रियाज़ मालिक सैयद। जो शौकीन है खूबसूरती और खूबसूरत चीजों का। रियाज़ के लिए लड़कियों का शौक एक नशे की तरह है। और वह हर रात एक नए नशे का शौकीन है। लेकिन रियाज़ के सामने उसके दादाजी ने रखी एक ऐसी शर्त जिसमें उसे एक लड़की से शादी करके उनके खानदान को वारि... रियाज़ मालिक सैयद। जो शौकीन है खूबसूरती और खूबसूरत चीजों का। रियाज़ के लिए लड़कियों का शौक एक नशे की तरह है। और वह हर रात एक नए नशे का शौकीन है। लेकिन रियाज़ के सामने उसके दादाजी ने रखी एक ऐसी शर्त जिसमें उसे एक लड़की से शादी करके उनके खानदान को वारिस देना होगा तो रियाज़ परेशानी में पड़ गया। पर जब उसकी नजर पड़ती है 19 साल की मासूम सी इनायत पर, जो रियाज़ के पास मदद की उम्मीद लेकर आई थी। तो कैसे एक पल में उसकी सारी दुनिया बदल जाती है। मदद के नाम पर रियाज ने इनायत को अपने जुनून के पिंजरे में कैद कर लिया था। क्या रियाज़ कभी समझ पाएगा की इनायत कोई इस्तेमाल करने की चीज नहीं है? और क्या इनायत कभी रियाज़ के इस कैद से निकल पाएगी? जानने के लिए पढ़िए, "meri Innayat
रियाज़ मलिक सैयद
Hero
इनायत
Heroine
Page 1 of 10
घना जंगल जिसके बीचो-बीच एक आदमी अपने घुटनों पर बैठा हुआ रहम की भीख मांग रहा था और उसके सामने खुद मौत का सौदागर खड़ा था।
आदमी कहता है “मुझे माफ कर दो मालिक, मुझे माफ कर दो । आज के बाद ऐसा गलती कभी नहीं करूंगा। मुझ से गलती हो गई मैं पैसों की लालच में आ गया था!”
तभी मलिक का एक आदमी उसके पास कुर्सी लेकर आता है। मलिक उस पर बैठ जाता है और अपने पैर पर दूसरा पैर चढ़ाते हुए उस आदमी को गुस्से भरी नजरों से घुर कर देखता है और कहता है “ये बात मुझे धोखा देने से पहले सोचना चाहिए था ना कि, अगर पकड़ा गया तो अंजाम क्या होगा?”
मलिक अपना एक हाथ उठाकर दो उंगलियों को हवा में लहराते हुए अपने आदमी को इशारा करता है, तो उसके आदमी जल्दी से एक केरोसिन की बोतल लेकर हाजिर हो जाता है।
उस आदमी के हाथ में मिट्टी का तेल देखकर उस आदमी की रूह कांप गई थी।
वो आदमी रोते और गिरगिराते हुए कहता है “नहीं मालिक नहीं, ऐसा मत करना, मेरी छोटे-छोटे बच्चे हैं, मेरी बीवी बच्चे, बेसाहारा हो जाएंगे मालिक मुझ पर रहम करो?”
लेकिन मलिक अपने हाथ में लिए हुए लाइटर को कभी जलाता तो, कभी बंद करते हुए उस शख्स को देखकर कहता है “ छोटे-छोटे बच्चे हैं.. तो तेरे मरने के बाद, तेरे वो छोटे-छोटे बच्चे सड़कों पर भीख मांगेंगे, वैसे भी हमारे देश में भिखारी की कमी थोड़ी ना है और जहां तक बात रही तेरी बीवी की तो तुझे दो बच्चे दे दिए ना उसने? उसे भी अपनी जिंदगी के मजे लेने दे हर रात? क्या फर्क पड़ता है, अगर वो मज़े तेरे साथ ले रही है या, किसी और के साथ?”
लेकिन वो आदमी गिड़गिड़ाते हुए कहता है “नहीं मालिक नहीं, ऐसा मत करिए। आप जो कहेंगे मैं वो करूंगा! मैं सारी जिंदगी आपका कुत्ता बन कर रहूंगा। सारी जिंदगी आपकी गुलामी करूंगा.....!”
मलिक ने अपने हाथ से इशारा किया तो उसके आदमियों ने उस रोते हुए आदमी को पकड़ लिया और अगले ही पल उस पर मिट्टी का तेल छिड़क दिया।
मालिक अपनी जगह से खड़ा होता है और उस आदमी के पास आते हुए उसके बालों को मुट्ठी में भरता है और कहता है “ये सबक है उन लोगों के लिए जो मुझसे गद्दारी करने की सोचते भी है और उन्हें ऐसा लगता है कि, मुझसे गद्दारी करके अपने मालिक से... रियाज मलिक सैयद से बच जाएंगे!
बस जिन लोगों को ये गलतफहमी है, उन लोगों की गलतफहमी दूर करने जा रहा हूं मैं!”
ये कहते हुए रियाज ने अपने हाथों में पकड़े हुए लाइटर को जलाया और अगले ही पल वो आदमी चीखता चिल्लाता हुआ वहां पर तड़पता रह गया और आग की लपटों ने उसे घेर लिया था।
आदमी का काम खत्म करने के बाद रियाज अपनी ब्लैक मर्सिडीज़ में बैठकर अपनी कंपनी की तरफ चल देता है। पूरे रास्ते उसकी गाड़ी की खिड़की से सिगरेट का धुआ बाहर की तरफ उड़ रहा था। गाड़ी में चलती गुलाम अली की गजल रियाज के सफर को और ज्यादा शानदार बना रही थी।
उसकी ब्लैक मर्सिडीज़ जैसी ही कंपनी के पार्किंग एरिया में आकर खड़ी हो जाती है। उसके कंपनी के स्टाफ सतर्क हो जाता है। एक स्टाफ जल्दी से आगे आकर गाड़ी का दरवाजा खोलता है और सिगरेट का कश लगाता हुआ रियाज गाड़ी से बाहर निकलता है।
रियाज को देखकर सारा स्टाफ अपना चेहरा नीचे कर लेते है और रियाज सीधे लिफ्ट की तरफ बढ़ जाता है।
VIP लिफ्ट में रियाज के साथ उसका स्टाफ भी जाता है। ये रियाज का पर्सनल स्टाफ है और रियाज के सारे काम की डिटेल्स इनके पास रहती है। लिफ्ट में भी रियाज के हाथों से सिगरेट नहीं छूटी थी।
पूरा लिफ्ट सिगरेट के धुएं से भर रखा था। जैसे ही लिफ्ट खुलता है, रियाज भी धुएं के साथ लिफ्ट से बाहर आता है। बाहर आते ही वहां पर मौजूद सारे लोग बाहर निकलते हैं और अपना मुंह दबाकर खांसने लगते हैं।
रियाज के फ्लोर पर दाखिल होते ही सब एम्पलाई अपना सर झुका कर उसे इज्जत दे रहे थे, लेकिन रियाज अपने केबिन की तरफ बढ़ता हुआ उसने बस हल्के सर को हां में हिलाया।
रियाज की दबंग आभा से लोग इतने डरते थे कि, वो लोग रियाज़ से नजरे मिलाने से जितना हो सके उतना दूर रहना ही पसंद करते थे और उनका बस एक ही मकसद था कि, चाहे कुछ भी हो जाए रियाज की नजरों में ना आए।
रियाज मलिक सैयद जिसकी उम्र 30 साल है.. 6 फीट, 5 इंच का रियाज फेयर स्किन, ब्लू आईज, चेहरे पर हल्की-हल्की बियर्ड, इतनी ज्यादा स्मोकिंग करने की वजह से, उसके डार्क लिप्स पर उसकी पर्सनालिटी को सूट कर रहे थे। 46 इंच का उभरा हुआ सीना चिल्ला चिल्ला के बता रहा था कि, जिम में कम से कम नहीं तो चार से पांच घंटा ये इंसान वर्जिश करता है।
रियाज इस समय इंडिया के टॉप 10 बिजनेसमैन में नंबर वन की पोजीशन पर आता है। इंडिया और इंडिया से बाहर की जितने भी लग्जरियस मॉल है, वहां पर रियाज के ब्रांड का अपना स्टोर है और उसके अपने बहुत सारे ऐसे बिजनेस हैं जो उसे याद भी नहीं है।
रियाज अपने केबिन में जाता है और वहां पर रखी कुर्सी पर बैठ जाता है। उसके वहां बैठते ही उसके सामने खड़ा उसका असिस्टेंट पारस सर झुका कर खड़ा रहता है और कहता है “ बॉस ग्रीन स्टार होटल, ओपनिंग पार्टी में हमें इनविटेशन नहीं मिला है। उनका कहना ये है कि, इस होटल की इतनी बड़ी पार्टी में सिर्फ वही लोग आते हैं जिनका टर्नओवर इस साल का ट्रिलियन में आया है!”
पारस की बात सुनकर रियाज की आंखें छोटी हो जाती है और वो कहता है “तो क्या इस साल हमारा टर्नओवर ट्रिलियन में नहीं आया है?”
जी नहीं बॉस दरअसल हमारा टर्नओवर ट्रिलियन होने में सिर्फ 20 मिलियंस ही कम रह गए थे।
रियाज पारस की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था और फिर उसने कुछ सोचते हुए कहा “ठीक है अगर इस बार हमारा टर्नओवर ट्रिलियन में नहीं आया है और उसकी वजह से हमें होटल ग्रीन स्टार में इनविटेशन नहीं मिला है तो, इस ग्रीन स्टार को ब्लैक स्टार में कन्वर्ट कर दो और वो भी कुछ इस तरीके से की लोगों को पता चलना चाहिए कि, समंदर में रहकर शार्क से दुश्मनी नहीं करते हैं।
पारस की बात सुनकर रियाज की आंखें छोटी हो जाती है और वो कहता है “तो क्या इस साल हमारा टर्नओवर ट्रिलियन में नहीं आया है?”
जी नहीं बॉस दरअसल हमारा टर्नओवर ट्रिलियन होने में सिर्फ 20 मिलियंस ही कम रह गए थे।
रियाज पारस की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था और फिर उसने कुछ सोचते हुए कहा “ठीक है अगर इस बार हमारा टर्नओवर ट्रिलियन में नहीं आया है और उसकी वजह से हमें होटल ग्रीन स्टार में इनविटेशन नहीं मिला है तो, इस ग्रीन स्टार को ब्लैक स्टार में कन्वर्ट कर दो और वो भी कुछ इस तरीके से की लोगों को पता चलना चाहिए कि, समंदर में रहकर शार्क से दुश्मनी नहीं करते हैं।
कल के न्यूज़ पेपर में मुझे एक हैडलाइन चाहिए जिसमें, लिखा होगा कि रातों-रात होटल ग्रीन स्टार दिवालिया हो गया है और अगर ऐसा नही हो पाया तो अपने लिए दूसरी जॉब सर्च कर लेना!”
पारस जल्दी से सर हा मे हिलाता है और कहता है “जी बॉस हो जाएगा!”
इसके बाद पारस अपने डायरी में कुछ चेक करते हुए कहता है “बॉस एक और बात है जो आपसे कहनी थी?”
रियाज ने अपनी कुर्सी पर सिर टिकाया और अपनी आंखें बंद करते हुए कहा “पारस तुम मेरे भरोसेमंद आदमी हो, इसका मतलब ये नहीं है कि, तुम मेरी बीवी वाली हरकत करोगे। जो भी बात है तुमसे एक बार में नहीं कहीं जाती है क्या?”
सॉरी बॉस लेकिन बात ये है कि, हमारे अकाउंट डिपार्मेंट मैं जो सबसे सीनियर अकाउंटेंट थे mr मुर्तजा अली.. आज सुबह उनका इंतकाल हो गया है!”
व्हाट? रियाज चौक कर सीधा बैठ जाता है।
उसे इस खबर से थोड़ा धक्का लगा था और वो हैरान नजरों से पारस को देख कर कहता है “क्या बकवास कर रहे हो? उनकी डेथ कैसे हो सकती है? और अचानक से उन्हें क्या हो गया था? वो तो काफी समय से ऑफिस भी नहीं आ रहे हैं और फिर अचानक से उनकी मौत की खबर …?”
पारस ने हा मे सिर हिलाते हुए कहा “जी बॉस दरअसल पिछले 15 दिनों से वो ऑफिस नहीं आ रहे हैं, वो अपने होमटाउन पर है ,मुंबई के पास पालघर मैं उनका घर है। जहाँ उनकी वाइफ और एक बेटी रहती है। पिछले कुछ टाइम से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। इस वजह से ऑफिस नहीं आ पा रहे थे, अपने घर पर ही थे लेकिन आज सुबह डॉक्टर ने उन्हें डेथ डिक्लेयर कर दिया था!”
रियाज अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपने दोनों हाथों को सामने की तरफ उंगलियों को फसाते हुए टेबल पर रख लेता है।
वो थोड़ी परेशानी के साथ कहता है “वो हमारे यहां पर काफी पुराने एम्पलाई थे। जब दादाजी ने मुझे ये कंपनी हैंडोवर करी थी। तभी वो यहां पर मौजूद थे। उनकी ईमानदारी पर शक नहीं किया जा सकता था। उनकी मौत का सुनकर बहुत अफसोस हुआ मुझे। तुम एक काम करो, किसी एंप्लॉय को उनके घर पर भेजो और देखो की उनकी बीवी और बच्चों को कोई मदद की जरूरत तो नहीं है और अगर हुई तो उनकी थोड़ी मदद करवा देना!”
पारस ने हा मे सिर हिलाते हुए कहा “बॉस वो तो मैं करवा दूंगा लेकिन एक और बात है जो आपको बताना जरूरी है?”
रियाज घूरते हुए पारस को देख कर कहता है “मैंने गलत नहीं कहा था तुम सच में मेरी बीवी बनते जा रहे हो। एक के बाद एक बात बताओगे एक साथ नहीं कह सकते हो? अब बोलो!”
वो दरअसल mr मुर्तजा ने पिछले महीने हमारी कंपनी से 20 लाख का लोन लिया था और वो पैसे उन्होंने चुकाई नहीं है। कंपनी उनसे कोई सवाल करती या, फिर उनसे पैसा वापस मांगती तो उससे पहले ही उनका इंतकाल हो गया है!”
रियाज गुस्से में भड़कते हुए कहता है “सिर्फ 20 लाख के लिए तुम किसी मरे हुए इंसान के साथ सौदेबाजी कर रहे हो? दफा हो जाओ पारस यहां से!”
अपने बॉस की डांट सुनकर पारस वहां से निकल जाता है और रियाज अपनी कुर्सी पर बैठकर अपनी आंखें बंद करते हुए मन में कहता है “खुदा आप की रूह को जन्नत दे!”
वही दुसरी तरफ,पालघर की छोटे से मोहल्ले में...
गली के किनारे पर एक जनाजे को सजाया गया था।
अब्बू अब उठ जाइए ना अब्बू.. अम्मी अब्बू से कहिए ना वो अब उठ जाए?”
वो लड़की जो इस वक्त अपने अब्बू के शरीर से लिपटकर रो रही थी। उसने मुड़कर अपनी मां को देखते हुए कहा “जो खुद इस समय सदमे में दिखा रही थी!”
नहीं अब्बू आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकते हैं, मैं आपके बिना कैसे रहूंगी। वो लड़की अपने पिता के शरीर से लिपटकर दहाड़े लगा लगाकर रो रही थी। उसकी सिसकियां किसी का भी दिल कांपने पर मजबूर कर देती और उसकी आंसू किसी को भी रुला सकते थे। अपने पिता के खोने के गम में वो लड़की अपने पिता से लिपटकर बेहिसाब रोई जा रही थी।
कुछ रिश्तेदार आगे आते हैं और कहते हैं.. “जनाजा उठाने का समय आ गया है!”
उस लड़की ने जैसे ही ये सुना वो अपने पिता से और लिपट जाती है और बिल्कुल उसे कस के जकड़ लेती है। जैसे वो उसे छोड़ना ही नहीं चाहती हो।
कुछ औरते ने आकर उस लड़की को जबरदस्ती पीछे की तरफ खींचा और रिश्तेदार आगे आते हैं, वो सब लोग जनाजे को उठाते हैं और उसे कंधा देने ही वाले होते हैं कि, वो लड़की और उसकी मां दोनों जनाजे पर लेट जाती है, जैसे उसे जान ही नहीं देंगे।
लेकिन औरतों ने और रिश्तेदारों ने आकर उन मां बेटी को संभाला। रिश्तेदार जनाजे को लेकर आगे बढ़ रहे थे और वो दोनों बस अपनी हताशा भरी आंखों से रोते हुए सिर्फ अपने पिता को अंतिम विदाई दे सकते थे।
मिट्टी करने के बाद कब्रिस्तान से सारे रिश्तेदार वापस आ गए थे और सब लोग उस घर के आंगन में बैठकर बातें कर रहे थे कि, आगे क्या करना है।
एक रिश्तेदार ने कहा “बताओ भाई आजकल तो जीवन का कोई भरोसा ही नहीं है, अभी पिछले महीने की ही तो बात है, ईद पर आया था मुर्तजा, भाभी और बच्चों से मिलने के लिए। उसके बाद अचानक से तबीयत और फिर हालत इतनी बिगड़ती चली गई है, की आज सुबह ही अल्लाह को प्यारे हो गए!”
तभी एक औरत कहती हैं “बाकी सब तो ठीक है, भाभी जी को तो फिर भी सब संभाल लेंगे पर बेचारी इनायत की हालत तो किसी से देखी ही नहीं जा रही है। वो अपने अब्बू से बहुत प्यार करती थी। अभी तो उसकी पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई है और इतनी कम उम्र में पिता का साया सर से उठ गया है!”
तो क्या होगा आगे और कैसे होगी इनायत की रियाज़ से मुलाकात..?
एक बहुत बड़ा लग्जरियस पेंटहाउस में.. रियाज सोफे पर बैठा हुआ था। उसकी एक हाथ में ड्रिंक का ग्लास था, तो दूसरे हाथ में एक जलती हुई सिगरेट।
वो अपने लैपटॉप पर सामने चढ़ती और उतरती शेयर मार्केट सीट को देख रहा था। तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होती है। रियाज टेबल पर रखा हुआ रिमोट उठाता है और डोर ओपन करता है।
डोर पर एक लड़की खड़ी थी। जिसने रेड कलर की शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी। वो लड़की अदाओं के साथ अंदर आती है और रियाज के सामने आकर खड़ी हो जाती है।
रियाज को पता था कि ये लड़की कौन है और उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आती है। उसने हाथ बढ़ाकर सबसे पहले लैपटॉप बंद किया और फिर अपने दोनों हाथों को सोफे पर फैलाते हुए उस लड़की को देखकर कहा “तो आज का खूबसूरत नगीना तुम हो?”
उस लड़की के चेहरे पर भी एक मिस्टीरियस मुस्कान थी। उसने अपना shrug कमरे के कोने में फेंकते हुए अपने ड्रेस की स्ट्रिप्स कंधे से नीचे गिरा दी। वो लड़की अदाओं से चलते हुए रियाज के पास आती है और उसके सामने टेबल पर बैठ जाती है, लेकिन उसके बैठने का अंदाज बहुत ही वाहियात था।
वो लड़की रियाज को देख कर कहती है “मुझे किसी ने बताया है कि, आप खूबसूरत चीजों के शौकीन हैं? अगर ऐसी बात है तो मैंने सोचा क्यों ना आपको अपनी खूबसूरती का एक छोटा सा जलवा दिखाया जाए?”
रियाज के चेहरे पर एक डेविल स्माइल थी और उसने उस लड़की को ऊपर से लेकर के नीचे तक देखते हुए कहा “तुम खूबसूरत हो नो डाउट लेकिन इतनी भी नहीं हो कि, तुम्हारा जादू मुझ पर चल सके?”
