सड़क के बीचो बीच भीड़ लगी हुई थी । बहुत सारे लोग वहां पर जमा हूए थे , पुरा ट्रेफिक जाम हो रखा था । एक लडकी यहीं कोई इक्कीस बाईस साल की , सड़क के बीचो बीच खड़ी थी , जिसकी गहरी काली आखों में बेहिसाब गुस्सा नजर आ रहा था । उस के सामने एक लड़का उम्र में य... सड़क के बीचो बीच भीड़ लगी हुई थी । बहुत सारे लोग वहां पर जमा हूए थे , पुरा ट्रेफिक जाम हो रखा था । एक लडकी यहीं कोई इक्कीस बाईस साल की , सड़क के बीचो बीच खड़ी थी , जिसकी गहरी काली आखों में बेहिसाब गुस्सा नजर आ रहा था । उस के सामने एक लड़का उम्र में यही कोई तीस के आस पास का होगा , वो भी अपनी ब्राउन आंखो में गुस्सा लिए उसे देख रहा था । "अरे कार क्या आ गई हाथ में तो दूसरे लोगो को कुछ समझते ही नही हो , कार ना हो गई कोई हवाईजहाज हो गया । जिसे बीना ब्रेक के भगाये जा रहे हो, भगाये जा रहे हो , हम जैसों को तो कीड़े मकोड़े समझ कर रखा है इन लोगो ने" , वो लड़की अपना हाथ हिलाते हूए बोल रही थी । वही वो लड़का गुस्से से उसे देख रहा था । "हॉर्न नाम का यंत्र लगा है इस में और कान नाम की चीज भगवान ने तूम्हे दी है पर नही उस में तो , बलूतूथ घुसा रखे है , हॉर्न नाम के यंत्र की आवाज कहां से सुनाई देगी ", वो लड़का बोला । "अच्छा मुझे सुनाई नही दिया तो क्या, तुम मेरी रामपयारी को ठोक दो गे ",वो लड़की बीच सड़क पर पड़ी अपनी सकुटी को देख कर बोली । " हाये मेरी राम प्यारी अभी तो इसकी किशते भी पुरी नही हूई और तूमने इसे हॉस्पीटल पहचाने का काम कर दिया", वो लड़की अपनी स्कूटी के पास बैठ कर बोली । दूसरी तरफ खड़ा लड़का उस की बात सुनकर , हैरानी से उसे देख रह था ।"हॉस्पीटल ये स्कूटी , भला स्कूटी कब से हॉस्पीटल जाने लगी" ,वो लड़का हाथ बाध के बोला बोला । "जब से तुम जैसे अंधों के हाथ में गाड़ी लगी है ", वो लड़की खड़े होकर गुस्से से बोली । "देखो मिस अब ये ना ज्यादा हो रहा है , बहुत ज्यादा समझी ना आप , और रही ये स्कूटी मतलब तुम्हारी रामपयारी की बात तो ये पैसे रखो और रास्ता छोड़ो" , वो लड़का पीछा छुड़ाने के मकसद से उस लड़की के हाथ में पैसो की गडी रखते हुए बोला जो उसी समय उसने कार में से निकाली थे । "तूम समझते क्या हो खुद को , कही का राजा महाराजा जो मुझे ये पैसे दे रहे हो , एक तो गलती उपर से उस गलती को छुपाने के लिए और गलती । एक सॉरी भी तो बोल सकते थे ना ", वो लड़की गुस्से से बोली । " सॉरी और वो भी तुम जैसी ब्ददिमाग लड़की को , भूल जाओ", वो लड़का बोला । "यू", वो लड़की उसे देख कर गुस्से से इधर उधर देखने लगी, और सड़क के एक तरफ चली गई ,वही सब उसे ही देख रहे थे ,तभी उस लड़की ने एक पथर देखा और वो पथर उठा कर भागते हूए उस लड़के की तरफ आई , उसे ऐसे पथर लेकर अपनी तरफ भागते हूए आते देख
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सड़क के बीचो बीच भीड़ लगी हुई थी । बहुत सारे लोग वहां पर जमा हूए थे , पुरा ट्रेफिक जाम हो रखा था । एक लडकी यहीं कोई इक्कीस बाईस साल की , सड़क के बीचो बीच खड़ी थी , जिसकी गहरी काली आखों में बेहिसाब गुस्सा नजर आ रहा था । उस के सामने एक लड़का उम्र में यही कोई तीस के आस पास का होगा , वो भी अपनी ब्राउन आंखो में गुस्सा लिए उसे देख रहा था ।
"अरे कार क्या आ गई हाथ में तो दूसरे लोगो को कुछ समझते ही नही हो , कार ना हो गई कोई हवाईजहाज हो गया । जिसे बीना ब्रेक के भगाये जा रहे हो, भगाये जा रहे हो , हम जैसों को तो कीड़े मकोड़े समझ कर रखा है इन लोगो ने" , वो लड़की अपना हाथ हिलाते हूए बोल रही थी । वही वो लड़का गुस्से से उसे देख रहा था ।
"हॉर्न नाम का यंत्र लगा है इस में और कान नाम की चीज भगवान ने तूम्हे दी है पर नही उस में तो , बलूतूथ घुसा रखे है , हॉर्न नाम के यंत्र की आवाज कहां से सुनाई देगी ", वो लड़का बोला ।
"अच्छा मुझे सुनाई नही दिया तो क्या, तुम मेरी रामपयारी को ठोक दो गे ",वो लड़की बीच सड़क पर पड़ी अपनी सकुटी को देख कर बोली ।
" हाये मेरी राम प्यारी अभी तो इसकी किशते भी पुरी नही हूई और तूमने इसे हॉस्पीटल पहचाने का काम कर दिया", वो लड़की अपनी स्कूटी के पास बैठ कर बोली ।
दूसरी तरफ खड़ा लड़का उस की बात सुनकर , हैरानी से उसे देख रह था ।"हॉस्पीटल ये स्कूटी , भला स्कूटी कब से हॉस्पीटल जाने लगी" ,वो लड़का हाथ बाध के बोला बोला ।
"जब से तुम जैसे अंधों के हाथ में गाड़ी लगी है ", वो लड़की खड़े होकर गुस्से से बोली ।
"देखो मिस अब ये ना ज्यादा हो रहा है , बहुत ज्यादा समझी ना आप , और रही ये स्कूटी मतलब तुम्हारी रामपयारी की बात तो ये पैसे रखो और रास्ता छोड़ो" , वो लड़का पीछा छुड़ाने के मकसद से उस लड़की के हाथ में पैसो की गडी रखते हुए बोला जो उसी समय उसने कार में से निकाली थे ।
"तूम समझते क्या हो खुद को , कही का राजा महाराजा जो मुझे ये पैसे दे रहे हो , एक तो गलती उपर से उस गलती को छुपाने के लिए और गलती । एक सॉरी भी तो बोल सकते थे ना ", वो लड़की गुस्से से बोली ।
" सॉरी और वो भी तुम जैसी ब्ददिमाग लड़की को , भूल जाओ", वो लड़का बोला ।
"यू",
वो लड़की उसे देख कर गुस्से से इधर उधर देखने लगी, और सड़क के एक तरफ चली गई ,वही सब उसे ही देख रहे थे ,तभी उस लड़की ने एक पथर देखा और वो पथर उठा कर भागते हूए उस लड़के की तरफ आई , उसे ऐसे पथर लेकर अपनी तरफ भागते हूए आते देख ,वो लड़का भी हका बका रह गया ,
सामने से वो लड़की दोनो हाथों में उस पथर को अपने सिर के उपर उठाये हुए भागी आ रही थी , इधर लड़के की सासे थम सी गई , जैसे ही वो लड़की लड़के के पास आई उसी समय लड़के के एक तरफ से होकर कार के आगे आकर रूकी और वो पथर उस कार के फ्रंट शीशे पर दे मारा ।वो लड़का जो अभी तक इस बात से हैरान था ,के वो लड़की उसे मारने वाली है ,अब वो गुस्से में आ गया क्यूँकि उस लड़की ने उस की जान से प्यारी कार का शीशा तोड़ दिया ।
"ए लड़की" , वो लड़का जल्दी से आगे आकर बोला ।
वही वो लड़की अपने हाथ आपस में झाड़ते हूए उसे ही देखने लगी ।
"एक मिनट ",वो लड़की उस लड़के के बोलने से पहले बोली और अपने पर्स से पैसे निकाल कर उस लड़के के हाथ पर रख दिये ।
"जो पैसे मुझे दे रहे थे ना उन में मिला लेना और शीशा लगा लेना ,अपने हवाई जहाज का ", लड़की बोली और सड़क के बीचो बीच पड़ी अपनी स्कूटी को उठाया और पैदल ही जाने लगी तो सामने खड़े लोगो को देख कर ।
"हो गया खत्म तमाशा , बस होगया अब तुम लोग जा सकते हो" , वो लड़की बोली । तो सब लोग उसे देखते हूए जाने लगे और कुछ तो गाड़ी की हालत देकर कर हस रहे थे । वही वो लड़के ने गुस्से में आकर बोनेट पर मुक्का मारा दिया।
"हाउ डेयर शी , इस की हिम्मत कैसे हूई ये सब करने की" , वो लड़का बोला । और अपना फोन निकाल कर किसी को करने लगा ।" अजित जल्दी आ जा" , वो बोला और वही पर खड़ा हो गया ।
"चल मेरी राम प्यारी" , वो लड़की उस स्कूटी को ले जाते हूए बोली ।
वही लड़का गुस्से से उसे देखते हूए ,"शुक्र मनाओ के कभी लाइफ में मेरे सामने ना आओ , वर्ना भुल जाऊंगा मैं, के तूम एक लड़की हो ", वो गुस्से से बोला और अपने हाथ में पकड़े पैसे देखने लगा जो उस लड़की ने उस के हाथ में रखे थे । तभी पैसो के बीच उसे एक कार्ड दिखा ये लाइब्रेरी का कार्ड था , जिस पर मेहर शेरगिल नाम लिखा हुआ था और साथ ही उस लड़की की फोटो , " हूं मेहर शेरगिल ", वो लड़का मुंह मड़ोड कर बोला । और उसे जाते हूए देखने लगा ।
"ओये आहलुवालिया किस की तस्वीर को निहार रहा है ", एक लड़का पहले लड़के से बोला जो मेहर शेरगिल की फोटो देख रहा था ।
"कबीर कबीर नाम है मेरा आहलूवालिया नही , समझे ना" , पहला लड़का गुस्से से उस दूसरे लड़के को देखते हूए बोला जो कबीर के कंधे से उस के हाथ में पकड़ा कार्ड देखने की कोशिश कर रहा था ।
"ले इस में ही घुस जा ", कबीर हाथ अजित के आगे करते हूय बोला तो अजित उसे देखकर," तेरा टेंपरेचर बड़ा हुआ क्यूं रहता है" , अजित बोला और गाड़ी को देखने लगा ।
"इसे क्या हुआ", वो गाड़ी को इधर उधर से देखते हुए बोला ।
" एक चुड़ैल चड़ गई थी ", कबीर बोला ।
अजित उसे देख," कर इतनी भारी थी चुड़ैल के पुरा शीशा ही टूट गया", वो हैरान होकर बोला तो कबीर ने उसे घुर कर देखा , अजित चुप कर गया ।
" चल मेरी कार में बैठ ड्राइवर इसे ले आयेगा" , वो बोला । दोनो वहां से चल दिये ।
रब राखा
चल मेरी कार में बैठ ड्राइवर इसे ले आयेगा , अजित बोला तो कबीर ने एक बार उसे देखा और फिर अपनी कार को जिसका शीशा टूट चुका था । कबीर की गुस्से से मुठ्ठीया कस गई , मुझे मिल गई ना फिर से फिर देख तुम्हे कैसे सबक सिखाता हूं , कबीर मन ही मन बोला । वही अजित कबीर को देख रहा था और उसकी नजरों का पीछा करते हुए गाड़ी को देख रहा था । साथ ही हस रहा था । चलो आज सेर को सवा सेर मिल ही गई वर्ना ये तो खुद के सामने किसी को कुछ समझता ही नही था , अजित मन ही मन बोला । चल इसे ठीक कराते है , अजित कबीर के कंधे पर हाथ रख कर बोला । तो कबीर गाड़ी में बैठ गया और अजित ने गाड़ी आगे बड़ा दी ।
ओये सुन देख इसे क्या हुआ वही स्कूटी वाली लड़की एक दूकान के सामने अपनी स्कूटी खड़ी करते हूय बोली । तो वो लड़का जो वहां पर काम कर रहा था , लड़की को देख कर , अरे क्या दी आज फिर किसी से रामपयारी भिड़ गई ,वो लड़का बोला । तो मेहर वही पड़े टेबल पर बैठ कर , आज ये थोड़ी भिड़ी थी एक हवाईजहाज आकर भिड़ गया मेहर गुस्से से बोली और अपने दुपट्टे से अपना चेहरा साफ करने लगी जिस पर पसीना आ गया था ।
चल पानी दे मुझे गर्मी बहुत है आज , मेहर बोली तो वो लड़का जल्दी से अंदर जाकर ठंडे पानी की बोतल ले आया और मेहर को दे दी । मेहर ने जल्दी से पानी पिया , कहा से आ रहे हो दी , वो लड़का बोला और साथ ही स्कूटी को देखने लगा , बस इतना समझ के दो घंटे से चल कर आ रही हूं , रास्ते में बहुत सारी दूकाने थी पर तु ,मेरी रामपयारी की रग रग से वाकिफ है , तो बस यही आई हूं मैं , मेहर बोली ।
लड़का मेहर को देखने लगा अच्छा दी आज तो आपकी नई जगह ज्वाइनिंग थी ना , देर नही हो रही आपको वो बोला । तो मेहर ने अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी देखी जिस पर सुबह के दस बज रहे थे , बारह बजे तक जाना है ,तू बस अपना काम कर , मेहर उस लड़के से बोली । लड़का रामपयारी को देखने लगा । दी आपने कहा था इस बार जब पंजाब जायेगी तो मुझे साथ लेकर जायेंगी , तो लेकर क्यूं नही गई ,वो लड़का मेहर सै बोला तो मेहर को याद आया के वो एक महीने पहले अपने घर गई थी , तो उसने आखें बंद कर ली ,तू बस अपना काम कर , ले जाऊंगी तुमको भी । देख लूंगी कोन से झंडे उखाड़ने है तुने , मेहर बोली । तो लड़का उसे देखने लगा , अच्छा वहां पर आपने झंडा लगा रखे है क्या ,वो लड़का बोला तो मेहर उसे देख कर , हाथ चला मुंह नही , मेहर बोली तो लड़के ने मुंह बना लिया तो मेहर ने उसे देखा , चल माफ करदे छोटू , वो आज एक बुढ़े से लड़ाई हो गई थी , और उपर से वो माफी मांगने की जगह ना पैसे दे रहा था , उसकी इतनी हिम्मत के मुझे मेहर शेरगिल को पेसे दे, मेहर बोली । तो छोटू उसे देख कर , बुढ़े से लड़कर आ रही है आप दी , ये आपकी पर्सनालिटी को सूट नही करता , छोटू बोला और स्कूटी स्टार कर दी ।
वही तो वो बुढ़ा भी ना कम नही था , अपनी इतनी बड़ी बड़ी आखें दिखा कर डराने की कोशिश कर रहा था ,मैं भी कहां कम हूं , फिर मेहर खुद की बढ़ाई करते हूय बोली इस समय उस के चेहरे पर जीत वाली मुस्कान थी , अच्छा दी एसा क्या किया आपने , छोटू कपड़े से हाथ साफ करते हुए मेहर के पास आकर बैठ गया ।
ये इतना बड़ा पत्थर लिया मेने , मेहर अपना हाथ को पुरा फैलाकर बोली , ये बताने के लिए के पत्थर कितना बड़ा था ,वही छोटू ध्यान से उस के हाथ को देख रहा था , इतना बड़ा पत्थर छोटू बोले । मेहर ने उसे देख कर हां में सिर हिला दिया ,और फिर उस की गाड़ी की तरफ भागी गई और उस गाड़ी के शीशे में मार दिया , मेहर खुशी में फुल कर बोली ।वही छोटू उसे देख कर हसने लगा , दीदी इतने बड़े पत्थर को आप उठा ही नही सकती , वो बोली तो मेहर ने उसे घुरा , मेरे कहने का मतलब ये था ,के ये तो आपकी ऊंगली का काम है पत्थर उठाना छोटू बोला । बिल्कुल मेहर बोली , आपकी रामपयारी ठीक हो गई है ,छोटे बोला तो मेहर अपने पर्स खोल कर उसे पैसे निकाल कर देते हुए ये तेरी महनत , मेहर बोली । छोटू ने पैसे पकड़ लिये , अच्छा दी आते समय गुलाबजामुन लेकर आना नई जगह पर काम करोगी , उस की खुशी में , छोटू बोला । मेहर छोटू को देख कर पिछले महीने भी तो खिलाया था ना , वो बोली । अब मैं क्या करू जब आप एक जगह रूक ही नही सकती , हर बार तो अपने सीनीयर से लड़ झगड़ लेती है , छोटू बोला । तारीफ के लिए शुक्रिया ,तेरे गुलाबजामुन मिल जायेगे समझा ,मेहर बोली और स्कूटी को लेकर चली गई , वही लड़का देख कर हसने लगा , वो दिन पता नही कब आयेगा दी जब आप एक जगह रूक कर काम करेंगी , छोटू बोला और अपने काम में लग गया ।
लो पहुंच गई मैं मेहर अपनी स्कूटी एक तरफ रोक कर सामने खड़ी बिल्डिंग को देख कर बोली । मेहर पहले भी यहां पर आई थी इंटरव्यू देने , उसे पता था के इस बहुमंजिली बिल्डिंग के सब से उपर के तिन फ्लोर पर ही उसका ऑफिस है ।
मेहर उस बिल्डिंग के अंदर चली गई और नीचे के रिसेप्शन पर बता कर वो लिफ्ट की तरफ चल दी । वो लिपट के अंदर गई तो अकेली ही थी तभी एक लड़का उस लिफ्ट में आ गया , उसने मेहर को देखा तो कुछ सोचते हूए मेहर ,वो बोला , तो मेहर ने उसे देखा , जी वो बोली । यहां पर न्यू हो वो बोला ।तो मेहर ने हां में सिर हिला दिया । हाये मैं जस वो लड़का बोला । तो मैं क्या करू , मेहर उस के बड़े हूए हाथ को देख कर बोली ।
रब राखा
हाये मैं जस वो लड़का बोला । तो मैं क्या करू , मेहर उस के बड़े हूए हाथ को देख कर बोली ।
वो लड़का जिसने अपना नाम जस बताया वो मेहर को देख हैरान रह गया । वही मेहर ने उस पर कोई ध्यान ना देते हुए अपने फोन पर ध्यान लगा दिया । लिफ्ट रूकी और मेहर वहां से बाहर चली गई ,वही पीछे पीछे जस उसे देख कर ,क्या अजीब लड़की है यार मतलब यहां पर काम करने आई है और इसे पता भी नही मैं कोन हूं , वो खुद से ही बोला , ओर चल दिया । मेहर लिफ्ट से निकल कर सीधे रिसेप्शन पर आ गई , हेलो मेहर ने उसे देख कर कहा तो रिसेप्शन ने उसे देख कर हाय बोला मेरा आज पहला दिन है तो कहा पर जाऊं मेहर बोली । रिसेप्शन ईस्ट उसे देख कर ,हा तुम यहां से सीधे जाकर लेफ्ट साईड ले लेना , वहां पर दरवाजे पर "K "लिखा होगा बस वही जाना है , वो बोली । ओके थैंक्स मेहर बोली और चली गई जैसा उसने बताया , तो सामने ही कुछ दूरी पर ही उसे रूम दिखा जिस पर के लिखा था मेहर ने उस रूम को देख कर अजीब सा फेस बनाया , और रूम के अंदर चली गई , यहां पर इस समय कुल छे लोग थे । जिसमें तीन आगे बैठे थे ।
मेहर उन सब के साथ बैठ गई , हैलो तुम भी नई हो क्या एक लड़की मेहर को देख कर बोली तो मेहर ने हां में सिर हिला दिया ,हाये मैं नताशा, वो लड़की अपना हाथ आगे करते हुए बोली । मेहर ने उसका हाथ देखा तो उस से हाथ मिलाते हुए, मेहर, मेहर बोली । मुझे तो बहुत ही टेन्शन हो रही है आज , नताशा बोली ।
क्यूं ,मेहर उसे देख कर बोलो , यार इस न्यूज चैनल के ऑनर ना बहुत ही हॉट है , ,नताशा बोली ।
मेहर उसे देख कर अच्छा इतने हॉट है मेहर बोली , तो नताशा ने हां में सिर हिला दिया , तो फिर मैं उनसे तो दूर ही रहूंगी , उस हॉट से गलती से भी टच हो गई तो कही जल ना जाऊं मैं ,मेहर बोली ।
नताशा उसे देखती ही रह गई पर वही पीछे बैठा एक लड़का मेहर की बात सून कर हसने लगा । दोनो ने उसे देखा तो वो लड़का ,मेहर को देख कर हैलो मेरा नाम डी है , और सब से अच्छी बात के मैं हॉट नही हूं तो तुम्हे जलने का कोई डर नही ,वो लड़का मेहर के आगे हाथ करते हूय पर नताशा को देख कर बोला । तो मेहर ने उस के हाथ को देख हाथ मिलाते हूऐ , डी की फुल फॉर्म , वो बोली ।
तो लड़का जिसका नाम डी था उस ने हाथ खीच लिया । वही नताशा ने उसे घुर कर देखा बोलो बोलो ,नताशा बोली । देवदास ,वो बोला । मेहर नताशा उसे देखती ही रह गई फिर एक दूसरे को देख कर दोनो ही एक साथ जोर जोर से हसने लगी , तो बाकी के तीन लोग जो आगे बैठे थे और जिनकी पीठ इन तीनो की तरफ थी ,वो इनको देखने लगे ।
देवदास भई किस दूनिया में रहते हो तुम , मेहर बोली , वही नताशा उसे हाथ से इशारा कर रही थी ,पर मेहर डी को देख कर बोलो भी अब वो बोली । पर नताशा के बार बार हाथ मारने से मेहर उसे देखने लगी , क्या है अब क्या हूआ मेहर बोली और नताशा को देखा जो सामने ही देख रही थी ।
तू तो एसे सामने देख रही है जैसे तेरा वो हॉट बॉस यहीं आ गया हो ,मेहर उसे देखते हूए बोली और सामने देखा तो वो देखती ही रह गई । अब उस के चेहरे पर गुस्सा साफ साफ आ गये था ।
ओये बुढे तू मेरा पीछा करते हुए यहां तक आ गया । मेहर अपनी जगह से खड़े होकर बोली , वही सामने वाले तीनो लोग जिनमें अजित , जस और कबीर थे वो मेहर की बात सून हैरान रह गए , अजित जस एक दूसरे को देख रहे थे पर कबीर तो गुस्से में मेहर को देख खड़ा हो गया ।
लिसन अगर अब एक और लफज कहा ना तो देख लेना कबीर मेहर को ऊँगली दिखाते हुए बोला । तो मेहर उस की ऊंगली के आगे अपनी ऊंगली लगाते हूए , बोलूंगी और जोर जोर से बोलूगी बता क्या कर लेगा ,मेहर बोली । अजित जस दोनो ने अपने हाथ सिर पर दे मारे ,वही नताशा डी मुँह खोले देख रहे थे ।
जा इसे बचा ले वर्ना पहले दिन ही निकाल दी जायेगी ये ,डी नताशा के पास आकर धीरे से बोला । वही नताशा आगे आकर , क्या कर यही है तू, वो मेहर से बोली ।
तू पीछे रह , मेरी बात के बीच में मत आ, मेहर बोली । पागल ये वही हॉट बॉस है जिसे हाथ लगाने से तू जल जाती , नताशा मेहर के कान में बोली , ये और बॉस तूझे पता भी है आज इसने क्या किया था , ये बॉस हो ही नही सकता , मेहर नताशा को देख कर बोली । पर नताशा ने हां में सिर हिला दिया ,वही मेहर ने डी को देखा तो डी ने भी हां में सिर हिला दिया ।
