ईशा के मंगेतर और उसके बेस्ट फ्रेंड से मिले धोखे का बदला लेने के लिए मिला था ईशा को पुनर्जन्म का मौका। ईशा एक फेमस एक्टर बनना चाहती थी पर एक दिन धोखे से उसे मार दिया गया। लेकिन कुछ ही समय में, ईशा की भटकती आत्मा को मिल गया पुनर्जन्म का मौका। वो भी एक... ईशा के मंगेतर और उसके बेस्ट फ्रेंड से मिले धोखे का बदला लेने के लिए मिला था ईशा को पुनर्जन्म का मौका। ईशा एक फेमस एक्टर बनना चाहती थी पर एक दिन धोखे से उसे मार दिया गया। लेकिन कुछ ही समय में, ईशा की भटकती आत्मा को मिल गया पुनर्जन्म का मौका। वो भी एक ऐसे शरीर में जो दिखने में किसी राजकुमारी से कम नहीं था। लेकिन इस जिन्दगी में भी परेशानीयाँ उसका पीछा नहीं छोड़ने वाली थी। फिर एक दिन अचानक ही ईशा की आंखे खुली, तो उसे पता चला की जिस सुन्दर शरीर की मालिक अब वो बन कर गई हैं उसने खुदखुशी करके अपनी जान दे दी थी। पर असली शॉक तो ईशा को तब लगा, जब उसको पता चला कि वो सबसे बड़े खानदान की बहू और सबसे अमीर आदमी शिवांश ओबोरॉय की पत्नी है। तो क्या होगा अब ईशा की जिन्दगी में.? क्या अपनों से मिले धोखे का बदला ले पाएगी ईशा? क्या शिवांश और ईशा के बीच हो जायेंगी प्यार की शुरूवात.? और आखिर क्या वजह थी उस शरीर के पहले मालिक के खुदखुशी करने की.? जानने के लिए पढ़े "rebirth of my sweet woman"
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शहर के सबसे बड़े होटल में पूरी फिल्म इंडस्ट्री की पार्टी हो रही थी और उस में एक सबसे खास बात थी कि आज वहा के सब से सुपर हिट होने वाली फिल्म की फीमेल ऐक्टर का अनाउंस मेंट होने वाला था और वो जो भी लड़की होगी, उस की ज़िन्दगी रातो रात बदल सकती थी। जिस के लिए सारे के सारे फीमेल ऐक्टर ने अपनी पूरी जान लगा दी थी, उस ऑडिशन को जीतने में और इसी के चलते वहां भीड़ बढ़ती जा रही थी। वहीं दुसरी तरफ, उसी होटल के 3 मजिले पर, एक लड़की वॉश रूम में लिपस्टिक लगा के गुस्से से बोले जा रही थी_, “उस ईशा को क्या लगता है कि वो ऑडिशन जीत पाएगी। कभी नहीं, मै उसे कभी नहीं जीतने दूंगी।" ये कहते हुए उसने उस लिपस्टिक को वहीं बेसिन पर पटकते हुए बोली_ "मुझे हर हाल में वो रोल चाहिए, मतलब चहिए ही।" पर उसी टाइम एक लडके ने उसे अपने बाहों में ले लिया और उसके गले को सिद्दत से चूमते हुए बोला_ "मेरी जान क्यूं इतना गुस्सा कर रही हो? खुद को देखो, तुम्हे देख के कोई भी आदमी अपनी जवानी तुम्हारे हवाले कर सकता है।" जिस पर वो लड़की पलटी और उस आदमी के गले में हाथ डाल के उससे चिप्पक गई और बड़े सिड्क्टिव आवाज में बोली, "वहीं न, तुम्हे नहीं लगता कि मै ही रोल लूगी।" अब उसको खुद के इतने करीब देख के वो आदमी के आंखो में हवस साफ साफ दिख ने लगी थी। इसलिए वो उस लड़की को चूमते हुए बोला_ "हा, मेरी जान तुम ही जितोगी।" जिस पे वो लड़की दूर हो गई और नाराजगी से बोली_ "जाओ, तुम हमेशा मेरे साथ ऐसा ही करते हो, इसलिए ही न तुमने अब तक उस ईशा के साथ अपनी सगाई नहीं तोड़ी न।" पर उसके यू दूर होने से वो आदमी चीड़ गया और बोला, "बेबी, मै आज ही तोड़ने वाला हूं" जिस पे वो लड़की पलटी और बोली_ "और अगर वो ऑडिशन जीत जाएगी तो तुम तो मुझे छोड़ दोगे न?" जिस पर उस आदमी ने जल्दी से उस लड़की को अपने बाहों में खींचा और बोला_ "नहीं मेरी जान अगर वो जीत भी जाएगी न तो हम उसका नामोनिशान ही मिटा देगे।" जिसे सुनकर वो लड़की मुस्कुराई और बोली_ "क्या सच में मेरी जान?" और वो दोनो एक दूसरे में खो गए । वहीं दूसरी तरफ, एक लड़की पूरे होटल में किसी को ढूंढते हुए जा रही थी। उसने डार्क ब्लू कलर का ड्रेस पहना था और उसके बाल खुले थे। वैसे दिखने में वो इतनी खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका कॉन्फिडेंस कमाल का था, जिस वजह से वो आज ऐक्टर के रूप में थी। वो बहुत गरीब घर की थी। पर दो तीन फिल्म करने के बाद उसको कुछ मुकाम मिला । और आज उसको ऑडिशन में चुन लिया जाता , तो वो टॉप लिस्ट ऐक्टर में आ सकती थी। वो किसी को पूरे लॉबी में ढूंढते हुए बोल रही थी_ "आकाश कहा हो तुम ? प्रोग्राम चालू होने वाला है। तुम मेरे साथ नहीं रहोगे, तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।" पर उसी टाइम वहा पर अनाउंसमेंट होने लगी। जिस को सुन के वो घबरा गई और जल्दी से नीचे चली गई। जहा होस्ट अनाउंस कर रहा था_ "तो वो घड़ी आ गई है! जिस का आप सब को इंतेज़ार था, तो अब से टॉप होने वाली फिल्म की फीमेल ऐक्टर का रोल जो निभाने जा रही है वो..... है??" उस टाइम सब का दिल बैठ गया था, क्युकी सब उसका ही इंतेज़ार कर रहे थे और ईशा अपनी आंखे बन्द कर के दुआ कर रही थी। पर उसी टाइम अनाउंस हुआ_ “ईशा महेरा" और ये सुन के ईशा की आंखो से आसू बहने लगे और उसके लिए तलीया बजने लगी। और सब उसको देख रहे थे। पर ईशा के लिए आज का दिन बहुत अच्छा होने वाला था और अपने कॉन्ट्रेक्ट को पकड़ के उसको बहुत खुशी हो रही थी और वो पार्टी उसके नाम कर दी गई थी। ईशा दिखने में तो इतनी खास कुछ थी नहीं, पर उसकी एक्टिंग देख के कोई उसको रिजेक्ट नहीं कर सकता था। और उसी के चलते वो ये खुशी अपने मंगेतर आकाश और अपनी बेस्ट फ्रेंड शाक्षी से बाटना चहती थी। जिस कारण वो उस पूरे पार्टी में उन्हें ढूंढने लगी । पर कुछ देर के बाद उसको अपने फोन पे आकाश का मैसेज अाता है और उसमें रूम नंबर 303 में आने को बोला गया था । पर ईशा अपनी खुशी के मारे भागते भागते वहा पहोंची। पर वहा का माहौल देख के उसके हाथ से मोबाइल छूट गया, जैसे उसके पैरो तले जमीन खिसक गई थी। क्योंकि वो अपने सामने अपने मंगेतर और बेस्ट फ्रेंड्स को एक दूसरे के बाहों में देख रही थी । वो मैसेज शाक्षी ने ही आकाश के मोबाइल से किया था और आकाश तो पुरा शाक्षी में ही खोया था, पर खुद के साथ ऐसा होते देख ईशा झल्ला गई और अंदर जाके आकाश के ऊपर चिल्लाते हुए बोली, "आकाश क्या है ये सब?" उसके आंखो से आसू रुक ने का नाम ही नहीं ले रहे थे । पर ईशा की आवाज सुन के आकाश हड़बड़ा गया और ईशा को देख के खुद को और शाक्षी को पूरा ढक के बोला "ई..., ईशा तुम.,.. तुम यहां" और अपना पैंट पहनने लगा । पर ये सुन के ईशा का दिल टुकड़ों में टूट गया । और बोली "क्या मतलब है तुम्हारा? तुम ने मुझे ये देखने के लिए बुलाया था।" जिस पे आकाश उठा और ईशा को कंधों से पकड़ के बोला "ईशा ऐसा कुछ नहीं है। जैसा तुम सोच रही हो।" पर ईशा ने उसके हाथ दूर झटक दिया और बोली, "मैंने अपने आंखो से देखा है ये सब फिर भी तुम मुझे समझा रहें हो।" ये सुनकर आकाश वापस उसको पकड़ ने लगा पर ईशा दूर दूर हट रही थी। वहीं शाक्षी ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे अब तक और वो भी आकाश के बाजू में खड़े होके बोली, "ईशा सच में तुम जैसा सोच रही हो, वैसा कुछ नहीं है।" पर ये सब सुन के ईशा और टूट गई और बोली, "शाक्षी तुमने ऐसा कैसा किया मेरे साथ? तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड थी। " जिस पे शाक्षी उसके पास जाके उसके हाथ तो पकडी और बोली "ईशा जैसे तुम सोच रही हो वैसा कुछ नहीं है।" जिस पे ईशा उसके हाथ झटक के जाना चाहती थी पर शाक्षी ने बहुत जोर से पकड़ के रखा था और ईशा उसके हाथो से निकलने कि कोशिश करते हुए बोली "मुझे जाने दो! अब छोड़ो !" पर उसी टाइम आकाश ने रुमाल लेके उसके मुंह पे लगा दिया पर ईशा कोशिश करती रही। पता नहीं शायद उसके साथ क्या हो रहा था। और वो वहीं बेहोश हो गई। जिस पे आकाक्ष ने उसको बेड पे लिटा दिया और शाक्षी से बोला "इसका काम अब कोई और संभाल लेगा। एक बदनाम ऐक्टर के साथ कोई कैसे फिल्म कर सकता है।" जिस पे शाक्षी मुस्कुराई और बोली, "हा, कल के न्यूज पेपर में टॉप पे न्यूज आयेगी: जानिए टॉप फिल्म की फीमेल actor की रात रही दूसरे के बाहों में यादगार।" इसी के साथ दोनो हस दिए और उसको वहा अकेले छोड़ के चले गए। पर कुछ देर के बाद जब ईशा की आंखे खुली, तो उसका सिर भारी भारी लग रहा था। अभी वो उस बिल्डिंग के टॉप फोर मतलब 45 मजले पर थी। और उसको सब याद आ गया। जिस कारण वो जल्दी से उठ कर बाहर जाना चाहती थी। तभी वहा एक आदमी दरवाजा खोल के आ गया। वो लगभग 50 60 का लग रहा था। फिर वो बिस्तर पर पड़ी ईशा को देख के मुस्कुराने लगा और अपने शर्ट के बटन खोलते हुए ईशा के पास आने लगा। उसके इरादे को जान के ईशा डर गई और पीछे हटते हुए बोली, "तु.. म.. तुम कोन हो और यहा क्या कर रहे हो? " जिस पर उस आदमी ने ईशा का हाथ पकड़ लिया और उसको खींच ते हुए बोला, "अरे अाओ तो सही " पर ये देख के ईशा ने एक जोर दार थप्पड़ उसके गाल पे जड़ दिया। और बालकनी के पास जाके बोली, "खबर दार अगर मेरे पास भी अाए तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा।" जिसे सुनकर उस आदमी का गुस्सा भड़क गया और उसके करीब आते हुए बोला "ये लड़की! बस बहुत हो गया तेरा नाटक। पूरे 30 लाख दिया है तेरे लिए मैने।" जिस पे ईशा का दिल पुरा कांप उठा ये सुनकर और बोली, "मेरी किमत सिर्फ 30 लाख तक ही थी आकाश तुम्हारे लिए" और पलट के देखी तो वहा नीचे फूल स्पीड में कार चल रही थी। और पीछे उस आदमी को देख के बोली "तुम्हारे हवाले होने से अच्छा तो ये है कि मै ही ना रहूं।" मगर जब तक वो आदमी कुछ समझ पाता, उससे पहले ही ईशा ने उस बालकनी से जंप कर दी। पर अपने आंखो में आसू लुढ़क कर हवा में गुम हो गया था। फिर भी वो खुद से बोल रही थी "मै जरूर आउगी और सब का हिसाब कर के जाओगी। " और सीधे नीचे गिर गई और उसके उपर से दो तीन गाडियां भी चली गई। पर शायद ईशा और खुदा को ये मंज़ूर खा था । और लिख दी नई दास्तान प्यार की एक पूर्ण जन्म की कहानी ।
