कहते हैं सितारे गहरे अंधेरे में ज्यादा टिमटिमाते हैं,, लेकिन चांद के बगैर वो भी तन्हा तन्हा नजर आते हैं,, वैमपायर जहन्नुम की आग में जलते हैं और एम्पायर किक्रेट के नियम कायदों पर चलते हैं,, फिल्डिंग पहले हों या बैटिंग,, जीतने के लिए अपनी टी... कहते हैं सितारे गहरे अंधेरे में ज्यादा टिमटिमाते हैं,, लेकिन चांद के बगैर वो भी तन्हा तन्हा नजर आते हैं,, वैमपायर जहन्नुम की आग में जलते हैं और एम्पायर किक्रेट के नियम कायदों पर चलते हैं,, फिल्डिंग पहले हों या बैटिंग,, जीतने के लिए अपनी टीम पर विश्वास जरूरी है। ये कहानी नहीं दास्तां ए इश्क हैं,, जो शुरू कहा से हुई किसी को नहीं मालूम लेकिन कहानी की एंडिंग सब को ज़ुबानी याद है। वो लहू की बारीश वो दरीया जहन्नुम का,, जिंदा दफन हुआ कहानी का इक किरदार बीते जमाने में,, वो आग था तुफान था,, वो जिंदादिली इंसान था,, हकिकत से अंजान था,, वो वैंपायर, इक शैतान था। ज्वाला को शांत करना आसान नहीं होता,, यामिनी,, वो खोलता हुआ लावा था जहन्नुम का,, उसे शांत करने के लिए ना इक नदी की ना ठंडी हवा की लहर काफी थी,, वो कई सालों से हठयोग कर रहा था,, उसके पास वो पावर थी जो जहन्नुम कि आग को भी शांत कर सकतीं थी,, लेकिन उसे जहन्नुम कि आग को शांत करने में कोई रूचि नहीं थी। तो फिर उसकी रूचि थी किस में?? वो हठयोग कर क्यों रहा था?? बताइए ना गुरुदेव,,, वो चाहता था अपने लिए इक अलग ब्रम्हांड जिसका नायक भी वो खुद हो,, और खलनायक भी खुद हो,, उसने हठयोग से महादेव कों प्रसन्न तो कर लिया लेकीन इक गलती उससे हो गई,, कैसी गलती गुरूदेव?? क्या उसी गलती कि वजह से उसका अन्त हुआ?? नहीं यामिनी,, उसका अन्त नहीं हुआ,, उसे महादेव से वरदान मिला वो अनन्त काल तक जीवित रहेगा,, लेकिन जिस दिन वो अपने इक अलग ब्रम्हांड की उत्पत्ति करेगा उसी दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी।
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कहते हैं सितारे गहरे अंधेरे में ज्यादा टिमटिमाते हैं,,
लेकिन चांद के बगैर वो भी तन्हा तन्हा नजर आते हैं,,
वैमपायर जहन्नुम की आग में जलते हैं और एम्पायर किक्रेट के नियम कायदों पर चलते हैं,, फिल्डिंग पहले हों या बैटिंग,, जीतने के लिए अपनी टीम पर विश्वास जरूरी है।
ये कहानी नहीं दास्तां ए इश्क हैं,, जो शुरू कहा से हुई किसी को नहीं मालूम लेकिन कहानी की एंडिंग सब को ज़ुबानी याद है।
वो लहू की बारीश वो दरीया जहन्नुम का,, जिंदा दफन हुआ कहानी का इक किरदार बीते जमाने में,, वो आग था तुफान था,, वो जिंदादिली इंसान था,, हकिकत से अंजान था,, वो वैंपायर, इक शैतान था।
ज्वाला को शांत करना आसान नहीं होता,, यामिनी,, वो खोलता हुआ लावा था जहन्नुम का,, उसे शांत करने के लिए ना इक नदी की ना ठंडी हवा की लहर काफी थी,, वो कई सालों से हठयोग कर रहा था,, उसके पास वो पावर थी जो जहन्नुम कि आग को भी शांत कर सकतीं थी,, लेकिन उसे जहन्नुम कि आग को शांत करने में कोई रूचि नहीं थी।
तो फिर उसकी रूचि थी किस में?? वो हठयोग कर क्यों रहा था?? बताइए ना गुरुदेव,,,
वो चाहता था अपने लिए इक अलग ब्रम्हांड जिसका नायक भी वो खुद हो,, और खलनायक भी खुद हो,, उसने हठयोग से महादेव कों प्रसन्न तो कर लिया लेकीन इक गलती उससे हो गई,,
कैसी गलती गुरूदेव?? क्या उसी गलती कि वजह से उसका अन्त हुआ??
नहीं यामिनी,, उसका अन्त नहीं हुआ,, उसे महादेव से वरदान मिला वो अनन्त काल तक जीवित रहेगा,, लेकिन जिस दिन वो अपने इक अलग ब्रम्हांड की उत्पत्ति करेगा उसी दिन उसकी मृत्यु हो जाएगी।
हठयोग से महादेव को प्रसन्न करने में सालों लग जाते हैं यामिनी,, लेकिन उसने बड़ी ही चतुराई से कुछ ही महीनों में हठयोग से महादेव को प्रसन्न कर लिया,,
गुरूदेव महादेव तो भोले नाथ है उन्हें प्रसन्न करने के लिए तो चंद पल ही काफी है,, कुछ महीने तो बहुत ज्यादा वक्त है,, अगर सच्चे मन और विश्वास से महादेव की आराधना करें तो महादेव को प्रसन्न करना बहुत आसान है,, और सावन का महीना तो महादेव का प्रिय है,, इस माह में तो महादेव अपने भक्तों कि इच्छा पूरी करते ही हैं,,
हां यामिनी,, महादेव को प्रसन्न करना बहुत आसान है,,
लेकिन उस दुष्ट ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए श्मशानघाट को चुना जहां स्वयं महादेव का वास होता है,, उसने हठयोग करनें के साथ साथ अपनी प्रवृतीनूसार कई भोले लोगों को मौत के घाट उतार दिया,, उनमें से ही इक था भोलेनाथ का भोला भक्त जिसने महादेव को उससे पहले प्रसन्न कर लिया,, उस दुष्ट बुद्धि ने उसे मार कर उसका रूप धारण किया और उसके स्थान पर हठयोग करनें लगा,,
इस बात से अंजान महादेव वहां प्रकट हुए और बोले,,"हे भोले भक्त,, तुम्हारी भक्ति कि शक्ति मुझे यहा पर विवशता पूर्ण खिच लाई है,, कहों तुम्हें क्या चाहिए??
