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Hidden love

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🌹deepika07(⁠✷कविता05✷⁠)🌹

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ये कहानी है 90 किलो की भोली भाली प्यारी सी सीधी साधी दीपिका की , जो बिल्कुल मासूम थी जिसे दुनियादारी की कोई खबर ही नहीं थी , लोग उसे उसके वजन को लेकर ताने देते थे , उसे चिढ़ाते थे लेकिन उसे किसी की परवाह नहीं थी , वो तो असल जिंदगी को भी परियों की कहा...

Characters

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Deepika

Heroine

Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. Hidden love - Chapter 1

    Words: 1045

    Estimated Reading Time: 7 min

    A.N girls hostel(Indore)

    एक लड़की अपना बड़ा सा बेग लेकर टैक्सी से बाहर निकली! उसने इस वक्त एक सिंपल सा व्हाइट कलर का फ्रॉक सूट पहना हुआ था बालों की गुंथी हुई चोटी बनाई हुई थी। उसने टैक्सी वाले को पैसे दिए जिसके बाद टैक्सी वाला वहां से चला गया। उस लड़की ने अपने बैग को पकड़ा और चश्मे को ठीक करते हुए ऊपर सर उठाकर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखे हुए हॉस्टल के नाम को देखा , फिर गहरी सांस लेकर वो अपना लगेज खींचते हुए धीरे-धीरे अंदर चली गई।
    अंदर जाकर वो वार्डन से मिली और उन्हें अपना आई कार्ड दिखा कर सारे डॉक्यूमेंट दिखाएं , जिसके बाद वो वार्डन उसे अपने पीछे आने कह कर आगे चली गई , तो वो लड़की उसके पीछे चल पड़ी , कुछ देर बाद दोनों एक कमरे के सामने आकर रुकी ।

    वार्डन उसकी तरफ पलट कर मुस्कुराते हुए उससे बोली !" ये रहा तुम्हारा कमरा! इसमें तुम्हारे साथ दो लड़कियां और हैं इसलिए संभल का रहना किसी से लड़ाई झगड़ा मत करना और हां इस हॉस्टल के अपने कुछ रूल्स है जिन्हें तुम्हें फॉलो करना होगा तभी तुम यहां रह पाओगी। यहां सोना उठना सब टाइम पर करना पड़ता है , सुबह का ब्रेकफास्ट दोपहर का लंच और रात का डिनर सब टाइम पर , अगर थोड़ी भी लेट हुई तो खाना नहीं मिलेगा और हां अगर तुम कहीं बाहर रहो तो भी तुम्हें 7:00 बजे से पहले हॉस्टल आना होगा यहां शाम 7:00 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर निकलना अलाउड नहीं है , उस लड़की ने हां में सर हिला दिया , तो वार्डन ने उसे देख मुस्कुरा कर उसका कंधा थपथपाते हुए उससे बोली!'' ठीक है अब तुम अंदर जाओ बाकी बातें हम कल करेंगे , जो थोड़ा बहुत कुछ रह गया है समझने समझाने के लिए वो मैं तुम्हें कल समझा दूंगी , अभी तुम आराम करो और अपना सामान जमाओ , थोड़े टाइम बाद डिनर का वक्त हो जाएगा तो टाइम से मैस चली जाना।

    उस लड़की ने फिर से अपना सर हां मैं हिलाया! तो वो वार्डन वहां से जाने लगी , पर फिर एक पल के लिए वो रुकी और पलट कर उस लड़की से बोली!" वैसे नाम क्या बताया तुमने अपना ?
    तो उस लड़की ने अपना चश्मा ठीक करते हुए वार्डन की तरफ देखा फिर धीमी आवाज में उससे बोली !" जी दीपिका।
    तो वार्डन ने अपना सर हां मैं हिलाया और उससे बोली !"ओके दीपिका मेरा नाम शिल्पी है आगे तुम्हें अगर कोई प्रॉब्लम हो तो तुम मुझसे कह सकती हो एंड गुड लक फॉर योर न्यू लाइफ अच्छे से रहना अच्छे से पढ़ाई करना और अपने मां पापा का नाम रोशन करना।
    तो दीपिका हल्का सा मुस्कुरा दी , जिसके बाद वार्डन वहां से चली गई।

    दीपिका ने एक गहरी सांस ली और फिर उसने धीरे से कमरे का दरवाजा नाॅक किया , तो अंदर से कोई जवाब नहीं आया ना ही किसी ने दरवाजा खोला , ये देख उसने धीरे से दरवाजे को धक्का दिया , तो दरवाजा खुल गया। जिससे दीपिका को थोड़ी हैरानी हुई लेकिन फिर वो कमरे के अंदर चली आई , अंदर कोई भी नहीं था। उसने पूरे कमरे को ध्यान से देखा , वहां तीन बेड लगे हुए थे और तीनों बेड के बगल एक छोटी टेबल लगी हुई थी , वहीं बेड के सामने ही दूसरी तरफ तीन अलमारी लगी हुई थी , कमरे के दाएं साइड वाली तरफ एक स्टडी टेबल लगी हुई थी। जिससे थोड़ी दूरी पर बाथरूम था , वही बाएं तरफ दो स्टडी टेबल लगी हुई थी , दीपिका ने बेड की तरफ देखा तो दाएं तरफ और बीच वाले बेड पर सामान रखा हुआ था , साथ ही उन पर कुछ कपड़े भी फैले हुए थे। ये देख दीपिका समझ गई कि वो दो बेड पहले से ही उन दोनों लड़कियों के हैं , जो इस कमरे में पहले से रह रही हैं , दीपिका ने फिर बाएं तरफ वाले बेड की तरफ अपने कदम बढ़ाए और बेड के पास पहुंच गई , उसका बेड कमरे के बिल्कुल कॉर्नर में था इसलिए उसके बेड के पास खिड़की भी थी , जहां उसकी स्टडी टेबल अरेंज थी , उसके बगल में ही थोड़ी दूरी पर दूसरी स्टडी टेबल थी , जिस पर पहले से बुक्स के साथ कुछ सामान रखा हुआ था। ये देख दीपिका ने अपने हैंडबैग को खिड़की वाली स्टडी टेबल पर रख दिया और फिर अपने लगेज को बेड पर रखकर खिड़की के पास जाकर खिड़की खोल दी , जिससे ताजी हवा अंदर आने लगी। दीपिका बाहर का नजारा देखने लगी , बाहर चारों तरफ हरियाली थी क्योंकि नीचे उनके हॉस्टल का गार्डन था एक तरफ फाउंटेन बना हुआ था , जिससे पानी बह रहा था और उसकी आवाज उसके कानों तक साफ साफ आ रही थी। दीपिका के होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई , तभी उसकी नजर सामने वाली बिल्डिंग पर गई , तो वो उसे देखने लगी उस बिल्डिंग के नीचे भी गार्डन था जिसमें कुछ लड़के फुटबॉल खेल रहे थे ये देख दीपिका समझ गई कि वो बॉयज हॉस्टल है दरअसल ये एक ही हॉस्टल था जिसमें दो अपार्टमेंट थे जो की आमने-सामने थे जिसमें से एक को गर्ल्स के लिए तो एक को बॉयज के लिए प्रोवाइड किया गया था दोनों हॉस्टल का गार्डन एक ही था बस बीच में से एक दीवार लगा दी गई थी ताकि कोई भी लड़का लड़की इधर-उधर एक दूसरे के हॉस्टल ना आ पाए , दीपिका अभी सुकून से खड़ी ही थी की तभी उसके कानों में किसी के हंसने की आवाज आई , उसने नजर घुमा कर नीचे गार्डन की तरफ देखा तो जो लड़के अभी थोड़ी देर पहले फुटबॉल खेल रहे थे , वो अब उसको देखकर एक दूसरे से कुछ कहते हुए हंस रहे थे। ये देख दीपिका असहज हो गई एक बार फिर से उसकी मुस्कान गायब हो गई और उसके चेहरे पर मायूसी उभर आई , हमेशा से यही होता था जहां वो जाती थी वहां लोग उस पर उसके वजन को लेकर हंसते जरूर थे , जिससे कभी-कभी जो कॉन्फिडेंस उसे खुद पर महसूस होता था वो भी डगमगा जाता था , वो खिड़की पर से हट गई और बेड पर आकर बैठ गई ।

    ______________________


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  • 2. Hidden love - Chapter 2

    Words: 1225

    Estimated Reading Time: 8 min

    थोड़ी देर बैठकर दीपिका उठकर खड़ी हुई और फिर अपना लगेज खोलकर सामान बाहर निकालने लगी , उसने एक अलमारी में जो की अनलॉक थी उसमें अपने कपड़े और जरूरी सामान जमाना शुरू कर दिया अपनी बुक्स को स्टडी टेबल पर लगा दिया और लगेज को बंद करके ऊपर अलमीरा पर रख दिया। उसके बाद अपने हाथ झाड़ते हुए वापस बेड पर बैठ गई और सुस्ताने लगी। तभी उसका फोन रिंग करने लगा जिस पर वो चिढ़ते हुए उठकर खड़ी हुई और अपने पर्स से फोन को निकाला तो देखा उसकी मां का कॉल था।

    ये देख उसके होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई उसने कॉल रिसीव किया तो उधर से उनकी गुस्से भरी आवाज आई!" दीपिका फोन क्यों नहीं उठा रही थी तू , कब से फोन कर रही हूं तुझे तुझे पता है मैं कितना डर गई थी , तेरे फोन रिसीव न करने से मेरा दिल कितना घबरा रहा था , ऐसी लापरवाही कोई करता है भला ?

