कहानी: वीर मेहरा और जिया खुराना की जिया खुराना... एक कम उम्र की सबसे बड़ी बिसेन वूमेन, नकचढ़ी अकडू और खडूस अब तक एक किताब की तरह सरल चल रही थी। आज उसका उन्नीसवां जन्मदिन था। दोस्तों के कहने पर वह पहली बा... कहानी: वीर मेहरा और जिया खुराना की जिया खुराना... एक कम उम्र की सबसे बड़ी बिसेन वूमेन, नकचढ़ी अकडू और खडूस अब तक एक किताब की तरह सरल चल रही थी। आज उसका उन्नीसवां जन्मदिन था। दोस्तों के कहने पर वह पहली बार किसी क्लब गई थी — रोशनी, संगीत, और नाच-गाने से भरी वह रात... लेकिन उसी रात एक ऐसा हादसा हुआ जिसने उसकी दुनिया हमेशा के लिए बदल दी। उस क्लब की एक मुलाक़ात, एक ग़लत वक़्त पर ली गई तस्वीर, या शायद कोई अनजाना राज़ — कुछ तो था जो उस रात उसके साथ घटा, और अगले दिन से जिया अब वो जिया नहीं रही। दूसरी ओर... वीर मेहरा — एक नाम जो अंडरवर्ल्ड की दुनिया में खौफ की तरह गूंजता था। वह एक शातिर कॉन्ट्रैक्ट किलर था, लेकिन उसकी असली पहचान छुपी थी — एक अरबपति बिजनेसमैन, जिसके आगे बड़े-बड़े लोग सिर झुकाते थे। वह नियमों से नहीं, अपने उसूलों से खेलता था... और उसकी ज़िंदगी में रिश्तों के लिए कोई जगह नहीं थी। लेकिन तभी उसे एक नया कॉन्ट्रैक्ट मिलता है — "Target: जिया खुराना" क्या वो इसे सिर्फ एक और मिशन समझकर पूरा कर देगा? या फिर जब वह जिया से आमने-सामने होगा, तो उसकी आंखों में छुपा दर्द उसके दिल को छू जाएगा? क्या वीर अपनी सोच, अपनी दुनिया, और अपने अतीत से लड़ पाएगा? और क्या जिया कभी उस आदमी से प्यार कर पाएगी, जो उसके जीवन को खत्म करने आया था? पढ़ते रहिए... "— एक प्रेम कहानी जो नफरत से शुरू होती है, लेकिन खत्म होती है काफ़ी अलग अंदाज़ में।
Page 1 of 2
दिल्ली हाईवे क्लब के पास में...
"हु हु लेट्स गो बेबी गर्ल! आज तुम 19 की होने वाली हो... इस खुशी में पार्टी तो बनता है!" — यह आवाज थी अवनी की। अवनी, जो अपने बगल में खड़ी जिया को देखकर कह रही थी।
जिया मुस्कुराते हुए कहती है, "हां-हां क्यों नहीं... श्वेता और शनाया को भी आ जाने दो। चलते हैं पार्टी करने अपनी!"
तब तक अवनी, चटकारे मारते हुए कहती है, "इंतजार श्वेता और शनाया का है या फिर राहुल का? हा हा! बोलो, बोलो...?"
राहुल का नाम सुनते ही जिया मुस्कुराने लगती है। वह शर्म से लाल हो रही थी... उसके गाल टमाटर की तरह चमकने लगते हैं। यह देखकर अवनी मजे लेते हुए कहती है,
"अरे-अरे बस-बस! हमें पता है, आज हमारे होने वाले जीजाजी तुम्हें प्रपोज करने वाले हैं... इस खुशी में तुम्हारे भी गाल लाल हुए जा रहे हैं!"
यह सुनकर जिया, अवनी के सिर पर टपली मारते हुए कहती है,
"शर्म कर ले! ऐसी बातें कौन करता है? चुप कर जा, मुझे शर्म आ रही है बहन!"
तब तक श्वेता और शनाया भी वहां पर आ जाती हैं। उन्हें देखकर अवनी कहती है,
"ओह! आ गई मैडम! और दो-चार घंटे लेट आती तो क्लब बंदी हो जाता!"
"छोड़ ना यार... लेट तो हो गई, आई एम सॉरी जिया। और, बिलेटेड हैप्पी बर्थडे स्वीट!" — शनाया ने कहा।
उनकी बात सुनकर जिया मुस्कुराते हुए कहती है, "इट्स ओके!"
फिर हंसते हुए कहती है,
"गाइस, चलो! अगर तुम लोगों को पार्टी चाहिए, तो हमें किसी पास वाले क्लब में चलना चाहिए... और क्योंकि आज रात मुझे राहुल के साथ डिनर डेट पर जाना है, तो जितना जल्दी हो सके, हमें यहां से निकलना होगा।"
यह सुनते ही सब जिया की तरफ तिरछी निगाहों से मुस्कुरा कर देखने लगते हैं। जिया, उनके इस व्यवहार को देखकर हल्का-सा शर्मा जाती है।
"सामने वाले क्लब में चलें?" — हर कोई एक साथ कहता है। सब तैयार हो जाते हैं।
जैसे ही वे क्लब में पहुंचते हैं, वहां का कॉसी मूड, डार्क लाइट, चारों तरफ वाइन और भीड़ को देखकर अवनी कहती है,
"परफेक्ट स्पॉट है यार! क्या कहती हो शनाया?"
शनाया भी मुस्कुरा कर कहती है, "हां, सही कह रही हो। काफी प्यारी जगह है!"
तब श्वेता कहती है, "गाइस! चलो बार एरिया चलते हैं, थोड़ा सा कॉकटेल लेते हैं।"
सब सिर हिलाते हुए बार एरिया की तरफ जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। चारों लोग जैसे ही बार एरिया के पास पहुंचती हैं, जिया बारटेंडर से कहती है,
"भैया, हम सबके लिए एक पैक कॉकटेल लगा दीजिए।"
तभी जिया की निगाह दूसरी तरफ घूमती है — वहां राहुल खड़ा था।
राहुल को देखकर जिया मुस्कुरा कर उसकी तरफ बढ़ने ही वाली थी कि श्वेता उसे रोकते हुए कहती है,
"क्या बात है! जीजू तो बड़े हॉट हैं... 6 फीट, डार्क कलर, ऊपर से एब्स वगैरा... बहन, तुझे तो मजा आ जाता होगा!"
श्वेता की बात सुनकर अवनी और शनाया जोर-जोर से हंसने लगती हैं। उनका हंसना देख जिया, सबको चुप करते हुए कहती है,
"चुप करो तुम लोग! बस मौका मिला नहीं, मजे लेना चालू हो जाता है! रुको, मैं राहुल को तुम सबसे मिलवाती हूं।"
यह कहकर वह दो कदम बढ़ी ही थी कि राहुल के सामने एक लड़की आकर खड़ी हो जाती है।
उसे लड़की के आते ही जिया के कदम रुक जाते हैं।
वह पीछे हटते हुए रुक जाती है और सामने का नजारा देखकर उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
उसने देखा — राहुल और वो लड़की पैशनेटली एक-दूसरे को किस कर रहे थे।
राहुल उसे इधर-उधर टच कर रहा था और मस्ती से डांस कर रहा था।
वह लड़की राहुल की थाई पर बैठी हुई थी!
यह देखते ही जिया की आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
वह लड़खड़ाकर पीछे गिरने ही वाली थी कि उसकी फ्रेंड्स ने उसे संभाल लिया।
सबने राहुल की हरकत देखकर हैरानी से जिया की तरफ देखा और कहा,
"ये तो साला तेरे प्यार के लायक ही नहीं है! तुझे चीट कर रहा था बहन!"
यह सुनते ही जिया अपने आंसू पोंछते हुए गुस्से में राहुल की तरफ बढ़ती है।
उसे इस तरह गुस्से में जाते देख श्वेता, अवनी और शनाया भी उसके पीछे भागती हैं।
जिया, राहुल और उस लड़की के पास पहुंच कर —
लड़की का बाल पकड़ कर खींचते हुए, उसे दूर धकेलते हुए कहती है,
"हट! दूर रहो मेरे फिआंसे से!"
राहुल की तरफ देखते हुए वह चिल्लाती है,
"राहुल! तुम ये क्या कर रहे हो? हमारी कुछ दिन में इंगेजमेंट होने वाली है और तुम इस लड़की के साथ...?
कह दो, कह दो ये सब झूठ है! इसने तुम्हें फंसाया है!"
राहुल, जिया की बातों को सुनकर लड़खड़ाते हुए कहता है,
"जिया... मेरी बात सुनो... ऐसा कुछ भी नहीं है... तुम गलत समझ रही हो..."
"अच्छा! ऐसा कुछ भी नहीं है? मैंने अपनी आंखों से देखा है राहुल!" — जिया की आंखों से आंसू बह रहे थे।
वह गुस्से में राहुल का गला पकड़ते हुए कहती है,
"अगर मुझे पता होता कि तुम ऐसा करोगे ना, तो तुम्हें मैं कभी अपने फिआंसे के रूप में चुनती ही नहीं! साले! तुम प्यार के काबिल ही नहीं हो!"
जिया के कस कर पकड़ने की वजह से राहुल की सांस रुकने लगी थी। वह हाथ से जिया का हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रहा था,
लेकिन जिया गुस्से में लाल, राहुल के ऊपर जैसे कोई शेरनी झपट पड़ी हो!
तभी वो लड़की जो जमीन पर गिरी थी, उठकर जिया को जोर से धक्का देती है और कहती है,
"दूर रहो मेरे हस्बैंड से... वरना तुम्हारी टांगें तोड़कर कुत्तों को खिला दूंगी!"
यह सुनते ही जिया की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं...
मानो उसका सारा संसार खत्म हो गया हो।
उधर श्वेता, शनाया और अवनी भी यह बात सुनकर हैरान रह जाती हैं।
"क्या? राहुल की... वाइफ?" — अवनी धीरे से कहती है।
यह सुनते ही जिया जमीन से उठ खड़ी होती है। उसके पैर लड़खड़ा रहे थे...
उसका हाथ-पैर पूरी तरह से कांप रहा था...
।
---
अब क्या करेगी जिया...?
जाने के लिए पढ़ते रहिए — "माफिया इन लव!" 💔🔥
श्वेता और अवनी जिया को संभालते हुए कहती हैं, "क्या चल रहा है यहां? यह सब क्या है?" जिया, गुस्से में दांत पीसते हुए कहती है, "एक मिनट रुको!" वह आगे बढ़कर राहुल के गालों पर जोरदार तमाचा मारती है और चिल्लाकर कहती है, "ब्लडी इडियट! तुमने एक साथ दो-दो ज़िंदगियां बर्बाद कीं! एक तो शादीशुदा औरत, और ऊपर से तुम मुझसे शादी करना चाहते थे? अब समझी? तुम्हें मेरी प्रॉपर्टी से प्यार था, ना? गलती से भी मेरे ऑफिस में दिखे, मत जाना! वरना तुम्हारी ऐसी हालत करूंगी कि तुमने सोचा भी नहीं होगा!" यह कहकर वह वहां से चली जाती है।
हर कोई क्लब के बाहर आता है। जिया की हालत देखकर अवनी, श्वेता और सनाया कुछ पल के लिए शांत रहती हैं। इससे पहले कि वे कुछ बोल पातीं, जिया ड्राइवर को इशारा करते हुए कहती है, "भैया, आप एक काम करें, इन सबको घर छोड़ आइए, और मुझे भी मीटिंग के लिए चलना है, तो मुझे लेकर चलिए।"
श्वेता जिया की तरफ देखकर कहती है, "जिया, सुनो, आज तू हमारे साथ रुक जा। काम तो होता रहेगा, और वैसे भी तेरा दिमाग ठीक नहीं है। तू परेशान है। हम तुझे ऐसे छोड़कर नहीं जा सकते।" श्वेता की बात पर सनाया और अवनी भी सहमति जताती हैं।
जिया मुस्कुराते हुए कहती है, "तुम परेशान क्यों हो रही हो? मैं बिल्कुल ठीक हूँ। यह राहुल जैसा चुतिया इंसान मेरे लिए कुछ भी नहीं है। तुम लोग आराम से घर जाओ। कल सुबह मैं तुम लोगों से मिलती हूँ।"
जिया का शांत अंदाज देखकर वे तीनों चुपचाप ड्राइवर से कहती हैं और कार में बैठ जाती हैं। उनके जाने के बाद, जिया फिर से क्लब में वापस आती है और वहाँ राहुल को बैठा देख, गुस्से में अपना पर्स उठाकर उसके सिर पर दो जोरदार वार करती है। फिर, उसके ऊपर चढ़कर बैठ जाती है और उसका गला दबाते हुए, गुस्से से चिल्लाती हुई कहती है, "उस वक्त तो मैंने तुझे छोड़ दिया, पर अब तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता!"
तभी, राहुल की पत्नी, हाथ जोड़कर, विनती करती है, "प्लीज, मेरे हस्बैंड को छोड़ दीजिए। प्लीज, जाने दीजिए। हमारी इज़्ज़त का पहले ही बहुत फ़ाँसू हो चुका है।"
उसकी पत्नी की तरफ देखते हुए, जिया शांति से उठ खड़ी होती है और एक जोरदार लात राहुल को मारते हुए कहती है, "साले चुतिया! अपनी बीवी की तो क़दर कर ले!" यह कहकर वह बार में जाती है, अपने पर्स से कुछ पैसे निकालकर दो-तीन दारू की बोतलें लेती है और वहाँ से चली जाती है।
दारू पीते हुए, रोते हुए, रास्ते में जा रही थी। रात के लगभग 1:00 बज रहे थे। रास्ता पूरी तरह से सुनसान हो चुका था। जिया ने एक काली ड्रेस पहन रखी थी जो उसके जांघों तक आ रही थी, और उसकी ऊपरी बॉडी भी आधी दिख रही थी। पता नहीं क्यों, रोते हुए रास्ते में जा रही थी, तभी कुछ बाइक वाले आकर उसके चारों तरफ घूमने लगते हैं।
उनको घूमता देख, जिया, जो अब नशे में थी, मुस्कुराकर कहती है, "तुम लोग मुझे छेड़ने आए हो?"
बाइक वाले सीटी बजाकर कहते हैं, "हाँ मैडम! आप इतनी खूबसूरत हैं कि बिना छेड़े हम कैसे जा सकते हैं?"
यह सुनकर जिया मुस्कुराते हुए कहती है, "अच्छा, रुको, बताती हूँ तुम लोगों को!" वह अपनी दारू की बोतल उठाकर एक के गाड़ी में पटकती है, जिससे आधी बोतल टूट जाती है। बोतल की नुकीली काँच लेकर, वह उनके चारों तरफ घूमते हुए कहती है, "अगर किसी ने भी मुझे छूने की कोशिश की, ना, तो यहीं ज़िंदा गाड़ दूंगी!"
जिया के गुस्से वाले अंदाज को देखकर, बाइक वाले रुककर जोर-जोर से हँसने लगते हैं। "ये देखो, ये चुड़ैल अब हमें ज़िंदा गाड़ेगी! ओ मैडम! पहले खुद को खड़ा कर लो सही से! देखो, मेरे पैर लड़खड़ा रहे हैं, पर मेरे हौसले अभी भी बहुत बुलंद हैं! अभी एक को पीट के आ रही हूँ, तुम सबकी भी मैं चटनी बना दूँगी!"
जिया ने ऐसा कहा ही था कि वे सब एक तरफ होकर उसके ऊपर आने ही वाले थे कि जिया बीच में रास्ता देखते ही जोर से भागने लगती है। उसे भागता देख, वे सब उसके पीछे-पीछे भागते हैं। जिया तेज़ी से भाग रही थी। पीछे के आदमी हँसते हुए भागते हुए कहते हैं, "कितना भागोगी मैडम? तक पहुँचेंगे, मज़ा आएगा! लेकिन ठीक है, अगर आपकी इच्छा है तो भागो! एक्सरसाइज़ होने के बाद और एक्साइटमेंट होगी!" यह कहकर वे और स्पीड बढ़ा देते हैं।
जिया भागते हुए जा ही रही होती है कि एक पत्थर से लड़खड़ा जाती है और सड़क पर गिर जाती है। उसे गिरते ही वे सारे आदमी उसके चारों तरफ घेरकर खड़े हो जाते हैं और जोर से हँसते हुए कहते हैं, "क्या हुआ? अपनी भागना छोड़ो! भागो, भागो!"
जिया उनकी तरफ देखते हुए कहती है, "देखो, मुझसे दूर रहो! वरना मैं तुम सबको ज़िंदा नहीं छोड़ूंगी! मैं कह रही हूँ ना, मुझसे दूर रहो! मैं चिल्ला दूंगी!" यह कहकर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगती है, "बचाओ! बचाओ! कोई है? मेरी मदद करो!"
उसकी चिल्लाहट सुनकर वे लोग हँसते हुए कहते हैं, "यहाँ पर कोई नहीं आता! ये रास्ता पूरी तरह से सुनसान है! जितना चाहो चिल्ला लो मैडम! तुम्हें यहाँ बचाने वाला हमारे सिवा कोई नहीं है! इसलिए हम कह रहे हैं, बड़े प्यार से हमारी बात मान जाओ! एक-एक करके करेंगे, वरना हम सब साथ में आए तो बहुत तकलीफ हो जाएगी!"
यह कहकर वे उसके ऊपर टूटने ही वाले थे कि जिया ने अपने बैग से पेपर स्प्रे निकाला और उनके चेहरे पर मार दिया। पेपर स्प्रे की वजह से उनकी आँखें जलने लगीं और जलन की वजह से वे चिल्लाकर इधर-उधर देखने लगे। जिया मौका देखते ही वहाँ से तेज़ी से भागती है। उसे भागता देख, उनमें से एक आदमी चिल्लाता है, "अरे पकड़ो उसको! वो भाग रही है! अगर वो हाथ से निकल गई तो आज रात का मज़ा किटकिट हो जाएगा!" यह कहकर वे फिर से जिया के पीछे भागने लगते हैं।
जिया भागते हुए आगे बढ़ ही रही थी कि सामने से आ रही एक कार से टकरा जाती है।
क्या बचा पाएगी जिया खुद को इस दरिंदो से ...!
