मोहब्बत का सफर बहुत ही खूबसूरत होता है, मोहब्बत में इंसान सरहदें पर कर जाता है, हर बंदिशों को तोड़ देता है, पर क्या हो जब मोहब्बत में उम्र का फैसला आ जाए, ऐसी ही कहानी है 30 साल के इख्तियार अहमद शाह की, जो बहुत ही मगरुर और अना पसंद इंसान है, जिसे अपन... मोहब्बत का सफर बहुत ही खूबसूरत होता है, मोहब्बत में इंसान सरहदें पर कर जाता है, हर बंदिशों को तोड़ देता है, पर क्या हो जब मोहब्बत में उम्र का फैसला आ जाए, ऐसी ही कहानी है 30 साल के इख्तियार अहमद शाह की, जो बहुत ही मगरुर और अना पसंद इंसान है, जिसे अपनी अना( ego) के आगे कुछ भी नहीं दिखता, वो बहुत ही ज्यादा कोल्ड हार्टेड पर्सन है, और पेशे से प्रोफेसर है, जो किसी को मारने से पहले एक बार भी नहीं सोचता, मगर इसका एक राज है, ये है A.S का लीडर, एशिया की सबसे खतरनाक माफिया गैंग,जिसकी शक्ल आज तक किसी ने नहीं देखी, वहीं दूसरी तरफ है, मासूम, नटखट, चुलबुली, और सबसे ज्यादा फ्लर्टी 18 साल की दानियाल अख्तर, जो शकल से दिखने में जितनी ज्यादा मासूम है, उतनी ही ज्यादा फ्लर्टी, कॉलेज में आए नए प्रोफेसर पर पड़ जाती है दानियाल की नजर, और मन ही मन उसे अपना मान लेती है, और करने लगती है उसके साथ फ्लर्ट, मगर ये रहती है अपने घर से दूर, और इसकी दुनिया उस दिन बदल जाती है, जब ये जाती है अपनी बहन के निकाह में, और इसे उसकी बहन के दूल्हे की replaced bride बना दिया जाता है, खानदान की इज्जत के खातिर उसे करना पड़ता है उस शक्श से निकाह जिसे उसने देखा तक नहीं, क्या होगा इस नए रिश्ते का अंजाम? क्या दानियाल निकाल पाएगी अपने दिल से अपने प्रोफेसर को? कहां गई दानियाल की बहन? क्या होगा जब इख्तियार अहमद शाह को पता चलेगा दानियाल कि फीलिंग्स के बारे में? क्यों रहती है दानियाल अपना घर से दूर, आखिर क्या राज है? जानने के लिए पढ़िए " Hot Professor Ki Flirty Student"
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“Hyderabad”
“Osmania University”
इस यूनिवर्सिटी के अंदर, गार्डन में कुछ लड़कियों और कुछ लड़कों का ग्रुप बैठा हुआ था। कुछ लड़कियाँ आराम से बातें कर रही थीं। उनमें से एक लड़की बोली, "अरे, उसे देखो! कितना हॉट बंदा बैठा है! कितना ज्यादा हॉट लग रहा है! काश यह मेरा बॉयफ्रेंड होता!" वह अपने हाथों को अपने चेहरे पर रखकर सामने बैठे लड़कों के ग्रुप में से एक लड़के को देखते हुए बोली।
दूसरी लड़की बोली, "नहीं यार, वह हॉट नहीं है। उसके बगल में देखो, वह बंदा कितना ज्यादा हॉट लग रहा है! काश वह मेरा बॉयफ्रेंड होता। मैं तो उसे अपने पलकों पर बैठा कर रखती, उसे किसी भी चीज की ज़िद नहीं करती। अब इतने हॉट बॉयफ्रेंड से भला कौन किसी चीज की ज़िद करता है? मैं तो वैसे ही अपने खर्च खुद उठाती हूँ और उसके भी उठा लेती। इतना हॉट बॉयफ्रेंड तो मुझे कम से कम मिल जाता।"
उन दोनों लड़कियों की बात सुनकर, उनमें से तीसरी लड़की बोली, "नहीं यार, तुम दोनों गलत बोल रही हो। वह दोनों हॉट नहीं हैं। वह तीसरा देखो, वह बंदा कितना ज्यादा हॉट है! वो उन दोनों से भी लाख गुना अच्छा दिख रहा है! काश वह मेरा बॉयफ्रेंड होता। तुम पलकों पर बिठाने की बात कर रही हो, मैं तो उसे बेड से नीचे उतरने भी ना देती, उसके सारे काम करती, अपने काम के साथ-साथ उसके भी करती और उसे हमेशा खुश रखती। मैं ही उसे अपने पैसों से घुमाने ले जाती।"
"हम लोग चारमीनार, गोलकुंडा फोर्ट, सालार जंग म्यूजियम, चौमहला पैलेस, रामोजी फिल्म सिटी सब कहीं घूमने जाते। मैं तो उसे अपने पैसों में घुमाती, उससे पैसे भी नहीं मांगती। लेकिन काश यह सिर्फ हमारे काश में ही रह जाएगा। वह तीनों के तीनों ही बुक हैं, तीनों की अपनी-अपनी गर्लफ्रेंड्स हैं," वह लड़की उदास होते हुए बोली।
पहले वाली लड़की बोली, "तो क्या हुआ? गर्लफ्रेंड्स होंगी उनकी, तो क्या हुआ? हम उनका ब्रेकअप करवा देंगे, फिर उनके बॉयफ्रेंड्स को अपना बॉयफ्रेंड बना लेंगे। यार, गजब है न, आईडिया मेरा!"
उनमें से एक लड़की, जो शांति से उन तीनों की बातें सुन रही थी—उनका ग्रुप सिर्फ चार लड़कियों का था—वह लड़की बेहद खूबसूरत थी। दूध जैसी गोरी त्वचा, मखमल जैसा शरीर, पतले गुलाबी चेरी जैसे होंठ, दिखने में आसमान से उतरी हुई कोई अप्सरा सी। ओसियन ब्लू आँखें, बड़ी-बड़ी घनी पलकें, जो वह बार-बार झपका रही थी। उसने व्हाइट कुर्ती और ब्लू जींस पहनी हुई थी और काले चमचमाते बूट्स पहने हुए थे। गले में गोल-गोल लपेटकर छोटा सा स्कार्फ डाला हुआ था। दिखने में वह बेहद हसीन लग रही थी।
वह उन तीनों लड़कियों को देखते हुए बोली, "महर, यह बिल्कुल सही बात नहीं है। तुम्हें उसे ताड़ना है तो ताड़ लो, लेकिन किसी के बॉयफ्रेंड को ब्रेकअप करवा-करवा के उसे अपना बॉयफ्रेंड बनाना, यह बिल्कुल सही बात नहीं है। तुम ताड़ो उसे जी भर कर ताड़ो, उसमें कोई भी गलत बात नहीं है। तुम्हें उसके साथ फ्लर्ट करना है, फ्लर्ट करो, पर किसी लड़की का ब्रेकअप करवा कर उसके बॉयफ्रेंड को अपना बॉयफ्रेंड बनाना यह गलत है।"
"और तुम तीनों यह क्या चोमू जैसी शक्ल वाले लोगों की बात कर रही हो? ना ही उनकी शक्ल है, ना ही अकल। अकल तो वैसे ही उनके घुटनों पर रखी हुई है और शक्ल? शक्ल में तुम तीनों को पता ही नहीं क्या दिख रहा है। वहाँ सामने देखो, वह बंदा कितना ज्यादा हैंडसम लग रहा है! इसे पक्का मैं अपना बॉयफ्रेंड बनाऊँगी। यार, इसमें कुछ अलग ही बात है। देखो, इसके चलने का स्टाइल देखो न! इसके हर एक अदा पर जादू है। ऐसे चल रहा है जैसे कोई मॉडल चल रहा हो।"
वह तीनों लड़कियाँ भी उधर देखने लगीं जहाँ वह लड़की देख रही थी। दिखने में, सामने से आता हुआ बंदा बहुत ही ज्यादा हैंडसम लग रहा था। ब्लैक कलर के थ्री पीस सूट में वह गबरू जवान उस यूनिवर्सिटी के अंदर आ रहा था। उसने अपने आँखों पर शेड्स चढ़ाए हुए थे, जिससे उसकी आँखें तो नहीं दिख रही थीं, लेकिन फिर भी वह चलता बिल्कुल एक मॉडल की तरह ही लगता था, जैसे सच में कोई मॉडल चलते हुए आ रहा हो, बिल्कुल उस लड़की के कहे हर एक लफ्ज़ की तरह।
उस लड़के ने अपने हाथ में महंगी ब्रांडेड वॉच पहनी हुई थी, पैरों में काले जूते, बाल जेल से सेट किए हुए, चेहरे पर बिल्कुल कोल्ड एक्सप्रेशन लिए, इमोशनलेस चेहरे के साथ वह अंदर आ रहा था। वही लड़की उसे देखते हुए अपने दोनों छोटे-छोटे हाथों को चेहरे पर रखते हुए बोली, "हाय! कितना हैंडसम है! कौन है ये? लगता है ये कॉलेज में नया आया है। खैर, कॉलेज में नया आया हो या ओल्ड, अब ये मेरी नज़र में आ गया है। मेरी नज़र से अब यह तो बिल्कुल भी नहीं बच सकता। मेरी नज़र में आना मतलब कि दानी का हो जाना। अब दानी तो इसे अपना बना कर ही रहेगी।"
वह तीनों लड़कियाँ जो उस लड़की के पास बैठी हुई थीं, बोलीं, "दानी, जो भी कहो, तुम्हारी पसंद तो है गजब की! यह सब लड़कों को छोड़कर तुमने पसंद तो बहुत ही अच्छी चीज की है। मतलब जो भी कहो, बंदा है गजब का, तुम्हारा। तुमने जैसा कहा, जैसे डिस्क्राइब किया, बिल्कुल वैसे ही दिखाई दे रहा है।"
दानी अपने सामने बैठी लड़की को देखते हुए बोली, "सफ़ा, वह बंदा मेरा है। उसे पर नज़रें मत गड़ाना। तुम लोग अपने-अपने बंदे पर नज़र गाड़ो, मेरे बंदे पर नज़रें गाड़ने की कोई ज़रूरत नहीं है। वह मेरा है, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा, दानी का।"
वह तीनों लड़कियाँ हँसते हुए बोलीं, "येस दानियाल, वो बंदा तुम्हारा है। हमने कब बोला कि वह हमारा है? वह सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा है। अब दानियाल की जिस पर नज़र पड़ जाए, वह दानियाल का हो जाता है, ये हम अच्छे से जानते हैं।" इतना बोलकर वह तीनों लड़कियाँ हँसने लगीं।
वही दानियाल उन तीनों की बात सुनकर मुँह बनाते हुए बोली, "नो, दानियाल इट्स दानी। कॉल मी दानी। अगर तुम तीनों ने आइंदा मुझे दानियाल बोला तो, मैं तुम तीनों को दानियाल समझ कर निवाला बनाकर खा जाऊँगी, समझी?"
वह तीनों लड़कियाँ हँसते हुए बोलीं, "येस, येस, हम समझ गए। वी कॉल यू दानी, राइट? अब चलो, क्लास के लिए लेट हो रहा है। वरना यहीं पर बैठे-बैठे पूरी शाम हो जाएगी और हमारा ताड़ना खत्म नहीं होगा। चलो। सुना है आज बॉटनी के लिए कोई नए प्रोफेसर आने वाले हैं। पुराने वाले प्रोफेसर तो बहुत ही ज्यादा खड़ूस थे। देखते हैं नए प्रोफेसर में क्या बात है। सुना है नए प्रोफेसर काफी ज्यादा अच्छे और हैंडसम हैं, पुराने वाले प्रोफेसर से तो लाख गुना। अब तो क्लास में जाकर ही पता चलेगा, पुराने प्रोफेसर अच्छे हैं या न्यू प्रोफेसर अच्छे हैं।"
वह चारों अपनी क्लास की तरफ जाने लगीं। तभी दानियाल का फोन बजने लगा। दानियाल अपना फोन चेक करती है। उसके फ़्लैश हो रहे नाम को देखकर, वह उन तीनों को देखते हुए बोली, "तुम तीनों जाओ, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ। कॉल अर्जेंट है, ना? कॉल पिक कर लूँ, फिर उसके बाद मैं तुम लोगों को क्लास में मिलती हूँ।"
आईरा उसे देखते हुए बोली, "पर दानी…"
दानियाल उसे रोकते हुए बोली, "यार, मैंने बोला ना, मेरी यह कॉल बहुत ज्यादा अर्जेंट है। तुम तीनों क्लास अटेंड करो और अगर मुझे लेट हो जाता है, प्रोफेसर जो भी नोट्स बनवाएँ, वह नोट्स तुम तीनों मुझे दे देना। अब मैं कॉल पर करके आती हूँ।" इतना बोलकर वह वहाँ से यूनिवर्सिटी की दूसरी साइड चली गई, जहाँ पर कोई आया-जाया नहीं करता था। वहाँ पर बहुत ही कम लोग आया-जाया करते थे और दानियाल वहीं जाकर जल्दी से अपने कॉल पिक करती है।
तभी दूसरी तरफ से कोई शख्स कुछ बोलता है, जिसे सुनकर दानियाल की आँखें छोटी हो जाती हैं। वह जल्दी से बोली, "नो, नो, नो, आई विल नॉट कम। मैं वहाँ नहीं आने वाली। आप अच्छे से जानते हैं मैं वहाँ नहीं आऊँगी और आप उसके रीज़न्स भी जानते हैं। एक रीज़न नहीं है मेरे वहाँ न आने का, मेरे कई रीज़न्स हैं वहाँ न आने के। यू नो वेरी वेल। फिर आप मुझे क्यों फ़ोर्स कर रहे हैं वहाँ बुलाने के लिए?"
दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा जाता है, जिसे सुनकर दानियाल बोली, "तब की तब देखी जाएगी, पर मैं अभी नहीं आऊँगी वहाँ पर। जब वहाँ कुछ होगा तब देखूँगी आना है कि नहीं आना है, पर अभी, अभी बिल्कुल भी नहीं। मैं अभी चलती हूँ, मेरी क्लास के लिए मुझे लेट हो रहा है।" इतना बोलकर वह कॉल कट कर देती है और एक गहरी साँस लेती है। उसकी आँखें भीग गई थीं। उसकी पलकें भीगने की वजह से आपस में जुड़ गई थीं। उसकी ओसियन ब्लू आँखों में समुद्र में जैसे पानी रहता है, बिल्कुल उसकी आँखों में वैसे ही पानी आ गया था। वह अपनी आँखें बंद कर लेती है और एक गहरी साँस लेती है। वह धीरे से अपनी आँखें खोलती है। उसकी आँखों में अब एक भी आँसू नहीं थे। वह अपनी मुट्ठी कस लेती है और खुद से बोली, "नो दानी, तुम वहाँ कभी भी नहीं जाओगी। तुम्हारे वहाँ न जाने के कई रीज़न्स हैं। कुछ भी हो जाए, तुम वहाँ कभी भी नहीं जाओगी।" इतना बोलकर वह गहरी-गहरी साँस लेने लगती है और सीधा वहाँ से यूनिवर्सिटी के मेन गेट की तरफ चली जाती है।
थोड़ी देर बाद वह अपने क्लास के बाहर खड़ी थी। वह धीरे से झाँककर देखती है जहाँ पर उनके प्रोफेसर सारे स्टूडेंट्स को प्रोजेक्टर में कुछ समझा रहे थे और सारे स्टूडेंट्स बिल्कुल ध्यान से सामने देख रहे थे। दानी को यह बात थोड़ी अजीब लगती है। यह पहली बार था जब सारे स्टूडेंट्स सामने देख रहे थे। वरना कोई भी पिछले प्रोफ़ेसर की क्लास अटेंड नहीं करता था; आधे तो सो जाते थे या फिर आपस में धीरे-धीरे बातें करने लगते थे। वही आज सारे स्टूडेंट्स सामने देखते हुए अच्छे से लेक्चर अटेंड कर रहे थे।
दानी यह सब देखकर खुद से बोली, "क्या नए प्रोफेसर इतना अच्छा पढ़ाते हैं कि सारे स्टूडेंट अच्छे से पढ़ रहे हैं? खैर, पढ़ना तो मुझे भी है। अब लेक्चर के बीच में कैसे जाऊँ?" वह धीरे से आगे आकर अपनी छोटी सी गर्दन अंदर डालकर धीरे से बोली, "एक्सक्यूज़ मी सर, कैन आई कम इन?"
वह प्रोफेसर, जो कि उन सबको प्रोजेक्टर में कुछ समझा रहे थे, दरवाजे से आई आवाज सुनकर उस तरफ देखने लगे। वही सारे स्टूडेंट्स भी गेट की तरफ देखने लगे जहाँ दानियाल खड़ी थी। उसने प्रोफ़ेसर की तरफ अभी भी नहीं देखा था।
वह प्रोफेसर मुस्कुराते हुए दानियाल को देखते हुए बोले, "स्वीटहार्ट, इट्स नॉट कम आउट, इट्स कम इन।"
दानियाल उस प्रोफेसर की आवाज सुनकर उसके तरफ देखती है। वह जैसे ही उसके कहे अल्फाज़ सुनती है और उसका चेहरा देखती है, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं, और वह वहीं बेहोश होकर गिर जाती है।
कहाँ जाने के लिए दानियाल मना कर रही थी? कौन है दानियाल का प्रोफेसर, जिसे देखकर वह बेहोश हो गई? कौन था वह शख्स जिसकी बातें दानियाल कर रही थी?
दानियाल ने अंदर से आए प्रोफेसर की आवाज़ सुनकर उनका चेहरा देखा। उस प्रोफेसर का चेहरा देखकर दानियाल वहीं बेहोश हो गई। सब लोग दानियाल को गिरते देख अपनी-अपनी जगह से खड़े हो गए और उसे देखने लगे। प्रोफेसर भी आगे आकर दानियाल को देखने लगे, जो जमीन पर सर के बल गिरकर बेहोश हो गई थी।
प्रोफेसर आगे बढ़कर, थोड़ा झुककर, दानियाल को अपनी बाहों में उठा लिया। सब लोग आँखें फाड़े बस प्रोफेसर को ही देखते रहे। प्रोफेसर ने एक स्टूडेंट को अपनी बाहों में उठाया, पर कैसे एक प्रोफेसर एक स्टूडेंट को अपनी बाहों में उठा सकता है?
यह वही आदमी था जिसे दानियाल गार्डन में बैठे ताड़ रही थी और बोल रही थी कि यह उसका बंदा है। दानियाल उस बंदे को अपने प्रोफेसर के रूप में देखकर हैरान थी और उसके मुँह से इतने प्यार से "स्वीटहार्ट" सुनकर वहीं बेहोश हो गई थी।
वह प्रोफेसर एक नज़र सारे स्टूडेंट्स को देखकर बोले, "आप सब यहीं क्लास में रहिए। हम जरा इन्हें डिस्पेंसरी लेकर जाते हैं। लगता है कुछ ज़्यादा ही नाज़ुक और कमज़ोर हैं। दिखने में भी बिल्कुल पतली-दुबली हैं, फूँक मारो तो उड़ जाएँ। अब बेहोश तो होंगी ही न।" इतना बोलकर वे वहाँ से जाने लगे। उन्होंने दो कदम ही आगे बढ़ाया था कि वे फिर पीछे मुड़कर देखे और दानियाल की बाकी तीनों दोस्तों को देखते हुए बोले, "आप तीनों भी यहीं क्लास में रहेंगी। क्लास से बाहर नहीं निकलेंगी। हम इन्हें डिस्पेंसरी छोड़कर आते हैं।" इतना बोलकर वह प्रोफेसर वहाँ से चले गए।
सफ़ा, जो अभी तक शॉक्ड थी, अपने शॉक से निकलते हुए अपनी बाकी की दोनों दोस्तों को उनके शॉक से जगाते हुए बोली, "यार, यह दानियाल को क्या हुआ? क्या यह प्रोफेसर के मुँह से 'स्वीटहार्ट' सुनकर बेहोश हो गई या फिर कुछ और बात है? यार, यह तो पता लगाना पड़ेगा। यह इतनी तो वीक नहीं है जो इतनी आसानी से बेहोश हो जाए।"
महर बोली, "हाँ, दानियाल इतनी नाज़ुक नहीं है जो इतनी जल्दी बेहोश हो जाए। या तो वह प्रोफेसर के मुँह से 'स्वीटहार्ट' सुनकर बेहोश हो गई है या फिर कुछ और बात है। यार, उसने प्रोफेसर को अपना बंदा बोला था और अब पता नहीं वह प्रोफेसर के साथ क्या-क्या करेगी। बोला है उसने प्रोफ़ेसर को अपना बनाकर रखेगी और जो वह बोलती है, याद है ना, वह करके दिखाती है। लास्ट टाइम भी उसने जो बोला था वो करके दिखाया था।" वे लोग आपस में बातें करने लगे।
वहीं, वहाँ बैठे सारे स्टूडेंट्स कुछ न कुछ कुसुफ़ुसुर कर रहे थे। उनमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे तेज़-तेज़ बात कर सकें, क्योंकि दानियाल की अभी भी बाकी की तीन दोस्त उस क्लास में मौजूद थीं।
वही वह प्रोफेसर दानियाल को लेकर डिस्पेंसरी में आ गए और वहाँ खड़ी एक डॉक्टर से बोले, "डॉक्टर, इन्हें देखें। इन्हें क्या हुआ है? यह बेहोश कैसे हो गई?"
डॉक्टर प्रोफेसर को देखते हुए बोली, "प्रोफेसर S, यह आपको कहाँ मिली?" प्रोफेसर S डॉक्टर की बात सुनकर बोले, "इन्होंने मेरे क्लास में आने की परमिशन माँगी और मैंने इन्हें परमिशन दे दी, पर यह अचानक बेहोश हो गई।" पहले ही दानियाल पूरी क्लास के सामने एम्बेरेस हो चुकी थी, वह अब उसे बेहोशी की हालत में भी डॉक्टर के सामने एम्बेरेस नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने डॉक्टर से झूठ बोल दिया।
डॉक्टर दानियाल को अच्छे से चेक करती है। वह उसके नब्ज़ चेक करती है, उसकी आँखें खोलकर चेक करती है। वह उसका बीपी भी चेक करती है और फिर प्रोफेसर S को देखते हुए बोलती है, "She is alright. शायद वीकनेस की वजह से चक्कर आ गए हों और बेहोश हो गई हो। लेकिन अभी ठीक हो जाएंगी। कुछ ही पल में होश आ जाएगा इन्हें। हमने इन्हें ग्लूकोज़ का इंजेक्शन दे दिया है जिससे उनके अंदर जो वीकनेस होगी काफी हद तक तो कवर हो जाएगी और ये बेहतर महसूस करेंगी।"
प्रोफेसर S अपना सर हां में हिला देते हैं और वहीं बैठकर अपना फ़ोन चलाने लगते हैं। थोड़ी देर बाद दानियाल को होश आने लगता है। वह एकदम से उठकर बैठ जाती है। उसकी नज़र सीधे प्रोफेसर S पर चली जाती है। वह प्रोफेसर S को देखते हुए बोलती है, "प्रोफेसर, प्रोफेसर आपने मुझे 'स्वीटहार्ट' बोला था ना।"
प्रोफेसर S उसकी बात सुनकर अपना सर हां में हिला देते हैं। दानियाल यह सुनकर एक बार फिर बेहोश हो जाती है। जहाँ कुछ वक़्त पहले उसकी आँखों में चमक आ गई थी, उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई थी, वहीं वह एक बार फिर बेहोश हो गई थी। उसकी आँखें बंद हो गई थीं।
प्रोफेसर S दानियाल को एक बार फिर ऐसा बेहोश होते देखकर डॉक्टर को देखते हुए बोलते हैं, "डॉक्टर, इन्हें क्या हो गया? अभी यह होश में आई थी, फिर बेहोश हो गई।" डॉक्टर दानियाल को एक बार फिर चेक करते हुए बोलती हैं, "प्रोफेसर S, एवरीथिंग इज़ फाइन। ये बच्ची ठीक है। सब कुछ ठीक है। फिर यह बेहोश कैसे हो गई, यह बात तो हमें भी नहीं समझ में आ रही। खैर, हम एक बार फिर इन्हें ग्लूकोज़ का इंजेक्शन लगा देते हैं।"
डॉक्टर की बात सुनकर प्रोफेसर S उन्हें रोकते हुए बोलते हैं, "डॉक्टर, एक ग्लूकोज़ का इंजेक्शन ठीक है, ज़्यादा नहीं लगाइए।" प्रोफेसर S की बात सुनकर डॉक्टर वहाँ से चली जाती है और अपना काम करने लगती है।
थोड़ी देर बाद दानियाल को होश आ जाता है। वह अपनी आँखों में चमक लिए, चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइली लिए, अपने गालों में अपने दोनों हाथ रखे, बस एकटक प्रोफेसर S को ही देखे जा रही थी।
प्रोफेसर S, जिन्हें दानियाल की नज़र खुद पर महसूस होती है, नज़र उठाकर दानियाल को देखते हैं, जो अभी थोड़ी देर पहले तो बेहोश थी और प्रोफेसर S अपना फ़ोन चलाने में बिज़ी थे। वह अब दानियाल को देखते हैं, जो अपने चेहरे पर बड़ी सी स्माइल लिए, अपनी आँखें टिमटिमाते हुए, अपनी आँखों में चमक लिए, बस एकटक प्रोफेसर S को ही देख रही थी।
प्रोफेसर S दानियाल को ऐसे खुद को घूरते देखकर बोलते हैं, "क्या हुआ? क्या मेरे चेहरे में कुछ लगा हुआ है जो आप मुझे ऐसे देख रही हैं?"
दानियाल जल्दी से अपना सर ना में हिलाते हुए बोलती हैं, "नो, नो प्रोफेसर। आपके चेहरे में कुछ भी नहीं लगा है। आप तो इतने ज़्यादा हैंडसम, क्यूट, इतने प्यार से हैं कि आपको कोई लड़की देखे तो देखते ही रह जाए। वही हाल मेरा भी है। मैं आपको देख रही हूँ तो बस देखते ही रह जा रही हूँ। आपको जब से देखा है, मेरी इन ओशन ब्लू आँखों में आपका यह हैंडसम चेहरा आकर अटक गया है। आप इतने ज़्यादा हैंडसम क्यों हैं, प्रोफेसर?" बोलते हुए वह बेड से उतर जाती है और प्रोफेसर S की गोद में बैठकर उसके सीने पर अपनी गहरी साँस छोड़ने लगती है।
प्रोफेसर S दानियाल की ऐसी हरकत पर एकदम शॉक रह जाते हैं। वह पीछे की तरफ़ खिसकते हुए बोलते हैं, "मिस दानियाल, यह आप क्या कर रही हैं? उठिए… उठिए हमारे ऊपर से। कोई… कोई… हमें ऐसे देख लेगा तो क्या समझेगा?"
दानियाल प्रोफेसर के बिल्कुल करीब आकर उसके चेहरे पर गहरी साँस छोड़ते हुए, बिल्कुल मदहोश आवाज़ में बोलती है, "प्रोफेसर, जिसे जो समझना है वह समझने दीजिए ना। अब तो आप हमारे हैं और हमारे ही रहेंगे, समझे आप? और आप बताइए ना आप इतने ज़्यादा हॉट हैंडसम कैसे हैं? कॉलेज की सारी लड़कियाँ आपको ही देख रही थीं, आप पर मर रही थीं। आज तो यह हो गया, आइन्दा यह बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए कि कोई आपको देखे। आप सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे हैं, सिर्फ़ दानियाल अख्तर के, समझे आप?"
प्रोफेसर S बस एकटक दानियाल का बेबाक अंदाज़, उसका बोलने का तरीक़ा और उसका यूँ उसे धमकाना, सब आँखें फाड़े देख रहे थे। वे पीछे चेयर से टिके बैठे हुए थे।
दानियाल आगे बोलती है, "ठीक है, अब मैं चलती हूँ। मैं ठीक हूँ। आपके बस उस प्यारे से 'स्वीटहार्ट' ने ना मुझे बेहोश कर दिया था। मेरा दिल ऐसे निकलकर बाहर आकर ठक-ठक ठक-ठक कर रहा था। मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं।" वह अपने दिल के साइड हाथ रखकर अपना थोड़ा सा हाथ आगे बढ़ाकर, अपने हाथ को धक-धक के स्टाइल में करते हुए गर्व से बोल रही थी।
प्रोफेसर S बस उसे देखते ही रहते हैं। वह पीछे की तरफ़ पूरे बैंड हो गए थे। दानियाल आराम से उनकी गोद में बैठी हुई थी और उनके चेहरे के बिल्कुल करीब अपने चेहरे को लाकर उनके गाल में हल्के से किस कर लेती है और प्रोफेसर S से दूर हो जाती है और वहाँ से जाने लगती है।
प्रोफेसर S सिर्फ़ और सिर्फ़ आँखें फाड़े बस उसे देखने लगते हैं। दानियाल मुस्कुराते हुए अपने होठों के पास अपने हाथ को रखकर प्रोफेसर S को फ्लाइंग किस दे देती है और वहाँ से जाते हुए बोलती है, "प्रोफेसर, ध्यान रखिएगा। आप सिर्फ़ मेरे हैं, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली जाती है।
प्रोफेसर S की हालत तो ख़राब हो गई थी। वह अपनी साँस को लूज़ करते हुए गहरी साँस लेते हुए बोलते हैं, "यह क्या था? यह कैसी स्टूडेंट थी? इन्हें जरा सा लिहाज़ नहीं है प्रोफ़ेसर का। हमारी… हमारी गोद में आकर बैठ गई। क्या स्टूडेंट है यह? या खुदा आपने हमें कौन सी यूनिवर्सिटी में भेज दिया जहाँ पर ऐसे फ्लर्टी स्टूडेंट हैं? नहीं, सबको बोलना गलत होगा। यह स्टूडेंट फ्लर्टी है। मिस दानियाल अख्तर सबसे बड़ी फ्लर्टी है।"
दानियाल मुस्कुराते हुए, लहराते, झूमते हुए आराम से अपनी क्लास की तरफ़ आ रही थी। वह बहुत ज़्यादा खुश थी। वह खुद से बोलती है, "वाह! मैंने अपने हैंडसम बंदे को फाइनली किस कर ही लिया। पहली… नहीं-नहीं, पहली नहीं, तीसरी मुलाक़ात में। अब चाहे मुलाक़ात तुरंत की तुरंत हो गई हो, लेकिन मुलाक़ात तो हुई ना और हमने इस मुलाक़ात में अपने बंदे को किस कर लिया और साथ में फ्लाइंग किस भी दे दी। हाय…" वह अपने दिल पर हाथ रखते हुए बोलती है।
तभी उसे उसकी तीनों दोस्त मिल जाती हैं। सफ़ा जल्दी से दानियाल को देखते हुए बोलती है, "दानी, आर यू ऑलराइट? तुम ठीक हो ना? तुम्हें क्या हो गया था? तुम बेहोश कैसे हो गई थी?"
दानियाल, जो अपने ख़यालों में ही गुम बस चली जा रही थी, अचानक अपने दोस्तों की आवाज़ सुनकर वह होश में आ जाती है और मुस्कुराते हुए बोलती है, "येस, बेब्स। मैं ठीक हूँ। मुझे क्या होना है यार? हाय! मेरे बंदे ने मुझे 'स्वीटहार्ट' बोला। इसी सब में मैं बेहोश हो गई। जिस बंदे को मैंने पसंद किया, वह तो मेरा प्रोफ़ेसर निकला और फिर उसने मुझे 'स्वीटहार्ट' भी बोला। मैं बेहोश ना होती तो क्या करती? कितने प्यार से बोल रहे थे, 'स्वीटहार्ट'! इट्स नॉट कम आउट, इट्स कम इन!"
"माना मैंने जल्दी-जल्दी में गलत बोल दिया था, पर मेरे बंदे ने कितने अच्छे से, कितने प्यार से बोला था। हाय! सुनने का तरीक़ा इतना अच्छा था तो सोचो बोलने का तरीक़ा कितने स्टाइल में होगा।"
महर मुस्कुराते हुए बोलती है, "हाँ, बात तो सही है। प्रोफ़ेसर ने बोला बड़े स्टाइल में था। अपने दोनों पॉकेट में अपने दोनों हाथ डालकर गेट की तरफ़ देखते हुए बोला था।"
दानियाल एक बार फिर लड़खड़ाने लगती है। आयरा उसे संभालते हुए बोलती है, "यार, संभल के। क्या कर रही हो? फिर से बेहोश होने का इरादा है क्या? देखो, हम तुम्हें उठाकर नहीं ले जाने वाले हैं। तुम ना प्रोफ़ेसर S के सामने ही बेहोश होना, वही तुम्हें अपनी बाहों में उठाकर लेकर जाएँगे।"
दानियाल यह सुनकर एक जोरदार चीख़ मारते हुए बोलती है, "क्या?"
वे तीनों अपने कान कस के बंद कर लेती हैं। उनको यही उम्मीद थी दानियाल से। जब दानियाल शांत हो जाती है, वे तीनों अपने कान से अपने हाथों को अलग करते हुए बोलती हैं, "हाँ, यह सही है। और अब तुम प्लीज़ बेहोश मत होना और थोड़ा धीरे चीख़ा करो यार। पूरा कॉलेज इकट्ठा करने का इरादा है क्या?"
वहीं, वहाँ पर कुछ लड़के आ रहे थे जो उन चारों को वहाँ देख लेते हैं। उनमें से एक लड़का बोलता है, "यार, वहाँ नहीं जाना। दूसरी तरफ़ चलो। दिख नहीं रहा है वहाँ पर फ्लर्टी क्वींस खड़ी हुई हैं, द गैंग ऑफ़ D4।"
"क्यों डरते हैं सारे बच्चे गैंग ऑफ़ D4 से और फ्लर्टी क्वींस से?"
दानियाल अपने दोस्तों से बात कर रही थी। तभी वहाँ चार लड़कों का एक समूह आ रहा था। उन्हें देखकर वे भागने लगे। सफा की नज़र उन पर पड़ी। सफा ने तेज आवाज़ में उन्हें रोका, "ओए, तुम चारों कहाँ भाग रहे हो? इधर आओ!"
सफा की आवाज़ सुनकर वे चारों अपनी मुट्ठियाँ कस के बाँध लीं और अपनी आँखें बंद कर लीं।
वह धीरे से खुद से बोले, "पकड़े गए हम! इन फ्लर्टी क्वींस की पता नहीं अब हमारे साथ क्या करेंगी?"
सफा ने फिर तेज आवाज़ में कहा, "ओए, तुम चारों को सुनाई नहीं दे रहा? तुम्हीं चारों से बोल रही हूँ, सुनाई नहीं दे रहा है क्या? इधर आओ जल्दी!"
वे चारों लड़के धीरे-धीरे उनके सामने खड़े हुए।
महर ने उन चारों को अपने हाथ से बुलाते हुए कहा, "अरे ओ, डर क्यों रहे हो? इधर आओ ना।"
वे चारों धीरे-धीरे, घिसटते हुए, अपने कदम पौन-पौन इंच पर रखते हुए, उनकी तरफ़ बढ़ने लगे।
आईरा ने उन चारों को देखते हुए कहा, "क्या तुम चारों लड़कियाँ हो? तुम्हारे पैरों में मेहँदी लगी हुई है। इतना धीरे-धीरे क्यों चल रहे हो? जल्दी आओ हमारे पास, और भी बहुत सारा काम है हमें।"
दानियाल उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और अपना सिर हिला दिया। वे चारों लड़के अब अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर लेते हैं और पाँच मिनट बाद उनके पास आकर खड़े हो जाते हैं।
सफा ने एक लड़के के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "क्यों भाई? तुम्हारे पैरों में मेहँदी लगी हुई थी क्या? इतना धीरे-धीरे आ रहे थे? दो मिनट का रास्ता तुम लोगों ने पाँच मिनट में तय किया और पाँच मिनट तक हमें यहाँ खड़ा रखा। तुम लोगों का हमने इंतज़ार किया, तुम लोगों ने डी4 से इंतज़ार करवाया। अब तो इसकी सज़ा मिलेगी तुम लोगों को।"
उनमें से एक लड़का उन चारों के सामने हाथ जोड़ते हुए, रोते हुए बोला, "बाज़ी छोड़ दीजिए हमें, हमारे साथ कुछ भी मत करिए।"
सफा ने उसकी बात सुनकर कहा, "अबे ओय! क्या बोला तुमने? और बाज़ी किसको बोला बे? मैं तुम्हें बेबी बनाने को सोच रही थी और तुम मुझे बाज़ी बना रहे हो? बनाना है तो मुझे अपनी बीवी बनाओ, बाज़ी कौन बनाता है बे? खैर, वो छोड़ो, चिकने तो तुम बहुत हो। यह बताओ, तुम्हारे गालों में बाल नहीं आते क्या? बड़े चिकने हैं तुम्हारे गाल। बताओ, कहीं तुम अपने गालों में ब्लीच वगैरा करते हो क्या?"
"बिल्कुल भी तुम्हारे गालों में बाल नहीं दिख रहे हैं, एक भी बाल नहीं है तुम्हारे चेहरे में। बताओ, दाढ़ी नहीं आई तुम्हारी? बताओ, क्या करवाते हो तुम?"
