गुंजन मल्होत्रा — एक बेहद कामयाब बिजनेस वूमेन, जिसकी काबिलियत का लोहा पूरी इंडस्ट्री मानती है। 24 साल के शानदार करियर में उसने वो मुकाम हासिल किया, जो कई लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। लेकिन उसके भीतर कुछ खाली था... एक ऐसा शून्य जो न तो पैसे से भरा ज... गुंजन मल्होत्रा — एक बेहद कामयाब बिजनेस वूमेन, जिसकी काबिलियत का लोहा पूरी इंडस्ट्री मानती है। 24 साल के शानदार करियर में उसने वो मुकाम हासिल किया, जो कई लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। लेकिन उसके भीतर कुछ खाली था... एक ऐसा शून्य जो न तो पैसे से भरा जा सकता था, न ही नाम से। गुंजन के लिए रिश्ते सिर्फ जिस्म की भूख थे — फिजिकल इंटिमेसी एक खेल, एक मज़ाक। प्यार, इमोशन्स और गहराई? ये सब उसके लिए कमजोरी थी। लेकिन फिर एक दिन वो एक अजनबी से टकराती है। ना नाम, ना पहचान… बस एक मुलाकात। और उस एक रात में, कुछ ऐसा होता है जो गुंजन के ठहरे हुए दिल को पहली बार धड़कना सिखाता है। उसे अहसास ही नहीं होता कि वो लम्हा कब लस्ट से लव में बदल गया... और वो अजनबी कब उसका ऑब्सेशन बन गया।
Gunjan aur adhir
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⚠️ वार्निंग: यह स्टोरी टोटली 18+ लोगों के लिए है। इसमें काफी बोल्ड सीन हो सकते हैं। पर यह बोल्डनेस तभी आएगी जब आपका व्यूज मिलेगा। देखिए, सिंपल सा रूल है — हम आपको एंटरटेन करेंगे, उसके बदले हमें आपके व्यूज और प्यार चाहिए।
सो प्लीज़, बे रेडी फॉर ए क्रेज़ियस्ट स्टोरी! इतनी क... की जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी।
सो अगर आप चाहते हैं कि मैं इस कहानी के ज्यादा से ज्यादा बोल्ड चैप्टर्स आपको दूं, तो प्लीज़, व्यूज में इंक्रीमेंट लाओ यार!
गुंजन मल्होत्रा, 24 साल की उम्र में इंडिया की टॉप 10 बिज़नेसवूमन में शामिल थी।
उसका हर कदम मीडिया की सुर्खियों में होता... उसके फैसले शेयर मार्केट को हिला देते।
लेकिन उसके दिल में एक सूनी वीरानी थी — ना कोई साथी, ना किसी साथी की ज़रूरत।
उसकी ज़िंदगी में सेक्स था... सैकड़ों रातें थीं, जो उसने नाम-गुमनाम चेहरों के साथ बिताई थीं — लेकिन कोई नाम कभी सुबह तक नहीं टिका।
"इमोशन्स वीकनेस होते हैं," वो अकसर अपने राइट हैंड को कहती।
"कमजोर लोग मोहब्बत करते हैं... मैं बिज़नेस करती हूं।"
पर एक बार इस बात को सोचिए तो सही...
देखो, सबके साथ फिजिकल होना जरूरी तो नहीं है ना?
सौम्या! मैं सबके साथ फिजिकल नहीं हो रही हूं... मैं तो बस ज़िंदगी को जीने की कोशिश कर रही हूं।
अब इसमें किसी पर दिल आ गया तो मन नहीं करती...
मुझे इस बारे में विचार करना चाहिए...?
देखो सौम्या, तुमसे जितना कहा है उतना करो।
मैं क्या करती हूं, क्या नहीं — यह तुम्हारा लेना-देना नहीं है।
तुम्हें कहा है कि मुझे वो लड़का आज रात चाहिए... तो चाहिए!
चाहे उसके लिए तुम्हें धरती और आसमान को एक क्यों न करना पड़े...
उसे मारो, पीटो, कुछ भी करो — पर लेकर आओ!
गुंजन की कड़क भरी आवाज़ सुनकर सौम्या एक पल के लिए सोच में पड़ जाती है।
वह बाहर आती है, अपना फोन निकालते हुए कहती है —
"रॉकी भाई! मैम का ऑर्डर है — उन्हें एक लड़का आज रात उनके बिस्तर में चाहिए।
मैं लड़के की डिटेल्स आपको भेज रही हूं..."
यह कहकर सौम्या फोन कट कर देती है।
इधर रॉकी अपने फोन पर आए नोटिफिकेशन को देखता है...
तो उसमें एक 27 साल के लड़के की पिक्चर होती है, और उसके बारे में कुछ जानकारी।
उसे पढ़कर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है —
"बस इतनी सी बात? उनका काम हो जाएगा!"
यह कहकर वह अपनी गाड़ी निकालता है और सीधा IPS बॉयज़ हॉस्टल चला जाता है।
हॉस्टल में पहुंचते ही वह चिल्ला कर कहता है —
"अरे! यहां पर सुजीत कौन है रे? बाहर निकाल!"
सुजीत अपना नाम सुनते ही अपने रूम का दरवाज़ा बंद कर लेता है।
वह घबराते हुए चादर ओढ़कर कोने में बैठता है —
"हे भगवान! प्लीज़ बचा लो... प्लीज़ बचा लो!
कौन है ये...? लगता है उसी ने भेजा है!"
सुजीत को इस तरह घबराया देख उसका दोस्त अधीर पूछता है —
"क्या हुआ सुजीत? तू इतना डरा हुआ क्यों है?
और ये लोग कौन हैं, जो तुझे ढूंढ रहे हैं?"
सुजीत डरते हुए बताता है —
"दरअसल, मैं एक डेट पर गया था...
वो लड़की मेरे साथ वो सब करना चाहती थी।
और मैंने मना कर दिया।
अब उसके आदमी मेरे पीछे पड़े हुए हैं!
पहले सोशल मीडिया पर स्टॉक किया...
अब हॉस्टल तक आ गए हैं!"
"प्लीज़ मुझे बचा लो अधीर...
प्लीज़! मुझे नहीं जाना..."
यह सुनकर अधीर जोर-जोर से हंसते हुए कहता है —
"अरे! तू पागल है क्या?
भाई, आजकल लोग उस चीज के लिए मरते हैं।
लोगों को फिजिकल होने में मजा आता है...
और तू है कि उन चीजों से भाग रहा है?"
"नहीं! मैं भाग नहीं रहा।
मेरे लिए इन सब चीजों के मायने बहुत अलग हैं।
मैं ये चीज उसी के साथ करूंगा...
जिसके साथ मुझे पूरी ज़िंदगी बितानी होगी!"
सुजीत की बात सुनकर अधीर हंसते हुए कहता है —
"अरे यार! क्या-क्या ख्याल हैं तेरे!
आज के टाइम पर, वो भी इस 2025 में,
तुझे लगता है कि वर्जिन लोग जिंदा होंगे?"
"देख अधीर, मुझे नहीं पता कि और हैं या नहीं...
पर मैं जिंदा हूं ना!
अगर मैं रह सकता हूं, तो मेरे जैसे और भी होंगे।
प्लीज़... अभी कुछ कर!
मुझे इन गुंडों से बचा ले!"
बाहर गुंडे तोड़फोड़ कर रहे थे, पर उन्हें सुजीत कहीं भी नहीं दिखता।
तब तक हॉस्टल का वॉर्डन आकर रॉकी की तरफ देखता है —
"रॉकी भाई! आप यहां?
क्या हुआ... सब ठीक तो है?"
"सुन टकले!"
"मुझे सुजीत चाहिए, अभी के अभी!"
वॉर्डन रॉकी की डरावनी आवाज़ सुनकर कांपते हुए कहता है —
"ठीक है भाई...
मैं आपको सुजीत के कमरे की तरफ लेकर चलता हूं,
पर प्लीज़ अपने आदमियों से कहिए — यह तोड़फोड़ बंद कर दें!"
यह सुनकर रॉकी मुस्कुराता है, अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है —
"अरे, रुक जाओ रे!
ये बताने के लिए तैयार है..."
"अगर ये चीज तू पहले कर देता,
तो मुझे इतना तोड़फोड़ नहीं करना पड़ता!"
"ऐसे सारे लड़कों की दोस्ती में कितना दम होता है ना...
कब से साले मार खा रहे हैं,
पर किसी ने सुजीत का नाम तक नहीं बाका!"
वॉर्डन कांपते हुए कहता है —
"भाई, चलिए...
मैं आपको सुजीत के कमरे तक लेकर चलता हूं।
पर भगवान के लिए हमें बख़्श दीजिए!"
यह सुनकर रॉकी अपनी जेब से नोटों की गड्डी निकालकर वॉर्डन के हाथ में रखते हुए कहता है —
"ये ले! अपनी मरम्मत कर लेना।"
वॉर्डन पैसे देखकर कुछ पल के लिए मुस्कुराता है।
रॉकी के हाथ को चूमते हुए कहता है —
"मालिक! आपको सुजीत के अलावा कोई और भी चाहिए तो बताइए...
मैं अभी देता हूं!"
यह सुनकर रॉकी जोर-जोर से हंसने लगता है —
"चल साले!
पैसा देखा नहीं कि लार टपकने लगी!"
इधर सुजीत अपने कमरे में डरा हुआ जोर-जोर से रो रहा था।
वह अधीर के पैरों में गिरते हुए कहता है —
"प्लीज़... भगवान के लिए मुझे बचा लो!
मुझे उन लोगों के साथ नहीं जाना!"
"तू एक बात बता...
तू ऐसे कैसे किसी से मिल सकता है?"
"एक काम करते हैं...
हम पुलिस को कंप्लेंट करते हैं!"
"नहीं भाई!"
"पुलिस भी उसका कुछ नहीं कर सकती!"
"क्यों?"
"अरे, तुझे पता नहीं है क्या?
वो बहुत बड़ी गुंडी है... गुंडी!
ये जो बाहर रॉकी आया है ना,
ये यहां का मशहूर गुंडा है।
इतना बड़ा कि इसके जेब में मिनिस्टर रहते हैं!"
"तो सोच... अगर ये इतना ज्यादा पावरफुल है,
तो वो कितनी ज्यादा पावरफुल होगी!"
"भाई, प्लीज़!
कुछ तो कर, कुछ सोच!"
सुजीत की बात सुनकर अधीर कुछ पल के लिए रुकता है, और फिर सोचते हुए कहता है —
"रुको... मैं ही कुछ करता हूं!"
आखिर कैसे बचाएगा अधीर सुजीत को?
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
और एक बात —
अगर आपको यह कहानी पसंद आती है, तो व्यू और रिव्यू के हिसाब से
मैं इसके आगे के चैप्टर्स पोस्ट करूंगा।
तब तक दरवाजे पर जोर-जोर से दस्तक होने लगी। उसे सुनकर सुजीत डर गया और अधीर की तरफ देखते हुए कहा, "अब... अब क्या करें? अब तो मैं गया! प्लीज, बचा ले!" अधीर दरवाजे की तरफ जाकर दरवाजा खोलने ही वाला था कि सुजीत ने उसे रोकते हुए कहा, "पागल है क्या? दरवाजा क्यों खोल रहा है? वो मुझे लेकर जाएँगे, भाई! दरवाजा नहीं खोला तो वो तोड़ देंगे। रुक, मैं कुछ बताता हूँ।" यह सोचकर अधीर ने दरवाजा खोल दिया।
जैसे ही अधीर ने दरवाजा खोला, रॉकी गुस्से में अंदर आते हुए बोला, "क्या सालों, दरवाजा खोलने में इतना वक्त लगता है? कहाँ है वो लड़का?" सुजीत कांपते हुए, डरकर कोने में बैठा था। उसे ऐसी हालत में देखकर वो हँसते हुए बोला, "गुंजन मैडम ने इसको बुलाने के लिए कहा है। क्या देख लिया उसने इसके अंदर? ये छछूंदर की औलाद क्या ही कर पाएगा?" यह सुनकर सुजीत रोते हुए बोला, "भाई, आप सही कह रहे हो। मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा। प्लीज, प्लीज आप चले जाओ और अपनी मैडम को समझाओ। किसी और को पटा ले।"
सुजीत बोला, "देख, मेरी बात सुन। मैडम किसी की बात नहीं सुनती। अगर एक बार उन्होंने कुछ ठान लिया तो वो करके रहती है। और अगर उन्होंने ठाना है कि वो तेरा रस चखना चाहती है, तो वो चखकर रहेगी। तेरी भलाई इसी में है कि तू चुपचाप चल ले यहाँ से, वरना फालतू का मेरे हाथों मारा जाएगा और फिर उसके बाद भी तो तुझे वहीं पर लेकर जाना है, तो अपना हुलिया बिगड़ने से क्या मतलब है?"
यह सुनकर सुजीत काँपने लगा। वो धीरे-धीरे पीछे हट रहा था। रॉकी उसकी तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था। तब तक अधीर बीच में आते हुए बोला, "रॉकी भाई, रुक! रुक! आप इसे अपनी मैडम के लिए लेकर जा रहे हैं ना?" रॉकी ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, तो?" अधीर बोला, "तो ये जरा सोचिए, अगर मैडम इस हालत में इसे देखेंगी तो आपको और मारेंगी और आपको डाँट भी पड़ेगी। मुझे क्यों डाँट पड़ेगी? इसकी हालत को देखकर, रॉकी भाई, जरा सोचिए एक बार, ध्यान से सोचिए। अगर आप किसी लड़की के साथ फिजिकल होने जा रहे हो, तो सबसे ज़्यादा क्या ज़रूरी है? अरे भाई, आपका हाइजीन होना! मैं इसका रूममेट हूँ, मैं जानता हूँ कितने गंदे तरीके से ये रहता है।"
"सुनो, ऐसा करते हैं कि पहले इसको क्लीन करते हैं। मतलब, मतलब ये कि आप मुझे लोकेशन दे दो, मैं इसको नहला-धुलाकर अच्छे से साफ-सुथरा करके, दाढ़ी-मूँछ बनवाकर, जेंटलमैन की तरह सजाकर आपकी लोकेशन पर छोड़ जाऊँगा। उसके बदले आप मुझे 100, 50 दे देना।"
दूर बैठा सुजीत अधीर की बातें सुनते हुए चिल्लाकर बोला, "अधीर, पागल हो गया है तू? क्या कैसी बातें कर रहा है? भाई, मैं तुझे अपना दोस्त समझता था, तू मेरा ही सौदा कर रहा है!"
अधीर सुजीत की तरफ डाँटते हुए बोला, "तू चुप करेगा! जब दो बड़े बात कर रहे हैं तो बीच में नहीं बोलते। सोचिए भाई, जबरदस्ती लेकर जाएँगे तो ना तो मैडम को मज़ा आएगा और ना तो आप खुश होंगे। और अगर मैं इसे प्यार से समझा-बुझाकर लाऊँगा तो वो भी खुश होंगी और जितना वो खुश होंगी उतना आप खुश होंगे। आपको भी पैसे ज़्यादा मिलेंगे और आपकी भी तारीफ होगी।"
रॉकी अधीर की चिकनी-चुपड़ी बातों को सुनकर मुस्कुराते हुए बोला, "बात तो सही कह रहे हो तुम। चलो ठीक है, पर हाँ, अगर ये आज शाम तक वहाँ नहीं आया तो तुम सोच लेना, तुम्हारी बलि चढ़ा दूँगा मैं।" अधीर बोला, "भाई, आप निश्चिंत रहो। यकीन मानो, मेरा ये शाम तक आएगा। और अगर नहीं आया तो ज़िम्मेदारी मेरी है। आप जो चाहो मुझे वो सज़ा दे सकते हो। ये मेरा सर और आपका जूता।"
यह सुनकर रॉकी मुस्कुराते हुए बोला, "बड़े समझदार हो। बिज़नेस की अच्छी परख है। चलो, मैं तुम्हें पैसे देने के लिए तैयार हूँ। तुम शाम तक इसे लेकर के आ जाना।"
यह कहकर रॉकी वहाँ से चला गया। अधीर दरवाज़ा बंद करके गहरी साँस लेते हुए अपने बिस्तर पर लेट गया। सुजीत गुस्से में अधीर की तरफ आकर उसका गला दबाते हुए बोला, "साले कुत्ते! कमीने! तुझे मैंने अपना दोस्त समझा था, तू पैसों के लिए इतना गिर जाएगा? मैंने सोचा ही नहीं था!" अभी जो सुजीत के गुस्से का शिकार हो रहा था...
वो उसके हाथ को छुड़ाते हुए बोला, "अबे साले, चुटिया! लॉजिकली सोच। हमें शाम तक का टाइम मिल गया है। देख, तू टेंशन ना ले। मैं उस लड़की से जाकर बात करूँगा और तुझे बचाने की ज़िम्मेदारी मैंने ली है। तुझे मेरे पर भरोसा नहीं है?" यह सुनकर सुजीत ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल भी भरोसा नहीं है। देख लिया तेरा भरोसा। तू मेरे ही एल लगवा रहा है।"
"सुजीत, मेरी बात सुन। अभी ना जबरदस्ती करने का कोई मतलब नहीं है। देख, अगर मैं तुझे प्रॉमिस किया है तो तुझे भी पता है कि तुझे कुछ होने नहीं दूँगा। तो प्लीज, चुपचाप करके जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर। देख, एक बार मेरी बात मान ले। अगर तुझे कुछ होता है तो आई प्रॉमिस, तू जो कहेगा मैं करने के लिए तैयार हूँ। तू ही बता, इसके अलावा तेरे पास कोई और ऑप्शन है? कहीं भी भागकर जाएगा, ये गुंडे तुझे पकड़ ही लेंगे। और पकड़ने के बाद तेरी धुलाई तो अलग होगी। धुलाई छोड़, धुलाई के बाद भी तेरी वर्जिनिटी तो वो मोहतरमा खा जाएँगी। तूने अपने फ्यूचर वाइफ के लिए बचा के रखी है ना, वो सब ख़त्म हो जाएगी। सोच ले तू, सब कुछ तेरे हाथ में। तुझे मेरी बात माननी है या फिर मैं रॉकी भाई को बोल देता हूँ, वो तुझे लेकर जाए।"
सोचकर सुजीत थोड़ी धीमी आवाज़ में खुद से बोला, "एक तरफ कुआँ तो एक तरफ खाई। इससे अच्छा है कि अधीर की बात मान ले। भाई," यह कहकर वो अधीर की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखते हुए बोला, "भाई, ठीक है। मैं तैयार हूँ। पर प्लीज हाँ, मुझे बचा लेना।"
अब क्या करेगा अधीर क्या चल रहा था उसके मन में जानने के लिए पढ़ते रहिए और हां वेट वेट जैसा मैंने बोला है स्टोरी काफी बोल्ड है तो बोलने से आएगा बाबा 5 एपिसोड तक पढ़ो फिर कहना कैसा लगा स्टोरी
लगभग शाम होने को आई थी।
सुजीत घबरा रहा था, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब तक अधीर अपने बैग से एक थ्री-पीस निकालता है और उसे निकालकर पहनते हुए कहता है, "तू प्लान के लिए तैयार है ना?"
सुजीत उसकी तरफ देखते हुए कहता है, "कैसा प्लान? तूने कुछ भी नहीं बताया! कहाँ हैं? सुन, जल्दी से रेडी हो जा और हाँ, एक मास्क लगा ले। आगे का काम मैं तुझे रास्ते में समझा दूँगा। अभी हमें निकलना चाहिए, लेट हो रहा है।" "तू पागल है क्या? मुझे तू शेरनी के मुँह में लेकर जा रहा है? अरे भाई, तू मेरी बात तो मानेगा! तू चल!"