उस लड़की ने अपना एक हाथ रियाज के सीने पर रखते हुए उसकी आंखों में देख कर कहा “तुम मुझे एक मौका तो दो?”
दिया मौका…. रियाज ने ये कहने के साथ ही उस लड़की को कमर से पकड़कर उठा लिया और अगली ही पल उसे ले जाकर बेड पर पटक दिया। सुबह तक उस कमरे से सिर्फ कराहने की ही आवाज आ रही थी जो, ये बता रही थी कि, रियाज कितना वाइल्ड था।
अगली सुबह ..
रियाज बाथरूम से बाहर आता है और उसकी नजर बेड पर सो रही उस लड़की पड़ जाती है। वो सो रही थी या, बेहोश थी ये बता पाना मुश्किल था। रियाज ने कल रात उसकी इतनी बुरी हालत की थी कि, वो लड़की पुरा ही बेहोश हो गई थी।
रियाज एक ब्लैंक चेक निकालता है और उसमें साइन करके उस लड़की के सिरहने रख देता है।
वो उस लड़की को देखते हुए धीरे से कहता है.... “तुम खूबसूरत होने के साथ-साथ नाजुक भी बहुत हो!”
रियाज होटल के कमरे से बाहर निकलता है और अपनी गाड़ी में बैठकर घर की तरफ चल देता है। पूरे रास्ते उसके सिगरेट का सिलसिला फिर से चालू हो गया था। वो सिगरेट का इतना बड़ा एडिक्ट था कि, एक दिन में एक पैकेट उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी।
रियाज वापस अपने ऑफिस आता है और अपने केबिन में जाकर फिर से अपना काम शुरू करने लगता है। एक दिन भी ऐसा नहीं था जब रियाज ऑफिस नहीं आया था। उसकी कंपनी का टर्नओवर उसके लिए बहुत मायने रखता था। वो हमेशा अपनी कंपनी को नंबर वन पोजीशन पर रखने के लिए मेहनत करता था।
लेकिन इसके अलावा इसका एक दूसरा साइड भी है जो, रियाज मलिक का नहीं बल्कि मालिक का है। उसके इल्लीगल वर्ल्ड के जितने भी लोग हैं वो उसे मालिक कहते हैं क्योंकि, वो सब उसके गुलाम है। एक बात जो रियाज को हमेशा से पता थी वो ये थी कि, अगर तुम हार नहीं सकते हो तो तुम हार जाओगे। इसीलिए लड़ना ही जिंदगी का पहला रूल है क्योंकि, अगर तुम शिकार नहीं करोगे तो सामने वाला तुम्हारा शिकार कर लेगा।
वहीं दूसरी तरफ,
इनायत के घर पर. शोक मनाने आए मेहमान रात में चले गए थे। बस घर के लोग ही रुके हुए थे। इनायत की अम्मी गहरी सदमे में थी और वो खुद को संभाल भी नहीं पा रही थी। यही हाल कुछ इनायत का भी था। इनायत ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। वो कल से ही किसी से नहीं मिली थी और ना ही रात में उसने कुछ खाया था। वो इस बात को स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी कि अब उसके अब्बू नहीं रहे।
इनायत अपने अम्मी और अब्बू से बहुत प्यार करती है। उस के लिए वही दोनों उसकी पूरी दुनिया है। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वो लोग गरीब हैं, वो लोग एक साथ हैं और एक दूसरे से प्यार करते हैं, इनायत के लिए यही काफी था।
इनायत अपने अम्मी और अब्बू को दुनिया की सारी खुशियां देना चाहती थी और अपने पिता के अचानक से गुजर जाने के बाद इनायत इतने गहरे सदमे में चली गई थी। वो भी उनके साथ ही चली जाना चाहती थी। इनायत सबसे ज्यादा अपने पिता से जुड़ी हुई थी।
इनायत का परिवार एक साधारण से मोहल्ले में रहता था। जहां पर लोगों की ज्यादा महत्वाकांक्षाएं नहीं थी। उसके पिता घर से दूर एक दूसरे शहर में काम करते थे, पर हर रविवार वो छुट्टी वाले दिन अपने घर पर ही बिताया करते थे। उनके लिए उनकी बेटी ही उनकी सबसे बड़ी दौलत थी। इनायत के अब्बू ने उसे हमेशा ही स्वाभिमान से रहना सिखाया है। जब भी इनायत को स्कूल में कोई ट्रॉफी मिलती या, फिर कॉलेज में स्कॉलरशिप उसके अब्बू हमेशा उसके सराहना करते थे।
इनायत के अब्बू का ये मानना था कि बेटियां भी वो सारे काम कर सकती है जो, एक बेटा कर सकता है, बस बेटियों को उड़ाने के लिए पंख देना चाहिए। वो अपनी जिम्मेदारियां अच्छी तरह से समझती है, बस उनके ऊपर पाबंदी न लगे।
इनायत अपने अब्बू की इन्हीं सब बातों को याद करते हुए रोए जा रही थी। कुछ मीठी यादें जो, उसने अपने पिता के साथ बनाई थी, वो उन यादों में खोई हुई थी और हमेशा उन्हें यादों में रहना चाहती थी।
इनायत सिसकियां लेते हुए अपने अब्बू को याद कर रही थी और सिर्फ रोए जा रही थी। उसका चेहरा पूरा लाल पड़ गया था और उसके होंठ भी सुर्ख हो गए थे, उसका रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था, पर वो इस समय अकेले रहना चाहती थी। इसीलिए उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया था।
इनायत अपने अब्बू की इन्हीं सब बातों को याद करते हुए रोए जा रही थी। कुछ मीठी यादें जो, उसने अपने पिता के साथ बनाई थी, वो उन यादों में खोई हुई थी और हमेशा उन्हें यादों में रहना चाहती थी।
इनायत सिसकियां लेते हुए अपने अब्बू को याद कर रही थी और सिर्फ रोए जा रही थी। उसका चेहरा पूरा लाल पड़ गया था और उसके होंठ भी सुर्ख हो गए थे, उसका रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था, पर वो इस समय अकेले रहना चाहती थी। इसीलिए उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया था।
तभी उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है। इनायत चौक कर बैठ जाती है क्योंकि, एक पल के लिए उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि, उसके अब्बू ने उसे आवाज दी है। वो हैरान नजरों से दरवाजे पर देखने लगती है, वो अपने अब्बू के ख्यालों में इतनी खोई हुई थी कि, इस बात पर गौर ही नहीं कर रही थी कि, दरवाजे पर कौन है। बस चाहती थी कि जब वो दरवाजा खोले तो सामने उसके अब्बू नजर आए।
इनायत ने रोते हुए कहा “कौन है?”
इनायत दरवाजा खोलो “मैं हूं जिब्रान!”
इनायत ने जैसे ही ये सुना की दरवाजे पर जिब्रान खड़ा है। वो तुरंत बेड से खड़ी होती है और दौड़ते हुए दरवाजे के पास जाती है। वो दरवाजा खोलती है और अगले ही पल जिब्रान के गले लग जाती है। उसने जिब्रान को बहुत कस के जकड़ा हुआ था। जिब्रान उसकी पकड़ महसूस कर पा रहा था।
इनायत जिब्रान के सीने पर अपना सर रखकर रोने लगी। जिब्रान ने इनायत की पीठ को थपथपाते हुए उसकी सर को सहलाने शुरू किया और उसे शांत करवाने की कोशिश की।
इनायत और जिब्रान एक दूसरे को पसंद करते थे। जिब्रान इनायत की साथ एक ही स्कूल में पढ़ता था, लेकिन फिर काम के वजह से जिब्रान को दूसरे शहर जाना पड़ गया था.. लेकिन एक दूसरे से दूर रहकर भी इनायत और जिब्रान के बीच दूरियां नहीं आई थी। दोनों का रिश्ता अभी भी उतना ही गहरा था। जितना पहले हुआ करता था।
इनायत के अब्बू के बारे में सुनकर जिब्रान जल्दी ही आना चाहता था। लेकिन जहां वो काम करता था। वहां की कंपनी ने उसे जाने ही नहीं दिया था। इस वजह से उसे यहां आने में देर हो गया था।
जिब्रान और इनायत का घर इसी मोहल्ले में था। इनायत के पिता अक्सर काम के सिलसिले में घर से दूर रहते थे और इनायत की मां घर में अकेली रहती थी। उन लोगों के अकेलेपन का सहारा बनकर जिब्रान उनकी जिंदगी में मौजूद था, जो सबसे पहले तो इनायत का सबसे अच्छा दोस्त बना और फिर जब उन दोनों ने एक दूसरे के साथ अपनी फिलिंग्स को शेयर किया तो, उन दोनों का रिश्ता दोस्ती से और आगे बढ़ गया था।
जिब्रान इकलौता ऐसा आदमी था जिस पर इनायत अपने पिता के अलावा भरोसा करती थी। एक रिश्ते में होने के बावजूद भी जिब्रान ने कभी भी इनायत को छूने की कोशिश नहीं की. लेकिन वो दोनों अक्सर एक दूसरे का हाथ पकड़ा करते थे।
जिब्रान ने इनायत के सर को सहलाते हुए कहा.. “शांत हो जाओ इनायत सब ठीक हो जाएगा!”
मैं कैसे शांत हो जाऊं? मेरे अब्बू मुझे छोड़ कर चले गए। वो हमेशा के लिए मुझसे दूर हो गए हैं। मैं अकेली हो गई हूं, अब कोई नहीं है मेरे साथ!”
इनायत ने रोते हुए कहा तो जिब्रान ने उसे अपनी बाहों में संभाला और उसके सर को सहलाते हुए उससे कहा “मैं हूं ना तुम्हारे साथ और मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा इनायत!”
इनायत जिब्रान से अलग होती है और रोते हुए उसे देखकर कहती है “मुझसे कभी भी अलग मत होना।अगर तुमने भी मुझे छोड़ दिया तो मै मर जाऊंगी!”
लेकिन जिब्रान अपने दोनों हाथों से इनायत के चेहरे को थामते हुए उसके आंसू साफ करता है और उसकी आंखों में देखकर कहता है “मैं अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं, ऐसे में तुम्हें छोड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है। लेकिन कुछ चीज हमारे हाथ में नहीं होती है, इन्हें अल्लाह पक के ऊपर छोड़ देना चाहिए । जो हो गया है, हम उसे बदल तो नहीं सकते हैं पर, हम वक्त के साथ आगे तो बढ़ सकते हैं ना..? इसीलिए अब रोना बंद करो और जाओ जाकर आराम करो!”
इनायत की आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन वो जिब्रान को देख रही थी। जिब्रान ने इनायत को संभालने की पूरी कोशिश की। तभी वहां पर किसी के खांसने की आवाज आती है, ये नकली खांसी थी।
इनायत और जिब्रान एक साथ उस तरफ देखते हैं जहां से ये आवाज आती है। सीडीओ के पास जिब्रान का बड़ा भाई याक़ूब खड़ा था।
याकूब को देखकर जिब्रान और इनायत एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और इनायत जल्दी से अपने गले में पकड़े हुए दुपट्टे को ठीक से करने लगती है।
इनायत ने अपना चेहरा नीचे करते हुए हल्की लेकिन रूवासी आवाज में कहा “अस्सलाम वालेकुम भाई जान!”
वालेकुम अस्सलाम.. याकूब ने इनायत से कहा और उसके बाद जिब्रान की तरफ देखकर याकूब कहता है “ जिब्रान इनायत के चाचा तुम्हें नीचे बुला रहे हैं। उन्हे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है!”
जिब्रान हा मे सिर हिलाता है और एक नजर इनायत को देखकर वो तुरंत नीचे की तरफ चला जाता है। गैलरी में बस अब इनायत और याकूब ही खड़े थे। इनायत भी जिब्रान के पीछे-पीछे जाने के लिए आगे बढ़ ही रही थी कि, तभी अचानक से याकूब इनायत की कोहनी को पकड़ लेता है और उसे एक तिरछी मुस्कान के साथ देखने लगता है।
इनायत ने डरी हुई नजरों से याकूब को देखा और तुरंत अपनी कोहनी को उसकी पकड़ से खींच लिया। वो तेज कदमों से जिब्रान के पीछे दौड़ते हुए चली जाती है। लेकिन याकूब के चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान थी। जैसे कि उसने कोई जीत हासिल कर ली है।
इनायत पिछले 2 साल से ये बदतमीजी बर्दाश्त कर रही थी। वो जब भी जिब्रान के घर जाया करती थी। उसकी अम्मी से मिलने के लिए तो, हमेशा से ऐसे ही याकूब उसे परेशान किया करता था। इनायत को पता था कि, अगर वो इसके खिलाफ कुछ भी कहेगी तो, याकूब उसी के चरित्र पर उंगली उठाएगा। इसीलिए वो किसी से भी कुछ भी कहने से बचती आई थी। उसने सोचा जितना हो सके उतना याकूब से दूर रहेगी।
जहां एक तरफ रियाज पर किसी का जादू नहीं चल सका. तो कैसे मासूम सी इनायत रियाज का सामना कर पाएगी
इनायत पिछले 2 साल से ये बदतमीजी बर्दाश्त कर रही थी। वो जब भी जिब्रान के घर जाया करती थी। उसकी अम्मी से मिलने के लिए तो, हमेशा से ऐसे ही याकूब उसे परेशान किया करता था। इनायत को पता था कि, अगर वो इसके खिलाफ कुछ भी कहेगी तो, याकूब उसी के चरित्र पर उंगली उठाएगा। इसीलिए वो किसी से भी कुछ भी कहने से बचती आई थी। उसने सोचा जितना हो सके उतना याकूब से दूर रहेगी।
जहां एक तरफ रियाज पर किसी का जादू नहीं चल सका. तो कैसे मासूम सी इनायत रियाज का सामना कर पाएगी
फातिमा अली, इनायत की मां इनायत के चाचा और कुछ रिश्तेदार के साथ नीचे हॉल में बैठी हुई थी और इनायत के बगल में जिब्रान बैठा था। वो लोग सामने बैठे हुए लोगों को देख रहे थे, और इनायत की चाची चाय का कप लाकर उनके सामने रखती है।
सामने बैठे हुए तीन लोग फॉर्मल कपड़ों में थे और उनके हाथों में लैपटॉप बैग भी था। इसका मतलब ये सब लोग इनायत के अब्बू की कंपनी से आए हैं। पारस के साथ एकाउंट डिपार्टमेंट के दो लोग और बैठे हुए थे और वो सब बैठकर इनायत की अम्मी को ये बता रहे थे की, इनायत के अब्बू काम करने में कितनी ईमानदार थे। इनायत की अम्मी की आंसू नहीं रुक रहे थे और उनका मन भारी हो रहा था। जिब्रान उन्हें संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था।
पारस ने चाय का कप रखते हुए कहा “देखिए मैडम वैसे तो ये सही समय नहीं है ये कहने का लेकिन हमें लगता है कि, हमें आपको ये बात बता देनी चाहिए कि, आपके हस्बैंड ने कंपनी से 20 लाख का लोन लिया है और उसके बदले में ये घर गिरवी रखा है। पर फिकर मत कीजिए हमारे मालिक बहुत अच्छे हैं, उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि, अभी लॉन चुकाने की कोई जरूरत नहीं है और आप लोग यहां पर आराम से रह सकते हैं, लेकिन आप भी समझ सकती है ना कि, इतनी बड़ी कंपनी है आज नहीं तो कल वो अपना पैसा वसूल करने के लिए आएगी ही आएगी। मैं आप लोगों की भलाई के लिए ही कह रहा हूं। आप लोग जितनी जल्दी हो सके लोन चुकाने की कोशिश कीजिएगा!”
उन लोगों की बात सुनकर जिब्रान गुस्से में कहता है “दिमाग खराब हो गया है क्या आपके बॉस का? यहां पर आप हालत नहीं देख रहे हैं, इन्होंने अपना पति खाया है, इनायत ने अपना पिता खाया है। इन्हें दिलासा देने की जगह आप इनसे लोन के पैसे मांग रहे हैं?”
पारस ने जल्दी से बात संभालते हुए कहा “देखिए आप गलत समझ रहे हैं, हमारे बॉस ने अभी पैसे नहीं मांगी हैं और ना ही उनके लिए ये रकम बहुत बड़ी है, लेकिन ये पैसे कंपनी से लोन लिया गया है और कंपनी अपना लोन एक टाइम के बाद लोन वापस तो मांगेगा ही ना? मालिक को इन सब से कोई लेना-देना नहीं है कि, उनकी कंपनी से कितने पैसे दिए जा रहे हैं या, फिर कितने पैसे आ रहे हैं, उन्हें तो बस अपना टर्नओवर चाहिए। ये सारी बातें कंपनी का मैनेजमेंट देखता है और मैनेजमेंट ये नहीं देखेगा कि आपकी क्या मजबूरी है या, फिर आप कितने परेशान हैं। देखिए आंटी जी मैं आपके बेटे के जैसा हूं, इसलिए आपकी भलाई के लिए कह रहा हूं कि, मैनेजमेंट आपसे एजेंट भेज कर पैसे मंगवाए उससे पहले आप ही कुछ करके ये पैसा वापस कर दीजिएगा। पर कोई जल्दी नहीं है. आराम से 3 महीने, 6 महीने, आप पैसे इकट्ठा कर लीजिए पर उसके बाद वापस कर दीजिएगा!”
पारस खड़ा होता है और उसके साथ कंपनी के वो दोनों एम्पलाई भी खड़े होते हैं। वो लोग वहां से चले जाते हैं। वैसे तो ये लोग सच में यहां पर सिर्फ इन्हें सांत्वना देने ही आए थे, लेकिन पारस अच्छी तरह से जानता है कि रियाज के लिए 20 लख रुपए बहुत बड़ी रकम नहीं है। कंपनी के अकाउंट से कोई मतलब भी नहीं है, लेकिन एकाउंट्स डिपार्टमेंट ऐसा नहीं सोचता है। एक टाइम के बाद जब लोन चुकाने की बारी आएगी तो एकाउंट डिपार्टमेंट जरूर उनके घर पर एजेंट भेजेगा और इन्हें परेशान करेगा!”
फातिमा जी की आंखों से आंसू बह रहे थे। इनायत की चाची ने फातिमा को संभालते हुए कहा “भाभी आप परेशान मत होइए हम लोग कुछ ना कुछ कर ही लेंगे !”
लेकिन फातिमा अपनी हिम्मत को इकट्ठा करती है और देख कर कहती है “क्या करेंगे हम लोग? कहां से लाएंगे इतनी बड़ी रकम? इनायत के अब्बू ने ये पैसे इनायत की पढ़ाई के लिए लिए थे, सारे पैसे कॉलेज में जमा कर दिए हैं। लेकिन तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और उन्हें लेकर अस्पताल के चक्कर काटने पड़े। जिस वजह से इनायत अपने फाइनल एग्जाम में नहीं बैठ पाई। जिस चीज की वजह से उन्होंने कंपनी से पैसे उधार लिए थे। वही पूरी नहीं हो पाई है। अब कॉलेज वाली वो पैसे वापस तो देंगे नहीं? पैसों के चलते ये घर गिरवी रख दिया है मेरी, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है अब हम क्या करेंगे? कहां जाएंग?”
जिब्रान फातिमा जी को तसल्ली देते हुए कहता है “ आप क्यों फिक्र कर रही? मैं हूं ना? मैं सब संभाल लूंगा आप बस मुझे थोड़ा सा टाइम दीजिए। मैं इन लोगों का सारा पैसा चुका दूंगा पर, आप पर और इनायत पर कोई मुसीबत नहीं आने दूंगा!”