अगले दिन, जब ईशा की आंखे खुली तो उसके सामने उसको पुरा एक चमचमकता हुआ एक झुंमर दिख रहा था। ये सब देख के ईशा की आंखे छोटी हो गई और झटके से उठ के बैठ गई। पर खुद को एक व्हाइट ड्रेस और पुर कमरे को देख वो हैरानी में बोली, "मै .,,मै कहा हूं?" पर वो कमरा देख के तो कोई भी बोल सकता था कि वो रूम उस हॉस्पिटल का सब से लग्जरियस वार्ड है। और खुद के आजू बाजू इतने मशीन देख के उसको बहुत अजीब लग रहा था। पर अचानक उसको याद आया कि वो तो बिल्डिंग की इतनी ऊंचाई से कूदी थी, तो वो बची कैसी?" पर अचानक खुद को देख के खुश हो गई और चहकते हुए खुद से बोली, "क्या... क्या मै वापस जन्मी हूं सच में?" फिर वो उठ कर बैठ गई और खड़ी होना चाहती थी तो उससे चलना नहीं हो रहा था। और अजीब तरीके से खुद के पैर को देखने लगी और घबरा कर बोली, "मै.., मै चल क्यों नहीं पा रही हूं और मेरे पैर में इतना दर्द क्यों हो रहा है?" पर वहीं उसे जब बाजू में दो लकड़ियां देखी तो उसने गहरी सांस ली और धीरे से बोली, " मैंने नई ज़िंदगी की शुरवात की है और मै इसे पहले जैस नहीं गवा सकती हूं। और मुझे मेरे धोखे का भी हिसाब लेना है। " फिर उस बैसाखियों को लेके वो जैस तैसे खड़ी हो गई और लंगड़ा लंगड़ा के चलने लगी, पर जब वो जा रही थी। तो मिरर में खुद का अक्स देख वो पूरी शॉक हो गई और एक हाथ अपने गाल पे लगा के बोली "ये... ये मै... मै हूं, पर मै कैसे इतनी सुंदर हो गई?" हा क्यों की वो बहुत सुंदर बन गई थी। उसके काले लम्बे बाल उसके गोरा कलर और हिरनी जैसे आंखे। सुर्ख गुलाबी होठ। जैसे उसमे पुरा अमृत भरा हो। वो इस जनम में बहुत सुंदर हो गई थी । और उसी हड़बड़ी में वो रूम को छोड़ के बाहर चली गई। पर नॉर्मली बाहर की लॉबी में कुछ लोग भी होते है, पर वहा सब खाली था। पर उसी टाइम उसको एक नर्स पीछे से भागते हुए बोली "mam, आप कहां जा रही है। रुकिए नहीं तो हमारी जॉब चली जाएगी। रुकिए! अरे कोई पकड़़ो।" पर ये सुन के ईशा अभी भी चलते हुए बोली "यार! ये लोग मुझे क्यों पकड़ रहे है।” पर वो आगे जाती उससे पहले एक लाइन में बहुत सारे बॉडी गार्ड आके खड़े हो गए और उनको देख ईशा की आंखे छोटी हो गई और पलट के दूसरे तरफ भाग ने कि कोशिश की ही थी, कि वो एक मुसकुर चेस्ट से ट्करा गई और गिरने ही वाली थी कि उस आदमी ने उसको कमर से पकड लिया। पर जब ईशा ने उसको देखा तो वो देखती ही रहे गई । और वो आदमी भी उसको ही देख रह था पर उसके आंखो में कन्फ्यूजन भरा था। पर उसकी गहरी नीली आंखे और उसका चहेरा मानो वो इस दुनिया का सबसे हैंडसम चेहरा होगा। पर ईशा उससे दूर होने लगी और उसके सीने पर अपने हाथ से मारते हुए बोली_ "छोड़ो मुझे! छोड़ो!" जिस पर उस आदमी ने जल्दी से छोड़ दिया। जब ईशा उससे अलग हुई, पर उसके पैरों ने उसका साथ नहीं दिया और नीचे गिर गई और बोली, "अह्ह्ह्ह! यार क्यों छोड़ा मुझे तुम ने" और दर्द में चिल्लाने लगी। । पर ये सब देख के वहा की सारी नर्स और बॉडीगार्ड हैरान होकर बस ईशा को देख रहे थे । और उसी टाइम एक डॉक्टर वहा आके वहा का माहौल देख के उस आदमी से बोले, "हमे सच में माफ़ कर दीजिए, मिस्टर शिवांश ऑबोरॉय! हम आपकी वाइफ का ध्यान नहीं रख पाए। और ईशा को देख के बोले, "मिसेज ओबोरोय! आप ठीक तो है न!" ये सुनकर ईशा शॉक होकर उस आदमी को अपनी आंखें बड़ी करके देखने लगी और वापस डॉक्टर को देख के बोली "क्या ये मेरे हसबैंड है? कब? कैसे? मेरी शादी कैसे हुई? और ये ये मेरे हसबैंड कैसे? कोन है ये?" वहीं ईशा का सवाल सुन के वहा खड़े सारे लोग एक दूसरे के मुंह देख ने लगे पर जब उन लोगो ने उस आदमी को देखा तो वो आदमी बस ईशा को शांति से देख रहा था । फिर मन में बोला "ये इतनी कॉन्फिडेंट कैसे बन गई।" ये कहते हुए वो उसके पास बैठ गया । पर उसको अपने पास में बैठे हुए देख ईशा की आंखे छोटी हो गई और वो उसको उंगली दिखाते हुए जैसे धमकी से कह रही है, वैसे ही बोली, "देखो तुम जो कोई भी हो मुझ से दूर रहो नहीं तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा तुम्हारे लिए समझे।" और वापस डॉक्टर को देखते हुए बोली "डॉक्टर ... आप बोलेंगे कि मै यहां कैसे अाई......अरे आप लोग बोलते क्यू नही और कोन है ये? " वहीं ये सुन के वो डॉक्टर घबराहट में बोले "वो वो....ये आपके हसबैंड है मिसेज ऑबोरॉय।" ये सुनकर ईशा अब चिढ़ गई और बोली "ये क्या बोले जा रहे हो और किसने कहा तुम लोगों से कि ये मेरा हसबैंड है?” वहीं ये सुन के वहा खड़े सारे लोग एक दूसरे को देखने लगे। पर उसी टाइम उस आदमी ने झटके से ईशा को अपने बाहों में उठा लिया। वही अचानक ऐसे उठाने से ईशा चिल्लाते हुए बोल रही थी। "अरे कोई बचाओ मुझे! कोई तो बचाओ मुझे इस आदमी से! पुलिस.... पुलिस को कोई तो बुलाओ। " पर वो आदमी उसको वापस से उसके कमरे में ले गया और पीछे सारे के सारे लोग बस हैरानी से उन दोनों को देख रहे थे। तभी उसी टाइम वहा एक आदमी आया और हाफते हुए डॉक्टर से बोला "डॉक्टर क्या हुआ यहां? सर बहुत जल्दी में यहा अाए थे। कुछ हुआ है क्या?" जिस पर उस डॉक्टर ने उसको देखा और बोला, "जी.. जी, मिस्टर ओबेरॉय अाए थे पर mam को लेके अंदर गए है। " ये सुन वो आदमी जरा नाराज़ हो गया और बोला, "क्या mam को होश आ गया, इतने वक्त से कोमा में रहेने के बाद भी।" ये सुन डॉक्टर सोच में डूब गए और बोले, "हा पर शायद वो मिस्टर शिवांश को नहीं पहचान रही है" वही ये सुनकर वो आदमी हैरान हो गया और बोला, "क्या मतलब है आपका इससे?"
वार्ड में, ईशा अभी भी अपनी पूरी जान लगा रही थी दूर हटने की। पर शिवांश ने उसको बेड पे लिटा दिया। ये देख ईशा वापस उठने कि कोशिश कर ने लगी तो शिवांश ने ईशा के मुंह पे हाथ रख लिया और वापस लेटा दिया और उसके ऊपर झुक उसके करीब अा गया। फिर उसकी आंखो में आंखे डाल कर गंभीर आवाज में बोला, "बस बहुत हो गया अवंतिका। जब से उठी हो तब से क्या रट लगा रखा है तुमने। कोन हूं? मै यही जानना चाहती थी ना तुम।" ये सुन ईशा हां में सिर हिलाने लगी। उसका रिएक्शन देख शिवांश धीरे से मुस्कुराया और ईशा के बालो को पीछे करते हुए बोला, "मै तुम्हारा हसबैंड ही हूं मिस्टर शिवांश ओबोरॉय और तुम मेरी वाइफ अवंतिका शिवांश ओबेरॉय।" उसका जवाब सुन ईशा की आंखे छोटी हो गई और वो वापस हिलने लगी। उसको फिर से झटपटाते देख शिवांश ने झुक कर ईशा के होठों को अपने होंठों में ले लिया और उसको किस करने लगा। ये महसूस कर ईशा वैसे की वैसे ही जम गई और शिवांश के कॉलर को कस के पकड़ लिया। ये अहसास ईशा ने अपनी दोनो ज़िन्दगी में कभी महेसूस नहीं किया था । उसने कभी आकाश को छूने भी नहीं दिया था अपने आप को और यही कारण था कि वो शाक्षी से अट्रैक्ट हो गया था। पर उसको ये फीलिंग अजीब सी महसूस हो रही थी और जब उसको सांस लेने प्रॉब्लम होने लगी तब जाके शिवांश ने उसको छोड़ा। शिवांश उसको गहरी सांसे लेते देख हौले से मुस्कुराया। वही ईशा शिवांश को गुस्से में देख रही थी। शिवांश उसको देखते हुए सीधा खड़ा हो गया और अपने जेब में हाथ डाल एरोगेंटली कहा, "चुप चाप यही रहो, नहीं तो अगली बार मै इतनी जल्दी नहीं छोड़ूंगा तुम्हें समझी।” ये सुन ईशा चिढ़ गई और हांफते हुए बोली, "तुम.. तुम.. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे किस करने की।" जिस पर शिवांश उसके ऊपर वापस झुका और गहरी आवाज में बोला, "लगता है अभी तुम्हारा मन नहीं भरा क्यों?" उसको फिर से इतने नजदीक देख ईशा थोड़ा डर गई और पीछे हटती हुई बोली, "अच्छा ठीक है! ठीक है! मै कुछ नहीं करुगी, पर तुम थोड़ा दूर रहो मुझसे।" जिस पर शिवांश धीरे से हंसा और उसका सिर को सहलाते हुए बोला, "good girl!! अब रेस्ट करो।” उसको लेटा कर वो वार्ड से बाहर चला गया। उसके जाने के बाद ईशा ने अपने होठ छुए और अपना सिर पकड़ कर खुद से बोली, "ये भगवान! ये सब क्या चल रहा है मेरे साथ?" जब शिवांश वॉर्ड से निकाला तो वो जैसे पहले था, वैसे ही एरोगेंट और बिना किसी भाव के साथ निकला। उसके बाहर आते ही सभी गार्ड्स ने अपना सर झुका लिया और एक कतार में खड़े हो गए। उन गार्ड्स को देख शिवांश ने सख्त लहज़े में बोला, “सब, यही इस कमरे के बाहर रहोगे। अगर वो बाहर गई, तो तुम सब इस दुनिया से बाहर चले जाओगे हमेशा के लिए!" फिर अपने असिस्टेंट से बोला, “नेहान! इस कमरे की सेक्योरिटीज बढ़ा दो।" फिर डॉक्टर को घूरते हुए बोला, " क्या मै आप से बात कर सकता हूं?" उसके ऐसे घूरने से वो डॉक्टर हड़बड़ा गया और हकलाते हुए बोला, “जी, बि.. बिल्कुल, मुझे भी कुछ जरूरी बात करनी है!" ये बोल डाक्टर अपने केबिन की तरफ़ चला गया। शिवांश भी एक नज़र सबको देख डॉक्टर के पीछे बढ़ गया। केबिन में, डॉक्टर ने ईशा की रिपोर्टस देखते हुए कहा, "मैम, आप को भी पहचानने से मना कर रही है, इसका तो यही मतलब है कि......। " ये कहते हुए वो रुक गए, पर शिवांश उनकी बात को पूरी करते हुए शांति से बोला, "यही कि वो मुझे भूल गई है क्यों?" उस डॉक्टर ने धीरे से कहा, "जी लगता तो ऐसा ही है कि उनकी मेमोरी चली गई। मुझे लगता है उनके लिए आपको एक साइकॉलोजिस्ट से बात करना चाहिए, शायद उनको याद आ जाए सब कुछ।" पर शिवांश हल्के से मुकुराया और बोला, "उसकी कोई जरूरत नहीं है। मुझे भी उसकी यादों से छुटकारा ही चाहिए।" ये कह वो वहां से चला गया । वहीं उसके जाने के बाद डॉक्टर ने अपने सीने पर