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बदसूरत जिन्न शहजादी।

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जिन्नातों की दुनिया में एक जिन्न शहज़ादी, सुबक-सुबक कर रो रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त लाल रंग के आँसू थे, और उसे कितनी ही सारी बाकी की जिन्नाती लड़कियाँ घेर कर खड़ी हुई थीं और उस पर हँस रही थीं। तभी उस जिन्न शहज़ादी की माँ, हुस्ना, वहाँ आई, और उस...

Total Chapters (14)

Page 1 of 1

  • 1. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 1

    Words: 1665

    Estimated Reading Time: 10 min

    जिन्नातों की दुनिया में एक जिन्न शहज़ादी, सुबक-सुबक कर रो रही थी। उसकी आँखों में इस वक़्त लाल रंग के आँसू थे, और उसे कितनी ही सारी बाकी की जिन्नाती लड़कियाँ घेर कर खड़ी हुई थीं और उस पर हँस रही थीं।
    तभी उस जिन्न शहज़ादी की माँ, हुस्ना, वहाँ आई, और उसने वहाँ आकर उन जिन्न लड़कियों को वहाँ से भगा दिया जो उनकी बेटी पर हँस रही थीं। और वो अपनी बेटी के आँसुओं को साफ कर, उसे चुप करते हुए बोली, "मेरी शहज़ादी, कब तक इस तरह से आँसू बहाती रहोगी? आख़िर तुम अपनी किस्मत को क़बूल क्यों नहीं कर लेती हो?"
    अपनी माँ की बात सुनने के बाद, वो शहज़ादी और ज़ोर से रोने लगी। अब रोते-रोते उसने अपना चेहरा ऊपर की ओर उठाया। एक पल को उसकी माँ भी अपनी खुद की बेटी के चेहरे को देखकर डर सी गई, क्योंकि जिन्नातों की दुनिया में एक से बढ़कर एक खूबसूरत शहज़ादियाँ थीं, लेकिन उसकी बेटी सबसे ज़्यादा बदसूरत शहज़ादी थी।
    अपनी बदसूरती को लेकर उसे हर रोज़ जिन्नातों की दुनिया में अपमान का सामना करना पड़ता था। सभी शहज़ादियाँ, उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थीं। इस वक़्त भी सभी शहज़ादियाँ मिलकर उसका मज़ाक उड़ा रही थीं, क्योंकि वो बेहद बदसूरत दिखाई दे रही थी।
    आज उसने अपने आप को थोड़ा सा सुंदर बनाने के लिए अलग ढंग से कपड़े पहने थे, और अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा नए-नए तरीके से इंसानों की दुनिया में से मेकअप का सामान मंगवाए थे। लेकिन उसे मेकअप यूज़ करना नहीं आता था, जिसकी वजह से वो और भी ज़्यादा बदसूरत और एकदम भूत के जैसी दिखने लगी थी।
    तो सभी जिन्न शहज़ादियाँ उसकी इस हरकत पर उसका काफ़ी ज़्यादा मज़ाक उड़ा रही थीं। अब एक पल को जैसे ही उसकी माँ ने अपनी बेटी का चेहरा देखा, एक पल को वो भी सहम गई, लेकिन जल्दी ही उन्होंने अपनी शक्तियों के द्वारा उसके चेहरे को पहले जैसा कर दिया था।
    लेकिन अभी भी वो ख़ास खूबसूरत नहीं दिखाई दे रही थी। अभी भी वो बाकी की जिन्नातों की दुनिया की शहज़ादियों के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा बदसूरत थी।
    तब वो अपनी माँ को गले से लगाकर सुबक-सुबक कर रोते हुए बोली,
    "आख़िरकार कब तक सब लोग इस तरह से मेरा मज़ाक बनाते रहेंगे? कब तक मैं इस दर्द का सामना करती रहूँगी? बस माँ, बस अब मैं थक चुकी हूँ। आप मुझे हमेशा-हमेशा के लिए अग्नि दुनिया में कैद क्यों नहीं कर देती हैं, ताकि मैं वहाँ से वापस न आऊँ? मैं नहीं जीना चाहती हूँ माँ, मैं नहीं जीना चाहती हूँ।"
    अग्नि दुनिया, जिन्नातों की वो दुनिया थी, जहाँ पर एक बार कैद होने के बाद हमेशा-हमेशा के लिए कोई भी जिन्न वहाँ से वापस नहीं आ सकता था। इसीलिए वह जिन्न शहज़ादी, जिसका नाम आयशा था, वो मायूसी से बोली,
    "मैं इस दुनिया में वापस नहीं आना चाहती हूँ जहाँ पर सब लोग मेरा इस तरह से मज़ाक उड़ाते हैं।"
    ये बोलकर एक बार फिर वो खून के आँसू बहाने लगती है।
    अब तो उसकी माँ के सब्र का भी बाँध टूट गया था, और अचानक उसने भी रोना शुरू कर दिया था। और उन दोनों के दिल की चीख-पुकार सीधा जिन्नातों के जिन्न महाराज के पास जा पहुँची थी। और जिन्न महाराज ने जल्दी ही उन दोनों को अपने सामने बुला लिया।
    उन दोनों माँ-बेटियों ने जब अपनी परेशानी जिन्न महाराज के सामने रखी, जिन्न महाराज कुछ पल सोचने लगे थे। और बोले,
    "आप अच्छी तरह से जानती हैं, जिन्न महारानी हुस्ना..."
    (जिन्न महारानी हुस्ना, जिन्न महाराज की बीवी और आयशा, जिन्न महाराज की ही बेटी थी, और जिन्न महारानी हुस्ना जिन्नातों की दुनिया की सबसे ज़्यादा खूबसूरत जिन्न थी, लेकिन उनकी बेटी सबसे ज़्यादा बदसूरत थी।)
    जिन्न महाराज ने अपने सीधे हाथ के अंगूठे को अपने माथे के बीचों-बीच लगा दिया था।
    कुछ देर बाद, जब अपनी लाल सुर्ख आँखों से उन्होंने आयशा की ओर देखा, और एक-एक शब्द पर ज़ोर देते हुए बोलते हैं,
    "आयशा सिर्फ़ तभी खूबसूरत जिन्न शहज़ादी बन सकती है, जब उसकी ज़िंदगी में सच्ची मोहब्बत आएगी।"
    अब आयशा ये सुनकर चौंक गई थी, क्योंकि उसके पिछले जन्म में कुछ ऐसा हुआ था, जिसके बदौलत उसे उसका नया जन्म जिन्नातों की दुनिया में बदसूरती के रूप में मिला है।
    अब ये सुनकर आयशा भौंचक्की हो गई और उसकी आँखें अचानक चमक उठीं और वो अगले ही पल बोली,
    "लेकिन जिन्न महाराज, या तो आप मुझे अग्नि दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए कैद कर दीजिए, या फिर मुझे बताइए, मुझे मेरी सच्ची मोहब्बत कहाँ मिलेगी जो मुझे बेहद खूबसूरत बनाएगी?"
    अब ये सुनकर जिन्न महाराज ने एक बार फिर अपने सीधे हाथ का अंगूठा अपने माथे पर रखा और कुछ देर सोचने के बाद बोले,
    "इंसानों की दुनिया में। तुम्हें तुम्हारी सच्ची मोहब्बत मिलेगी, जो तुम्हारा पिछले जन्म का साथी है। और उसी की मोहब्बत की वजह से तुम पिछले जन्म में बदसूरत हुई थी, जिसका असर इस जन्म में भी दिखाई दे रहा है।"
    "अगर तुम हमेशा-हमेशा के लिए इस बदसूरती के दाग को अपनी ज़िंदगी से ख़त्म करना चाहती हो, तो तुम्हें इंसानों की दुनिया में जाकर अपनी सच्ची मोहब्बत के साथ पूरे चाँद की रात जिस्मानी रिश्ता बनाना होगा। और जैसे ही पूरे चाँद की रात तुम दोनों मिलोगे, तुम्हारे अंदर की बदसूरती हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म हो जाएगी।"
    अब जैसे ही जिन्न शहज़ादी आयशा ने ये सुना, उसकी आँखों में उम्मीद की एक चमक नज़र आने लगी थी, लेकिन उसकी माँ हुस्ना इस ख़याल से ही कि उसकी बेटी उससे दूर चली जाएगी, वो थोड़ा उदास हो गई थी।
    लेकिन तभी जिन्न महाराज सख़्त और गहरी आवाज़ में बोले,
    "तुम्हें परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है। तुम चाहो तो अपनी बेटी से जब चाहे बात कर सकती हो, लेकिन तुम उसकी इंसानों की दुनिया में कोई मदद नहीं कर पाओगी।"
    "और एक और बात, आयशा, तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी शक्तियों का प्रयोग किसी की मदद के लिए तो कर सकती हो, लेकिन अपने लिए तुम इन शक्तियों का इस्तेमाल कभी भी नहीं कर पाओगी।"
    ये सुनकर आयशा थोड़ा सी सकपका गई थी।
    बिना शक्तियों के इंसानों की दुनिया में वो किस तरह से जीवन जीएगी, जबकि उसे उस शख़्स के बारे में कुछ नहीं पता है कि उसकी सच्ची मोहब्बत कौन है।
    फिलहाल उसके लिए यही बहुत था कि जिन्न महाराज ने उसे इंसानों की दुनिया में जाने की इजाज़त दी थी।
    और सच्ची मोहब्बत मिलने के बाद, जैसे ही वो खूबसूरत हो जाएगी, उसे वापस जिन्नातों की दुनिया में लौटने का आदेश था।
    आयशा अब अपने पिता की ओर देखकर चंचलता से बोली,
    "अच्छा अब्बू जान, मुझे ये तो बताइए कि जो इंसान मेरी क़िस्मत में है, वो मेरे सामने आएगा तो मैं उसे कैसे पहचानूँगी?"
    तब आयशा के पिता, जिन्न महाराज, ने उसकी ओर ध्यान से देखा था, और अचानक देखते ही देखते उनकी आँखों से रंग-बिरंगी रोशनी निकलने लगी थी, और सीधा आयशा के गले में एक बड़ी ही प्यारी, खूबसूरत सी चेन आ गई थी, और उसमें एक नीले रंग का लॉकेट लटक रहा था, जो दिखने में बड़ा ही प्यारा और खूबसूरत लग रहा था।
    अब आयशा हैरानी से हक्की-बक्की होकर उस लॉकेट को छूने लगी, और आयशा के छूते ही वो लॉकेट, जो थोड़ी देर पहले पूरी तरह से जगमगा रहा था, वो एकदम से फीका हो गया था।
    इतना ही नहीं, उसकी चमक के साथ ही साथ उसके मोती की खूबसूरत चमक पूरी तरह से बदसूरती में बदल गई थी।
    ये देखकर आयशा पूरी तरह से मायूस और उदास हो गई थी, और एक बार फिर उसका चेहरा मुरझा उठा, और वो अपनी लाल, सुर्ख आँखों से अपने माता-पिता की ओर देखने लगी थी।
    तभी उसकी माँ, शहज़ादी हुस्ना, तुरंत आगे आई और अपनी बेटी को गले से लगाकर रोते हुए अपने पति की ओर देखकर एकदम से बोली,
    "ये सब क्या है जिन्न महाराज? ये क्या है?"
    "आप हमारी बेटी का बाकी सब की तरह मज़ाक उड़ाना चाहते हैं? अभी ये लॉकेट थोड़ी देर पहले पूरी तरह से जगमगा रहा था, लेकिन जैसे ही हमारी बेटी ने इस लॉकेट को छुआ, ये लॉकेट पूरी तरह से बदसूरती में बदल गया। आख़िर ये सब क्या हो रहा है?"
    "क्या आप भी बाकी की जिन्न शहज़ादियों की तरह, जो कि जिन्नातों की दुनिया में हमारी बेटी का मज़ाक बनाती रही हैं, उनकी तरह हमारी बेटी का मज़ाक बनाना चाहते हैं?"
    इस वक़्त शहज़ादी जिन्न महारानी हुस्ना काफ़ी ज़्यादा ग़ुस्से में थी और अपने पति से सवाल कर रही थी।
    तभी जिन्न महाराज कोमलता से बोले,
    "हमारा इरादा अपनी बेटी को ठेस पहुँचाने का नहीं था। हम सिर्फ़ और सिर्फ़ ये बताना चाहते हैं कि इंसानों की दुनिया में जिस वक़्त ये जाएँगी, और जैसे ही उसका सच्चा प्यार इनके क़रीब आएगा, ये लॉकेट कुछ समय के लिए जगमगाने लगेगा — लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ कुछ समय तक।"
    "वो सिर्फ़ और सिर्फ़ शहज़ादी आयशा को ये बताने के लिए होगा कि यही वो इंसान है जिसके साथ उसकी क़िस्मत जुड़ी हुई है।"
    अब ये सुनकर कहीं न कहीं जिन्न महारानी को थोड़ा सा सुकून मिला।
    वहीं आयशा के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान खिल गई थी, और वो चहकती हुई बोली,
    "आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अब्बा जान, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया!"
    "लेकिन अगर ये मोती इंसानों की दुनिया में जगमगाने लगेगा, तो सब लोगों को तो हम पर शक हो जाएगा।"
    उसके बाद तभी जिन्न महाराज हल्का सा मुस्कुराकर बेहद शांत आवाज़ में बोले,
    "शायद आपने हमारी बात ध्यान से नहीं सुनी, शहज़ादी। हमने आपसे कहा, सिर्फ़ और सिर्फ़ कुछ समय के लिए ये मोती जगमगाएगा — जब वो इंसान आपके पास आएगा, तो आपको इस समय का ध्यान रखना होगा।"
    अब ये सुनकर आयशा अपनी टिमटिमाती हुई आँखों से अपने पिता को मुस्कुराते हुए देखती है और फिर जल्दी ही अपनी माँ और पिता, जिन्न महाराज से विदा लेकर इंसानों की दुनिया में जाने का फ़ैसला करती है।
    लेकिन उसे इस बात के बारे में दूर-दूर तक कोई एहसास नहीं है कि जिस सच्ची मोहब्बत की तलाश में वो इंसानों की दुनिया में जा रही है — असल में वो इंसान कितना ज़्यादा बेरहम है, इसका कोई अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता था।

  • 2. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 2

    Words: 1553

    Estimated Reading Time: 10 min

    वहीं दूसरी ओर,

    इंसानों की दुनिया में, इस वक्त एक लडकी बडे से ब्रिज के ऊपर खडी थी. और आत्महत्या करने की हिम्मत जुटा रही थी। क्योंकि आज उसकी बहुत बेइज्जती हुई थी, जिसे वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वो यहां ब्रिज से कूदने के लिए आयी थी,

    लेकिन जिस वक्त वो जान देने के लिए वहाँ खडी हुई थी, ठीक उसी वक्त जिन्नातों की दुनिया से आयशा पृथ्वीलोक पर आ गई थी। और वो सीधा इस लडकी के ऊपर जा गिरी, जिसकी वजह से ब्रिज से कूदने वाली" लडकी और जिन्न शहजादी आयशा, एक साथ नीचे जमीन पर गिर गईं।

    अब जिन्न शहजादी आयशा को तो समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक से ये उसके साथ क्या हुआ? वो इस तरह से किसी लडकी के ऊपर कैसे आ गिर गई।

    वहीं वो लडकी, आँखों में आँसू लिए, जिन्न शहजादी" आयशा को डबडबाई आंखों से देखने लगी और चिल्लाते हुए उठ खडी हुई और गुस्से से फट पडी और नाराज होकर बोली, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से रोकने की? हाँ, मैं अपनी जान देना चाहती थी। तुम कौन होती हों? मुझे बचाने वाली? मेरा जीने का कोई इरादा नहीं है, मैं अपनी जान देना चाहती हूँ, समझी?

    अब जिन्न शहजादी" आयशा को तो समझ में नहीं आया कि आखिरकार ये लडकी क्या कह रही है, लेकिन उसकी बातों से वो इतना अंदाजा जरूर लगा सकती थी. कि जरूर ये लडकी अपनी जान देने के लिए यहाँ आयी है।

    अब आयशा आश्चर्य ये सोचने लगी, की वो ऐसे अचानक से इस लडकी के ऊपर एकदम से क्यों आ गिरी? अगर उसे इंसानों की दुनिया में आना ही था, तो वो किसी और जगह पर भी तो जा सकती थी। कहीं और भी प्रकट हो सकती थी।

    कुछ पल सोचते हुए उसने एक पल के लिए अपनी आँखें बंद कीं, और उसने अपनी" माँ का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखा, यानी महारानी" हुस्ना का चेहरा उसकी आँखों के सामने था।

    अब जिन्न शहजादी आयशा को देर नहीं लगी, ये समझने के लिए कि जरूर उसकी, माँ ने इस तरह से उसे, इस जगह पर भेजा है ताकि ये अनजान लडकी आयशा की कुछ मदद कर सकें।

    तभी शहजादी आयशा तुरंत उठ खडी हुई और लडकी की ओर गौर से देखकर बेहद आहिस्ता से बोली, आप कौन हैं? और आप अपनी जान क्यों देना चाहती हैं?

    अब वो लडकी, जिसका नाम" जोया था, वो अब अपने आँखों में आए आँसुओं को साफ करके अपने सामने खडी हुई बदसूरत सी लडकी" आयशा को देखने लगी थी।

    हालाँकि इंसानों की दुनिया में अलग- अलग तरह के लोग, अलग- अलग रंगों के, काले, गोरे, किसी का नाक- नक्श अलग—हर तरह के लोग मौजूद थे, लेकिन" आयशा साँवली होने के साथ- साथ उसकी नाक- नक्श भी बडा अजीब था, जो उसे और भी ज्यादा बदसूरत बनाता था।

    लेकिन जोया को" आयशा से किसी तरह की कोई घिन्न या बुरा एहसास कुछ भी महसूस नहीं हुआ, उसने उसे नॉर्मल इंसानों की तरह ही लिया था। और तब जोया भर आए हुए स्वर में रोती हुई बोली, क्योंकि सिचुएशन ही ऐसी थी, इसलिए हुंह हुंह

    दरअसल वो अपनी जान देने के लिए इस ब्रिज पर आयी थी। उसे लगा था. कि आसानी से थोडी देर में खुद रो धोकर अपनी जान दे देगी, लेकिन इस तरह से आयशा के आने पर वो सकपका गई और हैरान भी हो गई थी।

    तभी आयशा तुरंत खुदके जज्बातों को थोडा कंसोल किया और जोया की ओर देखकर मीठी सी मुस्कुराहट देते हुए बोली, देखिए, शायद आप ये समझ लीजिए, ऊपर वाले ने हमें आपको बचाने के लिए यहां भेजा है। अब आप हमें ये बता दीजिए कि आखिर आप अपनी जान क्यों लेना चाहती हैं? आखिर ऐसा क्या हुआ है आपके साथ?

    क्योंकि भले ही आयशा देखने में बेहद बदसूरत थी, लेकिन उसकी आवाज शहद से भी ज्यादा मीठी थी. वो बडा ही प्यार और मीठा बोल रही थी. अब आयशा के इतने प्यार से बोलने पर एक पल को जोया भी उसकी आवाज में पूरी तरह से खो गई। उसे ऐसा लगने लगा मानो उसकी सारी परेशानी उसकी आवाज सुनते ही खत्म हो गई हो।

    लेकिन फिर कुछ याद करते हुए फिलहाल उसने जोरों से रोना शुरू कर दिया और फिर खुदको शांत करके आयशा को डबडबी आंखों से देखते हुए बोलने लगी, मैं तुम्हें बताती हूँ। पिछले तीन सालों से मैं इस शहर की सबसे बडी कंपनी, सूर्यवंशी एम्पायर में काम करती हूँ, और पिछले साल मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।

    पिछले साल एक सेमिनार के दौरान मैंने अपनी कंपनी के बॉस को देखा, और उसे देखते ही मैं पहली नजर में ही उस पर अपना दिल हार बैठी, और मुझे अपने बॉस से गहरी मोहब्बत हो गई। पिछले पूरे एक साल भर से अपने बॉस के अलावा मैंने कभी किसी और के बारे में नहीं सोचा। और आज, आज कंपनी की एक बहुत बडी पार्टी थी, और आज मैंने जैसे- तैसे हिम्मत जुटाकर अपने बॉस को, उसे पार्टी में सबके सामने प्रपोज कर दिया।

    लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरे बॉस के शरीर में दिल ही नहीं है। वो एक नंबर का हार्टलेस इंसान हैं। उसने सबके सामने मेरी इतनी बेइज्जती की, इतनी बेइज्जती की मैं तुम्हें क्या बताऊँ! और अब मेरे दोस्त, मेरे सहकर्मी, सब लोग मुझ पर हँस रहे हैं। तुम सोच भी नहीं सकती कि उस वक्त मुझे कैसा लगा! मेरे बॉस ने मेरे सहकर्मियों के सामने मेरी मोहब्बत की तो बेइज्जती कर ही दी, साथ ही साथ मुझे तीन दिन का टाइम दिया है कि अगर तीन दिनों के अंदर- अंदर मैंने, उससे माफी नहीं माँगी तो मुझे नौकरी से भी निकाल देंगे।

    लेकिन मुझे नौकरी जाने की कोई परवाह नहीं है, लेकिन मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ, मैं दिल से उसे मोहब्बत करती हूँ। उसके इस तरह से, भरी महफिल में मेरी बेइज्जती करना मैं, बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ। इसीलिए मैं अपनी जान देने के लिए यहाँ आई हूँ। ये बोलकर एक बार फिर जोया फूट- फूटकर रोने लगती है।

    आयशा अचानक हल्का सा मुस्कुराई और जोया की ओर देखकर प्यारी सी मुस्कान देते हुए बोली, अच्छा, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछूँ, जोया जी?

    अब जैसे ही आयशा ने जोया का नाम लिया, जोया की आँखें बडी हो गईं और वो सवालिया नजरों से आयशा को घूरते हुए बोली, तुम्हें मेरा नाम कैसे पता चला? मैंने तुम्हें अपना नाम नहीं बताया।

    अब ये बात सुनकर एक पल के लिए आयशा चुप हो गई, लेकिन अगले ही पल वो बात बदलते हुए फटाक से बोली, अभी आपने अपनी कहानी सुनाते वक्त हमें अपना नाम भी बताया था. बीच में शायद आपको याद नहीं रहा क्योंकि इस वक्त आप काफी ज्यादा दुखी हैं। आपको खुद नहीं पता कि आप क्या कह रही हैं।

    तभी जोया एक बार फिर रोने लगी और मासूम सी शक्ल बनाकर बोली, हाँ, शायद तुम ठीक कह रही हो।

    आयशा एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोली, हमें आपसे सिर्फ और सिर्फ एक सवाल करना है। क्या आप मेरे सवाल का जवाब देंगी? उसके बाद, अगर आपने मेरे सवाल का जवाब दे दिया, उसके बाद आप चाहे तो अपनी जान दे सकती हैं।

    ये सुनकर जोया हैरान हो गई कि आखिरकार ये लडकी कौन है? पहले तो ये उसकी जान बचाती है, और अब उसे एक सवाल पूछने के लिए कह रही है! अगर वो इससे मना कर दे तो क्या वो अपनी जान दे सकती है?

    फिलहाल, जोया ने अपनी हैरानी को साइड में रखकर उसकी ओर उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, हाँ, बोलो, क्या सवाल है तुम्हारा?

    तब आयशा बेहद शांत आवाज में बोली, आप पिछले एक साल से अपने बॉस से प्यार- मोहब्बत करती हैं, लेकिन आपके माँ- बाप का क्या? आपके माँ- बाप तो आप जब से आप पैदा हुई हैं, तब से आपसे मोहब्बत करते हैं। अपने बॉस के एक साल की मोहब्बत के लिए आप अपनी जान देने के लिए तैयार हैं, तो क्या अपने माँ- बाप की बीस साल की मोहब्बत के लिए आप, नहीं जी सकतीं?

