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Heartless devil's king ki innocent mehbooba.....❤️❤️

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🦋🦋Shivani khari 🦋🦋

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कहते हैं......... "ज़िंदगी में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। जो होना तय है, वो होकर ही रहता है, चाहे आप लाख कोशिशें कर लें। यह कहानी है अद्विक और कनक की, दो ऐसे अजनबी जिनकी दुनियाएँ एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। कनक, एक 17 वर्ष...

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Advik singhaniya...

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Kanak....

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Total Chapters (25)

Page 1 of 2

  • 1. advik or Kanak ❤️❤️ - Chapter 1

    Words: 1230

    Estimated Reading Time: 8 min

    Hiiii guys...🙏 कैसे हैं आप सब।। उम्मीद है अच्छे होंगे। ... 🥰🥰

    सो फ्रेंड उम्मीद करतीं हुं आप सब को मेरी कहानी पसंद आयेगी। जिस तरह से आप ने मेरी पहली कहानी को अपना प्यार दिया। उम्मीद करतीं हुं उसी तरह आप सब मेरी इस कहानी को भी अपना भर भर कर प्यार दोगे।😊😊

    तो कहानी सुरू करने से पहले में अपने हिरो हिरोइन का इंट्रोडक्शन करा देती हुं। 😊

    💐💐💐🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿💐💐💐

    तो पहले मिलते हमारी कहानी की हिरोइन से।......😊

    कनक शर्मा..... दिखने में इतनी सुन्दर की स्वर्ण से आई अफ़सरा को भी फेल कर दें। गोरा रंग। काली गहरी आंखें। भरी भरी पलके। क़मर से भी निचे तक आते हुए बाल। वह हल्की मोटी थी। पर फिर भी बहुत सुंदर और क्यूट लगती थी। उस के वह फुले हुए गालों को देख कर सब का खिंचने का मन करें। गुलाबी होंठों जिन के पास में साइट साइड में छोटा-सा तिल था। जो दिखने में बहुत प्यार लगता था।
    वह बिल्कुल क्यूट पांडा थी दिखने में। 17 साल की कनक अपनी मां गिता जी के साथ गांव सोनितपुर में रहीं हैं। कनक के पिता नीरज जी काले पेलिया की बिमारी से मर गये थे ‌। जिसे वह अपने ताई ताऊजी के साथ उस के घर पर ही रहती है। कनक की मां अपने जेठ जेठानी के घर पर नौकर बन कर काम करतीं हैं। जिस में कनक भी उन का साथ देती है। दोनों मां बेटी अपनी दुःख भरी जिंदगी में भी खुश थी।
    कनक के बारे में आगे स्टोरी में और जानें को मिलेगा।

    अभी चलते हैं कहानी के हिरो के बारे में जानें के लिएं।

    अद्विक सिंघानिया।..... सिंघानिया एम्पायर का CEO जिसे ने अपने मेहनत और लगन से सिंघानिया एम्पायर को top 1 . पर पहोंचा या है।
    दिखने में ऐसा की फिल्म के हिरो को भी फेल कर दें। अपने गुस्से और घमंड में चूर इतना रहता है की अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता। सारी दुनिया इन्हें heartless devil's के नाम से जानती है।

    परिवार में। पिता (सुरज सिंघानिया। ) माता ( देविका सिंघानिया) छोटा भाई ( समर सिंघानिया ) छोटी बहन ( प्रिया सिंघानिया) समर और प्रिया जुड़वां बच्चे हैं। दोनों ही इस वक्त कॉलेज में सेकेंड इयर में पढ़ रहे हैं।

    चाचा (सुबोध सिंघानिया। ) चाची ( कोमल सिंघानिया) इन के दो बेटे हैं। ( राज़ सिंघानिया) और ( विराट सिंघानिया)

    और हम आगे जानेंगे फिलहाल अब चलते हैं कहानी की तरफ ।...

    💐💐🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿🧿💐💐

    दिल्ली एयरपोर्ट पर। ...✈️✈️

    एक लड़की जिस की उम्र 16 17 साल की लग रही थी। वह एयरपोर्ट पर बैठी इधर-उधर देख रहीं थीं। उस की आंखों में आसूं थे। उस के चहरे पर डर दिख रहा था। वह बैचेन थी। और इधर-उधर देख रहीं थीं।

    उस बच्ची को देख कर लग रहा था। जेसे वह किसी को ढुंढ रहीं थीं।

    उस लड़की ने लाल साड़ी पहन रखी थी। उस की मांग में सिन्दूर भर हुआं था। गले में बड़ा सा सोने का मंगलसूत्र पहन रखा था। जो की पुराने जमाने का लग रहा था। हाथों में मेहंदी लगीं हुई थी जिस का रंग बहुत गाढ़ा था। उस महंदी से रचें हुए हाथों में भर भर कर लाल चुड़ी पहन रखी थी। वह लड़की बिल्कुल नयी नवेली दुल्हन लग रही थी।
    लड़की दिखने में बहुत सुन्दर लग रही थी। वह थोड़ी सी मोटी थी। पर फिर भी वह बहुत क्यूट और खुबसूरत थी। बिल्कुल क्यूट पांडा की तरह। वह लड़की भाग कर एक ओल्ड लेडी के पास गयी और रोते हुए कहती हैं। काकी काकी आप ने मेरे पति बाबू को देख है। वह यही थे। अब पता नहीं कन्नू के पति बाबू का चलें गये कन्नू को छोड़ कर।

    उस लड़की को देखा कर वह ओलड लेडी कहतीं हैं। बेटा आप मुझे यहां की तो नहीं लगती आप कहां से हो और आप किस कि बात पर रहें हों।

    वह लड़की कहती हैं। काकी हमारे पति बाबू हम नहीं मिल रहें हैं ।

    वह ओल्ड लेडी कहतीं हैं। आप का नाम किया है बच्चा।

    वह लड़की रोते हुए कहती हैं। मेरा नाम कनक है। हम सोनितपुर से है। और हम यह अपने पति बाबू के साथ आयें है।

    आप को पता है वह ना बहुत बड़े आदमी हैं। उन के आगे पिछे काले रंग के कपड़े पहने हुए बड़े बड़े मोटे-मोटे आदमी अपनी हाथों में बंदूक लेकर रहते हैं।

    वह औरत उस बच्ची की मासुमियत से भरी बातों को सुन रही थी। और उसे उस बच्ची पर तरस भी आ रहा था। वह लाचारी में अपना सिर हिलाते हुए कहती हैं। पता नहीं कोन है तुम्हारा वह पति पर इतना जरूर जानतीं हुं जा भी है। वह बदनसीब है जो इस हिरे को छोड़ कर चला गया। इतना कहकर वह औरत चली जाती है।
    कनक बस रोते हुए इधर-उधर देख रहीं थीं। वह रोते हुए कहती हैं। मां ने तो कहा था कि पति बाबू हमें बहुत प्यार करेंगे। और हमें हमेशा खुश रखेंगे। पर पति बाबू तो कन्नू को छोड़ कर कहा चलें गये।

    कोई बात नहीं हो सकता है की वह किसी जरूरी काम से गये हों। वह बहुत बड़े आदमी हैं ना। हमें लेने जरूर आयेंगे। देख ना कन्नू पति बाबू जरूर आएंगे। हम यही बैठ जाते हैं। वह जब आयें तो हम ढुढेगे ना। और हम नहीं मिले तो परेशान हो जाएंगे।

    कनक वह एक साइड में जमीन पर बैठ जातीं हैं। और कहतीं हैं। पति बाबू जल्दी आ जाओ कन्नू को डर लग रहा है।

    दुसरी तरफ। .....
    सिंघानिया एम्पायर....

    सिंघानिया एम्पायर की बड़ी सी बिल्डिंग में जिस को देखने भर से ही गर्दन दर्द करने लगें। उस बिल्डिंग 35 वे फ्लोर पर बने केविन में ...

    एक लड़का जिस की उम्र तकरीबन 29 साल की थी वह अपने आफिस में बैठ लेपटॉप पर काम कर रहा था। और वह अपने असिस्टेंट से कहता है। शेखर जल्दी कर मेरी इंपोर्ट मीटिंग है। मैं इसे मिस नहीं कर सकता।

    शेखर डरते हुए कहता है। ओके बॉस।

    फिर वह अपने मन में कहता है। बॉस तो आ गये। और इन्हें देखकर भी नहीं लग रहा की इन्हें ज़रा भी उस लड़की की फिकर है। पता नहीं किया होंगा अब उस लड़की के साथ।

    शेखर उदास मन से अपने काम में लग जाता है।

    कुछ देर बाद शेखर और वह दोनों जल्दी से मीटिंग के लिए चलें गये।
    मीटिंग रूम में बैठा वह लड़का अपने गुस्से में सब को देख रहा था। तभी उस लड़के का फोन रिंग होता है। फोन पिक करता है।

    तो दुसरी तरफ से कोई शख्स कहता है। अद्विक तुम कब आये सोनितपुर से और मुझे बताया भी नहीं।

    अद्विक कहता है। डैड में बाद में बात करता हूं। वैसे मैं आप को कॉल करने वाला था। मैं जर्मनी जा रहा है। प्रोजेक्ट के लिए। और कब आऊंगा पता नहीं।

    अद्विक के डैड सूरज सिंघानिया कहते हैं। किया आदि तूं जर्मनी जा रहा है और तुने मुझे बताया भी नहीं। तूं अभी तो आया है। सोनितपुर से और अब मुझे से बिना मिले ही जा रहा है ये तो ग़लत बात है ना तेरी यार।

    अद्विक अपने डैड की बात सुनकर कहता है। डैड आप तो ऐसे बोल रहे हैं। जैसे में हर बार आप को बता कर जाता हूं।

    कुछ देर और अपने डैड से बात कर अद्विक फ़ोन काट देता है। और आफिस से निकल एयरपोर्ट की तरफ चला जाता है।

    वहीं कनक एयरपोर्ट पर बैठी थी और अपने पति का इंतजार कर रही थी पर उस का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा था।


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 2. अद्विक का दो साल बाद इंडिया आना। कनक का इंतजार ❤️❤️ - Chapter 2

    Words: 1249

    Estimated Reading Time: 8 min

    अद्विक कहता है। डैड में बाद में बात करता हूं। वैसे मैं आप को कॉल करने वाला था। मैं जर्मनी जा रहा है। प्रोजेक्ट के लिए। और कब आऊंगा पता नहीं।

    अद्विक के डैड सूरज सिंघानिया कहते हैं। किया आदि तूं जर्मनी जा रहा है और तुने मुझे बताया भी नहीं। तूं अभी तो आया है। सोनितपुर से और अब मुझे से बिना मिले ही जा रहा है ये तो ग़लत बात है ना तेरी यार।

    अद्विक अपने डैड की बात सुनकर कहता है। डैड आप तो ऐसे बोल रहे हैं। जैसे में हर बार आप को बता कर जाता हूं।

    कुछ देर और अपने डैड से बात कर अद्विक फ़ोन काट देता है। और आफिस से निकल एयरपोर्ट की तरफ चला जाता है।

    वहीं कनक एयरपोर्ट पर बैठी थी और अपने पति का इंतजार कर रही थी पर उस का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा था।

    अब आगे। ....


    कनक का अपने पति बाबू के लिए इंतजार खत्म नहीं हो रहा था। वह उस का इंतजार कर रही थी। और इस इंतजार में ही दो साल बित गए। पर कनक की उम्मीद अभी भी नहीं टुटी थी।


    दो साल बाद।.............

    सुंदर सा घर जो की किसी महल से कम नहीं लग रहा था। सफेद पत्थरो से बना वह महल दुर से ही दिख रहा था। दूर दूर तक कोई भी घर उस महल के आस पास भी नहीं था। वह पुरी जगह उन्हीं की थी।

    सुंदर सा गार्डन फुलों से हरा भरा लग रहा था। उस घर के नेम प्लेट पर सिंघानिया पेरिस लेखा हुआं था।

    जहां आज काफी चहल-पहल थी। घर के नौकर यहां से वहां भाग रहे थे। सब के चहरे पर डर दिखाईं दें रहा था।

    एक लेडी जो कि दिखने में काफी सुंदर थी। वह सब नौकरों को कम बात रहीं थीं। और साथ ही में उन्हें डांट भी रहीं थीं।

    उस लेडी ( देविका जी) ने कहा। जल्दी जल्दी काम करों में रहा आदि कुछ ही देर में आता ही होगा। वह पुरे दो साल बाद आ रहा है। तो में नहीं चाहती । की कोई भी कमी हो। शाम को पार्टी है। और तुम सब इतने घिरे घिरे काम कर रहे हो। जल्दी करो।

    तभी पिछे से देविका जी के पति सूरज जी की आवाज आई। जो की उन से कह रहे थे।

    अरे जानू तुम तो अपने बेटे की आने की खुशी में अपने मासुम पति के भुल ही गई। ये तो अच्छी बात नहीं है ना जानू । ....

    देविका जी सूरज जी की तरफ देख कर महूं बना लेती है। और कहतीं हैं। आप तो मेरे बेटे से बहुत जलते हैं। मैं क्यूं खुश ना हुं। जब मेरा बेटा राजा आज पुरे दो साल बाद अपने प्रोजेक्ट को पूरा और मेरा नाम रोशन कर के आ रहा है। मैं क्यूं खुश ना होऊं।

    सूरज जी कहते हैं। ये बात तो है। पर वह आप का ही नही मेरा भी बेटा है। और रही जलने की बात तो है में जलूंगा ही क्योंकि तुम मेरे हिस्से का प्यार अपने उस खड़ूस बेटे को देती हों और बचा खुचा प्यार अपने उन दोनों नालायक समर और प्रिया को देती हों। अब बताओ ये बिचारा तुम्हारा पति कहा जाए।

    सूरज जी की बात सुनकर उन का भाई सुबोध जी पिछे से हंसते हुए कहते हैं। हा हा हा भाई ये बात तो है। आप ने बिल्कुल सही कहा। बताओं मेरे बड़े भाई के साथ कितनी ना इंसाफी हों रहीं हैं। भाई आप चिंता ना करें में हुं आप के साथ।

    सुबोध जी बोल तो रहें थे सुरज जी से पर देख रहे थे । देविका जी की तरह देख कर। जिसे देविका जी की हंसी छुट गई। सुरज जी मुंह बनाते हुए कहते हैं। ये बात तूं मुझे बोल रहा है या अपनी भाभी को।

    सुबोध जी देविका जी की तरफ उंगली कर। सुरज जी की तरफ देख कर कहते हैं। आप की तरफ भाई।

    देविका जी हंस पड़ी उन के साथ में सुबोध जी की पत्नी कोमल जी भी हंसने लगी।

    देविका जी कोमल जी की तरफ देख कर कहती हैं। चलो कोमल इन दोनों भाईयों का तो चलता रहेगा हम चलते हैं काम करना है बहुत। वैसे ये बच्चे कब तक आयेंगे।

    कोमल जी ने कहा। दीदी। चारों बच्चे (राज विराट, समर प्रिया ) आते ही होंगे। कॉलेज से आने का टाइम तो हों गया है। पर वह बोल रहे थे की अपने दोस्तों के साथ आयेंगे शाम की पार्टी से पहले आने के लिए बोल रहे हैं।


    दोनों चलीं गईं। दोनों भाई भी अपने कुछ काम में लग गए।

    दुसरी तरफ।

    एयरपोर्ट पर ✈️


    प्राइवेट एरिया की तरफ। जहा पर सेलिब्रिटी का ही आना जाना था। वह का एरिया पुरा काले रंग के कपड़े पहने बॉडीगार्ड से भरा था। सब के हाथों में गन थी। उस सब के बिच में से एक हैंडसम नौ जवान लड़का आता है। जो की किसी हिरो से कम नहीं लग रहा था। बल्क कलर का थ्री पीस सूट पहने। अपने खतरनाक ओरे के साथ चल कर बहार की तरफ आ रहा था।

    वह अपनी आंखों पर Glasses लगा कर एरोगेंट अंदाज में चल रहा था।

    जब वह बाहर कार कि तरफ जा रहा था तो वह खड़ी आस पास की लड़कियां उछल उछल कर उसे देखने की कोशिश कर रहीं थीं। पर गार्ड्स के चारों तरफ से घेरने की वजह से वह देख नहीं पा रही थी। जिसे उन सब लड़कियों का मुंह बन गया। और वह उदास हो कर रह गई।

    अद्विक अपने कार में बैठ जाता है । ड्राइवर डरते हुए उस से पहुंचता है। बॉस कहा जाना है।

    अद्विक घूर कर उसे देखता है तो वह डर जाता है। ड्राइवर के पसीने छूट जाते हैं।

    अद्विक सर्द आवाज में कहता है। ऑफिस चलों।
    ड्राइवर ओके बॉस बोल कर कार सिंघानिया एम्पायर के लिए कर देता है।

    वहीं एयरपोर्ट पर ही दूसरी तरफ जनरल एरिया की तरफ।

    वह एक लड़की गुलाब कर का सलवार सूट पहने। मांग में सिंदूर गले में मंगलसूत्र पहने करीब 19 साल की लड़की खड़ी थी। उस की आंखों में आसूं थे। वह चारों तरफ अपनी निगाहों से बड़ी उम्मीद के साथ देख रहीं थीं।

    उस कि आंखों के आंसु जो उस ने बहुत देर से रोक रखें थे। वह अब उस के गाल पर आ गये। उस लड़की ने अपने आंसु साफ करते हुए कहा। कन्नू पति बाबू तो आज भी नहीं आएं। पति बाबू कब आएंगे। इतने साल हो गए। किया उन्हें कन्नू याद नहीं।

    कनक अपनी बात कह कर रो देती है। वह बहुत देर तक वह एयरपोर्ट पर बैठी रही थी। अपने पति बाबू का इंतजार करतीं रहीं हैं।

    काफी देर तक बैठे रहने के बाद। कनक बाहर की तरफ देखतीं हैं जहां अब शाम होने को आईं थीं। ये देख कर कनक जल्दी से खड़ी होती है और खुद से कहतीं हैं। ओं हों कन्नू कितना वक्त हों गया। तुझे पति बाबू का इंतजार कर। पति बाबू तो आएं नहीं। पर अब तो। जाना होगा ना बड़ी मालकिन ने तो आज घर जल्दी आने को कहा था। और कन्नू तुने तो आज यही इतना वक्त कर लिया।

    पति बाबू कन्नू कल आएंगी। आप का इंतजार करने। कल जरूर आ जाना। आप को कन्नू बहुत याद करती है। आप ही तो हों कन्नू के। आप के अलावा कोई नहीं है मेरा । आ जाओ पति बाबू। अब कन्नू आप के बिना नहीं रह सकतीं हैं। पता नहीं क्यूं पति बाबू पर आज कन्नू को ऐसा लग रहा है जैसे आप मेरे आस पास ही हों। ....

    कनक अपने आंसु साफ कर एयरपोर्ट से निकल गई।

    Tu be continued 🙏 🙏 🙏 🙏

  • 3. अद्विक और कनक की शादी की बात।❤️❤️ - Chapter 3

    Words: 1522

    Estimated Reading Time: 10 min

    कनक अपनी बात कह कर रो देती है। वह बहुत देर तक वह एयरपोर्ट पर बैठी रही थी। अपने पति बाबू का इंतजार करतीं रहीं हैं।

    काफी देर तक बैठे रहने के बाद। कनक बाहर की तरफ देखतीं हैं जहां अब शाम होने को आईं थीं। ये देख कर कनक जल्दी से खड़ी होती है और खुद से कहतीं हैं। ओं हों कन्नू कितना वक्त हों गया। तुझे पति बाबू का इंतजार कर। पति बाबू तो आएं नहीं। पर अब तो। जाना होगा ना बड़ी मालकिन ने तो आज घर जल्दी आने को कहा था। और कन्नू तुने तो आज यही इतना वक्त कर लिया।

    पति बाबू कन्नू कल आएंगी। आप का इंतजार करने। कल जरूर आ जाना। आप को कन्नू बहुत याद करती है। आप ही तो हों कन्नू के। आप के अलावा कोई नहीं है मेरा । आ जाओ पति बाबू। अब कन्नू आप के बिना नहीं रह सकतीं हैं। पता नहीं क्यूं पति बाबू पर आज कन्नू को ऐसा लग रहा है जैसे आप मेरे आस पास ही हों। ....

    कनक अपने आंसु साफ कर एयरपोर्ट से निकल गई।

    अब आगे।........

