अर्थव, एक अनाथ और गरीब लड़का, और रूमी, एक अमीर प्रतिष्ठित खानदान की लड़की, दोनों की जिंदगी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी। फिर भी, प्यार की ताकत ने उन्हें एक दूसरे के करीब ला दिया। दो साल के गहरे प्यार के बाद, रूमी ने हर तरीके से अपने परिवार को मनाने की... अर्थव, एक अनाथ और गरीब लड़का, और रूमी, एक अमीर प्रतिष्ठित खानदान की लड़की, दोनों की जिंदगी एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थी। फिर भी, प्यार की ताकत ने उन्हें एक दूसरे के करीब ला दिया। दो साल के गहरे प्यार के बाद, रूमी ने हर तरीके से अपने परिवार को मनाने की कोशिश की, लेकिन जब कोई रास्ता नहीं मिला, तो उन्होंने सब कुछ छोड़कर अपने प्यार के साथ नई जिंदगी शुरू करने का फैसला किया। और अपने परिवार और समाज के विरोध के बावजूद भाग कर शादी करने का साहस दिखाया। क्या ये दोनों अपनी राह पर चलकर, समाज और परिवार के विरोध को पार करके, अपने प्यार को पूरा कर पाएंगे? क्या उनकी यह शादी हर मुश्किल को सहन कर पाएगी? क्या रूमी का परिवार दूर करने की कोशिश करेगा दोनों ? जानने के लिए जुड़े रहे अर्थव रूमी के सफर से
अर्थव वसिष्ठ
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रूमी अर्थव वसिष्ठ
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आज से हमारा और तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है। मैं तुम्हारा पापा नहीं और तुम मेरी बेटी नहीं। जब तुम भाग गई ना इस घर से अपने इस आशिक से शादी करने के लिए उसी वक्त हमारा रिश्ता खत्म हो गया था रूमी। आर्यन चौधरी रूमी के पिता ने गुस्से में कांपते हुए कहा।
रूमी जो कि उसी के सामने खड़ी थी लाल साड़ी में दुल्हन की तरह सजी हुई उसके बगल में एक लड़का भी खड़ा था। रूमी का सर जो कि अब तक झुका हुआ था।
अपने पिता की बात सुन अपने धीरे से अपना सर उठाया उसकी आंखें डबडबा गई थी उसके होटल के से कांप रहे थे। अपने पिता की आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था।
रूमी ने रूंधी आवाज में कहा पापा आपने मेरे पास कोई रास्ता छोड़ ही नहीं मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूंगी।
मैंने तो आपको सब बताया था ना फिर भी आपको दिक्कत थी तो मैं क्या करती। उसने इतना बोला ही था कि अचानक वहां जोरदार थप्पड़ की आवाज गुंज गई और रूमी का चेहरा एक तरफ झुक गया।
वही उसके बगल में ही खड़े लड़के अर्थव जिसने अभी-अभी रूमी से शादी की थी उसके हाथों में मुठिया भीच गई पर उसने खुद शांत किया।
उसके आर्यन जी गुस्से में बोलें तुझे जरा भी शर्म नहीं है एक तो इतनी बड़ी गलती की है तुमने और बोल रही हौ कि क्या करतीं तुम।
रूमी ने धीरे से उनकी तरफ देखा वो सिसक रही थी। आर्यन जी ने कहा छोड़ी थी हमने ऐसा फैसला लिया है। कहां कमी रह गई थी हमारे प्यार में।
रूमी कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर उसके शब्द उसे गले से निकल ही नहीं रहें थे। वो हिम्मत करते हुए बोली।
कोई कमी नहीं थी आपके प्यार में पापा। आर्यन जी ने कहा खबरदार जो तुमने हमें अपनी जुबान से पापा कहा हम नहीं है तुम्हारे पापा तुम नहीं हो हमारी बेटी हमारी बेटी मर गई है।
ये बात सुन रूमी को ऐसा लगा जैसे ना जाने कितनी खंजर उसके सीने में भोग दिए गए हैं। तभी वहां पर एक औरत आई उसकी आंखें नमकीन उसने आर्यन जी के कंधे पर हाथ रखकर कहां की क्या कर रहे हो आप क्या बोल रहे हो।
कोई जवान बेटी पर हाथ उठाता है क्या, और कोई ऐसे बोलता है कि अपनी बेटी को। मालिनी चौधरी रूमी कि मां ने कांपती हुई आवाज में कहा।
