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Dil Ka kya kasoor

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Muskan Gupta

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तुम ये भोली शक्ल बना कर और इन बातों से मेरे दादा जी को अपनी जाल में फंसा सकती हों... पर मुझे दा बिजनेस टैक्यून शोरिया सिंघानिया को अपने इन सब जालो  में तुम कभी नहीं फंसा सकती समझी तुम.... और ये लो पेपर्स जल्दी से इन पर अपने सिग्नेचर करके दो मुझे...

Total Chapters (35)

Page 1 of 2

  • 1. Dil Ka kya kasoor - Chapter 1

    Words: 618

    Estimated Reading Time: 4 min

    हैदराबाद अपनी दो चीजों के लिए बहुत प्रसिद्ध है: एक है रामोजी फिल्म सिटी और दूसरा सिंघानिया पैलेस। यह पैलेस समुद्र तट के किनारे बना हुआ था। यह पूरा पैलेस 30 फीट लंबा और 35 मंजिल का था; इतना सुंदर था कि शाहरुख खान का पैलेस 'मन्नत' भी इसके आगे पीछे लगता था। जितना सुंदर यह पैलेस बाहर से लगता था, उससे कहीं अधिक सुंदर यह अंदर से था। पैलेस के अंदर जाते ही एक बहुत ही सुंदर फाउन्टेन दिखाई देता था जिसमें से पानी बेतहाशा बहता रहता था। फाउन्टेन को इतने बेहतरीन ढंग से डिज़ाइन किया गया था कि उसे एक बार देखने से मन नहीं भरता था, बार-बार देखने का मन करता था। उससे भी अधिक सुंदर पैलेस के अंदर का डिज़ाइन था; एक बड़ा सा गार्डन, जिसमें रंग-बिरंगे फूलों से पूरा बगीचा महक रहा था। पूरे पैलेस में संगमरमर की फर्श बिछी हुई थी जो एक बड़े से हॉल से होते हुए, सीढ़ियों से होते हुए, कमरों में जाती थी। पैलेस में कम से कम 25 कमरे थे, जिसमें से तीन बड़े-बड़े स्वीट रूम थे और बाकी सामान्य कमरे थे। लेकिन हर कमरे से एक स्विमिंग पूल जुड़ा हुआ था। हर स्विमिंग पूल में इतना पानी था कि किसी मध्यमवर्गीय परिवार के कई महीनों का पानी सिर्फ़ इनमें से एक स्विमिंग पूल में ही होता था। लोग इस सिंघानिया पैलेस को देखने के लिए तरसते रहते थे। वहाँ के लोगों का यही कहना था कि अगर जन्नत है, तो यही है। इस पैलेस में ना जाने कितने नौकर-चाकर काम करते थे। सिंघानिया पैलेस के बाहर लाखों की सुरक्षा व्यवस्था लगी रहती थी। मगर सिंघानिया पैलेस के सभी कर्मचारियों को एक ही हिदायत दी गई थी कि कोई भी पैलेस की जानकारी बाहर लीक नहीं करेगा, और अगर यह गलती कोई भी करता है, तो उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

    आज यही सिंघानिया पैलेस दुल्हन की तरह सजा हुआ था, और बाहर चमचमाती गाड़ियाँ खड़ी थीं। आज भारत से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी जाने-माने प्रसिद्ध व्यक्ति सिंघानिया पैलेस में आमंत्रित थे, पर अफ़सोस, मीडिया को छोड़कर।

    आज अपने जमाने के बिज़नेस टायकून मिस्टर रणजीत सिंघानिया के इकलौते पोते और हैदराबाद के बिज़नेस टायकून शोरिया सिंघानिया की शादी अपनी बचपन की दोस्त माहिरा त्रिपाठी से हुई थी।


    कमरे में हर जगह फूलों से सजावट की गई थी, और उन्हीं फूलों की महक पूरे कमरे में फैली हुई थी। फूलों की पंखुड़ियों और खुशबूदार मोमबत्तियों से मेज़ और टेबल सजे हुए थे, और मोगरे के फूलों की लड़ी बेड के चारों तरफ टांगी गई थी। बेड के बीचों-बीच गुलाब की पंखुड़ियों से एक प्यारा सा दिल बना हुआ था, जैसे मूवी में दिखाते हैं। बिल्कुल वैसे ही कमरा सजाया गया था। खिड़की के पास एक लड़की सुंदर लाल रंग के जोड़े में खड़ी, खिड़की से बाहर देख रही थी। बाहर से आती चाँदनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उसका चेहरा और भी ज्यादा सुंदर लग रहा था। बड़ी-बड़ी हिरनी जैसी भूरी आँखें, लाल पतले पंखुड़ियों जैसे होंठ, लंबी नाक, गुलाबी गाल, और उसके बालों की एक लट उसके चेहरे पर आ रही थी। बाहर से आती ठंडी हवा उसकी लट से खेल रही थी। आँखों में आँसू और चेहरे पर शादी की कोई खुशी दिखाई नहीं दे रही थी। उसने अपने आँसू पोंछे और आँखें बंद करके बाहर की आती ठंडी हवा को महसूस करते हुए, वो एक महीने पहले हुई उस घटना को याद करने लगी, जिसकी वजह से आज वो यहाँ खड़ी थी, जिसके कारण उसे शोरिया से शादी करनी पड़ी। वह अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी कि अचानक किसी ने जोर से दरवाजे को लात मारकर खोला और नशे में चिल्लाया-

    "माहिरा त्रिपाठी…!"

  • 2. Dil Ka kya kasoor - Chapter 2

    Words: 1346

    Estimated Reading Time: 9 min

    ब्लू डायमॉन क्लब

    क्लब में लाउडस्पीकर पर गाने चल रहे थे। कुछ लोग नशे में नाच रहे थे, कुछ अन्य डांस कर रहे थे। कुछ लोग ड्रिंक पर ड्रिंक ले रहे थे, तो कुछ जूस से काम चला रहे थे।

    VIP रूम में कुछ लड़के और कुछ लड़कियाँ ड्रिंक कर रहे थे। उन्हीं में एक लड़का उन लड़कियों के बीच में बैठा था, ड्रिंक पर ड्रिंक ले ही जा रहा था। वह पूरी तरह नशे में चूर था।

    उन लड़कों में से एक लड़का, जिसका नाम रोनक था, ड्रिंक का गिलास लेते हुए उन लड़कियों के बीच में बैठे हुए उस लड़के से बोला, "क्या शोरिया, आज तेरी शादी हुई है? और तू अपनी नई-नवेली दुल्हन को घर पर अकेला छोड़कर यहां हमारे साथ क्या कर रहा है?"

    शोरिया ने उसकी बात पर अपने चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान लायी और ड्रिंक पीने लगा।

    रोनक हँसते हुए बोला, "तेरे सिवा यहां सब जानते हैं कि माही तुझे स्कूल टाइम से कितना पसंद करती है। पर तुझे तो उसकी छोटी बहन शनाया पसंद थी। पर कोई नहीं यार, जो होता है अच्छे के लिए होता है। क्यों मैंने सही कहा ना? पर मुझे ये नहीं समझ आ रहा है कि तू यहां क्या कर रहा है। तेरी तो आज सुहागरात होगी ना?"

    शोरिया उसकी तरफ देखते हुए बोला, "क्योंकि मैं उसका चेहरा भी नहीं देखना चाहता। मुझे उससे बहुत नफरत है। और तुझे लगता है मैं उसके साथ सुहागरात बनाऊँगा? I Hate her."

    उसकी यह बात सुनकर उसका दूसरा दोस्त, जिसका नाम जय था जो पेशे से डॉक्टर था, उसकी तरफ देखते हुए बोला, "तो तूने उससे शादी क्यों की शोरिया? जब तू उससे नफ़रत करता है?"

    शोरिया जलती निगाहों से जय की तरफ देखते हुए बोला, "क्योंकि मेरी मजबूरी थी। उससे शादी करने की। पर तू परेशान मत हो मेरे दोस्त, मैंने उससे उन पेपर्स पर सिग्नेचर करवा लिया है।"

    सब उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए बोले, "कैसे पेपर्स शोरिया?"

    शोरिया अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लाते हुए बोला, "कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स मेरे दोस्तों।" इतना बोलकर उसने ड्रिंक की पूरी बोतल उठाकर अपने मुँह में लगा ली।

    यह सब बातें सुनकर जय गुस्से में बोला, "तू यह गलत कर रहा है उस बिचारी के साथ शोरिया। आखिर वह तेरी बीवी है। शोरिया, तूने अपने मतलब के लिए उस बिचारी का जीवन बर्बाद कर दिया।"

    शोरिया गुस्से में बियर की बोतल को टेबल पर जोर से तोड़ते हुए बोला, "वह बिचारी? हूँह! वह बेचारी नहीं है जय, बेचारा तो मैं हूँ। उसने मुझे अपने जाल में फँसाकर मुझसे जबरदस्ती शादी की है। तू तो सब जानता है जय, उसने क्या किया है मेरे साथ। फिर भी वह तुझे बिचारी लग रही है।" इतना बोलकर शोरिया लड़खड़ाते हुए उठने की कोशिश करने लगा।

    जय शांत स्वर में बोला, "पर वह अब तेरी बीवी है शोरिया।"

    शोरिया चिल्लाते हुए वहाँ टेबल पर रखी हुई बोतलों को इधर-उधर फेंकते हुए बोला, "नहीं, कभी नहीं! वह मेरी बीवी नहीं हो सकती है। मैं उससे इस दुनिया में सबसे ज्यादा नफ़रत करता हूँ।"

    शोरिया इतना बोलकर लड़खड़ाते हुए वहाँ से चला गया।

    जय हैरानी से शोरिया को जाते हुए देख रहा था कि तभी रोनक उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला, "मैं जानता हूँ! जय, तू माही से बहुत प्यार करता है और तुझे उसकी ऐसी हालत देखकर बुरा लग रहा है। पर अब वह शोरिया की बीवी बन गई है, मिसेज माहिरा शोरिया सिंघानिया। और अब तुझे उन दोनों के बीच में नहीं आना चाहिए जय।"

    जय ने एक बार रोनक की तरफ देखा और वहाँ से चला गया।


    सिंघानिया पैलेस

    कार घर के बाहर आकर खड़ी हो गई। ड्राइवर सामने मिरर में देखते हुए बोला, "सर, घर आ गया हैं।"

    शोरिया नशे में पूरा चूर था। वह कार से बाहर निकला और लड़खड़ाते हुए घर के अंदर चला गया। वह अपने कमरे तक पहुँचा ही था कि उसे याद आया कि अंदर तो माही होगी। और माही की याद आते ही उसकी गुस्से से मुट्ठी बंध गई और वह जोर से दरवाजे को धक्का देते हुए चिल्लाते हुए बोला, "माहिरा त्रिपाठी!"

    उसने गुस्से में अपनी नज़र पूरे कमरे में डाली और देखा कि खिड़की के पास माहिरा घबराई हुई नज़रों से उसे ही देख रही थी।

    उसने कमरे को लॉक कर दिया और माहिरा की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाने लगा। वह माहिरा की तरफ बढ़ रहा था और माहिरा पीछे कदम रख रही थी। वह घबराते हुए बोली, "खबरदार जो मेरे पास आएँ तुम शोरिया! दूर रहो तुम मुझसे।"

    शोरिया ने माहिरा की बाजुओं को कसकर पकड़ते हुए बोला, "क्यों माहिरा त्रिपाठी? नहीं-नहीं, मिसेज माहिरा शोरिया सिंघानिया! यही सब कुछ तो चाहिए था ना तुमको? यह पैसा, यह रुतबा! इसलिए तुमने उस दिन यह साज़िश रची थी ना? वह सब तुम्हारा किया था ना? पर तुम यह भूल गईं माहिरा कि तुम यह सब तो हासिल कर सकती हो, पर मुझे, शोरिया सिंघानिया, द बिज़नेस टायकून को, तुम कभी नहीं हासिल कर पाओगी। समझी तुम?"

    वह दोनों इतने करीब थे कि शोरिया की साँसों में अल्कोहल की बदबू माहिरा साफ-साफ महसूस कर पा रही थी।

    माहिरा की नज़र शोरिया की उन गुस्से से जलती हुई नीली, झील सी गहरी आँखों में टिक गई जो इस वक्त अंगारे बरसा रही थीं। कितनी प्यारी आँखें थीं शोरिया की, नीले समुंदर के पानी जैसी! वह आकर्षक चेहरा, हल्की लंबी नाक और वो हल्के गुलाबी रंग के होंठ, ना ज्यादा मोटे ना ज्यादा पतले, उसके चेहरे पर जचते थे। मस्कुलर बॉडी, चौड़ी छाती, लंबा-चौड़ा आदमी था वह, पर हैंडसम भी बहुत था।

    माहिरा मन में बोली, "कम डाउन माहिरा! अगर तू आज इससे डर गई तो यह हर रोज़ तुझे डरा के रखेगा। तू इसकी बीवी है, इससे डर मत, बल्कि लड़ इससे।"

    माहिरा हिम्मत करके बोली, "हाँ, मैं तुम्हें हासिल करना चाहती थी। और देखो, मैंने तुम्हें हासिल कर ही लिया मिस्टर शोरिया सिंघानिया, द बिज़नेस टायकून। तुमको मैंने कितनी बार कहा था कि उस कमरे में मैंने मीडिया को नहीं बुलाया था। तुम यह क्यों नहीं समझते कि उस दिन मैं भी तो तुम्हारे साथ थी ना उस कमरे में? तो मैं खुद को बेइज्जत क्यों करूँगी? और अगर तुमको ऐसा ही लगता है तो हाँ, मैंने ही यह सब किया है। और हाँ, मिस्टर शोरिया सिंघानिया, तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते हो क्योंकि मैं तुम्हारी बीवी हूँ। समझे तुम?"

    शोरिया माहिरा की बातों पर हँसने लगा और फिर शैतानी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए बोला, "ओह! तो तुम मेरी बीवी हो? तो तुमको बीवी होने के हक़ भी तो चाहिए होंगे ना?"

    माहिरा शोरिया की बात को समझ नहीं पाई और हैरानी से उसको देखते हुए बोली, "क्या मतलब शोरिया?"

    शोरिया ने माहिरा की कमर पर हाथ रखा और उसके और पास आते हुए बोला, "तो My lovely wife, आज हमारी सुहागरात है ना? तो चलो सुहागरात बनाते हैं।" इतना बोलकर शोरिया ने माहिरा के नर्म होंठों पर अपने कड़क होंठ रख दिए। माहिरा शोरिया की बाहों से छूटने की कोशिश करती जा रही थी। उसके आँखों से बेतहाशा आँसू निकल रहे थे। शोरिया ने माहिरा को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और धीरे-धीरे अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा। फिर वह बेड पर माहिरा के पास आने लगा और माहिरा रोते हुए धीरे-धीरे पीछे हटते हुए बोल रही थी, "नहीं शोरिया! खबरदार जो मेरे पास आएँ तुम! देख लेना, बहुत बुरा होगा।"

    शोरिया माहिरा के पास आ गया और हँसते हुए बोला, "लो, मैं आ गया। अब बताओ क्या होगा बुरा मेरे साथ?"

    शोरिया ने माहिरा के दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको बेतहाशा चूमने लगा। माहिरा उसके चंगुल से छूटने की कोशिश करती रहती है। रात अपने चरण पर होती जाती है। सुहागरात दो प्यार करने वालों की रात होती है, जो इस रात को एक होते हैं।

    शोरिया और माहिरा इस रात को एक तो हो गए, पर नफ़रत की आग में, ना कि प्यार की।

    क्रमशः

  • 3. Dil Ka kya kasoor - Chapter 3

    Words: 819

    Estimated Reading Time: 5 min

    सुबह माही की नींद शरीर में हो रहे दर्द के कारण खुल गई। वह धीरे से उठकर बैठी और कमरे के चारों ओर नज़र डाली, पर शोरिया वहाँ नहीं था। माही के शरीर में बहुत दर्द हो रहा था। पहले तो वह कुछ समझ नहीं पाई, पर जब उसने अपने शरीर पर शोरिया के हवस के दांतों के निशान देखे, तो उसे कल रात का सब कुछ याद आ गया। माही की आँखों में आँसू आ गए और वह अपने चेहरे को अपने हाथों से छुपाकर रोने लगी।

    "आखिर मेरी ग़लती क्या है? जो मुझे ये सब झेलना पड़ रहा है?" वह रोते हुए बोली।

    फिर वह छत की तरफ देखते हुए बोली, "माँ, मैं क्या करूँ? मैं कैसे इस रिश्ते को निभा पाऊँगी?"

    शोरिया की माँ और माही की माँ दोनों बहुत अच्छी दोस्त थीं। इसलिए माही और शोरिया भी बचपन से अच्छे दोस्त थे। माही बचपन से शोरिया से प्यार करती थी। पर उस एक महीने पहले हुए होटल के घटनाक्रम ने शोरिया को माही से नफ़रत करने पर मजबूर कर दिया।

    एक महीने पहले, शोरिया और माही अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्टी करने होटल गए थे। और उसके दूसरे दिन, शोरिया और माही होटल के कमरे में नशे की हालत में बेड पर एक साथ मिले थे। शोरिया और माही खुद को एक साथ ऐसी हालत में देखकर कुछ समझने की कोशिश कर ही रहे थे कि वहाँ मीडिया आ गई और उन दोनों को ऐसी हालत में देखकर बहुत सारे सवाल करने लगी। यह पूरा किस्सा पेपर में आ गया, जिस कारण सिंघानिया ऑफ द कंपनी के शेयर गिरते चले गए।

    जब यह बात शोरिया के दादाजी, मिस्टर रणजीत सिंघानिया को पता चली, तो उन्होंने शोरिया को माही से शादी करने को कहा। पर शोरिया तो माही से प्यार नहीं करता था, इसलिए उसने शादी के लिए मना कर दिया। दादाजी ने शोरिया को धमकी दी कि अगर वह माही से शादी नहीं करेगा, तो उसे सिंघानिया ऑफ द कंपनी और उनकी जायदाद से बेदखल कर दिया जाएगा। शोरिया के माँ-बाप की एक कार एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी। इस कारण शोरिया के परिवार में सिर्फ उसके दादाजी थे, और वह अपने दादाजी से बहुत प्यार करता था। इसलिए वह उनकी बात मानने को मजबूर था। पर माही नहीं थी, इसलिए वह माही के पास गया और माही से बोला कि वह इस शादी के लिए मना कर दें। और माही शोरिया से बहुत प्यार करती थी, इसलिए वह मान गई। पर जब शोरिया के दादाजी ने माही से बात की, तो उसने शादी के लिए हाँ बोल दिया। इसलिए शोरिया को लगता है कि उस होटल के कमरे में माही ने मीडिया को बुलाया था, जिससे वह उससे शादी कर सके।


    लुबिना रेस्टोरेंट में-

    "यार आयुषी, मैं क्या करूँ? मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। मैंने शोरिया को कितना समझाया, पर वह मेरी कोई बात पर यकीन ही नहीं करता है।" माही सामने बैठी अपनी दोस्त आयुषी से बात करते हुए बोली।

    आयुषी माही का हाथ पकड़ते हुए बोली, "तू परेशान मत हो माही, सब ठीक हो जाएगा। तू शोरिया को सब कुछ क्यों नहीं बता देती?"

    "तुझे क्या लगता है कि मैंने बताने की कोशिश नहीं की? मैंने उसे कितनी बार सब कुछ बताना चाहा, पर वह मेरी कोई बात सुनता ही नहीं है। उसे लगता है कि एक महीने पहले होटल में जो कुछ हुआ था, वह सब मैंने करवाया था।" माही हैरानी से आयुषी की तरफ देखते हुए बोली।

    आयुषी माही की तरफ देखते हुए बोली, "तू परेशान मत हो माही, मुझे पता है तू ऐसी नहीं है, और तूने वह सब नहीं करवाया है। मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है, और मेरे भाई जय को भी तुझ पर पूरा भरोसा है।"

    माही आयुषी की बात सुनकर मुस्कुराई।

    आयुषी कुछ सोचते हुए बोली, "पर मुझे एक बात बता माही..."

    "हाँ, बोल," माही उसकी तरफ देखते हुए बोली।

    "ये कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स का क्या झोल है माही?" आयुषी प्रसन्न नज़रों से उसकी तरफ देखते हुए बोली।

    "तुम्हें कैसे पता चला इन पेपर्स के बारे में?" माही हैरान होते हुए बोली।

    "तुझे क्या लगा माही, अगर तू नहीं बताएगी तो मुझे पता नहीं चलेगा? मैं तुझे स्कूल टाइम से जानती हूँ माही, और हर एक बात पता चल जाती है। अब तू बताएंगी इसके बारे में?" आयुषी माही के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बोली।

    "वो... शोरिया ने मुझसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की है।" माही सर झुकाते हुए बोली।

    "क्या लिखा था उन पेपर्स में माही?" आयुषी हैरान होते हुए बोली।

    माही ने आयुषी के इस सवाल का जवाब नहीं दिया। वह वैसे ही सर झुकाए बैठी रही।

    "मैंने कुछ पूछा माही तुझसे!" आयुषी ने इस बार जोर देकर बोला।

    माही आयुषी से नज़रें चुराते हुए धीरे स्वर में बोली, "उन पेपर्स में लिखा था...कि मैं एक साल बाद शोरिया को तलाक दे दूँगी।"

    क्रमशः

  • 4. Dil Ka kya kasoor - Chapter 4

    Words: 776

    Estimated Reading Time: 5 min

    सिंघानिया पैलेस...

    शोरिया गुस्से में जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ चढ़ते हुए अपने कमरे में गई।

    वह देखता है कि माही कमरे में कुछ काम कर रही थी। उसने माही का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचते हुए कहा, "तुमने दादाजी को मना क्यों नहीं किया? मैं तुम्हारे साथ हनीमून पर नहीं जाऊँगा, समझी तुम?!"

    "तो यह बात तुम दादाजी से बोलो, जाकर। मुझसे क्यों बोल रहे हो? मैं कुछ नहीं कर सकती हूँ।" माही शोरिया से अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली।

    "तुम अपने आपको क्या समझती हो?!" शोरिया माही को अपनी ओर खींचते हुए बोली।

    "वही समझती हूँ जो मैं हूँ—माहिरा त्रिपाठी, समझें तुम?!" माही शोरिया की आँखों में आँखें मिलाते हुए बोली।

    "मैं कहीं नहीं जाऊँगा, समझी तुम, माहिरा त्रिपाठी!"

