माधुरी और शिवा दोनों इस वक्त बंद कमरे की बजाय खुले आसमान के नीचे एक दूसरे की बाहों में समाए हुए अपनी अलग ही दुनिया में खोए हुए थे।तभी शिवा ने माधुरी के सीने पर किस करते हुए उसके होंठों को अपनी उंगली से रब किया और माधुरी ने उसे सिड्यूस करते हुए कहा,"... माधुरी और शिवा दोनों इस वक्त बंद कमरे की बजाय खुले आसमान के नीचे एक दूसरे की बाहों में समाए हुए अपनी अलग ही दुनिया में खोए हुए थे।तभी शिवा ने माधुरी के सीने पर किस करते हुए उसके होंठों को अपनी उंगली से रब किया और माधुरी ने उसे सिड्यूस करते हुए कहा," शिवा अपने प्यार की तपिश और अपने इश्क से आज मुझे अपने अंदर समा जाने दो नहीं रहा जाता मुझसे तुमसे दूर.....।। शिवा ने कहा,"सोच लो बाद मे मत कहना कि ये क्या किया शिवा तुमने.. दोनों उलझे आज सुलझते हे एक दूसरे की खामोशी को आज शब्दों से पिरोते हे
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आज तो तुम्हारी नथ उतराई है, तो तुम इस तरह से कैसे रह सकती हो! जाओ, अपने आप को सजाओ, सवारों, इतनी खूबसूरत दिखाओ खुद को कि जो तुम्हारी नथ उतराई के लिए आने वाला है, वह तुम्हें देखकर घायल हो जाए और इतने नोटों की बरसात करें कि हिना ताई की तिजोरी भी छोटी पड़ जाए और मेरा बरसों का सपना पूरा हो जाए कि मेरी तिजोरी नोटों से भरी है और मैं पूरी गहनों से लद जाऊं।
यह कहकर जैसे ही हिना जाने लगती है, तो माधुरी उसे खा जाने वाली नजरों से देखती है। तो हिना ताई कहती है, "नजर नीचे कर लड़की.. मैं नहीं चाहती अभी कोई तमाशा हो और तेरे चेहरे पर कोई निशान बने! इसलिए जो कह रही हूं, चुपचाप कर। तेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं है, चुपचाप मेरी बात मान ले और जल्दी से तैयार हो जा। आज तेरा दिन है, इसलिए पूरी सज धज कर तैयार होना अच्छे से और मैंने जो कपड़े और जो गहने भेजे हैं, वही पहनना।"
माधुरी नफरत भरी निगाहों से हिना ताई को देखती हैं और हिना ताई उसकी तरफ ना देखते हुए वहां से चली जाती है।
माधुरी नहीं जानती थी कि उसका रंग महल में आना उसकी जिंदगी की बर्बादी का सबब बन जाएगा। माधुरी यहां आई तो अपनी मां के लेने थी कि वह अपनी मां को साथ लेकर जाएगी और दोनों एक अच्छी सी जिंदगी बसर करेंगे। पर माधुरी नहीं जानती थी, यहां आने के बाद उसकी मां की जिंदगी खत्म हो जाएगी और वह उसकी जिंदगी में रहेगी ही नहीं और उसके सारे सपने टूट जाएंगे।
हिना ताई के मीठे बोल उसे नीम के जैसे जहरीले लगते थे क्योंकि माधुरी अच्छी तरह जानती थी कि ताई तभी मीठा बोलती थी जब उसकी कोई काम होता था, वरना वो तो काटने को दौड़ती थी और माधुरी को तो हिना बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। क्योंकि माधुरी के होने के कारण ही उसकी मां बागी हो गई थी। वह सिर्फ इसलिए ही रंग महल में रुकी हुई थी क्योंकि उसकी बेटी की पढ़ाई के खर्चे के लिए उसे कहीं काम तो मिलना नहीं था, तो वह इसी के सहारे उसकी पढ़ाई का खर्चा निकाल रही थी। माधुरी यह भी नहीं जानती थी कि उसका पिता कौन है? क्योंकि जब माधुरी पैदा नहीं हुई थी और उसकी मां को सातवां महीना चल रहा था, तभी उसका आप उसकी मां को हिना ताई के रंगमहल पर बेच गया था और उसकी एवज में उसे पैसे लेकर चला गया था।
जहां तक माधुरी को उसकी मां ने बताया है कि उसका पिता एक शराबी था और शराब की लालच में ही उसने उसकी मां की जिंदगी खराब कर दी। माधुरी की मन नहीं चाहती थी कि उसकी भी जिंदगी खराब हो, इसलिए वह उसे पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाना चाहती थी। लेकिन हिना ताई नहीं चाहती थी कि माधुरी की कहीं नौकरी लगे, क्योंकि अगर नौकरी लग गई तो रंग महल की बर्बादी शुरू हो जाएगी।
वह चाहती थी कि वह सब हिना ताई से डर कर रहे, इसलिए हिना ही उन पर वक्त-वक्त अपना रौब झाड़ते रहती थी।
हिना नहीं जानती थी कि अब उसके रंग महल के बुरे दिन आने वाले हैं, क्योंकि अब उसने जिसको अपने इस मकसद के लिए चुना है, वह कोई और नहीं, माधुरी है और माधुरी में हिम्मत कूट-कूट कर पड़ी थी। लेकिन इस वक्त माधुरी की लाचारी थी, क्योंकि अभी उसे किसी का आसरा नहीं था, वह जाए भी तो जाए कहां!
लेकिन माधुरी एक तरफ यह भी आस लगाए बैठी थी कि शायद जो भी कोई उसे खरीदेगा, वह उसकी जिंदगी सवार दे। लेकिन माधुरी इस बात के लिए अपनी किस्मत को दोषी मानती थी कि अगर उसकी किस्मत अच्छी होती, तो उसे रंगमहल में पैदा नहीं होती और न उसकी मां यहां रंगमहल में आती।
पर अब जो होना था, सो हो गया। अभी माधुरी को आगे का सोचना था। जब हिना ताई माधुरी के पास आई थी, तो माधुरी से बहुत मीठी-मीठी बातें करती गई थी, लेकिन जब माधुरी ने मना कर दिया, तो यह वापस अपने असली रूप में आ गई थी।
लेकिन माधुरी जानती थी कि हिना यह बातें सिर्फ एक ढोंग था और कुछ नहीं। वो घटिया, लालची और क्रूर किस्म की औरत थी। अपनी खूबसूरती के बल पर बने इस पूरे रंग महल पर अपना कब्जा जमा लिया था ।रंग महल के जितनी भी लड़कियां थी वह सब हिना से डरती थी ।
लेकिन एक माधुरी ही थी जिसमें इतनी हिम्मत थी कि वह हिना से टक्कर ले लेती थी ।माधुरी की मां इस कोठे की मशहूर तवायफ थी जिसको उसका ही पति पैसों के लालच में यहां बेच गया था तब उसकी मां पेट से थी तो हिना ताई को यही उम्मीद थी अगर इसके लड़की हुई तो वह उसे इस कोठे की रौनक बनाए और अगर लड़का हुआ तो उसे लड़कियों का दलाल बनाएगी।
पर माधुरी की मां यह सब नहीं चाहती थी।वह एक सुकून भरी और अच्छी जिंदगी चाहती थी।लेकिन इस कोठे पर आने के बाद अच्छी जिंदगी उसके नसीब में नहीं ..... इसलिए बहुत सी मुसीबतें झेलने के बाद और बहुत जुल्म सहने के बाद उसने उसे रंग महल की जिंदगी स्वीकार कर ली।
लेकिन उसने माधुरी पर कभी भी इस रंग महल की छाया नहीं पडने दी और हिना की बहुत मिन्नत करने के बाद माधुरी की मां ने उसे बहुत दूर एक हॉस्टल में डाल दिया ।
लेकिन माधुरी की मां उसे कभी भी मिलने नहीं जाती थी ताकि किसी को यह पता ना चल जाए कि माधुरी की मां एक तवायफ है।जब माधुरी की पढ़ाई पूरी हो गई तो माधुरी इसी कोठे पर वापस आ गई ।लेकिन जब आप उसको वापस आई तो माधुरी की मां ने कहा ,"तुम क्यों वापस आई तुम्हें बाहर रहना ही चाहिए था और नौकरी कर अपना गुजारा करना चाहिए था ।
तो माधुरी ने कहा ,"नहीं... मां मैं तुम्हारे बिना कहीं नहीं जाऊंगी मैं तुम्हें लेकर जाऊंगी और हम दोनों खुशी-खुशी एक छोटा सा घर बनाकर उसमें रहेंगे!"
तो माधुरी की मां कहती है ,"बेटा मेरी जिंदगी के दिन बहुत कम है मुझे कैंसर है और मैं ज्यादा तेरी मदद भी नहीं कर पा रही हूं और न कर पाऊंगी। इसलिए मेरी यही इच्छा है कि जितनी जल्दी हो सके इस रंग में ऐसा निकल जाए और जाकर अपनी नई जिंदगी शुरू करें।।
ये है मेरी नई कहानी जिसमे अभी न कोई राजा है न कोई रानी बस ये कहानी बताएगी कहां से आएगा राजा और कहां से आएगी उसकी रानी।।
बाकी कहानी अगले भाग में
आपकी अदिति जैन
माधुरी की मां कहती है ,"बेटा मेरी जिंदगी के दिन बहुत कम है मुझे कैंसर है और मैं ज्यादा तेरी मदद भी नहीं कर पा रही हूं और न कर पाऊंगी। इसलिए मेरी यही इच्छा है कि जितनी जल्दी हो सके इस रंग में ऐसा निकल जाए और जाकर अपनी नई जिंदगी शुरू करें।।
अब आगे.......
चलिए ...जानते हैं कौन है माधुरी ??कौन है इसकी मां और आगे क्या होने वाला है इसकी जिंदगी में... ऐसे तो कहानी बहुत रोचक होती है पर कोई कोई कहानी ऐसी होती है जो मन पर छाप छोड़ जाती है!
यह भी एक ऐसी ही कहानी है 🙂🙂यह कहानी है एक ऐसी लड़की की जिसकी मां को उसका पति ही कोठे पर बेच जाता है कोठा कहना तो शायद गलत होगा ..यह रंग महल है !
जैसे पहले राजा महाराजाओं के लिए रंग महल बनाए जाते थे जहां पर उनको खुश करने के लिए उनका मन बहलाने के लिए खूबसूरत लड़कियों का इस्तेमाल किया जाता था ।इस तरह का यह रंग महल था लेकिन यह रंग महल कलयुग का था मतलब आधुनिकता से भरा हर ऐसे आराम और यह सब मिलता था ।पैसे खर्च करके कहना गलत होगा बल्कि मोटे पैसे खर्च करके आप अपने लिए अय्याशी का सामान जुटा सकते थे ।
चलिए बात करते हैं अब हमारी कहानी की नायिका माधुरी की ...कल ही माधुरी का कॉलेज खत्म हुआ था और वह आज अपनी मां के पास रंग महल आ गई थी ।उसकी मां को भी पता नहीं था कि माधुरी इस तरह से आ जाएगी उसकी मां ने उसे कभी रंग महल नहीं आने दिया ।
वही उससे मिलने चले जाती थी लेकिन इस तरह से माधुरी के आ जाने पर उसकी मां की टेंशन बढ़ जाती है। उसकी मां नहीं चाहती थी कि माधुरी हिना के ना सामने आए ।
क्योंकि हिना यही चाहती थी जब माधुरी की पढ़ाई खत्म हो जाए तो वह यहां पर आकर रंग महल की रौनक बने।
शाम होते ही रंग महल परियों के देश की तरह सज जाता था ।चारों तरफ हंसी ठिठोली और किलकारियां गूंजती थी ।उस वक्त हिना अपना पूरा रंग महल घूमती थी ।
जिस दिन माधुरी वापस आई थी उसी दिन शाम को जब भी हिना रंग महल में घूम रही थी तो उसकी नजर माधुरी पर पड़ती है और माधुरी को देखकर वह कहती है "अरे वाह तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो गई क्या ?जो तुम वापस आ गई पर तुम तो बहुत खूबसूरत हो गई हो!"