वह लड़का धीरे से बोला, "मेरे गालों में बचपन से बाल नहीं आए। मेरी अम्मा ने मेरे लोई अच्छे से करी थी, खूब मलमल के की थी। कभी तो मेरे गालों में बाल नहीं आए हैं।"
सफा उसकी बात सुनकर कुछ सोचते हुए बोली, "मतलब तुम्हारे हाथों और पैरों में भी बाल नहीं होंगे और तुम्हारे वहाँ पर भी नहीं होंगे।"
सफा की बात सुनकर वह लड़का हैरानी से सफा को आँखें फाड़े देखने लगा। वह जल्दी से अपने पैरों के बीच अपने दोनों हाथ रख लेता है। वह धीरे से बोला, "यह आप...आप क्या-क्या बोल रही हैं?"
सफा की बात सुनकर उसकी आवाज़ गले में आ गई थी। वह हकलाने लगा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले। उसे तो ऐसा लग रहा था कि वह कहीं पर एक बड़ा सा गड्ढा खोद ले और वहाँ जाकर खुद को दफ़ना ले। यह लड़की उससे कैसी-कैसी बात कर रही थी।
सफा जल्दी से बोली, "अबे ओ! क्या बोल रहे हो? हमने क्या बोला? हमने तो बस यह बोला कि तुम्हारे सीने में बाल नहीं होंगे, मतलब तुम लोग क्या सोच रहे थे? और सोचे तुम लोगों की इतनी ख़राब सोच। डरी माइंडेड थॉट।"
उनमें से एक लड़का धीरे से बोला, "बाज़ी आपने वही बोला था। फिर आप बात से मुकर क्यों रही हैं?"
सफा उसे घूरते हुए बोली, "ओय! एक बार बोला ना बाज़ी, मत बोलना, वरना तुम्हारी टाँगें हम यहीं तोड़ देंगे! एक बार हमने बोला, हमने नहीं बोला है, वह मतलब नहीं। तुम लोगों के माइंड्स कितने गंदे हैं! छी छी! अपने डर्टी माइंड्स को जाकर पाक करो! इतने गंदे दिमाग रखे हुए हैं तुम लोगों के!"
फिर उस लड़के को देखते हुए बोली, "बताओ ना, नहीं हैं तुम्हारे बाल?"
वह लड़का अपना सिर ना में हिला देता है। सफा उसे देखते हुए बोली, "मतलब तुम मीठे हो!" बोलकर वह जोर-जोर से हँसने लगी। वहीं उसकी तीनों दोस्तें भी हँसने लगीं और एक-दूसरे को हाई-फाई करने लगीं।
महर वहाँ खड़े एक लड़के को देखते हुए बोली, "ओ हैंडसम चिकने! जरा यह बताओ, तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड हैं?"
वह लड़का जल्दी से अपना सिर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं, नहीं। मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है।"
महर हल्का हँसते हुए बोली, "अच्छा? फिर कॉलेज के पीछे बैक साइड में तुम किसी लड़की के साथ मॉर्निंग में क्या कर रहे थे? उसे किस कर रहे थे ना तुम? हाँ, मैंने देखा था, तुम ही थे। वह लड़की का चेहरा तो नहीं देखा आईने में, लेकिन वो लड़के तुम थे।"
"अच्छा, बताओ, वो लड़की कौन थी? मुझसे ज़्यादा खूबसूरत है क्या? एक काम करो, तुम मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ। तुम्हें बहुत खुश रखूँगी मैं और तुम्हारी सारी नीड्स पूरी करूँगी। बताओ, बोलो, बनोगे मेरे बॉयफ्रेंड? वैसे तुम हैंडसम तो बहुत हो। अच्छा, बताओ ना, कौन सी फेस क्रीम लगाते हो? मैं भी लगाऊँगी, तुम्हारे जैसा गोरा रंग लाऊँगी। मेरे गाल देखो, तुम्हारे गाल जैसे गोरे नहीं हैं।" वो उसके चेहरे पर उंगली चलाते हुए बोली।
वह लड़का डरते हुए बोला, "यह आप क्या कर रही हैं? मुझे छोड़ दीजिए। मेरी गर्लफ्रेंड देख लेगी तो मुझ पर शक करने लगेगी। वह कहीं मुझसे ब्रेकअप ना कर दे। प्लीज, प्लीज, मुझे छोड़ दीजिए।" वो रिक्वेस्ट करते हुए बोला।
महर उसके कंधे में हाथ रखकर बोली, "छोड़ दूँगी तुम्हें। पहले यह तो बताओ, तुम्हारी अभी तक कितनी गर्लफ्रेंड हैं?"
वह लड़का जल्दी से बोला, "एक है, और मैं उससे बहुत-बहुत प्यार करता हूँ। मैं उसे खोना नहीं चाहता।"
महर उसके सीने में हाथ चलाते हुए, उसके कंधे पर अपने दूसरे हाथ को रखते हुए बोली, "अच्छा, तुम इतना ज़्यादा प्यार करते हो अपनी गर्लफ्रेंड को? चलो, तुम्हें छोड़ दिया। जाओ, तुम्हें तुम्हारी गर्लफ्रेंड के पास जाने के लिए आजाद किया।" इतना बोलकर वह उससे दूर हो गई। वह लड़का एक राहत की साँस लेता है।
तभी महर एक बार फिर उसके करीब जाकर बोली, "एक बात तो बताओ, तुमने आज तक कितनी लड़कियों को किस किया है? या फिर जो आज की किस थी, वह तुम्हारी पहली किस थी?"
वह लड़का डरते हुए, धीरे से हकलाते हुए बोला, "मेरी...मेरी पहली किस थी।"
महर उसकी बात सुनकर उसे छोड़ देती है।
आईरा तीसरे लड़के के बिल्कुल करीब आकर, उसकी गर्दन में अपनी उंगलियाँ धीरे-धीरे चलाते हुए, बहुत ही प्यार से बोली, "ओय हैंडसम! गाल तो तुम्हारे बड़े चिकने हैं। अच्छा, यह बताओ, घर में तुम्हारी मम्मी और बड़ी बहन हैं?"
वह लड़का जल्दी से अपना सिर हाँ में हिला देता है।
आईरा उसकी बात सुनकर बोली, "तो फिर जल्दी से मेरे घर रिश्ता ले आओ। हो तो तुम बड़े हैंडसम और प्यारे भी। मैं तुमसे फटाफट निकाह कर लूँगी। निकाह में कितना वक़्त लगता है? हम तुरंत निकाह करेंगे। काज़ी साहब को मैं राज़ी करके ले आऊँगी, तुम उसकी चिंता मत करो।"
वह लड़का डरते हुए बोला, "बाज़ी...मेरी...मेरी गर्लफ्रेंड है।"
आईरा उसकी बात सुनकर बोली, "ओय! बाज़ी किसको बोला? और तुम्हारी गर्लफ्रेंड है तो क्या हुआ? तुम पहले से बुक हो तो कोई बात नहीं। मैं तुम्हारा ब्रेकअप करवा दूँगी। तुम्हें अपनी तरफ़ कर लूँगी। तुम मेरे बॉयफ्रेंड बनकर मेरे बुक हो जाना। मैं तो तुम्हारी सारी ख़्वाहिशें पूरी करूँगी। तुम्हें कपड़े, बंगला, गाड़ी सब दूँगी। तुम्हें चारमीनार और बाकी जितनी भी जगह हैं हैदराबाद में, सब कहीं तुम्हें घुमाने लेकर जाऊँगी। बन जाओ ना मेरे बॉयफ्रेंड, हैंडसम!" बोलते हुए उसके सीने पर हाथ चलाते हुए ऊपर की तरफ़ ले जाने लगती है।
वह लड़का दो कदम पीछे होकर आईरा को देखते हुए बोला, "बाज़ी छोड़ दीजिए ना हमें। प्लीज, हमारे साथ ऐसा मत करिए।"
आईरा उसे देखते हुए बोली, "हमने तुम्हारे साथ ऐसा-वैसा कुछ किया ही नहीं है। बस नॉर्मल सी तुमसे बात कर रही हैं और तुम हमारी बात का जवाब देने की जगह इतना ज़्यादा डर रहे हो।"
वह लड़का डरते हुए बोला, "हमने आपका जवाब दे दिया ना। हमारी गर्लफ्रेंड है, जिससे हम बहुत ज़्यादा प्यार करते हैं।"
आईरा उदास होते हुए बोली, "तो फिर तुम मेरे बॉयफ्रेंड नहीं बनोगे? तुमने तो मेरा दिल तोड़ दिया, मेरे दिल को हज़ार टुकड़ों में कर दिया। नहीं बनना तुम्हें मेरा बॉयफ्रेंड? चलो, तुम्हें इस बार छोड़ दिया। अब किसी दूसरे को मुझे अपना बॉयफ्रेंड बनाना पड़ेगा।"
उन तीनों लड़कों की तो अच्छी खासी फ़्लर्टिंग हो गई थी। अब बचा एक लास्ट और आखिरी लड़का जो बहुत ज़्यादा डर रहा था क्योंकि दानियाल कोई मामूली नहीं थी। वो जितनी मासूम दिखती थी, उतनी ज़्यादा फ़्लर्ट करती थी। वो उन तीनों से भी ज़्यादा फ़्लर्ट करती थी, कि लड़का पूरा फ़्लैट हो जाए उसके फ़्लर्ट को देखकर।
उस लड़के का भी यही हाल था। उसकी हालत बहुत ज़्यादा ख़राब हो रही थी।
दानियाल उस लड़के को देखते हुए बोली, "जाओ, तुम्हें माफ़ किया। नहीं करती मैं तुम्हारे साथ कुछ भी। बख्श दी तुम्हारी ज़िंदगी। जाओ बेटा जी, लो अपनी ज़िंदगी।" बोलते हुए वो हँसने लगी।
आईरा, महर और सफा एक साथ बोलीं, "ऐसे कैसे? जी लो अपनी ज़िंदगी? तुमने छोड़ दिया तो हम क्या करें? हम तो हैं!" बोलते हुए वो तीनों मुस्कुराने लगीं और उस लड़के के करीब जाने लगीं।
दानियाल फ़्लर्टिंग के मामले में उन तीनों लड़कियों के बराबर थी। अब उस बेचारे लड़के के पास तीन-तीन लड़कियाँ जा रही थीं। उस लड़के की हालत तो बहुत ज़्यादा ख़राब हो रही थी। वह डरते हुए बोला, "प्लीज, प्लीज, मेरे साथ कुछ मत करिए। मत आइए मेरे पास। मत करिए मेरे साथ कुछ भी।"
आईरा उसे देखते हुए बोली, "अरे बेटा! बस थोड़ा सा ही तो फ़्लर्ट करेंगी। कौन सा तुम्हें ज़्यादा परेशान करेंगी? बस थोड़ा सा फ़्लर्ट, फिर छोड़ देंगी।"
सफा उस लड़के के बिल्कुल करीब जाकर, उसके गर्दन के पीछे हाथ डालकर, धीरे-धीरे उसके गर्दन को सहलाते हुए बोली, "बच्चे! एक बात बताओ, मेरे साथ डेट पर चलोगे? अच्छा, बताओ, तुम्हारे लिए एक परफ़ेक्ट डेट क्या होनी चाहिए?" वह बहुत ही अलग अंदाज़ में उससे बोल रही थी। उसका अंदाज़ ऐसा था कि कोई भी उसके अंदाज़ में पिघल ही जाए।
वह लड़का सफा को देख रहा था, जिसका बोलने का तरीका, खड़े होने का तरीका बहुत ही अलग था। वह अपने गले को तर करते हुए बोला, "देखिए, मैं...मैं बुक हूँ। आप...आप किसी और को देख लीजिए। मुझे...मुझे छोड़ दीजिए।"
आईरा उस लड़के के कंधे में हाथ रखकर बोली, "बच्चे! कैसे छोड़ दें तुम्हें? अभी-अभी आए हो। अच्छा, बताओ ना, मेरे साथ डेट पर जाओगे तो क्या चाहोगे? मैं क्या पहनूँ? अगर तुम जाना चाहते हो तो हम तुम्हारा इंतज़ार कर लें यहीं, पलकें बिछाए, तुम्हारी बाहों में, तुम्हारी यादों में सारा दिन बिता दें। बताओ, कब आओगे?"
वह लड़का उन सबसे दूर होते हुए बोला, "प्लीज, प्लीज, मुझे जाने दीजिए। प्लीज, जाने दीजिए।"
दानियाल उस लड़के को देखते हुए बोली, "यार, जाने दो इसे। लगता है दो मिनट बाद रो देगा!" बोलते हुए जोर-जोर से हँसने लगी। वह अपने फ्रेंड्स के साथ हाई-फाई करने लगी।
दानियाल उन चारों लड़कों को वहाँ से जाने का इशारा करती है। वे सारे लड़के वहाँ से चले जाते हैं। उनमें से एक लड़का बाकी सारे लड़कों से बोला, "यह लोग इतना ज़्यादा फ़्लर्ट करती हैं। पूरे कॉलेज में सरेआम करती हैं। कोई उन्हें कुछ बोलता क्यों नहीं है? तुम सब उनसे इतना डरते क्यों हो? क्या ये सीनियर हैं?"
उनमें से दूसरा लड़का बोला, "वो सीनियर नहीं हैं, फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स हैं।"
वह लड़का दोबारा बोला, "तो फिर क्यों कोई कुछ नहीं बोलता? फर्स्ट ईयर स्टूडेंट होने के बावजूद भी इतनी ज़्यादा हिम्मत है उन लोगों में।"
वह लड़का बोला, "यस, हिम्मत है, बहुत ज़्यादा है उन लोगों के अंदर। पता नहीं क्यों, यह तो हम भी नहीं जानते। अथॉरिटी इनको क्यों कुछ नहीं कहती? प्रिंसिपल ने आज तक इन्हें कुछ नहीं कहा। बस हमें इन फ़्लर्ट क्वींस से बचकर रहना है, डी4 की मेंबर से बच के रहना है। यह हमें जहाँ देखे, हमें तुरंत अपना रास्ता बदल लेना है। आज देखा ना, हमारी क्या हालत करी थी? कैसे बात करी थी? किस तरह से फ़्लर्ट कर रही थी? हमें हमेशा एहतियात बरतनी है।" उसके बाकी तीनों दोस्त भी अपना सिर हाँ में हिला देते हैं।
वहीं दानियाल अपने तीनों दोस्तों को देखते हुए बोली, "लाइब्रेरी चलें।"
उसके तीनों दोस्त एक साथ बोले, "क्या? लाइब्रेरी? लाइब्रेरी में क्या रखा है? हम लाइब्रेरी क्यों जाएँ?"
दानियाल उन तीनों को देखते हुए बोली, "बस मुझे कुछ बुक्स चाहिए देखो।" वो अपने फ़ोन में उन्हें कुछ दिखाने लगी। वह तीनों दानियाल के फ़ोन की तरफ़ झुक जाते हैं। वो बोली, "Guess what?"
"देखो यार, क्या ग़ज़ब का चीज़ मुझे मिला है! मेरे प्रोफ़ेसर कोचिंग पढ़ाते हैं! मतलब मैं अपने प्रोफ़ेसर से कोचिंग पढ़ने जा सकती हूँ!" फिर वह अपनी नज़रें उन तीनों पर करती है, जिनकी आँखों में भी चमक आ गई थी। वो उन तीनों को घूरते हुए बोली, "तुम तीनों नहीं, तुम तीनों कोचिंग नहीं जाओगे। मैं अकेले जाऊँगी अपने प्रोफ़ेसर की कोचिंग।" और बोली, "यार, ग़ज़ब! मतलब जिन पर दिल लगाया, उनसे बैठकर कोचिंग भी पढ़ सकती हूँ मैं! कॉलेज में भी पढ़ सकती हूँ मैं! That's amazing! मैं तो बहुत ज़्यादा खुश हूँ! अब मैं जा रही हूँ लाइब्रेरी।"
वो उन तीनों से एक बार और पूछती है, "तुम तीनों को चलना है?"
वे तीनों एक साथ दानियाल को देखते हुए बोले, "यार, तुम जहाँ जाओ, हम भी तो तुम्हारे पीछे-पीछे आएंगे ना!" दानियाल उन तीनों को देखते हुए बोली, "मेरे साथ फ़्लर्ट करने की कोशिश मत करना। मैं फ़्लर्ट करने पर आई ना, तुम तीनों पर भारी पड़ जाऊँगी।" वह तीनों एक साथ हँसते हुए बोले, "हाँ, हाँ। हमें पता है, हमारे गैंग की सबसे बड़ी फ़्लर्टी क्वीन तो आप हैं!" बोलते हुए वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं।
क्या करेगी अब दानियाल प्रोफ़ेसर S के साथ?
“Osmania University library”
दानियाल लाइब्रेरी में कुछ किताबें ढूंढ रही थी। वह एक शेल्फ के पास जाती हुई बोली, "किताबें, किताबें, किताबें! यही होनी चाहिएं, लेकिन ये दिख क्यों नहीं रही हैं? कहाँ चली गईं ये किताबें?"
सफा दानियाल से धीरे से बोली, "यार, हो सकता है ना यहाँ पर वो किताबें न हों। हम लोग गलत शेल्फ पर ढूंढ रहे हों। हम एक बार चलकर लाइब्रेरियन से पूछ लेते हैं ना? उन्हें पता होगा किताबें कहाँ हैं।"
दानियाल अपना सिर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं यार, लाइब्रेरियन से क्यों पूछना? मुझे पता है वो किताबें यहीं थीं। मैंने एक बार एक स्टूडेंट को बोला था यहाँ से किताबें लाने के लिए। उसने मुझे शेल्फ बताई थी, और इसी शेल्फ पर किताबें रहती थीं। हमारे कोर्स की, बॉटनी की किताबें, इसी शेल्फ पर थीं। कहाँ चली गईं? वो हमें मिल क्यों नहीं रही हैं?" वो उस शेल्फ में किताबें ढूंढते हुए बोली।
तभी सफा की नज़र ऊपर पड़ती है। वह दानियाल को देखते हुए बोली, "यार, ज़रा ऊपर देखो, कहीं वो तो नहीं हैं?" मेहर और आयरा की भी नज़र ऊपर की तरफ पड़ती है।
आयरा उन किताबों को देखते हुए बोली, "ये! ये किताबें तो वही हैं!"
दानियाल ऊपर देखते हुए बोली, "मिल गईं किताबें!" वह बहुत ज़्यादा खुश होने लगती है। तभी लाइब्रेरियन उनका हल्ला सुनकर उन्हें घूरकर देखने लगती है।
दानियाल जल्दी से शांत हो जाती है और वहाँ रखी सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है।
सफा दानियाल को देखते हुए बोली, "यार, ये तुम क्या कर रही हो? सीढ़ियों पर चढ़ रही हो, गिर जाओगी!"
दानियाल उसे देखते हुए बोली, "Don't worry, cutie pie! मैं नहीं गिरने वाली। इतनी आसानी से मैं गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता। अच्छा, मैं जल्दी से चढ़कर किताबें लेकर आती हूँ, फिर उसके बाद प्रोफ़ेसर साहब से बात भी तो करनी है।"
आयरा, सफा और मेहर उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देते हैं। दानियाल ऊपर चढ़ने लगती है और उन किताबों को देखने लगती है। वो खुद से बोली, "कौन सी किताबें चाहिए मुझे?"
प्रोफ़ेसर S, जो वहाँ से गुज़र रहे थे, उनकी नज़र दानियाल पर पड़ती है जो ऊपर किताबें ढूंढने में बिजी थी। तभी दानियाल की भी नज़र प्रोफ़ेसर S पर पड़ जाती है। वह दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखने लगते हैं। दानियाल की वो ओसियन ब्लू आँखें प्रोफ़ेसर S की उन सुरमई आँखों में डूब जाती हैं। दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे।
वहीं सफा, मेहर और आयरा उन दोनों को जब ऐसे, एक-दूसरे को देखते हुए, मुस्कुराते हुए देखते हैं, तो एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते हैं और धीरे-धीरे वहाँ से गायब हो जाते हैं, और लाइब्रेरियन को भी अपने साथ वहाँ से ले जाते हैं।
दानियाल अभी भी प्रोफ़ेसर S की आँखों में देख रही थी। उनकी उन सुरमई आँखों में वह पूरी तरीके से डूबी जा रही थी। पता नहीं उन सुरमई आँखों में एक अलग ही नशा था।
प्रोफ़ेसर S दानियाल की ओसियन ब्लू आँखों में डूब रहे थे। उसकी उन आँखों में भी एक अलग ही नशा था। वो आँखें समुद्र जैसी गहरी तो थी ही, आसमान जैसी फैलाव भी उसकी उन आँखों में था।
वो उन सुरमई आँखों में इस कदर खो गई थी कि उसे ये भी होश नहीं था कि वो सीढ़ियों पर खड़ी है। अचानक ही दानियाल का पैर लड़खड़ा जाता है और वह नीचे गिरने लगती है।
डर के मारे उसने कस के अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उसे बहुत ज़्यादा डर लग रहा था। कहीं वो नीचे गिर गई, उसका सर फूट गया, या उसके हाथ-पैरों में चोट आ गई, या उसकी हड्डियाँ टूट गईं, या फिर उसके हाथ-पैर फ्रैक्चर हो गए, तो वो अपने प्रोफ़ेसर से कैसे मिलेगी? कैसे उनके पास कोचिंग पढ़ने जाएगी? उसे सबसे ज़्यादा इस बात का डर था। इसी डर से उसने कस के अपनी आँखें बंद कर रखी थीं।
वह जैसे ही नीचे गिरती है, किसी की मज़बूत बाहें उसे थाम लेती हैं। वो किसी की मज़बूत बाहों में खुद को महसूस करती है। किसी की मज़बूत पकड़ उसकी उन छोटे-छोटे, पतले-पतले से हाथों पर थी। वह खुद को चोट ना लगते हुए बोली, "ये खुदा! क्या हम ठीक हैं? हम मरे नहीं हैं! मतलब हम ठीक हैं! हम मरे नहीं हैं! हम अब आराम से अपने प्रोफ़ेसर साहब को ताड़ सकते हैं, उनके साथ फ़्लर्ट कर सकते हैं!" बोलते हुए वो धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलने लगती है।
एक बार फिर वह ओसियन ब्लू आँखें उन सुरमई आँखों से टकरा जाती हैं। उन सुरमई आँखों में एक अलग ही कशिश थी, जिसमें दानियाल डूबी चली जा रही थी।
प्रोफ़ेसर S उसे अपनी बाहों में लिए हुए एकटक उसकी ओसियन ब्लू आँखों में देख रहे थे। दोनों की आँखों में ही एक अलग कशिश नज़र आ रही थी। दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में डूबे चले जा रहे थे। ना जाने ये कौन सा आलम था कि दोनों को एक-दूसरे की आँखों के सिवा आस-पास का कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था।
कुछ गिरने की वजह से प्रोफ़ेसर S अचानक होश में आ जाते हैं। वह दानियाल को अच्छे से खड़ा करते हुए, बिना उसे देखे, बोलते हैं, "मिस दानियाल, are you ok? आप ठीक हैं ना?"
दानियाल जल्दी से अपना सर हाँ में हिला देती है और प्रोफ़ेसर S को देखते हुए उनके बिल्कुल करीब आने लगती है। वो कुछ बोल नहीं रही थी, वो बस उनके करीब बढ़ती जा रही थी। प्रोफ़ेसर S उसके बढ़ते कदमों को देखकर अपने कदम पीछे लेने लगते हैं और एक शेल्फ से टकरा जाते हैं।
दानियाल उनके बिल्कुल करीब आकर उनकी गर्दन में अपने दोनों बाहें लपेटकर, बिल्कुल फ़्लर्टी अंदाज़ में बोली, "उफ़्फ़ो, प्रोफ़ेसर साहब! आज आपने तो हमें बचा ही लिया गिरने से! वरना हम गिर जाते, तो हम आपके इन दोनों बाहों में पूरे यूनिवर्सिटी में घूमते!"
"आपकी बाहें और आपकी गोद इतनी ज़्यादा कम्फ़र्टेबल हैं! हमें इतना सुकून मिलता है, हम आपको बता ही नहीं सकते! हमारा तो आपके इन बाहों से उतरने का मन ही नहीं करता!"
दानियाल की ऐसी बातें सुनकर प्रोफ़ेसर S का गला सूखने लगता है। वो अपने गले को तर करते हुए दानियाल से बोलते हैं, "मिस दानियाल, आप… आप… ठीक हैं ना? आप… आप… कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही हैं? हम सुबह से आपको देख रहे हैं। I think आप ठीक नहीं हैं। आपको हॉस्टल जाकर रेस्ट करना चाहिए।"
दानियल प्रोफ़ेसर S की गर्दन में अपना एक हाथ अच्छे से लपेटकर, अपने दूसरे हाथ को उसकी गर्दन से अलग करके, उसकी शर्ट में डालकर, उसकी शर्ट में धीरे-धीरे अपने हाथों को चलाते हुए बोली, "I am perfect, प्रोफ़ेसर साहब! हम बिल्कुल ठीक हैं! लेकिन आपको देखकर हम इम्परफ़ेक्ट हो जाते हैं! आप में पता नहीं क्या जादू है, क्या नशा है कि हमारी परफ़ेक्टनेस को इम्परफ़ेक्टनेस में बदल देता है!" बोलते हुए,
प्रोफ़ेसर S के और करीब आने लगती है और उसके सर के बगल में अपना एक हाथ रखकर, उसके दोनों पैरों के बीच में अपना एक पैर रखकर, उसके और करीब होकर बोली, "प्रोफ़ेसर साहब, आप बताइए ना, आप इतने हैंडसम क्यों हैं? आपकी हैंडसमनेस का राज क्या है?"
"अच्छा, वो छोड़िए! आप ये बताइए, निकाह करेंगे आप हमसे? हम आपसे निकाह करने के लिए पूरे तैयार बैठे हैं। आप बताइए, आप हमसे निकाह करेंगे?"
प्रोफ़ेसर S दानियाल की निकाह वाली बात सुनकर अपनी आँखें हैरानी से फैलाकर उसे देखने लगते हैं और हकलाते हुए बोलते हैं, "ये… ये… आप… आप कैसे… कैसे बातें कर रही हैं, मिस दानियाल?" प्रोफ़ेसर S के चेहरे पर डर साफ़ नज़र आ रहा था। दानियाल ना जाने उनसे कैसी बातें कर रही थी, ये सब उनके लिए बिल्कुल नया था।
दानियाल उनके और करीब जाकर बोली, "प्रोफ़ेसर साहब, हम तो बिल्कुल सही बात कर रहे हैं! हम क्या गलत बात कर रहे हैं? हमने कौन सी गलत बात कर दी है? हम तो आपसे बिल्कुल सही-सही बात कर रहे हैं! अच्छा, बताइए ना!" बोलते-बोलते वो रुक जाती है और बोली, "एक मिनट!" दानियाल की नज़र प्रोफ़ेसर S के हाथों पर पड़ती है जो बहुत ही ज़्यादा चिकने थे। वह उनके हाथों को देखकर, उनके हाथों को पकड़कर, धीरे-धीरे अपने हाथों से सहलाने लगती है। वो उनके हाथों को सहलाते हुए धीरे से बोली, "प्रोफ़ेसर साहब, ये आपके हाथ तो बड़े चिकने हैं! आपके हाथों में तो बिल्कुल भी बाल नहीं हैं! अच्छा, बताइए ना, आप क्या वैक्स करवाते हैं?"
प्रोफ़ेसर S आँखें फाड़कर बोलते हैं, "व्हाट???"
दानियाल बोली, "हाँ! अच्छा, बताइए ना, आप कौन से पार्लर से वैक्स करवाते हैं? हमें भी बताइए, हम भी उस पार्लर में जाएँगे! आपके हाथ में तो बिल्कुल भी बाल नहीं हैं, लेकिन हमारे हाथ में देखिए कितने बाल हैं!" वह मासूम सा, उदास सा चेहरा बनाकर प्रोफ़ेसर S के सामने अपने हाथों को कर देती है, जिसमें छोटे-छोटे से बाल थे।
प्रोफ़ेसर S दानियाल को खुद से दूर करते हुए बोलते हैं, "मिस दानियाल, are you out of your senses? आप ये हमसे कैसी बातें कर रही हैं? आपको समझ में भी आ रहा है आप हमसे क्या पूछ रही हैं?"
दानियाल एक बार फिर प्रोफ़ेसर S को उसकी शर्ट से पकड़कर उसे बिल्कुल अपने करीब कर लेती है और उसे एक बार फिर उस शेल्फ से लगाकर उसके और करीब जाकर उसके चेहरे पर अपनी गर्म, गहरी साँसें छोड़ते हुए बोली, "प्रोफ़ेसर साहब, आपने हमारे सवाल का जवाब तो दिया नहीं! बताइए तो आप किस पार्लर से वैक्स करवाते हैं? हमें भी करवाना है! देखिए ना, हमारे हाथों में छोटे-छोटे से बाल हैं! हम भी अपने हाथ आपके हाथों के जैसे बिल्कुल चिकने करना चाहते हैं! बताइए ना, प्रोफ़ेसर!"
प्रोफ़ेसर S दानियाल की बातें सुनकर क्या बोलते, उनकी आँखें तो बस हैरानी से फटी की फटी रह गई थीं। दानियाल की ऐसी-ऐसी बातें सुनकर वह धीरे से बोलते हैं, "आप बेशर्म हैं क्या, मिस दानियाल?"
दानियाल जैसे ही उनकी बात सुन लेती है और प्रोफ़ेसर S के चेहरे पर अपनी उंगली को धीरे-धीरे चलाते हुए बोली, "प्रोफ़ेसर साहब, अभी हमने आपको अपनी बेशर्मी कहाँ दिखाई है? अभी तो हम सिम्पल से आपसे फ़्लर्ट कर रहे हैं! आप हमारे सवालों का जवाब ही नहीं दे रहे हैं! क्या पता हम अपनी बेशर्मी पर उत्तर आएँ तो आप अपनी सारी शर्म भूल जाएँ!"
"अच्छा, खैर, ये छोड़िए! हमने सुना है आप कोचिंग भी देते हैं। हमें आपकी कोचिंग लेनी है।"
प्रोफ़ेसर S उसकी बात सुनकर बोलते हैं, "नहीं-नहीं, हम… हम आपको बिल्कुल भी कोचिंग नहीं देंगे।" वह हकलाते हुए बोल रहे थे क्योंकि दानियाल उनके चेहरे के बेहद करीब खड़ी हुई थी। अगर वो उनके और करीब आती तो दोनों के होंठ आपस में चिपक जाते।
दानियाल प्रोफ़ेसर S के और करीब आकर बोली, "ये आप क्या बोल रहे हैं, प्रोफ़ेसर साहब? और आप इतना हकला के क्यों बोल रहे हैं? आप हमें पढ़ाने के लिए हाँ बोलें या ना बोलें, लेकिन हम तो आएंगी आपसे कोचिंग पढ़ने! वो भी शाम के 4:00 बजे! तो रेडी रहिएगा! और 4:00 बजे आपके बैच में कोई नहीं आना चाहिए पढ़ने के लिए! बाकी, सुना है आप अपने घर में ही पढ़ाते हैं। आपका घर ढूंढना हमारी ज़िम्मेदारी है। हम आराम से आपका घर ढूंढ लेंगे!" इतना बोलकर वह प्रोफ़ेसर S के गालों में एक बार और किस कर लेती है और जाते हुए उन्हें फ़्लाइंग किस दे देती है।
प्रोफ़ेसर S उसके जाते ही गहरी साँसें लेने लगते हैं, जो उन्होंने अभी तक रोक रखी थीं। वो गहरी-गहरी साँस लेते हुए बोलते हैं, "ये क्या था? यूनिवर्सिटी में तो एक आइटम बम आ गया है! मतलब इतनी फ़्लर्टी लड़की हमने तो अपनी पूरी ज़िंदगी में नहीं देखी है!"
क्या होगा प्रोफ़ेसर S का? क्या नया धमाका करेगी दानियाल इनके साथ?
“Osmania Hostel”
उस्मानिया हॉस्टल के कमरा नंबर 155 पर चार लड़कियों का ग्रुप रहता था। उन लड़कियों के ग्रुप से पूरा हॉस्टल डरता था। उन लड़कियों ने पूरे हॉस्टल पर अपना दबदबा फैला रखा था। वे किसी से लड़ती नहीं थीं, झगड़ा नहीं करती थीं, लेकिन उनके फ्लर्टिंग के किस्से पूरे कॉलेज में मशहूर थे। उनका फ्लर्ट करने का तरीका भी मशहूर था; लड़के तो लड़के, वे लड़कियों को भी नहीं छोड़ती थीं। इसीलिए लड़कियां भी उनसे कम बात करना ही बेहतर समझती थीं।
कमरा नंबर 155 के अंदर वे चार लड़कियां बैठी हुई थीं जो बहुत ही ज्यादा खुश नज़र आ रही थीं।
सफा, मैहर, दानियाल और आयरा को देखते हुए बोली, "यार, आज तो कॉलेज में मज़ा ही आ गया! आज हमारी दानी का क्रश उसको मिल गया! पता नहीं प्रोफेसर S के साथ दानियाल ने क्या-क्या किया होगा! बेचारे प्रोफेसर S, उनका चेहरा तो देखने लायक था जब वे लाइब्रेरी के बाहर निकले थे।"
"उनकी हालत क्या हो गई थी, क्या ही बोलूं मैं! पता नहीं दानियाल…" बोलते-बोलते वह रुक गई और एक नज़र दानियाल को देखती है जो अपनी नज़रें झुकाए उसे ही घूर रही थी। वह अपनी बत्तीसी दिखाते हुए आगे बोली, "डानी ने उनके साथ ऐसी कौन सी फ्लर्टी लाइन्स बोलीं, ऐसा कौन सा फ़्लर्ट कर लिया जो बेचारे… क्या ही बोलूं! उनके चेहरे के एक्सप्रेशन्स को कैसे डिस्क्राइब करूं! पर यार, जो भी बोलो, देखने लायक था उनका चेहरा!" बोलते हुए वह हंसने लगी।
दानियाल सफा को घूरते हुए बोली, "देखो सफा, तुम्हें जो बोलना है बोलो, लेकिन मेरे बंदे के बारे में कुछ भी मत बोलना। वह मेरे प्रोफेसर साहब हैं। मैं उन्हें कुछ भी बोलूं, वह चलेगा, लेकिन तुम नहीं बोल सकतीं, समझी? और न ही कोई और उन्हें कुछ बोल सकता है। कोई और उन्हें कुछ बोले, मैं यह हरगिज बर्दाश्त नहीं करूंगी।"
मेहर दानियाल की बात सुनकर बोली, "Yes, yes दानी! वो तुम्हारा बंदा है। तुम्हारे अलावा तुम्हारे बंदे को भला कोई कुछ बोल सकता है? जो बोलना है, वो दानी ही बोलेगी। अच्छा बताओ, तुम इतना सज-सवरकर, इतनी बन-ठन कर, इतनी जल्दी में कहाँ जा रही हो?" वह दानियाल को ऊपर से लेकर नीचे तक देखते हुए बोली।
दानियाल, जो इस वक्त पूरी रेडी थी, उसने ब्लैक कलर की कुर्ती और ब्लैक कलर की जीन्स पहनी हुई थी और साथ में ब्लैक बूट्स पहने हुए थे। गले पर ब्लैक कलर का स्कार्फ गोल-गोल करके डाला हुआ था। उसने अपने चेहरे पर बिल्कुल ना के बराबर मेकअप किया हुआ था। उसकी ओसियन ब्लू आँखें, जिसमें बार-बार उन घनी पलकों का पहरा आ रहा था, होंठों पर रेड वेलवेट लिपस्टिक, कानों पर छोटे-छोटे से ऑक्सीडाइज्ड इयररिंग्स पहने, अपने बालों का हाफ बन बनाए खड़ी थी। वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
आयरा दानियाल को देखते हुए मुस्कुराते हुए बोली, "आज ये बिजली कहाँ गिरने वाली है? आज तो तुम कहर ढा रही हो! ऐसे कहर बनकर कहाँ पर… ये बिजली कहाँ गिरने वाली है?"
सफा उसकी बात सुनकर हँसते हुए बोली, "कहर बनकर एक ही जगह तो ये बिजली गिरेगी, प्रोफेसर S के घर पर! प्रोफेसर S से कोचिंग पढ़ने जा रही है मैडम, हमें बिना बताए।"
मैहर और आयरा सफा की बात सुनकर बोलीं, "ओहो! तो मैडम प्रोफेसर S के यहाँ कोचिंग पढ़ने जा रही है! तुम्हें पता है कहाँ है प्रोफेसर S का घर?" वह दानियाल को देखते हुए बोलीं।
दानियाल अपने फ़ोन में कुछ चेक करते हुए बोली, "Yes, of course! मुझे पता है प्रोफेसर साहब का घर कहाँ है। उनके घर का एड्रेस निकालना कौन सी बड़ी बात है? यह देखो, मिल गया मुझे प्रोफेसर S के घर का एड्रेस! हमारे हॉस्टल से ज़्यादा दूर नहीं है। आधे घंटे में मैं उनके घर पहुँच जाऊँगी।" इतना बोलकर वह वहाँ से निकलने लगी।
मेहर उसे आवाज़ लगाते हुए बोली, "यार, स्कूटी की चाबी तो लेती जा! फिर नीचे से आवाज़ लगाओगी, 'चाबी फेंक दो!' हम चाबी नहीं फेकेंगे।"
दानियाल अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "यार, मैं आज पैदल जाऊँगी।"
सफा, मेहर और आयरा तीनों एक साथ शॉक होते हुए बोलीं, "व्हाट???"