जिब्रान ये बाद दिल से कह रहा था। वो सच में इनायत और उसके परिवार की मदद करना चाहता था। लेकिन शायद जिब्रान की ये बात याकूब को पसंद नहीं आई थी और वो गुस्से भरी नजरों से जिब्रान को देख रहा था।
तो वहीं पर सीडीओ के पास खड़ी इनायत नहीं भी सारी बातें सुन ली थी। उसके पिता ने उसकी पढ़ाई के लिए पैसा लिया था और बदले में ये घर गिरवी रख दिया है। अब इनायत को किसी भी हाल में इस घर को वापस लाना था क्योंकि, ये घर उसके अब्बू की मेहनत की कमाई थी और इस घर में ही उसका सारा बचपन गुजरा। अपने अब्बू के साथ उसने इस घर में बहुत हसीन यादें बनाई थी। किसी भी हाल में इस घर को नहीं खो सकती थी।
अगले दिन रियाज के ऑफिस में..
पारस रियाज के सामने बैठा हुआ था लेकिन उसने इनायत के घर पर जो कुछ भी हुआ था इस बारे में रियाज को कुछ भी नहीं बताया था। रियाज इस कंपनी का मालिक है, इतनी छोटी-मोटी बात कर वो अपनी नौकरी खतरे में नहीं डालना चाहता था। इसलिए उसने इस बारे में ना बताना ही ठीक समझा। रियाज के पास और भी बड़े-बड़े काम है करने के लिए।
रियाज के एक हाथ में जलती हुई सिगरेट थी और दूसरे हाथ से वो फाइल के पन्ने पलटते हुए कहता है “क्या खबर है पारस?”
पारस अपनी थूक निगलता है और घबराई हुई आवाज में कहता है “सर हमारे आदमीयो से खबर मिली है कि, नवीन अहमद आपके दो अड्डों पर हमला करने वाला है!”
रियाज की आंखें सख्त हो जाती है और वो गुस्से में पारस को घुर कर देखने लगता है तो पारस जल्दी से अपना चेहरा नीचे करता है और कहता है “बॉस ये सिर्फ अभी तक एक खबर ही है, इस पर पुष्टि नहीं की गई है। खबरें नहीं बताया कि नवीन अहमद अपने किसी खास आदमी को आपके पास भेज रहा है, ताकि समंदर के किनारे जो आपका पैंट हाउस है, वहां पर और हवाई अड्डे के पास मौजूद आपके गोदाम पर हमला कर सके!”
रियाज अपनी कुर्सी पर टिककर बैठ जाता है। वो सिगरेट का एक कस लगाते हुए धुएं को हवा में उड़ाता है और एक डेविल स्माइल के साथ कहता है “थोड़े दिन के लिए शेर ने आराम क्या कर लिया भेड़ियों को लग रहा है कि, जंगल उनका है?”
उसके बाद रियाज ने एक डेविल और मिस्टीरियस्माइल के साथ पारस को देखा और उसकी आंखों में देखते हुए कहा “नवीन अहमद तक एक खबर पहुंचा दो कि, उसकी खबर पकड़ा गया है!”
पारस हैरान हो जाता है। पर उसकी हिम्मत नहीं थी कि, वो रियाज़ से सवाल जवाब कर सके। उसने हा मे सर हिलाया है हालांकि, वो पकड़ा नहीं गया था लेकिन उसे पता था कि, अगर रियाज ऐसा कहने के लिए कह रहा है तो जरूर इसके पीछे भी कोई वजह है।
उसके बाद रियाज ने सिगरेट का एक और कस लगाया और अपनी आंखों को छोटा करके कुछ याद करने की कोशिश करने लगा।
उसने तुरंत पारस को देखते हुए कहा “ करन से कहो जल्द से जल्द मुझसे आकर मिले। पेंटहाउस में हथियारों की सप्लाई करन ही कर रहा है!”
पारस ने जल्दी से हा में सर हिलाया। करन रावत रियाज का बचपन का दोस्त है और उसका बिजनेस पार्टनर भी लीगल और इलीगल कामों में दोनों जगह पर करन रियाज के साथ काम करता है।
रियाज और करन दोनों को पता था कि, माफिया में उनका सबसे बड़ा दुश्मन नवीन अहमद ही है और वो रियाज के इलीगल कारोबार को खत्म करने के लिए कुछ भी करेगा । इसीलिए उसने अपनी जासूसों को रियाज की कंपनी में भेजा है लेकिन रियाज उन लोगों का पता लगाता
पर उससे पहले उसे करन को सावधान करना होगा।
रियाज पारस से बात कर ही रहा था कि, एक झटके से ही दरवाजा खुलता है और बाहर से कुछ लोगों की आवाज आने लगती है। रियाज कमरे के दरवाजे पर देखा है तो एक 75 साल का आदमी गुस्से भरी नजरों से रियाज को देख रहा था।
रियाज ने जलती से अपने सिगरेट को एस्ट्रा में बुझाया और खड़ा हो गया।
पारस भी उसके साथ खड़ा हो गया।
पारस ने धीरे से अपना सर झुकाते हुए कहा “गुड मॉर्निंग बड़े सर!”
वो आदमी केबिन के अंदर आता है और गुस्से में रियाज को देखकर पारस से कहता है “पारस अभी के अभी कमरे से बाहर जाओ। मुझे अपने पोते के साथ अकेले में कुछ बात करनी है!”
परस हा मे सिर हिलाता है और फाइल उठाकर कमरे से बाहर चला जाता है। रियाज के दादाजी उसे घूर कर देख रहे थे, तो रियाज ने अपने दादाजी को देखते हुए कहा “दादू जान आप यहां क्या कर रहे हैं?”
सामने मौजूद रियाज के दादाजी यानी कि, उस्मान मलिक सैयद।
दादू जान ने अपनी निगाहों से रियाज को घूरा और गुस्से भरे अंदाज में कहा “सलाम दुआ करना भूल गए हो क्या?”
रियाज गहरी सांस छोड़ते हुए अपना चेहरा नीचे कर लेता है और ना में सिर हिलाते हुए अपने दादाजी को देखकर कहता है “अस्सलाम वालेकुम दादू जान.. अब आप बताइए कि ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई है, जिसके लिए आपको यहां तक आना पड़ गया?”
रियाज अपने दादाजी के पास आता है और उन्हें सोफे पर बैठाने लगता है। पूरी दुनिया में एक रियाज के दादाजी ही थे, जिनके सामने रियाज हमेशा कमजोर पड़ जाता था क्योंकि, अपने वक्त पर अंडरवर्ल्ड पर राज करने वाला ये इकलौता इंसान था। जिसने अपने बाद अपना सारा साम्राज्य अपने पोते को दे दिया था।
रियाज अपने दादाजी से बहुत प्यार करता है और वो उनकी बात कभी नहीं टाल सकता है, रियाज के दादाजी कभी रियाज के लिए कोई गलत फैसला नहीं लेंगे।
रियाज ने अपने दादाजी के दिनों की किस्से कई बार सुने थे, जब वो माफिया के रूप में काम किया करते थे, तो वो कितने क्रूर निर्दय थे और लोग उनसे कितना डरते थे। रियाज भी अपना ऐसा ही डर लोगों के मन में रखना चाहता है।
रियाज ने अपने दादाजी को सोफे पर बिठाया और उनके सामने बैठते हुए कहा “अब बताइए दादू जान आपको यहां तक आने के लिए किसने कहा है? डॉक्टर अंकल ने मना किया है ना कि, आपको ज्यादा घूमना फिरना नहीं है। अगर कुछ था तो मुझे बुला लिया होता। पर आपको हवेली से यहां आने की क्या जरूरत थी?”
दादाजी ने भी शक्ति से कहा “मैं यहां तुमसे कुछ मांगने आया हूं?”
रियाज मुस्कुराते हुए कहता है “आपको कुछ मांगने की जरूरत है क्या। कुछ तो आप ही का है
लेकिन दादाजी ने भी अपने चेहरे से शक्ति कम नहीं होने दी और कहा “पर तुम्हारे पास कुछ ऐसा है जो मुझे चाहिए। अगर तुम वो मुझे दोगे तो मुझे बहुत खुशी होगी?”
आपकी खुशी के लिए तो मैं अपनी जान भी दे सकता हूं, बताइए आपको क्या चाहिए?
लेकिन दादाजी अपने पोते को अच्छी तरह से जानते थे, इसीलिए उन्होंने कहा ऐसे नहीं सबसे पहले तुम हमारी कसम खाओ कि हम जो मांगेंगे तुम हमें दोगे!”
रियाज की आंखें छोटी हो जाती है और वो कहता है “दादाजी अब इसमें कसम खाने वाली बात कहां से आ जाती है? आप ऐसा भी क्या मांगने वाले हैं मुझसे?”
नहीं पहले तुम हमारे हाथ पर अपना हाथ रखो और कसम खाओ कि हम जो कहेंगे तुम वो करोगे और तुम अपने वादे से मुकर नहीं सकते हो!” .
.. तो क्या वादा लेना चाहते हैं रियाज के दादा जान उससे और क्या रियाज उनसे किया हुआ वादा निभा पाएगा जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले एपिसोड का
रियाज अपने दादाजी की आंखों में देखता है और फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है, “ठीक है दादा जान । मैं आपसे वादा करता हूं।”
दादाजी के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है और वह अपनी सफारी सूट के जेब में से एक लिफाफा बाहर निकालते हुए कहते हैं.., “ तो फिर ठीक है मैं तुम्हें कुछ तस्वीरें दिखाने जा रहा हूं । जिनमें से तुम्हें एक को पसंद करना है..”
यह कहते वक्त दादाजी के चेहरे पर जो चमक थी ,वह रियाज देख सकता था । लेकिन उसने हैरानी से कहा, “ क्यों पसंद करना है ?”
“ शादी के लिए और किस लिए पसंद करोगे?” दादाजी ने बेफिक्री के साथ कहा और उस लिफाफे में से तस्वीर निकाल कर उन्होंने वह सारी तस्वीर टेबल पर रख दी । रियाज यह देखकर हैरान हो जाता है.. ।
वह हैरानी से अपने दादाजी को देखता है और कहता है, “ सचमुच दादा जान आप हवेली से इतनी दूर यहां पर मुझे तस्वीर दिखाने के लिए आए हैं ?”
रियाज अपना सर पीट लेता है । उसे यह तो पता था कि उसके दादाजी बहुत शिद्दत से उसकी शादी करवाना चाहते हैं। लेकिन वह उसके लिए इतने उतावले हैं यह उसने नहीं सोचा था.. । रियाज से शादी की बात करते वक्त उसके दादाजी कितने एक्साइटेड हो जाते थे यह बात रियाज देख सकता था । लेकिन उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि उसके दादा जान इस तरीके से उसके ऑफिस में आ जाएंगे और शादी के लिए उससे प्रॉमिस ले लेंगे ।
रियाज अपना सर पीट लेता है और दादाजी एक-एक करके टेबल पर तस्वीर रखते हुए कहते हैं, “ देखो यह सारी लड़कियां हमारे स्टेटस और बराबरी की है। जल्दी से इनमें से एक चुन लो ।”
“ दादा जान यह मेरा ऑफिस है कोई मैरिज ब्यूरो नहीं है । हम इस बारे में घर पर बात करेंगे.. ।” रियाज ने परेशान होते हुए कहा ।
लेकिन रियाज के दादाजी ने गुस्से में उसे देखा और सख्ती से कहा, “ रियाज यह मत भूलो तुमने अभी-अभी मुझसे वादा किया है। तुम अपना वादा तोड़ रहे हो । मैं बस तुमसे शादी करने के लिए ही तो कह रहा हूं । 30 साल के हो गए हो । अब शादी नहीं करोगे तो कब करोगे।
सही उम्र में तुम्हारी शादी हो जाती तो, मैं अपनी अगली पीढ़ी को अपनी गोद में खिला रहा होता । लेकिन नहीं तुम्हें तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती है..। मैं कुछ नहीं जानता हूं, मैं बस इतना चाहता हूं कि अल्लाह को प्यारा होने से पहले मैं तुम्हारी औलाद को अपने गोद में उठाऊं। लेकिन तुम्हारी हरकतें तो किसी दिन मुझे ही उठा देगी। “
अपने दादा जान की बातें सुनकर रियाज अपना सर पकड़ लेता है और अपनी आंखें बंद कर लेता है । वह अपने दादाजी से कहता है, “दादा जान ऐसा कुछ भी नहीं है। आप गलत समझ रहे हैं। मैं बस काम में थोड़ा सा बिजी हूं और इसीलिए मैं आपसे बात नहीं कर पाया । पर आप तो बंदूक की नोक पर मेरी शादी करवाना चाहते हैं। और मैं ऐसे ही किसी से शादी थोड़ी ना कर सकता हूं । मेरी भी पसंद मायने रखती है ना।”
दादा जान ने अपनी सख्त निगाहों से घूरते हुए रियाज को देखा और उन तस्वीरों को उठाकर रियाज के सामने करते हुए कहा, “ तो तुम्हें मेरी पसंद पर शक है क्या ?”
रियाज कस कर अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपने दो फिंगर को अपनी नाक और आंखों के बीच में रखकर उसे हल्के से दबाते हुए फ्रस्ट्रेटेड होते हुए कहता है, “ ऐसी बात नहीं है दादा जान।”
“ तो फिर क्या बात है रियाज ? तुम बताओगे नहीं तो हमें पता कैसे चलेगा ? ठीक है तुम्हें हमारी पसंद पसंद नहीं है, तो तुम हमें अपनी पसंद बता दो । हम उसी हिसाब से लड़की ढूंढ लेंगे या फिर तुमने किसी को ढूंढ रखा है ? हमें उससे मिलवा दो। हमें तो बस बहू चाहिए।”
दादा जान ने गुस्से और सख्ती से रियाज को देखकर कहा। तो रियाज एक ठंडी सांस छोड़ते हुए कहता है, “ दादा जान ये शादी निकाह कोई मजाक है क्या ? जो मैं यूं ही कर लूं …”
लेकिन उसके दादाजी गुस्से से खड़े होते हैं और अपनी छड़ी को नीचे जमीन पर पटकते हुए कहते हैं, “ अगर शादी तुम्हारे लिए मजाक है तो फिर हमारा फैसला भी तुम्हारे लिए मजाक ही होगा ना । हम तुमसे कह देते हैं रियाज अगर तुमने जल्द से जल्द शादी नहीं की तो हम अपनी सारी जायदात ट्रस्ट के नाम कर देंगे । तुम्हारे हाथों में एक फूटी कौड़ी भी नहीं रखेंगे । यह सारी सल्तनत जो हमने तुम्हें दी है, मत भूलो कि अगर हम तुम्हें यह दे सकते हैं तो तुमसे वापस भी ले सकते हैं। “
रियाज हैरानी से अपने दादाजी को देखता है और गुस्से में खड़े होते हुए कहता है, “ दादा जान आप ऐसा नहीं कर सकते हैं । आपने भले ही मुझे अपनी कंपनी दी है लेकिन इस कंपनी को नंबर वन तक पहुंचाने के लिए मैंने रात दिन मेहनत की है।”
दादा जान के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है और वह रियाज से कहते हैं, “ ठीक है तो अपनी इस नंबर वन कंपनी को बचाने के लिए ही सही तुम्हें शादी तो करनी ही होगी। हमारी नजर में फारूक अब्दुल्ला की लड़की है। US से पढ़ाई करके आई है। वह तुम्हारे लिए सही रहेगी । हम आज ही जाकर फारुख से बात करते हैं।”
दादा जान यह कहकर दरवाजे की तरफ जाने के लिए मुड़ जाते हैं लेकिन रियाज की धड़कनें बढ़ गई थी । वह यूं ही किसी से शादी नहीं कर सकता था और शादी तो उसे करनी ही नहीं थी। लेकिन अगर वह अपने दादाजी की बात नहीं मानेगा तो उसके दादाजी उसे अपनी वसीयत से बेदखल कर देंगे । कुछ सोचकर रियाज ने जल्दी से अपने दादा जान से कहा, “ मैं किसी और से प्यार करता हूं।”
दादा जान के कदम अपनी जगह पर रुक गए थे और वह हैरानी से पलट कर रियाज को देखते हैं । तो रियाज हा में सर हिलाता है और कहता है , “ जी दादा जान मैं किसी लड़की से प्यार करता हूं। लेकिन आपको उसके बारे में बताने की हिम्मत ही नहीं हो पाई थी कभी।”
“ हिम्मत नहीं हो पाई थे ? ऐसे कैसे हिम्मत नहीं हो पाई है ?इतने बड़े-बड़े काम करने में तो तुम्हें खूब हिम्मत मिल जाती है। उस लड़की के बारे में बताने के लिए तुम्हें हिम्मत चाहिए जिससे तुम प्यार करते हो । ऐसी कोई लड़की है भी या बस हमें बहका रहे हो। क्युकी अगर ऐसा होता भी तो तुम हमें जरूर बताते। जबकि तुम यह अच्छी तरह से जानते हो कि हम पागलों की तरह तुम्हारे लिए लड़की ढूंढ रहे हैं।”
दादा जान ने गुस्से में रियाज पर बरसते हुए कहा । तो रियाज जल्दी से दादा जान के पास आता है और उनका हाथ पकड़ कर उन्हें वापस अंदर लाते हुए कहता है, “ हां दादा जान मैं आपकी सारी बातें मानने को तैयार हूं और मुझे पता है कि मुझसे गलती हुई है, कि मैंने आपको उसके बारे में नहीं बताया है ।
पर दरअसल बात ऐसी है कि मैं अभी उसके बारे में बता नहीं सकता था । वह क्या है ना उसके घर में अभी-अभी हादसा हुआ है। वो पहले ही बहुत परेशान है । ऐसे में मैं अगर आपको उसके बारे में बता देता , तो आप उसे मिलने की जिद करते और इस वक्त उसकी हालत ऐसी नहीं है कि वह आपसे मिल सकती है..।”
रियाज ने बात संभालते हुए कहा तो दादा जान हैरान नजरों से रियाज को देखकर कहते हैं, “ ऐसा भी क्या हो गया है ?”
दादा जान के सवाल से अब रियाज हैरान हो गया था । अब वह क्या बताएं ? इतनी जल्दी तो उसने बात पलट दी थी लेकिन अब उसके दिमाग में कोई आईडिया ही नहीं आ रहा था।
उसने अपने सर को थोड़ा सा मसला और जल्दी से आइडिया ढूंढने लगा । उसे कुछ तो ऐसा बताना था जिससे उसके दादाजी यकीन कर ले। दादा जान ने गुस्से में भड़कते हुए कहा, “ अब बताओगे भी..?”
“ उसके अब्बू का इंतकाल हुआ है..। अभी 2 दिन पहले ही।..” रियाज के मुंह से जल्दी से यह निकल जाता है और वह हैरान नजरों से दादा जान को देखने लगता है ।
दादा जान उसकी बात सुनते हैं। और उनका चेहरा भी हैरानी से भर जाता है । वह अफसोस जताते हुए कहते हैं, “ यह तो बहुत बुरा हुआ है।”
रियाज जब यह देखता है कि दादा जान को उसकी बात पर यकीन हो गया है, तो वह एक सुकून की सांस लेता है । लेकिन तभी दादा जान रियाज के शोल्डर पर अपनी छड़ी से मारते हैं..। रियाज अपने दूसरे हाथ से बाजू को सहलाता है और कहता है, “ क्या कर रहे है दादा जान, आपने मुझे मारा क्यों ?”
