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Professor's Bride

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Ishqi

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सूर्यांश सतीक्षय 29 years old एक ऐसी शख्शियत जिसे पाने के ख़्वाब हर लड़की देखती है उसे अपनी सगाई वाले दिन अपनी होने वाली फिऑन्से सोनिया आहूजा ने ठुकरा दिया और सूर्यांश और सारा को जबरदस्ती गर्ल फ्रेंड - बॉय फ्रेंड बना दिया गया और सूर्यांश की शादी एक 1...

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SARA SHASHTRI

Heroine

Total Chapters (43)

Page 1 of 3

  • 1. Professor's Bride (सगाई) - Chapter 1

    Words: 1480

    Estimated Reading Time: 9 min

    नई दिल्ली, सतीक्षय भवन

    "सूर्यांश, हम आज ही लड़की देखने जा रहे हैं। यह बात फाइनल है। इस पर और कोई बहस-बाजी नहीं होगी।"

    हॉल में सोफे पर लगभग 45 वर्षीय एक महिला बैठी थी और अपने बड़े बेटे को डाँटते हुए उसे सगाई के लिए मना रही थी।

    सूर्यांश के हाथ में एक लैपटॉप था। वह अपनी मम्मी, संजना सतीक्षय, की ओर बोरियत से देखते हुए बोला,

    "मम्मा, आपको पता है ना मुझे इन सब में कोई इंटरेस्ट नहीं है। आप सहज को बोलो ना, उसे करनी है शादी, इस वक्त उसके लिए रिश्ते ढूँढो।"

    हॉल में एक और शख्स की एंट्री हुई। यह सूर्यांश के पिता, जमशेद सतीक्षय थे।

    जमशेद जी संजना जी के पास बैठते हुए बोले, "तेरा दिमाग खराब हो गया है? हम बड़े बेटे को कुँवारा रखकर कैसे छोटे बेटे की शादी पहले कर सकते हैं? आज तो तू जरूर जाएगा लड़की देखने, आज का मुहूर्त सबसे अच्छा है।"

    सूर्यांश ने गन्दा सा मुँह बनाते हुए कहा,
    "I don't believe in मुहूर्त व्यूरत, Mumma, Dad, please, नहीं करनी है शादी।"

    जमशेद जी ने संजना जी की तरफ देखा और एक eye wink की।

    जिसके अगले ही पल संजना जी रोती हुई सूरत बनाते हुए बोलीं,
    "सूर्यांश, हमारे भी कुछ सपने हैं जो मरने से पहले हम पूरे करना चाहते हैं। खैर, तेरी जैसी औलाद हो तो कोई सपना चाहकर भी पूरा नहीं हो सकता। और यह रूखी-सूखी ज़िंदगी अब मुझे जीनी भी नहीं है। ऑलरेडी मैंने तीन दिन से डायबिटीज़ की दवाइयाँ नहीं ली हैं। कुछ दिन और नहीं लूँगी तो परलोक सिधार जाऊँगी। फिर तू बना रहना "alpha man"।"

    देखती हूँ क्या हासिल होता है तुझे?

    सूर्यांश ने लैपटॉप साइड में रखते हुए गुस्से में कहा,
    "आप अपनी बात मनवाने के लिए मेरे इमोशन्स के साथ खेल रही हो, यह पता है आपको?"
    "और मेरी उम्र 30 हो चुकी है। मुझे नहीं लगता किसी लड़की को इतना old hubby चाहिए होगा!"

    संजना जी के चेहरे पर एक पल के लिए शिकन आई, पर अगले ही पल वो फिर से हल्की मुस्कुराहट के साथ बोलीं,
    "तू उसकी फ़िक्र मत कर, किसी लड़की को शादी करनी है या नहीं, क्योंकि लड़की ढूँढना मेरा काम है। तुझे बस हाँ बोलना है।"

    सूर्यांश ने कहा,
    "Oh god, Mumma... फिर आप ही जाओ रिश्ता देखने। कॉलेज में न्यू बैच के एडमिशन चल रहे हैं। मुझे उनका डाटा रेडी करना है। आप ढूँढो लड़की।"

    संजना जी ने जल्दी से कहा,
    "तू हाँ बोलेगा ना?"

    सूर्यांश ने गहरी साँस छोड़ते हुए हाँ में सिर हिला दिया। संजना जी और जमशेद जी दोनों के चेहरे खिल उठे।

    संजना जी ने कहा,
    "चलो, सहज को ले चलते हैं अपने साथ।"

    जमशेद जी ने हाँ में सिर हिला दिया।

    दूसरी तरफ, दूसरे फ्लोर पर बना एक और कमरा था। वहाँ एक लड़का वीडियो कॉल पर एक लड़की को चुप करवाने की कोशिश कर रहा था जो बुरी तरह रो रही थी।

    "सना, बच्चा चुप हो जाओ। मैं ढूँढता हूँ कोई सोल्यूशन।"

    यह और कोई नहीं, बल्कि सहज सतीक्षय था, जिसकी पर्सनैलिटी ऐसी थी कि कोई भी दीवाना हो जाए। एकदम चार्मिंग प्रिंस, golden आइज़, हल्की बियर्ड, मस्कुलर बॉडी, ब्राउन शाइनी हेयर।

    सामने वीडियो कॉल पर उस लड़की ने रो-रोकर आँखें लाल कर ली थीं क्योंकि वह सहज को बहुत प्यार करती है, पर उसके घर वाले उसकी शादी करवाना चाहते हैं।

    कुछ वक्त बाद,

    आहूजा मेंशन,

    घर के मुखिया तन्मय आहूजा और उनकी श्रीमती वृंदा आहूजा दोनों ही हॉल में पंडित जी से अपनी दोनों बच्चियों की कुंडली का परीक्षण करवा रहे थे।

    उनकी दो बेटियाँ हैं, सोनिया आहूजा और सारा आहूजा।

    सोनिया की उम्र 23 साल थी और सारा की 18। सारा ने इस साल अपना 12वीं पास किया था और उसके मार्क्स इतने अच्छे थे कि उसे पहली काउंसलिंग में ही मुंबई का बेस्ट कॉलेज मिल गया था।

    वहीं दूसरी तरफ सोनिया, जिसकी पढ़ाई में नहीं, बल्कि फैशन डिजाइनिंग में दिलचस्पी है, उसके मार्क्स भले ही कम थे, पर बाकी क्रिएटिविटी कूट-कूटकर भरी हुई है।

    आज सोनिया के लिए सतीक्षय खानदान का रिश्ता आ रहा था। वह कमरे में रो रही थी और उसके घर वाले उसके रिश्ते की तैयारियों में लगे थे।

    सारा भी किचन में खाना पका रही थी।

    कुछ वक्त बाद आहूजा मेंशन का दरवाज़ा खटखटाया गया और तन्मय जी थोड़ी घबराहट और थोड़ी खुशी के साथ दरवाज़ा खोला।

    दरवाज़े पर जमशेद जी, संजना जी और सहज खड़े थे।

    वो उन्हें अंदर ले आए। वृंदा जी उठकर उन्हें हाथ जोड़ते हुए नमस्ते करती हैं।

    कुछ वक्त बाद सारा हाथ में चाय की ट्रे लिए किचन से बाहर निकली, जिसे देखकर संजना जी की मुस्कान और बड़ी हो गई क्योंकि उन्हें लग रहा था यही वो लड़की है जिसे वो अपने सूर्यांश के लिए देखने आई हैं।

    सारा ने इस वक्त व्हाइट फ्रॉक सूट पहना था, जिस पर व्हाइट दुपट्टा था और उस दुपट्टे पर खूबसूरती से गोल्डन वर्क किया हुआ था।

    सारा के बाल खुले थे और होठों पर प्यारी सी मुस्कान थी।

    वह सच में बेहद खूबसूरत थी, जैसे बिल्कुल माँ की गुड़िया हो और उसका नाक-नक्शा बड़े फुरसत से किसी कारीगर ने बनाया हो, बिना एक भी चूक किए।

    संजना जी ने जैसे ही उसे देखा, उनकी आँखों में चमक आ गई और सहज की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं क्योंकि सोनिया ने कई बार अपनी छोटी बहन की फोटो उसे दिखाई थी।

    सहज का दिल एकदम से धक सा गया। मतलब आज वो सोनिया को अपने बड़े भाई के लिए देखने आया था।

    उसके हाथ-पाँव में हल्की कंपकपी छूट गई और माथे पर भी पसीने की बूँदें उभर आईं।

    वृंदा जी वो ट्रे सारा के हाथ से लेते हुए मुस्कुराकर बोलीं,
    "जाओ, अपनी दीदी को बुलाकर लाओ, लड़के वाले आ गए।"

    सारा धीरे से हाँ में सिर हिलाती है और सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए मुड़ जाती है।

    संजना जी के चेहरे पर आई चमक पल भर में गायब हो जाती है और वो बुझे मन से बोलती हैं,
    "यह इतनी प्यारी बच्ची कौन है?"

    वृंदा जी सहज को देख रही थीं तो संजना जी ने उनका कन्फ्यूज़न दूर करते हुए कहा,
    "यह हमारा छोटा बेटा है, बड़ा बेटा बस आने वाला है।" इतना बोलकर उन्होंने सहज की तरफ देखते हुए कहा,
    "जाओ, एक बार सूर्यांश को फ़ोन लगाकर पूछो कहाँ तक पहुँच गया?"

    सहज जो कहीं खोया था, अचानक से हड़बड़ाकर बोला,
    "अ... हाँ, मॉम, अभी करता हूँ।"

    वह वहाँ से उठकर थोड़ा साइड में आ गया। उसकी आँखों में नमी आ गई थी, जिसे उसने बहुत जल्दी ही पोंछ लिया और सूर्यांश को कॉल किया।

    ऑन कॉल,

    सूर्यांश जो अपनी फ़ाइल्स में बिजी था, एकदम से फ़ोन आने से चिढ़ गया और फ़ोन उठाते ही बोला,
    "अब क्या हुआ है?"

    सहज ने डर के मारे अपना सलाइवा निगला और फिर धीरे से बोला,
    "भाई, अचानक ही मॉम की बीपी अचानक ही डाउन हो गई है। वो पैनिक कर रही हैं। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा।"

    इतना बोलते-बोलते ही सहज का गला भर आया। उसे दर्द इस बात का था कि वह खुद अपनी सोना की सगाई अपने बड़े भाई से करवा रहा है। वहीं सूर्यांश को उसकी आवाज़ में जब इतना दर्द महसूस हुआ, वो एकदम से घबरा गया। "लोकेशन भेज, मैं आ रहा हूँ।" सूर्यांश ने इतना बोलकर कॉल काट दी और तुरंत ही आहूजा मेंशन के लिए निकल गया।

    वहीं सहज की अब हिम्मत नहीं थी वापस हॉल में जाकर उन सब के पास बैठने की, तो वह वहीं पिलर से टेक लगाकर खड़ा हो गया।

    कुछ ही देर बाद हॉल में सारा सोनिया को अपने साथ लेकर आई। सोनिया बहुत सुंदर लग रही थी। उसने बिना स्लीव्स का पिंक अनारकली पहना था जो उसके गोरे रंग पर बेहद खिल रहा था, पर उसका सुंदर चेहरा पूरी तरह से मुरझाया हुआ था।

    उसकी नज़रें झुकी हुई थीं क्योंकि उनमें नमी ठहरी हुई थी। उसके हाथों की मुट्ठियाँ कसी हुई थीं। ऐसे लग रहा था किसी भी पल वह अपना आपा खोते हुए सामने बैठे लोगों पर चिल्ला उठेगी।

    संजना जी सोनिया को देखकर खुश हो गईं। जमशेद जी ने स्माइल करते हुए कहा,
    "बैठिए बेटा, और घबराइए मत।"

    सब को लग रहा था सोनिया सगाई के नाम से घबरा गई है, पर सच्चाई कुछ और थी।

    वहीं सहज भी अब खुद को नॉर्मल करते हुए हॉल की तरफ़ अपने कदम बढ़ा देता है, पर सामने सोनिया को देखकर उसका दिल धड़कने लगा था। उसके कदम एक बार फिर भारी हो गए।

    क्या होगी यह सगाई?

  • 2. Professor's Bride ( बेशर्म बहने) - Chapter 2

    Words: 1441

    Estimated Reading Time: 9 min

    सोनिया अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में उलझाए, अब भी बस एकटक फ्लोर को घूर रही थी।


    संजना जी ने जमशेद जी की तरफ देखकर, आइब्रो उठाते हुए सोनिया की तरफ इशारा किया।


    उन दोनों की आँखों ही आँखों में बात चल रही थी। जमशेद जी और संजना जी दोनों उस रिश्ते से बेहद खुश थे।


    सारा थोड़ी परेशान थी क्योंकि उसे पता था कि उसकी दीदी ये शादी नहीं करना चाहती है, पर वह घर में सबसे छोटी थी; वह किसी की बात को कभी नहीं टाल सकती थी।


    सहज भी संजना जी के पास आकर वापस बैठ गया। सोनिया ने जैसे ही सहज की आहट सुनी, उसे बहुत गुस्सा आया। उसका मन कर रहा था कि वह उस लड़के को जान से मार दे जो उससे उसके प्यार की जगह छीनना चाहता है।


    उसने आँखें उठाकर देखा और सहज को देखते ही उसकी आँखों की नमी उसके गालों पर आ गई और वह बिना पलक झपकाए उसे देखने लगी।


    सबको यह बहुत अजीब लग रहा था। तो संजना जी ने पानी का ग्लास आगे करते हुए कहा,
    "बेटा, पानी पी लो! आपको अभी शादी नहीं करनी है तो कोई बात नहीं, कोई आपके साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा है।"


    यह सब संजना जी अपने दिल पर पत्थर रखकर बोल रही थीं। क्योंकि अगले कुछ ही दिनों में उनका बेटा 30 का होने वाला था; इस उम्र में उसे एक बच्चे का पिता भी बन जाना चाहिए था, पर यहाँ उसकी सगाई तक नहीं हो पा रही थी। सहज के लिए रिश्तों की वैसे कोई कमी नहीं थी क्योंकि वह एक बिज़नेस मैन है; वह अपनी इंटर्नशिप के दौरान ही अपना अलग ब्रैंड लॉन्च कर चुका था। सूर्यांश दिखने में बेहद आकर्षक है, पर उसका 9 to 5 कॉलेज जाना, उसके बाद भी सिर्फ़ किताबों में खोया रहना, उसे लड़कियों से दूर करता चला गया था। और अब हाल यह है कि उसकी कोई फ़ीमेल दोस्त भी नहीं है।


    सोनिया ने अपने आँसू पोछ के जैसे ही कुछ बोलना चाहा, मेन डोर बेल एक बार फिर बजी और सारा जल्दी से दरवाजा खोलने गई।


    उसने जैसे ही दरवाजा खोला, किसी ने उसे जोर से धक्का दिया और वह लगभग गिरते-गिरते बची।
    "आह... यह क्या बदतमीज़ी है!"


    सारा ने झल्लाते हुए कहा।


    वहीं सूर्यांश उसे इग्नोर करते हुए आगे बढ़ा और संजना जी की तरफ देखते हुए बोला,
    "मॉम, आप ठीक हो ना?"


    संजना जी ने आँखें दिखाते हुए कहा,
    "शर्म नहीं है थोड़ी सी भी? अभी उस बच्ची को लग जाती तो..."


    सूर्यांश ने गर्दन टेढ़ी करते हुए सारा की तरफ देखा जो अब मुँह फुलाए, अपनी बिल्ली जैसी भूरी आँखों से उसे ही घूर रही थी। सूर्यांश ने उसके गुस्से को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा,
    "आपकी BP हाई हो गई थी?"


    वृंदा जी और तन्मय जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था; आखिर यह हो क्या रहा है?


    संजना जी ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा,
    "होने वाले समधी जी, यह है हमारा बड़ा बेटा सूर्यांश, जिसके लिए हम यह रिश्ता देखने आए हैं।"


    सोनिया, जो खुद को इतनी देर से कंट्रोल किए हुए थी, उसने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा,
    "पर मुझे नहीं करनी है इनसे शादी!"


    पूरे घर में एकदम से शांति पसर चुकी थी।


    सूर्यांश ने उस शांति को खत्म करते हुए कहा,
    "और कौन है जो बोल रहा है तुम्हें? तुम मुझसे शादी करो?"


    इतना बोलकर सूर्यांश ने संजना जी की तरफ देखते हुए कहा,
    "मॉम, आप क्यों एक लड़की की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहती हैं जब उसे शादी करनी ही नहीं है?"


    सहज अब भी चुप खड़ा था।


    जमशेद जी ने हल्की आवाज़ में कहा, "दोनों माँ-बेटे अब लड़ाई मत करना, यह हमारा घर नहीं है।"


    तन्मय जी ने गुस्से में कहा,
    "सोनिया, यह क्या बदतमीज़ी है? हमने आपसे कहा था, अब आपको हर हाल में शादी करनी ही होगी।"


    सूर्यांश को जमशेद जी के इस बर्ताव पर हैरानी हो रही थी। कोई बाप अपनी बेटी के साथ इतना निर्दयी कैसे हो सकता है? साथ ही गुस्सा भी आ रहा था।
    "आपको उसे समझाने की ज़रूरत नहीं है, वह इतनी बड़ी हो चुकी है कि अपने फ़ैसले खुद ले सके।"


    सारा ने एकदम से कहा,
    "ए मिस्टर, मेरे पापा से किस लहजे में बात कर रहे हैं आप?"


    सहज तो परेशान हो चुका था। ऐसा लग रहा था यह सगाई वाला माहौल अब जंग का मैदान बनने वाला है। यहाँ मौजूद हर कोई एक-दूसरे की सोच से बिल्कुल परे सोचता है; इनका आपस में रिश्ते में बंधना नामुमकिन है। लड़का-लड़की तो छोड़ो, यहाँ बाकी रिश्ते भी आपस में मैच नहीं कर रहे हैं...


    जमशेद जी ने हाथ जोड़ते हुए कहा,
    "हम अपने बेटे की तरफ़ से माफ़ी मांगते हैं... और अब हमें लगता है यह रिश्ता नहीं हो सकता है।"


    उनकी बात पूरी होती उससे पहले, सोनिया ने गुस्से में लाल होते हुए एक वाज़दान उठाकर सहज की तरफ़ फेंका, जिसे सहज ने बड़ी आसानी से कैच कर लिया।


    वृंदा जी और तन्मय जी को लग रहा था कि उनकी बेटी का मानसिक संतुलन हिल चुका है शादी के प्रेशर में; वह क्या हरकतें कर रही है! यह तो शुक्र है कि सहज ने वह सही टाइम पर कैच कर लिया, वरना उसका सर फूट जाता।


    सोनिया ने रोते हुए कहा,
    "तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे, बेहूदा इंसान?"


    ऐसा लग रहा था सोनिया के सब्र का बाँध टूट चुका है; वह बुरी तरह रो रही थी। उसे इसी बात का डर सता रहा था कि सहज उसे इसी वक़्त छोड़कर चला जाएगा।


    सहज को अपनी सहेली को रोते हुए बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, पर साथ ही अपने घरवालों के सामने अपनी होने वाली भाभी को इस नज़र से देखना उसे गन्दा महसूस करवा रहा था। पर सबको धीरे-धीरे कुछ तो समझ आ ही रहा था। सारा ने सहज को देखते हुए कहा,
    "ओह, तो आप ही दीदी के बॉयफ्रेंड? लव किया, तब तो आपको अपने घरवाले याद नहीं आए और अब सबके सामने दीदी से प्यार का इज़हार करने की बजाय उन्हें छोड़कर जाना चाहते हैं आप? दीदी, आपकी पसंद बहुत खराब है।"


    सहज ने आँखें बड़ी करते हुए अपने मन में कहा,
    "दोनों बहनों की बेशर्मी लेवल हाई है, हे भगवान बचा ले मुझे!"


    सहज ने अपने कदम सोनिया की तरफ़ बढ़ा दिए और कुछ ही देर में उसके करीब जाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और सोनिया उसकी शर्ट को अपनी मुट्ठी में कसते हुए एकदम से सिसक पड़ी।


    सूर्यांश ने संजना जी के पास जाकर उनके फोरहेड को छूकर चेक किया कि कहीं उनकी तबियत सही में ख़राब तो नहीं। पूरी तरह जब उसे तसल्ली हो गई कि उसकी मॉम बिल्कुल ठीक है, उसने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,
    "अब सब एक-दूसरे का मुँह क्या देख रहे हैं? अगर ये दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो ये तो सवाल ही नहीं उठता। मैं इससे शादी करूँगा, पर हाँ, शादी ज़रूर होगी; मेरे साथ नहीं, मेरे छोटे भाई के साथ। वैसे भी ये दोनों परफेक्ट मैच लग रहे हैं; एक को सर फोड़ना आता है और दूसरे को खुद को बचाना। एक को चुप रहने की आदत है और दूसरे को तो किसी से कोई लेना-देना नहीं; जो बोलना है, सरेआम बोलना है।"


    वृंदा जी ने तन्मय जी की तरफ़ बेचारगी भरी नज़रों से देखा ताकि वह गुस्सा ना करें, क्योंकि आहूजा मेंशन में सिर्फ़ वृंदा जी इकलौती इंसान थीं जिन्हें गुस्सा नहीं आता; बाकी तो उनकी दोनों बेटियाँ और उनके हसबैंड, तीनों में कूट-कूट कर गुस्सा भरा है।


    तन्मय जी ने शर्म से अपनी नज़रें झुका रखी थीं; उनकी बेटी अपने बॉयफ़्रेंड की बाहों में रो रही है, वह भी उनके सामने। आजकल की ज़ेनरेशन तन्मय जी को बिल्कुल पसंद नहीं थी।


    सूर्यांश की नज़रें अब सारा की तरफ़ उठीं, जिसका छोटा सा चेहरा एकदम टमाटर की तरह लाल हो चुका था क्योंकि सूर्यांश ने उसके पापा से बदतमीज़ी से बात की थी।


    जमशेद जी ने वापस सोफ़े पर बैठते हुए कहा,
    "पर हम यह शादी अभी कैसे कर सकते हैं? पहले हमें सूर्यांश के लिए रिश्ता ढूंढना है। छोटे बेटे की शादी बड़े बेटे से पहले हम नहीं कर सकते।"


    वृंदा जी ने उनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा,
    "हाँ, आपकी बात बिल्कुल सही है। हम भी नहीं चाहते कि आपके छोटे बेटे की शादी पहले हो।"

  • 3. Professor's Bride (hot professor)- Chapter 3

    Words: 1449

    Estimated Reading Time: 9 min

    2 दिन बाद

    रात का वक्त, 8 बजे

    आहूजा मेंशन

    "दी, दरवाज़ा खोलो ना! क्या हुआ है? आप क्यों खुद को ऐसे कैद कर रही हो? पापा ने तो बोला है कि वो आपकी शादी आपके बॉयफ्रेंड से ही करवाएँगे।"

    सारा, उदासी भरी आवाज़ में सोनिया का दरवाज़ा खटखटा रही थी। क्योंकि सोनिया का बिहेवियर अचानक बदल गया था। अब किसी तीसरे शख्स की वजह से अगर वो अपनी ही बहन को इग्नोर करे, तो बुरा लगना लाज़मी था। सारा को सबसे ज़्यादा गुस्सा सहज पर आ रहा था, जिसकी वजह से उसकी दी उससे बात नहीं कर रही थी।

    अंदर, सोनिया बेड पर बैठी थी। उसके हाथ में एक मेडिकल रिपोर्ट थी। उसकी आँखें रोने के कारण सूज गई थीं। वो सिसकते हुए कभी अपने फ़ोन को देख रही थी, तो कभी रिपोर्ट को, और बीच-बीच में दरवाज़े की ठक-ठक को।

    सारा ने गहरी साँस छोड़ते हुए दरवाज़े को लात मारते हुए कहा,

    "दी! ऐसा ही रहा कि मेरे होने वाले जीजू की वजह से आप मुझसे बात नहीं करोगी, तो मैं अपने जीजा जी की सबसे बड़ी दुश्मन बन जाऊँगी! मेरा मन कर रहा है, जाके उनका सर फोड़ दूँ! Aaaaaahh!!!!!!"

    सारा ने झल्लाकर अपने पैर पटकते हुए कहा।

    "जब सोनिया ने उसकी इतनी तेज आवाज़ सुनी, वो थोड़ी घबरा गई। कहीं उसकी लड़ाकू विमान की आवाज़ उसके घरवालों ने सुन ली, तो सब आ जाएँगे उसका इंटरव्यू लेने।"

    वो उठी और जल्दी से दरवाज़ा खोल दिया। बाहर सारा गुस्से में मुँह फुलाए खड़ी थी। सोनिया ने उसका हाथ पकड़ा और उसे रूम के अंदर ले जाते हुए दरवाज़ा बंद कर दिया।

    सारा ने गुस्से में इधर-उधर देखते हुए कहा,

    "क्या है जो आप मुझसे छिपाने की कोशिश कर रही हैं?"

