राजकुमार सभी को शाही भोजनालय के बाहर भेज देते हैं l राजकुमारी ज़ब राजकुमार की तरफ देखती है तो वह कहते हैँ - हमें आपसे कुछ जरूरी बात करनी है और जब तक इस बात पर अमल न हो जाए हम चाहते हैं क़ि यह बात पूरी तरह से गुप्त रहे l राजकुमारी. आप ऐसा क्या कहना चाहते हैं? राजकुमार. पिताजी के जाने के बाद उनकी राजगद्दी में हमें ही बैठना है और इसके लिए राज्याभिषेक होना जरूरी है, परंतु अभी हमारा विवाह नहीं हुआ है और विवाह के बिना राज्याभिषेक पूर्ण नहीं माना जाता है l ऐसे में हम चाहते हैं कि आप हमसे विवाह कर लें l राजकुमारी. परंतु राजकुमार हम कैसे? राजकुमार. हम इन कुछ दिनों में आपको इतना तो जान ही गए हैं कि आपके मन में चल रही कुछ दुविधाओं का समाधान ढूंढ सके l हम यह अच्छी तरीके से जानते हैं कि आपको किसी की मदद लेना बिल्कुल भी पसंद नहीं और आप यहां रहने में भी काफी हिचकिचा रही हैं l अगर आप हमसे विवाह करती हैं तो आप बिना किसी बोझ के यहां आसानी से रह पाएंगीं और हम आपसे वादा करते हैं कि आप पर इस रिश्ते के लिए किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डालेंगे l क्या राजकुमारी स्वीकार करेंगी ये प्रस्ताव? Continues....

  • 18. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 18

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    किसी को सिर्फ पा लेना मोहब्बत नही होती है, बल्कि किसी के दिल में जगह बना लेना मोहब्बत होती है l ***** पिछला भाग... राजकुमार. अगर आप हमसे विवाह करती हैं तो आप बिना किसी बोझ के यहां आसानी से रह पाएंगीं और हम आपसे वादा करते हैं कि आप पर इस रिश्ते के लिए किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं डालेंगे l अब आगे.. राजकुमारी. हमने कभी ऐसा सोचा नहीं कि विवाह भी करना है, हमें शायद समझने में कुछ वक़्त लगेगा... वह कहने को तो कह देती हैँ पर उन्हें बार बार रानी रैना की ख्वाहिश याद आ रही थी जो उन्होंने उससे कही थी, जिसके लिए राजकुमारी ने वक़्त माँगा था और उसके बाद ये सब हो चुका था l ज़ब वह अपने कक्ष में गयीं तो उन्हें रह रहकर राजकुमार और रानी रैना की बातें याद आ रही थीं l वह अपने मन की उथल पुथल को शांत नहीं कर पाती हैँ तो बगीचे में सैर के लिए निकल जाती हैँ l आसमान में काले बादल छाये हुए थे और ठंडी हवा भी चल रही थी जो उनके मन को राहत पहुंचा रही थी l उनके मन की उथल-पुथल पूरी तरह से तो नहीं पर थोड़ी बहुत शांत हो चुकी थी l वह अब यह सोचने लगी थी कि मैं कैसे अपने राज्य को बचाएंगी l तभी उन्हें याद आता है कि शाहबान ने कहा था क़ि उसने सिर्फ उसके पिता श्री को मारा है तो क्या इसका मतलब यह हो सकता है कि उसकी काका सा, काक़ी सा और मासा शैतान के कब्जे में है l राजकुमारी खुद से ही - अगर ऐसा है तो मुझे जल्द से जल्द उन लोगों को शैतान के कब्जे से बाहर निकालना होगा l पर उसने उन लोगों को छुपाया कहां होगा? कहीं अपने राज्य जोपारा में तो नहीं परंतु हमें तो जोपारा जाने का रास्ता भी