    तो दीपिका वापस बेड पर बैठ गई और उन्हें शांत करवाते हुए बोली!" रिलेक्स मां मैं ठीक हूं आप क्यों इतना परेशान हो रही हो , थोड़ा कम गुस्सा करो।

    तो मां उसको डांटते हुए बोली!" चुप कर अगर आगे से ऐसी लापरवाही की ना तूने तो ध्यान रखना जैसे तुझे भेजा है ना मैंने वैसे ही वापस बुला लूंगी फिर होती रहेगी तेरी पढ़ाई मैंने तुझे तेरी जिद पर वहां पढ़ने भेजा है , तो इसका मतलब ये नहीं कि तू अपनी मनमानी करेगी आगे से अगर टाइम पर मेरा कॉल रिसीव नहीं किया , तो 2 मिनट नहीं लगेंगे मुझे तुझे वापस यहां लाने में।

    तो दीपिका अपनी मां को समझाते हुए बोली!" ओके ओके मां अब शांत हो जाओ मैं आगे से आपका फोन टाइम पर रिसीव करूंगी , अभी मैं सामान को अलमारी में शिफ्ट कर रही थी और फोन साइलेंट था बैग के अंदर था इसलिए पता ही नहीं चला आपकी कॉल के बारे में , आगे से ध्यान रखूंगी प्लीज आप गुस्सा मत करो ।

    तो उसकी मां अब जाकर शांत हुई और उससे बोली!" हां ठीक है वैसे तू ठीक से पहुंच तो गई ना तुझे कोई परेशानी तो नहीं हुई ?
    तो दीपिका हंसते हुए उनसे बोली !'' नहीं मां मैं बिल्कुल ठीक हूं मुझे यहां आने में कोई परेशानी नहीं हुई आप बेवजह परेशान हो रही हो।

    उसकी मां कुछ पल के लिए खामोश हो गई और फिर उससे बोली!'' दीपिका तू ठीक तो है ना बेटा क्या तेरा हमसे दूर रहना जरूरी है पढ़ाई तो तू यहां भी कर सकती है फिर वहां हमसे इतनी दूर रहकर पढ़ने का क्या मतलब ?

    तो दीपिका कुछ पल के लिए खामोश हो गई और फिर उनसे बोली!'' मां जो कुछ वहां हुआ उसके बाद वहां रहना मुश्किल था मेरे लिए और वहां रहकर उन यादों को भूलना भी , इसीलिए मैंने यहां आने का फैसला लिया आप बस अब मेरे इस फैसले में मेरा साथ दो , मेरी फिक्र मत करो मैं यहां बिल्कुल ठीक रहूंगी , आप बस अपना और पापा का ख्याल रखना , तो उसकी मां ने हां मैं सर हिला दिया फिर उससे बोली!'' ह्मम ठीक है तू भी अपना ख्याल रखना वैसे मुझे तुझे कुछ बताना है , इतना कह कर खामोश हो गई।

    हां तो मां कहो ना आप कब से कुछ कहने के लिए इतना सोचने लगी , दीपिका ने उन्हें अपनी बात रखने को कहा।
    तो उसकी मां ने गहरी सांस ली फिर उससे बोली !"वो विवेक आया था घर पर तुझसे मिलने , तू नहीं मिली तो तेरे बारे में पूछ रहा था पर हमने उसे कुछ नहीं बताया ।

    अपनी मां की बात सुनकर दीपिका के जहन में उसके बीते डेढ़ साल की पिछली यादें ताजा हो गई जिससे उसकी आंखें नम हो गई , उसने एक पल के लिए अपनी आंखें बंद कर अपने जज्बातों को काबू किया और अपनी मां से बोली!'' विवेक मुझसे मिलने आए या ना आए अब इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता मां , क्योंकि अब सच हम सबके सामने हैं अगली बार वो मेरे बारे में पूछे तो उसे कह दीजिएगा कि मैंने सब कुछ खत्म कर दिया है , अब मेरी तरफ से वो बिल्कुल फ्री है अब वो चाहे तो पूर्णिमा के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ा सकता है मैं उन दोनों के बीच कभी नहीं आऊंगी .. ‌ अच्छा मां मेरे डिनर का वक्त हो गया है अगर टाइम पर नहीं गई तो कैंटीन में खाना खत्म हो जाएगा इसीलिए मैं रखती हूं बाद में आपसे बात करूंगी , इतना कह कर बिना अपनी मां की बात सुने फोन कट कर दिया और अपने मुंह पर हाथ रखकर आवाज दबाते हुए रोने लगी अपनी मां से बात करते हुए विवेक का जिक्र होते ही उसका दिल भर आया था , उसने जैसे तैसे करके अपनी मां से बातें की थी ताकि उन्हें उसके रोने के बारे में पता ना चले लेकिन जब वो खुद पर और काबू नहीं रख पाई तो उसने जल्दी से कॉल कट कर दिया ताकि उसकी मां उसकी सिसकी ना सुन ले , अभी वो रो रही थी की तभी उसने अपने कमरे का डोर ओपन होने की आवाज सुनी , उसने जल्दी से अपने आंसू पोंछ लिए और अपने दुपट्टे से चेहरे को साफ कर दरवाजे की तरफ देखने लगी ।

    सच में यार आज तो मजा आ गया उस बंदर को क्या सबक सिखाया ना हमने बड़ा तीस मार खां बन रहा था आज सारी हेकड़ी निकाल दी उसकी ... कहते हुए दो लड़कियां अपने हाथ में शॉपिंग बैग लिए हुए अंदर आई और जैसे ही उनकी नजर सामने दीपिका पर गई तो दोनों खामोश हो गई और दीपिका को देखने लगी।

    वहीं दीपिका भी उन दोनों को देख रही थी वो दोनों देखने में बहुत खूबसूरत थी दीपिका और उन दोनों में जमीन आसमान का फर्क था , यही वजह थी कि दीपिका उन दोनों की नजरों से असहज हो गई क्योंकि उसे उन दोनों की नज़रें अपना मजाक उड़ाती महसूस हो रही थी !

    क्या तुम हमारी वही रूममेट हो जिसके बारे में वार्डन ने हमें अभी नीचे बताया था। कहते हुए एक लड़की दीपिका के पास आकर खड़ी हो गई। उसके पीछे ही दूसरी वाली भी शॉपिंग बैग को बेड पर रखकर दीपिका और इस लड़की के पास आ गई ।
    तो दीपिका ने हां में सर हिलाया और उनसे बोली!'' हां ।

    तो वो लड़की मुस्कुरा दी और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उससे बोली!'' हाय मैं दिव्या तुमसे मिलकर अच्छा लगा

    तो दीपिका हल्का सा मुस्कुरा दी और उससे हाथ मिलाते हुए बोली!'' मैं दीपिका।

    तो दूसरी लड़की भी अपना हाथ आगे करके उससे बोली!" मैं विनीता वैसे दीपिका तुम हॉस्टल इतनी लेट क्यों आई ।

    तो दीपिका मुस्कुरा कर उनसे बोली!" वो हॉस्टल की फॉर्मेलिटी पूरी नहीं हुई थी मेरे कुछ डॉक्यूमेंट अधूरे थे इस वजह से थोड़ा टाइम लग गया ।

    तो विनीता और दिव्या मुस्कुरा दी। फिर दिव्या दीपिका से बोली!" दीपिका तुम हमारी रूममेट हो तो हमारी बातें तो होती रहेगी , ऐसा करते हैं पहले चलकर डिनर कर लेते हैं , कैंटीन खुलने ही वाला है अगर जल्दी नहीं गए तो फिर हमें लाइन में लगकर खाना लेना पड़ेगा , बात तो बाद में होती रहेगी। तो दीपिका ने हां में सर हिला दिया इसके बाद तीनों रूम से बाहर निकल गए।


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  • 3. Hidden love - Chapter 3