    कनक एयरपोर्ट से निकल कर टेक्सी में बैठ कर। चलीं जाती है।
    और कुछ देर बाद उस की टेक्सी सिंघानिया पेरिस के बाहर आ कर रूकती है। वह टेक्सी ड्राइवर को पैसे दे कर अंदर की तरफ चली जाती है। वह अपने आंसु को साफ करतीं हैं जो की पुरे रास्ते वह वहाते हुएं आईं थीं। वह सिंघानिया पेरिस के अंदर जातीं हैं।

    तो उसे आंतें देख कर कोमल जी कहती हैं। कनक इतनी देर कर दी तुमने आने में। क्या तुम भुल गई की आज घर में पार्टी है। और तुम इतना देर से आ रही हों।

    कनक कोमल जी की गुस्से भरी आवाज सुनकर डर जातीं हैं। हालांकि वह गुस्से में नहीं बोल रही थी। पर कनक थीं ही इतनी मासूम की हल्की तेज़ आवाज़ को भी वह गुस्से भरी आवाज समझ लेती है। वह डरते हुए। कोमल जी के पास आते हुए कहतीं हैं।

    छोटी मालकिन माफ़ कर दो। आज पता नहीं कैसे देर हो गई। आगे से कन्नू कभी ऐसा नहीं करेंगी।

    कोमल जी कनक को गोर से देखतीं हैं। और उस के पास आते हुए कहतीं हैं। तूं क्यूं जाती है वह जब तुझे निराश ही होकर आना होता है। क्यूं तकलीफ़ देती है तूं खुद को कनक।

    कनक कोमल जी की तरफ अपना सिर उठा कर देखतीं हैं। और नम आंखों से कहतीं हैं। नहीं छोटी मालकिन। हमें वहां जाने से तकलीफ़ नहीं होती। बल्कि हम अगर वह ना जाएं तो हमें बेचैनी रहती है। हमें ये डर रहता है की कहीं हमारे पति बाबू हमें वह देखने हमें लेने तो नहीं आ गये। बस वहां जाकर थोड़ी आस लगा लेती हुं। अपने पति बाबू के आने की।

    कोमल जी कनक के मासुम चहरे को देखते हुए कहती हैं। दुआ करतीं हुं कि भगवान तेरी इस उम्मीद को कभी ना टुटने दें। और तेरे पति बाबू को जल्दी तेरे पास भेज दें।

    कनक हल्के से मुस्कुराते हुए कहती हैं। शुक्रिया छोटी मालकिन। आप देखना पति बाबू बहुत जल्द कन्नू को लेने के लिए आएंगे। और में ना आप सब से उन्हें मिलाऊंगी।

    तभी पिछे से देविका जी की आवाज आती है जो कि बोल रहीं थीं। हां और जब तुम उसे हम सब से मिलने के लिए लेकर आओ ना तब मैं ना उसे बहुत मारूंगी। उसे पुछूंगी की वह केसे कनक को छोड़ कर चला गया।

    कनक कहती हैं। हां बड़ी मालकिन आप ना पति बाबू को अच्छे से सबक सिखाना। फिर वह कन्नू को कभी छोड़ कर नहीं जाएंगे। हमेशा उस के साथ उसके पास रहेंगे।

    कनक कोमल और देविका जी से कुछ देर और बात करतीं हैं फिर kitchen में चली जाती है। कनक के जाने के बाद देविका जी कोमल जी से कहतीं हैं।

    कितनी मासुम है कनक। पता नहीं उस का पति उसे क्यूं एयरपोर्ट पर छोड़ कर चला गया। पहले तो उस से इतनी कम उम्र में ही शादी कर ली फिर उसे छोड़ कर चला गया। क्या 17 साल कोई उम्र ही नहीं होती। बच्ची की पढ़ने लिखने की उम्र में शादी हो गई। और अब पति का साथ होंने की बजह से इस अंजान शहर में रहन पड रहा है बिचारी को।

    कोमल कहतीं हैं। हां दीदी आप सही कह रही हो। मुझे तो लगता है की कनक का पति अब आयेगा ही नहीं उसे लेने के लिए। अब आप ही देखो ‌। जब हमें कनक से मिलें थे। तब वह खुद यहां दिल्ली आए हुए एक साल बता रही थी। तो अब तों उसे हमारे साथ रहते हुए एक साल और हों गया ।

    किया इन दो सालों में उस के पति को उस का खिंयाला नहीं आया होगी। ये भी तो हों सकता है उस के पति ने और शादी कर ली हों। वह अब नहीं आएगा।

    देविका जी कोमल जी की बात सुनकर सोच में पड जाती है और वह थोड़ी परेशान हों जाती है। वह कहती हैं। अगर ऐसा ही हुआ तो उस बच्ची की उम्मीद टूट जाएगी। वह बच्ची टूट जाएगी। उस का किया होगा वह इस अंजान शहर में केसे रहेंगी।

    सुरज जी सुबोध जी जो बहुत देर से उन दोनों की बात सुन रहे थे वह उन के पास आते हैं और सुरज जी देविका जी के कंधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं। तो हम उस बच्ची को अपने पास रखेंगे जैसे अब तक वह हमारे साथ रहती आईं हैं वैसे ही रहेंगी। बस थोड़ा बहुत बदलाव कर देंगे।
    देविका जी और कोमल जी ना समझीं में सुरज जी की तरफ देखतीं हैं।
    देविका जी कहती हैं। केसा बदलाव जी।
    सुरज जी कहते हैं। अगर कनक का पति उसे लेने नहीं आता है। तो हम अद्विक और कनक की शादी करवा देंगे वह हमारे साथ रहेंगी इस घर की बड़ी बहू बनकर। मुझे कनक अद्विक के लिए बहुत पसंद हैं।

    सुरज जी की बात सुनकर देविका जी और कोमल जी सुरज जी को देखने लगतीं हैं।
    कोमल जी कहती हैं। ये आप कैसी बात कर रहे हैं भाई साहब। अद्विक की शादी आप कनक से कराने की बात कर रहे हैं। आप को पता है ना अद्विक कैसा है। उसे सब heartless devil's कह के बुलाते हैं। और आप है कि मासुम कनक की शादी उसे कराने के लिए बोल रहे हैं।

    सुबोध जी कहते हैं। कोमल भाई सही कह रहे हैं। अद्विक को कनक ही बदल सकती है। और उसे पहले जैसा कर सकतीं हैं। कनक एक अच्छी लड़की है ‌ । और आज कल की दुनिया में इतनी अच्छी लड़की कहा ही मिलती है। तुम मानो या ना मानो पर कनक ही हमारे अद्विक के लिए ठीक है।

    देविका जी कहती हैं। पर किया वह मानें गा चलों एक बार को हम कनक को मना भी लेते हैं शादी के लिए पर किया तुम सब को लगता है कि मेरा खड़ूस और शैतान बेटा मान जाएगा शादी के लिए। तब सब ने देखा नहीं है। जब भी हम सब लड़की का नाम भी लें लेते हैं तो केसे चिड़ जाता है। ये तो हमारी ख़ुद किस्मती मानों की लाड साहब को अपनी मां चाची और बहन से चिड़ नहीं मचती। बल्कि हमें प्यार करता है। वरना तो वह तो हम से भी चिढ़ता। चिढकू कही का। हुं।
    इतना कहकर देविका जी अपना मुंह बना लेती है। जिसे देखकर सब हंसने लगते हैं। सुरज जी कहते हैं। अच्छा ठीक है। ये सब हम बाद में देखेंगे पहले हम पार्टी के लिए तैयार हो जाते हैं। भाई शैतान के आने की खुशी में हम ने पार्टी जो रखीं हैं। अब अच्छा तो दिखना पड़ेगा ना।

    देविका जी सुरज जी को घुरते हुए कहती हैं। खबर दार जो मेरे बेटे को शैतान बोला तो। मेरा राजा बेटा है वो।

    सुरज जी कहते हैं। हु हु अब तो तुम खुद अपने राजा बेटा को शैतान बोल रहीं थीं। मेने बोला तो आप को बुरा लगा।

    देविका जी कहती हैं। हां तो में बोल सकतीं हुं। पर आप नहीं।
    इसी तरह एक दूसरे से लड़ते-झगड़ते पार्टी का वक्त हो गया। सब मेहमान भी आने लगें। आज अद्विक के आने और प्रोजेक्ट जिस पर वह दो सालों से महन्त कर रहा था उसी की Success Party आज सुरज जी ने रखी थी। जिस में बड़े बड़े बिजनेस पार्टनर आयें हुए थे। सब अपने साथ अपनी फैमिली मेंबर्स को लेकर आएं थे। ख़ास कर बेटी को। क्योंकि सब का सपना था। सिंघानिया की फैमिली का हिस्सा बने का सब चाहते थे कि उन की बेटी की शादी अद्विक से हों जाएं । पर खड़ूस अद्विक किसी को भी भाव देता ही नहीं था।

    सब उस के आने का वेट कर रहे थे। अद्विक अभी तक आया नहीं था। पार्टी में।
    देविका जी कहती हैं। सुरज आदि अब तक क्यों नहीं आया है। पुछो ना फोन कर के उसे।
    सुरज जी कहते हैं। हां जानू मेने फोन पर बात कर लि है। आदि से। वह बस कुछ ही देर में आता ही होगा।

    देविका जी कहती हैं। इस लड़के का मन ही नहीं करता घर आने का। जब देखो काम काम करता रहा है। इसे काम के अलावा कुछ और नहीं आता है। भला आज तो सिधा घर आ जाता। आफिस जाने की किया जरूरत थी।

    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 4. हसीन महबूबा❤️❤️ - Chapter 4

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    सब उस के आने का वेट कर रहे थे। अद्विक अभी तक आया नहीं था। पार्टी में।
    देविका जी कहती हैं। सुरज आदि अब तक क्यों नहीं आया है। पुछो ना फोन कर के उसे।
    सुरज जी कहते हैं। हां जानू मेने फोन पर बात कर लि है। आदि से। वह बस कुछ ही देर में आता ही होगा।

    देविका जी कहती हैं। इस लड़के का मन ही नहीं करता घर आने का। जब देखो काम काम करता रहा है। इसे काम के अलावा कुछ और नहीं आता है। भला आज तो सिधा घर आ जाता। आफिस जाने की किया जरूरत थी।
    अब आगे।.....,


    देविका जी सुरज जी को सुनाएं जा रही थी। और सुरज जी मुंह बन कर उन्हें सुन भी रहें थे। वह अद्विक को अपने मन में ही गालियां दे रहे थे।

    तभी सुरज जी के चहरे पर एक इस्माइल आ गई। वह सामने मेन गेट की तरफ देखते हुए कहते हैं। लो आ गया तुम्हारा राजा बेटा। अब जो भी कहना है अपने राजा बेटा को कहों।

    सुरज जी की बात सुनकर देविका जी पिछे मुडकर देखती है। उन का चहरा खिल गया। अद्विक को देंख कर।

    अद्विक कार से उतर कर अपने बिना एक्सप्रेशन वालें चहरे के साथ अंदर आता है। वह बहुत हैंडसम लग रहा था ‌। उस ने रॉयल blue 💙। कलर का थ्री पीस सूट पहन रखा था। जिसे वह बहुत हैंडसम और डैसीग लग रहा था। अपने एक हाथ को पैंट की जेब में डाल कर दुसरे हाथ से अपनी आंखों पर से गोगल्स उतारते हुए। अंदर पार्टी होल में आ रहा था।

    अद्विक का कातिलाना अंदाज देख कर पार्टी में जितनी भी लड़कियों के साथ साथ ओल्ड लेडी भी अद्विक पर फिदा हो गई थी। उस की पर्सनेलिटी ही इतनी कातिल, इतनी ज़हर थी। की किया ही कहने। अद्विक बाबू के।

    वह अंदर आता है। तो उस की मां देविका जी अद्विक के पास जातीं हैं। और उस के गले लग कर माथे पर किस्स कर कहती हैं।
    इतनी देर ला दी अपनी मां के पास आने में। किया तुझे अपनी मॉम की याद नहीं आई जो तूं दो सालों से जर्मनी में जा कर बैठ गया। हु ....

    अद्विक थोड़ी नरम आवाज में कहता है। मॉम ये इमोशनल ड्रामा करना बाद करों यार मैं जर्मनी बैठने नहीं गया था । काम करने गया था ।
    अद्विक की बात सुनकर देविका जी मुंह बना लेती है। अद्विक अपने डैड और चाचा जी के साथ बिजनेस पार्टनर से मिलने लगता है। वह सब से अपने एरोगेंट अंदाज में ही मिल रहा था। अपने सर्द ओरे के साथ। जिसे सब को उस से बात करने में भी डर लग रहा था। पर फिर भी सब हिम्मत कर के अद्विक से मिल रहे थे।

    अपनी पुरानी फैमिली मेंबर्स में से बस वह अपनी मां को ही प्यार से या नोर्मल बात करता था। वरना तो वह घर में सब से अपनी सर्द और कठोर आवाज में ही बात करता। सब को अपनी कंजी आंखों ( नीली आंखों ) से घूर घूर कर डराता रहता। जिस से सारे घर वाले डरते थे। जब भी वह किसी बात पर या फिर अपनी किसी मीटिंग या डील को लेकर गुस्सा रहता। तब तो मानों पुरे घर में शान्ति पर्स जाती। कोई भी डर से कुछ नहीं कहता ना एक आवाज आती। कोई भी उस वक्त ये नहीं चाहता था की वह किसी और का गुस्सा उन पर ना निकाल दें।

    इतना खोफ था हमारे अद्विक बाबू का आपने घर में। 😜 अब बस देखना ये है कि जब इन की महबूबा आयेगी जब भी अद्विक बाबू गुस्से में ही रहेंगे। यहां पर अपनी महबूबा के सामने उन का दुसरा ही चहरा देखने को मिलेगा। ...

    पार्टी खत्म होने को थी। धिरे धिरे कर के सारे गेस्ट जाने लगें। एक कोने में सोफे पर बैठा अद्विक अपने हाथ में रेड वाइन का गिलास लिये हुं बैठा हुआ था। वह अपने असिस्टेंट शेखर से बात कर रहा था।

    तभी उस की नजर एक हसीन खुबसूरत चहरे पर पड़ी। जिसे देखकर उस के शब्द उस के मुंह में ही रह गये। वह बिना कुछ बोले बस एक टक सामने देख रहा था। उस की दिल की धड़कन एक दब बड गई थी। उस के चहरे पर हैरानी और खुशी के भाव आ जाते हैं।

    सामने कनक black 🖤 semple साड़ी पहने खड़ी थी। जिस में उस का गोरा रंग उभर कर सामने आ रहा था। उस के माथे पर छोटी सी बिंदी थी। गले में मंगलसूत्र था जो की उस ने छुपा रखा था। आज कनक ने अपना सिंदुर छुपा रखा था। बालों में। जिस वजह से वह दिख नहीं रहा था।
    कनक किसी सर्वेंट को कुछ काम बता रही थी। जिसे उस के वह गुलाबी होंठों हिल रहें थे। वह बहुत क्यूट और खुबसूरत लग रही थी।

    अद्विक कनक को देखता है। उस की नजर बस कनक पर ही थीं। अद्विक को कुछ ना बोलता देख कर शेखर अद्विक को देखता है। जो की सामने की तरफ देख रहा था। वह भी उस साइड देखता है तो एक पल को तो वह भी कनक की खुबसूरती में खो गया था ‌ ।

    तभी उसे अपने उपर किसी की जलती हुई नजरें महसूस होती है। वह देखता है तो अद्विक उसे घूर रहा था। वह अद्विक की नजरों से डर जाता है। वह कहता है। सोरी बॉस। मैं अभी आता हूं। बोल कर अपनी जान बचा कर भाग जाता है।

    अद्विक फिर से उस तरफ देखता है। जहां पर कनक खड़ी थी। पर अब वह पर कोई भी नहीं था। कनक जा चुकीं की। वह चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर देखता है। तो उसे कनक कहीं भी नहीं दिखती है।

    अद्विक की नजरें कनक को ढुढते हुए। वह खुद से कहता है। महबूबा यहां पर किया कर रहीं हैं। वह कैसे पेरिस में आई। वह तो अपने गांव में थी ना।

    अद्विक सोफे पर से उठ कर कनक को देखने लगता है। पर वह उसे कहीं भी नहीं दिखती है।

    सब गेस्ट जा चुके थे। अब बस फैमिली मेंबर्स ही बचें थे। कोमल जी अद्विक को बैचेन नजरों से यहा से वह देखता पातीं है थे। वह कहती हैं। आदि बेटा किया हुआ। किसे देख रहें हों।

    अद्विक अपने आप को नोर्मल दिखाता हूं। कहता है। किसी को नहीं। मैं अपने रूम में जा रहा हुं। बोल वह अपने फ्लोर पर चला जाता है।

    सब फैमिली मेंबर्स भी अपने अपने रूम में सोने के लिए चलें जाते हैं।

    वहीं अद्विक का फ्लोर। जहां पर बस देविका जी को ही जाना अलाउड था ।

    अद्विक अपने रूम में आ कर बॉथरूम में चला जाता है। और अपने कपड़े उतार कर शॉवर के निचे खड़ा हो जाता है।

    वह अपनी आंखें बंद कर के कहता है। महबूबा यहां पेरिस में थीं या फिर मेरा ही ब्हम था। पर अगर वो मेरा बहम होता थे। फिर अब से पहले मुझे मेरी महबूबा क्यों नहीं दिखी। आज ही क्यों।

    अगर ये मेरा बहम नही है और तुम सच में यही हों तो तुम्हारी कसम मेरी हसीन महबूबा मैं इस बार तुम्हें अपने से दूर नहीं जानें दुगा। तुम्हें अपना बना कर ही रहुगा। चाहिए तो इस के लिए मुझे कुछ भी करना पड़े।

    अद्विक शॉवर लेकर बहार आता है। और अपने कपड़े पहन कर सिगरेट जलाते हुए। बालकनी में चला जाता है।

    वह जा कर कुछ देर वह चांद को देखता है। फिर अपना फोन निकाल कर किसी को कॉल करता है। कुछ देर बात करने के बाद वह फिर से चांद को देखने लगता है।

    वह बालकनी से अपने रूम में जाने को होता ही है की तभी उस की नजर फिर से कहीं जा कर थम गयी। साथ ही में उसे एक मिट्टी आवाज सुनाई दी।

    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 5. मितवा रे ... ओं मितवा.....❤️ कनक की तड़प अपने पति के लिए ❤️❤️ - Chapter 5

    Words: 1267

    Estimated Reading Time: 8 min

    अद्विक शॉवर लेकर बहार आता है। और अपने कपड़े पहन कर सिगरेट जलाते हुए। बालकनी में चला जाता है।

    वह जा कर कुछ देर वह चांद को देखता है। फिर अपना फोन निकाल कर किसी को कॉल करता है। कुछ देर बात करने के बाद वह फिर से चांद को देखने लगता है।

    वह बालकनी से अपने रूम में जाने को होता ही है की तभी उस की नजर फिर से कहीं जा कर थम गयी। साथ ही में उसे एक मिट्टी आवाज सुनाई दी।

    अब आगे।...
    अद्विक बहार की तरफ देखता है। जहां पर कनक उसी काले रंग की साड़ी में गार्डन में यहां से वहां टहल रही थी।
    और साथ ही में वह गा रही थीं। उस की वह मिठी और दर्द से भरीं आवाज सिधे अद्विक के दिल तक जा रही थी।


    मितवा रे.. वो मितवा .........
    मितवा रे.. ओं मितवा..........


    कैेसे दिन बिते कोई जतन बता जा ....
    कैसे दिन बिते कोई जतन बता जा ......
    कहां जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा...
    कहां जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा....

    मितवा रे ... ओ मितवा...
    मितवा रे.. ओं मितवा..
    ........... ओं मितवा... ..

    कनक की आवाज में दर्द महसूस किया जा सकता था। वह इस वक्त कितने दर्द में थी इस का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता था। अद्विक भी कनक के दर्द को महसूस करते हुए। अपने रूम से निकला और लंबे कदमों से चलते हुए जल्दी से बाहर आ गया।
    कनक अपनी आंखें में आसूं लिए। अपने पति बाबू को याद कर गा रही थीं। ...

    चुड़ी चिंगारी लागे.. सोला लागे बिंदिया।...
    चुड़ी चिंगारी लागे... सोला लागे बिंदिया।..
    आंखीयो से उड़ गई.. रतियों की निंदिया।...
    हल्की सी झलक.. कभी तो दिखला जा..
    हल्की सी झलक.. कभी तो दिखला जा।..
    कहा जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा..

    मितवा रे.. ओं मितवा....
    मितवा रे... ओं मितवा...
    .........ओं मितवा.....

    अद्विक कनक से थोड़ी दूरी पर खड़ा हो गया। और वह कनक के दर्द को गाने में महसूस करने लगा। हालांकि उसे अजीब सा लग रहा था। उसे बहुत अजीब फीलिंग आ रही थी। जो किया थी उसे समझ में नहीं आ रहा था। पर कनक के दर्द को महसूस कर उसे अपने सिने में हल्की चुंबन सी महसूस हो रही थी। वह कनक को देख रहा था। कनक गार्डन में वही पेड़ के पास खड़ी हो कर अपनी आंखें बंद कर उस पल को याद करतीं हैं जब उस की और अद्विक की शादी हुई थी। वह कितनी खुश थी। उस वक्त। उन पलों को याद करते हुए कनक की आंखों से आंसु बह रहें थे।



    पिया.. पिया गाएं जब बेरी पपीहा...
    ओं.. पिया.. पिया गाएं जब बेरी पपीहा...
    सुलग सुलग उठें..पिया सा मोहरा जियारा।
    पियासी मर जाऊं ..ना ये पियास बुझा जा। ..
    पियासी मर जाऊं. ना ये पियास बुझा जा।..

    कहा जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा।..
    मितवा रे.. ओं मितवा...
    मितवा रे.. ओं मितवा..

    कैसे दिन बिते कोई जतन बता जा..
    कैसे दिन बिते कोई जतन बता जा..
    कहा जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा।
    कहा जाऊं.. जाऊं कहां रहा दिखा जा।..

    मितवा रे.. ओं मितवा..
    मितवा रे.. ओं मितवा...
    ............ ओं मितवा.........

    (Yrr guys es song ko phle सुन लेना जिस किसी ने नहीं सुना हो। या फिर सुनते हुए ही इस चेप्टर को पढ़ना तब ही आप सब को कनक की फीलिंग और यहां गाना समझ में भी आएगा और अच्छा भी लगेगा। बिल्कुल ऐसा गाना लिखा है ना की कनक की एक एक फीलिंग को अद्विक और आप सब के दिल तक पहोंचे गी। ..😀 प्लीज यार एक बार मेरे कहने पर इस गाने को सुना बहुत अच्छा है। )

    कनक रोने लगी। वह रोते हुए कहाती है। कहां हों आप पति बाबू कन्नू को आप की बहुत याद आ रही है। आ जाओ ना।

    कनक ने अभी तक अद्विक को नहीं देखा था। वह वही गार्डन में रखीं कुर्सी पर बैठीं रोने लगी। उस ने अद्विक की तरफ से पिट कर रखी थी। अद्विक का कनक को रोते हुए देख कर उस के पास जाने के मन तो था। उस ने आगे बढ़कर कनक के कन्धे पर हाथ रखना चाहा। पर कनक की बात सुनकर वह हैरान रह गए।
    उस के हाथ जहां थे वहीं रूक गये। कनक कहती हैं। पति बाबू आप क्यों कन्नू को छोड़ कर चलें गये। आ जाओ ना वापस पति बाबू।

    अद्विक तो बस अपनी जगह पर रूक गया। वह अपने मन में कहता है। पति बाबू। वह शादीशुदा हैं। किया मेरी महबूबा की शादी हों गई इन दो सालों में और उस के पति ने उसे छोड़ भी दिया।

    अद्विक समझ रहा था कि कनक किसी और की पत्नी है। वह कनक को देख कर वहीं से अपने रूम में चला जाता है। कनक भी कुछ देर बाद अपने रूम में सर्वेंट क्वार्टर में चली जाती है। जो की दुसरी तरफ था। गार्डन के पिछे वालें एरिया में ‌ ।

    दरासल कनक सिंघानिया पेरिस में खाना बनाने के काम करतीं हैं। उस की मासुमियत और क्यूटनेस दें कर सब उसे प्यार से बातें करते हैं। हालांकि जब वह सिंघानिया पेरिस आई थी तब कुछ दिन तक रहीं थीं वह सिंघानिया पेरिस के रूम में। पर वह भी वह बस रूम में रही और फिर एयरपोर्ट पर चलीं जाती। अद्विक के इंतजार में।

    फिर उस ने जाने को बोला था तो उसे देविका जी ने ही अपने घर काम पर रख लिया। कनक भी उन की बात को मान गई थी। और वही काम करने लगी। सुरू में तो सिंघानिया परिवार में भी कोई उसे ठीक से बात नहीं करता था। बस एक दो मेंबर्स ही थे। जो उस से बात करते थे। पर फिर कनक का दर्द और उस की मासुमियत उस का वह मासुम सा चहरा। जो सब को अपना बना लेता है।

    तो सिंघानिया परिवार ही कहा पिछे रह जाता। वह भी कनक पर फिदा हो गया। और सब उसे अच्छे और प्यार से बात करने लगें थे। सब समझ गये थे कि। ये लड़की सच में मासुम है कोई छल नहीं कोई दिखावा नहीं है इस लड़की के भीतर।

    अब कनक सिंघानिया पेरिस में कैसे आई ये हम बाद में देखेंगे। पहले चलते हैं। अद्विक बाबू के पास।

    अद्विक का रूम।

    अद्विक गुस्से में अपने रूम में आता है। वह गुस्से से दीवार में हाथ मारते हुए कहता है। महबूबा ने शादी कर ली। वह ऐसे कर भी कैसे सकतीं हैं। किया उसे मेरा खिंयाला नहीं आया।

    तभी अद्विक कहता है। हों सकता है मेरी उस लड़की से शादी हों जाने की वजह से ये सब हुआ हों। आ आ आआ ये सब हों किया रहा है।
    मुझे पता लगाना ही होगा ‌ । आखिर महबूबा यहां पेरिस में कैसे आई। और उस का पति कोन है। कोन है वे जो द डेविल किंग ऑफ अद्विक सिंघानिया से दुश्मनी मोड लेना चाहता है।

    अद्विक अपना फोन निकालता है और किसी को कॉल कर कहता है। कुछ पता चला। कनक शर्मा के बारे में। फोन पर जो व्यक्ति था। वह अद्विक से कहता है। बॉस बस कल सुबह तक। सारी डिटेल्स आप के पास होगी।

    अद्विक फोन काट देता है। बेंड पर लेट जाता है। निंद तो उसे आने से रही बैचेन जो था। वह टाइम देखता है। तो रात के दो बज रहे थे।

    अद्विक अपने आंखें बंद कर अपनी और कनक की पहली मुलाकात के बारे में सोचने लगता है। कैसे जब उस ने पहली बार कनक को देखा था तो वह कितना उस में खो गया था। वह किस तरह से कनक को देख रहा। तभी उस वक्त ही कनक अद्विक का जुनून उस का पागलपन। मोहब्बत सुकुन सब कुछ उस वक्त ही बन गई थी कनक उस एक पल में ही। अद्विक बाबू का दिल कनक चुरा बैठी थी।

    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 6. advik or kanak ki pahle mulakat❤️❤️ - Chapter 6

    Words: 1136

    Estimated Reading Time: 7 min

    अद्विक फोन काट देता है। बेंड पर लेट जाता है। निंद तो उसे आने से रही बैचेन जो था। वह टाइम देखता है। तो रात के दो बज रहे थे।

    अद्विक अपने आंखें बंद कर अपनी और कनक की पहली मुलाकात के बारे में सोचने लगता है। कैसे जब उस ने पहली बार कनक को देखा था तो वह कितना उस में खो गया था। वह किस तरह से कनक को देख रहा। तभी उस वक्त ही कनक अद्विक का जुनून उस का पागलपन। मोहब्बत सुकुन सब कुछ उस वक्त ही बन गई थी कनक उस एक पल में ही। अद्विक बाबू का दिल कनक चुरा बैठी थी।

    अब आगे।...

