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Only For You ( शिद्दत से )

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Ramandeep Kaur

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सड़क के बीचो बीच भीड़ लगी हुई थी । बहुत सारे लोग वहां पर जमा हूए थे , पुरा ट्रेफिक जाम हो रखा था । एक लडकी यहीं कोई इक्कीस बाईस साल की , सड़क के बीचो बीच खड़ी थी , जिसकी गहरी काली आखों में बेहिसाब गुस्सा नजर आ रहा था । उस के सामने एक लड़का उम्र में य...

Total Chapters (10)

Page 1 of 1

  • 1. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 1

    Words: 1080

    Estimated Reading Time: 7 min

    सड़क के बीचो बीच भीड़ लगी  हुई थी । बहुत सारे लोग वहां पर जमा हूए थे , पुरा ट्रेफिक जाम हो रखा था  । एक लडकी यहीं कोई इक्कीस बाईस साल की , सड़क के बीचो बीच खड़ी थी , जिसकी  गहरी काली  आखों  में बेहिसाब गुस्सा नजर आ रहा था । उस के सामने एक लड़का उम्र में यही कोई तीस के आस पास का होगा , वो भी अपनी ब्राउन आंखो में गुस्सा लिए  उसे देख रहा था । 

    "अरे कार क्या आ गई हाथ में तो दूसरे लोगो को कुछ समझते ही नही हो , कार ना हो गई  कोई हवाईजहाज हो गया । जिसे बीना ब्रेक के भगाये जा रहे हो, भगाये जा रहे हो , हम जैसों को तो कीड़े मकोड़े समझ कर रखा है इन लोगो ने" , वो लड़की अपना हाथ हिलाते हूए बोल रही थी  । वही वो लड़का गुस्से से उसे देख रहा था ।

    "हॉर्न नाम का यंत्र लगा है इस में और कान नाम की चीज भगवान ने तूम्हे दी है  पर नही उस में तो ,  बलूतूथ घुसा रखे है , हॉर्न नाम के यंत्र की आवाज कहां से सुनाई देगी ", वो लड़का बोला ।

    "अच्छा मुझे सुनाई नही दिया तो क्या, तुम मेरी रामपयारी को ठोक दो गे ",वो लड़की बीच सड़क पर पड़ी अपनी सकुटी को देख कर बोली ।

    " हाये मेरी राम प्यारी अभी तो इसकी किशते भी पुरी नही हूई और तूमने इसे हॉस्पीटल पहचाने का काम कर दिया", वो लड़की अपनी स्कूटी के पास बैठ कर  बोली ।

    दूसरी तरफ खड़ा लड़का उस की बात सुनकर , हैरानी से उसे देख रह था ।"हॉस्पीटल ये स्कूटी , भला स्कूटी कब से हॉस्पीटल जाने लगी"  ,वो लड़का हाथ बाध के बोला बोला ।

    "जब से तुम जैसे अंधों के हाथ में गाड़ी लगी है ", वो लड़की खड़े होकर  गुस्से से बोली ।

    "देखो मिस अब ये ना ज्यादा हो रहा है , बहुत ज्यादा  समझी ना आप , और रही ये स्कूटी मतलब तुम्हारी रामपयारी की बात तो ये पैसे रखो और रास्ता छोड़ो" , वो लड़का पीछा छुड़ाने के मकसद से उस लड़की के हाथ में पैसो की गडी रखते हुए बोला जो उसी समय उसने कार में से  निकाली थे ।

    "तूम समझते क्या हो खुद को , कही का राजा महाराजा जो मुझे ये पैसे दे रहे हो , एक तो गलती उपर से उस गलती को छुपाने के लिए और गलती । एक सॉरी भी तो बोल सकते थे ना ", वो लड़की गुस्से से बोली ।

    " सॉरी और वो भी तुम जैसी  ब्ददिमाग लड़की को ,  भूल जाओ", वो लड़का बोला ।

    "यू",

    वो लड़की उसे देख कर गुस्से से इधर उधर देखने लगी, और सड़क के एक तरफ चली गई ,वही सब उसे ही देख रहे थे ,तभी उस लड़की ने एक पथर देखा और वो पथर उठा कर  भागते हूए उस लड़के की तरफ आई , उसे ऐसे पथर लेकर अपनी तरफ भागते हूए आते देख ,वो लड़का भी हका बका रह गया ,

    सामने से वो लड़की दोनो हाथों में उस  पथर को  अपने सिर के उपर उठाये हुए भागी आ रही थी , इधर लड़के की सासे थम सी गई , जैसे ही वो लड़की लड़के के पास आई उसी समय लड़के के एक तरफ से होकर कार के आगे आकर रूकी और वो पथर उस कार के फ्रंट शीशे पर दे मारा ।वो लड़का जो अभी तक इस बात से हैरान था ,के वो लड़की उसे मारने वाली है ,अब वो गुस्से में आ गया क्यूँकि उस लड़की ने उस की जान से प्यारी कार का शीशा तोड़ दिया ।

    "ए लड़की" , वो लड़का जल्दी से आगे आकर बोला ।

    वही वो लड़की अपने हाथ आपस में झाड़ते हूए उसे ही देखने लगी ।

    "एक मिनट ",वो लड़की उस लड़के के बोलने से पहले बोली और अपने पर्स से पैसे निकाल कर उस लड़के के हाथ पर रख दिये ।

    "जो पैसे मुझे दे रहे थे ना उन में मिला लेना  और शीशा लगा लेना ,अपने हवाई जहाज का ", लड़की बोली और सड़क के बीचो बीच पड़ी अपनी स्कूटी को उठाया और पैदल ही जाने लगी तो सामने खड़े लोगो को देख कर ।

    "हो गया खत्म तमाशा , बस होगया अब तुम लोग जा सकते हो" , वो लड़की बोली । तो सब लोग उसे देखते हूए जाने लगे और कुछ तो गाड़ी की हालत देकर कर हस रहे थे । वही वो लड़के ने गुस्से में आकर   बोनेट पर मुक्का मारा दिया।

    "हाउ डेयर शी , इस की हिम्मत कैसे हूई ये सब करने की" , वो लड़का बोला । और अपना फोन निकाल कर किसी को करने लगा ।" अजित जल्दी आ जा" , वो बोला और वही पर खड़ा हो गया ।

    "चल मेरी राम प्यारी" , वो लड़की उस स्कूटी को ले जाते हूए बोली ।

    वही लड़का गुस्से से उसे देखते हूए ,"शुक्र मनाओ के कभी लाइफ में मेरे सामने  ना आओ , वर्ना भुल जाऊंगा मैं, के तूम एक लड़की हो ", वो गुस्से से बोला और अपने हाथ में पकड़े पैसे देखने लगा जो उस लड़की ने उस के हाथ में रखे थे । तभी पैसो के बीच उसे एक कार्ड दिखा ये लाइब्रेरी का कार्ड था , जिस पर मेहर शेरगिल नाम लिखा हुआ था और साथ ही उस लड़की की फोटो , " हूं मेहर शेरगिल ", वो लड़का मुंह मड़ोड कर बोला । और उसे जाते हूए देखने लगा ।

    "ओये आहलुवालिया  किस की तस्वीर को निहार रहा है ",  एक लड़का पहले लड़के से बोला जो मेहर शेरगिल की फोटो देख रहा था ।

    "कबीर कबीर नाम है मेरा आहलूवालिया नही , समझे ना" , पहला लड़का गुस्से से उस दूसरे लड़के को देखते हूए बोला जो कबीर के कंधे से  उस के हाथ में पकड़ा कार्ड देखने की कोशिश कर रहा था ।  

    "ले इस में ही घुस जा ", कबीर हाथ अजित के आगे करते हूय बोला तो अजित उसे देखकर," तेरा टेंपरेचर बड़ा हुआ क्यूं रहता है" , अजित बोला और गाड़ी को देखने लगा ।

    "इसे क्या हुआ", वो गाड़ी को इधर उधर से   देखते हुए बोला ।

    " एक चुड़ैल चड़ गई थी ", कबीर बोला ।

    अजित उसे देख," कर इतनी भारी थी चुड़ैल के पुरा शीशा ही टूट गया", वो हैरान होकर बोला तो कबीर ने उसे घुर कर देखा , अजित चुप कर गया ।

    " चल मेरी कार में बैठ ड्राइवर इसे ले आयेगा" , वो बोला  । दोनो वहां से चल दिये ।

    रब राखा

  • 2. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 2

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    चल मेरी कार में बैठ ड्राइवर इसे ले आयेगा , अजित बोला  तो कबीर ने एक बार उसे देखा और फिर अपनी कार को जिसका शीशा टूट चुका था । कबीर की गुस्से से मुठ्ठीया कस गई , मुझे मिल गई ना फिर से फिर देख तुम्हे कैसे सबक सिखाता हूं , कबीर मन ही मन बोला । वही अजित कबीर को देख रहा था और उसकी नजरों का पीछा करते हुए गाड़ी को देख  रहा था । साथ ही हस रहा था । चलो आज सेर को सवा सेर मिल ही गई वर्ना ये तो खुद के सामने किसी को  कुछ समझता ही नही था , अजित मन ही मन बोला । चल इसे ठीक कराते है , अजित कबीर के कंधे पर हाथ रख कर बोला । तो कबीर  गाड़ी में बैठ गया और अजित ने गाड़ी आगे बड़ा दी ।


    ओये सुन देख इसे क्या हुआ  वही स्कूटी वाली लड़की एक दूकान के सामने अपनी स्कूटी खड़ी करते हूय बोली । तो वो लड़का जो वहां पर काम कर रहा था , लड़की को देख कर , अरे क्या दी आज फिर किसी से रामपयारी भिड़ गई ,वो लड़का बोला । तो मेहर वही पड़े टेबल पर बैठ कर , आज ये थोड़ी भिड़ी थी एक हवाईजहाज आकर भिड़ गया   मेहर गुस्से से बोली और अपने दुपट्टे से अपना चेहरा साफ करने लगी जिस पर  पसीना आ गया था ।

    चल पानी दे मुझे गर्मी बहुत है आज , मेहर बोली तो वो लड़का  जल्दी से अंदर जाकर ठंडे पानी की बोतल ले आया और मेहर को दे दी । मेहर ने जल्दी से पानी पिया , कहा से आ रहे हो दी , वो लड़का बोला और साथ ही स्कूटी को देखने लगा , बस इतना समझ के दो घंटे से चल कर आ रही हूं , रास्ते में  बहुत सारी दूकाने थी पर तु ,मेरी रामपयारी की रग रग से वाकिफ है , तो बस यही आई हूं मैं ,  मेहर बोली ।