हाथ रख के खुद से बोला, "मुझे तो लगा था कि अभी मुझे हार्ट अटैक ही आ जाएगा। इस खड़ूस से बात करने में।” उधर कमरे में, ईशा से रहा नहीं जा रहा था रूम में और चारों तरफ देखते हुए बोली, "यार! अब मै क्या करू? मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा है। कैसे उस राक्षस से बचू? मुझे कुछ न कुछ तो करना ही होगा। कैसे निकलू यहां से?” ये कहते हुए वो इधर उधर देखने लगी। कुछ ही दूर पर उसको ऑटोमैटिक व्हील चेयर दिखी तो उसके दिमाग में आइदिया आ गया, पर उसको उस व्हील चेयर पर बैठना था पर वो उसकी पहुंच से बहुत दूर रखी थी। जिस पर उसने इधर उधर देखा, फिर अपने ब्लैंकेट को देख के मुस्कुराने लगी। कुछ ही देर में, उसने ब्लैंकेट और चादर को आपस में बांधते हुए बोली, "यार! ये कितनी महंगी होगी न, इसीलिए इतनी मुलायम है ये।" पर बीच ने ही खुद को डांटते हुए बोली, "नहीं नहीं ईशा, अपने इस दूसरे जनम में तू कोई गलती नहीं करेगी, फिलाल तुझे उस राक्षस से बच के निकलना है और मुझे पता भी नहीं की मै कहां हूं इस वक्त?” और उस ब्लैंकेट को व्हील चियर की तरफ़ फेकते हुए बोली, "आ जा मेरी जान!" और जैसे वो ब्लैंकेट उस चेयर में अटकी वैसे से ही शिवांश वहा डॉक्टर के साथ आ गया। वहीं उनको अचानक देख के ईशा जैसे थी, वैसे जम गई। और अपनी आंखे बंद कर के खुद से बोली, "गई ईशा तू अब, ये राक्षस तेरा खून पी जायेगा।" ये कहते हुए उसने अपना स्लाइवा गटका और शिवांश के तरफ देखते हुए अजीब तरीके से हसने लगी और धीरे से बोली, "अरे तुम! " शिवांश ईशा को देखते हुए ही डॉक्टर से बोला, "आप सब जाइए यहां से।" ये सुन वो डॉक्टर जल्दी से निकल गए और उनके जाने के बाद शिवांश ने अच्छे से उस दरवाजे को लॉक किया। और ईशा को घुरने लगा। उसकी उन नजरों को देख ईशा उस ब्लैंकेट को वापस खींचते हुए बोली, "वो मै वो...।" पर वो ब्लैंकेट वहीं फस गया था। जिस पर ईशा ने चिढ़ कर उसे देखा और उस ब्लैंकेट से बोली, "अरे अब निकलो भी।" ये बोल उसने जोर से उसे खींच लिया जिससे वो ब्लैंकेट तो निकल गया था पर वो व्हील चेयर धक्के से सीधे सामने वाले कॉफी टेबल से टकरा गई और उस टेबल में जरा क्रैक आ गया। ये देख कर ईशा और शर्मिंदा हो गई और हस्ते हुए उस ब्लैंकेट से खुद को कवर करते हुए बोली, "वो न मुझे बहुत नींद आ रही है तो मैं सोने जा रही हूं।" ये बोल उसने ब्लैंकेट को अपने ऊपर ओढ़ कर सोने की एक्टिंग करने लगी। पर ये सब देख के शिवांश बस कन्फ्यूजन मे देख ने लगा और खुद से बोला, "ये कब से इतनी कॉन्फिडेंट और शैतान हो गई। मैने पहले तो कभी नहीं देखा था इसको ऐसे करते हुए । मैं पहले जो कहता था ये वैसे ही करती थी। और ये तो इतनी डर ती थी कि वो ये सब कुछ करने की सोच भी नहीं सकती थी। एक इंसान में इतना बदलाव कैसे आ सकता है?” ये सोचते हुए उसके हाथ अपने आप होठों पर चले गए। तभी उसको याद आया कि उस टाइम वैसा एहसास उसको भी कभी नहीं हुआ था। शिवांश ने भी कभी किसी को खुद से किस नहीं किया था, पर पता नहीं उसको क्या हुआ था, उस टाइम उसकी नजर जैसे ही उसके मुलायम होंठों पर गई तो उससे रहा ही नहीं गया। ये याद आते ही उसने अपना सर झटका और वापस वहा से चला गया।
अब आगे- वहीं दरवाजा बन्द होने की आवाज सुन कर ईशा ने धीरे धीरे ब्लैंकेट हटाया और गेट की तरफ देखते हुए बोली, "आज तो बज गई मै किसी तरह से पर लगता नहीं मुझे की आगे मैं बच पाऊंगी। " और ये सब सोचते हुए वैसे ही उसकी आंख लग गई । जब शिवांश बाहर निकला तो वहा सारे बॉडी गार्ड वैसे ही खड़े थे। फिर उसने नेहान को देखकर रूढ़ वाइस में बोला, "नेहान, अब तक के सबसे अच्छे वाले साइकॉलोजिस्ट को यहां बुलवाओ। वो मुझे सिर्फ 1 घंटे में अपने सामने चाहिए मतलब चाहिए। Got it।" ये सुनकर नेहान थोड़ा कंफ्यूज हो गया और असमंजस में बोला, "जी सर .. मै अभी करवाता हूं।" पर पता नहीं उसको कुछ अजीब लग रहा था इसलिए वो मन में बोला, "सर क्यों साइकॉलोजिस्ट को बुलवाना चाहते है जब कि वो खुद मैडम से छुटकारा चाहते है।" मगर उसने कुछ कहा नहीं और वहां से कॉल करते हुए चला गया। कुछ देर के बाद, एक 49 साल की औरत नेहान के साथ आई। नेहान शिवांश की तरफ देखते हुए पोलाइट आवाज में बोला, "सर! ये रही…!" उसकी आवाज सुन शिवांश ने अपने लैपटॉप को बन्द किया और बोला, “क्सिकॉलजिस्ट है!" उसकी एरोगेंट वॉयस सुन उस लेडी ने धीरे से हां में सर हिलाया। उसकी तरफ देखते हुए शिवांश ने बोला, "तो आप को पता है न क्या करना है? पर एक कंडीशन के साथ!" ये सुन वो दोनो हैरान हो गए पर कुछ कहा नहीं। कुछ देर के बाद वो औरत अकेली ईशा के कमरे में आई और गेट को बन्द कर दिया, पर ईशा को सोते देख वो औरत मुस्कुराई और धीरे से बोली, "इतनी प्यारी बच्ची के साथ इतना कुछ होने के बाद कौन जीना चाहेगा भला। शायद इसलिए ही इसने खुदखुशी करने की कोशिश की है।" ये कहते हुए वो उसके बाजू में बैठ के ईशा के सर पर हाथ फेरते हुए बोली, “अवंतिका! क्या तुम ठीक हो?” ये सुन ईशा अंगड़ाई लेते हुए बोली, "हां, मै तो ठीक हूं।" और आंखे खोल कर देखा तो अपने सामने एक अनजान औरत को देख वो शॉक हो गई और जल्दी से उठ कर बैठ गई और कंफ्यूज में बोली, “अब आप कोन है? क्या हो रहा है मेरे साथ ये सब?" ये सुन वो औरत हल्के से हसी और बोली, "बेटा! तुम मुझे अपनी मा कह सकती हो। वैसे मै तो तुम्हारे प्रॉब्लम का हल लेके आई हूँ।" सिया बोली, "मेरा हल पर कैसे?" ये सुन कर उस औरत ने ईशा का हाथ पकड़ लिया और बोली, "बेटा तुम्हे कुछ याद नहीं है क्या?" ये सुन ईशा याद करने लगी पर उसको सब अपने पिछले जनम की ही बाते याद आ रही थी। जिस कारण वो परेशान होते हुए बोली, "नहीं, मुझे कुछ याद नहीं है। वो आदमी कोन है मुझे नहीं पता और मुझे यहां इस तरह क़ैद कर के रखा है।" वो औरत बड़ी ध्यान से उसकी बात सुन रही थी और अपने बैग से फोटो एल्बम निकाल कर, उसने एक फोटो को दिखाते हुए कहा, "ये कोन है ये भी नहीं पता?" उस फोटो में एक बच्ची सोफे पर बैठी हुई एक टेडी पकड़ रखा था और उन सारी फोटो में अवंतिका थी जरूर पर कुछ दूरी पर और उसके चेहरे पर उदासी झलक रही थी। जिस को देख ईशा सोच में डूब गई। ईशा उन फोटो को बहुत ध्यान से देख रही थी। उनमें अवंतिका तो थी पर शायद ऐसा लग रहा था जैसे उसके साथ कुछ भेदभाव हो रहा है। उस औरत ने अवनतिका और शिवांश के शादी के फोटो दिखाते हुए बोली, "अवंतिका! क्या इसे देख तुम्हे याद आया? ये तुम्हारी और मिस्टर शिवांश की शादी की तस्वीर है।" पर उस शादी में अवंतिका का चेहेरा बहुत मुरझाया दिख रहा था। जिस पे अवंतिका बोली, “मिसेज! आपने बोला था कि मै आप को मां समझ सकती हूं। तो आप सच बताइए कि मेरी शादी सुधा जिंदगी कैसी थी? मुझे सच जानना है।” ये कहते हुए ईशा मासूम चेहरा बना कर उसको देखने लगी। जिस को देख कर उस औरत को बहुत बूरा लगा, फिर ईशा को गले लगा लिया और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली, "बेटा! तुमने बहुत सहा है। तुम्हारी ऐसी हालत तो होनी थी।” दूसरी साइड से ईशा अजीब अजीब चेहेरे बना रही और मन में बोली, "तो ये बताती क्यों नहीं मुझे?" फिर वो औरत उससे अलग हो कर बोली, "मिस्टर शिवांश इस दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस टायकून है और बहुत सारे लड़किया उन पर मरती है, पर उनके दादा जी, जो खुद में ही बहुत बड़ी हस्ती हैं, उन्होंने ने तुम्हारे पापा से अपने पोते के शादी का प्रस्ताव रखा, वो भी तुम्हारी बहन के लिए।" ये सुन ईशा बोली, "मेरी बहन?" उस औरत ने कहा, "हा, पर मिस्टर शिवांश ये शादी नहीं करना चाहते थे, अपने दादा जी का मान रखने के लिए तैयार हो गए। शादी की सारी तैयारी हो चुकी थी और शादी का दिन भी आ गया। तुम्हारी बहन को घूंघट में लाया गया मंडप पर और शादी भी हो गई। पर जब घूंघट उठाया गया तो वहा तुम थी। जिसको देख कर वहा मौजूद सारे लोग हैरान हो गए थे।” तभी ईशा ने सवाल किया, “क्यों? मुझे देख कर सब हैरान क्यों थे?” उस औरत ने कहा, “मुझे नहीं पता इतना, पर हा तुम्हारे अनपढ़ होने के वजह से सारे लोग हैरानी में थे। तुम्हारी शादी का लाइव टेलीकास्ट तो नहीं हुआ था पर लोगों के पास ये अफ़वाह अच्छे से पहुंच गई थी और ये सच भी था कि तुम्हे इंग्लिश भी नहीं आती।" ये सुन ईशा की आंखे छोटी हो गई और मन में बोली, "पर ऐसा क्यों?" तभी वो औरत आगे बोली, “इतने बड़े बिजनेस टायकून के अचानक तुम्हारी शादी से बाहर मीडिया में हल चल मच गई थी और सब तुम्हारी शादी को मानना ही नहीं चाहते थे और शायद शिवांश भी यही चाहते थे। उनका इस शादी में बिकुल मन नहीं था। पर तब तक तुम्हारी शादी हो गई थी। मुझे बाकी तो कुछ नहीं पता पर हा ये सुना है कि कुछ दिन तुम अपने पुराने घर पर रुकी हुई थी और वहा से अचानक तुम शिवांश के घर पर चली आई। उस दिन के बाद हमेशा एक लड़की निशांत के साथ दिखती थी। तुम तो जैसे वहां रहती ही नहीं थी, तुम्हारा होना ना होना सब एक बराबर था लोगों के लिए। कुछ दिन बाद अचानक पता नहीं क्यों पर तुमने बिल्डिंग से खुद की जान लेने की कोशिश की पर ऊपर वाले का शुक्र है कि देखो तुम सही सलामत हो अभी यहा।" पर ये सब सुन कर ईशा सोच में डूब गई और मन में बोली, "क्या मतलब है इसका कि अवंतिका की शादी अनजाने में हुई थी उस राक्षस से? पर उसने अपनी जान क्यों लेने चाही? बड़ा कॉम्प्लिकेटेड है यार ये सब। पर मै ये कैसे मान लू कि मेरी शादी सच में हुई है?" तभी ईशा ने सवाल किया, “क्या आप मुझे मेरा मैरिज सर्टिफिकेट दिखा सकती है?"