    "हाँ, तो यह बात जाकर तुम दादाजी को बोलो। मुझे यहाँ परेशान मत करो। वैसे भी, मैं खुद तुम्हारे साथ नहीं जाना चाहती हूँ, समझे तुम!"

    "ओह, रियली? फिर तो मैं ज़रूर चलूँगा तुम्हारे साथ, क्योंकि मुझे तुम्हें परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ना है!" शोरिया अपने चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान लाते हुए बोला।

    माही शोरिया की बात समझ नहीं पाई और वह शोरिया को घूर रही थी।

    शोरिया और माही इतने करीब थे कि उनके बीच हवा जाने की भी जगह नहीं थी।

    शोरिया माही को ही देखे जा रहा था। उसकी आँखों में वह खो गया था और फिर अचानक उसकी नज़र माही के गुलाबी होंठों पर चली गई।

    माही जब तक कुछ समझ पाती, तब तक शोरिया ने उसके नर्म होंठों पर अपने कठोर होंठ रख दिए और उसे बेतहाशा चूमने लगा।

    माही शोरिया को दूर करने की कोशिश करती है। माही शोरिया के सीने पर हाथ मारने लगी।

    अचानक माही ने शोरिया को जोर से धक्का मार दिया और चिल्लाते हुए मुँह फेरते हुए बोली, "यह तुम क्या कर रहे हो, शोरिया? अपनी हद में रहो, समझे!"

    शोरिया अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कान लाते हुए बोला, "मैं तो अपनी हद में ही हूँ, पर तुमको तुम्हारी हद दिखाना बहुत ज़रूरी है।" यह बोलकर शोरिया माही को फिर अपनी ओर खींच लेता है और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देता है। इससे पहले कि वह आगे बढ़ता,

    तभी उसके फ़ोन पर कॉल आने लगी। वह माही से दूर होकर अपने फ़ोन की स्क्रीन पर नाम देखता है और उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। शोरिया की यह मुस्कान माही से नहीं छुपती।

    शोरिया फ़ोन उठाते हुए बोला, "हैलो!"

    उधर से उस व्यक्ति ने कुछ कहा, जिसे सुनकर शोरिया बोला, "ओके, मैं आता हूँ!"

    यह बोलकर शोरिया वहाँ से चला गया।

    यह देखकर माही अपने बिस्तर पर बैठ जाती है और उसके चेहरे से आँसू आ जाते हैं।


    कॉफी शॉप...

    "शोरिया बेबी, मुझे तुम्हें उस माही के साथ देखना बिल्कुल पसंद नहीं है। आखिर कब तक यह सब चलेगा?" शनाया मुँह बनाते हुए बोली।

    "बस एक साल का इंतज़ार कर लो, शनाया। उसके बाद हम दोनों शादी कर लेंगे, ओके!"

    "हूँ!" शनाया मुँह बनाकर बोली।

    "वैसे, दादाजी मुझे उस माही के साथ हनीमून पर भेज रहे हैं..." शोरिया गुस्से में दाँत पीसते हुए बोला।

    शनाया ने जैसे यह सुना, वह माही से अंदर ही अंदर जल भुन गई। शनाया माही की सौतेली बहन थी। माही के पिता, मिस्टर आशुतोष त्रिपाठी ने दो शादियाँ की थीं।

    मिस्टर आशुतोष त्रिपाठी ने माही की माँ, मिसेज रिद्धि त्रिपाठी से फैमिली बिज़नेस के लिए शादी की थी, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। और शनाया की माँ, मिसेज आशा त्रिपाठी, उनका प्यार थीं, जिनसे उन्होंने बाद में शादी कर ली थी।

    शनाया माही से छोटी है। वह बचपन से ही माही से बहुत जलती है क्योंकि माही शनाया से हर चीज़ में आगे थी, चाहे सुंदरता हो या पढ़ाई।

    माही हमेशा शनाया से आगे रही। पर जब शनाया को यह पता चला कि माही शोरिया को बचपन से पसंद करती है और शोरिया उसे पसंद करता है, तो उसने यह मौका खोने नहीं दिया और माही को शोरिया से दूर करने के लिए उसने शोरिया को अपने प्यार के जाल में फँसा लिया।

    "कहाँ खो गई, शनाया?" शोरिया ने शनाया के चेहरे के सामने हाथ हिलाते हुए बोला।

    शनाया हँसते हुए बोली, "कहीं नहीं। वैसे, एक बात बताओ, हनीमून के लिए कहाँ जा रहे हो?"

    शोरिया गंभीर स्वर में बोला, "स्विट्ज़रलैंड। पर तुम क्यों पूछ रही हो?"

    शनाया बहुत प्यार सा मुँह बनाते हुए बोली, "शोरिया, मेरी एक बात मानोगे?"

    शोरिया कॉफ़ी पीते हुए बोला, "हाँ, बोलो। मानूँगा, क्यों नहीं?"

    शनाया मुँह बनाते हुए बोली, "शोरिया, मुझे भी तुम्हारे साथ चलना है। मुझे भी ले चलो अपने साथ।"

    क्रमशः

  • 5. Dil Ka kya kasoor - Chapter 5

    Words: 1743

    Estimated Reading Time: 11 min

    स्विट्जरलैंड

    माहीं और शोरिया स्विट्जरलैंड आ गए थे, लेकिन शनाया के साथ। माहीं शोरिया से दूर चल रही थी, जबकि शनाया शोरिया के हाथों में हाथ डालकर साथ में चल रही थी। उन दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था मानो उनकी नई-नई शादी हुई हो, न कि माहीं और शोरिया की। आखिर माहीं कर भी क्या सकती थी? उसे ये सब देखना पड़ेगा। वो यही सब सोच रही थी कि उसे दादाजी की बात याद आ गई। जब वो लोग हैदराबाद में थे, तब दादाजी ने माहीं से कहा था कि शोरिया उसका पति है और उसे अपने पति को किसी भी हालत में अपना बनाना होगा; वरना वह शोरिया को खो देगी और साथ ही साथ अपने इस रिश्ते को भी बर्बाद कर देगी। उसने दादाजी को भरोसा दिलाया था कि वह ना कभी शोरिया को छोड़ेगी और ना ही अपने और शोरिया के इस रिश्ते को बर्बाद होने देगी।


    होटल ब्लू मून

    शोरिया सिंघानिया के नाम से दो कमरे बुक किए गए थे। शोरिया ने होटल की रिसेप्शनिस्ट से कहा,

    "दो कमरे बुक करवा दिए हैं।"

    रिसेप्शनिस्ट ने हाँ में सर हिलाते हुए उसे दो चाबियाँ दे दीं।

    शोरिया और शनाया आगे-आगे जा रहे थे। वहीं माहीं उन दोनों को ऐसे चिपके हुए देखकर अंदर ही अंदर जल-भुन रही थी। उसका दिल कर रहा था कि वह शनाया को मार डाले।


    शनाया शोरिया से चिपकते हुए बोली, "शोरिया, हम दोनों एक कमरे में रहेंगे, ओके?"

    शोरिया शनाया की तरफ हैरानी से देख रहा था। वह कुछ बोलने जा रहा था कि माहीं उन दोनों के बीच में आ गई और शनाया को जलती हुई नज़रों से देखते हुए बोली, "अब तुम हद पार कर रही हो, शनाया।"

    शनाया ठहरी मुस्कान अपने चेहरे पर लाती हुई बोली, "हद कैसी हद? मैंने कौन सी हद पार कर दी, माहीं?"

    माहीं गुस्से में बोली, "तुम मेरे पति के साथ एक कमरे में रहने के बारे में सोच भी कैसे सकती हो?"

    शनाया शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बोली, "क्यों नहीं सोच सकती हूँ? तुम भी तो उसके साथ एक कमरे में रह चुकी हो। इनफैक्ट, माहीं, मैं तो शोरिया के साथ रहने के बारे में सोच रही हूँ। तुम तो उसके साथ शादी से पहले ही एक रात बिस्तर पर बिता चुकी हो। क्यों, मैंने कुछ गलत कहा, माहीं?"

    शनाया मुँह बनाते हुए बोली, "पहले अपने गिरेबान में झाँक लिया करो, माहीं, फिर मुझ पर उँगली उठाया करो।"

    माहीं की आँखें भर आई थीं। वह शोरिया की तरफ देखने लगी थी, इस उम्मीद में कि शोरिया माहीं की तरफ से बोलेगा, पर शोरिया तो भूत बना शनाया की बातें सुन रहा था।

    शनाया माहीं की तरफ उँगली करते हुए बोली, "तुम्हें पता है, माहीं, बिन शादी किए अगर कोई लड़की किसी लड़के के साथ हमबिस्तर होती है, तो उसे हमारा समाज क्या कहता है? ये तो तुम अच्छे से जानती होगी ना, या मुझे बताने की ज़रूरत है तुम्हें?" शनाया माहीं के चारों तरफ घूमते हुए बोली, "अच्छा, चलो मैं ही बता देती हूँ... उसे हमारा समाज क्या बोलता है..."

    शनाया ने बोलने के लिए मुँह खोला था कि माहीं ने अपने दोनों हाथों को अपने कानों पर रख लिए और चिल्लाते हुए बोली, "बस शनाया, बस! अब एक लफ़्ज़ नहीं।"

    शनाया भी उसी तरह चिल्लाते हुए बोली, "क्यों चुप हो जाऊँ, माहीं? मैं बोलूँगी उसे लोग वै..." शनाया ने इतना ही बोला था कि माहीं ने उसके गाल पर तमाचा मार दिया।

    शोरिया ये देखते हुए चिल्लाते हुए बोला, "माहीं!"

    पर माहीं ने जैसे उसकी आवाज़ तक ना सुनी हो। वह वैसे ही शनाया को घूर रही थी।

    शनाया अपने गाल पर हाथ रखते हुए माहीं को खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए बोली, "हाउ डे यू? यू..."

    माहीं की आँखों में आँसू आ गए थे। वह फिर शनाया को दूसरा थप्पड़ मारने जा रही थी कि शोरिया ने माहीं का हाथ पकड़ लिया और गुस्से में चिल्लाते हुए बोला, "तुम पागल हो गई हो, माहीं!"

    शोरिया ने फिर इधर-उधर नज़र डाली तो हर कोई उन्हें ही देख रहे थे। शोरिया ने माहीं को घूरते हुए कहा, "तुम ये सब यहाँ क्या कर रही हो?"

    शोरिया ने शनाया को उसके कमरे की चाबी दी और कहा, "शनाया, अभी तुम अपने कमरे में जाओ। मैं तुमसे बाद में मिलूँगा आकर।"

    "पर शोरिया..." शनाया बस इतना ही बोल पाई थी कि शोरिया माहीं को लेकर जाने लगा और शनाया बस उसे अपनी जलती हुई नज़रों से देखती ही रह गई।


    "मेरे हाथ छोड़ो, शोरिया! मुझे दर्द हो रहा है!" माहीं चिल्लाते हुए बोली।

    शोरिया माहीं को जबरदस्ती खींचते हुए कमरे के अंदर ले आया। उसने माहीं को बेड पर फेंक दिया और अपने सर पर हाथ रखकर मुड़ गया।

    माहीं बेड से उठती और शोरिया की तरफ देखते हुए चिल्लाई, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, शोरिया, ऐसा करने की?"

    शोरिया माहीं की तरफ गुस्से से बोला, "बस माहीं, बस! देख लिया तुम्हारी मनमानी। जो करना था, तुम कर चुकी हो। अब और नहीं समझी तुम?"

    माहीं रोते हुए शोरिया की तरफ चिल्लाते हुए बोली, "अगर नहीं समझी, तो तुम क्या कर लोगे, हाँ? मारोगे मुझे, बोलो? या फिर अपनी उस शनाया के साथ मुझे नीचा दिखाओगे? हाँ?"

    शोरिया गुस्से में माहीं को घूरते हुए उसके कंधों को पकड़ लिया और बोला, "अब तुमने एक लफ़्ज़ और कहा, माहीं, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    माहीं शोरिया की आँखों में आँखें डालते हुए रोते हुए बोली, "तुमसे बुरा है भी कोई नहीं, शोरिया, जो अपनी बीवी को छोड़कर किसी दूसरी लड़की के साथ हाथों में हाथ डालकर अपने हनीमून पर आया हो।"

    "ओह, तो तुमको जलन हो रहा है कि तुम्हारा पति तुम्हें छोड़कर किसी और लड़की के करीब हो रहा था?" शोरिया माहीं की आँखों में देखते हुए बोला।

    "नहीं, मुझे जलन नहीं, बल्कि अपने आप से नफ़रत हो रही है कि मैंने कभी तुम जैसे इंसान से प्यार किया था।" माहीं शोरिया की तरफ नफ़रत भरी नज़रों से देखते हुए बोली।

    "ओह, रियली, माहीं? तो तुम मुझसे अब नफ़रत करने लगी हो? ये तो मेरे लिए और भी अच्छा है। तुम्हें और परेशान करने के लिए, जिससे तुमसे मुझे जल्दी छुटकारा मिल जाए।" शोरिया शैतानी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोला।

    माहीं शोरिया से दूर होते हुए बोली, "हाँ! क्यों नहीं? और परेशान करो मुझे, पर याद रखना, शोरिया, मैं तुम्हें और शनाया को कभी एक नहीं होने दूँगी, चाहे तुम मेरे साथ कुछ भी कर लो। चाहे एक साल हो या पूरी ज़िन्दगी, मैं तुम्हें तलाक नहीं दूँगी, समझें तुम?"

    शोरिया गुस्से से माहीं को पकड़ते हुए बोला, "मुझे तो पहले से पता था कि तुम धोखेबाज हो। पर कोई बात नहीं, मेरे पास तुम्हारे वो कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स हैं जिन पर तुम्हारे सिग्नेचर हैं। मैं तुमसे तलाक तो ले कर ही रहूँगा।"

    माहीं शोरिया की नज़रों में नज़रें डालती हुई बोली, "हाँ, तो मैं भी देखती हूँ कि तुम मुझसे तलाक कैसे लेते हो। तुम भूल रहे हो, शोरिया, एक साल तक मैं तुम्हारी बीवी हूँ, और शायद पूरी ज़िन्दगी मैं ही तुम्हारी बीवी रहूँगी, समझें तुम?"

    शोरिया कुछ नहीं बोल पा रहा था। वह बस माहीं को पकड़े, उसकी रोने के कारण लाल हुई उन आँखों को देख रहा था जो उसे साफ़-साफ़ बता रही थीं कि माहीं के दिल में शोरिया के लिए कितनी नफ़रत भरी हुई है।

    माहीं की वो नफ़रत और वो आँसू देखकर शोरिया के दिल में एक दर्द सी हो रही थी। उसे माहीं का उससे नफ़रत करना उसे अंदर ही अंदर जला रहा था। शोरिया की नज़र माहीं की आँखों से हटी तो उसके चेहरे पर जा रुकी। माहीं के गाल रोने के कारण लाल, टमाटर जैसे हो गए थे।

    शोरिया की नज़र तो माहीं के होंठों में जाकर जैसे रुक गई हो। माहीं के होंठ ज़्यादा रोने के कारण थर-थर कांप रहे थे। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे पतले होंठों पर शोरिया ने अपनी उँगली रख दी और फिर उसके होंठों पर हल्के-हल्के, बहुत प्यार से चलाने लगा।

    उसका ऐसा करना माहीं को समझ नहीं आ रहा था। वह हैरानी से शोरिया को देख रही थी।

    शोरिया ने माहीं को अपनी तरफ खींच लिया और उसे जबरदस्ती किस करने लगा। माहीं शोरिया को खुद से दूर कर दिया और अपना मुँह फेरते हुए बोली, "ये तुम क्या कर रहे हो, शोरिया?"

    शोरिया माहीं का चेहरा अपनी तरफ करते हुए बोला, "वही जो करना चाहिए।" इतना बोलते ही शोरिया माहीं को जबरदस्ती किस करने लगा।

    शोरिया ने माहीं को बेड पर ढका दे दिया और वह माहीं के हाथों को कसकर पकड़ते हुए उसे जबरदस्ती किस करने लगा।


    माहीं उससे छूटने की कोशिश कर रही थी। वह रोते हुए बोली, "छोड़ो मुझे, शोरिया! ये तुम क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बीवी हूँ, कोई खिलौना नहीं, शोरिया! जिसकी मन चाहा खेला और फिर रख दिया। छोड़ो मुझे!" पर माहीं की बातों को जैसे शोरिया सुन ही नहीं रहा था। वह जैसे माहीं की सुंदरता पर बेसुध हो गया था।

    इससे पहले कि शोरिया आगे बढ़ता, किसी ने कमरे की डोरबेल बजाई। जिस कारण शोरिया को होश में आ गया और माहीं ने उसे खुद से दूर धक्का दे दिया।

    शोरिया ने अपने हुलिया ठीक किए और माहीं से भी कहा कि वह भी अपने कपड़ों को ठीक कर ले।

    शोरिया ने जाकर डोर खोला तो शनाया जल्दी से अंदर आते ही शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बोली, "चलें ना, शोरिया, कहीं खाना खाते हैं। चलकर बहुत भूख लगी है।"

    शोरिया ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ़ हाँ में सर हिला दिया।

    शनाया को शोरिया का यह बर्ताव बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। शनाया की नज़र माहीं पर चली गई। माहीं के बाल बिगड़े हुए थे और ज़्यादा रोने के कारण आँखें लाल थीं। वह चुपचाप बेड पर बैठी थी। अचानक से शनाया की नज़र बेड पर चली गई जो पूरा बिगड़ा हुआ था। ये सब देखकर शनाया के तन-बदन में जैसे आग सी लग रही हो।

    शनाया झूठी मुस्कान चेहरे पर लाती हुई बोली, "चलें ना, शोरिया, अब भूख बर्दाश्त नहीं हो रही है।" और वह शोरिया को खींचते हुए वहाँ से ले गई।

    माहीं को यह सब देखकर अच्छा तो नहीं लगा, पर वह अभी कुछ बोलने के मूड में नहीं थी। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और बेड पर लेट गई और थकान के कारण उसे जल्दी ही नींद ने घेर लिया।

    क्रमशः

  • 6. Dil Ka kya kasoor - Chapter 6

    Words: 513

    Estimated Reading Time: 4 min

    माँ, आपको पता है उस माही की बच्ची ने आज मुझ पर हाथ उठाया है… शनाया गुस्से में चिल्लाते हुए फ़ोन पर बात कर रही थी।

    क्या उसकी इतनी हिम्मत हो गई कि वो मेरी बेटी पर हाथ उठाए? आशा अपने दाँत पिसते हुए बोली।

    हाँ माँ, उसकी जब से शादी हुई है तब से वो बहुत उड़ने लगी है। माँ, मैं उसे छोड़ूँगी नहीं। उसने मुझ पर, शनाया त्रिपाठी पर, हाथ उठाया है। आपकी बेटी पर! मैं उसे सच में मार डालूँगी। अगर वहाँ शोरिया ना होता तो मैं वहीं उसे जान से मार डालती। मैं अपनी सौतेली बहन से बहुत नफ़रत करती हूँ। माँ!

    कम डाउन, बेबी। इतना गुस्सा मत करो। हमारा प्लान काम कर रहा है। कहीं ऐसा ना हो जाए कि तेरे गुस्से के कारण हमारे प्लान पर पानी फिर जाए। तू परेशान मत हो। हम उस माही से तेरे इस थप्पड़ का बदला जरूर लेंगे। बस हमने जो सोचा है, उस हिसाब से सब कुछ हो जाए, फिर तू उस माही से अपने थप्पड़ के बदले उसका प्यार, यानी शोरिया, छीन लेना। समझी मेरी बात, बेबी?

    हाँ माँ, मुझे पता है। पर माँ, हमें ऐसे भी तो सब कुछ मिल सकता था ना? तो हमें ये सब प्लान करने की क्या ज़रूरत थी?

    थी, बेबी? तुम भूल गई हो माही की माँ ने अपने कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स में क्या लिखा था… आशा मुँह बनाते हुए बोली।

    हाँ माँ, मुझे याद है। इसलिए तो हमने वो होटल प्लान बनाया था और हम कामयाब भी हो गए हैं।

    हाँ बेबी, बस हमने अब जो दूसरा प्लान सोचा है… बस वैसे ही हो जाए तो वो दिन भी दूर नहीं है जब शोरिया तुम्हारा होगा। हाहहहहहह… आशा हँसने लगी।

    हाँ माँ, यू आर राइट… यू आर ग्रेट माँ। लव यू माँ। हाहहहहहहह… शनाया हँसते हुए बोली।


    घड़ी में रात के एक बज रहे थे।

    अचानक से कमरे का दरवाज़ा अंदर की तरफ़ धीरे से खुला और एक आदमी, नशे में पूरी तरह से चूर, लड़खड़ाते हुए अंदर आ गया। फिर उसने अपने लड़खड़ाते हुए हाथों से दरवाज़े को धीरे से बंद कर दिया।

    वह नशे में अपने लड़खड़ाते हुए कदमों से अंदर जाने लगा। फिर वह बेड के सामने खड़ा हो गया और बेड पर सोई माही को देखते हुए कुछ धीरे से बुदबुदाया और गुस्से में माही के गले को दबोच लिया।

    माही की आँखें खुल गईं और वह उस इंसान के हाथों को अपने गले पर से हटाने की कोशिश करने लगी। कमरे में अंधेरा था, तो वह उस इंसान का चेहरा नहीं देख पा रही थी। उसने किसी तरह अपने बगल में लाइट ऑन की और उस इंसान का चेहरा देखकर हैरान रह गई।

    वह अपनी उखड़ती हुई आवाज़ से धीरे से बोली: "शोरिया?"


    क्या शोरिया माही को मार देगा? क्या माही खुद को बचा पाएगी? क्या होगा आगे? क्या माही की कहानी यहीं पर खत्म हो जाएगी? क्या कभी शोरिया को माही का प्यार दिखेगा? क्या उसे कभी अपनी ग़लती का एहसास होगा? अब माही क्या करेंगी खुद को बचाने के लिए?

    ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए, "दिल का क्या कसूर"।

    क्रमशः

  • 7. Dil Ka kya kasoor - Chapter 7

    Words: 1091

    Estimated Reading Time: 7 min

    शोरिया और माहीं अपने हनीमून से वापस आ गए थे। वक्त के साथ-साथ माहीं के प्रति शोरिया की नफ़रत दिन पर दिन बढ़ रही थी, और उसमें घी डालने का काम शनाया कर रही थी। शोरिया का सुबह जल्दी घर से चले जाना, फिर देर रात ड्रिंक करके घर आना, रोज़ का यही नाटक था। माहीं का दर्द शोरिया के दादाजी से नहीं छुपा था। उन्होंने बहुत कोशिश की शोरिया को समझाने की, पर शोरिया कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। शनाया ने माहीं के प्रति इतनी नफ़रत शोरिया के मन में भर दी थी कि उसके साथ जो कुछ हो रहा है, वह सब कुछ माहीं की वजह से हो रहा है, ऐसा उसको लगने लगा था।


    कॉफी कैफे...