    अद्विक अपनी आंखें बंद कर उन पलों को याद करने लगता है जब उसे अपने कनक को पहली बार उस के गांव में सोनितपुर में देखा था।

    दो साल पहले।..
    सोनितपुर गांव।.....

    अद्विक सोनितपुर में अपने जिगरीे दोस्त के साथ उस के मामा के यहां पर शादी में आया था। और साथ ही उसे कुछ बिजनेस के सिलसिले में काम भी था।
    जिस में वह वहां पर एक सप्ताह रूकने वाला था। वह एक दिन ऐसे ही गांव देखने के लिए अपने दोस्त यश के साथ जाता है।

    वह यश से बात करते हुए। गांव के खेतों की तरफ चला जाता है। वह खेतों की हरियाली देखते हुए जा रहा था। उसे काफी अच्छा महसूस हो रहा था। गांव की फ्रेस हवा महसूस कर रहा था।

    तभी उसे एक मिट्टी खनकती हुई आवाज़ आती। वह आवाज की दिशा में जाता है। तो वह देखता रहा जाता है। उस के सामने कनक पेड़ की टहनी पर झूला डाल कर। झूल रही थी। और उस के साथ में उस की सहेली भी खी।

    कनक झूले पर झूलते हुए हंस रही थी। उस की वह खनकती हुई आवाज़ चारों तरफ गुंज रही थी। झूले पर झूलते वक्त उस के वह लहराते हुए बाल उस का खुबसूरत चहरा ‌ । काली गहरी आंखें जो की झूले पर बैठने की वजह से खुशी से चमक रही थी। उस के होंठों की वह हंसी जो की अद्विक को कनक का दिवाना बना रहीं थीं।

    अद्विक बस कनक को ही देख रहा था। कनक की खुशी देख कर अद्विक के चहरे पर भी अंजाने में ही इस्माइल आ जाती है। यश अद्विक को देख रहा था। वह कहता है। किया हुआ आदि तूं किया देख रहा है।

    अद्विक यश की आवाज सुनकर होश में आता है। वह यश को कुछ नहीं कहता। और फिर से उस की नजर कनक पर चलीं जाती है। पर इस बार उस की आंखें छोटी हो जाती है। जब वह कनक का चहरा दो थोड़ी देर पहले खिल हुआं था। वह अब मुरझा गया था। उस की आंखों में नमी आ गई थी। और वह अपने कमर पर हाथ रख कर उसे सहला भी रहीं थीं।

    जिसे देखकर अद्विक पर रहा नहीं जाता है। और उस के क़दम कनक की तरफ चलें जाते हैं। वह कनक के पास जाकर खड़ा हो जाता है। कुछ देर तक तों वह कनक के चहरे को देखते रहता है।

    फिर कहता है। किया हुआ तुम्हें। तुम रो क्यों रही हो।
    अद्विक की आवाज सुनकर पहले तो डर गई। और हल्के से पिछे हों गई। वह डरते हुए कहती हैं। आप .. आप कोन हों साहब ।
    अद्विक अपने आवाज को सोफ्ट करते हुए कहता है। देखो बच्चा डरों मत में। तो यहां पर तुम्हारी मदद करने के लिए आया हूं ।

    कनक अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए अद्विक को देखने लगतीं हैं। अद्विक कनक की इस अदा पर फिदा हों जाता है। वह अपने होंठों को हल्के से अपने दांतों तले दबाता है। और अपने मन में कहता है। ये कितनी क्यूट और मासुम है। क्या ये लड़की सच में इतनी मासूम है या मेरे सामने ही मासूम बनें का नाटक कर रही है।

    अद्विक कनक के चहरे को देखने लगता है। वह हल्के से मुस्कुरा कर कहता है। तुमने बताया नहीं बेबी डॉल की तुम रो क्यों रही हो। कोई परेशान ही।
    कनक क्यूट सा फेस बनाते हुए। अपने गालों पर उंगली रखते हुए कुछ सोचने लगतीं हैं। उसे सोचते देख कर अद्विक कन्फ्यूज़ हों जाता है फिर भी वह कनक को प्यार भरी नजरों से देखने लगता है।
    अद्विक कहता है। किया सोच रहीं हैं। बच्चा।
    कनक अद्विक को देख कर क्यूट सा फेस बना कर कहती हैं। कन्नू सोच रहीं हैं की वह आप से मदद लें के नहीं।
    अद्विक कहता है। क्यों। मैं मदद नहीं कर सकता तुम्हारी।
    कनक अपनी क्यूटनेस को ओवर लोड करते हुऐ कहतीं हैं। हां आप को नहीं पता मां ना कहती हैं की किसी अंजान से मदद और बात नहीं करनी चाहिए।
    अद्विक हल्के से मुस्कुराते हुए कहता है। और तुम्हारी मां ऐसा क्यों कहती हैं।
    अद्विक को कनक के साथ बात करने में बहुत मज़ा आ रहा था। उसे अच्छा लग रहा था कनक से बात कर के ‌।
    कनक अपने उसी क्यूट अंदाज में कहतीं हैं। ओं हों साहब आप किते बुधु हों।‌आप को नहीं पता। मां कहती हैं कि अगर हम अंजान आदमी ने मदद लेते हैं तो वह बच्चों को टोफी दें के अपने साथ लेकर चला जाता है। और फिर बच्चे कहा जाता है किसी को पता नहीं चलता है।
    अद्विक को कनक पर प्यार भी आ रहा था और हंसी भी। कनक की हर अदा अद्विक को उस का दिवाना बने पर मजबुर कर रही थी।
    वह कहता है। पर तुम बच्ची थोड़ी हों जो किसी भी इंसान के टोफी देने से उस के बहकावे में आ जाओगी।
    कनक अपने होंठों का पाउट बनाते हुए कहती हैं। ओं हों साहब आप तो सच्ची मे बुद्धु हों। आप को कन्नू बड़ी बच्ची दिख रही है। दोखो। वह गोल गोल घुम कर अद्विक को दिखाती है। और फिर कहतीं हैं। कन्नू अपनी मां की छोटी सी मासूम बच्ची है। और कोई कन्नू को लेकर चला गया तो उस की मां का किया होगा।

    कनक की बात सुनकर अद्विक उसे देखता है। वह सच्ची मे उसे क्यूट मासुम सी बच्ची ही तो लग रही थी।

    तभी कनक की सहेली जो कि उस के साथ थी। वह कहतीं हैं। कनक चल तेरे ताईं ताऊ को पता चल गया ना तु यहां है तो बहुत मार पड़ेगी चल जल्दी बहुत लेट हो गया। कल आ जाना और तब झूल लियो ठीक है चल अब।

    कनक उस लड़की की बात सुनकर उस के साथ भाग कर चलीं जाती है। और पिछे मुडकर अद्विक को देखते हुए कहती हैं। कन्नू और आप को कल बताएंगी साहब। अभी कन्नू को उस की मां के पास जाना है।

    कनक चलीं जाती है। और साथ ही में वह अद्विक का दिल अपने साथ लेकर चलीं गईं थीं।

    उसी दिन से अद्विक कनक के लिए इतना पागल और दिवाना हों गया था।

    अद्विक यही सब सोचते हुए सो गया था। वह कनक और अपनी पहली मुलाकात को सोच कर मुस्कुरा रहा था।

    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 7. अद्विक को पता चला कनक का सच। ... वह मेरी वाइफ है ❤️❤️ - Chapter 7

    Words: 1315

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह।

    अद्विक अपने टाइम रेडी हो कर आफिस के लिए निकल जाता है। वह रात से बैचेन था। उसे कुछ भी कर के जल्द से जल्द ये पता लगाना था कि कनक ने किस से शादी की है और वह यहां उस के घर में कैसे आई।

    आज उस का मुंड भी कुछ ठीक नहीं था। वह गुस्सा और चिड़चिड़ा हो गया था।

    अद्विक अपने आफिस में पहोंच जाता है। वह बिना किसी पर दिया दिया अपने केविन में चला जाता है। वह जाकर वह शेखर को अपने केविन में बुलाता है।

    कुछ देर बाद शेखर अद्विक के सामने खड़ा था। अद्विक बिना किसी भाव कहता है। शिवा को आने में कितना वक्त लगेगा। तुमने उस से पुछा जो काम मेने करने के लिए बोला था। वह उस ने किया के नहीं।

    शेखर कहता है। बॉस शिवा कुछ देर में आता ही होगा। बोल रहा था की जो भी बात है वह आप को ही बताएगा। तो शिवा ना मुझे से जायदा बात नहीं की। बस इतना कहा कि वह एक बजे से पहले आ जाएगा।

    अद्विक शेखर की बात सुनकर अपनी Watch में टाइम देखता है। अभी 12 बज रहे थे। अद्विक शेखर को कुछ कम बता कर अपना काम करने लग गया था।

    हालांकि उस का मन नहीं था कुछ भी काम करने का पर फिर भी उसे काम तो करना ही था।

    12:53 का वक्त हो रहा था। तभी अद्विक के केविन का डोर नॉक होता है। तब अद्विक अपनी रोबदार आवाज में। कम इन कहता है।

    एक हैंडसम नौ जवान लड़का अंदर आता है जिस की उम्र अद्विक के जितनी ही थी। वह अद्विक के पास जा कर खड़ा हो जाता है। और कहता है। बॉस आप का काम हो गया। जो अपने कहा था वो भी और जिस डिल के लिए आप ने मुझे रूस भेजा था वो भी। पर साला जोन्स बोहोत टांग अड़ा रहा था विच में। तो मेने साले की टंग ही काट दी।

    अद्विक कहता है। very good shiva । मुझे तुम से यही उम्मीद थी। अब तुम मुझे ये बताओं की कनक शर्मा की इन्फोर्मेशन क्या है। किया कुछ पता चला। वह यहा केसे आई। उस का पति कोन है।

    शिवा अद्विक की बात सुनकर बहुत सिरियस हो जाता है। वह बिना किसी एक्सप्रेशन के अद्विक को देखता है। और कहता है। बॉस किया आप को सच्ची मे नही पता की मैम का हसबेंड कोन है।

    अद्विक उस के चहरे को देखते हुए कहता है। नहीं पता तभी ही तो तुम से पुछ रहा हूं। देखो शिवा जो भी बात है मुझे बिना बात को घुमाएं बता दो मुझे पसंद नहीं है। ये बातें घुमाना।

    शिवा गहरी सांस लेता है और कहता है।दो साल पहले कनक शर्मा की शादी हुई थी। और उन का पति उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर छोड़ कर चला गया था। उन्हें पुरे एक साथ था। वह एयरपोर्ट पर बैठ कर अपने पति का इंतजार किया। पर उन का पति नहीं आया। दो दिन था बिना कुछ खाए पीए बही उस जगह बैठीं रहीं थीं। जिस जगह उन का पति उन्हें छोड़ कर गया था।

    तीसरे दिन जब उस से भुख बर्दाश्त नहीं हुई तो उस ने खानें के लिए भिख मांगी। तब उसे एक बोल्ड लेडी जो की वहीं एयरपोर्ट की केंटिन में काम करतीं थीं उस ने उसे वह अपने पास ही रखा और उन्हें खानें को दिया। फिर कनक वह उस के पास एयरपोर्ट पर ही रहती और वही से अपने पति के आने का इंतजार करतीं।

    अद्विक जो शिवा कि बातें बहुत ध्यान से सुन रहा था । पल पल उस के चहरे के एक्सप्रेशन बदलते जा रहे थे। उस के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी।

    अद्विक ने अपने कांपते हुए होंठों से कहा। किया.. किया.. कनक वहीं लड़की तो नहीं जिसे मेरे.. मेरी शा... शादी हुई थी। पर ये कैसे हो सकता है। मेरी शादी तो ..

    अद्विक शिवा को देखने लगता है शिवा कहता है। हां बॉस कनक मैम ही आप की वाइफ है। जिन्हें आप एयरपोर्ट पर छोड़ कर आएं थे। और फिर उस के बाद आप जर्मनी चलें गये थे।

    अद्विक हैरान रह जाता है। वह कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। अद्विक शिवा को ही देख रहा था। उसे अब कल रात का वो पल याद आ रहा था जब कनक उसे याद कर के रो रही थी तड़प रही थी।

    अद्विक की आंखें अपने आप ही नम हो गई। वह अपने मन में कहता है। जिसे मेने सारी खुशियां देने का वादा किया था। उसे ही मेने जाने अंजाने में दर्द दें दिया। जिसे में महलों की रानी बनाना चाहता था। उसे मेने अपने ही महल की नौकरानी बना दिया। मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं। मुझे से इतनी बड़ी ग़लती केसे हो गई।

    अद्विक शिवा से कहता है। और वो सिंघानिया पेरिस में कैसे आई।

    शिवा कहता है। वो एक साल पहले आप के चारों भाई बहन (प्रिया, समर, राज, विराट) अपनी कॉलेज की ट्रिप पर से आ रहे थे। जब उन्हें कनक मैडम मिलीं। कोई आदमी उन के साथ बदतमीजी कर रहा था एयरपोर्ट पर ही उन के साथ छोड़ छाड़ कर रहा था। तब मैडम को आप के भाइयों ने ही बचाया था।

    मैडम बहुत डरी गई थी तों वह उन्हें उसी वक्त अपने साथ सिंघानिया पेरिस में लें कर आ गाये थे। वह सब ने मैडम से उन्हें घर बालों के बारे में पुछा था तो उन्हें अपने बारे में सब बता। कनक जाना चाहतीं थीं पर आप की मॉम ने उन्हें वही पेरिस में रहने के लिए बोल दिया। और वह काम करने के लिए भी। तब से ही कनक मैडम आप के घर पर काम करतीं हैं। और रोज़ दोपहर को एयरपोर्ट पर जातीं हैं। अपने पति के इंतजार में।

    शिवा कनक के बारे में सब बता देता है। जिसे सुनकर अद्विक सुन रह जाता है। अद्विक शिवा को जाने के बारे में बोलता है। शिवा चला जाता है। उस के जाने के बाद अद्विक कनक के बारे में सोचने लगता है। उसे अपने उपर बहुत गुस्सा आ रहा था। अद्विक खड़ा हो कर। अपने केविन में गुस्से में तोड़फोड़ कर देता है।

    वह गुस्से से चिल्लाते हुए कहता है। आआआआआ में ऐसा कैसे कर सकता हूं ‌ । मै मेरी महबूबा को एयरपोर्ट पर अकेला छोड़ आया था। मेरी महबूबा मेरे साथ मेरे पास थी। पर मेने खुद उसे खुद से दूर किया ‌ । मैं ऐसा कैसे कर सकता हूं। महबूबा को मेने कितना दर्द दिया।

    अद्विक की आंखों के सामने कल साथ का सिन फिर से चलने लगा। वह कहता है। मुझे अभी अपनी महबूबा के पास जाना है। मैं अब उसे और खुद के लिए तड़पने नहीं दुगा। मैं मेरी महबूबा को वह सारी खुशियां हक दुगा जो उस के है।

    इतना कहकर अद्विक आफिस से निकल जाता है। शाम होने को ही आईं थीं। अद्विक कार में बैठ कर सिंघानिया पेरिस के लिए निकल गया था।

    कुछ देर बाद।

    अद्विक कि कार सिंघानिया पेरिस के बाहर आ कर रूकी। वह जल्दी से बाहर आया। और पेरिस के अंदर चला गया।

    सामने होल में ही सब बैठे थे। अद्विक बिना किसी पर ध्यान दिया। अपनी नजरें घुमाने लगता है। वह कनक को देख रहा था।

    देविका जी कहती हैं। आदि तूं आज इतनी जल्दी कैसे आ गया।

    अद्विक कहता है। कुछ नहीं मां कुछ काम नहीं था तो आ गया।

    अद्विक अपने रूम में चला जाता है। वह अभी किसी को भी अपने और कनक के बारे में नहीं बता सकता था। क्योंकि अभी वह पहले कनक से बात करने वाला था। उस के बाद ही वह सब को बताने के बारे में सोच सकता था। या फिर तब भी नहीं बताएं। ये तो उस के मुड़ के उपर है।

    अद्विक रूम में आना कर कहता है। ये महबूबा कहां है। कहीं फिर से एयरपोर्ट पर ही तो नहीं है।

    अद्विक रूम से निकल कर सिधा पेरिस से निकल जाता है। वह कार में बैठ कर एयरपोर्ट कि तरफ चला जाता है ‌ ।

    tu be continued ✍️✍️✍️

  • 8. अद्विक कनक का मिलन ❤️❤️ - Chapter 8

    Words: 1090

    Estimated Reading Time: 7 min

    देविका जी कहती हैं। आदि तूं आज इतनी जल्दी कैसे आ गया।

    अद्विक कहता है। कुछ नहीं मां कुछ काम नहीं था तो आ गया।

    अद्विक अपने रूम में चला जाता है। वह अभी किसी को भी अपने और कनक के बारे में नहीं बता सकता था। क्योंकि अभी वह पहले कनक से बात करने वाला था। उस के बाद ही वह सब को बताने के बारे में सोच सकता था। या फिर तब भी नहीं बताएं। ये तो उस के मुड़ के उपर है।

    अद्विक रूम में आना कर कहता है। ये महबूबा कहां है। कहीं फिर से एयरपोर्ट पर ही तो नहीं है।

    अद्विक रूम से निकल कर सिधा पेरिस से निकल जाता है। वह कार में बैठ कर एयरपोर्ट कि तरफ चला जाता है ‌ ।

    अब आगे।...

    कुछ ही देर में। अद्विक की कार एयरपोर्ट पर आ कर रूकी। वह जल्दी से कार से बहार आया और एयरपोर्ट के अंदर चला गया। अद्विक के गार्ड्स भी से के साथ साथ उसे कवर करते हुए चल रहे थे। उन का काम था अद्विक को प्रोटेक्ट करने का उस के बहुत से दुश्मन थे। जो कही भी कभी भी उस पर अटैक कर सकते थे।

    अद्विक अंदर जा कर कनक को देखने लगता है। वह बहुत बैचेन था। उसे सच्ची मे बहुत बुरा लग रहा था। जब से उसे पता चला था कनक के बारे में। वह अपने आप को ना जाने कितनी बार कोश चुका था। उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था।

    अद्विक बैचेन भरी नजरों से पुरे एयरपोर्ट पर अपनी नज़र घुमाते हुए देता है। तभी उस की नजर एक जगह जा कर रूक जाती है। और वह नजारा देख कर उस के सिने में दर्द की एक लहर दौड़ जाती है। वह अपने सिने पर हाथ रख कर घिमे कदमों से चलकर उस दिशा में जाता है।

    सामने कनक एक साइड ज़मीन पर बैठीं उस का इंतजार कर रही थी। वह वही जगह थी जहां पर अद्विक उसे छोड़ कर गया था।

    उस की आंखों में आसूं थे। और वह उस दिशा में ही देख रही थी जहां से दो साल पहले अद्विक उसे लेकर आया था। और उसे वहीं उस जगह छोड़ कर चला भी गया था।

    कनक अपने पति बाबू का इंतजार कर रही थी। उसे की उम्मीद टुट रहीं थीं। पर फिर भी कहीं ना कहीं उस का मासुम सा जो दिल था। वो उस की उम्मीद को टुटने नहीं दें रहा था।

    कनक अपने घुटने पर अपने हाथ रख कर बैठीं थीं। वह अपने आंसु साफ करते हुए कहतीं हैं। पति बाबू आज भी नहीं आएं। कन्नू फिर आज अकेले घर जाएंगी। आप कब आओगे पति बाबू। कन्नू सच्ची मे आप को बहुत याद करती है। आ जाओ ना पति...