    लड़का मेहर को देखने लगा  अच्छा दी  आज तो आपकी नई जगह ज्वाइनिंग थी ना , देर नही हो रही आपको वो बोला । तो मेहर ने अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी देखी जिस पर सुबह के दस बज रहे थे   , बारह बजे तक जाना है ,तू बस अपना काम कर , मेहर उस लड़के से बोली ।  लड़का  रामपयारी को देखने लगा । दी आपने कहा था इस बार जब पंजाब जायेगी तो मुझे साथ लेकर जायेंगी , तो लेकर क्यूं नही गई ,वो लड़का मेहर सै बोला तो मेहर को याद आया के वो एक महीने पहले अपने घर गई थी , तो उसने आखें बंद कर ली ,तू बस अपना काम कर , ले जाऊंगी तुमको भी । देख लूंगी कोन से झंडे उखाड़ने है तुने , मेहर बोली । तो लड़का उसे देखने लगा , अच्छा वहां पर आपने झंडा लगा रखे है क्या ,वो लड़का बोला तो मेहर उसे देख कर , हाथ चला मुंह नही , मेहर बोली तो लड़के ने मुंह बना लिया तो मेहर ने उसे देखा , चल माफ करदे छोटू , वो आज एक बुढ़े से लड़ाई हो गई थी , और उपर से वो माफी मांगने की जगह ना पैसे दे रहा था , उसकी इतनी हिम्मत के मुझे मेहर शेरगिल को पेसे दे, मेहर बोली । तो छोटू उसे देख कर , बुढ़े से लड़कर आ रही है आप दी  , ये आपकी पर्सनालिटी को सूट नही करता , छोटू बोला और स्कूटी स्टार कर दी ।


    वही तो वो बुढ़ा भी ना कम नही था , अपनी इतनी बड़ी बड़ी आखें दिखा कर डराने की  कोशिश कर रहा था ,मैं भी कहां कम हूं , फिर मेहर खुद की बढ़ाई करते हूय बोली इस समय उस के चेहरे पर जीत वाली  मुस्कान थी , अच्छा दी एसा क्या  किया  आपने , छोटू कपड़े से हाथ साफ करते हुए मेहर के पास आकर बैठ गया ।

    ये इतना बड़ा पत्थर  लिया मेने  , मेहर अपना हाथ को पुरा फैलाकर बोली , ये बताने के लिए के पत्थर कितना बड़ा था ,वही छोटू ध्यान से उस के हाथ को देख रहा था , इतना बड़ा पत्थर छोटू बोले ।  मेहर ने उसे देख कर हां में सिर हिला दिया ,और फिर उस की गाड़ी की तरफ भागी गई और उस गाड़ी के शीशे में मार दिया , मेहर खुशी में फुल कर बोली ।वही छोटू उसे देख कर हसने लगा , दीदी इतने बड़े पत्थर को आप उठा ही नही सकती , वो बोली तो मेहर ने उसे घुरा , मेरे कहने का मतलब ये था ,के ये तो आपकी ऊंगली का काम है पत्थर उठाना छोटू बोला । बिल्कुल मेहर बोली ,  आपकी रामपयारी ठीक हो गई है ,छोटे बोला तो मेहर अपने पर्स खोल कर उसे  पैसे निकाल कर देते हुए ये तेरी महनत , मेहर बोली । छोटू ने पैसे पकड़ लिये , अच्छा दी आते समय गुलाबजामुन लेकर आना नई जगह पर काम करोगी , उस की खुशी में , छोटू बोला । मेहर छोटू को देख कर पिछले महीने भी तो खिलाया था ना , वो बोली । अब मैं क्या करू जब आप एक जगह रूक ही नही सकती , हर बार तो अपने सीनीयर से लड़ झगड़ लेती है , छोटू बोला । तारीफ के लिए शुक्रिया ,तेरे गुलाबजामुन मिल जायेगे  समझा ,मेहर बोली और स्कूटी को लेकर चली गई , वही लड़का देख कर हसने लगा , वो दिन पता नही कब आयेगा दी जब आप एक जगह रूक कर काम करेंगी , छोटू बोला और अपने काम में लग गया ।


    लो पहुंच गई मैं मेहर अपनी स्कूटी एक तरफ रोक कर सामने खड़ी बिल्डिंग को देख कर बोली । मेहर पहले भी यहां पर आई थी इंटरव्यू देने , उसे पता था के  इस  बहुमंजिली बिल्डिंग के सब से उपर के तिन फ्लोर पर ही उसका ऑफिस है ।

    मेहर उस बिल्डिंग के अंदर चली गई और नीचे के रिसेप्शन पर बता कर वो लिफ्ट की तरफ चल दी । वो लिपट के अंदर गई तो अकेली ही थी तभी एक लड़का उस लिफ्ट में आ गया , उसने मेहर को देखा तो कुछ सोचते हूए मेहर ,वो बोला , तो मेहर ने उसे देखा , जी वो बोली । यहां पर न्यू हो वो बोला ।तो मेहर ने हां में सिर हिला दिया । हाये मैं जस  वो लड़का बोला । तो मैं क्या करू , मेहर उस के बड़े हूए हाथ को देख कर बोली ।

    रब राखा

  • 3. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 3

    Words: 1078

    Estimated Reading Time: 7 min

    हाये मैं जस  वो लड़का बोला । तो मैं क्या करू , मेहर उस के बड़े हूए हाथ को देख कर बोली ।

    वो लड़का जिसने अपना नाम जस बताया  वो मेहर को देख हैरान रह गया । वही मेहर ने उस पर कोई ध्यान ना देते हुए अपने फोन पर ध्यान लगा दिया । लिफ्ट रूकी और मेहर वहां से बाहर चली गई ,वही पीछे पीछे  जस उसे देख कर ,क्या अजीब लड़की है यार मतलब यहां पर काम करने आई है और इसे पता भी नही मैं कोन हूं , वो खुद से ही बोला , ओर चल दिया । मेहर लिफ्ट से निकल कर सीधे रिसेप्शन पर आ गई , हेलो मेहर ने उसे देख कर कहा तो रिसेप्शन ने उसे देख कर हाय बोला   मेरा आज पहला दिन है तो  कहा पर जाऊं मेहर बोली । रिसेप्शन ईस्ट उसे देख कर ,हा तुम यहां से  सीधे जाकर लेफ्ट साईड ले लेना , वहां पर  दरवाजे पर "K "लिखा होगा बस वही जाना है ,  वो बोली । ओके थैंक्स मेहर बोली और चली गई जैसा उसने बताया , तो सामने ही   कुछ दूरी पर ही उसे रूम दिखा जिस पर के लिखा था मेहर ने उस रूम को देख कर अजीब सा फेस बनाया , और रूम के अंदर चली गई , यहां पर इस समय कुल छे लोग थे । जिसमें तीन आगे बैठे थे ।


    मेहर उन सब के साथ बैठ गई , हैलो तुम भी नई हो क्या एक लड़की मेहर को देख कर बोली तो मेहर ने हां में सिर  हिला दिया ,हाये मैं  नताशा, वो लड़की अपना हाथ आगे करते हुए बोली । मेहर ने उसका हाथ देखा तो उस से हाथ मिलाते हुए, मेहर, मेहर  बोली । मुझे तो बहुत ही टेन्शन हो रही है आज  , नताशा बोली ।

    क्यूं ,मेहर उसे देख कर बोलो , यार  इस न्यूज चैनल के ऑनर ना बहुत ही हॉट है , ,नताशा बोली ।

    मेहर उसे देख कर अच्छा इतने हॉट है मेहर बोली , तो नताशा ने हां में  सिर  हिला दिया ,  तो फिर मैं उनसे तो दूर ही रहूंगी ,  उस हॉट से गलती से भी टच हो गई तो कही जल ना जाऊं मैं ,मेहर बोली ।


    नताशा उसे देखती ही रह गई पर वही पीछे बैठा एक लड़का मेहर की बात सून कर हसने लगा । दोनो ने उसे देखा तो वो लड़का ,मेहर को देख कर हैलो मेरा नाम डी है , और सब से अच्छी बात के मैं हॉट नही हूं तो तुम्हे जलने का कोई डर नही ,वो लड़का मेहर के आगे हाथ करते हूय  पर नताशा को देख कर बोला । तो मेहर ने उस के हाथ को देख हाथ मिलाते हूऐ , डी की फुल फॉर्म , वो बोली ।

    तो लड़का  जिसका नाम डी था उस ने हाथ खीच लिया । वही नताशा ने उसे घुर कर देखा बोलो बोलो ,नताशा बोली । देवदास ,वो बोला । मेहर नताशा उसे देखती ही रह गई फिर एक दूसरे को देख कर दोनो ही एक साथ जोर जोर से हसने लगी , तो बाकी के तीन लोग जो आगे बैठे थे और जिनकी पीठ इन तीनो की तरफ थी ,वो इनको देखने लगे ।


    देवदास भई किस दूनिया में रहते हो तुम , मेहर बोली , वही नताशा उसे हाथ से इशारा कर रही थी ,पर मेहर डी को देख कर बोलो भी अब वो बोली । पर नताशा के बार बार हाथ मारने से मेहर उसे देखने लगी , क्या है अब क्या हूआ मेहर बोली और नताशा को देखा जो सामने ही देख रही थी ।

    तू तो एसे सामने देख रही है जैसे तेरा वो हॉट बॉस यहीं आ गया हो ,मेहर उसे देखते हूए बोली और सामने देखा तो वो देखती ही रह गई ।  अब उस के चेहरे पर गुस्सा साफ साफ  आ गये था ।

    ओये बुढे तू मेरा पीछा करते हुए यहां तक आ गया । मेहर अपनी जगह से खड़े होकर बोली , वही सामने वाले तीनो लोग जिनमें  अजित , जस और कबीर थे वो मेहर की बात सून हैरान रह गए , अजित जस एक दूसरे को देख रहे थे पर कबीर तो गुस्से में मेहर को देख खड़ा हो गया ।


    लिसन अगर अब एक और लफज कहा ना तो देख लेना कबीर मेहर को ऊँगली दिखाते हुए बोला । तो मेहर उस की ऊंगली के आगे अपनी ऊंगली लगाते हूए ,  बोलूंगी और जोर जोर से बोलूगी बता क्या कर लेगा ,मेहर बोली । अजित जस  दोनो ने अपने हाथ सिर पर दे मारे ,वही नताशा डी मुँह खोले देख रहे थे ।


    जा इसे बचा ले वर्ना पहले दिन ही निकाल दी जायेगी ये ,डी नताशा के पास आकर धीरे से बोला । वही नताशा आगे आकर , क्या कर यही है तू, वो मेहर से बोली ।

    तू  पीछे   रह , मेरी बात के बीच में मत आ,  मेहर बोली ।  पागल ये वही हॉट बॉस है जिसे हाथ लगाने से तू  जल जाती , नताशा मेहर के कान में बोली , ये और बॉस तूझे पता भी है आज इसने क्या किया था , ये बॉस हो ही नही सकता , मेहर नताशा को देख कर बोली । पर नताशा ने हां में सिर हिला दिया ,वही मेहर ने डी को देखा तो डी ने भी हां में सिर हिला दिया ।