    सोनिया ने उसे बेड पर बिठाकर कहा,

    "तू पहले शांत हो जा।"

    सारा ने जैसे ही सोनिया का चेहरा देखा, उसका गुस्सा छू-मंत्र हो गया, और वो सोनिया का चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोली,

    "आ... आप रोए थे? क्या हुआ दी? कोई परेशान कर रहा है आपको?"

    "बस एक बार नाम बताइए? क्या वो मेरे होने वाले गंदे जीजू? कल वो वास्क आपने थोड़ा धीरे फेंक दिया, उनके सर पर चोट लगना बहुत ज़्यादा ज़रूरी था।"

    सोनिया ने उसका मुँह अपने हाथ से पकड़ते हुए कहा,

    "तू साँस लेगी एक सेकेंड का?"

    सारा ने हाँ में सर हिलाया और सोनिया बिल्कुल उसके करीब बैठते हुए उसका हाथ पकड़कर बोली,

    "किया तो उस कमिने इंसान ने ही है सब कुछ! पर मेरे पास इस परेशानी का एक ही उपाय है, और वो है जल्द से जल्द शादी। पर उसका बड़ा भाई शादी करने को तैयार ही नहीं है, और पता नहीं कौन सी अशुभ घड़ी में पैदा हुआ था जो उसका रिश्ता कहीं होता ही नहीं, गर्लफ्रेंड उससे बनती नहीं है। अब क्या करूँ? कुछ समझ नहीं आ रहा।"

    सोनिया की हर बात रॉकेट की स्पीड सी सारा के सर के ऊपर से होते हुए निकल गई, और उसके होठों पर एक पाउट बन गया। उसने धीरे से कहा,

    "अब ऐसे कौन अपनी परेशानी समझाता है दी? मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया? आपको क्या हुआ है?"

    सोनिया की आँखों में फिर से पानी आ गया। उसने बेड के पास पड़ी टेबल से वो मेडिकल रिपोर्ट उठाते हुए कहा,

    "ये है प्रॉब्लम।"

    सारा ने बिना फ़ाइल देखे ही कहा,

    "अरे दी! माना मैं साइंस की स्टूडेंट हूँ, पर ऐसे रिपोर्ट देख के बीमारी का पता करना मुझे नहीं आता।"

    सोनिया ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,

    "मैं प्रेग्नेंट हूँ।"

    सारा ने जल्दी से आँखें बड़ी करते हुए लगभग चिल्लाते हुए कहा,

    "What!!!!!"

    सोनिया ने जल्दी से कहा,

    "चिल्ला मत यार! मैंने बोला उस बेहूदा इंसान को जल्दी से शादी के लिए मना जाए। अब उसे ये बता के ज़्यादा मुसीबत में तो नहीं डालना चाहती कि मैं प्रेग्नेंट हूँ इसलिए मुझसे अभी भाग के शादी कर लो, वरना पापा मुझे कभी नहीं अपनाएँगे, और वो भी बड़े भाई के फ़ैसले के ख़िलाफ़ नहीं जाना चाहता।"

    सारा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखों को बार-बार झपकाते हुए कहा,

    "तो इसका क्या उपाय है?"

    सोनिया ने कहा,

    "बस सहज के बड़े भाई की शादी। अगर ज़्यादा टाइम लग गया और मेरा बेबी बम्प दिखने लगा, तो मैं क्या कहूँगी पापा से? यही सोच-सोच के मेरी हालत ख़राब हो रही है।"

    इतना बोलकर सोनिया एक बार फिर रोने लगी। सारा को अपनी दी को ऐसे रोते हुए देखकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उसने जल्दी से सोनिया को गले लगाते हुए कहा,

    "दी! जब तक आपकी लड़ाकू विमान आपके साथ है, आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। मैं बहुत जल्द इसका सॉल्यूशन निकाल लूँगी। अब आप चलिए मेरे साथ खाना खा लीजिए। अब तो आपको छोटे से बेबी का भी ख्याल रखना चाहिए। उसको भूखा नहीं रख सकते, चलो।"

    सोनिया ने धीरे से हाँ में सर हिलाया और फिर मुँह धोने बाथरूम में चली गई। और सारा अपने जंग लगे दिमाग को चलाने की कोशिश करने लगी।

    अगली सुबह

    सारा अपनी फ्रेंड के साथ कॉलेज के लिए निकल गई थी। उसे पहले दिन से कॉलेज कैंपस इतना पसंद आया था कि अब उसका एक भी हॉलीडे रखने का प्लान नहीं था। और साथ ही, सारा अपनी दोस्त के साथ भी अपनी दी की प्रॉब्लम शेयर करना चाहती थी। क्या पता कोई सॉल्यूशन निकल जाए।

    कॉलेज में

    बीएससी प्रथम वर्ष क्लासरूम

    सब लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे से बातें कर रहे थे क्योंकि आज उनके एडमिशन को दो दिन हो गए थे। ज्यादातर ने अपने साथ बैठने वालों से दोस्ती भी कर ली थी। वहीं सारा अब भी अपनी स्कूल फ्रेंड किंजल के साथ ही बात कर रही थी। किंजल ने सारा की बात सुनकर हड़बड़ाकर कहा,

    "क्या???"

    सारा ने उसे शांत रहने का इशारा करते हुए कहा,

    "हम क्लासरूम में हैं, चिल्ला मत! बस कोई सॉल्यूशन बता।"

    किंजल उसके पास बैठते हुए धीरे से बोली,

    "यार, थोड़ा वेट नहीं कर सकती थी तुम्हारी दी और तुम्हारे होने वाले जीजू?"

    "सारा ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा," मुझे नहीं पता यार।"

    कुछ ही वक्त बाद पूरे क्लास में सन्नाटा पसर गया था क्योंकि प्रोफ़ेसर आ चुके थे। सारा ने नज़रें उठाकर जैसे ही प्रोफ़ेसर को देखा, उसका मुँह हैरानी से खुल गया।

    "ये बदतमीज़ आदमी मेरा प्रोफ़ेसर है!"

    उसने बड़बड़ाते हुए कहा। तो किंजल ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा,

    "क्या बकवास कर रही है? धीरे बोल! उनको सुन गया तो अभी क्लास से बाहर कर देंगे।"

    फिर किंजल ने सामने देखते हुए कहा,

    "पर यार, कॉलेज के प्रोफ़ेसर तो बड़े डिसेंट होते हैं। ये इतना देशी क्यों बन के आया है? सीरियसली, I just love his style।"

    सामने और कोई नहीं, बल्कि सूर्यांश खड़ा था, जिसने व्हाइट कुर्ता-पजामा पहना था। कुर्ते की स्लीव्स कोहनी तक फ़ोल्ड की हुई थीं। बाल कुछ माथे पर बिखरे थे। हाथ में एक रुद्राक्ष माला थी और चेहरा बिल्कुल इमोशनलेस। सूर्यांश की गहरी आवाज़ सब के कानों में पड़ी,

    "गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स! आई एम योर ज़ूलॉजी प्रोफ़ेसर, सूर्यांश सतीक्षय।"

    पूरी क्लास जैसे उसकी आवाज़ से आवाक रह गई थी। लड़कियों की आँखों में चमक थी और लड़कों की आँखों में इज़्ज़त और कहीं जलन। इज़्ज़त उनके लिए जिनका ड्रीम था प्रोफ़ेसर बनना, और जलन उनके लिए जो खुद को स्मार्ट हैंडसम समझते थे, पर सूर्यांश ने उनके सामने आकर जैसे उन्हें रियलिटी चेक दे दिया हो। लड़कियों के बीच कानाफूसी चल रही थी,

    "तुझे पता है प्रोफ़ेसर अभी तक सिंगल हैं? मैंने कल कैंपस में सुना किसी से?"

    "हाँ, कुछ ज़्यादा ही अट्रैक्टिव आवाज़ है इनकी।" "कितने हॉट हैं ये!"

    साइलेंट क्लास...

    सूर्यांश ने कहा और फिर प्रोजेक्टर ऑन करते हुए चैप्टर की स्लाइड्स सबको दिखाते हुए एक-एक चीज़ एक्सप्लेन करने लगा। सारा और किंजल के बगल में दो लड़कियाँ और बैठी थीं। उनमें से एक ने धीरे से कहा,

    "यार, कितना मज़ा आएगा जब हॉट प्रोफ़ेसर हमें रिप्रोडक्टिव सिस्टम पढ़ाएँगे।"

    दूसरी ने हल्के से मुस्कुराकर कहा,

    "मेरे तो अभी से गूज़बम्प्स आ रहे हैं! I can't wait।"

    सारा कभी सूर्यांश को देखती, और कभी उन लड़कियों को। अचानक ही उसके होठों पर मासूम सी मुस्कान तैर गई। उसने खुद से कहा,

    "मिल गया दी की प्रॉब्लम का सॉल्यूशन!"

    To be continued... धन्यवाद!

  • 4. Professor's Bride ( सूर्यांश बिकम लव गुरु)- Chapter 4

    Words: 1488

    Estimated Reading Time: 9 min

    सूर्यांश पढ़ा रहा था। सारा पेपर पर कुछ लिख रही थी, पर वह नहीं जो सूर्यांश पढ़ा रहा था।

    करीब २० मिनट बाद सारा ने बड़ी सी मुस्कान लेकर किंजल को देखा और फिर अपने मन में कहा,
    "अब zoology professor बनेंगे कॉलेज के love guru, wow! कितना मजा आएगा!"

    सारा की खुशी छिपाई नहीं छिप रही थी।

    लेक्चर खत्म हुआ और सूर्यांश क्लासरूम से बाहर चला गया। सब फ्री होकर एक-दूसरे से बातें करने लगे। कुछ बाहर वाशरूम वगैरा यूज़ करने चले गए।

    सारा और किंजल वहीं बैठी थीं। उनके पास बैठी दोनों लड़कियाँ जा चुकी थीं। जिनमें से एक का नाम सुनिधि और एक का रिशा था।

    रिशा काफी ज़्यादा सुंदर थी, इसलिए सारा ने अपना प्लान उसके साथ आजमाना बेहतर समझा। शायद सूर्यांश को वह पसंद आ जाए।

    सूर्यांश के नाम से सारा ने एक love letter लिखा था, जो अब उसने रिशा के बैग के ऊपर रख दिया। फिर उसने किंजल का हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "चल, बाहर चलते हैं।"

    किंजल ने उसकी इस हरकत पर आँखें छोटी करते हुए कहा,
    "ये क्या कांड करना चाहती है तू? उस पेपर पर क्या लिखा है तूने? मुझे लगा तू zoology के नोट्स बना रही है?"

    सारा ने eye roll करते हुए कहा,
    "इतनी बड़ी गलतफहमी पाल रखी है तूने कि मैं इतनी शिद्दत से नोट्स बनाऊँगी!"

    किंजल ने बस खिन्न भरी नज़रों से सारा को देखा। क्योंकि इससे ज़्यादा वह कुछ नहीं कर सकती थी। वह जानती थी सारा किस हद तक सनकी है, क्योंकि वह उसके साथ बचपन से है। उसे सारा की करतूतों का अच्छे से अंदाज़ा था और वह नहीं चाहती थी कि कॉलेज के शुरुआती दिनों में ही सारा सबसे पंगा लेना शुरू कर दे।

    वे दोनों बाहर गईं तो देखा, उनके क्लास की लड़कियों को कुछ लड़कों ने रोक रखा था और वे उनकी रैगिंग कर रहे थे।

    यह देखकर सारा और किंजल दोनों के बोहों पर गुस्सा चढ़ गया।

    वे उनके पास से जैसे ही गुज़रने लगीं, एक लड़के ने उन्हें रोकते हुए कहा,
    "अरे तुम लोग फ्रेशर्स हो ना, तो सीनियर्स को सैल्यूट करना चाहिए। इतनी तमीज़ नहीं है तुम दोनों में?"

    सारा ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला तो किंजल ने उसका हाथ भींचते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया और फिर धीरे से सर झुकाते हुए बोली,
    "Good morning sir."

    "ये तो काफी समझदार निकली, सेम!" एक लड़के ने उस लड़के की तरफ देखकर हँसते हुए कहा। सेम यानी सम्राट को अच्छा नहीं लगा। वह तो यहाँ लड़ने के मूड में था, पर किंजल की वजह से उसका मूड खराब हो गया। और उसने गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा,
    "What's your name, आज्ञाकारी बालिका?"

    किंजल ने धीरे से कहा,
    "किंजल देशमुख।"

    सारा ने बीच में ही कहा,
    "Sir, अभी वाशरूम की तरफ जा रही थीं हम, you know, some emergency."

    वहाँ खड़े हर स्टूडेंट की हँसी छूट गई। वहीं सम्राट की आँखें बड़ी हो गईं। उसने गुस्से में कहा,
    "Get lost from here!"

    सारा ने बत्तीसी दिखाते हुए कहा,
    "अरे आप ही ने रोका था सर जी! आप भूल गए? बादाम खाया कीजिए!"

    इतना बोलकर वह तेज़ी से वहाँ से निकलने लगी और साथ में लगभग अपने पीछे घसीटते हुए किंजल को भी ले गई।

    कुछ दूर जाकर किंजल ने उसे डाँटते हुए कहा,
    "तेरा दिमाग खराब है!"

    सारा ने मुँह बनाते हुए कहा,
    "अब कुछ देर और रुकी तो मेरा ब्लैडर ज़रूर खराब हो जाएगा!"

    किंजल ने उसे डिसगस्टिंग वाला लुक दिया और फिर पैर पटकते हुए उसके पीछे-पीछे चलने लगी।

    वहीं सम्राट ने उन दोनों को पीछे से देखते हुए कहा,
    "इस पिद्दी सी बच्ची को तो मैं छोड़ूँगा नहीं। अक्ल नहीं है बिल्कुल भी! किसके सामने क्या बोलना चाहिए, हुह! 😒"


    After 10 minutes, in the classroom, रिशा और सुनिधि दोनों अपनी डेस्क पर वापस आईं। तो रिशा ने अपने बैग पर रखे उस पेपर को देखकर बोरियत से कहा,
    "अब ये किसका पेपर उड़ते-उड़ते मेरे बैग पर लैंड हो गया?"

    इतने में ही सारा और किंजल भी वहाँ आ चुकी थीं।

    सारा अपनी डेस्क पर बैठते हुए धीरे से बोली,
    "शायद किसी ने अपने दिल का पार्किंग प्लेस समझ लिया हो?"

    रिशा जो उस फोल्ड पेपर को खोल रही थी, सारा की बात से उसका दिमाग एकदम से ठनक गया।
    "क्या कोई उसे love letter देके गया है?"

    उसने जैसे ही उसे खोला, उसके ऊपर लिखा था,
    "सूर्यांश, your zoology professor wants to be your love professor forever."

    और इतना पढ़ते ही रिशा की आँखें फेल गईं और कुछ ही पलों में हैरानी से खुला उसका मुँह बेहद खुशी में बदल गया। उसके होठों पर ४४० मेगावाट वाली स्माइल आ चुकी थी।

    जिसे देखकर सारा को मन ही मन बहुत हँसी आ रही थी रिशा पर, लेकिन वह ऐसा प्रिटेंड कर रही थी जैसे वह बहुत ज़्यादा एक्साइटेड है यह देखने के लिए कि किसने रिशा के बैग पर यह लेटर रखा है।

    वहीं सुनिधि भी उस पेपर में झाँकते हुए पढ़ने की कोशिश कर रही थी, जिससे रिशा ने झट से वह पेपर फोल्ड करते हुए कहा,
    "मैं अभी आती हूँ। बहुत इम्पॉर्टेन्ट काम है मुझे।"

    इतना बोलकर वह १०० की स्पीड से क्लास से चली गई।

    कुछ ही देर में दूसरी फीमेल प्रोफ़ेसर, बॉटनी की क्लासेज़ लेने आ चुकी थीं और बेचारी सुनिधि अकेली रह गई। उसे रिशा पर इतना तेज़ गुस्सा आ रहा था कि उसका मन कर रहा था उसके पास रखे रिशा के बैग को भी उठाकर बाहर फेंक दे और इसके बाद कभी रिशा उसके पास आकर ना बैठे।

    वहीं किंजल ने धीरे से कहा,
    "प्लीज़ मेरे टॉरनेडो, मुझे मुसीबत में मत डाल देना। बड़ी मुश्किल से पापा रेडी हुए थे इस कॉलेज में भेजने के बाद। अगर कोई गड़बड़ की ना तो मैं तेरी जान ले लूँगी, पहले बता रही हूँ।"

    सारा ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,
    "शांत देवी जी शांत! मैं ऐसा कुछ नहीं कर रही।"

    वहीं बाहर कॉलेज के गार्डन एरिया में रिशा झूले पर बैठी थी। उसके हाथ में वह पेपर था जो सारा ने लिखा था सूर्यांश बनकर।

    रिशा ने लास्ट लाइन पढ़ी...

    "मैं फ्यूचर वाइफ चाहता हूँ। तुम मुझे इम्प्रेस करो as a love guru। ये तुम्हारा पहला टेस्ट होगा, और इसमें क्वालीफाई होते ही मैं तुम्हें अपने बच्चों की माँ बना दूँगा, I mean तुमसे शादी कर लूँगा।"

    रिशा ने अपने सीने से उस पेपर को चिपकाते हुए कहा,
    "हाय! इस hot professor के तो ख्याल भी कितने hot हैं! मैं तो हर एक लाइन पर फ़िदा हो गई!"

    "पर कैसे इम्प्रेस करूँ मैं प्रोफ़ेसर को? umm hmm... कुछ तो सोच रिशा, सोच... क्या पसंद हो सकता है प्रोफ़ेसर को?"

    उसने फिर से उस पेपर को खोला जिसमें कुछ अतरंगी नाम लिखे थे।

    "तुम्हारे जलेबी जैसे बदन पर साड़ी कितनी सुंदर लगेगी।"

    हर एक लाइन में एक मिठाई का नाम लिखा था, जिसे देखकर रिशा अंदाज़ा लगा रही थी शायद सूर्यांश को मिठाई खाने का बड़ा शौक है।

    ठीक उसी वक़्त इत्तेफ़ाक़ से सूर्यांश अपने कान से फ़ोन लगाए आ रहा था। उसका पूरा ध्यान सामने वाले से बात करने में था, जिसका मौका पाकर रिशा जल्दी से वहाँ गार्डन एरिया की बाउंड्री पर बनी झाड़ियों में छुप गई और सूर्यांश की बातें सुनने लगी।

    On the call, संजना जी ने कहा,
    "सूर्यांश, उस बात को ३ दिन गुज़र गए हैं। क्या तू पूरी ज़िन्दगी कॉलेज में बच्चों को पढ़ाएगा या कभी अपने बच्चे भी इस दुनिया में लाएगा? इतने नखरे एक नई-नवेली दुल्हन नहीं करती है जितने तेरे हो गए हैं।"

    सूर्यांश उनकी बातों से पूरी तरह चिढ़ चुका था। उसने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,
    "हाँ मॉम, मैंने लड़की देखी है अपने लिए। आप चिंता मत करो। बस १० दिन का और समय दे दो मुझे। तब तक वह लड़की बिल्कुल रेडी हो जाएगी शादी के लिए।"

    संजना जी ने खुशी से चहकते हुए कहा,
    "सच! अरे कोई मिठाई लेके आओ जल्दी से! मेरे बेटे ने पहली बार एक लड़की को प्रपोज़ किया होगा। काश मैं वह scene देख पाती!"

    सूर्यांश ने ना में सर हिलाते हुए कॉल कट कर दिया और वापस जाने के लिए मुड़ा तो उसे अपने आस-पास कोई होने की भनक हो गई। उसने आँखें छोटी करते हुए कहा,
    "कौन है यहाँ?"

    रिशा के दिल की धड़कनें बिल्कुल बढ़ गईं। पर उसने अब जो सूर्यांश की बातें सुनी थीं, उसे लग रहा था उसका यहाँ होना सूर्यांश को अच्छा लगेगा। आखिर वह उसकी होने वाली wife जो होगी।

    इतना सोचकर वह शर्माते हुए सूर्यांश के सामने आ गई।

    To be continued... Thank you so much for choosing this novel 🐥💋

  • 5. Professor's Bride ( सारा की चाल)- Chapter 5

    Words: 1463

    Estimated Reading Time: 9 min

    अपने सामने एक लड़की को शर्माते हुए देखकर सूर्यांश कुछ कन्फ्यूज होते हुए बोला,

    "कौन हो तुम?"

    इतने सारे बच्चे क्लास में थे, इसलिए सूर्यांश ने किसी पर ध्यान नहीं दिया था।

    वही, सूर्यांश की बात सुनकर रिशा का दिल टूट गया। उसके चेहरे पर उदासी छा गई। उसने झट से सर ऊपर उठाकर सूर्यांश के भावहीन चेहरे की तरफ देखा।

    सूर्यांश ने आईब्रो उठाते हुए कहा,

    "मैंने कुछ पूछा है तुमसे? कौन सी ब्रांच से हो?"

    रिशा ने अपने हाथ में पकड़े पेपर को मुट्ठी में भींचते हुए खुद से कहा,

    "ये क्या बात हुई? जो लड़की पसंद आई उसे ही भूल गए?"

    फिर अचानक रिशा के दिमाग में आया,

    "क्या यही वो टेस्ट है जिसे मुझे पास करना है? सर ने लेटर में भी लिखा है, शायद यही होगा।"

    ये सोचकर एक बार फिर रिशा के गाल शर्म से लाल हो गए और उसके होठों पर मुस्कान तैर गई।

    और वही, सूर्यांश ने जब फिर से उसे शर्माते हुए देखा, उसका दिमाग खराब हो गया। उसने जड़ भींचते हुए कहा,

    "अरे बहरी हो क्या?"

    रिशा उसकी तेज आवाज से चौंक गई और फिर जल्दी से खुद को संभालते हुए बोली,

    "सर, मैं पीसीबी ब्रांच से हूँ, बीएससी फर्स्ट ईयर। जिसमें आप थोड़ी देर पहले जूलॉजी पढ़ाकर आए थे। और मेरा नाम रिशा है, रिशा गोयंका।"

    सूर्यांश ने बोरियत से आई रोल करते हुए कहा,

    "तो उस क्लास में अभी लेक्चर चल रहा है, तुम यहां बाहर क्या कर रही हो? और यहां ऐसे क्यों छुपी हुई थी?"

    रिशा को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था। सूर्यांश क्यों इतना rudely उससे बात कर रहा है? फिर भी वो हार ना मानते हुए मुस्कुराकर बोली,

    "एक्चुअली, मेरे future husband ने मुझे love letter लिखकर दिया है। उसे अब मैं सबके सामने नहीं पढ़ सकती थी।"

    इतना बोलकर रिशा ने शर्माते हुए अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से छिपा लिया।

    सूर्यांश आँखें फाड़े उसे देख रहा था।

    उसने अपने मन में कहा,

    "ये आजकल की जनरेशन!!!! खैर, मुझे क्या?"

    इतना सोचकर सूर्यांश तेज कदमों से रिशा के बगल से निकल गया।

    कुछ पल तक जब रिशा को कोई हलचल नहीं हुई, तो उसने अपने चेहरे से दोनों हाथ हटाकर देखा।

    सामने सूर्यांश को ना देखकर उसका चेहरा मुरझा गया और सारी एक्साइटमेंट निकल गई।

    उसने दुःखी होते हुए कहा,

    "🥺 अब अगर वो सामने से थोड़ा सा भी रिस्पॉन्स नहीं करेंगे तो मैं कैसे उन्हें इम्प्रेस कर पाऊंगी?"

    उसने उस लेटर को एक नज़र देखा और फिर से बेंच पर बैठ गई।

    दूसरी तरफ, सोनिया और सहज दोनों एक कैफे में बैठे थे।

    सोनिया की आँखें रोने के कारण सूजी हुई थीं। सहज ने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहा,

    "सना, बच्चा, बोलोगी नहीं तो कैसे समझ आएगा तुम्हें क्या दिक्कत है? And I promise मैं कभी भी तुम्हारे अलावा किसी के बारे में नहीं सोचूँगा... और वैसे भी, मैं चाहूँ तो भी नहीं सोच पाऊँगा। फिर क्यों परेशान हो? थोड़ा सा वेट कर लो। भैया ने बोला है वो जल्द ही अपने लिए लड़की देख लेंगे।"

    सोनिया खामोशी से सहज के चेहरे को देख रही थी, ना कोई शिकायत, ना कोई सवाल! बस एक अजीब सी खामोशी।

    सहज अपनी चेयर से उठा और टेबल के दूसरी तरफ बैठी सोनिया के पास जाकर फर्श पर बैठते हुए उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला,

    "सना, मुझे पता है कोई बात है जो अंदर ही अंदर खा रही है तुम्हें। मुझे नहीं पता वो इनसिक्योरिटी है या कुछ और, पर जो भी है मैं उसको जड़ से खत्म कर दूँगा। तुम्हारे बिना बताए मैं तुम्हारे हर दर्द को तुम्हारी ज़िंदगी से उखाड़ फेंकूँगा।"

    सोनिया की आँखों से आँसुओं की बूँदें निकलकर सहज के हाथों पर गिर रही थीं।

    "इश्क में ऐसा जुर्म कर बैठे, जिसकी सजा सहना हमारे बस का नहीं।"
    "जिससे ग़म छुपाए, जाने ग़म के समंदर की गहराई बस वही।"

    सोनिया कभी भी सहज को तकलीफ नहीं बताना चाहती थी, जिसके लिए आगे चलकर सहज खुद जिम्मेदार ठहरा।

    सोनिया ने हल्के से मुस्कुराकर कहा,

    "अच्छा अंतर्यामी हो तुम, जो तुम्हें पता चलेगा मेरे पास कौन सा दुखों का पिटारा है?"