    "माहीं, तुम ठीक तो हो ना?" जय सवालिया निगाहों से माहीं से बोला।


    "हाँ जय, मैं ठीक हूँ।" माहीं उदास मुस्कुराहट के साथ बोली।


    "पर मुझे ऐसा क्यों लगता है कि तुम इस शादी से खुश नहीं हो, माहीं?" जय बोला।


    "नहीं-नहीं जय, ऐसा कुछ नहीं है। मैं इस शादी से बहुत खुश हूँ।"


    "देखो माहीं, मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। तो अगर तुम्हारे जीवन में कुछ भी परेशानी हो तो तुम मुझको बता सकती हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ, माहीं।"


    "थैंक्यू जय, पर सच में मुझे कोई परेशानी नहीं है। मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूँ।"


    "अरे मेरे बिना क्या बातें हो रही हैं?" आयूषी कॉफी लाते हुए बोली।


    "कुछ भी नहीं आयूषी, हम बस ये बात कर रहे थे कि आजकल आयूषी का कैफे बहुत फ़ैशन हो गया है। देखो कितने सारे लोग आ रहे हैं।" माहीं बात बदलते हुए बोली।


    "हाँ, वही तो। और इस कारण मेरी प्यारी बहन को मेरे लिए भी वक्त नहीं मिलता है, माहीं।" जय मुँह बनाते हुए बोला।


    "अच्छा, उल्टा चोर कुतवाल को डाँटे। भाई, मैं आपको वक्त नहीं देती या आपके पास मेरे लिए वक्त नहीं है? आपको तो अपने हॉस्पिटल से छुट्टी नहीं मिलती है, और माहीं के सामने आप मुझे बुरा बना रहे हो।" आयूषी मुँह फुलाते हुए बोली।


    "अरे यार आयूषी, इतना गुस्सा मत किया कर, वरना तेरे चेहरे पर बुढ़ापे से पहले झुर्रियाँ आ जाएँगी।" जय आयूषी का मज़ाक उड़ाते हुए बोला।


    "भाई, आप भी ना, एक मौका नहीं छोड़ते मेरे मज़ाक उड़ाने का।" आयूषी गुस्सा होते हुए बोली।


    माहीं इन दोनों भाई-बहन की नोक-झोंक सुनकर मुस्कुरा रही थी। वह याद करने लगी कि उसके और शनाया के बीच में कभी भी बहनों वाला रिश्ता बना ही नहीं। जब वह पाँच साल की थी, तभी पापा ने उसकी माँ के होते हुए भी दूसरी शादी कर ली थी, और उस दिन से माँ की तबियत ख़राब रहने लगी थी। माहीं की माँ ने हमेशा आशा को अपनी छोटी बहन की तरह माना करती थी, पर जब शनाया आ गई, उसके बाद से आशा का मिजाज बदल ही गया था। आशुतोष भी माहीं और उसकी माँ से दूर होते चले जा रहे थे। इसी ग़म में माहीं की माँ की भी मृत्यु हो गई थी। माहीं ने शनाया को हमेशा अपनी बहन माना था, पर शनाया तो हमेशा से माहीं से बस नफ़रत करती आई थी।


    "माहीं, कहाँ खो गई?" आयूषी उसके हाथ को हिलाते हुए बोली।


    "हाँ...! कहीं नहीं यार, बस तुम दोनों की बातें सुन रही थी।" माहीं बात को बदलते हुए बोली।


    "अच्छा, ठीक है। तुम दोनों बातें करो, मुझे अब चलना चाहिए। हॉस्पिटल में बहुत काम है।" जय उठते हुए बोला।


    "हाँ, मेरे डॉक्टर भाई, आपके पेशेंट आपको वेट कर रहे होंगे।" आयूषी हँसते हुए बोली।


    "बाय माहीं।"


    "बाय माहीं, बाय आयूषी।" जय जाते हुए बोला।


    "मुझे पता है माहीं, तुम शोरिया के साथ खुश नहीं हो। काश मैंने उस दिन तुम्हारी बात मानकर तुम्हारे साथ उस पार्टी में चला जाता, तो आज तुम इस हालत में ना होती।" जय कार में बैठकर सोचते हुए बोला, और उस दिन को याद करने लगा जब माहीं ने उससे कहा था कि हमारे दोस्तों ने पार्टी रखी है और उन्होंने तुम्हें, मुझे और शोरिया को बुलाया है। माहीं ने कितना कहा था चलने को, पर उसने हॉस्पिटल में काम होने का बोलकर मना कर दिया था। "अगर मैं उस दिन वहाँ होता, तो शायद माहीं और शोरिया के बीच में वैसा कुछ होने ही नहीं देता।" जय कार चलाते हुए यही सब सोच में खोया हुआ था कि अचानक सामने से आती कार की लाइट की रोशनी जय की आँखों में जा लगी, जिससे जय की आँखें चौंधिया गई थीं। जय ने कार का स्टीयरिंग घुमा दिया और उसकी कार एक पलटी मारकर जमीन पर जा गिरी।


    .....................


    "दादाजी, मैं अंदर आ सकती हूँ?" माहीं दरवाजे पर खड़ी होते हुए बोली।


    "जी बहू, अंदर आ जाइए।" रणजीत जी माहीं की तरफ मुस्कुराते हुए बोले।


    "आपने मुझे बुलाया दादाजी?" माहीं दादाजी की तरफ देखते हुए बोली।


    "हाँ...! मुझे आपको कुछ देना था।" रणजीत जी उस थाली को उठाते हुए बोले।


    "ये क्या है दादाजी?" माहीं हैरानी से बोली।


    "ये आपके करवा चौथ का सामान है।" रणजीत जी माहीं के हाथ में उस थाली को रखते हुए बोले।


    माहीं उस थाली को देखने लगी जिसमें एक लाल रंग का जोड़ा रखा हुआ था, और लाल रंग की चूड़ियाँ थीं, और भी बहुत कुछ था, श्रृंगार का भी सामान था। माहीं हैरानी से दादाजी की तरफ देख रही थी।


    "इस बार ये आपका पहला करवा चौथ है, तो ये जब आपके मायके की तरफ़ से आना चाहिए था, पर मैं वहाँ के लोगों के व्यवहार से अच्छी तरह से वाकिफ़ हूँ।" रणजीत जी अपने हाथ पीछे करते हुए बोले।


    माहीं रणजीत जी की बातें सुन रही थी।


    "अगर आपकी माँ जिंदा होती, तो वो बहुत कुछ आपके लिए करती, पर मुझे जितना पता था, मैं उतना ही कर पाया हूँ, बेटा।" रणजीत जी बोले।


    "दादाजी, क्या शोरिया मुझे करवा चौथ का व्रत रहने देंगे? क्योंकि उनके लिए तो मैं उनकी बीवी नहीं हूँ।" माहीं रणजीत जी की तरफ देखते हुए बोली।


    "अगर आप शोरिया को पाना चाहती हैं, तो आपको यह व्रत रखना होगा बेटा। मैंने सुना है इस व्रत में बहुत शक्ति होती है। अगर शोरिया की माँ जिंदा होती तो वो आपको इस व्रत के बारे में सब कुछ बता देती। मुझे ज़्यादा तो कुछ नहीं पता है, हाँ पर इतना जानता हूँ कि यह व्रत हर सुहागिन लड़की अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। बेटा, अब आपकी मर्ज़ी है कि आप रखना चाहती हैं कि नहीं।" रणजीत जी इतना बोलकर वहाँ से चले गए।


    "मैं रखूँगी दादाजी, यह व्रत। पता नहीं इसी व्रत से शोरिया मेरा हो जाएँ।" माहीं मुस्कुराते हुए बोली।


    ................

  • 8. Dil Ka kya kasoor - Chapter 8

    Words: 1284

    Estimated Reading Time: 8 min

    माँ, मैंने सच्चे दिल से यह व्रत रखा है और मुझे पूरा भरोसा है कि शोरिया मेरा व्रत तोड़ने ज़रूर आएगा। माही अपनी माँ की फोटो को हाथों में लेते हुए बोली।

    काश! माँ, आज आप मेरे साथ होतीं। पता नहीं भगवान क्या चाहते हैं मुझसे। माही अपने आँसू पोछते हुए बोली। पता है माँ, मैं आपको बहुत मिस करती हूँ। "आई मिस यू माँ... एंड आई रियली रियली लव यू माँ..." माही के आँसू की एक बूँद फोटो पर जा गिरी।

    उसने अपनी माँ की फोटो पर प्यार से हाथ फेरा और उस फोटो को अपने सीने से लगाकर बैठ गई। माही अपनी आँखें बंद करके सुबह की बातें याद करने लगी। आज सुबह ही शोरिया की बुआ जी अपने ससुराल से आ गई थीं। बुआ जी को दादाजी ने बुलाया था क्योंकि माही का पहला करवा चौथ था। इसलिए दादाजी चाहते थे कि बुआ जी माही को व्रत के बारे में अच्छे से समझा दें।

    सुबह जब सब नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे थे, तो बुआ जी को कुछ ना खाते देखकर शोरिया ने मज़ाक करते हुए बोला, "क्यों बुआ जी, आप नाश्ता नहीं करेंगी क्या? अच्छा है वैसे भी खा-खाकर मोटी हो गई हैं। शायद डाइटिंग कर रही हैं, क्यों बुआ जी?" शोरिया की बात सुनकर सब लोग हँसने लगे थे।

    "हट शैतान! मैं क्या, आज कोई शादीशुदा लड़की खाना नहीं खा सकती है?" बुआ जी मुँह बनाते हुए बोलीं।

    "क्यों? आज ऐसा क्या है?" शोरिया वैसे ही नाश्ता करते हुए बोला।

    "आज बहुत बड़ा दिन है शोरिया, आज करवा चौथ है।" बुआ जी शोरिया की तरफ देखते हुए बोलीं।

    "अच्छा, तो आप फूफा जी के लिए व्रत रख रही हैं? यह तो बहुत अच्छी बात है।" शोरिया नाश्ता करते हुए अपने सर को हिलाते हुए बोला।

    "अरे गधे! मैं क्या, आज तो तेरी बीवी भी तेरे लिए व्रत रख रही है!" बुआ जी माही की तरफ इशारा करते हुए बोलीं।

    जो शोरिया के बगल में चुपचाप खड़ी थी। शोरिया को अपनी तरफ गुस्से से घूरते हुए देखकर माही ने अपना सर झुका लिया।

    "क्या बकवास है यह सब माही!" शोरिया गुस्से में माही के पास खड़ा होते हुए बोला।

    "यह कोई बकवास नहीं है शोरिया।" दादाजी माही के पास आते हुए बोले।

    "आपने ही यह सब करने को कहा होगा ना दादाजी?" शोरिया जलती हुई नज़रों से दादाजी की तरफ देखते हुए बोला।

    "नहीं शोरिया, दादाजी ने मुझसे कुछ नहीं कहा है। यह तो मैं अपनी मर्ज़ी से कर रही हूँ।" माही शोरिया को समझाते हुए बोली।

    "तुम तो चुप ही करो माही! तुम्हें क्या लगता है कि मुझे कुछ भी समझ नहीं आता है? मैं छोटा बच्चा हूँ क्या?" शोरिया माही को खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए बोला।

    "शोरिया! यह क्या तरीका है बहू से बात करने का?" रणजीत जी गुस्से में चिल्लाते हुए शोरिया से बोले।

    "तो अपनी प्यारी बहू को समझा दीजिए कि मेरे लिए यह सब मत किया करें। मुझे यह सब पसंद नहीं है।" शोरिया माही को घूरते हुए बोला।

    शोरिया माही का हाथ पकड़ते हुए बोला, "चलो, यहाँ बैठो और खाना खाओ।"

    "हाय राम! यह तुम क्या बोल रहा है शोरिया? यह तेरी बीवी है और इसे यह व्रत रखना होगा।" बुआ जी खड़े होते हुए बोलीं।

    "पर मैं इसे अपनी बीवी नहीं मानता बुआ जी और जब मैं इसे अपनी बीवी नहीं मानता हूँ, तो यह किस हक से मेरे लिए व्रत रखेगी?"

    "आपके माने या ना माने से कुछ नहीं होता शोरिया। दुनिया वालों के सामने यह तेरी बीवी है, समझें आप।" रणजीत जी शोरिया को गुस्से से देखते हुए बोले।

    "तो ठीक है। इसका व्रत तो मेरे हाथों से पानी पीकर टूटेगा ना। मैंने भी देखना है कैसे इसका व्रत टूटा है, क्योंकि मैं इसका व्रत नहीं तोड़ूँगा आकर, समझें आप सब।"

    माही रोती हुई आँखों से हैरानी से शोरिया को देख रही थीं।

    शोरिया ने एक नज़र माही को देखा और गुस्से से वहाँ से चला गया।

    माही यही सब सोचकर उसके आँखों में आँसू आ गए थे कि तभी उसके फ़ोन पर आयूषी की कॉल आते देखकर उसने अपने आँसू पोछे और मुस्कुराते हुए बोली, "हेलो आयूषी, कैसी है तू?"

    आयूषी ने फ़ोन पर कुछ ऐसा कहा कि माही हैरानी से उठ गई और घबराती हुई बोली, "यह कैसे हुआ? मैं... मैं अभी आती हूँ आयूषी। तू पता बता..."

    आयूषी ने उसे कुछ कहा और माही अपना बैग उठाते हुए बोली, "हाँ, मैं आ रही हूँ, तू परेशान मत हो। ओके... मैं वहाँ आकर बात करती हूँ। ओके! माही जल्दी से कार में बैठी और ड्राइवर को पता देते हुए बोली, "भैया, जल्दी चलिए प्लीज।"

    ......................

    "मॉम, उस माही ने शोरिया के लिए वो क्या कहते हैं..." शनाया याद करने की कोशिश करते हुए बोली, "यस, करवा चौथ का व्रत रखा है।"

    "हूँ! उसे क्या लगता है? यह स्टूपिड सा व्रत रखने से शोरिया उसका हो जाएगा?" शनाया पिज्जा खाते हुए बोली।

    "बेबी, यह कोई ऐसा-वैसा व्रत नहीं है। इस व्रत में बहुत ताकत होती है। इसलिए तो हम लेडीज़ यह व्रत रखती हैं। तू इस व्रत और उस माही को कम मत समझो। सुन, मैं जैसा-जैसा बोल रही हूँ, तू वैसा-वैसा कर। आर यू अंडरस्टैंड बेबी?"

    आशा ने शनाया के कान में कुछ कहा जिसको सुनकर शनाया के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई और वह खुशी से उछलते हुए आशा को गले लगाकर बोली, "मॉम, यू आर टू गुड! यस, मैं ऐसा ही करूँगी और शोरिया को माही का व्रत ही नहीं तोड़ने दूँगी। तो फिर कैसे माही शोरिया को अपना बना पाएगी? आई एम राइट मॉम?" "यस, स्वीटहार्ट, यू आर ऑलवेज राइट।" आशा शनाया को किस करते हुए बोली।

    "आके मॉम, मैं शोरिया को कॉल करती हूँ।" शनाया फ़ोन को उठाते हुए बोली।

    "यस बेबी, ऑफ़कोर्स।"

    "हाँ, शनाया बोलो।" शोरिया थोड़ी गंभीर आवाज़ में बोला।

    "हे बेबी, व्हाट्स अप?"

    "नथिंग। व्हाय आर यू कॉलिंग मी?"

    "हे बेबी, व्हाय आर यू अपसेट?"

    "नथिंग शनाया।"

    "आर यू श्योर बेबी?"

    "यस, आई एम श्योर।" शोरिया मुस्कुराते हुए बोला।

    "बेबी, मैंने तुम्हारे लिए करवा चौथ का व्रत रखा है।" शनाया पिज्जा खाते हुए बोली।

    "व्हाट? बट व्हाय?" शोरिया हैरान होते हुए बोला।

    "व्हाट व्हाय बेबी?" शनाया गुस्सा होते हुए बोली।

    "आई मीन... शनाया... इसकी क्या ज़रूरत है?"

    "क्यों नहीं ज़रूरत है बेबी? मैं मानती हूँ कि मैं तुम्हारी बीवी नहीं हूँ, पर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ बेबी और मैं तुम्हारी लंबी उम्र के लिए इतना तो कर सकती हूँ ना?" शनाया कूलिंग पीते हुए बोली।

    "तुम्हें यह सब करने की ज़रूरत नहीं है शनाया। मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, तो यह सब करने की क्या ज़रूरत है?"

    "ज़रूरत है बेबी! क्योंकि मैं तुम्हें कभी नहीं खोना चाहती हूँ और मैं नहीं चाहती हूँ कि वह माही तुम्हें मुझसे छीन ले।" शनाया गुस्सा होते हुए बोली।

    "ऐसा कभी नहीं होगा शनाया। मुझे तुमसे कोई नहीं छीन सकता है। तो फिर माही कैसे छीन पाएगी?" शोरिया मुस्कुराते हुए बोला।

    "रियली बेबी?" शनाया हँसते हुए बोली।

    "यस, रियली।"

    "ओके, लिसन, कम ऑन टाइम एट नाइट, ओके?"

    "ओके, आई विल कम ऑन टाइम।"

    "आई लव यू बेबी।" शनाया फ़ोन पर किस करते हुए बोली।

    "मी टू।" शोरिया मुस्कुराते हुए बोला।

    "अच्छा बेबी, क्या कर रहे हो?"

    "कुछ नहीं, वो हॉस्पिटल जा रहा था।"

    "व्हाय बेबी? व्हाट हैपन्ड? आर यू वेल?"

    "यस, आई एम फाइन।" शनाया...

    "देन व्हाय आर यू गोइंग टू द हॉस्पिटल?" शनाया हैरान होते हुए बोली।

    "वो जय का एक्सीडेंट हो गया है, तो उसी से मिलने जा रहा हूँ।" शोरिया कार में बैठते हुए बोला।

    "बेबी, मैं भी चलूँगी साथ में।"

    "ओके, तो घर के बाहर मिलना। मैं तुम्हें वहीं से पिकअप कर लूँगा। ओके, बाय।"

    "ओके बेबी, बाय।"

    ......................

  • 9. Dil Ka kya kasoor - Chapter 9

    Words: 970

    Estimated Reading Time: 6 min

    संजीवनी हॉस्पिटल।

    माहीं हांफते हुए रिसेप्शन पर गई और पूछा, "डॉ. जय अग्रवाल किस वार्ड में हैं?" माहीं पूरी तरह से हाफ़ रही थी। माहीं की ऐसी हालत देखकर रिसेप्शनिस्ट हैरान रह गई।

    "मैंने आपसे कुछ पूछा है!" माहीं चिल्लाते हुए बोली।

    "हाँ! सॉरी मैम! मैं अभी देखकर बताती हूँ।" यह बोलकर वह अपने रजिस्टर में देखने लगी और फिर माहीं की तरफ देखकर बोली, "डॉ. जय अग्रवाल वार्ड नंबर 505 में हैं।"

    "ओके, थैंक्यू।" यह बोलकर माहीं वार्ड की तरफ चली गई।

    माहीं वार्ड के बाहर खड़ी हुई। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला, उसने देखा कि जय के एक हाथ और एक पैर में प्लास्टर लगा हुआ था और उसके माथे पर भी पट्टी बंधी थी। वह मशीनों से घिरा हुआ था।

    माहीं अंदर आ ही रही थी कि उसे डॉक्टर की आवाज़ सुनाई दी जो जय से बोल रहे थे, "डॉ. जय, क्या आप अब ठीक हैं?"

    जय मुस्कुराते हुए बोला, "यस सर, आई एम फाइन।"

    "लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि आपका ध्यान कहाँ था डॉ. जय, आपको सावधानी से गाड़ी चलानी चाहिए थी।"

    जय ने कुछ नहीं कहा, बस डॉक्टर की बात सुनकर मुस्कुरा दिया।

    "वह कौन है डॉ. जय?"

    "कौन?" जय हैरानी से बोला।

    "वह, जिसकी याद में आप ऐसे हो गए हैं।"

    डॉक्टर की बात सुनकर जय माहीं को याद करके मुस्कुराया। यह मुस्कान डॉक्टर से नहीं छुप पाई। डॉक्टर जय की टांग खींचते हुए बोले, "अब बताओ, डॉ. जय की लकी गर्ल कौन है?"

    डॉक्टर की बात सुनकर जय मुस्कुराते हुए बोला, "नो सच थिंग सर।"

    डॉक्टर कुछ बोलने ही जा रहे थे कि तभी उनकी नज़र दरवाज़े पर खड़ी माहीं पर पड़ी। वे उठते हुए बोले, "ओके डॉ. जय, मैं जाता हूँ।" यह बोलकर डॉक्टर जाने के लिए उठ खड़े हुए। जय हैरानी से बोला, "हे, पर क्यों डॉक्टर?"

    जय की बात सुनकर डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोले, "क्योंकि डॉ. जय से मिलने आई है वह, जो हमेशा आपके ख्यालों में रहती है।"

    यह बोलकर डॉक्टर वहाँ से जाने लगे और जय की नज़र माहीं पर पड़ी।

    माहीं अंदर आकर जय के पास बैठ गई और बोली, "कैसे हो तुम?"

    जय मुस्कुराते हुए बोला, "बिल्कुल हमेशा की तरह फिट और फाइन।"

    जय की बात सुनकर माहीं के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    "जय, एक बात पूछूँ।"

    माहीं की बात सुनकर जय हैरानी से बोला, "एक क्यों नहीं, दो बातें पूछो।"

    जय के मज़ाक से चिढ़ते हुए माहीं बोली, "जय, मज़ाक नहीं, सीरियसली बोलो।"

    "हाँ यार, पूछो।"

    "तुम किसके ख्यालों में खोए थे, जिसके कारण ये सब हुआ?"

    "कैसे बताऊँ माहीं? वो तुम...वो जिसके ख्यालों में ये जय अग्रवाल खोया ही नहीं रहता, बल्कि पागल है।" जय माहीं को देखते हुए मन ही मन बोला।

    जय को ऐसे खुद को देखते पाकर माहीं बोली, "बोलो ना जय, ऐसे क्या देख रहे हो?"

