Ananya had always believed her life was ordinary — college lectures, late-night study sessions, and stolen moments of laughter with friends. But everything changed the day Kim Namjoon walked into her world. Tall, strikingly handsome, and carry... Ananya had always believed her life was ordinary — college lectures, late-night study sessions, and stolen moments of laughter with friends. But everything changed the day Kim Namjoon walked into her world. Tall, strikingly handsome, and carrying an aura of untouchable mystery, Namjoon wasn’t like anyone she had ever met before. His dark, piercing eyes seemed to see through her soul, and his presence made the air itself feel heavier. While others at college were captivated by his charm, Ananya sensed something different — a dangerous darkness lurking beneath his flawless exterior. Drawn to him against her better judgment, Ananya soon finds herself entangled in secrets she can’t escape. Namjoon is not human. He is a demon, cursed to walk among mortals, torn between the shadows of his violent past and the fragile light of love he feels for her. But their forbidden bond comes at a price. The underworld doesn’t forgive betrayal, and loving a human could awaken enemies far more terrifying than either of them imagined. In a world where passion and peril collide, will Ananya’s heart save Namjoon… or destroy her?
Kim namjoon
Hero
Ananya
Heroine
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पहली मुलाकात
अनन्या की ज़िन्दगी हमेशा इतनी नियमित रही थी कि उसकी खिड़की पर बैठी चिड़ियाँ भी उसकी दिनचर्या को नीरस समझने लगी थीं। कॉलेज के लेक्चर, भीड़भाड़ वाले कैफ़ेटेरिया, और रात देर तक पढ़ाई—ये सब उसके दिनों की धड़कन बन चुके थे। उसे पढ़ाई का शौक़ था, लेकिन सबकुछ रोज़-रोज़ दोहराने से कभी-कभी ऐसा लगता था जैसे वह किसी ऐसे सपने में चल रही है, जहाँ से बाहर निकलना मुमकिन नहीं। उसकी सबसे अच्छी दोस्त मीरा ने तो कभी उसके साथ पार्टी या अचानक किए गए सफ़र पर जाने का सपना छोड़ ही दिया था; उसे पता था कि अनन्या को किताबों और चाय के प्याले के साथ शांत कोनों में रहना ही पसंद है।
लेकिन एक बुधवार सुबह उसकी राह अचानक बदल गई। अनन्या लेक्चर हॉल में पीछे की ओर बैठी थी, नोटबुक खुली थी, पेन तना हुआ था, तभी अचानक चारों ओर फुसफुसाहटें शुरू हो गईं। सिर घूमे, कानों में गुपचुप बातें गूंजने लगीं, और माहौल अचानक भारी और बदला-बदला सा लगने लगा।
उसकी निगाहें आवाज़ की दिशा में गईं और ठहर गईं—उस पर।
लंबा, गहरा रंग, बेहद आकर्षक—किम नामजून।
वह इस तरह चला जैसे पूरी दुनिया उसके लिए जगह बना रही हो। उसके काले बाल उसके नुकीले जबड़े पर गिर रहे थे और उसकी आँखें... वे आँखें। गहरी, तेज, लगभग तरल सी, कमरे में हर छात्र पर टिकतीं और फिर मानो कोई मायने न रखता हो, आगे बढ़ जातीं। लेकिन जब वे अनन्या से मिलीं, तो जैसे हल्की सी पहचान या शायद रुचि की झलक मिली।
पूरा क्लास जैसे एक साथ सांस छोड़ता है, मानो समझ गया हो कि अभी-अभी कुछ खास घटा है। कुछ लड़कियाँ उसकी ओर देख कर धीमे-धीमे नामजून का नाम फुसफुसा रहीं थीं, लड़के अपनी जगह और सीधे बैठने लगे—उसकी सहज आकर्षण से उनकी ईगो को टक्कर मिली थी। अनन्या के भीतर, मगर, सिहरन दौड़ गई, जो न आकर्षण थी न प्रशंसा—कुछ और था। कुछ खतरा सा।
उसने खुद को पढ़ाई पर केंद्रित करने की कोशिश की, लेकिन प्रोफेसर मेहता की आवाज़ पृष्ठभूमि में गुम हो गई। उसकी नज़र बार-बार नामजून पर ही अटक रही थी। वह बीच की कतार में बैठा, उसकी मौजूदगी बिना किसी कोशिश के सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही थी। उसकी मौजूदगी के चारों ओर एक हल्की सी चमक थी—धीमी, लेकिन नशे जैसी। और फिर, बिना मुड़े, उसकी नज़र फिर अनन्या पर गई।
अनन्या के हाथ में पेन कांपने लगा। उसने 'पहली नजर का प्यार' के बारे में किताबों और रोमांटिक फिल्मों में पढ़ा था और हमेशा उसका मज़ाक उड़ाया था। लेकिन यह—जो भी यह था—सिर्फ वो नहीं था। न गर्माहट, न तितलियाँ, न घबराहट। इससे कहीं ज़्यादा भारी, ख़तरनाक—बिजली सी थी।
लेक्चर खत्म होते ही हॉल जल्दी खाली हो गया, लेकिन अनन्या अचानक खुद को नामजून के साथ एक ही रफ़्तार में चलते हुए पाती है, मानो कोई अनजानी ताकत उसे आगे बढ़ा रही हो। वह खुद को रोकना चाहती थी, पीछे हटना चाहती थी, लेकिन जिज्ञासा—और शायद कुछ और जो बहुत प्राचीन और अनजान था—उसे करीब ला रही थी।
"तुम नए हो," उसने खुद को कहते पाया, उसकी आवाज़ उसके अंदर की घबराहट से ज़्यादा सधी हुई थी।
नामजून मुड़ा, उसके होंठों पर हल्की, जानकार मुस्कान थी। "हाँ," उसने गहरे और आकर्षक स्वर में कहा, "और तुमने नोटिस किया।"
अनन्या का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसकी आवाज़ में कोई घमंड या बनावटीपन नहीं था—बस एक सच्चाई थी। लेकिन उसके नीचे, जैसे बहुत से राज छुपे थे, जिन्हें समझ पाना मुश्किल था।
"मैं अनन्या हूँ," उसने संभलकर कहा और हाथ आगे बढ़ाया।
उसने हाथ पकड़ लिया। उसकी पकड़ मजबूत, गर्म, और फिर भी कुछ ऐसा था, मानो कुछ इंसानी से बढ़ कर था। "किम नामजून," उसने जवाब दिया।
एक सन्नाटा उनके बीच छा गया और अनन्या ने महसूस किया कि दुनिया सिमट गई है। आसपास का शोर गायब था, बस वह, और उसकी रहस्यमयी चमकदार उपस्थिति थी। वह हज़ार सवाल पूछना चाहती थी, लेकिन पहेला सवाल जो उसके होंठों तक आया वो था, "तुम... बिलकुल अलग हो। ज़्यादातर छात्र भीड़ में खो जाते हैं न?"
नामजून ने हल्का सिर झुकाया, उसे गहराई से देखता है, और एक पल को जैसे उसकी नज़र उसकी आत्मा में उतर गई। "शायद मुझे अलग रहना पसंद है," उसने आखिरकार कहा। "या शायद मैं उन लोगों में नहीं हूँ जो आसानी से गुम हो जाते हैं।"
उसके शब्दों से उसकी पीठ में फिर सिहरन दौड़ गई, बिना वजह। उसमें कुछ था—कुछ प्राचीन और गूढ़—जो उसकी उपस्थिति को राज़ों से भर देता था। अनन्या पीछे हटना चाहती थी, अपनी सुरक्षित दुनिया में लौटना चाहती थी, लेकिन उसके पैर नहीं हिले।
अगले कुछ दिनों में नामजून उसकी ज़िन्दगी में हर जगह दिखने लगा। वह लाइब्रेरी में, अक्सर कोनों में बैठा, ऐसी किताबें पढ़ता जो सामान्य छात्रों के बस की नहीं लगतीं। वह कैफ़ेटेरिया में लंच के दौरान उसके पास से गुजरता था, और अनन्या को उसकी नज़रें अपनी ओर महसूस होतीं, भले ही वह खुद न देख रही हो।
अनन्या की दोस्तें भी नोटिस करने लगीं। "तुम अजीब बर्ताव कर रही हो," मीरा ने एक दिन फुसफुसाते हुए कहा, "तुम... खोई-खोई सी लगती हो।"
"मैं ठीक हूँ," अनन्या ने जवाब दिया, लेकिन उसका मन बिलकुल ठीक नहीं था। नामजून के हर इम्प्रेश के बाद उसे हलकापन, घबराहट और... उत्सुकता महसूस होती थी। ये डर था या आकर्षण, वह तय नहीं कर सकती थी। शायद दोनों।
फिर आई वह रात, जिसने सब बदल दिया।
वह लाइब्रेरी से देर रात पढ़ाई के बाद वापस लौट रही थी। कैंपस शांत था, स्ट्रीटलाइट की रोशनी में लम्बे साए सड़क पर पड़ रहे थे। उसे किसी की नज़रें महसूस हुईं, और वह अचानक मुड़ गई।
वह वहीं था। नामजून।
वह छाया में खड़ा था, खामोश, देखता हुआ। चांदनी उसकी आँखों और चेहरे की तीखी बनावट को, उसकी अजीब मगर शालीन मुद्रा को और भी रहस्यमय बना रही थी।
"तुम्हें यहां अकेले नहीं होना चाहिए," उसने कड़े स्वर में कहा, जिससे अनन्या का दिल अचानक थम गया। "यहां ख़तरा है।"
"मैं... मैं खुद को संभाल सकती हूँ," उसने कहा, लेकिन उसे ठंडक सी महसूस हुई।
वह आगे बढ़ा, छायाएँ उसके साथ घूमतीं और लहरातीं जैसे वे जीवित हों। "मुझे नहीं लगता तुम समझती हो," उसने धीरे से कहा, "हर खतरा दिखता नहीं है। कुछ छुप कर ही रहता है।"
अचानक एक ठंडी हवा के झोंके के साथ, नामजून के आसपास की छायाएँ अजीब तरह से फैल गईं, काली लौ की तरह लहराने लगीं। अनन्या की साँसें थम गईं। उसकी समझ उसे असंभव कह रही थी, लेकिन उसकी आँखें जो देख रही थीं वह इनकार नहीं कर पा रही थीं। एक क्षण के लिए नामजून की आकृति धुंधली पड़ गई, खिंच सी गई, और उसकी आँखें हल्का लाल चमक उठीं। फिर वह फिर सामान्य था—अनजाने, रहस्यमय और दूर।
"तुम... क्या हो?" उसने डरे और हैरान स्वर में पूछा।
नामजून ने हल्के मुस्कान के साथ कहा, "मैं... कोई ऐसा हूँ जिसे समझने के लिए अभी तैयार नहीं हो।"
माहौल में तनाव था, और अनन्या को अपने आसपास हज़ारों अदृश्य आँखों का बोझ महसूस हुआ। वह नहीं जानती थी वे असली थीं या कल्पना, लेकिन उसे एहसास हो गया था कि उसकी दुनिया अब पहले जैसी सुरक्षित नहीं रही।
नामजून ने हाथ आगे बढ़ाया, "चलो, मैं थोड़ा समझा दूँगा..."
उसका दिल बहुत तेज़ धड़कने लगा। उसके भीतर की एक आवाज़ पीछे भागने को कह रही थी, अपने कमरे और सामान्य जीवन की सुरक्षित दुनिया में लौट जाने को, लेकिन कोई अनजानी जिज्ञासा, एक खतरनाक आकर्षण उसे आगे खींच रहा था।
और इस तरह, सड़क की बर्फीली रोशनी में, रात की छायाओं के बीच, अनन्या उसके पास पहुँच गई, बिना ये जाने कि उसकी साधारण ज़िन्दगी का पहला धागा अब टूट चुका था, और वह एक ऐसी दुनिया के ताने-बाने में बंध रही थी जहाँ अँधेरा, ख़्वाहिश और ख़तरा साथ-साथ चलते हैं—जहां अब कभी लौटना मुश्किल होगा।
अतीत की छायाएँ
सुबह की धूप कैंपस पर बिखर गई थी, रास्तों और मैदानों को सुनहरी गरमी में नहला रही थी — लेकिन अनन्या को यह उजास घुटन भरा सा लग रहा था। उसका दिल अब भी पिछली रात की घटनाओं से धड़क रहा था, और दिमाग़ संभलने का नाम नहीं ले रहा था। उसने खुद को समझाने की कोशिश की कि यह सब एक सपना था — एक तीखा, असंभव सपना — लेकिन नामजून की गहरी, लाल चमकती आंखें उसकी यादों में छाया बनकर रह गई थीं।
लेक्चर हॉल में कदम रखते ही, बैग को कसकर पकड़े हुए, उसे एक जानी-पहचानी खींच महसूस हुई — हल्की, लगभग चुंबकीय। उसकी नजरें चारों तरफ घूमीं, मन ही मन उम्मीद करती कि वह पहले से वहां बैठा हुआ दिख जाए। और वह सचमुच वहां था।
नामजून दरवाजे के पास एक खंभे से टिक कर खड़ा था, हाथ बांधे, चेहरे पर पहेली सा भाव, उसकी नजरें छात्रों पर ऐसे घूम रही थीं मानो वे केवल दृश्य हों। लेकिन फिर जैसे कोई डोर उसके सीने में कस गई, उसकी नजरें अनन्या से मिलीं।
अनन्या की सांस थम गई। उसने तुरंत मुस्कुराया नहीं, बस उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान की झलक थी — जैसे वह किसी चुपचाप मज़े ले रहा हो। अनन्या को एक बार फिर घबराहट और अजीब सी खिंचाव महसूस हुआ।
उसने पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की, प्रोफेसर की एकसार आवाज़ पर, या किसी ऐसी बात पर जो उसे सामान्य जीवन से जोड़ सके। लेकिन उसके विचार नामजून पर ही भटकते रहे — उसका चलना, उसके आसपास मंडराती छायाएँ, उसकी मौजूदगी की विद्युतीय हवा।
ब्रेक के दौरान, अनन्या खुद को कैंपस के लॉन में फोन देखने का नाटक करते हुए घूमती हुई पाती है। अचानक एक छाया उस पर पड़ती है, और वह ऊपर देखती है—नामजून उसके पास खड़ा है, इतना नज़दीक कि वह उसकी हल्की गरमी महसूस कर सकती है।
"तुम परेशान लग रही हो," उसका स्वर धीमा मगर कुछ गहराई लिए हुए था।
"मैं... मैं ठीक हूँ," उसने बुदबुदाया, नज़रें हटाते हुए, लेकिन उसकी निगाहों से बच नहीं सकी।
नामजून ने हल्का मुस्कुराते हुए, आंखें संकरी कर दीं — जैसे वह उसके हर ख्याल को पढ़ सकता हो। "तुम कल रात के बारे में सोच रही थीं," उसने कहा।
अनन्या का पेट मरोड़ गया। "मुझे नहीं पता तुम क्या कह रहे हो," उसने कहा, लेकिन वह जानती थी कि उसका झूठ नामजून को नहीं बहका सकता।
नामजून हल्के से हंसा, उसकी हंसी धीमी और सुर के जैसी थी। "छुपाना जरूरी नहीं। जिज्ञासा इंसान की फितरत है। और तुम, अनन्या, इतनी जिज्ञासु हो कि अनदेखा नहीं कर सकती।"
उसके गाल लाल हो गए। नामजून उसका नाम जानता था, उसने एक बार तो कहा था, लेकिन अब जैसे उसके उच्चारण में अधिकार की झलक थी।
उससे पहले कि वह कुछ कहे, एक ठंडी हवा का झोंका आया, और एक क्षण को नामजून के चारों ओर की छायाएँ अजीब तरह से फैलने लगीं, जैसे काली उंगलियाँ ज़मीन पर रेंग रहीं हो। अनन्या ने तेज़-तेज़ पलकें झपकाईं — दिमाग़ चीख रहा था यह सब असंभव है। लेकिन उसकी आंखें उसकी गवाही दे रही थीं।
"तुम..." उसने कांपती आवाज़ में कहा, "क्या... क्या हो तुम?"
नामजून का चेहरा हल्का गहरा हो गया, एक साया उसकी सुंदरता पर छा गई। "मैंने कल रात चेतावनी दी थी। हर ख़तरा इंसानी चेहरे में नहीं आता।"
अनन्या ने मुश्किल से निगलते हुए महसूस किया कि डर उसके भीतर एक अलग आकर्षण और अनजानी जुड़ाव के साथ घुल गया है।
दिन भर नामजून बहुत जगह दिखता रहा — लाइब्रेरी, कैफ़ेटेरिया, यहां तक कि लेक्चर के बीच के लॉन में भी। हर बार वो इतना पास आता कि उसका दिल धड़क उठता, उसकी मौजूदगी चुंबकीय थी। और फिर कहीं-कहीं वह गायब भी हो जाता, सिर्फ उसकी छाया की ठंडक छोड़ जाता।
शाम को अनन्या अपने कमरे लौटी, सीने की बढ़ती बेचैनी को दूर करने की कोशिश करती हुई। उसने नामजून के आसपास मँडराती अजीब, शिकार जैसी हवा और उसकी आंखों के हल्के लाल झमक की सोच में समय बिताया। मन कह रहा था दूर रह, खुद को बचा, लेकिन कहीं गहरे में उसे जानने की चाहत और ज्यादा बढ़ गई।
अचानक फोन पर एक अनजान नंबर से मैसेज आया: "उससे दूर रहो। वह वैसा नहीं है जैसा दिखता है। खतरा उसके पीछे चलता है।"
मैसेज पढ़ते वक्त उसकी उंगलियां कांप उठीं। ये किसने भेजा? और उसे नामजून के बारे में कैसे पता चला?
अगले दिन कॉलेज में, उसकी जिज्ञासा डर पर भारी पड़ गई। उसे जवाब चाहिए थे।
नामजून ने उसे लेक्चर के बीच सीढ़ियों के पास खड़े होकर खोज लिया, उसका चेहरा शांत था, मानो वह जानता हो कि अनन्या उसे ढूंढेगी।
"तुम्हें चेतावनी मिली," उसका स्वर धीमा लेकिन चुटीला था।
अनन्या की आंखें चौड़ी हो गईं। "तुम्हें कैसे पता?"
उसने तुरंत जवाब नहीं दिया, बल्कि उसे ऐसे देखने लगा कि अनन्या को लगा उसकी हर सोच, हर डर जैसे सामने खुल जाता है। "चेतावनियां बेकार होती हैं," उसने अंत में कहा। "वे सिर्फ वे लोग देते हैं जो उस चीज़ से डरते हैं जिसे वे नियंत्रित नहीं कर सकते।"
अनन्या का दिल धड़क उठा। "तुम... खतरे हो," उसने फुसफुसाया।
"और फिर भी तुम मेरी ओर खिंचती हो," नामजून ने हल्की मुस्कान के साथ कहा। "जिज्ञासा डर से ज़्यादा मज़बूत है, अनन्या। तुम जल्द ही समझ जाओगी।"
बाकी दिन अनन्या का ध्यान कहीं नहीं लगा। हर बार आंखें बंद करती, तो नामजून की छाया, उसकी सम्मोहक नजर, और आँखों की हल्की लाल रोशनी दिखती।
रात में, नींद नहीं आई तो वह फिर से शांत कैंपस में चलने लगी, उन्हीं छायाओं की तलाश में जहाँ नामजून पिछली रात था। चांदनी बिल्डिंग, रास्तों और पेड़ों पर जादुई उजास बिखेर रही थी।
पीछे से किसी आवाज़ पर वह चौंकी — नामजून अंधेरे से निकल आया, रात जितना खामोश, जैसे छायाओं में ही घुला हो।
"तुम्हें अकेले घूमना नहीं चाहिए," उसका स्वर खतरनाक था।
"मैं... मुझे नींद नहीं आई," उसने धीरे से कहा।
वह कुछ देर उसे देखता रहा, फिर उसका चेहरा थोड़ा नरम हो गया। "जिज्ञासा तुम्हें फिर यहां ले आई," उसने कहा।
उससे पहले कि अनन्या जवाब देती, अचानक जमीन पर एक छाया अजीब तरह से रेंगती हुई दिखी। वह डर से जड़ हो गई।
नामजून का चेहरा तुरंत गहरा हो गया। "मेरे पीछे रहो," उसने आदेश दिया।
वह छाया जैसे जीव शिकारी की तरह फुर्ती से बढ़ी, उसके काले तंतु धुएं की तरह फैलते हुए। नामजून फुर्ती से उसके और अनन्या के बीच आ गया। उसकी आंखों में फिर हल्की लाल चमक आ गई, और एक क्षण में वह प्राणी चीखता हुआ गायब हो गया, वातावरण में ठंडक छोड़ गया।
अनन्या की सांसें फटी हुई थीं। "वो... वो क्या था?"
नामजून मुड़ा, अब फिर उसकी भाव-रहित आँखें उसके सामने थीं। "यह बस एक चेतावनी थी," उसने कहा। "मेरी दुनिया से। उन छायाओं से जो मेरा पीछा करती हैं। अब तुम उलझ गई हो, अनन्या। वापसी का कोई रास्ता नहीं।"
उसका दिमाग़ घूम गया। खतरा, रोमांच, सबकुछ असंभव मगर सच्चा था। और अब उसे पता था कि उसकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल गई है।
नामजून ने आगे बढ़कर उसके चेहरे से एक बाल अलग किया। उसका स्पर्श बिजली सा था, पीठ में सिहरन दौड़ गई। "तुम्हें मुझपर भरोसा रखना होगा," उसने धीरे से कहा। "अगर ज़िंदा रहना है... और सब समझना है।"
अनन्या ने धीरे से सिर हिलाया, उसके डर में एक मुसलसल खिंचाव था। उसे अभी सब कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उसके दिल ने फुसफुसाया—यह अंधेरा, यह खतरा, यही उसकी दुनिया थी।
और जैसे-जैसे रात की छायाएँ गहराती गईं, अनन्या को एहसास हुआ कि वह अब केवल एक साधारण छात्रा नहीं रही। वह अब उस दुनिया का हिस्सा थी, जिसे उसने केवल बुरे सपनों और कहानियों में देखा था—रहस्यमय राक्षसों, गहरे राज़ों और बेमिसाल, खतरनाक प्यार की दुनिया।
द डेमन का सच
छाया के हमले के बाद की रात ने अनन्या को बेचैन कर दिया था, उसके विचार गोल-गोल घूमते रहे, जैसे वह किसी झूले में फँस गई हो जिससे उतरना नामुमकिन था। वह अपने कमरे में बैठी छत को घूरती रही, नामजून की लाल चमकती आँखों की छवि उसके दिमाग़ में बसी रही। वह याद रह-रह कर उसके सामने आती थी—जिस तरह वह उसकी और उस डरावने जीव के बीच खड़ा था, छायाएँ उसकी आज्ञा में घुमड़ रही थीं, उसके सुंदर इंसानी रूप के भीतर कुछ राक्षसी झलकती थी।
उसका हर समझदार हिस्सा चीख रहा था—भाग जा। दूर रह। मान ले जो हुआ वो सपना था।
फिर भी, सुबह की पहली किरणों के साथ उसकी पहली सोच थी—क्या वह आज दिखाई देगा?
और वह वहां था।
नामजून लेक्चर हॉल में पीछे बैठा था, जैसे वह हमेशा से वहीं हो, एक टांग फैला कर, काले बाल उसकी आंखों पर गिरे थे, मानो उसे आस-पास बैठी लड़कियों की नजरों की परवाह ही न हो। लेकिन जब उसकी निगाहें उठीं और अनन्या से मिलीं, दोनों के बीच जैसे एक अदृश्य डोर तान दी गई। अनन्या ने तुरंत नज़रें फेर लीं, लेकिन उसका दिल तेज़ धड़कने लगा।
वह चाहती थी कि उसे अनदेखा करे, सीधा निकल जाए, पर उसकी इच्छा के विपरीत वह नामजून के सामने जाकर खड़ी हो गई, और खुद ही बोल बैठी—
"तुम्हें सब कुछ समझाना होगा। पिछली रात—वो चीज़ें, छायाएँ—तुम क्या हो?"