दानियाल अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोली, "Yes, मैं पैदल जाऊँगी! तो प्रोफ़ेसर साहब को पता चलेगा न मैं पैदल आई हूँ! फिर वह मुझे खुद यहाँ हॉस्टल तक ड्राइव करने आएंगे! सोचो कितना मज़ा आएगा! मैं और प्रोफेसर साहब एक साथ कार में! हाय! मेरे को तो शर्म आ गई!" वह अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से छुपाते हुए बोली।
दानियाल की बात सुनकर सफा, मेहर और आयरा जोर-जोर से हँसने लगीं और बोलीं, "क्या अनबिलीवेबल बात कर रही हो दानी! दानी, ये flirty queen को शर्म आ रही है!" बोलते हुए फिर हँसने लगीं।
दानियाल उन तीनों को देखते हुए बोली, "हाँ, तो शर्म आती है मुझे भी! इंसान हूँ मैं भी, कोई जिन थोड़ी हूँ जिसे शर्म नहीं आती है! अच्छा, मैं चलती हूँ। बाय! बेबस मिलते हैं दो घंटे बाद।" इतना बोलकर वह आराम से लहराते हुए उस रूम से निकल गई।
वह हॉस्टल से बाहर आ ही रही थी कि उसके सामने एक लड़की आ जाती है जो दानियाल को देखकर पीछे हटने लगती है। दानियाल उस लड़की के करीब आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर हँसते हुए बोली, "उफ़्फ़ो सबा! तुम मुझसे इतना ज़्यादा क्यों घबरा रही हो? मैं कौन सा तुम्हें कुछ करने वाली हूँ? या फिर मैं कोई जिन हूँ जो तुम्हें खा लूँगी? यू आर टू क्यूट सबा! तुम आज बहुत ही ज़्यादा क्यूट लग रही हो!" बोलते हुए उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़ते हुए उसके दोनों गालों को हिलाने लगी।
सबा आँखें फाड़े दानियाल के इस नए रूप को देख रही थी। दानियाल ने आज तक इस तरीके से किसी से भी बात नहीं की थी और वह ऐसी बात कर रही थी, उसकी तारीफ़ कर रही थी। दानियाल मुस्कुराते हुए वहाँ से चली जाती है।
वहीँ सबा अभी भी जाती हुई दानियाल को अपनी आँखें फाड़े देख रही थी। वह खुद से बोली, "यह क्या था? क्या मैंने आज दानियाल का नया रूप देखा? यह क्या, पागल हो गई है? तीन महीने हो गए उसे इस हॉस्टल में आए हुए। उसने आज तक किसी से बात नहीं करी। हाँ, जब भी बात करी तो हमेशा उसके साथ फ़्लर्ट किया और आज इतना प्यार से मुझसे बात कर रही थी। क्या यह बदल गई है?"
"है तो ये फ़र्स्ट ईयर की स्टूडेंट! फिर भी जो भी बोलो, है तो पटाखा! आज भी बिल्कुल पटाखा लग रही है! हरकतें इसकी फ़्लर्टी हैं, लेकिन दिल से बहुत ही अच्छी है! माना किसी से बात नहीं करती, लेकिन सबकी मदद ज़रूर करती है। हॉस्टल में जिसको जो भी चाहिए होता है, सबकी हेल्प करती है बिना किसी को बताए। बस मुझे इसलिए पता रहता है क्योंकि मैं ही तो इसकी सारी हेल्प का रिकॉर्ड रखती हूँ!" बोलते हुए खुद ही मुस्कुरा देती है।
है यह सच था। दानियाल फ़्लर्टी ज़रूर थी, लेकिन दिल की बहुत अच्छी थी। हॉस्टल में किसी को किसी भी चीज़ की ज़रूरत होती थी, यहाँ तक कि उसकी फ़ीस भी भरनी हो या फिर उनकी ज़रूरत की कोई भी चीज़ हो, उन्हें जिस चीज़ की परेशानी होती थी, सब दानियाल सॉल्व कर देती थी, लेकिन आज तक किसी को नहीं पता चला कि उनकी जो प्रॉब्लम सॉल्व होती थी, वह किसने करी और क्यों करी? कोई नहीं जानता था, सिवाय सबा और दानियाल की दोस्त के अलावा कोई भी इस बात से वाकिफ़ (पता) नहीं था।
दानियाल हॉस्टल से बाहर निकलती है और वह लहराते हुए आराम से रोड पर चलने लगती है। वह उस रोड को अच्छे से जानती थी, लेकिन वह ज़्यादा आगे तक इस रोड में नहीं गई थी। फिर भी वह आराम से जा सकती थी, उसे कोई मसला नहीं था आगे तक जाने में।
हाँ, बस एक मसला था। वह आगे तक इसलिए नहीं गई थी क्योंकि कुछ ऐसे लोग थे जो उसे उस रास्ते में मिल जाते थे, जिनको वह देखना तक पसंद नहीं करती थी (जिनके बारे में आपको आगे पता चल जाएगा कि वे लोग कौन थे)।
वह आराम से अपने फ़ोन को स्क्रॉल करते हुए जा रही थी। उसे चले-चले काफ़ी वक़्त बीत गया था। वह अपने फ़ोन में लोकेशन चेक करते हुए बोली, "यस! यही है लोकेशन! बस पाँच मिनट और, फिर उसके बाद मैं पहुँच जाऊँगी प्रोफ़ेसर साहब के घर… अपनी फ़्यूचर ससुराल।"
"सफा सही बोल रही थी, मुझे स्कूटी लेकर आनी चाहिए थी। स्कूटी से रास्ता आधे घंटे का था। अब तो ये मुझे एक घंटे से भी ज़्यादा लग रहा है। मेरे पैर तो चलते-चलते दुख गए।" वह बीच रास्ते में खड़े होकर अपने पैरों को सहलाते हुए बोली, फिर खुद से बोली, "नहीं दानी, अफ़सोस नहीं करना। कुछ पाने के लिए कुछ खोना तो पड़ता है। बस पाँच मिनट और चलना है, फिर उसके बाद तुम प्रोफ़ेसर साहब के घर पहुँच जाओगी।"
ना जाने क्यों प्रोफ़ेसर S के नाम से ही उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी नज़र आने लगती थी, एक अलग ही नूर उसके चेहरे पर नज़र आता था। उसके सामने प्रोफ़ेसर S की वो सुरमई आँखें घूम रही थीं। वह खुद से बोली, "यार, जो भी कहो, प्रोफ़ेसर साहब की वो सुरमई आँखें क्या ही कातिलाना हैं! उनकी आँखों में एक अलग ही नशा है, जो भी देखे तो बस देखता ही रह जाए, लेकिन उनकी आँखों में देखने का हक़ सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा है, दानियाल अख़्तर का!" बोलते हुए वह अपने चेहरे पर अपने दोनों हाथ रखकर मुस्कुराने लगी।
“वहीं दूसरी तरफ़”
एक कमरा, जो दिखने में बिल्कुल लाइब्रेरी जैसा था, या यूँ कहें कि वह एक लाइब्रेरी ही थी, जो किताबों से भरी पड़ी थी। वहाँ आस-पास बहुत सारे शेल्फ़ थे, जिनमें सिर्फ़ और सिर्फ़ किताबें थीं जो कि बड़ी सलीके से रखी हुई थीं। वहीं उन किताबों के शेल्फ़ के बीच में एक आदमी, जिसके काले बाल पूरे बिखरे हुए थे, जो उसके माथे को चूम रहे थे…
वह जमीन पर आलती-पालती मार के बैठा हुआ था और अपने हाथ में एक डायरी और पेन लिए हुए था। वह दिखने में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रहा था। उसने अपना चेहरा नीचे झुकाया हुआ था, जिससे उसका चेहरा तो नहीं दिख रहा था, फिर भी उसके बैठने का स्टाइल, वो पेन को घुमाने का स्टाइल… उफ़्फ़, माशाल्लाह! बड़ा ही कातिलाना था।
वह आदमी कुछ सोचते हुए अपनी डायरी में कुछ लिखते हुए बोला,
“अगर मैं लिखूँ किताब तो तुझे अपना लिखूँगा,
खुली आँखों से देखा हुआ सपना लिखूँगा,
लिखकर सारे दुख अपने हिस्से में,
तेरे हिस्से में सिर्फ़ हँसना लिखूँगा।”
वो इन लाइन्स को डायरी में लिखकर मुस्कुराने लगा। वह मुस्कुराते हुए भी बड़ा कातिलाना लग रहा था। ना जाने अपनी मुस्कराहट से कितनों के दिलों में छुरियाँ चलाता होगा, कितने दिलों को अपनी एक मुस्कराहट से क़त्ल करता होगा। उसकी मुस्कराहट पक्का हर जगह रौनक़ बिखेर देती होगी, जैसे इस खाली शांत लाइब्रेरी में बिखेर रही थी। वह जिस शमाँ में भी हाज़िर होगा, पक्का उस शमाँ में चार चाँद लग जाते होंगे।
वह मुस्कुराते हुए बोला, "आज अपनी डायरी के एक और पन्ने में तुम्हारे लिए एक और शायरी लिख दी। तुम्हारी इस ख़ूबसूरती में ना जाने हमने कितनी शायरियाँ लिखी होंगी और एक शायरी और हमारी डायरी में आपके लिए लिख दी गई। इस डायरी के हर एक पन्ने में सिर्फ़ और सिर्फ़ आपके लिए ही शायरी लिखी जाएगी।" इतना बोलकर वह मुस्कुराते हुए उस डायरी में एक ताज़ा गुलाब का फूल रख देता है और उस डायरी को बन्द करके उसे सबसे नीचे कुछ बुक्स के बीच में रख देता है और मुस्कुराते हुए वहाँ से खड़ा होकर उस लाइब्रेरी से बाहर निकल जाता है।
क्या दानियाल पहुँच पाएगी प्रोफ़ेसर S के घर तक? कौन है वो शख़्स और वह किसकी याद में लिख रहा है अपनी डायरी में शायरियाँ? जानने के लिए पढ़ते रहिए “Hot Professor Ki Flirty Student”
दानियाल एक बहुत बड़े से घर के बाहर खड़ी थी। घर दिखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। वह घर व्हाइट एंड ग्रे कलर के कॉन्बिनेशन का बना हुआ था। वह बाहर से देखने में इतना ज्यादा खूबसूरत था कि कोई भी उसकी चमक को देखकर एक-दो पल ठहर कर उस बड़े से घर को देखे बिना न रह सके। वह घर दिखने में बिल्कुल पैलेस जैसा था, या उसे बंगला कहा जाए, इसमें भी कोई हर्ज नहीं था। उस बड़े से घर के एक साइड एक बहुत बड़ा सा स्विमिंग पूल बना था, जो उस घर की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा रहा था।
वहीं एक साइड बहुत बड़ा सा गार्डन था। गार्डन में तरह-तरह के खूबसूरत, महकते फूल लगे हुए थे। वहीं गार्डन के बीच में एक रास्ता गया हुआ था, उस घर के अंदर जाने के लिए। उस रास्ते के बीच में एक बहुत बड़ा सा व्हाइट कलर का फाउंटेन था। फाउंटेन में दो छोटे-छोटे बच्चों की मूर्तियाँ बनी हुई थीं, जिनके हाथों से पानी गिर रहा था। वह बच्चे की मूर्तियाँ मुस्कुरा रही थीं। वह सब देखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। उन मूर्तियों को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे वो मूर्तियाँ किसी की याद में वहाँ बनाई गई हों।
वहीं उस फाउंटेन से दो रास्ते डिवाइड होते थे, जो आगे मिलकर उस बड़े से घर के अंदर जाते थे।
दानियाल अपने दोनों पैरों पर हाथ रखकर थोड़ा झुककर बोली, "फाइनली मैं प्रोफेसर साहब के घर पहुँच ही गई! कितनी मशक्कत करी प्रोफेसर साहब आपसे मिलने के लिए! फाइनली मैं आप तक पहुँच ही गई प्रोफेसर साहब!"
और वो अपने बैग को अच्छे से अपनी पीठ में टांगकर, अपने बालों को अपने फोन के कैमरा में देखकर बोली, "अब मैं बिल्कुल ठीक लग रही हूँ। चलो दानी, अब अंदर चलो।" इतना बोलकर वह अंदर की तरफ चली गई।
वह हर एक जगह देखते हुए जा रही थी। वहाँ की जगह सच में बहुत ज्यादा खूबसूरत थी। एक बार वहाँ जो आ जाए, तो वहाँ की खूबसूरती को देखकर अपनी पलकें तक झपकाना भूल जाए, यही हाल दानियाल का भी हो रहा था। वो खुद की नज़रें उस खूबसूरती से दूर करके बोली, "दानी ये क्या कर रही हो? इस खूबसूरती में नहीं मारना, प्रोफेसर साहब की खूबसूरती पर मारना है! अब चलो जल्दी से ढूंढो प्रोफेसर साहब कहाँ पढ़ा रहे हैं।"
दानियाल को यह तो पता था कि प्रोफेसर S अपने घर पर पढ़ाते हैं, लेकिन किस जगह पढ़ाते हैं, यह उसे नहीं पता था।
वह इधर-उधर देखते हुए अंदर जा रही थी। तभी एक गार्ड, जो वहीं खड़ा था, उसने अपना सर झुकाया। अपने हाथ से दानियाल को इशारा करते हुए उसने कहा, "मैम, लेफ्ट साइड जाना है आपको। सर आपका इंतज़ार कर रहे हैं।"
दानियाल उस गार्ड की बात सुनकर अच्छे बच्चों की तरह अपना सर हिला देती है, और लेफ्ट साइड जाने लगती है। वो खुद से बोली, "क्या प्रोफेसर साहब ने सबको बता रखा है कि हम उनसे पढ़ने आने वाले हैं? जो ये सब हमारा स्वागत करने के लिए खड़े हुए हैं। वाह वाह!" वो अपने दोनों हाथों को अपने चेहरे पर रखकर मुस्कुराते हुए बोली, "लगता है प्रोफेसर साहब तो मुझसे इम्प्रेस हो गए।" वह खुद से ही बातें करते हुए जा रही थी।
वह एक रूम के बाहर आकर रुकी। उसने नॉक किया। अंदर से कड़क आवाज आई, "कम इन, आ जाइए।"
दानियाल दरवाजा खोलकर धीरे-धीरे अंदर जाने लगी। जहाँ कुछ पल पहले उसकी सारी थकान कहीं गायब हो गई थी, एक बार फिर से उसे अपने पैरों पर थकान महसूस होने लगी। वह पूरे कमरे में अपनी नज़रें दौड़ाती है। वहाँ पर लाइब्रेरी बनी हुई थी और वहीं उसके थोड़ा आगे एक बड़ी सी चेयर पर प्रोफेसर S बैठे हुए थे।
दानियाल प्रोफेसर S को देखती है। प्रोफेसर S किसी बुक को लिए हुए उसे पढ़ रहे थे। उन्होंने अपने आँखों पर ग्लासेस लगाए हुए थे। दानियाल तो बस एकटक उनको देखे जा रही थी। वो उनको देखकर हल्का मुस्कुरा देती है और खुद से बोली, "हाय! प्रोफेसर साहब तो बड़े ही कातिलाना लग रहे हैं! लगता है इतने कातिलाना अंदाज़ से तो हमारा कत्ल करने का इरादा है आज इनका।" वह अपने दिल के पास हाथ रखते हुए बोली, "और प्रोफेसर S के बिलकुल करीब जाकर खड़ी हो जाती हैं।"
प्रोफेसर S दानियाल को देखते हुए बोले, "मिस दानियाल आप यहाँ क्यों खड़ी हैं? बैठिए, आप पढ़ने आई है ना, हम आपको पढ़ाते हैं।"
दानियाल प्रोफेसर S की गोद में बैठ जाती है और उनके गर्दन के इर्द-गिर्द अपनी बाहें लपेट लेती है।
प्रोफेसर S दानियाल की इस हरकत पर हक्का-बक्का रह जाते हैं और वह उसे देखते हुए बोले, "मिस दानियाल यह आप क्या कर रही हैं?"
दानियाल प्रोफेसर S की उन सुरमई आँखों में देखते हुए बोली, "प्रोफेसर साहब आप ही ने तो हमें बैठने के लिए बोला था! अब हमें जहाँ बैठना ठीक लगा हम वहाँ बैठ गए! और हमें यह जगह कम्फ़र्टेबल लगती है सोफ़े की जगह। हमें यह जगह ज़्यादा कम्फ़र्टेबल बैठने के लिए और जब आपकी इतनी प्यारी सी गोद है तो हम फिर सोफ़े में क्यों बैठे?" इतना बोलकर वह प्रोफेसर S के और भी करीब हो जाती है और अपने पैर को अपने दूसरे पैर के ऊपर रख लेती हैं।
प्रोफेसर S दानियाल को देखते हुए बोले, "मिस दानियाल आप यहाँ मुझसे पढ़ने आई है तो आपको चुपचाप से शांति से पढ़ना होगा।" उन्हें दानियाल के करीब से अजीब सी बेचैनी हो रही थी। वह दानियाल को अपने करीब बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।
दानियाल उनके और भी करीब जाकर बोली, "प्रोफेसर साहब पढ़ लेंगे, पढ़ लेंगे! पहले थोड़ा मुझे आराम तो करने दे। मैं अपने हॉस्टल से पैदल यहाँ आई हूँ, तो पहले मुझे थोड़ा आराम तो करने दे, थक गई हूँ मैं। मेरे पैरों में नन्ही सी तो जान है और आप इन्हें ऐसे उठाकर तकलीफ़ क्यों दे रहे हैं? मैं पढ़ लूँगी, पहले मुझे आराम से आराम करने दे।" इतना बोलकर वो प्रोफेसर S के सीने में अपना सिर रख लेती है और एक साइड अपना हाथ रख लेती है।
प्रोफेसर S की तो हालत खराब हो रही थी। उनकी धड़कनें बहुत तेज चल रही थीं। उनकी धड़कनों का शोर उस पूरे कमरे में गूंज रहा था।
दानियाल प्रोफेसर S के सीने के पास अपना हाथ रखकर उनकी धड़कनों को अच्छे से सुनते हुए प्रोफेसर S को देखते हुए बोली, "प्रोफेसर साहब आपको तो हमारे करीब से फ़र्क पड़ रहा है! आपकी धड़कनें कितनी तेज चल रही हैं! सुने, सुने! आपकी धड़कन कितनी तेज चल रही है! क्या आपको सच में हमारी करीबी से फ़र्क पड़ रहा है? सच-सच बताइएगा, प्रोफेसर साहब।"
प्रोफेसर S दानियाल को देखते हुए बोले, "यह आपने क्या...क्या फ़ालतू के फ़ालतू के बकवास लगा रखी है! आप...आप हमसे पढ़ने आई है ना तो आप हमसे पढ़िए, और हटिए हमारे ऊपर से।"
दानियाल प्रोफेसर S को देखते हुए उनकी गर्दन पर अपनी बाहें और कसके लपेटते हुए बोली, "नहीं, हम तो नहीं हटेंगे आपके ऊपर से! आपको हमें पढ़ाना है ना? आप बेशक पढ़ाइए, हम पढ़ने ही यहाँ आए हैं, लेकिन किसी और मकसद से। फिर भी आप हमें पढ़ाना चाहते हैं, पढ़ाइए हमें, हम पढ़ेंगे और ऐसे ही आपके ऊपर बैठकर पढ़ेंगे। आप हमें पढ़ाइए, पढ़ाइए ना प्रोफेसर साहब।"
प्रोफेसर S दानियाल को देखते हुए बोले, "यह क्या हरकत कर रही हैं मिस दानियाल आप? हम...हम आपके घर में कम्प्लेन करेंगे।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "शौक से प्रोफेसर साहब, शौक से करिएगा, लेकिन पहले हमें पढ़ा तो लीजिए। अब हम यहाँ आपसे पढ़ने आए हैं इतनी दूर से, अपने हॉस्टल से पैदल चल के और आप क्या हमें पढ़ाएँगे नहीं?" वह क्यूट सा, पप्पी सा फ़ेस बनाते हुए प्रोफेसर S को देखते हुए बोली।
प्रोफेसर S उसकी इतनी मासूमियत भरी बातें सुनकर, एक पल के लिए उसके चेहरे को देखते ही रह जाते हैं। वह सच में क्यूट फ़ेस में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसके वह लहराते, हल्के-हल्के से जुल्फ़ें जो बार-बार उसकी गालों को चूम रही थीं, प्रोफेसर S बस उसे देखते रहते हैं। न जाने प्रोफेसर S का हाथ कैसे दानियाल के चेहरे पर चला जाता है और वह धीरे से उसकी जुल्फ़ों को उसके कान के पीछे कर देते हैं।
लेकिन अचानक ही उन्हें होश आ जाता है और वह दानियाल को देखते हुए बोले, "सॉरी, सॉरी।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "प्रोफेसर साहब सॉरी कैसा? आपने हमारे करीब खैर महसूस तो करी! चलिए आप पढ़ाइए।"
प्रोफेसर S का गला सूखने लगता है। दानियाल के वह हिलते होठों को देखकर, जो बार-बार बोलने की वजह से खुल-बंद हो रहे थे, दानियाल उनके इतना करीब थी, जितना करीब तो आज तक प्रोफेसर के कोई भी नहीं आया था, खासकर कोई लड़की। उन्हें अपने आस-पास लड़कियाँ बर्दाश्त नहीं होती थीं, और यहाँ दानियाल उनके इतना करीब बैठी हुई थी।
प्रोफेसर S अपनी ज़बान निकालकर अपने सूखते होठों को गीला करने लगते हैं, जो दानियाल के हिलते होंठों को देखकर सूख रहे थे। वो अपना थूक निगलते हुए अपने गले को तर करते हैं, और अपनी बुक्स निकालकर दानियाल को पढ़ाने लगते हैं। लेकिन दानियाल की नज़रें तो बुक्स पर थीं ही नहीं, उसकी नज़रें तो प्रोफेसर S पर टिकी हुई थीं, जो उनके हर एक एक्सप्रेशन को देख रही थी, उनके पढ़ाने का तरीका, उनके बोलने का तरीका। माशाल्लाह! वो अपना दिल ही हार जा रही थी, बार-बार उनके हर तरीके से। वह अपना दिल हारने पर मजबूर हो जाती। वो खुद से बोली, "या अल्लाह! ये बंदा मेरा दिल कितनी बार लेगा?" फिर वो प्रोफेसर S को देखते हुए बोली, "प्रोफेसर साहब, आपके पास वाई-फ़ाई है?"
प्रोफेसर S दानियाल को देखते हुए बोले, "येस है।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "तभी तो मेरा दिल आपसे कनेक्ट हो गया।"
प्रोफेसर S दानियाल की बात सुनकर अपनी आँखें छोटी करके एक नज़र पहले उसे घूरते हैं, फिर अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए बोले, "आपकी क्लास का टाइम ख़त्म हो गया है। अब हमारे दूसरे बैच के बच्चे आने वाले हैं। आप जरा यहाँ से उठने की मशक्कत (कष्ट) करेंगी।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "क्यों नहीं प्रोफेसर साहब? हम ज़रूर आपके ऊपर से उठ जाएँगी, लेकिन आपको नहीं लगता कि अब आपका फ़र्ज़ है कि आप हमें हमारे हॉस्टल तक छोड़कर आएँ? हमें पूरा एक घंटा लगा अपने हॉस्टल से यहाँ तक आने में, पूरा एक घंटा! कैन यू बिलीव इट? मैं पैदल आई, मेरी स्कूटी ख़राब हो गई थी, और आप हैं कि मुझ पर इतना जुल्म करेंगे, अपने मासूम से स्टूडेंट पर? आप उसे उसके हॉस्टल तक भी नहीं छोड़ने जाएँगे? और शाम हो गई है, मुझे हॉस्टल जाते-जाते रात हो जाएगी, और न जाने कैसे-कैसे लोग रात में टहलते हैं, उन्होंने मुझे कुछ कर दिया तो..." वो उदास सा चेहरा बनाते हुए बोली।
फिर प्रोफेसर S के गालों में अपने दोनों हाथ रखकर बोली, "आप तो इतने क्यूट से, प्यार से हैं ना? आप मुझे मेरे हॉस्टल तक नहीं छोड़ेंगे?" बोलते हुए वह प्रोफेसर S के चेहरे के और भी करीब आ गई थी। दोनों की साँसें एक-दूसरे को अपने चेहरे पर महसूस हो रही थीं। वहाँ का माहौल कुछ ज़्यादा ही इंटेंस होता चला जा रहा था। दोनों ही जैसे एक बार फिर एक-दूसरे की आँखों में खो गए थे।
क्या प्रोफेसर S जाएँगे दानियाल को उसके हॉस्टल छोड़ने? और कैसे-कैसे दानियाल परेशान करेगी दानियाल अपने प्रोफेसर साहब को यूनिवर्सिटी के साथ-साथ यहाँ कोचिंग में भी? जानने के लिए पढ़ते रहिए “Hot Professor Ki Flirty Student”
दानियाल ने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा, "प्रोफेसर साहब, छोड़ेंगे ना आप मुझे? हॉस्टल बताइए ना।" वह बिल्कुल मासूम सा, प्यारा सा, क्यूट सा चेहरा बनाते हुए प्रोफेसर S को देखते हुए बोल रही थी।
प्रोफेसर S ने कहा, "आप... आप... यह दूर रहकर भी बोल सकती हैं ना मिस दानियाल? आपको... आपको हमारे करीब आने की जरूरत नहीं है।" वो दानियाल के कंधे में हाथ रखे, उसे खुद से दूर करते हुए, हकलाते हुए बोल रहे थे। वो आगे बोले, "हम आपको आपके हॉस्टल छोड़ देंगे। हम इतने भी बुरे प्रोफेसर नहीं हैं कि अपने स्टूडेंट की जरा सी हेल्प भी ना कर सकें। अब उठिए और हमसे थोड़ा दूर रहा करें।"
दानियाल मुस्कुराते हुए जल्दी से बोली, "थैंक यू, थैंक यू, थैंक यू सो मच प्रोफेसर साहब!" इतना बोलकर वो कसके प्रोफेसर S के गले लग गई और उनके गालों पर किस कर ली।
प्रोफेसर S एक बार फिर बस आंखें फाड़े दानियाल को ही देखते रह गए। वह कुछ बोल ही नहीं पाए।
दानियाल जल्दी से खड़ी हुई, लेकिन जैसे ही वह खड़ी हुई, अचानक उसका पैर मुड़ गया और वह नीचे गिर गई। वो रोते हुए बोली, "मामा! मेरे पैर में चोट लग गई, मोच खा गया मेरा पैर!" उसकी आंखों से बेतहाशा आंसू बह रहे थे।
प्रोफेसर S को उसे ऐसे देखकर न जाने क्यों बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उन्होंने दानियाल को बस उनके साथ फ्लर्ट करते हुए देखा था, लेकिन अभी वो उसे ऐसे रोता हुआ देख रहे थे, जिसे देखकर उन्हें अजीब सा फील होने लगा। वो जल्दी से घुटनों के बल बैठकर दानियाल के पैर को देखने लगे जो सच में मोच खा गया था।
वो उसके पैर को छूने की कोशिश करने लगे, लेकिन दानियाल अपना पैर उनके हाथ से छुड़ाते हुए रोते हुए बोली, "नहीं नहीं, मेरे पैर को मत छुएं! बहुत-बहुत दर्द हो रहा है, बहुत ज्यादा! लगता है बहुत जोर की मोच आ गई है। अब मैं हॉस्टल कैसे जाऊंगी? मुझे हॉस्टल भी जाना है, वरना मेरे दोस्त परेशान हो जाएंगे।" वो उदास होते हुए बोली।
प्रोफेसर S थोड़ा सा झुककर दानियाल को अपनी बाहों में उठा लिया और उस कमरे से अपने लंबे-लंबे कदम लेते हुए बाहर निकल गए। वहीं दानियाल के चेहरे में 440 वोल्ट वाली चमक नजर आने लगी, जैसे वह जो चाहती थी, उसे मिल गया हो।
थोड़ी देर बाद दानियाल प्रोफेसर S की कार में बैठी हुई थी। प्रोफेसर S अपनी ब्लैक बुलेट को हैदराबाद की उस सुनसान सड़क पर फुल स्पीड में चला रहे थे। उन्हें दानियाल के साथ एक ही कार में बैठना बहुत ही ज्यादा अजीब लग रहा था। दानियाल की मौजूदगी ही उन्हें अजीब सा महसूस करवा रही थी। दानियाल की हरकतें बार-बार उन्हें याद आ रही थीं।
दानियाल प्रोफेसर S को देखते हुए बोली, "प्रोफेसर साहब, आप इतना ज्यादा अजीब क्यों बिहेव कर रहे हैं? कौन सा मैं आपको खा जाऊंगी, जो आप इतनी तेज गाड़ी चला रहे हैं? थोड़ा धीरे चलाइए ना, मुझे डर लग रहा है। मुझे इतनी तेज स्पीड की आदत नहीं है, मुझे डर लगता है। प्लीज थोड़ा धीरे चलाइए।" बोलते हुए उसके चेहरे में एक अजीब सा डर नजर आ रहा था। उसने अपनी पकड़ सीट बेल्ट पर कसी हुई थी।
प्रोफेसर S ने दानियाल की बात तो सुनी, लेकिन ना ही उसकी तरफ देखा, ना ही कुछ बोला। बस कार की स्पीड स्लो कर दी।
प्रोफेसर S को ऐसा करते देखकर दानियाल के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई। जहां थोड़ी देर पहले वो डर रही थी, उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया था, एक बार फिर उसका चेहरा खिल गया था। उसके चेहरे में एक बार फिर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई थी। वह जैसे-जैसे बोल रही थी, प्रोफेसर S वही-वही कर रहे थे। वो उन्हें अपनी बात मानता देखकर एक बार फिर मुस्कुराने लगी।
वो फिर बाहर की तरफ देखने लगी। वह कुछ भी नहीं बोल रही थी। प्रोफेसर S को जब 10 मिनट तक भी दानियाल की आवाज सुनाई नहीं दी, वह अपनी गर्दन टेढ़ी करके दानियाल को देखने लगे जो बैठे-बैठे ही सो गई थी। शायद आज वह काफी ज्यादा थक गई थी, इसी वजह से वह बिल्कुल बेहोशी की नींद सो रही थी।
प्रोफेसर S दानियाल को ऐसे सोता देखकर हल्का सा मुस्कुरा दिए और कार की स्पीड बिल्कुल स्लो कर दी। प्रोफेसर S एक बार फिर दानियाल को देखने लगे और थोड़ा सा झुककर उसके पैरों को उठाकर अपनी गोद में रख लिया और उसे अच्छे से, कंफर्टेबल तरीके से लिटा दिया जिससे दानियाल को सोने में बिल्कुल भी प्रॉब्लम ना हो।
वह बहुत ही धीरे-धीरे कार चला रहे थे, जिससे दानियाल बिल्कुल भी नहीं हिल रही थी। वह आराम से सो रही थी, वहीं प्रोफेसर S बार-बार तिरछी नजरों से दानियाल को देख रहे थे।
थोड़ी देर बाद उनकी कार उस्मानिया हॉस्टल के बाहर आकर रुकी। प्रोफेसर S एक नजर अपनी कार के बाहर दौड़ाते हैं, जहां पर एक भी स्टूडेंट्स नहीं थे। रात होने की वजह से सारे स्टूडेंट्स अपने-अपने रूम में चले गए थे। प्रोफेसर S एक बार फिर दानियाल को अपनी बाहों में उठा लेते हैं और कार से निकाल कर हॉस्टल के अंदर जाने लगे।
दानियाल, जो इतनी ज्यादा बेहोशी की नींद सो रही थी, उसे होश भी नहीं था कि वह किसी की बाहों में है। वह बस आराम से सोती ही रहती है। वहीं सबा, जो किसी चीज़ के लिए कहीं जा रही थी, प्रोफेसर S को दानियाल को ऐसे अपनी बाहों में लिए देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। आज ही तो प्रोफ़ेसर S यूनिवर्सिटी में पढ़ाने आए, और आज ही दानियाल उनकी बाहों में, वो भी दो बार।
सब उन्हें ऐसे देखकर खुद से बोली, "क्या दानियाल ने प्रोफेसर S को भी नहीं छोड़ा? खैर, वो दानियाल है, वो कुछ भी कर सकती है।"
प्रोफेसर S, जो इधर-उधर देखते हुए अंदर की तरफ जा रहे थे, उनकी नजर सबा पर पड़ी। वह सबा के पास जाकर धीरे से बोले, "मिस दानियाल का रूम कहाँ है?"
सबा उनकी इतनी धीरे से बात सुनकर बिलकुल धीरे से मुस्कुराते हुए बोली, "प्रोफेसर, रूम नंबर 155।"
प्रोफेसर S ने उनकी बात सुनकर बस अपना सर हिला दिया। वह कुछ भी नहीं बोले और वह वहाँ से जाने लगे। वह लिफ्ट की तरफ जा ही रहे थे कि तभी सबा जल्दी से भागते हुए उनके पास आई और जैसे ही कुछ बोलने को हुई, प्रोफेसर S धीमी आवाज में बोले, "आराम से बोलिएगा, सो रही है ये।" प्रोफेसर S की आवाज जितनी धीमी थी, उतनी ही ज्यादा डरावनी भी थी। वह सामने वाले इंसान का दिल मुँह में लाने वाली थी, और वही सबा के साथ भी हो रहा था।
सबा ने पहली बार उनकी यह डरावनी आवाज सुनी थी। यूनिवर्सिटी में तो वह बहुत ही अच्छे से, प्यार से सबको पढ़ा रहे थे। सबा डर के मारे अपनी आँखें बार-बार झपका रही थी। उसका गला सूखने लगा था। वह अपना गला तर करते हुए धीरे से बोली, "प्रोफेसर, वह लिफ्ट खराब है। आपको सीढ़ियों से ऊपर जाना पड़ेगा।"
प्रोफेसर S ने सबा की बात सुनकर, बिना उसे देखे, बोला, "अच्छा, तो रूम नंबर 155 किस फ्लोर पर है?"
सबा जल्दी से बोली, "फिफ्थ फ्लोर पर।" और जल्दी से वहाँ से चली गई। उसे एक मिनट भी वहाँ पर नहीं रुका जा रहा था। प्रोफेसर S की मौजूदगी में उसे वहाँ घुटन सी महसूस हो रही थी।
प्रोफेसर S सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगे और एक नजर उन सीढ़ियों को देखकर, उन्हें चढ़ने लगे। जैसे वह सीढ़ियाँ ना होकर कोई टहलने की जगह हो, जहाँ वो बहुत ही आराम से चल रहे हों। वो फिफ्थ फ्लोर पर पहुँच गए। वह बिल्कुल भी थके नहीं थे। उनकी जगह कोई और होता तो थक जाता और इतनी ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़ने की वजह से ज्यादातर स्टूडेंट्स वहाँ थक जाते थे, लेकिन प्रोफेसर S के माथे पर शिकन तक नहीं आई थी। उनका एक बाल भी टस से मस नहीं हुआ था। उनके सारे बाल बिलकुल वैसे ही सेट थे।
प्रोफेसर S रूम नंबर 155 की तरफ बढ़ गए और वो जैसे ही रूम को नॉक करने वाले थे, तभी एकदम से दरवाजा खुल गया और सफा अपने सामने खड़े प्रोफेसर S को देखकर जोर से चीखने वाली थी, तभी प्रोफेसर S उसे अपनी डरावनी आँखें दिखाते हुए शांत रहने का इशारा करते हैं और धीरे से बोले, "आपको दिख नहीं रहा है? आपकी दोस्त सो रही है और आप उसकी नींद में अपनी आवाज से खलल डालना चाहती हैं।"
सफा, जो अपनी आवाज तेज करके चिल्लाने वाली थी, वह अपनी आवाज को वापस अपने गले में डाल लेती है और किनारे हट जाती है। उसकी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि वह प्रोफेसर S से कुछ बोल सके।
प्रोफेसर S दानियाल को उसके बेड में अच्छे से लेटा देते हैं और सफा को एक पेन रिलीफ स्प्रे देते हुए बोलते हैं, "इनके पैर पर लगा दीजिएगा, मोच आ गई है इनके।" इतना बोलकर वह वहाँ से चले जाते हैं।
सफा, आईरा और महर वहाँ वैसे ही बिलकुल स्टैचू बने हुए खड़ी थीं, जैसे ना जाने उन्हें कौन सा साँप सूँघ गया हो। वहीं दानियाल अपनी एक आँख धीरे से खोलती है और उन तीनों को देखते हुए बोलती है, "प्रोफेसर साहब चले गए।" इतना बोलकर वो हल्का उठकर बैठ जाती है।
सफा, आईरा और महर, जो अभी भी स्टैचू बने खड़े थे, दानियाल की बात सुनकर एकदम से होश में आते हैं और उसे देखते हुए बोलते हैं, "क्या मतलब? तुम सोने का नाटक कर रही थी? तुम सो नहीं रही थी।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "येस! मैं नहीं सो रही थी और मैं इतनी जल्दी सोती हूँ, तुम्हें लगता है? कभी भी नहीं! अब क्या करूँ? मेरे प्रोफेसर साहब जितने खड़ूस दिखते हैं, वो उतने खड़ूस हैं नहीं, कितने केयरिंग हैं! और मुझे कैसे प्यार से अपनी बाहों में उठाया! तुम्हें पेन रिलीफ स्प्रे देकर गए हैं ना? देखो, मेरे पैर में मोच आ गई है। जल्दी से लगा दो ना, बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।"
दानियाल की बात सुनकर सफा जल्दी से उसके पास भागते हुए आती है और उसके पैर को देखते हुए बोलती है, "क्या जरूरत थी तुम्हें हील्स पहनने की? क्या करती हो तुम? तुमसे कितनी बार मैंने बोला है कि हील्स मत पहना करो? अच्छे से जानती हो ना तुम्हें हील्स से कितनी ज्यादा प्रॉब्लम हो जाती है, फिर भी तुम हील्स पहनती हो! सेकंड टाइम हुआ है यह तुम्हारे साथ। अगर थर्ड टाइम हुआ तो जानती हो ना क्या अंजाम हो सकता है?"