तो माधुरी कहती है," हां हिना ताई मेरी पढ़ाई पूरी हो गई है अब मैं अपनी मां को यहां से ले जाऊंगी और हम दोनों मां बेटी कहीं चैन की जिंदगी गुजारेंगे ।"
यह सुनकर की हिना को बहुत गुस्सा आता है पर वह उसे वक्त कुछ नहीं बोलते चुपचाप चली जाती है ।दूसरे दिन सुबह हिना माधुरी की मां को बुलाती है और उसको कहती है ,"अब तो माधुरी की पढ़ाई भी पूरी हो गई है और वह 18 साल की भी हो गई है तो अब हमें उसकी नाथ कार्रवाई की तैयारी करनी चाहिए ।"
तो माधुरी की मां कहती है," नहीं हिना ताई ...ऐसा मत करो मेरी बेटी अभी बहुत छोटी है और मैं उसे इस जिस्मफरोशी के धंधे में नहीं लाना चाहती! वह अपनी जिंदगी चैन से जिए मेरी तो जिंदगी यहां पर निकल गई हिना ताई ऐसा मत करो ।"
और माधुरी की मां हिना के पैर पकड़ लेती है हिना उसकी बातें सुनकर गुस्से से लाल पीली हो जाती है और अपने पैर को झटका मारती है जिससे माधुरी की मां पीछे पड़े टेबल से टकरा जाती है और उसके सर पर गहरी चोट लग जाती है ।
हिना कहती है ,"यह भूल जाओ तुम की जो रंग महल में एक बार आ गया और जिसकी यहां की पैदाइश है वह कभी भी रंग महल से बाहर नहीं जा सकता और ना ही जाएगा ।"
फिर वह अपने आदमियों को आवाज देती है और कहती है ,"इसको ले जाओ और डॉक्टर को बुलाकर इसका इलाज करवाओ और इसकी छोकरी को इसके बारे में बता दो। ओर कह दो उसे तैयार रहे अपनी नाथ उतरवाई के लिए।"
और हिना के आदमी माधुरी की मां को ले जाकर उसके कमरे में सुला देते हैं और डॉक्टर को बुलाकर उसकी पट्टी करवाते है।लेकिन खून ज्यादा बह जाने के कारण उसकी हालत खराब हो जाती है तो माधुरी दौड़ी दौड़ी हिना ताई के पास जाती है और कहती है ,"ताई मां की हालत ज्यादा खराब हो गई है उसे अस्पताल लेकर जाना पड़ेगा!"
तो हिना कहती है," एक शर्त पर ही तेरी मां का इलाज हॉस्पिटल में करवाया जाएगा अगर तुम अपनी नाथ उतरवायी के लिए तैयार हो तो ओर वैसे भी पता चल ही गया होगा बताया होगा तुमको राजा ने और तुम्हें इस रंग महल की रौनक बनना पड़ेगा ।"
माधुरी रोते हुए कहती है ,"हिना ताई तुम जो कहोगी जैसे कहोगी मैं सब करने को तैयार हूं लेकिन मेरी मां को बचा लो ।"
हिना कहती है," अपनी बात से मुकर मत जाना वरना तुम तो जानती हो कि मैं क्या कर सकती हूं!"
यह कह कर हिना वहां से चली जाती है और माधुरी की मां को दो औरतों के साथ अस्पताल लेकर जाती है ।पर बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण और सही इलाज न मिलने के कारण माधुरी की मां की अस्पताल में मौत हो जाती है और जब माधुरी को यह पता चलता है कि उसकी मां मर गई है तो उसे बहुत गहरा सदमा लगता है।
और हिना जब माधुरी की मां की लाश को लेकर रंग महल आती है तो अपनी मां की यह हालत देखकर माधुरी फूट-फूट कर रोने लगती है और कहती है ,"मां तू मुझे क्यों छोड़ गई मुझे भी अपने साथ ले जाती !"
तो हिना कहती है ,"अगर तेरी मां तुझे ले जाती तो तेरे पढ़ाई पर और तुझ पर जो आज तक खर्च हुआ है उसे मैं कैसे वसूलती ।"
तो माधुरी कहती है ,"ताई थोड़ी तो शर्म करो मेरी मां मरी नहीं तुमने मारा है मेरा मां को..और तुम इस तरह से मुझे ताने दे रही हो ।"
तो हिना रंगमहल की दो औरतों को इशारे से बुलाती है और कहती है ,"ले जाकर इसको कमरे में बंद करो और इसकी मां के संस्कार की तैयारी करो !"
तो दोनों औरतें माधुरी का हाथ पकड़ती हैं और उसे खींचकर एक कमरे में बंद कर देती हैं और फिर माधुरी की मां की संस्कार की तैयारी हो जाती है और उसकी लाश को ले जाकर उसका दाह संस्कार कर दिया जाता है ।
रंग महल पर किसी के मरने का मातम नहीं मनाया जाता लेकिन हां किसी के भाग जाने से या किसी कीमत उत्तर वही रह जाने से वहां पर मातम का माहौल जरूर बन जाता है ।इस तरह से करते हुए काफी दिन निकल जाते हैं ।
माधुरी इस कमरे में पड़ी रहती है वहीं पर ही उसको खाना दे दिया जाता है फिर एक दिन हिना माधुरी के कमरे में आती है और कहती है,"कल तुम्हारी नथ उतरवाई है इसलिए ढंग से पेश आना मैं नहीं चाहती जो तुम्हारी नाथ उतरवायी करेगा उसके साथ तुम गलत तरीके से पेश आओ वरना तुम जानती हो कि मैं क्या चीज हूं! यह शायद मुझे तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है और हां नाथ उतरवाई तो बाद में होगी पहले तुम्हारी बोली लगेगी इसलिए कल सुबह सज धज कर बाहर वाले हाल में आ जाना बिना कोई नाटक करे।"
तो माधुरी कहती है ,"ताई क्यों कर रही हो मेरे साथ ऐसा ?मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है तो ही ना कहती है मुझे मेरे पैसों से मतलब है जब मेरे पैसे वसूल हो जाएंगे उसके बाद तुम कहीं भी जाओ मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुम जियो या मरो यह भी मेरे लिए कोई मायने नहीं रखेगा बस मुझे अपना पैसा चाहिए !"
तो माधुरी कहती है ,"ताई मैं यह पैसा तो तुम्हें नौकरी करके भी कमा कर दे सकती हूं!" तो ही ना हंसते हुए कहती है ,"जितना तुम एक महीने में काम आओगी नौकरी करके यहां पर तुम एक रात में कमा लोगी इसलिए अपनी जिद छोड़ो और अच्छे बच्चों की तरह मेरी बात मान लो।।"
चलिए अब देखते हैं चलिए अब देखते हैं कौन सबसे ज्यादा बोली लगता है और कौन माधुरी की नृत्य कार्रवाई करवाइए माधुरी की उतरवायी होगी भी या नहीं यह जानने के लिए कहानी के साथ जुड़े रहिए
आपकी अदिति जैन
माधुरी कहती है ,"ताई मैं यह पैसा तो तुम्हें नौकरी करके भी कमा कर दे सकती हूं!" तो ही ना हंसते हुए कहती है ,"जितना तुम एक महीने में काम आओगी नौकरी करके यहां पर तुम एक रात में कमा लोगी इसलिए अपनी जिद छोड़ो और अच्छे बच्चों की तरह मेरी बात मान लो।।"
अब आगे...
माधुरी नहीं जानती थी कि वो ऐसे दलदल में फंस गई है जिसमें से जितना निकलने की कोशिश करो इंसान उतना ही धंसता चला जाता है। हिना के कहने पर जब माधुरी मना कर देती है तो हिना को गुस्सा आता है और वो एक जोरदार थप्पड़ माधुरी के गाल पर रख देती है। इतनी जोर से थप्पड़ पड़ने से माधुरी नीचे गिर जाती है और उसके होंठ पर कट जाता है और वो अपने गाल पर हाथ रख कर हिना की तरफ गुस्से से देखती है और कहती है,"कितना भी जोर लगा को हिना ताई ..में कभी भी अपनी बोली नहीं लगने देगी न खुद को बिकने देगी क्यूंकि माधुरी कोई बिकाऊ चीज़ नहीं है।"
जैसे ही हिना ये सुनती है तो वो अपने सबसे खतरनाक गुंडे कयास को बुलाती है और कहती है ,"तब तक टॉर्चर कर इसे जब तक ये मान नहीं जाती पर इसके किसी भी अंग पर एक भी खरोंच नहीं आनी चाहिए ..ये याद रखना।"
ये कह कर हिना वहां से चली जाती है और कयास माधुरी का हाथ पकड़ता है और उसे खींचते हुए अंधेरे कमरे में ले जाता है और बंद कर देता है।
सब जानते थे कि माधुरी को अंधेरे से डर लगता था इसी का फायदा उठा कर कयास ने उसे ऐसे कमरे में बंद कर दिया था जहां बिल्कुल अंधेरा था और कहीं से भी रोशनी नहीं आती थी।
पूरी रात उस कमरे में रहने के बाद माधुरी दर से बेहोश हो जाती है और सुबह जब कयास कमरा खोलता है तो उसे बेहोश पाता है कयास जानता था कि माधुरी सिर्फ बेहोश ही है तो वो अपने साथ लाई हुई पानी की बोतल से पानी निकलकर माधुरी के मुंह पर छींटे मारता है और जैसे ही वो होश में आती है तो कहता है,"दिमाग ठिकाने आया या नहीं ..या फिर से दरवाजा बंद करके जाऊं।"
माधुरी कहती है,"तुम जानते हो मुझे अंधेरे से डर लगता है इसलिए तुमने मुझे यहां बंद करा न!"
कयास बोला,"तुम भी जानती हो हिना ताई को मना करने का क्या मतलब है??चुपचाप उनकी बात मान लो।अभी तो इतने प्यार से बात कर रहा हूं अगर नही मानी तो फिर मुझे अपने असली अवतार में आना पड़ेगा और फिर मत कहना कयास ये क्या किया तूने!"
माधुरी को छोड़ के जाने से पहले वो बोल के जाता है ,"रेडी हो जा..आ रहा हूं आधे घंटे में!"
माधुरी को अब कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है इसलिए अब चुपचाप हिना ताई का कहा करने के लिए खुद को तैयार कर रही थी लेकिन उसका जमीर इस चीज की गवाही नहीं दे रहा था क्योंकि उसने तिल तिल अपनी मां को मारते देखा है ।
वह मां जो उसे कभी उसके स्कूल ,कॉलेज में कभी उससे मिलने नहीं आई कभी उसके साथ उसका जन्मदिन मनाने नहीं आई कभी भी उसे छुट्टियों में लेने नहीं आई। यह सब जानते हुए भी उनके के लिए वो काम करने को तैयार हो रही थी जिसके लिए उसकी जमीन गवाही नहीं दे रहा था ।
थोड़ी देर बाद कयास वापस आता है तो उसके हाथ में नए कपड़े होते हैं और बहुत सारी ज्वेलरी होती है। उसे देखकर वह समझ जाती है कि यह सब पहनकर उसे तैयार होना है ।
"जैसे कि हिना ताई ने कहा है यह सब मैं यहां पर रख कर जा रहा हूं अभी और थोड़ी देर में रानी और नेहा आकर तुम्हें तैयार कर देगी। जब तक यहां चुपचाप बैठो और यह जो नाश्ता लेकर आया हूं वह नाश्ता कर लो ताकि तुम चेहरे से मरी मरी सी न लगो और मुझे भी बिना ताई से कुछ सुनने को ना मिले उम्मीद करता हूं जो मैंने तुम्हें कहा है और जो तुम्हें समझाया है वह तुम्हें समझ में आ गया है और अगर नहीं समझ आया तो फिर मुझे और भी तरीके आते हैं समझाने के!"
यह कहकर वह गेट बंद करके चला जाता है कुछ देर तक बैठी माधुरी सब सोचती रहती है कि उसको क्या करना चाहिए लेकिन जब कुछ समझ में नहीं आता तो वह अपना सर झटक कर नाश्ता करने बैठ जाती है क्योंकि उसे बहुत तेज भूख लग रही थी और नाश्ते में आज उसका फेवरेट आलू का परांठा ,दही और हॉट चॉकलेट मिल्क था।आज उसे रोटी की कीमत क्या एहसास हो रहा था कि अगर एक वक्त भी खाना ना मिले तो इंसान की हालत कैसी हो जाती है और खाने की क्या कीमत हो जाती है 😔😔!
आधे घंटे बाद नाश्ता करके फ्री हो जाती है तो नेहा और रानी आई और उसे तैयार करने के लिए जब उसे कमरे में नहीं देखती तो उन्हें चिंता🤔🤔🤔 हो जाती है कि यह गई कहां गई!