जिया को सामने देखकर कार वाला ब्रेक लगा देता है। कार तुरंत वहीं रुक जाती है। कार की पिछली सीट पर बैठा एक आदमी, जिसने ब्लैक कलर की लेदर जैकेट पहन रखी थी और जिसकी हाइट लगभग 6 फ़ीट थी, उसका गठीला शरीर और उसकी कड़क आवाज़ मानो शेर के दहाड़ के समान थी। वह गुस्से से कहता है, "आर यू इडियट? कार क्यों रोकी?" ड्राइवर लड़खड़ाते हुए कहता है, "सर, सामने एक लड़की है। शायद वह गाड़ी से टकरा गई है। रुकिए, मैं देखकर आता हूँ।" यह कहते हुए ड्राइवर गेट खोलकर नीचे उतरने ही वाला था कि वह आदमी कहता है, "रुको तुम! मैं देखता हूँ। तुम गाड़ी तैयार रखो। हमें लेट हो रहा है।" यह कहकर वह गेट खोलता है और बाहर की तरफ आता है। वहाँ एक लड़की जमीन पर गिरी हुई थी। वह नशे में धुत थी। तभी कुछ और आदमी उसके सामने आकर खड़े हो जाते हैं। वे कार के पास खड़े आदमी को देखकर चिल्लाकर कहते हैं, "भाई साहब, तुम अपना काम करो ना! निकलो यहाँ से! वह लड़की हमारे हवाले कर दो! वैसे भी टाइम खोना नहीं है।"
यह सुनकर वह लड़का उनकी तरफ कड़वाहट से देखता है। उसे लड़की को उठाकर कार के फ्रंट साइड पर ले आते हुए कहता है, "आओ, लेकर जाओ लड़की को।"
उसकी बात सुनकर सारे गुंडे हँसते हुए कहते हैं, "लगता है डर गया!" और उनमें से एक गुंडा आगे बढ़कर जिया को उठाने ही वाला था कि एक तेज़ घूँसा उसके चेहरे पर लगता है। उसके चेहरे का पूरा नक्शा बिगड़ जाता है और वह दूर जाकर गिर जाता है। यह देखकर हर कोई गुस्से में उसकी तरफ देखते हुए कहता है, "वह तेरा क्या सटका-मटका है? क्यों टाइम खो रहा है? हमसे कोई लड़ाई नहीं करनी है। हमें लड़की दे और चले जाओ। हमसे पंगा मत ले, फालतू का मारा जाएगा।"
यह सुनकर वह आदमी हँसते हुए कहता है, "अरे कुत्तों के पिल्ले! भौंकने के अलावा कुछ आता है? अगर तुम लोगों में हिम्मत है तो इस लड़की को छूकर दिखाओ! यह लड़की और मेरी कार, दोनों तुम्हारी नहीं हैं!"
उसकी बात सुनकर वे आदमी जोर-जोर से हँसते हुए कहते हैं, "बस इतनी सी बात तो ले, अभी यह भी कर देते हैं।" वे गुंडे टूटकर जिया की तरफ भागते हैं, पर जिया के पास खड़ा वह आदमी उन सबको मार-मारकर धूल चटा देता है। सबकी हालत तबाह हो चुकी थी। सब रोड पर अस्त-व्यस्त पड़े हुए थे, दर्द से कराहते, चिल्लाते हुए। वे सब वहीं जमीन पर गिरे हुए थे। इसके बाद वह लड़का जिया को अपनी गोद में उठाता है और सड़क के किनारे लेटने ही वाला था कि ड्राइवर कहता है, "सर, अगर आप उसे लड़की को फिर से यहाँ छोड़ेंगे तो कोई और आएगा और वह भी यही करेगा। अब आपने इसको बचाया है तो आपको नहीं लगता कि इसे किसी सुरक्षित जगह पर पहुँचा देना चाहिए?"
ड्राइवर की बात सुनकर वह लड़का कुछ पल सोचने के बाद उसे लड़की को गोद में लेकर कार में बिठाता है और ड्राइवर से कहता है, "घर चलो।" ड्राइवर तुरंत गाड़ी चलाकर सीधा घर की तरफ चलने लगता है। जिया, जो नशे में मस्त थी, वह उस लड़के का हाथ कसकर पकड़ती है और उसके करीब जाते हुए, उसे चिपकते हुए कहती है, "श्री प्रिंस चार्मिंग! मुझे पता था तुम ऐसे नहीं हो! तुम मुझे कभी छोड़ नहीं सकते। वह सब एक जोक था, ना? अब आ गए हो तो मुझसे दूर मत जाना।" यह कहकर वह उसे और कसकर झकड़ लेती है। वह लड़का जिया को अपने से दूर करने की कोशिश करता है, पर जिया उसे कसकर पकड़े हुए थी। वह नींद में बड़बड़ा रही थी। वह लड़का जिया के हाथ-पैर सीधे करता है और वह शांत हो जाती है। देखते ही देखते गाड़ी एक बड़े से आलीशान विला के सामने रुकती है।
ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकलता है और पीछे का गेट खोलता है। वह लड़का जिया को उठाकर सीधा उस विला के अंदर चला जाता है।
अंदर पहुँचते ही वह जिया को अपने कमरे की तरफ लेकर जाता है। जिया को गोद में उठाकर सीढ़ियों से होते हुए वह ऊपर चला जाता है और जैसे ही वह कमरे में पहुँचता है, कमरे की लाइट ऑन करके जिया को बेड पर लेटा देता है। और वहाँ से जाने ही वाला था कि जिया उसके हाथ को पकड़कर खींच लेती है। खुद के शरीर का बैलेंस न बना पाने की वजह से वह भी बेड पर गिर जाता है। उसके बेड पर आते ही जिया उसके ऊपर चढ़कर बैठ जाती है और उसके मुँह को कसकर पकड़ते हुए कहती है, "नहीं! अभी नहीं! जाने नहीं दूँगी! इतने दिन बाद तुम मिले हो, ऐसे कैसे जाने दोगे?" जिया की आँखें बंद थीं और वह बस बड़बड़ा रही थी। यह देखकर वह जिया को दूर करने की कोशिश करता है, पर जिया उसके हाथों को कसकर पकड़ लेती है और उसके होठों पर अपना होंठ रखकर पैशनेटली किस करने लगती है।
वह आदमी एक शैतानी मुस्कान के साथ जिया के चेहरे की तरफ देखा है जो बिना मेकअप के भी काफी गला कर रहा था रोने की वजह से उसकी आंखें थोड़ी सी लाल हुई पड़ी थी और उसका बाल बिखरा हुआ था वह उसके बाल को साइड करते हुए जिया को उठाकर बिस्तर से साइड करने वाला था पर जिया फिर से मुस्कुराती है और उसको कसकर दबाते हुए दोबारा उसके होठों पर अपना होंठ रख करके उसे पैशनेटली किस करने लगती है फिर वह अपने दोनों हाथों से उसे आदमी का हाथ पकड़ती है और उसे किस करते हुए कहती है क्यों कहां जा रहे हो अच्छा नहीं लग रहा क्या राहुल यह कहकर वह कंटीन्यूअस उसको किस किया जा रही थी
वेल गैस आपसे रिक्वेस्ट है कि यह मेरी नई स्टोरी है आई होप आपको स्टोरी पसंद आएगी और अगर पसंद आ रही हो तो रिव्यू देना मत भूलिएगा और हां फॉलो कर लो यार और साथ में आपको पता है ना अच्छे-अच्छे प्यारे-प्यारे कमेंट भी कर देना सी जितना अच्छा कमेंट और रिव्यू होगा उतना ज्यादा चैप्टर मिलेगा आई प्रॉमिस
आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़ते रहिए।
अब तक आपने देखा कि जिया उस आदमी को बेड पर लेटाकर पैशनेटली किस कर रही थी। वह आदमी जिया को खुद से दूर करना चाहता था, पर जिया उसे राहुल समझकर उससे लिपट रही थी।
जिया मुस्कुराते हुए कहती है, "आई नो! हम यह सब शादी के बाद करने वाले थे, पर ठीक है ना! शादी तो तुमसे ही करनी है।" यह कहकर वह दोबारा उसे किस करने लगती है और उस आदमी के कपड़े एक-एक करके उतारने लगती है। यह देखकर वह आदमी मुस्कुराता है और जिया को पलटकर बेड पर लेटा देता है। उसके शरीर से कपड़े अलग करके वह भी उसे पैशनेटली किस करने लगता है।
और देखते ही देखते उन दोनों के शरीर से सारे कपड़े अलग हो जाते हैं। वह आदमी पास में पड़े चादर को उठाकर खुद के ऊपर डालता है और उनके बीच में प्यार का ऐसा मिलन होता है, जिसकी कल्पना से भी मुझे शर्म आ रही है।
थोड़ी देर बाद जिया सो जाती है। उसके सोते ही वह आदमी उसके बगल में लेटकर जिया की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहता है, "तुम कितनी प्यारी हो!" इतना कहा ही था कि जिया उसके चेस्ट एरिया पर आकर लेट जाती है और उसे कसकर पकड़ते हुए बड़बड़ाती हुई कहती है, "मुझे छोड़कर मत जाना।" और फिर न जाने कब उन दोनों की आँख लग जाती है और वे दोनों गहरी नींद में चले जाते हैं।
अगली सुबह, जैसे ही जिया की आँखें खुलती हैं, वह खुद को एक मर्द के साथ बिस्तर पर पाती है। उसका सिर किसी के सीने पर था। यह देखकर जिया की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। वह चादर को हटाकर खुद के शरीर को देखती है। यह देखकर वह अपना सिर पकड़ते हुए कहती है, "ओह माय गॉड! मैंने क्या कर दिया? कल रात नशे में न जाने क्या-क्या हो गया! इससे पहले कि वह उठे, मुझे यहाँ से जाना होगा।" यह कहकर वह झट से अपने कपड़े उठाती है और अपना बैग समेटते हुए वहाँ से निकल जाती है।
दूसरे पल उस आदमी की आँखें खुलती हैं। वह अपना हाथ बिस्तर के दूसरी तरफ करता है, पर वहाँ जिया नहीं थी। वह हैरानी से उठ खड़ा होता है, पर जिया उसके आसपास नहीं दिखती। वह कंबल को उठाकर खुद के शरीर में लपेटते हुए वॉशरूम की तरफ जाता है, पर वहाँ पर भी जिया नहीं थी। वह बाहर आकर देखता है तो उसके कपड़े बिखरे हुए थे। पर गहरी साँस लेते हुए एक मुस्कान के साथ कहता है, "लगता है चली गई।" तब तक वह चादर को उठाकर दूसरी तरफ फेंकने वाला था कि उसे चादर पर खून के निशान दिखाई देते हैं। उन निशानों को देखते ही वह एक शैतानी मुस्कान के साथ उनके करीब जाता है और कहता है, "मतलब तुम वर्जिन थीं? ओह बेबी गर्ल!" यह कहकर वह वहाँ से चला जाता है। लिविंग एरिया में पहुँचते ही वह चिल्लाकर कहता है, "आदित्य! रघु! कहाँ हो सब के सब?" उसकी शेर जैसी आवाज़ सुनकर दौड़कर हर कोई लिविंग एरिया में आ जाता है। वह लड़का उनकी तरफ देखते हुए कहता है, "कल रात जो लड़की मेरे साथ थी, वह कहाँ गई?" तब तक एक नौकर आगे आकर कहता है, "सर, थोड़ी देर पहले वह यहाँ से निकलकर सीधा बाहर की तरफ चली गई थी।" "रघु, मुझे उस लड़की का पूरा डिटेल चाहिए! कहाँ की है, क्या करती है, किसके यहाँ की है, सब कुछ! और यह सब आज शाम तक चाहिए मुझे!" इतना कहने के बाद वह वहाँ से चला जाता है। उसके जाते ही रघु हैरानी से आदित्य की तरफ देखते हुए कहता है, "कि हमारे ही बाॅस है ना! जी लड़कियों से नफ़रत थी, आज वह लड़की का डिटेल माँग रहे हैं! छोड़ना भाई, हमें क्या करना है? देख, मुझे तो मेरी जान प्यारी है, इसलिए तू प्लीज डिटेल लाकर उन्हें दे दे।" यह कहकर दोनों भी वहाँ से चले जाते हैं। इधर वह अपने कमरे में आता है, जहाँ पर उस लड़की की हल्की खुशबू महक रही थी। वह मुस्कुराते हुए शीशे में खुद को देखता है। खुद के शरीर पर बने निशानों को बड़े प्यार से सहलाते हुए कहता है, "बेबी गर्ल! अब से तुम मेरी हो! मेरे अलावा तुम्हें कोई छू नहीं सकता।" वह फिर से मुस्कुराता है और वॉशरूम में चला जाता है।
दूसरी तरफ जिया ऑटो लेकर अपने घर पहुँचती है। बाहर निकलकर वह दबे पाँव घर के अंदर जा रही थी कि तभी एक जोरदार आवाज़ आती है, "कौन सा टाइम है घर आने का? कल रात कहाँ थी तुम?" यह सुनते ही जिया के होश उड़ जाते हैं। वह धीरे से पीछे मुड़ते हुए कहती है, "एम सॉरी दादाजी! एक्चुअली कल रात मैं श्वेता के घर पर रुक गई थी, इसलिए आने में लेट हो गया।" "अच्छा, तुम श्वेता के घर पर रुक गई थीं? रमेश! इधर आओ! तो सच बताओ, कल रात मैडम कहाँ थीं?" जिया रमेश की तरफ घूरकर देखती है। जिया के संकोच को देखकर रमेश झिझकते हुए कहता है, "हाँ मालिक, कल यह श्वेता मैडम के घर पर थी।"
"अच्छा, ठीक है, तुम जाओ यहाँ से।" इसके बाद दादाजी का स्वभाव थोड़ा नरम होता है। वह जिया के पास आकर उसके बालों को सहलाते हुए कहते हैं, "बेटा, तुम्हें पता है ना, तुम एक पल के लिए भी मुझसे दूर होती हो तो मुझे डर लगने लगता है। एक तुम ही बची हो, सबको तो मैंने खो दिया। तुम्हें नहीं खोना चाहता।" यह सुनते ही जिया अपने दादा के गले लगकर कहती है, "दादा, आप चिंता मत करिए, मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी।" यह सुनकर वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, "मैं तुम्हें जान भी नहीं दूँगा, मेरी बच्ची। अच्छा, ऑफिस के लिए लेट हो रहा है, मुझे यहाँ से निकलना होगा।" "हाँ हाँ, ठीक है। तुम जाकर जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ। मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को बना देता हूँ।"
जी दादा जी जी आप जल्दी से बनाया मैं यूं गई और यू आई यह कहकर वह सीडीओ से भागते हुए सीधा अपने कमरे में आ जाती है ।
कौन था वह लड़का? आखिर क्या चाहता था वह जिया से...?
जिया अपने कमरे में कपड़े चेंज करके सीधा बाथरूम में जाती है। वह आईने के सामने खड़ी होकर खुद के शरीर को देख रही थी; जगह-जगह पर दातों के निशान पड़े हुए थे, और लव बाइट भी थे। वह उसको देखकर, सहलाते हुए, फुसफुसाती है, "जिया! क्या किया? दारू हजम नहीं होती, फिर भी तूने पी लिया, ना? इस राहुल के बच्चे को मैं छोड़ूंगी नहीं! इसकी वजह से मुझे मेरी वर्जिनिटी लूज़ करनी पड़ी...वह भी किसके साथ? मुझे पता भी नहीं है! प्रकाश! जल्दी-जल्दी में उसका चेहरा तो देख लिया होता! ना जाने दिखने में कैसा था! छोड़ अब, जो हो गया सो हो गया। अभी मुझे ऑफिस चलना है, कपूर के साथ आज मीटिंग्स भी हैं।" यह कहकर वह शावर को ऑन करती है। जल्दी से फ्रेश होकर बाहर आती है। जिया ने जल्दी से एक क्लासिक कट का जंपसूट पहना। उसने हल्का स्किन प्रोडक्ट लगाया और बालों को हल्का सा वेट करके कान में बड़े-बड़े इयररिंग्स डाले। हील्स पहनकर वह सीडीओ से भागती हुई नीचे आती है। दादाजी ने उसके लिए खाना बनाकर रखा था। वह जल्दी से ब्रेकफास्ट करती है और दादा को गले लगाकर, "बाय," बोलते हुए, रमेश से कहती है, "सुनो, जल्दी से ऑफिस की तरफ गाड़ी चलाओ!" रमेश उसे गाड़ी में बिठाता है और सीधा ऑफिस के लिए निकल जाता है। उसके जाते ही दादाजी की आँखें नम हो जाती हैं। अपने आँसुओं को पोंछते हुए, वह कहते हैं, "बेटा, तुम्हें कैसे बताऊँ कि तुम्हारे माँ-बाप के साथ क्या हुआ था? मैं उन हादसों को बताना नहीं चाहता। मुझे पता है, अगर तुम्हें पता चलेगा, तो तुम उन सबको तबाह कर दोगी। पर जाने दो, तुम जहाँ खुश हो, वही खुश रहो। वैसे, तुम्हारी दादागिरी देखने लायक है! 19 साल की उम्र में, जहाँ लड़कियाँ मेकअप और दूसरी चीजों में इन्वेस्ट करती हैं, वहाँ तुमने बिज़नेस संभाला और आज सबसे बड़ी ज्वेलरी कंपनी की सीईओ हो!"
यह कहकर वह कमरे में चले जाते हैं।
इधर, दूसरी तरफ, उस विला में, वह इंसान एक अंधेरे से कमरे में बैठा हुआ था। तभी उसके दरवाज़े पर दस्तक होती है। उसे दस्तक सुनते ही, वह ठंडी आवाज़ में कहता है, "अंदर आ जाओ!" रघु, फ़ाइल लेकर अंदर पहुँचता है। "रखो फ़ाइल," वह आदमी को फ़ाइल देते हुए कहता है। "सर, उस लड़की का नाम जिया है—जिया खुराना, राम एंड संस ज्वेलरी की इकलौती ओनर। उसने अपने कम उम्र में काफी तगड़ी तरक्की की है। उसके ज्वेलरी का प्रचार बड़े-बड़े शहरों, विदेशों में भी है। उसने 19 साल की उम्र में ऐसी डील्स क्रैक की हैं जो बड़े-बड़े बिज़नेसमैन नहीं क्रैक कर पाते।" यह सुनते ही, कुर्सी पर बैठा व्यक्ति, जिसका नाम वीर था, रघु को जाने के लिए कहता है।
रघु जैसे ही वहाँ से जाता है, वीर फ़ाइल से जिया की फ़ोटो निकालकर उसे गौर से देखते हुए, मुस्कुराते हुए कहता है, "बेबी गर्ल, अब तो तुम मेरी ही हो! मैं तुम्हें बहुत मासूम समझ रहा था, पर तुम मेरी तरह खूंखार शेरनी हो! और I’m in love with you!"