आर्यन जी ने गुस्से में उनका हाथ हटा दिया। और चिल्लाते हुए कहा ये लड़की हमारी बेटी कभी नहीं हो सकती कभी नहीं लड़की को बोल दो कि हमारी नजरों से दूर हो जाए।
दोबारा हमें अपना चेहरा कभी ना दिखाएं वरना यह हमारा मरा हुआ मुंह देखेंगी। रूमी अंदर तक हिल गई उसकी आंखों में आंसू की धार बहने लगी।
वह सोचने लगी क्या सच में उसके पिता को उससे इतनी नफरत हो गई कि वह उसका चेहरा तक नहीं देखना चाहते। उसके होंठ कांपन कर रहे थे।
उसके गाल पर अब भी वह थप्पड़ का निशान था। रोने के कारण उसकी आंखों का काजल हल्का सा बिखर गया।
वही उसके पापा ने कहा हमारा इस लड़की से कोई रिश्ता नहीं और अगर किसी ने भी इस लड़की से बात करने की कोशिश की तो हमसे बड़ा कोई नहीं इतना बोल वह घर के अंदर चले गये।
वही मालिनी जी बेबस होकर उन्हें देखतीं रह गई। उन्होंने अपनी आंखें बंद करें उनकी आंखों से हल्का सा आंसू बह गया।
मालिनी जी ने मोड़ पर रूम को देखा जो रो रही थी। मालिनी की उसके पास आई और सर पर हाथ रखकर बोली।
तू तो जानती है ना अपने पापा का गुस्सा। वो नाराज़ हैं इसलिए इतना कुछ बोल गये देखना उनका गुस्सा जैसे ही शांत हो जाएगा ना सब ठीक हो जाएगा।
उन्होंने प्यार से समझाते कहां। रूमी ने अपनी मां को गले लगा ले और रोने लगी। मालिनी जी ने भी उसे लगाया और उसकी पीठ सहलाते हुए कहा।
रोना बंद करो। रोते नहीं मालिनी जीने से खुद से दूर किया तो सर पर हाथ रखकर कहा अभी मुझे भी जाना होगा वरना तुम्हारे पापा बहुत गुस्सा करेंगे।
हमेशा खुश रहो। वही मालिनी जी ने एक नजर अर्थव को देखा तो चुपचाप से बस अपनी नज़रें झुका कर खड़ा था। मालिनी की उसके पास है और उसके कंधे पर हाथ रखते हैं उम्मीद करती हूं कि मेरी बेटी को कभी तकलीफ नहीं दोगे।
इतना बोल वो मुड़ गई। अर्थव उन्हें देखता रह गया। वही वहां पर शिवांश पास में आ गया उन्होंने रूमी को देखकर कहा तुमसे मुझे यह उम्मीद नहीं थी। इतना बोल वो भी चला गया।
रूमी कुछ नहीं बोल पाई । कभी उसे अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ उसने देखा यह उसकी भाभी कनक थी।
कनक ने कहा कोई कुछ भी बोलो मैं तुम्हारे साथ हूं मैं जानती हूं तुमने कुछ गलत नहीं किया अपने प्यार के लिए लड़ना कोई गलत बात नहीं है।
और पापा का गुस्सा वह शांत हो जाएगा। कनक ने हल्का सा मुस्कुराते हैं ऐसे उदास मत रो शादी हुई आज तुम्हारी। तुम्हें किसी बात की टेंशन लेने की जरूरत नहीं है सब ठीक हो जाएगा।
आज तुमने अपनी जिंदगी की नई शुरुआत की तो सब कुछ भूल जाओ और खुश रहो मैं तुम्हें कॉल करती रहूंगी और घर के बारे में बाताते रहूंगी हम्म।
जल्दी से स्माइल दे दो मुझे को प्यारी सी। रूमी ने जबरन झुठी मुस्कान दि। तभी एक आवाज आई कनक। पान अपने मुड़ के देखो मुझे जाना होगा।
इतना बोल घर के अंदर भाग गई। अब वहां पर कोई नहीं था। रूम में खड़ी चुपचाप उसे विला को देख रही थी जहां पर उसका बचपन मिलेगा कितनी सारी यादें जुड़ी हुई थी उसकी।
वो चुपचाप बस उसे विला को निहार रही थी उसकी आंखों में आंसू थे लाखों जज्बात थे और दिल में दर्द भी था। वही अर्थव थोड़ा उसके पास आया और उसके कंधे पर हाथ रखा।
रूमी ने उसकी तरफ आशु भरी आंखों से देखा। अर्थव ने धीरे से उसके आंसू अपनी अंगूठे से पूछ दिए और उसकी आंखों में देखकर अपनी आंखें हल्की सी झपका दी।
जैसे बोल रहा हूं सब ठीक होगा। रूमी ने उसका हाथ पकड़ लिया। अर्थव ने भी उसका हाथ मजबूती से पकड़ लिया और धीरे से कहा चलो चलते हैं।
To be continue.....