तभी माधुरी बाथरूम में से निकाल कर आती है और बैठ जाती है तो नेहा उसके बाल बनाते हुए कहती है ,"जब तुम्हें बात माननी हीं थी तो इतना ड्रामा क्यों ? पहले ही मान जाती!"..
तो माधुरी कहती है ,"मेरी मजबूरी है बात मानना वरना मैं यहां पर एक पल भी ना रुकुं मेरा दम घुटता है😔😔!"
" क्या तुम सच में यहां से जाना चाहती हो ?"
तो माधुरी कहती है ,तो मैं क्या लगता है मैं मजाक कर रही हूं मैंने इतनी पढ़ाई इसलिए नहीं करी और मेरी मां ने मुझे इसलिए यहां से दूर नहीं रखा ।मुझे तब तक नहीं पता था जब तक मैं यहां पर नहीं आई थी कि यह मेरी मां क्या काम करती है ?लेकिन जब यह सब तब पता चला ।"
"अगर मैं तुम्हारी मदद करूं यहां से जाने में..तो क्या जाकर अपनी नई जिंदगी शुरू करोगी?"
माधुरी की बातें सुनने के बाद नेहा कहती है।
नेहा कहती है ,"मैं कोशिश करुंगी कि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाऊं लेकिन यह सब बातें जो हम लोग अभी कर रहे हैं यह किसी तक नहीं जानी चाहिए और हिना ताई तक तो बिल्कुल भी नहीं वरना वो तो मुझे जिंदा जमीन में गाड़ देगी ।"
यह सब कर माधुरी हंसने लगती है और कहती है "तुम विरोध भी करना चाहती हो और डरती भी हो एक ही काम करो ना या तो विरोध करो और या फिर चुपचाप वह करती रहो जो ताई कहती है और सहती रहो जो तुम पर जबरदस्ती हो रही है मेरा बस चले ना ना तो मैं जबर्दस्ती न सहूं और ना मैं हिना ताई को बर्दाश्त करूं।"
शायद हिना यह नहीं जानती थी कि अब माधुरी की किस्मत बदलने वाली थी ।माधुरी की किस्मत में ऐसा सितारा आने वाला था जो उसकी जिंदगी बदलने वाला था।
अब आगे क्या होना था माधुरी की जिंदगी में ...यह तो ऊपर वाला ही जानता था कि उसने माधुरी की किस्मत में क्या लिखा है ?लेकिन फिलहाल माधुरी अपने आने वाले कल के लिए खुद को तैयार कर रही थी कि उसके साथ क्या होगा कौन होगा उसका खरीदार और कितनी बोली लगेगी क्या सच में उसकी जिंदगी नरक बन जाएगी??
यह सोच सोच कर माधुरी परेशान हो रही थी। चलिए अब मिलते हैं हमारी कहानी के हीरो से जो सच में हीरो जैसा है भी या नहीं यह सिर्फ दिखावा ही करता है हेजल आइज ,सलीके से बने हुए बाल हाथ में महंगा फोन टाइट फिट जींस और शर्ट पहने हुए गले में महादेव का लॉकेट पहने हुए जब शिवा सड़क से गुजरता है तो लड़कियों के दिल की धड़कन बढ़ जाती है
लेकिन आज शिवा हिना ताई के कोठे पर पहली बार आ रहा था वह भी वह आ नहीं रहा था उसके दोस्त उसे जबरदस्ती लेकर आ रहे थे ।शिवा एक बहुत बड़े बिजनेसमैन चंदन रामचंदानी का बेटा था चंदन राम चांदनी एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन जिसका बिजनेस पूरी दुनिया में फैला हुआ था और शिवा जो बिल्कुल अपने पिता के नक्शे कदम पर चलता था। इससे कोई गलत आदत नहीं थी लेकिन आज वह अपने दोस्तों के बहकावे में आकर हिना ताई के कोठे पर आ गया था ।वह सिर्फ यह देखने के लिए आया था कि किस तरह से लड़कियों की बोली लगाई जाती है और उन्हें बेचा जाता है??
बाकी कहानी अगले भाग में
क्या है माधुरी की किस्मत में??
क्या शिवा सच मे माधुरी की बोली लगाएगा??
जानने के लिए जुड़े रहिए
रंग रसिया
आपकी अदिति जैन
चंदन राम चांदनी एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन जिसका बिजनेस पूरी दुनिया में फैला हुआ था और शिवा जो बिल्कुल अपने पिता के नक्शे कदम पर चलता था। इससे कोई गलत आदत नहीं थी लेकिन आज वह अपने दोस्तों के बहकावे में आकर हिना ताई के कोठे पर आ गया था ।वह सिर्फ यह देखने के लिए आया था कि किस तरह से लड़कियों की बोली लगाई जाती है और उन्हें बेचा जाता है??
अब आगे.....
शिवा महाकाल का भक्त था और इन सब चीजों से दूर था लेकिन आज वो अपने दोस्तो के झांसे में आ गया और वहां फस गया था। उसे समझ नही आ रही थी कि क्या करे??
ऐसी जगह उसने अपनी अभी तक की लाइफ में नहीं देखी थी पर आज कहां फस गया था। बैठे बैठे वो महाकाल को याद कर रहा था।
"कहां फसा दिया महाकाल बाबा आपने मुझे...आपका भक्त हूं गलत होते देख नही सकता पर मां की कसम ने बांध रखा है पर आपकी कसम अगर कुछ गलत होते दिखा तो तबाही मचा दूंगा।" 😔😔मायूसी से बोलते हुए इधर उधर देखा तो
सामने से उसे अपना दोस्त आता हुआ दिखा तो वो बोला,"सारी यार..तुझे अकेले छोड़ा।वो मैं सेटिंग करने गया था वैसे तो ये लोग अंदर नही जाने देते पर जब तुम्हारा नाम लिया और बताया कि तुम नाथ उतरवाने में इंटरेस्टेड हो तो इन लोगों ने बोली लगाने के लिए हम परमिशन दे दी।तुझे पता है मुझे तो लगा था कि हमारा इतना मेहनत करके आना बेकार हो गया पर तेरे बाबा ने हमारी लाज रख ली।"
तभी सामने से एक लड़की आई जिसने लाल रंग का अनारकली सूट पहना हुआ था और बालों में गजरा लगाया हुआ था आई और बोली"आप दोनो को हिना ताई बुला रही है।"
शिवा गुस्से से अपने दोस्त शब्द को देखते हुए चुपचाप उस लड़की के पीछे चल दिया और शब्द भी उसके पीछे था। शब्द जानता था कि आज उसकी खेर नही।आज ये शिवा उसको मार ही देगा ।
हिना ताई के पास जाते ही जैसे ही हिना ने शिवा को देखा तो वो ही एक बार शिवा के रूप में खो गई ।
उसने आजतक शिवा जैसा हैंडसम और स्मार्ट और मासूम लड़का नही देखा था शिवा बिल्ली आंखों वाला ,पतले गुलाबी होंठ सिक्स पैक्स और अपनी हाइट के कारण अपने कॉलेज में भी फेमस था।पर शिवा को इन सब से कोई फर्क नही पड़ता था क्योंकि शिवा को अपनी एक अलग ही दुनिया थी जिसमे वो गुम रहता था शिवा पेंटिंग और म्यूजिक दोनो का बहुत बड़ा फैन था।
पर आज उसका ये दोस्त उसे यहां ले आया था और उसका मूड खराब कर दिया था। हिना ने उसे देखा और उसके पास आ के बोली,"और कोई जगह नही मिली आपको जो इस रंग महल में शिरकत कर रहे हो ।"
यह सुनकर शिव कुछ नहीं बोला क्योंकि शिवा का ध्यान तो कहीं और था और उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभ्यास पर की कहां लाकर उसे फंसा दिया सामने से आता हुआ अव्यांश अवस्थी दिख जाता है ये भी एक बहुत बड़ी हस्ती मेरा मतलब डीजीपी उमेश अवस्थी का बेटा है पर थोड़ा रंगीन मिजाज का है इसे लड़कियों के संग कान्हा जी के जैसे रास करना ज्यादा पसंद है पर इसकी शिवा के अलावा और किसी से नहीं बनती इसलिए ये शिवा को आज ले के आया और वह दौड़ के उसके पास जाता है और कहता है ," बाहर चल ...तुझसे बात करनी है!"
तो वह कहता है ,"रुक यार शिवा पहले वह काम तो कर ले जिसके लिए आए हैं। अव्यांश हिना के पास जाते हुए कहता है।
हिना से पूछता है," बोली कब शुरू होगी तो हिना जवाब देती है ,"इतनी बेसब्र क्यों हो रहे हो बाबू🙂🙂 बस 10 मिनट बाद बोली शुरू होने वाली है ।आप लोग जाकर अपनी जगह पर बैठो।"
अव्यांश शिवा का हाथ पकड़ कर उसे हाल में ले जाता है और वहां बैठ जाता है ।वहां बहुत सारे नामी गरामी लोग बैठे थे ऐसे लोग जिनको देखकर शिवा भी हैरान हो रहा था और वह लोग शिव को देखकर हैरान हो रहे थे ।
उनमें से एक ने पूछा ,"अरे तुम तो चंदन रामचंदानी के बेटे हो ना अब तुम यहां पर क्या कर रहे हो?? तुम्हारा बाप तो इतना सीधा है !"
तो शिवा उसकी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता अव्यांश कहता है "तुम भी तो बहुत सीधे थे वह दिखाते हो तो तुम यहां पर क्या कर रहे हो??"
उसका जवाब सुनकर सामने वाला इंसान चिढ़ जाता है और चुपचाप बैठ जाता है ।लेकिन उसे अव्यांश की बात खटक गई थी और उसमें खुद को बेइज्जती महसूस किया था ।
अब बारी थी शिव की खामोशी के टूटने की और खामोश माधुरी से सामने होने का।अभी सामने से बहुत सारी लड़कियां आती हुई नजर आती है पर शिवा का तो ध्यान ही नहीं था। हमारा शिव आप में नहीं हाल में खोया हुआ था तभी उसे अव्यांश हाथ से पकड़ कर हिलता है और कहता है ," सामने देख खुद कोहिनूर चल कर आ रहा है ।"
शिव कोई ध्यान नहीं देता तभी उसे बजाती हुई पायल की आवाज आती है और वह एकदम से नजर उठा कर देखता है तो उसे सामने से माधुरी आई हुई नजर आती है जिसे देखकर वह चौंक जाता है क्योंकि उसने माधुरी की आंखों में खामोशी पढ़ ली। वही खामोशी जो अक्सर शिवा की आंखों में रहती थी शिव उसे देखकर कहीं खो जाता है क्योंकि माधुरी की खूबसूरती उसके मन में बस गई थी ।
माधुरी की आंखें ,उसके चेहरे की मासूमियत उसे लुभा रही थी शिव कहता है ,"मुझे यह लड़की चाहिए किसी भी हाल में चाहे इसके लिए कितना भी पैसा देना पड़े! पर यह लड़की मुझे चाहिए।"
तो अव्यांश उसे हैरानी से देखते हो कहता है" तू पागल हो गया है क्या तू जब एक तरफ देख भी नहीं रहा था अब तुझे एकदम से क्या हो गया ?"
तो शिवा उसका कलर पड़कर कहता है ,"जितना कहता हूं उतना कर मुझे नहीं पता मुझे यह लड़की हर हाल में चाहिए!"
तो अव्यांश बोला, थोड़ा इंतजार तो कर ..बोली तो लगने दे तो शिव रहते इस लड़की की बोली नहीं लगनी चाहिए बस ।"
अव्यांश आंख झपकाकर हामी भर देता है और अव्यांश उठकर हिना के पास जाता है और कहता है ," हिना ताई इस लड़की की बोली नहीं लगनी चाहिए ।"
तो बिना ताई बोली," आज इसी की बोली लगने के लगाने के लिए तो यह महफिल सजी है !"
तो अव्यांश बोला,"हिना ताई ध्यान रखना अगर इस लड़की की बोली लगी तो तुम्हारा रंगमहल रंगमहल न रहकर खंडहर महल हो जाएगा और इसे लोग खंडहर महल के नाम से जानेंगे !"
हिना ताई तैश में आके बोली," बाबू धमकी की किसको दे रहे हो जानते नहीं हो मैं कौन हूं ?"
अव्यांश कहता है ," जितना कहा गया है उतना करो कीमत बोलो तुम जो मांगो की उससे दोगुनी मिलेगी !"
तो हिना ताई रहती है," बाबू 10 लाख से ₹1 भी कम नहीं ...!"