इधर दूसरी तरफ, रॉकी अधीर और सुजीत का वेट होटल रूह के सामने कर रहा था। वहाँ पर उसके गुंडे गन लेकर खड़े हुए थे। रॉकी गुस्से में तिलमिलाते हुए इधर-उधर भटक रहा था। "कहीं साले उस लड़के के ऊपर ट्रस्ट करके गलती तो नहीं कर दी? अगर वो नहीं आया, तो मुझे जिंदा मार देंगे! नहीं-नहीं, मुझे चलकर उसे देखना चाहिए।" यह कहकर वो अपने आदमियों की तरफ इशारा करते हुए कहता है, "चल, रे! गाड़ी में बैठो, हमें चलना है।" वो सब जैसे ही गाड़ी में बैठते हैं, कि उनके सामने एक ऑटो आकर रुकती है। ऑटो से दो नकाबपोश बाहर निकलते हैं। एक ने ब्लू कलर की थ्री-पीस पहन रखी थी और एक ने ब्लैक कलर की।
दोनों ऑटो से उतरकर आगे बढ़कर उनके पास जाते हुए कहते हैं, "रॉकी भाई, ले आया इसे!" नकाब हटाते हैं। उन दोनों को देखकर रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है, "शाबाश, लौंडों! तूने क्या काम किया है! एक काम कर ले, अपना पैसा ले और तू निकल!" "रॉकी भाई, ऐसे कैसे? चल जाओ? तो अब क्या, तेरी आरती करूँगा तब तू जाएगा?"
अधीर रॉकी भाई को थोड़ा साइड में बुलाते हुए कहता है, "रॉकी भाई, अभी नहीं जा सकता। सोचो, अगर मैं यहाँ से चला गया और सुजीत का मन बदल गया और ये वापस भाग गया, तो? इसलिए, इसको कमरे तक छोड़कर आता हूँ। और इसको पता है, मर्दाना बीमारी भी है। क्या मतलब? मतलब ये कि इसका शीघ्रपतन हो जाता है।" "ची! ची! कैसी बातें कर रहा है तू?" "भाई, सच बोल रहा हूँ! इसलिए देखो, मैंने दवा लायी है।" यह कहकर अधीर अपनी जेब से एक दवा निकालता है, उसे दिखाते हुए कहता है, "ये इसके इरेक्टाइल डिस्फंक्शन को ठीक कर देगा। बस आप एक काम करो, मुझे कमरे तक जाने दो। मैं चुपके से इसे जूस में मिलाकर पिला दूँगा। अगर ऐसी बात है, तो ये कभी पिएगा नहीं। पता है? आप ही सोचो, फ़िज़िकल होना कितनी बड़ी बात होती है। ऊपर से एक वूमेन को सेटिस्फ़ाइड करना, सबकी बस की बात नहीं है। और अगर ये नहीं कर पाया, तो फिर आपकी मैडम का मूड खराब होगा। उनका मूड खराब हुआ, तो आपके ऊपर वो बरसेंगी और आपके ऊपर बरसेंगी तो..."
"बस, मैं समझ गया। अब तू अंदर जा और हाँ, जल्दी बाहर आ जाना, क्योंकि मैडम के भी आने का समय हो रहा है। पर एक बात बता, तूने मास्क क्यों लगा रखा है?" "भाई, यहाँ पर हमारे कॉलेज के काफ़ी लड़के आते-जाते हैं। अगर किसी ने मुझे पहचान लिया, तो पूरे कॉलेज में मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगा। इसलिए मास्क लगाया है।" "अच्छा, ठीक है। चल जा यहाँ से।"
अधीर सुजीत को पकड़ता है और सीधा कमरे की तरफ़ ले जाने लगता है। सुजीत घबराते हुए कहता है, "भाई, तू मुझे बचाने की बात कर रहा था! तू तो यहाँ पर खुद मुझे शेर के गुफ़ा में छोड़कर जा रहा है! पागल?" "छोड़ नहीं रहा हूँ। सुन, उन्होंने ये काट दिया है, रूम नंबर 74। हम जैसे ही रूम में पहुँचेंगे, तू मेरा सूट पहनेगा और मैं तेरा। इसके बाद तू सीधा यहाँ से बाहर। मास्क मत उतारना, उनको शक भी नहीं होगा और तेरी जगह मैं रहूँगा। आने दो उस लड़की को। आज इसका आतंक मैं खुद ख़त्म करूँगा।"
"भाई, तुझे नहीं पता उसके बारे में? वो जिसके साथ एक बार इंटिमेट होती है, उसे जान से मार देती है। वो इंसान दोबारा जिंदा मिलता ही नहीं है।"
यह सुनते ही अधीर के भी हाथ-पैर काँपने लगते हैं। "क्या-क्या कह रहा है तू?" "हाँ, मैंने सुना है। अगर वो किसी के साथ फ़िज़िकल हो गई, फिर वो इंसान कभी जिंदा नहीं रह सकता। वो उसे सीधा परलोक सुधार देती है।"
"तू चिंता मत कर, मैं सब संभाल लूँगा।" इतना कहते-कहते वो दोनों कमरे के सामने आते हैं। अधीर और सुजीत अपना कपड़ा एक्सचेंज करते हैं और इसके बाद सुजीत वहाँ से चला जाता है।
अधीर कमरे की लाइटें बंद कर देता है और एक डार्क ब्लू कलर की लाइट कमरे में ऑन कर देता है। अधीर ने ब्लैक कलर का थ्री-पीस पहन रखा था और उसने चेहरे पर मास्क लगा रखा था, जिससे उसका आधा चेहरा ढका हुआ था।
इन सब के बाद वो कमरे के गेट के पीछे खड़ा होकर इंतज़ार कर रहा था। थोड़ी देर बाद कमरे के गेट पर दस्तक होती है। एक लड़की अंदर आती है, जिसमें एक ब्लैक कलर का बोल्ड ड्रेस पहन रखा था। वो जैसे ही कमरे के अंदर जा ही रही होती है, कि अधीर उसे पीछे से पकड़ लेता है। उसके गले पर अपना हाथ रखते हुए उसे कसकर दबाकर अपने करीब खींच लेता है।
अपना ताला निकालकर उसके हाथ बाँधते हुए, उसके कानों के करीब जाकर कहता है, "Do you need harder?"
अधीर की गरम साँसें उस लड़की के कानों के पास आकर उसे मदहोश कर रही थीं। अधीर अपनी गरम साँसों से उस लड़की के गले पर किस करने लगता है। वो धीरे-धीरे अपने पैर पीछे करते हुए अधीर से चिपकने की कोशिश कर रही थी।
देखते-देखते अधीर एक दीवार से चिपकता है और वो लड़की अपने बाल उठाते हुए अपने मुँह को घुमाकर अधीर के होंठों पर अपना होंठ रख देती है।
आगे की कहानी जानने के लिए प्लीज़ कमेंट करना, रिप्लाई देना और फ़ॉलो कर लेना। और हाँ, इससे ज़्यादा बोल्ड सीन क्रिएट कर सकता हूँ, सो जस्ट इमेजिन आपका व्यू कितना बोल्ड सीन क्रिएट कर सकता है, सो प्लीज गो फ़ॉर इट!
अधिक धीरे-धीरे उसके होठों को किस कर रहा था और कभी यह कैसे इतना पैशनेट हो गया उन दोनों को भी पता नहीं चला अभी जब उसके होठों को हल्का-हल्का बीते कर रहा था जिससे वह लड़की गुंजन मदहोश हो रही थी वह अमीर के थ्री पीस को निकलते हुए ऊपर के सूट को निकाल कर के बगल में फेंक देती है अमीर उसके लेफ्ट पैर को पकड़ कर के अपने कमर तक उठा लेता है और उसे दीवार में चिपका करके उसे हल्का सा फोर्स करके ऊपर उठना है और उसे दीपाली किस करने लगता है उन दोनों की एक कशमकश अब ज्यादा ही पड़ रही थी गुंजन अभी के मुंह को कसकर पकड़ते हुए एक नजर उसके मास्क को हटाना चाहती थी
अधीर उसके मास्क को हटाने वाले हाथ को रोकते हुए कहता है एंजॉय में मास्क क्यों हटाना है और इसके बाद उसके हाथों को मोड करके पीछे कर देता है और उसे डिप्ली किस करते हुए बेड पर ले जाकर लेट देता है देखते-देखते उसके शरीर से सारे कपड़े हटाकर जमीन में फेंक देता है वह लड़की बिना कपड़ों के बेड पर लेटी हुई थी दूसरी तरफ अधीर भी अपने शर्ट के बटन को खोल करके जमीन पर फेंक देता है उसके पैरों को उठाकर के अपने होठों के पास लेट हुए और धीरे-धीरे उसके उंगलियों से लेकर के उसके कमर की तरफ बढ़ने लगता है चकाचक जैसे-जैसे उसके होंठ पड़ते गुंजन के मुंह से aaah की आवाज निकलती
गुंजन द प्लेस मोमेंट को एंजॉय कर रही थी वह अपने दोनों हाथों से बेडशीट को कसकर पकड़ कर के aaa aaa kr रही थी
इधर अधिर अब उसके नाजुक हिस्सों पर आता है और अपने हाथों से कस कर मसलते हुए बड़े प्यार से अपनी उंगलियों को अपने मुंह में डालता है और फिर उसे गुंजन की होठों पर रखते हुए गुंजन के मुंह के अंदर डाल देता है गुंजन बड़े प्यार से उसे उंगलियों को शक कर रही थी
अधीर एक शैतानी मुस्कान के साथ गुंजन के बालों को कसकर पकड़ता है और उसके होठों पर अपना होंठ रखते हुए अपनी उंगलियों को उसके कमर के नीचे लेकर चला जाता है गुंजन अब पूरी तरीके से अपने आप से बेकाबू हो चुकी थी वह अधीर को बेड पर पलटते हुए उसके दोनों हाथों को कसकर पकड़ लेती है और उसे ऊपर की तरफ ले जाते हुए अपने होठों से उसके होठों को दीपाली किस करने लगती है
और फिर धीरे-धीरे उसके चेस्ट एरिया को किस करती और धीरे-धीरे उसके एप्स पर किस करती और फिर देखते-देखते वह उसके कमर तक आ गई थी वह उसके शरीर पर बच्चे कुछ कपड़े को भी निकाल करके जमीन पर फेंक देती है एक गहरी लंबी सांस लेते हुए वह अपने होठों का कमाल उसके कमर के पास दिखाने लगती है
गुंजन किस द्वीप और बेधड़क अंदाज अधीर को उसका दीवाना बना रही थी अधीर अपने हाथों को गुंजन के सर पर लेकर जाता है उसके बालों को एक हाथ में पढ़ते हुए अपने रफ्तार को बढ़ा देता है गुंजन जो अब अधिक को और डेसपरेटली चाहने लगी थी वह फिर से उसके होठों के पास आती है और उसे पैशनेटली किस करने लगती है अधीर उसे पलट करके बिस्तर पर करते हुए उसके बालों को एक साइड करता है और अपने होठों का कमल उसके चेस्ट एरिया को दिखाने लगता है उसके नाजुक हिस्सों को कुछ इस कदर वह मसल रहा था कि गुंजन की आह पूरे कमरे में गूंज रही थी
अधीर की उंगलियों का जादू गुंजन के ऊपर चल रहा था गुंजन उसे कमांड देते हुए कहती है प्लीज को हार्डर डोंट स्टॉप
अधीरेख शैतानी मुस्कान के साथ गुंजन के होठों पर अपना होंठ रख करके उसे डेसपरेटली किस करने लगता है गुंजन के दोनों पैरों को उठाकर के अपने कंधों पर रखते हुए वह एक झटके में उसके अंदर इंटर कर जाता है
और देखते ही देखते उन दोनों का यह कसम कस पूरे डेढ़ घंटे चला
गुंजन अब जो बेहताशा थक गई थी वह उसके बगल में लेट जाती है और अपनी आंखें बंद कर लेती है देखते-देखते उन दोनों को नींद आ जाती है तब तक अधीर के मन में एक सवाल उठता है क्या यह उसकी आज आखिरी रात थी जैसा उसे सुजीत ने बताया था गुंजन जिसके साथ हम बिस्तर होती थी उसे मार देती थी क्या आज अधीर को भी वह मार देगी आदि ऋषि सच में अपनी करवट बदलता है तब तक गुंजन का हाथ उसके शरीर पर आ जाता है उसका हाथ फिर से कमर के नीचे जा रहा था अधीर उसके हाथ को रोकते हुए उसके चेहरे पर आ रहे बाल को साइड करता है उसके माथे पर किस करते हुए गहरी सांस लेते हुए कहता है
काश तुम्हें मैं बात पता अपने दिल की बात कितना चाहने लगा हूं तुम्हें लाइफ में इतने लोगों से मिला पर u r। स्पेशल वन
यह कहकर अधीर गहरी सांस लेते हुए कहता है ठीक है अगर किस्मत को यही चाहिए तो यही सही तब तक उसे अपने जेब में पड़े उसे दवा का ख्याल आता है पैक शैतानी मुस्कान के साथ बिस्तर से उठता है पास में पड़े जूस के गिलास को देखते हुए उसके दिमाग में कुछ चल रहा था वह अपने पेट से उसे दवा को निकलता है उसे जूस में डालकर मिलता है और मुस्कुराते हुए गुंजन के पास आता है नींद में लेती गुंजन उसका चेहरा थकहार के टूट रहा था अधीर अपने मुंह मैं उसे जूस को लेता है और गुंजन के होठों पर अपना होंठ रख देता है और अपने मुख से उसके मुंह में उसे जूस को डालने लगता है देखते-देखते ऐसे ही पूरा क्लास खाली कर देता है गुंजन भी अपनी आंखें बंद करके उसे मोमेंट को इंजॉय कर रही थी और वह जैसे ही गिलास खत्म होता है एक शैतानी मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा है और फिर उसके माथे पर किस करते हुए कहता है हम सॉरी बेबी डॉल पर मुझे जाना होगा
आखिर किस चीज की दवा पिलाई थी अधीर ने गुंजन को
कैसा लगा आपको यह पार्ट जरूर बताना अगर आपको कहानी पसंद आ रही है तो फॉलो कर लेना कमेंट करना और रिव्यू देना मत बोलना अगर आपके अच्छे व्यूज आते हैं तो मैं और बोल्डनेस के साथ इस चैप्टर को कंटिन्यू करूंगा
अधीर दवा पिलाने के कुछ वक़्त बाद अपने कपड़ों को उठता है और उसे पहनते हुए एक नोट लिखता है और उसे टेबल पर रख करके उसे ग्लास से दबा देता है, और फिर कमरे से बाहर की तरफ़ देखता है। वहाँ पर कोई भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं था। वह धीरे से बाहर निकल जाता है और छुपाते-छुपाते उसे होटल से बाहर चला जाता है।
वह भागते में सीधा अपने हॉस्टल पहुँचता है। वह सुजीत की तरफ़ देखता है, पर सुजीत वहाँ पर नहीं था। तब तक वह अपना फ़ोन खोलता है, उसे पर टेक्स्ट आता है, सुजीत का टेक्स्ट: “भाई, मुझे नहीं पता तू ज़िंदा बचेगा या नहीं, पर मुझे मेरी ज़िंदगी बहुत अज़ीज़ है। वह लड़की को अगर पता चला कि मेरी जगह तू था और यह सब हुआ है, वह मुझे ज़िंदा मार देगी। उसके हाथों मरने से अच्छा है कि मैं कहाँ से कहीं दूर चला जाऊँ। मैं अपना फ़ोन बंद कर रहा हूँ। अपना ख़याल रखना।”
यह देखकर के अधीर भी मुस्कुराता है और अपना बैग उठाकर के वहाँ से चला जाता है।
इधर दूसरी तरफ़ सुबह होने को आई थी। सूरज की किरणें पूरे कमरे में फैल रही थीं। रूम क्लीनिंग वाले दरवाज़े को खटखटा रहे थे।
इतना शोर-शराबा सुनकर के गुंजन की आँखें खुलती हैं। उसका सर भारी हो रहा था और वह अपने बगल में देखती है, तो वह इंसान नहीं था। यह देखते ही वह हैरानी से कहती है, "यह कहाँ गया?" वह तुरंत उठकर के अपने कपड़े को पहनते हुए अपना फ़ोन उठाती है, रॉकी को कॉल करते हुए कहती है, "वह बचकर भाग गया। मुझे वह लड़का चाहिए। तुम्हें पता है ना, हम उसे ज़िंदा नहीं छोड़ सकते।"
तब तक पर दरवाज़े को आकर खोलती है, तो वहाँ पर पहले से रूम क्लीनिंग के स्टाफ़ खड़े हुए थे। उनको देख करके वह चिल्लाते हुए कहती है, "तुम सबको यहाँ पर आने के लिए किसने कहा? तुम्हें पता है ना, यह रूम मेरा है और मैं यहाँ पर किसी को आने की परमिशन नहीं देती।" उसमें से एक लड़की डरते हुए कहती है, "आई एम सॉरी, पर रात के टाइम अक्षर आए थे, उन्होंने आपके लिए कुछ ऑर्डर दिया और वह चले गए, और यह रहा वह ऑर्डर।" यह कहकर वह प्लेट आगे करती है। उसमें ब्रेकफ़ास्ट था और साथ में सर दर्द की कुछ दवाइयाँ थीं। गुंजन उन चीज़ों को उठाकर के कमरे में लेती है, दरवाज़े को ग़ुस्से में बंद कर देती है, पर टेबल के पास जैसे ही उसे प्लेट को रखना ही वाली थी कि उसका ध्यान नोट पर जाता है और उसे उठाकर के देखती है तो उसे पर लिखा था:
"Hello my sweetheart,
I know तुम हुकअप के बाद अपने लोगों को मार देती हो, पर मैं मरने के लिए पैदा नहीं हुआ हूँ। मुझे अभी बहुत काम करना है, तुमसे शादी और तुम्हारे साथ बच्चे भी। जब तक मैं वापस नहीं आता तब तक अपना ख़याल रखना।" इतना लिखने के बाद नीचे एक लिप किस था। उसे लड़के ने अपने होंठों का निशान लेटर पर छोड़ रखा था।
गुंजन ग़ुस्से से चीख़ती हुई उसे नोट को दूर फेंक देती है और दाँत पीसते हुए सीधा वॉशरूम में चली जाती है। जैसे ही वॉशरूम में पहुँचती है, अपने नाइटवियर को हटती है, तो उसके बॉडी पर जगह-जगह निशान पड़े थे।
उसके शरीर पर वह निशान कल रात की सारी चीज़ बयाँ कर रहे थे। वह शीशे में खुद को देखती हूँ, निशानों के ऊपर अपना हाथ फेरते हुए अपनी आँखें बंद कर लेती है और रात के हुए चीज़ों को याद करने लगती है। उसने ऐसा अनुभव अपनी लाइफ़ में पहली बार किया था और शीशे में देखते हुए कहती है, "कुछ तो बात थी उसे लड़के में, कुछ तो दम था।" यह कहकर वह गहरी साँस लेती है, अपने बालों को सर में जुड़ा बनाते हुए हॉट शावर के नीचे खड़ी हो जाती है।
अभी भी उसके दिमाग़ में वही लड़का चल रहा था। कल रात की सारी पोजीशंस और सारी वाइल्डनेस उसे याद आ रही थी। यह सोचते ही वह अपने होंठों से अपने उँगलियों को गिला करती है और उसे कब्र के नीचे ले जाकर के अपनी आँखें बंद करके कल रात के चीज़ों को याद करने लगती है और देखते ही देखते तेज की चीख़ के साथ शांति से बगल में बैठ जाती है।
वह अपना बाथरोब उठाती है, उसे पहनते हुए बाहर आती है। सामने रखें अपने ऑफ़िस के लिए कपड़ों को पहनती है और वहाँ से बाहर जाने लगती है। उसका ध्यान उसे नोट पर पड़ता है, जिसे उसने थोड़ी देर पहले फेंक दिया था। वह उसे उठाकर के अपने जेब में रखती है और वहाँ से चली जाती है। रास्ते में वह रॉकी को कॉल करते हुए कहती है, "तुम्हें मिला वह लड़का?" "नहीं। वह लड़का नहीं मिल रहा है। हमने चारों तरफ़ तलाशी ले ली, पर वह क्या, उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है।" यह सुनकर के गुंजन अपने फ़ोन को कट करके कर के दूसरे वाले सीट पर फेंक देती है। कर को एक साइड रोकते हुए वह गहरी साँस लेती है और फिर कर को स्टार्ट करके सीधा ऑफ़िस की तरफ़ चली जाती है। ऑफ़िस में पहुँच करके देखती है कि आज…
यह
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चारों तरफ एक अजीब सन्नाटा छाया हुआ था... हर कोई उसे डर भरी निगाहों से देख रहा था।
गुंजन को कुछ समझ नहीं आ रहा था — यह क्या हो रहा है...? वह गहरी सांस लेती है, और लोगों को इग्नोर करते हुए सीधा केबिन की तरफ चली जाती है। जैसे ही वह केबिन खोलती है — वहां... एक इंसान बैठा हुआ था!