अब क्या होगा आगे ? क्या माफ कर देंगे आर्यन जी रूमी को ? क्या वह अपनाएंगे अर्थव और रूमी के रिश्ते को जानने के लिए पढ़ते रहे।
और प्लीज लाइक कमेंट शेयर करना कमेंट तो जरूर कर देना स्टोरी आगे चलकर बेहद इंटरेस्टिंग होने वाली इसलिए प्लीज कमेंट करके बताना कि कैसी लग रही है वरना मैं स्टोरी बंद कर दूंगी।
अब तक…
अब वहां कोई नहीं था…
रूमी खामोशी से खड़ी, उस विला को देख रही थी जहां उसका बचपन बसा था, उसकी मासूम यादें, उसकी हँसी, उसके आँसू… सब यहीं तो थे।
आंखों में आंसू थे, दिल में दर्द… और जुबां पर खामोशी।
उसी वक़्त अर्थव उसके करीब आया। उसने रूमी के कांपते कंधों पर अपना हाथ रखा।
रूमी ने आंसुओं से भीगी नज़रों से उसकी ओर देखा।
अर्थव ने बिना कुछ कहे, अपने अंगूठे से उसके आंसू पोंछ दिए… और आंखों से इशारा किया“सब ठीक होगा…”
रूमी ने धीरे से उसका हाथ थाम लिया… और वो दोनों वहां से निकल गए।
अब आगे…
दो घंटे बाद, दोनों एक बिल्डिंग के बाहर खड़े थे।
अर्थव लिफ्ट खोल रहा था, तभी एक औरत सामने आई।
“अरे वाह! आख़िरकार अपनी दुल्हन को ले ही आए तुम…”
उसने रूमी की ओर देखा “बहुत ही प्यारी है तुम्हारी बीवी…”
अर्थव हल्के से मुस्कुराया। रूमी बस सिर झुकाकर खड़ी रही… क्योंकि वह किसी को जानती नहीं थी यहां पर, न कुछ समझ पा रही थी।
उस औरत ने अर्थव के सिर पर प्यार से हाथ रखती हुई बोली “बहुत खुश हूं तुम्हारे लिए।” और फिर वहां से चली गई।
अर्थव ने रूमी का हाथ थामा और लिफ्ट की ओर बढ़ गया।
कुछ देर बाद, दोनों एक अपार्टमेंट के दरवाज़े पर खड़े थे।
“दो मिनट… यहीं रुको।”
रूमी ने चुपचाप सिर हिला दिया।
थोड़ी ही देर में अर्थव एक थाली और एक कलश लेकर आया। थाली में आरती सजी थी, और कलश में चावल।
उसने कलश दरवाज़े के आगे रखा और थाली से रूमी की आरती उतारने लगा।
रूमी उसे हैरानी स देखने लगी ।
अर्थव ने उसकी आंखों में देखकर हल्के से मुस्कुराते हुए उसके माथे पर तिलक लगाया।
"सीधा पैर आगे बढ़ाओ… और इस कलश को गिरा दो।"
रूमी थोड़ी झिझकी… फिर अर्थव की आंखों में भरोसा देख, उसने अपना पैर आगे बढ़ाया और कलश गिरा दिया।
अर्थव ने थाली एक तरफ रख दी और रूमी फिर दरवाजे के बाहर कदम रखा और उसके बगल में आकर खड़ा हो गया। का हाथ थाम कर बोला अब चलो… हमारे घर में तुम्हारा स्वागत है।”
रूमी ने उसकी आंखों में देखा,उसके चहरे पर हल्की मुस्कुराहट आ गई यह सच्ची मुस्कुराहट थी। अब तक जो उसका चेहरा लटका हुआ था इतना कुछ होने के बाद।
अर्थव की छोटी सी कोशिश के बाद उसका छोटा सा चेहरा हल्का सा खिल उठा। वही अर्थव और वह दोनों अंदर है अर्थव होने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
अर्थव के हाथ में बड़ा सा बैग था जो रूमी का था। औरतों ने दूसरे हाथ से रूमी का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में ले आया और बैग को बेड पर रख दिया।
और फिर रूमी के चेहरे पर प्यार से हाथ रखकर कहां जाओ चेंज कर लो मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देता हूं भूख लगी होगी ना हम्म।
रूमी ने हां में सर हिला दिया। अर्थव ने कहा हम्म तो अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ चेंज कर लो तब तक मैं कुछ बनाकर लाता हूं ।
वॉशरूम वहां पर है। वह इतना बोल कमरे से बाहर चला गया। वही रूमी ने अपना बैग खोला उसमें से उसने एक सूट निकला।
और फिर वॉशरूम में आ गई उसने मिरर में खुद को देखा। और फिर एक गहरी सांस ली और फिर अपना चेहरा साफ कर लिया।