    सहज ने उसके हाथों को चूमते हुए कहा,

    "उस पिटारे की हर चाबी है मेरे पास, जाना।"

    Evening 4 pm 🌆

    कॉलेज में सब लोग घर जाने के लिए निकल रहे थे।

    सारा और किंजल एक साथ बाहर निकल गईं। वो जैसे ही सड़क के पास पहुँचीं, किसी की बाइक उनके सामने एकदम से आकर रुक गई।

    दोनों एक पल के लिए घबरा गईं।

    उस लड़के ने अपना हेलमेट उतारा और अपने मेसी बालों को झटक कर अपनी क्रिस्टल ब्लू आँखों से किंजल को देखा।

    ये और कोई नहीं, बल्कि सम्राट था।

    "हेलो बालिका, चलो मैं तुम्हें ड्रॉप कर देता हूँ।"

    सारा ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "ओह बूढ़े भैया, इस बालिका को आपकी ज़रूरत नहीं है।"

    सम्राट ने डेविल स्माइल के साथ कहा,

    "ओह... पिद्दी सी बच्ची को अकेले मैं जाने से डर लगता है।"

    सारा ने आँखें सिकोड़ते हुए कहा,

    "बिल्कुल नहीं, bloody बुलडोज़र।"

    जब किंजल को लगा सारा का गुस्सा बस फटने वाला है, उसने जल्दी से उन दोनों का आई कॉन्टैक्ट तोड़ते हुए कहा,

    "देखिए मिस्टर सीनियर, हम दोनों के घरवालों ने कहा था एक दूसरे के साथ ही आना है, सो प्लीज़ आप जाइए यहाँ से।"

    "किंजल की आवाज में जो घबराहट थी उसकी भनक सम्राट को हो चुकी थी, जो शॉकिंग थी। ऐसा तो उसने कुछ किया नहीं कि एक लड़की उसकी प्रेजेंस से इतनी घबरा जाए?"

    पर फिर भी उसने फिर से हेलमेट पहनते हुए कहा,

    "सी यू टुमॉरो ब्यूटीफुल बालिका।"

    "एंड यू पिद्दी... यूँ बार-बार मेरी बात काटी तो इस बार तुम्हारी जुबान मैं ज़रूर काट लूँगा।"

    सारा उसे कुछ कहती, उससे पहले सम्राट ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से निकल गया।

    सारा ने उसके पीछे से पैर पटकते हुए कहा,

    "बुलडोज़र कहीं का।"

    किंजल ने हँसते हुए कहा,

    "चल छोड़, हम घर चलते हैं।"

    सारा ने कहा, "बस पाँच मिनट और..."

    इतना बोलकर उसने अपने बैग से एक नोटबुक निकाली और मेन गेट के पास जाकर खड़ी हो गई।

    किंजल उसे ऐसे देख रही थी जैसे वो कोई पागल हो!

    जैसे ही रिशा और सुनिधि बाहर आईं, सारा ने एकदम से कहा,

    "सुनो मिस रिशा, ये आपकी नोटबुक गलती से मेरे बैग में आ गई। डेस्क पर सारी नोटबुक्स बिखरी हुई थीं तो ये मेरे बैग में गलती से डाल गई।"

    (वैसे इन रियल मेरे बैग में बहुत बार मेरी फ्रेंड की नोटबुक आई है और मेरी नोटबुक उसके घर गई है 🙂🥲 that nostalgia 😕 anyone have?)

    Back to story

    रिशा ने वो नोटबुक लेकर अपने बैग में डाल ली।

    वही कुछ देर बाद, सूर्यांश की गाड़ी कॉलेज की पार्किंग से बाहर निकली। उसने कान में ब्लूटूथ डाल रखा था।

    "तनुज, मुझे किसी भी हाल में डेट के लिए एक लड़की ढूँढ के दो जो वेल एजुकेटेड हो और मेरे साथ कोऑपरेटिव हो। मुझे अपनी शादी ऐसी लड़की से करनी है जो बाद में मेरी लाइफ में कोई प्रॉब्लम क्रिएट ना करे।"

    सामने सूर्यांश का दोस्त तनुज था।

    उसने झल्लाते हुए कहा,

    "यार, सुबह से तू मुझे ये बात कितनी बार बोल चुका है? अब ऐसा तो है नहीं लड़कियों की कोई शॉप है, वो इंसान है ना, ऐसे ही थोड़ी राज़ी हो जाएंगी। मैं कर रहा हूँ कोशिश। ऐसे बात करता है जैसे कोई सौ रुपए वाला खिलौना है, घर से बाहर निकलते ही मिल जाएगा।"

    सूर्यांश ने भी पूरे गुस्से में कहा,

    "तुझे कोई चीज़ तोते की तरह भी अगर समझा दी जाए ना, तब भी तू उसे एकदम उल्टा करता है। इसलिए तेरी याददाश्त में ये चीज़ें मेंशन रहे, बस इसलिए बार-बार बता रहा हूँ।"

    तनुज ने गुस्से में कहा,

    "ठीक है, पका मत। अब हो रही है बात एक लड़की से जो एक लॉयर है। अगर मान जाएगी तो आज ही मीटिंग फिक्स कर दूँगा।"

    सूर्यांश ने कॉल कट कर दिया और स्टीयरिंग पर अपनी पकड़ कस दी।

    "शादी नाम की बला किसने बनाई थी?"

    वही सारा जब घर पहुँची तो सोनिया ने उसके आते ही हल्के गुस्से में कहा,

    "सारा, मैंने सुना तेरा रिश्ता कॉलेज में पहले ही दिन दुश्मन बन गया?"

  • 6. Professor's Bride (तो क्या आप एक gay हो) - Chapter 6

    Words: 1445

    Estimated Reading Time: 9 min

    सोनिया की बात सुनकर आइसक्रीम रोल करते हुए सारा ने कहा, "क्या दे दूँ? आप भी! छोटी सी बात पर ऐसी कौन जीत करता है? कोई दुश्मन नहीं बना है मेरा। वह बस एक सीनियर है जो खाना खाते समय परेशान करने की कोशिश कर रहा था। पर उसने मुझे परेशान करने से पहले, मैंने उसे परेशान कर दिया। इसलिए बस लगता है कि दुश्मनी बन गई है, बट कोई दुश्मनी नहीं है।"

    इतना बोलकर सारा वहाँ से चली गई।

    रात का समय था। करीब 8 बजे सूर्यांश अपने कमरे में आईने के सामने खड़ा था और हाथ में रोलेक्स पहनते हुए खुद को आईने में देख रहा था। उसने उस वक्त डार्क चारकोल कलर का कोट-पेंट पहना था, और कोट के नीचे व्हाइट शर्ट थी। पैरों में लेदर बूट्स थे। वह अपनी पहली डेट के लिए, अपने घरवालों के अनुसार, तैयार हो रहा था।

    कुछ वक्त बाद, "द अलाइव मोमेंट" कैफे में, एक कॉर्नर में एक लड़की व्हाइट शर्ट और उसके नीचे ब्लैक मिनी स्कर्ट पहने बैठी थी। उसने अपने बालों की एक पोनीटेल बना रखी थी। उसके हाथ में पड़ी घड़ी चमक रही थी। वह देखने में काफी एलिगेंट लग रही थी। वह बार-बार घड़ी में समय देखते हुए किसी का इंतज़ार कर रही थी। कुछ ही देर में उसका इंतज़ार खत्म हो गया, क्योंकि सामने से अपना कोट ठीक करते हुए सूर्यांश वहाँ आया। उसे देखकर लड़की की आँखों में चमक आ गई, और उसकी लिपस्टिक वाली स्माइल और भी हॉट लगने लगी।

    सूर्यांश उसके सामने बैठते हुए बोला,
    "थोड़ा काम था, इसलिए लेट हो गया।"

    लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, "इट्स ओके। माईसेल्फ तमन्ना शिरोमणि।"

    सूर्यांश ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,
    "बात बिना घुमाए सीधा मुद्दे पर आते हैं, मुझे तुमसे फेक मैरेज करनी है।"

    "मतलब शादी होगी नहीं, पर तुम मेरे घर सज-धज के जाओगी और ये बताओगी कि हमारी शादी मंदिर में हो गई है।"

    तमन्ना ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "व्हाट!!! पर आपके दोस्त ने मुझसे कहा कि आपको प्रॉब्लम है लड़कियों को टच करने में! इसलिए आप मेरे से शादी तो करेंगे, लेकिन फिजिकल तब होंगे जब आप कम्फ़र्टेबल हो जाओगे!"

    अचानक ही तमन्ना ने शक करते हुए कहा,
    "कहीं आप गे तो नहीं हैं?"

    "व्हाट द हेल आर यू सेइंग!!!"

    सूर्यांश ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारते हुए कहा।

    "आस-पास बैठे लोगों ने अजीब नज़रों से सूर्यांश और तमन्ना को देखा।"

    तमन्ना ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,
    "ओके ओके... ऑलराइट... आप स्ट्रेट हो... एंड मैं बातें बोलने में स्ट्रेट हूँ, तो मैं चाहती हूँ आप मेरे साथ रियल मैरेज करें! चाहे फिर फिजिकल रिलेशन मत बनाना?"

    सूर्यांश ने चेयर से उठते हुए कहा,
    "तुम्हारी वजह से मैंने अपनी फैमिली के साथ डिनर करना मिस कर दिया। सच में वेस्ट ऑफ़ टाइम!"

    इतना बोलकर वह तेज़ी से वहाँ से निकल गया। तमन्ना ने अपने सर पर हाथ रखते हुए अफ़सोस भरे लहजे में कहा,
    "हे भगवान! मैं इसमें भी फ़ेल हो गई! कितना तो सज-धज के आई थी, फिर भी पसंद नहीं आई। अब वो चुड़ैल मेरा खून पी जाएगी।"

    फिर उसने अपना फ़ोन निकालते हुए कहा,
    "पर बताना तो पड़ेगा उसे!"

    इतना बोलकर उसने किसी को कॉल किया।

    "सामने से एक लड़की की गंभीर आवाज़ आई,"काम हुआ??""

    तमन्ना ने हल्के से हिचकिचाते हुए कहा,
    "मेरी गंदी शक्ल देख के मना कर दिया उसने!"

    सामने से उस लड़की ने कहा,
    "ठीक है। आगे का प्लान याद है ना? बस उस पर फ़ोकस करो। ये तो बस एक लक बाई चांस था। नहीं हुआ तो भी कोई बात नहीं।"

    तमन्ना ने धीरे से "हम्म" बोला और सामने से कॉल कट हो गया।

    अगली सुबह सारा जीनांजल के साथ कॉलेज पहुँची। उन दोनों ने जैसे ही क्लासरूम में रिशा और सुनिधि को देखा, उनकी दोनों की आँखें फटी की फटी रह गईं। क्योंकि रिशा बहुत सुंदर पिस्ता ग्रीन कलर की साड़ी पहने हुए थी, खूब सारा मेकअप... ओब्वियसली बहुत सुंदर लग रही थी। ऊपर से उसके चेहरे पर आती शर्म की लाली उसे और सुंदर बना रही थी। क्लास का ऑलमोस्ट हर लड़का आज बस उसे ही देख रहा था।

    किंजल ने धीरे से कहा,
    "अब इसे क्या हो गया?"

    सारा ने बस एक स्माइल पास की और फिर उन दोनों के बगल में बैठते हुए बोली,
    "हाय रिशा! बहुत ब्यूटीफुल लग रही हो! क्या बात है?"

    रिशा एकदम से शर्मा गई।

    इतने में ही सूर्यांश तेज़ कदमों से चलता हुआ क्लासरूम के अंदर आया। उसने एक व्हाइट शर्ट और ब्लैक फ़ॉर्मल पैंट पहनी थी, उसके नीचे लेदर के चमकते शूज़ थे। स्लीव्स कोहनी तक फ़ोल्ड कर रखी थीं, जिससे उसके वेनी हैंड्स विज़िबल हो रहे थे। अब सारी लड़कियाँ खुशी-खुशी उसे निहारने में लगी हुई थीं। वहीँ सूर्यांश कल की वजह से परेशान था। 10 दिन में कैसे वह लड़की ढूँढ़ के लाएगा?

    उसने पढ़ाना शुरू किया। रिशा ने कुछ सोचते हुए एक पेपर निकाला और उसमें कुछ लिखना शुरू किया। कुछ ही वक्त बाद लेक्चर खत्म हुआ और सूर्यांश अपने हाथ में पकड़ी बुक को बंद करते हुए बोला,
    "दैट्स फ़ॉर टुडे। आई होप ऑल ऑफ़ यू लिसन केयरफुली एवरीथिंग। सी यू टुमॉरो।"

    इतना बोलकर वह बाहर जाने लगा और कुछ वक्त बाद पूरी क्लास चिट-चैट करने लगी। और रिशा जल्दी से वह पेपर फ़ोल्ड करते हुए बाहर निकल गई। कुछ वक्त बाद वह सूर्यांश के केबिन के बाहर खड़ी थी। उसने एक पल रुककर एक गहरी साँस ली और फिर डोर नॉक किया।

    सूर्यांश ने अपनी कोल्ड और कैल्म वॉइस में कहा,
    "कम इन।"

    रिशा डोर ओपन करते हुए अंदर गई और नज़रें झुकाए हुए ही उसकी टेबल के सामने जाकर खड़ी हो गई। वहीँ सूर्यांश जो अपने लैपटॉप में कुछ कर रहा था, उसे बहुत देर तक कुछ हलचल महसूस नहीं हुई, तो उसने नज़रें उठाकर देखा और सामने रिशा को देखकर उसने आँखें छोटी करते हुए कहा,
    "तुम??? क्या काम है???"

    रिशा ने अपनी मुट्ठी में साड़ी का पल्लू पकड़ते हुए कहा,
    "वो... वो कल आपने दिया था, तो आज मैं सेम एफ़र्ट अपनी तरफ़ से लगा रही हूँ, तो आज मैं देने आई हूँ।"

    सूर्यांश की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और उसने तेज आवाज़ में कहा,
    "क्या? क्या बकवास कर रही हो! मैंने...? मैंने क्या दिया???"

    ((😉😉😉😉))

    रिशा ने दोनों हाथों को अपने चेहरे पर करते हुए कहा,
    "लव लेटर💌💌"

    सूर्यांश ने लगभग चिल्लाकर कहा,
    "व्हाट द हेल आर यू सेइंग?"
    "होश में तो हो? मैं तुम्हारा प्रोफ़ेसर हूँ! मैं कैसे तुम्हें लव लेटर दे सकता हूँ?"

    ये बोलते वक्त सूर्यांश को गुस्सा भी आ रहा था और एम्बेरैसिंग भी फील हो रहा था।

    "रिशा ने कन्फ़्यूज़न में सूर्यांश की तरफ़ देखकर कहा,
    "पर सर कल तो आपने दिया था लव लेटर? एंड कितना प्यार से भी लिखा था! मैं तो हर लाइन के साथ फील ले रही थी! हाय! कितने रोमांटिक हैं आप प्रोफ़ेसर!"

    सूर्यांश को तो जैसे मिनी हार्ट अटैक मिल चुका था ये सुनकर कि किसी को उसने लव लेटर दिया था, वो भी एक स्टूडेंट को??

    रिशा ने अपने हाथ में पकड़ा लेटर सूर्यांश के सामने करते हुए कहा,
    "और ये मैंने आपके लिए लिखा है?"

    सूर्यांश ने गुस्से में कहा,
    "किसी पर कोई इल्ज़ाम लगाने से पहले अच्छे से सोच लेना चाहिए! किसी और ने दिया होगा! समझी? मैं लड़कियों को लव लेटर नहीं देता।"

    रिशा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "तो क्या आप एक गे हो?"

    ये बात सूर्यांश दूसरी बार सुन रहा था। उसने दाँत पीसते हुए कहा,
    "जस्ट शट अप!"

    उसकी इतनी तेज आवाज़ से रिशा एकदम से ठिठक गई।

    सूर्यांश ने आगे कहा,
    "जाओ, लेके आओ वो लेटर। क्या लिखा है।"

    रिशा जल्दी से मुड़ते हुए वहाँ से चली गई क्योंकि उसे सूर्यांश से डर लग रहा था। उसके जाते ही सूर्यांश ने अपना सर पकड़ लिया और खुद से बोला,
    "क्या मैं गे...? हट! कुछ भी बकवास! 🤢 इव्व!"

    "एंड लव लेटर? दिमाग खराब हो गया इन बच्चों का।"

    कुछ देर बाद रिशा वह लव लेटर लेकर आई और सूर्यांश के हाथ में पकड़ा दिया। सूर्यांश ने वह लेटर पढ़ना शुरू किया...

    टू बी कंटिन्यूड। थैंक यू सो मच फॉर रीडिंग दिस नॉवेल।

    गाइस मैंने इसकी रील अपलोड की थी इंस्टा पर। एक बार देख लेना।😚🧿🙃🦋...

    इंस्टा आईडी... "आशी_अमूल्या"

  • 7. Professor's Bride सारा का सच सूर्यांश के सामने- Chapter 7

    Words: 1501

    Estimated Reading Time: 10 min

    सूर्यांश ने गुस्से में जबड़े कसते हुए कहा,

    "चलो मेरे साथ बाहर।"

    रिशा चुपचाप सूर्यांश के पीछे-पीछे बाहर आ गई।

    सूर्यांश ने एक प्यून से कहा,

    "जाओ, बीएससी प्रथम वर्ष के छात्रों को बाहर गार्डन में बुलाओ। प्रिंसिपल और बाकी स्टाफ को भी। कॉलेज को लव पैलेस समझकर मज़ाक बना रखा है सबने!"

    प्यून ने वैसा ही किया।

    वहीं रिशा, सूर्यांश के बगल में खड़ी, अब भी शर्मा रही थी जिससे सूर्यांश को और ज़्यादा चिढ़ मच रही थी।

    कुछ ही देर में सारा, किंजल और बाकी स्टूडेंट भी वहाँ आ गए और सब एक लाइन में खड़े हो गए।

    दूसरी तरफ कुछ टीचर्स और प्रिंसिपल खड़े थे।

    सूर्यांश ने बच्चों की तरफ देखकर चिल्लाते हुए कहा,

    "तुम लोग यहाँ पढ़ने आते हो या आशिकी करने?"
    "शर्म-हयाब नहीं है बिल्कुल! और ये लेटर मेरे नाम से लिखकर किसने दिया इस लड़की को?"

    रिशा की आँखें बड़ी हो गईं। मतलब सूर्यांश उसे पसंद नहीं करता? पर एक छोटी सी उम्मीद अब भी थी उसके दिल में। क्या पता ये भी उसके लव टेस्ट का एक पार्ट हो! कहते हैं ना, प्यार में लड़कियों का दिमाग काम करना बंद कर देता है; सामने वाला शख्स हर कंडीशन में उसे सही लगता है।

    रिशा के साथ भी यही हो रहा था फिलहाल।

    वहीं किंजल ने डरते हुए धीरे से सारा से कहा,

    "तो ये कांड किया है तूने? अब अगर प्रोफ़ेसर को पता चल गया तो??? हमें कॉलेज से निकाल देंगे।"

    सारा ने धीरे से कहा,

    "चिल यार, निकालेंगे तो मुझे निकालेंगे, तुम्हें नहीं। डोंट वरी।"

    किंजल ने उदास होते हुए कहा,

    "मैं तेरे बिना नहीं आऊँगी इस कॉलेज में।"


    सूर्यांश को जब सामने से कोई जवाब नहीं मिला, तो उसने एक गहरी साँस छोड़ते हुए लेटर को ओपन किया और फिर पढ़ना शुरू किया।

    "सूर्यांश, योर ज़ूलॉजी प्रोफ़ेसर वांट्स टू बी योर लव प्रोफ़ेसर फ़ॉरएवर।"

    (इतना पढ़ते ही सूर्यांश की आँखें गुस्से से लाल हो गईं।)

    (आस-पास खड़ी यंग फ़ीमेल टीचर्स धीरे-धीरे हँस रही थीं। वहीं प्रिंसिपल (जगपाल दास) के भी पसीने छूट रहे थे, क्योंकि वो भले ही यहाँ का प्रिंसिपल था, पर उसे पता था सूर्यांश सतीक्षय क्या चीज़ है, उसकी पहचान क्या है, और वो क्या कर सकता है, और उसे अपने कॉलेज को दाव पर नहीं लगाना था। उसने अपने जेब से रुमाल निकालते हुए अपना पसीना पोछा।)

    सूर्यांश ने नेक्स्ट लाइन पढ़ी।

    "डियर रिशा, तुम मुझे काजू कतली जितनी कामुक लगती हो, रसगुल्ले जितनी सफ़ेद और सुंदर, गुलाब जामुन जितनी टेस्टी। तुम्हें देखकर मेरा दिल किसी मीठी चाशनी में गोते लगाने लगा है।"

    ("व्हाट द हेल!!!" सूर्यांश इन लाइन्स को पढ़कर ही बुरी तरह खीझ चुका था। भले ही इतनी मिठाइयों के नाम के साथ कौन किसी को प्रपोज़ करता है! अब टीचर्स और बच्चों की हँसने की आवाज़ भी आने लगी थी, क्योंकि ये बहुत फ़नी लग रहा था। आज तक किसी ने इतना यूनिक प्रपोज़ल नहीं देखा था!)

    सूर्यांश ने आगे की लाइन पढ़ी।

    "तुम चाहो तो मैं हमेशा के लिए तुम्हें ज़िन्दगी में एक परमानेंट गुलाब जामुन बना सकता हूँ! तुम गुलाब और मैं जामुन, दोनों मिलकर एक गुलाब जामुन पैदा करेंगे।"

    सूर्यांश ने सामने खड़े बच्चों पर एक-एक नज़र दौड़ाई। सबको हँसी आ रही थी। अब तो सबको उस आर्टिस्ट से मिलना था जिसने ये डायलॉग्स लिखे थे।

    किंजल ने डरते हुए कहा,

    "यार, सबको पता है तुझे स्वीट्स पसंद हैं, पर तू उनको ऐसे यूज़ करेगी???? घर पता चला तो तेरा हमेशा के लिए स्वीट खाना बंद।"

    सारा ने बेचैनी से अपने होंठों को काटते हुए कहा,

    "ये रिशा किसी काम की नहीं निकली यार!!!! मुझे लगा था ये सर के एफ़र्ट्स का वेट करेगी, पर ये कमिनी तो एक लेटर में ही पूरी की पूरी लट्टू हो गई सर पर।"

    किंजल ने जार पीसते हुए कहा,

    "ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है। उस बेचारी को कमिनी बोल रही है, बेशर्म।"

    कुछ ही लाइनें बची थीं तो सूर्यांश ने वो भी पढ़ीं।

    "तुम्हारे जलेबी जैसे बदन पर साड़ी कितनी सुंदर लगेगी। मैं फ़्यूचर वाइफ़ में चाहता हूँ तुम मुझे इम्प्रेस करो ऐज़ अ लव गुरु। ये तुम्हारा पहला टेस्ट होगा, और इसमें क्वालीफ़ाई होते ही मैं तुम्हें अपने बच्चों की माँ बना दूँगा, आई मीन तुमसे शादी कर लूँगा।"

    सूर्यांश ने रिशा की तरफ़ देखकर गुस्से में कहा,

    "ये लेटर किसी लड़की ने लिखा है? इतना दिमाग नहीं है तुम्हारे अंदर?"
    "कितने वाहियात तरीके से लिखा है! ये लव लेटर कम और किसी हलवाई का मेन्यू ज़्यादा लग रहा है।"

    "कौन-कौन बैठता है तुम्हारी डेस्क पर?"

    सूर्यांश का इतना बोलना था कि सुनिधि, सारा और किंजल तीनों के चेहरे डर से पीले पड़ गए। सुनिधि तो सूर्यांश की गुस्से वाली आँखें और आवाज़ देखकर ही डर चुकी थी। वहीं किंजल को सारा के लिए डर लग रहा था और सर को अपना झूठा पकड़े जाने के लिए!