अब मेहर को लगा के ये दोनो सच कह रहे है तो उसने सामने देखा यहां पर अजित जस खड़े थे ,उन दोनो ने भी हां में सिर हिला दिया । मेहर ने कबीर को देखा जो उसे ही घुर कर देख रहा था और अभी भी दोनो की ऊंगलीयां एक दूसरे से जुड़ी हुई थी । के अचानक मेहर चिल्ला दी । सब हैरान से उसे देखने लगे , क्या हूआ , नताशा मेहर से बोली । देखना नताशा मेरा हाथ जल गया , मेहर अपना हाथ नताशा के आगे करते हूय बोली । और फिर कबीर को देखकर तेरे इस हॉट बॉस की वजह से ,वो बोली ।
वही आजित और जस की हसी छुट गई और नताशा ने अपना सिर पकड़ लिया , डी तो किसी तरह से अपनी हसी दबाये हुए था । अब तू कहा चली , नताशा मेहर को जाते हूए देख बोली । यहां पर तो मेरा काम करने का मन नही है मेहर बोली , सब उसे देख रहे थे ,और मेहर वहा से जाने लगी , तभी उस रूम में एक भारी सी आवाज गुंजी ,जिसे सुन सब उस तरफ देखने लगे ।
रब राखा
रुको , कमरे में एक भारी भरकम आवाज गुंजी ,तो सब उस तरफ देखने लगे । यू मेहर शेरगिल तूम ही से बात कर रहा हूं ,कबीर बोला ।
लो हो गया , मुझे एसा क्यूं लग रहा है के कबीर गुस्से में कुछ गलत ना कर दे , जस अजित से बोला । भाई सुबह जो गाड़ी कांड हुआ है ना उस में भी मुझे मेहर का ही हाथ लग रहा है , अजित बोला । तो जस हैरान सा मेहर को देखने लगा , मतलब ये पतली सी लड़की ने कबीर की गाड़ी का शीशा तोड़ दिया , जस हैरानी से बोला । हां और अब कबीर को बढा भी बोल दिया अजित सामने देखते हूए बोला यहां पर कबीर मेहर के पास जा रहा था , तो जस चुप चाप सामने देखने लगा ।
कबीर मेहर के पास पहुंचा और उसे देख कर ,यहां पर काम से आई हो तूम तूमने हमारे साथ कॉन्ट्रेक्ट साइन करा है , कबीर बोला । तो मेहर उसे देख कर , मैं नही मानती ऐसे कॉन्ट्रेक्ट को , मेहर बोली । हम मानते है ,और उस के मुताबिक तूम अगले एक साल तक हमारे साथ काम करोगी , कबीर बोला ।
देखो मिस्टर बुढाउ मुझे कोई शोक नही है तुम जैसे ब्ददिमाग आदमी के साथ काम करने का, मेहर बोली ।
नताशा डी मुँह खोले मेहर को देख रहे थे वही अजित और जस कबीर को देख कर , तु बता क्या लगता है इन दोनो का कुछ हो सकता है , जस अजित से बोला पर देख वो कबीर को रहा था । पता नही पर फिल्हाल तो मजा आ रहा है दोनो को लड़ते देख , बस एक बीयर की बोतल की कमी है ,अजित बोला । जस अजित को देख कर , काश इस समय होती तो फ्री का इंटरटेनमेंट देख कर मजा आ जाता , वो बोला ।
तुम चुड़ैल , अपनी जुबान को लगाम दो , समझी । किस ऐंगल से मैं बुढ़ा नजर आ रहा हूं , कबीर मेहर को देख कर बोला । मेहर हैरानी से उसे देख कर तो क्या तूम खुद को , जवान समाज रहे हो , मेहर अजीब सा मुंह बना कर बोली । तो कबीर उसे कुछ कहने ही वाला था के अपने आस पास देखा यहा पर अजित जस डी और नताशा उन दोनो को ही देख रहे थे ।
कबीर मेहर को देख कर , ठीक है तुमे जाना है तो जाओ पर जाने से पहले अपने पैसे जमा करती जाना , कबीर बोला और रूम से बाहर चला गया वही मेहर उसे जाता देख , तो तुमने क्या समझा मैं एसे जा रही हूं , अभी तुम्हारे मुंह पर पैसे मार कर जाती हूं , समझते क्या हो खुद को , बड़े आये , बढ़ाऊ, जाहिल ग्वार आदमी तेरी इस कंपनी को ना खरीद लिया तो मेरा नाम भी मेहर शेरगिल नही, मेहर जो जोर से बोली रही थी ,तभी कबीर वापस रूम के दरवाजे पर आया , जस मिस शेरगिल को अब तभी जाने देना जब ये एक करोड़ का फाइन भर दे , और अगर एक घंटे तक ये पैसे जमा नही करती तो मेरे कैबिन में भेज देना , क्या काम केसे करना हैर मैं अच्छे से समझा दूंगा , कबीर गुस्से से मेहर को देख कर बोला । वही जस ने हां में सिर हिला दिया । और मिस शेरगिल , मेरी कंपनी खरीदनी है तो , शोक से खरीदें ,पर पहले फाइन भर दे अगर यहां से जाना है ,बस एक घंटे का समय है तुम्हारे पास , उस के बाद तुम्हारी जोब स्टार्ट कबीर बोला और वहा से चला गया ।
मेहर जो कब से बोल रही थी कबीर की बात सुन कर ,चुप और हैरान सी रह गई , एक करोड़, वो जस को देख कर बोलो तो जस ने हां में सिर हिला दिया वही मेहर कुर्सी पर गिरने वाले ढंग से बैठ गई।
क्या जरूरत थी तूझे इतना चपड़ चपड़ करने की , सही कहते है सब के मेहर अपना मुंह बंद रखा कर बीन बात की आफत मोल ले लेती है , पर नही मेहर जी आपको मानना थोड़ी है , बस वही करना है जो मन कर रहा है , मेहर खुद से बोल रही थी ,वही नताशा मेहर के पास आकर , बस कर अब जो होना था हो गया , एसा कर तू सर से माफी मांग ले, नताशा बोली , हा नताशा सही कह रही है ,डी बोला ।
तुम दोनो को लगता है वो बुढ़ाऊ मुझे माफ करेगा ,मेहर दोनो को देख कर बोली । वही जस अजित जो मेहर की बातें सुन रहे थे वो हस्ते हूय ,जो भी हो यार ये लड़की है कमाल की , मजा आने वाला है अब यहां पर काम करने में , अजित बोला । वही जस कुछ सोचते हूए ,और अगर ये चली गई तो ,वो बोला । तू पागल है , वो कबीर है ,अगर मेहर को जाने ही देना होता ना तो ये बच्चो वाली बात नही करता , अजित बोला । तो मतलब इस आफिस में अब हमे लड़ाई भी देखने को मिलेगी ,जहां बस काम काम और काम ही होता है , जस बोला । वो तो देखते है , अजित बोला ।
चलो तुम दोनो, तुमको काम बता दे , अजित मेहर के पास आकर नताशा और डी से बोला । तो दोनो ने मेहर को देखा , जाओ तूम लोग मेहर बोली , वही अजित जस दोनो को देख वहां से बाहर चले गये तो वही नताशा और डी भी उनके पीछे पीछे चल दिये वही मेहर बैठी हूई उस पुरे रूम को देख रही थी , जिस के कॉर्न पर एक कैमरा लगा हुआ था ,मेहर ने पहले उसे देखा , फिर उस कैमरे को अपनी आँखे छोटी करते हूय घुरने लगी और अगले ही पल उस ने कैमरे की तरफ जीभ निकाल दी ।
वही दूसरे रूम में बैठा कबीर जो उसी कैमरे के जरिये मेहर को अपने लॉपटाप पर देख रहा था , मेहर के जीभ दिखाते ही , वो गुस्से से स्क्रीन को देखने लगा । मिस शेरगिल अब मैं देखता हूं कैसे जाती हो यहां से , आज तक मेरे पापा ने मुझे उच्ची आवाज में बात नही की और तूम हो के , बोलते हूय कबीर उस स्क्रीन को ही देख रहा था , यहां पर मेहर बैठी हूई थी । कबीर उस स्क्रीन को देख कर ,,, अब मैं भी देखता हूं कैसे बचती हो कबीर से ,कबीर अपनी कुर्सी से पीठ टिका कर बोला और लॉपटाप को देखने लगा ।
रब राखा
अब मैं भी देखता हूं कैसे बचती हो कबीर से ,कबीर अपनी कुर्सी से पीठ टिका कर बोला और लॉपटाप को देखने लगा ।
मेहर उस रूम में बैठी इधर उधर देख रही थी ।
कबीर ये नताशा और डी है , जस अजित कबीर के कैबिन में आते हूए बोले तो कबीर अपने लॉपटाप बंद करते हूय ,सामने देखने लगा । ओके तो इनको इनका काम समझा देना , कबीर बोला । जस कबीर को देख कर , नताशा ऐंकर की पोस्ट पर हे और डी कैमरा मेन की पोसट पर । ठीक है , कबीर बोला ।पर मेहर रीपोटर की पोस्ट है , और तू सच मान वो बेस्ट रिपोर्ट है , अजित बोला । तो कबीर उसे देख कर ,अजित पहली बात वो यहां पर काम नही करना चाहती , कबीर बोला और सीधे बैठते हूए ।दूसरी बात अगर वो यहां पर जोब करती है तो वो वही काम करेगी जो मैं उसे दूंगा, कबीर बोला । अजित उसे देख कर ठीक है तो फिर हम अपना काम करते है तुम देख लेना सब बोलते हूय वो सब को अपने साथ लेकर चला गया ।
कबीर पेपर वेट को टेबल पल रोल करते हूय , मुझ से पंगा लिया इस लड़की ने और तो और मेरी पहली कार के शीशे को तोड़ा जिसे आज तक मेने खरोच भी नही लगने दी , इतनी अच्छी से ये बच कर नही जा सकती , ये तो खुद ही आई है, कबीर खुद से ही बोला ।
सर पांच मिनट में , न्यूज चलने का समय हो गया है , और साक्षी मैम बोल रही है जब तक आप वहां पर नही आ जाते ,तब तक वो न्यूज नही देगी । एक स्टाफ का मेम्बर आकर बोला तो कबीर ने उसे देखे ठीक है मैं आ रहा हूं वो बोला , और अपनी जगह से उठ कर चल दिया ।
न्यूज रूम में , एक लड़की जो जिद्द करके बैठी हूई थी ,वही जस जो M.C.R में बैठा हुआ था वो कितनी बार बोल चुका था , साक्षी को वो तैयार रहे पर साक्षी है कि वो कुछ सुन ही नही रही थी ,वही नताशा जस के साथ उस रूम में थी । तुम्हारा ये पहला काम है ना , जस नताशा को देख कर बोला तो नताशा ने हां में सिर हिला दिया आज तुम यहां से देखो के न्यूज कैसे दी जाती ही , उस के बाद मैं तुमको वही ले चलूंगा , जस नताशा से बोला और सीधे देखने लगा , यहां एक स्क्रीन पर साक्षी दिख रही थी ।
तभी वही पर कबीर आया , और एक माइक्रो फोन जस से लेकर , साक्षी अगर तुम चाहती हो के यहां पर काम करती रहो तो नखरे करना बंद कर दो जैसा जस बोल रहा है वैसा करो , इतना बोल कर कबीर चुप कर गया और माइक्रो फोन जस को दे दिया ,वही नताशा हैरानी से कबीर को देख रही थी अस्ल में वो अभी तक कबीर की पर्सनैलिटी में खोई सी थी , नताशा अगर सामने देखोगी तो अच्छे से काम सीख पाओगी , कबीर बोला तो नताशा ने जल्दी से गर्दन सामने कर दी यहां पर साक्षी दिख रही थी ।
कबीर की अवाज सुन साक्षी खुश हो गई और अपने ठीक समय पर उस ने न्यूज देना शूरू कर दिया , नताशा देख कर हैरान रह गई थी क्या न्यूज दी थी साक्षी ने फुल एटीट्यूड से , वैलडन , कबीर वापस से माइक्रो फोन में बोले और नताशा को देख कर कल से तुम वहा होगी तो खुद को परीपेयर कर लो वो बोला वही जस जो चलती हूई न्यूज के साथ विजूआल इफेक्ट दे रहा था , उस ने भी गहरी सांस ली और अपने साथ काम कर रहे लड़के को देख आज तो मेने कर दिया , आगे से तुम करोगे , वो बोला और नताशा से ,साक्षी यहां पर सीनीयर ऐंकर है तो अगर वो कुछ बोल दे तो दिल पर मत लेना ,जस बोल कर चला गया । वही नताशा चुप सी सब कुछ देख रही थी ।
कबीर वापस अपने रूम में आ गया था तभी उस के कैबिन में एक लड़की अपनी हिल्स की टिक टोक टिक टोक करते हूय आई और कबीर के सामने चेयर पर बैठते हूए , आज तुम मुझ से मिलने क्यूं नही आये पता भी है में कितना अपसेट हो जाती हूं जब तुम मुझे से मिलने नही आते हो तो ,साक्षी बोली । तो कबीर उसे देख कर देखो साक्षी , यहां पर हम काम करते है ,तो बस जैसे बाकी सब रहते है वैस ही तुम भी रहो , कबीर बोला ।
क्या बात है कबीर जब से तुम घर से आये हो फ्लैट पर आये ही नही हो , अजित जस के साथ रह रहे हो , कोई बात है बेबी तो बताओ ना मुझे , साक्षी कबीर के पास आकर उसे की चेयर को अपनी तरफ घुमाते हूय ,बोली । फिर उस के चेहरे को हाथों में लेते हुए , मुझ से कोई गलती हो गई है क्या , चलो ठीक है अगर कोई गलती हो भी गई तो माफ करदो , मैने तूमसे कुछ भी नही पुछा के क्या हुआ ,क्यूं तुम आ नही रहे , देखो आज तुम मेरे साथ चलोगे , साक्षी बोली । कबीर साक्षी के हाथ हटाकर ,साक्षी फिलहाल में तुमको कुछ भी नही बता सकता ,पर हा बहुत जल्द सब कुछ सही हो जायेगा और हम वापस पहले की तरह रहेंगे , कबीर बोला । वही साक्षी अपने हाथों को देख रही थी , जो के कबीर ने पकड़कर दूर कर दिये थे ,ठीक है , वो बोली और जाने लगी , पर रूक कर ,डिनर पर तो हम लोग मिल सकते है ना , वो बोली तो कबीर ने हां में सिर हिला दिया । तो वो कैबिन से बाहर चली गई । कबीर भी अपने काम करने लगा ।
शाम के समय , जस कबीर के पास आया वही कबीर लॉपटाप पर कुछ देख रहा था , जस को देखते ही उस ने लॉपटाप एक साइड करा , आजाओ जस बोला तो पीछे से मेहर आई जिसे देख कर कबीर थोड़ा हैरान जरूर हुआ था पर अपने चेहरे पर एक डेविल स्माईल लाते हूए , हां एक घंटा तो कब का खत्म हो गया अब तुम तैयार हो काम करने के लिये ,कबीर बोला । तो मेहर ने उसे घुर कर देखा ,फिर स्माईल करते हुए , माइ बाप कोई और ऑप्शन छोड़ा है आपने वो बोली । तो जस उस के मुंह से माई बाप सुन हैरान भी हुआ और अपनी हसी दबाते हूय कबीर को देखा जो उसे ही आखें छोटी कर घुर रहा था ।
ठीक है जाओ मेरे लिए ब्लेक कॉफी लेकर आओ कबीर बोला । मेहर ने उसे देखा ,तो कबीर उसे देख कर कुछ कहा है मेने और आज से यही काम होगा तुम्हारा के तूम मेरे ऑर्डर मानोगी ,जब तक मैं चाहूं , कबीर बोला। तो मेहर वहा से बाहर जाते हूए , काली कॉफी पीने वाले के मुंह से अच्छी बात सुन भी कैसे सकती हूं मैं ,वो बोलते हूए जा रही थी के तभी अजित जो उस के पास से गुजरा उस की बात सुन , काली कॉफी वो खुद से ही बोला । और कबीर के कैबिन में चला गया । यहां पर जस पहले से ही हस रहा था और कबीर उसे देख रहा था ।
रब राखा
पांच तारा रेटिंग पर हाथ मार कर जाया करो , महबीर के फैंस,,,
काली कॉफी वो खुद से ही बोला । और कबीर के कैबिन में चला गया । यहां पर जस पहले से ही हस रहा था और कबीर उसे देख रहा था ।
ये काली कॉफी का क्या चक्कर है , अजित अंदर आते हूए बोला ,कबीर ने उसे देखा । अरे वो मेहर बाहर ना बोलते हूए जा रही थी , काली कॉफी पीने वाले के मुंह से अच्छी बात सुन भी कैसे सकती हूं , अजित कुर्सी पर बैठते हूए बोला । तो जस जो हस तो रहा था पर अब खुल कर हस दिया , और ताली बजाते हुए , कबीर एक बात कहूं जो भी है पर ये लड़की पुरी टक्कर की है तेरे ,और तूने खुद ही उसे यहां पर रखा है , अब तो रोज ही यहां पर मनोरंजन होगा , जस बोला ।
वही अजित उसे देख कर पर एसा क्या हो गया वो बोला , तो जस हस्ते हूय , अरे वो काली कॉफी मतलब ब्लेक कॉफी इस ने मंगाई है ,जस कबीर की तरफ इशारा करते हूय बोला , और तो और मेहर यहां पर रिपोर्ट की जोब नही , बल्कि इस की सेक्रटरी की जोब पर रखी है इसने , तो तु खुद ही सोच क्या क्या होने वाला है यहां पर , जस बोला तो अजित हैरान सा कबीर को देख कर , तू पागल होगया है , तूमहे पता भी है आज सुबह से उसने क्या क्या नही कहा तुमको , वो तो तुमको आस पास भी ना भटकने दे और तूने खुद ही मुसीबत मोल लेली,, अजित बोला और वो भी हसने लगा ।
बस बहुत हुआ तुम दोनो का, तुम दोनो मेरी तरफ हो जां उसकी तरफ ,,,मेरी ,,, ये आवाज आई तो तीनो ने उस तरफ देखा यहां पर मेहर हाथ में कप लिये खड़ी थी । मेहर तीनो को देख कर , मेरी कॉफी बन गई ,मतलब मैं कॉफी बना लाई मेहर बोली और कप ला कर कबीर के आगे रख दिया ,अजित और जस ने एक दूसरे को देखा और फिर कबीर को देखने लगे ,
वही कबीर मेहर को देख रहा था जो बीना बात के दांत दिखा रही थी । कबीर ने अपना सिर झटका और अजित जस को देख कर , तुम दोनो का काम हो गया हो तो जा सकते हो , कबीर बोला ,वही दोनो दांत निकाल कर मेहर को देख रहे थे , जो दोनो को कुछ इशारा कर रही थी , कबीर ने फिर से मेहर को देखा तो वो हाथो से कुछ बता रही थी ।
ये क्या हो रहा है , कबीर जोर से बोला तो तीनो उसे देखने लगे , यार मैं क्या कह रहा हूं के एक गलती माफ करदी जाये , अजित बोला । मुझे क्या करना है और क्या नही ये तुम लोग मुझे मत सीखाओ , कबीर बोला ।
और मेहर को देख कर , तुम्हारा टाइम हो गया है तुम जा सकती हो ,पर अगर कल समय पर नही आई तो यहां भी होगी वही से उठवा लूंगा , कबीर बोला ।
मेहर उसे देखते हूए तुम क्या यहां के डान हो जो मुझे उठवा लोगो , शायद तुम मुझे जानते नही ,यू ,यू ,चुटकी बजाने की देर है ,(मेहर चुटकी बजाते हुए बोली ) तुम कहा जाओगे किसी को पता भी नही चलेगा , मेहर बोली ।
तीनो उसे ही देख रहे थे ,हाये यार ये लड़की कितने एटीट्यूड से झुठ बोल रही है के सामने वाला पहली नजर पर फिदा हो जाये ,जस अजित से बोला ।
जिस के सामने बोल रही है ना , वो इतना शांत क्यूं है मैं तो यही सोच कर हैरान हूं ,अजित बोला ।
ठीक है पहले तुम चुटकी बजा ही लो , कबीर आराम से उसे देख कर बोला । तो मेहर उसे घूरते हूए , अभी मेरे जाने का टाइम हो गया है ,वर्ना बता ही देती वो बोली और जाते जाते , टेबल पर हाथ मार दिया जिस से कॉफी कप हिल गया और कॉफी छलक कर बाहर आ गिरी । जब तक कबीर कुछ कहता मेहर बार निकाल गई थी ।
ये इसे देख कर कोई कह भी सकता हो कि लड़कियां इस के जैसे हो सकती है , चुड़ैल कहीं की , कबीर बोला वही अजित और जस मजे से उसे देख कर , वो तो कितनी स्वीट है ,दोनो बोले । कबीर दोनो को घूरते हूए निकलो ,निकलो तूम दोनो ,जब से वो आई है तब से उसी की तरफ की बात कर रहे हो , कबीर बोला और साथ ही टीशू से टेबल साफ करने लगा ।
हा हमारा भी समय हो गया है चलते है , तुम्हे तो जाना होगा अपनी साक्षी के साथ , अजित उठते हूए बोला , और चला गया वही जस उसे देख कर ,बाकी सब तो ठीक है कबीर , पर साक्षी मुझे सही नही लगती ,तुम दोनो रिलेशन में हो ,इस लिए हम कुछ नही कहते , पर वो लड़की सुंदर जरूर है पर दिल से नही , सिर्फ चेहरे से ,जस बोला और चला गया ।
कबीर दोनो को जाता देख , वेसे ही बैठ गया । प्यार है वो मेरा , कबीर खुद से ही बोला और वापस से लॉपटाप पर कुछ करने लगा , उसे होश तब आया जब उसका फोन रिंग करने लगा , कबीर ने फोन उठा कर देखा तो साक्षी का ही फोन था , हा बोलो कबीर काम करते हुए बोला । हमारा डिनर का प्लॉन था आज , साक्षी बोली । तो कबीर ने समय देखा जो नौ बजा रहे थे , ठीक है मैं आधे घंटे में पहुंच रहा हूं ,वो बोला और फोन रख , लॉपटाप पर काम बंद कर चल दिया ।
कबीर बाहर पार्किंग में आया तो उसे पता चला के आज तो उस की गाड़ी ठीक होने गई है ,जिस से उसे फिर से मेहर पर गुस्सा आने लगा था । पता नही किस का चेहरा देख कर उठा था सुबह मैं, कबीर खुद से ही बोला । और रोड के इधर उधर देखने लगा । कुछ सोच कर वो पैदल ही चल दिया , नो बज रहे थे पर सड़को पर एसा लग रहा था जैसे सब लोग अभी फ्री होकर ही निकले हो , हर तरफ चहल पहल दिख रही थी । तभी अचानक ही कबीर की नजर एक कॉफी शाप पर चली गई , जिस की मीरर वाल से उसे मेहर दिखी पहले तो उसने अपना वहम समझा वो तो कब की चली गई थी ये सोच कर , पर तभी मेहर जो खड़ी हो गई थी और सामने बैठा लड़का भी खड़ा हो गया ,उस के गले मिली ।दोनो को देख कर लग रहा था के वो बहुत क्लोज है । कबीर बड़ी बड़ी आखें करके उसे ही देख रहा था , बहुत खुश नजर आ रही है ये तो ,और मुझे फसा दिया , इसकी तो ,कबीर बोला । तभी उसे कुछ सुझा और वो शॉप के अंदर चला गया और एकदम से मेहर के पास आकर खड़ा हो गया ,,, मेहर और वो लड़का दोनो ही कबीर को देख रहे थे वही कबीर मेहर को देख रहा था उस के चेहरे पर स्माईल थी ,,,,,
रब राखा
मेहर और वो लड़का दोनो ही कबीर को देख रहे थे वही कबीर मेहर को देख रहा था उस के चेहरे पर स्माईल थी ,,,,, मेहर ने उसे इग्नोर करा और सामने खड़े लड़के को देखकर , ओके फिर मिलते है , वो बोली ।
किसे मिलने की बात हो रही है , कबीर मेहर से बोला और एकदम उस के पास आ गया , वही मेहर उसे देख रही थी , सामने खड़ा लड़का दोनो को देख रहा था ।
