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Triplets's Wife

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Nissa

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Description

दो दिन में अनाथालय की जगह ख़ाली करों या फिर " हम " से शादी कर लो । जाह्नवी, एक सीधी-सादी लेकिन मज़बूत लड़की, जिसकी ज़िंदगी अनाथालय के बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी दुनिया सुकून भरी थी... जब तक कि युवराज सिंह उसके सामने नहीं आया।...

Characters

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Yuvraj Singh

Hero

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Jahanvi.

Heroine

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Jairaj singh

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Viraj singh

Hero

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Sharda Maa

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Total Chapters (30)

Page 1 of 2

  • 1. Triplets's Wife - Chapter 1

    Words: 2024

    Estimated Reading Time: 13 min

    Hello friends 👋
    Story Suru karne se pehle me

    " Vishakha Sharma"  ji ko Credit Dena Chahungi .

    Ye original unki story aur concept hai.
    Lekin 3 saal se unhone story ko abandon kar diya hai.

    Isiliye me is story ko aage badhate huye complete kar rahi hu.

    " Vishakha ji" agar aap kabi bhi is story ko wapas likhna chahe to please jarur kare.

    Me aapke point of view se story padhne ko betab hu.

    Ye ek short story hai 50 ya 60 chapter hi hai.

    jo pollyendry marriage par based hai .

    Yah 1  ladki ke ek se jyada pati par based hai .

    Me janti ye thoda disturbing hai lekin aaj bhi kuch jan jatiyo me ye practice hai . 

    Mera kisi ki bhi fillings ko chot pahunche ka irada nahi hai .

    Is story me koi rape scene nahi hai aur  tragedy se jyada comedy hai 

    Agar aap comfortable ho to aage padhe . 

    कहानी की झलक

    तीन भाइयों के माता -पिता की मृत्यु तब हुई जब वे 13 वर्ष के थे क्योंकि राजीव (टरीपलेटस के  चाचा ) ने अपने भाई राज (टरीपलेटस के पिता) और नियोनिका ( टरीपलेटस की माँ) को उनकी फैमिली प्रोपर्टी के लिए मार डाला था, इसलिए नियोनिका की मरते टाइम   की आखिरी इच्छा थी कि वे तीनों भाई एक -दूसरे से प्यार करें, कभी किसी चीज के लिए न लड़ें और हमेशा सब कुछ एक दूसरे से बराबर बांटें । । ।


     । । सिंह पेलेस । ।

    ज्हानवी खूबसूरती से सजे हुए बिस्तर पर बैठी है, गद्दे पर चारों तरफ फूल बिखरे हुए हैं और वह  अपने पति का इंतज़ार कर रही है... 


    उफ़...  पति ??


    एक  एलिट क्विन की तरह दिख रही है, उसका खूबसूरत लहंगा उसके शरीर की शोभा बढ़ा रहा है, भारी भरकम ज्वेलरी उसे और भी खूबसूरत बना रहे हैं और यह सब उसके पतियों की बदौलत है । ।
     

    ज़ी हां , आपने पढ़ने में भुल नहीं की है । ।

    पतियों यानी कि Husband' s सही पढ़ा आपने । ।

    वह सोच रही थी कि उसकी  लाइफ 360 डिग्री के एंगल से कैसे घूम गई है । ।

    । । ज्हानवी का पोइंट ओफ व्यु । ।

    आज यहाँ मेरी पहली रात है मैं अपने पति का इंतज़ार कर रही हूँ पता नहीं आज रात मेरे साथ क्या होगा हे भगवान, क्या वे मुझे फोर्स करेंगे......


    नहीं, क्या मैं तैयार हूँ?....नहीं, गोविंद जी प्लीज मुझे बचा लो... क्या करु मैं भाग जाऊँ.... .नहीं वे मुझे कभी भागने नहीं देंगे और साथ ही अब मैं उनसे बंधी हुई हूँ, मुझे उन्हें एक्सेप्ट करना होगा । । मुझे अभी भी याद है कि कैसे उन्होंने मुझे इस शादी में फँसाया है । ।

    दरवाज़े की क्लिक की आवाज़ सुनकर वह  अपने ख्यालों से बाहर आई जिसका मतलब था कि वे यहाँ हैं और ज्हानवी की साँसें उसकी शादी की रात के बारे में सोचकर रुक गईं थीं । ।

    ज्हानवी की सांस उसकी सुहाग रात के बारे में सोचकर रुक गई थी । । जल्द ही दरवाजा खुला और हमारा हीरो.....  सॉरी हीरोस   एंटर हुएं और गर्म निगाहों से जहान्वी की ओर देखा था । ।

    "युवराज सिंह" और "जयराज सिंह" 


    ज्हानवी ने देखा सफेद डीजाइनर शेरवानी पहने वह किसी प्रिंस चार्मिंग जैसे लग रहे थे । ।


    लेकिन वह कितने चालक और मैनिपुलेटिव थें यह ज्हानवी अच्छी तरह जानती थी । ।


    ज्हानवी की हालत बहुत ख़राब हो रही है, वह एक ही टाइम में दो मर्दों के साथ से क्स करने के बारे में सोचकर काँपने और थरथराने लगती है । ।


    वह अपनी पलकें ऊपर उठाती है और विराज उनके साथ न पाकर भौंहें सिकोड़ती है । । 


    युवराज और जयराज अपनी पत्नी की खूबसूरती को आँखों से निहारते हुए छोटे -छोटे कदमों से आगे बढ़े थें । ।


    बिस्तर के पास पहुँचने के बाद वे बिस्तर के दोनों ओर बैठ जाते हैं और ज्हानवी अपनी मुट्ठी में चादर को पकड़ती है और अपने पैरों की उँगलियों को मोड़कर उन्हें अपने पास महसूस करती है । ।

     युवराज: ज्हानवी तुम बहुत सुंदर लग रही हो, यह तुम्हारी पहली रात का तोहफ़ा है । ।

    यह बहुत खूबसूरत क्विन चौकर सेट था । ।

     टरीपलेटस में  बड़े

    " युव राज सिंह"  नीक नेम "युव" 


    काल्म, कंपोजड, ईमानदार, डोमिनेटिंग, तीन भाइयों में सबसे बड़ा, हालाँकि वह बहुत शांत स्वभाव का है, जब वह गुस्से में आता है तो कोई उसे रोक नहीं सकता, बहुत रिसपोंसिबल , अपनी पत्नी या उनकी पत्नी से बहुत प्यार करता है, उसका साथ देता है, उसके  भाई उसका सबकुछ हैं,  ओरथोडोकस, ज्योतिष में दृढ़ विश्वास, अपने भाइयों की तरह ज़्यादातर अपनी पत्नी के लिए पोजेसिव नेस जताने वाला, सोफट हार्ट वाला इंसान, सबसे अमीर एशियन बिलियोनेर ,  सिंह एंड सिंह एंटरप्राइजेज के एम.डी., 13 साल की उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया, तब से वह अपने छोटे भाइयों के माता-पिता हैं, हमेशा अपने भाई के साथ सब कुछ शेयर करता हैं, यहाँ तक कि उसकी पत्नी के भी । ।


    जयराज : and this is from my side wifey.

    और यह मेरी तरफ से है, बीवी । । 

    यह दो सुंदर जड़ाऊ कंगन थें । ।

    टरीपलेटस में सेकेंड

    "जय राज सिंह"  नीक नेम " जय" 

    पोजेसिव, पेशनेट, मोंस्टर 


    आदमी, दिल का अच्छा लेकिन हमेशा अपना मोंस्टर  साइड दिखाता है, एंगर इशयुश है,  बैकवर्ड सोच वाला जिसे लगता है कि उनकी पत्नी को हमेशा उनके बताए अनुसार ही काम करना चाहिए, युव राज से 5 मिनट छोटा, अपने भाइयों से बेइंतहा प्यार करता है, सबसे पहले उसके भाई, दूसरे उसकी पत्नी और तीसरे उसके पैसे और शोहरत, वरना उसे किसी की परवाह नहीं, वह चाहता है कि उसकी पत्नी उसकी उंगलियों पर लिपटी रहे लेकिन ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि युवराज  ज्हानवी का साथ देता है, ऐसा नहीं है कि वह अपनी पत्नी से प्यार नहीं करता है लेकिन जब वह उसके  एडवांस को रिजेक्ट करती है तो उसे नफरत होती है (समझिए दोस्तों) लेकिन फिर भी वह उससे प्यार करता है । ।


    और 


    तीसरा और लास्ट टरीपलेट 


    "विराज सिंह"  नीक नेम "विर" 

     
     प्यारा, क्यूट, कूल,


    अपने भाइयों में सबसे अट्रैक्टिव, तीसरा ट्रिपलेट लेकिन फिर भी अपने भाइयों की सिखाने के  मुताबिक डोमिनेटिंग, जय राज से 5 मिनट छोटा और युवराज से 10 मिनट छोटा, हमेशा, पास्ट में अपनी माँ से बहुत जुड़ा हुआ था, अपने माता -पिता की मृत्यु के बाद, उसके भाई ही उसके लिए सबकुछ हैं, एक साल पहले विराज को के बिजनेस के लिए ट्रावेल  से एक एक्सिडेंट का सामना करना पड़ा और उसे "पीटर पैन सिंड्रोम"  हो गया, इसलिए अब वह एक बच्चे की तरह बिहेव करता है । ।


    लेकिन यह बात ज्हानवी को नहीं पता है । । और वह यहां बेडरूम में उनके साथ आया भी नहीं था । ।


    ज्हानवी 

    तीनों भाइयों की Forced  single पत्नी, शर्मीली, प्यारी, ट्रेडिशनल, पोलाइट, स्वभाव से शांत, अनाथ, हाल ही में सिंह पेलेस में रहने के लिए आई, अपने न्युलीवेड लाइफ में एडजस्ट करने की कोशिश कर रही है । ।

    ज्हानवी ने उन्हें हल्की सी मुस्कान दी और मुंह दिखाई को एक्सेपट कर लिया था । ।

     
    कंट्रोल न कर पाने की वजह से जयराज ने उसके होंठों को अपने होंठों से मिला लिया था , उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच लेकर उन्हें चबाने लगा । ।


    युवराज ने दूसरी तरफ से उसकी उंगलियों को चूमा, और वह उसके हाथ से लेकर उसकी ऊपरी बांह तक सोफट किसेज की बौछार करने लगा, दूसरी तरफ जयराज उसके निचले होंठों को काट रहा था । ।


    ज्हानवी सदमे में कोई रिस्पांस न देते हुए फस्ट्रेड होकर उसके होंठों को काट रहा था, ज्हानवी ने उसे एंट्रेंस देते हुए हांफी थी, वह सदमे से बाहर आ गई और उसके गालों से आंसू बहने लगे क्योंकि वह तैयार नहीं थी । ।


    लेकिन जयराज प्लेजर में इतना खो गया था कि उसे उसकी सिचुएशन का अहसास ही नहीं हुआ, उसने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर डाल दी और अपनी जीभ से उसके मुंह के हर कोने को सहलाना शुरू कर दिया था । ।


    युवराज ने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया, उसने उसकी स्किन को अपने दांतों के बीच लिया और उसे खींचा जिससे ज्हानवी कराह उठी । ।


    जयराज के हाथ उसके प्राइवेट अंग को छूने से पहले नीचे की ओर बढ़ने लगते हैं कि  ज्हानवी उसे जोर से धक्का देती है । ।


    और जयराज का कमर जमीन को छू गई  थी जिससे वह दर्द से कराह उठता है और वह खतरनाक तरीके से जहान्वी को घूरता है, युवराज अपने भाई को देखते हुए अपनी आँखें चौड़ी करता है और ज्हानवी हांफती है और अपने मुंह पर हाथ रख लेती है ।  ।
     

    जयराज को  घूरता हुआ देखकर वह रोने लगती है जिससे वे दोनों टेंशन में आ जाते हैं कि शायद उन्होंने उसे चोट पहुंचाई हो । ।


    what happened baby did we hurt you somewhere. 


    ज्हानवी, क्या हुआ बेबी, क्या हमने तुम्हें कहीं चोट पहुंचाई है । । युवराज ने उसके चेहरे को सहलाते हुए उसने धीरे से पूछा था । ‌। 


    I... I..a. .m.. .sor .r ..y... .but... .I... .c... an' t..... .do.. .th. .is.. I.... am..... no. .t..  ready..... sorry.... pl.. ease..... give.... m.. e.. .som. .time


    ज्हानवी : मुझे.. .मुझे... माफ करना.. .है.. .लेकिन... मैं.. .ऐसा... नहीं.. .कर.. .सकती. ..हूँ. ..मैं. ..तैयार.. .नहीं. ..हूँ.. .माफ करना.. . प्लीज .  वेट  ...करो ... मुझे... थोड़ा...  टाइम.. .दो


    वह बहुत रोई और युवराज को गिल्टी महसूस कराया क्योंकि उसने उसकी परमिशन नहीं मांगी थी लेकिन उसकी बात सुनकर जयराज का जबड़ा सिकुड़ गया था । ।


    जयराज : यह क्या बकवास है हमने तुम्हें एक विक पहले ही टाइम दे दिया था और तुम तैयार नहीं हो, सुनो हम तुम्हारे पति हैं और मैं तुम्हें अभी चाहता हूँ और तुम अपने पति के ओर्डर को रिजेक्ट नहीं कर सकती । ।


    ज्हानवी डरीं हुईं दिखी और चुपचाप रोने लगी थी । ।

     युवराज : चुप रहो जय , वह हमारी पत्नी है, हमें उसकी फिलिंग्स का रिस्पेक्ट करना चाहिए । । 


    ज्हानवी तुम चिंता मत करो, हम तुम्हें इस शादी के लिए मजबूर कर सकते हैं, लेकिन हम तुम्हें फिजिकल रिलेशन के लिए कभी मजबूर नहीं करेंगे, मैं तुम्हें अपने वचन देता हूँ । ।
     

    "मैं विराज के साथ सोने जा रहा हूँ, क्योंकि उसे हममें से किसी एक की ज़रूरत है, जयराज तुम जहान्वी के साथ सो जाओ

     युवराज ने रेजिस्ट करने की कोशिश की, लेकिन युवराज ने उसे आँखों से चुप करा दिया था । ।

    युवराज अपने बिस्तर से उठकर बाहर चला गया था । ।


    ज्हानवी ने उनकी बातें सुनकर भौंहें सिकोड़ीं लेकिन चुप हो गई थी । ।

    जयराज ने दरवाज़ा बंद किया और पीछे मुड़ा और एक शैतानी मुस्कान के साथ ज्हानवी को देखा था । ।

    ज्हानवी डरी हुई दिख रही थी । ।

    "ओह गोविंद जी ये तो आज मेरे साथ सुहागरात मनाकर रहेंगे," वह सोचती है । ।


    जयराज खतरनाक कदमों से आगे आया था । ।।


    "Now who will save you wifey"

    "अब तुम्हें कौन बचाएगा बीवी"


    जयराज के ज्हानवी तक पहुँचने से पहले, वह एक बच्चे की तरह जोर- जोर से रोने लगती है । । जयराज ने उसकी ओर अजीब नज़रों से देखा था । ।

    युवराज उसके रोने की आवाज़ सुनकर कमरे में वापस आया और कुछ ही सेकंड में ज्हानवी उसकी ओर दौड़ी और उसे गले लगा लिया क्योंकि उसकी  सेफ्टी युवराज को खुश करने पर डीपेड कर रही थी । ।

    युवराज : ज्हानवी क्या हुआ जयराज ने कुछ किया ? जिस पर ज्हानवी ने उसके सीने में हाँ में सिर हिलाया था । ।

    युवराज ने अपने भाई को घूर कर देखा था । ।

    जयराज : मैं तो उसे चिढ़ा रहा था  । । (उसने सिर हिलाया)

    "प्लीज आप हमारे साथ सो जाओ  प्लीज़" ज्हानवी ने उससे प्यार से रिक्वेस्ट की जिसका वह मना नहीं कर सका था । ।


     "ठीक है मैं आऊंगा लेकिन कुछ देर बाद और डरना मत  वो कुछ नहीं करेगा ठीक है"


    "ठीक है," ज्हानवी ने फिर से उसे गले लगाया, जिसके लिए  युव ने मुस्कुराया और जय ने अपनी पत्नी की ओर अपनी भौंहें उठाईं, जो लगातार युव को गले लगा रही थी, लेकिन जय  को उसके करीब आने की भी परमिशन नहीं दे रही थी । ।


    कमेंट और रिव्यू जरूर दें मुझे फोलो करें



     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

  • 2. Triplets's Wife - Chapter 2

    Words: 2366

    Estimated Reading Time: 15 min

    युव  फिर से विर के रूम में चला गया और ज्हानवी ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने गहने उतारने लगी और यहाँ जय सिरहाने के सहारे बिस्तर पर बैठकर अपनी पत्नी को घूर रहा था, ज्हानवी बिल्कुल टमाटर की तरह दिख रही थी क्योंकि जय की नज़रें उसकी पर टीकी थी , वह अपनी नज़रें नीचे करके अपने गहने उतार रही थी लेकिन कभी -कभी शर्म से उससे नज़रें चुरा भी लेती थी, उसे उसका ध्यान अच्छा लग रहा था लेकिन उसके गुस्से से डर भी लग रहा था । ।

     

    ज्वेलरी उतारने के बाद वह बिस्तर की ओर बढ़ी और किनारे पर बैठ गई, जय ने उसे बिस्तर की ओर खींचा और उसे लिटा दिया और खुद भी उसके बगल में लेट गया और उसे अपनी पीठ के बल पर घुमा लिया और धीरे -धीरे उसकी पिन निकालकर उसके  जुड़े को खोलना शुरू कर दिया, उसके लंबे बालों को अपनी आँखों के सामने खोल दिया, जय को उसके बाल बहुत पसंद आए थे, वह उसके बालों पर बहुत फिदा हो गया था उसने अपनी उंगलियों से उसके बालों को हल्के से कंघी किया और उसके बालों में अपना चेहरा गड़ा दिया था । ।

     

    "सुनिये"

    कुछ देर बाद ज्हानवी ने उसे धीरे से पुकारा लेकिन वह अभी भी उससे डर रही थी । ।

     

    "सुनाइये"  जय ने उसे शरारत से चिढ़ाया और उसे अपनी ओर घुमाया और फिर से  उसके बालों को सहलाना शुरू किया था । ।

     

    "वो... वो विराज  मुझसे मिलने क्यों नहीं आए," नंदिनी ने डरते हुए पूछा था । ।

    और जय ने अकड़कर अपना गला साफ किया था । ।

    "वो उसको कुछ  इंपोर्टेंट काम था"  ज्हानवी ने असंतोषजनक ढंग से सिर हिलाया लेकिन उसके गुस्से की वजह से उसने और कुछ नहीं पूछा था । ।

     

    "सुनिये......  सॉरी" ज्हानवी ने उसके बटन से खेलते हुए माफ़ी मांगी थी । ।

    "क्यों?" जय ने अपनी एक भौंह को सिडकटीवली से ऊपर उठाते हुए पूछा था । ।

    "वो मैंने तुम्हें धक्का दिया और कंसयुमेंट करने से भी मना कर दिया...

     

     जह्हानवी के होंठों पर उसके होंठों ने उसे चुप करा दिया लेकिन इस बार उसने भी जवाब दिया और जय ने काफी देर बाद उसे छोड़ा था । ।

    "कोई बात नहीं, आइ एम सॉरी, परमिशन न मांगना मेरी गलती थी," जय ने ईमानदारी से कहा था । ।

     

    ज्हानवी कुछ देर मुस्कुराई और उसके गर्म बाहों में सो गई थी । ।

    कुछ देर बाद युव भी विर को सुलाने के बाद आया और देखा कि वह दोनों सो गए हैं, वह भी ज्हानवी के दूसरी तरफ आया और सो गया... . ज्हानवी उसकी ओर मुड़ी और अपना चेहरा उसके सीने में दबा दिया जिससे वह मुस्कुराया और जय ने अपना चेहरा ज्हानवी के लंबे और घने बालों में पीछे से दबा दिया था । ।



     

    । । ज्हानवी का पोइंट ओफ व्यु । ।

     

    Flashback

    फ्लैशबैक 

    मेरे अनाथालय के बच्चे मेरे साथ लुका -छिपी खेल रहे थे जब शारदा आंटी (एंजल अनाथालय की मालकिन) टेंशन भरे चेहरे के साथ मेरी ओर आईं थीं । ।

     क्या हुआ आंटी? आप इतनी टेंशन में क्यों दिख रही हैं? ज्हानवी ने उनसे पूछा था । ।

    कुछ नहीं बेटा बस इतना ही थोड़ा सिरदर्द है ठीक हो जाएगा बच्चा । । शारदा मां ने उसे कहा था । ।

    नहीं शारदा आंटी आपको बताना पड़ेगा मुझे पता है कुछ बहुत सिरियस है । ।

      वोह...   ज्हानवी आज "सिंह एंड सिंह इंडस्ट्री" के मालिक जय राज सिंह आए थे और कहा कि यह अनाथालय उनकी प्रोपर्टी है और वे यहां मॉल बनाना चाहते हैं, हमने बहुत कोशिश की उन्हें समझाने की लेकिन......

    और शारदा आंटी रोने लगीं और मेरी आंखों में भी आंसू आ गए थे । ।

     आंटी आप टेंशन मत लीजिए आपको पता है न आपको बी.पी. की  प्रोब्लम है और चिंता मत कीजिए मैं जल्द ही कोई सोल्यूशन निकाल लूंगी, गोविंद जी सब ठीक कर देंगे । ।

    ज्हानवी ने उन्हें गले लगाया और उन्हें आराम करने के लिए उनके  कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया था । ।

     

    "मुझे कुछ करने की जरूरत है, मैं अपने अनाथालय को कुछ नहीं होने दे सकती जिसने मुझे सहारा दिया और कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है, उसने यहां रहने वाले बच्चों के बारे में भी नहीं सोचा, मुझे उनसे बात करने की जरूरत है हां । ।" ज्हानवी ने सोचा था । ।

    अगले दिन सुबह  जहान्वी उनके ऑफिस गई, सच में वे बहुत अमीर हैं, ऑफिस का इंटीरियर बहुत आलीशान है । । वह  रिसेप्शनिस्ट की ओर बढ़ती है । ।

    एक्सक्यूज मी, मैं मिस्टर  सिंह से मिल सकती हूँ । ।

    रिसेप्शनिस्ट: आप किससे मिलना चाहती हैं मैडम " मिस्टर  युव राज सिंह"  या " मिस्टर जय राज सिंह" । ।

    ठीक है, अब यह कंफ्युज करने वाला है कि उनका क्या नाम है.... .. जय .. हां ... जय राज सिंह । ।

    मिस्टर जय राज सिंह । । ज्हानवी ने कहा था । ।

    रिसेप्शनिस्ट: क्या आपके पास कोई अपॉइंटमेंट है मैडम । ।

    ज्हानवी : नहीं

    रिसेप्शनिस्ट: सॉरी मैडम, सबसे पहले तो सर मीटिंग में बिजी हैं और दूसरी बात यह है कि आपके पास अपॉइंटमेंट भी नहीं है । ।

    ज्हानवी : प्लीज ऐसा मत कहिए, यह बहुत ज़रूरी है, प्लीज उन्हें बताइए कि मैं एंजल ओरपानेज से आई हूँ मैडम । ।

    "रुको मैडम," उसने कहा और उसका नंबर डायल करना शुरू कर दिया...

    "आपका नाम क्या है मैडम," उसने  जहान्वी से पूछा था । ।

    "ज्हानवी"

    "तो..  आपको यहाँ इंतज़ार करवाने के लिए माफ़ करें, मुझे नहीं पता था कि आप सर के क्लोज हैं, प्लीज आइए मैं आपको रास्ता दिखाऊँगी" उसने अपने चेहरे पर डर के साथ रिक्वेस्ट किया था । ।

    ज्हानवी ने भौंहें सिकोड़ीं लेकिन फिर भी सिर हिलाया था । ।

     ज्हानवी उसके पीछे- पीछे चलती रही जब तक कि वह  उसके केबिन तक नहीं पहुँच गयी,  जहान्वी ने दस्तक दी । 

    Knock, knock ✊ 

    "Come in "

    "अंदर आ जाओ"

    ज्हानवी के हाथ ठंडे हो रहे थे, उसकी कठोर मर्दाना आवाज़ ने उसे सिहरन में डाल दिया था । ।

    ज्हानवी अंदर जाती है और अपनी  लाइफ के सबसे खूबसूरत आदमी को देखती है , वह वाकई बहुत हेंडसम है... 

    " हेंडसम , उफ़, तुम्हारे दिमाग पर उसका कब्ज़ा हो   गया है । ।"  ज्हानवी के अंदर से आवाज आई थी । ।

    जब वह उसकी तरफ़ देखता है और मुस्कुराता है और ज्हानवी भौंहें सिकोड़ती है । ।

    , तो क्या वह मुझे जानता है?

    "बैठिए मिस ज्हानवी"

    ज्हानवी धीरे -धीरे उसके सामने बैठ जाती है, उसकी गर्म निगाहों की वजह से थोड़ी अनकंफरटेबल हो जाती है । ।

    "आप क्या  बात  करना चाहती हैं"

    "सबसे पहले, मेरी तरफ़ घूरना बंद करें मिस्टर" ओह गोविंद जी"  ज्हानवी ने मन ही मन कहा था । ।

    "वोह.....  दरअसल... वोह.. म. .मिस्टर...  सिंह" उसने  जहान्वी की हकलाहट को रोक दिया था । ।

    "मेरे पास पूरा दिन नहीं है" वह अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डालते हुए बोलता है । ।

    "हे भगवान, मैं क्यों हकला रही हूँ, हाँ, वह सही कह रहा है । । उसके जैसे बिलियोनेर के पास पूरा दिन नहीं है । ।"  ज्हानवी ने खुद को कोसा था । ।

     "मिस्टर  सिंह हमारे अनाथालय को मत डेमोलिश करें , वह हमारा घर है, हजारों बच्चों का आसरा है, उन्हें बेघर मत बनाइए  प्लीज समझने की कोशिश करीए हम आपकी  कोस्ट चुकाने की कोशिश करेंगे हमें कुछ टाइम दीजिए ..." ज्हानवी बोलें जा रही थी लेकिन उसकी बड़बड़ाहट को फिर से उसने काट दिया था । ।

    "One day " उसने कहा था । ।

    "What? " ज्हानवी को उसकी बात समझ नहीं आईं थीं । ।

    "एक दिन"

    "क्या?" ज्हानवी ने पूछा था । ।

    "तुम्हारे पास अनाथालय का कोस्ट चुकाने के लिए एक दिन है"

    ज्हानवी की आँखों से आँसू बहने लगे,  हेल्पलेस होकर उसने  सोचा था । ।

    "यह राक्षस बहुत पत्थर दिल है, इसकी आँखें बच्चों के लिए एक पल के लिए भी नरम नहीं पड़ी, अब वह एक दिन में इतनी बड़ी रकम चाहता है क्या उसे नहीं दिखता कि हम इतने अमीर नहीं हैं । । "

    ज्हानवी उठ खड़ी हुई और वापस जाने लगी लेकिन उसकी आवाज़ सुनकर वह वहीं रुक गयी थी । ।

    "There is one more option for you"

     "आपके लिए एक और ओप्सन है"

    One more means my orphanage, my home can be saved from this monster..

    एक और ओप्सन का मतलब है कि मेरा अनाथालय, मेरा घर इस राक्षस से बच सकता है....  गोविन्द जी, मेरी मदद करने के लिए बहुत- बहुत थैंक यू , मैं अपने अनाथालय को बचाने के लिए कुछ भी करूँगी । । ज्हानवी ने मन ही मन सोचा था । ।

    उसने पीछे मुड़कर मिस्टर सिंह को उम्मीद भरी आँखों से देखा था । ।

    वह अपनी कुर्सी से अपने एटिट्यूड के साथ खड़े हुए और अपने कोट के बटन लगाए, उसकी नज़र एक पल के लिए भी ज्हानवी  से नहीं हट रही थी । ।

    वह करीब आया.... ..बहुत करीब और  जहान्वी के गालों में गर्मी भर गई, उसने जहान्वी के बालों की लट उसके कानों के पीछे रखी और फिर उसके कानों में फुसफुसाया था । ।

    "मेरे पास तुम्हारे लिए एक और ओप्सन है"

     

    "क्या?" ज्हानवी को घबराहट हो रही थी फिर भी उसने हिम्मत जुटाकर पूछा था । ।

    "Marry..... us "

    "शादी कर लो.... .हमसे"

    Marriage is ok but what did he mean by.... ..US,

    "शादी तो ठीक है लेकिन उसका मतलब..... .हमसे क्या था,"  इससे पहले कि ज्हानवी पूछ पाती, दरवाज़ा जोर से खुला, और वह  यह देखकर दंग रह गई कि मिस्टर सिंह बिल्कुल वैसे ही दरवाजे पर खड़े थे । ।

     ज्हानवी ने मिस्टर सिंह की ओर देखा और फिर उनकी कार्बन कॉपी की ओर, वाकई वे दोनों एक जैसे हैं, बस फर्क इतना है कि मिस्टर सिंह की कॉपी में मिस्टर सिंह से थोड़े ज़्यादा बाल हैं और उनकी बी- कॉपी में मिस्टर सिंह से थोड़ी ज़्यादा दाढ़ी है । ।

     क्या वे.... जुड़वां हैं । ।

    यानी कि ट्वींस???? 

    No....  they are triplets

    नहीं.... वे तीन जुड़वाँ हैं,

    हाँ  शारदा आंटी ने उसे बताया तो था  कि वह उसका भाई है ठीक है । ।

    His brother is literally ogling at me seriously does he have any shame here his brother want to marry me.

    "उसका भाई सचमुच मुझे घूर रहा है, क्या उसे यहाँ कोई शर्म है, उसका भाई मुझसे शादी करना चाहता है । ।" ज्हानवी ने मिस्टर सिंह की बी- कॉपी की नजरों से नाराज़ होकर सोचा था । ।

    मिस्टर सिंह ने ज्हानवी के सामने अपनी उँगली चटकाई और उसे ख्यालों से बाहर निकाल लिया था । ।

    "Where are you lost?"

    "तुम कहाँ खो गए हो?"

    "Of cause in me "

    "बेशक मुझमें" उसका भाई ज्हानवी की ओर से जवाब देता है । ।

    ज्हानवी ने उसकी हिम्मत पर अपनी आँखें चौड़ी कर लीं और अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, उस पंच के  इंतेज़ार में जो मिस्टर सिंह उसके चेहरे पर मारेंगे, अपनी होने वाली पत्नी के लिए, लेकिन उसे कोई हलचल महसूस नहीं हुई थी । ।

    ज्हानवी ने अपनी आँखें खोलीं और देखा कि मिस्टर सिंह ने अपनी बि टोपी की कमेंट पर बस अपनी आँखें घुमाईं थी । ।

    "क्या इससे उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता" । । ज्हानवी के अंदर सवाल उठा था । ।

    "ज्हानवी मेरे पास पूरा दिन नहीं है, चलो फिर से टोपीक पर आते हैं"

    "Either pay the money in one day or marry us"

    "या तो एक दिन में पैसे चुका दो या हमसे शादी कर दो"

    "What do you mean by us"

    "हमसे तुम्हारा क्या मतलब है"  ज्हानवी  डरते हुए पूछा था । ।

    "Us means me and my brothers"

    "हमसे मेरा मतलब है मैं और मेरे भाई"

    "WHAT"

    "क्या" ज्हानवी ने लगभग चिल्लाते हुए कहा था । ।

    "Keep your tone low"

    "अपनी आवाज़ धीमी रखो" मिस्टर सिंह ने उसे वोरनींग दी थी  और यह ज्हानवी को बहुत डरावना  लगा था । ।

    लेकिन अभी यह कोई मायने नहीं रखता क्योंकि उन्होंने जो कहा वह बहुत ही घिनौना है, ज्हानवी अपनी जगह पर चुप हो गयी थी । ।

    उसकी आँखों से आँसू बहने लगे वह  उनकी तरफ़ बहुत गुस्से से देखती है लेकिन इसका उन पर कोई असर नहीं होता । ।

    "WHAT DO YOU THINK OF YOURSELF, HOW YOU THINK ABOUT ME LIKE THAT, IS I AM A TΟΥ FOR,  WHOM BROTHERS CAN PLAY, HOW CAN YOU THINK ?   I WILL DISTRIBUTE MY SELF AMONG YOU, YOU.KNOW. WHAT. YOU. BROTHERS. ARE. DISGUSTING"

    "तुम अपने बारे में क्या सोचते हो, तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच  सकते हो, क्या मैं एक ऐसा लड़की हूँ जिससे भाई खेल सकते हैं, तुम कैसे कर सकते हो मैं अपने आप को तुम्हारे बीच बाँट दूँगी, तुम जानते हो तुम भाई कितने घिनौने हो" ज्हानवी ने दोनों की तरफ़ अपनी उँगलियाँ उठाई थी । । । 

    हालाँकि यह बातें  मिस्टर जय राज सिंह को अफेक्ट नहीं कर रही थी लेकिन यह मिस्टर युव राज सिंह को अफेक्ट कर रही है क्योंकि उनकी आँखें ज्हानवी पर नरम हो गई थीं । । । 

    ज्हानवी वहां से जाने ही वाली थी कि फिर से मि. जय राज सिंह की आवाज़ ने उसे बीच में ही रोक दिया था । । । 

    "Till tomorrow morning if you didn't ready to marry us then I will send my constructer to destroy your orphanage, mind my words "

     

    "कल सुबह तक अगर तुम हमारी शादी के लिए तैयार नहीं हुई तो मैं अपने कंस्ट्रक्टर को तुम्हारे अनाथालय को डीसटरोय करने के लिए भेज दूँगा, मेरी बात पर ध्यान दो"

    ज्हानवी वहां से रोते हुए निकल गई थी । । । 

    How can someone being so cruel .
    how can

    कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है । । ।



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    क्या रिजन है दोनों भाईयों के इस फैसले का ? 🤔 । ।

    क्यों फंसाया है उन्होंने ज्हानवी को इस जाल में? 🤔 । ।

    जानने के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।  📖 । ।

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    सुखी रहें । ।  ☺️ । । सुरक्षित रहे । ।  😊 । ।  पढ़ते रहे 🤓 । 



     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

  • 3. Triplets's Wife - Chapter 3

    Words: 1314

    Estimated Reading Time: 8 min

    पिछले अध्याय में, आपने देखा कि जय और ज्हानवी के बीच एक अंतरंग दृश्य हुआ। फ्लैशबैक में, ज्हानवी को पता चलता है कि अनाथालय को बचाने के लिए उसे जय और उसके भाइयों से शादी करनी होगी। जय ने उसे एक दिन की मोहलत दी, या तो पैसे चुकाओ या शादी करो। ज्हानवी इस प्रस्ताव से नाराज़ है, लेकिन उसे जय की बात माननी पड़ती है।

    अब आगे

    --------

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    ज्हानवी वहां से जाने ही वाली थी कि फिर से मि. जय राज सिंह की आवाज़ ने उसे बीच में ही रोक दिया था । । । 

    "Till tomorrow morning if you didn't ready to marry us then I will send my constructer to destroy your orphanage, mind my words "


    "कल सुबह तक अगर तुम हमारी शादी के लिए तैयार नहीं हुई तो मैं अपने कंस्ट्रक्टर को तुम्हारे अनाथालय को डीसटरोय करने के लिए भेज दूँगा, मेरी बात पर ध्यान दो
     

    ज्हानवी वहां से रोते हुए निकल गई थी । । । 

    How can someone being so cruel, how can?

    कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है । । ।

    । । और अब आगे पढें । ।

    ज्हानवी अपने बिस्तर पर लेटी हुई तकिये में अपना चेहरा छिपाकर दिल खोलकर रो रही थी । ।


    कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है, वो कैसे कह सकता है कि मुझे उन सभी से शादी करनी है, क्या मैं कोई खिलौना हूँ या कोई  स्लट हूं , लेकिन मैं हमारे अनाथालय के बच्चों की खुशियाँ कैसे छीन सकती हूँ, उनकी  लाइफ पूरी तरह से मेरे डीसीजन और मेरे लाइफ पर डीपेंड करती है । । लेकिन में अपने स्वार्थ के साथ उनकी खुशियों से समझौता नहीं कर सकती अनाथालय मुझे खुशी देता है मैं उनकी खुशियाँ कैसे छीन सकती हूँ, नहीं मैं स्वार्थी नहीं बनूँगी कम से कम अगर ये अनाथालय मुझे लाइफ देता है तो मैं इस अनाथालय के लिए अपनी  लाइफ का सेकरेफाइज कर सकती हूँ । ।


    ज्हानवी ने शारदा आंटी को बताया कि उसने जय राज सिंह  से बात की है और वो उनकी टर्म्स पर सहमत है अनाथालय में सब बहुत खुश हैं और वह उनकी यह खुशी नहीं छीन सकती थी । ।


    रात को  जहान्वी थोड़ा खाना खाया था क्योंकि  वह  अपने लगातार  बहते आँसू की वजह से थका हुआ महसूस कर रही थी, रात को  उसने सोने की बहुत कोशिश करती है लेकिन सो नहीं पाती, क्योंकि उसकी  ज़िंदगी बदलने वाली है, वह  बिस्तर पर करवटें बदल रही थी जब उसे मैसेज नोटिफिकेशन मिला था । ।


     "अगर तुम मुझसे मिलना चाहती हो तो कल सिंह पेलेस में आ जाना । ।


    By your soon to be hubby


    तुम्हारे होने वाले पति की तरफ से 😍 😘


    "उसे मेरा नंबर कैसे मिला और उसे कैसे पता चला कि मैं उससे मिलना चाहती हूँ, हें भगवान गोविंद जी वह बहुत चालाक है, मैं उनके साथ कैसे कोपोरेट करूँगी । । कहां  फंस गयी ज्हानवी तुं " ज्हानवी ने टेंशन से सोचा था । ।


    ज्हानवी सुबह जल्दी उठती थी , लगभग 6  बजे और शारदा आंटी और अपने लिए अदरक वाली चाय बनाती है,  उसे  अदरख वाली चाय पीना बहुत पसंद है और वह भी सुबह- सुबह । ।

    "शारदा आंटी मुझे कुछ डोक्युमेंट के काम के लिए सिंह पेलेस जाना है"


    जिस पर उन्होंने खुशी से सिर हिलाया, अगर उन्हें असली रिजन पता चल जाएगा तो वे ज़रूर ऐसा करने  मना कर देंगी, सॉरी आंटी आपसे झूठ बोलने के लिए । ।

    ज्हानवी अपनी अलमारी के सामने खड़ी सोच रही हूँ कि उसे  क्या पहनना चाहिए । ।

    उसने एक सिंपल सूट चुना," हो सकता है कि वे मेरी सादगी देखकर मुझे रिजेक्ट कर दें क्योंकि मैं उन लड़कियों की तरह नहीं हूँ जिन्हें ज़्यादातर अमीर लड़के पसंद  करते हैं । ।" ज्हानवी ने सोचा था । ।

    और वह सिंह पेलेस चली गई थी । ।

     " सच में वे इतने अमीर हैं कि वे किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना सकते हैं, लेकिन नहीं.... वे मुझे चाहते हैं, एक एवरेज लड़की जिसके एवरेज सपने हैं,"


    ज्हानवी ने आह भरी और अंदर चली गई, वहाँ बहुत सारे सर्वेंट्स थे जो सम्मानपूर्वक उसका वैलकम कर रहे थे जैसे वह  कोई रानी है । ।


     "मैडम सर डाइनिंग टेबल पर आपका इंतज़ार कर रहे हैं"

    ज्हानवी डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ी थी । ।


    "क्या बकवास है यह, अभी तक सविट डीश क्यों नहीं बनी है, ज्हानवी आती ही होगी ,
    जबकि"मिस्टर  युव राज सिंह नौकर पर चिल्ला रहे हैं..... मेरे लिए?


    जल्द ही  मिस्टर जय राज सिंह अपने ओफीस के  कपड़ों में आए, वे. ....  हेंडसम दिख रहे थे । ।

    "stop giving compliment to this monster"

    "इस राक्षस की तारीफ करना बंद करो"  ज्हानवी के भीतर का मन उसका मजाक उड़ा रहा था । ।

    ज्हानवी ने उनका ध्यान अट्रेक्ट करने के लिए अपना गला साफ किया और वे दोनों अपनी गर्म निगाहों से उसकी  ओर देखने लगे, जबकि  वह घबरा गई थी । ।
     

    " गुड मॉर्निंग मिस ज्हानवी "  मिस्टर  जय राज सिंह ने उसे गुड मॉर्निंग कहते हुए मुस्कुराया था । ।

    "गुड मॉर्निंग ज्हानवी "


    मिस्टर युव राज सिंह ने उसकी ओर देखकर मीठी मुस्कान बिखेरी, लेकिन ज्हानवी ने उन्हें इग्नोर कर दिया था । ।

    "मुझे नहीं पता लेकिन क्यों , मुझे उम्मीद थी कि वे कल उस राक्षस  जय राज सिंह के सामने मेरी साइड लेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया । । मुझे भी नहीं पता कि मैं क्यों चाहती हूं कि वे मेरी साइड लें, क्योंकि वे भी मेरे लिए अजनबी हैं, लेकिन किसी तरह मैं खुद को उनसे जुड़ी हुई महसूस करती हूं । ।" ज्हानवी ने सोचा था । ।


     राक्षस ने अपनी खतरनाक नजर से कहा था ।  ।  

    " didn't you listened that we just wished you"

    , "क्या तुमने सुना नहीं कि हमने तुम्हें गुड़  मोरनीग विश दीं हैं । ।"

    "G.. go ..od morning


     "जी.. हां हां ..ओह  मॉर्निंग मिस्टर सिंह"  ज्हानवी ने हकलाते हुए कहा था । ।


    वह  जय राज से डरने की  वजह से खुद को  कोस  रही थी । ।


    वे दोनों  ज्हानवी को खाने की टेबल पर बिठाते हैं और उसे ऐसे खिलाते हैं जैसे वह कोई नाज़ुक गुड़िया है और कुछ टाइम बाद ज्हानवी ने उन्हें अपना फ़ैसला बताया कि वह  इस शादी के लिए तैयार है  । ।
     

    लेकिन सिर्फ़ अपने अनाथालय के बच्चों के लिए, यह सुनने के बाद वे बहुत खुश हो गए और  उसे गले लगा लिया और उसे अपनी दोनों मांसपेशियों के बीच में कैद कर लिया और इस तरह उन्होंने सिर्फ़ एक हफ़्ते में ज्हानवी से शादी कर ली । ।

    ज्हानवी मिस्टर विराज सिंह  से उनकी शादी के बाद  मिली थी और वे भी अपने भाइयों की तरह इस शादी से बहुत खुश थे, यहाँ तक कि वे एक बच्चे की तरह ज़्यादा मुस्कुरा रहे थे जो अपना खिलौना पाने के लिए एक्साइटेड है, लेकिन  ज्हानवी ने अपने सारे  थोटस छोड़ दिए क्योंकि उसके दिमाग में टरीपलेटस से होने वाली उसकी शादी के बारे में बहुत सारे डाउट्स घूम रहे थे । ।


    और इस तरह ज्हानवी इस शादी में उन triplets की फँसाई हुई है । ।


    flashback end:

    फ़्लैशबैक समाप्त:

    दरवाज़े की क्लिक की आवाज़ सुनकर वह  अपने ख्यालों से बाहर आई जिसका मतलब था कि वे यहाँ हैं और ज्हानवी की साँसें उसकी शादी की रात के बारे में सोचकर रुक गईं थीं । ।


    और उसके बाद जो सुहागरात पर हुआ वो तो हमने फर्स्ट चैप्टर में पढ़ा ही है । ।


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    आगे क्या होगा यह जानने के लिए आगे के चैप्टर पढ़ते रहिए । ।  📖 । 

     

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  • 4. Triplets's Wife - Chapter 4

    Words: 1568

    Estimated Reading Time: 10 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    और इस तरह ज्हानवी इस शादी में उन triplets की फँसाई हुई है । ।

    दरवाज़े की क्लिक की आवाज़ सुनकर वह  अपने ख्यालों से बाहर आई जिसका मतलब था कि वे यहाँ हैं और ज्हानवी की साँसें उसकी शादी की रात के बारे में सोचकर रुक गईं थीं ।


    और उसके बाद जो सुहागरात पर हुआ वो तो हमने फर्स्ट चैप्टर में पढ़ा ही है । ।

    । । और अब आगे पढें ।

     । । अगले दिन सुबह । ।

    शिवानी ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और खुद को अपने कमरे में न पाकर भौंहें सिकोड़ लीं, लेकिन जल्द ही उसे सब कुछ समझ में आ गया और उसने आह भरी, उसकी आँखें उनके कमरे में घूमीं और सभी महंगे फर्नीचर देखे, सब कुछ इतना महंगा है, उसे लगता है कि उसे इस लाइफस्टाइल में ढलने में काफी ज्यादा टाइम लगेगा और उसकी नज़र राक्षस जयराज पर पड़ी जो शांति से उसे गले लगाकर सो रहा था । ।


     जैसे कि अगर वह उसे छोड़ देगा तो वह भाग जाएगी । ।

    और आखिर में उसकी नज़र युवराज पर पड़ी जो जहान्वी के खुले लंबे बालों के साथ सो रहा था और जो उसके माथे पर गिर  रहे थे । । अपने दोनों पति को घूरने के बाद उसने  बिस्तर से उठने की कोशिश की लेकिन उनकी मजबूत पकड़ की वजह से असफल रही और उसने मुंह बनाया, उसने  दुबारा कोशिश की, बार बार कोशिश की और  ....  जयादा कोशिश की लेकिन कुछ भी काम नहीं आया, आखिर में, उसने युव को जगाने का फैसला किया क्योंकि सो रहा राक्षस ( जय )  सोते हुए ही बेहतर लग रहा था । । जागते हुए वह बहुत डरावना लगता था । ‌। 

    युवराज ने अपने गालों पर लगातार टेप लगाता हुआ महसूस करते हुए अपनी आंखें खोली थी । ।


    धीरे- धीरे उसने अपनी आँखें खोलीं और ज्हानवी को देखकर मुस्कुराया जिसका उसने खुशी से जवाब दिया था । ।

    "गुड मॉर्निंग युव जी"

    "वाकई आज की सुबह गुड है" युवराज ने कहा था । । 

    और उसने ने फिर से अपना चेहरा उसके बालों में छिपा लिया था । ।

     "जाना दीजिए ना हम देर हो जाएंगी" ज्हानवी बुदबुदाई थी । ।

     "No, stay like this for some time"

    "नहीं, कुछ देर ऐसे ही रहो" युवराज ने कहा था । ।


    "प्लीज" ज्हानवी ने पिल्ला जैसी आँखों से रिक्वेस्ट की और वह तुरंत मुस्कुरा कर उसे छोड़ देता है । ।


    और जहान्वी तेजी से वॉशरूम की ओर भागती है, इससे पहले कि उनकी बातचीत राक्षस सिंह को जगा दे । ।


    युवराज भी बिस्तर से उठता है क्योंकि समय पहले से ही 6'0 हो चुका है और अपने कमरे की ओर जाता है और ट्रैकसूट पहनता है और सुबह की जोगींग के लिए निकल जाता है । ।

    दूसरी तरफ, ज्हानवी ने नहाने के बाद एक खूबसूरत लाइट पिंक साड़ी पहनी थी । ।


    वह रसोई की ओर जाती है और देखती है कि वहाँ पहले से ही बहुत सारे नौकर मौजूद हैं, वह अपनी प्यारी मुस्कान के साथ उनका ग्रिटिंग करती है । ।

    "आप कोई और काम कर सकते हैं क्योंकि मैं नाश्ता बना रही हूँ, बस मुझे बताइए कि इनग्रेडिएंट्स कहाँ है"

    नौकर भयभीत दिखते हैं जिससे  ज्हानवी भौंचक्की रह जाती है । ।

    "नहीं.. नहीं मैडम साहब हमें मार डालेंगे मैडम प्लीज खुद को परेशान न करें प्लीज हमें ओर्डर दें कि हमें क्या करना है, हम इसे बनाएँगे," एक नौकर ने कहा था । ।

    "कोई ज़रूरत नहीं आप कुछ और कर सकते हैं, मुझे भी नाश्ता बनाना पसंद है और आपके साहब आपको कुछ नहीं कहेंगे, चिंता न करें"

    ज्हानवी ने सभी नौकरों को विदा किया और तीनों के लिए नाश्ता बनाना शुरू कर दिया था । ।


    वह गुनगुनाती हुई मलाई कोफ्ता करी और गाजर का हलवा बनाने लगी, तभी जयराज जहान्वी को खोजते हुए रसोई की ओर आया था । । वह खानें की खुशबू से रास्ते के बीच में रुक गया और रसोई की ओर बढ़ा और पाया कि ज्हानवी उनके लिए ब्रेकफास्ट बना रही है और वह  दीवार के सहारे झुक जाता है ।


     । । जयराज का पोइंट ओफ व्यु । ।

    यहाँ हमारी खूबसूरत पत्नी अपने हॉट पति को अकेला छोड़कर खड़ी है, दसवां हिस्सा वह हमारे लिए एन टी जी नाश्ता बना रही है, ओह, वह कितनी प्यारी है, वह गाजर का हलवा बना रही है जिसे हमने अपनी माँ की मौत के बाद सालों से नहीं चखा है । ।

    लेकिन आज वह....,  हमारी ज्हानवी साड़ी में बहुत हॉट लग रही है, उसके कर्व्स, उसके बट सब कुछ बहुत परफेक्ट है, वह थोड़ी चुबी  है, उसके लंबे, घने, सिल्की और सीधे बाल हैं, और उसके भारी स्तन**  ओह भगवान, जब भी मेरी नज़र उसके बड्स  पर पड़ी तो वे वहाँ सिर्फ इच्छा से या अनिच्छा से ही अटक गई है , मैं कई लड़कियों से मिला हूँ जो खुद को मुझ पर फेंक देती हैं लेकिन मैंने कभी उनकी तरफ़ नहीं देखा क्योंकि मेरे भाई ने हमेशा मुझे  वन वुमन  मेन बनना सिखाया है लेकिन यहाँ मेरी वुमन मुझे नहीं चाहती हैं, वह बस जितना हो सके मुझसे बचना चाहती है लेकिन मैं तब भी उससे ज़्यादा प्यार करता हूँ जब वह किसी भी रिजन  से मुझसे डरती है । । जयराज ने सोचा था । ।

    "ज्हानवी"  जयराज ने उसे फ़ा उर्फ़ अरे- भरी आवाज़ से पुकारा था । ।

     और वह हड़बड़ा गई और अपने हाथ में जो था वह  बाउल छोड़ दिया,

    बेचारा बाउल.....

    । । जयराज का पोइंट ओफ व्यु खत्म । ।


    ज्हानवी डर कर उसकी ओर मुड़ी और जयराज ने लंबे स्टेप्स लिए और उसके पास पहुँच गया, उसे खींच कर और उसे जुनून के साथ किस करते हुए, यहाँ तक कि ज्हानवी ने भी उसकी स्पीड से मेल खाने की कोशिश की लेकिन असफल रही, उसने उसके होंठ बुरी तरह चबाने शुरू कर दिए, वह ऑक्सीजन की कमी की वजह से जोर से हाँफने लगी और उसे धक्का देने की कोशिश की लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं हिला था । ।


    जब वह लगभग बेहोश होने वाली थी तो  जय ने उसे छोड़ दिया और उनके माथे को आपस में जोड़ दिया  था । ।

     "मुझे कमरे में अकेला छोड़ने की यही तुम्हारी पनिशमेंट थी और अगर आगे ऐसा हुआ तो अगली सज़ा के लिए तैयार रहना"

    और वह उसके दोहरे मतलब पर चौंक गई थी ।


    "क्या हुआ" युवराज पीछे से आया था । ।


    "कुछ नहीं  भाई, ज्हानवी हमारे लिए गाजर का हलवा बना रही है, हैना वाइफ?"  जय ने शरारती मुस्कान के साथ पूछा था । ।

    ज्हानवी ने हां में सिर हिलाया था । ।


    "जय,  तुम जाकर फ्रेश हो जाओ और मैं  विर के कमरे की तरफ जा रहा हूँ, उसकी मदद करने के लिए, हम्म और ज्हानवी तुम्हें ज़्यादा प्रेशर नहीं लेना चाहिए नौकर भी तुम्हारी मदद कर सकते हैं ठीक है । । 

    ज्हानवी ने सिर हिलाया और जय अपने कमरे की तरफ़ चला गया और युव  विर  के कमरे की तरफ़ चला गया था । ।


    कुछ देर बाद वे अपने ओफिसियल अटायर में डाइनिंग टेबल की ओर आए और टेबल पर बैठ गए थे । । ज्हानवी ने उन्हें खुशी- खुशी खाना परोसा और उन्होंने भी उसकी तारीफ की थी । ।

    "तुम्हें पता है ज्हानवी विर को गाजर का हलवा हमसे ज्यादा पसंद है," युवराज ने कहा था । ।

    "रियली, में उनके लिए अभी लेकर जाती हुं , प्लीज मुझे उनके रुम  की दिशा बताओ,"  ज्हानवी ने खुशी से पूछा, आखिरकार अपने तिसरे और आखरी पति को देखने का मौका मिलने पर ।


    "नहीं तुम उससे नहीं मिलोगी," जयराज ने ठंडे स्वर में कहा था । ।

    "क्यों वह मेरे पति है न?"


    "मुझे . अपनी  बात को दोहराना .नहीं .पसंद. है, क्या तुम्हें समझ में आया या नहीं" जयराज ने अपने दांत पीसते हुए कहा था । ।

    युवराज पूरी सिचुएशन में चुप रहा क्योंकि उसे नहीं पता था कि इस सिचुएशन को कैसे संभालना है । । 


    ज्हानवी ने आंसुओं से भरी आँखों से सिर हिलाया था । ।


    "शायद, विराज मुझसे  मिलना नहीं चाहते" उसने खुद से कहा और अपने कमरे की ओर चली गई थी । ।

     युवराज और जयराज ऑफिस चले गए जबकि जहांन्वी घर पर बोर हो रही थी । ।

    । । शाम का टाइम । ।

    युवराज और जयराज जल्दी वापस आए और ज्हानवी ने मुस्कुराते हुए उन्हें पानी पिलाया और चुपचाप उनके साथ कॉफी पी जब थोड़ी कॉफी उसकी साड़ी पर गिर गई, तो उसने एक्सक्यूज मांगी और गेस्ट रूम की ओर चली गई क्योंकि ज्हानवी का  पर्सनल बेडरूम  थर्ड फ्लोर पर था इसलिए उसने सोचा कि दूसरा वॉशरूम  युज करना होगा, वह गेस्ट रूम की ओर चली गई लेकिन एक कमरे से किसी के रोने की आवाज़ सुनकर बीच में ही रुक गई थी । ।



    युव  और जय  तो नीचे है फिर यह किसकी आवाज है । ।  ज्हानवी ने दरवाज़े पर कान लगाते हुए बड़बड़ाई थी । । ।





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    सुखी रहें । ।  ☺️ । । सुरक्षित रहे । ।  😊 । । पढ़ते रहे 🤓 ।

  • 5. Triplets's Wife - Chapter 5

    Words: 2257

    Estimated Reading Time: 14 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    युवराज और जयराज ऑफिस चले गए जबकि जहांन्वी घर पर बोर हो रही थी । ।

    । । शाम का टाइम । ।

    युवराज और जयराज जल्दी वापस आए और ज्हानवी ने मुस्कुराते हुए उन्हें पानी पिलाया और चुपचाप उनके साथ कॉफी पी जब थोड़ी कॉफी उसकी साड़ी पर गिर गई, तो उसने एक्सक्यूज मांगी और गेस्ट रूम की ओर चली गई क्योंकि ज्हानवी का  पर्सनल बेडरूम  थर्ड फ्लोर पर था इसलिए उसने सोचा कि दूसरा वॉशरूम  युज करना होगा, वह गेस्ट रूम की ओर चली गई लेकिन एक कमरे से किसी के रोने की आवाज़ सुनकर बीच में ही रुक गई थी । ।

    युव   और जय   तो नीचे है फिर यह किसकी आवाज है । ।  ज्हानवी ने दरवाज़े पर कान लगाते हुए बड़बड़ाई थी । । ।

    । । और अब आगे पढें । ।

    युव  और जय  तो नीचे हैं, तो यहाँ कौन है, कौन रो रहा है???, मैं जाऊँ और अपने पति को बताऊँ,  नहीं, पहले मुझे देख लेने दो । । ज्हानवी ने सोचा था । ।

    उसने धीरे से गेट खोला और अपनी जगह पर सुन्न हो गई थी । ।

    विराज  ज्हानवी  ने फुसफुसाया था । ।


    पूरा कमरा अस्त -व्यस्त है और विराज एक खिलौना  को सीने से लगाए हुए प्यार करतें हुए रो रहा है । ।


    ज्हानवी की आँखों से आँसू बहने लगे, दूसरी तरफ वीर को ज्हानवी का चेहरा याद नहीं आया इसलिए वह उस पर चिल्लाया था । ।


    वीर : तुम कौन हो, वॉट, तुम क्या चाहती हो, मैं अपनी कार्ल तुम्हारे साथ शेयर करूँगा, मुझे भाई को कॉल करने दो, वह तुम्हें डाँटेगा, भईईई और उससे डरकर फूट- फूट कर रोने लगा था । ‌।

     ज्हानवी अपने पति को बच्चों की तरह बिहेव करते देख चौंक गई और उसके पैर कांपने लगे, वह गिरने ही वाली थी कि युवराज ने उसे सही टाइम पर पकड़ लिया, क्योंकि वे वीराज की चीख सुनकर आ गए थे और जयराज वीराज की ओर भागा और उसे अपनी बाहों में ले लिया और वीर ने खुद को उसकी बाहों में छिपाते हुए जोर से रोया था । ।


    युवराज और जयराज ने एक दूसरे को स्ट्रेस भरे चेहरे से देखा, जब युवराज ने आँखों से उसे अश्योर्ड किया, जिससे जयराज को राहत मिली थी । ।


    ज्हानवी सदमे से बाहर आई और युवराज को धक्का दिया और जयराज और युवराज दोनों को आँसू भरी आँखों से घूरते हुए अपने कमरे की ओर भागी, जब वह दरवाज़ा बंद करने वाली थी, तो युवराज उसके पीछे पीछे आ गया था और दरवाज़ा बंद करके उसे घसीटते हुए बिस्तर पर ले गया और उसके कोमल हाथों को अपने खुरदरे हाथों में लेकर उसके सामने बैठ गया था । ।

    "जहां" उसके शब्द जहान्वी ने काटे और उसे अपनी हथेली दिखाकर रोका था ।

    वह दूसरी तरफ मुड़ी और अपने आँसू पोंछते हुए युवराज को और ज्यादा दोषी महसूस कराया, उसने उसके कंधे को छूने की कोशिश की, लेकिन उसने उसका हाथ झटक दिया था । ।

    क्यों? तुमने मुझे फिर से धोखा क्यों दिया, तुमने मुझे क्यों नहीं बताया कि वह मानसिक रूप से अस्थिर है  । । मेंटली डीसेबल है । । आखिरकार  जहान्वी की आवाज़ फट गयी थी । ।


    चिंता मत करो जब तक वीर  ठीक नहीं हो जाता, हम उसे तुम्हारे पास नहीं आने देंगे । । युवराज ने उसे कहा था । ।


     ज्हानवी ने अपनी भौंहें सिकोड़ीं और पूछा"क्यों"


    "क्योंकि वीर मेंटल......


    ज्हानवी ने उसकी बात बिच में ही काटते हुए कहा था ।

    "किसने कहा कि मैं इसलिए दुखी हूं क्योंकि वीर मेंटली फिट नहीं हैं"


    अब युवराज कुछ भी कहने से पहले भौंहें सिकोड़ लेता है । ।
     

    ज्हानवी आगे कहती है "मुझे दुख है क्योंकि तुम और तुम्हारे मोंस्टर भाई ने मुझसे झूठ बोला"

    ज्हानवी ने उसे घूर कर देखा हालांकि इसका युवराज पर कोई असर नहीं हुआ लेकिन उसने कुछ नहीं दिखाया था । ।


    "मैंने सोचा चलो इस रिश्ते को एक मौका देते हैं, मैंने तुम दोनों को अपने दिल में जगह देने की कोशिश की लेकिन बदले में तुमने हमेशा इस दिल को दुखाया" उसने अपनी चेस्ट के बाईं ओर अपने दिल की ओर इशारा करते हुए कहा और युवराज की आँखें हैरान होकर उसके स्तन**  पर टिक जाती हैं लेकिन वह जल्दी से अपनी आँखें हटा लेता है क्योंकि यह सही टाइम नहीं है । ।


    (please spare your writer for writing pervert scene in between emotional scene )

    (प्लीज अपने लेखक को भावनात्मक दृश्य के बीच में विकृत दृश्य लिखने के लिए छोड़ दें )


    "आइ एम  सॉरी,  जहान्वी, मुझे लगा कि तुम  वीर को इस कंडीशन में एक्सेप्ट नहीं करोगी, और......"


    " तुम्हें पता है कि मैं तुम्हारी माफ़ी नहीं चाहती और मैं तुम्हारे और तुम्हारे राक्षस भाई जैसे झूठों के लिए अपने दिल में जगह नहीं बनाना चाहती"

    । । दूसरी ओर । ।

    वीर जयराज के  सिने में रो रहा है, क्योंकि वह जहान्वी से डर गया था । ।

    "बच्चे वह यहां  गलती से आ गई, ठीक है वह तुम्हें चोट नहीं पहुँचाएगी"  जयराज ने धीरे से उसके बालों को सहलाते हुए धीरे से कहा था । ।


    "क्यों" वीर ने मासूम आँखों से अपनी गर्मजोशी से पूछा था । ।

     "क्योंकि वह हमारी पत्नी है,"

    पत्नी कौन होती है?" उसने फर्श पर सीधा बैठते हुए क्युरिऑसिटी से पूछा था । ।


    "पत्नी वो होती है जो आपको प्यार करेगी, आपके लिए खाना बनाएगी, आपका साथ टाइम बिताएगी, आपकी शारीरिक ज़रूरत....." वह बीच में ही रुक गया, वह अपने भाई के मासूम दिमाग को खराब नहीं करना चाहता था । ।

    "सच्ची, वीर ने  चमचमाती आंखों से पुछा था । । 

    जयराज ने हां में सिर हिलाता है .....

    यार " वह जोर से चिल्लाया क्योंकि ज्हानवी उनके घर में पहली लड़की है, इसलिए उसे अलग महसूस हो रहा है । ।

    "मैं पत्नी से मिलना चाहता हूँ" उसने जयराज की उंगलियाँ खींची और अब वह ज्हानवी के कमरे में जाना चाहता था । ।


    जयराज ने ना में सिर हिलाया लेकिन अभी भी उसकी रिस्पांस के बारे में चिंतित था क्योंकि अगर ज्हानवी उसे रिजेक्ट कर देगी और वीर चोट पहुँचेगी तो जयराज उसे नहीं छोड़ेगा । ।


    जयराज की उंगलियाँ पकड़कर वीर उसके  साथ ज्हानवी के पर्सनल बेडरूम की ओर बढ़ते हैं और दरवाज़े पर पहुँचते हैं, और वीर को शर्म आती है । ।


    इसलिए वह मुड़ा और जयराज को गले लगा लिया था । ।

    - क्या हुआ बच्चा । । जयराज ने उसे पूछा था । ।

    मुझे नहीं जाना उनका पास । । वीर ने कहा था । ।

    क्यो? जयराज ने हैरानी से पूछा था । ।

    मुझे शर्म आती है भाई । । वीर ने कहा था । ।

    जय हँसा और उसे वापस  खींच लिया था ‌। ।

    "तुम्हें शर्म महसूस करने की ज़रूरत नहीं है, वह हमारी पत्नी ही है न" जिस पर वीर ने सिर हिलाया था । ।

    वीर ने फिर से कमरे के अंदर झाँका और ज्हानवी के रोते हुए चेहरे को देखा, जब वह युव से बात कर रही थी, उसे गिल्टी फील हुआ क्योंकि उसने उस पर चिल्लाया था, इसलिए वह चुपचाप अपना सिर नीचे करके अंदर चला गया और ज्हानवी के सामने घुटनों के बल बैठ गया और उदास एक्सप्रेसन से अपने कान पकड़े हुए थे । ।

    "सॉरी"

    ज्हानवी पहले तो शर्मीली हुई, लेकिन  वीर के प्यारे चेहरे को देखकर पिघल गई, उसे देखकर मुस्कुराई और उसका हाथ उसके कानों से हटा दिया था । ।

    "it's ok"
     

     "यह ठीक है"


    वीर ने उसे गले लगाया और ज्हानवी शरमा गई और जय ने उसके शरमाते चेहरे को देखकर अपनी आँखें घुमाईं थी । ।

    सिरियसली से , जहान्वी शरमा रही है जैसे वीर उसे रोमांटिक तरीके से गले लगा रहा है लेकिन मुझे उसका शरमाना अच्छा लगता है । । जयराज ने सोचा था । ।

    वह दिल की बहुत अच्छी है, मैं बहुत गलत था कि वह वीर को उसकी हालत की वजह से रिजेक्ट कर देगी, वह एक असली हीरा है । । जय ने उन्हें देखकर सोचा था । ।


    ज्हानवी चलो मैं बहुत भूखा हूँ, मुझे जल्दी से खाना सर्व करों । । जय ने कहा था । ।

    लेकिन ज्हानवी ने उसे इग्नोर कर दिया था । ।

    हाँ, हाँ मैं भी बहुत हंगरी हूँ । । वीर ने बच्चों की तरह कहा था । ।

     तुम्हें भूख लगी है? ज्हानवी ने  वीर  के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उसने सिर हिलाया था  ।


    ठीक है तो चलो, खाना खाते हैं । ।

    वह वीर के साथ बाहर चली गई थी । ।

    और जय बस वहाँ खड़ा था और उसका जबड़ा खुला था, क्योंकि वह भी भूखा था । ।

    वह युव  की ओर बढ़ा था । ।

     वह हमें क्यों इग्नोर कर रही है । । जय ने पूछा था । ।

    युवराज ने उसे घूर कर देखा था । ।

    its just because of you

    यह सिर्फ़ तुम्हारी वजह से है, तुमने ही कहा ना, भाई चलो ज्हानवी को विर के बारे में न बताएं वरना वह उसे रिजेक्ट कर देगी, अब खुद ही देखो वह उससे अच्छी तरह से बात कर रही है और हमें रिजेक्ट कर रही है । । युवराज ने उसे डांटते हुए कहा था । ।

    चिंता मत करो भाई वह रिजेक्ट नहीं करेगी क्योंकि वह मुझसे डरती है  । । जयराज ने मुस्कुराते हुए कहा था । ‌।

     उसे अपना गुस्सा दिखाने की हिम्मत मत करना तुम , हमने गलतियाँ की हैं अब हमें उसकी माफ़ी जीतनी है ठीक है । । युवराज ने उसे सख्ती से कहा था । ।

    जयराज ने चेहरे बनाते हुए सिर हिलाया था । ।

    । । नीचे होल में डाइनिंग टेबल पर । ।

    ज्हानवी वीर और खुद को खाना  सर्व कर रही है और दूसरे दो पतियों को इग्नोर कर रही है जो जहान्वी के उन्हें खाना परोसने का इंतज़ार कर रहे हैं । ।

    । । युवराज का पोइंट ओफ व्यु । ।

    यहाँ हम अपनी खूबसूरत पत्नी के हमें परोसने का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन वह हमें इग्नोर कर रही है, और नौकरों के बारे में तो, मैंने उन्हें निकाल दिया जो रसोई में काम करते थे, क्योंकि हमें सबसे अच्छा शैफ मिल गया था , लंबे टाइम तक इंतज़ार करने के बाद हमने अपना इगो दूसरी तरफ़ रख दिया और खुद को परोसना शुरू कर दिया हम इतने लंबे टाइम तक जहान्वी के बनाए गए स्वादिष्ट भोजन को अनदेखा नहीं कर सकते हैं । ।

    । । पोइंट ओफ व्यु खत्म । ।

     "जा .. हान . नवी  उर्घ तुम्हारा नाम बहुत लंबा है, मैं तुम्हें  जानूं कहूंगा ठीक है"  वीर ने कहा था । ।

    ज्हानवी मुस्कुराई और सिर हिलाया था । ।

    "आप मुझे जो चाहे बुला सकते हैं । ।" 

     तुम, मुझे आप क्यों कह रही हो मैं बुड्ढा थोड़ी हुं? मुझे वीर कहों,  वीर ने कहा था । ।

    लेकिन.... ज्हानवी ने कुछ कहना चाहा था । ‌।

    "जानूं मुझे अपने हाथों से खाना खिलाओ" वीर ने उसे बीच में ही टोका था । ।

    ज्हानवी ने उसे खाना खिलाना शुरू किया और दूसरी तरफ, जयराज गुस्से में जल रहा था, एक तो वह बहुत भूखा था और दूसरा जहान्वी ने उसे खाना भी नहीं परोसा था । ।


    जिसकी प्रोग्रेस सबसे स्लो होनी चाहिए उसकी सबसे फास्ट हो रही है और जिसकी प्रोग्रेस सबसे फास्ट होनी थी उसे इग्नोर किया जा रहा है । । जयराज बड़बड़ाया था । ।

    रात के खाने के बाद युवराज  वीर को सुलाने के लिए उसके बेडरूम में ले जाता है जबकि ज्हानवी और जयराज,  ज्हानवी के बेडरूम में होते हैं । ।

    जयराज अपनी गोद में लैपटॉप लेकर बैठा है और कुछ तेजी से टाइप कर रहा है । । रिजन है तो वह अभी भी गुस्से में है क्योंकि ज्हानवी उसे अनदेखा कर रही है । ।

    का बड़ा सा मेल इगो उसे माफ़ी मांगने से  रोक रहा है और वह  ज्हानवी की इगनोरिंग  और किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था । ।।

    ज्हानवी वॉशरूम से बाहर आई थी । । उसने लाइट येलो कलर की कोटन कुर्ती और पेंट पहनी हुई थी  । ।


    वह जयराज के साथ सोने से डर रही थी लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और कमरे के बीचों बीच की ओर चली गई.. ..उफ़ सॉरी उनके बिस्तर पर और बीच में लेट गई और युवराज के लिए एक और साइड छोड़ दी क्योंकि बिस्तर ट्रीपल बड़ा था । ।

    ज्हानवी को देखकर जय  भी उसके बगल में लेट गया कुछ देर बाद युव  भी आकर अपनी जगह पर लेट गया, और वह सभी कहीं नहीं देख रहे थे लेकिन कोई नहीं सो रहा था । । ।

    जय ज्हानवी के बिहेवियर की वजह से बेचैन हो रहा था और युव  शांत था क्योंकि वह जानता था कि ज्हानवी को उन्हें माफ़ करने के लिए टाइम चाहिए । । ।

    कुछ देर बाद किसी ने दरवाज़ा खटखटाया था । । । ।

    क्या आपको ज्हानवी और विराज की बॉन्डिंग पसंद आईं है?