वो तपाक से बोला : भोलेनाथ सुना है आप मनचाहा वरदान देते हों??
हां,, वत्स,, तुम्हें क्या वरदान चाहिए,, मैं तुम्हारे हठयोग से अति प्रसन्न हुआ हूं,,
महादेव मुझे इक अलग ब्रम्हांड चाहिए,, जिसका नायक भी मैं हूं और खलनायक भी मैं,,
तथास्तु।
हां हां हां हां,,, वो अपने रियल रूप में आता है तो,,
भोलेनाथ अपनी आंखें बंद करके अपनी त्रिनेत्र शक्ति से वहा हुई घटनाएं देखते हैं,, और फिर बोलते हैं,,
तुमने मुझे ठगा है ये प्रकृति तुम्हें ठगेगी,, जिस दिन तुम अपनी इच्छापूर्ति करोगे उसी दिन तुम्हारी मृत्यु होगी।
जिस दिन उसने वरदान प्राप्त किया उसी दिन उसी दिन वो वरदान उसके लिए श्रापित हो गया,, वो फिर से अपनी राक्षसों वाली हरकतें करने लगा,, पृथ्वी पर उसका पूरा परिवार रहने लगा,,
यामिनी यहा के जंगली जानवर भी उतने शिकार नहीं करते जितने वे राक्षस करते हैं,, पांच राक्षस जो हर रोज पच्चीस शिकार करते हैं,, वो भी अलग अलग जगह,,
हर रोज इक जंगल से दो लास बरामद होती है,, कहा जाता है जंगली जानवरों ने मारा है,, लेकिन जंगली जानवर लास छोड़कर नहीं जाते वो खाते हैं,,
लेकिन राक्षस खुन पीकर लास को फेंक देते हैं,, कुछ राक्षस तो जानवरों को भी खाते हैं और इंसानों को भी,,
उस राक्षस का नाम क्या है गुरूदेव,, जिसे वरदान मिलते ही श्रापित हो गया,,
उसका नाम महीसा,, और है वो मसीहा राक्षसों का,, उसकी पत्नी हनीका,,
तीन बेटे हैं उसके विध्वंस विराट और प्रत्यंस।
महीसा के बेटों के बारे में बताइए ना गुरुदेव?? क्या महीसा के बेटे भी महीसा की तरह निर्दयी और क्रुर थे??
नहीं,, महीसा के बेटों में कहीं ना कहीं इंसानियत जिंदा थी,,, क्योंकि यामिनी हनिका राक्षसी नहीं इंसान थी,, वो भी शिव भक्त थी,, और अपनी भक्ति के लिए उसने अपने परिवार को त्याग दिया था,,
यामिनी,,, महिसा का बड़ा बेटा विध्वंस और विराट इससे पहले महीसा के नक्शे कदम पर चलते महीषा को श्राप मिल गया,,
और वो इसी श्रापित जीवन के डर से अच्छाई की तरफ बढ़ने लग गए,, वो दोनों भाई गरीबों की मदद करते थें,, कुलमिलाकर वो दोनों अच्छे इंसान बन गए थे,,
वैसे तो उनका जीवन पहले से ही श्रापित था,, क्योंकि वो वैंपायर थे,, यामिनी ख़ून पर निर्भर रहना उनकी फितरत में था,, लेकिन वो राक्षस अपने से क्रुर और निर्दयी राक्षसों का खुश पीते थे,,
तो क्या गुरूदेव उन पांच राक्षसों में वो तीनों शामिल नहीं थें,,
नहीं यामिनी वो दो भाई शामिल नहीं थें तीसरा भाई प्रत्यंस तो अपने पिता के नक्शे कदमों को छोड़ने से डरता था,, और यही डर उसके जीवन को बर्बादी की तरफ़ लेकर जाता है,,
गुरूदेव उन पांच राक्षसों के बारे में बताइए ना?? वे कौन थे??
वे पांच राक्षस थे महीसा के चार भाई और इक महीसा का छोटा बेटा प्रत्यंस।
गुरूदेव महीसा के चार भाई भी थे??