    कनक रोते हुए कह रही थी। तभी उस के दिल की धड़कन बढ़ गई। और वह अपनी जगह से खड़ी हो कर। अपनी नजरें घुमाने लगी। कनक नजरें घुमाते हुए कहती हैं। पति बाबू.. मेरे पति बाबू यही है।

    अद्विक कनक के पास आ कर उस के पिछे खड़ा हो गया। वह कनक की बातें सुन रहा था और देख भी रहा था कि उसे उस के आने का एहसास हैं।

    अचानक कनक की आंखों के आंसु बड गये। और वह तेजी से बहने लगे।

    कनक सिसकते हुए। कहती हैं। पति.. पति बाबू.. आप . आप.. कन्नू को छोड़ कर क्यों चलें गये थे। अब दो साल बाद आप को कन्नू की याद आईं हैं।‌

    कनक बिना पिछे मुंडे कह रहीं थीं। शायद उसे अद्विक का पिछे खड़े होने का एहसान हों गया था। जिह वजह से वह अद्विक से सिखायत कर रही थी।

    अद्विक पहले तो कनक की बात सुनकर हैरान हो गया था।कि कनक बिना उसे देखें पहचान गयी कि उस का पति बाबू उस के पिछे खड़ा हैं। पर फिर बाद में वह आगे बढ़ कर उसे पिछे से ही गले लगा लेता है। जिसे कनक अपनी आंखें बंद कर लेती है। उस की आंखों से आंसु बह कर अद्विक के हाथ पर गिर जाते हैं। वह चुप खड़ी रो रही थी।

    अद्विक कनक को अपनी तरफ पलटता है। उस अपने सिने से लगा लेता है। कनक अद्विक की कमर पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए। उस के सिने से लग कर रो पड़ती है।

    अब तक भी अद्विक ने कुछ नहीं कहा था। वह बस चुप चाप खंडा कनक को अपने सिने से लगाएं खड़ा था।

    अद्विक अपनी चुप्पी को तोड़ते हुए कहता है। शशशशश... बस बस बच्चा चुप हों जाओ कितना रोगी। अब तो मैं आ गया हुं ना। बस भी करो।

    कनक अद्विक पर अपने पकड़ कसते हुए कहती हैं। नहीं नहीं पति बाबू आप कन्नू को छोड़ कर चलें गये थे। आप को पता है कन्नू कितनी अकेली थी। उस का कोई नहीं था।

    कनक की बात सुनकर अद्विक को तकलीफ़ होती है। वह उस के चहरे को अपने सिने से निकल कर अपने हाथों में भरते हुए कहता है। मुझे माफ़ कर दो। में आज के बाद कभी भी तुम्हें छोड़ कर नहीं जाउंगा। कभी भी नहीं। और अगर गया ना तो तुम मेरी डंडे से पिटाई करना। ओके।

    कनक ने अब कही जाकर अद्विक का चहरा देखा था। वह बहुत गोर से अद्विक को देख रहीं थीं। कितना बदल गया था वो इन दो सालों में। पहले से भी ज्यादा हैंडसम हो गया था उस का पति बाबू।

    कनक अपना हाथ बढ़ा कर अद्विक के चहरे पर फेरते हुए। जिसे अद्विक की आंखें बंद हो जाती है । कनक कहती हैं। पति बाबू आप सच्ची में कन्नू के पास ही हों ना। कहीं कन्नू कोई सपना तो नहीं देख रहीं हैं।

    अद्विक कनक के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए उसे कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा है। और कहता है । नहीं महबूबा ये कोई सपना नहीं है। तुम्हारा पति बाबू तुम्हारे सामने ही है। चाहों तो तुम मुझे किस्स कर के भी देख सकतीं हैं। मैं मना नहीं करूंगा।

    अद्विक की बात सुनकर कनक का चहरा शर्म से लाल हो जाता है। वो शरमा कर अद्विक के सिने में अपना चहरा छुपा लेती है।

    बताओ कितने मासूम है। कनक इतने साल बाद पति आया। और आज भी बिना को सिकायत या गुस्सा के मान गई। ऐसा अद्विक सोच रहा था। क्योंकि मुझे तो पता है ना कि ये तो बेटा तुफान के आने की शान्ति है। 😂

    अद्विक कुछ देर तक तो कनक को गले से लगाएं हुएं ही खड़ा रहता है। फिर वह उस से अलग हो कर कहता है। चलो महबूबा घर चलते हैं।

    अद्विक कनक को अपनी गोद में उठा कर कार की तरफ चला जाता है।

    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 9. first kiss ❤️ कन्नू को घुरना बंद करों पति बाबू। ❤️❤️ - Chapter 9

    Words: 1308

    Estimated Reading Time: 8 min

    अद्विक कनक को अपनी गोद में कार की पिछली सीट पर बैठा लेता है। और कार उस का एक गार्ड डिराइव्ड करने लगता है ‌

    अद्विक कार का पार्टिशन लगा देता है। और कनक को देखता है। जो कि उस के सिने में अपना चहरा छुपा कर चुप बैठी थी। वह कुछ नहीं कहा रहीं थीं। हां पर उस ने अपनी पकड़ अद्विक की कमर पर मजबूत कर रखी थी। जिसे अद्विक भी महसूस कर सकता था।

    अद्विक कनक के माथे पर किस्स करते हुए कहता है महबूबा बच्चा किया हुआ। चुप चुप क्यों हों। क्या कोई बात है। जो तुम्हें परेशान कर रही है।

    कनक अद्विक की तरफ देखने लगतीं हैं। वो अपनी नम आंखों से कहतीं हैं ‌। पति बाबू। क्या कन्नू बुरी है। जो आप उसे छोड़ कर चलें गये थे। आप ने बोला था कि आप अभी भी मेरा चहरा नहीं देखोगे। मैं बुरी...

    अद्विक कनक के मुंह पर अपना हाथ रख देता है। वो कनक की आंखों में देखते हुए कहता है। बस... मैं नहीं चाहता कि तुम पुरानी बातों को याद कर फिर से परेशान हो। और रही बात मेरे तुम्हें उस वक्त कुछ कहने की तों। मेरी बात को कान खोलकर सुन ले। महबूबा।

    मुझे नहीं पता था कि मेरी शादी तुम से हुई है। और अगर पता होता तो मैं तुम से वो बातें कहता ही नहीं। इन फैक्ट में कभी तुम से ऐसी बातें करने के बारे में अपने सपने में भी नहीं सोच सकता। तो तुम उन बातों को याद ही मत करों।

    कनक नम आंखों से कहतीं हैं। पर कन्नू किया करें। उस के दिमाग से जा ही नहीं रही है। उसे डर लग रहा है। कहीं आप फिर से कन्नू को छोड़ कर.....

    कनक की बात उस के मुंह में ही रह गयी। और उस की आंखें हैरानी से बड़ी बड़ी हो गयी।

    वहीं अद्विक अपनी आंखें बंद कर कनक के होंठों पर किस्स कर रहा था । जब उस ने कनक की बात सुनी तो वह समझ गया था कि वह डरी हुई है और उस के दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होगा। तो उस के दिमाग से सब बातें निकालने के लिए अद्विक को और कुछ नहीं सुझता तो वह कनक के होंठों पर अपने होंठ रख देता है। ।‌

    ताकि कनक के दिमाग से सब बातें निकल जाएं। और हुआं भी एसा अद्विक के किस्स करते ही कनक का दिमाग सुन्न पड़ गया। वह बस हैरानी से उसे देखने लगी।

    अद्विक जब कनक के सोफ्ट होंठों को अपने होंठों पर महसूस करता है। तो वह पागल सा होने लगता है। वह कनक के होंठों पर अपने होंठ चलाने लगता है। कभी उस के अपर लिप्स को किस करता है तो कभी निचले होंठ को चूमता है।

    कभी कब उस के निचले होंठ को अपने मुंह में भर कर सक करने लगता है।
    वह उस के किस्स करने पर कनक की तो शर्म के मारे हालत खराब हो रही थी। वह अपनी आंखें बंद कर लेती है।

    अद्विक कनक की कमर पकड़ बिना किस्स ब्रेक किये। उसे अपने गोद में अच्छे से बैठा लेता है। उस के पैरों को अपनी कमर के चारों तरफ लपेट लेता है। और उस के हाथों को अपने गर्दन में डाल कर ।
    एक हाथ तो वह उस की कमर में डालता है। और एक हाथ वह कनक की गर्दन को पिछे से पकड़ कर अपनी किस्स को और भी ज्यादा पैशनेट और डिप कर देता है।

    वह कनक क जीभ को अपनी जीभ से उलझाकर उस की टंग से खेलने लगता है।

    करीब दस मिनट किस्स करने बाद ही कनक को सांस लेने में तकलीफ़ होने लगी। तो वह अद्विक के कंधे पर हाथ रख कर उसे दुर करने लगतीं हैं। पर हमारे अद्विक बाबू तो अपनी महबूबा को किस्स करने में इतना खो जाये थे। कि उन्हें इस चीज की कोई खबर ही नहीं थी।

    कनक अद्विक को बहुत देर तक दुर करने की कोशिश करतीं हैं। जब उसे लगता है कि वह अब बिल्कुल भी सांस नहीं ले पा रही है। तो वह अद्विक की जीभ को अपने दांतों तले दबा लेती है। जिसे अद्विक अपने होश में आता है। और कनक से दुर होता है।

    अद्विक से आजाद होते ही वह तेज़ तेज़ सांसें लेने लगती है। अद्विक भी गहरी सांस लें रहा था। पर वह कनक को घुर कर भी देख रहा था।

    कनक अद्विक को घुरते हुए देखतीं हैं। और हल्के गुस्से में गहरी सांस लेते हुए कहती हैं। कन्नू को घुरना बंद करों पति बाबू। गलती आप की थी। आप ने कन्नू को सास भी नहीं लेने दी। आप किया कन्नू को मारना चाहते हों।

    अद्विक कनक की बात सुनकर उसे अपने से बिल्कुल चिपका लेता है। दोनों का सिना आपस में टकरा रहा था ‌ । पर कमबख्त ये दोनों के बिच ये कपड़ों की दीवार आ रही थी। जो उन्हें एक दुसरे को महसूस नहीं करने दे रही है।

    अद्विक कनक की आंखों में देखते हुए कहता है। अच्छा जी। तो हमारी बीबी जी अब हमें घमका रही है। पर कोई बात नहीं बीबी जी ये हक भी मेने सिर्फ आप को दिया है।

    अद्विक कनक के अपने सिने से लगा लेता है। कनक भी अद्विक के सिने से लग कर खिड़की से बाहर देखने लगतीं हैं। तो उसे वह राश्ता देखा देखा सा लगता है। वह अपना सिर उठ का देखतीं हैं। तो वह सिंघानिया पेरिस की तरफ ही जा रहें थे। वह उस एरिया में ही थे।

    एक पल के लिए तो कनक डर जातीं हैं।वह सोचने लगतीं हैं की कहीं अद्विक उसे यहां छोड़ कर तो नहीं जाने वाला। किया वह उसे वापस छोड़ने के लिए आया है। वह अपने मन को समझाते हुए अद्विक से कहती हैं। पति बाबू आप कन्नू को यहां क्यों लेकर आएं हों। किया आप कन्नू को फिर से छोड़ कर जा रहें हों।

    कनक की बात सुनकर अद्विक को याद आता है कि उसे नहीं पता कि ये उस का ही घर है। कनक का ससुराल है।

    अद्विक कहता है। महबूबा मेरी बात सुनो।

    अद्विक कनक के चहरे को अपने हाथों से भरते हुए कहता है ‌ । मैं जो कहुंगा मेरी बात मानोगी ना। अपने पति बाबू पर भरोसा करती हों ना।

    कनक अद्विक की बात सुनकर हां मैं सिर हिला देती है। और कहतीं हैं। भरोसा है। जबी तो आज तक आप का इंतजार कर रही थी।

    अद्विक का मन भर आता है कनक की बात सुनकर। वह आगे बढ़ कर हल्के से उसे के होंठों पर किस्स करता है। और फिर कहता है। सिंघानिया पेरिस का बेड़ा बेटा में ही हुं। महबूबा। जो कल जर्मनी से आया था। और उस के आने पर पार्टी रखी गई थी। वह में ही हुं। अद्विक सिंघानिया।

    देविका और सुरज सिंघानिया मेरे मॉम डैड है । वो सब मेरा परिवार ही है। और अब मेरे साथ साथ तुम्हारा भी परिवार है।

    कनक अद्विक की बात सुनकर हैरान रह जातीं हैं। वो कहती हैं। किया। किया आप ही बड़ी मालकिन के बेटे हों।

    अद्विक हां कहता है। वो कहता है। हां बच्चा। पर तुम्हें मेरी एक बात मानी होगी।
    और जैसा मैं कहूं वैसा ही करना होगा। बोलो मानों गी मेरी बात।

    कनक अद्विक की बात सुनकर हां कहतीं हैं। अद्विक काफी सिरियस हो कर कहता है। देखो महबूबा अब तुम किसी को भी मेरे या अपने बारे में मत बताना। बाद में जब मुझे लगेगा की आ अब सही मोका है सब को हमारी शादी के बारे में बताने का तब मैं खुद ही बता दुंगा। पर अभी जैसा चल रहा है। तुम्हें वैसा ही चलें रखना है।

    किसी से भी ये नहीं कहना की मैं तुम्हारा पति हूं। हमारी शादी हों गई है।

    अद्विक की बात सुनकर कनक को बुरा लगता है। वह कहतीं हैं।
    क्यों पति बाबू कन्नू क्यों नहीं कह सकतीं हमारी शादी के बारे में। किया आप नहीं चाहते। कि हम आप के साथ रहें।‌उस की आंखें नम हो जाती है।

    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 10. आप हमेशा कन्नू के पास रहना। ❤️❤️ - Chapter 10

    Words: 1359

    Estimated Reading Time: 9 min

    कनक अद्विक की बात सुनकर हां कहतीं हैं। अद्विक काफी सिरियस हो कर कहता है। देखो महबूबा अब तुम किसी को भी मेरे या अपने बारे में मत बताना। बाद में जब मुझे लगेगा की आ अब सही मोका है सब को हमारी शादी के बारे में बताने का तब मैं खुद ही बता दुंगा। पर अभी जैसा चल रहा है। तुम्हें वैसा ही चलें रखना है।

    किसी से भी ये नहीं कहना की मैं तुम्हारा पति हूं। हमारी शादी हों गई है।

    अद्विक की बात सुनकर कनक को बुरा लगता है। वह कहतीं हैं।
    क्यों पति बाबू कन्नू क्यों नहीं कह सकतीं हमारी शादी के बारे में। किया आप नहीं चाहते। कि हम आप के साथ रहें।‌उस की आंखें नम हो जाती है।


    अब आगे।.....

    अद्विक कनक की बात सुनकर जल्दी से उस के आंसुओं को साफ करते हुए कहता है। नहीं जान ऐसा नहीं है। तुम मेरी बात का ग़लत मतलब निकाल रही हों। मेरे कहने का मतलब ये है कि मैं अपने तरीके से सब को सही वक्त आने पर बताऊंगा। बस तब तक हम दोनों घर में अंजान बन कर रहेंगे । मैं सोज तुम से मिले करूंगा। दोनों पुरे दिन साथ में रहेंगे। और रात में भी में तुम मेरे पास ही रहोगी। मैं तुम्हें छोड़ कर नहीं जा रहा। और ना कभी जाऊंगा। बस में इतना ही तो कह रहा हुं की अभी हम घर बालों के सामने अपनी शादी की बात नहीं करे बस

    कनक अद्विक की बात को बहुत ध्यान से सुन रहीं थीं। वह कहतीं हैं। क्या अगर आप सब को अभी बता देंगे तो सब हमारी बात नहीं मानेंगे।

    अद्विक कनक की बात सुनकर इतना तो समझ गया था कि कनक के मन में अब डर बैठ गया है। जिस वजह से वह चाहती है कि घर में सब को पता चल जाए ताकि अद्विक कभी भी उसे छोड़ कर ना जाएं।

    अद्विक कहता है। नहीं मेरी जान ऐसा नहीं है की कोई हमारी बात नहीं मांगेगा। पर सब के मन में बहुत से सवाल आ जाएंगे जिन का जबाब में अभी नहीं दे सकता। मुझे थोड़ा वक्त चाहिए।

    कनक अद्विक की बात को समझ जातीं हैं और मान भी जाती है।
    कनक अद्विक के सिने पर अपना सिर रख कर कहती हैं। पति बाबू।

    अद्विक कनक के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है। हमम बच्चा।

    कनक अद्विक के सिने पर अपने फेस को रगड़ते हुए कहती हैं। कन्नू ने आप को बहुत मिस किया। आप हमेशा कन्नू के पास उसे साथ रहने।
    अद्विक कनक के बालों पर किस्स करते हुए कहता है। मैं हमेशा तुम्हारे पास तुम्हारे साथ रहुगा।

    कनक अपना सिर अद्विक के सिने में बाहर निकाल कर उसे देखती है। अद्विक भी कनक की आंखों में देखने लगता है। वह उसे की आंखों में देखते हुए उस के होंठो की तरफ बढ़ने लगता है

    कनक अद्विक को अपने होंठों की तरफ बढ़ता देख वह शर्म से अपनी आंखें बंद कर लेती है। तभी उसे अपने होंठों पर अद्विक के होंठ महसूस होते हैं।

    अद्विक कनक के चहरे को अपने हाथों में भर कर उसे सोफ्ट और पैशनेट किस्स करने लगता है। कनक किस्स का कोई जबाब नहीं दें रहीं थीं। वह बस अपनी आंखें बंद कर अद्विक की किस्स को महसूस कर रही थी।

    कुछ देर किस्स करने के बाद अद्विक कनक से अलग होता है। तभी उस का फोन रिंग करने लगता है। अद्विक देखता है। कि उस के पर्सनल बॉडीगार्ड शेरा का फोन है।

    वह फोन उठाता है। तो शेरा कहता है। बॉस हम पेरिस आ गये है। और शिवा का फोन आया था। वह उसे लेकर डार्क हाउस में पहोंच गया है। आप का इंतजार है बस।

    अद्विक हमम कह कर फ़ोन कट कर देता है। कनक अद्विक को ही देख रही थी। अद्विक कनक के माथे पर किस्स करते हुए कहता है। जान में रात को तुम से मिलने आता हूं। ठीक है। बस तुम रात को सिंघानिया पेरिस में ही रहना। और मेरी बात याद है ना अभी किसी को भी हमारे बारे में कुछ नहीं बताना। ओके।

    अद्विक की बात सुनकर कनक कहती हैं । ठीक है कन्नू किसी को भी कुछ नहीं बताएंगी। बस आप जल्दी आना। क्योंकि जायद देर तक कन्नू पेरिस में नहीं रूक सकतीं हैं ना। वरना तो बड़ी मालकिन को हम किया कहेंगे।

    अद्विक कहता है। क्यों मॉम तुम्हें पेरिस में रूकने के लिए मना करती है।
    कनक कहती हैं। नहीं तो। वो तो बस बहुत अच्छी है। वो तो कन्नू को काम करने के लिए भी माना करती है। बस खाना ही बनाती है। क्योंकि सब को मेरे हाथ का खाना बहुत पसंद हैं ना उन्हें अच्छा लगता है। मेरे हाथों से बना खाना। बड़ी मालकिन तो कन्नू को पेरिस में रहने के लिए ही बोलती है। पर छोटी मालकिन को मेने एक बार किसी से बात करते देखा था। तब वो बोल रही थी कि नौकरों को सर्वेंट क्वार्टर में ही रहना चाहिए। उन्होंने अपनी औकात नहीं भुलानी चाहिए। कनक अपनी बात बोलते बोलते रूक गई। फिर कुछ देर रूक कर वह बात बदलते हुए कहती हैं।

    आप को पता है सब बहुत अच्छे हैं। कन्नू से सब प्यार से बात करते हैं।
    अद्विक कनक की बातो को बहुत गोर से सुन रहा था। वह समझ भी गया था कि कनक बात बदलने की कोशिश कर रहीं हैं।
    अद्विक कनक की आंखों में देखते हुए कहता है। महबूबा मेरी एक बात को हमेशा याद रखना। हर कोई अच्छा नहीं होता ‌ । दुनिया में हर किसी इंसान के दो चहरे होते हैं।

    कनक अद्विक की बात को समझ नहीं पाई। वह बस अद्विक के ही देख रही थी।

    अद्विक कहता है। तुम मासूम हों। इस लिए तुम्हें कुछ नहीं पता। दुनिया दारी की समझ अभी नहीं है तुम्हें। पर मैं हुं तुम्हें सब से प्रोटेक्ट करने के लिए।
    चलो बातें तो हम दोनों बाद में कर लेंगे। तुम अब जाओ मुझे आफिस का कुछ काम है में जल्द ही आता है।

    कनक अपना सिर हिला का कार से निकल जाती है। अद्विक कि कार सिंघानिया पेरिस से थोड़ी दुरी पर खड़ी थी ‌ । जिस वजह से किसी ने भी कनक को अद्विक की कार से उतरते हुए नहीं देखा।

    अद्विक कनक को जाते हुए देखता है। फिर उस की भी कार आफिस के लिए निकल जाती है।

    सिंघानिया पेरिस में।

    कनक अंदर आती है। वह आज खुश थी। उस का चहरा जो हर वक्त मुरझाया हुआ होता था। आज वह खिला खिला लग रहा था। उस की आंखों में जो खाली पन था। आज उस की जगह उस की आंखें खुशी से चमक रही थी।

    कनक अंदर आती है। तभी उसे देविका जी और कोमल दोनों ही बात करतीं हुईं दिखती है।
    देविका जी कनक को देख कर कहती हैं। कनक आज तुम्हें इतना वक्त क्यों लग गया। घर आने में। और दिन तो तुम जल्दी आ जाती थी। पर आज लेट क्यों।

    कनक कहती हैं। कुछ नहीं बड़ी मालकिन। बस पति बाबू का इंतजार करते करते वक्त का पता ही नहीं चला।

    कनक की बात सुनकर देविका जी अब कुछ नहीं कहती।

    कनक अंदर किचन में चली जाती है। कोमल कहतीं हैं। दीदी आप ने आज कुछ नोट्स किया ‌। कनक में।
    देविका जी कहती हैं। नहीं तो क्यों किया हुआ।
    कोमल कहतीं हैं। अरे दीदी। यही की कनक का चहरा पहले जब वह आती थी तब वह उदास होते हुए आतीं थी। हल्की नमी रहती थी उस की आंखों में। पर आज तो उस के चहरा खिला हुआ लग रहा था। पहले जैसा कुछ नहीं था आज।

    देविका जी कहती हैं। कोमल ये तो अच्छी बात है ना। वैसे भी बच्ची हर वक्त उदास और खोई खोई सी रहती थी ‌ । आज वह खुश हैं। तो अच्छी बात है।

    कोमल भी अब ज्यादा कुछ नहीं कहती हैं।

    दुसरी तरफ।

    अद्विक की कार उस के एक फार्म हाउस में आ कर रूकती है। वह अब पहले जैसा नहीं लग रहा था। उस के चहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। पर आंखें गुस्से में लाल हो रही थी।

    वह बहुत डरावना लग रहा था। उस के पास से खतरनाक वाइव आ रही थी। जिसे सब डर कर दो क़दम पिछे हों जाते हैं।

    अद्विक लम्बे कदमों से चल कर अंदर फार्म हाउस में जाता है।


    Tu be continued 🙏 🙏

  • 11. अद्विक की शेरनी कनक। शेरनी का शिकार करने से पहले शेर का शिकार ❤️❤️ - Chapter 11

    Words: 1099

    Estimated Reading Time: 7 min

    दुसरी तरफ।

    अद्विक की कार उस के एक फार्म हाउस में आ कर रूकती है। वह अब पहले जैसा नहीं लग रहा था। उस के चहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। पर आंखें गुस्से में लाल हो रही थी।

    वह बहुत डरावना लग रहा था। उस के पास से खतरनाक वाइव आ रही थी। जिसे सब डर कर दो क़दम पिछे हों जाते हैं।

    अद्विक लम्बे कदमों से चल कर अंदर फार्म हाउस में जाता है।

    अब आगे। ....