मालूम नहीं और हमने जहां तक सुना है आज से कई साल पहले हमारे पूर्वजों में उस राज्य को पारंपरिक शक्तियों द्वारा बांध दिया था l अगर कोई राज एक बार पारंपरिक शक्तियों के द्वारा बंध जाता है तो अंदर प्रवेश करने का प्रत्येक मार्ग गुप्त हो जाता है, अतएव हमें वहां जाने का रास्ता सिर्फ शाहबान से पता चल सकता है और शाहबान से उसे राज्य मैं घुसने का मार्ग पता करना बहुत मुश्किल होगा l राजकुमारी आप मध्य रात्रि में यहां पर क्या कर रही है? राजकुमारी पीछे पलट कर देता हूं तो राजकुमार उन्हीं की तरफ आ रहे थे l वह आकर उनके बगल में खड़े होते हैं तो राजकुमारी कहती हैं - नई जगह इतना शीघ्र हमें निद्रा नहीं आती है, भले ही राजमहल में हम पहले भी आ चुके हैं परंतु हम आज भी इस राजमहल से अनजान है l यहां पर रहने के बाद आप इस राजमहल से भी अनजान नहीं रहेंगीं और अगर आप हमारे प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं तो यह पूरा राजमहल आपका ही है l राजकुमारी उनकी बात का कोई भी जवाब नहीं देती है और फिर सामने देखने लगती है l राजकुमार. एक कम कीजिए आप जाकर अभी विश्राम कर लीजिए सुबह हम लोग मेदाटा के भ्रमण पर चलेंगे l राजकुमारी. पर इसकी क्या जरूरत है? राजकुमार. हर चीज जरूरत के लिए नहीं होती है कुछ चीज कभी-कभी मन की शांति के लिए भी की जाती हैँ अभी आपका मन काफी ज्यादा आशांत है l राजकुमारी. वैसे इतनी रात्रि में आप यहां पर क्या कर रहे हैं? राजकुमार. हमने दासी को आपके कक्ष में भेजा था ताकि अगर आपको किसी भी चीज की जरूरत हो आप उन्हें बता दें परंतु आप कक्ष में नहीं थी जिस वजह से उन्होंने हमें आकर बताया और हम आपक़ी इस आदत से वाक़िफ़ हैँ क़ि ज़ब आपका मन कहीं और नहीं लगता है तो आपका पेड़ पौधों के समीप होती हैँ l हमारी इस आदत के बारे में कैसे पता? राजकुमार. आप भूल गई हम कौशिकपुरा कई बार आ चुके हैं l आपके पिताश्री आपके बारे में ही ज्यादातर बातें करते थे l उन्होंने ही हमें इस बारे में बताया था l राजकुमार के मुंह से अपने पिता की बात सुनकर राजकुमारी को उनकी याद आ जाती है और उनकी आंखें नम हो जाती हैँ l राजकुमारी क़ी नम आंखें देखकर राजकुमार कहते हैं- माफ कीजिएगा हमारा इरादा आपका दिल दुखाने का नहीं था l राजकुमारी. हम जानते हैं आप जानबूझकर हमारा दिल नहीं दुखायेंगे पर सच भी है कि हमने अपने पिता श्री को खो दिया है और यह वादा हमारा खुद से भी है कि हम उसे शैतान को उसके किए की सजा जरूर देंगे l राजकुमार. जो उसने आपके और हमारे परिवार के साथ किया उसके बाद कोई भी सजा उसके लिए कम होगी l राजकुमार की बात सुनकर राजकुमारी को कुछ याद आता है और राजकुमार से कहती हैँ उस शाहबान ने महल में कहा था कि उसने सिर्फ हमारे पिताश्री को मारा है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि हमारी मासा, काकिसा और कसा उनकी कैद में हों l राजकुमार. परंतु हम इस बात का पता कैसे लगाएंगे क़ि कि वे लोग कहां होंगे? राजकुमारी. जहां तक हमें पता है उस दुष्ट ने उन्हें जोपारा राज्य में ही छुपाया होगा, हमें जोपारा राज्य ही जाना होगा राजकुमार. पर वहां जाने का रास्ता? राजकुमारी. वह हमें ही खोजना पड़ेगा और उसके लिए हमें कौशिकपुरा राज्य जाना होगा l राजकुमार.  