उसके लिए यह दिन बहुत भारी था। एक ही दिन में सब कुछ बदल गया समाज और परिवार ही नजरों में वह गलत हो चुकी थी क्योंकि उसने अपने प्यार को जो चुना। और अगर परिवार को चुनौती तो प्यार छूट जाता।
उसकी आंखों में हल्के से आंसू आ गए सब कुछ दोबारा याद करके अपने पापा की बातें अपने भाई की बातें।
पर उसने खुद को संभाल लिया और कहां मैं मना लूंगी पापा को। उसने खुद को समझाया और फिर चेंज करके बाहर आई। चुपचाप से बेड पर बैठ गई।
कुछ देर बाद अर्थव आया उसके हाथ में खाने की प्लेट थी वह उसके पास में बैठ गया। रोटी का टुकड़ा तोड़ते हुए सब्जी में डुबोकर उसकी तरफ बढ़ा दिया।
रूमी ने उसकी तरफ देखा। अर्थव ने कहा देखना नहीं खाना हैं उसने खान की तरफ इशारा करते हुए कहा।
रूमी ने धीरे से अपना मुहं खोला और का लिया। रूमी धीरे से चबाने लगी। अर्थव ने कहा कैसा बना हैं। मतलब अच्छा बना है ना वह जल्दी-जल्दी में बनाया है मैंने।
रूमी ने उसकी तरफ देखा और धीरे से बोली अच्छा हैं। अर्थव ने बस मुस्कुरा दिया। उसने दूसरा निवाला रूमी की तरफ बढ़ाया।
तो रूमी ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और उसके से रोटी का टुकड़ा ले लिया। और उसकी तरफ बढ़ते हुए धीरे से बोली तुम भी खाओ।
अर्थव ने शांत आंखों से उसे देखा और फिर चुपचाप से खा लिया। कुछ देर बाद दोनों ने अपना खाना खत्म कर लिया था।
अर्थव प्लेट रखने जा ही रहा था कि रूमी ने धीरे से कहा अर्थव। अर्थव ने तुरंत पलट कर देखा और बोला हां। रूमी ने अपने बैग की तरफ देखते हुए धीरे से कहा यह..ये कपड़े कहां रखूं।
अर्थव ने शांत आवाज में कहा उस कबर्ड में रख दो । रूमी ने सर हिला दिया। वही अर्थव किचन में चला गया। रूमी अपने कपड़े कबर्ड में अच्छे से रखना लगी।
वही अर्थव प्लेट रख कर आया और उसकी मदद करने लगा। रूमी ने उसे देखा पर कुछ बोली नहीं।
कुछ देर बाद उन दोनों ने सब कुछ सही से रख दिया। वही अर्थव ने खिड़की दरवाजे बंद कर दिये। और फिर बेड पर आकर बैठ गया और बोला।
रूमी काफी टाइम हो गया है अब सो जाओ ऐसे भी आज का दिन काफी थकान भरा था तुम्हारे लिए तुम्हें आराम करना चाहिए।
वही रूमी उसे अपने मासूम आंखों से देख रही थी जैसे कुछ पूछना चाह रही है पर उसकी आंखों में एक अलग से झिझक थी।
अर्थव नेउसकी आंखों में देखकर कहां कुछ बोलना है। जैसे कि उसने उसका चेहरा पढ़ लिया हो उसकी आंखों की बात समझ ली हो।
रूमी ने ने अपना सर झुका लिया और अपने निचले होठों को हल्का सा बाइट करने लगी। अर्थव समझ गया कि वह नर्वस है उसने उसका चेहरा ऊपर की और उसके थोड़ा करीब आकर बैठ गया।
और कहा क्या हुआ क्या बात हम्म बाताओ मुझे।
To be continue.....
आखिर क्या बोलना चाहती है रूमी अर्थव को। क्या उनका प्यार मुकम्मल हो पाएगा या कोई आएगी परेशानी? आर्यन जी एक्सेप्ट करेंगे अर्थव को ?
जानने के लिए पढ़ते रहे और कमेंट करना बिल्कुल मत भूलना प्लीज।
अब तक..….
वही रूमी उसे अपने मासूम आंखों से देख रही थी जैसे कुछ पूछना चाह रही है पर उसकी आंखों में एक अलग से झिझक थी।
अर्थव नेउसकी आंखों में देखकर कहां, कुछ बोलना है। जैसे कि उसने उसका चेहरा पढ़ लिया हो उसकी आंखों की बात समझ ली हो।
रूमी ने ने अपना सर झुका लिया और अपने निचले होठों को हल्का सा बाइट करने लगी। अर्थव समझ गया कि वह नर्वस है उसने उसका चेहरा ऊपर की और उसके थोड़ा करीब आकर बैठ गया। और कहा क्या हुआ क्या बात हम्म बाताओ मुझे।
अब आगे....