    दरअसल पहली नजर में देखते ही" आयशा जोया के बारे में सबकुछ जान गई थी. कि उसके मां- बाप के जोया अकेली औलाद है। और वो अकेले ही घर चलानेवाली है।

    अब जैसे ही आयशा ने ये समझाया, जोया की आँखें हैरानी से बडी हो गई थीं, क्योंकि आज उस पार्टी से निकलकर सीधा वो अपनी जान देने के इरादे से इस ब्रिज पर ही आ गई थी। इस बीच उसे अपने माँ- बाप का तो ख्याल ही नहीं रहा।

    जोया अपने माता- पिता की इकलौती औलाद थी, और उसके बूढे माता- पिता पूरी तरह से उसी के ऊपर निर्भर थे। और इस तरह से, अगर जोया भावना में बहकर अपनी जान दे देती है, तो उसके माँ- बाप का क्या होगा? ये सोचते ही जोया के शरीर में सनसनी दौड गयी थीं।

    एक पल में ही वो मोहब्बत की दुनिया से बाहर, रियलिटी की दुनिया में आ गई थी। उसने तुरंत आगे बढकर आयशा को गले से लगा लिया था. और एकदम से हडबडाकर बोली, तुम कौन हो? मैं नहीं जानती, कि तुम कौन हो या कहां से आयी हो, फिर भी ऊपर वाले ने तुम्हें जरूर मेरी मदद करने के लिए भेजा है।

    तुम. तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो? तुम चलो मेरे साथ चलो। ये बोलकर अब जल्दी ही जोया, आयशा को अपने साथ लेकर अपने घर की ओर रवाना हो चुकी थी।

  • 3. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 3

    Words: 1702

    Estimated Reading Time: 11 min

    आयशा हल्का सा मुस्कुराई और" जोया के साथ उसके घर चली गई। वो अच्छी तरह जानती थी. कि उसे जोया के साथ ही जाना है, क्योंकि ये उसकी अम्मी, जिन्न महारानी का फैसला था, और ये फैसला उसके लिए एकदम सुरक्षित होगा।

    जैसे ही जोया" आयशा को लेकर अपने घर गई, और उसने डोरबेल बजाई, तो उसने देखा कि दरवाजा पहले से ही खुला हुआ है। ये देखकर उसे हैरानी हुई और वो थोडी सकपकाई। क्या इस तरह से उसके घर का दरवाजा खुला रह सकता है? क्योंकि उसकी माँ, तो हमेशा दरवाजा बंद करके रखती थीं।

    फिर भी, वो हिम्मत जुटाकर आयशा का हाथ थामकर अंदर जाने लगी। जैसे ही वो दोनों अंदर गई, उसके पूरे फ्लैट में चारों तरफ अंधेरा पसरा हुआ था। अब जोया थोडी हडबडा कर घबरा गई और उसने आयशा का हाथ कसकर पकड लिया। और जोया ने आयशा के कानों में धीमे स्वर में फुसफुसाते हुए बोली, मुझे लगता है कि हमारे घर में कोई चोर घुस आया है। इसीलिए तो पूरे घर में अंधेरा है। तुम बिल्कुल भी डरना या घबराना मत, मैं अभी पुलिस को फोन करती हूँ।

    उसकी बात सुनकर आयशा थोडी दंग हो गई। फिर उसने अपनी आँखें बंद कीं और उसे, अब सारा मामला समझ आ गया। अपनी जादुई शक्तियों के द्वारा वो देख चुकी थी. कि इस वक्त घर में क्या हो रहा है, वो हल्का सा मुस्कुराई और जोया का हाथ पकडकर शांत भाव से बोली, मुझे लगता है कि तुम्हें पुलिस को फोन करने की कोई जरूरत नहीं है। हमें एक बार अंदर चलकर देख लेना चाहिए।

    आयशा तो समझ चुकी थी कि वहाँ क्या हो रहा है, लेकिन जोया अभी भी तक नहीं समझी थी। फिर भी, उसने पुलिस को फोन नहीं किया, और अंदर जाकर धीरे से अपनी माँ को आवाज लगाने लगी, माँ, पापा कहाँ हैं? आप लोग कहाँ हैं? आप लोग ठीक तो हैं ना?

    जैसे ही उसने थोडा जोर से आवाज लगाई, अचानक उसका पूरा फ्लैट रोशनी से जगमगा उठा। वहाँ पर बडे- बडे अक्षरों में" हैप्पी बर्थडे जोया" के स्टिकर लगे हुए थे।

    ये देखकर जोया की आँखों में आँसू आ गए। अपनी जान देने के चक्कर में उसे, इस बात का एहसास ही नहीं रहा. कि आज उसका जन्मदिन है और उसके माँ- बाप ने उसके, लिए सरप्राइज प्लान किया था।

    जल्दी ही जोया की माँ उसकी आँखों के सामने मौजूद थी. और उन्होंने आकर अपनी बेटी को गले से लगा लिया। और शिकायत करते हुए बोली, जोया, तुमने इतनी देर लगा दी। तुम्हें पता है हम तुम्हारा कब से इंतजार कर रहे हैं और कब से हम तुम्हें सरप्राइज देना चाहते थे?

    जोया के माँ- बाप दोनों ही जोया को बारी- बारी से गले लगाकर, जन्मदिन की मुबारकबाद दिया। और फिर मुस्कुराते हुए उसके sir पर हाथ फेरकर दुआएं देने लगे।

    अब जोया की आँखों से झर झर आँसू गिरने लगे और वो बुरी तरह से रो रही थी। अपनी बेटी को इस तरह रोते बिलखते हुए देखकर जोया के माँ- बाप घबरा गए और तुरंत उसे संभालने लगे और परेशान होते हुए कहने लगे, क्या बात है बेटा? तुम इतना क्यों रो रही हो? इतना क्यों घबरा रही हो? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?

    उनकी बातें सुनकर जोया सिसकते हुए कहने लगी, मुझे माफ कर दीजिए मॉम, डैड। मुझे माफ कर दीजिए। ये बोलते हुए जोया बूरी तरह से रो रही थी, फिलहाल माफी मांगने के अलावा कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।

    अचानक जोया की माँ की नजर सीधा आयशा पर पडी। आयशा को देखकर वो थोडी चौंक गई और फिर जब जोया ने रोने के अलावा उनकी किसी बात का कोई जवाब नहीं दे रही थी, तो वो तुरंत आयशा के सामने जाकर खडी हो गई और हडबडा कर एकदम से बोली, तुम कौन हो बेटा? और मेरी बेटी इस तरह से अचानक क्यों रो रही है? और वो हमसे Kiss बात की माफी माँग रही है? ये बताओ तुम, कौन हो?

    आयशा ने तहजीब के साथ हल्का सा झुककर उन्हें सलाम किया और बेहद शांत आवाज में बोली, मेरा नाम आयशा है और जोया मुझे, अपने साथ अपने घर ले आई है। उसने जानबूझकर जोया की जान देने वाली बात नहीं बताई थी।

    लेकिन तभी जोया एकदम से उठ खडी हुई और अगले ही पल बोली, वो आयशा है, इसी ने मेरी जान बचाई है, वरना आज मेरी जान चली जाती।

    बस उसने इतना ही बोला था. की जोया के पिता पूरी तरह से डर गए और हडबडा कर बोले, क्या? कैसी बातें कर रही हो बेटा? तुम्हारी जान पर खतरा? क्या हुआ था तुम्हें? तुम ठीक तो होना बेटा? तुम तो जानती हो ना कि तुम हमारी" जिंदगी हो। तुम्हारे अलावा हमारे इस दुनिया में कोई नहीं है। तुम्हारी जान पर खतरा कैसे हुआ? क्या हुआ था बेटा?

    और वो फिर सीधा आयशा के सामने परेशान होकर बोले, बेटा, तुमने मेरी बेटी की जान कैसे बचाई? क्या हुआ था? प्लीज कुछ बताओ, देखो मेरा दिल कितना जोरों से धडक रहा है।

    अपने पिता को इतना घबराया हुआ देखकर जोया ने खुदको थोडा शांत किया, और आयशा ने भी आँखों के इशारे से जोया को चुप रहने के लिए कहा और आंखें मटकाते हुए उसे समझाने की कोशिश करने लगी कि उसे इस तरह से अपने माता- पिता को अपनी जान देनेवाली बात नहीं बतानी चाहिए।

    Well जोया खुदको शांत करके, उसने अपने माँ- बाप को गले से लगाकर बोली, वो एक्चुअली ऐसा हुआ कि ऑफिस से निकलते वक्त मैं एक गाडी के सामने आ गई और" आयशा ने मुझे वक्त रहते अपनी तरफ खींच लिया।

    उसने मेरी बहुत मदद की है। मैं इसकी बहुत शुक्रगुजार हूँ। इसीलिए मैं इसे अपने साथ घर ले आयी। आपको पता है मॉम, डैड, इसका इस दुनिया में कोई नहीं है। बहुत वक्त पहले ही इसके अपने सब छोडकर चले गए।

    दरअसल रास्ते में जब जोया" आयशा को अपने साथ अपने घर लेकर आ रही थी, उसने उससे उसके बारे में पूछा था कि वो कहाँ रहती है, उसके माँ- बाप कहाँ रहते हैं, लेकिन बदले में" आयशा ने केवल चेहरा उदास करके जोया की ओर देखकर कहा था. कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है।

    तब से ही जोया ने मन में ये डिसीजन लिया और ये ठान लिया था. कि वो आयशा को अपने साथ ही रखेगी।

    ये बात सुनकर कि" आयशा ने जोया की जान बचाई है, दोनों ही जोया के माँ- बाप आयशा के सामने खडे हो गए और बारी- बारी से उसका शुक्रिया अदा करने लगे और उसे प्यार भरी नजरों देखते हुए बोले, तुमने बेटा, एक नहीं बल्कि तीन- तीन जान बचाई। अगर आज हमारी बेटी को कुछ हो जाता, तो हम लोग भी अपनी जान दे देते। हमारी बेटी के अलावा हमारे इस दुनिया में कोई नहीं है। तुम्हारा बहुत- बहुत शुक्रिया बेटा, और तुम्हें किसने कहा कि तुम्हारा आज के बाद कोई नहीं है? हम लोग हैं ना।

    जैसे ही उन्होंने ने कहा, आज के बाद आयशा बेटी भी हमारी हुई, वो सब मुस्कुरा दिए थे और जल्दी ही उन्होंने आयशा को गले से लगा लिया था।

    आयशा भी इतना प्यार पाकर काफी ज्यादा खुश हो गई थी। क्योंकि उसके मन में जिन्न महारानी हुस्ना के अलावा पहली बार किसी ने उसे, इस तरह से प्यार से बात की थी।

    वरना पूरी जिन्नातों की दुनिया में हर कोई उसके रंग- रूप को लेकर उसे परेशान किया करता था. और उसे उल्टी- सीधी बातें सुनाया करता था। और उसके वजूद को अनदेखा करके उसे, ठुकरा दिया करते थे।

    लेकिन आज जिस तरह से उसे प्यार मिल रहा था। जोया के माँ- बाप और जोया बेहद खूबसूरत थे, और उनके सामने आयशा बडी साधारण दिखाई दे रही थी, लेकिन फिर भी उन्होंने" आयशा को इस बात का एहसास नहीं होने दिया और जोया, की तरह ही उसे प्यार किया।

    फिर जल्दी ही सबने मिलकर केक काटा और उसके बाद सब एक साथ मिलकर बडे ही खुशगवार माहौल में खाना खाया।

    आयशा केवल नाम के लिए खाना खा रही थी. क्योंकि उसे इस तरह से खाना खाने की आदत नहीं थी। जिन दिनों में वो शहजादी हुस्न के साथ रहा करती थी, तब वो कुछ फल वगैरा ही खाया करती थी।

    जैसे ही जोया ने देखा कि आयशा खाना नहीं खा रही है, वो तुरंत उसके पास जाकर खडी होकर बोली, क्या बात है बेटा? तुम खाना क्यों नहीं खा रही हो? क्या तुम्हें खाना अच्छा नहीं लगा?

    तब आयशा हल्का सा मुस्कुराकर बोली, नहीं- नहीं आंटी जी, खाना तो बहुत अच्छा है।

    जैसे ही आयशा ने जोया की माँ को आंटी जी कहा, वो हल्की नाराजगी से बोली, नहीं बेटा, तुम मुझे आंटी नहीं कहोगी, बल्कि माँ कहोगी। समझी?

    आयशा की आँखें भरने के लिए तैयार थीं, लेकिन आयशा ने उन आंसुओं को रोका। अगर आयशा आज यहाँ रो देती, तो पहले दिन ही उसकी सच्चाई इन लोगों के सामने आ जाती।

    क्योंकि आयशा की आँखों से सामान्य नॉर्मल आँसू नहीं, बल्कि खून के आँसू नजर आते थे। जैसे- तैसे आयशा ने अपने इमोशन्स पर कंट्रोल किया, उसने जोया की अम्मी, रुखसाना जी को गले से लगा लिया।

    वहीं दूसरी ओर,

    अरमान( सूर्यवंशी) का चेहरा गुस्से से लाल होकर तमतमा गया था. क्योंकि आज भरी महफिल में एक लडकी ने उसे प्रपोज करने की हिम्मत की थी। इस बात को वो डाइजेस्ट नहीं कर पा रहा था। जो पार्टी रात के बारह से एक बजे तक चलने वाली थी, वो पार्टी अरमान सूर्यवंशी ने रात के ग्यारह बजे ही खत्म कर दी और सभी लोगों को वहाँ से जाने का ऑर्डर दे दिया।

    वहाँ पर शहर के वीआईपी से लेकर गुंडे- माफिया मौजूद थे, लेकिन" अरमान सूर्यवंशी के सामने किसी की हिम्मत नहीं थी. कि वह उसकी किसी बात को इनकार कर सके। जल्दी ही पूरा पार्टी हॉल खाली हो गया।

    पार्टी खाली होने के बाद" अरमान सूर्यवंशी सीधा ड्रिंक बार के सामने चला गया और वहाँ जाकर उसने लगातार ड्रिंक करना शुरू कर दिया।

    तभी उसका दोस्त कबीर आहूजा उसके पास आया और तिरछी नजरों से उसे देखकर बडबडाने लगा, अरमान, ये क्या कर रहा है यार? बस कर। आखिरकार इतनी बडी बात क्या हो गई? अगर कोई लडकी तुझे पसंद करती है, तो इसमें इतना क्या बुरा मानना है?

    authur note, (इस स्टोरी के न्यू चैप्टर वीकेंड में पोस्ट होंगे एक विक में एक चैप्टर आएगा) i हॉप आप लोग ढेर सारा प्यार देंगे और अपना साथ बनाए रखेंगे।

  • 4. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 4

    Words: 1672

    Estimated Reading Time: 11 min

    आखिरकार इतनी बडी बात क्या हो गई? अगर कोई लडकी तुझे पसंद करती है, तो इसमें इतना क्या बुरा मानना है?

    यह सुनकर अरमान ने जोर से गिलास जमीन पटक दिया और गुस्से में अपने दोस्त का कॉलर पकडकर अपनी गहरी आंखों से उसे, गौर से देखते हुए सख्त आवाज में बोला, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे इस तरह से बात करने की? हां, बोलो, जवाब दो।

    मुझे नफरत है लडकियों से, सख्त नफरत। मुझे पसंद नहीं हैं लडकियां। ये बात तो तुम अच्छी तरह से जानते हो, फिर तू इस तरह की बातें मुझसे कैसे कर सकता है?

    ये सुनकर अब कबीर का भी गुस्सा बढ गया और वो झुंझलाकर बोला, अरमान, तुम मुझसे कैसी बातें कर रहा है? मैं तेरा कोई नौकर- गुलाम नहीं हूँ। शायद तू भूल रहा है, मैं तेरा दोस्त हूँ। और अगर किसी लडकी ने अपनी पसंद का इजहार कर भी दिया, तो इसमें इतना बडा तमाशा बनाने की क्या जरूरत थी?

    तुझे पता है तुने उस लडकी की कितनी बेइज्जती की? अरे, मुझे तो उस लडकी की फिक्र हो रही है पता नहीं वह लडकी कब तक जिंदा भी है या मर गई, क्योंकि तेरी इतनी कडवी बातें सुनने के बाद मुझे नहीं लगता कि वो लडकी अब तक जिंदा होगी।

    कबीर के ये बोलने पर अरमान तिरछा सी स्माइल करके बोला, अगर ये बात सच है, तो वाकई मुझे खुशी होगी, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि वो लडकी जिंदा रहे। अरमान सूर्यवंशी को उसकी बिना परमिशन देखने की इजाजत किसी को नहीं है। समझा तू?

    कबीर अजीब सा मुंह बनाकर बुदबुदाता है, पता नहीं तू अपने आपको क्या समझता है? सोचता है कि तेरे लिए तो कहीं की कोई शहजादी ही आएगी। ये बात वो मन ही मन बडबडा सकता था. उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो" अरमान के सामने ये सारी बातें बोल दे, भले ही वो उसका कितना पक्का या बचपन का दोस्त क्यों ना हो।

    अब कबीर को बडाबढता हुआ देखकर अरमान अपनी आईब्रो सिकोडकर उसे घूरते हुए बोला, अब इस तरह से मुझे घूर क्यों रहा है? हां, और क्या पटर पटर कर रहा है? तू मेरे बारे में अभी उससे इतना ही पूछा था कि.

    तभी उसे पीछे से किसी की आवाज उन्हें सुनाई देती है। बॉस, वो लोग पकडे गए। अभी आवाज सुनकर अरमान, जो थोडी देर पहले गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, अचानक उसके चेहरे पर एक खतरनाक मुस्कुराहट आ गई। और वो मुस्कुरा कर अपने पीछे खडे हुए इंसान को तिरछी नजरों देखने लगा।

    हालाँकि अरमान सूर्यवंशी मुस्कुरा रहा था, लेकिन उसके पीछे खडा हुआ इंसान उसे ऐसा लग रहा था. मानो कि उसके शरीर का खून जम गया हो। क्योंकि" अरमान सूर्यवंशी मुस्कुराता हुआ उसे बडी ही खतरनाक फीलिंग दे रहा था।

    फिलहाल वो इंसान कोई और नहीं, बल्कि अरमान का बॉडीगार्ड, शेरा था. जो दिखने में एकदम बॉडीबिल्डर था। सौ लोगों से अकेले लडने की उसमें हिम्मत और ताकत दोनों ही थी, लेकिन अगर उसकी हालत किसी के सामने जाने से खराब हुआ करती थी, तो वो था. उसका बॉस, अरमान सूर्यवंशी, जो कितना खतरनाक था, इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता था।

    फिलहाल, शेरा ने वहाँ जाकर" अरमान को बताया की वो तीनों लोग पकडे गए, जिन्होंने अरमान के इलीगल काम में टांग अडाने की कोशिश की थी। वो कोई और नहीं, बल्कि दो पुलिस ऑफिसर और एक पत्रकार था, जिन्हें" अरमान सूर्यवंशी के खिलाफ उसके इलीगल कामों की भनक लगी थी।

    लेकिन अरमान सूर्यवंशी इसलिए मुस्कुरा रहा था. क्योंकि एक लडकी की वजह से उसका दिमाग काफी खराब हो गया था. और वो अपनी भडास किसी पर उतारना चाहता था, और फिलहाल उसे तरीका मिल गया था. कि वो अपनी झुंझलाहट Kiss पर और कैसे उतारेगा। इसीलिए वो डेविल स्माइल करते हुए कबीर, की तरफ एक आँख मारते हुए वहाँ से निकल गया।

    उसके जाने के बाद कबीर ने बेबसी से अपना sir ना में हिला लिया। कहीं ना कहीं कबीर सोचने लगा था. की इस वक्त" अरमान सूर्यवंशी उन तीनों लोगों की कितनी बुरी तरीके से हत्या करेगा, इसका कोई अंदाजा भी नहीं लग सकता था, क्योंकि हर बार" अरमान सूर्यवंशी नॉर्मल मौत नहीं, बल्कि बडी ही खतरनाक और दर्दभरी मौत दिया करता था।

    फिलहाल अरमान के जाने के बाद कबीर अब ड्रिंक करते हुए अरमान के बारे में सोचने लगा, लेकिन ठीक उसी वक्त वहां एक आवाज गूंजती है, अरमान भाई! अरमान भाई! कहाँ हैं आप? मैं आपको कब से ढूँढ रहा हूँ, अरमान भाई।

    अब ये आवाज सुनकर कबीर दरवाजे की ओर गौर से देखने लगा। वहाँ अरमान का छोटा भाई, आहान, खडा था। आहान को देखकर कबीर उठ खडा हुआ।

    तभी कबीर ने आगे बढकर आहान को गले से लगा लिया और और उसकी पीठ थपथपाते हुए बोला, और क्या हुआ छोटे? इस तरह से अरमान को आवाजें क्यों लगा रहा है?

    आहान नटखट अंदाज में मुंह बनाते हुए बोला, मैंने सोचा कि अरमान भाई भी आपके साथ यहाँ होंगे। मुझे पता चला कि आज रात अरमान भाई की पार्टी देर तक चलने वाली है, इसीलिए मैं अपने दोस्तों के साथ मौज- मस्ती करने के लिए वहां चला गया था, लेकिन बाद में मुझे बॉडीगार्ड का फोन आया। उसने बताया कि पार्टी कैंसिल हो गई है और केवल ग्यारह बजे में ही पार्टी खत्म हो गई। तो मैं चौंक गया और" अरमान भाई ने मुझे काम दिया था, तो बस मैं उनका काम करके फटाफट से यहाँ आ रहा हूं।

    लेकिन आपको क्या हुआ? आप इस तरह से यहाँ क्यों बैठे हैं? वहां पार्टी में ऐसा क्या हंगामा हो गया? आप मुझे कुछ बताएँगे। मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।

    अहान कबीर को भी अपना भाई मानता था।

    तब आहान की बात सुनकर कबीर ने एक गहरी साँस ली और फिर बोलना शुरू किया, तू तो जानता है ना अपने खडूस भाई को, वो क्या किसी को चैन से जीने देता है? तुझे पता है उसने क्या किया?

    फ्लैशबैक:

    शहर की सबसे बडी पार्टी ऑर्गेनाइज की गई थी। दुनिया भर के वीआईपी लोग उस वक्त पार्टी में मौजूद थे।

    अरमान सूर्यवंशी इस पार्टी में अपना एक न्यू ज्वेलरी design लॉन्च करने वाला था. उसका न्यू ब्रांड, जो एक डायमंड नेकलेस था। अरमान सूर्यवंशी डायमंड और गोल्ड का एक बहुत बडा बिजनेस था, और वक्त- वक्त पर वो लोग बेस्ट डिजाइन्स के डायमंड नेकलेस वगैरह नए- नए डिजाइन्स मार्केट में लाते थे।

    और उस वक्त" अरमान सूर्यवंशी का इरादा इस पार्टी में अपने नए नेकलेस को लॉन्च करने का था. जो उसने, बडे ही बेहतरीन तरीके से तैयार करवाया था। उस वक्त अरमान सूर्यवंशी वो नेकलेस इंट्रोड्यूस करने वाला था, सब लोगों के सामने प्रेजेंट करने वाला था,

    ठीक उसी वक्त, जोया, जो नेकलेस अपने साथ लेकर आयी थी, अचानक अरमान को देखते ही वो, उस पर फिदा हो गई और उसे, गले से लगाने की कोशिश करने लगी, और बेकाबू होकर सबके सामने अपने प्यार का इजहार कर बैठी।

    अब ये सुनकर आहान का तो गला सूखने लगा, और वो इमेजिन करने लगा कि आखिरकार पार्टी में उसके बाद क्या हुआ होगा।

    अरमान को तो कुछ समझ में नहीं आया, वो तो नेकलेस का वेट कर रहा था, लेकिन जिस तरह से जोया ने उसे गले से लगाया, ये देखकर अरमान का शरीर गुस्से से जलने लगा, और उसने उस वक्त जोया को बेरहमी से धक्का दे दिया।

    और अपनी लाल आँखों से उसे चेतावनी देते हुए कहा, कि वो उसके आसपास भी दिखाई नहीं देनी चाहिए, और सिक्योरिटी को बुलाकर उसने जोया उसी वक्त वहाँ से बाहर फिकवा दिया। उसके बाद तो अरमान का मूड स्पॉइल हो गया और जल्दी ही उसने, पार्टी खत्म करने का ऐलान कर दिया।

    अब ये सुनकर आहान भौंचक्का हो गया, और पास में ही पडी हुई पानी की बोतल उठाकर उसे, होठों से लगाकर फटाफट पीने लगा और पानी पीने के बाद गहरी साँस लेकर बडबडाया, are you सीरियस भाई! आप ठीक कह रहे हैं। किसी लडकी ने भाई को प्रपोज किया, और भाई ने उसके साथ ऐसा सलूक किया, वो भी भरी महफिल में! वो बहादुर लडकी कौन है? मैं एक बार, बस एक बार उस लडकी से मैं जरूर मिलना चाहूँगा।

    तभी कबीर कुछ पल सोचते हुए बोला, पता नहीं वो बेचारी लडकी जिंदा है या मर गई, पर मुझे तो उस लडकी की काफी फिक्र हो रही है।

    तब अहान एकदम से उदास होकर बोला, आखिर भाई की प्रॉब्लम क्या है? क्यों वो लडकियों से इतनी ज्यादा नफरत करते हैं? क्यों इतनी ज्यादा कडवाहट? आपको पता है, उनके ऑफिस में किसी फीमेल स्टाफ को अंदर जाने की भी इजाजत नहीं है।

    और शायद उस बेचारी लडकी ने पहली बार भाई को देखा होगा, और शायद Love एट फर्स्ट साइट में वह भाई को प्रपोज भी कर बैठी, लेकिन बेचारी का क्या हाल हुआ होगा? आई विश, वो ठीक रहे। आहान ने अपना मासूम सा चेहरा बनाते हुए फिक्र जताते हुए बोला।

    कबीर बेपरवाही से मुंह बनाते हुए बोला, तेरे भाई को तो लगता है कि वो एक शहजादा है, और उसके लिए कहीं से उतरकर कोई शहजादी ही आएगी। तू देखना, जल्दी इस इंसान को मोहब्बत होगी, और ये अपनी मोहब्बत में पूरी तरह से बदल जाएगा। ऐसे इंसान को मोहब्बत होगी तो क्या करेगा? ये अपनी मोहब्बत में. फिर कुछ पल रुककर चिढते हुए बोला, फिलहाल तो तेरा भाई गया है अपना फेवरेट काम करने के लिए।

    अब जैसे ही कबीर बोलना बंद किया, आहान की आँखों में नमी आ गई, और वो दबी हुई आवाज में बोला, पता नहीं भाई कब ये खून- खराबा बंद करेंगे। ये बोलकर वो मायूस सा होकर कबीर के गले से लग गया।

    वहीं दूसरी ओर,

    इस वक्त आयशा और जोया एक साथ कमरे में मौजूद थे। जोया अभी भी रो रही थी, और साथ ही साथ आयशा का ढेर सारा शुक्रिया अदा कर रही थी. कि उसने उस वक्त उसकी जान बचा ली थी। अगर उसकी जान चली जाती, तो उसके माँ- बाप भी अपनी जान दे देते।

    जोया को आज बहुत ही ज्यादा दिल दुख रहा था, और बार- बार अरमान ने उसके साथ क्या किया था, वो सारी बातें उसने आयशा को बता दी थीं। कहीं ना कहीं आयशा का दिल भी" अरमान की तरफ से गुस्से और नफरत से भर गया था।

  • 5. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 5

    Words: 2063

    Estimated Reading Time: 13 min

    वही दूसरी ओर जोया आयशा को अपने Boss की बेरुखी और अपनी बेइज्जती के बारे में बताती है।
    आयशा को ये सब जानकर बहुत ज्यादा बुरा लग रहा था। वह सोच रही थी कि काश वो भी उसके Boss से एक बार मिल पाती। फिर उसके बाद उस इंसान को अच्छा- खासा मजा जरूर चखाती।

    लेकिन फिर जोया ने ये भी बता दिया था. कि अरमान ने उसे तीन दिनों में अपना इस्तीफा देने के लिए कहा है और सारा काम अपने सुपीरियर को हैंडओवर करने के लिए कहा है। अब ये सब बताते हुए जोया की आँखों में उदासी झलक आयी।

    अचानक से आयशा बेफिक्री बोली, तुम फिक्र मत करो, हम भी तुम्हारे साथ चलेंगे, और हम तुमसे वादा करते हैं कि हम तुम्हारी नौकरी नहीं जाने देंगे।

    अब जैसे ही आयशा ने इतने आत्म विश्वास के साथ ये बात बोली, जोया ने उसे पहले आश्चर्य से देखा फिर हंसते हुए बोली, तुम्हें पता है, तुम्हारी बातें मुझे एक अलग लेवल का सुकून देती हैं। तुम कौन हो?