उसे देखते ही गुंजन, शैतानी मुस्कान के साथ आगे बढ़ती है।
"तो मिस्टर मल्होत्रा... मुझे यकीन था आप ज़रूर आएंगे। बताइए, आपकी क्या 'खातेदारी' कर सकते हैं?"
"मिस गुंजन," मल्होत्रा थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले, "आपसे कितनी बार कहा है... हमारे साथ हाथ मिला लीजिए। दोनों की कंपनियां खूब चलेंगी। आपके कहने पर मैंने मिस्टर चेरी को बुलाया है... थोड़ी देर में वह आते होंगे। अमेरिका की बहुत बड़ी कंपनी है। अगर आप उनके साथ हाथ मिला लेती हैं, तो इस कंपनी के अच्छे पैसे मिलेंगे। और... जितना भी मिलता है, उसका इन्वेस्ट करके हम एक नई कंपनी शुरू करेंगे।"
यह सुनकर गुंजन, एक मुस्कान के साथ मल्होत्रा जी के पास आती है, और सधे हुए शब्दों में कहती है —
"मल्होत्रा जी... इतना आसान भी नहीं है 'गुंजन मल्होत्रा' को खरीदना। आप तो हमारे चाचा जी हैं न...? फिर भी आपको नहीं पता — कि बेटी अब वो वाली बेटी नहीं रही, जिस पर आप ज़ुल्म किया करते थे!"
अवैध मल्होत्रा भी एक पल के लिए गुंजन के इस बरताव से घबरा जाते हैं। वह धीरे-धीरे खुद को पीछे करते हुए कहते हैं —
"बेटा... दूर से बात करें।"
यह सुनकर गुंजन मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है।
"क्या हुआ, चाचा जी...? डर गए क्या...? अभी तो आप इस कंपनी को बेचने वाले थे। कितनी बार बोलूं बुद्धू — ये कंपनी नहीं बिकेगी! अगर दोबारा इस कंपनी में दिखे न... तो टांगे तोड़कर हाथ में दे दूंगी! और बिना टांगों के यहां से बाहर जाएगा।"
गुंजन का यह रौद्र रूप देखकर अवैध भी एक पल के लिए डर जाता है। वह धीरे से साइड होते हुए, सोफे से उठता है... और केबिन से बाहर निकलते हुए कहता है —
"अच्छा... ठीक है... आई एम सॉरी... मैं चलता हूं।"
यह कहकर वह कंपनी से सीधा बाहर चला जाता है।
ऑफिस से बाहर जाते वक़्त, लोग उसे देख रहे थे... हर कोई उसकी तरफ देखकर शैतानी मुस्कान के साथ हँस रहा था। यह देख कर अवैध, गुस्से में बड़बड़ाता है —
"इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, गुंजन! तुझे ऐसा बदला लूंगा... कि तूने सोचा भी नहीं होगा... कि मैंने क्या किया है!"
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इधर दूसरी तरफ...
गुंजन अपने केबिन में बैठी हुई, एक स्ट्रेंजर के नोट को देख रही थी। उसे अभी भी लग रहा था — कि वो लड़का सिर्फ संयोग नहीं था... पर उसे अपनी आंखों पर, अपने पास उसके एहसास पर भरोसा नहीं हो रहा था।
वह फोन निकालती है, और एक डिटेक्टिव को कॉल करते हुए कहती है —
"मुझे इस लड़के की पूरी जानकारी चाहिए! उसके बदले तुम्हें जो चाहिए — मैं देने को तैयार हूं।"
उसने इतना कहा ही था... कि उसका ध्यान, सामने की CCTV फुटेज की तरफ चला जाता है।
जिसे देखते ही — उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं!
वह फोन काटकर साइड रख देती है... और लिफ्ट एरिया के फुटेज को ज़ूम करके देखने लगती है...
वहां — ऑफिस का एक कलीग और सौम्या, आपस में लगे पड़े थे। दोनों एक-दूसरे को पैशनेटली किस कर रहे थे...!!
यह देखकर उसका शरीर पसीने से भीगने लगता है। कल रात की सारी बातें उसके जहन में ताज़ा हो जाती हैं। वह खुद को कंट्रोल करते हुए — अपना लैपटॉप बंद करती है, और गहरी-गहरी सांसें लेते हुए वहां से उठकर दूसरी ओर चली जाती है।
दूर खड़ी वह शीशे में खुद को देखती है... और बुदबुदाती है —
"ये हो क्या रहा है मुझे...? अचानक से... मैं उसके बारे में इतना क्यों सोच रही हूं...? हर बार की तरह, मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था... और ये तो मेरे लिए आम बात थी... फिर भी... मैं उसके एहसास में यूं क्यों खो रही हूं?"
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इधर दूसरी ओर...
चाय की टपरी पर बैठा अधीर, गुंजन की तस्वीर देखते हुए कहता है —
"अब बारी है अपने रिश्ते को... रिश्तेदारी में बदलने की। मुझे पता है — तुम इस बात को कभी नहीं मानोगी... पर इस बात को मनाने के लिए... मेरे पास इससे भी कई खतरनाक उपाय हैं।"
वह धीमे से तस्वीर को चूमते हुए कहता है —
"तुमसे मैं जल्दी मिलूंगा... स्वीटहार्ट!"
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इधर गुंजन के फोन पर एक मैसेज पॉप होता है।
डिटेक्टिव का मैसेज आता है —
> "मैं उस गांव गया हुआ हूं... कुछ वक्त में शहर लौटूंगा। तभी सही समय होगा उसे पकड़ने का। हमें कुछ वक्त के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा... वरना इस वक्त पुलिस इन्वॉल्व हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे।"
गुंजन मैसेज पढ़कर अपना सिर कस कर टेबल पर पटकती है —
"ऐसा नहीं हो सकता यार...!"
वह गुस्से में अपना फोन उठाती है और रॉकी को तुरंत केबिन में बुलाती है।
रॉकी अपने आदमियों के साथ केबिन में खड़ा था... हर किसी के चेहरे पर डर का पसीना साफ-साफ झलक रहा था।
गुंजन गुस्से में सबकी तरफ देखती है और गरजती है —
"कल रात किसको मैंने कमरे के बाहर नज़र रखने को कहा था...? बोलो!"
रॉकी धीरे से कहता है —
"मैंम... सब मुझे ही... हाथों..."
"तुमने क्या किया...? तुम्हारी लापरवाही की वजह से वह लड़का चला गया!!"
"मैंम... इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। ये दोनों चिरकुट वहां थे। मैंने साफ-साफ इंस्ट्रक्शन दिया था — कि गेट को छोड़कर कहीं नहीं हटना है। पता नहीं क्या हो गया... ये हट गए..."
यह सुनते ही गुंजन उनकी तरफ घूर कर देखती है...
और अपना गन निकाल कर — दोनों को गोली मार देती है!!
धड़... धड़!!
यह देखते ही वहां खड़े सारे आदमियों के होश उड़ जाते हैं! सब पत्थर जैसे जड़ हो जाते हैं...
गुंजन बंदूक से उठते धुएं को फूंकते हुए कहती है —
"अगर आगे से किसी ने ज़रा सा भी लापरवाही की न... इससे भी बड़ा अंजाम करूंगी! और ऐसा अंजाम करूंगी — जिसकी तुमने कभी कल्पना भी नहीं की होगी!!"
"इसकी लाश को ठिकाने लगा दो... और मुझे मेरे केबिन में 10 मिनट में मिलो। एक बहुत ही ज़रूरी काम है!"
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कुछ गुंडे उन दोनों की लाश को लेकर वहाँ से चले जाते हैं।
उनके जाने के बाद गुंजन फाइलों को पलटते हुए कहती है, "मल्होत्रा फिर से यहाँ पर आया था?"
यह सुनते ही रॉकी की आँखें बड़ी हो जाती हैं। वह बड़बड़ाते हुए कहता है,
"मैं... साहब, आपने उसे आने ही क्यों दिया? मुझे एक फोन कर देतीं, मैं उसको ठिकाने लगा देता!"
"नहीं रॉकी," गुंजन गहरी साँस लेते हुए कहती है, "पता है ना, वह हमारे चाचा जी हैं।"
"हाँ, सब जानते हैं वह आपके चाचा जी हैं! पर आप भूल गईं उन्होंने आपके साथ क्या किया था?"
"देख रॉकी, मैं कुछ भी नहीं भूली हूँ। और पास्ट की बातें याद करके बस तकलीफ़ ही मिलेगी। इससे अच्छा है कि उन बातों को भूल जाएँ।"
"पर मैं, साहब..." रॉकी गुस्से से भरा कहता है, "आप उन सब चीज़ों को भूल सकती हैं, पर अपने भाई की मौत...? उसकी भी भूल सकती हैं?"
यह सुनते ही गुंजन के चेहरे की सारी खुशी उड़ गई। उसकी आँखें नम होने लगी थीं कि तभी रॉकी को एहसास होता है कि उसने क्या बोल दिया है।
रॉकी बात को बदलते हुए कहता है, "वह कह क्या रहे थे...? उन्हें हमारी कंपनी चाहिए?"
यह सुनते ही रॉकी गुस्से से लाल हो जाता है।
"क्या...? उसे अब भी इतनी ज़रूरत है? किसने उसे कंपनी के ऊपर फिर से नज़र डालने दी? उसकी आँखें नोच खाऊँगा!"
रॉकी को गुस्से से तमतमाया देख, गुंजन उसे शांत करते हुए कहती है,
"शांत हो जाओ गदाधारी भीम... तुम्हारी बहन किसी से कम नहीं है। मैंने उसको अच्छा सबक सिखा दिया है। अब वह दोबारा यहाँ नहीं दिखेगा।
"पर हाँ, मैं चाहती हूँ कि तुम लोग रामनगर गाँव जाओ... और वहाँ जाकर सुमित को वापस पकड़ कर लाओ। मुझे पता चला है कि वह वहीं पर है।"
रामनगर गाँव का नाम सुनते ही रॉकी के चेहरे की हवाइयाँ उड़ जाती हैं। वह लड़खड़ाते हुए कहता है,
"आपने... आपने क्या कहा? रामनगर गाँव? आप... आप पक्का बोल रही हैं?"
"हाँ, मैं श्योर हूँ। रामनगर गाँव में।"
"साहब, आप भूल रही हैं कि वहाँ पर आज से चार साल पहले क्या हुआ था? अगर हम वहाँ जाते हैं, तो हमारे साथ बहुत बुरा होगा! हमारी कंपनी तक डूब सकती है!"
"रॉकी, मुझे पता है कि वहाँ जाने से हमारे लिए काफ़ी भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए मैंने बहुत बेहतरीन उपाय सोचा है।"
"कैसा उपाय?"
"यही कि तुम सब लोग वहाँ कुछ गाँव के डॉक्टरों के साथ जाओगे, वहाँ हेल्थ कैंप लगाओगे... और सुजीत को देखते ही धर दबोचोगे। ठीक?"
"पर..." रॉकी हिचकिचाते हुए कहता है, "वहाँ सब ऐसा मानते हैं कि वह गाँव श्रापित है। अगर हम वहाँ कदम भी रखते हैं, तो उसका श्राप हमें लग जाएगा। आपको पता ही होगा, उस गाँव में शहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है।"
यह सुनकर गुंजन रॉकी की तरफ घूमते हुए कहती है,
"तुम आज के टाइम में भी इन चीज़ों पर यकीन करते हो? तुम्हें लगता है कि ऐसा कुछ सच में होता है?
"वो बस हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं। वहाँ बहुत कुछ चल रहा है... ऐसे राज़, ऐसे कांड, जिनकी भनक तक दुनिया को नहीं है।"
"तुम वहाँ जाने की तैयारी करो। अगर तुम नहीं जाओगे, तो तुम्हारी बहन खुद चली जाएगी!"
गुंजन की बात सुनकर थक हार कर रॉकी कहता है,
"ठीक है... अगर आप चाहती हैं, तो मैं उस गाँव जाऊँगा। पर उससे पहले मेरी एक शर्त है।"
आख़िर क्या होने वाली थी रॉकी की शर्त? जानने के लिए पढ़ते रहिए...
"शर्त? कैसी शर्त रॉकी?"
"मैं कोई भी झूठ नहीं मानने वाला हूँ... नहीं मेमसाहब, आपको मुझे मारना पड़ेगा! वरना मैं उस गाँव नहीं जा रहा!"
गुंजन एक गहरी साँस लेते हुए कहती है,
"ठीक है... बोलो, क्या शर्त है?"
"यही कि आपको अपने ग़ुस्से पर क़ाबू रखना होगा। जब तक मैं यहाँ नहीं रहूँगा, आपकी जान को खतरा हो सकता है। मुझे पता है कपूर आपके ऊपर हमला कर सकते हैं। तब तक के लिए आपको शांत रहना होगा... किसी से कोई फालतू पंगा नहीं लेना है। बताइए, आपसे हो पाएगा? तो मैं वहाँ जाने के लिए तैयार हूँ।"
"क्या बातें कर रहे हो तुम? तुमने सोचा भी कि क्या बोल रहे हो? ग़ुस्सा और मुझसे कंट्रोल...? आज तक कभी हुआ है?"
"सोच लीजिए... मेरे साथ फ़ैसला आपका है।"
"अच्छा ठीक है... मैं नहीं करूँगी ग़ुस्सा। मैं सामने से पहले किसी पर हाथ नहीं उठाऊँगी। पर किसी ने अगर मुझ पर हाथ उठाया, तो मैं उसको छोड़ूँगी भी नहीं!"
इतना सुनने के बाद रॉकी वहाँ से चला जाता है।
तभी केबिन में एक वकील आता है। उसको देखकर गुंजन आँखें चढ़ाते हुए कहती है,
"वकील साहब, आप यहाँ?"
वकील गुंजन की बात सुनकर कहता है,
"हाँ, दरअसल आपके दादाजी की वसीयत दिखाने आया था।"
"उसमें देखना क्या है वकील साहब? मैंने सारी वसीयत पहले ही पढ़ रखी है। उन्होंने सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर रखी थी!"
"नहीं मेमसाब, उन्होंने प्रॉपर्टी आपके नाम नहीं की है। वह प्रॉपर्टी किसी और के नाम है।"
यह सुनते ही गुंजन की आँखों की नींद उड़ जाती है। वह ग़ुस्से में खड़ी होते हुए कहती है,
"Are you kidding me? ऐसा कैसे हो सकता है? आप फिर से एक बार उनकी वसीयत को चेक करिए! मैं इस वसीयत को पूरी तरीक़े से पढ़ चुकी हूँ!"
"मेम, इसलिए ही तो आपको बताने चला आया। दरअसल, आपके दादाजी ने आपके लिए एक शर्त रखी थी। अगर आप 2025 के अगस्त तक शादी नहीं करती हैं, तो ये प्रॉपर्टी चैरिटी को डोनेट हो जाएगी।"
"अच्छा! ये क्या बकवास है? दो महीने बचे हैं मेरे पास? मुझे दो महीने में शादी करनी होगी?"
"हाँ... और उनकी शर्तें भी हैं। शादी किसी ऐसे लड़के से करनी होगी जिसकी जॉइंट फैमिली हो... और आपको उस शादी में तीन साल तक रहना होगा। अगर आपने शादी में ज़रा सा भी गड़बड़ किया या फिर आपकी शादी टूटी, तो पूरी प्रॉपर्टी चैरिटी को मिल जाएगी।"
"मेमसाब, आपको ये भी पता होना चाहिए... मल्होत्रा यानी आपके चाचा जी और उनके छोटे भाई नकुल इसके पीछे पड़े हुए हैं। वे एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं ताकि आप इस प्रॉपर्टी से दूर रहें।"
यह सुनते ही गुंजन के हाथ-पैर जैसे सुन्न हो जाते हैं। वह कुर्सी पर झट से बैठ जाती है। अपने माथे को कसकर पकड़ते हुए कहती है,
"दादाजी... ये सब करना ज़रूरी था? खुद तो मर गए, अब मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर गए! कहाँ से ढूँढूँगी ऐसा लड़का? ऊपर से शादी तो ठीक है, इतनी क्राइटेरिया कौन रखता है शादी के लिए? लड़का ढूँढना है या किताबों से राजकुमार निकालना है?"
"वकील साहब, ऐसा करिए... आप वसीयत यहीं रख दीजिए। एक बार इसको अच्छे से पढ़कर फिर मैं आपको वापस भिजवा दूँगी।"
वकील गुंजन की बात मानकर वसीयत वहीं रख देता है और वहाँ से चला जाता है।
गुंजन ग़ुस्से में अपने टेबल पर पड़े सारे सामान को उठाकर इधर-उधर फेंकने लगती है। आसपास की चीज़ों को तोड़ने लगती है और चिल्ला रही होती है।
उसे ग़ुस्से भरी आवाज़ में चिल्लाते हुए सुनकर स्टाफ डर जाते हैं। हर कोई विंडो से अंदर झाँक रहा होता है।
सौम्या काँपते हुए धीरे से दरवाज़ा खोलती है और अंदर जाती है। वह गुंजन के पास पहुँचती है, जो तर-बतर हो चुकी होती है। उसे शांत करते हुए कहती है,
"मेमसाब... शांत हो जाइए।"
सौम्या की आवाज़ सुनकर गुंजन पलटती है और उसके गले को कसकर दबाकर आसमान में उठा देती है।
यह देखकर सौम्या ज़ोर-ज़ोर से छटपटाने लगती है। तभी गुंजन को कुछ एहसास होता है और वह सौम्या को छोड़ देती है।
सौम्या ज़मीन पर गिर जाती है और अपनी जान बचाते हुए वहाँ से भाग जाती है।
गुंजन अब भी ग़ुस्से में सामान को इधर-उधर फेंक रही थी। हर कोई बाहर ये सोच रहा था कि अचानक उसे क्या हो गया है।
एक ऑफिस एम्प्लॉयी कहता है,
"लगता है पूरी तरह से पागल हो गई है! ऐसी भी... इतनी बड़ी साइको है!"
"पागल होना तो तय था... हो ही गया होगा! दिमाग़ खराब!"
यह सुनते ही सौम्या को ग़ुस्सा आ जाता है। वह खींचकर उस आदमी को थप्पड़ मारते हुए कहती है,
"बेवकूफ इंसान! जिसके छत के नीचे खड़े हो, जिसके वजह से तुम्हारा घर चल रहा है, तुम उसी को ऐसा कह रहे हो?"
**"और भी मजबूरी हो सकती है! शायद... तुम बोल रहे हो गुंजन मैडम ऐसी पहले नहीं थीं। उनके साथ अगर वो हादसा न हुआ होता, तो आज वो ऐसी नहीं होतीं।
"तुम उनको समझने की बजाय उन पर उँगली उठा रहे हो?