    Words: 1346

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब तक आपने पढ़ा -
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    दीपिका की बात सुनकर विनीता और दिव्या मुस्कुरा दी। फिर दिव्या दीपिका से बोली!" दीपिका तुम हमारी रूममेट हो तो हमारी बातें तो होती रहेगी , ऐसा करते हैं पहले चलकर डिनर कर लेते हैं , कैंटीन खुलने ही वाला है अगर जल्दी नहीं गए तो फिर हमें लाइन में लगकर खाना लेना पड़ेगा , बात तो बाद में होती रहेगी। तो दीपिका ने हां में सर हिला दिया इसके बाद तीनों रूम से बाहर निकल गए।

    अब आगे -
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    दीपिका दिव्या और विनीता के साथ यूनिवर्सिटी के कैंटीन में चली आई , जहां तीनों ने प्लेट लेकर अपने-अपने लिए खाना लिया और फिर एक टेबल पर बैठ गई ।

    धीरे-धीरे वहां पर और भी डिपार्टमेंट के स्टूडेंट आना शुरू हो गए भीड़ बढ़ गई थी , अब लोग लाइन में लगकर खाना ले रहे थे। वहीं दीपिका विनीता और दिव्या के साथ खाना खा रही थी , उसके पीछे ही एक और ग्रुप बैठकर अपना खाना खा रहा था जो खाते हुए उसे देख मुस्कुराकर कुछ ना कुछ बातें कर रहा था , जिसका एहसास दीपिका को हो गया था।

    तभी विनीता खाते हुए दिव्या से बोली!" यार दिवू मेरे लिए एक रोटी ले आना , मुझे बहुत थकावट हो रही है , चला भी नहीं जा रहा , ऐसा मन कर रहा है अभी रूम में जाकर सो जाऊ।

    तो दिव्या चिड़ते हुए उससे बोली!'' यार वीनी तेरे साथ मैंने भी तो शॉपिंग की है , मैं भी तो थक गई हूं तू खुद लेआ जा कर , मैं नहीं जा रही मैंने तुझसे पहले ही कहा था दो रोटी ज्यादा ले ले पर नहीं तू सुनती कहां है मेरी ।

    तो विनीता मासूम सा मुंह बनाते हुए उससे बोली!" प्लीज ना दीवू ।

    मैंने कहा ना नहीं,,,, दिव्या चिड़ते हुए इतना ही कह पाई , कि तभी दीपिका उन दोनों में होती बहस को रोकते हुए उनसे बोली !'' आप दोनों लड़ो मत प्लीज मैं आपके लिए रोटी ले आती हूं ।

    तो दिव्या विनीता ने उसे देखा और वो दोनों खुश हो गई विनीता दीपिका का हाथ पकड़ कर खुशी से मुस्कुराते हुए बोली!'' सच्ची तुम लाओगी ?

    तो दीपिका हल्के से मुस्कुराते हुए बोली!'' हां मैं ले आऊंगी।
    तो विनीता मुस्कुराते हुए बोली!'' थैंक यू यार तुम बहुत अच्छी हो ।

    अरे इसमें थैंक यू कहने की कोई बात नहीं है दीपिका हल्के से मुस्कुराते हुए बोली , तभी दिव्या भी उस की हां में हां मिलाते हुए उससे बोली !''नहीं दीपिका विनीता सही कह रही है , तुम सच में बहुत अच्छी हो जो इस भुक्कड़ के लिए रोटी लेने जा रही हो , वरना ये मुझे परेशान करती रहती।

    तो दीपिका मुस्कुरा दी और वहां से उठकर विनीता के लिए रोटी लेने चली गई , उसने अपनी प्लेट में तीन रोटी रख ली और फिर थोड़ी सी सब्जी लेने लगी , तभी उसके साइड ही उसकी बगल वाली टेबल पर बैठे ग्रुप में से एक लड़की भी वहां आ गई , जब उसने दीपिका की प्लेट में तीन रोटी देखी तो वो हंसने लगी , उसने थोड़े से चावल लिए और अपनी टेबल पर वापस आ गई।

    वहीं दीपिका भी अपनी टेबल पर आकर अपनी जगह बैठ गई , फिर उसने एक एक रोटी दिव्या विनीता को दे दी। ये देख दिव्या भी मुस्कुरा उठी , उसने दीपिका को थैंक यू कहा दीपिका मुस्कुरा दी और फिर वापस से अपना खाना खाने लगी उसने जैसे ही रोटी का एक निवाला तोड़ा और उसे खाने को हुई कि तभी उसे अपने पीछे वाली टेबल से एक तेज आवाज सुनाई दी , ये आवाज उसी लड़की की थी जो अभी दीपिका के पीछे अपने लिए खाना लेने गई थी।

    वो दीपिका का मजाक उड़ाते हुए तेज आवाज में अपनी दोस्त से बोली!'' सीमा थोड़ा कम खाया कर , तू पहले से ही खा खा कर मोटी भैंस हो रखी है अब अगर इतना खाना खाएगी तो किसी दिन फट जाएगी, पता नहीं आजकल लोगों को हो क्या गया है सिर्फ खाने पर ही टूट पड़े हैं जैसे कभी मिला ही ना हो , फिटनेस , फिगर मेंटेनेंस पर तो कोई ध्यान ही नहीं है।

    उसकी इस बात को सुनकर दीपिका का हाथ उसके मुंह के पास जाकर रुक गया , वही उस लड़की ने ये बात तेज बोली थी , जो दिव्या विनीता और ओर पास बैठे लोगों को भी सुनाई पड़ी थी , तो वो लोग हंस गए थे और कुछ लोगों की नजरे दीपिका की तरफ भी उठ गई थी क्योंकि उस लड़की ने ये बात जिस सीमा नाम की लड़की को कही थी , वो दुबली पतली थी , वही उस लड़की के ग्रुप के सब लोग दीपिका को तिरछी नजरों से देखते हुए हंसने लगे , जिससे दीपिका असहज हो गई और उसने अपना चेहरा झुका लिया जिससे उसकी आंखों की नमी कोई देख ना पाए ।

    वही ये बात सुनकर दिव्या विनीता को बहुत गुस्सा आया उन्होंने दीपिका को देखा जो खामोश सर झुका कर बैठी थी , ये देख विनीता खामोश रह गई , पर दिव्या अपने गुस्से को काबू नहीं रख पाई वो गुस्से में उठकर खड़ी हुई और उस लड़की के टेबल के पास पहुंच गई , फिर उस लड़की को देखते हुए गुस्से में बोली !"रिया ये कैंटीन क्या तुम्हारे पापा का है जो यहां लोगों को खाना खाते देख तुम्हारे पेट में दर्द हो रहा है ।

    विनीता भी दिव्या को इतनी गुस्से में देख उसके पीछे आई थी , दीपिका भी हैरानी से उठकर खड़ी हो गई थी और अपनी जगह पर खड़े विनीता और दिव्या को देख रही थी।

    तो रिया उठकर खड़ी हो गई वो पहले से ही दिव्या से चिढ़ती थी वो दिव्या को देख गुस्से में बोली!"" क्या मतलब है तुम्हारे कहने का ?
    तो दिव्या उसी तरह गुस्से में उससे बोली !"यही तो मैं जानना चाहती हूं अभी जो कुछ तुमने कहा उसे कहने के पीछे तुम्हारा मतलब क्या था ? , तुम्हें लोगों की खिल्ली उड़ाकर चुगलखोर आंटी बनने में इतना मजा क्यों आता है ?

    तो रिया गुस्से में उससे बोली !''दिव्या ये क्या बकवास कर रही हो तुम , फालतू की बातें मत करो मैं यहां अपने दोस्तों के साथ उनसे मजाक कर रही हूं तो तुम्हें इतनी मिर्ची क्यों लग रही है , अब क्या तुम्हारे पीछे मैं अपने दोस्तों से भी बात ना करूं ।

    तभी दीपिका दिव्या के पास आकर उसका हाथ पकड़ते हुए उससे बोली!'' रहने दो ना दिव्या जाने दो चलो हम अपने रूम में चलते हैं। फालतू में क्यों बहस करनी ?