हां यामिनी,, महीसा सबसे बड़ा बुद्धिमान और ताकतवर था,, और उसके चार भाई वो तो इक तरह से महीसा के हथियार थे,,
महीसा उन्हें पृथ्वी पर इसी शर्त पे जहन्नुम से लाया था कि वें महीसा का हर इक काम पूरे आदर से समान से करेंगे।
महीसा ने शिवजी की आराधना की तो उन चारों ने उसकी सेवा की थी,, महीसा निर्दयी था,, वो तो महादेव की आराधना करते हुए भी शिकार करता था,, ख़ून पीया करता था,,
महीसा ने शिवजी की आराधना की तो उन चारों ने उसकी सेवा की थी,, महीसा निर्दयी था,, वो तो महादेव की आराधना करते हुए भी शिकार करता था,, ख़ून पीया करता था,,
और आखिर में उसने अपनी इसी फितरत के चलते महादेव के भोले भक्त का भी शिकार कर दिया और उसका वरदान उसके लिए श्राप बन गया।
जहां विराट और विध्वंस दोनों अच्छे इंसान बनने की राह पर कायम थे,,
तो वही प्रत्यंस अपने चारों राक्षस चाचाओ के सिर का ताज बन चुका था। वह हर रोज ना जाने कितने ही निर्दयों की जान लेता था।
एक बार जब वनस्पति शास्त्र का अध्यन करने विराट और विध्वंस के कई सारे कोलेज फ्रेंड्स उस जंगल में आए,,
तब इक बाईस वर्षिय लड़की जिसकी हाईट पौने छ: रंग साँवला ब्राऊन आंखें हल्के काले साईनिंग बाल जो उसके घुटनों को छू रहे थे,,
लम्बा भरा भरा सुन्दर चेहरा और हल्के गुलाबी पतले होठ फिगर जैसे कोई अप्सरा हो।
डार्क गुलाबी साड़ी पहने हुए वो बला सी खूबसूरत लड़की जिसे देखते ही प्रत्यंस अपना दिल हार चुका था।
अपने बालो को जुड़े में बांधकर अपनी प्रायोगिक लिस्ट हाथ में लिए अकेली ही जंगल में घूमने लगी,,
उसे लगभग आधे घंटे बाद अहसास हुआ जैसे कोई उसे लगातार फोलो कर रहा हो,
वो साड़ी के पलू को कमर पर बांधती है। और फिर जंगल में अपनी लिस्ट में मौजूद पैड, पते और फूल ढूंढ़ने लगती है।
जब उसे लिस्ट में मौजूद सारा सामान मिल जाता है।
तो वो वापस कैंप जाने के लिए पलटती है तो,,
ओए तुम अकेली यहां क्या कर रही हो??
घूम रही हूँ, और वैसे भी मैं अकेली थोडी हूँ, तुम थें ना मेरी रखवाली के लिए मेरे साथ,
अबे। मैं तो अभी आया हूँ, तुम्हे ढूंढते हुए,, तुम्हें इस जंगल के बारे में कुछ मालूम भी है। यहां वैंपायर रहते हैं, और क्या सोचकर तुम इस अजनबी जंगल में घूमने अकेली निकलीं??
सोचा तो बहुत कुछ मगर कुछ हुआ नहीं। और तुम ये क्या बच्चों वाली स्टोरी सुना रहे हो मुझे ??
ओह, रियली, तुम्हे ये स्टोरी लग रही है??
और नहीं तो क्या वैंपायर हक़ीक़त में नहीं होते। ये सिर्फ कहानियों में होते हैं। और जो लोग ये मानते है कि वैंपायर एक एकीकत है। वो कल्पनाओं की दुनिया में जी रहे है।
जहा पानी भी बोलता है और सूरज श्री शीतल होता है।
क्यो?? अब क्या हुआ? क्या मै गलत बोल रही हू??
नहीं, नहीं तुम ही सही हो, चलो,, चलो अब। अंधेरा हो गया तो तुम यही खो जाओगी।
क्या मैं यहाँ अकेली खो जाऊँगी??
तो फिर तुम यहाँ किसलिए आए हो?? बताओ, अयांश।
मेरी इक बहन है जो बला सी खूबसूरत है, हाँ गौरा रंग नहीं है। उसका, और मुझे वो डायन से कम भी नही लगती। पर क्या करू मैं भी अपनी जिम्मेदारीयो से पिछे नही हट सकता। मेरी प्यारी बहन अयांशा, इसलिए आना पड़ा।
ओह, मैं तुम्हारी जिम्मेदारी ?? रहने दो तुम, तुम तो खुद इक जिम्मेदारी हों। जो हरवक्त मेरे सिर पर सवार रहती है।
स्टोरी अच्छी लगें तो प्लीज़ स्पोर्ट करें,,
ठीक है ठीक है,,, अब इतना मत जताओ। चलो जल्दी कैंप चलते हैं। इस ड्रैगन एरिया से मुझे खौफनाक बू आ रही है,
हाँ, हाँ। आ रही होगी तुम्हे,, वैसे तुम भी किसी ड्रैगन से कम तो नहीं हो।
खैर,,,
चलो चलते है ड्रैगन,
चल बे डायन और धीरे-धीरे कदम ना उठा जैसे मेहन्दी लगी हो पैरो में। जल्दी-जल्दी चलो।
(रूक तुझे मैं अभी सबक सिखाती हूं)
इतना मन में बडबडाते हुए वो अयांश को चलने का बोलती है। और खुद चलते-चलते अचानक कही गायब हो जाती है।
अयांश उससे बात करते-करते चल रहा था, जब काफि देर तक अयांशा का जवाब नहीं आया तो,,
अबे, डायन तू भी कुछ बोल कब से मैं अकेला ही बोले जा रहा हूँ,,,
इस बात पर भी अयांशा की तरफ से कोई आवाज नहीं आयी तो वो पिछे पलटकर देखता है, क्या हुआ है तुम्हें?' अरे! ये कहा गई ??
अबे,, डायन तू भी कुछ बोल कब से मैं अकेला ही बोले जा रहा हूं,, इस बात पर भी अयांशा की तरफ से कोई आवाज नहीं आयी तो वो पिछे पलटकर देखता है,,
क्या हुआ है तुम्हें?' अरे! ये कहा गई??