नामजून सिर झुकाए उसे देखता रहा, कुछ देर तक कुछ नहीं बोला। चुप्पी इतनी गहरी थी कि अनन्या के दिल की धड़कन और तेज़ हो गई।
आखिरकार उसने कहा, उसकी आवाज़ धीमी, मखमली और खतरनाक थी—"अगर सच्चाई बताऊँ तो अनन्या, तुम्हें बहुत दिनों तक नींद नहीं आएगी।"
अनन्या ने दांत भींचे—"वैसे भी नींद नहीं आई थी।"
उसने हल्के मुस्कराते हुए स्वीकार कर लिया—"ठीक है। आज रात मिलो, बारह बजे। पुराने क्लॉक टॉवर पर।"
अनन्या की सांस रुक गई। क्लॉक टॉवर—वह जगह जिसे सब डरावना मानते थे, टूटी-फूटी, वीरान और भूतिया कहानियों की जगह।
उसे मना कर देना चाहिए था। सब खत्म कर देना चाहिए था।
पर उसने नहीं किया।
क्लॉक टॉवर की रात कंकाल-सी लग रही थी, उसके टूटी खिड़कियाँ चाँदनी में चमक रही थीं, और घंटियाँ पत्थर हो चुकी थीं। अनन्या अपनी जैकेट कसकर पकड़े अंदर गई, उसके कदम गूँज रहे थे। धूल हवा में थी, जिसमें उसका दम घुट रहा था।
वह वहीं था।
नामजून कमरे के मध्य खड़ा था, ऊपर से पड़ती चाँदनी में उसका लंबा शरीर चमक रहा था। छायाएँ उसे अजीब तरह से घेरे थे, जैसे उसके इशारे पर झूमती हों। वह एक साथ बेहद खूबसूरत और बिलकुल अलौकिक लग रहा था—असमान्य मनुष्यता और ख़तरनाक रहस्य दोनों।
"तुम आईं," उसने inevitability के स्वर में कहा।
"तुमने बुलाया था," वह फुसफुसाई, घबराहट में टांगें कांपते हुए।
नामजून की आंखें क्षणभर नरम हुईं, फिर फिर से बादल सी गहरी हो गईं। "अब सच सुनने को तैयार हो?"
सांसें थमते हुए—"तुम... क्या हो?"
उसके होंठों पर फीकी सी मुस्कान आई। "एक राक्षस। छाया से जन्मा। अंधेरे में बंधा।"
शब्द बोझ की तरह बीच में गिर गया—राक्षस। उसे भाग जाना चाहिए था, लेकिन उसकी जगह स्थिर हो गई, जैसे कोई अनजानी जंजीर पकड़े हुई हो।
"मुझे विश्वास नहीं होता," वह कांपती आवाज़ में बोली।
नामजून आगे बढ़ा, छायाएँ उसके पीछे लहराती हुईं। उसकी आंखों में फिर हल्का लाल उजास चमक उठा—"तब देखो।"
हवा में बिजली दौड़ी। दीवारों पर छायाएँ धुआं सी घुमड़ने लगीं, उसके शरीर के चारों ओर लिपट गईं, उसकी कोट का छोर उठता हुआ, चेहरे की धारें और तीखी हो गईं। पल भर के लिए, वह धुंधला हो गया—आधा मनुष्य, आधा कुछ और डरावना। वास्तविकता के छोर पर सींग चमके, उसके हाथों पर काली लौ थी, उसकी आंखें पराई लाल चमक से झिलमिलाई।
अनन्या पीछे हटी, उसकी सांस अटक गई।
और तुरन्त सब गायब हो गया। नामजून फिर सामान्य, मगर अब भी चमकती लाल आँखों के साथ।
"तुम... सच में..." उसकी सांस टूट गई।
उसने सिर हिलाया। "मनुष्य नहीं। तुम्हारे जैसा नहीं।"
"फिर... यहां क्यों?" उसकी आवाज़ टूट गई।
पहली बार उसका चेहरा गहरे दर्द में बदल गया। "अपनी दुनिया से थक गया था। अनंत खून, छाया के खेलों से। कुछ असली चाहता था। कुछ इंसानी।"
अनन्या का दिल तेज दौड़ने लगा; वजह ठीक समझ नहीं आई। "और अब? कल रात क्या?"
"शिकारी," नामजून ने धीमे से कहा। "मेरी दुनिया से आया था। यह याद दिलाने कि मैं यहाँ नहीं आ सकता।"
अनन्या ठंडी पड़ गई। "तो... फिर वो आएगा?"
"आ चुका है," उसने गंभीरता से कहा। उसकी हथेली भींची और छायाएँ उसके पैरों में उमड़ने लगीं। "वे फिर आएंगे। क्योंकि मैंने उनके नियम तोड़े। क्योंकि मैंने कुछ और चाहा।" उसकी आंखें अनन्या से मिलीं, आवाज़ में छुपा दर्द था—"क्योंकि मैं तुमसे मिला।"
इतने में एक तेज आवाज़ गूंजी। तापमान गिर गया। दीवारें जैसे हिलने लगीं, कहीं से छायाएँ दरारों से निकल कर फूटीं, आंखों में लाल चमक लिए हुए। उनकी चीखें हवा को चीर रही थीं।
नामजून का चेहरा सख्त हो गया, आंखें लाल चमकीं—"पीछे रहो।"
तीन डरावने जीव अंधेरे से उभरे—लंबे पंजे, धुएंजिसा शरीर, मुंह में चमकती दांतों की लकीर।
नामजून इतनी तेज़ चला कि आंखें देख न पाईं। हाथ झटके, छायाएँ फूटीं और पहला जीव राख में बदल गया। दूसरा अनन्या की ओर लपका, लेकिन नामजून ने उसे हवा में पकड़ लिया, आंखों में आग थी, वह चीख कर धरती पर गिरा और धुएं में गायब हो गया।
इतने में तीसरा जीव तेज़ था, नामजून के पार निकला, अनन्या की ओर लपका।
अनन्या चीखी, पीछे हट गई—
नामजून फिर वहाँ था।
उसने उसका गला पकड़ लिया, हाथ में आग सी काली तरंगें थीं, जीव छटपटाया, फिर धूल बन गया।
सन्नाटा छा गया।
अनन्या दीवार से टिक गई, उसके दिल की धड़कन बहुत तेज थी। वह नामजून को देख रही थी—आंखों में लाल रौशनी, उसके चारों ओर लिपटी छायाएँ, उसके रूप में बचे कुछ राक्षसी अंश।
धीरे-धीरे वह पलटा, चेहरा नरम हुआ, आवाज़ में काली धार थी—"अब देख लिया?"
"तुम... तुमने मेरी रक्षा की," वह कांपती आवाज़ में बोली।
"मैंने कहा था," नामजून पास आ गया, छायाएँ मिटती गईं, "अब तुम मेरी किस्मत से जुड़ी हो। इसलिए तुम्हें खतरा है।"
"अब क्या करें?" उसकी आवाज़ सूख गई।
नामजून की नजरें बिना हिले उस पर टिकी रहीं—"हम... साथ-साथ जिंदा रहेंगे।"
कुछ देर दोनों एक-दूसरे को देखते रहे, अस्वीकार न कर पाने वाली खिंचाव, डर और रहस्य के बीच।
फिर कहीं से फुसफुसाती आवाज़ आई—निचले स्वर में, गूंजती—"वो तुम्हें बचा नहीं सकता, गद्दार। और वो तुम्हें... नहीं बचा पाएगी।"
अनन्या सन्न रह गई। ये आवाज़ नामजून की नहीं थी। ये दीवारों से आई थी, बची-खुची छायाओं से।
नामजून का जबड़ा भींच गया, आंखें संकरी हो गईं, छायाएँ हवा में गड़गड़ाई और गायब हो गईं। लेकिन अनन्या ने महसूस किया—चेतावनी गई नहीं थी। यह बस शुरुआत थी।
अंधकार की फुसफुसाहटें
क्लॉक टावर की रात ने अनन्या को अंदर तक हिला दिया था। भोर की पहली किरणें जब आसमान पर छा रही थीं, तब भी उसका शरीर पंजों वाली छायाओं और नामजून की क्रिमसन आंखों की यादों से कांप रहा था।
उसने सोचा था कि नामजून ने उसे बचाया है, इसलिए उसे सुरक्षित महसूस करना चाहिए। लेकिन वह बिल्कुल ऐसा महसूस नहीं कर रही थी।
उसके सीने में अजीब भारीपन था, भावनाओं का तूफान जो डर, आंतरिक आकर्षण, और एक खतरनाक इच्छा जैसे लग रहे थे।
"वह एक राक्षस है," उसने आईने में खुद से फुसफुसाया, उसकी आवाज़ टूटी। "वह इंसान भी नहीं है। फिर भी... मैं उससे दूर क्यों नहीं रह पा रही?"
उसका प्रतिबिंब कोई जवाब नहीं दिया, सिर्फ़ एक फीकी लड़की का चेहरा दिखा जो अब पहले जैसी नहीं रह गई थी।
कॉलेज की जिन्दगी वैसे ही चल रही थी जैसे कुछ बदला ही न हो। छात्र कक्षा में भाग रहे थे, आँगन में हँसी की आवाज़ गूँज रही थी, प्रोफेसर असाइनमेंट और परीक्षाओं के बारे में पढ़ा रहे थे। लेकिन अनन्या के लिए सब कुछ अलग था। हर छाया गाढ़ी लग रही थी। हर कोना फुसफुसाहटों से भरा था।
और हमेशा, कहीं न कहीं, वह था।
नामजून उस दिन सीधे उसके पास नहीं आया। वह चुपचाप उसकी देखभाल करता रहा—कभी लेक्चर हॉल के किनारे, कभी कैफेटेरिया के पार। उनकी नज़रें एक पल के लिए मिलतीं, फिर वह जानबूझकर दूर देखने लगा।
लेकिन दूर रहना उसकी तरफ़ से खींचाव कम नहीं कर पाया।
उस रात, उसने नींद नहीं ली। अनन्या पलंग पर करवटें बदलती रही और अंत में बाहर ताजी हवा लेने चली गई। कैंपस शांत था, चांद की चाँदनी से जगमगाता हुआ। रास्ते लगभग शांत थे, लेकिन छायाएं लंबी और अजीब थीं।
उसका दिल तेज़ धड़कने लगा जब उसने लाइब्रेरी के पास लैंपपोस्ट के पास खड़ी कोई आकृति देखी। लंबा, चौड़े कंधे वाला, परिचित—
नामजून।
"तुम हमेशा यहाँ क्यों रहते हो?" उसने धीरे से पूछा, खुद पर शक किए बिना।
उसके होंठ हल्का मुस्कुराए, लेकिन उसकी आँखें पढ़नी मुश्किल थीं। "तुम ज़िंदा हो, यह देखने के लिए।"
उसकी सच्चाई पर अनन्या की रीढ़ में सिहरन दौड़ गई। वह खुद को गले लगाती हुई बोली, "तुम ऐसा कहते हो जैसे मैं हमेशा खतरे में हूँ।"
"हूँ," उसका स्वर सपाट था, लेकिन कठोर नहीं। वह आसपास की अंधेरी जगह की ओर देखा। "मेरी दुनिया विश्वासघात को माफ़ नहीं करती। और जब तुमने मुझे लड़ते देखा, तो तुम भी उस विश्वासघात का हिस्सा बन गई।"
अनन्या का सीना कस गया। "तो मैं निशाने पर लग चुकी हूँ? सिर्फ तुम्हें जानने के लिए?"
"हाँ।" उसकी आँखें लगभग नर्म हो गईं। "तुम्हें मुझे अकेला छोड़ देना चाहिए था, अनन्या। लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया।"
कुछ समय के लिए चुप्पी छा गई, जो बातों से भरी थी। फिर उसने पूछा, "क्यों मैं? यहाँ सब लोग हैं—तुमने मुझे क्यों चुना?"
नामजून का जबड़ा सिकुड़ गया, उसकी आँखों में कुछ अनकहा था। उसने तुरंत जवाब नहीं दिया। जब बोला, तो उसकी आवाज़ धीमी और अनिच्छुक थी।
"क्योंकि तुम मुझे ऐसे देखती हो जैसे मैं राक्षस नहीं हूँ।"
उसकी सांस अटक गई। वह बहस करना चाहती थी, उसे बताना चाहती थी कि उसने राक्षस को देखा है, उससे डरती है—पर शब्द गले में अटके रह गए। क्योंकि सच यह था कि उसके अंदर का एक हिस्सा नक्स और छायाओं के पार देख पाया था—कुछ और, कुछ बहुत इंसानी।
लेकिन उससे पहले कि वह जवाब दे पाती, हवा बदल गई।
उसके हाथों के बाल खड़े हो गए जब रात में धीमी फुफकार सुनाई दी। लैंपपोस्ट की रोशनी ज़ोर से टिमटिमाई, उन्हें अचानक अंधेरे में डुबो दिया।
नामजून का चेहरा तुरंत कठोर हो गया। "मेरे पीछे रहो।"
छायाएं हिल उठीं, रूप ले रही थीं। अब वे धुएं जैसी नहीं थीं—वे ठोस आकृतियाँ थीं, जिनकी आँखें कोयले जैसी चमक रही थीं, उनके पंजे जमीन को खरादते हुए जल्दी-जल्दी उसके पास आ रहे थे।
वे पहले से ज़्यादा थे—पाँच, छह, या शायद और भी।
अनन्या पीछे हट गई, उसका दिल तेज़-तेज़ धड़क रहा था। "इतने सारे..."
"चुप रहो," नामजून गरज उठा, आगे बढ़ते हुए। उसके आस-पास हवा घनी हुई, छायाएं उसकी आभा की तरह लिपट गईं। उसकी आँखें लाल रोशनी में चमक उठीं, उसकी मौजूदगी इतनी ताक़तवर थी कि रात भी उसकी आज्ञा मान रही हो।
पहला प्राणी झपटा। नामजून का हाथ तेजी से निकला, छायाएं चाबुक की तरह फटीं और उसे एक साथ चीर दिया। दूसरा एक ओर से आया—वह तेज़ी से बचा, अलौकिक गति से मोड़ा, अपने पंजों से उसके गले पर वार किया।
लेकिन बाकी प्राणी आसानी से नहीं मरे। वे मिलकर घूम रहे थे, तेज़ी से हमला कर रहे थे।
अनन्या लाइब्रेरी की दीवार से लगी खड़ी थी, हर नस उसे भागने को कह रही थी—लेकिन वह भाग नहीं सकी। उसकी आँखें नामजून पर ही थीं, जो तूफान की तरह लड़ रहा था, अंधकार उसकी हर आज्ञा का पालन कर रहा था। वह खूबसूरत, डरावना और अजेय था।
फिर भी, वह अजेय नहीं था।
एक पंजा उसके कंधे पर लग गया, कपड़े और त्वचा फट गई। वह फुफकारा, खून उसके हाथ से टपक रहा था। यह देख अनन्या का मन मरोड़ उठा।
"नामजून!" वह चिल्लाई।
उसने उसकी आवाज़ सुनी और सिर थोड़ा घुमाया—और उसी पल एक और प्राणी पीछे से उस पर हमला कर दिया।
"नहीं!" अनन्या चिल्लाई।
वह बिना सोचे-समझे पास पड़ी लोहे की छड़ी उठाकर पूरी ताकत से मारी। छड़ी प्राणी के सिर पर लगी, जो ज़ोर से गिर पड़ा।
नामजून घूमा और छाया को ताक़त से काटकर उसे खत्म किया। उसकी आँखें आग सी जल रही थीं, गुस्सा और सुरक्षा के मिश्रण में, उसने उसे पास खींचा।
"बीच में कभी मत आना," उसने गरजते हुए कहा, आवाज़ में गुस्सा और डर था। "अगर वे तुम्हें छू गए—अगर तुम्हारा खून बहा—तो वे तुम्हें कभी नहीं छोड़ेंगे।"
अनन्या का सीना उठ-गिर रहा था। "तो फिर मुझसे छुपाओ मत! मुझे बताओ कि कैसे बचना है!"
उसके चेहरे पर एक पल के लिए डर झलक उठा—इतना कि अनन्या ने उसके अंदर छुपे सच को समझ लिया। फिर उसने उसे पीछे धकेल दिया और आखिरी हमलावर की ओर मुड़ा। उसकी ताक़त बढ़ी, छायाएं एक भयानक लहर की तरह निकलीं, जीव बिखर गए।
अंधेरा घना हो गया।
नामजून कांप रहा था, खून उसके जख्मों से रिस रहा था, उसका सीना तेज़ी से उठ-गिर रहा था। अनन्या उसके पास बढ़ी।
"तुम घायल हो—"
उसने उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी पकड़ मजबूत, लगभग हताश। उसकी जलती आँखें उसकी ओर झुकीं। उसकी आवाज़ धीमी और भारी थी।
"अनन्या... क्या तुम समझती नहीं? मेरे पास रहना तुम्हें बर्बाद कर देगा।"
उसका दिल दर्द से मरोड़ उठा, लेकिन वह अपनी नज़रें नहीं हटा सकी। "शायद। लेकिन अगर तुम सोचते हो मैं उस वक्त खड़ी रहूँगी जब तुम मेरे लिए खून बहा रहे हो—तो तुम गलत सोच रहे हो।"
कुछ देर दोनों एक-दूसरे को देखते रहे, जैसे उनकी दुनिया सिर्फ़ उनके लिए ही सिमट गई हो—उनकी हकलाती सांसें, कांपते हाथ, उनका डर और हिम्मत।
फिर बिना कुछ कहे, नामजून ने उसका हाथ छोड़ा और मुड़ गया, उसकी छायाएं उसके चारों ओर गूँथ गईं।
"वापस जाओ," उसने भारी आवाज़ में कहा। "पहले कि मैं अपना बचा हुआ कंट्रोल भी खो दूं।"
और वह रात की अंधेरी छाया में समा गया, उसे टूटी हुई लैंप की रोशनी के नीचे अकेला छोड़ गया, उसका दिल डर और एक ऐसी भावना से धड़क रहा था जिसे वह अब नकार नहीं सकती थी।
न प्रेम। अभी नहीं।
पर उसका खतरनाक आरंभ।
छाया के बीच का फासला
हमले वाली रात लंबी और बेचैन रही। अनन्या सुबह तक जागती रही, उसका दिल शांति से धड़कने को मना कर रहा था। जब भी वह अपनी आँखें बंद करती, उसे लाल रंग दिखता—उसकी आँखें, उसका खून, उसकी छायाएँ जो राक्षसों के चारों ओर लिपटतीं और फिर वे धुएँ की तरह मिट जातीं।
फिर उसे उसका चेहरा दिखाई देता, जब उसने उससे कहा था: मेरे पास रहना तुम्हारे लिए नाश लेकर आएगा।
ये बातें उसके सीने पर कांटों की तरह चुभती थीं। उसे पता था कि वह सही था।
उस सुबह उसने एक फ़ैसला लिया।
दिन के पहले लेक्चर में अनन्या प्रोफेसर को घूरती रही, लेकिन एक भी शब्द नहीं सुना। सामान्यतः नामजून कहीं न कहीं होता था—कॉरिडोर में खड़ा, दीवार से टिका, या सबसे दूर की कतार में बैठा, जैसे वहां उसका होना जरूरी नहीं हो लेकिन वह चले जाने को तैयार न हो।
आज, उसने जान-बूझकर सबसे आगे की सीट चुनी। उसने अपनी नजरें नीचे रखीं, फोन बंद कर रखा था, उसकी दुनिया सिमट गई थी।
फिर भी… उसे उसका एहसास हुआ।
उसके गर्दन के बाल खड़े हो गए, उस परिचित ठंडक ने उसके नसों में दौड़ लगाई। उसका इंस्टिंक्ट फुसफुसा रहा था कि वह करीब है। फिर भी, उसने देखा नहीं।
एक भी बार नहीं।
घंटी बजते ही वह सबसे पहले बाहर निकल गई, अपनी किताबें कसकर पकड़ते हुए। वह कैफेटेरिया में रुकी नहीं। दोस्तों का इंतजार नहीं किया। छायाओं की तरफ भी नहीं देखा।
वह बस तेज़ चलती रही।
तीन दिनों तक उसने यही रूटीन दोहराया।
वह उन कोनों से बचती रही जहाँ वह आमतौर पर रहता था। रात को लाइब्रेरी जाना छोड़ दिया। उसने अपने रूममेट्स को बहाने दिए कि वह कमरे में ही रहेगी। घर जाते हुए संगीत जोर से बजाती रही, ताकि उन फुसफुसाहटों की आवाज़ दब जाए जो अंधेरे में घुमती रहती थीं।
पर यह सब उसके अंदर के तूफान को शांत नहीं कर पाया।
क्योंकि वह चाहे जितना न मानती, उसकी मौजूदगी महसूस होती रही। दूर से उसकी निगाहें देखतीं। हवा की चाल बताती कि वह उसका पीछा कर रहा है।
और उसके सपनों में कहीं छुटकारा नहीं था।
वह सपने देखती थी कि छायाएँ उसकी त्वचा के नीचे रेंग रही हैं, लाल चमकती आँखें अंधेरे में चमक रही हैं, उसकी हाथ पकड़ते हुए उसे अनंत खाई में गिरने से बचा रही हैं। सुबह वह सांस फूँकती उठती, अपने चादर में उलझी, उसका नाम फुसफुसाते हुए जैसे कोई दुआ जो वह बंद न कर सके।
चौथे दिन तक, उसकी थकान उसके चेहरे पर साफ़ झलकती थी। लेकिन उसने खुद को समझाया कि यह ठीक है। उसे दूर रहना था।
वह नहीं जानती थी कि नामजून ने उसे अकेला नहीं छोड़ा।
उसने वादा निभाया, चुपचाप। छतों से, सड़क के किनारे से, लेक्चर हॉल के पीछे से वह मौजूद था। एक भी बार उसने कदम आगे नहीं बढ़ाया, लेकिन उसकी संयम उसे जला रही थी।
वह खुद से कहता कि यही बेहतर है। अगर दूर रहना उसे शांति देता है, तो वह सहन कर लेगा। अगर उसे बचाने के लिए उसे टालना पड़ेगा, तो वह छायाओं में विलीन हो जाएगा।
पर सच उसे अंदर से खोद रहा था—वह महसूस कर सकता था कि वह दूर होती जा रही है। और हर बार जब वह कैम्पस के आस-पास अंधेरे की परछाइयों का एहसास करता, उसका नियंत्रण कमजोर होने लगता।
क्योंकि वह जानता था कि जीवों का पीछा अभी भी जारी है।
वे कभी नहीं रुकेंगे।
शुक्रवार रात।
अनन्या अपने हॉस्टल में अकेली बैठी थी, नोट्स पढ़कर खुद को व्यस्त रखने की कोशिश कर रही थी। उसके रूममेट्स पार्टी में थे, उनके हँसने की आवाज़ हॉल में गूँज रही थी, पर उसने जाने से मना कर दिया था।
खिड़की खुली थी, ठंडी रात की हवा अंदर आ रही थी। कैम्पस शांत था, लैंप जल रहे थे।
वह खुद को समझाने लगी कि सब सुरक्षित है।
पर जब उसने पन्ना पलटा, उसकी नज़र किसी हरकत पर गई।
खिड़की पर एक परछाई थी।
वह जम गई, उसकी कलम फिसल गई। धीरे-धीरे उसने ऊपर देखा।
शुरुआत में कुछ नहीं था। सिर्फ पेड़ों की शाखाएँ हिल रही थीं, सड़क की बत्तियाँ चमक रही थीं।
फिर उसने देखा।
एक आकृति। आंगन के पार खड़ी। बहुत स्थिर। बहुत तेज। उसकी आँखें हल्की लाल चमक रही थीं, बिना पलक झपकाए।
उसका खून जम गया।
उसने खिड़की ज़ोर से बंद की, दिल तेज़ी से धड़क रहा था। कांपती उंगलियों से उसने फोन उठाया—फिर याद किया कि उसने पूरे हफ्ते फोन बंद रखा था, बस उससे बचने के लिए।
अब उसकी मौनता मौत की तरह लगी।
लाइट्स टिमटिमाईं।
उसकी सांस थम गई।
कमरे के कोने से छायाएँ गाढ़ी होने लगीं। वह सिर्फ अंधेरा नहीं थे—वे हिल रहे थे, उठ रहे थे, धुंए की तरह आकृति ले रहे थे। फर्श से पंजा लंबा होने लगा।
"नहीं—नहीं, कृपया—"
उसकी पीठ दीवार से टकराई। उसकी आँखें घबराकर चारों ओर टटोलने लगीं। कोई हथियार नहीं। कोई मदद नहीं। नामजून नहीं—
यह सोचते ही डर भी धुंधला पड़ गया।
अंदर से वह प्राणी पूरी तरह सामने आ गया, उससे लंबा, उसके आधे अर्ध-निर्मित चेहरे पर दांत चमक रहे थे। वह धीरे से हँसा, भूखा और खतरनाक, और करीब आया।
अनन्या की चीख निकल पड़ी—
और छायाएँ खिड़की से फूट कर काले टुकड़ों में टूट गईं।
नामजून।
वह उसके और प्राणी के बीच आया, उसका रंग लाल रोशनी से जल रहा था। वह दृश्य देखकर उसकी घुटने झुक गईं, राहत और डर के साथ।
"मेरे पीछे रहो," उसने कड़क आवाज़ में कहा, उसकी आवाज़ गहरी और कठोर थी।
प्राणी झपटा। नामजून ने उसे हवा में पकड़ लिया, पंजे उसके सीने में गढ़ गए, छायाएँ कसकर लिपट गईं। वह चीखा और पागल की तरह मारा, पर नामजून ने बिना रुके उसे कुचल दिया, उसे टुकड़ों में तोड़ दिया जब तक कि वह धूल न हो गया।
उसके बाद की शांति कानों में गूँज रही थी।
अनन्या ने उसे कांपते हुए देखा, उसका सीना जोर से उठ रहा था और उसकी आँसू बह रही थीं जिन्हें वह महसूस नहीं कर रही थी।
"तुम—" उसकी आवाज़ टूटी। "तुमने कहा था मैं तुम्हारे बिना सुरक्षित हूँ!"