    एक पल के लिए जोया की बात सुनकर आयशा सकपका कर चुप हो गई, और फिर अपने आपको आईने में देखकर उदास मन से बोली, मैं एक बदसूरत लडकी हूँ, जिसे अपनी बदसूरती की वजह से सिर्फ और सिर्फ अकेलापन और बेइज्जती ही मिली है, कभी इज्जत नहीं मिली, कभी प्यार नहीं मिला।

    जैसे ही आयशा ने ऐसा बोला, तब जोया को काफी अजीब लगा, क्योंकि जिस तरह से आयशा बोल रही थी, वो बडे ही अजीब तरीके से बोल रही थी। अब आयशा की बात जोया को कुछ खास समझ में तो नहीं आयी,

    लेकिन वो समझ चुकी थी. कि शायद अपने नाक- नक्शे को लेकर, और अपने शरीर की बनावट को लेकर वो इस तरह की बातें कर रही है। इसीलिए जोया उठ खडी हुई, और" आयशा को गले से लगाकर एक एक शब्द पर जोर देते हुए बोली, कौन कहता है कि तुम बदसूरत हो? तुम बहुत खूबसूरत हो! और वैसे भी, इंसान का शक्ल और सूरत कुछ नहीं होता, उसकी सीरत खूबसूरत होनी चाहिए, बेशक तुम बहुत प्यारी हो। ये बोलकर उसने आयशा को गले से लगा लिया।

    तब आयशा भी हल्का सा मुस्कुराई। फिलहाल, जोया ने आयशा को कुछ कपडे चेंज करने के लिए दिए और फिर बात बदलते हुए उसे बोली कि उन्हें आराम करना चाहिए। और जल्दी ही, अब हम कल ऑफिस जाएँगे, क्योंकि अभी नौकरी रहे या ना रहे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पडता, लेकिन हाँ, मैं तुम्हें अपने साथ ऑफिस लेकर जरूर जाऊँगी। ये बोलकर जोया अब जल्दी ही बाथरूम में कपडे चेंज करने के लिए चली गई।

    वहीं आयशा कपडे लेकर एक तरफ बैठ गई। इस वक्त उसे अपनी माँ, जिन्न महारानी, की शिद्दत से याद आ रही थी। और जैसे ही उसने अपनी आँखें खोलीं, उसके ठीक सामने उसकी माँ प्यारी सी मुस्कान लिए खडी हुई थी।

    अपनी माँ को कमरे में देखकर आयशा खुश हो गई। उसने तुरंत अपनी माँ, जिन्न महारानी, को गले से लगा लिया और चहकते हुए बोली, अम्मी जान! आप यहाँ? आप ठीक हैं ना? आप जानती हैं, हम आपको बहुत याद कर रहे थे। और वाकई, अम्मी जान, आपने हमारे लिए बहुत अच्छा परिवार चुना है।

    आप जानती हैं, ये लोग हमसे कितने प्यार से पेश आ रहे हैं, और कोई भी हमारी बदसूरती को लेकर हमारे वजूद को, ठुकरा नहीं रहा है। कहीं ना कहीं ये सब कहते हुए आयशा की आँखें भर आयीं, और उसकी आँखों से लाल रंग के आँसू झर झर बहने लगे।

    जिन्न महारानी हुस्ना, आयशा के आंसू देखकर तडप उठीं! और अपनी बेटी को गले से लगाकर अगले ही पल बोलीं, मुझे पूरी उम्मीद है, मेरी बच्ची, तुम्हें यहाँ इस इंसानी दुनिया में तुम्हारी खूबसूरती जरूर वापस मिलेगी, और उसके बाद हमारी बच्ची हमेशा- हमेशा के लिए खूबसूरत हो जाएगी।

    और वैसे भी, मेरी बच्ची, जिन लोगों की बेरुखी की वजह से तुम आज यहाँ हो, वो सब तुम्हारे सामने झुकेंगे, क्योंकि अपने अब्बू, अपने पिता के बाद, तुम ही तो अगली जिन्न महारानी बनोगी।

    अब ये सुनकर आयशा थोडा सा दंग रह गई और एकदम से हैरान होकर बोली, लेकिन पिताजी ने तो हमें जिन्न महारानी बनाने से मना कर दिया था।

    तब जिन्न महारानी हुस्ना एकदम शांत आवाज में बोलीं, नहीं, मेरी बच्ची, वैसे भी तुम्हारे अलावा हमारा इस दुनिया में कोई नहीं है, और तुम ही हमारे वंशज हो, तो तुम ही हमारी जिन्न महारानी बनोगी। और उसके बाद तुम्हारे पास इतनी सारी शक्तियाँ होंगी, तुम आसानी से किसी का भी मुकाबला कर पाओगी।

    और तुम जानती हो, जो लडकियाँ, जो शहजादियां, तुम्हारा मजाक उडाया करती थीं दुनिया में, वो सब तुम्हारे सामने झुकेंगी और तुम्हें सजदा करेंगी।

    अब यह सुनकर कहीं ना कहीं आयशा को अच्छा भी लग रहा था, लेकिन ना जाने क्यों उसके दिल को अंदर से खुशी का एहसास नहीं हो पा रहा था।

    वेल, अभी जिन्न महारानी आयशा को कुछ और बात करना चाहती थीं, तभी उन्हें बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी, और ठीक उसी वक्त जिन्न महारानी वहाँ से गायब हो गईं।

    उनके जाने के बाद आयशा ने दरवाजे की ओर गौर देखा जहाँ से जोया आ रही थी, और जोया ने इधर उधर देखा और आकर सीधे आयशा से पूछा, तुम किसी से बात कर रही थी. क्योंकि अभी मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी।

    तब जल्दी से आयशा बात बदलते हुए बोली, नहीं- नहीं, आपको कुछ और ही सुनाई दिया होगा, हम तो खुद से ही बातें कर रहे थे।

    अब ये बोलकर आयशा हल्का सा मुस्कुरा दी। तभी जोया ने आयशा को कपडे चेंज करने के लिए कहा और नखरीले अंदाज में बोली, शायद मेरी कोई गलतफहमी होगी। और उसके बाद वो अपने फोन को स्क्रॉल करने लगी।

    लेकिन जैसे ही जोया ने अपना फोन स्क्रॉल किया, तो उसकी आँखें हैरानी से फटी की फटी रह गईं, क्योंकि सोशल मीडिया के टॉप ट्रेंडिंग टॉपिक पर जिस तरह से" अरमान सूर्यवंशी ने जोया को स्टेज पर धक्का दिया था. और लाल आँखों से उसे घूरते हुए उसे अपने आप से दूर रहने की चेतावनी दी थी, ये सारी बातें किसी ने शूट करके सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी थीं। अब ये वीडियो देखकर जोया की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी।

    तब तक जल्दी ही आयशा जोया के दिए हुए कपडे पहनकर बाहर आ गई थी। जोया ने उसे एक व्हाइट रंग की सलवार और उसके ऊपर हल्के पीले रंग की कमीज दी थी। हमेशा की तरह ही आयशा उसमें बडी ही बदसूरत एक दम भद्दी लग रही थी,

    लेकिन आयशा ने अब आईना देखना बंद कर दिया था, क्योंकि वो अपनी बदसूरती को एक्सेप्ट कर चुकी थी। उसने डिसीजन ले लिया था. कि जिस दिन उसकी सच्ची मोहब्बत उसकी जिन्दगी में आएगी, उसी दिन वो आईना देखेगी और अपनी खूबसूरती को देखेगी।

    फिलहाल, अब जैसे ही वो बाहर आयी, उसने जोया को देखा जो घुटनों के बल बैठे हुए रो रही थी। अब जोया को यूँ रोते बिलखते हुए देखकर आयशा हडबडा गई। और उसके sir पर हाथ फेरकर प्यारी सी आवाज में बोली, क्या हुआ जोया? तुम कुछ परेशान क्यों लग रही हो, और तुम इस तरह से रो क्यों रही हो? क्या हुआ? अभी तो सबकुछ ठीक हो गया था ना? हमने तुमसे कहा ना कि हम तुम्हारे साथ चलेंगे, और मैं पूरी कोशिश करूँगी कि तुम्हारी नौकरी ना जाए, तो फिर तुम रो क्यों रही हो? बताओ, क्या हुआ है?



    अब आयशा की बात सुनकर जोया ने अपना sir उठाया और आयशा की ओर उदास नजरों से उसे देखकर सिसकियां लेती हुई बोली, तुमने मेरी जान बचाई, पर मुझे लगता है कि मेरे पास अब मरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है, बिल्कुल भी कोई और रास्ता नहीं है। ये बोलते हुए जोया फिर से रोने लगी।

    अब आयशा एकदम से हैरान गई और उसकी ओर सवालिया निगाहों देखने लगी और फिर आहिस्ता से बोली, क्या हुआ जोया? तुम इस तरह से क्यों रो रही हो, और ऐसी बातें क्यों कह रही हो? बताओ ना मुझे, क्या हुआ है?

    जल्दी ही जोया ने खाली खाली नजरों से आयशा की ओर देखा और अपना फोन उसकी तरफ बढा दिया। फोन देखकर आयशा चौंक गई, क्योंकि फोन क्या होता है, ये सब तो उसे नहीं पता था।

    नॉर्मली इंसानों की दुनिया में आने से पहले उसने इंसानों की तरह रहना, खाना, बोलना, ये सारी चीजें सीख ली थीं, लेकिन इंसानों की दुनिया में Kiss तरह की क्या टेक्नोलॉजी है, इसका उसे कोई खास अंदाजा नहीं था।

    अब आयशा फोन को इधर उधर करके हैरानी से देखने लगी और फिर कुछ आवाजें सुनकर उस वीडियो को भी गौर से देखने लगी। वीडियो में अरमान ने जोया को धक्का दिया था। उसमें अरमान का चेहरा तो साफ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन जोया साफ- साफ दिखाई दे रही थी।

    अब उस वीडियो को देखते हुए आयशा हैरानी से जोया की ओर उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, क्या हुआ? इसमें ऐसा क्या है?

    अब जोया हल्की नाराजगी से बोली, क्या तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा? किसी ने मेरी बेइज्जती का, और वीडियो सोशल मीडिया पर लाइव कर दिया है, और अब ये वीडियो मेरे माँ- बाप तक भी पहुँच जाएगी। उसके बाद मैं समाज में अपना मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी। अब मुझे लगता है कि मुझे मर ही जाना चाहिए। ये बोलकर उसने आयशा के कंधे पर sir रखकर जोरों से फूट फूटकर रोना शुरू कर दिया।

    अब आयशा ने अपनी आँखें बंद कीं और फोन को उसने अपने हाथ में कसकर पकड लिया। वो जानना चाहती थी. कि आखिरकार ये फोन क्या चीज है और उसके अंदर ये सोशल मीडिया क्या होता है, क्योंकि उसे तो इस बात के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। जल्दी ही उसने, जोया की मदद करने के लिए अपनी कुछ जादुई शक्तियों का इस्तेमाल किया, और जल्दी ही सोशल मीडिया, साथ ही साथ फोन, कंप्यूटर, हर चीज की नॉलेज उसके दिलो- दिमाग में आ चुकी थी।

    क्योंकि आयशा अपनी मदद करने के लिए अपनी जादुई शक्तियों का, इस्तेमाल नहीं कर सकती थी। लेकिन जोया की मदद करने के लिए उसने, फोन और" सोशल मीडिया वगैरा कैसे हैंडल करना है, ये सब अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सीख लिया।

    फिलहाल, आयशा सारी चीजें अच्छी तरह से समझने के बाद हल्का सा मुस्कुराई और जोया की ओर देखकर बोली, तुम्हारा मसला यही है ना कि ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है?

    जोया रोनी सी शक्ल बनाकर बोली, हाँ,

    फिर आयशा रहस्यमयी तरीके से बोली, अगर मैं इस मामले को ठीक कर दूँ तो. जैसे ही आयशा ये बात बोली, जोया अपनी आँखों में हैरानी लिए सवालिया निगाहों से आयशा की ओर देखकर बोली, लेकिन तुम इसे कैसे ठीक कर सकती हो?

    आयशा ने अपनी आँखें एक पल के लिए बंद कीं और जोया की ओर बेहद शांत भाव से देखकर बोली, तुम मुझे कोई लैपटॉप लाकर दो। क्योंकि आयशा ने जल्दी ही सारी चीजों को अच्छे से सीख लिया था।

    अब जैसे ही जोया ने आयशा को लैपटॉप लाकर दिया, आयशा ने गहरी साँस ली और फटाफट से उसने अपनी उँगलियों को कीबोर्ड पर चलाना शुरू कर दिया, और देखते ही देखते उसने पूरे सोशल मीडिया के अकाउंट को हैक करके, इस वीडियो को डिलीट कर दिया, और साथ ही साथ अपने जादू का इस्तेमाल करके जिन भी लोगों ने इस वीडियो को देखा होगा, उनके दिमाग से ये सारी याददाश्त को डिस्ट्रॉय कर दिया।

    अब ये देखकर कि आयशा ने Kiss तरह से सोशल मीडिया को हैंडल किया है, जोया की आंखें हैरानी से फटी की फटी रह गई थी। और वो उलझन भरी नजरों से उसे देखकर एकदम से हडबडा कर बोली, ये कैसे किया तुमने? तुम तो जिनीयस् हो यार! मैं तो पहली नजर में समझ गई थी. कि तुम कोई आम लडकी नहीं हो। तुम तो एक बहुत बडी हैकर हो! मैं समझ गई।

    जोया ने आयशा को एक बहुत बडी हैकर समझ लिया था, लेकिन फिलहाल आयशा ने उसकी प्रॉब्लम दूर कर दी थी, तो उसके लिए तो यही बहुत बडी बात थी, और उसने खुशी से आयशा को गले से लगा लिया और खुशी से चहकते हुए बोली, तुम तो मेरी जिन्दगी में एक फरिश्ता बनकर आयी हो। मैं तुम्हें अपनी जिन्दगी से कभी दूर नहीं जाने दूँगी। ये बोलकर जोया मुस्कुराने लगी और खुशी से उछलते हुए सोने के लिए बेड पर चली गई।

    जोया के सोने के बाद आयशा उठकर बैठ गई और जोया, के कमरे की खिडकी से बाहर देखने लगी। उसके दिल में एक अजीब सा खालीपन था। ये खालीपन क्यों था, वो खुद समझ नहीं पा रही थी।

  • 6. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 6

    Words: 2193

    Estimated Reading Time: 14 min

    वहीं दूसरी ओर, इस वक्त अरमान सूर्यवंशी अपने फार्महाउस पर मौजूद था. और उसके ठीक सामने काले कपडे से मुंह ढके हुए तीन लोग बैठे थे। उनमें से दो पुलिस ऑफिसर थे. और एक जनरलिस्ट था। वो तीनों ही" अरमान सूर्यवंशी के काले धंधों के बारे में पता लगाने के लिए दिन- रात मेहनत कर रहे थे।

    लेकिन अरमान सूर्यवंशी को इसकी भनक लग गई। उसने अपने खास आदमी शेरा को उन्हें पकडकर लाने के लिए भेजा, और आज फाइनली वे तीनों अरमान सूर्यवंशी के हाथ लग गए थे।

    अरमान उन तीनों को इस तरह देख रहा था, जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है। वो बडी- बडी आंखों से तीनों को स्कैन कर रहा था. और जल्द ही एक छोटा सा शिकारी चाकू हाथ में पकडे उनके, ठीक सामने जाकर खडा हो गया। इशारे से उसने उनके चेहरों से कपडा हटवाया।

    अब वे तीनों अपने सामने" अरमान सूर्यवंशी को देखकर थरथर कांपने लगे। तीनों ही हाथ जोडकर अरमान से अपनी जान बख्शने की भीख मांगने लगे, लेकिन जितना वो लोग उसके सामने तडप रहे थे और गिडगिडा रहे थे, अरमान सूर्यवंशी उतना ही जोर से हंसता जा रहा था। उसे ये सब किसी इंटरटेनमेंट की तरह लग रहा था।

    जोया की वजह से आज" अरमान सूर्यवंशी का मूड पूरी तरह से खराब हो चुका था, लेकिन अब एक बार फिर अपना मूड ठीक करने के लिए वो यहां आया था. उन लोगों को अपने हाथों से सजा देने के लिए। कहीं न कहीं, उन लोगों की जान लेने के बाद वो खुदको तरोताजा महसूस करना चाहता था।

    फिलहाल, अचानक पुलिस ऑफिसर, जो अरमान सूर्यवंशी की कैद में था, थोडा हिम्मत जुटाकर तेज आवाज में बोला, अरमान सूर्यवंशी! मैं कहता हूं, अभी भी वक्त है तुम्हारे पास। अपने आपको कानून के हवाले कर दो, और अपने सारे जुर्म कबूल कर लो। अगर तुमने गलती से भी हमारी जान लेने कोशिश की, तो याद रखना कानून तुम्हें नहीं छोडेगा!

    हालांकि, उसकी आवाज में लडखडा रही थी. और उसके चेहरे पर" अरमान सूर्यवंशी का डर भी साफ झलक रहा था, लेकिन वो एक पुलिस ऑफिसर था। इस तरह से भला वह" अरमान सूर्यवंशी के सामने घुटने कैसे टेक सकता था?

    लेकिन जैसे ही उसने अरमान को कानून का खौफ दिखाने की कोशिश की, अरमान सूर्यवंशी जोर- जोर से हंसने लगा। देखते ही देखते, उसने अपने हाथ में पकडे चाकू से पुलिस ऑफिसर की जुबान पर अचानक से हमला कर दिया।

    जैसे ही उसकी जुबान कटी, बाकी का एक और ऑफिसर और जनरलिस्ट सूखे पत्ते की तरह कांपने लगे। उन्हें समझ आ चुका था कि वे किसके सामने खडे थे। और उनके साथ क्या कुछ हो सकता है।

    फिलहाल पुलिस ऑफिसर की जुबान काटने के बाद, अरमान सूर्यवंशी ने अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ किया, क्योंकि उसके ठीक बराबर में उसका आदमी पानी का एक बाउल लेकर खडा था। हाथ धोने के बाद उसने एक लाल मखमली रुमाल से अपने, हाथ पोंछे और मुस्कुराकर शेरा की ओर देखा।

    फिलहाल आज का उसका" एंटरटेनमेंट" पूरा हो चुका था। फिर, शेरा की ओर देखकर उसने आंखों ही आंखों में उसे कुछ ऑर्डर दिया और वहां से बाहर निकल गया।

    अरमान के जाते ही, शेरा ने उन तीनों को उठाकर सीधा ब्लैकी के पिंजरे में डाल दिया। ब्लैकी, अरमान सूर्यवंशी का पालतू जानवर था. एक बडा, खतरनाक और काले रंग का एनाकोंडा कोबरा सांप। उसका नाम" ब्लैकी" था, और उसे देखकर ही लोग डर के मारे Heart अटैक से मर जाया करते थे।

    लेकिन ये सांप सिर्फ और सिर्फ अरमान सूर्यवंशी की गंध को पहचानता था. और उसी के आगे शांत रहता था, चाहे वो कितना भी भूखा क्यों ना हो। बडी सावधानी से शेरा ने उन तीनों को" ब्लैकी की गुफा में डाल दिया, और कुछ ही देर में तीनों की चीखने- चिल्लाने आवाजें गूंजने के बाद हमेशा के लिए शांत हो गईं।

    वहीं दूसरी ओर,

    इस वक्त अरमान सूर्यवंशी अपने शानदार मेंशन में रूबाब से बैठा हुआ था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति पसरी हुई थी। अभी उसे वहां बैठे हुए कुछ ही देर हुआ था. कि तभी उसके कानों में एक जानी पहचानी आवाज गूंजी" अरमान! अरमान! कहां हो तुम?

    जैसे ही उसे ये आवाज आयी, अरमान के माथे पर बल पड गए। उसके हाथ में इस वक्त एक ग्लास था। उसने उसे साइड में रखा और तुरंत उठकर उस कमरे की ओर जाने लगा, जहां से आवाज आ रही थी।

    जैसे ही वह कमरे में पहुंचा, उसने देखा कि वहां एक बुजुर्ग औरत बैठी थी। उनका चेहरा झुर्रियों से भरा हुआ था, और उनकी कमजोर काया देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता था. कि उनकी उम्र सत्तर से पिछतत्र साल के बीच होगी।

    वही बुजुर्ग औरत" अरमान को आवाज लगा रही थी। अरमान जैसे ही उनके पास गया, उसने अपना सिर उनके सामने झुका दिया।

    तब बूढी औरत ने बडे प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और ममता भरी आवाज में बोली, तूने खाना खाया, बेटा? और तेरे पिताजी कहां हैं? मैं उस नालायक को कब से बुला रही हूं, लेकिन देख, वो अभी तक मेरे पास नहीं आया। बता, मेरे बच्चे कहां हैं वो? और तेरा वो बदमाश भाई. कहीं उसने फिर से कोई शरारत तो नहीं की?

    तुझे पता है, कल उसने क्या किया? श्याम वर्मा का परिवार है ना, सामने वाला? उनकी खिडकी का कांच तोड दिया। कल भी मिसेज वर्मा मुझसे शिकायत कर रही थीं! यह कहते हुए बुजुर्ग अम्मा की आवाज हल्की- हल्की थरथरा रही थी।

    तभी, अरमान बिना किसी भाव के उनकी ओर देखकर बेहद शांत आवाज में जवाब देते हुए बोला, सब ठीक है, दादी मां। आपको किसी के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। आपको अभी आराम करना चाहिए।

    ये कहकर अरमान ने तुरंत डोरबेल बजाई, और देखते ही देखते Hospital स्टाफ कमरे में आ गया। अरमान ने गुस्से से उन पर नजर डाली और दमदार आवाज में कहा, कहां थे तुम सब? दादी कब से मुझे आवाज लगा रही थीं! क्या तुम लोगों को सुनाई नहीं दिया? कितनी बार कहा है, दादी को एक मिनट के लिए भी अकेला मत छोडा करो!