ये अपनी आदतों से कभी बाज नहीं आएगी खैर,,, मुझे क्या भटकने दो इसे इस ड्रैगन एरिया में,, मुझे तो यहा बहुत खौफनाक बू आ रही है,,, मैं तो निकल लेता हूं यहा से,,
ओह,, डायन अयांशा तुम खेलती रहो चोर पुलिस,, वैंपायरस् के साथ में तो जा रहा हूँ यहा से!
वो बोलने के साथ ही वहा से चला जाता है, कैंप जंगल के पास ही लगाया गया था, और विराट अपने कुछ दोस्तों के साथ कुछ लकड़ीयाँ इकट्टा करके लाया था,
इस वक्त इस कैंप के सारे स्टूडेट यहां मौजूद थे, सिर्फ अयांशा को छोड़कर,, विध्वंस स्टूडेंट लिस्ट चैक करके बोला, एक लड़की गायब है, कौन है वो ??
अयांश बोला : मेरी बहन अयांशा!
विध्वंस : कहा है वो ??
अयांश : वो जंगल में ड्रैगन एरिया में चोर पुलिस खेल रही है।
विराट : क्या!! किस एरिया में ??
अयांश : वो ड्रैगन एरिया में,, मै उसे लेकर आ ही रहा था कि वो अचानक कही छुप गई,, मुझे वहाँ बहुत डर लग रहा था, तो मैं वापस आ गया।
विध्वंस: आर यू मेड?? वो वहा से गायब हो गयी और तुम इसे गेम समझ रहे हो ?? कमाल हो यार,,,
अयांश : अरे भाई वो ऐसे गेमज खेलना पसंद करती है, मेरी बहन है वो, उसकी इन आदतों से अच्छी तरह परिचीत हूँ मैं।
विध्वंस : वोट एवर, चल विराट उसे ढूंढते है, और तुम सब यही रखना वापस आए तो पता चला इक ओर महान शख्स गायब हो गया।
सा सा सारे गा गा गा मा आआअ गा रे सा रेसा रेसा रेसा रेसा पानी पानी दा पा.,, छन छन छन छन छन छन छन छन याआऊउ...............
विध्वंस : आवाज सुनाई दी तुम्हे ?? वो जब भी खुश होता है, यही सेम आवाज निकालता है।
हाँ, वैसे वो इतना खुश क्यों है??
विराट : भाई मेरा दिल मुझे किसी अनहोनी के घटने का संकेत दे रहा है।
अनहोनी?? कही अयांशा के साथ तो कुछ नहीं किया ना उसने ??
चल देखते है चलकर,,,
वैपायर की सुनने की क्षमता बहुत दूर तक की होती है, और चलने कि स्पीड बहुत तेज होती है। वो सैकंडों में लम्बी दूरी तय करने में सक्षम होते हैं।
विराट और विध्वंस प्रत्यंस के पास पहुंचे तो वो वहां का नजारा देख दंग रह गए,
विराट का दिल उतने टूकडों में टूटकर बिखर गया कि उनकी काउंटिंग भी नहीं हो सकती,,
उसकी आँखों में वो नजारा देखने के बाद हजारों सवालों के साथ आसू बह रहे थे,,,
वो खामोश सुन खड़ा था,,,
तो,,,
विध्वस की आँखों में उसे ऐसे देख खून संवार हो गया।
उसकी आंखें गुस्से से लाल हो चुकी थी, वो ना चाहते हुए भी अपने राक्षस रूप में आ गया।
वो विराट की आंखों में आसूं देख कर बेकाबू हो गया।
अयांश जो उनका पिछा कर रहा था,, वहाँ पहुंचा तो,,
विध्वंस का ये रूप देख कर बेहोश हो गया,,, उसे देख अयांशा उसकी तरफ दौडकर गयी और उसके सिर को गोद में लेकर बोली : भाई,,, क्या हुआ तुम्हे??? बोलों ना भाई,, ये सब तो तुम जानते थे।
मैं तो नहीं मानती थी पर तुम तो मानते थे ना कि यहाँ वैपायर रहते है,,
उसकी आँखो से आँसू अयांश के चेहरे पर गिरे तो,,, वो होश में आया।
वो अयांशा के चेहरे को ध्यान से देख रहा था, जैसे कुछ बदला-बदला हो, उसकी नजर अयांशा की मांग पर पड़ी जों भरी हुई थी, वो सवालियत भरे लहजे में बोला : ये क्या है अयांशा ?? तुम्हारी माँग में सिंदुर ??
वो मेरी बीवी है,, हमारी शादी हो चुकी हैं,, इती सी बात तुम्हे समझ नहीं आयी,, मेरी बीवी के प्यारे भाई??
अयांशा!! मैं तुमसे तीन सवाल करूंगा सच सच जवाब देना,,,
मेरा पहला सवाल: क्या विराट और तुम दोनो एक दूसरे को जानते हो??
अयांशा : जी,, हाँ! हम दोनों एक दूसरे को बहुत लंबे वक्त से जानते हैं।
दूसरा सवाल: तुम दोनों का रिश्ता क्या था ??
अमांशा : बेस्ट फ्रेड्स, विराट मेरी बहुत केयर करता है, और मैं विराट को बहुत पसन्द करती हूँ।
तीसरा और आखरी सवाल : तुम्हारी शादी,, क्या तुम्हारी रज़ामंदी से हुई है या नही??
हाँ और ना में जवाब दो।
अयांशा : जी नहीं।
अयांशा का जवाब सुनकर,,
विध्वंस : प्रत्यंस!!!!! ये तुमने क्या किया??