तुम मर्द जात के लोग होते ही ऐसे हो... लड़कियों को कभी खुद से आगे देख नहीं सकते!"**
इतना कहते-कहते वह रुक जाती है... और चुपचाप वहाँ से चली जाती है।
थोड़ी देर बाद गुंजन को कुछ एहसास होता है। वह अपनी कार की चाबी उठाती है और वहाँ से निकल जाती है।
कार स्टार्ट करके वह सीधा बार के बाहर आकर रुकती है।
बार में काफ़ी भीड़ थी। वह अंदर घुसती है। वहाँ कई लोग चक्का चाँद की तरह नशे में झूम रहे थे।
वह भी एक कोने में जाकर बैठती है और वेटर से ढेर सारी शराब ऑर्डर करती है।
और पल भर में देखते-देखते लुढ़कने लगती है।
दूर बैठा अधीर यह सब देख रहा था। वह मुस्कुराते हुए कहता है,
"माय स्वीटहार्ट... ये तुम ग़लत कर रही हो। तुम्हारी हेल्थ खराब हो जाएगी..."
यह कहकर वह अपना नकाब उतारता है और उसे पहनते हुए उसकी तरफ़ जाने लगता है।
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आख़िर अब क्या करेगा अधीर?
क्या सच में गुंजन करेगी किसी से शादी?
और ऐसा क्या हुआ था गुंजन के साथ कुछ वक्त पहले, कि वह ऐसी बन गई थी?
कौन सी बात पूरी करते-करते रह गई सौम्या?
और क्या सच में रामनगर गाँव भूतिया था? क्या वहाँ पर श्रापित लोग रहते थे?
जानने के लिए पढ़ते रहिए ये कहानी... कहानी आगे चलकर और दिलचस्प और बोल्ड होने वाली है।
अपना प्यार दिखाते रहिए... हम कहानी आप तक पहुँचाते रहेंगे।
ख़्याल रखिए, खुश रहिए... मिलते हैं जल्दी आपसे।
बाय बाय!
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अधीर अपने मास्क को पहनकर के सीधा गुंजन की तरफ जाता है।
वह उसके पास खड़ा होते हुए कहता है, “बस करो… तुमने ज़्यादा पी रखी है।”
गुंजन धुंधली आंखों से उसकी तरफ देखते हुए कहती है, “तो तुम्हें क्या? मैं कुछ भी पियूँ, तुम कौन हो?”
“मैं वही हूँ… जिसका तुम्हें इंतज़ार था,” — यह कहकर वह उसे गोद में उठा लेता है।
गुंजन उसको अपने हाथों से मार रही थी, “छोड़ो मुझे! क्या कर रहे हो? कहाँ लेकर जा रहे हो?”
पर वह गुंजन को लेकर के कमरे में चला जाता है। वहाँ पर वह उसे बेड पर लेटाते हुए दरवाज़े को बंद कर देता है।
तब तक, गुंजन को उसके मास्क को देख कर कुछ एहसास होता है। “तुम... यहाँ? तुम वापस आ गए? मैं तुम्हें कितना ढूंढ रही थी... तुम्हें पता है, मैं कितनी टेंशन में हूँ!”
यह सुनते ही अधीर उसके हाथ से वाइन की ग्लास टेबल पर रखता है और उसको आराम से बेड पर लिटाते हुए कहता है, “पहले तुम अपनी आँखें बंद करो... इस बारे में हम बाद में बात करेंगे।”
“नहीं!” — वह उठ खड़ी होती है और अधीर को खींचकर बेड पर लेट देती है। उसके ऊपर चढ़ते हुए कहती है, “आज डिफरेंट पोज़िशन ट्राय करें? आज मुझे और वाइल्ड होना है…”
यह कहकर वह अधीर को पैशनेटली किस करने लगती है।
अधीर एक बार उसको खुद से दूर करता है, पर वह अधीर के हाथों को कसकर पकड़ती है और उसे अपनी कमर के पास लेटाते हुए कहती है, “Don’t stop me…”
अधीर एक शैतानी मुस्कान के साथ उसको किस करने लगता है... और फिर वह उसे पलटकर उसके कपड़ों को खोलने लगता है।
वह भी अधीर के कपड़ों को बारी-बारी से उतार रही थी। तब तक वह पास में पड़ी रस्सी को उठाती है। अधीर को बेड के किनारे-किनारे बाँधते हुए, उसे वहाँ पर लिटा देती है… और एक शैतानी मुस्कान के साथ उसके शरीर से सारे कपड़े अलग कर देती है।
अब अधीर के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था। वह बेड पर बंधा हुआ था…
वह नशे में, अधीर के पैरों से किस करना स्टार्ट करती है… धीरे-धीरे अधीर की कमर से होते हुए उसके होठों तक पहुँच जाती है। पास में पड़ा फेदर उठाकर वह अधीर के शरीर पर घूम रही थी — जिससे अधीर को गुदगुदी लग रही थी। वह इधर-उधर छटपटाता… पर कुछ नहीं कर पा रहा था।
पर इन सब में अधीर को भी मज़ा आ रहा था…
वह अपने कपड़ों को हटाकर अपने नाजुक हिस्सों को अधीर के मुँह पर रख देती है, और उसके बालों को कसकर पकड़ते हुए… उसके सिर को इधर-उधर घुमाने लगती है…
धीरे-धीरे कमरे की लाइट भी डार्क ब्लू हो चुकी थी।
अधीर भी अब पूरी तरह से अपने आपे से बाहर था… उसका शरीर पूरी तरह से कठोर हो चुका था।
यह देखकर गुंजन एक शैतानी मुस्कान के साथ मुस्कुराती है… और धीरे-धीरे अधीर की कमर के पास आकर अपने होठों का इस्तेमाल करने लगती है…
अधीर को बहुत अच्छा लग रहा था। वह गुदगुदाहट के कारण अपने पैरों को इधर-उधर झटक रहा था… पर गुंजन उसे और तड़पाती है।
उसे तड़पता देख, गुंजन उसके होठों के पास जाकर… उसके कानों की तरफ झुकती है और कहती है — “Punish me, Daddy…”
अधीर अब अपना दूसरा हाथ गुस्से में खींचता है… रस्सी टूट जाती है!
वह गुंजन को कसकर अपने और करीब खींच लेता है… और अपने हाथों को उसकी कमर के नीचे ले जाकर… स्पैन करता है — और उसे हार्डली किस करने लगता है।
अब देखते ही देखते वह अपना दूसरा हाथ भी छुड़ा देता है… और बोलते हुए, किस करते हुए… गुंजन के दोनों पैरों को उठाकर अपने कमर पर रख लेता है।
उसके हाथों को अपने सिर की तरफ करते हुए… वह उसे अपनी गोद में लेकर उछलने लगता है। ऐसा करते हुए पूरे कमरे में टहल रहा था…
गुंजन भी अब पूरी तरह से मत हो चुकी थी… उसके चेहरे से प्यार साफ-साफ झलक रहा था…
और इधर अधीर — वह भी उस मोमेंट को पूरी तरह से इंजॉय कर रहा था…
गुंजन पूरी तरह से मौन कर रही थी… उसकी धीमी-धीमी सिसकियाँ पूरे कमरे को सराबोर कर रही थीं।
उसके मौन करने की वजह से पूरे कमरे में एक अलग-सा वातावरण छा गया था… मानो पूरा कमरा नशीला हो गया हो…
अधीर, उसे बेड पर लिटाते हुए… उसके बालों को साइड करता है। उसकी कमर को थोड़ा ऊपर उठाते हुए… अपने हाथों का इस्तेमाल करता है — जिससे गुंजन और तेजी से अपने मन को बढ़ा रही थी…
अधीर और गुंजन… देखते-देखते एक-दूसरे में खो जाते हैं…
और फिर… लगातार डेढ़ घंटे तक उनका यह कार्यक्रम चलता है।
गुंजन थक-हारकर अधीर के ऊपर ही सो जाती है… नशे में होने की वजह से वह कुछ ज़्यादा ही परेशान हो गई थी।
तब तक… अधीर का ध्यान गुंजन के शरीर पर जाता है…
उसे कई प्रकार के निशान पड़े हुए थे।
उन निशानों को देखकर अधीर की आँखें भर आती हैं…
वह उन्हें धीरे से सहलाते हुए कहता है — “मुझे पता है… तुम्हारे साथ बहुत कुछ हुआ है… पर अब नहीं… अब तुम्हारी बारी है — खुश रहने की। और तुम्हें वह सारी ख़ुशी मैं दूँगा।”
यह कहकर वह उसे बगल में लिटा देता है… और फिर पास में पड़े अपने कपड़े से एक गोली निकालता है।
उसे जूस में मिलाकर… अपने मुँह में लेते हुए… गुंजन के होठों के ज़रिए… उसके मुँह में डाल देता है… और उसे ऐसे करके सारा दवाई वाला जूस पिला देता है।
फिर, एक नोट उठाकर… उस पर कुछ लिखते हुए… कपड़े पहनकर वहाँ से चला जाता है…
आखिर… क्या अधीर गुंजन को पहले से जानता था?
क्या इन दोनों में पहले से कोई कनेक्शन था?
या यह डेस्टिनी का कोई खेल था… जो इन्हें बार-बार मिला रही थी…?
और अब क्या करेगी गुंजन… जब अगली सुबह उसे पता चलेगा… कि जिसे वह रामनगर में ढूंढ रही थी — वह इस शहर में ही है…?
क्या वह समझ पाएगी कि यह 'सुजीत' नहीं… कोई और है…?
जानने के लिए पढ़ते रहिए…
तो be continued
अगली सुबह...
गुंजन की आंखें धीरे-धीरे खुलती हैं। उसके सिर में भयंकर दर्द था — नशे की वजह से उसका सिर फट रहा था। वह जैसे ही उठती है, अपना शरीर देखती है… और चौंक जाती है। उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था!
उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। यादों की धुंध उसके ज़हन में घूमने लगती है... "क्या मैं… कल रात फिर से सुजीत के साथ हमबिस्तर हो गई?"
वह घबराई हुई-सी अपने बगल में पड़े कपड़े उठाकर जल्दी-जल्दी पहनती है। फिर पास में रखा नींबू पानी उठाकर पीती है… तभी उसकी नज़र बगल में रखे एक नोट पर पड़ती है।
नोट पढ़ते ही उसका चेहरा एकदम सन्न रह जाता है:
"I miss you, my sweetheart… मैं तुम्हें जल्दी ही लेने आऊंगा। और हाँ, तुम परेशान मत हो — तुम्हारे दादाजी की वसीयत तुम्हें मिल जाएगी।"
गुंजन की आंखें एक पल के लिए फटी की फटी रह जाती हैं! उसके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है…
"दादाजी की वसीयत…?"
वह बड़बड़ाते हुए खड़ी होती है। माथे पर पसीना छलकने लगता है। "उसे ये सब कैसे पता? दादाजी की वसीयत के बारे में उसे कैसे पता चल सकता है?"
एक पल भी गंवाए बिना वह अपना फोन निकालती है, होटल से चेकआउट करती है, और सीधे ऑफिस पहुंचती है।
कुर्सी पर बैठते ही वह झटपट रॉकी को कॉल करती है — “रॉकी! मुझे सुजीत अभी के अभी चाहिए! कल रात मैं उससे मिली थी… वो इस शहर में है!”
रॉकी की आवाज़ में हैरानी झलकती है — “ऐसा कैसे हो सकता है? मैं तो अभी सुजीत के गांव में हूँ, और कल रात भी वो यहीं था!”
गुंजन की सांस अटक जाती है — “क्या? अगर वो गांव में था... तो कल रात मेरे साथ कौन था? उससे बात करवाओ, शायद वो रात में यहाँ आया हो।”
रॉकी चौंककर बोलता है — “नहीं! ऐसा पॉसिबल ही नहीं है। यहां से शहर जाने में पूरे 12 घंटे लगते हैं… और आने में भी 12 घंटे। और अभी वो मेरे सामने खड़ा है — गांव वालों से कुछ बात कर रहा है।”
गुंजन के चेहरे की रंगत उड़ जाती है। वह अपने सिर को दोनों हाथों से पकड़ लेती है — “अगर वो सुजीत नहीं था… तो फिर था कौन? मुझे उसके बारे में जानना है!”
वह झटपट स्वाति को बुलाती है — “स्वाति! होटल का सीसीटीवी फुटेज चाहिए — फौरन!”
स्वाति थोड़ी देर में केबिन में दस्तक देती है — “मैम, ये रहा CCTV फुटेज।”
गुंजन जैसे ही लैपटॉप खोलकर फुटेज देखती है… उसकी आंखें फटी रह जाती हैं। वह घबरा कर अपना सिर पकड़ लेती है।
"ये क्या... उसका चेहरा… साफ़ नहीं दिख रहा! उसने मास्क पहना था… और जाते-जाते कैमरे की तरफ फ्लाइंग किस कर रहा था... मानो उसे पहले से पता था कि ये कैमरा चेक होगा!"
वह लैपटॉप बंद कर देती है और गहरी सांस लेते हुए बड़बड़ाती है — “आख़िर है कौन ये… और इसे इतना कुछ कैसे पता है?”
बगल में खड़ी स्वाति परेशान होकर पूछती है — “क्या हुआ मैम? कुछ परेशानी है?”
गुंजन थोड़ी देर चुप रहकर कहती है — “स्वाति… कल के लिए सॉरी। मैं तुम पर कुछ ज़्यादा ही गुस्सा कर गई थी।”
स्वाति मुस्कराकर कहती है — “इट्स ओके मैम। मैं समझ सकती हूं। रॉकी भैया ने बाद में सब बताया।”
गुंजन का चेहरा गंभीर हो जाता है — “स्वाति… जिस लड़के के साथ मैं… मेकआउट कर रही थी… उसे मेरे दादाजी की वसीयत के बारे में पता है।”
यह सुनते ही स्वाति भी सन्न रह जाती है। वह हैरानी से पूछती है — “पर ऐसा कैसे हो सकता है? उसे दादाजी की वसीयत के बारे में कैसे पता चला होगा?”
“यही तो समझ नहीं आ रहा है…” — गुंजन चिंतित होकर कहती है। फिर फोन उठाकर रॉकी को कॉल करती है — “सुनो! कुछ भी हो जाए, मुझे वो लड़का हर हाल में चाहिए! तुम उसे शहर लेकर आओ… किसी भी कीमत पर! क्योंकि… वही है जो इन सवालों के जवाब दे सकता है।”
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अगले दिन...
रॉकी मौका देखते ही सुजीत को गांव से उठा लाता है।
अब सुजीत एक अंधेरे कमरे में बंद था — आंखों पर काली पट्टी… और हाथ-पैर रस्सियों से बंधे हुए।
वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था — “छोड़ो मुझे! कहाँ लेकर आए हो? कौन हो तुम? क्यों लाए हो मुझे??”
उसकी आवाज़ों को सुनकर रॉकी ठहाका लगाते हुए कहता है — “तेरी मौत, तेरा बाप! साले, एक ही बार में कितने सवाल पूछेगा? थोड़ा रुक, सांस ले ले!”
रॉकी की आवाज़ सुनकर सुजीत डर के मारे कांपने लगता है। उसकी पैंट गीली हो जाती है।
यह देखकर रॉकी ज़ोर से हंस पड़ता है — “हहाहा… ये साल तो मुंह लिया! मैडम फालतू में इसके पीछे टाइम वेस्ट कर रही हैं।”
तभी दरवाज़ा खुलता है… गुंजन की एंट्री होती है।
वह इशारे से कहती है — “उसका मास्क हटाओ।”
सुजीत की आंखों से पट्टी हटाई जाती है। सामने खड़ी गुंजन को देखकर उसका शरीर कांपने लगता है।
गुंजन, रॉकी के हाथ से बंदूक लेकर सुजीत के पास जाती है — और उसकी गर्दन पर बंदूक रखकर कहती है —
“जितना पूछूं, उतना सच-सच बताते जाओ। अगर ज़रा भी झूठ बोला… तो गोली तुम्हारे भेजे में उतार दूंगी! और ज्यादा होशियारी की ज़रूरत नहीं है — क्योंकि तू वो है ही नहीं, जो बनने की कोशिश कर रहा है… पट्ठे! अब बोल… अगर तू होटल में नहीं था… तो तेरी जगह कौन था? और अगर एक परसेंट भी झूठ बोला… तो समझ ले — अपने मौत की दावत खुद ही बांट रहा होगा!”
सुजीत की आंखें डर से फटी रह जाती हैं। वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है — “मुझे नहीं पता… प्लीज़… मुझे छोड़ दो! मैं जो कहोगे, करने को तैयार हूं… पर सच में मुझे नहीं पता कि वहां कौन था!”
गुंजन उसकी आंखों में घूरते हुए कहती है — “अच्छा? तुझे पता भी नहीं… और तू वहां तक आया भी था… फिर भाग भी गया? देख बेटा, झूठ मत बोल… वरना तेरा ऐसा हाल करूंगी — कि सोच भी नहीं सकता!”
वह रॉकी की तरफ देखती है — “रॉकी… फार्मूला नंबर 62 लगाओ इस पर।”
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आखिर क्या है 'फॉर्मूला नंबर 62'?
क्या सुजीत सच बोल रहा है?