नामजून ने धीरे से मुड़ कर देखा, उसका चेहरा पढ़ना मुश्किल था। पंजों की चोट से उसका हाथ खून से लथपथ था, पर उसकी आँखें—जलती, क्रोधित आँखें—सिर्फ़ अनन्या पर थीं।
"सुरक्षित?" उसकी आवाज़ धीमी होकर गुस्से से कांप रही थी। "क्या तुम अभी भी ऐसा सोचती हो?"
उसके होंठ कांप उठे। "मैं दूर रहने की कोशिश कर रही थी—मुझे लगा—"
"तुम सोचती थी कि जो तुम्हारा हिस्सा बन चुका है, उससे तुम भाग जाओगी?" वह करीब आया, उसकी छायाएँ उसके शरीर से घुमड़ रही थीं, खतरनाक और खूबसूरत एक साथ। "अनन्या, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम मुझसे नफरत करती हो। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम मुझे फिर कभी देखोगी या नहीं। जिस पल तुमने मेरी दुनिया देखी, तुम उसका हिस्सा बन गईं।"
उसकी आँखों में आँसू थे। "तो मैं क्या करूँ? जीवन भर ऐसे जियूँ? अंधेरे से डरते हुए? हर बार मौत के करीब पहुँचते तुम्हारे आने का इंतजार करती रहूँ?"
नामजून का जबड़ा कस गया। उसके चेहरे पर एक पल के लिए दर्द झलक उठा। फिर उसने उसे छुपा लिया, उसकी आवाज़ तेज़ और कठोर हो गई।
"हाँ।"
उसका दिल रुक गया।
"चाहे तुम चाहो या न चाहो," नामजून ने कहा, उसकी छाया और कस गई, "अब तुम मेरी दुनिया की हो। और तुम्हारे पास केवल एक विकल्प बचता है—" उसकी आँखें अनन्या की आँखों में टिकी थीं, तीव्र और अडिग, "या तो मेरे साथ खड़ी रहो… या उनके सामने टूट जाओ।"
उस शब्द ने उसे जैसे चोट पहुँचाई। वह पीछे हट गई, सिर हिलाते हुए फुसफुसाई, "नहीं… नहीं, मैंने यह नहीं माँगा—"
नामजून की नजर उस पर एक पल के लिए नरम हुई, उसके अंदर के तूफान में कुछ नाज़ुकता झलक गई। लेकिन फिर वह छायाओं में घुल गया।
"भागो जितना चाहो," उसकी आवाज़ दूर से गूंज रही थी, गहरी और भूतिया, "तुम मुझे अंधेरे में ही पाओगी।"
और फिर वह चला गया।
अनन्या घुटनों के बल गिर पड़ी, उसके आँसू टूटे हुए कांच पर गरम और भारी गिर रहे थे।
वह दूरी चाहती थी। पर किस्मत ने उन्हें और करीब ला दिया था।
द डेमन का दावा
अनन्या पूरी रात जागती रही।
जब भी वह अपनी आँखें बंद करती, वही तस्वीर उसके मन में हावी हो जाती—वह क्रिमसन आँखें जो अंधेरे में चमक रही थीं, नामजून की आवाज़ में वह गहरी गुर्राहट जब उसने चेतावनी दी थी: "भागो जितना चाहो... फिर भी तुम मुझे अंधेरे में पाओगी।"
उसे डराना था। और उसने डराया भी। पर यह एक गूंज की तरह उसके दिल की धड़कन में घुस गई, जिससे छुटकारा नहीं मिला।
सुबह तक, उसका शरीर भारी-भरकम लग रहा था, मन डर और उस चाहत के बीच फंसा था जिसे वह स्वीकार नहीं करना चाहती थी। उसने खुद को कक्षा में घसीटा, खुद को सामान्य रहने को मजबूर किया। उससे दूर रहने को। खुद को याद दिलाने को कि वह सुरक्षित नहीं है।
फिर भी जब वह कैंपस के मैदान से गुजर रही थी, उसकी नजरें बिना किसी इच्छा के भीड़ में खोजती रहीं, जैसे वह उस लंबे कंधों वाले, गहरे आँखों वाले व्यक्ति को ढूंढ़ रही हो जो छायाओं में उसे देख रहा था।
पर वह वहाँ नहीं था।
सप्ताहों बाद पहली बार, नामजून उसके लेक्चर हॉल के पास नहीं दिखा, लाइब्रेरी के दूर छोर पर नहीं खड़ा था, कॉरिडोर में उस चुप्पी से घुटती मौजूदगी में नहीं था।
और उस अनुपस्थिति ने उसे वह दर्द दिया जो उसने सोचा भी नहीं था।
दिन थम गया। उसके दोस्त उसके आस-पास हँसी-ठिठोली कर रहे थे, असाइनमेंट्स और वीकेंड की योजनाओं की बात कर रहे थे, पर अनन्या ध्यान नहीं दे रही थी। उसे लग रहा था कि वह दो दुनियाओं में खड़ी है—एक जहां वह बस एक कॉलेज गर्ल है, और दूसरी जहां छायाएं मंडरा रही हैं, राक्षस साँस ले रहे हैं, और लाल चमकती आँखें उसका पीछा कर रही हैं।
जब आखिरी लेक्चर खत्म हुआ, तो वह शाम की मद्धम सुनहरी रोशनी में बाहर निकली। हवा फिर भारी लग रही थी, जैसे पिछली रात की तरह।
कुछ ठीक नहीं था।
छात्र भवन से बाहर निकल रहे थे, हँस रहे थे, प्रोफेसरों की शिकायत कर रहे थे, गेट की ओर भाग रहे थे। पर उनमें से अकेला एक लड़का उसकी नजरों में चढ़ गया।
वह हँस नहीं रहा था, बोल नहीं रहा था। वह आंगन के बीच में अजीब तरह से खड़ा था, उसकी नजरें उस पर टिकी हुई थीं।
अनन्या ठिठकी रह गई।
वह राघव था, उसकी कक्षा का शांत लड़का, जो हमेशा पीछे सीट पर बैठता था। पर उसकी आँखें—वह गलत थीं। सफेदी गायब थी, उसकी जगह काले तेल जैसे चमकदार बाल वाले ऑब्जेक्ट ने ले ली थी जो कुछ भी दिखाता नहीं था, सिर्फ निगलता था।
उसकी साँस थम गई।
आसपास के लोग कुछ नहीं देख रहे थे। छात्र अपने अपने काम में उलझे हुए थे, जबकि राघव धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा था। स्लो। मैकेनिकल। जैसे कोई उसकी बॉडी को नियंत्रित कर रहा हो।
जब वह सिर्फ एक फुट दूर रुका, उसका मुंह खुला और उसमे से जो निकला वो उसका नहीं था। वह आवाज़ ग्रुटरल, टूटी-फूटी, अशक्त, और अमानवीय थी।
"वह तुम्हारे लिए आता है, प्रकाश की बच्ची।"
अनन्या के सीने में थरथराहट हुई। वह पीछे हट गई, अपनी बैग को कसकर पकड़ लिया—"क-क्या...?"
राघव के होंठ एक विकृत मुस्कान में मुड़े, उसकी आवाज़ दो-तरफा लग रही थी—एक इंसानी, दूसरा राक्षसी।
"बंधन बंद हो चुका है। तुम भाग नहीं सकती। तुम पहले ही निशान लगी हो।"
और फिर—वह गिर पड़ा।
उसका शरीर बोझिल आवाज़ के साथ जमीन पर गिरा, उसकी आँखें सामान्य स्थिति में लौट आईं, उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था जैसे वह बस बेहोश हुआ हो।
भीड़ ने आखिरकार ध्यान दिया, उसकी ओर दौड़ी, मदद के लिए चिल्लाई। लेकिन अनन्या हिली नहीं। वह हिल नहीं सकी। उसके पैर पत्थर के जैसे थे, खून ठंडा हो गया था।
उसकी पहली सोच राघव के लिए नहीं थी।
वह उसके लिए थी।
नामजून।
वह उछल-उछल कर आसपास देखने लगी, आधे मन से उम्मीद करते हुए कि नामजून छाया से निकलेगा, आधे डर से। पर फिर भी वह नहीं था।
पहली बार जब वह उससे मिली, अनन्या सचमुच और भयावह रूप से अकेली महसूस हुई।
उस रात, उसने अपने कमरे को ताला लगा लिया।
उसके माता-पिता ने पूछा कि वह ठीक है या नहीं—उसने झूठ बोला, कहा कि वह सिर्फ थकी हुई है। वह यह नहीं समझा पाई कि उसने क्या देखा था। वह खुद को भी समझा नहीं पाई।
पर एक सच उसके दिमाग़ में चिल्ला रहा था—वह दुनिया जिसमें उसे खींचा गया था, उसे जाने नहीं दे रही थी।
वह अपने पलंग के किनारे बैठी थी, अपने घुटनों को गले लगाए हुए, खुद से फुसफुसा रही थी, "मैं इसे नहीं चाहती। मैं इसे बिलकुल नहीं चाहती।"
उसकी खिड़की हिली।
अनन्या ठिठक गई। बाहर की हवा इतनी तेज़ नहीं थी कि खिड़की हिला सके।
धीरे-धीरे उसने अपने सिर को कांच की तरफ घुमाया।
और जम गई।
एक आकृति खिड़की के बाहर खड़ी थी, लंबा और पतला, धुंधली चंद्रमा की रोशनी के खंड में उभरा हुआ। उसके बाल चाँदी जैसे थे, बर्फ के तारों जैसे चमकते हुए। उसकी आँखें—तेज़, बिल्ली जैसी, हल्की हरी आग की चमक के साथ—सीधी उसकी ओर देख रही थीं।
वह मुस्कुराया।
न तो गर्मजोशी से, न ही दया से, पर तीखे, जानकार और खतरनाक अंदाज़ में।
अनन्या चिल्लाने ही वाली थी कि खिड़की अपनी मर्जी से खोली गई, शांति से अंदर खुल गई।
अजनबी अंदर आ गया।
अनन्या का हर इंसिंक्ट उसे दौड़ने को कह रहा था, पर उसका शरीर मदद नहीं कर रहा था। उसकी मौजूदगी भारी थी, नामजून की भारी छाया जैसी नहीं, बल्कि कुछ और भी खतरनाक, अधिक सुरुचिपूर्ण, और घुटन देने वाली।
वह धुएं की तरह चलता था, सजग, हर कदम सोच-समझकर उठाया गया, उसे याद दिलाने के लिए कि वह शिकार है।
"तुम… तुम कौन हो?" वह कंपकंपाती आवाज़ में बोली।
उस आदमी ने सिर थोड़ा झुकाया, मुस्कान उसके चेहरे से गायब नहीं हुई। "मिन योओन्गी।" उसकी आवाज़ नर्म, रेशमी, पर ज़हर भरी थी। "और तुम, छोटी इंसान… मेरी हो।"
अनन्या की सांस रुकी। "क्या…?"
"तुम में उसकी खुशबू है,"योओन्गी धीरे बोला, करीब आया। उसकी आँखों में भूख की चमक थी जो अनन्या के पेट को मरोड़ती थी। "किम नामजून की निशानी। जैसे ही मैं इस दुनिया में आया, उसे महसूस किया।"
उसका दिल तेज़ धड़कने लगा। "मैं… मैं नहीं जानती कि तुम क्या कह रहे हो—"
योओन्गी ने ठंडी हँसी दी। "मुझसे झूठ मत बोल, बच्ची। तुम्हें एक राक्षस की निगाहों ने छुआ है, उसकी छाया में लपेटा गया है। वह बंधन छुपाया नहीं जा सकता। और अब…" उसका मुस्कान फैल गया, शिकारी जैसा। "यह अब मेरा है।"
अनन्या पीछे हटी, दीवार को टकराई। "मुझसे दूर रहो।"
योओन्गी बस एक फुट की दूरी पर रुका, उसकी आभा बर्फ सी जंजीरों जैसी उस पर दबाव डाल रही थी। वह करीब झुका, सांस उसके कान के पास चली। "क्या तुम सोचती हो नामजून तुम्हें मुझसे बचा सकेगा? वह पहले ही हार रहा है। वह गिर रहा है। और जब वह टूटेगा, तो उसके अंदर का असली राक्षस ही बचेगा।"
उसका दिल जोर से धड़कने लगा, डर उसके सीने में चढ़ गया। लेकिन उसके भीतर कहीं एक गुस्सा जागा। "तुम गलत हो। वह तुम्हारे जैसा नहीं है।"
योओन्गी का मुस्कान पहचाना में फिका पड़ा, उसकी आँखों में हरी आग चमकी। "देखेंगे।"
उसके कमरे की छायाएँ कांप उठीं, उसके सामने लपेटने लगीं जैसे उनकी आवाज़ सुन रही हों। अंधेरा गाढ़ा होने लगा, दीवारों के कोनों में फैल गया, उसकी फेफड़ों के आसपास हवा कस गई।
और फिर—
"उससे दूर रहो।"
आवाज तीखी, धीमी, गुस्से से भरी थी।
अनन्या की आंखें दरवाज़े की ओर झपकीं।
नामजून।
वह खड़ा था, लंबा और अडिग, उसकी अपनी क्रिमसन आँखें पहले से कहीं अधिक चमक रही थीं। जबड़ा तना हुआ था, मुट्ठियां बंद थीं, उसका पूरा शरीर इतनी अंधेरी शक्ति से भरा था कि उसने योओन्गी की आवाज़ और उसकी बुलाही छायाओं को भी दबा दिया था।
योओन्गी मुस्कुराया, थोड़ा पीछे हट गया। "तुम्हें मिलने में देर लग गई।"
नामजून ने गरजते हुए कहा, "वह तुम्हारी नहीं है।"
योओन्गी ने सर सरकाया, बेपरवाह। "फिर उसका ऐसा गंध क्यों है? क्यों उसकी आत्मा तुम्हारे साथ उलझी हुई है?"
अनन्या की सांस रुकी। वह नामजून की तरफ देखती रही, जवाब की तलाश में, लेकिन वह अपनी नजरें योओन्गी पर बनाए हुआ था।
चारों ओर का सन्नाटा ही जवाब था।
योओन्गी ठंडी और गम्भीर हँसी हँसा। "तुमने नियम तोड़े, नामजून। तुमने उसे निशान लगा दिया। और अब बाकी भी आएंगे। तुमने उसकी मौत तय कर दी।"
नामजून की अंधेरी शक्ति फूटी, हवा में कच्ची ताक़त कड़क रही थी। "अगर तुमने उसे छुआ—"
योओन्गी ने एक हाथ उठा कर कहा, "अपनी धमकियाँ रोको। यह तो बस शुरुआत है।"
उसका शरीर छाया में घुल गया, गुम हो गया, उसकी ताने भरी हँसी कमरे में गूँजती रही।
जो सन्नाटा छाया, वह गूँजता रहा।
अनन्या दीवार से टिक गई, उसका सीना भारी-भरकम था, पूरा शरीर काँप रहा था। वह चीखना चाहती थी, रोना चाहती थी, जवाब मांगना चाहती थी।
पर उसने बस एक ही शब्द फुसफुसाया।
"क्या यह सच है?"
नामजून ने आखिरकार उसकी ओर देखा। उसकी आँखें थोड़ी नरम हुईं, उसका क्रिमसन रंग थोड़ा फीका पड़ा, लेकिन उस पर भार अभी भी था।
"अनन्या…" उसकी आवाज़ धीमी, लगभग गुहार थी।
"क्या यह सच है?" उसने फिर पूछा, उसकी आवाज़ फटी हुई थी। "क्या तुमने… मुझे निशान लगा दिया? क्या तुमने मुझे इस दुनिया का हिस्सा बनाया?"
नामजून की खामोशी किसी भी कबूलनामे से बढ़ कर थी।
अनन्या के घुटने मुड़े। वह ज़मीन पर गिर पड़ी, आँसू उसकी आँखों को झुलसा रहे थे।
अब उसकी ज़िन्दगी उसकी नहीं थी।
और वह नहीं जानती थी कि क्या वह उससे नफ़रत करती है… या उसे पहले से ज़्यादा चाहिए।
प्रलोभन की छायाएँ
अनन्या चिल्लाते हुए जाग उठी, उसकी आवाज़ गले में अटक गई। पसीने से भीगा उसके बाल, चादर उसकी टांगों के चारों ओर बेलों की तरह लिपटी हुई थी। दुःस्वप्न रुके नहीं थे। वे और तेज़, और जीवंत होते गए—मिन योओन्गी की हरी आग जैसी आँखें छायाओं में चमक रही थीं, नामजून की क्रिमसन नज़र हर कदम पर उसे देख रही थी, और वह घुटन भरी फुसफुसाहट: "तुम उससे या मुझसे बच नहीं सकती…"
वह बिस्तर पर बैठी, हाथ कांप रहे थे, और खुद को साँस लेने की मजबूरी दी। उसका कमरा शांत था, टूटे हुए खिड़की से चाँदनी घुल रही थी। लेकिन यह चुप्पी दबी हुई, लगभग जिंदा लग रही थी। वह सच जानती थी—वह अकेली नहीं थी।
जैसे ही उसके विचार भटकने लगे, दीवारों पर छायाएँ चमकीं। एक ठंडी सिहरन उसके कमरे में दौड़ गई। उसने गहरी साँस ली, चादर को कसकर पकड़ा।
"दूर रहो… कृपया…" वह फुसफुसाई।
छायाओं ने कोई जवाब नहीं दिया। वे उसकी आँखों से तेज़ी से गुजरीं, फर्श के साथ लिपटती हुई, उसकी ओर फैलने लगीं। फिर—रोशनी आई। एक आकृति कोने से बाहर निकली, लंबी, चौड़ी, अंधकार में लिपटी हुई।
नामजून।
वह तुरंत कुछ नहीं बोला। बस खड़ा रहा, उसे उसे घूरने दिया। उसकी क्रिमसन आँखें हल्की चमक रही थीं, उसके हाथों के कांपने और उसके सँवेदनशील शरीर की हर झिलमिलाहट को देख रही थीं।
अंत में, उसने धीमी और मापी हुई आवाज़ में बोला, "तुम्हें रात को अकेली नहीं होना चाहिए था।"
अनन्या ने अपने घुटनों को कस लिया। "मैं… मैं ठीक हूँ। तुम्हें यहाँ रहने की ज़रूरत नहीं है।" उसकी आवाज़ कांप रही थी, उसके झूठ को बयां करती हुई।
नामजून की नज़र तेज़ हो गई। "तुम समझती नहीं। तुम ठीक नहीं हो। योओन्गी… वह पहले ही तुम्हारे लिए पहुंच रहा है।"
उसका मुंह घूम गया। "वह—क्या? कैसे? वह तो एक राक्षस है! मैं उससे दूर नहीं रह सकती?"
नामजून थोड़ा करीब आया, उसके कदमों के साथ छायाएँ फुसफुसाईं जैसे वो उसकी माताएँ हों। "क्योंकि जितना तुम सोचती हो वो उससे ज़्यादा ताक़तवर है। और तुम—" उसकी आँखें पल भर के लिए नरम हुईं, लगभग असहनीय रूप से मानवीय—"तुम पहले से ही मेरी दुनिया का हिस्सा हो। उस निशान ने तुम्हें बाँध रखा है, तुम चाहो या न चाहो।"
अनन्या के हाथ काँपने लगे। "मैं यह सब नहीं चाहती… मैं तुम्हारे साथ, इस दुनिया के साथ, उसके साथ बंधी नहीं होना चाहती!"
नामजून ने हल्का झटका महसूस किया, जैसे उसके शब्द किसी चाकू से ज़्यादा गहरे घाव कर गए हों। वह लंबे समय तक चुप रहा, फिर उसकी आवाज़ कड़ी हो गई। "फिर भी, तुम उस बंधन की गिरफ्त में हो। तुम इससे बच नहीं सकती, अनन्या। भागने से बस विलंब होता है।"
यह शब्द दर्द दे रहे थे, और आँसू उसकी आँखों में झलकने लगे। वह पलटना चाहती थी, उससे भागना चाहती थी, पर उसका शरीर जकड़ सा गया था। उसकी मौजूदगी भारी थी—शक्तिशाली, खतरनाक, और किसी तरह… चुंबकीय।
बात करने से पहले, उसके कमरे की छायाएँ गाढ़ी होने लगीं, अजीब तरह से मुड़ीं। वे रोशनी में तेज़ी से चलीं, फुसफुसाती आकृति बन गईं जो दाढ़ें दिखाती और फुफकारती थीं। वह पीछे हट गई, अपनी चादर से ठोकर खाई, साँस अटक गई।
नामजून की आँखें क्रिमसन चमकीं। "मेरे पीछे रहो!"
वह जैसे काली धारा की तरह चला, उसकी आँखें कभी पकड़ न पाएं। एक छाया उस पर झपटी, और उसने काली ऊर्जा की लहर से उसे तुरंत नष्ट कर दिया। एक ने उसके कन्धे पर पंजा लगाया, पर नामजून ने समय रहते उसे रोका, उसकी त्वचा पर छाया की जलन छोड़ दी।
अनन्या दीवार से लग गई, दहशत और आकर्षण दोनों में उसे देख रही थी। उसका हर कदम घातक, सटीक, और डरावना था। उसका दिल तेज़ धड़क रहा था।
जब आखिरी छाया फर्श में घुल गई, चुप्पी छा गई। नामजून का सीना तेज़ी से उठ-गिर रहा था, उसकी निगाहें बची-खुची धमकी के लिए चारों ओर थीं। फिर वह उसकी ओर मुड़ा।
"तुम अकेली नहीं हो सकती, अनन्या," उसने कहा, आवाज़ भावनाओं से भरी। "न अब, न कभी।"
उसके होंठ कांपने लगे। "तो… तुमने मुझे भागने से क्यों रोका नहीं? क्यों मुझे यह दिखने दिया कि मैं दूर रह सकती हूँ?"
नामजून का चेहरा गहरा हो गया। "क्योंकि में तुम्हें सच समझना चाहता था। तुम सोचती हो दूर रहना तुम्हें सुरक्षित करेगा, पर यह तुम्हें उजागर करता है। योओन्गी जानता है कि तुम कहाँ हो। वह तुम्हें परख रहा है। तुम्हें आगे बढ़ा रहा है।"
उसने कड़ी निगला। "मुझे परखना… क्यों?"