    जय के गुस्से के लिए कुछ शब्द

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  • 6. Triplets's Wife - Chapter 6

    Words: 1898

    Estimated Reading Time: 12 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि ।
     

    ज्हानवी वॉशरूम से बाहर आई थी । । उसने लाइट येलो कलर की कोटन कुर्ती और पेंट पहनी हुई थी  । ।

    वह जयराज के साथ सोने से डर रही थी लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और कमरे के बीचों बीच की ओर चली गई.. ..उफ़ सॉरी उनके बिस्तर पर और बीच में लेट गई और युवराज के लिए एक और साइड छोड़ दी क्योंकि बिस्तर ट्रीपल बड़ा था । ।


    ज्हानवी को देखकर जय  भी उसके बगल में लेट गया कुछ देर बाद युव  भी आकर अपनी जगह पर लेट गया, और वह सभी कहीं नहीं देख रहे थे लेकिन कोई नहीं सो रहा था । । ।


    जय ज्हानवी के बिहेवियर की वजह से बेचैन हो रहा था और युव  शांत था क्योंकि वह जानता था कि ज्हानवी को उन्हें माफ़ करने के लिए टाइम चाहिए । । ।
     

    कुछ देर बाद किसी ने दरवाज़ा खटखटाया था । । ।

     । । और अब आगे पढें । ।

    किसी ने दरवाज़ा खटखटाया था । ।

    युवराज ने दरवाज़ा खोला, विराज दरवाज़े पर खड़ा था, अपनी नींद भरी आँखें मल रहा था, और नींद के कारण लड़खड़ा रहा था । ।

     बच्चे , तुम यहां  क्या कर रहे हों, मैंने तुम्हें पहले ही सुला दिया था ना । । युवराज ने कहा था । ।

     मैं "जानूं"  के साथ सोना चाहता हूँ । । विराज ने आंखें मलते हुए कहा था । ।

    "लेकिन" युवराज के पूरा  कहने से पहले, विराज अंदर घुस गया, लेकिन उसे हल्के से धक्का देकर और बीच में बिस्तर पर लेटी ज्हानवी की ओर भागा, और हल्के से उस पर कूद गया, पूरी तरह से उसके ऊपर लेट गया और अपना चेहरा उसकी गर्दन में दबा दिया था । ।

     "मुझे तुम्हारे पास सोना है जानूं " उसने उसके बालों में बुदबुदाया, पहले तो जहान्वी हिचकिचाई लेकिन उसकी मांग को मानते हुए, उसने उसके बालों को सहलाना शुरू कर दिया था । ।

    "सो जाओ" ज्हानवी ने कहा था । ।

    यह सुनकर विराज ने तुरंत अपना पूरा वजन उस पर डाल दिया, ज्हानवी को घुटन महसूस हुई, इसलिए उसने उसे थोड़ा नीचे धकेल दिया, जिससे उसका चेहरा ज्हानवी के चेस्ट पर आ गया,  विराज ने अपना चेहरा उसकी चेस्ट के बीच की घाटी में दबा दिया, और धीरे- धीरे उसकी गर्मी महसूस करते हुए नींद में चला गया था । ।


    जयराज ने उसके हर एक्सन पर ध्यान दिया और आखिर में कराहते हुए अपने पेट के बल लेट गया और अपना चेहरा तकिये में दबा लिया, लेकिन कुछ देर बाद ही उसने बुदबुदाया था । ।

    "काश मैं भी बच्चों जैसे होता । ।"

     लेकिन ज्हानवी ने यह लाइन सुनी और टमाटर की तरह शर्म से लाल हो गई थी । ।


    certified pervert

    "सेरटिफाइड परवर्ट"  ज्हानवी ने बड़बड़ाया था । ।


    युवराज भी अपनी जगह पर लेट गया और सो गया था । ।


    अगली सुबह ज्हानवी सुबह  उठी और विराज को उसकी नींद में खलल डाले बिना अपनी जगह पर लिटा दिया और बिस्तर से बाहर निकलने के बाद, उसने तीनों की ओर देखा जिनके चेहरे बिल्कुल एक जैसे थे लेकिन पर्सनालिटी  बिल्कुल अलग थी । ।

    " Copy Paste " ज्हानवी ने अपने हाथो से केमरे जैसे जेस्चर बना कर कहा था । ।

    उसने आह भरी और सुबह के कामों के लिए वॉशरूम की ओर चली गई और एक सिंपल सी फ्लोरल प्रिंट साड़ी पहन ली थी । ।

    शीशे के सामने खड़ी होकर वह अपने बाल सुखाने लगी, तभी युवराज जाग गया और उसे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर ताजे फूल की तरह देखा, वह उसकी ओर बढ़ा और पीछे से उसके बालों को चूमा और पीछे से उसे गले लगा लिया था । ।


    "गुड मॉर्निंग ज्हानवी" उसके कानों में धीरे से फुसफुसाया, वह अपनी जगह पर कांप उठी लेकिन फिर भी उसे अपनी इगनोरेंस दिखाते हुए एक सख्त चेहरा दिखाया था ।‌ ।

    "सॉरी ना बेबी, ......माफ कर दो अपने बिचारे पति को"

    ज्हानवी के मुंह से एक हल्की सी हंसी निकली थी । ।

    आप या बिचारे ......... पोल्स अपारट है .......और मैंने तुम्हें पहले ही माफ कर दिया है...... लेकिन इसे फिर से मत दोहराना , ठीक है । । ज्हानवी ने कहा था ‌। । 

    युवराज ने एक फस्ट्रेड बच्चे की तरह सिर हिलाया और अपनी मासूम पत्नी की तारीफ की जो बड़ी -बड़ी प्रोब्लम पर भी उन्हें आसानी से माफ कर देती है और उसे अपनी ओर खींचा और धीरे- धीरे उसके माथे को चूमा, फिर नाक को, फिर गालों को और आखिर में अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए, उसे धीरे-धीरे चूमते हुए अपना प्यार बरसाया और ज्हानवी ने भी उसकी स्पीड से धीरे- धीरे  रिस्पांस दी,  युवराज ने उसके होंठों को काटा और ज्हानवी ने उसे एंट्रेंस देते हुए हांफते हुए मुंह खोला था ,  युवराज ने अपनी जीभ उसके मुंह के हर कोने में घुमाई, 2 -3 मिनट के बाद वह पीछे हट गया और अपना सिर उसकी सांसों के खिलाफ रख दिया था । ।

    "अब जाईए आपको ऑफिस भी जाना है और जल्दी से तैयार हो जाईगा" उसने उसे वॉशरूम में धकेल दिया था । ।

    वह नीचे गई और मंदिर में पूजा करने लगी, एक दिया जलाया था । ।

    "गोविन्द जी, मेरी लाइफ में जो कुछ भी हो रहा है, वैसे  शायद ही किसी लड़की की लाइफ हुई होगी, लेकिन मैं हर चीज को अपनी किस्मत मान रही हूं, लेकिन प्लीज मुझे सही रास्ता चुनने में मदद करें । ।


    पूजा के बाद वह अपने पति के लिए  नाश्ता बनाने के लिए रसोई की ओर चली जाती है । ।

    गुड मॉर्निंग वाइफ ...... आज तुम हमारे लिए क्या बना रही हो" जयराज ने उसे पीछे से गले लगाया लेकिन ज्हानवी ने उसे पीछे धकेल दिया और अपना गुस्सा दिखाया लेकिन इससे वह भी नाराज़ हो गया और उसने उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे ज्हानवी के हाथ में पकड़ी प्लेट गिर गई और टूट गई थी । ।

    (R.I.P plate)

     रेसट उन पीस . प्लेट

    "ये क्या चल रहा है कल से, तुम मुझे इतना गुस्सा दिखा रही हो, मैं पैचअप करने की कोशिश कर रहा हूँ ना, लेकिन नहीं, तुम्हारे पास इगो  है"  जयराज ज्हानवी पर चिल्लाता है जो उससे डर कर नीचे देख रही थी । ।

    "अब कुछ बोलोगी"  जयराज उसे रोते देख कर और ज्यादा चिढ़ गया था । ।

     जबकि ज्हानवी बस नीचे देख कर रो रही  थी । ।

    "आप बहुत बुरे हो" उसने दबी हुई आवाज़ में कहा लेकिन जयराज ने सुन लिया था । ।

    "पहले तुम ..... .गलती करते हो.. उसके बाद. ...तुमने....माफ़ी भी नहीं मांगी.. और ...तो... .अगर.... .दिखाई. ..गुस्सा... .तो तुम मुझ पर चिल्ला रहे हो" ज्हानवी जोर से रोई जिससे जयराज तुरंत गिल्टी हो गया था । ।

    "अरे अरे मुझे माफ़ कर दो बेबी मैं जानता हूँ कि यह मेरी गलती है लेकिन तुम जानते हो कि मेरे लिए माफ़ी माँगना मुश्किल है, लेकिन मुझे माफ़ कर दो बस मैं मूड में था और तुमने इसे खराब कर दिया इसलिए मैं नाराज़ हो गया सॉरी बेबी" जयराज ने कहा था । ।


    ज्हानवी ने अभी भी सूँघते हुए ना में सिर हिलाया था । ।

    क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ? जयराज ने पूछा था । ।

     जयराज ने उसके होठों पर नज़र डालते हुए पूछा और ज्हानवी शरमा गई और सिर हिलाया, उसने अपने होठों को उसके होंठों से टकराया और उसे स्लैब और खुद के बीच में डाल दिया, कुछ देर बाद वह रुक गया था । ।

    और उसकी तरफ़ धीरे से मुस्कुराया, जिसे उसने खुशी -खुशी लौटा दिया था । ।

    जयराज ने किसी नौकर से टूटी हुई प्लेट के टुकड़े को साफ करने के लिए कहा और तैयार होने के लिए अपने कमरे की ओर चला गया था । ।

    नाश्ता तैयार करने के बाद ज्हानवी मिल्कशेक लेकर अपने कॉमन रूम की ओर जाती है, जो उसने खास तौर पर उसके लिए बनाया था जहाँ विराज  सो रहा है । । 

    वह पहले तो शर्म महसूस करते हुए अंदर चली गई, लेकिन फिर भी उसके पास बैठी रही, धीरे -धीरे उसके बालों को सहलाती रही थी । ।

    "विर उठो सुबह हो गई है, जल्दी उठो"

    विराज ने अपना सिर उसकी गोद में रख दिया, कमर से उसे गले लगाते हुए उसके पेट में दुबक गया था । ।

    "नहीं अभी नहीं" विर ने कराहते हुए कहा और उससे और भी लिपट गया था । ।

    "ठीक है तो मैं यह टेसटि  सा मिल्कशेक  जय को दे  दूँती हूं "

    यह सुनकर विराज खुशी से झूम उठा था । ।

    "क्या तुमने सच में मेरे लिए मिल्कशेक बनाया है"  विराज ने अपने होंठ चाटते हुए पूछा था । ।

    ज्हानवी ने सिर हिलाया और वह खुश होकर उसे गले लगा लिया और वह भी शरमा गई और उसके बालों को सहलाते हुए उसे गले लगा लिया था । ।

     "तुम्हें पता है जानूं, मम्मा मेरे लिए यह मिल्कशेक बनाती थी लेकिन माँ और पापा तो हैं ही नहीं, यहाँ भाई ने मुझे बताया कि वे किसी टूर पर जा रहे हैं" उसने मुँह फुलाकर कहा था ।
     

    ज्हानवी ने सिर हिलाया क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसके माता -पिता कहां हैं, उसने मन ही मन उनसे उनके माता- पिता के बारे में पूछने का मन बना लिया था । ।

    "ठीक है अब यह मिल्कशेक पी लो फिर फ्रेश हो जाओ ठीक है"

    विराज ने सिर हिलाया और उसके हाथ से पी लिया था । ।
     

    "ज्हानवी यह वीभा है, वह विराज की केयर टेकर है, वह उसे नहाने में मदद करेगी" जयराज ने पीछे से वीभा की ओर कहा जो एक चिप सी  ड्रेस पहने दरवाजे पर खड़ी थी । ।

    वीभा अंदर आई और विराज की ओर झुकी और अपने चेहरे पर सेडक्टिव मुस्कान के साथ अपने स्तनों**  को दिखाया था । ।

    बेबी आओ मैं तुम्हें नहलाती हूँ । । विभा ने कहा था । ।

    विराज ने तुरंत अपना चेहरा ज्हानवी के चेस्ट में छिपा लिया और जोर से चिल्लाया था  ।

    "नहीं"


    "मैं नहीं चाहता, वह मेरी मदद करे जानूं, प्लीज क्या तुम मुझे नहलाओगी?" विराज ने अपनी ठोड़ी को उसकी क्लीवेज पर रखते हुए उसकी आँखों में उम्मीद से देखते हुए पूछा था । ।

     जयराज उनके पास बैठ गया और अपने बालों को सहलाते हुए बोला "बच्चे , चिंता मत करो अगर तुम नहीं चाहते कि वह तुम्हें नहलाए तो मैं तुम्हें नहला दूंगा"

    जयराज ने उसे समझाने की कोशिश की क्योंकि वह जानता था कि ज्हानवी कंफरटबल महसूस नहीं कर रही थी, लेकिन विराज जिद्दी हो रहा है, उसने  ना में सिर हिलाया था । ।

    उसका निचला होंठ हिल रहा था जिससे पता चल रहा था कि वह किसी भी पल रो पड़ेगा । ।

    ज्हानवी ने विराज के माथे को चूमते हुए कहा "मैं तुम्हें नहला दूंगी ठीक है"

    विराज खुश हो गया इसलिए उसने उसे गले लगाया और जोर से चिल्लाया "येह" जिससे वह हंस पड़ी और जयराज ने उसके  सोफट नैचर को देखकर उसे  एडमायर कीया था । ।

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  • 7. Triplets's Wife - Chapter 7

    Words: 3250

    Estimated Reading Time: 20 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

     

    जयराज ने उसे समझाने की कोशिश की क्योंकि वह जानता था कि ज्हानवी कंफरटबल महसूस नहीं कर रही थी, लेकिन विराज जिद्दी हो रहा है, उसने  ना में  सिर हिलाया था । ।

     

    उसका निचला होंठ हिल रहा था जिससे पता चल रहा था कि वह किसी भी पल रो पड़ेगा । ।

     

    ज्हानवी ने विराज के माथे को चूमते हुए कहा "मैं तुम्हें नहला दूंगी ठीक है"

     

    विराज खुश हो गया इसलिए उसने उसे गले लगाया और जोर से चिल्लाया "येह" जिससे वह हंस पड़ी और जयराज ने उसके  सोफट नैचर को देखकर उसे  एडमायर कीया था । ।

     



     । । और अब आगे पढें । ।

     

    ज्हानवी ने विराज के माथे को चूमते हुए कहा था । ।

     

    I will give you bath ok"

     

    , "मैं तुम्हें नहला दूँगी ठीक है"

     

     

     

    "ठीक है, तो तुम्हें नौकरी से निकाल दिया गया है" युवराज की आवाज़ पीछे से आई, जो जेब में हाथ डाले दरवाज़े पर खड़ा था और वीभा की ओर देख रहा था । ।

     

     

     

    वीभा मगरमच्छ के आँसू दिखाने लगी और उसके पास चली गई थी । ।

     

     

     

    सर प्लीज ऐसा न करें, मैं कोई और काम कर लुंगी जो आपको पसंद हो, लेकिन प्लीज मुझे नौकरी से न निकालें सर (मोहक अंदाज़ में) और अगर आप चाहते हैं कि मैं कुछ और करूँ, तो भी मैं कर सकती हूँ । ।

     

     

     

    जयराज के लिए बस इतना ही काफी था , वह खड़ा हुआ और उसकी ओर बढ़ा और उसे ज़ोर से थप्पड़ मारा, जिससे वह लड़खड़ा गई और अपने गालों को सहलाते हुए ज़मीन पर गिर गई थी । ।

     

     

     

     ज्हानवी उसे एक लड़की को थप्पड़ मारते हुए देखकर डर गई थी, उसने  विराज को कसकर पकड़ा जो कि उसकी गोद में लेटें  हुए उसके मंगलसूत्र से लापरवाही से खेल रहा था । ।

     

     

     

    "क्या तुम एक बात समझ सकती हो, अगर  भाई ने कहा कि तुम्हें नौकरी से निकाल दिया गया है तो तुम्हें नौकरी से निकाल दिए गया हैं । । तुम खुद को हम पर फेंक रहे हो, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई । । हमारे घर से निकल जाओ इससे पहले कि मैं तुम्हें अच्छे से धक्के मार कर बाहर फेंक दूं" जयराज चिल्लाया, वीभा डर कर बाहर चली गई थी । ।

     

     

     

     जय,  मुझे कितनी बार तुमसे कहना पड़ेगा है कि अपने गुस्से पर काबू रखो, देखो तुम्हारी वजह से ज्हानवी डर गयी है । ।

     

     

     

    फिर जयराज ने जहान्वी को देखा जो विराज को अपने  सिने से लगाए हुए नीचे देख रही थी । ।

     

     

     

    वह उसके पास बैठ कर उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया है । ।

     

     

     

     "सॉरी बेबी,  मेरा इरादा तुम्हें डराने के लिए नहीं था , बस मैं उस स्लट की  सिड्यूस करने वाली बात को नहीं संभाल सकता, मुझसे मत डरो ठीक है । । ज्हानवी ने सिर हिलाया था 

     

     ।

     

    और तुम्हें किसी और लड़की से जेलैस फिल करने की ज़रूरत नहीं है, हम सब तुम्हारे हैं (आखिरी पंक्ति फुसफुसाते हुए)

     

     

     

    " बस, ठीक है अब  हमें  टाइम पर ऑफिस पहुँचना है, अभी नौ बज चुके हैं, जल्दी करो "  युवराज ने जहान्वी की ओर आते हुए उसके माथे को चूमते हुए और उसके होंठों को चूमते हुए कहा था । ।

     

    ठीक है,  जान हम जा रहे हैं अपना और विराज का ख्याल रखना और जब भी ज़रूरत हो मुझे फ़ोन करना । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने सिर हिलाया, जयराज ने भी उसे हल्के से चूमा और विराज के माथे को चूमने के लिए झुकते हुए जानबूझकर उसके स्तनों**  पर अपने गाल रगड़े, जिससे वह चौंक गई और जयराज ने उसे आँख मारी थी । ।

     

    "कभी हम पर भी थोड़ा प्यार बरसाओ" उसने हस्की स्वर में कहा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी शरमा गई, लेकिन कुछ नहीं बोली और युवराज ने जयराज को पकड़ कर बाहर खींच लिया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने उन्हें सि ओफ किया फिर पीछे विराज को देखा जो उसके मंगलसूत्र से खेल रहा था, उसे अपने आस -पास की परवाह भी नहीं थी । ।

     

     

     

    विराज जी,  चलो, तुम्हें भी नहाना है ना । ।

     

     

     

    विराज पहले तो खुश हुआ, फिर उसके चेहरे पर उलझन की भावना आ गई और वह इधर -उधर देखने लगा था । ।

     

     

     

    "क्या हुआ विराज जी, क्या ढूँढ रहे हो?" ज्हानवी ने आखिरकार पूछा था । ।

     

     

     

    "वो जानूं, वह जी कौन है, कहाँ है" और फिर से किसी "जी" नाम के आदमी को ढूँढने के लिए इधर -उधर देखने लगा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने धीरे से हंसते हुए कहा, "मैं आपको जी कह रही हूँ" 

     

    "मुझे विर  ही बुलाओ ना " विराज  ने अपने नाम के साथ जी शब्द जोड़ना पसंद नहीं किया था । ।

     

     

     

    "मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से कैसे बुला सकती हूँ, तुम मेरे पति हो" शरमाते हुए बोली थी । ।

     

     

     

    "ठीक है तो मुझे बेबी कहो, जैसे भाई मुझे बुलाते है"

     

     

     

    ज्हानवी पहले तो शरमाई, लेकिन फिर शरमाते हुए सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    "ठीक है चलो अब चलते हैं" उसने उसे वाशरूम की ओर घसीटा और वाशबेसिन के पास स्लैब पर बैठाया और उसे टूथब्रश दिया, लेकिन विराज ने सिर्फ़ अपने दाँत दिखाए और अपने हाथ पीछे छिपाए और हँसने लगा था । ।

     

      जह्हानवी ने  हैरानी से उसकी ओर देखा और अपने हाथों से ही उसके दाँत साफ़ करने लगी, विराज ने उसे कमर से कसकर पकड़ लिया और ज्हानवी शरमा गई थी । ।

     

     

     

     उसके बाद उसने उसे अपनी मदद से खड़ा किया । ।

     

     

     

    "ठीक है अब मैं तौलिया और तुम्हारे कपड़े निकालती हूँ, तब तक तुम अपने कपड़े निकाल लो ठीक है"

     

     

     

    विराज ने आज्ञाकारी बच्चे की तरह सिर हिलाया, ज्हानवी कलोजेट की ओर बढ़ी और उसके कपड़े निकाले और जब वह वापस लौटी तो विराज को अपनी शान के साथ नं गा खड़ा देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं थीं । ।

     

    "आह्ह ...  ज्हानवी ने अपनी आँखें कसकर बंद करके ज़ोर से चिल्लाया, जिससे विराज चौंक गया था । ।

     

     

     

    विराज डरकर रोने लगा, ज्हानवी ने यह देखा और उसके गालों को सहलाते हुए उसकी ओर दौड़ी, "बेबी रोना मत प्लीज़" । ।

     

     

     

    विराज ने उसे कसकर गले लगाया और उसकी गर्दन में सूँघना शुरू कर दिया "मैं डर गया था" । ।

     

    ज्हानवी तब सुन्न हो गई जब विराज ने उसे गले लगाने के दौरान छुआ, इसलिए उसने जल्दी से गले लगाना छोड़ा और इधर -उधर देखते हुए उसके कमर के चारों ओर तौलिया लपेटा था । ।

     

     

     

    "ठीक है आपको मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है ठीक है" उसके आँसू प्यार से पोंछे और नहाना शुरू करें । ।

     

     

     

    उसके बाद उसने उसे बाथरोब दिया , और उसे बिस्तर पर बिठा दिया और उसके पैरों के बीच खड़ी होकर  ज्हानवी उसके बाल सुखाने लगी , विराज ने अपना चेहरा उसके पेट में रगड़ा और उसे धीरे से गुदगुदाया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी बस मुस्कुराहट के साथ उसका हर काम कर रही थी । । कुछ देर बाद वह उसे अपने हाथों से खाना खिला रही थी । ।

     

     

     

    उसे दो गोभी पराठे खिलाने के बाद, विराज को नींद आने लगी थी । ।

     

     

     

    "जानूं, मुझे नींद आ रही है"  विराज ने कहा जब वे लिविंग एरिया में बैठे थे, ज्हानवी ने घड़ी की तरफ़ देखा और देखा कि पहले से ही 1 बज चुके थे, इसलिए उसने सिर हिलाया और पार्थ के कमरे की ओर चली गई थी । ।

     

    कमरे के अंदर एंटर करते हुए जहान्वी ने दरवाज़ा बंद किया और विराज को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गई थी । ।

     

     

     

    विराज ने उसके बालों से खेलना शुरू किया तभी जहान्वी बोली थी । ।

     

     

     

    "बेबी तुम्हें नींद आ रही थी ना, अब अपनी आँखें बंद करो"

     

     

     

    विराज ने नां में अपना सिर हिलाया था । ।

     

     

     

     क्यों? ज्हानवी ने पूछा था । ।

     

     

     

    तुम चली जाओगी मुझे छोड़ कर । ।

     

     

     

    विराज की आँखों में आँसू भर आए क्योंकि वह अनसिक्योर्ड महसूस कर रहा था । ।

     

     

     

    । । ज्हानवी का पोइंट ओफ व्यु । ।

     

     

     

    तुम्हारे दोनों भाई मुझे कभी नहीं छोड़ेंगे, मैं कैसे जाऊँगी और बात यह है कि मैं कहाँ जाऊँगी, मेरे जैसे अनाथ के पास  परिवार ही  नहीं था, अब मेरे पास तुम सब मेरे परिवार के रूप में हों । ।

     

     

     

    । । पोइंट ओफ व्यु खत्म । ।

     

     

     

     मैं कभी नहीं छोड़ कर  जाउंगी, ठीक है । ।

     

     

     

    विराज ने खुशी से सिर हिलाया और उसे गले लगा लिया और अपना चेहरा उसकी गर्दन की दरार में दबा लिया था । ।

     

    "Janu what is this "

     

    "जानूं यह क्या है" विराज ने उसकी नीली ब्रा**  की पट्टियों को खींचते हुए पूछा जो उसके ब्लाउज से बाहर दिख रही थी । ।

     

    ज्हानवी गहरे लाल रंग में शरमा गई, उसके मुँह से कोई शब्द नहीं निकला, उसने  विराज के हाथ वहाँ से खींच लिए थे । ।

     

     

     

     "विराज जी सो जाओ ना बेबी मुझे परेशान मत करो " ज्हानवी ने शर्माते हुए कहा था । ।

     

     

     

    विराज भी आज्ञाकारी लड़के की तरह , अपना सिर उसकी चेस्ट पर रखकर सो गया, उनके पैरों को आपस में उलझा लिया था । ।

     

    ज्हानवी नींद से जागती है और विराज की ओर देखती है जो एक छोटे कोआला भालू की तरह उससे लिपटा हुआ है, वह कुछ देर तक उसके चेहरे पर ध्यान देती है और फिर घड़ी की ओर देखती है, शाम के 5 बज चुके हैं और एक घंटे बाद उसके ओर दो पति आकर उससे लिपट जाएंगे । ।

     

     

     

    वह अपने ख्यालों पर हंसती है और चाय पीने के लिए रसोई की ओर जाती है, और  फिर बालकनी में झूले पर बैठ जाती है । ।

     

     

     

    सोचती है कि कैसे उसकी  लाइफ कांटों से फूलों में बदल गया है, कैसे वह अपने बजट के बारे में सोचते हुए कुछ खरीदने से हिचकिचाती है और अब उसके पास हर चीज है, यह सिर्फ़  चिजो के  होने के बारे में नहीं है जिसने उसे खुशी नहीं थी लेकिन अनाथ होना आसान नहीं है । । वह अभी भी सोचती है कि उन्होंने उससे शादी क्यों की,  वह इतने अमीर और हेंडसम थें यंग भी थे वो कोई भी लड़की पा सकते हैं लेकिन उन्होंने  ज्हानवी को ही क्यों चुना था? 

     

     

     

    उसके ख्यालों की डोर जयराज और युवराज की कार की होरन से टुटी थी । ।

     

     

     

    उसने आह भरी और मेन गेट की ओर बढ़ी और अपने पतियों का गर्मजोशी से स्वागत किया, उनकी थकान को दूर भगाया, जयराज और युवराज ने उसे दोनों तरफ से गले लगाया जिससे वह चेरी की तरह शरमा गई थी । ।

     

     

     

     वह रसोई में जाती है और उनके लिए पानी लाती है और फिर उनके लिए कॉफ़ी तैयार करती है और उन्हें स्नैक्स के साथ परोसती है । ।

     

    ज्हानवी  युवराज के पास बैठ जाती है और उसकी थकान को महसूस करते हुए उसकी ओर देखती है और पूछती है "क्या हुआ?"

     

     

     

    कोई  सिरियस बात नहीं है जान, बस थोड़ा थका हुआ हूँ । ।

     

     

     

    आप इतना प्रेशर क्यों लेते हो, ऐसा नहीं है कि आप कम अमीर होने जा रहे हो, प्लीज कुछ टाइम के लिए आराम करो । ।

     

     

     

    युवराज कुछ कहने वाला था, लेकिन ज्हानवी उसकी बात सुनना बंद करो, उसने ओर्डर दिया "अब यह कॉफ़ी खत्म करो और फ्रेश हो जाओ, फिर मैं तुम्हारा सिर मालिश करूँगी ठीक है"

     

     

     

    युवराज ने सिर हिलाया, ज्हानवी ने युवराज की ओर देखा जो जहान्वी के बनाए गए पैनकेक खाने में बिजी था, ज्हानवी ने अविश्वास में सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    "जानूं"

     

     

     

    विराज अपनी नींद भरी आँखों को रगड़ते हुए नीचे आया था । ।

     

     

     

    उसके बगल में बैठ कर विराज ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया, टेबल पर स्नैक्स देखकर अपने होंठ चाटते हुए, उसने अपने बड़े भाई से परमिशन माँगते हुए युवराज की ओर देखा, युवराज मुस्कुराया और सिर हिलाया, तो उसने भी चबाना शुरू कर दिया था । ।

     

    बीच में उसका गला घुट गया, जैसे गले में कुछ अटक गया हो । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने चिंता भरी आँखों से उसकी पीठ को सहलाया और वही युवराज और जयराज की ओर भी गया जो उसकी ओर आए थे । ।

     

     

     

    "बेबी धीरे- धीरे खाओ"  ज्हानवी ने उसके बालों को सहलाया था । ।

     

     

     

    "हम्म"  विराज ने अपना चेहरा उसकी गर्दन में छिपा लिया, जयराज ने अपनी एक भौंह उठाई और उसे विराज को 'बेबी' कहते हुए सुना, जयराज की नज़र ज्हानवी पर पड़ी और उसने नीचे देख लिया था । ।

     

     

     

    वे कुछ देर तक गपशप करते रहे, फिर जहान्वी थक गई और विराज के बगल में सो गई और अपना सिर सोफे की पीठ पर टिका दिया था । ।

     

    "वह बहुत थक गई होगी क्योंकि विर को संभालना बहुत बड़ा काम है" जयराज ने युवराज से कहा, जिस पर उसने सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    युवराज ने विराज की ओर देखा जो क्युरिऑसिटी से बैठा था । ।

     

     

     

    क्या हुआ बच्चे । । उसने विराज से उसके बालों को सहलाते हुए पूछा था । ।

     

     

     

    भाई.... उम्म.. .यह क्या है? उसने नंदनी के ब्लाउज को उसके एक कंधे से खिसकाते हुए और दोनों भाइयों को चौंकाते हुए उसकी ब्रा**  की पट्टी खींचते हुए पूछा था । । 

     

     

     

    युवराज और जयराज ने अपने मासूम भाई को देखकर आँखें चौड़ी कर लीं थीं । ।

     

     विर,  बेड मेनरस, अपने हाथ हटाओ । ।  युवराज ने कठोर स्वर में कहा था । 

     

     

     

     बेडमेनरस क्यों भाई ? , वह मेरी जानू है । । विराज ने रोते हुए मुँह बनाते हुए कहा था । ।

     

     

     

    यह कपड़े है बच्चे, इसे अभी मत खींचो, अगर कोई तुम्हारे कपड़े खींचे तो तुम्हें अच्छा लगेगा । ।

     

     

     

     लेकिन उसने दो कपड़े क्यों पहने हैं  विराज ने उसके ब्लाउज़ को देखते हुए पूछा था । ।

     

    यह बहुत टाइट है  । ।  उसने फिर से उसकी पट्टी खींचते हुए कहा था । ।

     

     

     

     मैं बाद में उससे इस बारे में पूछूँगा, चलो छोड़ो । ।

     

     

     

    विराज उसकी ब्रा** कि पट्टी छोड़ता है और युवराज ने जहान्वी के कपड़े ठीक करता है । ।

     

     

     

    जयराज  सो रही ज्हानवी को दुल्हन की अपनी बाहों में लेकर उसके कमरे की ओर ले जाता है जबकि युवराज, विराज को अपने साथ ले जाता है । ।

     

     

     

    जब ज्हानवी की नींद टूटी तो युवराज ने उसे बिस्तर पर लिटा रहा था , वह बैठ गई और भौंहें सिकोड़ लीं थीं । ।

     

     

     

     तुम सोफे पर सो रही थी । । युवराज ने कहा और उसके ऊपर झुक गया था । ।

     

     

     

    युवराज के उसके ऊपर मँडराते ही ज्हानवी ने उठने के लिए सिर हिलाया था । ।

     

     

     

     "ये आप क्या कर रहे हो" ज्हानवी ने  पूछा था । । 

     

    call me baby.