वो रहस्यमयी लड़का कौन है… जो गुंजन के अतीत तक को जानता है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… अगला भाग जल्द ही…
आप सबसे छोटी सी रिक्वेस्ट है एवरी सिंगल रीडर जो भी मेरी स्टोरी पढ़ रहा है आपसे एक रिक्वेस्ट कर रहा हूं प्लीज कमेंट करके बताते रहे कि आप स्टोरी पढ़ रहे हैं दरअसल अप के प्लीज की वजह से हमें कोई प्रॉफिट नहीं हो रहा है स्टोरी लिखने में बट आपकी खुशी के लिए हम स्टोरी लिख रहे हैं बस स्टोरी आप तक पहुंचे और आपको संतुष्टि मिले इससे हम अपना कार्य कर रहे हैं प्लीज आपसे रिक्वेस्ट करते हैं कि हमारे लिए ताकि हम इतना समझ सके कि कितने लोग हमारी कहानी पढ़ रहे हैं कमेंट करके प्लीज बताइएगा
यह सुनकर के रॉकी मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है जैसी आपकी इच्छा में रॉकी करके वहां से चला जाता है सुजीत प्रसन भरी निगाहों से चारों तरफ देख रहा था वह धीरे से पूछता है कि फार्मूला नंबर 62 क्या है यह सुनकर गुंजन हंसते हुए कहती है रुक जा अभी तुझे पता चल जाएगा कि फार्मूला नंबर 62 क्या है
उधर से रॉकी आ रहा था उसके हाथ में एक बाल्टी थी और उसमें पानी भरा हुआ था और उसे बाल्टी के पानी को सूचित के ऊपर डाल देता है और दूसरे आदमी कोई सारा करता है दूसरे आदमी के हाथों में दो नंगे तार थे जिस में से करंट साफ-साफ निकलता दिखाई दे रहा था यह देखकर के सुजीत की आंखें मनुष्य के शरीर से अलग हो गई हो बोल डर से थर-थर कांपने लगता है गुंजन उसकी तरफ देखते हुए कहती है देख अगर तुझे तेरी जान प्यारी है तो सच बता दे मैं तुझे छोड़ दूंगी वरना यह करंट तुझे तड़प तड़प के मार डालेगा और तुझे भी पता है आज तक मैंने इतने खून किए हैं और किसी ने मुझे पड़ा तक नहीं है तो भलाई इसी में है कि अपना सच बता दे
सुजीत इतनी सारी डरावनी धमकी सुनकर के बोलते हुए कहता है बताता हूं दरअसल वह मेरा फ्रेंड अधीर था उसने मुझसे कहा कि वह मेरी हेल्प करेगा वह अपने रणधीर के बीच की सारी बातें गुंजन को बता देती है यह सुनते ही गुंजन गुस्से में उसके मुंह को कसकर पढ़ते हुए कहती है कहां मिलेगा यह अधीर कुछ इसके बारे में बताएगा
यह सुनते ही वह लड़खड़ाते हुए कहता है मुझे भी नहीं पता वह कहां मिलेगा मैं तो हॉस्टल में रहता था कुछ महीने पहले वह हॉस्टल में आया था और हमारी और उसकी अच्छी दोस्ती हो गई थीइससे ज्यादा मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानता प्लीज मुझे छोड़ दीजिए जाने दीजिए यह कह कर गिरने लगता है उसको रोता देख गुंजन वहां से चली जाती है और रॉकी कोई सारा करती है उसे सही सलामत छोड़ दो
घर गुंजन अपने केबिन में बैठी हुई थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है वह कुछ सोच ही रही होती है कि तब तक साथी बोल पड़ती है छोटी मुंह बड़ी बात मैं मैं कुछ बोलो अरे स्वाति बोलो मैं एक चीज आपने नोटिस किया है उसे इंसान का पैटर्न होता है हमेशा आपको फॉलो करता है जब आपको नशे में देखा है तभी आपके साथ हम बिस्तर होता है तो आप ऐसा क्यों नहीं करती एक बार ड्रम में ही सही पर फिर से नशे में चाहिए और आई नो इस बार वह जरूर आपसे मिलने के लिए आएगा
उसकी बात सुनकर के गुंजन कुछ पल के लिए सोचती है और एक गहरी सांस के बाद कहती है सुझाव बुरा नहीं है मुझे इस पर अमल करना चाहिए
वह अपना फोन निकाल करके रॉकी से कहती है आज शाम के वक्त मुझे ढेर सारे गुंडे होटल रिजवी में चाहिए और हां याद रहे सबको बोल देना कि वॉटर के कपड़े में आने हैं तो सुजीत को छोड़ तो नहीं दिया ना नहीं नहीं मैं अभी तो यहीं पर है हां अभी उसे रहने दो अगर उसे छोड़ा तो वह अधीर को मिलकर सब बता देगा तुम्हें कम करो आज उसे होटल में अपने जितने उसके इतनी आदमियों को रखो किसी भी हालत में हमें उसे इंसान को आज पकड़ता है
यह क्या करवा वहां से चली जाती है और फिर से होटल पहुंचती है और वेटर से उसे दिन की तरह दारू मांगती है पर इस पर दारू सारी नकली थी और पीते हुए ड्रंक होने की एक्टिंग कर रही थी
उसके आदमी चारों तरफ फैले हुए थे उन्होंने सीसीटीवी कैमरे के थ्रू होटल के हर एक कोने पर नजर रखा हुआ था वह अधीर का बेसब्री से इंतजार कर रहेथे
क्या लगता है आपको अधीर आएगा और वह अधीर को पकड़ पाएंगे जाने के लिए पढ़ते रहिए
रात की घड़ी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, होटल रिज़वी की हलचल भी तेज़ हो रही थी। गुंजन उस कमरे में बैठी थी जहां पिछली बार सब कुछ हुआ था। उसकी आँखें बार-बार दरवाज़े की तरफ़ जाती थीं, मानो हर आहट पर वो चेहरा दिख जाएगा, जिसने उसकी ज़िंदगी को तहस-नहस कर दिया।
उसने जानबूझकर वैसी ही ड्रेस पहनी थी जैसी पिछली बार थी, हल्की सी नशे में झूमती हुई चाल, और वही उदासी, जो किसी को भी बहकाने के लिए काफी थी। लेकिन इस बार वो शिकार नहीं, शिकारी थी।
सीसीटीवी स्क्रीन पर स्वाति और रॉकी की नज़रें गड़ी हुई थीं। हर मूवमेंट को वो बारीकी से देख रहे थे। अचानक एक लंबा, कद-काठी वाला लड़का होटल में दाखिल होता है। उसने हुडी पहन रखी थी, और चेहरा आधा मास्क से ढका हुआ था। जैसे ही वो रिसेप्शन से चुपचाप चाबी लेकर गुंजन के कमरे की ओर बढ़ता है, स्वाति स्क्रीन पर चिल्ला उठती है — “मैम, वही है! वही चाल, वही अंदाज़!”
रॉकी तुरंत अपने आदमियों को इशारा करता है — "ब्लॉक एंट्रेंस, और सब तैयार रहो। इस बार वो बचना नहीं चाहिए!"
गुंजन अंदर से घबराई हुई थी, पर चेहरा बेहद शांत था। अचानक कमरे का दरवाज़ा खुलता है और वो लड़का अंदर आता है। उसकी चाल में आत्मविश्वास था, मानो वो जानता हो कि सामने कौन है और क्यों आया है।
वो धीमे कदमों से गुंजन के पास आता है, झुककर उसके कान में फुसफुसाता है —
"I missed you, sweetheart..."
गुंजन ने धीरे से आंखें खोलीं, नशे में झूलते हुए कहा —
“तुम फिर आ गए... मुझे पता था...”
पर अगले ही पल, वह जोर से कहती है —
“अभी!”
कमरे का दरवाज़ा धड़ाम से खुलता है, चारों तरफ से गुंडे कमरे में घुसते हैं और उस लड़के को काबू में कर लेते हैं। लड़का घबरा नहीं रहा था, बस मुस्कुरा रहा था।
गुंजन उसके पास जाती है, उसके मास्क को खींचकर नीचे करती है... और वहीं ठिठक जाती है।
"अधीर?"
लेकिन चेहरा कुछ और था — अधीर जैसा दिखने वाला कोई दूसरा लड़का। गुंजन चीखती है —
"तू अधीर नहीं है! फिर तू कौन है?"
लड़का मुस्कराता है —
"तुम लोग सच के करीब आ गए हो... पर अधीर तक पहुँचने के लिए और दर्द झेलना पड़ेगा..."
रॉकी उसे मुक्का मारते हुए कहता है —
"अबे तेरे में क्या हीरो वाली आत्मा घुस गई है? बता अधीर कहां है वरना फार्मूला नंबर 63 भी तैयार है..."
गुंजन गहरी सांस लेती है, खुद को संयमित करती है।
"पकड़ो इसको... जब तक अधीर नहीं मिलता, तब तक ये हमारा रास्ता है..."
स्वाति धीरे से बोलती है —
"मैम, ये लड़का खुद को 'रक्तेश' कहता है... शायद अधीर का ही आदमी है..."
गुंजन की आँखें सख्त हो जाती हैं।
"तो खेल अब और बड़ा हो गया है... अधीर के पास मेरी दादाजी की विल की जानकारी है, और अब ये भी जानता है... कौन है ये लोग? क्यों मेरे पीछे पड़े हैं?"
वो खुद से बुदबुदाती है —
"अब इस खेल को मैं खत्म करूंगी... अधीर, तैयार हो जा... अगली बारी तेरी है..."
---
क्या अधीर खुद सामने आएगा?
क्या रक्तेश की सच्चाई और गहराई से जुड़ी है गुंजन के अतीत से?
क्या गुंजन अपने दादाजी की विल तक पहुंच पाएगी या यह खेल उसके खुद के अस्तित्व पर भारी पड़ेगा?
जाने के लिए पढ़ते रहिए...
अगर आप कहानी का अगला भाग तुरंत चाहते हैं, बताइए — मैं अगला अध्याय अभी पेश कर सकता हूँ।
रितेश हँसते हुए कहता है — "वह इतनी जल्दी हाथ नहीं आने वाला... जब तक उसका मन नहीं होगा, वह तुम्हारे सामने नहीं आएगा! अगर उससे मिलना ही है, तो अपने एगो को कम करो। मैं तुमसे नहीं... वह खुद आकर तुमसे मिलेगा!"
रितेश की बात सुनकर गुंजन गुस्से में तिलमिलाती है और तेज़ क़दमों से वहाँ से निकल जाती है। उसके जाते ही —
रितेश ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगता है!
उसे यूँ हँसते देख, पास खड़ा एक आदमी ग़ुस्से में उसका मुँह पकड़कर ज़ोरदार मुक्का जड़ते हुए कहता है — "चुप कर जा, चिरकुट! वरना यहीं पर जिंदा काट दूँगा!"
तभी बाहर से गुंजन की तेज़ आवाज़ आती है! उसकी आवाज़ सुनते ही रॉकी घबरा कर वहाँ से भाग खड़ा होता है।
जैसे ही वो लोग केबिन में पहुँचते हैं — वहाँ पहले से एक इंसान बैठा होता है। उसने अपना बड़ा सा सिर झुका रखा था... पैर दोनों टेबल पर! उसने एक ब्लैक कलर की लेदर जैकेट पहन रखी थी, और ब्लैक डेनिम जीन्स।
उसे देखते ही गुंजन ग़ुस्से से तमतमाती है —
"हाउ डेयर यू? यह मेरी कुर्सी है! कैसे बैठे तुम यहाँ? तुम्हारी इतनी हिम्मत!"
वो चिल्लाती है — "रॉकी! हटाओ इसे यहाँ से!"
रॉकी तुरंत उसके पास जाकर उसे कुर्सी से उठाने की कोशिश करता है, मगर...
उस आदमी के एक ही मुक्के में रॉकी दीवार से जा टकराता है और ज़मीन पर गिरकर बेहाल हो जाता है!
यह देखकर गुंजन को गहरा अचरज होता है। पहाड़ जैसा रॉकी... और यह आदमी उसे एक मुक्के में गिरा देता है!
वह आगे बढ़ती है और पूछती है —
"कौन हो तुम?"
वो इंसान धीरे से अपना कप हटाता है। और उसके चेहरे पर वही ब्लैक मास्क होता है... ठीक वही, जैसा उस आदमी ने पहना था जिसके साथ गुंजन दो बार हमबिस्तर हो चुकी थी!
उसे सामने देख, गुंजन ग़ुस्से में लाल होकर चीख़ती है —
"अगर तुम्हें ऐसे ही मिलना था, तो उस छिछोरे को क्यों भेजा?!"
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ये सब करने की?! मैं तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी!"
ये कहकर गुंजन अपनी जेब से बंदूक निकालती है!
बंदूक निकलते ही — अधीर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगता है!
उसे यूँ हँसते देख, गुंजन कुछ पल चौंकते हुए कहती है —
"तुम्हें मौत से डर नहीं लगता?"
अधीर उठकर खड़ा होता है... गहरी अंगड़ाई लेते हुए कहता है —
"अगर डरता, तो तुम्हारे साथ इतना कुछ करता ही क्यों? और ठीक है, मार दो मुझे! मगर तुम्हारी दादी की 'विल' भी मेरे साथ चली जाएगी!"
दादा की विल का नाम सुनते ही, गुंजन हैरानी में पड़ जाती है।
वो चौंकते हुए पूछती है —
"तुम कैसे जानते हो मेरे दादा को? और इस 'विल' के बारे में तुम्हें क्या पता है?"
अधीर एक कदम आगे बढ़ता है और कहता है —
"विल में साफ़-साफ़ लिखा है — अगर अगस्त से पहले तुमने मुझसे शादी नहीं की, तो यह 'दिल को डॉग' वाली प्रॉपर्टी चैरिटी के नाम हो जाएगी!"
यह सुनते ही गुंजन की आँखें फटी रह जाती हैं!
वह चिल्लाकर कहती है —
"तुमने मुझे क्या... इडियट समझ रखा है? ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है विल में!"
अधीर ठंडे स्वर में कहता है —
"अच्छा... तो ज़रा अपने वकील को कॉल करना! और पेज नंबर 68 पढ़ने को कहना — वहाँ पर तुम्हारी फोटो के साथ-साथ मेरी सारी डिटेल दर्ज है!"
गुंजन हैरानी से अपना फोन निकालती है।
वह वकील को कॉल करते हुए कहती है —
"सुनो! तुमने विल पूरी ठीक से पढ़ी थी न? कोई भी पॉइंट मिस तो नहीं किया था?"
वकील जवाब देता है —
"नहीं... मैंने एक भी पॉइंट मिस नहीं किया है!"
गुंजन ग़ुस्से में कहती है —
"अच्छा, तो पेज नंबर 68 पर क्या लिखा है?"
वकील जल्दी-जल्दी पन्ने पलटता है।
पेज नंबर 68 पर अधीर का नाम और उसकी फोटो होती है।
साफ़-साफ़ लिखा होता है —
"अगर अगस्त से पहले गुंजन ने अधीर से शादी नहीं की, तो यह प्रॉपर्टी किसी और के नाम हो जाएगी। और गुंजन को पूरे 3 साल अधीर के साथ बिताने होंगे। अगर उससे पहले उनका डिवोर्स हुआ, तो प्रॉपर्टी पूरी की पूरी अधीर के नाम हो जाएगी!"
वकील ये सब पढ़कर गुंजन को सुनाता है।
गुंजन की हवाइयाँ उड़ जाती हैं!
वह ग़ुस्से में चीख़ पड़ती है —
"यू ब्लडी इडियट! तुमने आज तक यह नहीं देखा था?!"
"सॉरी... आई डोंट नो कैसे यह मुझसे स्किप हो गया!"
वह चिल्लाती है —
"मुझे अभी के अभी उसका फोटो भेजो!"
यह कहकर वह कॉल काट देती है और पास रखी चीज़ों को उठाकर इधर-उधर फेंकने लगती है।
उसे यूँ ग़ुस्से में देख अधीर हँसते हुए कहता है —
"सामान तोड़ने से कुछ नहीं होगा! तुम्हें मेरे साथ शादी करनी ही होगी!"
गुंजन उसकी ओर घूरते हुए कहती है —
"आख़िर दादा ने तुम्हारे अंदर ऐसा क्या देखा... जो मेरी शादी तुम्हारे साथ फिक्स कर दी? तुम दादा को कैसे जानते थे?"
अधीर फिर हँसता है और कहता है —
"वो मेरे गुरु थे। उन्होंने मुझे मार्शल आर्ट सिखाई थी। और... उन्होंने ही मुझे पाला-पोसा भी था!"
"कोई गुरु अपनी बेटी को कैसे..."
गुंजन की बात अधीर काट देता है —
"ये सब बात की बात है! अब तुम्हें मुझसे शादी करनी है... और मेरे गाँव मेरी दुल्हन बनकर चलना है!"
गुंजन चीख़ती है —
"मैं कहीं नहीं जा रही!"
अधीर मुस्कुराकर कहता है —
"चलना तो पड़ेगा... वरना मैं चला!"
यह कहकर अधीर वहाँ से चला जाता है।
उसके जाते ही, गुंजन गहरी साँस लेती है और थककर पास की चेयर पर बैठ जाती है।
रॉकी और स्वाति उसके पास आते हैं।
स्वाति धीरे से कहती है —
"मैं तो कहूँगी... आपको उससे शादी कर लेनी चाहिए। वरना आपकी वो प्रॉपर्टी — जिसमें आपने सालों मेहनत की — वो चैरिटी में चली जाएगी! और आपके हाथ कुछ नहीं लगेगा!"
"फैसला आपका है... क्या चाहते हैं आप? कि आपकी पहचान मिट जाए... या फिर आप किसी योजना के तहत उससे निपटें?"
"आप उससे शादी कीजिए... उसके गाँव जाइए। कुछ महीने रहिए... फिर कोई जुगाड़ करके वापस आ जाइए। और अगर कुछ न हो सके, तो उसे मार दीजिए — लेकिन शादी पहले कर लीजिए!"
स्वाति की बात सुनकर गुंजन कुछ पल के लिए चुप हो जाती है।
उसके दिमाग़ में एक 'खुरापाती' आइडिया आता है...
अब देखना ये है — आख़िर गुंजन क्या करेगी?
क्या वह अधीर से शादी करेगी? या... कोई ऐसा चाल चलेगी जिससे सब उलट जाए?
वह मुस्कुराते हुए स्वामी से कहती है,
"सुनो... शादी की तैयारी करो। और हाँ, याद रहे — अगर हस्बैंड की डेथ नेचुरल हो तो?"
फिर कुछ पल रुककर वह माथे पर बल डालती है,
"मतलब... मैं समझी नहीं। उसमें लिखा है कि हस्बैंड को कुछ हो नहीं सकता... लेकिन अगर उसकी मौत नेचुरल हो जाए... या फिर किसी गुंडागर्दी में मारा गया हो... तो? तब तो सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम हो सकती है ना?"
स्वामी कुछ देर सोच में डूबा रहता है, फिर गंभीर स्वर में कहता है,
"हाँ... ऐसा संभव है। अगर ऐसी कोई कंडीशन आ जाए जहाँ उसकी मौत नेचुरल या एक्सिडेंटल लगे, या फिर किसी और के कारण हो... तो प्रॉपर्टी आपके नाम हो सकती है।"
गुंजन की आँखों में लोभ और चालाकी चमक उठती है। वह धीरे से मुस्कुराकर कहती है,
"तो फिर ठीक है... शादी की तैयारी करो। मैं कल ही उससे शादी करूंगी। और कुछ दिन में उसे खत्म करके... सारी प्रॉपर्टी अपने नाम कर लूंगी।"
इतना कहते ही गुंजन के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है।
वह रितेश के पास जाती है और उसकी रस्सियाँ खोलते हुए कहती है,
"सुनो... जाकर अपने बॉस से कह दो कि मैं शादी के लिए तैयार हूँ। और वह कल दूल्हा बनकर पास वाले मंदिर में आ जाए।"
रितेश आज़ाद होते ही वहाँ से भाग निकलता है।
अगली सुबह...
स्वामी, रॉकी और उसके दोस्त गुंजन को लेकर मंदिर पहुँचते हैं।
गुंजन ने सफेद रंग का लहंगा पहन रखा था — बिना एंब्रॉयडरी, बिना डिज़ाइन का, एक बेहद सादा सा लहंगा।
मानो किसी की मय्यत पर आई हो...!
वह पंडित जी के पास जाकर कहती है,
"पंडित! जल्दी-जल्दी मंत्र शुरू करो, मुझे शादी करनी है।"
पंडित चौंककर उसकी तरफ देखता है और कहता है,
"बेटी... इस कपड़े में शादी नहीं हो सकती। तुमने सफेद कपड़ा पहना है। सफेद कपड़ा हम मय्यत में पहनते हैं।"
गुंजन तीखे स्वर में कहती है,
"पंडित! अपना काम कर, ज्ञान मत दे। जितना कहा है, उतना कर।"
फिर वह रॉकी की तरफ इशारा करती है।
रॉकी अपनी जेब से नोटों का बंडल निकाल कर पंडित के हाथ में रख देता है।
पंडित चुपचाप बंडल जेब में डालता है और मंत्रोच्चारण की तैयारी में लग जाता है।
उधर रॉकी और स्वाति मंदिर के गेट पर खड़े होकर अधीर का इंतज़ार कर रहे थे।
काफी समय बीत जाता है, लेकिन अधीर नहीं आता।
रॉकी गुंजन के पास आकर कहता है,
"Are you sure अधीर आएगा? मुझे नहीं लगता कि वो यहाँ आएगा... शायद डर गया हो।"
गुंजन हल्के से मुस्कुरा कर जवाब देती है,
"वो डरने वालों में से नहीं है। I'm damn sure, वो ज़रूर आएगा।"
तभी... सामने से कुछ अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं।
लोगों की निगाहें मंदिर की सीढ़ियों की ओर दौड़ती हैं।
दूर से एक झुंड किसी को कंधों पर उठाकर ला रहा होता है — एक लाल शेरवानी पहना हुआ युवक।
उसके आगे-पीछे ढोल बज रहे थे, लोग नाचते-गाते मंदिर की ओर बढ़ रहे थे।
रॉकी खुशी से चिल्लाता है,
"गुंजन! वो आ गया!"
गुंजन मुस्कुराते हुए पंडित जी के पास जाकर बैठ जाती है।
भीड़ मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ती है। अधीर और उसके दोस्त ऊपर आते हैं।
गुंजन को मंडप में बैठे देखकर सब हैरान रह जाते हैं।
तभी भीड़ में से उषा आई आगे आती है। वह दाँत पीसती हुई गुंजन से कहती है,
"अरे कलमुंही! ये मेरे बेटे की शादी है... और तूने सफेद कपड़ा क्यों पहना है? मेरे राजकुमार के मरने के दिन नहीं आए हैं अभी!"
गुंजन चुभती हुई मुस्कान के साथ कहती है,
"ए बुढ़िया! शादी में आई है तो शादी कर, खाना खा, और चलती बन!