ये क्या कर रहे हो तुम , मेहर धीरे से बोली और सामने वाले लड़के को स्माइल देते हुए ,उसे देखने लगी , कबीर मेहर को देख कर ,वही कर रहा हूं जो करना चाहीये, कबीर बोला । ओर आप कोन कबीर सामने वाले लड़के को देख कर बोला । तो वो दोनो को देख कर , मुझे अभी जाना होगा ,वो बोला ।
बिल्कुल आपका जाना बनता है , कबीर बोला । वही मेहर कबीर को देख कर कुछ कहने ही वाली थी के कबीर ने उसे साइड से कमर से पकड़कर अपने पास खिच लिया , क्या यार माना छोटी सी लड़ाई ही तो हूई थी ,इस में नाराज होने की क्या बात है , कबीर बोला । मेहर का तो मुंह ही खुला रह गया , कबीर की बात सुन कर , वही सामने वाला लड़का मुस्कुराते हुए ठीक है अब मुझे चलना चाहीए वो बोला और चला गया ।
मेहर ने कबीर को देखा जो अभी भी वैसे ही खड़ा था तो मेहर ने जोर से अपना पैर कबीर के पैर पर दे मारा ,वही कबीर पैर पर दर्द महसूस होते ही उस से दूर हट गया ,जंगली बिल्ली ,कबीर मेहर को देख कर बोला ।
ठरकी बढ़ाऊ तुम्हारी हिम्मत कैसे हूई मुझे हाथ लगाने की , मेहर उसे ऊंगली दिखाते हूए बोली । वही कबीर उस के मुंह से अपने लिये ,इतने प्यारे शब्द सुन कर तो, उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया । तुम्हारी हिम्मत कैसे हूई मुझे ठरकी बुढ़ाऊ कहने की , कबीर बोला ।
"ठरकी बुढ़ाऊ ",
"ऐसे"
मेहर फिर से बोली और अपना पर्स और स्कूटी की चाबी लेकर वहां से बाहर चली गई , वही कबीर गुस्से से उसे घुरता रहा और जब अपने आस पास देखा तो सब उसे ही देख रहे थे , जैसे वो भी यही बोल रहे हो ठरकी बुढ़ाऊ ,कबीर ने सब को इग्नोर करा और जल्दी से बाहर आ गया , तो देखा मेहर अपनी स्कूटी पर बैठ चुकी थी ।
बीना कुछ सच्चे समझे , कबीर उसी तरफ आ गया और मेहर के पीछे बैठ गया , वही मेहर उसे देख कर , ये क्या कर रहे हो तुम , उतरो , वी बोली , मेरी कार तुम्हारी वजह से खराब हुई है ,और अब तुम ही मुझे छोड़ कर आओगी , कबीर बोला । मेहर स्कूटी से उतर कर , अभी इसी वक्त नीचे उतरो वर्ना में पुलिस को बुला लूंगी ,वो बोली ।
बुला लो, कबीर बोला पर वो वैसे ही स्कूटी पर बैठा रहा , अब वो ठहरा मेहर से लम्बा , और पैर उसके , तो वैसे ही नीचे जमीन से लगे हूए थे , अभी करती हूं फोन , वो बोली और स्कूटी छोड़ जल्दी से अपने पर्स से फोन निकालने लगी तो ।
तभी उसे अपनी स्कूटी की आवाज आई , उस ने सिर उठाकर देखा तो कबीर स्कूटी को उस से दूर ले गया था , मेहर की आंखे खुली की खुली रह गई ,और वैसे ही उस के पीछे भागते हूए , चौर मेरी स्कूटी लेकर भाग गया चौर ,मेहर बोलो । वही कबीर उस से कुछ पांच सौ मीटर की दूरी पर आकर खड़ा हो गया , उसने सुन लिया था मेहर को उसे चौर बोलते हुए , वही मेहर ने जब देखा के कबीर आगे जाकर खड़ा हो गया है ,तो वो भागते हूए वहां पहुंच गई , और हाफते हूए कबीर को देखने लगी , तुम तुम होते कोन हो , मेरी स्कूटी लेकर जाने वाले , मेहर लंबी लंबी सांस लेते हूए बोली ।
कबीर मजे से उसे देखते हूए ,
ऐसे
वो बोला और फिर से स्कूटी आगे बड़ा दी । मेहर उसे देखती ही रह गई , बुढ़ाऊ ये बहुत महंगा पड़ने वाला है तुमको ,मेहर बोली । और फिर से भागने लगी वही कबीर फिर से कुछ दूरी पर आकर खड़ा हो गया ।
मेहर इस बार पास आई तो भागने की वजह से उसका चेहरा लाल हो गया था , हाफते हूए उसने कबीर को देखा , देखो ये मेरी सकुटी है , और मेने इसे सुबह ही ठीक करवाया है , तुम ऐसे नही कर सकते ,वो बोली । कबीर उसे देख कर मुझे छोड़ दो ,फिर यहां मर्जी जाओ मुझे कोई लेना देना नही , वो बोला , मेहर ने उसे देखा , ठीक है चलो वो बोलते हूय पीछे बैठने लगी ,
ना ना ना , तुम चलाओगी और मैं पीछे बैठूंगा ,कबीर सीट के पीछे की तरफ खिसक कर बोला , वही मेहर ने उसे गुस्से से देखा , पर इस समय वो कुछ नही बोली और बैठ कर स्कूटी चलाने लगी। कबीर के चेहरे पर खुशी थी जीत वाली ।
आखिर सुबह से पहली बार था जब कबीर ने मेहर को सताया था। रुको यहीं रुको कबीर बोला तो मेहर ने स्कूटी रोक दी , सामने ही रेस्ट्रां था ,कबीर उतरा ,और स्कूटी की चाबी निकालते हुए , यहीं मेरा इंतजार करो ,वी बोलते हूय अंदर चला गया , मेहर तो बस उसे देखती ही रह गई , रात के दस बज गये थे और जिस एरिये में थी उसे वहां से घर जाने में कम से कम दो घंटे लग जायेंगे उपर से रात का समय , मेहर बस उसे देखती ही रह गई जो उस बड़े से रेस्ट्रां के अंदर चला गया था ।
ये क्या कबीर इतनी देर कर दी ,साक्षी कबीर को देख कर बोली । बस वो काम में पस गया था ,कबीर बोला । वही साक्षी ने इस रेस्ट्रां में एक रूम बुक कर रखा था ,जिस की वाल मिरर से बनी थी ,बाहर से कुछ नही दिख रहा था पर अंदर से बाहर जरूर देखा जा सकता था । चलो आओ ,साक्षी कबीर के हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले जाते हूए बोली ।
वही कबीर खुशी खुशी उस के साथ चला गया । दोनो उस रूम में आकर बैठ गये , तूम्हे पता है कबीर आज कितने दिनो बाद हम दोनो मिल रहे है, तुमने तो घर पर आने से मना कर दिया इस लिए यहां पर तुम्हारे फेवरेट रेस्ट्रां में डिनर करने का सोचा, साक्षी बोली । वही कबीर उसे देख कर , चलो जल्दी करो बहुत भुख लगी है वो बोला ।
तब तक वेटर भी वहां पर खाना रख कर चला गया । तो साक्षी ने अपनी कुर्सी कबीर के पास खिच ली , और उसे खाना सर्व करने लगी , मुझे पता है तुमको नॉनवेज बहुत पसंद है । इस लिए मेने वही ऑर्डर करा है , साक्षी बोली । और कबीर को देखा जो एक तरफ देख रहा था , साक्षी ने भी उसी तरफ देखा ,वहां बाहर एक लड़की फोन पर बात कर रही थी वो इधर उधर घुम रही थी ।साक्षी ने कबीर को देखा और उसका ध्यान अपनी तरफ खिंचते हूए , कबीर आज तुमने मेरे बारे में कुछ कहा ही नही , साक्षी बोली । तो कबीर ने उसे एक बार देखा जो ब्लेक कलर के वन पीस नी लेंथ की ड्रेस में थी , डार्क मेकअप के साथ , हर बार की तरह लाजवाब लग रही हो, कबीर उस के चेहरे पर आई बालों की लट को एक तरफ करके बोला । वही साक्षी खुश होते हूए चलो फिर खाना तो खाओ भुख लगी थी ना ,वो बोली । और दोनो खाना खाने लगे ।
रब राखा
वही साक्षी खुश होते हूए" चलो फिर खाना तो खाओ भुख लगी थी ना ",वो बोली । और दोनो खाना खाने लगे ।
पर बीच बीच में कबीर का ध्यान बाहर की तरफ जा रहा था , यहां मेहर खड़ी थी , और इस समय वो सड़क के किनारे कुछ बच्चो को बैठा कर उनको खाना खिला रही थी ,कबीर के खाना खाते हाथ रक गये । और वो बाहर देखने लगा ।
वही मेहर एक लड़के को कुछ बोल रही थी , और वो लड़का वैसे ही कर रहा था , तभी वहां पर उन बच्चो के मम्मी पापा भी आ गये , और वो भी वही बैठ गये , मेहर ने उस लड़के को इशारा करा तो उस लड़के ने सब को खाना देना शूरू कर दिया ,वही मेहर एक छोटे से बच्चे को जो कम से कम चार साल का होगा , उसे गोद में लिये खाना खिला रही अभी ।
"क्या बात है कबीर खाना क्यूं नही खा रहे है ", साक्षी बोली तो कबीर ने उसे देख , "खा रहा हूं "वो बोला ।
तो साक्षी बाहर देखते हुए ,"लोग को भी ना समाज सेवा करने का शोक है पर ये नही पता के यहां पर वो ये सब कर रही है वो एक जाना माना रेस्ट्रां है" , साक्षी बाहर देखते हुए बोली और अपने पर्स से फोन निकाल कर किसी को कर दिया ।
"ये क्या कर रही हो ",कबीर उसे देख कर बोला ,"पुलिस को बुलाया है ये जो बाहर उस लड़की ने लगा रखा है उसे साफ करने के लिए" , साक्षी बोली और खाने लगी। वही कबीर की नजर फिर से बाहर चली गई , यहां पर सब के चेहरों पर एक स्माईल थी । कबीर के चेहरे पर भी स्माइल आ गई ।
"कबीर मम्मी पापा तुमसे मिलना चाहते है" ,साक्षी बोली तो कबीर उसे देखने लगे , "वो कल आ रहे है मेरे पास , मेने उनको हमारे बारे में सब बता दिया है तो वो तूमसे मिलने की बात कर रहे थे ", साक्षी बोली । कबीर ने कुछ नही कहा और खाना खाना लगा ।
"तुम कुछ बोल क्यूं नही रहे हो ", साक्षी कबीर को चुप देख चर बोली । तो कबीर उसे देख कर ,"क्या हूं , मेनू कहा था ना के अभी मुझे ये सब नही चाहीए " , कबीर बोला ।
"मैं अठाईस की हो गई हूं , तुम भी तीस के हो गये है ,अब नही तो कब कबीर , मै मम्मी पापा को और रोक नही सकती वो रोज मुझ से पूछते थे तो मेने उनको बता दिया" , साक्षी की आवाज में हैरानी थी कबीर की बात सुन कर ,कबीर कुछ नही बोला ।
" कुछ समय ही तो मांग रहा हूं मैं ", कबीर बोला ।" पिछले आठ साल से समय ही तो मांग रहे हो ",साक्षी बोली । कबीर का मन अब खाने से हट चुका था ,और वो टिशू से अपना फेस साफ करते हुए ।
" सच में मुझे अभी समय चाहीए , मेरी जिंदगी में भी बहुत कुछ है जो मुझे हैंडल करना है , और मेरे घर वाले जब तक मान नही जाते इस रिश्ते के लिए तब तक मैं कुछ नही कह सकता" , कबीर बोला ।
"तो तुम अपने घर वालों को कब बताओ गे कबीर" , साक्षी बोली । कबीर ने उसे एक नजर देखा , और खड़े होते हूए ,"थैंक्स फॉर दा डिनर" वो बोला और जाने लगा ।
साक्षी उस का हाथ पकड़कर ," सॉरी मुझे एसे बात नही करना चाहिए थी ,वो बोली तो कबीर उसे देख कर ," देखो साक्षी अभी मुझे अपना कैरियर बनाना है बहुत कुछ है जिंदगी में जो हासिल करना है , उस के बाद ही मैं शादी के बारे में सोच सकता हूं" , कबीर बोला ।
"ठिक है पर क्या हम पहले की तरह रह नही सकते" , साक्षी कबीर के पास आकर बोली । और उस के चेहर पर अपनी ऊंगलिया चलाने लगी , वही कबीर उसे देख , स्माइल करने लगा ।
"ये बताओ तुम फ्लेट में कब आ रहे हो , तुम्हारा रूम इंतजार में है" ,साक्षी लुभावने अंदाज में बोली ।
"हम्म्म", कबीर ने उसे अपने पास खिंचते हूए कहा और साक्षी ओ अपने पास खिच लिया ।
"रूम इंतजार में है तुम नही ", कबीर धीरे से साक्षी के गाल को चुम कर बोला । तो साक्षी ने अपना लब कबीर के लबों पर रख दिए, दोनो इस पल में खो से गये थे ।
कबीर साक्षी दोनो एक दूसरे में खोया से थे , तभी साक्षी घुमी और कबीर का ध्यान एक बार फिर से बाहर की तरफ चला गया यहां पर पुलिस और मेहर के बीच कुछ बात हो रही थी । कबीर उस तरफ देखता रह गया वही साक्षी कबीर के रूक जाने से उस से अलग होकर उसे देखने लगी ,तो वो भी बाहर देखने लगी, यहां पर पुलिस मेहर से बात कर रही थी ।
"क्या हुआ ", साक्षी कबीर से बोली ।
"मुझे कुछ काम याद आ गया , अभी जाना होगा , कल ऑफिस में मिलते है", बोल कर कबीर बीना साक्षी की बात सुना बाहर चला गया । वही साक्षी गुस्से से उसे जाता देखती रह गई ।
कबीर जल्दी से बाहर आया तो देखा के पुलिस इंस्पेक्टर मेहर से बात कर रहा था और साथ ही हस भी रहा था ,वही मेहर भी उस से हस कर बात कर रही थी । कबीर आकर मेहर के पास खड़ा हो गया ।
"ओ कबीर आहलूवालिया", इंस्पेक्टर कबीर को देख कर बोला , तो कबीर ने मुस्कुरा कर हा में सिर हिला दिया और साथ ही उस से हाथ भी मिलाया । मेहर उसे देख रही थी ।
"क्या बात हो गई आज आप यहां पर कैसे ", कबीर ने एक नजर मेहर को देखा और इंस्पेक्टर से बोला ।
"कुछ नही आहलूवालिया जी वो किसी का फोन आया था तो बोल रहा था के इस रेस्त्रां के बाहर कुछ लोग गंद मचा रहे है , तो हम यहां आये , पर यहां आकर पता चला के मेहर तो बस सब को खाना खिला रही थी , वो भी खुद से खरीद कर , आपको पता है ये रेस्ट्रां कितना महंगा है , फिर भी मेहर ने कुछ नही सोचा, और इन सब को खाना खिलाने लगी ", इंस्पेक्टर बोला और एक तरफ देखने लगा यहां पर दी कॉन्स्टेबल , खाना दे रहे थे ।
तभी उस रेस्ट्रां के सामने एक चमचमाती कार रूकी उस में से एक लड़का बाहर निकला , जो देखने में अच्छे खासे घर का लग रहा था , वो सब कुछ देख कर सीधे मेहर के पास आ गया ।
" ये तूने सही नही किया ", वो मेहर से बोला । मेहर बस स्माइल करके उसे देख रही थी । तभी रेस्ट्रां से मैनेजर बाहर आया , "किस ने कहा तुमको मेहर से पैसे लेने के लिये ",वो लड़का उस पर भड़क कर बोला ।
"तुमको पता नही मेहर मेरी दोस्त है ", वो लड़का बोला । वो मैनेजर डर गया था अस्ल में वो कुछ दिन पहले ही यहां पर जोब करने आया था । "सॉरी सर मुझे मैम के बारें मे नही पता था" ,वो मैनेजर बोला ।
"सॉरी मेहर कुछ स्टाफ नया है यहां पर उनको नही पता था तुम्हारे बारे में" , वो लड़का बोला , "चिल कर शेखर कोई बात नही ",मेहर बोली ।
वही कबीर हैरान सा दोनो की देख रहा था , वो लड़का जो अभी अभी गाड़ी से उतरा शेखर बजाज था , मुम्बई शहर में बजाज नाम जाना माना था ओर बी ऐस रेस्ट्रां उनके ही थे , यहां पर आज कबीर डीनर के लिए आया था ।
"चल ठीक है , तू बता क्या खाएगी , शेखर बोला , मेने खाना खा लिया , बस तू मेरा एक काम कर मुझे पता चला है के तुम्हारे यहा के रेस्ट्रां में दोपहर को जो खाना बचता है उसे फेंक दिया जाता है , तो यार क्यूं उसे फेंकना इन बच्चो में बांट दिया कर" , मेहर बोली ।" बिल्कुल एसा ही होगा शेखर बोला ", और अब उस का ध्यान कबीर पर गया जो कब से दोनो को देख रहा था ।
"मेहर ये कोन है" ,शेखर मेहर के करीब आकर बोला ।" मेरा बॉस है" , मेहर धीरे से बोली तो शेखर उसे देख कर ,"ओये होये , बॉस एंड डीनर क्या बात है" , शेखर मुस्कुरा कर बोला ।
वही मेहर ने उसे घुरा ,"तो शेखर उसे देखकर क्या एसा कुछ नही है ",वो बोला तो मेहर मुस्कुरा दी , शेखर उसे देख कर , तेरा कुछ नही ही सकता वो बोला ।
" मुझे कुछ करना भी नही है ", मेहर उसे देख कर बोली ।
इंस्पेक्टर जो दोनो को देख रहा था , "अच्छा शेखर साहब अब हम चलते है , हमारा काम हो गया" , वो बोला , तो शेखर ने उसे हाथ मिला लिया , वही इंस्पेक्टर ने मेहर के सिर पर हाथ रख दिया , और वहा से अपने कॉन्स्टेबल के साथ चला गया ।
तभी वो मैनेजर शेखर के पास आया उसने एक एनवलॉप शेखर की तरफ कर दिया । "ये तुम्हारे पैसे शेखर वो ऐनवॉल्प ",मेहर की तरफ करते हूए बोला । तो मेहर ने वो पैसे रख लिए ।
कबीर अभी भी दोनो को देख रहा था । "चले सर मुझे घर जाना है" , मेहर कबीर से बोली तो कबीर ने मां में सिर हिला दिये ,वही शेखर ने एक नजर मेहर को देखा ," तो क्या तुम्हारी राम प्यारी फिर से ठुक गई ", शेखर बोला तो मेहर ने उसे दांत दिखा दिये ," और अब ये मत कहना के वो ,तेरे बॉस की गाड़ी से ठुकी", शेखर बोला तो मेहर ने बेचारा सा फेस बना कर हा में सिर हिला दिया ।
शेखर ने कबीर को देखा और उस से हाथ मिला कर , "वैसे सर ये बहुत अच्छा चलाती है , पर किस्मत इतनी बुरी है के जिस दिन इसकी ज्वाइनिंग होती है उसी दिन राम प्यारी ठुक जाती है ", शेखर बोला तो कबीर हल्का सा मुस्कुरा दिया ।
"वैसे अब मुझे चलना होगा" , शेखर बोला और दोनो को बाय बोलकर कार में बैठ गया , वही कबीर मेहर को देख कर ,अब मुझे मेरै घर छोड़ दो वो बोला । तो मेहर ने मुंह बना लिया और स्कूटी के पास आकर खड़ी हो गई ।
रब राखा
अब मुझे मेरे घर छोड़ दो वो बोला । तो मेहर ने मुंह बना लिया और स्कूटी के पास आकर खड़ी हो गई ।
" चलाओ अब ",कबीर बोला तो मेहर ने उसे घुर क्य देखा " चाबी कहां है ", वो बोली ।
कबीर ने उसे देखा और जल्दी से जेब से चाबी निकाल कर मेहर को दी । मेहर ने चाबी ली और स्कूटी स्टार्ट कर दी , कबीर बैठ गया और दोनो चल दिए ।
"एक बात पूछूं तूम से" , कबीर बोला ।
"बिल्कुल ",मेहर बोली ।
"अगर तूम इतनी अमीर हो ,तो जोब क्यूं करती हो , वहां पर कम से कम चालीस लोगो को तुमने खाना खिलाया था, पैसो से ,वो तो शेखर अच्छा निकला के पैसे वापस कर दिए" , कबीर बोला ।
मेहर स्कूटी चलाते हूए ," बिल्कुल भी मैं अमीर नही हूं , मेरे परिवार में सब कमाते है , और अपने खर्चे खुद चलाते है , वो तो मेनेजर ने खाना देने से मना कर दिया था इस लिए दो महीने की सेविंग जो थी वो दे दी थी ," मेहर बोली ।
कबीर उस की बात सै हैरान हो गया ," दो महीने की सेविंग" , वो बोला । मेहर ने कुछ नही कहा और चलती रही ।
"सर यहा से किस तरफ ",मेहर बोली । अब उस के चेहरे पर एक खुशी थी , क्यूकि वो जिस एरिये में आ गई थी , वही उस का रूम था जो उस ने रेंट पर ले रखा था ।
"लेफ्ट चलो" , कबीर बोला । मेहर तो और खुश हो गई , क्यूँकि इसी तरफ उसे भी जाना था ।
"चलो शुक्र है दो घंटे से जो चला रही हूं , ये डर नही का मुझे अकेले जाना होगा" , मेहर मन ही मन खुश हो गई ।
"सर आगे फिर दो रास्ते है , किस तरफ जाना है" ,मेहर स्कूटी रोक कर दोनो रास्तों को देख कर बोली । जिस के एक रास्ते पर जाने से आगे , सब के अपने अपने घर थे ,और दूसरे रासते जाने पर आशियाना था , यहां पर बिल्डिंग्स थी ।
मेहर को लगा के कबीर को पहले वाले रास्ते जाना है , जब कबीर नही बोला तो वो उसी तरफ जाने लगी ।
"अरे दूसरी तरफ चलो" ,कबीर फोन पर बात करते हुए बोला । मेहर हैरान सी रह गई ।
"सर उस तरफ आशियाना है" , मेहर बोली ।
"हा वही पर मेरा फ्लेट है ",कबीर बोला।
ये बात सुनते ही मेहर की आखें बड़ी बड़ी हो गई ।
"अच्छा"
वो बोली ।
"अब चलो भी बारह बज रहे है " ,कबीर फोन कान से हटा कर बोला ।
"सर आप कब से यहां पर रह रहे है" , मेहर बोली।
" पिछले चार साल से" , कबीर बोला ।"यही उतार दो ",कबीर बोला । तो मेहर ने उसे उतार दिया ।
कबीर आगे चला गया बीना मेहर को देखा वही मेहर बस उसे जाता देख रही थी । जिसे ही कबी अंदर चला गया । मेहर ने स्कूटी स्टार्ट की और वो भी उस बड़े से गेट से अंदर जाने लगी , फिर रक कर पीछे आई और गार्ड को देखा जो कब से मेहर को ही देख रहा था पर उस की बोलने की हिम्मत नही थी ।
"ए सुन" , मेहर बोली तो वो बेचारा सा मुंह लेकर बाहर आया ।
"देखो मैम इस बार मेने कोई गलत काम नही किया ",वो बोला ।
"मेहर ने उसे घुरा और आस पास देख कर ,अभी अभी वो जो बंदा अंदर गया है ना" , मेहर बोली तो उस गार्ड ने हां में सिर हिला दिये ।
"उसे पता नही चलना चाहीए के मैं भी यहीं रहती हूं , अगर उसे पता चला ना तो बच्चे तू गया", मेहर उसे अपनी आंखे छोटी छोटी करके बोली ।
वही उस गार्ड ने ना में सिर हिला दिया । "और हा सुबह वाले दोने अंकल को क्या बताना है समझ गया ना" , मेहर उसे देख कर बोली ।
तो उस ने हा में सिर हिला दिया ।
" गुड अब अगर मेने तुमको ,फिर से वही काम करते देख लिया ना तो समझ वो तेरो गर्लफ्रेंड तो गई ", मेहर उसे घूरते हूए बोली और स्कूटी स्टार कर चली गई । वही वो गार्ड हैरान सा उसे देखता रह गया ।