तो अव्यांश कहता है," 30 लाख यह पकड़ो कैश और यह लड़की हमारी है ।अब इस महफिल को तुम संभालो हम इस लड़की को लेकर जा रहे हैं ।"
हिना ताई रहती है," बाबू जाना नहीं यही रंग महल में ही कमरा तैयार किया गया है वहीं पर ही इसकी नाथ उतरवाई होगी ।"
तो अव्यांश कहता है ,"यहां नहीं...ये लड़की आज की रात हमारे साथ रहेगी और कल सुबह यह वापस तुम्हारे रंग महल आ जाएगी ।"
यह सुनकर हिना ताई बोली," ठीक है बाबू जैसे तुम्हारी मर्जी !रंग महल में रहते तो हमें भी तुम्हारी खातिर दारी करने का मौका मिलता ।"तो अव्यांश से टेढ़ी नजरों से देखा और कहता है ,"हमें तुम्हारी खातिर दारी की जरूरत नहीं हमें हमारी जरूरत का सामान मिल गया बस यही बहुत है कल सुबह लड़की वापस तुम्हारे रंग महल आ जाएगी।"
फिर कह कर अव्यांश और शिव माधुरी को लेकर चले जाते हैं माधुरी जो अंदर से डरे जा रही थी यह पता नहीं उसके साथ क्या होने वाला है ?उसकी किस्मत खुलने वाली है या फूटने वाली है !अब यह तो आने वाला वक्त ही बताया कि माधुरी के साथ क्या होने वाला है क्या माधुरी को उसे संभालने वाला मिल जाएगा या माधुरी की जिंदगी भी उसकी मां की तरह बर्बाद होजाएगी।।
क्या माधुरी वापस रंग महल जाएगी
क्या शिवा माधुरी का इस्तेमाल करके उसे छोड़ देगा
या उसे सच में माधुरी से प्यार हो जाएगा
जानने के लिए पढ़ते रहिए
रंग रसिया
आपकी समीक्षाओं के इंतजार में
अदिति जैन
शिवा का दर्द माधुरी को दिख तो रहा था लेकिन माधुरी को समझ में नहीं आ रहा था या तो उसे मोहब्बत में चोट मिली है या उसे कोई ऐसी तकलीफ है जो किसी के साथ साझा नहीं करना चाहता ।
बहुत देर तक सोचने के बाद माधुरी तय करती है कि जब शाम को अव्यांश आएगा तो वह उससे बात करेगी ।अभी तक माधुरी को पक्का यकीन नहीं था कि अव्यांश और शिवा आएंगे भी या नहीं😔😔 क्योंकि उसे हिना ताई पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं था वो कुछ भी कर सकती थी। क्योंकि वह पैसे की कितनी लालची थी जहां उसे ज्यादा पैसा मिले वह वहीं पर लड़कियों को भेज देती थी ।पर अब शायद वो जान चुकी थी कि माधुरी अब बिक चुकी है अब इसकी इतनी कीमत नहीं मिलेगी ।
इसलिए अब उससे अपना कोई खर्चा नहीं निकलेगी पर फिर भी माधुरी को हिना भरोसा नहीं था ।
जब माधुरी रंग महल में आती है तो हिना को उसके तेवर बदले हुए नजर आते हैं फिर हिना यही सोचती है कि रात को उसके साथ जो कुछ भी हुआ था उसके बाद हो सकता है यह मुझसे नाराज हो ।
हिना ने सोचा कि वो उस से नाराज होगी इसलिए उसका बोलने का ढंग बदला हुआ है ।अब माधुरी को लगने लगा है कि वह अब यहां से बाहर निकल सकती है और जाकर अपनी जिंदगी जी सकती है।
रंग महल आने के बाद माधुरी अपने कमरे में चली जाती है और दरवाजा बंद कर लेती है और फिर नहा धोकर अपना पूजा पाठ करती है और अपने भोले बाबा को मनाते हुए कहती है,"क्या कुछ लिखा है आपने मेरी जिंदगी में ...और कितने तूफान है जो मुझे सहने पड़ेंगे 😔😔 एक मां का आशीर्वाद था तो वह तो आपने छीन लिया ।किसके सहारे जीने के लिए छोड़ रखा है मुझे !भोले बाबा ने ऐसे ही तो यह जीवन नहीं दिया कि जीवन को देने का कोई ना कोई मकसद जरूर होगा यही सोचकर खुद को रोक लेती है पर अब बर्दाश्त नहीं होता है बाबा आप तो कुछ ऐसा चमत्कार करो कि मैं इस नर्क से निकल जाऊं!"
पूजा पाठ करने के बाद माधुरी कमरे में रखी केतली में बनाती है और चाय पीती है चाय पीने के बाद वह एक नॉवेल रोमियो जूलियट जो एक रोमांटिक नॉवेल है लेकर बैठ जाती है और उसे पढ़ने लगती है ।तभी उसकी कमरे का दरवाजा खुलता है और हिना अंदर आती है और उसे कहती है," क्या हुआ ?बाहर क्यों नहीं आई तू!"
माधुरी कहती है ,"बाहर किसके लिए आऊं !पहले तो मां थी उन से बात करने के लिए आ जाती थी अब तो मां भी नहीं है 😔😔किससे बात करूंगी!"अब तो ये किताबें ही मेरी दोस्त है !
यह सुनकर हिना को बहुत गुस्सा आता है और उसकी सारी किताबें जमीन पर फेंक देती है और कहती है कि किताबें तेरी दोस्त नहीं है अब मेरे इस रंग महल में आने वाले लोग तेरे यार दोस्त और खसम है ।इनका तुझे मन बहलाना है और इनको खुश करना है।"
यह सुनकर माधुरी की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह कुछ बोलती नहीं है क्योंकि कहीं ना कहीं उसके मन में शिवा पर विश्वास था कि अव्यांश और शिव जरूर उसकी मदद करेंगे और इस नर्क से उसे निकाल कर ले जाएंगे ।
जीना की कड़वी बातें सुनकर माधुरी बिस्तर पर जाकर पड़ जाती है और रोने लगती है हिना के जाने के बाद माधुरी अपनी डायरी निकलती है और लिखने लगती हैं ।
माधुरी को डायरी लिखने का बहुत शौक था तो वह कुछ ना कुछ कुछ ना कुछ अपनी डायरी में लिखती रहती थी जिससे कि उसके दिल के जज्बात कागज पर उतर जाते थे और जब वह बहुत ज्यादा परेशान होती थी या बहुत ज्यादा खुश होती थी तब वह डायरी निकाल कर पढ़ लेती थी ।लेकिन इस डायरी का पता उसकी मां को भी नहीं था और और तो किसी को होना दिया था ।आज माधुरी ने जो शिवा का दर्द महसूस किया था इस दर्द को वह कागज पर उतारने वाली थी
दर्द से मेरा दामन भर दे,
या अल्लाह मुझको पत्थर कर दे।
जाम-ए-जम भी मुझसे छिन जाए,
अगर हंसते-हंसते सब्र कर लूं।
यह लिखते लिखते ही माधुरी के सामने शिवा का मासूम चेहरा आ जाता है और वह उसकी आंखों में खो जाती है ।
माधुरी का मन कह रहा थी शिव जैसा खुद को दिखाता है वैसा वह है नहीं और अव्यांश जैसा है वह वैसा नहीं है पर इन दोनों के बारे में सोच कर माधुरी का दिमाग खराब होने लगा था ।उसे समझ🤔🤔 में नहीं आ रही थी वह करें तो क्या करें!
दोनों ही बहुत अजीब थे सोचते सोचते माधुरी की आंख लग जाती है और जब उसकी आंख खुलती है तो दिन ढल चुका था और रंग महल अपने रंग में आ चुका था।
चारों तरफ चमचमाती लाइटें और चहल पहल बता रही थी कि रंग महल का बाजार अब लग चुका था ।
माधुरी को घबराहट हो रही थी तभी अव्यांश और शिवा दोनों माधुरी को सामने से उसके कमरे की तरफ आते हुए दिखाई देते हैं ।अव्यांश आते ही माधुरी को कहता है ,"जल्द से तैयार हो जाओ हम तीनों को बाहर जाना है।"
माधुरी अव्यांश की बात सुनकर हैरान हो जाती है उसे समझ में नहीं आता कि वह किस तरीके से उसे बात कर रहा है। उसे ऐसे लग रहा था जैसे वो उसे बरसों से जानता है और बड़ी बेफिक्री अंदाज में उसे हुकुम दे रहा है।
माधुरी शिवा की तरफ सवालिया नजरों से देखते हैं पर शिवा कोई जवाब नहीं देता ।उसकी चुप्पी उसे अब डराने लगी थी एक ही मुलाकात के बाद माधुरी जैसे शिव पर अपना दिल हारने लगी हो!
शिवा का रूखापन देखकर माधुरी का दिल बहुत दुखता था और माधुरी को समझ में नहीं आ रही थी वह करें तो क्या करें !किस तरह से वह शिव से बात करें ऐसे ही सोच सोचते माधुरी काफी देर तक खड़ी रहती है तो अव्यांश बोला," हेलो मैं तुम्हें जल्दी तैयार होने के लिए कहा है यहां खड़े रहने के लिए नहीं तो जल्दी से तैयार हो जाओ और कुछ सिंपल सा पहनना ताकि हम बाजार में जाए तो कार्टून ना लगे ।"
अव्यांश ऐसे बोलता है तो शिव उसे खा जाने वाली नजरों से देखता है तो वो अपने मुंह पर हाथ रख लेता है और माधुरी चुपचाप जाकर अपने कमरे में जो अलमारी पड़ी थी उसमें से कपड़े निकाल कर पहनती है और सिंपल सा सूट पहनकर तैयार हो जाती है जैसे ही उन दोनों के साथ हाल में से निकल कर जाने लगती है तो हिना आवाज देते हुए कहती है," यह किस तरह के कपड़े पहने हैं तुमने?"
अव्यांश कहता है ," मैंने कहा है कि हमारे साथ बाहर जा रही है तो बाजार में और रंग-बिरंगे कपड़े अच्छे नहीं लगता हैं ठीक है ले जाओ पर वक्त से वापस ले आना !"
तो वो कहता है ,"हमें याद दिलाने की जरूरत नहीं है !"
हिना ताई को यह दोनों लड़के बहुत अजीब लगते हैं तो वह अपने एक आदमी को कहती है ,"इन पर नजर रखना यह जरूर कुछ ना कुछ कांड करेंगे !"
तो अयास कहता है ,"चिंता मत करो यह यहां पर कुछ नहीं कर सकते और बैठे-बैठे हिना इन दोनों के बारे में सोचने लगती है ।
उधर तीनों शिवा की गाड़ी लेकर समंदर की तरफ निकल जाते हैं जैसे ही वह समंदर की तरफ जाते हैं तो माधुरी के दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं क्योंकि उसे बचपन से ही समंदर से बहुत प्यार था और आज वह समंदर को देखने के लिए जा रही थी ।
रात के अंधेरे में समंदर किनारे पर लहरें भी बहुत शोर कर रही थी और उस शोर को सुनकर अच्छा भला इंसान भी डर जाए ।लेकिन माधुरी को तो जैसे पूरी दुनिया जहां की खुशियां मिल गई हो ।
वह इस तरह से समंदर के किनारे दौड़ लगा रही थी अब यहां से शिव वहां पर बैठे हुए उसे देख रहे थे तभी अव्यांश उसे आवाज देकर कहता है," ज्यादा गहराई में मत जाना वरना डूब जाओगी और तुम्हें तैरना भी नहीं आता होगा!"
तो माधुरी कहती है ,"फ़िक्र मत करो मैं आगे नहीं जाऊंगी!"
शिवा और अवि दोनों बातें कर रहे थे कि तभी माधुरी के चिल्लाने की आवाज आती है तो शिव देखता है माधुरी डूब रही थी माधुरी को इस तरह से डूब के देख उसका दिल बैठने लगता है और वह सब कुछ वही छोड़कर दौड़ लगाता है और समंदर में कूद जाता है।
जैसे ही शिवा माधुरी के पास पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि माधुरी का पर दलदल में फस गया है।बहुत कोशिश करने के बाद भी वह निकल नहीं पा रही है और वह अंदर धसती चले जा रही है तो शिव अव्यांश को हाथ हिलाकर इशारा करता है और अव्यांश जैसे ही पास आता है तो शिव उसे रस्सी गाड़ी में से लाकर फेंकने के लिए कहता है ।
अव्यांश रस्सी लाता है और पीछे पड़े बड़े सारे पत्थर से रस्सी को बांधता है और शिव की तरफ फेंक देता है। शिव उसे रस्सी को लेकर माधुरी की कमर से बांध देता है और फिर उसे रस्सी को खींचने लगता है। अव्यांश और शिवा दोनों मिलकर जोर लगाते हैं उसे रस्सी को खींच लेते हैं यह रस्सी शिवा हमेशा अपनी गाड़ी के अंदर रखता था।
शिवा से टकरा कर उसके करीब जाकर क्या माधुरी दूर हो पाएगी??