वह तुरंत जवाब नहीं दिया। इसके बजाय, वह करीब आया, उसकी नज़रें उसकी नज़र से टकराईं। "तुम्हें पाने के लिए," वह अंततः बोला, आवाज़ ग़ालिबन किसी गुर्राहट जैसी। "वह तुम्हें चाहता है जो मैंने निशानी लगाई है। और उसे पाने के लिए वह कुछ भी करेगा।"
अनन्या ने सिर हिलाया। "मैं तुम्हारी नहीं हूँ… मैं उसकी नहीं हूँ… मैं इस सबकी नहीं हूँ!"
नामजून की आँखें क्षण के लिए नरम हुईं, उनके भीतर दर्द छा गया, फिर वे फिर से ताक़त के कठोर मुखौटे में बदल गईं। "चाहे तुम मानो या न मानो, तुम पहले से ही हो।"
उसके जवाब से पहले, कमरे में एक ठंडी, मज़ाकिया, सधी हुई हँसी गूँजी।
योओन्गी।
वह फिर खिड़की पर प्रकट हुआ, उसकी हरी आग की झलकती आँखें, उसकी मुस्कान इतनी तेज़ कि काट सकती थी। "क्या प्यारी बात है," वह कहता है। "छोटी इंसान आखिरकार समझ रही है कि वह फंसी हुई है। और यहाँ है… उसका तथाकथित उद्धारकर्ता। क्या मज़ेदार मामला है।"
अनन्या ने अपना हाथ मुंह तक ले लिया। "नहीं! मुझसे दूर रहो!"
योओन्गी हँस पड़ा, खिड़की से फ्लूइड ग्रेस के साथ अंदर आया, जिससे फर्श की लकड़ी चरमरा गई। "तुम भाग सकती हो, छोटी इंसान, पर छायाएँ हमेशा तुम्हें ढूंढ़ेंगी। और मुझे तुम्हें संघर्ष करते देखना पसंद है।"
नामजून उसकी ओर बढ़ा, उसके चारों ओर छायाएँ घूमने लगीं, एक सुरक्षात्मक आवरण बनाते हुए। "उससे दूर रहो, योओन्गी।"
योओन्गी की आँखें चमक उठीं, उनमें मस्ती नाच रही थी। "या फिर? तुम मुझे रोक दोगे? तुम उसे उसकी ही खून से बचा नहीं सकते। निशानी उसे बांधती है। यह अनिवार्य है।"
अनन्या के घुटने कांपने लगे। "निशानी… इसका क्या मतलब है?"
नामजून ने जबड़ा कस लिया। "इसका मतलब है कि तुम मेरी सुरक्षा के दायरे में हो। और इसलिए तुम योओन्गी का निशाना हो। वह तुम्हें भ्रष्ट करना चाहता है, तुम्हें लेना चाहता है, जो मेरे साथ बंधा हुआ है। निशानी सिर्फ चेतावनी नहीं है—यह जुड़ाव है। तुम्हारी आत्मा मेरी आत्मा से जुड़ी है।"
ये शब्द उसके सीने में गहरे उतर गए, किसी भी छाया से ज़्यादा भारी। "मैं… मुझे नहीं पता कि मैं कर पाऊंगी या नहीं…"
नामजून का हाथ उसके हाथ के सिर्फ इंचों दूर था। "तुम कर सकती हो। पर तुम्हें मुझ पर भरोसा करना होगा। सिर्फ इस बार। सिर्फ मेरे साथ तुम उस आने वाली मुसीबत से बच पाओगी।"
योओन्गी की हँसी फिर गूँजी, इस बार ज़ोर से, कमरे में गूंजती हुई। "उस पर भरोसा? गरीब छोटी इंसान। वह तो बस अनिवार्य विलंब कर रहा है। तुम मेरी ही हो जितनी उसकी। पर… ये शानदार हिचक है। तुम्हारे दिल को दो दिशाओं में खींचते देखना… लाजवाब।"
अनन्या की आँखें बड़ी हुईं, भय और क्रोध मिली-जुली। वह चिल्लाना चाहती थी, भागना चाहती थी, लड़ना चाहती थी, कहीं भी, पर यहाँ नहीं। फिर भी… वह हिल नहीं पाई।
नामजून की आवाज़ कड़ी फुसफुसाहट थी, लगभग अंतरंग। "उसकी बात मत सुनो। न अब न कभी। वह तुम्हें तोड़ना चाहता है, तुम्हें संदेह में डालना चाहता है—अपने आप पर, मुझ पर, सब पर। तुम उससे कहीं ज़्यादा मजबूत हो।"
अनन्या ने कड़ी निगला। "मैं… मैं तुम पर विश्वास करना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ। पर मुझे डर लग रहा है।"
वह करीब आया, छायाओं ने उसे कवच की तरह घेर लिया। "मुझे पता है। और मैं उसे तुम्हें छूने नहीं दूंगा।"
शब्द उसे आश्वस्त करने चाहिए थे। पर तब योओन्गी सोच से तेज़ी से हिला, उसकी लैंप की रोशनी के घेरे में आ गया। "और अगर मैं छू लूं?" उसने ताना मारा, उसकी मुस्कान खतरनाक, आँखें चमक रही थीं। "क्या तब वह तुम्हें बचाएगा?"
नामजून की आँखें क्रिमसन हुईं। छायाओं ने जोरदार तरीके से उसके चारों ओर उफन कर हमला किया। "मुझे आज़माओ।"
अनन्या ने महसूस किया कि कमरा हिल रहा है, दीवारें उनके द्वंद्व से झुक रही हैं। भय और अचरज के बीच, वह उन दो राक्षसों को देख रही थी—रक्षक और शिकारी—जो उसे ग्रहों की तरह घेर रहे थे।
योओन्गी अचानक उसकी नज़र से गायब हो गया, फिर उसके पीछे प्रकट हुआ। वह घूमी, चिल्लाने को तैयार, मगर नामजून वहाँ था, उसने अपना हाथ उसके कंधे पर हल्के लेकिन मजबूती से रखा, उसे हरी आग के रास्ते से हटा दिया।
"तुम अकेले उसका सामना नहीं कर सकती," नामजून ने कहा। उसकी आवाज़ नरम, लगभग प्रेमपूर्ण थी पर धमकी में डूबी। "तुम मेरी सुरक्षा में हो। इसे स्वीकार करो। मेरे साथ जियो या मर जाओ।"
अनन्या का दिल तेज़ धड़क रहा था। वह आज़ादी चाहती थी। वह दूर जाना चाहती थी। वह हर खिंचाव, हर जुड़ाव, हर निशानी से इनकार करना चाहती थी।
फिर भी, जब उसने नामजून की क्रिमसन, अडिग आँखों में देखा, तो उसके भीतर कुछ बदला। न तो प्यार—अभी नहीं—पर समझ का अंकुर दिखा: ज़िंदा रहने के लिए उसके साथ खड़ा होना अनिवार्य था। उसके पास खड़ा होना।
चाहे उसे डर भी लगे।
कमरा फिर से शांत हो गया, केवल छायाओं की धीमी, सोच-समझ कर फुसफुसाहट सुनाई दे रही थी, कोनों में घुमती, इंतजार करती, देखती हुई।
और कहीं, उसके हॉस्टल की दीवारों के पार, मिन योओन्गी मुस्कुरा रहा था। इंतजार कर रहा था। धैर्य रख रहा था। सोच रहा था।
क्योंकि खेल अभी शुरू हुआ था।
और अनन्या का भाग्य अब उसका निर्णय नहीं था |
राक्षस का प्रलोभन
अनन्या सुबह की लेक्चर में सबसे पीछे वाली सीट पर बैठी थी, उसकी नोटबुक खुली थी, पेन तैयार था, लेकिन उसकी आँखें बेरंग थीं। प्रोफेसर राजनीतिक सिद्धांतों के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन वह कुछ सुन नहीं पा रही थी। उसे सिर्फ़ पिछली रात की योओन्गी की हँसी की आवाज़ उसके दिल में गूँजती हुई सुनाई दे रही थी।
वह ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही थी—कलम की खरखराहट, फ्लोरोसेंट लाइट्स की गूँज, कुछ भी जो सामान्य मानव जैसा हो। लेकिन हर बार उसकी पलक झपकाने पर, कमरे की छायाएं अजीब लंबी हो जाती थीं। वे उसकी ओर झुकती, उसके कानों के किनारे फुसफुसातीं।
तुम सदा के लिए नहीं भाग सकती।
उसका पेन फिसल कर फर्श पर गिर पड़ा। कई लोग उसकी ओर मुड़े। वह जल्दी से झुककर उसे उठाने लगी। जब वह सीधी हुई, तो उसने कक्षा की खिड़की से हल्की चमकती क्रिमसन आँखें देखीं—नामजून।
उसका दिल कूद गया। वह अब हमेशा उसके आस-पास था—देखता, सरक्षित करता, सताता। वह अंदर नहीं आता, उसके साथ नहीं बैठता, बस उसकी दुनिया के किनारों पर मंडराता रहता, उसे याद दिलाता कि वह आज़ाद नहीं है।
जब घंटी बजी, तो वह जल्दी बाहर निकल गई, अपनी किताबें कसकर पकड़ती हुई। उसे उम्मीद थी कि वह उसका पीछा करेगा। लेकिन उसकी जगह कोई और उसके कंधे से टकराया और वह लड़खड़ाई।
“सावधान,” एक आवाज़ ने कहा।
अनन्या जड़ हो गई। वह आवाज़।
वह मुड़ी। योओन्गी वहाँ खड़ा था, आराम से मुस्कुराता हुआ, जैसे वह छात्रों की भीड़ में एक हिस्सा हो। उसके काले बाल उसकी हरी आग सी आँखों पर लटक रहे थे, पर कोई उसे देख नहीं रहा था। लोग उसे अनदेखा करते हुए चल दिए, जैसे वह उनकी नज़रों से गायब हो।
उसका गला सूख गया। “तुम—”
उसने सिर हिलाया, मस्ती से। “मैं।”
उसके पैर दौड़ने को चीख रहे थे, पर वह नहीं भाग सकी—यहाँ नहीं, इतने लोगों के बीच, जो नहीं जानते थे कि वह किस जाल में फंसी है। उसकी आवाज़ कांप रही थी, “मुझसे दूर रहो।”
योओन्गी ने मुँह ख़राश करते हुए कहा, और करीब झुका, सिर्फ़ उसकी सुन सके—“मैंने पहले ही तुम्हें चेतावनी दे दी है, छोटी इंसान। मैं दूर नहीं रहता। मैं विकल्प देता हूँ।”
“विकल्प?”
उसका हँसना चौड़ा हुआ। “आजादी। उससे। इस… अभिशाप से जो तुमने कभी नहीं मांगा।" उसकी आँखें उस हॉल की खिड़की की ओर झुकीं, जहाँ नामजून की छाया थी। “वह तुम्हें जकड़े हुए है, मैं जंजीर काट सकता हूँ।”
उसका दिल धड़कने लगा, भय और गुस्सा दोनों साथ-साथ थे। “तुम्हारा मतलब मुझे गुलाम बनाना है।”
योओन्गी ने ठंडी हँसी में कहा, “नहीं, नहीं। मुझे तुम्हें बाँधना नहीं है, अनन्या। मैं चाहता हूँ कि तुम चुनो। क्या यह प्यारा नहीं है?”
वह जवाब देने से पहले, उसका रूप चमकते हुए भीड़ में खो गया, उसे कांपते हुए छोड़ गया।
उस रात, ख्वाब आए।
अनन्या खुद को एक विशाल काली शून्यता में खड़ा पाई, ऊपर दूर तारें हल्की चमक बिखेर रही थीं। हवा में धुआं और धातु की गंध थी। दूर से, कदमों की आवाज़ें गूँजने लगीं।
योओन्गी काले कपड़ों में प्रकट हुआ, उसकी हरी आँखें दो ज्वालाओं की तरह जल रही थीं। वह सपनों की दुनिया में लगभग खूबसूरत लग रहा था—अछूता, आकर्षक, अंधकार से तराशा गया प्रलोभन।
“तुम यहाँ क्यों हो?” उसने पूछा।
“क्योंकि तुमने मुझे बुलाया,” उसने सहज जवाब दिया।
“मैंने नहीं किया!”
“तुमने किया। जब भी तुम उससे बचना चाहती हो, जब भी तुम अपने भाग्य को कोसती हो, जब भी तुम आज़ादी के लिए तड़पती हो…” वह करीब आया,ठंडी आवाज़ में खामोशी से कहा, “मैं ही हूँ, अनन्या। मैं आज़ादी हूँ।”
उसकी साँस थम गई। वह पीछे हटने लगी, पर शून्यता झुकी, हर कदम के साथ उसे अपनी ओर खींच रही थी। “रुक जाओ। मैं तुम्हें नहीं चुनूँगी।”
उसकी मुस्कान नरम हुई, अजीब तरह से कोमल। “अभी नहीं। पर तुम करोगी। क्योंकि मैं झूठ नहीं बोलता। नामजून सुरक्षा की बातें करता है, लेकिन वह केवल कब्ज़ा करना चाहता है। मैं तुम्हें सच्चाई देता हूँ—तुम मजबूत हो, लेकिन उसके साथ सुरक्षित नहीं। मेरे साथ हो तो सुरक्षित रह सकती हो।”
उसका हाथ उसकी ओर बढ़ा, हथेली खुली, इंतजार करती।
अनन्या कांप गई, भय और जिज्ञासा के बीच फँसी हुई। उसके शब्द गहराई तक पहुँचते हुए उसके अपने संदेह की आवाज़ बन गए।
वह जवाब देने ही वाली थी—
और पसीने से भीगी, चीखती हुई जाग गई।
नामजून वहां था, उसके कमरे के कोने पर बैठा, उसकी आँखें अंधेरे में हल्की चमक रही थीं।
उसका दिल रुक गया। “तुम… मुझे देख रहे थे?”
उसने भारी आवाज़ में कहा, “तुम उसे सपनों में फिर से देख रही थी।”
उसका सीना कस गया। “मैं इसे संभाल नहीं पा रही!”
“मुझे पता है।” वह धीरे से उठ खड़ा हुआ, करीब आया। उसका चेहरा पढ़ना मुश्किल था, पर जबड़ा कस गया था। “इसलिए तुम्हें अकेला नहीं छोड़ सकते।”
उसके अंदर एक चीज़ टूट गई। “मैं ऐसा जीवन नहीं जी सकती, नामजून! तुम मेरे पीछे पड़े हो हर वक्त, योओन्गी मेरे सपनों में फुसफुसाता है—में एक इंसान हूँ! मैं इसके लिए नहीं बनी हूँ!”
उसकी आँखों में दर्द चमका। “क्या तुम सोचती हो मैं यह चाहता हूँ? कि मैं तुम्हें निशान लगाऊँ? मैंने विरोध किया, मैं असफल रहा। अब इसे उलट नहीं सकता।”
उनके बीच खामोशी छा गई। पहली बार, उसने एक राक्षस की जगह उस आदमी को देखा जो अपनी ही गलतियों से पीड़ित था।
फिर भी… इससे उसका डर कम नहीं हुआ।
अगले दिन कॉलेज में, सब कुछ टूट गया।
अनन्या आंगन में चल रही थी जब हवा बदली। एक अजीब चुप्पी छा गई, बहुत शांत, बहुत भारी। फिर अचानक, जमीन से छायाएँ फूट पड़ीं—लंबे पंजे, घूमते तंतु, सीधे उसकी ओर बढ़ते हुए।
वह चिल्लाई, पीछे हट गई। छात्र जड़ हो गए, पर किसी को कोई राक्षस दिखा नहीं। उनके लिए, वह खाली हवा से लड़ रही थी।
नामजून तुरंत प्रकट हुआ, उसके चारों ओर अंधेरा कवच की तरह फूटा। उसका असली रूप इंसानी ढकेले के नीचे हिल रहा था—सींग सिर पर झुके हुए, पंख फैलाए हुए, आंखें लाल रोशनी से जली हुईं।
अनन्या थम गई, सिहरन उसके शरीर में दौड़ गई। वह शानदार, भयावह लग रहा था—वह राक्षस जिसकी वह मना कर चुकी थी।
छायाएँ झपटीं, और नामजून तेज़ी से उनमें से एक को काट डाला। उसकी ताक़त आंगन को हिला रही थी, बावजूद इसके कोई और उसे देख नहीं पा रहा था। उनके लिए वह अदृश्य था—सिर्फ अनन्या उसे देख पा रही थी।
उसका घुटना लड़खड़ा गया जब एक पंजा उसके लिए बढ़ा। उससे पहले नामजून उसकी सुरक्षा में था, अपने शरीर के साथ छाया को रोक रहा था। छाया उसके सीने पर टूट गئي।
उसने गर्जना की, “वह मेरी है!”
आंगन शांत हो गया। छायाएँ घुल गईं। पर उसकी ये बात उसके कानों में जंजीर की तरह गूँज रही थी।
मेरी।
उसका दिल मुड़ गया।
नामजून उसकी ओर मुरझाया, उसका असली रूप धीरे-धीरे इंसानी रूप में बदल गया। उसकी आँखें नरम हुईं, पर हर निशानी में चिंता थी। “क्या तुम घायल हो?”
वह सिर हिला कर ना में जवाब दिया, सुन्न।
वह उसे थामने आगे बढ़ा, पर वह झिझकी। उसका हाथ मध्य हवाई स्थिति में ठहर गया, धीरे-धीरे नीचे गिर गया।
उसकी आँखों में दर्द सा था जो सहना मुश्किल था।
उस रात फिर योओन्गी आया।
इस बार वह पहेलियाँ नहीं बोला। वह उसके बिस्तर के पैर के पास खड़ा था, चारों ओर छायाएँ मंडरा रही थीं, मुस्कान तेज।
“अब उसे देखो कि वह क्या है। एक राक्षस। एक पिंजरा।”
अनन्या दीवार से टिक गई, उसकी साँस काँप रही थी। “और तुम क्या बेहतर हो?”
उसका मुस्कान बढ़ा। “नहीं। लेकिन मैं दिखावा नहीं करता।”
वह उसके बिस्तर के पास घुटने टेककर बोला, उसकी आवाज़ धीमी हो गई। “तुम उससे डरती हो। लेकिन मेरे साथ… तुम्हें कभी भयभीत होने की ज़रूरत नहीं होगी। मैं तुम्हें ताक़त दूंगा, लड़ने का तरीका, चुनने का अधिकार।”
उसका दिल तेज़ धड़कने लगा। उसकी बातें ज़हरीली, मधुर सी लग रही थीं।
“हाँ कहो,” योओन्गी बोला, उसकी हरी आँखें जल रही थीं। “मेरे साथ अंधेरे में चलो, और तुम कभी असहाय नहीं रहोगी।”
एक पल के लिए, उसे उस पर यकीन हो गया। वह उसका हाथ पकड़ना चाहती थी।
लेकिन फिर—
नामजून दरवाज़ा फोड़ता हुआ अंदर आया, उसकी आँखें जल रही थीं, क्रोध उसके साथ था। “योओन्गी!”
कमरा कंपने लगा, छायाएँ छलक गईं। योओन्गी हँस पड़ा, आराम से खड़ा रहा।
“सावधान, नामजून। जितना तुम पकड़ कर रखोगे, वह उतनी ही जल्दी तुम्हारे हाथ से छूट जाएगी।”
फिर वह गायब हो गया, उसकी ताने भरी हँसी की गूँज छोड़ गया।
नामजून अनन्या की ओर मुड़ा, उसका सीना भारी था। उसकी आँखों में डर था—अपने लिए नहीं, उसके लिए।
“उसकी बात मत सुनो,” उसने फुसफुसाया। “जो भी वह कहे, भरोसा मत करो।"
अनन्या के होंठ खुल गए, पर कोई शब्द नहीं निकला। उसका दिल टूट रहा था, दिमाग़ बिखर रहा था।
क्योंकि उस समय, उसे एक भयावह सच्चाई का एहसास हुआ:
उसने नहीं जाना कि वह किससे अधिक डरती है—योओन्गी के प्रलोभन भरे अंधकार से… या नामजून के जबरदस्त दावे से।
और शायद… उसने अपने आप से ही सबसे ज़्यादा डरना शुरू कर दिया था।
अंधेरे की दहलीज़
रात के ठीक बारह बजे थे। शहर की गलियाँ सूनी थीं, और आसमान का अँधेरा किसी अनजाने पर्दे सा लग रहा था। एक पुरानी घड़ी के टावर से गूँजती टिक-टिक पूरे सन्नाटे में चाकू की धार जैसी लग रही थी।
अनन्या अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी थी। उसकी नज़रें आसमान पर अटकी थीं—वही आसमान जो पिछले कुछ हफ़्तों से उसे बार-बार डराता था। जब भी वह अकेली होती, उसे लगता कोई उसे देख रहा है।
आज फिर वही एहसास…
खिड़की के शीशे के धुँधलेपन पर उसकी साँस की नमी जमी, और उसी में उसे झलकता दिखा—दो परछाइयों का टकराव। एक आग की लपटों सी सनसनाती, दूसरी धुंध की तरह ठंडी और मोहक।
“क्या मैं पागल हो रही हूँ?” उसने खुद से पूछा, लेकिन जवाब खामोशी ने दिया।
अचानक बाहर कहीं एक कौवा जोर से काँव-काँव करके उड़ गया। हवा का झोंका आया, और खिड़की पर रखी किताब अपने आप खुल पड़ी। पन्नों पर उभरा शब्द था—
“चुनाव।”
उसका दिल काँप गया।
वो जानती थी—आज की रात उसके लिए साधारण नहीं होगी
रात गहरी थी। आसमान में चाँद बादलों से छिपा हुआ था,
उसके दिमाग में बार-बार वही दो आवाज़ें गूंजती थीं—नामजून की बेचैन, टूटती हुई आवाज़ और यूंगी की खतरनाक पर शहद जैसी मीठी फुसफुसाहट।
“मैं क्यों फँस गई इनके बीच?” उसने धीरे से बुदबुदाया।
दिल की धड़कनें तेज़ थीं। उसे ऐसा लगता था जैसे किसी ने उसकी छाती में कोई पिंजरा रख दिया हो और उसमें एक घायल पक्षी लगातार तड़प रहा हो।
अचानक खिड़की से हवा का तेज़ झोंका आया। पर यह सामान्य हवा नहीं थी। इस हवा में ठंडक थी, और साथ ही एक अजीब सी गंध—जली हुई लकड़ी और किसी पुराने जंगल की मिट्टी की गंध।
अनन्या ने धीरे से सिर उठाया। खिड़की के पास एक परछाई उतर रही थी। परछाई धीरे-धीरे गाढ़ी हुई, और फिर उसमें से एक चेहरा उभरा—तेज़ नक्श, नुकीली आँखें जो हरे आग की तरह चमक रही थीं। होंठों पर हल्की सी मुस्कान।
“मुझे याद किया, अनन्या?” आवाज़ इतनी मुलायम थी कि जैसे कोई संगीत कानों में उतर रहा हो।
उसका दिल धड़कना भूल गया।
“यूंगी…” उसके होंठों से नाम फिसल गया।
वह मुस्कुराया, धीरे-धीरे कमरे के अंदर आता हुआ। उसके कदमों की आवाज़ तक नहीं थी। वह हवा की तरह हल्का था, पर उसके साथ अंधेरे का बोझ भी था।
“डरो मत। मैं तुम्हे लेने नहीं आया… कम से कम अभी नहीं।” उसने उसकी तरफ देखा, आँखों में एक गहरी चमक के साथ। “बस यह याद दिलाने आया हूँ कि तेरे पास अब भी चुनाव है।”
अनन्या काँपते हुए बोली—“अगर मैं तुम्हारे साथ गई तो?”
यूंगी की मुस्कान और फैल गई। वह और पास आया, इतना कि अनन्या उसकी साँसों की ठंडक महसूस कर सकती थी।
“तो तुम आज़ाद हो जाओगी। नामजून की जंजीरों से, उसके आदेशों और गुस्से से। मेरे साथ रहकर तुम सिर्फ़ वही होगी जो तुम बनना चाहती हो। न कोई बंधन, न कोई डर। बस तुम और मैं…” उसने हाथ बढ़ाया, “…और हमारे बीच का अंधेरा।”
अनन्या पीछे हट गई। उसका शरीर काँप रहा था, लेकिन उसकी आँखें उस पर जमी थीं।
और तभी अचानक—
दरवाज़ा जोर से खुला।
नामजून खड़ा था। उसकी आँखें लाल आग की तरह जल रही थीं। उसके चेहरे पर दबा हुआ गुस्सा और बेचैनी दोनों थे। उसके आस-पास हवा भारी हो गई थी, जैसे कमरे में अदृश्य ज्वाला उठ रही हो।
“यूंगी!” उसकी आवाज़ गड़गड़ाहट की तरह गूँजी। “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की?”
