दिल्ली की सर्द सुबहों में, जब सड़कों पर हड़कंप मचने से पहले शहर में हल्की सी शांति पसरी होती है, अवीरा सहगल की मुस्कान उसके चेहरे पर बिखरी होती थी। वह अपनी दुनिया में खुश थी, उसकी छोटी-सी दुनिया जिसमें कोई बंधन नहीं था। उसकी ज़िंदगी का हर पल, हर दिन, एक नई शुरुआत था। उसके दिल में कोई ग़म नहीं था, केवल हल्की सी उत्सुकता थी, जो उसे हर नए दिन से मिलती थी।
आज भी वह जैसे ही ‘ब्रीज़ ब्लूम’ कैफ़े पहुंची, उसे उसी पुराने काउंटर पर अपनी पसंदीदा कॉफ़ी के लिए खड़ा हुआ पाया। वह अक्सर इसी कैफ़े में आती थी, और यहां का माहौल, उसकी पसंदीदा हल्की सी म्यूजिक और चॉकलेटी खुशबू उसे हमेशा तरोताजा महसूस कराती थी।
लेकिन उस दिन कुछ अलग था। जैसे ही वह काउंटर की ओर बढ़ी, बैरिस्टा मुस्कराते हुए बोला, "आपका ऑर्डर पहले से तैयार है, मिस अवीरा।"
"क्या?" अवीरा ने चौंकते हुए पूछा। "मैंने तो ऑर्डर दिया ही नहीं था!"
बैरिस्टा हल्का हंसते हुए बोला, "किसी ने पहले से करवा दिया था — वही usual hazelnut latte, two sugar cubes, no cream।"
अवीरा कुछ पल के लिए चुप रही, फिर एक हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई। "Must be some secret admirer..." उसने मज़ाक में कहा, लेकिन उसका दिल कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था। उसे ये सब कुछ जरा भी अजीब सा लगने लगा था। वह आदत से बाहर सोचना चाहती थी, लेकिन फिर भी वह सोचने लगी कि ये सब क्यों हो रहा था। कोई तो है, जो उसे अच्छे से जानता है, बहुत अच्छे से।
अवीरा ने उस कॉफ़ी का प्याला लिया और एक ओर इशारा करते हुए बैठने के लिए अपनी सीट की ओर बढ़ी। तभी उसकी नज़र अचानक सड़क के उस पार खड़ी एक ब्लैक SUV पर पड़ी। कुछ पल के लिए उसका ध्यान वहीं टिक गया, लेकिन फिर उसने नजरें हटा लीं।
उस एसयूवी के अंदर बैठा आदमी कुछ ज्याादा ही ध्यान से उसे देख रहा था। काले चश्मे और सख्त लुक में वह शख्स किसी खतरनाक साजिश की तरह महसूस हो रहा था। उसकी आँखों में एक बेचैनी थी, जैसे वह किसी चीज़ का पीछा कर रहा हो।
सपनों जैसी कोई भावना दिल में उठने लगी। अवीरा ने फिर से अपनी कॉफ़ी पर ध्यान दिया और बैठने की कोशिश की, पर कुछ अजीब सा ख्याल उसे छूने लगा। यह कुछ था जो वह चाहकर भी नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती थी।
वहीं, एसयूवी के अंदर बैठा आदमी, अद्रकाश खुराना, उसकी हर हरकत को बड़े ध्यान से देख रहा था। उसकी आँखों में एक अजीब सी जलन और जुनून था। अवीरा की मुस्कान को वह महसूस कर रहा था, जैसे वह किसी ख़ास तरह की मासूमियत से भरी हुई हो, जो उसे अपनी ओर खींचती थी।
"हर सुबह की शुरुआत सिर्फ उसी के दीदार से होती है..." उसने धीमे से बुदबुदाया। उसकी आवाज़ में किसी गहरी तृप्ति की ध्वनि थी, जैसे वह किसी लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हो, किसी ख्वाब को पूरा करने के लिए।
अद्रकाश का हर कदम, हर विचार, सब कुछ एक उद्देश्य से जुड़ा हुआ था। अवीरा उसके मन में एक रहस्य बन गई थी, एक ऐसी पहेली, जिसे वह हल करने के लिए खुद को समर्पित कर चुका था। हर दिन, वह उसके नज़दीक जाने की योजना बनाता था, और इस दिन, उसने अपने आप को उसके और करीब पाया।
अवीरा का मन कहीं न कहीं उसकी आँखों में कुछ महसूस कर रहा था। कुछ ऐसा था जो वह न चाहकर भी महसूस कर रही थी। उसके अंदर एक तरह की बेचैनी उभर रही थी। फिर भी, उसने इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। उसने अपनी कॉफ़ी का प्याला उठाया और कैफ़े के बाहर चल दी।