आप लोग कॉमेंट में बताना कि क्या कहानी में शिवा के साथ साथ अव्यान्श की लव स्टोरी भी होनी चाहिए🙏🙏
बाकी कहानी अगले भाग में...
आपकी अदिति जैन
वह इशारे से माधुरी को कमरे में रहने के लिए ही कहता है।
शिवा से उतरकर अपने पिता चंदन रामचंदानी से मिलता है और उनसे बातें करता है तो चंदन उसे नाश्ता करने के लिए कहता है तो शिव कहता है," नहीं पापा मैं अभी रूम में हूं थोड़ा सा काम है वह काम करने के बाद ही मैं नाश्ता करके कॉलेज जाऊंगा !"
तो चंदन कहता है ,"ठीक है मैं अभी ऑफिस के लिए निकल रहा हूं थोड़ी देर बाद तुम नाश्ता कर लेना!"
शिवा से बात करने के बाद चंदन पर नाश्ता करता है और तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल जाता है ।उसके बाद शिव माधुरी को लेकर नीचे आता है और उसे नाश्ता करवा कर बाहर आता है और गाड़ी से निकल जाता है ।
रास्ते में वह अव्यांश को फोन कर देता है कि वह भी आ जाए क्योंकि अव्यांश पहले चला गया था ।तीनों रंग महल की तरफ जाते हैं अव्यांश और शिवा माधुरी को रंग महल में छोड़ते हैं और अव्यांश हिना ताई के पास जाता है और कहता है," यह चिड़िया हमारी है और हम हर रोज रात को आएंगे!"
" इसके लिए तो रोज कीमत चुकानी पड़ेगी बाबू!"
तो अव्यांश कहता है," जैसे तुम्हें कल कीमत मिली थी ना वैसे ही रोज तुम्हें कीमत मिलेगी !"
यह सुनकर हिना ताई हंसने लगती है और कहती है ,"क्या बात है बाबू बड़ी पसंद आई है चिड़िया!"
अव्यांश कहता है," तुम्हें तुम्हारे पैसों से मतलब है तुम अपने पैसों से मतलब रखो दूसरे किसी बात से तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए!"
हिना मुस्कुरा कर हां भर देती है माधुरी जो कितना डर रही थी कि उसके साथ पता नहीं क्या होगा !यह लोग क्या करेंगे पर अब वह मशीन थी लेकिन उसके मन में कहीं ना कहीं खौफ था कि कहीं कोई और ना आ जाए और उसकी इज्जत पर दाग न लग जाए। तभी रिकॉर्ड पर एक गाना बजने लगता है
तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो\
आंखों में नमी हंसी लबों पर
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो
बन जाएंगे ज़हर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो
जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चला है
तुम क्यूं उन्हें छेड़े जा रहे हो
रेखाओं का खेल है मुक़द्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो
ये जैसे ही माधुरी के कानो में पड़ा तो उसे लगा जैसे शिवा के दिल में कोई दर्द है इस दर्द के कारण वो इतना चुप चुप रहता है।।
अव्यांश तो कब से भगवान से यही मांग रहा था कि। कब उसका दोस्त इसके साथ पहले की तरह बात करे और उसके अंदर की निराशा और अवसाद निकाल कर बाहर आए ।जिससे कि वह नॉर्मल लाइफ जी सके अव्यांश भी जानता था कि शिवा खुद को अपनी बहन का कातिल मानता था कि वह अपनी बहन के लिए कुछ नहीं कर पाया।
पर सच यह था कि जिस लड़के से शिवा की बहन प्यार करती थी वह लड़का देखने में कितना सीधा था उतना सीधा नहीं था और वह पहले भी बहुत सारे लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर चुका था और शिवा के पिता ने यह सारी जांच पड़ताल करने के बाद ही इस रिश्ते से मना किया था ।
लेकिन उस वक्त शिवा की बहन पर प्यार का जुनून सवार था जिस चक्कर में उसने अपनी जिंदगी खत्म कर ली और शिवा इस गलतफहमी में आज तक जी रहा था कि उसकी बहन की मौत उसकी वजह से हुई है ।
क्योंकि वह अपनी बहन के लिए कुछ कर नहीं पाया और कुछ उसे उसकी बहन के लास्ट वक्त में कहे हुए शब्द याद आते थे तो वह अंदर से तड़प उठता था ।
पर आज जब शिवा माधुरी पर गुस्सा करने लगा तो अव्यांश को लगा कि शायद अब धीरे-धीरे उसका शिवा उस अवसाद से बाहर निकल रहा है ।
जिसके कारण वह इतना डिप्रेस्ड रहता था ।बीच पर उनको बहुत देर हो गई थी इसके बाद वह तीनों शिवा के घर चले जाते हैं और फिर अव्यांश खाना लेकर कमरे में जाता है तीनों खाना खाते हैं और बातें करने लगते हैं। अब तक माधुरी भी काफी सहज हो गई थी उन लोगों के साथ .....
माधुरी को इन लोगों के साथ रहने में अच्छा लगता था वह अपने आप को सेफ महसूस करती थी। उसको लगता था जैसे वह अपने सच्चे दोस्तों के साथ वक्त बिता रही है ।पर वह यह भी जानती थी कि सिर्फ एक सुंदर सपना है जिसका अंत भी काल्पनिक ही होगा ।पर उसकी कल्पना के हिसाब से नहीं यह अंत सिर्फ शिवा और अव्यांश के चाहने से ही होगा ।वह जैसे चाहेंगे वैसे करेंगे।
एकदम से शिवा ने माधुरी को पूछा ,"तुम आगे क्या करना चाहती हो ??"माधुरी शिवा का सवाल सुनकर हैरान हो गई पर फिर बोली," मैं एक शांति और सुकून भरी जिंदगी जीना चाहती हूं।यह चमक दमक ....यह रंग बिरंगी जिंदगी मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है !मेरा दम घुटता है वहां 😔😔😔पर काश मैं रंग महल छोड़ पाती !"
तो शिव कुछ नहीं बोलता अव्यांश उसका मुंह देख रहा था कि शिवा का आगे क्या रिएक्शन होगा? आधी से ज्यादा रात गुजर चुकी थी तब अव्यांश ने कहा," माधुरी तुम सो जाओ सुबह तुम्हें वापस रंग महल भी वापस जाना है ।"
और शिव को अव्यांश बाहर बुलाता हैऔर कहता है," बाहर आ ...कुछ बात करनी है !"
जैसे ही शिवा कमरे का गेट बंद करके बाहर जाता है तो अव्यांश उसे वहीं पर खड़ा हुआ नजर आता है.अव्यांश कहता है ,"कब तक इसको इसी तरह रात को लाते रहेंगे और कब तक तू इस तरह पैसा उडाता रहेगा !कुछ सोचा भी है आगे का तूने .....अगर तेरे पापा को पता चल गया कि इन कामों में पैसे बर्बाद कर रहा है तो सोच घर में बवाल खड़ा हो जाएगा और तू अच्छी तरह से जानता है तेरे पापा की नेचर को!"
शिवा कहता है ,"मैं जानता हूं लेकिन मैंने आगे का सोच लिया है कि मुझे क्या करना है और पहले मैं इसके मन की बात जानूंगा!इसके लिए अभी मुझे इसके बारे में बहुत कुछ जानना है उसके बाद ही मैं कुछ फैसला ले पाऊंगा ।"
उसकी बात सुनकर टेंशन में आ जाता है और वह कहता है," शिव तुम जानते हो ना कि अभी हमारे पास उसे हिना को देने के लिए पैसे नहीं है 😔😔!"
तो शिव कहता है ,"तू उसका मत सोच उसका इंतजाम मैंने कर लिया है ।"
अव्यांश कहता है ,"क्या इंतजाम कर लिया है !"
शिवा कहता है," मैंने अपनी ब्रांडेड घड़ी बेचदी है और तू तो जानता ही है मेरी घड़ी कितने में हीरे थे उसके आराम से मुझे 8-10 लाख मिल गए और मैं तीन मीटिंग तक की पैसों का तो जुगाड़ कर लिया है। बाकी आगे की बाद में सोचेंगे ....."
माधुरी गेट के पीछे खड़ी उनकी सारी बातें सुन रही थी माधुरी को यह समझ में नहीं आ रहा कि यह लोग उसे पर इतना पैसा क्यों खर्च कर रहे हैं! जब वह लोग उसके साथ कुछ कर ही नहीं रहे हैं उसके साथ सो ही नहीं रहे हैं तो क्यों उसे पर इतना मेहरबान हो रहे हैं ?
माधुरी कुछ नहीं बोली जैसे ही उसे लगा कि शिव कमरे में आने वाला है वह फटाक से जाकर बिस्तर पर लेट जाती है और चादर ओढ़ लेती है। कुछ ही देर में माधुरी को नींद आती है जैसे ही शिवा कमरे में आता है वह देखता है कि माधुरी सो चुकी है तो वह भी निश्चित हो जाता है और वह वहां पर लगे हुए सोफे पर सो जाता है और अव्यांश साथ वाले कमरे में जाकर सो जाता है ।
अव्यांश सुबह उठकर अपने घर चला जाता है और और शिवा नहा धोकर महाकाल बाबा की पूजा करके फ्री होता है और नाश्ता करने के लिए जैसे नीचे जाता है तो सामने उसको उसके पापा कुर्सी पर बैठे नजर आते हैं तो वह कहते हैं ,"आओ शिवा मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा था ऐसे रोज हमारा मिलना होता ही नहीं है और होता है तो सिर्फ नाश्ते की टेबल पर ही होता है🙂🙂 ।"
तो शिवा कहता है ,"हां पापा ....मैं भी कुछ कॉलेज के चक्कर में बिजी चल रहा हूं इसलिए मैं आपको वक्त नहीं दे पाता!"
तो चंदन कहता है ,"कोई बात नहीं बेटा.... कुछ वक्त की बात है उसके बाद तो तुम्हें भी मेरा यह बिजनेस ही संभालना है!"
शिवा कुछ नहीं कहता चुप रहता है तो चंदन उसे कहता है ,"बैठकर नाश्ता कर लो !"
तो शिवा कहता है," नहीं पापा ...अभी मुझे थोड़ा सा काम है उसके बाद में नाश्ता करके सीधा कॉलेज के लिए निकल जाऊंगा ।"
तो चंदन कहता है ,"ठीक है बेटा पर नाश्ता करके जाना भूखे मत जाना !"
और शिव अपने कमरे में आ जाता है जैसे शिव अपने कमरे में एंटर करता है तो सामने से उसे माधुरी बाथरूम में से आई हुई नजर आती है ।जब शिवा ने देखा तो उसे देखता ही रह जाता है। क्योंकि माधुरी बेहद खूबसूरत लग रही थी उसकी मासूमियत उसकी आंखो से झलक रही थी उसने काले रंग का चूड़ीदार पहना हुआ था और उसके बाल गीले थे और वह अपनी मस्ती में ही चलती हुई आ रही थी ।
आते हुए एकदम से शिव से टकरा जाती है जिससे उसके बाल शिवा की शर्ट के बटन में उलझ जाते हैं वह एकदम चिल्लाती है।
शिवा कहता है," रुको ..मैं निकालता हूं शिव निकालने की कोशिश करता है लेकिन वह निकाल नहीं पाता ।क्योंकि वह माधुरी के बालों की खुशबू में ही खो गया था वह महकी महकी सी खुशबू उसको बहुत अच्छी लग रही थी तो माधुरी कहती है ,"हाथ हटाइए .....मुझे निकालने दीजिए 😔😔!मुझे बहुत दर्द हो रहा है !"
तो माधुरी जैसे तैसे करके अपने बाल निकालती है और कहती है ,"यह लंबे बाल होना भी एक मुसीबत ही है मेरा बस चले तो मैं तो उनको कटवा ही दूं ! यह हिना ताई मुझे बाल भी कटवाने नहीं देते उसको मेरे लंबे बालों से बड़ा प्यार है ।"
तो शिवा उसकी बातें सुनकर मुस्कराने 🙂🙂लगता है और कहता है ,"लंबे बाल तो मुझे बहुत पसंद है !"