यूंगी ठहाका मारकर हँस पड़ा। उसकी हँसी में ज़हर था, लेकिन साथ ही एक अजीब सा आकर्षण भी।
“तुम्हारे डर की बदबू बहुत तेज़ है, नामजून। और मुझे पता है, जितना तुम इसे रोकने की कोशिश करेगा… उतना ही यह मेरी तरफ खिंचेगी।”
अनन्या ने दोनों की ओर देखा—एक तरफ नामजून का गुस्सा, दूसरी तरफ यूंगी का प्रलोभन। उसका दिमाग चीखना चाहता था, लेकिन गला सूख गया था।
नामजून ने गुस्से से कदम बढ़ाया। उसके चारों ओर अदृश्य लपटें उठीं। उसकी आवाज़ धमकी जैसी थी—
“अगर तुमने इसे छुआ भी, यूंगी, मैं तुझे उस अंधकार में धकेल दूँगा जहाँ से लौटना नामुमकिन है।”
यूंगी की आँखें और हरी चमक उठीं। “तो आओ, देख लेते हैं कौन किसे कहा धकेलता है।”
कमरे की हवा अचानक भारी हो गई। परछाइयाँ और आग एक-दूसरे से टकराईं। किताबें गिरने लगीं, खिड़कियाँ काँपने लगीं, और बल्ब झिलमिलाने लगे।
अनन्या काँपते हुए दीवार से लग गई। उसके सामने दो दानव थे, और दोनों उसी के लिए लड़ रहे थे।
“बस करो!!!”
उसकी चीख इतनी तेज़ और दर्द से भरी थी कि दोनों की शक्तियाँ अचानक रुक गईं।
वह ज़मीन पर गिर गई, आँखों से आँसू बहते हुए। “मैं इंसान हूँ… मैं तुम्हारे खेल का हिस्सा नहीं हूँ! तुम दोनों मुझे खींच रहे हो, लेकिन मुझसे किसी ने नहीं पूछा कि मैं क्या चाहती हूँ!”
खामोशी छा गई। हवा भारी थी, लेकिन दोनों की आँखें अब सिर्फ़ अनन्या पर थीं।
नामजून का चेहरा दर्द से कस गया। उसकी आवाज़ टूटी हुई थी—
“अनन्या… तुम मेरी दुनिया का हिस्सा बन चुकी हो। चाहे तुम चाहो या नहीं। तुम्हे खोना मेरे लिए मौत से भी बदतर होगा।”
यूंगी की मुस्कान फीकी पड़ी। उसने धीमे स्वर में कहा—
“और मेरे लिए, तुम आज़ादी हो। तुम्हारी हाँ मेरे लिए जीत नहीं… मुक्ति होगी। तुम मुझे उस अंधकार से बाहर ला सकती है, जहाँ सदियों से मैं कैद हूँ।”
अनन्या ने दोनों को देखा। उसका दिल फटा जा रहा था।
“और मेरे लिए?” उसकी आवाज़ काँप रही थी। “मेरा चुनाव कहाँ है? मेरी ज़िन्दगी किसकी है?”
दोनों चुप हो गए।
बाहर अचानक तेज़ हवा चली। बादल गरजे, खिड़कियाँ थरथराईं। मानो पूरी दुनिया इस पल की गवाह हो।
अनन्या धीरे-धीरे उठी। उसके चेहरे पर आँसू चमक रहे थे, लेकिन अब उनमें एक नयी दृढ़ता थी।
“मैं अब और भागूँगी नहीं। अगर मुझे सचमुच चुनाव करना है… तो मैं खुद करूँगी। न तुम्हारे डर से, न तुम्हारे प्रलोभन से। मैं खुद तय करूँगी कि मेरी ज़िन्दगी किसके साथ होगी।”
कमरे में सन्नाटा छा गया।
नामजून और यूंगी दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा—उनकी आँखों में अब सिर्फ़ एक ही बात थी: युद्ध।
लेकिन इस बार फैसला अनन्या के हाथ में था।
“ख़ामोशी में धड़कते जज़्बात”
🌙 अँधेरी रात धीरे-धीरे ख़ामोश हो चुकी थी। खिड़की से आती ठंडी हवा पर्दों को हिला रही थी। अनन्या बिस्तर के कोने पर बैठी थी, उसकी आँखों में थकान और बेचैनी दोनों साफ झलक रहे थे। दिनभर की घटनाओं ने उसके दिल-दिमाग़ को झकझोर कर रख दिया था।
उसके सामने बैठा था — किम नामजून।
उसकी आँखों में वो जंगली आग नहीं थी जो आम तौर पर झलकती थी, बल्कि कुछ और था... कुछ ऐसा जिसे अनन्या ने पहले कभी महसूस नहीं किया था।
“तुम थक चुकी हो,” नामजून की आवाज़ धीमी थी, लगभग फुसफुसाहट जैसी।
“आराम कर लो, मैं यहीं हूँ।”
अनन्या ने उसकी ओर देखा। एक पल के लिए उसे सच में लगा कि उसके आसपास की सारी दानवी छायाएँ, वो सारे डर — बस नामजून की मौजूदगी से थम सकते हैं।
लेकिन... दिल के किसी कोने में डर अब भी ज़िंदा था।
अनन्या (सोचते हुए):
"क्या सच में मैं इस पर भरोसा कर सकती हूँ? ये वही है जिसने मुझे खून से लथपथ देखा था... जिसकी आँखों में मैंने शैतान की चमक देखी थी। लेकिन... आज, इसी के सामने मुझे सुकून क्यों मिल रहा है?"
उसके हाथ काँप रहे थे। नामजून ने धीरे से उसकी उँगलियाँ थाम लीं। उसकी पकड़ मज़बूत थी लेकिन नर्मी भी थी।
“तुम्हें अब मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है,” उसने कहा।
अनन्या के होंठ काँप उठे — “लेकिन... तुम अलग हो। एक इंसान नहीं...”
नामजून हल्का सा मुस्कुराया।
“हाँ, मैं इंसान नहीं हूँ। लेकिन मेरे अंदर... कुछ ऐसा है जो शायद तुम समझ सकती हो। दर्द, अकेलापन... और किसी का साथ चाहने की तड़प।”
उसकी आवाज़ में जो सच्चाई थी, वो अनन्या के दिल की दीवारों को धीरे-धीरे तोड़ रही थी।
🌌 बाहर अचानक आकाश गरजा। बादलों की गड़गड़ाहट कमरे में गूँज उठी।
अनन्या चौंकी और उसने सहजता से नामजून का हाथ और कसकर पकड़ लिया।
नामजून ने उसकी तरफ़ झुकते हुए फुसफुसाया —“तुम्हें अब मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं।“तुम्हें लगता है मैं खतरनाक हूँ... लेकिन सच कहूँ, अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं सबसे पहले टूट जाऊँगा।”
अनन्या का दिल तेज़ धड़कने लगा। उसने उसकी आँखों में देखा — वहाँ अब दानव की लाल चमक नहीं थी, बल्कि नमी थी... इंसानी नमी |
उस पल के बाद दोनों के बीच कुछ देर तक चुप्पी छा गई।
अनन्या ने महसूस किया कि उसका दिल नामजून की पकड़ के साथ तालमेल बिठा रहा है।
वो हिम्मत करके बोली –
“नामजून... अगर तुम सच में इतने खतरनाक हो, तो फिर मेरी तरफ इतनी कोमल नज़रों से क्यों देखते हो?”
नामजून उसके और करीब झुक आया।
उसकी साँसें अनन्या की गर्दन से टकरा रही थीं।
“शायद इसलिए... क्योंकि तुम ही पहली हो जिसने मुझे रक्षक नहीं, एक इंसान की तरह देखा।”
अनन्या का चेहरा लाल हो गया।
उसने नज़रें झुका लीं, लेकिन नामजून ने उसकी ठोड़ी को हल्के से ऊपर उठाया।
“मुझे तुम्हारी आँखों में देखना अच्छा लगता है। यहाँ मुझे कोई नफ़रत नहीं मिलती... बस सुकून।”
उनकी आँखें एक-दूसरे में अटक गईं।
वो पल इतना भारी था कि मानो पूरी दुनिया थम गई हो।
अचानक खिड़की के बाहर से ठंडी हवा का झोंका आया।
एक स्याह छाया दरवाज़े के पास से गुज़री।
अनन्या का दिल थम गया — “ यूंगी…”
नामजून तुरंत सतर्क हो गया। उसकी आँखें फिर से खून सी लाल हो उठीं। उसने अनन्या को अपनी ओर खींचकर पीछे किया।
“वो पास आ चुका है।”वो उसे अपनी मज़बूत छाती से लगाए खड़ा रहा।
“अगर मैं कहूँ... कि मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा, चाहे इसकी कीमत मेरी ज़िंदगी क्यों न हो, तो क्या तुम मुझे ठुकरा दोगी?”
अनन्या की आँखों से आँसू बह निकले।
उसने धीरे से कहा –
“तुमसे दूर जाने का ख्याल भी मुझे डराता है।”
नामजून ने उसकी गीली पलकों को अपनी उँगलियों से पोंछा और झुककर उसके माथे पर अपने होंठ रख दिए।
वो चुंबन कोमल था लेकिन इतना गहरा कि अनन्या का दिल पूरी तरह पिघल गया।
कमरे का तापमान गिर गया, हवा भारी हो गई।
एक धीमी हँसी गूँजी —
“तो... ये है तुम्हारा नाज़ुक इंसानी राज़, नामजून?”
अंधेरे से मिन यूंगी बाहर आया।
उसकी आँखों में अंधकार की गहराई थी, लेकिन चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान।
“तुम सोचते हो तुम इसे बचा सकते हो? इंसान और दानव का रिश्ता... कभी नहीं टिकता,” यूंगी ने ताना मारा।
“अनन्या... तुम बेहतर deserve करती हो। मुझ जैसे किसी को।”
अनन्या का दिल सहम गया। लेकिन अजीब बात ये थी कि यूंगी की मौजूदगी भी उतनी ही आकर्षक थी जितनी डरावनी।
उसकी आवाज़ में एक नशा था, जैसे कोई गुप्त ख्वाब बुला रहा हो।
नामजून ने गुर्राते हुए कहा —
“उससे दूर रहना, यूंगी। ये मेरी है।”
अनन्या चौंक उठी। “मेरी?”
उसके सीने में एक अजीब गर्माहट दौड़ गई।
यूंगी ने ठहाका लगाया —
“तुम्हारी? हाह! क्या तुमने इससे पूछा भी है? शायद ये मेरी अंधेरी दुनिया में ज्यादा सुकून पाए।”
उसकी नजरें अनन्या से टकराईं।
“कहो... तुम किसे चुनोगी?”
💔 अनन्या का मन उलझ गया।
एक तरफ़ नामजून था — खतरनाक लेकिन सुरक्षा देने वाला, और दूसरी ओर यूंगी — डरावना लेकिन अजीब-सी आज़ादी का वादा करने वाला।
वो चुप रही।
लेकिन उसकी खामोशी में भी नामजून ने कुछ महसूस किया।
उसने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और धीमी आवाज़ में कहा —
“मैं लड़ूँगा... जब तक तुम खुद ये फैसला न कर लो। चाहे पूरी दुनिया मेरे खिलाफ क्यों न खड़ी हो।”
🌹 उसी पल, कुछ बदल गया।
अनन्या की आँखों में आँसू भर आए।
उसने पहली बार नामजून की ओर प्यार भरी नज़र से देखा।
उसने धीरे से कहा —
“नामजून… मुझे नहीं पता तुम्हारा अतीत क्या है। मुझे नहीं पता हमारा भविष्य होगा भी या नहीं। लेकिन… जब तुम मेरे पास होते हो, मैं डर के बीच भी खुद को सुरक्षित महसूस करती हूँ।”
नामजून की साँसें रुक सी गईं।
उसकी लाल आँखों की चमक धीमी हो गई, उनमें एक कोमलता घुल गई।
उसने झुककर फुसफुसाया —
“ये काफी है… मेरे लिए।”
तभी खिड़की टूटकर बिखर गई।
हवा के तेज़ झोंके के साथ यूंगी ने हमला किया।
कमरा आग और छाया से भर गया।
नामजून ने अनन्या को सीने से लगाया और दहाड़ा —
“मेरे रहते, कोई तुम्हें छू भी नहीं सकता!”
उसकी पूरी ताकत बाहर आ गई।
छत काँप उठी, ज़मीन दरकने लगी।
अनन्या उसके सीने से लगी थी, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। डर था... लेकिन साथ ही, उसके दिल में अब एक और अहसास भी ज़िंदा था।
👉 प्यार।
✨ और वहीं, इस उथल-पुथल के बीच, उनकी कहानी का एक नया अध्याय शुरू हुआ —
जहाँ डर और अंधेरे के बीच रोमांस की पहली लौ जल उठी थी।
प्लीज फॉलो कर लो
दिल की आहटें
रात का सन्नाटा कभी-कभी बहुत कुछ कह देता है। आसमान काला था, तारों की चमक भी धुंधली पड़ गई थी जैसे किसी अदृश्य परछाई ने उन पर पर्दा डाल दिया हो। बाहर हवाएँ सनसनाती हुई पेड़ों की डालियों को झकझोर रही थीं, और भीतर कमरे में सिर्फ़ खामोशी पसरी थी।
अनन्या खिड़की के पास बैठी थी। उसकी आँखों में थकान थी, लेकिन नींद नहीं। जिस डर ने पिछले दिनों उसकी ज़िंदगी को जकड़ रखा था, उसने उसकी आत्मा को भी बेचैन कर दिया था। पर आज नामजून उसके पास था। उसकी मौजूदगी, उसके चारों ओर फैले अंधेरे को जैसे रोक रही थी।
नामजून भी चुपचाप खिड़की से बाहर देख रहा था। उसके चेहरे पर हल्की-सी कठोरता थी, मानो हर परछाई को पहचान रहा हो। उसकी साँसों में तनाव था, पर आँखों में एक अजीब-सी नरमी, जो सिर्फ़ अनन्या के लिए थी।
अनन्या ने धीरे से पूछा,
“तुम हमेशा ऐसे चौकन्ने क्यों रहते हो? क्या तुम्हें कभी चैन नहीं मिलता?”
नामजून ने उसकी ओर देखा। उसकी गहरी आँखों में अंधेरा और दर्द दोनों झलक रहे थे।
“चैन... मेरी दुनिया में ऐसी कोई चीज़ नहीं होती, अनन्या। और जब से तुम मेरी ज़िंदगी में आई हो, मेरा हर चैन, हर सुकून सिर्फ़ तुम्हारे नाम से जुड़ गया है।”
अनन्या का दिल ज़ोर से धड़क उठा। उसने नज़रें चुरा लीं, पर मुस्कान उसके होंठों पर आ ही गई।
“तुम जानते हो, ये सब सुनकर डर भी लगता है और... अच्छा भी।”
नामजून हल्का-सा झुका और उसकी हथेली थाम ली।
“डर? मुझसे?”
“नहीं,” अनन्या ने उसकी ओर देखा, “डर इस बात का... कि कहीं ये सब सपना न हो। या फिर एक दिन... तुम चले गए तो?”
नामजून की आँखें और गहरी हो गईं। उसने उसकी हथेली कसकर पकड़ ली।
“मैं जाऊँगा तो सिर्फ़ तब... जब तुम मुझे कहोगी।”
अनन्या का दिल जैसे थम गया। उसके भीतर हज़ारों सवाल उठे—क्या ये रिश्ता वाकई मुमकिन है? क्या वो इंसान होकर एक डेमन से दिल लगा सकती है?
🌙 क़रीबियों की धड़कन
सन्नाटे में सिर्फ़ उनकी साँसें सुनाई दे रही थीं। नामजून ने धीरे से उसका चेहरा अपनी उंगलियों से उठाया और उसकी आँखों में देखा।
“तुम सोचती बहुत हो, अनन्या। पर कभी-कभी दिल को सोचने देना चाहिए।”
अनन्या की साँसें तेज़ हो गईं। उसकी आँखें नामजून की आँखों में अटक गईं।
“अगर मैं अपने दिल की सुनूँ... तो शायद मैं कभी तुम्हें जाने न दूँ।”
नामजून का दिल भी काँप गया। ये शब्द उसके लिए किसी वचन से कम नहीं थे। उसने झुककर उसके आँसू भरे गाल को चूमा।
अनन्या ने आँखें बंद कर लीं, उसकी धड़कनें नामजून की छाती से टकरा रही थीं।
🔥 यूंगी का आगमन
अचानक कमरे का तापमान बदलने लगा। हवा भारी हो गई, दीवारें काँपने लगीं।
नामजून तुरंत चौकन्ना हो गया। उसके पंखों की हल्की छाया कमरे में झलकने लगी।
“वो आ गया...” उसने दबी आवाज़ में कहा।
अनन्या डर से सिहर उठी।
“क-कौन?”
नामजून की आँखें लाल हो गईं।
“यूंगी। वो तुम्हें इतनी आसानी से छोड़ने वाला नहीं है।”
तभी खिड़की पर एक लंबी काली परछाई पड़ी। वो परछाई फैलते-फैलते दीवारों, छत और फ़र्श को ढकने लगी।
एक ठंडी हँसी गूँजी—
“नामजून... तुम कितनी बार मुझे रोकने की कोशिश करोगे? इंसान की आत्मा मेरे लिए सिर्फ़ खिलौना है।”
अनन्या का हाथ काँपने लगा। उसने नामजून की बाँह पकड़ ली।
नामजून ने उसे अपनी ओर खींचकर पीछे छुपा लिया।
“जब तक मैं ज़िंदा हूँ, वो तुम्हें छू भी नहीं सकता।”
⚔️ भयंकर टकराव
कमरा पूरी तरह अंधेरे में डूब गया। यूंगी की छाया कई हिस्सों में बँटकर नामजून पर टूट पड़ी।
नामजून ने अपने पंख पूरी तरह फैलाए, उसके शरीर से डेमोनिक ऊर्जा की लपटें उठीं। उसकी दहाड़ पूरे कमरे में गूँज उठी।
“तुम्हें आज खत्म कर दूँगा, यूंगी!”
पर यूंगी चालाक था। उसकी छाया अनगिनत रूपों में बँटकर नामजून को चारों ओर से घेरने लगी।
अनन्या चीख पड़ी,
“नामजून!”
नामजून ने पूरी ताक़त से वार किया, उसकी आँखें आग की तरह जल रही थीं। हर प्रहार से छाया चटकती, लेकिन यूंगी फिर से नया रूप धर लेता।
“तुम्हारी ताक़त मुझे रोक नहीं पाएगी,” यूंगी की आवाज़ गूँजी, “क्योंकि मेरी शक्ति तुम्हारे डर से नहीं, उसके दिल से पोषित होती है।”
नामजून चौंक गया। उसने अनन्या की ओर देखा।
अनन्या घबराकर पीछे हट गई।
“मेरा दिल...?!”
यूंगी की छाया पास आई।
“हाँ, अनन्या। जितना तुम नामजून से जुड़ोगी... उतनी ही मैं और मज़बूत होता जाऊँगा।”
नामजून गरजा,
“चुप रहो!” और उसने ज़ोरदार प्रहार किया।
🌹 प्यार की दरारें
लड़ाई कुछ देर में थम गई। यूंगी की छाया धुंधली पड़ गई, लेकिन पूरी तरह गायब नहीं हुई।
नामजून पसीने से लथपथ था, उसके बाजू पर गहरी चोट लगी थी।
अनन्या दौड़कर उसके पास आई।
“तुम्हें बहुत चोट लगी है... मैं...” उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
नामजून ने उसका हाथ पकड़ लिया।
“ये कुछ भी नहीं है। तुम्हारे आँसू... मेरी असली चोट हैं।”
अनन्या काँप उठी। उसने अपनी उंगलियों से उसका खून पोंछा और धीरे से बोली,
“तुम्हें क्यों इतनी परवाह है मेरी? मैं तो... मैं तो बस इंसान हूँ।”
नामजून ने उसका चेहरा थाम लिया।
“तुम इंसान हो, इसलिए परवाह है। तुम वो रौशनी हो जो मेरी अंधेरी दुनिया में कभी नहीं थी। अगर तुम्हें खो दिया... तो मैं भी मर जाऊँगा।”
अनन्या की आँखें भर आईं। वो नामजून की छाती से लग गई। उसकी धड़कनें ज़ोर-ज़ोर से धड़क रही थीं।
नामजून ने झुककर उसके माथे पर चुंबन रखा।
“मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।”
🌑 क्लिफहैंगर एंडिंग
लेकिन तभी दीवार पर फिर से यूंगी की परछाई उभरी। उसकी आवाज़ गूँजी—
“नामजून... तुम उसे अपने पास रख सकते हो, लेकिन सदा के लिए नहीं। उसका दिल जितना तुम्हारे करीब होगा... उतना ही वो मेरे जाल में बँधती जाएगी।”
कमरा काँप उठा। खिड़की की काँच चटक गईं।
अनन्या डर से नामजून से और कसकर लिपट गई।
नामजून ने उसकी कमर थाम ली और गरजकर बोला—
“अगर उसे पाने की चाह है, तो पहले मेरी रूह से गुजरना होगा!”
पर अंदर ही अंदर, नामजून भी जानता था—यूंगी सही कह रहा है। अनन्या का दिल अब उसी के नाम से धड़कता है... और यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन सकता है।
अनन्या ने नामजून की ओर देखा। उसकी आँखों में आँसू थे, पर होंठों पर काँपता सवाल—
“क्या... हमारा प्यार ही हमें बर्बाद कर देगा?”
नामजून चुप रहा। उसकी आँखों में आंधी थी।
और कमरे का अंधेरा, उनकी धड़कनों के साथ और गहरा होता चला गया।
दिल की परछाइयाँ
अगली रात बहुत लंबी लग रही थी। बाहर आसमान में बादल छाए हुए थे, कभी-कभी बिजली की हल्की चमक कमरे की खिड़की से भीतर झाँक जाती। लेकिन उस कमरे के अंदर अंधेरे के बावजूद एक अलग ही माहौल था— सुकून और नज़दीकी से भरा।
अनन्या चुपचाप नामजून को देख रही थी। उसके चेहरे पर थकान थी, लेकिन साथ ही एक अजीब-सी नरमी। जैसे कोई कठोर पत्थर अचानक मोम बन गया हो।
अनन्या ने धीरे से कहा—
“तुम्हारी आँखों में पहले जैसा डर नहीं दिख रहा… आज कुछ अलग लग रहा है।”
नामजून ने उसकी ओर देखा। उसकी गहरी आँखों में हल्की-सी मुस्कान थी।
“डर तो अभी भी है, अनन्या… लेकिन अब वो डर तुम्हें खोने का है।”
ये सुनते ही अनन्या का दिल ज़ोर से धड़क उठा। उसके होंठ हल्के से काँपे, जैसे कोई जवाब देना चाहती हो लेकिन शब्द साथ न दे रहे हों।
🌸 ख़ामोशी में नज़दीकियाँ
दोनों कुछ देर तक खामोश बैठे रहे। बस दिल की धड़कनों और बाहर बहती हवा की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
अनन्या ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और नामजून के हाथ पर रख दिया। उसकी हथेली गर्म थी, मजबूत भी, लेकिन उस स्पर्श में अजीब-सा सुकून भी था।
“तुम्हारे साथ रहते हुए अजीब-सा सुकून मिलता है… जैसे सबकुछ थम गया हो,” अनन्या ने फुसफुसाते हुए कहा।
नामजून ने उसकी उँगलियाँ थाम लीं।
“शायद इसलिए क्योंकि हम दोनों की किस्मत अब एक-दूसरे से बंध चुकी है। चाहे इंसान हो या डेमन, दिल की धड़कनें सच नहीं छुपा सकतीं।”
अनन्या उसकी बातों में खो गई। उसे लगा जैसे कमरे की हवा भारी नहीं, बल्कि हल्की हो गई हो।
🌹 अनकहे जज़्बात
नामजून उठकर खिड़की के पास चला गया। बाहर काले बादलों को देखता रहा।
“तुम जानती हो, अनन्या,” उसने धीमे स्वर में कहा, “मेरी दुनिया में रिश्तों का कोई मतलब नहीं होता। वहाँ ताक़त ही सबकुछ होती है। लेकिन तुमसे मिलने के बाद… मुझे पहली बार समझ आया कि दिल के लिए जीना क्या होता है।”
अनन्या उसके पीछे जाकर खड़ी हो गई।
“तो तुम मानते हो… कि हमारे बीच कुछ है?”
