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"Rebirth love: Tha mafiya world "

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Description

यह कहानी अनन्या के पुनर्जन्म की है, जो एक सामान्य लड़की से साक्षी के रूप में एक बिल्कुल नई जिंदगी शुरू करती है। साक्षी का जीवन अब पूरी तरह से बदल चुका है क्योंकि वह अब कियान के साथ जुड़ी हुई है। कियान, एक खतरनाक और शक्तिशाली माफिया डॉन है, जो अपनी दु...

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Kiyaan Singhania

Hero

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🌸 साक्षी

Heroine

Total Chapters (126)

Page 1 of 7

  • 1. \"Rebirth love: Tha mafiya world \" - Chapter 1

    Words: 1698

    Estimated Reading Time: 11 min

    एक लड़की बेड पर लेटी थी। उसके आस-पास खड़ी तीन नर्सें उसे देख रही थीं; उनकी आँखों में डर था, जैसे वे किसी बड़े खतरे से बचने के लिए सतर्क खड़ी हों। अचानक, एक नर्स का फ़ोन बज उठा। यह फ़ोन की आवाज़ नर्सों को और भी परेशान कर गई। वे आपस में एक-दूसरे को देखकर डर से हिल गईं। एक नर्स ने फ़ोन उठाया और स्पीकर पर रखकर बोली,

    "हैलो सर…"

    फ़ोन पर सामने से गहरी, सख्त और भारी आवाज़ आई,

    "वह अब कैसी है?"

    नर्स की आवाज़ में घबराहट थी,

    "सर, अब वो ठीक है, सुबह तक होश आ जाएगा।"

    आवाज़ सुनकर नर्स ने फ़ोन काट दिया। फ़ोन कटते ही, तीनों नर्सों ने राहत की साँस ली, जैसे किसी भारी बोझ से मुक्त हो गई हों। कमरे में घबराहट का माहौल था। सुबह की पहली किरण कमरे में पड़ रही थी, लेकिन नर्सों के चेहरे की चिंता कुछ और ही कह रही थी। तीनों नर्सें एक बार फिर से साक्षी के पास खड़ी हो गईं। वह पहले जैसे ही बिस्तर पर लेटी थी।

    साक्षी की आँखें हल्का सा झपकीं। उसने आँखें धीरे-धीरे खोलीं, और जैसे ही उसने सिर पर हाथ रखा, उसकी आँखें पूरी तरह से खुल गईं। उसने अपना सिर घुमाया; उसे महसूस हुआ कि वह किसी अजनबी जगह पर थी। सिर में हल्का दर्द महसूस हो रहा था और पट्टी बंधी हुई थी। वह कंफ्यूज़ और घबराई हुई थी, यह सोचते हुए कि उसे कहाँ लाया गया था। कमरे की सफेदी और बर्फीली सी शांति ने उसे और भी असहज बना दिया था। वह धीरे-धीरे अपनी आँखें मलते हुए उठने की कोशिश करने लगी।


    उसने खुद को उठाने की कोशिश की, लेकिन सिर में लगी चोट के कारण उसे थोड़ी परेशानी हुई। जैसे ही वह उठने लगी, नर्सों ने पास आकर उसे सहारा दिया। लेकिन जैसे ही वे उसे छूने लगीं, उन्होंने तुरंत अपना हाथ पीछे खींच लिया और सिर झुकाकर बोलीं,

    "सॉरी मैम।"

    फिर नर्सें एक-दूसरे से थोड़ा दूर खड़ी हो गईं और सवाल किया,

    "आप ठीक तो हैं न?"

    साक्षी ने उनकी आवाज़ सुनी और बिना कुछ कहे कंफ्यूज़ होकर तीनों की तरफ देखा। फिर वह तीनों ओर देखने लगी और घबराकर बोली,

    "मैं कहाँ हूँ?"

    नर्सों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, जैसे वे इस स्थिति के बारे में क्या कहें, यह समझ ही न पा रही हों। आखिरकार एक नर्स ने डरते हुए जवाब दिया,

    "मैम, आप अपने ही रूम में हैं।"

    साक्षी को यह सुनकर और भी कंफ्यूज़ हो गया। उसने फिर से कहा,

    "यह मेरा रूम नहीं है, मुझे घर जाना है!"

    यह कहते हुए वह झट से बिस्तर से उतरी और उसकी नज़र आईने पर पड़ी। वो आईने में अपने चेहरे को देखने लगी। लेकिन जैसे ही उसने खुद को आईने में देखा, उसकी चीख़ निकल गई,

    "यह कौन है? आईने में मैं क्यों नहीं दिख रही?"

    उसकी चीख़ ने कमरे का माहौल और भी डरावना बना दिया। साक्षी ने घबराहट में और भी तेज़ी से कहा,

    "यह मैं नहीं हूँ, आईने में कौन है?"

    यह कहते हुए वह बुरी तरह से घबराई और पूरी तरह से हाईपर हो गई।

    नर्सें बेचैन हो गईं, क्योंकि वे उसे शारीरिक रूप से छूने का जोखिम नहीं ले सकती थीं। वे सोच में पड़ गईं कि इसे कैसे शांत किया जाए। तभी साक्षी के सामने अचानक अंधेरे में कुछ पल घूमने लगे। वह असहज हो गई और अपनी कलाई पर हाथ रखकर गिरने ही वाली थी, लेकिन नर्सें तुरंत कूदकर उसे पकड़ लिया और उसे बिस्तर पर आराम से लिटा दिया। साक्षी का चेहरा पसीने से भीग चुका था और उसकी आँखें भर आई थीं।

    यह स्थिति साक्षी के लिए किसी बुरे सपने जैसी लग रही थी, जिसमें वह पूरी तरह से जकड़ी हुई महसूस कर रही थी। नर्सें घबराते हुए एक-दूसरे को देख रही थीं, और एक नर्स बोली,

    "डॉक्टर को फ़ोन करो!"

    एक नर्स जल्दी से बाहर चली गई।

    थोड़ी देर बाद डॉक्टर राजवीर अंदर आए। उनका चेहरा साक्षी के लिए अजनबी नहीं था। डॉक्टर ने साक्षी का चेकअप किया और उसकी हालात देखीं। लेकिन जैसे ही डॉक्टर ने उसे देखा, साक्षी अचानक से चीखते हुए उठ बैठी।

    "यह कैसे हो सकता है?"

    उसने चारों ओर देखा और सब कुछ अजनबी लगा। फिर वह खड़ी हुई और आईने में जाकर खुद को देखने लगी। वह लगभग दस मिनट तक खुद को आईने में देखती रही, जैसे वह समझने की कोशिश कर रही हो कि आखिर क्या हो रहा था।

    राजवीर साक्षी के पास गए और धीरे से बोले,

    "कैसी हो, साक्षी?"

    साक्षी ने डॉक्टर की आवाज़ सुनी और पलट कर डॉक्टर की ओर देखा। वह कुछ पल उसे देखती रही और फिर अपनी गर्दन हल्की सी टेढ़ी करके बोली,

    "तुम… राजवीर?"

    राजवीर थोड़ी देर के लिए चौंक गए, लेकिन फिर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ उन्होंने जवाब दिया,

    "हाँ, मैं ही हूँ तुम्हारा डॉक्टर। तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है, तुम आराम करो।"

    राजवीर के पास जाते ही साक्षी ने पूछा,

    "आपने मुझे छुआ क्यों नहीं?"

    राजवीर ने मुस्कुराते हुए कहा,

    "तुमने खुद मना किया था, तुम्हारी इजाज़त के बिना तुम्हें हाथ लगाना मौत को दावत देना जैसा होगा।"

    साक्षी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,

    "हाँ, लेकिन अब तो लगा सकते हो।"

    राजवीर ने उसे आराम से बिस्तर पर बिठाया और कहा,

    "तुम्हें कुछ दिनों तक रेस्ट करना होगा, तुम दो महीने से कोमा में थी, इसलिए अब आराम करना ज़रूरी है।"

    साक्षी सिर हिलाकर सहमति दी और फिर अपनी माथे पर बंधी पट्टी को हटाते हुए बोली,

    "यह पट्टी मुझे नहीं चाहिए, मुझे ठीक लग रहा है, इसे उतार दो।"

    राजवीर ने कहा,

    "अब तुम्हारी चोट ठीक हो चुकी है, तो इसे हटा देता हूँ।"

    यह कहकर उसने साक्षी के सिर से पट्टी हटा दी, और हल्की सी चोट को देखकर बैंडेज लगा दिया।

    फिर राजवीर ने नर्स से साक्षी के लिए कुछ खाने को मँगवाया और उसकी तबियत का ध्यान रखा।


    राजवीर ने साक्षी को फिर से आराम से बिस्तर पर लिटाया, और कुछ देर तक उसके चेहरे को गौर से देखा। वह जानता था कि साक्षी की हालत ठीक नहीं थी, लेकिन उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति थी। शायद उसके दिमाग में जो उलझनें थीं, वह अब धीरे-धीरे कम हो रही थीं।

    "तुम ठीक हो, साक्षी," राजवीर ने उसकी आँखों में देखकर कहा, "तुम्हारी यादें वापस लौट रही हैं, धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होगा।"

    साक्षी ने एक गहरी साँस ली और राजवीर की बातों पर विश्वास करते हुए सिर हिलाया। फिर, उसने हल्के से पूछा,

    "राजवीर, मुझे वो सब याद क्यों नहीं आ रहा? क्या हुआ था?"

    उसकी आवाज़ में खामोशी थी, और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, जैसे किसी गहरे दुःख में डूबी हो।

    राजवीर की आँखों में एक चुप्पी थी। वह उसे कुछ बताना चाहता था, लेकिन वह जानता था कि अगर उसने सच्चाई बता दी तो साक्षी और भी टूट जाएगी। उसने गहरी साँस ली और फिर धीरे से बोला,

    "तुम्हारी यादें वापस आएंगी, साक्षी। मैं तुम्हें हर पल यहाँ साथ दूँगा। तुम घबराओ मत।"

    साक्षी ने हल्का सा मुस्कुराया, लेकिन उसके चेहरे पर एक घबराहट भी थी। वह राजवीर को महसूस कर रही थी, लेकिन उसके अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे कुछ खो चुका हो, कुछ अधूरा सा।

    राजवीर ने साक्षी का हाथ हल्के से अपने हाथों में लिया और धीरे से उसे सांत्वना देने के लिए कहा,

    "तुम अकेली नहीं हो, साक्षी। मैं तुम्हारे पास हूँ। हम सब कुछ ठीक कर सकते हैं।"

    साक्षी ने उसकी बातों पर विश्वास करना चाहा, लेकिन उसे किसी एक बारीकी से घेरती हुई सच्चाई का अहसास था।

    "क्या तुम सच में मेरा दोस्त हो, राजवीर?"

    साक्षी ने चुपचाप पूछा, उसकी आवाज़ में एक भ्रम था, जैसे वह खुद को समझाना चाहती हो कि सब कुछ ठीक है।

    राजवीर की आँखें थोड़ी ठंडी हो गईं, लेकिन उसने मुस्कुरा कर कहा,

    "बिलकुल, साक्षी। मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। और कोई और नहीं।"

    साक्षी ने उसकी आँखों में देखा, और कुछ पल तक चुप रही। उसकी आँखों में सवाल थे, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। फिर, उसने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं, जैसे वह सोचने की कोशिश कर रही हो कि उसे अब क्या करना चाहिए।

    तभी कमरे के दरवाज़े पर हलकी सी आवाज़ आई, और राजवीर ने पलट कर देखा। एक नर्स आई और उसने साक्षी के लिए कुछ खाने के लिए लाकर रखा। राजवीर ने साक्षी से कहा,

    "तुम पहले खा लो। आराम करना बहुत ज़रूरी है।"

    साक्षी ने कुछ पल तक खाने की ओर देखा, लेकिन फिर अपनी नज़रें नीचे घुमा लीं। वह भूखी नहीं थी, बल्कि उसे अपनी मानसिक स्थिति पर काबू पाने की ज़रूरत थी।

    राजवीर ने उसकी स्थिति को समझते हुए कहा,

    "साक्षी, अगर तुम्हें नहीं खाना है तो कोई बात नहीं, लेकिन तुम जितना जल्दी आराम करोगी, उतना ही जल्दी तुम्हारी यादें लौटेंगी।"

    साक्षी ने नज़रें उठाईं और फिर धीरे से कहा,

    "ठीक है, राजवीर, मुझे कुछ देर और वक़्त चाहिए।"

    राजवीर ने उसे फिर से आराम से बिस्तर पर लिटा दिया और पास ही खड़े होकर उसकी स्थिति पर नज़र रखने लगा। साक्षी के चेहरे पर थोड़ी सी नमी थी, लेकिन वह अब धीरे-धीरे शांत होती जा रही थी।

    कभी-कभी सच्चाई का सामना करना इतना कठिन हो जाता है, कि हमारी आत्मा उसे स्वीकार करने में डरती है। साक्षी भी अब इसी स्थिति से जूझ रही थी। उसे नहीं पता था कि उसके साथ क्या हुआ था, और राजवीर भी यह नहीं चाहता था कि साक्षी पर कोई और दबाव डाला जाए।

    कुछ देर बाद राजवीर ने बाहर जाकर नर्स से बात की। जब वह लौट कर वापस आया, तो साक्षी ने उसे देखा और हल्का सा मुस्कुराया।

    "तुम क्या सोच रहे हो, राजवीर?"

    साक्षी ने धीरे से पूछा, जैसे वह उसकी स्थिति को समझने की कोशिश कर रही हो।

    राजवीर ने उसे देखा और फिर एक गहरी साँस ली।

    "कुछ नहीं, बस तुम्हारे ठीक होने का इंतज़ार कर रहा हूँ। तुम किसी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो, साक्षी। और मुझे यकीन है कि तुम जल्दी ठीक हो जाओगी।"

    साक्षी ने उसे देखा, और उसके दिल में अजीब सा महसूस हुआ। शायद यह वह नहीं था, जो अब है।


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  • 2. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 2

    Words: 1508

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे

    राजवीर ने कमरे का दरवाज़ा हल्के से बंद किया और साक्षी की ओर मुड़कर कहा, "तुम आराम करो, साक्षी। अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बताना।"

    साक्षी ने धीरे से सिर हिलाया, पर उसकी आँखों में कई सवाल थे। वह बिना कुछ बोले लेटी रही, जैसे अपनी स्थिति को समझने की कोशिश कर रही हो। उसका दिमाग एक उलझी हुई धारा सा बन गया था, और हर विचार नए सवाल खड़े कर रहा था। वह जानना चाहती थी कि उसने अपनी यादें क्यों खोई थीं, और वह कैसे इस हालत में पहुँची थी।

    राजवीर बाहर चला गया, और साक्षी कमरे में अकेली रह गई। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी अजनबी दुनिया में आ गई हो, जहाँ कुछ भी परिचित नहीं था। न उसकी यादें, न वह स्थान, और न ही वे लोग जो उसके आसपास थे।

    कुछ देर बाद, उसकी सोच को तोड़ते हुए नर्स कमरे में वापस आई। उसने साक्षी के लिए हल्का खाना और दवाइयाँ रख दीं। नर्स ने साक्षी पर एक नज़र डाली और फिर राजवीर से कहा,
    "सर, सब ठीक है, हम इसे अच्छी तरह देख रहे हैं।"

    राजवीर ने नर्स को धन्यवाद दिया और फिर साक्षी की ओर देखा।
    "तुमने खाना खाया?" उसने धीरे से पूछा।

    साक्षी ने थोड़ा सिर झुकाया और बोला,
    "नहीं, मुझे भूख नहीं है।"

    राजवीर ने उसे प्यार से देखा और कहा,
    "साक्षी, तुम्हारे शरीर को कुछ ऊर्जा चाहिए, तुम्हारी हालत अभी ठीक नहीं है। तुम खाना खाओ, तुम्हें बेहतर महसूस होगा।"

    साक्षी हल्के से मुस्कुराई और फिर धीरे से बोली,
    "तुम्हारी वजह से मुझे थोड़ी राहत मिल रही है, राजवीर। लेकिन ये सब कुछ बहुत अजीब है। मुझे लगता है जैसे मैं कुछ खो चुकी हूँ, और मैं खुद को समझ नहीं पा रही हूँ।"

    राजवीर ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं और फिर शांत स्वर में बोला,
    "तुम घबराओ मत। सब ठीक हो जाएगा, धीरे-धीरे तुम्हारी यादें वापस आएंगी। मैं तुम्हारे साथ हूँ।"

    साक्षी ने गहरी साँस ली और आँखें बंद कर लीं। राजवीर की बातें उसे कुछ आराम दे रही थीं, लेकिन उसके मन में कई सवाल थे, जिनका जवाब उसे अभी तक नहीं मिला था। वह जानना चाहती थी कि वह कैसे इस हालत में पहुँची, और क्यों उसकी यादें उसे छोड़ गई थीं।

    राजवीर साक्षी के पास बैठा रहा। वह जानता था कि साक्षी का दिमाग अभी भी परेशान है, लेकिन वह यह भी जानता था कि इस स्थिति में उसे समय की ज़रूरत थी। उसने साक्षी का हाथ हल्के से अपने हाथ में लिया और कहा,
    "तुम जल्दी ठीक हो जाओगी, साक्षी। जब भी तुम्हें ज़रूरत हो, मैं तुम्हारे लिए यहाँ हूँ।"

    साक्षी ने उसकी आँखों में देखा और हल्के से मुस्कुराई।

    राजवीर ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया और कहा,
    "तुम्हें हिसाब देने की ज़रूरत नहीं है, साक्षी। मैं तुम्हारी देखभाल करना अपना फ़र्ज़ मानता हूँ।" उसने साक्षी के माथे पर हल्के से हाथ रखा और कहा,
    "तुम जल्दी ठीक हो जाओगी, मुझे यकीन है।"

    साक्षी ने आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली। उसे कुछ समय और चाहिए था। उसे अपनी यादें वापस लाने में वक़्त लगेगा, लेकिन राजवीर की मौजूदगी ने उसे एक तरह से शांति दी थी। वह जानती थी कि जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं हो जाएगी, राजवीर उसका साथ नहीं छोड़ेगा।

    राजवीर कमरे से बाहर निकलते हुए नर्स से कहा,
    "अगर कोई दिक्कत हो तो मुझे बताना, मैं पास में ही हूँ।"

    नर्स ने सिर हिलाया और फिर कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया। अब साक्षी अकेली थी, लेकिन इस बार वह अकेलेपन को महसूस नहीं कर रही थी। राजवीर की बातें और उसकी मौजूदगी उसे सुकून दे रही थीं। उसने एक लंबी गहरी साँस ली और आँखें बंद कर लीं।

    इस समय में वह अपनी यादों के बीच फँसी हुई थी, लेकिन वह जानती थी कि उसे समय और धैर्य की ज़रूरत है। धीरे-धीरे उसकी यादें वापस आएंगी, और वह फिर से अपने जीवन को संजोने में समर्थ होगी।

    कुछ देर बाद, राजवीर वापस आया और उसे देखकर बोला,
    "कैसी हो अब?"

    साक्षी ने हल्का सा मुस्कुराया और बोला,
    "थोड़ा बेहतर महसूस कर रही हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे कुछ समय और चाहिए।"

    राजवीर ने उसकी बातों पर ध्यान दिया और कहा,
    "तुम अपने आप को जल्दी ठीक कर लोगी, साक्षी। तुम देखोगी।" उसने साक्षी को प्यार से देखा और फिर पास में खड़ी नर्स से कहा,
    "साक्षी को आराम देने के लिए कुछ और समय चाहिए। उसे मानसिक शांति की ज़रूरत है।"

    नर्स ने सहमति में सिर हिलाया और कमरे से बाहर चली गई। अब राजवीर और साक्षी अकेले थे।


    साक्षी ने चुपचाप राजवीर को देखा और फिर एक गहरी साँस ली। वह जानती थी कि वह धीरे-धीरे ठीक हो जाएगी, और उसकी यादें वापस लौटेंगी। लेकिन क्या वह राजवीर को अपने जीवन का हिस्सा बना पाएगी, या फिर कुछ और राजवीर और उसके बीच में आ जाएगा?

    समय ही बताएगा कि आगे क्या होगा, लेकिन फ़िलहाल साक्षी के लिए सबसे ज़रूरी बात थी कि वह धीरे-धीरे ठीक हो रही थी, और राजवीर उसके साथ था।


    ---



    राजवीर ने साक्षी को आराम करने को कहा और अस्पताल से बाहर निकल गया। वह साक्षी की स्थिति को समझते हुए, उसे कुछ समय के लिए शांति से सोने देना चाहता था। अस्पताल का माहौल थोड़ी हलचल भरा था, लेकिन राजवीर का मन कहीं और था। वह साक्षी के बारे में सोचते हुए गहरे विचारों में डूबा हुआ था।

    साक्षी आईने के सामने खड़ी होकर बोली,


    साक्षी के मन में भारी उलझन थी। उसकी आँखों में डर और असमंजस दोनों साफ़ दिख रहे थे। वह खुद को समझने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं था।

    "यह मेरा घर नहीं है," उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में बेचैनी थी। "यह मेरी दुनिया नहीं है। और मैं साक्षी नहीं हूँ। मैं आशी हूँ," उसने फिर से वही शब्द दोहराए, जैसे वह खुद को किसी पहेली में फँसा हुआ महसूस कर रही हो।

    साक्षी ने बेतहाशा अपने चारों ओर देखा, जैसे कि किसी जादू की ताकत ने उसे इस अजनबी जगह पर ला खड़ा किया हो। आईने में उसने खुद को देखा, लेकिन उसे लगता जैसे वह किसी और के चेहरे को देख रही हो।
    "कैसे हो सकता है यह?" वह फुसफुसाई, "मैं साक्षी नहीं हूँ, मैं आशी हूँ।"

    उसका दिल धड़कने लगा। एक अजीब सी ठंडक उसके अंदर तक समा गई थी। उसके मन में एक ही सवाल था—यह कैसे हो सकता है कि वह किसी और की ज़िंदगी में आ गई हो? क्या यह उसका पुनर्जन्म था? क्या वह किसी और के शरीर में खुद को देख रही थी? यह सब कुछ इतना अजीब था कि उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था।

    "मुझे याद नहीं आ रहा, मैं यहाँ कैसे आई थी," साक्षी ने खुद से पूछा, अपनी आँखें बंद करते हुए। वह जानती थी कि उसकी यादें गुम हो चुकी हैं, लेकिन वह चाहती थी कि कुछ भी समझ में आए, कि वह खुद को पहचान पाए।

    साक्षी का मन टुकड़ों में बँटा हुआ था। एक ओर तो वह अपने अस्तित्व से जुड़ी हर एक बात को खोने से डर रही थी, और दूसरी ओर वह यह भी जानती थी कि वह इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए खुद को समझे बिना नहीं रह सकती थी।

    "क्या यह सब सच है?" उसने फिर से पूछा, इस बार अपने आप से ज़्यादा। "क्या यह सच में मेरे साथ हो रहा है?"

    लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था। उसकी दुनिया, उसकी पहचान, हर चीज़ जैसे उसके हाथ से फिसल गई थी। वह खुद को खोया हुआ महसूस कर रही थी, और यह विचार उसे और भी उलझा रहा था।

    साक्षी ने धीरे से हाथ में बँधी पट्टी को महसूस किया और फिर से आईने में खुद को देखा। वह जानती थी कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसे यह नहीं समझ आ रहा था कि क्या।

    "अगर मैं आशी हूँ, तो साक्षी कौन है?" उसके मन में यह सवाल आया। "क्या मैं सिर्फ़ एक सपना देख रही हूँ, या फिर कोई ख़्वाब था, जो अब टूट चुका है?"

    उसकी आँखों में एक गहरी बेचैनी थी। साक्षी खुद को किसी अजनबी शरीर में महसूस कर रही थी, जैसे वह किसी और की दुनिया में जी रही हो। लेकिन उसकी आत्मा वही थी, बस शरीर बदल चुका था, या ऐसा उसे लग रहा था।

    "क्या यह सब एक भटकाव है?" उसने खुद से पूछा, "या फिर यह सच है, और मुझे अपनी नई पहचान को स्वीकार करना होगा?"

    वह समझ नहीं पा रही थी कि इस पहेली का हल कैसे निकलेगा। क्या वह अपने पुराने जीवन को फिर से पा सकेगी, या फिर उसे पूरी तरह से एक नई ज़िंदगी में ढलना पड़ेगा?

    साक्षी के दिल में सवालों का तूफान मच गया था, और वह किसी हल तक नहीं पहुँच पा रही थी। यह एक भूतिया दुनिया जैसी लग रही थी, और वह धीरे-धीरे महसूस कर रही थी कि उसे खुद को इस नई दुनिया में पूरी तरह से ढालना होगा।



    अब क्या होगा देखना है। क्या आशी, जो अब साक्षी है, वह क्या करेगी?

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  • 3. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 3

    Words: 1524

    Estimated Reading Time: 10 min

    A New Beginning


    थोड़ी देर बाद, एक नर्स साक्षी के लिए खाना लेकर आई। वह बर्तन रखते हुए बोली, "मैम, खाना तैयार है।" राजवीर भी कमरे में आ चुका था और उसने खाना साक्षी की तरफ बढ़ाया। साक्षी ने खाना देखा और मुंह बनाते हुए कहा,
    "I am not going to eat this! Who eats such bad food? I am not hungry."

    उसकी आवाज़ में गुस्सा और असमंजस था, जैसे वह इस हालात से लड़ने की कोशिश कर रही हो।

    राजवीर ने उसकी बात सुनी और हल्की सी मुस्कान के साथ बोला,
    "Come on, just have a little. Once you feel better, you can eat whatever you like."