    तो दिव्या दीपिका से अपना हाथ छुड़ाकर रिया को घूरते हुए बोली!'' क्योंकि कुछ फालतू के लोगों को फालतू की बातें करना पसंद है इसीलिए कभी-कभी फालतू की बहस करना भी जरूरी होता है और तुम तो चुप ही रहो तुमसे तो मैं बाद में बात करूंगी , अपने लिए तो स्टैंड लिया नहीं गया और अब जब मैं ले रही हूं तो मुझे भी रोक रही हो ।

    इतना कहकर वापस रिया के करीब आकर गुस्से में उस पर चिल्लाते हुए बोली !"क्या कहा तुमने दोस्तों से मजाक कर रही थी , दोस्तों के साथ मजाक करना अलग बात है और किसी का मजाक बनाना अलग , तुम्हें क्या मैं बेवकूफ दिखती हूं क्या मैं समझता नहीं , कि तुम्हारे बातों का क्या मतलब था , तुम अपनी बातों से सीमा को ढाल बनाकर दीपिका का मजाक उड़ा रही थी , क्या मैं ये बात समझ नहीं पाऊंगी (उसे उंगली दिखाते हुए) मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो , इस यूनिवर्सिटी में किसी को बुली करना , किसी का मजाक उड़ाना , रैगिंग करना बिल्कुल भी अलाउड नहीं है , इन सब के बाद भी अगर तुमने दोबारा से दीपिका का या किसी और का मजाक बनाया , तो मैं तुम्हारी कंप्लेंट डीन सर से नहीं बल्कि वी सी मैडम से करूंगी , समझी तुम इसलिए आइंदा मेरे दोस्तों से तो तुम दूर ही रहना ।
    दिव्या की धमकी से उसकी बात सुनकर रिया डर गई।


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  • 4. Hidden love - Chapter 4

    Words: 1420

    Estimated Reading Time: 9 min

    दिव्या की धमकी से रिया डर गई वो दिव्या से कुछ कहने को हुई , कि तभी एक आवाज से सभी लोग सीधे खड़े हो गए और दूसरी तरफ देखने लगे जहां से आवाज आई थी।


    क्या हो रहा है यहां ? क्यों झगड़ा कर रहे हो तुम लोग ? कहते हुए वहां एक लड़का आया जो कि उनका सीनियर था ये आदित्य था , जो इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से बिलॉन्ग करता था , उसने बारी -बारी से रिया , उसके ग्रुप को , दिव्या विनीता को देखा , फिर उसकी नजरें दीपिका पर गई।

    तभी दिव्या आगे बढ़कर उससे बोली!'' आदि सर ये रिया हमें परेशान कर रही है हम लोग यहां खाना खा रहे थे , तो इसने जानबूझकर कुछ ऐसी बातें कहीं जिससे मेरी फ्रेंड को हर्ट हुआ , इसने जानबूझकर उस पर उसके वेट को लेकर कमेंट किया और उसे बुली करने की कोशिश की , बस इन्हीं बातों को लेकर मेरी इससे बहस हो गई ।

    दिव्या की बात सुनकर आदित्य ने घूर कर रिया को देखा जिससे रिया की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई , तभी आदि उसको देखते हुए उससे बोला !" तुमसे तो मैं बाद में बात करूंगा फिर (दिव्या की तरफ देखते हुए) इसने जो कुछ किया उसके लिए मैं तुमसे माफी मांगता हूं , आगे से ये ऐसा कुछ नहीं करेगी , तुम शांत रहो (फिर दीपिका की तरफ देखकर) इसकी वजह से आपको जो परेशानी हुई उसके लिए एम सॉरी आप जाइए यहां से मैं इसे समझा दूंगा आगे से ये आपसे नहीं उलझेगी ।

    दीपिका ने हां में सर हिला दिया , दिव्या वापस कुछ कहने को हुई कि तभी विनीता और दीपिका खींचते हुए उसे वहां से ले गई , आदित्य भी रिया को घूर कर वहां से जाने लगा .. कि तभी रिया उसके सामने आते हुए उससे माफी मांगते हुए बोली!'' सॉरी आदित्य सर वो....

    तो आदित्य ने घूर कर उसे देखा.... जिससे वो चुप हो गई आदित्य उस पर गुस्सा करते हुए उससे बोला!'' तुमसे तो अब वही बात करेगा , आने दो उसे एक बार , तब तुम्हारी एक एक हरकत मैं उसे बताऊंगा , बीते कुछ दिनों में तुमने जो लोगों को परेशान किया है ना सब कुछ , मैंने मना किया था उससे कि तुम्हारे जैसी लड़की को हमारे ग्रुप में शामिल न करें , पर कोई बात नहीं जैसे उसने तुम्हें इस ग्रुप में शामिल किया अब उसी तरह वो तुम्हें इससे निकालेगा , तभी मेरे कलेजे को ठंडक मिलेगी , इतना कहकर गुस्से में वहां से चला गया , वही रिया गुस्से में अपने पैर पटकते रह गई।

    विनीता दीपिका दिव्या को लेकर अपने रूम में आ गई , दिव्या अभी भी गुस्से में थी , वो गुस्से में जाकर अपने बेड पर बैठ गई , तो विनीता ने अपनी पलके झपका कर दीपिका को शांत रहने का इशारा किया और फिर दिव्या के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उससे बोली !"शांत हो जा यार , क्यों इतना गुस्सा कर रही है जो होना था वो तो हो गया ना , तूने रिया को सबक भी सिखा दिया तो अब शांत हो जा , देख तेरी वजह से दीपिका भी परेशान है ।

    तो दिव्या गुस्से में दीपिका को घूरते हुए बोली!'' मैं इस दीपिका पर गुस्सा इसलिए हूं क्योंकि ये उस वक्त बुत बनी खड़ी हुई थी और चुपचाप उन लोगों की बकवास सुन रही थी , इसने उन लोगों को जवाब क्यों नहीं दिया , वो रिया कितनी बकवास कर रही थी और उसने उसे कुछ कहा भी नहीं , (फिर दीपिका से) तुम एक बात सुन लो दीपिका अगर तुम्हें मेरे साथ इस कमरे में रहना है तो तुम्हें लोगों को जवाब देना भी सीखना होगा , मुझे वो लोग बिल्कुल पसंद नहीं जो दूसरों के सामने भीगी बिल्ली बनकर रहते हैं और चुपचाप अपनी इंसल्ट सुनते रहते हैं , अगर तुम इसी तरह की हो तो बेहतर होगा कि तुम मेरे साथ ना रहो , क्योंकि मैं तुमसे बिल्कुल ऑपोजिट हूं कोई अगर मुझे कुछ कहता है तो मैं उसका मुंह तोड़ने में बिल्कुल देर नहीं करती ।


    तो विनीता उसे समझाते हुए !" शांत हो जा दिव्या यार वो आज ही तो नई आई है यहां पर , तो नहीं समझ आया होगा उसे कुछ , उसे क्या पता कौन कैसा है कौन अच्छा है , और शुरुआत में डर भी तो रहता है ना किसी से पंगा लेने में अब हर कोई तुम्हारी तरह गदाधारी भीम थोड़ी है जो हर किसी से भीड़ जाए।

    उसकी बात सुनकर दिव्या ने गुस्से से अपना मुंह फेर लिया। विनीता उसका कंधा सहलाते हुए उसे शांत करने लगी , वहीं दीपिका खड़ी हुई उन दोनों को देख रही थी।

    अचानक उसकी आंखों में चमक आई , वो जल्दी से मुस्कुराते हुए अपने अलमारी के पास गई और उसमें से एक स्टील का डब्बा निकाल लिया , फिर उसे लेकर वीनीता और दिव्या के पास आई , उसने डब्बा खोलकर दिव्या के सामने कर दिया जैसे ही डब्बे के अंदर रखे हुए लड्डू की खुशबू दिव्या की नाक में गई , तो उसने तुरंत पलट कर दीपिका को देखा जो मुस्कुरा कर उसे देख रही थी।

    तभी दीपिका एक लड्डू उठाकर उसकी तरफ बढ़ाते हुए उससे बोली!" ये लो मेरी मां के हाथ के बेसन के लड्डू , बहुत टेस्टी हैं! इसे खाओगी तो तुम्हारा गुस्सा पल भर में दूर हो जाएगा!


    दिव्या ने पहले उसे देखा फिर उसके हाथ से लड्डू ले लिया और उसे खाने लगी , ये देख विनीता ललचाई हुई नजरों से डब्बे की तरफ देखते हुए दीपिका से बोली !"दीपिका लड्डू सिर्फ दिव्या के लिए है मेरे लिए नहीं ‌?

    तो दीपिका उसकी तरफ डब्बा बढ़ाते हुए!"" अरे नहीं नहीं तुम भी लो ना।
    तो विनीता ने जल्दी से उसमें से दो लड्डू ले लिए और वो भी खाने लगी , तभी दीपिका धीरे से दिव्या के सामने बैठ गई और धीमी आवाज में दिव्या से बोली!" मैं जिस मौहल में पली बड़ी हूं वहां पर सभी ने मुझे बातों को इग्नोर करना ही सिखाया है और जो कुछ आज उन लोगों ने कहा इन बातों को मैंने बचपन से ही सुना है , हमेशा से लोगों को खुद के ऊपर कमेंट करते हुए ही पाया है दुख होता है लेकिन मम्मी कहती है कि भाड़ में जाने दो लोगों को , बकने वाले तो बकते रहते हैं उनमें तमीज नहीं होती , हम क्यों उनसे फालतू में बहस करें , कुछ दिन मुंह चलाएंगे और फिर खामोश हो जाएंगे , इसीलिए फिर मैं भी चुप रह जाती हूं।

    तो दिव्या उसकी तरफ देखते हुए उससे बोली!'' तो क्या तुम हमेशा से ऐसे ही सबकी बदतमीजी बर्दाश्त करती आई हो किसी को जवाब नहीं देती ?