"किस घड़ी में इस चुड़ैल से मेरा पाला पड़ गया था" , वो उपर आसमान को देख कर बोला ।
और जाती हक मेहर को देखने लगा ।
"जिस के बारे में ये बोल कर गई है वो तो पहले से ही मेरे से खार खाये बैठा है , वो तो शुक्र है उस का ध्यान नही गया मेरे पर । भगवान जी आपको मैं ही मिला था इन दोनो के हथे चढ़ने के लिये" , वो बेचारा खुद को ही कोस रहा था ।
आशियाना की सब बिल्डिंग तीन फ्लोर की ही बनी हुई थी , हा लिफ्ट भी थी पर ज्यादातर बुजुर्ग लोग ही इस्तेमाल में लाते थे । मेहर जल्दी से अपनी बिल्डिंग के सामने आई और अपनी स्कूटी को लगा कर जल्दी से अंदर चली गई , मेहर सीडियां चड़ते हुए तीसरे फ्लोर पर चली गई और जल्दी से उसने अपने घर का दरवाजा खोल कर बंद कर दिया । और गहरी गहरी सांस लेने लगी ।
"बाबा जी क्या आपको मेरे साथ ही ये सब करना था । पहले उस बुढ़ाउ ने मेरी रामपयारी की ठोक दिया , उसके बाद वो मुझे ही पैसे दे रहा था । चलो वो भी ठीक था , उसी के ऑफिस मुझे भेज दिया । ये कुछ ज्यादा नही हो गया ", मेहर अपना पर्स अंदर आते हुए टेबल पर रखते हुए बोली ।
और साथ ही अपना दुपट्टा उतार वही सॉफे पर फैंक के ,वही बैठ गई ।
"चलो बाबा जी यहां तक ठीक था , पर अब ये क्या वो बुड़ाउ यही रहता है , मुझे पता भी नही , वैसे तो मुझे यहां पर रहने वालो की हर हरकत का पता है तो ये बुढ़ाउ कैसे छुट गया ", मेहर सोचने वाले अंदाज में बोली ।
"छोड़ जे सब मुझे क्या , मुझे तो अपने काम से मतलब है ", मेहर बोली और अब कर अपने रूम में चली गई , और सीधे बाथरूम में घुस गई ।
जब वो बाहर आई तो नाइट सूट में थी ,जिस पर छोटे छोटे टैडी बने हूए थे और वो आकर रूम की बाल्कनी में चली गई । यहां पर उसने बहुत ही प्यारा से झुला लगा रखा था और साथ ही कुछ फुल भी थे । एक तरफ को नीचे ही जोगा मैट था । मेहर आकर उस गोल झुके में बैठ गई और झुलने लगी । कुछ ही देर में वो वैसे ही सो गई ।
वही बाहर आसमान में चांद अपने पुरे रूप में था, जिस की रोशनी से पुरा आसमान नही रहा था ,,,,,,,
रब राखा
हे भगवान जब कबीर को पता चले गा के , मेहर उर्फ चुड़ैल भी यही रहती है तो क्या होगा , ,,,, देखते है आगे क्या होता है ।
अगला दिन
"जस चल उठ जा , और चाय बना ", अजित जो उस की बगल में सो रहा था वो जस को लात मारते हुए बोला ।
वही जस धीरे से उठा और उसे घुरते हूए , "ठीक है जा रहा हूं तू फ्रेश हो जा", जस बोला और उबासी लेते हूए बाहर चला गया । वही अजित फिर से लेट गया ।
" तु यहां क्या कर रहा है ", जस कबीर को रसोई में देख कर बोला । "तुमको क्या लग रहा है ",कबीर उसे देख कर बोल ।
"पर तु तो उस साक्षी के साथ गया था ना ", जस आगे जाकर गीलास उठाकर आरो से पानी लेते हूए बोले और फिर कबीर को देख कर पीने लगा ।
वही जस की बात सुन कर उसे मेहर का चेहरा याद आया जो बच्चो को बैठा कर आना खिला रही थी ।
"अबे कहां खोया हूया है तेरी चाय उबल गई" , जस गैस बंद करते हूय बोला । तो कबीर ने जल्दी से उस तरफ देखा ।
" कुछ नही यार बस थोड़ा सा परेशान हूं" , कबीर बोला और चाय कप में छान कर बाहर ले या ।
"इस में कोन सी बड़ी बात है ,तू तो हर समय परेशां रहते हो" ,जस भी अपनी चाय लेते हूए बोला और बाहर लीविंग एरिया में आकर सोफे पर बैठ गया ।
कबीर ने उसकी बात को नजर अंदाज करा और आकर बाल्कनी में खड़ा हो गया यहां से सुबह का नजारा दिल को सकुन देने वाला था ।
तभी उस की नजर दूसरी बिल्डिंग की तरफ गई , आज भी वहा झुले पर लड़की सो रही थी । जिस के बाल खुले हुए थे ।
वैसे तो ये फ्लेट जस का था यहां पर अजित उस के साथ रह रहा था , तीन रूम का फ्लेट बहुत हवादार और अच्छे से बना हुआ था । पिछले एक महीने से कबीर यही पर रह रहा था । उसके पास भी अपना फ्लेट था ,पर दो साल पहले ही साक्षी और कबीर ने एक साथ रहने का सोचा था तो साक्षी उसी फ्लेट में रहने लगी थी , उनका रिलेशन भी तो आठ साल का हो गया था । यहीं न्यूज चैनल में ही दोनो की जान पहचान हूई थी । AK न्यूज चैनल बुलंदी पर चल रहा था । मुम्बई की सभी न्यूज चैनल में ये तीसरे नंबर पर था । पर एक महीने से कबीर जस अजित का साथ रहने लगा ।
तब से ही उसे झुले पर सोती हुई लड़की दीखती थी जिसका चेहरा वो कभी नही देख पाया था , पर अब उसे आदत सी हो गई थी उसे देखने की , सुबह की चाय वो वही पर खड़े होकर पीता था , और उस बाल्कनी को देखता रहता था । पर मजाल है वो लड़की उठ जाये , कबीर सात बजे तक वहां से निकल जाया करता था । पर आज वो लेट उठा था ,उसे नही लगा था के वो लड़की उसे वही दिखेगी पर आज भी वो वैसे ही सो रही थी । कबीर के चेहरे पर स्माईल आ गई ।" मां बाप की लाडली बेटी लग रही है जो अभी सो रही है ",वो चाय का सिप लेते हूए खुद से ही बोला।
"कबीर ये कल की न्यूज तो शा गई यार ", अंदर से आवाज आई तो कबीर उसी तरफ चल दिया । अंदर जाकर वो जस के पास बैठ गया ।
" क्या हूआ ",वो बोला ।
"कल जो न्यूज साक्षी ने दी थी ना , वो देख अभी भी चल रही है" , जस बोला ।
वही कबीर टीवी में साक्षी को देख रहा था जो फुल एटीट्यूड से न्यूज दे रही थी ।
" हां कल ही आज तक वालों ने वो न्यूज मांगी थी , तो मेने उनको उनको अपने चैनल के लोगो के साथ ही , टेलीकास्ट करने को कहा था" ,कबीर बोला ।
" बस एसे ही एक दिन हमारा न्यूज चैनल भी नैशनल चैनल बन जायेगा", जस बोला।
" हा और अब वो दिन दूर नही ",कबीर बोला । तभी उस का फोन बजने लगा । तो उसने जस को सब कुछ बंद करने का कहा और आवाज तो बिल्कुल भी नही करने का कहा ,जस ने बात मान ली और आराम से चुप चाप बैठ गया ।
कबीर ने फोन कान से लगा लिया , पर बोला कुछ नही ।
" क्या हुआ पुतर अब हमसे बात भी नही करेगा" , दूसरी तरफ से आवाज आई ।
" नही मम्मी एसी बात नही हो", कबीर बोला तो जस ने उसे देखा ,वही कबीर उठ कर बाल्कनी में चला गया ।
"कहां है" , दूसरी तरस से कहा गया ।
"आपको बता कर आया था ",कबीर बोला ।
"कब आयेगा घर" , दूसरी तरफ से कहा गया । "मम्मा" , कबीर बोला ।
"देख बेटा मेरे दो बच्चे है तू तेरी बहन , वो छोटी है तो हर बार उसकी बात मानी जाती थी , उसकी भी क्या गलती , अब जो होना था होगया , उस बच्ची का सोच ना जिस",,,,,,,,,,,,,, ,
"बस मम्मा अभी मैं इस बारे में कुछ बात नही करना चाहता ", कबीर अपनी मम्मी को रोकते हुए बोला ।
"हां पुतर अब तुम लोग बड़े हो गये हो ,अब बात कहां करोगे ",मम्मी के लहजे में हसी थी जिस में वो शायद अपनी बेबसी छुपा गई थी ।
कबीर ने आंखे बंद करली , "मम्मा आने से पहले आपको बता दूंगा ", कबीर बोला ।
"जैसी तेरी मर्जी , पर एक बात सुन यहां पर कोई नही है जो तुम्हारे इंतजार में है
हम कोन होते है किसी को रोकने वाले" , मम्मी बोली और फोन काट दिया । वही कबीर ने फोन कान से हटाया , और जोर से हाथ रेलिंग पर दे मारा , "क्या कर क्या रहा है तू मम्मी की क्या गलती इस में ",वो खुद से ही बोला ।
क्या हूआ जस वही आते हूए बोला । कुछ नही कबीर ने उसे देखा और अंदर चला गया । वही जस उसे देखता रह गया ।
फिर उस ने सामने देखा यहां पर अभी भी लड़की झुले में थी ,तभी उस ने फोन पर समय देखा आठ बजने में पांच सेकेंड बाकी थे, " एक, दो, तीन ,चार ,पांच" ,जैसे ही जस ने सामने देखते हूए पांच कहा वैसे ही वो लड़की जो झुले मेथ सो रही थी , वो धड़ाम से नीचे गिर गई । जस जोर जोर से हसने लगा ।
"क्या वो गिर गई", पीछे से अजित की आवाज आई ।
"हां यार , तु बस दो सेकेंड से तू मिस कर गया ",जस हस्ते हूय बोला ।
अजित उस के सिर पर मारते हुए," पागल हो क्या वो रोज गिरती है और तू रोज हँसता है ",अजित बोलते हूय अंदर आ गया ।
"अब मैं क्या करू पिछले एक साल से उसे देख एक रहा हूं गिरते हुए" , जस बोलते हूय उस के पीछे आ गया ।
मेहर जो मजे से झुले में सो रही थी ,वो धड़ाम से गिर गई थी , ये कोई पहली बार नही हुआ था उस के साथ , वो रोज ही गिरती थी , अपनी आँखे मलते हूए वो उठी , "बज गये आठ वो बैठते हूए बोली" , और धीरे से आखें ली । मेहर के चेहरे पर स्माईल थी , वही वो उठी अंदर अंदर चली गई ।
इस बात से अंजान के उस के तीनो बॉस उसे ही देख कर अपनी सुबह का आगाज करते है , मेहर जल्दी जल्दी से सब काम करने लगी नहा धोकर वो रसोई में आई और चाय बनाने लगी साथ ही उसने कुछ ब्रेड गर्म कर ली और जल्दी से खाने लगी ।
मेहर का फोन बजा तो उस ने जल्दी से फोन उठा लिया ,"हा बाउजी मै तैयार हो गई हूं ऑफिस जाने के लिए , ब्रेड खा रही हूं , आज मेने ग्रीन कलर का सुट पहना है जिस पर सफेद रंग की कड़ाई की है "।
"बस बस बस मेहर" , दूसरी तरफ से आवाज आई ।"वीडियो ओन कर", साथ ही एक और आवाज आई , तो मेहर ने जल्दी से फोन पर वीडियो चला दी ।
सामने ही एक जोड़ा बैठा हूआ था ,दोनो मेहर को देख रहे थे । अम्मी बाउजी , मेहर दोनो को देख कर बोली ।
"कितनी पतली हो गई है ", अम्मी बोली ।
"क्या अम्मी इसे डाइटिंग करना कहते है" ,मेहर बोली ।
"नही पुतर जी इसे मजबुरी कहते है जब समय पर तैयार नही होते है हम लोग", , मेहर के बाउजी बोले , तो मेहर उनको दांत दिखाने लग गई ।
"क्या बात है कुछ कहना है क्या" , मेहर के बाउजी बोले ।
"हा वो ना कल रामप्यारी फिर से ठुक गई" , मेहर बोली ।
दूसरी और बैठे दोनो ने एक दूसरे को देखा , कैसे ठुकी अम्मी बोली ।
"बात ये हूई थी के मैं बीच सड़क से जा रही थी" ,मेहर अपने हाथ के इशारे से बताना लगी ।
" तभी पीछे से एक कार वाला जोर जोर से हॉर्न मारने लगा, अब मेरी भी या गलती थी , वहां पर भीड़ ही इतनी थी" , मेहर बोली । दूसरी तरफ दोनो उस की बात सुन कर , उसे ही देख एक रही थे ।
"फिर मुझे बहुत गुस्सा आया और मेने रामपयारी रोक दी , तो बाउजी आपको पता है वो कार वाले ने ना कार नही रोकी बल्की मुझ में ही ठोक दी" , मेहर अपनी बाउजी से बोलो वही बाउजी भी सिर हिला रहे थे मेहर की बात पर ।
"फिर क्या था मेने उस की कार का शीशा तोड़ दिया ", मेहर बोली ।
"अच्छा फिर क्या हूआ ", अम्मी बोली जैसे उनको पहले से ही पता हो के मेहर यही कुछ बोलेगी ।
"होना क्या था", मेहर मुंह छोटा सा करके बोली ।" मतलब", बाउजी बोले । "वो जिसका शीशा तोड़ा वही मेरा बॉस निकला ", मेहर दोनो को देख कर धीरे से बोली ।
"असली बात तो अब पता चली" , बाउजी बोले । वही अम्मी दोनो को देख कर ,"तुम दोनो किसी दिन फस जाओगे ", बोली और उठ कर चली गई ।
"ये बता वो बॉस परेशान तो नही कर रहा ना वर्ना मैं अभी आऊं वहा ", बाउजी बोली।
" नही नही कोई मुझे परेशान नही कर रहा और आपको लगता है के कोई मुझे परेशान कर सकता है" , मेहर बोली । बाउजी हस दिये ।
"बाउजी वीरे से बात कर लो ना" , मेहर बोली तो बाउजी के चेहरे के भाव बदल गये ।
" जब वीरा घर आयेगे मैं भी तब ही आऊंगी अब आप देख लो" , मेहर बोली । बाउजी ने मेहर को देखा , "चल ध्यान से काम करना और आज ध्यान से जाना ",वो बोले तो मेहर ने हां में सिर हिला दिया साथ ही फोन की स्क्रीन काली हो गई । मेहर ने लंबी सांस ली, और जल्दी से सब सामान सही से लगा कर अपना पर्स लेने रूम में चली गई ।
रब राखा
मेहर ने लंबी सांस ली, और जल्दी से सब सामान सही से लगा कर अपना पर्स लेने रूम में चली गई ।
कुछ देर बाद मेहर रूम से बाहर आई तो वो पहचान में भी नही आ रही थी , उस ने अपना पुरा चेहरा एक स्कार्फ से ढक लिया था आंखो पर काला चश्मा , बेग जो पीठ पर टांग रखा था ,क्यूट सा , मेहर ने मेन दरवाजा खोलने से पहले उपर की तरफ देखा यहां छत नजर आ रही थी ।
"बाबा जी बस वो बुढ़ाऊ ना मिल जाये , रात को जरूर मत्था टेकने आऊंगी बस इतनी सी फ़रियाद सुन लो मेरी ",वो बोली । और दरवाजा खोल बाहर चली गई ।
बहुत ही सावधानी से वो नीचे तक आई, अब उस का रूख अपनी स्कूटी की तरफ था । उस ने अपनी स्कूटी ली और जल्दी से उसे स्टार्ट करके वहां से बाहर निकल गई ,जब तक मेहर मेन सड़क तक नही आई उस के दिल में धक धक सी हो रही थी कही वो बुढ़ाऊ उसे देख ना ले ।
"बच गय वैसे मुझे कोई पहचान भी नही सकता मैं हूं ही इतनी स्मार्ट ",मेहर खुद से ही बोली ।
"क्या कबीर जाना नही है क्या", अजित जो गाड़ी में बैठा हूआ था वो बोला वही कबीर सामने देख रहा था यहां से उसे एक सकुटी दिखी थी , जस का नंबर उसे जान पहचान लगा , पर किसका ये समझ नही आया , "हां हां आ रहा हूं", वो बोला और पीछे आकर बैठ गया । तो जस ने गाड़ी आगे बड़ा ली ।
मेहर लिफ्ट में इंटर हूई तो , उस ने चैन की सांस ली । और टैंथ फ्लोर का बटन दबा दिया । मेहर आराम से खड़ी थी , तभी अगले फ्लोर पर लिफ्ट रूकी और वहां से दो लड़के चड़ गये । उनहो ने मेहर को देखा जो अपना सिर झुकाए फोन पर लगी हुई थी । वो दोनो लड़के उसे ही देख रहे थे ।
"हे ब्यूटीफुल ", उन में से एक लड़का बोला । तो मेहर ने उसे देखा और वापस से फोन में मुंह दे दिया ।
"अरे ये तो कुछ बोली ही नही लगाता गूंगी है ",दूसरा बोला । तो मेहर ने उसे देखा और स्माइल पास करदी ।
टैंथ फ्लोर पर आकर ,लिफ्ट रूकी और मेहर उस में से बाहर निकल गई । वही लिफ्ट के अंदर वो दोनो लड़के , एक दूसरे के देख रहे थे , और फिर अपना हाथ पकड़ खड़े हो गया , लिफ्ट बंद होते ही दोनो की आंखो मे आंसू आ गये । दोनो ने अपने हाथ देखे जिनके बीचो बीच एक काले रंग का निशान बन चुका था ।
जब वो दोनो मेहर को गूंगी बोल रहे थे तो मेहर ने उनको देखा , और स्माईल पास करदी," बिल्कुल नही मुझे सब सुन रहा है" ,वो बोलो ।
तो एक लड़का उसे देख कर , "पहली बार आई हो", वो बोला ।
"हा पहली बार ",मेहर बोली ।
" हमसे दोस्ती करोगी" , दूसरा बोला ।
"हम्म्म डिपेंड इस बात पर करता है अगर तूम दोनो ने मेरा हाथ दस सेकेंड तक होल्ड कर लिया तो" ,मेहर बोली ।
बिल्कुल दोनो की आंखो में चमक आ गई ,मेहर ने अपना हाथ आगे करा तो पहले लड़के ने झटके से मेहर का हाथ पकड़ लिया , वही मेहर टाइम देख ने लगी ।
"वाह तूमने तो दस सेकेंड पुरे करे लिए" ,मेहर बोली । वही वो लड़के ने हां मे सिर हिला दिया । अब दूसरा लड़के ने भी मेहर की तरफ हाथ बढ़ाया तो मेहर ने वो हाथ पकड़ लिया ।
"क्या हूआ इतना पसीना क्यूं आ रहा है", मेहर उस लड़के को देख कर बोली तो उस लडके ने ना में सिर हिला दिये ।
"वाआआओ तूमने भी दस सेकेंड पुरे कर लिए ", मेहर बोली और उस का हाथ छोड़ दिया । वही उस लड़के ने जल्दी से अपना हाथ नीचे की तरफ कर लिया ।
" लो अभी मुझे जाना होगा , शाम को मिल कर बात करते है" , मेहर बोली और लिफ्ट खुलते ही बाहर निकल गई ।
दोनो लड़के एक दूसरे को देख रहे थे । "मैं तो शाम को नही आने वाला अगर तूझे आना है तो खुशी खुशी आ" , एक लड़का बोला ,और लिफ्ट खुलते ही बाहर चाला गया ।
" मुझे भी अपनी जान प्यारी है ",वो बोला और पहले लड़के के पीछे पीछे चला गया ।
मेहर ऑफिस में पहुंची तो सामने ही नताशा और डी उसे दिखे , मेहर ने वहां आते ही अपने हाथ में पकड़ा हुआ मेगनेट टाइप का बरेसलेट जो उसने हाथ के बीच में पहन रखा था उसे डेस्क पर रख दिया । और नताशा को हाये बोली । वही डी ने मेहर को हाये बोला उसका ध्यान उसी बरेसलेट पर था ।
" ये क्या है", वो उसे उठाते हुए बोला ।
वही मेहर उसे कुछ कहने ही वाली थी के डी ने उसे उठा लिया , और एक जोरदार चीख वहां गूंज गई । मेहर नताशा और उस समय वहां पर जो भी थे वो सब डी को देखने लगे । वही डी अपने सीने पर हाथ रखे हुए ।
"ये तो करंट मारता है ",वो बोला ।
मेहर ने जल्दी से उस बरेसलेट को अपने बैग में रखा और डी को देख कर ,"क्या देवदास दिखाने के लिए ये बॉडी बनाई है क्या , तुमसे अच्छे तो वो लिफ्ट वाला थे ", मेहर बोली ।
"है भगवान क्या कर के आई है तू ,कही वो लोग मर तो नही गये ना", नताशा बोली वही डी मेहर को घुर कर देख रहा था । "नही नही वो तो बेचारे दोस्ती की लाज बचाने के चक्कर में फंस गए" ,मेहर बोली ।
"अब इसे क्या हुआ ",नताशा डी की तरफ देख कर बोली ।
" मुझे क्या पता इसे क्या हुआ ",मेहर बोली ।
"मेरा नाम डी है समझी ", डी बोला ।
"सॉरी सॉरी जल्दी जल्दी में ना छोटा नाम ले लिया ",मेहर बोली ।
"डी छोटा नाम है जा के देवदास ", डी मेहर को घुर कर बोला ।
नताशा डी को देख कर ,"अरे पागल वो तेरे मुंह से ही तेरा नाम निकलवा दी" ,नताशा बोली ।
डी मेहर को देखते हूए ," ये लड़की सच में खतरनाक है", वो बोला और वहा
से चला गया ।
नताशा उसे जाता देख ,"वेसे मेहर कल सर ने तुमको कुछ कहा तो नही ना" , नताशा मेहर से बोली ।
"उस में इतनी हिम्मत कहां जो मुझे कुछ कह सके" , मेहर बोली वही नताशा जो उसे ही देख रही थी उस की नजर मेहर की पीछे चली गई ।
"तुमको पता है मेने क्या किया ,वो तेरा हॉट बॉस खुद को बड़ा स्मार्ट समझता था, मेने भी उसे अच्छे से अक्ल दे दी , अब आगे से वो कभी मुझ से उलझे गा नही , तुमको पता है वो एक नंबर का ठरकी बुढ़ाऊ है ,उस के पास मत जाना , अकेले तो बिल्कुल भी नही ,अब तुम मेरे जैसे हिम्मत वाली तो नही हो जो उस की गाड़ी का शीशा तोड़कर भी उसी के ऑफिस में आ जाओ , समझी" , मेहर जो अपने बैग में कुछ देखते हुए बोल रही थी वो नताशा को देखने लगी , जिस के रंग उड़े हूए थे ।
वही उस जगह पर काम करने वाले सब मुंह खोले मेहर को देख रहे थे ।
" तुम लोग एसे क्यू देख रहे हो जैसे वो तूम लोगो का हॉट बॉस यहीं मेरे पीछे खड़ा हो" ,मेहर बोली ।तो सब ने हा मे सिर हिला दिया ।
मेहर जो अभी तक खुब बन रही थी उस ने नताशा को देख ना में सिर हिलाया, तो नताशा ना हां में सिर हिला दिया ।
मेहर ने अपनी आँखे बंद की , और सिर झुका लिया ,"क्यूं मेहर क्यूं तू खुद पर कंट्रोल नही करती" ,वो धीरे से बोली । और फिर पीछे की तरफ मुड़ गई ,यहां पर कबीर गुस्से से उसे देख रहा था ,वही अजित जस तो मानो यहां होकर भी यहां नही थे वो दोनो मेहर को एसे देख रहे थे जेसे वो इस दूनिया की हो ही ना ।
मेहर कबीर को देख अपनी आंखे मटकाते हुए ,"वो तो मैं आपकी तारीफ कर रही थी", मेहर बोली ।
कबीर ने एक नजर उस ऑफिस मे सब को देखा , जो उसे देख कर ही अपने अपने काम में लग गए ,फिर मेहर को देखा ," मेरी कॉफी लेकर आओ" ,वो बोला और चला गया । मेहर ने गहरी सांस ली ।
अजित जस मेहर के पास आकर , "वैसे ये सब बोलती कैसे हो ", जस बोले । मेहर ने उनको देखा , "आप दोनो को भी अपनी तारीफो के पुल बंधवाने है", मेहर बोली ।