    अब मेहर को लगा के ये दोनो सच कह रहे है तो उसने सामने देखा यहां पर अजित जस खड़े थे ,उन दोनो ने भी हां में सिर हिला दिया । मेहर ने कबीर को देखा जो उसे ही घुर कर देख रहा था और अभी भी दोनो की ऊंगलीयां एक दूसरे से जुड़ी हुई थी । के अचानक मेहर चिल्ला दी । सब हैरान से उसे देखने लगे , क्या हूआ , नताशा मेहर  से बोली । देखना नताशा मेरा हाथ जल गया , मेहर अपना हाथ नताशा के आगे करते हूय बोली । और फिर कबीर को देखकर तेरे इस हॉट बॉस की वजह से ,वो बोली ।

    वही आजित और जस की हसी छुट गई और नताशा ने अपना सिर पकड़ लिया , डी तो किसी तरह से अपनी हसी दबाये हुए था ।  अब तू कहा चली , नताशा मेहर को जाते हूए देख बोली ।  यहां पर तो मेरा काम करने का मन नही है मेहर बोली , सब उसे देख रहे थे ,और मेहर वहा से जाने लगी , तभी उस रूम में एक भारी सी आवाज गुंजी ,जिसे सुन सब उस तरफ देखने लगे ।

    रब राखा

  • 4. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 4

    Words: 1083

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुको , कमरे में एक भारी भरकम आवाज गुंजी ,तो सब उस तरफ देखने लगे । यू मेहर शेरगिल तूम ही से बात कर रहा हूं ,कबीर बोला ।

    लो हो गया , मुझे एसा क्यूं लग रहा है के कबीर गुस्से में कुछ गलत ना कर दे ,  जस अजित से बोला ।  भाई सुबह जो गाड़ी कांड  हुआ है  ना उस में भी मुझे मेहर का ही हाथ लग रहा है , अजित बोला । तो जस हैरान सा मेहर को देखने लगा , मतलब ये पतली सी लड़की ने कबीर की गाड़ी का शीशा तोड़ दिया , जस हैरानी से बोला ।   हां और अब कबीर को बढा भी बोल दिया अजित सामने देखते हूए बोला यहां पर कबीर मेहर के पास जा रहा था , तो जस  चुप चाप सामने देखने लगा ।

    कबीर मेहर के पास पहुंचा और उसे देख कर ,यहां पर काम से आई हो तूम तूमने हमारे साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन करा है , कबीर बोला । तो मेहर उसे देख कर , मैं नही मानती ऐसे कॉन्ट्रेक्ट को , मेहर बोली । हम  मानते है ,और उस के मुताबिक तूम अगले एक साल तक हमारे साथ काम  करोगी , कबीर बोला ।

    देखो मिस्टर बुढाउ मुझे कोई शोक नही है तुम जैसे ब्ददिमाग आदमी के साथ काम करने का, मेहर बोली ।


    नताशा डी मुँह खोले मेहर को देख रहे थे वही अजित और जस कबीर को देख कर , तु बता क्या लगता है इन दोनो का कुछ हो सकता है , जस अजित से बोला पर देख वो कबीर को रहा था । पता नही पर फिल्हाल तो मजा आ रहा है दोनो को लड़ते देख , बस एक बीयर की बोतल की कमी है ,अजित बोला । जस अजित को देख कर , काश इस समय होती तो फ्री का इंटरटेनमेंट देख कर मजा आ जाता , वो बोला ।


    तुम चुड़ैल , अपनी जुबान को लगाम दो , समझी  । किस ऐंगल से मैं बुढ़ा नजर आ रहा हूं , कबीर मेहर को देख कर बोला ।  मेहर हैरानी से उसे देख कर तो क्या तूम खुद को , जवान समाज रहे हो , मेहर  अजीब सा मुंह बना कर बोली । तो कबीर उसे कुछ कहने ही वाला था के अपने आस पास देखा यहा पर अजित जस डी और नताशा उन दोनो को ही देख रहे थे   ।

    कबीर मेहर को देख कर ,  ठीक है तुमे जाना है तो जाओ पर जाने से पहले अपने पैसे जमा करती जाना , कबीर बोला और रूम से बाहर चला गया वही मेहर उसे जाता देख , तो तुमने क्या समझा मैं एसे जा रही हूं , अभी तुम्हारे मुंह पर पैसे मार कर जाती हूं , समझते क्या हो खुद को , बड़े आये , बढ़ाऊ, जाहिल ग्वार आदमी तेरी इस कंपनी को ना खरीद लिया तो मेरा नाम भी मेहर शेरगिल नही, मेहर जो जोर से बोली रही थी ,तभी कबीर वापस रूम के दरवाजे पर आया , जस मिस शेरगिल को अब तभी जाने देना जब ये एक करोड़ का फाइन भर दे , और अगर एक घंटे तक ये पैसे जमा नही करती तो मेरे कैबिन में भेज  देना , क्या काम केसे करना हैर मैं अच्छे   से समझा दूंगा , कबीर गुस्से से मेहर को देख कर बोला । वही जस ने हां में सिर  हिला दिया । और मिस शेरगिल , मेरी कंपनी खरीदनी है तो , शोक से खरीदें ,पर पहले फाइन भर दे अगर यहां से जाना है ,बस एक घंटे का समय है तुम्हारे पास , उस के बाद तुम्हारी जोब स्टार्ट कबीर बोला और वहा से चला गया । 


    मेहर जो कब से बोल रही थी कबीर की बात सुन कर ,चुप और हैरान सी रह गई , एक करोड़, वो जस को देख कर बोलो तो जस ने हां में सिर हिला  दिया   वही मेहर कुर्सी पर गिरने वाले ढंग से बैठ गई।


    क्या जरूरत थी तूझे इतना चपड़  चपड़ करने की , सही कहते है सब के मेहर अपना मुंह बंद रखा कर बीन बात की आफत मोल ले लेती है , पर नही मेहर जी आपको मानना थोड़ी है , बस वही करना है जो मन कर रहा है  , मेहर खुद से बोल रही थी ,वही नताशा मेहर के पास आकर , बस कर अब जो होना था हो गया , एसा कर तू सर से माफी मांग ले, नताशा बोली , हा नताशा सही कह रही है ,डी बोला ।

    तुम दोनो को लगता है वो बुढ़ाऊ मुझे माफ करेगा ,मेहर दोनो को देख कर बोली । वही जस अजित जो मेहर की बातें सुन रहे थे वो हस्ते हूय ,जो भी हो यार ये लड़की है कमाल की , मजा आने वाला है अब यहां पर काम करने में , अजित बोला । वही जस कुछ सोचते हूए ,और अगर ये चली गई तो ,वो बोला । तू पागल है , वो कबीर है ,अगर मेहर को जाने ही देना होता ना तो ये बच्चो वाली बात नही करता  , अजित बोला । तो मतलब इस आफिस में अब हमे लड़ाई भी देखने को मिलेगी ,जहां बस काम काम और काम ही होता है , जस बोला । वो तो देखते है , अजित बोला ।


    चलो तुम दोनो, तुमको  काम बता दे , अजित मेहर के पास आकर नताशा और डी से बोला । तो दोनो ने मेहर को देखा , जाओ तूम लोग मेहर बोली , वही अजित जस दोनो को देख वहां से बाहर चले गये तो वही नताशा और डी भी उनके पीछे पीछे चल दिये   वही मेहर बैठी हूई उस पुरे रूम को देख रही थी , जिस के कॉर्न पर एक कैमरा लगा हुआ था ,मेहर ने पहले उसे देखा , फिर उस कैमरे को  अपनी आँखे छोटी करते हूय घुरने लगी और अगले ही पल उस ने कैमरे की तरफ जीभ  निकाल दी ।


    वही दूसरे रूम में  बैठा कबीर जो उसी कैमरे के जरिये मेहर को अपने लॉपटाप पर देख रहा था , मेहर के जीभ दिखाते ही , वो गुस्से से स्क्रीन को देखने लगा । मिस शेरगिल अब मैं देखता हूं कैसे जाती हो यहां से , आज तक मेरे पापा ने मुझे उच्ची आवाज में बात नही की और तूम हो के , बोलते हूय कबीर उस स्क्रीन को ही देख रहा था , यहां पर मेहर बैठी हूई थी ।  कबीर उस स्क्रीन को देख कर ,,, अब मैं भी देखता हूं कैसे बचती हो कबीर से ,कबीर अपनी कुर्सी से पीठ टिका कर बोला और लॉपटाप को देखने लगा ।


    रब राखा

  • 5. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 5

    Words: 1233

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब मैं भी देखता हूं कैसे बचती हो कबीर से ,कबीर अपनी कुर्सी से पीठ टिका कर बोला और लॉपटाप को देखने लगा ।
    मेहर उस रूम में बैठी इधर उधर देख रही थी ।


    कबीर ये नताशा और डी है , जस अजित कबीर के कैबिन में आते हूए बोले तो कबीर अपने लॉपटाप बंद करते हूय ,सामने देखने लगा । ओके तो इनको इनका काम समझा देना , कबीर बोला । जस कबीर को देख कर , नताशा ऐंकर की पोस्ट पर हे और डी कैमरा मेन की पोसट पर ।  ठीक है , कबीर बोला ।पर मेहर रीपोटर की पोस्ट है , और तू सच मान वो बेस्ट रिपोर्ट है , अजित बोला । तो कबीर उसे देख कर ,अजित पहली बात वो यहां पर काम नही करना चाहती , कबीर बोला और सीधे बैठते हूए  ।दूसरी बात अगर वो यहां पर जोब करती है तो वो वही काम करेगी जो मैं उसे दूंगा, कबीर बोला । अजित उसे देख कर ठीक है   तो फिर हम अपना काम करते है तुम देख लेना  सब बोलते हूय वो  सब को अपने साथ लेकर चला गया ।

    कबीर पेपर वेट को टेबल पल रोल करते हूय , मुझ से पंगा लिया इस लड़की ने और तो और मेरी पहली कार के शीशे को तोड़ा जिसे आज तक मेने खरोच भी नही लगने दी , इतनी अच्छी से ये बच कर नही जा सकती , ये तो खुद ही आई है, कबीर खुद से ही बोला ।

    सर पांच मिनट में , न्यूज चलने का समय हो गया है , और साक्षी मैम बोल रही है जब तक आप वहां पर नही आ जाते ,तब तक वो न्यूज नही देगी । एक स्टाफ का मेम्बर आकर बोला तो कबीर ने उसे देखे ठीक है मैं आ रहा हूं वो बोला , और अपनी जगह से उठ कर चल दिया ।


    न्यूज रूम में , एक लड़की जो जिद्द करके बैठी हूई थी ,वही जस जो M.C.R में बैठा हुआ था वो कितनी बार बोल चुका था , साक्षी को वो तैयार रहे पर साक्षी है कि वो कुछ सुन ही नही रही थी ,वही नताशा जस के साथ उस रूम में थी । तुम्हारा ये पहला काम है ना , जस नताशा को देख कर बोला तो नताशा ने हां में सिर हिला दिया आज तुम यहां से देखो के न्यूज कैसे दी जाती ही , उस के बाद मैं तुमको वही ले चलूंगा , जस  नताशा से बोला और सीधे देखने लगा , यहां एक स्क्रीन पर साक्षी दिख रही थी ।