रूमी ने अपना सर झुका लिया और फिर धीरे से बोली अ.. अर्थव वो हम मतलब आज व.. शादी हुई है तों क.. क्या हम व। उसने बोलने की कोशिश की पर बोल नहीं पा रही थी वो झिझक रही थी।
अर्थव ने उसे कुछ देर देखा और फिर प्यार से उसके सर को सहलाते हुए कहा, समझ गया क्या बोलना है। जो भी तुम्हारी एक छोटे से दिमाग में चल रहा है ना निकाल दो और अब बस आराम करो क्योंकि तुम बहुत थक गई हो।
इतना तो समझता हूं मेरी जान कि तूम अभी इन सब के लिए तैयार नहीं हो तो मैं भी तुम्हारी बीना रजामंदी वो सब नहीं करूंगा तो नर्वस मत हो हम्म। इतने बड़े ही नरम और प्याज भरे लहजे में उसे समझा दिया।
। वही रूमी का चेहरा लाल हो गया। अर्थव ने प्यार भरे लहजे में कहा शर्माना हो गया हो तो, आओ और सो जाओ वो बेड पर लेट गया।
वही रूमी अब भी वही सर झुका कर बैठी हुई थी। अर्थव ने उसे देखकर कहा, क्या हुआ सोना नहीं है क्या, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम मुझे सोफे पर सुलाने के बारे में सोच रहीं हो वो हैरान हो कर बोला।
रूमी ने नज़रें उठा कर उसे देखा जैसे बोलना चाह रही हो मैं ऐसा क्यों करूंगी। वही अर्थव उसे देख मुस्कुरा दिया और अचानक से उसे अपनी बाहों में खिंच लिया।
रूमी थोड़ा हड़बड़ा गई और उसकी तरफ देखने लगी उसके होंठ थरथरा रहे थे। वही अर्थव ने उसका सर अपने सीने से लगा लिया और बोला, सो जाओ मेरी जान।
रूमी उसके सीने पर सर रख कर धीरे से बोली अर्थव। अर्थव ने बस हम्म किया। वो बहुत देर तक कुछ नहीं बोली तो अर्थव ने धीरे से नर्म लहजे में कहा, क्या हुआ बोलो कुछ।
रूमी उससे चिपक गई और अपने हाथ उसके गले पर रख दिया और धीरे से बोली, कुछ नहीं उसने अपनी आंखें बंद कर ली। अर्थव ने भी कोई सवाल नही किया और उसके बालो में उंगलियों से सहलाने लगा।
रूमी कि आंख अब लग गई उसे खुद नहीं पता। वही अर्थव को उसकी गर्म सांसें महसूस हुई वह अपना सर थोड़ा नीचे करके उसे देखने लगा।
उसके चेहरे पर मीठी मुस्कान आ गई उसने उसे अपनी बाहों में अच्छे से पकड़ लिया उसकी उंगलियां लगातार उसके बालों पर चल रही थी।
उसके चेहरे पर एक सुकून था एक अलग सी खुशी उसकी आंखों में चमक थी यह वही लड़की थी जिसे वह पिछले 3 सालों से चाहता था।
और आज वही लड़की उसकी बाहों में थी उसकी बीवी बनाकर। अर्थव बस उसे निहार रहा था। उसे यूं ही निहारते निहारते उसकी आंखें भी गई।
अगली सुबह.....
खिड़की से आई हुई हल्की-हल्की सुरज की रोशनी बिस्तर पर गिरने लगी और उस रोशनी की वजह से अर्थव कि पलकों में हल्की-हल्की हरकत हुई ।
उसने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली पर तभी उसे एहसास हुआ किसके ऊपर कोई सो रहा है। उसने अपनी नज़रें अपने सीने की तरफ कि।
उसके चेहरे पर एक बार फिर सुकून उतर आया आज की सुबह उसके लिए बेहद ही खूबसूरत थी क्योंकि इस वक्त उसकी जान उसकी बीवी उसकी बाहों में थी जिसे वह बेइंतहा चाहता था।
यह वही लड़की थी जिसे कल सिर्फ उसके लिए अपना पूरा परिवार छोड़ दिया सब की बातें सुनी। यह सब सो अर्थव ने एक बार फिर उसके बालों पर हाथ फिराया और हल्का मुस्कुरा दिया।
उसने धीरे से बड़े ही आराम से पूरी करे के साथ उसे साइड में लेटा दिया। वह अभी गहरी नींद में थी उसके चेहरे पर अब भी वह खूबसूरती और मासूमियत थी।
अर्थव ने कुछ पल उसे देखा और फिर उसके माथे को चूम लिया। तभी उसने देखा कि रूमी कसमसा रही है धूप की रोशनी की वजह से।