    जल्दी ही एक नर्स, जो चौबीस घंटे दादी की देखभाल के लिए नियुक्त थी, घबराई हुई आगे आयी और एकदम से घबराहट में बोली, माफ कर दीजिए, सर! जब मैं कमरे से गई थी, बडी मैडम सो रही थीं। मैं सिर्फ उनके लिए लंच लेने गई थी।

    ये सुनकर अरमान ने माथे पर हाथ फेरा और गुस्से में गंभीर होकर बोला, मुझे वे लोग सख्त जहर लगते हैं जो माफी मांगते हैं। समझी तुम?

    फिर, उसने गुस्से में कहा, दादी मां के लिए इस घर में सौ से ज्यादा नौकर मौजूद हैं। वे भी जा सकते थे! तुम क्यों गईं? इसकी सजा तुम्हें जरूर मिलेगी! ये कहकर वह बिना किसी Emotions के वहां से बाहर निकल गया.

    अपने कमरे में जाकर अंधेरे में बैठ गया। इस वक्त, अरमान की आंखों के सामने उसका बचपन घूम रहा था। क्योंकि आज भी उसकी दादी का दिमाग वहीं अटका हुआ था. जहां पंद्रह साल पहले, जब अरमान और आहान छोटे बच्चे थे. और गलियों में क्रिकेट खेला करते थे।

    वेल, तभी अरमान की आंखों के सामने कुछ धुंधले- धुंधले दृश्य दिखाई देने लगे थे, और उसने अपनी आंखें खोल ली थीं। उसकी आंखें पूरी तरह से लाल हो चुकी थीं, और उसने अपने हाथ में पडा हुआ गिलास जोर से जमीन पर पटका और उठ खडा हुआ।

    अब जैसे ही वह वहां से बाहर निकला, तुरंत उसे आहान और कबीर दिखे, जो घर की ओर आ रहे थे। क्योंकि अब फाइव- स्टार होटल में ऑलरेडी पार्टी खत्म हो चुकी थी, तो इसीलिए वो दोनों अब घर लौट आये।

    कबीर आज आहान के साथ ही घर आ गया था। वैसे भी, कबीर अरमान का बचपन का दोस्त था. और सूर्यवंशी मेंशन में कभी भी आ- जा सकता था।

    अब जैसे ही कबीर और आहान वहां आए, उन्होंने अरमान को लाल आंखों के साथ उनकी ओर आते हुए देखा, तो दोनों ही अंदर तक सहम गए थे, क्योंकि वे समझ चुके थे कि जरूर फिर से कुछ ना कुछ कांड हुआ है।

    तभी कबीर ने आहान को कुछ इशारा किया, और आहान कबीर का इशारा समझकर तुरंत अरमान के सामने जाकर खडा हो गया और अपनी आंखों को टिमटिमाते हुए बोला, भाई! भाई! मुझे आपको कुछ बताना है।

    अब ये सुनकर अरमान, जो गुस्से में घर से बाहर जा रहा था, आहान के रोकने पर रुक गया और उसकी ओर गौर से देखने लगा।

    तब आहान जल्दी से थूक गटकते हुए अजीब सा मुंह बनाकर हंसते हुए बोला, भाई, वो मुझे आपको ये बताना है कि आज मैंने पूरी क्लास में टॉप किया है। ये देखिए!

    आहान Collage में था, लेकिन पिछले कई सालों से वो एक बार भी पास नहीं हुआ था। अब जैसे ही आहान ने ये कहा, अरमान एकदम से हैरान हो गया और सवालिया नजरों से आहान की ओर घूरकर देखने लगा। क्योंकि ये वाकई खुशी की बात थी!

    अरमान चाहता था. कि आहान खूब पढे, क्योंकि उनके पिता का सपना था. कि उनके बच्चे बहुत पढे- लिखे हों। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी बहुत कम उम्र में" अरमान पर आ जाने के कारण वो खुद नहीं पढ पाया था।

    फिर भी, उसने ये छोटा- सा सपना देखा था. कि वो अपने छोटे भाई आहान को खूब पढाएगा, और इतना पढाएगा कि उससे ज्यादा कोई पढा- लिखा ना हो।

    लेकिन सात साल तक लगातार एक ही क्लास में फेल होने के कारण" अरमान का दिल बहुत दुखता था। अब यह सुनकर कि आहान फर्स्ट डिवीजन से पास हुआ है और उसने टॉप किया है, कहीं ना कहीं अरमान को हैरानी हो रही थी। अचानक उसकी लाल आंखें नॉर्मल होने लगीं।

    तभी कबीर ने अरमान की आंखों का गुस्सा शांत होते देखा, तो तुरंत उसके पास आकर एक्साइटेड होकर बोला, अरे! यह तो बहुत अच्छी खबर है। ये खबर देने के लिए ही हम तेरे पास आ रहे थे। अब तुझे हमें फटाफट पार्टी देनी होगी। देखा ना, कितनी अच्छी खबर है! अब हम तीनों भाई एक साथ चलते हैं और फटाफट कहीं पार्टी करने चलते हैं।

    अब यह सुनकर अरमान ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वाकई ये उनके लिए काफी बडी बात थी। हालांकि, अरमान को अभी इस बात का कोई अंदाजा नहीं था. कि कबीर और आहान ने उसके गुस्से को शांत करने के लिए इस झूठ का सहारा लिया था।

    वरना आहान सूर्यवंशी और पास हो जाए? ये तो इस जन्म में नामुमकिन था! आहान पढाई से उतना ही दूर था, जितना अरमान चाहता था कि वो पढाई करे।

    फिलहाल, कबीर के कहने पर वे लोग रात के दो बजे सडकों पर निकल चुके थे और अपनी फेवरेट जगह जाने लगे थे।

    वहीं दूसरी ओर

    इस वक्त जोया के घर पर आयशा की आंखों में दूर- दूर तक नींद का कोई नामोनिशान नहीं था। उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी और खालीपन हों रहा था। इसलिए आयशा ने फैसला किया कि वो इस कमरे से बाहर जाकर इस दुनिया को देखेगी। की आखिर ये इंसानी दुनिया कैसी है?

    आखिर क्यों इस दुनिया में आकर उसका दिल इतना ज्यादा बेचैन होकर अकेलापन महसूस कर रहा है? क्योंकि जिन्नातों की दुनिया में उसे कभी भी ऐसी अजीब- सी फीलिंग महसूस नहीं हुई थी। हां, वहां उसे बेइज्जती का सामना करना पडता था,

    लेकिन इस दुनिया में आकर तो अभी तक किसी ने उसकी बेइज्जती भी नहीं की थी। सबने उससे प्यार से बात की थी। फिर ऐसा क्या था कि इस दुनिया में आकर उसे ये अजीब- सा खालीपन महसूस हो रहा था?

    इसी खालीपन को भरने के लिए आयशा ने फैसला किया कि वो बाहर जाकर इस दुनिया को देखेगी। अचानक, देखते ही देखते, वो जोया के कमरे से गायब हो गई और सीधा उसके अपार्टमेंट से बाहर निकलकर सडकों पर आ गई।

    इस वक्त रात का समय था, चारों तरफ अजीब सी खामोशी पसरी हुई थी। ये शांति आयशा के दिल को सुकून दे रही थी। धीरे- धीरे पैदल चलते हुए, आयशा अपने आसपास की बडी- बडी ऊंची- ऊंची इमारतों, सडकों पर चलती हुई दो- चार गाडियों को देखने लगी।

    इंसानों की दुनिया में Kiss तरह से रहना, खाना, पीना, बोलना, सोना, जागना सबकुछ वो सीख गई थी। लेकिन ये सब खुद अनुभव करने में उसे एक अलग ही सुकून मिल रहा था।

    जल्दी ही, आयशा एक जगह जाकर खडी हो गई। सामने एक बेहद खूबसूरत, शानदार घर बना हुआ था, जो सडक के किनारे था। वहां एक बडी- सी कार खडी थी, और तीन लोग उस कार से उतरे और अंदर चले गए।

    यह देखकर आयशा हैरान हो गई। वह देखना चाहती थी, कि आखिर इस जगह पर इतनी ज्यादा रोशनी क्यों है? क्यों यहां इतनी खूबसूरती है?

    यह शहर का सबसे मशहूर स्टार Night क्लब था, जो पूरी रात खुला रहता था। पार्टी करने के लिए अक्सर लोग यहीं आया करते थे।

    आज, अरमान, आहान और उनका खास दोस्त कबीर भी यहीं आए थे, क्योंकि अरमान को आहान और कबीर के साथ टाइम स्पेंड करना बहुत पसंद था।

    वह उनके साथ नॉर्मल रहने की पूरी कोशिश करता था, लेकिन कबीर और आहान दोनों ही जानते थे कि अरमान सूर्यवंशी नॉर्मल तो कहीं से भी नहीं है।

    अब आयशा ने जैसे ही वो जगमगाती जगह देखी, तो उसका दिल किया कि वो भी अंदर जाकर देखे कि वहां आखिर हो क्या रहा है।

    यही सोचते हुए, आयशा अब उस Night क्लब की और कदम बढाने लगी।

  • 7. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 7

    Words: 1943

    Estimated Reading Time: 12 min

    आयशा धीमे कदमों से Night Club के अंदर दाखिल हुई। अंदर जाते ही रंग- बिरंगी Lights, तेज Music, और नाचते- गाते लोगों को देखकर वो एकदम से हैरान रह गई। ये माहौल उसके लिए बिल्कुल नया था। उसने जिन्नातों की दुनिया में कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था।

    धीरे- धीरे वो Night Club के अंदर इधर उधर देखते हुए कदम बढाने लगी और चारों ओर गौर से देखने लगी। तभी उसकी नजर कबीर और अहान पर जा टीकी, जो Bar counter के पास खडे गपशप कर रहे थे। Club के अंदर आने के बाद" अरमान सिंघानिया का इम्पॉर्टेन्ट Call आया था, और ज्यादा म्यूजिक होने की वजह से वो Club के Top Floor के एक Room में चला गया था. और वहाँ जाकर अपने Call attend करने लगा।

    लेकिन तब तक आहान और कबीर बार में रुक गए थे। कहीं न कहीं, उनके चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी क्योंकि उन्होंने अरमान से झूठ बोला था, लेकिन वे ये बात अच्छी तरह जानते थे. कि अरमान से कोई भी राज ज्यादा देर तक छुपा हुआ नहीं रह सकता है। जैसे ही अरमान को पता चलेगा कि उन्होंने उसके Exam में Pass होने का झूठ बोला है, तों अरमान उन दोनों को बिल्कुल नहीं छोडेगा।

    हालाँकि, अहान जानता था. वो उसे कोई कठोर सजा भी नहीं देगा, लेकिन वो जानता है कि अरमान की जान आहान में बसती है वो अपने भाई से बहुत प्यार करता है। इसीलिए वो आहान से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह सकता।

    तब कबीर ने अहान से हिचकिचाते हुए कहा, तू परेशान मत हो, मैं इसका बंदोबस्त कुछ न कुछ कर ही लूँगा, और अरमान को कुछ भी पता नहीं चलेगा। अभी, जब हम यहां आ ही गए हैं, तो पूरी तरह से इन्जॉय करते हैं।

    तू अच्छी तरह से जानता है कि तेरा भाई कभी- कभी ही मूड में होता है, और आज वो तेरे Pass होने की वजह से मूड में है, तो तू भी अपना मूड चिल आउट कर ना। अरे वो देख वहाँ पर ये बोलकर, वो लगातार अपने आसपास के माहौल और साथ ही साथ ड्रिंक करते हुए, नाचती हुई खूबसूरत लडकियों को दिखाने लगा।

    तभी एक खूबसूरत लडकी को देखकर, अहान उसकी ओर जाते हुए मुस्कुरा कर बोला, कबीर, भाई! मैं बस थोडा सा डांस करके आता हूँ। ये बोलकर, जल्दी ही आहान डांस फ्लोर पर पहुँच चुका था. और एक डांसर के साथ डांस करते हुए थिरकने लगा। वो अब काफी ज्यादा खुश नजर आ रहा था।

    वहीं, जैसे ही आयशा की नजर उन लोगों पर पडी, तो वो हैरान हो चुकी थी। लेकिन इस तरह से डांस करते हुए, आधे- अधूरे कपडों में लडकियों को देखकर, कहीं न कहीं आयशा बहुत ज्यादा हैरान और शर्मिन्दा हो रही थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ पर क्या हो रहा है।

    तभी अचानक एक बार सिक्योरिटी बाउंसर की नजर" आयशा पर पडी। वो तुरंत उसके पास चला आया और सख्त आवाज में बोला, मिस, तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम बडी ही बदसूरत दिखाई दे रही हो, और तुम्हारे आस- पास कोई भी नहीं है।

    सिक्योरिटी को देखकर आयशा थोडा सा घबरा गई, लेकिन खुदको थोडा कंट्रोल करके नॉर्मल तरीके से बोली, मैं यहाँ घूमने आयी हूँ, इन्जॉय करने के लिए आयी हूँ। आयशा ने अपनी मीठी सी आवाज में जवाब दिया था।

    अब आयशा की इतनी मीठी सी आवाज सुनकर, एक पल के लिए सिक्योरिटी बाउंसर को काफी ज्यादा सुकून मिला, लेकिन अगले ही पल आयशा की शक्ल देखने के बाद, उसका रवैया फिर से बदल चुका था, और वो उसे घूरते हुए थोडे गुस्से में बोला, देखो, रात के दो बजे के बाद यहाँ पर सबसे अमीर और पहुँचे हुए लोग आते हैं।

    और इस तरह से किसी ने तुम जैसी बदसूरत दिखने वाली लडकी को यहाँ देख लिया, तो इस Club को बंद होने में ज्यादा टाइम नहीं लगेगा। तो इसीलिए तुम्हारी भलाई इसी में है, कि तुम अभी और इसी वक्त यहाँ से निकल जाओ, समझी?

    ये सुनकर आयशा को ज्यादा खास बुरा तो नहीं लगा था, लेकिन इंसानों की दुनिया में पहली बार कोई उसकी इस तरह से बेइज्जती कर रहा था। लेकिन फिलहाल तो वो बस यही देखना चाहती थी. कि आखिरकार ये कौन सी जगह है, और वहाँ जाकर उसे अंदाजा भी हो चुका था कि ये कौन सी जगह है।

    इसीलिए उसने वहाँ से बाहर जाने का डिसीजन लिया और मुंह फुलाकर बोली, ठीक है, मैं यहाँ से चली जाती हूँ। अब जैसे ही आयशा वहाँ से वापस जाने के लिए मुडी, ठीक उसी वक्त आहान, जो कि बार डांसर के साथ डांस करके वापस आ रहा था, वो आयशा से बडी बुरी तरह से टकरा गया।

    आयशा को तो हालाँकि कुछ नहीं हुआ, केवल वो लडखडाकर पीछे हट गई, लेकिन आहान उससे टकराकर नीचे गिर गया था। अब आहान गुस्से से लाल होकर अपने सामने खडी हुई लडकी यानी आयशा को देखने लगता है।

    अहान को गिरता हुआ देखकर कबीर भी वहाँ आ पहुंचा, और वे दोनों ही अब सवालिया नजरों से आयशा की ओर आंखें सिकोडकर देखने लगे। क्योंकि कबीर को भी आयशा को देखकर काफी ज्यादा घृणा महसूस हो रही थी, क्योंकि उसके शरीर की बनावट, उसका नाक नक्शा कुछ ऐसा था जो उसे, बेहद बदसूरत बनाता था।

    अब जैसे ही आहान और कबीर ने आयशा को देखा, और फिर एकदम से दोनों एक- दूसरे के हाथ पर हाथ मारकर, हंसने लगते है। अब ये देखकर आयशा थोडा सा शर्मिंदा सा हो गई थी।

    तभी कबीर हँसते हुए मजाकिया अंदाज में बोला, यार अहान, देख! ये लडकी तो इस Club में फिट ही नहीं बैठती। ये यहाँ क्या कर रही है?

    अहान भी हंसकर मस्ती के मुड में बोला, सच में! इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि ये किसी और ही दुनिया से आयी है। ऐसे अजीब लोग भी Club में आने लगे क्या? मुझे तो ये कोई एलियन लगती है she is so funny

    ये बोलकर दोनों हंसने लगे, और आस- पास के कुछ और लोग भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुराने लगे।

    आयशा उनकी बातें सुन रही थी। हालाँकि आयशा को इस तरह की बातें सुनने की आदत थी, लेकिन इंसानों की दुनिया में आने के बाद उसने पहली बार अपने बारे में ऐसा अपमानजनक शब्द सुने थे। उसके दिल में एक अजीब सा दर्द उठ रहा था।

    लेकिन उसने गहरी साँस ली और खुदको शांत रखा। वो जानती थी कि इन दोनों को अभी ये नहीं पता कि वह कौन है। आयशा ने बदले में केवल उन्हें घूरकर देखा और फिर बडी ही धीमी आवाज में बोली, मुझे माफ कर दीजिए, मैं चलती हूँ, गलती शायद मेरी ही थी। ये बोलकर आयशा वहाँ से पलटकर जाने लगी।

    वहीं कबीर और अहान, जो कि अभी थोडी देर पहले आयशा पर हंस रहे थे, वो अब अपने आप ही चुप हो गए थे, क्योंकि उनका ये स्वभाव नहीं था. वो दोनों हमेशा दूसरों की रिस्पेक्ट करते थे और सबकी हेल्प करते थे।

    लेकिन आयशा का चेहरा ही कुछ ऐसा था. कि जिसे देखकर वो दोनों अपनी हँसी नहीं रोक पाए और अनजाने में आयशा की बेइज्जती कर बैठे! लेकिन जैसे ही उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उन्होंने आयशा की बेइज्जती की है, तो उन्होंने डिसीजन लिया कि वे अभी इस लडकी से माफी माँग लेंगे। ये सोचते हुए, जल्दी ही वो आयशा के ठीक पीछे- पीछे Club से बाहर जाने लगे।

    वहीं आयशा जैसे ही Club से बाहर आयी, उसने सोचा कि उसे अब अपना जादू का इस्तेमाल करना चाहिए और वापस जोया के पास, उसके बेडरूम में पहुँच जाना चाहिए! आज के लिए इतना इंसानों को देखना बहुत है उसके लिए, क्योंकि उसकी अच्छी खासी बेइज्जती हो गई थी।

    अब उसका बिल्कुल इरादा नहीं था कहीं और घूमने जाने का। इससे पहले कि जोया अपना जादूई- मंत्र पढकर वहाँ से गायब होती, ठीक उसी वक्त आहान और कबीर उसके पीछे- पीछे आ गए थे। और तुरंत अहान बोल पडा, सुनिए मैडम, रुकिए एक मिनट।

    अब जैसे ही अहान की आवाज आयशा ने सुनी, जो कि अपना मंत्र पूरा करने वाली थी, वो रुक गई और चौंककर आहान को देखने लगी।

    लेकिन इससे पहले कि अहान और कबीर कुछ कह पाते, ठीक उसी वक्त चोरी करने के इरादे से दो मोटरसाइकिल सवार उस Night Club के बाहर से गुजरे, और एक ने तुरंत आकर आहान को गन पॉइंट पर ले लिया था।

    अब ये देखकर कबीर चीख पडता है। वहीं आयशा भी पूरी तरह से चौंक गई थी। अगले ही पल उसने अपनी जादूई शक्ति के द्वारा इस बात का पता लगा लिया था कि ये लोग यहाँ पर मारपीट के साथ- साथ, सामान की छीना- झपटी करने के लिए आए हैं।

    अब आयशा बिना किसी डर के, तुरंत उस हमलावर के ठीक सामने जाकर खडी हो गई, और जिस गन की ट्रिगर को उसने अहान के sir पर रखा था, आयशा ने तुरंत उस गन को सीधा आगे से पकडकर आसमान की ओर कर घुमा दिया था, और गलती से तुरंत हवाई फायरिंग हो गई थी।

    अब ये देखकर जो मोटरसाइकिल सवार थे, उनकी तो हैरानी बढ चुकी थी। उन्होंने तो सपने में भी नहीं सोचा था. कि कोई लडकी अचानक से आकर उनकी बंदूक की ट्रिगर को ही मोड देगी। और अब वे समझ गए कि ये लडकी कोई छुपी हुई पुलिस एजेंट है। उन्होंने अपना अनुमान लगाया और ये सोचते हुए वे लोग फटाफट से जिस मोटरसाइकिल से आए थे, उसी पर सवार होकर वहाँ से भाग निकले।

    वहीं अहान के इतने पास गोली चली थी, उसकी तो साँसें ऊपर- नीचे होने लगी थीं। और वो बिना पलकें झपकाए हैरानी से खडा रहा।

    अब गोली की आवाज इतनी तेज थी. कि Night Club के अंदर जो शोरगुल और म्यूजिक बज रहा था, वो सब भी अब पूरी तरह से बंद हो चुका था, क्योंकि रात के दो बजे के बाद धीमे वॉइस पर ही म्यूजिक बज रहा था, जिस पर लोग थिरक रहे थे। गन की आवाज म्यूजिक से कहीं ज्यादा तेज थी, जो उन लोगों को आसानी से सुनाई दे गई, और सब लोग हैरान हो गए, और धीरे- धीरे पूरे के पूरे Club के लोग बाहर आकर जमा होने लगे थे कि आखिरकार यहां क्या हो रहा है।

    वहीं कबीर और अहान, जो कि दोनों ही अभी सदमे में थे, और एक- दूसरे को संभालकर खडे हुए थे, उन्हें होश नहीं रहा कि अब आगे क्या किया जाना चाहिए।

    वहीं अब इतने सारे लोगों को वहाँ जमा होते हुए देखकर आयशा थोडा सा हडबडा गई, और उसने सोचा कि उसे अब यहाँ से फटाफट निकल जाना चाहिए। और लोगों की भीड का फायदा उठाकर, जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, आयशा वहाँ से गायब होकर सीधा, एक बार फिर" जोया के साथ उसके बेडरूम में आ पहुँची थी।

    वहीं अरमान ने भी गन की आवाज जैसे ही सुनी, वो तुरंत दौडकर नीचे आया था, और यहाँ आकर जब उसे यह पता चला कि अहान पर जानलेवा हमला हुआ था, तो अब तो अरमान का खून खौलने लगा। उसे लगा कि जरूर उसके किसी दुश्मन ने, अरमान सूर्यवंशी के भाई से दुश्मनी निकालने के लिए, उस पर हमला किया है।

    फिलहाल अब तक कबीर और अहान दोनों ही पूरी तरह से सदमे में थे, और अरमान सूर्यवंशी मेंशन पहुँच चुका था, और अपने बॉडीगार्ड शेरा को उसने हुक्म दे दिया था. कि पता लगाओ कि किसने उसके भाई पर हमला करने की कोशिश की है, उसे जिंदा और सलामत अरमान के सामने पेश किया जाए।

    अरमान ने अपने बॉडीगार्ड्स को आदेश दिया, जिसने भी मेरे भाई पर हमला किया, उसे जिंदा पकडकर मेरे सामने लाओ!

    वहीं, कबीर और अहान अब भी सदमे में थे। लेकिन वे दोनों जानते थे कि आज उनकी जान आयशा ने बचाई थी। लेकिन अब अरमान का गुस्सा देखकर उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी. कि वो उसे बता सके कि आखिर हुआ क्या था।

  • 8. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 8

    Words: 1650

    Estimated Reading Time: 10 min

    वहीं, कबीर और आहान अब भी सदमे में थे। लेकिन वे दोनों जानते थे कि आज उनकी जान आयशा ने बचाई थी। लेकिन अब अरमान का गुस्सा देखकर उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी. कि वो उसे बता सके कि आखिर उनके साथ हुआ क्या था।

    अरमान अपने बॉडीगार्ड को हुक्म देकर सीधा आहान के पास जाकर बैठ गया था। लगातार अहान के चेहरे को फिक्र जताते हुए एकटक देखे जा रहा था।

    अब अरमान को इस तरह परेशान देखकर आहान के चेहरे पर पसीने की बूँदें झलकने लगी। इस वक्त आहान को अरमान से बहुत ज्यादा डर लग रहा था. क्योंकि उसने अरमान से झूठ बोला था कि उसने क्लास फर्स्ट डिवीजन से पास कर लिया है, और साथ ही साथ उस पर हमला भी हो गया था।

    वहीं कबीर भी अपना सिर झुकाकर बैठा हुआ था और सोच रहा था कि ये सब आखिर हुआ कैसे गया। और कबीर को उस वक्त क्या हो गया था? कबीर हमलावरों का मुकाबला क्यों नहीं कर पाया? उन दोनों ने जिस लडकी का मजाक उडाया था। उसी लडकी ने उन लोगों को बचाया था,

    कहीं ना कहीं ये गिल्ट दोनों को अंदर ही अंदर खायें जा रहा था, और दोनों ही सोच रहे थे कि काश उन्हें उस लडकी से एक बार और मिलने का मौका मिल जाता, तो वो उससे अपने किए की माफी माँग लेते।

    वहीं, अचानक अरमान की रोबदार आवाज गुंजती हैं, मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि तुमने क्लास में फर्स्ट आने का झूठ मुझसे बोला है। बचपन से पाला है तुझे, तेरी रग- रग से वाकिफ हूँ। तू कब क्या कर सकता है और क्या नहीं, मैं सब समझता हूँ। तेरा ये चेहरा है, जिसे देखकर मैं थोडा शांत हो जाता हूँ।

    अब जैसे ही अरमान ने ये बम फोडा, कबीर और अहान दोनों के चेहरों का रंग एकदम से उड गया था।

    अरमान कबीर की ओर सख्त नजरों से देखकर बोला, एक बात बता, इसे तो ज्यादा अक्ल नहीं है, लेकिन तुझे क्या हुआ है? तू उसके साथ रहकर बच्चा क्यों बन जाता है? हाँ, और क्यों तूने उसके झूठ में इसका साथ दिया? बोलो, जवाब दे मुझे!