    रिशा ने उन तीनों की तरफ़ उंगली करते हुए कहा,

    "हम डेस्क पर चार लोग बैठते हैं सर।"

    सूर्यांश ने कहा,

    "इधर आओ तीनों।"

    वह तीनों एक-एक करके सर झुकाए सूर्यांश के सामने आ गईं। सूर्यांश ने जैसे ही सारा को देखा, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और उसने चिल्लाते हुए कहा,

    "तुम?"

    सारा ने जबरदस्ती बत्तीसी चमकाते हुए कहा,

    "ज... जी की प्रोफ़ेसर, आप मुझे पहचानते हैं?"

    सूर्यांश की आँखें बड़ी हो गईं। कितनी झूठी लड़की है! अच्छा-खासा बहस हुआ था उन दोनों के बीच और ये कह रही है कि उसे पहचानती ही नहीं?

    उसने जार पीसते हुए कहा,

    "क्यों? तुम मुझे नहीं पहचानती हो?"

    सारा ने ना में सर हिलाते हुए कहा,

    "नहीं प्रोफ़ेसर, शायद भूल गई हूँ। वो मेरी आदत थोड़ी कमज़ोर है।"

    सूर्यांश ने उस पेपर को मुट्ठी में भींचते हुए कहा,

    "हाँ, वो तो मैं तेज़ कर दूँगा।"

    रिशा को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा जिस तरह से सूर्यांश ने उस लव लेटर को अपनी मुट्ठी में भींच लिया था, जैसे वो उसके दिल को ही मुट्ठी में लेकर मसल रहा हो। उसकी आँखों में तुरंत पानी आ गया।

    "कुछ लड़कियाँ होती हैं ऐसी जिनको फ़र्स्ट साइट फ़ॉल इन लव नहीं होता... ना किसी के लुक्स को देखकर, ना किसी की पोज़िशन को देखकर। बस कोई उनसे आकर कहे मुझे तुमसे प्यार है, वो अपना 100% उन्हें देने के लिए रेडी हो जाती हैं, चाहे वो इंसान फिर दिखावटी ही क्यों ना हो।"

    "उनको बस एक बंदा चाहिए होता है जो उनकी तारीफ़ करता हो, उनके लिए एफ़र्ट्स करता हो। उसके बाद उसको अटेंशन देने से लेकर खुद के लिए अटेंशन लेने तक उनका दिल-दिमाग़ बस उस एक इंसान पर अटक जाता है।"

    "यही रिशा के साथ हो रहा था।" उसने एक आह भरते हुए अपने आँसू पोछ लिए।

    "सूर्यांश ने कहा, जाओ इन तीनों को नोटबुक लेके आओ। मैं भी देखूँ इतना अच्छा लव लेटर कौन लिख लेता है?"

    प्यून हाँ में सर हिलाते हुए क्लासरूम में चला गया। किंजल की आँखों में घबराहट साफ़-साफ़ दिख रही थी। वो क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि सारा सिर्फ़ प्रॉब्लम क्रिएट करना जानती है, उनको सुलझाना नहीं!

    प्यून एक-एक करके तीनों की नोटबुक सूर्यांश को दिखाता गया और जैसे ही सूर्यांश ने सारा की नोटबुक देखी, उसकी आँखों में चमक आ गई क्योंकि उसकी हैंडराइटिंग मैच हो रही थी।

    "तो अब आपका क्या कहना है मिस सारा? क्या ये आपकी हैंड नहीं है?"

    सारा ने नज़रें चुराते हुए कहा,

    "श... शायद कोई मुझे फ़साना चाहता हो?"

    सूर्यांश ने वो लेटर हाथ से फेंक दिया और नोटबुक प्यून को दे दी और सारा का हाथ पकड़ते हुए बोला,

    "तुम चलो मेरे साथ।"

    वहाँ खड़े हर इंसान को सारा के लिए बेहद डर लग रहा था।

    किंजल जल्दी से आगे आते हुए बोली,

    "सर, सर, प्लीज़ आगे से नहीं करेगी ऐसा। आज माफ़ कर दो इसे।"

    उसे ऐसा करते देख सारा को अच्छा नहीं लगा।

    उसने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ धीरे से कहा,

    "ये जीजू के भैया हैं, डोंट वरी।"

    और किंजल को सारा का मंशा समझ आ गया।

    प्रिंसिपल को भी सारा के लिए बुरा लग रहा था।

    "सर, आज छोड़ दो इसे। बच्ची है ये, आगे से नहीं करेगी ऐसा कुछ।"

    सूर्यांश को सबको गिड़गिड़ाता देख इरिटेशन हो रही थी।

    उसने अपना माथा दो उंगलियों से रब करते हुए कहा,

    "मारने नहीं जा रहा हूँ इसे। जो ऐसे बिहेव कर रहे हो! बस इसके घरवालों के पास लेके जा रहा हूँ। हटो अब।"

    थोड़ी देर बाद, सारा और सूर्यांश दोनों एक कार में थे।

    To be continued.

  • 8. Professor's Bride (awkward moment)- Chapter 8

    Words: 1465

    Estimated Reading Time: 9 min

    सूर्यांश ड्राइविंग सीट पर बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर दी सारा ने थोड़ा घबराते हुए कहा
    " प्रोफेसर हम कहां जा रहे हैं ? "

    सूर्यांश ने एक गुस्से वाला लुक सारा को देते हुए कहा
    " तुम्हारे घर वालों को तुम्हारी करतूत दिखाने , तुम पढ़ने जा रही हो या लड़कियों को लव लेटर लिखने, और वह भी किसी और के नाम से बिल्कुल शर्म नहीं आई तुम्हें ? "

    सारा ने जैसे ही यह सुना वह सूर्यांश की बाजू पकड़ते हुए बोली
    " नहीं सर जी आप ऐसा नहीं कर सकते हो मैं आपको कार ही नहीं चलाने दूंगी कैसे आप मेरे घर वालों तक पहुंचोगे ? मैं भी देखती हूं hmm "

    इतना बोल कर वह सूर्यांश का एक हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगी ताकि सूर्यांश का हाथ स्टेरिंग से हट जाए

    सूर्यांश ने गुस्से में आंखें बड़ी करते हुए कहा
    " पागल वागल हो क्या !!! दिख नहीं रहा है मैं कार चला रहा हूं यही हाथ पांव टूट जाएंगे अगर सामने से कोई गाड़ी आ गई तो ? "

    सारा ने अपनी जिद जारी रखते हुए कहा
    " हां मेरे घर वालों के सामने मेरी इज्जत की धज्जियां उड़े उस से तो अच्छा यही है ना कि मैं अपने हाथ पर ही तोड़ लूं कम से कम उन के गुस्से की बजाय थोड़ी सिम्पैथी ही मिल जाएगी और वह मुझे डांटेंगे नहीं hi hi "

    सूर्यांश ने अपने हाथ का पूरा जोर लगाते हुए सारा के हाथ को झटकते हुए कहा
    " सनकी हो क्या बिल्कुल ! "

    सारा ने एक पल के लिए रोना फेस बनाया लेकिन फिर से सूर्यांश का हाथ पकड़ते हुए बोली
    " आप जो भी समझो बस आप घर नहीं जाओगे इतना बोल दो फिर मैं आपका हाथ छोड़ दूंगी ".

    सूर्यांश ने शक भरे लहजे में कहा

    " क्या मतलब इतना क्यों डर रही हो घर वालों को बताने से कहीं कुछ और गहरा सच तो नहीं छुपा रही हो ? आज तो मैं यह सच तुम्हारे घर वालों को बात कर रहूंगा उनकी सबसे संस्कारी बेटी कॉलेज में आकर क्या - क्या करती है ! "

    सारा ने एकदम से रोनी सी आवाज में कहा

    " आप ऐसा नहीं कर सकते हो प्रोफेसर फिर मेरा मिशन अधूरा रह जाएगा और वह अधूरा रह जाएगा तो मेरी दीदी अपसेट रहेंगे दीदीे upset रहेगी तो मैं अप सेट रहूंगी और मैं खुद का अपसेट नहीं रख सकती हूं ! Cause i love my self "

    सूर्यांश ने खीजते हुए कहा

    " What the hell are you saying तुम्हे खुद भी समझ आ रहा है तुम ट्रेन की स्पीड से अपनी कैंची जुबान जैसी जुबान से क्या - क्या बोल रही हो "

    " और कौन सा मिशन ! " यह बोलते हुए सूर्यांश के चेहरे पर गंभीर भाव थे !

    सारा ने एकदम से चिढी हुई आवाज मै कहा
    " आपको single से mingle बनाने का मिशन ताकि दीदी की शादी जल्दी से हो जाए और उनका सच किसी को पता ना चले "

    सूर्यांश ने एक तेज ब्रेक के साथ कार रोक ली और सारा की तरफ घूरते हुए कहा
    " अब तुम मुझे पूरी बात सच - सच बताओ बहुत देर हो गई है मैं तुम्हारी इन गोल गोल बातों से तंग आ चुका हूं और यह मिशन किस ने तुम्हें सो पा कि मुझे सिंगल से मिंगल बनाना है मैं अपनी वाइफ खुद ढूंढ सकता हूं इतना कैपेबल में हूं तुम्हें उसके लिए इतनी couragefull चीज करने की जरूरत नहीं थी "

    सारा ने बच्चों जैसा मुंह बनाते हुए कहा
    " इतने बड़े हो गए हैं आप काश सच में आप इतने कैपेबल होते कि अपने लिए एक अच्छी लड़की ढूंढ लेते तो अब तक आपके बच्चे मुझे दीदी बोल रहे होते! वह लड़की जिसको मैंने लेटर दिया है वह कॉलेज की सबसे सुंदर लड़की है उससे अच्छी ओर सुंदर लड़की आपको कहीं नहीं मिलेगी लेकिन आपने उसे भी भाव नहीं दिया और बोलते हो मैं कैपेबल हूं ; हूं क्या खाक कैपेबल हो! "


    " आप सिर्फ मुझसे लड़ाई करने में कैपेबल है और कुछ करने में नहीं "

    सूर्यांश ने अपना माथा पकड़ते हुए सीट से सर लगा कर कहा

    " Oh god इसे क्यों भेज दिया यहां ? "

    सारा ने मुंह फुलाते हुए कहा

    " मुझे भेजा सो भेजा आपको क्यों भेजा? आप ना होते तो जीजू ओर दी कि शादी हो गई होती आप उनके रास्ते का रोड़ा बने हुए हो hmm "

    सूर्यांश ने झट से उसकी तरफ देखते हुए कहा

    " रास्ते का रोड़ा??? सीरियसली??"

    सारा ने भी फुल गुस्से मै उसकी तरफ देखते हुए कहा

    " रास्ते का रोड़ा,,, जला हुआ पकोड़ा.. एक नंबर का बेवड़ा "

    सूर्यांश ने उसके छोटे से चेहरे को अपने एक हाथ से पकड़ते हुए कहा

    " एक थप्पड़ मै सारी गालियां देनी भूल जाओगी समझी "

    सारा ने गुस्से से तेज तेज सांसे लेते हुए कहा

    " How dare you to touch me "

    इतना बोल कर उसने सूर्यांश के बाल पकड़ लिए और उन्हें पकड़ कर झकझोरतेहुए बोली

    " आज तो आपको टकला करके छोडूंगी मै, बहुत बतमीज हो उस दिन मेरे पापा को जो बोला उसका बदला भी निकल जाएगा और आज जो पूरी कॉलेज के सामने मेरी बदनामी करवाई है उसका बदला भी "

    सूर्यांश को पता था ये छोटी सी लड़की उसकी मस्कुलर बॉडी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती है पर उसकी touch होती सॉफ्ट स्किन उसका बहुत कुछ बिगाड़ सकती थी

    इसलिए उसने उसे रोकते हुए कहा

    " घर नहीं तुम्हे पागल खाने छोड़ कर आऊंगा तुम्हारी जगह वहां है! छोड़ो पागल लड़की !!!! Huh!!! "

    पर सारा दांत पीसते हुए उसके बालों को पकड़ कर हिला रही थी
    और वो एकदम सूर्यांश की गोद मै चढ़ने को तैयार थी उसके घुटने मुड़े हुए थे और वो सीट पर घुटनों के बल खड़े होते हुए
    अपनी ताकत आजमा रही थी

    सूर्यांश ने एकदम से उसकी पतली सी कमर को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया और अचानक ही सारा की पूरी बॉडी मै 440 वॉट का झटका लगा उसकी पकड़ छूट गई और उसकी पूरे बदन पर gosebumps आ गए

    ये सिचुवेशन हद से ज्यादा akward हो रही थी

    अब उसके दोनों हाथ सूर्यांश के कंधे पर थे और सूर्यांश के हाथ उसकी कमर पर

    सूर्यांश को कुछ पल बाद realise हुआ सारा की बदमाशियां खत्म हो गई है तो उसने तुरंत ही उसकी कमर से हाथ हटा लिया

    और सारा भी सीट पर सीधे बैठते हुए अपने सीने पर हाथ रखते हुए खुद को calm करने की कोशिश करने लगी

    कुछ पल माहौल ऐसा ही akward रहा

    सारा कार की विंडो से बाहर देख रही थी वो एक सड़क किनारे थे

    उन दोनों से कुछ दूरी पर ही एक और कार थी जिसमें एक लड़का मास्क पहने बैठा था और उसकी नीली आंखे मास्क से बाहर ही दिख रही थी
    उसके हाथ मै एक कैमरा था और वो उसमें अभी कुछ देर पहले क्लिक की गई पिक्चर्स देख रहा था

    और ये किसी और की नहीं बल्कि सारा और सूर्यांश की थी

    उस लड़के के चेहरे पर devilish expressions थे उसने कार स्टार्ट की और तुरंत ही आगे बढ़ गया

    वही कुछ पल की खामोशी के बाद सूर्यांश ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा

    " अब बताओ क्या प्रॉब्लम है, अगर मेरी शादी होने से वो कैसे सॉल्व हो जाएगी "

    सारा ने इरिटेट होते हुए कहा

    " Police vulish हो क्या कितने सवाल जवाब करते हो आप ! "

    सूर्यांश के चेहरे पर एक पल गुस्सा आया और साथ मै शक भी लेकिन फिर उसने नॉर्मल एक्सप्रेशन करते हुए कहा

    " टीचर भी सवाल जवाब करते हैं! School नहीं गई तुम कभी? "

    सारा ने एक नजर सूर्यांश को देखते हुए कहा

    " वो एक्चुअली... Mmm.. प्रॉब्लम ये है कि दी प्रेगनेंट है "

    सूर्यांश ने आंखे बड़ी करते हुए कहा

    " What!!!!!!!?? "

    " सारा ने गन्दे से एक्सप्रेसन बनाते हुए कहा
    " आप के भाई की करतूत है सब; अब दीदी ठहरी केरिंग पार्टनर, वो जीजू को बताना नहीं चाहती कि वो प्रेग्नेंट है ताकि वो आपकी शादी से पहले शादी ना करें क्योंकि ये आपके घर वालों की मर्जी के खिलाफ हो जाएगी
    _ पर यही अगर आप रेडी हो जाओ शादी के लिए तो सारी प्रॉब्लम सॉल्व _

    सूर्यांश बातें सारा से कर रहा था पर उसके फोन मै उस गाड़ी के नंबर कैद हो चुके थे जो थोड़ी देर पहले यहां थी

    उसने फिर से कार स्टार्ट करते हुए कहा

    " ठीक है, आगे से ऐसी घटिया हरकते करने की कोई जरूरत नहीं है कुछ दिनों मै लड़की मिल जाएगी मुझे डोंट वरी"

    सारा जल्दी से खुश होते हुए सूर्यांश की बाजू पकड़ कर उस पर अपना सर रखते हुए खुशी से बोली

    " Wow.... मतलब बिना effort ही सब solve yahoooo! "


    To be continued thank you so much for reading this novel

    Mujhe follow bhi kar lena jisne nahi kiya hai 🎀🎀🎀🎀🎀

  • 9. Professor's Bride ( सारा है सूर्यांश की गर्लफ्रेंड)- Chapter 9

    Words: 1473

    Estimated Reading Time: 9 min

    सूर्यांश ने सारा को आहूजा मेंशन छोड़ा और वहाँ से अपने ऑफिस के लिए निकल गया जहाँ से वह कॉलेज के अलावा जो काम होते थे, उनको करता था।

    वहीं, सारा को इतनी जल्दी आता देख, सोफ़े पर बैठी वृंदा जी उठते हुए हैरानी से बोलीं,

    "बेटा, तुम इतनी जल्दी कैसे आ गई कॉलेज से? कुछ हुआ क्या? किसी ने कुछ कहा तुमसे? हाँ?"

    सारा उनके पास आई और उनके गले लगते हुए बोली,

    "मम्मा, आप क्यों पैनिक बटन की तरह बिहेव करती हैं? एवरीथिंग इज़ ऑलराइट। बस हल्का सा head ache हो गया था, तो मैं घर आ गई।"

    वृंदा जी ने उसका forehead छूकर कहा,

    "फीवर तो नहीं है! और अकेले कैसे आई?"

    "जीजू के जो भाई हैं ना, वो हमारे कॉलेज में प्रोफेसर हैं, तो वो ही मुझे ड्रॉप करके गए हैं!" सारा ने एक smile के साथ कहा।

    वृंदा जी ने यह सुनकर एक लंबी साँस भरी।

    और सारा जल्दी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए सोनिया के कमरे के सामने चली गई और दरवाज़ा खटखटाते हुए बोली,

    "दी, दरवाज़ा खोलो। एक गुड न्यूज़ देनी है।"

    सोनिया, जो फ़ोन चला रही थी, सारा की आवाज़ सुनकर दरवाज़ा खोला।

    और सारा जल्दी से उसके गले लगते हुए बोली,

    "दी, आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई!"

    "क्या प्रॉब्लम सॉल्व हो गई?" सोनिया ने थोड़े उखड़े अंदाज़ में कहा।

    "आप बस स्माइल करो, एकदम धांसू न्यूज़! वो जो खडूस भाई हैं ना जीजू के, वो शादी के लिए मान गए।" सारा ने मुस्कुराकर कहा।

    सोनिया की आँखों में जो उखड़ापन था, वह गुस्से में बदल गया।

    "उन्होंने बोला है वो बहुत जल्द अपने लिए एक लड़की ढूँढ लेंगे, आपकी सारी प्रॉब्लम सॉल्व।" सारा ने जल्दी से कहा।

    चटाक!!! एक थप्पड़ की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज गई। सारा आगे कुछ बोल पाती, उससे पहले ही सोनिया ने एक जोरदार तमाचा उसके मुँह पर जड़ दिया था।

    जिससे सारा थोड़ी लड़खड़ा गई। उसकी आँखों में नमी आ गई और वह अपने गाल पर हाथ रखे हुए, सोनिया को देखकर लड़खड़ाती जुबान में बोली,

    "द...दी ये...मैं...मैं तो आपकी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन बता रही थी। आप...आप मुझ पर हाथ कैसे उठा सकती हैं!"

    इतना बोलने के साथ ही उसकी आँखों में आए आँसू उसके गालों पर लुढ़क गए। सारा ने अपने हाथ से अपने आँसू पोछे और नाराज़गी भरी निगाहों से सोनिया को घूरा।

    "ये तो बताओ दी, क्या गलत किया है मैंने?" उसने भरे गले से कहा।

    सोनिया ने अपना फ़ोन उसके सामने करते हुए कहा,

    "झूठ बोलते हुए शर्म नहीं आई तुम्हें? जब मैं अपना हर राज तुम्हें बता सकती हूँ, तो तुम क्यों नहीं?"

    ये बोलते वक़्त सोनिया की आवाज़ में एक दर्द महसूस हो रहा था।

    "ऐसा होता है जब हम सामने वाले को over share करते हैं, पर सामने वाला अपना हर राज एक पिटारे में बंद रखता है और हमें वो किसी तीसरे शख़्स से पता चलता है।💔"

    सारा ने काँपते हाथों से सोनिया का फ़ोन अपने हाथ में लिया और स्क्रॉल करते हुए उसकी और सूर्यांश की तस्वीरें देखने लगी। जो कुछ देर पहले के मोमेंट्स थे, जिसमें वो सूर्यांश से लड़ाई कर रही थी और उनकी हर awkward situation उन तस्वीरों में कैद थी।

    "दीदी ये सब...ये अभी मैं...और...!!!" सारा ने लड़खड़ाती जुबान में कहा।

    सारा की बात पूरी होने से पहले सोनिया ने वो फ़ोन छीन लिया और चिल्लाते हुए बोली,

    "सेट अप!!! कितना झूठ बोलोगी सारा?"

    "तुम मुझसे शेयर कर सकती थी ना कि तुम पसंद करती हो उनको?"

    "अभी ये सब मुझे unknown number से आया है। सोचो पापा के पास गया तो क्या होगा? अभी तो तुम्हारी उम्र भी 18 है और सूर्यांश लगभग 30 साल का आदमी है!!!! Are you out of your mind!"

    सारा ने अपनी सफ़ाई में कहना चाहा,

    "पर दी!!!!"

    सोनिया ने बीच में ही उसे हाथ दिखाते हुए कहा,

    "बस बहुत हो गया। इससे ज़्यादा क्या झूठ बोलोगी तुम? अब मुझे तुम पर किसी बात पर भरोसा नहीं है।"

    सारा ने अपनी मुट्ठियाँ कस ली!!! और सोनिया उसके साइड से निकलते हुए रूम से बाहर चली गई। सारा भी अपने आँसू पोछती हुई सोनिया के रूम से निकलकर अपने रूम में चली गई।

    कुछ वक़्त बाद, सारा cold water shower ले रही थी...वो पानी इतना ठंडा था कि पूरे बाथरूम में धुंधलापन छाया था और सारा की भूरी आँखें चमक रही थीं। उनमें कुछ था जो समझ पाना किसी के बस की बात नहीं थी।

    वहीं, हॉल में तन्मय जी आ चुके थे। उन्होंने अपने हाथ में पकड़ा बैग सोफ़े पर फेंकते हुए कहा,

    "सारा कहाँ है???"

    उनकी गुस्से भरी आवाज़ सुनकर सोनिया को समझ आ चुका था, ज़रूर तन्मय जी को भी वो तस्वीरें मिली होंगी।

    वृंदा जी ने घबराते हुए कहा,

    "क्या हुआ?"

    तन्मय जी के चेहरे की नसें गुस्से की वजह से तनी हुई थीं।

    "सोनिया, जाओ बुला के लाओ उसे!"

    सोनिया जल्दी से सारा को बुलाने चली गई और वृंदा जी ने चिंता जताते हुए कहा,

    "पहले बताओ हुआ क्या है?"

    "वही, सारा नहा चुकी थी। उसने नी लेंथ कॉटन की कॉफ़ी कलर फ्रॉक पहनी थी,"

    जिसकी स्लीव्स नहीं थीं। बेशक, वो बहुत क्यूट लग रही थी। वो बाल सुखाते हुए खुद को मिरर में देख रही थी। उसकी भूरी आँखें अब हल्की लाल थीं और बिलकुल इमोशनलेस!

    "जैसे गर्मियों में मरुस्थल हो जाता है, आज शायद उसके दिल पर भी किसी गर्म लू का एहसास हुआ था जिसने उसकी समुद्र जैसी आँखों को एक पल में खाली मरुस्थल बना दिया।"

    सोनिया ने अंदर आते हुए कहा,

    "पापा बुला रहे हैं नीचे। सामने मत बोलना, मैं संभाल लूँगी।"

    सारा बिना कुछ कहे, नज़रें झुकाए रूम से बाहर जाने लगी और सोनिया ने एक गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,

    "ओह गॉड! इसकी अकड़!"

    थोड़ी देर बाद, सारा सर झुकाए तन्मय जी के सामने खड़ी थी और तन्मय जी सोफ़े पर बैठे थे।

    "तो कब से वो तुम्हारा बॉयफ्रेंड था!"

    सारा ने straightforward way में कहा,

    "कब से ही नहीं, ना आगे होंगे। वो मेरे प्रोफेसर हैं। स्टूडेंट-प्रोफेसर के अलावा हमारा कोई रिश्ता नहीं है।"

    तन्मय जी ने गुस्से में गरजते हुए कहा,

    "झूठ बोलने की भी एक हद होती है सारा!"

    सारा ने बिना पलकें उठाए कहा,

    "और वो हद मैं पार नहीं कर रही हूँ पापा। Just trust me! वो बस एक miss understanding है!"

    "सारा, देख कोई रिलेशन है तो भी बता दे, पापा मान जाएँगे। वैसे भी उस घर से रिश्ता तो जुड़ना ही है।" सोनिया ने बीच में कहा।

    तन्मय जी ने सोफ़े से उठते हुए कहा,

    "ये हमें क्यों कुछ बताएगी? हम इसके सगे माँ-बाप थोड़ी हैं, ना तू इसकी सगी बहन।"

    सारा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और कुछ आँसू निकलकर उसके गालों पर आ गए।

    वृंदा जी ने गुस्से में कहा,

    "ये आप क्या बकवास कर रहे हैं? वो हमारी ही बेटी है! जिस दिन से वो इस घर में आई है, तब से!"