"ना बिल्कुल ना ,हम एसे ही सही है", अजित बोलते और जल्दी से वो वहा से चला गया ।
जस मेहर को देख कर ,"तूम सब से अलग हो ",वो बोला ।
"मै बस एक हूं इस लिए" , वो बोली । जस हस दिया , "अपने बॉस की काली कॉफी लेती जाना वैसे भी उस का मुड़ ऑफ है", जस बोला और चला गया ।
वही मेहर कबीर के बारे में सुन कर , नाक बुल सिकोड़ते हुए , "बड़ा आया मेरा बॉस", वो बोली ।
"मेहर तू ठीक तो हो ना कही सिर में चोट तो नही लगी ना ",नताशा बोली । मेहर ने उसे घुर कर देखा , "नही वो तो बस एसे ही पुछ लिया मेने ",नताशा बोली और चली गई । बाकी सब भी मेहर को देख ही रहे था तो मेहर ने एक नजर सब को देखा और वहां से चली गई ।
"यार क्या लड़की है ये मतलब अपने बॉस को ही नही छोड़ा तो हमे क्या छोड़ेगी
मैं तो इस से दूर ही रहूंगा ",एक लड़का जाती हुई मेहर को देख कर बोला ।
दूसरा उसे देख कर ,"कभी सोचना भी मत , मुझे तो लग रहा है इस के और कबीर सर के बीच कुछ तो है ,वर्ना कबीर सर वो भी इतने शांत ,बिल्कुल भी नही ", उस लड़के के पास बैठा लड़का बोला फिर दोनो अपने अपने काम में लग गए ।
मेहर कबीर के लिए कॉफी लेकर उस के कैबिन में गई तो वो लॉपटाप पर कुछ काम कर रहा था ,"सर आपकी ब्लेक कॉफी", मेहर बोली ।
कबीर ने उसे देखा ," रख दो", वो बोला ।
मेहर ने कॉफी रख दी और जाने लगी , "रुको" कबीर बोला। तो मेहर उसे देख कर "जी सर ",वो बोली ।
कबीर ने मेहर को गौर से देखा और अपनी कुर्सी पर पीठ टिका ते हुए,"यहा पर तुम खड़ी हो वो कोन सा फ्लोर है ",कबीर बोला ।
" टैंथ" ,मेहर बोली ।
"ऑफिस कितने फ्लोर में है" ,कबीर बोला ।
"तीन", मेहर बोली ।
"तो फिर टूवैलथ फ्लोर पर आर्काइव रूम है ,यहां पर सब न्यूजपेपर है सब मतलब सब , वहां जाओ और उन न्यूज पेपर को छांट कर उन में से पीछले चार साल का एक्सीडेंट कैसिस का डाटा निकाल कर लाओ तुम्हारे पास चार घंटे है ", कबीर बोला । उस के चेहरे पर शातिर मुस्कान थी ।
मेहर उसे अपनी आँखे छोटी करके
देख रही थी । " तुम्हारा टाइम स्टार्ट हूआ अब" , कबीर बोला ।
मेहर वहा से पैर पटकते हूए चली गई । कबीर ने उस कॉफी को देखा और उसे पीने लगा । "नॉट बेड ",वो काफी का सिप लेकर बोला और फिर से काम करने लगा ।
मेहर गुस्से से कैबिन से बाहर निकली और लिफ्ट की तरफ जाने लगी , पर फिर रूक कर उस ने अपना बैग लिया और चली गई ।
लिफ्ट में इंटर करते ही , सामने उसे वही दो लड़के दिखो जो एक घंटे पहले उस के साथ उसी लिफ्ट में थे ।
"हैलो ",मेहर बड़े प्यार से बोली । तभी वो दोनो लड़के बीना कुछ कहे लिफ्ट से बाहर निकल गए ,मेहर उनको देख हसने लगी , "बड़े आये मेरे से दोस्ती करने", वो बोली और ऊपर फ्लोर की "की" प्रेस कर दी ।
वो दोनो लड़के सीधे कबीर के ऑफिस में आ गये । कबीर दोनो को देख कर कुर्सी से उठते हुए ,"क्या हुआ तुम दोनो के चेहरे पर बारा क्यूं बजे है" , कबीर बोला ।
"कुछ नही कुछ नही ",उस में से एक लड़का बोला । कबीर ने दोनो को देखा , "ठीक है बैठो" ,वो बोला । तो वो दोनो उस के सामने लगी कुर्सी पर बैठ गए ।
"कैसे आना हूआ ",कबीर बोला ।
"वो बड़े भाई चाहते है के , आप एक बार घर आ जाये" , उन में से एक बोला ।
कबीर उनको देख कर ,"लव मेने सब कुछ पहले ही क्लीयर कर दिया है पिछले साल ही मेने ये तीनो फ्लोर तुम्हारे भाई से खरीदे है तो अब किस लिये बुला रहे है" , कबीर बोला ।
तो दूसरा लड़का उसे देख कर "अरे भाई बड़े भाई आपसे कुछ बात करना चाहते है ",दूसरा लड़का बोला ।
"देखो कुश बात करने के लिए कुछ है ही नही अब ", कबीर बोला ।
वो दोनो लड़के एक दूसरे को देख कर , "भाई बस एक बार आ जाओ दोस्त हो तुम दोनो तो फिर क्यू गुस्सा हो उनसे" , लव बोला ।
"तुम जानते हो लव मेरे गुस्से की वजह , और वो जायज है" , कबीर बोला ।
"भाई आपसे मिलना चाहते है , एक बार मिल लो और वैसे भी आज तो उनका जन्मदिन है" , कुश बोला ।
कबीर उनको देख कर ,"ठीक है शाम को आ जाऊंगा पर राम से कहना मैं ज्यादा देर नही रूकने वाला", कबीर बोला ।
लव कुश खुश होकर "ठीक है भाई ",वो बोले । और जान लगे पर लव रूक कर कबीर को देखने लगा , "क्या हूआ ", कबीर बोला ।
" भाई वो जब हम यहा पर आये थे तो एक लड़की यहां से गई थी , वो काम करती है क्या यहां पर ", लव बोला ।
कबीर ने दोनो को देखा ," कुछ हुआ क्या ",कबीर दोनो की देख कर बोला ।
" नही नही बिल्कुल भी कुछ नही हुआ", कुश बोला ।
"हां वो अभी अभी आई है" ,कबीर बोला । ओके बोल कर दोनो चले गये वही कबीर दोनो को देख कर सिर हिला दिया ।
रब राखा
नही नही बिल्कुल भी कुछ नही हुआ", कुश बोला ।
"हां वो अभी अभी आई है" ,कबीर बोला । ओके बोल कर दोनो चले गये वही कबीर दोनो को देख कर सिर हिला दिया ।
मेहर आर्काइव पहुंच गई और एक तरफ चल दी जिस के बारे में बाहर बैठी लड़की जो अपने कंप्यूटर पर कुछ कर रही थी उस ने बताया था ।
" पक्का इस बुढ़ाऊ ने जानबूझकर एसा किया है , और नही तो क्या कहां मै रिपोर्ट और कहा मै अब न्यूजपेपर छांट रही हूं" ,मेहर खुद से ही बोली ।
चलते चलते वो उस जगह पर पहुंच गई यहा पर सब न्यूजपेपर रखे थे , वो भी बहुत तरतीब से , मेहर ने गहरी सांस ली और लग गई अपने काम में , दो घंटे तक मेहर वहीं बैठी रही और उन सब न्यूजपेपर को देख कर उन मे से अपना काम का सामान अलग करती रही तभी उस के फोन पर एक मैसेज आया । मेहर ने उसे देखा और वापस से अपने काम मे लग गई ।
जस ने नताशा को पहले सिर्फ पांच मिनट के लिए ही स्क्रीन दी थी जिस में नताशा ने कमाल का काम करा था ,जिसे देख वो भी हैरान रह गया ।
"वैल डन ",जस बोले ।
नताशा मुस्कुरा दी ।
दोपहर की न्यूज के लिये , साक्षी और नताशा को एक साथ न्यूज देनी थी पर साक्षी अभी भी नही आई थी , कबीर को जब इस बात का पता चला तो वो खुद वहा पर आ गया ।
तभी साक्षी वहा आई , "ये क्या कर रही हो तुम" ,कबीर गुस्से से बोला । क्यूकि अभी अभी नताशा को दूसरे ऐंकर के साथ भेजा गया था जो इस समय स्क्रीन पर थे ।
"तूम कया कर रहे हो ,साक्षी ने कबीर को देखकर कहा ।
वही कबीर ने वहां पर सब को देखा और अपने केबिन मे आगया , साक्षी उस के पीछे पीछे आते हूए ,"मुझे सच सच बताओ आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है", वो बोली ।
"क्या चल रहा है तूम ही बता दो ",कबीर अपनी चेयर पर बैठते हुए बोला ।
" कल रात तूम मुझे वहां छोड़ कर चले आया थे , उस लड़की के लिए जो अभी अभी यहां पर आई है" , साक्षी बोली । कबीर उसे देखता रहा ।
"मुझे पता चल गया था के कल तुम उस के साथ ही वहां पर आये थे और उसी के साथ अपने घर गया थे, क्या है उस लड़की मे जी तूम मुझे भुल गया" , साक्षी बोली ।
"तुम मेरा पीछा कर रही थी ",कबीर बोला ।
तो साक्षी उसे देख कर ,"हा कर रही थी पीछा तुम्हारा । पुरी रात यही सोचती रही के आखिर वो कल की आई लड़की में ऐसा क्या है जो मुझ में नही , पहली बार तूमने मुझे ऐसे इग्नोर कर दिया वो भी उस लड़की की लिए , चल क्या रहा है तुम दोनो के बीच" ,,,,
"प्यार ",, ये आवाज आई तो कबीर साक्षी ने पीछे देखा यहा दरवाजे से मेहर अंदर आ रही थी,उस के हाथ में बहुत सारे पेपर थे और वो उनको ही पड़ते हूए अंदर आई , , आखरी शब्द प्यार बोलकर उस ने सब न्यूजपेपर टेबल पर रख दिये , तब जाकर उस का ध्यान कबीर पर गया जो उसे ही देख रहा था।
" क्या" , आपने ही तो कहा था के न्यूज पेपर लाने है ,मेहर बोली ,और सामने खड़ी साक्षी को देखा जो उसे ही घर रही थी ।
"उप्स आइ एम सॉरी, लगता है आपकी कुछ पर्सनल बातें चल रही थी ", मेहर दोनो को खुद को घुरता देख कर बोल कर जाने लगी तभी एक लड़की कबीर के कैबिन में आकर कॉफी कप रख कर चली गई ।
"रूको "साक्षी मेहर से बोली ।
मेहर जो अभी कदम बड़ा ही रही थी वो रूक कर साक्षी को देखने लगी ।
"जी मैम ",वो बोली ।
"कल तुम कहा थी" , साक्षी बोली । मेहर ने एक- बार कबीर को देखा ।
"मै तो यही पर थी , और कहां जाऊंगी", वो बोली ।
"रात को कहां थी" , साक्षी फिर से बोली ।
" सर को उनके घर ड्राप करने गई थी" ,मेहर बोली । साक्षी ने कबीर को देखा जो बहुत ध्यान से मेहर की बाते सुन रहा था ।
"क्यू तुम कयू गई थी ",साक्षी गुस्से से चिल्ला दी ।
मेहर हैरान सी उसे देखने लगी ।
"वो बात ऐसी हूई मैम के मेने ना सर की गाड़ी का कंचूंबर निकाल दिया था , तो सर ने मुझ से लिफ्ट मागी थी", मेहर बोली और कबीर को देखा जो उसे ही देख रहा था ।
साक्षी ने गुस्से से भर कर दोनो को देखा ,
"वो तूमसे लिफ्ट क्यू मागने लगा जरूर तूमने ही उसे बहलाया होगा ", साक्षी बोली और साथ ही टेबल पर पड़ा कॉफी कप उठा लिया ।
मेहर जो उस की हर एक हरकत को देख रही थी ,वो अपनी जगह से हिलती उस से पहले ही साक्षी ने वो पुरी कॉफी मेहर पर फेंक दी ।
कबीर तो हैरान सा रह गय उसे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नही थी साक्षी से । वही मेहर ने ज्यादा कुछ नही किया पर खुद के चेहरे को ढक लिया था अपने हाथ से ,जिस वजह से वो गर्म कॉफी उस के हाथ पर गिरी और कुछ पेट पर भी गिर गई ।
"ये बहुत गर्म है मु मुझे ज ज जलन हो रही है ",मेहर वही दिवार से सहारा लेकर खड़ी हो गई और अपने हाथ को देखने लगी । जो एक दम से लाल हो गय था ।
"ये क्या किया तुमने ",कबीर जल्दी से मेहर का हाथ पकड़कर ,साक्षी से बोला ।
वही साक्षी दोनो को देख गुस्से से , "अभी कुछ नही किया पर बहुत जल्द इस लड़की को सबक सिखाऊंगी" , साक्षी बोली ।
कबीर गुस्से से उसे देख कर , "तुम उठो और कुर्सी पर बैठो", वो मेहर को सहारा देकर बोला ।
इस बीच उसे महसूस हूआ के मेहर कांप रही है , वो भी बहुत ज्यादा । पर इस समय उस का ध्यान मेहर के लाल हो चुके हाथ पर था ।
"सॉरी सर मुझे अभी जाना होगा ",मेहर कबीर से दूर हट कर बोली ।
" वही कबीर उसे कुर्सी पर बैठते हूए ", चली जाना पर अभी रुको वो बोला और फोन करके किसी को कैन्टीन से ठंडा पानी लाने का बोला और साथ ही डॉक्टर को भी आने का बोल दिया ।
"तुम पागल है गई है क्या साक्षी , ये क्या तरीका है ",कबीर उस के पास आकर बोला ।
"इतनी फिक्र कभी मेरी तो की नही , आज क्या हो गया" , साक्षी बोली ।
" भगवान के लिए साक्षी ये जो बकवास तूम कर रही हो उस पर ब्रेक लगा लो । और हा कल मेने ही इस से लिफ्ट मागी थी ,मुझे नही पता था के तुम मेरा पीछा कर रही थी "।
"इस से ही लिफ्ट क्यूं मागी मुझे बोल देते में तुमको ड्राप कर देती, कार है मेरे पास ", साक्षी बोली ।
कबीर हैरान रह गया उस की बात सुन कर इतने सालों मे पहली बार उस ने साक्षी को एसे बिहेव करते हूय देखा , वो इस समय साइको की तरह लग रही थी ।
" तुम से बात करना बेकार है अभी तुम जाओ यहां से ", कबीर साक्षी से बोला ।
तभी अजित अंदर आते हूए ,क्या हूआ कबीर किसे चोट लगी तू ठीक तो है ना वो बोलते हूय आया ,पर सामने देख वो हैरान रह गया और कबीर को एक तरफ करते हूए ।
हे मेहर ,मेहर उठो , मेहर वो ",बोला ।तो मेहर ने उसे आंख खोल कर देखा ।
"सर मुझे घर जाना है ",मेहर धीरे से बोली , पर अजित तो उसकी लाल आंखे देख कर ही हिल गया ।
जो लड़की कुछ घंटो पहले हस्ती मुस्कुराती उसे दिखी थी वो अब इस हाल में ।
"कबीर क्या हुआ यहां पर ",अजित वैसे ही मेहर के पास बैठे हूए बोला ।
" बाद में बताता हूं पहले ठंडे पानी मे हाथ ढालने दे", कबीर बोलते हूय ही लड़के के हाथ से बाऊल लेकर आया और मेहर का हाथ उस में डाल दिया ।
अजित बस कबीर को ही देख रहा था जिस ने मेहर का हाथ पकड़कर उसे पानी में रखा हुआ था । साक्षी जो वहीं पर खड़ी सब देख रही थी वो पैर पटकते हूए चली गई ।
"कॉफी तो हाथ पर गिरी , फिर इसकी आंखे इतनी लाल क्यूं हो गई ", कबीर डाक्टर से बोला ।
इस समय कैबिन में जस और नताशा भी खड़े थे ,नताशा मेहर के पास थी ।
हो जाता है कभी कभी वैसे कॉफी बहुत गर्म थी और इनकी स्किन भी बहुत सेंसिटिव है जिस का असर ज्यादा हूआ है मेने इंजेक्शन दे दिया है एक घंटे तक ठीक हो जाएगी ,पर इन्हे सोने देना जिस से इनकी आंखे ठीक हो जाये गी", डाक्टर बोला । कबीर ने उस की फीस दी और जस डाक्टर को बाहर छोड़ आया ।
"नताशा हम बाहर ही है तुम इसे अच्छे से ये क्रीम लगा देना" , कबीर नताशा से बोला । और तीनो रूम के बाहर चले गया ,वही मेहर अभी भी आंखे बंद करे हूए सोफे पर लेटी थी ।
तूम ठीक हो मेहर नताशा ने पुछा," मुझे आंखो मे दर्द हो रहा है , शायद कॉफी चली गई होगी", वो धीरे से बोली ।
" मैं ना तुम्हारे क्रीम लगा रही हूं थोड़ी सी जलन होगी" , नताशा बोली और हल्के से कमीज उठा कर मेहर के पेट पर क्रीम लगा दी ।
"ये सब क्या है ", अजित बोला ।
"वो कल रात को मैं मेहर के साथ आया था घर ", कबीर बोला ।
जस अजित दोनो हैरान से उसे देखने लगे ।
" उस के साथ पर क्यूं एक फोन कर देता हम में से कोई भी आ जाता लेने तुमको ",अजित बोला ।
" मुझे गुस्सा था बहुत गुस्सा इस की वजह से क्या क्या नही हूआ था कल" , कबीर बोला ।
"तेरा दिमाग ठीक तो है , तुमको पता है वो कहा रहती है , कितने बजे घर पहुंची होगी ",जस बोला
कबीर चुप रह गया । अब वो क्या बोले उस ने तो इस बारे सोचा ही नही ।
"देखो अब इस के लिए मुझे जिम्मेदार मत ठहराओ ",कबीर बोला तो दोनो उसे देखने लगे ।
कबीर ने दोनो को देखा और हार मानते हुए ,"हा मेरी गलती है पर उस समय मैं गुस्से में था ", कबीर बोला ।
"अपनी साक्षी को संभाल कर रख , ये पहली बार हुआ है और आखरी बार भी यही है ,बाकी सब अपनी जगह ,पर हमारे किसी भी स्टाफ के साथ आज तक एसा नही हुआ ", अजित कबीर को जताते हुए चला गया ।
वही जस ने कबीर के कंधे पर हाथ रखा और वहां से चला गया । कबीर दोनो को देख कर सिर झटकते हूए , चल दिया ।
इस बात का पूरे स्टाफ में पता चल गया था के साक्षी ने मेहर पर कॉफी गिरा दी , जिस से उस का हाथ जल गया ।
शाम हो चुकी थी ,सब लोग अपने अपने काम मे लगे हुए थे ,वही मेहर को जो इंजेक्शन दिया गया था वो उस से नींद में थी तब से। तो कबीर भी कैबिन में नही आया था ।
नताशा जब शाम को आई तो मेहर उठ कर बैठी हूई थी , और उन सब पेपर को देख रही थी जिसे वो सुबह लेकर आई थी ।
"कैसी तबीयत है तुम्हारी ", नताशा बोली । यार मैं तो ठीक हूं पर ये सब खराब हो गया ,अब क्या करूं ", मेहर बोली ।
नताशा मेहर को फिर से पहले के जेसे बात करते देख खुश हो गई ।
"ये सब इसे हम कल आकर देख लेगे अब चली छुट्टी का समय हो गया ",नताशा बोली ।
"ठीक है कल आकर इन सब को अच्छे से कर दूंगी" , मेहर बोली।
"क्या हुआ क्या हुआ ", डी भागते हूए आया। मेहर नताशा उस समय कैबिन से बाहर निकल चुकी थी ।
"इसे क्या हुआ ये इतना हाफ क्यूं रहा है ",मेहर नताशा से बोली ।
"पता नही ",नताशा बोली ।
"मुझे पता चला तेरे उपर कीसी ने कॉफी गिरा दी ", डी मेहर के हाथ पकड़कर बोला ।
तो मेहर उसे घुरते हुए ," देवदास मेरा हाथ छोड़", वो बोली ।
"डी उसे देख कर , जितना बोलना हे बोल ले पर ये तो बता कहा जला है , कॉफी गर्म थी ना" , डी बोला ।
"अबे ओये ढक्कन जिस हाथ को पकड़ा है उसी पर गिरी थी कॉफी", मेहर जोर से बोली ।
ये बात सुनते ही डी ने जल्दी से मेहर का हाथ छोड़ दिया और दो कदम पीछे चला गया ।
"देख मेहर मुझे पता नही था ,इस लिए हाथ पकड़ लिय देख मुझे तेरी फिक्र थी" , डी बोला ।
मेहर उसे देख कर ,"ठीक है अब थैंक्यू मेरा हालचाल पूछने के लिए" ,वो बोली ।
"तू तो बाहर गया था ना कब आया ",,नताशा डी से बोली और तीनो चलने लगे ।
"हा यार गया था पर मुझे रिपोर्ट ही नही मिला तो जितना मेरे हे हूआ उतना कर दिया" , डी बोला ।
तीनो बातें करते हुए बाहर आये और अपने अपने रास्ते चल दिये , मेहर अपनी सकुटी के पास आई , उस ने अपने हाथ को देखा जिस पर लाल निशान थे, उस ने फोन निकाला और कैब बुक कर वही सड़क के पास रूक गई । कुछ देर में कैब आई , और मेहर उस मे बैठ कर चली गई । ये सब कबीर जस के कैबिन से लगी गैलरी में खड़े हो कर देख रहा था । वो वापस अंदर आ गया यहा पर जस अपने काम मे लगा हुआ था ।
रब राखा
ये सब कबीर जस के कैबिन से लगी गैलरी में खड़े हो कर देख रहा था । वो वापस अंदर आ गया यहां पर जस अपने काम मे लगा हुआ था ।
क्या हुआ यहां" पर क्या कर रहा है", जस बोला ।
"जा रहा हूं मै ",कबीर उस पर चिल्लाते हुए बोला ।
"ओये ये घर नही है और मै साक्षी नही जो तू मुझ पर चिल्ला रहा है ",जस जाते हूए कबीर से बोला ।
तो कबीर रूक गया अपनी आँखे बंद की और फिर जस को देखा , "सॉरी ",वो बोला ।
उस की आवाज में उदासी साफ साफ दिख रही थी । जस जो उसे अपने कुर्सी पर बैठा देख रहा था ," बैठ यहां ",वो बोला । तो कबीर आकर बैठ गया । साथ ही जस ने फोन करके अजित को बुला लिया ।
"अब बता क्या बात है जो तू बुझा बुझा सा है ", जस बोला अजित भी उसे ही देख रहा था , कबीर ने दोनो को देखे ।
"मैं थक चुका हूं ", कबीर बोला ।
"तो जाकर आराम कर ",अजित बोला । जस ने उसे आंख दिखा दी ।
कबीर उसे देख कर ," मुझे समझ नही आ रहा के मै क्या करूं ", ।
"किस बारे में ",जस बोला ।
" साक्षी के बारे में ",कबीर बोला ।दोनो उसे देखने लगे । अब क्या हुआ वो एक साथ ही बोले ।
" पता नही क्यू पर आज साक्षी का जो रवैया था ना वो बहुत अजीब था आज उसे देख कर लगा के मै उसे जानता ही नही ", कबीर बोला। अजित उसे देख कर और ये तुमको आठ साल बाद पता चला ।
"देख तू जानता है मै पिछले एक साल से ही यही पर हूं वर्ना लगातार मुझे बाहर जाना पड़ रहा था , भले ही कभी मेने अपना चेहरा टीवी पर नही आने दिया , पर जितनी भी बड़ी न्यूज है वो इसी चैनल पर आई है और तूम भी जानते हो वो केसे आई है । तुम तो ये सब मत बोलो" , कबीर अजित से बोला ।
"हमे पता है तू क्या है और कोन है ।पर ये भी उतना ही सच्च है, के साक्षी सही नही सै तेरे लिए तो बिल्कुल भी नही ।तू एक बार फिर विचार करले के तुमको उस के साथ ही सारी उम्र बतानी है क्या ", जस गम्भीरता से बोला । कबीर उसे देख रहा था ।
"आज मै उस से बात करके आता हूं और वैसे भी हमारा प्रोफेशन ऐसा है के लड़कियों से भी बाते होती है। आना जाना एक साथ होता ये तो उसने पहली बार ही नही देखा है ", कबीर बोला । जस अजित दोनो उसे देख कर हस दिये ।
"अगर यार प्यार में भरोसा नही तो मुझे नही करना ऐसा प्यार ",जस बोला ।