    तो दीपिका खामोश हो गई , उसने अपना सर झुका लिया और धीमे से बोली!"" मुझे जवाब देना नहीं आता , बस लोगों को इग्नोर करना आता है।

    उसकी बात पर दिव्या सर हिलाते हुए उससे बोली!" फिर तो भाई तुम्हारी और मेरी बहुत कम ही बनने वाली है।

    तो विनीता लपक कर उन दोनों से बोली!" अरे ऐसा नहीं होगा , पहले दीपिका अपने घर पर थी वहां उससे जो कहा गया उसने वो सुना और सीखा , लेकिन यहां वो हमारे साथ रहेगी और हमारे साथ रहते रहते वो हमारी जैसी बन ही जाएगी , देखना बहुत जल्दी ये भी तेरी तरह लोगों को जवाब देना सीख जाएगी और नहीं भी सीखी , तो तू है ना इसकी जगह पर लोगों की बैंड बजाने के लिए।

    तो दीपिका मुस्कुरा दी वो लड्डू का डब्बा लेकर जाने लगी तो तभी डब्बा दिव्या ने पकड़ लिया और उससे बोली!" अरे यार एक लड्डू और लेने दे बहुत अच्छे हैं वैसे भी अब हम दोस्त हैं तो क्या तुम्हारा और क्या मेरा मिल बाट कर खाएंगे ना , इतना कह कर एक लड्डू और ले लिया।

    तभी विनीता एक और लड्डू लेने को हुई कि दीपिका ने उसके हाथ पर चपत लगा दी और उससे बोली !''तुम नहीं तुमने पहले से ही दो ले लिए हैं अब और मत लो अब और कल लेना , वरना ये जल्दी खत्म हो जाएंगे और मम्मी ने कहा था , कि कम से कम इन्हें एक महीने चलाऊ और किसी को ना दूं , लेकिन तुम लोग दोस्त हो तो ऐसे अच्छा नहीं लगता अकेले खाना , इसीलिए शेयर किया। इतना कहकर डब्बा लेकर वापस अलमारी में रख आई और बाथरूम में चली गई ।

    थोड़ी देर बाद वो वापस आई और फिर तीनों ने कुछ बातें की और अपनी-अपनी जगह पर सो गई।

    _________________

    कहानी जारी है दोस्तों अपनी रेटिंग कमेंट जरुर दें और मुझे फॉलो करके सपोर्ट करें🙏🙏🙂🙂

  • 5. Hidden love मिलिए अनय सिंह ठाकुर उर्फ 'ठाकुर' से - Chapter 5

    Words: 1381

    Estimated Reading Time: 9 min

    दूसरी तरफ इंदौर की सड़कों पर एक ब्लैक कलर की थार तेज रफ्तार से दौड़ रही थी , उसमें बैठा शख्स तेज आवाज में रॉक सॉन्ग एंजॉय करते हुए ड्राइव कर रहा था उसका शरीर सुडौल और गठिला था। बाजूओ के मसल्स उभरे हुए थे मानो जैसे बंदा जिम ट्रेनर हो उसकी हेयर स्टाइल तेरे नाम वाले सलमान खान के जैसी थी , फिलहाल उसने सदा सी व्हाइट शर्ट और ब्लैक जींस पहन रखी थी जिसमें वो कयामत ढा रहा था , सच मानो तो बंदा इतना हैंडसम था कि कोई भी लड़की एक नजर उसे देखते ही उस पर फ़िदा हो जाए ।

    तभी उसके बगल में बैठा शख्स जो की पैसेंजर सीट पर बैठा था और किसी को लगातार मैसेज कर रहा था , वो अपनी फोन स्क्रीन को देखते हुए ड्राइविंग कर रहे लड़के से बोला !''ओये ठाकुर लगता है कॉलेज में कुछ पंगा हुआ है, आदित्य ने तुझे काफी सारे मैसेज किए हैं और सब मैसेज में रिया की शिकायत भरी पड़ी है ।

    जी हां ये है '' अनय सिंह ठाकुर ''उर्फ ठाकुर ' 'मतलब पूरे कॉलेज में ये ठाकुर नाम से ही मशहूर है हालांकि इनके जूनियर इन्हें रिस्पेक्ट देने की वजह से अनय सर कह कर बुलाते हैं , लेकिन इनके क्लासमेट इनके दोस्त और इनके भाई बंधु सब लोग इन्हें ओये ठाकुर " ए ठाकुर ''कह कर बुलाते हैं आखिर अपने घर में सबसे छोटे बेटे जो है और दोस्तों मैं तो फॉर्मेलिटी की जगह लात घूसों से बात होती है तो उनकी तो बात ही अलग है , वैसे तो ठाकुरों में पैदा होने की वजह से इनका सरनेम ठाकुर है लेकिन इनकी पर्सनैलिटी और लुक्स की वजह से लोगों ने इनका निक नेम भी ठाकुर रख दिया , बंदे के नेचर की बात करें तो वो बिल्कुल अपने नाम की तरह ही है , बिल्कुल यूनिक सबसे अलग ... इन्हें कब किन बातों पर गुस्सा आ जाए और किन बातों पर प्यार आ जाए ये खुद इनके सिवा कोई नहीं बता सकता , बिल्कुल मिस्टीरियस पर्सनालिटी के हैं अपने अनय ठाकुर ! इनके मन में कब क्या चल रहा है , ये इनके सिवा किसी और को पता चल जाए तो वो बंदा लोगों को समझने में पीएचडी कर ले , हरकतें तो ऐसी है कि लोग सर पकड़ कर रोने पर मजबूर हो जाए , इनके रुतबे और नाम के आगे सब लोग खामोश रह जाते हैं , दोस्तों और परिवार के लिए तो इनकी जान भी हाजिर है बाकी कोई इन्हें कुछ कह दे तो ये उसकी जान लेने से भी पीछे नहीं हटते , चाहे वो अपना ही क्यों ना हो , इनकी ये बात इनके अपनों को भी बुरी लगती है , लेकिन इन्हें कहां किसी की परवाह है शिवाए अपनी मां के , अपनी मां के लाडले जो हैं और उनसे बहुत प्यार करते हैं , उनके लिए तो जान देने को भी तैयार है ।

    उसकी बात सुनकर ठाकुर की आंखें सिकुड़ गई और वो सामने देखते हुए ही अपने बगल में बैठे लड़के से सख्त आवाज में बोला !''क्यों अब क्या कर दिया उस चिमकांडी ने ?


    वही पिछली सीट पर भी एक शख्स जो अपने पैरों को फैलाएं बियर कैन से बियर पीते हुए खिड़की से सुहानी हवाओं का लुफ्त उठाते हुए पीछे छूटते रास्तों को देख रहा था। वो ठाकुर की बात सुनकर हैरान हो गया और जल्दी से दोनों सीट के बीच में दिख रही खाली जगह से वो अपना चेहरा निकाल कर आगे आया और ठाकुर की तरफ देखते हुए हैरानी से बोला!'' ओये ठाकुर ये कैसा वर्ड यूज कर रहा है तू उस लड़की रिया के लिए , वो लड़की कहां से तुझे चिमकांडी दिखती है वो तो एक नंबर की छिपकली है छिपकली , जो बस तेरे से चिपकने के बहाने ढूंढती हैं , मैं तो ये सोच रहा हूं इस बंदरिया को तूने हमारे रेबल्स द अल्टीमेटम ग्रुप में शामिल कैसे कर लिया।

    तो ठाकुर के चेहरे पर रहस्यमई मुस्कुराहट आ गई , ये देख वो लड़का हैरानी से उससे बोला!'' ए ठाकुर तू इस तरह क्यों मुस्कुरा रहा है , जब तू इस तरह मुस्कुराता है तो जरूर कुछ ना कुछ कांड करता है , (कुछ सोच कर आंखें बड़ी करते हुए) इसका मतलब रिया को हमारे ग्रुप में शामिल करने के पीछे जरूर तेरे पास कोई बड़ी वजह थी , बोल है ना सच कह रहा हूं ना मैं , तभी तू इस तरह हंस रहा है वरना उस लड़की की छिछोरी हरकतों के बाद तू उससे बात करना भी पसंद नहीं करता।