मरना-जीना तो वक्त तय करेगा... अब तेरा बेटा जब मौत से शादी करेगा... तो उसकी मौत भी दुल्हन की तरह सज-धज कर लाल जोड़े में ही तो आएगी।"
उसकी कड़क आवाज़ सुनकर उषा आई पीछे हट जाती है और अधीर के पास जाकर कहती है,
"बेटा, ये कैसी बहू चुनी है तूने? देख, उसने सफेद कपड़ा पहन रखा है! सफेद कपड़े में शादी होती है क्या?"
अधीर मुस्कुराते हुए उसकी बात सुनता है और आई के गालों को हल्के से खींचते हुए कहता है,
"आई... बस इतनी सी बात? तेरे लिए कुछ भी। तू चाहती है शादी लाल कपड़े में हो? हो जाएगी।"
वह आगे बढ़ता है, सिंदूर की थाली उठाता है और सीधा गुंजन के ऊपर सिंदूर उछाल देता है।
गुंजन के पूरे कपड़े लाल हो जाते हैं।
सभी बाराती ताली बजाते हैं, हँसते हैं।
गुंजन गुस्से से उठ खड़ी होती है और चिल्लाती है,
"शिव! ब्लडी इडियट! हाउ डेयर यू! तुम्हें पता है ये ड्रेस कितनी महंगी थी?"
अधीर मुस्कराकर जवाब देता है,
"कितनी भी महंगी हो, पर मेरी उषा आई की खुशी के सामने... सस्ती ही है।"
गुंजन गुस्से में उसे थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाती है, लेकिन अधीर उसका हाथ पकड़ लेता है।
"मैडम! सोचना भी मत। एक थप्पड़ भी मारा न... तो आपको पता है ना, आपका बिल आपके हाथ से चला जाएगा। मैं शादी से मना कर दूँगा... फिर आप भटकती फिरिएगा, कटोरा लेकर!"
रॉकी और स्वाति फौरन पास आते हैं और गुंजन को समझाते हैं,
"मॉम, जाने दीजिए..."
गुंजन तीखी नज़र से दोनों को देखती है और कहती है,
"कौन सा मुझे शादी को सफल बनाना है? दो दिन में इसे मारकर वापस आ जाऊँगी।"
इतना कहकर वह नाक सिकोड़ते हुए चुपचाप मंडप में बैठ जाती है।
उसके पास अधीर भी बैठ जाता है और मुस्कुराकर कहता है,
"पंडित जी, शादी के मंत्र शुरू कीजिए।"
पंडित मंत्रोच्चारण शुरू ही करता है कि...
तभी... बंदूक चलने की आवाज़ गूंजती है!
धाँय... धाँय...!
हर कोई ठहर जाता है।
मंदिर की सीढ़ियों से खटर-पटर की आवाज़ें आने लगती हैं... मानो बहुत से लोग चारों तरफ से मंदिर को घेर रहे हों...!
क्या कोई हमला हुआ है?
कौन है जो शादी को रोकना चाहता है?
या क्या यह अधीर के अतीत का कोई खूनी सच है जो मंडप तक चला आया...?
✦ जारी रहेगा...
आप को कहानी कैसा लगा बताना न भूलिए गा और हा हो सके तो कमेंट फॉलो करना ना भूलेगा और रिव्यू दे दीजिएगा मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में तब तक के लिए बाय-बाय
बंदूक की गोलियों की आवाज सुनकर हर कोई डर जाता है! चारों तरफ से सीढ़ियों से खतर-पटर की आवाज़ें आने लगती हैं... मानो चारों तरफ से किसी ने उन्हें घेर लिया हो!
उन सब की आवाज़ें सुनकर मंडप में बैठे गुंजन और अधीर, दोनों की आंखें एक-दूसरे को घूर रही थीं। तभी, सीढ़ियों से ऊपर आते हुए वहाँ उन्हें... "अवैध मल्होत्रा" दिखता है!
गुंजन की आंखें उसे देखकर सिकुड़ जाती हैं। वो रॉकी की तरफ इशारा करती है, लेकिन तब तक अवैध के आदमियों ने रॉकी को कसकर पकड़ लिया था!
चारों तरफ से घेरते हुए अवैध चीखता है —
"गुंजन! तू शादी नहीं कर सकती! अगर की, तो आज खून की लाशें बिछेंगी! और मैं एक पल को भूल जाऊंगा कि तू मेरी भतीजी है!"
गुंजन, उसकी बात सुनते हुए मुस्कुराती है... और हँसते हुए खड़ी होकर बोलती है —
"ये कौन रहा है आप?! आपने कभी सोचा भी था कि मैं आपकी भतीजी हूँ?! बचपन से तो आप मेरे मरने के ही प्लान बनाते आए हैं!"
"आपको लगता है कि आपकी खोखली धमकियों से डर जाऊँगी? चाहे कुछ भी हो जाए, मैं ये शादी करके रहूँगी!"
उसकी बात सुनकर अवैध जोर-जोर से हँसता है —
"रस्सी जल गई पर बल नहीं गया!"
"चारों तरफ मौत के सौदागर खड़े हैं, और तुझे अपनी अकड़ छोड़नी नहीं आ रही! चल देखता हूँ, आज किस तरह से तू शादी करती है!"
यह सुनकर अधीर उठ खड़ा होता है। वो दौड़कर अवैध के पास जाता है और कहता है —
"मालिक! आप... आगे मलिक! मुझे पता था आप शादी रोकने आएंगे! पर मालिक, ऐसा मत करिए! मेरी पहली बार शादी है!"
"...वैसे भी, आप सही कह रहे हैं! इस लड़की के साथ कौन ही शादी करना चाहेगा? जबरदस्ती कर रही थी! धमकी देकर मुझे मंडप में बिठा दिया... वरना मैं यहाँ आता ही क्यों?!"
"आप जो करना चाहते हैं, इस लड़की के साथ करिए... मैं आपको बिल्कुल नहीं रोकूंगा!"
अधीर का बदला रूप देखकर स्वाती, गुंजन के पास आकर कहती है —
"मैं कह रही थी ना, ये डरपोक निकला! बंदूक देखते ही इसकी हवा टाइट हो गई! और तुम इससे शादी करने वाली थी?"
तब तक गुंजन, गुस्से में तमतमाते हुए आगे बढ़ती है! अधीर के पास जाती है और कहती है —
"मुझे पता था, तुम फट्टू हो! एक नंबर के पट्टू हो! अरे, तुमने पलड़ा देखा नहीं कि पार्टी बदल ली?!"
अधीर, मुस्कुराते हुए कहता है —
"मैडम, शादी तो कभी भी हो सकती है! पहले जान बचेगी, तब तो कुछ होगा! अगर इन्होंने मुझे मार दिया तो... मेरा क्या होगा? मुझे मेरा वंश बढ़ाना है! मेरे बच्चे चाहिए! पूरी क्रिकेट टीम खड़ी करनी है!"
उसकी अजीब बातें सुनकर गुंजन का गुस्सा सातवें आसमान पर था!
तभी कबी (कोई और किरदार) आगे बढ़ते हुए कहता है —
"मालिक! आप चिंता मत करो! मैं कभी भी इस लड़की को वरमाला नहीं पहनाऊँगा... और ना ही इससे पहनूँगा!"
...यह कहते हुए वो गुंजन के हाथों से वरमाला उठाकर उसके गले में डाल देता है!!!
और फिर नाटकीय अंदाज़ में बोलता है —
"ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं करने वाला था! बस ट्रेलर दिखा रहा हूँ! अगर इसने कहा कि मैं मना कर दूँ, तो मैं झट से कर दूँगा!"
अवैध, दूर से यह सब देखकर... मुस्कुरा रहा था।
अधीर, अवैध के पास जाता है और कहता है —
"देखिए! उसने मुझे माला तो पहना दी! पर आप चिंता ना करें! मैं इससे शादी-वाडी नहीं करने वाला!"
गुंजन, गुस्से में जल-भुनकर कहती है —
"क्या मतलब है तुम्हारे 'ऐसी लड़की' से?! मैं कोई ऐसी-वैसी लड़की नहीं हूँ!"
यह कहते हुए वह अवैध के पॉकेट से चाकू छीन लेती है!
अवैध, कुछ करने ही वाला होता है, लेकिन गुंजन चिल्लाती है —
"चाचा जी! आप रुक जाइए! आप इसे क्या मारेंगे?! मैं इसे खुद ही मार देती हूँ!"
वो चाकू सीधा अधीर की तरफ खींच लेती है।
अधीर, डरते हुए झुक जाता है!
यह देखकर अवैध फिर हँस पड़ता है —
"अच्छा है! तुम मियाँ-बीवी दोनों मर जाओ... कम से कम तुमसे पीछा तो छूटेगा!"
इतना कहा ही था कि अधीर, गुंजन के हाथ में पकड़े चाकू को कसकर पकड़ लेता है! उसके हाथ में कट लग जाता है, और खून बहने लगता है!
वो उसी खून को उठाकर गुंजन की मांग में भर देता है, और झट से अपनी जेब से मंगलसूत्र निकालकर उसके गले में बाँध देता है!
एक पल के लिए गुंजन भी हैरानी में उसे देखती रह जाती है!
अवैध, यह देख गुस्से में बंदूक तानते हुए चिल्लाता है —
"तूने क्या किया?!"
अधीर, हँसते हुए जवाब देता है —
"शादी की है! दिखाई नहीं देता?! साले कुत्ते! क***! तूने मुझे धोखा दिया! आज तुझे छोड़ूंगा नहीं! देखता हूँ, कैसे अपनी दुल्हन को लेकर जाएगा! आज गोलियों से भूनकर ही छोड़ूंगा!"**
उसकी बात सुनकर अधीर जोर-जोर से हँसता है! इतना हँसता है कि सब हैरानी से उसे देखने लगते हैं।
फिर वह पास में पड़ी कुर्सी खींचकर बैठता है, टांग पर टांग रखकर कहता है —
"अगर किसी में दम है... तो आकर के गुंजन को छूकर दिखाओ! यकीन मानो, शादी तोड़ दूंगा!"
"...पर अगर छू लिया — तो तुम्हारा वो हास्य करूंगा, जिसके बारे में तुमने सोचा भी नहीं होगा!"
अवैध, अपने आदमियों को इशारा करता है। सब दौड़ते हुए अधीर पर हमला करने बढ़ते हैं!
एक आदमी जैसे ही गुंजन को छूने वाला होता है...
अधीर ने उसे खींचकर सीधा लात मारा!!!
अधीर के लत लगने की वजह से वह आदमी सीडीओ से होते हुए सिद्ध मंदिर के बाहर जाकर गिरता है यह देखकर के हर कोई हैरानी से अधीर की तरह देख रहा था तब तक उषा ताई तेजी से सीटी बजाते हुए कहते हैं मार सालों को इतना मार्किंग की नई याद आ जाए कि तेरी शादी में रुकावट बनने आए थे ना इनको इनकी शादी की दिन याद दिला दे
अधिक देखते-देखते सभी को पीट रहा था अधीर को ऐसा देखते ही अवैध अपने आदमियों को कुछ इशारा करता है और सब उसकी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराते है
अब क्या करेगा अवैध ..!
क्या चल रही थी उसके मन में कोई दूसरी योजना
बोनस प्वाइंट
जानने के लिए पढ़ते रहिए माय डार्क डिजायर एंड हॉफ बे रेडी फॉर सुहागरात कॉन्सेप्ट काफी दमदार होने वाला है कुछी दिन में आप सबके सामने होगा
अवैध का इशारा पाकर, उसके आदमी उषा ताई को चारों तरफ से घेर लेते हैं।
अवैध चिल्लाकर कहता है, “अगर तुम्हें तुम्हारी ताई की जान प्यारी है, तो अभी के अभी सब कुछ रोक दो... वरना ताई तो फालतू में भुनी जाएगी!”
ताई को गिरा देख, अधीर रुक जाता है। वह अपने हथियार नीचे रखते हुए कहता है, “देखो... ताई को कुछ मत करना। अगर उनको कुछ किया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा! तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है, मुझसे लड़ाई करो... ताई को छोड़ दो!”
यह सुनकर, अवैध जोर-जोर से हँसते हुए कहता है, “जब ये पता हो कि कबूतर के अंदर राजकुमार की जान बसती है, तो राजकुमार को मारने से अच्छा है... कबूतर को ही मार दो! राजकुमार अपने आप ही मर जाएगा!”
यह कहकर, वह ताई के सिर पर बंदूक रखते हुए बोलता है, “चलो, एक खेल खेलते हैं। एक काम करो... तुम अभी गुंजन के माथे से सिंदूर मिटा दो, मंगलसूत्र हटा दो... ताई को मैं छोड़ दूँगा!”
गुंजन तब तक अधीर को इशारा करती है। अधीर उसका इशारा पाकर, पास में पड़े पूजा की थाली को देखता है। थाली देखकर, वह धीरे-धीरे उसे पैरों से खिसकाते हुए अपने पास लाता है। गुंजन आगे बढ़कर कहती है—
“चाचाजी! मैं शादी की है, कोई गुड़िया-गुड्डे का खेल नहीं... कि जब मन किया, कर लिया... जब मन किया, रहने दिया! अरे, आप थोड़ा तो समझिए... अब तो शादी हो चुकी है!”
अवैध मुस्कुराते हुए कहता है, “हुई तो है... पर उसका सबूत नहीं है न! जब तक सबूत नहीं रहेगा, कोई मानेगा कैसे?”
तब तक गुंजन अपने पैरों को खींचकर, अवैध के पैरों में मारती है। जैसे ही अवैध वाहन से गिरने ही वाला था, अधीर तुरंत रंगों की थाली को आसमान में उड़ा देता है!
चारों तरफ रंग ही रंग उड़ने लगते हैं... किसी की आँखों के सामने कुछ भी साफ़ नहीं दिख रहा।
अधीर दौड़कर अवैध के गालों पर कसकर तमाचा जड़ता है और गरजते हुए कहता है, “साले! अपने गुंडों से बोल... बंदूक नीचे रख दें! वरना आज तू खुद यहाँ पर तंदूरी चिकन बन जाएगा!”
अपने सिर पर बंदूक देख, अवैध की हवा टाइट हो जाती है। वह लड़खड़ाते हुए कहता है, “बंदूकें...? ये सनकी है... साला मार देगा!”
अवैध की बात सुनते ही, उसके सारे आदमी डरकर बंदूकें नीचे रख देते हैं।
तब तक अधीर सीटी बजाता है... और सीढ़ियों से होते हुए ढेर सारे न्यूज़ रिपोर्टर्स वहाँ आ धमकते हैं!
उन्हें देखकर, अधीर मुस्कुराते हुए कहता है, “लिए लिए... आप सब का इंतज़ार था! वर्ल्ड की वन ऑफ़ द मोस्ट फेमस बिज़नेस वुमन... गुंजन मल्होत्रा की शादी, मुझसे—यानि अधीर से—हो गई है!”
अधीर का ये प्लान देखकर, गुंजन भी एक पल के लिए सन्न रह जाती है! वह हैरानी से अधीर की तरफ देखते हुए कहती है, “तुमने ये क्या किया...? पब्लिकली अनाउंस करना ज़रूरी था?”
तब तक अधीर आँख मारते हुए कहता है, “मैडम... आप बस देखती जाओ!”
सारे रिपोर्टर्स कैमरा और माइक लेकर गुंजन से सवालों की बौछार कर देते हैं—
“मिस गुंजन! आपने शादी क्यों की?”
“आप तो इंडिया की अब तक की वन ऑफ़ द बिगेस्ट और लीडिंग बिज़नेस वुमन हैं!”
“आपके पास तो बहुत रिश्ते होंगे... फिर एक राह चलते इंसान से शादी करने का क्या रीजन था?”
यह सुनते ही, उषा ताई गुस्से में कहती हैं, “तुमने रास्ता चला किसे कहा? अरे हमारा अधीर किसी हीरो से कम है क्या? पूरी चाल की लड़कियाँ उस पर मरती हैं! और इतना ही नहीं, पूरे चाल का मसीहा है... मसीहा!”
उषा ताई की बात सुनकर, रिपोर्टर्स एक पल के लिए शांत हो जाते हैं।
तब तक अधीर बंदूक को कसते हुए कहता है, “मिस्टर मल्होत्रा... अगर अब आपने कोई चालाकी दिखाई, तो ये सब... सारे चैनल्स पर चल जाएगा! और इसके बाद... आपके आने वाले इलेक्शन में क्या हाल होगा, ये तो आप अच्छे से जानते ही होंगे! इसलिए... चुपचाप शादी में आए हैं, तो आशीर्वाद दीजिए।”
यह कहकर, अधीर आगे बढ़ते हुए कहता है, “अरे... ये हमारा लव मैरिज था! हम दोनों बहुत खुश हैं... है ना, गुंजन?”
वह गुंजन की तरफ इशारा करता है। गुंजन दाँत पीसते हुए अधीर को घूरती है।
स्वामी धीरे से उसे ठोकते हुए कहती है, “जैसा वो कह रहा है... हाँ करिए! ये न्यूज़ हर कोई देख रहा होगा। अगर आपने ज़रा सा भी होशियारी दिखाई... तो तुम्हारा पूरा शेयर मार्केट पानी में डूब जाएगा! इतने सारे बिज़नेस डील्स कैंसिल हो जाएँगे!”
स्वामी की बात सुनकर, गुंजन अपने चेहरे पर झूठी मुस्कान लाते हुए अधीर के पास आती है... और उसे करीब खींचते हुए कहती है, “हाँ... हमारा लव मैरिज था! हम बहुत खुश हैं... शादी से।”
यह कहकर, वह दोनों आगे बढ़कर उषा ताई का आशीर्वाद लेते हैं... और मल्होत्रा के पैर छूते हैं।
अधीर आँख मारकर इशारा करता है, तो मल्होत्रा कैमरों के सामने दिखावे के लिए एक पल को आशीर्वाद देते हैं... और फिर चुपचाप वहाँ से निकल जाते हैं।
उनके जाने के बाद, रिपोर्टर्स भी धीरे-धीरे दूसरी ओर खिसक जाते हैं।
गुंजन गुस्से में अधीर का गला पकड़ते हुए कहती है, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इस रिश्ते को पब्लिक करने की? तुमने एक बार मुझसे पूछा तक नहीं!”
यह सुनकर, अधीर उसका हाथ पीछे करते हुए मुस्कराता है, “मैडम... अब आप हमारी पत्नी हैं! ज़रा पति की रिस्पेक्ट करिए... पति भगवान समान होता है! और रही बात रिश्ते को पब्लिक करने की... तो मैंने ये सब सिर्फ़ तुम्हें बचाने के लिए किया!”
“अगर रिपोर्टर्स नहीं आते... तो अवैध और मल्होत्रा आज हमारा खून कर चुके होते। हाँ, उनसे तो तुम बच गईं... लेकिन मुझसे तुम्हें कोई नहीं बचा सकता!”
यह कहकर, अधीर के पीछे गुंजन चाकू लेकर दौड़ती है! अधीर हँसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाता है और मंदिर के चारों तरफ भागता है।
वह थक-हारकर हँफते हुए कहता है, “रुको... रुको... मैं बताता हूँ! वो सब फेक न्यूज़ रिपोर्टर्स हैं!”
यह सुनते ही, गुंजन के चेहरे की हवाइयाँ उड़ जाती हैं, “क्या???”
“हाँ! तुम भी कन्फ्यूज़ हो गई ना...? वो सब हमारे नाटक कंपनी के लोग थे। जब भी समाज में कोई छोटा-मोटा नाटक होता है, हम सब रोल प्ले करते हैं! मैंने बस उन्हें यहाँ बुला लिया... ताकि वो हमारी हेल्प कर सकें!”
यह सुनकर, गुंजन के चेहरे पर एक राहत की साँस आ जाती है...
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आगे क्या करेगा अधीर...? कहाँ जाएगी गुंजन...? और क्या होगा उनके रिश्ते का अंजाम...? जानने के लिए पढ़ते रहिए... .
भले ही वो फेक न्यूज रिपोर्टर्स थे, पर एक बात अच्छी हो गई — हमें स्लिप मिल गई। अब तुम्हारे चाचा चाह कर भी तुम्हारा कुछ नहीं कर सकते! — अधीर की आंखों में जीत की चमक थी।
तभी उषा ताई तेज़ी से पास आकर बोलीं, "अरे भाई! विदाई का समय हो गया है... लड़की को ससुराल भी लेकर चलना है या नहीं?"