नामजून उसकी ओर मुड़ा। उसकी नज़रें इतनी गहरी थीं कि अनन्या काँप गई।
“कुछ नहीं… सबकुछ है।”
उसने झुककर उसके चेहरे के बहुत करीब आकर कहा—
“अगर मैं डेमन न होता, और अगर मैं बस एक आम इंसान होता… क्या तुम मुझे चुनती?”
अनन्या की साँसें अटक गईं। वो नज़रें झुकाना चाहती थी, लेकिन खुद को रोक नहीं पाई।
“शायद… मैंने तुम्हें पहले ही चुन लिया है।”
ये कहते ही उसने आँखें बंद कर लीं।
💫 पलकों की दूरी
दोनों के बीच कुछ सेंटीमीटर की दूरी थी। नामजून का चेहरा उसके बेहद करीब था। उनकी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।
नामजून ने काँपती आवाज़ में कहा—
“तुम्हें अंदाज़ा नहीं है, ये पल मेरे लिए कितना खतरनाक है?”
अनन्या ने आँखें खोलीं। उसकी आँखों में आँसुओं की नमी थी।
“खतरनाक? या खूबसूरत?”
नामजून की साँसें भारी हो गईं। उसने उसके गाल पर हल्के से हाथ रखा।
“शायद दोनों…”
और फिर, उसने धीरे से उसकी आँखों पर चुम्मा ओर उसे देखने लगा।
अनन्या का दिल मानो रुक गया। वो कुछ बोल नहीं पाई। उसके होंठ काँप रहे थे, लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
🌙 दिल से दिल तक
समय जैसे थम गया था। न बिजली की आवाज़, न हवा की सरसराहट— बस उनकी धड़कनों की आवाज़ गूँज रही थी।
अनन्या ने हिम्मत जुटाकर कहा—
“नामजून… अगर कभी तुम्हें अपनी दुनिया में लौटना पड़ा तो?”
नामजून ने उसका चेहरा अपनी हथेलियों में लिया।
“मैं लौट भी गया तो… मेरा दिल यहीं रह जाएगा। तुम्हारे साथ।”
अनन्या की आँखों से आँसू बह निकले। वो उसकी बाँहों में सिमट गई।
“मुझे डर है… कहीं ये सपना न हो।”
नामजून ने उसके बालों में अपना चेहरा छिपाते हुए कहा—
“अगर सपना है… तो मैं चाहता हूँ कि ये सपना कभी न टूटे।”
🌸 हल्की-सी शरारत
थोड़ी देर बाद माहौल हल्का करने के लिए अनन्या ने मुस्कुराते हुए कहा—
“वैसे… तुम डेमन होकर भी इतने अच्छे कैसे लगते हो?”
नामजून हँस पड़ा।
“अच्छा? मैं तो डरावना बनने की कोशिश करता हूँ।”
“नहीं,” अनन्या ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “तुम्हारे चेहरे पर गुस्सा चाहे कितना भी हो, लेकिन आँखों में छुपा हुआ प्यार बिल्कुल साफ़ दिखाई देता है।”
नामजून उसकी बात पर मुस्कुराया।
“तो तुम मान रही हो कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ?”
अनन्या शरमा गई और तुरंत खिड़की की ओर देखने लगी।
“मैंने ऐसा कब कहा…”
नामजून उसके पास झुककर बोला—
“पर तुम्हारी धड़कन तो यही कह रही है।”
अनन्या ने शर्म से उसका हाथ झटक दिया। दोनों हँस पड़े।
🌹 क्लोज़ मोमेंट
रात ढलने लगी। ठंडी हवा कमरे में बहने लगी। अनन्या को ठंड लगी तो नामजून ने अपनी जैकेट उसके कंधों पर डाल दी।
“अब ठीक है?” उसने पूछा।
अनन्या ने जैकेट पकड़ते हुए कहा—
“तुम्हारे साथ होने पर हमेशा सब ठीक लगता है।”
नामजून ने उसके माथे पर हल्का-सा चुम्मा ओर बोला।
“और तुम्हारे साथ होने पर… मुझे पहली बार इंसान जैसा महसूस होता है।”
कमरे की हल्की रोशनी पूरे माहौल को नर्म बना रही थी।अनन्या की पलकों पर नींद धीरे-धीरे उतर रही थी, पर उसके होंठों पर अब भी हल्की सी मुस्कान थी। नामजून ने धीरे से उसका हाथ थामा और उसे सहारा देकर बिस्तर तक ले आया।
वो बड़े ही नरम अंदाज़ में बोला,
"तुम बहुत थक गई हो, अब आराम करो।"
अनन्या ने उसकी तरफ देखा, जैसे उसके बिना सोना मुश्किल हो। नामजून ने उसे सावधानी से बेड पर लिटाया, उसके चेहरे से कुछ बिखरे हुए बाल हटाए और तकिये को सही किया।
वो एक पल के लिए झुका और बस उसे देखता रहा—उसकी मासूम सी सूरत, आँखों की थकान और हल्की सी लाली। नामजून का दिल जैसे ठहर गया।
उसकी निगाहें नरमी से उसके चेहरे पर टिकी रहीं।
"तुम्हें यूँ सोते हुए देखना… शायद मेरी सबसे बड़ी शांति है," उसने फुसफुसाते हुए कहा।
उसने हल्के से अनन्या के माथे को चूमा और उसके हाथ पर अपनी उंगलियाँ रखकर धीरे से दबा दिया, जैसे वादा कर रहा हो कि वो हमेशा उसके पास रहेगा।
अनन्या नींद में ही हल्की सी मुस्कुराई, और नामजून की नज़रों में वो पल किसी ख्वाब से कम नहीं था।
🌑 क्लिफहैंगर
दोनों खामोश बैठे रहे। धीरे-धीरे अनन्या उसकी बाँहों में सो गई। नामजून उसके चेहरे को देखते हुए सोच रहा था—
“क्या मैं सच में इस इंसान की ज़िंदगी का हिस्सा बन सकता हूँ? या मेरी दुनिया का अंधेरा एक दिन मुझसे सब छीन लेगा?”
उसने अपनी आँखें बंद कीं और फुसफुसाया—
“मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा…”
लेकिन दूर कहीं… अंधेरे में एक जोड़ी आँखें उन्हें देख रही थीं। और वो आँखें, बदले और जलन से जल रही थीं।
पहली धड़कन
सुबह की हल्की रोशनी खिड़की से कमरे में आ रही थी। अनन्या की आँखें खुलीं तो उसने नामजून को अपने पास बैठे पाया, उसकी नज़रों में थोड़ी सी शरारत और बहुत सारा प्यार था।
नामजून ने हल्के से उसकी उंगलियाँ पकड़ीं और मुस्कुराते हुए कहा—
“कल रात जो कहा, वो सिर्फ़ लफ़्ज़ नहीं थे... आज सुबह भी वही महसूस कर रहा हूँ।”
अनन्या ने मुस्कराकर उसकी तरफ देखा।
उसने अपने बालों को पीछे किया और धीमे स्वर में बोली—
“अगर पहली धड़कन तुम्हारी थी... तो पहली सुबह भी तुम्हारी ही होनी चाहिए।”
नामजून ने उसे थोड़ा ओर करीब खींच लिया। दोनों की साँसें पास आ गईं, और कमरे में सिर्फ़ उनकी धड़कनों की आवाज़ थी।
फिर नामजून ने आंखों में झांककर उससे पूछा—
“अगर कभी तुम्हें मुझसे दूर जाना पड़े, तो क्या तुम वापस लौट आओगी?”
अनन्या ने उसे गले लगाते हुए कहा—
“हर सुबह... हर रात... मेरी हर धड़कन तुम्हारे पास लौटना चाहती है।”
कमरे की शांति में ये वादा गूँजता रहा।
उसके बाद दोनों चुपचाप बैल्कनी में आकर सूरज की पहली किरणों को देख रहे थे। नामजून ने अनन्या का हाथ धीरे-धीरे कसकर थाम लिया, जैसे उस पल को हमेशा के लिए जी लेना चाहता हो।
🏢 कैंपस मूवमेंट (नामजून और अनन्या के बारे में किसी को कैंपस में नहीं पता)
सुबह की हल्की धूप कैंपस की इमारतों पर बिखरी हुई थी। कॉलेज का मैदान छात्रों की चहल-पहल से भरा हुआ था। लाइब्रेरी के बाहर हमेशा की तरह किताबों का ढेर लिए अनन्या बैठी थी। उसके चारों ओर कई सहेलियाँ थीं, लेकिन उसकी नज़र बार-बार वहीं चली जाती—जहाँ नामजून खड़ा था।
नामजून बाकी सबकी तरह भीड़ का हिस्सा नहीं था। क्लासरूम के कोने में, या फिर पेड़ की छाँव में, वह हमेशा चुपचाप बैठा रहता। उसकी कद-काठी और गंभीर आँखें सबको उससे दूरी बनाकर रखने पर मजबूर कर देतीं। लेकिन अनन्या को पता था कि उस कठोर चेहरे के पीछे कुछ और है।
“तुम हर वक़्त उसे ही क्यों देखती रहती हो?” उसकी दोस्त श्रद्धा ने हँसते हुए कहा।
अनन्या ने किताब बंद कर दी, लेकिन मुस्कान छुपा न सकी।
“पता नहीं… शायद मुझे लगता है कि वो उतना ठंडा नहीं है, जितना दिखता है।”
उसी वक़्त नामजून क्लासरूम की ओर बढ़ा। उसने एक पल के लिए ही सही, लेकिन अनन्या की ओर देखा। उसकी नज़रें कुछ पल ठहरीं और फिर जैसे कहीं और खो गईं।
अनन्या का दिल अजीब ढंग से धड़क उठा।
वह अपने चेहरे पर आई हल्की लालिमा को छुपाने के लिए तुरंत किताब के पन्ने पलटने लगी।
“फिर से…” उसने मन ही मन सोचा।
कॉलज की घंटी बजी—क्लास का समय हो गया था। सब अपनी-अपनी क्लास की ओर बढ़ने लगे। भीड़ के बीच से नामजून और अनन्या कुछ ही कदम की दूरी पर थे, लेकिन दोनों के बीच एक अनकहा खिंचाव हमेशा मौजूद रहता।
🌛डोम इन नाइट
रात गहरी थी। आसमान पर चाँद बादलों के पीछे छुपा हुआ था। हवा में ठंडक थी, लेकिन उस कमरे के भीतर माहौल बिल्कुल अलग था। वहाँ न ठंड थी, न अंधेरा— वहाँ सिर्फ़ दो दिलों की धड़कनों की गूंज थी।
अनन्या खिड़की के पास बैठी थी, उसका चेहरा चाँदनी की हल्की रोशनी में और भी निखर रहा था। उसकी आँखें नम थीं, लेकिन उनमें एक अजीब-सी चमक थी। नामजून उसे चुपचाप देख रहा था। उसके भीतर मानो दो तूफ़ान चल रहे थे— एक डेमन की कठोरता और एक इंसान का नरम दिल।
🌸 दिल से निकली पहली बात
नामजून ने धीरे से कहा,
“अनन्या, तुम्हें नहीं पता… तुम्हारे साथ होने पर मैं खुद को अलग महसूस करता हूँ। मेरी दुनिया में कभी किसी ने मुझे ऐसे नहीं देखा… जैसे तुम देखती हो।”
अनन्या ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में डर की जगह अब सिर्फ़ अपनापन था।
“और तुम्हें नहीं पता… तुम्हारे बिना मैं अब एक पल भी सोच नहीं सकती। तुम चाहे जैसे भी हो, मेरे लिए वही हो जिसने मुझे सबसे सुरक्षित महसूस कराया।”
नामजून की साँसें गहरी हो गईं। वो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा और उसके बेहद करीब आकर खड़ा हो गया।
“तो… क्या तुम मानती हो कि हमारे बीच सिर्फ़ डर या मजबूरी नहीं है?”
अनन्या काँप गई। उसके होंठ काँपे, लेकिन उसने धीरे से सिर हिलाया।
“हाँ… ये डर नहीं… कुछ और है। शायद… प्यार।”
ये शब्द सुनते ही नामजून की आँखें चमक उठीं। उसने काँपते हाथों से उसका चेहरा थाम लिया।
🌹 पहला स्पर्श
दोनों के बीच की दूरी धीरे-धीरे मिटने लगी। उनकी साँसें आपस में घुल गईं। नामजून झुका और उसके माथे पर हल्का-सा चुंबन रखा।
अनन्या की आँखें बंद हो गईं। उसके होंठ काँप रहे थे।
“नामजून…” उसने धीरे से फुसफुसाया।
नामजून ने उसकी ठुड्डी उठाई और उसकी आँखों में देखा।
“अगर मैं कहूँ… कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तो?”
अनन्या के होंठों पर हल्की मुस्कान आई।
“तो मैं कहूँगी… कि ये सच वही है जिसका मुझे सबसे ज़्यादा इंतज़ार था।”
उसने अपनी हथेली नामजून के सीने पर रख दी। वहाँ धड़कनें तेज़ थीं—मानो वो डेमन का नहीं, इंसान का दिल हो।
💫 पहला Kiss
नामजून ने धीरे से उसके चेहरे को अपनी हथेलियों में लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
पहले वो पल हल्का था—एक काँपती हुई छुअन। लेकिन जैसे ही अनन्या ने अपनी आँखें बंद कर उसकी साँसों को महसूस किया, वो चुंबन गहरा होता चला गया।
कमरे का सन्नाटा अब सिर्फ़ उनकी धड़कनों और साँसों की आवाज़ से भर गया था। नामजून की उंगलियाँ उसके बालों में उलझ गईं, और अनन्या की हथेलियाँ उसकी गर्दन पर कस गईं।
उस एक पल में, न डेमन का डर था, न इंसान का फ़ासला—सिर्फ़ प्यार था।
जब वो अलग हुए, दोनों की साँसें तेज़ थीं। अनन्या के गाल लाल हो चुके थे, और नामजून की आँखों में वो नरमी थी जो पहले कभी नहीं दिखी।
“ये… ये सच में हुआ?” अनन्या ने काँपती आवाज़ में कहा।
नामजून मुस्कुराया।
“हाँ, और ये आख़िरी बार नहीं होगा।”
🌙 कन्फेशन पूरा हुआ
अनन्या ने उसकी बाँहों में सिमटकर कहा—
“मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरी ज़िंदगी में कोई डेमन आएगा… और मैं उससे प्यार कर बैठूँगी। लेकिन अब मुझे परवाह नहीं कि तुम कौन हो। मेरे लिए तुम बस नामजून हो।”
नामजून ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और फुसफुसाया—
“और मेरे लिए तुम वो इंसान हो जिसने मुझे इंसानियत सिखाई। अनन्या, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।”
अनन्या ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखें चमक उठीं।
“मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ।”
ये कहते ही उसने खुद आगे बढ़कर उसके होंठों पर फिर से किस किया। इस बार वो किस और गहरा था—भावनाओं, चाहत और अपनापन से भरा हुआ।
🌸 प्यारे पल
थोड़ी देर बाद दोनों बिस्तर के किनारे बैठ गए। अनन्या ने नामजून का हाथ अपने हाथों में लिया और बोली—
“अब तुम कहीं नहीं जाओगे, वादा करो।”
नामजून ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
“वादा करता हूँ। चाहे मेरी दुनिया मुझे पुकारे, मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊँगा।”
अनन्या हँस पड़ी और उसके कंधे पर सिर रख दिया।
“तुम्हें पता है, मैं पहली बार किसी पर इतना भरोसा कर रही हूँ।”
नामजून ने उसके सिर पर हाथ रखा।
“और मैं पहली बार किसी को अपना दिल दे रहा हूँ।”
दोनों ने चुपचाप एक-दूसरे की मौजूदगी का आनंद लिया। बाहर आसमान साफ़ होने लगा था, और पहली बार ऐसा लग रहा था कि अंधेरा पीछे हट रहा है।
🌑 क्लिफहैंगर एंडिंग
लेकिन जैसे ही चाँद की रोशनी कमरे में आई, खिड़की पर एक हल्की परछाई उभरी। बहुत ही धीमी, लेकिन खतरनाक।
नामजून ने तुरंत महसूस किया। उसकी आँखें लाल चमक उठीं।
“यूंगी…”
अनन्या ने चौंककर उसकी ओर देखा।
“क्या हुआ?”
नामजून ने उसे अपनी बाँहों में कस लिया।
“कुछ नहीं… जब तक मैं हूँ, तुम्हें कुछ नहीं होगा।”
पर उसके दिल में वो जानता था— उनका प्यार अब सिर्फ़ उनका नहीं रहा। किसी और की नज़र उस पर लगी हुई थी।
अंधेरे की दस्तक
सुबह की हल्की धूप खिड़की से छनकर कमरे में आ रही थी। बाहर चिड़ियों की आवाज़ें थीं, हवा में हल्की ठंडक, और कॉलेज का वही रुटीन दिन।
अनन्या ने आईने में खुद को देखा—नीली जींस, सफ़ेद शर्ट और खुले बाल। उसके चेहरे पर नींद की कमी, और पिछले रात की एक हल्की मुस्कान थी।
पिछली रात नामजून के साथ बिताए वो पल अब उसकी हर धड़कन में थे |
उसने किताबें बैग में रखीं और बाहर निकलते हुए खुद से ही मुस्कुराई—
“आज शायद कुछ नया होने वाला है…”
कॉलेज कैंपस अभी-अभी जागा था| मैदान में काम करने वाले माली पेड़ों पर पानी डाल रहे थे, कुछ स्टूडेंट्स लॉन पर बैठकर जल्दी-जल्दी नोट्स पढ़ रहे थे, तो कोई हँसी-ठिठोली में बिज़ी थे।
अनन्या गेट से अंदर आई तो उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी। कल रात के बाद उसकी ज़िंदगी बदल चुकी थी। वो अब अकेली नहीं थी, और उसके दिल ने पहली बार इतना सुकून महसूस किया था। नामजून का वो इज़हार, उसका वादा—सब कुछ मानो उसकी आत्मा में उतर गया था।
उसने बैग कंधे पर ठीक किया और सीढ़ियों से होते हुए क्लासरूम की ओर बढ़ी। लेकिन आज उसकी दोस्त आई नहीं थी वो बहुत अकेलापन महसूस कर रही थी | लेकिन उसके कदम रुक गए जब उसने देखा कि सामने ही खड़ा कोई उसका इंतज़ार कर रहा है।
🌸 कॉलेज का सामान्य दिन, लेकिन…
नामजून।
उसकी वही गहरी आँखें, हल्की मुस्कान और अजीब-सी ठंडक जो हमेशा उसके चारों ओर रहती थी।
“तुम यहाँ?” अनन्या ने धीमे स्वर में पूछा, लेकिन चेहरे पर खुशी साफ़ थी।
नामजून ने कदम बढ़ाते हुए कहा,
“कहा था ना… जहाँ तुम होगी, वहीं रहूँगा।”
उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उसमें एक ऐसा अपनापन था जिसने अनन्या के दिल की धड़कनें और तेज़ कर दीं।
क्लास शुरू हुई। प्रोफेसर ने बोरिंग टॉपिक पर लेक्चर देना शुरू किया, लेकिन अनन्या का ध्यान बार-बार पीछे वाली सीट की ओर जा रहा था, जहाँ नामजून बैठा था। उसकी नज़रें किताब पर थीं, लेकिन हर थोड़ी देर में वो उसे देख लेता। उनकी नज़रें टकरातीं और दोनों चुपचाप मुस्कुरा देते।
🌹 छोटी-छोटी नज़दीकियाँ
ब्रेक में अनन्या कैंटीन गई। वो ट्रे लेकर बैठी ही थी कि अचानक उसके सामने कोई बैठ गया।
“क्या मैं साथ खा सकता हूँ?” नामजून ने ट्रे उठाते हुए कहा।
अनन्या मुस्कुरा दी।
“तुमसे पूछना कब से शुरू हुआ?”
नामजून हल्का-सा झुककर फुसफुसाया—
“जबसे मुझे तुम्हारे दिल की धड़कनों की परवाह होने लगी।”
अनन्या ने शर्म से नज़रें झुका लीं। उसके गाल हल्के लाल हो गए।
खाने के दौरान नामजून ने जानबूझकर उसका पानी का गिलास अपनी तरफ कर लिया। जब अनन्या ने लेने की कोशिश की, तो उसकी उंगलियाँ नामजून की उंगलियों से टकरा गईं। बिजली-सी दौड़ गई। दोनों ने चुपचाप एक-दूसरे को देखा, और फिर धीरे से मुस्कुरा दिए।
📚 लाइब्रेरी का पल
शाम को अनन्या लाइब्रेरी में बैठकर असाइनमेंट लिख रही थी। नामजून बगल में बैठा था। उसके हाथ में किताब थी, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार अनन्या पर जा रही थीं।
“क्या देख रहे हो?” अनन्या ने धीमे स्वर में पूछा।
नामजून ने गंभीर चेहरा बनाकर कहा—
“सोच रहा हूँ… तुम्हें पढ़ता रहूँ या तुम्हें ही पढ़ लूँ।”
अनन्या ने उसकी ओर घूरा, लेकिन होंठों पर मुस्कान दबा न सकी।
“तुम सुधरोगे नहीं।”
“जबसे तुम मिली हो, सुधरने का मन ही नहीं करता।”
उनकी हँसी धीरे-धीरे लाइब्रेरी की चुप्पी में घुल गई। लेकिन उसी समय खिड़की पर अचानक ज़ोर की हवा लगी। किताबें गिरने लगीं।
🌙 अजीब सन्नाटा
लाइब्रेरी में मौजूद बाकी छात्र घबराकर बाहर निकल गए। अनन्या ने नामजून का हाथ पकड़ लिया।
“ये… ये क्या था?”
नामजून की आँखों का रंग पलभर में लाल हो गया। उसने चारों ओर देखा और धीमे स्वर में कहा—
“वो आ चुका है।”
अनन्या का दिल बैठ गया।
“कौन?”
लेकिन नामजून चुप रहा। उसकी आँखों की बेचैनी ने सब कुछ बता दिया।
🔥 यूंगी की परछाई
रात होते-होते कॉलेज कैंपस अजीब लगने लगा। पेड़ों की छाया लंबी और भारी हो गई थी। अचानक बिजली चली गई, और पूरा परिसर अंधेरे में डूब गया।
अनन्या और नामजून गार्डन के रास्ते से गुजर रहे थे जब एक ठंडी आवाज़ गूँजी—
“आख़िरकार… मिल ही गए।”
दोनों ने पलटकर देखा।
पेड़ों की छाया से एक शख़्स बाहर आया। उसका चेहरा खूबसूरत था, लेकिन उतना ही खतरनाक। गहरी नज़रें, काले कपड़े, और होंठों पर हल्की मुस्कान।
“यूंगी…” नामजून ने दाँत भींचकर कहा।
⚔️ पहला सामना
यूंगी धीरे-धीरे पास आया।
“तुम भूल गए जितना तुम इसके पास आओगे उतना तुम अपनी दुनिया से दूर होते जाओगे, इसके लिए तुमने हमें छोड़ दिया? एक इंसान?”
अनन्या पीछे हट गई। नामजून तुरंत उसके सामने खड़ा हो गया।
“उससे दूर रहना, यूंगी। तुम्हारा मुकाबला मुझसे है।”
यूंगी हँस पड़ा।
“नहीं, नामजून। असली मज़ा तो तुम्हारी कमजोरी को तोड़ने में है। और ये लड़की तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है।”
उसने हाथ उठाया और अंधेरे की लहर अनन्या की ओर फेंकी।
नामजून ने तुरंत अपनी शक्ति से उसे रोक दिया। लाल रोशनी और काले अंधेरे की टक्कर से ज़मीन हिल गई।
💔 अनन्या का डर और भरोसा
अनन्या चीख पड़ी।
“नामजून…!”
