झरना और कियारा की दोस्ती, एक ऐसा अनोखा बंधन था, जिसमें कई राज़ छिपे थे। यह दोस्ती एक ऐसे मिशन के चलते और गहराई से जुड़ी हुई थी, जिसने उन्हें एक कॉलेज में एक साथ ला दिया था। यहाँ झरना को राज महेश्वरी से एक गहरा, अटूट प्यार हुआ। लेकिन क्या यह प्यार अ... झरना और कियारा की दोस्ती, एक ऐसा अनोखा बंधन था, जिसमें कई राज़ छिपे थे। यह दोस्ती एक ऐसे मिशन के चलते और गहराई से जुड़ी हुई थी, जिसने उन्हें एक कॉलेज में एक साथ ला दिया था। यहाँ झरना को राज महेश्वरी से एक गहरा, अटूट प्यार हुआ। लेकिन क्या यह प्यार अपनी मंज़िल तक पहुँचेगा? या प्यार की इस चाहत में, झरना अपनी दोस्ती और अपने प्यार दोनों को खो देगी? क्या मिशन की पेचीदगियाँ उनके रिश्तों को तबाह कर देंगी? क्या कियारा झरना की इस मुश्किल घड़ी में साथ दे पाएगी? क्या राज महेश्वरी का प्यार सच्चा है या सिर्फ़ एक भ्रम? इन सवालों के जवाब इस कहानी में छिपे हैं, जो रोमांच, रहस्य और भावनाओं से भरपूर है। झरना और कियारा के जीवन की कहानी एक रोमांचक सफ़र है, जो आपको अंत तक बांधे रखेगा। यह कहानी प्यार, दोस्ती और विश्वास के जटिल पहलुओं को उजागर करती है, जहाँ हर मोड़ पर चुनौतियाँ और संघर्ष हैं। क्या प्यार और दोस्ती दोनों को साथ लेकर चलना मुमकिन है? क्या झरना अपनी ज़िंदगी के इस मोड़ पर सही फैसला ले पाएगी? पढ़िए और जानिए झरना और कियारा के जीवन का रोमांचकारी सफ़र।
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राजकोट में, सुबह के दस बजे, रोम पैराडाइस कॉलेज की कैंटीन में एक मेज़ पर पाँच लोग बैठे थे; दो लड़कियाँ और तीन लड़के। एक लड़का खा रहा था, दूसरा मोबाइल पर व्यस्त था, और बाकी तीन आपस में बातें कर रहे थे।
तभी खा रहे लड़के ने कहा, "यार, तुम तो बोल रहे थे कि आज नए स्टूडेंट्स आने वाले थे। भाई, कहाँ हैं वो?"
एक लड़की ने जवाब दिया, "बिल्कुल सही कहा आपने कबीर, भाई देखिए ना, कब से इस वंश से यही पूछ रही हूँ मैं, बट ये है कि कुछ बोल ही नहीं रहा है।"
ये है आशु, सबसे छोटी, बस कुछ महीनों का ही अंतर है। इसकी एक ही कमज़ोरी है—खाना। अगर इसे खाना नहीं मिला, तो इससे आपको भगवान ही बचा सकता है। बाकी आपको आगे पता चल जाएगा।
कबीर ने अपना खाना ख़त्म करते हुए वंश की तरफ देखा और कहा, "क्यूँ भाई वंश, बेचारी आशु को क्यों तंग कर रहा है?"
ये है कबीर कपूर, एकदम कूल हीरो टाइप। आप इन्हें हमारी कहानी का दूसरा हीरो मान सकते हैं। बाकी का इनके बारे में आगे पता चल जाएगा।
इस पर वंश बोला, "कबीर, मुझे तो क्या, किसी को भी नहीं पता है कि आज कौन नए स्टूडेंट आने वाले हैं।"
ये है वंश रायज़ादा, बेचारा थोड़ा भोला है। इसे हर दूसरे दिन किसी भी लड़की से प्यार हो जाता है; वो भी सच्चा वाला।
वो अभी बोल ही रहा था कि पीछे से एक लड़के की आवाज़ आई, "क्या यहाँ रावण मर गया है, और तू बोल रहा है राम जी आए या नहीं।"
इतना बोलकर वो वंश के पास खाली कुर्सी पर बैठ गया।
उसके इतना बोलते ही वंश झुँझला गया। लेकिन इससे पहले कि वो कुछ बोलता, जो लड़की काफी देर से चुप थी, वो बोली, "What do you mean अभी? तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?"
ये है वर्तीका, वंश की जुड़वाँ बहन, ढाई मिनट छोटी।
इस पर अभी ने उस लड़की की तरफ देखकर कहा, "वो वर्तीका जी, हमारे कहने का ये मतलब है कि वो दोनों भोकाल—I mean new students—आ चुकी हैं।"
और ये है हमारे अभी खन्ना भैया, आशु के चाचा जी के बेटे, बनारस के वासी और गंगा मैया के पुजारी। बाकी का आगे पता चल जाएगा।
इस पर वंश बोला, "मतलब दोनों लड़कियाँ हैं?"
अभी: "अबे लड़कियाँ नहीं, बवाल बोल, बवाल!"
वो अभी ये बोल ही रहा था कि उसकी नज़र अपने सामने बैठी, उसे घूर रही वर्तीका पर गई।
तो वो अपनी बात संभालते हुए बोला, "हैवो… मेरा मतलब है कि वो दोनों ने तो कॉलेज के पहले ही दिन आते ही भोकाल मचा दिया। सुना है किसी की गाड़ी ठोक डाली है। बाकी गंगा घाट की कसम, गाड़ी का राम नाम सत्य कर दिया है।"
तभी जो लड़का इतनी देर से चुपचाप अपने मोबाइल पर कुछ कर रहा था, वो बोला, "लेट्स गो एंड वॉच। चलो चल कर देखते हैं।"
ये है राज महेश्वरी। इनका मानना है कि हंसने पर टैक्स लगता है, मतलब कभी-कभी ही हँसते हैं। राज और कबीर बचपन के दोस्त हैं। बाकी का आगे पता चल जाएगा। आप इसे हमारी कहानी का हीरो मान सकते हैं, आपकी मर्ज़ी।
राज इतना बोलकर उठा और चलने लगा। उसके पीछे-पीछे बाकी भी चलने लगे, लेकिन इस बात पर किसी का ध्यान नहीं गया कि दो लोग उनके पीछे नहीं आ रहे हैं।
वहीं, पार्किंग एरिया में…
दो लड़कियाँ अपनी जीप में बैठी थीं। एक लड़की पैसेंजर सीट पर शांति से अपनी किताब पढ़ रही थी, और दूसरी, जो ड्राइविंग सीट पर बैठी थी, कुछ बड़बड़ा रही थी।
ड्राइविंग सीट पर बैठी लड़की बोली, "हे भगवान, हम क्या करें? एक तो पहला दिन कॉलेज का, ऊपर से लेट, और यही बाकी रह गया था—गाड़ी ठोक डाली हमने! और दूसरा, ये हमारी ना-कार दोस्त कियारा, ये नहीं कि दोस्त मुसीबत में है तो उसकी मदद करे!"
फिर ऊपर देखते हुए, "हे मुरलीधर, अब आप ही का सहारा बचा है। अपनी इस तुच्छ भक्तों को बचा लो, बचा लो!"
इतना बोलकर रुहाना मुँह बना लेती है। ये है हमारी झरना, जब देखो तब कोई ना कोई कांड करती रहती है, और इस पर बचाती है उसकी दोस्त कियारा। आप इसे हमारी कहानी की मुख्य नायिका भी समझ सकते हैं। बाकी का इसके बारे में आगे तो हम जान ही लेंगे।
तभी वहाँ पहुँच जाते हैं राज और उसकी मंडली। राज पार्किंग का नज़ारा देखता है; फिर उसकी आँखें गुस्से से लाल हो जाती हैं। वो जल्दी से झरना की गाड़ी की तरफ़ जाता है, उसे खींचकर नीचे उतारता है, और जिस गाड़ी को झरना ने टक्कर मारी थी, उसके पास ले जाता है और बोलता है, "यू इडियट! ये क्या किया तुमने? पता भी है ये मेरी फ़ेवरेट कार थी, और इसकी क्या हालत बना दी तुमने? दिखता नहीं है क्या, खड़ी हुई गाड़ी को भी ठोक देती हो।"
राज बस गुस्से से बोले जा रहा था, और झरना उसे देख रही थी। अगर अभी राज की जगह कोई और होता, तो पता नहीं झरना क्या ही कर देती, लेकिन अभी तो उसके दिमाग में बस एक ही गाना चल रहा था— "पहली नज़र में ये क्या कर दिया, मुझसे मुझको जुदा कर दिया।"
बस वैसे ही देखे जा रही थी, और राज उसे सुनाए जा रहा था।
कियारा अपना सर उठाकर देखती है। वो हैरान थी कि "क्यों उसकी दोस्त अभी तक भड़की क्यों नहीं? वरना तो हमेशा गुस्सा तो उसके नाक पर रहता है।"
जैसे ही उसने सामने देखा, वो समझ गई—दोस्त गई काम से। वो फिर से अपनी किताब पर ध्यान देने लगी।
अभी राज झरना को बोल ही रहा था कि तभी वहाँ सोनिया आ जाती है और राज के हाथ से झरना के हाथ को छुड़ाते हुए खुद की तरफ़ खींच लेती है और बोलती है, "राज, तुम रहने दो। मैं इन जैसी लड़कियों को बहुत अच्छे से जानती हूँ। ये सिर्फ़ तुम्हारा अटेंशन पाने के लिए ये सब कर रही है। इससे तो मैं अभी सबक सिखाती हूँ।"
वो इतना बोलकर झरना की तरफ़ एक कदम बढ़ाती है। अब भाई, झरना तो अपने ही खयालों में गुम थी, तो उसने कुछ नहीं बोला। लेकिन तभी पीछे से आवाज़ आती है, "हिम्मत भी मत करना, दूर रहो झरना से।"
सभी उस आवाज़ की तरफ़ देखने लगते हैं।
किसकी आवाज़ थी ये?
कौन बचा रहा था झरना को?
आगे की कहानी अगले एपिसोड में। अगर पहला एपिसोड पसंद आया हो तो कमेंट ज़रूर करना।
सब उस आवाज़ की ओर देख रहे थे। वहाँ उन्हें एक लड़की दिखाई दी। वह कोई और नहीं, कियारा थी। वह धीरे-धीरे चलकर सोनिया के पास आई।
कियारा ने व्हाइट कलर का स्लीवलैस टी-शर्ट, प्लाज़ो पैंट और लॉन्ग कोट पहना हुआ था।
झरना ने भी ठीक वैसा ही कपड़े पहना हुआ था। दोनों एकदम मिलती-जुलती लग रही थीं। बस इतना फर्क था कि कियारा ने पोनीटेल बना रखा था और चश्मा लगाया हुआ था। उसमें वह बहुत प्यारी लग रही थी। झरना ने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे, और वह भी बहुत सुंदर लग रही थी।
कियारा ने एक झटके से सोनिया के हाथ पकड़कर उसे दूसरी ओर धक्का दिया। इससे सोनिया झरना से दूर हो गई। झरना अभी भी अपने खयालों में खोई हुई थी।
कियारा ने धीरे से झरना से कहा, "अब अपने खयालों की दुनिया से उठ भी जा, वरना तेरा जनाज़ा निकल जाएगा।"
झरना तुरंत अपने खयालों से बाहर आ गई और इधर-उधर देखने लगी।
फिर उसने कियारा का हाथ पकड़कर खुशी से कहा, "अरे यार, पता है? मुझे तुझसे पहली नज़र में प्यार हो गया। अब बता क्या करूँ मैं? अरे, तू क्या बताएगी? तुझे थोड़ी ना पता होता। काश, यार, कोई भाई होता तो मुझे सपोर्ट करता। पता नहीं मॉम-डैड मानेंगी भी या नहीं।"
फिर थोड़े कूल अंदाज़ में, "मान जाएँगी यार, बच्चे हो जाएँगे, शादी हो जाएगी तो।"
वह खुद ही बात बढ़ाती हुई राज की ओर देख रही थी। उसे यह तक पता नहीं था कि आस-पास के लोग उसकी बातें सुन रहे हैं।
खैर, फिर कियारा को ही बोलना पड़ा, "अरे-अरे, रुक जा! मेरी बुलेट ट्रेन से पहले जिससे शादी करनी है, उसका मामला भी तो सुलझा ले।"
इस पर झरना बोली, "अरे, उसमें क्या है? गाड़ी का खर्चा। अब उनकी गाड़ी, मेरी गाड़ी, मेरी गाड़ी, उनकी गाड़ी... सब सेम ही हुआ ना? फिर क्या टेंशन लेने का? अपुन का तो एक ही फंडा है, टेंशन लेने का नहीं, सिर्फ़ देने का।"
वहीं सोनिया गुस्से से कियारा की ओर बढ़ी, तभी झरना ने उसके दोनों हाथ पकड़कर उसे अपनी कमर से लगा लिया और बोली, "दूर रहो! बड़ों के बीच में नहीं बोलते, समझे?"
इतना बोलकर उसने सोनिया को धक्का दे दिया। सोनिया जमीन पर गिर गई।
वहीं कुछ लोग यह सब देखकर इसका वीडियो बना रहे थे। कई लोगों की सोनिया या उसकी मेकअप की दुकान से दुश्मनी थी।
वंश और आशु हैरानी से यह सब देख रहे थे। फिर वे दोनों एक-दूसरे की ओर देखने लगे, फिर कबीर की ओर, जो अपनी दुनिया में कहीं खोया हुआ था।
वंश बोला, "अरे कबीर भाई, कहाँ खो गए? अरे उठ जाओ! सुबह हो गई! अरे उठो! चाँद मामा चले गए, सूरज चाचा आ गए! अरे जल्दी उठो!"
वंश के इतना बोलने पर भी कबीर को कुछ फर्क नहीं पड़ा, लेकिन आशु की हँसी निकल गई। वह हँसते हुए बोली, "अरे वंश, यह क्या बोल रहे हो? सुबह तो कब की हो गई! अभी तो 11:00 बजने को हैं।"
वंश बोला, "और क्या करूँ? देखना, कबीर भाई खड़े-खड़े सो गए।"
आशु बोली, "मोटा किसको बोला? तू और कबीर भाई जो भी करें, तुझे उससे क्या?"
वे दोनों झगड़ ही रहे थे कि तभी कबीर अपने सपनों की दुनिया से वापस हकीकत में आया और उन दोनों की ओर देखते हुए बोला, "क्या कर रहे हो यार? यह मैं लव स्टोरी बनाने जा रहा था और तुमने वॉर स्टोरी शुरू कर दी?"
उसकी यह बात सुनकर वंश और आशु उसकी ओर देखकर एक साथ बोले, "लव स्टोरी? किसकी लव स्टोरी? कौन सी लव स्टोरी?"
कबीर कियारा की ओर देखकर बोला, "अरे यार, मेरी लव स्टोरी! पहली नज़र का पहला प्यार हो गया। तुम्हारे भाई को यार हो गया।"
कबीर फिर उन दोनों की ओर देखकर बोला, "अर्ज़ किया है..."
"गौर फरमाइएगा—"
इस पर वंश और आशु एक साथ बोले, "नहीं, बिल्कुल भी।" फिर एक-दूसरे को देखने लगे।
तभी कबीर बोला, "उन्हें देखा नहीं था उस नज़र से, लेकिन वह नज़र में आए और दिल के रास्ते दिल में बस गए।"
फिर खुद ही बोला, "वाह! वाह! वाह! वाह!"
आशु और वंश हैरानी से कबीर की ओर देख रहे थे। फिर वे दोनों भी धीरे-धीरे बोले, "वाह! वाह! वाह! कैसे हो ये?"
कबीर बोला, "क्यों? अच्छे थे ना? मेरी शायरी, बिल्कुल मेरी स्वीटहार्ट कियारा की तरह।"
वंश बोला, "हाँ यार, यह कैसे हो गया? आज पहली बार तूने कोई बेकार सा, घटिया सा, सड़ा हुआ डायलॉग नहीं मारा, बल्कि तूने अच्छी शायरी सुनाई है। वाकई काबिले-तारीफ़ है।"
इस पर कबीर बोला, "तू तारीफ़ कर रहा है या बेइज़्ज़ती? कुछ समझ नहीं आया।"
इस पर आशु हँसने लगी और वंश बोला, "वैसे सच कहूँ, समझ तो मुझे भी नहीं आया।"
इतना बोलकर वह भी हँसने लगा। कबीर का मुँह बन गया।
वहीं दूसरी ओर, सोनिया के पास उसकी दो चाटुकार टीना और मीना पहुँच चुकी थीं। दोनों कॉलेज में अपनी धाक जमाने के लिए सोनिया की चापलूसी करती रहती थीं।
राज शांति से सब देख रहा था। तभी टीना और मीना ने सोनिया को उठाया और झरना से कहने लगीं, "तुम्हें पता भी है तुमने किसको गिराया है? याद रखना, यह सोनिया है, इस कॉलेज के शेयरहोल्डर की बेटी! यह चाहे तो तुम्हें कॉलेज से भी निकलवा सकती है खड़े-खड़े! याद रखना!"
मीना भी बोली, "हाँ, याद रखना! सोनिया से पंगा महँगा पड़ेगा!"
सबको लगा कि अब झरना और कियारा डर जाएँगी और हार मान लेंगी। राज भी नहीं देखना चाहता था कि अब झरना और कियारा क्या करेंगी।
लेकिन झरना और कियारा का रिएक्शन बिलकुल सामान्य था। वे दोनों न तो टेंशन में लग रही थीं और न ही गुस्से में। झरना तो एकदम कूल मूड में थी, वह बस मुस्कुरा रही थी।
फिर वह आगे बढ़कर सोनिया के पास गई और बोली, "हेलो! तुमने क्या कहा था? तुम मेरे जैसे मिडिल क्लास लड़कियों को अच्छे से जानती हो, लेकिन सच कहूँ, मैं तो तुम जैसी मेकअप की दुकान को बिलकुल भी नहीं जानती, और जानना भी नहीं चाहती।"
सोनिया गुस्से में बोली, "मैं तुम्हें छोड़ूँगी नहीं! अभी के अभी तुम्हें कॉलेज से निकलवा दूँगी, समझे? अभी के अभी!"
झरना बोली, "अरे यार, तुम समझाती बहुत हो! मैं बहुत समझदार हूँ, मुझे समझाने की ज़रूरत नहीं है। और जो उखाड़ना है उखाड़ लो, क्योंकि मैं तो यहाँ से हिलने वाली नहीं हूँ। जाओगी तो तुम यार, वह भी उल्टे पाँव।"
फिर कियारा ने अपने सर को ना में हिलाते हुए मन में कहा, "यह लड़की भी ना! कभी नहीं सुधरेगी! कुछ भी कर डालती है, कुछ भी बोल डालती है, और फिर संभालना मुझे पड़ता है। चल बेटा कियारा, लग जा काम पर।"
इतना बोलकर उसने अपना फ़ोन निकाला और किनारे जाकर किसी से बात करने लगी। उसने ऑर्डर दिया और थोड़ी देर में झरना के पास आ गई।
झरना अपने पूरे अंदाज़ में बोली, "तो बेटा, क्या बोल रही थी तुम?"
फिर कियारा की ओर देखती है तो कियारा अपनी पलकें झपका देती है।
झरना अपना बोलना जारी रखती है, "हमें कॉलेज से निकलवाओगी बेटा, याद रखना! यह तुम्हारा आखिरी दिन है कॉलेज का! इसके बाद तुम्हें यह खुले मैदान देखने तक को नसीब नहीं होगा! आखिरी बार देख लो बेटा, इसे आखिरी बार!"
इतना बोलकर वह एक इमोशनल सीन की तरह ड्रामा करने लगी।
सब बहुत कन्फ़्यूज़ थे कि अब वह क्या कह रही है। तभी सोनिया के फ़ोन पर किसी का कॉल आया।
आखिर किसका कॉल आया होगा?
सोनिया और कियारा ने किसे फोन किया था?
और झरना और कियारा तो एक सामान्य परिवार से हैं, तो उनके पास इतना कनेक्शन तो नहीं हो सकता, है ना?
यह जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ हमारी कहानी में। अलविदा दोस्तों!
टीना ने कहा, "सोनिया, देख तेरे डैड का कॉल है। उठा जल्दी।"
सोनिया ने कॉल उठाया। वह कुछ बोलती इससे पहले ही, सामने से उसके डैड की आवाज़ आई, "जल्दी घर आओ।"
इतना कहकर उन्होंने कॉल काट दिया।
सोनिया कुछ समझ नहीं पाई। वह हड़बड़ाते हुए वहाँ से निकल गई।
इस पर झरना ने धीरे से कहा, "यार कियारा, तू इतनी जल्दी कैसे कर लेती है सब काम? मुझसे तो नहीं होता। चल, कोई ना, तूने संभाल ही लिया आखिरकार।"
कियारा ने गुस्से से उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "हाँ तो क्या करूँ? रायता तो तू फैलाती है, समेटना मुझे पड़ता है।"
इस पर झरना का मुँह बिगड़ गया। फिर उसने राज की तरफ़ देखकर कहा, "सॉरी, मैं आपकी गाड़ी को ठोकना नहीं चाहती थी... I mean, सॉरी, टक्कर मारना नहीं चाहती थी। माफ़ कर दीजिए, प्लीज़। छोटी सी बच्ची समझकर।"
इतना कहकर उसने क्यूट सा चेहरा बना लिया।
राज, जो कब से सब देख रहा था, एक इरिटेटिंग लुक दिया, लेकिन कुछ बोला नहीं।
तभी वहाँ कबीर, आशु, वंश आ गए। कबीर ने कहा, "क्या काम किया है तुम दोनों ने? बड़ा मज़ा आ गया सच में। वह मेकअप की दुकान तो मुझे भी पसंद नहीं थी। अच्छा किया तुम दोनों ने कि उसे भगा दिया, वरना मैं भी यही करने वाला था।"
आशु ने कहा, "रहने दो भाई, रहने दो। आप तो उससे कितना डरते थे ना, उतना तो चूहा भी बिल्ली से नहीं डरता।"
वंश ने हँसते हुए कहा, "यह बात तो तूने सही कही, मोटी।"
आशु ने कहा, "क्या बोला तूने?"
कबीर ने कहा, "अब छोड़ो तुम दोनों। इंट्रोडक्शन करते हैं।"
इतना कहकर वह कियारा और झरना की तरफ़ देखकर बोला, "Hi, I am Kabir Kapoor and nice to meet you."
वंश ने कहा, "Hello, myself Vansh Rayzada."
आशु ने कहा, "My name is Ashu, cute Ashu।" इतना कह आशु मुस्कुराने लगे।
झरना और कियारा ने भी मुस्कुराकर अपना परिचय दिया।
झरना ने कहा, "हेलो गाइस, आप सब तो मुझे जानते ही होंगे, मतलब नाम तो सुना ही होगा। और अगर नहीं भी सुना होगा तो सुन लेना। अब मेरा नाम है झरना मेहता। प्योर गुजराती, यहीं की रहने वाली। राजकोट मेरा घर और मैं राजकोट की राजकोट मेरा।"
इतना कहकर उसने अपने कूल अंदाज़ में अपने सनग्लासेज़ निकाल लिए।
कियारा ने कहा, "हेलो, मैं कियारा व्यास। गुजरात से हूँ, बट राजकोट से नहीं। आप सब से मिलकर अच्छा लगा।"
इतना कहकर वह थोड़ी सी मुस्कुरा दी।
वहीँ, राज ने अब तक कुछ नहीं बोला था। कबीर झरना की तरफ़ देखता है, जो राज की तरफ़ ही देख रही थी। वह धीरे से झरना के पास जाकर बोला, "राज है उसका नाम, राज महेश्वरी है।"
झरना पहले तो चौंक गई, फिर कबीर की तरफ़ देखकर थोड़ी मुस्कुराकर अपना सिर हाँ में हिला दिया। कबीर भी मुस्कुरा दिया।
झरना ने कहा, "तुम्हें कैसे पता चला कि मुझे मिस्टर गुस्सैल पहली नज़र का प्यार हो गया है? बताओ, बताओ, जल्दी बताओ।"
कबीर ने कहा, "अर्ज़ किया है, जरा गौर फरमाइएगा।"
झरना खुश होकर बोली, "तुम्हें शायरी आती है? चलो, कोई तो मिला मेरे जैसा। इरशाद, इरशाद।"
कबीर ने कहा, "मतलब तुम्हें भी शायरियाँ पसंद हैं? चलो, यह बढ़िया हुआ।"
फिर अपनी शायरी सुनाते हुए, उसने कहा, "तुम जिस कश्ती पर सवार हुए हो, उसी कश्ती पर हम भी अपनी प्यार की नाव चला रहे हैं। अब देखना यही है कि पहले अपनी मंज़िल तक पहुँचता कौन है।"
फिर खुद ही "वाह, वाह, वाह, वाह!" बोलने लगा। झरना ने भी उसकी तरफ़ देखकर एक बार "वाह!" कहा।
फिर वह बोली, "तो मतलब मेरी दोस्त कियारा..."
कबीर शर्माते हुए बोला, "हाँ, वही तुम्हारी दोस्त... बहन... तुम्हारी दोस्त।"
झरना ने कहा, "अरे भाई-बहन? कब से हुई? मुझे तो पता नहीं था। कुंभ के मेले में बिछड़ गए थे क्या?"
इतना कहकर उसने बुरा सा चेहरा बना लिया, जैसे उसे अपना नया-नवेला भाई पसंद ना आया हो।
कबीर ने कहा, "अरे, अभी बन गए यार, उसमें क्या है? अब सवार जब एक नाव पर होना है, तो फिर अलग-अलग रास्ते क्यों जाना? बहना, ओके?"