    "अरे माहीं, तुम भी उस डॉक्टर की बातों में आ गई। वो तो मज़ाक कर रहे थे! मैं किसी के ख्यालों में नहीं खोया था यार।"

    जय की बात सुनकर माहीं के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    "माहीं!"

    "हाँ, बोलो।"

    "मुझे प्यास लगी है! क्या तुम उस कॉफ़ी टेबल से वो जूस का गिलास ले आओगी?"

    "ये भी पूछने की बात है यार! मैं अभी लेकर आती हूँ।" यह बोलकर माहीं जूस लेने के लिए उठ गई।

    "काश माहीं, तुम सिर्फ़ मेरी होती! पर मैंने अपनी लाइफ की सबसे बड़ी गलती की है, तुम्हें अपनी फीलिंग ना बताकर। पर अब मैं कुछ नहीं कर सकता, बस तुम्हें दूर से देखने के सिवा।"

    माहीं वो जूस का गिलास ले आई और जय को पिलाने के लिए उसे उठाया।

    माहीं को अपने इतने पास देखकर जय के दिल में खुशी के गुब्बारे बन रहे थे, पर उसे पता था कि माहीं उसे सिर्फ़ अपना एक दोस्त ही मानती है, उससे ज़्यादा कुछ नहीं।

    इन दोनों को ऐसे एक-दूसरे के इतने पास, और चार आँखें भी देख रही थीं।

    शोरिया और शनाया वार्ड के बाहर से इन दोनों को देख रहे थे।

    जहाँ शनाया माहीं और जय को इतना पास देखकर खुश हो रही थी, वहीं माहीं का ऐसे जय का ख्याल रखते देखकर शोरिया को गुस्सा आ रहा था।

    और यह गुस्सा शनाया से नहीं छुपा था। वह शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बोली, "अब पता चला कि यह करवा चौथ का व्रत किसके लिए रखा जा रहा है! व्रत रख रही है जय के लिए और नाम तुम्हारा लगा रही है!"

    "इस माहीं को एक लड़के से मन तो भरता नहीं है, पता नहीं कैसी लड़की है यह!" शनाया बोली जा रही थी, पर शोरिया को उसकी बातें सुनाई ही नहीं दे रही थीं।

    उसको तो जय और माहीं की इतनी नज़दीकियाँ बिल्कुल पसंद नहीं आ रही थीं। उसने अपने हाथ की मुट्ठी बंद कर ली और शनाया का हाथ छोड़कर वहाँ से जाने लगा कि तभी शनाया पीछे से बोली, "अरे अब तुम कहाँ जा रहे हो?"

    शोरिया शनाया की तरफ़ पीठ किए हुए बोला, "मेरी एक बहुत इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है इसलिए मुझे जाना होगा।"

    शनाया उसे रोकते हुए बोली, "पर जय से तो मिल लो।"

    "मुझे नहीं लगता कि जय को हमारी कोई ज़रूरत है। उसका ख्याल रखने वाली वहाँ पहले से है।" यह बोलकर शोरिया वहाँ से चला गया।

    शनाया शोरिया को जाते हुए देखकर अपने दोनों हाथों को एक-दूसरे से मिलाकर बोली, "ये ही तो मैं चाहती थी! मुझे तो कुछ करना ही नहीं पड़ा। माहीं, तुमने खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।"

    क्रमशः

  • 10. Dil Ka kya kasoor - Chapter 10

    Words: 1929

    Estimated Reading Time: 12 min

    घड़ी में रात के तीन बज रहे थे। तभी सिंघानिया पैलेस के गेट पर किसी कार के रुकने की आवाज़ आई। उस कार में शोरिया था, जो पूरी तरह से नशे में चूर था। उसके पैर नशे के कारण लड़खड़ा रहे थे। वह किसी तरह दीवाल का सहारा लेकर अंदर आ रहा था। जैसे ही शोरिया अंदर डाइनिंग रूम में आया, उसकी नज़र सामने सोफे पर सोती माहीं पर पड़ी। शायद पूजा के लिए शोरिया के इंतज़ार में वह वहीं सो गई थी। बाहर खिड़की से आती चांदनी सीधे माहीं के चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे माहीं का चेहरा और भी सुंदर लग रहा था। करवा चौथ की पूजा के लिए उसने शोभायमान श्रृंगार किया था; लाल रंग की साड़ी पहनी थी और उस पर उसने सटीक मेकअप किया हुआ था। माहीं सोती हुई किसी छोटी बच्ची से कम नहीं लग रही थीं। शोरिया की नज़रें माहीं से हट नहीं रही थीं। माहीं को देखकर लग रहा था कि उसने सुबह से एक गिलास पानी भी नहीं पिया है; कमज़ोरी के कारण उसका चेहरा पूरा पीला पड़ा हुआ था। शोरिया एकटक उसे ही देख रहा था। अपने लड़खड़ाते कदमों से शोरिया धीरे-धीरे माहीं के पास जाने लगा। वह सोफ़े के पास बैठ गया। माहीं के चेहरे पर हवा से उड़ती लटों को शोरिया ने धीरे से अपने हाथ से उसके कान के पीछे कर लिया।


    शोरिया पैरों को मोड़कर माहीं के पास बैठ गया और उसके गाल को अपनी एक उंगली से हल्के से सहलाते हुए बोला, "क्यों माहीं? ऐसा तुम क्यों कर रही हो यार?"


    "शादी तुमने मुझसे की है और प्यार तुम उस जय के बच्चे से करती हो?" शोरिया की नज़र माहीं के गले में पड़े मंगलसूत्र पर गई। वह हल्के से उस मंगलसूत्र को अपनी हथेली से उठाते हुए अपने चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान लाते हुए बोला, "ये मंगलसूत्र! ये मंगलसूत्र मेरे नाम का पहन रखा है और बीवी उस जय की बनी घूम रही हो?" शोरिया ने माहीं के मांग में भरे सिंदूर को देखा और हल्की उंगली से उसके सिंदूर को उंगली पर लगाते हुए बोला, "और ये सिंदूर! ये सिंदूर मेरे नाम का लगाती हो और उम्र लंबी उस जय की हो ऐसा मांगती हो?" शोरिया गुस्से में बड़बड़ाते हुए बोला, "तुमने मुझे धोखे के अलावा और कुछ दिया क्या है माहीं? शादी से पहले धोखा, शादी के बाद धोखा और तुम कहती हो कि मैं तुम पर भरोसा करूँ? आखिर कैसे करूँ मैं तुम पर भरोसा? तुम्हारी आँखें हमेशा मुझसे सच बोलती हैं। अगर तुम्हारी आँखें सच बोलती हैं, तो जो आज मेरी आँखों ने देखा वो क्या था माहीं?" शोरिया ने माहीं को एक नज़र देखा और गुस्से से उठते हुए अपने रूम में आ गया। वह अपने बेड पर लुढ़क गया और अपनी आँखें बंद कर लीं। शोरिया ने इतनी पी रखी थी, पर फिर भी उसकी आँखों में नींद ने आज कसम खा रखी थी कि वह आज शोरिया को सोने नहीं देगी। शोरिया झिलमिलाते हुए उठ गया और खिड़की के पास खड़े होकर अपने पॉकेट से सिगरेट की डिब्बी निकालकर एक सिगरेट अपने होठों के बीच रखकर जला ली और लंबी-लंबी चुस्कियाँ लेने लगा।


    शोरिया ने सिगरेट को मुँह से निकाला और दीवाल से लगकर खड़े होकर बाहर रोड की तरफ देखने लगा। रोड पर अंधेरा छाया हुआ था। शोरिया ने आँखें बंद कर लीं तो उसके दिमाग में वही सब चलने लगा। शोरिया अपनी आँखें खोलते हुए मन ही मन में बोला, "आखिर मुझे इतना फर्क क्यों पड़ रहा है? वो चाहे जिसके साथ रहे, मुझसे क्या? क्यों मैं इतना बेचैन हूँ? क्यों मुझे उसका यूँ किसी और के लिए केयर दिखाना अच्छा नहीं लग रहा है? आखिर मुझे वो सब याद आते ही खून क्यों खोल रहा है? माहीं का जय के इतना करीब होना... मेरे दिल में दर्द आखिर क्यों कर रहा है?" शोरिया की आँखों के सामने सुबह जो कुछ हुआ, वो सब दिखने लगा।


    कुछ देर पहले...


    "हे! बेबी..." शनाया कार में बैठते हुए बोली।


    "हँ... चलो जल्दी से बैठो।"


    "हाँ बाबा... बस ये सीट बेल्ट लगा लूँ। वैसे बेबी इतनी क्या जल्दी है? आराम से चलो।"


    "वो क्या है ना, मुझे जय से हॉस्पिटल में मिलने के बाद एक बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग के लिए जाना है।" शोरिया सामने देखते हुए बोला।


    "बट बेबी, डोंट बी फॉरगेट... कि मैं तुम्हारे लिए व्रत हूँ और तुम्हें वक़्त पर आकर मेरा व्रत तोड़ना है। आर यू अंडरस्टैंड बेबी?" शनाया शोरिया को देखते हुए बोली।


    "यस शनाया, आई नो... इसलिए मैं जल्दी से मीटिंग ख़त्म करके तुम्हारे पास आना चाहता हूँ।" शोरिया आँख मारते हुए बोला।


    "ओह बेबी, आई लव यू।" शनाया उसके कंधे पर सिर रखते हुए बोली।


    "क्या कर रही हो शनाया? मैं ड्राइव कर रहा हूँ।" शोरिया घबराते हुए बोला।


    "ओह सॉरी..." शनाया शोरिया से दूर हटते हुए बोली।


    इधर माहीं जय का ख्याल रख रही थी क्योंकि आयुषी को कॉफ़ी कैफ़े में बहुत बड़ा कॉफ़ी का ऑर्डर आ गया था, इसलिए उसे वहाँ से जाना पड़ा था। आयुषी तो जाना ही नहीं चाहती थी, पर जय ने अपनी कसम देकर उसे वापस भेज दिया था।


    "यार माहीं, तुम मेरा इतना भी ख्याल मत रखो।" जय सेब खाते हुए बोला।


    "ऐसा क्यों बोल रहे हो जय?" माहीं सेब को काटते हुए बोलीं।


    "यार माहीं, अगर तेरे पति ने देख लिया कि मैं तुमसे अपनी इतनी सेवा करवा रहा हूँ, तो वो मेरी जान ले लेगा।" जय अपनी बत्तीसी दिखाते हुए बोला।


    "तुम भी ना जय, कुछ भी बोलते हो।" माहीं आँखें दिखाते हुए बोली, "अच्छा लो, जूस पी लो।" माहीं जय की तरफ़ जूस का गिलास बढ़ाते हुए बोली।


    "आह्ह्ह्ह्ह्!"


    "क्या हुआ जय? दर्द हो रहा है क्या?" माहीं उठते हुए जय के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली।


    "हाँ! मैं ये हाथ उठा नहीं पा रहा हूँ, बहुत दर्द हो रहा है।" जय अपने हाथ को धीरे से रखते हुए बोला।


    "कोई बात नहीं जय, मैं तुम्हें जूस पिला देती हूँ।" माहीं जूस का गिलास जय के मुँह के पास लाते हुए बोली।


    पर जय हिचकिचा रहा था क्योंकि माहीं का ऐसे उसका ख्याल रखना लोगों के दिमाग में गलत सोचने को मजबूर कर रहा था। जय जानता था कि हैदराबाद में सिंघानिया फैमिली का बहुत नाम है; यहाँ तक कि सिंघानिया पैलेस में जो नौकर काम करते हैं, उनको भी लोग जानते हैं। ऐसा कोई इंसान होगा जो सिंघानिया को नहीं जानता होगा और माहीं तो सिंघानियास की बहू हैं, उसको कौन नहीं जानता होगा? इसलिए जय को डर भी लग रहा था कि कहीं उसकी वजह से माहीं की लाइफ़ में कोई नई मुश्किल ना आ जाए क्योंकि वह माहीं के हालात बहुत अच्छे से जानता था।


    "क्या सोच रहे हो जय? लो ना पी लो।" माहीं उसके मुँह के पास जूस का गिलास लाते हुए बोली।


    जय ने हाँ में सर हिला दिया और माहीं के हाथों से जूस पीने लगा। जय को आज बहुत अच्छा लग रहा था; उसके दिल में खुशी के गुब्बारे फूट रहे थे।


    कुछ देर बाद जय माही से बोला, "माहीं..."


    "हाँ! जय, कुछ चाहिए क्या?" माहीं जो सोफ़े पर बैठी मैगज़ीन पढ़ रही थीं, वह मैगज़ीन बंद करते हुए हैरानी से जय की तरफ़ देखते हुए बोली।


    "नहीं नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए।"


    "तो क्या हुआ?"


    "वो मुझे..."


    "हाँ! तुम्हें क्या?"


    "वो मुझे..."


    "हाँ! जय, आगे भी बोलोगे।"


    "यार मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कैसे बोलूँ।"


    "अरे यार, मुँह के अलावा और कहीं से भी बोला जाता है क्या?" माहीं इरिटेट होते हुए बोली।


    "हाँ... अरे नहीं यार, वो मुझे वाशरूम जाना है।" जय शर्माते हुए बोला।


    "अरे बस इतनी सी बात! इसमें तुम परेशान हो रहे थे?" माहीं हँसते हुए बोली।


    "हूँ!" जय मुस्कुराते हुए बोला।


    "चलो मैं ले चलती हूँ।" माहीं जय के पास आते हुए बोली।


    "अरे तुम क्यों तकलीफ कर रही हो? नर्स या वॉर्डबॉय को बुला लो ना।"


    "अरे इसमें कैसी तकलीफ है? यार और जब मैं हूँ तो उनको क्यों बुलाओगे?" माहीं अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली।


    "तुम कितनी भोली हो माहीं! तुमको तो इस दुनिया की गलत नज़रें भी समझ में नहीं आती हैं।" जय माहीं की तरफ़ मुस्कुराते हुए देखते हुए मन में बोला।


    "अब क्या सोच रहे हो जय? चलो मैं ले चलती हूँ ना।"


    "अच्छा ठीक है।"


    जय के एक पैर और एक हाथ में प्लास्टर लगा हुआ था, जिस कारण वह न खुद अपने आप उठ सकता था, न ही चल सकता था।


    माहीं जय को उठाने की कोशिश कर रही थी कि अचानक वह जय के ऊपर गिर गई। जय की तो धड़कन तेज चलने लगी थी। उसका दिल कर रहा था कि वह अभी माहीं को गले लगा ले, पर उसने अपने आप को कण्ट्रोल किया और अपना ध्यान हटाने के लिए वह माहीं का मज़ाक उड़ाते हुए बोला, "अरे रहने दो माहीं! तुमसे नहीं हो पाएगा! कभी खुद को देखा है माहीं? मेरे बॉडी से भी आधी भी नहीं हो! माहीं, तुमसे ना हो पाएगा।"


    माहीं झूठ-मूठ का उसे गुस्से में घूरने लगी। माहीं को ऐसे गुस्से में देखकर जय को हँसी आ गई और वह जोर से हँसने लगा। माहीं को भी हँसी आ गई। उन दोनों को तो पता भी नहीं था कि उन दोनों को ऐसे साथ में हँसते हुए कोई और भी देख रहा है, और वो थे शोरिया और शनाया।


    शोरिया और शनाया रूम के बाहर से दरवाज़े की शीशे वाली खिड़की से सब कुछ देख रहे थे। माहीं का जय के इतने पास होकर दाँत फाड़-फाड़ के हँसते हुए देखकर जहाँ शनाया को मज़े आ रहे थे, वहीं शोरिया को गुस्से के कारण हाथ की मुट्ठी बन गई थी। शोरिया को उन दोनों का इतने पास होना बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था और उसके जबड़े गुस्से से टाइट हो गए थे।


    शोरिया का ऐसा रूप देखकर शनाया को मौका मिल गया आग में घी डालने का।


    "तुम देख रहे हो शोरिया! ये तुम्हारी प्यारी बीवी तुम्हें और तुम्हारी फैमिली को कितना बेइज़्ज़त कर रही है।" शनाया माहीं को नफ़रत से घूरते हुए बोली।


    शोरिया ने शनाया की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह वैसे ही उन दोनों को हँसते हुए देख रहा था।


    "तुम्हारे दादाजी को पता नहीं क्या अच्छा लग रहा था इस माहीं में? तुम्हारी शादी इसके साथ करा दी।" शनाया अपने हाथों को मोड़ते हुए बोली।


    शनाया बोल रही थी, पर शोरिया का ध्यान शनाया की बातों पर कम, बल्कि अंदर जय और माहीं पर ज़्यादा था।


    शोरिया शनाया से अपना हाथ छुड़ाते हुए बोला, "मुझे मीटिंग के लिए देर हो रही है। मैं जा रहा हूँ।"


    "अरे पर जय से तो मिल लो।" शनाया शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बोली।


    "मुझे बहुत देर हो रहा है। मैं बाद में मिलूँगा आकर। अभी मुझे जाना है और वैसे भी मुझे नहीं लगता कि मेरे मिलने और ना मिलने से उसे कोई फर्क पड़ेगा।" इतना बोलकर शोरिया वहाँ से चला गया।


    "अरे पर... मैं तो यही चाहती हूँ... कि तुम ऐसे ही माहीं से नफ़रत करते रहो।" शनाया हाथ मोड़ते हुए मुस्कुराते हुए बोली।


    "चुचुचु... बिचारी माहीं! आज तो शोरिया के लिए व्रत थी, पर अब उसका व्रत कैसे टूटेगा? क्योंकि शोरिया तो आने से रहा! ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!"


    क्रमशः

  • 11. Dil Ka kya kasoor - Chapter 11

    Words: 1235

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह माहीं की नींद देर से खुली। खिड़की से धूप उसके चेहरे पर पड़ रही थी, जिससे उसकी नींद टूट गई। वह जल्दी से उठी और इधर-उधर देखने लगी। वह समझने की कोशिश कर रही थी कि वह यहाँ क्या कर रही है। तभी उसे याद आया कि कल रात वह शोरिया का इंतज़ार करते हुए यहीं सो गई थी। माहीं की नज़र वहाँ काम कर रही घर की नौकरानी पर गई।

    "कितना बज रहा है, कमला दीदी?" माहीं ने अपनी आँखें खोलते हुए कहा।

    "बहू रानी, सुबह के नौ बज रहे हैं।" कमला ने माहीं को वक्त बताकर फिर से गाना गुनगुनाते हुए काम करने लगा।

    "क्या? नौ बज रहे हैं? आज मैं इतनी देर तक कैसे सोती रही?" माहीं खुद में बड़बड़ाते हुए बोली।

    "अच्छा, कमला दीदी, शोरिया आ गए क्या?"

    "हाँ! शोरिया बाबा तो कल रात को ही आ गए थे। वे अपने कमरे में शायद सो रहे होंगे।" कमला ने अपना काम करते हुए कहा।

    "क्या? शोरिया कल रात को आ गया था और फिर भी उसने मुझे नहीं उठाया?" माहीं सोचते हुए बोली।

    माहीं जल्दी से उठी और ऊपर अपने कमरे की तरफ जाने लगी।


    "शोरिया, तुम कल क्यों नहीं आए? मैं तुम्हारा पूरी रात इंतज़ार कर रही थी!" शनाया गुस्से में शोरिया से फ़ोन पर बात कर रही थी।

    "सॉरी शनाया, कल रात मीटिंग देर से खत्म हुई थी। और थकान के मारे मुझे याद ही नहीं रहा कि मुझे तुम्हारे घर जाना था। अच्छा, ये बताओ कि तुमने कुछ खाया कि नहीं?" शोरिया ने सर पर हाथ रखते हुए कहा। उसके सर में बहुत दर्द हो रहा था।

    "खा लिया है! और तुम्हें क्या लगा कि मैं पूरी रात भूखी रहती? जब तुमको मेरी नहीं पड़ी है, तो फिर मैं क्यों तुम्हारी फ़िक्र करूँ? हूँह!"

    शोरिया को शनाया की ये बातें अच्छी नहीं लग रही थीं। शनाया तो ऐसे बोल रही थी जैसे उसे शोरिया से प्यार ही नहीं है।

    "यार शनाया, माफ़ कर दो। यार, सच में कल मेरी तबीयत ठीक नहीं थी।" शोरिया उठते हुए बोला।

    "मैं कुछ नहीं जानती शोरिया। मुझे तुमसे बात ही नहीं करनी है।" शनाया गुस्से में बोलती जा रही थी।

    "ठीक है, मत करो बात। यार, तुमको अपने सिवा कोई और नहीं दिखता क्या? मैं कब से तुमसे माफ़ी माँग रहा हूँ और तुम हो कि समझ ही नहीं रही हो। यार, कभी-कभी मुझे लगता है कि तुम मुझसे प्यार ही नहीं करती हो।" शोरिया चिल्लाते हुए बोला।

    शनाया को लगा कि उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है। "नहीं-नहीं, मुझे शोरिया को शक नहीं होने देना है। मैं अपनी मंज़िल के इतने करीब हूँ कि हार नहीं सकती हूँ।" शनाया मन में सोचती रही।

    "ओह, मेरा बेबी गुस्सा हो गया। सॉरी बेबी। मेरा इरादा तुमको गुस्सा दिलाने का नहीं था। यार, वो क्या है ना कि मैं कल पूरी रात भूखी-प्यासी तुम्हारा वेट कर रही थी और तुम आए नहीं, ना तो थोड़ा गुस्सा आ गया था। अच्छा, अब तुम्हारी तबीयत कैसी है? बेबी..." शनाया बहुत प्यार से बोली।

    "हूँह! ठीक हूँ! और सॉरी, ऐसे बात करने के लिए। ठीक है, मैं तुमसे बाद में बात करता हूँ।"

    "बेबी, मैं कुछ देर बाद तुमसे मिलने तुम्हारे घर आ रही हूँ।"

    "ओके। ठीक है। मैं तुमसे कुछ देर बाद मिलता हूँ। बाय।"

    "बाय बेबी। आई लव यू!!!"

    "हूँह! बाय!!"