     

    "मुझे बेबी कहो" । । युवराज ने डीमांड किया था । ।

     

     

     

    क्यों? ज्हानवी ने हैरानी से पूछा था । ।

     

     

     

    क्योंकि तुमने  विर को  बेबी बुलाया था अब मुझे भी बुलाओ । ।

     

     

     

     ज्हानवी ने उसके लोजिक पर  हंसते हुए कहा "विराज जी बच्चे की तरह बिहेव करते हैं, इसलिए मैंने उन्हें बेबी कहा"

     

     

     

    ठीक है , तो अब मुझे बताओ कि मैंने किसकी तरह बिहेव किया और फिर मुझे उस  नाम से पुकारों "

     

     

     

    ज्हानवी ने अपनी मुस्कान छिपाने के लिए अपने होंठ आपस में दबा लिए थे । ।

     

     

     

    ठीक है तो मैं तुम्हें मोंस्टर कहूंगी । । 

     

     

     

    उसने फुसफुसाया, जबकि  युवराज का जबड़ा जमीन पर आ गया, ज्हानवी ने उसे धक्का दिया और भागने की कोशिश की लेकिन युवराज ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे अपने ऊपर खींच लिया था । ।

     

     

     

    उसके  बाल को उसके कानों के पीछे रखते हुए धीरे -धीरे उसके होंठों को पकड़ लिया और उसे किसी नरम कैंडी को  की तरह चूमा, ज्हानवी ने उसे रिस्पांस दिया लेकिन उसकी  स्पीड से मेल नहीं खा सकी, 4 -5 मिनट के बाद वह रुक गया लेकिन उसकी स्किन को नहीं छोड़ा, उसके कॉलरबोन में नथुने को सहलाता रहा था । ।

     

     

     

    उस पल को विराज ने बाधित किया जो अचानक आया और ज्हानवी पर कूद पड़ा, और  युवराज को को धक्का देकर उसे कराहने पर मजबूर कर दिया था । ।

     

     

     

    "जानूं देखो मैंने युव भाई, जय भाई और मम्मा , पापा और मेरा डरोइंग बनाया है"  विराज ने एक डरोविंग ज्हानवी की ओर बढ़ाया था । ‌।

     

    जो सचमुच युवराज को इमोशनल कर देता है लेकिन वह अपने जबड़े को भींचकर अपनी फिलिंग्स को छुपाता है जो ज्हानवी को सोचने पर मजबूर कर देता है । ।

     

     

     

     "बहुत बढ़िया"  ज्हानवी ने उसे चियर किया था । ‌।

     

    विराज ने बड़े ही जोर से मुस्कुराया था । ।

     

     

     

    उसने अपनी ड्राइंग शीट दूसरी तरफ गिरा दी, उसे गले लगाया और अपना चेहरा उसके सीने में दबा लिया था । ।

     

     

     

    "जानूं मुझे बुक्की लगी है" । ।

     

     

     

    "ठीक है चलो डिनर करते हैं जय,  जी आओ"  ज्हानवी ने युवराज का हाथ भी पकड़ लिया जो अब तक ड्राइंग शीट को घूर रहा था । ।

     

     

     

    जयराज ने सिर हिलाया और वे खाने की मेज की ओर बढ़ गए थे । ।

     

     

     

    डिनर करते टाइम जयराज  बिल्कुल चुप रहा था, ज्हानवी ने यह देखा और मुंह बना लिया था । ।

     

    । । ज्हानवी का पोइंट ओफ व्यु । ।

     

     

     

     चुप जय जी अच्छे नहीं लग रहे हैं, गुस्साए जय जी तो इससे अच्छे थे, उस पेंटिंग ने उन्हें इतना अफेक्ट क्यों किया, क्या मुझे उनसे पूछना चाहिए गोविंद  जी.....नहीं नहीं जहान्वी वह अपनी खतरनाक निगाहों से तुम्हें ज़रूर मार ही डालेगा, मैं क्या करूं? मुँह बनाते हुए उसने सोचा था । ।

     

     । । ज्हानवी का पोइंट ओफ व्यु समाप्त । ।

     

     

     

    "जानूं खिलाओ ना" विराज की कराह सुनकर वह अपने विचारों से बाहर आई, उसने सिर हिलाया और उसे खाना खिलाना शुरू कर दिया था । ।

     

     

     

    हमेशा की तरह डिनर के बाद तीनों भाई बिस्तर पर बैठे हुए एक दूसरे के साथ टाइम बिता रहे थे जबकि ज्हानवी वॉशरूम में थी । ।

     

    ज्हानवी वाशरूम से बाहर आई  उसने व्हाइट कोटन की कुर्ती और पेंट पहनी थीं  । । वह बिस्तर की ओर बढ़ी, तभी विराज उसके ऊपर कूद पड़ा, उसने खुद को एडजस्ट किया "बेबी वेट करों" वह बीच में बिस्तर पर लेट गई और फिर विराज को फिर से अपनी बाहों में जकड़ लिया, जयराज और युवराज ने  जहान्वी के माथे को चूमा और फिर उसके बगल में लेट गए थे । ‌।

     

     

     

    युवराज ने अपना चेहरा उसकी गर्दन में छिपा लिया और विराज ने उसके सीने में, ज्हानवी ने युवराज के माथे को सहलाया क्योंकि वह थका हुआ था और दूसरे हाथ से विराज के बालों को सहलाया ताकि वह सो जाए, जबकि जयराज खिड़की की ओर मुंह करके लेटा था और उसकी पीठ ज्हानवी की ओर थी, जिससे वह सचमुच स्ट्रेस में आ गई थी । । ।

     

     

     

    एक ही टाइम में तीन पतियों को इक्वल अटेंशन से संभालना बहुत मुश्किल है, है न?

     

     

     

    कुछ देर में युवराज और विराज दोनों सो गए थे । । इसलिए ज्हानवी ने विराज को युवराज और अपने बीच लिटा दिया और बिस्तर के सहारे बैठ गई और जयराज की ओर मुड़ गई जो सो रहा था, लेकिन उसके माथे पर अभी भी शिकन थी, ज्हानवी ने उसका सिर अपनी गोद में ले लिया और उसके चेहरे की फिचर्स को मालिश करना शुरू कर दिया, समय-समय पर उसके माथे को चूमती रही थी । । और उसी तरह बैठे -बैठे सो गई थी । । ।

     


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  • 8. Triplets's Wife - Chapter 8

    Words: 1838

    Estimated Reading Time: 12 min

    वह थका हुआ था और दूसरे हाथ से विराज के बालों को सहलाया ताकि वह सो जाए, जबकि जयराज खिड़की की ओर मुंह करके लेटा था और उसकी पीठ ज्हानवी की ओर थी, जिससे वह सचमुच स्ट्रेस में आ गई थी । । ।

     

    एक ही टाइम में तीन पतियों को इक्वल अटेंशन से संभालना बहुत मुश्किल है, है न?

     

    कुछ देर में युवराज और विराज दोनों सो गए थे । । इसलिए ज्हानवी ने विराज को युवराज और अपने बीच लिटा दिया और बिस्तर के सहारे बैठ गई और जयराज की ओर मुड़ गई जो सो रहा था, लेकिन उसके माथे पर अभी भी शिकन थी, ज्हानवी ने उसका सिर अपनी गोद में ले लिया और उसके चेहरे की फिचर्स को मालिश करना शुरू कर दिया, समय-समय पर उसके माथे को चूमती रही थी । । और उसी तरह बैठे -बैठे सो गई थी । । ।

     



    । । और अब आगे पढें । ।

     

    ज्हानवी आधी रात को पीठ दर्द के कारण जाग गई, उसने दर्द को दबाने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी मदद नहीं मिली, दर्द अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, इसलिए उसने उठकर जयराज का सिर तकिए पर रख दिया, और अपने मुलायम हाथों से अपनी पीठ दबाने लगी थी । ।

     

     

     

    शायद बैठ कर सोने की वजह से यह दर्द हो रहा है, मुझे ठीक से सोने दो और अभी तो सुबह के तीन ही बजे हैं, इसलिए मुझे और देर सोना  चाहिए । । ज्हानवी ने सोचा था । ।

     

     

     

    उसने अपनी जगह पर लेटने की कोशिश की, लेकिन बिस्तर पर निशान देखकर उसका चेहरा पीला पड़ गया था । ।

     

     

     

    हाँ, चादर का अधिकांश हिस्सा खून से लथपथ था । । उसे लगा कि उसे मासिक धर्म हो गया है । ।

     

     

     

     लेकिन वह अपने पति के नीचे से यह चादर कैसे निकालेगी, यहाँ तक कि विराज पूरी तरह से लाल हिस्से पर लेटा हुआ है और जयराज भी, बिस्तर से उठकर, वह अपने पैड लेने के लिए कपबोर्ड की ओर बढ़ती है लेकिन फिर से उसके दिमाग में यह बात आती है कि सैनिटरी नैपकिन भी नहीं है, उसके पति ने पहले ही उसकी अलमारी को हर चीज से भर दिया है लेकिन यह नहीं, शादी से पहले भी उसका दिमाग इतना गड़बड़ था कि वह जरूरी चीजें लेना भी भूल गई थी । ।

     

     

     

    वह फिर से डुवेट की ओर देखती है और इसे उनके नीचे से निकालने की कोशिश करती है लेकिन असफल रहती है, उसकी ऐंठन भी इस हालत में मदद नहीं कर रही थी । ।

     

    वह वोशरूम में चली गई और उसे अंदर से बंद करके, जमीन पर बैठ गई और जोर- जोर से रोने लगी, लेकिन अपने मुंह पर हाथ रखकर अपनी आवाज दबा ली थी । । उसकी सफेद कुर्ती अब पूरी तरह खून से लथपथ हो गई थी । ।

     

     

     

    वह बाथरूम में रोई थी । ।

     

     

     

    दूसरी ओर जयराज उसकी गर्मी को याद करके नींद से जागा, उसने अपने हाथों को इधर -उधर घुमाकर जहान्वी को खोजने की कोशिश की, इसलिए आखिरकार उसने कमरे की लाइट जलाई और अपने नीचे खून देखकर घबरा गया था । ।

     

     

     

    "ओह गॉड" वह लगभग चिल्लाया और युवराज भी अपनी नींद से उठ गया, जयराज ने खुद को देखा, युवराज और विराज को भी चैक किया जो अभी भी सो रहा था, यह पता लगाने की कोशिश कर रहै था कि कहीं कोई चोट तो नहीं लगी है । ।

     

     

     

    "ओह गॉड जय, ज्हानवी कहाँ है, उसे चोट तो नहीं लगी है"

     

     

     

    जयराज बेचैन होकर वोशरूम का दरवाजा जोर -जोर से पीटता रहा, युवराज भी चिंतित था । ।

     

     

     

    ज्हानवी दस्तक सुनकर होश में आ गई, उसे नहीं पता कि क्या करना है, वह पहले से ही खून से लथपथ थी, उसने खुद के  कपड़े भी बदले नहीं थे । ।

     

     

     

    "ज्हानवी ने दरवाजा खोला अरे बाप रे" वह मानिक की चीख सुनकर चौंक गई थी । ।

     

     

     

     "क्या वे बेडशीट गंदी करने की वजह से मुझ पर नाराज़ हैं, अब वे मुझ पर नाराज़ होंगे" । ।  ज्हानवी ने सोचा था । ।

     

    वह जोर -जोर से रोने लगी, जिससे दोनों को उसकी चिंता होने लगी थी । ।

     

     

     

    "ज्हानवी जल्दी से दरवाजा खोलो" जयराज ने जोर से चिल्लाते हुए विराज को भी जगाया, विराज युवराज को गुस्से में देखकर बिस्तर पर तकिया पकड़कर बैठ गया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने फिर  झिझकते हुए दरवाजा खोला, उसके पास कोई ओप्सन नहीं था, वे दोनों घबरा गए थे  जब  उन्होंने देखा कि ज्हानवी खून से लथपथ थी...

     

    "

     

    ज्हानवी क्या हुआ बेबी तुम्हें कहाँ चोट लगी है, मुझे दिखाओ"

     

     

     

    ज्हानवी ने अपनी आँखें चौड़ी कर लीं, वह उन्हें कैसे दिखा सकती है । ।

     

     

     

     क्या हुआ जान कम से कम हमें तो बताओ, क्या मैं डॉक्टर को बुलाऊँ । । युवराज ने कहा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने उसके हाथ से फोन छीन लिया था । ।

     

     

     

    मुझे पीरियड्स आ गए हैं, (उसने एक ही सांस में कहा, नीचे की ओर देखते हुए एंबेरेस होते हुए कहा था) । ।

     

     

     

    कम से कम हयुमन लेंग्वेज में तो बताओ । ।

     

     

     

    "मुझे पीरियड्स आ गए हैं" ज्हानवी ने कहा था । ।

     

     

     

    कौन से पीरियड्स? तुम किस बारे में बात कर रही हो? युवराज ने पूछा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने मन ही मन से अपना सिर पीट लिया, पहले तो उसका दर्द उसे परेशान कर रहा था और फिर वह शर्मिंदा थी और ऊपर से उसके पति को नहीं पता कि पीरियड्स क्या होता है । । 

     

    I am talking about menstrual cycle problem.(she said frustatedly)

     

     

     

    मैं मासिक धर्म चक्र की समस्या के बारे में बात कर रही हूँ । । (उसने निराश होकर कहा)

     

     

     

    युवराज और जयराज ने अभी भी अनकलियर होने के बावजूद सिर हिलाया, उन्होंने बायोलॉजि में इस सब्जेक्ट को पढ़ा है लेकिन कभी इसकी गहराई में नहीं गए और साथ ही उनके पास कभी कोई लड़की नहीं रही, इसलिए यह उसके लिए नया था । ।

     

    -

     

    उम्म सुनिए दरअसल मैं.. ...मैं. ...चाहती हूँ.. .सा.. नी.... तरी ना.. ..पकी.. ..न्स. ज्हानवी ने हकलाते हुए बोला था । ।

     

    -

     

    उम्म... .ठीक है...  रुको मैं अपने ड्राइवर को लाने का इंटरकसन देता हूँ । ।

     

     

     

     नहीं ( ज्हानवी दोनों को चौंकाते हुए चिल्लाती है) दरअसल ये चीजें बहुत ही पर्सनल हैं मैं नहीं चाहती कि कोई दूसरा आदमी इन्हें लाए... .लेकिन ठीक है, रात को कहा  से इसका इंतजाम करोगे, मैं कोई भी कपड़ा इस्तेमाल कर लूँगी । ।

     

     

     

    युवरज ने बीच में ही उसे टोक दिया "अगर तुम अभी चाहती हो तो, मैं अभी ही ला दूँगा जान, तुम चिंता मत करो ठीक है । ।

     

     

     

    युवराज नीचे चला जाता है और अपनी चाबी और वोलेट ले लेता है । ।

     

     

     

    जय जी आप विराज जी को सुला दीजिए, मैं अभी वॉशरूम में बैठतीं हुं । ।

     

    जयराज ने उसे दुल्हन की तरह गोद में उठा कर वॉशरूम ले जाता है और अलमारी से एक प्यारी सी शॉर्ट नाइटी और एक शॉर्ट्स निकाल कर देता है । ।

     

     मैं इसे कैसे पहन सकती हूँ, यह बहुत छोटी है... .मुझे इस तरह के कपड़ों की आदत नहीं है । । (उसने नीचे देखते हुए कहा, बहुत शरमाते हुए)

     

     

     

    जयराज ने हर बार की तरह अपनी शर्मीली पत्नी की ओर आँखें घुमाईं थी । ।

     

     

     

    "तुम्हें अपने पति के सामने शर्म महसूस करने की ज़रूरत नहीं है, और यह तुम्हारे लिए बहुत आरामदायक होगा, अब जाओ और इसे पहन लो । ।"

     

     

     

    "ठीक है, लेकिन प्लीज विराज जी को ठीक से सुला दो" ज्हानवी ने विराज की ओर देखते हुए कहा जो बैठे हुए आधे सोए हुए थे । ।

     

     

     

    जयराज ने उसकी केयरिंग को  देखते हुए मुस्कुराते हुए सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी वॉशरूम चली गई थी । ।

     

     

     

    बच्चे , दो मिनट के लिए उठो, मुझे यह बेडशीट बदलनी है । । जयराज ने कहा था । ।

     

     

     

    विराज थोड़ी देर के लिए खड़ा हुआ और जयराज ने उस बेडशीट को हटा दिया और फिर गहरे रंग की नई बेडशीट डाल दी, 1% भी डीसगसटिंग महसूस नहीं हुई, यह देखकर जहान्वी की आँखों में आँसू आ गए, जो अभी भी वॉशरूम के दरवाज़े से झाँक रही थी और युवराज के पैड लाने का इंतज़ार कर रही थी, चाहे वह कितना भी दबंग क्यों न हो, लेकिन वह बहुत केयर करने वाला भी है (नंदिनी आँसू के बीच मुस्कुराई) । ।

     

     

     

     जयराज ने पार्थ को एक कोने में बिस्तर पर लिटा दिया और उसे ठीक से सुला दिया और शुरू किया था । । और मासिक धर्म के बारे में गूगल पर सर्च करना शुरू कर दिया, थोड़ी जानकारी मिलने के बाद उसने युवराज को चॉकलेट खरीदने के लिए मैसेज किया था । । और उसके लिए सूप बनाना शुरू कर दिया क्योंकि उस टाइम सभी नौकर सो रहे थे । । तब तक युवराज वापस आ गया था और अपने कमरे की ओर चला गया और नैपकिन ज्हानवी को दे दिया था । ।

     

     

     

    जयराज सूप लेकर कमरे में वापस आया तो युवराज ने पूछा "तुमने इसे इस टाइम क्यों बनाया"

     

     

     

    "यह उसके हेल्थ के लिए फायदेमंद है और उसकी नसों को भी आराम देगा है, तुम जाकर हीटिंग पैड गर्म करो, उसे करामपस हो रही होगी" जयराज ने उसे वही बताया जो उसने गूगल पर पढ़ा था । ।

     

     

     

    युवराज ने सिर हिलाया और हीटिंग पैड गर्म करना शुरू कर दिया था । ।

     

     

     

    तब तक ज्हानवी बेहद एंबेरेस महसूस करते हुए वॉशरूम से बाहर आ गई, समय- समय पर अपनी ड्रेस घुटनों से नीचे कर रही थी । ।

     

     

     

     युवराज ने उसे बिस्तर पर बैठाया और जयराज ने उसे सूप पिलाना शुरू किया, ज्हानवी की आँखों से आँसू बहने लगे, इसलिए वे दोनों घबरा गए थे । ।

     

     

     

    "क्या हुआ जहान्वी, क्या बहुत दर्द हो रहा है" युवराज ने चिंतित होकर पूछा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने सिर हिलाकर मना कर दिया और उसे गले लगाकर रोने लगी थी । । 

     

    "किसी ने मेरे लिए इतना कुछ नहीं किया, लेकिन आप दोनों मेरी कितनी देखभाल कर रहे हो, मैं गोविंद जी की बहुत आभारी हूँ" ज्हानवी ने उसके सीने में प्यार से बुदबुदाया, जिससे वे दोनों मुस्कुरा उठे थे । ।

     

     

     

    "यह मैं ही था ज्हानवी जिसने तुम्हें इस शादी के लिए मजबूर किया, तुम्हारे गोविंद जी ने नहीं"  जयराज ने गर्व से कहा था । ।

     

     

     

    उन्होंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया,  ज्हानवी ने अपना चेहरा युवराज की चेस्ट में छिपा लिया और उसने उसके बालों को सावधानी से सहलाना शुरू कर दिया, जयराज भी उसके के पीछे लेट गया और पीछे से उसकी पीठ की मालिश करने लगा था । ।


    और वे उसी तरह सो गए, पहले विराज, फिर युवराज, फिर ज्हानवी और फिर जयराज,  कोनों में लेटे हुए थे । ।

     



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  • 9. Triplets's Wife - Chapter 9

    Words: 1833

    Estimated Reading Time: 11 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    ज्हानवी ने सिर हिलाकर मना कर दिया और उसे गले लगाकर रोने लगी थी । । 


    "किसी ने मेरे लिए इतना कुछ नहीं किया, लेकिन आप दोनों मेरी कितनी देखभाल कर रहे हो, मैं गोविंद जी की बहुत आभारी हूँ" ज्हानवी ने उसके सीने में प्यार से बुदबुदाया, जिससे वे दोनों मुस्कुरा उठे थे । ।


    "यह मैं ही था ज्हानवी जिसने तुम्हें इस शादी के लिए मजबूर किया, तुम्हारे गोविंद जी ने नहीं"  जयराज ने गर्व से कहा था । ।

    उन्होंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया,  ज्हानवी ने अपना चेहरा युवराज की चेस्ट में छिपा लिया और उसने उसके बालों को सावधानी से सहलाना शुरू कर दिया, जयराज भी उसके के पीछे लेट गया और पीछे से उसकी पीठ की मालिश करने लगा था । ।

    और वे उसी तरह सो गए, पहले विराज, फिर युवराज, फिर ज्हानवी और फिर जयराज,  कोनों में लेटे हुए थे । ।

    । । और अब आगे पढें । ।

    । । सुबह का टाइम । ।

    ज्हानवी ने धीरे -धीरे अपनी आँखें खोली और युवराज की ओर देखा जिसका चेहरा उसके बहुत करीब था, उसकी सुस्त साँसें उसके चेहरे पर पड़ रही थीं, जिससे वह शरमा गई और फिर उसे अपनी पोजीशन का एहसास हुआ कि वह अपने पति की गर्मी के बीच कैद है, जयराज के पैर उसकी खुली टाँगों में उलझे हुए हैं क्योंकि उसकी नाइटी शोर्ट है । ।


    कड़ी मेहनत करने के बाद वह उनकी बाहों से बाहर आई, बिस्तर के पास खड़ी होकर, कुछ देर तक अपने पतियों को  एडमायर करती रही थी । ।

    । । ज्हानवी का P O V । ।

     
    उनसे शादी करते टाइम, मैंने सोचा था कि मैं अपनी  लाइफ का सेकरेफाइज कर रही हूँ लेकिन कैसे गोविंद जी ने मुझे इतना सुंदर इनाम दे दिया, मैं बहुत लक्की हूँ कि मेरे पतियों ने कल रात मेरे लिए जो किया वह मेरे लिए बिल्कुल अनप्रिडिक्टेबल  था, अब तक मैं एक पत्नी की जिम्मेदारी के रूप में उनकी ज़रूरतों को पूरा कर रही थी लेकिन अब मैं उन्हें अपने दिल की गहराई से प्यार करने की कोशिश करूँगी, मुझे लगता है कि शायद मैं उनसे प्यार करने लगी हूँ । ।

    हाँ मैं अपने पतियों से प्यार करने लगी हूँ । ।


    । । P O V समाप्त । ।


    ज्हानवी विराज के बगल में बैठी थी और उसने अपने पति के बालों को बड़े प्यार से सहलाया और उसके माथे को चूमा, तभी उसकी नज़र उन बैग्स पर पड़ी जिनमें कल रात युवराज के खरीदे गए सैनिटरी नैपकिन थे, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं क्योंकि उसने लगभग पूरी दुकान ही खरीद ली थी, वह हैरानी में अपना सिर हिलाती हुई वॉशरूम चली गई थी । ।

    उसने डार्क ब्राउन कलर की साड़ी पहनी थी । ।

    आज वह अपनी पूजा  दूर से कर रहीं है क्योंकि वह अपने पीरियड्स में है, अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती है और फिर एक कप चाय का आनंद लेने के बाद उनके लिए नाश्ता तैयार करना शुरू कर देती है । ।

    युवराज भी जाग जाता है और अपने सुबह के काम करता है और मंदिर में आता है (अगर आपको याद हो तो युवराज  ओरथोडोकस है और ज्योतिष में बहुत विश्वास करता है) 

    उसके बाद वह रसोई की ओर बढ़ता है और ज्हानवी को गले लगाता है और वह पेहले तो डर जातीं है और फिर गहरी शर्मिंदगी के साथ नीचे देखती है । ।


    "अब तुम कैसी हो जान" युवराज ने उसके गीले बालों में अपना चेहरा रगड़ते हुए पूछा था । ।

    "Fine , ओफ कोरस  क्योंकि  मेरे पति मेरा इतना ख्याल जो रखते हैं इसलिए मैं बहुत सेंटर फिल कर रही हुं " ज्हानवी मुड़ी और अपने हाथों को उसके गले में डाल दिया और उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी । ।

     "अच्छा जी" युवराज ने उसे पूछा था । ।


    "हांजी" या आप....

     युवराज ने उसे अपनी  बात पूरी भी नहीं करने दिया, उसके होंठों से अपने होंठ से केप्चर किया, और उसके एसस चिक्स को चुटकी में दबाया जिससे वह हांफने लगी, उसने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी, उसके मुंह को टटोला, उसकी जीभ लिक कि , वह अपनी जगह पर कांप उठी थी । ।


    युवराज के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे, उसके ब्लाउज की डोरी से खेल रहे थे । ।


    रसोई के पास से गुजर रहे जयराज ने  उनकी आवाज़ सुनी  और रसोई की ओर मुड़ गया, उसकी नज़र ज्हानवी की खुली पीठ पर पड़ी जो उसकी के सामने की तरफ थी, लंबे कदमों के साथ वह उसकी ओर बढ़ा और पागलों की तरह उसकी पीठ चूमने लगा था । ।


    ज्हानवी बस अपने पति की रहमों  कर्म के चाकू पर दया के लिए खड़ी थी । ।


    कुछ देर में युवराज उसका मुँह खा रहा था और दूसरी तरफ जयराज उसकी पीठ और वह अपने पतियों के हवाले हो रही थी । ।

    ज्हानवी के प्लेजर का लेवल उनके हर मुव पर बढ़ता जा रहा था । ‌।

    विराज अपनी नींद से जागा और उसने देखा कि उसके आस-पास कोई नहीं है, उसने रोते हुए मुँह बनाया और डर के मारे कमरे से बाहर भाग आया था । ।


    वह नीचे की ओर चला आया, पूरे लिविंग एरिया में घूमता रहा, फिर वह रसोई में भी गया और सामने का सिन देखकर रुक गया, उसे लगा जैसे उसके अंदर कुछ हो रहा है, अपने भाइयों को अपनी पत्नी के साथ रोमांस करते  हुए देख रहा है, उसने कुछ मिनटों तक कोई रिस्पांस नहीं की और सब कुछ देखता रहा था । ।

     जयराज के हाथ ज्हानवी की नाभि के इर्द -गिर्द घूम रहे हैं, उसने उसकी नाभि में अपनी उंगली घुसा रहा हैं, ज्हानवी कराह रही है जिससे वह हार्ड हो गया है, जयराज के हाथ नाभि से उपर की दिशा में चलते हैं और ज्हानवी के कपड़ों के ऊपर से उसके स्तन**  को थाम लेते हैं । ।

    "I need some more time "

    "मुझे थोड़ा और टाइम चाहिए" ज्हानवी ने बड़बड़ाते हुए कहा था । ।


    युवराज ने अपने बालों में उंगलियाँ फिराईं, जिससे उसके हॉरमोन शांत हो गए, जिसके बाद जयराज ने अपनी मुट्ठी भींची और पीछे से उसके कंधे को काट लिया था , अपना गुस्सा दिखाते हुए, वह  बाहर चला गया, युवराज भी  ज्हानवी की ओर मुस्कुराया और उसके गाल थपथपाते हुए बाहर चला गया, उसने विराज के बालों को भी बिखेर दिया जो अब तक दरवाजे पर  पत्थर की तरह खड़ा था । ।


    युवराज और जयराज के जाने के बाद, विराज  ज्हानवी की ओर बढ़ा और कंधे के उस हिस्से को छुआ जहाँ जयराज ने काटा था । ।


    "क्या दर्द हो रहा है?" ज्हानवी ने उसका  सिर ना में हिलाते हुए मुस्कुराई थी । ।


    मेरे दोनों भाई तुम्हें क्यों खा रहे थे जानूं?, उन्होंने तुम्हें क्यों चोट पहुँचाई । ।


    ज्हानवी ने अपनी आँखें चौड़ी कर लीं क्योंकि विराज पहले ही उनका रोमांस देख चुका था । ।


    नहीं बेबी उन्होंने मुझे नहीं खाया, उम्म.... .वे अपना प्यार दिखा रहे थे । ।


     विराज ने अपना सिर हिलाया और अपना सिर उसके कंधे पर रखा, उसकी आँखें अभी भी नींद में थीं, ज्हानवी ने कुछ देर के लिए उसके बालों को सहलाया और फिर उसे पास की कुर्सी पर बैठा दिया था । ।


    अपने पति के लिए नाश्ता तैयार करना शुरू कर दिया था । । विराज उसके पल्लू के किनारे से खेलना शुरू कर देता है, कभी खुद को उसके ऊपर फेंकता है, कभी जीतता है और कभी छोटे बच्चे की तरह छोटीज्ञ-छोटी बातों के बारे में पूछता है, ज्हानवी बस एक सुंदर मुस्कान के साथ उसे जवाब दे रही है । ।
     

    "ठीक है नाश्ता तैयार है आओ मैं तुम्हें नहलाती हूँ" वह आलसी विराज को अपने कमरे में खींच ले गई थी । ।


    उसे गर्म पानी से नहलाने के बाद, वह उसे तैयार कर रही थी जब जयराज हमेशा गुस्से में रहने वाले चेहरे के साथ आया था ।

    "ज्हानवी मेरा लेपटॉप कहाँ है, तुमने देखा?"


    "रुको मैं देखती हूँ" ज्हानवी तेजी से विराज के बाल बनाती है और युवराज के कमरे की ओर भागती है, युवराज उसी चिढ़चिढ़े चेहरे के साथ उसके पीछे चलता है । ।


    ज्हानवी ने अलमारी खोली और उसका लेपटॉप ढूँढना शुरू किया था । ।

    "ओह देखो यह यहीं है" जयराज ने अपना लेपटॉप उठाया जो उसकी गलती से सोफे पर पड़ा था । ।


     "आप भी बिल्कुल ध्यान से नहीं देखा, देखिये यहीं तो था" ज्हानवी ने कहा था । ।

    "ummm.... .hm...  sorry "


    उम्म.. ...हम्म. ..सॉरी"  जयराज ने सिर हिलाया था । ।


    ज्हानवी कुछ कहने जा रही थी कि युवराज कमरे में दाखिल हुआ और अपने थ्री पीस सूट में बहुत हॉट लग रहा था, उसकी टाई लटक रही थी और उसके आधे बटन खुले हुए थे, उसके बिखरे बाल उसके माथे पर गिर रहे थे । ।


    "ज्हानवी क्या तुमने मेरी ब्लू फाइल देखी है, प्लीज मुझे बताओ"  ज्हानवी ने अविश्वास से उसकी ओर देखा और  उसकी फाइल ढूँढने के लिए उसके कमरे की ओर बढ़ी तभी विराज भी आ गया और रोने लगा था । ।


     "जानूं मुझे बुक्की लगी है" । ।


    "बस बेबी अभी मैं आपको नाश्ता कराती हूँ" और तेजी से उसकी फाइल ढूँढ़ने लगी थी । ।

    उसकी फाइल ढूँढ़ने के बाद, उसने राहत की साँस ली, उसे फाइल देते हुए, उसने विराज को डाइनिंग टेबल की ओर खींचा था । ।

    जब उसे अचानक ऐंठन महसूस हुई और  उसके मुंह से "आह्ह" नीकल गई थी । ।


    जयराज और युवराज उसके पास आए और उसकी दर्द से सिकुड़ी हुई भौंह देखकर घबरा गए थे । ।


     "ज्हानवी तुम इतना काम क्यों कर रही हो तुम्हें लेना चाहिए.... . (विराम के बाद) सॉरी जान हमें तुम पर इतना दबाव नहीं डालना चाहिए, हमें तुम्हारा ख्याल रखना चाहिए और यहाँ हम तुम्हें परेशान कर रहे हैं" युवराज ने कहा था । ।


    ज्हानवी ने तुरंत उसका चेहरा सहलाया "कोई बात नहीं, तुम्हारा ख्याल रखना भी मेरी जिम्मेदारी है, मुझे यह अच्छा लगता है । ।"

    और तुम्हारा ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है । ।" जयराज ने कहा था । ‌।

     
    उसे दुल्हन की तरह गोद में उठाकर अपने कमरे में ले जाता है और उसे बिस्तर पर लिटाकर कंबल ओढ़ा देता है । ।


    जान हम नाश्ता कर लेंगे और विराज को भी खिलाएँगे, तुम्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, बस आराम करो । ।

    उसके पेट पर हीटिंग पैड रखकर, उसके कमरे की लाइट बंद करके, वे बाहर चले जाते हैं । ।

     
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  • 10. Triplets's Wife - Chapter 10

    Words: 2264

    Estimated Reading Time: 14 min

    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

     

     

    और तुम्हारा ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है । ।" जयराज ने कहा था । ‌।

     

    उसे दुल्हन की तरह गोद में उठाकर अपने कमरे में ले जाता है और उसे बिस्तर पर लिटाकर कंबल ओढ़ा देता है । ।

     

    जान हम नाश्ता कर लेंगे और विराज को भी खिलाएँगे, तुम्हें टेंशन लेने की जरूरत नहीं है, बस आराम करो । ।

     

    उसके पेट पर हीटिंग पैड रखकर, उसके कमरे की लाइट बंद करके, वे बाहर चले जाते हैं । ।

     



    । ‌। और अब आगे पढें । ।

     

    ज्हानवी अपने कमरे में आराम कर रही थी जब विराज उसके पास आया और धीरे से कोई शोर न मचाने की कोशिश की क्योंकि उसके भाई पहले ही ऑफिस जा चुके थे, लेकिन उन दोनों ने उसे ज्हानवी को परेशान न करने की वोरनिंग दी थी । ।

     

     

     

    विराज धीरे से उसके बगल में लेट गया और उसे हल्के से गले लगा लिया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने उसे पहचान लिया और उसे अपनसे  सिने से और कसकर गले लगा लिया और उसके बालों को सहलाया था । ।

     

     

     

    "जानूं तुम जाग गई" विराज ने उसकी हरकत को महसूस करते हुए पूछा था । ।

     

     

     

    "हाँ बेबी आपने नाश्ता किया? ( विराज ने सिर हिलाया) ठीक है फिर थोड़ा आराम करो" ज्हानवी ने फिर से उसे गले लगाया लेकिन वह आराम करने के मूड में नहीं था, इसलिए बिस्तर पर बैठ गया और उसे भी बैठा दिया था । ।

     

     

     

    " जानूं तुम्हें अब दर्द तो नहीं हो रहा है ना?"

     

     

     

    ज्हानवी ने उसकी चिंता पर मुस्कुराई और सिर हिलाकर मना कर दिया था । ।

     

     

     

    "तो फिर हम खेलेंगे" विराज ने एक्साइटेड होकर कहा था । ‌

     

    ज्हानवी ने सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी को  फोन कोई मेसेज मिला तो विराज मुस्कुराया और अपने कमरे में भाग गया था । । 

     

    jaan how are you feeling now ?"