    इतना बोलकर वृंदा जी ने आगे बढ़कर सारा को गले लगा लिया।

    वहीं दूसरी तरफ़, सतीक्षय भवन में भी यह news मिल चुकी थी। बस फ़र्क इतना था, वहाँ मातम की जगह खुशियाँ मनाई जा रही थीं।

    संजना जी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उन्हें सारा पहली नज़र में भा गई थी और वो भी सूर्यांश के लिए ही। जमशेद जी भी काफ़ी खुश थे। वो दोनों हॉल में बैठकर मिठाइयाँ मँगवा रहे थे।

    संजना जी ने कहा,

    "अब हम अगले हफ़्ते ही शादी का मुहूर्त निकलवा लेते हैं। जिस दिन सूर्यांश 30 साल का होने वाला है, उसका बर्थडे और मैरिज एनिवर्सरी साथ में मना लेंगे।"

    जमशेद जी ने भी उनकी हाँ में हाँ मिला ली।

    वहीं, सहज इन सब से परेशान हो चुका था। वो बार-बार सोनिया को कॉल कर रहा था, पर सोनिया अपने फैमिली मैटर में इतनी उलझी थी कि वो कैसे उसका कॉल पिक कर लेती।

    सूर्यांश का केबिन।

    सूर्यांश इस वक़्त एक रोलिंग चेयर पर बैठा था। उसके सामने एक कार की फ़ुटेज चल रही थी। वो कार सूर्यांश की कार के पास से निकली और करीब 10 मिनट बाद ही वो कार हाईवे पर बाउंड्री लाइन से टकरा गई...और एक ही पल में कार ने पूरी तरह आग पकड़ ली।

    सूर्यांश ने टेबल पर अपना हाथ मारते हुए फ्रस्ट्रेशन में कहा,

    "Huh...Damn it!!!!!"

    ......

  • 10. Professor's Bride (सारा का दर्द) - Chapter 10

    Words: 1435

    Estimated Reading Time: 9 min

    मुंबई
    रात का समय
    सतीक्षय भवन

    सूर्यांश की कार घर के सामने आकर रुकी और वो उसे पार्किंग मै लगाते हुए तेज कदमों से अंदर आया

    उसने जैसे ही पहला कदम अंदर हॉल मै रखा उसकी आंखे हैरानी के मारे बड़ी हो गई क्योंकि सामने पूरा सतीक्ष्य खानदान पार्टी कर रहा था

    सूर्यांश के अंकल उनके बच्चे, उसकी बुआ.. और उसके कुछ फ्रेंड्स!!

    सेंटर ऑफ अट्रैक्शन थी संजना जी जिनके चेहरे पर अलग ही ग्लो नजर आ रहा था

    सूर्यांश को देखते ही संजना जी तेज कदमों से उसके पास आई और अपने हाथ मै पकड़ी काजू कतली उसके मुंह मै लगभग जबरदस्ती डालते हुए बोली

    " तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले! कांग्रेचुलेशन, तुम्हारी सगाई मेहंदी हल्दी शादी सब फिक्स हो चुकी है"

    सूर्यांश जो उस काजू कतली के पिस को जबरदस्ती निगलने की कोशिश कर रहा था अचानक ही शोक के मारे बुरी तरह खांसने लगा

    संजना जी ने जल्दी से उसकी पीठ सहलाते हुए कहा

    " आराम से बेटा! होता है होता है जब इतनी सारी खुशखबरी एक साथ मिलती है तो ऐसा ही होता है "

    सूर्यांश ने काजू कतली निगलते हुए कहा

    " W.. what.. मेरी शादी फिक्स हो गई? पर क्यों? और किसके साथ? "

    संजना जी ने ब्राइट smile के साथ कहा

    " तुम्हारी girl friend के साथ। "

    सूर्यांश ने eye brow raise करते हुए कहा

    " और वो कौन है? मुझे अभी तक क्यों नहीं पता चला कि मेरी कोई girl friend भी है ! "

    संजना जी ने उसके कंधे पर मारते हुए कहा

    " अब बस भी कर कितना सीक्रेट रखेगा! Hmm "

    सूर्यांश ने फ्रस्ट्रेशन मै अपना सर पकड़ते हुए कहा

    " ठीक है बताओ है कौन? "

    संजना जी ने कहा " एक मिनट "

    इतना बोल कर उन्होंने अपना फोन ओपन किया और उसकी और सारा की फोटोज दिखाई!

    उन्हें देख कर सूर्यांश ने अपना सर हिलाते हुए कहा

    " ये ये वैसा नहीं है जो आप समझ रही हैं! "

    " संजना जी ने मुस्कुराते हुए कहा
    " अरे हम कुछ गलत नहीं समझ रहे कि तुम दोनों इस पोजीशन मै कार मै क्या कर रहे थे, बस girl friend है तुम्हारी ये कन्फर्म है "

    सूर्यांश का मन कर रहा था अपना सर दीवार से पीट ले !

    संजना जी ने आगे कहा

    " वैसे भी आहूजा मेंशन से marriage प्रपोजल का जवाब आ गया तुम्हारे बर्थडे वाले दिन फेरे करवाएंगे "

    सूर्यांश को संजना जी के एक्साइटमेंट को देख कर इरीटेशन हो रही थी पर वो क्या बोले अब इनको!

    संजना जी कितनी आगे तक की सोच चुकी थी

    सूर्यांश ने वापस मुड़ते हुए कहा

    " मैं आता हूं कुछ वक्त मै "

    कुछ वक्त बाद

    आहूजा मेंशन

    आज रात का मौसम कुछ खराब हो चुका था हवाएं थोड़ी तेज थी और हल्की बारिश की बूंदे भी गिर रही थी

    आहूजा मेंशन के बाहर ही बाउंड्री के अंदर छोटा सा गार्डन था जहां बेंच पर सारा बैठी थी वहां एक लाइट जल रही थी जो पेड़ की टहनी से एक वायर के जरिए लिपटी थी सारा ने वही पिंक नी लेंथ कॉटन की फ्रॉक पहनी थी और उस के ऊपर एक ब्राउन शॉल अपने कंधों पर डाल रखा था और घुटने मोड़ ते हुए अपनी बाहों को खुद से लपेटे हुए था

    बारिश की बूंदे उस पर गिर रही थी

    उसकी आंखो के सामने से कई भयंकर मंजर आ कर गुजर रहे थे जिनसे रह रह कर उसकी आंखो मै नमी आ रही थी

    जिसे बड़ी बेदर्दी से वो साफ कर रही थी उसके गाल पर अब भी सोनिया की उंगलियों के लाल निशान छिपे थे

    Seen 1st

    " रूबी बच्चा लग जाएगी थोड़ा धीरे दौड़ो "

    एक 45 की उम्र का आदमी अपनी 5 साल की बेटी को हंसते हुए बोल रहा था जो उसके आगे आगे नंगे पांव दौड़ रही थी! "
    उसके छोटे छोटे पांव पूरी तरह मिट्टी से सने थे उसके पीछे दौड़ता आदमी भी बहुत हैंडसम था, उसकी ब्ल्यू डायमंड आंखे उसे दुनियां के बाकी मर्दों से अलग बना रही थी

    " पकड़ो डेडा ! चैंपियन रूबी को पकड़ के दिखाओ, no one can catch me डेडा i am very fast and strong"
    वो आदमी जान बुझ कर धीमे कदमों से चल रहा था ताकि उसकी गुड़िया को लगे वो सच मै एक चैंपियन है और उसे कोई नहीं हरा सकता! "

    Seen 2nd

    " र... रूबी बच्चा वहां छिप जाओ बाहर मत निकलना जब तक डेडा ना बोले go champion "

    13 साल की रूबी ने रोते हुए कहा

    " No.. no डेडा! अब मैं बच्ची नहीं हु आपको.. आपको गोली लगी है मुझे आपको बचाना है "

    रूबी के पिता ने अपने असहनीय दर्द को बर्दास्त करते हुए अपनी लाल हो चुकी आंखों से रूबी की ब्राऊन आंखो मै देख ते हुए कहा

    " You are a champion! Right... Then take your revenge never forget.. who the hell one kill your डेडा! But now you are not strong enough! "

    रूबी ने रोते हुए अपने पिता के चेहरे को अपने हाथ मै लेते हुए कहा

    " I take revenge डेडा! But.. but.. don't go please i love you "

    उसके पिता के चेहरे पर एक लंबी मुस्कान खिल गई और उसने धीरे से रूबी के फोर हेड को चूमते हुए कहा

    " This is my last order doll just full fill it go..... "

    उसने इतना बोला था कि दीवार की दूसरी तरफ से foot steps की आवाजे आने लगी और उसने रूबी को देखते हुए कहा

    " Last command for my champion ! "

    रूबी कांपते पैरों से उठी और अपने डेडा को देखते हुए धीरे धीरे पीछे हटने लगी कुछ ही वक्त बाद वो वहां से दूर जा चुकी थी वो छिपी हुई अब भी अपनी भूरी आंखों से दर्द से तड़पते अपने पिता को देख रही थी

    ओर अचानक की 4 _ 5 लोग आए और उसके पिता पर गोलियों से वार करने लगे

    No... Please Leave my dad!!!! रोते हुए एक बार रूबी ने कहा

    और उसके पिता की एक जोरदार चीख उस गोडाउन जैसी दिखने वाली जगह के हर कोने से टकरा कर बार बार रूबी के कानों मै बजने लगी वो इतनी असहनीय थी कि रूबी ने अपने दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिए और बुरी तरह चिल्लाने लगी

    " No... No please don't do that!"

    " Hey सारा!!! क्या हुआ है तुम्हे इधर देखो!! Look at me.... !"

    अचानक सारा अपने अतीत से बाहर आई उसने अपनी आंसु भरी आंखों से सामने देखा जहां घुटनो के बल सूर्यांश बैठा था

    सारा बुरी तरह हाफ रही थी और अब गुस्से मै सूर्यांश को देख रही थी

    अचानक ही उसने सूर्यांश को धक्का देते हुए कहा

    " How dare you to touch me ! "

    सूर्यांश के ठंडे हाथ सारा की undress thai पर थे जिस वजह से सूर्यांश को भी लगा शायद उसने गलत छू लिया...

    वो उठते हुए बोला

    " Umm... Actually... तुम बहुत बुरी तरह पैनिक कर रही थी so मैने ध्यान नहीं था i apologise for this.. पर तुम इतनी ठंड मै यहां कर क्या रही हो "

    " और देखो पूरी भीग भी चुकी हो! "

    सारा ने अपने आंसु पोंछते हुए कहा

    " This is none of your business ! "

    " आप यहां क्या कर रहे हैं वो भी इतनी रात को? "

    सूर्यांश ने गौर से सारा के छोटे से चेहरे को देखा, रोने के कारणउसकी आंखे अब रेडिश हो गई थी नाक भी और उसके गाल पर छपे वो उंगलियों के निशान देख कर सूर्यांश ने गुस्से मै अपनी मुट्ठियां कस ली

    " थप्पड़ किसने मारा ? "

    सारा ने एक फीकी सी हंसी के साथ कहा

    " क्या फर्क पड़ता है किसने मारा पर उसका रीजन आप ही थे मिस्टर प्रोफेसर! मुझे नहीं पता था कार मै ले जाने के बहाने मेरे साथ ये सब होने वाला है! "

    सूर्यांश ने गुस्से मै कहा

    " Just sep up! वो बस एक missunderstanding है! "

    सारा ने उसी एक्सप्रेशन के साथ कहा

    " Miss understandings भी तो create ही की जाती हैं! , अपने आप तो वो फोटो नहीं आ गई होंगी! "
    " आप खुश हो जाइए आप जो चाहते थे वो हो रहा है "

    सूर्यांश को सारा की वो फीकी हंसी देख कर अपने दिल मै एक सुई सी चुभती हुई महसूस हो रही थी आज सुबह उसने जो pure smile उसके चेहरे पर देखी थी उसे इस वक्त भी वही स्माइल चाहिए थी ऐसा लग रहा था सारा को दर्द मै देख कर उसका blood बॉयल हो रहा था

    और ये ठंडी बारिश की बूंदे भी उस जलन को कम नहीं कर पा रही थी

    To be continued thank you so much for reading this novel

    How is the thrill 🌝🌝🌝🌝....

  • 11. Professor's Bride ( सारा अनाथ है )- Chapter 11

    Words: 1409

    Estimated Reading Time: 9 min

    सूर्यांश ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,

    "ठीक है, मेरी गलती है। पर तुम घर से बाहर इतनी रात को क्या कर रही हो? किसने तुम्हें थप्पड़ मारा है?"

    सारा ने अपना शॉल ठीक करते हुए एक बार सूर्यांश की आँखों में देखा और फिर मुड़ते हुए बोली,

    "ये मेरे घर का मामला है। इसमें आपको दखलंदाजी करने की कोई ज़रूरत नहीं है। पर मैं आपसे उम्मीद करती हूँ, आप आगे मेरी परेशानियाँ और नहीं बढ़ाएँगे!"

    सूर्यांश ने दो कदम आगे बढ़ाते हुए कहा,

    "मैं परेशानी बढ़ाने नहीं आया हूँ! मैं बस जो गलतफहमी क्रिएट हुई है, उसे खत्म करने आया हूँ। कोई ज़रूरत नहीं है तुम्हें शादी के लिए हाँ बोलने की। मैं अभी तुम्हारे घरवालों से बात करता हूँ। कोई तुम पर प्रेशर नहीं डालेगा। अभी-अभी तो तुमने कॉलेज शुरू किया था। तुम्हें अभी शादी करने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    सारा ने गुस्से में पीछे मुड़ते हुए कहा,

    "अगर आपको इस बात का जरा सा भी ख्याल होता, तो आज यह सब नहीं हो रहा होता। अब मेरे सामने ज़्यादा अच्छे बनने की नौटंकी मत कीजिए। ऑलरेडी घर में बहुत बवाल हो चुका है। अब एक और मुझे नहीं चाहिए। आपको शादी नहीं करनी है मुझसे, तो आप अपने घरवालों को बोलिए, वे यह रिश्ता वापस ले लें। मेरी तरफ़ से ना नहीं आएगा। मेरे पापा बर्दाश्त नहीं कर पाएँगे।"

    सूर्यांश ने आगे बढ़ते हुए कहा,

    "अरे, ऐसे कैसे नहीं करेंगे? मैं समझा लूँगा उनको। उनकी बेटी बिल्कुल सही है। उसने कुछ गलत नहीं किया है।"

    सारा ने दोनों हाथ जोड़ते हुए, लगभग रोते हुए कहा,

    "प्लीज़, मैं आपसे रिक्वेस्ट कर रही हूँ, चले जाइए यहाँ से, प्लीज़।"

    सारा इतना ही बोल पाई थी कि उसे छींक आने लगी। क्योंकि इतनी देर से वह ठंड में थी।

    सूर्यांश ने एक बार उसके काँपते होठों को देखा और फिर गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,

    "ठीक है। तुम अंदर जाओ। तुम्हें जुकाम हो चुका है। जाकर कपड़े चेंज करो, दवाई लो और सो जाओ।"

    सारा जल्दी से वहाँ से घर के अंदर चली गई और सूर्यांश वहाँ खड़ा रह गया। उसे समझ नहीं आ रहा था, आखिर यह सब कोई कर क्यों रहा है? सारा से उसकी शादी करवा के आखिर किसी को मिलेगा ही क्या!

    उसने आहूजा परिवार की डिटेल्स मँगवाई थीं, जिनमें सिर्फ़ एक ही चीज़ थोड़ी अटपटी थी। वह था सारा यहाँ बस 5 साल पहले आई थी। इससे पहले वह कहाँ थी? उसका कोई बायोडाटा नहीं मिला उसे!

    इस बारे में सोच-सोच कर सूर्यांश का भी सर दर्द हो चुका था। उसने झल्लाते हुए कहा,

    "क्या मुसीबत है यार!"

    इतना बोलकर वह भी वापस अपनी कार की तरफ़ चला गया। वहीं सारा अब बालकनी में खड़ी होकर सूर्यांश की जाती हुई कार को देख रही थी। उसकी आँखें अभी इमोशनलेस थीं और वह खालीपन किसकी तबाही था, कुछ कहा नहीं जा सकता!

    अगली सुबह, सतीक्ष्य भवन में संजना जी और जमशेद जी मिलकर दोनों पंडित जी के सामने बैठे थे और सूर्यांश और सारा की कुंडलियाँ दिखा रहे थे, ताकि शादी का अच्छा सा मुहूर्त निकलवा सकें। सूर्यांश कॉलेज जा चुका था, पर आज सारा कॉलेज नहीं गई थी। जिस वजह से सूर्यांश अब खुद को दोषी समझ रहा था। उसकी वजह से एक बच्ची की कॉलेज लाइफ़ छिन गई थी। किंजल भी बहुत ज़्यादा उदास थी। उसकी एक ही तो दोस्त थी और अब उसने भी कॉलेज जाना छोड़ दिया था। किंजल ने कल से बहुत बार सर का फ़ोन ट्राई किया था, पर सर ने एक भी फ़ोन कॉल का जवाब नहीं दिया था। इसलिए किंजल ने फिर सोनिया से पता किया कि सारा क्यों नहीं आ रही है। तो किंजल को सोनिया ने बताया कि सारा की तबीयत खराब है।


    दोपहर का समय, आहूजा मेंशन में सोनिया ने सारा के दरवाज़े पर नॉक करते हुए कहा,

    "सारा, तुमने खाना क्यों नहीं खाया अब तक? दरवाज़ा खोलो!"

    सारा ने दरवाज़ा खोल दिया। उसने इस वक़्त एक सफ़ेद पटियाला सूट पहना था और उसके बाल बुरी तरह उलझे हुए थे। सोनिया के हाथ में खाने की प्लेट थी। वह अंदर गई और उसने वह प्लेट साइड टेबल पर रखी। फिर सारा को अपने पास बेड पर बैठाते हुए, उसका चेहरा अपने हाथों में भरकर बोली,

    "I am sorry सारा, शायद कल मुझे तुम पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। अब कितनी देर गुस्सा रहोगी अपनी सना दी से, hmm?"

    सारा की आँखों में आँसू थे। उसकी पलकें झुकी हुई थीं।

    "जब पहली बार सारा यहाँ आई थी......!!"

    5 साल पहले, सोनिया नहाकर बाहर आई थी। हॉल में बैठकर वह टीवी देख रही थी। उसके गीले बालों से पानी की बूँदें टपक रही थीं, कि अचानक किसी ने डोर नॉक किया। सोनिया उठी और दरवाज़ा खोला, तो सामने 13-14 साल की बच्ची खड़ी थी, जिसने एक व्हाइट फ़्रॉक पहनी थी जो बहुत ज़्यादा मैली हो रखी थी। सोनिया ने एक बार गन्दा सा मुँह बनाया और फिर गुस्से में कहा,

    "कौन हो तुम? क्या चाहिए?"

    उस बच्ची की मासूम आँखों में इतनी तेज आवाज़ से डर भर आया था। उसने हकलाती जुबान में कहा,

    "वो... वो दीदी, भूख लगी थी मुझे।"

    सोनिया ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "मम्मी-पापा कहाँ हैं तुम्हारे?"

    उस बच्ची ने बिना किसी झिझक के कहा,

    "मर गए।"

    सोनिया का चेहरा तुरंत गिल्ट से भर गया। तभी पीछे से वृंदा जी आते हुए बोलीं,

    "क्या हुआ सना बेटा? कौन है बाहर?"

    वह इतना बोलते-बोलते दरवाज़े के पास आ चुकी थीं। सामने एक बच्ची को इस हालत में देखकर उनके चेहरे पर भी कंफ़्यूज़न वाले एक्सप्रेशन आ गए थे।

    "कौन हो बेटा तुम?"

    उस बच्ची ने डरकर दो कदम पीछे हटाते हुए कहा,

    "वो... आंटी, मुझे भूख लगी थी।"

    वृंदा जी ने वही सवाल किया,

    "तुम्हारे मम्मी-पापा कहाँ हैं?"

    उस बच्ची ने फिर से कहा, "मर गए।"

    और वृंदा जी की आँखों में उसके लिए दया के भाव आ गए।

    "चलो आओ बेटा अंदर।"

    वह बच्ची डरते हुए अपनी फ़्रॉक को अपनी दोनों मुट्ठियों में कसकर भींच लेती है।

    वृंदा जी: यहाँ बैठो, मैं ही लेकर आती हूँ!

    वह बच्ची तुरंत फ़र्श पर बैठ गई और सोनिया उसे एकटक देखने लगी। वृंदा जी ने उसके सामने खाने की प्लेटें रखीं और फिर दुबारा कुछ लाने गईं। इस बार फिर से उनके हाथ में 2 प्लेटें थीं।

    "बताओ बेटा, कौन-सी खाओगी? क्या पसंद है तुम्हें?"

    उस बच्ची ने सारी प्लेटों की तरफ़ एक-एक बार देखा और फिर धीरे से बोली,

    "सारा!"

    वृंदा जी ने हँसते हुए कहा, "खा लोगी इतना?"

    उस बच्ची ने दो-तीन बार लगातार हाँ में सर हिलाया। और खाना शुरू किया। सोनिया और वृंदा जी बस देखती रह गईं क्योंकि उसने सच में सारा खाना खा लिया था।

    सोनिया ने कहा, "ये तो सच में सारा खा गई।"

    खाने के बाद अब उस बच्ची को अच्छा महसूस हो रहा था। उसने हँसते हुए कहा,

    "हाँ हाँ, सारा।"

    उसे ऐसा करते देखकर सोनिया को भी हँसी आ गई। उसके बाद जब भी उसके सामने चॉइस होती, उसका जवाब हमेशा होता,

    "...सारा..."

    और बस यह देखकर सोनिया ने उसका नाम सारा रख दिया...

    (Flashback end)

    सोनिया अपनी और सारा की पहली मुलाक़ात याद करते हुए रो पड़ी थी।

    "सारा, कितना गुस्सा रहोगी? क्या उठक-बैठक निकालूँ अब, hmm?"

    सारा ने एक पल रुककर सोनिया की तरफ़ देखा और फिर उसके आँसू पोछते हुए हल्का सा मुस्कुरा दी! जिसका मतलब उसने सोनिया को माफ़ कर दिया। सोनिया ने जल्दी से उसे अपने गले लगा लिया....

    कुछ देर बाद उन दोनों ने खाना खा लिया था...

    सोनिया ने हँसते हुए कहा,

    "सारा... हमने सारा खाना खा लिया।"

    यह सुनकर सारा को हँसी आ गई.......

    सतीक्ष्य भवन में मुहूर्त निकल चुका था। ठीक 5 दिन बाद से शादी की रस्में शुरू होने वाली थीं। संजना जी इस शादी के जितनी एक्साइटेड थीं, शायद ही कोई हो। आज सहज भी खुश था... क्योंकि सोनिया ने उसे बताया था सब सही है। सारा भी इस शादी के लिए मान चुकी है... और सारा ने ऐसा ही दिखाया था जैसे उसे इस शादी से ऐसी कोई दिक्कत नहीं है।

  • 12. Professor's Bride (engagement ceremony )- Chapter 12

    Words: 1267

    Estimated Reading Time: 8 min

    5 दिन बाद

    सतीक्षय भवन

    आज घर पूरी तरह से सजा हुआ था क्योंकि सुबह 10:00 a.m. पर सगाई होने वाली थी। सगाई के बाद बाकी के फ़ंक्शन शुरू होने थे।

    सर और सोनिया सुबह 8:00 बजे ही सतीक्षय भवन आ चुके थे। उन दोनों के लिए अलग कमरा तैयार किया गया था, जिसमें वे दोनों रुके हुए थे और कुछ मेकअप आर्टिस्ट उन्हें तैयार कर रही थीं।

    सोनिया के चेहरे पर तनाव साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था।

    पर सर के चेहरे पर ऐसा कोई भाव नहीं था।

    सोनिया ने डार्क रेड कलर का गाउन पहना था, जो स्लीवलेस और फुल लेंथ था। उस पर गोल्डन वर्क किया गया था, जो उसे और ज़्यादा आकर्षक बना रहा था।

    वहीं सारा ने लैवेंडर कलर का फुल स्लीव गाउन पहना था, जिस पर गोटा पट्टी की कढ़ाई की गई थी और साथ में एक हेवी दुपट्टा भी।

    वे दोनों ही काफी सुंदर लग रही थीं।

    वहीं सूर्यांश और सहज भी तैयार थे। सहज के चेहरे का ग्लो इतना था कि ग्लो शब्द भी शर्म आ जाए।

    "Love marriage with parents support."

    "It's a different kind of happiness."