तभी दरवाज़े पर फिर से दस्तक होती है। वीर, फ़ोटो को अपने जेब में डालते हुए, सामने देखता है—वहाँ आदित्य खड़ा था। आदित्य को देखकर, वीर कहता है, "बोलो, आदित्य?" आदित्य धीरे से कहता है, "बॉस, आपसे मिलने के लिए कुछ लोग नीचे आए हैं।" यह सुनते ही, वीर अपने हाथ में लिए सिगार को बगल में रखते हुए, कहता है, "उनसे कह दो बैठे रहें, मैं 2 मिनट में नीचे आता हूँ।" आदित्य वीर की बात सुनकर वहाँ से चला जाता है। इसके बाद वीर चेयर से खड़ा होता है, खुद के कपड़ों को ठीक करते हुए, कमरे से बाहर चला जाता है। सीडीओ से होते हुए वह लिविंग हॉल में आता है। वहाँ पर दो-तीन बिज़नेसमैन बैठे हुए थे। उनको देखकर वीर एक चेयर पर बैठते हुए कहता है, "आज आप सबको वीर की याद कैसे आ गई?" वह तीनों बिज़नेसमैन वीर के सामने एक बड़ा सा बैग रखते हैं, जिसमें ढेर सारा पैसा रखा हुआ था। वह बैग को खोलकर वीर के सामने रखते हुए कहते हैं, "वीर, तुमसे काम था। किसी का मर्डर करना था, और सबको पता है कि तुम हमारे लिए ऐसे मर्डर करते हो कि किसी को पता नहीं चलता कि खून है या फिर आत्महत्या।" यह सुनकर वीर मुस्कुराते हुए कहता है, "किसका मर्डर करना था? मुझे खून करना छोड़ दिया है। अगर आपको कोई और काम हो तो बताइए, वरना आप चलते बनिए।" यह सुनते ही, वह तीनों बिज़नेसमैन आपस में एक-दूसरे का चेहरा देखते हुए कहते हैं, "ठीक है, अगर तुम्हें उसका खून नहीं करना तो मत करो, पर उसके बिज़नेस को दबा दो, और कुछ ऐसा करो कि वह हम सब से पीछे हो जाए।" यह सुनते ही वीर मुस्कुरा कर कहता है, "हाँ, यह हो सकता है।" इसके बाद वह लोग अपने जेब से कुछ तस्वीरें निकालकर वीर के सामने रखते हैं, और एक फ़ाइल को निकालकर रखते हैं। "यह रही, इस लड़की का नाम जिया है—जिया खुराना, राज बहादुर खुराना की इकलौती बेटी, राम एंड संस ज्वेलरी और दूसरे इंडस्ट्रीज़ की ओनर। इस लड़की में इतनी कैपेबिलिटी है कि उसने हम सबको पीछे कर दिया है, और हम बिल्कुल भी नहीं चाहते कि यह इंटरनेशनल से अच्छे-अच्छे डील्स क्रैक करे। सो, तुम इसके बिज़नेस को तबाह कर दो। इसके बदले तुम्हें जितना पैसा चाहिए, हम देने के लिए तैयार हैं।" यह सुनते ही रघु आदित्य की तरफ़ हैरानी से देखते हुए कहता है, "अब बस क्या करेंगे? कल तक तो बस उसके प्यार में पागल बैठे हुए थे, आज उसी को तबाह करने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है!" आदित्य, रघु की तरफ़ देखते हुए कहता है, "बॉस के लिए सबसे बड़ा पैसा है, देख लेना, वह यह कॉन्ट्रैक्ट ज़रूर एक्सेप्ट करेंगे।" यह सुनते ही रघु हँसते हुए कहता है, "नहीं, इस बार ऐसा नहीं होने वाला! लगी शर्त!" रघु की बात सुनकर आदित्य मुस्कुराते हुए कहता है, "ठीक है, लगी शर्त! अगर बॉस ने कॉन्ट्रैक्ट एक्सेप्ट किया, तो तुझे मेरा सारा काम करना होगा!" रघु आदित्य की तरफ़ दाँत पीसते हुए कहता है, "चल, देखेंगे कौन किसका काम करता है!"
क्या लगता है आपको? क्या वीर सच में करेगा यह कॉन्ट्रैक्ट एक्सेप्ट या नहीं? जानने के लिए पढ़ते रहिए! और हाँ, रिव्यू देना, कमेंट करना, लाइक करना मत भूलिएगा!
शुरुआत
यह सुनकर के वीर मुस्कुराता है। वह लड़की की पिक्चर उठा करके कहता है —
"ठीक है, काम हो जाएगा... पर याद रहे, इस काम में कुछ वक्त लग सकता है।"
यह सुनते ही वह तीनों बिजनेसमैन मुस्कुराते हुए कहते हैं —
"ठीक है, इंटरनेशनल बिजनेस क्राइव की अगली तारीख अगले साल आने वाली है। उससे पहले-पहले तुम्हें अपना काम करना होगा।"
यह कहकर वह सब वहाँ से चले जाते हैं।
उनके जाते ही आदित्य मुस्कुरा कर के रघु की तरफ देखते हुए कहता है —
"तो बेटा, तैयार हो जा अपने मालिक की बात सुनने के लिए।"
रघु मुँह बना करके आदित्य की तरफ देखते हुए कहता है —
"हाँ ठीक है, चल ना! अब ज़्यादा भाव मत खा..."
यह कहकर वह चुपचाप वहाँ से चला जाता है।
वीर मुस्कुराते हुए आदित्य की तरफ देखकर कहता है —
"सुनो, मुझे जिया के ऑफिस जाना है। उसके ऑफिस में एक एम्प्लॉय का जॉब चाहिए।"
आदित्य वीर की बात सुनकर हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था।
"सर... पर आपको तो उसका कोई आइडिया नहीं है ना?"
"हाँ, मुझे आइडिया नहीं है! पर तुम सब क्यों हो गधे? जहाँ मुझे ज़रूरत पड़ेगी, मैं तुम सबसे पूछ लूंगा। अभी जितना कहा है, उतना करो!"
यह कहकर वह आदित्य को जाने का इशारा करता है।
आदित्य, वीर के जॉब के लिए फेक डॉक्यूमेंट बनवाने चला जाता है।
---
दूसरी तरफ...
जिया अपने ऑफिस पहुँचती है। जिया के आते ही वहाँ के सारे एम्प्लॉई डरते हुए अपने-अपने काम पर लग जाते हैं। सबको पता था कि जिया बहुत खड़ूस है।
तभी, एक आदमी जो चाय लेकर जा रहा था, उसके हाथ से चाय छूटती है और जिया के कपड़ों पर आ गिरती है।
जिया गुस्से में उस आदमी की तरफ देखती है। वह आदमी डरते हुए खुद के मन में बड़बड़ाता है —
"आज यही होना था... अब तो गई मेरी नौकरी! ये तो मुझे खा जाएगी! ऐ भगवान, बचा लो इस चुड़ैल से!"
वह अभी सोच ही रहा था कि जिया चुपचाप उसके बगल से निकल जाती है।
जिया के जाते ही वह हैरानी से खुद को देखता है और आसपास खड़े लोगों को देखते हुए कहता है —
"क्या ये अपनी जिया मैडम थीं? आज इन्होंने मुझे छोड़ कैसे दिया!"
हर कोई हैरानी से जिया की तरफ देख रहा था।
जिया सीधा अपने केबिन में जाती है और एक बेल बजाती है।
बेल के बजते ही सारे कैंडिडेट ऑफिस के बाहर आकर खड़े हो जाते हैं।
सारे एम्प्लॉई को ऑफिस के बाहर खड़ा देख, जिया अपने केबिन से बाहर आती है। बाहर आकर वह दूसरी डेस्क की तरफ देखती है।
वहाँ का HR, राहुल, अपनी निगाहें छुपाते हुए दूसरी तरफ घूम जाता है।
जिया दाँत पीसते हुए राहुल की तरफ आती है, पास में रखी कॉफी उठाती है और उसके ऊपर फेंकते हुए कहती है —
"बेशर्म इंसान! तुम्हें शर्म नहीं आई ऑफिस आते हुए? किस मुँह से इस ऑफिस में आए हो? अभी के अभी यहाँ से दफा हो जाओ, वरना तुम्हारा वो हाल करूँगी कि तुमने सोचा भी नहीं होगा! यू ब्लडी इडियट... गेट आउट फ्रॉम माय ऑफिस!"
राहुल यह सुनते ही रोते हुए जिया के पैर पकड़ लेता है और जोर-जोर से कहता है —
"जिया... प्लीज़, मुझे माफ कर दो! एक लास्ट चांस दे दो! मैं अपनी वाइफ को तलाक दे दूँगा... आई प्रॉमिस! हमारा और उसका डिवोर्स होने वाला था..."
पर सुनते ही जिया पैर झटकते हुए कहती है —
"जिया नहीं! 'जिया मैं' बोल! तुम मेरे रिश्तेदार हो? या मेरे घरवाले? और दूसरी बात, तुम्हें तलाक देना है या वाइफ के साथ रहना है, मुझे उससे कुछ लेना-देना नहीं! जितना कह रही हूँ, उतना करो — चुपचाप यहाँ से निकल जाओ... वरना धक्के मार के बाहर निकलवाऊँगी!"
राहुल जिया के पैरों पर गिरकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है।
जिया गुस्से में सिक्योरिटी गार्ड को बुलाते हुए कहती है —
"सिक्योरिटी गार्ड, ज़रा सर को प्यार से कचरे के डिब्बे में फेंक के आओ तो!"
उसकी एक आवाज़ में सिक्योरिटी गार्ड आते हैं और राहुल को उठाकर वहाँ से लेकर चले जाते हैं।
राहुल के जाते ही जिया गहरी साँस लेते हुए सारे एम्प्लॉई की तरफ घूरकर कहती है —
"आज से अगर मुझे कोई भी ऑफिस में लव-लपटा करते हुए दिखा... तो उसे मैं फायर कर दूँगी! इसलिए ऑफिस में नो रोमांस!"
यह कहकर वह चुपचाप वहाँ से चली जाती है।
उसके जाते ही सारे एम्प्लॉई आपस में बातें करने लगते हैं।
"यार, ये कितनी खड़ूस है! पहले तो हम पर जबरदस्ती हुकूमत चलती थी... अब तो ऑफिस में रोमांस करने से भी रोक दिया!"
"इसका काटा तो क्या... ये सबका काटेगी!"
यह सुनते ही दूसरा एम्प्लॉई बोलता है —
"भाई, चुप कर जा! हमें हमारी जॉब प्यारी है। और वैसे भी, ये कंपनी वन ऑफ द हाईएस्ट पेइंग कंपनी है... तो मुझे यहाँ से नहीं जाना। तुम लोग अपना-अपना देख लो!"
यह कहकर वह चला जाता है।
उसके जाते ही सारे एम्प्लॉई अपने-अपने काम में लग जाते हैं।
---
तब तक, जिया के केबिन के बाहर एक दस्तक होती है।
जिया अपना सर उठाकर सामने देखती है — वहाँ मधु खड़ी थी।
मधु को देखते हुए जिया कहती है —
"हाँ मधु, आओ... तुम्हें जो काम दिया था, वो हो गया?"
मधु यह सुनते ही मुस्कुरा कर कहती है —
"जिया मैम, हो गया है।"
यह सुनते ही जिया मधु की तरफ देखकर कहती है —
"क्यों? क्लोजअप वालों ने तुम्हें कॉन्ट्रैक्ट भेजा था क्या, जो तुम उनके ऐड का प्रचार कर रही हो?"
यह सुनते ही मधु अपना मुँह बंद कर लेती है और फाइल को आगे करते हुए कहती है —
"मैम, ये सारे कैंडिडेट हैं। इनका इंटरव्यू लेना है।"
यह सुनते ही जिया फाइल को बंद करते हुए कहती है —
"तो तुम्हें पता है ना, इनका इंटरव्यू कैसे लेना है?"
मधु जिया की बात सुनकर ‘हाँ’ में सिर हिलाते हुए कहती है —
"जी, पता है।"
"तो शुरू करो... किस बात का इंतज़ार कर रही हो? आज शाम तक मुझे मेरा पर्सनल पीए चाहिए! और हाँ, याद रहे... कोई छिछोरे या छछूंदर को मत ला देना! वरना तुम सबकी खैर नहीं!"
यह सुनकर मधु मुस्कुराते हुए कहती है —
"जी मैम, आप निश्चिंत रहिए। हम किसी अच्छे इंसान को ही लेंगे!"
यह कहकर वह वहाँ से चली जाती है।
---
क्या था वीर का प्लान?
और अब कैसे होगी उनकी मुलाकात...?
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
दूसरी तरफ, हाल एरिया में कई ढेर सारे कैंडिडेट आकर बैठे हुए थे। हर कोई यहां पर जॉब के लिए आया था। उन्हीं के बीच बैठा वीर भी बैठा हुआ था...!
तब तक मधु वहां आकर सभी कैंडिडेट्स को बारी-बारी से केबिन में बुलाने लगती है। सबके चेहरे लटके हुए होते हैं। उन्हें उदास होकर बाहर निकलते देख, वीर हैरानी से सोचता है — "आख़िर उसके केबिन में ऐसा क्या हो रहा है जो हर कोई इतना उदास होकर बाहर आ रहा है?"
अब वीर का नंबर था। वीर कुछ सोचकर केबिन के अंदर जाता है। जैसे ही अंदर पहुंचता है, वह अपनी नज़रें झुकाकर सीधा आगे बढ़ता है। मधु उसे टेबल पर बैठने के लिए कहती है।
मधु ने एक डार्क रेड कलर का बोल्ड ड्रेस पहन रखा था, जिसमें उसका आधा शरीर दिख रहा था। वह एक पेन और पेपर देखते हुए वीर से कहती है —
"सुनो, जो-जो मैं तुम्हें कह रही हूं ध्यानपूर्वक सुनो और पेपर पर लिखो!"
मधु ने बोल्ड ड्रेस इसलिए पहना था ताकि वह लोगों का डिस्ट्रैक्शन लेवल देख सके। जिया के प्लान के अनुसार, जिया उसी को अपना पीए रख सकती थी जो इन सब चीजों से डिस्ट्रैक्ट न होता हो।
वीर चुपचाप से मधु के बोले गए शब्दों को पेपर पर उतरता गया। थोड़ी देर बाद, मधु यह देखकर हैरान थी कि वीर ने सारी चीजें सही-सही लिख लीं।
मधु अपना हाथ वीर के हाथ पर रखते हुए कहती है —
"वाह! तुम्हारी हैंडराइटिंग कितनी प्यारी है..."
वीर उसका हाथ गुस्से से झटकते हुए कहता है —
"मैडम! हम यहां जॉब के लिए आए हैं, आपसे चिपकने नहीं। इसलिए प्लीज़, जॉब की क्राइटेरिया पूरा करिए। आपने जो कहा था, सर, मैंने डॉक्यूमेंट पर लिख दिया है। अब आप प्लीज़ मुझे आगे के लिए क्वालिफ़ाई करिए।"
वीर का कड़क अंदाज़ सुनकर मधु चिढ़ते हुए कहती है —
"मैंने तुम्हें देखा... तुम लिखते टाइम मुझे देख रहे थे!"
वह अपने हाथों को अपने जिस्म पर फेरते हुए कहती है —
"सच बताओ, तुमने देखा था या नहीं? यकीन मानो मेरा, अगर तुमने देखा भी होगा ना, तो मैं किसी को नहीं बताऊंगी! और ये जॉब तुम्हें दे दूंगी... क्योंकि तुमने सारे डॉक्यूमेंट पर डिटेल्स सही-सही लिखा है!"
यह सुनकर वीर दांत पीसते हुए कहता है —
"देखिए, मुझे जॉब चाहिए... आप जैसी लड़की नहीं!"
तभी कोई आकर कहता है —
"सर! मैंने आपको केबिन में बुलाया है..."
वीर मुस्कुराकर कहता है —
"जी! किधर है केबिन? अगर आप बता देंगे तो अच्छा होगा।"
वो सर्वेंट उसको केबिन का गेट दिखाते हुए बताता है —
"आगे से राइट जाना है..."
वीर अपने कपड़ों को ठीक करते हुए उठता है और सीधा केबिन के गेट पर पहुंचता है। वह दरवाज़ा खटखटाते हुए कहता है —
"May I come in?"
यह सुनते ही जिया सामने देखकर हल्के से सर हिलाती है।
वीर जिया को देखकर बस मुस्कुराए जा रहा था... वह एकटक जिया को निहार रहा था। जिया को भी कुछ पल के लिए अजीब लगता है। पर वह चुटकी बजाते हुए कहती है —
"ओह! तो आप ही हैं जिन्होंने मधु को रिजेक्ट कर दिया? हम जान सकते हैं कि आपने मधु को क्यों रिजेक्ट किया?"
यह सुनते ही वीर बहुत शातिर तरीके से जवाब देता है —
"देखिए, ऐसा है कि हमें जॉब की ज़रूरत है। जॉब का मतलब होता है पैशन, डेडिकेशन और सबसे मुख्य चीज़ – लॉयल रहना। बस, हमने वही फॉलो किया।"
यह सुनकर जिया हल्का सा मुस्कुराती है और फिर दूसरा सवाल करते हुए कहती है —
"आपको अपना पीए हम क्यों हायर करें? Give me some reason."
तब तक बाहर से एक आवाज़ आती है —
"वो जिया की बच्ची कहां है? बाहर निकालो!"
ऑफिस में तोड़फोड़ हो रही थी, और सबके चिल्लाने की आवाज़ें सुनकर जिया भागते हुए केबिन से बाहर आती है। उसके पीछे-पीछे वीर भी बाहर आता है।
ढेर सारे गुंडे ऑफिस के इधर-उधर खड़े हुए थे। वे सब जिया की तरफ देखते हुए कहते हैं —
"तो तू ही है जिया?"
जिया चिल्लाकर कहती है —
"How dare you! तुम सब ऑफिस के अंदर कैसे आए? गार्ड्स? सिक्योरिटी कहां हो तुम सब?"
तब तक एक जोर की हंसी आती है और उन सब के बीच से राहुल निकलता है। वह हँसते हुए कहता है —
"वो सब रास्ते में सो रहे हैं! तेरी इतनी हिम्मत कि मेरे लाख बार 'सॉरी' बोलने के बाद भी तुझे ज़रा सा भी समझ नहीं आया? तूने मुझे निकाला था ना? अब देख... तेरा और तेरे इस ऑफिस का क्या हाल करूंगा, तूने सोचा भी नहीं होगा!"
यह कहकर, राहुल पास में पड़े वास को उठाकर जिया के ऊपर फेंकता है!
जिया उसे अपनी तरफ आता देख, डर से अपनी आंखें बंद करके ज़ोर से चिल्लाती है... तभी वीर उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है। वास वीर के सीने पर लगते ही टूटकर चकनाचूर हो जाता है और ज़मीन पर गिर जाता है!
यह देखकर हर किसी की आंखें खुली की खुली रह जाती हैं!
जिया जैसे ही अपना हाथ हटाकर देखती है, तो सामने वीर खड़ा था।
वीर गुस्से में आगे बढ़ते हुए सारे गुंडों को एक-एक करके धोता है! और इतने ध्यान से कि किसी भी चीज़ की हानि ना हो।
वह सभी गुंडों को पल भर में मारकर एक साइड कर देता है और उन्हें कंपनी से बाहर ले जाकर, सड़क पर धक्का देते हुए कहता है —
"सालों! अगर दोबारा इस ऑफिस की तरफ आंख उठाकर भी देखा ना, तो आंखें नोच लूंगा!