झरना ने कहा, "ठीक है, कोई ना। लेकिन हाँ, उसको मनाना इतना भी आसान नहीं होगा। तो All the best bro।"
कबीर ने कहा, "Same to same बहना। वहाँ भी तुम्हारी दाल इतनी आसानी से नहीं गलने वाली। तो मेरी तरफ़ से भी All the best sis।"
उन दोनों को इतनी देर से इतनी फ्रेंडली बात करते देख, अब राज बोला, "अब यही बात करना है या क्लास में भी चलना है? लेक्चर शुरू हो गया होगा।"
तभी आशु चिल्लाते हुए बोली, "रुको! वह दोनों तो अभी तक आए ही नहीं। पता नहीं कहाँ रह गए होंगे।"
झरना ने कहा, "कौन रह गया होगा और कौन अभी तक नहीं आया? क्या बोल रही हो तुम आशु?"
तभी वहाँ वर्तिका और अभी पहुँच गए। उन्हें देखकर आशु बोली, "झरना, इनकी बात कर रही थी मैं। मिलवाती हूँ इनसे।"
यह कहकर आशु अभी की तरफ़ देखकर बोली, "मेरे भाई, अभी खन्ना, और बनारस के निवासी और हमारे ग्रुप के गिटारिस्ट। बाद में अगर तुम्हें भी गिटार सीखना हो तो भाई सिखा देंगे तुम्हें। क्यों भाई?"
अभी ने कहा, "हाँ, हाँ, बिल्कुल। लेकिन यह कौन?"
तो इस पर आशु ने उन्हें सब बता दिया कि अभी तक क्या-क्या हुआ, सोनिया के बारे में भी। यह सुनकर अभी को तो हँसी आ गई, लेकिन वर्तिका को कुछ समझ नहीं आया कि क्यों हँसे या इन दोनों पर शक करें। क्योंकि उसे कहीं न कहीं कियारा और झरना में कुछ गड़बड़ लग रही थी। कहीं देखी-देखी सी लग रही थीं और कहाँ, वह उसे याद नहीं था। खैर, छोड़िए, बाद में दिखेगा।
आशु फिर वर्तिका की तरफ़ देखकर बोली, "और यह है वर्तिका, मेरी प्यारी दोस्त और बंदर... I mean, वंश की ढाई मिनट छोटी बहन।"
वहीँ, कियारा और झरना एक पल के लिए वर्तिका को देखकर घबरा गईं। फिर अपने आप को संभालते हुए, एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उन्होंने दोनों को हेलो विश किया। अभी और वर्तिका ने भी उन्हें हाय-हेलो कहा।
राज ने कहा, "अब चलो भी, अगर तुम सबका भरत मिलाप ख़त्म हो गया हो तो। वरना आज का दिन तुम लोग यहीं निकाल दोगे।"
तभी वंश ने अभी से पूछा, "लेकिन तुम दोनों थे कहाँ?"
अभी को थोड़ी देर पहले जो कुछ भी हुआ था, वह याद आ गया।
फ्लैशबैक
जब सब जा रहे थे—राज, कबीर, आशु और वंश—तभी अभी भी सभी के पीछे-पीछे जा ही रहा था। लेकिन तभी उसका कोई हाथ पकड़कर खींचकर एक कोने की साइड पर ले गया। यह और कोई नहीं, वर्तिका ही थी जिसने अभी को एक कोने में ले जाकर खड़ा कर दिया था।
वर्तिका ने कहा, "तो क्या बोल रहे थे लड़कियों के बारे में? बड़ी तारीफ़ हो रही थी उनकी? हाँ, मेरी तो कभी नहीं कि इतनी तारीफ़। तुमने कुछ बोला भी?"
वर्तिका को अपने इतना नज़दीक देख अभी की साँसें अटक गई थीं। वह कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था। फिर वर्तिका के ऐसे हिलाने पर उसे होश आया और वह अपने गले से आवाज़ निकालते हुए बोला, "पहले तो तुम दूर रहो मुझसे।"
वह यह सब हकलाकर बोल रहा था। यह सुनकर वर्तिका उससे थोड़ा दूर हो गई।
अभी ने कहा, "मैंने कहा ना, वह तो मेरी बहन जैसी है। और वैसे भी, मैं किसी से भी बोलूँ या उसकी तारीफ़ करूँ, तुम्हें उससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। समझी?"
वर्तिका ने कहा, "कब तक जवाब नहीं दोगे अभी? एक साल हो गया, अभी तक मेरे सवाल का जवाब मुझे नहीं मिला है। तुम बोल क्यों नहीं देते? You love me too? कब तक इंतज़ार करूँगी मैं?"
अभी ने कहा, "तो मत करो इंतज़ार। न तुम्हें मेरा जवाब मिला है और न कभी मिलेगा।"
इतना कहकर वह आगे निकल गया और वर्तिका अपने आप में पानी लिए उसे जाता हुआ देखती रही। फिर खुद को संभालते हुए वह भी उसके पीछे-पीछे चली गई।
फ्लैशबैक एंड
अभी हड़बड़ाते हुए बोला, "हम... हम तो यहीं थे। कैंटीन में कुछ खा रहे थे। चलते हैं, लेट हो रहा होगा।"
इतना कहकर वह गार्डन की तरफ़ जाने लगा।
वंश ने उसे पीछे से आवाज़ लगाई, "अरे रुक जा! गार्डन की तरफ़ कहाँ जा रहा है? क्लास रूम इस तरफ़ है। पता नहीं क्या तुझे? चलो, वहाँ नहीं।"
वंश के इतना बोलने पर भी अभी नहीं रुका और गार्डन की तरफ़ जाने लगा। तो वंश समझ गया कि अभी परेशान है, तो वह भी उसके पीछे जाने लगा। लेकिन राज ने उसका कंधा पकड़कर रोक दिया और बोला, "उसे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो।"
राज जानता था कि हर बार की तरह इस बार भी अभी की लव स्टोरी के बीच उसकी फ़्रेंडशिप आ गई है। लेकिन यह बात वह किसी को बता भी तो नहीं सकता था।
तो क्या हैं अभी की मुश्किलें? और क्या यह सॉल्व हो पाएंगी?
जानने के लिए मेरे साथ बने रहें, हमारी इस कहानी में...
तो दोस्तों, आपने देखा कि राज को शायद पता था आने वाली मुश्किल के बारे में; कैसे वह अपने प्यार और दोस्ती के बीच फँस गया था।
अब आगे देखते हैं।
अभी के गार्डन से निकलने के बाद, राज ने कहा, "चलो क्लासरूम में।"
सब क्लासरूम जाने लगे। तभी झरना बोली, "आप सब जाओ, हम अभी आते हैं।"
कियारा: "लेकिन तू जा कहाँ रही है?"
झरना: "अरे, बस आ रही हूँ। अभी मैं कोई छोटी बच्ची नहीं हूँ जो गुम हो जाऊँगी।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई।
कियारा समझ गई कि यह पक्का कोई कांड करने जा रही है। फिर क्या था, संभालना तो उसे ही पड़ेगा।
बाकी बचे सब लोग क्लासरूम की तरफ़ चले गए।
गार्डन में...अभी नीचे बैठा हुआ था, अपने दोनों हाथ बाँधकर जमीन को घूर रहा था। तभी वहाँ झरना आ गई और उसके पास बैठ गई।
झरना: "तो अब बताओ, प्रॉब्लम क्या है?"
अभी पहले तो चौंक गया, फिर झरना की तरफ़ देखकर बोला, "प्रॉब्लम क्या प्रॉब्लम? मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है।"
फिर थोड़ा सा मुस्कुराया और सामने देखने लगा; लेकिन उसकी मुस्कराहट साफ़-साफ़ बता रही थी कि वह झूठ बोल रहा है।
झरना: "देखो, मुझे पता तो नहीं है कि आखिर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है, लेकिन इतना समझ लेना, जितना तुम बात को अपने मन में रखोगे, उतनी ही बात बिगड़ती जाएगी। इससे अच्छा है कि तुम उसे शेयर करो और अपने मन को हल्का करो। फिर देखो कैसे तुम्हारी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाती है।"
अभी थोड़ा सोचने के बाद, झरना की तरफ़ देखकर बोला, "ज़िन्दगी जब हमसे इम्तिहान लेने की सोच ले, तब हम चाहकर भी उसमें पास नहीं हो सकते। अब तुम ही बताओ, अब हम कैसे अपनी दोस्ती और प्यार के बीच किसी को चुनें? यह हमसे ना हो पाएगा। इससे अच्छा तो हम बनारस में ही थे, अच्छे-भले गंगा मैया की पूजा करते थे और खुश रहते थे। यहाँ पर आकर तो हमारी ज़िन्दगी नरक बन चुकी है।" इतना बोलकर वह बुरा सा चेहरा बना लेता है, जैसे अभी रो देगा।
झरना: "देखो, अगर प्यार करते हो तो बोल दो, डायरेक्ट उसी से बोल दो जिससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाए, ओके।"
अभी असमंजस में झरना की तरफ़ देखकर बोला, "अबे क्या बोल रही हो तुम? किससे बात करनी है? कुछ समझ आए ऐसा भी बोल दिया करो हिंदी में।"
झरना उसे घूरकर देखती है और बोलती है, "हम तो हिंदी ही बोलते हैं, पर तुम्हारे छोटे से दिमाग में ना घुसे, गाने तो रहने दो। और अभी जो हम बोल रहे हैं, वह करो, सिर्फ़ जो ठीक है। पहले तो चलो यहाँ से, बाद में बताते हैं।"
इतना बोलकर वह दोनों भी क्लासरूम की तरफ़ चले जाते हैं।
वहीं क्लासरूम का हाल कुछ ऐसा था:
कियारा की साइड में कबीर बैठा हुआ था। वंश और आशु भी एक सीट पर बैठकर वापस से अपनी लड़ाई को कंटिन्यू कर रहे थे। और हमारी वर्तिका खिड़की से बाहर देखते हुए कुछ सोच रही थी। और रही बात राज की, तो वह अपनी बुक्स में घुसा हुआ था; उसे ना ही अपने आसपास की दुनिया से कुछ लेना-देना था; और इस दुनिया के लोगों से वह एकदम एलियन टाइप का बंदा था।
कबीर: "तो कियारा जी, आपको फर्स्ट ईयर में क्यों नहीं आई यहाँ पर? सेकंड ईयर से क्यों और पहले कहाँ पढ़ती थी आप?"
कियारा: "वह... हम हॉस्टल में रहते थे, तो यहाँ पर नहीं थे। इसी साल घर पर आए हैं, कुछ काम की वजह से, तो यहाँ पर ही एडमिशन लेना पड़ा। जैसे ही काम खत्म होगा घर में, हम चले जाएँगे यहाँ से।"
कबीर (चिल्लाते हुए): "What?"
उसके चिल्लाने से सब उसकी तरफ़ देखने लगे। राज भी अपनी बुक्स में से ध्यान हटाकर कबीर की तरफ़ देखकर बोला,
राज: "यह सब क्या है कबीर? इतनी ज़ोर से कौन चिल्लाता है?"
कबीर: "ओ सॉरी, सॉरी गाइस।"
इतना बोलकर वह वापस अपनी सीट पर बैठ जाता है।
फिर धीरे से कियारा से बोलता है, "कहाँ जा रही हो आप? और कब? और सबसे इम्पॉर्टेन्ट, क्यों?"
यह सब बोलते वक़्त कबीर बिलकुल एक छोटे बच्चे की तरह लग रहा था, जो अपनी फ़ेवरेट चीज़ के दूर जाने से बहुत अपसेट हो।
कियारा कुछ बोलती, इससे पहले वहाँ पर झरना और अभी आ गए। तो कियारा उनके पास चली गई और कबीर वहीं पर ही बैठा रह गया।
झरना: "तो चलो सब बैठ जाओ, प्रोफ़ेसर आती होगी।" इतना बोलकर वह अपनी सीट पर बैठ गई।
प्रोफ़ेसर भी आ गए और लेक्चर भी स्टार्ट हो गया। अब सब अपनी पढ़ाई में थे।
ऐसे ही दिन निकल गया। सब जा ही रहे थे कि तभी वंश को उसके डैड का कॉल आया। वह कॉल उठाने चला गया।
बाकी के सब अभी कैफ़े में जाकर बैठ रहे थे।
थोड़ी देर में वहाँ वंश अपना कॉल ख़त्म करके आ जाता है और हैरानी से वर्तिका की तरफ़ देखकर बोलता है, "तू जा रही है और हमें बताया भी नहीं? लेकिन तू क्यों जा रही है?"
वंश के इतना बोलने पर सब हैरानी से उसकी तरफ़ देखते हैं। सब के मन में चल रहा था कि आखिर वंश बोल क्या रहा है।
आशु: "वर्तिका जा रही है, लेकिन कहाँ और क्यों?"
वंश: "पापा का कॉल आया था। वर्तिका ने उन्हें दोपहर को ही कॉल करके बता दिया था कि वह वहाँ दिल्ली वापस आना चाहती है। वह कॉलेज से ट्रांसफ़र ले रही है, वह भी 3 दिन में। मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा है कि वह इतनी जल्दी यह सब क्यों कर रही है।"
राज कुछ नहीं बोलता; वह बस खामोश होकर अभी को देखता है, जोकि खुद किसी और दुनिया में खोया हुआ था। उसे तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि यह हो क्या रहा है।
कबीर (वर्तिका की तरफ़ देखकर): "वर्तिका, यह हो क्या रहा है? तुम जाना चाहती हो दिल्ली वापस? तुमने हमें बताया तक नहीं। और हुआ क्या है ऐसा कि तुम जाना चाहती हो? अगर कुछ हुआ है तो तुम हमें बेझिझक बता सकती हो। हम तुम्हारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे; सिर्फ़ तुम्हारा भाई नहीं है, हम भी हैं। तो अगर कोई प्रॉब्लम है तो बताओ, शेयर विद अस।"
वर्तिका: "ऐसा कुछ नहीं है कबीर, चिंता मत करो। मुझे बस फ़ैमिली की याद आ रही है और मैं वापस चाचा जी के घर जाना चाहती हूँ। बस, दैट्स इट। अब इस बारे में कोई डिस्कशन नहीं होगा, ओके।" इतना बोलकर वर्तिका वहाँ से चली जाती है। पीछे-पीछे वंश सबको बाय बोलकर चला जाता है।
झरना: "चलो भाई, कॉफ़ी तो धरी की धरी रह गई। अब देखते हैं इनका क्या करना है?"
कियारा: "इनका क्या करना है? इससे क्या मतलब है तेरा? तू कुछ नहीं करेगी। यह इनका मामला है और इन्हें ही संभालने दे।"
झरना (मुँह बनाकर): "हाँ हाँ, चलो घर चलो, बहुत बातें हो गई।"
इतना बोलकर उठ जाती है अपनी सीट से और सब को बाय बोलकर बाहर निकल जाते हैं।
अब सब कैफ़े से बाहर निकल चुके थे और अपने-अपने रास्ते जा रहे थे।
अभी भी बेमन से घर पहुँच जाता है और सीधे अपने रूम में चला जाता है। वैसे तो अभी खुशमिज़ाज का लड़का था; हमेशा खुश रहना पसंद करता था; लेकिन आज उसका चेहरा मुरझाया हुआ था, जिसे आशु के माँ-बाप ना देख पाएँ। इसीलिए अभी सीधे अपने कमरे में चला गया।
आशु को तो कुछ भी समझ में नहीं आता था; क्या चल रहा है, क्या नहीं। वह तो बस इसी बात से दुखी थी कि उसकी बेस्ट फ़्रेंड वर्तिका उसे छोड़कर जा रही है। इसी चक्कर में उसने ध्यान ही नहीं दिया कि अभी कितना परेशान लग रहा है।
अभी अपने बैग को एक साइड फेंक देता है और अपने बालों को दोनों हाथों से बिगाड़कर अपने चेहरे को ढक लेता है। थोड़ी देर बाद खिड़की पर जाकर खड़ा हो जाता है और गाना चला देता है:
"शायद कभी न कह सकूँ ना तुमको, कहे बिना समझ लो तुम शायद...
शायद मेरे ख्याल में तुम एक दिन, मिलो मुझे कहीं पर गुम शायद...
जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं, जो तुम ना हो रहेंगे हम नहीं,
ना चाहिए कुछ तुमसे ज़्यादा, तुमसे कम नहीं,
जो तुम ना हो तो हम भी हम नहीं, जो तुम ना हो तो हम भी हम नहीं...
ना चाहिए कुछ तुमसे ज़्यादा, कम से कम नहीं।"
यह गाना उस सिचुएशन के हिसाब से बिलकुल मैच कर रहा था; जैसे यह गाना अभी के दिल का हाल बयाँ कर रहा है। और अभी बस आँखों में पानी लिए ऊपर देखे जा रहा था आसमान में, जहाँ सूरज ढल रहा था।
कबीर और राज भी अपने पीजी पहुँच चुके थे। कबीर को तो इतनी टेंशन नहीं थी, लेकिन राज को टेंशन हो रही थी क्योंकि वह जानता था कि आखिर वर्तिका के जाने की वजह क्या है, लेकिन वह चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रहा था।
राज सबको पहले ही बता देना चाहता था कि आखिर अभी और वर्तिका के बीच चल क्या रहा है, लेकिन उसे रोक रही थी वर्तिका की कसम; वर्तिका चाहती थी अभी खुद सबको बताए।
झरना के घर पर, मेहता निवास में:
दो लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और एक-दूसरे को घूर रहे थे।
तभी वहाँ एंट्री होती है कियारा और झरना की। झरना की नज़र जैसे ही डाइनिंग एरिया की तरफ़ जाती है, तभी वह जल्दी से कियारा का हाथ पकड़कर बोलती है, "चल कियारा, जल्दी! वरना उनकी नज़र में आ गए ना, तो गए काम से। और मुझे ना अभी कोई भी झगड़ा तो बिलकुल भी नहीं करना। तू चल जल्दी यहाँ से।"
लेकिन जैसे ही वो दोनों आगे बढ़ीं डाइनिंग एरिया की तरफ़, वहाँ बैठी हुई उस औरत ने उन्हें रोक लिया। वह बोली, "तो तुम दोनों आ गईं? यहाँ आओ तुम दोनों।"
यह हैं सविता जी, सविता मेहता, झरना की माँ; फ़ुल ऑन ड्रामा क्वीन हैं, एकदम झरना की तरह। यह भी कह सकते हैं कि झरना पूरी इन पर गई है।
झरना और कियारा अब चुपचाप डाइनिंग एरिया के पास गईं। वहाँ पर एक मिडिल-एज के आदमी बैठे हुए थे। वह बोले, "अच्छा किया तुम दोनों यहाँ पर आ गईं, वरना पता नहीं मेरा क्या हो जाता।"
यह हैं विजय जी, झरना के पापा, विजय मेहता; तो एकदम कूल, लेकिन अपने रूल्स के पक्के हैं। वह यह कभी ब्रेक नहीं करते, तो थोड़ा बच के रहना इनसे।
सविता जी: "क्या होता से क्या मतलब है आपका? मैं कोई मार नहीं डालती आपको। जैसे बच्चियों के सामने बोल रहे हैं, कुछ तो शर्म कर लीजिए।"
विजय जी: "हाँ तो क्या हुआ जो कहा? सच ही तो कहा। अब इनके सामने नहीं बोलूँगा तो किनके साथ बोलूँगा? पड़ोसियों के साथ?"
झरना (इरिटेट होते हुए): "अब क्या हो गया आप दोनों को? बोलो फ़टाफ़ट।"
सविता जी: "रोज़ की तरह बस चाय पीनी है, अख़बार पढ़ना है, यहाँ-वहाँ की बातें लेकर बैठ जाते हैं। और पता है तुझे, आज तो हद ही हो गई। अब इनको पास वाली सुजाता जी का भी नंबर चाहिए। जब मैंने बोला कि उनका नंबर क्यों लिया था आपने, तो क्या बोलते हैं पता है तुझे? यही कि उनसे काम होता है; आखिर उनके ऑफ़िस में काम करती है वह।" इतना बोलकर सविता जी बुरा सा चेहरा बना लेती हैं, जैसे अभी उनके सामने जो हो, तो उनका सर फोड़ डाले वो।
तो दोस्तों, आपने देखा झरना के मम्मी-पापा को; बिलकुल उसी की तरह क्यूट। इनकी लव मैरिज हुई थी, लेकिन इनकी लड़ाई तो बिलकुल इंटरनेशनल वॉर की तरह लगती है।
क्या वर्तिका चली जाएगी?
क्रमशः...
मेहता निवास में विजय जी ने कहा, "अरे बेटा, ऑफिस का काम घर पर भी तो होता रहता है ना! लेकिन यह तुम्हारी मम्मी को कौन समझाए? हर बार की तरह, इस बार भी शक की बीमारी हो गई है। इसका कोई इलाज नहीं है। शादी के बाद से तुम्हारी मां और तुम्हारा मामा दोनों ने मेरी ज़िन्दगी नर्क बना कर रख दी है। अब तो मानो कोई मूवी भी दिखा दे, मैं उसकी स्क्रीन फोड़ दूँगा!"
कियारा ने कहा, "यह क्या कर दिया, पापा?"
झरना धीरे से बोली, "बेटे, पापा तो गए समझो।"
विजय जी ने कियारा की तरफ देखते हुए पूछा, "क्या मतलब है बेटा तुम्हारा?"
झरना ने जवाब दिया, "पापा, सुन नहीं रहे हो क्या? सारी खुदाई एक तरफ, जोरू का भाई एक तरफ! बस अपनी गलती कर दी, पापा। मामा को बीच में नहीं लाना चाहिए था। अब तो गए आप! कहो तो मैं आपकी हरिद्वार की टिकट कटवा दूँ।"
विजय जी बोले, "अरे, क्या बोल रही है तू? अपने बाप को घर से निकालने पर क्यों तुली हुई है?"
साविता जी बोलीं, "वो क्या निकलेगी? आपको तो मैं ही निकाल दूँगी घर से! क्या बोल रहे थे आप मेरे भाई के बारे में? क्या बिगाड़ दिया उसने आपका? आपके इस आशियाने से उसने क्या ले गया? वो बेचारा मेरा भोला-भाला, सीधा-साधा भाई है। अगर मेरे भाई को कुछ बोला ना, याद रखना, सड़क पर कटोरा भी नहीं दूँगी आपको।"
उन दोनों का बढ़ता झगड़ा देखकर कियारा बोली, "बस! अब कोई कुछ नहीं बोलेगा। चलो, सब अपने-अपने कमरे में जाओ।"
इतना कहकर वह झरना को लेकर अपने कमरे की ओर चली गई। सविता जी और विजय जी पहले उन दोनों जाती हुई लड़कियों को देखते रहे, फिर एक-दूसरे की ओर देखकर फिर से झगड़ने लगे।
रात के करीब साढ़े आठ बजे, मेहता निवास में झरना, कियारा, विजय जी और साविता जी, चारों डाइनिंग टेबल पर बैठे शांति से खाना खा रहे थे।
साविता जी ने कहा, "कॉलेज का दिन कैसा गया? कुछ नया तो नहीं किया ना, कियारा और झरना?"
झरना ने कहा, "क्या, मॉम? आपको क्या लगता है? झगड़ा करने वाले हमेशा लड़ते ही रहते हैं? मैंने किसी से झगड़ा नहीं किया और ना ही किसी की गाड़ी ठोकी। क्यों कियारा, मैं सच बोल रही हूँ ना?"
कियारा ने अपना सिर पीटते हुए मन ही मन कहा, "इस बेवकूफ लड़की का क्या करूँ? मैं खुद ही अपनी पोल खोलने पर तुली हुई है।"
विजय जी बोले, "मतलब आज तूने किसी की गाड़ी का राम नाम सत्य कर दिया, राइट?"
साविता जी बोलीं, "लो, हो गया! इसलिए कहती हूँ, मत बिगाड़ो इसे! लेकिन सर पर चढ़ा कर रखा है। और दो उसे बाइक, जीप! मना किया था मैंने, लेकिन फिर भी मानते हो आप मेरी! बस अपनी ही चलानी है।"
विजय जी बोले, "अरे, भाग्यवान! आपकी ही तो मानते आ रहा हूँ 28 सालों से! अब और कितनी मानूँ? वैलिडिटी तो खत्म ही नहीं हो रही है। एक्सपायरी डेट ढूंढ रहा हूँ, लेकिन मिल ही नहीं रही है। अब आप ही बता दीजिए कब एक्सपायर होगा?"
इस पर कियारा और झरना हँसने लगीं, लेकिन साविता जी का गुस्से से बुरा हाल हो रहा था। ऐसे ही नोकझोंक के बीच उनका खाना खत्म हुआ।
रूम में आने के बाद, जैसे ही कियारा और झरना सोने को हुईं, कियारा के फ़ोन पर कॉल आई। उसने तुरंत रिसीव कर लिया।
फ़ोन की दूसरी तरफ से आवाज़ आने के बाद, कियारा ने एकदम चौंकते हुए कहा, "व्हाट? मेरी बहन? हम अभी पहुँचते हैं।"
इतना कहकर उसने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। झरना भी बेड से उठ चुकी थी। वह कियारा को देख रही थी जो अभी भी शॉक में थी।
दूसरी तरफ, एक सुनसान जगह पर एक बहुत बड़ा विला था। जिसकी नेम प्लेट पर "Black World" लिखा हुआ था। जैसा इस विला का नाम था, देखने में भी कुछ ऐसा ही लग रहा था; एक भूतिया बंगले जैसा। कल्पना कर सकते हैं आप, रात के वक़्त कैसा लग रहा होगा यह।
ब्लैक वर्ल्ड के अंदर, एक कुर्सी पर लगभग बीस साल की एक लड़की बैठी थी और उसके सामने लगभग तेईस साल का एक लड़का बैठा था। उसके पीछे पाँच-छह लोग खड़े थे। देखने में वह लड़का बहुत खतरनाक, लेकिन हैंडसम लग रहा था। पर वो लड़की बहुत क्यूट, एक मासूम बच्चे जैसी लग रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर डर नाम की कोई रेखा नहीं थी।
वह लड़की बोली, "तुमने बहुत गलत किया, मुझे यहाँ लाकर। और उससे भी बड़ी बेवकूफी की बात यह है कि तुमने मेरी बहन को कॉल कर दिया। तुम नहीं जानते हो, वह खड़े-खड़े लोगों को गायब करवा देगी! मेरी बहन है वह, समझ रहे हो? कियारा व्यास, और दूसरी झरना मेहता।"
वह आदमी बोला, "बहुत बोलती हो तुम! थोड़ा चुप भी रहा करो।"
लड़की बोली, "सो तो है, मैं बहुत बोलती हूँ, लेकिन अब क्या करूँ? तुम्हारी गलती है, तुम मुझे यहाँ लाए हो। वैसे, दिखने में तो तुम बहुत हैंडसम हो। पक्का, अगर तुम मेरी बहनों के दुश्मन नहीं होते, तो मैं तुमसे शादी करने के लिए पूछ ही लेती। खैर, अब क्या ही कर सकते हैं? तुम्हारे नसीब ही खराब हैं।"
वह लड़का बोला, "तुमसे किसने कहा कि मैं तुम्हारी बहनों का दुश्मन हूँ? और तुम्हें क्या लगता है, तुम अगर मुझसे शादी करने के लिए पूछती, तो मैं खुशी-खुशी हाँ बोल देता? नेवर एवर, ओके!"