ताई की बात सुनकर अधीर मुस्कुरा उठा। होंठों पर हल्की शरारती हंसी तैर गई। उसने कहा, "हाँ हाँ... ज़रूर ज़रूर।"
वह हल्की सी मुस्कान के साथ गुंजन की ओर देखते हुए बोला, "चलो, घर की ओर।"
गुंजन अधीर को घूरते हुए बोली, "घर...? और मैं...? सुनो, बात हमारी शादी की हुई थी, शादी हो गई। अब तुम मेरे घर पर रहोगे... घर जमाई बनकर!"
उसकी बात सुनते ही उषा ताई बीच में आ गईं। ताई ने आंखें तरेरीं और बोलीं, "ए छोरी! तेरा दिमाग ठीक है कि नहीं? लड़का है वो! आज तुझे उसके घर जाना होगा। शादी की है तुम दोनों ने!"
"मैं किसी के घर नहीं जा रही। जिसे भी रहना है वो मेरे घर पर आकर रहे।" — गुंजन ने ताई की बात काटते हुए ठंडी आवाज़ में कहा।
यह सुनकर अधीर मुस्कुराया। आंखों में शरारत थी। बोला, "तो ठीक है... फिर जाने दो प्रॉपर्टी ट्रस्ट को। मैं भी अपना हाथ खड़ा कर दूंगा।"
तभी रॉकी और स्वाति गुंजन के पास आए। रॉकी फुसफुसाया, "हाँ बोल दो ना... कुछ दिन की ही तो बात है। फिर अपने प्लान के हिसाब से इसका काम तमाम कर देंगे... और सारी प्रॉपर्टी तुम्हारी।"
स्वाति ने भी सिर हिलाया। गुंजन थोड़ी देर सोचती रही... और फिर ठंडी सांस लेकर बोली, "ठीक है..."
वह जाने को तैयार हो गई।
सब लोग गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी सीधा घर की ओर बढ़ चली। हाईवे से होते हुए रास्ते के उस मोड़ पर पहुँची, जहाँ सड़क और गड्ढों का कोई फर्क नहीं था। मानो गड्ढे में सड़क थी या सड़क में गड्ढे।
गुंजन गुस्से से तमतमाई। अधीर की तरफ देखते हुए बोली, "तुम लोग रहते कहां हो? ये सड़क है या जंगलों के बीच की पहाड़ियाँ? कितने गड्ढे हैं यहाँ!"
गुंजन की बात सुनकर सब हँस पड़े। अधीर हँसते हुए बोला, "थोड़ा सब्र करिए, घर आता ही होगा।"
कुछ ही देर में घर आ गया।
चाल की तंग गलियों में चारों ओर लोग लाइन लगाकर खड़े थे। मानो पहली बार किसी ने इतनी बड़ी गाड़ी देखी हो। भीड़ इकट्ठा हो गई।
अधीर गाड़ी से बाहर निकला। लंबी अंगड़ाई लेते हुए बोला, "उतारिए आप लोग... आ गया घर हमारा।"
गुंजन ने साइड का गेट खोला। जैसे ही उसने पैर ज़मीन पर रखा — उसके पैर में गोबर लग गया।
"व्हाट द हेल इज़ दिस!" — गुंजन ने अजीब सा मुंह बनाया और पैर ऊपर उठा लिया। "ये क्या लग गया मेरे पैरों में? प्लीज़... मुझे साफ करो!" — कहते-कहते उसे उल्टी जैसा महसूस होने लगा।
उषा ताई तुरंत आगे बढ़ीं। पास में रखा पानी उठाकर उसके पैरों पर डालते हुए बोलीं, "अरे छोरी! तने गोबर नहीं देखा क्या? गाय का गोबर है। शुभ माना जाता है। गौ माता ने तेरा स्वागत किया है।"
गुंजन ने पैर साफ किए। चारों ओर देखा तो सब कुछ उसे अजीब लग रहा था। अधीर की ओर पलट कर बोली, "मैं यहाँ नहीं रह सकती। न जाने कैसे-कैसे लोग हैं यहाँ... सब ऐसे घूर कर देख रहे हैं। वो देखो चाचा... बिना कपड़ों के खड़े हैं। वो आंटी कैसी पान चबा रही है। बच्चे नंगे खेल रहे हैं... गाड़ियां धूल-मिट्टी में लिपटी हैं।"
"मैं यहाँ नहीं रहूंगी। मैं जा रही हूँ।" — कहते हुए फिर से गाड़ी में बैठने लगी।
अधीर ने गंभीर होकर कहा, "ओ माय वाइफी... अगर तुमने ज़रा भी ज़िद दिखाई तो याद रखना — मैं कॉन्ट्रैक्ट से मुकर जाऊंगा। और सारी प्रॉपर्टी चैरिटी को चली जाएगी। फिर दोबारा प्रॉपर्टी की बात मत करना!"
गुंजन दांत पीसते हुए गाड़ी से बाहर उतर आई। तभी दर्जनों महिलाएं पूजा की थाल लिए उसके स्वागत में आ गईं। अधीर की चाचियाँ बोलीं, "बेटा! बहुत बड़ी चौकी लाया है तू। बस यही विदेश की है। देखना कैसे रह पाएगी बेचारी।"
अधीर मुस्कुरा कर बोला, "चाची, आप चिंता क्यों करती हैं? बस दिखने में शहर की है... इसकी रग-रग में गाँव बसता है। है ना, गुंजन?"
गुंजन झूठी मुस्कान के साथ सिर हिला देती है।
अधीर इशारे से बोला, "गुंजन, सबके पैर छुओ। ये सब तुझसे बड़े हैं।"
गुंजन अनमने भाव से लहंगा संभालती हुई सबके पाँव छूने लगी। अंदर ही अंदर उसका गुस्सा उबाल मार रहा था, पर खुद को शांत कर रही थी।
तभी एक महिला बोल पड़ी, "बेटा, तूने शादी तो की पर सफेद जोड़ा क्यों पहन रखा है?"
गुंजन ने गहरी सांस ली। उसकी कमर में दर्द हो रहा था। दूर खड़ा अधीर उसे मुस्कुराकर देख रहा था।
इसी बीच एक और महिला उसके बालों को छूते हुए बोली, "हाय राम! क्या बाल हैं तेरे!"
दूसरी बोली, "चेहरा देखो! दूध जैसा गोरा! मुझे तो लगा मेकअप कर रखा होगा।"
इन सबका अजीब व्यवहार देखकर गुंजन का गुस्सा फूट पड़ा। वह चिल्लाकर बोली, "मेरा कमरा कहाँ है? मैं थक गई हूँ... मुझे सोना है!"
उषा ताई आगे बढ़कर बोलीं, "बेटा, अभी तो रस्में शुरू हुई हैं। बहुत सारी रस्में बाकी हैं। ऐसे कैसे सो जाओगी?"
"ताई, चाहे जो भी रस्म हो, मैं अब और कुछ नहीं करने वाली। अधीर! कान खोल कर सुन लो — अगर अभी मेरा कमरा नहीं दिखाया तो मैं ऐसा तांडव करूंगी कि सोच भी नहीं सकते!" — गुंजन गरज उठी।
अधीर आगे बढ़ा। उसके कंधे को पकड़ते हुए धीरे से मुस्कुराया और बोला, "चलो... मैं तुम्हें कमरे तक ले चलता हूँ।"
फिर दोनों घर के अंदर की ओर बढ़ गए।
साल की महिलाएं आपस में बात कर रही थी यह कैसी लड़की है आते ही गृह प्रवेश तक नहीं कराया यह सुनकर के उषा ताई उनकी बातों का जवाब देते हुए कहती है मेरी बहू मॉडर्न है शहर की बहुत बड़ी अमीर जाती है इसके अंदर लाखों आदमी काम करते हैं पर इसने शादी के लिए मेरे बेटे को चुना इसका दिल आ गया था मेरे बेटे पर है तुम सब में ऐसी हिम्मत ऐसी बहू लाने की नहीं ना तो चुपचाप से बस तमाशा देखो और आजकल की लड़कियां गृह प्रवेश ऐसा चीजों में विश्वास नहीं करती यह कहकर वह चली जाती है
जैसे ही गुंजन घर में पहुँची, उसकी आंखें हैरत से और चौड़ी हो गईं। चारों ओर नजर दौड़ाई, तो दंग रह गई।
"क्या हम... इस घर में रहने वाले हैं?" — उसके लहजे में साफ घृणा थी।
अधीर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "हाँ... मेरे पास तो यही घर है।"
फिर उसने तिरछी नजर से गुंजन की ओर देखा, जैसे जीत का ऐलान कर रहा हो। "मैंने पहले ही कहा था न — तुम मेरे साथ रह सकती हो। वैसे भी तुम्हारे पास दूसरा ऑप्शन नहीं है। रहना तो तुम्हें यहीं पड़ेगा।"
गुंजन दांत भींचते हुए कमरे में दाखिल हुई। दीवारों पर सीलन की मोटी परत, हर तरफ अजीब सी सड़ी गंध। जैसे ही उसने इधर-उधर देखा, बस एक ही कमरा था — और उसमें भी अधीर ने गड़बड़ मचा रखी थी।
गुस्से से तमतमाई गुंजन ने झटके से दरवाजा बंद किया। बालों को मुट्ठियों में जकड़ लिया। लेकिन अगले ही पल लंबी गहरी सांस लेते हुए खुद से बोली —
"बस... आज की रात। अधीर! फिर मैं तेरा ऐसा हश्र करूंगी, जो तूने कभी सोचा भी नहीं होगा।"
वह सारी भड़ास को निगलते हुए, सामान को एक ओर सरकाकर बिस्तर पर लेट गई। धूल और गंदगी के कारण उसे अजीब सी खुजली और घिन होने लगी। चिढ़ कर उसने अपना मोबाइल निकाला और एक कॉल लगाया।
फोन पर कुछ आदेश दिए और फिर शांत हो गई।
कुछ ही देर बाद, बाहर महंगी गाड़ियों की कतार लग गई। चमचमाती SUVs, बड़ी-बड़ी वैन। पूरा गांव फिर इकट्ठा हो गया, कौतुक से सब निहारने लगे।
गुंजन दरवाजे पर आई। इशारे से आदमियों को बुलाया। आदमी गाड़ियों से सामान उतारने लगे। महंगे पर्दे, आधुनिक फर्नीचर, कूलर, फ्रिज, एसी — पूरा घर पलभर में बदलने लगा। सफाई, सजावट और साज-सज्जा से घर एक आलीशान बंगला सा दिखने लगा।
उषा ताई ने हैरानी से देखा और गुस्से से तमतमाते हुए बोलीं, "ये क्या कर रही हो बहू? अपने पैसों का घमंड दिखा रही हो? मुझे ये सब नहीं चाहिए। इसे अभी के अभी वापस भेज दो!"
गुंजन ने शांत और तीखी मुस्कान के साथ जवाब दिया,
"ताई, ये पैसे का घमंड नहीं है। शादी कर के इस घर में आई हूँ... अब ये घर मेरा भी है। मैं अपने घर को अपने हिसाब से सजा रही हूँ।"
इतना कहकर वह शालीनता से अपने कमरे में चली गई।
थोड़ी देर बाद अधीर घर आया। घर का हुलिया पूरी तरह बदल चुका था। उषा ताई कुछ कहने ही वाली थीं कि अधीर ने हाथ जोड़ते हुए कहा —
"माँ, रहने दो न। शहर की लड़की है। उसे इन चीजों की आदत नहीं है। उसे जैसे रहना है, रहने दो।"
उषा ताई ने आंखों से नाराज़गी दिखाई, लेकिन चुप हो गईं।
इसी समय गांव के दूसरी ओर, आम के बगीचे में रानी आम खा रही थी। उसके हाथ में अधीर की फोटो थी। वह फोटो को देखकर मुस्कुरा रही थी, उससे बातें कर रही थी, मानो अधीर से रूबरू हो। अचानक फोटो को होठों से लगाकर चूम लिया।
तभी एक छोटा लड़का दौड़ता हुआ आया, "रानी दीदी! रानी दीदी!"
"क्या है मोनू?" — रानी ने मुस्कराकर पूछा।
"अधीर भैया अपनी दुल्हनिया लेकर आ गए हैं।"
यह सुनते ही रानी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसकी मुस्कान पलभर में गायब हो गई। उसने मोनू को एक झापड़ मारते हुए कहा,
"ए मोनू! कैसा मजाक कर रहा है रे? अगर फिर से ऐसा बोला तो... तुझे ऐसा मारूंगी कि चूर-चूर हो जाएगा। तुझे पता है ना — अधीर की शादी सिर्फ मुझसे होगी!"
"दीदी, हम सच बोल रहे हैं। पूरे गांव में लोग उसकी तारीफ कर रहे थे। लड़की दूध जैसी गोरी है। आते ही उसने घर को स्वर्ग बना दिया है। देखो कितनी बड़ी-बड़ी गाड़ियां लेकर आई है।"
यह सुनते ही रानी नंगे पैर भाग पड़ी। उसके लिए रास्ते के कांटे, कीचड़, कुछ भी मायने नहीं रखते थे। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वह हांफते हुए अधीर के दरवाजे पर पहुँची। बाल बिखरे हुए, चेहरा पसीने में भीगा।
अधीर ने उसे देखा तो बोला, "अरे रानी! क्या हुआ? इतनी हांफ क्यों रही हो?"
रानी आगे बढ़ते हुए बोली, "तूने मुझे बताया तक नहीं कि तू शादी कर रहा है!"
"अरे यार! I'm so sorry रानी। मजबूरी थी। करना पड़ा। और वैसे भी अब शादी हो गई है... तू मेरी अच्छी वाली दोस्त है ना। चल तुझे अपनी बीवी से मिलवाता हूँ।"
रानी हड़बड़ाते हुए बोली, "नहीं... नहीं... अभी नहीं। मैं फ्रेश होकर मिलूंगी।"
इतना कहकर रानी वहां से चली गई। दूर जाकर जोर-जोर से फूट पड़ी। उसके सपने चकनाचूर हो गए थे। अधीर के साथ घर बसाने का सपना वो कब से देख रही थी।
गुस्से में बड़बड़ाते हुए वह बोली,
"अधीर! तूने शादी तो कर ली... पर उस लड़की को मैं जिंदा नहीं छोड़ूंगी। तुझ पर सिर्फ मेरा हक है। और इस हक को पाने के लिए मैं कुछ भी करूंगी।"
उसकी आंखों में अब शैतानी चमक थी। वह मंदिर की ओर बढ़ी। वहां पंडित को देख कर बोली, "पंडित जी... मेरे एक काम कर दीजिए।"
पंडित चौक पड़ा। "क्या काम बेटी?"
"बस इतना काम है कि अगर आप कर दें तो मैं आपका राज छुपा लूंगी।"
"कैसा राज?" — पंडित परेशान हो गया।
रानी उसके कान के पास जाकर फुसफुसाई,
"पंडित जी... मेले में आपको चिकन खाते हुए देख लिया था मैंने। अगर आप चाहते हैं कि गांव वालों की लाठी ना पड़े... तो जो मैं कह रही हूँ वो कर दीजिए।"
पंडित के चेहरे का रंग उड़ गया।
पंडित लड़खड़ाते हुए कहते हैं देखो रानी बेटा तुम तो मेरी बिटिया हो ना प्यारी सी सुंदर सी सुशील सी ऐसी बातें क्यों करती हो और भला हम तुम्हारे काम क्यों नहीं आएंगे तुम काम बताओ क्या काम करना है तुम कहोगी तो हम तुम्हारे लिए सब कुछ कर देंगे बस यह बात किसी को मत बताना ठीक है पंडित जी तो सुनिए जो जो आपसे मैं कह रही हूं आप बस करते जाइए हर महीने चिकन देने की जिम्मेदारी मेरी क्या सच में हां किसी को पता भी नहीं चलेगा और मैं आपको हर महीने चिकन खिलाऊंगी जब तक आप मेरा काम नहीं कर देते और अगर अपने काम नहीं किया तो फिर आप सोच लीजिए क्या होगा आपके साथ
आखिर रानी क्या करवाना चाहती है?
आगे की कहानी में आएगा बड़ा ट्विस्ट...
पंडित जी, "आपको बस अधीर की दुल्हन को अपशगुनी बता देना है... एक बार गाँव वालों के मन में शंका आ गई न... फिर वो खुद उसे धक्का मार कर यहाँ से भगा देंगे।"
पंडित जी, रानी की तरफ देखते हुए बोले, "पर... बताइए होगा कैसे?"
रानी धीरे से मुस्कुराई... एक शैतानी मुस्कान के साथ।
"कल मैं पूजा करने के लिए आपको लेकर चलूँगी। फिर जब मैं इशारा करूँ... आपको अपना काम शुरू कर देना है।"
इतना कहकर रानी पास आती है, पंडित जी की आँखों में देखती है और धीमे से फुसफुसाती है, "कुछ भी हो जाए धीरे... तुम सिर्फ और सिर्फ मेरे हो! और तुम्हें पाने के लिए... मैं कुछ भी कर सकती हूँ!"
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दूसरी तरफ...
शाम ढलने को थी। गुंजन अपने कमरे में गुस्से और बेचैनी से इधर-उधर घूम रही थी। उसे ऐसे घरों में रहने की आदत नहीं थी — संकीर्ण दीवारें और साँसे रोक देने वाला सन्नाटा...
तभी... खिड़की पर दस्तक हुई!
वो तेज़ी से खिड़की की ओर बढ़ी और नीचे देखा — स्वाति और रॉकी खड़े थे।
रॉकी ने एक पत्थर उठाया, कागज़ में लपेटा... और खिड़की से अंदर फेंक दिया।
गुंजन ने कागज़ उठाया, खोला... और पढ़ते ही उसकी आँखों में लालच और हवस की चमक दौड़ गई।
> "आज रात किसी भी तरीके से अधीर से दादाजी की प्रॉपर्टी के पेपर्स पर साइन करवा लेने हैं।
एक बार साइन मिल जाएँ, सारी जायदाद तुम्हारी हो जाएगी।"
स्वाति ने नीचे से इशारा किया। उसके हाथ में थी एक लाल रंग की फाइल।
गुंजन ने इधर-उधर देखा, और फिर एक पैकेट नीचे फेंक दिया। सतीश ने फाइल को उठाया और उसे ऊपर पहुँचा दी।
फाइल को बेड के नीचे रखते हुए गुंजन शैतानी मुस्कान के साथ बोली,
"अब तक तुमने मेरे साथ खेला था खेल... मिस्टर अधीर!
अब बारी तुम्हारी है।"
उसने अपनी जेब से एक नशे की गोली निकाली... उसे देखा... और धीमे से मुस्कुराई।
तभी — दरवाज़े पर दस्तक!
गुंजन ने पास पड़ी चुन्नी उठाई और बेड पर बैठकर चेहरा ढक लिया।
अधीर कमरे में दाख़िल हुआ...
वह दरवाज़ा बंद करता है और धीरे-धीरे गुंजन की तरफ बढ़ता है।
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उधर...
रानी अपने बिस्तर पर बेचैनी से लेटी थी। उसके दिमाग़ में एक ही ख्याल था —
> "कहीं उन दोनों की सुहागरात... हो तो नहीं गई?
अधीर ने उसके साथ वो सब... जो मैं करना चाहती थी?"
वो बड़बड़ाई —
"अब तो बहुत देर हो गई है... पर मुझे किसी भी हाल में अधीर को रोकना होगा।
उसे उस शहर की छोरी के साथ एक कमरे में नहीं रहने दूँगी!"
यह सोचते ही रानी खटिया से उठी, चप्पल पहनी... और अधीर के घर की तरफ दौड़ पड़ी!
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कमरे में...
अधीर, गुंजन के पास आया और बोला,
"क्या हुआ? कितने नए रूप हैं तुम्हारे... एकदम दुल्हन की तरह सजी बैठी हो!