वो तुरंत बेड से उठा और खिड़की के पास आया उसने तुरंत खिड़की बंद कर दिया और पर्दा भी लगा दिया। और बेड कि तरफ देखा वो अब शांति से सो रही थी।
वह अलमारी के पास गया और उसने अपने कपड़े ले और नहाने चला गया। करीब 5 मिनट बाद रूमी कि पलकों में हलचल हूं उसकी भी नींद हल्की हो गई उसने धीरे-धीरे अपनी आंखें मुस्कुराहट के साथ अंगड़ाई लेते हुए बैठ गई।
वह अभी हल्की नींद में थी उसने अपनी नींद भरी आंखों से इधर-उधर देखा जैसे किसी को ढूढ रही हो , पर उसे कोई नजर नहीं आया। वह अपनी आंखें मलते हुए बेड पर उठ कर बैठ गई।
उसके बाल उसके चेहरे पर आ रहें थे वो धीरे से बेड के नीचे उतरी और एक बार फिर इधर उधर देखने लगी वो धीरे से बुदबुदाते हुए बोली ये कहा है।
बाथरूम का दरवाज़ा खुला और अंदर से अर्थव बाहर आया, बालों से पानी की बूंदें गिर रही थीं और उसने एक सफेद टीशर्ट और ट्रैक पैंट पहन रखी थी।
रूमी उसे देखकर ठिठक गई। और अर्थव भी उसे देख मुस्कुराया।
गुड मॉर्निंग... जान उसने नज़दीक आते हुए बोला।
रूमी ने अपनी पलकों को झुका लिया, फिर हल्की आवाज़ में बोली, "गुड मॉर्निंग... उसकी आवाज़ में अब भी नींद और मासूमियत दोनों थे।
रूमी ने अपना सर उठा कर उसे देखा और धीरे से कहा तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं। अर्थव ने कहा तुम इतने आराम से सो रहीं थीं तो मन नहीं किया उठाने का।
रूमी ने कुछ नहीं कहा । अर्थव ने धीरे से कहा अच्छा अब फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं कुछ खाने के लिए बना देता हूं। रूमी उसकी तरफ देखने लगी और बोली क्यों तुम क्यों बनाओगे मैं बना दूंगी।
अर्थव ने कहा नहीं कोई जरूरत नहीं है मैं हूं ना। पर अर्थव रूमी बोल ही रही थी कि। अर्थव ने उसे रोकते हुए कहा, कोई पर वर नहीं चले जाओ फ्रेश होने।
वही इधर......
चौधरी मेंशन........
आर्यन जी खिड़की के पास कुर्सी पर चुपचाप बैठे थे। चेहरे पर खामोशी थी, लेकिन आंखों में गुस्से की आग साफ झलक रही थी। तभी मालिनी जी धीरे-धीरे कमरे में आईं।
"क्या हुआ सुबह-सुबह यूं अकेले बैठे हो उन्होंने धीमे स्वर में पूछा।आर्यन जी ने सिर घुमाया, आंखें लाल थीं, जैसे रात भर नींद नहीं आई हो।
क्या हुआ उन्होंने कड़वे लहजे में दोहराया, "तुम भूल गईं क्या, मालिनी? तुम्हारी लाडली बेटी ने क्या किया? पूरे खानदान की नाक कटवा दी उसने। भाग कर शादी कर ली उसने…
उनका गला कड़वाहट से भर गया था।तीस साल लगे हैं मुझे इज्ज़त कमाने में… समाज में नाम बनाने में। और उसने? एक पल में सब मिट्टी में मिला दिया।"
मालिनी जी कुछ पल चुप खड़ी रहीं। आंखें नम थीं लेकिन वो धीरे से बोली आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं वो आपकी भी बेटी है… हमारी बेटी है…"
"नहीं!" आर्यन जी चीख उठे, "वो हमारी बेटी हो ही नहीं सकती। जो मां-बाप की बात न माने, जो घर की इज्ज़त तार-तार कर दे, उसने बेटी कहने का हक उसने खो दिया है!"
उन्होंने एक जोर से हाथ की छड़ी उठाई और बगल की मेज़ पर पटक दी। फिर गुस्से में उठकर कमरे से बाहर निकल गए।
मालिनी जी बस खड़ी रहीं… आंखों से आंसू टपकने लगे। वो कुछ नहीं कह सकीं… शायद कहने को बहुत कुछ था, पर वक्त ने जैसे उन्हें खामोश कर दिया था।
To be continue......
क्या आर्यन जी का गुस्सा शांत होंगा ? और क्या होगा अर्थव और रूमी की जिंदगी में ? क्या वो अपने रिश्ते को सम्भाल पाएंगे ?
Story pasnd aaye to like comment share jarur kare 🤧
Please comment kar do yaar story kaisi hai batao sawal Karo 🥺🥺
अब तक.....