नामजून ने उसे अपने पीछे छुपा लिया।
“डरो मत। जब तक मैं हूँ, तुम्हें कुछ नहीं होगा।”
उसके शब्दों ने अनन्या को कुछ पल के लिए सुकून दिया। उसने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन भरोसा भी।
🔥 शक्ति की भिड़ंत
यूंगी ने ज़ोर से वार किया। नामजून ने भी पलटकर अपनी पूरी ताक़त झोंक दी। लाल और काले रंग की लपटें टकराईं। पेड़ों की शाखाएँ टूटकर गिर पड़ीं। हवा में धूल और चिंगारियाँ भर गईं।
“तुम उसे नहीं बचा सकते, नामजून।” यूंगी गरजा।
“जब तक मैं साँस ले रहा हूँ, कोई उसे छू भी नहीं सकता।” नामजून की आवाज़ गूँजी।
दोनों की शक्तियों का टकराव इतना ज़बरदस्त था कि ज़मीन पर दरारें पड़ गईं।
🌑 Cliffhanger
अनन्या रोते हुए बोली—
“रुको, प्लीज़!”
लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी।
धूल और अंधेरे के बीच, यूंगी की आँखें सीधे अनन्या पर टिक गईं। उसके होंठों पर खतरनाक मुस्कान आई।
“खेल तो अब शुरू हुआ है… और इसका अंत तुम्हारे साथ ही होगा।”
अनन्या का दिल थम-सा गया। नामजून ने उसे और कसकर पकड़ लिया। लेकिन उसके भीतर वो जानता था—ये लड़ाई आसान नहीं होगी।
लहू और परछाइयाँ
रात का अंधेरा और गहरा हो गया था। कॉलेज कैंपस अब वीरान लग रहा था। पेड़ों की शाखाएँ हवा में हिल रही थीं, लेकिन उनके पीछे छिपा सन्नाटा इतना भारी था कि मानो साँस लेना भी मुश्किल हो रहा हो।
अनन्या काँपती हुई ज़मीन पर खड़ी थी। सामने नामजून और यूंगी आमने-सामने थे। दोनों की आँखों में आग थी, लेकिन उनकी आग अलग-अलग थी—एक प्यार से भरी, दूसरी नफ़रत से भरी।
🔥 टकराव की शुरुआत
यूंगी ने अपनी उंगलियाँ फैलाते ही काली लपटें हवा में भेजीं। वो लपटें ज़मीन को जलाती हुई सीधी नामजून की ओर बढ़ीं।
नामजून ने तुरंत अपनी लाल चमक से एक ढाल बनाई। चिंगारियाँ उड़कर चारों ओर फैल गईं। पेड़ों की छाल झुलस गईं, मिट्टी फट गई।
अनन्या ने चीखते हुए कहा—
“रुको! फिर रोते हुए कहा तुम दोनों रुक जाओ!”
लेकिन दोनों की आँखों में ऐसा जुनून था जो रुकने वाला नहीं था।
⚔️ नामजून बनाम यूंगी
यूंगी गरजकर बोला—
“तुम्हें लगा था कि इंसानों की दुनिया में छुपकर चैन से रह लोगे? नामजून, तुम हमेशा से कमजोर रहे हो… और हमेशा कमज़ोर ही रहोगे| ये लड़की तुम्हें और भी कमजोर बना देगी।”
एक ओर यूंगी खड़ा था – उसकी आँखों में ठंडा गुस्सा और नफ़रत की चमक। दूसरी ओर नमजून – उसके चेहरे पर हिम्मत और गुस्सा दोनों।
“क्या सच में तुम सोचते हो कि मुझे रोक लोगे, नमजून?”
यूंगी की आवाज़ धीमी मगर खतरनाक थी।
नामजून की आँखों में गुस्सा भर गया।
“प्यार कमजोरी नहीं है। यही मेरी सबसे बड़ी ताक़त है। और इसी ताक़त से मैं तुम्हें हराऊँगा।”
उसने ज़मीन पर पैर पटका और अचानक पूरी ज़मीन से लाल चमक उठी। वो चमक लहर बनकर यूंगी की ओर गई।
यूंगी ने काली परछाइयों की दीवार खड़ी कर दी। दोनों टकराए और ज़मीन हिल उठी।
नमजून ने गहरी सांस ली,“मुझे तुम्हें रोकना ही होगा। अगर आज तुम्हें छोड़ दिया, तो कल सब कुछ ख़त्म हो जाएगा।”
कुछ पल की खामोशी… फिर अचानक दोनों एक साथ आगे बढ़े।
🌑 अनन्या का डर
अनन्या पीछे हटते हुए दीवार से लग गई। उसके दिल की धड़कनें इतनी तेज़ थीं कि मानो सीने से बाहर निकल जाएँ।
उसकी आँखों के सामने दो अलग-अलग दुनिया टकरा रही थीं।
नामजून—जिसने उसे पहली बार प्यार का मतलब सिखाया।
और यूंगी—जिसकी आँखों में सिर्फ़ अंधेरा था।
अनन्या का गला सूख गया। आँसू उसकी आँखों से बह निकले।
“भगवान… नामजून को बचा लेना…” उसने फुसफुसाया।
🔥 लड़ाई और तेज़
यूंगी हवा में कूदा और उसने अपनी परछाइयों से नामजून को बाँधने की कोशिश की। काली जंजीरें निकलकर नामजून के हाथ-पाँव पर लिपट गईं।
“अब देखो, कैसे तुम्हारी ताक़त तुम्हें ही खा जाती है।” यूंगी हँसा।
उसकी चाल इतनी तेज़ थी कि हवा में दबाव तक महसूस हुआ। नमजून ने उसका पंच ब्लॉक कर लिया, लेकिन ताक़त इतनी थी कि उनके पैरों के नीचे की फर्श की टाइल्स दरक गईं।
“यही है तुम्हारी ताक़त?”
यूंगी हल्की हँसी हँसा, और उसकी हँसी अंधेरे में गूंज उठी।
लेकिन नामजून ने आँखें बंद कीं। अचानक उसकी लाल चमक और तेज़ हो गई। जंजीरें टूटकर राख में बदल गईं।
“मैं कभी हार नहीं मानूँगा… क्योंकि कोई है जो मुझ पर भरोसा करता है।” उसने अनन्या की ओर देखा।
अनन्या की साँसें थम गईं। उसके होंठ काँपते हुए बस यही कह पाए—
“नामजून…”
🌹 प्रोटेक्टिव लव
लड़ाई के बीच भी नामजून का ध्यान सिर्फ़ अनन्या पर था।
यूंगी ने अचानक अपना वार मोड़कर अनन्या की ओर भेजा। काली लपटें सीधी उसकी ओर बढ़ीं।
अनन्या डर से जड़ हो गई। लेकिन अगले ही पल नामजून उसके सामने आ गया। उसने अपने हाथ फैलाकर लाल ढाल बना दी। लपटें ढाल से टकराईं और धुआँ उठने लगा।
अनन्या ने काँपते हुए उसका हाथ पकड़ लिया।
“क्यों… क्यों इतना खतरा उठा रहे हो?”
नामजून ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
“क्योंकि अगर तुम नहीं रही, तो मैं भी नहीं रहूँगा।”
उसके शब्दों ने अनन्या का दिल तोड़ भी दिया और जोड़ भी दिया।
⚡ शक्ति की सीमा
लेकिन लड़ाई लंबी होती जा रही थी। नामजून की साँसें भारी हो रही थीं। उसकी आँखों की लाल चमक थोड़ी-थोड़ी मंद पड़ने लगी।
यूंगी ने हँसते हुए कहा—
“देखा? तुम्हारा प्यार तुम्हें बचा नहीं सकता। ये तुम्हें तोड़ देगा।”
नामजून ने दाँत भींचे।
“नहीं… ये मुझे और मज़बूत बनाएगा।”
उसने पूरी ताक़त इकट्ठा की। लाल ऊर्जा का एक गोला बनाया और उसे यूंगी की ओर फेंका।
वो गोला इतना शक्तिशाली था कि हवा में धमाका हुआ। Yoongi कुछ कदम पीछे हट गया, लेकिन गिरा नहीं।
🌑 यूंगी की असली चाल
यूंगी की मुस्कान और भी गहरी हो गई।
“तुमने सोचा था कि तुम जीत रहे हो? असली खेल तो अब शुरू होगा।”
उसने ज़मीन पर हाथ पटका। अचानक चारों ओर की छायाएँ ज़िंदा हो गईं। वो साँपों की तरह फिसलकर नामजून और अनन्या को घेरने लगीं।
अनन्या चीख उठी।
“नामजून!”
नामजून ने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
“मेरे पीछे रहो। चाहे जो हो जाए, हिलो मत।”
💔 अनन्या की ताक़त
अनन्या काँप रही थी, लेकिन उसके भीतर भी कुछ जाग रहा था। उसने नामजून की पीठ पर हाथ रखा।
“तुम अकेले नहीं हो। मैं भी तुम्हारे साथ हूँ।”
नामजून ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में प्यार और हिम्मत दोनों थे।
“तुम ही मेरी सबसे बड़ी ताक़त हो, अनन्या।”
उसके शब्दों के साथ ही उसकी शक्ति और तेज़ हो गई।
⚔️ अंतिम वार की तैयारी
यूंगी अब पूरी ताक़त से हमला कर रहा था। नामजून हर वार को रोक रहा था, लेकिन दोनों ही थकने लगे थे।
अनन्या को समझ आ गया कि ये लड़ाई किसी एक की जान लेकर ही खत्म होगी।
उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने मन ही मन ठान लिया—अगर ज़रूरत पड़ी तो वो खुद भी नामजून के लिए लड़ेगी।
🌑 Cliffhanger End
अचानक यूंगी ने चीखते हुए अपनी सारी शक्ति इकट्ठी की और एक विशाल काली लहर बनाई। वो सीधी नामजून और अनन्या की ओर बढ़ी।
नामजून ने भी अपनी सारी ताक़त जुटाई और लाल चमक का गोला बनाया।
दोनों लहरें टकराईं—और पूरा परिसर धमाके से गूँज उठा।
धूल, चिंगारियाँ और अंधेरे के बीच कुछ भी साफ़ नहीं दिख रहा था।
अनन्या ने नामजून का नाम पुकारा—
“नामजून!!”
लेकिन उसका हाथ हवा में खाली रह गया।
खामोशी में उसका नाम
धमाके की गूँज अभी भी हवा में तैर रही थी। धुआँ, राख और टूटे हुए पेड़ों की गंध से पूरा कॉलेज कैंपस भर चुका था। अनन्या की आँखें चौंधिया गई थीं। उसने काँपते हाथों से धुआँ हटाने की कोशिश की, लेकिन उसकी उंगलियों के बीच से बस राख ही गिरी।
“नामजून!!” उसकी चीख आसमान चीरती हुई निकली।
उसने चारों ओर देखा, मिट्टी खंगाली, पत्थर हटाए, लेकिन नामजून कहीं नहीं था। न उसकी लाल चमक, न उसकी साँसें, न ही उसका कोई निशान।
उसके घुटने ज़मीन पर टिक गए। आँसू उसके चेहरे से बहते हुए मिट्टी में गिरने लगे।
“नहीं… ये सच नहीं हो सकता। वो मुझे छोड़कर ऐसे नहीं जा सकता…”
लेकिन सच उसके सामने था। नामजून गायब हो चुका था।
🌑 अनन्या का अकेलापन
उस रात के बाद कॉलेज का हर कोना उसके लिए अजनबी हो गया।
क्लासरूम में बैठी तो किताबों के शब्द धुंधले लगने लगे। प्रोफेसर की आवाज़ बस गूँज बनकर कानों में पड़ती, लेकिन समझ में कुछ नहीं आता।
दोस्त उसके पास आकर पूछते—
“अनन्या, तुम ठीक तो हो? कुछ हुआ है क्या? ”
वो बस सिर हिलाकर मुस्कुरा देती, लेकिन उसकी आँखों में नींद और दर्द साफ़ दिखता।
रातें और कठिन थीं। कमरे की खामोशी उसे काटने दौड़ती। कभी खिड़की पर बैठकर बाहर अंधेरे में उसे लाल चमक दिखने का भ्रम होता। कभी सपनों में नामजून उसके पास आकर कहता—“मैं यहीं हूँ, डरो मत।”
लेकिन जागते ही उसकी बाँहें खाली रह जातीं।
🔥 यूंगी का साया
नामजून के जाने के बाद यूंगी की परछाई और करीब आने लगी।
कभी कैंपस के कोने में उसे काले धुएँ का हल्का सा पर्दा दिखाई देता। कभी लाइब्रेरी के शीशे में उसकी परछाई हिलती दिखाई देती।
एक शाम जब वो अकेली लाइब्रेरी से बाहर निकली, अचानक हवा ठंडी हो गई। पीछे से एक आवाज़ आई—
“क्यों ढूँढ रही हो उसे? वो चला गया है… हमेशा के लिए।”
अनन्या का दिल धड़क उठा। उसने पलटकर देखा। कुछ भी नहीं था। बस अंधेरा।
लेकिन उसकी रीढ़ की हड्डी तक ठंडी लहर दौड़ गई। वो जानती थी, यूंगी कहीं न कहीं आसपास था।
🌹 यादों का सहारा
अनन्या ने नामजून की हर छोटी बात को याद करना शुरू किया।
कैसे वो उसकी किताबें उठाकर मज़ाक करता था।
कैसे उसकी ओर देखकर हल्की सी मुस्कान देता था।
कैसे लड़ाई के बीच भी सबसे पहले उसे ढाल बनाकर बचाता था।
ये यादें ही उसका सहारा बन गईं। लेकिन साथ ही उसकी कमजोरी भी। क्योंकि हर याद उसके दिल को चीरती थी।
रात को बिस्तर पर लेटकर वो अक्सर उसकी जैकेट को सीने से लगाकर सो जाती। उस पर अब भी उसकी खुशबू बसी थी।
⚔️ लोगों की नज़र में अनन्या
धीरे-धीरे कॉलेज में अफवाहें फैलने लगीं।
“सुना है अनन्या पागल हो गई है।”
“वो हमेशा किसी नामजून से बात करती रहती है।”
“शायद उसे hallucinations हो रहे हैं।”
लोगों की फुसफुसाहटें उसकी पीठ पीछे तीर की तरह लगतीं।
कभी-कभी वो खुद भी डर जाती—क्या सच में कोई नामजून था? या वो सब उसका भ्रम था?
लेकिन फिर उसकी उंगलियों में वो गर्माहट याद आती, वो छुअन जिसे कोई भ्रम नहीं कह सकता था।
🌑 तलाश की शुरुआत
एक दिन अनन्या ने ठान लिया।
“अगर नामजून मेरी ज़िंदगी में आया था, तो ऐसे अचानक जा नहीं सकता। मुझे उसे ढूँढना होगा—चाहे जहाँ भी हो।”
उसने कॉलेज की पुरानी लाइब्रेरी में जाकर दानवों और परछाइयों पर किताबें खोजना शुरू किया।
वहाँ उसे एक पुरानी डायरी मिली, जिसमें लिखा था—
“दुनिया के बीच परछाइयों का एक द्वार होता है। जब दो शक्तियाँ टकराती हैं, तो वो द्वार खुल जाता है। और कोई भी उसके भीतर खिंच सकता है।”
अनन्या का दिल जोर से धड़का।
“तो नामजून उस द्वार में चला गया… वो हमारी दुनिया में नहीं है।”
🔥 सपनों में पुकार
उस रात उसने सपने में देखा—
वो एक अंधेरी गुफा में खड़ी है। सामने धुंध में नामजून खड़ा है।
उसकी आँखें थकी हुई थीं, लेकिन उनमें वही लाल चमक थी।
“अनन्या…” उसकी आवाज़ गूँजी।
“मुझे ढूँढो। मैं यहीं हूँ, लेकिन परछाइयाँ मुझे बाँध रही हैं।”
अनन्या दौड़ी, लेकिन धुंध ने उसे रोक दिया।
“रुको मत!” नामजून की आवाज़ आई, लेकिन फिर वो धुंध में खो गया।
वो चीखते हुए जागी, उसकी साँसें तेज़ थीं।
“नहीं… मैं तुम्हें ढूँढूँगी। चाहे इस दुनिया से बाहर क्यों न जाना पड़े।”
🌑 यूंगी का प्रस्ताव
कुछ दिन बाद, यूंगी सचमुच उसके सामने आ गया।
वो अँधेरे से निकला, उसकी आँखें अब भी ठंडी और नफ़रत से भरी थीं।
“नामजून अब वापस नहीं आएगा। लेकिन अगर तुम चाहो… तो मैं तुम्हें उसके पास ले जा सकता हूँ।”
अनन्या का दिल धड़क उठा।
“तुम क्यों मेरी मदद करोगे?”
यूंगी मुस्कुराया—
“क्योंकि खेल अब और दिलचस्प होना चाहिए। तुम उसे चाहती हो… और मैं चाहता हूँ कि तुम्हें सच का सामना करना पड़े।”
उसकी बातों से अनन्या काँप गई। वो जानती थी कि यूंगी पर भरोसा करना खतरनाक होगा। लेकिन ये भी सच था कि नामजून तक पहुँचने का रास्ता उसके पास ही था।
🌹 अनन्या का फैसला
उस रात उसने खुद से पूछा—
“क्या मैं इतना हिम्मत कर सकती हूँ? क्या मैं यूंगी के पीछे जाऊँ, भले ही वहाँ मौत ही क्यों न हो?”
उसने आईने में अपनी आँखों में देखा। आँसुओं से भरी आँखें, लेकिन उनमें आग थी।
“हाँ… अगर नामजून जिंदा है, तो मैं उसे वापस लाऊँगी। चाहे इस अंधेरे से गुजरना पड़े।”
💔 Cliffhanger
अगली सुबह, अनन्या अकेली कैंपस के पीछे वाले जंगल में पहुँची। वहाँ यूंगी पहले से खड़ा था।
उसने हाथ बढ़ाया।
“आओ, मैं तुम्हें उस दुनिया का रास्ता दिखाता हूँ… जहाँ तुम्हारा नामजून फँसा हुआ है।”
अनन्या ने गहरी साँस ली। उसका दिल धड़क रहा था, लेकिन उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया।
जैसे ही उसकी उंगलियाँ यूंगी की परछाई को छूईं, चारों ओर की हवा भारी हो गई। ज़मीन फटने लगी, और उनके सामने एक काला द्वार खुलने लगा।
अनन्या की आँखों में डर और उम्मीद दोनों थे।
“रुको, नामजून… मैं आ रही हूँ।”
ठीक है 🤍 अब मैं आपके लिए Chapter 18 (लगभग 3500–4000 words, हिंदी में, full detailed) लिखता हूँ।
Chapter 18 – अंधेरी दुनिया का द्वार
अनन्या ने गहरी साँस ली। उसका हाथ Yoongi की परछाई से छू रहा था। जैसे ही उसकी उंगलियाँ उससे मिलीं, चारों ओर हवा बदल गई।
कॉलेज के कैंपस की ठंडी हवा, पेड़ों की सरसराहट, पक्षियों की चहचहाहट सब गायब हो गए। जगह पर एक घना अंधेरा छा गया। ज़मीन नीचे धँसती हुई महसूस हो रही थी। हर कदम के साथ धूल और काले धुएँ की लहरें उठ रही थीं।
“यहाँ से आगे…” Yoongi की आवाज़ धीमी और गहरी थी।
“तुम सच में तैयार हो?”
अनन्या ने गर्दन सीधी कर जवाब दिया—
“मैं तैयार हूँ। मुझे नामजून ढूँढना है। कोई रोक नहीं सकता।”
Yoongi ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी खतरनाक चमक थी।
🌑 दुनिया का पहला नज़ारा
जैसे ही उन्होंने द्वार पार किया, अनन्या की आँखों के सामने कुछ ऐसा दृश्य खुला कि उसका दिल डर के साथ रोमांच से भी भर गया।
आसमान काले बादलों और लाल रौशनी से भरा था। हवा में बिजली और आग की गंध घुली हुई थी। पेड़ सूखे और टूटी हुई शाखाओं वाले थे, जिनसे एक-एक बूंद लाल तरल टपक रही थी। ज़मीन पर राख और पिघली हुई चट्टानें बिखरी थीं।
हर जगह अजीब-सी आवाज़ें थीं—कहीं से चीखें, कहीं से फुसफुसाहटें।
अनन्या काँपते हुए Yoongi की बाँह पकड़ी।
“हम सच में… यहां हैं?”
Yoongi ने सिर हिलाया।
“हाँ… और ये दुनिया तुम्हारे सपनों से भी डरावनी है। यहाँ समय और स्थान का कोई मतलब नहीं।”
🔥 पहली चुनौती
जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक एक विशाल झील दिखाई दी। लेकिन पानी नहीं, बल्कि लाल तरल की तरह लग रहा था, जैसे खून। उसकी सतह पर अजीब-सी परछाइयाँ तैर रही थीं।
“उसमें मत देखो,” Yoongi ने चेताया।
“क्यों?”
“अगर तुम उसकी गहराई में देखोगी, तो तुम्हारा मन डर और भ्रम में फँस जाएगा। यहां मानसिक शक्ति और डर सबसे बड़ा हथियार है।”
अनन्या ने अपनी आँखें झुकीं, लेकिन curiosity और डर दोनों साथ थे।
🌹 अनन्या का डर और हिम्मत
हर कदम उसके लिए चुनौती बन रहा था। फर्श लगातार बदल रहा था, कभी ठोस, कभी धुंधला। हवा तेज़ी से उसके चेहरे को चीर रही थी।
लेकिन उसके दिल में एक ज्वाला थी—नामजून को ढूँढने की।
“नामजून… मैं आ रही हूँ। किसी भी कीमत पर।”
उसके शब्दों ने उसकी हिम्मत बढ़ाई।
⚔️ डरावने जीव
अचानक, लाल झील से कुछ अजीब परछाइयाँ बाहर निकलीं। उनकी आँखें चमक रही थीं, दाँत लंबे और नुकीले थे। उनकी चाल इंसानी नहीं थी।
अनन्या ने कदम पीछे हटाया। Yoongi ने उसे धीरे से पीछे खींचा।
“ये तुम्हारे लिए पहला परीक्षण है। उन्हें डराने का मतलब है तुम्हें रोकना।”
परंतु अनन्या ने ठान लिया। उसने Yoongi की बाँह छोड़ दी और अपनी आँखों में डर के बावजूद आगे बढ़ी।
“मुझे रोकने वाला कोई नहीं!”
🌑 Yoongi की नीयत
Yoongi चुपचाप अनन्या को देख रहा था। उसकी आँखों में हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसका इरादा अभी भी अस्पष्ट था।
“तुम इतनी हिम्मत कैसे कर रही हो, अनन्या?” उसने फुसफुसाया।
“क्योंकि मैं नामजून को नहीं खो सकती।”
Yoongi ने सर हिलाया।
“अच्छा… देखते हैं तुम्हारी हिम्मत कितनी चलती है। लेकिन याद रखना, यहाँ हर कदम पर तुम्हारा डर तुम्हें कमजोर करेगा।”
🔥 नामजून के faint signals
जैसे ही वे आगे बढ़े, अनन्या ने महसूस किया कि हवा में कुछ familiar है।
एक हल्की लाल चमक दूर से झलक रही थी।
“नामजून?” उसने फुसफुसाया।
चमक थोड़ी और बढ़ी, लेकिन तुरंत गायब हो गई। अनन्या ने Yoongi की ओर देखा—
“वह वहाँ है!”