लगता है तुम्हें भी मैं पसंद आने लगा हूँ..."
गुंजन, झूठी मुस्कान के साथ अधीर के चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोली,
"अब तुम जैसे हॉट एंड हंक हस्बैंड हो... तो मानना तो पड़ेगा ना!
और वैसे भी, लड़ाई-झगड़े मियाँ-बीवी के बीच दिन में ही होते हैं।
रातें... तो सिर्फ नज़दीकियों की होती हैं..."
अधीर ने दूध का गिलास आगे बढ़ाया, "माँ ने तुम्हारे लिए भेजा है... पी लेना।"
गुंजन ने मुस्कुराते हुए गिलास लिया और अधीर के गले लग गई।
अधीर को गुंजन का बदला हुआ व्यवहार कुछ हज़म नहीं हो रहा था।
गुंजन ने शातिर मुस्कान के साथ दूसरे हाथ से नशे की गोली दूध में मिलाई...
फिर उंगलियों से ग्लास खोलकर अधीर को खुद से दूर किया।
"आज रात... सिर्फ तुम्हारी है..." वह अधीर के होठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए बोली।
"वैसे भी, तुम थक जाओगे... मेरा क्या? मैं इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं!
यह दूध तुम पियो... मैं खुद अपने हाथों से पिलाऊँगी!"
अधीर हैरानी से गुंजन को देख रहा था...
गुंजन उसकी गोद में बैठ गई —
"बेबी... पियो ना!"
जैसे ही वो गिलास अधीर के होठों तक ले जाने लगी —
दरवाज़े पर जोर-जोर से दस्तक हुई!!
दोनो चौंक गए! अधीर ने गिलास टेबल पर रखा और दरवाज़े की तरफ बढ़ा।
गुंजन, दाँत पीसते हुए बड़बड़ाई,
"अब कौन आ गया... किसको आना था अभी?!"
अधीर ने दरवाज़ा खोला — सामने उषा ताई खड़ी थीं... पूरी तरह परेशान।
"ताई! क्या हुआ? इतनी घबराई हुई क्यों हो?"
ताई, हाँफते हुए बोलीं, "रा... रानी! वो... हमारे दरवाज़े के पास पहुँचते ही... गिर पड़ी!
बेहोश हो गई है! जल्दी चल बेटा, देख उसको!"
अधीर एक पल भी गँवाए बिना भागा!
रानी ज़मीन पर पड़ी थी... अधीर ने उसे गोद में उठाया और नंगे पैर ही दौड़ पड़ा —
सीधा डॉक्टर के पास!
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दूर खड़ी गुंजन... ये सब देख रही थी।
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था... वो भी बाहर निकलने लगी, लेकिन तभी ताई ने रोक लिया।
"बेटा, घर की बहू हो... इतनी रात को बाहर नहीं निकलते।
चिंता मत कर... अधीर रानी को डॉक्टर के पास ले गया है।"
हम सुबह अस्पताल चलकर के रानी को वहीं पर देख लेंगे तुम अभी के लिए आराम कर लो वैसे भी पूरा दिन थक गई होगी यह कह कर उसे हटाई वहां से चली जाती है मुझे अपने कमरे में आती है और गुस्से से लाल हो रही थी वह दूध को देखते हुए उसे टेबल से नीचे फेंक देती है और गुस्से में चिल्ला कर कहती है आज तोबच गया अधीर देखती हूं कब तक बचते हो तुमसे तो इस पेपर पर मैं साइन करा कर रहूंगी क्या कह कर वह बिस्तर पर बैठ जाती है अपना फोन निकलती है तो उसे पर एक नोटिफिकेशन आया था वह उसको देखते ही हैरानी से रॉकी के पास कॉल करते हुए कहती है रॉकी यह मैं क्या देख रही हूं क्या चल रहा है ऑफिस में तुमने मुझे इस बारे में बताया क्यों नहीं रॉकी से पहले कुछ और बोलना उससे पहले एक और आवाज आती है यह सब मैंने किया है उसे आवाज को सुनते ही गुंजन के पैरों तले की जमीन खिसक जाती है
आखिर किसकी थी यह आवाज
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आख़िर क्या हुआ था रानी को...?
क्या गुंजन अपनी चाल में सफल हो पाएगी...?
और अधीर किसके प्यार की गिरफ्त में फँसने वाला है...?
जानने के लिए पढ़ते रहिए... अगला भाग जल्द ही...!
फोन पर उसे लड़की की आवाज़ सुनकर गुंजन गुस्से में चिल्लाते हुए कहती है —
"तुम! तुम यहाँ क्या कर रही हो? तुम यहाँ क्यों आई हो?"
वह लड़की, रॉकी के हाथ से फोन लेकर मुस्कुराते हुए कहती है —
"दीदी... सॉरी! हूँ तो मैं तुम्हारी सौतेली बहन, पर क्या करूँ? तुम्हारी प्रॉपर्टी पर मेरा भी हक़ है। भूलो मत, इस कंपनी का 10% शेयर मेरा है। मैं बस... अपना हिस्सा निकालने आई हूँ!"
गुंजन, गुस्से में दाँत पीसते हुए कहती है —
"देखो तुम! तुम अपना शेयर लॉस कर चुकी हो। दोबारा इस कंपनी की तरफ आँख भी मत उठाना! अगर तुमने ज़रा सा भी कुछ किया ना, तो मैं तुम्हारे अगेंस्ट कंप्लेंट कर दूँगी। और फिर... तुम्हारा जो हश्र होगा न... उसके बारे में तुमने सोचा भी नहीं होगा! चुपचाप... अभी के अभी वापस लौट जाओ। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"
यह कहकर गुंजन फोन काट देती है और गुस्से में फोन को दूर फेंकते हुए बिस्तर पर लेट जाती है।
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इधर हॉस्पिटल में...
डॉक्टर रानी का चेकअप कर रहे थे। वह हैरानी से दूर बैठे अधीर की तरफ देखकर कुछ बोलने ही वाले थे, कि तभी रानी अपने ब्लाउज़ से पाँच सौ का नोट निकालकर उसके हाथ में रख देती है।
500 की नोट देखते ही डॉक्टर चुप हो जाता है। रानी के आँखों के इशारे को समझते हुए वह गहरी साँस लेता है और उठकर अधीर के पास चला जाता है।
"मिस्टर अधीर... अभी तो यह खतरे से बाहर हैं। डरने की कोई बात नहीं है। इन्हें फूड पॉइज़निंग हुई थी। आप सुबह तक इन्हें अस्पताल में रहने दीजिए, उसके बाद आप इन्हें ले जा सकते हैं।"
यह सुनते ही अधीर गहरी साँस लेता है और रानी के पास आकर बैठ जाता है। उसके हाथों को कसकर पकड़ते हुए कहता है —
"रानी, तुम ठीक तो हो न?"
रानी अपना सर हिलाते हुए कहती है —
"हाँ अधीर, मैं ठीक हूँ।"
और फिर अपने आँखों में नकली आँसू लाते हुए कहती है —
"आई एम सॉरी अधीर... मेरी वजह से तुम्हारी फर्स्ट नाइट खराब हो गई। मुझे नहीं पता अचानक से मुझे क्या हो गया था।"
अधीर उसकी बात सुनकर, उसके हाथ को सहलाते हुए कहता है —
"तुम परेशान मत हो... ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। तुम जल्दी से ठीक हो जाओ..."
वह बोल ही रहा था कि रानी उसके हाथों को कसकर पकड़ लेती है और उसे अपनी तरफ खींचते हुए कहती है —
"प्लीज़! मेरे पास बैठे रहो न... हॉस्पिटल में आकर डर लगता है मुझे। तुम्हें तो पता है न... प्लीज़..."
रानी का मासूम सा चेहरा देखकर अधीर उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहता है —
"अच्छा ठीक है... मैं यहीं बैठा हूँ। तुम आराम से सो जाओ।"
इतना सुनते ही रानी के चेहरे पर शैतानी मुस्कान आ जाती है। वह अपनी आँखें बंद कर लेती है। वहीं अधीर, जो अभी भी गुंजन के ख्यालों में खोया हुआ था, अपना फोन निकालता है। उसमें गुंजन की तस्वीर देखते हुए मन ही मन कहता है —
"आई एम सॉरी स्वीटहार्ट... पर मैं जल्दी ही तुम्हारे पास आऊँगा..."
यह कहकर वह अपना फोन बगल में रख देता है।
अधीर को भी बहुत तेज़ नींद आ रही थी। क्योंकि उसने भी गुंजन के हाथों से लगी नींद की दवा चख ली थी। न जाने कब उसकी आँख लग जाती है और वह भी वहीं सो जाता है।
---
अगली सुबह...
गुंजन जल्दी से अपने बिस्तर से उठती है। फ्रेश होकर उसने ब्लैक कलर की साड़ी पहन रखी थी। वह बिस्तर के नीचे रखी फाइल उठाती है और उसे देखते हुए कहती है —
"आज किसी भी तरीके से मुझे इस पर अधीर के सिग्नेचर लेने होंगे!"
उसने इतना कहा ही था कि दरवाज़े पर दस्तक होती है। वह झट से फाइल को बिस्तर के नीचे छुपाती है और आगे बढ़कर दरवाज़ा खोलती है।
ताई की तरफ देखते हुए कहती है —
"जी कहिए?"
ताई बोलती हैं —
"बहू, हमें रानी के लिए खाना लेकर हॉस्पिटल चलना है। क्या तुम मुझे हॉस्पिटल छोड़ दोगी?"
उषा ताई की बात सुनकर गुंजन एक गहरी साँस लेती है और उन्हें "हाँ" में सर हिलाते हुए कहती है —
"चलिए... मैं आपको छोड़ दूँगी।"
---
हॉस्पिटल पहुँचते ही...
गुंजन अपने मन में बड़बड़ाते हुए कहती है —
"मन तो कर रहा है इस बुढ़िया को यहीं छोड़ दूँ। कल से पीछे पड़ी हुई है — यह कर लो, वह कर लो। बहू नहीं, नौकरानी समझ कर लाई है शायद। न जाने कब ये तमाशा खत्म होगा और मुझे इन ड्रामों से छुट्टी मिलेगी!"
वह सोच ही रही होती है कि उसकी निगाह सामने जाती है। और... गुंजन का खून खौल उठता है।
उसने देखा — अधीर रानी के बगल में सोया हुआ था! अधीर ने रानी को अपनी बाहों में कसकर पकड़ा हुआ था, और रानी भी उससे लिपटी हुई थी।
गुंजन एक बार बेड की तरफ देखती है, फिर उषा ताई की तरफ।
उषा ताई झट से हाथ में लिया सामान बगल में रखती हैं और आगे बढ़कर ज़ोर से कहती हैं —
"अधीर बेटा! अधीर उठो!"
अधीर धीरे-धीरे जागता है। रानी की भी आँखें खुल जाती हैं। खुद को अधीर की गोद में देखकर कुछ पल के लिए वह उसके चेहरे में खो जाती है। तभी ताई की आवाज़ कानों में पढ़ती है और वह हड़बड़ाकर उनकी तरफ देखकर मन में सोचती है —
"इस बुढ़िया की कड़वाहट अभी बाकी थी..."
"...कितना प्यारा लग रहा है मेरा होने वाला पति... सोते हुए!"
रानी झट से अधीर से दूर होती है। अधीर की भी आँखें खुलती हैं, सिर दर्द से फटा जा रहा था। वह सर पकड़ते हुए कहता है —
"क्या हुआ ताई? इतनी सुबह-सुबह क्यों उठा रही हो?"
ताई गुस्से में कहती हैं —
"अरे! मोह दिख रहा है तुझे? कहाँ सोया है तू? तेरी शादी हो चुकी है! तुझे पराई स्त्रियों से दूर रहना चाहिए!"
अधीर का ध्यान अपने बगल में बैठी रागिनी पर जाता है। दोनों काफी क्लोज बैठे थे। वह झट से दूर होता है और कहता है —
"सॉरी रागिनी! मुझे नहीं पता कब मैं तुम्हारे बेड पर आ गया..."
रागिनी मुस्कुराते हुए कहती है —
"इट्स ओके अधीर... कोई नहीं... सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए। मैं ही तो कल रात तुमसे ज़िद करके यहाँ बैठने को कहा था।"
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दूर खड़ी गुंजन यह सब देख रही थी... और अब उसका गुस्सा... सातवें आसमान पर पहुँच चुका था!
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अब तक आपने देखा…
गुंजन ने अधीर और रानी को एक साथ सोते हुए देख लिया था, जिसके बाद उसका गुस्सा अब सातवें आसमान पर था।
अब आगे...
गुंजन आगे बढ़ते हुए कहती है —
"अरे, सोने देती ना काकी! क्या ही दिक्कत थी? वैसे भी भाई-बहन हैं, तो एक साथ सो ही सकते हैं!"
(रानी को अचानक खांसी आ जाती है। 'भाई-बहन' शब्द सुनकर जैसे उसकी रगों में लावा दौड़ गया हो।)
गुंजन मुस्कुराते हुए पानी का गिलास आगे करते हुए तंज कसती है —
"क्या हुआ? अधीर तुम्हारा भाई नहीं है क्या? मुझे तो लगा, तुम दोनों एक ही गांव के हो, तो भाई-बहन बन ही गए होगे!"
रानी, पानी पीकर ग्लास साइड में रखते हुए कड़वे स्वर में कहती है —
"हम दोस्त हैं... भाई-बहन नहीं!"
गुंजन फिर से हल्के कटाक्ष के साथ कहती है —
"अच्छा? कोई बात नहीं... आने वाले रक्षाबंधन पर राखी बांध देना। फिर खुद ही भाई-बहन बन जाओगे — सिंपल!"
(रानी घूरते हुए गुंजन की तरफ देखती है, लेकिन कुछ कह नहीं पाती। तभी अधीर बोलता है…)
"मुझे नहीं पता कल रात को इतनी नींद क्यों आ रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने... नशे की सुई चुभो दी हो!"
(गुंजन के चेहरे पर एक पल को डर की लहर दौड़ती है — उसे कल रात का वो पल याद आता है, जब उसने अधीर के चेहरे को छुआ था... और उसकी उंगलियों पर नींद की दवा लगी थी।)
ताई अधीर से कहती हैं —
"बेटा, तू मेरे साथ बाहर चल। थोड़ा सा फ्रेश हो जा, फिर रानी को लेकर घर चलते हैं।"
(अधीर ताई के साथ बाहर चला जाता है। उधर गुंजन खिड़की से बाहर देख रही होती है। तभी रानी व्यंग्य से कहती है —)
"अगर कोई अपने हसबैंड को हर सुख दे... तो वो दूसरों के पास नहीं जाता।
ऐसा मैंने सुना है, गुंजन! और तुम्हें पता है...? हम और अधीर इतने क्लोज़ दोस्त हैं ना... हमने अधीर का वो सब देख रखा है... जो किसी को नहीं देखना चाहिए!"
(गुंजन ठहाका मारते हुए हंसती है, मगर आंखों में चिंगारी है।)
"अच्छी बात है! देखा तो सही, जो तुम्हें नहीं देखना चाहिए था।
और सुनो... किसके पति को क्या मिल रहा है या नहीं — ये तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं है।
अगर तुम्हें इतना ही पति-पत्नी वाला भाव महसूस हो रहा है, तो बोलो — मैं करवा देती हूं तुम्हारी शादी अधीर से!
फिर जो चाहे देना — बस दूसरों के पतियों से दूर रहना।"
(रानी का चेहरा तमतमा उठता है, होंठ कांपने लगते हैं। वो दांत पीसते हुए कहती है —)
"तुमने शादी तो कर ली अधीर से... पर उसका प्यार कभी नहीं पाओगी!
और तुम्हारे नाक के नीचे से, मैं तुम्हारे अधीर को उड़ा ले जाऊंगी!"
(गुंजन एक बार फिर ठहाका मारते हुए कहती है —)
"पहली बात तो ये कि अधीर मेरे पीछे पागल है... मैं उसके पीछे नहीं।
दूसरी बात — अगर तुम चाहो, तो उड़ा ले जाओ, भाग लो, कुछ भी कर लो!
मुझे उससे कोई मतलब नहीं है। मैं सिर्फ काम करने आई हूं... काम पूरा होते ही चली जाऊंगी!"
(इतना कहकर गुंजन वहां से चली जाती है। रानी के चेहरे की मानो रौनक ही उड़ गई हो। वो गुस्से में फोन उठाती है और पंडित का नंबर डायल करती है —)
"पंडित जी, आपको पता है ना क्या करना है?"
पंडित (उधर से): "हां हां बेटा, हमें सब पता है।"
रानी (कुटिलता से): "ठीक है... आज किसी भी हाल में ये काम होना ही चाहिए!
नई बहू रानी की पहली रसोई ऐसी बर्बाद करूंगी कि उसने सोचा भी नहीं होगा!
आज ही उसकी जान जाएगी!
ना रहेगा बांस... ना बजेगी बांसुरी!"
(फोन कट... रानी के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान फैल जाती है।)
तभी अधीर और बाकी लोग रानी के पास आते हैं। उषा ताई उसके बगल में बैठकर सर सहला रही होती हैं।
रानी मासूम सा चेहरा बनाकर बोलती है —
"ताई, माफ कर देना... कल रात आपको परेशान किया।
काश, आज मेरी मां होती तो मैं भी अपने घर पर होती।
अकेले-अकेले बोर हो जाती हूं। वैसे, आपके घर का सहारा था...
लेकिन अब आपकी बहू आ गई है, तो आने में थोड़ा डर लगता है।"
उषा ताई मुस्कुराते हुए कहती हैं —
"अरे डर किस बात का बेटा? पैसे भी तू मेरी ही बेटी है।
भले ही अधीर की शादी हो गई हो, लेकिन तू जब तक ठीक नहीं हो जाती...
हमारे साथ ही रहेगी। है ना अधीर बेटा?"
अधीर (मुस्कुराते हुए): "हां हां, क्यों नहीं! इससे गुंजन को भी कंपनी मिल जाएगी।"
(गुंजन वहां से बाहर चली जाती है। अधीर भी उसके पीछे-पीछे निकलता है।
जैसे ही गुंजन कमरे के बाहर आती है, अधीर उसके साड़ी का पल्लू पकड़ता है और उसे अपनी तरफ खींचता है —)
"क्या हुआ? आज इतनी उखड़ी-उखड़ी क्यों लग रही हो?
कल रात तो बड़ा प्यार आ रहा था!"
(गुंजन उसका मुंह कसकर दबाते हुए कहती है —)
"हां तो, प्यार आ रहा था... अब चला गया है!
जा कर अपनी रानी के साथ चिपक कर सो जाना।
तुम्हें कुछ याद रहता कहां है!"
अधीर (हंसते हुए):
"लगता है कोई जल रहा है!
ये जो स्मेल आ रही है... जलने की ही है ना?"
गुंजन (हंसते हुए, आंखों में चमक के साथ):
"पहली बात — स्मेल नहीं, बदबू कहते हैं!
दूसरी बात — मैं क्यों जलूंगी?
तुम्हारा मन जिसके साथ है, करो जो मन करे।
मुझे बस अपना कॉन्ट्रैक्ट का काम पूरा करना है... फिर निकल लूंगी तुम्हारी ज़िंदगी से!"
(अधीर मुस्कुराते हुए उसके गालों को चूमने ही वाला होता है कि पीछे से रानी बोल पड़ती है —)
"अधीर... ज़रा ये बैग पकड़ना!"
(अधीर रुक जाता है। गुंजन को हल्के से अलग करते हुए रानी की तरफ बढ़ जाता है।
गुंजन यह सब देख रही होती है... रानी अधीर की आंखों में आंखें डालकर बैग उसके हाथों में रख देती है।)
अब रानी के मन में क्या चल रहा है? उसका असली प्लान क्या है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए… अगला भाग बहुत जल्द!
और हां अगर आपको कहानी पसंद आ रही हो तो लाइक कमेंट करना ना भूलिएगा और साथ में फॉलो करना भी