माधुरी कहती है," कुछ कहा आपने ...?"तो शिवा हड़बड़ाते हुए कहता है," कुछ नहीं ...मैं तो कुछ नहीं बोला !"
और वह अपनी स्टडी टेबल पर चला जाता है और वहां से किताबें उठाकर बैग में डालता है और माधुरी को कहता है," तुम तैयार हो तो चलो मैं तुम्हें भी रंग महल छोड़कर फिर कॉलेज निकल जाऊंगा।"
माधुरी कुछ नहीं बोलती और वही खड़ी रहती है। शिवा जब अपना बैग रेडी कर लेता है और जाने लगता है तो माधुरी उसके पीछे-पीछे हो लेती है। शिव खुद नाश्ता करता है और माधुरी को भी नाश्ता करवाता है और फिर दोनों निकल जाते हैं।
रास्ते में अव्यांश शिव के साथ उसकी गाड़ी में बैठ जाता है और बोला,"यार... एक प्रॉब्लम हो गई है पापा को पता चल गया है कि हम रात को रंग महल जाते हैं !"
तो शिवा कहता है ,"बताया होगा पापा को तूने!"
तो अव्यांश कहता है ,,"नहीं ....मैं नहीं बताया वह दो दिन से मैं रोज घर नहीं जा रहा तो पापा ने कल मेरे फोन पर ट्रैक्रर लगाया था इससे उनको पता पड़ गया कि हम कहां पर है ?"
,"यह तो तूने सच में सियापा आप ही खड़ा कर दिया ।"शिवा गुस्सा करते हुए कहता है तो अव्यांश बोला," वैसे तो कोई चिंता की बात नहीं है तू चिल कर मैंने पापा को बोल दिया है कि कॉलेज की तरफ से एक सर्वे के लिए हमें भेजा गया है और आप तो जानते हैं कि रंग महल में अक्सर रात के समय ही रौनक होती है और रात के समय ही हम लोग वहां पर जाकर सर्वे कर सकते हैं।" तो शिवा उसे हंसते😀😀 हुए कहता है है ,"है तो तू एक कमीनी चीज साले अपने बाप को ही तू पागल बना रहा है तो जानता है ना तेरा बाप डीजीपी है।"
तो अव्यांश कहता है," तू फिक्र मत कर मेरे बाप को गिलास में उतारना मुझे अच्छे से आता है।" माधुरी उन दोनों की बातें सुन रही थी और मुस्कुरा रही थी तभी वह लोग रंग महल पहुंच जाते हैं और माधुरी जैसे ही गाड़ी से नीचे उतरती है तो शिव उसे कहता है ,"अपना ध्यान रखना मैं शाम को वापस आऊंगा ।"
माधुरी कुछ नहीं बोलती और चुपचाप चली जाती है जैसे ही माधुरी हाल में से होकर अपने कमरे में जाने लगती है तो हिना उसे आवाज देते हुए कहती है ,"आ गई मेरी जादू की पुड़िया ..!"
पर माधुरी कोई जवाब नहीं देती तो हिना उसे बुलाते हुए कहती है ,"ए लड़की मैं तेरे को ही आवाज दे रही हूं।"
तो माधुरी कहती है ,"इतना प्यार से बात करने का कारण मैं पूछ सकती हूं जान सकती हूं कि अब क्या स्वार्थ है क्या इच्छा है आपकी ...?"
तो हिना उसे कहती है," मेरी कोई इच्छा नहीं है मेरी इच्छा तो पूरी कर चुकी है फिर नाथ उतरवाई तो तेरी हो चुकी है अब मुझे क्या चाहिए बस मुझे तो मेरे रोकड़े से मतलब है जो मुझे रोज मिल जाता है ।"
माधुरी गुस्से में तन्तनाती हुई अपने कमरे में चली जाती है और जाकर चाय बनाती है चाय पीकर वह बिस्तर पर बैठ जाती है जैसे ही वह बिस्तर पर लेटती है तो रात की बातें उसके दिमाग में घूमने लगती है।
तभी उसका दरवाजा खुलता है तो देखती है कि सामने उसकी खास सहेली बानो खड़ी थी बानो को देखते ही माधुरी मुंह बना लेती है और कहती है ,"आज तुझे फुर्सत मिली है मुझसे बात करने की मुझसे मिलने की...!"
तो बानो कान पकड़ते हुए कहती है ,"माफ कर दे मेरी जान तुझे तो पता है यह हिना ताई कैसी है?? सारा दिन तो धंधे में लगाए रखती है बड़ी मुश्किल से आंख बचाकर तेरे से मिलने आई हु और तू है कि नाटक कर रही है ।"
यह सुनकर माधुरी हंसने लगती है और कहती है ,"मैं जानती हूं तो कौन सा नजर बचा कर आई है तू तो हिना ताई को चकमा देकर आई है।"
तो बानो बोलती है ,"किसी तरह एक दिन ऐसे ही चकमा देकर मैं इस रंग महल से निकल जाऊंगी और साथ में तुझे भी ले जाऊंगी !"
तो माधुरी कहती है," तू जानती है ना रंग महल से निकलने का मतलब मौत को दावत देना है!"
तो बानो उदासी से बोली," मौत से बुरी जिंदगी यहां जी रहे हैं मौत आ जाएगी तो कम से कम सुकून तो रहेगा।"
यह सुनकर माधुरी उसकी आंखों में एक सुना पन देती है माधुरी कहती है ,"क्या बात है बानो आज तो कुछ ज्यादा ही परेशान लग रही है ।"
तो बानो कहती है ,"कुछ नहीं यार ...रोज की चिक चिक का है कोई फर्क नहीं पड़ता ।"दोनों बातें ही कर रही होती है कि तभी सामने से लाल पीली होती हुई हिना आती है और बानो पर चिल्लाते हुए कहती है," धंधे के टाइम में आकर तो यहां बातें कर रही है बातें करने के लिए पूरी जिंदगी पूरी अभी जाकर धंधे पर ध्यान दे बहुत वक्त हो गया था माधुरी से मिले हुए... तो बस 10 मिनट बात करके फिर चली जाऊंगी।"
हिना रहती है ,"ठीक है लेकिन 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए वरना तो जानती है मैं कयास को भेज दूंगी ।"
"मैं जानती हूं ।"जैसे ही बानो ने कयास का नाम सुना तो उसके चेहरे पर एक डर की लहर आ गई थी जिसे माधुरी ने भांप लिया था लेकिन उसे वक्त माधुरी कुछ नहीं बोली और बानो ऐसे इधर-उधर की बातें करते हैं उसे 10 मिनट बाद चले जाती है।।
माधुरी का तो पता नहीं क्या होगा क्या शिवा के साथ उसके सपने सजेंगे साथ ही क्या बानो की जिंदगी में
भी कोई आने वाला है आप लोग बताइए क्या एक नई लव स्टोरी के तैयार है ??
अव्यांश रस्सी लाता है और पीछे पड़े बड़े सारे पत्थर से रस्सी को बांधता है और शिव की तरफ फेंक देता है। शिव उसे रस्सी को लेकर माधुरी की कमर से बांध देता है और फिर उसे रस्सी को खींचने लगता है। अव्यांश और शिवा दोनों मिलकर जोर लगाते हैं उसे रस्सी को खींच लेते हैं यह रस्सी शिवा हमेशा अपनी गाड़ी के अंदर रखता था।
अब आगे.....
गाड़ी में रस्सी इमरजेंसी के लिए रखी जाती है। वैसे तो गाड़ियों में बहुत सारा सामान रखा जाता है जो जरूरत का होता है या लगता है कि कभी जरुरत पड़ जाएगी।
क्योंकि शिवा एडवेंचर पर जाता रहता था और वहां पर उसको रस्सी की जरूरत पड़ती थी शिवा दिखने में जितना शांत दिखता था अंदर से उसके अंदर इतनी ज्यादा उथल पुथल मची रहती थी ।
वह बहुत कम बोलता था एक अव्यांश था जिससे वह अपने मन की बात करता था और अब कई बार तो वो उसे बिना बोले ही समझ जाता था। लेकिन आज जब शिवा ने माधुरी को समंदर में डूबते देखा तो उसकी जान हलक में आ गई थी।
उसे समझ में नहीं आता कि उसे ऐसा क्यों महसूस हो रहा था जैसे ही कोई उसकी जान निकाल कर ले जा रहा हो।
अव्यांश भी हैरान था कि शिवा कैसे एकदम से उठकर माधुरी की मदद करने के लिए गया।जब शिवा ने माधुरी को डूबते देखा उस वक्त वो गुस्से में किसी डेविल से कम नहीं लग रहा था ।क्योंकि वो खुद तो कभी भी किसी की मदद करने के लिए आगे नहीं जाता बल्कि दूसरों को ही भेजता है। यह सोचकर अव्यांश थोड़ा सा परेशान था।
लेकिन वो कहीं ना कहीं यह मान रहा था कि शिवा का झुकाव माधुरी की तरफ होने लगा है इसलिए वह उसकी केयर करने लगा है।
शिवा जो कभी बोलता नहीं था बहुत कम बात करता था अपने दिल की बात किसी को बताता नहीं था
आज वही शिव बदला बदला नजर आ रहा था अव्यांश बहुत खुश था कि शिवा की जिंदगी में बदलाव आ रहा है।
क्योंकि शिवा से उसके पिता भी परेशान थे शिवा का कम बोलना उन्हें बहुत लखाता था।
यही शिवा जो आज से 2 साल पहले तक एक्चुअल में खुश मिजाज और मस्त मौला लड़का था। लेकिन दो सालों में उसके साथ इतना कुछ हो गया कि वह हंसना ही भूल गया हंसी तो जैसे उसके चेहरे से गायब ही हो गई थी।
2 साल पहले शिवा की मुस्कुराहट उसके होठों से छीन ली गई थी और यह मुस्कुराहट छीनने वाला कोई और नहीं खुद उसके पिता थे।
शिवा की एक बहन थी संजना... संजना अपने शिवा भैया से और शिवा संजना से बहुत ज्यादा प्यार करता था ।संजना भी अपने भाई पर जान देती थी।
संजना एक लड़के से प्यार करती थी लेकिन वह लड़का गरीब था और कोई काम नहीं करता था। दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते थे।
जब संजना के रिश्ते आने लगे तो उसके पिता ने संजना के लिए एक लड़का पसंद किया और जब संजना को बताया तो संजना ने कहा," कि पापा मैं एक लड़के से प्यार करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं।"
तो उसके पिता ने कहा," मैं भी मिलना चाहूंगा उस लड़के से ...जो तुमने पसंद किया है !"
संजना जिस लड़के को प्यार करती थी वह उसे अपने पापा से मिलने के लिए बुलाती है ।लेकिन चंदन को यह पता चलता है यह लड़का कुछ काम नहीं करता है और संजना सिर्फ ख्वाबों के सहारे जिंदगी बिताना चाहती है तो चंदन साफ मना कर देता है ," मैं इस लड़के से तुम्हारी शादी कभी नहीं करूंगा क्योंकि ना तुझे लड़का तुम्हें खिला सकता है और ना ही तुम्हारा शौक पूरे कर सकता है ।"
यह सुनकर संजना गुस्से में कहती है," अगर मैं शादी करूंगी तो इस से ही करूंगी वरना मैं शादी ही नहीं करूंगी!"
तो चंदन कहता है ,"ठीक है... मत करो मैं सिर्फ 6 महीने का वक्त देता हूं अगर 6 महीने में यह लड़का तुम्हें रोटी कमाने जितने भी पैसे कमा कर बता देता है तो मैं इस लड़के से तुम्हारी शादी कर दूंगा वरना तुम्हें फिर वहां शादी करनी होगी जहां मैं कहूंगा।"
तो संजना बोली," ठीक है यह आपकी शर्त पूरी करेगा अगर इसे शायद पूरी नहीं कर पाया तो आप जहां कहेंगे मैं वहीं पर शादी करूंगी।"
यह कहने के बाद वह लड़का चला जाता है और संजना भी 6 महीने तक उसे नहीं मिलती है।
6 महीने बाद जब संजना उसे लड़के को फोन मिलती है तो पता चलता है कि वह लड़का तो धोखेबाज था और सिर्फ इस्तेमाल करना चाहता था।
इसी गम में संजना डिप्रेशन में चली जाती है और उसकी तबीयत खराब रहने लगती है पागल हो जाती है और बाद में सुसाइड कर लेती है। संजना ने शिवा को यही बताया था कि वह लड़का बहुत अच्छा है और उसे बहुत प्यार करता है ।क्या होता अगर पापा उसे अपनी कंपनी में जॉब दे देते और हम दोनों की शादी कर देते तो!