और हां, आज तो अपने पैरों पर आए थे, अपने ही पैरों पर जाने दे रहा हूं।
दुबारा अगर किसी के साथ भी बदतमीज़ी करने की कोशिश करी, तो तुम्हारे पैर तोड़कर तुम्हारे हाथों में दे दूंगा!"
तब तक वहां पर पुलिस पहुंच जाती है। पुलिस उन सबको उठाकर ले जाती है।
जिया दूर से खड़ी वीर के अंदाज़ को देखकर काफ़ी इंप्रेस होती है...!
वीर अपने कपड़ों को साफ करते हुए आगे बढ़ रहा था ऑफिस का हर स्टाफ बस वीर को देखे जा रहा था
---
क्या जिया वीर को हायर करेगी अपने पर्सनल पीए के पोस्ट पर?
जानने के लिए पढ़ते रहिए... और हां, रिव्यू देना मत भूलिएगा!
वीर आकर के जिया के सामने खड़ा हो जाता है। जिया मुस्कुराते हुए वीर की तरफ देखते हुए कहती है,
"ठीक है, तुम ऑफिस आ सकते हो... पर याद है ना, तुम मेरे पीए हो। तुम्हें हमेशा मेरे साथ रहना होगा।"
यह सुनकर वीर हल्का सा मुस्कुराता है और "हां" में सर हिलाते हुए कहता है,
"ठीक है मैं... मैं अभी से जॉइन हो जाता हूं।"
जिया मुस्कुराते हुए कहती है,
"यू कैन कॉल मी... जिया।"
जिया की बात सुनकर वह धीरे से "हां" में सर हिलाता है।
तभी उसका ध्यान जिया के गर्दन पर जाता है। उसे कल रात की यादें ताज़ा हो रही थीं। वह धीरे से कहता है,
"मैं... आपके गर्दन पर ये निशान... कैसा? बर्थ मार्क है?"
यह सुनते ही जिया एक पल के लिए घबरा जाती है। अपने हाथ को अपनी गर्दन पर रखते हुए कहती है,
"वो... चोट लग गया था।"
यह कहकर वह झट से अपने केबिन में आ जाती है और केबिन का गेट बंद कर लेती है।
पास में पड़े मिरर को उठाकर अपनी गर्दन की तरफ देखती है तो लव बाइट साफ-साफ दिख रहा था।
यह देखकर वह घबरा जाती है।
वह अपना फोन निकाल कर श्वेता को कॉल करती है और कहती है,
"श्वेता! एक बात बता... ये लव बाइट कैसे हाइड करूं?"
यह सुनते ही श्वेता मुस्कुराते हुए कहती है,
"आह! क्या बात है मैडम... ब्रेकअप हुआ नहीं कि हुकअप चालू!"
"अरे यार! हुकअप नहीं था... एक रात की गलती थी।"
"ऐसी कौन-सी गलती कर बैठी?"
"सुन, ऐसा करते हैं कि आज शाम को सब मिलते हैं... वहीं पर सब बताती हूं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।"
"ठीक है, तो एक काम कर — शाम का वेट क्यों करना? तू अभी मेरे रेस्टोरेंट आ जा... यहां पहले से ही अवनी और शनाया आई हुई हैं।"
"अच्छा ठीक है, मैं अभी आती हूं।"
यह कहकर वह अपना फोन कट करती है, बैग उठाती है और वहां से चली जाती है।
---
दूसरी तरफ...
श्वेता के रेस्टोरेंट में अवनी, श्वेता और शनाया एक टेबल पर बैठकर बात कर रहे होते हैं।
तभी वहां भागती हुई जिया भी पहुंचती है।
जिया जैसे ही टेबल पर बैठती है, शनाया उसके लव बाइट को देखकर फिर से मुस्कुराते हुए कहती है,
"ओह! ये किसने दिया? लगता है रात काफी रंगीन कटी है!"
तभी इसी बात का मज़ा लेते हुए अवनी कहती है,
"हां यार! हम फालतू का परेशान हो रहे थे... ये मैडम तो मज़े लेकर आ रही हैं। तो ये बताओ, कैसा था? कैसा दहाड़ मार उसे लड़के ने?"
"अरे चुप करो दोनों!"
श्वेता भी हंसते हुए कहती है,
"उसने इतना कड़क दहाड़ मारा है कि जगह-जगह लव बाइट हो गया है मैडम को!"
यह सुनते ही जिया शरमाते हुए कहती है,
"तुम तीनों चुप करोगी या मैं जाऊं यहां से?"
"अच्छा नहीं नहीं, रहने दो, जाने को... हम मज़ाक नहीं बनाएंगे। कोई भी जिया के लव बाइट का मज़ाक नहीं बनाएगा, ठीक है?"
यह कहते ही सब हंसने लगते हैं।
जिया दांत पीसते हुए कहती है,
"बस भी करो यार! कितना मज़ाक बनाओगी... मैं उठकर चली जाऊंगी!"
"अच्छा नहीं नहीं, मत जाओ... बताओ, क्या काम था?"
"मुझे समझ नहीं आ रहा इस लव बाइट को कैसे हाइड करूं।"
"पर ये बताओ, ये लव बाइट आया कैसे?"
शनाया ने उत्सुकता भरे शब्दों में पूछा।
---
और फिर...
जिया का जवाब सुनकर हर कोई हैरान होकर जिया की तरफ देखने लगा।
"क्या...? तुम एक स्ट्रेंजर के साथ हमबिस्तर हो गईं और तुम्हें ये भी नहीं पता कि वो कौन था?"
जिया अपने सर पर हाथ रखते हुए कहती है,
"हां यार... सच में मुझे नहीं पता चला वो कौन था। रात में इतना कुछ हुआ... कुछ याद नहीं आ रहा।
मुझे बस इतना याद है कि मेरे पीछे गुंडे पड़े हुए थे और मैं किसी की कार के आगे टकरा गई थी... उसके बाद का कुछ भी याद नहीं है।"
तब तक शनाया, श्वेता की तरफ देखते हुए कहती है,
"ये महारानी हमें पहले कितना ज्ञान देती थी... और अब देखो! किसी के साथ हमबिस्तर हो गई और नाम तक याद नहीं है!"
शनाया की बात सुनकर जिया उदास होकर कहती है,
"यार... मैंने अपनी वर्जिनिटी बहुत संभाल कर रखी थी।
मैंने सोचा था, जिसके साथ शादी करूंगी, उसी के साथ अपनी वर्जिनिटी लूज़ करूंगी।
पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था...
सच बता रही हूं — ये सब अनइंटेंशनली हुआ है। मैंने जानबूझकर कुछ भी नहीं किया।
और मुझे कुछ याद भी नहीं है कि कब, कैसे, क्या हो गया..."
यह कहकर वह ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है।
उसे रोता देख, कोई उसे शांत करते हुए कहता है,
"तू रो क्यों रही है? रोने से कुछ नहीं होगा...
अब जो होना था, हो गया।
अब आगे का सोच।
और वैसे भी आजकल कौन वर्जिनिटी को लेकर इतना हाइपर होता है?"
"मुझे बहुत कॉन्फिडेंस था कि मैं नहीं... वो सबसे प्यारी चीज़ बचाकर रखी है।
पर शायद मैंने उसे लूज़ कर दी..."
"ठीक है, जो होता है अच्छे के लिए होता है।"
श्वेता ने धीरे से कहा,
"तू रोना बंद कर... हमारे पास इसका सॉल्यूशन है।
हमने पहले से ही इसका एक जुगाड़ कर रखा है।"
"कैसा जुगाड़?"
जिया ने हैरानी से पूछा।
"रुक जा... अभी दिखाती हूं!"
---
आख़िर कैसा था वो जुगाड़ जो श्वेता ने कर रखा था...?
जानने के लिए पढ़ते रहिए... और हां, रिव्यू देना, कमेंट करना मत भूलिएगा।
अगर स्टोरी पसंद आ रही हो तो फॉलो ज़रूर करिएगा!
और हां जैसा रिव्यू कमेंट और व्यू होगा उसे हिसाब से मैं स्टोरी के और भी चैप्टर अपलोड करता जाऊंगा अगर सच में आप लोग को कहानी दिलचस्प लग रही हो तो प्लीज बताते रहना ताकि मैं एक-एक दिन में पांच-पांच 6 ,7 चैप्टर अपलोड करो ताकि आपको पढ़ने में और अच्छा लगे
अब तक आपने देखा कि जिया के उदास चेहरे पर खुशी लाने के लिए श्वेता ने कुछ प्लान कर रखा था... आइए जानते हैं उसने क्या प्लान कर रखा था।
श्वेता, जिया का फोन लेकर उसमें डेटिंग ऐप इंस्टॉल करते हुए कहती है,
"ये देख, ये है डेटिंग ऐप... तुझे तेरा लाइफ पार्टनर यहां मिलेगा। अब बहुत हो गया! तीसरा लड़का जो भी होगा, तू उसके साथ डेट पर जाएगी, उससे बात करेगी।"
"पर श्वेता, मेरी बात तो सुन! ऐसे किसी के साथ कैसे...?"
"तू चुप कर ना यार, जिया! कब तक ये आंटियों के ज़माने की बातें करेगी?"
"सही तो कह रही है श्वेता," शनाया ने जिया का हाथ पकड़ते हुए कहा,
"तू आईडी बना और लड़के सिलेक्ट कर।"
अवनी भी मुस्कुराते हुए कहती है,
"हां हां... आईडी बना और लड़का ढूंढ!"
इधर श्वेता ने आईडी बनाकर तीसरे लड़के को राइट स्वाइप कर दिया और फोन जिया के हाथ में देते हुए कहती है,
"सुन! हमें पल-पल की खबर चाहिए कि तुझे वो लड़का क्या बातें कर रहा है, क्या नहीं।
अगर तूने उससे बात नहीं की... तो फिर देख लेना!"
जिया मुँह लटकाकर उनकी "हां" में "हां" मिलाती है।
---
इधर दूसरी तरफ...
एक अंधेरे से कमरे में एक नकाबपोश इंसान बैठा हुआ था।
उसकी स्क्रीन पर श्वेता के रेस्टोरेंट का सीन चल रहा था, जहां पर जिया उदास बैठी हुई थी।
तभी उस इंसान के फोन में एक नोटिफिकेशन आता है।
वह अपना डेटिंग ऐप ओपन करता है तो उसमें एक लड़की का राइट स्वाइप दिखता है।
उसे देखकर वह एक शैतानी मुस्कान के साथ राइट स्वाइप करता है... जिससे उन दोनों का मैच बन जाता है।
वह कैमरे को ज़ूम करते हुए जिया के चेहरे को देखता है...
और एक डरावनी आवाज़ में, शैतानी मुस्कान के साथ कहता है,
"जिया... तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी हो!
तुम्हें कोई और चाहे — ये मैं होने नहीं दूंगा।
तुम्हें मैंने न जाने कितने वर्षों से चाहा है।
आज तुम्हें अपनी आँखों के सामने देखकर यकीन मानो — इतना सुकून मिल रहा है... मैं तुम्हें पा नहीं सकता!"
यह कहकर वह अपना लैपटॉप उठाता है और उसमें कुछ कोडिंग करने लगता है।
वह जिया का फोन हैक करना चाहता था... ताकि अब जिया पर नज़र रख सके।
---
उधर दूसरी तरफ...
वीर अपने घर वापस आता है।
विला पहुंचते ही आदित्य और रघु हैरानी से वीर की तरफ देख रहे थे।
उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
रघु, वीर को पानी देते हुए कहता है,
"बस... जॉब मिल गई?"
आदित्य, रघु के सर पर टपली मारते हुए कहता है,
"तुझे समझ नहीं आ रहा? बस की खुशी देखकर ही लग रहा है कि इनको जॉब मिल गई है।"
"हां बस, आपको जॉब मिल गई?" रघु मुस्कुराते हुए पूछता है।
वीर हँसते हुए रघु को गले लगाकर कहता है,
"हां! जॉब मिल गई!"
वीर का बदला-बदला रवैया सबके लिए बड़ा अजीब था।
"तो बस... अब आप आगे क्या करेंगे?"
"क्या उन बिज़नेसमैन की बात मानेंगे और उनका पूरा बिज़नेस संभाल लेंगे?"
यह सुनते ही वीर के चेहरे की खुशी एक पल के लिए गायब हो गई।
उसे भी इस चीज़ का ज़्यादा ध्यान नहीं था...
---
आख़िर क्या करेगा वीर...?
और कौन था वो नकाबपोश... जो आने वाला था जिया की ज़िंदगी में?
जानने के लिए पढ़ते रहिए... और हां! चैप्टर 9 पर आए कॉमेंट्स, रिव्यूज़ और व्यूज़ ही अब आगे तय करेंगे कि कितने चैप्टर्स एक दिन में अपलोड होंगे।
बिलीव मी — अगर अच्छे व्यूज़ आते हैं, तो मैं काफी ढेर सारे चैप्टर एक ही दिन में अपलोड कर दूंगा!
---
📢 अगर कहानी पसंद आ रही हो तो फॉलो करना मत भूलिए, और कमेंट्स में बताइए — आपको अगला चैप्टर कब चाहिए?
to be continued.........
---
वीर कुछ तो सोने के बाद कहता है, "मैं वीर हूं। मैं करता वही हूं जो मेरा मन करता है। आपसे ही बात... इस लड़की पर मेरा दिल आ गया है, तो अब ये तो मेरी होगी।"
यह सुनते ही आदित्य कहता है, "सर, आपने जो पैसे लिए हैं, उसका क्या? आपको पता है, अगर आपने उनका काम नहीं किया तो आपके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।"
यह सुनकर वीर मुस्कुराते हुए कहता है, "मुसीबत का दोस्त हूं मैं... तो फिर परेशान कैसे हो सकता हूं? जहां तक रही बात इस चीज की, तो इसका भी जुगाड़ है मेरे पास। तुम लोग बेफिक्र होकर जैसा-जैसा मैं कहता हूं, वैसा करते जाओ।"
आदित्य और रघु यह सुनकर मुस्कुरा देते हैं।
तब तक उनके दरवाज़े पर एक और दस्तक होती है। उस दस्तक को सुनते ही वीर रघु की तरफ इशारा करता है। रघु इशारा समझकर गेट पर जाता है और वहां खड़े एक बुज़ुर्ग इंसान को लेकर अंदर आता है।
वह इंसान वीर के सामने बैठते हुए कहता है,
"हेलो मिस्टर वीर, मैं आपके बारे में बहुत सुना है। यहां इस उम्मीद से आया हूं कि आप मेरी हेल्प करेंगे।"
उस बुज़ुर्ग व्यक्ति की आवाज़ में थोड़ी सी दर्द थी और रूखापन भी।
वीर धीरे से जवाब देते हुए कहता है,
"वो डिपेंड करता है कि आप मुझे कितना देर रहे हैं। मतलब... मतलब ये कि आपके पैसे बताएंगे कि आपका काम हो पाएगा या नहीं।"
यह सुनकर वह बुज़ुर्ग इंसान मुस्कुराते हुए कहता है,
"ठीक है। मैं तुम्हें मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हूं, पर उसके बदले तुम्हें कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा।"
वीर अपनी भौंहें चढ़ाकर बुज़ुर्ग की तरफ देखते हुए कहता है,
"कॉन्ट्रैक्ट? और वीर? आपको लगता है ये लीगल डॉक्यूमेंट मुझे रोक सकते हैं? देखिए, आपकी बड़ी इज्जत करता हूं मैं... एक्चुअली आपकी उम्र की इज्जत करता हूं। तो आपके खुशकिस्मती के लिए बता दूं कि मेरे लिए सबसे सर्वप्रिय चीज पैसा है। आप अगर मुझे पैसे देते रहेंगे, मैं आपके लिए लॉयल रहूंगा।"
यह कहकर वीर अपनी सिगार जलाता है और उसके कश भरने लगता है। फिर वह दूसरी सिगार उनकी तरफ ऑफर करते हुए कहता है,
"आपको चाहिए?"
वह बुज़ुर्ग व्यक्ति मना करते हुए कहता है,
"तो ठीक है, जब नहीं पीना तो सीधा काम की बात करते हैं। बताइए, कैसे हेल्प चाहिए आपको?"
"मुझे मेरी पोती के लिए सुरक्षा चाहिए।"
यह सुनते ही वीर एक पल के लिए रुक गया।
"आपका नाम क्या है, श्रीमान?"
"मेरा नाम राज बहादुर खुराना है। और मेरी पोती जिया खुराना — वन ऑफ द यंगेस्ट बिज़नेस वुमन। मैं चाहता हूं कि आप उसकी सिक्योरिटी में अपने सारे आदमियों और अपने आप को लगा दें। इसके बदले जितने पैसे चाहिए, मैं देने के लिए तैयार हूं। मेरे राइफलरीज ने मेरे बेटे, मेरी बहू और मेरे पूरे परिवार को मार डाला। मेरे पास बची है तो सिर्फ और सिर्फ मेरी पोती। अगर उसकी ही ज़िंदगी नहीं रहेगी तो मैं क्या करूंगा?"
यह सुनकर वीर मुस्कुराते हुए कहता है,
"आप निश्चिंत होकर घर जाइए। आपका काम हो जाएगा।"
तब वह रघु की तरफ इशारा करता है। रघु इशारे को समझते हुए राज बहादुर जी को उठने के लिए कहता है,
"सर, टाइम ओवर हो चुका है। अब आपको सारी डिटेल्स कल मिल जाएंगी। अब आप यहां से जा सकते हैं।"
राज बहादुर जी चुपचाप उठकर वहां से चले जाते हैं।
उनके जाते ही वीर ज़ोर-ज़ोर से पागलों की तरह हंसने लगता है। उसे इस कदर हंसता देख आदित्य और रघु एक-दूसरे को देखते हैं।
तब वीर कहता है,
"हाय रे मेरी किस्मत! क्या खेल खेला है तूने! एक तरफ मेरा प्यार... उसका परिवार। दूसरी तरफ उसके दुश्मन, वह। और सबसे प्यारी चीज़ मेरे लिए — मेरा पैसा! तू भी मेरी तरह नॉटी हो रही है? थोड़ा सा शर्म कर ले!"
यह कहकर वह फिर से ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगता है।
उसे इस तरह हंसता देख आदित्य और रघु धीरे से वहां से चले जाते हैं। उनके जाने के बाद वीर वहां से उठता है और सीधे अपने कमरे में चला जाता है, जहां चारों तरफ उसने बस जिया की तस्वीरें लगा रखी थीं। बिस्तर पर लेटते ही वह जिया के ख्यालों में खो जाता है...