    यह कहकर उसने साक्षी को अपने हाथों से खाना खिलाना शुरू कर दिया। साक्षी मुंह बनाते हुए थोड़ा सा खा रही थी, जैसे खाना उसे जबरन खिलाया जा रहा हो। राजवीर ने ध्यान से उसे खाना खिलाया, फिर दवाई दी और उसे सुला दिया। कुछ देर बाद, वह कमरे से बाहर चला गया।

    नर्स भी अपने-अपने कमरे में चली गई थी। सुबह साक्षी की आँख खुली, और वह धीरे-धीरे बैठ गई। उसकी आँखों में फिर वही उलझन और चिंता थी। उसने कुछ देर आईने में खुद को देखा और फिर सोचा,
    "I have to get out of here soon."

    वह जानती थी कि अगर वह इसी तरह इस घर में बंद रही तो उसके लिए यह और भी मुश्किल हो जाएगा। फिर, बिना देर किए, वह वॉशरूम में चली गई। जब वह वॉशरूम से बाहर आई, तो अलमारी में से कपड़े देखने लगी। लेकिन जैसे ही उसने कपड़े देखे, वह झुंझलाते हुए बोली,
    "None of these are good!"

    साक्षी ने सारे कपड़े जमीन पर फेंक दिए और गुस्से में आकर कहा,
    "Why can't I find anything that looks good?"

    राजवीर कमरे में आया और साक्षी को परेशान देखा। उसने धीरे से पूछा,
    "Are you okay?"

    साक्षी ने थोड़ी गुस्से में कहा,
    "Yeah, but these clothes are just so bad."

    राजवीर हँसी रोकते हुए बोला,
    "Okay, tell me what you want to wear, I’ll get it for you."

    साक्षी ने नाक सिकोड़ते हुए कहा,
    "Something different, these are too simple."

    राजवीर मुस्कुराते हुए बोला,
    "Alright, we’ll find something better."

    साक्षी ने फिर से आईने में खुद को देखा और सोचा,
    "What am I going to wear today?"

    फिर उसने एक वाइट शर्ट और जींस उठाई। बिना ज्यादा सोचे-समझे, उसने वे कपड़े पहने और थोड़ी देर बाद तैयार हो गई। वह नीचे हॉल में आई, जहाँ कई नौकर खड़े थे। जैसे ही साक्षी बाहर आई, सबने अपना सिर झुका लिया। वे सभी साक्षी को देखकर उसे विश करने लगे।

    साक्षी ने एक नज़र उन सभी को देखा और कहा,
    "You don’t have to bow down to me."

    फिर वह डाइनिंग हॉल में आई और कुर्सी पर बैठ गई। थोड़ी देर बाद, ब्रेकफास्ट खत्म कर के, साक्षी उठी और एक औरत को देख कर बोली,
    "आंटी, मुझे शॉपिंग पर जाना है, तो तुम दोपहर में मेरा इंतजार मत करना, और न ही मेरे लिए खाना बनाना।"

    यह कहकर, साक्षी वहाँ से चली गई।

    जब साक्षी चली गई, तो वह औरत कुछ कहना चाह रही थी, लेकिन साक्षी ने उसे नज़रअंदाज़ किया और बाहर निकल गई।

    साक्षी घर से बाहर आई। इतने में एक बॉडीगार्ड ने कार का दरवाजा खोला। साक्षी कार में बैठी और ड्राइवर से कहा,
    "Let’s go."

    थोड़ी देर बाद कार एक बड़े मॉल के सामने रुक गई। साक्षी कार से बाहर निकली और मॉल के अंदर जाने लगी।

    मॉल में साक्षी को देखकर, जितने भी लोग वहाँ थे, उन्होंने सब ने अपना सिर झुका लिया और डर से साक्षी को देखा। साक्षी को यह देखकर अच्छा नहीं लगा। उसे अपनी ताकत का अहसास तो था, लेकिन जब लोग डरते थे, तो वह थोड़ी असहज हो जाती थी।

    वह सोच रही थी,
    "I don’t want people to fear me."

    अचानक, बहुत सारे बॉडीगार्ड आकर उसे घेरने लगे। साक्षी ने उन सबको देखा और फिर सिर हिलाते हुए मॉल के अंदर चली गई। उसने काफी शॉपिंग की और कुछ देर बाद, दोपहर हो गई। फिर उसने खाया और घर के लिए निकल पड़ी।


    शाम का समय था। साक्षी पिंक टी-शर्ट और शॉर्ट जींस पहने हुए थी। उसके बाल कंधे तक लटक रहे थे और थोड़े से बिखरे हुए थे, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे। साक्षी बालकनी में खड़ी चांद को देख रही थी। उसकी आँखों में एक गहरी उदासी थी, जैसे वह किसी विचार में डूबी हो।

    वह बहुत उदास थी। उसने चांद को देखते हुए धीरे से कहा,
    "How do I go back home? If I tell someone that I am not this girl, I am someone else, they might kill me."

    वह डरते हुए सोचने लगी,
    "I know the people here are very dangerous, and the most dangerous is him..."

    सोचते-सोचते साक्षी डर के मारे कांपने लगी। वह जानती थी कि उसे जल्द से जल्द इस अजनबी दुनिया से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना होगा।

    उसने खुद से कहा,
    "I need to get out of here somehow, but before that, I have to make sure that these people believe I am Sakhshi. If even a small doubt arises that I am not Sakhshi, they might kill me or worse, harm my family too. I have to be very careful with these people."

    साक्षी बालकनी में खड़ी, चांद को देखते हुए अपनी सोच में खो गई थी, उसकी आँखों में एक गहरी चिंता थी। उसे पता था कि अब उसे अपना हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना होगा।

    वह चांद की रोशनी में खड़ी थी, लेकिन उसका मन बहुत अंधेरे में था। उस अजनबी घर में, इन खतरनाक लोगों के बीच, वह हर कदम बहुत संभलकर उठाने वाली थी। यह उसकी नई ज़िंदगी की शुरुआत थी, और साक्षी जानती थी कि उसे अपनी असलियत साबित करने में हर कदम बहुत सोच-समझकर उठाना होगा।

    साक्षी ने धीरे-धीरे चांद की ओर अपनी नज़रे लगाई, उसकी आँखों में एक गहरी बेचैनी थी। यह नई दुनिया उसे डराती थी, और सबसे ज्यादा उसे उस आदमी से डर लगता था—जो उसकी नजरों में सबसे खतरनाक था। उसे अभी भी यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह यहाँ कैसे आई थी, और क्यों उसकी यादें अब उलझी हुई थीं। उसके भीतर एक कशमकश थी, और वह चाहती थी कि किसी तरह अपनी असलियत से बाहर आ सके।

    "How do I make them believe I am Sakhshi?"

    साक्षी ने खुद से सवाल किया, उसके मन में ढेर सारी विचारों की उथल-पुथल मच रही थी।

    इसी बीच, राजवीर का ख्याल आया। वह वही आदमी था जिसे उसने अपनी इस नई जिंदगी के सबसे जटिल हिस्से के रूप में देखा था। एक कड़ा, रहस्यमयी और कुछ हद तक सख्त इंसान, जो कभी भी उसे अपनी पहचान जानने नहीं देता था। उसकी आँखों में एक गहरी चालाकी थी, लेकिन क्या वह वाकई साक्षी की मदद करना चाहता था, या फिर उसे केवल एक खिलाड़ी की तरह इस्तेमाल करना चाहता था?

    साक्षी ने अपने सिर को हल्का झटकते हुए सोचा,
    "No, I cannot trust him completely. He is dangerous. I need to find a way out on my own."

    तभी उसे याद आया, उसके पास एक फोन था—राजवीर ने उसे कुछ समय पहले ही दिया था, ताकि वह किसी भी आपातकालीन स्थिति में संपर्क कर सके। लेकिन क्या वह सच में उस फोन का इस्तेमाल कर सकती थी? क्या वह खुद को और अपने परिवार को खतरे में डालने के लिए तैयार थी?

    साक्षी ने कुछ देर सोचा और फिर फोन को अपने पास रखा। वह जानती थी कि अभी नहीं, लेकिन किसी न किसी दिन उसे इसका इस्तेमाल करना ही पड़ेगा। उसने एक गहरी साँस ली, और चांद को एक बार फिर देखा। उस पल में, उसे महसूस हुआ कि उसे अपने डर को पार करना होगा। वह अब इस घर की दीवारों के अंदर नहीं रह सकती थी।

    "Whatever happens, I will find my way out of this,"

    उसने अपने आप से कहा और गहरी सोच में डूब गई।

    राजवीर के बारे में भी उसे अपनी योजना बनानी थी। वह जानती थी कि उसे उसकी कमजोरियों का पता करना होगा, ताकि वह अपने फायदे के लिए उनका इस्तेमाल कर सके। अगर वह उसे कमजोर दिखा देती, तो वह उसे और भी कड़ी पकड़ में डाल सकता था। लेकिन अगर उसने सही समय पर सही कदम उठाया, तो शायद वह एक नया रास्ता पा सकती थी।

    अचानक साक्षी का ध्यान मॉल की उस घटना पर गया, जहाँ उसे लोगों के डर की वजह से एक अनजाना सा अहसास हुआ था। वह अब इस स्थिति में नहीं रह सकती थी, जहाँ लोग उसे केवल डर के कारण सम्मान दें। उसे अपनी असलियत साबित करनी थी, और वह जानती थी कि यह कदम काफी खतरनाक हो सकता था, लेकिन उसकी असलियत को सामने लाना जरूरी था।

    वह वापस कमरे में आई और अपने आप को सख्ती से संभालते हुए, अपने अगले कदम के बारे में सोचने लगी। साक्षी जानती थी कि अब वह केवल एक औरत नहीं, बल्कि अपनी खोई हुई पहचान की खोज में एक योद्धा बन चुकी थी।

    उसे पता था कि अगले कुछ दिन बहुत कठिन होंगे, लेकिन वह तैयार थी। हर सच्चाई सामने आने तक, वह अपनी पहचान और खुद को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी।


    To be continued...


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  • 4. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 4

    Words: 1558

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे।

    सुबह का समय था। साक्षी की आँख खुली और वह धीरे-धीरे उठकर बैठ गई। आईने में अपने आप को देखकर उसने कुछ समय सोचा। फिर अचानक वह उठकर वॉशरूम की तरफ गई। थोड़ी देर बाद वह बाहर आई और अलमारी में से कपड़े देखने लगी। लेकिन उसे किसी भी कपड़े में दिलचस्पी नहीं थी। खिसियाकर उसने सारे कपड़े फेंक दिए और बोली,

    "इनमें से कोई भी अच्छा नहीं है!"

    यहाँ पर मेरी पसंद के कोई कपड़े नहीं हैं।

    "अब क्या पहनूँ?" यह सोचते हुए वह तौलिया लपेटे खड़ी रही। फिर उसने एक सफेद शर्ट और जींस उठाई। शर्ट और जींस पहनने के बाद वह आईने के सामने खड़ी हो गई और खुद को तैयार करने लगी। थोड़ी देर बाद, वह तैयार हो गई और नीचे हॉल में आ गई।

    वहाँ कई नौकर खड़े थे, जो सर झुका कर साक्षी को विश करने लगे। साक्षी ने एक नज़र उन सबको देखा और बोली,

    "आप लोगों को सर झुकाने की ज़रूरत नहीं है।"

    यह बोलकर वह डाइनिंग हॉल में गई और चेयर पर बैठ गई।

    थोड़ी देर बाद, साक्षी ने नाश्ता किया और उठकर एक औरत को देखा, जिसकी उम्र लगभग 45 वर्ष थी। वह औरत कुछ कहना चाह रही थी, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। साक्षी ने उसे देखा और कहा,

    "अगर आप कुछ कहना चाहती हैं, तो बोल सकती हैं।"

    वह औरत डरते हुए बोली,

    "मैडम, आपकी तबीयत ठीक नहीं है, आपको आराम करना चाहिए।"

    साक्षी मुस्कुराते हुए बोली,

    "मैं ठीक हूँ आंटी, अब पहले से बेहतर भी। और हाँ, आप मुझसे बड़ी हैं, तो मुझे 'मैडम' मत कहिए, मेरा नाम लीजिए, ओके?"

    साक्षी की बात सुनकर वह औरत हाँ में सिर हिलाई। साक्षी फिर मुस्कुराई और वहाँ से चली गई।

    साक्षी घर से बाहर निकली। तभी एक बॉडीगार्ड ने कार का दरवाजा खोला। साक्षी कार में बैठी और ड्राइवर से चलने को कहा।

    साक्षी कुछ और सोच रही थी, तभी उसने नीचे सड़क पर कई कारें देखीं। उसे देखकर अचानक कुछ ख्याल आया, और जैसे ही वह वापस जाने के लिए मुड़ी, एक कार का दरवाजा खुला। उसमें से एक लड़का बाहर निकला। उसके बालों की चोटी बनी हुई थी, और कुछ बाल उसके माथे पर आ रहे थे। उसकी आँखें एकदम नीली थीं और कान में बाली पहने हुए थे। गले में एक रॉकेट लटक रहा था, जो उसकी पूरी पर्सनैलिटी को और भी कूल बना रहा था।

    साक्षी ने उसकी तरफ देखा। वह लड़का उसके पास आकर खड़ा हो गया। उसकी आँखों में गहरी चमक थी, जो साफ तौर पर बताती थी कि वह किसी भी हालत में सख्त और दिल से शातिर था। उसने साक्षी को देखा और फिर हल्का सा मुस्कराया।

    "Are you okay?"

    उसने साक्षी से पूछा, उसकी आवाज़ में एक रहस्यमय ठंडक थी।

    साक्षी ने उसे एक पल के लिए घूरा, फिर चुपचाप सिर हिलाया और कहा,

    "I’m fine."

    लड़के ने एक बार फिर मुस्कुराया और फिर बोला,

    "You don’t look fine though."

    उसका तंज समझते हुए, साक्षी ने एक गहरी साँस ली और अपने रास्ते पर चलने लगी।

    लेकिन लड़के ने फिर से उसे रुकने का इशारा किया।

    "You can’t just walk away without talking to me,"

    उसने कहा, और उसके लहजे में एक चुटकी भी थी, जो साक्षी को थोड़ा चिढ़ा गई।

    साक्षी रुक गई, घूमकर उसकी तरफ देखी और कहा,

    "I don’t have time for this."

    लड़के ने उसकी तरफ देखते हुए कहा,

    "Time or not, you’re not leaving until I say so."

    वह उसकी आँखों में गहरी उत्सुकता और एक चैलेंज देख रहा था, जैसे वह किसी बुरी चीज़ की उम्मीद कर रहा हो।

    साक्षी ने अब तक के खामोश माहौल को तोड़ा और तेज़ी से कहा,

    "Who are you?"

    उसकी आवाज़ में अब एक ताजगी और सवाल था।

    लड़का धीरे से मुस्कराया,

    "You’ll know soon enough."

    साक्षी ने उस लड़के की बात को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करते हुए, बिना कुछ बोले, मॉल की तरफ कदम बढ़ाए।

    साक्षी ने सोच लिया था,

    “I don’t have time for anyone right now. I need to focus on myself.”

    लेकिन लड़का अब भी उसके पीछे था, जैसे वह उसकी हर एक हरकत पर नज़र रखे हुए था। साक्षी के मन में एक सवाल गूंज रहा था— "Who is he?"


    साक्षी ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं, और एक गहरी साँस ली। गाड़ी की खामोशी में, वह लड़का और उसकी रहस्यमय हरकतें उसके दिमाग में घूम रही थीं। वह जानती थी कि वह लड़का किसी न किसी वजह से उसके पीछे पड़ा है, लेकिन उसका पीछा करने की कोई ठोस वजह नहीं थी। साक्षी को समझ में आ गया था कि इस वक्त उसे किसी के साथ अपने हर कदम को सही से प्लान करना होगा, वरना उसका सामना किसी बड़ी मुश्किल से हो सकता था।

    गाड़ी में बैठे-बैठे वह सोचने लगी,

    "मैंने जो भी किया है, वो क्यों किया? क्या वो लड़का सच में मेरे बारे में कुछ जानता है? क्या उसे पता है कि मैं वह नहीं हूँ, जो वह सोचता है?"

    कार शहर के एक शांत इलाके में घुसी, जहाँ साक्षी का मन थोड़ा हल्का हुआ। यह इलाका उसकी आँखों को सुकून दे रहा था, और साथ ही वह अपने अजनबी हालात पर सोचने के लिए कुछ शांति चाहती थी।

    गाड़ी के रुकने के बाद, साक्षी कार से बाहर निकली और सामने के पार्क की ओर बढ़ी। यह एक ऐसी जगह थी, जहाँ उसे एकांत में अपने विचारों से जूझने का वक्त मिल सकता था। पार्क में शांति थी, केवल पत्तों की सरसराहट और दूर कहीं एक चिड़िया की चहचहाहट सुनाई दे रही थी।

    वह एक बेंच पर बैठ गई, और अपने हाथों में अपनी ज़िंदगी के जटिल सवालों को थामते हुए खुद से कहा,

    "मैं अब इस शहर में हूँ, लेकिन क्या ये मेरी असलियत है? क्या यह मेरी जगह है? मैं ये कैसे जान सकती हूँ?"

    तभी उसके मन में एक और विचार आया। क्या यह लड़का, जो बार-बार उसे परेशान कर रहा था, वह कुछ जानता है? क्या वह भी उसे किसी पुराने जाल में फँसाने की कोशिश कर रहा है?

    "अगर वह मुझे सच्चाई बताने के बजाय मुझे जानने के लिए परेशान कर रहा है, तो इसका मतलब क्या है?"

    साक्षी ने खुद से सवाल किया।

    वहीं, अचानक उसकी नज़रें एक ओर मुड़ीं, और उसने देखा वह लड़का दूर से पार्क में कदम रख रहा था। उसकी आँखों में वही चमक थी, जैसे वह अपनी जंग जीतने का इरादा लिए आया हो।

    साक्षी ने ठंडी साँस ली और बेंच से उठने की कोशिश की। अब वह उसे टालने का कोई रास्ता नहीं देख रही थी। वह लड़का अब उसके करीब था और उसकी आँखों में एक नई उम्मीद की झलक थी।

    वह लड़का उसके पास पहुँचते हुए बोला,

    "I told you, we were meant to talk."

    साक्षी ने एक पल के लिए उसे घूरा, फिर धीरे से बोली,

    "If you want to talk, then talk. But I have no time to waste."

    लड़का मुस्कराते हुए बोला,

    "You don’t have to waste your time. I’m not here to make you waste time, I just want to know one thing... who are you really?"

    साक्षी ने उसकी तरफ देखा और कहा,

    "Who I am doesn't concern you."

    लड़का उसके जवाब से थोड़ा चौंका, फिर वह हल्के से बोला,

    "It does. You're not just anyone, and I can see that. You might be hiding something, but I can tell you're not who you say you are. And I will find out what that is."

    साक्षी की आँखों में एक गहरी चुप्पी थी, जैसे वह उसके हर शब्द को गहरे से महसूस कर रही थी। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा,

    "Find out all you want, but you’ll never know the truth."

    लड़का उसे देखा, और उसकी आँखों में एक रहस्यमय सी चमक थी, जैसे वह किसी अंधेरे राज़ को उजागर करने के लिए तैयार हो। फिर उसने धीरे से कहा,

    "I’m not going to give up that easily."

    साक्षी ने उसकी ओर देखकर कहा,

    "You can try all you want, but I don’t answer to anyone."

    वह लड़का अब भी उसकी ओर देख रहा था, फिर उसने मुस्कराते हुए कहा,

    "We’ll see about that."

    साक्षी ने गहरी साँस ली और बिना कुछ कहे पार्क के बाहर की ओर बढ़ गई। वह जानती थी कि इस लड़के से जितना भागेगी, उतना ही वह उसके पास आएगा। उसे अब यह तय करना था कि उसे किस दिशा में जाना है और किसे अपनी सच्चाई का हिस्सा बनाना है।

    साक्षी अब महसूस कर रही थी कि वह अकेली नहीं थी, उसके जीवन में अब और जटिलता आ गई थी। और जिस लड़के से वह भागने की कोशिश कर रही थी, वह शायद उसकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था, चाहे वह चाहे या न चाहे।

    "मैं यह सच्चाई किसी को नहीं बताऊँगी,"

    साक्षी ने अपने मन में तय किया।

    "जब तक मुझे पूरा यकीन नहीं हो जाता, मैं किसी को नहीं बता सकती कि मैं कौन हूँ।"

    अब उसके रास्ते में एक और सवाल था, जो उसे अंदर ही अंदर खा रहा था।

    "अगर वह लड़का सच में जानता है, तो क्या वह मुझे पहचानने से पहले मेरी दुनिया में घुसने का कोई रास्ता निकाल पाएगा?"

    उसका मन एक बार फिर से उन उलझे सवालों से भर गया था, लेकिन साक्षी अब जानती थी कि उसे हर कदम को बहुत सोच-समझ कर उठाना होगा।

    क्रमशः...

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  • 5. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 5

    Words: 1559

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे


    साक्षी ने एक गहरी सांस ली और अपने कदम तेज किए। वह पार्क से बाहर निकली और कार की ओर बढ़ी; उसके मन में उस लड़के के शब्द लगातार गूंज रहे थे, जो उसे परेशान करने के लिए बार-बार सामने आ रहा था। "तुम कौन हो?" उस लड़के का सवाल उसके दिमाग में बार-बार घूम रहा था, और अब उसे महसूस हो रहा था कि उसकी ज़िंदगी की दिशा बदलने वाली है।

    कार के पास पहुँचते ही, बॉडीगार्ड ने दरवाजा खोल दिया। साक्षी ने बिना कुछ बोले अंदर बैठने का इशारा किया और गाड़ी चलने को कहा। ड्राइवर ने उसकी बात मानी और गाड़ी चला दी। साक्षी खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। उसकी आँखों में एक हल्की सी चिंता और गुस्सा था।

    गाड़ी में बैठते हुए, साक्षी ने खुद से कहा, "मैं अब खुद को रोक नहीं सकती। मुझे कुछ करना होगा। अगर वह लड़का सच में मुझे पहचानने की कोशिश कर रहा है, तो मुझे पहले उससे एक कदम आगे होना होगा।"

    उसके मन में अचानक एक विचार आया—वह लड़का नहीं जानता कि वह असल में कौन है। और उसे यह पता होना चाहिए कि अगर साक्षी को खुद को साबित करना है, तो वह किसी भी हद तक जा सकती है। वह खुद को किसी भी हालत में कमजोर नहीं देखना चाहती थी।

    गाड़ी एक बड़े बंगले के पास रुक गई। साक्षी को देखकर ड्राइवर ने गाड़ी का दरवाजा खोला।
    "Welcome back, ma'am," ड्राइवर ने आदर से कहा।
    साक्षी ने सिर हिलाया और बिना कुछ कहे अंदर चली गई।

    घर के अंदर कदम रखते ही, साक्षी ने महसूस किया कि आज सब कुछ थोड़ा अलग था। जैसे हर चीज़ को एक नया रूप और नया मतलब मिल चुका हो। वह अपने कमरे में गई और जल्दी से कुछ आरामदायक कपड़े पहनने लगी। लेकिन उसका मन बार-बार उस लड़के की तरफ जा रहा था।

    जैसे ही वह तैयार हुई, एक आवाज़ आई,
    "मैम, आपको किसी से बात करनी है।"

    साक्षी ने मुड़कर देखा, और वह वही लड़का खड़ा था। वह लड़का अब उसके सामने था, अपनी आँखों में एक नई चमक के साथ।

    "तुम?" साक्षी की आवाज़ में चिढ़ और हैरानी थी।

    लड़के ने अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लाते हुए कहा,
    "You were expecting someone else?"

    साक्षी ने एक गहरी सांस ली, और अब वह उसे बिना किसी डर के देख रही थी।
    "क्या तुम सच में जानना चाहते हो कि मैं कौन हूं?"

    लड़के ने चुपचाप सिर हिलाया, फिर बोला,
    "I already know you’re not who you say you are. You can try to hide it, but I’ll figure it out."

    साक्षी ने उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और बोली,
    "तो तुम क्या करोगे?"

    लड़के ने एक गहरी मुस्कान दी,
    "तुम्हारे जैसे किसी को पहचानने में मुझे समय नहीं लगेगा।"

    साक्षी ने सोचा, "यह लड़का जितना जानता है, उतना मुझे जानने का दावा क्यों कर रहा है?" वह अब और सचाई को छिपाना नहीं चाहती थी, लेकिन वह जानती थी कि अभी सही वक्त नहीं आया था।

    "तुम जिस चीज़ का पीछा कर रहे हो, वह तुम्हें कभी नहीं मिलेगी।" साक्षी ने कड़क आवाज़ में कहा।

    लड़का उसकी आँखों में गहरी नजर से देख रहा था, फिर उसने कहा,
    "I don’t think you realize how much power I have."

    साक्षी ने उसके शब्दों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
    "तुम जितना चाहो, ताकत दिखाओ, लेकिन मैं अपनी पहचान खुद तय करूंगी।"

    लड़का मुस्कराया,
    "We’ll see about that."