    तभी वही पर कबीर आया , और एक माइक्रो फोन जस से लेकर , साक्षी अगर तुम चाहती हो के यहां पर काम करती रहो तो नखरे करना बंद कर दो  जैसा जस बोल रहा है वैसा करो , इतना बोल कर कबीर चुप कर गया और माइक्रो फोन जस को दे दिया ,वही नताशा हैरानी से कबीर को देख रही थी   अस्ल में वो अभी तक कबीर की पर्सनैलिटी में खोई सी थी , नताशा अगर सामने देखोगी तो अच्छे से काम सीख पाओगी , कबीर बोला तो नताशा ने जल्दी से गर्दन सामने कर दी यहां पर साक्षी दिख रही थी  ।


    कबीर की अवाज सुन साक्षी खुश  हो गई और अपने ठीक समय पर उस ने न्यूज देना शूरू कर दिया , नताशा देख कर हैरान रह गई थी   क्या न्यूज    दी थी साक्षी ने फुल एटीट्यूड  से , वैलडन ,  कबीर वापस से माइक्रो फोन में बोले और नताशा को देख कर   कल से तुम वहा  होगी तो खुद को परीपेयर कर लो वो बोला वही जस जो चलती हूई न्यूज के साथ विजूआल इफेक्ट दे रहा था , उस ने भी गहरी सांस ली   और अपने साथ काम कर रहे लड़के को देख आज तो मेने कर दिया , आगे से तुम करोगे , वो बोला और नताशा से ,साक्षी यहां पर सीनीयर ऐंकर है तो अगर वो कुछ बोल दे तो दिल पर मत लेना ,जस बोल कर चला गया । वही नताशा चुप सी सब कुछ देख रही थी ।


    कबीर वापस अपने रूम में आ गया था तभी उस के कैबिन में एक लड़की अपनी हिल्स की टिक टोक टिक टोक करते हूय आई और कबीर के सामने चेयर पर बैठते हूए , आज तुम मुझ से मिलने क्यूं नही आये  पता भी है में कितना अपसेट हो जाती हूं जब तुम मुझे से मिलने नही आते हो तो ,साक्षी बोली । तो कबीर उसे देख कर   देखो साक्षी , यहां पर हम काम करते है ,तो बस जैसे बाकी सब रहते है वैस ही तुम भी रहो , कबीर बोला ।

    क्या  बात है कबीर जब से तुम घर से आये हो  फ्लैट पर आये ही नही हो , अजित जस के साथ रह रहे हो , कोई बात है बेबी तो बताओ ना मुझे , साक्षी कबीर के पास आकर उसे की चेयर को अपनी तरफ घुमाते हूय ,बोली । फिर उस के चेहरे को हाथों में लेते हुए , मुझ से कोई गलती हो गई है क्या , चलो ठीक है अगर कोई गलती हो भी गई तो माफ करदो , मैने तूमसे कुछ भी नही पुछा के क्या हुआ ,क्यूं तुम आ नही रहे , देखो आज तुम मेरे साथ चलोगे , साक्षी बोली । कबीर साक्षी के हाथ हटाकर ,साक्षी फिलहाल में तुमको कुछ भी नही बता सकता ,पर हा बहुत जल्द सब कुछ सही हो जायेगा और  हम वापस पहले की तरह रहेंगे , कबीर बोला । वही साक्षी अपने हाथों को देख रही थी , जो के कबीर ने पकड़कर दूर कर दिये थे ,ठीक है , वो बोली और जाने लगी , पर रूक कर ,डिनर पर तो हम लोग मिल सकते है ना , वो बोली तो कबीर ने हां में सिर हिला दिया । तो वो कैबिन से बाहर चली गई । कबीर भी अपने काम करने लगा ।


    शाम के समय , जस कबीर के पास आया वही कबीर लॉपटाप पर कुछ देख रहा था , जस को देखते ही उस ने लॉपटाप एक साइड करा , आजाओ जस बोला तो पीछे से मेहर आई जिसे देख कर कबीर थोड़ा हैरान जरूर हुआ था पर अपने चेहरे पर एक डेविल स्माईल लाते हूए , हां एक घंटा तो कब का खत्म हो गया अब तुम तैयार हो काम करने के  लिये ,कबीर बोला । तो मेहर ने उसे घुर कर देखा ,फिर स्माईल करते हुए , माइ बाप कोई और ऑप्शन छोड़ा है आपने वो बोली । तो जस उस के मुंह से माई बाप सुन हैरान भी हुआ और अपनी हसी दबाते हूय कबीर को देखा जो उसे ही आखें छोटी कर घुर रहा था ।

    ठीक है जाओ मेरे लिए ब्लेक कॉफी लेकर आओ कबीर बोला । मेहर ने उसे देखा ,तो कबीर उसे देख कर कुछ कहा है मेने और आज से यही काम होगा तुम्हारा के तूम मेरे ऑर्डर मानोगी ,जब तक मैं चाहूं , कबीर बोला। तो मेहर वहा से बाहर जाते हूए , काली कॉफी पीने वाले के मुंह से अच्छी बात सुन भी कैसे सकती हूं मैं ,वो बोलते हूए जा रही थी के तभी अजित जो उस के पास से गुजरा उस की बात सुन , काली कॉफी वो खुद से ही बोला । और कबीर के कैबिन में चला गया । यहां पर जस पहले से ही हस रहा था और कबीर उसे देख रहा था ।



    रब राखा


    पांच तारा रेटिंग पर हाथ मार कर जाया करो , महबीर के फैंस,,,

  • 6. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 6

    Words: 1179

    Estimated Reading Time: 8 min

    काली कॉफी वो खुद से ही बोला । और कबीर के कैबिन में चला गया । यहां पर जस पहले से ही हस रहा था और कबीर उसे देख रहा था ।

    ये काली कॉफी का क्या चक्कर है , अजित अंदर आते हूए बोला ,कबीर ने उसे देखा । अरे वो मेहर बाहर ना बोलते हूए जा रही थी  , काली कॉफी पीने वाले के मुंह से अच्छी बात सुन भी कैसे सकती हूं , अजित कुर्सी पर बैठते हूए बोला । तो जस जो  हस तो रहा था पर अब खुल कर हस दिया , और ताली बजाते हुए , कबीर एक बात कहूं जो भी है पर ये लड़की पुरी टक्कर की है तेरे ,और तूने खुद ही उसे यहां पर रखा है , अब तो रोज ही यहां पर मनोरंजन होगा , जस बोला ।


    वही अजित उसे देख कर पर एसा क्या हो गया  वो बोला , तो जस हस्ते हूय , अरे वो काली कॉफी मतलब ब्लेक कॉफी इस ने मंगाई है ,जस कबीर की तरफ इशारा करते हूय बोला , और तो और मेहर यहां पर रिपोर्ट की जोब नही , बल्कि इस की सेक्रटरी की जोब पर रखी है इसने , तो तु खुद ही सोच क्या क्या होने वाला है यहां पर , जस बोला तो अजित हैरान सा कबीर को देख कर , तू पागल होगया है , तूमहे पता भी है आज सुबह से उसने क्या क्या नही कहा तुमको , वो तो तुमको आस पास भी ना भटकने दे और तूने खुद ही मुसीबत मोल लेली,, अजित बोला  और वो भी हसने लगा ।


    बस बहुत हुआ तुम दोनो का, तुम दोनो मेरी तरफ हो जां उसकी तरफ  ,,,मेरी ,,, ये आवाज आई तो तीनो ने उस तरफ देखा यहां पर मेहर हाथ में कप लिये खड़ी थी । मेहर  तीनो को देख कर , मेरी कॉफी बन गई ,मतलब मैं कॉफी बना लाई मेहर बोली और कप ला कर कबीर के आगे रख दिया ,अजित और जस ने एक दूसरे को देखा और फिर कबीर को देखने लगे ,

    वही कबीर मेहर को देख रहा  था जो बीना बात के दांत दिखा रही थी । कबीर ने अपना सिर झटका और अजित जस को देख कर ,  तुम दोनो का काम हो गया हो तो जा सकते हो , कबीर बोला ,वही दोनो दांत निकाल कर मेहर को देख रहे थे , जो दोनो को कुछ इशारा कर रही थी , कबीर ने फिर से मेहर को देखा तो वो हाथो से कुछ बता रही थी ।

    ये क्या हो रहा है , कबीर जोर से बोला तो तीनो उसे देखने लगे , यार मैं क्या कह रहा हूं के एक गलती माफ करदी जाये , अजित बोला । मुझे क्या करना है और क्या नही ये तुम लोग मुझे मत सीखाओ , कबीर बोला ।

      और मेहर को देख कर , तुम्हारा टाइम हो गया है तुम जा सकती हो ,पर अगर कल समय पर नही आई तो यहां भी होगी वही से उठवा लूंगा , कबीर बोला ।

    मेहर उसे देखते हूए   तुम क्या यहां के डान हो जो मुझे उठवा लोगो , शायद तुम मुझे जानते नही ,यू ,यू ,चुटकी बजाने की देर है ,(मेहर चुटकी बजाते हुए बोली ) तुम कहा जाओगे किसी को पता भी नही चलेगा , मेहर बोली ।


    तीनो उसे ही देख रहे थे ,हाये यार ये लड़की  कितने एटीट्यूड से झुठ बोल रही है के सामने वाला पहली नजर पर फिदा हो जाये ,जस अजित से बोला ।

    जिस के सामने बोल रही है ना , वो इतना शांत क्यूं है मैं तो यही सोच कर हैरान हूं ,अजित बोला ।


    ठीक है पहले तुम चुटकी बजा ही लो , कबीर आराम से उसे देख कर बोला । तो मेहर उसे घूरते हूए , अभी मेरे जाने का टाइम हो गया है ,वर्ना बता ही देती वो बोली और जाते जाते , टेबल पर हाथ मार दिया जिस से कॉफी कप हिल गया और कॉफी  छलक कर बाहर आ गिरी । जब तक कबीर कुछ कहता मेहर बार निकाल गई थी ।



    ये इसे देख कर कोई कह भी सकता हो कि लड़कियां इस के जैसे हो सकती है , चुड़ैल कहीं की , कबीर बोला वही अजित और जस मजे से उसे देख कर , वो तो कितनी स्वीट है ,दोनो बोले । कबीर दोनो को घूरते हूए   निकलो ,निकलो तूम दोनो ,जब से वो आई है तब से उसी की तरफ की बात कर रहे हो ,  कबीर बोला और साथ ही टीशू से टेबल साफ करने लगा ।