---
दूसरी तरफ —
जिया अपने घर पर अपने बेड पर लेटी हुई थी। तभी उसके फोन में अचानक से एक मैसेज आता है। जैसे ही वह मैसेज ओपन करती है, वह डेटिंग ऐप पर किसी लड़के का था। वह उसकी प्रोफाइल खोलती है, पर वहां कोई भी फोटो नहीं थी — प्रोफाइल पूरी तरह से ब्लैक थी।
वह हैरानी से कुछ पल सोचती है:
"आख़िर उन लोगों ने इसे मेरे लिए क्यों चुना? खैर छोड़ो, सिस कोड के लिए मुझे इससे भी बात करनी होगी।"
वह सामने वाले इंसान को हाय टेक्स्ट करती है। उधर से टेक्स्ट बैक आता है:
"Hello... Me."
फिर दोनों की काफी लंबी बातें होती हैं। जिया को उम्मीद नहीं थी कि वह इस इंसान से इतनी बातें करेगी। वह हैरानी से उस चैट को पढ़ती है और मुस्कुराती है।
"कोई इतना जेंटलमैन कैसे हो सकता है? काफी ज़्यादा प्यारा इंसान है... चलो अच्छा है, इन सब की भीड़ में कोई तो अच्छा मिला।"
यह कहकर वह अपने फोन को साइड रखते हुए अब सोने के लिए चली जाती है।
तभी उसे अपने हाथ पर लव बाइट का एहसास होता है। जैसे ही वह अपने हाथ को देखती है, उसे रात की सारी यादें ताज़ा होने लगती हैं — कैसे उसने उस स्ट्रेंजर को बहला-फुसला कर क्या-क्या किया था...
वह शर्म से पानी-पानी हो रही थी। मुस्कुराती हुई अपने लव बाइट्स को महसूस करती है और उसके होने का एहसास करते हुए खुद को एक अजीब सी शांति देती है।
तभी अचानक से उसके फोन पर फिर से टेक्स्ट आता है। वह टेक्स्ट देखते ही चौक जाती है। उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं, चेहरे पर पसीना और हाथ कांपने लगते हैं।
वह झट से अपने बिस्तर से उठती है और सीधा पार्किंग लॉट की तरफ भागती है।
आखिर ऐसा क्या हुआ था...? जानने के लिए पढ़ते रहिए...
और हां कहानी पसंद आए तो फॉलो कर लेना ताकि आपको नोटिफिकेशन मिलते रहे
पार्किंग लॉट पर पहुंचकर वह अपनी कार से बाहर निकलती है। कार की स्पीड बढ़ाते हुए सीधा एक पुल पर पहुंचती है, जिसके चारों तरफ बस जंगल ही जंगल था।
अपनी गाड़ी को रोककर वह ज़ोर से चिल्लाती है —
"कहां हो तुम लोग?"
उसकी आवाज़ को सुनकर उधर से अवनी और सनाया भागती हुई उसके पास आती हैं।
दोनों का रो-रोकर बुरा हाल हो रखा था।
अवनी और सनाया को शांत करते हुए वह कहती है,
"शांत हो जाओ... अभी हमें श्वेता को ढूंढना है! सबसे पहले हमें उसे ढूंढना है, इसके बाद देखते हैं क्या करना है..."
यह कहकर वे तीनों जंगल की तरफ भागती हैं।
तीनों अपने फोन की लाइट जलाकर रास्ते को टटोलते हुए अंदर की ओर बढ़ रही थीं।
जिया अपना फोन निकालती है और पुलिस स्टेशन में कॉल करती है।
कॉल करते हुए वह घबराई हुई आवाज़ में कहती है —
"सर! इट्स इमरजेंसी... प्लीज़ कम क्विकली!"
यह कहकर वह अपनी लोकेशन भेज देती है।
अब वे तीनों चारों तरफ श्वेता को ढूंढ रही थीं।
कुछ ही दूरी जाने पर उन्हें श्वेता मिलती है,
जो बेहोश पड़ी थी...
उसके हाथ-पैरों में गहरे ज़ख्म थे...
उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था!
उसे इस हालत में देख तीनों की रूह कांप जाती है...
वे भागकर उसके पास आती हैं,
उसे गोद में उठाकर कार की ओर भागती हैं...
और सीधा हॉस्पिटल की ओर दौड़ पड़ती हैं।
हॉस्पिटल पहुंचते ही श्वेता को तुरंत भर्ती किया जाता है।
हर कोई हैरान और परेशान था —
"आख़िर श्वेता के साथ ऐसा क्या हुआ?"
---
थोड़ी देर बाद, डॉक्टर एशु बाहर आकर कहते हैं —
"श्वेता अब खतरे से बाहर है। आप लोग थोड़ी देर में उससे मिल सकते हैं।"
यह सुनकर सबने राहत की सांस ली।
फिर वे तीनों ICU वार्ड में श्वेता से मिलने चली जाती हैं।
वहां पहुंचकर देखती हैं —
श्वेता को होश आ चुका था।
उसकी निगाहें खिड़की से बाहर कहीं टिकी थीं...
जैसे ही श्वेता अपने बगल में अपने तीनों दोस्तों को देखती है —
उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं...
वह रोते हुए कहती है —
"सब... सब खत्म हो गया... उसने सब बर्बाद कर दिया..."
जिया, श्वेता को गले लगाते हुए कहती है —
"श्वेता, परेशान मत हो। थोड़ी देर में पुलिस यहां आ रही है... हम केस कम्प्लेंट करेंगे! जिसने भी ये सब किया है, उसे उसकी सजा ज़रूर दिलवाएंगे!"
यह सुनते ही श्वेता डरते हुए कहती है —
"नहीं... नहीं! प्लीज़, कम्प्लेंट वापस ले लो... वो... वो और बर्बादी फैलाएगा। प्लीज़... आई रिक्वेस्ट!"
श्वेता को डरी और घबराई हालत में देख,
जिया कहती है —
"ठीक है, तू शांत हो जा... मैं कम्प्लेंट वापस ले रही हूं।"
यह कहकर वह फोन करती है और पुलिस स्टेशन में सूचना देकर कम्प्लेंट रद्द कर देती है।
---
इधर श्वेता की हालत थोड़ी सामान्य होती है,
तो सनाया पूछती है —
"श्वेता, आखिर ऐसा हुआ क्या था? कुछ तो बता... तू जंगल में कैसे पहुंची? और तेरे साथ ये सब...?"
यह सुनकर श्वेता ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है।
"I don’t know..."
"मेरे रेस्टोरेंट पर हर दिन हजारों लोग आते हैं... उनमें से किसी ने बाथरूम में कैमरा फिट कर दिया था।"
"आज रात जब मैं सोने जा रही थी, तभी मेरे फोन पर एक वीडियो आया... जिसमें मेरी... वैसी ही तस्वीरें थीं!"
"यह देखते ही मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई..."
"फिर सामने से कॉल आया... पैसे की डिमांड की... कहा अगर मैंने पैसे नहीं दिए, तो वो मेरी वीडियो वायरल कर देगा!"
"फिर... फिर उसने मुझे पैसे लेकर जंगल में बुलाया..."
"मैं वहां गई... और उसने... सब कुछ..."
(श्वेता फिर से फूट-फूटकर रोने लगती है...)
उसका दर्द इतना गहरा था कि वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं।
सब उसे कसकर गले लगाते हैं...
"श्वेता, तू परेशान मत हो। जिसने भी ये किया है, हम उसे छोड़ेंगे नहीं... तू चिंता मत कर!"
अवनी कहती है —
"हमें पुलिस स्टेशन जाकर कम्प्लेंट करनी चाहिए!"
"नहीं... नहीं!!" श्वेता ज़ोर से चिल्लाती है,
"उसने धमकी दी है... अगर पुलिस को बताया, तो वीडियो सबके पास भेज देगा!"
अवनी कहती है —
"ठीक है श्वेता, अगर तू चाहती है, तो हम नहीं बताएंगे पुलिस को... पर अभी तू शांत हो जा। घर चल... हम इसका हल जरूर निकालेंगे।"
---
यह कहकर वे तीनों डॉक्टर से डिस्चार्ज पेपर लेती हैं और श्वेता को लेकर बाहर निकलती हैं।
तभी पीछे से आवाज़ आती है —
"ओ हेलो मैडम, रुकिए!"
वो चारों पलटती हैं —
डॉक्टर खड़ा था।
वह आगे बढ़कर कहता है —
"देखिए, यह पुलिस केस है। आप लोग बिना सूचना दिए यहां से नहीं जा सकतीं। इससे हमारे हॉस्पिटल की रेपुटेशन पर असर पड़ेगा!"
यह सुनते ही जिया, पहले शांत आवाज़ में कहती है —
"सर, हम अभी कम्प्लेंट नहीं कर सकते... हमारी मजबूरी है... समझिए प्लीज़!"
डॉक्टर कठोरता से कहता है —
"हमें आपकी मजबूरी से मतलब नहीं है... हमें हमारे हॉस्पिटल की इमेज से मतलब है!"
अब जिया का गुस्सा फूट पड़ता है —
"अभी चुप रह साले! समझ नहीं आ रहा क्या? एक बार में बोल रही हूं — मजबूरी है!"
"क्या फर्क पड़ेगा तेरे हॉस्पिटल पर, हां? जब किसी को कुछ पता चलेगा, तब फर्क पड़ेगा ना!"
यह कहते हुए वह अपने बैग से नोटों की गड्डी निकालती है...
डॉक्टर के मुंह पर फेंकते हुए कहती है —
"इतना काफी होगा या और दूं?"
यह कहकर वह पलटती है और श्वेता को लेकर वहां से निकल जाती है।
---
वे चारों घर पहुंचती हैं...
घर में घना अंधेरा था।
अवनी आगे बढ़कर लाइट ऑन करती है —
जैसे ही लाइट जलती है...
उनके चेहरे की रंगत उड़ जाती है...!
हर किसी के चेहरे पर डर और सन्नाटा छा जाता है...
वह घबराते हुए आगे बढ़ती है वह एक दूसरे को देख रही थी सीता अपने आंसुओं को छुपाने की कोशिश करते हुए आगे की तरफ जाती है पर उसके भी हाथ पैर कांप रहे थे
---
आख़िर उन्होंने वहां ऐसा क्या देखा था... जो उनके होश उड़ा गया?
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
और हां, अगर स्टोरी पसंद आई हो तो कमेंट और रिव्यू ज़रूर कीजिए।
थैंक यू... बाय-बाय... मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में।
बस सामने देखते हैं तो वही वीडियो... और उसके क्लिप कमरे के चारों तरफ लगे हुए थे। बड़े-बड़े पोस्टर्स पर श्वेता की न्यूड तस्वीरें लगी हुई थीं! यह देख कर श्वेता तेज़ी से रोते हुए उन तस्वीरों को फाड़कर फेंकने लगती है... और वह ज़ोर-ज़ोर से रोते हुए ज़मीन पर गिर जाती है!
उसे संभालते हुए वे तीनों — जिया, सनाया और अवनी — श्वेता को उठाकर बिस्तर पर लिटा देती हैं। उसे शांत करने की कोशिश करते हुए कहते हैं,
"श्वेता... तू परेशान मत हो। यह जो कोई भी है, इसे हम छोड़ेंगे नहीं!"
तभी... जिया का फोन रिंग करता है।
एक मैसेज आया था — “G-House”।
जिया मैसेज को एक पल के लिए इग्नोर कर देती है, लेकिन फिर... दोबारा उसके फोन में टेक्स्ट आता है।
टेक्स्ट देखते ही उसकी आँखें सिकुड़ जाती हैं!
उसमें साफ-साफ लिखा था —
"तुम्हारे चेहरे पर परेशानी शोभा नहीं देती... अगर परेशान हो, तो बताओ... शायद मैं हेल्प कर दूं।"
टेक्स्ट देख कर जिया एक पल को हैरान रह जाती है। वह रिप्लाई करती है —
"तुम्हें कैसे पता मैं परेशान हूँ?"
सामने से तुरंत जवाब आता है —
"बस... पता चल गया मुझे।"
अब जिया उसे सारी बात बताती है — कि कैसे श्वेता के साथ ये सब हुआ।
सामने से टेक्स्ट आता है —
"बस इतनी सी बात? अभी थोड़ी देर बाद श्वेता को एक फोन आएगा... और ये सारी चीजें ठीक हो जाएंगी। उसकी वीडियो भी डिलीट करवा दूँगा मैं।"
एक पल को जिया को लगा... शायद कोई मज़ाक कर रहा है।
वह फोन साइड में रख देती है... और श्वेता का सिर सहलाने लगती है।
बगल में सनाया और अवनी भी चुपचाप बैठी थीं। तभी...
श्वेता का फोन बजता है!
श्वेता डर से कांपती है।
"क... कौन है?" वह सहमकर पूछती है।
अवनी उसे शांत करते हुए कहती है,
"श्वेता... शांत हो जा। डर मत... हम उससे बात करते हैं।"
यह कहकर वह फोन उठाती है... और स्पीकर ऑन कर देती है।
सामने से एक घबराई हुई आवाज़ आती है —
"श्वेता मैडम... हमें माफ कर दो... हमसे गलती हो गई! आगे से कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे!"
वह इंसान ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है।
"बस आपसे विनती है... सर से बोल दो कि मुझे न मारे!"
इतना कहकर फोन... कट हो जाता है।
श्वेता हैरानी से सबको देख रही थी।
किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था... कि तभी —
डोर बेल बजती है!!
बेल की आवाज़ सुनकर श्वेता डर के मारे जिया का हाथ कसकर पकड़ लेती है।
सनाया कहती है,
"तू परेशान मत हो... मैं देखती हूँ। इतनी रात को कौन आया है?"
वह दरवाजे की ओर जाती है...
जैसे ही दरवाज़ा खोलती है, सामने एक बैग पड़ा होता है।
वह बैग लेकर अंदर आती है... और खोलकर देखती है —
श्वेता के सारे पैसे उसमें रखे हुए थे!!
ये सब देखकर सब हैरान रह जाते हैं।
श्वेता राहत की सांस लेते हुए कहती है —
"आख़िर ये हुआ कैसे? वो अचानक से कैसे मान गया?"
सीता की बात सुनकर हर कोई सोच में पड़ जाता है —
"वो अचानक से कैसे मान गया?"
जिया भी आश्चर्य में डूब जाती है।
डेटिंग ऐप्स पर उस आदमी के बारे में सोचने लगती है।
थोड़ी देर सोचकर वह खुद से कहती है —
"नहीं... नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। भला उसे ये सब कैसे पता चला?"
इसके बाद वह श्वेता को समझाते हुए कहती है —
"देख बहन... जो होना था, वो हो गया। अच्छी बात ये है कि किसी ने उसे सबक सिखा दिया है। अब तुझे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। तू बस अपने रेस्टोरेंट और खुद पर ध्यान दे... और हाँ, हम सब तेरे साथ हैं!"
"आज की रात हम यहीं रुक रहे हैं..."
यह कहकर वे तीनों श्वेता के पास लेट जाती हैं।
तभी...
जिया का फोन फिर से बजता है!
फोन पर टेक्स्ट आया हुआ था —
"ठीक हो गया ना, मैडम?"
उस टेक्स्ट को देखकर जिया की आँखें बड़ी हो जाती हैं।
वह रिप्लाई करते हुए पूछती है —
"तुमने ये सब कैसे किया? और तुम्हें ये सब कैसे पता चला?"
सामने से जवाब आता है —
"अरे मैडम... आप आम खाओ, गुठली गिनने से क्या मिलेगा? वैसे भी... आपके लिए कुछ भी!"
जिया मुस्कुराते हुए जवाब देती है —
"Thank you so much for helping me... तुम्हें पता नहीं, तुमने कितने बड़े टेंशन से हमें आज़ाद किया है!"
लेकिन... उसी वक्त...
दूसरी ओर... अंधेरे में एक बड़ी दीवार पर लगी टीवी स्क्रीन पर श्वेता के घर का पूरा क्लिप चल रहा होता है!
वह इंसान... एक शैतानी मुस्कान के साथ उसे देखता है और कहता है —
"जिया बच्ची... तुम्हारे लिए कुछ भी!"
तभी वह फिर से टेक्स्ट करता है —
"सुनो, मैं तुम्हें एक लिंक भेज रहा हूँ... इसे ओपन करके मेरे लिए क्या इस पर रिव्यू दे सकती हो?"
जिया को लगता है कि कोई नॉर्मल लिंक होगा।
"हाँ," वह जवाब देती है,
"ठीक है, आप भेजो... मैं कर देती हूँ।"
वह आदमी शैतानी मुस्कान के साथ कहता है —
"ज़रूर... मैं थोड़ी देर में भेजता हूँ!"
फिर वह अपने लैपटॉप पर कुछ टाइप करता है... और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगता है!
"बस... तुम एक बार इस लिंक को क्लिक कर दो... इसके बाद तुम्हारी ज़िंदगी मेरे हाथों में!"
यह कहकर वह शैतानी अंदाज़ में हँसता रहता है...
---
इधर श्वेता, सनाया और बाकी सब चैन की सांस ले रहे थे।
श्वेता के सोते ही... जिया और सब लोग भी सो जाते हैं,
मानो उनके सिर से कोई बहुत बड़ी मुसीबत हट गई हो...
आखिर आपको क्या लगता है कौन था वह इंसान और क्या थी उसकी जिया से दुश्मनी और उसने ऐसा क्यों किया सविता के साथ सबर करिए सारे राज खुलेंगे थोड़ा वक्त लगेगा पर आपको एंटरटेनमेंट जरूर मिलेगा और उसे एंटरटेनमेंट के लिए फॉलो करना न भूलिए
अब सवाल आपसे —
अगर आप श्वेता की जगह होते तो क्या करते?
पुलिस में कंप्लेंट या किसी घरवाले की मदद लेते?
यही कारण है कि कहा जाता है —
❗अनजान लिंक से सावधान रहें❗
बाकी पढ़ते रहिए, मुस्कुराते रहिए...
मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में... तब तक के लिए — बाय-बाय!
---
अगली सुबह जिया जल्दी-जल्दी में अपने ऑफिस आती है। जैसे ही वह अंदर दाखिल होती है, देखती है — वीर पहले से वहाँ बैठा हुआ है, हाथ में दो कप कॉफी लिए हुए।
जिया को देखते ही वह उसकी ओर एक कप बढ़ाते हुए कहता है,
"कॉफी, मैम?"
जिया हल्की-सी मुस्कुराहट के साथ उसके हाथ से कप ले लेती है, एक सिप लेकर कहती है —
"Interesting कॉफी... तुमने ही बनाई है?"
वीर शरारती अंदाज़ में कहता है,
"जी मैम, यहाँ पर आपके अलावा कोई और दिख रहा है क्या? हाँ, गार्ड भैया होंगे, पर वो बाहर खड़े हैं।"
"Very funny," जिया ठंडी मुस्कान के साथ कहती है, "But मुझे हँसी नहीं आई... पर फिर भी, थोड़ा-सा हँस लीजिए। वैसे भी आपका चेहरा उतरा हुआ लग रहा है।"
वीर ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि जिया का लहजा सख़्त हो गया —
"LOL... तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। और वैसे भी, 'कहो का बन कर रहो'... ज़्यादा फैमिली मेंबर बनने की ज़रूरत नहीं है।"
ये सुनते ही वीर के चेहरे का रंग उतर गया। वह चुपचाप एक गहरी साँस भरता है और मन ही मन बड़बड़ाते हुए सोचता है —
"अगर तुम मुझे पसंद नहीं आती, तो एक पल में सब कुछ मेरा होता! पर... पसंदीदा औरत के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता... भाव ही सही, तुम्हारे लिए ये सब भी सह लेंगे!"