    अब जैसे ही कबीर ने अरमान की ये बात सुनी, कबीर तुरंत हडबडाकर बोला, नहीं- नहीं अरमान, तू गलत समझ रहा है। ऐसा कुछ नहीं है। तू उस वक्त काफी गुस्से में था और उदास भी लग रहा था, और मुझे तेरी ये उदासी अच्छी नहीं लगी। इसीलिए हमने तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए इस तरह का बहाना बना दिया। अच्छा अब सॉरी।

    अरमान खुदको शांत किया फिर बोला, तू जानता है, अगर तूने आज आहान की जान नहीं बचाई होती, तो मैं अब तक तुझे ब्लैकी की गुफा में डाल चुका होता।

    अब जैसे ही अरमान ने ये बोला, कबीर हडबडा कर घबराई नजरों से अरमान की ओर देखने लगा। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था. कि आखिरकार अरमान क्या कह रहा है। अहान की जान उसने थोडी ना बचाई थी, अहान की जान तो एक बदसूरत लडकी ने बचाई थी।

    लेकिन अरमान को तो यही लग रहा था, कि अहान की जान उस वक्त कबीर ने बचाई थी। तो कबीर झिझकते हुए बेहद आहिस्ता से बोला, लेकिन अरमान, तुझे शायद कोई गलतफहमी. इतना ही बोला था कि तभी अचानक अरमान का फोन बज उठा, और अरमान अपना फोन लेकर तुरंत वहाँ से बाहर की ओर निकल पडा।

    वहीं अहान और कबीर मासूम सी शक्ल बनाकर एक दूसरे को देखने लगते हैं फिर कबीर अजीब सा मुंह बनाकर बोला, ये अरमान को क्या हो गया है? इसे शायद यही लग रहा है कि तुम्हारी जान मैंने बचाई है, जबकि तुम और मैं, हम दोनों ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि जिस लडकी का हमने मजाक उडाया था, उसी अनजान लडकी, ने तुम्हारी जान बचाई है।

    तब अहान को जैसे एक बार फिर वो बात याद आई, वो थोडा उदास हो गया और वो हल्की आवाज में बोला, पता नहीं कबीर भाई, हम ऐसी बदतमीजी कैसे कर बैठे? वो भी किसी लडकी के साथ! पर वो लडकी देखने में काफी अजीब थी, लेकिन चाहे कोई कैसा भी हो, हमें कोई हक नहीं है किसी के बारे में कुछ भी बकवास बातें बोलने का।

    जैसे ही अहान ने ये बोला, कबीर तुरंत उसके पास आया और उसका हाथ थामकर बोला, तू जो कुछ कह रहा है, बिल्कुल ठीक कह रहा है। मुझे भी अंदर ही अंदर ये गिल्ट खाए जा रहा है। लेकिन तू फिक्र मत कर, कल हम उस लडकी को ढूँढकर उससे माफी माँगेंगे।

    अभी तो फिलहाल मुझे इस बात की फिक्र है कि अरमान को गलतफहमी हुई है कि मैंने तुझे बचाया है, और इसीलिए उसने मुझे जिंदा छोड दिया। और अगर उसे ये पता चलेगा कि तुझे किसी लडकी ने बचाया है, तो पता नहीं वो मेरा क्या हाल करेगा? वो तो मुझे कोबरा के आगे डाल देगा।

    अहान और कबीर दोनों ही जानते थे कि अरमान ने बहुत बडे अजगर टाइप कोबरा साँप को अपना पालतू बनाया हुआ था। कोबरा का जिक्र करने पर दोनों ही सूखे पत्ते की तरह कांपने लगे। इस वक्त भी कोबरा के जिक्र करने पर दोनों के होंठ फडफडाने लगे थे, और टाँगें थरथराने लगी।

    वहीं दूसरी ओर

    और आयशा सीधा सोफे पर जाकर लेट गई थी। हालाँकि उसकी आँखों में कोई नींद नहीं थी, लेकिन वो सोने की कोशिश करने लगी, और साथ ही साथ उन दोनों, कबीर और अहान के बारे में सोचने लगी, जिन्होंने उसकी बेइज्जती की थी, लेकिन फिर भी आयशा ने उन दोनों की जान बचाई थी। लेकिन आयशा के मन में उन दोनों के लिए किसी तरह के गिले शिकवे या कोई नफरत, कोई गुस्सा नहीं था। वो जल्दी ही कुछ यादों में खो गई।

    अगली सुबह के तीन से चार बजे का समय था। अब आयशा तुरंत उठ खडी हुई, और जल्दी ही उसने बिना जोया को पता लगे अपने रब की इबादत करना शुरू कर दिया था। इबादत करने के बाद आयशा को कुछ अलग ही लेवल का सुकून मिला, और फिर जल्दी ही वो अपनी इबादत पूरी करने के बाद जोया के पास इस तरह से आकर लेट गई की जोया को कोई एहसास नहीं हुआ।

    पूरी धूप खिलने पर जैसे ही जोया उठी, आज उसका दिल काफी ज्यादा हल्का- फुल्का सा था। एक तो आयशा ने जोया के दिलो- दिमाग से अरमान सूर्यवंशी की मोहब्बत को निकालकर फेंक दिया था, और उसे जिंदगी की सच्चाई से रूबरू करवाया था।

    क्योंकि पिछले साल, हालाँकि जोया को अरमान सूर्यवंशी के अंपायर में काम करते हुए पाँच साल हो चुके थे, लेकिन" अरमान सूर्यवंशी की एक झलक उसने एक साल पहले एक सेमिनार के दौरान देखी थी। उसी वक्त वो अपना दिल हार बैठी थी। सोते- जागते सिर्फ अरमान सूर्यवंशी के बारे में वो सोचने लगी थी, और वो पूरी तरह से उसके प्यार में पागल हो गई थी।

    और उस दिन भी ऐसे ही हुआ जिस दिन नेकलेस की Presentation सब लोगों के सामने होनीवाली थी, और जिसे अरमान सूर्यवंशी खुद करने वाला था। लेकिन जोया, जो कि उसे नेकलेस को लेकर वहां आयी थी, अब अपने सामने अरमान सूर्यवंशी को देखकर वो खुदको रोक नहीं पायी, और उसका जिस प्यार, जिसे उसने अपने दिलो- दिमाग में एक बहुत ऊँचा मुकाम दे रखा था, उसको मद्देनजर रखते हुए उसने सीधा अरमान को सबके सामने गले से लगाकर" आई Love You बॉस" बोल दिया था।

    लेकिन उसके बाद अरमान ने सब सामने जोया की बेइज्जती की, और उसके ख्वाब एक ही पल में टूट गए थे। फिलहाल वो अब कुछ और नहीं सोचना चाहती थी। अब उसने रियलिटी से सामना कर लिया था, उसने डिसीजन ले लिया था. कि वो सिर्फ अपने काम पर ध्यान देगी, और अपने माँ- बाप को एक अच्छी जिंदगी देगी।

    फिलहाल जैसे ही उसकी आँख खुली, उसने देखा कि आयशा ऑलरेडी पहले से ही उठकर बैठ गई है, और आयशा भी जोया के पहने हुए कपडों में ही है। तब जोया आयशा को उलझन भरी नजरों से देखकर बोली, क्या हुआ? तुम ठीक होना? कुछ उदास लग रही है। जैसे ही जोया ने सुबह उठते ही सबसे पहले आयशा से ये सवाल पूछा, आयशा ने केवल एक फीकी सी मुस्कराहट दी और धीमी आवाज में बोली, हम बिल्कुल ठीक हैं। आप परेशान मत होइए।

    तब जोया इधर उधर कुछ ढूंढते हुए बोली, अभी तो मेरे पास काफी कपडे हैं, जिन्हें तुम भी पहन सकती हो। मुझे लगता है कि मेरे कपडे तुम्हें आसानी से आ जाएँगे। ठीक है? और जो भी तुम्हारा मन हो, तुम मेरे वॉर्डरोब से वो कपडे लेकर पहन सकती हो। तुम्हारे लिए सबकुछ, सब कुछ अवेलेबल है। ओके?

    अब ये सुनकर आयशा एकदम से मुस्कुरा दी थी।

    तभी जोया खडी होकर आयशा के कंधे पर हाथ रखकर बोली, आप जानती हैं आयशा, मैं शुरू से ही चाहती थी कि मेरी एक बहन हो, पर लगता है ऊपरवाले ने मेरी ये बात सुन ली और आपको मेरी जिंदगी में भेज दिया। रियली, मैं आपको पाकर बहुत ही ज्यादा खुश हूँ। ये बोलकर एक बार फिर जोया ने उठकर आयशा को गले से लगा लिया था।

    ठीक उसी वक्त जोया की अम्मी और अब्बू कमरे में दाखिल हुए, और अपने हाथ में चाय के ट्रे लेकर आते हुए बोले, अरे, हमारी दोनों बेटियाँ उठ गई? चलो- चलो, फटाफट से अब हम साथ मिलकर चाय पीते हैं।

    जोया के अब्बू ने जैसे ही ये कहा, वैसे आयशा और जोया के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई थी। आयशा को वाकई उन लोगों के साथ रहते हुए अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानो इन लोगों से उसका, अलग ही जन्मों- जन्मों का नाता हो।

    फिलहाल जल्दी ही सबने एक साथ बैठकर अच्छे माहौल में चाय पी, Breakfast किया, और तब आयशा ने जोया से कहा, मैं आपके साथ आपके ऑफिस चल रही हूँ, तो मैं चेंज करके आती हूँ, तब तक आप भी तैयार हो जाइए।

    अब जोया, जिसके अंदर आयशा ने काफी हिम्मत भर दी थी, वो अब आयशा के साथ अपने ऑफिस, यानी सूर्यवंशी अंपायर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी।

  • 9. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 9

    Words: 1078

    Estimated Reading Time: 7 min

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    "तुम आहान को मना कर दो — मैं उसके साथ कहीं नहीं जाऊंगी।"

    वैसे ही आयशा ने यह बोला, जो माथे पर बल लाकर बोले थे, "लेकिन आर यू सीरियस? तुम सच कह रही हो? लेकिन तुमने तो बोला था, तुम दादी के लिए वहां जाओगी!"

    तब आयशा हर खुशी और मुस्कान के साथ बोली थी, "हां, मैंने बोला था, लेकिन मेरा आज वहां जाने का बिल्कुल भी इरादा नहीं है।"

    यह बोलकर आयशा बाहर आकर रुखसाना की ओर अहमद जी के पास बैठ गई थी। तब रुखसाना ने एक बार फिर आयशा की नजर उतारते हुए बोला था, "मेरी प्यारी बच्ची, हमने कभी भी नहीं सोचा था कि इतने कम समय में हम तुमसे इतना ज्यादा गहरा लगाव हो जाएगा। ऐसा लगता है कि तुम भी हमारे दिल का ही एक टुकड़ा हो।"

    यह बोलकर रुखसाना जी ने आयशा के माथे को चूम लिया था।

    वहीं आयशा उनका इतना प्यार पाकर भावविभोर हो गई थी।

    अब जोया ने तुरंत आहान को मैसेज डाल दिया था कि "आयशा तुम्हारे साथ नहीं आएगी, उसने मना कर दिया है।"

    अब आहान, जो कि पूरी तरह से तैयार होने के बाद कबीर को साथ लेकर जोया के घर की ओर निकल रहा था...

    कबीर को तो बहाना चाहिए था जोया से मिलने का, इसीलिए वह उसे लेकर साथ निकलने लगा था।

    लेकिन जैसे ही जोया का मैसेज आया, कबीर के चेहरे का रंग उड़ गया और अपने चेहरे पर 12 बजते हुए, आहान की ओर देखकर बोला था, "कबीर भाई, देखा आपने? आयशा दीदी ने आने से मना कर दिया है!"

    "क्या कह रहा है तू? आज रात तक मेंशन में नहीं आई तो दादी खाना-पीना छोड़ देंगी और दवाइयां भी नहीं लेंगी। अगर अरमान को इस बात के बारे में पता चलेगा..."

    अब आहान तो अरमान का नाम आने पर थोड़ा सा डर गया था और बोला था, "मैं क्या करूं? मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा है कबीर भाई, यह बात मैं अरमान भाई को कैसे बताऊंगा? अरमान भाई तो मुझे बिल्कुल भी नहीं छोड़ेंगे। वो तो वैसे ही मुझसे काफी ज्यादा गुस्सा हैं क्योंकि मैंने उन्हें बताया था कि दादी को पार्लर लेकर गया था।"

    तब कबीर ने गहरी सांस ली और वहां की ओर देखकर कहा था, "अच्छा चल, ठीक है, तू परेशान मत हो, मैं कुछ करता हूं।"

    यह बोलकर आहान को सांत्वना देता हुआ कबीर अरमान के कमरे के बाहर गया था।

    उसी वक्त अरमान साइकैटरिस्ट के पास जाने की तैयारी कर रहा था। आज रात 9: बजे उसकी अपॉइंटमेंट थी।

    वह देश का सबसे ज्यादा बिजी इंसान था, जिसके अपॉइंटमेंट्स काफी ज्यादा मुश्किल से मिला करते थे। हालांकि अरमान सूर्यवंशी के कॉल पर से अपॉइंटमेंट मिल चुकी थी और अरमान वहीं के लिए निकल रहा था।

    लेकिन जैसे ही कबीर दरवाजे पर आया, कबीर का मुंह लटका हुआ देखकर अरमान माथे पर बल डालकर बोला था, "क्या हुआ? किस काम के लिए आए हो? बोलो, जवाब दो।"

    तब कबीर, अरमान को तैयार देखकर थोड़ा सा चौंक गया और सोचने लगा कि आखिरकार इस वक्त यह कहां जा रहा है? कहीं यह वापस से लॉन्ग ड्राइव पर तो नहीं जा रहा है?

    फिलहाल कबीर को कुछ बोलते नहीं देख, अरमान ने उसके सामने अपने सीधे हाथ की एक बार ज़ोर से चुटकी बजाई और बोला था, "क्या तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा है कबीर? आजकल तुम्हें हो क्या गया है? आहान के साथ रहकर तुम भी पूरी तरह से बच्चे बनते जा रहे हो। कम से कम उसकी और अपनी उम्र का हिसाब तो करो! वह बच्चा है, उसे अक़्ल नहीं है, तुम्हें तो दुनियादारी की समझ होनी चाहिए ना? तो फिर तुम उसके साथ मिलकर इस तरीके से कैसे कर सकते हो? बोलो, जवाब दो!"

    अपनी आदत के मुताबिक अरमान ने जल्दी ही कबीर को डांटना शुरू कर दिया था।

    तब कबीर ने गहरी सांस ली और बोला था, "अच्छा-अच्छा, ठीक है अरमान, मैं जानता हूं कि मैं तेरे जैसा समझदार नहीं हूं, मैं कूल हूं। और सही बताऊं? मुझे तेरे जैसा मैच्योर और समझदार बनना भी नहीं है, समझा तू? तू अपनी जिंदगी देख, तूने क्या कर रखा है अपनी जिंदगी के साथ? पूरी तरह से तूने अपनी जिंदगी एकदम बोरिंग बना रखी है, लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता हूं। मैं जानता हूं कि मैं उनके साथ मिलकर छोटे-छोटे काम करता हूं, लेकिन ट्रस्ट मी, उसमें मैं खुश रहता हूं। मैं कम से कम तेरी तरह अपने अंदर एक तूफान समेटे तो नहीं रखता।"

    जैसे ही कबीर ने गहरी बात कही, अरमान एक पल के लिए चुप हो गया था और फिर तुरंत ही बात बदलते हुए बोला था, "अब मुझे वापस से एक बार फिर प्यार, दोस्ती और खुश रहने पर नसीहत देने की तुझे कोई ज़रूरत नहीं है। किस काम के लिए आया था, वह बात बता।"

    तब कबीर ने बिना खींचे कहा था, "आयशा ने आने से मना कर दिया है।"

    "तू तो जानता है, दादी ने कहा है कि अगर आयशा नहीं आएगी, तो वह एक बार फिर खाना-पीना छोड़ देंगी और दवाइयां भी नहीं लेंगी।"

    अब अरमान, जो कि साइकैटरिस्ट से मिलने के लिए जा रहा था — यह सुनते ही उसने तुरंत अपने हाथों की मुट्ठियों को कसकर बंद कर लिया।

    और आयशा का ज़िक्र आने पर एक बार फिर उसकी आंखों के सामने वह सारे सीन आ गए थे — जब वह आयशा को किस करना चाहता था, उसे हग करके पूरी रात पास में सोया था।

    और आयशा ने उसे खुद को छूने नहीं दिया।

    यह सारे सीन याद आते ही अरमान की आंखें एकदम लाल हो गई थीं।

    और वह कबीर की ओर देखकर, खुद को संभालते हुए बोला था, "कोई बात नहीं, उस लड़की को मैं ले आऊंगा... डोंट वरी।"

    यह बोलकर अरमान लंबे-लंबे कदमों से वहां से बाहर निकल गया था।

    वहीं कबीर, उसके जाने के बाद अफसोस करता रह गया था और मन ही मन बोला था, "काश अरमान सूर्यवंशी की ज़िंदगी में भी प्यार आ जाए... और यह भी थोड़ा बहुत हंसना सीख जाए।"

    यह बोलकर कबीर वापस से आहान के कमरे में जाने लगा था।

    वहीं दूसरी ओर अरमान ने जल्द ही गाड़ी की स्पीड फुल कर दी थी और वह जोया के अपार्टमेंट की ओर रवाना हो चुका था।

    हालांकि उसे साइकैटरिस्ट से मिलने के लिए जाना था, लेकिन वह अभी यूं बिना आयशा को मेंशन से लिए कहीं नहीं जाएगा।

    उसने डिसीजन ले लिया था, क्योंकि उसके लिए दादी सबसे ज़्यादा इंपॉर्टेंट थीं।

    फिलहाल अरमान ने तेज़ी से गाड़ी चलाकर जोया के अपार्टमेंट के सामने केवल ,20 मिनट में कार लगा दी थी।


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  • 10. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 10

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    तब अरमान उसकी ओर गुर्राकर बोला था, "क्या तुम्हें सुनाई कम देता है? मैं तुमसे पूछ क्या रहा हूँ और तुम मुझे यहाँ आने का रीजन पूछ रही हो! बताओ यहाँ पर आहान या कबीर नाम से अपॉइंटमेंट है क्या?"

    अब जैसे ही अरमान ने थोड़े रूखे अंदाज़ में यह बोला, वह लड़की तुरंत बोली थी, "जी, उनके अपॉइंटमेंट है। वह इस वक्त सेकंड फ्लोर पर हैं। सेकंड फ्लोर पर, राइट?"

    अब जैसे ही घबराते हुए रिसेप्शनिस्ट ने यह कहा, अरमान जल्दी से सेकंड फ्लोर पर जाने लगा था, लेकिन वह रिसेप्शनिस्ट घबराहट में अरमान को आयशा जिस जगह पर है, उस जगह का रास्ता बता चुकी थी और जहाँ पर आहान और कबीर हैं, वह जगह लेफ्ट साइड में पड़ती थी।

    अब फिलहाल अरमान जल्दी से दौड़कर जैसे ही वहाँ गया, तो उसे आयशा के खूबसूरत लहराते हुए बाल दिखाई देने लगे थे। आयशा के बाल बेहद खूबसूरत थे, बेहद घने और लंबे-लंबे शाइनिंग वाले बालों को देखकर अरमान के कदम अचानक से रुक गए थे। वह सोचने लगा था कि यह कौन है, क्योंकि पीछे से आयशा के बाल दिखाई दे रहे थे, उससे उसका चेहरा आगे की ओर था। उसके केवल बाल वहाँ दिखाई दे रहे थे।

    अब अचानक आयशा के बालों को देखकर अरमान के कदम रुक गए और वह सोचने लगा था कि यह लड़की कौन हो सकती है? इतने खूबसूरत बाल किसके हो सकते हैं? यह सोचते हुए अरमान उसकी ओर खींचा चला जा रहा था, लेकिन जैसे ही अरमान खोया-खोया सा एकदम आगे बढ़ रहा था, वहीं आयशा आँखें बंद किए मन ही मन में यह सोच रही थी कि न जाने जब यह प्रोडक्ट उसके चेहरे पर से हटेंगे, तब जोया डर ना जाए। क्योंकि आयशा का चेहरा इस तरह के प्रोडक्ट लगाने के बाद बेहद खतरनाक हो जाया करता था, इतना खतरनाक कि आयशा खुद को देखकर डर जाया करती थी और कितनी ही देर तक रोती रहती थी, इतना रोती थी कि एक खून का तालाब तक भर जाता था। अब उसके मन में इसी तरह की शंका चल रही थी कि कहीं आज जब यह प्रोडक्ट उसके चेहरे पर से हटेंगे, तब कही जोया उसे देखकर डर ना जाए, वह जोया को किस तरह से फेस करेगी? इतने ही नहीं, यहाँ पर तो दादी और कबीर भी आ पहुँचे हैं। वह लोग भी जब आयशा को इस तरह से बदसूरत देखेंगे, तो वह लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे? कहीं ना कहीं आयशा के मन में इस तरह के सवाल चल रहे थे, लेकिन अरमान जो कि आयशा के बालों से आकर्षित होकर उसकी ओर खींचा चला जा रहा था, हालाँकि उसके ठीक राइट साइड में दादी थी, जो कि अपने चेहरे पर फेस मास्क लगाए हुए थीं, लेकिन हल्का-हल्का मुस्कुरा रही थीं, क्योंकि अरमान के आने का एहसास दादी को हो गया था और वह मन ही मन में बोली थीं, "जा, जाकर शहज़ादी के बालों को छू लो।" दादी माँ ही मन में यह बोल रही थीं और अरमान खींचा आयशा के बालों की ओर खींचे चला जा रहा था और अचानक से अरमान बिल्कुल आयशा के पास करीब चला गया था, हालाँकि आयशा का चेहरा उसने अभी तक नहीं देखा था। अभी तक बैक सीट से केवल उसे उसके बाल ही दिखाई दे रहे थे और अचानक करीब जाकर उसने आयशा के बालों पर हाथ रख दिया था।

    अब जैसे ही अरमान ने आयशा के बालों को भाववेश में छुआ, अचानक आयशा के पूरे के पूरे जिस्म में एक अजीब सा करंट लगा था, वहीं अरमान को भी अपने हाथों में एक झुनझुनी सी महसूस हुई, । और वह अपनी सेंस में वापस आया, वहीं तब तक आहान और कबीर भी दादी को देखने के लिए वहाँ आ गए थे। जोया का भी काम फिनिश हो गया था। वह भी वहाँ आ गए थी।

    अब जैसे ही उन दोनों ने अरमान को आयशा के बालों को छूते हुए देखा, तो उन तीनों का मुँह हैरानी के मारे खुला का खुला रह गया था, वहीं दादी के चेहरे पर एक जानदार मुस्कुराहट थी, ऐसा लग रहा था कि मानो कि सब कुछ पहले से ही प्लान था। दादी ऐसा ही कुछ चाहती थीं और ऐसा ही हुआ था।

    वही अब तुरंत ही आहान अपने मुँह पर हाथ रखे रखे बोल पड़ा था, "यह मैंने क्या देख लिया?" वहीं कबीर भी बोल पड़ा था, "हाँ, यह तो काफ़ी हैरानी की बात है। अरमान ने पहली बार इस तरह से किसी लड़की के बालों को छुआ है, लेकिन क्यों?"

    वहीं आयशा भी अब तुरंत अपनी सीट पर से खड़ी हुई और अभी तक उसके चेहरे पर एक वाइट कलर का पैक लगा हुआ था। अब आयशा को अपने सामने देख कर अरमान पूरी तरह से चीढ़ उठा था और थोड़ी देर पहले जो उसने हरकत की, उससे भी वह थोड़ा सा शर्मिंदा हो गया और जैसे ही उसकी नज़र कबीर आहान और जोया पर पड़ी, तो वह अब बहुत ही ज़्यादा अक्वॉर्ड फील करने लगा था और तुरंत ही आयशा की ओर देखकर बोला था, "तुम, तुम यह क्या कर रही हो?"