    शोरिया फ़ोन बेंड पर डालकर नहाने चला गया।

    "इस शोरिया की हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की?" शनाया गुस्से में फ़ोन रखते हुए बोली।

    "बस, मैंने और मॉम ने जैसा सोचा है, वैसा हो जाए, फिर इस शोरिया सिंघानिया को उसकी औक़ात दिखाऊँगी... उसकी बीवी बनकर... हूँह!" शनाया शैतानी मुस्कान चेहरे पर लाते हुए बोली।


    माहीं ने कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा कि शोरिया आईने के सामने अपने बाल बना रहा था।

    वह धीरे से अंदर चली गई और बेंड के पास खड़ी हो गई। शोरिया ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और कोई प्रतिक्रिया न देते हुए फिर से आईने में देखते हुए बाल बनाने लगा।

    "तुम कल कितने बजे आए थे?" माहीं हिम्मत करते हुए बोली।

    "क्यों? क्या करोगी जानकर?" शोरिया उसे आईने में देखते हुए बोला।

    "नहीं, कुछ नहीं। मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी। वैसे, तुम अगर कल रात को आ गए थे, तो मुझे उठा देते। मैंने कमला दीदी से सुना कि तुमने खाना भी नहीं खाया था।" माहीं अपनी आँखें नीचे करती हुई बोली।

    "मेरी कल मीटिंग थी और मैं वहीं से खाकर आया था। वैसे, तुम मेरा कल इंतज़ार क्यों कर रही थी? इससे पहले तो कभी नहीं करती थीं।"

    "मैं तुम्हारा इंतज़ार तो कब से कर रही हूँ शोरिया, पर तुमको मेरी तपस्या और मेरा प्यार तो दिखता ही नहीं है। हर रोज़ मैं तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ और फिर भूखे पेट सो भी जाती हूँ। खैर, तुमको ये सब कभी नहीं दिखेगा शोरिया।" माहीं शोरिया की तरफ़ देखते हुए मन ही मन में बोल रही थी।

    "अब क्या हो गया? तुमको ऐसे क्यों भूत बनी खड़ी हो?" शोरिया उसे हैरानी से देखते हुए बोला।

    "नहीं, कुछ नहीं।"

    "अगर कुछ नहीं है तो जाओ यहाँ से। वैसे भी मेरा सर दर्द से फटा जा रहा है।" शोरिया परेशान होते हुए अपने सर पर हाथ रखते हुए बोला।

    "क्या? तुम्हारे सर में दर्द हो रहा है? लाओ, मैं दबा दूँ।" माहीं शोरिया के सर की तरफ़ हाथ बढ़ाते हुए बोली।

    "दूर हटो! मैं ठीक हो जाऊँगा।"

    "अरे, ऐसे कैसे ठीक हो? देखो, दर्द की वजह से शक्ल कैसी लग रही है! मैं तुम्हारा सर दबा देती हूँ। अब ज़्यादा नौटंकी मत करो और आओ यहाँ बैठो।" माहीं शोरिया के हाथ को पकड़कर खींचते हुए बिस्तर पर बिठाते हुए बोली।

    माहीं शोरिया के बगल में बैठ गई और उसका सर दबाने लगी। माहीं की चूड़ियों की खनक शोरिया के दिल में एक आग जला रही थी। माहीं का उसका ख्याल रखना उसे बहुत अच्छा लग रहा था। कल उसने जब माहीं को जय के साथ इतना ख्याल और हँसी-मज़ाक करते हुए देखा था, तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा था। इस कारण शोरिया का मीटिंग पर भी ज़्यादा ध्यान नहीं था और पूरी मीटिंग में उसके दिमाग में जय और माहीं के एक साथ हँसते हुए चेहरे दिख रहे थे। और उन सब यादों को मिटाने के लिए शोरिया ने कुछ ज़्यादा ही ड्रिंक कर ली थी, जिस कारण वह शनाया के घर भी नहीं जा पाया था।

    "माही!" शोरिया आँखें बंद करते हुए बोला।

    "हूँ!"

    "मुझे भूख लगी है।"

    "अच्छा! ठीक है। मुझे कुछ देर का वक़्त दो, मैं अभी खाने में कुछ बनाती हूँ।" माहीं उठती हुई बोली।

    माहीं के जाने के बाद शोरिया बिस्तर पर लेट गया और ऊपर छत की तरफ़ देखते हुए सोचने लगा।

    "कितना अंतर है दोनों बहनों में! एक है जो सिर्फ़ अपने बारे में सोचती है और एक है जो अपने बारे में कभी नहीं सोचती। माहीं और शनाया कहने को बहनें हैं, पर दोनों का नेचर कितना अलग है!" शोरिया माहीं को याद करते हुए उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    फिर एक पल में उसके चेहरे से मुस्कान चली गई जब उसे कल माहीं का जय के साथ अस्पताल वाली बात याद आ गई।

    "ये तू क्या सोच रहा है शोरिया? तू भूल मत, तू शनाया से प्यार करता है और माहीं के लिए तेरे दिल में कोई जगह नहीं। तू अपना कॉन्ट्रैक्ट भूल रहा है। एक साल बाद माहीं और तेरा तलाक हो जाएगा। समझा कुछ!" शोरिया धीरे से बड़बड़ाते हुए बोला।

    क्रमशः

  • 12. Dil Ka kya kasoor - Chapter 12

    Words: 1364

    Estimated Reading Time: 9 min

    कमला दीदी ने किचन में जल्दी-जल्दी काम करते हुए कहा, "माहीं!"

    "जी बहु रानी, आपने बुलाया?"

    "जी! आप जाकर शोरिया से कह दीजिये कि नाश्ता तैयार है, वो जल्दी आ जाएँ।"

    "जी, मैं अभी बोलकर आती हूँ।" इतना कहकर कमला किचन से चली गई।

    माहीं ने और नौकरों से कहकर सारा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर लगवा दिया। माहीं टेबल के पास खड़ी, घर के नौकरों से बात कर रही थी कि अचानक उसे चक्कर आ गया। वह गिरने वाली थी, पर बगल में रखी कुर्सी को उसने पकड़ लिया।

    कमला, जो माहीं के पास ही खड़ी थी, घबराती हुई माहीं को पकड़ते हुए बोली, "आप ठीक तो हैं ना बहु रानी?"

    सब लोग उसे घबराते हुए देखने लगे।

    माहीं ने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "हाँ! हाँ, मैं ठीक हूँ। आप सब परेशान मत होइए! और जाकर अपना-अपना काम कीजिए।"

    सारे नौकर हाँ में सर हिलाकर वहाँ से जाने लगे।

    "शोरिया बाबा भी आ गए। बहु रानी!" कमला ने शोरिया की तरफ देखते हुए कहा।

    शोरिया डाइनिंग टेबल की चेयर पर बैठते हुए बोला, "कमला दीदी, जल्दी से खाना ले आइए, मुझे बहुत तेज भूख लगी है।"

    कमला हैरान होते हुए शोरिया से बोलीं, "आप अकेले ही खाएँगे शोरिया बाबा?"

    शोरिया इधर-उधर देखते हुए बोला, "नहीं! दादाजी के साथ खाऊँगा। वो कहाँ पर हैं?"

    माहीं शोरिया की प्लेट में खाना परोसती हुई बोली, "दादाजी कोई मीटिंग के लिए बाहर गए हुए हैं। दादाजी ने कहा था कि कल तक आ जाएँगे।"

    शोरिया ने माहीं की तरफ देखते हुए कहा, "अच्छा।"

    शोरिया सवालिया निगाहों से देखते हुए बोला, "आप ऐसे क्यों देख रही हैं कमला दीदी?"

    कमला थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली, "कुछ नहीं शोरिया बाबा! सोच रही थीं कि आप सच में भूल गए हों या नाटक कर रहे हों, भूलने का!"

    कमला सिंघानिया पैलेस में बहुत सालों से काम कर रही थी। जब शोरिया छोटा था, तब कमला सिंघानिया पैलेस में आई थीं। और उसके बाद शोरिया के माँ-बाप का एक्सीडेंट में गुज़र जाना! उसके बाद से कमला ने शोरिया का एक छोटे भाई की तरह ख्याल रखती आ रही है! और शोरिया इस पूरी दुनिया में अपने दादाजी के बाद अगर किसी और की बात मानता था, वो थी कमला दीदी।

    शोरिया समझने की कोशिश करते हुए बोला, "क्या मतलब कमला दीदी?"

    कमला कुछ बोलती, उससे पहले ही माहीं ने उसका हाथ पकड़ लिया और आँखों से इशारा करने लगी! जैसे वो बोल रही हों कि कुछ मत बताइए दीदी!

    शोरिया हैरानी से कमला की तरफ देखते हुए बोला, "हाँ कमला दीदी, बोलिए।"

    कमला वहाँ से बड़बड़ाते हुए जाने लगी, "मुझे नहीं पता, आप बहु रानी से पूछ लीजिये! ये बोल कर कमला वहाँ से बड़बड़ाते हुए जाने लगी। मेरी तो कोई बात ही नहीं सुनता है, मैं अब कुछ नहीं बोलूंगी, जिसको जो करना है करें।"

    शोरिया सोचते हुए बोला, "अब इनको क्या हो गया! अजीब हैं, अपने में ही मुँह फुलाकर चली गईं। अरे, बताना तो चाहिए था ना कि बात क्या है! मैं ऐसा क्या भूल गया?"

    माही नाश्ते की तरफ इशारा करते हुए बोली, "अरे आप कुछ नहीं भूले हैं! आप नाश्ता कीजिए।"

    शोरिया मुस्कुराते हुए बोला, "तुम सही बोल रही हो। छोड़ो कमला दीदी को, ये तो ऐसे ही गुस्सा हो जाती हैं। नाश्ते की तरफ फोकस करता हूँ।"

    माहीं वहीं खड़ी शोरिया को नाश्ता करते हुए देख रही थीं और मन ही मन में खुश हो रही थीं।

    माहीं मन ही मन सोच रही थी, "आज पहली बार हुआ है कि शोरिया ने बिना गुस्सा किए मेरे हाथों से नाश्ता किया हो! और उससे अच्छा ये लग रहा है कि उसने आज मुझसे अच्छे से बात की है! ऐसे ही एक दिन शोरिया मुझको अपने जीवन में भी जगह देगा, मुझे पूरा भरोसा है।"

    इन्हीं सब बातों में माहीं खोई थी कि अचानक से उसका सर घूमने लगा! उसकी आँखों के सामने जैसे सारी चीजें घूम रही थीं। माहीं की आँखों के सामने अंधेरा छाया लगा था। उसने अपने दोनों हाथों से सर को पकड़ लिया और धड़ाम से जमीन पर जा गिरी।

    शोरिया जो आराम से नाश्ता कर रहा था, धमाके की आवाज सुनकर उस तरफ देखता हुआ उठा और जमीन पर गिरी हुई माहीं को पकड़ते हुए उसके चेहरे पर थपथपाने लगा।

    शोरिया उसके चेहरे पर अपने हाथ को थपथपाते हुए बोला, "माहीं उठो, तुम्हें क्या हो गया! उठो माहीं!"

    शोरिया की आवाज सुनकर घर के सभी नौकर वहाँ आ गए और किचन से कमला भी भागती हुई आई।

    कमला माहीं के पास बैठते हुए बोली, "क्या हुआ बहु रानी को बाबा?"

    शोरिया परेशान होते हुए बोला, "पता नहीं कमला दीदी, अचानक से बेहोश हो गई है!"

    कमला घबराती हुई माहीं के हाथ को घिसते हुए बोली, "बेहोश नहीं होगी तो और क्या होगा बाबा?"

    "क्या मतलब कमला दीदी?"

    "मतलब ये है कि बहु रानी ने कल से कुछ भी नहीं खाया है!"

    "व्हाट! पर क्यों?"

    "क्योंकि वो कल करवा चौथ का व्रत थी, इसलिए उन्होंने कल से अभी तक पानी का एक घूँट भी नहीं पिया है!"

    "और आप मुझे अब बता रही हैं!"

    "मैं तो आपको सुबह से बताने की कोशिश कर रही थी, पर बहु रानी ने मुझे रोक दिया था!"

    "बट वाय!"

    "क्या वाय बाबा!"

    शोरिया गुस्से में बोला, "कमला दीदी, करवा चौथ कल था! तो माहीं को कल ही व्रत तोड़ लेना चाहिए था ना!"

    "आप भूल रहे हैं बाबा, करवा चौथ का व्रत ऐसे नहीं टूटता है!"

    "तो कैसे टूटता है!"

    "आपको सच में नहीं पता है या आप मुझे बेवकूफ बना रहे हैं!"

    शोरिया अपनी नज़रें इधर-उधर करते हुए बोला, "मुझे नहीं पता है।"

    "आपको सब पता है बाबा कि बहु रानी सिर्फ़ आपके हाथों से पानी पीकर ही व्रत तोड़ सकती है!"

    शोरिया गुस्सा होते हुए बोला, "मैं ये सब नहीं करूँगा कमला दीदी!"

    कमला दीदी उठती हुई बोली, "तो ठीक है फिर, रहने दीजिये बहु रानी को बेहोश! रहने दीजिये उन्हें भूखी! आपने तो पेट भर लिया ना बस!"

    शोरिया माहीं को अपनी गोद में उठाते हुए बोला, "कमला दीदी, हम ये सब बातें बाद में करते हैं ना, पहले इसे रूम में ले जाते हैं! और फिर डॉक्टर को भी बुलाना है!"

    कमला शोरिया का रास्ता रोकते हुए बोली, "डॉक्टर को बुलाकर भी कुछ नहीं होगा शोरिया बाबा! जब तक बहु रानी कुछ खाएँगी नहीं, तब तक उनको होश नहीं आएगा। बिचारी ने कल से एक गिलास पानी तक नहीं पिया है!"

    शोरिया मुँह बनाते हुए बोला, "ये खुला-खुला ब्लैकमेल किया जा रहा है।"

    "आपको जो समझना है समझिए बाबा, पर जो सच है मैंने वो बताया है!"

    शोरिया माहीं को सोफे पर लेटाते हुए बोला, "अरे यार! ठीक है, एक गिलास पानी और कुछ खाने को ले आइए!"

    कमला जल्दी से पानी और कुछ फल लेकर आ गई।

    शोरिया ने पहले माहीं के ऊपर पानी छिड़का जिससे उसे थोड़ा होश आ जाए।

    पानी की छींटे पड़ने से माहीं को हल्का सा होश आया, तो शोरिया ने उसे बैठा दिया।

    शोरिया ने अपने हाथों से माहीं को पानी पिलाया और फिर फल खिलाया। माही को इतना होश नहीं था, पर शोरिया के हाथों उसका व्रत टूटना उसे हमेशा याद रहेगा। माहीं की आँखों में आँसू थे, दुःख के नहीं बल्कि खुशी के।

    कमला हँसती हुई बोली, "अब आपका व्रत पूरा हो गया बहु रानी! शोरिया बाबा के हाथों से आपने आखिरकार पानी पी ही लिया!"

    शोरिया गम्भीर स्वर में बोला, "अब तुम ठीक हो माहीं!"

    "हूँ!"

    "कमला दीदी!"

    "जी बाबा!"

    "माहीं को कमरे में ले जाइए!"

    "जाओ माहीं, आराम करो जाकर!"

    "हूँ!"

    कमला दीदी माहीं को कमरे में लेकर चली गईं, पर शोरिया वहीं बैठे सोच में पड़ गया कि वो माहीं पर गुस्सा क्यों नहीं हुआ। वो माहीं पर चिल्लाया भी नहीं, बल्कि उससे वो प्यार से बोला।

    शोरिया इन्हीं सब बातों से परेशान हो रहा था कि अचानक से उसकी नज़र दरवाज़े पर चली गई और अचानक से उसकी जैसे दुनिया ही पलट गई हो! शोरिया जल्दी से खड़ा हो गया। वो पूरा पसीने से लथपथ था। शोरिया अपनी घबराती हुई आवाज़ में बोला, "शनाया तुम!"

    शनाया जो दरवाज़े पर खड़ी ये सब देख रही थी, वो शोरिया की तरफ़ नफ़रत की नज़रों से देखते हुए वहाँ से बाहर की तरफ़ भाग गई।

    शोरिया चिल्लाते हुए बाहर की तरफ़ भागा, "रुको शनाया! मेरी बात तो सुनो!"

    क्रमशः

  • 13. Dil Ka kya kasoor - Chapter 13

    Words: 1102

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज मैं बहुत खुश हूँ बहू रानी! कमला माही को बेड पर लिटाती हुई बोली।

    अच्छा, पर क्यों? माही धीरे आवाज़ में बोली।

    बहुत जल्दी शोरिया बाबा आपको अपने जीवन में अपना लेंगे बहू रानी। देखा नहीं आपका वो कैसे ख्याल रख रहे थे? कमला हँसते हुए बोली।

    हूँ। माही ने बस हाँ में सर हिला दिया।

    ठीक है, आप आराम कीजिए। मैं चलती हूँ।

    कमला वहाँ से चली गई थी, पर माही के दिमाग में कमला दीदी की बातें घूम रही थीं।

    क्या शोरिया मुझे अपने जीवन में अपना पाएगा? पता नहीं, क्यों मुझे अजीब सी बेचैनी हो रही है! माही घबराते हुए बोली। माही को अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी, इसलिए वह सो गई।


    शनाया, रुक जाओ! एक बार मेरी बात तो सुन लो ना। शोरिया शनाया के पीछे-पीछे भागते हुए बोला।

    मुझे कुछ नहीं सुनना है शोरिया।

    यार, ऐसा मत करो। यार, जो तुमने देखा है, वो सच नहीं है। मेरी बात तो सुनो एक बार। शोरिया शनाया का हाथ पकड़ते हुए बोला।

    "Don't touch me शोरिया।" शनाया शोरिया का हाथ झटकते हुए बोली।

    ओके। ओके। मैं नहीं टच करूँगा तुम्हारा हाथ। पर मेरी एक बार बात तो सुनो। शोरिया अपने दोनों हाथों को ऊपर करते हुए बोला।

    मुझे कुछ नहीं सुनना है।

    यार, एक बार एक्सप्लेन करने का मौका तो दो।

    क्या एक्सप्लेन करोगे तुम? ओके करो, मैं तो सुनूँ कि तुम क्या बातें बनाते हो। शनाया अपने हाथों को मोड़ते हुए बोली।

    यार शनाया, जो तुमने देखा वो सच नहीं था।

    तो क्या सच है शोरिया? जो मेरी आँखों ने खुद देखा है, उसको मैं झूठा कह दूँ?

    नहीं, तुमने जो देखा वो सही था, पर...

    पर क्या शोरिया? मैं तुम्हारा कल पूरी रात इंतज़ार करती रही। पर तुम नहीं आए। तुम्हारे लिए वो स्टूपिड सी मीटिंग ज़रूरी थी? शनाया चिल्लाते हुए बोली।

    शनाया, मेरी तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए मैं नहीं आ पाया था।

    मुझे तो तुम कहीं से बीमार नहीं लग रहे थे। उस माही को तो तुमने अपनी गोद में उठा लिया था। शनाया शोरिया को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली।

    यार शनाया, माही अचानक से जमीन पर गिर गई थी, इसलिए उसको उठाया था मैंने।

    बेहोश होकर गिरी थी, मरी तो नहीं थी ना, जो तुम उसकी इतनी टेंशन ले रहे हो?

    बस शनाया, बहुत देर से देख रहा हूँ, बोल रही हो। कुछ भी मुँह में आएगा, बोलती चली जाओगी क्या?

    शनाया हैरानी से शोरिया को देख रही थी। आज इतने साल हो गए थे, पर शोरिया ने कभी शनाया से चिल्लाकर बात तक नहीं की थी और आज वो उस पर चिल्लाया था।

    "शोरिया, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर चिल्लाने की?" शनाया रोती हुई, फुसफुसाते हुए बोली।

    "वो मैं... मुझे माफ़ कर दो शनाया। मुझसे गलती हो गई है!" शोरिया शनाया का हाथ पकड़ते हुए बोला।

    "छोड़ो मुझे शोरिया। आज तक मेरे मॉम डैड ने भी कभी मुझसे ऐसे बात नहीं की थी और तुम मुझ पर चिल्लाए। मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी। कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।" यह बोलकर शनाया वहाँ से भागते हुए चली गई।

    शनाया, एक बार मेरी बात तो सुन लो यार, सॉरी। मुझसे गलती हो गई। शनाया, सुनो तो... शोरिया शनाया को आवाज़ देते हुए चिल्ला रहा था।

    ये मुझे क्या हो गया था? मैं शनाया पर चिल्लाया, पर क्यों? यार मेरा सर ये सब सोचते-सोचते फट जाएगा। ये सब मेरे साथ क्या हो रहा है? मैं माही के बारे में एक शब्द भी नहीं सुन पाया। आखिर मैं ये सब क्या कर रहा हूँ? शोरिया अपना सर पकड़ते हुए बड़बड़ाते हुए बोला।


    सिंघानिया पैलेस...

    शोरिया गुस्से में जल्दी से अपने कमरे में आया और पास में रखे फूलदान को उठाकर जमीन पर फेंक दिया, जिससे वह पूरा चकनाचूर हो गया।

    अचानक से कुछ टूटने की आवाज़ सुनकर माही की नींद टूट गई और वह घबराती हुई उठकर बैठ गई। माही ने देखा कि शोरिया वहीं गुस्से में खड़ा है। माही जल्दी से शोरिया के पास गई।

    "तुम दूर रहो शोरिया, ये काँच कहीं तुम्हें लग ना जाएँ।" माही शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बोली।

    माही ने जैसे ही शोरिया का हाथ पकड़ा, वैसे ही शोरिया को एहसास हुआ कि माही का हाथ बहुत गर्म है। उसने माही को अपने पास खड़ा किया और उसके माथे-चेहरे को छूते हुए बोला, "तुम्हें तो बहुत तेज बुखार है माही। तुमको आराम करना चाहिए।"

    नहीं, मैं ठीक हूँ। तुम हटो, मैं ये साफ़ कर देती हूँ। माही शोरिया को हटाते हुए बोली।

    "तुमको एक बार कही हुई बात समझ नहीं आती क्या? मैंने कहा ना कि आराम करो। ये मैं कमला दीदी से बोलकर साफ़ करवा दूँगा। तुम यहाँ बैठो।" शोरिया माही को अपनी गोद में उठाते हुए बेड पर लेटा देता है।

    माही शोरिया का यह रूप देखकर हैरान थी। उसे अपना शादी से पहले वाला शोरिया वापस आते दिख रहा था, जो उसका ख्याल रखता था, जो उससे कभी गलत तरीके से बात नहीं करता था।

    शोरिया ने जल्दी से फ़ोन करके डॉ. मिश्रा को बुलाया। डॉ. मिश्रा शोरिया के फैमिली डॉक्टर थे। सिंघानियास में किसी को कुछ भी होता था तो डॉ. मिश्रा ही उसका इलाज करते थे।

    "सब ठीक तो है ना डॉक्टर?" शोरिया परेशान होते हुए बोला।

    "जी, सब ठीक है। कमज़ोरी के कारण बस हल्का बुखार आ गया है। लगता है इन्होंने कल से कुछ खाया नहीं है। इसी कारण तबियत ख़राब हो गई है।" डॉ. माही का चेकअप करते हुए बोली।

    "जी, आपने सही कहा। ये मैडम ने कल से कुछ नहीं खाया था।" शोरिया गुस्से से माही की तरफ़ देखते हुए बोला।

    माही कुछ नहीं बोली, वह चुपचाप शोरिया को देख रही थी। ऐसे शोरिया का माही का ख्याल रखना, उसकी फ़िक्र करना, यही माही चाहती थी और आज ये सब उसको सपने सा लग रहा था।

    "कोई बात नहीं मिस्टर सिंघानिया, मैंने ये कुछ दवाएँ लिख दी हैं। इनको वक़्त से खिला दीजिएगा और इनको कोई काम मत करने दीजिएगा। ये अभी बहुत कमज़ोर हैं।" डॉ. मुस्कुराते हुए दवा लिखते हुए बोली।

    "जी, मैं अभी मँगवा लेता हूँ।" शोरिया दवा का पर्चा लेते हुए बोला।

    डॉ. मिश्रा वहाँ से चली गई थीं। शोरिया माही का पूरा ख्याल रख रहा था।

    माही के बीमार होने के कारण शोरिया शनाया के बारे में पूरी तरह से भूल गया था कि शनाया उससे गुस्सा है।


    क्या शोरिया अपने दिल की बात सुन पाएगा? अब शनाया कौन सा कदम उठाएंगी? शनाया क्या करेंगी शोरिया को माही से दूर करने के लिए? ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए!