लड़की बोली, "मतलब तुम मेरी बहनों के दुश्मन नहीं हो, तो फिर मुझे यहाँ किडनैप क्यों कर रखा है? और मेरी बहन को क्यों बुलाया यहाँ आने के लिए?"
वह लड़का बोला, "दोनों को आने दो यहाँ पर। पता नहीं किस बेवकूफ के चक्कर में फँसा दिया है।"
लड़का जाने लगा कि उसके कानों में उस लड़की की आवाज़ आई, "अरे, कहाँ जा रहे हो? कम से कम अपना नाम तो बताकर जाओ। और हाँ, सुबह से कुछ खाया नहीं है यार, तो प्लीज कुछ खाने के लिए भेज दो। बहुत भूख लग रही है, सच्ची।"
वह लड़का बोला, "मेरा नाम जानकर क्या करोगी तुम? और तुम किडनैप हुई हो, यह मेरी शादी में नहीं आई कि मैं तुम्हें खाना खिलाऊँ।"
लड़की बोली, "शादी में तो तुम मुझे खाना नहीं खिला सकते, बिज़ी होगी तुम्हारी शादी। तो हमारी भी वहीं पर होगी ना, साथ में! लेकिन यह याद रखना, रिया नाम है हमारा। अगर हम एक बार कोई चीज़ करने की ठान लें, तो वह हम करते ही रहते हैं। और तुमसे शादी तो हम कर कर ही रहेंगे, चाहे इसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े। सो गेट रेडी!"
वह लड़का, रिया की बात सुनकर झुंझलाते हुए कमरे से बाहर निकल गया और अपने आदमी से रिया के लिए खाना मंगवा दिया।
राजू नाम का आदमी, जो उस लड़के के लिए काम करता था, खाना लेकर रिया के पास गया और उसे दे दिया। रिया खुशी-खुशी खाना लेकर खाने लगी और साथ ही साथ गुनगुनाने भी लगी। गाने के लिरिक्स कुछ ऐसे थे-
"डोली सजा के रखना, मेहंदी लगा के रखना, लेने तुझे ओ गोरी, आएंगे तेरे सजना।"
वह यही लाइन बार-बार गुनगुना रही थी। उसके ऐसे गाने पर राजू ने रिया से पूछा, "बहना, यह गाना तो लड़का-लड़की के लिए गाते हैं। तुम किसके लिए गा रही हो?"
राजू के सवाल पर रिया इमोशनल होकर बोली, "अब क्या करें भैया? हमारे प्रिंस तो चले गए। उन्होंने गाया नहीं, तो हमने सोचा हम ही गा लें। वैसे भी, इस जमाने में लड़का-लड़की एक समान हैं। ऐसा ही नारा लगाते हैं। उसका तो फिर लड़के गा सकते हैं 'मेहंदी लगा के रखना', तो लड़कियाँ क्यों नहीं गा सकतीं? लड़कों को बताओ, सच कहा ना मैंने?"
राजू ने कहा, "वैसे बहना, बात में दम तो है। पते की बात की है एकदम तुमने।"
रिया ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाकर वापस खाना खाने और गाना गुनगुनाने लगा। राजू वहाँ से मुस्कुराते हुए निकल गया।
क्या वाकई में रिया कियारा की बहन है? और अगर है, तो फिर उनके साथ क्यों नहीं रहती? वो लड़का कौन है जिसने रिया को किडनैप किया हुआ है? वह दोस्त है या दुश्मन?
एक खाली सड़क पर, जीप में कियारा और झरना बातें करते हुए जा रही थीं।
झरना: "अबे, तुझे कैसे पता चला कि तेरी बहन का जन्म हुआ है?"
कियारा: "झरना, जन्म नहीं हुआ है। वह भी २० साल की है। मुझे V से पता चला। उसका ही कॉल आया था। उसने कहा कि उसे मेरी बहन का पता चला है।"
झरना: "लेकिन तेरे पापा ने तो कभी इस बारे में बताया नहीं कि तेरी एक सौतेली बहन भी है। वह भी इसी शहर में। It's strange."
कियारा: "अब यह तो हमें V ही बता सकता है कि आखिर यह माजरा क्या है।"
झरना: "यह साला V का बच्चा हर बार हमें सस्पेंस में ही रखता है। चलो, चलते हैं फिर ब्लैक वर्ल्ड में। उसी की तरह उसका नाम भी है काला।"
कियारा: "वह इतना भी बुरा नहीं है, झरना।"
झरना: "अरे, छोड़ो। तुम हर बार की तरह उसी की साइड लोगी। चलो, अब पहुँच गए तो अपनी बकवास बंद करो।"
कियारा: "मैं बकवास करती हूँ?"
वह बोल ही रही थी कि झरना जीप से नीचे उतर गई और ब्लैक वर्ल्ड के अंदर जाने लगी। उसे ऐसे जाते देख कियारा भी नीचे उतरी और अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए उसके पीछे-पीछे जाने लगी।
वे दोनों जैसे ही अंदर पहुँचीं, उन्हें एक लड़का सोफ़े पर राजा की तरह बैठा हुआ दिखाई दिया। यह और कोई नहीं, वही लड़का था जिसने रिया को किडनैप किया हुआ था।
झरना और कियारा सीधे उस लड़के के पास गईं और उसके अगल-बगल बैठ गईं।
झरना, उसे एक मुक्का मारते हुए: "V हमें इतनी रात को यहाँ पर बुलाने की क्या ज़रूरत थी? कल भी तो बात कर सकते थे ना।"
कियारा: "अब उसे V बुलाना बंद करो, झरना। अब हम सेफ जगह पर हैं, तो अब हम इसका नाम ले सकते हैं। ओके? हर बार V बोलने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए।"
झरना, मुँह बनाते हुए: "हाँ-हाँ, पता है। लेकिन इसका नाम बड़ा है, तो मैंने सोचा शॉर्ट फॉर्म में लेती हूँ।"
वह लड़का बोला: "मेरा नाम इतना बड़ा है जो तुम ले भी नहीं सकतीं, आलसीओं की महारानी।"
झरना: "मैं आलसी नहीं हूँ, समझे? तुम्हारा नाम ही ऐसा है, विराज। अब इतना बड़ा नाम कौन ले? इससे अच्छा है V।"
कियारा: "अब बस, तुम दोनों यहाँ ऐसे ही बहस करती रहोगी या फिर काम की बातें करोगी?"
कियारा के बोलने पर विराज और झरना दोनों शांत हो गए और कियारा को देखने लगे।
उन दोनों को इतना शांत होकर खुद की तरफ़ देखते पाकर कियारा झुंझला कर बोली: "अब तुम कुछ बोलोगे भी या नहीं? या फिर यूँ ही हमें बुला लिया? अगर ऐसा हुआ तो मैं तुम्हें छोड़ूंगी नहीं।"
विराज, शांत लहजे में: "तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं तुम्हें ऐसे ही यहाँ पर बुला लूँगा? वह भी इतनी रात को? ऑफ़ कोर्स इम्पॉर्टेन्ट है। तुम्हारी बहन मिल गई है मुझे।"
कियारा: "लेकिन यह कैसे हो सकता है? मेरी तो कोई बहन ही नहीं थी। फिर यह कहाँ से आई? और जहाँ तक मुझे पता है, गीता माँ गई थी तब वह प्रेग्नेंट नहीं थी।"
झरना, बुरा सा मुँह बनाकर: "गीता माँआआआआ..."
कियारा: "हाँ, माँ। सौतेली माँ, फिर भी माँ ही होती है, झरना। तो आगे से ध्यान रखना।"
फिर विराज की तरफ़ देखते हुए: "तो तुम बताओ, आखिर माजरा क्या है?"
विराज: "जब गीता आंटी गई थी घर छोड़कर, तब वह प्रेग्नेंट थी। उसके बाद उन्होंने रिया को अपनी माँ के घर पर पाला-पोसा और बड़ा किया। लेकिन ३ साल पहले हुए आतंकवादी हमले के बाद उनका कोई अता-पता नहीं है। और रिया अपनी नानी के घर रह रही थी। तब उसे तुम्हारे बारे में पता चला और वह तुम्हारे बारे में और जानने के लिए यहाँ पर आई थी। और मुझे जैसे ही पता चला, मैं उसे यहाँ पर ले आया। अब तुम देख लो उसका क्या करना है। एक तो स्क्रू ढीला है उसका, एक भी गुण नहीं है उसमें। तुम्हारे जाओ, उस रूम में है वह।"
झरना और कियारा विराज के कहे हुए रूम की तरफ़ बढ़ गईं। वे दोनों जैसे ही अंदर गईं, वहाँ उन्हें एक लड़की डांस करती हुई दिखाई दी।
यह देखकर झरना और कियारा दोनों ही चौंक गईं। यह लड़की किडनैप हुई है भाई, और यह डांस कर रही है? गज़ब!
रिया जैसे ही पीछे पलटी, उसे कियारा और झरना दिख गईं। रिया उन्हें देखकर रुक गई और फिर आँखों में आँसू लिए कियारा की तरफ़ देखती है और बोलती है: "मुझे पता था आप भले ही मुझसे नफ़रत करती हो, लेकिन मुझे बचाने ज़रूर आओगी।" इतना बोलकर वह दौड़कर कियारा के पास जाती है और उसके गले से लग जाती है।
कियारा तो बस हैरान होकर स्टैच्यू बनी खड़ी हुई थी। उसे तो कुछ समझ में नहीं आया कि आखिर हुआ क्या।
झरना, रिया की तरफ़ देखकर बोलती है: "तुम्हें किसने बताया कि कियारा तुमसे नफ़रत करती है?"
रिया: "इसमें बताना जैसे क्या बात है? दुनिया की हर लड़की अपनी सौतेली बहन से नफ़रत ही करेगी ना? It's common। और मैं यह भी जानती हूँ कि आप दोनों मुझे फिर भी यहाँ पर बचाने आ गईं। पर सच्ची दी, मैं तो इन लोगों को जानती तक नहीं। पता नहीं है इन लोगों ने मेरा किडनैप क्यों कर रखा है। लेकिन इन्होंने मेरा अच्छा ख्याल रखा। तो आप लोग इन्हें बहुत मारना मत, बस छुट्टू सी सज़ा दे देना।"
रिया यह सब बोलते वक़्त बहुत ही क्यूट लग रही थी।
झरना, हँसते हुए: "यार, तुम तो बिल्कुल मेरी तरह निकली।"
"वैसे, सच कहूँ, मैं तुमसे बिल्कुल भी नफ़रत नहीं करती। तो आगे से ऐसा कभी मत बोलना, ओके?"
रिया, खुशी से उछलते हुए: "सच्ची? मतलब दीदी भी मुझसे प्यार करती है, जैसे वह आपसे करती है।"
रिया बोलते-बोलते कियारा की तरफ़ आशा भरी नज़रों से देखने लगती है।
कियारा, रिया की तरफ़ देखते हुए: "रिया, मुझे नहीं पता कि २० साल पहले क्या हुआ था, लेकिन मैं तुमसे वादा करती हूँ, इस बारे में मैं ज़रूर पता लगाकर रहूँगी। और हाँ, मैं तुमसे नफ़रत नहीं करती। तो आगे से अपने छोटू से दिमाग पर ज़्यादा सोचने का भार डालना मत।"
झरना: "हाँ, वरना यह जो तुम्हारा छोटू सा दिमाग है ना, जो कि बहुत ही कम चलता है, वह बिल्कुल भी चलना बंद कर देगा। और तुम यहाँ किसकी हुई हो? जो तुम्हें यहाँ लाये थे, वह हमारे ही दोस्त हैं, ओके।"
रिया, झूमते हुए: "क्या सच्ची? मतलब वह हैंडसम मैन आप लोगों का दुश्मन नहीं है? यह तो बड़ा अच्छा हुआ। अब मैं उससे शादी के लिए पूछ सकती हूँ। वरना मुझे तो लगा था कि वह आपका दुश्मन है, इसलिए मैंने उससे पूछा ही नहीं। लेकिन अब पता चल गया है तो पूछेंगे, और हाँ भी करवाकर रहेंगे। आखिर रिया नाम है हमारा।" इतना बोलकर अपने बालों को पीछे की ओर झटक देती है।
उसको ऐसा करते देख झरना हँसने लगती है, लेकिन कियारा सीरियस टोन में कहती है: "किसकी बात कर रही हो तुम? और कौन हैंडसम मैन? किससे शादी करना चाहती हो तुम? वह भी इतनी सी age में?"
झरना, कूल अंदाज़ में: "अरे यार, इस खंडहर में V से ज़्यादा हैंडसम कौन होगा भला? It's common sense, sweetheart।"
कियारा, surprising expression के साथ: "What? और यह कहाँ से सीखा तुमने, sweetheart?"
इससे पहले कि झरना कुछ बोलती, रिया उछलते हुए बोलती है: "मतलब उनका नाम V है?"
झरना: "अरे नहीं रे पगली! उसका नाम विराज है। विराज। वह तो शॉर्ट फॉर्म था। तू उनको विराज ही बुलाना, ओके?"
इतना बोलकर वह खुद ही शर्माने की एक्टिंग करने लगती है।
कियारा: "यह तू क्या बोल रही है, झरना? तू विराज को जानती है और उसके काम को भी। फिर क्यों रिया को झूठी उम्मीदें दे रही है? जबकि तुझे पता है विराज कभी भी रिया को एक्सेप्ट नहीं करेगा। इसलिए यही अच्छा होगा कि रिया ऐसे सपने देखना छोड़ दे, जो सपने उसे बाद में तोड़ दें। और यह तू भी समझ जाए तो अच्छा है।"
रिया: "लेकिन दीदु, हम जंग लड़ने से पहले हार तो घोषित नहीं कर सकते ना।"
झरना: "वाह-वाह-वाह! क्या बात कही है तूने!"
कियारा, झुंझलाते हुए: "और तुम दोनों अपना बंद करोगी? और रिया, तुम विराज से दूर ही रहोगी। समझी? बातें खत्म! और चलो अभी, घर। देर हो रही है हमें।" इतना बोलकर कियारा रूम से बाहर निकल जाती है।
उसे जाते देख रिया बेबसी से झरना की तरफ़ देखती है। झरना भी अपना मुँह लटकाए बाहर की तरफ़ चलने का इशारा करती है। फिर दोनों वहाँ से निकल जाती हैं, कियारा के पीछे-पीछे।
क्या लगता है क्या हुआ था २० साल पहले?
और क्या यह राज़ जान पाएगी कियारा?
कियारा ने रिया को विराज से दूर रहने को कहा और बाहर निकल गई। झरना और रिया उनके पीछे-पीछे निकल गईं।
कियारा सीधे चीफ में जाकर बैठ गई। झरना उसके बगल वाली सीट पर बैठ गई और रिया पीछे वाली सीट पर बैठ गई। विराज बाहर खड़ा था, उनके जाने का इंतज़ार कर रहा था।
रिया पहले कियारा की ओर देखी, फिर विराज की ओर। जैसे ही विराज की नज़रें रिया पर पड़ीं, रिया ने आँख मार दी।
यह देखकर विराज का मुँह खुला का खुला रह गया। उसकी आँखें बाहर निकल गईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह लड़की उसकी बहन के सामने ऐसा कर सकती है। वह जल्दी से कियारा की ओर देखा, लेकिन कियारा का ध्यान अपनी जीप पर ही था।
जीप वहाँ से निकल गई, लेकिन विराज वहीं खड़ा रह गया।
घर पहुँचने पर कियारा ने देखा कि झरना के माता-पिता सो रहे थे। उसने धीरे से कहा, "रिया, झरना, धीरे से। आवाज़ नहीं आनी चाहिए। अगर माँ और पापा उठे तो मैं तुम्हें इस दुनिया से उठा दूँगी।"
रिया ने जल्दी से अपनी गर्दन हिला दी। लेकिन झरना बोली, "हाँ हाँ, पता है पता है। तुम्हारे माँ-पापा के प्यारे राजकुमार की नींद नहीं टूटनी चाहिए।"
कियारा ने उसे तिरछी नज़रों से देखा। फिर तीनों धीमे कदमों से झरना के कमरे की ओर बढ़े। कियारा रिया को उसके कमरे में छोड़कर झरना के कमरे में सोने चली गई।
झरना ने कहा, "एक मिशन कम था, अब यह २० साल पुराना राज भी हमारे सर पर आ गया।"
कियारा ने गंभीर स्वर में कहा, "तुम्हें क्या लगता है? क्या हम अपने मिशन और निजी मामलों को मिलाएँगे? हम पहले अपना मिशन पूरा करेंगे, और फिर २० साल पहले क्या हुआ था, पता लगाएँगे। इसलिए अभी तुम अपने मिशन पर ध्यान दो।"
झरना बोली, "अभी तो एक ही दिन हुआ है। क्यों तुम मिशन के पीछे पड़ी हुई हो? पर हम जल्द ही यह पूरा कर लेंगे। अब उनको यकीन है, भैया तेरे पर।"
कियारा बोली, "एक तो तुम ऐसी भाषा यूज़ करना बंद कर दो। अच्छे से बात किया करो। वरना, अपना मुँह मत खोलो। जब देखो तब पता नहीं कौन-कौन सी मूवी देखकर डायलॉग मारती रहती हो। अब सो जा चुपचाप।"
इतना कहकर वह सो गई।
झरना हैरानी से बोली, "क्या मैं डायलॉग मारती रहती हूँ? यह मेरे खुद के डायलॉग हैं। मैं किसी की कॉपी नहीं करती, समझी कियारा की बच्ची?"
वह अपनी कमर पर हाथ रखकर बोल ही रही थी कि उसकी नज़र सोती हुई कियारा पर गई। उसने बुरा सा चेहरा बनाकर कहा, "देखो इसे देखो। यह मैडम मेरी नींद खराब करके खुद सो रही है। वाह भाई वाह! क्या कलयुग आ गया है? भगवान! दोस्त दोस्त नहीं रहा।"
फिर वह खुद बेड पर बैठ गई और अकेले में बोली, "अर्ज किया है, जरा गौर फरमाइएगा। दोस्त भी क्या तूने खूब दिए हैं, हमारी बर्बाद करके खुद सो रही है।"
इससे पहले कि वह और कुछ बोल पाती, कियारा ने उसे खींचकर बेड पर लिटा दिया और कंबल से ढँकते हुए बोली, "अब सो जा मेरी शायरी, और मुझे भी सोने दे।"
सुबह लगभग 8:00 बजे, एक खाली सड़क पर एक जीप दौड़ रही थी। यह झरना की जीप थी। झरना गाड़ी चला रही थी, कियारा बगल वाली सीट पर बैठी थी और रिया पीछे वाली सीट पर। रिया हवा का मज़ा लेते हुए अपने बालों को लहरा रही थी।
आज कॉलेज में सब कुछ पहले जैसा ही था, लेकिन कुछ नया भी था। आइए, चलते हैं कॉलेज की ओर।
रोम पैराडाइज़ कॉलेज में, सोनिया के वीडियो इंसिडेंट के बाद, झरना और कियारा बहुत फेमस हो गई थीं। लोग उन्हें "डॉन डेविल" कहने लगे थे। आज भी सभी की नज़रें कॉलेज के गेट से आती हुई जीप पर थीं। आज जीप में रिया भी थी, जो इसी कॉलेज में प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी।
कॉलेज में पहुँचने के बाद, सब अपनी-अपनी क्लास के लिए निकल गए। क्लास रूम में प्रवेश करते ही झरना की नज़र पहली बेंच पर बैठे राज पर गई, जो अकेला बैठा था। कबीर हमेशा राज के साथ बैठता था, लेकिन कियारा के आने के बाद, वह अपनी बगल वाली सीट हमेशा खाली रखता था।
झरना सीधे आकर राज के पास वाली सीट पर बैठ गई। राज ने उसे देखा।
राज ने कहा, "तुम्हें मर्यादा नाम की कोई चीज़ है भी या नहीं? ऐसे ही किसी की सीट पर नहीं बैठ जाते। इतना भी नहीं पता तुम्हें?"
झरना अपने अंदाज़ में बोली, "मैं क्यों पूछूँ भाई किसी से? अगर यहाँ कोई बैठा होता, तो जरूर पूछती। लेकिन जब यहाँ कोई बैठा ही नहीं है, खाली सीट है, तो क्यों पूछना? और झरना कभी किसी से पूछकर कोई काम नहीं करती। जो करती है, अपने मन से करती है।"
झरना कभी मर्यादा और नियमों का पालन नहीं करती थी। यह उसका स्वभाव था। राज खुद नियमों का पालन करने वाला था।
कियारा कबीर के पास बैठ गई और अपनी किताबों में ध्यान देने लगी। कबीर उसे निहार रहा था और मुस्कुरा रहा था।
वंश और आशु के बीच लड़ाई चल रही थी। वंश गोवा जाना चाहता था, और आशु कश्मीर। उनकी लड़ाई अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी थी।
अभी का कोई पता नहीं था। शायद वह कॉलेज नहीं आया था। वर्तिका चुपचाप अपनी सीट पर बैठी हुई थी। उसे दो दिन बाद यहाँ से जाना था, इसलिए वह किसी से कुछ नहीं बोलना चाहती थी।
झरना ने पीछे मुड़कर कबीर से कहा, "ओए भैया, हमारे भैया कहाँ हैं?"
कबीर ने कहा, "मैंने अभी उससे बात की थी। वह आ ही रहा है। आज थोड़ा लेट हो गया है। शायद देर से सोया होगा पार्टी वार्टी करके।"
कैसे होगा इनका मिशन कामयाब?
रोम पैराडाइज कॉलेज में पहला लेक्चर समाप्त हो चुका था। सभी छात्र विश्राम के लिए इधर-उधर चले गए। झरना सोचने लगी, "भाई, कुछ तो करना पड़ेगा, वरना यह अभी पक्का बनारस जाकर सन्यास धारण कर लेगा।"
इसलिए, वह अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगी। जैसे ही उसे कोई विचार आया, वह खुशी से उछल पड़ी। उसे इस तरह उछलते-कूदते देखकर, पास बैठा राज उसे अजीब तरह से घूरते हुए बोला,
"तुम्हें क्या पागलपन के दौरे पड़ते हैं जो तुम ऐसी हरकतें करती रहती हो? ऐसे पागलों की तरह मत उछल, ठीक से बैठो।"
झरना ने उत्तर दिया, "तुम जैसे बोरिंग लोगों को पता नहीं चलेगा कि जब आईडिया आता है, तब कितनी खुशी होती है दिल से।"
यह कहकर उसने बड़ी सी मुस्कान दी।
राज ने कहा, "व्हाट? तुमने मुझे बोरिंग कहा? किस एंगल से? मैं तुम्हें बोरिंग लगता हूँ? खुद तो पागल हो, मुझे भी पागल कर देगी।"
झरना ने कहा, "एंगल यह! तुमने पत्ता का क्वेश्चन किया। तुम ना, मुझे हर एंगल से बोरिंग लगते हो।"
यह कहकर वह हँसने लगी। राज बस आँखें फाड़कर उसे देखता रहा। तभी झरना उठकर क्लास के दरवाजे तक पहुँची। राज ने भी पीछे मुड़कर देखा। अभी वहाँ दिख रहा था। अभी का चेहरा बिल्कुल मुरझाया हुआ लग रहा था। इसकी वजह सिर्फ़ चार लोग जानते थे: राज, झरना, वर्तिका और खुद अभी।
राज ने मन ही मन सोचा, "एक तो अभी पहले से ही परेशान होगा, और दूसरा यह पागल लड़की अपने पागलपन में पता नहीं अभी को और कितना परेशान करेगी। यह लड़की पनौती है, पनौती! पता नहीं मेरी लाइफ से कब हटेगी।"
वर्तिका अभी भी खिड़की से बाहर देख रही थी। उसने एक बार भी क्लासरूम में अपनी नज़र नहीं फेरी थी। वंश और आशु भी अभी की तरफ देख रहे थे और उसकी ओर जाने लगे। कियारा भी अभी की तरफ जाने लगी जहाँ झरना और अभी कुछ बात कर रहे थे।
झरना ने कहा, "अभी भैया, आईडिया मिला है। अगर तुम काम करोगे, तो पक्का तुम्हारा सक्सेस होना ही है।"
झरना ने यह सब गंभीर स्वर में कहा था जिससे अभी के चेहरे पर एक उम्मीद की किरण नज़र आने लगी।
अभी उत्साह से बोला, "तो क्या है तुम्हारा आईडिया? जल्दी बताओ। और इससे हमारी दोस्ती पर तो असर नहीं होगा ना?"
झरना अपने ही अंदाज में बोली, "अरे यार, चिल मारो! तुम्हारी दोस्ती सदा सलामत रहेगी, और तुम सदा गाते रहो! ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, दम तोड़ेंगे मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे।"
तभी पीछे से कियारा आते हुए बोली, "अपना यह बेसुरा गाना बंद कर, और किसकी दोस्ती की बात कर रही है तू?"