परंतु अभी हम लोग कौशिकपुरा में प्रवेश कैसे करेंगे? अब तक तो उस राक्षस ने अपनी काली शक्तियों के प्रभाव से राज्य को बांध दिया होगा ताकि हम लोग वहां पर प्रवेश न कर सके l राजकुमारी. इसके लिए हम कोई उपाय सोचते हैं अभी हम लोग अंदर चलते हैं, काफी रात हो चुकी है, कुछ ही समय पश्चात सुबह होने वाली है और आपके कहे अनुसार सुबह मेदाता का भ्रमण के लिए भी तो जाना है l राजकुमार. हां पिता महाराज के न होने पर उनका कार्य भार हमारे जिम्मे होगा जिस वजह से हमें एक बार राज्य का भ्रमण करना जरूरी होगा l राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही कक्ष में चले जाते हैं l राजकुमार कक्ष में जाकर भी विश्राम नहीं करते हैं, उनके पास कुछ कागजी कार्यवाही करने के लिए कागजात आए हुए थे जिन्हें वह पढ़ने में व्यस्त हो जाते हैं l राजकुमारी कक्षा में आकर सीधा पलंग पर लेट जाती है और कुछ ही वक्त में सो जाती है l वह जिस पलंग पर सो रही थी उस पलंग के ऊपर भी एक नीला घेरा बना हुआ था जिसकी चमक पूरे कक्ष में फैली हुई थी परंतु इसका आभास राजकुमारी को नहीं था, मानो यह नीला घेरा राजकुमारी की सुरक्षा के लिए है जिसका पता उन्हें खुद भी नहीं है l Continues....

  • 19. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 19

    Words: 1344

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगली सुबह....राजकुमार, राजकुमारी को साथ लेकर अपने राज्य का भ्रमण करने के लिए निकले हुए थे l रास्ते में उन्होंने एक व्यक्ति से राज्य के राजा और राजकुमार के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की l राजकुमार. वो हम रास्ता भटक गए हैँ और हम महल की तरफ जाना चाहते थे पर यहां पहुँचे तो लगा कि सबके बारे में पहले जान लेना चाहिए इसीलिए ये सब पूछा l व्यक्ति. अगर आपको किसी भी प्रकार की मदद चाहिए तो आप हमें बता सकते हैँ, हम आपकी मदद जरूर करेंगे l आप हमारे राज्य में नए हैं तो हो सकता है आप अपना रास्ता भूल जाएँ l अगर आपको किसी भी प्रकार का एतराज ना हो तो आप हमारे घर पर थोड़ी देर के लिए विश्राम भी कर सकते हैं l राजकुमार एक बार राजकुमारी की तरफ देखते हैं और फिर कहते हैं - दरअसल राजकुमार से मिलने के बाद हमें अपने राज्य भी लौटना है l इस समय हमारी मंगेतर भी हमारे साथ हैं, जिस वजह से हम कहीं भी रुकना नहीं चाहते हैं ताकि जल्द से जल्द वापस अपने राज्य पहुंच सके l व्यक्ति. कोई बात नहीं अगर आप नहीं रुकना चाहते हैं तो, चलिए हम आपको रास्ता दिखा देते हैं l राजकुमार. आपकी मदद के लिए शुक्रिया भाई साहब.. हम अपना रास्ता खोज लेंगे l आप वैसे भी पथिको को पानी पिलाकर बहुत ही नेक काम कर रहे हैं l व्यक्ति. बहुत-बहुत शुक्रिया l असल में मेरा परिवार और इस राज्य के ज्यादातर