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तुम रोमांटिक नोवेल्स पढ़ती हो... लगता है तुम ख्वाबों में रहती हो...सुना है लोग तुम्हें पागल कहते हैं नोबेल को फुजूल ख्वानी कहते हैं...तुम एक काम क्यों नहीं करती लफ्जों की शतरंज क्यों नहीं खेलती...जबानों को राख क्यों नहीं कर देती...तुम नोबेल पढ़ती हो..अच्छा तो तुम शहजादी हो...तो तलवार निकल कर उन लोगों के गर्दन पे क्यों नहीं रखती...और कहती क्यों नहीं हो...एक दुनिया देखी है जो तुमने आंखों से...वह दुनिया पड़ी है मैंने इन नोबेल से....।💗✨💫