अभिराज को लिफाफा देकर नंदिता बड़ी उम्मीद के साथ अपनी आँखों में चमक लिए उसे देखने लगी।
अभिराज ने वो लिफाफा खोला तो देखा कि उसमें शिमला की 2 टिकटें थीं और एक फाइव स्टार होटल की बुकिंग भी! वो टिकट को देखते हुए अभिराज बिना किसी भाव के नंदिता से बोला, "ये तुम्हें किसने दिया?"
नंदिता थोड़ी शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करते हुए बोली, "ये पापा जी ने दिया है, और कहा है कि ये हम दोनों के लिए है!"
अभिराज वो टिकट को देखते हुए बोला, "कब दी?"
नंदिता बोली, "2 दिन पहले और घर में जो चल रहा था उसमें मैं ये भूल गई, लेकिन जब माँ जी ने कल फिर से पूछा तो मैंने देखा तो इसमें ये था," बोलकर वो चुप हो गई और अभिराज के बोलने का इंतजार करने लगी!
अभिराज सिड की तरफ देख कर बोला, "अगर हम घूमने जाएंगे तो सिड का क्या होगा?"
नंदिता जल्दी से बोली, "सिड तो हमारे साथ ही जाएगा, मैं उसे अकेला छोड़ के नहीं जाने वाली!"
नंदिता का जवाब सुनकर अभिराज को खुशी हुई लेकिन अपनी खुशी ना जताते हुए वो बोला, "लेकिन उसका टिकट तो नहीं है!"
नंदिता जल्दी से बोली, "तो आप करा देना और वैसे भी एक और टिकट तो मिल ही जाएगी, इसमें कौन सी बड़ी बात है," बोलकर वो सिड के पास जाने लगी!
नंदिता की एक्साइटमेंट देख कर अभिराज अपने मन में बोला, "माँ आपने ये हनीमून की टिकट क्यूँ दी!"
फिर अपनी गर्दन पर हाथ फेरते हुए ठंडी आवाज में बोला, "हम नहीं जा रहे हैं!"
जहां नंदिता अभिराज से नज़रें चुराते हुए खुश हो रही थी, अभिराज की बात सुन के उसकी खुशी धरी की धरी रह गई! वो अभिराज को देखते हुए उदास मन से बोली, "लेकिन क्यों नहीं जा सकते हम?"
अभिराज वो टिकट फिर से लिफ़ाफ़े के अंदर डालकर वहीं कॉफी टेबल पर रख दिया और अपना लैपटॉप बैग लेते हुए बोला, "क्योंकि मैं बहुत व्यस्त हूँ और कुछ दिनों तक व्यस्त रहने वाला हूँ," बोलकर वो नंदिता की बात सुने बिना ही चला गया! और नंदिता अपनी आँखों में आंसू लिए उसे जाते हुए देखती रह गई!
अभिराज ऑफिस के लिए निकल गया था! और नंदिता भी सिड को रेडी करके ले आई थी! सभी ब्रेकफास्ट कर रहे थे! और नंदिता सिड को ब्रेकफास्ट करवा रही थी! तभी वो अभिराज की कही बात को सोचते हुए नील से बोली, "नील भैया ऑफिस में कोई समस्या चल रही है क्या, सब ठीक है ना?"
अचानक नंदिता के सवाल करने से विहान उसे देखने लगा और नील थोड़ा हैरान होते हुए बोला, "हाँ भाभी थोड़ी समस्या तो है, लेकिन आप क्यों पूछ रही हैं, कोई बात है?"
नंदिता हल्की सी स्माइल करते हुए बोली, "नहीं नील भैया, कुछ नहीं, वो मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी, कोई बात नहीं है," बोलकर वो सिड को देखने लगी!
विहान समझ गया था कि कोई ना कोई बात जरूर है, और नंदिता की स्माइल के पीछे छुपी परेशानी को भी समझने की कोशिश कर रहा था!
थोड़ी देर में सब अपने-अपने काम पर निकल गए! आज नील और मोहिनी बच्चों को स्कूल छोड़ने गए थे, क्योंकि उनको स्कूल छोड़ने के बाद नील मोहिनी को डॉक्टर के पास ले जाने वाला था!
सब चले गए थे! और घर में सिर्फ नंदिता और अंजना जी ही थे! और वो दोनों लंच की तैयारी कर रहे थे, नंदिता खोई हुई सी सब्जी काट रही थी और अंजना जी उस से कुछ बोल रही थी! लेकिन नंदिता का ध्यान उनकी बातों पर था ही नहीं! और अंजना जी भी ये नोटिस कर रही थी!
नंदिता का मूड ठीक करने के लिए उन्होंने नंदिता का हाथ पकड़ लिया! जिससे नंदिता अपने सेंस में आई और उनको देखते हुए बोली, "जी माँ जी!"
अंजना जी मुस्कुराती हुई बोली, "नंदिता बेटा, तुमने लिफ़ाफ़ा देखा?" तो नंदिता ने हाँ में सर दिया!