लेकिन पापा को तो सिर्फ अपना पैसा ही प्यारा है अपने बच्चे नहीं... शिव उसे बहुत समझाता है। लेकिन संजना को समझ में नहीं आता है लेकिन जब संजना पागलपन में मौत को अपना लेती है और मरने से पहले भी यही कह कर जाती है ,"भईया ... मेरे मरने का कारण हमारे पापा ही हैं मैं उसे लड़के से बहुत प्यार करती हूं और मैं उसके बिना नहीं जी सकती!"
यह सुनकर शिवा का अपने पापा पर से विश्वास उठ जाता है संजना की मौत के बाद वह लड़का भी शिवा के घर पर आकर खड़ा हो जाता है और संजना के पापा पर पुलिस केस कर देता है कि इन्होंने संजना का मर्डर किया है।
लेकिन चंदन ने पैसे के दम पर यह केस बंद कर दिया था क्योंकि अगर संजना के मरने की बात बाहर जाती तो उसके इज्जत पर बात बन आनी थी। इसलिए उसने यह केस दबा दिया था शिव को यही लगता था कि उसने अपनी बहन को अपनी लाइफ की दौलत माना था।
इसलिए शिवा अंदर से टूट गया था कि घर में कोई और ऐसा नहीं था जिससे शिव बात करता था। क्योंकि शिवा की मां तो बचपन में ही मर गई थी और उसके पिता को तो वक्त ही नहीं था उससे बात करने के लिए ....यह दोनों भाई बहन ही थे जो एक दूसरे से मन की बातें कर लेते थे।
लेकिन अब संजना के जाने के बाद शिवा बिल्कुल अकेला पड़ गया था और इस अकेलेपन को ही शिव ने अपना साथी बना लिया था ।
शिवा का वह चुलबुला पन और मासूमियत दोनों ही खो गई थी इसलिए अब शिव चुपचाप रहता था। अव्यांश इस बात को बहुत अच्छी तरह जानता था कि शिवा किस हालात से गुजर रहा है?? शिव के मन पर क्या बीत रही है अकेलापन शिव को अंदर के अंदर खाए जा रहा था ।
इसलिए शिवा ने एडवेंचर्स को अपनी जिंदगी बना लिया था वह हर थोडे थोड़े दिन में बाहर घूमने के लिए चले जाता था ।
पढ़ाई में इंटेलिजेंट होने के कारण वह अपना सारा कोर्स भी जल्दी कंप्लीट कर लेता था लेकिन अब जब शिवा माधुरी से मिला तो उसे एहसास हुआ कि जिंदगी कितनी कीमती है और किसी एक के चले जाने से जिंदगी नहीं रुकती।
माधुरी को समंदर से निकलने के बाद जब वह दोनों उसे। समंदर के किनारे जमीन पर लेटा देते हैं तो उसे वक्त तो वो बेहोश होती है क्योंकि उसके पेट में काफी सारा पानी चला जाता है।
तब शिवा को कुछ समझ में नहीं आती है तब अव्यांश उसे हिलाता हुआ कहता है," इसको उल्टी करा और इसकी पेट को दबा ताकि इसके पेट से पानी निकले। इसके पेट में पानी चला गया है नहीं तो इस अस्पताल लेकर जाना पड़ेगा।"
तो शिवा जल्दी से उसको उल्टी करता है और उसके पेट को दबाता है जिससे उसके पेट से सारा खारा पानी निकल जाता है और 5-7 मिनट में उसे होश आ जाता है ।
तो शिव उसे चिल्लाते हुए कहता है ,"मना करा था तुम्हें... की गहराई में मत जाना अगर मैं तुम्हें नहीं देखता तो तुम अभी जिंदा नहीं होती वहीं दलदल में डालकर मर जाती !"
तो माधुरी डर के मारे कुछ नहीं बोल पाती कुछ देर तक शिवा की डांट सुनती रहती है और अव्यांश इन दोनों को इस तरह देखकर अंदर ही अंदर बहुत खुश होता है कि शिवा का गुस्सा निकाल कर बाहर आ रहा है और वह अब बोलने भी लगा है अपने मन की बात कहने लगा है।।
बाकी कहानी अगले भाग में..
क्या होगा दोनो की लव स्टोरी का
अदिति राही
माधुरी उसको देखते हुए वह भी यही सोचती है वह अपने ख्यालों में गुम हो जाती है कि अगर उसकी मां जिंदा होती तो वह अपनी मां के साथ आज आराम की जिंदगी गुजर रही होती और वह जिंदगी में उसकी कोई इज्जत भी होती है ।आज किस्मत ने उसे रंग महल पहुंचा दिया आगे पता नहीं उसकी किस्मत उसको कहां लेकर जाएगी??
अब आगे...
बानो की बातें सुनते-सुनते माधुरी खो जाती है बानो बहुत देर तक बोलती रहती है लेकिन जैसे माधुरी उसकी बात का रिप्लाई नहीं करती तो बानो इसका कंधा पकड़ कर उसको हिलाते हुए कहती है ,"अरे कहां खो गई सपनों की शहजादी ....जब देखो जब सपनों में खोई रहती है ,,मैं क्या-क्या बोले जा रही हूं और तुम्हें कोई मतलब ही नहीं है...!"
माधुरी एकदम से पलट कर उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है," अरे नहीं ,नहीं... कुछ नहीं... मैं कुछ सोच रही थी कि अगर हम रंग महल में नहीं होते तो कहां होते ??और हमारी जिंदगी कैसी होती??"
तो बानो बोली,"सपने देखना छोड़ दे हमारी असलियत रंग महल ही है ,वही हमारी जिंदगी है,, और वही हमारा सब कुछ है !पर हां अगर मौका मिला तो मैं जरूर रंग में छोड़कर भाग जाऊंगी वो भी तुझे साथ ले के ।"
अव्यांश दरवाजे के पास खड़ा उन दोनों की बातें सुन रहा था वह बानो की मासूमियत भरी बातें सुनकर मुस्कुराता है ।तभी बानो की नजर दरवाजे पर जाती है तो वह देखती है ,"अव्यांश वहां खड़ा उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था तो वह चुप हो जाती है और अपनी नज़रें नीचे कर लेती है।
शिवा सबके लिए खाना लेकर आ जाता है और सब बातें करते हुए खाना खाने लगते हैं ।अव्यांश के नजर लगातार बानो के ऊपर थी ,वह बानो को घूरे जा रहा था ,,बानो को इस तरह बोलते हुए देखकर माधुरी अव्यांश से बोली ,"ऐसे क्या देख रहे हो मेरी सहेली को...कभी लड़की देखी नहीं क्या ??"
तो अव्यांश कहता है ,"लड़कियां तो बहुत देखी है पर मासूमियत नहीं देखी।"
माधुरी हंसकर रहती है ,"ऐसी मासूमियत कहीं देखने पर मिलेगी भी नहीं.... यह मासूमियत सिर्फ हमारी बानो का गहना है ।"
अव्यांश उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देता है और तिरछी नजर से बानो को देखता है। बानो जो कि अभी तक अव्यांश को देख रही थी उसके एकदम से देखने से अपनी नजर नीचे कर देती है और शर्मा जाती है।
अव्यांश उन तीनों को छोड़कर कमरे के बाहर चला जाता है क्योंकि उसे वहां पर अब हिचकिचाहट महसूस हो रही थी इसलिए उससे बैठा नहीं जा रहा था ।
बानो की नजरे उसी पर थी तो वह उन नजरों का सामना नहीं कर पा रहा था और वह भी बानो से बात तो करना चाहता था लेकिन एक ही चाहत उन दोनों के बीच में थी।
बानो को पहली बार देखते ही अभ्यास के दिल ने जोर-जोर से धड़कना शुरू कर दिया था और उसके दिल ने उसे सिग्नल दे दिया था कि उसे बानो से प्यार हो गया है ।
लेकिन अव्यांश का दिमाग की बात मानने को तैयार नहीं था ।क्योंकि वह जानता था अगर इस बात के बारे में उसके बाप को पता चला तो वह बानो को जिंदा नहीं छोड़ेगा।उसका डी जी पी बाप सिर्फ पैसों का सगा था और प्यार व्यार उसके लिए बकवास थी।वो अव्यांश की शादी एक बड़े घर में जिससे उसका स्टेटस बढ़े और पैसा भी आए और बानो वो तो रंगमहल की रौनक ...सवाल ही नहीं उठता कि वो उसे ओर बानो की शादी अगर वो दोनों करते है को स्वीकार कर लेगा ।वो उस हालत में अपने गुस्से में सब बर्बाद कर देगा। इसलिए अव्यांश अपने दिल को काबू में करना चाहता था।
लेकिन अब तो अव्यांश को बानो से प्यार हो गया था पर रोज-रोज मिलने के लिए पैसे चाहिए थे वह पैसे कहां से आएंगे ??एक हद तक तो कहीं से भी पैसों का जुगाड़ किया जा सकता था ,लेकिन रोज-रोज हजारों लाखों की तादाद में लगने वाला पैसा कहां से लाया जाए !
यह बात सोचकर अव्यांश बहुत परेशान हो रहा था उस को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?? इसलिए उन दोनों को छोड़कर कमरे के बाहर आ गया था और वह उनसे नजरे नहीं मिल पा रहा था ।इसका कारण यह भी था कि उसके दिमाग में यह बात थी कि अगर वह बानो के लिए कुछ नहीं कर पाया तो जिंदगी भर उसे उसके लिए मलाल रहेगा और वह बानो के बिना अब नहीं रह पाएगा ।
शिवा बिना कुछ बोले चुपचाप खाना खा रहा था माधुरी और बानो दोनों बातें कर जा रही थी शिव चुपचाप खाना खाते हुए उनकी बातें सुन भी रहा था ,लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था ।
खाना खाते-खाते शिवा बीच-बीच में माधुरी को देख रहा था आज माधुरी बिना किसी मेकअप के एक सादे से सूट में भी कहर ढा रही थी।
माधुरी के लंबे बाल और चेहरे पर आई हुई लटें शिवा का दिल धड़का रही थी ।शिवा ने जल्दी से खाना खत्म किया और उन दोनों को बोला ,"बहुत रात हो गई है ,तुम दोनों सो जाओ ।मैं दूसरे कमरे में जा रहा हूं और अब यहां अभी अपने घर चला जाएगा ।"
तो शिवा कहता है," हां ...क्यों क्या हुआ?"
तो बानो बोली," नहीं, कुछ नहीं ...मैं तो ऐसे ही बोला।"
शिवा उसे देखकर हल्का सा मुस्कुरा देता है और वहां से चला जाता है। माधुरी और बानो दोनों बातें करते-करते अपने भविष्य के बारे में फिक्र करने लगते हैं तो दोनों को समझ में नहीं आता कि उन दोनों का क्या होगा??
उधर हिना ताई को भी नींद नहीं आ रही थी। क्योंकि उसे लग रहा था कि अब उसके रंग महल के दिन पूरे होने वाले हैं, बहुत सोचने के बाद एक फैसला करती है लेकिन वह इस फैसले के बारे में भी किसी को नहीं बताती । वो दिन चढ़ने का इंतजार करती है ।
उधर दोनों बातें करते-करती कब नींद क्या गोश्त में चली जाती हैं ना ही बानो का पता चलता है रोज की तरह शिवा काम करते-करते अपनी रात निकाल देता है और अव्यांश घर नहीं जाता बल्कि वहां हाल में बैठे-बैठे ही अपना वक्त गुजार देता है।
जब सुबह शिवा के पापा नाश्ते के टेबल पर आते हैं तो वह अव्यांश को वहां बैठा देखकर हैरान होते हैं और उसे कहते हैं ,"तुम रात को घर नहीं गए... तुम्हारे पापा परेशान हो रहे होंगे !"