अजित उसे देख कर , "भरोसा और विश्वास बहुत जरूरी ,है इस रिश्ते में" अजित कबीर के कंधे पर हाथ रख कर बोला ।
कबीर ने सिर हिला दिया और उठ कर जाने लगा । तो जस ने कबीर की तरफ चाबी उछाल दी । कबीर ने चाबी देखी और फिर जस को देखा ,"तेरी कार की चाबी , ठीक होकर आ गई है ", जस बोला कबीर खुश हो गया ये सोच कर ही , के उस की कार सही हो गई है , वो जल्दी से नीचे की तरफ चला गया ।
"इसे क्या हूआ" , अजित जस से बोला ।
" प्यार ",जस हस्ते हूय बोला ।
"पता है साक्षी से ये प्यार करता है" , अजित फाईल देखते हुए बोला ।
" ना साक्षी नही मेहर , मेहर से", जस अजित को देख कर बोला तो अजित हैरान सा उसे देखने लगे ।
"अट्रैक्शन और प्यार में पता है क्या फर्क है" , जस बोला । अजित उसे देखने लगा ।
"यही के अट्रैक्शन हमेशा तब होता है जब कोई वस्तु सामाने हो , और प्यार हमेशा रहता है चाहे वो सामने हो जा दूर हो, वही हाल इस समय कबीर का हे वो अभी समझ नही रहा पर उसे मेहर की फिक्र में वो पिछले दो घंटो से उसी पर नजर रखे हुए था । अपने फोन से , ओर इस बीच उसे साक्षी का जर्रा सा भी ख्याल नही आया यहां तक के उसने ये भी पुछना सही नही समझा के साक्षी इस समय कैसी होगी ।पर तब से वो मेहर को जरूर हर पांच मिनट में देख लेता ", जस बोला ।
अजित मुंह खोले उसे देख रहा था ।" तुमको ये सब कैसे पता तू तो खुद सिंगल है" ,वो बोला ।
"मेरी लाइफ ऐसी है मै किसी के साथ एक रिश्ते में बंध कर नही रह सकता ,और दूसरी बात अभी कोई मिली भी नही जस पेन को
अपने ऊंगलियों पर नचाते", हुए बोला ।
अजित उसे देख कर," ये लाइफ हमने खुद चुनी है , मुझे तो कोई अफसोस नही है", अजित बोला ।
" मुझे भी नही , पर हा एक ऐसे हमसफ़र की तलाश जरूर है जिसके दिल मे मेरे लिये ही चाह हो वो भी शिद्दत से" , जस बोला ।
"अजित उसे देख कर जरूर होगी मेरे लिये भी होगी , पर फिल्हाल तो कबीर के बारे में सोचे कुछ", वो बोला ।
"ना जी मुझे नही सोचना उस के बारे में वो अच्छा खासा हम सब से ज्यादा दिमाग उस में है , अगर वो नही समझा अपने दिल के हाल तो हमारा कोई कसूर नही" , जस बोला ।
अजित उसे देख मुस्कुराते हुए ," वैसे मुझे कल किसी ने कहा था के उस की बहन आने वाली है समय भी होगया है और वो यहां पर बैठा ग्यान बांट रहा है" ,अजित बोला । देख वो जस को ही रहा था ।
जस जो मजे से पेन अपनी ऊंगलियों मे नचाते हुए छत की तरफ देख रहा था एकदम से हड़बड़ा कर उठ खड़ा हुआ ।
"ये क्या कर दिया वो भूखी शेरनी मुझे कच्चा खा जायेगी" , जस बोलते हूय बाहर चला गया। वही अजित हस्ते हूय हाये ,"रब्बा कोन कह सकता है ये बड़ा भाई हे उस का" , वो खुद से ही बोला और उठ कर अपने काम पर लग गया ।
कबीर जैसे ही ऑफिस से निकला तो उसे कुश का फोन आ गया । जिसे देखते ही उसे याद आया के आभी उसे राम को मिलने जाना है । राम राम तनेजा ,तनेजा बिल्डर्स का ओनर , कबीर का दोस्त यां एसा भी कह सकते है के फैमली फ्रेंड थे कभी , पर कबीर ने छः महीने पहले ही राम से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे ।
कबीर ने लंबी सांस ली और कार को सड़क पर मोड़ दिया । अब उस का रूख तनेजास के यहां जाने को था ।
एक घंटे बाद वो उस बड़े से हॉल मे खड़ा था । और इधर उधर देख रहा था , तभी सामने लव कुश आये और कबीर के गले लग गये ।
" भाई आप आ गये", वो दोनो एक साथ बोले ।
तो कबीर हस दिया , "वेसे तेरा भाई कहा है जिस का बर्थडे है ",कबीर दोनो के सिर पर हाथ रख कर बोला ।
"वो बस आ रहे है ", लव बोला और कबीर का हाथ पकड़कर उसे सोफे पर बैठा कर खुद दोनो उस के आस पास बैठ गए ।
तभी सीडियो से राम उतरता हुआ दिखा उस के साथ एक लड़की भी आ रही थी । कबीर ने उसे देखा और सिर हिला कर वापस से लव कुश को देखने लगा ,,वही राम जो दिखने में कबीर की उम्र का ही लग रहा था वो उस लड़की को बाये बोल कर कबीर के पास आ गया ।
" कबीर आखिर आज आ ही गये तूम" , राम कबीर के सामने आकर बोला ।
वही कबीर खड़े होकर," हैपी बर्थडे बोला और साथ ही अपनी पेंट की जेब से एक चॉकलेट निकाल कर राम को दे दी ।
राम चॉकलेट लेकर, "शुक्रिया वो बोला और साथ ही चॉकलेट का रैपर खोल के उसे खाने लगा ।
कबीर उसे ही देख रहा था वही राम ने कबीर के कंधे पर हाथ रखा और उसे अपने साथ लेजाने लगा ।
" तूमको नही लगाता के मै जो एक न्यूज चैनल चलाता हूं वो तुम्हारे बारे मे अपने न्यूज चैनल पर सब सच बता देगा" , कबीर उस के साथ चलते हूए बोला ।
"शोंक से बताना पर पहले सबूत ले कर आ एक भी एसा सबूत मिल गया ना, उस दिन तेरी तलवार मेरा सिर ", राम कबीर को देख कर बोला साथ ही डाइनिंगटेबल टेबल की कुर्सी खिच कर उसे बैठा दिया , लव कुछ भी उन के पास आकर बैठ गए , राम अपनी जगह पर आकर बैठ गया ।
तभी कबीर को एक लड़की आती हूई दिखी तो कबीर हैरान रह गया उसे देख कर वो शादी शुदा लग रही थी ।
"मिलो मेरी पत्नी से , आइशा नाम है इसका" , राम कबीर को देख कर बोला वही कबीर हैरान सा दोनो को देख रहा था ।
आइशा ने केक लाकर टेबल पर रख दिया । और राम के पास आकर खड़ी हो गई । "कैसे हो कबीर" , आइशा बोला ।
"तुम दोनो ने शादी कर ली" ,कबीर बोला ।
"हां एक महीना हूआ है , उस समय तू यहा पर नही था वर्ना तूमे भी शामिल करता ", राम बोला ।
"भाई जल्दी केक कट करो ना हमे पब भी जाना है ",लव बोला । तो राम ने कबीर को देखा ,"अब तो आजा", वो बोला तो कबीर उठ कर राम के पास आ गया ।
दोनो ने मिल कर केक कट करा , राम ने पहला पीस कबीर को खिलाया फिर आइशा को , कबीर ने भी राम को केक खिलाया और फिर लव कुश को ।
"अच्छा भाई भाभी हम पब जा रहे है आप आराम करना हमारी फिक्र मत करना कुश", बोला और दोनो वहां से चले गये ।
नौकरो ने खाने लगा दिया था ,वही आइशा राम के पास बैठी हूई थी , राम खुद कबीर को खाना सर्व कर रहा था ।
"क्या हुआ कबीर खाना अच्छा नही लगा क्या ",आइशा बोली ।
"नही आइशा खाना तुम बनाओ और वो अच्छा ना हो एसा हो ही नही सकता ", कबीर बोला और खाने लगा ।
"थैंक्स कबीर मुझे मेरा प्यार वापस लौटाने के लिए , देर से ही सही पर हा मुझे मेरा प्यार मिल गया , तुम्हारी वजह से ",आइशा बोली । वही कबीर उसे देखने लगा ।
" मुझे ताना दे रही हो" , कबीर बोला ।
" नही बस ये जताना था के अपने उस दोस्त पर भरोसा नही किया तुमने जिसे बचपन से जानते थे , और उस पर भरोसा करा जो तूमको दिखाया गया । मैं ये नही कह रही के वो झूठ था, वो सब सच्च था , पर उस में जो चीज दिखाई गई और जिस हिसाब से दिखाई गई वो गलत थी" , आइशा बोली ।
" बस करो आइशा", राम बोला ।
" बस राम मन मे सवाल थे तो बोल दिया । मुझे कबीर से कोई शिकायत नही है पर हा उसे एक बार मुड़ कर आपको देखना चाहीये था पर इस ने नही देखा , छः महीने बहुत होते है ", आइशा बोली ।
तभी कबीर अपनी जगह से उठ गया । "कबीर इसकी तो आदत है बोलने की ,तुम खाना खाओ ", राम बोला ।
" खाउंगा खाना तुम्हारे साथ ही बैठ कर खाउंगा ,पर अब मुझे सब क्लीयर करना है उस के बाद बैठ कर खाते हे खाना ",कबीर बोला और वहां से चला गया । वही राम उसे जाता देख मुस्कुरा दिया ।
कबीर वैसे ही अपने फ्लैट की और चल दिया उस के जहन में आइशा की बातें गोल गोल घुम रही थी , इसी सब में वो फ्लैट पहुंच गया , दरवाजे पर खड़े होकर उसने अपने हाथ पर बंधी घड़ी पर समय देखा तो दस बज रहे थे ।
उसने की से दरवाजा खोला , वो साक्षी से बात करने ही आया था आज उस ने जो भी किया था । कही ना कही उसे साक्षी के इस रवैए से दिल मे ठेस पहुंची थी , पर जो भी था बात तो करनी ही थी उसे , तो बस दरवाजा खोल वो अंदर चल दिया , लेकिन अंदर पैर रखते ही उस की आंखे हैरानी से फैल गई ,,,,,
रब राखा
बस दरवाजा खोल वो अंदर चल दिया , लेकिन अंदर पैर रखते ही उस की आंखे हैरानी से फैल गई ,,,,,
जस अपनी बहन को लेकर आशियाना पहुंच चुका था , वो पहली बार ही मुम्बई आई थी ,पर जस से उस के बारे में बहुत बार सुना था तो अजित थोड़ा बहुत उस के बारे मे जानता था ।
इस समय जस चुप चाप सॉफे पर बैठा हूआ था और सफेद पटियाला सूट पहने हुए उस की बहन उस पर चिल्ला रही थी जस ने दोनो कानो में उंगलिया दे रखी थी ता के वो अपनी बहन की बात को सुन ना सके ,जां उस के चिल्लाने को बर्दाश्त कर सके ।
पर उस की बहन है के मान ही नही रही थी और उसके सिर पर खड़े होकर उसे ही सुनाये जा रही थी । अजित जो कब से उन दोनो को देख रहा था , वो उठा और रसोई मे चला गया । थोड़ी देर बाद वो ठंडे पानी की बोतल लेकर आया और जस की बहन के आगे कर दी , वो उसे देखने लगी ।
"वो क्या है ना गुस्सा सिर पर चढ़ गया है , ठंडा पानी पीकर शांत हो जाओ और दो तीन लंबी लंबी सांस लो , जिस से लाल हूआ नाक सही हो जाये" , अजित बोला ।
वो उसे देखने लगी । वही जस को जब कुछ भी शोर सुनाई नही दिया तो उसने सिर उपर करके देखा तो उस की बहन दिलजीज अजित को ही घुर कर देख रही थी ।
"लो पानी लो" , अजित बोला तो उसने पानी की बोतल ली और खोल कर जस को देखते हो।
"तेरे से तो अच्छा तेरा दोस्त है वीरे ,जिस ने मुझे पानी के लिए तो पुछा , तू तो दो घंटे लेट आया , उपर से फोन बंद करके बैठा , चलो वो भी ठीक है,पर रास्ते मे खाने के लिए भी नही पुछा , तेरे जैसा वीर ना रब किसी को ना दे" , दिलजीत बोलते हूय बैठी और फिर पानी पीने लगी ।
अजित मुंह खोले उसे देख रहा था । जस ने उसे घुर कर देखा ," अरे मुंह बंद कर", वो बोला । तो अजित चुप चाप बैठ गया ।
"दिल में काम मे बीजी हो गया था ना अब तो माफ करदो" ,जस दिलजीत के पास आकर बोला ।
वही दिलजीत अपना मुंह घुमा कर अजित को देख कर ," मेरा नाम दिलजीत है और आपके इस निकम्मे दोस्त की छोटी बहन ",वो बोली ।
अजित अभी भी हैरानी से ही देख रहा था ," मेरा ना अजित" , अजित बोला ।
जस दोनो को देख दोनो के बीच बैठ गया ।
"मेरे से बात कर इस से नही" , वो दिलजीत को देख कर बोला ।
तो दिलजीत उसे घुर कर , "अब बड़ी बहन की याद आ रही है तब कहा था जब मै वहा अनजान लोगो के बीच बैठी थी", दिलजीत बोली और आगे को झुक कर अजित को देख कर," आपको पता है क्या यहां पर आस पास कोई फूड कॉरनर हो , मुझे ना बड़ी भुख लगी है ",वो बोली ।
अजित ने जस को देखे जो उसे ही देख रहा था फिर उस के चेहरे पर स्माईल आ गई ।
"जी जी जरूर चलो मैं अभी ले चलता हूं", वो बोला ।
दिलजीत जल्दी से उठ गई वही अजित जस को बाये बोल कर चल दिये , दिलजीत जानबूझकर कर अजित के पास चली गई ।
जस दोनो को देख कर , "रुको ",वो बोला। और दिलजीत का हाथ पकड़कर उसे दूसरी तरफ कर खुद दोनो के बीच आ गया ।
" दूर रह के चल इस से ",वो दिलजीत से बोली ।
"और तू , चार फूट की दूरी बना कर रखना समझा ", वो अजित को देख कर बोला ।
तो अजित ने हां में सिर हिला दिया , तो जस दोनो को लेकर बाहर चला गया ।
कबीर जैसे ही इंटर हुआ तो उस की हैरानी की कोई सीमा ना रही , उस के सामने के हाल का तो नक्शा हो बिगड़ रखा था , हर जगह पर दाग ही दाग दिख रहे थे ,जैसे खुन के हो , वही एक रूम से बहुत ही हलकी पर किसी के रोने की आवाज आ रही थी ।
कबीर जल्दी से उस रूम की तरफ बड़ गया तो पुरा रूम ही तहस नहस सो रखा था , और साक्षी बेड के बीचो बीच बैठी हूई खूद मे ही सिमटी हूई थी । वो आगे बड़ा के तभी उस के पैर से कुछ लगा, कबीर ने नीचे देखा तो हैरान रह गया , पुरे फर्श पर चुहे थे, जो इधर-उधर घुम रहे थे ।
कबीर की आंखे ही फटी रह गई , वो जल्दी से आगे बड़ा और साक्षी के चेहरे को हाथो में भर कर उपर करा तो साक्षी उसे मारने के लिए हाथ चलाने लगी ,जिस से कबीर को कुछ चुभा उस ने अपना हाथ देखा तो उस में से खून आने लगा, साक्षी के हाथ मे एक चाकू था ।
साक्षी ने जब सामने कबीर को देखा तो वो उसके गले से लग कर रोने लगी । कबीर अपने हाथ को छोड़ साक्षी के बाल सही करने लगा जो उस समय घोंसले जैसे लग रहे थे ।
" क्या हूआ और ये सब क्या है" , कबीर साक्षी के चेहरे को देख कर बोला जिस के चेहरे पर चोट के निशान थे पर अगले
ले ही पल उसे अजीब सी समेल आई ।
"पता नही मैं तो सो रही थी के कब मेरे रूम में इतने सारे चूहे आ गए,,देखो मुझे भी इन्होने काटा ", साक्षी अपना चेहरा कबीर को दिखाते हुए बोली ।
" आज फिर पी ना तुमने ", कबीर बोला ।
"नही कबीर मेने आज नही पी ", साक्षी बोली ।
"तुमसे समेल आ रही है , तूमने पी है ,और पीकर तूम हमेशा एसा ही करती हो वो बात अलग है आज तुमने पुरे फ्लेट का सत्यानाश कर दिया ", कबीर उस से दूर होते हूए बोला ।
" नही कबीर मेरा यकीन करो", साक्षी आगे बड़ कर बोली ।
"अच्छा तो फिर मेरे इलावा यहा कोन आ सकता है मुझे बताओगी, तुम ही आती हो ना , और यहां पर तुम ही रहती हो ना , तो कोन आ गया जो तुम्हारे साथ एसा कर सकता है ",कबीर बोला और साथ किसी को फोन कर दिया ।
साक्षी उसे देख कर," मैं सच कह रही हूं यहा पर कई आया था , और तो और उसञ ने मुझे पीने को कहा था , यकीन नही आता तो बाहर चल कर देखो अभी भी वहां पर बोतल होगी ",साक्षी कबीर के हाथ पकड़कर बोली ।
कबीर उस से हाथ छुड़ाकर ,"बाहर से ही आ रहा हूं , और सब देख कर ही आ रहा हूं", कबीर बोला और बाहर आ गया ।
यहां पर हर जगह तोड़ फोड़ हो रखी थी । साक्षी उस के पीछा आई तो सब देख कर हैरान रह गई ," ये सब किस ने किया ",वो बोली ।
कबीर उसे देख कर , "बस करो साक्षी और कितना झूठ बोलोगी ", कबीर उसे देख कर बोला और सामान उठाने लगा ।
वही साक्षी उस के पीछे पीछे चलते हूए ,"सच्च मानो कबीर मेने नही किया , मै तो यहां पानी पीने आई थी , तब यही इस सॉफे पर एक नकाबपोश बैठा हूआ था, उसे देख मैं डर गई ,उसने मुझे अपनी गन दिखा कर बैठने को कहा और मुझे शराब पीने को कहा देखो यही पर बोतल होगी ", साक्षी बोलते हूय टेबल की तरफ इशारा करके देखने लगी तो चुप रह गई । टेबल पर तो कुछ भी नही था टेबल ही क्या वहां पर बोतल नाम की चीज थी ही नही ।
"बस करो साक्षी अभी अंदर कह रही थी के तूम सो रही थी और अब कह रही हो के पानी पीने आई थी , पहले तुम डिसाइड कर लो क्या कहना है ",कबीर बोला ।
"नही मैं तो पानी पीने ही आई थी" ,साक्षी बोली और फिर सॉफे पर बैठ गई ।
"तूम यकीन मानो मेने खुद नई पी" , वो बोली कबीर कुछ नही बोला वो बस सामान उठा रहा था ।
"तूम मेरा यकीन क्यू नही कर रहे हो । मैं बस पानी पीने ही आई थी ,और तो और यहा पर कोई था, उसी ने मुझे शराब पिल्लई थी ", साक्षी कबीर को देख चिल्लाते हूआ बोली ।
कबीर उसे देख कर ,"गुस्से मे बस बहुत हुआ , क्या लगा क्या रखा है ।आज ऑफिस में मेने कुछ नही कहा तो इस का मतलब ये नही के तुम कुछ भी करो जो कारनामा ऑफिस मे करके आई हो ना , वो किसी भी लिहाज से माफी के लायक नही है" , कबीर भी गुस्से से बोला ।
तो साक्षी सहम गई आज तक वो कभी भी इस तरह से नही बोला था जैसे आज बोल रहा था । पहले तो साक्षी चुप रही फिर कबीर को देख कर ।
"अच्छा तो आज मुझे पर चिल्ला रहे हो, गुस्सा कर रहे हो ,वो भी उस लड़की के लिए ।मेहर यही नाम है ना उस का , बहुत प्यार आ रहा है उस के जलने पर ",साक्षी गुस्से से बोली । कबीर उस की बात सुन उसे देखने लगा ।
"तुम एसा सोचती हो मेरे बारे में ,अभी कल ही तो तुम मुझे अपने आठ साल के रिश्ते की दोहाई दे रही थी ना कहां गया वो प्यार , एक ही पल में सब खत्म हो गय क्या ", कबीर बोला ।
साक्षी उसी तरह गुस्से से ," क्यूकि उस से पहले कभी तुम मुझे छोड़ किसी और के करीब भी नही गए थे , क्या है एसा उस लड़की में जो तुम उस की तरफदारी कर रहे हो ", साक्षी बोली ।
कबीर उसे एसे देख रहा था जैसे आज से पहले कभी उसे देखा ही ना हो , कबीर ने उस से मुँह मोड़ लिया और किचन की तरफ चल दिया ।
"औ अब समझी मैं ,अच्छा तो उस लड़की के साथ वन नाइट गुजारी है ",साक्षी बोली तो कबीर के बढ़ते कदम रूक गए ।वो बेयकीनी से उसे देखने लगा ।
" एसा ही है ना", साक्षी उस के पास आकर बोली । कबीर की माथे पर बल पड़ गये ।
"कहा कहा शूआ उस लड़की ने यहा, यहा जा यहा ",साक्षी कबीर के चेहरा को छु छु कर बोल रही थी । वही कबीर उसे बस देख रहा था ।
" अच्छा तो यहा पर छुआ ", साक्षी कबीर के होठो की और देखते हुए बोली और साथ ही आगे बढ़ने लगी तभी वहां पर एक जोरदार आवाज गुंजी जिस के साथ ही साक्षी जमीन पर गिरी गई ।
"मुझे लगा था साक्षी हम एक दूसरे को जानते है , पर नही आज एसा लग रहा है के मै तो तूम्हे कभी जान ही नही पाया , ये सब सोचती हो तूम मेरे बारे में, वो भी बस इस लिए के मुझे मेहर की सकुटी पर देख लिया",कबीर साक्षी के पास बैठ कर बोला ।
"ठीक है, यही सही है। मैं तो यहा पर तुम से बात करने आया था , अपने बीच हूई इस गलतफ़हमी को दूर करने आया था पर तुमको तो उसी गलतफ़हमी में रहना है ।तो रहो पर हा आज के बाद मेरे सामने भी मत आना ।वर्ना मै क्या कर बैठूं मुझे भी नही पता तो दूर ही रहना मुझसे , समझी ",बोल कर कबीर जाने लगा और फिर रूक कर ।
"कल टाइम पर आ जाना AK न्यूज चैनल तेरे बाप का न्यूज चैनल नही है समझी", कबीर बोला और जाते जाते दिवार पर इतना तेज मुक्का मारा के तस्वीर ही नीचे गिर गई ।
वही साक्षी जो वैसे ही फर्श पर गिरी हूई जाते हूए कबीर को देख कर , "इस बेज्जती का बदला तो लेकर ही रहूंगी तूमसे मैं ",वो बोली और रूम में जाकर फोन करने लगी ।
उसी हॉल की एक दीवार पर बहुत ही महीन सी लाल रंग की लाइट बलिंक कर रही थी ।
"पहला पत्ता फिल्हाल के लिए आउट", एक अंधेरे रूम मे बैठा शख्स सामेन बड़ी सी स्क्रीन को देख कर बोल रहा था। जिस पर साक्षी की तसवीर दिख रही थी जो किसी से फोन पर बात कर रही थी ।
उस पुरे करे में अंधेरा ही था उस स्क्रीन के इलावा बस उस शख्स की आवाज गुंज रही थी उस कमरे में ।
"वीरे वो सामने वही लड़की है ना जिस के बारे में आप बता रहे थे के रोज सुबह आठ बजे वो झुले से गिरती है ",दिलजीत जस से बोली । इस समय दोनो भाई बहन बाल्कनी में खड़े सामने ही देख रहे थे ।
" हा वही लड़की है ,पर आज वहां पर अंधेरे क्यू है" ,जस बोला ।
"उस बेचारी को पता नही होगा ना के मेरा वीरा उसे गिरते हुए देखता है , कोई बात नही सुबह ही गिरेगी तब सूरज देवता आ जायेगे ,बारह बज रहे है सोने चलो मुझे भी बताओ कहा सोना है" ,दिलजीत बोलते हुए अंदर की तरफ चल दी ।