     

    "जान अब तुम्हें कैसा लग रहा है?" युवराज का मेसेज आया था । ।

     

    अब अच्छा लग रहा है । । ज्हानवी ने रिप्लाई किया था । ।

     

    "ठीक है ज्हानवी मेरा दोस्त शाम को आ रहा है, क्या तुम कंफरटबल हो, अगर तुम्हें कोई परेशानी हो तो"

     

     

     

    नही, नहीं कोई बात नहीं, उसका वैलकम है, मुझे कोई परेशानी नहीं है । । ज्हानवी ने रिप्लाई किया था । ।

     

     

     

     "ठीक है जान, थैंक यू और अपना ख्याल रखना, ठीक से आराम करना । । 

     

     

     

    जी । ।

     

     

     

    भले ही जहान्वी को कोई परेशानी नहीं है, लेकिन वह थोड़ा डरी हुई है कि उसका दोस्त तीन लड़कों से उसकी शादी को कैसे जज करेगा । ।

     

     

     

    जब विराज वापस आया तो वह अपने ख्यालों से वापस आई, लेकिन उसके जैस्चर ने उसे हैरान कर दिया था । ।

     

    हाँ  विराज ने उसके होंठों को चूमा था । ।

     

     

     

    "बेबी तुम्हें यह किसने सिखाया" ज्हानवी ने उसके गालों को सहलाते हुए पूछा था । ।

     

     

     

    "भाई ने भी तुम्हें यहाँ चूमा है, इसलिए मैंने भी"

     

     

     

    ज्हानवी ने मछली की तरह अपना मुँह खोला और बंद किया और फिर शरमा गई थी । ।

     

     

     

    "जानूं चलो खेलते हैं"  विराज ने कहा और ज्हानवी ने सिर हिलाया और उसके साथ खेलना शुरू कर दिया था । ।

     

    लगभग आधे घंटे के बाद, विराज बोर हो रहा था, इसलिए उसने खेल को बीच में ही छोड़ दिया और खुद को उसके ऊपर फेंक दिया,  ज्हानवी भी बिस्तर पर पीठ टिकाकर बैठ गई और विराज उसे एक छोटे बच्चे की तरह गले लगा रहा था, उसका चेहरा उसकी बड्स पर था, पैर उसकी जांघों पर थे और उसकी उंगलियों से खेल रहा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी बस प्यार से उसके बालों को सहला रही थी । ।

     

     

     

    कुछ देर बाद विराज ने उसके बाएं स्तन**  को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया जिससे वह चौंक गई थी । ।

     

     

     

    "बेबी अब तुम्हें यह किसने बताया" उसने उसके हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन विराज बहुत जिद्दी था और उसने उसे नहीं छोड़ा था । ।

     

     

     

    "भाई ने भी अपना हाथ यहाँ रखा है तो मैं भी रखुगा" विराज ने कहा था । । 

     

    ज्हानवी, विराज के सामने रोमांस करने के लिए अपने पतियों को कोस रही थी । ।

     

     

     

    लेकिन कोई सोल्यूशन न होने की  वजह से वह ऐसे ही रही लेकिन अंदर ही अंदर वह बहुत तितलियों का एक्सपिरियंस कर रही थी, क्योंकि यह पहली बार है जब कोई उसे इस तरह छू रहा था । ।

     

    " Janu why are you so fatty "

     

    "जानूं तुम इतनी मोटी क्यों हो"  विराज ने मुंह बनाया और उसके भारी स्तन**  को दबाया था । ।

     

     

     

     ज्हानवी की आंखों में आंसू भर आए क्योंकि जब भी कोई उसके मोटापे की ओर इशारा करता है तो वह रोने लगती थी और अब उसका पति उसके फिगर पर कमेंट कर रहा है और ऊपर से उसके पीरियड्स के मूड स्विंग्स आग में घी डालने का काम कर रहे हैं । ।

     

    " जानूं तुम क्यों रो रही हो"  विराज ने उसे रोता हुआ देखकर पूछा था । ।

     

    you called me fatty *

     

    "अपने मुझे मोटी कहा" ज्हानवी ने सिसकते हुए कहा था । ।

     

    "No you are not fatty, it's just your chest is fatty "

     

    "नहीं तुम मोटे नहीं हो, बस तुम्हारी चेस्ट मोटी है"  विराज ने उसके आंसू पोंछे और मुंह बनाया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी को राहत महसूस हुई लेकिन अगले ही पल उसके कहने का मतलब समझकर वह शरमा गई थी । ।

     

     

     

    कार के हॉर्न से बातचीत बंद हो गई, ज्हानवी ने दरवाजा खोलने गई और विराज उसकी साड़ी का पल्लू पकड़कर उसके पीछे चला गया था । ।

     

     

     

    दरवाजा खोलने के बाद उसने युवराज और जयराज का उनके दोस्त और उसकी पत्नी के साथ वैलकम किया था । ।

     

     

     

    ज्हानवी उनके लिए पानी का गिलास लाने गई थी । ।

     

     

     

    "ज्हानवी यह मेरा दोस्त कबीर और उसकी पत्नी नव्या और उनका बच्चा अबीर है" । । युवराज ने कहा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने उन्हें गर्मजोशी से देखा और मुस्कुराई थी । ।

     

     

     

    "कबीर वह हमारी पत्नी ज्हानवी है" जयराज ने कहा था । ।

     

     

     

    "हैलो ज्हानवी" नव्या ने उसे देखकर कहा था, क्योंकि वह राहत की सांस ले रही थी । । क्योंकि वह इस बात को लेकर चिंतित थी कि वे उसे कैसे जज करेंगे । । 

     

     

     

    "हाय" ज्हानवी ने शर्म से कहा था । । 

     

     

     

    "तुम लोग लक्की हो कि तुम्हें इतनी मासूम पत्नी मिली है, वरना मेरी पत्नी को देखो" कैबीर ने नव्या से थप्पड़ खाते हुए कहा था । । 

     

     

     

    दूसरी तरफ विराज अबीर के ध्यान की वजह से सबसे खुश था । । 

     

     

     

    "जानूं क्या मैं उस बच्चे के साथ खेल सकता हूँ"  विराज ने उसके कान में कहा था । । 

     

     

     

    ज्हानवी ने मुस्कुराकर नव्या से बच्चे के लिए पूछा, नव्या ने उसे अबीर दिया और माफ़ी मांगते हुए अबीर और विराज के साथ उनके कमरे की ओर चली गई, उसने अबीर को विराज के साथ बिस्तर पर लिटा दिया था । ।

     

     

     

    "अगर वह रोएगा तो मुझे नीचे बता देना"

     

     

     

    विराज ने सिर हिलाया और ज्हानवी नीचे चली गई थी । ।

     

     

     

    उसने उन्हें खाने की मेज पर नाश्ता और कॉफी परोसी थी । । 

     

     

     

    "भाभी तुमने बहुत बढ़िया खाना बनाया है" कैबीर ने उसकी तारीफ की थी । । 

     

     

     

    "थैंक यू" ज्हानवी ने शर्म से कहा था । । 

     

    "हाँ, वह बहुत टेस्टि खाना बनाती है, कभी- कभी मुझे हैरानी होती है कि एक दिन मैं उसके हाथ खा जाऊँगा" जयराज ने कहा और ज्हानवी को आँख मारी थी । ।

     

     

     

    "भाई, अगर तुम उसके हाथ खा जाओगे तो जानूं मुझे  खाना कैसे खिलाएगी"  विराज ने पीछे से रोते हुए अबीर लेकर कहा था । ।

     

     

     

    नव्या ने तुरंत अपने बच्चे को गोद में लिया और ज्हानवी के कानों में पूछा "ज्हानवी क्या तुम मुझे एक कमरा दिखा सकती हो, मुझे उसे अपना दूध पिलाना है" ज्हानवी ने सिर हिलाया था । ।

     

     

     

    वे दोनों ऊपर चले गए और विराज फिर उनके पीछे चला गया था । ।

     

     

     

    नव्या ने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, जिससे विराज भौंचक्का रह गया था । ।

     

     

     

    "जानूं उसने दरवाजा क्यों बंद किया, मुझे बच्चे से बात करनी है" विराज ने फुसफुसाते हुए ज्हानवी को हँसाया था । ।

     

     

     

    "वह उसे अपना दूध पिला रही है बेबी"

     

     

     

    "लेकिन दूध तो रसोई में है, फिर वह उसे कहाँ से पिला रही है" विराज ने मुँह बनाया था । ।

     

     

     

     

     

    "छोटे बच्चे के दांत नहीं होते इसलिए उनकी माँ उन्हें चेस्ट से दूध पिलाती है, ठीक है" ज्हानवी ने उसे समझाने की कोशिश की थी । ।

     

     

     

    विराज ने कुछ देर सोचा और फिर सिर हिला दिया था । ।

     

    । । रात में । ।

     

     

     

    कबीर के जाने के बाद, उन्होंने शांति से खाना खाया और अब वे सोने के लिए तैयार हैं, लेकिन जयराज और युवराज को किसी ज़रूरी काम से तुरंत ऑफ़िस जाना पड़ा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी उनका इंतज़ार कर रही है, ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बालों में कंघी कर रही है, विराज बिस्तर पर बैठा ज्हानवी के आने का इंतज़ार कर रहा था । ।

     

     

     

    "जानूं" विराज ने कराहते हुए कहा था । ।

     

     

     

    "आई बेबी" ज्हानवी ने कहा था । ।

     

     

     

    और बिस्तर की ओर बढ़ गयी, लेट गयी और विराज ने तुरंत उसे गले लगा लिया और अपना चेहरा उसकी चेस्ट में छिपा लिया और उसकी कुर्ती डोरी से खेलना शुरू कर दिया जो उसके सामने की तरफ़ थी । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने लॉरी  गुनगुनायी और उसके बालों को सहलाया जब विराज ने उसे फिर से"जानूं" कहा था । । 

     

     

     

    ज्हानवी ने अपनी आँखें बंद करते हुए गुनगुनाया था । ।

     

    हम्म...

     

    "मुझे भी फीडी चाहिए"

     

     

     

    क्या तुम्हें भूख लगी है बेबी

     

     

     

    उसने उसके बालों को सहलाते हुए पूछा था । ।

     

    मुझे यह दूध चाहिए उसने  ज्हानवी के स्तन**  की ओर इशारा करते हुए कहा था । ।

     

     

     

    ज्हानवी झटके से बिस्तर पर बैठ गई, विराज भी उसके साथ बैठ गया था । ।

     

     

     

     "जानूं तुमने मुझसे कहा था कि माँ बच्चे को दूध पिलाती है लेकिन मेरी माँ नहीं है... उसने रूहांसी आवाज में कहा और अंत में फूट-फूट कर रोने लगा था । । 

     

     

     

    ज्हानवी ने उसकी आँखों में देखा जो इतने लंबे टाइम से अपनी माँ का इंतज़ार कर रहा है जो  कभी वापस नहीं आएगी, यह सिर्फ़ उसकी इमोशन हैं जो उसके बचकानेपन में व्यक्त हो रही हैं । ।

     

     

     

    ज्हानवी ने तुरंत उसे अपने सीने से लगा लिया था । ।

     

     

     

    "बेबी किसने कहा कि तुम्हारी माँ नहीं है, मेरी तरफ़ देखो तुम मेरे बेबी हो, मैंने तुम्हें बेबी ना कहा ( विराज ने सिर हिलाया) तो इसका मतलब है कि मैं तुम्हारी .....  पत्नी हुं । ।"  ज्हानवी ने कहते  हुए अटक गई थी क्योंकि वह अपनी सास की जगह नहीं लेना चाहती थी । ।

     

     

     

    उसे खुद नहीं पता कि वह ऐसा क्यों कह रही है लेकिन वह उसे खुश करके खुश थी और बात यह है कि वह हमेशा उससे प्यार करती है, एक बच्चे की तरह उसकी देखभाल करती है, उसने उसे अपना पहला बेबी टैग देने में ज़रा भी संकोच नहीं किया था । ।

     

     

     

    "सच में?" विराज ने अपने हाथों के पिछले हिस्से से अपने आँसू पोंछते हुए पूछा था । ।

     

    ज्हानवी ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और फिर से अपनी पिछली स्थिति में लेट गई और पार्थ को भी अपने ऊपर खींच लिया।

     

     

     

    "तो तुम मुझे दूध पिलाओगी जानूं"

     

     

     

    उसने आगे कहा "तुम्हारा दूध"

     

     

     

    विराज ने कहा जिससे ज्हानवी की सांस अटक गई, उसने कभी इस लेवल के बारे में नहीं सोचा था । ।

     

     

     

    "नहीं.....  बेबी अब आप बड़े हो गए हो, और मम्मी का दूध तो छोटू बेबी पीता है ना" ज्हानवी ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन विराज जिद्दी होने की वजह से लगातार सिर हिलाता रहा था । ।

     

     

     

    वह जहान्वी  कि ना महसूस करते हुए रोने लगा "जा... नू .तुम. ..वि ... रा जो को पिया ..अर. ..नहीं. ..कर.. .ती मैं भाई... से... कम्प.. लाई.. न करूँगा" उसने अपनी सिसकियों के बीच कहा था । ।

     

     

     

    * तुम विराज से प्यार नहीं करती, मैं भाई से शिकायत करूँगा *

     

     

     

    ज्हानवी ने हेल्पलेस होकर आह भरी थी । ।

     

     

     

    विराज  जी तो युवराज जी से भी ज्यादा जिद्दी हैं, अब उन्हें मां का दूध चाहिए, मैं कैसे पिला सकती हूं.?  मुझे कोई बहाना बनाना होगा । । ज्हानवी ने सोचा था । ।

     

    "ठीक है लेकिन मैं तुम्हें 1 -2 दिन बाद दूध पिलाऊँगी" । ।

     

     

     

    इस बार विराज ने उसकी हालत पर सिर हिलाया, उसकी आँखों में खुशी की चमक थी जो ज्हानवी को खुश कर रही थी । ।

     

     

     

    उसने खुशी से उसे गले लगाया, अपना चेहरा उसकी चेस्ट में दबाया, उसके बाएँ स्तन**  को अपनी मुट्ठी में लिया जिससे ज्हानवी शरमा गई, कुछ ही देर में वह उसकी गर्मी महसूस करते हुए सो गया था । ।

     

     

     

     ज्हानवी ने अपने दो ओर पतियों के  इंतजार में उसके बालों को सहलाया, तीन पतियों को संभालना मुश्किल  है । । ओंर बच्चे जैसे पति को संभालना ओर ज़्यादा मुश्किल । । ।

     



    अगर स्टोरी में ब्रे  स्ट फीडिंग वाले सीन एडड हो तो आप लोग कंफरटबल हो??? 

     

    क्योंकि मैं शयोर नहीं हुं ? हो सकता है कि इस बुक की भी कोई रिपोर्ट कर दें? 

     

    तो आप मुझे सजेशन दे सकते हैं । ।

     

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  • 11. Triplets's Wife - Chapter 11

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min




    अपने दूसरे पतियों की कार के हॉर्न से उसने अपना सिर हिलाया, टाइम  रात का 1 बज रहा था, वह उन पर बहुत गुस्सा थी कि उन्होंने उसे इतनी देर तक इंतजार करवाया था । । लेकिन सवाल यह है कि क्या वह अपने गुस्सैल पतियों पर गुस्सा कर सकती है । ।

    हार की आह भरते हुए वह नीचे गई और अपने दूसरे पतियों की ओर देखा जो अपन  ओफीस वेयर में बहुत ही हेंडसम दिख रहे थे और इसके अलावा उनके बिखरे हुए बाल और थका हुआ चेहरा उन्हें और भी अट्रैक्टिव बना रहा था, वह शरमा गई और शर्मीली नज़र से उनकी ओर देखा क्योंकि वह जानती थी कि जब वे आमतौर पर ऑफिस से वापस आते थे तो वे उसे गले लगाते थे । ।

    "ज्हानवी क्या तुम मुझे एक गिलास पानी दे सकती हो" जय ने थके हुए सोफे पर बैठते हुए कहा, अपना सिर पीछे फेंका और युव  के साथ भी ऐसा ही हुआ था । ।


    ज्हानवी ने उनके  खुद से गले न मिलने पर भौंहें सिकोड़ीं लेकिन सिर हिलाया और पानी लेने रसोई में चली गई और उनके लिए कॉफी बनाई थी । ।

      "क्या मैं उनके मुझे गले लगने की आदी हो गई हुं" ज्हानवी ने सोचा था । ‌।

    "ज्हानवी मैं आज अपने पर्सनल बेडरूम में सोऊंगा, दरअसल मुझे अपना काम पूरा करना है और इससे तुम्हारी नींद में खलल पड़ेगा हम्म" जय ने उसके गाल थपथपाए और अपने कमरे में चला गया था । ।


    युव भी उनके कमरे में चला गया और उदास जहान्वी को पीछे छोड़कर सो गया था । ।


    ज्हानवी की आँखों में आँसू की परत जम गई, उसे नहीं पता कि वह इतनी रिएक्ट क्यों कर रही है, लेकिन उसे दुख हुआ था । ।

    वह भी अपने कमरे में चली गई, विराज और युवराज के बीच लेट गई थी । ।

    विराज ने तुरंत उसकी बाहों में लिपट गया और "जानूं " कहते हुए उसे मंद -मंद मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था । ।

    । । अगली सुबह । ।

    ज्हानवी अपनी नींद से जाग गई, खिड़की से आती धूप के कारण, वह मुँह फुलाती हुई सो गई और उनके लिए कुछ स्वादिष्ट बनाने के बारे में सोचने लगी थी । ।

    उसने अपने होंठ काटे, यह सोचते हुए कि उसके पति उसकी कुकिंग स्किल्स की कितनी तारीफ करते हैं । ।

    खुद पर मुस्कुराते हुए वह फ्रेश होने के लिए वॉशरूम चली गई, एक सिंपल साड़ी पहनकर बाहर आई थी । ।







    वह सीधे रसोई में गई, उसके लिए चाय बनाने लगी और नाश्ते के लिए सब्जियाँ काटने लगी, तभी उसकी नज़र फ्रिज से चिपके नोट पर पड़ी थी । ।

    उसने उसे भौंहें सिकोड़ते हुए बाहर निकाला।

    "बेबी हम जल्दी ही ऑफिस जा रहे हैं और हम अपना नाश्ता ऑफिस में ही करेंगे, आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं  है । । अपना और विराज का ख्याल रखना"
    By Your Monster Husband ❤️ ❤️


    ज्हानवी "मॉन्स्टर हस्बैंड" को पढ़ कर शरमा गई, वह अच्छी तरह जानती है कि जय ने उसे चिढ़ाने के लिए यह लिखा है और वह याद दिलाती है कि कैसे उसने उसे बेबी कहने के बजाय "मॉन्स्टर" नीक नेम दिया था । ।

    वह हँसी, लेकिन फिर से यह सोचकर उसकी मुस्कान गायब हो गई कि वे ओफीस चले गए हैं । ।

    "क्या वे मुझे इग्नोर करने की कोशिश कर रहे हैं"

    उसने अपने विचारों को फेंक दिया और वह अपने और विराज के लिए नाश्ता तैयार करने लगी थी । ।
    "मेरे बेबी को बुखार है"

     

    "विराज जी उठो बच्चे तुम्हें बुखार है, आओ कुछ खाओ, फिर मैं तुम्हें दवाई दूँगी । ।" थर्मामीटर ढूँढ़ने में बिजी ज्हानवी बोली थी । ।

     

    "जानूं" विराज बड़ी मुश्किल से उठा और हाथ से उसे अपने पास आने का इशारा किया था । ।

     

    ज्हानवी ने विराज की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर दर्द था, उसका दिल टूट गया था । ।

     

    थर्मामीटर ढूँढ़ने के बाद ज्हानवी तुरंत उसके पास गई, उसका सिर अपनी गोद में लिया, उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिराईं थी । ।

     

    "जानूं दर्द हो रहा है..." विराज ने सिसकते हुए अपना चेहरा उसके पेट में दबा लिया था । ।

     

    "ठीक है, जल्दी ही ठीक हो जाएगा, मेरा बच्चा स्ट्रोंग है ना (विराज ने मुँह बनाते हुए सिर हिलाया)"

     

    ज्हानवी ने उसका टेम्परेचर जाँचा, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं क्योंकि उसे तेज़ बुखार था । ।

     

     "बेबी उठो" उसने बड़ी मुश्किल से उसके आधे शरीर को अपनी गोद में बैठाया और उसे हॉट चॉकलेट मिल्कशेक पिलाना शुरू किया, लेकिन आज विराज बहुत ज़्यादा नखरे कर रहा है जिससे उसे संभालना मुश्किल हो रहा था । ।

    "बास, आज और नहीं जानूं आज बहुत कड़वा है"  विराज ने चेहरे बनाए और अपना चेहरा उसके सीने में छिपा लिया था । ।

     

    "बेबी बास जानूं के लिए थोड़ा और" विराज ने तुरंत उसकी आँखों की ओर देखा, फिर फिर से चेहरा बनाया लेकिन थोड़ा पी लिया था । ।




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    "बेबी उठो" उसने बड़ी मुश्किल से उसके आधे शरीर को अपनी गोद में बैठाया और उसे हॉट चॉकलेट मिल्कशेक पिलाना शुरू किया, लेकिन आज विराज बहुत ज़्यादा नखरे कर रहा है जिससे उसे संभालना मुश्किल हो रहा था । ।

    "बास, आज और नहीं जानूं आज बहुत कड़वा है"  विराज ने चेहरे बनाए और अपना चेहरा उसके सीने में छिपा लिया था । ।

     

    "बेबी बास जानूं के लिए थोड़ा और" विराज ने तुरंत उसकी आँखों की ओर देखा, फिर फिर से चेहरा बनाया लेकिन थोड़ा पी लिया था । ।

     

    फिर उसने नाइटस्टैंड की ओर अपने हाथ बढ़ाते हुए उसे दवा दी थी । ।
    "बेबी उठो" उसने बड़ी मुश्किल से उसके आधे शरीर को अपनी गोद में बैठाया और उसे हॉट चॉकलेट मिल्कशेक पिलाना शुरू किया, लेकिन आज विराज बहुत ज़्यादा नखरे कर रहा है जिससे उसे संभालना मुश्किल हो रहा था । ।

    "बास, आज और नहीं जानूं आज बहुत कड़वा है"  विराज ने चेहरे बनाए और अपना चेहरा उसके सीने में छिपा लिया था । ।

     

    "बेबी बास जानूं के लिए थोड़ा और" विराज ने तुरंत उसकी आँखों की ओर देखा, फिर फिर से चेहरा बनाया लेकिन थोड़ा पी लिया था । ।

     

    फिर उसने नाइटस्टैंड की ओर अपने हाथ बढ़ाते हुए उसे दवा दी थी । ।

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  • 12. Triplets's Wife - Chapter 12

    Words: 1368

    Estimated Reading Time: 9 min

    प्लीज मेरी न्यू स्टोरी " Professor s Mistress" जरूर पढें  । । आप इसे मेरी लाइब्रेरी में देख सकते हैं । ।

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    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    वह हँसी, लेकिन फिर से यह सोचकर उसकी मुस्कान गायब हो गई कि वे उससे मिले बिना ही ओफीस चले गए हैं । ।

    "क्या वे मुझे इग्नोर करने की कोशिश कर रहे हैं"

    उसने अपने ख्यालों को फेंक दिया और वह अपने और विराज के लिए नाश्ता तैयार करने लगी थी । ।

    "बेबी जल्दी उठो देखो मैंने तुम्हारे लिए टेस्टी चॉकलेट मिल्कशेक बनाया है" ज्हानवी अपने कमरे में घुसी और अपने आलसी सिर को जगाने की कोशिश की थी । ।

    उसने मिल्कशेक को टेबल पर रखा और उसके सिर के पास बैठ गई और मुस्कुराते हुए उसके बालों को सहलाया लेकिन उसकी मुस्कान जल्द ही उसकी जलती हुई त्वचा को छूते हुए गायब हो गई थी । ।

    "My baby is having fever "


    । । और अब आगे पढें । ।




    "मेरे बेबी को बुखार है"

     

    "विराज जी उठो बच्चे तुम्हें बुखार है, आओ कुछ खाओ, फिर मैं तुम्हें दवाई दूँगी । ।" थर्मामीटर ढूँढ़ने में बिजी ज्हानवी बोली थी । ।

     

    "जानूं" विराज बड़ी मुश्किल से उठा और हाथ से उसे अपने पास आने का इशारा किया था । ।

     

    ज्हानवी ने विराज की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर दर्द था, उसका दिल टूट गया था । ।

     

    थर्मामीटर ढूँढ़ने के बाद ज्हानवी तुरंत उसके पास गई, उसका सिर अपनी गोद में लिया, उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फिराईं थी । ।

     

    "जानूं दर्द हो रहा है..." विराज ने सिसकते हुए अपना चेहरा उसके पेट में दबा लिया था । ।

     

    "ठीक है, जल्दी ही ठीक हो जाएगा, मेरा बच्चा स्ट्रोंग है ना (विराज ने मुँह बनाते हुए सिर हिलाया)"

     

    ज्हानवी ने उसका टेम्परेचर जाँचा, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं क्योंकि उसे तेज़ बुखार था । ।

     

     "बेबी उठो" उसने बड़ी मुश्किल से उसके आधे शरीर को अपनी गोद में बैठाया और उसे हॉट चॉकलेट मिल्कशेक पिलाना शुरू किया, लेकिन आज विराज बहुत ज़्यादा नखरे कर रहा है जिससे उसे संभालना मुश्किल हो रहा था । ।

    "बास, आज और नहीं जानूं आज बहुत कड़वा है"  विराज ने चेहरे बनाए और अपना चेहरा उसके सीने में छिपा लिया था । ।

     

    "बेबी बास जानूं के लिए थोड़ा और" विराज ने तुरंत उसकी आँखों की ओर देखा, फिर फिर से चेहरा बनाया लेकिन थोड़ा पी लिया था । ।

     

    फिर उसने नाइटस्टैंड की ओर अपने हाथ बढ़ाते हुए उसे दवा दी थी । ।

     

    दवाई निगलने के बाद विराज ने अपना चेहरा उसकी साड़ी के अंदर छिपा लिया, अपना सिर उसकी चेस्ट पर रखकर, उसके ब्लाउज़ डिज़ाइन के साथ खेलना शुरू कर दिया था । ।

     

    जब उसने अनजाने में उसके ब्लाउज़ के ऊपर से उसके बाएं स्तन**  पर निप्पल**  एरिया को सहलाया तो ज्हानवी कांप उठी थी । ।

     

    नई फिलिंग को अनदेखा करते हुए, उसने जय को कॉल करने की कोशिश की लेकिन उसने कॉल काट दिया, फिर उसने विराज के बारे में उन्हें इंफोरम करने के लिए युवराज को कॉल करने की कोशिश की थी ।‌ ।

    "perks of having many husbands "

    " मल्टिपल पति होने के फायदे"

     

    तीसरी कॉल पर युवराज ने उसका कॉल उठाया था । ।

     

    कॉल  कन्वर्सेशन । ।

     

     ज्हानवी , मैं अभी बिजी हूँ अगर तुम्हें कुछ कहना है तो जल्दी बोलो । ।  युवराज ने जल्दी में कहा था । ।

     

    ज्हानवी ने सोचा कि उसे परेशान नहीं करना चाहिए । ।

    नहीं, ऐसा कुछ  खास नहीं है । ।

     

    युवराज ने बिना कुछ कहे फोन काट दिया था । ।

     

    ज्हानवी ने उनके बिहेवियर से हर्ट हुई, लेकिन उसने सोचा कि वे शायद किसी काम में बिजी होंगे । ।

    उसने  विराज के चारों ओर कंबल लपेटा और उसे अपनी बाहों में खींच लिया, उसके बालों को सहलाना शुरू किया, तभी विराज दर्द से कराह उठा था । ।

     

    “जानूं  दर्द हो रहा है”  विराज उसकी बाहों में सिसकियाँ लेने लगा था । ।

     

    “कोई बात नहीं बेबी, मेरा बेबी तो बहुत स्ट्रोंग है”  ज्हानवी ने उसे दिलासा देने की कोशिश की, लेकिन अंदर ही अंदर वह भी टेंशन में थी । ।

     

    “जानूं , मैं बहुत स्ट्रोंग हूँ न बिकुल भाई की तरह” विराज ने उसके पल्लू के अंदर से झाँकते हुए कहा, जिससे वह हँस पड़ी थी । ।

    "ठीक है अब सोने की कोशिश करो हम्म" ज्हानवी ने कहा और उसे अपने चारों ओर लपेट लिया और बिस्तर पर हेडरेसट की मदद से बैठ गई थी । ।

    विराज उसकी चेस्ट पर लेटा हुआ उसकी धड़कनों को संगीत की तरह सुनता हुआ कुछ देर में सो गया था । ।

     

    ज्हानवी भी कुछ टाइम के लिए ही उस पोजीशन में सोती  रही थी । ।

     

    दो घंटे बाद विराज अपनी नींद से जागा, अपनी मासूम आँखों से ज्हानवी की ओर देखा, कुछ देर तक उसके चेहरे की फिचर्स को निहारा, उसने उसे जगाने की कोशिश में उसके होठों को किस किया लेकिन ज्हानवी गहरी नींद में थी । ।

     

    वह हड़बड़ाया और बोरींग पाउट के साथ अपनी ठोड़ी को उसकी दरार पर रख दिया था । । अपना टाइम बिताने के लिए वह उसके  मंगलसूत्र से खेलने लगा, तभी उसकी नज़र उसके स्तनों**  पर पड़ी, उसे तुरंत कुछ महसूस होने लगा, उसकी आँखें काली पड़ गईं, उसके हाथ अनजाने में उसकी  ट्वीन गर्ल्स के कोंटेकट में आ गए, उसने उसके एक स्तन**  को हल्के से दबाना शुरू कर दिया लेकिन यह बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा था, उसका जबड़ा सिकुड़ गया और उसके निचले हिस्से में दर्द महसूस होने लगा था । । अनजाने में वह अपने हिप्स को जोर से दबाने लगा था । ।




     

    ज्हानवी ने अपने बड्स दर्द महसूस करते हुए अपनी नींद से जागी, वह विराज की हरकत से चौंक गई और उसकी अनजान वासना भरी आँखों में देखने के बाद वह अपनी जगह पर काँप उठी थी । ।

     

     "हो सकता है फिजिकल इंटें मेसि से उसकी मेंटल हेल्थ बेहतर हो रही हो" ज्हानवी ने सोचा था । ।

    ba... by wh.. ..what are you doing " विराज को हिम्मत से देखते हुए उसने पूछा "आ प ...क्यों. ..क्या कर रहे हो"

     

    विराज ने उसे दुख पहुँचाने के लिए गिल्टी महसूस करते हुए अपना सिर नीचे कर लिया था । ।



    "सोरी, जानूं तुम्हें दर्द पहुँचाने के लिए" आखिरकार उसकी आवाज़ फट गई थी । ।

     

    ज्हानवी ने तुरंत उसे गले लगा लिया था "नहीं बेबी रोना मत, मेरा बेबी कभी मुझे दुख नहीं पहुँचा सकता " ज्हानवी ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा था । ।

     

    "जानूं मैं भाई से मिलना चाहता हूँ"  विराज ने जिद से कहा था । ।



     ज्हानवी उसकी अचानक डीमांड से हैरान हो गई लेकिन जल्द ही उसकी मुस्कान गायब हो गई क्योंकि उसे पता था कि उसके बाकी दो पति आज  बहुत ज्यादा बिजी थें । ।

     

    "बेबी युव जी और जय जी अभी बिजी हैं, हम उनसे रात को मिलेंगे ठीक है" उसने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन विराज ने जिद्दी होते हुए सिर हिला दिया, उसकी आँखों में आँसू भर आए क्योंकि यह पहली बार है जब वह उसकी माँग को रिजेक्ट कर रही है । ।

     

    विराज सभी भाइयों में सबसे लाड़ला था । । उसके आँसुओं को देखकर ज्हानवी गिल्टी महसूस करती है । ।



     "ठीक है ठीक है हम चलते हैं रोना मत, लेकिन पहले मुझे तुम्हारा बुखार देखने दो । ।" ज्हानवी ने उसे समझाया था । ।

     

     उसका टेम्परेचर भी अब नोर्मल हो गया था  इसलिए उसने ट्रिपलेट्स के लिए कुछ खास डीस बनाने के बारे में सोचा, उसने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसे हिलने से रूकने  की  वोरनींग देते हुए बाहर चली गई थी । । । । 



     

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  • 13. Triplets's Wife - Chapter 13

    Words: 1792

    Estimated Reading Time: 11 min




    पलीज, मुझे पोकेट नोवेल और प्रतिलिपि पर फोलो करें 😌 




    । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । ।

    बेबी युव जी और जय जी अभी बिजी हैं, हम उनसे रात को मिलेंगे ठीक है" उसने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन विराज ने जिद्दी होते हुए सिर हिला दिया, उसकी आँखों में आँसू भर आए क्योंकि यह पहली बार है जब वह उसकी माँग को रिजेक्ट कर रही है । ।

    विराज सभी भाइयों में सबसे लाड़ला था । । उसके आँसुओं को देखकर ज्हानवी गिल्टी महसूस करती है । ।

     "ठीक है ठीक है हम चलते हैं रोना मत, लेकिन पहले मुझे तुम्हारा बुखार देखने दो । ।" ज्हानवी ने उसे समझाया था । ।

     उसका टेम्परेचर भी अब नोर्मल हो गया था  इसलिए उसने ट्रिपलेट्स के लिए कुछ खास डीस बनाने के बारे में सोचा, उसने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसे हिलने से रूकने  की  वोरनींग देते हुए बाहर चली गई थी । । । । 



    । ।‌ और अब आगे पढें । ।

    उसने उनके लिए स्वादिष्ट मसाला पापड़ बनाया क्योंकि अब तक उन्होंने दोपहर का खाना खा लिया होगा, उसने इसे दोपहर के स्नैक्स में पैक किया और खुद  अच्छे से तैयार हो गई और विराज को भी फोरमल वियर कपड़े पहनाए थें । ।

    ज्हानवी कार में विराज के साथ पीछे की सीट पर बैठ गई थी । ।  वह खुश थी , वह शादी के बाद पहली बार उनके ऑफिस जा रही थी, । ।

     

    "बेबी, मुझसे वादा करो कि तुम ओफीस में किसी से बात नहीं करोगे और इधर -उधर नहीं भागोगे,  नहीं तो भाई गुस्सा करेगा, ठीक है" ज्हानवी ने उसे इंटरकसन दिया क्योंकि युवराज ने उसे पहले ही बता दिया था कि विराज की मेंटल कंडीशनके बारे में कोई नहीं जानता और अगर ग़लती से भी किसी को पता चल गया तो वह उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है । ।

    विराज ने तुरंत एक आज्ञाकारी लड़के की तरह सिर हिलाया जो अपने भाई के गुस्से से डर गया था, खासकर जयराज से । ।