वह सड़क के उस पार से निकलते हुए सोच रही थी कि वह आदमी — उस एसयूवी में बैठा शख्स — कौन था। उसकी आँखों में एक अजीब सी गहरी खामोशी और खतरनाक आकर्षण था।
अद्रकाश की दुनिया
अद्रकाश का नाम दिल्ली के अंडरवर्ल्ड और बिजनेस साम्राज्य में खौफ और सम्मान दोनों के साथ लिया जाता था। उसकी आँखों में उस ताकत का अक्स था, जो कभी किसी को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती थी। उसकी शख्सियत और स्वाभाव, दोनों ही उसे एक अजीब सी छवि देते थे — एक ऐसा आदमी, जो रहस्यों से घिरा हुआ था और जिसे सब जानते थे, लेकिन फिर भी कोई नहीं जानता था कि वह असल में है कौन।
उसकी ताकत का सबसे बड़ा कारण उसकी हिम्मत और उसका दृढ़ संकल्प था। जब उसने अवीरा को पहली बार देखा था, तो उसके दिल की धड़कन कुछ बढ़ गई थी। एक पल में ही उसे एहसास हुआ कि वह उस लड़की को चाहता है, लेकिन न सिर्फ किसी आम तरीके से, बल्कि एक जुनून के रूप में। वह उसका पीछा करना चाहता था, उसके साथ हर पल बिता कर उसे समझना चाहता था, और अंततः उसे अपनी दुनिया का हिस्सा बनाना चाहता था।
वह जानता था कि यह आसान नहीं होगा, क्योंकि अवीरा का व्यक्तित्व बहुत मजबूत था, लेकिन यह भी सच था कि वह कभी हार नहीं मानता था। उसके मन में यह विचार था कि वह किसी भी हद तक जा सकता है।
अद्रकाश ने अपनी कार के शीशे को थोड़ा नीचे किया और एक बार फिर से उस लड़की को देखा जो अब उसकी नजरों से ओझल हो चुकी थी। उसने धीरे से कहा, "तुम मुझे नहीं जानतीं, अवीरा। लेकिन मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ।"
उसने अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान लाते हुए कहा, "तुमसे मिलने का वक्त अब बहुत करीब है।"
उसी शाम, अवीरा अपने भाई करण सहगल के साथ उसके ऑफिस पहुँची।
अवीरा और करण का रिश्ता हमेशा से एक खास था। करण, जो एक बिजनेस टाइकून थे, हमेशा अपनी बहन को अपनी दुनिया से अवगत कराते रहते थे। अवीरा को भी यह पसंद था, क्योंकि वह हमेशा इस बिजनेस वर्ल्ड की सबसे ऊंची ऊँचाईयों को देखना चाहती थी। परंतु, इस दिन कुछ ऐसा था जो अवीरा को खींच रहा था। करण के ऑफिस का माहौल उसे सामान्य से कहीं ज्यादा रहस्यमयी लग रहा था। उसकी आँखों में चुपके से सवाल था और दिल में एक अनकहा डर।
"तू ज़रा स्मार्ट बन, वो मेरा पार्टनर है, कोई मामूली आदमी नहीं — Adrakash Khurana," करण ने कहा, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी, पर उसकी आवाज में एक गंभीरता थी। यह नाम ही था जो अवीरा को बेचैन कर देता था।
"Naam toh filmy villain jaisa hai," अवीरा ने हँसते हुए कहा, मगर उसकी हंसी में कोई खोखलापन था। वह जानती थी कि ये सब एक मजाक नहीं था।
जैसे ही वे ऑफिस की लिफ्ट में सवार हुए, अवीरा का दिल हल्का-सा धड़कने लगा। इस पल में कोई अजीब सी सनसनी उसके अंदर पैदा हो रही थी। जब लिफ्ट का दरवाज़ा खुला, अवीरा की आँखों के सामने वही शख्स खड़ा था, जिसकी वह पहले ही कई बार छाया में मौजूदगी महसूस कर चुकी थी। वही अजनबी, वही आंखें — जो जैसे सीधे उसकी आत्मा को चीर रही थीं।
अद्रकाश खुराना।
अवीरा के दिल में एक गहरी सिहरन दौड़ गई। उसका कद, उसका ड्रेसिंग सेंस, और उसकी आँखों में जो गहराई थी, वह उसे बहुत अजीब सा लग रहा था। वह उस कमरे में एक तरह का खौफ पैदा कर रहा था, जैसे वह सिर्फ एक आदमी न होकर, एक छाया हो। और वह छाया अवीरा की दुनिया में धीरे-धीरे घुसने के लिए तैयार थी।
"Hello, Mr. Khurana," करण ने आदत से हाथ बढ़ाया और एक सटीक बिजनेस मुस्कान के साथ कहा।