झरना अपनी बात संभालते हुए बोली, "अरे मेरी प्यारी राज-दुलारी कियारा! मैं तेरी और मेरी दोस्ती की बात कर रही थी, और किसकी?"
तभी वहाँ पर एक लड़का आया और बोला, "एवरीवन, प्लीज साइलेंस।"
वह लड़का अभी कुछ बोल पाता, इससे पहले ही क्लासरूम का माइक ऑन हो गया और वहाँ से एक लड़के की भारी आवाज आई।
माइक पर बोल रहा लड़का: "एवरीवन, प्लीज अटेंशन! आपको पता ही होगा, फ्रेशर्स पार्टी के लिए अगले सैटरडे को चुना गया है। सो, इस साल यह पार्टी ऑर्गेनाइज़ हर साल की तरह सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स फर्स्ट ईयर वालों के लिए करेंगे। तो सेकंड ईयर वालों को अगले आधे घंटे में प्रोजेक्ट रूम में थर्ड ईयर वाले स्टूडेंट्स के साथ मीटिंग के लिए बुलाया गया है। अगले आधे घंटे में सेकंड ईयर स्टूडेंट्स प्रोजेक्ट रूम में पहुँच जाएँ।"
जो लड़का क्लास में अभी एंटर हुआ था, अनाउंसमेंट से पहले उसने कहा, "हाय गाइस! मेरा नाम है नकुल। आई एम योर सीनियर, और मैं ही आप सबको मीटिंग में ले जाने के लिए आया हूँ। और हाँ, मीटिंग में विराज सर भी होंगे, सो प्लीज डिसिप्लिन में रहना।"
झरना मुँह बनाते हुए बोली, "क्यों? तुम्हारे विराज सर क्या इस कॉलेज के प्रिंसिपल हैं जो हमें उनके सामने डिसिप्लिन में रहना होगा?"
कियारा धीरे से झरना से बोली, "अब यहाँ शुरू मत हो जाना, चुप रहो।"
कियारा के इस तरह बोलने पर झरना चुप हो गई, लेकिन अपने मन में बोली, "हह! आया बड़ा डिसिप्लिन वाला! अगर इतना ही काबिल होता वह, तो हमें यहाँ परमिशन के लिए नहीं आना पड़ता, वह खुद ही संभाल लेता।"
यह सब वह अपने मन में बोल रही थी, लेकिन उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि वह किसी को बहुत बुरी तरह कोस रही होगी। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन से राज को तो हँसी आ गई, लेकिन उसने अपने आप को नियंत्रित किया। आप सब जानती ही हैं, उसके हँसने से जो टैक्स लगता है, और वह अपना पैसा कैसे बर्बाद कर सकता है, इसलिए उसने हँसना भी मुनासिब नहीं समझा।
लगभग आधे घंटे बाद, प्रोजेक्ट रूम में... इस मीटिंग में आज की टीम को ही बुलाया गया था। राज कॉलेज की स्टूडेंट यूनियन का लीडर था, और उसकी टीम में थे: कबीर, अभी, आशु, वर्तिका और वंश। लेकिन कबीर के कहने पर राज ने आज से कियारा और सपना को भी अपनी टीम में शामिल कर लिया था, इसलिए वे दोनों भी इनके साथ आई हुई थीं।
प्रोजेक्ट रूम में दो लोग बैठे हुए थे: नकुल, जो इन सबको मीटिंग के लिए बुलाने आया था, और दूसरा विराज। जी हाँ, आप सब ने सही पहचाना। यह वही विराज है जिसने रिया का अपहरण किया था, भले ही नाम का ही सही। विराज इस कॉलेज के थर्ड ईयर में पढ़ता था। वह पिछले एक साल से इसी कॉलेज में था, लेकिन उसका नाम कॉलेज का हर इंसान जानता था।
राज की पलटन अपनी-अपनी सीट पर बैठ गई। तभी नकुल बोला, "हाय गाइस! आप सबको तो पता ही होगा, फ्रेशर्स के लिए पार्टी ऑर्गेनाइज़ सेकंड ईयर के स्टूडेंट्स करते हैं। तो इस साल आप लोगों को वह पार्टी अरेंज करनी है। आई होप आप सब ने कुछ तो प्लान किया ही होगा।"
इस पर कोई कुछ बोलता, उससे पहले ही झरना बोली, "क्यों? आपको प्लान बताना ज़रूरी है? और वैसे भी, हमें ऑर्गेनाइज़ करनी है पार्टी, तो हम कर लेंगे।"
झरना के ऐसा बोलने पर सभी हैरानी से देखने लगे, लेकिन नकुल थोड़ा नहीं, बहुत खुशमिजाज था। वह किसी बात का बुरा नहीं मानता था, लेकिन विराज समझ गया था कि झरना उससे चिढ़ रही है, और इसका सारा गुस्सा बेचारे नकुल पर डाल रही है।
कियारा धीरे से झरना से बोली, "अब तूने एक शब्द भी बोला, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
झरना ने मन ही मन सोचा, "तुझसे बुरा तो कोई है भी नहीं।"
आशु ने कहा, "जी बिल्कुल सर! हमने प्लान कुछ बनाए हैं। हम आपको बताते हैं।"
यह कहकर वह अपने कुछ प्लान्स बताने लगी, जैसे कि ड्रेस कोड, डेकोरेशन, थीम आदि...
थोड़ी देर बात करने के बाद, सब बाहर निकल आए और डिसाइड करने लगे कि कौन-कौन सी ज़िम्मेदारी संभालेगा। राज सबको उनकी काबिलियत के हिसाब से ज़िम्मेदारियाँ सौंप रहा था।
आखिर विराज यहाँ क्या कर रहा था?
क्रमशः...
कल राज ने सभी को उनके काम सौंपे थे और फ्रेशर्स पार्टी की तैयारियाँ शुरू करवाई थीं। आगे क्या हुआ, आइये देखते हैं।
आशु ने कहा, "मैंने ड्रेस कोड तय कर लिया है। लड़कियों के लिए पर्पल रंग की साड़ी और लड़कों के लिए रॉयल ब्लू रंग का सूट। It's best combination for the freshers party. यह सबसे अच्छा कॉम्बिनेशन है फ्रेशर्स पार्टी के लिए।"
वंश ने कहा, "वैसे तेरे इस छोटे से दिमाग में आज पहली बार कुछ अच्छा सोचा है। इसी बात पर पार्टी हो जाए।"
आशु बेख़याली में पहले तो हाँ बोल दी, लेकिन जैसे ही उसे वंश की बात समझ आई, वह उसे मुक्के मारने लगी।
कबीर ने कहा, "यार, बस करो तुम दोनों! कहीं भी शुरू हो जाते हो। अभी सब अपने-अपने काम पर लग जाओ।"
कबीर के बीच में बोलने पर आशु और वंश दोनों चुप हो गए। तभी झरना कबीर के पास आते हुए बोली, "मैं कैटरिंग मेनू देखूँगी। जो भी डिशेज़ होंगी, वह सब मैं देख लूँगी, ओके?"
इतना बोलकर वह अपने दांत दिखाने लगी।
तभी पीछे से कियारा की आवाज़ आई, "बिल्कुल नहीं! तू सिर्फ़ देखेगी नहीं डिशेज़ को, बल्कि उन्हें टेस्ट करने के बहाने से चट कर जाएगी सब।"
झरना झूठी हँसी हँसते हुए बोली, "यह क्या बोल रही है तू, कियारा? मैं छोटी-सी जान, इतना खाना कैसे खा सकती हूँ? क्यों बोलो, तुम सब लोग सही कह रहे हो ना, मैं?"
इतना बोलकर उसने एक क्यूट सा, भोला-भाला सा चेहरा बना लिया।
राज ने अपनी गर्दन ना में हिलाते हुए मन ही मन कहा, "यह लड़की नहीं सुधरेगी।"
फिर सब राज के बताए काम पर लग गए। वैसे तो सब काम कर रहे थे, लेकिन सबका ध्यान काम पर नहीं, किसी और चीज़ पर था। फिर भी सब अपने काम में लगे हुए थे, क्योंकि कोई भी फ्रेशर्स की पार्टी खराब नहीं करना चाहता था।
आज का दिन तैयारियों में बिजी रहने के कारण निकल गया। कोई दूसरे से बात नहीं कर पाया था। इसीलिए आज कियारा का ध्यान रिया पर ज़्यादा नहीं गया था। तीनों अपने घर आ चुके थे। रिया के बारे में झरना के माँ-बाप को कियारा ने बता दिया था, इसलिए उन दोनों ने इस बात पर कोई आपत्ति नहीं जताई कि रिया यहाँ रहेगी या नहीं। वे दोनों खुशी-खुशी रिया को अपने घर में रखने के लिए मान गए। आखिर वे थे ही कूल बेटी के कूल माँ-बाप।
घर पहुँचने के बाद, तीनों थककर अपने-अपने कमरों में चली गईं। कियारा आज भी झरना के कमरे में रही, क्योंकि वह ज्यादातर झरना के साथ ही रहती थी। वैसे तो घर में और भी कमरे थे, लेकिन इन दोनों को एक-दूसरे के बगैर नींद कहाँ आती थी! जय-वीरू की जोड़ी जो ठहरी! इसीलिए कियारा अपने कमरे (जो अब रिया का था) से अपना बचा-कुचा सामान लाने जा रही थी, तभी उसने देखा कि रिया बेड पर बिना फ्रेश हुए या कपड़े बदले लेटी हुई है।
कियारा रिया के पास जाकर धीरे से उसके बालों में हाथ फिराया। इससे रिया, जो हल्की सी नींद में थी, अपनी आँखें खोल दी और हड़बड़ा गई। लेकिन जैसे ही कियारा दिखी, वह शांत हो गई।
बेड पर ठीक से बैठने के बाद रिया ने कहा, "आप दीदी, यहाँ कुछ काम था क्या? मुझे बुला लिया होता। सब ठीक तो है ना?"
उसके एक साथ पूछे गए सवालों पर कियारा मुस्कुरा दी।
कियारा ने कहा, "हाँ, सब ठीक है। मैं बस यहाँ अपना कुछ सामान लेने आई थी, तो तुझे सोते हुए देखा। लगता है तू थक गई है। कॉलेज में सब ठीक से रहना। कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना? और अगर कुछ भी प्रॉब्लम हो, तो सबसे पहले मुझे बताना, ओके?"
इतना बोलकर कियारा ने फिर से रिया के बालों पर प्यार से हाथ फेरा।
रिया कॉलेज के बारे में सुनती रही। उसे आज पूरे दिन जो कुछ भी हुआ, वो सब याद आने लगा।
फ्लैशबैक
विराज जैसे ही क्लासरूम में अपनी सीट पर बैठने वाला था, उसकी नज़र अपनी सीट पर रखे एक छोटे से गुलाब के बुके पर पड़ी। विराज यह देखकर हैरान हो गया, क्योंकि वह जानता था कि उसके क्लासमेट में से ऐसा कोई नहीं कर सकता। किसी में इतनी हिम्मत ही नहीं थी। तो यह किसी और का काम था, लेकिन किसका?
जी हाँ, दोस्तों, आप लोगों ने सही समझा। यह काम हमारी छोटी सी रिया का था। उसने कॉलेज के बाहर से, जहाँ एक लगभग 17-18 साल का लड़का फूल बेच रहा था, वहाँ से एक छोटा सा गुलाब का बुके लिया था।
फिर चुपके से, विराज के क्लास में आने से पहले ही, उसने वह रखकर शरारत से चली भी गई। वैसे तो रिया को डर भी लग रहा था कि कहीं उसे देख लिया तो, लेकिन वह कहते हैं ना, 'डर के आगे जीत है!' तो बस यही मंत्र अपनाकर रिया 'गब्बर की गुफा' में चली गई। अब देखते हैं विराज क्या करता है।
विराज सीधे उन फूलों के छोटे से बुके को उठाता है और उसे वापस वहीं ले जाता है जहाँ से रिया ने उसे खरीदा था।
विराज ने उस फूल बेचने वाले लड़के से कहा, "यह रखो, तुम यह फूल बेच देना। मुझे नहीं चाहिए।"
फूल बेचने वाले लड़के ने कहा, "क्यों? क्या हुआ भैया जी? आप इसे वापस क्यों कर रहे हैं? क्या फूल अच्छे नहीं हैं? तो आप दूसरे ले लीजिये, उसके बदले। और वह दीदी कहाँ है, जिन्होंने यह फूल लिया था?"
विराज ने कहा, "वह दीदी अब दुबारा फूल लेने लायक नहीं रहेगी। फूल अच्छे हैं, बस मुझे नहीं चाहिए। तुम ऐसा करो, इसे रख लो। पैसे नहीं चाहिए मुझे वापस। वैसे भी मैंने पैसे नहीं दिए थे।"
वह लड़का बोला, "क्यों? क्या हुआ उन दीदी को? वह तो बहुत अच्छी हैं। उन्होंने तो हमें बहुत सारे पैसे भी दिए, खाना भी खिलाया और हमारी सुबह फूल बेचने में मदद भी की। उन्हें क्या हो गया भैया जी? क्यों उनकी तबीयत ठीक नहीं है? भगवान करे वह जल्द से जल्द ठीक हो जाएँ।"
विराज थोड़ा सोचते हुए बोला, "तो तुम रहते कहाँ हो? तुम्हारा परिवार कहाँ है?"
लड़के ने कहा, "मैं...मैं इस कॉलेज की पिछली वाली गली में रहता हूँ। और मेरे परिवार में सिर्फ़ मेरी माँ है, और वह भी बीमार रहती है। इसीलिए मुझे यह फूल बेचकर पैसे कमाने पड़ते हैं।"
विराज ने उसे एक कार्ड हाथ में थमाते हुए कहा, "तुम अभी इसी एड्रेस पर जाओ और वहाँ बोलना कि तुम्हें विराज भैया ने भेजा है, ओके।"
वह लड़का अपनी गर्दन हाँ में हिलाकर वह कार्ड अपनी जेब में रखकर वहाँ से निकल गया।
विराज जैसे ही वापस अपनी सीट पर आया, तो हैरान हो गया। उसने देखा कि उसकी सीट पर एक गिफ्ट बॉक्स रखा हुआ था।
वह सीधे अपने क्लासरूम से निकलकर रिया के क्लास की तरफ़ बढ़ गया। रिया के क्लास के बाहर खड़े होकर उसने रिया को आवाज़ दी।
रिया खुशी से जल्दी से विराज के पास आई और उसे प्यार से देखने लगी। पहले से ही चिढ़ा हुआ विराज, ऊपर से रिया की ऐसी हरकतें देखकर और भी चिढ़ गया।
विराज गुस्से से बोला, "यह क्या हरकत है तुम्हारी? तुम्हारी बहन ने समझाया नहीं क्या? या फिर मेरे समझाने से समझोगी? अभी तक ज़िंदा हो क्योंकि तुम कियारा की बहन हो, वरना यहीं के यहीं सीधा ज़मीन में दफ़ना देता!"
अब हमारी रिया भी कहाँ कम थी! वह भी अपने फुल स्टाइल में बोली, "जो उखाड़ सकते हो उखाड़ लो। बाकी मोहब्बत हो गई है तुमसे, और वह मरते दम तक निभाएँगे। अब इसमें तुम्हारी मर्ज़ी हो तो ठीक, ना हो तो भी ठीक।"
विराज ने कहा, "लेकिन यह याद रखना कि तुम्हारी मोहब्बत तुम्हें कभी नहीं मिलेगी। और मैं तो कहता हूँ यह तुम्हारी मोहब्बत है ही नहीं, यह सिर्फ़ बचपना है, जो तुम्हें अभी मोहब्बत लग रहा है।"
इतना बोलकर वह बिना रिया को बोलने का मौका दिए वहाँ से निकल गया।
क्या करेगी अब रिया?
क्रमशः…
विराज के चले जाने के बाद रिया अपने आप से बातें करने लगी। "आखिर हमने प्यार किया है तो फिर हमारी मोहब्बत हमें क्यों नहीं मिलेगी? आखिर हमने किसी का क्या बिगाड़ा है?"
तभी उसे कियारा की आवाज सुनाई दी।
"कहां खोई हुई है तू? कब से चिल्ला रही हूँ! तू कब से झरने की तरह सपनों में खोई हुई है! इसीलिए कह रही हूँ, उससे दूर रहें, वरना उसकी तरह तेरी आदतें भी बिगड़ जाएँगी।"
"वाह दीदी! आप तो खुद ही झरने के साये की तरह रहती हैं और मुझे बोल रही हो कि मैं उससे दूर रहूँ! महान हो दीदी, आप महान!"
"चुप कर, बड़ी नौटंकीबाज!"
इतना कहकर कियारा वहाँ से चली गई।
कबीर और राज के पीजी में...
कबीर आराम से काउच पर बैठा हुआ था, ना जाने किन सपनों में खोया हुआ था। तभी राज वहाँ आ गया। उसे सोया हुआ देखकर राज को एक शरारत सूझी। राज, जो सबके सामने हमेशा शांत रहता था, अपनी फैमिली और बेस्ट फ्रेंड्स के साथ ऐसी शरारतें करता रहता था। देखते हैं राज की शरारत।
राज धीरे से कबीर के पास गया और उसके सिर के ऊपर लगे छोटे से झूमर पर ब्लैक इंक की एक छोटी सी बोतल रख दी। उसकी डोरी उसने कबीर की छोटी उंगली में बाँध दी। पता की बात यह थी कि इतना सब करने के बावजूद कबीर नामक प्राणी जगने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर राज जोर से कबीर के कान में चिल्लाया, "भूत! भूत!"
यह सुनकर कबीर एक झटके से उठ गया। भागने के लिए आगे बढ़ा ही था कि रस्सी खिंच गई और सारी इंक कबीर पर गिर गई। कबीर का सुंदर सा चेहरा जली हुई रोटी जैसा लग रहा था। राज जोर-जोर से हँसने लगा।
"राज! रुक जा! यह तूने ठीक नहीं किया! मेरा यह गोरा, खूबसूरत सा चेहरा काला कर दिया! अब मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं बचा! अब मैं कैसे बताऊँ यह दर्द, यह दुख? रुक तो रुक!"
इतना बोलकर कबीर राज के पीछे भागने लगा। थोड़ी देर बाद दोनों थककर उसी सोफे पर बैठ गए। दोनों आज कितने दिनों बाद इतने खुश थे! यही तो थी इनकी दोस्ती, छोटी-छोटी चीजों से भी खुश होना।
वहीं, ब्लैक वर्ल्ड में...
विराज एक बड़े से डाइनिंग टेबल पर अकेला बैठा हुआ था, अपनी प्लेट में चम्मच घुमा रहा था। आज पूरे दिन में जो कुछ भी हुआ था, उसे याद करके उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसका मन किसी भी चीज में नहीं लग रहा था। आखिर पहली बार किसी लड़की ने इतनी हिम्मत की थी कि विराज को प्रपोज किया था, वह भी इतने अजीबोगरीब ढंग से।
तभी वहाँ राजू और नितिन आ गए। दोनों विराज के अगल-बगल वाली चेयर पर बैठ गए। राजू अपनी प्लेट में खाना डालते हुए बोला, "तो भैया जी, भाभी जी के बारे में सोच रहे हो क्या?"
राजू के बोलने पर विराज उसे घूर कर देखने लगा।
खुद को ऐसा देखता पाकर राजू फटाक से बोला, "हमारा मतलब वो रिया जी, जो आई थीं ना, उनके बारे में सोचते हो क्या? बस इतना ही मतलब था हमारा।"
"अरे रहने दो राजू भैया! आपके कहने का मतलब यहाँ सबको समझ आ जाता है। वैसे सही बोल रहे हो आप। अब बॉस को शादी कर लेनी चाहिए, ताकि हमारी बला टले।"
राजू हड़बड़ाकर उठ गया और बोला, "ये क्या बोल रहे हो तुम? चलो, काम है, चलो यहाँ से जल्दी से। खड़ा हो जाओ।"
"रुको।"
फिर नितिन की तरफ देखकर विराज बोला, "तुमसे किसने कहा यह कि मेरी शादी होने पर तुम्हारी बला टल जाएगी?"
"हाँ हाँ, ऐसा थोड़ी ना बोलते हैं कोई! चलो अब खड़ा हो और निकल यहाँ से..."
नितिन भोला सा चेहरा बनाकर बोला, "क्यों राजू भैया? यह तो आप ही बोल रहे थे ना कि अगर भैया जी की शादी हो गई तो आपके सर से बला टल जाएगी। तो अब आप ऐसा क्यों बोल रहे हो?"
राजू ने अपना सिर पीट लिया और विराज अपनी गर्दन हिलाकर वहाँ से निकल गया।
अभी के घर...
आज अभी थोड़ा रिलैक्स था क्योंकि उसने झरना से बात कर ली थी और झरना ने अपना प्लान बताया था। अभी संतुष्ट था।
आज वह चैन की नींद सो रहा था ताकि कल की पार्टी के लिए वह अपने प्लान पर अच्छी तरह से काम कर सके।
और हमारी आशु आराम से, घोड़े बेचकर सो रही थी। किसी बात की कोई टेंशन नहीं थी। वह तो अपने मेकअप और ज्वेलरी सेट करके सो रही थी।
वर्तिका के घर पर...
वर्तिका की मानो नींद ही उड़ गई हो। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसने इतना बड़ा फैसला लिया है। वह शहर छोड़कर जा रही थी और अभी तक उसने अभी से बात करने की कोशिश तक नहीं की, यहाँ तक कि उसे देखा तक नहीं। वह समझ ही नहीं पा रही थी कि क्या अभी भी उसे प्यार करता है या नहीं।
और हमारा वंश, वह तो यह सोचकर खुश हो रहा था कि कल उसे शायद अपनी सपनों की राजकुमारी, कोई सुंदर सी लड़की मिल जाए, जिसके साथ वह अपनी गिनती नहीं वाली डेट पर जा सके। पता नहीं उसे याद भी होगा या नहीं कि उसने कितनी लड़कियों को डेट कर लिया है। खैर, छोड़िए, अब यह तो ऐसे ही है।
सुबह करीब साढ़े सात बजे...
मेहता हाउस में...
विजय जी पेड़-पौधों को पानी दे रहे थे गार्डन में। वहीं पर सविता जी अपनी साड़ी सुखा रही थीं। तभी गलती से विजय जी के हाथ में पकड़ा हुआ वॉटर पाइप सविता जी की साड़ी की तरफ मुड़ गया, जिससे सविता जी की अभी-अभी सुखाई साड़ी पूरी की पूरी गीली हो गई। इससे अब सविता जी को तो आप जानते ही हैं, विजय जी की खैर नहीं।
"जब कोई काम ठीक से आता नहीं है, तो उसे करना भी नहीं चाहिए। एक तो खुद कोई काम अच्छे से करते नहीं हैं और दूसरों का काम भी बिगाड़ देते हैं। पता नहीं इन्हें ऑफिस में जॉब किसने दी! एक नंबर का बेवकूफ आदमी होगा जिसने आपको नौकरी पर रखा।"
"मैं तो अपना काम ठीक से कर रहा था। अब तुम्हारी साड़ी बीच में आ गई तो मैं क्या कर सकता हूँ? और वैसे, मुझे नौकरी तो तुम्हारे पापा ने भी दी थी, हमारी शादी से पहले। तो क्या वे भी बेवकूफी की लिस्ट में आते हैं? और अगर आते हैं, तो पहले बता देना मुझे, ताकि मुझे भी पता चल सके कि आखिर मेरी शादी हुई किससे है।"
सविता जी ने उनके ऊपर एक गमला मारते हुए वहाँ से निकल गईं। विजय जी वहाँ से हटकर बोले, "अरे वाह! भाग्यवान! ध्यान रखो, कहीं इधर-उधर लग गया ना, तो लेने के देने पड़ जाएँगे। और फिर इतनी उम्र में तुम विधवा बनोगी तो चलेगा, लेकिन मैं इतनी छोटी उम्र में मर जाऊँगा तो लोग क्या बोलेंगे? छी-छी! मैं भी पता नहीं क्या बोल रहा हूँ।"
रोम पैराडाइज कॉलेज में...
आज भी झरना, कियारा और रिया एक साथ ही कॉलेज आई हुई थीं। फिर तीनों अपने-अपने रास्ते निकल गईं।
आज झरना कियारा के साथ नहीं गई। आखिर उसे अपने प्लान पर काम करना था। वह कैंटीन की तरफ चली गई जहाँ उसने पहले से ही अभी को इंतजार करने के लिए बोल रखा था।
क्या था झरना का प्लान?
दोस्तों, आज के एपिसोड में यही तक। आप सबको क्या लगता है, झरना का प्लान क्या होगा? और अगर कुछ हुआ भी, तो क्या वह प्लान सही तरीके से काम कर पाएगी? क्या कोई पेंच उलझ गया तो वर्तिका और अभी की लव स्टोरी पूरी हो पाएगी?
आप सब में से किसी को भी अगर झरना के प्लान का कोई आईडिया हो, तो मुझे कमेंट में जरूर बताइएगा।
क्रमशः...
रिया ने विराज को उपहार देना जारी रखा। वह कॉलेज पहुँचते ही विराज के कक्षा कक्ष की ओर चली गई। आदत से मजबूर।
"विराज, विराज... वीरू कहाँ हो तुम?"
वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी। कक्षा में सभी छात्र उसे देख रहे थे, आश्चर्य में कि विराज को इस तरह कौन बुलाने की हिम्मत कर सकता है।
विराज कक्षा के द्वार पर खड़ी उस लड़की की ओर देखता है जो उसका नाम जोर-जोर से चिल्ला रही थी। वह जल्दी से खड़ा हुआ और अपनी शैली में चश्मे को ठीक करते हुए रिया के पास जाकर खड़ा हो गया। उसने कहा,
"तुम्हें क्या? कॉलेज वालों ने यहाँ प्यून की नौकरी दे दी है जो यहाँ चिल्ला-चिल्लाकर मुझे बुलाने आई हो? या फिर तुम्हें शोर मचाने की बचपन से आदत है?"