वहीं दानियाल, जो अपना सर हिलाते हुए सफा की सारी बातें सुन रही थी, सफा की बात खत्म होने के बाद वह धीरे से बोली, "अच्छा ठीक है ना! अब मुझे लेक्चर देना बंद करो और मेरे पे स्प्रे लगा दो, प्लीज।" वह बिलकुल क्यूट सा फेस बनाते हुए बोली।
सफा दानियाल को घूरते हुए बोली, "तुम मेरे सामने यह क्यूट से पप्पी जैसे फेस मत बनाया करो।"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ हाँ, क्योंकि तुम इसमें पिघल जाती हो ना! और वह नहीं बनाऊंगी तो तुम पिघलोगी नहीं! हाय! मेरा पिघलू आइसक्रीम! चलो अच्छा, जल्दी से लगा दो।"
सफा, आयरा, महर, दानियाल चारों जोर-जोर से हँसने लगीं। उनके हँसने की आवाज रूम के बाहर तक आ रही थी, लेकिन उन्हें बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि बाहर आवाज उनकी जा रही है कि नहीं जा रही है। लेकिन वहाँ कोई था जो उनकी सारी बातें सुन रहा था। वह लोग हँसते हुए बातें कर ही रही थीं कि तभी दानियाल का फ़ोन बजने लगा। दानियाल अपने बैग से अपना फ़ोन निकाल कर देखती है। फ़ोन में फ़्लैश हो रहे नंबर को देखकर उसकी आँखें छोटी हो जाती हैं और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स बिल्कुल बदल जाते हैं। जहाँ थोड़ी देर पहले उसके चेहरे पर खुशी नज़र आ रही थी, वहीं उसके एक्सप्रेशन्स सब बिलकुल बदल गए थे। ना जाने उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स में क्या नज़र आ रहा था - गुस्सा, दर्द, तकलीफ़, बिलकुल सबका मिक्स एक्सप्रेशन्स उसके चेहरे पर दिख रहे थे।
कौन खड़ा है बाहर? किसका फ़ोन आया है दानियाल के पास? जानने के लिए पढ़ते रहिए “Hot Professor Ki Flirty Student”
दानियाल सफा, मेहर और आयरा को देखते हुए बोली, "तुम लोग बातें करो, मैं आती हूँ।" इतना बोलकर वह वहाँ से उठने लगी।
सफा दानियाल को देखते हुए बोली, "दानी, तुम कहाँ जा रही हो? तुम्हारे पैर में मोच आई है, तुम ऐसे कैसे चल पाओगी?"
दानियाल धीरे से बोली, "मैं ठीक हूँ, मैं चल लूँगी। तुम चिंता मत करो।" इतना बोलकर वह धीरे-धीरे लँगड़ाते हुए आगे की तरफ बढ़ने लगी। वह धीरे-धीरे करके रूम के बाहर आ गई और बिल्कुल कोने में जाकर जल्दी से फोन उठाते हुए बोली, "हेलो!! आपने अब इतनी रात में मुझे कॉल क्यों की है? देखिए, आप मुझे दोबारा कन्वेंस नहीं कर सकते। आप अच्छे से जानते हैं मैं कन्वेंस होने वाली नहीं हूँ, तो क्यों आप अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं?"
दूसरी तरफ से किसी शख्स की आवाज आई, जो ज़्यादा भारी नहीं थी, लेकिन फिर भी कड़क थी। "हमने तुम्हें कन्वेंस करने के लिए कॉल नहीं किया है, कुछ बताने के लिए कॉल किया है।"
दानियाल अपनी आँखें घुमाते हुए बोली, "बताइए, क्या बताना है आपको?"
दूसरी तरफ वाला शख्स दोबारा बोला, "तुम्हें यहाँ आना होगा। ज़रूरत है तुम्हारी इस वक्त यहाँ पर।"
दानियाल अपना सिर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं, मैं नहीं आऊँगी वहाँ पर। आप अच्छे से जानते हैं मैं नहीं आऊँगी, तो फिर बार-बार मुझसे यह बात क्यों बोलते हैं आप?"
वह शख्स दानियाल से कुछ बोला, जिसे सुनकर दानियाल की आँखें छोटी हो गईं। वह धीरे से बोली, "आप अच्छे से जानते थे ना मैं वहाँ आने के लिए मना कर दूँगी। इसीलिए आपने मुझे इस टाइम कॉल करके बताया ताकि मेरे पास कोई ऑप्शन न रहे।" वह हल्का गुस्से में बोली।
"हाँ," दूसरी तरफ वाला शख्स बिल्कुल सपाट लहज़े में बोला।
दानियाल हल्के गुस्से में बोली, "बोलिए, कहाँ आना है? आप एड्रेस मैसेज कर दीजिएगा। अब मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है। खुदा हाफ़िज़!!" इतना बोलकर उसने कॉल कट कर दी। फिर कस के अपनी आँखें बंद करते हुए बोली, "नहीं, मैं उस घर में कदम बिल्कुल भी नहीं रखूँगी। बात कहीं और आने की होगी तो आ जाऊँगी, लेकिन उस घर में मेरा कदम कभी भी नहीं पड़ेगा।" बोलते हुए वह एकटक आसमान को देखने लगी।
रात होने की वजह से आसमान में पूरा चाँद निकला हुआ था। चाँद की सफ़ेद चाँदनी पूरे आसमान में फैली हुई थी। वहीं दानियाल बस एकटक उस चाँद को देख रही थी। वहीं कोई और भी था, जो कहीं दूर कोने में खड़ा, दानियाल की तरह चाँद को तो नहीं देख रहा था, लेकिन वह अपने चाँद को ज़रूर देख रहा था।
दानियाल ऊपर आसमान में चाँद को देख रही थी, तो वहीं वह साया उस हॉस्टल के एक कोने में खड़ी दानियाल, यानी अपने चाँद को देख रहा था। थोड़ी देर तक वह साया वैसे ही दानियाल को देखता रहा, फिर अंधेरे में कहीं गायब हो गया।
दानियाल जो एकटक चाँद को देखे जा रही थी, उसकी उन ओशियन ब्लू आँखों में समुद्र जैसे लहरें उठ रही थीं, जो उसकी उन आँखों से सैलाब बनकर बाहर निकलने के लिए तैयार थीं। तभी कोई पीछे से दानियाल के कंधे में हाथ रख देता है।
दानियाल अपनी गर्दन हल्की टेढ़ी करके पीछे देखती है, जहाँ सफा खड़ी हुई थी। वह सफा को एक नज़र देखने के बाद दोबारा आसमान में देखने लगती है।
सफा भी उसके बगल में आकर खड़ी हो जाती है। वह भी आसमान में निकले पूरे चाँद को देखते हुए बोलती है, "उनका फ़ोन आया था।"
दानियाल बस अपना सर हाँ में हिला देती है।
सफा इस बार दानियाल को देखते हुए पूछती है, "तुम ठीक हो?"
दानियाल बस "हम्म" में जवाब दे देती है। वह आगे कुछ भी नहीं बोलती।
सफा दानियाल के कंधे में हाथ रखकर बोलती है, "दानी, क्यों सोच रही हो तुम उन बातों को? तुम्हें पता है ना तुम जितना ज़्यादा सोचोगी, उतनी ही ज़्यादा तकलीफ़ होगी तुम्हें। क्यों उन ज़ख्मों को ताज़ा कर रही हो?"
दानियाल अपनी नम आँखों से बोलती है, "ताज़ा ज़ख्म, सफा! वो ज़ख्म भरे ही कब थे? वो ज़ख्म हमेशा से ताज़ा थे, और हमेशा ताज़ा रहेंगे।"
सफा बात बदलते हुए बोलती है, "अंदर चलो। तुम्हारे पैर में मोच आई है ना, इतनी देर से यहाँ बाहर खड़ी हो, तकलीफ़ बढ़ जाएगी।"
दानियाल आसमान में टिमटिमाते तारों को देखते हुए बोलती है, "तुम जाओ, मैं आती हूँ थोड़ी देर में।"
सफा दानियाल से फिर बोलती है, "दानी, चलो।"
दानियाल इस बार बिल्कुल धीमी आवाज़ में बोलती है, "सफा, प्लीज़ जाओ यहाँ से। मुझे कुछ वक़्त अकेला छोड़ दो।"
सफा अब दानियाल से कुछ नहीं बोलती। वह चुपचाप अंदर चली जाती है। वहीं दानियाल बस एकटक नम आँखों से आसमान को देखती रहती है।
"सुबह का वक़्त"
दानियाल आज सोकर सबसे देर में उठी थी। वह रात में भी देर में सोई थी। वह बस अपने रूम के बाहर खड़ी चाँद को ही देखे जा रही थी और न जाने वह कब तक उस पूरे चाँद को देखती रही। वह धीरे-धीरे अपनी आँखें मलते हुए अंगड़ाई लेते हुए उठती है। वह जैसे ही अपने सामने का नज़ारा देखती है, उसकी एक जोरदार चीख निकल जाती है। वह चिल्लाते हुए बोलती है, "यह क्या है?"
दानियाल अपने बेड के आसपास देख रही थी जहाँ पर बहुत सारे कपड़े फैले हुए थे। दानियाल सफा को देखते हुए बोलती है, "सफा, व्हाट इज़ दिस? यह क्या है? तुमने मेरे कपड़े क्यों फैलाकर रखे हैं?"
सफा दानियाल को मुस्कुराते हुए देखते हुए बोलती है, "आज तुम्हें वहाँ जाना है। तुम भूल गई हो क्या?"
दानियाल अपनी आँखें घुमाते हुए बोलती है, "ओह! तो उन्होंने तुम्हें भी बता दिया।" फिर वह उठकर अपने पैरों को मोड़कर बैठ जाती है और सफा को देखते हुए बोलती है, "यार, मुझे नहीं जाना है वहाँ पर। ज़बरदस्ती सब मुझे वहाँ पर बुलाने में क्यों लगे हैं? और तुम लोग ज़बरदस्ती मुझे वहाँ भेजने में लग गई हो।"
सफा दानियाल को देखते हुए बोलती है, "यार, तुम्हें जाना तो पड़ेगा ना! फैमिली है वह तुम्हारी, और तुम अपनी फैमिली से मिलने नहीं जाओगी? देखो, मैं तुम्हें कोई फ़ोर्स नहीं कर रही हूँ। सिर्फ़ चार घंटे की ही तो बात है। चार घंटे बाद वापस आ जाना। मैं जानती हूँ तुम्हारा मन नहीं है वहाँ जाने का, उनसे मिलने का, लेकिन दानी, सिर्फ़ चार घंटे। चली जाओ ना।" वह आशा भरी नज़रों से दानियाल को देखते हुए बोलती है।
"ठीक है," दानियाल बेमन से बोल देती है। उसका वहाँ जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था, लेकिन मजबूरी में उसे वहाँ जाना पड़ रहा था।
सफा दानियाल से बोलती है, "दानी, देखो हम तुम्हारे कपड़े डिसाइड कर रहे हैं। हमें समझ में नहीं आ रहा है, तुम पर आज क्या ज़्यादा सूट करेगा। हम सब सुबह से तुम्हारे कपड़े लिए बैठे हैं। अब तुम जल्दी से इन सब कपड़ों में बता दो कि तुम्हें कौन से पहनने हैं।"
दानियाल वहाँ रखे कपड़ों को एक-एक नज़र देखकर बोलती है, "यह क्या है? इतने कड़े-जड़े कपड़े क्यों निकाल रखे हैं तुम लोगों ने? तुमको पता है ना यह मेरा टाइप नहीं है, फिर क्यों ऐसे कपड़े निकाले हैं?"
सफा दानियाल को घूरते हुए बोलती है, "वाह मैडम! तो आपने क्या, यह सिर्फ़ अलमारी पर सजाने के लिए लिए थे? पहनना नहीं है इन्हें आपको? और तुम सैर-सपाटे या पार्टी पर नहीं जा रही हो जो नॉर्मल कपड़े पहनकर चली जाओगी। शादी में जा रही हो तुम, तो कपड़े तो ढंग के पहनो। एटलीस्ट लगे तो तुम शादी में जा रही हो।"
दानियाल जैसे ही कुछ बोलने वाली होती है, मेहर उसे बीच में रोककर बोलती है, "यार, बस बहुत हुआ तुम्हारा! तुम बस कपड़े लाकर अलमारी पर टाँग लेती हो। हमारे कपड़ों को आने की जगह रहती नहीं है और तुम फिर बोलती हो, 'मुझे यह पहनना नहीं पसंद है।' और जब मार्केट जाती हो, कोई हैवी ड्रेस पसंद आया तो, 'यह कितना प्यारा लग रहा है, ले लेते हैं इसे!' वो दानियाल की एक्टिंग करते हुए बोलती है। फिर आगे बोलती है, 'सिर्फ़ तुम यही करती हो, पहनती नहीं हो।' यहाँ जितने भी सूट हैं, इनको तुमने एक बार भी अपनी बॉडी पर नहीं डाला है। अब चुपचाप से उठो और बताओ तुम्हें कौन सा सूट पहनना है।"
दानियाल एक-एक नज़र उन कपड़ों को देखने के बाद बोलती है, "ठीक है, मैं चली जाऊँगी इनमें से कुछ पहनकर। लेकिन अभी तो पहले मुझे यूनिवर्सिटी जाना है। अपने प्यारे प्रोफ़ेसर S से मिलना है। हाय! मेरा क्रश!" वह अपने दोनों गालों में हाथ रखकर, अपनी आँखों में चमक लिए बोलती है। फिर उन तीनों को देखते हुए बोलती है, "चलो, चलो! अब यह सारा सामान अलमारी में रख दो। मैं जाते वक़्त पहन लूँगी।"
आयरा दानियाल को घूरते हुए बोलती है, "ओह हेलो मैडम! तुमने क्या हमें बेवकूफ़ समझकर रखा है? हम सुबह से यहाँ तुम्हारी ड्रेस डिसाइड कर रहे हैं, और तुम बोल रही हो, 'यूनिवर्सिटी से आकर पहन लूँगी।' हमें अच्छे से पता है, तुम वही यूनिवर्सिटी से गायब हो जाओगी और हमें पता भी नहीं चलेगा। और वही यूनिवर्सिटी लुक में तुम शादी में भी आओगी। इसलिए चुपचाप से कपड़े उठाओ और अपने बैग पर रखो।" बोलते हुए वह दानियाल के पास आती है और उसे घसीटते हुए बेड से खड़ा कर देती है, फिर उसे शीशे के सामने लाकर उसे खड़ा कर देती है।
दानियाल के शीशे के सामने खड़ा होने के बाद, मेहर आयरा को एक सूट देती है। आयरा दानियाल के ऊपर उस सूट को लगाते हुए मेहर और सफा को दिखाती है।
सफा अपना हाथ हिलाते हुए बोलती है, "यह ठीक लग रहा है, लेकिन दानी के ऊपर कुछ ख़ास जम नहीं रहा है। चलो, दूसरा ट्राई करते हैं।" वह सूट दिखने में बहुत ही ज़्यादा प्यारा था। वह सूट ब्लैक कलर का था, उसमें ब्लैक कलर से ही कढ़ाई की गई थी। उसमें वह बहुत ही ज़्यादा प्यारी लग रही थी, फिर भी उन तीनों को उस ड्रेस में वह कुछ ख़ास नहीं लग रही थी।
मेहर आयरा को दूसरा सूट देती है जो बोतल ग्रीन कलर का था, जिसके गले में उसी कलर से कढ़ाई की गई थी और उसकी आस्तीनों में थोड़ी नेट की जालीदार आस्तीन लगी हुई थी, जिसमें मल्टी कलर से एम्ब्रॉयडरी की गई थी। वहीं उसका दुपट्टा बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत था। उसके बॉर्डर में वैसे ही मल्टी कलर की एम्ब्रॉयडरी की गई थी। वह दिखने में बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
आयरा दानियाल के ऊपर उस कुर्ती को लगा देती है, फिर दोबारा मेहर और सफा को दिखाती है। इस बार मेहर अपना हाथ हिलाते हुए बोलती है, "यार, कुछ ख़ास जम नहीं रहा है। चलो, यह व्हाइट वाला ट्राय कर।" इतना बोलकर वह व्हाइट कलर के सूट को आयरा के हाथ में दे देती है।
आयरा दानियाल के ऊपर उस व्हाइट कलर के सूट को लगा देती है। वो तीनों दानियाल को देखकर अपने गालों पर अपने हाथों को रखकर एक साथ बोलती हैं, "बेबस, यू आर लुकिंग गॉर्जियस! अब तक तुम यही पहनकर जाओगी शादी में। यह कंफ़र्म हो गया है।"
दानियाल उस व्हाइट कलर के सूट में बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। वह व्हाइट कलर का कुर्ता और पैंट था, जिसके हाफ़ पैंट में जरी का काम किया गया था और वही हाफ़ स्लीव्स में भी जरी का काम था और दामन में भी जरी का थोड़ा सा काम था। वह उसमें बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। वह खुद को शीशे के सामने उस व्हाइट सूट में देखते हुए बोलती है, "यार, लग तो बिल्कुल परफेक्ट रही हूँ! काश मेरे प्रोफ़ेसर S भी मुझे इन कपड़ों में देख पाते! हाय! मेरे निक्के-निक्के ख्वाब!" वह अपने ख्वाबों में गुमसुदाई बोल रही थी।
तभी उसे अपने कानों में आयरा की आवाज़ सुनाई पड़ती है, जो उसके सूट को अच्छे से फ़ोल्ड करके उसके बैग में रखते हुए बोल रही थी, "दानी मैडम, अपने प्रोफ़ेसर S के ख्वाबों से बाहर निकल आइए!" फिर उसे घूरते हुए बोलती है, "दानी, चुपचाप से टाइम से चेंज करके यूनिवर्सिटी से वेन्यू पर चली जाना, समझी तुम? और हाँ, हम तो तुम्हें छोड़ने वाले हैं नहीं। पूरी नज़र रहेगी हम तीनों की तुम पर।"
दानियाल उन तीनों के सामने हाथ जोड़ते हुए बोलती है, "ओके मैडम! मैं समझ गई हूँ। अब चलो, तुम तीनों तो यहाँ रेडी हो गई हो। मुझे भी तो रेडी होने दो यूनिवर्सिटी जाने के लिए।" इतना बोलकर वह वॉशरूम की तरफ़ जाने लगती है। वह दो कदम ही आगे बढ़ी थी कि पीछे मुड़कर उन तीनों को देखते हुए बोलती है, "तुम तीनों अपनी ख़ैर बचाए रखना! तुम तीनों ने मुझे उठते ही साथ शीशे के सामने खड़ा कर दिया। अगर तीनों की वजह से मेरे फ़ेस में पिम्पल्स आए ना, मैं तुम तीनों को छोड़ूँगी नहीं!" वह हल्का गुस्सा करते हुए बोलती है, फिर दोबारा वॉशरूम की तरफ़ चली जाती है।
कौन है वह शख्स जो दानियाल को बार-बार कॉल कर रहा है? कहाँ न जाने की बात कर रही है दानियाल? किसका साया था वो?
“Osmania University”
दानियाल, सफा, मेहर, और आयरा अपनी क्लास में बैठी हुई थीं। वे आपस में बातें कर रही थीं, तभी प्रोफेसर एस वहाँ आ गए। प्रोफेसर एस के आते ही सब लोग अनुशासन में बैठ गए। प्रोफेसर एस ने सीधा प्रोजेक्टर ऑन किया और स्टूडेंट्स को पढ़ाने लगे। सारे स्टूडेंट पूरी एकाग्रता से सामने देख रहे थे; ऐसा लग रहा था जैसे वे अपनी पलकें तक नहीं झपका रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे प्रोफेसर एस बहुत अच्छे से उन्हें पढ़ा रहे हैं। लेकिन अफ़सोस, उन सारे स्टूडेंट्स की नज़र प्रोजेक्टर में नहीं, बल्कि प्रोफेसर एस पर थी।
दानियाल का भी यही हाल था। दानियाल ने अपने हाथ टेबल पर टिकाए हुए थे, और बस प्रोफेसर एस को देख रही थी। वह फ्रंट बेंच पर बैठी थी और मुस्कुराते हुए प्रोफेसर एस को देख रही थी। वह प्रोफेसर एस को देखने में इतनी मशगूल थी कि वह अपनी पलकें झपकाना भी भूल गई थी।
प्रोफेसर एस इन सब बातों पर ध्यान न देते हुए सारे स्टूडेंट्स को आराम से पढ़ा रहे थे। उन्हें सभी स्टूडेंट्स की नज़रें खुद पर महसूस हो रही थीं, लेकिन दानियाल की नज़रें उन्हें तीर की तरह लग रही थीं जो अपने टारगेट में जाकर चिपक गई थीं। वह अपनी टाई को हल्का लूज़ करते हुए दानियाल की तरफ देखकर उससे कुछ पूछते हैं।
दानियाल प्रोफेसर एस को देखने में इतनी मशरूफ थी कि उसे सुनाई ही नहीं दे रहा था कि प्रोफेसर एस कब से उसे बुला रहे हैं।
प्रोफेसर एस जब दानियाल को कुछ बोलते नहीं देखते, तो वे चलते हुए दानियाल के पास आते हैं और उसकी टेबल पर अपना एक हाथ रखकर, उसके चेहरे के पास अपना चेहरा लाकर, अपने दूसरे हाथ से अपनी टाई और लूज़ करते हुए बोलते हैं,
"मिस दानियाल, मैं कब से आपको बुला रहा हूँ। Are you listening to me?"
वे दानियाल के चेहरे के बहुत करीब अपना चेहरा करके बोल रहे थे।
वहीं दानियाल की दिल की धड़कनें मानो रोलर कोस्टर से भी तेज हो गई थीं। वे इतनी तेज़ धड़क रही थीं कि प्रोफेसर एस को बखूबी सुनाई दे रही थीं। वहीं दानियाल बार-बार अपनी आँखें झपकाते हुए प्रोफेसर एस को देख रही थी।
प्रोफेसर एस इस बार अपनी आवाज़ थोड़ी कड़क करके बोलते हैं,
"मिस दानियाल, आप सुन रही हैं?"
सफा, जो दानियाल के बगल में बैठी थी, अपना सर धीरे से ना में हिलाती है। फिर दानियाल के पैर में ज़ोर से अपने पैर मारती है। जिससे दानियाल तुरंत होश में आ जाती है और एकदम से खड़े होकर बोलती है,
"यस यस प्रोफेसर।"
प्रोफेसर एस दानियाल को देखते हुए बोलते हैं,
"मिस दानियाल, मैंने अभी आपसे कुछ पूछा था। आप बताएँगी, मैंने अभी तक क्या पढ़ाया है?"
दानियाल अपनी आँखें छोटी करके अपना चेहरा हल्का टेढ़ा करके प्रोजेक्टर की तरफ़ करके, प्रोजेक्टर को गौर से देखने लगती है। प्रोफेसर एस उसके चेहरे के बिल्कुल सामने खड़े थे, जिससे उसे प्रोजेक्टर भी ढंग से दिखाई नहीं दे रहा था। और पूरे लेक्चर के समय वह तो बस प्रोफेसर एस को ही देख रही थी। उसे पता ही नहीं था कि प्रोफेसर एस ने क्या पढ़ाया है।
जब प्रोफेसर एस दो मिनट तक दानियाल को कुछ बोलते नहीं देखते, तो बोलते हैं,
"बैठ जाइए। आपसे यही उम्मीद थी। आप मुझसे ज़्यादा पढ़ाई पर फ़ोकस करेंगी, ना तो आपके मार्क्स भी अच्छे आएंगे। यहाँ मैं सिर्फ़ आपको नहीं बोल रहा हूँ, सारी गर्ल्स को बोल रहा हूँ।"
वह एक-एक करके सारी लड़कियों को देखते हुए बोलते हैं क्योंकि सारी लड़कियाँ पूरे लेक्चर के दौरान सिर्फ़ प्रोफ़ेसर एस को ही देख रही थीं, जिससे उन्हें थोड़ा अनकम्फ़रटेबल भी फील हो रहा था। इतना बोलकर वह दोबारा प्रोजेक्टर में पढ़ाने लगते हैं।
सारी लड़कियों का ध्यान अब प्रोजेक्टर पर था, लेकिन वे अपनी निगाहें तिरछी करके कभी-कभी प्रोफेसर एस को देख लेतीं, तो कभी प्रोजेक्टर में देखने लगतीं।
प्रोफेसर एस की बात सुनकर दानियाल की मुट्ठियाँ बन जाती हैं। वह हल्के गुस्से में खुद से बोलती है,
"इनकी इतनी हिम्मत? ये मेरे प्रोफेसर एस को देख रही हैं! इनके बॉयफ्रेंड्स क्या मर गए हैं, जो ये मेरे प्रोफेसर को देख रही हैं? प्रोफेसर एस सिर्फ़ मेरे हैं!"
वह अपना चेहरा तिरछा करके गुस्से में पीछे बैठी लड़कियों को घूरती है।
फिर सफा को देखते हुए धीरे से बोलती है,
"यार, ये क्या था? प्रोफेसर एस मुझे इतनी देर से बुला रहे थे, तुमने बताया क्यों नहीं?"
सफा धीरे से बोलती है,
"बेबस, सीरियसली? प्रोफेसर एस तुम्हारे इतने सामने, तुम्हारे चेहरे के बिल्कुल क्लोज़ आकर बोल रहे थे, तब तुम्हें सुनाई नहीं दिया, तो मेरे बोलने से तुम्हें खाक सुनाई देता। इसीलिए मैंने सिर्फ़ तुम्हारे पैर पर मारकर काम कर दिया। और अब अपने प्रोफेसर एस को देखने की जगह पढ़ाई पर ध्यान दो, वरना उन्हें पता चल गया ना तो कहीं इस यूनिवर्सिटी से तुम्हें दूसरी यूनिवर्सिटी ना भेज दें या फिर प्रोफेसर एस का ही ट्रांसफर ना करवा दें। फिर तुम सिर्फ़ ख्वाबों में ही अपने प्रोफेसर एस को देखती रहना।"
दानियाल सफा को देखते हुए बोलती है,
"सफ़ा!!"
सफा अपने कंधे हल्का उचका देती है और बोलती है,
"व्हाट!! कुछ गलत बोला मैंने? सही तो बोल रही हूँ। शायद तुम लास्ट टाइम भूल रही हो, स्कूल टाइम में जब तुम्हें एक टीचर पर क्रश हो गया था तो उन्होंने क्या किया था? उस टीचर की टाँग तुड़वाकर उसको इस जगह से ही भगा दिया था। स्टेट से नहीं, सीधे कंट्री से ट्रांसफर कर दिया था उनका। अब तुम क्या चाहती हो कि उन्हें जब इस बारे में पता चले तो वो प्रोफेसर एस को इस दुनिया से ट्रांसफर कर दें?"
दानियाल सफा की बात सुनकर जल्दी से बोलती है,
"अल्लाह ना करे! ये तुम कैसी बेहूदा बात कर रही हो! और अब तो सबसे ज़्यादा शक मुझे तुम्हारे ही ऊपर हो रहा है।"
वह अपनी आँखें छोटी करके सफा को घूरते हुए बोलती है,
"कहीं तुमने तो उन्हें नहीं बताया था?"
वह अभी भी अपनी आँखें छोटी करके उसे घूर रही थी।
सफा प्रोजेक्टर की तरफ़ देखते हुए बोलती है,
"क्या मेरा दिमाग खराब हो गया है जो मैं जाकर खुद उन्हें बताऊँगी? तुम उनकी डाँट बाद में सुनोगी, पहले मैं सुनूँ? नहीं, मुझे शेर के पिंजरे में खुद को डालने का कोई शौक नहीं है।"
इतना बोलकर वह सामने प्रोजेक्टर में दोबारा देखने लगती है।
दानियाल अब सफा से कुछ नहीं बोलती है। वह अभी भी प्रोफेसर एस को देख रही थी, जैसे सफा और प्रोफेसर एस के बोलने से उसे कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा था। वह अभी भी प्रोफेसर एस को देख रही थी। थोड़ी देर बाद प्रोफेसर एस की क्लास खत्म हो जाती है और वे वहाँ से चले जाते हैं।
मेहर अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए बोलती है,
"लेट्स गो गर्ल्स, हमें लेट हो रहा है।"
तभी दानियाल के फ़ोन में कुछ नोटिफ़िकेशन आता है। दानियाल अपना फ़ोन अपने बैग से निकालकर अपने फ़ोन में आए मैसेज को देखते हुए बोलती है,
"चलो शुक्र है, मुझे वहाँ नहीं जाना पड़ेगा। उस जगह और उस रास्ते से भी नफ़रत है मुझे।"
वह यह सब खुद से बिल्कुल धीरे से बोल रही थी।
सफा, जो दानियाल के हर एक फ़ेस एक्सप्रेशन को नोटिस कर लेती थी, वह दानियाल के कंधे पर हाथ रखकर बोलती है,
"दानी, एवरीथिंग इज़ ओके।"
दानियाल अपने चेहरे पर छोटी सी मुस्कुराहट लाकर बोलती है,
"हाँ हाँ, सब ठीक है, चलो।"
सफा दानियाल के चेहरे पर आई मुस्कुराहट को देखते हुए बोलती है,
"तुम्हारी मुस्कुराहट यह क्यों बता रही है कि वेन्यू वहाँ नहीं है, कहीं और है?"
दानियाल मुस्कुराते हुए बोलती है,
"यू आर राइट, बेबस। तुम्हें क्या लगता है? वेन्यू वहाँ होता तो मैं जाती बिल्कुल नहीं। मैं कॉल करके तुरंत उन्हें मना कर देती, बिल्कुल नहीं जाती। चार घंटे की तो बात है, शादी में जाकर मैं आ जाऊँगी, कोई मसला नहीं है।"
इतना बोलकर वह उठ जाती है और पीछे मुड़कर वहाँ बैठी हर एक लड़की को घूरते हुए बोलती है,
"प्रोफेसर एस मेरे हैं! अगर तुममें से किसी ने भी उन्हें नज़र उठाकर भी देखा, तो उसकी मैं आँखें निकाल लूँगी, और तुम्हारे बॉयफ्रेंड से तुम्हारा ब्रेकअप करवा दूँगी। समझी तुम लोग? और कितनी बेशर्म हो तुम लोग! अपने बॉयफ्रेंड्स के सामने प्रोफेसर को देख रही हो! शर्म नहीं आती? अब मैं कुछ नहीं करूँगी, करेंगे तुम्हारे बॉयफ्रेंड्स। और मेरे बंदे से दूर रहो!"
वह उन सबको वार्निंग देकर अपनी तीनों दोस्तों के साथ निकल कर वहाँ से चली जाती है। वहीं क्लास के अंदर बैठी सारी लड़कियाँ दानियाल को गुस्से में घूर रही थीं।
वह चारों क्लास से निकलकर वॉशरूम में आती हैं। वॉशरूम इस वक्त पूरा खाली था। दानियाल वॉशरूम के अंदर जाकर अपने कपड़े बदलने लगती है। वह अपने कपड़े उतारकर ऊपर से उछालकर बाहर फेंकती है। बाहर खड़ी आयरा जल्दी से उसके कपड़ों को पकड़ लेती है। पाँच मिनट बाद दानियाल गेट खोलकर बाहर निकलती है। वह सच में उस व्हाइट कलर के सूट में बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसके लहराते लंबे, कमर तक आते हल्के ब्राउन-ब्लैक बाल, नाक में छोटी सी एक स्टोन वाली नोज़ रिंग, वह बिल्कुल आसमान से उतरी अप्सरा लग रही थी।
वह अपने कुर्ते को ठीक करते हुए बाहर आती है। आज पहली बार दानियाल ने यह सूट पहना था। न जाने उसने कब यह सूट लाकर रखा था, लेकिन आज वह उसे पहन रही थी।
आयरा, सफा, और मेहर तीनों एक साथ उसकी तारीफ करते हुए अपने मुँह पर हाथ लगाकर दूसरी तरफ़ हल्का सा थूकते हुए बोलती हैं,
"हाय मेरी बेबस! किसी की नज़र ना लगे! आज तो पूरा चाँद का टुकड़ा लग रही हो! आज ये चाँद का टुकड़ा बिजली बनके शादी में लड़कों पर बिजलियाँ गिराएगी।"
दानियाल उन तीनों को साइड करके मिरर के पास आकर खड़े होते हुए बोलती है,
"मुझे किसी पर बिजलियाँ गिराने का शौक नहीं है। अगर यह बिजली गिरनी है तो सीधे मेरे प्रोफेसर एस के ऊपर जाकर गिरे, ना किसी और पर गिरने से अब मुझे कोई मतलब नहीं है। प्रोफेसर एस को देखने के बाद यह दानि बदल गई है। अब ये दानि जो करेगी सिर्फ़ अपने प्रोफेसर एस के साथ करेगी।"
वहीं आयरा, मेहर और सफा उसकी बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोलती हैं,
"ओह! तो दानी अपना सारा रोमांस अपने प्रोफेसर एस के साथ करेगी।"
दानियाल उनकी बात सुनकर बोलती है,
"अस्तग़फ़िरुल्लाह!! कैसी बात कर रही हो? फ़्लर्ट तक का ठीक है, लेकिन रोमांस? अल्लाह बचाए मुझे इससे!"
वह अपने दोनों हाथों की मिडिल फ़िंगर और इंडेक्स फ़िंगर को आपस में जोड़कर अपने चेहरे पर दो-दो बार क्रॉस करके टैप करते हुए बोलती है।
दानियाल जो उन तीनों से बातें करते हुए अपना मेकअप भी कर रही थी, थोड़ी देर बाद वह पलटकर उन्हें देखते हुए बोलती है,
"बताओ बेबस, कैसी लग रही हूँ?"
वो तीनों मुस्कुराते हुए बोलती हैं,
"कातिलाना, ज़हर लग रही हो।"
दानियाल ने बिल्कुल सिंपल मेकअप कर रखा था। उसने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था और चेहरे पर बिल्कुल हल्का मेकअप और न्यूड लिपस्टिक के साथ वह बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। दानियाल अपना सारा सामान अपने बैग में डालकर अपना बैग सफा को पकड़ाते हुए बोलती है,
"ठीक है, फिर मिलते हैं शाम को हॉस्टल में।"
इतना बोलकर वह अपना फ़ोन लेकर वहाँ से चली जाती है।
सफा जो मुस्कुराते हुए दानियाल को देख रही थी, उसके जाने के बाद उसके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो जाती है। वह धीरे से अपने मन में बोलती है,
"हमें पता है दानी, तुम सिर्फ़ यहाँ हम सबको दिखाने के लिए मुस्कुरा रही हो। अंदर से एक बार फिर तुम्हारा वो दर्द, तुम्हारे ज़ख्म हरे हो रहे हैं। तकलीफ़ में हो तुम। इस वक़्त अपने फ़ोटो में ये झूठी मुस्कुराहट लाने से तुम अपनी तकलीफ़ थोड़ी ना छुपा लोगी। पहली बार हम खुद को इतना ज़्यादा कमज़ोर महसूस कर रहे हैं। हम तुम्हारे लिए कुछ कर नहीं पा रहे। न जाने तुम वहाँ उन सब का सामना कैसे करोगी। तुम्हारे ज़ख्म एक बार फिर उन सब को देखकर हरे हो जाएँगे।"
किस ज़ख्म की बात कर रही है सफा?