    तो ठाकुर मुस्कुरा कर अपना सर हिलाते हुए उस लड़के से बोला !'' शिविन यार थोड़ा सबर रख परसों हम कॉलेज जा रहे हैं ना , तो तेरे सभी सवालों का जवाब तुझे वहीं मिल जाएगा , फिलहाल मुझे ड्राइविंग पर ध्यान देने दे , कहीं ऐसा ना हो तेरी बातों में मेरा ध्यान चुक जाए और हम लोग घर पहुंचने की जगह परलोक पहुंच जाए।

    तो शिविन वापस अपनी जगह पर बैठते हुए सर हिला कर उसे कोसते हुए बोला!" तू ना ठाकुर एक नंबर का क**** है मुझे सस्पेंस में डालकर बातों को अधूरा छोड़ दिया , परसों तक का वेट करने के लिए अब कब आएगा परसों , मैं ही बेवकूफ हूं मुझे समझ जाना चाहिए था , जिस रिया से तू पिछले 1 साल से दूर भागते आया है अभी अचानक उसे अपने ग्रुप में कैसे शामिल कर लिया , जरूर इसके पीछे कोई बड़ी वजह होगी , (अफसोस में कर हिलाते हुए) मैं इस बात को समझ क्यों नहीं पाया?

    तो पैसेंजर सीट पर बैठा हुआ लड़का उसे देखकर मुस्कुराते हुए उसे चिढ़ाने के लहजे में बोला!'' क्योंकि तू ठाकुर और मेरे जैसा इंटेलिजेंट नहीं है ना , इसीलिए तुझे हमारी बातों का मतलब और उसके पीछे का सच पता नहीं चलता ।

    तो शिबिन पीछे से उसकी सीट पर लात मारते हुए बोला!'' ओये विवान ज्यादा मत बोल , साले तेरी खाल उधेड़ दूंगा मुझे सब पता है कैसे तू इस ठाकुर के साथ मिलकर मुझे परेशान करने के लिए कुछ ना कुछ कांड करता रहता है। अगर अब ज्यादा बोला ना तो अगली बार कैंटीन का तेरा बिल तू खुद भरेगा।

    उसकी बात सुनकर विवान ना में सर हिलाते हुए होठों पर उंगली रखकर चुपचाप बैठ गया। शिविन वापस से अपनी बियर पीने लगा , वही उन दोनों की हरकत पर ठाकुर हंसने लगा। फिर वो अपनी हंसी कंट्रोल कर विवान की तरफ देखते हुए उससे बोला !''वैसे हुआ क्या है कॉलेज में ,आदि इतना गुस्से में क्यों है , जो उसने मेरे कॉलेज पहुंचने तक वेट नहीं किया।

    तो विवान उसके फोन में मैसेज देखते हुए बोला !''उसने आज शाम को कैंटीन में एक नई लड़की को परेशान किया है उसके वेट को लेकर वो ओवरवेट होगी शायद इसीलिए , इसके साथ ही उसने पिछले कुछ दिनों में कई लोगों को भी परेशान किया है जो फर्स्ट ईयर के हैं , एक जूनियर शिवम का असाइनमेंट भी उसने खराब कर दिया काॅफी गिरा कर क्योंकि उसका असाइनमेंट रिया के असाइनमेंट से बेहतर था तो प्रोफ़ेसर ने रिया को इंसल्ट कर उसकी तारीफ रिया और बाकी सब के सामने की थी , यार रिया की इस हरकत से पूरे कॉलेज में हमारे ग्रुप की रेपुटेशन डाउन हो रही है , लोगों की नजरों में रिबेल्स द अल्टीमेटम ग्रुप की छवि खराब हो रही है।

    उसकी बात सुनकर ठाकुर की पकड़ स्टीयरिंग व्हील पर कश गई , वो अपनी कठोर आवाज में विवान से बोला !''आदि को मैसेज करो कि मैं परसों आकर सब कुछ देखता हूं वो परेशान ना हो और वो रिया उसे तो अब मैं बताता हूं दूसरों को परेशान करने का मतलब क्या होता है। इतना कहकर थार की स्पीड तेज कर दी।


    ____________________________

    दीपिका के लफ्जों में----

    मोहब्बत तुमको भी थी
    मोहब्बत हमको भी थी
    फर्क है सिर्फ इतना है
    तुम समझ ना पाए
    और हम समझ कर भी
    तुमसे कुछ कह ना पाए
    शायद मोहब्बत की दास्तान
    इस बार अधूरी ही रहनी थी
    तभी तो दोनों तरफ से मोहब्बत
    होकर भी मोहब्बत अधूरी थी

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    कहानी जारी है दोस्तों प्लीज अपनी रेटिंग कमेंट जरुर दें रीनू शर्मा ये चैप्टर खास आपके लिए लिखा है क्योंकि आपने इस कहानी की डिमांड की है पर समय की कमी होने की वजह से एक चैप्टर ही लिख पाई दूसरा चैप्टर नहीं दे पाई उसके लिए माफी चाहती हूं कोशिश करूंगी कल दे सकूं🙏🙏

  • 6. Hidden love - Chapter 6

    Words: 1438

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगले दिन फोन के रिंग करने की आवाज से दीपिका की आंखें खुली। उसने अपनी आंखें मलते हुए बगल की टेबल से फोन उठाया और बिना नंबर देखे ही कॉल रिसीव करके फोन को कान से लगाते हुए हेलो बोली।
    ‌ उसकी आंखों में अभी भी नींद भरी हुई थी। तभी उधर से उसकी मां की गुस्से भरी आवाज आई!'' हेलो की बच्ची सूरज सर पर निकल आया है और तू अब तक घोड़े बेचकर सो रही है , महारानी अगर नींद पूरी हो गई हो तो उठने की कृपा कर और मैंने जो वजन घटाने के लिए नुस्खा बताया है उसे कर।

    अपनी मां की गुस्से भरी आवाज सुनकर दीपिका की नींद झट से खुल गई और वो एकदम से उठ कर बैठते हुए अपनी मां से बोली !''नुस्खा कौन सा नुस्खा मम्मी मुझे तो नहीं याद?

    जिस पर उसकी मां अपने सर को पीटते हुए बोली!'' हे भगवान क्या करूं मैं इस भुलक्कड़ लड़की का , जिसे सिर्फ खाने और सोने के अलावा कुछ याद नहीं रहता , (फिर गुस्से में दीपिका से) मैंने तुझे क्या कहा था यहां से जाने से पहले टी मेकिंग मशीन देते हुए कि इससे रोज सुबह गर्म पानी करना फिर उसमें वो जीरे अजवाइन सौंफ वाला पाउडर जो मैंने तुझे बना कर दिया है , उसे एक चम्मच डालकर सुबह खाली पेट पीना , जिससे तेरा वजन हल्का हो , पर तू कहां इस बात को याद रखेगी , हां अगर उस वक्त मैं तुझे किसी होटल में जाकर अच्छे से ठूस ठूस कर खाने को बोलती तो तू जरूर याद रखती।


    अपनी मां की बात सुनकर दीपिका मायूस हो गई , बचपन से लेकर अब तक उसकी मम्मी उसके वजन को घटाने के लिए हजारों पैंतरे अपना चुकी थी , जाने कितनी बार उसे डाइट करवा चुकी थी लेकिन ना तो कभी उसका वजन कम हुआ और ना ही उसकी मम्मी के नुस्खों में कभी कोई कमी आई। उसकी मम्मी की इन्हीं हरकतों की वजह से अक्सर उसके पापा उनसे चिढ़ते थे दोनों में दीपिका को लेकर बहस भी हो जाती थी जो लड़ाई तक पहुंच जाती थी , जिसके बाद दोनों दो-दो तीन-तीन हफ्ते तक एक दूसरे से बात नहीं करते थे, इन सब में वो एक दूसरे से नाराजगी जताते हुए ये भी भूल जाते थे कि उनकी एक बेटी और बेटा भी है , वो दीपिका को पूरी तरह इग्नोर कर देते थे जिस वजह से दीपिका अकेली पड़ जाती थी , भाई तो छोटा था तो उसे इतना हर्ट नहीं होता था पर दीपिका अक्सर खुद को अकेला महसूस करती थी वो सही मायने में जो प्यार होता है उसके लिए बचपन से ही तड़पती आई थी , यही वजह थी कि वो विवेक की करीबी को भी उसका प्यार समझ बैठी और उसे चाह कर खुद का दिल तुड़वा बैठी।