    दिल का क्या कसूर

    To be Continue...

  • 14. Dil Ka kya kasoor - Chapter 14

    Words: 1496

    Estimated Reading Time: 9 min

    आशा निवास... (शनाया और माहीं का घर)

    माँ, मैं क्या करूँ...? शनाया गुस्से से चिल्लाई।

    आप तो मुझ पर ही गुस्सा हो रही हैं। मैं और क्या करूँ? आप बताएँ। शनाया गुस्से में आशा से बोली।

    बेटा, मैं तो बस यह बोल रही थी कि तुमको ऐसे वहाँ से नहीं आना चाहिए था। आशा शनाया को समझाते हुए बोली।

    "ओह, रियली मॉम...! आपको पता है ना कि उस दिन शोरिया मुझ पर चिल्लाया था...! मुझ पर, शनाया त्रिपाठी पर! उसकी हिम्मत तो देखो मॉम...!" शनाया दाँत पीसते हुए बोली।

    हाँ, मैं जानती हूँ बेटा, पर तुम अगर ऐसा करोगी तो तुम शोरिया को हमेशा के लिए खो बैठोगी। आशा शनाया के कंधों पर हाथ रखते हुए उसे समझाते हुए बोली।

    "पर माँ, आप ही बताओ... शोरिया ने मेरी इंसल्ट की है... और आप चाहती हैं कि मैं उसे माफ़ कर दूँ...? नो, नेवर!" शनाया मुँह बनाते हुए बोली।

    "माफ़ करना होगा अगर तुमको शोरिया और उसकी पूरी जायदाद चाहिए... अगर तुमको बिज़नेस टायकून शोरिया सिंघानिया की बीवी शनाया शोरिया सिंघानिया बनना है तो यह करना होगा।" आशा शनाया को समझाते हुए बोली।

    "बट माँ..."

    "बट क्या शनाया...? हम कितनी मुश्किल से यहाँ तक पहुँचे हैं, तुम भूल गई हो...? कैसे शोरिया और माहीं के बीच में गलतफ़हमी की थी...?"

    "हाँ माँ, आई नो... पर माँ मुझे तो यह डर लग रहा है कि शोरिया और माहीं फिर से एक-दूसरे के नज़दीक ना आ जाएँ।" शनाया परेशान होते हुए बोली।

    ऐसे कैसे वो दोनों पास आ जाएँगे बेटा? तुम भूल गई हो कि कैसे हम दोनों ने मिलकर शोरिया के दिल में माहीं के लिए नफ़रत डाली थी? जब-जब मैं उस माहीं को देखती हूँ, तब-तब मुझे तुम्हारे पापा का धोखा याद आता है! तेरे पापा मुझसे प्यार करते थे... और शादी उस रिद्धि से की थी... फिर भी मैंने उनसे कभी कुछ नहीं कहा। आशा मुँह बनाते हुए बोली।

    "हाँ! माँ, मैं सब जानती हूँ... बट मॉम, डैड डिडंट डू इट राइट विद मी... उस स्तूपित माहीं को कंपनी से 90% शेयर मिले हैं... और मुझे सिर्फ़ 50% शेयर दिए गए हैं... दैट्स इज़ नॉट राइट मॉम..." शनाया गुस्से से अपने पैर पटकते हुए बोली।

    इसमें तुम्हारे डैड की कोई ग़लती नहीं थी शनाया, यह तो तुम अच्छे से जानती हो, फिर भी ऐसे बोल रही हो। वो 90% शेयर भी तुम्हारे हो जाएँ, इसलिए तो हमने मिलकर वो होटल वाला इंसिडेंट किया था।

    "माँ, हमने प्लान तो कुछ और ही किया था, और हुआ कुछ और गया था।" शनाया चिढ़ते हुए बोली।

    "हाँ, स्वीटहार्ट! मैं सब जानती हूँ... कि माहीं की माँ ने अपनी वसीयत में क्या लिखा था... और बहुत जल्द हम माहीं से सब कुछ छीन लेंगे, तुम टेंशन मत लो।" आशा शनाया को समझाते हुए बोली।

    "ओके! बट अब शोरिया को कैसे मनाऊँ मैं...!"

    "कैसे का क्या मतलब? उसको फ़ोन करो और उससे बात करो।"

    "ओके मॉम..." शनाया आशा की बात मानते हुए शोरिया को फ़ोन करने लगी।

    ............

    सिंघानिया पैलेस...

    "माहीं, ये लो दवा खा लो।" शोरिया माहीं को दवा देते हुए बोला।

    माहीं ने चुपचाप दवा ले ली।

    शोरिया माहीं को अपने सामने दवा दे रहा था... और माहीं का बहुत ख्याल रख रहा था। शोरिया को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह यह सब क्या कर रहा है। वह प्यार के वादे करता शनाया के साथ है... और रहना वह चाहता माहीं के साथ है! ये कुछ दिन उसने माहीं के साथ बिताकर उसे एहसास होने लगा है कि शनाया के साथ वह जब भी रहता था तो उसको एक घुटन सी महसूस होती थी! पर वही माहीं का उससे बात करना और उसका ख्याल रखना... कहीं न कहीं शोरिया को माहीं का साथ अच्छा लगने लगा था। शोरिया को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह करे तो करे क्या। शोरिया एक ऐसा लड़का था जो अपने दिल की कम, दिमाग की ज़्यादा सुनता था और उसका दिमाग शनाया को छोड़ने को राजी नहीं कर रहा था। उसको लगता है कि माहीं के साथ ये एक-दो दिन रहने के कारण वह उसका बस साथ पसंद करने लगा था, उससे ज़्यादा वह माहीं को कुछ नहीं समझता है।

    "व्हाट आर यू थिंकिंग शोरिया...?" माहीं उसकी तरफ देखते हुए बोली।

    "हूँ! कुछ नहीं, तुम आराम करो और कुछ चाहिए तो मुझे या कमला दीदी को बुला लेना, पर तुम अपने बेड से उठोगी नहीं, समझी?" शोरिया मुस्कुराते हुए माहीं को समझाते हुए वहाँ से चला गया।

    माहीं मुस्कुराते हुए शोरिया को कमरे से बाहर जाते हुए देख रही थीं।

    "मुझे अब पूरा यकीन हो गया है शोरिया कि तुमको मुझसे प्यार है। अब मैं यह नहीं जानती कि तुमको कुछ समझ में आया है कि नहीं, पर मैं समझ गई हूँ! और अब मैं पीछे तो नहीं हटने वाली हूँ! तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे हो शोरिया! आई लव यू शोरिया!" माहीं मुस्कुराते हुए मन ही मन बोली।

    "व्हाट एम आई डूइंग...!! यह ग़लत है शोरिया, तुम शनाया को धोखा नहीं दे सकते हो! यू मस्ट रिमेम्बर दैट यू लव शनाया ओनली एंड ओनली..." शोरिया खुद को समझाते हुए बोला।

    "मैं माहीं से कभी प्यार नहीं कर सकता हूँ। मैंने अपने लाइफ में एक ही लड़की को चाहा है और वह है शनाया त्रिपाठी! आर यू अंडरस्टैंड शोरिया...!" शोरिया अपने में ही बड़बड़ा रहा था कि तभी उसका फ़ोन बजने लगा। शोरिया ने अपना फ़ोन देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। शनाया का फ़ोन आ रहा था। वह खुश होते हुए जल्दी से कॉल उठाया।

    "हेलो बेबी! कैसे हो...?" शनाया उदास होते हुए बोली।

    "मैं ठीक हूँ... बताओ, कैसे फ़ोन किया...!" शोरिया अपनी खुशी छुपाते हुए बोला।

    "क्या मतलब कैसे फ़ोन किया? हाथों से किया और कैसे होता है फ़ोन...!" शनाया मुँह बनाते हुए बोली।

    शनाया की इस बात पर जहाँ शोरिया के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी, वहीं शनाया की माँ आशा ने शनाया के सर पर एक चपट लगा दी!

    जिससे शनाया के मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई!

    "क्या हुआ?" शोरिया हैरान होते हुए बोला।

    "नथिंग बेबी! इट वाज़ अ कॉकरोच..." शनाया अपने सर पर हाथ रखते हुए सहलाते हुए आशा को गुस्से से देखते हुए बोली।

    "अच्छा... ठीक हो ना अब तुम! कहीं कॉकरोच ने खा तो नहीं लिया तुम्हें...?" शोरिया मज़ाक करते हुए बोला।

    "बेबी, तुम मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो... दिस इज़ नॉट गुड..." शनाया गुस्से से मुँह बनाते हुए बोली।

    "ओके ओके बाबा, सॉरी... आज के लिए भी और उस दिन के लिए भी..." शोरिया उदास होते हुए बोला।

    "नेवर माइंड बेबी... और मुझे भी माफ़ कर दो, उस दिन मुझे भी ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी।" शनाया एक शैतानी मुस्कान लाते हुए आशा की तरफ देखते हुए फ़ोन पर बोली।

    "कोई बात नहीं शनाया... मैं समझता हूँ।"

    "अच्छा बेबी, ये सब बातें छोड़ो! हियर व्हाट आई कॉल्ड यू फॉर...!"

    "हाँ बाबा, बोलो!"

    "बेबी, मेरी मॉम ने तुमको घर पर बुलाया है।" शनाया आशा की तरफ मुस्कुराते हुए बोली।

    "अच्छा, क्यों? कोई काम था क्या? अरे, कुछ काम होगा तभी बुलाएँगी क्या? वो क्या है ना, कुछ दिन से तुम्हारे और मेरे बीच में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था ना, तो मॉम ने घर पर हमारे लिए सत्यनारायण की पूजा रखी है, इसलिए उन्होंने कहा है कि तुमको भी बुला लूँ। अब कुछ समझे!"

    "पर शनाया, मैं अभी कैसे..." शोरिया परेशान होते हुए बोला।

    "आई डोंट नो बेबी, यू हैव टू कम... वरना मैं तुमसे फिर से गुस्सा हो जाऊँगी।"

    "ओके बाबा, आई कम नाउ, डोंट बी एंग्री मैन..." शोरिया हँसते हुए बोला।

    "ओके बाय बेबी..." शनाया खिलखिलाते हुए बोली।

    "ओके बाय..."

    शनाया से बात करने के बाद शोरिया परेशानी में था कि माहीं को इस हालत में अकेले कैसे छोड़कर जाए... पर उसको जाना पड़ेगा।

    शोरिया अंदर आया और वाशरूम में चला गया। कुछ देर बाद वह बाहर आया और तैयार होने लगा। माहीं चुपचाप यह सब देख रही थी।

    "कहीं जा रहे हो क्या...!" माहीं बहुत हिम्मत करके बोली, क्योंकि बुखार के कारण उसके पास बोलने की भी हिम्मत नहीं रही थी।

    "हाँ!" शोरिया हैरान होते हुए माहीं की तरफ देखते हुए बोला।

    "हाँ! वो मैं अपने एक दोस्त के घर जा रहा हूँ। उसके घर पर सत्यनारायण की पूजा है... तो उसने ख़ास कर मुझे बुलाया है।" शोरिया अपने बाल बनाते हुए बोला।

    "अच्छा!" माहीं को लगा इससे ज़्यादा कुछ नहीं पूछना ठीक होगा।

    "शोरिया, आखिर कब तुम मुझसे अपनी सारी बातें मुझको बताओगे? कब शोरिया? कब मैं ही तुम्हारे लाइफ में सब कुछ बनूँगी? आखिर कब तक मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँ!"

    "कहाँ खो गई माहीं! अच्छा सुनो, हो सकता है रात में मुझे आने में देर हो जाए, इसलिए खाना खा लेना और दवा भी वक़्त से लेना, ओके? अब मैं चलता हूँ।" यह बोलकर शोरिया वहाँ से चला गया।

    ................

    आखिर ऐसी कौन सी साज़िश आशा और शनाया ने चली थी जो उल्टा पड़ गई? और वो दोनों अब क्या करेंगी माहीं से उसके शेयर लेने के लिए? और कब शोरिया को समझ आएगा अपनी ग़लती? यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए!

    दिल का क्या क़सूर

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  • 15. Dil Ka kya kasoor - Chapter 15

    Words: 1132

    Estimated Reading Time: 7 min

    आशा निवास

    शोरिया शनाया के घर पर था। पूजा समाप्त होने के बाद शनाया शोरिया को अपने कमरे में ले आई। शोरिया का शरीर यहाँ था, पर दिल वहीं माहीं के पास लगा हुआ था। उसको पूजा के वक्त भी और अभी शनाया के साथ भी बस माहीं का ही ख्याल आ रहा था—कि माहीं ने खाना खाया होगा कि नहीं, उसने दवा ली होगी कि नहीं, और उसकी तबियत ठीक है कि नहीं।

    शोरिया के दिमाग में यही सब चल रहा था। वह शनाया की बातें ही नहीं सुन रहा था जो कितनी देर से उससे बात कर रही थी।

    "व्हाट आर यू थिंकिंग बेबी…!" शनाया उसके हाथ पर हाथ रखते हुए बोली।

    "नथिंग…! तुम कुछ बोल रही थी…!"

    शनाया को शोरिया का यह व्यवहार बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। उसे माहीं पर गुस्सा आ रहा था। वह यही सोच रही थी कि माहीं ने इन कुछ दिनों में शोरिया पर कौन सा जादू कर दिया है। यह शोरिया जो सिर्फ मेरे बारे में सोचता था, पूरा वक्त जिसके मुँह से बस शनाया ही निकलता था, वह अब बिल्कुल बदल गया है। पर माहीं, मैं किसी भी हालत में तुमसे नहीं हारूँगी। मैं शोरिया को कभी तुम्हारा नहीं होने दूँगी। शनाया मन ही मन माहीं को कोसती हुई बोली।

    "बेबी आई विल कम इन अ व्हाइल…!! यू सिट हियर ओके…!!"

    "ओके…!" शोरिया मुस्कुराते हुए बोला।

    "आई विल किल दिस मह…!! इट हैज़ टेकन एवरीथिंग अवे फ्रॉम मी…!!" शनाया आशा के कमरे में आते हुए बोली।

    "व्हाट हैप्पन्ड नाउ शनाया…!!"

    "आस्क व्हाट हैप्पन्ड टू मॉम…!!" शनाया गुस्से से आग बबूला होते हुए आशा से बोली।

    "मतलब…!!"

    "मतलब यह कि माहीं ने पूरी तरह से शोरिया को अपने वश में कर लिया है…!!"

    "वह कैसे…!! शनाया…!!"

    "वह ऐसे मॉम कि शोरिया मेरे साथ है, पर खोया होता है उस माहीं के ख्यालों में…!!" शनाया अपने पैर पटकते हुए बोली।

    "तो तूँ अपना जादू चला बेटा…!!"

    "व्हाट डू यू मीन…?" शनाया हैरान होते हुए आशा से बोली।

    आशा ने शनाया को अपने पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहने लगी। शनाया के चेहरे के एक्सप्रेशन धीरे-धीरे बदलने लगे थे। उसको देखकर लग रहा था कि आशा शनाया को कोई खतरनाक आइडिया दे रही थी।


    सिंघानिया पैलेस

    "हाँ आयुषी, मैं अब ठीक हूँ…!!" माहीं अपनी दोस्त आयुषी से फ़ोन पर बात करते हुए बोली।

    "अच्छा यार, तुझे उस शोरिया के लिए व्रत रहने की क्या जरूरत थी…?" आयुषी माहीं से गुस्सा होते हुए बोली।

    माहीं आयुषी की बात पर कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुरा दी।

    "अब कुछ बोलोगी भी या नहीं…!!"

    "क्या बोलूँ मैं आयुषी…!!"

    "तुम शोरिया को छोड़ क्यों नहीं देती हो…!!"

    "ये तुम कैसी बात कर रही हो यार, होश में तो हो…!!"

    "हाँ, मैं होश में होकर ही बोल रही हूँ। आखिर कब तक तुम उसका इंतज़ार करोगी? उस शनाया ने पूरी तरह से शोरिया को अपने वश में कर रखा है। यार, तुम शोरिया को डाइवोर्स क्यों नहीं दे देती हो? वह तेरे लायक नहीं है…!!"

    "तो फिर कौन है मेरे लायक? बताना… मुझे भी तो पता चले कि मेरी बेस्ट फ़्रेंड की नज़रों में मेरे लायक कौन है…!!" माहीं हँसते हुए आयुषी से फ़ोन पर बोली।

    "मेरा भाई जय…!!" आयुषी जैसे यही सुनने के लिए इंतज़ार कर रही थी, वह जल्दी से माहीं से बोली।

    "क्या तुम भी ना आयुषी! जय सिर्फ़ मुझको अपनी एक अच्छी दोस्त मानता है, उससे ज़्यादा मैं उसके लिए कुछ नहीं हूँ…!!" माहीं आयुषी की बात को मज़ाक में लेते हुए बोली।

    "पर यार मेरी बात तो सुनो…" आयुषी इतना ही बोल पाई थी कि माहीं उसे बीच में टोकते हुए बोली, "यार अब मुझे नींद आ रही है इसलिए मैं तुमसे बाद में बात करती हूँ…!!"

    "हेलो माहीं, मेरी बात पूरी नहीं हुई थी। हेलो माहीं… हेलो…!!" आयुषी फ़ोन पर बोल रही थी। तभी माहीं ने फ़ोन रख दिया।

    "मैंने कोई मज़ाक नहीं किया था माहीं। मेरा भाई तुझको बहुत प्यार करता है। अभी से नहीं बल्कि स्कूल के वक्त से वह सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझको चाहता है। चाहे वह मुझे यह बात कभी न बतलाए, पर उसकी आँखें जब तुझको देखती हैं तो वह साफ़-साफ़ बता देती हैं कि वह तुझको अपनी जान से भी ज़्यादा चाहता है। पर यह सब मेरे भाई के ही साथ क्यों हो रहा है…!!" आयुषी अपने में ही बड़बड़ाते हुए बोल रही थी।

    माहीं आयुषी की बात से परेशान होने लगी थी।

    "क्या सच में जय सिर्फ़ मुझको अपनी एक अच्छी दोस्त मानता है या उसके दिल में मेरे लिए दोस्त से भी ज़्यादा कुछ है…!!" आयुषी की बातों से यही लग रहा था कि वह जय के दिल के हाल अच्छे से जानती है। "नहीं… नहीं ऐसा नहीं है। तुम भी ना माहीं, कुछ भी सोचती हो। ऐसा कुछ नहीं है। अगर होता तो जय मुझे बताता ज़रूर, आखिर मैं उसकी इतनी अच्छी दोस्त तो हूँ…!!" माहीं इन सब बातों में खोई थी कि तभी उसके फ़ोन पर शोरिया का नाम चमकने लगा—मतलब शोरिया की कॉल आ रही थी।

    फ़ोन पर शोरिया का नाम देखते ही माहीं सब कुछ भूल गई और खुश होते हुए फ़ोन उठाया।

    "हेलो…!!" माहीं मुस्कुराते हुए बोली।

    "बेबी छोड़ो ना, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है…!!" फ़ोन के उस तरफ़ से शनाया के हँसने की आवाज़ सुनकर माहीं के चेहरे से मुस्कान चली गई और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

    "अच्छा, ऐसे थोड़ी गुदगुदी होती है शनाया…!!" शोरिया हँसते हुए बोला।

    "बेबी…!! तुम यह क्या कर रहे हो…!!" शनाया खिलखिलाते हुए बोली।

    "मैं तो कुछ नहीं कर रहा हूँ शनाया, तुम्हीं हो जो मेरी बात नहीं मान रही हो…!!"

    "बेबी क्या कर रहे हो…!! तुम भी ना बहुत शैतान हो…!!"

    "अच्छा, अभी मैंने शैतानी दिखाई कहाँ है… दिखाऊँ क्या… दिखाऊँ… पास तो आओ फिर बताऊँ…!!" शोरिया हँसते हुए बोला।

    माहीं शोरिया और शनाया की बातें सुनकर हैरान थी। उसके आँखों से आँसू तो रुक ही नहीं रहे थे। उसने जल्दी से फ़ोन काट दिया और अपने फ़ोन को बंद कर दिया और एक किनारे फेंकते हुए रोने लगी।

    "तो यह था तुम्हारा दोस्त शोरिया, जिसके घर पर सत्यनारायण की पूजा थी…!! मुझसे झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी शोरिया? मैं कौन सा तुम्हें मना कर देती…!! इसमें मेरे दिल का क्या कसूर है शोरिया, जो तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो…!!" यह सब बोलकर माहीं अपने आँसू पोछते हुए बोली, "मैंने सोच लिया है शोरिया कि अब मुझे क्या करना है। बहुत हो गया शोरिया, अब नहीं सह जाता है…!!"

    अब माहीं कौन सा कदम उठाएंगी? आखिर उसने ऐसा क्या करने को सोचा है? और अब क्या होगा माहीं और शोरिया के बीच में? क्या वह कभी शोरिया को अपना बना पाएगी? क्या कभी शोरिया माहीं के प्यार को समझ पाएगा? यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए…!!

    दिल का क्या कसूर
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  • 16. Dil Ka kya kasoor - Chapter 16

    Words: 1374

    Estimated Reading Time: 9 min

    आशा निवास...