    हा हमारा भी समय हो गया है चलते है , तुम्हे तो जाना होगा अपनी साक्षी के साथ , अजित उठते हूए बोला , और चला गया वही जस उसे देख कर ,बाकी सब तो ठीक है कबीर , पर साक्षी मुझे सही नही लगती ,तुम दोनो रिलेशन में हो ,इस लिए हम कुछ नही कहते , पर वो लड़की सुंदर जरूर है पर दिल से नही , सिर्फ चेहरे से ,जस बोला और चला गया ।


    कबीर दोनो को जाता देख , वेसे ही बैठ गया । प्यार है वो मेरा , कबीर खुद से ही बोला और वापस से लॉपटाप पर कुछ करने लगा , उसे होश तब आया जब उसका फोन रिंग करने लगा , कबीर ने फोन उठा कर देखा तो साक्षी का ही फोन था , हा बोलो कबीर काम करते हुए बोला । हमारा डिनर का प्लॉन था आज , साक्षी बोली । तो कबीर ने समय देखा जो नौ बजा रहे थे , ठीक है मैं आधे घंटे में पहुंच रहा हूं ,वो बोला और फोन रख , लॉपटाप पर काम बंद कर चल दिया ।

    कबीर बाहर पार्किंग में आया तो उसे पता चला के आज तो उस की गाड़ी ठीक होने गई है ,जिस से उसे फिर से मेहर पर गुस्सा आने लगा था ।  पता नही किस का चेहरा देख कर उठा था सुबह मैं, कबीर खुद से ही बोला । और रोड के इधर उधर देखने लगा । कुछ सोच कर वो पैदल ही चल दिया ,  नो बज रहे थे पर सड़को पर  एसा लग रहा था जैसे सब लोग अभी फ्री होकर ही निकले हो , हर तरफ चहल पहल दिख रही थी । तभी अचानक ही कबीर की नजर एक कॉफी शाप पर चली गई , जिस की मीरर वाल से उसे मेहर दिखी पहले तो उसने अपना वहम समझा वो तो कब की चली गई थी ये सोच कर , पर तभी मेहर जो खड़ी हो गई थी और सामने बैठा  लड़का भी खड़ा हो गया ,उस के गले मिली ।दोनो को देख कर लग रहा था के वो बहुत क्लोज है । कबीर बड़ी बड़ी आखें करके उसे ही देख  रहा था , बहुत खुश नजर आ रही है ये तो ,और मुझे फसा दिया , इसकी तो ,कबीर बोला । तभी उसे कुछ सुझा और वो शॉप के अंदर चला गया और  एकदम से मेहर के पास आकर खड़ा हो गया ,,, मेहर और वो लड़का दोनो ही कबीर को देख रहे थे वही कबीर मेहर को देख रहा था उस के चेहरे पर स्माईल थी ,,,,,


    रब राखा

  • 7. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 7

    Words: 1286

    Estimated Reading Time: 8 min

    मेहर और वो लड़का दोनो ही कबीर को देख रहे थे वही कबीर मेहर को देख रहा था उस के चेहरे पर स्माईल थी ,,,,, मेहर ने उसे इग्नोर करा और सामने खड़े लड़के को देखकर , ओके फिर मिलते है , वो बोली  ।

    किसे मिलने की बात हो रही है , कबीर मेहर से बोला और एकदम उस के पास आ गया , वही मेहर उसे देख रही थी , सामने खड़ा लड़का दोनो को देख रहा था ।

    ये क्या कर रहे हो तुम , मेहर धीरे से बोली और सामने वाले लड़के को स्माइल देते हुए ,उसे देखने लगी , कबीर मेहर को देख कर ,वही कर रहा हूं जो करना चाहीये, कबीर बोला । ओर आप कोन कबीर सामने वाले लड़के को देख कर बोला । तो वो दोनो को देख कर , मुझे अभी जाना होगा ,वो बोला ।

    बिल्कुल आपका जाना बनता है , कबीर बोला । वही मेहर कबीर को देख कर कुछ कहने ही वाली थी के कबीर ने उसे साइड से  कमर से पकड़कर अपने पास खिच लिया , क्या यार माना छोटी सी लड़ाई ही तो हूई थी ,इस में नाराज होने की क्या बात है , कबीर बोला । मेहर का तो मुंह ही खुला रह गया , कबीर की बात सुन कर , वही सामने वाला लड़का मुस्कुराते हुए ठीक है अब मुझे चलना चाहीए वो बोला और चला गया ।

    मेहर ने कबीर को देखा जो अभी भी वैसे ही खड़ा था तो मेहर ने जोर से अपना पैर कबीर के पैर पर दे मारा ,वही कबीर पैर पर दर्द महसूस होते ही उस से दूर हट गया ,जंगली बिल्ली ,कबीर मेहर को देख कर बोला ।

    ठरकी बढ़ाऊ तुम्हारी हिम्मत कैसे हूई मुझे हाथ लगाने की , मेहर उसे ऊंगली दिखाते हूए बोली । वही कबीर उस के मुंह से अपने लिये ,इतने प्यारे शब्द सुन कर तो, उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया । तुम्हारी हिम्मत कैसे हूई मुझे ठरकी बुढ़ाऊ कहने की , कबीर बोला ।

    "ठरकी बुढ़ाऊ ",

    "ऐसे"

    मेहर फिर से बोली और अपना पर्स और स्कूटी की चाबी लेकर वहां से बाहर चली गई , वही कबीर गुस्से से उसे घुरता रहा और जब अपने आस पास देखा तो सब उसे ही देख रहे थे , जैसे वो भी यही बोल रहे हो ठरकी बुढ़ाऊ ,कबीर ने सब को इग्नोर करा और जल्दी से बाहर आ गया , तो देखा मेहर अपनी स्कूटी पर बैठ चुकी थी ।

    बीना कुछ सच्चे समझे , कबीर उसी तरफ आ गया और मेहर के पीछे  बैठ गया , वही मेहर उसे देख कर , ये क्या कर रहे हो तुम , उतरो , वी बोली , मेरी कार तुम्हारी वजह से खराब हुई है ,और अब तुम ही मुझे छोड़ कर आओगी  , कबीर बोला । मेहर स्कूटी से उतर कर , अभी इसी वक्त नीचे उतरो वर्ना में पुलिस को बुला लूंगी ,वो बोली ।

    बुला लो, कबीर बोला पर वो वैसे ही स्कूटी पर बैठा रहा , अब वो ठहरा मेहर से लम्बा , और पैर उसके , तो वैसे ही नीचे जमीन से लगे हूए थे , अभी करती हूं फोन , वो बोली और स्कूटी छोड़  जल्दी से अपने पर्स से फोन निकालने लगी तो ।

    तभी उसे अपनी स्कूटी की आवाज आई , उस ने सिर उठाकर देखा तो कबीर  स्कूटी को  उस से दूर ले गया था , मेहर की आंखे खुली की खुली रह गई ,और वैसे ही उस के पीछे भागते हूए ,  चौर मेरी स्कूटी लेकर भाग गया चौर ,मेहर बोलो ।  वही कबीर उस से कुछ पांच सौ मीटर की दूरी पर आकर खड़ा हो गया , उसने सुन लिया था मेहर को उसे चौर बोलते हुए , वही मेहर ने जब देखा के कबीर आगे जाकर खड़ा हो गया है ,तो वो भागते हूए वहां पहुंच गई , और हाफते हूए कबीर को देखने लगी , तुम तुम होते कोन हो , मेरी  स्कूटी लेकर जाने वाले , मेहर लंबी लंबी सांस लेते हूए बोली ।

    कबीर मजे से उसे देखते हूए ,

    ऐसे

    वो बोला और फिर से स्कूटी आगे बड़ा दी । मेहर उसे देखती ही रह गई , बुढ़ाऊ ये बहुत महंगा पड़ने वाला है  तुमको ,मेहर बोली । और फिर से भागने लगी वही कबीर फिर से कुछ दूरी पर आकर खड़ा हो गया ।

    मेहर इस बार  पास आई तो भागने की वजह से उसका चेहरा लाल हो गया था , हाफते हूए उसने कबीर को देखा , देखो ये मेरी सकुटी है , और  मेने इसे सुबह ही ठीक करवाया है , तुम ऐसे नही कर सकते ,वो बोली । कबीर उसे देख कर मुझे छोड़ दो ,फिर यहां मर्जी जाओ मुझे कोई लेना देना नही , वो बोला , मेहर ने उसे देखा , ठीक है चलो वो बोलते हूय पीछे बैठने लगी ,

    ना ना  ना , तुम चलाओगी और मैं पीछे बैठूंगा ,कबीर सीट के पीछे की तरफ खिसक कर  बोला , वही मेहर ने उसे गुस्से से देखा , पर इस समय वो कुछ नही बोली और बैठ कर स्कूटी चलाने लगी। कबीर के चेहरे पर खुशी थी जीत वाली ।

    आखिर सुबह से पहली बार था जब कबीर ने मेहर को सताया था। रुको यहीं  रुको  कबीर बोला तो मेहर ने स्कूटी रोक दी , सामने ही रेस्ट्रां था ,कबीर उतरा ,और स्कूटी की चाबी निकालते हुए , यहीं मेरा इंतजार करो ,वी बोलते हूय अंदर चला गया , मेहर तो बस उसे देखती ही रह गई , रात के दस बज गये थे और जिस एरिये में थी उसे वहां से घर जाने में कम से कम दो घंटे लग जायेंगे उपर से रात का समय , मेहर बस उसे देखती ही रह गई जो उस बड़े से रेस्ट्रां के अंदर चला गया था ।

    ये क्या कबीर इतनी देर कर दी ,साक्षी कबीर को देख कर बोली । बस वो काम में पस गया था ,कबीर बोला । वही साक्षी ने इस रेस्ट्रां में एक रूम बुक कर रखा था ,जिस की वाल मिरर से बनी थी ,बाहर से कुछ नही दिख रहा था पर अंदर से बाहर जरूर देखा जा सकता था । चलो आओ ,साक्षी कबीर के हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले जाते हूए बोली ।

    वही कबीर खुशी खुशी उस के साथ चला गया । दोनो उस रूम में आकर बैठ गये , तूम्हे पता है कबीर आज कितने दिनो बाद हम दोनो मिल रहे है, तुमने तो घर पर आने से मना कर दिया इस लिए यहां पर तुम्हारे फेवरेट रेस्ट्रां में डिनर करने का सोचा, साक्षी बोली । वही कबीर उसे देख कर , चलो जल्दी करो बहुत भुख लगी है वो बोला ।

    तब तक वेटर भी वहां पर खाना रख कर चला गया । तो साक्षी ने अपनी कुर्सी कबीर के पास खिच ली , और उसे खाना सर्व करने लगी , मुझे पता है तुमको नॉनवेज बहुत पसंद है  । इस लिए मेने वही ऑर्डर करा है , साक्षी बोली । और कबीर को देखा जो एक तरफ देख रहा था , साक्षी ने भी उसी तरफ देखा ,वहां बाहर एक लड़की  फोन पर बात कर रही थी वो इधर उधर घुम रही थी ।साक्षी ने कबीर को देखा और उसका ध्यान अपनी तरफ खिंचते हूए , कबीर आज तुमने मेरे बारे में  कुछ कहा ही नही , साक्षी बोली । तो कबीर ने उसे एक बार देखा जो ब्लेक कलर के वन पीस नी लेंथ की ड्रेस में थी  , डार्क मेकअप के साथ , हर बार की तरह लाजवाब लग रही हो, कबीर उस के चेहरे पर आई बालों की लट को एक तरफ करके बोला । वही साक्षी खुश होते हूए चलो फिर खाना तो खाओ भुख लगी थी ना ,वो बोली । और दोनो खाना खाने लगे ।