अवीरा को लगा कि उसके भाई की मुस्कान में भी एक अजीब सा डर था। वह अपने पार्टनर के सामने पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरा हुआ था, लेकिन उस आत्मविश्वास के पीछे एक रहस्यमय भय था। अवीरा ने खुद को शांत रखने की कोशिश की और उसे नजरअंदाज करने की सोची, लेकिन दिल के किसी कोने में वह इस आदमी से अनजान नहीं रह सकती थी।
"Nice to meet you, Miss Sehgal," अद्रकाश ने कहा, उसकी आवाज़ में एक ठंडापन था, जैसे वह हर शब्द को सावधानी से तोलकर बोल रहा हो। उसकी आँखों की चमक सीधे अवीरा की आँखों से टकराई और दोनों की नज़रें एक-दूसरे में खो गईं। अवीरा ने अपनी नजरें झुका लीं, लेकिन अद्रकाश की नज़रें उससे हटने का नाम नहीं ले रही थीं।
वह पल अद्रकाश के लिए किसी जादू से कम नहीं था। उसका दिल एक खौफनाक तरीके से धड़क रहा था। उसकी आँखें, जो अक्सर किसी की आँखों में किसी डर की तलाश करती थीं, अब अवीरा की आँखों में खुद को खो चुकी थीं। वह कुछ दिनों से उसे नज़रें चुराते हुए देखता था, लेकिन अब वह सामने खड़ी थी। और जब वह सामने खड़ी होती है, तो जैसे सब कुछ रुक जाता था। हवा थम जाती थी। वह केवल उसे देख सकता था, उसके भीतर का सब कुछ महसूस कर सकता था।
"Miss Sehgal, your brother speaks very highly of you," अद्रकाश ने धीरे से कहा, जैसे वह पूरी तरह से अवीरा को समझने की कोशिश कर रहा हो। उसके शब्दों में कुछ था, जो एक गहरे रहस्य को उजागर कर रहा था।
अवीरा का दिल और तेज़ी से धड़कने लगा। उसकी आवाज़ का गूढ़ अर्थ वह समझ नहीं पा रही थी, लेकिन उसने सोचा, "क्या यह आदमी कुछ छिपा रहा है? क्यों उसकी आँखों में ये अजीब सी चमक है?"
अवीरा ने हल्के से मुस्कुराने की कोशिश की, लेकिन उसकी मुस्कान में कोई ताजगी नहीं थी। उसका मन भटक रहा था, और जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुई, उसे यह महसूस हुआ कि अद्रकाश की नज़रे हमेशा उसके पीछे हैं, जैसे उसका पीछा कर रही हो। वह भाग नहीं सकती थी। वह नहीं चाहती थी कि यह डर उसके भीतर आए, फिर भी यह उसे अपने साथ खींचता जा रहा था।
अद्राक्ष ने अब पूरी तरह से अवीरा को अपने कब्जे में ले लिया था, और वह चाहता था कि वह पूरी तरह से उसे महसूस करे। उसकी नज़रें, उसकी मौजूदगी, सब कुछ अवीरा के मन में गहरे तौर पर घर कर चुका था।
"आप ठीक हैं?" अद्राक्ष ने धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में एक झूठी चिंता थी, जिसे अवीरा आसानी से पहचान सकती थी।
"हां," उसने झूठ बोला।
"क्या आप मुझे अपने बारे में कुछ और बता सकती हैं, Miss Sehgal?" अद्राक्ष ने एक कदम और बढ़ते हुए पूछा, उसकी आँखों में अब एक अदृश्य जुनून था।
अवीरा का मन हलका-सा उबला। यह आदमी क्या चाहता था? क्यों वह उसे इस तरह से देख रहा था? क्या वह उसके बारे में जानने का प्रयास कर रहा था या कुछ और?
"आपसे कुछ सवाल पूछे हैं," अद्राक्ष ने आगे कहा, "क्या आप कभी अपने आसपास के लोगों के बारे में सोचती हैं, या आप खुद को पूरी तरह से जाने बिना जीती हैं?"
उसका सवाल कुछ गहरा था, और अवीरा को लगा जैसे वह उसका पीछा कर रहा हो। उसकी आवाज़ में एक जादुई खिचाव था, जो उसे चुप करवा देता था। वह अब जानने लगा था कि अवीरा की आँखों में क्या था — एक असहाय सी बेबसी, जो अब धीरे-धीरे उसके मन को घेर रही थी।
अवीरा ने अपनी आँखें घुमाईं, और जैसे ही उसने पलटकर देखा, उसे फिर वही एहसास हुआ — अद्राक्ष उसके दिमाग में बस चुका था। उसकी आँखों में छुपा हुआ जुनून, एक गहरा अंधेरा, और एक अजीब सा आकर्षण था, जो उसे डुबो रहा था।