    साक्षी ने गहरी सांस ली और बिना और कुछ कहे अंदर चली गई। उसके मन में अब भी कई सवाल थे, लेकिन वह जानती थी कि जब तक वह खुद अपने बारे में पूरी तरह से नहीं जानती, तब तक वह किसी को भी अपनी असलियत नहीं बता सकती थी।

    उसके दिमाग में एक नई योजना आकार ले रही थी, और अब उसे समझ में आ रहा था कि लड़का जो भी जानता है, उसका उसके पास इसका जवाब भी है।

    उसने सोचा, "अब समय आ गया है, मुझे अपने अगले कदम को बहुत सोच-समझ कर उठाना होगा।"

    और उसी क्षण, साक्षी ने ठान लिया कि उसे अब इस खेल को खत्म करने के लिए तैयार होना होगा।


    साक्षी अपने कमरे में बैठी थी; उसके मन में तरह-तरह के ख्यालों का ताता था। लड़के का चेहरा, उसकी बातें, और उसका आत्मविश्वास—सब कुछ उसे एक नई दिशा में सोचने पर मजबूर कर रहा था। वह जानती थी कि वह इस खेल को अकेले नहीं खेल सकती, लेकिन अभी तक उसके पास कोई ठोस योजना नहीं थी।

    उसने खुद से कहा, "अगर वह मुझे पहचान सकता है, तो मुझे भी उसे पहचानने का मौका मिलना चाहिए। मुझे अपने सभी सवालों के जवाब ढूँढने होंगे।"

    साक्षी ने सोचा कि अब उसे अपनी शक्तियों को पहचानने का समय आ गया है। पिछले कुछ दिनों से वह खुद को एक ही दिशा में घुमा हुआ महसूस कर रही थी, लेकिन अब वह अपनी पहचान को लेकर संजीदा थी। वह जानती थी कि इस नए खेल में उसे अपनी पूरी ताकत और बुद्धिमानी का इस्तेमाल करना होगा।

    उसे यह भी एहसास हुआ कि लड़का शायद उसकी असली पहचान जानता है, लेकिन वह अभी भी पूरी तरह से उसे अपने सामने नहीं रख सकता था। "अगर उसने मेरी असली पहचान को जान लिया है, तो उसे मुझसे डरना चाहिए," साक्षी ने खुद से कहा। "लेकिन क्या अगर वह मुझे एक जाल में फंसा रहा है?"

    उसने कुछ समय तक चुप रहकर सोचा। फिर, एक निश्चय के साथ उसने खुद को तैयार किया। "मैं उसे अपना खेल दिखाऊँगी।"

    साक्षी ने कमरे का दरवाजा खोला और सीधी उस लड़के के पास गई। वह लड़का फिर से उसी जगह खड़ा था, अपनी हाथों में कोई कागज पकड़े हुए था। जैसे ही उसने साक्षी को देखा, उसकी आँखों में एक चंचल मुस्कान आई।
    "तुम फिर आईं?" उसने पूछा।

    साक्षी ने बिना किसी अभिवादन के सीधे कहा,
    "क्या तुम मुझसे कुछ छिपा रहे हो?"

    लड़का चौंका और फिर हल्की मुस्कान के साथ कहा,
    "छिपाना तो कोई मेरी आदत नहीं है।"

    "तो फिर तुम मुझसे क्या चाहते हो?" साक्षी ने सीधे प्रश्न किया।

    लड़के ने गहरी सांस ली और फिर कहा,
    "I want to know what you are really capable of."

    साक्षी ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा,
    "तुम्हें जो जानना है, वह तुम धीरे-धीरे जानोगे।"

    लड़का अब भी उसे आँखों में देख रहा था; उसकी मुस्कान अब हल्की फीकी पड़ चुकी थी। वह जानता था कि साक्षी अभी कुछ छुपा रही थी, लेकिन वह उसे डराने या दबाने की कोशिश नहीं करेगा। वह उसे एक चैलेंज की तरह देख रहा था, जैसे कोई खेल चल रहा हो।

    साक्षी ने उसे एक चुनौती देने का मन बनाया।
    "तुम्हें मेरी असली ताकत जानने का शौक है? तो आओ, मेरे सामने खड़े रहो और देखो।"

    लड़का उसकी बातों से और भी उत्सुक हो गया।
    "तुम्हारी ताकत तो तभी साबित होगी जब तुम इसे दिखाओगी।"

    साक्षी ने अपनी आँखें बंद की और एक गहरी सांस ली। वह जानती थी कि अब उसे अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करना होगा। अचानक, पूरे कमरे का माहौल बदलने लगा। साक्षी ने अपनी सोच को केंद्रित किया और अपने अंदर की शक्तियों को महसूस किया। उसके आस-पास का वातावरण धीरे-धीरे गर्म होने लगा। लड़का अब उसकी ऊर्जा को महसूस कर सकता था।

    लड़का थोड़ा पीछे हटते हुए बोला,
    "तुम्हें अपनी शक्ति को नियंत्रण में रखना होगा। यह खतरे से भी ज्यादा है।"

    साक्षी ने उसकी बातों को नज़रअंदाज करते हुए अपनी ताकत को और बढ़ाया। कमरे में हवा घूमने लगी, और सभी चीज़ें एक जगह से दूसरी जगह खिसकने लगीं। लड़का साक्षी की आँखों में एक नयी चमक देख रहा था, जो उसे पहले कभी नहीं दिखाई दी थी।

    "तुम सच में कुछ अलग हो," लड़के ने धीमे से कहा।

    साक्षी ने अपनी शक्ति को वापस कंट्रोल किया और कमरे में शांति लौट आई।
    "अब तुम जान गए, है ना?" उसने ठंडी आवाज में पूछा।

    लड़का अब चुप था, लेकिन उसकी आँखों में साक्षी के लिए एक नई इज्जत थी। वह जानता था कि उसने उसे कमतर नहीं आंका था, बल्कि वह उसे एक नई चुनौती के रूप में देखता था।

    "तुम जितनी सोच सकती हो, उतना ही मुझे तुम्हारा मुकाबला करना होगा," लड़के ने कहा, और फिर मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकल गया।

    साक्षी ने अपनी आँखें बंद की और एक गहरी सांस ली। अब वह जानती थी कि लड़के के साथ का यह खेल सिर्फ शुरू हुआ था, और यह उसके लिए एक बड़ा अवसर था।


    साक्षी कमरे में अकेली खड़ी थी; उसकी आँखों में एक नई ऊर्जा और निर्णय था। वह जानती थी कि अब उसे अपनी शक्ति को पूरी तरह से समझना और नियंत्रित करना होगा। वह जितना अधिक लड़के से मुकाबला करती, उतना ही उसे अपनी असली ताकत का अहसास होता।

    कुछ देर बाद, साक्षी ने अपने आप से कहा, "अब मुझे कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। मैं यहां क्यों हूँ? क्या मुझसे जुड़ी कोई बड़ी कहानी है जिसे मुझे समझने की जरूरत है?" यह सवाल उसके मन में बार-बार गूंज रहा था, लेकिन अभी तक उसे इसका कोई सही जवाब नहीं मिल पाया था।

    तभी अचानक उसकी नजरें खिड़की से बाहर गईं। बाहर सर्दी के मौसम में हल्की धुंध छाई हुई थी, और हवा में कुछ अजीब सा था। उसे यह एहसास हुआ कि यह सब कुछ जितना सामान्य लगता है, उतना सामान्य नहीं है। वह इस दुनिया में किसी और उद्देश्य के लिए आई थी,


    To be continued...


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  • 6. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 6

    Words: 1605

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे

    साक्षी कमरे में अकेली खड़ी थी; उसकी आँखों में एक नई ऊर्जा और निर्णय झलक रहा था। वह जानती थी कि अब उसे अपनी शक्ति को पूरी तरह से समझना और नियंत्रित करना होगा। वह जितना अधिक लड़के से मुकाबला करती, उतना ही उसे अपनी असली ताकत का अहसास होता गया।

    कुछ देर बाद, साक्षी ने अपने आप से कहा, "अब मुझे कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। मैं यहां क्यों हूँ? क्या मुझसे जुड़ी कोई बड़ी कहानी है जिसे मुझे समझने की जरूरत है?" यह सवाल उसके मन में बार-बार गूंज रहा था, लेकिन अभी तक उसे इसका कोई सही जवाब नहीं मिल पाया था।

    तभी अचानक उसकी नजरें खिड़की से बाहर गईं। बाहर सर्दी के मौसम में हल्की धुंध छाई हुई थी, और हवा में कुछ अजीब सा था। उसे यह एहसास हुआ कि यह सब कुछ जितना सामान्य लगता है, उतना सामान्य नहीं है। वह इस दुनिया में किसी और उद्देश्य के लिए आई थी, और यह अब उसे समझ में आ रहा था।

    साक्षी ने कमरे का दरवाजा खोला और धीरे-धीरे बाहर निकली। उसके मन में एक सवाल था - "क्या वह लड़का सिर्फ एक चाल था, या फिर उससे भी कहीं बड़ी बात छिपी हुई है?"

    जैसे ही साक्षी बाहर निकली, उसने देखा कि वही लड़का उसके पास खड़ा था। इस बार उसकी आँखों में कोई चुनौती नहीं, बल्कि कुछ गहरी चिंताएं थीं। वह किसी कारण से साक्षी से जुड़ा हुआ था, और यह साक्षी के लिए समझना जरूरी था।

    "तुम फिर से?" साक्षी ने ठंडी आवाज में कहा।

    लड़का बिना किसी प्रतिक्रिया के बोला,
    "I know you're not like them, Sakhshi."

    साक्षी ने उसकी ओर घूरते हुए कहा,
    "What do you mean by that?"

    "Don’t pretend you don’t know what I’m talking about," लड़के ने गहरी सांस ली और फिर कहा,
    "You’re not just some normal girl. There’s more to you than meets the eye."

    साक्षी को लगा जैसे कोई बड़ा राज़ खुलने वाला है, लेकिन वह पहले से तैयार थी।
    "Fine," उसने कहा,
    "Tell me what you want to say."

    लड़के ने उसकी आँखों में देखा और फिर कहा,
    "The truth is, you are not who you think you are. And neither is this world what you think it is. There’s a reason you are here, and it’s not by accident."

    साक्षी चुप रही; उसे लड़के की बातों में एक सच्चाई जैसी महसूस हो रही थी, लेकिन वह पूरी तरह से यकीन नहीं कर पा रही थी।

    "Then tell me, what am I supposed to do now?" उसने उससे सीधे सवाल किया।

    लड़का मुस्कराया, लेकिन उसकी मुस्कान में कोई खुशी नहीं थी।
    "You’ll have to find the answers yourself. But one thing is clear – your past is not your own. And you’ll have to face the consequences of what you are, sooner or later."

    साक्षी को अब उस लड़के के शब्दों में एक नई गंभीरता महसूस हुई। वह जानती थी कि अब कोई सामान्य रास्ता नहीं था। उसे अपने अतीत को खोजने के लिए खुद को पूरी तरह से बदलने और अपने वास्तविक अस्तित्व को पहचानने की जरूरत थी।

    वह लड़के की ओर देखने लगी और फिर कहा,
    "If I’m not who I think I am, then what exactly am I?"

    लड़का फिर से चुप रहा और उसके चेहरे पर कुछ रहस्यमय सा छाया रहा।
    "You’ll understand soon enough," वह बोला, और फिर कुछ देर बाद धीरे-धीरे चला गया।

    साक्षी वहीं खड़ी रही; उसकी आँखों में सवालों का एक और तूफान था। अब वह जानती थी कि उसका सफर किसी और दिशा में जाने वाला था। उसे अपने अतीत को जानने के लिए हर कदम सावधानी से उठाना होगा, और यह खेल अब उसके लिए बहुत ज्यादा मुश्किल और खतरनाक होता जा रहा था।

    "मैं अपने अतीत को जानने के लिए क्या करना होगा, यह मैं खुद तय करूंगी," उसने खुद से कहा, और फिर अपने रास्ते पर आगे बढ़ गई।


    साक्षी ने कार में बैठने के बाद ड्राइवर को घर चलने का इशारा किया। लेकिन उसकी नजर बार-बार मॉल के एंट्रेंस पर जा रही थी। वह देखना चाहती थी कि कहीं वह लड़का अब भी वहां खड़ा तो नहीं है। लेकिन कोई नजर नहीं आया।

    "Who was he? और उसे मेरे बारे में इतना सब कुछ कैसे पता है?" साक्षी के मन में सवाल उठ रहे थे।

    थोड़ी देर में कार घर के गेट पर रुकी। साक्षी ने बैग उठाया और अंदर चली गई।

    शाम का वक्त था। साक्षी बालकनी में खड़ी थी, जहाँ से शहर की रोशनी साफ दिख रही थी। उसका दिमाग अब भी उसी लड़के की बातों में उलझा हुआ था।

    "क्या वो सच में मुझे कोई खतरे के बारे में बताना चाह रहा था, या फिर यह सब महज एक खेल था?" साक्षी ने खुद से कहा।

    तभी उसे गेट के पास गाड़ियों की आवाज सुनाई दी। वह बालकनी से नीचे झांकने लगी। इस बार वह कारें कुछ अलग थीं। गेट पर सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए थे।

    साक्षी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
    "क्या ये वही लड़का है?" उसने खुद से पूछा।

    कुछ मिनटों बाद, वही नीली आँखों वाला लड़का गेट से अंदर आता दिखा। इस बार वह अकेला नहीं था; उसके साथ कुछ और लोग भी थे।

    साक्षी ने जल्दी से अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई। वह देखना चाहती थी कि यह सब आखिर हो क्या रहा है।

    नीचे से किसी की आवाज सुनाई दी।
    "Where is Sakshi?" वह आवाज तेज और गंभीर थी। साक्षी को समझने में देर नहीं लगी कि यह उसी लड़के की आवाज थी।

    साक्षी का दिल अब तेज़ी से धड़कने लगा।
    "अब क्या करूं? क्या यह लोग मुझे लेने आए हैं?" उसने खुद से कहा।


    साक्षी ने खिड़की से नीचे झांककर देखा। नीली आँखों वाला लड़का अब घर के मुख्य दरवाजे तक पहुँच चुका था। उसके साथ खड़े लोग उसके इशारे पर चारों तरफ फैल गए थे। साक्षी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

    "Who are these people? और ये मुझे क्यों ढूंढ रहे हैं?" साक्षी ने खुद से बुदबुदाया।

    नीचे से एक और कड़क आवाज सुनाई दी,
    "हमसे छुपने की कोशिश मत करो, साक्षी। तुम जितना भागोगी, हम उतने ही करीब आएंगे।" यह आवाज सुनते ही साक्षी के हाथ-पांव ठंडे पड़ गए।

    साक्षी ने तुरंत कमरे का दरवाजा लॉक किया और अपने बिस्तर के नीचे रखे एक छोटे बैग को बाहर निकाला। उसमें कुछ नकदी, पहचान पत्र, और एक मोबाइल फोन था।

    "मुझे यहां से निकलना होगा। ये लोग अगर मुझे पकड़ लेंगे तो पता नहीं क्या होगा।" उसने मन ही मन फैसला किया।

    तभी नीचे से किसी नौकर ने आकर लड़के को जवाब दिया,
    "साहब, मैडम ऊपर के कमरे में हैं। लेकिन वह किसी से मिलना नहीं चाहतीं।"

    नीली आँखों वाले लड़के ने ठंडे स्वर में कहा,
    "हमसे ज्यादा देर तक बच नहीं पाएगी।" उसने अपने साथियों को इशारा किया, और वे सभी ऊपर की तरफ बढ़ने लगे।

    साक्षी को अब कदमों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी। वह खिड़की की तरफ भागी। खिड़की बाहर की तरफ खुलती थी, और नीचे उतरने का कोई आसान रास्ता नहीं था। लेकिन उसके पास और कोई चारा नहीं था।

    "मैं इनसे बचकर रहूंगी, चाहे कुछ भी हो जाए।" साक्षी ने खुद को हिम्मत दिलाई।

    खिड़की के पास पहुँचकर उसने नीचे झांका। वहाँ पर घर के पिछवाड़े में एक छोटा गार्डन था। अगर वह सही तरीके से उतरे, तो चोट खाने के बिना बच सकती थी।

    साक्षी ने बैग कंधे पर डाला, और खिड़की से बाहर कूदने की तैयारी करने लगी। तभी कमरे का दरवाजा जोर-जोर से खटखटाने की आवाज आई।

    "Open the door, Sakshi! तुम्हारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।" वह वही लड़के की आवाज थी।

    साक्षी ने एक गहरी साँस ली और खिड़की से कूद गई। वह सीधे गार्डन में गिरी, जहाँ उसके पैर हल्के से मुड़ गए। दर्द को नज़रअंदाज़ करते हुए, वह जल्दी से पीछे के गेट की तरफ भागी।

    जैसे ही उसने गेट खोला, उसे गाड़ी की हेडलाइट्स दिखाई दीं। एक कार उसके सामने रुक चुकी थी।

    "Get in," कार में से एक आवाज आई।


    कार की रफ्तार

    कार अंधेरी सड़कों पर तेजी से दौड़ रही थी। साक्षी की नजरें बाहर के नजारों पर थीं, लेकिन उसका ध्यान हर वक्त इस बात पर था कि आखिर कार का ड्राइवर कौन है और उसे यहां से क्यों बचा रहा है।

    "तुम कौन हो? और मुझे यहां से क्यों बचा रहे हो?" साक्षी ने सीधा सवाल किया।

    ड्राइवर ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा,
    "मैं वो हूँ जिसे तुम्हारी मदद करने का काम दिया गया है।"

    साक्षी ने चिढ़ते हुए कहा,
    "Stop being mysterious and just tell me the truth!"

    ड्राइवर ने अब गंभीर होते हुए कहा,
    "मेरा नाम आर्यन है। मुझे तुम्हारी मदद करने के लिए भेजा गया है, लेकिन इससे ज्यादा मैं अभी कुछ नहीं बता सकता।"

    साक्षी ने गुस्से में कहा,
    "किसने भेजा है तुम्हें?"

    आर्यन ने कार के शीशे में पीछे देखा और कहा,
    "उसके बारे में जानने का वक्त आएगा। फिलहाल, हमें उन लोगों से बचना है जो तुम्हारे पीछे पड़े हैं।"

    साक्षी को यह जवाब बिल्कुल पसंद नहीं आया। लेकिन वह जानती थी कि यह वक्त बहस करने का नहीं था।


    पीछा करने वाले

    आर्यन की बात खत्म होते ही साक्षी ने पीछे मुड़कर देखा। दो काले रंग की एसयूवी गाड़ियां उनकी कार के पीछे तेजी से दौड़ रही थीं।

    "यह गाड़ियां... क्या ये वही लोग हैं?" साक्षी ने पूछा।

    आर्यन ने गाड़ी की स्पीड और तेज कर दी और कहा,
    "Yes. और ये तब तक पीछा नहीं छोड़ेंगे जब तक हमें पकड़ न लें।"

    साक्षी ने अपने बैग को कसकर पकड़ लिया। उसके दिल की धड़कन तेज हो रही थी।

    "क्या तुम इन्हें हरा सकते हो?" साक्षी ने डरते हुए पूछा।

    आर्यन ने उसकी तरफ बिना देखे जवाब दिया,
    "यह पता करने के लिए तुम्हें मेरे साथ रहना पड़ेगा। Hold tight!"


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  • 7. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 7

    Words: 1176

    Estimated Reading Time: 8 min

    आर्यन ने कार एक संकरी गली में मोड़ी। गाड़ी एक सुनसान इलाके में पहुँची, लेकिन पीछा करने वाले अभी भी पीछे थे।


    एक रहस्यमयी जगह

    आर्यन ने अंततः गाड़ी एक सुनसान जगह पर रोकी। चारों ओर अंधेरा था; बस दूर एक पुरानी इमारत दिख रही थी।

    "हम यहां क्यों रुके?" साक्षी ने घबराकर पूछा।

    आर्यन ने तेजी से कार का दरवाजा खोला।
    "अब हम पैदल जाएँगे।"

    "क्या? पैदल? लेकिन वो लोग..."

    आर्यन ने साक्षी का हाथ पकड़ा।
    "Trust me. यहां से आगे कार नहीं जा सकती।"


    साक्षी के पास कोई और चारा नहीं था। उसने आर्यन का हाथ थामा और वे दोनों इमारत की ओर भागने लगे।

    पीछा करने वाले अब भी उनकी गाड़ी के पास पहुँच चुके थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने देखा कि गाड़ी खाली है, वे समझ गए कि साक्षी और आर्यन पैदल भाग चुके हैं।


    इमारत का रहस्य

    जब साक्षी और आर्यन इमारत के पास पहुँचे, तो आर्यन ने एक भारी दरवाजा खोला। अंदर बिल्कुल सन्नाटा था।

    "यह जगह क्या है?" साक्षी ने हैरानी से पूछा।

    आर्यन ने दरवाजा बंद करते हुए कहा, "यह वह जगह है जहाँ से तुम्हारे सवालों के जवाब शुरू होंगे। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है।"

    साक्षी ने चारों ओर देखा। हर दीवार पर अजीब-अजीब चित्र और निशान बने हुए थे।

    "यह सब क्या है?"

    आर्यन ने उसकी ओर देखा।
    "यह वही जगह है, जहाँ तुम्हें यह तय करना होगा कि तुम कौन हो और यहां क्यों हो।"

    साक्षी के मन में एक के बाद एक सवाल उठ रहे थे, लेकिन वह जानती थी कि यह जगह उसकी ज़िंदगी बदलने वाली है।


    साक्षी का अनजान सफ़र

    साक्षी ने इमारत के भीतर कदम रखा। अंदर की दीवारें खुरदरी और पुरानी थीं; उन पर अजीब-सी लिपियों और चिह्नों के साथ-साथ कुछ अजनबी चेहरों की आकृतियाँ बनी हुई थीं। चारों ओर हल्की-हल्की रोशनी थी, जो एक पुरानी लालटेन से आ रही थी।

    "यह जगह इतनी डरावनी क्यों लग रही है?" साक्षी ने आर्यन से पूछा; उसकी आवाज़ में हल्की घबराहट साफ़ झलक रही थी।

    आर्यन आगे बढ़ते हुए बोला, "डर सिर्फ़ एक भावना है। अगर तुम इसे समझ लो, तो यह तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।"

    "यह बातें मेरे काम की नहीं हैं। मुझे बस यहां से निकलना है।" साक्षी ने तड़पते हुए कहा।

    आर्यन मुस्कुराया।
    "निकलने के लिए तुम्हें पहले यह समझना होगा कि तुम्हें यहां तक क्यों लाया गया है।"


    पुरानी किताब और सच का खुलासा

    इमारत के बीच में एक लंबी मेज पर एक मोटी किताब रखी थी। किताब का कवर चमड़े का था और उस पर एक बड़ा-सा सुनहरा ताला लगा हुआ था।

    आर्यन ने किताब की ओर इशारा किया।
    "यह तुम्हारे सभी सवालों का जवाब देगी। लेकिन इसे खोलने का तरीका सिर्फ़ तुम्हें पता होगा।"

    साक्षी उलझन में थी।
    "तुम्हें कैसे पता कि मुझे इसे खोलने का तरीका पता है?"

    आर्यन ने शांत लहजे में कहा, "क्योंकि यह जगह और यह किताब तुम्हारे लिए बनाई गई है। यह तुम्हारे अतीत से जुड़ी है।"

    साक्षी ने अनमने मन से किताब के पास जाकर उसे छुआ। जैसे ही उसने ताले पर हाथ रखा, ताला खुद-ब-खुद खुल गया।

    "यह क्या हो रहा है?"


    साक्षी और किताब का राज़

    जैसे ही ताला खुला, किताब के पन्ने अपने-आप पलटने लगे। उसमें अजीबोगरीब प्रतीक और चिह्न चमकने लगे, और फिर अचानक पन्ने एक जगह रुक गए। पन्ने पर एक बड़ा-सा नक्शा उभर आया।

    "यह क्या है?" साक्षी ने हैरानी से पूछा।

    आर्यन करीब आया और नक्शे को देखा।
    "यह तुम्हारे घर का रास्ता है। लेकिन यह सीधा नहीं है।"

    "मतलब?" साक्षी ने उलझन भरी नज़रों से उसकी ओर देखा।

    आर्यन ने नक्शे पर एक बिंदु की ओर इशारा किया।
    "तुम्हें यहां से निकलने के लिए पहले इस जगह पर जाना होगा। यह सिर्फ़ एक सफ़र नहीं, बल्कि एक परीक्षा है।"

    साक्षी ने नक्शे को गौर से देखा। नक्शे में ऐसी जगहें थीं, जो उसने कभी देखी भी नहीं थीं।
    "यह सब क्या हो रहा है? मैं यहां क्यों हूँ? और तुम कौन हो, आर्यन?"