अब आगे - उस साइकेट्रिक ने अपने बैग से एक फोटो कॉपी निकाल कर देते हुए बोली, "मेरे पास मैरिज सर्टिफिकेट नहीं है पर उसकी फोटो कॉपी जरूर है।"” और ये भी शिवांश ने ही दिया था उनको फ़िलाल के लिए। ईशा ने तुरंत वो ले लिया और ध्यान से देखने लगी, उसमे अवंतिका और शिवांश दोनो के साइन थे । और ये देख के उसने अपना सिर पकड़ लिया और थोड़ा नाटक करते हुए बोली, "क्या आप मुझे उस टेबल पर से पानी दे सकती है, मुझे प्यास लगी है।* उस औरत ने हा में सिर हिला दिया और उठ कर ग्लास भरने लगी, पर इतने ही देर में ईशा ने एक फोटो निकाल कर ब्लैंकेट में छुपा दिया और लेटते हुए बोली, "वो मुझे कुछ आराम की जरूरत है। इसलिए मैं सोने जा रही हूं।" ये सुनकर उस औरत को कुछ अजीब लगा पर उसने कहा नहीं कुछ और वहा से सारा सामान ले कर वो चली गई । वो जब वार्ड से बाहर निकली तो वहा उसका इंतज़ार करते हुए नेहान वहीं टहल रहा था। उसको देख नेहान ने कहा, "डॉ. आप मेरे साथ चलिए बॉस आपका इंतजार कर रहे है।" उस रूम के बाहर पहुंच कर नेहान वहीं रुक गया और वो डॉ अंदर चली गई। अंदर शिवांश किसी किंग की तरह सोफे पर बैठा था। उसने डॉ को एक नज़र देख सामने बैठने का इशारा किया। उसका इशारा समझ वो बैठ गई। फिर उसने एल्बम और मैरेज सर्टिफिकेट देते हुए कहा, "सर मैंने आपका काम कर दिया है और आपकी शर्त के अनुसार मैने उनको आप के अलावा किसी और के बारे में कुछ नहीं बताया और मैंने ये भी बताया कि आपकी शादी कैसे हुई थी । पर मुझे हैरानी तब हुई जब इतना जाने के बताने के बाद भी वो बहुत शांत थी, जैसे वो कोई स्टोरी सुन रही हो और बस उनको इन सब से छुटकारा चाहिए।" वहीं ये सुनकर शिवांश के चहेरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गई फिर उसने थोड़ा रुक कर कहा, "तो इसका क्या मतलब समझू मै?" ये सुन उस डॉक्टर ने कहा, "मुझे नहीं लगता इतना कुछ जानने के बाद भी उनको कुछ याद आए होगा, पर समय के साथ याद आ जाएगा।" ये सुनकर शिवांश बोला, "ठीक है! अब आप जा सकती है।" उस डॉ के जाने के बाद शिवांश उठा और विंडो से बाहर आसमान को देखते हुए बोला, "अवंतिका! अवंतिका! तुम पहली वाली अवंतिका तो नहीं हो, इतना कैसे बदलाव आ गया तुममें अचानक से?" ये कहते हुए वो उस रूम से निकल कर अवंतिका के कमरे में आ गया। जहा ईशा जो अवंतिका के रूप में सो रही थीं। उसको देखते हुए शिवांश उसके पास गया, जहा ईशा अजीब तरीके से सो रही थी और और पूरे बाल उसके चहेरे पर बिखरे हुए थे और निशांत ने उसके बाल हटाने चाहे कि ईशा करवट ले कर नींद में बोली, “आकाश …!!!" वहीं दूसरे मर्द का नाम अपनी वाइफ के मुंह से सुन कर उसका खून खौल उठा और उसके हाथ वहीं एक मुट्ठी में कस गए। फिर उसने पास में रखे फ्रूट बास्केट को गुस्से में नीचे फेक दिया। कुछ गिरने की आवाज से ईशा जल्दी से उठ कर बैठ गई और अपने सामने शिवांश को इतने गुस्से में देख वो घबरा गई और ब्लैंकेट को कस कर पकड़ लिया। तभी शिवांश ने ईशा को देखा और उसके पास आ कर उसके उपर झुकते हुए अचानक से उसके गला दबाते हुए बोला, "अवंतिका! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई किसी गैरमर्द को मेरे जगह रखने की तुम शादी शुदा हो।” वहीं ईशा अपने आप को छुड़ाने के लिए उसको धक्का मार रही थी पर शिवांश की पकड़ इतनी ज्यादा थी कि उसका पूरा चेहरा सांस न लेने की वजह से लाल होता जा रहा था। उसको भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखरी इस राक्षस को क्या हो गया? तभी शिवांश ने गुस्से से कहा, “कौन है ये आकाश? जिसका नाम तुम नींद में ले रही थी।" वहीं ये सुनकर ईशा की आंखे बड़ी हो गई और शिवांश ने हाथ की हटाने लगी पर उसकी पकड़ बहुत पक्की थी और जब उसे लगा कि अब उसकी दूसरी ज़िन्दगी भी इतनी आसानी से चले जाने वाली है तो उसने हिम्मत हार दी और अपने आंखे बन्द कर ली। शायद वो बेहोश हो गई थी। उसकी बंद आंखें देख शिवांश ने उसको छोड़ा पर ईशा बेहोश हो गई थी और उसको ऐसे बेहोश देख के शिवांश गुस्से में चिल्लाया, “डॉक्टर!!" तभी 2 डॉक्टर भाग ते हुए आए और वहा का हाल देख कर वो भी हैरान ही गए। तभी शिवांश ने उन्हें घूरते हुए कहा, "देखो क्या हुआ इसको? मुझे हर हाल में ये जिंदा चाहिए मतलब चाहिए।” ये बोल वो वहा से चला गया। उसके जाने के बाद कुछ नर्स भी अंदर आ गई और डॉ उसका इलाज करने लगे। वहा शिवांश गुस्से में अपनी मुट्ठी भींच कर खुद से बोला, "अवंतिका तुम ने बहुत बूरा किया है इसलिए तुम भूलने की एक्टिंग कर रही हों तो चलो मै भी इस एक्टिंग में तुम्हारी साथ देता हूं।” शाम को, ईशा बाहर गार्डन में घुम रही थी और एक औरत उसकी व्हील चेयर को धकेल रही थी। उसको ईश के लिए ही अपॉइंट किया गया था । वहीं ईशा शिवांश के बर्ताव बाद बहुत गुस्से में थी। तभी ईशा ने अपनी केयरटेकर से कहा, "तुम अभी जाओ मुझे कुछ वक्त अकेले रहना है।” उस लड़की ने ईशा की बात सुनकर हां में सर हिलाया और वहां से चली गई। वहीं ईशा उसके जाने के बाद ऊपर देखते हुए बोली, “आपने मुझे दूसरी जिंदगी तो दे दी है, पर मै यहां चार दीवारों में रह कैसे सकती हूं और वो राक्षस उंसने तो मेरी जान ही ले ली थी। पहले तो उसने मुझे जबरदस्ती किस किया फिर मेरा गला दबा कर मारने की कोशिश भी की। मैं अब और यहां नहीं रह सकती, मुझे तो यहा से निकलना ही होना कैसे भी करके।" वहां गार्डन साइड ज्यादा सिक्योरिटी नहीं थी इसलिए ईशा ने इधर उधर देखा और किसी का ध्यान अपनी तरफ न पाकर व्हील चेयर को दूसरे तरफ लेके जाने लगी। अब वो व्हील चेयर ऑटोमैटिक थी तो वो चल रही थी। और हॉस्पिटल के पीछे जाते ही उसको एक रास्ता दिखा जो पीछे से खुलता था। जिस को देख के ईशा के चाहेरे पे स्माइल आ गई और वो खुश हो कर बोली, "मै तो चली राक्षस जी! बाय!!" खुद से बोल वो जल्दी से वहा से निकल गई । वो निकल जरूर गई थी पर उसको उस सिटी के बारे में कुछ नहीं पता था। पहले वो हमेशा मुंबई में एक हिस्से ने ही रहती थी। मगर यहां के बारे मे कुछ नहीं जानती थी। इसलिए वहा के सारे लोग उसको अजीब लग रहे थे। वही दूसरी तरफ, जब वो लड़की अवंतिका मतलब ईशा को देखने आई तो वहा ईशा को न देख कर वो घबरा गई और भागते हुए अंदर जाने लगी पर बाहर नेहान को देखकर वो वही आ कर नेहान से बोली, "सर! वो.. वो.." उसको इतना घबराया देख नेहान की आंखे छोटी हो गई। वो और शिवांश अभी अभी हॉस्पिटल में वापस आए थे। जब से शिवांश गुस्से में निकला था तबसे वो वहा आया ही नहीं था। अभी अभी ही लोग हॉस्पिटल पहुंचे थे। शिवांश कार से उतर रहा था पर उस लड़की को घूरते हुए बोला, "क्या हुआ है बोलो जल्दी?" शिवांश को देख वो लड़की और घबरा गई फिर डरते हुए बोली, "सर! वो वो मैम…" ये सुन के शिवांश और ध्यान से सुनने लगा तभी वो लड़की रोते हुए बोली, "सर! mam पता नहीं कहा चली गई? उन्होंने मुझे सिर्फ गार्डन में छोड़ने को बोला था और बाद में मै जब गई तो पता नहीं वो कहा चली गई?" ये सुनकर शिवांश की मुठ्ठी भींच गई और वो खुद से बोला, "अवंतिका तुम करना क्या चाहती हो ये सब करके?" फिर उसने नेहान से कहा, “जल्दी ढूंढो उसको, वो ज्यादा दूर नहीं जा सकती। जल्दी उस चेयर की बैटरी low हो जाएगी तो वो ज्यादा नहीं जा सकती है।" ये सुन नेहान ने सब को काम पे लगा दिया। उधर ईशा कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसकी चेयर अपने आप रुकने लगी। ये देख वो चिढ़ गई और ऊपर देखते हुए बोली, "क्या मुसीबत है ये? अब ये क्यों रूक गई?"