अंजना जी खुशी से बोली, "तो बताओ, कब जा रही हो?"
नंदिता उदास होती हुई बोली, "नहीं माँ हम नहीं जा रहे हैं!"
नंदिता की बात पर उनको लगा के वो सिड की वजह से मना कर रही है, तो अंजना जी नंदिता को समझाती हुई बोली, "मुझे पता है, तुम सिड की वजह से मना कर रही हो ना, तो तुम उसकी चिंता मत करो, सिड अब हमारे पास रह लेता है, हम उसे संभाल लेंगे, तुम और अभी बेफिकर हो कर जाओ!"
अंजना जी बात सुनकर नंदिता को और बुरा लगा, क्योंकि वो खुद सिड के बिना नहीं रह सकती थी, लेकिन ना जाने का कारण भी किसी को नहीं बताना चाहती थी! ये उसके और अभिराज के बीच की बात थी!
इसलिए तो वो स्माइल करते हुए बोली, "नहीं मांजी ऐसी कोई बात नहीं है, और वैसे भी हम जहां भी जाएंगे सिड हमारे साथ ही जाएगा, आप परेशान मत होइए!"
अंजना अपनी आंखें छोटी करके परेशानी भरे लहज़े में बोली, "अगर ये बात नहीं है, तो बात क्या है, और तुम क्यों नहीं जाना चाहती, क्या तुम और अभिराज अपने रिश्ते की शुरुआत नहीं करना चाहते?"
नंदिता उनका हाथ पकड़ के उनको समझाते हुए बोली, "माँ जी रिश्ते की शुरुआत करने के लिए कहीं जाने की क्या जरूरत है, और वैसे भी अभी वो बहुत व्यस्त है, और मेरा भी मन नहीं है, तो हम कभी और चले जायेंगे!"
नंदिता की बात पर अंजना जी कुछ कहने ही जा रही थी कि एक सर्वेंट अपने हाथ में बड़ा सा कुछ लेकर आया! उसे देख कर नंदिता और अंजना जी दोनों हैरानी से एक साथ बोली, "ये क्या है, और किसने दिया?"
बोलकर दोनों एक दूसरे को देखने लगी! फिर अंजना जी बोली, "बोलो क्या है ये?"
वो सर्वेंट सर झुकाते हुए बोला, "मालकिन ये गार्ड ने दिया है, वो बोल रहे थे की ये सिड बाबा के लिए आया है, कोई कूरियर वाला देकर गया है," बोलकर वो अपना काम करने चला गया!
"और सिड के लिए आया है" ये सुनकर नंदिता सोच में पड़ गई! वो गिफ्ट लगभग 3 फ़ीट जितना बड़ा बॉक्स था! और बहुत अच्छे से रैप किया हुआ था! नंदिता वो गिफ्ट को उठा के टेबल पर रखी! बॉक्स को उठाकर रखने के बाद नंदिता कन्फ्यूज्ड होती हुई बोली, "ये इतना भारी क्यों है, क्या है इसमें?" और उसके चारो तरफ देखने लगी!
लेकिन उसे कुछ नहीं दिखा! फिर कुछ सोचते हुए वो अंजना जी बोली, "माँ जी लगता है, ये सिड के लिए उसके जन्मदिन के तौर पर आया है, जब सिड आएगा तो खोलेंगे!"
अंजना जी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था! इसलिए वो भी नंदिता की बातों से हामी भरते हुए बोली, "मुझे भी यहीं लगता है" और वो दोनों अपने काम पर लग गई!
वहीं ऑफिस में,
विहान अभी भी नंदिता के बारे में ही सोच रहा था! वो नंदिता के बारे में सोचते हुए खुद से बोला, "क्या मै जो सोच रहा हूं, वो सही है, तो मुझे इसके बारे में अभिराज से बात करनी होगी," बोलकर वो उठा और अपने केबिन से चला गया!
वहीं अभिराज अपने केबिन में लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था, तभी विहान उसके केबिन में आया और अभिराज के सामने खड़े होते हुए बोला, "अभी मुझे तुझसे कुछ बात करनी है!"
विहान के आने से भी अभिराज को कोई फ़र्क नहीं पड़ा! वो एक बार विहान को देख कर लैपटॉप पर नज़र गड़ाते हुए बस हम्म कर दिया! वहीं अभिराज के व्यवहार को देखते हुए विहान अपने सर पर हाथ रखा!
फिर अपने माथे को रगड़ते हुए बोला, "अभी मै, कुछ बोल रहा हूँ, मुझे तुझसे कुछ बात करनी है, तुझे सुनाई दे रहा है?"
अभिराज अपना काम करते हुए ठंडी आवाज में बोला, "बोलो मै सुन रहा हूँ!"
आख़िर सिड को गिफ्ट किसने भेजा........
और विहान क्या बात करना चाहता है अभिराज से.......