    अभी वो अपनी यादों में गूम थी की तभी उसकी मां तेज आवाज में उस पर चिल्लाते हुए बोली !" अरे कुंभकरण फिर से सो गई क्या , मेरी बातें तुझे सुनाई दे रही है या नहीं , देख अगर तूने मेरा ये नुस्खा नहीं किया और छुट्टियों में घर आने पर मुझे तेरा जरा भी वजन बड़ा हुआ दिखा तो सोच लेना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा ।

    तो दीपिका हड़बड़ाते हुए उनसे बोली!'' हां हां मम्मी मैं सुन रही हूं मैं अभी गर्म पानी करती हूं और फिर वो पाउडर उसमें एक चम्मच डालकर मैं उसे पी लूंगी ,आप चिंता मत करो ।

    अब जाकर उसकी मां को थोड़ी तसल्ली मिली और वो हां में सर हिलाते हुए उससे बोली!" हां ठीक है और इस तरीके को रोज करना और हां अब तू लेट हो गई है , तो ब्रेकफास्ट स्कीप कर देना , अब सीधा लंच करना क्योंकि अगर तूने अब उस पानी को पीने के बाद कुछ खाया तो वो तुझ पर असर नहीं करेगा ,

    तो दीपिका हां में सिर हिलाते हुए !''जी ठीक है मम्मी मैं ऐसा ही करूंगी , अभी रखती हूं फोन में फ्रेश होने जा रही हूं।
    तो उसकी मां ने हां कह कर उसे अपना ख्याल रखने के लिए बोल कर फोन काट दिया।

    दीपिका ने फोन को वापस टेबल पर रख दिया और एक गहरी सांस ली। वैसे तो उसकी मम्मी सबके सामने बड़ी अच्छी बनती थी दूसरे उससे कुछ कहे तो उनके आगे उसके लिए ज्यादा नहीं थोड़ा बहुत स्टैंड भी लेती थी उसे समझती भी थी , लेकिन अंदर की असलियत वही जानती थी असल में वो उसको लेकर बहुत परेशान रहती थी , इसीलिए ज्यादातर दीपिका को उसके वजन को लेकर गुस्से में भला बुरा कह देती थी। अक्सर उसको खाने पर कंट्रोल करने को भी बोलती थी चाहे दीपिका नॉर्मल खाना ही क्यों न खाए वो उसमें भी उसे थोड़ा सा भूखा रहने को बोलती थी ताकि उसका पेट बाहर निकलता ना दिखे ,

    शुरुआत में दीपिका इन बातों से चिढ़ती थी। लेकिन धीरे-धीरे फिर वो इन बातों की आदी हो गई और अपनी इंसल्ट की भी , इसीलिए अब उसने सब बातों पर ध्यान देना छोड़ दिया बस दूसरों ने जो कहा उस हिसाब से करती गई। दूसरों के सामने वो हस्ती मुस्कुराती थी चुलबुले नेचर की थी मुंह फट थी कब कहां क्या बोलना चाहिए नहीं जानती थी बस दिल में जो होता था बोल देती थी , लेकिन असल में अपने अंदर के दर्द को वो खुद ही जानती थी , उसकी नज़रें हमेशा से एक ऐसे साथी को तलाशती थी जो उसके अंदर की खामियों को पूरा करें , दूसरों के सामने उसके लिए स्टैंड ले , उसे सबसे ज्यादा प्यार करें , उसे उस तरह की लाइफ दे , जिसके उसने सपने देखे हैं , जिस पर वो पूरी तरह से डिपेंड हो सके , जो उसे बिना किसी स्वार्थ के प्यार करे और जो उसे उसकी सभी कमियों के साथ अपनाए , कभी उसे बदलने का ना सोचे , वो जैसी है उसे उसी रूप में स्वीकार करें । लेकिन फिर वो अपनी इसी सोच पर खुद को ही दुत्कार देती थी , ऐसा तो सिर्फ कहानियों में ही होता है रियल लाइफ में ऐसे लड़के मिलते कहां हैं ।
    जैसे वो अपने लिए अपने सपनों का प्रिंस चार्मिंग चाहती है उसी तरह लड़के भी अपने लिए अपने सपनों की रानी चाहेंगे। जो वो तो कभी नहीं हो सकती , वैसे भी आजकल के जमाने में यही चलता है लोगों को आंतरिक सुंदरता से ज्यादा बाहरी सुंदरता पसंद आती है , लड़का हो चाहे लड़की दोनों को ही अपना पार्टनर ऐसा चाहिए जो उनके मापदंडों पर खड़ा उतरे , लड़के को लड़की पतली गोरी चिट्टी सुंदर चाहिए तो वही लड़की को हैंडसम बेल्ड सेटल्ड हस्बैंड जो उन्हें लग्जरियस लाइफ दे सके , घरवालों को भी बहु सुंदर चाहिए जिसे दिखाकर वो समाज में अपने नाम का ढिंढोरा पीट सके , कि देखो उसकी फलाने की बहू कितनी सुंदर है हम भी इतनी ही सुंदर बहु लाए हैं , इन्हीं सब में दीपिका जैसे लड़के लड़कियां जो सांवले रंग रूप के, छोटी हाइट के मोटे या ऑर्डिनरी होते हैं उन्हें अक्सर रिजेक्शन या खुद को लेकर बुरी बातों का सामना करना ही पड़ता है , और सामने वाला ये भी नहीं सोचता कि उसकी बातों से उस इंसान को कितनी चोट पहुंचेगी , वो ये नहीं सोचता की शरीर , रंग रूप तो प्रकृति की देन है जो उस ईश्वर ने दिया है जिस पर उसका कोई वश नहीं , इंसान अपनी सूरत बदल सकता है सीरत नहीं इसीलिए माइने भी सीरत के ही होने चाहिए ना की सूरत के , वैसे भी रिश्तों में अक्सर अच्छी सोच मायने रखती है ना की अच्छी शक्ल.

    शक्ल वक्त के साथ बदल जाती है शरीर समय के साथ बदल जाता है एक सोच ही है जो कभी नहीं बदलती हां बदलती है कुछ महीनो में जब आप एक इंसान को उस हद तक परेशान कर देते हो जिससे सारी हदें पार हो जाए , तो ऐसे में एक इंसान अच्छे से बुरा और बुरे से अच्छा बन जाता है , इसीलिए कभी किसी को इतना न सताए कि सामने वाला आपके लिए बुरा बन जाए , पर आजकल इतने अच्छे लोग ही कहां हैं इस दुनिया में जो किसी की सूरत को छोड़कर किसी की सीरत से प्यार करें उसे समझे।

    ___________________

    दीपिका के लफ्जों में____

    तुमको हमने चाहा तुमको अपना माना
    रूठे जग हमसे बस तुम ना रूठ जाना
    मोहब्बत नहीं करोगे तो भी चलेगा
    बस इल्तिज़ा इतनी सी है
    जिंदगी के हर मोड़ पर
    आखिरी वक्त तक मेरा साथ निभाना
    पूछो ना हमसे क्या तुमसे छुपाया है
    बस इतना जान लो तुम्हें किसी और के हवाले कर
    प्यार को दिल में छुपाया है

    __________________

    हेलो दोस्तों कहानी अच्छी लगे तो रेटिंग कमेंट देना ना भूले मैं कोशिश करूंगी कल इसके दो चैप्टर दे सकू🙏🙏🙂🙂

  • 7. Hidden love - Chapter 7

    Words: 1403

    Estimated Reading Time: 9 min

    दीपिका अपनी मम्मी से बात कर ख्यालों में खोई हुई थी , फिर उसने अपने ख्यालों को झटक कर फोन को वापस टेबल पर रख दिया , फिर वो उठकर अपनी अलमारी के पास गई , उसने अपनी अलमारी में से टी मेकिंग मशीन को निकाल लिया , उसने अपने लिए पानी गर्म करने रख दिया और खुद कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई ।

    थोड़ी देर बाद वो अपने बाल टॉवल से पौछते हुए बाथरूम से बाहर आई , उसका पानी अब तक गर्म हो गया थाज्ञ, तो उसने पानी को एक गिलास में निकला और उसमें अपनी मम्मी के द्वारा बनाया गया पाउडर एक चम्मच डाल लिया और उसे लेकर खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई, वो बाहर देखते हुए पानी पीने लगी।

    वही कमरे में होती हलचल से दिव्या और विनीता की नींद खुली , उन्होंने जब दीपिका को खिड़की के पास खड़े रहकर कुछ पीते हुए देखा , तो दोनों जल्दी से उठकर बैठ गई और खुशी से मुस्कुराते हुए दीपिका से बोली!" दीपिका तुम क्या पी रही हो , जूस , कोल्ड ड्रिंक या कॉफी , क्या ये हमारे लिए भी है ।