     

    ओफीस बिल्डिंग पहोचकर ज्हानवी कार से उतरी और विराज की मदद भी की, विराज ने तुरंत अपना पल्लू पकड़ लिया, इधर- उधर इतने लोगों से डरकर, ज्हानवी ने उसकी बाँहों को सहलाकर उसे तसल्ली दी थी । ।

     

    उसने अपने ब्लाउज के नीचे अपना मंगलसूत्र छिपाया और अपने बालों से अपना सिंदूर भी ढक लिया और अंदर चलने लगी, वह नहीं चाहती थी कि कल अखबारों की सुर्खियों में आए । ।

     

    हर कोई इतने दिनों बाद  विराज सिंह को देखकर गपशप करने लगा और वह भी लड़की के साथ, उन्होंने सिंह ब्रदर्स के लड़के को कभी किसी लड़की के साथ नहीं देखा था । । ज्हानवी ने उनकी घूरती निगाहों को नज़रअंदाज़ किया और आगे बढ़ गई थी । ।

     रिसेप्शनिस्ट ने उसे तुरंत पहचान लिया, उस दिन के बाद जब ज्हानवी पहली बार आई थी । ।

     

    "मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ मैडम" उसने चुपके से विराज को घूरते हुए कहा जो ज्हानवी के पास सीधा खड़ा था और अपने होठों को काटते हुए बुनियादी ढांचे को देख रहा था । ।

     

    ज्हानवी ने विराज के बाइसेप्स को अपने ओथोरेटिव तरीके से पकड़ लिया और रिसेप्शनिस्ट को घूरते हुए कहा "मैं युवराज सिंह से मिलना चाहती हूँ और अपने बॉस को घूरने के बजाय अपने काम पर ध्यान देना बेहतर है"

     

    रिसेप्शनिस्ट ने शर्मिंदा महसूस करते हुए सिर हिलाया और ज्हानवी को युवराज का केबिन दिखाया था । ।

     

    ज्हानवी ने अपने होंठ मोड़े और उसके पीछे चली गई थी । । दरवाजे पर खड़ी वह शरमा गई क्योंकि शादी के बाद वह पहली बार उनके ओफीस आई थी और आज उसने अपने पतियों का ध्यान अट्रैक्ट करने के लिए अपने मेकअप में भी एक्स्ट्रा एफर्ट्स किए थे जो पिछली रात से उसकी ओर देख भी नहीं रहे थे । ।

     

     लेकिन दरवाज़ा खोलने के बाद उसकी नसों में गुस्सा भर गया, उसकी आँखों में आँसू भर आए और उसका निचला होंठ लड़खड़ा गया था । ।

    वह युवराज की ओर देखती है जो अपनी गोद में एक लड़की को पकड़े हुए बैठा था । । उन दोनों का चेहरा इतना क्लोज है जैसे कि वे कभी भी किस करने वाले हों । ।

     

    लंच बॉक्स ज्हानवी के हाथ से फिसल गया और आवाज सुनकर युवराज ने अपना चेहरा उसकी ओर कर लिया था । ।

     

    "शिट....  ज्हानवी" युवराज ने उस लड़की को धक्का दिया जिससे वह फर्श पर गिर गई थी । ।

    "What the hell "

    "क्या बकवास है मिस्टर युवराज सिंह"  वह खुबसूरत लड़की युवराज की गोद से गिरने की वजह से दर्द से कराह उठी थी । ।

     

    जयराज जो सब कुछ से अनजान है, जब युवराज के केबिन में आया तो उसने चौड़ी आँखों से लड़की की ओर देखा था । ।

     

    "ओह माय गॉड मिस सिन्हा...  चलो उठो, तुम कैसे गिर गईं" जयराज ने लड़की के बगल में घुटनों के बल बैठ गया और उसकी मदद की थी  ।  ।

    इस बात से अनजान की ज्हानवी की आंखों से खंजर निकल रहें थे । ‌।

     

     "भाई, आपको हमारे क्लाइंट के साथ ऐसा रुडली बिहेव नहीं करना चाहिए, उसे चोट लग सकती है" जयराज ने युवराज से कहा जो सिर्फ़ ज्हानवी को पिल्ला जैसी नज़रों से देख रहा था । ।

     

    जयराज ने युवराज की निगाहों को फोलो करता है और ज्हानवी की ओर देखता है । ।

    "Baby you are here what happened "

    "बेबी तुम ओफीस आइ हो क्या हुआ" जयराज ने भौंहें सिकोड़ते हुए कहा था । ।

     

    दूसरी ओर विराज इस नाटक से बोर हो गया, उसने लंच बॉक्स उठाया और केबिन में मौजूद सोफे पर बैठ गया था । ।

     

    लेखक भी पॉपकॉर्न के साथ नाटक का इंजोयमेंट लेने के लिए उसके बगल में बैठ गयी है । ।

    "मिस सिन्हा, मैं आपसे बाद में बात करूँगा (ज्हानवी की ओर)  ज्हानवी सुनो, ऐसा कुछ नहीं है" इससे पहले कि वह कुछ और कह पाता, ज्हानवी अपनी नम आँखों के साथ बाहर चली गई थी । ।

     

    युवराज भी उसके पीछे चला गया, जिससे मिस सिन्हा ईर्ष्या में जल उठीं थी । ।

     

    "मिस सिन्हा, प्लीज आप मेरे केबिन में जाएँ, हम कुछ देर बाद अपनी डीसकसन जारी रखेंगे" जयराज ने उस लड़की को विदा करते हुए कहा, वह नहीं चाहता कि  विरकाज सी बाहरी इंसान के सामने कुछ रिएक्ट करे । ।

     

    उसने सिर हिलाया और बाहर चली गई थी । ।

    "विर, तुम आज ऑफिस क्यों आए  हो और जानूं भी" जयराज ने विराज के बगल में बैठते हुए पूछा था । ।

    "भाई, मैं तुमसे और युव भाई से मिलना चाहता था, इसलिए मैं यहाँ जानूं के साथ आया हूँ और देखो, उसने तुम्हारे लिए लंच भी बनाया है" विराज ने टेबल पर लंच की ओर इशारा किया था । ।

     

    ज्हानवी के स्वादिष्ट मसाला पापड़ को देखकर जयराज का पेट फूल गया, उसने मन ही मन ज्हानवी को थैंक यू दिया, क्योंकि बिजी शेड्यूल के कारण उसने सुबह से कुछ नहीं खाया था । ।

     

    उसने दुनिया की परवाह किए बिना खाना चबाना शुरू कर दिया और परमानंद में कराहने लगा था । ।

     

    दूसरी ओर सिन  पूरी तरह से जटिल है, युवराज पूरे ओफीस में एक पिल्ले की तरह ज्हानवी का पीछा कर रहा है, जिससे हर कोई उसकी दलीलों पर हैरान है । ।

     

    पहले जहानवी का नाम विराज के साथ जुड़ा और अब युवराज भी उसके पीछे है, ओफीस की सभी लड़कियाँ ज्हानवी से ईर्ष्या महसूस कर रही हैं । ।

     युवराज हमेशा सभी बेचेलरस के बीच सबसे अट्रैक्टिव कुंवारा रहा है, उसकी औरा जो सक्सेस, डोमिनेशन, पोलाइटनेस को रिप्रेजेंट करतीं है, उसका रिस्पेक्ट फुल मेनरिजम न सिर्फ ओफीस की लड़कियों को बल्कि हाइ सोसायटी की लड़कियों को भी अट्रेक्ट करता है । ।

     

     युवराज ज्हानवी को पकड़ कर एक कमरे में खींचता है, और अंदर से दरवाज़ा बंद करता है, फिर उसे दीवार से चिपका देता है, उसकी ठोड़ी पकड़ता है और उसे अपनी आँखों में देखने के लिए मजबूर करता है । ।

    "ज्हानवी कम से कम एक बार तो सुनो जान, ऐसा कुछ भी नहीं था जैसा तुमने सोचा था" युवराज ने उसे रुलाने के लिए दोषी आँखों से विनती की थी । ।

     

    "क्यों.. .तुम. .मेरे.. लिए.. आए.. .ग... ओ.. ओ.. और. ..उस.. लड़की. .के. साथ. करो.. ओ ..र... मा ...स.. करो" ज्हानवी पागलों की तरह रोते हुए उसकी बाहों में मचल उठी थी । ।

    [ क्यों तुम मेरे लिए आए हो?  गो , और उस लड़की के साथ करों और मजे करो ] 

    "मैं... जानती. ..हूं... कि मैंने.. . हमारी. . सुहागरात.. करने. .को. .नहीं. ..चाहती.. कि.. .तुम. .मुझे. नहीं.. चाहते .लेकिन (आँसू पोंछते हुए) लेकिन तुम ...कम.. तो.. मेरे. पास .आ. सकते. हो.. .मैं.. खुद. को. तैयार. करने .की. कोशिश. करूँगी" उसने आगे कहा था । ।

     

     युवराज ने बेयकीनी और दुख के साथ ज्हानवी की ओर देखा, उसने कभी नहीं सोचा था कि ज्हानवी उन्हें इस तरह से जज करेगी, उसने अपनी  लाइफ में कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी पत्नी को छोड़ देगा और उसने अपने भाइयों के लिए भी यही सीखाया था, लेकिन वह जानता था कि ज्हानवी का मूड स्विंग चल रहा है इसलिए वह इस तरह से बात कर रही है । । 

    इससे पहले कि वह उसे कुछ समझा पाता ज्हानवी ने अपनी इनसिक्योरिटी की फिलिंग को एक्सप्रेस करना जारी रखा था । ।

     

     "आ.. प.. युवराज जी.. .मैं आप सभी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ... लेकिन (डरती आँखों से)... मुझे मत छोड़ना ... प्लीज... ...मैं आप सभी से दूर नहीं रह सकती. ..मैं आप सभी से प्यार करती हूँ. ..मेरे पास कोई नहीं है.. .मैं मर जाऊँगी....

     

    युवराज ने उसके शब्दों को बीच में ही काट दिया और उसे जोर से चूमते हुए अपने होंठ सील कर दिए, उसे ऐसा कहने की सज़ा देते हुए, केवल वही जानता है कि वह "मर जाऊंगी" शब्द से कितना डरता है । ।

     

    ज्हानवी हाँफने लगी, वह साँस लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन युवराज उसे मौका नहीं दे रहा था, वह पागलों की तरह उसकी कोमल पंखुड़ियों को चूम रहा था, ज्हानवी के घुटने बहुत ज़्यादा दबाव के कारण कमज़ोर हो गए थे, पहले रोने की वजह से उसकी साँसें मुश्किल हो रही थीं और अब युवराज की मीठा  टोरचर, ओह माफ़ करना  वाइल्ड टोरचर । ।

     

    युवराज ने उसके बालों को मुट्ठी में लेकर उसे और भी अपने पास खींच लिया अपने हाथों में हल्के से बाल पकड़े हुए, अपने दिल के अंदर वह बहुत खुश है कि ज्हानवी आखिरकार उससे प्यार करने लगी है । । ।


    न्यु स्टोरी के लिए मुझे फोलो करें । ।

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    सुखी रहें । ।  ☺️ । । सुरक्षित रहे । ।  😊 । । पढ़ते रहे 🤓 ।

  • 14. Triplets's Wife - Chapter 14

    Words: 1710

    Estimated Reading Time: 11 min




    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    युवराज ने उसके शब्दों को बीच में ही काट दिया और उसे जोर से चूमते हुए अपने होंठ सील कर दिए, उसे ऐसा कहने की सज़ा देते हुए, केवल वही जानता है कि वह "मर जाऊंगी" शब्द से कितना डरता है । ।

    ज्हानवी हाँफने लगी, वह साँस लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन युवराज उसे मौका नहीं दे रहा था, वह पागलों की तरह उसकी कोमल पंखुड़ियों को चूम रहा था, ज्हानवी के घुटने बहुत ज़्यादा दबाव के कारण कमज़ोर हो गए थे, पहले रोने की वजह से उसकी साँसें मुश्किल हो रही थीं और अब युवराज की मीठा  टोरचर, ओह माफ़ करना  वाइल्ड टोरचर । ।

    युवराज ने उसके बालों को मुट्ठी में लेकर उसे और भी अपने पास खींच लिया अपने हाथों में हल्के से बाल पकड़े हुए, अपने दिल के अंदर वह बहुत खुश है कि ज्हानवी आखिरकार उससे प्यार करने लगी है । । ।

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    । । और अब आगे पढें । ।

    वह उसे तब छोड़ देता है जब वह लगभग बेहोश होने वाली होती है, किस तोड़ते हुए ज्हानवी भारी साँस लेती है और अपना सिर उसकी चेस्ट पर रख देती है और बहुत शरमा जाती है । ।

    "जान मेरी तरफ देखो"  युवराज ने उसे सख्त लेकिन मीठी आवाज़ में ओर्डर दिया था । ।

     

    ज्हानवी ने उसकी आँखों में देखा जो सिर्फ ईमानदारी, प्यार, देखभाल दिखा रही थी । ।

     

     "क्या मैंने कभी तुमसे कहा था कि तुम अपना शरीर हमें सौंप दो (ज्हानवी ने आँखे नहीं मिलाते हुए सिर हिलाया)



     फिर तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो ज्हानवी, मैं ऐसा आदमी नहीं हूँ जो बोडीली  प्लेजर में डूब जाए और अपने वैल्यूज को भूल जाए, हमने  ऐसा  कभी नहीं  चाहा, या चाहत भी नहीं की, मुझे अपनी पत्नी के अलावा किसी और लड़की में चाहत नहीं हुई और तुम्हें छोड़ने की बात की तो तुम जानती हो कि हम सब तुम्हारे बारे में बहुत पोजेसिव नेस जताते हैं, हम तुम्हें कभी नहीं छोड़ेंगे और जाने भी नहीं देंगे, तुम हमारे साथ लाइफ टाइम के लिए बंधी हो और जान हम तुम्हारे जैसे डायमंड को कभी नहीं छोड़ सकते, जो हमेशा पहले दूसरों के बारे में सोचती है फिर खुद के बारे में, जो अनाथ बच्चों के लिए अपनी  लाइफ दांव पर लगा सकतीं है जो तुम्हारे रिश्तेदार भी नहीं हैं । ।



     जिसने अपने पति की बच्चे की तरह देखभाल की, तुम्हें विराज की हालत देखकर कभी डीसगसट नहीं हुई, जान अगर तुम चाहो तो तुम घर पर हमारी दी जाने वाली सुख- सुविधाओं का आनंद ले सकती हो लेकिन नहीं, तुम विराज के लिए एक माँ की तरह बिहेव करती हो, हमारे लिए रात का खाना बनाती हो, हमारे वापस आने तक हमारा इंतज़ार करती हो, तुम हमें सब कुछ देती हो और फिर भी तुम सोचती हो कि हम तुम्हें किस लिए छोड़ेंगे - से क्स के लिए, नहीं ज्हानवी, मैं तुम्हें बता दूँ कि हम तीनों बहुत सेल्फिश हैं  । ।

    हमें वर्जिन मरना मंजूर है लेकिन हम तुम्हारे प्यार से किसी भी चीज़ से समझौता नहीं करेंगे, क्योंकि हम सभी तुमसे प्यार करते हैं और अनंत काल तक तुमसे प्यार करेंगे । ।

     

    ज्हानवी ने शुद्ध श्रद्धा से उसकी ओर देखा, उसे कसकर गले लगाया और खुशी में जोर से रोई, युवराज को पता था कि वह खुशी में रो रही है इसलिए उसने पूछा नहीं बस उसके बालों को सहलाया था । ।

     

    युवराज ने उसे दुल्हन की तरह गोद में उठाया और उसे अपनी गोद में लेकर सोफे पर बैठ गया, ज्हानवी ने उसे कोआला बियर की तरह गले लगाया, उसे अपनी शादी के पहले दिन से ही युवराज को गले लगाना पसंद था, वह उसकी बाहों में सुरक्षित महसूस करती थी । ।

     

    "ज्हानवी कभी मौत के बारे में बात मत करो, मैंने पहले ही बहुत कुछ सह लिया है, मैं ओंर किसी की मौत सहन नहीं कर सकता...." युवराज ने उसे कसकर गले लगाते हुए कहा जिससे वह मुस्कुराई और सिर हिलाया था । । वे कुछ देर तक ऐसे ही खूबसूरत खामोशी में रहे थे । ।

     

     "वह लड़की भी तुम्हारी गोद में बैठी थी" नंदिनी ने उसकी गर्दन पर दर्द से बड़बड़ाते हुए कहा जिससे वह आहें भरने लगा था । ।

     

    "जान वह गलती से मेरे ऊपर गिर गई और तुमने सब कुछ गलत समझ लिया" युवराज ने शांति से कहा था । ।

    "मैं जय जी पर भी गुस्सा हूँ" ज्हानवी ने गुस्से से कहा और उसके गले से एक जोरदार फुसफुसाहट निकली थी । ।

    "तुम्हारी मर्जी" युवराज ने कहा था और मन ही मन जयराज के बारे में सोचा था जो माफ़ी के लिए ज्हानवी के पीछे पीछे भागेगा । ।

     

    "अब तुम्हारी बारी है मेरे छोटे भाई" युवराज मन ही मन बोला था । ।

     

    "लेकिन वह बदले में मुझ पर गुस्सा करेगा" ज्हानवी ने फिर से उसके गुस्से से डरते हुए कहा था । ।

     

    "जब मैं तुम्हारे साथ होती हूँ तो वह ऐसा नहीं कर सकता" युवराज ने कहा जिससे ज्हानवी फिर से खुश हो गई थी । ।

     

    ज्हानवी बहुत खुश हुई और उसे कसकर गले लगा लिया, युवराज ने उसकी गर्दन को चूमा जिससे वह काँप उठी थी । ।

     

    युवराज ने उसे सोफे पर सीधा लिटाया, अपना कोट उतार दिया और उसके ऊपर मँडराते हुए उसे फिर से धीरे से, कंफर्टेबली से लेकिन पेशन से  उसे किस किया , जब उनकी जीभ आपस में मिली तो ज्हानवी  किस के बीच कराह उठी, युवराज के हाथ उसके हाथों और बाहों पर घूम गए,  युवराज ने उसके बालों को अपनी ओर खींचते हुए उसे अपने पास खींच लिया था । ।

     

    किस से सेटिस्फाइड होने के बाद युवराज ने उसके होंठ छोड़े और उसकी न्यूड लिपस्टिक की ओर देखा जो आधी खराब हो चुकी थी । । फिर वे दोनों उठ जाते हैं । ।

    युवराज ने घुटनों के बल बैठकर उसकी साड़ी की प्लेट लगाने में मदद की, जिससे ज्हानवी की आँखें उसके लिए प्यार और सम्मान से चमक उठीं थी । ।

     

    दूसरी तरफ जयराज अपने खाने का आनंद ले रहा था, जबकि विराज उसके बगल में विराज के कंधे पर सिर रखे बोरिंग पाउट के साथ बैठा था । ।

     

    ज्हानवी और युवराज अपने केबिन में आ गए थे । ।

     

    "जय ,  तुम सारे स्नैक्स खा जाते हो और मेरे लिए एक भी टुकड़ा नहीं छोड़ते" युवराज ने कहा क्योंकि वह भी भूखा था । ।

     

     माफ़ करना भाई, लेकिन यह तुम्हारी गलती है, तुम मुझे पूरा दिन काम करवाते हो, यह भी नहीं सोचते कि मैं भूखा हूँ या नहीं" जयराज ने थके हुए स्वर में कहा, जिससे ज्हानवी चिंता में उसकी ओर देखने लगी थी । ।

     

    "मेरी भाई, सिर्फ कड़ी मेहनत ही इंसान को सक्सेसफुल बना सकती है" युवराज ने जयराज के कंधे पर थपथपाते हुए कहा, हालाँकि इससे युवराज को भी अपराधबोध होता है, लेकिन वह अपने भाइयों को मजबूत.... बहुत मजबूत चाहता है । ।

     

    "बेबी, आज मेरे लिए कढ़ाई पनीर बनाओ" जयराज ने ज्हानवी से कहा, जिसका उसने कोई जवाब नहीं दिया, जिससे वह भौंचक्का रह गया था । ।

     

    "ठीक है, चलो आज साथ में घर चलते हैं" युवराज ने कहा, जबकि सभी ने सिर हिलाया था । ।

    वे सभी कार में बैठ गए, जयराज गाड़ी चला रहा था और युवराज उसके बगल में बैठा था और ज्हानवी और विराज पीछे की सीट पर बैठे थे, विराज ने थके होने की वजह से अपना सिर ज्हानवी की गोद में रख दिया था । ।

    ज्हानवी ने अपने पल्लू से उसका चेहरा ढक लिया और उसके बालों को सहलाया, जिससे युवराज और जयराज उसकी देखभाल देखकर मुस्कुराए थें । ।

     

    "रुको" ज्हानवी ने कुछ देर बाद कार को झटके से रुकवाते हुए चिल्लाया था । ।

     

    "ज्हानवी क्या हुआ" युवराज ने चिंतित होकर पूछा था । ।

     

    ज्हानवी ने हेल्पलेस होकर आह भरी और मेडिकल स्टॉप की तरफ  देखा, उसे लैक्टेट दूध के लिए गोलियाँ खरीदने की ज़रूरत थी, लेकिन वह कैसे कर सकती थी, लेकिन थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए उसने आखिरकार कहा "मुझे मेडिकल शॉप से कुछ खरीदना है" उसने अपनी शर्म को छिपाते हुए नीचे देखा था । ।

     

    "लेकिन क्यों .. तुम्हें या विराज को कुछ हो गया है" जयराज ने चिंतित होकर पूछा क्योंकि वह मेडिकल शॉप से मेकअप किट तो नहीं खरीदेगी । ।

     

    "ज्हानवी तुम्हें और पैड चाहिए" युवराज ने उसे शर्म से लाल होते हुए महसूस करते हुए कहा और कुछ नहीं कहा । ।

     

     "ये आदमी इतना समझदार कैसे हो सकता है" ज्हानवी ने सोचा था । ।

     

    ज्हानवी को और भी शर्म महसूस हुई जब उसने सभी भाईयों के सामने यह बात कही, भले ही वे  उसके पति थे । ।

    "नहीं मुझे अपने ऐंठन के लिए पैन किलर चाहिए" ज्हानवी ने कोई और ओप्शन न होने पर झूठ बोला था । ।

     

    "ठीक है मेरे साथ आओ" जयराज अपने सदाबहार एटिट्यूड के साथ गोगल्स पहनकर कार से बाहर आया था । ।

     

    ज्हानवी ने भी हेल्पलेस होकर आह भरी और विराज का सिर सीट पर रखते हुए बाहर निकल गई थी । ।

     

    वे दोनों सड़क पार करके मेडिकल शॉप पर गए, ज्हानवी ने फार्मासिस्ट को एक नोट दिया जिस पर दवा का नाम लिखा था, उसने जयराज को एक तीखी नज़र से देखा जिससे वह उसकी ओर  भौं सिकोड़ी थी । ।

     

    जयराज ने दवा का पैकेट उठाकर पैसे चुकाए थें । ।

     

    और वे सभी सिंह  हाउस मेंशन पहुँच गए थे । ।

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  • 15. Triplets's Wife - Chapter 15

    Words: 1948

    Estimated Reading Time: 12 min



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    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    ज्हानवी को और भी शर्म महसूस हुई जब उसने सभी भाईयों के सामने यह बात कही, भले ही वे  उसके पति थे । ।

    "नहीं मुझे अपने ऐंठन के लिए पैन किलर चाहिए" ज्हानवी ने कोई और ओप्शन न होने पर झूठ बोला था । ।

    "ठीक है मेरे साथ आओ" जयराज अपने सदाबहार एटिट्यूड के साथ गोगल्स पहनकर कार से बाहर आया था । ।

    ज्हानवी ने भी हेल्पलेस होकर आह भरी और विराज का सिर सीट पर रखते हुए बाहर निकल गई थी । ।

    वे दोनों सड़क पार करके मेडिकल शॉप पर गए, ज्हानवी ने फार्मासिस्ट को एक नोट दिया जिस पर दवा का नाम लिखा था, उसने जयराज को एक तीखी नज़र से देखा जिससे वह उसकी ओर  भौं सिकोड़ी थी । ।

    जयराज ने दवा का पैकेट उठाकर पैसे चुकाए थें । ।

    और वे सभी सिंह  हाउस मेंशन पहुँच गए थे । ।

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    । । और अब आगे पढें । ।

    जब वे मेंशन में पहुँचे, तो ज्हानवी ने अपने थके हुए पतियों के लिए चाय और पकौड़े बनाना शुरू कर दिया क्योंकि बाहर पहले से ही बारिश हो रही थी, युवराज नहा रहा था और जयराज विराज के सिर पर चंपी (मालिश) कर रहा था । ।

    ज्हानवी ट्रे के साथ उनके कॉमन रूम में पहुँची जहाँ सभी मौजूद थे । ।

     

    उसी समय, युवराज सिर्फ तौलिया में बाहर आया, उसके सुडौल शरीर से बेशर्मी से पानी की बूँदें बह रही थीं । । ज्हानवी ने उसकी ओर देखा और हाँफते हुए, ट्रे को एक तरफ रखते हुए उसने पीछे मुड़कर नीचे देखा और बहुत शरमाते हुए अपनी उँगलियों से घबराहट महसूस करते हुए उसे छेड़ना शुरू कर दिया, जिससे युवराज मुस्कुराया और जयराज ने अपनी शर्मीली पत्नी को  आंखें रोल करते हुए देखा था । ।

     

    "जानूं" विराज खुशी से चिल्लाया और थके हुए उसे गले लगा लिया था । ।

     

    "युव जी, जाओ और कुछ पहनो, चाय तैयार है जल्दी आओ" ज्हानवी ने विराज को गले लगाते हुए कहा था । ।

     

    युवराज ने सिर हिलाया और कुछ पहनने चला गया था । ।

     

     ज्हानवी ने विराज को अपने पास घसीटा  और ट्रे को बीच में लेकर बिस्तर पर बैठ गई, तभी उसने विराज की ओर ध्यान से देखा जो शायद सुबह के बुखार की  वजह से बहुत थका हुआ लग रहा था । ।

    " baby come have your milk "

    "बेबी, आओ अपना दूध पियो" उसने उसके बालों को सहलाया था । ।

    विराज ने बुरा चेहरा बनाया, जयराज ने भी अपना एक कप चाय लिया और पकौड़े खाने लगा, तब तक युवराज भी वापस आ गया और ज्हानवी के पास बैठकर चाय पीने लगा था । ।

     

    "नहीं जानूं, मैं यह दूध नहीं पीऊंगा ...... कब,  तुम मुझे अपना दूध दोगी" विराज ने उसे गले लगाते हुए कहा और अपना चेहरा उसकी कलिवेज की दरार में छिपा लिया था । ।

     

     उसकी मांग सुनकर युवराज और जयराज का गले में  पकोडा रुक गया, ज्हानवी और ज्यादा घबरा गई लेकिन उसने सिचुएशन को संभालने की कोशिश की "नहीं बेबी, अभी तुम्हारे मिल्कशेक का टाइम नहीं हुआ है"

     

    विराज ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन ज्हानवी की एक तीखी निगाह ने उसे चुप करा दिया था । ।

     

    "वह अपने मिल्कशेक के बारे में बात कर रहा है"  ज्हानवी ने अजीब तरह से मुस्कुराते हुए कहा था । ।

    युवराज और जयराज ने  सिर हिलाया और फिर से खाना शुरू कर दिया लेकिन दूसरी ओर विराज की आंखों में आंसू भर आए क्योंकि यह पहली बार था जब ज्हानवी ने उसे घूरा था, उसने चुपचाप अपना दूध पी लिया था । ।

     

     "बेबी मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा है, क्या तुम मेरी मालिश कर सकती हो" जयराज ने अपना सिर उसकी गोद में रखते हुए कहा, ज्हानवी ने उसकी इच्छा को अनदेखा करते हुए उसे आगे की ओर मोड़ दिया था । ।

     

    "जय, .. ज्हानवी तुमसे बात नहीं कर रही है" युवराज ने जयराज को अपने साथ बैठाते हुए कहा था । ।

    "Why? What happened jahnvi"

    "क्यों? क्या हुआ ज्हानवी" जयराज ने उसके कोमल हाथों को अपने खुरदुरे हाथों में लेते हुए कहा था । ।

     

    "युव  जी प्लीज उसे बताएं कि मैं किस बारे में नाराज़  हूँ" ज्हानवी ने जयराज को को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए कहा था । ।

     

    युवराज ने उसे बताया कि कैसे ज्हानवी ने  समझा कि  उस लड़की के साथ इंनवोलव है और  जयराज ने भी उस लड़की की मदद की, इसलिए वह नाराज़ है । ।

     

    "बेबी प्लीज समझने की कोशिश करो कि वह हमारी क्लाइंट थी....

     

    " तो क्या, अगर वह इस घर में रहना चाहेंगी है, तो आप उसे सिर्फ़ इसलिए रहने देंगे क्योंकि वह आपकी क्लाइंट है । ।

     

     अगर वह मेरी जगह लेना चाहती है तो आप उसे सिर्फ़ इसलिए लेने देंगे क्योंकि वह आपकी क्लाइंट है । ।"

     

    जयराज ने सिर हिलाकर मना कर दिया "बेबी तुम समझ नहीं रही हो. .मुझे उसके बारे में नहीं पता कि वह भाई की गोद में गिर गई थी ठीक है ठीक है... ...मुझे माफ़ कर दो... ...I am sorry , "

     

    ज्हानवी और युवराज ने उसे देखा, जैसे वह भूत हो । ।

     

    "जयराज सिंह ने माफ़ी मांगी...  unpredictable"

    ज्हानवी ने कुछ कहने ही वाली थी कि उन्हें रोने की आवाज़ सुनाई दी, उन्होंने विराज की ओर देखा जो चुपचाप रो रहा था । ।

     

    "विर  क्या हुआ" युनवराज  उसके गालों को सहलाया, विराज ने उसे गले लगाया था । ।

    " bhai I will not talk to janu, she gla. ..red at me "

    "भाई मैं जानूं से बात नहीं करूँगा, उसने मुझे घूर कर देखा" विराज ने उसकी बाहों में रोते हुए कहा था । ।

     

    "बेबी" ज्हानवी ने उसे छूने की कोशिश की लेकिन उसने उसका हाथ झटक दिया था । ।

     

    ज्हानवी की आँखों में आँसू भर आए, उसने देखा कि वह उसकी तरफ़ देख भी नहीं रहा है । ।

     

    "बेबी" ज्हानवी ने फिर उसे पुकारा, उसकी फटी हुई आवाज़ सुनकर, विराज ने पलकें झपकाईं और तुरंत उसे गले लगा लिया और मुँह फुला लिया क्योंकि उसने अपने जानूं को रुला दिया था । ।

     

    ज्हानवी ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया और गले लगाया, उसके बालों को हल्के से चूमा था । ।

     

    "मुझे माफ़ करना जानूं, रोना मत"  विराज ने उसकी ठोड़ी को उसके क्लीवेज पर टिकाते हुए रिक्वेस्ट की थी । ।

     

    ज्हानवी ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया था । ।

     

    "आओ, खाना खाते हैं" ज्हानवी ने कहा और वे सभी खाने की मेज़ की ओर बढ़े, ज्हानवी ने रात के खाने की अरेंजमेंट की थी । ।

     

    ज्हानवी ने उनके लिए जो कढ़ाई पनीर बनाया था, उसे देखकर जयराज मुस्कुराया, चाहे वह उनसे कितना भी नाराज़ क्यों न हो, लेकिन वह उनकी माँग को कभी नहीं ठुकराती थी । ।

     

     "बेबी थैंक्यू मेरा फेवरेट खाना बनाने के लिए" जयराज ने उसकी उँगलियों को चूमा जिससे वह पूरी तरह लाल हो गई लेकिन ज्हानवी ने अपना गुस्सा दिखाते हुए उसकी तरफ देखा तक नहीं था । ।

    "क्या तुम्हें खाना पसंद आया बेबी" ज्हानवी ने विराज से पूछा, और उसे अपने हाथों से उसे खाना खिलाया, विराज ने खुशी से हाँ में सिर हिलाया और मुँह में निवाला भर लिया, वे सभी उसकी हरकतों पर हँस पड़े थे । ।

     

    जयराज हर्ट हो गया क्योंकि ज्हानवी अभी भी उससे नाराज़ थी, जबकि The Jairaaj Singh ने उससे माफ़ी माँगी थी । ।

     

    जयराज ने मदद के लिए अपने बड़े भाई युवराज की ओर देखा और युवराज अपने भाई की रिक्वेस्ट को इग्नोर नहीं सका और ज्हानवी से कहा "जान मुझे लगता है कि तुम्हें उसे माफ कर देना चाहिए, देखो उसने भी माफ़ी मांगी है..."