दादा जान गुस्से में रियाज को देखते है और उस पर गुस्सा करते हुए कहते हैं, “ नालायक अगर उस लड़की के अब्बू का इंतकाल हुआ है, तो तुम यहां क्या कर रहे हो ? तुम्हें तो उसके साथ होना चाहिए था ना।”
रियाज अपना चेहरा हल्का सा दूसरी तरफ करता है और कस के आंखें बंद करते हुए अपने मन में कहता है.., “ दादा जान आपसे एक झूठ छुपाने के लिए और कितने झूठ बोलने पड़ेंगे।”
“ जी दादा जान आप सही कह रहे हैं। मुझे उसके घर पर होना चाहिए । उसके साथ होना चाहिए था । लेकिन बात ऐसी है ना कि वहां पर उसके जितने भी रिश्तेदार हैं, उनमें से किसी को भी उसने हमारे बारे में नहीं बताया है । तो मैं इस तरीके से उसके घर पर जाकर उसे दुनिया के सामने रुसवा नहीं करना चाहता हूं। उस पर कोई उंगली उठाए यह मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा इसलिए मैंने पारस को वहां भेज दिया है। और उसे यह भी कहा है कि अगर उसके घर में कोई परेशानी होगी तो वह उनकी मदद करें ।”
रियाज की बात सुनकर उसके दादाजी थोड़ी सोच में पड़ जाते हैं और हां में सर हिलाते हैं।
तभी कमरे के दरवाजे पर नोक होता है और पारस अंदर एक फाइल लेकर आते हुए कहता है, “ सर इस डॉक्यूमेंट पर आपके साइन चाहिए।”
पारस को देखकर उसके दादा जान जल्दी से पारस से कहते हैं.., “ अरे पारस उसके घर में सब ठीक तो है ना? कोई दिक्कत परेशानी वाली बात तो नहीं हुई है ना ? अगर कुछ हुआ है तो हमें बताओ ।”
रियाज की आंखें एकदम से बड़ी हो गई थी और उसके चेहरे पर घबराहट की लकीरें भी आ गई थी.. । लेकिन पारस कंफ्यूज हो गया था, वह हैरानी से पहले दादा जान को देखता है और फिर रियाज को देखने लगता है । जो अपनी आंखों से कुछ इशारा तो कर रहा था लेकिन पारस को कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। उसने हैरानी से दादा जान को देखकर कहा.., “बड़े सर आप किस बारे में बात कर रहे हैं ?”
रियाज कस के अपनी आंखें बंद कर लेता है और मन ही मन अपना सर पीट लेता है..। लेकिन दादा जान ने गुस्से में पारस को देखकर कहा , “ बेवकूफ़ तुम्हें इतना भी नहीं पता हम इतनी जरूरी बात और किसके बारे में कहेंगे। रियाज ने तुम्हें भेजा था ना , उसके घर तुम गए थे या नहीं गए थे ? और गए थे तो वहां पर क्या माहौल है ? हम वह जानना चाहते हैं।”
पारस के चेहरे पर एक बड़ा सा क्वेश्चन मर्क था और उसने रियाज को देखकर कहा , “ सर मुझे कुछ बताना है क्या ? वो भी कुछ ऐसा जो मुझे नहीं पता है ।”
दादा जान हैरानी से पारस को देखने लगते हैं लेकिन रियाज जल्दी से पारस के पास आता है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है, “अरे पारस तुम गए थे ना कल । भूल गए ? तुम कल किसके घर गए थे ?”
पारस देखता है तो रियाज अपनी आंखों से कुछ इशारे करने की कोशिश कर रहा था। पारस कई सालों से रियाज के साथ काम कर रहा था, उसे इतना पता ही था कि रियाज इस तरीके के इशारे करने वाले इंसान में से नहीं है। रियाज जरूर कुछ बताने की या कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा है वह भी दादा जान से।
लेकिन अब पारस की परेशानी यह थी कि वह कहेगा क्या..। रियाज ने कस के पारस के कंधे को पकड़ा और हल्की सख्ती से कहा, “पारस तुम कल कहां गए थे ? उस बारे में बताओ दादा जान को।”
पारस को याद आता है कि कल तो वह इनायत के घर गया था । लेकिन क्या उसे यह बोलना है यहां पर ? वो यही सोच रहा था । वह हैरान नजरों से पहले रियाज को देखता है और फिर दादा जान को देखता है। दादा जान गुस्से भारी निगाहों से पारस को देख रहे थे । पारस ने अपना थूक निगला और रियाज को देखकर कहा, “ सर कल तो मैं उनके घर गया था ना जिनके घर इंतकाल......।”
“ हां बिल्कुल मेरे दादा जान वही तो जानना चाहते हैं कि जब तुम उनके घर पर गए थे तो वहां पर कैसा था ? किसी चीज की कोई परेशानी तो नहीं हुई ना ? बताओ दादा जान को की उसके अब्बू का इंतकाल हो गया है ऐसे मे मैं उससे क्या बात करूं ?” रियाज ने बात को संभालते हुए अपने दादाजी को अफसोस भरी नजरों से देख कर कहा ।
दादा जान अपने चेहरे पर अफसोस लाते हैं और अपनी आंखें बंद करते हुए कहते हैं, “ खुदा आपकी रूह को जन्नत में जगह दे...।
तुम सही कह रहे हो ऐसे में किसी को परेशान करना सही बात नहीं है। वैसे नाम क्या है हमारी होने वाली बहू का…?”
रियाज. 😳
पारस. 😵
रियाज और पारस दोनों की आंखें एकदम से बड़ी हो गई , जब दादा जान ने लड़की का नाम पूछा । उन दोनों की आंखें जैसे बाहर आने को हो रही थी । रियाज हैरानी से पारस को देखता है तो पारस डबल हैरानी से रियाज को देखने लगता है।
दादा जान ने कहा, “ क्या हुआ तुम दोनों को सांप क्यों सूंघ गया है ? अरे हम उस लड़की का नाम जानना चाहते हैं । नाम क्या है उसका ?”
“ नाम… हां दादा जान मैं आपको नाम बता रहा हूं ना । पारस बताओ नाम क्या है उसका ?” रियाज ने हैरानी से पहले दादाजी को देखा और उसके बाद फिर पारस को देखते हुए कहा ।
पारस की तो हवा टाइट हो रही थी। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि रियाज उससे क्या बुलवाना चाहता है। एक तरफ तो वह इनायत के अब्बू के बारे में बात कर रहा था लेकिन अब उसे इनायत का नाम जानना है। पारस घबराते हुए रियाज को देखकर कहता है, “ सर सच में आपको नाम जानना है क्या ?”
रियाज गुस्से में पारस को घूरने लगता है, तो दादा जान कहते हैं, “ रियाज क्या कर रहे हो? वह क्यों नाम बताएगा? तुम बताओ क्या है उस लड़की का नाम ?”
रियाज के चेहरे पर तो पसीने आ गए थे। हालांकि ऐसी पूरा ऑन था लेकिन फिर भी रियाज की घबराहट उसके चेहरे पर नजर आ रही थी । उसने अपने चेहरे पर बनावटी मुस्कान लाई और कहा, “ हां दादा जान मैं आपको बताने वाला हूं ना । वह दरअसल उसका नाम लेते वक्त मुझे थोड़ी सी शर्म आती है। इसीलिए मैंने पारस से कहा था कि उसका नाम बता दे आपको। उसका नाम है..”
“ इनायत…” पारस ने पीछे से कहा । तो रियाज जल्दी से कहता है, “ इनायत दादा जान उसका नाम है इनायत।”
इनायत का नाम सुनकर दादा जान के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है और वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, “ इनायत बहुत खूबसूरत नाम है।”
दादा जान ने रियाज़ से कहा, “ रियाज अगर ऐसा कुछ था तो तुमने हमें पहले क्यों नहीं बताया ? बताओ उस बच्ची के साथ इतना सब कुछ हो गया और तुम हमें अब बता रहे हो । अरे हम उसके घर पर जाते , उससे बात करते, इस गम के माहौल में हम उसका साथ देते । लेकिन तुमने तो हमें इस बारे में कुछ बताया ही नहीं। बताओ हमें क्या बात है रियाज, तुमने हमें बताया क्यों नहीं ?”
रियाज ने कहा, “ मैं कैसे बताता आपको ? आप जब भी मेरे लिए किसी लड़की की बात करते थे , तो हमेशा स्टेटस की बात किया करते थे और इनायत हमारे स्टेटस की नहीं है । वह बहुत ही मामूली सी जगह से आती है। मुझे लगा था कि अगर मैं उसके बारे में आपको बताऊंगा, तो आप नाराज हो जाएंगे और आपको हमारा यह रिश्ता भी मंजूर नहीं होगा । इसीलिए मैंने आपको इनायत के बारे में नहीं बताया था ।”
रियाज की बात सुनकर दादाजी कुछ सोचते हुए कहते हैं, “ तुमने ऐसा कैसे सोच लिया रियाज की हमें तुम्हारी पसंद पर शक होगा। अरे हम तो बस तुम्हारी शादी करवाना चाहते थे । अब तुम शादी हमारे स्टेटस की लड़की से करो या किसी आम सी लड़की से । क्या फर्क पड़ता है ? वैसे भी तुमसे शादी होने के बाद तो वह लड़की हमारे स्टेटस की ही हो जाएगी ना।”
“ जी मैं समझ गया हूं दादा जान । अब आप जाइए यहां से। मुझे ऑफिस में बहुत काम है। आपकी सारी परेशानियां दूर हो गई है ना, तो मैं ड्राइवर को कहता हूं आपको हवेली वापस छोड़ आएगा.. ।” रियाज ने अपने दादाजी को कंधे से पकड़ा और उन्हें दरवाजे की तरफ ले जाते हुए कहने लगा ।
लेकिन दादाजी ने अगले ही पल रियाज का हाथ झटक दिया और उसे गुस्से में देखकर बोलने लगे, “ नालायक अभी-अभी हमें उस लड़की के बारे में पता चला है जिससे तुम प्यार करते हो। और उसके घर में इतना गम का माहौल है । ऐसे में तुम काम की बात कैसे कर सकते हो ? तुम्हारे तो गले के नीचे खाना तक नहीं उतरना चाहिए और तुम यहां पर बैठकर आराम से काम कर रहे हो । तुम अभी के अभी जाओ और इनायत के घर पर जाकर उसका हमदर्द बनो।”
रियाज की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और पारस भी चौंक जाता है..। “ यह आप क्या कह रहे हैं ? मैंने अभी-अभी आपको बताया ना कि उसके घर पर हमारे बारे में किसी को नहीं पता है । ऐसे में मैं उसके घर पर जाऊंगा तो उसकी बदनामी होगी।” रियाज़ जल्दी से बोला।
तो दादा जान ने कहा, “ रियाज़ तुम सही कह रहे हो लेकिन इस वक्त उसके साथ किसी का रहना भी तो जरूरी है ना । तुम एक काम करो, किसी बहाने से उसके घर पर चले जाओ लेकिन जाओ जरूर। कोई अपना चला जाता है ना तो लोग सिर्फ तमाशा देखने आते हैं।
अगर तुम उसके पास रहोगे तो उसे थोड़ी हिम्मत मिलेगी और हां जल्द से जल्द हम उससे मिलना चाहते हैं । हम अब तुम दोनों की शादी के लिए ज्यादा देर नहीं करेंगे । इस बारे में तुम उसके परिवार वालों से जितनी जल्दी हो सके बात कर लो। तुम नहीं कर सकते हो तो हमें बताओ , हम बात करेंगे।”
रियाज के तो पैर कांप गए थे । सच में उसके दादा जान उससे दो कदम आगे निकले । उसने जल्दी से ना में सर हिलाते हुए कहा, “ नहीं दादा जान आप घर जाइए आराम कीजिए । मैं इनायत के घर जाता हूं और उसकी फैमिली से बात भी करता हूं।”
दादा जान हा में सर हिलाते हैं और मुस्कुराते हुए ऑफिस से चले जाते हैं । उनके जाने के बाद ही रियाज़ सोफे पर बैठ जाता है और अपनी टाइ सही करते हुए कहता है, “ पारस कहां फंसा दिया तुमने ?”
पारस अपनी थूक निगलता है और कहता है, “ बॉस मैंने क्या किया है ? मैंने तो वही कहा है जो आपने मुझे कहने के लिए कहा था । मुझे तो खुद समझ में नहीं आ रहा है, कि आपने बड़े सर से ऐसा क्यों कहा है कि आप इनायत को पसंद करते हैं । आप तो उसे जानते तक नहीं है।”
रियाज एक सिगरेट के बॉक्स में से सिगरेट निकालते हुए कहता है, “ हा तो क्या हो गया ? उस समय मेरी समझ में जो आया मैंने कह दिया। वैसे भी मैं कौन सा उस लड़की के घर जाऊंगा, उसका रिश्ता मांगने के लिए। थोड़े दिन दादाजी को उस इनायत के नाम के बहाने बहलाऊंगा और फिर कहूंगा कि हम दोनों ने एक दूसरे को छोड़ दिया है । इसी बहाने मेरे दादा जान कुछ दिनों तक शांत तो रहेंगे।”
पारस ने हा में सर हीलाते हुए कहा, “ जी सर जैसा आपको ठीक लगे। ना तो आप कभी इनायत से मिलेंगे और ना कभी इनायत आपसे मिलने आएगी । तो बड़े सर को वैसे भी कुछ पता नहीं चलेगा।”
पालघर…
इनायत एक छोटी सी बेग में अपना सामान रखती है और उस बैग को अपने कंधे पे रखकर अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी। वह अपने घर को देख रही थी । इस घर में उसके अब्बू के साथ उसकी बहुत सारी यादें थी । वह इस घर को ऐसे ही नहीं जाने देने वाली थी।
इनायत ने अपनी अम्मी के कमरे में झांक कर देखा तो उसकी अम्मी तीन दिनों में ही बहुत ज्यादा कमजोर हो गई थी । और टेंशन की वजह से उन्हें ठीक से नींद भी नहीं आ रही थी। उन्हें बहुत मुश्किलों से दवाइयों के जरिए सुलाकर इनायत ने अपने चाची चाचा को वहां पर रहने के लिए कह दिया था।
इनायत की चाची जानती थी की इनायत कहां जाने की तैयारी कर रही है, पर उन्होंने इनायत को नहीं रोका था। क्योंकि वह जानती थी कि इस घर की इन लोगों को कितनी जरूरत है। ऐसे में अगर यह छत भी इनके ऊपर से चली जाएगी तो यह लोग बेसहारा हो जाएंगे।
इनायत अपने घर से निकलती है । उसके पास सिर्फ हजार रुपए थे । और वह उन पैसों को लेकर बस स्टैंड पहुंचती है । वहां से मुंबई की बस लेकर इनायत विंडो सीट पर बैठ जाती है। उसे पता था वह कहां जा रही है और उसे क्या करना है । खिड़की से बाहर गुजरती हुई चीजों को देखकर इनायत अपने मन में यही सोचती है..
“ आपकी मेहनत से बने हुए उस घर को मैं यूं ही नहीं जाने दूंगी अब्बू । मैं उसे बचाने की पूरी कोशिश करूंगी । उस घर से हमारी कितनी यादें जुड़ी हुई है । उस घर से आप कितना प्यार करते थे। उस घर से मेरा बचपन जुड़ा हुआ है । मैं ऐसे कैसे उस घर को जाने दे सकती हूं। मुझे पता है अब्बू यह रकम हमारे लिए बहुत बड़ी है । लेकिन उसके बदले हम अपना घर नहीं दे सकते हैं। कुछ ना सही हम कोशिश तो कर ही सकते हैं ना। आपने तो मुझे हमेशा से यही सिखाया है की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।”
कुछ ही घंटे में इनायत की बस मुंबई बस डिपो पर लग गई थी । इनायत वहां से नीचे उतरती है और एक ऑटो ले कर सैयद कॉरपोरेशन पहुंचती है ।
कंपनी के गेट पर खड़े होकर इनायत उस बड़ी सी बिल्डिंग को देख रही थी और उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी । उसके अब्बू इतनी बड़ी कंपनी में काम करते थे। यह देख कर ही इनायत के चेहरे की मुस्कान और दुगनी हो जाती है। वह अंदर जाती है और रिसेप्शन एरिया में जाकर बैठी रिसेप्शनिस्ट से पूछती है।
“ सुनिए मुझे इस कंपनी के मालिक से मिलना है।”
रिसेप्शन पर बैठी लड़की काफी स्टाइलिश और मॉडल थी । उसने इनायत को देखा और उसे देखकर कहने लगी, “ कंपनी के मालिक से मिलना है… कोई अपॉइंटमेंट है तुम्हारा ?”
इनायत ने ना में सर हिलाते हुए कहा, “ नहीं मेरा कोई अपॉइंटमेंट तो नहीं है । लेकिन मेरा उनसे मिलना बहुत जरूरी है । मैं मुर्तजा अली की बेटी हूं। वही जो इस कंपनी के एकाउंट डिपार्टमेंट में काम किया करते थे।”
रिसेप्शनिस्ट ने इनायत को घूर कर देखते हुए कहा, “ देखो तुम जो कोई भी हो तुम्हारे पिता अगर इस कंपनी में काम करते भी थे, तो भी मैं तुम्हें यूं ही बॉस से मिलने की परमिशन नहीं दे सकती हूं। तुम्हें पहले अपॉइंटमेंट लेना होगा।”
इनायत ने धीरे से हा में सर हिलाते हुए कहा, “ ठीक है तो फिर अपॉइंटमेंट ही दे दीजिए।”
रिसेप्शन ने अपने कंप्यूटर में कुछ चेक किया और कहा , “ 2 महीने बाद सर 12:00 से लेकर 1:00 तक फ्री है । तुम्हें आधे घंटे का समय दे सकते हैं।”
इनायत की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और वह कहती है , “ 2 महीने.. यह तो बहुत ज्यादा समय है । तब तक तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी । क्या आप मुझे आज का कोई अपॉइंटमेंट नहीं दे सकती हैं ?”
रिसेप्शनिस्ट के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है और वह अपने हाथ बांधते हुए कहती है, “ मैडम आपको क्या लगता है हमारे बॉस के पास कोई काम धाम नहीं है क्या ? वह यूं ही बैठकर सबको अपॉइंटमेंट देते रहेंगे और सब उनसे मिलने आते रहेंगे । उनके पास फालतू टाइम नहीं है लोगों से मिलने के लिए। लोग उनसे मिलने के लिए महीनो तक इंतजार करते हैं । तुम्हें मिलना हो तो 2 महीने बाद आना ।”
इनायत ने अपने दोनों हाथों की कोनियो को डेस्क पर रखा और अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए कहा, “ प्लीज़ मैडम मुझे सिर्फ 5 मिनट के लिए मिलने दीजिए । मुझे बहुत जरूरी बात करनी है। मैं आपका एहसान जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगी । प्लीज मेरी मदद कर दीजिए। मुझे बस 5 मिनट के लिए सर से मिलने दीजिए ।”
रिसेप्शनिस्ट ने जब इनायत को यह करते हुए देखा तो वो कहती है, “ पागल हो गई हो क्या? क्या कर रही हो ? यह ऑफिस है कोई गली मोहल्ले की पंचायत कार्यालय नहीं है। एक मल्टीनेशनल कंपनी है। और मैं आपको ऐसे ही बॉस से मिलने की परमिशन नहीं दे सकती हूं। प्लीज आप अपना और मेरा टाइम वेस्ट मत कीजिए जाइए यहां से । वरना मुझे सिक्योरिटी को बुलाना पड़ेगा।”
इनायत की आंखों से आंसू बहने लगे थे। तभी पीछे से किसी ने इनायत को देखते हुए कहा, “अरे इनायत बेटा तुम यहां ?”
इनायत ने पलट कर देखा तो रिसेप्शनिस्ट भी उस तरफ देखने लगी । वो एकाउंट डिपार्टमेंट के मैनेजर विकास दुबे हैं..। इनायत जब उन्हें देखती हैं तो उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह जल्दी से विकास जी के पास आते हुए कहती है, “ विकास अंकल।”
दुबे जी इनायत को देखते हैं और कहते हैं, “इनायत तुम्हारे अब्बू के बारे में पता चला। सुनकर बहुत दुख हुआ । हम सब तो आना चाहते थे लेकिन तुम्हारे अब्बू एकाउंट डिपार्टमेंट में बहुत अच्छी पोजीशन में काम करते थे । उनके जाने के बाद सारा काम हमारे ऊपर आ गया था। एक साथ इतने सारे लोगों का वहां पहुंचना नामुमकिन था । इसलिए हम लोगों ने सोचा था कि इस संडे को हम लोग तुम्हारे घर आएंगे.. लेकिन तुम यहां क्या कर रही हो ?”