लोग महल से थोड़ी दूर पर जो खेत है वहां पर काम करते हैँ l ज़ब लोग यहां तक आते हैँ तो उन्हें काफ़ी ज्यादा प्यास लगी होती है इसीलिए हम सब गांव वालों ने सोचा कि हम सब रास्ते में पानी के कुछ संसाधन रखेंगे जिससे पथिक भी अगर रास्ता भटकते हैँ तो उन्हें पानी दिया जा सके l राजकुमार. तो क्या आप लोगों ने राजा से इस बात क़ी मांग नहीं की है l वह आपकी मदद जरूर करते l व्यक्ति. ऐसा नहीं है कि अगर हम सब राजा जी से कहते तो वह हमारी मदद नहीं करते पर कुछ फर्ज हम लोगों का भी बनता है l अगर हम लोग अपने ही गांव वालों की मदद नहीं कर सकेंगे तो फिर क्या ही कर सकेंगे? इस राज्य का उद्धार कैसे होगा? हर वक्त राजा को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है और ना ही उनकी मदद के लिए गुहार लगाई जा सकती है l वह कई बार हमसे बिना पूछे कि हम सबकी मदद कर देते हैं और भी कई काम उनके पास होते हैँ l उन्होंने तो हम जैसे आम इंसानों का लगान भी बहोत कम कर रखा है और अगर राज्य से कोई सैनिक सेवा के लिए भर्ती होता है तो उसका पूरा लगान माफ हो जाता है l राजकुमार. लगता है काफ़ी सुलझी हुई सोच है आपके राजा जी की व्यक्ति. जी बहोत ही सुलझे हुए हैँ और उसी के साथ बहुत दयालु भी हैँ l राजकुमार. ठीक है फिर हम दोनों ही निकलते हैँ l थोड़ा देर होनी लगी है l व्यक्ति. जी जरूर, आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा l राजकुमार हाथ जोड़ते हुए - हमें भी, आज्ञा दें l व्यक्ति भी अपने हाथ जोड़ लेता है l राजकुमार, राजकुमारी को चलने का इशारा करते हैँ l दोनों वहाँ से निकल जाते हैँ l थोड़े आगे के रास्ते में.. राजकुमारी. अब हमें कहाँ चलना है? राजकुमार. जहाँ से हम आये हैँ, वहाँ से लोगो की बस्ती चालू हो जाती हैँ और एक रास्ते की तरफ इशारा इसके अंदर काफ़ी सारे लोग रहते हैँ l हम अभी इसी में चल रहे हैँ और कुछ लोगो से यही सवाल करने वाले हैँ l आप भी कुछ महिलाओं से पूछ सकती हैँ l राजकुमारी. पर हमें ये काफ़ी अजीब लग रहा है l हमने पहले कभी ऐसा किया नहीं है l हम बस अपने सुकून के लिए बाहर घूमने निकलते थे और ज़ब हमें मिल जाता था तो हम उस स्थान में कुछ वक़्त रुकते थे और महल में लौट आते थे l इस बीच हमारी ज्यादा लोगो से मुलाक़ात नहीं होती थी l राजकुमार. आप एक बार बात करके तो देखिये l हो सकता है जो आपने आज तक नहीं किया है वो करने के बाद शायद आपको भी ख़ुशी मिले l राजकुमारी. हम एक बार.कोशिश करते हैँ l राजकुमार. जी जरूर, बस आप घबराइएगा नहीं, जो भी पूछियेगा साफ शब्दों में और ख़ुशी से पूछियेगा l ताकि वे लोग भी आपके साथ खुल सकें l दोनों ऐसी जगह पहुंचते हैँ जहाँ एक छायादार वृक्ष के नीचे खाने का सामान मिल रहा था और वहीं कुछ लोग किनारे बैठे हुए कहा भी रहे थे l राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही वहाँ पहुंचते हैँ l राजकुमार. माते क्या हमें भी भोजन मिलेगा? हम काफ़ी दूर से आये हैँ और भूख लगी हैँ परन्तु हमारे पास धन नहीं है l वह स्त्री