वह अपने ख्यालों में डूबा ही होता है कि जिया उसकी आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहती है,
"Mr., अभी वर्तमान में आ जाओ! Delulu में जाने के लिए काफी वक्त है। और सुनो — आज मेरी एक बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है। मैं चाहती हूँ कि तुम उसके सारे PPT तैयार करो... और हाँ, याद रहे — कोई भी गड़बड़ नहीं होनी चाहिए। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"
यह कहकर वह केबिन से निकल जाती है।
वीर एक लंबी सांस छोड़ता है और बुदबुदाता है —
"यार... ये लड़की इतनी खड़ूस क्यों है?"
वह झुंझलाते हुए अपना फोन निकालता है और राज बहादुर (दादाजी) को कॉल करता है।
"दादू, आपके काम करने के चक्कर में आपके ऑफिस आ गया हूँ... पर एक बात बताओ — ये लड़की इतनी खड़ूस क्यों है? क्या खाकर इसकी माँ ने इसे पैदा किया था?"
दूसरी ओर से दादाजी ठहाका लगाते हुए कहते हैं —
"बेटा, जिया पहले ऐसी नहीं थी... पर वक्त और हालात ने उसे ऐसा बना दिया है। उसे लगता है कि इस तरीके से व्यवहार करने से लोग उसे गंभीरता से लेंगे। पर वक्त के साथ समझ जाएगी।"
"हाँ दादू," वीर जवाब देता है, "वैसे बताओ कितने पैसे चाहिए, मैं अकाउंट में ट्रांसफर करवा देता हूँ?"
"पैसा कम हो गया तो लगा — अपुन अभी अपुन को बस मज़े करने हैं। आप चलो घर पर बैठो, आराम से। ध्यान रखो अपना, बाकी सब मैं देख लूंगा।"
"अच्छा सुनो ना, दादू... एक बात बताओ — आपकी पोती का फेवरेट फ्लावर कौन-सा है?"
"क्यों? कहीं तू उस पर ट्राई तो नहीं कर रहा?"
"सोचना भी मत, मिस्टर आर्य!" दादू हँसते हैं।
"कद्दू! कुछ भी बोलते हो यार," वीर मुस्कुरा कर कहता है, "मैं भला क्यों ट्राई करूंगा? मैं तो आपकी हेल्प करने के लिए सोच रहा था।"
"अच्छा-अच्छा, बता देता हूँ... उसे ट्यूलिप बहुत पसंद हैं।"
"ठीक है दादू, फोन रखता हूँ," यह कहकर वह अपने डेस्क पर बैठ जाता है।
कुछ ही देर में उसने सारी PPT तैयार कर दी थी। फिर वह फाइल लेकर जिया के केबिन में जाता है।
"मैम... ये रही आपकी PPT," वह फाइल सामने रखते हुए कहता है।
जिया PPT को देखती है और मुस्कुराकर कहती है,
"Wasn’t expecting that from you... इतनी अच्छी PPT? क्या बात है! कहीं के CEO वगैरह हो क्या तुम? क्योंकि ऐसी PPT तो सबके बस की बात नहीं।"
वीर मुस्कुराते हुए जवाब देता है,
"आप चल करिए, मैडम। वैसे भी अपुन को आदत है इन सब चीजों की।"
वीर की लैंग्वेज सुनकर जिया उसे घूरते हुए कहती है,
"तहज़ीब से बात करना सीखिए, मिस्टर! ये नोट टपोरी लैंग्वेज छोड़िए।"
वीर सर झुकाते हुए धीरे से कहता है,
"आई एम सॉरी... आगे से ऐसा नहीं होगा।"
जिया मुस्कुरा कर कहती है,
"ठीक है, अब तुम जा सकते हो। और अगर काम लगा, तो मैं तुम्हें बता दूँगी।"
वीर केबिन से बाहर निकलता ही है कि कुछ लोग ऑफिस में आ जाते हैं। उन्हें देखकर वह तुरंत पलट कर फिर से केबिन में घुस जाता है।
जिया उनकी ओर देखती है और कहती है,
"एक काम करिए, आप सब लोग कैफे एरिया में चलिए। मैं वहीं आकर आपसे मिलती हूँ।"
सभी लोग कैफे एरिया में जाकर बैठ जाते हैं। थोड़ी देर बाद जिया और वीर भी वहाँ पहुँचते हैं।
तभी — वहाँ एक चार फीट का इंसान बैठा था। जैसे ही उसकी नज़र वीर पर पड़ती है, वह काँपने लगता है। उसका चेहरा पीला पड़ जाता है, हाथ-पैर काँपने लगते हैं और... उसकी पैंट भी गीली हो जाती है!
वीर का चेहरा तनाव में आ जाता है। वह बुदबुदाता है —
"इस चिरकुट को अभी आना था? अगर इसने सबको बता दिया कि मैं कौन हूँ, तो मुसीबत हो जाएगी!"
वह गुस्से में उसकी ओर देखता है, इशारे में होंठों से कहता है —
"अगर तूने कुछ बताया, तो तुझे ज़िंदा काट दूंगा!"
धमकी सुनकर वो छोटा आदमी और ज़्यादा काँपने लगता है, ज़ोर-ज़ोर से रोने लगता है।
उसे ऐसा करते देख सब लोग हैरानी से उसे घूरने लगते हैं।
जिया उसकी ओर देखती है और कहती है,
"छोटू... I think you need to change yourself. जाकर डॉक्टर को दिखाओ, यार! ऐसे कहीं भी शुरू हो जाते हो?"
लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाता।
तभी वीर कहता है,
"मैम, अब मीटिंग शुरू करिए... मैं इसे फ्रेश करवा कर ले आता हूँ।"
यह कहकर वह उसे एक हाथ से उठाता है और वॉशरूम की ओर ले जाता है।
वहाँ पहुँचते ही उसे ज़ोर से दीवार पर पटकते हुए कहता है —
"क्या हरकत थी ये, साले? अगर किसी को पता चला कि मैं कौन हूँ, तो सोच लेना — तुझे ज़िंदा काट दूंगा!"
वो छोटू, जो चार चुटिया बाँधे था, वीर के पैरों में गिर जाता है और गिड़गिड़ाते हुए कहता है —
"मालिक! आप चिंता मत करो... मैं किसी को नहीं बताऊंगा। पर आप यहाँ कर क्या रहे हो?"
वीर मुस्कुराते हुए कहता है,
"कुछ नहीं... बस जिया को पटाना है। अब तू आ गया है, तो मेरी हेल्प करेगा।"
"जी मालिक! ज़रूर... बस एक ही गुज़ारिश है आपसे — मेरी जान बख्श दीजिए। फिरौती के बाद मैंने अपनी पूरी लाइफ़ बदल ली है।"
"चल, अगर तू कहता है... तो बख्श दूंगा। लेकिन एक शर्त है!"
(
"कैसी सर्च?"
"पहली बात तो ये कि किसी को यहाँ पर तू ये नहीं बताएगा कि मैं कौन हूँ।
और दूसरी बात — तुझे जिया पर नज़र रखनी होगी। उसके हर एक छोटे से छोटे मोमेंट को मुझे बताना होगा, चाहे मैं यहाँ ऑफिस में रहूँ या न रहूँ।
और हाँ... मुझे जिया के मम्मी-पापा के डेथ के बारे में भी जानना है।
बोल! तेरे से हो पाएगा?"
छोटू हाँ में सिर हिलाते हुए कहता है —
"सर, आप चिंता मत करो। मेरी हाइट ही छोटी है, पर मेरा दिमाग बहुत बड़ा है।
आप जैसा कहेंगे, मैं वैसा करने के लिए तैयार हूँ।"
"ठीक है। अब जा साले, चेंज कर के आ... बहुत गंदी बदबू आ रही है!"
ये सुनते ही छोटू नीचे अपने पेट को देखता है, जो पूरी तरह से गीला हो चुका था।
वह भागकर वॉशरूम में जाता है, अपने कपड़े चेंज करता है और बाहर आकर कहता है —
"आई एम सॉरी! आपको देख कर के अच्छे-अच्छों की पानी निकल जाती है... फिर मैं क्या चीज़ हूँ?"
यह कहने के बाद वह दोनों फिर से मीटिंग एरिया में आ जाते हैं।
काफ़ी देर तक मीटिंग चलती है। मीटिंग खत्म होने ही वाली थी कि तभी एक लड़का आकर जिया के बगल में बैठ जाता है।
जिया उसे हँस-हँस कर काफ़ी बातें कर रही थी। फिर वो दोनों आपस में लंच के लिए निकल जाते हैं।
उसके जाते ही वीर कहता है —
"ये है कौन? और इतना इसे चिपक क्यों रहा था?"
छोटू मुस्कुराते हुए कहता है —
"बस, आप जानते नहीं! ये 'लेडी गागा' है... इसको पटाना इतना आसान नहीं होगा।
ये लड़का अतुल है, जिया का एक बॉयफ्रेंड।
कुछ वक्त पहले इन दोनों की लड़ाई हो चुकी थी, फिर ब्रेकअप हो गया था।
कपूर और जिया का साथ में बिजनेस चलता है। ऐसा सुनने में आया है कि ये लोग फिर से पार्टनरशिप कर रहे हैं।
लगता है, फिर से इनके बीच प्यार पनपने वाला है।
क्योंकि अतुल इस बार चांस नहीं छोड़ेगा, जिया को पाने के लिए।"
वीर बुदबुदाता है —
"चिरकुट! छुपकर इस बारिश में अतुल के बच्चे को साइड करना है और इसे गड्ढे में गिराना है...
और मुझे अपना नंबर अपनी सजनी के साथ लगाना है!"
वीर का ये अंदाज़ देखकर छोटू मुस्कुराते हुए कहता है —
"आज तक तो मैंने सुना ही था कि प्यार लोगों को बदल देता है।
आज देख भी रहा हूँ... ज़रूर-ज़रूर, आप जैसा!"
(हँसते हुए) "आपका हुक्म सर आँखों पर!"
वीर — "चल, अब बता, इस अतुल की कोई कमजोरी है?"
छोटू — "हां! अतुल की एक कमजोरी है — उसे मूली के पराठे बहुत पसंद हैं।"
वीर (हैरान) — "क्या? ये कोई कमजोरी हुई भला?"
छोटू (मुस्कुराते हुए) — "अरे सर, लॉजिकली सोचो ना!
अगर अतुल को मूली के पराठे खिला दिए जाएँ, तो वो चाह कर भी जिया मैडम के आसपास नहीं भटकेगा।
और उसकी जो बेइज्जती होगी, वो अलग!
वो पक्का यहाँ से भाग जाएगा।"
वीर — "तू श्योर तो है ना, कि भागेगा?"
छोटू — "सर, हंड्रेड परसेंट श्योर हूँ!"
वीर (हँसते हुए) — "चल ठीक है, फिर आज इसको... आलू के पराठे खिलाते हैं!
अरे मेरा मतलब है, मूली के पराठे!"
छोटू — "तो एक काम करिए, इसको लेकर कैंटीन में चलिए। और ऑटो का बंदोबस्त मैं करता हूँ।"
वीर — "नहीं, सर ये कैंटीन में कभी पराठे नहीं खाएगा।"
छोटू — "तो यू नो के मैं बताता हूँ... आप पराठे तो मंगाइए!"
वीर अपना फ़ोन निकालकर किसी को कॉल करते हुए कहता है —
"मुझे अभी के अभी 10 मूली के पराठे चाहिए!"
छोटू उसे खींचते हुए कहता है —
"सर, 15-20 मंगाइए!
वह राक्षस है अगले जन्म का।
बस दिखने में ही फिट लगता है!"
छोटू की बात सुनकर वीर 15-20 पराठे मंगवा लेता है।
थोड़ी देर बाद एक डिलीवरी बॉय मूली के पराठे लेकर आता है।
छोटू वह पराठे लेकर चुपचाप अतुल के केबिन में रख आता है और वहाँ से निकल जाता है।
फिर दोनों छिपकर इंतज़ार करते हैं।
अतुल जैसे ही केबिन में आता है, दोनों केबिन के दूसरे साइड से उसे देख रहे थे।
अतुल (पराठे देखकर खुशी से) —
"ओ माय गॉड! मेरा फेवरेट... मूली का पराठा! खा लूँ?"
फिर वह शीशे में खुद को देखता है और कहता है —
"इतनी मेहनत से तो जिम करके बॉडी बनाई है, ऐप्स लाया हूँ।
अगर पराठे खा लूँगा तो फिर से मोटा हो जाऊँगा।
नहीं-नहीं! मुझे खुद पर कंट्रोल करना होगा!"
यह कहकर वह प्लेट को साइड कर देता है और फाइल्स में लग जाता है।
पर पराठे की महक उसके नाक में जा रही थी...
वह पराठे की तरफ देखता है और कहता है —
"एक खा लेता हूँ... एक से क्या होगा?"
फिर क्या! एक पराठा उठाकर खा लेता है।
एक खाने के बाद उसका मन और करता है।
और देखते ही देखते... 15-20 पराठे खा जाता है!
फिर एक बड़ी सी डकार लेता है।
इसके बाद वह फाइल्स साइड में रखता है और कुछ पल के लिए झपकी लेने लगता है।
उसे सोता देख, वीर हँसते हुए छोटू की तरफ देखता है और कहता है —
"साले छोटू, तू तो काफी काम का निकला! मैंने सोचा ही नहीं था..."
छोटू मुस्कुराते हुए कहता है —
"सर, आपने कभी मौका ही नहीं दिया।
मौका देते, तब तो पता चलता!"
वीर — "हाँ हाँ ठीक है... चल, अब ये बता, आगे क्या करना है?"
छोटू — "सर, अब आपको कुछ नहीं करना है।
अब ये जो होगा, वो खुद करेगा।
आप बस देखते जाइए!"
तब तक छोटू निकलकर सिद्ध अतुल के केबिन में जाता है और कहता है —
"सर, आपको मैंने बुलाया है क्या?"
अतुल — "मुझे बुलाया है?"
छोटू — "हाँ सर, वह कुछ फाइल माँग रही थी..."
अतुल (याद करते हुए) — "हां! उसने मुझे फाइल मंगाई थी... मैं भूल गया था।
रुको, मैं अभी देख कर आता हूँ।"
यह कहकर वह अपने टेबल से फाइल उठाकर सीधा वहाँ से चला जाता है।
लिफ्ट के पास पहुँचते ही वह देखता है — लिफ्ट में तीन-चार लोग गए हुए थे।
वह जल्दी से लिफ्ट में घुस जाता है।
लिफ्ट बंद होने ही वाली थी कि वहाँ जिया भी आ जाती है।
जिया के आते ही हर कोई डर से एक साइड हो जाता है।
जिया लिफ्ट में चुपचाप खड़ी हो जाती है...
---
आगे की कहानी जानने के लिए बने रहिए... और पढ़ते रहिए!
मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में।
तब तक के लिए — बाय!
जैसे ही लिफ्ट थोड़ी ऊपर पहुंचती है, छोटू और वीर लिफ्ट को रोक देते हैं।
और दोनों के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी।
इधर, लिफ्ट के अंदर अतुल के पेट में अजीब-अजीब हलचल होने लगती है।
वह अपने पेट को सहलाते हुए मन में कहता है —
"अरे भाई... शांत हो जा! जिया खड़ी है बगल में... प्रेम ऑपरेशन की एल लग जाएगी!
नहीं-नहीं, तुझे अभी कुछ नहीं करना है! प्लीज़ रुक जा मेरे भाई!"
पर उसका पेट अब बुरी तरह 'बोल' मार रहा था, मानो वह खुद पेट से बाहर आना चाहता हो!
"अरे यार, मैं क्यों खा गया मूली के पराठे?!"
यह सोचते हुए वह अपने दोनों पैरों को क्रॉस करके खड़ा हो जाता है,
पर प्रेशर अब काबू में नहीं था...
...और फिर —
उसके पेट से एक ज़हरीली, प्रदूषित गैस वातावरण में फैल जाती है!
इधर जिया गुस्से में लिफ्ट को पीट रही थी।
वह बटन दबाती है, फोन में नेटवर्क चेक करती है और परेशान होकर कहती है —
"इस लिफ्ट को भी अभी रुकना था?!
अरे प्लीज़, कोई है? सुनो! मेरी मदद करो!
हम यहाँ लिफ्ट में फँस गए हैं!"
पर बाहर से कोई रिस्पॉन्स नहीं आ रहा था।
तभी उसके नाक के पास इतनी गंदी स्मेल आती है कि मानो उसके नाक के बाल तक जल जाते हैं!
वह अपने मुँह को हाथ से ढँकते हुए कहती है —
"यू ब्लडी ईडियट्स! किसने किया ये?!
तुम लोगों को शर्म नहीं आती क्या?
खा के क्या आते हो सुबह-सुबह?!"
उसकी बात सुनकर अतुल भी लड़खड़ाते हुए बोलता है —
"तुम लोगों को शर्म नहीं आती?! फ्रेश होना भूल जाते हो क्या सुबह?!"
जिया को अब बहुत ही गंदी स्मेल आ रही थी।
तब तक वीर, विकी से कहता है —
"सुनो, लिफ्ट खोल दो... वरना जिया परेशान हो जाएगी!"
वीर की बात सुनकर छोटू लिफ्ट को खोल देता है।
लिफ्ट चलने ही वाली थी कि फिर से अतुल के पेट में प्रेशर बनता है,
और एक और ज़हरीली गैस वातावरण में अपनी जगह बना लेती है।
जिया अपने मुँह को ढँकते हुए चिल्लाती है —
"जो कोई भी है... अगर मुझे मिल गया ना,
उसे जॉब से फायर कर दूँगी!"
अब उसे उल्टी सी आने लगती है।
तब तक लिफ्ट खुलती है, और वह बाहर निकलते ही तुरंत उल्टी कर देती है।
उसे इस कदर उल्टी करता देख, अतुल घबरा जाता है और कहता है —
"जिया... आर यू ओके? तेरे को मैं पानी लेकर आता हूँ!"
और वह भागकर पानी लाने चला जाता है।
तब तक वीर और छोटू उसके पास आते हैं और कहते हैं —
"जिया, क्या हुआ? परेशान क्यों हो?
ये लो, पानी पियो!"