    यह फिलहाल सहज को महसूस हो रही थी। सहज ने डार्क रेड कुर्ता पजामा पहन रखा था, जिसमें वह बहुत हैंडसम लग रहा था।

    वहीं सूर्यांश का दिमाग अपनी ही मिस्ट्री में उलझा हुआ था। कार ब्लास्ट हो चुकी थी, जिससे किसी ने उसकी और सारा की तस्वीर क्लिक की थी। इकलौता रास्ता, जो मास्टरमाइंड तक पहुँचने का था, वह अब खत्म हो चुका था।


    कुछ वक्त बाद, हॉल में लगे फ्लोर पर दो बड़े सोफ़े लगे थे। जिनमें से एक पर सारा और सूर्यांश थे और दूसरी तरफ सहज और सोनिया।

    एक जोड़ा इतना खुश था, जैसे उन्हें मिलने के बाद यूनिवर्स से कोई खुशी नहीं चाहिए थी। वहीं दूसरा जोड़ा इतना दुःखी था, जैसे उनसे बस यही मत करवाओ, इसके अलावा बुरा से बुरा कुछ भी हो जाए उनके साथ!

    (Same same but different 😆😉)

    एक तरफ संजना जी और उनके साथ सूर्यांश की बुआ की लड़की, वानी खड़ी थी। और उनके हाथ में रिंग बॉक्स था। वहीं दूसरी तरफ किंजल और वृंदा जी थीं।

    किंजल को सारा की शादी इतनी जल्दी होते देख बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। पर सारा ने उससे कहा था, "ये उनका फैमिली मैटर है।"

    यह बात किंजल को बहुत ज़्यादा दुखी कर गई थी। वह बेस्ट फ्रेंड जो हर छोटी-सी छोटी चीज़ उससे शेयर करती थी, लेकिन एक दिन अचानक कहे कि यह उनका फैमिली मैटर है, तो बुरा लगना लाज़मी है!

    वहीं सारा के नज़रिए से यह ज़्यादा सही था। कभी-कभी हमें सामने वाले को थोड़ा सा दुखी कर देना चाहिए, अगर वह बात क्लियर बताने से सामने वाला ज़्यादा दुखी हो रहा हो।

    किंजल सच जानकर और भी ज़्यादा बुरा महसूस करती, शायद वह सारा के लिए लड़ने की कोशिश भी करती, जिससे बात आगे बढ़नी थी।

    बस इन सब को कम करने के लिए सारा ने उससे सच छुपाना ही बेहतर समझा।


    कुछ देर बाद रिंग सेरेमनी शुरू हुई।

    सूर्यांश ने सारा के आगे अपना हाथ बढ़ाया। सारा एकटक फर्श पर ही घूर रही थी। उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं, जैसे वह किसी भी पल रो पड़ेगी।

    सारा ने कांपते हाथों से रिंग उठाई और सूर्यांश की उंगली में पहनाई।

    सूर्यांश एकटक उसके कांपते हाथ को देख रहा था, जो बहुत सॉफ्ट था। ऐसा लग रहा था सारा का हाथ नहीं, बल्कि सॉफ्ट कॉटन सूर्यांश के हाथ से स्पर्श कर रहा हो!

    सारा ने जैसे-तैसे वो रिंग पहनाई और फिर से अपनी पलकें झुका लीं।

    उसके रिंग पहनाते ही पूरे हॉल में तालियों की आवाज़ आने लगी। ज़्यादा लोग नहीं थे, पर सूर्यांश की टीम से कुछ लोग थे, कुछ कॉलेज के टीचर भी थे।

    सहज के फ्रेंड्स थे।

    सोनिया का कोई फ्रेंड नहीं था।

    सूर्यांश ने भी सारा का हाथ पकड़ते हुए उसे रिंग पहनाई। इसी के साथ सारा की आँख से एक आँसू की बूँद निकल कर सूर्यांश के हाथ पर गिर गई।

    सूर्यांश ने अपना हाथ हटा लिया और कस कर मुट्ठी बंद कर ली। उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि सारा उसकी वजह से रो रही थी।

    सबने एक बार फिर तालियाँ बजाईं।

    इसके बाद सहज और सोनिया ने भी रिंग एक्सचेंज की। ❤️❤️❤️

    लगभग 1 बजे के आसपास मेंहदी की रस्म शुरू हुई।

    सोनिया और सारा ने अब हरे रंग के सेम डिज़ाइन वाले लहंगे पहने थे, जो बेशक उन पर सुंदर लग रहे थे।

    सोनिया के पास सहज बैठा था। दो लड़कियाँ सोनिया और सारा को मेंहदी लगा रही थीं।

    सोनिया ने सहज की तरफ आँखें छोटी करके देखते हुए कहा,

    "अगर मेंहदी का रंग नहीं आया ना, फिर देखना तुम, तुम्हारा सर मैं फोड़ के रहूँगी। 😑😑😑"

    सहज ने घबराते हुए लार गटकते हुए कहा,

    "😨 तुम शादी से पहले ही पति पर अत्याचार करोगी?"

    "ये तो मेंहदी की क्वालिटी पर डिपेंड करता है रंग कैसा आएगा?"

    सोनिया ने आइब्रो चढ़ाकर कहा,

    "वो तो तुम देखते जाओ, अत्याचार नहीं...तुम्हारा आचार बनाऊँगी मैं...अगर मेंहदी का रंग एकदम गहरा ना आया तो, ये होने वाले पति के प्यार पर डिपेंड करता है। अगर तुम मुझसे बहुत सारा प्यार करते हो तो मेंहदी एकदम काली पड़ जाएगी।"

    सहज ने लाचारी भरी नज़रों से सोनिया के हाथों की तरफ देखा और फिर उस लड़की से बोला,

    "कहाँ से लेके आई हो मेंहदी? अगर इसका रंग नहीं आया तो...तो तुम्हें पैसे नहीं मिलेंगे तुम्हारे काम के!"

    दूसरी मेंहदी आर्टिस्ट को मज़ा आ रहा था सहज और सोनिया की नोकझोंक देखकर। वहीं उस आर्टिस्ट ने कहा,

    "सर, डोंट वरी, मैं अच्छी क्वालिटी की मेंहदी लेके आई हूँ।"

    "अरे आप क्यों नहीं बोल रही और आपके पति को डर नहीं है आपसे?" उसने सारा को देखते हुए कहा।

    "सारा ने कुछ नहीं कहा, तो वो आर्टिस्ट भी चुप हो गई।"

    उस आर्टिस्ट ने सोनिया से कहा,

    "मैम, नाम क्या लिखना है?"

    सोनिया ने सहज को घूरते हुए कहा, "निकलो यहाँ से, फिर इसके लिए भी तो तुमसे पंगा लेना है। जाओ, get lost!"

    सहज ने बार-बार पलकें झपकते हुए मासूमियत से सोनिया को देखा।

    "सहज को पता नहीं था सोनिया प्रेग्नेंट नहीं है। 😂😆🤣 अभी तो उसकी ओवरथिंकिंग और मूड स्विंग्स को भी झेलना है। वो इतने से ही परेशान हो गया।"

    उसके जाते ही सोनिया ने प्यार से कहा,

    "सहज नाम लिखो और साथ में एक हार्ट शेप, ओके।"

    सारा की मेंहदी आर्टिस्ट भी उसकी तरफ़ देख रही थी। सारा को सूर्यांश नाम लेने में ही अजीब लग रहा था।

    "क्या नाम लिखना है मेम...?"

    सारा ने धीरे से कहा,

    "प्रोफ़ेसर।"

    मेंहदी आर्टिस्ट ने हैरानी से उसकी तरफ़ देखा, लेकिन फिर ज़्यादा सवाल-जवाब करना उसने सही नहीं समझा, क्योंकि सारा काफी सीरियस नज़र आ रही थी।

    उसकी भूरी आँखें कुछ हद तक डरावनी भी थीं।

    वहीं सोनिया तो अपनी ही मेंहदी में खोई हुई थी।


    वहीं दूसरी तरफ, सूर्यांश इस वक्त कॉलेज से बाहर निकल रहा था, क्योंकि शाम को हल्दी की रस्म करनी थी उसे।

    वह जैसे ही बाहर आकर अपनी कार में आकर बैठा, उसके फ़ोन पर अनजान नंबर से एक मैसेज आया।

    सूर्यांश ने कार स्टार्ट करते हुए मैसेज ओपन किया और मैसेज देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

    क्योंकि उसमें उसके पास्ट का बहुत बड़ा राज़ लिखा था।

    "The pink diamond is back in your life. Be aware Suryansh Satikshay."

  • 13. Professor's Bride ( kiss ) - Chapter 13

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये संदेश पढ़कर सूर्यांश ने एकदम से कार रोक ली और किसी को कॉल किया।

    "What the hell is this! मुझे संदेश आया है unknown number से.... क्या सच में वो जिंदा है?"

    सामने से किसी ने डरते हुए कहा,

    "I... I don't know sir, i... I'm sorry!"

    सूर्यांश ने गुस्से में कॉल काट दिया और स्टीयरिंग पर हाथ मारते हुए बोला,

    "How can I forget this shit!!!"

    एक गहरी साँस छोड़ते हुए सूर्यांश ने कार वापस स्टार्ट की और उसकी कार संतीक्षय भवन के सामने जाकर रुकी।

    अंदर अब हल्दी की तैयारी चल रही थी। सारा ने येलो नेट की साड़ी पहनी थी जिसमें उसके बॉडी कर्व्स उभर कर दिख रहे थे।

    सूर्यांश जैसे ही अंदर आया, उसकी नज़र सीधा सारा पर पड़ी। उसने जैसे ही सारा की कमर की तरफ देखा, उसे लगा जैसे उसका दिल उसके सीने से निकल कर बाहर आ जाएगा। सारा ने एक चैन पहन रखी थी जो उसकी कर्वी कमर को बहुत अच्छे से हग किए हुए थी।

    सूर्यांश ने खुद से कहा,

    "क्या ये ऐसे ही तंग करेगी मुझे? ... Umm not bad.... But also not good!"

    सूर्यांश अंदर आया तो वानी उसे हॉल में ही पकड़ते हुए बोली,

    "भाई, आज के दिन भी बाहर घूम रहे हो? कितना इम्पॉर्टेन्ट डे है आज! जाओ, आपके रूम में आपके लिए येलो कुर्ता विद पेंट रखा है। जाओ पहनकर आओ। अभी हल्दी की रस्म शुरू करने का 3 मुहूर्त हो रहा है... वरना मामी की डाँट खा-खाकर आपकी हल्दी का सत्यानाश हो जाएगा। जाओ यहाँ से इससे पहले वो देखे आपको!"

    सूर्यांश ने हल्की सी स्माइल के साथ वानी के बालों को अपने हाथ से बिगाड़ते हुए वहाँ से आगे बढ़ गया।

    वानी मुँह बनाकर बोली,

    "भाई, मेरे बालों से कौन सी दुश्मनी है आपकी?"

    सूर्यांश जल्दी से अपने कमरे में गया और शॉवर लेकर रेडी हो गया। वह येलो कलर के कुर्ते में कुछ ज़्यादा ही हैंडसम लग रहा था। व्हाइट स्किन कॉम्प्लेक्स पर ब्राइट येलो कलर बहुत प्यारा लगता है।

    वहीं, सहज भी तैयार हो चुका था। सोनिया ने येलो लहंगा-चुन्नी पहना था। वे दोनों इस वक्त एक कमरे में थे जो उन दोनों में से किसी का नहीं था। सोनिया खुद को मिरर में देख रही थी। सहज ने उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया। सहज के ठंडे हाथ सोनिया की खुली कमर पर फिसल रहे थे।

    "तुम्हारे चेहरे पर शादी का ग्लो तो बिना हल्दी लगाए आ रहा है सोना।"

    सोनिया ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "मतलब मैं ही खुश हूँ शादी से, आप नहीं?"

    सहज के होठों पर मुस्कान खिल गई। उसने सोनिया को अपनी तरफ पलटा और उसके होठों को अपने अंगूठे से धीरे-धीरे प्रेस करते हुए कहा,

    "नहीं, मैं खुश नहीं हूँ! मैं बस अपनी नई आने वाली ज़िन्दगी के लिए एक्साइटेड हूँ! सिर्फ़ खुश होकर क्या फ़ायदा.... मैं तो नए तरीके से जीने की आशा में हूँ, ये फ़ीलिंग शायद तुम फ़ील नहीं कर पा रही।"

    इतना बोलकर थोड़ा सा झुकते हुए सोनिया के नर्म होठों को अपने मुँह में भरते हुए किस करने लगा। सोनिया के हाथ सहज के कंधों पर कस गए। सहज पूरी कोशिश कर रहा था सोनिया के मुँह के हर कोने को एक्सप्लोर करने की। कुछ ही देर में सोनिया ने झटपटते हुए सहज को रोकने की कोशिश करनी शुरू कर दी।

    "Umm.... Mm...."

    सहज ने उसके होठों को छोड़ते हुए एक गहरी साँस भरते हुए कहा,

    "Hmm... बस... गायब हो गई खुशी..."

    सोनिया लंबी-लंबी साँसें लेते हुए अपना सर सहज के सीने पर टिका लेती है। सहज ने उसके बालों पर हाथ घुमाते हुए कहा,

    "Just imagine... तुम हर पल मेरे पास रहोगी, हम एक रूम, एक बेड, एक बाथरूम, एक मिल... सब कुछ शेयर करेंगे। मैं तुम्हें कभी भी हग कर पाऊँगा, कभी भी तुम्हारे होठों को चूम पाऊँगा, कभी भी तुम्हारी बचकानी बातें सुन पाऊँगा... I AM so much excited to feel this new life।"

    सोनिया ने अपने मन में कहा,

    "जब बेबी का पता चलेगा तब तो शायद सहज की खुशी इनफिनिटी टाइम मोर हो जाएगी।"

    सहज ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ कसते हुए उसे और कस कर सीने से लगा लिया। सहज को अजीब सी गुदगुदी सी होती हुई महसूस हो रही थी जब-जब उसे ये फील हो रहा था कि उसकी सोना बहुत जल्द उसकी बीवी बन जाएगी जिसके बाद वो हर वक्त उसे अपनी आँखों के सामने देख पाएगा, उससे खूब सारा प्यार कर पाएगा।

    अचानक ही दोनों को किसी के खांसने की आवाज़ आती है। दोनों हड़बड़ाकर एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। सहज डरते हुए पीछे देखता है तो संजना जी दरवाज़े पर एक बड़ी सी स्माइल के साथ खड़ी थीं।

    कुछ पल की शांति के बाद संजना जी ने हँसते हुए कहा,

    "मेरा बेटा इतना romantic husband है! So sweet! अब चलो, शादी से पहले सुहागरात नहीं मनाते।"

    सहज और सोनिया ने तुरंत एक-दूसरे की तरफ देखा।

    "जैसे वो तो ऑलरेडी मना चुके हैं अपनी सुहागरात अपनी शादी से पहले।"

    संजना जी वहाँ से मुड़ते हुए चली गईं और सोनिया ने सहज के कंधे पर मारते हुए कहा,

    "सासू माँ ने इतनी अच्छी तरीके से समझाया होगा आपको, फिर भी एक नंबर का नालायक बेटे हो! एक बार नहीं, 2 बार शादी से पहले मेरे करीब आ गए, बेशर्म आदमी!"

    इतना बोलकर सोनिया भी मुँह बनाते हुए रूम से चली गई और सहज बस उसे देखता रह गया। सहज ने अपना सर खुजाते हुए कहा,

    "खुद तो मुझसे सो गुना ज़्यादा बेशर्म है और हर बार इल्ज़ाम मुझ पर लग जाता है। पता नहीं अबला मर्द की सुनने कौन आएगा।"

    इतना बोलकर सहज ना में गर्दन हिलाते हुए सोनिया के पीछे-पीछे चला जाता है।

    कुछ वक्त बाद उन चारों को हॉल में एक साथ बैठा रखा था। संजना जी, वृंदा जी और वानी तीनों हल्दी के कटोरे वहाँ लगा रही थीं। साइड में सूर्यांश की बुआ नंदिनी और चाची कस्तूरी भी खड़ी थीं और उसी के साथ उनके कुछ रिश्तेदार।

    सोनिया ने धीरे से सहज का कुर्ता खींचते हुए उसका ध्यान अपनी तरफ किया। सहज ने उसकी तरफ देखा तो सोनिया ने धीरे से उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा,

    "मुझे यह लहंगा बहुत पसंद है। गलती से भी अगर तुम्हारी हल्दी का छींटा मेरी ड्रेस पर गिरा और यह ड्रेस गंदी हुई तो सोच लेना, मुझसे बुरा कुछ नहीं होगा।"

  • 14. Professor's Bride (शादी) - Chapter 14

    Words: 1054

    Estimated Reading Time: 7 min

    सहज ने थोड़ा घबराते हुए एक बार सोनिया और अपने बीच की डिस्टेंस देखी जो बहुत कम थी। फिर वह धीरे से थोड़ा दूर खिसक गया ताकि गलती से भी सोनिया की ड्रेस गंदी न हो जाए!


    उसे दूर खिसकते देख वाणी ने हंसते हुए कहा,
    "वाह भाभी! आपका दबदबा तो पहले से बना हुआ है। भैया को आपसे इतना डर लग रहा है!"


    इतने में ही वहाँ किंजल भी आ चुकी थी। उसने भी सोनिया को देखकर हंसते हुए कहा,
    "हाँ, सोनिया दी का दबदबा हर जगह ही बना हुआ है। इनसे सबको डर लगता है!"


    यह सुनकर सोनिया ने घूरकर किंजल को देखा। किंजल ने थोड़ा डरते हुए एक स्माइल पास की और उसके बाद सारा की तरफ चली गई।


    सारा का चेहरा झुका हुआ था। किंजल ने उसका मूड ठीक करने की कोशिश करते हुए कहा,
    "तुझे पता है, तू इस सारे में बहुत हॉट लग रही है। बिल्कुल कैटरीना कैफ के फिगर जैसी तेरी फिगर है, और उसके ऊपर चांद सा चेहरा! सही में, हमारे प्रोफेसर के तो भाग खुल गए जो उन्हें तेरे जैसे सुंदर बीवी मिल रही है!"


    सूर्यांश को भी किंजल की कुछ-कुछ बातें सुनाई दे रही थीं। क्योंकि कितना भी धीरे बोलो, पर वे दोनों इतने करीब बैठे थे कि उसे उनकी खुसफुसाहट कुछ-कुछ सुनाई दे रही थी।


    सूर्यांश ने एक बार सारा की तरफ देखकर अपने मन में कहा,
    "वाकई, वह बहुत खूबसूरत लग रही है।"


    सूर्यांश ने कभी नहीं सोचा था कि उसकी बीवी इतनी खूबसूरत होगी। उसने एक बार उसकी आँखों की तरफ देखा जो बिल्कुल भूरी थीं। सूर्यांश हमेशा चाहता था कि सारा उसकी आँखों में देखे और वह खुद को सारा की उन भूरी आँखों में देखता हुआ महसूस कर पाए। लेकिन सारा तो हमेशा उससे नज़रें चुरा लेती थी।


    उसकी नज़र सारा के होठों पर गई और अचानक ही सूर्यांश के पूरे शरीर में सरसराहट सी दौड़ गई। क्या कभी वह इन होठों को छू पाएगा? बस यह सोचने पर ही उसकी पूरी बॉडी में गूज़बम्प्स आ रहे थे।


    कुछ देर बाद हल्दी की रस्म शुरू हुई। सबसे पहले दोनों लड़कों को हल्दी लगाई गई और फिर उनकी झूठी हल्दी सारा और सोनिया को लगाई गई।


    ऐसा लग रहा था कि सारा बस शरीर से यहाँ है, उसका मन यहाँ नहीं है। उसे किसी चीज़ में इंटरेस्ट नहीं था।


    डांस प्रोग्राम भी हुआ। किंजल और वाणी ने डांस किया, पर सारा की पलकें बस झुकी हुई थीं।


    उसकी इस शांति के पीछे कौन सा शोर था, कोई नहीं बता सकता।


    आहूजा और सतीक्षय दोनों परिवारों के सदस्य इस शादी से खुश नज़र आ रहे थे। क्योंकि सारा में भी कोई बुराई नहीं थी और सूर्यांश में भी नहीं। हाँ, उनके उम्र का फासला कुछ ज़्यादा था। इसके अलावा यह शादी बिल्कुल परफेक्ट लग रही थी।


    शादी का मुहूर्त 3 दिन बाद का निकला था, तो अब आहूजा परिवार आहूजा मेंशन के लिए निकल गया।


    ...3 दिन बाद...


    आहूजा मेंशन लाइटों से जगमगा रहा था क्योंकि आज घर की दो लाड़ली बेटियों की शादी हो रही थी। शादी वाला दिन।


    सारा और सोनिया दोनों ने dark red colour का शादी का लहंगा पहना था। उसके साथ एक गोल्डन वर्क्ड हैवी दुपट्टा और एक नेट का रेड दुपट्टा!


    सूर्यांश और सहज दोनों हॉल में अलग-अलग मंडप में बैठे थे और दो पंडित जी उनसे कुछ विधि करवा रहे थे। आज दोनों ने राजा-महाराजाओं जैसी शेरवानी पहनी थी। उस पर चमकते ब्रोंज़ उन्हें शाही लुक दे रहे थे।


    बाकी घरवाले भी हाथों में फूलों से भरी थाल लिए खड़े थे।


    कुछ ही देर बाद पंडित जी दुल्हन को बुलाने के लिए कहते हैं।


    वाणी और किंजल दोनों सारा और सोनिया को लेकर आती हैं।


    सारा के कदम धीरे-धीरे सीढ़ियों से नीचे पड़ रहे थे और उधर सूर्यांश की धड़कनें उतनी ही तेज़ी से बढ़ रही थीं।


    जैसे वह अभी चलकर सारा के पास जाना चाहता हो!


    वहीं सहज ने भी सोनिया को देखा। उसकी आँखों में तुरंत नमी तैर गई। उसका सबसे खूबसूरत ख्वाब आज सच हो रहा था। उसने हर वह पल, जो कभी सपने में देखा था, अपने हमसफ़र के साथ जीने का... आज वह उसकी आँखों के सामने सच हो रहा था।


    सहज से सब्र नहीं हो रहा था। क्यों सोनिया इतनी धीरे-धीरे चलकर आ रही है? बेचैनी से उसके हाथ-पैरों में भी हल्की कंपकंपी छूट रही थी।


    अचानक ही वह मंडप से उठ खड़ा हुआ और तेज कदमों से सोनिया की तरफ बढ़ गया।


    सब आँखें बड़ी किए उसे ही देख रहे थे।


    वह सीढ़ियों पर चढ़ते हुए तेजी से सोनिया के करीब पहुँचा। वहीं सोनिया ने यह महसूस करते हुए आँखें बड़ी किए सहज की तरफ देखा।


    वहीं वाणी के होठों पर भी बड़ी सी स्माइल थी, आँखों में हैरानी...


    अगले ही पल सहज ने एक स्माइल के साथ सोनिया को अपनी बाहों में उठा लिया...


    और सोनिया ने चीख़ते हुए अपने हाथ सहज के गले में डाल दिए ताकि वह गिर न जाए।


    वहीं संजना जी, वृंदा जी और बाकी जितने भी लोग वहाँ खड़े थे, सब मुँह खोले आँखें बड़ी किए उन्हें देख रहे थे।


    सारा, जो शादी फ़िक्स होने के बाद से इतनी दुःखी और चुप-चुप सी थी, यह सीन देखकर उसके होठों पर भी एक खूबसूरत स्माइल थी...


    जो अब सूर्यांश की आँखों में बस रही थी।


    सहज धीरे-धीरे अब मंडप के पास आता है और सोनिया को आहिस्ता से अपनी बगल में बिठा लेता है।


    किंजल भी सारा का लहंगा एक साइड से पकड़े दूसरे मंडप तक आती है और उसे सूर्यांश की बगल में बिठा देती है।


    सारा के शरीर से आती उस सोंधी खुशबू को महसूस कर एक पल के लिए सूर्यांश की आँखें बंद हो गईं...


    उसकी करीबी में ही अजीब सी गर्माहट थी जो सूर्यांश को महसूस हो रही थी।


    कुछ देर बाद दोनों पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया... कन्यादान और गठजोड़े की रस्में हुईं...


    जिसके बाद सूर्यांश और सहज ने सारा और सोनिया की मांग में सिंदूर लगाया...


    सारा की पलकें एक बार भी नहीं उठी थीं... जिससे सूर्यांश को अजीब सी बेचैनी हो रही थी... सारा की भूरी आँखों में अपने अक्ष को देखकर सूर्यांश को अजीब सा सुकून महसूस होता था, जो फ़िलहाल बहुत वक़्त से नहीं हुआ था, जबकि सारा बिल्कुल उसके करीब बैठी थी...

  • 15. Professor's Bride (Don't doubt on my strength princess) - Chapter 15

    Words: 1122

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ वक्त बाद, फेरो की रस्म शुरू हुई। सब घर वालों ने उन पर फूल बरसाए!

    संजना जी ने अपने मन में कहा,
    "अब हमारा घर पूरी तरह से कंप्लीट हो गया। भगवान जी, अब कोई मुसीबत ना आए हमारे परिवार पर।"

    ऐसे ही कुछ विचार बाकी घर वालों के मन में थे।

    फेरो के बाद, दोनों जोड़ों ने सबका आशीर्वाद लिया। और कुछ वक्त बाद, विदाई का वक्त आया।

    तन्मय जी की सारा से बात नहीं हुई थी। सारा को उम्मीद नहीं थी कि तन्मय जी उसके जाने के समय उसके गले भी लगेंगे या नहीं!