""Hyderabad""
""Taj Falaknuma Palace""
एक बहुत बड़ी सी गाड़ी उस पैलेस के बाहर आकर रुकी। उस गाड़ी का दरवाजा खुला। किसी लड़की की ट्रांसपेरेंट हाई हील्स उस गाड़ी से नीचे जमीन पर रखी गईं। उसने अपना हाथ उस गाड़ी के दरवाजे पर रखा। उसकी गोरी इंडेक्स फिंगर में पहनी हुई पिंक स्टार रिंग (जिसे रोस ऑफ दुबई भी कहते हैं) दूर से ही चमक रही थी और बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसने एक नजर उस पैलेस को देखा और एक गहरी सांस लेकर उस पैलेस के अंदर चली गई। वह लड़की अभी उस पैलेस के एंट्रेंस पर ही पहुँची थी कि उसकी नजर उस पैलेस के अंदर खड़े एक जोड़े पर गई। वे करीब 55-60 साल के थे। वहीं उनके बगल में एक बुज़ुर्ग औरत बैठी थी जो करीब 85 साल की थी।
उन्हें वहाँ देखकर उसकी आँखें छोटी हो गईं। उसने उन लोगों को इग्नोर करके सीधे पैलेस के अंदर चली गई और वहाँ कोने में रखी एक टेबल पर जाकर बैठ गई। उस टेबल पर कोई नहीं बैठा था; वह टेबल पूरी खाली थी। उसके वहाँ बैठते ही एक वेटर वहाँ आया और एक आइसक्रीम रखकर वहाँ से जाने लगा।
वह लड़की उस आइसक्रीम को देखकर उस वेटर को आवाज लगाने वाली ही थी कि उसकी नजर वहाँ थोड़े दूर खड़े एक आदमी पर पड़ी जो उसे ही मुस्कुराते हुए देख रहा था। उस आदमी को देखकर वह लड़की बेकार सा मुँह बनाते हुए खुद से बोली,
"आए देर नहीं हुई, ये तुरंत आ पड़े।"
इतना बोलकर वह अपनी आइसक्रीम खाने लगी।
वह आदमी मुस्कुराते हुए उस लड़की के पास आया और उसके बगल में रखी कुर्सी को खींचकर उसके पास बैठकर बोला,
"कैसी हो दानियाल? तुम्हारा स्वागत इस आइसक्रीम के साथ।"
दानियाल आइसक्रीम खाते हुए बोली,
"कॉल मी दानी, नॉट दानियाल। मिल लिया न आपने मुझसे? अब मैं चलती हूँ। अल्लाह हाफ़िज़।"
वह खड़े होते हुए बोली।
वह आदमी उसका हाथ पकड़कर दोबारा उसे बैठाते हुए बोला,
"मैंने तुम्हें सिर्फ मिलने के लिए नहीं बुलाया था, शादी अटेंड करने के लिए बुलाया था, और जब तक शादी नहीं हो जाती तुम यहां से कहीं नहीं जाओगी।"
दानियाल उस आदमी को देखते हुए बोली,
"अच्छा, शादी अटेंड करने के लिए बुलाया है? क्यों? आपको याद आ गया आपकी एक और बहन है? मुझे लगा शायद आप भूल गए।"
वह आदमी दानियाल से बोला,
"तुम ये क्या बोल रही हो?"
दानियाल अपनी आइसक्रीम खाते हुए बोली,
"जाइए भाई, आपको बहुत काम होंगे न? आपकी बहन की शादी है, आपको सारे गेस्ट को भी अटेंड करना होगा। मेरे पास बैठकर टाइम वेस्ट क्यों कर रहे हैं?"
वह आदमी बोला,
"दानी, तुम भी मेरी बहन हो।"
"कैसे मान लूँ भाई मैं? जब आलिया आपी को देखने आए थे, तब आपने मुझे नहीं बताया, जब उनकी मांगनी थी तब आपने मुझे नहीं बताया, इनफैक्ट कॉल तक नहीं की, और जब आज शादी है तो आप मुझे बुला लिए। ये बहन मानते हैं आप मुझे?"
वह हल्के गुस्से में बोली।
"तुम वहाँ नहीं आती इसलिए नहीं बताया।"
वह आदमी धीमे लहज़े में बोला।
"पर आप बता सकते थे भाई। आना न आना वो मुझ पर डिपेंड करता था।"
वह खफा होते हुए बोली।
"पर मैंने तो तुम्हें बताया था न।"
पीछे से एक लड़के की आवाज आई।
दानियाल पीछे मुड़कर देखती है, जहाँ वह लड़का चलते हुए उनके पास आ रहा था। वह दिखने में बहुत ज्यादा हैंडसम लग रहा था। उसके हल्के मैसी बाल, जो उसके माथे को चूम रहे थे, हाथों में ब्रांडेड वॉच, पैरों में चमचमाते काले जूते, वाइट शर्ट और ब्लैक फॉर्मल पैंट में वह गजब का कहर ढा रहा था। वह चलते हुए उनके पास आया और एक कुर्सी खींचकर आराम से अपने पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर बैठ गया।
दानियाल उस लड़के को देखकर बेकार सा मुँह बनाते हुए बोली,
"आ गया लंगूर।"
"लंगूर किसको बोला तूने?"
वह लड़का चिढ़ते हुए बोला।
"तुझे बोला। और ये तूने क्या है? बड़ी हूँ मैं तुझसे, इज़्ज़त दे।"
दानियाल उसे घूरते हुए बोली।
"पूरे 1 मिनट, और 1 मिनट बड़ों को इज़्ज़त नहीं देते।"
वह लड़का तुरंत बोला।
वह आदमी जो उन दोनों को लड़ते हुए देख रहा था, वह उस लड़के से बोला,
"अजलान चुप हो जाओ। जब देखो उससे लड़ते रहते हो।"
अजलान उस आदमी की बात सुनकर बोला,
"पर भाई!"
अजलान कुछ बोल ही नहीं पाता, क्योंकि वह आदमी उसे गुस्से से घूर रहा था।
दानियाल अजलान को देखते हुए तिरछा मुस्कुरा दी, फिर दोबारा आइसक्रीम खाने लगी।
अजलान थोड़ा झुककर दानियाल से बोला,
"तुम यहाँ भाई के सामने कितनी मासूम बन रही हो। तुम्हारी सच्चाई तो मैं जानता हूँ। यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर के पीछे पड़ी हो, वो भी पहले दिन से। बताऊँ मैं भाई को?"
वह दानियाल को धमकी देते हुए बोला।
दानियाल उसे घूरते हुए बोली,
"तुम्हारी जुबान कुछ ज़्यादा नहीं चल रही है। अगर तुमने जुबान खोली न तो मैं भी अपनी जुबान खोल दूँगी। मेरा कुछ नहीं जाएगा, जाएगा तो तुम्हारा। बोलूँ भाई से?"
वह अजलान को तिरछा देखते हुए बोली।
अजलान अपने चेहरे में बड़ी सी मुस्कुराहट लाते हुए बोला,
"अरे तुम तो बुरा मान गई। मैं तो बस मज़ाक कर रहा था।"
तभी वहाँ से एक वेटर गुज़रता है। अजलान उस वेटर को रोककर एक रोस्टेड की प्लेट उठाकर दानियाल के सामने रखते हुए बोला,
"ये लो, आराम से रोस्टेड खाओ। बीती बातें क्यों याद कर रही हो?"
दानियाल अजलान से कुछ नहीं बोली। वह मजे से उस रोस्टेड को खाने लगी।
वह आदमी दानियाल से बोला,
"दानी, तुम्हें कुछ और चाहिए खाने को?"
दानियाल कुछ बोलती, उसी पहले ही अजलान बोला,
"शेरी भाई, आप इसे कुछ भी दे दें, ये चुपचाप खा लेगी।"
दानियाल अजलान को बुरी तरीके से घूरने लगी। तभी वहाँ पर एक बूढ़ी औरत की आवाज आई,
"कौन बदबख़्त है जो मेरी बच्ची को परेशान कर रहा है?"
दानियाल अपना सर हल्का उठाकर एक नजर अपने सामने खड़ी बूढ़ी औरत को देखा, फिर दोबारा रोस्टेड खाने लगी, जैसे उसे कुछ फर्क ही न पड़ा हो उन्हें वहाँ देखकर। वह बूढ़ी औरत वही 85 साल की औरत थी।
अजलान जल्दी से उठकर उस बूढ़ी औरत को चेयर में बैठाते हुए बोला,
"दादू, मैं आपकी बच्ची को परेशान नहीं कर रहा हूँ, मैं तो सिर्फ बात कर रहा हूँ।"
वह बूढ़ी औरत, जिनका नाम सूफियाना था, वह दानियाल के सर में हाथ फेरकर बहुत ही प्यार से बोली,
"कैसी है मेरी बच्ची?"
दानियाल को देखकर उनकी आँखों में नमी आ गई थी।
दानियाल बिना उन्हें देखे रोस्टेड खाते हुए बोली,
"अल्हम्दुलिल्लाह। यहाँ से जाने के बाद बहुत खुश हूँ।"
"दानियाल..."
सूफियाना जी इस बार धीमे लहज़े में बोलीं।
दानियाल के हाथ, जो चिकन के पीस को तोड़ रहे थे, रुक गए। उसने अपने चेहरे को उठाकर इस बार सूफियाना जी को देखा। वह जल्दी से उन्हें गले लगाकर बोली,
"दादू, आप रो क्यों रही हैं?"
सूफियाना जी अपनी आँखों में आए आँसुओं को पूछते हुए बोलीं,
"मैं रो नहीं रही हूँ, ये तो खुशी के आँसू हैं, तुम्हें इतने सालों बाद देखकर। पूरे 4 साल हो गए तुमसे दूर हुए, तुम्हें देखा तक नहीं, ये आँखें तरस गई थीं तुम्हें देखने को।"
दानियाल उनसे दूर होकर रोस्टेड खाते हुए बोली,
"तो आ जातीं मिलने। रोका किसने था? कहीं आपके बेटे और बहू ने तो आपको मुझसे मिलने से नहीं रोका?"
वह तिरछी निगाहों से सूफियाना जी को देखते हुए बोली।
अजलान दानियाल से बोला,
"दानी, ये तुम किस लहज़े में दादू से बात कर रही हो?"
"उसी लहज़े में जिस लहज़े में सबने मुझसे बात की थी, और मैंने कोई ठेका नहीं ले रखा है खुद का लहज़ा सुधारने का।"
वह सीधा सा जवाब दिया।
सूफियाना जी अपनी नम आँखों से दानियाल को देखते हुए बोलीं,
"हम तो आपकी स्वीटहार्ट हैं..."
"हम भी आपकी प्रिंसेस थे।"
दानियाल उनकी बात को बीच में काटकर बोली।
वह एक गहरी साँस लेकर बोली,
"मैं यहाँ कोई तमाशा नहीं करने आई हूँ। आपने मुझे शादी में इनवाइट किया, मैं आ गई, और शादी अटेंड कर रही हूँ। आपकी चहेती की बिदाई के पहले नहीं जाऊँगी। आप लोग जाकर अपना काम करें। आप जाएँ अपने बेटे बहू के पास, उनको आपकी ज़्यादा ज़रूरत होगी।"
वह सूफियाना जी से बोली।
फिर शेरियाज़ को देखते हुए बोली,
"शेरी भाई, जाएँ। आपकी बहन को आपकी ज़रूरत होगी, और गेस्ट भी तो हैं, उनसे जाकर मिलिए। आपको तो बहुत काम होगा न? कहाँ मेरे पास बैठकर टाइम वेस्ट कर रहे हैं।"
फिर अजलान को देखते हुए बोली,
"तुम भी जाओ। तुम्हारे दोस्त आए होंगे न? जाओ तुम भी उनके पास। मुझे अकेला छोड़ दे सब, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है।"
वह अपनी आँखों में नमी लिए बोली।
वह अभी शांत ही हुई थी कि कोई उसे आवाज़ लगाते हुए बोला,
"दानियाल।"
उस आवाज़ को सुनकर दानियाल कसके अपनी आँखें बंद कर ली। उसके हाथों की मुट्ठियाँ कस गईं। उसके चेहरे में गुस्सा नज़र आने लगा। वह अपनी जगह से उठकर बिना पीछे मुड़े शेरियाज़ को देखते हुए बोली,
"शेरी भाई, इनसे बोल दें, मुझसे बात न करें। ख़ामख़ा फिर बोलेंगे मैं हमेशा तमाशा लगाती हूँ।"
इतना बोलकर वह वहाँ से दूर रखी टेबल के पास जाकर बैठ गई।
क्यों कर रही है दानियाल अपने ही घरवालों के साथ इतना रूड बिहेव? क्या हुआ था 4 साल पहले?
दानियाल के जाने के बाद, वहाँ खड़े लोग—जिनकी आवाज सुनकर दानियाल गुस्से में आ गई थी—में से वह औरत अपने बगल में खड़े आदमी से बोली, "अख्तर साहब, क्या दानियाल हमसे कभी बात नहीं करेगी? हमने ऐसी क्या खता की है जो वह हमसे इतनी ज्यादा खफा है?"
अख्तर साहब अपने बगल में खड़ी अपनी बीवी को समझाते हुए बोले, "इशिका जी, आप शांत हो जाइए। अभी शादी का माहौल है। हम बाद में उससे बात करते हैं।" वे दोनों आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी वहाँ पर अजलान भागता हुआ आया और अख्तर साहब और इशिका जी से कुछ बोला।
अजलान की बात सुनकर उन दोनों के माथे पर परेशानी की लकीरें खिंच गईं। इशिका जी धीमे लहजे में अजलान से बोलीं, "क्या बकवास कर रहे हो तुम?"
अजलान भी वैसे ही धीमे लहजे में बोला, "मामा, मैं सच बोल रहा हूँ। चलें अभी।"
अख्तर साहब, इशिका जी और अजलान तेज-तेज चलते हुए वहाँ से ऊपर की तरफ जाने लगे।
दानियाल, जो उन तीनों को अच्छे से नोटिस कर रही थी, वह खुद से धीरे से बोली, "इन्हें अचानक क्या हुआ? अजलान ने क्या बोला इनसे, जो ये इतना परेशान हो गए?" वह खुद से बोल ही रही थी कि उसकी नजर शेरियाज और सूफियाना जी पर गई, जिनके चेहरों पर भी परेशानी नजर आ रही थी और वे दोनों भी ऊपर की तरफ जा रहे थे।
दानियाल उन सबको इतना परेशान देखकर खुद से बोली, "आखिर मसला क्या है? हुआ क्या है सबको? कहीं ताई अम्मी को कुछ हुआ या फिर आलिया आपी? क्या मुझे जाकर देखना चाहिए?" वह खुद से बोली, "पर मैं क्यों जाऊँ? वह उनका आपस का मसला है, वह देख लेंगे। मुझे क्या? मैं यहाँ खाने और शादी एन्जॉय करने आई हूँ। बस तीन घंटे तो और रहना है यहाँ।"
वहीं ऊपर एक कमरे में एक औरत बेड में बैठी बेतहाशा रो रही थी। वहीं उनके बगल में बैठी इशिका जी उन्हें शांत कराने की कोशिश कर रही थीं, और सूफियाना जी भी उन्हें शांत कर रही थीं। वहीं पर अख्तर साहब, अजलान, शेरियाज परेशानी से इधर-उधर टहल रहे थे।
वह औरत रोते हुए बोली, "अम्मी, हमारी परवरिश में क्या कमी रह गई थी, जो वह हमें ऐसे भरी महफ़िल में रुसवा करके चली गई? हम जबरदस्ती तो उसकी शादी नहीं कर रहे थे ना? उससे उसकी मर्ज़ी पूछी थी। उसने खुद हाँ बोला था। फिर क्यों वह हमें ऐसे रुसवा करके चली गई?"
सूफियाना जी उस औरत को शांत कराते हुए बोलीं, "सफ़ीना बेटा, पहले आप शांत हो जाइए।"
सफ़ीना जी रोते हुए बोलीं, "कैसे शांत होऊँ? अम्मी, जिस बेटी को इतना नाजों से पाला, आज वही बेटी हमें भरी महफ़िल में रुसवा करके भाग गई।"
तभी उस कमरे का दरवाज़ा खुला और दानियाल अंदर आई। उसने एक नज़र उन सबको देखकर शेरियाज से कहा, "शेरी भाई, काज़ी साहब आ गए हैं। वे आपको पूछ रहे हैं, और..." बोलते-बोलते वह रुक गई और सफ़ीना जी की तरफ़ देखने लगी।
अजलान, जिसका पहले से ही दिमाग खराब हो रहा था, वह दानियाल के ऐसे रुकने पर फ्रस्ट्रेट होते हुए बोला, "यार, तुम अब सस्पेंस-सस्पेंस खेलना बंद करो। मेरा पहले से ही दिमाग खराब है, तुम मत करो। बोलो और क्या?"
दानियाल सफ़ीना जी को एक नज़र देखकर धीमे लहजे में बोली, "वह बारात ऑलमोस्ट पैलेस के गेट में पहुँच गई है।"
सफ़ीना जी दानियाल के पास जल्दी से आकर उसके हाथों को पकड़कर बोलीं, "दानियाल, तुम अपनी ताई अम्मी की सारी बात मानती हो ना? एक आखिरी और बात मान लो मेरी, फिर मैं तुमसे कुछ नहीं माँगूंगी। एक आखिरी गुज़ारिश, अपनी ताई अम्मी की पूरी कर दो।"
दानियाल, जो उनकी बातों का मतलब अच्छे से समझ रही थी, वह उन्हें देखते हुए बोली, "ताई अम्मी, आप मुझसे जो मांगेंगी वह मैं आपको दूंगी, लेकिन जो अभी आप मांग रही हैं, वह मैं आपको नहीं दे पाऊंगी। सॉरी, मुझे माफ़ कर दीजिए।"
सफ़ीना जी दानियाल से बोलीं, "दानियाल बेटा, आलिया हम सबको रुसवा करके चली गई। हमारे घर की इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी। एक तुम ही हो जो हमारे घर की इज़्ज़त को बचा सकती हो।"
दानियाल उनकी बात सुनकर भी कुछ नहीं बोल रही थी। वह अपनी निगाहें नीचे झुकाए सीधे फर्श को घूर रही थी।
सफ़ीना जी इशिका जी से बोलीं, "इशू, तुम बोलो ना दानियाल से। हमारे घर की इज़्ज़त बचा ले, कर ले यह निकाह।"
इशिका जी सफ़ीना जी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलीं। आखिर वह बोलती क्या? वह दानियाल से कुछ बोलती, उस दानियाल से जिसने उनसे कभी बात भी नहीं की? आखिर क्या बोलती वह सफ़ीना जी से कि दानियाल उनकी बात नहीं मानेगी?
सफ़ीना जी जब इशिका जी को कुछ बोलते नहीं देखती हैं तो अख्तर साहब के पास आकर बोलीं, "अख्तर भाई, बोलें ना आप दानियाल से। वह हमारे घर की इज़्ज़त बचा ले।"
अख्तर साहब कुछ बोलते उससे पहले ही दानियाल बोली, "ताई अम्मी, मैं कैसे किसी ऐसे शख्स से शादी कर लूँ, जिसे मैंने देखा तक नहीं है? और मैं..."
"बेटा, लड़का बहुत अच्छा है," सफ़ीना जी दानियाल की बात बीच में काटकर बोलीं।
इशिका जी थोड़ी हिम्मत करके दानियाल से बोलीं, "बेटा, हमारे घर की इज़्ज़त आपके हाथों में है। हमें पता है आप हम सब से खफा हैं, लेकिन हमें यह भी पता है आप हमारे घर की इज़्ज़त में कोई दाग नहीं लगने देंगी।"
"बेटा, कर ले आप यह निकाह। हमारे घर की रुसवाई होने से बचा ले," अख्तर साहब दानियाल से बोले।
दानियाल अपनी नम आँखों और होठों में एक दर्द भरी मुस्कान लिए अख्तर साहब को देखते हुए बोली, "अख्तर साहब, मुझे लगा था आज तो आप अपनी बेटी का साथ देंगे, लेकिन आज भी आप अपनी बीवी का साथ दे रहे हैं। आप अपनी बेटी को एक ऐसे रिश्ते में बाँधना चाह रहे हैं, जिसमें वह कभी खुश नहीं रहेगी। शायद उस अनचाहे रिश्ते में वह घुट-घुट कर मर जाए, फिर भी आप चाहते हैं मैं एक ऐसे शख्स से शादी करूँ, जिसे मैंने देखा तक नहीं।"
"और वह शख्स जो बाहर घोड़ी में बैठा यह सोच रहा है कि उसका निकाह उस लड़की से हो रहा है, जिसे उसने पसंद किया था। अफ़सोस, उसकी होने वाली बीवी तो भाग गई, और घर की इज़्ज़त बचाने के लिए मेरे सो कॉल्ड पेरेंट्स चाहते हैं कि मैं उस शख्स की रिप्लेस्ड ब्राइड बन जाऊँ, और उनसे निकाह कर लूँ।"
"क्या इस रिश्ते में बंधने के बाद वह मुझे वह प्यार दे पाएँगे? वह इज़्ज़त दे पाएँगे, जो वह आलिया आपी को देते थे? बोलिए ना अख्तर साहब, दे पाएँगे वह मुझे, वह प्यार, वह इज़्ज़त?"
शेरियाज अख्तर साहब को देखते हुए बोला, "बाबा, आप क्यों फ़ोर्स कर रहे हैं उसे यह शादी करने के लिए? और वैसे भी आलिया थी उस लड़के की पसंद, दानी नहीं। और मैं अपनी बहन को किसी की रिप्लेस्ड ब्राइड नहीं बनाऊँगा।"
सफ़ीना जी दानियाल के सामने हाथ जोड़ते हुए बोलीं, "दानियाल बेटा, हमारे घर की इज़्ज़त रुसवा होने से बचा लो। हमें पता है तुम इस शादी के लिए रेडी नहीं हो। तुम्हारे भी अपने ख्वाब होंगे अपनी शादी को लेकर, अपने होने वाले शौहर को लेकर, लेकिन तुम अपनी ताई अम्मी पर ट्रस्ट करो। वह बहुत अच्छे हैं, तुम्हें बहुत खुश रखेंगे। मुझे पता है तुम अपने घर की इज़्ज़त भरी महफ़िल में नीलाम नहीं होने दोगी।"
तभी वहाँ किसी ने knock किया। शेरियाज जाकर दरवाज़ा खोला। सामने एक वेटर खड़ा था, जो अपना सर नीचे झुकाए बोला, "सर, बारात आ गई है।" इतना बोलकर वह वहाँ से चला गया।
सफ़ीना जी अपनी आँखों से बहते आँसुओं को पोंछकर दानियाल से बोलीं, "बेटा, तुम कोई भी डिसीज़न लो, मुझे कोई एतराज नहीं है। अभी हम जाकर लड़कों वालों का इस्तकबाल करते हैं।" इतना बोलकर वह वहाँ से चली गईं। उनके पीछे बाकी सब लोग भी वहाँ से चले गए।
अब सिर्फ़ उस कमरे में अजलान और दानियाल थे। अजलान दानियाल के पास आकर उसे उसके कंधों से पकड़कर उसे बेड के पास लाकर अच्छे से बेड में बिठा दिया, और उसकी आँखों से बहते आँसुओं को पोंछते हुए बोला, "तुम इस निकाह से इनकार करो। तुम नहीं करोगी किसी से ऐसा निकाह, जिसमें तुम्हारी मर्ज़ी शामिल नहीं है। तुम एक काम करो, यहाँ से भाग जाओ। मैं पूरी हेल्प करूँगा तुम्हारी यहाँ से भागने में।"
दानियाल धीरे से बोली, "आलिया आपी की तरह।"
अजलान बोला, "तुम ऐसे अपनी फीलिंग्स की कुर्बानी नहीं दे सकती। मैं अच्छे से जानता हूँ तुम प्रोफ़ेसर S को पसंद करती हो, और तुम अपनी फीलिंग्स की कुर्बानी दो सिर्फ़ हमारे पेरेंट्स की सो कॉल्ड रेपुटेशन के लिए? नो वे! मेरे लिए इस घर की इज़्ज़त से ज़्यादा तुम्हारी फीलिंग्स मायने रखती हैं। और मैं तुम्हें तुम्हारी खुशियाँ कुर्बान नहीं करने दूँगा।"
दानियाल खोई हुई सी बोली, "उन्होंने फिर अपनी बीवी का साथ दिया। एक बार फिर उन्होंने मुझे अपने जूते की नोक में रखा। उनके लिए मेरी फीलिंग्स कोई मायने नहीं रखती। क्या उनके लिए सिर्फ़ मैं एक खिलौना हूँ, जिसे जो हुक्म दे दिया उसे वह पूरा करना पड़ेगा?"
"नहीं, तुम खिलौना नहीं हो। बहन हो मेरी, और मेरी बहन की खुशियाँ कोई उससे नहीं छीन सकता, कोई भी नहीं, बाबा भी नहीं," वह दानियाल को गले लगाए हुए बोला।
दानियाल अजलान से दूर होकर बोली, "अजलान, मुझे कुछ वक़्त अकेला छोड़ दो। मुझे थोड़ा वक़्त चाहिए।"
अजलान उसकी बात सुनकर बोला, "वक़्त चाहिए किस लिए? मैंने बोल दिया तुम अभी यहाँ से जा रही हो। आगे मैं देख लूँगा।" इतना बोलकर वह दानियाल को उठाने लगा।
दानियाल उसे घूरते हुए बोली, "अजलान, मैं बहस के मूड में बिल्कुल भी नहीं हूँ। अभी जाओ यहाँ से, मुझे कुछ वक़्त अकेला छोड़ दो। कहीं ऐसा ना हो मैं तुम्हें भी कुछ बोल दूँ, सो प्लीज़ लीव।"
अजलान छोटा सा मुँह बनाकर बोला, "ठीक है, जा रहा हूँ। लेकिन याद रखना, मैं तुम्हें तुम्हारी खुशियों का सैक्रिफ़ाइस नहीं करने दूँगा। मेरे लिए इस सो कॉल्ड इज़्ज़त से ज़्यादा तुम और तुम्हारी खुशियाँ मायने रखती हैं।"
क्या करेगी दानियाल? क्या वह अपने घर की इज़्ज़त की खातिर कर लेगी किसी और से निकाह? क्या वह भुला देगी प्रोफ़ेसर S को?
“Osmania hostel”
सफा, आयरा और मैहर अपने कमरे में बैठी बातें कर रही थीं। वे तीनों कुछ परेशान लग रही थीं। सफा, आयरा और मैहर से बोलती है, "यार, दानी की फिक्र हो रही है। वह अभी तक नहीं आई। ना जाने वहाँ सब कुछ कैसे मैनेज कर रही होगी, ठीक होगी कि नहीं होगी।" वो दानियाल को लेकर काफी ज्यादा परेशान लग रही थी।
तभी सफा का फ़ोन बजने लगा। सफा अपना फ़ोन उठाकर देखती है, जिसमें दानी का नाम शो हो रहा था। वह जल्दी से फ़ोन उठाकर स्पीकर में कर लेती है और घबराते हुए बोलती है, "दानी दानी, तुम ठीक हो ना? वहाँ सब कुछ ठीक है ना?"
लेकिन दूसरी तरफ़ से दानियाल की कोई भी आवाज़ नहीं आती। वह बिल्कुल शांत थी।
सफा को उसकी शांति कुछ खटक सी रही थी। वह एक बार फिर परेशान होते हुए बोलती है, "दानी क्या हुआ है? बताओ ना सब ठीक है ना? तुम इतनी शांत क्यों हो? देखो तुम्हारी यह चुप्पी मुझे और ज्यादा परेशान कर रही है। बताओ ना क्या हुआ है?"
दानियाल उसकी बात सुनकर बोलती है, "हाँ, तुम मेरे बॉयफ्रेंड हो ना, जो मेरी चुप्पी तुम्हें परेशान करेगी।"
सफा उसकी बात सुनकर मुँह बनाते हुए बोलती है, "यार, इतने परेशान भरे माहौल में भी तुम्हें मज़ाक सूझ रहा है। बताओ ना यार, वहाँ क्या हुआ है? हम यहाँ परेशान हो रहे हैं, परेशानी के मारे यहाँ मर रहे हैं, और तुम कुछ बताने की जगह मज़ाक कर रही हो।"
दानियाल एक गहरी साँस लेकर खिड़की से बाहर देखती है। वहाँ नीचे एक आदमी कार से बाहर निकल रहा था। उसने व्हाइट कलर का कुर्ता और ऊपर से व्हाइट कलर की शेरवानी पहनी हुई थी। उसकी शेरवानी में व्हाइट कलर की एम्ब्रॉयडरी की गई थी। चेहरे पर सेहरा बाँधा हुआ था और गले में व्हाइट कलर का दुपट्टा डाला हुआ था। हाथों में ब्रांडेड वॉच, पैरों में चमचमाते सफ़ेद जूते; दिखने में वह बहुत ही ज़्यादा हैंडसम लग रहा था। उसका चेहरा तो नहीं दिखाई दे रहा था, लेकिन उसके लुक्स को देखकर ही वह एक अच्छी पर्सनालिटी का मालिक लग रहा था; एक ऐसा शख्स जिसकी एक झलक लोगों को दीवाना कर दे, लेकिन दानियाल को वो शख्स अपना दीवाना करना तो दूर की बात, अपनी तरफ़ ढंग से मुतवज्जा भी नहीं कर पा रहा था।
वो एक नज़र उस शख्स को देखकर उससे अपनी नज़रें फेर लेती है।
दूसरी तरफ़ से उसे एक बार फिर सफा की आवाज़ सुनाई देती है, "दानी क्या हुआ है? बताओ ना क्या हुआ है? देखो अब तुम हमें हद से ज़्यादा डिस्टर्ब कर रही हो। अभी सिर्फ़ हम परेशान हो रहे थे, अब तुम्हारी यह चुप्पी हमें सबसे ज़्यादा परेशान कर रही है। बताओ दानी क्या हुआ है?"
दानियाल एक गहरी साँस लेकर बोलती है, "सफा, एक बार फिर मैं अपनी खुशियों को कुर्बान करने जा रही हूँ।" दानियाल की आँखें इस वक़्त हल्की नम थीं। वो रोना चाहती थी, लेकिन वह रो भी नहीं पा रही थी।
सफा उसकी बात सुनकर शॉक होते हुए बोलती है, "क्या… क्या बोला तुमने? तुम एक बार फिर अपनी खुशियों की कुर्बानी देने जा रही हो? दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा? बिल्कुल भी नहीं दानी, तुम इस बार कुछ भी ऐसा वैसा नहीं करोगी, समझी तुम।"
दानियाल एक दर्द भरी मुस्कराहट अपने चेहरे में लाते हुए बोलती है, "सफा, करना पड़ेगा। मुझे इस बार फिर करना पड़ेगा अपनी खुशियों को कुर्बान। मुझे देनी पड़ेगी एक बार फिर अपनी खुशियों की कुर्बानी।"
सफा उसकी बात सुनकर कंफ्यूज़ होते हुए बोलती है, "तुम वहाँ शादी अटेंड करने गई थी ना, तो फिर ये खुशियों की कुर्बानी की बात कहाँ से आ गई?" फिर कुछ सोचते हुए बोलती है, "1 मिनट, क्या तुम्हारे घर वाले तुम्हारी जबरदस्ती शादी करवा रहे हैं? नहीं, हम ऐसा बिल्कुल नहीं होने देंगे। हम उन्हें तुम्हारी शादी जबरदस्ती नहीं करने देंगे।"
दानियाल अपना सर ना में हिलाते हुए बोलती है, "नहीं, वो मेरी शादी जबरदस्ती नहीं करवा रहे।"
सफा आगे बोलती है, "क्या जबरदस्ती नहीं करवा रहे? मतलब क्या है दानी? तुम सच-सच बताओ, ऐसे घुमा फिरा कर बातें मत करो।"
दानियाल एक गहरी साँस लेकर बोलती है, "आलिया आपी भाग गई अपने निकाह से। वो घर वालों को रुसवा करके चली गई। ताई अम्मी को वो भरी महफ़िल में ऐसे अकेला छोड़कर चली गई। ताया अब्बू और दादा जान की कमाई गई इज़्ज़त को वह अपने पैरों तले रौंद कर चली गई। उन्हें एक बार भी ख्याल नहीं आया, ताया अब्बू और दादा जान की इज़्ज़त का, और मैं अपने घर वालों की इज़्ज़त को रुसवा नहीं होने दे सकती। मेरे लिए मेरे ताया अब्बू और दादा जान की इज़्ज़त बहुत मायने रखती है। मैं उनकी इज़्ज़त को यहाँ पर लोगों के पैरों तले रौंदने नहीं दे सकती।"
सफा अपनी आँखें बड़ी करके बोलती है, "क्या… क्या बोल रही हो तुम? आलिया आपी अपने निकाह वाले दिन भाग गई और तुम उनकी जगह निकाह कर रही हो? तुम पागल हो गई हो दानी! तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है। तुम ऐसे कैसे किसी और से निकाह कर सकती हो? तुम्हारे दिल में कोई और है और निकाह तुम किसी और से कर रही हो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने घर वालों की इज़्ज़त के लिए? तुम प्रोफ़ेसर S से मोहब्बत करती हो, क्या भुला देगी तुम उन्हें अपने दिल से?"
दानियाल अपना सर ना में हिलाते हुए बोलती है, "नहीं, मैं उन्हें भूल नहीं सकती। वो हमेशा मेरे दिल में रहेंगे। वो कहते हैं ना, वो मोहब्बत ही क्या जिसमें जुदाई ना हो, दर्द का आलम ना हो। हमने उनसे मोहब्बत की और हमारी मोहब्बत में जुदाई लिखी हुई थी। वो शायद हमारे नसीब में ही नहीं थे, और जो नसीब में नहीं, हम उसका इख़्तियार नहीं कर सकते। पर हाँ, वो हमेशा मेरे दिल में रहेंगे। वो इश्क़ ही क्या जिसमें हम अपने महबूब को अपने दिल में ना बस सकें, हम अपने महबूब को भुला दें? वो इश्क़ नहीं करा था दानियाल अख़्तर ने। दानियाल अख़्तर ने वो इश्क़ करा था जिसमें वह हमेशा अपने प्रोफ़ेसर S को अपने दिल में बसाकर रखेगी। उनकी जगह कभी किसी को नहीं देगी, ना आज अपनी ज़िन्दगी में आने वाले शख्स को, ना आगे कभी किसी आने वाले शख्स को। इस दिल में सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रोफ़ेसर S का नाम लिखा है।"
सफा चिल्लाते हुए बोलती है, "दानी, तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है! क्या फ़ालतू की बकवास लगा के रखी है? तुम शादी नहीं करोगी, किसी से भी नहीं! वह तुम्हारी पसंद नहीं है। तुम्हारी फ़ैमिली ने उस शख्स को तुम्हारी बड़ी बहन के लिए चुना था ना कि तुम्हारे लिए। अब उनके पास उनकी बेटी नहीं बची तो वह तुम्हें क्या सेकंड ऑप्शन की तरह यूज़ करेंगे? नहीं, बिल्कुल नहीं! हर बार वह तुम्हें किसी सेकंड ऑप्शन की तरह यूज़ नहीं कर सकते। तुम हमेशा से फ़र्स्ट प्रायोरिटी हो और फ़र्स्ट प्रायोरिटी ही रहेगी। तुम किसी की रिप्लेस्ड ब्राइड या फिर उसका सेकंड ऑप्शन नहीं बन सकती। एक काम करो, तुम भाग जाओ! तुम नहीं करोगी यह निकाह।"
दानियाल इस बार बिल्कुल शांत लहज़े में बोलती है, "आलिया आपी की तरह, जैसे वह सबको रुसवा करके भाग गई, हमारे ख़ानदान की इज़्ज़त को अपने पैरों तले रौंद कर… इस इज़्ज़त को बनाने में दादा जान ने, ताया अब्बू ने अपनी पूरी ज़िन्दगी निकाल दी। मिस्टर अख़्तर की वजह से एक बार पहले ही उनको इतना रुसवा होना पड़ा है। अब क्या आलिया आपी की वजह से उन्हें एक बार फिर रुसवा होना पड़े? नहीं, इस बार मैं यह नहीं होने दूँगी। अपने घर वालों की इज़्ज़त को मैं यूँ नीलाम नहीं होने दूँगी। मैं करूँगी यह निकाह। दिल में कभी जगह नहीं दे पाऊँगी उन्हें, लेकिन अपनी ज़िन्दगी में जगह दे रही हूँ, और तुम और अज़लान एक ही बात क्यों कर रहे हो? भाग जाओ, भाग जाओ… कोई हलवा नहीं है भागना, जो इतनी आसानी से भाग जाऊँ। और सफ़ा, तुम ये कैसी बातें कर रही हो? भाग जाओ… तुम अच्छे से जानती हो मेरे लिए मेरे घर वालों की इज़्ज़त से बढ़कर कुछ भी नहीं है। अगर उनकी इज़्ज़त के लिए मुझे अपनी जान भी देनी पड़े तो मैं अपनी जान भी दे दूँगी, लेकिन उनके दामन में एक आँच नहीं आने दूँगी।"
सफा अब दानियाल से कुछ भी नहीं बोलती। वो दानियाल को अच्छे से जानती थी। वह अपने घर वालों की इज़्ज़त के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी दे सकती है। वह पहले भी ऐसा कर चुकी है; उनकी खुशियों के लिए अपनी खुशियों की कुर्बानी दे चुकी है, उनकी इज़्ज़त बचाने के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान कर दिया। वह एक बार फिर यही करने जा रही थी, जो सफ़ा इस बार बिल्कुल भी नहीं होने देने वाली थी।
वो बोलती है, "मैं उनसे बात करती हूँ। मैं करूँगी उनसे बात, वह ज़रूर कुछ करेंगे।"
दानियाल तुरंत बोलती है, "नहीं सफा, तुम शेरी भाई से कोई भी बात नहीं करोगी, कुछ भी नहीं बोलोगी उनसे। वो इसके ख़िलाफ़ है, लेकिन उनके ऐसे ख़िलाफ़ होने से हमारे घर वालों की इज़्ज़त पर तो बात आ रही है ना।"
सफा इस बार इरिटेट होते हुए बोलती है, "वह तुम्हारी खुशियाँ देखना चाहते हैं, तुम्हें खुश देखना चाहते हैं।"
दानियाल अपने चेहरे पर दर्द भरी मुस्कराहट लाते हुए हल्का हँसकर बोलती है, "खुशी!! सही कहा तुमने, मेरी खुशी… जब मुझे उनकी ज़रूरत थी तब वो नहीं थे यहाँ पर, जब मुझे सबसे ज़्यादा सही मायने में उनकी ज़रूरत थी, तब वो नहीं थे, कोई भी नहीं था मेरे लिए। तब मैंने अपना फैसला खुद लिया था और उस दिन मैंने डिसाइड करा था, मेरी ज़िन्दगी का फैसला लेने का हक़ सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा है और किसी का भी नहीं है, न ही शेरी भाई का, न ही किसी का। अपने घर वालों की इज़्ज़त बचाने के लिए मैंने खुद फैसला लिया है, ये निकाह करने का, और मैं करूँगी।" इतना बोलकर वो कॉल कट कर देती है। वह शायद और बात करना ही नहीं चाहती थी।
सफा ऐसे फ़ोन कट होने पर, पहले तो उस फ़ोन को घूरकर देखती है, फिर हल्के गुस्से में बोलती है, "नहीं दानी, नहीं! तुम इस बार अपनी खुशियाँ कुर्बान नहीं करोगी। मुझे कुछ तो करना होगा, किसी तरह इस निकाह को रोकना होगा।" उसके चेहरे में गुस्सा और फ़िक्र साफ़ नज़र आ रही थी।
कैसे रोकेगी सफ़ा इस निकाह को? क्या किया था अख़्तर साहब ने?