इनायत ने रोते हुए कहा, “अंकल मुझे सर से मिलना है । मुझे उनसे बहुत जरूरी बात करनी है । प्लीज आप मेरी मदद कीजिए ना।”
क्या इनायत मिल पाएगी रियाज़ से और क्या होगा रियाज का रिएक्शन जब वह पहली बार इनायत को अपने सामने दिखेगा जाने के लिए इंतजार कीजिए अगले एपिसोड का
दुबे जी इनायत को लेकर प्रेसिडेंट फ्लोर पर आते हैं। वो वेटिंग एरिया में इनायत को खड़ा करते हैं और कहते हैं “इनायत तुम यहीं पर खड़ी रहो,मैं अंदर जाकर सर से मिलकर आता हूं और देखता हूं कि, क्या वो तुमसे मिलने के लिए कुछ समय निकाल सकते हैं या नहीं!”
इनायत हा मे सर हिलाती है । दुबे जी इनायत को वेटिंग एरिया के एक कुर्सी पर बैठाकर रियाज के केबिन की तरफ बढ़ जाते हैं।
रियाज अपने केबिन में था। उसके हाथों में एक पेपर वेट था और वो उसे घूमाते हुए सिर्फ दादाजी के साथ अपनी बातों को ही सोच रहा था। उसके दादाजी ने उसे बुरा फसा दिया था।
रियाज ने अपनी आंखें बंद की और अपनी कुर्सी पर सर को टिकाते हुए कहा “क्या दादा जान आप से इतना बड़ा झूठ बोला है मैंने, मुझे खुद को बेचैनी हो रही है। मैंने आज तक आपसे कोई झूठ नहीं बोला है, कभी कोई बात ही नहीं छुपाई है, लेकिन आज आपकी एक जिंदगी वजह से मुझे आपसे इतनी बड़ी बात झूठ बोलनी पड़ी है। अब पता नहीं इस एक झूठ को छुपाने के लिए मुझे और कितनी झूठ बोलने पड़ेंगे?”
रियाज ये सब सो रहा था कि, तभी टेबल पर रखा हुआ उसका फोन बजता है। रियाज देखता है तो, उसके वकील का फोन आ रहा था।
रियाज फोन उठाकर कान से लगाते हुए कहता है “जी वकील साहब!”
रियाज के वकील कहते हैं “ आप अपनी बिल में कुछ तब्दीली करना चाहते हैं क्या? इस तरीके का क्लोज अगर आप बिल रखेंगे तो आपके पास क्या रहेगा?”
रियाज हैरानी से कहता है “आप किस बारे में बात कर रहे हैं? मेरे को समझ में नहीं आ रहा है कौन सी बिल? क्या तब्दीली?
वकील साहब कहते हैं “अरे आपके दादा जान आए थे आज सुबह मेरे ऑफिस में और उन्होंने एक बिल तैयार करने के लिए कहा है, उन्होंने कहा है कि आपके नाम पर जितनी भी प्रॉपर्टी या, फिर जितना भी उन सभी को वो किसी ट्रस्ट के नाम पर कर दे। अगर अगले 1 साल में आपने शादी करके उन्हें बच्चा नहीं दिया तो, ये सारी प्रॉपर्टी और आपका सारा बैंक बैलेंस ट्रस्ट को चला जाएगा। आपके पास तो कुछ भी नहीं बचेगा तो मैं बस ये कंफर्म करना चाहता हूं कि, इसके लिए आपने उन्हें ये करने के लिए कहा है क्या?”
रियाज़ एकदम से खड़ा हो जाता है और हैरानी से कहता है “क्या बकवास कर रहे हैं आप? मैं ऐसा क्यों कहूंगा करने के लिए और ये मेरे दादा जान वो आपके पास क्या करने के लिए गए थ”
रियाज अपना सर पीट लेता है और गुस्से में कहता है “वकील साहब आपको कुछ करने की जरूरत नहीं है, आप मुझे थोड़ा समय दीजिए। दादा जान अपनी बिल खुद बता देंगे। फिलहाल के लिए आप ऐसा कुछ मत कीजिए!”
रियाज़ फोन काट देता है और अपने फोन को सोफे पर पटक देता है। वो फ्रस्ट्रेटेड होते हुए केबिन में इधर से उधर चक्कर लगाने लगता है।
रियाज गुस्से में कहता है “दादा जान ये क्या बचपना है? अब आपसे एक झूठ छुपाने के लिए मुझे और क्या-क्या करना पड़ेगा? पहले तो आपने मेरे सर पर शादी की तलवार डाल दी है, ऊपर से अब आप वसीयत बदलने की बात कर रहे हैं? वो तो शुक्र है कि वकील साहब से मेरी अच्छी जान पहचान है, वरना मेरे पीठ पीछे वसीयत बदल भी जाती। अब होना हो मुझे ही कुछ करना होगा? आप मेरी मेहनत से खड़ी की गई इस कंपनी को भिखारी को दान में दे देंगे!”
दूसरी तरफ,
वकील के ऑफिस में...
लीजिए सैयद साहब आपका काम हो गया!”
वकील साहब ने फोन टेबल पर रखते हुए कहा तो सामने बैठे हुए रियाज के दादा जान हंसते हुए कहते हैं “अरे हमें पता था तुम ये काम बहुत अच्छी तरह से कर सकते हो। इसीलिए तो हम सीधे तुम्हारे पास आए हैं!_
वकील साहब मुस्कुराते हुए कहते हैं “लेकिन आपने मुझे ऐसा क्यों कहवाया है? आप तो अपनी बिल में कोई तब्दीली नहीं कर रहे हैं तो फिर आपने क्यों कहा कि मैं रियाज़ से इस बारे में बात करूं?”
दादा जान हा मे सिर हिलाते हैं और वकील साहब को देखते हुए उन्होंने कहा “हां आप सही कह रहे हैं, हमारे बिल में कोई भी तब्दीली नहीं हुई है लेकिन फिर भी हम चाहते थे कि, आप रियाज से ये कहें दरअसल हम रियाज की जल्द से जल्द शादी करवाना चाहते हैं, हमारे पास अब दिन ही कितने बच्चे हैं, आज नहीं तो कल अगर अल्लाह को प्यार हो गए तो ये लड़का शादी तो दूर की बात है, रिश्तेदार की शादी में भी नहीं जाएगा। इसीलिए हम अपने रहते हुए इसकी शादी अपनी आंखों के सामने करवाना चाहते हैं और बस एक बार इसकी औलाद को अपनी गोद में ले ले तो, फिर सुकून से इस दुनिया को अलविदा कह देंगे। पर जिस तरीके से ये शादी और फैमिली से दूर भागता था ना उसके लिए मुझे झूठ का सहारा ही लेना पड़ा है और अब तो मैं चाहता हूं ये जल्द से जल्द शादी कर ले क्योंकि, ये किसी से प्यार करता है। ये जानने के बाद तो में बिल्कुल भी रिस्क नहीं लूंगा, मैं तो चाहूंगा इसकी शादी जल्द से जल्द इनायत के साथ हो जाए और मैं अपनी जिम्मेदारियां से फारूक हो जाऊं। ये वैसे तो शादी करेगा नहीं.. जिस तरीके से इसका गुस्सा है। अगर कभी ये इनायत से लड़ झगड़कर उससे अलग भी हो जाएगा।ज्यादा हैरानी की बात नहीं होगी। इसीलिए मैंने आपसे ये कहा कि, इसे प्रॉपर्टी की धमकी दीजिए किसी और के बहाने ना सही कम से कम अपनी जायदाद के बहाने ही सही, ये इनायत से शादी तो करेगा!”
वकील साहब हंसते हुए कहते हैं “मान गए सैयद साहब आपकी सोच तो बहुत दूर की ही है, एक तीर से दो शिकार करनी है। अपने बिगड़े हुए पोते को शादी करने के लिए मजबूर भी कर दिया है और आपकी वसीयत भी अभी तक वैसी की वैसी ही है। अब तो रियाज को ना चाहते हुए भी शादी करनी ही पड़ेगी!”
इस प्लान को अंजाम देकर वकील साहब और दादाजी दोनों हंस रहे थे। पर वहां रियाज की हवा टाइट हो गई थी। उसे तो यही लग रहा था कि, दादाजी ने सारी वसीयत ट्रस्ट के नाम कर दी है और अब अगर उसने जल्द से जल्द शादी नहीं की तो ये सारी ज्यादा उसके हाथ से निकल जाएगी।
रियाज़ सोफे पर टेंशन में बैठा हुआ था। तभी केबिन के दरवाजे नॉक होता है।
इस प्लान को अंजाम देकर वकील साहब और दादाजी दोनों हंस रहे थे। पर वहां रियाज की हवा टाइट हो गई थी। उसे तो यही लग रहा था कि, दादाजी ने सारी वसीयत ट्रस्ट के नाम कर दी है और अब अगर उसने जल्द से जल्द शादी नहीं की तो ये सारी ज्यादा उसके हाथ से निकल जाएगी।
रियाज़ सोफे पर टेंशन में बैठा हुआ था। तभी केबिन के दरवाजे नॉक होता है।
रियाज फ्रस्ट्रेटेड होते हुए अंदर आने के लिए कहता है “केबिन का दरवाजा खुलता है और दुबे जी अंदर आते हुए कहते हैं “सर आपसे कोई मिलने आया है,आपके पास वक्त है तो प्लीज आप 5 मिनट के लिए उससे मिल लीजिए?”
रियाज गुस्से में दुबे जी को देखने लगता है। वैसे ही उसका दिमाग खराब हो रहा था और अब दुबे जी इस बात में आग में घी डालने का काम कर दिया था।
रियाज गुस्से में डूबी जी पर चिल्लाते हुए कहता है “मैंने क्या यहां पर कंपनी पार्क खोल रखा है कि, हर कोई मुंह उठाके के अंदर आ जाएगा? मुझे किसी से नहीं मिलना है दफा हो जाइए यहां से!”
रियाज को इतने गुस्से में देख कर दुबे जी जल्दी से केबिन से निकल जाते हैं। इनायत जब दुबे जी को आता हुआ देखते हैं तो वो अपनी जगह से खड़ी हो जाती है और कहती है “अंकल जी क्या मैं मिल सकती हूं अब सर से?”
दुबे जी निराशा के साथ कहते हैं “इनायत बेटा. मेरी मानो तो तुम अब घर जाओ। सर इस वक्त बहुत गुस्से में है और वो किसी से नहीं मिलना चाहते हैं। ऐसे में अगर तुम उनके सामने गई तो वो तुम्हें भी दो चार बातें सुना देंगे और इस वक्त तुम वैसे ही बहुत दुखी हो। मैं सही कह रहा हूं, बेटा तुम्हें इस वक्त घर जाना चाहिए और नीचे चलो मैं तुम्हारे लिए टैक्सी बुक करता हूं!”
इनायत की आंखों में आंसू आ गए थे, लेकिन उसने ना में सिर हिलाते हुए कहा “नहीं अंकल जी मैं ऐसे घर नहीं जा सकती हूं, अगर मैं इस बार घर गई तो कोई मुझे दोबारा आने नहीं देगा। मेरे पास ये एक ही मौका है सर से मिलने का प्लीज कुछ कीजिए ना?”
दुबे जी परेशान हो जाते हैं और परेशानी से कहा “इनायत तुम समझ नहीं रही हो मैं अभी भी सर के केबिन से ही आ रहा हूं, वो बहुत गुस्से में है उन्होंने तो गुस्से में मुझे भी डांट दिया है। ऐसे में अगर तुम उनके सामने गई तो पता नहीं तुम्हें कितना कुछ सुनाएंगे, तुम अभी घर जाओ अभी सही वक्त नहीं है!”
दुबे जी इनायत को अपने साथ वापस लिफ्ट की तरफ ले जाने लगते हैं, लेकिन हर बढ़ते कदम के साथ इनायत के सामने अपने अब्बू के साथ उस घर में बिताए हुए खूबसूरत पल याद आ रहे थे। अगर इनायत ने आज कुछ नहीं किया तो वो अपने घर को खो देगी। वो अपने अब्बू की आखिरी निशानी को खो देगी। जैसे ही लिफ्ट के पास पहुंचते हैं और दुबे जी ग्राउंड फ्लोर का बटन प्रेस करते हैं, इनायत वहां से उल्टे पैर की तरफ दौड़ जाती है, दुबे जी हैरान हो जाते हैं।
जब उन्हें लगता है की इनायत रियाज के केबिन की तरफ जा रही है तो, उनकी आंखें डर से भर जाती है।
वो दौड़ते हुए कहते हैं “इनायत मेरी बात मानो वहां मत जाओ?”
लेकिन इनायत तेज कदमों से चलते हुए रियाज के केबिन में आती है और एक झटके से केबिन का दरवाजा खोलकर उसके केबिन में दाखिल हो जाती है। रियाज इस वक्त अपने सोफे पर सर को पकड़े हुए बैठा था। अचानक से केबिन का दरवाजा खोलने पर वो चौक जाता है और दरवाजे की तरफ देखने लगता है।
दरवाजे से इनायत अंदर आती है। जिसके चेहरे पर घबराहट हताशा और निराशा तीनों एक साथ थी।उसका छोटा सा चेहरा इस वक्त टेंशन की वजह से लाल हो रखा था।
इनायत को अपने सामने देख कर रियाज एक पल के लिए तो चौंक जाता है, लेकिन तभी दुबे जी अंदर आते हैं और कहते हैं “सॉरी सर, सॉरी मैं इसे ले जाता हूं!”
दुबे जी इनायत का हाथ पकड़कर उसे बाहर की तरफ खींचते हैं, पर इनायत खुद को छुड़ाते हुए रियाज़ से कहती है “सर प्लीज मुझे आपसे 5 मिनट बात करनी है, प्लीज बहुत जरूरी है। मे बहुत मुश्किलों से यहां तक पहुंची हूं। प्लीज मेरी मदद कीजिए?”
इनायत चलो यहां से सर अभी तुमसे नहीं मिल सकते हैं...। दुबे जी ने जैसे ही इनायत का नाम लिया। रियाज की आंखें एकदम से छोटी हो जाती है और वो दुबे जी से कहते हैं “रहने दीजिए दुबे जी!”
दुबे जी ने इनायत का हाथ छोड़ दिया और वो रियाज को हैरानी से देखने लगा तो, रियाज ने अपने हाथों से दुबे जी को वहां से जाने का इशारा किया।
दुबे जी हा मे सिर हिलाते हैं और एक नजर इनायत को देखकर केबिन से चले जाते हैं।
इनायत का चेहरा लाल हो रहा था और वो जोर जोर से सांस लेते हुए रियाज को देखकर कहती है “मेरा नाम इनायत है। मे मुर्तजा अली की बेटी हूं। वही जो आपकी कंपनी के एकाउंट डिपार्टमेंट में काम किया करते थे, जिनकी अभी कुछ दिनों पहले इंतकाल हुआ है। मुझे आपकी मदद चाहिए सर प्लीज मेरी मदद कीजिए मैं बहुत उम्मीद से आपके पास आई हू!”
रियाज के कानों में इनायत की बातें जा तो रही थी लेकिन उसकी नजरे इनायत को घूर रही थी। उसका चेहरा, उसके घबराते हुए हाथों की उंगलियों और उसकी लाल नाक, रियाज इनायत की हर एक एक्सप्रेशन को बहुत अच्छी तरह से अब्जॉर्ब कर रहा था। इनायत का वो मासूम सा चेहरा इस समय घबराया हुआ था।वो कुछ-कुछ बोले तो जा रही थी, लेकिन उसके होंठ भी कांप पर रहे थे।
इनायत की हालत भी कुछ ठीक नहीं थी। उसने सिंपल सा सूट सलवार पहना हुआ था। उसके बाल भी बिखरे हुए थे।
रियाज अपनी जगह से खड़ा होता है और अपने पैंट की पॉकेट में हाथ डालते हुए इनायत को देखकर कहता है “मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूं, पर बदले में तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी!”
. क्या फैसला होगा इनायत का और क्या वह सच में रियाज़ से शादी करने के लिए हां कहेगी। क्यों रियाज ने इनायत को पहली नजर में देखते ही उससे शादी का फैसला कर लिया था, क्या है इसके पीछे की वजह जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले एपिसोड का
रात के 2:00 बज रहे थे। इनायत के घर में सब लोग सो रहे थे। सभी लाइट बंद थी चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा फैला हुआ था। जिसमें कुछ बुरा होने की संभावना ज्यादा नजर आ रही थी। सचमुच कुछ बुरा होने वाला है या l, बस ये मन का वहम है। बहार से आई अजीबोगरीब सोर वहां के डरावनी माहौल को और ज्यादा गहरा कर दिया था।
अचानक से किसी तेज आवाज की वजह से इनायत की नींद खुल गई। सायद वो सपना देख रही थी। उसके चेहरे पर पसीने की बूंदे उभर आई थी और वो घबराते हुए उठकर बैठ गई थी। उसने आसपास देखा तो उसके कमरे में लाइट नहीं थी, इमरजेंसी लाइट भी बंद थी, शायद इलेक्ट्रिसिटी चली गई थी।
बाहर का माहौल कुछ ठंडा हो गया था। इसका मतलब बारिश होने वाली है।बारिश की वजह से अक्सर इस इलाके में लाइट काट दी जाती है.. इनायत ने अपना हाथ बढ़ाकर मोमबत्ती ढूंढनी चाहिए।
उसने मोमबत्ती को माचिस से जलाकर हल्की रोशनी से कमरे के माहौल को देखा लेकिन जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ती है, अचानक से उसकी चीख निकल जाती है।
इनायत की आंखों के सामने इस समय वही पर्सनालिटी और वही चेहरा मौजूद था जो इस वक्त बहुत खतरनाक नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि, कोई शैतान उसके सामने खड़ा होकर उसे चुनौती दे रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा डरावनी वाली बात तो ये है कि, उसके हाथों में गन थी।
अपने सामने रियाज को देखकर और रियाज की हाथों में गन देखकर इनायत की आंखें दर से बड़ी हो गई थी और उसका दिल कांपने लगा था।
उसने अपना मुंह चिल्लाने के लिए खोला ही था पर अगली ही पल रियाज ने अपनी गन इनायत के माथे पर लगाते हुए कहा “अगर तुम्हारे मुंह से एक और आवाज निकली तो समझ लो तुम जान से गई!”
डर की वजह से उसकी आंखों में आंसू आ गए थे और वो कांपने लगी थी। उसका दिमाग इस समय कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं था। रियाज़ का औरा इस समय बहुत ज्यादा खतरनाक महसूस हो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कि, वो इनायत के इनकार के बदले इतना भयानक दिख रहा है।
रियाज अपनी लाल आंखों से इनायत को घूरे जा रहा था और इनायत का चेहरा डर से कांप रहा था।
उसने धीरे से अपने होठों को खोला और डरी हुई आवाज में रियाज़ से कहा “आप क्या चाहते हैं?”
ये कहते वक्त भी इनायत की जुबान लड़खड़ा रही थी।
रियाज इनायत की माथे से गन हटाता है और एक कदम पीछे होते हुए अपनी खतरनाक आवाज में कहता है “बैठ जाओ !”