    पर वह एकदम से शांत हो गई जब तन्मय जी सोनिया से भी पहले उसके गले लगते हुए, उसके सर पर हाथ फेर कर, भरे गले से बोले,
    "अपना ख्याल रखना बच्चे! और शैतानियां थोड़ी कम करना, वो आपका ससुराल होगा। hmm"

    सारा की आँखों में एकदम से नमी आ गई।

    तन्मय जी ने सूर्यांश को एक कड़क लुक देते हुए कहा,
    "अब ये आँसू इसकी आँखों में नहीं आने चाहिए दामाद जी।"

    सूर्यांश ने धीरे से हाँ में सर हिलाया। और फिर तन्मय जी ने हल्की सी स्माइल के साथ कहा,
    "और अपना भी ख्याल रखना दामाद जी। इसकी वजह से आपकी आँखों में भी आँसू आने की संभावना पूरी-पूरी है! चलता फिरता परमाणु बम अपने साथ लेकर जा रहे हैं आप!"

    सूर्यांश की आँखें बड़ी हो गईं और बाकी सब हँसने लगे।

    सोनिया वृंदा जी के गले सिसक रही थी। वह अपनी मम्मा की लाडली बेटी थी। अब उसे हमेशा के लिए उनसे दूर रहना था।

    सहज से उसे रोते हुए देख पाना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

    उसने एकदम से कहा,
    "सोना, चुप हो जाओ। प्लीज रोना बंद करो। अगर तुम नहीं जाना चाहती तो मैं यहीं रुक जाता हूँ। हम यहीं रह जाएँगे।"

    सब आँखें फाड़े सहज की तरफ देख रहे थे।

    सोनिया ने एकदम से अपना चेहरा सहज की तरफ करते हुए, अपने आँसू पोछ कर कहा,
    "घर जमाई बनोगे?"

    सहज ने छोटा सा मुँह बनाते हुए कहा,
    "नहीं-नहीं, मैं तो घर वाला बनना चाहता हूँ। प्लीज तुम रोना मत!"

    सोनिया के चेहरे पर भी स्माइल आ गई।

    कुछ वक्त बाद, वे सब सतीक्षय भवन के लिए निकल चुके थे, जहाँ उनके स्वागत की तैयारियाँ पहले से हो रखी थीं।

    वहाँ पहुँचते ही दोनों जोड़ों का गृह प्रवेश हुआ। और फिर संजना जी ने कहा,
    "अब बहुत रात हो गई है। बाकी रस्में कल करेंगे। अब तुम जाओ, रेस्ट करो सब!"

    सोनिया ने दो कदम ही रखे थे कि सहज ने उसे अपनी गोद में उठाते हुए कहा,
    "अब तो तुम ऑफिशियली... ट्रेडिशनली... हर तरह से मेरी हो। अब तुम मुझे नहीं रोक सकती खुद को बाहों में उठाने से। hmm"

    सहज की बुआ, नंदिनी जी ने बड़बड़ाते हुए कहा,
    "इतनी बेशर्मी भी अच्छी नहीं है। जब घर वाले आस-पास हों तो थोड़ा लाज-शर्म रख लेनी चाहिए।"

    सहज की चाची जी, कस्तूरी जी ने कहा,
    "अरे दीदी, चलो ना हम रेस्ट करते हैं। ये भी शर्म करेंगे तो क्या? बेशर्म आप और जीजा जी बनेंगे! Hm..."

    बुआ जी का चेहरा एकदम से शर्म से लाल पड़ गया और उन्होंने शर्माते हुए कहा,
    "अरे कैसी बातें करती हो आप भी भाभी!"

    कस्तूरी जी ने एक स्माइल के साथ सहज की तरफ देखा और सहज ने उनकी तरफ eye wink करते हुए थैंक यूं बोला (ये अलग इशारा-बाजी है 😅)।

    वहीं सूर्यांश और सारा अभी भी हॉल में ही खड़े थे। तो जमशेद जी ने हँसते हुए कहा,
    "क्या तुम दोनों को अलग से इन्विटेशन दिया जाएगा!"

    वानी ने कहा,
    "हाँ, अब भाई इतने रोमेंटिक नहीं हैं ना कि भाभी को गोद में उठा सकें। बेचारी भाभी, so unlucky!"

    सूर्यांश ने हल्के गुस्से में कहा,
    "वो unlucky नहीं है!"

    और अगले ही पल उसने भी सारा को गोद में उठा लिया। और सारा एकदम से चिपकते हुए उसके कंधों को पकड़ते हुए, उसकी गहरी आँखों में देखती है।

    और सूर्यांश के चेहरे पर सुकून बिखर आता है।

    उसने दो-तीन सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद धीरे से कहा,
    "ये भूरी आँखें मेरी आँखों में देखती हैं तब और ज़्यादा सुंदर लगती हैं। तो ये जो पलकों का पर्दा बार-बार लग जाता है, कृपया करके इसे लगाना बंद कर दो। hmm"

    सारा आँखें बार-बार ब्लिंक करते हुए सूर्यांश को देख रही थी और अगले ही पल उसने अपनी पलकें झुका लीं।

    सूर्यांश ने लंबी साँस भरते हुए कहा,
    "मतलब मैं जो बोलूँगा उसका उल्टा करोगी? hmm"

    सारा ने कोई जवाब नहीं दिया।

    सूर्यांश के कदम दरवाजे के पास जाकर रुक गए। और सारा ने एक हाथ से दरवाज़ा खोला।

    वे दोनों जैसे ही कमरे में एंटर हुए, अंदर की सजावट देखकर उनकी आँखें बड़ी हो गईं। करीब 2 मिनट तक सदमे में रहने के बाद सारा ने कहा,
    "मुझे नीचे उतारिए, मिस्टर प्रोफेसर।"

    सूर्यांश ने हड़बड़ा कर उसे नीचे उतारते हुए कहा,
    "Umm... Well, professor is for college... अभी तुम्हें मुझे मिस्टर हसबैंड बुलाना चाहिए। hmm मिसेज़ बीवी।"

    सारा ने रूम की डेकोरेशन देखते हुए कहा,
    "अगर ये डेकोरेशन हटाने की कोशिश की तो पूरी रात इसे हटाने में ही निकल जाएगी।"

    पूरे बेड पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी थीं और लाइट्स ऐसे बिखरी थीं जैसे बेड पर जुगनू बैठे हों।

    सूर्यांश ने पूरी बेडशीट को फोल्ड किया और सोफे पर रख दिया और जल्दी से नई बेडशीट बेड पर सेट करते हुए बोला।

    सारा ने अपने दोनों हाथों को फोल्ड करके सीने पर बाँधते हुए कहा,
    "हाँ, ये ठीक है। पर इस पर मैं अकेली सोऊँगी। आप निकलो यहाँ से।"

    सूर्यांश ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "ये मेरा कमरा है। तुम मुझे अपने ही कमरे से कैसे निकाल सकती हो! और वैसे भी आज तो हमारी सुहागरात है ना... Hmmm!"

    ये बोलते वक्त सूर्यांश की आवाज़ में अलग सी शरारत झलक रही थी।

    "सारा ने कहा," आप कितने साल के हो?"

    "सूर्यांश ने उसके करीब आते हुए कहा," आज मेरा बर्थडे था। आज मैं पूरे 30 साल का हो गया।"

    सारा ने हैरानी से आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "आप मुझसे... 12... साल बड़े हो।"

    सूर्यांश ने उसके करीब जाकर उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा,
    "इतनी हैरान-परेशान? Don't doubt on my strength princess."

    सारा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
    "छी! कितने बेशर्म हैं! आपको अपनी स्ट्रेंथ दिखानी है इतनी जल्दी?"

    "Mm.. this is better i think."

  • 16. Professor's Bride (बड़ी अजीब बीवी हो ?) - Chapter 16

    Words: 1034

    Estimated Reading Time: 7 min

    सूर्यांश ने अपनी गर्दन टेढ़ी करते हुए सारा का हाथ पकड़ते हुए कहा,

    "शादी हो गई है, and you say इतनी जल्दी?"

    "बड़ी अजीब बीवी हो?"

    सारा ने गुस्से में कहा,

    "अभी मेरा अजीबपना देखा कहाँ है आपने, मिस्टर प्रोफेसर?"

    "छोड़ो मुझे!"

    सारा सूर्यांश की बाहों से निकलते हुए बोली,

    "अब जाओ, निकलो यहाँ से आप।"

    सूर्यांश ने भी गुस्से में कहा,

    "मेरा कमरा है, तुम निकलो यहाँ से समझी? मैं तो यही रहूँगा।"

    सारा ने एक पल सारा को जाँचते हुए देखा और फिर गुस्से में बोली,

    "हाँ, वैसे भी आप एक नंबर के सूअर आदमी हो। आपके कमरे में बदबू आ रही है, मैं नहीं रहूँगी यहाँ। सबसे पहले तो मैं नहा के आऊँगी।"

    इतना बोलकर वह मुड़ी और नज़रें घुमाते हुए वॉर्डरोब ढूँढने लगी। जैसे ही उसे दिखा, वह उसके पास गई और कुछ कपड़े निकालते हुए बाथरूम के अंदर चली गई।

    सूर्यांश बार-बार हैरानी से पलकें झपकाते हुए सारा को देख रहा था। उसे अब तन्मय जी के शब्द याद आ रहे थे: "सही में उनकी बेटी सूर्यांश का जीना हराम कर सकती है। सूर्यांश को बच के रहना पड़ेगा।"

    सूर्यांश ने सर खुजाते हुए कहा,

    "क्या मुसीबत है! इतनी खूबसूरत बीवी होने के बाद भी मैं उसे छू नहीं सकता? ये क्या बात हुई? शादी हुई, पर सुहागरात नहीं मना सकता? ये तो नाइंसाफी है साफ़-साफ़। काश कोई कोर्ट होता जिसमें इसका केस दर्ज हो पाता।"

    थक हारकर उसने भी अपने लिए कपड़े निकाले और दूसरे कमरे में नहाने चला गया।

    कुछ वक़्त बाद, सूर्यांश वापस कमरे में आया और हाथ में लैपटॉप लेते हुए बैठ गया। और उसके कुछ देर बाद बाथरूम का दरवाज़ा खुला और सारा अपने गीले बाल झटकते हुए निकली।

    सूर्यांश ने उसकी तरफ़ देखा और उसकी साँसें एकदम से उसके गले में अटक गईं, क्योंकि सारा ने इस वक़्त बस एक लूज़ व्हाइट हूडी पहन रखी थी। उसके गोरे और मखमली पैर साफ़-साफ़ दिखाई दे रहे थे। वह हूडी मुश्किल से उसके थाई एरिया को कवर कर पा रही थी। सूर्यांश की नज़रें बेशर्म बनकर उसे ऊपर से नीचे तक ताड़ रही थीं।

    सारा का चेहरा गर्म पानी से नहाने की वजह से बिल्कुल गुलाबी हो चुका था। सारा ने सारे प्रोडक्ट्स चेक किए और at the end उसे एक लोशन मिल ही गया! उसने लोशन अपने हाथ, चेहरे और उसके बाद पैरों पर अप्लाई करना शुरू किया और अचानक उसे महसूस हुआ कि किसी की तीखी नज़रें उसे घूर रही हैं। उसने मुड़कर सूर्यांश की तरफ़ देखा जो आँखें बड़ी-बड़ी किए उसके पैरों की तरफ़ देख रहा था।

    सारा ने हल्का सा खांसते हुए उसका ध्यान अपने चेहरे की तरफ़ किया। सूर्यांश एकदम से हड़बड़ाते हुए बोला,

    "क... क्या हुआ? विक्स की गोली चाहिए क्या? खांस क्यों रही हो?"

    सारा ने दोनों हाथ कमर पर रखते हुए कहा,

    "आपको कौन सी गोली चाहिए? ताड़ क्यों रहे हो मुझे?"

    सूर्यांश एक पल के लिए शक में पड़ गया, लेकिन अगले ही पल उसकी तरफ़ आँखें दिखाते हुए बोला,

    "अब बदबू नहीं आ रही तुम्हें? तुमने मेरी हूडी पहनी है।"

    सारा ने माथे पर बल डालते हुए कहा,

    "तो आपको क्या लगा? मैं इनर्स में घूमूँगी आपके सामने? कतई बेशर्म इंसान हो आप!"

    इतना बोलकर उसने पिलो और एक कम्फ़र्टर उठाया और बाहर बालकनी की तरफ़ चली गई। सूर्यांश ने अपना लैपटॉप साइड में रखा और अपने लिए दूसरा कम्फ़र्टर निकाला।

    सहज और सोनिया का कमरा: सहज लगातार सोनिया को किस कर रहा था। उन दोनों के कपड़े बेड के इर्द-गिर्द बेतरतीब तरीके से बिखरे थे। सहज के हाथ सोनिया की नाजुक स्किन के हर हिस्से को महसूस कर रहे थे।

    सोनिया ने खुद के होठों को जबरदस्ती सहज से छुड़वाते हुए कहा,

    "... Huh! साँस कैसे आ जाती है तुम्हें! मैं... मैं 10 मिनट भी किस नहीं कर पा रही।"

    सहज ने अपने अंगूठे से उसके सूज चुके होठों को प्रेस करते हुए कहा,

    "Ah, stamina baby!"

    सोनिया ने अपनी बंद आँखें खोलते हुए सहज को देखा और अगले ही पल उसे पलट कर खुद उसके ऊपर आते हुए बोली,

    "ज़्यादा बकवास नहीं! स्टेमिना मेरा भी कम नहीं है, तभी तो तुम जैसे को झेल सकती हूँ, वो भी नॉन-स्टॉप।"

    सहज ने एक तिरछी स्माइल के साथ कहा,

    "Oh really baby doll?"

    अगले ही पल सहज के होठों से एक सेंशुअल आह निकल गई। सोनिया और सहज दुनियाँ से बेखबर एक-दूसरे में घुल रहे थे। उन दोनों की साँसें और आहें लगातार रिदम की तरह पूरे कमरे में बज रही थीं।

    वहीं दूसरी तरफ़ सूर्यांश का कमरा: सूर्यांश बस बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। उसे बार-बार सारा का ख्याल आ रहा था। रात के करीब 1 बज चुके थे, पर उसे बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी। थक हारकर आखिरकार वह उठा और बालकनी में गया जहाँ सारा सोफ़े पर बिल्कुल बिल्ली के बच्चे की तरह सिमट कर सो रही थी क्योंकि बाहर बहुत ज़्यादा ठंड थी।

    सूर्यांश के होठों पर एक स्माइल आ गई क्योंकि सारा बहुत क्यूट लग रही थी। उसका मुँह हल्का सा खुला हुआ था और कम्फ़र्टर को उसने अपनी दोनों मुट्ठियों में कसकर भींच रखा था।

    सूर्यांश ने झुकते हुए आहिस्ता से उसके हाथों से उस कम्फ़र्टर को छुड़वाया और उसे बिल्कुल फोम की गुड़िया की तरह अपनी बाहों में भर लिया!

    सूर्यांश ने अपने मन में कहा,

    "अपने वज़न से ज़्यादा भारी तो शब्द बोलती है।"

    और उसे लाकर बेड पर सुला दिया। सारा ने कम्फ़र्टर के भरोसे अब उसकी शर्ट को अपनी छोटी मुट्ठियों में कसकर पकड़ लिया था। यह देखकर सूर्यांश के होठों की स्माइल और ज़्यादा गहरी हो गई। वह उसके करीब लेटते हुए उसे अपनी बाहों में भर लेता है और सारा भी उसके सीने पर अपना चेहरा रगड़ते हुए, बिल्कुल बिल्ली के बच्चे की तरह उसकी कमर को पकड़ते हुए सो गई।

    सूर्यांश उसके बदन से आती लैवेंडर फ्रेगरेंस को महसूस करते हुए एक सुकून भरी लंबी साँस भरता है और उसे और ज़्यादा अपनी बाहों में जकड़ते हुए सो जाता है।

  • 17. Professor's Bride (चुड़ैल आदमी रात को मुझे अपने पास सुला लिया) - Chapter 17

    Words: 1094

    Estimated Reading Time: 7 min

    सूर्यांश और सारा का कमरा

    सारा ने कसकर मुँह मसलते हुए अपनी आँखें खोलीं। उसकी पूरी बॉडी में ऐसा दर्द हो रहा था, जैसे उसे किसी ने जंजीरों से जकड़ रखा हो।

    "चुड़ैल आदमी! रात को मुझे अपने पास सुला लिया!" उसने आँखें खोलकर देखा। सबसे पहले उसके सामने सूर्यांश का चेहरा आया। उसकी आँखें बंद थीं और उसके सिल्की बाल उसके माथे पर बिखरे थे। नो डाउट, वो चार्मिंग लग रहा था 🧿😉

    सारा ने एक पल उसे निहारा। अगले ही पल उसे होश आया कि वो क्या कर रही है। उसने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "चुड़ैल आदमी! रात को मुझे अपने पास सुला लिया!"

    उसने नज़रें घुमाते हुए देखा, जंजीरें तो नहीं, पर सूर्यांश की बाहों ने उसे बुरी तरह जकड़ रखा था।

    सारा ने उसकी पकड़ से निकलने की कोशिश की और उसके मुँह से एक आह निकल गई।

    "आह!!! हटो... Umm"

    सूर्यांश ने उसकी आवाज सुनकर अपनी नींद भरी आँखें खोलीं और सारा का गुस्से और फ्रस्ट्रेशन भरा चेहरा देखकर बोला,

    "सुबह-सुबह इतना गन्दा चेहरा देखने को मिल रहा है।"

    सारा ने गुस्से से उसे देखते हुए कहा,

    "पहले तो छोड़ो मुझे।"

    सूर्यांश ने उससे अपनी पकड़ ढीली कर ली। सारा जैसे ही बेड से उठने लगी, उसकी कमर में भयंकर दर्द हुआ और वह दर्द से कराहते हुए वापस बेड पर बैठ गई।

    सारा की कराहने की आवाज सुनकर सूर्यांश ने अपना सर पकड़ते हुए कहा,

    "ऐसी आवाज़ें निकालोगी, घर वाले गलत समझेंगे।"

    इतना बोलकर वह बेड से उठा और वार्डरोब की तरफ चला गया। सारा ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "क्या बकवास कर रहे हैं आप, मिस्टर प्रोफेसर?"

    सूर्यांश ने सारा की तरफ देखकर गर्दन झुकाते हुए कहा,

    "वही, मिसेज बीवी, जो तुम सुन रही हो। घर वाले वैसे भी एक छोटे बच्चे को देखना चाहते हैं, एंड ऑब्वियसली मैं बड़ा बेटा हूँ, तो उम्मीदें मुझसे ज़्यादा हैं। Hmm,"

    इतना बोलकर वह सारा की तरफ वापस आया और पूरी तरह उस पर झुककर उसकी ठुड्डी पकड़ते हुए बोला,

    "एंड यू नो व्हाट, मिसेज बीवी, मैं बहुत आज्ञाकारी बेटा हूँ। अपने घरवालों का कहा हमेशा पूरा करता हूँ, सो बी केयरफुल।"

    सारा साँसें रोककर एकटक सूर्यांश को देख रही थी। सूर्यांश के शरीर से आती मर्दाना खुशबू सारा के ज़हन में उतर रही थी। ऐसा लग रहा था, वह सूर्यांश की गहरी आवाज़ में कहीं खो सी गई है।

    सूर्यांश ने एकदम से अपने होंठों को गोल करते हुए उसके चेहरे पर फूँक मारी और अचानक ही सारा शरमा गई। सूर्यांश उसकी तरफ आई विंक करते हुए बाथरूम के अंदर चला गया।

    सारा ने एक बार अपने सर पर हल्के से हाथ मारते हुए कहा,

    "दिमाग खराब हो गया है सारा तेरा सारा का सारा।"

    अचानक ही उसने सूर्यांश की बातों को याद किया—"छोटा बच्चा।"

    अब उसे सोनिया के लिए टेंशन हो रही थी। अभी तक सहज को बेबी के बारे में पता नहीं था। कैसे हैंडल करेगी सोनिया?

    सहज और सोनिया का कमरा

    सोनिया और सहज एक-दूसरे को कसकर बाहों में भरे हुए सुकून से सो रहे थे। सहज की आँखें खुली थीं और वह सोनिया के चेहरे की हर एक बनावट को उंगलियों से छूकर महसूस कर रहा था; कभी उसका छोटा सा नाक, तो कभी उसके हल्के सूजे हुए होंठ, जिन पर कहीं-कहीं बेबी के मार्क्स दिख रहे थे; कभी उसके सॉफ्ट चीक, तो कभी उसके सिल्की बालों को।

    इन सब से बेख़बर सोनिया आराम से सो रही थी।

    सहज ने हल्का सा झुककर सोनिया के होंठों पर लाइट किस किया। जिसके साथ ही सोनिया हल्की सी कसमसाई और अपनी नींद भरी आँखें खोलकर सहज को देखने लगी। उसके चेहरे पर हल्का गुस्सा नज़र आ रहा था क्योंकि उसे अपनी नींद से बहुत प्यार था, जो अब सहज ने डिस्टर्ब कर दिया था।

    उसने सहज को नाराज़गी से देखते हुए कहा,

    "पूरी रात नहीं सोने दिया, अब तो सोने दो कम से कम।"

    सहज ने आँखें बड़ी करते हुए कहा, "मैंने नहीं सोने दिया? कितनी झूठी हो यार! स्टैमिना खुद को दिखाना था, अब ब्लेम मुझ पर डाल दो सारा।"

    सोनिया ने गुस्से में कहा,

    "पहले किसने बात की स्टैमिना की? Huuu"

    सहज ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,

    "ओके, गॉट इट। तुम सही, मैं गलत। खुश?"

    सोनिया के चेहरे पर स्माइल आ गई और उसने सहज के करीब जाकर उसके गाल पर किस करते हुए कहा,

    "गुड मॉर्निंग फॉर माई गुड हसबैंड।"

    सहज ने आँखें छोटी करते हुए कहा,

    "मैं क्या कहूँ? गुड मॉर्निंग फॉर माई बैड वाइफी। Hmmm"

    सोनिया ने सहज के गले में बाहें डालते हुए कहा,

    "अच्छा, मैं बैड वाइफी?"

    सहज ने ना में सर हिलाया और उठकर बैठ गया और फिर सोनिया की तरफ देखा, जो दुनिया-जहाँ की मासूमियत अपने चेहरे पर लाते हुए उसे देख रही थी।

    सहज ने उठते हुए सोनिया को भी अपनी बाहों में उठा लिया।

    इस वक़्त दोनों के शरीर पर कोई लिबास नहीं था, फिर भी दोनों के चेहरों पर कोई असहजता नहीं थी। दोनों ओवर कम्फ़र्टेबल फील कर रहे थे एक-दूसरे के साथ।

    सारा और सूर्यांश का कमरा

    एक मेड ने सारा को एक नई साड़ी देकर गई थी, जो उसे पूजा के वक़्त पहननी थी। सारा खुश हो गई थी। अब उसे सूर्यांश के सामने जाकर कपड़े नहीं मांगने पड़ेंगे।

    सूर्यांश भी रेडी हो चुका था। उसने चोको ब्राउन कलर की फॉर्मल पैंट और उस पर व्हाइट शर्ट पहना था क्योंकि आज वह कॉलेज भी जाने वाला था।

    सारा ने भी वह हैवी रेड साड़ी पहन ली थी, जिसमें बेशक वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। उसने हल्का सा टच-अप किया और कानों में झुमके पहनते हुए उनकी चैन को बालों में पिन से अटका लिया। यह लुक बहुत रॉयल वाइब दे रहा था और साथ ही नई-नवेली दुल्हन का भी।

    कुछ देर बाद सारा, सूर्यांश, सहज और सोनिया चारों मंदिर के सामने बैठे थे। संजना जी, वानी, कस्तूरी जी और एक पंडित जी बैठे थे। सारा और सोनिया को एक चुनरी ओढ़ाते हुए उन्हें खानदानी कंगन पहनाए गए। सोनिया बहुत खुश नज़र आ रही थी, पर सारा फ्रस्ट्रेटेड सी लग रही थी, जैसे उसे यह सब पसंद नहीं आ रहा था।

    संजना जी ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा, "अब तुम सब ब्रेकफास्ट कर लो, फिर तुम दोनों कॉलेज चले जाना और सहज और सोनिया को हनीमून जाना है।"

  • 18. Professor's Bride ( सारा हुई किडनैप )- Chapter 18

    Words: 1046

    Estimated Reading Time: 7 min

    सोनिया के गाल शर्म से लाल हो चुके थे। वहीं, सहज आँखें बड़ी किए कभी संजना जी तो कभी सोनिया की तरफ देख रहा था।

    क्योंकि उसे हनीमून पर जाना भी है, यह उसे ही नहीं पता था...