वह गुस्से में आग बबूला होकर प्रत्यंस पर टूट पड़ा,, विध्वंस आग है तो प्रत्यंस भी कुछ कम नहीं,,
विध्वंस भले ही तीनों में सबसे बड़ा है, लेकिन उसने अभी तक इंसानी खून नहीं पिया,, जिसकी वजह से वो ताकत जो राक्षसों में होती है उसके पास ज्यादा नहीं थी,, और ये बात प्रत्यंस बहुत अच्छी तरह जानता था,,
वो अपने भाई के हर इक वार का जवाब दे रहा था, लेकिन एक वार ऐसा हुआ जिसका जवाब देने का उसे मौका नहीं मिला। वो घायल हो कर जमी पर गिर चुका था और उसके शरीर से खून इतनी तेज रफ्तार में बह रहा था,,
कि वहाँ की जमीन प्रत्यंस के खून से पूरी तरह रंग चुकी थी। अब उसका शरीर कमजोर पड़ गया, उसकी जीने की इच्छा मर चुकी थी,,और वो हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया से चला गया।
कहते हैं राक्षस कभी मरते नही,, लेकिन वो अपने आप को मार सकते है।
प्रत्यंस की मृत्यु का कारण विध्वंस बना,, वो बेकाबू होकर प्रत्यंस की लास को हवा की रफ्तार से कही लेकर चला गया और फिर वापस लौटकर नहीं आया।
2 साल बाद,,,
विराट,, सुनो ना,, मेरे ब्लाउज कि डोरी बांध दो,,
क्यों?? तुम्हारे हाथों में मेहंदी लगी है क्या??
हां ना,, देखो जरा आंखें खोलकर,,,
ओह! तो सच में मेहंदी लगी है,, चलों पलटो मैं बांध देता हूं,, तुम्हारी डोरी।
ओए,, मेरी नहीं ब्लाउज़ कि डोरी,,
जाहिर सी बात है डोरी तो ब्लाउज़ कि ही होती है,, पलटो,,
वो विराट कि तरफ पीठ करके खड़ी हो जाती है,, तो विराट उसके बालो को आगे करके उसके कंधे पर रख देता है,, और उसके ब्लाउज कि डोरी बांधने लगता है तो,,
उसकी नज़र उसकी कमर पर चली जाती है,, जहा इक स्टार बना हुआ था,, जो चमक रहा था,,,
विराट कि नजरें उसी पर जम जाती है और उसके हाथों के साथ साथ डोरी भी फिसलने लगती है तो,,,
विराट क्या कर रहे हो,, डोरी बांधों जल्दी से,,,
विराट,,
क्या कर रहे हो विराट,,, बोलने के साथ ही वो पलटती है और वो गिरने लगती,, इससे पहले वो गिरती,, विराट उसे बचा लेता है,,।
विराट उसके पास स्तब्ध खड़ा था,,
दोनों के बीच खामोशी पसरी हुई थी,, तों,, उसने चुपी तोड़ते हुए कहा,"सोरी!"
तुम क्यों सोरी बोल रही हों?? आई एम सॉरी,, वैसे वो स्टार??
वो मेरी पैदाइशी निशानी है,, पता नहीं मैं कौन हूं??
आई थींक में कोई अप्सरा या फिर परी हूं,,, तभी ये जादुई चमकदार स्टार मेरी कमर पर हैं।
ओह,, रहने दो,, अप्सरा और परी,, वो भी तुम??
😂😆😆😆
विराट… मेरा मजाक उड़ाना बंद करों,, ऐसा नहीं होता क्या?? तुम तो खुद इक राक्षक हो,, तो तुमसे बेहतर और कौन ही जानता होगा कि अप्सराए और परीया दोनों हकीकत में होती है।
ओहह,, होती है लेकिन तुम परी नहीं हो सकतीं,,, तुम तो मासूम सी बच्ची हों,, जिसे तैरना तक नहीं आता।
हां,, इक दिन देखना तुम्हें मेरी बात पर ज़रूर यकीन होगा,, मै कोई परी या अप्सरा हूं।
ओके,, जीती रहो तुम इसी वहम में,, लेकिन मैं नहीं मानता कि तुम परी हों,,,
मत मानो यार,, अब प्लीज़ डोरी तो बांध दो।
मुझे अरूणा की मेहंदी देखने जाना है,,, वरना वो मुझे कच्चा खा जाएगी।
ठिक है,, लो बांध दी डोरी,,,
वैसे अरूणा तुम्हें नहीं खा सकती,, पता है क्यों??
क्यों??
क्योंकि तुम रसमलाई नहीं हों,, और अरूणा इंसान हैं,, राक्षसी नहीं,,
मैं रसमलाई नहीं हूं??
नहीं हो?
पक्का ना??
हां पक्का,,
तुम श्यौर हो ना??
बिल्कुल श्यौर हूं,,
अच्छा तो इक बार फिर रिपीट करो,,,
तुम रसमलाई नहीं हों,,,
ये हुई ना बात,, अब तुम मुझे कभी भी रसमलाई नहीं कहोगे,,
लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा तुमसे,,
वैसे ना मुझे भुख लगी है,, तुम खाना ले आओ नीचे से,, हम दोनों रोमांटिक डिनर करते हैं।
ओह, हैलो,, रोमांटिक डिनर का वक्त है क्या तुम्हारे पास??
क्यों,, तुम्हें कोई शक है,,
नहीं नहीं मुझे तो यकीन है तुम्हारे पास रोमांटिक डिनर का बहुत वक्त है,, मै ले आती हूं खाना,,
वो धीरे धीरे रूम से बाहर निकलकर फिर भागती हुई बोलती है,, सोरी पर मेरे पास रोमांस के लिए अभी जरा भी वक्त नहीं है,, मैं खाना भेज देती हूं,, तुम खाकर सो जाना।
#जारी.......