इनायत को ऐसा लग रहा था जैसे अगर उसने रियाज की बातें नहीं मानी तो वो जरूर इस बंदूक से उसकी जान ले लेगा। इसीलिए उसने डर से कांपते हुए रियाज को देखा और फिर चुपचाप एक कोने में बैठ गई।
रियाज ने अपनी बंदूक को वही साइड टेबल पर रख दिया और अपने दोनों हाथ बांधकर खड़ा हो गया था।
इनायत ने जब देखा कि रियाज ने अपनी गन साइड में रख दी तो, उसे ये एक मौका नजर आया। उसने अपना मुंह चीखने के लिए खोला ही था। अगले पल रियाज ने उसके गालों पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया और उसके हाथों को प्रेस करता हुआ उसे बेड पर धकेल दिया।
रियाज भी उसके हाथों को बेड पर दबाते हुए उसके ऊपर आ गया था। इनायत दर्द से तड़पने लगी थी। उसका मुलायम गाल लाल हो गया था।
उसकी सारी हरकतें थम गई थी और वो पूरी तरह से शांत हो गई थी। थप्पड़ इतना जोरदार था कि उसे चक्कर आने लगे थे। उसकी आंखों से झर झर आंसू बहने लगे थे। अपनी आंसुओं को रोकने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दर्द की वजह से वो नाकामयाब साबित हुई। लेकिन डर से ज्यादा ये आंसू उसे दर्द की थी जो उसने अभी-अभी बर्दाश्त किया था, उसके पूरे जीवन में किसी ने उसे थप्पड़ नहीं मारा था।
इससे पहले की इनायत उस थप्पड़ के दर्द से उभर पाती रियाज ने इनायत के बालों को जकड़ लिया और उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए उसकी आंखों में गुस्से से देख कर कहा “ चिलाओ? अगर हे हिम्मत तो चिल्ला कर दिखाओ?”
इनायत के शब्द ही नहीं निकल रहे थे पर वो डरी हुई नजरों से सिर्फ रियाज को देख रही थी। अभी बस दो ही मिनट तो हुए थे, उसके अंदर जितना डर पैदा रियाज ने कर दिया था। इतना डर तो उसे अपनी जिंदगी में कभी महसूस नहीं हुआ था।
रियाज ने अपनी लाल आंखों से इनायत को घूरते हुए देखकर कहा “मैं अपनी बातें रिपीट नहीं करता हूं इसलिए एक ही बार कहूंगा कि, मेरी बातों की कभी भी नाफरमानी मत करना क्योंकि, अगर तुमने ऐसा कुछ किया तो, उसके बाद मैं जो करूंगा वो शायद तुम बर्दाश्त नहीं कर पाओगी!”
ये कहते हुए रियाज ने इनायत के हाथों को और उसके बालों को छोड़ दिया। वो बेड से उठकर खड़ा हो गया और इनायत को एक झटके से बेड पर बिठा दिया।
इनायत रोते हुऐ और सुबकते हुए रियाज को देख रही थी। रियाज बस इनायत से एक कदम पीछे हट गया लेकिन उसने इनायत के ऊपर से अपनी नजर नहीं हटाई।
इनायत बिस्तर पर बैठी हुई थी। पर उसके पैर नीचे जमीन पर लटके हुए थे, उसने अपने दोनों हाथों को बिस्तर के साइड पर टिकाया हुआ था। उसकी नज़रें नीची थी और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
रियाज की मौजूदगी से ही इनायत का पूरा शरीर कांप रहा था। इसके ऊपर उसकी जो हरकतें थी इसने तो उसकी नज़रें मिलाने की हिम्मत को भी खत्म कर दिया था।
इनायत के दिलों दिमाग में बस यही सवाल चल रहा था कि, क्या बस एक इनकार का बदला लेने के लिए रियाज यहां तक आया था?” वहीं दूसरी तरफ,
रियाज इनायत को अपनी सर्द निगाहों से देख रहा था। उसका छोटा सा शरीर इस समय कांप पर रहा था और उसके पैर भी लड़खड़ा रहे थे। इनायत का चेहरा नीचे था, लेकिन रियाज को एहसास हो गया था कि वो रो रही है।
इनायत के दिलों दिमाग में बस यही सवाल चल रहा था कि, क्या बस एक इनकार का बदला लेने के लिए रियाज यहां तक आया था?” वहीं दूसरी तरफ,
रियाज इनायत को अपनी सर्द निगाहों से देख रहा था। उसका छोटा सा शरीर इस समय कांप पर रहा था और उसके पैर भी लड़खड़ा रहे थे। इनायत का चेहरा नीचे था, लेकिन रियाज को एहसास हो गया था कि वो रो रही है।
इनायत अपनी किस्मत के लिए खुद को दोष दे रही थी। ना जाने कितने साल तक उसने याकूब की बदतमीजी को बर्दाश्त किया था। लेकिन अब जब कि, याकूब जिब्रान के साथ पुणे चला गया था तो, इनायत को याकूब से तो छुटकारा मिल गया था। लेकिन अब उसकी जिंदगी में एक शैतान आ चुका था। जो शायद उसकी परिस्थितियों को याकूब से भी बत्तर बना सकता था।
रियाज ने अपनी गन को साइड टेबल से उठाया और उसे अपनी कमर के पीछे लगा दिया।
वो चलते हुए इनायत के पास आता है और इनायत का हाथ पकड़कर उसे एक झटके से खड़ा कर देता है। इनायत हैरान रह जाती है और उसका चेहरा डर से कांपने लग जाता है।
रियाज ने इनायत को साइड की दीवार पर लगा दिया और उसे अपने शरीर के भार से दीवार पर प्रेस कर दिया था।
रियाज की इस हरकते की वजह से इनायत का शरीर और ज्यादा डर से भर गया था। वो हिल भी नहीं पा रही थी। रियाज के भारी भरकम शरीर के आगे वो बहुत कमजोर नजर आ रही थी। उसकी तो नजरे उठाने की भी हिम्मत नहीं थी। लेकिन रियाज ने अपने एक हाथ से इनायत के गालों को पकड़ा और उसकी ठुडी पर पकड़ रखते हुए उसका चेहरा ऊपर की तरफ किया।
रियाज देख सकता था की इनायत की आंखों में उसे छोड़ देने के लिए रिक्वेस्ट थी. और जिस तरीके से उसका शरीर कांप रहा था। अगर रियाज ने उसे दीवार पर प्रेस नहीं किया होता तो, शायद वो नीचे जमीन पर गिर जाती।
रियाज की पकड़ इनायत के गालों पर थी और वो बस इनायत की आंखों में देख रहा था। एक साफ और बेदाग आंखें।
इनायत ने रोते हुए बहुत मुश्किल से अपना मुंह खोला और चंद गिनी हुए शब्दों के साथ उसने रियाज़ से कहा “मुझे छोड़ दो?”
इनायत की ये कहते ही रियाज ने इनायत को चेहरे को छोड़ दिया और उसके शरीर से दूर हो गया था। ऐसा होते ही इनायत लड़खड़ा जाती है और नीचे जमीन पर गिर जाती है। उसके दोनों हाथ जमीन पर लगे हुए थे और वो अपना चेहरा नीचे करते हुए सुबक रही थी।
रियाज ने इनायत को देखा और पंजों के बल उसके सामने बैठ गया।
उसने अपनी एक उंगली से इनायत के चेहरे को ऊपर किया और उसकी आंखों में देखते हुए खतरनाक एक्सप्रेशन के साथ कहा... " फिर से कहो?”
किया…? इनायत को समझ ही नहीं आ रहा था कि रियाज उससे क्या सुनना चाहता है, उसका चेहरा डर से भर गया था और उसका दिल जोरो से कांप रहा था।
रियाज के पास अभी भी बंदूक है, अगर इनायत ने कुछ भी हरकत की तो, रियाज उसे जान से मार सकता है।
वही जो आज तुमने मेरे केबिन में मुझसे कहा था। फिर से कहो?”
इनायत का चेहरा डर से भरा हुआ था और वो कांपने लगी थी। वो हैरान नजरों से रियाज को देख रही थी। इसका मतलब उसकी एक हां या ना पर उसकी जिंदगी टिकी हुई है । पहले तो इनायत को शक था, लेकिन रियाज की बातों ने उसे इस बात पर यकीन करने पर मजबूर कर दिया था कि, रियाज अपनी एक ना की वजह से यहां आया है। उसकी एक ना उसके अहंकार को ठेस पहुंचाई थी, जिसका बदला लेने के लिए वो यहां तक आ गया है।
कहो मैं सुनना चाहता हूं.. रियाज ने घूरते हुए इनायत की आंखों में देखा और उसकी ठुडी पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा।
पर इनायत सिर्फ एक शब्द के बदले अपनी जिंदगी का सौदा नहीं करना चाहती थी, इसीलिए उसने धीरे से अपना चेहरा ना में हिलाया।
नहीं..! रियाज अपनी एक आईब्रो ऊपर करते हुए इनायत से सवाल करता है। रियाज को लगा इनायत अभी उसे मना कर रही है, उसने अपने हाथों को इनायत की ठुडी से हटाया और उसके बालों में पकड़ बना ली। उसने इनायत की बालों को अपनी मुट्ठी में कस लिया।
रियाज अपने चेहरे को इनायत के कानों के पास लाता है और खतरनाक डरावनी आवाज में उसने इनायत के कानों में फुसफुसाते हुए कहा “किसी को कुछ कहने से पहले सोच लेना चाहिए जान? हो सकता है तुम्हारे एक शब्दों पर तुम्हारी पूरी जिंदगी टिकी हुई हो, समझ में आई बात?”
रियाज ये कहकर इनायत के चेहरे की तरफ देखने लगता है। इनायत की आंखों में डर साफ नजर आ रहा था। उसकी आंसू तेज हो गए थे और वो बस अपनी आंखें फाड़े हुए रियाज को ही देख रही थी।
ठीक है जान। उसने अपनी एक आईब्रो उठाते हुए और अपने चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान रखते हुए इनायत से सवाल किया।
इनायत की आंखों में डर देखकर उसे अच्छा लग रहा था। लेकिन इनायत को रियाज़ की खतरनाक आभा पसंद नहीं आ रही थी, इसीलिए उसने जल्दी से हां में सर हिलाया।
रियाज की इस खतरनाक पर्सनालिटी के आगे इनायत का मुंह ही नहीं खुल रहा था। उसके मुंह से शब्द ही नहीं निकल रहा था। लग रहा था उसके जुबान पर ताला पड़ गया है।
रियाज ने इनायत के बालों को छोड़ दिया और उसके गालों को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसकी आंखों में देखकर कहने लगा “शब्द ,जान मुझे इशारों की भाषा समझ में नहीं आती है!”
जी.. जी... जी.. ये जी भी बहुत मुश्किल से इनायत के मुंह से निकला था क्योंकि, उसे बोला ही नहीं जा रहा था और वो बस किसी भी तरीके से इस सेतान की चंगुल से बाहर निकलना चाहती थी।
इनायत को लगा कि ये सुनकर शायद रियाज चला जाएगा। उसने अपनी इंसल्ट का बदला ले लिया होगा और अब उसका काम खत्म हो गया है, पर उसे क्या पता था कि, ये तो बस एक शुरुआत है।
रियाज अपनी जगह पर खड़ा होता है और कहता है “खड़े हो जाओ!”
उसने अपनी शर्ट की स्लीव्स को फोल्ड करते हुए अपनी एल्बो तक किया और वो इनायत को देखकर ये कह रहा था।
खड़ी हो जाओ और मेरे साथ चलो!”
“ खड़े हो जाओ । चलो मेरे साथ..” रियाज ने अपनी शर्ट की आस्तीन को फोल्ड करते हुए कहा। रियाज ने इस कमरे में जो भी इनायत के साथ किया था, उसके बाद इनायत की कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं थी। वह तुरंत खड़ी हो जाती है और अपने सीने पर दुपट्टे को सही करने लगती है।
उसे डर था कि अगर वो रियाज की बात नहीं मानेगी, तो रियाज फिर से थप्पड़ मारेगा। रियाज दरवाजे के पास पहुंचता है और पलट कर इनायत को देखकर कहता है, “ चलो मेरे साथ।”
इनायत अपनी जगह पर जम गई थी । उसे रियाज से डर लग रहा था। वह उसे कहां लेकर जाने वाला है ? कहीं वह उसके साथ कुछ गलत तो नहीं करेगा न ? कहीं वह उसे जान से तो नहीं मार देगा न ? इस तरह के ख्याल इनायत के दिल में आने तो बनते ही थे।
रियाज ने दरवाजा खोला और बाहर की तरफ अपने कदम बढ़ाए ही थे, कि उसने महसूस किया की इनायत अपनी जगह पर ही खड़ी है। वह उसके पीछे नहीं आ रही है । रियाज ने पलटकर इनायत को देखा और अपनी एक आईब्रो उठाते हुए उससे कहा, “ तुम नहीं आ रही हो ?
“ कहां… कहां जाना है ? आप मुझे कहां लेकर जाएंगे ? मुझे कहीं नहीं जाना है..।” इनायत के शब्द कांप रहे थे । लेकिन उसने फिर भी हिम्मत करते हुए रियाज़ से यह चंद शब्द कहे थे । जिसका मतलब समझते हुए रियाज की आंखें छोटी हो गई।
रियाज भारी कदमों से इनायत के पास आता है और अगले ही पल वह अपनी उंगलियों को इनायत के गालों पर सहलाने लगता है । इनायत का पूरा शरीर एकदम से सुना पड़ गया था। उसे लगा कि रियाज उसे फिर से थप्पड़ मारेगा।
लेकिन ऐसा नहीं था । बल्कि रियाज ने तो इनायत के गालों को धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया था । पर उसकी आंखों में जो खतरनाक इरादे इनायत को नजर आ रहे थे यह समझने के लिए काफी थे, कि यह रियाज की तरफ से एक इशारा है । अगर उसने रियाज की बात नहीं मानी तो अंजाम क्या होगा।
वह जानती थी, अगर वह रियाज के साथ नहीं जाएगी तो रियाज उसके साथ जो करेगा वह बहुत बुरा होगा। उस एक थप्पड़ से भी इनायत के गाल सूज गए थे और उन मे अभी भी दर्द हो रहा था।
“ कुछ कहा तुमने..?” रियाज ने इनायत के गालों को सहलाते हुए उसकी आंखों में देखकर कहा , जो साफ तौर पर धमकी थी। इनायत के शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे । उसकी कुछ कहने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी । वो रियाज की बात टाल के खुद के लिए मौत को न्योता नहीं देना चाहती थी।
इनायत ने धीरे से अपना सर हां में हिलाया, तो रियाज ने इनायत के गालों को थपथपाते हुए कहा, “ शब्द..।”
“ जी …” इनायत ने यह छोटा सा शब्द अपने मुंह से निकाला, तो रियाज के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है। उसकी जुबान लड़खड़ा रही थी । उसका दिल, उसकी आत्मा, उसका वजूद इस समय एक शैतान के कब्जे में था । जो उसे अपने इशारों पर नचा रहा था। पर इस समय इनायत में इतनी भी हिम्मत नहीं थी, कि वह रियाज से यह बात कह सके। वह रियाज को गुस्सा नहीं दिलाना चाहती थी। क्योंकि एक इंकार की वजह से रियाज उसके साथ जो कर रहा है , वह तो इनायत की नजरों के सामने ही है।
रियाज ने कमरे का दरवाजा खोला और गैलरी में आ गया । वह पलट कर देखने लगा । इनायत धीरे-धीरे कदमों से कमरे से बाहर निकलती है। उसे अपने पीछे आता देख, रियाज के चेहरे पर डेविल स्माइल और गहरी हो गई थी।
वह इनायत को आगे चलने का इशारा करता है। इनायत अपना चेहरा नीचे झुका लेती है और अपने दुपट्टे को एक हाथ से पकड़ कर धीरे-धीरे कदमों से आगे बढ़ जाती है । वह सीडीओ से नीचे उतरती है । रियाज इनायत के पीछे था । जैसे ही वह सीडीओ से नीचे हॉल में आती है, उसकी नजर अपनी अम्मी के कमरे पर जाती है। जिसका दरवाजा बंद था ।
इनायत के दिमाग में एक पल के लिए यह बात आई जरूर थी, कि वह अगर अपनी अम्मी के कमरे में जाकर उन से मदद मांगेगी तो शायद सब कुछ ठीक हो जाएगा। वो इस खतरे से बाहर आ जाएगी । लेकिन इस विचार के साथ ही उसके पैरों में एक जकड़न हो गई थी । ऐसा लग रहा था कि उसके कदम आगे की तरह बढ़ ही नहीं रहे हैं।
इनायत ने डरते हुए चेहरे के साथ पीछे की तरफ मुड़कर के रियाज को देखा। तो रियाज सीडीओ के पास खड़ा था और उसके चेहरे पर वह खतरनाक आभा अभी भी झलक रही थी। लेकिन शायद रियाज ने भी इनायत के चेहरे के एक्सप्रेशन पढ़ लिए थे । इसीलिए उसने अपने कमर के पीछे से गन निकाली और अपने हाथों में उलट पलट कर देखने लगा।
इनायत की आंखों का डर बढ़ गया था । यह साफ तौर पर रियाज की तरफ से धमकी थी, कि उसने अगर होशियारी दिखाने की कोशिश की तो सुबह तक यहां पर लाशों के ढेर होंगे.. ।
उसकी अम्मी , चाचा, चाची और जो रिश्तेदार यहां मौजूद हैं उनकी मौत का कारण इनायत बनेगी।
इनायत ने आज से पहले खुद को इतना लाचार हारा हुआ महसूस नहीं किया था । पर आज परिस्थितिया उसके विपरीत जा रही थी। वह इस वक्त चिखना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी, यहां से दूर भाग जाना चाहती थी।
रियाज ने अपनी बंदूक के इशारे से ही इनायत को आगे बढ़ने का इशारा किया । इनायत डरते हुए कदमों के साथ आगे बढ़ रही थी । लेकिन उसकी नज़रें अपनी अम्मी के दरवाजे पर ही थी। वह चाहती थी कि कोई चमत्कार हो जाए और उसकी अम्मी की नींद खुल जाए । उसकी अम्मी दरवाजा खोलकर बाहर आए और परिस्थितियों को देखकर इनायत को संभाल ले।
पर कहते हैं ना जब बुरा वक्त आता है तो चारों तरफ से आता है। इनायत को पता था उसकी अम्मी को नींद की दवाई दी गई है । क्योंकि उसके अब्बू के गुजरने के बाद उसकी अम्मी की नींद खो गई थी और ज्यादा बीमार भी रहने लगी थी । इसीलिए उन्हें नींद की गोलियां दी जा रही थी।
इनायत धीरे से अपने घर के दरवाजे तक पहुंचती है और दरवाजा खोलकर बाहर आती है। रियाज भी उसके पीछे ही था पर सिर्फ उससे एक कदम दूर..। इनायत देखती है तो उसके घर के बाहर एक गाड़ी पहले से ही खड़ी है। जिसके साथ एक आदमी भी है।
आदमी ने जब रियाज को देखा तो अपना चेहरा नीचे करते हुए उसने गाड़ी का पिछला दरवाजा खोल दिया। रियाज ने इनायत का हाथ पकड़ लिया । इनायत की सांस थम सी गई थी। और वह हैरान नजरों से रियाज को देखने लगी। रियाज इनायत को खींचता हुआ गाड़ी के पास लाता है और दरवाजा बंद करते हुए उस आदमी से कहता है, “ चाबी तो… ड्राइव मैं करूंगा।”
वह आदमी जल्दी से गाड़ी की चाबी रियाज के हाथों में रख देता है। उसने गाड़ी की पैसेंजर सीट का दरवाजा खोला तो रियाज ने इनायत को जबरदस्ती गाड़ी के अंदर धकेल कर बैठा दिया था। और दरवाजा बंद कर दिया था । लेकिन उसने यह सुनिश्चित किया कि दरवाजा लॉक हो जाए। वो बाहर उस आदमी से कुछ बात करने लगा था । लेकिन इनायत को उसकी कोई बात सुनाई नहीं दे रही थी । वह बस गाड़ी के शीशे पर अपने हाथ मारे जा रही थी । ताकि कोई उसे देख ले और उसे मदद मिल सके ।
थोड़ी देर बाद रियाज दूसरी तरफ से आता है और ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ जाता है। उसके दरवाजा खोलने के साथ ही इनायत की सारी हरकतें बंद हो गई थी। वह बस तेजी से सांस लेते हुए रियाज को घूर कर देखे जा रही थी । रियाज ने गाड़ी स्टार्ट की और उनकी गाड़ी सुल्तान हाइवे पर दौड़ने लगी थी।
इनायत ने एक हाथों से अपना दुपट्टा पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से अपने सूट का कोना। उसका दिल तेजी से दौड़ रहा था । शायद इस गाड़ी की रफ्तार से भी तेजी से वह घबराते हुए अपने मन में सोचने लगी.. , “ मुझसे क्या चाहता है ये ? मुझे कहां लेकर जा रहा है ? अगर इसने मेरे साथ कुछ गलत किया तो मैं क्या करूंगी ?