अब आगे- अब सूरज ढाल चुका था और अंधेरा छाने लगा था। ईशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे और जाएं इसलिए वो इधर उधर देखने लगी। इस वक्त वो एक बहुत सुनसान सी अलग जगह पर आ गई थी। ईशा को कुछ समझ नहीं आया और बोली, “अब लगता है मुझे उठना ही होगा।" ये कहते हुए वो उठने की कोशिश करने लगी पर उससे उठा ही नहीं जा रहा था और इसी कोशिश में उसके चेयर के निचे की एक वॉकिंग स्टिक गिर गई। उसको देख के ईशा की आंखे चमक गई और बोली, "चलो कुछ तो अच्छा हुआ यहा!" और उठ कर धीरे से बोली, "बस तेरी ही कमी थी।" ये कहते हुए उसने उस वॉकिंग स्टिक को अनफोल्ड किया और उसके सहारे खड़ी हो गई। उसके पैरों में अभी भी दर्द था इसलिए वो धीरे धीरे लंगड़ाते हुए चलने लगी। अब तक पूरी तरह शाम हो गई थी और उस रास्ते पर और शांति होने लगी। जिसे देख ईशा जरा घबराते हुए बोली, "यार! ये मै कहा आ गई हूं। कुछ समझ नहीं आ रहा कहां जाऊ मैं!" रात में ईशा अकेली घूम रही थी। उसको कहां पता था कि आगे उसके साथ और कुछ भी होने वाला था। वो कुछ दूर ही चली थी, तभी 3-4 आवारा आदमियों की नजर ईशा पर पड़ गई और वो लोग ईशा को अकेले देख घेर के खड़े हो जाते है। उनको अपने इतने करीब देख ईशा जरा घबरा गई और वो थोड़ा हकलाते हुए बोली, "क… कौन हो तुम लोग और मुझे क्यों घेरा है?" जिसमे से एक आदमी ने अपने लीडर से कहा, "यार! ये तो काफी सुंदर है। पर ये यहां कैसे…? आज तक किसी भी लड़की ने इस एरिया में आने की कोशिश नहीं की तो फिर…।" वहीं वो सारे आदमी ईशा को ऊपर से नीचे देखने लगे और बोले, "हा यार! एक बात तो सच कही कि ये है काफी सुंदर।” ये सुन ईशा चिढ़ गई और उन सबको घूरते हुए बोली, "ओह रियली! इडियट, कान खोल कर सुन लो, अगर मुझे हाथ भी लगाया न तो तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा समझें!" ये कहते हुए वो लंगड़ाते हुए पीछे हटने लगी। जिसे देख वो आदमी हसने लगे और एक ने अपनी दाढ़ी को सहलाते हुए बोला, "यार ये तो सच में पटाका है।." ये सुन सब लोग हसने लगे और एक आदमी वापस बोला, “यार हमें भी जरा मज़ा उठाने दीजिए। हमने कौन सा गुनाह किया?" ये सुन ईशा चिढ़ गई फिर मासूम सी शक्ल बनाया और हस्ते हुए बोली, “अरे भईया! तुम कितने अच्छे हो.... मै तो तुम्हारी बहन जैसी हूं न… ऐसा नहीं करते अपनी बहन के साथ। आप लोग तो कितने अच्छे बच्चे हों।" उसकी इस हरकत को देख के वो सारे आदमी एक दूसरे को देखने लगे। जैसे उन्होंने आज तक ईशा से बेकुफ लड़की नहीं देखी थी। जो कुछ भी बोले जा रही थी। तभी अचानक वो लोग हसने लगे और ईशा के और करीब आते हुए बोले, “ऐसे कैसे छोड़ दें? आज तो हम भी मजे लेंगे।” ये सुन ईशा पीछे हटने लगी और उनको उंगली दिखाते हुए बोली, "देखो! मुझे हाथ भी मत लगाना नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!” तभी एक आदमी उसकी ड्रेस को पकड़ने ही वाला था कि किसी ने उसके हाथ को ईशा के पास जाने से पहले ही रोक लिया। वहीं ईशा ने तो डर से अपनी आंखे बन्द ही कर दी थी। पर जब उसे कुछ महसूस नहीं हुआ तो उसने अपनी आंखें धीरे से खोली और उसने उस हाथ को देखा जो उससे थोड़ी दूर रुका था फिर उसने जल्दी से बगल में देखा तो वहां शिवांश खड़ा था। शिवांश ने एक नजर ईशा को देखा फिर उन लोगों को घूरते हुए ईशा के आगे खड़ा हो गया। फिर उसने उसका हाथ झटकते हुए कहा, “अगर उसको हाथ लगाने की सोची भी तो हाथ तोड़ कर फेक दूंगा समझे!!” फिर पलट कर उसने ईशा को देखा जो अपना सर झुकाए खड़ी थी। उसको बहुत शर्मिंदगी हो रही थी । शिवांश अपने एटिट्यूड में बोला, "चलो अब यहां से!" ये सुन ईशा ने सर उठा कर उसको देखा पर पीछे नजर पड़ते ही वो चिल्लाई, “शिवांश..!!” ये बोल उसने उसको गले लगा लिया और पलट गई। जिस कारण पीछे खड़ा वो आदमी जो शिवांश को मारने वाला था, वो डंडा अब ईशा ईशा को लग गया और उसके मुंह से चीख निकल गई, “ahhhh!!!” उसको ऐसे गिरते देख शिवांश ने उसको पकड़ा और घबराहट में बोला, “अवंतिका!! अवंतिका!! तुम ठीक तो हो न।" अवंतिका ने दर्द से कराहते हुए हा में सिर हिला दिया और वहीं बैठ गई। वहीं उसकी ऐसी हालत देख शिवांश का गुस्सा फुट पड़ा। उसने उस आदमी को इतना मारा कि उसके मुंह से खून निकलने लगा। ये देख वहा के सारे लोग हैरान हो गए । यहा तक की अवंतिका भी अपने आंखे बन्द कर बोल रही थी, "हे भगवान! ये कैसा इंसान है? इतने बुरे तरीके कोन मारता है?" ये बोल वो उसको रोकने के लिए हड़बड़ा के उठने लगी। पर उसने ध्यान नहीं दिया कि वो सच में अपने पैरों पर खड़ी हो गई थी पर शिवांश को रोक ने चक्कर में वो ये चीज भूल गई थी। पर शायद उसका चलना अभी नहीं लिखा था कि तभी किसी ने अचानक उसके फैक्चर पैर एक जोर दार रोड मार दी। जिस कारण ईशा जोर से चिल्लाई और खुद को संभाल नहीं पाई और अपने सिर के बल गिर गई और अवंतिका के सिर से खून निकलने लगा। उसकी चीख सुन शिवांश ने पीछे पलट कर देखा तो हैरान रह गया। फिर उसने उस आदमी को धक्का दिया और ईशा के पास आया और उठाते हुए बोला, "अवंतिका! अवंतिका! क्या हुआ तुम्हें? उठो please!" अब तक नेहान और शिवांश के सारे बॉडी गार्ड वहां पहुंच गए थे और ईशा की ऐसी हालत देख कर हैरान हो गए थे। वहा अचानक बहुत सारे बॉडीगार्ड ने पुरा रास्ता घेर लिया था और आधे से ज्यादा सिक्योरिटी ने तो ईशा और शिवांश के आजू बाजू थी। शिवांश ने जल्दी से ईशा को अपनी बाहों में उठाया और ड्राइवर पर भड़कते हुए बोला, "जल्दी हॉस्पिटल चलो।” ये बोल वो बैक सीट पर बैठ गया और कार सीधे हॉस्पिटल के तरफ चली गई। आज पहली बार शिवांश ने किसी के लिए इतनी फ़िक्र जताई थी जिसे देख नेहान भी हैरान था पर उसने कुछ नहीं कहा। कुछ देर बाद, हॉस्पिटल के वॉर्ड से डॉक्टर बाहर आए और शिवांश को देख कर बोले, “मिस्टर ऑबोरोय! आप की वाइफ की कंडीशन अभी तो ठीक है, पर… उनके पैर में वापस चोट लग जाने के वजह से वो अब जरा सी भी खड़ी नहीं हो सकती, पर हा वक्त के साथ वो चलाना शुरू कर देगी और सर पर ज्यादा गहरी चोट नहीं आई वो अच्छी बात है, कुछ देर में उनको होश आ जाएगा तब आप उनसे मिल सकते है।" ये सुन शिवांश ने बस हा में सिर हिला दिया और खिड़की से ईशा को देख ने लगा और अपने मन में बोला, “क्यों मुझे तुम खींच रही हो अपनी तरफ? जब की तुम मेरी ज़िन्दगी में कुछ मायने ही नहीं रखती हो पर फिर भी क्यों?” फिर उसने एक गहरी सांस ली और पलट के नेहान से बोला, "यहा की सिक्योरिटी बढ़ा दो और टाइट भी। कोई भी मुझसे बिना पुछे अंदर या बाहर नहीं जा सकता, याद रखना ये बात।" ये कहते हुए वो वहा से चला गया, पर वहा के सारे लोगो के गले में जान अटक गई थी। उनको अवंतिका के लिए ऐसे instruction नहीं मिले थे बस बाहरी लोगों के लिए थे। कुछ घंटे बाद, शिवांश जब अपने ड्रेस चेंज और कुछ काम करके आया तो वहा के सारे लोग और अलर्ट हो गए। तभी शिवांश ने कहा, “अंदर कौन है?" एक बॉडी गार्ड ने कहा, "सर! एक नर्स गई है mam को दवा देने।" जिस पर शिवांश ने कुछ नहीं कहा और अंदर की ओर बढ़ गया। जब वो वार्ड के अंदर गया तो उसने देखा कि ईशा बेड से लेटे हुए पानी पी रही थी। उसके पैर के साथ अब उसके माथे पर भी पट्टी लगी हुई थी, पर उसके चहेरे का वो तेज अब तक वैसा ही था।
शिवांश को देख के ईशा के चहेरे पे स्माइल आ गई। फिर उसने हस्ते हुए कहा, “अरे राक्षस! तुम....... मेरा मतलब शिवांश तुम… आओ! आओ! जल्दी आओ!" शिवांश को देखते ही नर्स ने नीचे मुंह झुका लिया और पलट कर जाने लगी थी, कि तभी ईशा उसको रोकते हुए बोली, “अरे! तुम कहां जा रही हो? रुको! रुको! मुझे वो फ्रूट की बास्केट पकड़ा दो फिर तुम जा सकती हो।" उसकी बात सुनकर नर्स ने एक बार शिवांश को देखा जो ईशा को देख रहा था। फिर उसने जल्दी से बास्केट उसके हाथ में रख कर चली गई । वहीं उसके जाने के बाद शिवांश ईशा को देखते हुए उसके करीब आया और उसे घूरते हुए बोला, "तो तुम यहां से भागने की कोशिश कर रही थी!" उसकी ये बात सुनकर ईशा अजीब तरीके से मुस्कुराई और सफाई देेते हुए बोली, "हां, भागी जरूर थी पर अब मुझे अफसोस हो रहा है कि मैं भागी क्यों?" ये सुन के शिवांश वहीं सोफे बैठ गया और एक टक देखते हुए बोला, "किस बात का अफसोस?" और उसको ध्यान से सुनने लगा। ये सुन ईशा के हाथ रुक गए जो फल उठा रहे थे फिर मुस्कुराते हुए बोली, "यही की अगर मै नहीं जाती तो शायद मेरा ये हाल नहीं होता न!" फिर शिवांश की तरफ देख कर बोली, "मेरे कहने का मतलब समझ रहे हो न तुम!" उसका जवाब सुन शिवांश के आंखो में हल्की नाराज़गी दिखने लगी शायद वो ये जवाब नहीं चाहता था, पर ईशा का ऐसा सवाल सुन के वो बोला, "तो तुम अब क्या करोगी?" ये सुन ईशा मुस्कुराई और सेेब खाते हुए बोली, "मै .... सिंपल। तुमने कहा था न कि मै तुम्हारी वाइफ हूं तो अब वाइफ अलग थोड़ी रहेगी। तुम्हे मुझे अपने साथ लेकर जाना होगा। मै इतना तो कर ही सकती हूं तुम्हारी लिए, आखिरकार तुमने मेरी इतनी हेल्प जो की है। ..हा.. हा .. अब. थैंक यू कहे ने कि जरुरत नहीं है तुम्हें, मुझे पता है कि मै बहुत दयालु हूं।" पर उसका ऐसा जवाब सुन के शिवांश बस उसको देखता ही रह गया और उसकी ऐसी बात सुनकर वो धीरे से मुस्कुरा उठा और बोला, " हा, देखा मैंने कितनी दयालु हो तुम? जो... उस गुंडे को भाई कह रही थी क्यों?" ये सवाल सुन के ईशा अजीब हसी हस रही थी और बोली, "वो.. वो.. तो मै.." तब तक शिवांश उठ कर उसके करीब आया और उसके ऊपर झुक कर बोला, "अगली बार तुमने मुझे छोड़ कर जाने के बारे में सोच ना भी नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और तुम्हें तो मैं पाताल से भी ढूंढ के निकालुगा।" उसकी धमकी सुन ईशा अपनी बड़ी बड़ी आंखे करके उसकी आंखों में देखते हुए अपना स्लाइवा गटका और हकलाते हुए बोली, "हा, जरूर!" ये सुन शिवांश मुस्कुराया और झुक कर उसके गालों पर किस कर दिया और उस पर एक नज़र डाल तुरंत वहां से चला गया। उसके बाद ईशा ने अपने दिल पर हाथ रखा और गहरी सांस लेकर बोली, "मुझे खुद के ठीक होने का इंतजार करना पड़ेगा और तब तक इस राक्षस के साथ रहना ही होगा मुझे। एक बार मैं अच्छी तरह ठीक हो जाऊ फिर मै चली जाऊंगी यहां से बहुत दूर। अरे! यार मेरे ऊपर कितनी जिम्मेदारी है भाई। यार अवंतिका! क्या कर दिया तुमने इससे शादी करके? इतना पैसों के लिए लालची नहीं होते न।" फिर उसको समझ आया कि वो क्या बोल रही है तो वो वापस खुद से बोली, "ईशा क्या बोल रही है तू? अब तू ही तो अवंतिका है। समझ तू ईशा नहीं अवंतिका है अब और अब तो तेरे पास इतना खूबसूरत चहेरा भी है। मै अपना बदला ले कर रहूंगी उस आकाश और शाक्षी से। उन्हें तो मैं किसी भी हाल में नहीं छोडूंगी। मैं बहुत जल्द वापस आ रही हूं।” कुछ समय बाद, उस हॉस्पिटल में एक लड़की आती है। जिसने मिनी ड्रेस पहनी हुई थी और हैवी मेकअप किया था और परफेक्ट फिगर, कोई भी उसे देख ले तो देखता ही रह जाए। जब वो अपने अदाओं के साथ ईशा के कमरे के पास आई तो वहा खड़े एक बॉडी गार्ड ने उसे रोक लिया । जिस पर वो