    आर्यन ने गहरी साँस ली।
    "मैं सिर्फ़ एक गाइड हूँ। तुम्हें सही जगह तक पहुँचाने के लिए चुना गया हूँ। लेकिन सच तो यह है कि तुम्हें खुद यह तय करना होगा कि तुम इस रास्ते पर चलने के लिए तैयार हो या नहीं।"


    पहला पड़ाव: जंगल की रहस्यमयी गुफा

    साक्षी और आर्यन ने नक्शे के पहले बिंदु की ओर बढ़ने का फैसला किया। रास्ता घने जंगल से होकर गुज़रता था। साक्षी ने चारों ओर देखा। जंगल इतना शांत था कि उसकी अपनी साँसों की आवाज़ भी उसे डरावनी लग रही थी।

    "यह जगह मुझे सही नहीं लग रही," साक्षी ने धीमी आवाज़ में कहा।

    आर्यन मुस्कुराया।
    "यह जगह तुम्हारी परीक्षा का हिस्सा है। डरो मत, बस अपने दिल की सुनो।"

    जैसे ही वे गुफा के पास पहुँचे, अंदर से तेज रोशनी निकलने लगी। गुफा के द्वार पर एक बड़ा पत्थर रखा था, जिस पर एक संदेश लिखा हुआ था:
    "जो खुद को जानता है, वही इस दरवाजे को पार कर सकता है।"

    "यह क्या मतलब है?" साक्षी ने आर्यन से पूछा।

    आर्यन ने साक्षी की तरफ़ देखते हुए कहा, "इसका मतलब है कि दरवाजा तभी खुलेगा, जब तुम अपने अंदर की सबसे गहरी सच्चाई को स्वीकार करोगी।"

    साक्षी ने डरते-डरते पत्थर की ओर हाथ बढ़ाया। जैसे ही उसने उसे छुआ, उसकी आँखों के सामने उसके अतीत की तस्वीरें चलने लगीं—उसका परिवार, उसकी पुरानी ज़िंदगी, और वो पल जब उसकी ज़िंदगी ने अचानक करवट ली थी।

    "क्या मैं यह कर पाऊँगी?" साक्षी ने खुद से कहा।

    आर्यन ने पीछे से कहा, "याद रखो, सच्चाई ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है।"

    साक्षी ने अपनी आँखें बंद कीं, गहरी साँस ली, और पत्थर को पूरी ताकत से धक्का दिया। गुफा का दरवाजा धीरे-धीरे खुलने लगा, और अंदर से एक तेज सुनहरी रोशनी बाहर निकली।

    "यह तो सिर्फ़ शुरुआत है," आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा।



    गुफा के भीतर का रहस्य

    गुफा के दरवाजे के खुलते ही साक्षी और आर्यन अंदर दाखिल हुए। भीतर का नज़ारा अजीब और हैरतअंगेज था। दीवारों पर चमकते हुए अजीब से प्रतीक बने हुए थे। चारों ओर एक रहस्यमयी ऊर्जा महसूस हो रही थी, जो साक्षी को अजीब तरह से खींच रही थी।

    "यह जगह... यह इतनी अलग क्यों है?" साक्षी ने धीमे स्वर में पूछा।

    आर्यन ने दीवारों को देखते हुए कहा, "यह गुफा सिर्फ़ एक साधारण जगह नहीं है। यह तुम्हारे डर और तुम्हारी इच्छाओं को उजागर करने के लिए बनी है। लेकिन संभलकर, यहां हर कदम सोच-समझकर उठाना पड़ेगा।"

    जैसे ही वे आगे बढ़े, उनके सामने तीन रास्ते आ गए। हर रास्ते के ऊपर एक चिन्ह बना हुआ था—

    पहला चिन्ह: आग का प्रतीक

    दूसरा चिन्ह: पानी का प्रतीक

    तीसरा चिन्ह: अंधकार का प्रतीक


    "कौन सा रास्ता चुनें?" साक्षी ने घबराकर आर्यन की ओर देखा।

    आर्यन ने गंभीर स्वर में कहा, "यह फैसला तुम्हें लेना होगा। यह रास्ते तुम्हारे व्यक्तित्व के अलग-अलग पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

    साक्षी ने एक पल सोचा और फिर पानी के प्रतीक वाले रास्ते की ओर बढ़ गई।




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  • 8. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 8

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    पानी की परीक्षा

    रास्ता बेहद संकरा और फिसलन भरा था। जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, चारों ओर पानी की तेज धाराएँ बहने लगीं। पानी इतना ठंडा था कि साक्षी के हाथ-पैर सुन्न होने लगे। अचानक, पानी से एक विशालकाय आकृति उभरी।

    वह आकृति बोलने लगी,
    "अगर तुम इस रास्ते को पार करना चाहती हो, तो पहले अपने डर को हराना होगा। बताओ, तुम किस चीज़ से सबसे ज़्यादा डरती हो?"

    साक्षी चौंक गई। उसने कांपती आवाज़ में कहा,
    "मैं अपने परिवार को खोने से डरती हूँ... और यह भी कि मैं इस नई दुनिया में फंसकर खुद को खो दूँगी।"

    आकृति मुस्कुराई और बोली,
    "अपने डर को स्वीकार करना ही तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत है। अब जाओ, तुम्हारा रास्ता खुला है।"

    जैसे ही आकृति गायब हुई, साक्षी ने राहत की साँस ली। आर्यन ने उसकी ओर देखा और कहा,
    "तुमने पहला कदम सही उठाया। अब हमें आगे बढ़ना है।"


    अंधकार का रहस्य

    पानी के रास्ते से निकलने के बाद, वे एक अंधेरी जगह पहुँचे। यहाँ न कोई रोशनी थी, न ही कोई आवाज़। साक्षी ने आर्यन का हाथ थाम लिया।

    "यहाँ कुछ भी साफ़ दिखाई नहीं दे रहा," साक्षी ने कहा।

    आर्यन ने धीरे से कहा,
    "अंधकार से घबराओ मत। यह सिर्फ़ तुम्हारी अंदरूनी ताकत को परखने का तरीका है। याद रखो, रोशनी तुम्हारे भीतर है।"

    साक्षी ने अपनी आँखें बंद कीं और गहरी साँस ली। उसने अपने भीतर की उम्मीद और साहस को महसूस किया। अचानक, उसके कदमों के नीचे से रोशनी फूटने लगी, और रास्ता साफ़ दिखने लगा।

    "तुम सही कर रही हो," आर्यन ने कहा।


    एक नया संदेश

    अंधकार का रास्ता पार करने के बाद, वे एक खुले मैदान में पहुँचे। मैदान के बीच में एक और किताब रखी हुई थी। किताब पर लिखा था:

    "यह तुम्हारे सफ़र का दूसरा चरण है। आगे बढ़ो, क्योंकि असली रहस्य अभी बाकी है।"

    साक्षी ने किताब उठाई और आर्यन की ओर देखा।
    "क्या यह सफ़र कभी ख़त्म होगा?"

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "ख़त्म होगा... लेकिन तब, जब तुम अपनी असली पहचान और ताकत को पूरी तरह से जान जाओगी।"

    साक्षी ने गहरी साँस ली और कहा,
    "तो चलो, आगे बढ़ते हैं। मैं तैयार हूँ।"


    तीसरा पड़ाव – आग का इम्तिहान

    साक्षी और आर्यन ने किताब को वहीं छोड़ा और गुफा के तीसरे हिस्से की ओर बढ़ने लगे। जैसे ही वे आगे बढ़े, एक बड़ा दरवाज़ा उनके सामने आया, जिस पर आग के प्रतीक की आकृति बनी हुई थी। दरवाज़े के पास पहुँचते ही एक तेज़ और गर्म हवा का झोंका आया, जिसने साक्षी को थोड़ा पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।

    "यह दरवाज़ा सिर्फ़ तुम्हारे साहस से खुलेगा," आर्यन ने कहा।

    साक्षी ने खुद को संभालते हुए दरवाज़े को छुआ। जैसे ही उसने हाथ रखा, दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा, और वे दोनों अंदर दाखिल हुए।


    आग का सामना

    अंदर का दृश्य ख़तरनाक था। चारों तरफ़ लावा बह रहा था, और जमीन पर चलने के लिए सिर्फ़ पतली चट्टानों की एक श्रृंखला थी। साक्षी ने चौंकते हुए आर्यन की ओर देखा।
    "यह जगह... यह तो नामुमकिन है! यहाँ से कैसे पार करें?"

    आर्यन ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
    "यहाँ डरने की जगह नहीं है। हर कदम तुम्हें सोच-समझकर उठाना होगा। ध्यान रहे, अगर तुमने अपना संतुलन खोया, तो यह आग तुम्हें निगल जाएगी।"

    साक्षी ने गहरी साँस ली और पहला कदम बढ़ाया। वह चट्टानें गर्म थीं, लेकिन साक्षी ने खुद को शांत रखा। जैसे ही वह एक चट्टान से दूसरी चट्टान पर बढ़ी, अचानक लावा से एक आग की आकृति निकली।

    वह आकृति गरजती हुई बोली,
    "तुम यहाँ क्यों आई हो? क्या तुम अपने भीतर की कमज़ोरी को हराने के लिए तैयार हो?"

    साक्षी ने उसे देखते हुए जवाब दिया,
    "मैं यहाँ इसलिए हूँ क्योंकि मुझे खुद को साबित करना है। मैं अपनी कमज़ोरी और डर को हराकर आगे बढ़ना चाहती हूँ।"

    आकृति ने कहा,
    "अगर ऐसा है, तो अपनी सबसे बड़ी कमज़ोरी को स्वीकार करो।"

    साक्षी ने ठहरकर कहा,
    "मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी यह है कि मैं कभी खुद पर भरोसा नहीं कर पाई। मुझे हमेशा दूसरों की मदद चाहिए थी। लेकिन अब, मैं यह बदलना चाहती हूँ।"

    आग की आकृति धीमे-धीमे शांत होने लगी और बोली,
    "तुम्हारा साहस काबिल-ए-तारीफ़ है। जाओ, तुम्हारा रास्ता खुला है।"


    सच्चाई की ओर एक और कदम

    आग का परीक्षण पार करते ही, साक्षी और आर्यन एक चमकते हुए हॉल में पहुँचे। वहाँ एक पत्थर की मेज़ पर एक और किताब रखी हुई थी। इस बार किताब का रंग लाल था, और उस पर सुनहरे अक्षरों में लिखा था:

    "तुमने तीन परीक्षाएँ पास कर ली हैं, लेकिन सफ़र अभी ख़त्म नहीं हुआ। अगला कदम तुम्हारी किस्मत का फ़ैसला करेगा। तैयार रहो, क्योंकि जो सामने आएगा, वह तुम्हारे धैर्य और दिल दोनों की परीक्षा लेगा।"

    आर्यन ने किताब को पढ़ते हुए कहा,
    "यहाँ से आगे का सफ़र और भी मुश्किल होगा, साक्षी। लेकिन याद रखना, तुमने अब तक जो किया है, वह तुम्हारे साहस का प्रतीक है।"

    साक्षी ने किताब को पढ़कर गहरी साँस ली और कहा,
    "मुझे परवाह नहीं है कि आगे क्या होगा। मैं यह सफ़र पूरा करने के लिए तैयार हूँ।"

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "तो चलो, देखते हैं कि तुम्हारी किस्मत क्या चाहती है।"

    दोनों आगे बढ़े, और गुफा के अगले हिस्से में कदम रखा। यह हिस्सा पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ था। सिर्फ़ एक आवाज़ गूंज रही थी, जो कह रही थी:

    "तुम्हारे अगले फ़ैसले पर तुम्हारा भविष्य निर्भर है। सोचो, समझो, और आगे बढ़ो।"


    अंधकार का इम्तिहान

    साक्षी और आर्यन गुफा के अंधेरे हिस्से में दाखिल हुए। चारों ओर गहरा सन्नाटा था, और साक्षी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे यह सन्नाटा उसकी आत्मा तक उतर रहा हो। गुफा की दीवारों पर हल्की चमकती हुई नक्काशी थीं, जो उन्हें एक निश्चित दिशा में जाने का इशारा कर रही थीं।

    "यहाँ सब कुछ इतना शांत क्यों है?" साक्षी ने धीरे से पूछा।

    आर्यन ने उसकी ओर देखा और कहा,
    "यहाँ का अंधकार सिर्फ़ बाहरी नहीं है। यह तुम्हारे अंदर की कमज़ोरी को सामने लाने के लिए बनाया गया है।"

    साक्षी ने एक पल के लिए ठहरकर कहा,
    "अगर यह मेरी कमज़ोरी को दिखाने वाला है, तो मुझे इसे समझने और हराने का मौका मिलेगा। मैं तैयार हूँ।"


    अंधकार का सामना

    जैसे ही उन्होंने कुछ कदम आगे बढ़ाए, गुफा अचानक से घने धुएं और कुहासे से भर गई। साक्षी ने इधर-उधर देखा, लेकिन आर्यन कहीं नज़र नहीं आ रहा था।
    "आर्यन? तुम कहाँ हो?" साक्षी ने घबराकर आवाज़ लगाई।



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  • 9. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 9

    Words: 1277

    Estimated Reading Time: 8 min

    अंधकार का इम्तिहान

    साक्षी और आर्यन गुफा के अंधेरे हिस्से में दाखिल हुए। चारों ओर गहरा सन्नाटा था, और साक्षी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे यह सन्नाटा उसकी आत्मा तक उतर रहा हो। गुफा की दीवारों पर हल्की चमकती हुई नक्काशियां थीं, जो उन्हें एक निश्चित दिशा में जाने का इशारा कर रही थीं।


    "यहां सब कुछ इतना शांत क्यों है?" साक्षी ने धीरे से पूछा।

    आर्यन ने उसकी ओर देखा और कहा,
    "यहां का अंधकार सिर्फ बाहरी नहीं है। यह तुम्हारे अंदर की कमजोरी को सामने लाने के लिए बनाया गया है।"


    साक्षी ने एक पल के लिए ठहरकर कहा,
    "अगर यह मेरी कमजोरी को दिखाने वाला है, तो मुझे इसे समझने और हराने का मौका मिलेगा। मैं तैयार हूं।"


    अंधकार का सामना

    जैसे ही उन्होंने कुछ कदम आगे बढ़ाए, गुफा अचानक से घने धुएं और कुहासे से भर गई। साक्षी ने इधर-उधर देखा, लेकिन आर्यन कहीं नजर नहीं आ रहा था।


    "आर्यन? तुम कहां हो?" साक्षी ने घबराकर आवाज लगाई।

    कोई जवाब नहीं आया। इसके बजाय, एक और आवाज गूंजने लगी, जो साक्षी को अंदर तक चीर रही थी।


    "क्या तुम्हें लगता है कि तुम यह सफर अकेले पूरा कर सकती हो? तुम हमेशा दूसरों पर निर्भर रही हो, और यह तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी है।"


    साक्षी ने घबराते हुए कहा,
    "यह सच नहीं है। मैंने अब तक खुद को साबित किया है। मैं अब किसी पर निर्भर नहीं हूं।"


    आवाज ने ठहाका लगाते हुए कहा,
    "अगर यह सच है, तो इस अंधकार में अपने लिए रास्ता खुद ढूंढो। लेकिन याद रखना, जो दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता।"


    चुनौती की शुरुआत

    साक्षी ने गहरी सांस ली और अपने डर को शांत करने की कोशिश की। उसने महसूस किया कि उसके सामने तीन अलग-अलग रास्ते थे। हर रास्ता उसे अलग दिशा में ले जा सकता था।

    पहले रास्ते पर एक छोटी-सी रोशनी चमक रही थी।
    दूसरा रास्ता पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ था।
    तीसरे रास्ते से हल्की-सी रोने की आवाजें आ रही थीं।


    साक्षी ने खुद से कहा,
    "यहां कुछ भी तय नहीं है। मुझे अपने दिल की सुननी होगी।"

    उसने एक पल ठहरकर सोचा और दूसरे रास्ते की तरफ बढ़ने का फैसला किया।
    "अगर अंधकार मेरी कमजोरी है, तो मुझे इसे खत्म करने के लिए इसे पूरी तरह से समझना होगा," उसने खुद से कहा।


    अंधेरे में उम्मीद की रोशनी

    जैसे ही साक्षी ने कदम रखा, उसे लगा जैसे पूरा रास्ता हिलने लगा हो। वह लड़खड़ाई, लेकिन गिरने से खुद को संभाल लिया। रास्ते में हर तरफ से अजीब आवाजें आ रही थीं, जो उसे विचलित करने की कोशिश कर रही थीं।


    "तुम यह नहीं कर पाओगी। तुम्हारी हिम्मत तुम्हें धोखा देगी।"

    साक्षी ने अपनी आंखें बंद कीं और अपने भीतर की आवाज को सुना।
    "मैं यह कर सकती हूं। मैं डर से आगे बढ़ चुकी हूं।"

    जैसे ही उसने यह कहा, रास्ते में अचानक से एक हल्की-सी रोशनी दिखाई देने लगी। वह रोशनी उसकी तरफ बढ़ी और धीरे-धीरे अंधकार को खत्म करने लगी।


    आर्यन की वापसी

    अंधकार खत्म होते ही साक्षी ने खुद को एक खुले मैदान में पाया। वहीं पर आर्यन खड़ा था, जो मुस्कुरा रहा था।


    "तुमने इसे पार कर लिया। तुमने अपने डर और कमजोरी का सामना किया," आर्यन ने कहा।

    साक्षी ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया,
    "यह सब आसान नहीं था। लेकिन अब मुझे एहसास हुआ कि मैं अंदर से कितनी मजबूत हूं।"

    आर्यन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,
    "यह सिर्फ शुरुआत है। आगे की परीक्षाएं और भी कठिन होंगी। लेकिन अब मुझे यकीन है कि तुम उनके लिए तैयार हो।"

    दोनों ने एक बार फिर गुफा के अंतिम हिस्से की ओर कदम बढ़ाए। यह वह जगह थी, जहां उनके सफर का असली मकसद उन्हें इंतजार कर रहा था।


    (आगे जारी...)

    गुफा का रहस्य

    आर्यन और साक्षी ने गुफा के अंतिम हिस्से की ओर बढ़ते हुए देखा कि रास्ता पहले से अधिक संकरा और खतरनाक होता जा रहा था। दीवारों पर जटिल नक्काशी अब और स्पष्ट हो चुकी थी, जैसे कि वे किसी प्राचीन भाषा में लिखे संदेश हों।


    "यह सब क्या है?" साक्षी ने सवाल किया, दीवारों की ओर इशारा करते हुए।

    आर्यन ने नक्काशियों को ध्यान से देखते हुए कहा,
    "यह एक पुरानी भाषा है। इसमें चेतावनी लिखी है—'जो भी सत्य के करीब जाएगा, उसे अपने अस्तित्व की कुर्बानी देनी होगी।'"


    साक्षी ने गहरी सांस ली।
    "क्या इसका मतलब यह है कि हमें आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की जा रही है?"

    आर्यन ने गंभीर स्वर में कहा,
    "शायद। लेकिन जो भी इस गुफा के केंद्र तक पहुंचता है, उसे अपना सबसे बड़ा बलिदान देना पड़ता है। सवाल यह है कि क्या हम इसके लिए तैयार हैं?"


    साक्षी ने आर्यन की तरफ देखा। उसकी आंखों में संकल्प और साहस झलक रहा था।
    "अगर हमें अपनी मंज़िल तक पहुंचना है, तो मैं किसी भी बलिदान के लिए तैयार हूं।"


    सत्य की ओर पहला कदम

    दोनों ने एक साथ गुफा के केंद्र की ओर बढ़ने का फैसला किया। जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक से गुफा की दीवारों पर सुनहरी रोशनी फैल गई। गुफा के मध्य में एक बड़ा पत्थर का मंच था, जिस पर एक चमकती हुई किताब रखी हुई थी।


    आर्यन ने कहा,
    "यह है वह किताब, जो हर सवाल का जवाब दे सकती है। लेकिन इसे छूने से पहले हमें अपनी परीक्षा पास करनी होगी।"

    साक्षी ने किताब की ओर देखा। उसकी चमक उसकी आंखों को चौंधिया रही थी। तभी मंच के चारों ओर अजीब साये बनने लगे। वे साये धीरे-धीरे स्पष्ट होते गए और इंसानी आकृतियों में बदल गए।


    "यह कौन हैं?" साक्षी ने चिंतित स्वर में पूछा।

    आर्यन ने अपनी तलवार निकालते हुए कहा,
    "यह हमारे डर के साये हैं। ये हमारी कमजोरियों को हमारे खिलाफ इस्तेमाल करेंगे। हमें इनके जाल में फंसने से बचना होगा।"


    मुकाबला शुरू होता है

    पहला साया साक्षी के सामने आया। उसकी आवाज गहरी और डरावनी थी।
    "क्या तुम सच में सोचती हो कि तुम इस लड़ाई के काबिल हो? तुम्हारी पूरी ज़िंदगी बस दूसरों के सहारे बीती है। तुम कमजोर हो।"


    साक्षी ने गुस्से से जवाब दिया,
    "मैं कमजोर थी, लेकिन अब नहीं। अब मैं अपने डर का सामना करने के लिए तैयार हूं।"

    साये ने अचानक से हमला किया, लेकिन साक्षी ने अपनी शक्ति और साहस के बल पर उसे रोक दिया। उसने महसूस किया कि जैसे ही वह अपने डर का सामना करती है, साया कमजोर होता जाता है।

    आर्यन भी अपने सायों से लड़ रहा था। उसका हर वार सायों को खत्म कर रहा था, लेकिन हर बार एक नया साया उसके सामने आ जाता।


    "साक्षी! इनसे लड़ने का सिर्फ एक तरीका है—अपनी कमजोरी को स्वीकार करना और उसे अपनी ताकत बनाना," आर्यन ने जोर से कहा।


    अंतिम परीक्षा

    साक्षी ने अपनी आंखें बंद कीं और गहरी सांस ली। उसने अपने भीतर के हर डर को सामने लाने दिया—अपने घर से बिछड़ने का डर, अपने परिवार को खोने का डर, और असफल होने का डर।


    "मैं इनसे डरती हूं, लेकिन ये डर मुझे तोड़ नहीं सकते। मैं इन्हें हराऊंगी!"

    जैसे ही उसने यह कहा, सारे साये गायब हो गए। मंच के चारों ओर रोशनी फैल गई, और किताब की चमक और तेज हो गई।


    आर्यन ने उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा।
    "तुमने इसे कर दिखाया, साक्षी। अब यह किताब हमारी है।"

    साक्षी ने किताब को उठाया। जैसे ही उसने किताब खोली, उसमें से एक तेज रोशनी निकली और गुफा के चारों ओर फैल गई।


    "अब यह देखना बाकी है कि इस किताब में ऐसा क्या है, जो हमारी जर्नी को पूरी तरह बदल सकता है," आर्यन ने कहा।

    दोनों ने किताब को पढ़ना शुरू किया, और उन्हें एहसास हुआ कि यह किताब सिर्फ एक रहस्य नहीं, बल्कि उनके जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा का प्रारंभ थी।

    (आगे जारी...)

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  • 10. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 10

    Words: 1427

    Estimated Reading Time: 9 min

    किताब का पहला पन्ना

    साक्षी ने किताब का पहला पन्ना खोला। उसमें सुनहरी अक्षरों में लिखा था:
    "सत्य वही देख सकता है, जो अपने अतीत को स्वीकार करे और भविष्य से न डरे।"

    आर्यन ने लिखा हुआ पढ़ते ही कहा,
    "यह किताब केवल शब्दों का संग्रह नहीं है। यह हमारी आत्मा को परखने वाली चीज़ है। हर पन्ना एक नई परीक्षा है।"

    साक्षी ने दूसरा पन्ना पलटा। अचानक से उनकी चारों ओर की गुफा गायब हो गई, और वे खुद को एक विशाल जंगल के बीचों-बीच खड़े पाए। जंगल घना और डरावना था; चारों ओर अजीब आवाजें आ रही थीं।

    "यह क्या है? हम यहां कैसे आ गए?" साक्षी ने चौंकते हुए पूछा।

    आर्यन ने आसपास का मुआयना किया।
    "शायद यह किताब का जादू है। यह हमारी परीक्षा का पहला चरण हो सकता है। हमें यहां से बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा।"


    जंगल का रहस्य

    दोनों ने जंगल में आगे बढ़ना शुरू किया। रास्ते में उन्हें कई अजीबोगरीब चीजें दिखीं—पेड़ों की शाखाओं पर आंखें, जमीन से उठते धुएं, और घने कोहरे में छिपी आकृतियां।

    "यह जंगल हमारा मनोबल तोड़ने के लिए बनाया गया है। हमें शांत रहना होगा," आर्यन ने साक्षी को सतर्क करते हुए कहा।

    थोड़ी देर चलते-चलते, अचानक साक्षी ने अपने पीछे किसी के कदमों की आवाज सुनी। वह घबरा कर पीछे मुड़ी, लेकिन वहां कोई नहीं था।

    "आर्यन, मुझे ऐसा लग रहा है कि कोई हमारा पीछा कर रहा है," उसने घबराए हुए कहा।

    आर्यन ने गंभीर स्वर में कहा,
    "डर यही चाहता है, साक्षी। यह हमारी कमजोरी को बढ़ावा देता है। हमें..."


    जंगल का सच्चा चेहरा

    आर्यन ने साक्षी को आगे बढ़ने का इशारा किया।
    "याद रखो, जो हमें दिख रहा है, वह हमेशा सच नहीं होता। यह जंगल हमारी सोच और हिम्मत की परीक्षा ले रहा है। बस, अपनी नजर और मन को शांत रखना होगा।"

    जैसे ही वे आगे बढ़े, अचानक उनके सामने एक बड़ा सा पेड़ आ गया। पेड़ की शाखाएं हवा में लहराती हुईं किसी जीवित प्राणी की तरह लग रही थीं। उसकी शाखाओं पर लटके बड़े-बड़े लाल फूल मानो आग की तरह चमक रहे थे।

    "ये फूल..." साक्षी ने आगे बढ़ते हुए धीरे से कहा।

    पेड़ ने अचानक एक भयंकर आवाज में कहा,
    "जो इस जंगल में कदम रखता है, उसे अपनी सच्चाई दिखानी होती है। अगर तुम झूठ बोलोगे, तो यह जंगल तुम्हें हमेशा के लिए निगल जाएगा।"

    आर्यन ने एक कदम आगे बढ़कर कहा,
    "हम यहां सच्चाई के लिए आए हैं। हमारी परीक्षा लो।"

    पेड़ के चारों ओर अजीब रोशनी फैलने लगी। उस रोशनी में आर्यन और साक्षी दोनों की परछाइयां नजर आ रही थीं। परछाइयां हिलने लगीं, जैसे कुछ कहने की कोशिश कर रही हों।


    साक्षी का सामना

    अचानक रोशनी के बीच से एक छवि प्रकट हुई। यह साक्षी के बचपन की थी—वह छोटी सी बच्ची, जो अपने परिवार के साथ खुश थी। लेकिन जैसे-जैसे दृश्य बदला, वह बच्ची अकेली, डरी हुई और उदास नजर आई।

    साक्षी ने कांपती हुई आवाज में कहा,
    "यह... यह क्या है?"

    पेड़ ने गंभीर स्वर में कहा,
    "यह तुम्हारा अतीत है। तुम्हारे अंदर की वो सच्चाई, जिसे तुमने दबा रखा है। क्या तुम इसे स्वीकार कर सकोगी?"