    अद्विक तेज़ क़दमों से चलते हुए। अंदर डार्क हाउस में जाता है। वह जैसे जैसे अंदर जाता है। उसे किसी के चीखने की आवाज आ रही थी। जो की बहुत दर्द भरी थी।

    ऐसा लग रहा था जैसे किसी को बहुत बेरहमी से टोर्च किया जा रहा हों।

    अद्विक अंदर जाता है। और वह सिंगल सोफे पर जा कर राजा की तरह बैठ जाता है। अपनी पॉकेट में से सिगरेट निकालता है और अपने होंठों के बिच दबा लेता है। एक गार्ड आता है और उस सिगरेट को जलाता है।

    अद्विक सिगरेट पी कर उस का धुआं उपर की तरफ निकालते हुए सामने नजर कर उस शख्स को देखता है। जो की ख़राब हालत में था। उस की पुरी बॉडी पर गहरे ज़ख्म थे। जिन में से बिल्ड निकल रहा था। कुछ जख्म तो ऐसे थे जिन का मांस निकला हुआ था और वह उस की हड्डी दिख रही थी।

    जिसे देखकर कर किसी को भी उल्टी या चकर आ जाएं। ऐसा डरावना मंज़र था। पर वह खड़े किसी भी इंसान को देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि ये उन के लिए नया है। ऐसा लग रहा था जैसे ये सब तो उन के लिए रोज का ही है।

    अद्विक अपने पैर पर पैर रखते हुए कोल्ड आवाज में कहता है। हां तो मिस्टर तिवारी। केसी लगी हमारी खातिरदारी। कोई कमी तो नहीं रह गई। हमारी खातिरदारी में। अगर रह गई हों तो बता देना अभी कोई बाद में मेरी कोई बुराई करे ये मुझे मंजूर नहीं।

    मिस्टर तिवारी अपनी अध खुली आंखों से अद्विक को देखते हुए। बेशर्म से हंसते हुए कहता है। तूं किया समझता है। अद्विक सिंघानिया की तू मुझे मार देगा। तों तूं बच जाएगा। नहीं तूं नहीं बचेगा। और अगर तूं बच भी गया ना तो तेरी वो बीबी। जिस का तूझे आज ही पता चला है। वो नहीं बचेगी।

    बहुत बुरी मौत मरेंगी तेरी महबूबा। महबूबा यही कहता है ना तूं उसे। बिचारी पिछले दो सालों से पति के लिए तरस रही थी। और अब उस का पति उस के लिए तरसेगा। हा हा हाहाहाहाहा...
    इतना कहकर तिवारी हंसने लगता है। वहीं उस की बात सुनकर अद्विक की आंखें आग उगलने लगतीं हैं। वो सोफे पर से उठ कर तिवारी के पास आता है। और उस के बालों को पकड़ कर दांत पिसते हुए कहता है तुझे कैसे पता ये सब बता। मेरी महबूबा के बारे में तूझे पता कैसे चला।

    तिवारी हंसते हुए कहता है। ओ लगता है। द डेविल किंग अद्विक सिंघानिया डर गया। अपनी महबू......

    अद्विक उस की बात पुरानी होने से पहले ही उस की जीभ को अपने हाथों में पकड़ कर काट देता है। अपने गुस्से से भरी आवाज में कहता है। मेरी महबूबा का नाम अपनी इस गंदी ज़ुबान से केसे निकाला तुने। और किया कह तुने में डर गया। द डेविल किंग अद्विक सिंघानिया कभी किसी से नहीं डरता।

    मैं भी देखता हूं कितने कुत्ते आते हैं शेर की शेरनी पर हमला करने के लिए। शेरनी का शिकार करने से पहले उन सब को शेर का शिकार करना होगा। जो उन सब के लिए ना मुमकिन है।

    अद्विक तिवारी के बालों को छोड़ते हुए कहता है। और फिर अपने सोफे पर जा के बैठ जाता है। और अपने गार्ड की तरफ कुछ इशारा करता है। तो वह गार्ड चला जाता है।

    कुछ देर बाद वो गार्ड अपने हाथों में दो बाल्टी लेकर आता है। जिस में एक गर्म पानी की थी। जो की खोलता हुआ पानी था। वह उसे तिवारी के उपर डाल देता है। तो तिवारी दर्द से तड़पने लगता है। वह चीख तो नहीं पा रहा था क्योंकि उस की जीभ अद्विक ने पहले ही काट दी थी। पर तड़प ज़रूर रहा था।

    पानी डालने के बाद वह गार्ड दुसरी बाल्टी लेता है। जिस में नमक मिर्च दोनों मिक्स थीं। वह अपने हाथों में गिलपस पहनता है। और अपने हाथों में वह नमक मिर्च का पाउडर लेकर तिवारी के हर एक ज़ख़्म में मुठ्ठी भर भर कर लगाने लगता है। वो उस के ज़ख्मों में ( आप सब को कैसे बताऊं। अरे यार जैसे हम आलू के परांठों में आलू की पीटी भरते हैं ना वैसे ही वो गार्ड भी उस के ज़ख्मों को पराठा समझ कर उस में नमक मिर्च की पिठी भर रहा था। )

    जिसे तिवारी कि हालत खराब हो रही थी। वह बुरी तरह से तड़प रहा था। और अद्विक को उसे ऐसे देख कर मजा आ रहा था। वो शेखर से कहता है। पता करो की ऐसे कैसे पता चला महबूबा के बारे में। और कोन है जो मुझे मेरी महबूबा को मारना चाहता है।

    अद्विक उठ कर बाहर की तरफ जाते हुए कहता है। खत्म कर दो इसे।

    अद्विक बाहर आ कर कार में बैठ जाता है और सिंघानिया पेरिस के लिए निकल जाता है।

    उसे बहुत वक्त हो गया था। कनक उस का वेट कर रही थी। वह ही जानतीं थी की कैसे कर के वह बहा रूकी हुई थी। वरना देविका जी का तो पता नहीं। पर कोमल जी ने जरूर उस से ना जाने कितनी बार पुछ लिया होगा की वो अभी तक सोने के लिए क्यों नहीं गई है। वह कोई ना कोई बहाना कर देती और बात को टाल देती है

    अद्विक दस बजे के आस पास आता है। वो अंदर आ कर देखता है तो उसे कनक वहीं सोफे पर बैठ कर उस का इंतजार कर रही है।

    अद्विक कनक के पास आ कर बैठ जाता है। वो देखता है कनक उस का इंतजार करते हुए सो गयी थी। उस के बालों की लटें उस के चहरे पर आ रही थी। वह अपना हाथ बढ़ा कर उस के लटों को कान के पिछे करता है। तभी कनक जो की अभी कुछ देर पहले ही सोई थी। वह हड़बड़ा कर उठ जातीं हैं।

    अद्विक उस के गालों पर हाथ रख कर कहता है। बच्चा में हुं। तुम्हारा पति बाबू।

    कनक अद्विक को देखती है तो उस की जान में जान आती है। वह गहरी सांस लेते हुए उस के सिने से लग जातीं हैं।

    अद्विक कनक के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है। किया हुआ महबूबा तुम इतना क्यों डर गई। मैं ही तो था।


    Tu be continued 🙏 🙇

  • 12. रूम में चलते हैं महबूबा रोमांस करेंगे। ❤️❤️ - Chapter 12

    Words: 1608

    Estimated Reading Time: 10 min

    अद्विक कनक के पास आ कर बैठ जाता है। वो देखता है कनक उस का इंतजार करते हुए सो गयी थी। उस के बालों की लटें उस के चहरे पर आ रही थी। वह अपना हाथ बढ़ा कर उस के लटों को कान के पिछे करता है। तभी कनक जो की अभी कुछ देर पहले ही सोई थी। वह हड़बड़ा कर उठ जातीं हैं।

    अद्विक उस के गालों पर हाथ रख कर कहता है। बच्चा में हुं। तुम्हारा पति बाबू।

    कनक अद्विक को देखती है तो उस की जान में जान आती है। वह गहरी सांस लेते हुए उस के सिने से लग जातीं हैं।

    अद्विक कनक के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है। किया हुआ महबूबा तुम इतना क्यों डर गई। मैं ही तो था।


    अब आगे। .......


    अद्विक की बात सुनकर कनक उस को देखतीं हैं। और डरती हूं आवाज में कहा। पति बाबू... पति बाबू कन्नू को लगा कि वो फ़िर...

    इतना कहकर कनक को कुछ याद आया। वह अपने आप को नोर्मल करते हुए अद्विक से कहती हैं। कुछ नहीं पति बाबू कन्नू सपना देख रही थी और आप आ गये तो डर गई।

    अद्विक को कनक की बात कुछ अजीब लगीं पर उस ने कनक से ज़ायद कुछ कहना सही नहीं समझा। तो वह कनक के माथे पर किस्स करते हुए कहा। महबूबा खाना खाया तुम ने।

    कनक कहती हैं। नहीं आप का इंतजार कर रही थी। चलो आज हाथ मुंह धोकर आ जाओ। मैं तब तक आप के लिए खाना लगा देती हुं।

    अद्विक अपने रूम में चला जाता है। कुछ 15,20 मिनट बाद आता है। वह निचे आ कर देखता है की कनक डाइनिंग टेबल पर खाना रख कर उस का वेट कर रही है।

    अद्विक नाचे आता है। कनक को अपनी गोद में बैठा कर पहले उसे खाना खिलाता है फिर खुद खाता है। हालांकि कनक बार बार मना कर रही थी उस से ये बोल कर की कोई आ जाएगा और उन्हें देख लेगा पर‌ हमारे अद्विक साहब को कहा किसी से फर्क पड़ता है। वो तो बस मज़े से अपनी महबूबा को देखते हुए खाना खा रहा था।

    कनक अद्विक के खाना खा ने के बाद किचन में बर्तन साफ करने लगी। उस का पुरा ध्यान बर्तन साफ करने में ही था। तभी अद्विक पिछे से आ कर उस की कमर में हाथ डाल देता है।

    कनक चीख उठती है। तभी अद्विक कनक के कान में आ कर कहता है। जान में हुं। तुम बहुत डर जातीं हों।

    कनक अद्विक की आवाज सुनकर रिलेक्स कहतीं हैं। और अद्विक के पेट में अपनी हल्की सी कहोनी मारते हुए कहती हैं। किया पति बाबू आप ने कन्नू को डरा दिया। ऐसा करता है किया कोई। आप भी ना। कनक इतना कहकर अपने बर्तन साफ करने में लग गई।

    अद्विक कनक के सूट में अंदर हाथ डाल कर कहता हैं। महबूबा चलों ना रूम में चलते हैं। थोडा सा रोमांस करते हैं। प्यार भरी बातें करते हैं। चलो ना।

    पहले तो कनक अद्विक के ठंडे हाथों को अपने पेट पर महसुस कर सहिर उठतीं है। वह गहरी सांसे लेने लगती है। पर जब वह अद्विक की बातें सुनतीं है तो वह शरमा जाती है। वह शरमा कर बोलतीं है। आप केसी बात कर रहे हैं पति बाबू। कोई आ जाएगा। आप जाओ यहां से।

    अद्विक कनक के पेट पर अपने हाथ फिराते हुए उस के पेट को अपने मुठ्ठी में भर लेता है। जिसे कनक की आहह निकल जाती है वह गहरी सांस लेने लगती है।

    अद्विक कनक को पिछे से बिल्कुल अपने सिने से लगा लेता है। और उस के कान में मदहोश भरी आवाज में कहता है। तो किसे करूं मेरी महबूबा ये बातें । क्या आपनी बीबी के साथ रोमांस करना ग़लत है। क्या में अपनी बीवी को साथ कुछ रोमांटिक बातें नहीं कर सकता।

    कनक अद्विक की मदहोश भरी आवाज सुनकर बैचेन हो रही थी। उस के पेट में तितलियां उड़ रही थी। कनक के हाथ वर्तन धोते वक्त अपने आप ही रूक गये थे। और वह गहरी सांसें लें रही थी।

    अद्विक कनक को देखता है। अपना ये असर होते देख कर उस के होंठों पर तिरछी मुस्कान आ जाती है। वह कनक के कान को सक कर उस पर बाइट कर लेता है। जिसे कनक की आहह निकल जाती है।

    अद्विक कनक की गर्दन पर अपने होंठ चलाने लगता है। वो जिसे कनक अपनी आंखें बंद कर अपनी गर्दन को टेढ़ा कर लेती है। अद्विक कनक की गर्दन पर अपने जीभ को फिराने लगता है। हल्के हल्के उस की एक साइड की गर्दन पर किस्स और अपनी जीभ फिराते हुए।

    वह कनक को अपने प्यार का एहसास करा रहा था। कनक गहरी सांसें लें रही थी। वह गहरी सांस लेते हुए कहती हैं। पति। पति बाबू कोई। कोई आ जाएगा। मत करो ना। कोई आ गया तों।

    अद्विक कनक के पेट पर हाथ फेरते हुए उपर की तरफ आ रहा था वह कनक की गर्दन पर किस करते हुऐ कहता है। कोई नहीं आएगा। सब इस वक्त गहरी नींद में सो रहे होंगे। कोई नहीं आएगा।

    अद्विक पुरा मदहोश हो गया था। वो कनक को पलट कर अपने सामने करता है। वह उसे देखने लगता है। आगे बढ़कर वह मोहब्बत के दोनों गालों पर हाथ रख कर उस के होंठों की तरफ बढ़ने लगता है।

    कनक अपनी आंखें बंद कर लेती है। अद्विक कनक के होंठों को छू पाता उस के पहले ही उस का फोन रिंग करने लगता है।

    जिसे अद्विक का सारा मूड़ खराब हो जाता है। वह कनक को देखता है। जो की अपने होंठों को दांतों तले दबा कर उसे ही देख रही थी उस का चहरा लाल हो गया था। उस के फुले हुए गाल बिल्कुल पके टमाटर की तरह हो गए थे।

    अद्विक कनक के गाल पर किस करते हुऐ कहता है। जान में कॉल पर बात करता हूं तब तक तुम अपना काम कर के उपर रूम में आ जाना। तुम्हें पता है ना मेरा क़मर 4 फ्लोर वह मेरा ही है। ठीक है ।

    कनक अद्विक को देख कर हां मैं सिर हिला देती है। अद्विक दुबारा से कनक के गाल पर किस करते हुऐ कहता है। जल्दी आना में वेट करूंगा। महबूबा।

    अद्विक चला जाता है। कनक जल्दी से अपना काम करने लगतीं हैं। अद्विक रूम में आकर अपना फोन देखता है। तो उसे शिवा का फोन आ रहा था।

    वह शिवा को फोन करता है। और कहता है । हां शिवा। क्यों कॉल कर रहे थे इस वक्त।

    शिवा फोन की दुसरी तरफ से कुछ कहता है। जिसे सुन कर उस की आंखें गुस्से से लाल हो जाती है। हाथों की मुठ्ठी इतनी टाइट कर रखीं थीं की उस की नशें भी दिखने लगी थी।

    अद्विक अपनी रोबदार आवाज में कहता है। उस पर नजर रखो। अभी कुछ मत करना। बस ये देखो की वह करना किया चहाता था। उस का असली मकसद किया है। बस ये पता करों।

    इतना कहकर वह फोन काट देता है। और बाथरूम में फ्रेश होने की लिएं चला जाता है।

    वह कनक काम कर के अद्विक के फ्लोर पर आतीं हैं। वह जैसे जैसे उस तरफ जा रही थी। उस के मन में पिछले दो साल की यादें चल रही थी। कैसे दोनों की शादी हुई थी। और कैसे अद्विक उसे छोड़ कर चला गया था।

    कैसे वो इस घर में आईं थीं। कैसे वो उस का इंतजार करतीं थीं रोज़ एयरपोर्ट पर जा कर। आज पहली बार था जब वह अद्विक के रूम में जा रही थी। वरना तो वह हल बार अपना काम कर सर्वेंट क्वार्टर में चली जाती थी।

    और रूम में जातीं भी जब उसे पता होता की वह उस के पति का घर है । सब याद करते हुए उस की आंखें नम थी। वह कांपते हुए हाथों से अद्विक के रूम का डोर ओपन करती है। वह अंदर आती है तो उसे अद्विक कही भी नहीं दिखता है।

    वो पुरे रूम में अपनी नज़र घुमातीं है। तो उसे अद्विक कही नहीं देखता। तभी उस की नजर अद्विक की फोटो पर पड जाती है। जो की बेंड के पिछे बाली दीवार पर लग रही थी । जिसमें अद्विक ने वाइट पेंट पहन रखी थी। उस की अपर बॉडी पर कुछ नहीं था । उस के सिक्स पैक एब्स देख रहे थे। उन पर पानी की बुंदे थी। जो उसे बहुत Hot and sexy दिखा रहे थे। उस के बाल उस के माथे पर बिखरे हुए थे। उस के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। वह बल्क कलर की शर्ट को अपने एक हाथ से कंधे पर रख कर दुसरी तरफ देख रहा था। कुल मिलाकर वह बहुत हॉट लग रहा था।

    कनक आगे बढ़कर अद्विक की फोटो पर हाथ फेरते है। और कहतीं हैं। कितने खुबसूरत लग रहें हैं पति बाबू इस फोटो में।

    फिर वह उस की फोटो से ही शिकायत करते हुए कहती हैं। आप कन्नू को क्यों छोड़ कर चलें गये थे पति बाबू। किया कन्नू इतनी बुरी है। जो आप उसे वह हवाई अड्डे ,(एयरपोर्ट) पर छोड़ कर चलें गये थे।


    तभी अद्विक पिछे से आ कर कनक को अपनी बाहों में भर लेता है। और उस के कंधे पर किस्स करते हुए कहता है। नहीं महबूबा तुम बुरी नहीं हो। बुरा तो मैं हुं जो तुम्हें एयरपोर्ट पर अकेला छोड़ कर चला गया था। मुझे माफ़ कर दो महबूबा।

    अद्विक कनक को अपनी तरफ करता है। वह देखता की कनक का पुरा चहरा आंसुओं से भरा हुआ था। वह कनक के आंसुओं को साफ करता है।

    कनक का सिर निचे झुका हुआ था। वह उस के सिर को उपर करता है और उस के माथे पर किस्स कर उस की दोनों आंखों को चूमता है।

    दोनों गालों को चूमा कर उस के देखने लगता है। अद्विक कनक को देखते हुए। कहता है।


    Tu be continued 🙏 🙏 🙏

  • 13. माफ़ कर दो महबूबा। आप झूठें हों पति बाबू। किस्स ❤️❤️ - Chapter 13

    Words: 1362

    Estimated Reading Time: 9 min

    तभी अद्विक पिछे से आ कर कनक को अपनी बाहों में भर लेता है। और उस के कंधे पर किस्स करते हुए कहता है। नहीं महबूबा तुम बुरी नहीं हो। बुरा तो मैं हुं जो तुम्हें एयरपोर्ट पर अकेला छोड़ कर चला गया था। मुझे माफ़ कर दो महबूबा।

    अद्विक कनक को अपनी तरफ करता है। वह देखता की कनक का पुरा चहरा आंसुओं से भरा हुआ था। वह कनक के आंसुओं को साफ करता है।

    कनक का सिर निचे झुका हुआ था। वह उस के सिर को उपर करता है और उस के माथे पर किस्स कर उस की दोनों आंखों को चूमता है।

    दोनों गालों को चूमा कर उस के देखने लगता है। अद्विक कनक को देखते हुए। कहता है।

    अब आगे।.......


    अद्विक कनक को देखने लगता है। वह उस की आंखों में देखते हुए कहता है। महबूबा क्या तुम मुझे माफ नहीं करोगी। एयरपोर्ट पर भी तुम कुछ नहीं बोली थी। अगर कुछ नहीं कहोगी तों फिर मुझे पता कैसे चलेगा की मेरी बीबी ने मुझे माफ़ किया है या नहीं। किया तुम अपने पति बाबू को एक मोका नहीं दें सकतीं अपनी ग़लती सुधारने का। प्लीज जान....