    उनकी बात सुनकर दीपिका ने पलट कर दोनों की तरफ देखा और फिर अपने गिलास की तरफ, फिर वो मुस्कुराते हुए उन दोनों से बोली !"अरे नहीं तुम लोग जैसा सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है , ये जूस कोल्ड ड्रिंक या कॉफी नहीं है ये तो बस गर्म पानी है जिसमें मैंने अजवाइन सॉफ और जीरे का पाउडर मिलाया हुआ है, मेरी मम्मी ने मुझे बना कर दिया था इसे वजन कम करने के लिए , ये वजन कम करने में बहुत इफेक्टिव है इसलिए ।

    उसकी बात सुनकर विनीता और दिव्या का मुंह खुला रह गया , तभी दिव्या मुंह बनाते हुए उससे बोली !''इ्यू तुम इसे पी कैसे लेती हो , इसका नाम सुनकर ही अजीब सा लगता है , सॉफ अजवाइन जीरा सीरियसली पता नहीं इसका टेस्ट कैसा होगा और ये हमारी मम्मी और उनके देसी नुस्खे कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेते , ना ही यह कभी सुधरेंगी पहले तो बच्चों को ठूंस ठूंस के खिलाकर मोटा कर देती हैं और फिर वजन कम करने के नाम पर बच्चों को टॉर्चर करती हैं , दीपिका सीरियसली तुम्हें इन बातों पर विश्वास है , आई मीन तुम्हें सच में लगता है ये सब करने से तुम्हारा वेट कम हो जाएगा, अगर इससे सच में वजन कम होता तो लोग घंटों जिम में एक्सरसाइज नहीं करते , ये तुम्हारा देसी नुस्खा करते और दिन भर आराम से बैठे रहते , अरे अगर तुम्हें सच में वजन कम करना है तो तुम जिम करो , रनिंग करो , ना कि इस तरह की चोचलेबाजी

    उसकी बात सुनकर दीपिका खामोश हो गई और फिर उससे बोली!'' दिव्या सच कहूं तो मुझसे जिम वगैरा नहीं होता और ना ही मुझे अपने वजन से कोई प्रॉब्लम है पर मेरी मम्मी मुझे लेकर बहुत टेंशन में रहती हैं , इसीलिए उनकी बात का मान रखने के लिए मुझे ये सब करना पड़ता है , बाकी सच कहूं तो मैं बचपन से ही ऐसी हूं , शुरुआत से ही मेरा वेट ज्यादा रहा है तुम यकीन नहीं करोगी दिव्या , लेकिन जब मैं 13 साल की थी ना तब भी मेरा वेट 75 था , मैं तब से ही वेट कम करने की कोशिश करती आ रही हूं , लेकिन वेट कभी कम हुआ ही नहीं बल्कि,ज्ञ बड़े होने के साथ और बढ़ता ही गया, मुझे समझ नहीं आता मैं ऐसी क्यों हूं , क्यों मेरा वेट इतना बढ़ता है, लेकिन ये सच है मैं बचपन से ही ऐसी हूं , यही कारण है कि मैं चाह कर भी खुद को नहीं बदल पाती , एक दो महीने डाइट करके एक्सरसाइज करके चार-पांच किलो वजन कम कर भी लेती हूं , लेकिन फिर कब तक डाइट करूं ,ज्ञकब तक भूखी रहूं , मैं भी तो इंसान हूं ना मेरा भी तो मन करता है और लोगों की तरह रहने का , और लोगों की तरह अच्छा-अच्छा खाने का , यही सोच कर जब मैं नॉर्मल खाना रोटी सब्जी भी खाती हूं ना , तो उससे भी मेरा वजन फिर वापस आ जाता है और फिर इसी तरह ये सिलसिला चलता रहता है।

    तो इस बार उसकी बात सुनकर विनीता उससे बोली!'' तो तुम फिर ये फालतू की कोशिश करती ही क्यों हो , तुम जैसी हो वैसी ही अच्छी हो, किसी और के लिए खुद को बदलने की कोशिश क्यों करती हो , हम सबको , तुम्हें , एक ही तो जिंदगी मिली है , इसमें भी अगर हम दूसरों की बात मानकर उनके कहने पर चलेंगे , तो फिर अपने मन की कब करेंगे , कब अपने हिसाब से जिएंगे , इसीलिए तुम्हारा जो मन करता है तुम वो करो , तुम जो खाना चाहती हो पहनना चाहती हो वो करो ना , दूसरों का क्या है वो तो हर किसी को देखकर बातें बनाते हैं , भलाई की शक्ल में लिपटी हुई कड़वी बातें बोलकर दर्द दे जाते हैं , इसीलिए ऐसे लोगों की क्या ही परवाह करना , और ये जो तुम पी रही हो इसे मत पियो , इससे अगर तुम्हारी बॉडी पर कोई साइड इफेक्ट हुआ तो तुम क्या करोगी , और तुम जो भी इनग्रीडिएंट बता रही हो वो बहुत गर्म होते हैं अगर गर्मियों में तुम इन्हें पियोगी , तो तुम्हारे चेहरे पर पिंपल्स भी निकल आएंगे , स्कीन पर जलन भी हो सकती है , कोई एलर्जी भी हो सकती है , फिर क्या करोगी तुम , वजन तो कम नहीं होगा लेकिन हॉस्पिटल का बेड जरूर पकड़ लोगी।

    उसकी बात सुनकर दीपिका मुस्कुरा उठी और फिर उससे बोली !"तुम्हारी बात सही है विनीता लेकिन तुम जो कह रही हो वो मैं चाह कर भी नहीं कर सकती , इसे पीना बंद नहीं कर सकती , वरना मम्मी नाराज हो जाएगी बात अगर बाहर के लोगों की होती तो मैं उन्हें इग्नोर कर देती , लेकिन जब मैं अपने वजह की वजह से अपनी मां को अपने पापा को परेशान देखती हूं तो मैं चाह कर भी इस चीज को इग्नोर नहीं कर पाती , उन्होंने मुझे जन्म दिया है मुझे पालपलोस कर इतना बड़ा किया है , ऐसे में अगर मैं उनकी बात नहीं मानूंगी तो उन्हें कितना दुख होगा , ये जिंदगी उन्हीं की तो दी हुई है तो फिर मैं अपनी वजह से उन्हें कैसे दुखी कर सकती हूं , इसीलिए मैं उनकी खुशी के लिए उनकी बातें मानती हूं , इससे क्या ही होगा मुझे खुद के साथ थोड़ा ही तो कंप्रोमाइज करना पड़ता है ना बस , कम से कम इस वजह से मैं ना सही पर वो लोग तो खुश है ना ।

    दीपिका की बात सुनकर अब दिव्या और विनीता से कुछ कहते ही नहीं बना , थोड़ी सी देर खामोश रहने के बाद दिव्या उससे बोली!'' धन्य हो देवी जी , जो तुम अपने मां पापा की इतनी सुनती हो , तुम्हारे मां पापा बहुत भाग्यशाली हैं जो उन्हें तुम्हारे जैसी बेटी मिली , वरना आजकल के जमाने में तुम्हारी जैसी बेटी मिलना मुश्किल है , आजकल तो बेटियां मां बाप के सर पर तांडव करती हैं , वही तुम उनके खातिर इतना कुछ कर रही हो , खैर तुम अपने देसी नुस्खे वाला पानी पियो , मैं तब तक फ्रेश होकर आती हूं आज कॉलेज की वैसे भी छुट्टी है तो अपन तीनों मिलकर शॉपिंग करने चलेंगे , कल से कॉलेज शुरू हो जाएंगे , तो कहां फिर शॉपिंग के लिए जाने को टाइम मिलेगा ।

    उसकी बात सुनकर दीपिका उससे बोली!'' लेकिन शॉपिंग क्यों वो तो तुम लोगों ने कल ही की थी ना , फिर आज क्यों शॉपिंग पर जाना है।

    तो विनीता उससे बोली!'' अरे तो शॉपिंग हम दोनों ने की थी ना , तुम तो नहीं थी ना हमारे साथ , अब हम तुम्हारे साथ चलेंगे इसी बहाने तुम्हें अपना इंदौर भी घुमा देंगे और तुम्हारे साथ हम भी घूम लेंगे , अब यहां आई हो तीन-चार साल रहोगी , तो कम से कम यहां के बारे में पता तो होना चाहिए ना , कौन सा रास्ता किधर जाता है कौन सी गली सड़के यूनिवर्सिटी से होकर गुजरती हैं , कौन सा मार्केट पास है कौन सा दूर , सब कुछ पता तो होना चाहिए ना।

    उसकी बात सुनकर दीपिका ने हां में सर हिला दिया और उससे बोली!'' हां ये तो तुमने ठीक कहा , ठीक है तुम लोग फ्रेश हो जाओ, फिर मैं भी तैयार हो जाऊंगी , फिर तीनों चलेंगे।