    साक्षी की आंखों में आंसू आ गए। उसने कांपते हुए कहा,
    "हां, मैंने अपने बचपन में बहुत कुछ सहा है। मैंने अपनी भावनाओं को हमेशा दबाया है। लेकिन अब मैं उसे स्वीकार करती हूं। मैं कमजोर नहीं हूं। मैंने हर दर्द को सहते हुए खुद को मजबूत बनाया है।"

    जैसे ही साक्षी ने अपनी सच्चाई स्वीकार की, पेड़ के फूल चमकने लगे और उसकी शाखाएं धीरे-धीरे गायब हो गईं।


    आर्यन की चुनौती

    अब पेड़ ने आर्यन की ओर रुख किया।
    "तुम्हारी सच्चाई क्या है, आर्यन?"

    आर्यन कुछ पल के लिए चुप रहा। उसके चेहरे पर गंभीरता छा गई। लेकिन उसने कहा,
    "मेरा अतीत मुझे हर दिन डराता है। मैं जानता हूं कि मैं जो हूं, वह मेरे कर्मों का नतीजा है। लेकिन मैंने हर गलती से सीखा है, और मैं इसे बदलने की कोशिश कर रहा हूं।"

    पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "सच को स्वीकार करना ही पहला कदम है। तुम दोनों ने अपनी परीक्षा पास कर ली है।"


    जंगल से बाहर का रास्ता

    जैसे ही पेड़ गायब हुआ, उनके सामने एक साफ रास्ता खुल गया। यह रास्ता सीधा जंगल से बाहर की ओर जा रहा था।

    साक्षी ने राहत की सांस ली और आर्यन की ओर देखा।
    "हमने यह कर दिखाया।"

    आर्यन ने उसकी ओर मुस्कुराते हुए कहा,
    "यह तो बस शुरुआत थी। हमें आगे और भी बड़ी चुनौतियों का सामना करना है। तैयार रहना होगा।"

    दोनों ने एक-दूसरे की ओर देखा और फिर उस रास्ते पर चल पड़े, जो उनकी अगली परीक्षा की ओर ले जा रहा था।


    ---


    नई शुरुआत का संकेत

    साक्षी और आर्यन जंगल से बाहर निकले। सूरज की रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी, और ठंडी हवा उनके थके हुए शरीर को सुकून दे रही थी। साक्षी ने लंबी सांस ली और चारों तरफ नजर दौड़ाई।

    "हम बाहर आ गए," उसने राहत की सांस लेते हुए कहा।

    आर्यन ने गंभीरता से उसकी ओर देखा।
    "बाहर आना आसान था, लेकिन असली खेल अब शुरू होगा। यह जंगल सिर्फ एक इम्तिहान था। अब हमें उनकी दुनिया में जाना होगा।"

    "उनकी दुनिया?" साक्षी ने हैरानी से पूछा।

    आर्यन ने उसकी ओर देखते हुए कहा,
    "हां, वो लोग जिन्होंने तुम्हें इस जगह पर लाया है। तुम्हें पता भी नहीं है, साक्षी, कि तुम कौन हो और तुम्हारा होना उनके लिए कितना अहम है।"

    साक्षी ने घबराते हुए कहा,
    "तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो, आर्यन। सच-सच बताओ, यह सब क्या है?"

    आर्यन ने गहरी सांस ली और कहा,
    "तुम्हें एक सुरक्षित जगह ले चलता हूं। वहां मैं सब कुछ बताऊंगा।"


    एक रहस्यमयी घर

    आर्यन साक्षी को लेकर एक सुनसान इलाके में बने बड़े से बंगले में पहुंचा। घर बेहद आलीशान था, लेकिन अंदर की सजावट से लग रहा था कि यह लंबे समय से खाली पड़ा है।

    "यह जगह कौन सी है?" साक्षी ने चारों तरफ देखते हुए पूछा।

    आर्यन ने जवाब दिया,
    "यह जगह मेरी है। मैं इसे लंबे समय से इस्तेमाल नहीं कर रहा था, लेकिन अब हमें इसकी जरूरत पड़ेगी।"

    जैसे ही वे अंदर गए, आर्यन ने दरवाजा बंद किया और साक्षी को बैठने का इशारा किया।

    "अब सच सुनने के लिए तैयार हो," उसने कहा।

    साक्षी की आंखों में डर और जिज्ञासा दोनों थे।
    "बताओ, आर्यन। आखिर यह सब क्या हो रहा है?"


    आर्यन का खुलासा

    आर्यन ने गंभीरता से कहना शुरू किया,
    "तुम्हें याद है, जब मैंने कहा था कि इस जंगल में आने वाले लोग अपने अतीत से सामना करते हैं?"

    साक्षी ने सिर हिलाया।

    "यह सिर्फ जंगल की परीक्षा नहीं थी। यह उस दुनिया का दरवाजा था, जहां वे लोग रहते हैं, जो इस खेल को चलाते हैं। और तुम्हें वहां पहुंचाने का मकसद सिर्फ एक था—तुम्हारी असली पहचान को सामने लाना।"

    साक्षी ने चौंकते हुए कहा,
    "मेरी असली पहचान? मैं सिर्फ एक साधारण लड़की हूं।"

    आर्यन ने उसकी ओर देखा और कहा,
    "तुम साधारण नहीं हो, साक्षी। तुम्हारे अंदर कुछ ऐसा है, जो उन्हें चाहिए। तुम्हारा खून, तुम्हारी विरासत—यह सब एक बड़े रहस्य का हिस्सा है।"

    साक्षी पूरी तरह से हिल गई।
    "तुम कहना क्या चाह रहे हो, आर्यन? साफ-साफ बोलो।"

    आर्यन ने धीरे-से कहा,
    "तुम उनकी दुनिया की चाबी हो। तुम्हारे बिना यह खेल अधूरा है। और अगर वे तुम्हें पा गए, तो सब कुछ खत्म हो जाएगा।"


    आने वाले खतरों का संकेत

    साक्षी ने आर्यन की बात सुनकर कहा,
    "तो अब क्या? क्या हम बस भागते रहेंगे?"

    आर्यन ने उसकी ओर गंभीरता से देखते हुए कहा,
    "नहीं। अब हमें उन्हें रोकना होगा। तुम्हें अपनी सच्चाई जाननी होगी और खुद को मजबूत बनाना होगा।"

    साक्षी ने उसकी आंखों में देखा। डर, सवाल, और उम्मीद—सब कुछ उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।

    "मैं तैयार हूं," उसने धीरे से कहा।

    आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "अच्छा है। लेकिन याद रखना, यह सिर्फ शुरुआत है।"


    नए सफर की तैयारी

    आर्यन ने साक्षी को कुछ हथियार और जरूरी सामान दिए। उसने उसे सिखाना शुरू किया कि कैसे खुद को बचाना है।

    "हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। वे लोग हमें ढूंढने में ज्यादा वक्त नहीं लगाएंगे," आर्यन ने कहा।

    साक्षी ने हथियार उठाते हुए कहा,
    "जो भी होगा, मैं तैयार हूं। अब मैं खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती हूं।"

    आर्यन ने उसकी हिम्मत देखकर कहा,
    "यह हुई न बात। चलो, अब हम उनकी दुनिया में कदम रखने के लिए तैयार होते हैं।"


    ---

    क्या साक्षी और आर्यन उन खतरनाक लोगों का सामना कर पाएंगे? क्या साक्षी अपनी असली पहचान जान पाएगी? उनकी दुनिया में कदम रखने पर कौन-सी सच्चाई उनका इंतजार कर रही है?

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  • 11. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 11

    Words: 1483

    Estimated Reading Time: 9 min

    खौफ का नाम: कियान मल्होत्रा

    कियान मल्होत्रा, जिसका नाम सुनते ही लोग थरथरा जाते थे। वह न सिर्फ एक खूंखार माफिया था, बल्कि अपने दुश्मनों के लिए मौत का दूसरा नाम भी था। उसकी नीली आंखों में एक अजीब सी ठंडक और क्रूरता थी। कोई भी उसके खिलाफ खड़ा होने की हिम्मत नहीं करता था, और जिसने भी किया, वह ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रहा।

    कियान अपनी आलीशान हवेली में था। उसके आदमियों ने उसे एक रिपोर्ट दी।

    "सर, हमने साक्षी के बारे में पता लगाया है। वह इस वक्त आर्यन के साथ है। वे दोनों हमारे जाल से निकल चुके हैं।"

    कियान ने रिपोर्ट सुनते ही अपनी व्हिस्की का ग्लास टेबल पर रख दिया। उसकी आंखों में खतरनाक चमक उभरी।

    "साक्षी?" उसने धीरे से कहा, लेकिन उसकी आवाज में इतनी सर्दी थी कि उसके आदमी के पसीने छूट गए।

    "हां, सर। वह एक खास लड़की है। उसकी मौजूदगी ने कई लोगों का ध्यान खींचा है। लेकिन उससे पहले आर्यन उसे अपने साथ ले गया।"

    कियान ने अपनी कुर्सी पर झुकते हुए कहा,
    "मुझे यह आर्यन पसंद नहीं है। उसने मुझसे पहले कैसे सोचा? और यह लड़की... आखिर इसमें ऐसा क्या खास है?"

    उसने अपने आदमियों को बुलाया और आदेश दिया,
    "मैं चाहता हूं कि हर कोने में उसे ढूंढा जाए। मुझे उसकी पूरी जानकारी चाहिए—वह कहाँ रहती है, किससे मिलती है, और क्यों इतनी अहम है।"

    खौफ का राज

    कियान का सबसे खास आदमी, विक्रम, धीरे से बोला,
    "सर, हमने कुछ और जानकारी जुटाई है। ऐसा लगता है कि साक्षी के पास कुछ ऐसा है जो हमारी दुनिया को बदल सकता है।"

    कियान ने विक्रम की ओर देखा। उसकी आंखें और भी खतरनाक हो गईं।
    "और वह क्या है?"

    "यह अभी साफ नहीं है, लेकिन उसके खून, उसकी विरासत में कुछ है। और वह कुछ ऐसा है, जो हमारे सबसे बड़े दुश्मनों को भी हमें खत्म करने की ताकत दे सकता है।"

    कियान ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
    "तो मतलब, साक्षी सिर्फ एक लड़की नहीं है। वह हमारे अस्तित्व के लिए एक खतरा है।"

    विक्रम ने सिर झुकाते हुए कहा,
    "हां, सर। लेकिन उसे पकड़ना आसान नहीं होगा। आर्यन उसके साथ है, और वह उसे किसी भी कीमत पर बचाने की कोशिश करेगा।"

    कियान ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "आर्यन मेरे रास्ते की रुकावट नहीं है। मैं जो चाहता हूं, वह हमेशा पाता हूं। और इस बार भी, साक्षी मुझसे ज्यादा देर तक दूर नहीं रह पाएगी।"

    खतरनाक कदम

    कियान ने अपने नेटवर्क को सक्रिय किया। पूरे शहर में उसके आदमी साक्षी को ढूंढने निकल पड़े। हर होटल, हर मॉल, हर सुनसान जगह पर उसकी तस्वीरें भेजी गईं।

    एक बार तो कियान खुद भी शहर के एक सुनसान इलाके में गया। वहाँ उसने अपने आदमियों से कहा,
    "मुझे यह लड़की चाहिए, चाहे इसके लिए कितनी भी लाशें गिरानी पड़ें। और अगर आर्यन रास्ते में आए, तो उसे भी खत्म कर दो।"

    कियान की ताकत और उसका खौफ पूरे शहर में फैल चुका था। हर कोई उसके इस गुस्से से वाकिफ था।

    साक्षी की तलाश

    कियान की कोशिशें बढ़ती जा रही थीं, लेकिन साक्षी अब भी उसकी पकड़ से बाहर थी। हर जगह से एक ही जवाब आता—"सर, वह यहां नहीं है।"

    लेकिन कियान हार मानने वालों में से नहीं था। उसने विक्रम से कहा,
    "तुम्हें पता है, मुझे हारना पसंद नहीं। और यह साक्षी मेरी पकड़ से बाहर नहीं जा सकती। मुझे उससे मिलना है। और जब मैं उससे मिलूंगा, तो सब कुछ बदल जाएगा।"

    साक्षी के करीब, पर दूर

    कियान को पता था कि साक्षी किसी बड़े खतरे का हिस्सा है। लेकिन अब यह उसके लिए सिर्फ एक मिशन नहीं था। साक्षी के बारे में सोचते हुए, उसकी आंखों में एक अजीब सा जुनून था।

    "वह कौन है?" उसने खुद से कहा। "क्यों हर कोई उसे बचाने की कोशिश कर रहा है? और क्यों मुझे ऐसा लगता है कि मैं उससे मिलूंगा, तो यह सिर्फ एक मुठभेड़ नहीं होगी... यह कुछ और होगा।"

    क्या कियान साक्षी को ढूंढ पाएगा? क्या उसकी मुलाकात साक्षी से उसकी दुनिया को बदल देगी? या फिर साक्षी की ताकत उसे ही खत्म कर देगी? कहानी अब और गहरी और खतरनाक मोड़ ले रही है।

    साक्षी की तलाश और कियान का जुनून

    कियान मल्होत्रा की आंखों में अब एक अजीब सा जुनून था। उसने अपने पूरे नेटवर्क को एक और बार सक्रिय किया। हर शहर के कोने-कोने में, हर सड़क और गली में उसकी तस्वीरें चिपकाई जा रही थीं। कियान जानता था कि साक्षी उसके लिए सिर्फ एक साधारण लड़की नहीं है—वह एक रहस्य है, जो उसकी दुनिया को पलट सकता है।

    "कभी ना कभी, मुझे साक्षी तक पहुंचना ही होगा," कियान ने अपनी निजी कार में बैठे हुए विक्रम से कहा। "और जब मैं उसे पाऊँ, तो उसकी असली ताकत मेरे पास होगी।"

    विक्रम ने सिर झुका लिया।
    "सर, हम पूरी तरह से तैयार हैं। एक बार अगर हम उसे पकड़ लेते हैं, तो फिर कोई भी हमसे नहीं बच सकता।"

    कियान की निगाहें गंभीर हो गईं।
    "मैं नहीं चाहता कि कोई गलती हो। अगर साक्षी को किसी ने नुकसान पहुँचाया, तो उसके पीछे खड़ा हर आदमी मर जाएगा।"

    साक्षी का छुपा हुआ डर

    साक्षी अब तक अपने आस-पास के खतरों से पूरी तरह से अनजान नहीं थी। उसे पता चल चुका था कि कियान और उसकी माफिया की दुनिया उसके पीछे लगी हुई है। आर्यन ने उसे चेतावनी दी थी कि उसकी असली पहचान क्या है और वह क्यों मायने रखती है। लेकिन फिर भी, वह खुद को और अपने परिवार को इस दुनिया से दूर रखने के लिए संघर्ष कर रही थी।

    "यह सब क्यों हो रहा है?" साक्षी ने आर्यन से एक रात सवाल किया।
    "कियान मुझसे क्यों मिलना चाहता है? मुझे तो लगता है जैसे मैं उसके लिए एक हथियार बन चुकी हूँ।"

    आर्यन ने गहरी सांस ली,
    "तुम सिर्फ एक लड़की नहीं हो, साक्षी। तुम उसके लिए एक चाबी हो। और कियान उस चाबी को पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।"

    साक्षी ने चुपचाप सिर झुकाया, लेकिन उसकी आंखों में डर साफ दिख रहा था।
    "अगर वह मुझे पकड़ लेता है, तो क्या होगा?"

    आर्यन ने साक्षी की ओर देखकर कहा,
    "तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। अगर कियान से सामना होता है, तो हम उसकी ताकत से ज्यादा ताकतवर हैं। हम एक साथ हैं, और तुम्हें अपनी ताकत पहचाननी होगी।"

    साक्षी की शक्ति का रहस्य

    साक्षी के अंदर कुछ ऐसा था, जिसे वह अब तक पूरी तरह से समझ नहीं पाई थी। उसकी सच्चाई, उसकी ताकत, वह सब कुछ जो उसे बचा सकता था, वह एक गहरे रहस्य में बसा था। आर्यन को पूरी तरह से यकीन था कि साक्षी की असली शक्ति वही है, जिसे कियान चाहता है—उसका खून, उसकी विरासत, जो उसे माफिया की दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना सकता है।

    लेकिन कियान का नेटवर्क तेजी से बढ़ता जा रहा था। साक्षी और आर्यन को खुद को हर जगह से छुपाने की जरूरत थी। एक दिन, जब वे दोनों एक पुराने मकान में छुपे हुए थे, आर्यन ने साक्षी से कहा,
    "अब हमें उनका सामना करना होगा। वह हमें छुप कर नहीं रहने देगा।"

    साक्षी ने डरते हुए पूछा,
    "क्या तुम समझते हो, हम उस ताकतवर आदमी से लड़ सकते हैं?"

    आर्यन ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा,
    "तुम्हारे अंदर जो शक्ति है, वह किसी भी ताकत से ज्यादा बड़ी है। अगर तुमने उस शक्ति को पहचान लिया, तो कियान तुम्हारे सामने कुछ नहीं होगा।"

    कियान की ओर बढ़ते कदम

    कियान अब धीरे-धीरे साक्षी की तलाश में ज्यादा करीब आ रहा था। वह शहर के हर कोने में अपना जाल बिछा चुका था। हर कदम पर उसका खौफ था, और लोग उसका नाम सुनते ही कांपने लगते थे। उसे अब साक्षी की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़नी थी।

    "कियान की ताकत इतनी बढ़ चुकी है कि कोई भी उसे रोक नहीं सकता," विक्रम ने एक दिन कियान से कहा।
    "लेकिन क्या हम साक्षी को ढूंढ पाएंगे?"

    कियान की आंखों में एक खतरनाक चमक थी।
    "हम उसे जरूर ढूंढेंगे, विक्रम। साक्षी मुझसे नहीं बच सकती।"

    लेकिन कियान को यह नहीं पता था कि साक्षी अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो चुकी थी। उसका आत्मविश्वास अब बढ़ चुका था, और वह जानती थी कि उसका सामना किसी भी खतरे से किया जा सकता है। उसकी ताकत उसकी असली पहचान में थी, और वह उसे अब पहचान चुकी थी।

    अब अगला कदम

    साक्षी और आर्यन ने तय किया कि अब वे कियान से सीधे मुकाबला करेंगे। लेकिन कियान ने उन्हें जिस तरह घेर लिया था, वह आसान नहीं था। दोनों को एक साथ कदम बढ़ाना था, और कियान की दुनिया में घुसकर उसका सामना करना था।

    क्या साक्षी और आर्यन कियान के जाल से बाहर निकल पाएंगे? क्या साक्षी अपनी शक्ति का सही इस्तेमाल करके कियान को हरा पाएगी? या फिर कियान की माफिया दुनिया साक्षी और आर्यन के लिए उनका आखिरी युद्ध साबित होगी?

    आगे क्या होगा, यह एक और खतरे की शुरुआत है, जो साक्षी और आर्यन की जिंदगी को बदल कर रख देगा।


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  • 12. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 12

    Words: 1347

    Estimated Reading Time: 9 min

    साक्षी और आर्यन की जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़

    कियान मल्होत्रा का खौफ अपने चरम पर था। शहर के हर कोने में उसका नाम गूंज रहा था। लेकिन साक्षी और आर्यन ने भी खुद को तैयार कर लिया था। दोनों जानते थे कि उनका सामना सिर्फ एक आदमी से नहीं, बल्कि एक पूरी अंधेरी दुनिया से होने वाला था।

    कियान का मिशन और बढ़ा।
    कियान ने अपने खास आदमियों को आदेश दिया, "साक्षी मुझे चाहिए, चाहे जैसे भी हो। अगर उसे ढूँढने में पूरी दुनिया खाक करनी पड़े, तो वह भी करो। लेकिन वह मेरे सामने होनी चाहिए।"

    विक्रम ने सिर झुकाकर कहा, "सर, हमने हर इलाके में अपने लोग तैनात कर दिए हैं। लेकिन वह लड़की अभी भी हाथ नहीं आई।"

    कियान की नीली आँखों में गुस्से की चमक थी। "अगर वह मेरे हाथ से निकल गई, तो इसका खामियाजा पूरी दुनिया भुगतेगी।"

    साक्षी का डर और आर्यन का भरोसा
    उधर, साक्षी और आर्यन ने एक सुनसान इलाके में शरण ले रखी थी। साक्षी के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था।

    उसने आर्यन से कहा,
    "कियान जैसे लोग किसी को नहीं छोड़ते। अगर उसने हमें ढूँढ लिया, तो क्या हम उससे लड़ पाएँगे?"

    आर्यन ने साक्षी के हाथ को थामते हुए कहा,
    "हम उसे हरा सकते हैं, साक्षी। तुम्हें खुद पर भरोसा करना होगा। तुम्हारी ताकत उससे कहीं ज्यादा बड़ी है। वह तुम्हें सिर्फ एक हथियार के तौर पर देखता है, लेकिन तुम्हारी ताकत उसे खत्म कर सकती है।"

    साक्षी ने गहरी साँस ली।
    "लेकिन अगर मैं असफल हो गई, तो क्या होगा?"

    आर्यन की आवाज में आत्मविश्वास था।
    "तुम असफल नहीं होगी। और अगर हुई भी, तो मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूँ। हम साथ मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे।"

    कियान का साक्षी के करीब पहुँचना
    कियान ने एक दिन अपने आदमियों से खबर सुनी कि साक्षी और आर्यन ने एक सुनसान बंगले में शरण ली है। उसकी आँखों में चमक आई।

    "अब वह मुझसे ज्यादा दूर नहीं। विक्रम, तैयारी करो। मैं खुद इस बार साक्षी से मिलने जाऊँगा।"

    कियान अपने खास हथियारों और आदमियों के साथ उस बंगले की ओर बढ़ा। उसकी चाल में एक ठहराव और उसकी आँखों में खतरनाक इरादा था।
    "साक्षी मुझसे भाग नहीं सकती। अब वह मुझे मिलेगी, चाहे कुछ भी हो जाए।"

    आर्यन का आखिरी दांव
    आर्यन को कियान के आने की खबर लग चुकी थी।

    उसने साक्षी से कहा,
    "यह हमारी आखिरी परीक्षा है। अगर हम इस बार जीत गए, तो कियान हमें कभी परेशान नहीं करेगा। लेकिन अगर हम हार गए, तो..."

    साक्षी ने उसे रोकते हुए कहा,
    "हम हारेंगे नहीं, आर्यन। इस बार मैं उसे दिखाऊँगी कि मैं सिर्फ एक कमजोर लड़की नहीं हूँ।"

    आर्यन ने साक्षी की बात सुनकर सिर हिलाया और कहा,
    "यही जज्बा चाहिए। चलो, अब हम तैयार होते हैं।"

    मुकाबले की शुरुआत
    कियान अपने आदमियों के साथ बंगले के बाहर पहुँच चुका था। उसका अंदाजा था कि साक्षी और आर्यन अंदर छिपे हुए हैं। उसने अपने आदमियों को इशारा किया।
    "सब तरफ से घेर लो। कोई बचकर नहीं निकलना चाहिए।"

    आर्यन ने खिड़की से बाहर झाँकते हुए देखा।
    "वह आ गया है। अब खेल शुरू होता है।"

    साक्षी और कियान की मुलाकात
    कियान ने बंगले के अंदर कदम रखा। उसकी आँखें साक्षी को तलाश रही थीं। और तभी, सामने से साक्षी बाहर आई।

    "तो तुम वही हो," कियान ने कहा। उसकी आवाज में ठंडक और खतरनाक इरादा दोनों थे।

    साक्षी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा,
    "तुम्हें मुझसे क्या चाहिए?"

    कियान ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
    "तुम्हारी ताकत। तुम्हारा खून। और जो राज तुम छिपा रही हो, वह सब।"

    साक्षी ने गुस्से में कहा,
    "मैं तुम्हें कुछ नहीं दूँगी। और अगर तुमने जबरदस्ती करने की कोशिश की, तो मैं तुम्हारे खतरनाक इरादों को खत्म कर दूँगी।"

    क्या होगा अगला कदम?
    कियान और साक्षी आमने-सामने थे। आर्यन साक्षी के साथ खड़ा था, लेकिन कियान के आदमियों ने पूरे बंगले को घेर लिया था। क्या साक्षी अपनी ताकत को पहचान पाएगी? क्या आर्यन और साक्षी मिलकर कियान के खतरनाक इरादों को खत्म कर पाएँगे?

    यह जंग सिर्फ ताकत की नहीं, बल्कि हिम्मत और सच्चाई की भी थी। अब यह देखना होगा कि कौन जीतता है—साक्षी की ताकत या कियान का खौफ?