मैंने इसे ना कह कर कोई जुर्म किया है। अब्बू आप कहां है ? अब्बू मुझे बचा लीजिए।.. आज तक आपने मुझसे ऊंची आवाज में बात तक नहीं की थी । पर इस शख्स ने मुझे आज थप्पड़ मारा है। मैं बहुत डर गई हूं । मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अब नहीं बचूंगी अब्बू। मैं खुद को हारी हुई महसूस कर रही हूं । मुझे बचा लीजिए अब्बू। आप कहां है ? आ जाइए ना । आपकी इनायत को आपकी जरूरत है।”
इनायत चलती हुई कार में अपना चेहरा नीचे झुका कर धीरे-धीरे रो रही थी । उसका दिल एक डर से भर गया था। क्योंकि अब वह रियाज के साथ अकेली थी.. । जब रियाज उसके साथ उसके घर में था , जहां उसका पूरा परिवार मौजूद था । वह तब तो कुछ नहीं कर सकी तो अब अकेले में वह उसका क्या ही बिगाड़ लगी ?
रियाज ने एक नजर चेहरा घुमा कर इनायत को देखा, जो सुबकते हुए अपने आंसू पोंछ रही थी । उसे ऐसा देखकर रियाज के हाथ सख्त हो गए । उसकी आंखें छोटी हो गई । उसने गैर पर अपने हाथ बदले और अगले ही पल गाड़ी सड़क पर बोहोत तेजी से दौड़ने लगी । इतनी तेज रफ्तार को देखकर इनायत के दिल की धड़कनें रुक गई थी । वह हैरान नजरों से सड़क पर देख रही थी । उसने रियाज को देखकर धीरे से मरी हुई आवाज में कहा, “ मुझे डर लग रहा है। गाड़ी की रफ्तार कम कीजिए।”
रियाज के हाथ सख्त हो रखे थे और उसका चेहरा भी सख्त हो रखा था । लेकिन उसने फिर भी इनायत की बात सुनकर स्पीड को थोड़ी कम की। रियाज ने अपनी आंखें बंद की और अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए , वह तेजी से सांस लेने लगा । दरअसल वह खुद के गुस्से को काबू करने की कोशिश कर रहा था।
इनायत देखती है तो उनकी गाड़ी पालघर के इलाके से निकलकर मुंबई हाईवे की तरफ जा रही है। इनायत डरी हुई नजरों से रियाज को देखकर कहती है, “ आप हमें कहां लेकर जा रहे हैं ?”
लेकिन रियाज ने उसी तरीके से ड्राइविंग करते हुए इनायत को जवाब दिया, “ तुम्हें जल्दी पता चल जाएगा।”
लेकिन जैसे-जैसे गाड़ी आगे बढ़ रही थी, इनायत की सांसे उखड़ने लगी थी । क्योंकि उसकी गाड़ी उसके इलाके को काफी पीछे छोड़कर, अब मुंबई शहर की तरफ बढ़ चुकी थी। इनायत ने घबराते हुए रियाज़ से कहा, “मुझे भी जानना है । आप मुझे कहां लेकर जा रहे हैं ? मुझे वापस घर जाना है । मुझे आपके साथ कहीं नहीं जाना है।”
लेकिन इस बार इनायत की आवाज थोड़ी तेज थी । रियाज ने एक झटके से गाड़ी रोक दी और इनायत को घूर कर देखने लगा। उसने अपना एक हाथ उठाया और इनायत के सामने लाने लगा । इनायत डर से पीछे की तरफ सीट पर चिपक गई थी । और डरती हुई नजरों से रियाज को देखने लगी थी ।
वह कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलती, उससे पहले ही रियाज ने उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी । और उसे घूर कर देख कर देखते हुए कहता है, “ जब मैं ड्राइव कर रहा हूं तो मुझे तुम्हारे छोटे से मुंह में जुबान नहीं चाहिए..। इस बात को हमेशा याद रखना । वरना अगली बार चलती गाड़ी से बाहर फेक दूंगा। समझ में आई बात ?”
इनायत की आंखें एक बार फिर से आंसुओं से भर गई थी । उसने धीरे से हा में सर हिलाया, तो रियाज ने उसके होठों से उंगली हटाई । और उसके गालों को धीरे-धीरे थपथपाते हुए कहा , “गुड गर्ल। अब चुपचाप बैठी रहो और मुझे ड्राइविंग कर दो..”
रियाज ने फिर से गाड़ी स्टार्ट की और मुंबई की तरफ ले जाने लगा । इनायत ने अब कुछ हिम्मत ही नहीं की । ना ही कुछ कहने की और ना ही कुछ पूछने की। 1 घंटे की ड्राइविंग के बाद रियाज की कार एक मेंशन के सामने आकर रूकती है। और उस मेंशन के गेट पर लिखे हुए नाम को देखकर इनायत की जान गले में अटक जाती है ।और उसकी सांसे थम जाती है । क्योंकि उस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था..
“ वेलकम टू हेल …”
“ हेल मेंशन ”
बांग्ला दिखने में तो बहुत खूबसूरत था। उसकी खूबसूरती में ही उसका डरावनापन छुपा हुआ था क्योंकि वो बांग्ला काले पत्थरों का बना हुआ था। काले पत्थरों का वो बांग्ला किसी शैतान का घर मालूम हो रहा था और एक तरह से देखा जाए तो वो घर शैतान का ही था
घर को देखकर इनायत का दिल जोरो से धड़क रहा था। उसे महसूस हो रहा था कि कुछ गलत होने वाला है, लेकिन वो हेल मैंशन ऐसी जगह पर बना हुआ है जहां पर अगर इनायत चिल्लाई गी भी तो भी उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।
रियाज इतना खतरनाक है ये तो इनायत ने पहले ही देख लिया था। अब वो यहां उसके साथ अकेले में है, ऐसे में वो कुछ भी कर सकता है और कहीं उसने इनायत के साथ कुछ गलत...
यही सोचते हुए इनायत का दिल कांपने लगा था उसने डरती हुई नजरों से रियाज को देखा और अपने मन में कहा “नहीं ऐसा नहीं हो सकता है? मैं इसे कुछ भी गलत नहीं करने दूंगी? भले ही इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों ना देनी पड़े लेकिन मैं इस जालिम को अपने करीब नहीं आने दूंगी!”
ये सोचते हुए इनायत ने अपनी तरफ का दरवाजा खोलना चाहा लेकिन तभी रियाज अपनी तरफ से उतर कर इनायत की तरफ आ चुका था। उसने इनायत की तरफ का दरवाजा खोला और उसकी बाहें को पड़कर बाहर की तरफ खींच लिया।
इनायत खुद को पीछे की तरफ धकेलना लगी और जोर-जोर से ना में सिर हिलाने लगी। लेकिन रियाज ने इनायत की बाजू को मजबूती से पकड़ लिया और एक आवाज के साथ उसने गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया। वो इनायत को खींचता हुआ अपने साथ हेल मेंशन के अंदर ले जाने लगा।
इनायत को एहसास हो गया था कि अगर वो अभी नहीं लड़ी तो सारी जिंदगी के लिए कैद हो जाएगी इसीलिए उसने वही किया जो इस वक्त उसके मन में सही ख्याल आया।
उसने रियाज की बाजू को पकड़ा.. अगले ही पल उसने रियाज के हाथ पर अपने दांत गड़ा दिए। इनायत ने पूरी ताकत के साथ रियाज के हाथ को काटा था। रियाज इस हमले के लिए तैयार नहीं था। उसने एक चीख के साथ अपने हाथ को पीछे ले लिया था। जिसकी वजह से इनायत का हाथ उसके हाथ से छूट गया था और मौके का फायदा उठाकर इनायत वापस गाड़ी की तरफ भाग गई। ताकि वो गाड़ी में बैठकर इस हेल से काफी दूर चली जाए।.
इनायत जल्दी से गाड़ी में बैठ जाती है और दरवाजा बंद कर लेती है। गाड़ी में बैठकर उसने जोर-जोर से सांस ली और अपने बिखरे हुए बालों को हाथ से समेटने लगी। उसने जल्दी से अपने धड़कनों को काबू में किया और स्टीयरिंग व्हील पर अपने हाथ रखे लेकिन तभी उसकी खिड़की पर दस्तक होती है।
खट....खट....
दस्तक को सुनकर इनायत का दिल जोरो से धड़कने लगता है और वो घबराई हुई नजरों से खिड़की की तरफ अपना चेहरे करके देखती है और उसकी आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है क्योंकि, गाड़ी के बाहर रियाज अपने हाथों में गाड़ी की चाबी लेकर खड़ा था.. और वो चाबी को अपनी उंगलियों पर घुमा रहा था।
इनायत ने अपने मन के अंदर खुद को कोसते हुए कहा “इतनी बड़ी बात वो कैसे भूल सकती है? अपनी बेवकूफी पर अब इनायत को खुद ही गुस्सा आ रहा था, वो इतनी डर गई थी की चाबियां के बारे में तो भूल ही गई थी!”
रियाज ने दरवाजे की हॉल में चाबी को लगाया और दरवाजा खोल दिया। उसने दरवाजा खोलने के साथ ही इनायत को देखते हुए कहा “जान तुम अपने आप बाहर आओगी या, फिर मुझे तुम्हें अपने कंधे पर उठाकर मेंशन के अंदर ले जाना होगा?”
ये कहते वक्त रियाज के चेहरे पर एक मुस्कान झलक रही थी और वो मुस्कान इनायत को डराने के लिए काफी थी।
इनायत तुरंत कांपते हुए शरीर के साथ गाड़ी से बाहर निकलती है लेकिन अगले ही पल वो गाड़ी के उल्टी दिशा की तरफ भागने लगती है। उसे बस यहां से दूर भागना था। किस दिशा में जा रही है ये उसके लिए मायने नहीं रख रहा था, पर वो मुश्किल से सिर्फ 10 से 15 कदम ही भाग होगी कि, किसी ने उसकी बाहें को पकड़ लिया और अगली ही पल इनायत को महसूस होता है कि, वो किसी भारी भरकम शरीर के कंधे पर बैठी हुई है।
रियाज उसे अपने कंधे पर उठाकर मेंशन की तरफ लाने लगा था और इनायत के हाथ लगातार रियाज की पीठ पर चल रहे थे। लेकिन वो इस वजह से नहीं था कि, रियाज ने उसे अपने कंधे पर उठा लिया था वो बल्कि, इस वजह से था कि रियाज के हाथ इनायत के बैक साइड में थे और ये इनायत को बहुत ज्यादा अजीब लग रहा था।
वो आज तक इतने करीब किसी के नहीं गई थी और ना ही किसी ने उसे छुआ था। यहां तक कि जिब्रान ने भी उसे कभी इस तरीके से हाथ नहीं लगाया था। जिब्रान ने तो कभी उसके गालों तक पर किस नहीं किया था।
रियाज इनायत को अपने कंधे में उठाकर मेंशन के अंदर लेकर आता है। पूरी मेंशन में जगमगाती हुई रोशनी आई और बड़ा सा झूमर वहां की शोभा बढ़ा रहा था। लेकिन उस मेंशन के बनावट कुछ इस तरीके से थी कि, वो खुद के अंदर ही एक भूलभुलैया था।
साइड में लगा हुआ बहुत बड़े सोफे, उसके ठीक सामने डाइनिंग टेबल, एक बड़ी सी सीढी जो ऊपर जाकर दो हिस्सों में बट जाती है और मेंशन के दो अलग-अलग हिस्सों मैं जाती है और इसके अलावा बाग कीमती तस्वीर और स्टैचू उस जगह पर लगे हुए थे।
रियाज इनायत को लेकर सोफे पर आता है और उसे सोफे पर पटक देता है। वैसे तो देखा जाए वो सोफा कम बेड ही था। इनायत बैठने की जगह पूरी लेट गई थी। रियाज ने इनायत को सोचने समझने का समय ही नहीं दिया। उसने टेबल पर रखी हुई एक जंजीर जैसी कोई चीज को उठाई और अगले ही पल उसने इनायत के दोनों हाथों को बंद दिया था। इनायत हैरान हो गई थी ये देखकर की रियाज ने उसके हाथों को हथकड़ियां से बांध दिया है।
वो अपने हाथों को खोलने की कोशिश करने लगी थी वो छटपटा रही थी और तेजी से उस हथकड़ी से आजाद होना चाहती थी। उसका दिल अब तेजी से धड़क रहा था क्योंकि, एक तो वैसे ही उसे रियाज़ से डर लग रहा था, ऊपर से रियाज ने उसे बांध दिया था। इसका मतलब ये है कि रियाज उसके साथ कुछ भी करेगा तो वो रियाज़ को अपने हाथों से रोक नहीं पाएगी।
इनायत डरते हुए इधर से उधर देखने लगती है उसे यहां से भागना था। वो भागने के लिए रास्ता ढूंढ रही थी। उसे अपने घर जाना था, अपनी मां की आंचल में छुपना था। अभी 2 घंटे पहले तो वो अपने कमरे में सुबकते हुए सो गई थी और अब किसी अनजान से घर में वो एक खतरनाक आदमी के साथ है।
ऊपर से रियाज ने उसे इतनी जोर से थप्पड़ मारा था कि उसके गाल में अभी तक दर्द हो रहा था।
अभी कुछ दिन पहले तो उसके पिता ने इस दुनिया को छोड़ा था। जिसका दुख अभी भी इनायत के दिल में बैठा हुआ है। इस दुनिया में खुद को हारा हुआ और अकेला महसूस कर रही है, वो अपने इस दुख से निकल भी नहीं पाई थी कि उसके सामने ये मुसीबत आकर खड़ी हो गई है।
इनायत खुद को इतनी हारी हुई और असहाय महसूस कर रही थी कि, उसे लग रहा था कि इस दुनिया में उसका रहना ही बेकार है, ये शख्स जो उसके सामने है ये जरूर कोई शैतान है और उसने इनायत को अपने पिंजरे में बंद कर दिया है। इनायत उसकी दया पर जिंदा है वो चाहे तो इनायत के साथ कुछ भी कर सकता है।
इनायत लगातार अपने हाथों को खींच रही थी और उस हथकड़ी को खोलने की कोशिश कर रही थी जो की एक नाकामयाब कोशिश थी। आखिरकार जब इनायत को एहसास हो गया कि वो यहां से बचकर नहीं जा सकती है, रियाज की इजाजत के बिना तो उसने लड़ना छोड़ दिया. और शांत होकर वो सोफे पर बैठ गई।
रियाज़ जो की इनायत के सामने टेबल पर बैठा हुआ था। वो इनायत की सारी हरकतें नोट कर रहा था और जब इनायत पूरी तरह से शांत हो गई तब जाकर उसने अपने हाथों को बांधकर इनायत को देखना शुरू किया।
इनायत ने अपना चेहरा नीचे किया और डरते हुए रियाज़ से पूछा “आप मुझसे क्या चाहते हैं? आप मुझे यहां क्यों लेकर आए हैं? मेरी गलती क्या है?”
ऑप्शन दे रहा हूं तुम्हें... रियाज़ की खतरनाक आवाज सुनकर इनायत हैरानी से उसे देखने लगती है..।
वो हैरानी से रियाज़ से कहती है “ऑप्शन?”
रियाज की आवाज ठंडी पर डरावनी थी।
उसने इनायत को देखते हुए हा में सर हिलाया और कहा “हां तुम्हारे पास दो ऑप्शन है और उसे चुनने के लिए तुम्हारे पास सिर्फ 10 मिनट है।
ऑप्शन A ... तुम मुझसे शादी करोगी या, फिर ऑप्शन B. मैं तुम्हारे साथ अभी इसी वक्त वो करूंगा जो मैं शादी के बाद करने की सोच रहा हूं!”
इनायत की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है और मुंह खोले हुए बस रियाज को ही देखने लगती है। 2 मिनट तक उसे समझने को लग गया था कि, रियाज क्या कह रहा है, लेकिन जब उसे एहसास हो गया कि, रियाज के इरादे क्या है तो, वो डर से कांपने लगी।
उसने धीरे से अपना चेहरा ना में हिलाते हुए कहा “नहीं ऐसा मत करना? ये गलत है, खुदा का खौफ करो मुझे जाने दो, मुझे बर्बाद करके तुम्हें क्या मिलेगा?”
रियाज गहरी सांस छोड़ता है और अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए कहता है “लगता है तुमने ऑप्शन b चुना है!”
ये कहते हुऐ रियाज अपनी जगह पर खड़ा होता है और इनायत के सामने आ जाता है। इनायत के दोनों हाथ बंधे हुए थे और वो डरी हुई नजरों से रियाज को देख रही थी।
अगले ही पल रियाज ने अपने हाथ बढ़ाकर इनायत के सीने से उसके दुपट्टे को खींच लिया।.. इनायत ने जल्दी से अपने हाथों को ऊपर करते हुए खुद की आबरू को ढकने की कोशिश की और रोते हुए कहने लगी “नहीं मैं ऑप्शन a चुनती हूं, पर ऐसा मत करना?”
रियाज के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है और उसने इनायत के उस दुपट्टे को उसके सर पर दुल्हन के घूंघट की तरह पहनाते हुए उसके उसके सीने को दोबारा से ढकते हुए उसके गालों को हल्का सा थपथपाया और उसकी आंखों में देखते हुए कहा “गुड डिसीजन!”
तभी दरवाजे से एक शख्स अंदर आता है। वो रियाज के सामने अपना सर झुकाते हुए कहता है “मालिक आपने जो मंगाया था वो मैं लेकर आ गया हूं!”
उस आदमी ने एक डाक्यूमेंट्स रियाज के सामने किया। रियाज उस डॉक्यूमेंट को देखता है और उसे जाने का इशारा करता है।
रियाज एक पेन उठाता है और उसमें अपने साइन करता है वो पेन और पेपर इनायत के सामने रखते हुए कहता है “साइन करो!”
इनायत ने डरी हुई नजरों से उस डॉक्यूमेंट को देखा तो उसका पूरा शरीर कांपने लगा था। ये मैरिज सर्टिफिकेट था, जिसमें इनायत की फोटो पहले से ही लगी हुई थी। रियाज के पास उसकी फोटो कहां से आई ये मायने नहीं रखता है, मायने इस वक्त ये रखता है कि, रियाज ने कोर्ट मैरिज के लिए डॉक्यूमेंट पहले ही रेडी करवा कर रखे हुए थे।
इनायत की आंखों की आंसू तेज हो गए थे। उसे अपनी आंखों के सामने जिब्रान का चेहरा नजर आ रहा था। जिसने इनायत से ये वादा लिया था कि वो उसका इंतजार करेगी। लेकिन आज अगर इनायत ने इनकार किया तो, रियाज उसके साथ क्या करेगा ये शायद इनायत भी नहीं जानती है। मोहब्बत और आबरू में से इनायत ने अपनी आबरू को चुना था।
उसने धीरे से पेन उठाया और कांपते हुए हाथों से अपना नाम मैरिज सर्टिफिकेट पर लिख दिया।
इसी के साथ इनायत के आंसू तेज हो गए थे और वो चेहरा नीचे करके रोने लगी थी।
रियाज ने वो मैरिज सर्टिफिकेट देखा और उसके चेहरे पर एक सुकून की मुस्कान थी।
उसने इनायत को देखते हुए कहा “कानून तौर पर तो हमारी शादी हो चुकी है, पर तुम फिकर मत करो। काजी साहब भी आकर हमारा निकाह करवाएंगे तब तुम्हे कहना होगा..। कबूल हे !”