जस ने मूंह बना लिया वही अजित जो दोनो की बाते सुन रहा था वो पेट पकड़कर हस रहा था," यार एक बात कहूं जो भी है दिलजीत तेरी बोलते बंद कर देती है ",वो बोला ।
जस मुस्कुरा कर , "वही तो है जो मां की तरह डांटती है ,पापा की तरह समझाती है , बहन की तरह लड़ती है मुझे तो मेरा पुरा परिवार उसी में दिखता है तो उस की हर बात को मानता हूं", जस बोला ।
"लकी है तू तेरा परिवार तो है , मुझे तो अब उनके चेहरे भी याद नही है" ,अजित सामने देख कर बोला ।
जस ने उस के कंधे पर हाथ रख दिया ।" मैं हूं ना", वो बोला तो अजित उस के गले लग गया ।
" हा तु है कबीर है , दादू है", वो बोला ।
"हा दादू है", जस बोला । दिलजीत दोनो को देख रही थी । और फिर चुप चाप वहां से चली गई ।
रब राखा
"हा दादू है", जस बोला । दिलजीत दोनो को देख रही थी । और फिर चुप चाप वहां से चली गई ।
कबीर अपने फ्लेट से निकल कर नीचे ही गार्डन में खड़ा था और उस फ्लेट को ही देख रहा था ।
"बेटा मेरी बात मान ले कुछ गलत नही है, और ये फैसला तो तेरे दादा जी का है। हम उन्हे ना नही कह सकते" ।
"नही मां मुझे फौज में नही जाना और भी बहुत काम है जिस से देश की सेवा की जाती है पर फौज नही" , कबीर बोला ।
कबीर की मम्मी उस के चेहरे को छु कर ," देख बेटा तेरे दादा पापा सब फौजी है तो तू क्यूं नही जा सकता । तेरी बहन ने तो खुद कितनी बार कोशिश की पर उस की किस्मत" ।
" नही मम्मी मै नही जाना चाहता फौज मे दादू फौजी थे ठीक है पापा फौजी बने वो भी ठीक थे ,पर आपको क्या मिला जिंदगी भर का अकेलापन , मेने पांच साल की उम्र में ही उनको खो दिया , हसन ने तो उनका चेहरा भी नही देखा , वो तो बस फोटो में ही उनको देखती है । उम्र से पहले ही बड़े होना किसे कहते है मुझ से सीखे। मेरा भी मन करते था अपने पापा के साथ बाहर जाउं उनसे बाते करू पर वो कभी हमारे साथ रहे ही नही , और जब वो मेरे पास आये, तो एक ताबूत में बंध कर ,नही मम्मी मुझे फौजी नही बनना आखिर दिया ही कया है इस ने हमे" , तड़का एक जोर का थप्पड़ कबीर के मुंह पर आ कर लगा ।
सामने कबीर के दादू खड़े थे , रौबदार सखशीयत के मालिक , "बस बहुत सुन ली तेरी बकवास ,नही जाना तो मत जा । जा जो करना है कर पर मेरी भी एक बात याद रखना , हम आहलूवालिया है , सब से पहले अपने देश के बारे में सोचते है , उस के बाद अपने परिवार ,फिर बीवी बच्चे , समझा , पर तू क्य समझे गा जिसे बस खुद से ही प्यार हो वो क्या ही किसी और से प्यार करेगा ।विदेश जाना है ना ,तो जा । नही रोकुंगा , पर अगर तू किसी भी लड़की को इस घर में लेकर आया ना , तो मेरे से बुरा कोई नही होगा , दफा होता मेरी नजरों के सामने से", दादू बोले ।
कबीर बस नजरें झुकाए उनकी बात सुनता रहा , और झुक कर उसने पैर शू लिये , मम्मी ने नम आंखो से देखा , पर कबीर नही रूका उस ने अपना बैग लिया और घर से बाहर निकल गया ।
कबीर अपनी ही यादों में खोया हूया उसे होश तब आया जब वालीबॉल कबीर के पैरों से टकराया , कबीर ने देखा तो एक तरफ कुछ लड़के बॉल फैंकने को कह रहे थे,कबीर ने बॉल उन की तरफ फैंक दिया और अपनी कार में बैठ कर चल दिया ।
दस साल , दस साल पहले कबीर ने अपना घर छोड़ दिया था , और पीछले महीने ही अपनी बहन की शादी में गया था ।सब उसे देख कर खुश हो गये थे, दादू ने भी अपनी नाराजगी खत्म करली थी। पर कबीर को नही पुछा वो क्या करता है उन सब को बस यही लगा के कबीर आज भी बाहर ही रहता है । ना ही कबीर ने बताने का कष्ट लिया और जैसे सब चल रहा था वैसा ही चलने दिया ।
आज उसे सब से ज्यादा दादू की याद आ रही थी ,वो चह रहा था एक बार अपने दादू से बात कर ले , बचपन मे जब उसे कुछ समझ नही आता था ,तब उस के दादू ही उसे सही रास्ता दिखाते थे । पर कबीर खुद में ही इतना उलझा था के वो फोन लगा कर क्या बताये कि जिस से वो प्यार करता है ,उसे आज छोड़ दिया और दादू की बात भी थी के वो अगर किसी लड़की को घर लेकर आया तो उस घर के दरवाजे हमेशा के लिए बंद ।
कुछ सोच कर कबीर के चहरे पर स्माईल आ गई ।" सच्च कहते है ,बड़ो को पता होता है उनकी औलाद कहा कहा मुंह मारती है ", कबीर बोला । और गाड़ी को आशियाना की तरफ मोड़ दिया ।
अगली सुबह
पुरे आठ बजे जस अजित और दिलजीत अपनी बाल्कनी में खड़े सामने देख रहे थे, दिलजीत ने तो स्पेशल टाइम सेट कर रखा था ,तभी दूसरी तरफ वो लड़की गिर गई ।
" देखा दिल मेने कहा था ना पुरे आठ बजे वो गिरेगी ", जस खुश होकर बोला ।
वही अजित सामने देख रहा था," लगता है आज बेचारी को ज्यादा चोट आई है उठी ही नही "।
दिलजीत अजित को देखकर ,"ओये होये क्या बात बड़ी चिंता शिंता हो रही है उस की , बोलो तो मैं पुछ कर आऊं ",वो बोली ।
अजित हैरान सा उसे देखने लगा , और जल्दी ही वहां से निकल कर चला गया ।
दिलजीत हस्ते हूय जस को देख कर ,"इस नमूने को मेरे लिए देखा है वीरे", वो बोली ।
जस उसे देख कर, "अच्छा लड़का है अगर तूम्हे कोई और पसंद है तो बता दो ,वैसे मुझे इस से अच्छा नही मिला", जस दिलजीज के सिर पर हाथ रख कर बोला वही दिलजीत मुस्कुरा दी और अंदर चल दी ।
मेहर आज फिर से खुद को ढक कर ही बाहर निकली थी, वही गेट पर खड़ा गार्ड उसे देख रहा था तो मेहर उस के पासा आकर ,"एक खीच कर लगाऊंगी ना ये दोनो आँखे है ना बाहर निकल आयेगी । समझते क्या हो खुद को ।कैसे घुर घुर कर देखा रहे हो"।
वही गार्ड मेहर की बात सून कर ,"कया दीदी अब रोज रोज अपना हुलिया बदल कर आएगी तो कैसे पहचान पायेंगे के आप वही मुंहफट हो" , गार्ड फ्लो फ्लो में बोल गया ।
वही मेहर जिस की बस आंखे ही दिख रही थी वो उसे घुरते हूए ,"तेरी मां की आंख मुझे मुंहफट बोला अभी तूझे नोकरी से निकलवाती हूं ",मेहर गुस्से से बोली और साथ ही फोन निकाल कर करने लगी ।
गार्ड बेचारा किस्मत का मारा," क्या दी एसा क्यूं कर रही हो पहले भी आप मेरी दो बार नौकरी खा चुकी हो इस बार अगर शिकायत गई तो सच्च मे मुझे निकाल देंगे ओर फिर मेरे मां बाप का क्या होगा ",वो गार्ड मेहर के हाथ पैर पढ़ कर बोला ।
मेहर उसे देख कर फोन कान से हटाते हूए, ,"ठीक है फिर तुमको मेरा एक काम करना होगा समझे", वो बोली । तो गार्ड ने हा में सिर हिला दिया ।
मेहर ने इधर उधर देखा और फिर गार्ड को देख कर," यहां पर एक कबीर नाम का बुढ़ाऊ रहता है" ,गार्ड हैरान सा उसे देखने लगा ।
"दीदी अगर वो बुढ़ाउ हे तो फिर आप" , गार्ड बोलने ही वाले था के मेहर ने जोर से उस के पैर पर अपना पैर मार दिया । गार्ड बेचारा , "मैं तो बस कन्फर्म कर रहा था" ।
"तेरा हो गया ना तो सुन उस बुढ़ाउ के आने जाने की पुरी खबर मुझे चाहीए सुबह कितने बजे जाता है और शाम को कितने बजे आता है" ,समझा मेहर बोली तो गार्ड ने हां में सिर हिला दिया ।
" गुड बॉय" , मेहर बोली और वहां से बाहर चल दी । गार्ड आसमान की तरफ देख कर क्या भगवान जी इस के दर्शन करवाने जरूरी होते है क्या, वो मेहर की तरफ इशारा करके बोला ।
रब राखा
गुड बॉय" , मेहर बोली और वहां से बाहर चल दी ।
गार्ड आसमान की तरफ देख कर क्या ,"भगवान जी इस के दर्शन करवाने जरूरी होते है क्या", वो मेहर की तरफ इशारा करके बोला ।
मेहर रास्ते में छोटू की दूकान पर रूकी और उसे उस की मिठाई का बॉक्स दिया ,"अब खुश ",मेहर बोली तो छोटू ने हां में सिर हिला दिया ।
"अच्छा अब मै चलती", हूं मेहर बोली और कैब वाले को गाड़ी चलने का बोल दिया । छोटू उस बॉक्स से अपने गुलाब जामुन खाने लगा ।
मेहर सब से पहले टैंथ फ्लोर पर गई वहां पर अपना कार्ड पंच करा और फिर आर्काइव फ्लोर पर चली गई । उस ने फिर से नये सिरे से सारा काम किया और वो सब डाटा इकट्ठा कर लिया , तभी उस की नजर एक पेपर पर गई जिस पर एक कार एक्सीडेंट के बारे में लिखा था ।
मेहर ने उस पेपर को बहुत ही ध्यान से उठाया और उस पर हाथ फेरने लगी ,जैसे वो बहुत ही खास था उस के लिये । मेहर ने उस पेपर को फोल्ड करा और साथ ही ले लिया ।
मेहर जब वापस टैंथ फ्लोर पर आई तो सब लोग अपने अपने काम में लगे हुए थे वही मेहर सीधे कबीर के रूम की तरफ चल दी । दरवाजे पर नोक करा तो अंदर आ जाओ की आवाज आई ,मेहर अंदर आई और आकर वो सब डाटा कबीर के सामने रख दिया । कबीर जो अपने लॉपटाप में लगा हुआ था उस ने एक दम नजर उठा कर देखा , मेहर अपने हाथ आपस में झाड़ रही थी ।
"होगया सर आपका काम होगया" , मेहर बोली ।
वही कबीर उसे देख कर ," तूम आज आई हो" ।
" हां आई हूं ,तभी तो दिख रही हूं" , मेहर बोली ।
कबीर उसे देख कर ,"मतलब आज रेस्ट कर लेती ",कबीर बोला ।
मेहर हैरान सी उसे देख कर," रेस्ट , किस खुशी में", वो बोली ।
कबीर अपनी जगह से खड़े होकर ,"वो कल जो भी हुआ उस के लिए ",कबीर बोला ।
"अच्छा उस के लिए , पर अब मैं ठीक हूं" ,मेहर बोली । कबीर हैरानी से उसे देख रहा था , "पर तुम्हारा हाथ बहुत लाल है ", कबीर बोला ।
मेहर हस कर ,"ये सब तो चलता ही रहता पर अपनी उस छम्मकछल्लो को बोल देना मेरे से पंगा ना ले , एक बार तो छोड़ दिया इतना बड़ा दिल नही हे मेरा" , मेहर बोली । कबीर उसे देख ," छम्मकछल्लो" ,वो हैरानी से बोला।
"तुम्हारी वो क्या नाम है उसका साक्षी को बता देना ",मेहर बोली ।
कबीर उसे घुरते हूए ,:तो सीधा नाम भी तो ले सकती हो ना" , वो बोला ।
"उस ने सीधा मुझे जख्मी किया और गलतफ़हमी तुम दोनो की थी, मुझे बीना बात के क्यूं बीच में ले कर आई वो पागल लड़की ",मेहर सिर हिला कर बोली । और जाने लगी फिर रूक कर । कबीर को देखा और बाहर चली गई ।
कबीर उसे देखता ही रह गया ।" पागल खुद है और मुझे पागल बोल कर गई ",हाथ गुस्से से टेबल पर मारते हुए बैठ गया और फिर उस डाटा को देखने लगा । उस ने बारी बारी सब पेपर देखे , तभी उस की नजर पास में पड़े एक पेपर पर गई जो अलग ही फोल्ड था ।
कबीर ने उसे उठा लिया वो उसे खोल कर देखने ही वाला था तभी उस का फोन बजा , कबीर ने वो फोन उठा लिया और बात करते हुए बाहर चला गया ।
वो फोन जस ने ही किया था , इस वक्त साक्षी का समय था न्यूज देने का वो आई तो थी पर सब कुछ गलत ही कर रही थी । वही मेहर डी नताशा और अजित स्टूडियो मे खड़े उसे ही देख रहे थे ,जो बार बार मेकअप करवा रही थी ।
तभी कबीर उस रूम में आया और साक्षी को देखा , "जल्दी करो वो", बोला । पर उस पर तो जैसे कोई फर्क ही नही पड़ा था । कबीर उसे ही देख रहा था पर साक्षी तो कुछ नही बोली ।
कबीर ने अजित को इशारा करा और अजित ने जस को कुछ कहा उस के साथ ही न्यूज शूरू होने की आवाज आई ,जिस के साथ ही कैमरा साक्षी की तरफ फोक्स हो गया। कबीर उसे ही देख रहा था तो साक्षी ने अपना काम शूरू कर दिया ।
पंद्रह मिनट बाद उस का काम खत्म हुआ ओर वो उठ कर कबीर के पास आ गई , एक तरफ खड़े नताशा डी और मेहर उसे देख रहे थे ।" जलकुकुड़ी ",मेहर धीरे से बोली ।
कबीर उसे ही देख रहा था , "तुम मुझे यहां से निकाल नही सकते । इतना तो तुम्हे पता ही है", साक्षी बोली ।
" बिल्कुल नही निकाल सकता , तुम्हारा यहां पर कॉन्ट्रेक्ट है" ,कबीर बोला तो साक्षी ने एक नजर मेहर को देखा जैसे उसे बता रही हो के वो यही है ।
वही मेहर उसे देख कर , "बेटा अब पंगा लिया ना तो गई काम से", वो खुद से ही बोली , देख वो भी साक्षी को ही रही थी ।
"पर अगर तुमने फिर से मेरा टाइम खराब करने का सोचा तो , मै कुछ भी कर सकता हूं" , कबीर उसे देख कर बोला । वहा पर मौजूद सब लोग कबीर की बात सुन हैरान रह गए ,खास कर अजित ,अजित का तो मुंह ही खुल गया ।
साक्षी उसे देख कर , "कबीर तुमको पता है क्या कह रहे है , हम एक दूसरे से प्यार करते है", साक्षी उस का हाथ पकड़कर बोली । कबीर उस हाथ को देखने लगा जिसे साक्षी ने पकड़ के रखा था । फिर साक्षी को देख कर ।
"कल रात तूम ने बता दिया कितना प्यार करती हो ",कबीर बोला और साक्षी का हाथ हटा कर पलटा तो मेहर दिखी जो साक्षी को ही घुर रही थी ।
"तुम तुम यहां पर क्या कर रही हो", कबीर मेहर से बोला ।
"मैं मैं क्या करूंगी मुझे पता चला के छम्मकछल्लो आई है तो यहां आ गई ,क्यूकि उस के बाद आप भी वही आ जाते हो ",मेहर अपने मे बोल गई ।
वही डी मुंह पर हाथ रख कर ,"लो एक और नामकरण हो गया ", वो धीरे से बोला ।
तो नताशा हसी रोकते हुए ,:वैसे मेहर ने नाम तो परफैक्ट रखा है वो बोली । अजित जो दोनो के पीछे खड़ा था वो ।
"वैसे मेहर धरती की ही है ना ",वो बोला तो दोनो हैरानगी से उसे देखने लगे ।
" मै भुत तो नही हूं तो डर क्यूं रहे हो", अजित दोनो से बोला और सामने देखने लगा । वही कबीर मेहर की बात सून उसे घूरते हूए ," मैं कहा आता हूं कहां जाता हूं तुमको उस हे क्या ",कबीर बोला ।
सर आपने अपने काम के लिए ही तो रखा है मुझे, तो सोचा मै आप से पहले खुद ही आ जाती हूं", मेहर बोली ।
कबीर उसे उंगली दिखाते हूए," ज्यादा बोलने की जरूरत नही ये मत भुला के मैं तुम्हारा बॉस हूं", कबीर बोला ।
मेहर उसे देख ," आप भूलने कहा देते हो ,और ये उंगली तो ना ही दिखाये अच्छा है",मेहर उस की उंगली की तरफ इशारा करके बोली ।
"क्या कर लो गी" कबीर वैसे ही उंगली मेहर के आगे करते हूय बोला ।
" ठिक है फिर", बोलते हूय मेहर ने उसकी उंगली को काट लिया ।सब के मुंह हैरानी से खुले रह गये ,वही साक्षी देखती ही रह गई उसे तो लगा था के कबीर उसे अटेंशन देगा पर यहा पर तो कुछ और ही चल रहा है।
रब राखा
साक्षी देखती ही रह गई उसे तो लगा था के कबीर उसे अटेंशन देगा पर यहा पर तो कुछ और ही चल रहा है।
"आह शीईई पागल लड़की", कबीर अपनी उंगली पकड़ कर बोला । मेहर ने सच में बहुत तेज काटा था ।
वही मेहर उसे देख कर ,"पागल मै नही आप हो मेने पहले ही कहा था के उंगली मत दिखाओ आपको ही शोक था उंगली करने का" , मेहर बोली ।
"मेरे लिए ब्लेक काफी लेकर आओ और हा कैबिन में ही आना", कबीर गुस्से से बोला ।
मेहर उसे आंखे दिखाते हुए , वहा से चली गई, आज का तमाशा खत्म अब तूम सब अपने अपने काम पर लग जाओ , कबीर वहां पर सब को देख कर बोला । तो सब लोग उस रूम से बाहर चले गये ,सिवाए नताशा के आगे उसी का काम था ।
कबीर भी अपना हाथ झटकते हूए जाने लगे तो साक्षी ने उस का हाथ पकड़ लिया , "कबीर क्या कर रहे हो ,सब के सामने अपने बेज्जती करवा रहे हो वो भी उस कल की आई लड़की से ", साक्षी बोली ।
कबीर उसे घुरकर कर देखते हुए, "वो जो भी है मेरे मुंह पर बोलती है ,सब के सामने बोलती है ,तुम्हारे जैसे नही" , कबीर बोला ।
" मेरे जैसे मेने एसा क्या कर दिया" ,हां साक्षी बोली ।
"तुम्हे सच में लगता है तुमने कुछ नही किया", कबीर उसे देख कर बोला ।
" कल अगर उस का चेहरा जल जाता तो , तुम्हे पता भी है उस की उम्र क्या है वो बाइस साल की है , इस उम्र मे तुम कैसी थी ,नही साक्षी , तुम समझ नही रही हो ,माना मेने गलती की , पर बीना बात के तुमने बात बड़ा दी "।
साक्षी कबीर को देखते हूय ,"अभी भी तूम उसी की बात कर रहे हो , कबीर तुमको समझ नही आ रहा के वो कल से आई है और क्या नही किया उस ने" ,वो बोली । और," अभी भी सब के सामने तुम्हारे साथ मिस बिहेव किया ",साक्षी कबीर का हाथ देखते हुए बोली ।
"उस ने जो भी किया मेरे सामना किया , पीठ पीछे नही ", कबीर बोला और वहा से बाहर निकल गया ।
साक्षी उस के पीछे पीछे आते हूए , "पीठ पीछा क्या हुआ", वो बोली।
तब तक कबीर अपने केबिन में आ गया ।
वही साक्षी उस के पास आ गयी । कबीर ने लॉपटाप उस के सामने कर दिया , यहा पर एक वीडियो चल रही थी । जिस में एक लड़का सिस्टम पर बैठा कुछ कर रहा था ,फिर उस ने फोन किया ,"साक्षी मेम जिस लड़की की बात आप कर रहे हो उस का क्या यहां पर तो किसी का भी रिकार्ड नही है", वो लड़का बोला ।
वही कबीर साक्षी को ही देख रहा था जिस के चेहरे पर भाव आ जा रहा थे।
कबीर ने फोन करा तो कुछ ही देर मे एक लड़का अंदर आ गया । ये वही लड़का था जो लॉपटाप की स्क्रीन पर दिख रहा था । साक्षी उसे देखती ही लह गई ।
"बोलो क्या बोलना है आखरी बार ", कबीर उस से बोला ।
"सर कल रात कुछ यही साडे दस बजे मैम का फोन आया था ",वो लड़का साक्षी की तरफ इशारा करके बोला । वो कह रही थी के यहां पर जो नई लड़की मेहर आई है उस की बारे में जानकारी चाहीए वो कहा से है कहा रहती है सब कुछ ",वो लड़का बोला ।
"ठिक है तुम एच आर मे बात करलो तुम्हारा सब कार खत्म , तूम अजाद हो" , कबीर बोला तो वो लड़का सिर झुकाए ,"सॉरी सर ",बोल कर चला गया ।
कबीर ने साक्षी को देखा ," क्यू तुमको मेहर का एड्रेस क्यूं चाहीए ,बता सकती हो", कबीर बोला । साक्षी चुप सी उसे देखने लगी ।
"मै बताता हूं तुम उसे घर जाकर डराती धमकाती या फिर उस के मम्मी पापा को कुछ ऐसा बताती जिस से वो उसे घर पर ही रख लेते है ना , सच कह रहा हूं ना , यही बात है ना" ,कबीर बोला ।
"मै उस समय बहुत गुस्से मे थी ",साक्षी बोली ।
" तुमको पत है ना साक्षी मुझे कितना गुस्सा आता है । हम एक साथ रहे है" ,कबीर उसे देख कर बोला ।
साक्षी चुप रही वो जानती थी कबीर का गुस्सा कितना खराब है ,इस लिए वो हर बार खुद को शांत रखता ।
"हर बार मेने तुम्हरी गलतियों को माफ कर दिया पर अब नही" ।
"तो अच्छा यहि है , यहां पर जो करने आई हो वो करो । अपने काम से मतलब रखो , एक बार के लिए मेने सोचा तुम्हारे लिये, पर नही अब बिल्कुल नही, मुझे कुछ नही सोचना इस पर ", कबीर बोला । साक्षी चुप सी बाहर चली गई ।
वही कबीर उस स्क्रीन को देखने लगा । यहां पर वो लड़का , सिस्टम पर बैठा हुआ था ।
रात मे जैसे ही कबीर ने गाड़ी आशियाना की तरफ मोड़ तभी उस के फोन पर एक मैसेज आया कबीर ने जल्दी से उस मैसेज को देखा तो गाड़ी अपने चैनल की तरफ बड़ा दी और साथ ही सिक्योरिटी को बोल कर उस लड़के को उठवा लिया ।
अस्ल में वो सिस्टम एसा था जिस मे इंटर होना पर मैसेज कबीर के फोन पर आता था , ज्यादातर उस सिस्टम को वो तीनो ही चलाते थे ,कभी-कभार किसी को जरूरत होती तो कबीर को बता कर ही उस सिस्टम पर काम करते ।
कबीर बैठा हुआ पेन को उँगलियों में घुमा रहा था ,तभी मेहर अंदर आई ," सर आपकी कॉफी वो बोली और टेबल पर रख दी ", कबीर ने उसे देखा और सीधे बैठते हूए ।
"आज के बाद अगर तुमने मुझसे बदतमीजी से बात की ना ,तो मै बाहर फेंक दूंगा ", कबीर बोला ।
"सच्ची", मेहर बोली ।
कबीर ने उसे घरा ।
"मतलब आप मुझे बाहर फेंक दोगे मतलब मेरी इस जगह से छुट्टी ",मेहर खुश हो कर बोली ।कबीर उसे ही देख रहा था ।