क्या यार,,,
कुछ नहीं,, सर मैं अंदर आ जाऊं??
अरे,, तुम आलरेडी अंदर आ गई हों,,
सर मैम ने खाना सर्व करके भेजा है खा लिजिए,,,
हां ठिक है,, रख दो टेबल पर,,, और जाते वक्त दरवाजा बंद कर देना।
जी सर,,
वो विराट कि बात सुन कर रूम से जा ही रही थी कि,,, उसे कुछ याद आ गया तो वो वहीं रूककर बोली,,,
सोरी सर लेकिन मैम ने कहा है कि वाइट वाली ड्रेस उन्होंने निकाल दी है,,
खाना खाने के बाद बाथ ले लेना और तैयार होकर नीचे होल में आ जाना,,
संगीत शुरू होने वाला ही है तो,,,
ठिक है,, आ जाऊंगा,, अब जाओ तुम,,,
जी सर,,
वो इतना बोलकर वहा से चली गई,,,
तो विराट खाना खाने के बाद नहाने चला जाता है,,, और फिर जब वो नहाकर तैयार होकर रूम में वापस आता है तो,,,
वहा इक लड़की खड़ी थी,, जिसकी हाईट साढ़े पांच के करीब थी,, उसकी आंखों का कलर हल्का भूरा था,, लंबे कमर तक बाल,, और सुंदर गोल भरा-भरा चेहरा,,,
उसे देख हैरानी से विराट बोला : दिव्या?? तुम कब आई??
अरे,, भाई,, आप कहां गायब थे?? मै तो काफी वक्त पहले ही आ गई थी,, लेकिन आपका तो कोई अता पता तक नहीं था,,
वो सब तुम्हारी भाभी की वज़ह से,, तुम तो जानती ही हो हमारी शादी को डेढ़ साल हो गए,, लेकिन ये अभी तक अपने उसी पास्ट में जी रही हैं,,,
मेरी बीवी तो सिर्फ दुनिया के सामने हैं,, रियल मे तो अभी तक हम दोनों कभी इक बेड पर सोए तक नहीं है।
मैंने बहुत कोशिशें की लेकिन हर बार मुझे हार ही नसीब हुई है,,,
ओह,, तो ये बात है,, वैसे भैय्या,, इसमें गलती सिर्फ भाभी कि नहीं है,, आपकी भी है,, जब आपकी शादी हुई थी,, तब आपने क्या किया था उनके साथ,, याद है या भूल गए हों,,
फ्लैशबैक,,,
शादी वाली रात,,, इक सन्नाटे से गुजरते हुए,, अपने आप संभलने की कोशिश करते हुए,, किसी तरह उस रूम का दरवाजा मिला,,,
उसे खोलने के साथ ही,, इक धड़ाम की आवाज़ के साथ जोर से कोई गिरा था,,,
वो बेड पर दुल्हन के जोड़ें में बैठी थी,, उसने घूंघट ओढ़ रखा था,,, वो धीरे धीरे बेंड से उतरकर उसके पास पहूंची,,, उसने उसकी तरफ सहारा देकर उठाने के लिए हाथ बढ़ाया तो,,,
इक जोरदार धक्का मारकर उसने उसका हाथ झटक दिया और कहा : तुम मेरे रूम में क्यों आईं हों?? क्या काम है तुम्हारा यहा?? निकल जाओ मेरे रूम से,, मै तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहता।
इतना बोलने के बाद वो लड़खड़ाते कदमों से उठा और बेड पर लेट गया,,, उसे गहरी नींद आ गई,,,
लेकिन वो उसके हाथ झटकने के बाद धक्के से ज़मीं पर गिर गई थी,, वो अपनी भारी भरकम जोड़ें के साथ अपनी आंखों के आंसू पोछकर खड़ी हुई और रूम के बाथरूम में चली गई,, वो सारी रात वहीं रोती रही,,,
उसकी कलाई से खून बह रहा था,, और वो इस बात से बिल्कुल अंजान थी,, सुबह होने के साथ ही वो बेहोश हो गई,,,
जब विराट उसे पूरे घर में ढूढने के बाद अपने रूम के अटेच बाथरूम में गया तो,,,
शशश..........शौर्या!!
जोर से चिल्लाया,,, उसकी आवाज घर में गुंजने लगी,,, आवाज सुनकर घर के सारे नौकर विराट के रूम में आ गए थे,,,
विराट के साथ इक बूढ़ी औरत भी इसी घर में रहती थी,, जिसे विराट गुरू मां कहता था।
वो भी विराट के रूम में पहूंच चुकी थी,, उसने सारे नौकरों को रूम से बाहर जाने को कह दिया,, क्योकी वो विराट के रूम की परिस्थिति भांप गई थी,,
सारे नौकर चले गए,, तो वो विराट से बोली,,, : क्या हुआ बेटा?? क्यों चिला रहा था,,, और शौर्या कहा है,,,
देखो ना गुरू मां उसने कलाई काट ली अपनी,,,
क्या??