     

    ज्हानवी ने उसी गुस्से से उसे बीच में ही टोक दिया "युव जी मैं उन्हें माफ नहीं करूंगी और अगर आप उसकी  साइड लेने जा रहे हो और मैं आपको याद दिला दूं  कि आप  दोनों गलती पर हो, आपने उस लड़की की मदद की, आपने कल रात भी मुझे अनदेखा किया और सुबह भी" ज्हानवी टेबल से उठकर बर्तन समेटते हुए रसोई की ओर चली गई और हैरान जयराज और युवराज को उनकी  हाल पर छोड़ दिया था । ।

     

    कुछ सेकंड बाद वे सदमे से वापस आए और हेल्पलेस होकर आहें भरने लगे, उन्होंने ज्हानवी को इतना बोल्ड कभी नहीं देखा, वे अपनी डरी सहमी पत्नी से प्यार करते हैं बोल्ड से नहीं । ।

    जयराज और युवराज विराज के साथ कॉमन बेडरूम में बैठे हैं, विराज उन्हें अपने खिलौने दिखा रहा है लेकिन उनका दिमाग अभी भी सोच रहा है कि वे ज्हानवी को कैसे शांत करेंगे । ।

     

    जब ज्हानवी कमरे में आई तो उसने एक सिम्पल सूट लिया और सीधे वॉशरूम चली गई थी । ।

    "ज्हानवी" युवराज ने उसे पुकारा लेकिन ज्हानवी ने उसे अनदेखा कर दिया था । ।

     

    विराज का हाथ अपने हाथ में लेकर उसने कहा "बेबी आज तुम और मैं तुम्हारे पर्सनल बेडरूम में सोएंगे ठीक है आओ"

     

    विराज ने बिस्तर से उठते हुए खुशी से सिर हिलाया, जयराज और युवराज ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन इस बार ज्हानवी उन्हें माफ न करने के लिए ज़्यादा डिटडिटरमाइंड थी । ।

     

    वह विराज का हाथ थामे उसके कमरे में चली गई जो मुस्कुरा रहा था और अपनी  जानूं के साथ अकेले टाइम बिता रहा था । ।

     

    लचिंग मेडिसिन लेने के बाद ज्हानवी विराज को अपनी बाहों में लेकर लेट गई, सिर छाती पर था और पैर उसकी कमर से लिपटे हुए थे । ।

    [ लचिंग मेडिसिन ना ले , वह आपके सिस्टम को खराब कर सकती हैं । । स्टोरी में इसे सिर्फ होटनेस बढ़ाने के लिए एडड किया है]

     

    "जानूं" विराज ने ज्हानवी को पुकारा जिस पर उसने गुनगुनाया था । ।

     

     जानूं  तुम भाई सा गुस्सा हो " विराज ने उसके बालों से खेलते हुए पूछा था । ।

     

     

    ज्हानवी ने हां में सिर हिलाया, जिस पर वह उदास होकर मुंह बनाने लगा था । ।

     

    "लेकिन भाई तो बहुत अच्छे हैं" विराज ने कहा था । ।

    ज्हानवी ने उसे अपने भाई की साइड लेते हुए देखकर मुस्कुराई थी । ।

    "एक सीक्रेट बताऊं" उसने उसके कान में फुसफुसाया, जिस पर विराज ने क्युरिऑसिटी से सिर हिलाया था । ।

     

    "मैं तुम्हारे भाई का अटेंशन चाहती हूँ, इसलिए मैं उनसे नाराज़ हूँ" ज्हानवी ने हँसते हुए कहा, जिससे वह भी हँस पड़ा था । ।

     

    "ठीक है, अब जल्दी से सो जाओ" ज्हानवी ने उसके सिर पर थपथपाया, जिससे वह तुरंत सो गया था । ।

     

    दूसरी तरफ़ जयराज और युवराज सोने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे ज्हानवी के पास होने के आदी हो गए थे, इसलिए सो नहीं पा रहे थे । ।

     

    "जय" युवराज ने छत की ओर देखते हुए उसे पुकारा और जयराज ने तुरंत उसकी ओर देखा, जो अब तक बेचैन होकर करवटें बदल रहा था । ।

     

    "क्या हम लक्की नहीं हैं कि हमें ऐसी मासूम पत्नी मिली है" युवराज ने उसकी ओर मुड़ते हुए प्रशंसा भरी मुस्कान के साथ कहा था । ।

     

    जयराज के होठों पर मुस्कान आ गई "एक्चुअली में हम हैं" जयराज ने आत्मविश्वास से कहा था । ।

     

    "मैंने कभी नहीं सोचा था कि ज्हानवी इतनी केयर करने वाली, शुद्ध और प्यारी होगी" जयराज ने ज्हानवी की देखभाल को याद करते हुए कहा था । ।

    "क्या आपको याद है कि जब हमने ज्हानवी के बारे में पता लगाया था तो आपने उसके बारे में क्या भविष्यवाणी की थी"

    [ युवराज सिंह ओरथोडोकस है और कुंडली में बहुत विस्वास रखता है ]  । । 

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  • 16. Triplets's Wife - Chapter 16

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    "जय" युवराज ने छत की ओर देखते हुए उसे पुकारा और जयराज ने तुरंत उसकी ओर देखा, जो अब तक बेचैन होकर करवटें बदल रहा था । ।

    "क्या हम लक्की नहीं हैं कि हमें ऐसी मासूम पत्नी मिली है" युवराज ने उसकी ओर मुड़ते हुए प्रशंसा भरी मुस्कान के साथ कहा था । ।

    जयराज के होठों पर मुस्कान आ गई "एक्चुअली में हम हैं" जयराज ने आत्मविश्वास से कहा था । ।

    "मैंने कभी नहीं सोचा था कि ज्हानवी इतनी केयर करने वाली, शुद्ध और प्यारी होगी" जयराज ने ज्हानवी की देखभाल को याद करते हुए कहा था । ।

    "क्या आपको याद है कि जब हमने ज्हानवी के बारे में पता लगाया था तो आपने उसके बारे में क्या भविष्यवाणी की थी"

    [ युवराज सिंह ओरथोडोकस है और कुंडली में बहुत विस्वास रखता है ] 

     । । और अब आगे पढें । ।

    । । फ़्लैशबैक । ।



    Yuvraj Singh
     

    युवराज और जयराज लिविंग रूम में सोफे पर बैठे थे जब पंडित जी (पुजारी) अंदर आए, उन्होंने उनका अभिवादन किया और उनका स्वागत किया था । ।

     

    "पंडित जी मैंने आपको लड़कियों की कुंडली लाने के लिए कहा था, प्लीज हमें जल्दी से बताएं कि किसकी कुंडली हम सभी से मेल खाती है" जयराज ने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा था । ।



    Jairaaj Singh
     

     पुजारी ने पहले तो संकोच किया, लेकिन आखिर में कहा "एक लड़की की कुंडली तीन पुरुषों से मिलना बहुत मुश्किल है, इसलिए आप सभी के साथ सिर्फ एक लड़की की कुंडली मिली है, लेकिन उसने मुझे अपनी कुंडली दूल्हा खोजने के लिए नहीं दी, उसने इसलिए दी क्योंकि वह अपने फ्यूचर के बारे में जानना चाहती थी, मुझे नहीं लगता कि वह शादी करना चाहती है....



    Viraaj Singh
     

    जयराज ने उसे अपनी बात पूरी नहीं करने दी और बीच में ही उसे रोक दिया था  । ।

    "कौन सी लड़की"

    डोमिनेट होने के नाते, वह सिर्फ उस लड़की से शादी करना चाहता है जिसकी कुंडली उनसे मिलती है और अगर वह अकेली लड़की है जो उनकी दुल्हन बन सकती है, तो उसे परवाह नहीं है कि वह तैयार है या नहीं । ।

     

    "उसका नाम ज्हानवी है, एक अनाथ लड़की, वह..."

     

    फिर से पुजारी के शब्दों को युवराज ने काट दिया "हमें उसका पता बताओ"

     

    -

     

    पुजारी ने सिर हिलाया और उन्हें बताया कि वह एंजेल अनाथालय में रहती है जो जगह उनके ओनरशिप में है । ।

     । । कुछ देर बाद । ।

     जयराज और युवराज उसके अनाथालय की ओर जाते हैं, तभी जयराज मुस्कुराहट के साथ कहता है, "भाई चिंता मत करो, वह हमारे प्रपोजल को रिजेक्ट नहीं करेगी, क्योंकि हमसे शादी करना हर लड़की का सपना  है । ।"

     युहवराज  सोच में गुम था , वह कभी भी किसी गोल्ड दिगर  लड़की से शादी नहीं करना चाहता, वह एक मासूम और प्यारी लड़की चाहता है जो उन तीनों से प्यार करते हुए उनके घर की शान बढ़ाए । ।

     

    दूसरी ओर जयराज भी किसी ऐसी लड़की से शादी नहीं करना चाहता जो पैसे के लिए उनसे शादी करे, लेकिन वह बहुत दृढ़ है कि वह उस लड़की को उन पर हुक्म चलाने नहीं  देगा, वह उसे अपने डोमिनेश के तहत पिंजरे में बंद कर देगा ताकि वह कभी भी उन भाईयों को अपना असली रूप न दिखा सके । ।

     

    मेन गेट पर खड़े होकर उनकी आँखें हर जगह घूम रही थीं, लेकिन उनकी होने वाली पत्नी पर रुक गईं जो छोटे बच्चों के साथ खेल रही थी । ।




     

    युवराज (मन में) :- ओह भगवान हमारी होने वाली पत्नी बाकी लड़कियों से कितनी अलग है, उसने एक सिम्पल सूट पहना हुआ है, उसके लंबे बाल प्लेन से पोनी में बंधे हुए हैं, वह बहुत सिम्पल है लेकिन बहुत सुंदर है, उसके चेहरे पर सूरज की किरणें पड़ रही हैं जिससे उसकी स्किन और भी चमक रही है, "ज्हानवी " हाँ हमारी ज्हानवी बहुत अलग है, वह बिल्कुल वैसी है जैसी मैं चाहता हूँ,  थैंक यू भगवान । ।

     

    जयराज (सोचते हुए) :- मुझे नहीं पता कि वह छोटा सा बदमाश लड़का  हमारी होने वाली पत्नी को क्यों खींच रहा है, गुडनेस , उसे खींचकर किस करना हमारा काम है । ।

     

    ओह गॉड , हमारी पत्नी इतनी हॉट है और वह थोड़ी चुबी  भी है । ।

    वह थोड़ी मोटी है, उसके गुलाबी गाल, उसके उभरे हुए होंठ, उसकी पतली गर्दन, उसके स्तन**  उसका साइज़ 36 या 40 के आस -पास होगा, गोड  यह बहुत टेंम्टिंग है, यह पहली बार है जब मैं किसी लड़की को परवर्ट नज़रों से देख रहा हूँ । । जयराज ने उसे पुरा स्कैन किया था । ।



     क्योंकि वह सिर्फ़ हमारी है, उसकी हाइट कम है लेकिन हम मैनेज कर लेंगे लेकिन वह बिल्कुल मासूम दिखती है जैसा मैं चाहता हूँ, उसकी  पर्सनालिटी को देखकर मैं कह सकता हूँ, वह बिल्कुल वैसी ही सबमिसिव है जैसा मैं चाहता हूँ । । जयराज ने सोचा था । ‌।



    जब वे उसे बच्चों के साथ बातचीत करते हुए सुनते हैं तो वे उसके करीब जाने लगते हैं "दीदी तुम अपने राजकुमार में क्या क्वालिटीज चाहती हो" एक लड़के ने पूछा था । ।



     "मुझे ऐसा लड़का चाहिए जो प्यार करने वाला, देखभाल करने वाला और बड़ों का सम्मान करने वाला हो" ज्हानवी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा  था । ‌

    "बास?, तुम्हें कोई अमीर लड़का नहीं चाहिए जो तुम्हारे लिए महंगे गिफ्ट लाए, जैसे फिल्मों में होता है" दूसरी छोटी लड़की ने कहा जिस पर ज्हानवी हँस पड़ी थी । ।



     "बेबी हम कभी भी प्यार और पैसे की कंपेरिजन नहीं कर सकते ठीक है (सभी बच्चे सिर हिलाते हैं), हम पैसे से  चीजें खरीद सकते हैं लेकिन प्यार नहीं ठीक है अब जाओ और खेलो ठीक है" ज्हानवी ने अपना पर्स उठाते हुए ऑफिस जाने के लिए कहा और जयराज और युवराज को मूर्ति बना   पीछे छोड़ दिया था । ।

    वह अलग है जय, हमारी ज्हानवी अलग है" युवराज ने जयराज को हिलाते हुए कहा जो अभी भी इस फेक्ट को पचा रहा था कि उसे केवल प्यार चाहिए था । ।

     

    जयराज ने सिर हिलाया और वे वापस चले गए और सोचने लगे कि ज्हानवी से शादी कैसे करें, बाकी तो आप जानते ही हैं कि उन्होंने उसे कैसे फोर्स किया था । ।



     

    । । फ़्लैशबैक समाप्त । ।

     

    "भाई , अब हमें क्या करना चाहिए, हमें ज्हानवी से माफ़ी माँगनी चाहिए" जयराज ने असहाय होकर कहा था । ।

     

    "चलो उ को डेट पर ले चलते हैं" युवराज ने सुझाव दिया था । ।

     

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  • 17. Triplets's Wife - Chapter 17

    Words: 2388

    Estimated Reading Time: 15 min

    Lagta hai kisi story pasand nahi aa rahi hai na likes aate hai na comment jyada hai aur views to aese ki book pakka reject hogi.

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    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    "भाई , अब हमें क्या करना चाहिए, हमें ज्हानवी से माफ़ी माँगनी चाहिए" जयराज ने असहाय होकर कहा था । ।

    "चलो उ को डेट पर ले चलते हैं" युवराज ने सुझाव दिया था । ।

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    । । और अब आगे पढें । ।

    "let's takes jahanvi on date "

    जयराज ने अपने भाई की प्लानिंग से सेटिस्फाइड होकर सिर हिलाया और सीधा लेट गया और सो गया था । ।

     

    अगली सुबह ज्हानवी नींद में हिली और नींद भरी आँखों से विराज की ओर देखा जो उस पर आधा लेटा हुआ था, उसके हाथ ज्हानवी की गर्दन के चारों ओर थे और चेहरा उसकी चेस्ट पर था और पैर उसकी कमर को पकड़े हुए थे । ।



     भगवान का शुक्र है कि अब उसे मासिक धर्म नहीं हो रहा है वरना  इस पोजीशन से उसे बहुत दर्द होता क्योंकि विराज का पैर सचमुच उसके पेट पर था । ।

     

    उसने विराज को खुद से अलग कर दिया और उसे नींद में भौंहें सिकोड़ते हुए देख कर वह  खुद द से हँसी और उसके माथे को चूमा और अपने काम करने के लिए वॉशरूम चली गई, नहाने के बाद उसने देखा कि यह विराज का कमरा है और उसके कपड़े उनके कॉमन रूम में हैं, उसने खुद को केयरफुल न रहने के लिए कोसा, कोई  ओप्सन न होने की  वजह से उसने अपने शरीर पर तौलिया लपेटा और वॉशरूम से बाहर आ गई थी । ।

     

    लेकिन अब प्रोब्लम यह थी कि वह तौलिया में अपने कमरे में कैसे जाएगी जहाँ उसके दो ओर पति सो रहे थे लेकिन थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए उसने धीरे से दरवाजा खोला क्योंकि वह विराज को जगाना नहीं चाहती थी । ।

     

     वह धीरे -धीरे दरवाजा बंद करते हुए विराज के कमरे से बाहर आई, उसने कोई आवाज नहीं करते हुए सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दिया क्योंकि वहां कोई सर्वेंट मौजूद नहीं था इसलिए यह कोई मुश्किल नहीं था । ।

    इसलिए टोवैल में मेंशन में घूमना कोई प्रोब्लम नहीं थी, लेकिन उनके कॉमन रूम की ओर पहुँचने के बाद, ज्हानवी के हाथ काँपने लगे थे । ।

     

    उसने धीरे- धीरे दरवाजा खोला, कोई आवाज़ न करने की कोशिश की और कलोजेट की ओर बढ़ गई, लेकिन इससे पहले कि वह अपने कपड़ों तक पहुँच पाती, दो हाथों ने उसकी कमर को लपेट लिया और उसे खींच लिया था , जिससे वह हांफने लगी थी । ।

     

    और गैस लगाओ कौन ???

     

    बेशक हमारा एंग्री बर्ड । ।

     

    "गुड मॉर्निंग बेबी"  जयराज ने उसके कान में हस्की स्वर में कहा और उसके कान के लोब को चाटा** था । ।




     

    "जय जी आप इतनी जल्दी कैसे उठ गए" ज्हानवी ने उसकी ओर मुड़कर पूछा था । ।

     

    "तुम्हारी पायल की आवाज़ बेबी" जयराज ने कहा, जबकि उसकी आँखें उसकी क्लीवेज और खुली टाँगों पर टिकी हुई थीं । ।

     

     जयराज ने उसे पागलों की तरह किस करना शुरू कर दिया, उसके गीले बालों को हल्के से मुट्ठी में भर लिया, उसने ज्हानवी को उसके हिप्स से  पकड़ते हुए अपने नजदीक खींचा, ज्हानवी उसकी हार्डनेस को महसूस करते हुए कराह उठी थी । ।




    "wifey I am aroused "

    "वाइफ मैं अराउस हूँ"  जयराज ने उसके माथे पर जोर से हाँफते हुए किस  तोड़ने के बाद कहा था । ।

    " for what "

    "किस लिए" ज्हानवी ने पूरी मासूमियत से पूछा, जिससे जयराज हैरानी से उसकी ओर देखने लगा था । ।

     

    "तुम्हारे लिए बेबी"  जयराज ने कहा और फिर से उसकी कोमल पंखुड़ियों को चूमना शुरू कर दिया, उसकी जीभ ने डोमिनेंस के लिए स्ट्रगल किया, जिससे ज्हानवी के घुटने कमजोर हो गए, लेकिन उसने सहारे के लिए उसकी टी- शर्ट को पकड़ लिया था । ।




     

    "जाने दीजिए ना" ज्हानवी ने उसे अपनी पिल्ला जैसी आँखें दिखाते हुए कहा, लेकिन वह भूल गई कि वह उसकी पिल्ला जैसी आँखों के लिए पिघलने वाला युवराज नहीं है । ।

     

    जयराज ने उसकी रिक्वेस्ट को नज़रअंदाज़ किया और उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया, जब जयराज ने उसकी विक सपोट को चूसा** , तो ज्हानवी ज़ोर से कराह उठी थी । ।

     

    जब  जयराज के हाथ तौलिये की गाँठ पर पहुँचे, तो उसने पीछे हटते हुए कहा "जाओ" । ।

     

    ज्हानवी कलोजेट की ओर चलने लगी, तभी वह फिर मुड़ी और शर्म से पूछा "क्या दर्द हो रहा है" । ।

     

    जयराज ने भौंहें सिकोड़ीं और ज्हानवी की ओर देखते हुए अपनी मर्दानगी की ओर इशारा किया और मुस्कुराया था । ।

    * very much baby

    "बहुत बेबी" जयराज ने उदास चेहरा बनाते हुए कहा, जबकि ज्हानवी को गिल्टी महसूस हुआ, उसने नीचे देखा था । ।

    "I am sorry ""  ज्हानवी ने अपनी आँखों से आँसू बहाते हुए फुसफुसाया था । ।

     

    "अरे बेबी सब ठीक है और इतना दर्द नहीं हो रहा है, रो मत" जयराज ने झूठ बोला कयोकि कि उसे ही पता है कि कितना दर्द हुआ है, लेकिन उसे बहुत खुशी है कि ज्हानवी उसका इतना ख्याल रखती है, उसने उसे कसकर गले लगा लिया था । ।

     

    "बेबी लेकिन तुम एक बात भूल रही हो" जयराज ने उसे गले लगाते हुए कहा और अपने हाथों से उसके कंधे पर कुछ डिज़ाइन बना रहा था । ।

     

    "क्या" ज्हानवी ने उसके कपड़े पकड़ते हुए कहा और बहुत ज़्यादा शरमा गई थी । ।

    "बेबी तुम तो हमसे नाराज़ थी न" जयराज ने चिढ़ाने वाली मुस्कान के साथ पूछा था । ।

     

    ज्हानवी को सब कुछ याद दिलाया और मुँह बनाया लेकिन उसे धक्का दिया जिससे वह हँस पड़ा था । । 

     

    "मैं अभी भी आपसे गुस्सा हूँ"  ज्हानवी ने कराहते हुए कहा जिससे वह हँस पड़ा था । ।

     

    ज्हानवी ने उसे इग्नोर किया और कलोजेट की ओर भागी और अपने कपड़े बदलकर बाहर आई थी । ।




    वह बाहर आई और हैरानी के साथ जयराज की ओर देखा जो अब सो रहा है । ।

     

    "जानननूँ" विराज की चीख सुनकर ज्हानवी अपने विचारों से वापस आई, वह जल्दी से बाहर चली गई और विराज के कमरे में चली गई थी । ।

    विराज बिस्तर पर बैठा बुरी तरह रो रहा था, ज्हानवी का दिल अपने बेबी हब्बी को देखकर दुख रहा था, वह डरी हुई थी, वह विराज को अपनी बाहों में लेकर बिस्तर पर चली गई, विराज ने उसके बालों में अपना चेहरा छिपाते हुए उसे कसकर गले लगाया था । ।

     

    "जानूं तुमने मुझे अकेला क्यों छोड़ दिया.. ..मेरा डर गया था" विराज ने चुपचाप रोते हुए कहा था । ।

     

    "ओह मेरा नन्ना बेबी डर गया था, मुझे माफ़ कर दो बेबी अपनी  जानूं को माफ़ कर दो" ज्हानवी ने उसके कान पकड़कर उसे हँसाते हुए कहा था । ।

     

     "ठीक है, लेकिन एक शर्त पर" विराज ने उसे अपनी एक उंगली दिखाते हुए कहा, जिस पर ज्हानवी ने सिर हिलाया था । । 

     

    "मुझे यहाँ किसि करों " विराज ने उसके होठों की ओर इशारा करते हुए कहा, उसकी शर्त सुनकर ज्हानवी की आँखें चौड़ी हो गईं और वह शरमा गई थी । ।

     

    ज्हानवी आगे झुकी और पीछे हटने से पहले उसके होठों पर किस किया, विराज ने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया, उसने कुछ महसूस किया था, उसने ज्हानवी को अपने नजदीक खींच लिया था । । और फिर से अपने होठों को उसके होठों पर रख दिया, कुछ देर तक ऐसे ही रहा था । ।

     

    एक दूसरे को इतना करीब महसूस करके दोनों की धड़कनें तेज़ हो गईं, विराज ने अनजाने में उसके निचले होंठ को काट लिया, जिससे वह हांफने लगी थी । ।

     

    ज्हानवी ने हैरानी से विराज को देखा, जबकि विराज ने अपने जानूं को काटने के लिए गिल्टी महसूस करते हुए नीचे देखा था । ।

     

    "जानूं मुझे माफ़ कर दो" विराज ने कहा और ज्हानवी ने मुस्कुराकर उसके माथे को पॉप की आवाज़ के साथ चूमा, जिससे विराज खुश हुआ कि वह उससे नाराज़ नहीं है । ।




     

    "ठीक है अब उठो बेबी मैं तुम्हें नहला दूँ" ज्हानवी ने कहा, जिस पर विराज ने कराहते हुए कहा कि ठंड के मौसम में नहाना नहीं चाहता था । ।

     

    "जानूं देखो कितनी ठंड हो रही है, तुम्हारे बेबी को बुखार हो जाएगा" विराज ने प्यार से कहा और अपना सिर उसकी गोद में रख लिया और कम्बल को पकड़ लिया था । ।

     

     "नहीं बेबी, आज कोई बहाना नहीं, मैं तुम्हें अपने साथ मंदिर ले जाऊंगी ताकि तुम नहाना नहीं छोड़ सकते" ज्हानवी ने विराज को वाशरूम में खींचकर उसे तैयार होने में मदद की थी । ।

     

    उसे तैयार करने के बाद वह नीचे गई और विराज को युवराज और जयराज को जगाने के लिए भेजा और उसने नाश्ता तैयार करना था । ।

    कुछ देर बाद जयराज और युवराज नीचे आए, ज्हानवी ने उन्हें कैजुअल कपड़े पहने हुए देखकर भौंहें सिकोड़ लीं थीं । ।

     

    "बेबी, अपने भाइयों से कहो कि वे ऑफिस के लिए तैयार हो जाएं, नाश्ता तैयार है" ज्हानवी ने विराज से कहा जो उसके पीछे खड़ा था और उसकी साड़ी के पल्लू से खेल रहा था । ।

     

    "जान आज हम कहीं नहीं जा रहे हैं, आज हमारा फेमिली दिन है" युवराज ने ज्हानवी को याद दिलाते हुए कहा कि वे अपने ऑफिस के काम के लिए उसे अनदेखा कर रहे थे । ।

     

    "आप दोनों छुट्टी क्यों ले रहे हो, आपको तो उस लड़की के साथ जाना चाहिए" ज्हानवी ने झुंझलाहट में अपने होंठ मोड़ते हुए कहा था । ।

     

    "ज्हानवी, तुम बहुत ज्यादा बात नहीं कर रही हो" जयराज ने गुस्से की वजह से ज्हानवी को चुप कराते हुए सख्ती से कहा था । ।

    " I am sorry"

    "मुझे माफ कर दो" उसने धीरे से फुसफुसाया था । ।

     

    ज्हानवी ने उन्हें नाश्ता परोसा और विराज को उसका मिंट चॉकलेट मिल्कशेक दिया था । ।

     

    नाश्ता खत्म करने के बाद ज्हानवी ने पूजा की थाली ली और विराज का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ मंदिर ले गई थी । ।

     

     "मैं राज जी के साथ मंदिर जा रही हूँ, अपना ख्याल रखना हम आधे घंटे बाद आएँगे । ।" ज्हानवी ने जयराज को बताया और लिविंग एरिया में सोफे पर बैठे युवराज को बताया था । ।

     

    जयराज ने कॉफी उगल दी थी, जो उसने पी थी, क्योंकि "विराज सिंह"  का मंदिर जाना बहुत अनोखी बात है । ।

    विराज को पार्टी, क्लब और सब कुछ पसंद था, वह बहुत ही खुशमिजाज लडका था जो कभी भगवान में विश्वास नहीं करता था । ।

     

    "ठीक है, लेकिन बॉडीगार्ड्स  को साथ ले लो, अकेले जाने की कोई जरूरत नहीं है" युवराज ने कहा, जिस पर ज्हानवी ने सिर हिलाया और विराज के साथ बाहर चली गई थी । ।

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    । । कुछ देर बाद मंदिर में । ।

    ज्हानवी  विराज के साथ मंदिर आ गई और उसकी आरती करने लगी और विराज भी बहुत खुश था क्योंकि उसकी याददाश्त खोने के बाद उसके भाइयों ने उसे मेंशन में बंद कर दिया था, लेकिन यह ज्हानवी ही थी जो उसे अलग अलग जगहों पर ले जाती थी । ।

     

    ज्हानवी ने भगवान से विराज को बुरी नजर से बचाने की प्रार्थना की, लेकिन  बुरी नजर  पेहले से ही वहां मौजूद थी । ।

     

     "माँ, उस लड़के को देखा है, यह विराज है न!" तीस के करीब में एक लड़के ने अपनी माँ से कहा जो विराज को भी गौर से देख रही थी । ।

    तुम सही कह रहे हो, यह विराज ही है, लेकिन इसका तो हमने एक्सीडेंट करा दिया था ना" उसकी माँ ने चौंकते हुए कहा था । ।

     

    "यही तो है माँ, लेकिन अगर वह ठीक है तो उसके भाइयों ने हमारे खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, उसने अब तक उन्हें सच बता दिया होगा"

     

    "ओह भगवान, तुम्हारे से एक काम नहीं होता, देखो अब वह जींदा है, अब एक काम करो, एक जासूस को उसका पीछा करने के लिए कहो" उसकी माँ ने उससे कहा, जिस पर उसने सिर हिलाया था । ।

     

    तुम एक काम भी ठीक से नहीं कर सकते । ‌ । उसकी मां ने कहा था । ।

     

    दूसरी ओर पुजारी ने देखा कि ज्हानवी की मांग में सिंदूर नहीं भरा है, इसलिए उसने विराज से कहा कि वह उसकी मांग में सिंदूर भर दे, विराज ने ज्हानवी की मांग में सिंदूर भर दिया, जिससे वह खुश हो गई थी । ।

     

    उनके इस सिन से दोनों मां और उसका बेटा हैरान रह गए थे । । 

     

    "वह उसकी पत्नी है" दोनों फुसफुसाए और एक दूसरे की ओर देखने लगे और फिर से उनकी ओर देखने लगे थे । ।

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    । । दूसरी ओर जयराज और युवराज । ।

     

     "भाई हमें उस डेट के लिए क्या क्या  अरेंजमेंट करना चाहिए" जयराज ने अनुराग से पूछा, क्योंकि उन्हें डेट पर क्या होता है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और क्यों होगी वे कभी किसी डेट पर नहीं गए, उन्हें तो यह भी नहीं पता कि डेट पर क्या होता है । ।

    "और क्या अरेंजमेंट? चलो ज्हानवी को डिनर के लिए किसी अच्छे रेस्टोरेंट में ले चलते हैं" युवराज ने अखबार पढ़ते हुए सुझाव दिया था । । 

     

    "सिरियसली से भाई, मुझे लगता है कि हमें और एफर्ट्स करने होंगे..... .रुको! चलो गूगल की मदद लेते हैं" जयराज ने कहा था । ।

     

    जब तक ज्हानवी नहीं आ गई, वे डेट की तैयारी करते रहे थे । ।

     

    कुछ देर बाद ज्हानवी वापस आ गई और विराज के साथ झपकी ली थी और पूरे दिन वह युवराज और जयराज को अनदेखा करती रही थी । । । 

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  • 18. Triplets's Wife - Chapter 18

    Words: 1508

    Estimated Reading Time: 10 min

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    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    भाई हमें उस डेट के लिए क्या क्या  अरेंजमेंट करना चाहिए" जयराज ने अनुराग से पूछा, क्योंकि उन्हें डेट पर क्या होता है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी, और क्यों होगी वे कभी किसी डेट पर नहीं गए, उन्हें तो यह भी नहीं पता कि डेट पर क्या होता है । ।

    "और क्या अरेंजमेंट? चलो ज्हानवी को डिनर के लिए किसी अच्छे रेस्टोरेंट में ले चलते हैं" युवराज ने अखबार पढ़ते हुए सुझाव दिया था । । 

    "सिरियसली से भाई, मुझे लगता है कि हमें और एफर्ट्स करने होंगे..... .रुको! चलो गूगल की मदद लेते हैं" जयराज ने कहा था । ।

    जब तक ज्हानवी नहीं आ गई, वे डेट की तैयारी करते रहे थे ।  ।

    कुछ देर बाद ज्हानवी वापस आ गई और विराज के साथ झपकी ली थी और पूरे दिन वह युवराज और जयराज को अनदेखा करती रही थी । । । 

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    । । और अब आगे पढें । ।

    ज्हानवी एक गाना गुनगुनाते हुए अपने कमरे में आई, तभी उसकी नज़र बिस्तर पर पूरी तरह से लपेटे हुए रखे एक गिफ्ट बोकस पर पड़ी थी । ।

     

    उसने उसे उठाया और उस पर लिखें नोट की ओर देखा और उसके गुस्से को शांत करने के  अपने पतियों के एफटरस पर मुस्कुराई थी । ।

     

    इस पर लिखा था "तुम्हारे लिए जान, इसे पहनकर मेंशन के बाहर आओ । ।"

    और बिना टाइम बर्बाद किए उसने इसे खोला और व्हाइट साड़ी देखकर मेस्मेरिज्म हो गई थी । ।




    व्हाइट साड़ी के साथ गोल्डन स्लीवलेस ब्लाउज था और उसने कानों में डायमंड सटुडस और गले में मंगलसूत्र पहना था हाथों में डायमंड बेंगल्स पहने और अपने लंबे बालों को खुला छोड़ दिया था । ।





    वह रेडी होकर नीचे आई और बाहर निकलकर देखा कि ड्राइवर ज्हानवी को उसके डेस्टिनेशन तक ले जाने के लिए उसका इंतज़ार कर रहा है, ज्हानवी पुरे रास्ते मुस्कुरा रही थी । ।

     

    जगह पर पहुँचने के बाद, ज्हानवी कार से नीचे उतरी लेकिन जगह की खूबसूरती देखकर उसकी साँस अटक गई, वह अपने पति की ओर देखकर मीठी मुस्कान बिखेरने लगी जो पहले से मौजूद हर चीज़ को ठीक करने की कोशिश कर रहे थे, और वे अपनी पत्नी के लिए सब कुछ परफेक्ट करने की कोशिश कर रहे थे । ।




     

    उसकी आँखों में आँसू भर आए, उसने अपनी लार को निगल लिया, अपनी खुशी को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी । ।




     

    ज्हानवी ने युवराज की ओर देखा और मुस्कुराया और  जयराज उसकी तरफ आगे बढ़ने लगा लेकिन जल्द ही उसके आँसू देखकर भौंहें सिकोड़ लीं थीं । ।

     

    "शिट" जयराज ने सोचा कि शायद ज्हानवी को सजावट पसंद नहीं आई  है क्योंकि यह उनका पहली बार है और साथ ही वह ज्हानवी की लाइक्स और डीसलाइकस के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे । ।

    तभी  ज्हानवी ने अचानक जयराज को गले लगा लिया जिससे जयराज की  सोच  टूट गई,  उसने जहान्वी को बाहों में कस लिया जो दौड़ते हुए उसकी ओर आई थी और उस पर कूद पड़ी जिससे वह बहुत खुश हो गया था । ।

     

     लेकिन फिर भी उसे समझ नहीं आ रहा है कि ज्हानवी क्यों रो रही है ।

    because you are dumb angry bird.

    ज्हानवी ने उसके कंधे से झाँका और युवराज को देखा जो उनकी ओर ही आ रहा था, उसने जयराज को गले लगाना छोड़ दिया और युवराज की ओर दौड़ी, वह  अभी भी रो रही थी लेकिन मुस्कुरा भी रही थी । ।

     

    गले लगाने के दौरान, युवराज ने उसके लंबे रेशमी बालों को सहलाया था । ।

    "Do you like it Jaan"

    क्या तुम्हें यह पसंद आया जान" युवराज ने पूछा था  ।  ज्हानवी की आँखों में खुशी के आंसू थे, उसने  अपना सिर हां में  हिलाया और गले लगना तोड़ते हुए कहा था  । ।

    "like it ? I just love it (sniffed) no one did this much for me, thankyou".