"एसा करती हूं अभी मै उल्टा काम करती हूं फिर तो अप मुझे बाहर फेंक दोगे और मुझे यहा से आजादी , येएए" बोलते हूए मेहर का हाथ कॉफी कप से लगा और टेबल पर गिर गई ।
टेबल क्या वो तो कबीर के लॉपटाप पर ही गिर गई , कबीर हैरान सा मेहर को देख रहा था ,वही मेहर जाने लगी , "कहा जा रही हो",कबीरा ।
"मैं खुद पैदल ही चली जाती हूं आपको कष्ट करने की जरूरत नही" मेहर बोली ।
कबीर उठ के उस के पास आया, और बाह पकड़कर ,"मेने बाहर फेंकने को कहा था ,तो मैं ही फेंकूंगा" , कबीर बोलते हूय उसे एक तरफ ले गया यहां पर शीशे की दिवार थी जिस से सामने का नजारा दिख रहा था
तभी उस ने एक मिरर खोला और मेहर को आगे करते हूय , "मेने यहां से फैंकने की बात की थी" ,कबीर बोला । मेहर की आंखे बड़ी बड़ी हो गई ,,,
रब राखा
"मेने यहां से फैंकने की बात की थी" ,कबीर बोला । मेहर की आंखे बड़ी बड़ी हो गई ,,,
"नही ,नही ,नही यहा से नही यहा से नही, यहा से फैंका तो मेरे हाथ पैर नाक मुंह सब टूट जायेगा , नही यहा से मत फैंकना एसा करते है, के लिफ्ट से नीचे जाते हे और वहा से सड़क पर , तुम मुझे वही पर फैंक देना , पर यहा से मत फैंकना क्या पता हाथ पैर टूटने के बाद भी मैं बच्च गई तो कैसे जिन्दा रहूंगी" , मेहर बोली ।
कबीर हैरान सा उसे देख रहा था ,आखिर ये लड़की है क्या कितना बोलती है ये ।
" चुप एक दम चुप अगर एक लफ़ज मुंह से और निकला तो अभी फैंक दूंगा ", कबीर बोला ।
मेहर ने जल्दी से अपनी उंगली होठो पर रख ली ,कबीर ने वैसे ही उसे पकड़े हूए एक तरफ करा और वो मिरर बंद कर दिया । मेहर अभी भी वैसे ही खड़ी थी ।
कबीर वापस से अपने टेबल की तरफ आया और अपना लॉपटाप उठा कर देखा जिस में से कॉफी बाहर निकल रही थी । और एक नजर सामने खड़ी मेहर को देखा जो कबीर को ही घुरे जा रही थी ।
" अब इसे तूम ठीक करा कर लाओगी समझी", कबीर बोला और लॉपटाप मेहर को दे दिया ।" और हा ये जो गंदा करा है तूम इसे साफ करोगी ,उस के बाद मेरे लिये कॉफी जो मुझे पसंद है वो लेकर आओगी , अजित के कैबिन में समझी ",।
मेहर ने वैसे ही सिर हिला दिया, उंगली अभी भी होठो पर थी । कबीर उसे देखते हूए रूम से बाहर चला गया । तो मेहर ने लंबी सांस ली ।
" बुढ़ाउ ,कही का ,कितना डराता है ,पर मै भी किसी के बाप से नही डरती तो ये क्या चीज है" , मेहर बोली और मुड़ी तो पीछे खड़े कबीर को देखा उस की चीख निकल गई ।
कबीर उसे देख कर , "क्या भुत देखा क्या जो चिल्ला रही हो", वो बोला ।
"उस से कम थोड़ी हो", मेहर धीरे से बोली ।
"कम अगेन" , कबीर बोला तो मेहर उसे दांत दिखाते हुए," वो तो मै पुछ रही थी के इतना काम बता दिया है तो ये भी बता दो , साफ सफाई का सामान कहा रखा है", मेहर बोली ।
कबीर उसे देख कर ,"तुमको क्या लगता है मैं ये सब करने आता हूं ",वो बोला ।
"तो मैं भी रीपोटर हूं , ये सब काम मेने नही किये कभी" , मेहर कबीर के लिहाज में बोली ।
कबीर के चेहरा पर स्माईल आ गई, और वो मेहर की तरफ कदम बढ़ाते हुए ,"मिस मेहर शेरगिल, यू नो , रीपोटर और तुम, वैसे मजाक अच्छा कर लेती हो ",कबीर बोला ।
वही मेहर जो उसे देख रही थी ," वैसे ये बात पीछे रह कर भी बोल सकते थे" ।
"बिल्कुल पर मुझे लगा तूम्हे सुने ना , इस लिए आगे आया । मेरा लॉपटाप कल तक मुझे चाहिए, और हां मेरी काफी भी", कबीर बोला ।
"कॉफी तो मिल जायेगी , पर ये लॉपटाप कल नही मिलेगा कम से कम दो दिन लगेगे" , मेहर बोली कबीर उसे देख कर," ठीक है तब तक मुझे नया लॉपटाप ला दो ",वो बोला ।
"हहहहहहह शर्म नही एक लड़की से लॉपटाप मांगते हुए" ,मेहर बोली ।
"हहहहहहह तो एक लड़की ने जानबूझकर कर कॉफी क्यूं गिराई मेरे लॉपटाप पर", कबीर उसी की नकल करते हुए बोला ।
मेहर उसे घूरते हूए देख रही थी , "अब ये घुरना बंध करो और ये सब साफ करके कॉफी ले आना ",कबीर बोला और वहां से चला गया ।
कबीर के जाते ही मेहर ने अपने पैर पटके और वहा से बाहर चली गई।
"बड़ा आया ये मुझे ऑर्डर देने वाला समझता क्या है खुद को ये कही का राजा महाराजा है क्या , नही ये तो खुद को इस चैनल का मालिक समझता है और मुझे नौकर , पर लगता है इसे अभी समझ नही आया के मैं कैन हूं मैं भी मेहर हूं , सब हिसाब बराबर करके ही रहूंगी ",मेहर बोल रही थी और साथ ही कैबिन को साफ भी कर रही थी । डी जो वही बैठा हुआ था वो मेहर की नॉनसटाप बातें सून हस रहा था ।
"ओये देवदास ये पंखा चलता छोड़ कर जा रही हूं कोई आये तो उसे अंदर मत आने देना अभी गिला है" , मेहर डी से बोली और बाहर चल दी वही डी ने सिर हिला दिया ।
"अरे यार मेरा फोन तो वही रह गया ",मेहर जो बाथरूम में हाथ साफ कर रही थी वो बोली और जल्दी से कबीर के कैबिन की और चल दी ।
वो अपने ध्यान जा रही थी के तभी किसी की आवाज आई ,वो कबीर के कैबिन के पास पहुंच गई थी ,तो वो अंदर देखने लगी सामने देख कर उस का तो मुंह ही खुला रह गया ।
वही सामने जस फर्श पर गिरा हुआ था । "सत्यानाश , बेड़ा गर्क , हो गया काम ", मेहर बोली ।
जस उसे देखने लगा , "तुम थोड़ी देर बाद नही आ सकते थे मेने अभी अभी पोछा किया था यहां पर और तुमने सब कबाड़ा कर दिया" ,मेहर बोली ।
जस अपनी कमर भूल के मुंह खोले मेहर को हि देखने लगा , "अब एसे बेठे रहने का इरादा है उठ जाओ, तुम्हारे नीचे से जो गिला फर्श है वो भी सुख जाये गा", मेहर अंदर आकर अपना फोन लेते हूए बोला ।
वही जस को लगा के मेहर उसे उठाने आई है तो उस ने हाथ आगे करा पर मेहर की बात सून उस ने अपना हाथ पीछे कर लिया ।
"चलो हाथ दो ,मै ही उठा देती हूं", मेहर फोन एक तरफ रखते हुए अपना हाथ जस की तरफ बढ़ाते हुए बोला । तो जस उस का हाथ पकड़कर खड़ा हो गया । मेहर वापस से अपना फोन देखने लगी । जस हैरान सा उसे ही देख रहा था ।
जस मेहर में जमीन आसमान का फर्क था , पर फिर भी मेहर ने बहुत ही असानी से जस के हाथ को थामा और उठने में मदद की , यहां तक के वो अपनी जग से इतू सा भी नही हिली । वर्ना कोई और होती तो वो उल्टा जस पर ही आ गिरती ।
" कबीर सर अजित सर के कैबिन में है ,आप वहां जाकर उनसे बात कर लो , अगर आपको चाय कॉफी चाहीये तो बता दो में बनाने जा रही हूं तो वही लेकर आ जाऊंगी ", मेहर जस को देख कर बोली ।
तो जस ने हां में सिर हिला दिया । मेहर वहीं से चली गई ।" ये है क्या" , जस उसे जाता देख बोला और फिर खुद भी बाहर चल दिये ।
तभी एक लड़की भागते हूए आई , और जस से टकराते हूए बची । "क्या हुआ कहां जा रही हो" ,जस उसे एसे हड़बड़ाते देख बोला ।
"सर नताशा ,नताशा गिर गई ", वो बोली ।
जस उसे की बात सून उस तरफ चलते हूए "कैसे और कहां", वो बोला ।
"सर वो नताशा का पैर तार मे फस गया जिस के साथ वो गिरी तो एक केमरा उनके उप गिर गया , जिस से उनको चोट लग गई" ।
जस ने जल्दी जल्दी अपने कदम उस तरफ बड़ा दिये , जाकर देखा तो सच्च में नताशा को बहुत चोट आई थी ,और खुन से उस के कपड़े भीग गया थे, चोट कंधे पर लगी थी । जिस से बहुत खुन निकल रहा था ।
रब राखा
खुन से उस के कपड़े भीग गया थे, चोट कंधे पर लगी थी । जिस से बहुत खुन निकल रहा था । जस वहां आया और नताशा को देखा जो लगभग बेहोश ही होन वाली थी ।
" हे उठो वो बोले ",तो नताशा ने आंखे खोल कर देखा ।
तब तक कबीर अजित और मेहर भी वही आ गये और नताशा को देखने लगे ।
मेहर ने जेसे नताशा को देखा तो जल्दी से उस के पास बैठ गई , नताशा का पहना हुआ कोट जो उस ने काम के समय पहना था उसे उतारने लगा ।
"पागल हो गई हो क्या", कबीर मेहर को देख कर बोला ।
"मुझे पता है , तो दूर रहो", वो बोली ।
एक और लड़की मेहर की मदद करने लगी और नताशा का कोट उतार कर एक तरफ करा । और नताशा के कंधे को देखा , जिसपर गहरा निशान था ।
मेहर ने टॉप को हल्के से खिचा तो नताशा का दर्द बड़ गया । उस के साथ ही खुन और बहने लगा , मेहर ने आस पास देखा पर उसे कुछ नही दिखा तो अपने गले में लिये दुपट्टे से ही नताशा का कंधा बांध दिया ।
"अब हमे हॉस्पीटल चलना चाहिए", मेहर बोली तब तक डॉक्टर आ चुके थे कबीर ने उसी समय फोन कर दिया था, इसी बिल्डिंगकी के पांचवे फ्लोर पर एक छोटा सा हॉस्पीटल था जो उस बिल्डिंग के लिए ही बनाया गया था ।
डॉक्टर ने नताशा को देखा और फिर उस के जख्म को देखा उस पर सटिचिस किया कुछ दवाई और इंजेक्शन लगा कर कबीर को देख कर ।
" वैसे आपने अच्छा किया जो कपड़े को जख्म पर चिपकने नही दिया , शायद जिस चीज से चोट आई है वो गर्म था" ,डाक्टर बोला ।
वही मेहर एक तरफ अपने दोनो हाथ पकड़े हूए खड़ी थी । कबीर ने उनको थैंक्स कहा, डॉक्टर वहा से चले गये । वही नताशा जिसे उठाकर सोफे पर लेटाया था वो शायद इंजेक्शन की वजह से नींद में चली गई थी । कुछ देर के लिए सब कुछ रूक गया था वहा पर ।
कबीर ने उस कैमरे को देखा जो गिरा था हा वो गर्म हो सकता था , उस में कोई दोराये नही थी पर वो गिरा कैसे , एक
तार से, नही नही , कबीर अभी सोच ही रहा था।
उस का ध्यान मेहर पल चला गया जो एक तरफ खड़ी थी ,कबीर ने उसे ध्यान से देखा तो वो अपने हाथ को कस के पकड़े हूए थी कबीर की नजर उन हाथो पर जैसे जम सी गई ।
तभी अजित की आवाज से वो उसे देखने लगा ।" नताशा को जस रूम में ले गया है ,कोई बात तो नही ना" , अजित बोला। "बिल्कुल भी नही" , कबीर बोला ।
सब लोग अपने अपने काम में लग गये थे ,मेहर वापस से कॉफी बनाने चली गई थी ।जस ने नताशा को उस बेड पर लेटा दिया, और खुद ही उस की हील भी उतार दी , और एक चादर से उसे उसे कवर कर दिया ।
ये रूम कबीर का ही था उस ने स्पेशल इस रूम को बनवाया था , बहुत बार वो यही रह जाया करता था ।
जस बहुत ध्यान से नताशा को ही देख रहा था । तभी उस का फोन बजा , तो उसने फोन देखा, दिल नाम देख कर उस ने एक बार नताशा को देखा और उठ कर रूम से बाहर आ गया और दिलजीत से बाते करने लगा ।
शाम हो गई थी नताशा को भी होश आ गया था तो उस ने अपने भाई को बुला लिया था और उसी के साथ चली गई ।
सब लोग चले गये थे सिवाय कुछ टीम मेंबर के जिनकी शिफ्ट थी वही रूके थे , मेहर अपना सामान लेने लॉकर की तरफ चल दी , यहां पर सब के लिए लॉकर थे जिस में सब लोग अपना अपना सामान रखते थे ।
मेहर ने अपना पर्स लिया और कबीर के कैबिन की और चल दी उसे वहा से उस का लॉपटाप लेना था । तो उस ने जाकर देखा तो वहां पर कबीर नही था , मेहर अंदर आई और लॉपटाप उठा लिया तभी उस का ध्यान उस फोल्ड पेपर पर गया जल्दी से उसे उठाया और देखने लगी , इस समय वो बिल्कुल ही अलग लग रही थी , बहुत प्यार से उस तसवीर पर हाथ फैराया उस ने , और फिर लॉपटाप को अपने साथ लेकर वो चली गई ।
दूसरी तरफ कबीर जो अजित के रूम में बैठा था वो सामने पड़े लॉपटाप पर सब कुछ देख रहा था।
अस्ल में कल जब उस ने मेहर को उठा कर कुर्सी पर बैठाया था तब उस के कांपते शरीर को उस ने अच्छे से भांप लिया था । और फिर आज नताशा के साथ जो भी हुआ मेहर का उस समय का रिएक्शन देख कबीर सोच में पड़ गया । इस लिए वो अजित के कैबिन मे बैठा ये सब देख रहा था ।
न्यूज पेपर जो सुबह उसे मिला था , उस में जिस न्यूज को कबीर ने देखा उस से उस की आंखो में बेचैनी आ गई थी । इस लिए ही उस ने जानबूझकर कर उस पेपर को वही लॉपटाप के पास रखा था ।
"मेहर शेरगिल जो एक साल पहले पंजाब से मुम्बई आई है ,वो मुम्बई में रहने वाली महरा फैमली को कैसे जानती है जिनको इस दूनिया से गया हूए भी दो साल हो गये", वो मन ही मन बोला और पेन मुंह में दबाकर कुर्सी से टिक कर बैठ गया । और वापस से स्क्रीन को देखने लगा।
"दो दिन हूए है पर तूम मे कुछ तो हो जो तुम छुपा रहे हो ",, कबीर बोला ।
कबीर आहलूवालिया जो के बंदे को देख कर ही उस के बारे में बता देता । कालेज में तो कबीर की इसी बात के चर्चे थे, कबीर भी ज्यादा दोस्तों में यकीन ना रखने वाला ही था, पर अगर गलती से भी कोई उस के रास्ते में आ जाता तो कबीर की आखें ही बहुत थी उस को डराने के लिये । शुरू से ही कबीर ने खुद को मेंटेन कर रखा था । पर इस बार वो धोखा खा गया पहला वो साक्षी को पहचानने में और दूसरा मेहर को देख कर ।
और अब तो उसे यकीन होने लगा था के ये लड़की में कुछ तो है । तभी उसे आवाज आने लगी ," मेहर", कबीर बोला और स्क्रीन की तरफ देखा तो देखता ही रह गया ।
रब राखा
तभी उसे आवाज आने लगी , "मेहर ",कबीर बोला और स्क्रीन की तरफ देखा तो देखता ही रह गया ।
स्क्रीन मेहर दिख रही थी जो उस का कैबिन साफ करते हुए उस की तारीफ कर रही थी , फिर वो डी को कुछ बोल कर चली गई , उसी समय डी के फोन पर किसी का फोन आया और वो भी चला गया । कबीर जो मेहर की बातें सून गुस्से में था वो लॉपटाप बंद करने ही जा रहा था , तभी जस कैबिन में आते हूए दिखा , और उस के बाद वो सब कुछ जो जस और मेहर के बीच में बातें हुई थी । कबीर ने अपना सिर झटक दिया ।
"मेने इस के कोन से मांह मार लिये , जो यह इतना सुनाती है मुझे ,मुंह पर हो जा पीठ पीछे बस सूना देती है" , कबीर बोला ।और लॉपटाप बंद कर के , वहां से उठा और घर के लिए चल दिया ।
"ओये मुझे ये बता के वो बुढ़ाऊ, वापस आ गया के नही ", मेहर आशियाना से कुछ दूरी पर अपनी स्कूटी रोक कर गार्ड को फोन पर बोली ।
"नही दीदी वो बुढ़ाऊ ,मतलब कबीर सर नही आये", गार्ड बोला ।
मेहर ने फोन काटा और जल्दी से स्कूटी आगे बड़ा दी और सीधे अपने फ्लेट के नीचे खड़ी कर दी । स्कूटी से सारा सामान निकाल कर जल्दी से अपने रूम की तरफ बड़ गई । जैसे ही दरवाजा खोला तो मेहर ने लंबी सांस ली और दरवाजे बंद करके , वो सोफे पर बैठकर कर ।
"बाबा जी रोज रोज मेनू बस ऐसे ही बचाते रहना , उस अकड़ की दूकान से ",मेहर बोली और फिर कुछ सोच कर ,"नही नही अकड़ की दूकान नही ये कुछ बड़ा हो गया बुढ़ाऊ ही ठीक है मेहर ",बोली और अपना बैग एक तरफ रख कर रसोई की और चल दी ।मैगी ली और उसे बनाने लगी साथ ही अपने फेवरेट पंजाबी सिंगर अमरिंदर गिल के गाने उसने फोन पर लगा लिए ,,,,जिसे वो हमेशा इन्हे ही सुनती ।
कबीर वापस आया तो गार्ड को देखा जो उसे देख कर दांत निकाल रहा था । कबीर ने उसे घुरा तो उस की बत्तीसी दिखनी बंद हो गई , कबीर ने वैसे ही गाड़ी जस के फ्लेट की और करी । कल वो यहां नही आया जब रात में वो वापस चैनल गया था तो वही रूक गया था ।
जस कबीर अजित तीनो के पास ही फ्लेट की चाबी थी , तो कबीर ने चाबी से फ्लेट का दरवाजा खोल दिया और अंदर आ गया , अंदर आकर देखा तो हैरान सा रह गया । खाने की बहुत ही अच्छी खुशबु आ रही थी । और सामने का नजारा देख रहा था , यहां पर वो पुरा हॉल अच्छे से सेट था, हर चीज अपनी जगह थी ।
कुछ सोच कर कबीर ने कदम आगे बड़ा दिये तो सामने एक लड़की को देख हैरान रह गया जिसकी पीठ कबीर की तरफ थी ।
तभी वो लड़की पलटी तो सामने कबीर को देख , उसे देखने लगी । "कबीर भाई", वो बोली । कबीर हैरान सा उसे ही देख रहा था ।
"मैं दिलजीत जस वीरे की बहन" ,वो जल्दी से बोली । तो कबीर को याद आया कल तो जस की बहन आने वाली थी । कबीर स्माईल करते हूय , उसे ही देख रहा था ।
"अच्छा तो तुम हो जस की बहन जिस की बात वो करता रहता है ",कबीर बोला ।
"जी ",दिलजीत बोली , वही कबीर आकर सोफे पर बैठ गया । दिलजीत उस के लिए पानी ले आई ,कबीर गिलास लेते हूए ," जस आया नही अभी ",वो बोला ।
"नही वो दोनो तो पहले ही आ गया थे , पर अभी वो घर पर नही है ", दिलजीत बोली । कबीर जो पानी पीते हुए उसे ही देख रहा था, वो गिलास दिलजीत को देते हूय कहा गया वो बोला ।
"तो दिलजीत उस के पास ही बैठ गई , देखो वीरे मेने इतने प्यार से खाना बनाया , उन दोनो के लिए मतलब आपके लिए भी पहले मुझे नही पता था के आप आने वाले है ,पर अब आ ही गये हो तो आप भी खा सकते हो", दिलजीत बोली ।कबीर हैरान सा उसे देखने लगा ।
"अब मेने इतनी मेहनत से खाना बनाया है तो उनका फर्ज बनता है ना खाने का ", दिलजीत कबीर से बोली तो कबीर को समझ नही आया वो क्या कहे तो उस ने हां में सिर हिला दिया ।
तो दिलजीत हाथ में पकड़े गिलास को टेबल पर रखते हुए ," वही तो , पर ये दोनो बाहर से फास्ट फूड खा कर आगये ।एक तो मैं इतनी धूप में सब सामान लेकर आई , फिर मेहनत करके खाना बनाया तो गुस्सा आना बनता था और लाजमी भी था ",दिलजीत बोली और बैठ गई ।
कबीर को इस पल उस में मेहर ही दिख रही थी , उसे पता नही क्यू एसा लग रहा था के दिलजीत ने कुछ एसा वैसा ही करा है ,तो हौसला कर उसने दिलजीत से पुछा ,"तो फिर तुमने क्या किया" , कबीर बोला ।
दिलजीत ने उसे देखा और स्माइल करते हूय ,"मेने ना उनको नीचे पार्क में दौड़ने का बोला है और हां उनपर मेरी पुरी पुरी नजर भी है " ,दिलजीत बोली ।
कबीर हैरान सा "नजर "कैसे , वो बोला ।
तो दिलजीत खुशी से ," नीचे पार्क में बच्चे है उनको बोला अगर ये अंकल लोग एक मिनट भी रूके तो मुझे फोन करदो ,, और दूसरा वो मिश्रा जी है ना , ,वही यहां से पार्क के दूसरी तरफ" , दिलजीत बोली तो कबीर ने हा मे सिर हिला दिया ।
" हां वही ,उनका कुत्ता जैक है बहुत खतरनाक है ।उसको दोनो के पीछे छोड़ रखा है , पिछले आधे घंटे से वो उनकी कसरत करवा रहा है" , दिलजीत खुश होते हूए बोली । वही कबीर का तो मुंह खुला रह गया उस की बात सून कर ।
"मैं मैं अभी आया", कबीर बोला और फ्लेट से निकल कर भागने हुए नीचे चला गया । यहा पार्क में जस अजित भाग रहे थे ।
जस अजित की तो हालत खराब हो रखी थी , कबीर उनको देख हैरान सा , "सालो हट जाओ वहां से "कबीर बोला । जस कबीर को देख कर ,"शुक्र है भाई तू आ गया । चल अब इस जैक को हटा यहां से ", जस बोला ।
"जल्दी कर कबीर अगर और पाँच मिनट ये यहा रहा तो मैं पक्का नर्क सुधार जाउंगा ", अजित बोला । कबीर दोनो को देखते हुए , कमीनो पर जैक तो पीछे है ही नही ,वो बोला ।
कबीर की बात सून दोनो एक दम से रूक गये और पीछे देखने लगे यहां पर सच्च में जैक नही था , नजर इधर-उधर की तो जैक खुद हाफ रहा था और एक तरफ बैठा गया था। अजित वही पार्क में लेट गया ।
"ना भाई अब मुझसे ना चला जाये गा ", वो बोला ।कबीर जो दोनो को देख रहा था ,"भागो फ्लेट की तरफ भाई जैक आ गया", वो बोला ।
बस फिर क्या था अजित जस पैर सिर पर रख कर फ्लेट की तरफ भाग दिये । वही कबीर जो उन दोनो को देख रहा था वो जोर जोर से हंसने लगा।
रब राखा