पहले वीर, जिया को पानी पिलाता है।
जिया पानी से अपना मुँह साफ करती है,
लेकिन उसे उल्टी पर उल्टी होती जा रही थी।
तब तक वीर अपनी जेब से गोली निकालता है,
और जिया के मुँह में डाल देता है।
जिसके बाद जिया थोड़ी राहत की सांस लेती है।
फिर गुस्से से चिल्लाती है —
"इन सबको मेरे केबिन में बुलाओ...
नहीं-नहीं! केबिन गंदा कर देंगे!
इन सबको अभी के अभी बुलाओ!
मुझे, जिस किसी ने भी ये किया है —
उसे फायर करना है!"
वीर — "देखो जिया, फायर करने से कुछ नहीं होगा।
और वैसे भी, कोई मतलब नहीं है फायर करने का..."
तब तक छोटू अपने फोन में वीडियो चला कर कहता है —
"मैं कहता हूँ, इसमें सब की गलती नहीं थी...
अतुल सर की गलती थी!
ये देखिए — मूली के पराठे कैसे राक्षसों की तरह खा रहे हैं!"
जिया, अतुल का वो वीडियो देखकर ज़ोर से चिल्लाती है —
"अतुल...!!"
जिया की आवाज़ इतनी तेज़ थी, कि वीर और छोटू अपने कान बंद कर लेते हैं।
उसकी आवाज़ पूरे ऑफिस में गूंजने लगती है।
इधर, अतुल जो कि पानी की बोतल में पानी भर रहा था,
घबराते हुए बुदबुदाता है —
"अरे... अब तो मर गए! लगता है, जिया को सब कुछ पता चल गया है!
हे भगवान... बचा लेना!
आज तो मेरा बेड़ा गर्क हो ही जाएगा!"
अगर कहानी आप सबको पसंद आ रही हो तो प्लीज फॉलो कर लेना और हां रिव्यू देना मत भूलिएगा आई होप मैं आप सबको इंटरटेन कर पा रहा हूं तब तक के लिए अपना ख्याल रखिए मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में बाय
यह
जैसे ही अतुल जिया के सामने आता है, अतुल घबराते हुए कहता है,
"जिया, आई नो तुम्हें सब पता चल गया है... एम सॉरी! बट यू नो, मूली के पराठा माय वीकनेस है!
आई प्रॉमिस, आगे से कभी नहीं खाऊंगा। बस एक बार माफ कर दो..."
जिया दांत पीसते हुए कहती है,
"अगर तुम्हारी कंपनी के साथ मुझे डील नहीं करनी होती न, तो तुम्हें धक्के मार के निकाल देती! पर ठीक है... जैसे तुम्हारी मर्ज़ी।"
कह कर वह वहां से चली जाती है।
शाम का वक्त हो चुका था। तब तक सब ऑफिस से घर जा चुके थे। जिया अब अपने घर पर आ रही थी।
तब तक दादाजी कहते हैं,
"आगे बेटा..."
जिया मुस्कुराते हुए जाकर दादाजी के गले लगती है और सिर हिलाते हुए कहती है,
"हां मैं तो कब की आ गई! आप बताओ, कैसे हो दद्दू?"
दादी मुस्कुराते हुए कहती हैं,
"मैं तो ठीक हूं। सुनो बेटा, तुमसे एक गुजारिश थी..."
"हां दादा, बोलिए ना।"
"बेटा, कल तुम्हें हमारे कुलदेवी के मंदिर जाना है। कल तुम्हारे मां-बाप की बरसी है।"
बरसी का नाम सुनते ही जिया का चेहरा उतर जाता है। उसकी आंखें भर आती हैं और वह रोने को हो रही थी।
पर दादा के सामने खुद को संभालने के लिए वह अपने आंसुओं को रोकते हुए कहती है,
"ठीक है दादा, मैं चली जाऊंगी।"
"पर सुनो बेटा, तुम्हारे ऑफिस में एक लड़का है... वीर नाम करके, है ना?"
"हां दादा, मेरा पीए है।"
"उसको साथ ले जाना।"
"पर दादा, उसको क्यों?"
"बेटा... बस ऐसे ही। मेरी बात मानो, उसको अपने साथ लेकर जाओ।"
दादा की बात सुनते ही जिया हाथ सहलाते हुए कहती है,
"ठीक है, अगर आप चाहते हैं तो मैं उसको भी साथ में लेकर जाऊंगी।"
जिया कमरे में जाती है और वीर को फोन करती है।
"हेलो वीर, सुनो... कल हमें कुलदेवी के मंदिर चलना है। और तुम भी मेरे साथ चल रहे हो।"
यह सुनते ही वीर, चलते हुए कहता है,
"जीजी! ज़रूर! नेकी और पूछ पूछ! मैं ज़रूर चलूंगा!"
इतना कहकर वह अपना फोन काट देती है।
वीर उछलते हुए कहता है,
"वह मतलब... कल उसके साथ और टाइम बिताने को मिलेगा!"
कहकर वह जल्दी से मिरर में खुद को देखता है, बाल वगैरा अच्छे से सेट करके प्रॉपरली रेडी हो जाता है।
तब तक रघु, दूर खड़ा हुआ देख कर कहता है,
"बस कल सुबह जाना है, आप अभी से क्यों तैयार हो रहे हैं?"
रघु की बात सुनकर वीर मुस्कुराते हुए कहता है,
"तुम क्या जानो प्यार की कीमत... जिस दिन प्यार होगा, समझ जाओगे।"
रघु मुस्कुराते हुए वहां से चला जाता है।
वीर अपने बिस्तर पर लेट कर अगली सुबह का इंतज़ार कर रहा था।
अगली सुबह, श्वेता, अन्य, शराय, जिया और उसके दादाजी—हर कोई कुलदेवी के मंदिर जाने के लिए तैयार थे।
जिया फोन निकाल कर वीर को कॉल करती है।
थोड़ी देर में वीर अपनी लग्ज़रियस कार लेकर वहां पहुंचता है।
उसकी इतनी ब्रांडेड कार को देखकर एक बार के लिए सबकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं।
हर कोई कार में बैठ जाता है। तब तक जिया, वीर की तरफ देखते हुए कहती है,
"कहीं तुम दो नंबर का काम तो नहीं करते?"
यह सुनते ही वीर के होश उड़ जाते हैं और दादाजी भी घबरा जाते हैं।
"क्या कह रही हो बेटा?" दादाजी हड़बड़ाकर पूछते हैं।
"दादाजी, आप ही देखो... जितनी इसकी सैलरी है, ऐसी कार अफ़ोर्ड करना इसके बस की बात नहीं!"
"वो... आपका क्या कहें मैडम..." वीर घबराकर बोलता है,
"दरअसल, यह कार मेरी नहीं है। एक्चुअली में पार्ट टाइम जॉब पर उबर और रैपिडो जैसे प्लेटफॉर्म के लिए वर्क करता हूं। ये मेरे बॉस की कार है।"
सुनते ही जिया एक राहत की सांस लेती है।
देखते-देखते वो लोग मंदिर पहुंच जाते हैं। वीर गाड़ी पार्क करके वापस आता है।
वहां पर खड़ी बाकी लड़कियां, सनाया और अवनी, वीर को कब से ताड़ रही थीं।
उसके मसल्स और उसकी बॉडी उसके कपड़ों से छुप नहीं रहे थे।
वो जिया से कहती हैं,
"कितना हॉट है तेरा पीए! नंबर दिला!"
जिया उनके सिर पर टकली मारते हुए कहती है,
"कुछ भी कहते रहते हैं यार! चुप कर जा!"
तब तक जिया आगे बढ़ती है। सीढ़ियों के पास पंडित जी खड़े थे।
पंडित जी कहते हैं,
"जिया मेमसाहब, यह लीजिए संकल्प... लेकर आपको इस सीढ़ी पर चलना होगा। और याद रहे, जब तक आप अंतिम सीढ़ी तक नहीं पहुंच जातीं, आप नीचे नहीं लौट सकतीं, क्योंकि फिर आपको कुलदेवी का दंड परिणाम हो सकता है।"
जिया, पंडित जी की बात सुनकर हां में सिर हिलाते हुए कहती है,
"पंडित जी, इसका हमें पता है। आप संकल्प दीजिए।"
पंडित जी, जिया के हाथ में कलश और एक नारियल देते हैं।
उस कलश में जल भरा होता है।
वह कहते हैं,
"इसका एक भी बूंद जमीन पर नहीं गिरना चाहिए।"
जिया, कलश लेकर सीढ़ियों की ओर बढ़ती है।
जैसे-जैसे वह चढ़ती है, उसकी हालत बिगड़ने लगती है।
नंगे पांव, तेज धूप में, सीढ़ियां जल रही थीं... और सीढ़ियां बहुत लंबी थीं।
एक पल में वह गिरने ही वाली थी कि वीर उसे संभाल लेता है।
वीर का ध्यान जिया के पैरों पर जाता है।
वह जिया को अपनी गोद में उठा लेता है।
यह देखकर बाकी लोग चौंक जाते हैं।
जिया गुस्से में वीर की तरफ देखती है, पर संकल्प की वजह से ना कुछ बोल सकती थी, ना ही रोक सकती थी।
वह सिर्फ होंठ भींच कर रह जाती है।
वीर उसे चुप रहने का इशारा करते हुए कहता है,
"चुपचाप चलिए... आपकी मां-बाप की बरसी ज़रूरी है।"
वीर, जिया को गोद में उठाकर लगभग 1000 सीढ़ियों से भी ऊंचे मंदिर की ओर निकल पड़ता है...
क्या वीर के अथक प्रयासों से पिघलेगा जिया का दिल?
जानने के लिए पढ़ते रहिए...
और हां, पसंद आए तो लाइक, फॉलो ज़रूर कर दीजिएगा!
मिलते हैं नेक्स्ट चैप्टर में, तब तक के लिए... बाय-बाय! 🛕❤️
देखते ही देखते, वीर की पूरी बॉडी पसीने से भीग चुकी थी। उसका पैर पूरी तरह से छिल चुका था, पर उसके कंधे की ताक़त अभी भी बरकरार थी। वह जिया को लाकर मंदिर के गेट पर खड़ा कर देता है।
जिया चुपचाप अंदर जाती है... और वहां जाकर पंडित जी को मटका और कलश का सारा सामान सौंप देती है। इसके बाद वह पंडित जी के साथ पूजा करने बैठ जाती है।
तब तक दूसरे रास्ते से आए दादाजी, सनाया और अवनी दौड़ते हुए वीर के पास आते हैं। उन्होंने दूर से वीर की सारी हरकतें देखी थीं।
दादाजी वीर के पैर को देखते हुए कहते हैं,
"बेटा, तुम्हें कम चोट आई है... चलो, वहां साइड में बैठ जाओ। वहां ठंडा पानी है, तुम्हारे पैरों को थोड़ी राहत मिलेगी। और मैं ऑइंटमेंट लगा देता हूं। पर तुमने ये सब क्यों किया? ये संकल्प तो जिया का था!"
वीर नज़रें झुकाते हुए कहता है,
"दादा जी... ज़रूरी थी पूजा और मर्यादा। मैंने बस इसलिए किया... ताकि ये संकल्प टूटे ना, और जिया के मम्मी-पापा को शांति मिले..."
श्वेता अपने बैग से ऑइंटमेंट निकालकर वीर के पैरों में लगा देती है। वह एक पत्थर से सर टिकाकर थोड़ी देर के लिए बैठ जाता है।
इधर, जिया पूजा खत्म करके बाहर निकलती है। वह गुस्से से लाल थी — मानो वीर का गला दबा देना चाहती हो। लेकिन श्वेता, अवनी और सनाया उसे दूसरी तरफ ले जाती हैं।
"तू गुस्सा क्यों हो रही है?" शनाया बोलती है।
"तुझे तो उसका थैंक यू बोलना चाहिए! तू इतनी नाज़ुक है कि ये सीढ़ियाँ चढ़ भी नहीं पाती..."
"भला हो उसका, कि उसने बिना कुछ सोचे-समझे तुझे ऊपर चढ़ाया। आज के ज़माने में कौन है जो इतना करता है? उसका पूरा पैर छिल गया... और तू उसी पर गुस्सा कर रही है?"
"सोच ले जिया... तुझे थैंक यू बोलना चाहिए! हर जगह एटीट्यूड काम नहीं आता।"
उनकी बात सुनकर जिया गुस्से से घूरते हुए कहती है,
"तुम सब मेरी दोस्त हो या उसकी? जो उसकी तरफ़दारी कर रही हो?"
श्वेता प्यार से कहती है,
"प्रिय दोस्तों के नाते ही तो समझा रहे हैं — हर जगह गुस्सा नहीं चलता..."
उनकी बातें सुनकर जिया कुछ पल के लिए रुक जाती है... फिर भी, अपने एटीट्यूड में डूबी हुई वह वीर को ‘थैंक यू’ तक नहीं बोलती।
इधर, दादाजी वीर के पास आते हैं और कहते हैं,
"बेटा, थैंक यू सो मच... मेरी बेटी और बहू के लिए इतना करने के लिए!"
वीर हल्का सा मुस्कुराता है, और दादाजी की तरफ़ देखते हुए कहता है,
"आप परेशान मत होइए... मेरे रहते आपकी बेटी का कुछ भी नहीं होगा।"
कुछ समय बाद, दादाजी वीर को उठाते हैं,
"चलो बेटा, अब हमें चलना चाहिए।"
वीर और बाकी सब सीढ़ियों से नीचे जा रहे होते हैं। यह रास्ता बाज़ार से होकर जाता है, जहां फूल-मालाएं, मंदिर में चढ़ने वाली चीज़ें और बच्चों के खिलौने बिक रहे होते हैं।
तभी वीर के अंदर कुछ अजीब सा एहसास होता है। उसकी आंखें चौड़ी हो जाती हैं।
"नहीं... इस बार नहीं!" वह बुदबुदाता है।
तभी — एक अनजाना चाकू सीधा जिया की तरफ़ आता है!
वीर झपटकर चाकू को पकड़ लेता है!
और जैसे ही वह चाकू रोकता है... उसके हाथ से निकला खून — सीधा जिया की माँग में गिर जाता है!
जिया के सर पर वीर के खून की बूंदें गिरते ही... सबका ध्यान ऊपर चला जाता है। वीर ने चाकू कसकर पकड़ रखा था।
हर कोई डर से कांपने लगता है। दादाजी हड़बड़ाकर बोलते हैं,
"वीर! ये क्या हो रहा है?"
वीर उनकी तरफ़ देखकर कहता है,
"आप इन सबको लेकर एक साइड हो जाइए... मैं इन सबको ठोक कर आता हूँ!"
दादाजी, जिया, सनाया, श्वेता और अवनी को लेकर एक तरफ़ हो जाते हैं।
तब तक दर्जनों गुंडे उन्हें घेर लेते हैं और ज़ोर-ज़ोर से हँसते हुए कहते हैं,
"बूढ़े! अब तुझे कौन बचाएगा? तूने बहुत कर लिया हमारे साथ... अब तेरी बारी है!"
यह सुनकर वो सब कुत्तों की तरह झपट पड़ते हैं।
वीर गुस्से में चिल्लाता है —
"अरे सालों! पीछे तो देखो! तुम्हारा बाप खड़ा है यहां!"
वीर की गूंजती हुई आवाज़ से कुछ गुंडों की पेंट गीली हो जाती है! कुछ लोग वीर को देखकर बौखला जाते हैं और उसकी तरफ़ लपकते हैं।
वीर सबको मारता, पीटता, एक साइड फेंकता जा रहा था।
दादाजी दूर खड़े यह सब देख रहे थे। तभी, एक गुंडा वीर के पीछे से वार करने ही वाला था —
लेकिन जिया पूजा की थाली लेकर दौड़ती है और वीर को डिफेंड कर देती है!
थाली पर खून के छींटे पड़ते हैं... जिया की आँखें डर से फैल जाती हैं।
वीर उसे साइड करता है — फिर उसे अपनी गोद में उठा लेता है!
जिया खींचकर अपने पैरों से उस आदमी को मारती है, और वो गुंडा दूर जा गिरता है।
अब श्वेता, शनाया और अवनी भी लड़ाई में कूद पड़ती हैं — कुछ उठाकर गुंडों पर फेंकती हैं।
तभी एक गुंडा बंदूक लेकर जिया के पास आता है... और उसके गले पर बंदूक रख देता है!
"रुक जाओ सब!" वह दहाड़ता है।
"अगर किसी ने चालाकी की — तो इसे गोलियों से उड़ा दूंगा! और तुम सब देखते रह जाओगे!"
बंदूक जिया के सर पर देख सबके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। जिया डर से कांप रही थी। वीर की आंखें गुस्से से जल रही थीं।
"देखो... बंदूक नीचे कर दो। वरना मुझे बुरा कोई नहीं होगा!" वीर धीरे से बोलता है।
गुंडा चीखता है,
"हट पीछे! पहले ही कह रहा हूं — अगर किसी ने होशियारी की, तो इसका भेजा उड़ा दूंगा! और हाँ — अपने हथियार नीचे रख दो!"
दादाजी, वीर और बाकी सब अपनी चीज़ें नीचे रख देते हैं।
दादाजी आगे बढ़ते हैं — हाथ जोड़ते हुए कहते हैं,
"मेरी पोती को छोड़ दो... तुम्हें जो चाहिए, मैं देने को तैयार हूं! भगवान के लिए उसे छोड़ दो..."
क्या वीर जिया को बचा पाएगा? क्या यह खून सच में एक 'संयोग' था या... एक 'संस्कार'?
👉 जानने के लिए पढ़ते रहिए अगला भाग।
अगर कहानी पसंद आई हो — तो Like और Follow ज़रूर करें।
मिलते हैं Next Chapter में। तब तक के लिए... Bye-Bye!
दादा को उस आदमी से बात करता देख, वीर पास में पड़े पूजा के थाल को उठाकर, गुस्से से उसी आदमी के सर पर दे मारता है। जैसे ही उसे चोट लगती है, वह आदमी दर्द से कराहते हुए अपना माथा पकड़ लेता है और जिया उसके पास से भाग आती है।
जाकर भगती है राघव के पास... और राघव, उसको दे दनादन पीटने लगता है।
राघव के लगातार प्रहार के बाद, वह आदमी ज़मीन पर गिर पड़ता है। तभी, वह बगल में पड़ी बंदूक उठाकर सीधा गोली चला देता है!
दादाजी... जिया को बचाने के लिए दौड़ते हैं और उसके सामने आ जाते हैं। गोली—दादा जी को लग जाती है।
यह देखकर राघव का गुस्सा फट पड़ता है। वह उस आदमी को और बेरहमी से मारने लगता है, इतना कि वह अधमरा हो जाता है।
सब घबराकर दादाजी के पास भागते हैं।
राघव, दादाजी को उठाते हुए चीखता है, "दादाजी! आपको कुछ नहीं होगा!"
इधर जिया, दादाजी को इस हालत में देख, बुरी तरह टूट जाती है। वह रोते हुए कहती है, "दादाजी! आपको कुछ नहीं होगा! मैं आपको हॉस्पिटल लेकर चलूंगी... प्लीज़! कोई एम्बुलेंस बुलाओ! प्लीज़ हॉस्पिटल चलो!"