    "यह पसंद है? मुझे यह बहुत पसंद है (सूँघते हुए) किसी ने मेरे लिए इतना कुछ नहीं किया, शुक्रिया"।

     

    "यह तो ठीक है लेकिन तुम क्यों रो रही हो" जयराज ने अभी भी डमब बने हुए पूछा था । ।

     

    ज्हानवी ने अपनी आँखें घुमाई "ये खुशी के आंसू हैं जय जी । ।"

     

    "हम्म (अपनी आँखें सिकोड़ते हुए) लेकिन क्या तुम्हें नहीं लगता कि  तुम्हें मेरी बात पर अपनी आँखें घुमाने की हिम्मत नहीं  करनी है" जयराज  ने कहा जिससे ज्हानवी ने अपनी आँखें नीची कर लीं थीं । ।

     

    "जय चुप हो जाओ, जान आओ कुछ खाते हैं, तुम्हें भूख लगी होगी, ना " युवराज ने उसकी खुली कमर के चारों ओर हाथ फेरते हुए कहा था । ।

     

    "लेकिन राज जी कहाँ हैं" ज्हानवी ने पूछा क्योंकि विराज अभी उनके साथ नहीं था । ।

     

    "वह एक कमरे में सो रहा है" जयराज ने कहा जिस पर ज्हानवी और भी कुछ भी कहने वाली थी लेकिन जयराज ने उसे बीच में ही रोक दिया था  । ।

    "और हमने उसे खाना खिलाया है । ।"

    ज्हानवी  उसकी बात पर मुस्कुराई थी । ।

     

     "जान तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो" युवराज ने उसके कानों में फुसफुसाया, ज्हानवी शरमा गई और तारीफ के लिए जयराज की ओर देखने लगी, लेकिन उसे  खानें की डीसेज देखते देख बेयकीनी  में  अपना सिर हिला दिया था । ।

    "जय जी" ज्हानवी ने उसका ध्यान अट्रेक्ट करने के लिए उसे प्यार से पुकारा था । । 

    हमम

     लेकिन वह सिर्फ़ गुनगुनाता रहा और डीसेज की जांच करता रहा था । ।


     

    "बेबी, खाना बहुत डिलीशियस लग रहा है, जल्दी से खाना खा लेते हैं " यह सुनकर ज्हानवी नाराज़ हो गई और अपने हाथों को कमर के दोनों ओर रखते हुए उसकी आँखों में देखने के लिए उसके सामने आ गई थी । ।

     

    "और मेरा कैसी लग रही हुं " उसने गुस्से से मुंह बनाते हुए पूछा, जिससे वह मुस्कुराया था । ‌।

    "तुम भी डिलीशियस लग रही हो बेबी" उसने सिर से पैर तक उसे देखते हुए कहा था जिससे वह शरमा गई थी । ।

     

    "चलो खाना खाते हैं, मुझे भूख लगी है" ज्हानवी ने उसका ध्यान भटकाने के लिए कहा और यह काम कर गया, वे सभी अपनी जगह पर बैठ गए और वेटर उन्हें परोसने के लिए आया था । ।

     

    "क्या आप हमें एक्सक्यूज कर सकते हैं" ज्हानवी ने वेटर को हटा दिया, और अपने हाथों से उन्हें खाना परोसना शुरू कर दिया, जिससे युवराज और जयराज मुस्कुराए थे । ।

     

    "विराज जी ने नखरे दिखाए होंगे, है न?"  ज्हानवी ने पूछा, क्योंकि वह जानती थी कि विराज को उसके हाथों से खाना खाना पसंद है । ।

     

     "क्योंकि तुम उसे अपना आदी बना दिया है"  जयराज ने कहा जिससे ज्हानवी मुस्कुरा उठी थी । ।

     

    उन्होंने शांति से डिनर किया और डेजर्ट के बाद । ।

     

    जयराज ने डांस के लिए उसका हाथ खींचा लिया था और युवराज ने उनका पीछा किया और जैसे ही गाना शुरू हुआ, युवराज ने ज्हानवी के हाथों को अपने पास खींच लिया, अपने हाथों को उसकी कमर पर रखा और ज्हानवी ने अपने हाथों को उसके कंधे पर रख लिया, दो तीन लाइनों के बाद  युवराज ने उसे घुमाया जिससे ज्हानवी का चेहरा जयराज की ओर हो गया और उसने  ज्हानवी के साथ डांस करना शुरू कर दिया था । ।





     

    जयराज : ज्हानवी मैं तुमसे बहुत दिनों से कुछ कहना चाहता था, तुम जानती हो ज्हानवी जब मैंने तुम्हें अनाथालय में पहली बार देखा था, मैं तुम्हारी खुबसूरती से मेस्मेरिज्म हो गया था  । ‌।

    I forced you in this marriage

    और मैंने तुम्हें इस मेरिज में फोर्स किया, मुझे तुम्हारा शरीर पहली नजर में पसंद आ गया था और मुझे लगा कि मैं इतनी खूबसूरत पत्नी पाकर सबसे लक्की पति बनूंगा लेकिन तुम्हें जानने के बाद की तुम अंदर से भी कितनी खूबसूरत हो, मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गया हूँ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ बेबी । । 

    I can't stop falling for you so hard I love you so much  

     

    ज्हानवी की आँखों से फिर से आँसू बहने लगे, उसने युवराज को भी बहुत प्यार से देखा था । ।

    "I love you too and I love being forced in this love for forever"

    "मैं भी आपसे प्यार करती हूँ और मुझे इस प्यार में हमेशा के लिए फोरसेड होना पसंद है" उसने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, उसने उन्हें कसकर गले लगा लिया था । ।

     

     ज्हानवी ने फिर से जयराज की आँखों में देखा, उसने उसकी गहरी आँखों में देखा और तुरंत उसकी निगाहों से शरमा गई थी । ।

     

    वह पलटी और युवराज की ओर देखने लगी जो जयराज की तरह ही उसकी खूबसूरती को देख रहा था । ।

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  • 19. Triplets's Wife - Chapter 20

    Words: 2310

    Estimated Reading Time: 14 min

    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।

    ज्हानवी की आँखों से फिर से आँसू बहने लगे, उसने युवराज को भी बहुत प्यार से देखा था । ।

    "I love you too and I love being forced in this love for forever"

    "मैं भी आपसे प्यार करती हूँ और मुझे इस प्यार में हमेशा के लिए फोरसेड होना पसंद है" उसने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, उसने उन्हें कसकर गले लगा लिया था । ।

     ज्हानवी ने फिर से जयराज की आँखों में देखा, उसने उसकी गहरी आँखों में देखा और तुरंत उसकी निगाहों से शरमा गई थी । ।

    वह पलटी और युवराज की ओर देखने लगी जो जयराज की तरह ही उसकी खूबसूरती को देख रहा था । ।

    । । और अब आगे पढें । ।

    युवराज के पैर उसके पास खिंचे चले आए और ज्हानवी के होंठों को अपनी गिरफ्त में लेते हुए उसे मजबूती से और पेशन से किस करने लगा था । ।




    जयराज भी अपना कंट्रोल खो बैठा और उसकी खुली पीठ को चूमने लगा जो सिर्फ़ दो हुक से  बंधी हुई थी । ।

     

    युवराज ने उसके बालों को हल्के से मुट्ठी में जकड़ लिया और उसके मुंह को अपने नजदीक खींचा जिससे उसे  ज्हानवी के मुंह में और ज़्यादा पहुँच मिल गई थी  । ।

    ज्हानवी ने जयराज के हाथ पकड़ लिए जो सहारे के लिए उसकी कमर पर थे । ।




     

    जयराज ने कराहते हुए महसूस किया कि उसके ब्लाउज की गाँठ बीच में आ रही है, इसलिए उसने उसकी गाँठ को ज़ोर से खींचा जिससे वह हांफने लगी और युवराज अपने प्लेजर ज़ोन से बाहर आया, अपना गला साफ़ करते हुए उसने खुद को सीधा किया था । ।

     

    "जान जाओ और सो जाओ वरना हम अपना कंट्रोल खो देंगे और कल तुम्हें पछताना पड़ेगा" युवराज ने उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा और युवराज की बात सुनकर जयराज अभी भी साँस लेते हुए खुद को संभाल रहा था । ।

     

     "मुझे पछतावा नहीं होगा" ज्हानवी ने अपने हाथ पीछे खींचे और शर्म से उसकी ओर देखा था । ।

     

    उन दोनों को चौंकते हुए उसकी ओर देखा था । ।



    "मैं आप दोनों को पति का अधिकार देने लिए तैयार हुं  । । मुझे अपना बना लो प्लीज" ज्हानवी ने शर्म से कहा था । ।

     

    युवराज ने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को सहलाते हुए पूछा था  । ।

    "क्या तुम अपनी इनसिक्योरिटी की वजह से ऐसा कर रही हो" युवराज ने यह याद करते हुए पूछा था क्योंकि कि ज्हानवी उसके ओफीस में कैसे रिएक्ट कर रही थी  कोई दूसरी लड़की उसकी गोद में गिर गई थी । ।

    ज्हानवी ने तुरंत अपना सिर नां में हिलाया था  । ।



    "नहीं, मुझे आप पर भरोसा है और जब आप मेरे हो ( युवराज के बटनों से खेलते हुए), तो मैं इनसिक्योर क्यों महसूस करूँगी, मैं आप तिनों से प्यार करती हूँ और मे यह करना चाहती हुं " ज्हानवी ने अपना सिर नीचे करके और अपने होठों को काटते हुए कहा था । ।

    जयराज बहुत खुश हो गया था लेकिन युवराज अभी भी  श्योर नहीं था । ।

     

    "लेकिन यह सब अचानक क्यों" युवराज ने पूछा, जिससे ज्हानवी चिढ़ गई, उसने अपने पैरों को ज़ोर से हिलाया और पीछे मुड़ गई थी । ।

     

    "ठीक है, आपको पता है क्या? कि चलो सो जाते हैं " उसने झुंझलाहट से कहा, जिससे युवराज मुस्कुराया और जयराज ने अपने भाई  की तरफ  सिर हिलाया, उसे नहीं पता कि उसके साथ क्या प्रोब्लम है । ।

     

    वह रिसॉर्ट के अंदर जाने लगी, तभी युवराज ने उसे घुमाया और उसके होठों को किस किया और उसके प्यारे चेहरे पर हँसा था । ।

     

    उसने दुल्हन की तरह ज्हानवी को गोद में उठाया और जयराज को सभी नौकरों को बाहर निकालने का इशारा दिया था । ।



     

    वह उसे अपने कमरे में ले गया, ज्हानवी शर्म से अपना चेहरा उसके सीने में छिपा रही थी । ।

    जयराज उनके पीछे अंदर गया और दरवाजा बंद कर दिया था । ।

     

     उनके कमरे के अंदर एक कमरा ओर भी था जहाँ विराज सो रहा था । । युवराज ने उसे डीजायर से भरी आँखों से देखा, उसने उसकी हर फिचर्स की तारीफ की, उसकी बड़ी हिरण जैसी आँखें । ।

     उसकी बटन के आकार की नाक, उसके प्लम्प होंठ, उसकी पतली गर्दन और उसके बड्स जो उसके टाइट फिटेड ब्लाउज से बाहर निकलने को बेचैन थे । ।




     

    जयराज उसके पास आया और ज्हानवी के पास बैठ गया, और उसके कानों की बालियाँ निकाल दीं और उसके कान के लोब को काट लिया जिससे वह कराह उठी और उसकी आवाज सुन कर युवराज अपने होश में वापस आ गया था । ।

     

    युवराज नीचे की ओर झुका और उसकी चप्पलें उतार दीं थीं, उसके पैरों की उँगलियों को चूमा, उसकी पायल निकाली और चेहरे की ओर आने लगा और सीधे उसके होठों पर किस किया था जिससे वह कराह उठी, जयराज ने उसकी साड़ी को वहाँ से खिसकाते हुए उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया था, ज्हानवी मछली की तरह उछल पड़ी जैसे वह प्लजर को  हेंडल नहीं कर पा रही हो । ।

     

    युवराज ने उसकी गर्दन पर  ओपन माउथ किसेज की बौछार शुरू कर दी, ज्हानवी ने उसका सिर पकड़ लिया और उसके बालों को मुठ्ठी में पकड़कर इमेस प्लेजर महसूस किया था । ।

     

     जयराज उसके पास आया और उसके होठों को खाना शुरू कर दिया और अपनी डीजायर,  लव  और  लस्ट को उसके सामने उंडेल दिया, ज्हानवी ने भी उसी पेशन के साथ जयराज को किस बैक किया, जिससे वह हार्ड हो गया था । ।




     

    जयराज ने उसके ब्लाउज को एक कंधे से हटा दिया और उसके कंधे पर हमला किया "जय जी" ज्हानवी उसके होंठों के नीचे कांप उठी थी । । और जयराज ने उसके कंधे पर एक बाइट छोड़ा था । ।

    उसके होंठ कांपने लगे और आँखें खुल गईं, यह महसूस करते हुए कि युवराज ने उसकी साड़ी का पल्लू उसके चेस्ट पर से हटा दिया है, ज्हानवी गहरी साँस लेने लगी और अपने हाथों से अपनी चेस्ट को छिपाने लगी, उसके दिल में अचानक डर पैदा हो गया , दो मर्दों के सामने बेलिबास होने का डर । ।

     

    उसने  अपना मुंह फेर लिया जिससे युवराज और जयराज  भौंचक्का रह गये थे । ।

    उन्होंने उसे अपनी तरफ पलटा और उसकी आंखों में आँसू देखकर चौंक गए, युवराज ने उसे उसकी साड़ी के पल्लू से ढँक दिया और उसे गले लगा लिया था । ।

     

    युवराज ज्हानवी को रुलाने के लिए गिल्टी महसूस कर रहा  था। । लेकिन वह नाराज़ भी  था क्योंकि उसने पहले ही उससे पूछा था कि वह कंफरटबल है या नहीं । ।

     

    "कोई बात नहीं बेबी अगर तुम कंफरटबल नहीं हो तो, हमने पहले ही तुम्हें रोका था, राइट " जयराज ने कहा, जिस पर  ज्हानवी ने अपना सिर जोर से हिलाया था । ।

     

    "नहीं.. नहीं मैं अनकंफरटेबल नहीं हूँ, मैं यह करना चाहती हूँ लेकिन मुझे शर्म आ रही है..  I am Sorry " ज्हानवी ने हिचकी लेते हुए कहा था । ।

     

     "तो फिर तुम क्यों रो रही हो जान" युवराज ने उसे दिलासा देने के लिए उसकी पीठ सहलाते हुए कहा था । ।

     

    "मुझे लगा कि मैंने आप दोनों का मूड खराब कर दिया है" जयराज और युवराज उसके जवाब पर चौंक गए, वह रो रही है क्योंकि वह उनका मूड खराब नहीं करना चाहती जैसा उसने अपनी पहली रात को किया था । ।

    "I. .I thought I spoiled your mood"

    "बेबी" जयराज ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए उसे पुकारा, ज्हानवी उसकी आँखों में देखती रही जो उसके लिए प्यार से भर गई थी । ।

     

    यह लड़की वाकई उन्हें प्यार करती है । । उन दोनों ने सोचा था । ।

    "You trust us right"

    "तुम हम पर भरोसा करती हो , जहान्वी ने तुरंत सिर हिलाया और उसकी तरफ मुस्कुराया था तो शर्म मत करो, यह मैं और भाई ही हैं जो तुम्हें प्यार करते हैं और तुम्हारी खूबसूरती को देखने का अधिकार सिर्फ हमें है, तुम हमारे लिए  इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो, हम तुमसे प्यार करते हैं हम्म" जयराज ने उसे धीरे से समझाया, युवराज भी अपने भाई की तरफ देखकर मुस्कुराया, उसे अपनी परवरिश पर गर्व हुआ था । ।

     

     ज्हानवी ने सिर हिलाया और साड़ी का पल्लु को छोड़ दिया जिसे वह अपनी सिने से पकड़े हुए थी, युवराज ने उसके माथे को चूमा और अपने हाथों को उसके  हाथों से  उलझाते हुए उसको गद्दे में दबा लिया था । ।



     

    जयराज ने उसके ब्लाउज के हुक तक पहुँचने के लिए उसे थोड़ा घुमाया और उसने उन्हें खोल दिया, ज्हानवी झिझक उठी और युवराज की ओर देखने लगी जो उसे दिलासा दे रहा था, उसकी अश्योर्ड मुस्कान देखकर, ज्हानवी को थोड़ी राहत महसूस हुई थी । ।

     

    जयराज ने धीरे से और बहुत धीरे से उसका ब्लाउज हटाया और उसके हेव्वी बड्स बाहर निकल आए थे । । 

    ज्हानवी ने बहुत शर्म महसूस करते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं, वह हिल भी सकती थी क्योंकि उसके हाथ युवराज के सख्त हाथों में कैद थे । ।




     

    ज्हानवी को कुछ पल तक कोई मुवमेंट  महसूस नहीं हुई इसलिए उसने अपनी आँखें खोलीं और अपने पतियों को देखा जो अपनी पत्नी की खूबसूरती को आँखों से पी रहे थे, उसके गाल लाल हो गए थे । ।

     

    जयराज और युवराज उसकी  बोड़ी के कर्व्स को देख कर  मेस्मेरिज्म हो गए थे । ।

    जयराज उसे ऐसे देख रहा था जैसे किसी भुखे जानवर को उसकी  दावत  मिल गईं हों । ।

     

    *वाह क्या डायलॉग है, लेखक पर गर्व है * 🫣

     

    जयराज ने उसके स्तन**  को हल्के से छुआ, उसके शरीर के हर इंच को महसूस करने की कोशिश करते हुए, युवराज ने पहले आँखों से ज्हानवी से परमिशन मांगी जिस पर ज्हानवी ने अपनी आँखें झपकाईं थी । ।

     

    "यु ... व जी उम्म" ज्हानवी जोर से कराह उठी जब युवराज का गर्म मुँह उसके ठंडे निप्पल**  को छू गया, वह इतना सख्त था और ज्हानवी को ऐसा लग रहा था जैसे वह उसकी आत्मा को चूस** रहा हो । ।

     

    जयराज भी खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और उसके दूसरे स्तन**  पर कूद पड़ा जैसे वह सदियों से उसके लिए भूखा था । ।

     

     ज्हानवी ने खुद को थोड़ा ऊपर खींचा ताकि वे उसके एसेट्स तक और पहुँच ज्यादा आसानी से पहुंच सकें, वह जोर से कराह उठी और उसे सांस लेने मुश्किल हुई थी, उसने बिस्तर की चादर पकड़ ली और अपना सिर इधर- उधर हिलाया, लेकिन वह प्लेजर को कंट्रोल नहीं कर पाई थी । ।

    सर्दियों में भी पसीने की वजह से उसके कुछ बाल उसके चेहरे से चिपक गए थे । ।

     

    "मैं इन्हें अपनी पूरी ज़िंदगी संभाल सकता हूँ बेबी" जयराज ने अपनी  सकिंग के बीच में कहा और फिर से उसके कोमल अंग पर हमला करना शुरू कर दिया था । ।

    युवराज के हाथ उसके पेटीकोट के अंदर गये और उसके सोफट पार्ट को टच किया था । ।

    आहहह.. ज्हानवी ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला लेकिन जयराज ने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी थी । ।




    युवराज उसके बड्स को सक कर रहा था और साथ उसकी क्लिंट के अंदर फिंगरिंग कर रहा था । । उसकी स्पीड अन इमेजिनेबल थी । ।

    जबकि जयराज उसकी जीभ से अपनी जीभ को राउंड और रिथमिक अंदाज में इटरवाइंड कर रहा था । ।

    50 to 60 हार्ड और रेगुलर फिंगर इन और आउट के बाद ज्हानवी कांप उठी थी । । क्योंकि युवराज को उसकी स्विट स्पोट मिल गईं थीं  और उसने वहां लगातार वार करना शुरू कर दिया था । ।

    ज्हानवी अब बिल्कुल बेकाबू हो गई थी वह नीचे की तरफ युवराज के हाथों पर अपने हिप्स घुमा रही थी और  उसका एक हाथ युवराज के बालों को पकड़े अपने बड्स पर बारी बारी दबा रहा था । ‌।

    जबकि उपर वह जयराज के मुंह में अपनी जीभ को उसकी जीभ से इटरवाइंड कर रहीं थीं और उसका दुसरा हाथ जयराज की गर्दन और पीठ पर निशान बना रहा था । ।

    और कुछ ही देर में उसने अपनी लाइफ का पहला ओरगेजम महसूस किया था । ।

    जैसे वह आसमान पर पहुंच गई थी । । उसका बदन पंख की तरह हल्का हो गया था । ।  उसके हाथ पैर रूक गये थे । ।

    ज्हानवी को इतना हाइ देख कर युवराज ने अपनी उंगलियों की स्पीड ओर बढ़ा दी थी और उसके एक निप्पल**  को बाइट धीरे से बाइट किया था । ।

    जबकि जयराज ने उसकी गर्दन पर किसेज देना शुरू किया और उसके दुसरे बडड को चुटकी में दबाया था । ।

    और ज्हानवी प्लेजर की हाइट से वापस आईं थीं । । 

    वे  दोनों  रुक गए और उस पर लेट गए और उसे कंबल से ढक दिया जिससे वह भौंचक्की रह गई थी । ।

     

    "आप दोनों क्यों रुक गए" उसने धीरे से फुसफुसाया क्योंकि उसमें सिर्फ इतनी ही एनर्जी बची थी । ।

     

    "तुम अभी तैयार नहीं हो जान और इसके अलावा जब विराज  पुरी तरह से ठीक हो जाएगा तब हमारी शादी पूरी करेंगे" युवराज ने कहा, ज्हानवी कुछ कहने वाली थी जब उसने उसे सख्त आँखें दिखाईं जिससे वह आहें भरने लगी थी । ।

     

     ज्हानवी ने उसे गले लगाया और अपना सिर उसकी चेस्ट पर रखा और कुछ ही देर में सो गई, जयराज ने भी उसे पीछे से गले लगाया और कंबल के ऊपर से उसके स्तन**  को सहलाया, ज्हानवी ने उसके हाथों को झटका दिया लेकिन वह किससे मजाक कर रही थी  जयराज ने भी उसके हाथ को झटका दिया और फिर से उसके एक स्तन**  को मजबूती से सहलाया, ज्हानवी ने आह भरी और युवराज से और चिपक कर सो गई थी । ।


    आइ होप चैप्टर Hot लगा होगा? 



    मैंने पिछली बार से ज्यादा इंटेंस लिखा है । ।

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  • 20. Triplets's Wife - Chapter 20

    Words: 1913

    Estimated Reading Time: 12 min

    । । । पिछले चैप्टर में हमने पढ़ा था कि । । ।



    वे  दोनों  रुक गए और उस पर लेट गए और उसे कंबल से ढक दिया जिससे वह भौंचक्की रह गई थी । ।

    "आप दोनों क्यों रुक गए" उसने धीरे से फुसफुसाया क्योंकि उसमें सिर्फ इतनी ही एनर्जी बची थी । ।

    "तुम अभी तैयार नहीं हो जान और इसके अलावा जब विराज  पुरी तरह से ठीक हो जाएगा तब हमारी शादी पूरी करेंगे" युवराज ने कहा, ज्हानवी कुछ कहने वाली थी जब उसने उसे सख्त आँखें दिखाईं जिससे वह आहें भरने लगी थी । ।

     ज्हानवी ने उसे गले लगाया और अपना सिर उसकी चेस्ट पर रखा और कुछ ही देर में सो गई, जयराज ने भी उसे पीछे से गले लगाया और कंबल के ऊपर से उसके स्तन**  को सहलाया, ज्हानवी ने उसके हाथों को झटका दिया लेकिन वह किससे मजाक कर रही थी  जयराज ने भी उसके हाथ को झटका दिया और फिर से उसके एक स्तन**  को मजबूती से सहलाया, ज्हानवी ने आह भरी और युवराज से और चिपक कर सो गई थी । ।

    । । और अब आगे पढें । ।

    ज्हानवी ने  विराज की सिसकियों की आवाज सुनकर अपनी आँखें खोलीं, जो लगातार उसके गालों को थपथपा रहा था और किसी छोटे बच्चे की तरह पूरी तरह से उसके ऊपर लेटा हुआ था । ।

     

    ज्हानवी ने झटके से अपनी आँखें खोलीं और विराज की ओर देखा, जो अब उसकी गर्मी को महसूस करने के लिए उसे कसकर गले लगाने की कोशिश कर रहा था । ।

     

    यह आँसू उसके दिल को चीर रहे थे, उसने तुरंत उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया, इस बात की परवाह किए बिना कि वह कंबल के नीचे आधी नं गी है । ।

    "क्या हुआ राज जी आप रो क्यों रहे हैं । ।" ज्हानवी ने उसे अपनी बाहों में और भी कसकर पकड़ते हुए पूछा था । ।



     

    "मैं डर गया था"  विराज ने कंबल से बाहर झांकती उसकी कलिवेज की दरार में सिसकते हुए कहा था । ।

     

    "अरे मेरा बाबू डर गया था पर क्यों वो तो बहुत स्ट्रोंग है" ज्हानवी ने उसके आँसू धीरे से पोंछते हुए कहा था । ।

     

    "वो कमरा में बहुत अंधेरा था"  विराज ने उनके कमरे के अंदर दूसरे कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा जहाँ वह सो रहा था । ।

     

     "मुझे अँधेरे से बहुत डर लगता है  जानूं "  विराज ने गहरी साँस लेते हुए कहा, लेकिन उसके इस सच  ने ज्हानवी को एक पल के लिए हैरान कर दिया क्योंकि विराज की आवाज़ बचकानी नहीं बल्कि मर्दाना आवाज़ थी, जिसने उसमे सिहरन पैदा कर दी थी । ।

    ज्हानवी ने उसका चेहरा सहलाया और उसकी आँखों की ओर देखा जो सिर्फ़ मासूमियत दिखा रही थी । । एक पल के लिए उसे लगा कि विराज की उसकी याददाश्त वापस आ गई है लेकिन फिर उसने अपने खयाल को छोड़ दिए थे । ।

     

    "जानूं मैं भी कम्बल के अंदर आना चाहता हूँ" विराज ने उसका कम्बल खींचने की कोशिश की जो उसकी खुली चेस्ट को छुपा रहा था जिससे उसकी आँखें चौड़ी हो गईं थी । ।

     

    "नहीं बेबी तुम उस कमरे के अंदर जाओ, मैं एक मिनट में आ रही हूँ । ।" ज्हानवी ने कंबल अपने सीने से लिपटते हुए कहा था । ।

     

    "नहीं वहाँ बहुत अँधेरा है"  विराज ने कहा और घबरा गया, और बुरी तरह से पसीना आने लगा था । ।

     

    ज्हानवी को यह सिचुएशन सिरियस लगी और उसने उसे शांत करना शुरू कर दिया लेकिन विराज कम्बल के अंदर आना चाहता था और उसने उसे गले लगा लिया लेकिन वह उसे कैसे अंदर आने दे सकती थी । ।

     

     उसने सोचा कि युवराज को उसकी बाँहों पर थपथपाकर जगाया जाए, युवराज ने नींद में आँखें खोलीं क्योंकि वह कल की डेट की वजह से थका हुआ था और साथ ही वे ज्हानवी के साथ मेक आउट के बाद देर से सोए थे । ।

     

    "क्या हुआ जान" युवराज ने नंदिनी के पास बैठते हुए कहा, ज्हानवी घबरा कर मुस्कुराई थी । ।

    वोह वोह दरअसल विराज जी कंबल के अंदर सोना चाहते हैं, प्लीज उन्हें दूसरे कमरे में ले जाएं क्योंकि उन्हें अंधेरे कमरे में अकेले जाने में डर लग रहा है । ।"

     

    "ओह गॉड कल मैंने गलती से उनके कमरे की लाइट बंद कर दी, मैं कैसे भूल गया कि उन्हें निक्टोफोबिया है" युवराज ने विराज के गालों पर  आंसुओं को देखते हुए कहा था । ।

     

    ज्हानवी यह जानकारी पाकर हैरान रह गई, उसने आंसू भरी आंखों से विराज की तरफ देखा जो अब अच्छा महसूस कर रहा था, वह पागलों की तरह उसके चेहरे को चूमने लगी थी । ।

     

     उसे फोबिया क्यों है?" उसने युवराज से पूछा, जिसने उदास होकर आह भरी थी । ।

     

    "कुछ साल पहले हमारे चाचा के बेटे ने उसे एक दिन के लिए अंधेरे कमरे में बंद कर दिया और उसने कमरा बाहर से बंद कर दिया और हम उस टाइम छोटे थे इसलिए हम दरवाजा नहीं खोल पाए" उसने गुस्से को छुपाते हुए काली आँखों से कहा, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और एक गहरी साँस ली और विराज के बालों को सहलाते हुए कहा "तुम्हें पता है ज्हानवी, जब विर अंदर से चिल्ला रहा था तो जय पूरी रात रोया था" उसने कहा कि उसकी आँखों से एक आँसू जहान्वी की उंगलियों पर लगा था । ।

     

    उसके आँसू महसूस करते हुए ज्हानवी ठीक से कंबल को अपनी चेस्ट से चिपका कर बैठ गई और युवराज की आंखों को चुम लिया था ।। और फिर युवराज के माथे को चूमा और उसे रोने से मना करने के लिए सिर हिलाया था । ।

     

    युवराज ने मुस्कुराकर सिर हिलाया और ज्हानवी ने बहुत चिंता और प्यार से विराज की ओर देखा, उसकी आंखों में आंसू आने की  वजह से उसकी नज़र धुंधली हो गई थी । ।

     

    उसने विराज को अपने सीने से लगा लिया, उसका एक हाथ अभी भी कंबल पकड़े हुए था,  उसने विराज के रेशमी चिकने बालों को चूमा था । । विराज ने भी उसे कसकर गले लगाया, उसके हाथ उसकी खुली पीठ को पकड़े हुए थे जिससे  ज्हानवी की सांसें अटक रही थीं । ।

     

    युवराज ने उन दोनों को अपनी बाहों में लिया और उनके सिर को चूमा, जयराज जो अब तक सोने की एक्टिंग कर रहा था क्योंकि उसके भाई ने  ज्हानवी को बताया कि वह रोया था, इसलिए वह ज्हानवी का सामना नहीं करना चाहता था लेकिन जब युवराज और विराज दोनों ने ज्हानवी को गले लगाया तो उसने बुरा चेहरा बनाया और कहा था । ।

     

    "मुझे तो कोई प्यार ही नहीं करता" उसने जोर से कहा और अपना चेहरा तकिये में छिपा लिया जिससे युवराज हंस पड़ा और ज्हानवी ने अपनी मुस्कान को कंट्रोल करने के लिए अपने होंठ काटे थें । ।

    "तुम सो रहे थे ना , जय , अब यहां आओ और बच्चों की तरह बिहेव मत करो" युवराज ने जयराज से कहा और जयराज धी रे-धीरे उनके पास आया और गले लग गया था । ।

    " My Family "

    ज्हानवी ने फुसफुसाते हुए बोली और उनकी गर्में बाहों में लिपट गई थी । ।

     

    "बेबी तुम सोना चाहते हो न चलो, युव जी तुम्हें सुला देंगे, उनके साथ चलो । ।" ज्हानवी ने गले लगाने के बाद कहा, जिस पर विराज ने तुरंत नां में सिर हिला दिया । । जिससे वह आहें भरने लगी थी । ।

     

    उसने युवराज की ओर देखा और युवराज उसकी पोजीशन को समझ गया, इसलिए उसने कहा "बेबी तुम्हारी  जानूं एक मिनट बाद आएगी ठीक है तब तक मेरे साथ चलो हम्म"   विराज ने नां चाहते हुए भी सिर हिलाया था । ।



     

    युवराज और  विराज के दूसरे कमरे में जाने के बाद, जयराज खड़ा हुआ और जमीन पर पड़े उसके ब्लाउज के पास गया और ज्हानवी ने उसका ब्लाउज लेने की कोशिश की, लेकिन जयराज ने शरारती मुस्कान के साथ उसकी पकड़ नहीं छोड़ रहा था । ।

     

    इससे पहले कि ज्हानवी कुछ कह पाती, वह उसके ऊपर कूद गया जिससे उसकी साँसें अटक गईं थीं । ।

     

    उसने ज्हानवी को पागलों की तरह चूमना शुरू कर दिया और कंबल के ऊपर से उसके हिप्स को दबाना शुरू कर दिया, उसने उसकी ठोड़ी और कॉलरबोन पर गिले किसेज देना शुरू कर दिया था । ।



     

     जयराज ने कम्बल खींचने की कोशिश की लेकिन ज्हानवी ने उसे धक्का दे दिया जिससे उसका जबड़ा भींच गया लेकिन इससे पहले कि वह उस पर चिल्लाता कि उसने उसका मुमेंट खराब किया, ज्हानवी ने प्यार से उसका चेहरा सहलाया और उसका गुस्सा शांत किया था । ।



    "मुझे जाना होगा जय जी, नहीं तो राज जी रोएँगे" ज्हानवी ने उसकी कमज़ोरी पर प्रहार करते हुए कहा, वह जानती है कि विराज उसके लिए कितना मायने रखता है । ।

     

    "ठीक है, सिर्फ़ विराज के लिए और जब मैं शाम को ऑफिस से आऊँगा, तब मैं तुम्हें  आसानी से नहीं छोडुंगा " ज्हानवी ने सख्ती से कहा और ज्हानवी ने मासूमियत से सिर हिला दिया था । ।

     

    जयराज  खुद कुल डाउन करने के लिए वोशरुम चला गया, जिससे उसे राहत मिली, उसने अपना ब्लाउज़ उठाया और चौंक गई, क्योंकि उसके हुक पहले से ही टूटे हुए थे, उसने नाराजगी से वॉशरूम के दरवाज़े की ओर देखा था । ।

    क्योंकि रात को जयराज ने ही उसका ब्लाउज निकाला था । ।

     

    लेकिन फिर भी उसने उसे पहन लिया जो अब सिर्फ़ उसके कंधे पर लटका हुआ था, उसने अपनी पीठ को अपनी साड़ी के पल्लू से ढँक लिया और दूसरे कमरे की ओर चली गई, जहाँ विराज सो रहा था । ।

     

    जब वह आई, तो विराज दौड़कर उसके पास गया और उसे गले लगा लिया और युवराज वॉशरूम चला गया, उसने विराज को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बगल में लेट गई, उसे गले लगाया, विराज के हाथ उसकी खुली पीठ पर घूम रहे थे । ।

     

     "wow, जानूं तुम्हारी स्कीन कितनी सिल्की है"  विराज ने कहा, ज्हानवी की उथल- पुथल से अनजान, वह शरमा गई थी । ।

     

    ज्हानवी ने उसे सुलाने के लिए उसकी पीठ थपथपाई लेकिन विराज बस ज्हानवी के सीधे बालों को देख रहा था, उन्हें अपनी उंगलियों में घुमा रहा था और ज्हानवी ने अपना सिर हिलाया था । ।

    "अब सोना नहीं है?"  ज्हानवी ने पूछा, जिस पर विराज ने सिर हिलाकर ना में मुस्कुराया, जिससे वह हंस पड़ी थी । ।

     

    "मुझे तुम पर प्यार आ रहा है  जानूं"  विराज ने प्यार से कहा था । ।

     

    "मैं करूँ प्यार?" विराज ने पूछा था । ।

    ज्हानवी ने उसकी परमिशन माँगने पर बस हाँ में हाँ मिलाई और सिर हिलाया, वह देखना चाहती थी कि वह उस पर किस तरह का प्यार बरसाएगा । ।

     

    विराज मुस्कुराया और थोड़ा ऊपर आया और उसके माथे को चूमा, फिर उसके गालों को, उसके बाएँ कान को, फिर उसके दाएँ कान को, फिर उसके होठों को, उसके बाएँ पोर को और फिर दाएँ को । ।

     

    इसके बाद वह नीचे आया और उसके पैर के अंगूठे को चूमा, जिससे वह तुरंत उसकी ओर खिंची चली गई थी । ।

     

    "आपकी जगह यहाँ है " ज्हानवी ने अपने दिल की ओर इशारा करते हुए कहा था । ।

    वहाँ नही । । उसने अपने पैरों की ओर देखते हुए कहा था । ।

      विराज ने सिर हिलाया और उसके क्लीवेज पर उसके दिल को चूमा, जिससे वह चौंक गई थी ।‌ ।

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