विराज के तंज का रिया पर कोई असर नहीं हुआ। उसने जवाब दिया,
"क्या वीरू! मैं जानती हूँ कि तुम्हें मुझे जानने की बहुत जल्दी है, लेकिन जान-पहचान बढ़ाने के लिए तुम्हें यही जगह मिली थी क्या?? मैं बताऊँगी ना तुम्हें, मैं सब बताऊँगी अपने बारे में, मेरी क्या आदत है, क्या नहीं? लेकिन जगह कोई और चुनते हैं। यहाँ सब देख रहे हैं! (इधर-उधर देखकर) देखो, कैसे हमारी तरफ ही देख रहे हैं।"
वह शर्माते हुए विराज को देखने लगी।
विराज ने मन ही मन सोचा, "यह पक्का पागल हो चुकी है। यहाँ मैं इसकी बेइज़्ज़ती कर रहा हूँ और इसे शर्माने की पड़ी है। पता नहीं भगवान इस लड़की का क्या होगा। मुझे इससे बचा लो बस! एक तो कियारा की बहन है, तो कुछ कर भी नहीं सकते।"
आज का दिन इसी तरह निकल गया। शाम को सभी को ड्रेस कोड के अनुसार पार्टी में आना था, इसलिए सभी जल्दी-जल्दी अपनी खरीदारी करने निकल गए ताकि पार्टी में समय पर पहुँच सकें। अब भाई, सिर्फ़ लड़कियों को ही नहीं, लड़कों को भी शॉपिंग में बहुत समय लगता है। ज़माना बदल गया है, कलयुग आ गया है।
रात के लगभग नौ बज रहे थे पार्टी हॉल में। पार्टी में लोगों का आना शुरू हो चुका था। कुछ फ्रेशर्स थे, कुछ सीनियर्स। विराज भी आ चुका था। सफ़ेद रंग की टी-शर्ट, रॉयल ब्लू ब्लेज़र और पैंट, बालों को सलीके से सेट किया हुआ, ब्रांडेड घड़ी, गले में एक खूबसूरत सा सिल्वर रंग का चेन जो वह हमेशा पहनता है, लेकिन आज वह दिख रहा था, वरना हमेशा छुपा लेता है। कुल मिलाकर, इस लुक में विराज बहुत ही हैंडसम लग रहा था। ऊपर से उसका खतरनाक अंदाज़ उसे एक आकर्षक रूप दे रहा था।
अब पार्टी में हमारे लड़कों की एंट्री हुई। राज बीच में चल रहा था, उसने रॉयल ब्लू रंग का टक्सीडो पहना हुआ था। ऊपर से उसके डायमंड का बेहद खूबसूरत राज लिखा हुआ ब्रोच, जिससे राज के लुक में चार चाँद लग गए थे।
कबीर बगल में चल रहा था, उसने रॉयल ब्लू थ्री पीस सूट पहना हुआ था। उसके कंधों तक पहुँचने वाले बाल उसे बहुत आकर्षक बना रहे थे। आज कबीर की आँखें शेड की वजह से भूरी हो गई थीं।
वंश कबीर के बगल में चल रहा था। उसने रॉयल ब्लू रंग की टी-शर्ट, सफ़ेद जैकेट और ब्लू डेनिम जींस पहनी हुई थी। कान में छोटी सी बाली और उसके घुंघराले बाल उसे बेहद प्यारा और स्टाइलिश दिखा रहे थे।
अभी राज के बगल में चल रहा था। उसने काली रंग की टी-शर्ट, रॉयल ब्लू जैकेट और जींस पहनी हुई थी। हाथ में वही रुद्राक्ष की माला और बालों को उसने आधे ऊपर चोटी में बाँधा हुआ था जो उसे एक राजकुमार जैसा रूप दे रहा था।
ये चारों साथ में पार्टी हॉल में एंट्री लेते हैं और सीधे विराज के सोफ़े पर बैठे हुए उसके बगल वाले सोफ़े पर जाकर बैठ जाते हैं क्योंकि अभी गेम शुरू करने के लिए उन्हें सभी फ्रेशर्स और सीनियर्स का इंतज़ार करना होगा।
चलो भाई, आज तो सभी लड़के कहर ढा रहे हैं। अब देखते हैं लड़कियों ने आखिर क्या तैयारी की है लड़कों पर भारी पड़ने के लिए।
थोड़ी देर बाद वर्तिका और आशु की एंट्री हुई। आशु ने ड्रेस कोड के अनुसार बैंगनी रंग का ब्लाउज़ और बैंगनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें सफ़ेद रंग के फूलों की डिजाइन थी, छोटे-छोटे हीरों के साथ। बेहद खूबसूरत साड़ी के साथ आशु भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसने सफ़ेद रंग की हील्स पहनी हुई थीं और बालों को आधा ऊपर बाँधकर खुला छोड़ दिया था। छोटे-छोटे सफ़ेद झुमके बहुत ही सुंदर लग रहे थे। आशु को देखकर वंश का मुँह खुला का खुला रह गया था। यूँ कहें कि आज से पहले वंश ने आशु को देखा ही नहीं था, ऐसा व्यवहार कर रहा था।
वर्तिका ने काले रंग के ब्लाउज़ के साथ बैंगनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें गुलाबी रंग की ग्राउंड शेप की डिजाइन बनी हुई थी। बालों को खुला छोड़ रखा था, जिसमें वह एकदम परी जैसी लग रही थी। अभी चाहता था कि वह जल्दी से उठे और वर्तिका को यहाँ सब से दूर ले जाकर चला जाए, लेकिन वह अपने प्लान के अनुसार चलना चाहता था जो झरना ने बनाया हुआ था।
अब आखिरकार हमारी तीन देवियों - रिया, झरना और कियारा की एंट्री हुई। रिया ने सफ़ेद रंग का हाफ स्लीव ब्लाउज़ के साथ बैंगनी रंग की खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी। ऊपर से हाई पोनीटेल और लम्बे बैंगनी ईयररिंग्स जो उस पर बहुत सूट कर रहे थे। आज उसका लुक परिपक्व लग रहा था।
कियारा ने फुल स्लीव्स के आसमानी रंग के ब्लाउज़ के साथ बैंगनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उसने अपने बालों की खूबसूरत चोटी बनाई हुई थी और आसमानी रंग के छोटे-छोटे ईयररिंग्स पहने हुए थे। ऊपर से उसका चश्मा उसे बहुत ही प्यारा लुक दे रहा था, जिसे देखकर कबीर की आँखें ही बाहर निकल गईं।
झरना ने रॉयल ब्लू रंग के वन साइड फुल स्लीव ब्लाउज़ के साथ बैंगनी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसमें बॉर्डर भी रॉयल ब्लू ही थी। उसने अपने बालों का खूबसूरत बन बनाया हुआ था। रॉयल ब्लू रंग के सुंदर ईयररिंग्स और ब्रेसलेट के साथ झरना बहुत खूबसूरत लग रही थी। आज तो राज की भी एक पल के लिए नज़र झरना पर ठहर गई, लेकिन उसने जल्दी खुद को काबू में कर लिया और दूसरी तरफ देखने लगा।
अब लगभग सभी आ चुके थे, तो सभी ने गेम शुरू कर दिया। फ्रेशर्स के लिए कटोरे में चिट्ठियाँ रखी हुई थीं जिनमें उनके लिए टास्क था जो उन्हें पूरा करना था।
पहली बारी नैना की थी, जिसे टास्क मिला किसी को भी एक थप्पड़ मारने का। जैसे ही सब ने यह टास्क सुना, तो सबकी मानो बोलती बंद हो गई।
विराज ने जैसे ही यह सुना, उसने राज की तरफ़ देखा। राज ने आशु की तरफ़ देखा और आशु ने झरना की तरफ़। इससे राज समझ गया कि यह सारा काम झरना का है। उसने ही ऐसी चिट्ठी बनाई है। झरना भोली-सी सूरत बनाकर राज की तरफ़ देखती है, लेकिन राज उसे गुस्से से देख रहा था।
कियारा स्टेज पर जाकर उस लड़की को दूसरा टास्क देती है। फिर जब रिया की बारी आती है, तब उसे टास्क मिलता है किसी भी सीनियर को डांस के लिए पूछने का। फिर क्या? अपनी रिया बिना सोचे-समझे सीधे विराज के पास चली जाती है और उसे पूछती है, "कैन यू डांस विद मी?"
सब हैरानी से रिया को देखने लगे।
विराज एक नज़र कियारा को देखता है और फिर रिया के साथ चला जाता है। सब हैरान इसलिए थे क्योंकि विराज ने आज तक किसी भी पार्टी में डांस नहीं किया था, लेकिन विराज क्या ही कर सकता था? आखिर रिया उसकी दोस्त की बहन ही तो थी।
गाना शुरू हो जाता है और सब डांस करने लगते हैं। कबीर भी कियारा से पूछ ही लेता है, तो कियारा भी हाँ कर देती है और उसके साथ डांस करने चली जाती है। वंश और आशु भी साथ में डांस करने के लिए चले जाते हैं। वर्तिका और अभी सोफ़े पर जाकर बैठ जाते हैं। झरना धीरे से अभी के कान में कहती है,
"ऑल द बेस्ट। मुझे यकीन है तुम कर लोगे।" फिर पास जाकर खड़ी हो जाती है। राज उसे देखकर पूछता है, "तुम्हें नहीं जाना डांस करने?"
झरना अपने मन में (हूहह.. जान लो मेरी जान, तुम्हारे साथ डांस करना है। चल झरना, अच्छा मौका है। चोका मार...मार...)
झरना मुँह बनाते हुए कहती है, "मुझे कोई पार्टनर ही नहीं मिल रहा। क्या आप मेरे साथ डांस करेंगे? प्लीज़ मना मत करना।"
राज पहले तो मना करना चाहता था, लेकिन फिर हाँ बोल देता है। वे दोनों डांस करने के लिए चले जाते हैं। यहाँ वर्तिका और अभी दोनों में से अभी तक किसी ने कुछ नहीं बोला था, बस डांस फ्लोर की तरफ़ देख रहे थे जहाँ सब डांस कर रहे थे।
गाने के बोल कुछ इस तरह थे:-
जनम जनम जनम साथ चलना यूँ ही...
कसम तुम्हें कसम आके मिलना यही...
एक जान से भले दो बदन हो जुदा, मेरी होके हमेशा ही रहना, कभी ना कहना अलविदा।
राज थोड़ा सा हिचकिचा रहा था झरना के साथ डांस करने में। उसने हाँ तो बोल दी थी, लेकिन अब झरना को खुद के इतना करीब पाकर राज को थोड़ा सा असहज लग रहा था, लेकिन झरना को तो बहुत ही अच्छा पल लग रहा था, जिससे वह आनंद ले रही थी।
थोड़ी देर बाद, सबका डांस खत्म हो जाने के बाद, अचानक से लाइट चली जाती है। कुछ देर बाद जैसे ही लाइट आती है, सब हैरान हो जाते हैं। वहाँ पर अभी घुटनों के बल, हाथ में अंगूठी लिए बैठा हुआ था।
"वैसे तो मुझे यह कहने में बहुत डर लग रहा था और शायद मैं यह कभी नहीं पाता, जो कि मैं तुमसे बहुत समय से कहना चाहता था, लेकिन किसी ने मुझे हिम्मत दी ताकि मैं तुम्हें यह सब कह सकूँ। गंगा मैया की कसम, जो भी कहूँगा, सच कहूँगा।"
अभी के ऐसा बोलने से ज़्यादा सब हैरान अभी के सामने खड़े इंसान को देखकर थे, और सबसे ज़्यादा हैरान वर्तिका थी। उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। कभी वह अभी को देखती, तो कभी अभी के सामने खड़े इंसान को। मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि अभी ऐसा करेगा भी, उसके सामने।
तो दोस्तों, आपको क्या लगता है? आखिर कौन है वह जिसको अभी प्रपोज कर रहा है?
तो आखिर क्या होगा वर्तिका का और क्या है आखिर झरना का प्लान?
क्रमशः...
अभी ने कहा, "बोलना तुम्हें कितने टाइम से चाह रहा था लेकिन साला हिम्मत ही ना हो। फिर भी आज हिम्मत करके बोल ही डाल रहा हूँ।"
दोस्तों, आपने क्या सोचा था? अभी के सामने कौन खड़ा होगा? आइए देखते हैं। जैसे ही सब अभी के सामने देखते हैं, उनका मुँह खुला का खुला रह जाता है। वर्तिका को भी बिल्कुल यह उम्मीद नहीं थी कि अभी कुछ ऐसा भी करेगा। क्योंकि अभी के सामने वंश खड़ा हुआ था, जो कि बिल्कुल हक्का-बक्का बस अभी को ही देखे जा रहा था कि आखिर यह चल क्या रहा है।
राज को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह इधर-उधर देखता है। उसे थोड़ी साइड में, पीछे की ओर झरना खड़ी दिखाई देती है, जो कि अभी को देखकर मुस्कुरा रही थी। वह जल्दी से झरना के पास जाता है और उसकी बाह पकड़कर पूछने लगता है।
राज ने पूछा, "यह आइडिया क्या तुम्हारा था?"
झरना खुशी से बोली, "हाँ, बिल्कुल! है ना फ़ैटास्टिक आइडिया? बताओ, अब तो हूँ ना मैं स्मार्ट।"
राज ने कहा, "मुझे पता ही था। इतना बेकार, नॉनसेंस आइडिया तुम्हारा ही हो सकता है। क्योंकि अभी तो इतना इडियट नहीं है।"
झरना की जगह अगर कोई और होता तो चुल्लू भर पानी में डूब मरता। लेकिन भाई, यहाँ तो हमारी झरना थी! उसका जवाब देखते हैं।
झरना ने कहा, "हाय! कितने कम टाइम में तुम मुझे कितनी अच्छी तरीके से जानने लगे हो।"
इतना बोलकर वह शर्माने लगती है।
राज इससे पहले कि कुछ बोल पाता, उन्हें कबीर की आवाज सुनाई देती है।
कबीर ने कहा, "इसी बात पर अर्ज किया है, जरा गौर फरमाइएगा!"
थोड़े दिनों से कबीर की ठीक-ठाक शायरी सुनकर आशु आखिरकार आज बोल ही देती है।
आशु ने कहा, "इरशाद इरशाद।"
कबीर ने कहा, "गजब तेरी कुदरत, गजब तेरा तमाशा, बनाना था साला और बना डाला घर वाला।"
फिर आप सब कबीर को तो जानते ही हैं, आदत से मजबूर खुद ही वाह-वाह बोलने लगता है। तभी उसे पीछे से सब की आवाज सुनाई देती है, एक साथ, "जस्ट शट अप, कबीर!"
कबीर जैसे ही पीछे मुड़कर देखता है, तो वह यह पाता है कि उसके सारे दोस्त उसे घूर रहे थे। तभी उनके कानों में अभी की आवाज गूंजती है, जिससे वह सब वापस से हैरान हो जाते हैं।
अभी ने कहा, "वंश, क्या तुम मुझे अपनी बहन का हाथ दोगे? मैं तुझसे यहाँ तेरी बहन का हाथ माँगने के लिए आया हूँ। बता, मेरा साला बनेगा?"
इस बात से वंश के तो मानो होश ही उड़ गए। वह अभी की तरफ देखता है, फिर वर्तिका की तरफ, जो कि खुद भी बहुत शौक में लग रही थी।
वंश ने एक सीरियस टोन में कहा, "यहाँ आखिर चल क्या रहा है? कोई बताएगा मुझे?"
उसकी ऐसी टोन पर राज बीच में आते हुए बोलता है, "देख वंश, अभी और वर्तिका एक-दूसरे से प्यार करते हैं। सिर्फ़ तेरे खातिर अभी इतने टाइम से चुप था। और मुझे लगता है कि अभी से अच्छा लड़का तुझे वर्तिका के लिए कहीं नहीं मिलेगा। तो एक बार इसके बारे में ठंडे दिमाग से सोच। आखिर वर्तिका की ज़िंदगी का सवाल है, फिर कुछ फैसला करना।"
राज की बात सुनकर वंश वर्तिका की तरफ देखता है, जैसे उससे पूछ रहा हो कि क्या यह सच है। वर्तिका भी उसका इशारा समझते हुए अपनी गर्दन हाँ में हिला देती है।
इस पर वंश अभी की तरफ देखकर बोलता है, "ऐसे तो मैं नहीं मानने वाला। इसके लिए अभी को मुझे एक चीज़ देनी होगी।"
अभी हैरानी से बोलता है, "क्या?"
वंश ने कहा, "तुझे मुझसे वादा करना होगा कि हमेशा मेरी बहन का ख्याल रखेगा। और अगर शादी के बाद यह तुझे परेशान करे, तो भी हमारे घर छोड़ने तो बिल्कुल नहीं आयेगा।"
वंश के ऐसे मज़ाक पर सभी हँस देते हैं और वर्तिका वंश को प्यार से मारने लगती है। अब खुशी से सब एक-दूसरे को कांग्रेचुलेट कर रहे थे। और DDLJ के शाहरुख खान की तरह अभी ने अपनी बाहें फैला दीं और वर्तिका भी काजोल की तरह दौड़कर अपने अभी के पास जाकर उससे टाइट हग कर दिया। आखिर एक साल से उसने इसी दिन का तो सपना देखा था कि अभी उसे सबके सामने एक्सेप्ट कर ले, और आखिरकार उसका सपना पूरा हुआ।
वंश ने कहा, "अरे यार, थोड़ी तो शर्म कर लो! यहाँ तुम्हारे भाई भी हैं।"
इस पर अभी भोला-भाला सा चेहरा बनाकर बोलता है, "अबे, शर्म चीज़ का होता है? बे, मार्केट में नया आया है क्या?"
वंश ने कहा, "नहीं-नहीं, यह मार्केट में नया नहीं आया, तू पुराना हो चुका है। लगता है कबाड़ी में देना पड़ेगा।"
आशु ने कहा, "ए, मेरे भाई को कुछ मत बोलना! फिर अभी और वर्तिका की तरफ देखकर, वैसे तुम दोनों ने यह बिल्कुल ठीक नहीं किया।"
उसके ऐसे बोलने पर सब उसे देखने लगते हैं।
वर्तिका और अभी दोनों एक साथ बोलते हैं, "क्या सही नहीं किया? किसके बारे में बात कर रही है तू?"
आशु नौटंकी करते हुए बोली, "हाय राम! इस ज़ालिम दुनियाँ का मैं क्या करूँ? तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हो और यह बात तुमने अपनी एकलौती, प्यारी सी, छोटी सी बहन जैसी दोस्त और बहन को नहीं बताई! इस बात को सुनने से पहले मैं चुल्लू भर पानी में डूब के मर क्यों नहीं गई?"
इस पर वंश ने कहा, "अबे ओ नौटंकी! अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। जा-जा के डूब के मर जा।"
आशु ने कहा, "तू गटर के सड़े हुए कीड़े! अगर तूने कुछ बोला ना, तो सबसे पहले उस पानी में तुझे ही डूबाकर मार दूँगी।"
हमेशा की तरह कबीर उन दोनों की लड़ाई को खत्म करते हुए बोला, "अरे तुम दोनों शांत हो जाओ यार! अच्छे-भले दिन की वाट लगाने पर तुले हुए हो।"
झरना धीरे से राज के पास जाकर बोली, "तो कैसा लगा मेरा आइडिया? वैसे कुछ लोग बोल रहे थे बहुत ही बेकार, सड़ा हुआ आइडिया है। क्यूँ, राज जी?"
इतना बोलकर वह राज के इधर-उधर घूमने लगती है।
राज अपना गला साफ करते हुए बोलता है, "हाँ-हाँ, अच्छा ही आइडिया था। अब खुश।"
झरना ने कहा, "हाँ, बहुत खुश।" इतना बोलकर वह चलने लगती है। फिर पीछे मुड़कर बोलती है, "वैसे आपको देखकर तो हम हमेशा खुश हो ही जाते हैं।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली जाती है। लेकिन राज वहीं खड़ा रह जाता है। उसे दो मिनट तो बात को समझने में लग जाते हैं। झरना आखिर क्या बोलकर गई?
पार्टी थोड़ी देर में खत्म हो जाने के बाद सब अपने-अपने घर के लिए निकल जाते हैं। सब ने आज यह तय किया कि अभी और वर्तिका को आज वे अपना टाइम अकेले एन्जॉय करने देंगे। इसलिए सब उन दोनों को वहीं पर छोड़कर चले गए। और जाते-जाते वंश ने अभी से बस यही बोला, "अपना ख्याल रखना, क्योंकि मेरी बहन का पता नहीं कितने टाइम तक वेट कराया है तुमने! तो कभी भी मारना ना स्टार्ट कर देना।"
अभी ने कहा, "थैंक यू यार! अगर तू मानता नहीं, तो पता नहीं क्या होता। दिल से शुक्रिया। मुझे बस यही डर था कि कहीं हमारी दोस्ती ना टूट जाए।"
वंश ने कहा, "अबे, दोस्ती की है बस बोलने के लिए नहीं, निभाने के लिए भी! और तू इस बात से डर रहा था कि मैं कहीं हमारी दोस्ती ना तोड़ दूँ? चल पगले, हमारी दोस्ती किसी भी रिश्ते का मोहताज नहीं है। तो आगे से कोई भी प्रॉब्लम हो या बात हो, सबसे पहले मुझे बताना। मैं हमेशा तेरे साथ हूँ।" फिर माहौल को थोड़ा लाइट करते हुए बोला, "लेकिन हाँ, अपने ससुर जी को तू हैंडल कर लेना, क्योंकि वह मुझसे नहीं होगा।"
अभी भी हँसते हुए बोला, "वह सब तो मैं देख लूँगा, साले साहब! और हाँ, मेरी बहन को ध्यान से ड्रॉप करना।"
राज, कबीर भी निकल जाते हैं और झरना, कियारा, रिया अपनी जीप में निकल जाते हैं। वंश आशु को अपनी बाइक से ड्रॉप करने वाला था, तो वह भी निकल जाता है।
अपने पीजी पहुँचकर राज और कबीर फ़्रेश होकर बेड पर लेट जाते हैं। कबीर के दिमाग में तो बस आज जो कुछ भी हुआ वह चल रहा था। इसीलिए वह राज से इसके बारे में बात कर रहा था कि आज कैसे अभी ने अलग ही स्टाइल में वर्तिका को प्रपोज़ किया। उसने तो आज तक ऐसा प्रपोज़ल नहीं देखा था। आप सब ने देखा क्या? लेकिन आज राज का ध्यान उसकी बातों पर जरा भी नहीं था। वह तो किसी और की दुनियाँ में खोया हुआ था।
राज को आज बार-बार झरना के कहे हुए शब्द याद आ रहे थे। उसके दिमाग में बस यही गूंज रहा था, "हम तो हमेशा ही आपको देखकर खुश हो ही जाते हैं।" बस यही सोच रहा था कि यह लड़की उससे ऐसा क्यों बोलकर गई। और इसी की वजह से उसका ध्यान कबीर की बातों में था ही नहीं। और कबीर बेचारा भोला-भाला कब से बोले ही जा रहा था। जब उसे एहसास हुआ कि राज कुछ नहीं बोल रहा है, तो वह उसकी तरफ देखता है। तो राज तो कहीं खोया हुआ लगता है। उसे तो सही लाकर बोलता है।
कबीर ने पूछा, "क्या बात है? आज तो तू किसी और ही दुनियाँ में लग रहा है।"
इस पर राज ने कहा, "अरे कुछ नहीं यार, सो जा। आज बहुत थक गए हैं। वैसे भी कल जल्दी उठना है। चल सो जा। और हाँ, कल अंकल को ज़रूर कॉल कर देना। डैड का कॉल आया था। तूने अंकल से बात ही नहीं की है। तो कल ज़रूर कर लेना। ओके, गुड नाईट।"
इतना बोलकर राज करवट बदलकर सो जाता है।
कबीर भी आगे कुछ नहीं कहता। वह भी सोने की कोशिश करने लगता है।
क्या राज ही झरना का प्यार है?
क्रमशः…
दोस्तों, पिछले एपिसोड में आपने देखा कि फ्रेशर्स पार्टी समाप्त हो चुकी थी और वर्तिका और अभी को छोड़कर बाकी सब अपने-अपने घरों के लिए निकल चुके थे। लेकिन राज की कही बातें राज के मन में गूंज रही थीं। आइए, देखते हैं आगे क्या होता है।
वही, सबके जाने के बाद अभी वर्तिका को अपनी बाइक पर बाहर ले गया। बाइक की ठंडी हवा और एक-दूसरे का साथ पाकर दोनों बहुत खुश थे। अभी बाइक एक चाय की टपरी पर रुकता है। फिर दोनों वहाँ उतरकर एक बेंच पर बैठ जाते हैं। अभी चाय वाले भैया से दो चाय माँगता है और वर्तिका की तरफ देखता है, जो चुपचाप बैठी हुई थी।
वर्तिका को इतना चुप देखकर अभी कहता है, "अरे, यह क्या बात हुई भला? जब हम बोलते थे, 'क्या आप बोलना बंद कर दो', तब तो आप बंद नहीं हुईं और अब जब हम चाहते हैं कि आप कुछ बोलें, तो आप कुछ बोल नहीं रही हैं। कुछ बतिया लो भाई हमसे।"
अभी के कहने पर वर्तिका उसकी तरफ देखकर कहती है, "इतना टाइम लेने के बावजूद भी तुमने मुझे वह नहीं कहा जो मुझे सुनना था और हमेशा सुनना होगा।"
अभी कहता है, "अरे, इतना लंबा-चौड़ा और यूनिक प्रपोजल तो साला आज तक बनारस में तो क्या, राजकोट में भी किसी ने नहीं सुना होगा! ऐसा प्रपोजल दे डाला हमने! अब आपको क्या सुनना है, बताओ जरा हमको।"
वर्तिका कहती है, "इतने भी भोले बनने की जरूरत नहीं है। तुम्हें भी पता है कि मैं किसकी बात कर रही हूँ।"
अभी चाय की प्याली हाथ में लेकर घुटनों के बल बैठ जाता है और कहता है, "वर्तिका जी, क्या आप हमारी लाइफ की गाड़ी चलाना पसंद करेंगी? गंगा मैया की कसम, कभी आपको बीच रास्ते में नहीं छोड़ेंगे। तहे दिल से आपसे मोहब्बत करता हूँ। आई लव यू। विल यू बी माइन फॉरएवर?"