    हाँ, अब अरमान के इस तरह से बोलने पर आयशा हैरानी से अरमान की ओर देखकर बोली थी, "मैं यहां क्या कर रही हूँ, मिस्टर सूर्यवंशी? और ये सवाल तो मुझे आपसे करना चाहिए, आप लेडीज़ पार्लर में क्या कर रहे हैं? और यह लेडीज़ डिपार्टमेंट है, शायद आपको यह नहीं पता। मेन डिपार्टमेंट दूसरी साइड है।" जैसे आयशा ने थोड़ा सा मज़ाक में यह कहा, अरमान अंदर से तिलमिला कर रह गया था और अब क्योंकि आयशा के बालों को छूते हुए उन तीनों के साथ-साथ दादी ने भी देख लिया था, तो अरमान को थोड़ा सा करेक्ट करना ही था। वह तुरंत ही आयशा को और देखकर उसकी बदसूरती का मज़ाक उड़ाते हुए बोला था, "ओह तो मिस आएशा यहाँ पर स्पेशल ट्रीटमेंट लेने के लिए आए हैं, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दूँ, आप चाहे कितना भी फ़ेशियल ट्रीटमेंट ले लें या आप अपनी पूरे फेस की सर्जरी ही क्यों ना करवा लें, कुछ लोग पैदा ही बदसूरत होते हैं। आपकी बदसूरती कभी नहीं जाएगी।"

    अब जैसे ही अरमान ने थोड़ा तंजिया और कड़वे लहज़े में यह कहा, आयशा की आँखें छलकने के लिए पूरी तरह से तैयार थीं, क्योंकि वह इंसान, जिसने उसकी पूरी खूबसूरती छीन ली, वह उसके सामने खड़ा होकर इस तरह की बातें कर रहा था। आयशा के लिए सुन पाना काफी ज्यादा नाकाबिल-ए-बर्दाश्त हो चुका था और तभी अचानक वहां पर अरमान के इस तरह से बोलने पर किसी के हंसने की आवाज पूरी तरह से सुनाई देने लगी थी। वह इस वक्त कोई और नहीं म ल्लिका थीं। मल्लिका वहां वैभव खुराना के साथ आई थीं। मल्लिका जो शुरू से ही आयशा पर नजर रखे हुए थी और जैसे उसने यह देखा कि जोया आयशा को लेकर कहीं जा रही है, तो उसने भी वहां जाने का फैसला कर लिया था। जब उसे पता चला कि वह शहर के मशहूर पार्लर में गई है, तो वह लावण्या को लेकर वहां पहुंच चुकी थी। अब लावण्या और मल्लिका को इस तरह से खुद पर हंसते हुए देख कर आयशा अंदर ही अंदर भून गई थी क्योंकि मल्लिका को वह एक बार फिर मौका नहीं देना चाहती थी कि वह किसी भी तरह से उसकी वहां पर बेइज्जती करें। अब यह सब देखकर जोया तुरंत ही आयशा के सामने खड़ी हो गई और सबसे पहले अरमान को घूरते हुए बोली"मिस्टर, सूर्यवंशी मुझे नहीं लगता कि आपको इस वक्त यहां होना चाहिए और हम अपनी हॉलीडे पर क्या करते हैं क्या नहीं आपको इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए और मिस आयशा फैसियल ट्रीटमेंट के बाद खूबसूरत होती है या बदसूरत रहती है इट्स नन ऑफ़ योर बिजनेस।"

    जोया ने भी अरमान को फटकार दिया था, क्योंकि अरमान का इस तरह से आयशा से बात करना उसे कुछ खास पसंद नहीं आया था, वहीं अब मल्लिका तुरंत टिक टॉक करती हुई जया के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली थी, "वैसे क्या गलत कहा मिस्टर सूर्यवंशी ने? में क्या नाम है आपका?" तभी पीछे से लावण्या बोल पड़े, "इमेज, जोया नाम है इनका।" तब थोड़ा सा जताते हुए बोली थी, "अरे, अब इसमें मिस्टर सूर्यवंशी का तो कोई कसर नहीं है ना? अब कोई लोग होते ही इतने बदसूरत हैं कि उनकी बदसूरती किसी से छुपी नहीं रह सकती है।"

    अब दादी, जो कि उस वक्त वहीं मौजूद थीं, उनके सब्र का बांध टूट गया था। वह तुरंत ही मल्लिका का हाथ पकड़ कर उसे झटकते हुए बोली थीं, "ह लड़की कौन हो तुम और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी शहजादी के बारे में इस तरह से बात करने की और रही बात इस लड़के (अरमान)की इसको तो मैं घर जाकर देखूँगी, लेकिन तेरी इतनी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कि तु मेरी शहजादी के बारे में इस तरह की बातें करें। कुछ लोग अगर बाहर से भले ही खूबसूरत होते हैं, लेकिन तु, तू तो अंदर से बहुत ही ज्यादा बदसूरत हो और जो लोग अंदर से बदसूरत होते हैं, वह किसी लायक नहीं होते हैं।" दादी ने जल्दी-जल्दी कडे शब्दों में मल्लिका को डांट दिया था, वही मल्लिका अंदर ही अंदर चिढ़ कर रह गई थी, क्योंकि उससे पहले भी वो दादी को नुकसान पहुंचाना चाहती थी और दादी ने जिस तरह से आयशा को शहजादी कहा था, उसके बारे में पता लगाना चाहती थी और सूर्यवंशी मेंशन में जाकर इन सारी चीजों की मालूमात करना चाहते थी, लेकिन जैसे उसने सूर्यवंशी मेंशन में कदम रखा तो उसके शरीर में करंट सा लगा था, हालांकि उसने इस बात को टाल दिया था, क्योंकि उसे उसकी अम्मी जान ने पहले ही बता दिया था कि कुछ घरों में ऐसी-ऐसी चीज मौजूद होती है जिसकी वजह से जिन्नात उन घरों में कदम नहीं रख सकते हैं उन पवित्र चीजों के कारण गलत इंटेंशन के साथ जिन्न उन घरों में कदम नहीं रख सकते हैं और शायद यही कारण था कि मल्लिका सूर्यवंशी मेंशन के अंदर नहीं जा पाई थी जबकि आयशा आसानी से मेंशन के अंदर चली गई थी क्योंकि आयशा के दिलों दिमाग में कहीं से कहीं तक कोई भी गलत इंटेंशन नहीं थे ।

    अब एक बार फिर दादी को सामने देखकर मलिका खून का घूंट पीके रह गई लेकिन क्योंकि अरमान सूर्यवंशी सामने खड़ा हुआ था तो वह दादी को ज्यादा कुछ भी नहीं कह सकती थी ,और थोड़ा सा खुद को शांत करके अपने चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट लाकर बोली थी,अरे ग्रैंड मदर जी आप तो खा मा खा मेरी बातों का बुरा मान रही है।
    मैं तो सिर्फ और सिर्फ मिस्टर सूर्यवंशी ने जो कहा उनकी बात को सही साबित कर रही हूं ।आखिरकार कुछ लोग चाहे कितनी भी कोशिश कर ले वह जैसे हैं वैसे ही रहेंगे। तो इसीलिए लोगों को इस तरह की फिजूल हरकतें नहीं करनी चाहिए।
    ज़रूर, मैं आपकी कहानी में उचित विराम चिह्न जोड़ने में आपकी मदद कर सकता हूँ।

    जैसे ही एक बार फिर मल्लिका ने इस तरह की बात की, दादी का दिल किया कि अभी और इसी वक्त उसका मुँह नोच लें। लेकिन दादी तुरंत अरमान की ओर देखकर बोलीं, "अरमान, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी शहज़ादी के साथ इस तरह का बर्ताव करने की? तेरी वजह से देख लोग भी उसके बारे में उल्टी सीधी बातें कर रहे हैं। अभी और इसी वक्त मेरी शहज़ादी से माफी मांगो, अरमान। अगर तुमने शहज़ादी से माफी नहीं मांगी तो मैं यहाँ से चली जाऊँगी। कभी तुम्हें अपनी शक्ल नहीं दिखाऊँगी।"

    जैसे ही दादी ने अपनी नफ़रत का इज़हार करते हुए यह बात बोली, अब अरमान पूरी तरह से शकपका गया था और अंदर ही अंदर आयशा के लिए चिढ़ और नफ़रत उसके मन में बढ़ती ही जा रही थी। आहान और कबीर जो कि यह सब कुछ देख रहे थे, लेकिन उनकी हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी कि वह किसी को कुछ कह सकें, क्योंकि मल्लिका को दादी ने अच्छा खासा सबक सिखा दिया था। लेकिन अब अरमान से इस तरह से दादी ने माफी मांगने के लिए कहा तो वह दोनों ही सोच में पड़ गए, क्योंकि अरमान सूर्यवंशी ने आज तक किसी से माफी नहीं मांगी थी। यह बात कबीर और आहान से बेहतर भला कौन जान सकता था।

    वहीं, दादी का इस तरह का गुस्सा देखकर आहान की अब आँखें भर आईं और तुरंत ही वह अरमान के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर बोला, "भाई प्लीज, एक सॉरी की ही तो बात है, वैसे भी अपने आपको इस तरह से आयशा दीदी के साथ बदतमीजी नहीं करनी चाहिए थी।"

  • 11. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 11

    Words: 1

    Estimated Reading Time: 1 min

    "प्लीज, एक सॉरी की ही बात है, वरना हम अपनी दादी को खो देंगे और मैं दादी को नहीं खोना चाहती हूँ। प्लीज अरमान भाई, प्लीज।" यह बोलकर जैसे ही आहान ने अरमान से रिक्वेस्ट करना शुरू किया, अरमान ने अपना सीधा हाथ उठाकर अपने माथे पर टैप करना शुरू कर दिया, इसका मतलब कि वह अपना गुस्सा पूरी तरह से कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा है। उसका गुस्सा इस वक्त उसके सर पर सवार हो चुका था। अपने गुस्से में वह कब क्या कर गुज़र जाए, किसी को कुछ नहीं पता था। फिलहाल, उसने नफरत भरी नज़रों से आयशा की ओर देखा और फिर अपनी दादी की ओर देखा। दादी अभी भी नफ़रत से उसे ही देख रही थीं और अरमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता था, लेकिन अपनी दादी की आँखों में अपने लिए नफ़रत बर्दाश्त नहीं कर सकता था। इसलिए उसने आयशा को और देखकर दाँत भींचते हुए कहा था, "सॉरी, मुझे तुमसे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी।"

    अब जैसे ही अरमान ने इस तरह से बोला, आयशा ने उसे कोई जवाब नहीं दिया और दूसरी ओर मुँह फेर कर खड़ी हो गई। वहीं, दादी मल्लिका की ओर देखकर बोलीं, "मैडम जी, अब तो यहाँ का ड्रामा खत्म हो गया है तो मुझे लगता है कि आपको यहाँ से चले जाना चाहिए और वैसे भी यह वाला डिपार्टमेंट फुल है। अगर आपको अपना कोई मेकअप करना है तो आप दूसरी डिपार्टमेंट में जाइए।" दादी ने सीधे तरीके से मल्लिका को वहाँ से जाने के लिए कह दिया, मल्लिका के खून में आग लग गई थी, लेकिन फिलहाल तो यहाँ अच्छी खासी आयशा की बेइज्जती हुई थी तो यह बात उसे काफी ज्यादा खुश कर गई थी और आयशा की ओर एक बार और देख कर आँख मारने लगी थी और फिर मुस्कुराते हुए वहाँ से बाहर जाने लगी थी।

    वहीं, दो आँखें और थीं जो आग उगलती हुई आँखों से मल्लिका की और ही देख रही थीं। वह था गुलफाम।

    मल्लिका को आयशा पर हँसते हुए देख कर गुलफ़ाम को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था और उसने अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मल्लिका जो आयशा की और देखकर उसे चिढ़ाते हुए आगे जा रही थी, उसी के आगे उसने अदृश्य रूप से एक बड़ा सा पत्थर उसके सामने रख दिया था। मल्लिका जो कि आयशा को देखकर एक बार और चिढ़ाना चाहती थी, उसने आगे ध्यान नहीं दिया और अपना बैलेंस नहीं बना पाई और वह जमीन पर गिर गई थी। अब मल्लिका के धडाम से गिरने की आवाज़ सुनकर जोया, आहान, कबीर, अरमान, दादी साथ ही साथ आयशा उस और देखने लगे थे ।और मल्लिका को गिरे हुए देखकर अब अचानक आयशा की हँसी निकल गई थी। वही आहान भी हँसने लगा था। वही अरमान के चेहरे पर कोई इमोशंस नहीं थे, फिलहाल तो वह गुस्से में था कि दादी ने आयशा जैसी बदसूरत लड़की से उसे माफी मांगने के लिए कहा था। वही कबीर भी मुस्कुराने लगा था। अब तो मल्लिका पूरी तरह से झुंझला उठी और देखने लगी थी कि आखिरकार उसके सामने क्या टकराया था, लेकिन तब तक शहज़ादा गुलफ़ाम ने उस पत्थर को गायब कर दिया था। अब तो मल्लिका पूरी तरह से आग बबूला हो उठी थी और पैर पटकते हुए वहाँ से चली गए। और वैभव भी उसके पीछे चला गया

    फिलहाल, दादी मुस्कुराते हुए बोलीं, "जो किसी और के लिए बुरा बोलता है या बुरा करता है, ऊपर वाला उसी के साथ बुरा कर देता है।" यह बोलकर दादी ने आयशा की ओर देखा और जाकर उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोलीं थी, " शहज़ादी, आपको परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है।" आयशा दादी का इतना प्यार पाकर अचानक खुद को रोक नहीं पाई। उसने दादी को गले से लगा लिया था। दादी ने बड़े ही प्यार से आयशा के सर पर हाथ फेरा था।

    वेल, तभी वहाँ पर एक ब्यूटीशियन आ गई थी और बोली थी कि आप लोगों के चेहरे पर से मास्क हटा देती है। अब अरमान तो खून का घूँट पीकर एक तरफ खड़ा हो गया था और दादी का फ्री होने का इंतजार करने लगा था, क्योंकि दादी को वह साथ लेकर मेंशन जाने वाला था। फिलहाल अब आहान और कबीर भी बाहर आकर अरमान के साथ ही खड़े हो गए थे। कहीं ना कहीं वह दोनों ही अरमान से नज़रें नहीं मिल पा रहे थे, क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि इस वक्त अरमान कितना ज्यादा गुस्से में होगा और पूरा का पूरा गुस्सा उन्ही पर उतारने की कोशिश करेगा। इसलिए वह अरमान को छेड़ना नहीं चाहते थे। अरमान केवल खून का घूँट पीकर ट्रांसपेरेंट कांच से बाहर की ओर देख रहा था। वही आहान तुरंत कबीर के कानों में फुसफुसा कर बोला था, "कबीर भाई, अरमान भाई को यहाँ किसने बुला लिया? इन्हें कैसे पता चला कि हम लोग यहाँ हैं? अब देखो ना, कैसे जख्मी शेर की तरह खड़े हैं, ऐसा लग रहा है कि जिस कांच की दीवार को यह देख रहे हैं, वह इनके गुस्से वाली आँखों से टूट कर चकनाचूर हो जाएगी।" अब जैसे ही कांपते हुए आहान ने यह कहा, कबीर ने तुरंत ही उसके सर पर एक चपेट लगा दी थी और बोला था, "मैंने तो तुझे पहले ही मना किया था कि तेरा आइडिया एकदम बकवास है, लेकिन तू है कि मानता ही नहीं है।" अभी वह दोनों बात कर रहे थे, तब तक जोया भी बाहर आ गए थी और उसने एक नज़र आहान और कबीर की ओर देखा, क्योंकि ब्यूटीशियन ने उसे भी बाहर वेट करने के लिए कह दिया था, क्योंकि अंदर दादी और आयशा ही मौजूद थी। दोनों के फेस पर ही पैक लगे हुए थे तो वह ब्यूटीशियन अच्छे से उनका फेस पैक वगैरा हटाकर क्लीन करने लगी थी। अब जोया जैसे ही बाहर आई, ठीक उसी वक्त गुनगुनाता हुआ गुलफ़ाम वहाँ गया था। गुलफ़ाम को देख कर जोया चौक गई और उसके पास जाकर बोलीं, "अरे मिस्टर गुलफ़ाम, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" तब जल्दी से गुलफ़ाम को याद आ गया था कि आज सुबह भी जोया उसे किस किया था तो वह तुरंत ही अपने गालों पर हाथ रखकर बोला था, "वह मिस जोया, वह एक्चुअली में यहाँ अपना हेयर स्टाइल कराने के लिए आया था।" अब जैसे ही गुलफ़ाम ने थोड़ा दूरी बनाते हुए ह अपने उस गाल पर हाथ रखकर यह बोला, जहा जोया ने उसे किस किया था। जोया थोड़ा सा हैरान हो गई, वही कबीर जलन भरी आँखों से गुलफ़ाम और जोया की ओर देखने लगा था, क्योंकि जोया गुलफ़ाम से काफी फ्रेंकली बात कर रही थी। यह बात उसे कुछ खास पसंद नहीं आ रही थी,

    लेकिन उस वक्त ज़ोया गुलफ़ाम के साथ बात करना काफी ज्यादा पसंद आ रहा था, क्योंकि कहीं ना कहीं गुलफ़ाम से बातें करते हुए ऐसा लग रहा था मानो ज़ोया गुलफ़ाम को बरसों से जानती हो, हालाँकि ना समझी में जब गुलफ़ाम खरगोश रूप में था, ज़ोया उसे कितनी ही बार किस कर चुकी थी, उसे वह खरगोश बेहद पसंद आया था। फिलहाल अब कबीर का ज़ोया का यूं गुलफ़ाम के साथ फ्रेंक होना कुछ खास पसंद नहीं आया और वह तुरंत ज़ोया और गुलफ़ाम के बीच जाकर खड़ा हो गया और ज़ोया की ओर देखकर बोला, "आपने जो हाईलाइट कराया है अपने बालों पर, वाकई आपको सूट कर रहा है, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।"

    जैसे ही कबीर ने थोड़ा सा गुलफ़ाम को साइड में करके यह बात बोली, ज़ोया को काफी हैरानी हुई है और वह हैरानी के मिले-जुले भाव से कबीर की ओर देखने लगी और मन ही मन में सोचने लगी, "आखिरकार मैंने मिस्टर कबीर आहूजा को इतना ज्यादा फ्रेंक होने का हक कब से दे दिया?" हाँ, वह कबीर से बात करती थी इन फ़ैक्ट उसके कबीर से थोड़ी बहुत दोस्ती भी हो गई थी, लेकिन इतना फ्रेंकली आज कबीर ने उसे उसके हेयर कलर को लेकर जज किया था तो ज़ोया को हैरान कर गया था और वो कबीर की ओर बेरुखी से देख कर बोली थी, "जी थैंक यू सो मच मिस्टर कबीर।" यह बोलकर ज़ोया एक बार फिर गुलफ़ाम की ओर देखने लगी और उससे बात करने की कोशिश करने लगी, लेकिन कबीर एक बार फिर उस के ठीक सामने जाकर खड़ा हो गया और ज़ोया की और देख कर बोला, "क्या बात है आप मुझसे कुछ नाराज़ हैं? आप मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हैं, हालांकि अब मैं आपका बॉस नहीं हूं, मैं आपका दोस्त भी हूं शायद आप भूल रही हैं हमारी ऑलरेडी दोस्ती हो गई है।" कबीर की बात सुनकर ज़ोया काफी हद तक हैरान भी हो रही थी और उसे अपने साथ इतना फ्रेंकली बात करते हुए देख कर कुछ सोच भी रही थी।

    वही अरमान सूर्यवंशी जलती हुई आंखों से कबीर को देख रहा था, क्योंकि हर किसी को साफ दिखाई दे रहा था कि कबीर ज़ोया से बात करने के लिए कितना ज्यादा डेसपरेट हो रहा है। वही आहान के तो मन में लड्डू फूटने लगे थे और मैंने मन में सोचने लगा था, "अगर मिस ज़ोया कबीर भाई की जिंदगी में आ जाती है तुम मेरे तो मजे ही मजे आ जाएंगे, क्योंकि मुझे तो भाभी के रूप में एक दोस्त में मिल जाएगी।" कहीं ना कहीं वहां अपने ही सपने बुनने लगा था, लेकिन जैसे ही उसकी नजर अरमान सूर्यवंशी की आंखों पर पड़ी तो वह तुरंत ही अपनी सपनों की दुनिया से बाहर लौट आया और जल्दी से कबीर के पास जाकर उसे एक बार फिर कोहनी मारते हुए बोला, "कबीर भाई आखिरकार हो क्या गया है तुम्हें? आप बिल्कुल बच्चों जैसा बिहेव कर रहे हो उधर देखो अरमान भाई की आंखों में, इस वक्त अरमान भाई अपनी आंखों में एक तूफान लिए खड़े हुए हैं।" तब जल्दी ही कबीर की भी नजर अरमान पर पड़ी थी ।और वह तुरंत जोया से एक्सक्यूज करके अरमान के पास जाकर खड़ा हो गया और बोला, "क्या बात है अरमान क्या सोच रहे हो तुम?" तभी अरमान लाल लाखों से कबीर की ओर देखकर बोला, "कब तक चलेगा यह सारा ड्रामा? तुम दादी को आखिरकार बाहर लेकर क्यों नहीं आ रहे हो?" तभी आहान बीच में इंटरप्ट करते हुए बोला, "अरमान भाई मैं ऑलरेडी तीन बार अंदर जाकर आया हूं दादी ने कहा है कि वह आयशा दीदी के साथ ही बाहर आएंगी और अभी आयशा दीदी थोड़ा बिजी है।" जैसे ही आहान ने यह कहा, अरमान अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों को कस कर बंद करके अपने सर पर टेप करने लगा था और मन मन में सोचने लगा था, "आयशा आयशा आयशा क्या है यह लड़की? इतनी तो बदसूरत दिखती है फिर क्यों सब लोग इसकी और आकर्षित हो जाते हैं क्या है इस लड़की की कहानी? इस लड़की का सच में पता लगा कर रहूंगा।"

    फिलहाल अरमान के लिए वहां रुके रहना बहुत ज्यादा मुश्किल हो गया था वहां रुककर वह कबीर और जोया की इरिटेटिंग बातें नहीं सुन सकता था और नहीं आहान को ज्यादा देर टॉलरेट कर सकता था, इसीलिए अरमान ने अब खुद ही वहां अंदर जाने का डिसीजन लिया और उसने जल्दी ही अपने कदम उसे कमरे की ओर बढ़ा दिए थे जहां पर आयशा और दादी मौजूद थी।
    और जैसे ही अरमान वहां गया उसने दरवाजा खोला उसकी आंखों के सामने आयशा खड़ी हुई थी। आयशा के खूबसूरत बाल उस वक्त उसके पूरी तरह से खुले हुए थे। आयशा हालांकि पूरी तरह से खूबसूरत भी नहीं लग रही थी, लेकिन आज वह बदसूरत भी नहीं लग रही थी। कुछ अजीब सा अट्रैक्शन था आयशा की आंखों में जिसे अरमान कुछ पल देखने पर मजबूर हो गया था और कितनी ही देर तक वो उस को देखता रहा वहीं दादा दादी मन में खुश हो रही थी क्योंकि दादी ने जानबूझकर अरमान को आयशा के करीब जाने दिया था ताकि वह आयशा के बालों को छुए और थोड़ी बहुत आयशा की खूबसूरती उसे वापस मिल जाए और ऐसा ही हुआ था आयशा आज बेहद बदसूरत नहीं दिखाई दे रही थी वह काफी हद तक अच्छी दिखाई दे रही थी लेकिन हां उसे खूबसूरत नहीं कहा जा सकता था। फिलहाल अब कितनी ही देर तक जब अरमान आयशा को देखता रहा आशा को भी हैरानी हुई कि आखिरकार मिस्टर सूर्यवंशी को क्या हो गया है उसे अब तक क्यों ऐसे क्यों देख रहे हैं क्योंकि आयशा ने अभी तक अपना चेहरा नहीं देखा था।
    लेकिन ठीक उसी वक्त आशा को अपने कानों में गुलफ़ाम की आवाज़ सुनाई दी थी।

  • 12. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 12

    Words: 2065

    Estimated Reading Time: 13 min

    सब कुछ आयशा की आँखों के सामने था, और कविता बारे में सब कुछ जानकर वह हल्का सा मुस्कुरा उठी। अभी थोड़ी देर पहले जो कविता को लेकर उसके मन में शक पैदा हो रहे थे कि कहीं अरमान का उससे कोई लेना-देना तो नहीं है, अब वह पूरी तरह से खत्म हो चुके थे।

    फ़िलहाल, कविता ने बड़े आराम से अरमान की ओर देखकर कहा था, "अरमान, तुम बिल्कुल इज़ी हो जाओ और बिल्कुल भी टेंशन मत लो। तुम्हारे जो नाइटमेयर्स हैं, आज हम उनके बारे में पूरी जड़ से पता लगाएँगे कि आख़िरकार उसका मसला क्या है। देखो, उस वक़्त मैं तुम पर हिप्नोटाइज़ करके तुम्हारे पास्ट में झाँकना चाहती थी कि कहीं तुम्हारे साथ कोई ऐसा हादसा तो नहीं हुआ जिसकी वजह से तुम्हें ये नाइटमेयर्स रहते हैं, लेकिन उस वक़्त तुम छोटे, उस वक़्त तुम एक 16 साल के बच्चे थे, तो उस वक़्त मैं तुम पर हिप्नोटाइज़ नहीं कर सकती थी, क्योंकि तुम नाबालिग थे। लेकिन अब तुम बालिग भी हो, पूरी तरह से मैच्योर हो, तो मैं अब तुम्हारी इजाज़त से तुम्हारे पास्ट लाइफ़ में झाँकना चाहती हूँ। क्या तुम मुझे परमिशन दोगे?"