    कनक अद्विक को देखने लगतीं हैं। उस की आंखों में आसूं थे। वो दर्द था जो वो ना जाने कितनी सालों से अपने दिल में दबाएं बैठीं थीं।

    कनक अद्विक की आंखों में देखते हुए कहती हैं। आप को पता है पति बाबू आप से शादी करने से पहले ना मां ने कहा था। की आप हमें बहुत प्यार करोगे और जो प्यार जो खुश मां बाबा हमें नहीं दें पाएं थे ना वो आप कन्नू को दोगे। कन्नू मां की बात सुनकर बहुत खुश हुई। क्योंकि कन्नू को भी कोई प्यार करने वाला उसे खुश रखने वाला चाहिए था। कन्नू बहुत खुश थी। जैसा जैसा मां ने बोला था कन्नू वैसा ही करने लगीं। पर आप तो कन्नू को हवाई अड्डे पर ही छोड़ कर चलें गये थे।



    और जब आप कन्नू को छोड़ कर चलें गये थे ना तब कन्नू को एक पल के लिये तो लगा था कि मां ने सब झूठ बोला था। मां झूठी है। आप अगर कन्नू को प्यार करते तो छोड़ कर नहीं जाते।

    अद्विक कनक की बातें बहुत ध्यान से सुन रहा था। उसे उस की बातों में दर्द महसूस हो रहा था। अद्विक को भी तकलीफ़ हो रही थी कनक की बातें सुन कर ‌ । पर वह चहाता था कि उस की महबूबा के मन में जितनी भी तकलीफ़ और दर्द हैं वो सब उस के सामने निकाल दें। वह उसे बताएं कि दो सालों में उस ने किया किया सहा तकलीफ़ अद्विक कनक को उसे भी कहीं गुना ज्यादा प्यार दें। जिसे उस के सारे दर्द तकलीफ़ पर अपने प्यार का मलहम लगा दें।

    कनक अद्विक को देखतीं हैं और उस की आंखों में देखते हुए कहती हैं। आप ने भी तो कन्नू से झूठ बोला था। याद है ना आप को की उस वक्त आप ने कन्नू से किया कहा था। जो भी आप ने बोला था उस वक्त सब झूठा था आप झूठें हों पति बाबू आप ने कन्नू से झूठ बोला। कनक अद्विक से शिकायत करते हुए। सिसकते हुए रोने लगी।

    अद्विक आगे बढ़कर कर कनक को अपने सीने से लगा लेता है। और उस के सिर को सहलाते हुए कहता है। मुझे माफ़ कर दो महबूबा। जाने अंजाने में ही सही लेकिन मेने तुम्हे बहुत हर्ट किया है। जिस के लिए मुझे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा है।

    मुझे माफ़ कर दो। पर ये भी सच है कि मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं। मेने उस वक्त कुछ भी झूठ नहीं बोला था। और ना ही कभी में तुम से झूठ बोलूंगा। मुझे एक आखरी बार मोका दे दो अपनी ग़लती सुधारने का बस एक आखरी बार। प्लीज़ जान। I love you. I love you so much mehbooba ❣️🥰

    अद्विक की बात सुनकर कनक अपना छोटा सा सिर अद्विक के सिने से बाहर निकालती है। और अपने होंठों का पाउट बना कर बच्चों की तरह अपनी आंखें तितली की तरह फड़फड़ाते हुए देखने लगती है। वह बहुत क्यूट लग रही थी इस वक्त अद्विक को उस पर बहुत प्यार आ रहा था।


    वह कनक के पाउट को देख कर उस पर छोटी सी किस्स करता है। और कहता है। प्लीज माफ़ कर दो।

    कनक अब भी अद्विक को ही देख रही थी। तो अद्विक कनक की आंखों को बारी बारी से चूमता है। कनक की आंखें एक सुकुन के साथ बंद हो जाती है। अद्विक कनक के दोनों गालों पर किस्स करता है। वह कनक को देखता है। कनक के होंठ हल्के खुलें हुए थे। उस के होंठ कांप रहें थे। अद्विक कनक के होंठों को देखते हुए।

    अपना गला तर करता है। और कनक के होंठों की तरफ बढ़ने लगता है। कुछ ही देर में कनक को अपने होंठों पर अद्विक के होंठों का अहसास होता है। जिसे उस की पकड़ अद्विक की टी-शर्ट पर कस जाती है। और अपनी आंखें को और कस कर बंद कर लेती है।

    अद्विक धिरे धिरे अपने होंठों को कनक के होंठों पर चलाने लगता हैं। कभी उस के निचले होंठ को सक करता है तो कभी अपर लिप्स को सक करता है। साथ ही में अपने हाथ कनक की कमर पर चलाने लगता है। कनक के सूट के अंदर हाथ लें जाकर उस की कमर पर अपने हाथ फिराने लगता है।


    जिसे कनक मचल उठती है। कनक की हाइट कम थी। वह अद्विक के सिने तक ही आती थी। जिसे उसे कनक को किस्स करने के लिए निचे झुकना पड़ा रहा था। हालांकि कनक ने अपनी गर्दन उपर उठा रखी थी। पर अद्विक की पैशनेट और डिप किस्स करने के वज़ह से उस की गर्दन दर्द करने लगीं थीं। जिस वजह से वह बार-बार अपने गर्दन को निचे कर लेती।

    जिसे अद्विक को भी निचे होना पड़ता। लास्ट में जब अद्विक को लगा की ऐसे काम नहीं चलेगा। तो वह कनक की कमर को ऊपर उठाता है। जिसे कनक अद्विक की कमर में अपने पैर लपेट लेती है। अद्विक उसे अच्छे से पकड़ कर किस्स करते हुए वही दीवार से लगा देता है। जिसे कनक अद्विक और दीवार के बिच फस जातीं हैं।

    अद्विक कनक के मुंह में अपनी जीभ डाल कर उसे के मुंह के हर एक कोने को टेसट करने लगता है। कुछ देर बाद कनक की सांसें भारी होने लगती है। तो अद्विक ना चहाते हुए भी कनक के होंठों को आजाद करता है।

    कनक गहरी सांसें लेने लगती है। वह अद्विक को देखतीं हैं। जिस की नजर कहीं और ही थी। वह उस की नजर का पिछा करतीं हैं। तो अद्विक साहब तो कनक के उभारों को देख रहें थे। कनक का सुट उस के सिने से थोड़ा निचे हों गया था। सूट का गला डीप था। जिस वजह से वह थोड़ा थोड़ा दिख रहा था।

    कनक के गाल लाल हो जातें हैं। वह शरमाते हुए कहती हैं। पति बाबू कन्नू को निंद आ रही है। हमें जानें दिए अब।

    अद्विक कनक के बोलने से होश में आता है। वह कनक से कहता है। हां चलो सोते हैं। वो बिना कनक की सुनें उसे बेंड पर लेकर आ जाता है। कनक को लिटा कर खुद उस के उपर आ जाता है।

    कनक अद्विक को अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर के देखने लगतीं हैं। वह हैरानी से कहतीं हैं। पति बाबू आप हमें यहां पर क्यों लेकर आए हों। कन्नू को अपने कमरे में जाना है। हटो आप हमारे उपर से। हटो।

    कनक अद्विक के सिने पर हाथ रख कर उसे अपने उपर से हटाने की कोशिश करते हुए कहती हैं।

    अद्विक कहता है । हां तो महबूबा हमारा ही तो कमरा है। और किसा है । और सो जाओ फिर मत कहना कि पति बाबू आप ने कन्नू को सारी रात सोने नहीं दिया।

    अद्विक कनक की नकल उतारते हुए कहता है। कनक को अद्विक की बात तो समझ में नहीं आई थी। पर हैं इतना समझ आ गया था कि वह उस की एक्टिंग कर रहा है।

    कनक अद्विक के सिने पर मारते हुए कहती हैं। आप हमारी नक़ल कर रहे हैं पति बाबू। अब हम आप से बात नहीं करेंगे।

    अद्विक अपने होंठों पर मुस्कान लिए कनक को ही देख रहा था।


    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️ ✍️

  • 14. अद्विक कनक की पुरानी यादें। .❤️❤️ - Chapter 14

    Words: 1639

    Estimated Reading Time: 10 min

    पति बाबू कन्नू को निंद आ रही है। हमें जानें दिए अब।

    अद्विक कनक के बोलने से होश में आता है। वह कनक से कहता है। हां चलो सोते हैं। वो बिना कनक की सुनें उसे बेंड पर लेकर आ जाता है। कनक को लिटा कर खुद उस के उपर आ जाता है।

    कनक अद्विक को अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर के देखने लगतीं हैं। वह हैरानी से कहतीं हैं। पति बाबू आप हमें यहां पर क्यों लेकर आए हों। कन्नू को अपने कमरे में जाना है। हटो आप हमारे उपर से। हटो।

    कनक अद्विक के सिने पर हाथ रख कर उसे अपने उपर से हटाने की कोशिश करते हुए कहती हैं।

    अद्विक कहता है । हां तो महबूबा हमारा ही तो कमरा है। और किसा है । और सो जाओ फिर मत कहना कि पति बाबू आप ने कन्नू को सारी रात सोने नहीं दिया।

    अद्विक कनक की नकल उतारते हुए कहता है। कनक को अद्विक की बात तो समझ में नहीं आई थी। पर हैं इतना समझ आ गया था कि वह उस की एक्टिंग कर रहा है।

    कनक अद्विक के सिने पर मारते हुए कहती हैं। आप हमारी नक़ल कर रहे हैं पति बाबू। अब हम आप से बात नहीं करेंगे।

    अद्विक अपने होंठों पर मुस्कान लिए कनक को ही देख रहा था।


    अब आगे।....

    अद्विक सोती हुई कनक को देख रहा था। जो की सोते हुए बहुत ही मासुम और प्यारी लग रही। अद्विक कनक के माथे पर किस्स करते हुए। उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगता है।

    उस की आंखों में निंद नहीं थी। वह बस कनक को देखते हुए उस के बातो को याद कर रहा था। आप को किया याद नहीं पति बाबू आप ने कन्नू से कहा था की आप कभी भी उसे छोड़ कर नहीं जाओगे। आप कन्नू को छोड़ कर चलें गये। आप झूठें हों पति बाबू।

    कनक की बातो को सोचते हुए अद्विक की आंखों के सामने वो पल चलने लगा जब अद्विक कनक से अपने प्यार का इजहार करता है। और कनक को वादा किया था।


    फ्लैशबैक। .....

    सोनितपुर।


    कनक के चलें जाने के बाद अद्विक उस जगह को देखने लगता है। जहां अभी तक कनक झूला झूल रही थी। उस के होंठों पर एक प्यारी सी छोटी सी मुस्कान थी।

    तभी अद्विक के कंधे पर यश हाथ रखता है। वह कहता है। किया हुआ आदि तूं चल ना। क्यूं खड़ा है। तूं यहां अब तो वो लड़की भी चली गई।

    अद्विक यश की बात सुनकर होश में आता है।वह वहां से चला जाता है। पर सारी रात कनक की यादों में रहता है। वो रात भर सो नहीं पाया था।

    अद्विक बेसब्री से इंतजार कर रहा था सुबह होने का। की कब सुबह हो और वह कनक से मिलने के लिए जाएं।

    अगली सुबह।

    अद्विक उठा। और उठ कर अपनी वर्कआउट करने लगा। ब्रेकफास्ट कर अपने आफिस का कुछ वर्क करने लगा। पर वह बार बार घड़ी की तरफ देख रहा था। कब वक्त हो और वह कनक से मिलने के लिए जाएं।

    कुछ देर बाद अद्विक का वर्क हुआं। तो वह टाइम देखता है। की बस एक बजने में। 15 मिनट है। अद्विक जल्दी से उठ कर रूम से बाहर निकालता है। और यश के मामा के लड़के की बाइक लेकर निकल पड़ता है। अपनी महबूबा को देखने के लिए।

    अद्विक वह खेतों में पहोंच जाता है और उस जगह देखता है जहां पर पेड़ पर झूला डाल रखा था। पर वह अभी भी ख़ाली था। कनक अभी तक नहीं आई थी।

    अद्विक बहुत देर तक कनक का इंतजार करता है। किसी का इंतजार ना करने वाला अद्विक सिंघानिया एम्पायर का सीईओ आज अपनी महबूबा का इंतजार कर रहा था।

    करीब आधे घंटे बाद कनक की आवाज अद्विक के कानों में पड़ती है। अद्विक पिछे पलट कर देखता है। तो कनक अद्विक को ही देख रही थी । एक पल को तो दोनों की आंखें चार हों गई थी।
    कनक अद्विक को देख कर कहती हैं। साहब आप आप भी आगे। क्यों आए हो यहां पर। देखो ये कन्नू और कन्नू की सहेली की खोलने की जगह है। यहां पर और कोई नहीं आता हम दोनों के सिवा। आप जाओ यहां से सहाब। कन्नू को झूलना है।

    अद्विक का घ्यान कनक की बातों पर नहीं था। वह तो बस एक टक कन्नू को ही देख रहा था। कनक ने ऑरेंज क्लर का सिम्पल लहंगा चोली पहन रखा था। माथे पर बल्क कलर की छोटी सी बिंदी। और बालों की चोटी गूंथ रखीं थीं। जो उस की कमर से भी निचे तक आ रही थी।

    अद्विक कनक को ही देखें जा रहा था। कनक अद्विक को चुप देख कर मुंह बना लेती है और अद्विक के कन्धे पर हाथ रख उसे हिलाते हुए कहती हैं। ऐ साहब आप कन्नू की बातें सुन रहें हों ना या फिर आप सुन नहीं सकते बहरे हो क्या।

    अद्विक कनक की बात सुनकर होश में आता है। वह कहता है। क्या क्या कहा तूम ने।

    कनक मूंह बना कर कहती हैं। आप बहरे हो क्या।

    अद्विक ना समझीं में कनक को देखने लगता है। अद्विक को कुछ ना बोलते देख कर कनक कहती हैं। आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो। क्यों कन्नू को परेशान कर रहें हों। साहब जाओ ना यहा से कन्नू को खेलना है।

    अद्विक कहता है। पर बेबी डॉल तुम ने ही तो मुझे से कहा था।‌की में कल आऊं तूम तब मुझे से बात करोगी। और अब तुम खुद ही मुझे जाने के लिए बोल रही हों।

    अद्विक की बात सुनकर कनक अपने होंठों का पाउट बना कर मासुमियत से उसे देखने लगतीं हैं। कनक कहती हैं। अच्छा तो कन्नू ने तुम्हें या बुलाया है।

    कनक अद्विक से बात करते करते वह आ जाती है जहां पर उस ने झूला डाल रखा था। वह देखतीं हैं की झूलें की एक रस्सी टुटी हुईं हैं। तो कनक उदास हो जाती है। उसे याद आ जाता है कि कल वह झूलें पर झूलते हुए गिर गई थी क्योंकि रस्सी टुटी गई थी और उसे कमर पर चोट भी आई थी।

    कनक नम आंखों से रस्सी को देखने लगतीं हैं। और फिर जहा छोड़ कर जाने को हुईं की तभी एक की आवाज आई।

    अद्विक जो की बहुत देर से कनक को ही देख रहा था। वह कनक के उदास चहरे और नम आंखों को देख कर बैचेन हो उठा था। अद्विक कनक के पास आते हुए कहता है। बच्चा किया हुआ तुम जा क्यों रही हो। क्या बात है।

    कनक अद्विक को देखते हुए अपनी उदास भरी आवाज में कहतीं हैं। कन्नू घर जा रही है। आज कन्नू का झूला टुट गया। अब कन्नू कैसे झूलेंगी तो कन्नू घर जा रही है।
    अद्विक कनक की बात सुनकर उधर देखता है जहां झूला टुट हुआं पड़ा था। वह फिर कनक की तरह देखता है जिस का चहरा उदास था। और वह कैसे अपनी महबूबा को उदास देख सकता था। अद्विक पेड़ के पास जाता है। और झूलें की रस्सी को पकड़ कर उसे बांधने लगता है।

    कुछ देर बाद अद्विक मजबूती से झूलें की रस्सी को पेड़ की टहनी से बांध देता है। और कनक की तरह देख कर कहता है। बच्चा अब तो खुश हो ना कनक अद्विक की आवाज सुनकर सिर उठा कर उसे देखती है तो उस की आंखों में चमक आ जाती है। वह खुश से उछलने लगतीं हैं। बच्चों की तरह थाली बजाकर खुशी से झूम उठतीं है।

    अद्विक कनक को देख कर खुशी हो जाता है। उस के होंठों पर भी एक दिलकश मुस्कान था। अद्विक कनक को देखते हुए। अपने मन में ही कहता है

    हंसी तेरी सुनकर खुशी का जश्र्न मनाऊं ।
    दर्द की गहराईयों को भूल कर जी जाऊं।
    तेरी हंसी के बादल छाएंगे दिल पर ,
    और तेरी मुस्कान से जीवन को रंगीन बनाऊं। ❤️



    अद्विक कनक को देखते हुए कहता है। महबूबा अब ऐसे ही खुशी से उछलते रहोगी यहां फिर झूलोगी भी।

    कनक अद्विक की बात सुनकर भाग कर उस के पास आतीं हैं और झूलें पर बैठ जातीं हैं। अद्विक कनक को पिछे से झूलें पर हल्के हल्के हाथ से झूलाने लगता है।

    कनक खिल खिलाकर हंस रही थी। वह अपने पैरों को हिला हिला कर झूला झूल रही थी।
    अद्विक कनक को देख रहा था वह उस की मासुमियत पर फिदा हो गया था। अद्विक कनक से बात करने के हिसाब से पुछता है। बच्चा एक बात बताओ।

    कनक झूलते हुए कहती हैं। हां पुछो।

    अद्विक झूलें को झोटा देते हुए कहता है। आज तुम्हारी फ्रेंड नहीं आईं हैं।

    कनक कहती हैं। नहीं वो नहीं आई। क्योंकि उस की मां की तबीयत ठीक नहीं है तो वह कुछ दिन नहीं आएगी कन्नू के साथ।

    अद्विक कनक की बात सुनकर खुश हो जाता है। उसे तो मोका मिला गया था अपनी महबूबा के साथ अकेले वक्त बिताने का।

    अद्विक कनक से कहता है। तो तुम रोज आतीं हों यहां पर। झुलनें के लिए। कनक कहती हैं। हां कन्नू रोज आती है। पर जब कन्नू के ताऊजी काम पर चलें जाते हैं और ताईं जी बहार तब कन्नू ना छुप छुप कर आ जाती है। झूलाने के लिए।

    अद्विक कहता है। अच्छा तो तुम अपने ताऊजी और ताईं जी के साथ रहती हों।

    कनक कहती हैं। नहीं कन्नू तो अपनी मां के साथ और उन के पास रहती है। कन्नू और मां दोनों ताऊजी के घर में रहते हैं। पर आप को एक बात बताऊं।

    कनक झूले पर से उतर कर अद्विक की तरफ देख कर बहुत धिरे से कहतीं हैं। जिसे कहते वक्त वह बहुत क्यूट और मासूम लग रही थी। अद्विक भी कन्नू की तरह धिरे से बोलता है। बताओ।

    कनक अद्विक को देख कर फिर अपनी आंखों को यहां वहां मटका कर देखतीं हैं जैसे कि उसे देख तो नहीं रहा।

    फिर वह अद्विक को इशारों से अपने पास आने के लिए के कहतीं हैं । अद्विक को कनक की मासुमियत पर बहुत प्यार आ रहा था। वह अपना कान कनक के चहरे के पास करता है।


    ,tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 15. तुम्हें अपने प्यार के रंग में ऐसा रंगुगा । ❤️❤️ - Chapter 15

    Words: 1135

    Estimated Reading Time: 7 min

    इस चेप्टर को समझने से पहले ‌। इस से पहले चेप्टर को जरूर पढ़ें।




    कनक कहती हैं। नहीं कन्नू तो अपनी मां के साथ और उन के पास रहती है। कन्नू और मां दोनों ताऊजी के घर में रहते हैं। पर आप को एक बात बताऊं।

    कनक झूले पर से उतर कर अद्विक की तरफ देख कर बहुत धिरे से कहतीं हैं। जिसे कहते वक्त वह बहुत क्यूट और मासूम लग रही थी। अद्विक भी कन्नू की तरह धिरे से बोलता है। बताओ।

    कनक अद्विक को देख कर फिर अपनी आंखों को यहां वहां मटका कर देखतीं हैं जैसे कि उसे देख तो नहीं रहा।

    फिर वह अद्विक को इशारों से अपने पास आने के लिए के कहतीं हैं । अद्विक को कनक की मासुमियत पर बहुत प्यार आ रहा था। वह अपना कान कनक के चहरे के पास करता है।

    अब आगे।

    कनक अद्विक के चहरे के पास आ कर उस के कान के पास अपने होंठों को लेजाकर कहतीं हैं । आप ना किसी को मत बताना। ये बात। पता है ताऊजी और ताईं जी जहां रहते हैं ना वो घर कन्नू के पापा का है। पर पापा के जाने के बाद ताऊजी ने मां को पिट कर अपने नाम करा लिया।

    अद्विक कनक की बात सुनकर हैरान रहा जाता है। वह हैरानी से कनक को देखने लगता है। कनक अद्विक की आंखों में देखते हुए मासुमियत से कहतीं हैं। किसी को मत बताना ये बात। बरना ताऊजी को पता चल गया ना की कन्नू ने तुम्हें ये बात बताई है तो वो कन्नू को बहुत मारेंगे। ।

    अद्विक कनक को देख कर कहता है। नहीं मैं नहीं बताऊंगा किसी को भी तूम मुझे से बे झिझक कुछ भी बता सकती हों। मैं किसी से कुछ नहीं कहुंगा।

    कनक मुस्काते हुए कहती हैं। सच्ची। आप बहुत अच्छे हो सहाबा। कन्नू आप को अपनी सारी बात बताएंगी बस आप ना किसी से मत कहना बरना कन्नू कट्टी हो जाएगी आप से और कभी बात भी नहीं करेगी। हां नहीं तो।

    अद्विक कनक से कहता है। पक्का किसी को नहीं बताउंगा।

    कुछ और देर दोनों एक दूसरे से बात करते हैं। और फिर कनक चलीं जाती है अपने घर। और अद्विक वह खडा कनक को जाते देखता है। बाद में वह भी चला जाता है।

    एसे ही रोज अद्विक आता और कनक के साथ बातें करता कुछ अच्छे पल उस के साथ जिता। और कनक को झूला झूलाता जिसे कनक बहुत खुश होती। अब उसे भी अद्विक के साथ रहना पसंद आ रहा था। वह उस के साथ खुश थी।

    एसे ही एक दिन भी बात है। उस दिन कनक समय से पहले ही आ गयी थी। अद्विक नहीं आया था। वह अपनी किसी इम्पोर्टेंट मीटिंग में फस गया था। जो की उस के मना करने के बाद भी। उस वक्त पर ही रखी गई थी। जिस वक्त पर वह कनक से मिलने जाता था। मजबूरी थी। जिस वजह से जबरदस्ती ही सही पर उसे मीटिंग अटेंड करने पड़ी।

    अद्विक बार बार अपनी घड़ी में टाइम देख रहा था। वह अपने मन में कहता है। वो सिट यार आज तो बहुत वक्त हो गया। मेरी महबूबा बेट कर रही होगी मेरा। आज तो बहुत वक्त हो गया। अब तो शायद चली भी गई हों महबूबा ।

    अद्विक मीटिंग खत्म कर जल्दी से कनक से मिलने के लिए चला जाता है। तो वही कनक नम आंखों से अद्विक का इंतजार कर रही थी। वह कहतीं हैं। ये साहब आज क्यों नहीं आएं हैं। किया वो हम से बिना मिले ही अपने शहर तो नहीं चलें गये।

    कनक को यही सोच सोच कर रोना आ रहा था। अब उस का रोना बढ़ता और वह गला फाड फाड़ कर। रोने लगती उस से पहले ही अद्विक वह आ जाता है। वह कनक के कन्धे पर हाथ रखते हुए। कहता है। सोरी महबूबा लेट हो गया आज। जरूरी काम आ गया था। सोरी।

    अद्विक की आवाज सुनकर कनक उस की तरफ पलटती है। और एक दम से उस के गले लग जातीं हैं। जिसे अद्विक हैरान रहा जाता है। पर जब उसे अपनी टी-शर्ट पर गिले पन का एहसास होता है। वह अपने होश में आता है।

    अद्विक कनक के चहरे को अपने सीने से बहार निकालता है और देखता है की उस की महबूबा का पुरा चहरा लाल हुआ। पड़ा है। रोने की वज़ह से। जिस देख कर अद्विक के सिने में एक टिस सी उठती है। वह कनक के आंसूओं को साफ करते हुए । प्यार से कहता है।

    किया हुआ बच्चा क्यूं रो रहा है मेरा बच्चा। मैं लेट आया इस लिए। तो सोरी ना बच्चा। काम था। तो लेट हो गया।

    अद्विक की बात सुनकर कनक मासुमियत भरी नजरों से उसे देखते हुए। उस की शिकायत करते हुए कहती हैं। आप को पता है। आप नहीं आएं तो कन्नू कितनी डर गई थी। कही आप उसे छोड़ कर तो नहीं चलें गये हों यही सोच सोच कर कन्नू को डर भी लग रहा था और रोना भी आ रहा था। आप कन्नू को छोड़ कर मत जाना साहब। कन्नू नहीं रह पाएंगी आप के बिना।

    अद्विक कनक के माथे पर किस्स करते हुए कहता है। नहीं बच्चा में कभी भी नहीं जाऊंगा तुम्हें छोड़ कर। तूम मेरी जान हों में तूम से बहुत प्यार करता हूं अपनी जान से भी ज्यादा और हमेशा करूंगा। कभी भी अपनी महबूबा को दर्द या कोई और तकलीफ़ नही दुंगा। उसे अपने प्यार के रंग में ऐसा रंगुगा की कभी भी कोई मेरे प्यार के रंग को मिटा ना पिए।

    कनक के माथे पर किस्स करते हुए अद्विक कहता है। मैं सच्ची में तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। महबूबा। किया तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरी बनोगी। मुझे से शादी करोगी।

    कनक अद्विक की बात सुनकर हैरान से कहतीं हैं। शादी सहाब। शादी कन्नू केसे कर सकतीं हैं आप से। अभी तो कन्नू बच्ची है। 17 साल की।

    अद्विक कहता है। हां जान। पता है कि अभी शादी नहीं हो सकती हमारी।‌पर एक साल बाद तो हों सकतीं हैं ना में तुम्हारी मां से बात कर लूगा हमारी शादी के बारे में। फिर मैं बाद में जब तूं अट्ठारह साल की हों जाओगी तो हम शादी कर लेंगे।

    कनक अद्विक की बात सुनकर खुश हो जातीं हैं वह अद्विक के गले लग जातीं हैं।

    पर कोई और भी था जो उन दोनों को बहुत गुस्से और नफ़रत भरी नजरों से देख रहा था।

    Flashback end 🔚.