    रब राखा

  • 8. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 8

    Words: 1711

    Estimated Reading Time: 11 min

    वही साक्षी खुश होते हूए" चलो फिर खाना तो खाओ भुख लगी थी ना ",वो बोली । और दोनो खाना खाने लगे ।

    पर बीच बीच में कबीर का ध्यान बाहर की तरफ जा रहा था , यहां मेहर  खड़ी थी , और इस समय वो सड़क के किनारे कुछ बच्चो को बैठा कर  उनको खाना खिला रही थी ,कबीर के खाना खाते हाथ रक गये  । और वो बाहर देखने लगा ।


    वही मेहर एक लड़के को कुछ बोल रही थी , और वो लड़का वैसे ही कर रहा था , तभी वहां पर उन बच्चो के मम्मी पापा भी आ गये , और वो भी वही बैठ गये , मेहर ने उस लड़के को इशारा करा तो उस लड़के ने सब को खाना देना शूरू कर दिया ,वही मेहर एक छोटे से बच्चे को जो कम से कम चार साल का होगा , उसे गोद में लिये खाना खिला रही अभी ।

    "क्या बात है कबीर खाना क्यूं नही खा रहे है  ", साक्षी बोली तो  कबीर ने उसे देख , "खा रहा हूं "वो बोला ।

    तो साक्षी बाहर देखते हुए ,"लोग को भी ना समाज सेवा करने  का शोक है पर ये नही पता के यहां पर वो ये सब कर रही है वो एक जाना माना रेस्ट्रां है" , साक्षी बाहर देखते हुए बोली और अपने पर्स से फोन निकाल कर किसी को कर दिया ।

    "ये क्या कर रही हो ",कबीर उसे देख कर बोला ,"पुलिस को बुलाया है ये जो बाहर  उस लड़की ने लगा रखा है उसे साफ करने के लिए" ,  साक्षी बोली  और खाने लगी। वही कबीर की नजर फिर से बाहर चली गई , यहां पर सब के चेहरों पर एक स्माईल थी ।  कबीर के चेहरे पर भी स्माइल आ गई ।

    "कबीर मम्मी पापा तुमसे मिलना  चाहते है" ,साक्षी बोली तो कबीर उसे देखने लगे , "वो कल आ रहे है मेरे पास , मेने उनको हमारे बारे में सब बता दिया है तो वो तूमसे मिलने की बात कर रहे थे ", साक्षी बोली । कबीर ने कुछ नही कहा और खाना खाना लगा ।


    "तुम कुछ बोल क्यूं नही रहे हो ", साक्षी कबीर को चुप देख चर बोली । तो कबीर उसे देख कर ,"क्या हूं , मेनू कहा था ना के अभी मुझे ये सब नही चाहीए " , कबीर बोला ।

    "मैं अठाईस की हो गई हूं , तुम भी तीस के हो गये है ,अब नही तो कब कबीर , मै मम्मी पापा को और रोक नही सकती वो रोज मुझ से पूछते थे तो मेने उनको बता दिया" , साक्षी की आवाज में हैरानी थी कबीर की बात सुन कर ,कबीर कुछ नही बोला ।

    " कुछ समय ही तो मांग रहा हूं मैं ", कबीर बोला ।" पिछले आठ साल से  समय ही तो मांग रहे हो ",साक्षी बोली । कबीर का मन अब खाने से हट चुका था ,और वो टिशू से अपना फेस साफ करते हुए ।

    " सच में मुझे अभी समय चाहीए , मेरी जिंदगी में भी बहुत कुछ है जो मुझे हैंडल करना है , और मेरे घर वाले जब तक मान नही जाते  इस रिश्ते के लिए तब तक मैं कुछ नही कह सकता" , कबीर बोला ।

    "तो तुम अपने घर वालों को कब बताओ गे कबीर" , साक्षी बोली । कबीर ने उसे एक नजर देखा , और खड़े होते हूए ,"थैंक्स फॉर दा डिनर" वो बोला और जाने लगा ।

    साक्षी उस का हाथ पकड़कर ," सॉरी मुझे  एसे बात नही करना चाहिए थी ,वो बोली तो कबीर उसे देख कर ," देखो साक्षी अभी मुझे अपना कैरियर बनाना है बहुत कुछ है जिंदगी में जो हासिल करना है , उस के बाद ही मैं  शादी के बारे में सोच सकता हूं" , कबीर बोला ।

    "ठिक है पर क्या हम पहले की तरह रह नही सकते" , साक्षी कबीर के पास आकर बोली । और उस के चेहर पर अपनी ऊंगलिया चलाने लगी , वही कबीर उसे देख , स्माइल करने लगा ।

    "ये बताओ तुम फ्लेट में कब आ रहे हो ,  तुम्हारा रूम इंतजार में है" ,साक्षी लुभावने अंदाज में बोली ।

    "हम्म्म",  कबीर ने उसे अपने पास खिंचते हूए कहा  और साक्षी ओ अपने पास खिच लिया ।


    "रूम इंतजार में है तुम नही ", कबीर धीरे से साक्षी के गाल को चुम कर बोला । तो साक्षी ने अपना लब कबीर के लबों पर  रख दिए, दोनो इस पल में खो से गये थे ।

    कबीर साक्षी दोनो एक दूसरे में खोया से थे , तभी साक्षी घुमी और कबीर का ध्यान एक बार  फिर से बाहर की तरफ चला गया यहां पर पुलिस और मेहर के बीच  कुछ बात हो रही थी । कबीर उस तरफ देखता रह गया वही साक्षी कबीर के रूक जाने से उस से अलग होकर उसे देखने लगी ,तो वो भी बाहर देखने लगी, यहां पर पुलिस मेहर से बात कर रही थी ।

    "क्या हुआ ", साक्षी कबीर से बोली ।

    "मुझे कुछ काम याद आ गया , अभी जाना होगा , कल ऑफिस में  मिलते है",  बोल कर कबीर बीना साक्षी की बात सुना बाहर चला गया । वही साक्षी गुस्से से उसे जाता देखती रह गई ।



    कबीर जल्दी से बाहर आया तो देखा के पुलिस इंस्पेक्टर मेहर से बात कर रहा था और साथ ही हस भी रहा था ,वही मेहर भी उस से हस कर बात कर रही थी ।  कबीर आकर मेहर के पास खड़ा हो गया ।

    "ओ कबीर आहलूवालिया", इंस्पेक्टर कबीर को देख कर बोला , तो कबीर ने मुस्कुरा कर हा में सिर हिला दिया और साथ ही उस से हाथ भी मिलाया ।  मेहर उसे देख रही थी ।

    "क्या बात हो गई आज आप यहां पर कैसे ", कबीर ने एक नजर मेहर को देखा और इंस्पेक्टर से बोला ।


    "कुछ नही आहलूवालिया जी वो किसी का फोन आया था तो बोल रहा था के इस रेस्त्रां के बाहर कुछ लोग गंद मचा रहे है , तो हम यहां आये , पर यहां आकर पता चला के मेहर तो बस सब को खाना खिला रही थी , वो भी खुद से खरीद कर , आपको पता है ये रेस्ट्रां कितना महंगा है , फिर भी मेहर ने कुछ नही सोचा, और इन सब को खाना खिलाने लगी ", इंस्पेक्टर बोला और एक तरफ देखने लगा यहां पर  दी कॉन्स्टेबल , खाना दे रहे थे ।


    तभी उस रेस्ट्रां  के सामने एक चमचमाती कार रूकी उस में से एक लड़का बाहर निकला ,  जो देखने में अच्छे खासे घर का लग रहा  था ,  वो सब कुछ देख कर सीधे मेहर के पास आ गया ।

    " ये तूने सही नही किया ", वो मेहर से बोला । मेहर बस स्माइल करके उसे देख रही थी । तभी रेस्ट्रां से  मैनेजर बाहर आया , "किस ने कहा तुमको मेहर से पैसे लेने के लिये ",वो लड़का उस पर भड़क कर बोला ।


    "तुमको पता नही मेहर मेरी दोस्त है ", वो लड़का बोला ।   वो मैनेजर डर गया था अस्ल में वो कुछ दिन पहले ही यहां पर जोब करने आया था । "सॉरी सर मुझे मैम के बारें मे नही पता था" ,वो मैनेजर बोला ।


    "सॉरी मेहर कुछ स्टाफ नया है यहां पर उनको नही पता  था तुम्हारे बारे में" , वो लड़का बोला , "चिल कर शेखर कोई बात नही ",मेहर बोली । 


    वही कबीर हैरान सा दोनो की देख रहा था , वो लड़का जो अभी अभी गाड़ी से उतरा शेखर बजाज था , मुम्बई शहर में बजाज नाम जाना माना था ओर बी ऐस रेस्ट्रां उनके ही थे , यहां पर आज कबीर डीनर के लिए आया था ।

    "चल ठीक है , तू बता क्या खाएगी , शेखर बोला , मेने खाना खा लिया , बस तू मेरा एक काम कर मुझे पता चला है के तुम्हारे यहा के रेस्ट्रां में दोपहर को जो खाना बचता है उसे फेंक दिया जाता है , तो यार क्यूं उसे फेंकना इन बच्चो में बांट दिया कर" , मेहर बोली ।" बिल्कुल एसा ही होगा शेखर बोला ", और अब उस का ध्यान कबीर पर गया जो कब से दोनो  को देख रहा था ।


    "मेहर ये कोन है" ,शेखर मेहर के करीब आकर बोला ।" मेरा  बॉस है" , मेहर धीरे से  बोली तो शेखर उसे देख कर ,"ओये होये , बॉस एंड डीनर क्या बात है" , शेखर मुस्कुरा कर बोला ।


    वही मेहर ने उसे घुरा ,"तो शेखर उसे देखकर क्या एसा कुछ नही है ",वो  बोला तो मेहर मुस्कुरा दी , शेखर उसे देख कर , तेरा कुछ नही ही सकता  वो बोला ।

    " मुझे कुछ करना भी नही है ", मेहर उसे देख कर बोली ।

    इंस्पेक्टर जो दोनो को देख रहा था , "अच्छा शेखर साहब अब हम चलते है , हमारा काम हो गया" , वो बोला , तो शेखर ने उसे हाथ मिला लिया , वही इंस्पेक्टर ने मेहर के सिर पर हाथ रख दिया , और वहा से अपने कॉन्स्टेबल के साथ चला गया ।