    यार, एक बार माही को कॉल करके उसकी तबियत के बारे में पूछ लेता हूँ। शोरिया फ़ोन को देखते हुए बोला।

    उसने माही को कॉल किया ही था कि शनाया अंदर आते हुए उसके हाथ से फ़ोन छीन लिया।

    "बेबी, फ़ोन पर बात करने से पहले नाश्ता कर लो।" शनाया नाश्ते की थाली रखते हुए बोली।

    "शनाया, मेरा फ़ोन दो।" शोरिया शनाया के हाथों से फ़ोन लेने की कोशिश करते हुए बोला।

    "बेबी, छोड़ो ना, मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है।" शनाया ने फ़ोन अपने हाथ में कस कर पकड़ लिया था। शोरिया बस शनाया की मुट्ठी खोलने की कोशिश कर रहा था।

    "अच्छा, ऐसे थोड़ी गुदगुदी होती है शनाया।" शोरिया हँसते हुए शनाया के हाथ से फ़ोन छीनने की कोशिश करते हुए बोला।

    "बेबी! तुम ये क्या कर रहे हो?" शनाया खिलखिलाते हुए बोली। शनाया शोरिया से अपना हाथ छुड़ाते हुए भागी।

    "मैं तो कुछ नहीं कर रहा हूँ शनाया, तुम्हीं हो जो मेरी बात नहीं मान रही हो।" शोरिया उसके पीछे भागते हुए बोला। तभी शोरिया ने उसे पकड़ लिया और शनाया के हाथ से फ़ोन लेने की फिर कोशिश करने लगा।

    "बेबी, क्या कर रहे हो! तुम भी ना बहुत शैतान हो।" शनाया उससे दूर होते हुए बोली।

    "अच्छा, अभी मैंने शैतानी दिखाई कहाँ है? दिखाऊँ क्या? दिखाऊँ... पास तो आओ फिर बताऊँ।" शोरिया हँसते हुए बोला।

    "ओके बेबी, मैं तुम्हारा फ़ोन दे दूँगी, पर तुम मुझसे प्रॉमिस करो कि तुम ये पूरा नाश्ता कर लोगे।" शनाया नाश्ते की तरफ़ इशारा करते हुए बोली।

    "ओके बाबा, प्रॉमिस। अब तो फ़ोन दे दो यार, बहुत इम्पॉर्टेन्ट कॉल करनी है।" शोरिया परेशान होते हुए बोला।

    "ओके, ये लो..." शनाया ने उसे फ़ोन दे दिया और वहाँ से चली गई।

    शोरिया ने जल्दी से फ़ोन लिया और माही को कॉल करने लगा, पर उसका फ़ोन स्विच ऑफ बता रहा था।

    "ये माही ने फ़ोन क्यों बंद रखा है?" शोरिया हैरान होते हुए बोला।

    ये सब कमरे के बाहर खड़ी शनाया देख रही थी। और वह समझ गई थी कि माही ने क्यों फ़ोन स्विच ऑफ कर लिया था। जब उसने शोरिया से फ़ोन छीना था, तब उसने देख लिया था कि माही ने फ़ोन उठा लिया है और माही के मन में शोरिया के लिए गलतफहमी लाने के लिए उसने यह सब चाल चली थी।

    "माहिरा त्रिपाठी, ये जो तुम शोरिया को अपना बनाने का सपना तुम्हारी आँखों में चमक रहा है, वो बहुत जल्द टूटने वाला है, और जब सपना टूटता है, तो वो जाकर आँखों में ही चुभता है। हाँहू बिचारी माही..." शनाया मुँह बनाते हुए बोली और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई थी।


    सिंघानिया पैलेस में, जब से माही को पता चला था कि शोरिया और शनाया एक साथ हैं, तब से माही की तबियत खराब हो रही थी। माही को अंदर ही अंदर डर लग रहा था कि जैसा उसके पापा, मिस्टर आशुतोष त्रिपाठी ने उसकी माँ के साथ किया था, कहीं शोरिया भी उसके साथ वही तो नहीं कर रहा है। माही के दिमाग में यही सब चल रहा था जिससे उसका बुखार बढ़ रहा था।

    माही को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपना दर्द शेयर करे तो किससे करे? आखिर कौन सुनेगा उसका दर्द? जय से कह नहीं सकती थी और आयुषी समझेगी नहीं। आज माही को अपनी माँ की बहुत कमी महसूस हो रही थी।

    "काश माँ, आज आप यहाँ मेरे साथ होतीं तो शायद मैं इतनी अकेली खुद को महसूस नहीं करती।" माही रोते हुए बोली।

    "पर बस माँ, अब और नहीं! अब मैं शोरिया की और मनमानी सहन नहीं करूँगी।" माही अपने आँसू पोछते हुए बोली।

    माही की बातों में शोरिया को सबक सिखाने की आग दिख रही थी।


    आशा निवास...

    कुछ देर बाद शनाया कमरे में आई और शोरिया को अपने साथ बाहर ले जाने लगी।

    "अरे, कहाँ ले जा रही हो मुझे?" शोरिया ने कहा।

    "बेबी, चलो ना, कहीं बाहर चलते हैं।" शनाया शोरिया को खींचते हुए ले जाती हुई बोली।

    "पर शनाया, मुझे घर जाना है।" शोरिया को माही की चिंता हो रही थी।

    माही का फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था और वह घर पर अभी अकेली होगी क्योंकि कुछ देर पहले कमला दीदी का फ़ोन आया था कि माही ने उन्हें और घर के सभी नौकरों को आज के लिए छुट्टी दे दी है। शोरिया को समझ नहीं आया कि माही ने ऐसा क्यों किया है, इसलिए वह माही से यह बात जानना चाहता था।

    "बेबी! तुम क्या कोई छोटे बच्चे हो क्या जो घर जाने की जिद कर रहे हो?" शनाया शोरिया का मज़ाक उड़ाते हुए बोली।

    "मैं सब समझ रही हूँ कि तुमको घर क्यों जाना है। तुम उस माही के लिए घर जल्दी जाना चाहते हो जिससे तुम उसका ख्याल रख सको, पर मैं ऐसा होने दूँगी तब ना..." शनाया मन में माही को कोसते हुए बोली।

    शनाया ने शोरिया को जबरदस्ती एक क्लब में ले आ गई। वह जानबूझकर शोरिया को बिजी रखना चाहती थी जिससे वह माही के बारे में सोचना छोड़ दे।

    शनाया बहुत देर तक इधर-उधर की बातें कर रही थी और शोरिया बस अपने फ़ोन में देखे जा रहा था। उसको बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं था शनाया की बातों में। वह बस यही सोच रहा था कि एक बार माही का कॉल आ जाए बस।

    अब शोरिया से नहीं रहा गया। वह जल्दी से उठ गया।

    शोरिया को यूँ अचानक से खड़े होते देख शनाया घबरा गई।

    "What happened Baby...?" शनाया शोरिया की तरफ़ हैरानी से बोली।

    "शनाया, सॉरी, पर मुझे बहुत इम्पॉर्टेन्ट काम याद आ गया है। मुझे अभी जाना होगा। हम किसी और दिन बातें कर लेंगे। सॉरी शनाया।" शोरिया हड़बड़ाहट में अपना समान उठाते हुए बोला।

    "But baby, listen..." शनाया उसे पीछे से आवाज़ दे रही थी, पर शोरिया जल्दी से वहाँ से भाग गया।

    "I know what work you have suddenly remembered of शोरिया..." शनाया मुँह बनाते हुए बोली।

    "I swear शोरिया सिंघानिया! ये जो तुमको अचानक से माही के लिए इतनी फ़िक्र आ गई है, उसको ख़त्म नहीं कर दिया तो मेरा नाम भी शनाया त्रिपाठी नहीं।" शनाया अपने पैर पटकते हुए बोली।


    सिंघानिया पैलेस...

    रात में शोरिया जब घर पहुँचा तो देखा कि पूरे पैलेस में अंधेरा छाया हुआ था। तभी उसे याद आया कि घर पर माही के अलावा कोई नहीं है। उसने लिविंग रूम की लाइट ऑन की और अपने कमरे की तरफ़ जाने लगा।

    शोरिया जब अपने कमरे पहुँचा तो देखा कि माही तो कमरे में कहीं नहीं थी। वह परेशान होते हुए चिल्लाते हुए बोला, "माही! माही कहाँ हो तुम?"

    तभी उसे वाशरूम से पानी की आवाज आई। तो वह जल्दी से दरवाज़े के लॉक पर हाथ रखा ही था कि तभी उसे लगा कि वह ग़लत कर रहा है। पता नहीं माही अब ठीक हो और फ़्रेश होने गई हो। ऐसे अंदर जाना ठीक नहीं होगा।

    यह सोचते हुए शोरिया वहीं बेड पर बैठ गया और माही का इंतज़ार करने लगा। पर बहुत देर तक इंतज़ार करने के बाद भी जब माही बाहर नहीं आई, तो शोरिया को उसकी टेंशन होने लगी थी और लगातार बहते पानी की आवाज़ सुनकर शोरिया को पता नहीं क्यों अंदर ही अंदर घबराहट होने लगी थी।

    उससे जब नहीं रहा गया, तो पहले उसने दरवाज़े को नॉक किया, पर जब अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई, तो उसे मजबूरन दरवाज़ा खोलना पड़ा।

    उसने जैसे ही अंदर का नज़ारा देखा, उसके पाँव ठिठक गए। उसने देखा कि पानी से टब पूरा भर गया था। पानी इतना भर गया था कि पानी बाहर बेहििसाब बह रहा था और उसकी आँखें हैरानी से तब बाहर आ गईं।

    जब उसने उस टब में माही को देखा! माही ने पूरी तरह से खुद को डुबो लिया था! माही का चेहरा पूरा पानी के अंदर था। उसे देखकर लग रहा था कि माही ने अपने आप को पूरी तरह से पानी को समर्पित कर दिया है। वह एक ज़िंदा लाश की तरह लग रही थी।

    उसे लगा कि उसके पैरों तले से ज़मीन खिसक रही है। शोरिया माही को इस हालत में देखकर घबरा गया और वह चिल्लाते हुए बोला, "माही!!"

    अब शोरिया और माही की कहानी कौन सा मोड़ लेगी? क्या माही का जीवन यहीं ख़त्म हो जाएगा? क्या शोरिया माही को बचा पाएगा? ये सब जानने के लिए पढ़ते रहिए।

    दिल का क्या कसूर...

    To be Continued...

  • 17. Dil Ka kya kasoor - Chapter 17

    Words: 1390

    Estimated Reading Time: 9 min

    सिंघानिया पैलेस...

    शोरिया माहीं को अपनी गोद में उठाकर जल्दी से वाशरूम से बाहर आया और बेठ पर लेटा दिया।

    वह कपड़े से माहीं के पूरे शरीर को पोंछने लगा। माहीं बेहोश थी। माहीं को ऐसी हालत में देखकर शोरिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

    "माहीं...! माहीं! Wake up crazy girl! क्या किया है तुमने...!" शोरिया ने माहीं के गालों को थपथपाते हुए, गुस्से में दांतों को पीसते हुए कहा।

    उसने जैसे ही माहीं के माथे पर हाथ रखा, उसके होश उड़ गए। उसे एहसास हुआ कि माहीं को बहुत तेज बुखार है।

    शोरिया डॉक्टर को फ़ोन करना चाहता था, पर माहीं को देखकर वह रुक गया क्योंकि माहीं पूरी तरह पानी से भीगी हुई थी। उसने सोचा कि पहले माहीं के कपड़े बदलने चाहिए, वरना उसकी तबियत और बिगड़ जाएगी।

    शोरिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह माहीं के कपड़े कैसे बदले क्योंकि घर पर कोई महिला नहीं थी।

    "अब मुझे ही कुछ करना होगा, वरना माहीं की तबियत और खराब हो जाएगी।" शोरिया ने अलमारी से माहीं के कपड़े लिए और माहीं के पास बैठ गया। उसने एक लंबी सांस छोड़ी और आँखें बंद कर लीं। शोरिया अपनी आँखें बंद करके किसी तरह माहीं के कपड़े बदलने लगा।

    शोरिया घमंडी और अकड़ू था, पर उसे लड़कियों की इज्जत करनी आती थी। उसने अपनी लाइफ में बहुत लड़कियों के साथ डेटिंग की, पर कभी अपनी हद नहीं भूला। इसी सब बातों से माहीं को उससे प्यार है, क्योंकि वह चाहे किसी के साथ भी रहे, वह किसी एक का ही रहेगा। शोरिया सिंघानिया जिससे प्यार करता है, उसके साथ ही वह सब कुछ करेगा, यह उसका उसूल था।

    शोरिया ने डॉक्टर मिश्रा को फ़ोन करके जल्दी से आने को कहा।

    कुछ ही देर में डॉ. मिश्रा सिंघानिया पैलेस पहुँच गए।

    "डॉक्टर, माहीं अब कैसी है? वह ठीक तो है ना?" शोरिया परेशान होते हुए बोला।

    "क्या यह पानी में भीगी हुई थी?" डॉक्टर माहीं का चेकअप करते हुए बोले।

    "जी...हाँ..." शोरिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले।

    "शोरिया, you should take care of your wife! ऐसी लापरवाही आपसे मुझे बिलकुल उम्मीद नहीं थी! मिस्टर सिंघानिया यहाँ नहीं हैं, नहीं तो आप सोच भी नहीं सकते क्या होता आपका।" डॉक्टर मिश्रा गुस्सा करते हुए शोरिया से बोले।

    "सॉरी डॉक्टर, पर माहीं बेहोश क्यों है?" शोरिया बात बदलते हुए बोला।

    "मुझे लगता है यह अभी भी दवा के नशे में है। कुछ दिन पहले मिसेज माहीं ने मुझे फ़ोन किया था।"

    "माहीं ने फ़ोन किया था? पर क्यों? और इसने ऐसी कौन सी दवा ली है जो यह अभी तक बेहोश है?" शोरिया हैरानी से डॉक्टर से बोला।

    "मिसेज सिंघानिया ने मुझे कुछ दिन पहले फ़ोन किया था... और बता रही थीं कि इन्हें रात को नींद नहीं आती है। तो मैंने इनको नींद की दवा लेने को कहा था।"

    "I think she must have taken the same medicine some time back and before that she must have also taken medicine for fever..."

    "Look, these pimples have also come on their body! इससे पता चलता है कि दवा का रिएक्शन हुआ है।"

    "मुझे लगता है इनको पहले उल्टी हुई होगी, फिर चक्कर और फिर बेहोश हो गई होगी।" डॉक्टर शोरिया को समझाते हुए बोल रहे थे, पर शोरिया तो और ही कहीं खोया हुआ था।

    "माहीं ने दोनों दवा साथ में ले ली होगी! जिससे उसे उल्टी आ रही होगी! और जब उल्टी के लिए वाशरूम गई, तभी वहीं उसको चक्कर आ गए और वह बाथटब में बेहोश होकर गिर गई। Thank God I came at the right time, otherwise I don't know what would have happened to Mahi!" शोरिया मन में यही सब सोच रहा था।

    "मिस्टर शोरिया, ये कुछ दवाइयाँ हैं, आप मिसेज माहीरा को देंगे और अगर इस दवा से बुखार नहीं उतरा, तो हमें जल्दी ही उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना होगा।" डॉक्टर शोरिया को दवा देते हुए बोले।

    "ओके डॉक्टर, और बहुत-बहुत धन्यवाद यहाँ आने के लिए।"

    "ज़रूरत नहीं है धन्यवाद कहने की मिस्टर सिंघानिया, यह मेरा काम है।" डॉक्टर ने शोरिया के कंधे को थपथपाते हुए कहा और फिर वहाँ से चले गए।

    शोरिया माहीं के पास बैठ गया और उसे देखने लगा।

    शोरिया माहीं को बहुत ध्यान से देख रहा था। मासूम सा चेहरा, जो बुखार और कमजोरी के कारण पीला पड़ गया था।

    "मुझे माफ़ कर दो माहीं, मैंने तुम्हारा अच्छे से ख्याल नहीं रखा। तुम जल्दी से ठीक हो जाओ।" शोरिया माहीं के बालों को प्यार से उसके कान के पीछे करते हुए बोला।

    शोरिया माहीं में ही खोया हुआ था कि तभी उसके फ़ोन पर शनाया की कॉल आई। शोरिया ने फ़ोन देखा और बाहर बात करने के लिए उठा ही था कि माहीं ने उसके हाथ को पकड़ लिया।

    "शोरिया प्लीज़ मत जाओ, मुझे छोड़कर..." माहीं शोरिया का हाथ पकड़ते हुए, बेहोशी की हालत में बड़बड़ाते हुए बोली।

    "हाँ माहीं, मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जा रहा हूँ। मैं यहीं हूँ। माहीं..." शोरिया ने शनाया का फ़ोन काट दिया और माहीं के पास बैठते हुए बोला।

    "शोरिया, why did you do this to me...?" माहीं बेहोशी में बड़बड़ाते हुए बोली।

    "What have I done माहीं...?" शोरिया हैरानी से माहीं से बोला।

    "Shorea please don't leave me please Shorea..." माहीं घबराती हुई बोली।

    "Calm down Mahi, I am not going anywhere leaving you." शोरिया माहीं के सर पर हाथ रखते हुए बोला।

    "शोरिया आई लव यू! I really love you! मैं तुम्हें बचपन से प्यार करती हूँ शोरिया!"

    शोरिया माहीं की बात पर कुछ नहीं बोला, वह बस उसकी चुपचाप बात सुन रहा था।

    "पर तुम मुझसे नफ़रत क्यों करते हो? क्या मैं इतनी बुरी हूँ शोरिया...?" माहीं के आँखों के किनारों से आँसू बहने लगे।

    शोरिया यह देखकर हैरान हो गया कि कोई किसी से इतना प्यार कैसे कर सकता है। "मैंने हमेशा माहीं से नफ़रत की, उसको बेइज़्ज़त किया! पर माहीं मुझसे बचपन से प्यार करती आ रही है... क्यों माहीं? आखिर क्यों तुम मुझको पसंद करती हो...?" शोरिया माहीं को प्यार से निहारते हुए मन में बोला।

    शोरिया माहीं के पास में लेट गया और उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर खेलने लगा। शोरिया माहीं को आज पहली बार इतने ध्यान से देख रहा था। आज से पहले कभी उसने माहीं पर ध्यान ही नहीं दिया कि वह कैसी दिखती है।

    वो बड़ी खूबसूरत पलकें वाली आँखें, गोरे गाल, लंबी पर प्यारी नाक जो अभी जुखाम के कारण लाल हो गई थी, गुलाबी पतले होंठ... शोरिया अपने ऊपर से कंट्रोल खो रहा था। वह भूल गया था कि माहीं अभी बेहोश है।

    शोरिया माहीं के और पास आ गया और उसके होंठों पर उंगली चलाने लगा। वह माहीं के चेहरे के पास अपना चेहरा ले गया और उसके गुलाबी मुलायम होंठों के ऊपर अपने होंठ रख दिए। शोरिया माहीं को बेतहाशा चूमने लगा। तभी माहीं को होश आ गया। उसने धीरे से अपनी आँखें खोली और हैरानी से आँखें बड़ा करते हुए शोरिया को देखने लगी।

    माहीं ने शोरिया को अपने से दूर नहीं किया। बल्कि वह खुश थी कि शोरिया खुद उसके पास आ गया। माहीं आज बहुत खुश थी। वह भी शोरिया को किस करने लगी।

    शोरिया और माहीं अपने प्यार के सागर में खोते चले जा रहे थे। जैसे-जैसे रात अपने चरम पर जा रही थी, वैसे-वैसे शोरिया और माहीं का प्यार बढ़ रहा था। दो शरीर एक जान बन रहे थे।

    आशा निवास...

    "इस शोरिया की हिम्मत कैसे हुई मेरा फ़ोन काटने की...?" शनाया गुस्से से चिल्लाते हुए बोली।

    शनाया ने कुछ सोचते हुए किसी को फ़ोन करने लगी।

    "हेलो! मैं बोल रही हूँ... शनाया त्रिपाठी! मैं जैसा-जैसा बोलती जाऊँ, वैसा-वैसा करना है। ओके!"

    उस तरफ से किसी ने फ़ोन पर शनाया से कुछ कहा और फ़ोन रख दिया।

    "अब देखती हूँ! शोरिया तुम मुझसे कैसे दूर जाते हो!" शनाया फ़ोन से खेलते हुए बोली। उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी, जिसको देखकर लग रहा था कि इस बार वह कुछ बहुत बड़ा करने को सोच रही है।

    आखिर इस बार शनाया के दिमाग में क्या चल रहा है? और क्या इस साज़िश से माहीं और शोरिया बच पाएँगे? क्या उनके बीच में जो दूरियाँ कम हुई हैं, वह शनाया की इस साज़िश से बढ़ जाएँगी? यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिए।

    दिल का क्या कसूर

    To be Continue...

  • 18. Dil Ka kya kasoor - Chapter 18

    Words: 500

    Estimated Reading Time: 3 min

    हे बेबी...! सनाया कार में बैठते हुए बोली।

    हाय माही...! शोरिया सनाया को देखते हुए बोला।

    "माही.....! मैं माही नहीं, शनाया हूँ....!" शनाया शोरिया की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली।

    शोरिया को एहसास हुआ कि उसने यह क्या बोल दिया है। शोरिया अपनी बात को बदलते हुए बोला, "सॉरी, मैं कुछ सोच रहा था इसलिए मेरे मुँह से गलत निकल गया।"

    शनाया शोरिया को अजीब तरह से देख रही थी।

    "अब गुस्सा छोड़ भी दो...! अच्छा यह बताओ कि तुमने मुझे क्यों बुलाया है...?" शोरिया शनाया की तरफ प्यार से देखते हुए बोला।

    "किसी रेस्टोरेंट या होटल में चलकर बात करते हैं।" शनाया फ़ोन चलाते हुए बोली।

    होटल डायमंड...

    "शनाया, अब बताओ क्या बात है...?" शोरिया चिढ़ते हुए बोला।

    "काम डाउन बेबी...! बताती हूँ।" शनाया कॉफ़ी पीते हुए बोली।

    शोरिया ने कुछ नहीं कहा, बस शनाया की तरफ सवालिया निगाहों से देखता रहा।

    "सो बेबी, मैंने दिवाली पार्टी के बारे में सोचा है।" शनाया एक्साइटेड होकर बोली।

    "पर शनाया, तुम्हारे पेरेंट्स तो हर साल दिवाली की पार्टी देते हैं! तो हमें देने की क्या ज़रूरत है?"