दानियाल ने अपनी नम आँखों से ऊपर आसमान में देखते हुए कहा, "मामा, आप क्यों चली गईं? मुझे यहाँ तन्हा छोड़कर? क्यों चली गईं आप मुझसे दूर? आपके जाने के बाद अब मेरा यहाँ कोई नहीं है, ना शेरी भाई, ना दादू, कोई भी नहीं है मेरा यहाँ पर। आप अपनी बेटी को ऐसे क्यों छोड़कर चली गईं, मामा? आप मुझे भी अपने साथ ले जातीं ना। मुझे यह ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती। आपके बिना मेरी ज़िन्दगी सूनी सी हो गई है। प्लीज़ मामा, मुझे भी अपने साथ बुला लेना।"
हल्का रुककर वह बोली, "दादा जान, ताया अब्बू, आप देख रहे हैं ना? मैं अपने घर की इज़्ज़त पर बिल्कुल भी आँच नहीं आने दूँगी। आपने मुझसे वादा लिया था कि हमारे घर की इज़्ज़त को कभी आँच नहीं आएगी मेरी वजह से। मैं मिस्टर अख्तर जैसी कोई भी गलती नहीं करूँगी। देखिए, मैं उनके जैसी कोई भी गलती नहीं कर रही हूँ। मेरी वजह से कभी भी हमारे घर की इज़्ज़त को आँच नहीं आएगी। मैं अपने घर की इज़्ज़त को यूँ रुसवा नहीं होने दूँगी, बचाऊँगी अपने घर की इज़्ज़त को। आप लोग बस अपनी दुआएँ वहाँ से भेज दीजिएगा मेरे लिए।" तभी उस कमरे का दरवाज़ा खुला।
दानियाल पीछे मुड़कर देखती है जहाँ अजलान खड़ा था। वह अजलान को वहाँ देखकर कोई भी रिएक्शन नहीं देती और सीधे जाकर वहाँ रखे सोफ़े पर बैठ जाती है।
अजलान दानियाल का हाथ पकड़कर उसे खड़ा करते हुए बोला, "चलो यहाँ से।"
दानियाल अजलान को घूरते हुए बोली, "चलो? कहाँ चलो? और छोड़ो मेरा हाथ।"
अजलान अपना सर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं, नहीं छोड़ूँगा मैं तुम्हारा हाथ, चाहे तुम कुछ भी करो। मैं तुम्हें तुम्हारी खुशियाँ कुर्बान नहीं करने दूँगा। ऐसे, तुम अपनी खुशियाँ कुर्बान नहीं कर सकती। मैं तुम्हारे लिए प्रोफ़ेसर S से बात करूँगा। तुम पसंद करती हो ना उन्हें? मोहब्बत करती हो ना तुम उनसे? मैं बात करूँगा उनसे। वो ज़रूर तुमसे शादी करेंगे। प्यार से मानें वो तो ठीक है, नहीं तो मेरे पास और भी तरीके हैं, लेकिन मैं तुम्हें ऐसे ही किसी और से शादी नहीं करने दूँगा। तुम्हारे दिल में जब कोई और है तो तुम अपनी ज़िन्दगी में किसी और को जगह कैसे दे सकती हो?"
"तुम्हारी जगह अगर मैं होता तो, मैं तुरंत यहाँ से भाग जाता, अपनी खुशियों को यूँ कुर्बान नहीं करता।"
दानियाल उसकी बात सुनकर बोली, "सही कहा तुमने। तुम लड़के कभी अपनी खुशियाँ कुर्बान नहीं करते। तुम्हें जो चाहिए होता है तुम वो लेकर ही रहते हो। तुम्हें कभी अपनी खुशियों की कुर्बानी नहीं देनी पड़ती ना। अगर तुम्हें तुम्हारी खुशियाँ नहीं मिलती तो तुम लोग या तो घर छोड़कर भाग जाते हो या फिर कहीं ऐसी जगह चले जाते हो कुछ वक़्त के लिए जहाँ पर तुम्हें कोई ढूँढ़ ना पाए। फिर कुछ वक़्त बाद वापस आ जाते हो और घर वाले तुम्हारी खुशियाँ तुम्हें दे देते हैं।"
"लेकिन हम लड़कियाँ हैं अजलान। हम अपने घर से भाग नहीं सकतीं। लड़कों से कुर्बानियाँ नहीं माँगी जाती हैं। कुर्बानियाँ तो लड़कियों से माँगी जाती हैं। उन्हें अपनी खुशियों का सेक्रिफ़ाइस करना ही पड़ता है क्योंकि उनके लिए उनकी खुशियों से ज़्यादा उनके घरवालों की इज़्ज़त अज़ीज़ होती है। लेकिन लड़के वह कभी सेक्रिफ़ाइस नहीं करते। उन्हें अपने घरवालों की इज़्ज़त से ज़्यादा अपनी खुशियाँ अज़ीज़ होती हैं।"
"लेकिन मैं लड़की हूँ ना। मुझे अपनी खुशियों से ज़्यादा अपने घरवालों की इज़्ज़त अज़ीज़ है और मैं यह निकाह करूँगी, समझे तुम? और छोड़ो मेरा हाथ। छोटे हो, छोटे की तरह रहो। मेरा बाप बनने की कोशिश मत करो। एक बाप है जो काफ़ी है, जिससे मुझे कोई मतलब नहीं है, समझे तुम?"
अजलान बेकार सा मुँह बनाते हुए बोला, "यह तुम बात-बात पर मुझे छोटा-छोटा क्यों बोलती हो? एक मिनट ही तो छोटा हूँ मैं तुमसे और तुम मुझसे एक मिनट बस बड़ी हो। एक मिनट बड़ी होकर तुमने कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मार लिया है।"
"तीर तो मारे हैं मैंने बहुत," वह तिरछा मुस्कुराते हुए बोली।
"हाँ, फ़्लर्ट के अलावा तुमने कोई भी तीर नहीं मारे हैं," अजलान बेकार सा मुँह बनाते हुए बोला।
फिर दानियाल को समझाते हुए बोला, "दानी, प्लीज़ उस शख़्स से शादी मत करो। तुम्हारी ज़िन्दगी पूरी बर्बाद हो जाएगी। मत करो उससे शादी, वह अच्छा इंसान नहीं है।"
दानियाल बिना किसी एक्सप्रेशन के बोली, "ज़िन्दगी तो पहले ही बर्बाद है, थोड़ी और बर्बाद ही सही। अब आलिया आपी के लिए कुछ सोच-समझकर तो तुम लोगों ने यह रिश्ता पक्का किया होगा ना? अब मैं उनसे निकाह कर रही हूँ तो इंसान बेकार है, मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी? वाह अजलान, वाह! क्या डबल स्टैण्डर्ड है तुम लोगों का!" वह तालियाँ बजाते हुए बोली।
अजलान वहीं सोफ़े में बैठकर दानियाल को अपने बगल में बैठा लेता है, फिर उसे देखते हुए बोला, "दानी, हमने आलिया आपी से उनका रिश्ता तय नहीं करा था। आलिया आपी ने ज़िद करी थी कि उन्हें उस शख़्स से ही शादी करनी है। अगर उनकी उनसे शादी नहीं हुई तो वह अपनी नस काट लेंगी।"
"ताई अम्मी उनकी इस धमकी से बहुत ज़्यादा डर गई थीं और मजबूरी में आकर उन्होंने उनकी शादी उस शख़्स से करने का फ़ैसला लिया था। लेकिन वह शख़्स बिल्कुल भी अच्छा नहीं है दानी, तुम्हारी ज़िन्दगी बर्बाद कर देगा वो।"
दानियाल एक गहरी साँस लेकर अपने फ़ोन की तरफ़ देखती है जिसमें 4:00 बजे थे। वह फिर अजलान की तरफ़ देखते हुए हल्के गुस्से में बोली, "बस अजलान, बहुत हुआ। अब मुझे तुम्हारी कोई भी फ़ालतू की बकवास नहीं सुननी है। पहले ही मेरी ज़िन्दगी इतनी बर्बाद है, थोड़ी और बर्बाद सही। अब मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है और वैसे भी निकाह का टाइम हो गया है।"
तभी वहाँ सफीना जी आ जाती हैं और दानियाल को देखते हुए बोलती हैं, "दानियाल बेटा, आपने क्या फ़ैसला लिया है? देखिए, हम आपको फ़ोर्स नहीं करेंगे। अगर आप तैयार हैं तो ठीक है, नहीं तो..." बोलते-बोलते वो रुक जाती हैं। वह आगे कुछ भी नहीं बोलती।
दानियाल अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे से सफ़ीना जी को देखते हुए बोली, "ताई अम्मी, मैं यह निकाह करने के लिए तैयार हूँ।"
सफीना जी जल्दी से आगे बढ़कर दानियाल को गले लगाते हुए बोलीं, "बेटा, आप नहीं जानतीं हम कितने ज़्यादा खुश हैं। आपने हमारी कितनी बड़ी परेशानी दूर कर दी है। हम जिस बेटी को अपना सब कुछ मानते थे, वह बेटी हमें भरी महफ़िल में तन्हा छोड़ गई और एक आप हैं जो हमेशा हमारे साथ खड़ी रहती हैं। थैंक यू बेटा, थैंक यू।"
दानियाल अपने चेहरे पर एक दर्द भरी मुस्कराहट लिए सफ़ीना जी को देखते हुए बोली, "ताई अम्मी, इसमें थैंक यू की क्या बात है? मैं भी तो आपकी बेटी हूँ ना।" वह बेटी जिसे सिर्फ़ और सिर्फ़ आपने बेटी माना। वह पीछे खड़े अख्तर साहब को देखते हुए बोल रही थी। वह अगले ही पल उनसे अपनी नज़रें हटा लेती है।
सफीना जी दानियाल को देखते हुए बोलीं, "बेटा, आप अपने कपड़े तो चेंज कर लीजिए।"
दानियाल अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं करूँगी ताई अम्मी। यह मेरे दोस्तों ने बहुत ही प्यार से मुझे पहनाया है। मैं इसे चेंज नहीं करूँगी।"
सफीना जी मुस्कुराते हुए बोलीं, "ठीक है बेटा, कोई बात नहीं। चलिए नीचे चलिए, काज़ी साहब बुला रहे हैं।"
इशिका जी आगे बढ़कर बोलीं, "दानी, मत करो यह निकाह। वो शख़्स..." वो आगे कुछ बोलती, उससे पहले ही दानियाल उनकी बात बीच में काटकर बोली, "मैंने अपने फ़ैसले लेने का हक़ किसी को नहीं दिया है।"
इतना बोलकर वह बेरुखी से अपना चेहरा दूसरी तरफ़ फेर लेती है।
वहीं इशिका जी उसे बस नम आँखों से देखती रह जाती हैं। वह आगे कुछ बोलने वाली होती हैं कि अख्तर साहब उनका हाथ पकड़कर उन्हें कुछ ना बोलने का इशारा करते हैं। इशिका जी बस शांति से वहाँ खड़ी रह जाती हैं।
वहीं दानियाल आगे की तरफ़ बढ़ जाती है। उसने एक नज़र भी इशिका जी और अख्तर साहब को नहीं देखा था। वह उस कमरे से बाहर निकलकर एक नज़र रेलिंग से नीचे की तरफ़ देखती है जहाँ पर वह शख़्स आराम से सोफ़े पर बैठा हुआ था। वह तुरंत अपनी नज़रें उस शख़्स से फेर लेती हैं, जैसे वो उसे देखना ही नहीं चाहती थी। वह अपनी नज़रें नीचे झुकाकर चलने लगती है।
दानियाल के ऊपर एक रेड कलर का दुपट्टा सफ़ीना जी ने डाल दिया था जो उसके चिन तक आ रहा था। वह रेड कलर का नेट का दुपट्टा था जिससे सिर्फ़ उसकी बड़ी-बड़ी आँखें ही दिख रही थीं, जो नीचे की तरफ़ झुकी हुई थीं, और उसके वो लाल लिपस्टिक से सने होंठ, जो किसी का भी दिल अपनी तरफ़ खींच लें। वही वो दुपट्टा दिखने में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रहा था। उसके पूरे बॉर्डर में गोल्डन लेस लगी थी और उस दुपट्टे में बहुत ही खूबसूरत तरीके से उर्दू में लिखा था "इख्तियार की दुल्हन," जो जरी से लिखा गया था, दिखने में भी बेहद खूबसूरत। दानियाल उस दुपट्टे को अपने हाथों में पकड़े नीचे की तरफ़ आ रही थी। उसने अपनी नज़रें नीचे ही झुकाए हुई थीं। उसने एक पल के लिए भी अपनी नज़रें ऊपर नहीं करी थीं।
वहीं अजलान और सफ़ीना जी दानियाल के साथ ही चल रही थीं। दानियाल ने लहँगा तो पहना नहीं था जिसे वो पकड़ सकें, इसलिए वो बस उसके बगल में ही चल रहे थे। वो दानियाल को लाकर वहाँ रखे एक सोफ़े पर बैठा देते हैं।
दानियाल और वह शख़्स, जिसका नाम इख्तियार था, वह दानियाल के सामने बैठा हुआ था। उन दोनों के बीच में सफ़ेद और लाल गुलाब के फूलों का पर्दा लगा हुआ था। वहीं आस-पास बहुत सारे सफ़ेद और लाल गुलाब फैले हुए थे। वह जगह दिखने में बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।
सफ़ीना जी काज़ी साहब को देखते हुए बोलीं, "काज़ी साहब, निकाह पढ़वाइए।"
काज़ी साहब अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोले, "जी।" और वो जैसे ही बोले, "इख्तियार अहमद शाह..." तभी वहाँ किसी लड़की की आवाज़ आती है, "रुक जाइए! यह निकाह नहीं हो सकता।"
कौन है यह लड़की? क्या यह इख्तियार अहमद शाह की गर्लफ़्रेंड है या है कोई और? क्या हो जाएगा दानियाल और इख्तियार अहमद शाह का निकाह?
किसी लड़की की आवाज सुनकर सब लोग दरवाजे की तरफ देखने लगे। दानियाल, जिसने अभी तक अपनी नज़रें नहीं उठाई थीं, वह भी दरवाजे की तरफ देखने लगी। उसके लिए यह आवाज बहुत ही ज्यादा जानी-पहचानी थी। वहीं इख्तियार अहमद शाह अभी भी बिल्कुल वैसे ही बैठा हुआ था। उसने बाकियों की तरह अपनी नज़रें पीछे की तरफ नहीं घुमाई थीं, जैसे वह जानता हो पीछे कौन है?
दरवाजे पर खड़ी लड़की को देखकर दानियाल की आंखें हैरानी से फैल गईं। यही हाल अजलान का भी था; वह भी दरवाजे में खड़ी लड़की को देखकर हैरान था, लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे में एक छोटी सी मुस्कुराहट तैर गई, जिसे वह जल्दी ही छुपा लेता है।
वह लड़की चलते हुए अंदर आई। वह दानियाल के पास आकर खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए सबको देखते हुए बोली, "मेरे बिना मेरी दोस्त का निकाह कैसे हो सकता है? और मुझे तो बताया भी नहीं गया कि यहां मेरी दोस्त का निकाह हो रहा है। मुझे कुछ मिनट उससे बात करनी है।" बोलते हुए वह मुस्कुराते हुए सबको देखने लगी।
वह एक नज़र इख्तियार अहमद शाह को देखती है, फिर अजलान को घूरती है, फिर दानियाल के कान के पास हल्का झुककर धीरे से बोली, "दानि, बात करनी है मुझे तुमसे।"
दानियाल सफा को घूरते हुए बोली, "सफा, प्लीज़ यहां अब की तमाशा मत करो। शांति से ये निकाह हो जाने दो। मुझे अभी तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी, हम निकाह के बाद बात करेंगे।"
सफा धीरे से बोली, "तब तो देर हो जाएगी ना? हमें अभी बात करनी है तुमसे। हम तुम्हें ऐसे तुम्हारी ज़िंदगी, तुम्हारी खुशियाँ कुर्बान नहीं करने दे सकते।"
सफा धीरे से बोली, "सफा, प्लीज़ नहीं।"
सफा बेकार सा मुंह बनाते हुए बोली, "ठीक है, मत सुनो। लेकिन इसे तो पहन लो।" वह अपने हाथ दानियाल की तरफ बढ़ाते हुए बोली।
दानियाल सफा के हाथों में देखती है। उसने सफ़ेद और लाल गुलाब के दो बहुत ही खूबसूरत से कंगन पकड़े हुए थे, जो दिखने में फ़्रेश फ़्लावर के ही लग रहे थे। दानियाल मुस्कुराते हुए बोली, "तुम्हें याद था।"
सफा मुस्कुराते हुए बोली, "ऑफ़कोर्स, तुम्हारी ख़्वाहिश मैं कैसे भूल सकती हूँ? तुम्हें हमेशा से अपने निकाह में ये सफ़ेद और लाल गुलाब के फूलों के कंगन पहनने थे।"
दानियाल मुस्कुराते हुए सफा की तरफ़ अपने हाथ बढ़ा देती है। सफा मुस्कुराते हुए उसके हाथों में वो फूलों के कंगन पहना देती है। दानियाल मुस्कुराते हुए उन कंगन को देखती है, फिर अजलान से धीरे से बोली, "काज़ी साहब से निकाह पढ़ाने के लिए बोलो।" अब उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस बिल्कुल बदल गए थे। जहाँ अभी एक मिनट पहले वो उन फ़्रेश गुलाब के कंगन को देखकर मुस्कुरा रही थी, अब उसका चेहरा इमोशनलेस था।
अजलान पहले बेकार सा मुँह बनाकर दानियाल को एक नज़र देखता है, फिर काज़ी साहब को देखते हुए बोलता है, "काज़ी साहब, निकाह पढ़वाएँ।"
काज़ी साहब अजलान की बात सुनकर बोले, "जी मोहतरम।"
फिर वे इख्तियार अहमद शाह की तरफ़ देखते हुए बोले, "इख्तियार अहमद शाह वल्ड अहमद शाह, वहक्काए मेहर एक करोड़ रुपए, सिक्काए इराएजुल वक़्फ़, दानियाल अख्तर बिनत अख्तर सुलेमान के साथ आपको यह निकाह कुबूल है?"
"कुबूल है।" इख्तियार अहमद शाह की तरफ़ से जवाब आता है। उसके चेहरे के एक्सप्रेशंस नहीं दिखाई दे रहे थे; उसका चेहरा पूरा सफ़ेद और लाल गुलाब के सेहरे से छुपा हुआ था।
काज़ी साहब अब दानियाल की तरफ़ अपना रुख़ कर लेते हैं और दानियाल को देखते हुए बोलते हैं, "दानियाल अख्तर बिनते अख्तर सुलेमान, वहक्काए मेहर एक करोड़ रुपए, सिक्काए इराएजुल वक़्फ़, इख्तियार अहमद शाह वल्ड अहमद शाह के साथ आपको यह निकाह कुबूल है?"
काज़ी साहब के ये अल्फ़ाज़ जैसे ही वहाँ खड़े लोगों के कानों में पड़ते हैं, वे सब आपस में बातें करने लगते हैं। एक औरत अपने साथ में खड़ी औरत से बोलती है, "यहाँ तो आलिया का निकाह हो रहा था ना? तो दानियाल कैसे आ गई? यह तो चार साल पहले घर छोड़कर चली गई थी।"
वह औरत बोलती है, "कहीं इसने तो आलिया को कुछ नहीं कर दिया और खुद उसकी जगह दुल्हन बनकर बैठ गई।"
वहाँ खड़े लोग आपस में कुसुर-फुसुर कर रहे थे, लेकिन दानियाल को इससे जैसे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।
वह एक नज़र अपने अगल-बगल खड़े अपने भाइयों को देखती है, जो उसे न बोलने का इशारा कर रहे थे। वह अपना सर झुकाकर धीरे से बोली, "कुबूल है।"
शेरियाज़ और अजलान का चेहरा उसके इस "कुबूल है" से उतर सा जाता है।
वही काज़ी साहब एक बार फिर दानियाल से पूछते हैं, "क्या आपको यह निकाह कुबूल है?"
दानियाल धीरे से बोली, "कुबूल है।"
काज़ी साहब एक आखिरी बार दानियाल से पूछते हैं, "दानियाल अख्तर, क्या आपको यह निकाह कुबूल है?"
दानियाल अपनी नज़रें उठाकर एक नज़र सफ़ा को देखती है, जो नम आँखों से उसे ही देख रही थी। दानियाल वैसे ही उसे देखते हुए बोली, "कुबूल है।"
दानियाल के इन आखिरी अल्फ़ाज़ों से सफ़ा की आँखों से एक आँसू का कतरा बहकर उसके गालों में गिर जाता है। वह उन आँसुओं को पोंछकर धीरे से बोली, "दानि, कर ली तुमने अपनी मनमानी, कर ली तुमने अपने हाथों अपनी सारी खुशियाँ कुर्बान। क्यों दानी? क्यों?"
वही काज़ी साहब इख्तियार अहमद शाह की तरफ़ अपना रुख़ करके बोलते हैं, "इख्तियार अहमद शाह, क्या आपको यह निकाह कुबूल है?"
इख्तियार अहमद शाह बड़े ही रौब के साथ बैठते हुए बोलता है, "कुबूल है।"
काज़ी साहब एक आखिरी बार उससे पूछते हैं, "क्या आपको यह निकाह कुबूल है?"
इख्तियार अहमद शाह बोलता है, "कुबूल है।"
सब लोग अपने हाथों को ऊपर उठाकर नए जोड़े की खुशियों की दुआ माँगने लगते हैं, फिर अपने दोनों हाथों को अपने चेहरे पर ले आते हैं।
अजलान दानियाल की तरफ़ हल्का सा झुककर धीरे से बोलता है, "जहन्नुम मुबारक हो।"
दानियाल उसकी बात सुनकर अपनी आँखें छोटी करके कन्फ़्यूज़ होते हुए बोली, "जहन्नुम!!"
वहीं दूसरी तरफ़ खड़ा शेरियाज़ हल्का झुककर बोलता है, "हाँ जहन्नुम, इसीलिए मना कर रहे थे हम, मत करो उससे निकाह। उससे निकाह करना मतलब जहन्नुम में जाना। तुमने खुद अपनी ज़िंदगी उस डेविल के हाथों सौंप दी है।"
अजलान बोलता है, "इसीलिए बोल रहा हूँ, जहन्नुम मुबारक हो।"
दानियाल अपने सीधे हाथ की इंडेक्स फ़िंगर से अपने नाक पर टच करते हुए बोली, "अगर मैंने उनकी ज़िंदगी जहन्नुम ना बना दी ना, तो मेरा नाम भी दानियाल अख्तर नहीं।"
अजलान तपाक से बोलता है, "सॉरी, सॉरी। यहाँ, यहाँ तुम अब करेक्ट करो। अब तुम दानियाल अख्तर नहीं हो, अब तुम्हारा नाम है दानियाल इख्तियार अहमद शाह। अब तुम इख्तियार अहमद शाह की बेगम, उनकी जोजा, उनकी शरीके-हयात, दानियाल इख्तियार अहमद शाह हो। हाँ तो अब बताओ, तुम अपना दूसरा नाम क्या रखोगी? या फिर मैं ही कुछ तुम्हारा नया नाम सोचूँ?"
दानियाल घूरकर अजलान को देखती है, फिर इख्तियार अहमद शाह को देखने लगती है।
इख्तियार अहमद शाह, जो दानियाल को ही देख रहा था, उसकी पलकों का बार-बार झपकना, उसके वो रेड लिपस्टिक से सने होठों का बार-बार फड़फड़ाना, वह जैसे उसके सेहरे के अंदर से ही उसकी हर एक हरकत को देख पा रहा हो, वह तिरछा मुस्कुराते हुए बोलता है, "वेलकम टू द हेल, लिटिल लैम्ब।"
सफ़ा दानियाल के पास बैठकर दानियाल से धीरे से बोली, "दानि, तुमने क्या किया? तुमने एक ऐसे शख्स से निकाह कर लिया जो तुम्हारी ज़िंदगी जहन्नुम बना सकता है। उससे बेहतर था कि तुम इस निकाह से भाग जातीं, चली जातीं यहाँ से दूर। तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी को बर्बाद करना चाहती थीं। कांग्रेचुलेशन, तुमने खुद डेविल को दावत दे दी अपनी ज़िंदगी में। वो डेविल तुम्हें कच्चा चबा जाएगा।"
दानियाल अपनी आँखें रोल करते हुए बोली, "मैं कोई चिंगम हूँ जो वो मुझे कच्चा चबा जाएँगे? नहीं, मैं कोई चिंगम नहीं हूँ। मैं भी दानियाल हूँ। कोई इतनी आसानी से मुझ पर रौब नहीं जमा सकता, और आज तक मुझ पर कोई रौब नहीं जमा पाया है, तो यह इख्तियार अहमद शाह क्या चीज़ है? दानियाल पहले भी अपनी मर्ज़ी की मालिक थी, अभी भी अपनी मर्ज़ी की मालिक है, और आगे भी रहेगी।"
अजलान, जो उनके पीछे खड़ा उनकी सारी बातें सुन रहा था, वह हल्का झुककर धीरे से सफ़ा से बोला, "तुम यहाँ आकर भी कुछ उखाड़ नहीं पाईं। हो गया मेरी बहन का निकाह उस जल्लाद के साथ।"
सफ़ा खड़े होकर अजलान के बगल में आ जाती है और उसे घूरते हुए धीरे से बोली, "तुमने उस जल्लाद को देखा है?" वह पूरी तरह से अजलान की बातों को इग्नोर कर देती है।
अजलान अपना सर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं, मैंने उसे नहीं देखा और ना ही मुझे उसे देखने का शौक़ है। उस जल्लाद को देखने से बेहतर है मैं कोई हैंडसम लड़का ही देख लूँ।"
सफ़ा अपने मुँह पर हाथ रखकर बोली, "हाव, अजलान! तुम गे हो और तुमने किसी को बताया भी नहीं। तुम्हें लड़के ताड़ने में मज़ा आता है।"
अजलान हल्के गुस्से में बोला, "पागल लड़की! तुमने जल्लाद देखने की बात की थी, और मैं कोई गे नहीं हूँ। मुझे लड़कियों में ही इंटरेस्ट है, समझी तुम? फिर वह उदास होते हुए बोला, "अब पता नहीं यह जल्लाद मेरी बहन के साथ क्या करेगा। कहीं मेरी बहन को कच्चा तो नहीं चबा जाएगा।"
सफ़ा उसकी बात सुनकर बोली, "दानि ने बोला है, वह कोई चिंगम नहीं है जो वो उसे कच्चा चबा जाएगा।"
अजलान उसे घूरते हुए बोला, "तुमसे एक काम कहा था मैंने और तुम एक काम भी नहीं कर पाईं। सिर्फ़ यह निकाह ही तो रुकवाना था, दानि को यहाँ से लेकर जाना था, तुम वह भी नहीं कर पाईं।"
सफ़ा अजलान को घूरते हुए बोली, "और बलि का बकरा तुम मुझे बना रहे थे। तुम मुझे उस जल्लाद के सामने पेश कर रहे थे। वह तो शुक्र है खुदा का, मैंने रास्ते में इस जल्लाद की हिस्ट्री निकाल ली, वरना अभी मैं तुमसे बात करने की जगह सूली में लटक रही होती। और वैसे भी दानि किसी की नहीं सुनती, यह बात तुम अच्छे से जानते हो। उसने अपने फ़ैसले लेने का हक़ किसी को भी नहीं दिया है, और तुम तो उसके भाई हो ना? जब तुम उसे रोक नहीं पाए, उसे कन्विन्स नहीं कर पाए शादी से भाग जाने के लिए, तो मेरी बात वह कैसे मानती? अब निकाह तो हो गया है, मुझ पर इल्ज़ाम लगाने के बजाय शांति से बैठे रहो।"
अजलान धीरे से बोला, "पर वह प्रोफ़ेसर S से मोहब्बत करती है, वह कैसे रहेगी उनके बिना?"
सफ़ा उसकी बात सुनकर एक गहरी साँस लेते हुए बोली, "वह प्रोफ़ेसर S को कभी अपने दिल से नहीं निकालेगी और ना ही इस शख्स को उसका हक़ लेने देगी। इस शख्स ने उसकी ज़िंदगी में दस्तक ले ली है, वह एक हिस्सा बन गया है उसकी ज़िंदगी का, लेकिन वह कभी उसे अपना नहीं पाएगी।"
थोड़ी देर बाद दानियाल और इख्तियार दोनों एक ही सोफ़े में बैठे हुए थे। वहीँ सफ़ा के हाथों में एक काँच का बटरफ़्लाई शेप में निकाहनामा था। अभी तक उनके निकाहनामे में दस्तख़त नहीं हुए थे। उस काँच के बटरफ़्लाई निकाहनामे में उन दोनों के नाम लिखे हुए थे।
सफ़ा उन दोनों के पास उस निकाहनामा को लेकर जाती है। वह निकाहनामा दिखने में बहुत ही ज़्यादा ख़ूबसूरत लग रहा था। उसमें हल्का ग्लिटर भी लगा हुआ था, जो उसकी ख़ूबसूरती को और ज़्यादा बढ़ा रहा था। उस बटरफ़्लाई निकाहनामे में उनके नाम के फ़र्स्ट अल्फ़ाबेट I और D लिखा हुआ था।
इख्तियार, जो दानियाल के बगल में ही बैठा था, उस निकाहनामे पर फ़ौरन साइन कर देता है और धीरे से बोलता है, "वेलकम टू द हेल, लिटिल लैम्ब।"
दानियाल इख्तियार की बात सुनकर घूरकर उसे देखती है, लेकिन वह उसे कुछ बोलती नहीं है। फिर वह भी उस निकाहनामे पर साइन कर देती है। वह दोनों एक साथ अपना अंगूठा उस निकाहनामे पर लगा देते हैं, जिससे उस निकाहनामे में उनके फ़िंगरप्रिंट से एक हार्ट शेप बन जाता है।
सफ़ा उस निकाहनामा को सफ़ीना जी को दे देती है। वहीं इख्तियार, जिससे अब बिल्कुल भी वहाँ बैठा नहीं जा रहा था, वह दानियाल का हाथ पकड़कर उसे खड़ा करते हुए बोलता है, "चलो यहाँ से।" उसकी पकड़ दानियाल के हाथों में बहुत ज़्यादा कसी हुई थी, जिससे दानियाल को बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था, लेकिन इख्तियार को इससे बिल्कुल भी फ़र्क नहीं पड़ रहा था। वह अपनी पकड़ दानियाल के हाथों में और कसता हुआ उसे वहाँ से ले जाता है।
अचानक इख्तियार को क्या हो गया? क्या करेगी दानियाल इस निकाह के बाद? क्या वह भुला देगी प्रोफ़ेसर S को?
इख्तियार ने दानियाल का हाथ पकड़कर उसे पैलेस से बाहर घसीटा। दानियाल को हाथ में बेइंतहा दर्द हो रहा था। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती रही, लेकिन इख्तियार ने उसे नहीं छोड़ा। जितना वह छुड़ाने की कोशिश करती, इख्तियार उतना ही कसता जाता।
दानियाल रोते हुए बोली, "इट्स हर्टिंग, दर्द हो रहा है मुझे, छोड़ें मेरा हाथ।"
इख्तियार बिना कुछ बोले दानियाल को घसीटते हुए अपनी कार तक ले गया। उसने पैसेंजर सीट का गेट खोला और उसे बेरहमी से अंदर धक्का दे दिया। फिर वह खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया।
दानियाल कार से बाहर निकलने की कोशिश करती रही, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुल रहा था। इख्तियार ने कार में बैठते ही ऑटो लॉक कर दिया था। वह अपने सर पर लगे सेहरे को हटाकर इख्तियार को देखते हुए धीरे से बोली, "यह आप क्या कर रहे हैं? खोले दरवाज़ा, आप मेरे साथ ऐसे बेरहमी से सुलूक नहीं कर सकते।"
इख्तियार ने कुछ नहीं कहा। दानियाल को उसका चेहरा नहीं दिख रहा था; उसने भी सेहरा पहना हुआ था। उसने कार स्टार्ट की, लेकिन दो मिनट बाद रोक दी। वह दानियाल को घूरकर देखने लगा। दानियाल स्टेरिंग व्हील पर हाथ रखे बैठी थी, सीट बेल्ट नहीं लगाई थी।
इख्तियार बिना कुछ बोले उसकी ओर झुकने लगा। दानियाल पीछे खिसकते हुए धीरे से बोली, "देखिए आप... आप मेरे करीब... करीब नहीं आ सकते हैं। आप... आप मुझसे दूर रहें।"
इख्तियार ने उसकी बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए उसके बिल्कुल करीब झुक गया। उसने अपनी गहरी साँसें उसकी गर्दन में छोड़ीं और तिरछा मुस्कुराकर बोला, "ओह रियली!! तुमने मेरी होने वाली बीवी को भगा दिया और उसकी जगह पर खुद आकर बैठ गई और मुझसे बोल रही हो कि मैं तुम्हारे करीब नहीं आ सकता? सीरियसली, मैं तुम्हारे करीब आना चाहता हूँ या फिर तुम मेरे करीब आना चाहती हो?" वह उसकी गर्दन पर अपनी गहरी, गरम साँसें छोड़ता हुआ ही बोल रहा था।
फिर वह दानियाल से हट गया। उसने उसे अच्छे से सीट बेल्ट लगा दी। फिर उसने उसके हाथों को देखा, जिसमें गुलाब के कंगन थे। वह तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, "ओह नो, ये नाज़ुक से मुलायम गुलाब तो आज रात बुरी तरीके से मसले जाएँगे। ये नाज़ुक से मुलायम गुलाब तो आज रात हमारे मिलन की भेंट चढ़ जाएँगे।" इतना बोलकर वह ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और सीट बेल्ट लगा ली।
वह आराम से कार स्टार्ट करके हैदराबाद की सुनसान सड़क पर दौड़ाने लगा। वहाँ आस-पास एक भी कार या ट्रक नहीं था। वह जगह पूरी सुनसान थी।
दानियाल इख्तियार को देखते हुए अपनी नम आँखों से बोली, "प्लीज मेरे साथ कुछ मत करिएगा, मेरे पास मत आइएगा। मैंने कुछ नहीं किया। मैंने... मैंने आलिया आपी को नहीं भगाया है, वह खुद... खुद भागी है यहाँ से। मैंने उन्हें नहीं भगाया है।" फिर हल्के गुस्से में बोली, "मुझे कोई शौक नहीं है आपके करीब आने का।"
इख्तियार ने जवाब नहीं दिया। वह फुल स्पीड में कार चला रहा था।
दानियाल को उसकी तेज गाड़ी से डर लग रहा था। उसने कस के सीट बेल्ट पकड़ ली थी। वह डरते हुए बोली, "प्लीज कार थोड़ी धीमी चलाएँ, इतनी तेज मत चलाएँ। प्लीज, प्लीज कार धीमे चलाएँ।" उसे बहुत डर लग रहा था, लेकिन इख्तियार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह फुल स्पीड में कार चला रहा था।
थोड़ी देर बाद उनकी कार एक बड़े विला के बाहर रुक गई। वह विला बेहद खूबसूरत था। विला के अंदर एक सड़क गई हुई थी, जिसके बीचों-बीच एक बड़ा फाउंटेन बना हुआ था। छोटे-छोटे बच्चे उसमें बैठे पानी का झरना बहा रहे थे। सड़क के दोनों तरफ बड़ा बगीचा था, जिसमें तरह-तरह के गुलाब और रंग-बिरंगी तितलियाँ थीं। वह बगीचा बेहद खूबसूरत लग रहा था, गोल्डन लाइटों से सजा हुआ विला। उनकी गाड़ी पोर्च में आकर रुकी।
इख्तियार अपनी जगह से बाहर निकला और पैसेंजर सीट का दरवाज़ा खोलकर दानियाल का हाथ मज़बूती से पकड़कर उसे कार से बाहर निकाला। उसने वही हाथ पकड़ा हुआ था। इख्तियार के फिर से हाथ पकड़ने से दानियाल की हल्की सी आह निकल गई, "अहहह..."