    तभी वो मैनेजर  शेखर के पास आया उसने एक एनवलॉप शेखर की तरफ कर दिया । "ये तुम्हारे पैसे शेखर वो ऐनवॉल्प ",मेहर की तरफ करते हूए बोला । तो मेहर ने वो पैसे रख लिए ।

    कबीर अभी भी दोनो को देख रहा था । "चले सर मुझे घर जाना है" , मेहर कबीर से बोली तो कबीर ने मां में सिर हिला दिये ,वही शेखर ने एक नजर मेहर को देखा ," तो क्या तुम्हारी राम प्यारी फिर से ठुक गई ", शेखर बोला तो मेहर ने उसे दांत दिखा दिये ," और अब ये मत कहना के वो ,तेरे बॉस की गाड़ी से ठुकी", शेखर बोला तो मेहर ने बेचारा सा फेस बना कर हा में सिर हिला दिया ।


    शेखर ने कबीर को देखा और उस से हाथ मिला कर ,  "वैसे सर ये बहुत अच्छा चलाती है , पर किस्मत इतनी बुरी है के जिस दिन इसकी ज्वाइनिंग होती है उसी दिन राम प्यारी ठुक जाती है ", शेखर बोला तो कबीर हल्का सा मुस्कुरा दिया ।

    "वैसे अब मुझे चलना होगा" , शेखर बोला और दोनो को बाय बोलकर कार में बैठ गया , वही कबीर मेहर को देख कर ,अब मुझे मेरै  घर छोड़ दो वो बोला । तो मेहर ने मुंह बना लिया और स्कूटी के पास आकर खड़ी हो गई । 


    रब राखा

  • 9. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 9

    Words: 1160

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब मुझे मेरे घर छोड़ दो वो बोला । तो मेहर ने मुंह बना लिया और स्कूटी के पास आकर खड़ी हो गई । 

    "  चलाओ अब ",कबीर बोला तो मेहर ने उसे घुर क्य देखा " चाबी कहां है ", वो बोली ।

    कबीर ने उसे देखा और जल्दी से जेब से चाबी निकाल कर मेहर को दी । मेहर ने चाबी ली और स्कूटी  स्टार्ट कर दी , कबीर बैठ गया और दोनो चल दिए ।


    "एक बात पूछूं तूम से" , कबीर बोला ।

    "बिल्कुल ",मेहर बोली ।

    "अगर तूम इतनी अमीर हो ,तो जोब क्यूं करती हो , वहां पर कम से कम चालीस  लोगो को तुमने खाना खिलाया था, पैसो से ,वो तो शेखर अच्छा निकला के पैसे वापस  कर दिए" , कबीर बोला ।


    मेहर स्कूटी चलाते हूए ," बिल्कुल भी मैं अमीर नही हूं , मेरे परिवार में सब कमाते है , और अपने खर्चे खुद चलाते है , वो तो मेनेजर ने खाना देने से मना कर दिया था इस लिए दो महीने की सेविंग जो थी वो दे दी थी ," मेहर बोली ।

    कबीर उस की बात सै हैरान हो गया ," दो महीने की सेविंग" , वो बोला । मेहर ने कुछ नही कहा और चलती रही ।

    "सर यहा से किस तरफ ",मेहर बोली । अब उस के चेहरे पर एक खुशी थी , क्यूकि वो जिस एरिये में आ गई थी , वही उस का रूम था जो उस ने रेंट पर ले रखा था ।

    "लेफ्ट चलो" , कबीर बोला । मेहर तो और खुश हो गई , क्यूँकि इसी तरफ उसे भी जाना था ।

    "चलो शुक्र है दो घंटे से जो चला रही हूं , ये डर नही का मुझे अकेले जाना होगा" , मेहर मन ही मन खुश हो गई ।

    "सर आगे फिर दो रास्ते है , किस तरफ जाना है" ,मेहर स्कूटी रोक कर दोनो रास्तों को देख कर बोली । जिस के एक रास्ते पर जाने से आगे , सब के अपने अपने घर थे ,और दूसरे रासते जाने पर आशियाना था , यहां पर बिल्डिंग्स थी ।

    मेहर को लगा के कबीर को पहले वाले रास्ते जाना है , जब कबीर नही बोला तो वो उसी तरफ जाने लगी ।

    "अरे दूसरी तरफ चलो" ,कबीर फोन पर बात करते हुए बोला । मेहर हैरान सी रह गई ।

    "सर उस तरफ आशियाना है" , मेहर बोली  ।


    "हा वही पर मेरा फ्लेट है ",कबीर बोला।

    ये बात सुनते ही मेहर की आखें बड़ी बड़ी हो गई ।

    "अच्छा"

    वो बोली ।

    "अब चलो भी बारह बज रहे है " ,कबीर फोन कान से  हटा कर बोला ।

    "सर आप कब से यहां पर रह रहे है" , मेहर बोली।

    "  पिछले चार साल से" , कबीर बोला ।"यही उतार दो ",कबीर बोला । तो मेहर ने उसे उतार दिया  ।

    कबीर आगे चला गया बीना मेहर को देखा वही मेहर बस उसे जाता देख रही थी । जिसे ही कबी अंदर चला गया । मेहर ने स्कूटी स्टार्ट की और वो भी उस बड़े से गेट से अंदर जाने लगी , फिर रक कर पीछे आई और गार्ड को देखा जो कब से मेहर को ही देख रहा था पर उस की बोलने की हिम्मत नही थी ।

    "ए सुन" , मेहर बोली तो वो बेचारा सा मुंह लेकर बाहर आया ।

    "देखो मैम इस बार मेने कोई गलत काम नही किया ",वो बोला ।

    "मेहर ने उसे घुरा और आस पास देख कर ,अभी अभी वो जो बंदा अंदर गया है ना" , मेहर बोली तो उस गार्ड ने हां में सिर हिला दिये ।

    "उसे पता नही चलना चाहीए के मैं भी यहीं रहती हूं , अगर उसे पता चला ना  तो बच्चे तू गया", मेहर उसे अपनी आंखे छोटी छोटी करके बोली ।

    वही उस गार्ड ने ना में सिर हिला दिया । "और हा  सुबह वाले दोने अंकल को क्या बताना है समझ गया ना" , मेहर उसे देख कर बोली ।

    तो उस ने हा में सिर हिला दिया ।

    " गुड अब अगर मेने तुमको ,फिर से वही काम करते देख लिया ना तो समझ वो तेरो गर्लफ्रेंड तो गई ", मेहर उसे घूरते हूए बोली और स्कूटी स्टार कर चली गई । वही वो गार्ड हैरान सा उसे देखता रह गया ।



    "किस घड़ी में इस चुड़ैल से मेरा पाला पड़ गया था" , वो उपर आसमान को देख कर बोला ।

    और जाती हक मेहर को देखने लगा ।

    "जिस के बारे में ये बोल कर गई है वो तो पहले से ही मेरे से खार खाये बैठा है , वो तो शुक्र है उस का ध्यान नही गया मेरे पर । भगवान जी आपको मैं ही मिला था इन दोनो के हथे चढ़ने के लिये" , वो बेचारा खुद को ही कोस रहा था ।


    आशियाना की सब बिल्डिंग तीन फ्लोर की ही बनी हुई थी , हा लिफ्ट भी थी पर ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही  इस्तेमाल में लाते  थे । मेहर जल्दी से अपनी बिल्डिंग के सामने आई और अपनी स्कूटी को लगा कर जल्दी से अंदर चली गई , मेहर  सीडियां चड़ते हुए तीसरे फ्लोर पर चली गई और जल्दी से उसने अपने घर का  दरवाजा खोल कर  बंद कर दिया ।   और गहरी गहरी सांस लेने लगी ।

    "बाबा जी क्या आपको मेरे साथ ही ये सब करना था  । पहले उस बुढ़ाउ ने मेरी रामपयारी की ठोक दिया , उसके बाद वो मुझे ही पैसे दे रहा था । चलो वो भी ठीक था , उसी के ऑफिस मुझे भेज दिया । ये कुछ ज्यादा नही हो गया ", मेहर अपना पर्स अंदर आते हुए टेबल पर रखते हुए बोली  ।

    और साथ ही अपना दुपट्टा उतार वही सॉफे पर फैंक के ,वही बैठ गई । 

    "चलो बाबा जी यहां तक ठीक था , पर अब ये क्या वो बुड़ाउ यही रहता है , मुझे पता भी नही , वैसे तो मुझे यहां पर रहने वालो की हर हरकत का पता है तो ये बुढ़ाउ कैसे छुट गया ", मेहर  सोचने वाले अंदाज में बोली ।


    "छोड़ जे सब मुझे क्या , मुझे तो अपने काम से मतलब है ", मेहर बोली और अब कर अपने रूम में चली गई , और सीधे बाथरूम में घुस गई ।


    जब वो बाहर आई तो  नाइट सूट में थी ,जिस पर छोटे छोटे टैडी बने हूए थे और वो आकर रूम की बाल्कनी में चली गई । यहां पर उसने बहुत ही प्यारा से झुला लगा रखा था और साथ ही कुछ फुल भी थे । एक तरफ को नीचे ही  जोगा मैट था । मेहर आकर उस गोल झुके में बैठ गई और झुलने लगी । कुछ ही देर में वो वैसे ही सो गई ।

    वही बाहर आसमान में  चांद अपने पुरे रूप में था, जिस की रोशनी से पुरा आसमान नही रहा था ,,,,,,,

    रब राखा


    हे भगवान जब कबीर को पता चले गा के , मेहर  उर्फ चुड़ैल भी यही रहती है तो क्या होगा , ,,,, देखते है आगे क्या होता है ।

  • 10. Only For You ( शिद्दत से ) - Chapter 10

    Words: 1805

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगला दिन

    "जस चल उठ जा  , और चाय बना ", अजित जो उस की बगल में सो रहा था वो जस को लात मारते हुए बोला ।

    वही जस धीरे से उठा और उसे  घुरते हूए ,  "ठीक है जा रहा हूं तू फ्रेश हो जा", जस बोला और उबासी लेते हूए बाहर चला गया । वही अजित फिर से लेट गया ।

    " तु यहां क्या कर रहा है ", जस कबीर को रसोई में देख  कर बोला । "तुमको क्या लग रहा है ",कबीर उसे देख कर बोल ।

    "पर तु तो उस साक्षी के साथ गया था ना ", जस आगे जाकर गीलास उठाकर आरो से पानी लेते हूए बोले और फिर कबीर को देख कर पीने लगा ।

    वही जस की बात सुन कर उसे मेहर का चेहरा याद आया जो बच्चो को बैठा कर आना खिला रही थी ।

    "अबे कहां खोया हूया है तेरी  चाय उबल गई" , जस  गैस बंद करते हूय बोला । तो कबीर ने जल्दी से उस तरफ देखा ।

    " कुछ नही यार बस थोड़ा सा परेशान हूं" , कबीर बोला और चाय कप में छान कर  बाहर ले या ।