    अद्विक यही सब सोचते हुए सो गया था कन्नू को अपनी बाहों में भर कर।

    अगली सुबह।

    कनक किचन में सब के लिए खाना बनाना रही थी। अद्विक अभी तक सो रहा था अपने रूम में।

    कनक आसमानी रंग की साड़ी पहने किचन में खाना बना रही थी। वह बहुत खुश थी आज। और खुश भी होना बनता था यार उस का पति बाबू जो उसे मिल गया था। और उसे प्यार भी तो बहुत कर रहा था।



    Tu be continued 🙏 🙏

  • 16. मॉर्निंग किस्स दें दो महबूबा। ❤️❤️❤️ - Chapter 16

    Words: 1170

    Estimated Reading Time: 8 min

    अगली सुबह।

    कनक किचन में सब के लिए खाना बनाना रही थी। अद्विक अभी तक सो रहा था अपने रूम में।

    कनक आसमानी रंग की साड़ी पहने किचन में खाना बना रही थी। वह बहुत खुश थी आज। और खुश भी होना बनता था यार उस का पति बाबू जो उसे मिल गया था। और उसे प्यार भी तो बहुत कर रहा था।

    अब आगे। ...

    अद्विक के रूम में।

    अद्विक सुकुन की निंद सो रहा था। अचानक उस ने करवट बदली बैंड पर हाथ फेरा।‌ कन्नू उसे फील नही हुई। तो वह हल्के से अपनी आंखें खोल कर देखता है। कनक उसे बैंड पर नहीं दिखती है।

    अद्विक उठ कर बैठ जाता है। टाइम देखता है तो सुबह के साथ बजे रहें थे। वह हैरान रह जाता है। अद्विक हैरानी से कहता है। साथ बजे गये। मैं अभी तक सो रहा था। कितना लेट हों गया यार।

    अद्विक उठ कर बॉथरूम में जाता है। नहा कर बाहर आता है। जल्दी जल्दी तैयार होने लगता है। हालांकि उसे आफिस जाने की जल्दी नहीं थी।

    हमारे अद्विक बाबू को तो अपनी महबूबा से मिलने की जल्दी थी। इस लिए इतनी जल्दी जल्दी तैयार हो रहा था।

    अद्विक रेडी हो कर निचे चला जाता है। वह चारों तरफ अपनी निगाहों को घुमाता है। पर उसे अभी तक अपनी महबूबा का दीदार नहीं हुआ था।

    अद्विक सोफे पर जा कर बैठ जाता है। और बिजनेस न्यू पढ़ने लगता है। तभी अद्विक की मां देविका जी आतीं हैं। वह कहती हैं।

    आदि कल रात तूं लेट क्यों आया था। तूने बताया भी नहीं बेटा की तूं लेट आएगा। मै तेरा वेट कर रही थी। वो तो कनक ने बोला की वह रूक जाएगी। तो मैं चलीं गईं थीं। वैसे तुने रात में खाना तो खाया था ना।

    अद्विक न्यू पेपर में ही नजरें गड़ाए कहता है। हमम मां। खा लिया था। और मीटिंग में फस गया था मॉम तो लेट हो गया। और आप को मेरा इंतजार करने की जरूरत नहीं है मॉम में रात में लेट हो जाता हूं। आप कब तक मेरा वेट क्या करोगी। इस की कोई जरूरत नहीं है।

    अद्विक की बात सुनकर देविका जी ज़ायद कुछ नहीं कहती हैं। वो सुरज जी कि तरफ देख कर कहती हैं। ये बच्चे क्यों नहीं आएं हैं जी। कल पार्टी में भी नहीं तो। क्या करते रहते हैं ये चारों भाई बहन मिल कर।

    सुरज जी कहते हैं। देविका बच्चे अपने दोस्तों के साथ ट्रिप पर गये है। मेरी बात हुई थी। कल अचानक ही उन सब का प्लेन बन गया था। कल रात तक आ जायेगा। तुम चिंता मत करो।

    कोमल जी कहती हैं। हां दीदी आप को तो पता ही है आज कल के बच्चों का। कहा जातें हैं ये बता कर नही जाते हैं। जब पहोंच जातें हैं तब फोन कर के कहते हैं हम यहा आ गये है। छोड़ो बच्चों को आ जाएंगे।

    जहां सब बात करने में बिजी थे। तो वही अद्विक कनक को देखने के लिए बैचेन था। तभी अद्विक की नजर किचन की तरफ पड़ी। जहां से उस की महबूबा अपनी कमर से साड़ी के पल्लू को निकालते हुए आ रही थी।

    उस के बालों का जुड़ा बना हुआ था। अंधे बाल आगे चहरे पर आ रहें थे। जिन्हें वो बार बार अपने कान के पिछे कर रही थी। माथे पर पसीने की बुंद के साथ साथ अद्विक के नाम का सिंदुर भी बहुत चमक रहा था उस की मांग में।

    आंखों में काजल। माथे पर बिंदी। हाथों में भर भर कर चुड़ी ‌ । और गले में अद्विक लटक रहा था। ओं सोरी अद्विक नही 😂😂मंगलसूत्र पहन रखा था। और मेरी कनक क्यूट पांडा आसमानी रंग की साड़ी में बहुत अच्छी लग रही थी।

    कनक को देख कर अद्विक का मुंह खुला का खुला रह गया था। उस के हाथ से न्यू पेपर छूटते छूटते बचा था। अद्विक कनक की खुबसूरती में इतना खो गया था कि उसे और किसी का होश ही नहीं था।

    कनक अद्विक को देख कर शरमा जाती है। वो अपनी नजरें निची कर के धिरे कदमों से चल कर सब के पास आती है। और वो देविका जी की तरफ देख कर कहती हैं। बड़ी मालकिन नाशता तैयार हो ।

    कुछ देर बाद सब डाइनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहे थे। अद्विक की नजरें बार बार कनक पर जा रही थी। वो तिरछी नजरों से कनक को देख रहा था। जो की डाइनिंग टेबल पर सब को ब्रेकफास्ट सर्फ कर रही थी।

    अद्विक के मन में कुछ आता है। वो जल्दी से अपना नाश्ता कर के खड़ा हो जाता है। और देविका जी की तरफ देखते हुए कहता है। मॉम में अपने रूम में हु । अभी की एक इंपोर्ट मीटिंग है। जो की मुझे अभी लेनी है। मैं रूम में जा रहा हुं। एक कप कॉफी रूम में किसी के हाथ भिजवा दो।

    अद्विक कनक की तरफ देख आंखों से कुछ इशारा कर के चला जाता है।
    देविका जी कनक की तरफ देखते हुए कहती हैं। कनक तुम आदि के लिए बल्क कॉफी लेकर चली जाओ उस के रूम में । मै चली जाती पर मुझे काम है कुछ ।

    कनक हां मैं सिर हिला कर किचन में चली जाती है। वहीं अद्विक अपने रूम में आ कर सोफे पर बैठा लेपटॉप हाथों में लिए बार बार बहार की तरफ देख रहा था।

    अद्विक बाहर देखते हुए कहता है। ये महबूबा कहा रह गई। इतना टाइम लगता है किया एक कॉफी लाने में। तभी रूम का डोर नॉक होता है। अद्विक जल्दी से सिधा होकर बैठ जाता है। और कड़क आवाज में कहता है। आ जाओ।

    कनक कॉफी लेकर आती है। और अद्विक को देखतीं हैं जो की लेपटॉप पर काम कर रहा था। (हां बस ऐसा दिखाने के लिए। ) कनक टेबल पर कॉफी रख कर जाने लगती है। तभी अद्विक उस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बैठा लेता है।

    कनक अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर उसे देखने लगतीं हैं। अद्विक कनक की नाक पर किस्स करते हुए कहता है। ये तो ग़लत बात है ना महबूबा तुम सुबह अपने पति को बिना मॉर्निंग किस्स कर ही चली गई। किया तुम चहाती हो की तुम्हारे पति बाबू का सारा दिन खराब जाएं। हमम

    कनक अद्विक की बात सुनकर अपनी आंखों को और बड़ा कर लेती हैं। और कहतीं हैं। नहीं पति बाबू आप केसी बात कर रहे हैं। कन्नू भला ऐसा क्यों चाहेंगी कि आप का दिन भुला जाएं।

    अद्विक कनक के गाल पर किस कर के कहता है। मैं कैसे मान लूं ये बात महबूबा कि तूंम नही चहाती ऐसा।

    कनक मासुम चहरा बनाते हुए कहती हैं। कन्नू किया करें। जिसे आप को यकीन हो जाएं।

    अद्विक कनक के बालों की खुशबू लेते हुए कहता है। ठीक है तो तुम मुझे मॉर्निंग किस्स दो में मान जाऊंगा।

    अद्विक की बात सुनकर कनक मासुमियत भरी नजरों से उसे देखने लगतीं हैं।

    Tu be continued ✍️ ✍️

    ,😂😂😂😂🤭🤭🤭🤭🤭 यार फ्रेंड्स कल के चेप्टर को सोच सोच कर ही मुझे बहुत हंसी आ रही है। 🤭🤭😂😂 कल अद्विक बाबू का किया हाल होगा। अरी मोरी मय्या। 🤭🤭 । कल तो मजा आयेगा। चेप्टर में।

  • 17. अद्विक Vs मूली का अचार 😂😂❤️❤️ - Chapter 17

    Words: 1237

    Estimated Reading Time: 8 min

    कनक अद्विक की बात सुनकर अपनी आंखों को और बड़ा कर लेती हैं। और कहतीं हैं। नहीं पति बाबू आप केसी बात कर रहे हैं। कन्नू भला ऐसा क्यों चाहेंगी कि आप का दिन भुला जाएं।

    अद्विक कनक के गाल पर किस कर के कहता है। मैं कैसे मान लूं ये बात महबूबा कि तूंम नही चहाती ऐसा।

    कनक मासुम चहरा बनाते हुए कहती हैं। कन्नू किया करें। जिसे आप को यकीन हो जाएं।

    अद्विक कनक के बालों की खुशबू लेते हुए कहता है। ठीक है तो तुम मुझे मॉर्निंग किस्स दो में मान जाऊंगा।

    अद्विक की बात सुनकर कनक मासुमियत भरी नजरों से उसे देखने लगतीं हैं।

    अब आगे।....

    अद्विक कनक की गर्दन पर अपने होंठ चलने लगता है। कनक अपनी आंखें बंद कर लेती है। और गहरी सांसें लेने लगती है। अद्विक कनक की गर्दन पर होंठ चलाते हुए उस के कान के पास आ जाता है और बेहद मदहोश भरी आवाज में कहता है। बोलो जान। मॉर्निंग किस्स दोगी या नहीं।

    अद्विक की मदहोश भरी आवाज सुन कर कनक का रोम रोम सहिर उठता है। वह अद्विक के हाथ पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है।

    अद्विक कनक के चहरे को पकड़ कर अपनी तरफ करता है। और निचे झुक कर उस के होंठों की तरफ बढ़ने लगता है। कनक भी अद्विक को अपने होंठों की तरफ बढ़ता देख अपनी आंखें बंद कर लेती है।

    अद्विक जैसे ही उस के होंठों पर अपने होंठ रखता। कनक एक दम अपनी आंखें खोलतीं है। और अद्विक को धक्का दे उस की गोद से उठ जातीं हैं। और कहतीं हैं। मूली।

    अद्विक जो कनक को किस्स करने के लिए इतना बेसब्र था। वह बस अपनी महबूबा के होंठों को अपने होंठों पर महसूस करने ही वाला था। कनक के छक्का देने से हैरान हो जाता है। वह कनक को देखने लगता है। पर जब कनक के मुंह से मूली सुनता है। तो वह और भी ज्यादा हैरान रहा जाता है।

    अद्विक कहता है। मूली। किया यार महबूबा तुम्हें भी अभी मूली खाने का मन करना था किया। फिर अद्विक गन्दा सा मुंह बनाते हुए कहता है। देखो तुम मूली मुझे किस्स करने के बाद खा लेना।

    अद्विक इतना कहकर कनक के पास आने लगता है। वह उस की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने पास करता है। उस के होंठों पर झुकने लगता है।

    कनक अद्विक के होंठों पर हाथ रख देती है। और मासुम सा चहरा बना कर कहती हैं। सुनो तो पति बाबू आप भी ना बोलने देते नहीं। कन्नू के होंठों पर टूट पड़ते हैं।

    अद्विक कनक के हाथ को अपने होंठों पर से हटाता है। और उस के होंठों के देखते हुए कहता है ‌ । मैं ही क्या करूं मेरी महबूबा जब तुम्हारे होंठ ही इतने टेस्टी है कि बिना चखें दिन ही नहीं बनता मेरा।

    कनक अद्विक के हाथों को अपनी कमर पर से हटाते हुए। कहती हैं। पति बाबू हटो कन्नू को जानें दो। मूली ख़राब हो जाएगी। फिर कन्नू अचार केसे डालेंगी।

    मूली का नाम सुनते ही अद्विक का बना बनाया मुंड फिर स खराब हो गया । अद्विक चिड़ते हुए कहता है। अरे भाड़ में जाए मूली और अचार। चलों ना बेबी रोमांस करते हैं। मेरे बहुत मन कर रहा है। इस वक्त वो करने का। चलों ना बेंड पर। पुरा ना सही आधा ही सही रोमांस चलों ना महबूबा।

    अद्विक फिर से कनक के होंठों पर झुकने लगता है। कनक पिछे हों कर कहती हैं। पति बाबू मूली ख़राब हो जाएगी। फिर अचार नहीं गिरेगा। और बड़ी मालकिन ने हां ही अचार डालें के लिए बोला है। जाने दो ना पति बाबू।

    अद्विक कनक की बात सुनकर पुरी तरह से चिड़ चुका था। उस का बचा खुचा जो मुड़ था प्यारा करने का उस का तो हमारी मासुम सी कन्नू ने मुली का अचार डाल दिया था। 😜😂

    अद्विक फ्रस्ट्रेशन में आ कर कनक के सिर का पकड़ता है। और उस हिलाते हुए अपने दांत पिसते हुए कहता है। मूली ‌। मूली के अचार की पड़ी है। मैडम को पर अपने पति की नही। ये नहीं है कि कुछ देर अपने पति के साथ रोमांस कर लु। प्यार भरी बातें कर लूं। पर नहीं मैडम को तो मूली का अचार डालना है। उन बदबु दार मूली के खराब होने की तो फिक्र है। पर अपने पति का ये जो अच्छा खासा रोमांटिक मूड खराब कर है उस की फ़िक्र नहीं है। मूली की इतनी ही फिर है तो उस मूली और मूली के अचार से ही शादी कर ली मैरी जिंदगी क्यों बर्बाद की।।।।

    लास्ट वाली लाइन बोलते हुए अद्विक कनक के सिर को बहुत जोर से हिल देता है। जिसे कनक अद्विक के हाथों को पकड़ कर कहती हैं। पति बाबू। पति बाबू कन्नू का सिर छोड़ो। कन्नू को चकर आ रहें हैं। छोड़ो सिर।

    अद्विक कनक के सिर को छोड़ देता है। कनक अद्विक को देखते हुए। सोरी घुरते हुए कहती हैं। इतनी देर से ना जाने किया किया बोलें जा रहें हों। कन्नू को कुछ भी समझ में नहीं आया। आसाम से भी तो बता सकते हो पति बाबू जो कन्नू को समझ आए।

    फिर कनक अद्विक को देख कर टेबल पर से एक ग्लास पानी अद्विक को देते हुए मासुमियत भरी नजरों से कहतीं हैं। पानी पियो पति बाबू फिर जल्दी कन्नू को बताओं की आप किया बोल रहे थे। मुझे छत पर भी जाना है।

    अद्विक ना समझीं में कनक को देखने लगता है। वह पुछता है। छत पर क्यों जाओगी तुम।

    कनक कहती हैं। हों हों पति बाबू आप फिर बुल जाये। अभी तो कन्नू ने बोला था कि मूली का अचार डालना है। तो मूली उपर छत पर ही तो रखीं हैं। उन्हें उतारने तो कन्नू छत पर ही जाएंगी।

    फिर से मूली। अद्विक को अपने जीवन में मूली से इतनी नफ़रत कभी नहीं हुई जितनी आज उसे हों रहीं थीं। बिचारे अद्विक के रोमांस की दुश्मन बनीं बैठीं थीं मूली। 😂😂😂

    अद्विक कनक को देख कर गहरी सांस लेता है एक सांस में ही पानी पी जाता है। वह ग्लास रख कर फिर से कनक के पास आता है। और बहुत प्यार से कहता है। कन्नू। बच्चा दोखो तुम्हें जाना है ना। तों चलीं जाना। ठीक है मैं नहीं रोकूंगा बस मुझे थोड़ी देर प्यार करने दो । देखो तुमने खुद कहा था। महबूबा की तुम वही करोगी जो में करने के लिए कहुंगा। तों फिर मुझे करने दो ना थोड़ा सा प्यार। प्लीज कन्नू बेबी।

    कनक अद्विक की आंखों में देखतीं हैं। जो की उसे बहुत प्यार भरी नजरों से देख रहा था। कनक अद्विक की आंखों में देखते हुए ही कहतीं हैं। पर पति बाबू। मूली ना कल दोपहर की रखी हुई थी। छत पर तो अब तक तो वो खराब हो गई होगी ना। कन्नू अचार केसे डालेंगी अब।

    लो भाई कन्नू बेबी ने फिर से मूली का अचार बिच में कर दिया। 😜😜अब अद्विक बाबू का चहरा बिल्कुल देखने लायक हो रहा था। 😂😂

    अद्विक कनक को देखते हुए अपने मन में कहता है। पता नहीं क्यूं पर मेरा मन कर रहा है की में अपना सिर दीवार में दें मारूं। क्या करूं इसका तो नहीं मार सकता ना। जान जो है ये मेरी। अपना ही मार लेता हूं।

    इतना कहकर अद्विक सच्ची मे दीवार के पास जाता है। और दिवार पर हाथ रख उस पर सिर मारने लगता है। 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂

    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️ ✍️ ✍️ ✍️।

    बाकी का अद्विक का अचार हम कर डालेंगे। सोरी सोरी यार मुली का अचार हम कल डालेंगे 🤭🤭😜। अद्विक का नहीं। सोरी अद्विक 🤭🤭😜😜

  • 18. Heartless devil's king ❤️❤️ - Chapter 18

    Words: 1167

    Estimated Reading Time: 8 min

    कनक अद्विक की आंखों में देखतीं हैं। जो की उसे बहुत प्यार भरी नजरों से देख रहा था। कनक अद्विक की आंखों में देखते हुए ही कहतीं हैं। पर पति बाबू। मूली ना कल दोपहर की रखी हुई थी। छत पर तो अब तक तो वो खराब हो गई होगी ना। कन्नू अचार केसे डालेंगी अब।

    लो भाई कन्नू बेबी ने फिर से मूली का अचार बिच में कर दिया। 😜😜अब अद्विक बाबू का चहरा बिल्कुल देखने लायक हो रहा था। 😂😂

    अद्विक कनक को देखते हुए अपने मन में कहता है। पता नहीं क्यूं पर मेरा मन कर रहा है की में अपना सिर दीवार में दें मारूं। क्या करूं इसका तो नहीं मार सकता ना। जान जो है ये मेरी। अपना ही मार लेता हूं।

    इतना कहकर अद्विक सच्ची मे दीवार के पास जाता है। और दिवार पर हाथ रख उस पर सिर मारने लगता है। 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂


    अब आगे। ....