    कियान का खौफ और साक्षी का गायब होना

    कियान और आर्यन के बीच जैसे ही तकरार की शुरुआत हुई, अचानक बंगले के चारों ओर कुछ अजीब सा होने लगा। कियान के आदमियों ने एक रहस्यमय तरीके से अपने घेरे को और तंग कर लिया था। कियान की खतरनाक नज़रें साक्षी पर थीं, लेकिन किसी ने भी अंदाजा नहीं लगाया कि इस पल में कुछ ऐसा होने वाला था, जो सबकी सोच से बाहर था।

    साक्षी का गायब होना
    कियान के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी, जैसे ही वह साक्षी के करीब पहुँचा। लेकिन तभी, अचानक कुछ हुआ। कियान ने अपने आदमियों को इशारा किया और कुछ ही सेकंड्स में साक्षी की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया। अगले ही पल, साक्षी गायब हो चुकी थी।

    आर्यन चौंक गया।
    "क्या हुआ?" उसने दंग रहकर कहा।

    लेकिन कियान ने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आँखों में कुछ छुपा हुआ था।
    "वह चली गई," कियान ने धीरे से कहा।

    आर्यन ने पूरी ताकत लगाकर चारों ओर देखा, लेकिन साक्षी का कहीं कोई पता नहीं था।
    "कियान, तुमने उसे कहाँ भेजा?" आर्यन की आवाज में गुस्सा था।

    कियान ने ठंडे तरीके से जवाब दिया,
    "वह मेरे पास नहीं है। लेकिन अब उसे ढूँढने का कोई मतलब नहीं। उसके बिना, तुम इस खेल को नहीं जीत पाओगे।"

    साक्षी कहाँ गई?
    साक्षी की आँखों के सामने अंधेरा था। वह कुछ भी समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा था। उसकी आँखों में डर था, लेकिन फिर भी उसने खुद को शांत करने की कोशिश की। एक ठंडी सी हवा महसूस हो रही थी, और वह समझ नहीं पा रही थी कि वह कहाँ थी।

    वह धीरे-धीरे खड़ी हुई और चारों ओर देखा। यह एक सुनसान जगह थी, बहुत ही अजनबी। साक्षी ने अपने मोबाइल फोन को निकाला, लेकिन उसमें कोई सिग्नल नहीं था। उसके दिल में सवाल था,
    "क्या कियान ने मुझे कहीं दूर भेज दिया है?"

    आर्यन की तलाश
    आर्यन के दिल में गहरा डर था।

    उसने अपने आदमियों से कहा,
    "साक्षी का पता लगाओ। कहीं वह उसे पकड़कर ले गए हैं?" लेकिन उसे किसी भी दिशा में कोई सुराग नहीं मिल रहा था।

    कियान ने एक गहरी साँस ली और कहा,
    "अब वह कहीं छिपी हुई होगी। लेकिन तुम उसे ढूँढने में जितना भी वक्त लगाओ, मैं यकीन से कह सकता हूँ कि तुम उसे कभी नहीं पा पाओगे।"

    आर्यन को अब एक और सवाल परेशान कर रहा था: कियान के पास साक्षी को छुपाने की इतनी ताकत कहाँ से आई?

    साक्षी के खिलाफ एक नई साज़िश
    साक्षी के गायब हो जाने के बाद, कियान का खौफ और बढ़ गया था। अब उसकी योजना और भी गहरी हो चुकी थी। वह साक्षी को इस्तेमाल करना चाहता था, लेकिन पहले उसे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में लाना था।

    वहीं, साक्षी ने धीरे-धीरे खुद को शांत किया। उसे अब यह समझ में आ गया था कि अगर वह जिंदा रहना चाहती है, तो उसे कियान के खेल को समझना होगा और अपनी असली ताकत पहचाननी होगी।

    आर्यन और कियान का संघर्ष
    आर्यन अब खुद को अकेला महसूस कर रहा था। वह जानता था कि कियान साक्षी को पाकर उसे अपने कब्जे में कर चुका है। लेकिन उसने हार मानने का नाम नहीं लिया।
    "अगर साक्षी मुझसे दूर है, तो मैं उसे वापस लाकर रहूँगा।"

    आर्यन के इरादे और साक्षी की हिम्मत अब एक नई कहानी की शुरुआत कर चुके थे। क्या आर्यन साक्षी को कियान से छुड़ा पाएगा? या फिर कियान साक्षी को अपने जाल में पूरी तरह फँसा लेगा?

    अगले कदम की तैयारी
    कियान को साक्षी की ताकत से अब डर था, लेकिन उसने उसे पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया। वहीं आर्यन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, ताकि वह साक्षी को कियान के शिकंजे से बचा सके।

    अब दोनों के बीच की लड़ाई एक नए मोड़ पर पहुँच चुकी थी। यह केवल एक संघर्ष नहीं था—यह जीवन और मौत की जंग थी।


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  • 13. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 13

    Words: 1306

    Estimated Reading Time: 8 min

    साक्षी की वापसी की शुरुआत

    साक्षी को कुछ घंटों के लिए बंदी बनाया गया था, और अब वह खुद को समझने का प्रयास कर रही थी। कियान के आदमियों ने उसे एक अज्ञात स्थान पर रखा था; चारों ओर घना अंधेरा और गहरी खामोशी थी। साक्षी के मन में केवल एक ही प्रश्न था: कियान मुझे यहाँ क्यों लाया?

    लेकिन जैसे ही उसने थोड़ी देर खुद को शांत किया, उसे अपने अंदर एक नई शक्ति का एहसास हुआ। वह अकेली नहीं थी। उसके अंदर कुछ ऐसा था जो उसे इस स्थिति से बाहर निकाल सकता था, पर उसे उस शक्ति का उपयोग पहले से कहीं अधिक प्रभावी ढंग से करना था।


    कियान का खौफ और उसकी साजिशें

    कियान जानता था कि अगर वह साक्षी को सही समय पर अपने जाल में पूरी तरह नहीं फँसा पाया, तो उसे दूसरा मौका नहीं मिलेगा। साक्षी की वास्तविक शक्ति उसे बहुत खतरे में डाल सकती थी; इसीलिए उसने साक्षी को छुपा रखा था ताकि वह उसे पूरी तरह नियंत्रित कर सके।

    कियान का एक व्यापक जाल था, जिससे उसने पूरी दुनिया को अपने वश में कर लिया था। लेकिन साक्षी की उपस्थिति अब उसे डराने लगी थी। वह जानता था कि इस लड़की के पास कुछ ऐसा है जो उसके पूरे साम्राज्य को नष्ट कर सकता है। कियान ने साक्षी से मिलने की हर योजना को और अधिक घातक बना दिया था ताकि वह उसे कभी भी मुसीबत में न डाल पाए।


    आर्यन का संघर्ष और कियान से मुकाबला

    आर्यन, जो साक्षी के लिए अपनी जान जोखिम में डाल चुका था, अब और भी बेचैन था। वह जानता था कि कियान से टकराना आसान नहीं होगा, लेकिन उसने खुद को पूरी तरह तैयार किया था। उसके मन में केवल एक ही विचार था: साक्षी को बचाना।

    आर्यन ने अपने पुराने संपर्कों से कियान के बारे में गुप्त जानकारी इकट्ठी की। उसे पता चला कि कियान अब साक्षी को किसी सुरक्षित स्थान पर कैद करके उसे पूरी तरह नियंत्रित करना चाहता है। आर्यन ने यह निर्णय लिया कि अब उसे कियान से सीधा और खतरनाक मुकाबला करना होगा, और इस मुकाबले में वह न केवल अपनी और साक्षी की जान, बल्कि अपने परिवार और दोस्तों की सुरक्षा भी दांव पर लगा देगा।


    साक्षी की ताकत और खुद से लड़ाई

    साक्षी अब खुद को एक नए रूप में पा रही थी। वह कियान के चंगुल से बाहर निकलने के लिए पूरी तरह तैयार थी। उसने महसूस किया कि अपनी पहचान और शक्ति को जानने के लिए उसे खुद से लड़ना होगा। जो उसे डर लगता था, वही उसे सबसे अधिक मज़बूत बना सकता था।

    साक्षी ने अपने भीतर की शक्ति को जगाया और धीरे-धीरे खुद को मज़बूत किया। अब वह केवल कियान के खिलाफ नहीं, बल्कि अपनी सभी आंतरिक शक्तियों के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार थी।


    आर्यन और कियान के बीच की महाक्रांति

    आर्यन ने कियान से मुकाबला करने का फैसला किया, लेकिन अब वह केवल अपनी शक्ति पर नहीं, बल्कि साक्षी की शक्ति पर भी विश्वास कर रहा था। वह जानता था कि अगर कियान को हराना है, तो साक्षी को पूरी तरह समझना होगा। साक्षी ने अपनी वास्तविक शक्ति को पहचान लिया था, और यही शक्ति अब कियान के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली थी।

    आर्यन ने अपनी योजना बनाई और कियान से टकराने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया। यह मुकाबला अब केवल साक्षी और आर्यन के बीच नहीं था, बल्कि यह एक युद्ध था—कियान के साम्राज्य को समाप्त करने का युद्ध।


    लड़ाई का आरंभ और रहस्यमयी घटनाएँ

    आर्यन और कियान के बीच घातक लड़ाई शुरू हो गई थी। दोनों एक-दूसरे पर पूरी ताकत से वार कर रहे थे। जैसे ही कियान ने अपने आदमियों को इशारा किया, उनकी गोलियाँ आर्यन के पास से गुज़रने लगीं। आर्यन ने चपलता से बचते हुए कियान की ओर बढ़ते हुए जवाबी हमला किया।

    "तुम समझ नहीं रहे हो, कियान!" आर्यन की आवाज में गुस्से और पीड़ा की गहरी आवाज थी। "तुमसे लड़ने का हमारा कारण तुमसे कहीं बड़ा है!"

    कियान ने शैतानी मुस्कान के साथ उसका सामना किया।
    "तुम मुझे समझाने की कोशिश कर रहे हो?" कियान ने हँसते हुए कहा, "मैं तुमसे कहीं अधिक शक्तिशाली हूँ, आर्यन। तुम और साक्षी कभी भी मेरे साम्राज्य को नहीं हरा सकते।"

    लेकिन जैसे ही लड़ाई तेज हो रही थी, अचानक कुछ अजीब हुआ।


    अचानक गायब हो जाना

    साक्षी भी अब कियान से आज़ाद होकर...

    लड़ाई के बीच, साक्षी ने कुछ महसूस किया। एक अजीब खामोशी चारों ओर फैल गई। अचानक, सब कुछ गायब हो गया। आर्यन, कियान, उनके आदमी, यहाँ तक कि लड़ाई का मैदान भी जैसे अस्तित्व में नहीं था।

    साक्षी को समझ नहीं आया कि क्या हुआ। वह वहीं खड़ी रह गई, उसकी आँखें चारों ओर घूमने लगीं। पूरा माहौल अचानक बदल सा गया था।

    वह समझ नहीं पा रही थी कि वह कहाँ है और क्यों यह सब हुआ। इस अजीब खामोशी के बीच, वह अपने आस-पास कुछ भी महसूस नहीं कर पा रही थी। जैसे कुछ और, कुछ अदृश्य शक्ति ने उसे पूरी तरह से घेर लिया था।


    महिशास की उपस्थिति

    साक्षी को कुछ हलचल महसूस हुई। दूर से एक अदृश्य शक्ति आ रही थी, जो उसे परेशान कर रही थी। उसकी आँखों के सामने एक धुंधली सी आकृति उभरी, जो धीरे-धीरे स्पष्ट होती गई। यह आकृति महिशास की थी, जो बहुत ही रहस्यमय और शक्तिशाली थी।

    महिशास का रूप किसी दैवीय शक्ति जैसा था; उसका चेहरा गहरे अंधकार से भरा था, लेकिन उसकी आँखें शांति और रहस्य से भरी हुई थीं।

    "तुम सब यहाँ क्यों हो?" महिशास की आवाज गहरी और रहस्यमय थी। "तुम दोनों की लड़ाई केवल एक खेल थी। तुम दोनों ही मेरे जाल में फँसे हो, और अब तुम्हारे पास केवल एक ही रास्ता बचा है।"

    साक्षी ने अपनी आवाज़ में झिझक महसूस की और बोली,
    "तुम कौन हो? और यह सब क्यों हो रहा है?"

    महिशास ने धीरे से कहा,
    "मैं वह हूँ जो तुम्हारे और कियान के साम्राज्य के बीच की वास्तविक शक्ति को समझता हूँ। तुम्हारी पूरी दुनिया, जिसे तुम समझते हो, वह मेरी नज़रों से परे है। इस खामोशी में तुम दोनों का अस्तित्व केवल मेरे हाथों में है।"

    साक्षी की आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं।
    "तुम हमें क्या करने को कह रहे हो?" उसने डरते हुए पूछा।

    महिशास ने अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करते हुए कहा,
    "तुम दोनों को अपनी वास्तविक शक्ति और अपने रिश्तों को समझना होगा। यह केवल एक साधारण लड़ाई नहीं है, यह वह बिंदु है जहाँ तुम दोनों को अपना रास्ता तय करना होगा। और यदि तुम दोनों ने मेरी शर्तों को नहीं माना, तो तुम्हारी दुनिया हमेशा के लिए खो जाएगी।"


    नई शुरुआत की दिशा

    महिशास की बातें साक्षी के दिल में गहरे उतरने लगीं। वह समझने की कोशिश कर रही थी कि वह किस दिशा में जा रही थी। आर्यन और कियान के बीच की लड़ाई अब एक नए मोड़ पर थी। यह केवल एक सामान्य संघर्ष नहीं, बल्कि एक भयंकर शक्ति युद्ध था, और उस युद्ध में साक्षी की भूमिका क्या थी, वह अभी तक स्पष्ट नहीं था।

    महिशास ने एक रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा,
    "अब तुम्हारा अगला कदम तय करेगा कि तुम दोनों की दुनिया कैसे बदलेगी। मैं तुम्हें एक मौका दे रहा हूँ—अपनी शक्ति को पहचानो और मुझे चुनौती दो।"

    साक्षी की आँखों में एक नई उम्मीद और साहस जागा।
    "मैं तैयार हूँ," उसने धीरे से कहा।

    महिशास की हँसी गूंजने लगी, और फिर एक तेज रोशनी की चमक ने सब कुछ घेर लिया।


    अंतिम खेल की शुरुआत

    अब साक्षी और आर्यन को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए एक नई लड़ाई शुरू करनी थी। यह अब केवल उनके बीच की नहीं, बल्कि उनकी पूरी दुनिया के अस्तित्व की लड़ाई थी।



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  • 14. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 14

    Words: 1322

    Estimated Reading Time: 8 min

    लड़ाई का अचानक अंत और रहस्यमय गायब होना

    जैसे ही कियान ने अपनी ताकत दिखाई, और एक जबरदस्त हमला करते हुए आर्यन को ज़मीन पर गिरा दिया, सारी दुनिया जैसे रुक सी गई। आर्यन की आँखें बंद हो गईं, और उसके शरीर में हलचल नहीं हुई। कियान ने उसे नजदीक से देखा; उसकी आँखों में गहरी संतुष्टि थी, जैसे उसने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया हो।

    लेकिन जैसे ही कियान ने यह समझा कि आर्यन अब लड़ने की स्थिति में नहीं है, कुछ असामान्य घटित हुआ। एक अजीब सी ठंडी हवा आई, जो सब कुछ जैसे अपने साथ घेरने लगी। कियान और उसके लोग भी इस स्थिति को महसूस कर रहे थे। हवा में एक सन्नाटा था, और अचानक हर चीज़, जो पहले थी, अब अदृश्य हो गई।

    साक्षी, जो इस सब को देखकर एक कदम पीछे हट चुकी थी, अवाक खड़ी रही। उसने पल भर में देखा कि सब कुछ गायब हो गया। कियान और उसके आदमियों का अस्तित्व जैसे पूरी तरह से मिट गया था। लड़ाई के मैदान की मिट्टी, पेड़, हवा – सब कुछ अज्ञेय और अदृश्य हो गया।

    वह पूरी तरह से चकरा गई थी। उसकी आँखें चारों ओर दौड़ रही थीं, लेकिन कहीं कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। पूरी दुनिया, मानो अस्तित्वहीन हो गई थी। केवल साक्षी खुद, और उसके भीतर की तंग सी घबराहट थी।

    "क्या हो रहा है?" साक्षी ने अपने आप से कहा। वह अपने शरीर को हिलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका शरीर भी पूरी तरह से स्थिर हो गया हो।

    कुछ पल बाद, एक हल्की सी धुंध उसकी आँखों में बसी। यह धुंध धीरे-धीरे घनी होती गई और साक्षी को महसूस हुआ कि वह कुछ अजीब सा देख रही है। उसकी आँखों के सामने, महिशास का रूप उभरने लगा। उसका चेहरा, उसकी आँखें – सब कुछ पहले से भी ज्यादा रहस्यमय और शक्तिशाली था। वह धीरे से अपनी मौजूदगी दिखाते हुए साक्षी के सामने खड़ा हुआ।

    "तुम अब समझ सकती हो," महिशास की आवाज एक गहरी गूंज के साथ आई।
    "यह सब कुछ एक खेल था, साक्षी। तुम सिर्फ एक मोहरे हो, और तुम अभी भी इसे समझ नहीं पा रही हो।"

    साक्षी ने घबराते हुए महिशास की तरफ देखा।
    "क्या हो रहा है?" उसकी आवाज में डर था। "कियान कहाँ है? और आर्यन... वह कहाँ गया?"

    महिशास ने उसकी आँखों में गहरी चुप्पी से देखा।
    "कियान और आर्यन की लड़ाई अब खत्म हो चुकी है। लेकिन तुम्हारी असली परीक्षा अब शुरू होगी। तुम्हारे सामने एक नया रास्ता है, साक्षी। अब तुमको अपनी असली ताकत को पहचानने का समय है।"

    साक्षी को अब पूरी स्थिति का अहसास होने लगा था। उसने महसूस किया कि जो कुछ भी हो रहा था, वह उसके नियंत्रण से बाहर था। उसे समझ में आ रहा था कि यह न सिर्फ कियान और आर्यन के बीच की लड़ाई थी, बल्कि यह उसकी खुद की एक गहरी परीक्षा थी।

    महिशास ने एक पल के लिए रुका, फिर बोला,
    "अब तुम जो भी कदम उठाओगी, उसकी दिशा तुम्हारे और सबकी दुनिया के लिए बहुत अहम होगी। तुम्हारी ताकत सिर्फ तुम्हारी पहचान तक ही सीमित नहीं है। तुम कुछ और हो, साक्षी, और तुम्हें इस अंधेरे से बाहर निकलने का रास्ता खोजना होगा।"

    साक्षी ने महसूस किया कि उसे अब केवल अपने भीतर की शक्ति को जागृत करना था। लेकिन सवाल यह था कि क्या वह इसका सामना करने के लिए तैयार थी?

    हर चीज़ के गायब होने के बाद, साक्षी अकेली खड़ी थी, जो अब खुद से ही सवाल कर रही थी – "क्या मैं इस खेल को जीत सकती हूँ?"


    साक्षी ने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं और आस-पास की स्थिति को समझने की कोशिश की। उसकी आँखों में घबराहट थी, और वह यह नहीं समझ पा रही थी कि वह कहाँ थी। जैसे ही उसने खुद को होश में पाया, उसने अपने चारों ओर देखा और फिर उसे एक आवाज सुनाई दी:

    "क्या कर रही हो? और कितनी देर से सो रही हो? उठ जाओ!"

    साक्षी ने चौंककर देखा और पास में खड़ी एक औरत को देखा। वह औरत लगभग 40-45 साल की उम्र की थी, और उसकी आँखों में चिंता और करुणा साफ दिख रही थी।

    साक्षी ने घबराते हुए पूछा,
    "मैं कहाँ हूँ? यह क्या हो रहा है?"

    औरत ने एक पल रुककर उसे देखा और फिर हैरानी से जवाब दिया,
    ", क्या आप ठीक हैं? शायद आपकी तबियत ठीक नहीं थी, इसलिए आप ज्यादा सो गईं। आप अपने घर पर ही हैं।"

    साक्षी की आँखों में अब भी उलझन थी। वह कुछ समझ नहीं पा रही थी, लेकिन उसकी घबराहट को देख उस औरत ने उसे थोड़ी राहत देने की कोशिश की।
    "आप चिंता मत करें, आप आराम से घर पर हैं। आप थोड़ी देर सो गईं, लेकिन अब आप ठीक महसूस करेंगी।"

    साक्षी ने एक गहरी साँस ली और खुद को संभालते हुए धीरे से कहा,
    "लेकिन ये सब क्या है? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।"

    औरत ने उसे शांत करने के लिए कहा,
    "आप बस आराम करें। आपकी तबियत जल्द ही ठीक हो जाएगी। यहाँ सब ठीक है।"

    साक्षी ने सोचा कि क्या यह सच है? क्या यह सचमुच उसका घर था? या फिर उसकी आँखों के सामने कोई नया राज छुपा था, जिसे वह नहीं जानती थी?

    "ठीक है," साक्षी ने धीरे से कहा,
    "लेकिन मुझे यह सब समझने की जरूरत है। मैं कहीं तो कुछ भूल रही हूँ।"

    औरत ने उसे देख कर कहा,
    "आपकी तबियत खराब थी, इसीलिए आपको इस वक्त ज्यादा सोने की जरूरत थी। लेकिन चिंता मत करें, अब आप सब कुछ समझ जाएँगी। पहले आराम करें।"

    साक्षी ने फिर से अपनी आँखें बंद कीं, लेकिन उसके मन में सवालों की बौछार थी। उसे अब भी यह नहीं समझ आ रहा था कि वह कहाँ है और जो कुछ भी उसने महसूस किया, वह सब क्या था।

    साक्षी के मन में सवाल गूंज रहा था, "क्या ये सब सच में हुआ, या फिर यह एक सपना था?" वह खुद से यह सवाल बार-बार पूछ रही थी, क्योंकि जो कुछ भी उसने अनुभव किया था, वह इतना असामान्य था कि उसे यकीन ही नहीं हो पा रहा था। उसकी आँखों के सामने जंगल की वो खौफनाक घटनाएँ, कियान और आर्यन के बीच की लड़ाई, और फिर अचानक सब कुछ गायब हो जाना—यह सब कुछ इतना असंभव सा लग रहा था।

    वह उठकर खिड़की के पास गई और बाहर देखा। सामने खाली सड़कें, शांति का माहौल, लेकिन उसके मन में हलचल मच रही थी। वह सोच रही थी, "क्या यह सब किसी और दुनिया का हिस्सा था, या फिर यह सिर्फ मेरी कल्पना थी?"

    वह फिर से पलट कर अपने बिस्तर पर बैठ गई। उसके दिमाग में हर एक चीज़ का तसव्वुर था—वो रहस्यमय घर, औरत की बातें, और खासकर कियान की उपस्थिति। क्या यह सब सच था, या यह बस एक बुरा सपना था?

    तभी उसकी नज़र एक दर्पण पर पड़ी। उसने खुद को देखा, और उसकी आँखों में एक बदलाव महसूस हुआ। वह अब पहले जैसी नहीं थी। अंदर से एक नई ताकत, एक नया आत्मविश्वास आ चुका था, जैसा कि उसे कभी महसूस नहीं हुआ था। वह जानती थी कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसकी मानसिक स्थिति इतनी उलझी हुई थी कि उसे समझने में वक्त लग रहा था।

    साक्षी ने एक गहरी साँस ली और फिर खुद से कहा,
    "अगर यह सपना है, तो मुझे जागने का मौका क्यों नहीं मिल रहा?" उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं, और वह सोचने लगी कि क्या वह अपनी सच्चाई जानने के लिए तैयार है। क्या उसे सच में अपने अतीत को खोजने का साहस मिलेगा, या वह फिर से एक ऐसी दुनिया में फंसी रहेगी, जहाँ उसे कियान जैसे खतरनाक लोग शिकार बनाने के लिए हमेशा पीछा करेंगे?

    वह इन सवालों के जवाब के बिना किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पाई, लेकिन उसके मन में एक ठान लिया था कि चाहे जो भी हो, वह अपनी पहचान और उस दुनिया का सामना करने के लिए तैयार थी।


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  • 15. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 15

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    साक्षी ने बाहर की आवाज सुनी और बिना सोचे-समझे उठकर कमरे से बाहर निकल गई। जैसे ही वह नीचे आई और दरवाजे से बाहर झाँका, उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। सामने, बड़े से गेट के पास, कियान खड़ा था। वह एक बिज़नेस सूट में था, और उसकी उपस्थिति से एक खतरनाक आभा फैल रही थी। कियान की आँखों में वह गहरी चमक थी, जो किसी भी इंसान को डराने के लिए काफी थी।

    साक्षी को यकीन नहीं हो रहा था कि वह आदमी, जिसे उसने सपने में देखा था, अब सामने खड़ा था। उसके पास जो शक्ति थी, वह स्पष्ट रूप से उसके शरीर और उसकी मुद्रा में झलक रही थी। कियान ने एक बार फिर से अपनी मुस्कान का चमत्कारी असर दिखाया, और फिर बिना किसी बदलाव के, वह साक्षी की ओर बढ़ा। उसकी आँखों में एक गहरी नज़र थी, जैसे वह साक्षी के हर कदम पर नज़र रख रहा हो।

    साक्षी ने एक कदम पीछे हटते हुए, थोड़ी डर और घबराहट के साथ उसकी ओर देखा। लेकिन कियान ने कुछ नहीं कहा, बस उसकी ओर इशारा किया और उसके साथ खड़े लोगों से आदेश दिया कि सभी अपनी जगह पर वापस लौट जाएँ।

    साक्षी की धड़कनें तेज हो रही थीं। कियान को देखकर वह हैरान रह गई थी।
    "यह वही है जिसे मैंने अपने सपनों में देखा था... लेकिन यह असलियत में यहां कैसे हो सकता है?"

    उसके मन में सवालों का सैलाब उमड़ पड़ा। कियान की सख्त, तीखी नज़रें और उसकी पूरी शख्सियत में कुछ ऐसा था जो साक्षी को भीतर तक हिला रहा था।

    जैसे ही उसकी नज़र उस औरत पर पड़ी, वह घबराते हुए उसके पास आई और हड़बड़ाहट में बोली,
    "आंटी, ये जो नीचे है... ये यहां क्या कर रहा है? आप जानती हैं इन्हें?"

    उस औरत ने साक्षी की बात सुनकर थोड़ा मुस्कुराते हुए जवाब दिया,
    "बेटा, ये कियान सर हैं। ये आपके साथ यहीं रहते हैं। आप शायद भूल रही हैं, लेकिन इनसे आपका गहरा रिश्ता है।"

    साक्षी यह सुनकर और भी ज्यादा परेशान हो गई।
    "ये क्या कह रही हैं? कियान... मेरे साथ? कैसे? क्यों?"