जो सबको परोस रही थी वह रुककर उन्हें देखती है और फिर कहती है - आप हमारे राज्य में अतिथि हैँ और अतिथियों से धन नहीं लिया जाता है l आप इन पत्तों पर विराजित होइए, हम आपके लिए भोजन लगाते हैं l राजकुमार और राजकुमारी दोनों ही उसकी बताई जगह पर बैठ जाते हैं l वह स्त्री उन दोनों के लिए भी भोजन परोस देती है और फिर कहती है - आप दोनों कहां से आए हैं और किससे मिलना है? राजकुमार. हमारा राज्य यहां से बहुत दूर है परंतु हमारे राज्य में एक मुसीबत आ चुकी है जिसकी मदद के लिए हम राजकुमार से गुहार लगाने आए हैं परंतु हम यहां आते-आते बहुत थक चुके थे जिस वजह से हमने भोजन की तलाश करना उचित समझा l जब हम गांव के अंदर आए तो हम भोजन की भीनी खुशबू आई और हम इस ओर चले आए l स्त्री. कोई बात नहीं जब तक आपका पेट नहीं भर जाता है हम आपको भोजन देंगे आप आराम से भोजन कीजिए l राजकुमार कुछ रुक कर बोलते हैं-  आप यहां पर भोजन क्यों करवा रही है, क्या कोई खुशी की बात है? स्त्री. ऐसी कोई बात नहीं है अतिथि महोदय हमारे राज्य में कई खेत आते हैं जिनमें हमारे गांव की स्त्रियां और पुरुष काम करने के लिए जाते हैं l हम बुजुर्ग हो चुके हैं जिस वजह से हम खेतों में काम नहीं कर सकते हैं परंतु जब वे लोग वहां से अपना काम खत्म करके आते हैं तब तक वे लोग काफी ज्यादा थक चुके होते हैं और अपने-अपने घर में भोजन बनाने में असमर्थ होते हैं इस वजह से हम सब ने मिलकर एक ऐसा सुझाव निकाला जो सबको ही पसंद आया l हम गांव की सभी बुजुर्ग स्त्रियां यहां पर भोजन बनाती हैं और बहुत ही कम दामों मे यह भोजन करवाती हैं l आपके जैसे ही कई लोगों के पास धनराशि नहीं होती है फिर भी उन्हें मुफ्त में भोजन दिया जाता है l इससे हम जैसी बुजुर्ग स्त्रियों के पास भी कुछ धनराशि आ जाती है और हमारे समय का सदुपयोग करना भी हो जाता है l राजकुमारी. यह तो बहुत अच्छा सुझाव था परंतु क्या इस राज्य के राजा आप लोगों की मदद नहीं करते हैं? स्त्री. अगर हम सब राजा जी से मदद मांगने जाएंगे तो वे हमारी मदद जरूर करेंगे l वह माह में एक बार राज्य का भ्रमण करने आते हैं और यहां का खुशनुमा माहौल देखकर खुश होते हैं उन्हें इस बात की खुशी सबसे ज्यादा होती है कि हम गांव वाले मिलकर रहते हैं और एक दूसरे की मदद करने में यकीन रखते हैं l वे हममें से किसी को भी कभी भूखा नहीं सोने देते हैं, राज्य की तरफ से हम सभी को अनाज प्रदान किया जाता है जिसे कहां पर और कैसे खर्च करना है यह सब हम लोगों के जिम्मे होता है, ऐसे में जब हम लोग कुछ ऐसे सुझाव लेकर गांव का भला सोचते हैं तो महाराज को भी खुशी होती है l राजकुमार और राजकुमारी भोजन समाप्त करने के बाद - आप सभी गांव वाले की सोच बहुत अच्छी है l अब हम महाराज और राजकुमार से मिलना चाहेंगे, हमें जाने की इजाजत दीजिए l वह स्त्री भी उन्हें ख़ुशी खुशी विदा करती है l Continues....

  • 20. मल्लिका - शक्ति महलों की - Chapter 20

    Words: 0

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