    अद्विक दीवार में सिर मार रहा था। जिसे देख कर कनक जल्दी से अद्विक के पास आतीं हैं और उस के कंधे पर हाथ रख कर परेशान भरी आवाज में कहतीं हैं।

    अरे अरे पति बाबू किया हुआ। आप कियो मार रहें हों दिवार के चोट लग जाएगी।

    कनक की बात सुनकर अद्विक हैरानी से उस की तरफ देखता है। और कहता है। दीवार को चोट लग जाएगी। मत हद है यार। मेरी बीबी को अब भी दीवार की पड़ी है। मेरी नही।

    कनक मासुमियत भरी आवाज में कहतीं हैं। हां आप तो इतने हटें कटें है। आप को कैसे लग सकती है। कन्नू ने ना फिल्मों में देखा था। वो हिरो भी ना बिल्कुल आप की तरह था ओं उस की आप की तरह डोले सोले से। उस ने भी ऐसे ही दीवार में अपना घुसा मारा था। तो विचारीं दीवार ही टूट गई थी। अब किया आप भी दीवार तोड़ोगे। कनक बहुत मासूमियत से कह रही थी। वो बोलते हुए बहुत क्यूट भी लग रही थी।

    अद्विक को कनक पर प्यार भी आ रहा था। उस की बातें सुन कर वह यह भी सोच रहा था कि वह अपनी भोली मासुम सी बीवी की बातें सुन कर हंसे यहां फिर रोए।

    अद्विक कनक को देख कर कहता है । नहीं नहीं इस में तुम्हारी कोई ग़लती नही है महबूबा। गलती मेरी भी नहीं है। गलती तो सारी की सारी हमारी कहानी के राइटर की है। उस ने ही मेरी महबूबा को इतना मासुम बनाया है। और अगर तुम इसी तरह हमारे रोमांस के बिच मूली का अचार लातीं रही तो। बस हो लिया हमारा रोमांस। और बन लिया मैं बाप। फिर अद्विक कुछ सोचते हुए कहता है। किया मेरा रोमांस कभी नहीं होंगा। एक किस्स के लिए तो यह मुझे इतने पापड़ बेलने पड़े रहे हैं। पता नहीं आगे जब बढूंगा तब क्या होगा।

    अद्विक अपने सोच में इतना गुम था की उसे ख़बर ही नहीं थी। की कन्नू वह है ही नहीं। उसने तो जा देखी अपनी मूली 😂🤭

    अद्विक अपने खिलाओ से बाहर आया। उस ने देखा की कनक कमरे में नहीं है। तो उस का मुंह बन गया। वह कहता है। नहीं नहीं कन्नू डार्लिंग आज तो मैं रोमांस कर के ही रहूंगा। चाहें इस बार हमारे बिच मूली आयें या मूला। 😜 इतना कहकर अद्विक भी जल्दी से कनक को ढुंढ ने के लिए चला गया।

    कोई कह देगा भला अद्विक को देख कर की ये वही डेविल किंग है जो की अपने दूश्मनो को बहुत बेरहमी से मारता है। वो डेविल किंग ही है अपनी महबूबा के पिछे पिछे दीवानों की तरह डोल रहा है।

    अद्विक सिधा छत पर चला जाता है। उसे पता था जरूर उस की बीवी ने मूली ही आ पकड़ी होगी। इस लिए वह भी कनक के पास छत पर ही आ जाता है। अद्विक छत पर आ कर देखता है।

    तो उस कनक वह खड़ी दिखी। वह सिधे जा कर उस की कमर को पकड़ता है। और उस दीवार से लगा देता है।
    कनक अद्विक के अचानक पकड़ते ने डर जातीं हैं। उस की चिक निकल जाती है। वह डर कर अद्विक की पकड से छूटने की कोशिश करती है की तभी अद्विक की आवाज उस के कानों में पड़ती है।

    शशशशश में हुं। महबूबा । कनक अपनी गर्दन उठा कर अद्विक को देखतीं हैं। तो अद्विक उस की देख रहा था।

    कनक अद्विक की आंखों में देखने लगतीं हैं। अद्विक कनक को देखते हुए ही उस के होंठों की तरफ बढ़ने लगता है। वह इस बार बिना देरी किए कनक के होंठों पर अपने होंठ रख देता है।

    कनक भी अद्विक के कंधे पर हाथ रख देती है। और अपनी आंखें बंद कर लेती है। वही अद्विक कनक के होंठों पर अपने होंठ चलाने लगता है। उसे हल्के हल्के किस्स करने लगता है।

    अद्विक कनक के होंठों पर अपने होंठ से दबाव बनाने लगता है। वह कनक के निचे होंठ के सक करने लगता है। उसे काफी पैशनेट होकर किस्स करने लगता है। अभी अद्विक कनक को किस्स कर ही रहा था कि तभी उस देविका दी की आवाज आई।

    देविका जी कनक को आवाज लगाते हुएं। उसे चारों तरफ देखने लगतीं हैं। वहीं कनक जब देविका जी की आवाज सुनतीं है। तो वह अद्विक को धक्का देती है। और जल्दी से अपना हुलिया ठीक कर उन के पास जातीं हैं।

    वहीं अद्विक अब बहुत बुरी तरह से चिड़ गया था। वह खुन्नस में कहता है। किया यार। आज तो लगता है। सब मेरीे किस्स के दुश्मन बने बैठे हैं। पहले तो मूली का अचार मेरे रोमेंस के बिच आ गया और अब जब मेने किस्स किया और मुझे फीलिंग आई तभी मेरी मम्मी आ गयी। हु... चल बेटा अद्विक लगता है आज बिना किस्स के ही आफिस जाना पड़ेगा।

    अद्विक बिचारा सा मूंह लेकर चला गया। वह कनक छत की दुसरी तरफ आई जहां पर देविका जी थी। और कनक को ही ढुंढ रहीं थीं।

    कनक देविका जी के पास आ कर कहती हैं ‌ । जी बड़ी मालकिन आप बुला रही थी।

    देविका जी कनक को देखतीं हैं। तो उन्हें थोड़ा अजीब लगता है। क्योंकि कनक के होंठों हल्के सूज रहें थे। और उस की लिपस्टिक भी अद्विक खा गया था।😜

    पर वह ज़ायद ध्यान ना देते हुए। कनक से कहतीं हैं। कनक में तुम्हें कितनी देर से बुला रही हुं। और तुम कहां थी। जो इतनी देर लगा दी तुम ने।

    कनक कहती हैं। वो वो बड़ी मालकिन हम तो यहां पर मूली देख ने आए थे। आप बताइए ना किया कुछ काम था।

    देविका जी कहती हैं। हां वो तूम निचे चलों शाम की तैयारी करों क्योंकि शाम को कुछ गेस्ट आ रहें हैं। जो बहुत खास है। तो खानें का तूम बहुत अच्छे से इंतजाम करना। कोई कमी नहीं होनी चाहिए।

    कनक हां मैं सिर हिला कर देविका जी के साथ चलीं जाती है। एक बार पिछे पलट कर देखतीं हैं। जहा पर अभी कुछ देर पहले अद्विक खड़ा था। पर वहां कोई नहीं था। अब कनक को बैचेनी होने लगी थी। उसे अंदर से ही फील हो रहा था की उस के पति बाबू उस से नाराज़ हो गये है।


    Tu be continued ✍️ ✍️ ✍️

  • 19. आदि की शादी की बात । और कनक का डर .❤️❤️ - Chapter 19

    Words: 1557

    Estimated Reading Time: 10 min

    सिंघानिया एम्पायर।........

    अद्विक कनक से मिलने के बाद सिधा आफिस आ गया था। अब वह जैसे कनक के सामने था। इस वक्त वह बिल्कुल अलग था। चहरे पर कोई भाव नहीं थे। हर किसी से गुस्से से बात कर रहा था ।

    अद्विक अपने केविन में बैठ कर लैपटॉप पर कुछ इम्पोर्टेंट इ-मेल देख रहा था। तभी उस के केविन का डोर नॉक हुआं। अद्विक अपनी सर्द आवाज में अंदर आने को कहता है।

    शेखर अंदर आता है। और अद्विक से कहता है। बॉस सब तैयार है। बस आप का वेट कर रहे हैं।

    अद्विक शेखर को देख कर हां मैं सिर हिलाता है और अपना लेपटॉप बंद कर मीटिंग रूम में चला जाता है। अद्विक के साथ साथ शेखर भी चला जाता है।

    वही अद्विक पुरे रॉव से चल कर मीटिंग रूम के अंदर आता है। उसे देख कर। रूम में मोजूद सब लोग खड़े हो जाते हैं। सब अद्विक को देख कर विश करते हैं ।

    अद्विक अपने एरोगेंट अंदाज में जा कर अपनी चेयर पर बैठ जाता है। और मीटिंग सुरू करने के लिए बोलता है। वह एक लड़की जब से अद्विक मीटिंग रूम में आया था तब से उसे ही देख रही थी। वह बार-बार अपने टॉप को निचे कर रही थी। ताकि अद्विक की नजर उस पर पड़े और वह उसे सेड्यूज कर सकते।


    पर अद्विक ने उस पर तो किया किसी पर भी नजर नहीं डाली। तभी मिस्टर मेहता जो की अद्विक के साथ डील करने आए थे। वह कहते हैं। मिस्टर सिंघानिया तो किया आप तैयार हैं हमारे साथ ये प्रोजेक्ट करने के लिए।

    अद्विक मिस्टर मेहता की बात सुनकर उस की तरफ देखता है। डेविड इस्माइल के साथ कहता है। मिस्टर मेहता शाय़द आप भुल रहे हैं। ये प्रोजेक्ट में तुम्हारे साथ नहीं करना चाहता बल्कि तुम चहाते हों मेंरे साथ ये प्रोजेक्ट करने के लिए। और यहां डील के लिए भी तुम ही आए हों।

    अद्विक की बात सुनकर मिस्टर मेहता को insulting फील होती है। वह अद्विक को देखने लगते हैं। और फिर वह मौजूद वाकी लोग पर नजर घुमाते हैं। तो सब अपने मुंह पर हाथ रख कर हंस रहें थे।

    मिस्टर मेहता बेइज्जती का घुट पी कर रह जातें हैं। वह कुछ नहीं करते। और सिर निचे कर के बैठ जाते हैं।

    कुछ देर बाद अद्विक मीटिंग रूम से निकल कर चला जाता है। वह अपने केविन में आता है। तभी उस का फोन रिंग करने लगता है। अद्विक फोन देखता है। तो उस की मां का फोन था।

    अद्विक फोन उठाता है। सामने से उस की मां देविका जी कहती हैं। आदि बेटा तु कब तक घर आ जाएगा।

    अद्विक कहता है। क्यों मॉम। कोई बात है किया।

    देविका जी...... । नहीं आदि आज तु घर जल्दी आ जाना। कुछ गेस्ट आएंगे रात के डिनर पर। तो मैं चहाती हुं की तु उस वक्त हम सब के साथ हो।

    अद्विक अपने मां की बात सुनकर कुछ कहता उस से पहले ही देविका जी कहती हैं। मैं कुछ नहीं सुना चहाती हुं। तु आएगा जल्दी बस आएगा। इतना कहकर वह फोन काट देती है।

    अद्विक फोन को घुर कर देखने लगता है। जैसे वह अभी फोन को ही अपने घुरने है भस्म कर देगा।

    अद्विक गहरी सांस लेकर फिर से अपना काम करने लगता है। उस की और भी कुछ इम्पोर्टेंट मीटिंग थी। वह उन्हें अटेंड करने लगा। वह अपने काम में इतना व्यस्त हो गया था कि वह कनक के बारे में सब भुल ही गया था।

    शाम का वक्त। .........

    सिंघानिया पेरिस।....

    कोमल जी आज कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी। वह सब काम को अपने सामने करवा रही थी। देविका जी वह सोफे पर बैठ कर कोमल जी को ही देख रही थी।

    वह अपने मन में कहतीं हैं। पता नहीं कोमल को किया हो गया है जो अचानक इस के मन में ये बात आई। मैं मना भी नहीं कर सकतीं हुं। और अगर मना किया तो इस के मन में फिर से वो बात आ जाएगी। जो इस ने कल रात कही थी। मैं नहीं चहाती की कोमल के मन में दोबारा ये बात आए। वैसे भी एक तरफ देखा जाए तो कोमल भी ठीक ही है। खैर अब सब कुछ आदि के उपर है उस का किया फैसला होगा।

    देविका जी अपनी सोच में थी की तभी उन्हें कोमल जी की आवाज आई। जो की उन से बोल रही थी। दीदी मैं बोल रही थी। की हम ना आज ही आदि से इस बारे में बात करेंगे। बस एक बार दोनों एक दूसरे से मिल लें । और वैसे भी मेरी ईशानी इतनी सुन्दर है कि उसे देख कर आदि मना ही नहीं कर सकता आप देखना दीदी वह जरूर है करेगा और फिर तो आप देखना हम चट मंगनी पट ब्याह कर लेंगे दोनों का।

    देविका जी बस कोमल जी की बात सुनकर हल्के से मुस्कुराता जाती है। उन के चहरे से ही पता चल रहा था कि वह खुश नहीं हैं बस खुश होने का दिखावा कर रही है। देविका जी की नजर बार बार कनक पर जा रही थी जो कि वह डाइनिंग टेबल पर पिलेट लगा रहीं थीं।

    वह कनक डाइनिंग टेबल पर काम कर रही थी। वह गर्दन झुका कर सब कुछ कर रही थी। उस की आंखें नम थी। जिसे साफ पता चल रहा था कि उस ने कोमल जी की बात सुन ली है। कनक को बहुत तकलीफ़ हो रही थी कोमल जी के मुंह से अद्विक की शादी की बात सुनकर। हालांकि उसे अपने पति बाबू पर विश्वाश भी था। की वह उसे धोखा नहीं देगा। पर फिर भी दिल के एक कोने में डर भी था। की कही अद्विक पहले की तरफ फिर से उसे छोड़ ना दें।

    कनक अपनी आंखें साफ कर किचन में चली जाती है। और वह जाकर रोने लगती है। तभी कोई पिछे से आ कर उसे गले से लगा लेता है ‌ । जिसे कनक डर जातीं हैं। वह हड़बड़ा कर अपने आंसु साफ करती है और पिछे मुडकर देखती है। तो प्रिया ( अद्विक की बहन) थी। जो की अभी अभी अपनी ट्रिप पर से आई थी। वह कनक की आंखें देख कर कहती हैं। स्वीटहार्ट किया हुआ तुम रो रही थी। ये तुम्हारी आंखें इतनी लाल क्यों है।

    कनक प्रिया की बात को सुनकर भी अनसुना कर देती है। और अपनी बात रखते हुए कहतीं हैं। अरे प्रिया तुम कब आईं। तुम्हें पता है। हम ने तुम्हें बहुत याद किया।

    प्रिया कनक की बात सुनकर पुरी किचन में नजर घुमाते हुए कहती हैं। हम ने। पर स्वीटहार्ट यहा तो बस तुम ही दिख रही हों मुझे। और तो कोई नहीं है।

    कनक प्रिया की बात सुनकर अपना मुंह फुला लेती है। वह कहतीं हैं। तुम कन्नू का मज़ाक़ उड़ा रही हों। कन्नू बात नही करेंगी अब।

    प्रिया कनक के फुले हुए गालों को चिखते हुए कहती हैं। ओके तो मैं बात कर लुंगी। अपनी स्वीटहार्ट से।

    तभी वह तिनों लड़के समर , विराट , राज, भी आ जाते है । समर कनक को साइड हग करते हुए कहता है। स्वीटहार्ट मेने तुम्हारे खानें को बहुत मिस किया। कनक समर की तरफ देख कर मुंह बना लेती है। और कहतीं हैं। ये तो ग़लत बात है ना। समर भाई आप ने कन्नू के खानें को मिस किया कन्नू को नहीं।

    समर कहता है। हां ये तो हैं। पर मैं ही क्या करू स्वीटहार्ट। जब जब मैं विदेश खाना खाता मुझे तुम्हारे हाथ का देशी खाना याद आ जाता। तो बस खाना ही याद किया।

    कनक समर की तरफ से मुंह फुला लेती है। समर हंसते हुए कहता है। हां पर थोड़ा सा अपनी स्वीटहार्ट को भी याद किया।

    कन्नू हंस देती है। राज कहता है। हां कन्नू हमें सच्ची मे तुम्हारी बहुत याद आईं अगली बार से हम तुम्हें भी अपने साथ लेकर चलेंगे ट्रीप पर। साथ ही सब मस्ती करेंगे। ठीक है।

    कनक राज को देख कर मुस्कुरा कर हां मैं सिर हिला देती है। वही विराट तो बस कनक को ही देखें जा रहा था। उस के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। वह कनक की क्यूट हरकतों को देख रहा था। उस की आंखों में कनक के लिए बहुत कुछ था। पर जो भी था। वह किसी ग़लत इंटेंशन से नहीं था।

    जब राज विराट को कनक में खोया हुआ देखता है। तो वह प्रिया और समर की तरफ इशारा करता है। दोनों विराट को देख कर हंस देते है। वह उसे छेड़ने के अंदाज में कहते हैं। नजर लगाने का इरादा है किया। माना की बहुत दिनों बाद देख रहे हो पर नजर लग जाएगी। विराट भाई।

    विराट उन सब की बातें सुन कर होश में आता है। और वह हड़बड़ा कर यहा वहां देखने लगता है। विराट की इस हरकत पर सब हंस पड़ते हैं। तों वह कनक कन्फ्यूज़ भरी नजरों से सब को देखने लगतीं हैं।

    कुछ देर बाद।.....

    होल में। अद्विक के मॉम डैड और चाचा चाची बैठें थे। वह सब गेस्ट के आने का वेट कर रहे थे । तभी बहार दो कार आ कर रूकी। और उन में से एक 40,45 साल की लेडी और उन के साथ उन के हसबैंड आते हैं। दुसरी कार में से एक लड़की और लड़का दोनों निकलते हैं। वह चारों अंदर आंतें है।

    उन्हें देख कर। कोई और खुश हो या ना हो। पर कोमल जी खुश से फुली नहीं समा रही थी। वह उस लेडी के गले लग जातीं हैं।

    Tu be continued 🙏 🙏


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  • 20. इशानी ने मारा कनक को थप्पड़। ...😱😱 - Chapter 20

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ देर बाद।.....

    होल में। अद्विक के मॉम डैड और चाचा चाची बैठें थे। वह सब गेस्ट के आने का वेट कर रहे थे । तभी बहार दो कार आ कर रूकी। और उन में से एक 40,45 साल की लेडी और उन के साथ उन के हसबैंड आते हैं। दुसरी कार में से एक लड़की और लड़का दोनों निकलते हैं। वह चारों अंदर आंतें है।

    उन्हें देख कर। कोई और खुश हो या ना हो। पर कोमल जी खुश से फुली नहीं समा रही थी। वह उस लेडी के गले लग जातीं हैं।


    अब आगे। .....


    कोमल जी आगे बढ़कर उस लेडी के गले लगतीं हैं। और वह खुश होते हुए कहती हैं। कविता दीदी बड़ी देर लगा दी आने में। में बहुत देर से इंतजार कर रही थी आप का।

    कविता कहती हैं। अरे कोमल ये तेरे जीजा जी को आफिस से आने में थोडा लेट हों गया। आज इन की इम्पोर्टेंट मीटिंग थी बस उसी चक्कर में लेट हो गये।

    कोमल जी कहती हैं। चलो कोई नहीं आप आएगी वहीं बहुत है। कोमल अपनी बहन कविता को देविका जी और सुरज जी से मिलवाती है।

    कविता के पति मोहन रावत। भी बस से मिलते हैं। और वही सोफे पर बैठ कर सब से बात करने लगते हैं। कोमल बाहर गेट की तरफ देखते हुए कहती हैं। दीदी ईशान और इशानी नही आए किया आप के साथ।

    कविता जी कहती हैं। अरे आए हैं ना शाय़द बाहर होंगे। आए तो साथ में ही थे। कविता जी बहार की तरफ देखते हुए कहती हैं।

    तभी उन्हें बाहर से ईशान और इशानी आते हुए दिखते हैं। तो वह कहतीं हैं। लें आ गये। ईशान इशु कहा रहे गये थे। कोमल कब से तुम्हें बुझ रही थी।

    ईशान और इशानी दोनों कोमल जी से मिलते हैं। तभी इशानी अपनी मां की तरफ देखतीं हैं। तो वह उसे सब के पैर छुने का इशारा करतीं हैं। इशानी जल्दी से सब के पैर छुने लगती है।

    कोमल जी खुश हो रही थी। तो वही कोमल जी के पति सुबोध जी और सुरज जी का मुंह बना हुआ था। सब को देख कर पर फिर भी सब जबरदस्त का मुस्कुरा कर बात कर रहे थे। देविका जी तो बस बहुत गोर से इशानी को देख रही थी।

    जिसे इस वक्त नीले रंग का अनारकली सूट पहन रखा था। हालांकि इशानी भी दिखने में बहुत सुन्दर लग रही थी। पर फिर भी कनक की बात अलग थी यार वह मेरी कहानी की हिरोइन है। उस की टकर कोई नहीं ले सकता।

    देविका जी इशानी को देखते हुए। अपने मन में कहतीं हैं। दिखने में तों सुंदर है। लग भी सुंदर और सुसील रही है। पर किया अद्विक इशानी को पसंद करेगा।

    कुछ देर और बात करते हैं। की डिनर का वक्त हो जाती है और सब सब डाइनिंग टेबल पर जा कर बैठ जाते हैं। मोहन जी सुरज जी की तरफ देख कर कहती हैं। मिस्टर सिंघानिया अद्विक नही आया अभी तक उस से भी मिल लेते तो अच्छा होता।

    सुरज जी मोहन जी की बात सुनकर अपने मन में कहते हैं। ना आएं तो ही अच्छा है। मैं तो चाहता ही नहीं की वो यहां आएं। अरे मुझे नहीं करानी अपने बेटे की शादी इस इशु पिशु से। सुरज जी मन में ही ये सब कहते हुए मुंह बना लेते हैं।

    जिसे मोहन जी दोबारा कहते हैं। मिस्टर सिंघानिया आप सुन रहे हैं ना में किया कह रहा हूं। सुरज जी अपने होश में आते हुए। कहते हैं। हां हां। मिस्टर रावत बस आदि आता ही होगा। वो उस की मीटिंग थी आज शाम की तों लेट आएगा।

    कोमल जी कहती हैं। पर भाई साहब। दीदी तो बोल रही थी की उन्होंने आदि को जल्दी आने के लिए बोल दिया है।

    कोमल जी की बात पुरी होते ही बाहर तीन से चार कार आ कर रूकती है। जिन में से बीच बाली कार में से अद्विक बाहर आता है। और अपने पुरे टशन में चलते हुए घर के अंदर जाता है।


    अद्विक अंदर जा कर देखता है की डाइनिंग टेबल पर उस के फेमिली मेंबर बैठे हुए वह। तो वह सब की तरफ देख फिर इग्नोर मार उपर आपने रूम में जाने लगता है। की तभी देविका जी उसे बुलाते हुए कहती हैं। आदि यहां आओ कहा जा रहें हों। चलो हाथ मुंह धोकर साफ कर आ जाओ फिर डिनर कर ने के बाद चलें जाना रूम में ‌ ।

    अद्विक अपनी मां को देखता है फिर गहरी सांस लेकर निचे बने हुए गेस्ट रूम में चला जाता है और हाथ मुंह धोकर आ जाता है।

    अद्विक एक नजर मोहन रावत पर और उस की फेमिली पर डालता है और फिर चुप चाप अपनी चेयर पर बैठ कर अपनी तिरछी नजरों से किचिन की तरफ देखने लगता है।

    वहीं जब से अद्विक आया था। इशानी तो उसे ही देख रही थी। अपनी आंखों को फोड़े। वह अपने मन में कहतीं हैं। किया बंधा है यार एक दम जहर। बस जल्दी से शादी के लिए मान जाएं। फिर तो इस हैंडसम मुंडे की बीवी बन जाउंगी मै । और इस की बॉडी को। ... हो हो इशु इसे देख कर तेरे मन में कितने गन्दे गन्दे वाइल्ड थॉट्स आ रहें हैं।

    अभी बहुत पर कनक खानें की ट्रे लेकर आतीं हैं। और अपनी गर्दन निची कर सब के लिए खाना सर्व करने लगतीं हैं। अद्विक कनक को बेहद मोहब्बत भरी नजरों से देखने लगता है। वह कनक के चहरे को देखने की कोशिश करता है पर कनक ने गर्दन नीचे कर रखी थी जिस वजह से उस का चहरा अद्विक को दिख नही रहा था।

    तभी अचानक आदि की आंखें गुस्से से लाल हो जाती है और वह अपनी जलती हुई नज़रो से इशान की तरफ देखने लगता है। जो की कनक को ही देख रहा था उस की आंखों में कनक के लिए हवस दिख रही थी। जो की अद्विक से बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वह अपने हाथों की मुठ्ठी को कस कर बंद कर लेता है। और अपने गुस्से को काबू में करने की कोशिश करने लगता है।

    तभी कनक के हाथ से गलती से इशानी के हाथ पर गर्म सब्जी गिर जाती है। जिसे इशानी दर्द से चीख पड़ती है। और वह उठ कर बिना सोचे समझे सिधा कनक के गाल पर थप्पड़ मार देती है। और गुस्से से उसे देखने लगतीं हैं ।

    बस हैरानी से देखने लगते हैं। तभी एक बार फिर से उस सन्नाटे में थप्पड़ की गुंज उठ जातीं हैं।

    और इस बार कोमल जी गुस्से से गर्म हो जाती है ‌ । और कनक के साथ खड़े शख्स को देखने लगती है।




    Tu be continued 🙏 🙏 🙏