    सोनिया ने अकेले ही संजना जी को सब बता दिया था। सोनिया को इसीलिए थोड़ी ज़्यादा शर्म आ रही थी। कैसे बेधड़क वो अपनी सासू माँ से बोल के आई थी कि उसे आज दोपहर ही हनीमून पर जाना है।

    एंड सहज के लिए सरप्राइज़ था, उसे कोई खबर नहीं थी।

    पूजा खत्म होने के बाद सब ने ब्रेकफ़ास्ट किया। सारा और सूर्यांश दोनों कॉलेज के लिए निकल गए।

    सहज और सोनिया कमरे में जैसे ही गए, सहज ने सोनिया का हाथ पकड़ कर अपने करीब खींचा और उसकी कमर पकड़ते हुए हल्के में बोला,

    "तो वाइफी, कहाँ जा रहे हैं हम हनीमून पर?"

    "इट्स सरप्राइज़!!! अ ब्यूटीफुल सरप्राइज़, जस्ट वेट।" सोनिया ने अपने दोनों हाथ उसके गले में डालते हुए कहा।

    इतना बोल कर सोनिया एड़ी चोटी उठते हुए सहज के फोरहेड पर किस कर लेती है।

    सारा और सूर्यांश कार में थे और सारा गुस्से में बोल रही थी,

    "क्या मैं ऐसे कॉलेज में जाऊँगी?"

    सूर्यांश ने उसकी तरफ एक नज़र देखते हुए कहा,

    "क्या कमी है इसमें?"

    "अरे इसमें मैं शादीशुदा लग रही हूँ।" सारा ने खीजते हुए कहा।

    सूर्यांश ने ड्राइविंग पर फ़ोकस करते हुए कहा,

    "लगना भी चाहिए ना कि तुम शादीशुदा हो।"

    "काश आपको भी सिंदूर लगाना पड़ता, आप भी हाथों में भारी-भारी कंगन पहनकर घूमते, क्योंकि शादीशुदा तो आप भी हो।" सारा ने ज़ोर से कहा।

    सूर्यांश ने एकदम से कार रोकते हुए कहा,

    "पागलवागल हो क्या? मुझे लगता है तुम्हें डॉक्टर की ज़रूरत है।"

    "कॉलेज के लिए लेट हो रहा है। एक बार रास्ते में कार रोकी, आप जैसा अड़ियल और बूढ़ा इंसान मेरा पति बन गया, इस बार पता नहीं क्या होगा। स्टार्ट करो कार।" सारा ने टाइम देखते हुए कहा।

    सूर्यांश ने उसे ख़ुन्नस में देखते हुए कार स्टार्ट कर ली।

    अभी उन्हें चले 5 मिनट ही हुए थे कि सूर्यांश के फ़ोन पर अजीब सी बीप-बीप की आवाज़ आने लगी और उसने कार रोक ली। उसने कॉल उठाकर कहा,

    "हेलो।"

    सामने वाले ने कुछ कहा और सूर्यांश ने ओके बोलते हुए कॉल कट कर दिया और अगले ही पल कार से उतरते हुए बोला,

    "अब यहाँ से तुम टैक्सी में चली जाओ। ये लो किराया, चलो मैं ही बैठा देता हूँ तुम्हें कॉलेज। जब ख़त्म होगा तब तक मैं आ जाऊँगा। अपना ख़्याल रखना, किसी से बेवजह लड़ाई मत करना।"

    इतना बोल कर उसने सारा का हाथ पकड़ा और सड़क की दूसरी साइड जाने लगा।

    "ओह नॉनस्टॉप बकवास आदमी! इतना कुछ एक साँस में बोल दिया, मेरी भी तो सुनो!" सारा ने हैरानी से कहा।

    "सुनने का क्या फ़ायदा जब मुझे करनी अपनी मन की है।" सूर्यांश ने आगे बढ़ते हुए ही कहा।

    सारा कुछ बोलना चाहती थी, उससे पहले ही कैब आकर रुकी और सूर्यांश ने सारा को उसमें बैठने का इशारा करते हुए ड्राइवर को कुछ समझाया।

    सारा आँखें फाड़े उसे देख रही थी।

    देखते ही देखते सूर्यांश वापस अपनी कार की तरफ़ चला गया और सारा उस कैब में अकेली रह गई।

    सूर्यांश के जाते ही सारा की कैब आगे बढ़ी। कुछ दूर जाने पर सारा को एहसास हुआ कैब ड्राइवर वहाँ नहीं जा रहा जहाँ सारा को जाना है और उसने एकदम से कहा,

    "भैया कहाँ जा रहे हैं हम? ये गलत रूट है!"

    ड्राइवर के चेहरे पर एक ईविल स्माइल आ गई। उसने बिना पीछे मुड़े कहा,

    "हम बिल्कुल सही जगह जा रहे हैं मैम।"

    "कौन हो तुम? कहाँ ले जा रहे हो मुझे?" सारा ने घबराते हुए कहा।

    इतना बोल कर सारा ने अपने बैग से हड़बड़ाकर मारे फ़ोन निकाला और उस ड्राइवर ने पीछे मुड़ते हुए एक झटके से सारा के हाथ से फ़ोन छीन लिया और उसके मुँह पर पेपर स्प्रे मार दिया।

    जिसके अगले ही पल सारा की आँखों के सामने सब कुछ धुंधला होने लगा और निढाल होते हुए सीट पर गिर पड़ी।

    दूसरी तरफ़, सूर्यांश की कार फ़ुल स्पीड से कहीं जा रही थी। उसने अपने कान में लगे ब्लूटूथ को ऑन करते हुए कहा,

    "उसे बेहोश मत करना, मुझे आते ही उससे सारे सवाल करने हैं। ब्लडी बास्टर्ड! उसकी हिम्मत कैसे हुई सूर्यांश सतीक्षय को धोखा देने की?"

    इतना बोल कर उसने कार की स्पीड और ज़्यादा बढ़ा दी।

    करीब 15 मिनट बाद उसकी कार एक घर के सामने जाकर रुकी जो बाहर से दिखने में बहुत छोटा नज़र आ रहा था।

    हालाँकि उसका डीसेंट व्हाइट कलर काफ़ी सुंदर लग रहा था। उसकी नाम प्लेट पर लिखा था,

    "शिरोमणि हाउस।"

    सूर्यांश ने एक झटके से कार का दरवाज़ा खोला और तेज क़दमों से चलते हुए अंदर गया।

    अंदर तनुज और उसके साथ 3-4 बॉडीगार्ड्स थे।

    उनके सामने एक लड़की सोफ़े पर सर झुकाए बैठी थी और उसके सर से लगातार ख़ून निकल रहा था जो उसके बालों को उसके चेहरे से चिपका रहा था।

    वह गहरी साँसें ले रही थी...

    तनुज ने गुस्से में कहा,

    "इसके चेहरे पर ठंडा पानी डालो, बेहोश नहीं होनी चाहिए ये।"

    उनमें से एक बॉडीगार्ड ने उसके चेहरे पर ठंडा पानी डाला और उसने सिहरते हुए खुद को बचाने की कोशिश की।

    ठंडा पानी गिरते ही उसका सफ़ेद छोटा सा चेहरा थोड़ा क्लियर दिखने लगा।

    "ये तमन्ना थी (चैप्टर 6 जिसे देखने सूर्यांश गया था | लॉयर)।"

    "त...तुम्हें क्या लगता है तमन्ना शिरोमणि इतनी कमज़ोर है? मेरा मौत से रोज़ सामना होता है तनुज आहूजा।" तमन्ना ने अपने काँपते होठों से हल्के से मुस्कुराकर कहा।

    "सिर्फ़ सामना होता है; आज सामना होने तक नहीं रुकेगी।" तनुज ने मुस्कुराते हुए कहा।

    तमन्ना ने अपना चेहरा सीलिंग की ओर किया और अचानक ही ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।

    उसकी हँसी पूरे शिरोमणि मेंशन में गूंज रही थी जो काफ़ी भयानक लग रही थी।

    तनुज भी एक पल के लिए हैरान हो गया था।

    टू बी कंटिन्यूड

  • 19. professor आप कहा हो मुझे डर लग रहा है- Chapter 19

    Words: 1118

    Estimated Reading Time: 7 min

    सूर्यांश वहाँ आते हुए बोला,

    "मरने से पहले अक्सर लोग अपना दिमागी संतुलन खो देते हैं, बिल्कुल तुम्हारी तरह, मिस तमन्ना।"

    तमन्ना एकदम से हँसते-हँसते रुक गई। उसके सर का दर्द तेज हो गया था। उसने करहाते हुए अपना चेहरा सीधा किया और लाल आँखों से सूर्यांश को देखा।

    सूर्यांश ने तिरछी मुस्कुराहट के साथ कहा,

    "Ch ch इतना गुस्सा?"

    तमन्ना ने गुस्से में कहा,

    "असली गुस्सा देखा कहाँ है तुमने?"

    सूर्यांश ने हँसते हुए कहा,

    "अब तो दिखा भी नहीं पाओगी। मुझे धोखा देने से पहले एक बार तो सोचना चाहिए था, क्योंकि तुम्हें देखकर लगता है तुम काफी गहराई तक जानती हो मेरे किरदार को।"

    तमन्ना दाँत पीसते हुए बोली,

    "बिल्कुल सूर्यांश सतीक्षय, तुम्हारे किरदार के हर ज़र्रे से वाकिफ हूँ मैं।"

    सूर्यांश ने उसके करीब जाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए, आँखों में आँखें डालकर कहा,

    "बहुत कच्ची खिलाड़ी निकली तुम, pink diamond का पहला प्यादा बहुत ठप निकला।"

    तमन्ना ने फीकी सी हँसी के साथ कहा,

    "वो तो तुम्हारी तबाही है सूर्यांश सतीक्षय, just wait and watch। तुम्हारी destiny तुम्हें उसी के हाथों से तबाह करवाएगी।"

    सूर्यांश ने एक झटके से उसके बालों को छोड़ दिया। जिससे तमन्ना के होठों से हल्की सी चीख निकल गई। उसका सर घूम रहा था। उसने अपने सर पर मारते हुए खुद को होश में रखने की कोशिश की।

    उसे इस हाल में देखकर किसी का भी दिल पसीज सकता था, पर तनुज और सूर्यांश के पत्थर दिल पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    तनुज ने गुस्से में कहा,

    "Lawyer कहाँ है?"

    तमन्ना ने उसकी तरफ देखते हुए कहा,

    "अपने घर पर है, मेरे पास थोड़ी रहेगी?"

    तनुज ने दाँत पीसते हुए कहा,

    "क्या किया तुमने उसके साथ?"

    तमन्ना ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,

    "बस एक पैर तोड़ा था, अब तक तो जुड़ भी गया होगा। and don't worry, दर्द में नहीं छोड़ा था, हॉस्पिटल में भी एडमिट करवाया था।"

    तनुज ने उसकी बात सुनकर गुस्से में कहा,

    "तुम एक लड़की होते हुए दूसरी लड़की के साथ ऐसा कैसे कर सकती हो? Bloody liar!"

    सूर्यांश ने अपनी पैंट में रखी gun निकालकर लोड करते हुए कहा,

    "Umm... बहुत हो गई बातें। तुम्हारे कॉन्फिडेंट बिहेवियर को देखकर लग रहा है तुम नहीं बताओगी पिंक डायमंड के बारे में, तो तुम्हारे ज़िंदा रहने का भी कोई फ़ायदा नहीं।"

    तमन्ना ने आँखें बंद करते हुए एक गहरी साँस ली और फिर किसी को याद करते हुए कहा,

    "क्या लास्ट टाइम किसी से बात कर सकती हूँ?"

    सूर्यांश ने एक eyebrow raise करते हुए कहा,

    "Ohh... किसे करोगी?"

    तमन्ना ने गहरी साँस लेते हुए कहा,

    "फ़ैमिली!"

    सूर्यांश ने अपना फ़ोन निकालकर अनलॉक करते हुए उसके हाथों में थमा दिया और उसके सर पर gun रख दी। तमन्ना ने काँपते हाथों से किसी का नंबर डायल किया। 2 रिंग जाने के बाद किसी ने फ़ोन पिक अप किया। सूर्यांश ने झुकते हुए फ़ोन स्पीकर पर कर दिया।

    तमन्ना ने अपनी आवाज़ में मजबूती लाते हुए कहा,

    "हेलो ईशी।"

    सामने से तुरंत एक छोटी बच्ची की एक्साइटेड आवाज़ आई,

    "मुम्मा!"

    तमन्ना ने अपनी आवाज़ में खुशी लाते हुए कहा,

    "हाँ बच्चा! कैसी है मेरी ईशी?"

    सामने से उस बच्ची की नाराज़गी भरी आवाज़ आई,

    "बहुत गुस्सा हूँ। आप कब आओगी? तीन महीने से बस बोल रही हो आऊँगी आऊँगी पर आई नहीं।"

    तमन्ना की आँखों से आँसू निकलकर उसके गालों पर गिर रहे थे। उसने थोड़ा हँसते हुए कहा,

    "मुझे मनाना आता है अपनी ईशू को। बहुत जल्दी आऊँगी। अपना ख्याल रखना और सिया दीदी की सारी बात मानना। एक टाइम से स्कूल जाना।"

    सामने से उस बच्ची ने उदास आवाज़ में कहा,

    "मतलब आप इस महीने भी नहीं आओगी... Hmm.. मैं बात ही नहीं करूँगी आपसे। वैसे भी मुझे आदत हो गई है आपसे दूर रहने की।"

    तमन्ना के गले में दर्द होने लगा था। उससे और कण्ट्रोल नहीं हो रहा था अपना रोना।

    उस बच्ची ने फिर से कहा,

    "ठीक है, ईशू अपना ख्याल रखेगी। बट प्रॉमिस, मुम्मा भी अपना ख्याल रखेगी। पता है मैं रोज़ भगवान जी से प्रेयर करती हूँ आपके लिए। Love you mumma।"

    तमन्ना ने तुरंत कहा,

    "हाँ बच्चा, ठीक है। अभी मुम्मा को काम है, bye, love you too।"

    इतना बोलकर उसने कॉल कट कर दिया। सूर्यांश के हाथ, जो तमन्ना को मारने वाले थे, वो थोड़े कमज़ोर पड़ गए। तनुज के चेहरे पर भी तकलीफ़ दिख रही थी। उस बच्ची की मासूम सी आवाज़ से लग रहा था वो करीब 6 या 7 साल की होगी।

    पर सूर्यांश ने अपनी आँखें सख्त करते हुए ट्रिगर दबाना चाहा कि उसका फ़ोन रिंग हुआ। सूर्यांश ने फ़ोन पिक अप किया। सामने से सारा की रोने की आवाज़ आई।

    और सूर्यांश ने एकदम से फ़ोन अपने कान से लगाते हुए कहा,

    "मिसेज़ बीवी, तुम रो क्यों रही हो?"

    सारा की सिर्फ़ सिसकने की आवाज़ें आईं और उसके पास से किसी आदमी ने गहरी आवाज़ में कहा,

    "तमन्ना को कुछ नहीं होना चाहिए, वरना यहाँ तुम्हारी वाइफ़ का भी आखिरी दिन होगा।"

    सूर्यांश के गुस्से में जबड़े कस गए। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। उसने गुस्से में कहा,

    "उसे एक खरोच भी नहीं आनी चाहिए।"

    सामने से उस आदमी ने हँसते हुए कहा,

    "उसे खरोचें आएंगी या नहीं, ये अब तुम पर है! तमन्ना के घर से निकलो और अपनी वाइफ़ को ले जाओ।"

    सूर्यांश ने अपनी gun वापस नीचे कर ली और एक नज़र तनुज को देखा। सामने से फिर से उस आदमी ने कहा,

    "वहाँ CCTV लगा है। अपने दोस्त को समझा लो, कोई चालाकी नहीं।"

    सूर्यांश ने कहा,

    "मेरी बात करवाओ उससे।"

    सूर्यांश बेसब्र होते हुए सारा की आवाज़ का इंतज़ार कर रहा था और कुछ ही पल बाद सारा ने उभकते हुए कहा,

    "आ...आप...कहाँ हो? प्लीज मुझे डर लग रहा है।"

    इतना बोलते हुए वो फिर से रो पड़ी और सूर्यांश ने कहा,

    "Shh रो मत, मैं बस अभी आ रहा हूँ, calm down।"

    इतना बोलकर सूर्यांश तेज कदमों से वहाँ से बाहर निकलने लगा।

    तनुज ने एक नज़र तमन्ना को देखते हुए कहा,

    "ईशू की प्रेयर में पॉवर थी, वरना आज तुम्हारा बच पाना नामुमकिन था।"

    तमन्ना ने कन्फ़्यूज़न में तनुज को देखा और तनुज भी तेज कदमों से वहाँ से निकल गया और उसके बॉडीगार्ड्स भी।

    To be continued.

  • 20. तुम लड़कियों को किडनैप करवाते हो- Chapter 20

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    सूर्यांश और तनुज को एक पता मिला था। वे जल्द से जल्द वहाँ पहुँचना चाहते थे।

    सूर्यांश के माथे पर पहली बार डर के मारे पसीने की बूँदें दिखाई पड़ रही थीं। उसका दिल बेचैनी से धड़क रहा था, जैसे किसी भी पल थम जाएगा।

    "शिरोमणि मेंशन"

    उन लोगों के निकलने के 5 मिनट के अंदर ही एक लड़का फुल स्पीड से बुलेट लेकर वहाँ आया और दौड़ते हुए घर के अंदर गया। उसके हाथ में एक मेडिकल किट थी। वहाँ जाते ही वह तमन्ना के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गया।

    "तनु!"

    यह बोलते हुए उसने तमन्ना का झुका हुआ चेहरा उठाया। उसकी आँखों में नमी आ गई तमन्ना की यह हालत देखकर।

    वह उसे वहाँ देखकर तमन्ना ने अपनी अदम्य आँखों से उसे गौर से देखते हुए कहा,
    "भ-भाई! अ-अगर मुझे कुछ हो भी जाए तो मेरी ईशू का ख्याल रखना।"

    सामने बैठे लड़के ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा,
    "Just shut up, idiot!"

    इतना बोलकर उसने तमन्ना को गोद में उठाया और अच्छे से सोफे पर लिटाते हुए अपना मेडिकल किट खोला और उसका इलाज करने लगा।

    दूसरी तरफ, सूर्यांश की कार सिटी के बाहर पहुँच चुकी थी। वहाँ कोई घर नहीं था। खुले जंगल में, सारा एक खाली जगह पर एक कुर्सी पर रस्सियों से बंधी हुई थी। उसका सिर झुका हुआ था और उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वह किसी भी पल बेहोश हो जाएगी। सूर्यांश की कार एक जोरदार ब्रेक के साथ धूल उड़ाती हुई वहाँ रुकी और फिर वह हड़बड़ाहट में जल्दी से कार का दरवाजा खोलते हुए बाहर निकला। उसके साथ तनुज भी।

    तनुज ने अपने हाथ में पड़ी गन को लोड करते हुए आस-पास देखा। वहीं सूर्यांश को इस बात का कोई ख्याल नहीं था। वह तेजी से दौड़ते हुए सारा के पास गया और उसके सामने घुटनों के बल बैठते हुए उसका झुका हुआ छोटा सा चेहरा अपने दोनों हाथों में भरते हुए बोला,
    "बीवी, तुम ठीक हो ना? कुछ किया तो नहीं उसने तुम्हें?"

    सारा ने पूरी हिम्मत जुटाते हुए अपनी आँखें खोलीं और सामने सूर्यांश को देखकर हल्के गुस्से में बोली,
    "Huh!! मि...मिस्टर प्रोफेसर! ये आपने अच्छा नहीं किया। वह केब वाला आपने ही बुलाया था ना? फिर कैसे वह मेरे साथ ऐसा कर सकता है?"

    सूर्यांश ने हैरानी से अपना मुँह खोलते हुए कहा,
    "मैं यहाँ तुम्हारी तबीयत की पूछ रहा हूँ और तुम्हें मुझ पर गुस्सा निकालना है? सीरियसली?"

    "हाँ, सीरियसली," सारा ने कहा।

    वहीं उन्हें बहस करते देख तनुज ने कहा,
    "सूर्यांश, जल्दी करो। उन्हें खोलो। हमें निकालना है यहाँ से। हमें इस जगह के बारे में कुछ भी नहीं पता है।"

    सूर्यांश ने एक नज़र चारों तरफ़ देखी और फिर सारा की रस्सियाँ खोलने लगा। तनुज पूरी कोशिश कर रहा था कि वह आस-पास से कोई सुराग निकाल सके, पर आस-पास पेड़-पौधों के अलावा कुछ भी नहीं था। यहाँ तक कि किसी के कदमों के निशान भी नहीं, जिससे पता चल सके कि यहाँ मौजूद शख्स कहाँ गया होगा।

    सूर्यांश ने सारा को खोलते ही अपनी बाहों में उठा लिया और फिर कार की तरफ़ ले जाकर बैक सीट पर लिटा दिया।

    "मुझे प्यास लगी है। पहले पानी दो, वरना मैं यहीं मर जाऊँगी," सारा ने कहा।

    सूर्यांश ने खिन्न भरी नज़रों से उसे देखा और पानी की बोतल का ढक्कन खोलते हुए बोला,
    "अपनी जुबान काबू में रखो, समझी?" और फिर पानी की बोतल उसके मुँह से लगा दी।

    सारा जल्दी-जल्दी पानी पी रही थी, जैसे पता नहीं उसे कितनी प्यास लगी हो।

    वहीं तनुज भी वापस कार की ड्राइविंग सीट पर आते हुए बोला,
    "हम भी देखते हैं कब तक बचते हैं। यह हमसे फैमिली पर वार करके इन्होंने अच्छा नहीं किया है। अगर हम प्रोफेशनल होकर सारा काम कर रहे थे, तो इन्हें भी प्रोफेशन तक ही रुकना चाहिए था।"

    "अगर ये प्रोफेशन तक ही रुकते, तो आज ये नौबत ना आती," सारा ने पानी पीकर कहा।

    तनुज और सूर्यांश ने थोड़े हैरानी भरे भाव से सारा को देखा। "क्या उनके प्रोफेशन का सारा को पता है?" पर अगले ही पल उनका कन्फ्यूज़न दूर हो गया जब सारा ने आगे कहा,

    "इनका प्रोफेशन स्टूडेंट्स को पढ़ाना है, ना कि उन्हें किडनैप करवाना। अगर अपने प्रोफेशन तक रहते, तो मेरे साथ आज यह नहीं हो रहा होता।"

    तनुज ने हड़बड़ाकर पीछे देखते हुए कहा,
    "भाभी जी, मेरा मतलब वह नहीं था। हम रियल बात आपको बता नहीं सकते हैं।"

    सारा ने दाँत पीसते हुए कहा,
    "तुमसे पूछ भी कौन रहा है रियल बात? रियल बात यही है कि तुम स्मगलर हो। तुम लड़कियों को किडनैप करवाते हो। मैं छोड़ूँगी नहीं तुम दोनों को।"

    तनुज ने लाचारी से सूर्यांश की तरफ़ देखा। सूर्यांश ने सारा के पास बैठते हुए उसका सर आहिस्ता से अपनी गोद में रखते हुए कहा,
    "कितना बोलती हो तुम? तुम्हें इतनी चोट लगी है, उसके बाद भी तुम्हारी जुबान बंद नहीं हो रही है।"

    सारा ने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा,
    "चोट लगी है तो क्या मेरी याददाश्त चली जाएगी? मैं भूल जाऊँगी कि मेरे साथ क्या हुआ था? आपने सिर्फ़ 1 मिनट के अंदर मुझे अपनी कार से निकालकर उस केब में बिठा दिया था। कितने लापरवाह हस्बैंड हो आप।"

    सूर्यांश ने बिना किसी जवाब दिए तनुज से कहा,
    "तू क्या मुँह फाड़ रहा है? चला कार। इसकी जुबान पूरे रास्ते नहीं बंद होने वाली है।"

    तनुज ने भी एक गहरी साँस छोड़ते हुए हाँ में सर हिलाया और कार स्टार्ट कर दी।

    कुछ वक़्त बाद वे अस्पताल पहुँच चुके थे। वहाँ जाते ही सूर्यांश ने सारा को एडमिट करवा दिया ताकि उसके शरीर पर लगी खरोचों का इलाज हो सके और बाकी बॉडी की जाँच भी हो सके, कहीं कोई इंजेक्शन वगैरह ना दिया गया हो। सूर्यांश एक भी गलती नहीं करना चाहता था।

    सूर्यांश उसे एडमिट करते हुए अस्पताल से निकल चुका था और वापस उसी जगह जाने के लिए, जहाँ से वह सारा को लेकर आया था, क्योंकि उसे गुट फीलिंग्स आ रही थी कि कुछ ना कुछ उसे जगह ज़रूर छुपा हुआ होगा।


    To be continued...