उसके हाथ में इख्तियार की उंगलियों के निशान बन गए थे, जो उसे बहुत तकलीफ दे रहे थे। लेकिन इख्तियार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह दानियाल को घसीटते हुए ऊपर ले जाने लगा। दानियाल से बिल्कुल नहीं चला जा रहा था, लेकिन इख्तियार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह उसे घसीटते हुए सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे तक ले गया और उसे बेड पर धक्का दे दिया।
दानियाल उसकी हरकत पर आँखें फाड़कर उसे देखने लगी। फिर वह जल्दी से बेड से उठकर दूर जाकर बोली, "यह आप क्या-क्या कर रहे हैं? देखें आप मेरे साथ कुछ भी नहीं कर सकते।"
इख्तियार अपने हाथ सीने पर बांधे दानियाल को ऊपर से नीचे तक देख रहा था। वह कुछ नहीं बोल रहा था, बस उसे देख रहा था।
दानियाल को उसकी नज़रें महसूस हो रही थीं, जिससे उसे हल्का गुस्सा भी आ रहा था। अचानक उसकी नज़र अपने हाथों पर पड़ी। उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। इख्तियार ने दानियाल के हाथों को इतनी कस के पकड़ा हुआ था कि उसकी कलाई में उसकी उंगलियाँ छप गई थीं। अगर वह थोड़ा और कसता तो शायद खून बहने लगता। दानियाल एक नज़र अपने हाथों को फिर इख्तियार को देखती है, जो उसे देख रहा था।
वह आगे बढ़कर इख्तियार के हाथों को पकड़कर उसे जबरदस्ती बेड के पास ले आई। इख्तियार जैसे हट्टे-कट्टे इंसान को घसीटना उसके लिए मुश्किल था, लेकिन वह ज़िद्दी थी। वह बेड पर चढ़कर उसके सामने हाथ दिखाते हुए बोली, "देखिए आपने मेरे हाथ का क्या हाल किया है! मेरे हाथ में आपने अपनी उंगलियाँ छाप दी हैं! कितना दर्द दिया है आपने मुझे! कितने बेरहम हैं आप! आपको जरा सा भी फर्क नहीं पड़ा मेरे दर्द से! आपको जरा सा भी रहम नहीं आया मुझ मासूम बच्ची पर! आप मेरे हाथों को इतनी कस के दबाए जा रहे थे! मुझे कितनी तकलीफ हो रही थी! मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं, लेकिन आपको जरा सा भी रहम नहीं आया मुझ पर, मिस्टर इख्तियार अहमद शाह।"
फिर वह बेड से उतरकर इख्तियार की तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई और बोली, "मुझे आपसे तलाक चाहिए।"
उसकी बात सुनकर इख्तियार की आँखें सिकुड़ गईं। वह अपनी एक आइब्रो उठाते हुए बोला, "इतने से दर्द से तुम्हें तलाक चाहिए? अभी तो सिर्फ़ यह दर्द की शुरुआत है, आगे तो तुम्हें बहुत दर्द सहना है।"
दानियाल ने उसकी बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, "मुझे आपसे तलाक चाहिए, मैं किसी और से मोहब्बत करती हूँ।"
इख्तियार ने अपने हाथ सीने पर बांधकर दानियाल को घूरते हुए कहा, "जब तुम मोहब्बत किसी और से करती थी तो मुझसे निकाह क्यों किया?" वह इस वक्त हल्के गुस्से में लग रहा था।
दानियाल धीरे से बोली, "अपने घरवालों की इज़्ज़त के लिए। मेरे लिए मेरे घरवालों की इज़्ज़त से बढ़कर कुछ नहीं है।"
इख्तियार ने अपना सर टेढ़ा करके कहा, "ओह इज़्ज़त! और तब क्या होगा जब लोगों को पता चलेगा कि जिस लड़की का अभी कुछ वक़्त पहले निकाह हुआ है, वह अपने शौहर से तलाक मांग रही है?"
दानियाल इख्तियार को देखते हुए बोली, "उन्हें बताया कौन? जब हमने आपसे निकाह करने का तय किया था तब तलाक का भी तय किया था और आप तो उन्हें बताएँगे नहीं ना?" वह उम्मीद भरी नज़रों से इख्तियार को देख रही थी।
इख्तियार हल्का हँसकर बोला, "क्यों? मैं तुम्हें इतना ज़्यादा शरीफ़ लगता हूँ? मैं उन्हें बताऊँगा नहीं। जस्ट थिंक, जिस घरवालों की इज़्ज़त को बचाने के लिए तुमने अपनी खुशियों की कुर्बानी दे दी, तुमने एक ऐसे शख्स से निकाह कर लिया जिसे तुमने देखा तक नहीं है, और अब उससे तलाक मांग रही हो। सोचो अगर यह बात मीडिया में फैल गई तो... यह तो आग की रफ़्तार पकड़ लेगी ना! सुलेमान साहब की बड़ी पोती जो अपने निकाह वाले दिन अपने घर से भाग गई, जो अपने घरवालों से ज़िद कर रही थी कि उसे इख्तियार अहमद शाह से निकाह करना है और अपने निकाह वाले दिन घर से भाग गई और उनकी छोटी पोती, जिसने अपने घरवालों की इज़्ज़त बचाने के लिए निकाह किया लेकिन उसके दिल में कोई और था, वह किसी और से मोहब्बत करती थी, और निकाह के कुछ घंटे बाद ही उसने अपने शौहर से तलाक माँग लिया... मस्त ब्रेकिंग न्यूज़ होगी ना।"
दानियाल उसे अपनी नम आँखों से देखते हुए बोली, "क्या आप एक ऐसे शख्स के साथ रहना चाहेंगे जो आपको कभी दिल से अपना ही ना पाए, कभी वो आपको अपने दिल में जगह ही ना दे, क्योंकि उसके दिल में तो कोई और है, उसके दिल में कोई और राज करता है, उस दिल में आप कभी जगह नहीं बना पाएँगे? क्या आप रहना चाहेंगे इस अनचाहे से रिश्ते में, जिसमें ना आपकी खुशी हो और ना ही मेरी खुशी हो? इससे बेहतर ना इस जबरदस्ती के रिश्ते में बंधने से अच्छा हम तलाक ले लें, आप भी खुश मैं भी खुश।"
इख्तियार बोला, "एक बार सोच लो, कहीं तुम्हें आगे चलकर पछताना ना पड़े।"
दानियाल बोली, "मुझे आपसे तलाक चाहिए, इसमें अब सोचना कैसा, और पछताना कैसा? हाँ, अगर इस रिश्ते में बंधी रही तो ज़रूर मुझे पछताना पड़ जाएगा।"
इख्तियार ने अपने सर में बंधे सेहरे को हटाकर बोला, "क्या अभी भी तुम्हें तलाक चाहिए?"
दानियाल अपने सामने खड़े शख्स को हैरानी से देख रही थी।
क्या इख्तियार दानियाल को तलाक देगा? क्या इख्तियार का चेहरा देखने के बाद दानियाल अपना इरादा बदल लेगी?
दानियाल आँखें फाड़े सामने खड़े इख्तियार अहमद शाह को देख रही थी। इख्तियार ने अपना सहारा अलग कर लिया था; अब उसका हैंडसम चेहरा दानियाल के सामने था।
दानियाल अपनी आँखें छोटी करके खुद से बोली, "नहीं, यह नहीं हो सकता। क्या मैं पागल हो रही हूँ? या फिर मैं उनकी मोहब्बत में इतनी ज़्यादा पागल हो गई हूँ कि वह मुझे सब कहीं दिखाई दे रहे हैं?" फिर कस के अपनी आँखें बंद करके अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं, नहीं, वह मेरे सामने नहीं हो सकते। वह कैसे मेरे सामने हो सकते हैं? वह तो आज यूनिवर्सिटी भी आए तो पढ़ाने, नहीं, वह मेरे सामने नहीं हो सकते।"
ज़रूर मुझे वहम हो रहा है। लगता है इस इश्क का भूत मेरे सर पर कुछ ज़्यादा ही चढ़ गया है। क्या किसी से मोहब्बत करने के बाद इंसान इतना ज़्यादा बेवकूफ हो जाता है कि उसे सब जगह अपनी मोहब्बत का चेहरा नज़र आता है? लगता है मेरे साथ भी यही हो रहा है। लगता है मुझे लव फोबिया हो गया है।
फिर उसने अपनी एक आँख हल्के से खोलकर सामने देखा। अभी भी उसे प्रोफेसर S ही नज़र आ रहे थे। वह धीरे से एक बार फिर बोली, "नहीं, वो कैसे हो सकते हैं यहाँ पर? वो इतने बेरहम थोड़ी ना हैं? इस शख्स ने इतनी बेरहमी से मेरे हाथ को पकड़ा था। नहीं, वो नहीं हो सकते। और मेरी करीबी से तो उनकी दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं, लेकिन इनकी नहीं हुई थी। नहीं, यह वो हो ही नहीं सकते। लगता है मेरा दिमाग खराब हो गया है, जो मुझे हर वक्त हर जगह वही नज़र आ रहे हैं। लेकिन वहाँ पैलेस में तो मुझे कहीं पर भी प्रोफेसर S नज़र नहीं आए थे, तो फिर यहाँ ही क्यों मुझे प्रोफ़ेसर साहब नज़र आ रहे हैं? इन्हीं के चेहरे में मुझे प्रोफेसर साहब का चेहरा क्यों दिख रहा है? क्या मेरी आँखें खराब हो गई हैं?"
इतना बोलकर वह अपनी आँखों को कस के रगड़ने लगी। फिर अपनी पलकें झपकाते हुए इख्तियार को देखने लगी। फिर वह खुद से बोली, "मुझे फिर प्रोफेसर साहब ही नज़र आ रहे हैं।" यह सब हरकतें करते हुए वह बहुत ही ज़्यादा क्यूट लग रही थी।
इख्तियार दानियाल से बोला, "क्या तुम्हें अभी भी तलाक चाहिए?"
दानियाल अपना सर हाँ में हिला दी और बोली, "हाँ, हाँ, मुझे आपसे तलाक चाहिए।"
इख्तियार अब बिना कुछ बोले दानियाल की तरफ अपने कदम बढ़ा दिए। वह धीरे-धीरे कदमों से दानियाल की ओर बढ़ रहा था। वहीं दानियाल इख्तियार को अपनी तरफ बढ़ता देखकर, अपनी पलकें बार-बार झपकाते हुए, हकलाते हुए बोली, "आप… आप मेरे… मेरे पास क्यों आ रहे हैं? क्यों आप मेरे पास आ रहे हैं? दूर रहें आप मुझसे।"
इख्तियार अपनी डोमिनेटिंग वॉइस में बोला, "क्या अभी भी तुम्हें तलाक चाहिए, मेरा चेहरा देखने के बाद भी?"
दानियाल बेकार सा मुँह बनाते हुए बोली, "क्यों? आपके चेहरे में हीरे-जवाहरात लगे हैं, जो मैं आपका चेहरा देख लूँगी तो मैं तलाक लेना भूल जाऊँगी? जरा दिखाइए तो सही।" इतना बोलकर वह अपने पंजों के बल खड़ी हो गई और इख्तियार के चेहरे को पकड़कर दाएँ-बाएँ करके अच्छे से उसके चेहरे को देखने लगी।
दानियाल इख्तियार से हाइट में काफी कम थी। वह सिर्फ़ उसके सीने तक ही आ पाती थी। कहाँ वह नाज़ुक सी पाँच फुट दो इंच की लड़की और कहाँ वह छह फुट दो इंच का आदमी।
दानियाल को जैसे ही होश आया कि वह क्या कर रही है, वह जल्दी से अपना हाथ नीचे कर लिया और अपने उस नेट के रेड कलर के दुपट्टे में अपने हाथों को पोछने लगी, जैसे ना जाने उसने क्या ही छू लिया हो। अभी भी वह रेड कलर का दुपट्टा उसके सर पर था और उसके नाक तक के पोर्शन को ढँक रहा था। दानियाल के सिर्फ़ रेड लिपस्टिक से सने होंठ ही नज़र आ रहे थे। वह बेकार सा मुँह बनाते हुए खुद से बोली, "ठीक है, ये भी, लेकिन मेरे प्रोफेसर साहब से ज़्यादा हैंडसम नहीं है।" उसने यह बात बहुत धीरे बोली थी, जिस वजह से इख्तियार उसकी बात बिल्कुल भी नहीं सुन पाया था।
इख्तियार अब तक दानियाल के बेहद करीब आकर खड़ा हो गया था। वह दानियाल की कमर में अपना हाथ डालकर उसे खुद के थोड़ा करीब करके बोला, "क्या अब भी तुम्हें तलाक चाहिए?"
दानियाल उसके बार-बार एक ही बात बोलने से इरिटेट होकर बोली, "हाँ, हाँ, बोला तो मुझे आपसे तलाक चाहिए।"
इख्तियार अब सिर्फ़ दो ही अल्फ़ाज़ बोला, "क्यों चाहिए?"
दानियाल इरिटेट होकर बोली, "बोला तो मैं किसी और से प्यार करती हूँ, किसी और से मोहब्बत करती हूँ।"
"फिर मुझसे शादी क्यों की?" इख्तियार दानियाल की आँखों में देखते हुए पूछा।
दानियाल बेकार सा मुँह बनाकर बोली, "वह मैंने नहीं, आपने जबरदस्ती की है।" वह इख्तियार के सीने पर अपने नन्हे-नन्हे से दोनों हाथों को रखकर उसे खुद से दूर करते हुए बोली।
इख्तियार अपनी एक आइब्रो ऊपर करके बोला, "मैंने वो कैसे? जरा तुम एक्सप्लेन करोगी।"
दानियाल अपनी आँखें छोटी करके उसे घूरते हुए बोली, "आपने ही तो मुझसे जबरदस्ती निकाह किया है। जब आपने सुन लिया था, जब काज़ी साहब बोल रहे थे आलिया आपी की जगह मेरा नाम ले रहे थे, तो आप उस वक्त मना कर देते, लेकिन नहीं, आपने मना नहीं किया। आपको पहले से पता था आपका निकाह किसी और लड़की के साथ हो रहा है, फिर भी आपने मुझसे निकाह किया, तो यह जबरदस्ती नहीं है तो क्या है?"
दानियाल सारा इल्ज़ाम इख्तियार के ऊपर डाल दे रही थी।
इख्तियार अब दानियाल को छोड़ देता है और थोड़ा झुककर अपने चेहरे को उसके चेहरे के बिल्कुल सामने लाकर अपनी उंगली अपने चेहरे के सामने फिरते हुए बोला, "क्या इस चेहरे को देखकर तुम्हें अभी भी तलाक चाहिए?"
दानियाल जो खुद से अपने मन में बोली, "यार, एक तो प्रोफ़ेसर साहब का चेहरा इनके चेहरे में मुझे नज़र आ रहा है और ऊपर से बार-बार ये अपना चेहरा मेरे सामने ला रहे हैं। ये प्रोफ़ेसर साहब हैं नहीं। वो कैसे हो सकते हैं यहाँ? और ये तो वो हरगिज़ नहीं हो सकते। वो यहाँ क्यों ही होंगे?" फिर वह अपने चेहरे को धीरे से ऊपर करके इख्तियार के चेहरे को देखती है तो एक पल के लिए देखती ही रह जाती है।
उसकी वो ओसियन ब्लू आइज़, उन सुरमई आँखों में खोने लगती है। वह फिर जल्दी से होश में आते हुए खुद से बोली, "चेहरा झूठा हो सकता है, लेकिन यह आँखें, नहीं, यह आँखें मुझे प्रोफ़ेसर साहब जैसी ही लग रही हैं।" फिर वह धीरे से अपने हाथ को उठाकर इख्तियार के चेहरे पर रखकर धीरे से बोली, "क्या यह आप हैं, प्रोफ़ेसर S?"
इख्तियार बस अपना सर हाँ में हिला दिया। वह इस बार कुछ बोला नहीं।
दानियाल अपना सर ना में हिलाते हुए बोली, "नहीं, नहीं, ज़रूर ये मेरा वहम है।" फिर वह अपने राइट हैंड पर अपने लेफ्ट हैंड को रखकर उसमें हल्की सी चुंटी काटती है, जिससे उसे हल्का सा दर्द होता है। लेकिन वह अपने दर्द को इग्नोर करके फिर सामने इख्तियार को देखती है। उसे अभी भी प्रोफ़ेसर S का ही चेहरा नज़र आ रहा था। वह कन्फ़्यूज़ होते हुए बोली, "क्या ये हकीकत फिर?"
फिर वह इख्तियार के सामने अपने सीधे हाथ को कर देती है और धीरे से बोली, "इसमें चुंटी काटिए।"
इख्तियार अपनी आँखें छोटी करके बोला, "क्या?"
दानियाल इरिटेट होकर बोली, "क्या आप बहरे हैं, जो हर बात आपको दो बार बतानी पड़ती है? आपने सुना नहीं? मैंने कहा मेरे हाथ में चुंटी काटिए।"
इख्तियार उसकी बात पर बोला, "यह क्या बच्चों वाली हरकत है?"
दानियाल एक गहरी साँस लेती है, जैसे वह अपने अंदर के गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही हो, क्योंकि इख्तियार अब उसे गुस्सा दिला रहा था। लेकिन फिर भी वह अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। वह हल्के गुस्से में बोली, "आप काट रहे हैं कि नहीं काट रहे हैं?"
इख्तियार इस बार कुछ नहीं बोला। वह डेविल स्माइल करते हुए, दानियाल के हाथ में एक जोर से चुंटी काट लेता है, जिससे दानियाल की हल्की चीख निकल जाती है।
वह इख्तियार को देखते हुए गुस्से में बोली, "आप कितने बेदर्द हैं! पहले तो आप ऐसे नहीं थे।" फिर खुश होते हुए इख्तियार को गले लगा लेती है और बोली, "मेरा निकाह आपसे ही हुआ है, मेरे क्रश से। वह कहते हैं खुदा जो भी देता है नायाब देता है, और खुदा ने तो मुझे एक ऐसा नया तोहफ़ा दे दिया जिसे मैं पसंद करती हूँ, जो मेरी मोहब्बत है। खुदा ने मुझे वो दे दिया।" वह खुश होते हुए बोल रही थी।
लेकिन जैसे ही उसे याद आया इख्तियार ने कैसे उसके हाथ बड़ी बेदर्दी से पकड़ा हुआ था, और उसे कार में धक्का भी दिया था, वह गुस्से में उससे अलग हो जाती है और उस पर चिल्लाते हुए बोली, "आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे हाथ को इतने बेदर्दी से पकड़ने की? आप तो पहले ऐसे नहीं थे। जब मैं आपके करीब आती थी आपके दिल की धड़कनें बढ़ जाती थीं। आप मुझसे दूर भागते थे। आप क्या बदला ले रहे हैं मुझसे?"
वह इख्तियार पर गुस्सा कर रही थी, लेकिन इख्तियार कुछ भी नहीं बोल रहा था।
दानियाल को जैसे ही याद आया इख्तियार की शादी उसकी बड़ी बहन आलिया से होने वाली थी, उसका चेहरा गुस्से में और लाल होने लगा। वह गुस्से में उस पर और भड़कते हुए बोली, "आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे अलावा किसी और से निकाह करने की? आप सोच भी कैसे सकते हैं कि आप किसी और से निकाह कर लेंगे? बोलिए, हिम्मत कैसे हुई आपकी?" वह इख्तियार को लगातार घूर रही थी।
लेकिन इख्तियार कुछ भी नहीं बोल रहा था। वह शांति से उसकी सारी बात सुन रहा था। उसकी उन सुरमई आँखों में एक ठंडक सी थी, जैसे ना जाने वह क्या करने वाला हो या फिर इस ठंडक का यह मतलब था कि उसने कुछ बहुत बड़ा पा लिया हो या फिर आगे आने वाले तूफ़ान से पहले की शांति थी। यह सिर्फ़ इख्तियार ही जानता था।
दानियाल गुस्से में चलते हुए इख्तियार के पास आती है और उसे उंगली दिखाते हुए बोली, "बोलिए, आपकी हिम्मत कैसे हुई किसी और से शादी करने की? आप कैसे हाँ बोल सकते हैं किसी और से शादी करने के लिए? अब आप मुझसे बिल्कुल भी बात मत कीजिएगा।" इतना बोलकर वह गुस्से में वहीं रखे सोफ़े पर जाकर बैठ जाती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ़ फेर लेती है।
क्या करेगी दानियाल अब इख्तियार के साथ? क्या है इख्तियार की इन ठंडी आँखों का मतलब?
इख्तियार दानियाल को देखते हुए बोला, "लिटिल लैंब, लिसन टू मी।"
Little lamb सुनकर दानियाल का गुस्सा और बढ़ गया। वह गुस्से में पीछे मुड़कर बोली, "आपने क्या बोला था? आप मेरी ज़िंदगी हेल बना देंगे, यही बोला था ना आपने? क्या बोला था आपने?" वह सोचते हुए बोली, "वेलकम टू द हेल, लिटिल लैंब, यही बोला था ना।"
इख्तियार दानियाल को देखते हुए बिल्कुल प्यार से बोला, "लिटिल लैंब, देखो तुम्हारी शादी मुझसे हुई है, तुम्हारे प्यार से हुई है और तुम यहां बेवजह गुस्सा कर रही हो।"
दानियाल अपनी आँखें चढ़ाकर बोली, "मैं आप पर बेवजह गुस्सा कर रही हूँ? और आपने जो किया वह बेवजह नहीं था! आप किसी और से शादी कर रहे थे। यह आपने सोच कैसे लिया? और आपने मुझे क्या बोला था? 'वेलकम टू द हेल', यही बोला था ना आपने, और आप बोल रहे हैं मैं बेवजह गुस्सा कर रही हूँ!"
इख्तियार अब पूरी तरह से इरिटेट हो गया था उसके चिल्लाने से। वह बोला, "लिटिल लैंब, अब तुम मुझे इरिटेट कर रही हो।"
दानियाल उसके ऊपर और भड़कते हुए बोली, "वाह अच्छा जी! पहले मैं आप पर बेवजह गुस्सा कर रही थी, अब मैं आपको इरिटेट कर रही हूँ। ठीक है। क्यों खड़े हैं आप मेरे पास? क्यों सुन रहे हैं आप मेरी बात? जाइए यहाँ से, जाइए!" फिर कुछ सोचते हुए बोली, "एक मिनट, यह तो आपका घर नहीं है, यह आपका मेंशन नहीं है। आप मुझे कहाँ ले आये हैं? कहीं आप मेरे साथ…" बोलते-बोलते वह रुक गई और शक भरी नज़रों से इख्तियार को देखने लगी। फिर उसे कार में कही गई इख्तियार की बात याद आई, जिसे सोचकर ही उसे गुस्सा आने लगा।
वह गुस्से में उसे घूरते हुए बोली, "देखिए, आप मेरे साथ कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं कर सकते।" वह अपने सीने पर अपने दोनों हाथों को रखकर बोली, फिर और गुस्सा करते हुए बोली, "यह आपका मेंशन नहीं है! आप मुझे कहाँ ले आये हैं और क्यों ले आये हैं?"
इख्तियार डेविल स्माइल करते हुए बोला, "यह मेरा ही विला है और मैं यहाँ तुम्हें अपनी गोल्डन नाइट मनाने के लिए ले आया हूँ। अब शादी की है तो गोल्डन नाइट भी तो माननी पड़ेगी।" उसकी उन सुरमई आँखों में शरारत और अपने मकसद को पूरा करने की तलब साफ़ नज़र आ रही थी।
दानियाल अपनी आँखें छोटी करके बोली, "गोल्डन नाइट?" फिर जैसे ही उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी, वह चिल्लाते हुए बोली, "ओह नो!"
इख्तियार दानियाल के चीखने पर अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ उसे देखते हुए बोला, "अब तुम्हें क्या हुआ? क्यों ऐसे चीख रही हो?"
दानियाल हड़बड़ाते हुए बोली, "चीखूँ नहीं तो क्या करूँ? टाइम देख रहे हैं आप? रात के 8:00 बज रहे हैं और मेरा पावर रेंजर आने वाला है! पावर रेंजर्स आने का टाइम हो गया है। क्या आपके यहाँ टीवी है?" वह इख्तियार से पूछती है।
फिर खुद बोली, "ऑफ़ कोर्स आपके यहाँ टीवी होगी। इतना बड़ा विला है तो टीवी तो ज़रूर होगी।" इतना बोलकर वह इधर-उधर देखती है। उसे सामने ही दीवार पर एक बड़ी सी एलईडी टीवी दिखती है। वह वहीं रखे रिमोट को जल्दी से जाकर उठा लेती है और उसमें पावर रेंजर वाला चैनल लगाकर आराम से वहीं सोफ़े में बैठकर पावर रेंजर्स देखने लगती है।
इख्तियार बस खुन्नस में टीवी को घूर रहा था। वह खुद से बोला, "कहाँ मैं अपनी छोटी सी लिटिल लैंब को यहाँ अपने इस विला में अपनी गोल्डन नाइट मनाने के लिए ले आया था, लेकिन यहाँ तो मेरी लिटिल लैंब मेरे ख्वाबों पर पानी फेर कर आराम से पावर रेंजर्स देख रही थी।" फिर अपना सर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं नहीं, पानी नहीं, पावर रेंजर्स फेर रही है ये मेरे ख्वाबों में।"
इख्तियार दानियाल के पीछे आकर खड़ा हो जाता है और सोफ़े पर अपने दोनों हाथों को रखकर हल्का झुकते हुए दानियाल के कान में अपनी गहरी साँस छोड़ते हुए धीरे से बोला, "लिटिल लैंब, आज हमारी गोल्डन नाइट है और तुम यह क्या कर रही हो? तुम्हें हमारी गोल्डन नाइट से ज़्यादा ज़रूरी यह पावर रेंजर्स है?"
दानियाल इख्तियार की गहरी साँसों को अपने इतने करीब महसूस करके एक पल के लिए सिहर जाती है। वह इख्तियार की आगे की बात सुनकर मासूमियत से अपना सर हाँ में हिलाते हुए बोली, "जी, हमारी गोल्डन नाइट से ज़्यादा ज़रूरी हमारे लिए यह पावर रेंजर्स है। आपको पता भी है कितना अमेजिंग आता है यह पावर रेंजर्स निंजा स्टील, कितना ज़्यादा अमेजिंग होता है! आप भी आइए बैठिए मेरे पास।" इतना बोलकर वह बहुत ही मासूमियत से इख्तियार को देखती है, फिर अपना चेहरा टीवी की तरफ़ करके बोली,
"एक मिनट, बैठने से पहले आप मेरे लिए चिकन लॉलीपॉप ले आइएगा। बहुत मन कर रहा है मेरा खाने का। और जब भी मैं टीवी देखती हूँ मुझे कुछ खाने के लिए चाहिए होता है। तो आप जाइए और जल्दी से मेरे लिए चिकन लॉलीपॉप लेकर आइए। और हाँ, इतनी जल्दी तो आप बना नहीं पाएंगे, और मैं इतनी भी ज़ालिम बीवी नहीं हूँ कि अपनी शौहर से चिकन लॉलीपॉप बनवाऊँ। आप ज़ोमैटो से चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर कर दीजिये। थोड़ी देर में वह आ जाएगा तो आप जाकर ले आइएगा।" इतना बोलकर वह मस्त आराम से अपने पैरों को सामने टेबल में रखकर पावर रेंजर्स देख रही थी।
वही इख्तियार बस खुन्नस में उस टीवी को घूर रहा था। यह सब उस टीवी के बदौलत ही हो रहा था। अगर वहाँ टीवी नहीं होती, ना ही उसकी लिटिल लैंब टीवी पर पावर रेंजर्स देखती, वह आराम से अपनी लिटिल लैंब के साथ अपनी गोल्डन नाइट मना रहा होता।
दानियाल जब इख्तियार को वहाँ से जाता हुआ नहीं देखती तो बोली, "आपने सुना नहीं किया! एक तो लगता है आपकी उम्र हो गई है, आपको ऊँचा सुनाई देने लगा है!" फिर अपने से में हाथ रखकर अपनी आँखों में आए आँसुओं को पोछते हुए बोली, "या अल्लाह! मुझे तो बुड्ढा मिल गया!"
इख्तियार जो अब गुस्से में आ गया था, वह एक झटके में दानियाल को अपनी तरफ़ पलट लेता है और उसकी उन ओसियन ब्लू आँखों में देखते हुए हल्के गुस्से में बोला, "ज़रा बेड में चलो, फिर बताता हूँ तुम्हें बुड्ढा मिला है या जवान। मेरा एक एक्शन ही मेरी जवानी दिखाने के लिए काफ़ी है।"
ताज फलकनुमा पैलेस में अजलान अपने सामने खड़ी इशिका जी को गुस्से में घूर रहा था। वहाँ का माहौल बहुत ज़्यादा टेंस था। वह दो मिनट तक उन्हें घूरता रहता है, फिर हल्के गुस्से में बोला, "वाह मामा वाह! आपके क्या डबल स्टैंडर्ड्स हैं? आप पहले दानी को खुद बोल रही हैं, 'अब हमारे खानदान की इज़्ज़त उसके हाथों में है, वह यह निकाह कर ले।' और जब वह निकाह करने के लिए तैयार हो गई तो आप उससे बोल रही हैं कि दानी यह निकाह मत करो। बोलें मामा, आप ऐसे कैसे कर सकती हैं?"
इशिका जी अपनी नम आँखों से अजलान को देखते हुए बोलीं, "अजलान बेटा, आप यह क्या बोल रहे हैं? हाँ माना कि मैंने पहले उससे बोला था, 'वह यह निकाह कर ले', क्योंकि तब मुझे सिर्फ़ इस खानदान की इज़्ज़त नज़र आ रही थी। लेकिन बाद में मुझे रिलाइज़ हुआ मैंने उससे क्या बोल दिया है। हम सब अच्छे से जानते हैं इख्तियार अहमद शाह कितना बड़ा जल्लाद है। वह उसके साथ क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए मैंने बाद में दानी से बोला, वह यह निकाह ना करे। अगर उसने उसकी ज़िंदगी जहन्नुम बना दी तो… वह बहुत ख़तरनाक इंसान है।" वह हल्का डरते हुए बोली, फिर आगे बोली, "पहले सिर्फ़ मुझे खानदान की इज़्ज़त की पड़ी थी, लेकिन बाद में मुझे सिर्फ़ दानू की फ़िक्र हो रही थी, इसलिए मैंने उसे मना करा, लेकिन वह मानी ही नहीं।"
अजलान अपना सर ना में हिलाते हुए बोला, "नहीं मामा, आपने सिर्फ़ मिस्टर अख्तर के हाँ में हाँ मिलाई। आपने दानी के बारे में पहले नहीं सोचा। मिस्टर अख्तर ने बोला, 'इस खानदान की इज़्ज़त अब उसके हाथों पर है,' लेकिन क्या वह भूल गए, कई साल पहले खुद इन्होंने ही इसी खानदान की इज़्ज़त को कुचल दिया था, सरेआम नीलाम कर दिया था! तब दादा जान, ताया, अब्बू को कितनी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था! और मिस्टर अख्तर यह बदनामी नहीं सह सकते ना, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को उस जल्लाद के सामने पेश कर दिया। क्या सिर्फ़ बेटियों के ज़िम्मे ही घर की इज़्ज़त होती है? बेटों के ज़िम्मे नहीं होती?" वह वहाँ खड़े हर एक शख्स को देखते हुए पूछता है।
अख्तर साहब जो बड़ी देर से यह सब सुन रहे थे, वह अजलान के ऊपर चिल्लाते हुए बोले, "अजलान, अपनी हद में रहो!"
अजलान गुस्से में उनकी तरफ़ देखते हुए बोला, "हद में? कौन सी हद में रहूँ मिस्टर अख्तर? वह हद जिस हद को कई साल पहले आप लांघ चुके हैं? या फिर वह हद जो चार साल पहले आपने लांघी थी? या फिर उस हद की बात कर रहे हैं जो अभी कुछ पल पहले आपने लांघी है?" वह अब हल्की धीमी आवाज़ में बोला, "इस बार आपकी बेटी आप पर ट्रस्ट कर रही थी मिस्टर अख्तर, इस बार तो आप उसके लिए स्टैंड लेंगे, लेकिन नहीं, इस बार भी आपने उसके लिए स्टैंड नहीं लिया! बल्कि आप एक बुज़दिल हैं, जो कभी अपनी बेटी के लिए स्टैंड ले ही नहीं पाए। आपको सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद से मतलब है, तब भी और आज भी। आप एक खुद-पसंद इंसान हैं, जो कभी किसी से मतलब नहीं रख सकता।"
मिस्टर अख्तर गुस्से में चिल्लाते हुए बोले, "अजलान अख्तर!" वह गुस्से में उस पर हाथ उठा देते हैं, लेकिन उनका हाथ वहीं हवा में ही रुक जाता है। वह खुद को इस वक़्त बहुत मुश्किल से कंट्रोल कर पा रहे थे। यह पहली बार था जब अख्तर साहब ने अजलान को मारने के लिए हाथ उठाया था। वह उनका सबसे छोटा बेटा था, जिसके ऊपर वह कभी हाथ नहीं उठाते थे, चाहे उसे कितना भी चिल्ला ले।
अजलान एक नज़र अपने सामने खड़े मिस्टर अख्तर को देखता है। उसके हाथों की मुट्ठियाँ कस जाती हैं। वह गुस्से में बोला, "क्यों रुके हैं आप? आज आपने हाथ उठा लिया है तो आगे बढ़ा भी दीजिये! अपने इस सख़्त हाथ से मेरे इस गाल को सुरख़ कर दीजिये! क्यों रोक दिया आपने अपना हाथ? मारिये ना, बढ़ाइये अपना हाथ आगे!"
अख्तर साहब अपना हाथ नीचे करके कस के अपने हाथों की मुट्ठियाँ बंद करके अजलान को देखते हुए धीमी मगर सख़्त आवाज़ में बोले, "तुम ख़बीस की औलाद हो गए हो।"
अजलान तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, "मैं ख़बीस की नहीं, आपकी औलाद हूँ। अलबत्ता आप खुद को बोल रहे हैं तो इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता।"
अख्तर साहब गुस्से में घूर कर अजलान को देखने लगते हैं। शेरियाज़ जो बहुत देर से यह सब कुछ देख रहा था, वह अजलान के पास आकर बोला, "अजलान, तुम यह क्या कर रहे हो? बाबा हैं वो हमारे।"
अजलान शेरियाज़ को देखते हुए बोला, "ओह बाबा? सॉरी शेरी भाई, पर क्या कभी इन्होंने हमें अपने बच्चे माना है? आप शायद भूल रहे हैं, ये वही इंसान है जिसकी वजह से चार साल पहले दानी इस घर को छोड़कर गई थी। ये सिर्फ़ और सिर्फ़ एक खुद-पसंद इंसान है, जिन्हें खुद के अलावा किसी से मतलब नहीं होता है।" वह घूर कर अख्तर साहब को देखता है, फिर आगे बोला, "चार साल पहले जो गलती मैंने करी थी, उस गलती को मैं दोबारा नहीं दोहराऊँगा। मैं उस वक़्त अपनी बहन के लिए खड़ा नहीं हो पाया था, लेकिन अब मैं अपनी बहन के लिए खड़ा हूँ। उसे और सब कुछ नहीं खोने दे सकता। इन सब की वजह से उसने खुद की खुशियाँ कुर्बान कर दी हैं।"
"हाँ, आप लोगों को क्यों ही आइडिया होगा! आप लोगों को थोड़ी ना पता है उसकी ज़िंदगी में क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, वह क्या सह रही है, क्या नहीं सह रही है? इससे आप लोगों को कोई मतलब नहीं है, और आप लोगों ने तो जानने की कोशिश भी नहीं करी।"
फिर वह अख्तर साहब को देखते हुए उन्हें वार्निंग देते हुए बोला, "इस बार आपने बहुत गलत करा है मिस्टर अख्तर! आपने मेरी बहन को उस जल्लाद के सामने पेश किया है। इसका हर्जाना तो आपको भुगतना पड़ेगा।" इतना बोलकर वह गुस्से में वहाँ से चला जाता है।
मिस्टर अख्तर शेरियाज़ को गुस्से में घूरते हुए बोले, "शेरी, समझाओ अपने छोटे भाई को। यह दिन ब दिन बदतमीज़ होता जा रहा है।" इतना बोलकर वह भी वहाँ से चले जाते हैं।
वहाँ कोई था जो उन बाप-बेटों को ऐसे लड़ते देखकर बहुत ज़्यादा खुश हो रहा था।
इशिका जी शेरियाज़ को नम आँखों से देखते हुए बोलीं, "शेरी, पता करो ना दानी ठीक है वहाँ पर। कहीं उसने दानी के साथ कुछ किया तो नहीं? कहीं वह उसे मारपीट तो नहीं रहा है? प्लीज़ शेरी, पता करो।"
शेरियाज़ उन्हें समझाते हुए बोला, "मामा, आप घबराइए मत। दानी वहाँ ठीक होगी।"
"नहीं नहीं, तुम पता करो दानी ठीक है वहाँ पर कि नहीं है।" इशिका जी शेरियाज़ से ज़िद करते हुए बोली।
शेरियाज़ गहरी साँस लेकर बोला, "ठीक है मामा, मैं पता करता हूँ, लेकिन आप जाकर आराम कीजिए। आपकी तबीयत ऐसे ख़राब हो जाएगी। आप ज़्यादा स्ट्रेस मत लीजिये।"
इशिका जी अपना सर हाँ में हिलाकर वहाँ से चली जाती है। अब वहाँ पर कोई भी नहीं था, सब धीरे-धीरे वहाँ से चले गए थे। वहाँ सिर्फ़ शेरियाज़ उस बड़े से हाल के बीचों-बीच खड़ा था।
क्या मना लेगा इख्तियार दानियाल के साथ अपनी गोल्डन नाइट? कौन है यह शख़्स? क्या किया था चार साल पहले अख़्तर साहब ने?