    अब जैसे ही अरमान ने सुना, उसने एक नज़र आयशा की ओर देखा। आयशा बेपरवाही से वहाँ बैठी हुई थी। उसने अभी भी एक बार भी अरमान की ओर नहीं देखा था, हालाँकि उसकी एक्टिविटी सब कुछ ध्यान उसकी पूरी तरह से अरमान पर ही था, लेकिन वह अरमान की ओर देखकर उसे इस बात का पता नहीं लगने देना चाहती थी कि इस वक़्त वह अरमान के हर एक चीज़ के बारे में सब कुछ जानना चाहती है।

    तब अरमान ने कविता की ओर देखकर कहा था, "क्या इस लड़की का यहाँ पर होना ज़रूरी है?"

    तब कविता ने बोला था, "देखो, किसी भी मामले में किसी पर भी भरोसा नहीं करना चाहिए। इस लड़की को तुम अपने साथ लेकर आए हो, और जो भी बातें होंगी, इस लड़की के, तुम्हारे और मेरे बीच में होंगी। और वैसे भी, अगर तुम किसी को अपने साथ लेकर नहीं आते, तो मुझे ज़रूर तुम्हें किसी न किसी को साथ बुलाना पड़ता। तुम कबीर को लेकर आते या आह्वान को लेकर आते, लेकिन जबकि तुम इस लड़की को लेकर आए हो, तो इसी के सामने मुझे तुम्हें हिप्नोटाइज़ करना होगा।"

    तब आयशा ने अरमान के मन की कसमकस समझ ली थी और वह तुरंत अरमान के सामने खड़ी होकर बोली, "डोंट वरी मिस्टर सूर्यवंशी, अगर मुझे यहाँ आज आपका कोई राज़ भी पता चल गया, तो मैं किसी को नहीं बताऊँगी। अब बेफिक्र हो जाइए, आपको डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    जैसे ही आयशा ने थोड़ा सा जताते हुए यह कहा, अरमान खून भरी आँखों से आयशा की ओर देखने लगा था और तब कविता ने जल्दी ही अरमान को इज़ी होने के लिए कह दिया था। फ़िलहाल, उसने जल्दी ही अरमान के सामने एक राउंड सर्किल का गोल-गोल घूमना शुरू कर दिया था, उसके रंगों पर ज़ोर देने पर फ़ोकस करने लगे थी। वहीं, आयशा भी सावधानी से वहाँ बैठ गई थी, क्योंकि वह अपनी जादुई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए न तो अरमान के बारे में कुछ जान पाती थी, न ही उसकी लाइफ़ के बारे में कुछ जान पाती थी, तो आयशा के लिए यह सुनहरा मौक़ा था अरमान के बारे में जानने का, की आखिर अरमान की पास्ट लाइफ़ क्या है और अरमान को क्या दिखाई देता है, कहीं न कहीं इसी सोच के साथ आयशा वहाँ बैठ गई थी।

    अब जल्दी ही कविता जी ने अरमान को पूरी तरह से अपने वश में कर लिया था और hypnotize करके उसे बोलना शुरू कर दिया था, "अरमान, इस वक़्त तुम 15 साल के हो, तुम्हें इस वक़्त क्या दिखाई दे रहा है? तुम कहाँ हो?"

    अब जैसे ही कविता जी ने यह सवाल किया, तब अरमान के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कुराहट दिखाई दी और वह बोला था, "मैं इस वक़्त अपने पापा के साथ हवेली में क्रिकेट खेल रहा हूँ और मामा फ़ील्डिंग कर रही हैं और मेरा भाई आह्वान, वह छोटा सा बैट लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा है और दादी अंपायर बनी हुई हैं और सब लोगों का हिसाब-किताब रख रही हैं कि कौन क्या कर रहा है।"
    अरमान ने जैसे इस तरह की बातें बताए, कविता जी और आयशा के चेहरे पर छोटी सी मुस्कुराहट आ गई थी। उसके बाद कविता जी ने अरमान से अगला सवाल किया कि अरमान, "अब तुम 17 साल के हो, इस वक़्त तुम कहाँ हो?"

    तो अरमान ने कहना शुरू कर दिया था, "हम सब घूमने के लिए पिकनिक पर जा रहे हैं। दादी, आह्वान और मैं पीछे वाली सीट पर बैठे हुए हैं, पापा ड्राइविंग कर रहे हैं और मामा पापा के साथ बैठी हुई हैं और तभी एक लाल-लाल रंग का ट्रक वहाँ आ गया और उसने हमारी गाड़ी को टक्कर मार दी। पापा के मुँह से ख़ून निकल रहा है, मामा के कानों से ख़ून निकल रहा है, दादी कुछ बोल नहीं पा रही हैं, आह्वान शांत भी आँखें बंद किया हुआ है।" यह बोलते हुए अरमान अब थोड़ा सा पैनिक होने लगा था।

    वहीं, कविता जी को समझ में आ चुका था कि शायद यह अरमान के पापा का जो एक्सीडेंट हुआ था, अरमान अब वहाँ पहुँच गया है। इस तरह से करके, वो अब अरमान के 5 साल, 6 साल, 10वीं, 12वीं, 18, में हर एक साल को खंगालने की कोशिश की, लेकिन कहीं कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिससे यह पता चल सके कि अरमान को वह ख़ून से लथपथ लड़की कौन दिखाई देती है। अब तो कविता जी के माथे से पसीना निकलना शुरू हो गया था।

    तब आयशा को भी समझ में आ चुका था कि अरमान के इस जीवन में केवल उसके माँ-बाप के एक्सीडेंट के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं हुआ है जो उसे उससे जोड़े हुए हो, लेकिन आयशा को तो अपने बारे में जानना था, तब उसने कविता जी की ओर देखकर कहा था, "एक्सक्यूज़ मी मैडम, अगर आपको बुरा न लगे, तो क्या मैं आपको कुछ सजेस्ट करूँ?"

    अब आयशा की बात सुनकर कविता उसे आँख उठाकर देखने लगी थी और बोली थी, "बोलिए, आप क्या कहना चाहती हैं?" क्योंकि आयशा की बदसूरती देखकर कविता उसे कुछ ज़्यादा ख़ास भाव नहीं दे रही थी, लग रहा था कि अरमान के घर में काम करने वाली कोई नौकरानी होगी, जैसे कि अरमान ने उसे बताया था कि वह दादी के लिए उसे लेकर जा रहा है, तो शायद दादी की कोई केयरटेकर होगी, तो यह सोचकर उसने बेपरवाही से बोला था, "हाँ, बोलो क्या?"

    तब आयशा ने गहरी साँस लेकर कहा था, "मैडम, क्यों न आप मिस्टर सूर्यवंशी के पिछले जन्म के बारे में पूछो ।हो सकता है कि उनके पिछले जन्म में ऐसा कुछ हुआ हो जो उन्हें इस जन्म में परेशान कर रहा हो।" जैसे आयशा ने सिंपल साधारण शब्दों में यह कहा, कविता पूरी तरह से चौंक गई थी, लेकिन इस तरह से एक मामूली सी केयरटेकर का, एक मामूली सी बदसूरत लड़की का कविता को सजेशन देना कुछ ख़ास पसंद नहीं आया था और वह आयशा की ओर देखकर बोली थी, " तुम साइकोलॉजी के बारे में कितना जानती हो? हाँ हो तो तुम मामूली सी केयरटेकर हो तो तुम्हें क्या पता कि कब क्या पूछना है, क्या करना है और तुम होती कौन हो मुझे इस तरह से बोलने वाले कि मुझे उसके पिछले जन्म में झाँकना चाहिए? तुम जानती भी हो यह इक्कीस वी सदी है और अगला पिछला जन्म कुछ नहीं होता है।

    अब जैसे ही कविता ने सीधे-सीधे खड़े होकर आयशा की बेइज़्ज़ती की, आयशा ने गहरी साँस ली और हल्का सा उठकर कविता जी के पास जाकर खड़ी हो गई और बिल्कुल कविता के कानों के पास जाकर बोली थी, "मैडम, भले ही मुझे साइकोलॉजिस्ट के के बारे में ज़्यादा कुछ न पता हो, लेकिन मैं यह भी अच्छी तरह से जानती हूँ कि साइकोलॉजिस्ट कला का इस्तेमाल करते हुए किसी को भी हिप्नोटाइज़ करके 18 वे माले से नीचे कूदने पर मजबूर ज़रूर किया जा सकता है।"

    अब जैसे ही आयशा ने थोड़ी सादी में आवाज़ में यह बात बोली, कविता के तो चेहरे का रंग पूरी तरह से उड़ गया था, वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी जिस राज को आज तक बड़े-बड़े पुलिस ऑफ़िसर जासूस नहीं सुलझा पाए, इतनी आसानी से एक मामूली से लड़की उसके सामने बैठकर उसी का राज उसे बता रही थी। अब तो कविता के माथे से पूरी तरह से पसीना निकलना शुरू हो चुका था। वह घबराकर बोली थी, "को को कौन हो तुम? यह कैसे जानते हो? बोलो, जवाब दो।"

    तब आयशा ने गहरी साँस ली और कविता के कंधे पर हाथ रखकर कहा था, "डोंट वरी, आपको मुझसे इतना डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। आपने जो कुछ भी किया, बिल्कुल ठीक किया। जो इंसान आपकी कोख में पल रहे बच्चे की जान ले सकता है और आपही के सामने किसी और औरतों के साथ धोखा दे सकता है, वह इंसान मरना ही डेज़र्व करता है।" जैसे ही आयशा ने यह बात बोली, कविता को थोड़ी राहत तो हुई थी, लेकिन साथ ही साथ वह इस बात से डर रही थी कि ये लड़की है कौन जो उसके बारे में इतना गहरा राज़ जानती है, जिसको आज बारे में आज तक किसी को भी पता नहीं चला।

    फ़िलहाल, आयशा ने एक गहरी साँस ली व कविता की ओर देखकर कहा था, "जैसे मैंने आपसे कहा, आप वेसा ही कीजिए आप मिस्टर सूर्यवंशी के पिछले जन्म में जाकर पता कीजिए कि ऐसी कौन ख़ून से लथपथ लड़की थी जो उन्हें दिखाई देती थी।"

    अब कविता के पास कोई और रास्ता नहीं था, उसने गहरी साँस ली और थोड़ा सा कांपती हुई आवाज़ में आयशा की और देख कर बोले थी ,"मैं अभी करती हूँ, आप प्लीज़ वहाँ बैठ जाइए।" यह बोलकर उसने बड़े ही इज़्ज़त के साथ आयशा को बैठने के लिए कह दिया था, हालाँकि थोड़ी देर पहले वह आयशा को एक नौकरानी से ज़्यादा कुछ नहीं समझ रही थी, लेकिन अब तो आयशा से बात करने का उसका रंग- ढंग पूरी तरह से बदल चुका था। फ़िलहाल, आयशा ने गहरी साँस ली क्योंकि वह खुद अरमान के पिछले जन्म के बारे में जानना चाहती थी क्योंकि वह अरमान का ही नहीं आयशा का भी पिछला जन्म था।

    फ़िलहाल, कविता जी ने गहरी साँस ली और एक बार फिर कहना शुरू कर दिया था, "अरमान, क्या तुम्हारा कोई पिछला जन्म था? अगर तुम्हारा कोई पिछले जन्म था, तो मैं चाहती हूँ कि तुम उस जन्म में चले जाओ और उसे जन्म में तुम क्या थे और क्या तुम्हें कोई ख़ून से लथपथ लड़की उसे जन्म में दिखाई दी थी, उसके बारे में बताओ।"

    अब जैसे ही कविता जी ने आयशा के कहे मुताबिक़ के सवाल किया, अरमान के चेहरे पर कितने ही सारे एक्सप्रेशन आने लगे थे और अपना सर इधर-उधर पटक कर मरने लगा था और इधर-उधर टक्कर मारने के बाद कुछ देर के लिए पूरी तरह से शांत हो गया, तो कविता ने आयशा की ओर देखकर कहा था, "मैंने तुमसे कहा था ना, यह पिछला और अगला जन्म कुछ नहीं होता है। देखा तुमने, वह थोड़ी देर बेचैन होने के बाद पूरी तरह से शांत हो गया।"

    अब यह बोलकर आयशा भी थोड़ा सा परेशान हो गए थे, लेकिन कविता बोली थी, "अब मुझे वापस से अरमान को ठीक करना होगा," लेकिन इससे पहले कि वो अरमान को ठीक कर पाती तभी अरमान की एक आवाज़ उसे सुनाई देती है, "मैं राजकुमार सिद्धार्थ हूँ।"

    अब जैसे ही अरमान ने बोला, आयशा कविता दोनों ही पूरी तरह से चौंक गई थी, क्योंकि अरमान भले ही आँखें बंद किए हुए था, लेकिन उसकी आवाज़ में पूरी तरह से रोब झलक रहा था। तब कविता थोड़ा अपनी सेंस में आई और जल्दी से आगे बोली थी, "सिद्धार्थ, कौन सिद्धार्थ? कौन हो तुम? कहाँ हो इस वक़्त?"

    तभी सिद्धार्थ बोला था, "मैं इस वक़्त वक़्त राजकुमारी चंदा से मिलने के लिए जा रहा हूँ। मैंने सुना है कि उससे ज़्यादा खूबसूरत राजकुमारी इस पूरे विश्व में कहीं नहीं है। मैंने ठान लिया है कि मैं उस राजकुमारी को अपना बनाकर रखूँगा, लेकिन उसे राजकुमारी को अपना बनाने में मुझे मेरे परिवार की सात पुश्तों की दुश्मनी है मुझे सबसे पहले उसे दुश्मनी को खत्म करना होगा, उसके बाद में राजकुमारी को अपना बनाऊँगा।" यह कहते हुए सिद्धार्थ की बातों में पूरी तरह से घमंड झलक रहा था।

    तब यह सुनकर आयशा पूरी तरह से हैरान हो गई। राजकुमारी चंद्रा उसे यह नाम बहुत जाना पहचाना सा लगा था।।

  • 13. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 13

    Words: 2290

    Estimated Reading Time: 14 min

    "फ़िलहाल, जल्दी ही एक बड़े ही खूबसूरत से गलियारे में से निकाल कर अर्जुन को राजसभा के बीचो-बीच लेकर जाया गया था, जहाँ पर मखमली कालीन बिछा हुआ था और वहाँ पर चारों तरफ़ बड़े-बड़े झूमर लगाए गए थे। अर्जुन ने देखा कि एक साथ लाइन से कितने ही सारे लोग, बड़े-बड़े कितने ही सारे हीरे-मोती के गहने पहने हुए बैठे हुए थे और उसके ठीक सामने एक बड़ा सा ताज सर पर लगाए एक प्रभावशाली व्यक्ति बैठा हुआ था। अब अर्जुन ने जैसे यह सब कुछ देखा, तो वह पूरी तरह से शॉक्ड हो गया था। इस वक़्त उसकी हैरानी की कोई सीमा नहीं थी। वह हैरानी से चारों ओर घूम-घूम कर आसपास की जगह को देख रहा था, वहीं उस राजसभा में बैठे हुए सभी दरबारी अर्जुन को अजीब सी नज़रों से देख रहे थे, क्योंकि वह अलग तरह का बर्ताव कर रहा था। ना तो उसने आज सभा में जाकर किसी को भी झुक कर प्रणाम किया और ना ही उसने उसके हाव-भाव में किसी भी तरह का अनुशासन दिखाई दिया, तो सभी लोग अर्जुन को यूँ देखकर हैरान हो रहे थे, एक दूसरे के कानों में बातें भी बना रहे थे, वहीं अर्जुन तो अभी पूरी तरह से इस बात को हज़म कर लेना चाहता था कि इस वक़्त वह वाक़ई एक बड़े से महल के महाराज के सामने मौजूद है और इस वक़्त सबके सब हीरे-मोती पहने हुए उसके सामने बैठे हुए हैं। अर्जुन काफ़ी हद तक शॉक्ड में था, फिर जल्दी ही अर्जुन की नज़र महाराज के ठीक बराबर में बैठी हुई है बहुत ही खूबसूरत औरत पर पड़ी थी, वह महाराज की महारानी थी और महारानी के ठीक बराबर में दो और बेहद खूबसूरत लड़कियाँ बैठी हुई थी, उन्होंने एकदम सफ़ेद रंग के कपड़े पहने हुए थे और उन्होंने भी बाक़ी सब की तरह हीरे-मोती के जेवर पहने हुए थे। अब यह देखकर अर्जुन की तो पूरी तरह से लार टपकने लगी थी, उसने इतनी खूबसूरत लड़कियाँ अपनी पूरी ज़िंदगी में कहीं नहीं देखी थी, वहीं वह राजकुमारी जिसका नाम राजकुमारी संयुक्त था, वह बड़े ही ध्यान से अर्जुन की ओर देख रही थी और अर्जुन भी उसे ही देख रहा था। अचानक ही अर्जुन को ऐसा लगा मानो कि उसका दिल उछल कर गिरने को तैयार है। वह राजकुमारी बड़ी ही खूबसूरत थी, उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, दूध सा गोरा बदन और जो उसने कपड़े पहने हुए थे, उसमें उसका आधे से ज़्यादा शरीर दिखाई दे रहा था, जो काफ़ी ज़्यादा अट्रेक्टिव-अट्रेक्टिव दिखाई दे रही थी। अचानक अर्जुन खुद को रोक नहीं पाया और राजकुमारी की ओर देखकर बोला था, 'हाय ब्यूटीफुल यू आर लुकिंग सो गॉर्जियस।' अब जैसे ही अर्जुन ने इंग्लिश में राजकुमारी की तारीफ़ की, राजकुमारी का मुँह हैरानी के मारे खुला का खुला रह गया था, लेकिन तभी एक सेनापति और दो से तीन सैनिक तुरंत अर्जुन के सामने आकर खड़े हो गए और अर्जुन पर तलवार तानते हुए बोले थे, 'अपनी हद में रहो युवान, तुम अब राजवंश के सैनिक नहीं रहे, तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ एक कैदी हो। तुमने राजवंश का भारी मात्रा में चाँदी के सिक्के चुराए हैं, तुम्हें उसकी सज़ा ज़रूर मिलेगी और तुम अच्छी तरह से जानते हो, राजवंश में चोरी करने के सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही सज़ा होती है और वह होती है, मौत।' अब जैसे ही उसे सेनापति जिसका नाम जयंत था, उसने आप ग़लत हुई नज़रों से अर्जुन की ओर देखकर यह कहा, अर्जुन की तो आँखें पूरी तरह से हैरानी से भर गई थी और उससे अब जल्दी ही समझ में आ चुका था कि इस वक़्त वह जिस इंसान के शरीर में है, उसे पर चोरी का इल्ज़ाम लगा हुआ है और साथ ही साथ यहाँ चोरी के इल्ज़ाम में उसे मौत की सज़ा दी गई है। अब तो अर्जुन ने तुरंत अपने सर पर हाथ मार लिया था और थोड़ी सी तेज़ आवाज़ में रोने की एक्टिंग करते हुए बोला था, 'ओह गॉड, यह सब क्या है मेरे तुमसे अब मैं अपनी पुरानी ज़िंदगी से परेशान था, तुमने यह मुझे कि ज़िंदगी मिलकर छोड़ दिया जहाँ पर ज़िंदगी इतनी कम है, जबकि आसपास इतना हरा-भरा माहौल है।' अर्जुन ने आसपास की लड़कियों को देखते हुए कहा, वहीं अब सेनापति और साथ ही साथ सभी दरबारी पूरी तरह से हैरान हो रहे थे, क्योंकि उनका शक्तिशाली सैनिक युवान, जो इतना ज़्यादा ताक़तवर था कि एक ही बार में 100 लोगों की जान लेने का वह दम रखता था, वह इस तरह की उटपटन हरकतें कर रहा था, तो सब लोगों की हैरानी काफ़ी ज़्यादा बढ़ चुकी थी, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िरकार यहाँ हो क्या रहा है, वहीं अर्जुन अभी पूरी तरह से शोक में था, लेकिन तभी महाराज की आवाज़ सुनाई दी थी, 'शांत हो जाओ, यह सब हो क्या रहा है यहाँ पर?"