लड़की उस गार्ड से चिल्लाते हुए बोली, "क्यों रोका मुझे? तुम्हे पता नहीं क्या कि मै कोन हूं? अब मेरा रास्ता छोड़ो।” ये सुन उस बॉडी गार्ड ने थोड़ा घबराते हुए बोला, "ये सर का ऑर्डर है mam।" जिस पर वो लड़की मुस्कुरायी और एटिट्यूड से बोली, “वो.. आपके सर ने ही मुझे भेजा है। क्या आपने मुझे उनके साथ नहीं देखा है।" ये सुन वो बॉडी गार्ड्स ने एक दूसरे को देखा और फिर धीरे से बोला, "ठीक है, आप जा सकती है।" वो लड़की अंदर बढ़ गई पर उसके चेहरे पर एक शितानी मुस्कान आ गई जिसे वो लोग नहीं देख पाए। जब वो अंदर गई तो उसने देखा कि ईशा एक बुक पढ़ रही थी पर किसी को आते देख उसने जल्दी से छुपा ली क्योंकि उन लोगो के हिसाब से तो अवंतिका को पढ़ना कहां आता है। मगर उस लड़की ने वो बुक देख ली थी और बड़े अदाओं के साथ उसके पास आते जा रही थी। जिससे देख ईशा की आंखे छोटी हो गई और मन ही मन में बोली, "अब ये मोहतरमा कौन है? पर जो कोई भी हो इसको fashion के नाम पर सिर्फ छोटे कपडे ही पता है और ऐसा कोई मेकअप करता है क्या? कुछ ड्रेसिंग सेंस ही नहीं है इसमें।" जी हा, ईशा का ड्रेसिंग सेंस बहुत ही ज्यादा अच्छा था, शायद इसलिए ही वो अपने पहले जन्म में अपने इसी सेंस के वजह से वो फिल्म्स में हिस्सा लेती थी। पर अवंतिका का fashion सेंस सब से खराब था। वो बस काले सफेद ही ड्रेस पहन ती थी और ये भी एक वजह थी कि उसके बाल लंबे और उसके ड्रेस सफेद रहते थे। वहीं वो लड़की जब ईशा के पास आ गई तो मुस्कुराते हुए बोली, "अरे! तुम बज ही गई अवंतिका..... लगा नहीं था... पर नहीं, मरती तो ज्यादा अच्छा होता। कोई बात नहीं, वैसे तुम क्या पढ़ रही थी? अरे! सॉरी सॉरी तुम्हे तो पढ़ना ही नहीं आता न! बचपन में भी तुम मेरी बुक लेके पढ़ती थी और उस बुक को गंदा कर देती थी और अब मेरे होने वाले हसबैंड को लेकर उसको भी गंदा कर रही हो।" उसकी बकवास सुनकर ईशा बस उसको कन्फ्यूजन में देखती रह गई और मन में बोली, “क्या बोले जा रही है ये? मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा है।" वहीं ईशा को ऐसे देख वो लड़की उसके पास आयी और उसके बगल के टेबल पर एक ब्लैंक चेक रखते हुए बोली, "ये लो फिर शिवांश और हम सबसे दूर हो चली जाओ।" ईशा अपनी बड़ी बड़ी आंखो से उसको घूरे जा रही थी। वहीं वो लड़की ईशा को घिन भरी नजरो से देखते हुए आगे बोली, "सोचो इन पैसे में तुम आराम से अपनी ज़िन्दगी निकाल सकती हो, पूरी ज़िन्दगी!!" ईशा अभी उसके ऑफर के बारे में सोच ही रही थी कि वहा शिवांश की आवाज गूंजी, "क्या चल रहा है यहां?" तभी वो लड़की पीछे पलटी और उसके गले लगते हुए बोली, "अरे तुम आ गए। मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थीं।” पर उसके गले लगने से ईशा कोई फ़र्क नहीं पड़ा वो तो बस उस ब्लैंक चेक को मुस्कुराते हुए देख रही थी और मन में बोली, "यार ये इतनी बूरी नहीं है। मुझे इस वक्त सिर्फ पैसे की जरूरत थी। सच में मै इनको ले कर जा सकती हूं और मुझे उस राक्षस के साथ भी नहीं रहना होगा और मेरा बदला भी पुरा हो जाएगा। क्या करू ले लू क्या?" वो इसी धुन में थी, वहीं उसको अपने तरफ न देखता देख शिवांश को पता नही कहा से चिढ़ आ गई और उस लड़की को खुद से दूर कर के बोला, "तुम जाओ मै आता हूं अभी। " ये सुन वो लड़की मुस्कुराई और एक बार ईशा को देख के निकल गई और उसके पीछे पीछे शिवांश भी। तो क्या होगा आगे ? कैसे शिवांश और ईशा के बीच में प्यार पैदा होगा।? क्यों शिवांश अवंतिका से इतनी नफरत करने के बाद भी अपने साथ रख रहा है? 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अब आगे- बाहर आ कर शिवांश ने उस लड़की को घूरते हुए कहा, “तुम यहां पर क्यों आई हो?” उस लड़की ने बड़ी बेशर्मी से कहा, “शिवांश, तुम्हारी शादी मेरे साथ होने वाली थी और मुझे अब तुम्हारे साथ रहना है। उस अवंतिका ने मुझसे मेरी जगह ले ली है। इसलिए उसको तुम्हारी ज़िन्दगी से निकालने आई थी।” शिवांश ने उसे एक टक देखते हुए बोला, "तो इसलिए तुमने उसको ब्लांक चेक दिया है, क्यों है न?" ये सुन वो लड़की मुस्कुराई और बोली, "हा और मुझे लगता है कि वो इस ऑफर नहीं ठुकराईगी। पर तुम्हारे लिए भी एक ऑफर है मेरे पास। मै खुद तुम्हारी पूरी तरह से होने को तयार हूं, चाहो तो रात में हम मिल सकते हो।" ये सुन शिवांश तिरछी मुस्कान के साथ बोला, "तुम्हे क्या लगता है? ये सब कर के तुम मुझे लुभा सकती हो? मै शिवांश ओबॉरिय हूं, ये बात अपने दिमाग में बिठा लो।" ये बोल वो एक नज़र घूर कर वहा से चला गया। पर उसके जाने के बाद उस लड़की का चेहरा गुस्सा से लाल हो गया और वो वॉर्ड को देखते हुए बोली, "अवंतिका! तुम्हारा नामो निशान मिटा ना ही होगा मुझे, तभी मैं ओबेरॉय खानदान में एंट्री कर सकती हूं।" फिर वहा से चली गई। वहीं जब शिवांश वापस ईशा के रूम में आया तो ईशा के हाथ में वहीं चेक था और वो मुस्कुरा कर उसे देख रही थी। जिस को देख के शिवांश की मुट्ठी भींच गई और वो एक आईब्रो चढ़ाते हुए बोला, "क्या तुम इसे एक्सेप्ट करने वाली हो?” उसकी आवाज सुन ईशा को होश आया और शिवांश की शेर जैसे घूरती हुई नज़रे अपने ऊपर देख के वो डर गई। उसको तो एक पल के लिए शिवांश का उन गुंडों को मारना याद गया। फिर उसने एक नज़र अपने हाथों पर डाली और जल्दी से उस ब्लैंक चेक को उल्टा सीधा मोड़ते हुए बोली, "न… नहीं बिल्कुल नहीं.. मै कैसे… नहीं.. नहीं। " शिवांश उसका नाटक देख कर खुद मुस्कुराने लगा फिर उसके पास जाके अपना हाथ आगे किया और बोला, "दो, मुझे फिर!" ये सुन ईशा की आंखे बड़ी हो गई और वो अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए बोली, "क्या… क्या..? " तभी शिवांश ने फिर से चेक के तरफ इशारा करते हुए बोला, "वो!!" ये देख ईशा ने चेक को देख कर रोने जैसा मुंह बना लिया पर फिर भी एक फीकी सी मुस्कान लाते हुए बोली, "हा, ले लो न इसे और वैसे भी इसका मुझे कुछ काम नहीं है, क्योंकि मेरे पास तो तुम हो....।" उसकी बात सुनकर शिवांश ने कुछ नहीं कहा और उस चेक को लेकर उसको टुकड़ों में फाड़ ने लगा। ये देख ईशा की शक्ल रोने जैसे हो गई और वो मन में बोली, "लो, गई मेरी आसान ज़िन्दगी के जीने का जरिया।" शिवांश ने उसके टुकड़ों में वहीं डस्टबिन में फेक दिया और बाहर जाते हुए बोला, "हम कल ही यहां से वापस घर जा रहे हैं।" ये बोल वो वहां से चला गया, पर उसके जाने के बाद ईशा ने वहीं का तकिया उठा कर दरवाजे की तरफ फेक दिया और रोता हुआ चहेरा बना कर बोली, "ये कितना अच्छा ऑफर था। पर इसने तो मेरे अरमानों को यूं टुकड़ों में फाड़ कर बहा दिया। हाय!!" पर कुछ ज्यादा ही ओवरैक्टिंग समझ कर ईशा सीरियस हो गई और वहीं फोटो, जो उसने उस फोटो एलबम से निकाली थी, उसको देख कर बोली, "तुम देखना! मैं एक दिन तुम्हारे नाक के नीचे से निकल जाऊंगी और तुम्हे पता भी नहीं लगने दुगी।" वो फोटो शिवांश ही था, ब्लैक बिजनेस सूट में शायद वो मैगजीन के लिए खींचवाई गई थी। ईशा भले ही अपने पिछले जन्म में कुछ नहीं कर पाई थी, पर वो फॉरेन जा कर वहा की पूरी एक्टिंग ट्रेंनिग ली थी। उसको बहुत सी भाषाएं आती थीं। पर अफसोस कि वो अपने पिछले जन्म में कुछ नहीं कर पाई। पहले ही वो गरीब फैमिली से आती थी और ना ही उसके माता पिता थे। उसने ये सब खुद के दम पर हासिल किया था। पर इस जन्म में शायद वो सब काम आने वाला था। वहीं दूसरी तरफ, शिवांश को बहुत खुशी हो रही थी ईशा को परेशान कर के। पर उसी टाइम उसका फोन रिंग करने लगा। जब उसने देखा तो उसके पापा का फोन आ रहा था। फिर उसने कॉल पिक किया ही था कि उधर से आवाज आई, "शिवांश, तुम्हे पता है न कि तुम क्या कर रहे हो? क्यों उस गावर लड़की के ऊपर अपना टाइम बर्बाद कर रहे हो? तुम्हारे लिए हम उससे भी अच्छी पढ़ी लिखी लड़की लाएंगे। और तुम इस वक्त ऑफिस की जगह hospital में हो न। एक बात मेरी ध्यान से सुन लो, मुझे बिजनेस में कोई कमी नहीं चाहिए मतलब नहीं चलिए। और उस लड़की के हमारे खनादान में आने की वजह से पहले ही बहुत बेज्जती हो चुकी हैं और तुम उसकी तरफदारी करने लगे तो हमारी कोई इज्जत रहेगी नहीं, समझें!! जैसे उस लड़की को बचाने के लिए तुमने उन गुंडों को मारा था न, मुझे सब पता चला चुका है। हमने जैसे तैसे करके उनका मुंह बन्द करवा दिया। पर अब तुम उससे दूर रहो।" उनकी बात सुनकर शिवांश एक दम शांत हो गया और एक शब्द ‘हा’ बोल कर कॉल काट दिया और एक गहरी सांस लेकर वहा से चला गया। अगला दिन– सुबह जब शिवांश वापस वॉर्ड में आया तो ईशा अपने ख्यालों में खोई हुई विंडो से बाहर उड़ती हुई चिड़िया और आसमान देखने में इतना खोई हुई थी कि उसको शिवांश के पास आने की भी आवाज नहीं आई थी। उसको इस तरह खोया हुआ देख कर शिवांश भी कंफ्यूज हो गया, क्योंकि उसने हमेशा अवंतिका को एक कोने में रोते हुए या किसी घर के काम में ही देखा था। शायद यही उसकी कमी रह गई थी कि वो कुछ ज्यादा ही सिंपल हो गई थी। पर उसी टाइम नेहान जल्दी से जोर से दरवाजा खोल कर अंदर आते हुए बोला, "सर कार रेडी है।" शिवांश ने उसकी आवाज सुन डोर की तरफ देखा। वहीं उसकी आवाज से ईशा का भी अपने ख्यालों से बाहर आ गई और शिवांश को अपने पास देख कर बोली, "तुम.. तुम यहां कैसे? मेरा मतलब हम कहां जा रहे है?" उसका सवाल सुन शिवांश उसके पास आया और उसको अपने बाहों में लेते हुए बोला, "घर!!" उसके उठाने से ईशा हड़बड़ा गई और जल्दी से बोली, "अरे अरे उतारो मुझे! मैं खुद चल सकती हु।” मगर शिवांश ने कुछ नहीं कहा और उसको व्हील चेयर पर बिठा दिया और बाहर की तरफ ले जाते हुए बोला, "चुप चाप बैठी रहो।" वहीं शिवांश को ईशा की व्हील चेयर धकेलते हुए देख वहा सब हैरान हो गए, क्यों की शिवांश ने ये सब किसी के लिए नहीं किया था और लड़की के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। नेहान भी वहीं था, वो भी बहुत हैरान हो गया और खुद से बोला, "ये अवंतिका मैम ने ऐसा कोन सा काम कर दिया जो सर इतना महेरबान हो रहे है उन पर। अभी तक तो उनका चहैरा न देखना पड़े इस लिए वो घर भी नहीं आते थे, पर अब?" आस पास के लोगों की अजीब नजरो को खुद पर देख के ईशा ने चिढ़ते हुए कहा, "अरे वो लड़की कहा है जो हमेशा मेरे साथ मेरी व्हील चेयर को पकड़ कर रहती थी? उसको बुलाओ न यहां।" तब शिवांश ने वैसे ही चलते हुए कहा, "मैंने निकाल दिया उसको।" उसका जवाब सुन ईशा हैरान हो गई और हैरानी में बोली, "क्या बोला तुमने? निकाल दिया पर क्यों? अब तुम हमेशा मेरे साथ तो नहीं रहोगे न हर जगह, वो तो चाहिए ही ना।" ये सुन शिवांश हल्के से मुस्कुराया और धीरे से बोला, "क्यों नहीं, मै हमेशा तुम्हारे करीब तुम्हारे साथ रहुगा। After all, you are my wife!" ये सुन ईशा का चहेरा बन गया और खुद से बोली, "मेरे साथ, पर कैसे?. पता नहीं क्या होने वाला है मेरे साथ अब?" तो क्या होगा आगे? कुछ नया, कुछ धमाके दार, क्या शिवांश का परिवार भी अवंतिका को नहीं चाहता? क्या ईशा उनके दिल में अपनी जगह बना पाएगी और शिवांश क्या करेगा अब?