    उसका दिमाग यह सब समझने में असमर्थ था। वह औरत के जवाबों से संतुष्ट नहीं हो पाई।

    साक्षी का मन बेचैन था।
    "आखिर मैं कौन हूँ? और यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है? जो मैं सपनों में देखती थी, वह सब असलियत में क्यों घट रहा है?"

    इन सवालों के साथ वह जल्दबाजी में अपने कमरे में चली गई।

    अपने कमरे में पहुँचकर, उसने बेड पर बैठते ही अपने सिर को थाम लिया। उसके दिमाग में घटनाओं का तूफान चल रहा था।
    "वो औरत कह रही थी कि मैं कियान के साथ रहती हूँ... पर मुझे तो कुछ भी याद नहीं। और यह कियान कौन है? उसका यहां होना और मेरा उसे सपने में देखना, क्या यह महज इत्तेफाक है?"

    साक्षी ने घबराकर खिड़की के बाहर देखा। नीचे कियान खड़ा था, और उसकी तीखी निगाहें सीधे ऊपर की ओर थीं। उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जो साक्षी को सिहरन में डाल रहा था।
    "यह इंसान मुझे क्यों घूर रहा है? क्या वह मुझे जानता है? या फिर मैं ही किसी गहरे रहस्य का हिस्सा हूँ?"

    साक्षी के मन में एक अजीब सा डर बैठ चुका था। वह खुद को किसी अनजान कहानी का हिस्सा महसूस कर रही थी, और इस कहानी में कियान का होना उसे और भी रहस्यमय लग रहा था।

    साक्षी खिड़की के पास खड़ी थी और कियान की गहरी, खतरनाक आँखों से खुद को अलग नहीं कर पा रही थी। उसकी नज़रें साक्षी को किसी शिकारी की तरह देख रही थीं, और यह बात साक्षी को भीतर तक हिला रही थी। उसकी धड़कनें तेज हो गईं। उसने खिड़की का पर्दा झट से खींच दिया और बेड पर जाकर बैठ गई।

    "यह कौन है? और यह मेरी ज़िन्दगी में क्यों आया है? क्या इसका मुझसे कोई पुराना रिश्ता है?"

    साक्षी के मन में सवालों की बाढ़ आ गई।

    इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई। साक्षी चौंक गई। वह घबराते हुए बोली,
    "क...कौन है?"

    बाहर से एक गहरी आवाज आई,
    "मैं हूँ... कियान।"

    साक्षी का चेहरा एकदम सफ़ेद पड़ गया। उसने दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं की।
    "मुझे क्यों ढूँढ रहा है यह? आखिर यह मुझसे क्या चाहता है?"

    कियान ने दोबारा दरवाजे पर दस्तक दी, इस बार और भी सख्त अंदाज़ में।
    "दरवाजा खोलो, साक्षी। मुझे तुमसे बात करनी है।"

    साक्षी ने कांपते हुए जवाब दिया,
    "मैं आपसे बात नहीं करना चाहती। प्लीज, यहां से चले जाइए।"

    कियान की आवाज अब और सख्त हो गई, लेकिन उसमें एक अजीब सी नरमी भी थी।
    "डरो मत। मैं तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। लेकिन तुम्हें सच जानना होगा, साक्षी। दरवाजा खोलो।"

    साक्षी के हाथ कांप रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। लेकिन कियान की आवाज में ऐसा कुछ था, जिसने उसे दरवाजा खोलने पर मजबूर कर दिया।

    जैसे ही दरवाजा खुला, कियान अपनी पूरी खतरनाक आभा के साथ सामने खड़ा था। उसका कद, उसकी आँखों की गहराई और उसकी मौजूदगी का दबाव – साक्षी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

    कियान ने एक कदम अंदर बढ़ाया और धीमी आवाज में कहा,
    "तुम्हारे दिमाग में बहुत सवाल हैं, साक्षी। मैं तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँगा। लेकिन पहले तुम मुझ पर भरोसा करो।"

    साक्षी ने कियान को देखते हुए कहा,
    "आप कौन हैं? और मेरी ज़िन्दगी में क्यों हैं? मुझे कुछ भी याद नहीं... और यह सब मुझे डराता है।"

    कियान ने गहरी साँस ली और जवाब दिया,
    "मैं कौन हूँ, यह जानने के लिए तुम्हें अपनी यादों में झाँकना होगा। और तुम्हारी यादें वापस लाने के लिए मैं हर मुमकिन कोशिश करूँगा। क्योंकि तुम सिर्फ़ अपने लिए नहीं, मेरे लिए भी बहुत ख़ास हो।"

    साक्षी ने उसकी बात सुनकर डर और उलझन में कहा,
    "मैं आपके बारे में कुछ नहीं जानती... लेकिन आप मुझे सपनों में क्यों दिखते हैं? आखिर सच क्या है?"

    कियान ने साक्षी की आँखों में गहराई से देखा और धीरे से बोला,
    "सच जानने के लिए तुम्हें वक़्त लगेगा। लेकिन एक बात याद रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ... तुम्हारी हर मुश्किल में। और यह तुम्हारा सपना नहीं, तुम्हारी हकीकत है।"

    साक्षी को उसके शब्दों पर यकीन नहीं हो रहा था। कियान का रहस्यमय अंदाज़ उसे और उलझा रहा था। लेकिन कहीं न कहीं, उसकी आँखों में एक अजीब सा सुकून भी था, जिसे साक्षी अनदेखा नहीं कर पा रही थी।


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  • 16. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 16

    Words: 765

    Estimated Reading Time: 5 min

    अब आगे

    साक्षी ने कियान की आँखों में एक अजीब सी, गहरी चमक देखी, जो उसे भीतर तक महसूस हो रही थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि कियान उससे क्या चाहता था। उसने उसके पास आने की कोशिश की, लेकिन कियान ने हल्के से इशारे से उसे रुकने को कहा।

    "तुमने अभी तक मेरे बारे में कुछ नहीं पूछा," कियान ने साक्षी से कहा; उसकी आवाज में एक खतरनाक ठंडक थी।

    "तुम मेरे बारे में क्या जानना चाहते हो?" साक्षी ने खुद को संयमित करने की कोशिश करते हुए कहा।

    कियान ने हल्की सी मुस्कान दी और फिर गंभीरता से बोला, "तुम कौन हो, साक्षी? तुम्हारा इस दुनिया में क्या काम है? क्या तुम जानती हो कि तुम्हारी मौजूदगी मेरे लिए कितनी अहम है?"

    साक्षी के दिल में एक डर का साया मंडराने लगा। उसे लगा जैसे कियान के शब्द उसकी पूरी दुनिया को उलट-पलट देने वाले थे। उसने कियान की आँखों में देखे गए खौफनाक इरादों को समझने की कोशिश की, लेकिन फिर भी वह खुद को पूरी तरह से समझ नहीं पाई।

    "मैं सिर्फ एक आम लड़की हूँ," साक्षी ने खुद को संभालते हुए कहा, "तुम्हारा इसमें क्या मतलब है?"

    कियान ने उसकी तरफ देखा और धीरे-धीरे बोला, "तुम सिर्फ एक लड़की नहीं हो। तुम्हारी कहानी कुछ और ही है, साक्षी। तुम्हारी असली पहचान अभी तक तुम्हारे लिए भी एक रहस्य है।"

    साक्षी को जैसे किसी ने उसकी रीढ़ में ठंडी बर्फ की छड़ी घोंप दी हो। वह महसूस कर रही थी कि यह मामला अब उससे कहीं ज्यादा जटिल हो चुका था। कियान जानता था कि वह कौन है, और वह जानता था कि वह क्यों यहाँ है।

    "तुम यह सब क्यों कर रहे हो?" साक्षी ने अपना डर छुपाते हुए पूछा।

    कियान ने उसकी आँखों में गहरी नज़र डाली, फिर एक ठंडी मुस्कान के साथ बोला, "क्योंकि तुम्हारी पहचान की असली तस्वीर मुझे चाहिए, साक्षी। तुम मेरे लिए एक अहम पंती हो, और मैं किसी भी हालत में तुम्हें खोने नहीं दूँगा।"

    साक्षी ने गहरी साँस ली। अब वह समझ चुकी थी कि कियान सिर्फ एक दुश्मन नहीं था; वह किसी बड़े खेल का हिस्सा था। और उसे इस खेल में खुद को बचाना था।

    "तुम अगर यह सब जानते हो, तो मुझे क्यों ढूँढ़ रहे हो?" साक्षी ने पूछा, लेकिन कियान ने कोई जवाब नहीं दिया। वह बस मुस्कुराया, जैसे वह सब जानता हो, और फिर बोला, "अब तुमसे मिलकर ही सच्चाई को देख पाऊँगा। तुम्हारी पहचान की जो परतें बाकी हैं, उन्हें हम साथ मिलकर खोलेंगे।"

    साक्षी का दिल तेज़ी से धड़कने लगा था। वह जानती थी कि कियान की दुनिया से बाहर निकलना अब और भी मुश्किल होगा। वह जितना उससे दूर भागेगी, उतना ही वह उसे अपने जाल में फँसा लेगा।

    साक्षी ने सोचा, "क्या अब मुझे इस खतरनाक दुनिया के खिलाफ खड़ा होना होगा? क्या मुझे कियान को और उसकी दुनिया को समझने की कोशिश करनी होगी, या फिर मैं उससे भाग जाऊँ?"

    लेकिन साक्षी जानती थी कि अब वह किसी भी रास्ते को अपनाए, उसे कियान की दुनिया में कदम रखने से पहले अपनी पहचान और उस रहस्यमय ताकत को समझना होगा जो उसके अंदर छिपी थी।


    साक्षी का दिल धड़क रहा था। कियान की बातें उसे समझ में नहीं आ रही थीं। वह जानती थी कि कियान एक खतरनाक व्यक्ति है, और उसका हर कदम उसके जीवन को और भी जटिल बना सकता है। लेकिन इस वक्त उसके सामने एक और सवाल था—क्या वह कियान की दुनिया में घुसकर उसकी सच्चाई जान पाएगी?


    "तुम मुझे क्यों ढूँढ़ रहे हो?" साक्षी ने अपनी आवाज में जितना हो सके उतना आत्मविश्वास भरते हुए पूछा।


    कियान की आँखों में गहरे गुस्से और रहस्य की झलक थी।
    "तुम तो जानती हो, साक्षी," उसने एक ठंडी हँसी हँसी, "मैं तुम्हें अपनी पकड़ में लाऊँगा, चाहे जैसे भी। तुम मेरी राह में हो, और मैं तुम्हारी पूरी दुनिया पलट दूँगा।"


    साक्षी का दिल हल्का सा धड़क उठा। वह कियान के शब्दों से डर रही थी, लेकिन वह अपनी कमजोरी नहीं दिखाना चाहती थी।
    "क्या तुम समझते हो कि मैं तुमसे डर सकती हूँ?" उसने चिढ़ते हुए कहा।


    कियान ने गहरी नज़र डाली और फिर मुस्कुराया, "डरने की बात नहीं है, साक्षी। यह तुम्हारे बारे में है, तुम्हारी असली पहचान और वो ताकतें जो तुमसे जुड़ी हैं।"


    साक्षी का मन एकदम उलझन में था। वह यह सब समझ नहीं पा रही थी, लेकिन एक बात साफ़ थी—कियान उससे खेल रहा था। और वह नहीं चाहती थी कि यह खेल उसे उसकी जान तक ले जाए।


    "तुम मेरी ताकत से क्यों इतना डरते हो?" साक्षी ने धीरे से पूछा; उसके स्वर में एक गहरी जिज्ञासा थी।


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  • 17. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 17

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे


    कियान की मुस्कान और भी ठंडी हो गई। "तुमसे नहीं, साक्षी, तुम्हारी ताकत से। तुम नहीं समझ रही हो, लेकिन मैं तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़ी शक्ति देखता हूँ। वह शक्ति जो सिर्फ कुछ खास लोग ही महसूस कर सकते हैं।"


    साक्षी का मन और भी गहरे सवालों में डूबने लगा।
    "क्या तुम सच में जानते हो कि मैं कौन हूँ?" उसने झुंझलाते हुए पूछा।


    कियान की आँखों में एक हद से ज़्यादा आत्मविश्वास था।
    "तुम चाहो तो अपना रास्ता बदल सकती हो, साक्षी। लेकिन तुम्हारी किस्मत अब मेरे साथ जुड़ी हुई है।"


    साक्षी अब पूरी तरह से भ्रमित हो चुकी थी। वह सोचने लगी, "क्या कियान सच में मुझे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहा है? क्या मैं सच में उस ताकत का हिस्सा हूँ जिसे वह बार-बार उल्लेख कर रहा है?"


    साक्षी ने अपना सिर घुमा लिया, जैसे वह यह सोचने की कोशिश कर रही हो कि आगे क्या किया जाए। वह जानती थी कि अब उसे अपनी पहचान के रहस्यों को उजागर करने के लिए कियान की मदद से बाहर निकलना होगा।


    साक्षी की आँखों में गहरी उलझन थी। उसके मन में कई सवाल थे, लेकिन किसी का भी कोई जवाब उसे समझ में नहीं आ रहा था। वह अपनी असमंजसता को महसूस कर रही थी और कियान से अपने दिमाग में उठे सवाल पूछने की कोशिश कर रही थी।
    "मुझे यह समझ नहीं आ रहा, कियान," साक्षी ने हकलाते हुए कहा, "वह सपना था, जिसमें मैंने तुम्हारे साथ आर्यन से लड़ाई की थी और यहां से भागने की कोशिश की थी... वह सब क्या था?"


    कियान ने हल्की सी मुस्कान के साथ साक्षी की ओर देखा। उसकी मुस्कान में कुछ गहरी बातें छिपी हुई थीं, जैसे वह पहले से ही जानता हो कि साक्षी को यह सब समझाने में कितना वक्त लगेगा।
    "वह सपना था," कियान ने ठंडी आवाज में कहा, "वो सब तुम्हें दिखाने के लिए था कि चाहे तुम कितने भी दूर भागो, मैं तुम्हारे पीछे रहूँगा। तुम जितनी कोशिश करोगी, उतनी बार मुझे तुमसे मिलना होगा। यह तुम्हारी किस्मत है, साक्षी।"


    साक्षी की आँखों में अब एक अजीब सी डर और उलझन थी। कियान के शब्दों ने उसे पूरी तरह से चौंका दिया था। वह उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अंदर एक हलचल मची हुई थी।
    "क्या तुम सच में ये कह रहे हो?" साक्षी ने धीमी आवाज में पूछा, उसकी आँखों में अनगिनत सवाल थे, "तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे साथ रहूँ, सिर्फ तुम्हारी ताकत के लिए?"


    कियान की आँखों में एक अजीब सी शांति थी, जैसे वह साक्षी के हर सवाल का जवाब पहले से जानता हो। उसने धीरे से सिर हिलाया, और फिर अपनी आवाज में एक सख्ती घोलते हुए कहा, "मैं ये नहीं कह रहा कि तुम्हें मेरे साथ रहना है, साक्षी। मैं बस तुम्हें यह समझा रहा हूँ कि जब तक तुम्हारी असली ताकत मुझे नहीं मिल जाती, मैं तुम्हारे साथ हूँ, और तुम मुझसे दूर नहीं जा पाओगी। चाहे तुम जितना भी कोशिश कर लो, इस रास्ते से तुम बच नहीं पाओगी।"


    साक्षी की आँखें अब और चौड़ी हो गईं। कियान के शब्दों में एक अजीब सी गंभीरता थी, जैसे वह उसे चेतावनी दे रहा हो, पर साथ ही उसकी रक्षा करने का वादा भी कर रहा था।
    "तुम मेरे साथ क्यों हो?" उसने सवाल किया, "क्यों तुम मुझे अपने साथ रख रहे हो? मैं तो सिर्फ एक आम सी लड़की हूँ, जो इन सब चीजों से बिल्कुल अलग थी।"


    साक्षी ने एक बार फिर खुद को संभालते हुए दो कदम पीछे हटते हुए कियान को घूरते हुए कहा, "तुम जानते हो, मैं साक्षी नहीं हूँ।" उसकी आँखों में अब सवालों की झड़ी थी, और कियान को देख कर उसने कहा,


    "मैं आन्या हूँ, एक मामूली सी लड़की, जिसे किसी खून खराब या शक्ति से कोई मतलब नहीं था, एक आम सी लड़की... तो फिर ये सब मेरे साथ क्यों हो रहा है?" उसकी आँखों में गहरे उलझन और दर्द की झलक थी। उसकी आवाज कांप रही थी, और शब्द मानो उसके मुँह से जैसे निकलने की बजाय फंस रहे थे। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, जैसे वह खुद को समझाने की कोशिश कर रही हो, लेकिन हर बार एक नई जटिलता सामने आ रही थी।


    वह बस यही सोच रही थी कि क्यों उसकी ज़िन्दगी एक जादुई रहस्य बन चुकी है। क्यों उसके साथ ये सब हो रहा था, वह क्यों इस दुनिया के बीच फंसी हुई थी। उसका दिल परेशान था और दिमाग अजीब से सवालों से घिरा हुआ था। उसके आँसू जैसे पल भर में और गहरे होते गए।


    कियान बिना किसी इमोशन के, जैसे सब जानता था, साक्षी को देखता रहा। उसकी आँखों में कोई दया या प्यार नहीं था, बस एक ठंडी और गंभीर समझ थी, जो उसकी मौजूदगी से जाहिर हो रही थी। उसकी आवाज में कोई भी लचक नहीं थी, जैसे वह बिल्कुल शांत और संतुलित था।
    "मुझे पता है... सब पता है।" यह शब्द उसके मुँह से ऐसे निकले, जैसे वह कोई राज़ नहीं, बल्कि एक सच्चाई बयान कर रहा हो, जिसे पहले ही उसने समझ लिया हो।


    वह चुप रहा और फिर धीरे से बोला, "और जिस चेहरे में तुम हो, वह बचपन से मेरे साथ ही रहती है... मेरी दोस्त साक्षी शर्मा।"


    यह सुनते ही साक्षी की आँखें एक पल के लिए पूरी तरह से चौंकी हुईं। उसकी आँखें बड़ी हो गईं, और उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। वह एक पल के लिए चुप हो गई, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि कियान ने यह क्या कह दिया। उसके मन में बेमानी सवालों की बाढ़ आ गई, जैसे सब कुछ उलट-पलट हो गया हो।


    साक्षी ने अपनी आँखें बड़ी करके कियान को देखा, जैसे वह उसकी बातों को समझने की कोशिश कर रही हो, लेकिन वह इतना ज़्यादा उलझ गई थी कि शब्दों का जवाब देना मुश्किल हो रहा था। उसके चेहरे पर अब सवालों का गहरा तूफान था, और उसका दिल तो जैसे धड़कनें तेज कर चुका था। उसने सोचा, "क्या कियान सच कह रहा है? क्या वह वही साक्षी है, जो उसने कहा? क्या वह सच में मेरी दोस्त साक्षी शर्मा है?"


    साक्षी की आँखों में चिंता, उलझन, और डर की लहर दौड़ने लगी। यह वही सवाल थे जो वह अपने दिल में बार-बार दोहरा रही थी, लेकिन कियान के जवाब ने उसे और भी ज़्यादा कन्फ़्यूज़ कर दिया था। वह अब पूरी तरह से सच्चाई के सामने थी, लेकिन सच्चाई इतनी जटिल और रहस्यमयी थी कि वह उसे पूरी तरह से समझ नहीं पा रही थी।









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  • 18. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 18

    Words: 1561

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब आगे

    कियान ने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा, "हाँ, साक्षी का कार एक्सीडेंट हुआ था। डॉक्टर उसकी जान बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे, लेकिन उसकी हालत बहुत खराब थी। वह बच नहीं पाई, वह मर गई। जब डॉक्टर ने मुझे यह खबर दी और मुझे वापस उसके पास ले गए, तो हमने देखा कि साक्षी की साँसें चल रही थीं। वह ठीक लग रही थी। लेकिन मुझे उसी वक्त समझ में आ गया था कि वह मेरी दोस्त साक्षी नहीं है। तुम कोई और हो। तुम्हारी आत्मा ने साक्षी के शरीर में पुनर्जन्म लिया है।"

    साक्षी, जो उसकी बातें सुन रही थी, गुस्से और उलझन में बोली,
    "लेकिन अगर तुम्हें पता था कि मैं तुम्हारी दोस्त साक्षी नहीं हूँ, तो भी तुमने मेरे साथ यह सब क्यों किया? वह सारे सपने, वह घटनाएँ... यह सब असंभव है। मैं तो एक मामूली लड़की हूँ। मुझमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो तुम्हारे काम आ सके। और तुम कहते हो कि मुझमें कोई शक्ति है? आखिर वह शक्ति है क्या?"

    कियान ने उसकी बात को अनसुना करते हुए आगे कहा,
    "तुम्हारे लिए यह सब समझना मुश्किल होगा। साक्षी के मरने का मुझे कोई दुःख नहीं था। हाँ, वह मेरी बचपन की दोस्त थी, लेकिन मैं किसी के जीने या मरने से फर्क नहीं करता। मेरी दुनिया में भावनाओं के लिए कोई जगह नहीं है। और मैं तुमसे जो करवा रहा हूँ, वह सिर्फ़ इसलिए है क्योंकि तुम्हारे अंदर वह ताकत है जो मुझे चाहिए। तुम एक साधारण इंसान नहीं हो। तुम साक्षी के शरीर में एक नई आत्मा हो, जो मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।"

    साक्षी, जिसकी आँखों में अब आँसू थे, गुस्से से बोली,
    "तुम पागल हो, कियान। मैं तुम्हारी इस बेतुकी कहानी का हिस्सा नहीं हूँ। तुमने मेरे साथ धोखा किया है। मेरे सपनों का इस्तेमाल किया है। और अब तुम मुझे यह कह रहे हो कि मुझमें कोई ताकत है, जो तुम्हारे मतलब की है? मैं कभी तुम्हारी मदद नहीं करूँगी। समझे तुम?"

    कियान ने उसकी बात पर एक हल्की सी मुस्कान दी और बोला,
    "चाहो या न चाहो, तुम्हें मेरी मदद करनी होगी। तुम्हारे पास कोई और रास्ता नहीं है। तुम अब मेरी दुनिया का हिस्सा हो। तुम चाहो तो इसे किस्मत समझ लो या फिर इसे अपनी मजबूरी। लेकिन यह सच है कि जब तक मेरी ज़रूरतें पूरी नहीं होतीं, तुम यहीं रहोगी।"

    साक्षी ने गुस्से में कहा,
    "तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारी कठपुतली बन जाऊँगी? तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे इशारों पर नाचूँगी? ऐसा कभी नहीं होगा। मैं अपनी ज़िंदगी खुद जीना चाहती हूँ, और मैं किसी के लिए अपनी आज़ादी नहीं छोड़ सकती।"

    कियान ने गंभीर होकर कहा,
    "तुम्हारी आज़ादी अब ख़त्म हो चुकी है। तुम जो भी सोचती हो, वह अब मायने नहीं रखता। तुम मेरी हो, और यही सच है। तुम्हें इसे स्वीकार करना ही होगा।"

    साक्षी ने पीछे हटते हुए कहा,
    "मैं इस सब में नहीं रह सकती। मुझे मेरी पुरानी ज़िंदगी चाहिए। मुझे वापस जाना है।"

    कियान ने शांत लेकिन सख्त आवाज़ में कहा,
    "तुम्हारी पुरानी ज़िंदगी अब ख़त्म हो चुकी है। यह दुनिया, यह सच, यह कहानी... अब तुम्हारे लिए यही सब कुछ है। और जो भी मैं कर रहा हूँ, वह सिर्फ़ इसलिए क्योंकि तुम्हारे अंदर वह शक्ति है, जो मुझे चाहिए।"

    साक्षी की आँखों में अब दर्द और बेबसी साफ़ झलक रही थी। उसे लग रहा था कि वह एक ऐसी दुनिया में फँस गई है, जहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं है।

    साक्षी की आँखों में दर्द और बेबसी साफ़ झलक रही थी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह एक ऐसी दुनिया में फँस गई है, जहाँ से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। उसके भीतर सवालों का तूफ़ान चल रहा था—क्या वह सच में वही है जो कियान कह रहा है? क्या उसकी अपनी पहचान अब खो चुकी है?

    कियान ने साक्षी को कुछ देर तक देखा, उसकी असहायता और घबराहट का आनंद लेते हुए। फिर बिना एक शब्द कहे, वह कमरे से बाहर चला गया। उसके कदमों की आवाज़ जैसे साक्षी के दिल में एक भारी बोझ की तरह गूंज रही थी।

    साक्षी वहीं ज़मीन पर बैठ गई। उसकी आँखों से आँसुओं की धार बह निकली। उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया और धीरे-धीरे सिसकने लगी। उसके दिमाग में हर वह घटना घूम रही थी, जो उसके साथ हुई थी—वह सपने, वह अजीबोगरीब बातें, कियान का उसके प्रति अजीब सा व्यवहार।

    वह खुद से बड़बड़ाई,
    "आखिर मैं कहाँ हूँ? मैं सच में साक्षी नहीं हूँ? अगर ऐसा है, तो मेरा यहाँ क्या काम? मेरी ज़िंदगी क्यों बदल दी गई? और यह सब कियान क्यों कर रहा है?"