मालिनी जी कुछ पल चुप खड़ी रहीं। आंखें नम थीं लेकिन वो धीरे से बोली आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं वो आपकी भी बेटी है… हमारी बेटी है…"
"नहीं!" आर्यन जी चीख उठे, "वो हमारी बेटी हो ही नहीं सकती। जो मां-बाप की बात न माने, जो घर की इज्ज़त तार-तार कर दे, उसने बेटी कहने का हक उसने खो दिया है!"
उन्होंने एक जोर से हाथ की छड़ी उठाई और बगल की मेज़ पर पटक दी। फिर गुस्से में उठकर कमरे से बाहर निकल गए।
मालिनी जी बस खड़ी रहीं… आंखों से आंसू टपकने लगे। वो कुछ नहीं कह सकीं… शायद कहने को बहुत कुछ था, पर वक्त ने जैसे उन्हें खामोश कर दिया था।
अब आगे.....
उन्होंने अपने आंशू साफ किये। और एक गहरी सांस छोड़ी और कमरे से बाहर चली गई।
वही इधर अर्थव के अपार्टमेंट में......
रूमी नहा कर बाहर आई अपने कमरे में देखा कोई नहीं था। से अर्थव की बात याद आई कि उसने कहा था कि वह नाश्ता बनाने जा रहा है।
रूमी धीरे से कमरे के बाहर आई उसने थोड़ा इधर-उधर देखा वह घर को देखने लगी कल जब वह आए तो थोड़ी उदास थी उसने ध्यान ही नहीं दिया वह देखने लगी।
सामने एक छोटा सा हाल था। धीरे कदमों से चलते हुए वहां पर आई। वह थोड़ा आगे बड़ी उसे कुछ खतर-पटर की आवाज आने लगी।
वह धीरे कदमों से आगे बड़ी उसने देखा कि अर्थव किचन में हैं। वह धीरे-धीरे उसके पास चलकर आई। पर वह जाकर वहीं रुक गई उसकी नजर एक जगह जाकर रूक गई।
वही ऑर्थो जो काम करने में बिजी था इसका अहसास होते ही वह उसकी तरफ देखने लगा रूमी की नजरे कहीं और ही थी उसने उसकी नजरों का पीछा करते हुए देखा।
और अपनी आंखें बंद करके बोला भगवान सारी अजीब चीज मेरे साथ ही होनी है क्या। उसने अपना गला हल्का सा खरखराया और जिस तरफ रूमी की नजरी थी उस तरफ बढ़ा और उसने जल्दी से दोनों बियर की बोतल उठा ली।
और उसे किचन की ड्रॉ में रखा और जल्दी से उसे बंद कर दिया और फिर उसकी तरफ देखते हुए थोड़ा नर्वसनेस से बोला, वह मैं रोज नहीं पीता कभी-कभी इतना बोल वह इधर-उधर देखने लगा।
रूमी ने उसे देखा और बस हम्म कहा। अर्थव अच्छे से जानता था कि रूमी को शराब पसंद नहीं चाहे वह बियर ही क्यों ना हो। वह बात पलटते हुए बोला, अच्छा तुम बैठो वहां पर मैं नाश्ता लाता हूं।
रूमी कुछ नहीं बोली वो चुपचाप से हाल में बैठ गई। वहीं कुछ देर बाद अर्थव वहां पर प्लेट लेकर आया। वही रूमी ने धीरे से कहा अर्थव।
अर्थव ने तुरंत उसका जवाब दिया हां क्या हुआ। वही रूमी ने उसकी तरफ शांति से देखा और उसके बाद फिर अपनी नज़रें दीवाल की साइट करते हुए अपना हाथ दीवाल की और दिखाते हुए बोली, वह कौन है तुम्हारे मां पापा ।
अर्थव दीवाल की तरफ देखने लगा जहां पर एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी जिसमें एक औरत और आदमी साथ में थे । अर्थव कुछ पल चुप रहा और धीरे से बोला हां।
वहीं रूमी ने धीरे से कहा मां बहुत ब्यूटीफुल है। अर्थव उसकी तरफ देखने लगा। वही रूमी ने उसकी तरफ देखते हुए कहां मैं काफी टाइम से देखना चाहती थी तुम्हारे मां पापा को।
आखिर आज उनकी तस्वीर देख हि ली। उसकी आंखों में अलग ही मासूमियत और चमक थी। अर्थव हल्का सा मुस्कुरा दिया।
और उसके पास बैठते हुए बोला ये नाश्ता उसने नाश्ते कि प्लेट उसे देते हुए कहा। रूमी वो ले ली अर्थव भी उसके पास हि बैठ गया।
दोनों नाश्ता करने लगें अर्थव ने धीरे से संकोच करते हुए सवाल किया। जान तुम्हें यहां अजीब तो नहीं लग रहा ना तुम कंफर्टेबल तो नहीं हो ना यहां पर।