सफा, आयरा और मेहर अपने हॉस्टल के कमरे में बैठी थीं। सफा अपने बिस्तर पर बैठी थी, गोद में तकिया रखे, न जाने क्या सोच रही थी। वह थोड़ी परेशान नज़र आ रही थी। आयरा और मेहर काफी देर से उसे देख रही थीं। वह जब से आई थी, ऐसे ही बैठी थी, न किसी से कुछ बोल रही थी, बस अपनी सोचों में मशगूल थी, दुनिया की खबरों से दूर। वे दोनों पहले से ही बहुत परेशान थीं। उसे ऐसे देखकर और परेशान हो रही थीं।
आयरा सफा को हिलाते हुए बोली, "सफा, व्हाट हैपेंड? क्या हुआ है तुम्हें? जब से आई हो, कुछ परेशान सी लग रही हो। और दानी कहाँ है?"
सफा उसके हिलाने से होश में आते ही बोली, "हाँ हाँ, क्या हुआ? क्या हुआ?"
मेहर परेशान भरी आवाज़ में बोली, "वही हम भी पूछ रहे हैं, क्या हुआ? तुम जब से आई हो, कुछ परेशान सी लग रही हो। और दानी कहाँ है? देखो, हमें नहीं पता उसके फैमिली प्रॉब्लम्स क्या हैं, लेकिन तुम जानती हो। बताओ न सफा, क्या हुआ? क्या उसका निकाह उसके घर वालों ने करवा दिया?" उसकी आवाज़ में परेशानी साफ़ झलक रही थी।
वे चारों पिछले चार साल से एक साथ थीं, और एक-दूसरे से काफी अटैच्ड थीं। उन्हें एक-दूसरे का दर्द अपना लगता था। लेकिन दानियाल हमेशा अपनी तकलीफें छिपा लेती थी, लेकिन सफा उसकी हर एक तकलीफ के बारे में जानती थी।
आयरा सफा से पूछती है, "क्या हुआ सफा, बोलो?"
सफा धीरे से बोली, "वो नहीं मानी। कर लिया उसने उस जल्लाद से निकाह।"
आयरा के दिमाग में न जाने क्या आया, वह सफा से बोली, "क्या तुमने उस जल्लाद को देखा है? क्या वो जल्लाद हैंडसम है?" वो क्यूरियोसिटी से सफा को देख रही थी।
सफा, जिसने अपने ऊपर तकिया रख रखा था, वह तकिया उठाकर आयरा के मुँह पर मारते हुए हल्के गुस्से में बोली, "बेगैरत लड़की! यहाँ इतनी सीरियस सिचुएशन चल रही है, वहाँ दानी एक जल्लाद के हाथों फँस गई है और तुम्हें यह लग रहा है, वो जल्लाद हैंडसम है कि नहीं! वो जल्लाद है, वो हैंडसम तो बिल्कुल भी नहीं होगा। हमारी दानी जिसने हमेशा से ख्वाब देखा था, वो एक हैंडसम बंदे से शादी करेगी और यहाँ तो उसे जल्लाद मिल गया!"
"और मैंने तो सुना है जल्लाद के चेहरे पर बड़े-बड़े से कट होते हैं, उनकी एक आँख नहीं होती है, वो अपनी आँख पर, वो जो काली वाली पट्टी आती है ना वो लगाए रहते हैं। और उनकी नाक भी टूटी हुई होती है, चेहरा उनका बहुत ज़्यादा खराब होता है। पता नहीं हमारी दानी उस जल्लाद का चेहरा देखकर कैसे रिएक्ट कर रही होगी, कहीं वो बेहोश ना हो गई हो।"
मेहर सफा से पूछती है, "तुम्हें तो अजलान ने बुलाया था ना ये निकाह रोकने के लिए।"
अजलान का नाम सुनकर सफा को गुस्सा आने लगा। वह गुस्से में बोली, "वो गधा, लंगूर! मुझे बलि का बकरा बना रहा था, और मुझे उस जल्लाद के सामने पेश कर रहा था। क्या बोल रहा था, मैं वहाँ जाकर हंगामा करूँ कि मैं उस जल्लाद की गर्लफ्रेंड हूँ, और वो यहाँ किसी और से निकाह कर रहा है! गधा कहीं का!" अजलान की बात करते वक़्त उसके चेहरे में चिढ़ और गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था। वह आगे बोली, "अच्छा हुआ मैंने रास्ते में उस जल्लाद के बारे में सारी इनफॉर्मेशन निकाल ली। बहुत ही ज़्यादा खतरनाक है यार!" वो हल्का डरते हुए बोली।
फिर आगे बोली, "लेकिन उसकी फ़ोटो नहीं मिली, काफी मिस्टीरियस भी है वो। मैंने अजलान से भी पूछा तो बोलता है, 'मुझे कोई शौक नहीं है देखने का।'" वो बेकार सा मुँह बनाते हुए बोली, फिर थोड़ा उदास होते हुए बोली, "मैं ये रिस्क तो नहीं ले सकती थी, पता चले वो वहीं खड़े-खड़े मुझे जान से ही मार देता तो। मैंने दानी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उस बेवकूफ़ ने अपने घर वालों की इज़्ज़त के लिए अपनी खुशियाँ दाव पर लगा दी और मुझसे बात भी नहीं करी।"
आयरा सफा को समझाते हुए बोली, "यार, तुम तो उसे अच्छे से जानती हो ना, वो अपनी फैमिली के लिए किस हद तक जा सकती है। तुम्हें अफ़सोस करने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुमने पूरी कोशिश करी थी ना।"
"वहीं दूसरी तरफ़,"
इख्तियार दानियाल की आँखों में लगातार देख रहा था। वो उसकी उन ओशियन ब्लू आँखों में देख रहा था, उन आँखों में देखते हुए उसकी उन सुरमई आँखों में एक अलग ही नशा, अलग ही खुमार चढ़ रहा था। वो वैसे ही बोला, "चलो लिटिल लैंब बेड पर, फिर मैं तुम्हें बताता हूँ मैं कितना ज़्यादा जवान हूँ। ट्रस्ट मी, तुम मेरी जवानी सहन नहीं कर पाओगी। और वैसे भी आज हमारी गोल्डन नाइट है, तो गोल्डन नाइट तो माननी ही पड़ेगी ना।" वो आई विंक करते हुए बोला। उसके इरादे कुछ नेक नहीं लग रहे थे, उसकी आँखों में शरारत साफ़ नज़र आ रही थी।
दानियाल बेकार सा मुँह बनाते हुए बोली, "हमें कोई शौक नहीं है आपकी जवानी और बुढ़ापे को देखने का।"
इख्तियार उसे कमर से पकड़ कर बोला, "क्यों? तुम्हें ही तो मेरी जवानी टेस्ट करनी थी ना। चलो, मैं तुम्हें अपनी जवानी टेस्ट करवाता हूँ।"
दानियाल आँखें और मुँह फाड़े इख्तियार को देखते हुए बोली, "मैंने ऐसा कब कहा?"
"अभी तो बोला लिटिल लैंब," वो दानियाल की तरफ़ और झुकते हुए बोला।
न जाने क्यों, लेकिन दानियाल का चेहरा और कान शरमाने लगे थे। वो जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ़ कर लेती है और बोली, "मैंने ऐसा कुछ भी नहीं बोला। हटें आप अभी! अभी पावर रेंजर्स देखना है। आपकी वजह से मेरा पावर रेंजर्स छूट रहा है।" फिर वो अपने फ़ोन की तरफ़ इशारा करते हुए बोली, "जल्दी से चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर कीजिए। वैसे भी मैंने कुछ नहीं खाया है। वहाँ रोस्टेड खा ही रही थी कि ये बवाल हो गया। मेरे नन्हे से पेट को अभी बहुत ज़्यादा भूख लगी है।" वो थोड़ा नाटक करते हुए बोली, फिर अगले ही पल हल्के गुस्से में बोली, "क्या जब मेरा पावर रेंजर्स ख़त्म हो जाएगा, फिर आप चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर करेंगे? फिर हम क्या देखते हुए चिकन लॉलीपॉप खाएँगे?"
इख्तियार तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, "तुम अपने शौहर की जवानी देखकर चिकन लॉलीपॉप खाना। ट्रस्ट मी, ये पावर रेंजर्स देखने से ज़्यादा मज़ा आएगा तुम्हें।"
दानियाल इख्तियार को खुद से दूर करने की कोशिश करते हुए बोली, "नहीं देखनी मुझे आपकी जवानी! अभी मुझे सिर्फ़ पावर रेंजर्स देखना है, और आप जल्दी से चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर कीजिए।" बोलते हुए वो इस बार पूरी ताकत लगाकर इख्तियार को आखिरकार खुद से दूर कर देती है और फिर सामने टीवी की तरफ़ अपना चेहरा करके पावर रेंजर्स देखने लगती है।
वो वहीं रखा एक तकिया उठाकर अपने पैरों में रख लेती है और अपने हाथों को अपने चेहरे पर टिकाकर बड़े मज़े से पावर रेंजर्स देखने लगती है।
वहीं इख्तियार तो बस ख़ुन्नस में सामने टीवी को घूर रहा था। जहाँ कुछ वक़्त पहले उसके चेहरे में शरारत नज़र आ रही थी, लेकिन अब सिर्फ़ वहाँ ख़ुन्नस ही नज़र आ रही थी।
दानियाल कुछ सोचते हुए बोली, "प्यारी टीवी को घूरना बंद करें और जल्दी से चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर करें।"
इख्तियार अपनी एक आइब्रो चढ़ाकर बोला, "क्या मैं ऑर्डर करूँ?"
दानियाल अब पीछे मुड़कर उसे देखते हुए हल्का चिढ़कर बोली, "क्यों? आपको इस कमरे में कोई और भी नज़र आ रहा है? चलिए जल्दी से करिए ऑर्डर। अभी हमारा आधे घंटे का शो रह गया है, तो जल्दी से मँगाइए, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।" वह सीधा-सीधा उसे धमकी दे रही थी।
इख्तियार खुद से बोला, "आज तक किसी की मेरे सामने खड़े होने की हिम्मत नहीं हुई, मुझसे नज़रे मिलाकर बात करने की हिम्मत नहीं हुई, और यहाँ मेरी छोटी सी बीवी मुझे ही ऑर्डर दे रही है।" वो अपना सर हिला देता है और अपना फ़ोन निकालकर Zomato खोलकर उसमें से चिकन लॉलीपॉप ऑर्डर कर देता है और नीचे चला जाता है।
करीब 10 मिनट बाद वो ऊपर आता है और दानियाल के सामने एक डिब्बा रखकर बोलता है, "ये लो अपने चिकन लॉलीपॉप और खा लो अच्छे से। तुम्हारा नन्हा सा पेट भर जाएगा, फिर मैं तुम्हें खाऊँगा।"
दानियाल मुँह बनाते हुए बोली, "क्यों? आप वैम्पायर हैं या शेरों के राजा हैं जो मुझे खाएँगे? बड़े आए मुझे खाने वाले!" वो जल्दी से इख्तियार के हाथों से उस चिकन लॉलीपॉप के डिब्बे को ले लेती है और उसे खोलकर बड़े मस्त अंदाज़ से खाने लगती है, वो पूरी तरह से उसे इग्नोर कर देती है।
वहीं इख्तियार बस अपनी सुरमई आँखों में हल्का गुस्सा लिए, उसे ही घूर रहा था। दानियाल को जैसे ही उसकी नज़रें खुद पर महसूस होती हैं, वो अपनी गर्दन टेढ़ी करके एक नज़र इख्तियार को देखती है, जो उसे ही घूर रहा था, लेकिन दानियाल को लगता है, जैसे वो उसके चिकन लॉलीपॉप को देख रहा है। वो जल्दी से अपने चिकन लॉलीपॉप के डिब्बे को दूसरी तरफ़ करते हुए बोली, "नहीं, मैं आपको एक भी पीस नहीं दूँगी। मैं अकेला पूरा खाऊँगी। आपको खाना है तो आप दूसरा मँगवा लो।" वो इख्तियार को एक लोमड़ी समझ रही थी, जो अपनी शातिर चाल चलकर उसके चिकन लॉलीपॉप को हड़पना चाहता हो।
फिर वो कुछ सोचते हुए बोली, "अगर आपको टीवी देखना है तो आप बेशक मेरे साथ बैठकर टीवी देख सकते हैं, लेकिन मैं आपको एक पीस भी अपने चिकन लॉलीपॉप का नहीं दूँगी।" इतना बोलकर वो फिर खाने लगती है और सामने टीवी देखने लगती है।
इख्तियार बस ख़ुन्नस में वहीं सोफ़े में आकर बैठ जाता है। उसने सोचा था उसकी लिटिल लैंब ने उसे उसकी गोल्डन नाइट नहीं मनाने दी तो कम से कम चिकन लॉलीपॉप ही देगी, लेकिन वो तो भूखड़ों की तरह खुद ही सारा अकेले खा रही थी। वो ख़ुन्नस में थोड़ी देर उसे घूरता रहता है, फिर सामने देखने लगता है।
तभी उसका फ़ोन बजने लगता है। वो पहले ही अपनी बीवी की हरकतों की वजह से बहुत ज़्यादा इरिटेट हो गया था, उसे गुस्सा भी आ रहा था, ऊपर से अब उसका फ़ोन बज रहा था, जो उसे और गुस्सा दिला रहा था। वो अपना फ़ोन निकालकर देखता है, फ़ोन में फ़्लैश हो रहे नाम को देखकर वो और ज़्यादा इरिटेट हो जाता है। वो खुद से बोलता है, "अब ये क्यों मुझे कॉल कर रहा है? मैंने कौन सा इसका बिज़नेस हड़प लिया है, जो ये आधी रात को मुझे कॉल कर रहा है।"
वो बस अपने फ़ोन को घूर ही रहा था। काफी देर तक अपने फ़ोन को घूरने के बाद वो जैसे ही फ़ोन उठाता है, कॉल कट जाती है, लेकिन अगले ही पल फिर उसका फ़ोन बजने लगता है। वो गुस्से में वहाँ से खड़ा हो जाता है और दानियाल से थोड़ा दूर जाकर कॉल रिसीव कर लेता है।
दूसरी तरफ़ से कुछ कहा जाता है, जिसे सुनकर इख्तियार की आँखें छोटी हो जाती हैं और उसकी भौंहें सिकुड़ जाती हैं।
किसका कॉल आया है इख्तियार को?
इख्तियार हल्के गुस्से में बोला, “क्या? क्या बोला अभी तुमने?”
दूसरी तरफ से बोला गया, “क्या तुम्हें सुनाई नहीं देता? बहरे हो गए हो तुम? मैंने बोला मेरी बहन से दूर रहना, समझे तुम! तुमने मेरी बहन से निकाह जरूर किया है, लेकिन उसे छूने की कोशिश भी मत करना। ये कोई और नहीं, शेरियाज़ था।”
इख्तियार, जिसका दिमाग पहले ही खराब था, वो चिड़चिड़ा होते हुए बोला, “और कुछ? बोलो तो मैं दूसरे रूम में शिफ्ट हो जाता हूँ या फिर एक काम करता हूँ, मैं अपने हैदराबाद से दूर जो फार्म हाउस है, वहाँ जाकर शिफ्ट हो जाता हूँ, फिर तुम खुश रहना।”
शेरियाज़ उसे इस तरह बात करते देखकर बोला, “तुम इतना उखड़ क्यों रहे हो? जैसे दानी ने तुम्हें अपने पास आने ही ना दिया हो।” तभी उसके कानों में पीछे से आ रही टीवी की आवाज पड़ी। वो हल्का हंसते हुए बोला, “मतलब मैं सही हूँ। दानी ने तुम्हें छूने भी नहीं दिया है, मतलब अपने पास भी नहीं आने दिया है।” इतना बोलकर वो जोर-जोर से हँसने लगा, “हा हा हा…”
फिर अपनी हँसी को कंट्रोल करते हुए बोला, “सही है। आखिर बहन किसकी है? वो मेरी बहन है। ऐसे लोगों को अपने पास थोड़ी ना आने देगी, तुमने जिस तरीके से उससे निकाह किया है।”
इख्तियार अपनी एक आइब्रो ऊपर करके, उसकी बात बीच में काटकर बोला, “मैंने…”
शेरियाज़ जल्दी से बोला, “मतलब जिस तरीके से तुम्हारा उससे निकाह हुआ है, क्या वो तुम्हें खुद को टच करने देगी?” और फिर वह घड़ी में टाइम देखता है, जिसमें रात के 8:30 बज रहे थे। वो मुस्कुराते हुए बोला, “इस वक्त तो दानी का स्पेशल पावर रेंजर्स आता है। वो जरूर अपना पावर रेंजर्स देख रही होगी। वो अपनी टीवी थोड़ी ना छोड़ सकती है।” एक गला साफ करते हुए बोला, “वैसे आज तो तुम्हारी गोल्डन नाइट है ना?” वो इख्तियार के जले में नमक छिड़कते हुए बोला, फिर आगे बोला, “लेकिन दानी को तो सबसे ज्यादा अजीज उसकी टीवी है। उसने तुम्हें खुद को टच करने नहीं दिया। उसने तुम्हें तुम्हारी गोल्डन नाइट नहीं मनाने दी।” बोलकर वो फिर जोर-जोर से हँसने लगा। उसे इख्तियार को परेशान करते हुए बहुत मज़ा आ रहा था।
इख्तियार गुस्से में, मगर धीमी आवाज में बोला, “तुमने ज़्यादा बकवास की ना तो तुम्हें पावर रेंजर्स की तरह उड़ाकर फेंक दूँगा।” बोलकर वो गुस्से में कॉल कट कर देता है।
शेरियाज़ हँसते हुए बोला, “अरे अरे!!” लेकिन जब उसे टूं-टूं की आवाज सुनाई देती है, वो अपना फ़ोन सामने करके उसे घूरते हुए, बेकार सा मुँह बनाकर बोला, “मैंने ऐसा भी क्या बोल दिया जो मेरे मुँह पर ही फ़ोन कट कर दिया?” फिर वही बेड में बैठकर जोर-जोर से ठहाके मारकर हँसने लगा, जैसे वो अपने सामने इख्तियार के उस चिड़चिड़े चेहरे को इमेजिन कर रहा हो।
“सुबह का वक्त”
दानियाल की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। वो अपनी आँखें मसलते हुए, अलसाई हुई सी अंगड़ाई लेते हुए उठी। वो इस वक्त अपने उन्हीं सफ़ेद कपड़ों में थी। वो अपनी आँख मलते हुए सामने की तरफ़ देख रही थी। उसकी आँखों में अभी भी नींद सवार थी, लेकिन वो जैसे ही सामने का नज़ारा देखती है, उसकी आँखों की नींद पूरी उड़ जाती है। वो बस आँखें फाड़े सामने खड़े उस 8 पैक एब्स वाले शख्स को देख रही थी। उसके वो 8 पैक एब्स, उसके बायसेप्स, ट्राइसेप्स… दिखने में वो बहुत ही ज़्यादा हैंडसम और सेक्सी लग रहा था। उसने अपनी वी शेप कमर पर ब्लैक कलर की टॉवल लपेटी हुई थी और वो अपने एक हाथ में टॉवल लिए अपने बालों को मिरर के सामने खड़ा पोंछ रहा था।
उसकी नज़र जैसे ही मिरर से पीछे बैठी दानियाल पर पड़ी, जो उसे ही एकटक बिना पलक झपके देख रही थी, उसके चेहरे पर डेविल स्माइल तैर गई। वो उस टॉवल को वहीं रखकर धीरे-धीरे कदमों से दानियाल की तरफ़ बढ़ने लगा। दानियाल उसके इस सेक्सी फिगर को देखने में इतनी ज़्यादा गुम हो गई थी कि उसे पता ही नहीं चला, इख्तियार कब उसके बिल्कुल करीब आकर खड़ा हो गया।
इख्तियार अपने बालों पर हाथ फेरता है, जिससे उसके बालों में ठहरे पानी की कुछ बूँदें दानियाल के चेहरे पर आ गिरती हैं, जिससे वो अपने होश में आ जाती है और इख्तियार को अपने इतने करीब देखकर पीछे की तरफ़ खिसकने लगती है।
वो बिना कुछ बोले धीरे-धीरे दानियाल की तरफ़ झुक रहा था। वो दानियाल के इर्द-गिर्द अपने दोनों हाथों को रखकर, और अपने एक घुटने को बेड में अच्छे से रखते हुए, उसके चेहरे के करीब अपने चेहरे को ले जाता है। दोनों के चेहरे बेहद करीब थे। दोनों की नाक एक-दूसरे की नाक से टच हो रही थी। दोनों की साँसें आपस में घुल रही थीं। वहाँ का माहौल काफ़ी इंटेंस हो गया था। कुछ पल के लिए तो दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो से जाते हैं। एक की आँखों में इस वक्त ठहरी हुई ठंडक थी, तो दूसरे की आँखों में एक अलग ही चमक थी।
इख्तियार डेविल स्माइल करते हुए बोला, “दूर से क्यों देख रही हो लिटिल लैंब? लो करीब से देख लो, मैं पूरा का पूरा तुम्हारा हूँ, ऊपर से लेकर नीचे तक। कहो तो इस टॉवल को अलग करके तुम्हें खुद को दिखाऊँ? तुम फिर अच्छे से ऊपर से लेकर नीचे तक मुझे देख लेना, अच्छे से ताड़ लेना। ताड़ ही तो रही थी ना तुम मुझे? फिर अच्छे से मेरी खूबसूरती को ताड़ लेना।” बोलते हुए आई विंक कर देता है।
दानियाल का चेहरा इख्तियार की ऐसी बातें सुनकर पूरा सुर्ख पड़ जाता है। उसके कान, नाक सब सुर्ख पड़ गए थे। वो जल्दी से इख्तियार को धक्का दे देती है और भागते हुए सीधा वॉशरूम के अंदर चली जाती है।
वहीं इख्तियार आराम से बेड में आधा लेटते हुए, अपने मज़बूत हाथ को कोहनी के बल रखकर अपने सर को उसमें टिकाकर मुस्कुराते हुए वॉशरूम के दरवाज़े की तरफ़ देख रहा था। वो तिरछा मुस्कुराते हुए बोला, “तुमने बहुत परेशान करा है लिटिल लैंब मुझे यूनिवर्सिटी में। अब हर एक चीज़ का अच्छे से बदला लूँगा मैं तुमसे।” बोलते हुए उसकी मुस्कराहट और बड़ी हो जाती है।
वहीं अंदर वॉशरूम में दानियाल के चेहरे का रंग तो बिल्कुल उड़ गया था। उसे समझ में नहीं आ रहा, अभी कुछ पल पहले उसके साथ क्या हुआ। वो शीशे के सामने खड़ी अपने चेहरे को देखते हुए बोलती है, “ये मेरे चेहरे को क्या हो गया? मेरे चेहरे का रंग क्यों उड़ गया?” फिर अपने सीने में हाथ रखकर बोलती है, “ये प्रोफ़ेसर साहब के अंदर आज किसकी आत्मा घुस गई है? ये कैसी बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं? बिल्कुल ठरकी हो गए हैं। यूनिवर्सिटी में तो ये बिल्कुल डिसेंट रहते थे, लेकिन आज तो बिल्कुल ठरकी हो गए हैं, ठरकुल्ले प्रोफ़ेसर कहीं के।”
फिर कुछ सोचते हुए बोलती है, “कहीं ये किसी रोडसाइड ठरकी छपरी से फ़्लर्टी और ठरकुल्लेपन की क्लासेस तो नहीं ले रहे हैं? एक तो दो कौड़ी का ठरकुल्लापन था इनका। ऐसे भी कोई करता है? जैसे इन्होंने अभी किया, मेरा नन्हा सा दिल हलक पर आ गया था।” वो मुँह बनाते हुए बोलती है।
थोड़ी देर बाद वॉशरूम का दरवाज़ा खुला। दानियाल अपने खरगोश जैसी छोटी सी गर्दन बाहर निकाल कर आसपास अपनी निगाहें दौड़ाती है। उसे वहाँ कोई भी नज़र नहीं आता। वो एक राहत की साँस लेती है। वो अपना एक पैर बाहर रखती है, फिर अपना दूसरा पैर बाहर रखती है। उसने इस वक्त व्हाइट कलर की टॉवल लपेट रखी थी। उसके बदन में टॉवल के अलावा कोई और कपड़ा नहीं था। शावर लेने की वजह से उसकी गोरी त्वचा और भी ज़्यादा खूबसूरत और हल्की पिंकिश लग रही थी। उसके बालों से अभी भी हल्का-हल्का पानी टपक रहा था।
वो एक बार फिर अपनी निगाहें चारों तरफ़ दौड़ाती है। वो हल्का घबरा रही थी, इख्तियार की हरकत की वजह से। वो अपने कपड़े ले जाना भी भूल गई थी और ऐसे ही वॉशरूम में चली गई थी। लेकिन जब वो रूम में किसी को भी नहीं देखती है, वो आराम से जाकर अपना फ़ोन उठाकर उसमें गाना बजा देती है और ड्रेसिंग टेबल से हेयर ड्रायर उठाकर उसे चालू करके अपने बालों को सुखाने लगती है। वो गाने की धुन में अपने पैरों को आगे-पीछे करके थिरकाते हुए अपने हाथों और सर को घुमाते हुए अपने बालों को सुखा रही थी और साथ में गाना भी गा रही थी…
All I see, is her touch
Want some fun? (ah, ah)
Do you know what I mean it is? (ah, ah)
Mmm, sup? Sup? Sup? Sup?
Oh, can I get ya'?
Oh, can I touch you?
Oh, can I get ya'?
Oh, can I touch you?
वो अपने सर को एक बार हिलाती है, फिर अपने बालों को हेयर ड्रायर से सुखाते हुए अपने पैरों को थिरकाते हुए आगे गाती है…
Oh, zara-zara, touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
वो एक बार गोल घूम कर अपने बालों को आगे करके सुखाते हुए आगे गाना गाती है…
Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum, dum-da-dum-da-dum
Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum
Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum, dum-da-dum-da-dum
Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum
ऐसे घूमने से दानियाल की टॉवल हल्की खिसक गई थी। वो अपनी टॉवल को अच्छे से सेट करके एक बार फिर अपने पैरों को आगे-पीछे करते हुए गाना गाती है…
Oh, zara-zara, touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
(I love the way you touchin' me, feelin' me, boy, I'm gonna be rebellin'
All my little secrets gonna let you know
And when you put your arms around me, oh, I love that way you surround me
With the boy, I think I'm gonna loose control)...2
वो मस्त अपना डांस और गाना गाने में लगी थी, इस बात से बेखबर कि कोई दो जोड़ी आँखें अपनी आँखों में एक अलग ही चमक लिए उसे देख रही थी…
(Tera he tera intezaar hai
Mujhe to bas tujhse pyaar hai
Tera he tera ab khumaar hai
Khud pe naa mera ikhtiyaar hai)...2
(Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum, dum-da-dum-da-dum
Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum)…2
(yeah, yeah, come on)
Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
Once time touch me like this
I like what you want
What you give it's a risk
Two time touch me like this
Together wanna fasa the style the way that I love, ah
Three time touch me by far
Get over here come the crazy with me in my car
It's one time touch me like this
I know what you want, what you can, what you say, gain my love, ah
वो अपने में ही मगन बस थिरकते हुए अपने बालों को सुखा रही थी…
(Ye dard-e-dil to ho na kam
Sataye ab duuriyon ka gham
Behek jaaye naa ye qadam
Hai tujhe meri jaan ki qasam)…2
(Bin tere, sanam, is jahaan mein beqaraar hum,)…2
dum-da-dum-da-dum
Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me
Oh, zara-zara, ohh, ohh
दानियाल इस बार जैसे ही पीछे मुड़ती है, उसकी नज़र अपने सामने खड़े स्ट्रिक्ट पर्सनालिटी वाले शख्स पर चली जाती है। अपने सामने खड़े शख्स को देखकर उसकी आँखें हैरानी से फैल जाती हैं। वहीं हेयर ड्रायर उसके हाथ से छूटकर नीचे जमीन पर गिर जाता है, लेकिन दानियाल को शायद कोई सदमा लग गया था, जिससे उसे हेयर ड्रायर के गिरने की आवाज़ नहीं सुनाई दी थी।
दानियाल ने आँखें फाड़कर सामने खड़े शख्स को देखा। इख्तियार, डेविल स्माइल लिए, दानियाल को ऊपर से नीचे तक देख रहा था। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। वह लंबे कदमों से दानियाल की ओर बढ़ा। दानियाल का दिमाग काम करना बंद कर चुका था; वह न पलकें झपक पा रही थी, न अपनी जगह से हिल पा रही थी। वह एक बुत की तरह खड़ी थी।
इख्तियार दानियाल के बिल्कुल करीब आकर खड़ा हो गया। वह तीव्र नज़रों से उसे ऊपर से नीचे तक देखता हुआ, उसके बालों को अपने हाथ से छूते हुए बोला,
"Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me"
अपना एक हाथ दानियाल की कमर में डालकर, दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखते हुए, उसने अपनी इंडेक्स फिंगर को एक सेडक्टिव अंदाज़ में नीचे की ओर लाते हुए, मैग्नेटिक आवाज़ में कहा, "लिटिल लैंब, एक बार बोलो तो सही तुम। मैं तुम्हें टच करने के लिए भी तैयार हूँ, किस करने के लिए भी तैयार हूँ और होल्ड करने के लिए भी तैयार हूँ। टच तो मैं तुम्हें पहले ही कर चुका हूँ। बताओ, करूँ तुम्हें होल्ड, करूँ तुम्हें किस?" वह दानियाल के चेहरे के करीब बढ़ने लगा।
दानियाल ने इख्तियार की आवाज़ सुनी, उसकी गरम साँसों को अपनी गर्दन पर महसूस किया। वह तुरंत होश में आ गई और आँखें फाड़कर सामने खड़े इख्तियार को देखने लगी, जो उसके चेहरे के करीब बढ़ रहा था। उसके गुलाबी होठों को देखकर दानियाल का गला सूखने लगा। उसने जल्दी से इख्तियार को धक्का देकर सीधे क्लोजेट की ओर भाग ली, गाना गाते हुए।
गाना अभी भी बज रहा था। इख्तियार हर तिरछी मुस्कराहट के साथ क्लोजेट की ओर देखते हुए गाता रहा,
"Touch me, touch me, touch me
Oh, zara-zara, kiss me, kiss me, kiss me
Oh, zara-zara, hold me, hold me, hold me"
थोड़ी देर बाद दानियाल क्लोजेट से बाहर निकली। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका रखी थीं। उसके अंदर हिम्मत नहीं थी कि वह इख्तियार से आँखें मिला सके। इख्तियार की अजीब बातें, और उसका उसके सामने तौलिये में खड़ा होना, उसे बहुत शर्मिंदा कर रहा था। उसने व्हाइट शर्ट और ग्रे कलर का फ्लोरल स्कर्ट पहना हुआ था। उसके बाल खुले हुए थे; वह बिना मेकअप के भी बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसका चेहरा अभी भी सुर्ख था, जैसे वह शर्मा रही हो।
वह धीरे से अपनी नज़रें उठाकर सामने खड़े इख्तियार को देखती है, जो ग्रे कलर के थ्री पीस सूट में खड़ा, मिरर के सामने परफ्यूम लगा रहा था। वह अपनी शर्ट के कफ़ में परफ्यूम लगाता है। जैसे ही परफ्यूम की खुशबू दानियाल के नाक में जाती है, वह उसे सूँघते हुए इख्तियार को फिर से देखने लगती है। ना जाने इख्तियार में या फिर उसके परफ्यूम में क्या था, कि दानियाल उसमें मदहोश होती जा रही थी। जब भी वह उसे देखती थी, बस देखती ही रह जाती थी, पलकें झपकना तक भूल जाती थी। शायद यह उसका इश्क़ था, कि वह अपने इश्क़ को देखकर सब कुछ भूल जाती थी।
इख्तियार ने तिरछी नज़रों से दानियाल को देखा, जो उसे एकटक देख रही थी। उसे पहले ही दानियाल के आने का पता चल गया था, लेकिन वह ऐसे ढोंग कर रहा था, जैसे उसने उसे देखा ही न हो। वह लंबे कदमों से दानियाल के बिल्कुल करीब आकर, उसकी कमर में हाथ डालकर उसे खुद से चिपकाते हुए बोला, "लिटिल लैंब, मैंने पहले भी बोला है, मैं तुम्हारा ही हूँ, सर से लेकर पैर तक सिर्फ़ तुम्हारा। तुम अच्छे से मुझे देख सकती हो। तुम ऐसे मुझे कपड़ों में देखकर कम्फ़र्टेबल नहीं हो तो कोई बात नहीं, मैं अभी इन कपड़ों को अलग कर देता हूँ, फिर तुम कम्फ़र्टेबल होकर मुझे देखना।"
इख्तियार की बात सुनकर दानियाल के कान और चेहरा फिर सुर्ख हो गए। उसने अपनी नज़रें दूसरी तरफ़ करके, उसके सीने पर अपने छोटे-छोटे हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए कहा, "ये आप... आप क्या... क्या कर रहे हैं? दूर रहिए मुझसे, छोड़िए मुझे।" इख्तियार की करीबी से उसके गले से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी, मानो वह बोलना ही भूल गई हो। वह मुश्किल से टूटे-फूटे अल्फ़ाज़ों में यह बोल पाई थी।
लेकिन इख्तियार दानियाल को नहीं छोड़ रहा था। वह मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था। दानियाल के दिमाग में कुछ आया। उसने इख्तियार को देखे बिना कहा, "आप इतना सज-धजकर, परफ्यूम लगाकर कहाँ जा रहे हैं?" जहाँ वह अभी कुछ ढंग से बोल नहीं पा रही थी, उसके गले से आवाज़ तक नहीं निकल रही थी, अचानक उसकी आवाज़ पहले जैसी निकलने लगी थी, और उसके चेहरे में जलन साफ़ नज़र आ रही थी।
इख्तियार ने दानियाल का चेहरा घड़ी की ओर करके, फिर अपनी ओर करके कहा, "तुम शायद बोल रही हो, मैं यूनिवर्सिटी का प्रोफ़ेसर हूँ और यूनिवर्सिटी का टाइम होने वाला है, तो मैं यूनिवर्सिटी जा रहा हूँ, और तुम भी जल्दी से रेडी हो, हम साथ में यूनिवर्सिटी चलते हैं।"
दानियाल एकदम से चीख मारते हुए बोली, "नहीं!!"
इख्तियार बोला, "क्या हुआ?"
दानियाल ने अपनी नज़रें नीचे झुकाकर धीरे से कहा, "मैं यूनिवर्सिटी नहीं जाऊँगी। मेरी दोस्त क्या बोलेंगी? जिसे कहती थी प्रोफ़ेसर-प्रोफ़ेसर, अब उसे ही बोलेंगी जानम-जानम। वो ज़रूर ऐसे ही बोलेंगी।"
इख्तियार बोला, "कोई कुछ नहीं बोलेगा, जल्दी रेडी हो।"
दानियाल ने सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैं नहीं जा सकती आज। आज ताई अम्मी ने अपनी तरफ़ बुलाया है।"
फिर वह उसे देखते हुए बोली, "और आप भी नहीं जा सकते।"
इख्तियार ने अपनी एक आईब्रो उठाकर उसकी ओर झुकते हुए कहा, "क्यों?"
दानियाल पीछे की ओर झुकते हुए बोली, "क्योंकि मैं बोल रही हूँ।"
वह उसकी ओर झुकते हुए बोला, "लेकिन मैं तुम्हारी बात क्यों मानूँ? मुझे क्या मिलेगा?"
दानियाल जल्दी से बोली, "जो आप माँगेंगे, मैं आपको वह दूँगी।" लेकिन जैसे ही दानियाल को एहसास हुआ कि उसने क्या बोला है, वह कसकर अपनी आँखें बंद कर लेती है और खुद से धीरे से बोलती है, "दानि, ये क्या बोल दिया तुमने? एक तो वैसे ही प्रोफ़ेसर साहब ठरकुल्ले बने घूम रहे हैं, कहीं ये तुमसे कुछ ऐसा-वैसा ना माँग ले।"
क्या माँगेगा इख्तियार दानियाल से यूनिवर्सिटी न जाने का?