    ---महाराज की आवाज़ सुनते ही

    दरबार में जो राजगुरु थे, जिनकी आँखों में चालाकी की परछाई साफ़ नज़र आ रही थी, वह तुरंत ही सीधे होकर बैठ गए थे, साथ ही साथ राजा के दाएँ हाथ, सेनापति विक्रम सिंह, जो अभी भी आग उगलती निगाह से युवान को देख रहे थे। वही राजा के पास बैठी हुई राजकुमारी संयुक्त जिसकी आंखों में युवान के लिए कुछ अलग सी फीलिंग दिखाई दे रही थी, लेकिन बार-बार अपने पिता की ओर देखकर वह अपना सर झुका रहे थे, सभी एकदम से खामोश होकर बैठकर महाराज की ओर देखने लगे थे। सब को इस तरह से शांत देखकर अर्जुन खुद को रोक नहीं पाया और महाराज की ओर देखकर बोला था, 'महाराज यह अन्याय है, मैंने कुछ नहीं किया है, मैंने कुछ नहीं चुराया है, आप इस तरह से मुझ पर चोरी का इल्ज़ाम नहीं लगा सकते।' जैसे ही अर्जुन ने भावेश में आकर इस तरह की बातें की, महाराज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था और तुरंत ही अपना हाथ खड़ा करके वह बोले थे, 'अपनी हद में रहो सैनिक युवान, हम ने तुम्हारी बहादुरी से और तुम्हारे कौशल से खुश होकर तुम्हें अपने तुम्हें हमने मान सम्मान दिया, अपने सैनिकों में सर्वोच्च सर्वश्रेष्ठ पद तुम्हें दिया, लेकिन तुमने उसके बदले में क्या किया? तुमने हमारे डेढ़ लाखचांदी के सिक्के ही चुरा लिए, तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था राजकुमार सैनिक युवान।' जैसे ही महाराज ने यह कहा अर्जुन का चेहरा तुरंत ही पीला पड़ गया था, लेकिन जैसे ही उसके नजर राजगुरु और साथ ही साथ सेनापति विक्रम सिंह पर गई और दोनों आंख दोनों की आंखों में उसने मक्कारी देखी तो उसे समझते देर नहीं लगी कि इस वक्त अर्जुन जिसके भी शरीर के जिस इंसान के वास्ते शरीर के अंदर है जरूर इन दोनों ने ही मिलकर उसे फसाया है, फिलहाल अर्जुन ने गहरी सांस ले आसपास के माहौल को तो उसने एक्सेप्ट कर ही लिया था, लेकिन उसके नजरे बार-बार राजकुमारी संयुक्त पैर फिसल रही थी, उसने अपनी जिंदगी में इतनी खूबसूरत लड़की कभी नहीं देखी थी और वह मन ही मन में सोच रहा था कि अगर यह लड़की उसकी जिंदगी में आ जाती है और उसके बाद यह उसकी असली जिंदगी यानि की आधुनिक जिंदगी में भी जाती है, तो फिर उसे काव्य का क्या हो गया, काव्य तो जल बुनकर ही रख हो जाएगी, वैसे भी उसने उसे धोखा दिया है, वह काव्य को किसी भी कीमत पर माफ नहीं करेगा, कहीं ना कहीं यह अभी भी अर्जुन के दिमाग में राजकुमारी को देखकर अलग की तरह के ख्याल आ रहे थे। अब अर्जुन को चुप देखकर महाराज तुरंत बोल पड़े थे, 'सैनिक युवान कुछ हम तुमसे पूछ रहे हैं, अभी भी हम तुम्हें मृत्युदंड से आजाद कर सकते हैं, अगर तुम हमें हमारे चांदी के सिक्के तुमने कहां छुपाए हैं उनके बारे में बताओ दो तो।' अब जैसे ही महाराज की आवाज़ एक बार फिर उसके कानों में सुनाई दी अर्जुन एक बार फिर अपने खूबसूरत हसीन ख्वाब से बाहर आया और तुरंत अपने सर पर टकली मारते हुए सोचने लगा था कि यह क्या उल्टी सीधी बातें सोच रहा है फिलहाल तुझे इस इंसान को बचाना होगा जिस इंसान के शरीर में इस वक्त मौजूद है, अगर इसी तरह से राजकुमारी के सपने देखता रहा तो बहुत जल्द यह महाराष्ट्र तुझे सूली पर चढ़ा देंगे और जो तू सपना देख रहा है वह सपना तेरा सपना ही रह जाएगा। फिलहाल अर्जुन ने गहरी सांस ली और खुद के इमोशन पर कंट्रोल करके महाराज की ओर देखकर बोला था, 'महाराज मैं बेगुनाह हूं और अपनी बेगुनाही का सबूत जुटाना के लिए मुझे आपसे तीन दिन का समय चाहिए।' अब जैसे ही अर्जुन ने यह कहा सेनापति और राजगुरु दोनों का ही चेहरे का रंग उतर गया था और तुरंत ही राजगुरु उठ खड़े हुए और बोले थे, 'नहीं-नहीं महाराज, हम पहले से ही साड़ी खोज करवा चुके हैं और सारे शख्स सारे सबूत सैनिक युवान की ओर इशारा कर रहे हैं कि उसी ने चोरी की है, मुझे नहीं लगता कि एक चोर को हमें इस तरह से छोड़ना चाहिए।' जल्दी ही सेनापति भी राजगुरु की बात सुनकर उसके हां में हां मिलाते हुए बोला था, 'हां हम महाराज राजगुरु जी बिल्कुल ठीक कह रहे हैं, हमें इस उद्दंड सैनिक को अभी और इसी वक्त मृत्यु दंड दे देना चाहिए।' उन दोनों की यह बात सुनकर अर्जुन कौन पर काफी गुस्सा आया था और बिना किसी की परवाह किया अर्जुन उनकी और देखकर बोला था, 'राजगुरु जी और मिस्टर सैनिक जी, आप तो इस तरह का बर्ताव कर रहे हैं मानो कि अगर इन तीन दिनों अगर इन तीन दिनों में मैं असली चोर को ढूंढ लिया तो कहीं आप लोगों के किसी तरह की कोई पोल खुल जाएगी, कहीं आप लोगों को कोई डर तो नहीं लग रहा?' अब जैसे ही अर्जुन ने बेबाक अंदाज से वहां इस तरह से बोल राजगुरु और सैनिक दोनों का ही मुंह पूरी तरह से उतर गया था और वह तुरंत ही अर्जुन को घर कर देखने लगे थे, वही जैसे ही बेबाक अंदाज में अर्जुन ने यह बात बोली राजकुमारी की आंखों में चमक आ गई थी और उसके होंठ हल्के से हल्की सी मुस्कुराहट से हिल गए थे। अब जैसे ही अब अर्जुन को इस तरह से बोलते हुए देखकर सभी राज को दरबारी का मुंह खुला का खुला रह गया था, क्योंकि जितना वह लोग सैनिक युवान के बारे में जानते थे सैनिक युवान सबके सामने सर झुका कर खड़े रहता था और हमेशा अनुशासन पर चलने वाला व्यक्ति था, कभी भी तेज आवाज में बात तक नहीं करता था, लेकिन यहां यहां तो आज सैनिक युवान के रूप रंग दल चाल सब कुछ बदले हुए थे वह एक अलग ही दुनिया का प्राणी लग रहा था, लेकिन अपने सामने मौजूद इंसान को वह लोग झुठला भी नहीं सकते थे, वही महाराज को भी अब काफी ज्यादा हैरानी हुई और वह तुरंत ही अर्जुन की ओर देखकर बोले थे, 'अगर तुम्हें लगता है कि तुम बेकसूर हो, तुम निर्दोष हो तो खुद को निर्दोष साबित करो, हम तुम्हें तीन दिनों का समय देते हैं, तीन दिनों तक तुम अपने घर रह सकते हो, तीन दिनों तक के लिए तुम आजाद और याद रखना यहां से भागने की कोशिश मत करना, क्योंकि तुम यह बात अच्छी तरह से जानते हो कि राजवंशसे निकलना तुम्हारे लिए किसी भी लिए तरह मुमकिन नहीं होगा।' जैसे ही महाराज ने यह कहा अर्जुन तुरंत मुस्कुरा कर बोला था, 'आपका बहुत-बहुत थैंक यू थैंक यू सो मच मिस्टर महाराज।' अब जैसे ही अर्जुन एक बार फिर इंग्लिश वर्ड का उसे किया, महाराज आंखों में हैरानी लाकर अर्जुन की ओर देखने लगे थे, वही सब लोग भी हैरान हो चुके थे कि आखिरकार अर्जुन को हो क्या गया है और यह किस तरह की बातें बोल रहा है तब वह क्या नाम था उसका, तब सेनापति विक्रम खुद को रोक नहीं पाया और तुरंत महाराज के सामने खड़ा होकर सर झुका कर बोला था, 'महाराज देखा आपने इस कैदी युवान को या आप ही के सामने खड़ा होकर आपको उल्टी सीधी बातें बोल रहा है, आपको गालियां दे रहा है अपनी अलग भाषा में, आपको गालियां दे रहा है आपको इसके खिलाफ सख्त अभी और इसी वक्त एक्शन अभी इसी वक्त आपको ऐसे सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए।' अब जैसे ही उसने एक बार फिर आज में घी डालने का काम किया अब जल्दी से अर्जुन बोला था, 'नहीं नहीं महाराज, यह गलत कह रहे हैं सेनापति जी, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, मैंने तो सिर्फ और सिर्फ आपका शुक्रिया अदा किया है।' अब तुम महाराज पूरी तरह से हैरान हो गए थे कि आखिरकार अर्जुन सैनिक युवान ने कौन सी भाषा में उन्हें शुक्रिया अदा किया है। महाराज खुद को रोक नहीं पाए और बोले थे, 'क्या वाकई तुमने हमें शुक्रिया अदा किया है, लेकिन यह कौन सी भाषा है जिसके बारे में हमें नहीं पता?' तब जल्दी ही महाराज ने विद्वानों की ओर देखा था, उसे दरबार में एक से बढ़कर एक विद्वान वहां मौजूद थे और उनकी और देखकर महाराज बोले थे, 'हमें भी यह भाषा सीखनी है, पता लगाओ कि यह भाषा हमें कौन से खाएगी।' यह बोलकर महाराज वहां से उठ खड़े हुए और दरबार को बर्खास्त करके जाने लगे थे, वहीं अर्जुन की आंखें एक बार फिर राजकुमारी पर जाकर ठहर गई थी, जो की जाते हुए हल्का सा रुक रुक कर मुड़कर बार-बार अर्जुन की ओर ही देख रही थी, वही अर्जुन मुस्कुरा कर राजकुमारी की ओर देख रहा था। अब सेनापति ने जैसे यह देखा कि अर्जुन राजकुमारी को देख रहा है वह तुरंत ही अपना तलवार लेकर अर्जुन के करीब आया और उसकी गर्दन पर तलवार रख कर बोला था, 'अपनी आदतों से बाज आज सैनिक युवान, वरना भी तो तुम्हें सिर्फ चांदी के सिक्कों की चोरी में फसाया है अगली बार मैं तुम्हें जान से मार डालूंगा अगर तुमने राजकुमारी की और आंख उठा कर भी देखा तो।' अब जैसे ही सैनिक सेनापति ने यह बात बोली अर्जुन का दिमाग पूरी तरह से जल उठा था।

  • 14. बदसूरत जिन्न शहजादी। - Chapter 14

    Words: 2329

    Estimated Reading Time: 14 min

    और उसने उसकी पीठ पर वह पेस्ट लगाना शुरू कर दिया था। अब जल्दी यशस्वी जी भी वहां गई थी और अपने बेटे को इस तरह से देव की पीठ पर पेस्ट लगाते हुए देखकर हैरान भी हो रही थी, और मन ही मन में सोच रही थी कि उसने इस तरह का मरहम बनाना आखिरकार कहां सीखा? वह यह तो जानती थी कि उसके बेटे युवान को कीड़े मकोड़े, सांप बिच्छू, या किसी और जानवर के काटने की का इलाज करने की विधियां तो आती थी, लेकिन इस तरह से चोट पर लगाने वाला मरहम उसे आता हो, इस बात का उसे कोई आईडिया नहीं था।

    फिलहाल, अर्जुन के लिए देव को पूरी तरह से ठीक करना बहुत ज्यादा जरूरी था, क्योंकि उसे तो यहां के बारे में ज्यादा कुछ नॉलेज नहीं थी, और एक देव ही था जो कि उसकी यहां ढेर सारी मदद कर सकता था। इसीलिए उसने उसे पहले ठीक किया, और पूरे कुछ ही घंटे के अंदर अंदर देव को काफी हद तक आराम भी मिल गया था और उसने अर्जुन को देखकर कहा था कि, "अब मैं तुम्हारे साथ राजमहल चलने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। मुझे लगता है कि हमें एक भी मिनट अब बर्बाद नहीं करनी चाहिए। वैसे भी केवल तीन दिन का समय हैं, और आज का दिन तो तुमने मुझे ठीक करने में ही बिता दिया, अब रात हो गई है।"

    तब अर्जुन ने देव की ओर देखकर कहा था, "चाहे रात हो या दिन हो, लेकिन राजमहल तो मैं आज ही जाऊंगा—आज रात को ही जाऊंगा। तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।"

    यह सुनकर देव पूरी तरह से हड़बड़ा सा गया था और बोला था, "लेकिन इतने सारे सैनिकों के बीच में रात को राजमहल में जाना खतरे से खाली नहीं होगा? और अगर हमें सैनिकों ने पकड़ लिया, तो एक और इल्जाम वह हम पर लगा देंगे और हमेशा हमेशा के लिए काल कोठरी में बंद कर देंगे।"

    तब अर्जुन ने देव के कानों में सरगोशी करते हुए कहा था, "तुम उस बात की बिल्कुल भी फिक्र मत करो। और वैसे भी जब से मैं राजकुमारी संयोगिता को देखा है, तब से मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है, और मैं खुद को रोक नहीं पा रहा हूं और मैं राजकुमारी से मिलना चाहता हूं, क्योंकि कहीं ना कहीं राजकुमारी के हाव-भाव देख कर अर्जुन समझ चुका था कि यह राजकुमारी इस चोरी के बारे में जरूर कुछ ना कुछ जानती है, और वह उसकी मदद जरूर कर सकती हैं। इसीलिए उसने राजकुमारी से मिलने का डिसीजन लिया था।

    फिलहाल देव के पास कोई और रास्ता नहीं था। वैसे भी उसने युवान यानी अर्जुन को वादा किया था कि वह उसका पूरी तरह से साथ देगा और वो निर्दोष साबित जरूर होगा। तो इसीलिए वह भी डरते हुए, लेकिन अब पूरी तरह से राजमहल जाने के बारे में सोचने लगा था।

    वही राजकुमारी संयोगिता इस वक्त पूरी तरह से बेचैन थी, और इधर-उधर अपने कक्ष में टहल रही थी। तभी उसकी एक सहायिका जिसका नाम नंदिनी था, वह जल्दी ही राजकुमारी संयोगिता के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई, और सर झुका कर बोले थे, "राजकुमारी आपने जो कुछ काम दिया था मैंने वह काम कर दिया है। सैनिक युवान जब अपने घर की ओर गया, तब मैंने उसका पीछा करवाया था। वह सीधा अपने घर गया; वह कहीं भी नहीं गया, और अभी तक वह अपने घर से बाहर नहीं निकला है, और हमें एक भी मौका नहीं मिला जिससे कि हम आपका संदेश उस तक पहुंचा सके।"

    जैसे ही नंदिनी ने यह बोला, अब संयुक्त का खून पूरी तरह से खोलने लगा था और अचानक उसने अपनी तलवार निकाल कर नांदरी के गर्दन पर लगा दी थी और बोली थी, "मुझे ना नहीं सुनना है। मुझे हर हाल में सैनिक युवान मेरी आंखों के सामने चाहिए। तुम समझ क्यों नहीं रही हो मेरा... मुझे उससे मिलना है।"

    अब नंदिनी थर-थर कांपने लगी थी। उसे समझ नहीं आया कि वह राजकुमारी संयोगिता को किस तरह से समझाएं, लेकिन राजकुमारी का इस तरह का स्टेप देखकर तो वह यह बात अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि उसके राजकुमारी रासायनिक युवान के प्यार में पूरी तरह से पागल हो चुकी है, इसीलिए उसने बचपन से उसके साथ रह रही सहायिका सेविका की भी कुछ खास परवाह नहीं की। हालांकि राजकुमारी संयोगिता का यह स्वभाव बिल्कुल भी ऐसा नहीं था, लेकिन जब से सैनिक युवान को काल कोठरी में सजा सुनाई गई थी और उसके बाद उसे मृत्यु दंड दिया गया था, तब से वह पूरी तरह से बेचैन हो उठी थी, और अब जल्दी ही उसने नंदनी की आंखों में देख कर कहा था, "कुछ भी करो, हमें आज रात किसी भी कीमत पर सैनिक युवान से मिलना ही है और हम उससे मिलकर रहेंगे।"

    राजकुमारी जी ने अपनी गलती हुई आंखों से उसे नंदनी को देखते हुए कहा, तब नंदनी जल्दी ही आंखों में आंसू लाकर बोली थी, "हमें क्षमा कर दीजिए राजकुमारी बस हमें कुछ समय और दे दीजिए हम कुछ ना कुछ करके सैनिक युवा को यहां ले आएंगे और वैसे भी आज महाराज और महारानी राज्य में नहीं है। वह दूसरे राज्य में गए हैं जो दो दिनों के बाद ही आने वाले हैं, क्योंकि दूसरे राज्य में उनके जो मित्र दूसरे राज्य में महारानी के भाई राज को महाराज भी आनंद रहते हैं। तो उनके यहां पर पुत्री का जन्म हुआ है तो उसी के उपलक्ष में महाराज और महारानी को आमंत्रित किया गया था। इसीलिए वह लोग वहां गए हैं।"

    अब जैसे ही यह खबर राजकुमारी संयुक्त को लगी, वह पूरी तरह से हैरान हो गई थी। हालांकि महारानी ने इस बात के बारे में संयुक्त को पहले से ही सूचित कर दिया था कि उसे भी उनके साथ चलना है, लेकिन उसे वक्त राजकुमारी संयुक्त पूरी तरह से युवान के कैदी होने पर दुखी थी। इसीलिए उसने साफ-साफ अपनी में महारानी गायत्री को मना कर दिया था कि वह उनके साथ नहीं जाएगी; उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं है। अब महारानी गायत्री के लिए अपनी बेटी की तबीयत सबसे ज्यादा जरूरी थी। आखिरकार पूरे के पूरे राजवंश की वह एक लोधी उत्तराधिकारी थी; उसकी सेहत को लेकर या उसके किसी भी मामले को लेकर किसी भी तरह की कोई डील नहीं बढ़ती जाती थी। इसीलिए राजकुमारी को आराम करने का का कर वह लोग दूसरे राज्य की ओर प्रस्थान कर गए थे।

    वहीं दूसरी ओर युवान यानी कि अर्जुन जल्दी ही देव के साथ एक प्लान बनाकर और महल के ही सैनिकों का रूप लेकर महल में एंट्री कर चुके थे। कहीं ना कहीं राजकुमारी की आंखों में उसने कितने ही सारे सवाल देखे थे। इसीलिए अर्जुन किसी तरह का कोई सबूत ना झूठ कर सीधा राजकुमारी से मिलना चाहता था, और इसीलिए उसने देव से पता भी लगवा लिया था की राजकुमारी का कक्षा कौन सा है। वहां पर किसी भी पुरुष को जाने की इजाजत नहीं थी। इसीलिए अब अर्जुन अपना दिमाग जोरों से चलने लगा था। वह हर हाल में राजकुमारी से मिलना चाहता था।

    कहीं ना कहीं अर्जुन का दिल गवाही दे रहा था कि हो सकता है कि उसके बेगुनाही का सबूत राजकुमारी के पास हो या फिर राजकुमारी ही उसे कोई ना कोई तरीका बता दे। तो इसी उम्मीद के साथ वह अब राजमहल में घुस आया था। लेकिन जैसे उसने राजकुमारी के कक्षा के पास सैनिकों की बहुत ज्यादा भीड़ देखी तो अर्जुन पूरी तरह से शक हो गया था, और वह सोचने लगा था कि उसे आप किस तरह से अंदर जाना चाहिए? उसे हर हाल में आज के आज ही राजकुमारी से मिलना होगा। अगर वह राजकुमारी से नहीं मिला, तो दो दिन बाद यह लोग उसे इस जिंदगी से मुक्ति दे देंगे और पता नहीं उसके बाद उसकी आत्मा वापस से उसकी आधुनिक जिंदगी में जा पाएगी या नहीं या फिर हमेशा हमेशा के लिए वह यही कैद होकर रह जाएगी।

    अभी तक अर्जुन को अपनी इस बारे में कोई एहसास नहीं था कि आखिरकार जिंदगी में वह क्यों आया है? इस जिंदगी में आने का उसका क्या कारण है? और वैसे भी अर्जुन को यह जिंदगी कुछ खास पसंद आ गई थी, क्योंकि उसकी आधुनिक यानी के मॉडर्न जिंदगी में तो शिवाय दुख तकलीफ और तानों के कुछ भी नहीं था। हालांकि अर्जुन पर हद ब्रिलिएंट स्टूडेंट था, लेकिन कभी किसी ने भी उसकी कोई कदर नहीं की। इसका एक प्रमुख कारण था अर्जुन का बेहद साधारण शादी करना, दुबला दुबला पतला उसका शरीर साथ-साथ बड़ा सा उसके चेहरे पर चश्मा उसे सब लोगों से काफी ज्यादा अलग बनाता था, और जबकि उसके मुकाबले उसके क्लास में भी और आसपास भी कितने हिस्सा रहे हैंडसम और डैशिंग लड़के रहा करते थे। तो अर्जुन को तो वह लोग केवल छछूंदर ही कह कर बुलाया करते थे। अर्जुन काफी ज्यादा इरिटेट हो जाया करता था। कितनी ही बार उसने अपनी जान देने की भी कोशिश की थी, क्योंकि जिंदगी से वह पूरी तरह से हार गया था। दोस्त के नाम पर भी उसका उसे दिन उसे दुनिया में कोई नहीं था, लेकिन यहां... यहां तो उसे सैनी को युवान का कर इज्जत दी जा रही थी। प्यार करने वाली मां थी, भाई जैसा दोस्त था, साथ ही साथ एक प्यारी सी छोटी बहन थी जो उससे काफी ज्यादा प्यार से पेश आ रही थी। तो यह सारी बातें उसे काफी ज्यादा अच्छी लग रही थी और वह... और सबसे बड़ी बात है उसे यहां की राजकुमारी पसंद आ गई थी। कहां तो उसकी आधुनिक जिंदगी में किसी नॉर्मल लड़की ने भी उसे किसी तरह का कोई भाव नहीं दिया, लेकिन यहां... यहां तो उसे शत-शत परलोक से साथ-सा द अप्सरा जैसी राजकुमारी उसकी और आकर्षित थी, यह बात उसने जल्दी ही महसूस कर ली थी।

    फिलहाल अर्जुन ने गहरी साथ सांस ली और उसने सोचना शुरू कर दिया था कि वह इस तरह से हार नहीं मान सकता है। वैसे भी वह अर्जुन है। भले ही मुस्कुराकर कहा था, "क्या तुम मेरे लिए एक जोड़ी लेडिस कपड़ों का इंतजाम कर सकते हो?" क्योंकि इस वक्त जो अर्जुन ने कपड़े पहने हुए थे, वह लंबी सी वह सैनिकों सैनिकों वाले कपड़े पहने हुए थे। अब और जो वहां की औरतें कपड़े पहन देती है, वह सिर्फ एक छोटी सी चोली और लहंगा सिर्फ और सिर्फ यही कपड़े वहां की लेडिस पहना करती थी जिसमें वह बेहद अट्रैक्टिव दिखाई देती थी।

    फिलहाल अर्जुन की बात सुनकर देव कन्फ्यूज्ड हो गए और बोला था, "यह आप कैसी बातें कर रहे हैं भारत? भला आप कन्याओं के कपड़ों का क्या करेंगे?"

    तब अर्जुन ने जल्दी से देव के कानों में कुछ कहना शुरू कर दिया था। वही देव का तो हैरानी के मारे बुरा हाल था और वह बोला था, "अब कैसी बातें कर रहे हैं आप? कन्या बनेंगे वह भी सैनिक युवान जो की बहुत बड़ा शूरवीर है, वह कन्या बनने की बात कर रहा है। हे भगवान, यह कैसा नॉर्थ है? क्या आप वाकई युवान ही है ना?"

    जैसे ही देव नहीं है बोल अर्जुन ने तुरंत ही देव के सर पर टकली मारते हुए कहा था, "क्या यार कितने सारे क्वेश्चन करते हो तुम? तुम्हें जितना कहा जाए उतना करो ना। तुम नहीं जानते मेरा राजकुमारी से मिलना कितना ज्यादा जरूरी है और तुम क्या जानो इस वक्त तीन दिनों के अंदर अंदर मेरे सर पर मौत मंडरा रही है और जिस इंसान के सर पर मौत मंडरा रही हो उसे वक्त क्या वह अपने रूल रेगुलेशन देखेगा?"

    जैसे ही अर्जुन ने थोड़ा सा तेज आवाज में देव को डांटना शुरू किया, अब तो देव की सिटी पूरी तरह से गुम हो गई थी, क्योंकि रूल रेगुलेशन इस तरह के शब्द अर्जुन ने इंग्लिश में उसे किए थे। तो वह हैरानी से तुरंत ही आंखों में आंसू लाकर बोला था, "युवान भरा था आप मुझे क्यों फट कर रहे हैं? मैं जानता हूं कि इस वक्त आप पर मौत का खतरा है, लेकिन आप इस तरह की अगर हरकतें करेंगे, तो मुझे तो ऐसा लगेगा ही ना कि आपके साथ जरूर कुछ ना कोई गड़बड़ हो गई है?"

    तब देखा मन ही मन में सोचने लगा था, "इस वक्त यह शूरवीर कन्या बनना चाहता है। तो मुझे इस कन्या बनने देना चाहिए। अगर मैं इनके बीच में रोड़ा बना, तो इनकी तो मौत तीन दिनों के बाद होगी, लेकिन यह मुझे सरेआम आज के आज फांसी दे देंगे।"

    फिलहाल देव मन ही मन में बोला था कि उसे अगर उसे अपनी जान बचा नहीं है, तो जैसा यह शूरवीर कहता है, उसे ऐसा ही करना चाहिए। और जल्दी ही अर्जुन ने देव की आंखों में आंसू देखे, उसे तुरंत ही उसे मन में पछतावा होने लगा था। वह सोचने लगा था कि उसे अपने आप पर कंट्रोल क्यों नहीं हो रहा है? उसे इस तरह की बातें नहीं बोलनी है कि जो कि यहां के लोगों को समझ में ना आए। उसे यहां के लोगों के अकॉर्डिंग ही बातें करनी है।

    फिलहाल अर्जुन ने गहरी सांस ली और बड़े ही प्यार से देव के कंधों पर हाथ रखकर बोला था, "देखो मैं अच्छी तरह से जानता हूं देव भाई की तुम्हें मेरा बिहेव..." बोलने वाला था अर्जुन, लेकिन तुरंत ही बिहेव ना बोलकर बोला था, "मेरा बताओ आपको शायद कुछ खास पसंद नहीं आ रहा है, लेकिन इस वक्त मेरे दिमाग में काफी ज्यादा..."

    अब अर्जुन के दिन कुछ समझ में आया कि वह टेंशन बोले, लेकिन वह सोचने लगा था कि अगर वह देव को टेंशन बोलेगा, तो देव फिर से उसके बाद नहीं समझ पाएगा और वह सोचने लगा था कि टेंशन खूबसूरत हिंदी में क्या कहते हैं, "तुम्हें मेरी समस्या... समस्या समझ नहीं होगी। दो दिनों के बाद मुझे फांसी होने वाली है, और मैं मरने नहीं चाहता। मैं अपनी मां और बहन के लिए और साथ-साथ..." मन ही मन में अर्जुन बोला था, "राजकुमारी के लिए जिंदा रहना चाहता हूं। तो उसके लिए मुझे जो रास्ता मुझे ठीक लगेगा, मैं वही करूंगा।"

    अब अर्जुन के ने जैसे ही प्यार से यह बात देव को समझे, देव तुरंत उसके हमें हां मिलाकर बोला था, "आप एक काम कीजिए, आप मेरे साथ लिए। यहां पर जो एक दासी है..."