रूमी उसकी तरफ देखने लगी। और फिर धीरे से कहा, तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो मुझे क्यों अनकंफरटेबल फिर होगा। वही अर्थव ने नर्वसनेस के साथ कहां, वह एक्चुअली तुम्हें ऐसे रहने की आदत नहीं है ना।
मेरा मतलब की इस तरह के लिए काफी छोटी जगह है और शायद वह आगे कुछ बोलता हूं उससे पहले ही रूमी ने की बात काटते हुए कहां।
अर्थव कुछ भी उल्टा सीधा सोचने की जरूरत नहीं है हम कहां से है तुम्हें जगह छोटी लग रही है वैसे तुम्हारे और मेरे लिए यह घर काफी बड़ा है ठीक है और मैं बिल्कुल भी अनकंफरटेबल नहीं हूं।
वही अर्थव ने धीरे से कहा तुम जानती हो ना मेरे पास कुछ भी नहीं है तुम्हें देने के लिए बस ये अपार्टमेंट है। कर यहां पर कोई सुविधा नहीं है ना यहां पर ऐसी है ना ही वाशिंग मशीन नहीं कुछ और।
काम भी खुद ही करना पड़ता है यहां पर सर्वेंट नहीं है। फिर भी तुमने मुझसे शादी की क्यों की आंखों में सवाल था। रूमी ने नाश्ते की प्लेट राखी और उसकी आंखों में देखते हुए कहां तुम्हें नहीं पता।
प्यार करती हूं मैं तुम्हें इसलिए। अर्थव ने अपना सर झुका लिया और बोला ऐसा भी क्या देख लिया तुमने मुझ में कुछ भी तो नहीं है मुझमें।
ना तो मैं अमीर हूं। रूमी ने कहा बस करो मेरी अर्थव के बारे में कुछ भी मत बोलो समझे वह बहुत अच्छा है तुम नहीं जानते।
वह इतना अच्छा है कि मैं भी उससे प्यार करने लगी और तुम हो कि मेरे सामने उसकी बुराई कर रहे हो। अर्थव ने प्लेट साइड में रखी और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर धीरे से कहां।
क्योंकि तुम बहुत अच्छी हो जो एक ऐसे इंसान से प्यार करती हो जिसके पास कुछ भी नहीं है तुम्हें देने के लिए। रूमी ने कहा किसने कहा कुछ नहीं तुम मुझे इतना प्यार तो देते हो 3 साल से प्यार करते हो मुझे आज तक कोई कमी नहीं आई इस प्यार में ।
और मैं अच्छे से जानती हूं तुम कभी आने भी नहीं दोगे। अर्थव ने उसे देखा और कहां हम्म i am sorry । उसने अपना सर झुका कर उसके हाथों को थोड़ा मजबूती से पकड़ते हुए कहा।
रूमी ने कहा, सॉरी वारी क्यों बोल रहे हो उसने अपनी भौंहें चढ़ा कर कहा। अर्थव ने बिना अपना सर उपर करें कहा तुम्हें मेरी वजह से सब कुछ छोड़ना पड़ा मैं कभी ऐसा नहीं चाहता था।
रूमी कुछ देर चुप हो गई दोनों के बीच खामोशी छा गई। रूमी खिसक कर थोड़ा उसके पास आई और धीरे से कहा हम्म तो इसमें तुम्हारी क्या गलती है।
तुम खुद को गिल्टी मत फिल मत कराओ रही बात पापा और बाकी सब की तो वह बोलते बोलते रुक गए उसकी आंखें हल्की सी नाम हो गई पर फिर भी उसने अपनी आंसू छुपाते हुए कहां वह मुझे माफ कर देंगे।
जानती हूं मैं उन्हें वह इतने भी कठोर नहीं है बहुत प्यार करते हैं मुझे वह तो उसे वक्त गुस्से में थी इसलिए देखना कुछ टाइम बाद सब सही होगा।
वह खुद को दिलासा भी दे रही थी और अर्थव को समझा भी रही थी ताकि वह खुद को गिल्टी भी ना समझे।
To be continue........
क्या आर्यन जी सचमुच माफ कर देंगे ? और क्या सच में रूमी यहां पर रह पाएगी ? अमीर बाप की बेटी इस गरीब के घर में सब कुछ हैंडल कर लेगी एडजस्ट कर लगी ?
क्या रूमी का ये विश्वास सच में रंग लाएगा?
क्या एक बेटी के प्यार से पिघलेगा एक बाप का कठोर दिल?
और क्या ये छोटी-सी दुनिया रूमी के लिए बड़ी खुशियों का कारण बन पाएगी?
अगर आप भी रूमी और अर्थव के इस सफर में उनके साथ हैं, तो प्लीज़ लाइक करें, कॉमेंट में अपनी राय ज़रूर दें और स्टोरी को शेयर करें आपकी एक छोटी सी कोशिश मेरे लिए बहुत मायने रखती है।