राघव, दादाजी को गोद में उठाकर सीढ़ियों से नीचे भागता है। तभी दादाजी की कराहती हुई आवाज़ आती है, "रुको... एक मिनट रुको..."
उनकी आवाज़ में इतना दर्द था कि जैसे हर साँस आख़िरी हो... सब वहीं रुक जाते हैं।
जिया, दादाजी की तरफ देखती हुई कहती है, "दादाजी... आप परेशान मत होइए। आपको कुछ नहीं होगा। हम हैं ना! हम आपको बचा लेंगे!"
जिया फूट-फूट कर रो रही थी।
उसे इस तरह रोता देख, दादाजी कांपते हाथों से उसके सर पर हाथ फेरते हैं और कहते हैं, "बच्चा... मेरे पास बहुत कम वक्त है... मेरी एक आख़िरी ख्वाहिश पूरी कर दो। मैं तुम्हें मरने से पहले... एक सुरक्षित हाथों में सौंपना चाहता था।"
"और इस समय... वीर से ज्यादा प्रोटेक्टिव तुम्हारे लिए कोई नहीं है। प्लीज़... मेरी आख़िरी इच्छा पूरी कर दो... वीर से शादी कर लो।"
ये सुनते ही, जिया के पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है। वह दादाजी की तरफ देखती रह जाती है।
"दादाजी... आप... क्या कह रहे हैं...?"
"देखा जिया... प्लीज़ मेरी बात मानो। मेरी अंतिम इच्छा समझ कर पूरा कर दो..."
जिया चुपचाप, अवाक खड़ी रह जाती है।
दादाजी, पंडितजी को इशारा करते हुए कहते हैं, "प्लीज़... इनका विवाह करवा दीजिए।"
पंडितजी दादाजी की ओर देख कर कहते हैं, "जजमान... इनकी शादी पहले ही हो चुकी है। विधि का खेल देखिए!"
"लड़ाई के वक्त वीर के हाथों का खून... जिया के माथे पर गिरा था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी माँग भर दी हो। जो रिश्ता ऊपर वालों ने बना कर भेजा है... उसे मैं कैसे टाल सकता हूं?"
"आपकी इच्छा... सर आँखों पर।"
यह कहकर मंत्रीजी उन दोनों को मंडप में ले जाते हैं। दादाजी अपने सीने से बहते खून को हाथ से दबाए, उनकी शादी देख रहे होते हैं।
देखते ही देखते... वीर और जिया की शादी हो जाती है।
जिया दौड़ती हुई दादाजी के पास आती है और कहती है, "दादाजी! हमने शादी कर ली... प्लीज़ अब आप हॉस्पिटल चलिए। हम आपको नहीं खो सकते!"
अब दादाजी की आंखें धुंधली हो रही थीं।
यह देख, वीर उन्हें गोद में उठाकर सीधा हॉस्पिटल की ओर भागता है।
देखते ही देखते वह कार के पास पहुंचता है। वीर दादाजी को कार में डालता है और सबको बैठने को कहता है।
जैसे ही सब कार में बैठते हैं... वह कार हवाओं से बात करती हुई सीधा सिटी हॉस्पिटल के सामने पहुँच जाती है।
सिटी हॉस्पिटल के सामने गाड़ी रुकते ही वीर, दादाजी को निकालकर सीधा हॉस्पिटल की तरफ दौड़ता है।
व्हीलचेयर पर उन्हें लिटाकर वह चिल्लाते हुए डॉक्टर को बुलाता है। लेकिन कोई डॉक्टर नहीं दिखता।
तभी एक डॉक्टर सामने आता है।
वीर, उसकी तरफ देखते हुए कहता है, "It's emergency! प्लीज़ हेल्प!"
जिया भी डॉक्टर के सामने हाथ जोड़ती है।
पर डॉक्टर कहता है, "सर, देखिए... यह पुलिस का केस है। पहले आप लोग फॉर्मेलिटी पूरी कीजिए, उसके बाद जो कहेंगे, हम करेंगे।"
यह सुनकर वीर का खून खौल उठता है। वह अपनी जेब से गन निकालकर डॉक्टर के सीने पर लगा देता है।
"साले! अभी फॉर्मेलिटी पूरी करता हूं... देखता हूं कौन सी पुलिस आकर तुझे बचाती है! अगर अभी इलाज शुरू नहीं किया... तो तेरे सीने में गोलियां उतार दूंगा!"
वीर का यह रूप देखकर वहां खड़ा हर कोई इंसान काँप उठता है।
डॉक्टर डरते हुए कहता है, "देखिए... आप गन नीचे करिए... मैं अभी इलाज शुरू करता हूं!"
डॉक्टर चिल्लाकर नर्स और वार्ड बॉय को बुलाता है।
स्ट्रेचर लाया जाता है। सब मिलकर दादाजी को स्ट्रेचर पर लिटा कर ऑपरेशन थिएटर में ले जाते हैं।
कई घंटे बीत जाते हैं...
ऑपरेशन थिएटर की लाइट अब तक जल रही थी।
उसे देख जिया ज़ोर-ज़ोर से रोए जा रही थी। उसकी माँग और गले में मंगलसूत्र अब भी चमक रहा था।
श्वेता और शनाया उसे सांत्वना दे रही थीं।
तभी, जिया का ध्यान सामने मंदिर की ओर जाता है।
वह दौड़ कर भगवान के पास पहुँचती है और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है।
"भगवान... आपने मम्मी-पापा को बचपन में ही छीन लिया... और क्या-क्या छीनोगे? एक दादाजी ही तो थे... मेरे जीने का सहारा! प्लीज़... उन्हें मत छीनो... उनके प्राण लौटा दो! आपके आगे हाथ जोड़ती हूं... आपके चरणों पर पड़ती हूं... प्लीज़ मेरे दादाजी को बचा लो!"
यह कहकर जिया फूट-फूटकर रोने लगती है।
तभी उसका ध्यान सामने जलते दीपक की ओर जाता है।
उसे देख, वह अपने आंसू पोंछते हुए कहती है, "अगर आप ज़िद्दी हैं... तो मैं भी जिद्दी हूं!"
यह कहकर वह अपना हाथ दीपक की लौ के ऊपर रख देती है।
उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे... और मुंह से भगवान के मंत्र निकल रहे थे।
दूर बैठे श्वेता, शनाया और अवनी यह सब देख रहे थे...
और वीर... वीर तो जिया को इस हालत में बिल्कुल नहीं देख पा रहा था...
---
वह भागते हुए जिया की तरफ जाता है, लेकिन तब तक श्वेता उसे रोकते हुए कहती है,
"वह किसी की नहीं सुनेगी! आज उसकी और भगवान की लड़ाई है... उसके बीच में मत पढ़ो। वह खुद समझ लेगी।"
वीर गुस्से में कहता है, "पर मैं ऐसे कैसे जिया को छोड़ दूं? तुमने देखा नहीं—वो अपने हाथ को जला रही है!"
श्वेता गंभीर स्वर में कहती है,
"फिर भी, यह भगवान और उसके बच्चों के बीच का मामला है। अगर भगवान उसका दर्द समझेंगे... तो दादाजी को लौटा देंगे। पर ऐसे थोड़ी न लौटाएंगे दादाजी!"
वीर अभी कुछ कहने ही वाला होता है कि तभी ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट बंद हो जाती है।
अवनी भागते हुए कहती है, "डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर से बाहर आ रहे हैं! हमें चलकर देखना चाहिए!"
अवनी के इतना कहते ही श्वेता और वीर ऑपरेशन रूम के बाहर दौड़ते हैं। डॉक्टर बाहर निकलते हैं, मास्क हटाते हैं और हल्की मुस्कान के साथ कहते हैं,
"घबराने की कोई बात नहीं है। अब वो खतरे से बाहर हैं। कुछ ही वक्त में उन्हें होश आ जाएगा।"
डॉक्टर की बात सुनकर वीर गहरी सांस लेता है और सीधे जिया की ओर भागता है—जो अब भी भगवान के सामने ज़मीन पर बैठी थी, आंखें बंद, दोनों हथेलियां जली हुईं।
वो जिया को पकड़ कर उठाता है और कहता है,
"चलो यहां से, दादाजी ठीक हैं!"
जिया की हालत पूरी तरह से बिगड़ चुकी थी। वीर डॉक्टर को पुकारता है,
"डॉक्टर! प्लीज़ हेल्प!"
डॉक्टर तुरंत आते हैं और जिया के हाथों पर पट्टी बांधते हैं।
वीर गुस्से को काबू में रखते हुए कहता है,
"I'm sorry, doctor... मुझे उस वक्त ऐसा नहीं करना चाहिए था, पर आपने ऐसी सिचुएशन क्रिएट कर दी थी कि मुझे ना चाहते हुए भी वो करना पड़ा।"
तब तक जिया आगे बढ़ती है और डॉक्टर को अपना कार्ड दिखाती है।
"मैं राम एंड संस की ओनर हूं।"
इतनी बड़ी इंडस्ट्री और उसके बिजनेस ओनर का नाम जानकर डॉक्टर इकबाल थोड़ा शांत हो जाता है।
जिया आगे कहती है,
"इट्स ओके। मैं होती तो भी ऐसा ही करती।"
फिर वह अपने बैग से अपना विजिटिंग कार्ड निकालकर डॉक्टर को देती है,
"आप अपनी फीस कलेक्ट कर सकते हैं। थैंक यू सो मच... मेरे दादाजी की जान बचाने के लिए। क्या हम उनसे मिल सकते हैं?"
डॉक्टर मुस्कुराते हुए कहता है,
"हां, अब आप जाकर उनसे मिल सकते हैं।"
यह सुनते ही जिया, वीर और बाकी सब लोग कमरे की तरफ दौड़ते हैं।
दादाजी की आंखें बंद थीं। आसपास मशीनें लगातार अजीब-सी आवाज़ें कर रही थीं।
जिया उनके पास जाकर उनके हाथ थाम लेती है और कहती है,
"दादाजी... आपने ऐसा क्यों किया? लग जाने देते मुझे गोली! अगर आज आपको कुछ हो जाता तो...!"
उसके आंसुओं की गर्म बूंदें दादाजी के चेहरे पर गिरती हैं, और तभी उनकी आंखें खुलती हैं।
वह मुस्कुराते हुए कहते हैं,
"अरे पागल... रो क्यों रही है? मैं तो ठीक हूं। और भला तुझे गोली कैसे लगने देता मैं? मेरे होते हुए मेरी पोती को कोई छू सकता है क्या?"
जिया दादाजी से लिपट कर बच्चों की तरह फूट-फूट कर रोने लगती है।
दादाजी उसे शांत करते हुए कहते हैं,
"अरे मेरे बच्चे... कुछ नहीं हुआ है! तू तो मेरी स्ट्रॉन्ग पोती है न? रोने से कम कैसे चलेगा!"
जिया थोड़ी शांत हो जाती है।
तब दादाजी हवा में हाथ घुमाते हुए कहते हैं,
"और ये... वो उड़ा... वो देखा... जा रहा..."
जिया मुस्कुरा देती है।
दादाजी झट से उसकी मुस्कान पकड़कर उसके चेहरे पर लगाते हुए कहते हैं,
"चलो, जल्दी से स्माइल करो!"
जिया हल्के से मुस्कुरा देती है।
दादा कहते हैं,
"यह हुई न मेरी बहादुर बच्ची!"
फिर वे वीर की तरफ देखते हैं,
"वीर, इधर आओ।"
वीर उनके पास आकर बैठता है।
दादाजी जिया का हाथ वीर के हाथ में रखते हुए कहते हैं,
"कुछ भी हो जाए, जिया का हाथ मत छोड़ना। अब तुम दोनों पति-पत्नी हो... तो पति-पत्नी की तरह ही सारे काम करना। अपने इस बंधन को कभी मत भूलना।"
जिया आश्चर्य से कहती है,
"दादाजी, नहीं! मैं... मैं इनकी पत्नी नहीं हूं! ये मेरा पीए है! आप मुझे इसकी पत्नी बना रहे हैं?"
दादाजी कुछ कहने ही वाले होते हैं कि वीर उन्हें इशारा करके चुप करवा देता है।
फिर दादाजी जिया से कहते हैं,
"बेटा, शादी कोई मज़ाक नहीं है। अब तुम दोनों एक बंधन में बंध चुके हो। ना चाहते हुए भी, तुम्हें साथ रहना ही पड़ेगा।"
जिया गुस्से से दांत पीसती है,
"दादाजी... वही बात ना! शादी मज़ाक नहीं है और मैं किसी अजनबी से शादी करके ऐसे बंधन में नहीं बंध सकती। मुझे इससे तलाक चाहिए!"
यह सुनकर अवनी आगे आती है और कहती है,
"देख जिया... तू जानती है कि मैं वकालत करती हूं। और इंडियन लॉ के हिसाब से तलाक के लिए तुम्हें पहले तीन महीने साथ बिताने होंगे। उसके बाद ही तय होगा कि तलाक होगा या नहीं।"
जिया चौंकती है,
"ऐसा कैसे हो सकता है? अवनी! तुम्हें तो कोई शॉर्टकट पता होगा ना?"
"देखो, अगर तुम्हें शॉर्टकट नहीं पता, तो जितने पैसे कहोगी, मैं देने को तैयार हूं... प्लीज़ मेरा काम कर दो!"
अवनी हँसते हुए कहती है,
"बेबी डॉल... ये गवर्नमेंट का काम है। कोई प्राइवेट सेक्टर नहीं कि पैसा दो और काम हो गया!"
जिया गुस्से में उठती है और वहां से चली जाती है।
उसके जाते ही श्वेता, अवनी और शनाया वीर के पास आकर कहती हैं,
"वीर, हमें इतना पता है... कि जिया को तुमसे बेहतर जीवनसाथी नहीं मिल सकता। जो लड़का अपनी जान देकर किसी को बचा सकता है... वो अपनी पत्नी के लिए सब कुछ कर सकता है। हां, जिया थोड़ी गुस्सैल है, पर वक्त के साथ सब सीख जाती है।"
---
क्या जिया मानेगी इस रिश्ते को? क्या तीन महीने साथ रहकर वीर और जिया की दूरियाँ घटेंगी या बढ़ेंगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए...
कमरे में माहौल थोड़ा भारी था, पर जिया की वापसी ने सबकी सांसें कुछ हद तक सामान्य कर दीं। उसने खुद को संयत कर लिया था, बाल पीछे बाँधे हुए थे, चेहरा साफ, और नए कपड़े पहने हुए। अब उसमें पहले जैसी टूटन नहीं, बल्कि एक अजीब-सी दृढ़ता झलक रही थी। वह कुर्सी खींचकर बैठते हुए बोली –
"तो ठीक है, अगर आप सब चाहते हैं कि मैं इस शादी में रहूं… तो मेरी भी कुछ शर्तें होंगी।"
उसकी आवाज़ में मजबूरी नहीं, बल्कि नियंत्रण था।
वीर चौंकते हुए बोला –
"शर्तें? कैसी शर्तें?"
दादाजी भी उसकी ओर आश्चर्य से देखने लगे।
जिया ने एक-एक शब्द सोचकर कहा –
"शर्त नंबर एक: तुम मेरे घर में रहोगे, घर जमाई बनकर।
दूसरी बात: बाहर कोई नहीं जान पाएगा कि हम पति-पत्नी हैं।
और तीसरी बात: हमारे बीच कोई भी ऐसा रिश्ता नहीं बनेगा जिससे पति-पत्नी का अस्तित्व जुड़ता है।"
उसके शब्दों में जैसे पत्थर की सख्ती थी, लेकिन आंखों में एक छुपा हुआ दर्द भी झलक रहा था।
वीर हल्का मुस्कराते हुए बोला –
"ठीक है… पर मेरी भी कुछ शर्तें हैं। क्योंकि शादी मैंने भी अपनी मर्ज़ी से नहीं की, तो तुम्हें भी मेरी बातें माननी होंगी।"
जिया ने तीखे लहजे में जवाब दिया –
"तो फिर तोड़ दो ये शादी, भूल जाओ मंदिर में जो हुआ!"
इतना कहना था कि दादाजी की सांसें एकदम तेज़ होने लगीं। वीर घबरा गया।
"दादाजी!"
वह चिल्लाया और तुरंत डॉक्टर को बुलाया।
डॉक्टर ने सबको बाहर भेजते हुए गंभीर स्वर में कहा –
"देखिए, गोली उनके सीने को छूकर निकली है। ज्यादा तनाव हुआ तो जान भी जा सकती है।"
बाहर खड़ी जिया को अब झटका लगा। सनाया उसके पास आई और धीरे से बोली –
"देख जिया, दादाजी की जान अब तेरे फैसले पर टिकी है। अगर तू शादी से इनकार करेगी तो वो ये सदमा नहीं सह पाएंगे। क्या तू उनकी ज़िंदगी के साथ समझौता कर सकेगी?"
जिया कुछ पल चुप रही, उसकी आंखें वीर से मिलीं, फिर उसने गहरी सांस ली और कहा –
"ठीक है, बताओ… तुम्हारी शर्त क्या है?"
वीर ने सीधी नज़रों से उसकी आंखों में झांकते हुए कहा –
"मेरी सिर्फ एक शर्त है – जो भी गिफ्ट मैं तुम्हारे लिए लाऊं, तुम उसे कभी मना नहीं करोगी। तुम्हें जो भी दूंगा, तुम उसे खुशी से स्वीकार करोगी।"
जिया थोड़ी हैरानी से हंसी –
"बस इतनी सी बात? ठीक है, मंजूर है… लेकिन मेरी शर्तें तुम्हें याद रहनी चाहिए।"
वीर हल्के से मुस्कुराया –
"हर एक शब्द याद है।"
दोनों फिर कमरे में गए। दादाजी अभी भी आंखें बंद किए आराम कर रहे थे। जिया धीरे से उनके पास बैठी और बोली –
"दादाजी… हम इस रिश्ते को निभाने के लिए तैयार हैं।"
दादाजी की आंखें नम हो गईं। वह दोनों को देख मुस्कुरा दिए।
"सदा सुखी रहो, सदा सुहागन रहो…"
उनका आशीर्वाद जैसे कमरे में उजाला भर गया।
तभी डॉक्टर आए और वीर से कहा –
"अब आप इन्हें घर ले जा सकते हैं। हम कुछ मेडिकल स्टाफ आपके घर भेज देंगे। चिंता की कोई बात नहीं है।"
वीर ने राहत की सांस लेते हुए कहा –
"थैंक यू सो मच, डॉक्टर।"
---
क्या ये मजबूरी की शादी किसी मजबूती में बदलेगी?
क्या वीर और जिया वाकई इस रिश्ते को निभा पाएंगे?
क्या दादाजी की जान बचा पाई जिया की ये कुर्बानी...?
पढ़ते रहिए…