    "इस में कोन सी बड़ी बात है ,तू तो हर समय परेशां रहते हो" ,जस भी अपनी चाय लेते हूए बोला और बाहर लीविंग एरिया में आकर सोफे पर बैठ गया । 

    कबीर ने उसकी बात को नजर अंदाज करा और आकर बाल्कनी में खड़ा हो गया यहां से सुबह का नजारा दिल को सकुन देने वाला था ।

    तभी उस की नजर दूसरी बिल्डिंग की तरफ गई , आज भी वहा झुले पर लड़की सो रही थी । जिस के बाल खुले हुए थे ।

    वैसे तो ये फ्लेट जस का था यहां पर अजित उस के साथ रह रहा था , तीन रूम का फ्लेट बहुत हवादार और अच्छे से बना हुआ था । पिछले एक महीने से  कबीर यही पर रह रहा था । उसके पास भी अपना फ्लेट था ,पर  दो साल पहले ही साक्षी और कबीर ने एक साथ रहने का सोचा था तो साक्षी उसी फ्लेट में रहने लगी थी  , उनका रिलेशन भी तो आठ साल का हो गया था । यहीं  न्यूज चैनल में ही दोनो की जान पहचान हूई थी ।  AK न्यूज चैनल बुलंदी पर चल रहा था ।  मुम्बई की सभी न्यूज चैनल में ये तीसरे नंबर पर था । पर एक महीने से कबीर जस अजित का साथ रहने लगा ।

    तब से ही उसे झुले पर  सोती हुई लड़की दीखती थी जिसका चेहरा वो कभी नही देख पाया था , पर अब उसे आदत सी हो गई थी उसे देखने की , सुबह की चाय वो वही पर खड़े होकर  पीता था , और उस बाल्कनी को देखता रहता था । पर मजाल है वो लड़की उठ जाये , कबीर सात बजे तक वहां  से निकल जाया करता था । पर आज वो लेट उठा था ,उसे नही लगा था के वो लड़की उसे वही दिखेगी पर आज भी वो वैसे ही सो रही थी । कबीर के चेहरे पर स्माईल आ गई ।" मां बाप की लाडली बेटी लग रही है जो अभी सो रही है ",वो चाय का सिप लेते हूए खुद से ही बोला।


    "कबीर ये कल की न्यूज तो  शा गई यार ", अंदर से आवाज आई तो कबीर उसी तरफ चल दिया । अंदर जाकर वो जस के पास बैठ गया ।

    " क्या हूआ ",वो बोला ।

    "कल जो न्यूज  साक्षी ने दी थी ना , वो देख अभी भी चल रही है" , जस बोला ।

    वही कबीर टीवी में साक्षी को देख रहा था जो फुल एटीट्यूड से न्यूज दे रही थी  ।

    " हां कल ही आज तक वालों ने वो न्यूज मांगी थी , तो मेने उनको उनको अपने चैनल के लोगो के साथ ही , टेलीकास्ट करने को कहा था" ,कबीर बोला ।

     " बस एसे ही एक दिन हमारा न्यूज चैनल भी नैशनल चैनल बन जायेगा", जस बोला।

    " हा और अब वो दिन दूर नही ",कबीर बोला । तभी उस का फोन बजने लगा । तो उसने जस को सब कुछ बंद करने का कहा और आवाज तो बिल्कुल भी नही करने का कहा ,जस ने बात मान ली और आराम से चुप चाप बैठ गया ।


    कबीर ने फोन कान से लगा लिया , पर बोला कुछ नही ।

    " क्या हुआ पुतर अब हमसे बात भी नही करेगा" , दूसरी तरफ से आवाज आई ।

    " नही मम्मी एसी बात नही हो", कबीर बोला तो जस ने उसे देखा  ,वही कबीर उठ कर बाल्कनी में चला गया ।

    "कहां है" , दूसरी तरस से कहा गया ।

    "आपको बता कर आया था ",कबीर बोला ।

    "कब आयेगा घर" , दूसरी तरफ से कहा गया । "मम्मा" , कबीर बोला ।


    "देख बेटा मेरे दो बच्चे है तू तेरी बहन ,  वो छोटी है तो हर बार उसकी बात मानी जाती थी , उसकी भी क्या गलती , अब जो होना था होगया , उस बच्ची का सोच ना जिस",,,,,,,,,,,,,, ,

    "बस मम्मा अभी मैं इस बारे में कुछ बात नही करना चाहता ", कबीर अपनी मम्मी को रोकते हुए बोला । 

    "हां पुतर अब तुम लोग बड़े हो गये हो ,अब बात कहां करोगे ",मम्मी के लहजे में हसी थी जिस में वो शायद अपनी बेबसी छुपा गई थी ।

    कबीर ने आंखे बंद  करली , "मम्मा आने से पहले आपको बता दूंगा ", कबीर बोला ।

    "जैसी तेरी मर्जी , पर एक बात सुन यहां पर कोई नही है जो तुम्हारे इंतजार में है
    हम कोन होते है किसी को रोकने वाले" , मम्मी बोली और फोन काट दिया । वही कबीर ने फोन कान से हटाया , और जोर से हाथ रेलिंग पर दे मारा , "क्या कर क्या रहा है तू मम्मी की क्या गलती इस में ",वो खुद से ही बोला ।

    क्या हूआ जस वही आते हूए बोला । कुछ नही कबीर ने उसे देखा और अंदर चला गया । वही जस उसे देखता रह गया ।

    फिर उस ने सामने देखा यहां पर अभी भी लड़की झुले में थी ,तभी उस ने फोन पर समय देखा  आठ बजने में पांच सेकेंड बाकी थे, " एक, दो, तीन  ,चार ,पांच" ,जैसे ही जस ने  सामने देखते हूए पांच कहा वैसे ही वो लड़की जो झुले मेथ सो रही थी , वो धड़ाम  से नीचे गिर गई । जस जोर जोर से हसने लगा ।


    "क्या वो गिर गई", पीछे से अजित की आवाज आई ।

    "हां यार , तु बस दो सेकेंड से तू मिस कर गया ",जस हस्ते हूय बोला ।

    अजित उस के सिर पर मारते हुए," पागल हो क्या वो रोज गिरती है और तू रोज हँसता है ",अजित बोलते हूय अंदर आ गया ।

    "अब मैं क्या करू  पिछले एक साल से उसे देख एक रहा हूं गिरते हुए" , जस बोलते हूय उस के पीछे आ गया ।

    मेहर जो मजे से झुले में सो रही थी ,वो धड़ाम से गिर गई थी , ये कोई पहली बार नही हुआ था उस के साथ , वो रोज ही गिरती थी , अपनी आँखे मलते हूए वो उठी , "बज गये आठ वो बैठते हूए बोली" , और धीरे से आखें ली । मेहर के चेहरे पर स्माईल थी , वही वो उठी अंदर अंदर चली गई ।

    इस बात से अंजान के उस के तीनो बॉस उसे ही देख कर अपनी  सुबह का आगाज करते है , मेहर जल्दी जल्दी से सब काम करने लगी  नहा धोकर वो रसोई में आई और चाय बनाने लगी साथ ही उसने कुछ ब्रेड गर्म कर ली और जल्दी से खाने लगी ।

    मेहर का फोन बजा तो उस ने जल्दी से फोन उठा लिया ,"हा बाउजी मै तैयार हो गई हूं ऑफिस जाने के लिए , ब्रेड खा रही हूं , आज मेने ग्रीन कलर का सुट पहना है जिस पर सफेद रंग की कड़ाई की है "।

    "बस बस बस मेहर" , दूसरी तरफ से आवाज आई ।"वीडियो ओन कर", साथ ही एक और आवाज आई , तो मेहर ने जल्दी से फोन पर वीडियो चला दी । 

    सामने ही एक जोड़ा बैठा हूआ था ,दोनो मेहर को देख रहे थे । अम्मी बाउजी , मेहर दोनो को देख कर बोली ।

    "कितनी पतली हो गई है ", अम्मी बोली ।

    "क्या अम्मी इसे डाइटिंग करना कहते है" ,मेहर बोली ।


    "नही पुतर जी इसे मजबुरी कहते है जब समय पर तैयार नही होते है हम लोग", , मेहर के बाउजी बोले , तो मेहर उनको दांत दिखाने लग गई । 


    "क्या बात है कुछ कहना है क्या" , मेहर के बाउजी  बोले ।

    "हा वो ना कल रामप्यारी फिर से ठुक गई" , मेहर बोली ।

    दूसरी और बैठे दोनो ने एक दूसरे को देखा ,  कैसे ठुकी  अम्मी बोली ।

    "बात ये हूई  थी के मैं बीच सड़क से जा रही थी" ,मेहर अपने हाथ के इशारे से बताना लगी ।

    " तभी पीछे से एक कार वाला जोर जोर से हॉर्न मारने लगा, अब मेरी भी या गलती थी , वहां पर भीड़ ही इतनी थी" , मेहर बोली । दूसरी तरफ दोनो उस की बात सुन कर , उसे ही देख एक रही थे ।

    "फिर मुझे बहुत गुस्सा आया और मेने रामपयारी रोक दी , तो बाउजी आपको पता है वो कार  वाले ने ना कार  नही रोकी बल्की मुझ में ही ठोक दी" , मेहर अपनी बाउजी से बोलो वही बाउजी भी सिर हिला रहे थे मेहर की बात पर ।


    "फिर क्या था मेने उस की कार का शीशा तोड़ दिया ", मेहर बोली ।

    "अच्छा फिर क्या हूआ ", अम्मी बोली जैसे उनको पहले से ही पता हो के मेहर यही कुछ बोलेगी ।

    "होना क्या था", मेहर मुंह छोटा सा करके बोली ।" मतलब", बाउजी बोले । "वो जिसका शीशा तोड़ा वही मेरा बॉस निकला ", मेहर दोनो को देख कर धीरे से बोली ।

    "असली बात तो अब पता चली" , बाउजी बोले । वही अम्मी दोनो को देख कर ,"तुम दोनो  किसी   दिन फस जाओगे ", बोली और उठ कर चली गई । 

    "ये बता वो बॉस परेशान तो नही कर रहा ना वर्ना मैं अभी आऊं वहा ", बाउजी बोली।

    " नही नही कोई मुझे परेशान नही कर रहा और आपको लगता है के कोई मुझे परेशान कर सकता है" , मेहर बोली । बाउजी हस दिये ।


    "बाउजी वीरे से बात कर लो ना" , मेहर बोली तो बाउजी के चेहरे के भाव बदल गये ।

    " जब वीरा घर आयेगे मैं भी तब ही आऊंगी अब आप देख लो" , मेहर बोली । बाउजी ने मेहर को देखा , "चल ध्यान से काम करना और आज ध्यान से जाना ",वो बोले तो मेहर ने हां में सिर हिला दिया साथ ही फोन की स्क्रीन काली हो गई । मेहर ने लंबी सांस ली, और जल्दी से सब सामान सही से लगा कर अपना पर्स लेने रूम में चली गई ।



    रब राखा