    "येस! बेबी, आई नो! पर तुम्हें पता है ना कि इस साल तुम्हारी शादी उस माही से हुई है! और हमारे सभी फ़्रेंड्स को लगता है कि तुम उस माही से प्यार करते थे इसलिए तुमने उससे शादी की है! और मैं यह पार्टी सिर्फ़ और सिर्फ़ उन सब को बताना चाहती हूँ कि शोरिया सिंघानिया ने अपनी पूरी लाइफ़ में सिर्फ़ एक ही लड़की से प्यार किया है और वह शनाया त्रिपाठी।" शनाया बहुत घमंड से बोली।

    शोरिया शनाया की बात पर एक झूठी मुस्कान देते हुए हाँ में सर हिला दिया।

    शनाया कुछ सोचते हुए बोली, "बेबी, तुम माही को भी लाना इस पार्टी में, ओके।"

    "क्या? पर क्यों शनाया...?" शोरिया हैरान होते हुए बोला।

    शनाया ने कुछ नहीं कहा, बस एक शातिर मुस्कान चेहरे पर ले आई।

    शोरिया को शनाया के चेहरे पर आई मुस्कान कुछ समझ नहीं आई। उसे पता था कि उसके पूछने के बाद भी शनाया उसे कुछ नहीं बताएगी। पर उसे लगा माही उसकी बहन है और शायद वह माही के साथ दिवाली बनाना चाहती होगी।

    आखिर ऐसा कौन सा एहसान है शोरिया के ऊपर शनाया का? और शनाया क्यों माही को अपनी पार्टी में बुलाना चाहती है? क्या यह दिवाली पार्टी शोरिया, माही और शनाया की ज़िन्दगी में कुछ बड़ा तुफ़ान लेकर आएगी? क्या होगा आगे? शोरिया को कभी शनाया का सच पता चलेगा? क्या वह माही से प्यार कर पाएगा? आखिर कब तक माही इन दोनों की हरकतें बर्दाश्त करेगी? यह सब जानने के लिए पढ़ते रहिये।

  • 19. Dil Ka kya kasoor - Chapter 19

    Words: 1630

    Estimated Reading Time: 10 min

    शोरिया ने माहीं को बताया कि शनाया ने उसे दिवाली की पार्टी में आमंत्रित किया है। पहले तो उसे अजीब लगा कि शनाया ने उसे आमंत्रित किया है। फिर उसने इस बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बस "ओके" बोल दिया।

    कुछ दिन बाद दिवाली आ गई। शोरिया जल्दी ही शनाया की पार्टी में चला गया। पर माहीं देर से पहुँची क्योंकि उसने दादाजी के साथ पहले घर पर दिवाली की पूजा की।

    दादाजी ने माहीं से कहा और खासकर शनाया से सावधान रहने को कहा, क्योंकि वह शनाया के इरादे अच्छी तरह जानते थे। वह शोरिया को समझा नहीं सकते थे क्योंकि शोरिया शनाया के खिलाफ़ एक बात भी नहीं सुन सकता था।

    इसलिए उन्होंने माहीं को समझाकर भेजा। दादाजी समझाने के अलावा कुछ और नहीं कर सकते थे। वे माहीं को रोकना चाहते थे, पर माहीं ने यह कहकर उन्हें मना लिया कि वह शोरिया को शनाया के साथ पूरी रात अकेला नहीं छोड़ सकती। इसलिए उसने दादाजी से निवेदन किया कि वे उसे पार्टी में जाने दें। दादाजी बहुत खुश हुए कि माहीं शोरिया से इतना प्यार करती है और उसका इतना ख्याल रखती है।

    उन्होंने माहीं को आशीर्वाद दिया और खुशी-खुशी भेज दिया। पर माहीं ने दादाजी को भी अपने दोस्त के घर पार्टी में भेज दिया क्योंकि वे पूरे घर में अकेले थे। सारे नौकर भी अपने-अपने घर दिवाली मनाने चले गए थे। इसलिए माहीं दादाजी को घर पर अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। दादाजी भी माहीं की बात मानकर अपने दोस्त के घर चले गए। और माहीं शनाया की पार्टी में आ गई।

    माहीं शनाया की पार्टी में पहुँची तो देखा कि वहाँ उसके कुछ कॉलेज के दोस्त और कुछ स्कूल के दोस्त थे। शनाया ने जय और आयुषी को भी आमंत्रित किया था। माहीं उन दोनों को देखकर उनके पास गई।

    जय ने माहीं को देखा तो उसे देखता ही रह गया। हल्के गुलाबी रंग के लहंगे में माहीं बहुत सुंदर लग रही थी। उसने अपने दुपट्टे को एक तरफ़ डाल रखा था और पीछे से कमर से बांध रखा था। उसकी सफ़ेद चोली दिख रही थी क्योंकि माहीं ने लहंगा उसके नीचे से बांधा था। एक तरफ़ से उसने अपने बालों को पिन से जकड़ा था और दूसरी तरफ़ खुले छोड़े थे। आँखों में आईलाइनर के अलावा उसने बस पिंक रंग की लिपस्टिक लगाई थी। जय को ऐसा खोया देखकर माहीं ने कहा,

    "तुम अब कैसे हो जय?"

    माहीं की आवाज़ सुनकर जय होश में आया।

    "हूँ... जिसकी तुम्हारी जैसी दोस्त हों, उसको क्या हो सकता है माहीं!" जय हँसते हुए बोला।

    "उहू उहू... मैं भी यहाँ हूँ! पर तुम्हें सिर्फ़ जय ही दिखता है!" आयुषी गला साफ़ करते हुए झूठा गुस्सा करते हुए बोली।

    "माहीं, तुम्हें कहीं से जलने की बू आ रही है ना!" जय आयुषी को चिढ़ाते हुए बोला।

    "हाँ जय, आ तो रही हैं!" माहीं जय का साथ देते हुए बोली।

    "यार तुम दोनों बहुत बुरे हो! जाओ, मैं तुम दोनों से कभी बात नहीं करूँगी!" आयुषी गुस्सा करते हुए बोली।

    "अरे यार ऐसा मत बोल आयुषी! तुम दोनों के सिवा मेरा कोई नहीं है इस दुनिया में!" माहीं इमोशनल होकर बोली।

    "यार माहीं, तुम तो सीरियस हो गई! मैं तो मज़ाक कर रही थी!" आयुषी माहीं को गले लगाते हुए प्यार से बोली।

    "ओ गॉड! कोई तो रोक लो! यार, तुम लड़कियों की यही प्रॉब्लम है, जहाँ देखो रोने लगती हो!" जय बात बदलते हुए बोला।

    "अच्छा जी!" आयुषी और माहीं एक साथ बोलीं।

    "तो फिर हम लड़कियों के पीछे मत आना क्यों माहीं!" आयुषी माहीं की तरफ़ देखते हुए बोली।

    "हाँ!" आयुषी ने सही कहा। यह बोलकर दोनों आगे चलने लगीं और जय आवाज़ देते हुए उनके पीछे भाग रहा था।

    इधर, शनाया माहीं को जलाने के लिए शोरिया के हाथों में हाथ डाले सब से मिल रही थी।

    शनाया ने काले रंग का शिबलेस फुल गाउन पहना हुआ था। गाउन इतना लंबा था कि वह ज़मीन पर बिछा हुआ था। बाल खुले थे। आँखों में काले रंग का स्मोकी आईशैडो लगा हुआ था। आज शनाया का मेकअप ज़्यादा ही लग रहा था। होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगी हुई थी। वह शोरिया के साथ ऐसे मिल रही थी जैसे वह शोरिया की पत्नी हो।

    वहीं शोरिया ने सफ़ेद रंग का कुर्ता और पटियाला पजामा पहना हुआ था। कुर्ते में गले से सीने तक वी शेप में कट था जिससे शोरिया का सीना अच्छे से दिख रहा था। बाल बहुत सलीके से सेट थे। शोरिया आज बहुत हैंडसम लग रहा था। वहीं जय ने भी शोरिया जैसे ही क्रीम कॉलर का कुर्ता पजामा पहना था।

    शोरिया और शनाया अपने कॉलेज के दोस्तों के पास खड़े होकर बात कर रहे थे कि तभी रोनक (शोरिया का दोस्त) माहीं को आवाज़ देते हुए बुलाने लगा।

    "हैप्पी दिवाली रोनक!" माहीं शोरिया के पास खड़े होते हुए रोनक से मुस्कुराते हुए बोली।

    "हैप्पी दिवाली माहीं! यार तुम कहाँ बिजी हो! हमसे भी बात कर लो यार! माना कि तुमने कॉलेज के सबसे हैंडसम लड़के से शादी कर ली है, इसका यह मतलब नहीं कि तुम अब हम सब की तरफ़ देखोगी भी नहीं!" रोनक की यह बात सुनकर जहाँ सभी लोग हँसने लगे, वहीं शनाया अंदर ही अंदर जल रही थी।

    "रोनक, बकवास करना बंद कर!" शोरिया शनाया का गुस्सा समझ गया था, वह बात बदलते हुए बोला।

    "वैसे माहीं और शोरिया की जोड़ी अच्छी लगती है! और तुम सबने ध्यान किया कि नहीं!" दूसरी दोस्त जिसका नाम आनिया था, वह हँसते हुए बोली।

    "क्या!" सब साथ में बोले। वहीं माहीं यह सब सुनकर शर्मा रही थी। उसके गाल लाल टमाटर की तरह हो रहे थे।

    "यही कि शोरिया से शादी के बाद माहीं और भी ज़्यादा सुंदर हो गई है! क्यों शोरिया, लगता है बहुत प्यार दे रहे हो माहीं को तुम!" आनिया शोरिया की टांग खींचते हुए बोली।

    "मैं अभी आती हूँ!" माहीं शर्माते हुए वहाँ से भाग गई। जहाँ ऐसे माहीं को शर्माते हुए देखकर सभी दोस्त हँस रहे थे, वहीं शनाया मन ही मन जलकर राख हो रही थी।

    "आई शोर्य माहीं, जो तुम इन सबके सामने इतनी इतरा रही हो! मैं प्रॉमिस करती हूँ कि इन्हीं सबकी नज़रों में मैंने तुम्हें गिराया नहीं तो मेरा नाम भी शनाया त्रिपाठी नहीं!" शनाया नफ़रत से माहीं की तरफ़ देखते हुए बोली।

    "हेलो! सब तैयार हैं?" शनाया किसी से फ़ोन पर बात करते हुए बोली।

    उधर से फ़ोन पर कुछ कहा गया।

    "गुड!" शनाया ने कहा और फ़ोन रख दिया। शनाया माहीं की तरफ़ देखते हुए अपने हाथ मोड़ते हुए मुस्कराई।

    ..........

    "एक्सक्यूज़ मी मैडम! आप मिसेज़ माहिरा सिंघानिया हैं?" एक लेडीज़ वेटर माहीं के पास आई और बोली।

    "जी!" माहीं जो आयुषी के पास खड़ी होकर बातें कर रही थी, वेटर की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए बोली।

    "आपको आपके पति मिस्टर शोरिया सिंघानिया 205 रूम में बुला रहे हैं।" वेटर रूम की तरफ़ इशारा करते हुए बोली। शनाया ने पार्टी एक फाइव स्टार होटल में दी थी इसलिए रूम होल से बाहर थे।

    "मुझे? क्यों?" माहीं हैरानी से वेटर की तरफ़ देखते हुए बोली।

    "मुझे लगता है उनकी तबियत ठीक नहीं है। उन्होंने मुझसे कहा था कि उनकी वाइफ़ माहिरा सिंघानिया को बुला लाऊँ।"

    "क्या हो गया शोरिया को?" माहीं घबराते हुए बोली।

    "मुझे लगता है उनके सर में दर्द हो रहा है। आप मेरे पीछे-पीछे चलिए।" वेटर ने कहा और चलने लगी।

    "हाँ, चलिए! आयुषी, मैं अभी आती हूँ। ओके!" माहीं ने आयुषी से कहा और वेटर के पीछे-पीछे चलने लगी।

    आयुषी जब तक कुछ बोलती, माहीं वहाँ से चली गई।

    कुछ देर बाद वेटर ने माहीं को उस रूम के गेट तक छोड़ दिया जिसमें शोरिया माहीं का इंतज़ार कर रहा था।

    माहीं ने वेटर को थैंक्यू कहा और जल्दी से रूम का दरवाज़ा खोलकर अंदर चली गई।

    जब माहीं अंदर पहुँची तो देखा कि अंदर कोई नहीं था। उसे समझने में देर नहीं लगी कि यह किसी की साज़िश है। और रूम से बाहर निकलने के लिए दरवाज़े की तरफ़ मुड़ी तो उसने देखा कि दो-तीन आदमी दरवाज़े के पास खड़े थे। एक आदमी ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और वे सब बेरहमी से हँसते हुए माहीं के पास आने लगे।

    "देखो, मेरे पास मत आना! समझो तुम सब!" माहीं पीछे कदम बढ़ाते हुए घबराते हुए बोली।

    नवंबर के मौसम में भी माहीं पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो गई थी।

    "मैं तुम सब से कहा ना कि मेरे पास मत आना! समझ नहीं आता क्या?" माहीं काँपते हुए बोली।

    "यार, क्या माल आज लगा है! आज दिवाली वाले दिन तो खज़ाना मिल गया!" एक आदमी निर्लज्जता से हँसते हुए बोला।

    "भाई, आज तो जमकर पार्टी करेंगे क्यों!" दूसरा आदमी अपने पीले दांत दिखाते हुए बोला।

    "प्लीज़ मुझे जाने दो! मैंने आप सबका क्या बिगाड़ा है?" माहीं हाथ जोड़ते हुए बोली।

    "ऐसे कैसे जाने देंगे जानेमन! अभी तो हमने मज़ा तो किया ही कहाँ है! और जो पैसे दिए हैं, तेरे लिए वो भी तो वसूल करने होंगे ना!" तीसरा आदमी माहीं को पकड़ते हुए बोला।

    "किसने पैसे दिए हैं? किसने तुम सब से यह करने को कहा है?" माहीं रोते हुए उस आदमी के हाथों को छुड़ाते हुए बोली।

    "तेरे प्यारे पति शोरिया सिंघानिया ने!" दूसरा आदमी उसे पकड़ते हुए बोला।

    "क्या? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है! शोरिया मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकता है!"


    .........................

    क्रमशः

  • 20. Dil Ka kya kasoor - Chapter 20

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    आयुषी ने कहा, "तुमने माहीं को देखा...?"

    जय आयुषी के पास खड़ा होकर बोला, "नहीं, मैंने भी बहुत देर से माहीं को नहीं देखा है। हां, याद आया, एक वेटर आई थी। वो बोल रही थी कि शोरिया ने माहीं को बुलाया है।"

    आयुषी ने कहा, "शोरिया ने माहीं को बुलाया...? अजीब बात है।"

    जय ने कहा, "हाँ, वही तो मुझे भी कुछ अजीब ही लग रहा था।"

    आयुषी ने पूछा, "अच्छा, माहीं किस कमरे में गई है...? कुछ पता है...?"

    जय ने कहा, "हाँ, वो वेटर कमरे का नंबर तो बोल रही थी... क्या बोल रही थी... २...२... हाँ! २०५, यही कमरे का नंबर बोला था उसने।"

    जय ने कहा, "अच्छा, ठीक है। मैं एक बार देखकर आता हूँ।"

    आयुषी जय के पीछे चलते हुए बोली, "भाई, मैं भी चलूँगी।"

    जय ने कहा, "क्या करोगी यहाँ? पार्टी एन्जॉय करो! मैं अभी आता हूँ।" जय वहाँ से चला गया।

    इधर, वो गुंडे माहीं के साथ जबरदस्ती कर रहे थे। माहीं बचाओ के लिए चिल्ला रही थी, पर पार्टी में सॉन्ग का वॉल्यूम इतना तेज था कि बाहर अगर कोई इंसान दरवाजे के पास निकला या खड़ा हुआ, तो ही सुन पाता।

    माहीं उन आदमियों को अपने नाखूनों से नोचने लगी। माहीं ने किसी गुंडे के हाथ पर काट लिया तो किसी को नोच लिया। जब उन गुंडों ने देखा कि यह एक दुबली-पतली लड़की उन दो-तीन आदमियों पर भारी पड़ रही है, तो उनमें से एक आदमी ने माहीं को बेरहमी से जोर का थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।

    थप्पड़ इतनी जोर से पड़ा था कि माहीं दो बार घूमती हुई बेड पर जा गिरी। एक ही थप्पड़ में वह बेहोश होने के आसपास आ गई थी। एक गुंडे ने माहीं का दुपट्टा पकड़ लिया और उसे जबरदस्ती खींचने लगा। माहीं ने भी अपने दुपट्टे को कसकर पकड़ लिया था। वह इतनी बुरी हाल में थी, पर हार मानने को तैयार नहीं थी। उस गुंडे ने अपनी पूरी ताकत लगाकर दुपट्टा माहीं से अलग कर दिया। माहीं चिल्ला रही थी, रो रही थी कि कोई उसे बचा ले, पर उसने एक बार भी शोरिया का नाम नहीं लिया था। वह जानती थी कि इस सब के पीछे शनाया का हाथ है।

    माहीं हिम्मत करके उठी और भागना चाहा, पर उनमें से एक ने माहीं को अपनी बाहों में पकड़ लिया।

    एक गुंडा बोला, "अरे जानेमन, अभी इतनी जल्दी क्या है? छोड़ देंगे, छोड़ देंगे। पहले अच्छे से दिवाली तो मना लो हमारे साथ।" ये बोलकर सब गुंडे जोर-जोर से दांत फाड़कर हँसने लगे।

    माहीं को लगने लगा था कि अब उसको इन दरिंदों से कोई नहीं बचा सकता है। वह आज इन सबके हाथों बर्बाद होने वाली थी। वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी।


    इधर, पार्टी में शोरिया और शनाया अपने दोस्तों के साथ ताश खेल रहे थे। हिन्दू धर्म में यह कहा जाता है कि दिवाली वाले दिन ताश खेलना शुभ नहीं होता। शोरिया को शनाया एक पल के लिए भी नहीं छोड़ रही थी। पार्टी में शनाया ने एक बार भी शोरिया को माहीं के पास तक नहीं जाने दिया था। शोरिया ताश खेलते-खेलते अब थक गया था।

    शोरिया बोला, "दोस्तों, अब मैं बहुत थक गया हूँ। तुम ही लोग खेलो, तब तक मैं... पार्टी में और लोगों से मिलकर आता हूँ।"

    शनाया शोरिया से जिद करते हुए बोली, "पर बेबी, हम जीत रहे हैं और तुम मुझे बीच रास्ते में ऐसे छोड़कर नहीं जा सकते हो।"

    शोरिया शनाया को समझाते हुए बोला, "समझो शनाया, मैं बहुत थक गया हूँ।"

    शनाया छोटी बच्ची की तरह जिद करते हुए बोली, "बेबी, मुझे ये सब समझ नहीं आता।"

    शोरिया जाते हुए बोला, "ओके, ओके। मैं बस पानी पीकर आता हूँ।"

    शनाया मुस्कुराते हुए बोली, "ओके, पर जल्दी आना।"


    इधर, जय माहीं को पूरी पार्टी में ढूँढ रहा था। उसने माहीं को फ़ोन भी करने की कोशिश की, पर उसका फ़ोन बंद बता रहा था। अभी तक उसे यही लग रहा था कि वह शोरिया के साथ है। पर उसकी गलतफ़हमी तब ख़त्म हुई जब उसने शोरिया को सामने लोगों से हँसते हुए बातें करते हुए देखा।

    जय परेशान होते हुए बोला, "शोरिया यहाँ है, तो माहीं कहाँ है...?"

    जय शोरिया के पास खड़ा होकर बोला, "शोरिया!"

    शोरिया जय से गले मिलते हुए बोला, "ओ, जय! हैप्पी दिवाली!"

    जय शोरिया को देखते हुए बोला, "हैप्पी दिवाली! तुम यहाँ हो...?"

    शोरिया हँसते हुए बोला, "यहाँ नहीं होगा तो कहाँ होगा मेरे भाई?"

    जय इतना ही बोल पाया था कि शनाया शोरिया का हाथ पकड़ते हुए बीच में बोली, "बेबी, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? चलो मेरे साथ, हम हार रहे हैं! और तुम्हें पता है ना, मुझे हारना बिल्कुल पसंद नहीं है।"

    शोरिया जाते हुए बोला, "हाँ, बाबा, चल रहा हूँ। जय, मैं तुमसे बाद में बात करता हूँ।"

    जय गुस्से में चिढ़ते हुए बोला, "पर शोरिया, मेरी बात तो सुनो! अजीब आदमी है! इसकी बीवी यहाँ मिल नहीं रही है और यह दूसरी लड़की के साथ बिज़ी है! माहीं इसको डिज़र्व ही नहीं करती है!"


    अब उन दरिंदों ने माहीं के ब्लाउज़ की आस्तीनें फाड़ दी थीं।

    माहीं रोते हुए हाथ जोड़कर उन सब से कह रही थी, "भगवान के लिए मुझे छोड़ दो!"

    उन दरिंदों में से एक आदमी माहीं के पास आते हुए उसके हाथों को पकड़ते हुए बोला, "हाँहहहह! अगर भगवान के लिए तुझे छोड़ दिया, तो हमारा क्या होगा जानेमन!"

    वह दरिंदा माहीं के साथ जबरदस्ती करने लगा और माहीं अपने आप को छुड़ाने के लिए हाथ-पैर मार रही थीं। माहीं रोते हुए जोर से चिल्लाई, कि तभी अचानक किसी ने दरवाजे को जोर से अंदर की तरफ धकेलते हुए खोल दिया।

    सब लोग दरवाजे की तरफ हैरानी से देखने लगे। उन आदमियों ने देखा कि एक लड़का दरवाजे के पास खड़ा है और उन सब को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा है।

    उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़-साफ़ दिख रहा था। उसने एक नज़र माहीं की तरफ़ डाली। माहीं के कपड़े हर तरफ़ से फटे हुए थे और उसके गालों पर थप्पड़ के निशान थे। उस आदमी ने माहीं की ऐसी हालत देखकर उसकी आँखें आग सी जलने लगी थीं। उसने उन दरिंदों की तरफ़ देखा और उसके हाथ की मुट्ठी कसकर बंद हो गई।

    वह गुस्से में चिल्लाते हुए बोला, "तुम सबकी हिम्मत कैसे हुई माहीं को छूने की? मैं तुम सब की जान ले लूँगा!"

    क्रमशः