वर्तिका भी खुशी से अभी के सामने घुटनों के बल बैठकर उसे गले लगा लेती है और कहती है, "आई लव यू टू। मोर देन यू।"
तभी, चाय की टपरी पर रखे रेडियो में गाना बजने लगता है। ठंडी-ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं। इस मौसम को देखकर अभी वर्तिका से डांस करने के लिए पूछता है।
अभी वर्तिका की तरफ अपना हाथ बढ़ाकर कहता है, "मे आई डांस विद यू?"
वर्तिका भी अपना हाथ अभी के हाथ में खुशी-खुशी दे देती है। फिर दोनों डांस करने लगते हैं। गाने के बोल कुछ इस तरह थे:
"तुझको मैं रख लूँ वहाँ जहाँ पर कहीं है मेरा यकीन...
मैं जो तेरा ना हुआ, किसी का नहीं, किसी का नहीं,
ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ तुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ।
बेगानी हैं ये बागी हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ मुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ।
ले जाएँ जाने कहाँ, ना मुझको खबर ना तुझको पता...."
सारी दुनिया से परे, अभी और वर्तिका बस खाली सड़क पर चलती हवाओं के बीच अपनी दुनिया में गुम होकर डांस कर रहे थे। ना तो उन्हें यह चिंता थी कि वे रोड के बीचो-बीच हैं, ना यह कि कोई उन्हें देखेगा तो जरूर पागल ही समझेगा। वे दोनों तो बस एक-दूसरे के साथ इस पल को एन्जॉय कर रहे थे। और यही तो होता है प्यार में, है ना?
"बनाती है जो तू वो यादें, जाने संग मेरे कब तक चले। इन्हीं में तो मेरी सुबह भी ढले, शाम ढले, मौसम ढले....
खयालों का शहर तू जाने, तेरे होने से ही आबाद है। हवाएँ हँक में वही है, आते जाते जो तेरा नाम ले...
ले जाएँ जाने कहाँ हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ तुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ।
बेगानी हैं ये बागी हवाएँ, हवाएँ ले जाएँ मुझे कहाँ हवाएँ, हवाएँ।
ले जाएँ जाने कहाँ, ना मुझको खबर ना तुझको पता ओ ओ...."
डांस करते-करते दोनों थककर वापस घर के लिए निकल जाते हैं। आज काफी टाइम के बाद दोनों ही बहुत खुश थे, और इसका श्रेय आधा तो हमारी झरना को जाता है।
सुबह, मेहता हाउस में...
विजय जी रोज़ की तरह अपना न्यूज़पेपर अपनी चेयर पर बैठकर पढ़ रहे थे और सविता जी किचन में नाश्ते की तैयारी कर रही थीं। और हमारी तीनों हीरोइन अपने-अपने रूम में कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थीं।
अब आप तो जानते ही हैं, सविता जी और विजय जी हों वहाँ पर, बवाल तो पक्का है! तो देखते हैं आज क्या होता है।
विजय जी कहते हैं, "अरे भाग्यवान, सुनती हो जरा? चाय तो दीजिएगा।"
उधर से सविता जी की ऊँची आवाज़ आती है, "देख नहीं रहे क्या? मैं काम कर रही हूँ। आपके खुद के हाथ पर अभी जिंदा हूँ या मर गई? एक आप और आपकी वो तीन लाडलियाँ! कभी मेरा हाथ तो बटाती नहीं हैं, बस मेरा काम बढ़ाना होता है, चारों के चारों को।"
विजय जी कहते हैं, "अरे, चाय नहीं देनी थी तो इसमें इतना लंबा-चौड़ा भाषण देने की क्या ज़रूरत थी? सीधे-सीधे मना नहीं कर सकती थीं? तुम्हारे पूरे खानदान की यही बात गलत है! अब जो भी कहना है, वो सीधे-सीधे क्यों नहीं कहते? लंबा-चौड़ा भाषण करते हैं। तुम्हारे पापा को देख लो! जब हमारी शादी होने को थी, तब कितना भाषण दिया था मुझे! मेरी बेटी का ख्याल रखना... कुछ बोलें तो चुपचाप थोड़ी देर के लिए सुन लेना। वैसे तो बहुत भोली है, कभी-कभी बोलती है, वरना तो गाय की तरह सीधी है! अरे, सीधे-सीधे क्यों नहीं बोला कि रोज़ तुम्हारी बेंड बज जाएगी? इसीलिए सावधानी से रहना। इतना घुमा-फिरा कर, गोल-गोल घुमाने की क्या ज़रूरत थी? पहले ही बता सकती थीं।"
सविता जी किचन से बाहर आते हुए कहती हैं, "क्या बोला मेरे पापा के बारे में? क्या बोल रहे हैं? कहीं ऐसा ना हो कि आज आपको भूखे पेट ही जाना पड़े ऑफिस।"
विजय जी पहले तो खिसियानी बिल्ली की तरह कहते हैं, "अरे रे, नहीं-नहीं, भाग्यवान! मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था।" फिर थोड़ा अपनी आवाज़ को भारी करते हुए कहते हैं, "और तुम देखो! किचन से चाय लाने को बोला तो तुम काम में अटकी हुई हो और जैसे ही अपने मायके वालों का नाम सुना, वैसे ही तुम्हारा सब काम उड़न छू गया! वाह रे सविता जी! आपकी लीला अपरंपार है।"
उनका ऐसा ताना सुनकर पहले तो सविता जी हड़बड़ा जाती हैं, फिर अकड़ के साथ कहती हैं, "हाँ तो! अगर आगे से मेरे मायके वालों को कुछ भी कहा ना, तो याद रखना, चाय में चूहे मारने वाली दवा डालकर आपको पिला दूँगी! तो आगे से ध्यान रखना। अंडरस्टैंड।" इतना बोलकर वह किचन में चली जाती हैं।
विजय जी धीरे से बोलते हैं, "इंग्लिश के दो-चार शब्द क्या गए? इन्हें तो अब मुझ पर इंग्लिश का रौब झाड़ रही हैं! अंग्रेज़ चले गए और इन्हें छोड़ गए यहाँ पर! फूटी किस्मत मेरी!" इतना बोलकर वे भी वहाँ से निकल जाते हैं।
कियारा तैयार होने के बाद सीधे झरना के रूम में जाती है। वह देखती है कि झरना तैयार होकर बस नीचे जाने ही वाली थी। कियारा उसे रोकते हुए कहती है,
कियारा: "झरना, हमें मिशन की लीड मिल चुकी है। तो आई थिंक अब हमें विराज के साथ मीटिंग फिक्स करके आगे जल्द से जल्द कोई कदम उठाना चाहिए क्योंकि अब देर करना सही नहीं होगा।"
झरना अपने कुल स्टाइल में कहती है, "ठीक है, फिर रखते हैं आज ही मीटिंग और कल कर देते हैं काम स्टार्ट। वैसे भी, अब बहुत मस्ती-मजाक हो गया। अब बारी काम की। और जल्दी से ये काम खत्म हो जाए बस, फिर मैं तो छुट्टी लेकर आराम से सपने देखना चाहूँगी।"
कियारा: "अभी दिन में सपने देखना बंद कर! तू जितना इस काम को आसान समझ रही है, इतना आसान है नहीं। चल, कॉलेज के लिए लेट हो रहा है।"
झरना भी मुँह बनाते हुए उसके पीछे-पीछे निकल जाती है।
कैसे होगा इनका मिशन कामयाब?
तो दोस्तों, आज का एपिसोड यहीं तक। अब आखिरकार मिशन आ ही चुका है। तो देखना यह है कि आखिर मिशन है क्या इनका? आपको क्या लगता है, क्या होगा और विराज का इसमें क्या पार्ट है?
क्रमशः…
रोम पैराडाइज कॉलेज में—
कियारा, झरना और रिया अपनी जीप से कॉलेज पहुँचीं और कैंटीन की ओर बढ़ीं। उन्हें आज विराज से बात करनी थी, और रिया ने बताया था कि विराज सुबह के समय हमेशा कैंटीन में ही होता है। झरना सोचती रही, "चलो, कुछ तो काम आया रिया का आशिक बनना।"
तीनों कैंटीन में पहुँचीं। रिया ने विराज को एक कुर्सी पर बैठे देखा और कियारा, झरना को छोड़कर सीधे विराज के पास चली गई। कियारा ने गर्दन हिलाते हुए रिया का पीछा किया, लेकिन झरना का ध्यान कहीं और था।
झरना से कुछ ही दूरी पर एक डरी हुई लड़की थी, जिसके पास एक लड़का खड़ा था। उस लड़के ने खुद को उस लड़की पर गिरा दिया था और कहा कि उसे किसी ने धक्का दिया था। लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी; वह लड़का जानबूझकर लड़की को परेशान कर रहा था। झरना ने यह देख लिया।
झरना ने एक वेटर से कॉफी का कप लिया और उस लड़के के पास पहुँची। उसने पूरी गरमा गरम कॉफी उस लड़के पर डाल दी और मासूम चेहरा बनाकर बोली,
झरना: "सॉरी, गलती से हो गया। किसी ने धक्का दे दिया था।"
वह लड़का: "दिखता नहीं है क्या तुम्हें? अंधी हो? और यहाँ खाली जगह पर तुम्हें किसका धक्का लगेगा? पागल समझा है क्या मुझे?"
झरना: "अच्छा, फिर तुम्हें किसका धक्का लगा कि तुम इस पर गिर गए? जरा बताओगे मुझे? और हाँ, जल्दी से बोल देना, वरना मैं अपनी पर आ गई तो कहीं तुम्हारी वाट ना लग जाए।"
वह लड़का: "ए लड़की! क्या बोल रही हो तुम? तुम्हें पता भी है किससे बात कर रही हो? देवेश नाम है हमारा। अगर हम चाहें ना, तो तुम्हें यहाँ से खड़े-खड़े गायब करवा सकते हैं। इसीलिए, जुबान संभालकर समझी, वरना आगे से बोलने लायक नहीं बचोगी।"
झरना: "अबे ऐसी धमकियाँ तो मैं बचपन से सुनती आ रही हूँ। हिम्मत है तो मुझे निकालकर दिखा! ऐसा कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ जो इस झरना को छूकर भी बच जाए। अगर विश्वास नहीं है तो आजमाकर देख लेना! जा, निकल यहाँ से!"
देवेश: "ठीक है, अभी तो जा रहा हूँ, लेकिन याद रखना, इस बेइज़्ज़ती का बदला मैं ज़रूर लेकर रहूँगा। और ऐसा लूँगा कि तुम्हें मेरा बदला और मैं ज़िन्दगी भर के लिए याद रहेंगे।"
तभी कियारा वहाँ आती हुई बोली, "यहाँ क्या चल रहा है? और झरना, तुम हमारे साथ चल रही थीं, फिर यहाँ पर क्या कर रही हो? और यह कौन है?"
कियारा का इशारा देवेश और उस डरी हुई लड़की की ओर था।
झरना ने कियारा को सारी बात बताई। इसे सुनकर कियारा बोली, "तो तुमने पुलिस को फोन क्यों नहीं किया? यह जेल जाता और सज़ा काटता। तुम्हें ऐसा करने की क्या ज़रूरत थी?"
झरना: "आज तक पुलिस अपने देश की टाइम पर पहुँची है, जो आज मेरे बुलाने पर पहुँच जाती। इसलिए इंसाफ़ मैंने कर दिया। और किस इंसाफ़ की बात कर रही हो? ये लड़की कुछ बोलती ना, ये जेल जाता।"
फिर देवेश की ओर देखकर बोली, "अबे! अभी तक तू गया नहीं? भाग साले यहाँ से! आया बड़ा मुझसे बदला लेने!"
कियारा: "झरना, कभी तो सोच-समझकर बोला करो! सब पुलिस एक जैसी नहीं होती। सबकी इज़्ज़त करना सीख।"
देवेश वहाँ से चला गया। लेकिन यह बात सोचने लायक थी कि वह बदला लेने का प्लान ज़रूर बनाएगा।
कियारा: "ठीक है, चल। वैसे भी तू मेरी बात मानने वाली है? रोज कोई न कोई कांड कर कर ही रहती है। अब चल क्लास के लिए लेट हो रहा है, और हमें फिर मीटिंग के लिए भी जाना है। पता है ना तुझे? और हाँ, रिया भी हमारे साथ चलेगी।"
झरना: "लेकिन क्यों?"
कियारा: "तुझे पता है ना, अगर वह विराज के साथ रहेगी तो आई थिंक ज़्यादा सेफ़ रहेगी।"
झरना (धीरे से): "बताओ भाई, हमारी कहानी में तो जो विलन लग रहा था वही हीरोइन की मदद कर रहा है। अपनी को विराज के पास रखोगी तो उसकी सेफ्टी का पता नहीं, लेकिन विराज की सेफ्टी की चिंता करनी होगी।"
झरना को ऐसे बड़बड़ाते देख कियारा ने पूछा, "यह क्या अकेले-अकेले बोल रही है? पागल तो नहीं हो गई? अब चल यहाँ से?"
कियारा झरना का जवाब सुने बिना चली गई।
झरना: "कमाल है यार! अपनी तो कोई इज़्ज़त ही नहीं! गज़ब बेइज़्ज़ती है भाई, गज़ब!"
वे दोनों विराज के पास पहुँचीं। रिया विराज के पास वाली कुर्सी पर बैठी थी और उससे बात करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन विराज चुपचाप बैठा था। वह ऐसा बैठा था जैसे रिया वहाँ हो ही ना। जैसे ही उसने कियारा और झरना को देखा, उसने उन्हें एक चिढ़ा हुआ लुक दिया।
यह लुक रिया, कियारा और झरना सभी समझ रही थीं।
झरना और कियारा कुर्सी पर बैठ गईं। कियारा बोलने लगी,
कियारा: "आज शाम 6:00 बजे ब्लैक वर्ल्ड में मिलते हैं। बाकी की बातें वहीं पर होंगी। और हाँ, मैं रिया को अकेले कहीं पर भी नहीं छोड़ सकती, इसीलिए मैं उसको अपने साथ ही लेकर आऊँगी। अंडरस्टैंड।"
विराज: "इससे क्या होगा? यह घर पर ही ठीक रहेगी।"
रिया: "क्यों? तुम्हें कोई प्रॉब्लम है? वैसे तो अभी तक मुँह में दही जमा कर बैठे हुए थे, लेकिन जैसे ही मेरी बात आई, मुँह खुल गया तुम्हारा।"
तभी झरना बीच में आते हुए बोली, "वाह! क्या केमिस्ट्री है तुम दोनों के बीच!"
विराज झरना को घूरते हुए बोला, "हम दोनों के बीच ना तो कोई केमिस्ट्री है, ना फिजिक्स है, और ना ही बायोलॉजी। समझ गई तुम? इन फैक्ट कुछ भी नहीं है और ना कभी होगा।"
झरना हड़बड़ाते हुए बोली, "अरे, मैं तो बस ऐसे ही बोल रही थी! उसमें इतना भड़कने की क्या ज़रूरत है? आजकल भलाई का तो ज़माना ही नहीं रहा।" वह अपनी गर्दन हिलाने लगी।
क्या विराज कभी रिया को पसंद करेगा?
क्रमशः…
दोस्तों, कल के एपिसोड में आपने देखा कि कियारा, रिया और झरना, विराज के साथ अपने मिशन की लीडर से मिलने जा रही थीं। आइए, देखते हैं आखिर मिशन की लीड क्या है।
कियारा: "बस बहुत हो गया झरना! कभी तो बात को सीरियसली लेना समझो। और यह बातें यहीं खत्म होती हैं; इसके आगे मुझे कुछ नहीं सुनना। चलो, क्लास के लिए लेट हो रहा है।"
इतना कहकर कियारा वहाँ से उठ गई। झरना और रिया भी उसके पीछे उठे और अपनी-अपनी क्लास की ओर निकल गए। फिर विराज भी वहाँ से चला गया।
शाम लगभग छह बजे, ब्लैक वर्ल्ड में...
झरना, रिया और कियारा ब्लैक वर्ल्ड पहुँच चुके थे। रिया को मीटिंग से ज़्यादा, अपनी सुरक्षा से ज़्यादा, विराज से मिलने की जल्दी थी। वह जल्द से जल्द विराज को देखना चाहती थी; इसीलिए वह कियारा और झरना को जल्दी चलने के लिए कह रही थी।
अंदर आते ही कियारा और झरना आगे चलने लगे। उनके पीछे-पीछे रिया भी चलने लगी। वे तीनों एक बड़े कमरे के बाहर आकर खड़ी हो गईं। झरना ने उसमें कुछ कोड एंटर किया, जिससे वह सुरक्षा दरवाज़ा खुल गया। ऐसे खंडहर जैसे स्थान पर इतनी टेक्नोलॉजी देखकर रिया का मुँह खुला का खुला रह गया। वह सोचने लगी कि आखिर इस खंडहर में इतना आधुनिक और तकनीकी कमरा कहाँ से आया? उसकी मन की बात को समझते हुए झरना बोली,
झरना: "अपने इस छोटे से दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर मत लगाओ, वरना फट जाएगा! यह सारा प्लान हमारा ही था, ताकि किसी को शक न हो कि हम अपना काम यहाँ छुपकर करते हैं, ओके?"
रिया ने पहले तो "ओके" कहा, फिर झरना की तरफ़ अपनी आँखें छोटी करते हुए बोली,
रिया: "क्या कहा आपने? मेरा दिमाग छोटा है? आपका दिमाग छोटा है, समझे आप?"
कियारा: "अब बस करो तुम दोनों! और अंदर चलो।"
इतना कहकर कियारा अंदर चली गई, और पीछे-पीछे झरना और रिया भी। झरना धीरे से फुसफुसाते हुए बोली,
झरना: "मुझसे ज़्यादा झगड़ा किया ना, तो तुम्हारी लव स्टोरी की पूरी धज्जियाँ उड़ा दूँगी, बम लगाकर! समझे रिया की बच्ची?"
रिया मिमियाते हुए बोली,
रिया: "अरे नहीं! मैं तो बस मज़ाक कर रही थी दीदी! मेरा दिमाग तो है छोटू सा, बिलकुल मेरी तरह।"
कियारा: "अब तुम दोनों का खत्म हो गया हो तो चलो यहाँ से।"
वह तीनों उस बड़े हॉल में अंदर आईं, जहाँ एक बड़ा टेबल रखा हुआ था। सामने प्रोजेक्टर था, टेबल पर लैपटॉप और कुछ कागज़ात थे, और एक कुर्सी पर विराज बैठा हुआ था।
वे तीनों भी अपनी-अपनी कुर्सी खींचकर बैठ गईं। विराज बोलना शुरू किया,
विराज: "हमें डीएसएफ़ से सूचना मिली है कि उन्हें छह लोगों पर शक है, और उन छह लोगों के नाम और उनके बारे में कुछ जानकारी हमें भेजी गई है। हमें उन सभी पर नज़र रखकर पता करना होगा कि वे दो लोग कौन हैं जो राजकोट सिटी में रोम पैराडाइज़ कॉलेज से ड्रग्स की तस्करी कर रहे हैं।"
रिया बीच में हैरानी से बोली,
रिया: "क्या? हमारे कॉलेज से कोई ड्रग्स बेच रहा है? तो वह अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया? और अगर पकड़ना भी है, तो पुलिस पकड़ेगी ना! आप दोनों इन सब में क्यों पड़ रहे हो? और विराज, तुम भी पुलिस को बताओ! पुलिस उन्हें पकड़ लेगी।"
विराज: "देखा, मैं इसीलिए कह रहा था कि इसे मत ले कर आओ! हाँ, पर लेकिन तुम दोनों मेरी सुनती कहाँ हो? अब दो इसके सवालों के जवाब।"
झरना रिया की तरफ़ देखकर बोली,
झरना: "देखो रिया, हम अभी तुम्हें ज़्यादा तो नहीं बताएँगे, लेकिन इतना ज़रूर बताएँगे कि पुलिस से भी ज़्यादा अच्छा काम हम करते हैं, और पुलिस भी हमारे साथ ही है। सो डोंट वरी! और उन्हें तो हम जल्दी ही पकड़ लेंगे। वैसे, यह विराज है ना, जो तुम्हारा...वह भी एक साल से ट्राई कर रहा है, लेकिन अफ़सोस कि वह कामयाब नहीं हो पाया। इसीलिए तो हमें और कियारा को यहाँ आना पड़ा।"
विराज झरना को बुरी तरह घूरते हुए बोला,
विराज: "पहले तो यह तुम्हारा 'विराज से क्या मतलब है'? और दूसरा, तुम दोनों को मैंने यहाँ पर नहीं बुलाया। मैं अपना काम कर ही लेता। यह तो ऊपर से आर्डर है, वरना मैं तुम दोनों को यहाँ पर सपने में भी नहीं बुलाता, समझे? और जहाँ तक हम पहुँचे हैं, वह मेरे दिमाग का ही कमाल है।"
झरना: "रिया, अर्ज़ किया है, जरा गौर फरमाना।"
रिया: "ठीक है, फरमाती हूँ गौर, लेकिन गौर फरमाना कैसे है? यह तो बता दीजिए।"
झरना: "ओ बेवकूफ़ की सरदार! इरशाद बोलते हैं इसमें! तू खाली 'इरशाद' बोल दे दो बार, बाकी सब मैं देख लूँगी।"
रिया: "ठीक है, इरशाद इरशाद।"
झरना: "गुमान ना कर मेरे दोस्त अपने दिमाग पर, क्योंकि तेरा जितना दिमाग चलता है, उतना तो मेरा हमेशा ख़राब रहता है।"
रिया: "वाह वाह!"
कियारा: "बस! सब मीटिंग पर ध्यान दें! विराज, तुम बोलना शुरू करो कि तुम्हें क्या-क्या पता चला है, जिससे हम अपने काम पर ध्यान दे सकें।"
विराज: "उन छह लोगों के नाम हमें मिल चुके हैं। मैं तुमको दिखाता हूँ, जो कि हमारे कॉलेज से ही हैं।"
विराज: "पहला, प्रयाग, जो कि थर्ड ईयर में मेरे साथ ही पढ़ता है, जिसे मैं थोड़ा-बहुत तो जानता ही हूँ। और हमारी जानकारी के अनुसार, इसकी छोटी सी फैमिली है, और यह अपनी फैमिली के लिए खुद कमाता है। और डीएसएफ़ को इस पर शक है कि यह भी ड्रग्स स्मगलिंग में शामिल हो सकता है।"
विराज: "दूसरा, कुणाल। यह अनाथ है, आश्रम में रहता है, सेकंड ईयर में है। मतलब कि झरना और कियारा, तुम्हारे साथ। शायद तुम उसे जानती हो?" झरना और कियारा दोनों ही अपनी गर्दन ना में हिला देती हैं, क्योंकि अभी कुछ ही दिन हुए थे उन्हें कॉलेज में आए, तो वे सबको नहीं जानती थीं।
विराज आगे बोलना जारी रखता है,
विराज: "तो डीएसएफ़ के मुताबिक, कुणाल इस सब में शामिल है।"
विराज: "तीसरी है विशाखा, जो कि यहाँ एक गाँव से पढ़ने के लिए आई है। लेकिन इसकी हरकतों और बातों से डीएसएफ़ को इस पर भी शक है।"
विराज: "चौथी है वेदिका, जो कि एक नॉर्मल फैमिली से बिलॉन्ग करती है। इस पर भी डीएसएफ़ का शक है।"
विराज: "अब पाँचवाँ, दीप, जो कि मुश्किल से कॉलेज में एंटर हुआ है, और इस पर भी इसकी हरकतों के कारण डीएसएफ़ को शक है।"
विराज: "छठा और सबसे इम्पॉर्टेंट, जिस पर डीएसएफ़ को पूरा यकीन है कि यह 100% इसमें शामिल होगा, उसका नाम है देवेश, जो कि कॉलेज में बहुत ज़्यादा गुंडागर्दी करता हुआ पाया जाता है।"
अब हमें इन सब पर नज़र रखकर असली मुजरिमों को पकड़ना होगा, वह भी जल्द से जल्द।
फिर वह सबकी तरफ़ देखता है, जिससे उसे पता चलता है कि पूरी मीटिंग में रिया का ध्यान बस उसी पर ही था। एक पल के लिए तो विराज रिया को ही देखने लग जाता है। फिर वह अपने होश में आकर कियारा और झरना की तरफ़ देखकर बोलता है,
विराज: "तो यही है हमारा काम। इन पर नज़र रखना, और उनकी पूरी की पूरी डिटेल्स इकट्ठी करना।"
झरना: "कियारा, यह देवेश तो वही है ना जो हमें सुबह मिला था, और धमकी भी दे रहा था! इससे तो यह शक्ल से ही क्रिमिनल लग रहा था।"
कियारा: "हाँ, यह वही है। चलो, तो पता तो चल गया कि हमें आखिर करना क्या है, तो काम पर लग जाते हैं, ओके?"
कैसे ढूँढेंगे मुजरिम?
क्रमशः...
मीटिंग समाप्त होने के बाद कियारा बोली,
"तो चलो घर चलते हैं। माँ-पापा इंतज़ार कर रहे होंगे।"
तभी रिया हड़बड़ाते हुए बोली, "अरे इतनी जल्दी क्यों?"
कियारा ने कहा, "जल्दी से क्या मतलब है तुम्हारा? तुम्हें यहाँ रुकना है क्या?"
रिया ने पहले तो अपनी गर्दन हाँ में हिलाई, फिर जल्दी से ना में हिलाते हुए बोली, "अरे नहीं-नहीं! मैं तो यह बोल रही थी कि चाय-नाश्ता करके जाते हैं। क्यों, झरना दी?"