अरे तुम देख क्या रहे हो,, उसे जल्दी से होस्पीटल लेकर जाओ,,,
विराट उसे गोद में उठाकर होस्पिटल ले कर गया तो,,,
होस्पीटल वालों ने उसे एडमिट करने से इंकार कर दिया,,, उन्होंने कहा कि शौर्या ने आत्महत्या करने की कोशिश कि हैं,, ये पूलिसकेस है,, हम पहले पुलिस को बुलाएंगे।
तों,, विराट परेशान हो गया और उसने होस्पीटल वालो को अपना रियल रूप दिखाकर डराया और उन्हें इतना विवश कर दिया की उन लोगों ने शौर्या को एडमिट कर लिया,,, लेकिन,,
कुछ वक्त बाद ही उन्होंने शौर्या को मृत डिक्लेयर कर दिया,,,
विराट अपनी आप को कौसता रह गया,,, करिब दो घंटे तक विराट उसी होस्पीटल में शौर्या को गौद मे उठाए घुमता रहा।
फिर जब वो उसे दफनाने के इरादे से कब्रिस्तान पहुचा तो,, अचानक ही तेज हवा चलने लगी,, जैसे कोई अनहोनी हों गई थी,, और कुदरत उसके खिलाफ जंग लड रही थी,,,
फिर इक तेज रफ्तार से इक तार सी आकृति में बिजली शौर्या को अपने आगोश में भर लेती है,,
जो विराट को बिल्कुल गवारा नहीं था,, उसने आज पहली बार अपनी राक्षसी शक्तियों का प्रयोग करके शौर्या को बिजली से मुक्त करवाया था।
शौर्या को अपनी बाहों में भरकर वो उससे माफ़ी मागता है।
उसकी आंखों से आंसू शौर्या के चेहरे पर गिरने लगे,, शौर्या को अहसास होता है की वो झूले में लटकी हुई है,, और किसी भी पल ये झूला टूट सकता है,,, और इसी के साथ वो विराट से लिपट जाती है,,,
ओह,,, तुम ठिक हों??
क्या??
कुछ नहीं,,, चलो हम घर चलते हैं,,,
हम कहां हैं?? वो अपने चारों तरफ नजरें दौड़ाती है,, लेकिन विराट उसे कैफ्य सोप पर ले आता है,, अपनी तेज रफ्तार से ले आता है तो,,,
ओह,, तो तुम मुझे कॉफी पिलाने लाए हों,, ताकि मैं तुम्हें माफ कर दूं,,, पर ऐसा होने वाला नहीं है विराट,,,
ओर तुम इस बात को अच्छे से याद रखना,, क्योंकि तुम्हारे लिए यही अच्छा रहेगा,, और कल रात के बाद तो उम्मीद भी मत रखना मुझसे कोई क्योंकि तुमने रात में जो व्यवहार मेरे साथ किया वो बिल्कुल अच्छा नहीं था,, और इस पर तुम हमेशा पछताओगे।
फ़्लैश बैक से बाहर निकलकर,,,
हां वो उस बात पर नाराज़ तो हैं लेकिन दिव्या तुम भी जानती हो,, कई बार इंसान गलतियां करना नहीं चाहता लेकिन कर देता है,,,
और वो तो मैंने जानबूझ कर नहीं की थी,, उस वक्त मैं नशें में था,,, तो भूल गया की मेरी शादी हुई है।
भाई आप इतनी बड़ी बात भूल कैसे सकते हो??
और क्या जरूरत थी आपको उस रात ड्रिंक करने कि,,, अब तक मुझे ये बात मालूम नहीं थी, इसीलिए मैं आपकी मदद करना चाहती थी।
लेकिन अब मुझे नहीं लगता आपकी हेल्प मै कर सकूंगी,,
चलो आ जाओ,, अरूणा आपकी राह देख रही है,,,
"दिव्या इतना विराट को बोलकर वहां से निकल ही रही थी कि विराट बोला"
रूको,, दिव्या,, मैं तुम्हें उस रात शराब पीने कि वजह बताता हूं,,, प्लीज़ तुम मेरी हेल्प करने से मुकरो मत।
ठिक है भाई,, बताओ क्या वजह थी??
दिव्या तुम्हें तो मालूम है ही मैं अपने बड़े भाई विध्वंस से कितना क्लोज़ था,, इक लड़की थी अयांशा जिसे मैं पसंद करता था,, इक दिन वो हमारी कोलेज के स्टूडेंट्स के ग्रुप में शामिल हो गई,, और वो ग्रुप मेरा और विध्वंस भाई का था।
ना जाने क्यों पर मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी,, जब उसके साथ प्रत्यंस ने शादी कर ली तो मुझे बहुत दुःख हुआ,, विध्वंस को ये पता चल गया,,, उसने अयांशा से कुछ सवाल पूछे और फिर उन्हें गुस्सा आया और वो प्रत्यंस पर टूट पड़े,, प्रत्यंस मर गया,,, लेकिन विध्वंस भाई उसी वक्त उसके साथ पता नहीं कहा चले गए।
मुझे लगा था वो मेरी शादी पर जरुर आ जाएंगे। लेकिन वो उस दिन भी नहीं आए,, मैं अपनी शादी के बाद उनकी उसी जगह देर रात तक राह देखता रहा जहा से वो गायब हुए थें,, लेकिन वो नहीं आए,,
जब मेरी उम्मीद की किरणें धुंधली पड़ने लगी तो मैंने शराब का सहारा लेना ठिक समझा गम भुलाने के लिए,, और फिर रात को मैं घर आया और अपने रूम में दाखिल हुआ तो उसी वक्त मेरा गुस्सा शौर्या पर उतरा,, और हां उस दिन शौर्या ने कलाई खुद से नहीं काटी थी,, वो मैने जब उसे धक्का मारा तब कट गई थी,, और शौर्या का भी इस पर ध्यान नहीं गया।
जब शौर्या को लेकर मैं उस दिन इतना भागदौड़ कर रहा था और जब उसे डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया तब मुझे रियलाइज हुआ,, मै अयांशा से कभी प्यार करता ही नहीं था।
मै अप्सरा से सच्ची मोहब्बत करता हूं। प्लीज़ तुम मेरी मदद कर दो दिव्या,, प्लीज़,,,
ठिक है,, ठिक है,, लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा??