इनायत सोफे पर अभी भी बैठी हुई थी। लेकिन अब उसके हाथों में हथकड़ियां नहीं थी। उसका सिर सोफे से टिका हुआ था और उसकी आंखें बंद थी, लेकिन उसकी बंद आंखों से भी आंसुओं की धार उसके गालों पर बह रही थी। दिल में मच रही हलचल को उसके चेहरे की बेचैनी से महसूस किया जा सकता था।
पिछले 15 मिनट से इनायत इसी तरीके से बैठी हुई थी। जैसे यकीन करने की कोशिश कर रही हो कि ये जो कुछ भी है, वो सच नहीं है ये बस एक डरावना सपना है और जब वो उठेगी तो सब कुछ ठीक होगा। वो इस डर को अपने दिल से निकाल फेंकना चाहती थी। जब रियाज़ ने उससे ये कहा था कि, अगर उसने शादी से इनकार किया तो यही सोफे पर वो इनायत के साथ कुछ गलत कर देगा।
इनायत को महसूस हो रहा था कि किसी ने उसके शरीर से उसकी आत्मा को छिनने की बात की है। उसके दिल के अंदर एक अजीब सी कपकपी महसूस हो रही थी। उसका सीना जोरों से धड़क रहा था। वो अंदर से कांप रही थी।
इनायत सोफे पर अभी भी बैठी हुई थी। लेकिन अब उसके हाथों में हथकड़ियां नहीं थी। उसका सिर सोफे से टिका हुआ था और उसकी आंखें बंद थी, लेकिन उसकी बंद आंखों से भी आंसुओं की धार उसके गालों पर बह रही थी। दिल में मच रही हलचल को उसके चेहरे की बेचैनी से महसूस किया जा सकता था।
पिछले 15 मिनट से इनायत इसी तरीके से बैठी हुई थी। जैसे यकीन करने की कोशिश कर रही हो कि ये जो कुछ भी है, वो सच नहीं है ये बस एक डरावना सपना है और जब वो उठेगी तो सब कुछ ठीक होगा। वो इस डर को अपने दिल से निकाल फेंकना चाहती थी। जब रियाज़ ने उससे ये कहा था कि, अगर उसने शादी से इनकार किया तो यही सोफे पर वो इनायत के साथ कुछ गलत कर देगा।
इनायत को महसूस हो रहा था कि किसी ने उसके शरीर से उसकी आत्मा को छिनने की बात की है। उसके दिल के अंदर एक अजीब सी कपकपी महसूस हो रही थी। उसका सीना जोरों से धड़क रहा था। वो अंदर से कांप रही थी।
सोफे पर बैठी इनायत ने अपनी उंगलियों को आपस में उलझते हुए महसूस किया कि नहीं ये कोई सपना नहीं है। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, उसके गाल रो-रो कर सूझ गए थे, वो अंदर से रो रही थी।
इनायत पूरी तरह से स्तब्ध थी, ना वो हिल रही थी और ना ही कुछ कह रही थी। उसने जिब्रान को धोखा दिया है। अब वो किसी और की बीवी है, ऐसे शख्स की जिसे वो ठीक से जानती तक नहीं हे और इस शख्स ने इनायत से जबरदस्ती शादी की है। आज इनायत को अपने कमजोर होने पर शर्म आ रही थी कि, वो क्यों खुद के लिए लड नहीं पाई? क्यों अपने अस्तित्व को नहीं बचा पाई? पहले उस याकूब ने उसे परेशान करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसके बाद उसके अब्बू उससे दूर चले गए और अब ये शैतान उसकी जिंदगी में आ गया है, वो कभी खुद से किसी को बचा ही नहीं पाई थी ना वो हालातो से लड पाई थी। इन सबके लिए वो खुद को जिम्मेदार मान रही थी। उसे लग रहा था कि वो कमजोर है और वो लड नहीं सकती है, इसीलिए वो हालातो के साथ समझौता कर लेती है।
वही रियाज़ भी इनायत के सामने अपने हाथ बांध करके बैठा हुआ था। जब से इनायत ने मैरिज सर्टिफिकेट पर साइन किया था। तब से ही उसकी आंखें इस तरीके से बंद थी। इनायत का उठता हुआ सीना इस बात को तो साबित कर रहा था कि वो जिंदा है। लेकिन वो पिछले 15 मिनट से अपनी आंखें बंद करके बैठी हुई थी।
रियाज़ को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की, इनायत ऐसी क्यों बैठी है लेकिन उसे इनायत के चेहरे को देखकर एक सुकून महसूस हो रहा था, ना जाने क्यों ऐसा लग रहा था। उसने एक जंग जीत ली है, उसने इनायत को अपना बनाकर कोई फतहे हासिल की है।
रियाज़ मासूम सी इनायत के चेहरे को देख रहा था और उसके साथ एक जुड़ाव महसूस कर रहा था। इनायत अब उसकी है। उन दोनों का एक पाक साफ रिश्ता है, एक ऐसा रिश्ता जिसमें उसका दिल रियाज़ के लिए मोहब्बत कर सकता है।
रियाज़ की नजर इनायत के गालों पर जाती है जहां पर आंसुओं की बूंद तो थी ही लेकिन, साथ ही उसके गाल सूज हुए भी थे, उनमें उंगलियों के निशान थे।
ये देखकर रियाज़ समझ जाता है कि, उसके थप्पड़ की वजह से ही ये हुआ है। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और इनायत का हाथ पकड़ लिया।
इनायत एक पल के लिए चौक जाती है और डरती हुई नजरों से रियाज़ को देखने लगती है। रियाज़ अपनी जगह से खड़ा होता है, पर उसने इनायत का हाथ नहीं छोड़ा उसने अपनी आंखों से इनायत को अपने साथ चलने का इशारा किया।
और उसके बाद रियाज़ आगे बढ़ते हुए इनायत को अपने साथ खींचता हुआ वहां से ले गया।
इनायत किसी कठपुतली की तरह रियाज़ के पीछे-पीछे चल रही थी। इनायत देखता है रियाज़ उसे लेकर किचन एरिया में आ गया है।
किचन के अंदर टेबल के पास लाकर रियाज़ ने इनायत को खड़ा किया और उसकी तरफ देखते हुए कहा “यहीं पर खड़े रहो?”
रियाज़ फ्रिज के पास जाता है और वहां से कुछ लेकर वो वापस इनायत के सामने आता है। इनायत ने अपनी नज़रें नीचे की हुई थी। उसने रियाज़ को देखा तक नहीं था। रियाज़ टेबल के दूसरी तरफ खड़ा था और इनायत दूसरी तरफ खड़ी थी। रियाज़ ने अपने हाथ में पकड़ी हुई चीज को कपड़े में रखते हुए कहा “बैठ जाओ!”
इनायत कांप जाती है और वो जल्दी से कुर्सी पर बैठ जाती है। रियाज़ धीरे कदमों से इनायत के सामने वाली कुर्सी पर आता है और उसके गालों पर एक कपड़ा रगड़ने लगता है।
इनायत को अपने स्क्रीन पर ठंडक का एहसास होता है। उसने अपनी आंखें बंद कर ली और उसके हाथ उसके दुपट्टे पर कस गए थे, उसने महसूस किया कि रियाज़ उसके गालों पर icecube कपड़े में लपेटकर लगा रहा है।
इनायत ने डरती हुई आंखों को ऊपर उठाते हुए रियाज़ को देखा तो वो देखती है। रियाज़ की नजरे इनायत की गालों पर है और वो उस पर बहुत ध्यान से icecube लगा रहा है।
रियाज़ की नजरे सिर्फ इनायत के गालों पर थी और इनायत की डरती हुई नजरें सिर्फ रियाज़ के चेहरे पर ही टिकी हुई थी। उसने रियाज़ को पहले भी देखा हुआ है, लेकिन आज वो रियाज़ को बहुत गौर से देख रही थी।
उसकी आंखें बहुत गहरी थी, ऐसा लग रहा था वो कितने राज छुपाए बैठा है। उसका फेस का फीचर काफी परफेक्ट था, उसकी जो लाइन परफेक्ट थी, उसकी नाक परफेक्ट थी, चेक बोनस परफेक्ट थी, लेकिन उसकी आंखें इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि, रियाज़ की आंखें बहुत खूबसूरत है, एकदम सागर की तरह शांत और खतरनाक।
शायद रियाद से ज्यादा हैंडसम आदमी आज से पहले इनायत ने कभी देखा नहीं होगा। लेकिन फिर भी रियाज़ उसके लिए एक शैतान ही है। क्या फायदा इतनी सुंदर नैन नक्श होने का. जब वो आदमी काम शैतान वाला करता है तो। उसकी ये हैंडसम छवि उसकी किए गए पापों को नहीं ढक सकती हैं।
तुम इतने गौर से क्या देख रही हो जान? रियाज़ इनायत के गालों पर icecube लगाते हुए उससे सवाल कर रहा था। अचानक से इनायत चौक गई और वो हैरान हो गई। वो खुद के ऊपर हैरान हो गई थी वो कैसे पागलों की तरह रियाज़ को घुरे जा रही थी।
इनायत झेप जाती है और जल्दी से अपना चेहरा नीचे करते हुए धीमे आवाज में कहती है “नहीं कुछ भी नहीं!”
रियाज़ ने कहा “तुम्हें पता है जब तुम झूठ बोलती हो तो तुम्हारी आवाज छोटी हो जाती है?”
रियाज़ ने जैसे ही ये कहा इनायत की आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है। आज ही तो वो इससे मिली है तो, रियाज़ उसे इतनी अच्छी तरह से कैसे समझ सकता है? ये बात तो बस उसके अब्बू को पता था की इनायत झूठ बोलते वक्त कितनी धीमी आवाज से कहा करती थी। लेकिन उसके अलावा ये बात आज तक जिब्रान को भी नहीं पता था, पर इस शख्स ने एक ही दिन में इनायत का झूठ पकड़ लिया है।
रियाज़ के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान थी। उसने इनायत को घूरते हुए देखकर कहा “और तुम मुझसे नज़रे भी नहीं मिल पा रही हो? इसका मतलब तुम जरूर कुछ छुपा रही हो?”
इनायत चौक जाती है। ये शख्स लोगों का मन पड़ सकता है क्या? घबराते हुए धीरे से ना में सर हिलाती है।
तो रियाज़ मुस्कुराते हुए कहता है “कम ऑन जान एक्सेप्ट कर लो ना. मेरी आंखें अट्रैक्टिव लग रही थी, इसीलिए तुम मेरी आंखों में डूब गई थी, इसमें कुछ गलत नहीं है, मैं सोहर हूं तुम्हारा। मुझे देखने का हक है तुम्हें!”
सोहर..” ये शब्द इनायत को बहुत अजीब लग रहा था। वो खुद को इन सबके लिए एक्सेप्ट नहीं कर पा रही थी। उसने सारी जिंदगी जिब्रान के साथ शादी करने के सपने देखे थे, पर आज वो किसी और की बीवी के रूप में खड़ी है। पर उसने ये शादी मजबूरी में की है और वो जल्दी इस इंसान से छुटकारा पा लेगी।
रियाज़ ने कपड़े को इनायत के गलों से हटाकर टेबल पर रख दिया और अपनी उंगलियों से उसके गालों को सहलाने लगा। इनायत एक बार फिर से सिहर उठती है। जब भी ये शख्स उसके करीब आता है तो, वो एक अलग ही महसूस करती है और खुद को बहुत कमजोरी महसूस करने लगती है, पर वो उसे रोक नहीं पाती है। इनायत महसूस करती है कि उसके गालों में अब दर्द नहीं हो रहा है और रियाज़ उसके गालों को सहला रहा है।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि, रियाज़ इनायत के साथ कितनी गर्मी से पेश आ रहा था। इनायत वो सब नहीं भूल सकती थी जो रियाज़ ने उसके साथ किया है, वो कभी नहीं भूलेगी कि रियाज़ ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया है। शादी ना करने पर वो इनायत को तबाह कर देगा। इस धमकी ने इनायत को तोड़ कर रख दिया था। वो इस इंसान का शैतानी रूप देख चुकी थी। अब ये खुद को कितना ही अच्छा साबित क्यों ना करें, इनायत के लिए तो के शक्श हमेशा से ही एक शैतान ही रहेगा।
रियाज़ इनायत की आंखों में देख रहा था और इनायत ने भी रियाज़ की आंखों में देखा लेकिन इस बार वो उसकी आंखों की गहराइयों में नहीं गई थी बल्कि, इस बार उसने हिम्मत करते हुए रियाज़ से आखिरकार सवाल कर ही लिया “आपने मुझसे शादी क्यों की?”
अचानक से रियाज़ की उंगलियां रुक गई और वो इनायत को घुर कर देखने लगा। इनायत के चेहरे पर सवाल और उसके जवाब पाने की लालसा रियाज़ को नजर आ रही थी। उसने अपने हाथों को वापस खींच लिया और खड़े होते हुए अपने हाथ जेब में डालकर इनायत को देखने लगा।
इनायत को लगा कि शायद उसने रियाज़ को नाराज कर दिया है। वो जल्दी से अपनी जगह से खड़ी होती है और अपना चेहरा नीचे कर लेती है।
रियाज़ इनायत को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरने लगता है। रियाज़ के नजरों की तपिश इनायत अपनी ऊपर पर महसूस कर सकती थी।
तुम्हें अपना बनाने के लिए!” रियाज़ ने अपने ठंडी लेकिन खतरनाक आवाज में इनायत को देखते हुए कहा। इनायत कुछ समझ नहीं पाई लेकिन रियाज़ की आवाज से वो एक बार फिर से कांपने लगी थी।
हुँह.. इनायत के मुंह से बस इतना ही निकला। वो हैरान नजरों से रियाज़ को देखने लगी थी, क्योंकि उसे समझ ही नहीं आया कि रियाज़ के कहने का मतलब क्या है।
रियाज़ अपने कदम इनायत की तरफ बढाते हुए उसकी आंखों में देखता है और कहता है “मैंने तुम्हें अपना बनाने के लिए ये सब किया है, ताकि तुम पूरी तरह से मेरी हो जाओ!”
इनायत अपने कदम पीछे लेने लगती है। रियाज़ इनायत के चेहरे की तरफ अपना हाथ बढ़ाता है और अपनी उंगलियों से उसके होठों पर टैप करते हुए कहता है “इन होठों को अपना बनाने के लिए जिसे छूने का कहा सिर्फ मुझे है!”
रियाज़ इनायत के तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए अपने हाथों को उसके माथे पर ले जाता है और उसके माथे के बीचो-बीच टेप करते हुए कहता है..” इस दिमाग में अगर कुछ चलेगा तो वो सिर्फ मेरी बातें!”
इनायत अपने कदम पीछे ले रही थी और वो हैरान नजरों से रियाज़ की बातें भी सुन रही थी। रियाज़ एक-एक कदम इनायत की तरफ बढाते हुए ये कह रहा था।
उसने अपने हाथ को उसके माथे से हटाकर उसके सीने के पास ले गया और वहां पर टाइप करते हुए कहा “धड़कनो पर बस मेरा हक है और ये सिर्फ मेरे लिए ही धड़कने चाहिए!”
इनायत किचन के दीवार से लग गई थी। अब उसके पास आगे बढ़ाने के लिए कोई जगह नहीं थी, लेकिन रियाज़ की खतरनाक आभा अभी भी उसके पास चलती हुई आ रही थी।
रियाज़ इनायत के करीब आ जाता है और अपने दोनों हाथों को दीवार पर रखकर इनायत को कैद कर लेता है। वो झुक कर इनायत की आंखों में देखता है। इनायत के चेहरे पर डर और घबराहट उसे साफ नजर आ रही थी।
रियाज़ के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है। वो धीरे से अपना चेहरा इनायत के पास ले जाता है और उसके गालों से होते हुए, वो धीरे से इनायत के कानों के पास धीरे से फुसफुसाते हुई पर खतरनाक तरीके से कहता है,।
और जान मैं तुमसे वादा करता हूं कि, अगर तुमने मुझे धोखा देने की हिम्मत की तो तुम मौत की भीख मांगोगी लेकिन मौत तुम्हारे पास नहीं आएगी. मैं तुम्हारी हालत ऐसी कर दूंगा कि, तुम जिंदा रहोगी पर जिंदगी तुमसे रूठी रहेगी, मौत तुम्हारे लिए एक खूबसूरत तोहफा हो सकती है। लेकिन तुम्हें वो नसीब नही और अगर तुम्हें मौत मिलेगी भी तो, भी मेरे हाथों से ही, इसीलिए कोशिश करना कि मेरे गुस्से का सामना तुम्हें ना करना पड़े!”
रियाज़ ये कहकर अपने हाथों को हटा लेता है और इनायत से दो कदम दूर हो जाता है।
वो अपने हाथों को बढ़ाते हुए इनायत के गालों को थपथपाता है और उससे कहता है “समझ गई जान?”
इनायत की तो सांसे रुकी पड़ी थी और वो मुंह खोले हुए बस रियाज़ को देख रही थी। ये आदमी कितना खतरनाक था। इनायत को एहसास हो गया था कि, अब तक उसने जो कुछ भी देखा है वो कुछ भी नहीं है।
रियाज़ शायद उसकी सोच से परे है, ऐसे शख्स की पर्सनैलिटी कुछ ऐसी है, शायद जिससे इनायत कभी रूबरू नहीं होना चाहेगी।
रियाज़ अपने हाथ पीछे लेता है और फिर से अपनी जेब में डालते हुए कहता है “इसीलिए तुम्हें एक सजेशन देता हूं, मुझे कभी धोखा मत देना, देना तो दूर की बात है कभी सोचना भी मत। कब तक तो बिल्कुल नहीं जब तक तुम अपने लिए मौत की इच्छा ना रखो क्योंकि, अगर मरने का शौक हो तो ही वो काम करना जो मैं नहीं चाहता हूं!”
इनायत का शरीर अभी भी थरथर कांप पर रहा था। उसे रियाज़ की खतरनाक आभा अभी भी महसूस हो रही थी।
रियाज़ इनायत का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ ले जाता है। हेल मैंशन के बाहर रियाज़ ने इनायत को गाड़ी के अंदर बिठाया और गाड़ी ड्राइव करने लगा। उसने एक बार चेहरा घुमाकर इनायत को देखा। जिसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था, लेकिन रियाज़ ने उसे नजरअंदाज करते हुए ड्राइविंग पर फोकस किया।
फिर से डेढ़ घंटे की ड्राइव के बाद रियाज़ की कार इनायत के घर के सामने रुकी हुई थी। अपने मोहल्ले में खुद को पाकड़ इनायत होश में आती है, वो बिना रियाज़ की तरफ देखें चुपचाप दरवाजा खोलती है और भागकर घर के अंदर चली जाती है।
सुबह होने वाली थी। पर कल की रात इनायत के लिए एक भयानक रात थी। उसे ऐसे भागता हुआ देख रियाज़ के चेहरे पर एक डेविल्स थी लेकिन इनायत ने पलट कर पीछे नहीं देखा।
वो सीधे अपने कमरे में चली जाती है और दरवाजा लगा लेती है।