इतना बोलकर वह झरना के पास खिसक गई।
झरना बोली, "अबे यार! जो बोलना है सीधा-सीधा बोल ना! कि तुझे विराज के साथ थोड़ी देर और रहना है, इसमें मेरा नाम घसीटने की क्या ज़रूरत है?"
रिया झरना को कोहनी मारते हुए बोली, "यह क्या बोल रही हो आप? ऐसा मज़ाक मत किया करो। कियारा दी को ऐसे मज़ाक बिल्कुल पसंद नहीं।"
फिर वह नकली हँसी हँसने लगी।
पर उसकी यह हरकतें देखकर विराज को सच में हँसी आ रही थी। वह सोच रहा था कि यह लड़की कितनी पागल है।
झरना, कियारा और रिया मीटिंग खत्म करके घर पहुँच चुकी थीं।
रात को, डिनर के समय मेहता हाउस में सभी लोग अपने-अपने चेयर पर बैठे हुए थे और अपने-अपने खाने का लुफ्त उठा रहे थे।
तभी सविता जी ने कियारा की ओर देखते हुए कहा, "तो कियारा, तुम्हें कुछ पता चला गीता जी के बारे में?"
कियारा, जो शांति से खाना खा रही थी, उसके हाथ वहीं रुक गए और बाकी सबका ध्यान भी सविता जी की ओर चला गया।
कियारा ने शांत लहजे में कहा, "नहीं, लेकिन मैंने कुछ लोगों से बात की है। वह जल्दी पता लगा लेंगे कि आखिर गीता माँ उस दिन से गई कहाँ।"
विजय जी बोले, "ठीक है बेटा, लेकिन अगर कोई भी मदद चाहिए तो बोल देना। तुम जानती हो ना, हमने कभी भी तुम में या फिर झरना में कोई भी अंतर नहीं किया। तो बेझिझक बोलना।"
कियारा बोली, "यह कैसी बात कर रहे हैं आप पापा? आप ही तो हैं जिन्होंने मुझे फैमिली का प्यार दिया, उसका मतलब समझाया। अगर आप सब ना होते तो पता नहीं मैं कहाँ होती और क्या कर रही होती। तो ऐसी बात आगे से मत करिएगा। और अगर मुझे कोई भी मदद चाहिए होगी तो मैं बेझिझक आपको बता दूँगी। और वैसे भी झरना तो है ही मेरे साथ।"
सविता जी बोलीं, "रिया, तुमने अपनी नानी को बता तो दिया ना कि तुम हमारे साथ हो?"
रिया बोली, "आंटी, मेरी उनसे बात हो गई है और वह खुश है कि मुझे आप सबके साथ रहने का मौका मिल रहा है और मेरी दीदी मुझे वापस मिल चुकी है।"
सविता जी बोलीं, "एक थप्पड़ मारूंगी अगर मुझे आंटी बोला तो..."
तभी बीच में विजय जी बोले, "हाँ भाई! अभी तो यह जवान है, इन्हें आंटी कहकर मत बुलाओ, वरना बुरा मान जाएँगी। तो भाई, भाग्यवान रिया बिटिया, क्या आपको दीदी कहकर पुकारें?"
सविता जी पहले विजय जी की तरफ देखकर बोलीं, "आप ना अपना मुँह बंद रखा करो! पहले मेरी बात को पूरा होने दो। जब देखो तो बीच में ही आ जाते हैं। और हाँ, मैं तो हूँ जवान, आप हो गए हैं बुड्ढे।"
फिर रिया की तरफ देखकर बोलीं, "आंटी नहीं, माँ बुलाना, जैसे कियारा बुलाती है।"
इतना बोलकर वो रिया के सर पर हाथ फेरती हैं।
रिया भी उनके गले लगकर प्यार से बोली, "जी, बिल्कुल माँ।"
विजय जी माहौल को थोड़ा हल्का बनाते हुए बोले, "हाँ भाई! वरना एक इसको ही देख लो। आजकल माँ की जगह मॉम चल रहा है और पापा की जगह डैड।"
उनका इशारा झरना की तरफ था, जो उन्हें और सविता जी को माँ-पापा की जगह मॉम-डैड बुलाया करती थी।
वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले, "मॉम तो फिर भी चलता है, वरना डैड तो कभी-कभी लगता है डेथ ना बोल दे, वरना मेरी ऊपर की टिकट निकल जाएगी।"
झरना मुँह बनाते हुए बोली, "साल का सबसे बड़ा खराब जोक का अवार्ड मिलता है विजय मेहता को! बजाओ तालियाँ!"
और फिर खुद ही ताली बजाने लगी।
सविता जी बोलीं, "और नहीं तो क्या? इनको तो सिर्फ़ मरने-मारने की बातें याद आती हैं। कभी अच्छा काम भी कर लो और अच्छी बात भी बोल लो, वरना ऊपर जाकर भगवान को क्या मुँह दिखाओगे?"
विजय जी बोले, "देखो, तब ऊपर जाने वाली बात में मज़ा नहीं आता। और मुझे बोल रही है कि मैं मरने-मारने की बातें करता रहता हूँ। कसम से, इन औरतों से कोई नहीं जीत सकता। चित भी मेरी, पट भी मेरी! ऐसी है इनकी राजनीति।"
सविता जी बोलीं, "लगता है आपको घर में नहीं रहना।"
विजय जी हड़बड़ाते हुए बोले, "अरे-अरे! आप तो सीरियस हो गईं! भाग्यवान, हम तो मज़ाक कर रहे थे। क्यों बच्चों?"
विजय जी उन तीन लड़कियों की ओर देखते हैं, जो उनकी इस बहस, या फिर यह भी कह सकते हैं, फ्री का ड्रामा एन्जॉय कर रही थीं।
जैसे ही झरना को ऐसा लगा कि अब बात उन तीनों पर आने वाली है, उसने कियारा और रिया से वहाँ से खिसकने का इशारा किया और खुद भी वहाँ से निकलने लगी।
सविता जी बोलीं, "अरे आप बच्चों से क्या पूछ रहे हैं? बच्चों को भी सब पता है, समझे आप?"
विजय जी बोले, "तो ठीक है, फिर पूछ ही लेते हैं बच्चों से।"
फिर जैसे ही वह दोनों पीछे पलटते हैं, तो देखते हैं वहाँ पर सिर्फ़ हवाएँ चल रही थीं, बाकी उन तीनों का तो नामोनिशान नहीं था।
क्योंकि वह तीनों वहाँ से भाग गई थीं, जैसे उनके पीछे कोई भूत पड़ा हो।
सुबह, रोम पैराडाइज कॉलेज में-
कॉलेज पहुँचने के बाद रिया सीधे विराज के पास एक फूल लेकर गई। वह विराज को ढूँढती है और उसे मिल ही जाता है। वह जल्दी से विराज के पास जाती है।
विराज अभी अपने क्लास में ही जा रहा था कि तभी उसके सामने रिया आ जाती है।
रिया बोली, "यह लो, तुम्हारे लिए।"
विराज बोला, "किस खुशी में? और यह तुम मुझे क्यों दे रही हो? और पहले तो मेरा रास्ता रोकने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी?"
रिया बोली, "अरे हिम्मत की तो तुम बात ही मत करो! हिम्मत तो मुझमें कूट-कूट कर भरी है। पता है? मुझमें इतनी हिम्मत है कि मेरे गली के सभी लोग मुझे हिम्मतवाली बोलते हैं। और दूसरी बात, तुम्हें यह फूल देने की तो मुझे नहीं लगता तुम इतना बुद्धू हो कि तुम्हें सब समझ ना पड़े। तो लो फूल, चुपचाप, और जाओ अपनी क्लास में। क्योंकि तुम मुझे देखने के लिए फ्री हो, लेकिन आज मुझे क्लास अटेंड करनी है।"
विराज झुंझलाते हुए बोला, "क्या बकवास कर रही हो तुम? और मुझसे दूर रहो, समझी? तुम जो चाहती हो, वह कभी नहीं हो सकता। इसीलिए ऐसे सपने देखना बंद करो जो कभी पूरे नहीं हो सकते।"
रिया बोली, "मैं सपने देखने और उन सपनों को पूरा करने, दोनों की हिम्मत रखती हूँ। तो तुम्हें मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है कि मुझे कौन से सपने देखने चाहिए और कौन से नहीं।"
विराज दाँत पीसते हुए बोला, "ओके, फाइन। जो करना है करो।"
इतना बोलकर वह आगे जाने लगा। तभी पीछे से रिया की आवाज़ सुनाई देती है।
रिया बोली, "अरे रे! यह फूल तो ले जाओ।"
विराज रिया के हाथ से फूल ले लेता है। रिया बहुत खुश हो जाती है, लेकिन विराज उस फूल को तोड़कर फेंक देता है। जिससे रिया का चेहरा उतर जाता है, लेकिन वह बिना किसी फिक्र के वहाँ से चला जाता है।
रिया की आँखों में आँसू आ गए थे, लेकिन थोड़ी देर बाद वह खुद को संभालते हुए मन ही मन बोलती है, "अरे बुद्धू! तू इतना क्यों सैड हो रही है? वह तुझे तो क्या, किसी भी लड़की को भाव नहीं देता। लेकिन फिर भी वह तुझसे बात तो कर लेता है। सो इतना सैड मत हो। एक ना एक दिन वह ज़रूर मान जाएगा। बी पॉज़िटिव! क्योंकि पॉज़िटिव के आगे जीत है... नहीं-नहीं, डर के आगे जीत है! हाँ, यह ठीक है।" फिर वह भी वहाँ से अपने क्लासरूम की तरफ़ निकल जाती है।
वहाँ दूसरी तरफ़, कियारा और झरना अपने क्लासरूम की तरफ़ जा रही थीं कि तभी उन्हें राज की पलटन दिखाई देती है। तो वह दोनों उस तरफ़ चलने लगती हैं। झरना की नज़रें तो बस राज को ही ढूँढ रही थीं, लेकिन राज की पलटन का लीडर, मतलब कि राज ही वहाँ पर दिख नहीं रहा था।
क्रमशः...
झरना और कियारा अपने दोस्तों के पास पहुँचीं और उन्हें अभिवादन किया। बाकी सभी ने उन्हें गुड मॉर्निंग की शुभकामनाएँ दीं।
झरना अभी के पास जाकर बोली, "अरे रे बनारस के अभी बाबू! आखिर प्रपोजल नाइट कैसी गई आपकी?"
अभी शर्माते हुए बोला, "क्या तुम भी झरना ऐसे कोई बोलता है क्या?"
झरना बोली, "अरे यार, तुम क्यों इतना शर्मा रहे हो? इतना तो वर्तिका भी नहीं शर्माती।"
वर्तिका बोली, "हाँ, बिल्कुल! नई-नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रहा है।"
इतना बोलकर वह हँसने लगी।
अभी मुँह बनाकर बोला, "अब तुम भी मेरा मज़ाक उड़ा रही हो।"
वर्तिका बोली, "अरे, मज़ाक कहाँ कर रही हूँ? मैं तो सच बोल रही हूँ। तुम्हें मज़ाक लग रहा है तो इसमें मेरी क्या गलती है?"
तभी वहाँ आशु आई और बोली, "अरे यार, मेरे भाई को तुम लोग परेशान मत करो।"
वंश बोला, "मोटी, तेरा भाई है ही ऐसा शर्मीला, सच तो कहेंगे ही लोग।"
आशु बोली, "तू चुप कर, गटर के सड़े हुए कीड़े!"
तभी झरना उन दोनों को शांत करते हुए बोली, "अरे यार, बस करो तुम दोनों! एकदम कुत्ते-बिल्ली जैसे हो, जब देखो तब लड़ते रहते हो।"
इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई।
अभी बोला, "अबे यार, काहे को लड़ते रहते हो हमेशा? चलिए वर्तिका जी, हम आपको नाश्ता करवा देते हैं।"
वर्तिका "हम्म..." कहकर वहाँ से अभी के साथ चली गई।
वहाँ पर बस वंश और आशु एक-दूसरे को घूरते हुए रह गए।
कबीर कियारा से बोला, "आप कुछ नहीं बोलेंगी?"
कियारा बोली, "मैं कम ही बोलती हूँ।"
कबीर बोला, "कोई नहीं, मैं ज़्यादा बोलता हूँ। कम और ज़्यादा मेंटेन होना चाहिए।"
कियारा कबीर की तरफ़ घूर कर बोली, "क्या मतलब है आपके कहने का?"
कबीर बोला, "मतलब कि मैं ज़्यादा बोलता हूँ, आप कम बोलती हैं। इसका मतलब हम दोनों बहुत ही अच्छे दोस्त बन सकते हैं, है ना?"
कियारा बोली, "हम्म, ठीक है।"
फिर वह अपना हाथ बढ़ाकर बोली, "तो दोस्त?"
कबीर भी खुशी-खुशी उसका हाथ थामकर बोला, "दोस्त।"
फिर कियारा वहाँ से क्लासरूम की तरफ़ चली गई। आखिर उसे अपने मिशन पर भी तो काम करना था।
झरना कबीर के पास आकर बोली, "तो कहाँ तक चली गाड़ी?"
कबीर बोला, "हमारी तो चल रही है। आप अपनी बताओ, गाड़ी स्टार्ट भी हुई या नहीं?"
इतना बोलकर वह हँसने लगा।
झरना बोली, "हँस लो, हँस लो! लेकिन यह याद रखना, आपकी गाड़ी आसानी से आपकी मंज़िल तक नहीं पहुँचने वाली।"
तभी बाहर राज आ गया। झरना खुशी से उसे गुड मॉर्निंग विश करने लगी, लेकिन राज ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया और सिर्फ़ अपना सिर हिलाकर वहाँ से निकल गया। तभी उसे पीछे से कबीर की आवाज़ सुनाई दी।
कबीर राज के पास आकर बोला, "यार, यह क्या है? वह तुझे गुड मॉर्निंग विश कर रही है और तू बस उसे इग्नोर करके निकल जा रहा है। कम से कम उससे दोस्ती तो कर लो।"
राज बोला, "अगर वह सिर्फ़ मुझे दोस्त समझती तो मैं उससे दोस्ती ज़रूर कर लेता।"
इतना बोलकर वह वहाँ से चला गया।
कबीर झरना का उतरा हुआ चेहरा देखकर उसके पास गया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला,
कबीर बोला, "मुझे लगता है कि पहले तुम्हें दोस्ती से शुरू करना चाहिए, जैसे मैं कर रहा हूँ।"
झरना बोली, "शर्म नहीं आती आपको? बहन का घर अभी तक बसा नहीं है और खुद का घर बसाने चलेगा? थोड़ी शर्म कर लो, भगवान से डर लो थोड़ा।"
पहले तो कबीर झरना का उतरा हुआ चेहरा देखकर थोड़ा सा डर गया था कि कहीं झरना को बुरा न लग गया हो, लेकिन अब उसका ऐसा नौटंकीबाज़ रूप देखकर वह समझ गया कि झरना भी इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं है।
कबीर मुस्कुराते हुए बोला, "हमारी गाड़ी तो आ गई है दोस्ती पर, अब तुम अपना देखो।"
झरना कबीर को घूरते हुए बोली, "लेकिन इतनी आसानी से आपकी गाड़ी प्यार पर नहीं आने वाली, याद रखना! कहीं दोस्ती के चक्कर में आपको कियारा फ़्रेंड ज़ोन में ही न रख दें, फिर मेरे पास मत आना रोते हुए।"
कबीर बोला, "अर्ज किया है, गौर फ़रमाइएगा..."
झरना मुँह बनाते हुए बोली, "इरशाद, इरशाद..."
कबीर बोला, "हम वह फूल नहीं जो काँटों से लड़ जाएँ, हम तो आशिक हैं जो दोस्ती से सीधा घोड़ी पर चढ़ जाएँ..."
झरना शौक़ीन एक्सप्रेशन के साथ बोली, "वाह! वाह! वाह! आप मेरी संगति में अच्छी शायरी बोलना सीख ही गए आखिरकार।"
कबीर झरना को घूरते हुए बोला, "इसमें भी अपना क्रेडिट।"
तभी उसकी नज़र वर्तिका और अभी पर गई जो एक-दूसरे को प्यार से नाश्ता करवा रहे थे।
उन्हें देखकर कबीर बोला, "यार, यह दोनों तो जले पर नमक छिड़क रहे हैं।"
झरना भी सैड सा फ़ेस बनाकर बोली, "हाँ, मेरे भाई! हम दोनों ही रहे थे सिंगल, बिचारे।"
तभी पीछे से आवाज़ आई।
आशु और वंश दोनों एक साथ बोले, "अरे यार, हम भी हैं यहाँ पर! सिंगल ग्रुप में शामिल होने के लिए।"
झरना उन दोनों की तरफ़ देखकर बोली, "हाँ यार, वंश का तो पता नहीं, उसे तो रोज़ ही सिंगल-मिंगल होता रहता है। लेकिन आशु को तो मैं भूल ही गई थी, वह भी तो आखिर हमारे ग्रुप में है।"
आशु मुँह बनाते हुए बोली, "तुम्हें तो बस अपने भाई याद रहते हैं, मैं तो किसी को याद ही नहीं रहती।"
वंश बोला, "अरे ओ जलकुकुड़ी! कम से कम कबीर भाई से तो जलना बंद कर।"
आशु वंश को बुरी तरह से घूरते हुए बोली, "गटर के सड़े हुए कीड़े! कितनी बार कहा है अपने गटर से मुँह का शटर बंद कर, लेकिन तुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता! मेरे मामलों में मत पड़ा कर! तू है जलकुकुड़ा!"
कबीर दोनों को शांत कराते हुए बोला, "शांत हो जाओ तुम दोनों! कोई भी शुरू हो जाते हो।" कबीर झरना से धीरे से पूछा, "राज कहाँ है?"
कबीर ने धीरे से जवाब दिया, "लाइब्रेरी की तरफ़ गया है।"
अब झरना वहाँ से निकलने में ही अपनी भलाई समझती है और राज को ढूँढने के लिए निकल जाती है।
झरना लाइब्रेरी की तरफ़ जा ही रही थी कि तभी उसे रास्ते में कुणाल मिला, जिसके बारे में विराज ने कल बताया था, जो झरना का क्लासमेट था।
झरना देखती है कि वह बस पढ़ाई कर रहा था। वह सोचती है कि क्या यह क्रिमिनल हो सकता है? लेकिन सस्पेक्ट तो है, तो नज़र तो रखनी पड़ेगी। फिर वह राज को ढूँढती है जो कि एक टेबल पर बैठकर अपना काम कर रहा था।
झरना जल्दी से उसके पास जाती है और उसकी बगल वाली सीट पर बैठ जाती है। राज एक नज़र उसे देखता है। वह सरप्राइज़ बिल्कुल नहीं था क्योंकि उसे पता था कि झरना उसका पीछा करते-करते लाइब्रेरी तक पहुँच ही जाएगी, या फिर यह कह सकते हैं कि अब राज को आदत हो चुकी थी झरना के उसका पीछा करने की।
खुद को इग्नोर होता पाकर झरना का मुँह बुरी तरह से बिगड़ चुका था। वह राज के सामने से उसकी बुक हटाते हुए बोली, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज बोला, "क्या है? जल्दी बोलो, मैं तुम्हारी तरह फ़्री नहीं हूँ, मुझे बहुत काम है।"
झरना खुद में ही बोली, "क्या मैं फ़्री हूँ? एकदम निठल्ली! अगर ऐसा मेरी टीम ने सुन लिया तो मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं बचूँगी।"
राज बोला, "क्या तुम पागल हो?"
झरना हड़बड़ाते हुए बोली, "नहीं! तो ऐसा तुमसे किसने कहा?"
राज बोला, "कहने की क्या ज़रूरत है? मुझे सब दिख ही रहा है। यह तुम अकेले में क्यों बोल रही हो? नॉर्मल लोग तो तुम्हें ऐसे पागल ही समझेंगे।"
झरना बोली, "वह कुछ नहीं। मैं अब पॉइंट पर आती हूँ। क्या आप मुझसे दोस्ती करोगे?"
राज बोला, "और अगर तुमने कोई उल्टी-सीधी हरकत की तो?"
झरना बोली, "बिल्कुल नहीं! मैं आई प्रॉमिस! मैं कोई भी उल्टी-सीधी हरकत नहीं करूँगी। एकदम गुड गर्ल बनकर रहूँगी, पक्का! अब बताओ, दोस्ती करोगे मुझसे?"
राज थोड़ी देर सोचता है, फिर अपना एक हाथ आगे बढ़ा देता है। झरना खुशी से राज का हाथ पकड़ लेती है और उसे हिलाने लगती है।
राज वेट करता है झरना कब उसका हाथ छोड़ेगी, लेकिन जब पाँच मिनट चले जाने के बाद भी झरना उसका हाथ नहीं छोड़ती, तो राज थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोलता है,
राज बोला, "मेरा हाथ ऐसे ही पकड़ रखने का इरादा है क्या?"
झरना झट से अपनी सेंस में आते हुए जल्दी से राज का हाथ छोड़ देती है और शर्मिंदगी से बोलती है, "ओ सॉरी।"
राज को उसका यूँ शर्माना अच्छा लग रहा था। वह भी थोड़ा सा मुस्कुरा देता है, लेकिन आप सब को तो पता ही है, हमारा राज इतना ही मुस्कुराता है जितना कि... (यहाँ कहानी जारी रहती है)
कॉलेज का पूरा दिन मौज-मस्ती में बीत गया। कॉलेज खत्म होने के बाद सब एक कैफ़े में बैठे, क्योंकि आज सबको कुछ चर्चा करनी थी।
वंश कैफ़े में आकर धड़ाम से चेयर पर बैठ गया और ऊँची आवाज़ में बोला, "अरे यार! इसमें चर्चा क्या करनी है? मैंने तो बोला ना, वो तय है, हम गोवा जा रहे हैं। इट्स फ़ाइनल!"
आशु ने कहा, "ऐसा तो हो ही नहीं सकता।"
"चुप कर तू! तेरी मानकर हम अपनी तीन दिन की छुट्टियाँ बर्बाद नहीं करेंगे। और पिछले साल तेरे कहने पर हम कश्मीर गए थे ना? क्या हुआ? उल्टा हम पर हमला हो गया और तूने तीन दिन की छुट्टी का सत्यानाश कर दिया। अब अगर कुछ बोला तो तेरी खोपड़ी यहीं खोलकर रख दूँगी।"
वंश ठीक से बैठते हुए बोला, "अरे यार! ये तू क्या बोल रही है? एकदम गुंडी-मवाली टाइप लग रही है। वैसे टाइप क्या? तू तो है ही गुंडी!"
तभी बीच में झरना बोली, "अरे तुम लोग किस बात पर बहस कर रहे हो? कोई मुझे बताएगा?"
राज ने बताया, "वो हर साल कॉलेज के एक-दो महीने बाद हम ग्रुप बनाकर कहीं घूमने जाते हैं, ताकि कॉलेज की शुरुआत की यादें यादगार रहें। इसलिए ये दोनों इसी बात पर लड़ रहे हैं कि आखिर इस साल हम कहाँ जाएँगे।"
राज को अपना जवाब मिलते देख झरना खुश हो गई। लेकिन कबीर, जो जूस पी रहा था, उसके मुँह से सारा जूस बाहर निकल गया और उसके सामने बैठे अभी पर गिर गया।
अभी उठते हुए बोला, "अरे रे! ये कबीर भैया! ये क्या कर डाला? हम सुबह नहाकर आए हैं, काहे हमको बार-बार नहला रहे हो?"
कबीर शर्मिंदगी से बोला, "अरे सॉरी यार! वो कुछ ऐसा सुन लिया कि रहा नहीं गया। सॉरी।"
वर्तिका बोली, "अब जाओ अभी वॉशरूम में साफ़ करके आओ, वरना दाग लग जाएगा।"
अभी वॉशरूम की तरफ़ चला गया। झरना धीरे से कबीर से बोली, "ऐसा भी क्या सुन लिया कबीर भैया कि आपको इतनी हँसी आ गई?"
कबीर बोला, "कुछ ज़्यादा ही दोस्ती हो गई तुम्हारी और राज की, बहना!"
झरना बोली, "कुछ शर्म कर लो! अपनी बहन का घर बसते हुए नहीं देख सकते? जाओ आप भी करो कियारा जी से दोस्ती!"
कबीर बोला, "हाँ, हमारी दोस्ती तो आगे बढ़ी ही रही है। तुम अपना देखो ना!" इतना बोलकर उसने अपना मुँह फेर लिया।
वर्तिका बोली, "आई थिंक मुझे लगता है कि हमें बनारस जाना चाहिए। आप सबका क्या कहना है?"
झरना बोली, "ओए होए! तो तुम ही तुम्हारे-उनके घर जाना है? क्यों ऐसा बोलो ना?"
वर्तिका थोड़ा शर्माते हुए बोली, "अरे नहीं, मैं तो बस ऐसे ही बोल रही थी। बनारस अच्छी जगह है घूमने के लिए और दूसरी बात, हम कभी गए भी नहीं।"
वंश बोला, "अरे यार! बनारस का बाबू ही तुम्हें दे दिया, अब तुम्हें और क्या चाहिए? क्या पूरा बनारस उठाकर तुम्हें दे दूँ?"
आशु बोली, "अपनी बड़ी-बड़ी बातें करना बंद कर दो! वही काफी है सबके लिए।"
वंश बोला, "तुम फिर बीच में बोली? अरे मोटी! तुम अपना मुँह बंद क्यों नहीं रखती?"
आशु बोली, "जैसे तुम अपने गटर जैसे मुँह का शटर बंद नहीं रखते, वैसे।"
कियारा बोली, "हाँ, मुझे भी ऐसा ही लगता है..."