इक प्यारा भतिजा या प्यारी सी भतिजी,,
हां,, भई! ये भी सही है,, चलो करती हूं कुछ जुगाड़ आपके लिए,,
शुक्रिया मोहतरमा आपका ये एहसान कर दिजिए मै जिंदगी भर नहीं भुलूगा।
किसे?? मेरे एहसान को या फिर शौर्या के प्यार को??
बात तो इक ही है,,,
चलों ठीक है,, अब जल्दी से आ जाओ मेहंदी लग चुकी हैं और संगीत कभी भी शुरू हो सकता है,,
देखना आप,, आपकी बहन आपके लिए क्या क्या करती है,,, बस आपको हर बार तैयार रहना होगा।
बेस्ट ऑफ़ लक भाई,,,
ओके,,, मेरी प्यारी होनहार बहन।
इसके बाद वो वहा से चली जाती है।
दूसरी तरफ़ होल में,,,
वाव सो ब्यूटीफुल यार,, ये डिजाइन मुझे बहुत पसंद आया। अच्छा अरूणा मेडम क्या आप मुझे बता सकती है इस मेहंदी में आपके दुल्हे का नाम कहा लिखा है।
शौर्या अरूणा कि मेहंदी देखते हुए बोली।
वाव सो ब्यूटीफुल यार,, ये डिजाइन मुझे बहुत पसंद आया। अच्छा अरूणा मेडम क्या आप मुझे बता सकती है इस मेहंदी में आपके दुल्हे का नाम कहा लिखा है।
शौर्या अरूणा कि मेहंदी देखते हुए बोली।
पता नही यार,, ये मेहंदी जिसने बनायी है,, उसने कहा कि इसमें आपके दुल्हे का नाम छिपा दिया है मैंने,,
लेकिन उस वक्त मेरा ध्यान नहीं था,, अब मुझे नहीं पता कौनसी डिजाइन में छुपाया है,, तुम ढूंढ लो ना।
अरे,, मैं बताती हूं तुम्हें,, ये देखो हथेली के बीच में जो गणपति बना हुआ है इनके हाथ मैं इक कार्ड जैसा कुछ है,, इस पर देखो ध्यान से इक सर्किल स्टाइल से स्टार्ट होते हुए उसका नाम लिखा है,, ये देखो "अक्षत" है ना।
हां,, शौर्या तुम तो एक्सपर्ट हों,, तुम चुटकियों में ढूंढ लेती हों,, हमेशा,,
उस दिन मुंह दिखाई से पहले जब तुमने विराट के हाथ में लिखा अपना नाम ढूंढने में जरा भी वक्त नहीं लगाया और तुम उससे जीत गयी।
चल छोड़ उस बात को मेरी शादी को तो दूसरा साल होने को है,, वैसे भी तुम तो जानती ही हो,, उस रात कि सारी बात।
हां,, चल अब छोड़ इस बात को देख मेरी मेहंदी सुख चुकी है,, इसे जल्दी से हटा दे,, वरना मेरी ही शादी के संगीत में,, मै ही सबसे भढी लगूंगी।
हां,, रूक मैं चाकू लेकर आती हूं,,
ठिक है,, जल्दी जाओ आप,, पार्लर वाली कभी भी आ सकती है,,
ओके,,
इतना बोलकर शौर्या किचन कि तरफ चली जाती है,, वो जैसे ही चाकू उठाती है,, उसे किचन की बंद विंडो के बाहर होती हलचल दिखाई दी,, तो शौर्या उस विंडो कि तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए,, विंडो को ओपन करने के लिए अपना हाथ बढाती है,, उसने विंडो खोलने के लिए उसके हैंडल पकड़े और वो विंडो को बाहर कि तरफ प्रैशराइज करने वाली ही थी,,
तभी,,
शौर्या,, चाकू ला रही हो या नहीं,, ये आवाज़ तो अरूणा कि है,, ओह नो,,
आ रही हूं,,
इतना बोलते हुए वो किचन से अरूणा की तरफ चली जाती है,,
तो,,
किचन कि खिड़की के बाहर से इक लंबे लंबे नाखूनो वाला हाथ ग्लास पर अपनी हथेली रखकर उसे साफ करते हुए अंदर देखने की कोशिश करता है,,
और फिर वो वहा से सैकड़ों मैं गायब हो जाता है या कही चला जाता है,,
दूसरी तरफ शौर्या अरूणा कि मेहंदी उतार रही थी,, तभी वहां विराट आ जाता है,, वो अरूणा की मेंहदी का बहाना बनाकर शौर्या से बात करने की कोशिश करता है,,
दिखाओ मेहंदी,, ओह ये क्या कर रही है, अरूणा??
दिख नहीं रहा क्या जीजू,, मेहंदी उतार रही है,, आप तो यहा टिपटोप तैयार होकर आए हों,, पर मुझे और शौर्या को तो अभी तैयार होना है।
अब आप जाकर तैयारीयां देख लो,, शौर्या क्या क्या देखेगी,,
हां जी,, जैसा आप कहो साली साहिबा,, वैसे ड्रेस कोड बना लिया है ना,, सबका ड्रेस कोड होगा।
इसका क्या मतलब है,, क्या कहना चाहते हो विराट??
मै तो बस थीम रिपिट करा रहा था,, अरूणा को,,,
ओह, जीजू,, पर थीम डिसाइड तो मैंने ही कि है ना,, ये आप शौर्या को याद दिला रहे हों,, लेकिन शौर्या कि यादाश्त तो कमजोर नहीं है।
कौन था वो जो खिड़की के बाहर था?? जानने के लिए आगे पढ़ें
#जारी......
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