अब आगे - शिवांश की बात सुन कर ईशा अपना मुंह फूला कर बैठ गई थी। उसका रिएक्शन देख शिवांश मुस्कुराने लगा। अवंतिका की बहुत अफवाएं फैली हुई थी कि उस लड़की ने धोखे बाजी से शिवांश से शादी कर दी । और तो और वो अनपढ़ है । जिस से अवंतिका की इमेज लोगो में बहुत बूरी बन गई थी, इसलिए उसे कोई पसंद नहीं करता था । कार को देखकर ईशा का चहेरा और उतर गया और अपना मुंह उपर करते हुए उदास चहेरे के साथ शिवांश को देखा और बच्चे जैसे मासूमियत से बोली, "क्या तुम मुझे वापस उठा कर बिठाओगे?" जब शिवांश ने उसका बच्चे जैसा चेहरा देखा तो देखता ही रह गया। अनजाने में ही उसे ईशा में इंटरेस्ट आ रहा था। उसके सवाल पर उसने कुछ नहीं कहा और वापस ईशा को उठा कर कार में बिठाया। शिवांश के इर्द गिर्द अभी भी बॉडी गार्ड खड़े ही थे। और जब वो अपनी कार में बैठ गया तो उसके बॉडीगार्ड भी अपने अपने कार में बैठ गए। ईशा ने अपनी पिछली ज़िन्दगी में कभी भी एक्सपीरियंस नहीं किया था। उसको ऐसी फीलिंग पहली बार आ रही थी। पर वो शांत बैठी रही और पूरी कार को ध्यान से देखने लगी। वो कभी भी ऐसी कार में नहीं बैठी थी, क्योंकि आकाश के पास भी बीएमडब्लू जैसी कार थी, पर ये कार कुछ अलग थी। जब उसने उसका डिजाइन ध्यान से देखा तो उस के मुंह से अपने आप निकल गया। "अच्छा तो तुमने इस कार को अपने तरीके से बनवाई है, नहीं तो ये कार ऐसे डिजाइन में नहीं मिलती न क्यों?" ये कहते हुए जब उसने शिवांश को देखा तो उसके एक्सप्रेशन देख उसको अहसास हुआ कि उसने क्या कर दिया। वो अवंतिका थी ना की ईशा। अवंतिका जिसे कुछ नहीं पता। वहीं शिवांश और ड्राइविंग सीट पर बैठा ड्राइवर भी बैक कैमरे से ईशा को ही देख रहा था। दोनो हैरान थे, उनको लगा नहीं था कि इशा को पता होगा। फिर शिवांश अपने मोबाइल में वापस मेल्स चेक करते हुए बोला, "तुम्हे पता है, चलो कुछ तो पता है!" ये सुन ईशा ने कुछ नहीं कहा और विंडो से बाहर देखने लगी और अपनी सांस छोड़ कर मन में बोली, "मेरी तो सांस ही अटक गई थी, अच्छा हुआ जो उसने लाइटली लिया।” कुछ देर में उनकी कार शिवांश के विला पहुंच गई। शिवांश अपने परिवार के साथ नहीं रहता था। उसका अलग विला था और उसी विला में वो लोग आए थे। वो विला ज्यादा बड़ा तो नहीं था पर छोटा तो बिल्कुल नहीं था। उसमे सारी सुविधाएं थी, जो उसमे होना चाहिए था। वहीं ईशा हैरानी से उस घर को देखे जा रही और मन में बोली, "ओह गॉड! यार ये तो कितना अच्छा है।" और मुस्कुरा कर विला के चारों तरफ देखने लगी। तभी उसको पिछले जन्म का याद आ गई। क्योंकि ऐसे ही जब ईशा और आकाश की सगाई हुई थी, तो कुछ देर के बाद जब ईशा आकाश के घर पे गई थी तो उसका घर इतना बड़ा तो नहीं था पर उस टाइम में ईशा ने वो पहला घर था, जो उसने बड़ा देखा हो। इसलिए वो बहुत खुश हो गई थी। तब आकाश ने पहली बार उसी टाइम ईशा को किस करने की कोशिश की थी। जिस कारण ईशा नाराज़ हो गई थी और वहा से चली गई थी। उसको लग रहा था कि आकाश उसको मानने आएगा पर आकाश तो शाक्षी के साथ था। और आखरी में ईशा को ही वापस जाना पड़ा उसके पास। पर उसको कहा पता था कि एक पल में उसको वो सब देखना होंगा और अपनी जान भी गवाना होगा। ये तो उपरवाले का शुक्र है कि उसने उसको एक और ज़िन्दगी दी है। ये सब याद आते ही उसके आंखो में आसू आ गए जिसे उसने जल्दी से छुपा लिया। फिर मुस्कुरा कर जल्दी से शिवांश के हाथो में हाथ डाल कर खुशी से बोली, "मुझे जल्दी से नीचे उतारो! मुझे बहुत भूख लगी है।" मगर ये कहते हुए उसकी नजर पूरी उस घर को देख रही थी, क्योंकि वैसा घर उसका भी एक सपना था। वहीं शिवांश तो उसकी हरकत से ही हैरान होते जा रहा था और उसको ध्यान से देखने लगा। वहीं कोई रिएक्शन न आते देख ईशा ने शिवांश की तरफ देखते हुए बोली, "अरे चलो..." पर वो आगे कुछ बोलती, उससे पहले ही उसको ख्याल आया कि वो शिवांश के कितना क्लोज आ गई है और शिवांश की नजर अपने हाथ पर देख उसने जल्दी से अपना हाथ वापस ले लिया और उससे धीरे धीरे दूर सरकते हुए मासूम आवाज में बोली, "मुझे बस भूख लग गई थी, इसलिए बोला पर कोई नहीं।" और बाहर देख ने लगी। जैसे कोई बच्ची रूठ गई हो। पर असलियत में तो ईशा डर गई थी और रोते हुए चहेरा बना कर मन में बोली, "ईशा! ईशा! क्या करती रहती हैं तू? वो शिवांश है एक बहुत बड़ा राक्षस, उससे दूर रह बेटा! नहीं तो एक दिन वो तुझे खा जाएगा समझी!" पर शिवांश जैसे जैसे ईशा के साथ वक्त बिता रहा था, वो हैरान होते जा रहा था। और एक बार ईशा को देख के मन में बोला, "अवंतिका तुम .....!" और उतर गया। क्यों की अवंतिका ऐसे पहले कभी शिवांश के साथ नहीं करती थी। अगर शिवांश घर पर आता तो वो अपने आप वहा से गायब हो जाती थी और जब तक शिवांश नहीं जाता वो उसके सामने भी नहीं आती थी। शिवांश कार के दूसरे तरफ से आकर ईशा को व्हील चियर बिठा दिया और घर के अंदर ले जाने लगा । पर ईशा पूरे घर के इंटरियर को देख के इंप्रेस हो रही थी और मन में बोली, "पक्का कोई इटालियन ही होगा, जिसने ये घर डिजाइन किया होगा। पर घर बहुत सुंदर है मुझे बोर नहीं होगा यहां।" वो लोग जब अंदर गए तो वहा के सारे नौकर उसको देख रख रहे थे पर शिवांश के वजह से अपना सर झुका कर ग्रिट कर रहे थे। पर जैसे वो लोग हॉल में पहुंचे तो वहा एक लड़की पहले से ही बैठी हुई थीं। वो लड़की शिवांश के उम्र की थी। पर उसके बैठने का स्टाइल देख कर कोई भी बता सकता था कि वो अच्छे बड़े घर की लड़की है और उसकी ड्रेस तो बहुत ही ज्यादा महंगी दिख रही थी और वो दिखने में भी सुंदर थी । शिवांश को देख कर उस लड़की ने मुस्कुरा कर अपने हाथ में पकड़ी कप टेबल पर रखी और उठते हुए बोली, "आ गए तुम!" जिस पर शिवांश की आंखे छोटी हो गई और ईशा को वहीं रोक कर उसके पास गया। ये देख वो लड़की भी मुस्कुराते हुए उसको गले लगाने लगी। जिस पर ईशा की आंखे छोटी हो गई और मन में बोली, "क्या है ये सब जिसे देखो इसको गले लगा रहा है? क्या दिख रहा है इसमें इन लोगो को? " और मुंह बना के आजू बाजू देख ने लगी। वहीं निशांत ने भी उसे गले लगा लिया और बोला, "तुम यहां!" जिस पर वो लड़की बोली, "हा आंटी ने बोला था कि वो वापस आने वाली है। तो वो तुम्हे तो परेशान करेगी ही और तुम्हें अपने दादाजी के वजह से उसको यहा रखना ही होगा, इसलिए मुझे उसको अच्छे समझाने के लिए भेजा तो मैंने सोचा कि चलो तुम से भी इसी बहाने मिल लूगी।" जिस पर शिवांश मुस्कुराया और बोला, "अच्छा हुआ जो तुम आ गई।" फिर उसने एक बार ईशा को देखा और एक नौकर को उसको रूम में ले जाने को बोला और वापस उस लड़की से बोला, "मुझे तुमसे ऑफिस के बारे में बात करना है। तुम मुझसे मेरे स्टडी रूम में मिलना थोड़ी देर में।" वहीं जब नौकर ने सीढ़ियां के पास ईशा की व्हील चियर को रोक दिया था। जिस पर ईशा उससे आराम से बोली, "क्या हुआ?" तभी नौकर बोला, "वो उप्पर जाना है और..!” ये सुन ईशा ने ऊपर की ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "अरे कोई बात नहीं, मै उठने की कोशिश करती हूं।" वहीं ये सुन कर वो नौकर हैरान हो गया क्योंकि इससे पहले अवंतिका ने कभी भी किसी सर्वेंट से बात नहीं की थी, पता नहीं क्यों? वहीं ईशा उठने की कोशिश करने लगी पर उससे उठा नहीं जा रहा था जिस पर उस नौकर ने अपना हाथ आगे करते हुए बोला, "कोई बात नहीं हम आपको सहारा दे देते है चलिए!" ये सुन ईशा मुस्कुराई और उसका हाथ पकड़ने ही वाली थी कि वहा शिवांश का हाथ आ गया। शिवांश को वहां देख उस नौकर की हसी एक दम से गायब हो गई। ईशा का हाथ अब शिवांश के हाथ में था। उसको भी अजीब लग रहा था और वो सोचने लगी कि अचानक क्या हो गया शिवांश को? वहीं शिवांश ने उसको वापस अपने बाहों में उठाया और ऊपर की तरफ ले जाते हुए उससे बोला, "मुझसे बोल नहीं पा रही थी तुम! अब आगे से तुम सारी चीजे मुझसे बोलोगी समझी!" वहीं ईशा ने एक बार उसको देखा फिर नीचे, जहा वो नौकर था, वही वो लड़की भी उनको देख रही थी, पर उसकी आंखो में गुस्सा जलन साफ साफ दिख रहा था और इस कारण उस लड़की ने अपनी मुठ्ठी कस कर बन्द कर रखी थी पर शायद जानबुझ कर मुस्कुराहट चहेरे पर रखी थी। जिसे को देख कर ईशा के दिमाग में एक शरारत आ गई और अपने हाथ को शिवांश के गले के पीछे ले जाने लगी। और अपने पूरे हाथ को उसके गले में डाल कर उससे चिपक गई। ये देख वो लड़की और चिढ़ गई और अब उसकी फेक स्माइल भी चली गई थी। पर ईशा उसको देख कर मुस्कुरा रही थी। क्योंकि ईशा को यही तो देखना था। वो तो मन ही मन