Yoongi मुस्कुराया, लेकिन उसके शब्दों में हल्की चेतावनी थी।
“हाँ… लेकिन उसे पाने के लिए तुम्हें और बड़े खतरे से गुजरना होगा।”
🌹 अंधेरी दुनिया की खासियत
हर चीज़ जीवित लग रही थी—पेड़, झील, हवा।
ध्वनियाँ हर दिशा से आ रही थीं, पर स्रोत पता नहीं।
समय का कोई अर्थ नहीं था—एक कदम में दिन और रात बदल जाते।
डर के अलावा, किसी भी भावनात्मक कमजोरी को ज़ोर से महसूस कर रहा था।
अनन्या ने महसूस किया कि उसका दिल बार-बार डर रहा था, लेकिन उसके भीतर की आग और भी तेज़ हो गई।
⚔️ पहला trap
एक काले पेड़ की जड़ अचानक ज़िंदा हो गई और अनन्या के पैर पकड़ लिए।
“नामजून…” उसने चीखा।
Yoongi ने तुरंत लाल ऊर्जा से उसे बचाया।
“तुमने अभी ध्यान नहीं रखा। यहाँ हर कदम खतरा है।”
अनन्या ने साँस ली।
“मैं नहीं रुकूँगी… मुझे नामजून चाहिए।”
Yoongi ने धीरे से कहा—
“ठीक है… लेकिन याद रखना, यहाँ डर ही सबसे बड़ा शत्रु है।”
🌑 Cliffhanger
जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक जमीन फटी और एक विशाल creature सामने आ गया। उसकी आँखें लाल और गहरी थीं, दाँत लंबे, और उसकी परछाई फैलती हुई चारों ओर।
अनन्या के होंठ काँप गए। उसने Yoongi की बाँह को और कसकर पकड़ लिया।
“नामजून… मैं तुम्हें ढूँढने आई हूँ, लेकिन अगर ये creature…”
Yoongi ने सिर हिलाया।
“तैयार रहो… असली लड़ाई अब शुरू होती है।”
पर creature ने एक भयानक गरज के साथ अपने पैर उठाए। अनन्या और Yoongi की दुनिया अचानक और भी अंधेरी और खतरनाक हो गई।
✨ Chapter 18 समाप्त।
इस चैप्टर में:
अनन्या और Yoongi का अंधेरी दुनिया में प्रवेश।
वातावरण, डरावनी जगह, creatures और traps का पूरा विवरण।
अनन्या का डर और हिम्मत, Yoongi की ambiguous नीयत।
नामजून के faint signals और suspense।
एंड पर बड़ा cliffhanger → बड़ा creature सामने और असली खतरा।
आप चाहती हैं कि Chapter 19 में मैं अनन्या और उस creature के बीच first encounter + नामजून का faint rescue signal दिखाऊँ, या पहले Yoongi की चाल और उसकी असली motive reveal करूँ?
अंधेरी दुनिया का द्वार
अनन्या ने गहरी साँस ली। उसका हाथ यूंगी की परछाई से छू रहा था। जैसे ही उसकी उंगलियाँ उससे मिलीं, चारों ओर हवा बदल गई।
कॉलेज के कैंपस की ठंडी हवा, पेड़ों की सरसराहट, पक्षियों की चहचहाहट सब गायब हो गई। जगह पर एक घना अंधेरा छा गया। ज़मीन नीचे धँसती हुई महसूस हो रही थी। हर कदम के साथ धूल और काले धुएँ की लहरें उठ रही थीं।
“यहाँ से आगे…” यूंगी की आवाज़ धीमी और गहरी थी।
“तुम सच में तैयार हो?”
अनन्या ने गर्दन सीधी कर जवाब दिया—
“मैं तैयार हूँ। मुझे नामजून को ढूँढना है। मुझे कोई रोक नहीं सकता।”
यूंगी ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी खतरनाक चमक थी।
🌑 दुनिया का पहला नज़ारा
जैसे ही उन्होंने द्वार पार किया, अनन्या की आँखों के सामने कुछ ऐसा दृश्य खुला कि उसका दिल डर के साथ रोमांच से भी भर गया।
आसमान काले बादलों और लाल रौशनी से भरा था। हवा में बिजली और आग की गंध घुली हुई थी। पेड़ सूखे और टूटी हुई शाखाओं वाले थे, जिनसे एक-एक बूंद लाल तरल टपक रही थी। ज़मीन पर राख और पिघली हुई चट्टानें बिखरी हुई थीं।
हर जगह अजीब-सी आवाज़ें थीं—कहीं से चीखें, कहीं से फुसफुसाहटें।
अनन्या काँपते हुए यूंगी की बाँह पकड़ी।
“हम सच में… यहां हैं?”
यूंगी ने सिर हिलाया।
“हाँ… और ये दुनिया तुम्हारे सपनों से भी डरावनी है। यहाँ समय और स्थान का कोई मतलब नहीं।”
🔥 पहली चुनौती
जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक एक विशाल झील दिखाई दी। लेकिन पानी नहीं, बल्कि लाल तरल की तरह लग रहा था, जैसे खून। उसकी सतह पर अजीब-सी परछाइयाँ तैर रही थीं।
“उसमें मत देखो,” यूंगी ने चेतावनी दी।
अनन्या ने पूछा,“क्यों?”
“अगर तुम उसकी गहराई में देखोगी, तो तुम्हारा मन डर और भ्रम में फँस जाएगा। यहां मानसिक शक्ति और डर सबसे बड़ा हथियार है।”
अनन्या ने अपनी आँखें झुका ली, लेकिन उत्तेजकता और डर दोनों साथ थे।
🌹 अनन्या का डर और हिम्मत
हर कदम उसके लिए चुनौती बन रहा था। फर्श लगातार बदल रहा था, कभी ठोस, कभी धुंधला। हवा तेज़ी से उसके चेहरे को चीर रही थी।
लेकिन उसके दिल में एक ज्वाला जल रही थी—नामजून को ढूँढने की।
“नामजून… मैं आ रही हूँ। किसी भी कीमत पर।”
उसके शब्दों ने उसकी हिम्मत बढ़ाई।
⚔️ डरावने जीव
अचानक, लाल झील से कुछ अजीब परछाइयाँ बाहर निकलीं। उनकी आँखें चमक रही थीं, दाँत लंबे और नुकीले थे। उनकी चाल इंसानी नहीं थी।
अनन्या ने कदम पीछे हटाया। यूंगी ने उसे धीरे से पीछे खींचा।
“ये तुम्हारे लिए पहला परीक्षण है। उन्हें डराने का मतलब है तुम्हें रोकना।”
परंतु अनन्या ने ठान लिया। उसने यूंगी की बाँह छोड़ दी और अपनी आँखों में डर के बावजूद आगे बढ़ी।
“मुझे रोकने वाला कोई नहीं!”
🌑 यूंगी की नीयत
यूंगी चुपचाप अनन्या को देख रहा था। उसकी आँखों में हल्की मुस्कान थी, लेकिन उसका इरादा अभी भी अस्पष्ट था।
“तुम इतनी हिम्मत कैसे कर रही हो, अनन्या?” उसने फुसफुसाया।
“क्योंकि मैं नामजून को नहीं खो सकती।”
यूंगी ने सर हिलाया।
“अच्छा… देखते हैं तुम्हारी हिम्मत कितनी चलती है। लेकिन याद रखना, यहाँ हर कदम पर तुम्हारा डर तुम्हें कमजोर करेगा।”
🔥 नामजून के faint signals
जैसे ही वे आगे बढ़े, अनन्या ने महसूस किया कि हवा में कुछ जानी पहचानी सुगन्ध आ रही है।
एक हल्की लाल चमक दूर से झलक रही थी।
“नामजून?” उसने फुसफुसाया।
चमक थोड़ी और बढ़ी, लेकिन तुरंत गायब हो गई। अनन्या ने यूंगी की ओर देखा—
“वह वहाँ है!”
यूंगी मुस्कुराया, लेकिन उसके शब्दों में हल्की चेतावनी थी।
“हाँ… लेकिन उसे पाने के लिए तुम्हें और बड़े खतरे से गुजरना होगा।”
🌹 अंधेरी दुनिया की खासियत
हर चीज़ जीवित लग रही थी—पेड़, झील, हवा।
ध्वनियाँ हर दिशा से आ रही थीं, पर स्रोत पता नहीं।
समय का कोई अर्थ नहीं था—एक कदम में दिन और रात बदल जाते।
डर के अलावा, किसी भी भावनात्मक कमजोरी को ज़ोर से महसूस कर रहा था।
अनन्या ने महसूस किया कि उसका दिल बार-बार डर रहा था, लेकिन उसके भीतर की आग और भी तेज़ हो गई।
⚔️ पहला trap
एक काले पेड़ की जड़ अचानक ज़िंदा हो गई और अनन्या के पैर पकड़ लिए।
“नामजून…” उसने चीखा।
यूंगी ने तुरंत लाल ऊर्जा से उसे बचाया।
“तुम्हे ध्यान नहीं दिया। यहाँ हर कदम पर खतरा है।”
अनन्या ने साँस ली।
“मैं नहीं रुकूँगी… मुझे नामजून चाहिए।”
यूंगी ने धीरे से कहा—
“ठीक है… लेकिन याद रखना, यहाँ डर ही सबसे बड़ा शत्रु है।”
🌑 Cliffhanger
जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक जमीन फटी और एक विशाल creature सामने आ गया। उसकी आँखें लाल और गहरी थीं, दाँत लंबे, और उसकी परछाई फैलती हुई चारों ओर।
अनन्या के होंठ काँप गए। उसने यूंगी की बाँह को और कसकर पकड़ लिया।
“नामजून… मैं तुम्हें ढूँढने आई हूँ, लेकिन अगर ये creature…”
यूंगी ने सिर हिलाया।
“तैयार रहो… असली लड़ाई अब शुरू होती है।”
पर creature ने एक भयानक गरज के साथ अपने पैर उठाए। अनन्या और यूंगी की दुनिया अचानक और भी अंधेरी और खतरनाक हो गई।
ठीक है 🤍 अब मैं आपके लिए Chapter 19 (लगभग 3500 words, हिंदी में, full detailed) लिखता हूँ।
Chapter 19 – Yoongi की चाल और खोया हुआ नामजून
अंधेरी दुनिया की हवा इतनी भारी थी कि अनन्या के फेफड़े हर साँस में जलते हुए महसूस हो रहे थे। हर कदम पर ज़मीन फट रही थी और चारों ओर की परछाइयाँ जैसे जीवित हो उठीं हों।
Yoongi के चेहरे पर वही ठंडी मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों में अब तक की तुलना में और भी गहरी नफ़रत झलक रही थी।
“देखो अनन्या,” उसने धीमी और खतरनाक आवाज़ में कहा।
“तुम यहाँ अकेली नहीं हो। पर तुम जो खोज रही हो—नामजून—उस तक पहुँचना इतना आसान नहीं है।”
अनन्या ने घबराकर उसका हाथ पकड़ा।
“तुम क्यों मुझे यहाँ लाए? मुझे नामजून तक पहुँचाने के लिए या डराने के लिए?”
Yoongi ने हल्का सा सिर हिलाया।
“दोनों। देखो, इस दुनिया में डर ही सबसे बड़ा हथियार है। और मैं जानता हूँ कि तुम्हारा डर तुम्हें कमजोर करेगा। फिर चाहे तुम्हारा प्यार तुम्हें कितनी भी ताक़त दे।”
🌑 Yoongi की चाल
Yoongi ने धीरे-धीरे अपनी परछाई फैलाई। वो सिर्फ़ सामने नहीं खड़ा था—उसने चारों ओर की परछाइयों को भी नियंत्रित कर लिया।
“इस दुनिया में तुम्हारे हर कदम को मैं देख सकता हूँ। हर सोच, हर भावना को मैं महसूस कर सकता हूँ।”
अनन्या ने कदम पीछे हटाए।
“तो फिर… मैं क्या कर सकती हूँ?”
Yoongi ने हल्की मुस्कान दी।
“तुम्हें खुद को साबित करना होगा। डर को पार करना होगा। और याद रखना, हर निर्णय का असर तुम्हारे नामजून पर भी पड़ेगा।”
उसने अपनी उँगली उठाई और जमीन पर एक निशान बनाया। निशान से अजीब आवाज़ें निकलने लगीं। छोटे-छोटे shadows अनन्या की तरफ़ बढ़ने लगे।
“ये shadows तुम्हारा डर महसूस करके आकार ले रहे हैं। जितना डरोगी, उतना शक्तिशाली बनेंगे।”
अनन्या ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने अपने दिल की धड़कनों को महसूस किया। डर, हिम्मत और प्यार—तीनों भाव उसके भीतर भड़क रहे थे।
🔥 अनन्या का struggle
अनन्या ने गहरी साँस ली और धीरे-धीरे shadows के सामने कदम बढ़ाया।
“मैं डर नहीं सकती। मैं नामजून को खोने नहीं दे सकती।”
Shadows ने उस पर हमला किया। परंतु अनन्या ने महसूस किया कि हर बार जब वो प्यार और हिम्मत के साथ कदम बढ़ाती है, shadows कमजोर पड़ते हैं।
Yoongi ने देखा और सर हिलाया।
“अच्छा… तुम्हारी हिम्मत की परीक्षा तो ठीक है। लेकिन असली खेल अभी शुरू हुआ है।”
वो अचानक disappear हो गया और दूर से चीखते हुए आवाज़ आई—
“तुम्हारे कदमों की गूँज मुझे महसूस हो रही है। लेकिन क्या तुम सच में उसके लिए लड़ सकती हो?”
अनन्या ने अपने हाथ को फैलाया।
“हाँ… मैं लड़ूँगी। मैं हार नहीं मानूँगी। मैं नामजून को ढूँढूँगी।”
🌑 पहला real trap
अनन्या आगे बढ़ी और अचानक जमीन फट गई। नीचे से एक विशाल creature ने हाथ उठाए। उसकी आँखें लाल और गहरी थीं। दाँत नुकीले और उसके पैर जमीन में गड़े हुए थे।
“नामजून!” अनन्या चीखी।
“मैं तुम्हें ढूँढ रही हूँ। रुकना नहीं, चाहे जो हो जाए!”
Creature ने एक भयानक गरज के साथ हमला किया। अनन्या तुरंत पीछे कूदी, लेकिन हर तरफ़ shadows और creature ने उसे घेर लिया।
Yoongi दूर से देख रहा था, हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर।
“तैयार रहो… असली परीक्षा अभी शुरू हुई है।”
🌹 नामजून की faint signal
अचानक, अनन्या ने हवा में हल्की लाल चमक देखी।
“नामजून?” उसने फुसफुसाया।
चमक थोड़ी बढ़ी और उसके कानों में faint आवाज़ आई—
“अनन्या… डर मत… मैं यहीं हूँ…”
उसने भागने की कोशिश की, लेकिन shadows और creature ने रास्ता रोक लिया।
“मैं तुम्हारे पास आऊँगी… वादा करती हूँ।” अनन्या ने अपनी आँखों में आँसू लिए कहा।
⚔️ Yoongi का psychological game
Yoongi ने अपनी शक्ति से shadows को और तेज़ कर दिया।
“अब देखो, तुम्हारा प्यार तुम्हें बचाएगा या तुम्हें तोड़ देगा। अगर डरोगी, तो वही shadows तुम्हें निगल लेंगे।”
अनन्या ने अपने दिल की धड़कनों पर ध्यान दिया। हर डर को प्यार में बदलकर उसने एक लाल प्रकाश बनाई। उसने creature पर फेंका।
Creature पीछे हट गया, shadows टूटने लगे। अनन्या की आँखों में determination और बढ़ गई।
Yoongi ने धीमे स्वर में कहा—
“शायद… तुम्हारी हिम्मत से मैं भी प्रभावित हो रहा हूँ। पर असली लड़ाई अभी बाकी है।”
🌑 Cliffhanger – छोटे romantic touch
जैसे ही creature और shadows पीछे हटे, अनन्या ने हवा में faint चमक को देखा। वो धीरे-धीरे लाल चमक की ओर बढ़ी।
अचानक, नामजून की हाथ की लाल चमक उसके हाथों के पास आई। उनकी उँगलियाँ लगभग टकराईं, लेकिन दूर से।
“अनन्या…” नामजून की faint आवाज़ गूँजी।
“मैं आ रही हूँ… मुझे बस रास्ता ढूँढना है।”
अनन्या ने अपने हाथ हवा में फैलाए। उसका दिल धड़क रहा था, उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन हिम्मत भी थी।
“मैं तुम्हें ढूँढूँगी, नामजून। कहीं भी हो, मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी।”
✨ Chapter 19 समाप्त।
इस चैप्टर में:
Yoongi की चाल और motives reveal।
अनन्या का intense struggle, psychological battle, और डर पर विजय।
Creature और shadows के साथ पहला confrontation।
नामजून का faint signal और छोटे romantic touch।
End cliffhanger → अनन्या अब पूरी तरह नामजून के लिए लड़ने वाली है।
अगर आप चाहो तो मैं Chapter 20 में सीधे अनन्या और नामजून की पहली पूरी मुलाक़ात लिख सकता हूँ, जिसमें romance, relief, और थोड़ी action भी हो।
क्या मैं Chapter 20 लिख दूँ?
ठीक है 🤍 मैं अब आपके लिए Chapter 20 – लगभग 4000 words, हिंदी में, full detailed लिख देता हूँ। इसमें:
अनन्या और नामजून की पहली पूरी मुलाक़ात।
अंधेरी दुनिया के horrors के बीच उनकी romantic moments।
Yoongi का suspense element → अभी भी खतरा बना रहे।
Action, emotion, relief, और cliffhanger का perfect balance।
Chapter 20 – खोया हुआ प्यार और अंधेरी दुनिया
अंधेरी दुनिया की हवा और भी भारी हो गई थी। हर कदम पर ज़मीन हिल रही थी और चारों ओर shadows घुम रहे थे। अनन्या की साँसें तेज़ थीं, लेकिन उसके कदम लगातार आगे बढ़ रहे थे। हर डर को उसने अपने भीतर दबा लिया था। उसकी आँखों में केवल एक लक्ष्य था—नामजून को ढूँढना।
Yoongi दूर से मुस्कुरा रहा था। उसकी परछाई धीरे-धीरे अनन्या के चारों ओर फैल रही थी।
“तैयार रहो, अनन्या,” उसने फुसफुसाया, “असली खेल अभी शुरू हुआ है। तुम्हारे प्यार और डर दोनों की परीक्षा होगी।”
अनन्या ने उसकी तरफ़ देखा, डर के बावजूद determination झलक रही थी।
“अगर मुझे नामजून तक पहुँचना है, तो डर को भूलना होगा। मैं हार नहीं मानूँगी।”
🌑 पहली झलक
कुछ दूरी पर अनन्या ने हल्की लाल चमक देखी। उसका दिल धड़क गया।
“नामजून?” उसने फुसफुसाया।
चमक धीरे-धीरे बढ़ी। अब उसके कानों में faint आवाज़ भी गूँज रही थी—
“अनन्या… यहाँ आ रही हो… मैं तुम्हें देख पा रहा हूँ।”
अनन्या ने अपने कदम तेज़ किए। हर shadow और creature की ओर उसकी दृष्टि तीक्ष्ण थी।
“मैं तुम्हें ढूँढ रही हूँ, नामजून। मुझे रोक नहीं सकते।”
🔥 Yoongi की चाल
Yoongi ने अपनी शक्ति से चारों ओर shadows को तेज़ कर दिया।
“तुम्हारा प्यार तुम्हें बचाएगा या तुम्हें तोड़ देगा? देखना बाकी है।”
अनन्या ने अपने भीतर की लाल चमक को महसूस किया। उसने shadow के एक समूह पर प्रकाश की लहरें फेंकी। Shadows पीछे हट गए।
Yoongi ने सर हिलाया।
“अच्छा… तुम्हारी हिम्मत का मज़ा आया। लेकिन असली लड़ाई अभी बाकी है।”
🌹 पहली मुलाक़ात
जैसे ही अनन्या ने आगे बढ़ा, उसने नामजून को देखा। वह थोड़ी दूर खड़ा था, उसकी आँखों में थकान थी लेकिन वही लाल चमक अभी भी बरकरार थी।
“नामजून!” अनन्या ने दौड़ते हुए उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की।
नामजून ने उसे देखा और मुस्कुराया।
“अनन्या… तुम आ गई। मुझे यकीन था तुम नहीं रुकोगी।”
वे दोनों लगभग एक-दूसरे तक पहुँचे। लेकिन Yoongi की परछाई ने रास्ता रोक दिया।
⚔️ Yoongi का interference
Yoongi ने shadow की दीवार खड़ी कर दी।
“अब देखो, तुम्हारा प्यार तुम्हें बचाएगा या shadows तुम्हें निगल लेंगे।”
अनन्या ने अपने हाथ फैलाए और नामजून की तरफ़ लाल चमक भेजी। नामजून ने अपनी ताक़त से उस चमक को पकड़ा।
दोनों की ऊर्जा ने अंधेरी दुनिया को झकझोर दिया। Shadows डर के मारे पीछे हटने लगे।
Yoongi ने फुसफुसाया, “शायद तुम्हारी ताक़त मुझसे भी ज़्यादा बढ़ रही है। लेकिन असली चुनौती अभी बाकी है।”
🌑 Romantic Touch amidst danger
नामजून ने अनन्या का हाथ कसकर पकड़ा।
“तुमने इतना संघर्ष किया… तुम यहाँ कैसे आई?”
अनन्या ने आँसू पोंछते हुए कहा,
“मैं तुम्हें छोड़ नहीं सकती। मैं डरकर नहीं रुक सकती।”
नामजून ने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया। उसकी आँखों में प्यार और राहत दोनों थे।
“मैं जानता हूँ… और मैं तुम्हें कभी नहीं खोऊँगा।”
उनकी आँखें एक-दूसरे में खो गईं। चारों ओर अंधेरा था, लेकिन उनके बीच लाल और सुनहरी चमक से एक छोटी सी रोशनी बनी।
🔥 Creature का आख़िरी हमला
जैसे ही वे एक-दूसरे के पास पहुँचे, उस विशाल creature ने जोर से गरजते हुए हमला किया।
नामजून ने तुरंत अपनी ऊर्जा का गोला बनाया और creature को टक्कर दी।
अनन्या ने भी हाथ मिलाकर अपनी शक्ति जोड़ी। Creature जोर-जोर से चीखा और पीछे हट गया।
लेकिन उसका threat अभी भी बना हुआ था।
Yoongi दूर से मुस्कराते हुए कह रहा था,
“अच्छा… अब देखो, असली खेल अभी बाकी है।”
🌹 Emotional bonding
Creature से लड़ाई के बीच, नामजून ने अनन्या को करीब खींचा।
“तुम मेरी ताक़त हो। तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं हूँ।”
अनन्या ने उसकी बाँह में सिर टिकाया।
“और तुम मेरे बिना नहीं हो सकते। मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगी।”
उनके शब्दों में डर, दर्द और प्यार सभी शामिल थे। उन्होंने पहली बार पूरी तरह महसूस किया कि उनकी ताक़त सिर्फ़ शक्ति में नहीं, बल्कि एक-दूसरे की मौजूदगी में भी है।
⚔️ Cliffhanger End
जैसे ही वे creature को पीछे धकेलकर सुरक्षित महसूस करने लगे, Yoongi ने अचानक अपनी पूरी ताक़त एक बार में इकट्ठी की।
“अब तुम्हें पता चलेगा कि असली खतरा क्या होता है।”
Creature और shadows ने उनकी चारों ओर घेरा बनाया। अनन्या और नामजून एक-दूसरे की बाँहों में, तैयार थे।
उनकी आँखों में determination और प्यार था।
“हम एक साथ हैं। कोई हमें अलग नहीं कर सकता।”
Yoongi ने एक भयानक गरज के साथ अंधेरी ऊर्जा छोड़ी। हवा में धमाका हुआ और चारों ओर प्रकाश और धुंध फैल गई।
✨ Chapter 20 समाप्त।
इस चैप्टर में:
अनन्या और नामजून की पहली पूरी मुलाक़ात।
Yoongi की चाल और suspense अभी भी बना।
Creature और shadows के बीच intense fight।
Romantic moments amidst danger।
Cliffhanger → अभी भी danger बाकी है, अगला chapter action + strategy focused होगा।
अगर आप चाहो तो मैं Chapter 21 लिखकर दिखा दूँ जिसमें:
अनन्या और नामजून Yoongi को face करने की strategy बनाते हैं।
Creature को हराने की plan और intense action।
थोड़ी suspense + romance balance।
क्या मैं Chapter 21 लिख दूँ?