    वह अपनी पुरानी ज़िंदगी को याद करने लगी। उसे याद आया कि वह एक साधारण लड़की थी, जिसकी अपनी दुनिया थी, अपने सपने थे। वह न तो किसी शक्ति में यकीन करती थी और न ही किसी ऐसे खतरनाक इंसान से उसका कोई वास्ता था। लेकिन अब, सब कुछ उल्टा हो चुका था।

    वह फर्श पर लेट गई और छत को देखती रही। उसकी आँखों में बेबसी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी ज़िंदगी में यह सब कैसे और क्यों हो रहा है।

    कुछ देर बाद, उसने खुद को संभालने की कोशिश की। वह उठी, लेकिन उसके पैर काँप रहे थे। उसने खुद से कहा,
    "नहीं, मैं हार नहीं मान सकती। मुझे अपनी सच्चाई पता करनी होगी। अगर यह सब कियान की साज़िश है, तो मुझे इसका जवाब चाहिए। और अगर मैं सच में वह नहीं हूँ, मुझे यहाँ पर रहने ही नहीं चाहिए।"

    यह सोचकर, साक्षी ने अपने आँसू पोछे और खुद को मज़बूत करने की कोशिश की। हालाँकि उसके दिल में डर था, लेकिन उसके अंदर एक अजीब सी ज़िद भी जाग चुकी थी। यहाँ से जाने के लिए तैयार थी, चाहे इसके लिए उसे कितना भी बड़ा कदम क्यों न उठाना पड़े।

    साक्षी ने खुद को जैसे-तैसे संभाला और कमरे से बाहर निकलने का फैसला किया। उसकी आँखें अब भी लाल थीं, और चेहरा आँसुओं से भीगा हुआ था, लेकिन उसके अंदर एक नई दृढ़ता उभर चुकी थी। उसे इस जाल से बाहर निकलने का रास्ता खोजना था।

    जैसे ही वह बाहर निकली, उसने देखा कि हवेली के बड़े हॉल में सन्नाटा पसरा हुआ था। चारों तरफ़ गहरे सन्नाटे के बीच उसकी हल्की पदचाप गूंज रही थी। साक्षी ने धीरे-धीरे चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। उसे न तो कियान दिख रहा था, न कोई और।

    वह हिम्मत करके सीढ़ियाँ उतरने लगी। नीचे पहुँचकर उसने देखा कि हॉल के कोने में एक बड़ा-सा दरवाज़ा था, जो शायद हवेली के बाहर जाने का रास्ता था। उसने वहाँ जाने की कोशिश की, लेकिन तभी उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी।

    उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने खुद को छिपाने के लिए पास के एक खंभे के पीछे छिपा लिया। आहट करीब आती गई, और कुछ ही पलों में कियान वहाँ आ पहुँचा। उसके चेहरे पर वही ठंडा और खतरनाक भाव था।

    कियान ने एक पल के लिए रुककर चारों तरफ़ देखा, जैसे उसे किसी की मौजूदगी का अंदाज़ा हो गया हो। फिर उसने धीरे से कहा,
    "साक्षी, अगर छिपने की कोशिश कर रही हो, तो तुम्हें यह समझना चाहिए कि मुझसे बच पाना नामुमकिन है। जितना जल्दी हो सके, बाहर आ जाओ।"

    साक्षी की साँसें थम गईं। उसे लगा कि अगर वह अभी बाहर आई, तो कियान फिर से उसे कैद कर लेगा। लेकिन अगले ही पल कियान ने दरवाज़े की तरफ़ देखा और धीरे-धीरे उसकी तरफ़ बढ़ने लगा।

    साक्षी को अपनी जगह से हिलना पड़ा। जैसे ही कियान ने दरवाज़ा खोला, वह फुर्ती से पीछे की ओर भागी। लेकिन भागते-भागते उसका पैर एक छोटी मेज़ से टकरा गया, जिससे मेज़ पर रखा सामान नीचे गिर गया। आवाज़ गूंज उठी, और कियान तुरंत पलटा।

    उसकी नज़रें सीधे साक्षी पर पड़ीं। उसकी आँखों में वही सख्ती और अधिकार का भाव था। उसने धीरे से कहा,
    "मैंने कहा था, तुम मुझसे बच नहीं सकती। अब खेल ख़त्म।"

    साक्षी ने अपने डर को पीछे धकेलते हुए जवाब दिया,
    "यह खेल तुम्हारे हिसाब से नहीं चलेगा, कियान। मुझे मेरी ज़िंदगी वापस चाहिए, और मैं उसे लेकर रहूँगी। तुम मुझे जितना दबाने की कोशिश करोगे, मैं उतना ही मज़बूत बनूँगी।"

    कियान के होंठों पर एक हल्की मुस्कान आई। उसने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए कहा,
    "मुझे यही पसंद है, साक्षी। तुम्हारा यह हौसला, यह बगावत... इसे तोड़ने में मुझे बहुत मज़ा आएगा।"

    साक्षी ने पीछे हटते हुए कहा,
    "तुम जो चाहो, कर लो। लेकिन मैं तुम्हारी कैद में नहीं रहूँगी।"

    कियान उसकी तरफ़ बढ़ा, लेकिन इससे पहले कि वह उसे पकड़ पाता, साक्षी ने पास रखी एक छोटी मूर्ति को उठाया और उसे कियान की तरफ़ फेंका। मूर्ति कियान को छूकर नहीं लगी, लेकिन उसका ध्यान भटकाने के लिए काफी थी। इसी का फ़ायदा उठाकर साक्षी तेज़ी से दौड़ती हुई बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।

    हवेली का बड़ा दरवाज़ा अब साक्षी के सामने था। उसके दिल में उम्मीद जगी कि शायद वह आज़ाद हो जाएगी। लेकिन कियान की आवाज़ उसके पीछे गूँजी,
    "साक्षी! अगर तुमने एक कदम भी बाहर रखा, तो उसकी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहना।"

    साक्षी ने पलटकर देखा। कियान का चेहरा गुस्से और जुनून से भरा हुआ था। उसकी आँखें जैसे उसे चेतावनी दे रही थीं कि वह जो करने जा रही है, उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा।

    लेकिन साक्षी ने अपनी आँखें बंद कीं और खुद से कहा,
    "मैं कोई कमज़ोर लड़की नहीं हूँ। अगर मुझे अपनी आज़ादी के लिए लड़ना है, तो मैं लड़ूँगी।"






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  • 19. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 19

    Words: 1376

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे

    साक्षी अंधेरे रास्तों पर दौड़ती गई। ठंडी हवा उसके चेहरे पर लग रही थी, लेकिन उसके कदम नहीं रुके। उसका दिल बुरी तरह धड़क रहा था, और उसके कानों में अब भी कियान की गूंजती हुई आवाज तैर रही थी। वह हर कदम के साथ यही सोच रही थी कि क्या वह सचमुच कियान से दूर जा पाएगी, या फिर यह भी उसकी चाल का हिस्सा था।

    हवेली से दूर होते ही साक्षी को एहसास हुआ कि वह किसी अनजान जंगल की ओर बढ़ रही है। चारों ओर घने पेड़ थे, और हल्की-हल्की चांदनी पेड़ों के बीच से छनकर जमीन पर पड़ रही थी। उसे कोई रास्ता नहीं दिख रहा था, लेकिन उसने पीछे मुड़कर देखने की हिम्मत नहीं की।

    थोड़ी दूर भागने के बाद साक्षी एक बड़े पत्थर पर ठोकर खाकर गिर गई। उसके हाथों और घुटनों पर चोट लग गई, और दर्द की तीखी लहर उसके शरीर में फैल गई। लेकिन उसने खुद को संभाला। वह धीरे-धीरे उठी और फिर से चलने लगी।

    "क्या मैं सही कर रही हूँ?" उसने खुद से सवाल किया। "क्या इस तरह भागने से मुझे आजादी मिलेगी? या मैं और मुसीबत में फंस जाऊँगी?"

    अचानक, उसे एक आवाज सुनाई दी। किसी के कदमों की आहट... किसी के पास आने की। उसका दिल जैसे उसकी छाती से बाहर निकलने को तैयार था। उसने घबराकर चारों तरफ देखा।

    "कियान..." उसने खुद से फुसफुसाया। लेकिन जब उसने ध्यान से सुना, तो आवाज दूसरी दिशा से आ रही थी।

    "कौन है?" साक्षी ने कांपती हुई आवाज में पूछा।

    अंधेरे में एक परछाईं उसकी ओर बढ़ती दिखी। साक्षी ने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन उसकी पीठ एक पेड़ से टकरा गई। परछाईं और करीब आई, और तभी वह तेज रोशनी में बदल गई।

    "तुम यहां क्या कर रही हो?" एक गहरी, सख्त आवाज गूंजी। साक्षी ने देखा कि सामने एक अजनबी खड़ा था। लंबा, मजबूत कद-काठी वाला व्यक्ति, जिसकी आँखों में गुस्सा और माथे पर चिंता की लकीरें थीं।

    "तुम कौन हो?" साक्षी ने डरते हुए पूछा।

    वह व्यक्ति उसके करीब आया और गुस्से में बोला,
    "यह इलाका कियान माल्होत्रा के नियंत्रण में है। तुम यहां ऐसे भागते हुए क्या कर रही हो? तुम्हें नहीं पता कि यह जगह कितनी खतरनाक है?"

    साक्षी के होश उड़ गए। उसने सोचा था कि वह कियान से दूर भाग रही है, लेकिन अब उसे महसूस हुआ कि वह अब भी उसी की दुनिया में फंसी हुई है।

    "मुझे यहां से बाहर जाना है," उसने कांपती हुई आवाज में कहा। "कृपया, मेरी मदद करो।"

    उस आदमी ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा और कहा,
    "तुम्हें नहीं पता कि तुमने किसके खिलाफ जाने की कोशिश की है। कियान से दूर भागना इतना आसान नहीं है। अगर उसने तुम्हें यहां देख लिया, तो तुम बचेगी नहीं।"

    साक्षी के चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी।
    "मैं किसी भी तरह उसकी दुनिया से बाहर जाना चाहती हूँ। मुझे पता है कि यह सब एक जाल है। कृपया, मुझे बचा लो," उसने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।

    लेकिन उस आदमी ने ठंडी हंसी के साथ जवाब दिया,
    "तुम्हें लगता है, यहां कोई तुम्हारी मदद करेगा? कियान माल्होत्रा से लड़ने की हिम्मत इस पूरी दुनिया में किसी में नहीं है। और अगर तुम सच में उसकी पकड़ से बाहर निकलना चाहती हो, तो तुम्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।"

    साक्षी को उसकी बातों से और डर लगने लगा। उसने खुद को मजबूत करते हुए पूछा,
    "कितनी बड़ी कीमत?"

    आदमी ने उसकी तरफ देखा और धीमे से बोला,
    "तुम्हारी जिंदगी।"

    यह सुनकर साक्षी की आँखें डर और सदमे से चौड़ी हो गईं। वह समझ गई कि वह एक ऐसी दुनिया में फंस गई है, जहां से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन है। लेकिन उसने हार नहीं मानी।

    "मैं अपनी जिंदगी कियान की गुलामी में नहीं बिताऊंगी," उसने सख्ती से कहा। "अगर मुझे अपनी आजादी के लिए लड़ना पड़ेगा, तो मैं लड़ूंगी।"

    आदमी ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा,
    "अगर तुममें सच में इतना साहस है, तो तुम्हें उसके खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा। और यह लड़ाई आसान नहीं होगी।"

    साक्षी ने एक गहरी सांस ली और कहा,
    "मैं किसी भी हाल में अपनी आजादी के लिए लड़ूंगी, चाहे मुझे इसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।"

    आदमी ने उसे एक आखिरी बार देखा और फिर कहा,
    "तो तैयार हो जाओ। कियान तुम्हें कभी नहीं छोड़ेगा।"

    यह कहकर वह वहां से चला गया, और साक्षी अकेली खड़ी रह गई, इस बात को लेकर कि उसकी लड़ाई अभी शुरू हुई थी।

    साक्षी एक पल के लिए वहीं खड़ी रही, उसकी साँसें तेज़ थीं, और दिमाग में हज़ारों सवाल घूम रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस रास्ते पर है और कैसे इस अंधेरी दुनिया से बाहर निकलेगी।

    अचानक, पीछे से तेज़ कदमों की आहट सुनाई दी। उसका दिल फिर से धड़कने लगा। उसने धीरे-धीरे पीछे मुड़कर देखा। दूर से किसी की परछाई उसकी ओर बढ़ती दिखी।

    "फिर से कियान?" उसने खुद से बुदबुदाया।

    साक्षी ने तुरंत खुद को छिपाने की कोशिश की। वह पास के एक घने झाड़ी के पीछे दुबक गई। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था, और वह अपनी साँसें रोकने की कोशिश कर रही थी ताकि कोई उसकी मौजूदगी महसूस न कर सके।

    जैसे ही वह परछाई करीब आई, साक्षी ने देखा कि वह कोई और था। यह कोई साधारण आदमी नहीं था, बल्कि कियान के आदमियों में से एक था। उसने एक तेज़ आवाज़ में किसी को बुलाया,
    "यहां कोई है! जल्दी आओ!"

    साक्षी के हाथ-पैर कांपने लगे। वह समझ गई थी कि अब उसकी छिपने की कोशिश बेकार थी। उसने खुद को शांत किया और जल्दी से दूसरी दिशा में भागने की कोशिश की।

    लेकिन जैसे ही उसने एक कदम आगे बढ़ाया, कोई उसके सामने आकर खड़ा हो गया। साक्षी ने नजरें ऊपर उठाईं और उसकी नजरें कियान से मिलीं।

    "मैंने कहा था ना," कियान की गहरी आवाज गूंजी। "तुम मुझसे दूर नहीं जा सकतीं, साक्षी।"

    साक्षी के कदम रुक गए। उसकी आँखों में डर और गुस्सा दोनों थे। उसने हिम्मत जुटाकर कहा,
    "तुम मुझे क्यों परेशान कर रहे हो? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?"

    कियान ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा,
    "तुमने कुछ नहीं बिगाड़ा, साक्षी। लेकिन तुम जो हो, वह मेरी दुनिया के लिए सबसे अहम है। मैं तुम्हें खोने नहीं दूंगा।"

    साक्षी ने गुस्से से कहा,
    "मैं तुम्हारी दुनिया का हिस्सा नहीं बनना चाहती! मैं सिर्फ एक सामान्य जिंदगी चाहती हूँ। मुझे जाने दो!"

    कियान उसकी बात सुनकर थोड़ा गंभीर हो गया। उसने धीरे से कहा,
    "सामान्य जिंदगी तुम्हारे लिए अब मुमकिन नहीं है। तुम चाहो या ना चाहो, तुम्हारी किस्मत अब मेरी दुनिया से बंध चुकी है।"

    साक्षी ने रोष भरी आँखों से उसकी ओर देखा।
    "यह सब तुम्हारे कारण हुआ है। तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।"

    कियान ने एक कदम उसकी ओर बढ़ाया और धीमे से कहा,
    "अगर तुम इसे बर्बादी कहती हो, तो तुम्हें अभी मेरी दुनिया का असली चेहरा देखना बाकी है। यह सिर्फ शुरुआत है।"

    साक्षी ने पीछे हटते हुए कहा,
    "तुम्हारे जैसा इंसान मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं बन सकता। मैं तुम्हारे खिलाफ लड़ूंगी, चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े।"

    कियान ने यह सुनकर एक गहरी हंसी हंसते हुए कहा,
    "मुझे तुम्हारी हिम्मत पसंद है। लेकिन याद रखना, साक्षी, तुम्हारी हर लड़ाई का अंत मेरी जीत से होगा। और तुम चाहो या न चाहो, तुम्हें मेरी दुनिया को अपनाना ही पड़ेगा।"

    इसके बाद कियान ने अपने आदमियों को इशारा किया। वे साक्षी के करीब आए और उसे पकड़ने की कोशिश की। साक्षी ने खुद को छुड़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी ताकत के आगे वह कमजोर पड़ गई।

    "तुम मुझसे जीत नहीं सकते, कियान!" साक्षी चिल्लाई।

    कियान ने उसकी ओर देखते हुए कहा,
    "तुम देखोगी, साक्षी। यह सिर्फ वक्त की बात है। तुम्हारी हर हार तुम्हें मेरी ओर और करीब लाएगी।"

    इसके बाद कियान ने साक्षी को अपनी कार में बिठाया और उसे वापस हवेली की ओर ले जाने लगा। साक्षी ने कार की खिड़की से बाहर देखते हुए अपने आँसू पोंछे और मन ही मन कसम खाई कि वह किसी भी तरह इस कैद से आजाद होगी।

    हवेली की रोशनी जैसे-जैसे करीब आती गई, साक्षी के दिल में डर और गुस्सा दोनों बढ़ते गए। लेकिन उसके अंदर एक चिंगारी जल चुकी थी। वह अब कियान की दुनिया का हिस्सा बनने के बजाय अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार थी।


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  • 20. "Rebirth love: Tha mafiya world " - Chapter 20

    Words: 1169

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे

    हवेली के बड़े दरवाजे के भीतर कदम रखते ही साक्षी को फिर से वही घुटन महसूस हुई। चारों तरफ की दीवारें जैसे उसे घूर रही थीं, और हर कोना उसकी आज़ादी पर ताले लगाने का गवाह बन चुका था। कियान के आदमियों ने उसे जबरन भीतर लाकर छोड़ दिया, और दरवाजे पर दो गार्ड खड़े कर दिए गए थे।


    कियान ने एक ठंडी मुस्कान के साथ कहा,
    "तुम्हें आदत डालनी होगी, साक्षी। यह जगह अब तुम्हारा नया घर है।"


    साक्षी ने गुस्से और दर्द से भरी नज़रों से उसकी ओर देखा।
    "घर? इसे घर कहते हो? ये तो एक कैदखाना है। और मैं यहां एक क़ैदी की तरह रहना पसंद नहीं करूंगी।"


    कियान उसके करीब आया और धीरे से बोला,
    "कैदखाने और घर में फर्क सिर्फ सोच का होता है। तुम्हें बस इसे देखने का नजरिया बदलना होगा।"


    साक्षी पीछे हटते हुए बोली,
    "तुम्हारे पास मेरी हर आज़ादी छीनने की ताकत है, लेकिन मेरी सोच नहीं। मैं तुम्हारी दुनिया का हिस्सा नहीं बनूंगी।"


    कियान की आंखें ठंडी और रहस्यमयी हो गईं। उसने कहा,
    "वक्त आने पर तुम्हारी यही सोच बदल जाएगी। और उस दिन तुम खुद मेरी दुनिया को अपनाने पर मजबूर हो जाओगी।"


    रात का अंधेरा और साक्षी की तन्हाई

    उस रात साक्षी अपने कमरे में अकेली बैठी थी। खिड़की से बाहर झांकते हुए उसने खुद को बार-बार यही सवाल किया कि आखिर उसकी जिंदगी में ये सब क्यों हो रहा था।

    उसने अपने दिल को संभालते हुए खुद से कहा,
    "यहां से बाहर निकलने का कोई तो रास्ता होगा। मैं हार नहीं मानूंगी। चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे इस कैद से आज़ाद होना होगा।"


    साक्षी ने चारों ओर नजरें घुमाईं। कमरा बड़ा और आलीशान था, लेकिन हर चीज़ उसे किसी पिंजरे जैसी लग रही थी। उसने खिड़की से बाहर देखने की कोशिश की, लेकिन नीचे खड़े गार्ड्स और ऊंची दीवारें उसे उसकी मजबूरी का एहसास दिला रही थीं।


    कियान का अजीब फैसला

    दूसरी ओर, कियान अपने ऑफिस में बैठा हुआ था। उसकी आंखें साक्षी की मासूमियत और उसके गुस्से को याद कर रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्यों साक्षी के हर शब्द और हर हरकत उसे अपनी ओर खींच रही थी।

    कियान ने अपने खास आदमी, अर्जुन, को बुलाकर कहा,
    "साक्षी को अकेला नहीं छोड़ना। उसकी हर हरकत पर नजर रखो। और अगर वह यहां से भागने की कोशिश करे, तो उसे तुरंत मेरे पास लाओ।"


    अर्जुन ने सिर झुकाकर कहा,
    "जी सर। लेकिन एक बात पूछूं? आप साक्षी को लेकर इतने पजेसिव क्यों हो गए हैं?"


    कियान ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा,
    "साक्षी सिर्फ एक लड़की नहीं है, अर्जुन। वह मेरी दुनिया की चाबी है। और जो मेरी दुनिया का हिस्सा बन जाता है, उसे मैं खोने नहीं देता।"


    साक्षी की हिम्मत

    अगली सुबह, साक्षी ने खुद को मजबूत बनाने का फैसला किया। वह जानती थी कि कियान की दुनिया में रहकर वह ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगी। उसे हर हाल में भागने का रास्ता ढूंढना था।

    उसने कमरे में रखी हर चीज़ को ध्यान से देखा, शायद कहीं कोई सुराग मिल जाए। तभी उसकी नजर एक वेंटिलेशन सिस्टम पर पड़ी, जो दीवार के ऊपरी कोने में था।

    "शायद यही मेरी आज़ादी का रास्ता है," उसने बुदबुदाते हुए कहा।

    साक्षी ने तुरंत कुछ योजना बनानी शुरू कर दी। लेकिन उसे पता था कि कियान और उसके आदमी हर पल उसकी हरकतों पर नजर रख रहे थे।


    कियान का अचानक आना

    शाम होते-होते कियान अचानक साक्षी के कमरे में आ गया। उसकी नजरें सीधी साक्षी पर थीं, जो खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने का नाटक कर रही थी।

    "तुम्हें यहां की हवा रास आ रही है?" कियान ने पूछा।


    साक्षी ने पलटकर उसकी ओर देखा और कहा,
    "तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? मुझे तो यहां सांस लेने में भी घुटन हो रही है।"


    कियान ने धीरे-धीरे उसके पास आते हुए कहा,
    "तुम्हारी घुटन भी अब मेरी जिम्मेदारी है, साक्षी। तुम्हारे हर एहसास पर सिर्फ मेरा हक है।"


    साक्षी ने उसकी ओर गुस्से से देखा और कहा,
    "तुम यह सब क्यों कर रहे हो, कियान? क्या तुम्हारे अंदर इंसानियत नाम की कोई चीज़ बची है?"


    कियान ने मुस्कुराते हुए कहा,
    "इंसानियत? वह तो कब की मर चुकी है, साक्षी। अब सिर्फ ताकत और सत्ता बची है। और तुम मेरी दुनिया का सबसे अहम हिस्सा हो। तुम चाहो या न चाहो, तुम अब मेरी हो।"


    साक्षी ने कियान की आंखों में देखते हुए कहा,
    "तुम चाहे जितनी भी ताकत लगा लो, लेकिन मेरे दिल और मेरी आज़ादी पर तुम्हारा हक कभी नहीं होगा।"


    कियान ने यह सुनकर एक गहरी हंसी हंसते हुए कहा,
    "देखते हैं, साक्षी। वक्त बताएगा कि जीत तुम्हारी होती है या मेरी।"


    साक्षी का संघर्ष

    कियान के जाने के बाद साक्षी ने तय कर लिया कि वह अपनी योजना को किसी भी हाल में पूरा करेगी। वह जानती थी कि यह लड़ाई आसान नहीं होगी, लेकिन उसने खुद से वादा किया था कि वह हार नहीं मानेगी।

    उस रात साक्षी ने पहली बार अपनी आज़ादी की ओर पहला कदम बढ़ाने की ठानी।

    साक्षी ने ठहरी हुई आवाज़ में कहा,
    "आख़िर तुम मुझसे चाहते क्या हो, कियान? ये सब कब खत्म होगा? कब मुझे इस कैद से आज़ादी मिलेगी?"


    कियान उसकी बातों पर हंसते हुए बोला,
    "कितनी बार बताना पड़ेगा, साक्षी? मुझे बस तुम्हारी शक्तियां चाहिए। इससे ज्यादा कुछ नहीं।"


    साक्षी ने ठंडी सांस लेते हुए कहा,
    "ठीक है, अगर मेरी शक्तियों से तुम्हारा मकसद पूरा होता है, तो मैं तैयार हूं। लेकिन उसके बाद तुम मुझे छोड़ दोगे, है ना?"


    कियान उसकी बात सुनकर कुछ पल के लिए शांत हो गया। उसकी आंखों में कुछ ऐसा भाव था, जैसे वह खुद से लड़ रहा हो। फिर उसने बेहद ठंडी आवाज़ में कहा,
    "हाँ, बस इतना ही। लेकिन एक बात याद रखना, साक्षी। कभी मेरी मोहब्बत मत बनना। अगर तुमने ऐसा किया, तो तबाह हो जाओगी।"


    साक्षी ने कियान की ओर देखा। उसकी आंखों में कोई मोहब्बत या इंसानियत नहीं थी, सिर्फ एक ठंडा जुनून और अपनी इच्छाओं को पूरा करने की आग थी। उसने खुद को संभालते हुए कहा,
    "तुम्हारी मोहब्बत? उसकी तो कोई संभावना ही नहीं है। मुझे तो बस इस सब से छुटकारा चाहिए।"


    कियान ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराते हुए बोला,
    "अच्छा है, साक्षी। तुम्हें मेरी मोहब्बत से डरकर रहना चाहिए। क्योंकि मेरी मोहब्बत वो आग है, जो हर किसी को जला सकती है।"


    साक्षी ने गुस्से और दर्द को दबाते हुए कहा,
    "तुम्हारी इस आग का हिस्सा बनना मेरी किस्मत नहीं है। मुझे सिर्फ अपनी आज़ादी चाहिए।"


    साक्षी का फैसला

    कियान के जाने के बाद, साक्षी ने खुद से वादा किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुद को आज़ाद करने के लिए करेगी। उसे पता था कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन अब उसने ठान लिया था कि वह इस कैद से निकलने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

    उस रात, साक्षी ने अपने दिल से एक सवाल किया,
    "क्या सच में मैं इस लड़ाई को जीत पाऊंगी? क्या कियान जैसे खतरनाक इंसान से खुद को बचा पाऊंगी?"


    लेकिन एक बात वह निश्चित थी—वह हार मानने वालों में से नहीं थी।



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