खूब हंस रही थी और मन में हस्ते हुए बोली, "अब कैसा लगा तुम्हें लाल मिर्ची!" फिर मुस्कुराते हुए वापस सर फेर कर वो शिवांश के तरफ देखने को हुई कि उसकी नाक सीधे शिवांश के चेहरे से टकरा गई। उसको पता ही नहीं चला था कि उसकी इस शरारतट में वो शिवांश के कितने पास आ गई थी। वहीं उसकी ये हरकत देख कर ही शिवांश उसको देखने लगा था। और ईशा के चहेरे की मुस्कुराहट अचानक गायब हो गई। और जल्दी से अपनी पकड़ कमजोर कर कर उससे दूर होने लगी और हड़बड़ाते हुए बोली, "वो मुझे जरा चक्कर आ रहे थे इसलिए…!" और वो इधर उधर देखने लगी । शिवांश वापस चलते हुए बोला, "चक्कर आने पर कोई हसता नहीं है।" ये सुन ईशा सकपका गई और चुपचाप रही। वहीं ये सब देख कर वहा खड़े नीचे के लोग हैरान हो गए थे। वहीं वो लड़की भी अब गुस्सा हो गई थी और वो ऊपर जाने लगी थी, पर बीच में वहीं नोकर था। जिस को देख कर वो लड़की उसके ऊपर चिल्लाते हुए बोली, "अब हटोगे! जाओ जा कर अपना काम करो!" उसकी डांट से वो नौकर बेचारा डर गया और जल्दी से वहा से चला गया। वहीं ऊपर शिवांश ने ईशा को एक कमरे में ले लाया और वहा के बेड पर लिटा दिया। वहीं ईशा उसको इग्नोर करते हुए इधर उधर देखने लगीं। वहीं वो कमरा शिवांश का ही था। और ईशा पूरे कमरे को ध्यान से देखने लगी। जिस पे शिवांश कंफ्यूजन में अपने पैंट में हाथ डाल कर बोला, "तुम तो ऐसे देख रही हो, जैसे पहले देखा ही नहीं? चुपचाप सो जाओ अब!" ये कह कर वो वहा से चला गया। उसके रूम से निकलते ही ईशा पीछे से चेहरा बनाते हुए बोली, "हा! हा! कहा देखा मैंने। पहली बार तो देखा है, वो तो अवंतिका ने देखा था। यार कहा फस गई मै?" कुछ देर के बाद, उसके रूम में एक लड़की खाना ले कर आई और बोली, “मैंम! आपका खाना।" जीस पे सिया की आंखे चमक गई और बोली "अरे वाह सच में" तभी एक चीज तेजी से घर के अंदर भागते हुए आती है। उसके पीछे नेहान परेशानी में बोल रहा था, "अरे रुको!" पर वो चीज भागते हुए ऊपर की तरफ जाने लगती है, वहा के सारे लोग हैरान परेशान हो गए थे। वहीं दूसरी तरफ, शिवांश और वो लड़की शिवांश के स्टडी रूम में बैठे हुए थे और वो लड़की बोली, "शिवांश! वो इतने ऊपर से गिरने पर भी बच गई!" जिस पर शिवांश ने बात बदलते हुए कहा, "हमे अभी काम पर ध्यान देना चाहिए प्रिया! " ये सुन प्रिया चिढ़ गई और मुंह बनाते हुए बोली, "शिवांश कब तक तुम उस के साथ..." पर आगे वो कुछ बोलती, उससे पहले ही वहा जोर से ईशा के चिल्लाने की आवाज आई। जिसे सुन शिवांश जल्दी से उठ कर वहा से बाहर चला जाता है । तो क्या हुआ है? वहां कोन आया है ईशा के लिए और क्यों चिल्लाई ईशा?
अब आगे- ईशा के इस तरह आने से प्रिया और चिढ़ गई और शिवांश के जाते से ही वो बोली, "अचानक क्या हो गया इस लड़की को जो इस तरह चीख रही है?" और खुद भी चली गई । वहीं शिवांश जब वहा पहुंचा तो वहां का हाल देख कर वो हैरान हो गया। क्योंकि वहां ईशा बेड के एक कोने में ब्लैंकेट को पकड़ कर डरी सहमी बैठी थी। डरी हुई नजरों से ईशा एक डॉग को देख रही थी, जो उसको मासूम सा चहेरा बना कर देख रहा था और अपनी दुम हिला रहा था। उसको देख ईशा पूरी तरह काप रही थी और वो मैड हैरानी से अपनी आंखे बड़ी कर के ईशा को देख रही थी। असलियत में, उस कुत्ते को जैसे ही अवंतिका की खुसबू आई थी, वैसे ही वो भागते हुए अंदर आ रहा था और उसको रोकने के लिए नेहान पीछे भाग रहा था। वो डॉग दिखने में बहुत बड़ा पर क्यूट भी था और वो शिवांश का ही पालतू जानवर था । पर जब से अवंतिका उस घर में आई थी। अवंतिका बस उसके साथ ही रहती थी। उसे उस डॉग से बहुत लगाव हो गया था और वो ही उसका ख्याल रखती थी। उसको खाना पिलाना अवंतिका ही देखती थी और उस घर में एक वहीं था, जिस कारण अवंतिका वहां रह पा रही थी। पर बद किस्मती से अपनी ईशा को डॉग से बहुत ज्यादा डर लगता था। वो तो डॉग के नाम से ही वो कांपती थी। अचानक उस के अपने ऊपर आने के वजह से वो बहुत डर गई थी। उसी टाइम नेहान भी भागते हुए पीछे आया, पर शिवांश को वहां देख कर वो रुक गया और बोला, "सर वो..!" मगर शिवांश ने उसकी बात सुने बगैर अंदर गया और एक बार टॉमी (जो उस डॉग का नाम था) को देखा और अवंतिका के पास गया। पर अवंतिका सदमे में उस डॉग को ही देख रही थी। तभी शिवांश ने थोड़ी तेज आवाज में बोला, "अवंतिका!" उसकी आवाज सुन ईशा को होश आया और उसकी तरफ देख कर रोते हुए बोली, "शिवांश! मै बहुत डर गई थी!" ये कहते हुए उसके आंखो में सचमुच आंसू आ गए थे और टॉमी की तरफ देखते हुए बोली, "मुझे इसे नहीं देखना है, ले जाओ इसे!" पर शायद टॉमी ने उसकी बात समझ ली थी, जिस कारण उसका चेहरा उतर गया और उसकी दुम भी हिलना बन्द हो गई थी। फिर उठ कर एक कदम ही उसने ईशा के तरफ बढ़ाया ही था कि ये देख ईशा ने शिवांश के हाथ को जोर से पकड़ लिया और रोते हुए बोली, "शिवांश, प्लीज़ मुझे बहुत डर लग रहा है। इसको यहां से ले जाओ प्लीज!!" उसको इतना डरते देख शिवांश ने उसकी तरफ देखा और नेहान को इशारा किया कि वो टॉमी वापस ले जाए। नेहान भी टॉमी को ले कर रूम से बाहर निकल गया और इस बार टॉमी भी सीधा चला गया, पर उसका मुंह लटका हुआ था। उसको इस तरह देख ईशा को अच्छा तो नहीं लग रहा था, पर वो क्या करती उसको डर ही इतना लगता है डॉग से। वहीं शिवांश ने वापस अपना हाथ उससे छुड़ाया और हैरानी से बोला, "मुझे वैसे हैरानी है कि कोमा से बाहर आने पर लोग ये सब भी भूल जाते हैं?" उसकी ये बात सुन ईशा उसको कंफ्यूजन में देखने लगी। ये देख शिवांश उसके चेहरे को देखते हुए बोला, "तुम्हे याद नहीं ये टॉम्मी है। जिस के साथ तुम हमेशा रहती थी और उसका ध्यान भी तुम ही रखती थी, इसलिए तो वो तुम्हारे पास भागते हुए आया था।" उसकी बात सुनकर ईशा इधर उधर देखने लगी और बोली "वो..!" फिर अपने मन में बोली, "अवंतिका! तुम्हे डॉग ही पसंद है, जिससे मै बहुत नफरत करती हूं। अब क्या कहूं मैं?" तभी शिवांश बोला, "खैर ये सब छोड़ो, खाना खाकर आराम करो।" ये कह कर वो वहां से चला गया। वहीं ये सब प्रिया बाहर खड़े हो कर देख रही थी और अपने हाथ बांधे छोटी आंखे करते हुए बोली, "ये करना क्या चाहती है?" प्रिया शिवांश के मम्मी पापा की सबसे अच्छे दोस्त की बेटी थी। जिस कारण शिवांश के मम्मी पापा भी उसको अपनी बेटी जैसे मानती थी और कही न कहीं वो भी प्रिया को अपने घर की बहू बनाना चाहते थे। पर शिवांश के दादा नहीं। शिवांश के दादा और अवंतिका के दादा बहुत अच्छे फ्रेंड थे और उन्होंने अवंतिका को बचपन से देखा था और उनको अवंतिका पसंद भी थी, पर उसका अनपढ़ होना उन को भी ख्टक रहा था, कि आखिर क्यू अवंतिका को पढ़ाया नहीं गया, बल्कि उसकी सौतेली बहन को अच्छे कॉलेज में पढ़ाया जा रहा था। जिस चीज के वजह से उन्होंने उसकी बहन का हाथ शिवांश के लिए मांग लिया। और शिवांश के परिवार में बस वहीं थे जो अवंतिका को पसंद करते ते। और उनके वजह से ही अवंतिका शिवांश के साथ रह रही थी। पर शिवांश को बाहर आते देख प्रिया वापस नॉर्मल हो गई। उसको देख शिवांश वापस स्टडी रूम में जाते हुए बोला, "चलो!" उसकी आवाज सुन प्रिया हां में सर हिलाया और शिवांश को जाने दिया। फिर वो ईशा के कमरे में चली गई। अंदर जा कर उसने वहा की सर्वेंट को बाहर भेज दिया। उसे ऐसा करते देख अब ईशा चिढ़ गई और अपना सर पकड़ते हुए बोली, "यार! अब ये यहां क्या तमाशे करेने आई है।" तभी उसे प्रिया की आवाज़ सुनाई दी, "अच्छा खासा नाटक कर लेती हो तुम, क्यों?" ये सुन ईशा उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोली, "तारीफ के लिए थैंक्स!" उसका जवाब सुन कर प्रिया चिढ़ते हुए बोली, "ज्यादा ओवर्समार्ट बनने की जरूरत नहीं है। याद है ना कि तुम्हारे साथ मैंने यहां क्या किया था? गावर कहीं की!" और वहा से चली गई। वहीं उसकी बात सुन कर ईशा की आंखे छोटी हो गई और खुद से बोली, "क्या.... क्या किया था इस ने उसके साथ? मुझे तो कुछ नहीं पता। यार! मुझे जल्दी से अवंतिका के लाइफ के बारे में जानना ही होगा।" वहीं जब प्रिया स्टडी रूम गई तो वहां शिवांश किसी से कॉल पर बात करते हुए बोला, "दादाजी! मुझसे ये सब नहीं होगा पर, आप के वजह से मैं उसको वहां भेज दूंगा, पर मै नहीं जा सकता उसके साथ।" और कॉल कट कर दिया। फिर उसने पलट कर देखा तो वहा प्रिया थी। तभी प्रिया बोली, "क्या दादाजी का फोन था?" शिवांश ने वो फोन टेबल पर पटक दिया और गुस्से में चिढ़ते हुए बोला, "हां, बोल रहे थे कि उसको उसके घर ले कर जाओ उसकी फैमिली से मिलवाने।"