तभी बीच में आशु बोली, "देखा? कियारा को भी यही लगता है कि तुम गटर हो।"
वंश हैरानी से कियारा की तरफ़ देखता है। तभी कियारा बोली, "मैं ये कह रही थी कि मुझे ऐसा लगता है कि हमें बनारस जाना चाहिए।"
वंश आशु की तरफ़ देखकर बोला, "तो क्या बोल रही थी आप, मोहतरमा?"
तभी कबीर कियारा की तरफ़ देखकर बोला, "हाँ, तो हम बनारस ही जाएँगे, फिर फ़ाइनल।"
राज मन ही मन में बोला, "ये नहीं सुधरेगा।"
ये बात तय हो गई कि अभी को कुछ नहीं बताया जाएगा, उसके लिए सरप्राइज़ ही रहने देंगे। उसे बताया जाएगा कि वो लोग गोवा जाने वाले हैं। फिर सब अपने-अपने घर के लिए निकल गए।
रात को डिनर के वक़्त मेहता हाउस में:
झरना बोली, "मॉम-डैड, हम सब तीन दिन की छुट्टियों में बनारस जाने वाले हैं, तो हम चाहते हैं कि रिया भी हमारे साथ ही चले।"
रिया हैरानी से बोली, "क्या? कब? कौन? कहाँ?"
झरना कूल स्टाइल में बोली, "ये टीवी शो की सास की तरह रिएक्ट मत कर।"
रिया सामान्य होते हुए बोली, "ठीक है, ठीक है। लेकिन तुम लोगों ने कब परमिशन ली माँ-पापा से?"
विजय जी बोले, "अरे बेटा, तुम अभी आई हो ना, नई-नई, इसलिए तुम्हें नहीं पता। वरना इन लोगों को कहाँ परमिशन की ज़रूरत होती है? क्यों झरना बेटा?"
सविता जी बोलीं, "हाँ, राजकुमारी को तो बस अपने मन की करनी होती है। जब ये लोग शिकायत लेकर आते हैं, तब पता चलता है किसने क्या किया है। और ऊपर से ये दूसरी कियारा, इसका रायता समेटने में लग जाती है।"
विजय जी बोले, "चलो, किसी बात पर तो हमारी सोच मिली।"
झरना बोली, "हाँ-हाँ भाई! इसे तो इतिहास में लिखना चाहिए! आखिर 25 साल में पहली बार मॉम-डैड की सोच एक हुई है।"
सविता जी बोलीं, "जी, तू ताना दे रही है या फिर तारीफ़ कर रही है?"
झरना बोली, "समझदार को समझ आ जाता है। डैड से पूछ लो।"
सविता जी विजय जी की तरफ़ देखती हैं, तो विजय जी बोलते हैं, "जब मुझे समझ आ जाएगा, तब मैं आपको बता दूँगा।"
अगले दिन सुबह कियारा, रिया और झरना अपनी जीप में कॉलेज के लिए निकल चुकी थीं। रास्ते में, जब झरना गाड़ी चला रही थी, तब उसे रोड की दूसरी साइड एक कार खड़ी दिखी; चौड़ी रोड के बीचो-बीच। वहाँ पर उसे देवेश फ़ोन पर बात करते हुए दिखा।
झरना ने जल्दी से अपनी गाड़ी रोक दी। उसके यूँ अचानक ब्रेक लगाने से रिया आगे आ गई और कियारा का सिर टकराते-टकराते बचा। वो दोनों ही हैरानी से झरना की तरफ़ देखती हैं, लेकिन झरना का ध्यान तो रोड की दूसरी साइड ही था। फिर जैसे ही वो अपने पीछे देखती है, तो डर के मारे उसकी छोटी सी चीख निकल जाती है, क्योंकि उसके पीछे रिया भूतनी लग रही थी, उसके बाल आगे आ चुके थे। वो फिर अपनी साइड में देखती है; उसकी आँखें बाहर आ जाती हैं, क्योंकि कियारा का हाल भी कुछ ऐसा ही नज़र आ रहा था। वो हँसने लगती है। उसे हँसता देख रिया और कियारा दोनों ही कन्फ़्यूज़ हो जाती हैं कि आखिर हुआ क्या? फिर वो एक-दूसरे की शक्ल देखती हैं, तो उनकी भी चीख निकल जाती है। फिर वो झरना की तरफ़ गुस्से से देखती हैं।
जैसे ही झरना को समझ आता है कि शायद अब उसकी बैंड बजने वाली है, वो गाड़ी से निकल जाती है और कियारा से कहती है, "तुम जाओ, मुझे कुछ काम है।"
कियारा, मौके की नज़ाकत को समझते हुए, गाड़ी की चाबी ले लेती है और झरना वहाँ से रोड की दूसरी साइड निकल जाती है, जहाँ पर देवेश की कार खड़ी हुई थी। वो धीरे-धीरे छुपते-छुपाते देवेश की कार तक पहुँच जाती है। उसे अब हल्की-हल्की सी देवेश की आवाज़ सुनाई दे रही थी, जो किसी पर गुस्सा कर रहा था।
देवेश: मुझे नहीं पता कैसे करना है, लेकिन हमें चार दिन बाद राजकोट हाईवे से ट्रक लोड करना ही होगा। और कल जिस लड़की ने मेरी बेइज़्ज़ती की थी, उसका बदला तो मैं ये ट्रक लोड करने के बाद लेकर ही रहूँगा। और तुम बच के रहना, उसे शायद शक हो सकता है तुम पर।
सामने से कुछ आवाज़ आ रही थी, जो कि झरना को सुनाई तो नहीं दे रही थी, लेकिन वो समझ रही थी कि देवेश सामने वाले की बात सुन रहा होगा।
देवेश: तो तुम क्या चाहती हो? मैं उससे डरकर रहूँ? ऐसा बिलकुल नहीं होगा। हम अपना काम करके ही रहेंगे।
इतना बोलकर वो कॉल कट कर देता है।
इससे झरना को ये तो समझ आ चुका था कि ये जो कोई भी है, दूसरा, वो लड़की ही है। मतलब कि ये लड़का और लड़की मिलकर कॉलेज में ड्रग्स स्मगलिंग का आतंक मचाए हुए हैं।
झरना खुद ही में बड़बड़ाती है: "आज तक कोई झरना जग्गा जासूस से बच नहीं पाया, तो तुम क्या बचोगे? आखिर तुम किस खेत की मूली हो? नहीं-नहीं, तुम तो करेला हो।"
फिर खुद को शाबाशी देते हुए: "वाह झरना! क्या काम किया है! वेल डन!"
कॉलेज पहुँचने पर झरना सीधे कैंटीन गई, क्योंकि उसे पता था कियारा वहीं होगी। उसने सही सोचा था; कियारा एक खाली मेज़ पर बैठी थी। दोस्ती का यही तो कमाल है, बिना कहे सब कुछ समझ जाना।
झरना जल्दी से कियारा के पास गई। कियारा बेचैन थी, उसे पता था झरना यूँ ही नहीं आई होगी। ज़रूर कोई ज़रूरी काम होगा।
झरना के बैठते ही कियारा बेचैनी से बोली, "क्या हुआ था? तुम इतनी जल्दी क्यों चली गईं? आखिर बात क्या है?"
झरना ने कहा, "बात यह है कि मुझे वहाँ देवेश दिखा था। इसीलिए मैंने तुम दोनों को वहाँ से जाने को कहा और फिर पूरी बात कियारा को बताई जो उसने सुना था।"
उसकी बात सुनकर कियारा के चेहरे पर शिकन आ गई। वह सोच रही थी कि अब उस ट्रक को लोड होने से कैसे रोका जाए। वे अभी उन्हें पकड़ भी नहीं सकते थे क्योंकि उनमें से एक का खुलासा होना बाकी था। कॉलेज में दो लोग स्मगलिंग कर रहे थे; देवेश तो पता चल गया था, लेकिन दूसरी लड़की कौन थी, यह पता करना बाकी था।
कियारा को यूँ सोचते देख झरना बोली, "कियारा, टेंशन मत लो। यह ट्रक लोडिंग हम हरगिज़ नहीं होने देंगे। अब इस देवेश को दिखाएँगे कि झरना और कियारा क्या चीज हैं! उसे अपनी नानी याद ना दिलाई तो मेरा नाम झरना मेहता नहीं।"
उसकी आखिरी बात सुनकर कियारा मुस्कुराई और गर्दन हिला दी।
दोनों क्लासरूम की ओर चली गईं। पहला लेक्चर ख़त्म होने पर सब कैंटीन गए।
वंश आराम से कुर्सी पर बैठकर बोला, "तो दोस्तों, हमने तय तो कर लिया है कि कहाँ जाना है, लेकिन गोवा कब जाएँगे, यह तय करना बाकी है।"
वर्तिका बोली, "हाँ, बिलकुल। बाद में क्यों? अभी चार दिन बाद चलते हैं, क्यों नहीं?"
अभी बोला, "हाँ, बिलकुल। मुझे कोई एतराज़ नहीं है।"
तभी झरना और कियारा साथ में बोलीं, "नहीं! बिलकुल नहीं!"
उनके ऐसा बोलने पर सब उनकी ओर देखने लगे। कियारा और झरना पहले सबकी ओर देखीं, फिर एक-दूसरे की ओर।
झरना बात को संभालते हुए, या यूँ कहें कि बात को और बिगाड़ते हुए, बोली, "वह क्या है ना, हमारे घर में एक ख़ास, महत्वपूर्ण पूजा है। इसीलिए हम उस दिन नहीं जा सकते।"
कबीर बोला, "बहना, हर पूजा महत्वपूर्ण होती है। इसमें ख़ास क्या है?"
वंश ने भी पूछा, "हाँ भाई, ऐसी कौन सी पूजा है तुम्हारे घर में?"
झरना हड़बड़ा कर बोली, "वह... हमारे घर में 'डेड शांति' पूजा है।" फिर धीरे से बुदबुदाई, "अरे नहीं नहीं! मम्मी को पता चला कि मैंने 'डेड' के साथ शांति आंटी का नाम लिया है, तो वह तो पक्का मेरी जान ही ले लेंगी!"
झरना फिर बोली, "मेरा मतलब है कि डेड ने घर में शांति पूजा रखवाई है, इसीलिए हम नहीं आ सकते।"
अभी बोला, "अरे इसमें क्या है? हम भी चलेंगे पूजा करने, आपके साथ। क्यों नहीं बुलाएँगी हमें?"
वंश ने भी कहा, "हाँ, हाँ, हमें तो बुलाओगी ना पूजा के लिए?"
आशु बोला, "हाँ, बिलकुल बुलाएगी झरना, लेकिन वहाँ प्रसाद में क्या होगा?"
वंश ने आशु के सर पर हल्की सी चपत मारी, "चुप कर मोटे! जब देखो तब खाना ही सोचता रहता है।"
आशु अपने सर को सहलाते हुए बोला, "तुझे कितनी बार कहा है कि सर पर मत मार! दिमाग होता है वहाँ..." आशु कुछ बोल पाता, उससे पहले ही वंश बोला,
वंश: "अरे हाँ, दिमाग! लेकिन वह तो तुझ में है ही नहीं।"
कबीर हमेशा की तरह बीच-बचाव करते हुए बोला, "अरे यार, बस करो तुम दोनों! क्या हमेशा बच्चों की तरह झगड़ते रहोगे? इतने बड़े हो गए, लेकिन हरकतें अभी तक नहीं बदलीं।"
फिर राज झरना से बोला, "अब बोलो भी तुम कुछ, या यूँ ही खड़ी रहोगी? बैठ जाओ और फिर बोलो।" झरना पहले ही कुर्सी से खड़ी हो गई थी, इसीलिए राज उसे बैठने और फिर बोलने के लिए कह रहा था।
झरना बेबसी से कियारा की ओर देखी। कियारा ने उसे चिढ़ाने वाला लुक दिया और मन में सोचा, "पता नहीं भगवान इस लड़की को इतना रायता फैलाने की शक्ति कहाँ से देता है! वैसे सोचने जैसी बात तो यह भी है कि इतना रायता समेटने की शक्ति भी मुझे भगवान कहाँ से देता होगा।"
कियारा सबकी ओर देखकर बोली, "हम आप सबको जरूर इनवाइट करेंगी, अगर यह सिंपल पूजा होती, लेकिन इस पूजा में बहुत से ऐसे नियम हैं, जिन्हें आप फॉलो नहीं कर पाएँगे। यह आप सबके लिए बहुत मुश्किल होगी।"
कबीर शर्माते हुए बोला, "कोई बात नहीं कियारा जी, आपके लिए हम हर मुश्किल को आसान बना देंगे।"
कियारा: "क्या बोला आपने?"
कबीर तुरंत अपनी बात संभालते हुए बोला, "वह... कुछ नहीं। आप बताइए तो सही, क्या-क्या प्रॉब्लम है? बाद में हम डिसाइड करेंगे क्या करना है।"
झरना मन में सोची, "पता नहीं भगवान इन आशिक लोगों को इतनी एनर्जी कहाँ से देता है! देखो कितने हाथ धोकर पीछे पड़े हैं कबीर भाई कियारा के! फिर जैसे ही उसे खुद का ख्याल आया, वह एक अट्टिट्यूड के साथ सोची, "हाँ, मेरी बात तो अलग है, क्योंकि वह कहते हैं ना, 'नारी शक्ति जिंदाबाद'! तो भगवान ने हमें बहुत शक्ति दी है! लेकिन यह कबीर भाई का सोचने लायक है।"
तभी उसे कियारा की आवाज़ सुनाई दी।
कियारा: "पूजा में बाहर के लोगों को हमारे कुल देवता के मंदिर तक नंगे पैर चलकर जाना होता है। अब बताइए, आप सब में से कौन तैयार है?"
अभी बोला, "भैया, हम सब में से किसी से नहीं होगा, तो आप रहने दीजिये।"
कबीर: "अरे पर..." वह इतना ही बोल पाया था कि राज बीच में बोला,
राज: "अब बस कर कबीर!"
राज के ऐसा बोलने पर कबीर शांति से कुर्सी पर पीछे टिककर बैठ गया और धीमी आवाज़ में बोला, "फिर ठीक है कियारा जी, हम पाँच दिन बाद ही चलेंगे।" क्यों? दोस्तों, सब कबीर की हाँ में हाँ मिलाते हैं और यह फ़ाइनल करते हैं कि गोवा जाने का प्लान पाँच दिन बाद ही रखेंगे।
क्रमशः…
उस दिन सब अपने-अपने घर चले गए और वह रात भी ऐसे ही बीत गई।
सुबह झरना, कियारा और रिया अपनी जीप में कॉलेज के लिए निकल गईं।
रास्ते में रिया को कुछ ऐसा दिखाई दिया जिससे वह झरना से तुरंत बोली, "गाड़ी रोको, गाड़ी रोको!"
झरना ने जल्दी से ब्रेक मारे और कहा, "अरे यार! क्या हो गया? इतना क्यों चिल्ला रही है? मेरे तो कान के पर्दे ही फट गए!"
रिया जल्दी से जीप से उतरते हुए बोली, "मुझे कुछ काम याद आ गया। आप दोनों जाओ, मैं वह काम निपटाकर आती हूँ।"
"लेकिन तुझे जाना कहाँ पर है?" कियारा ने पूछा।
झरना ने भी सवाल भरी नज़रों से रिया की तरफ देखते हुए पूछा, "हाँ, बता तो सही, इतनी जल्दी में तुझे जाना कहाँ पर है?"
रिया ने झरना की तरफ आँख मारकर रोड से कुछ दूरी पर खड़ी एक कार की तरफ इशारा किया।
झरना उस कार को देखकर ही समझ गई कि आखिर माजरा क्या है। वह कियारा की तरफ देखकर बोली, "अरे यार, जाने दो उसे। मुझे उससे कुछ काम था करने के लिए। तू जा, रिया।"
कियारा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर चल क्या रहा है, लेकिन उसे यह ज़रूर पता था कि दाल में कुछ तो काला है। वह झरना की तरफ शक भरी नज़रों से देखती है और फिर पूछती है, "यह आखिर चल क्या रहा है?"
झरना ने कहा, "सब बातें तुझे बतानी ज़रूरी नहीं होतीं। कुछ हमारे भी सीक्रेट होते हैं। मुझे कुछ काम था इसलिए मैंने तुम्हें भेजा है। अब चुपचाप चल कॉलेज के लिए। वैसे भी हमें बहुत काम है।" वह दोनों कॉलेज के लिए निकल गईं। कियारा अभी कुछ नहीं बोली क्योंकि उसे पता था कि इस लड़की को कुछ बोलना मतलब भैंस के आगे बीन बजाना है। यह जो करना होगा वही करेगी।
वहीं दूसरी तरफ, रिया उस कार के पास पहुँच चुकी थी जो कि रोड के दूसरी तरफ थोड़ी दूरी पर खड़ी थी और जिसका टायर कोई बदल रहा था। रिया वहाँ जाकर लड़के के पीछे से उसकी आँखें बंद कर देती है। वह लड़का हैरानी से खड़ा हो जाता है।
और जैसे ही वह पलटा, गुस्से से रिया पर चिल्लाते हुए बोला, "तुम यहाँ पर क्या कर रही हो? और तुम्हारी ऐसा करने की हिम्मत कैसे हुई?" (आपने सही पहचाना दोस्तों, और कोई नहीं, विराज ही था।)
रिया ने भोला सा चेहरा बनाते हुए कहा, "लेकिन मैंने क्या किया?"
विराज ने कहा, "Forget it! तुम यह बताओ कि तुम यहाँ पर क्या कर रही हो? तुम्हें तो कॉलेज में होना चाहिए अभी।"
रिया ने एकदम मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, "वह मुझे कुछ काम था तो मैं आज अकेले ही कॉलेज जाने वाली थी, लेकिन मुझे अभी यहाँ पर कोई टैक्सी नहीं मिल रही है इसलिए बस लिफ़्ट की राह देख रही हूँ।"
विराज रिया को शक भरी नज़रों से देखते हुए बोला, "तुम यहाँ तक कैसे पहुँची?"
रिया ने अपना दिमाग चलाते हुए कहा, "वह तो एक दीदी ने लिफ़्ट दे दी थी, लेकिन इसके आगे उन्होंने कहा कि तुम खुद देख लेना। अब मैं अकेली अबला नारी, कुछ समझ नहीं आ रहा है कि कहाँ जाऊँ यहाँ से।"
विराज को यकीन तो नहीं आ रहा था रिया की बात पर, लेकिन फिर भी वह उसे एक अच्छे इंसान होने के नाते बोल ही देता है, "ठीक है, मैं कॉलेज ही जा रहा था तो तुम्हें भी साथ लेकर चलूँगा।"
रिया धीरे से बोली, "लो हो गया अपना काम। यही तो मैं चाहती थी।"
विराज ने उसे ऐसे बड़बड़ाते देखकर कहा, "यह क्या खुसुर-फुसुर कर रही हो तुम? जो भी बोलना है ज़ोर से बोलो।"
रिया ने अपने बालों को कान के पीछे करते हुए कहा, "नहीं, मैंने तो कुछ नहीं बोला। शायद आपके ही कान बज रहे होंगे।"
इतना बोलकर वह जल्दी से कार की पैसेंजर सीट का दरवाज़ा खोलकर बैठ जाती है। उसे पहले तो ऐसा करते देखकर विराज की आँखें हैरानी में थोड़ी बड़ी हो गईं, लेकिन फिर अपना सिर झटकते हुए ड्राइविंग सीट की तरफ चला जाता है।
रास्ते में गाड़ी में बहुत ही शांति फैली हुई थी क्योंकि विराज शांतिप्रिय लोगों में से था और रिया अशांतिप्रिय लोगों में से। फिर भी वह चुप नहीं बैठ पाई।
रिया ने पूछा, "वैसे तुम रहते कहाँ हो?"
विराज ने एक सामान्य स्वर में, रिया की तरफ देखे बिना कहा, "ब्लैक वर्ल्ड में ही रहता हूँ। तुम वहाँ पर आ चुकी हो न?"
रिया ने हैरानी से पूछा, "तुम उस घर में रहते हो?"
विराज ने कहा, "हाँ, क्यों? तुम्हें कोई प्रॉब्लम है क्या?"
रिया ने धीरे से कहा, "OMG! भगवान जी! आपको यही घर मिला था? इसको देने के लिए? और मैं शादी के बाद क्या उस खंडहर में रहूँगी? नहीं-नहीं, रिया, तुझे कुछ करना ही पड़ेगा।" यह सब बोलते वक्त रिया के चेहरे के भाव बहुत बिगड़ गए थे, जैसे वह ज़िंदगी और मौत के बीच में झूल रही हो।
विराज ने फिर से रिया को इस तरह खोया हुआ देखकर कहा, "यह वापस तुम क्यों बड़बड़ा रही हो? जो भी बोलना है साफ़-साफ़ बोलो ना मुझसे।"
रिया ने झूठी हँसी हँसते हुए कहा, "मैंने कुछ नहीं, मैं तो क्या ही बोलूँगी आपके सामने।"
विराज ने कहा, "वैसे एक बात बताओ।"
रिया खुशी से बोली, "हाँ, बताओ-बताओ! क्या है सो बताओ।" (रिया को तो खुशी हो रही थी कि विराज उससे बात कर रहा है।)
विराज ने पूछा, "तुम मुझे कभी-कभी 'आप' बुलाती हो, कभी-कभी 'तुम'। ऐसा क्यों?"
रिया ने बहुत ही गहराई से सोचते हुए कहा, "वह क्या है ना, कभी-कभी तुम्हारी रिस्पेक्ट करने का मन होता है तो 'आप' बोल देती हूँ। बाकी मैं तो सबको 'तुम' ही बोलती हूँ।"
विराज ने पूछा, "कभी-कभी से क्या मतलब है तुम्हारा?"
रिया ने मन ही मन सोचा, "कियारा दीदी सच ही कहती है, झरना से दूर रहो। देखो अब उसकी आदत भी मुझे लग गई। फैल गया रायता।"
विराज ने उसे चुप देखकर कहा, "अब बोलो भी या यूँ ही मुझे घूरते रहने का इरादा है?"
रिया ने कहा, "अरे रुको-रुको! हम पहुँच गए कॉलेज।" विराज ने भी जल्दी से गाड़ी को ब्रेक मार दिया। रिया जल्दी से उतर गई और विराज को बाय बोलकर फटाक से फ़ुर्र हो गई।
रिया ने मन में सोचा, "आज तो बाल-बाल बची।" वह ऊपर भगवान जी को हाथ जोड़कर ऊपर देखकर थैंक यू कहने लगी। विराज तो बस उसे देखता ही रह गया।
ऐसे ही तीन दिन निकल गए। आखिर वह दिन आ गया जिसका झरना और कियारा को बेसब्री से इंतज़ार था। आखिर उनके मिशन का यह पहला वार होगा।
सुबह मेहता हाउस में, कियारा विजय जी के पास आकर बोली, जो कि अपना न्यूज़पेपर ठीक से फोल्ड कर रहे थे, "पापा, वह आज मैं और झरना एक काम से थोड़ा लेट हो जाएँगी। क्या हम जा सकती हैं?"
विजय जी ने न्यूज़पेपर को साइड में रखते हुए कहा, "हाँ, लेकिन काम क्या है? यह तो बताइए बिटिया रानी..."
तभी वहाँ झरना आते हुए बोली, "वह बादशाह हुज़ूर! आपकी रानी बिटिया को और इस नाचीज़ को अपनी एक दूर की दोस्त से मिलने जाना है। इसीलिए आने में थोड़ा लेट हो जाएगा। तो खाना खा लो ना, हमारी राह मत देखना। बाय-बाय।"
तभी वहाँ सविता जी आते हुए बोलीं, "लो, देख रहे हो आप? बता रही हूँ मैं, इसका कुछ करो वरना यह लड़की मुझे मारकर ही दम लेगी। कियारा को ही देख लो, पूछने आई थी आपसे और यह तो जैसे ऑर्डर दे रही है।"
विजय जी ने धीरे से कहा, "आपको तो स्वयं यमराज भी ना मार पाएँ, तो यह फूल सी बच्ची क्या खाक मारेगी।"
सविता जी विजय जी को गुस्से से घूरते हुए बोलीं, "क्या यह आप चुपके-चुपके कर रहे हैं? अगर हिम्मत है तो मुझसे बोलिए। अगर अभी के अभी घर से आपको बाहर निकाल दिया ना, तो मेरा नाम भी सविता मेहता नहीं।"
झरना कियारा का हाथ पकड़कर बाहर जाते हुए बोली, "ठीक है, बाय डैड और मॉम! अपना नाम बदल लो तो मुझे ज़रूर बोल देना ताकि मैं भी दूसरों को बोल सकूँ कि मेरी मॉम का नाम सविता जी नहीं है।"
सविता जी बस पीछे से गुस्से में चिल्लाती खड़ी रह गईं और झरना और कियारा वहाँ से निकल गईं।
बाहर निकलने के बाद कियारा ने कहा, "क्यों तू माँ को तंग करती रहती है हमेशा?"
झरना ने एक मिश्रित भाव और भारी आवाज़ के साथ कहा, "तुझे पता है ऐसा क्यों करती हूँ? और डैडी-मॉम को हमेशा चिढ़ाते रहते हैं ताकि वह अपना ध्यान कहीं और ना लगा सकें। और सच कहूँ तो यार, हम सबकी भलाई इसी में है। लेकिन मैं उन्हें जल्दी ढूँढ लूँगी, फिर मॉम से मुझे रोज़ लड़ना नहीं पड़ेगा।" यह सब बोलते हुए झरना काफी इमोशनल हो गई थी।
कियारा ने झरना के कंधे पर हाथ रखकर कहा, "तू नहीं, हम उन्हें ढूँढ लेंगे। समझी? बस यह जल्द से जल्द मिशन हम कंप्लीट कर लें। चल अब आज इसका खेल उल्टा शुरू कर ही देते हैं।"
झरना भी अपने कैरेक्टर में वापस आते हुए एक जोश और कॉन्फिडेंस के साथ बोली, "बिल्कुल! आज से उन सब की उल्टी गिनती शुरू! Because DSF is coming!" इतना बोलकर जीप स्टार्ट कर दी और वह दोनों वहाँ से निकल गईं।