तो अव्यांश जो की हल्की सी झपकी ले रहा था उनकी आवाज सुनकर एकदम उठता है और बोलता है ,"नहीं अंकल ...मैं रात को ही पापा को मैसेज कर दिया था कि मैं घर नहीं आऊंगा ।मैं आज शिव के साथ ही रहूंगा। शिव अपने कमरे में पढ़ रहा था और मैं भी पढ़ाई करते-करते कॉफी पीने के लिए आ गया था ,मेरी कब आंख लग गई मुझे खुद को ही पता नहीं चला।"
तो चंदन कहता है ,"कोई बात नहीं तुम अब जाओ पर मुंह धोकर आ जाओ और मेरे साथ नाश्ता कर लो ,फिर तुम अपने घर चले जाना ।"
तो अव्यांश कहता है," हां अंकल ,वैसे भी बहुत भूख लग रही है क्योंकि रात को भी मैं ढंग से खाना नहीं खाया था ।"
तो अव्यांश जाता है और मुंह धोकर चंदन के साथ टेबल पर बैठकर नाश्ता करने लगता है। शिवा जो रात भर सोया नहीं था और आज उसकी अभी तक आंख नहीं खुली थी ।
चंदन शिवा का इंतजार कर रहा था तो अव्यांश को कहता है," लगता है तेरा दोस्त पूरी रात ही पढ़ रहा था जो अब तक सो रहा है ।"
अव्यांश कहता है ,"हां ,कल मैं जाकर उसको उठाता हूं नहीं तो कॉलेज के लिए भी लेट हो जाएंगे।"
तो चंदन हंसने लगता है और कहता है ,"हां ठीक है ,पर पहले तुम नाश्ता करो फिर चले जाना ।"
दोनों नाश्ता करते हैं और उसके बाद चंदन अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है और जाते हुए अव्यांश को बोलता जाता है कि उसको उठा लेना और कॉलेज के लिए तैयार होने के लिए कह देना और बोल देना कि शाम को दोनों कर साथ में बैठकर चेस खेलेंगे। अव्यांश हां में सर हिला देता है और उठकर शिवा के कमरे की ओर चला जाता है और जाकर देखा है तो शिवा किताब पर सर रख कर सो रहा था तो अव्यांश जाकर शिव को उठाता है और बोला," बहुत लेट हो गया है ,उन दोनों को भी तो छोड़ना है ।"
तो शिवा एक झटके से आंख खोलता है और कहता है ,"अरे यार ...बहुत लेट हो गया ,पापा ही चले गए होंगे और तो आज मेरी पूजा भी रह जाएगी।"
तो अव्यांश कहता है," सब कुछ छोड़ जाकर नहा और अपनी पूजा कर, फिर उन दोनों को छोड़ने भी जाना है और फिर हम दोनों कॉलेज जाएंगे। जब तक तू नहा कर आता है तब तक मैं यह तेरी किताब सही से रख देता हूं यह नोट्स जो तुमने बनाए ,तेरे बैग में डाल देता हूं फिर मैं भी घर जाऊंगा ।"
अव्यांश की बातें सुनकर शिव नहाने चला जाता है और अभ्यास उसके सारे नोट्स सेट करके बैग में डाल देता है और किताबें ठिकान रख देता है और जाते-जाते माधुरी के कमरे का दरवाजा लॉक करता है और उन्हें उसके उठने के लिए कहता है। लेकिन दरवाजे पर माधुरी नहीं दरवाजा खोलने के लिए बानो आती है और बालों को देखकर अव्यांश उसकी नशीली आंखों में खो जाता है।।
बाकी कहानी अगले भाग में....
एक नई कहानी की शुरुआत
है न मजेदार
चलिए फिर पढ़ते रहिए और जुड़े रहिए
आपकी अदिति जैन राही
मैं जानती हूं ।"जैसे ही बानो ने कयास का नाम सुना तो उसके चेहरे पर एक डर की लहर आ गई थी जिसे माधुरी ने भांप लिया था लेकिन उसे वक्त माधुरी कुछ नहीं बोली और बानो ऐसे इधर-उधर की बातें करते हैं उसे 10 मिनट बाद चले जाती है।।
अब आगे....
आज फिर से हिना ने बानो का सौदा कर दिया था बानो अच्छी तरह जानते थे कि आज ही नानी जी आदमी से उसका सौदा किया है वह आदमी नहीं... बल्कि दरिंदा है।
बानो यही बताने के लिए माधुरी के पास आई थी कि आज शायद वह उसे आखिरी बार मिल रही है😔😔😔, उसकी जिंदगी की अगली सुबह हो या ना हो! बानो के जाने के बाद माधुरी को ऐसा महसूस होता है कि जैसे बानो उस से बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन कह नहीं पाई ।
माधुरी को उसकी बहुत चिंता होती है क्योंकि माधुरी का भी बालों के अलावा कोई नहीं था और बानो का भी माधुरी के अलावा और कोई नहीं था। फिर माधुरी कुछ सोच के अपने कमरे से बाहर निकलती है और जाकर हिना के पास खड़ी हो जाती है और कहती है ,"हिना ताई ....इतना तो मैं जानती हूं कि तुम अपना पैसा वसूलने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हो, पर मेरी एक बात याद रखना कभी ना कभी कहीं ना कहीं तुम भी कोई ऐसा मिलेगा जो तुम्हें इंसान की कीमत करना सिखाएगा और वह वक्त भी आएगा जब तुम एक पैसे के लिए मोहताज हो जाओगी ।पर आज मैं तुमसे जो पूछने आई हूं उसका मुझे सच-सच जवाब देना तो हिना गुस्से में भड़कते हुए कहती है," ए लड़की... तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे इस तरह से बात करने की ....तू जानती है ना मैं क्या कर सकती हूं ?"
तो माधुरी ने कहा ,"मैं जानती हूं कि तुम क्या कर सकती हो ज्यादा से ज्यादा तुम मुझे बेच सकती हो और वैसे भी नथ उतरवाई हो चुकी है तो अब क्या है !अब वैसे भी तुम्हें मेरे ज्यादा पैसे तो मिलेंगे नहीं, इसलिए मुझे किसी चीज का डर नहीं है पर आज मैं तुमसे जो पूछ रही हूं उसका मुझे सच-सच जवाब देना चाहे तो यह तुम मेरी मिन्नत समझ लेना चाहे तुम इसे मेरी धमकी समझ लेना ।तुमने बानो का सौदा किसके साथ किया है!"
तो हिना सकपकाते हुए कहती है ,"बानो का सौदा... मैंने तो बानो का सौदा नहीं किया है और आज रात तो बानो वैसे भी किसी काम की नहीं है उसका तो टाइम आया हुआ है और महावारी में कैसे इस को भेजूंगी । उसकी रात का सौदा कैसे करूंगी ?"
माधुरी कहती है," ताई ..मैं अच्छी तरह जानती हूं तुम कोई ना कोई जुगाड़ लगा लेती हो और सब कर देती हो आज तक तुमने किसको बक्शा है ?जब मेरी मां प्रेग्नेंट थी तब तुमने उसको नहीं बक्शा तो अब महावारी के वक्त में क्यों बक्शोगे?"
यह सुनने के बाद हिना कहती है ,"ज्यादा बोल मत ...अपने कमरे में चली जा! चुपचाप फालतू बकवास करने की जरूरत नहीं है मैं जो भी करूंगी सबका भला सोचकर करूंगी तो माधुरी उसे बोली," भला और तुम... कहां से यह शब्द इस्तेमाल कर रही हो जानती हूं मैं तुम्हें.. तुम किस तरह का भला करती हो ?"
जैसे ही माधुरी जाने लगती है तो हिना उसे रहती है ,"सच में... मैने बानो का आज की रात का सौदा नहीं किया है मैंने बानो का सौदा कल के लिए किया है और कल के बाद तुम शायद बानो को कभी देखा नहीं पाओगे!"
जैसे ही हिना यह बात कहती है तो माधुरी की तरफ पलट कर गुस्से भरी नजरों से देखती है पर अभी माधुरी के पास कोई चारा नहीं था ।क्योंकि उसके खुद के पास तो कोई पैसे नहीं थे कि वह बानो की कीमत सदा कर सके !
अब उसे उम्मीद थी तो शिवा से और वैसे भी अब शाम होने वाली थी और शिव उसको कह कर गया था कि वह शाम को आएगा और उसे वापस से लेकर जाएगा ।
माधुरी अपने कमरे में चली गई और वहां बैठी एक किताब पढ़ने लगी ।संध्या का समय हो गया था और रंग महल में वापस से चहल-पहल होने लगी थी ।रंग महल की रौनक वापस आने लगी थी तभी शिवा और अव्यांश दोनों माधुरी के कमरे में आते हैं और माधुरी पढ़ने में इतनी मग्न थी कि उसे कुछ पता ही नहीं चला ।
जैसे ही शिवा ने उसका नाम लिया तभी माधुरी का ध्यान टूटा और वह शिवा की तरफ देखते ही बोली," कैसे...आज आप लोग मुझे तो आज उम्मीद नहीं थी कि आप लोग आएंगे !" शिवा ने कहा ," कैसे हो सकता कि मैं तुमसे मिलने के लिए नहीं आऊं ,मैं जरूर आता और देखो आ गया हूं।"
पर शिवा को देखकर माधुरी के चेहरे पर कोई स्माइल नहीं आती तो अव्यांश कहता है ,"क्या बात है?? आज तुम इतनी उदास उदास सी😔😔 क्यों लग रही हो?"
तो माधुरी कहती है," कुछ नहीं.. !"अव्यांश कहता है ,"जरूर कुछ बात है तुम बताओ तो सही!"
तो माधुरी उसे बानो के बारे में बताती है तो अव्यांश कुछ सोचते हुए कहता है," क्या मैं बालों से मिल सकता हूं!"
माधुरी कहती है," हां ..वह मेरे से दो कमरे आगे वाले कमरे में है ।"
अव्यांश वहां से बानो से मिलने के लिए चला जाता है जैसे ही अव्यांश जाकर बानो की कमरे का दरवाजा खोलता है तो बानो सामने उसे नमाज पढ़ती हुई नजर आती है बानो को इतनी मग्न होकर नमाज़ पढ़ने देखकर अव्यांश से उसको देखता रह जाता है ।
बानो की सादगी अव्यांश के मन में घर कर गई थी बानो भी उस को भा गई थी ।अव्यांश को एकटक उसे देख रहा था तभी बानो को ऐसा लगा कि जैसे कोई इस पर नजर रख रहा है तो बानो ने एकदम से आंखें खोली तो उसमें अव्यांश को सामने पाया और थोड़ा जोर से बोली," कौन हो तुम और मेरे कमरे में क्या कर रहे हो?"
तो अव्यांश कहता है ,"तुम मुझे नहीं जानती पर मैं तुम्हें जानता हूं माधुरी ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया है।"
तो बानो बोली," मैं क्या करूं अगर उसने बताया है तो! माधुरी को तो संभालने वाले मिल गए लेकिन मेरा कौन है कोई नहीं ..😔😔!"
यह कहकर मुंह फेर लेती है और उसे जाने के लिए कहती है ।अब यहां कुछ सोचकर वहां से निकलता है और सीधा हिना के पास पहुंच जाता है और हिना को जाकर कहता है ,"हिना ताई.... आज एक और लड़की को लेकर जाना है ।"
तो हिना उसे टेढ़ी नजरों से देखते हुए बोली ,"और कौन सी लड़की को लेकर जाना है तुम्हें... सारी लड़कियां तो यही पर है बोल कौनसी चाहिए!"
" मुझे बानो चाहिए ....मैं बानो को लेकर जाना चाहूंगा।" तो हिना कहती है," बानो आज की रात कहीं नहीं जाएगी।"
तो अव्यांश कहता है," मैं बानो के लिए डबल पैसे देने के लिए तैयार हूं ।"तो हिना उस को देख के हंसते हुए कहती है," एक चूसे हुए आम के लिए तुम क्यों अपने पैसे बर्बाद कर रहे हो ?"..
अव्यांश कहता है," ताई तुम्हें अपने पैसों तक मतलब रखना चाहिए चाहे उसे लड़की की नथ उतरवाई हुई हो.... या नहीं हुई हो .....मुझे से कोई फर्क नहीं पड़ता ,मुझे बानो चाहिए तो मतलब चाहिए ।"
हिना ने अव्यांश की आंखों में बानो के लिए जुनून देखा तो हिना को कुछ खटका तो हो गया था लेकिन फिलहाल के लिए वह चुप थी ।
आगे किस्मत पता नहीं बिना ताई का रंग महल चलने देगी या नहीं... यह तो वही जानती थी। लेकिन अब वक्त आने वाला था जब हिना के रंग महल से बानो और माधुरी नाम की दो तितलियां यहां से उड़ कर अपने फूलों के पास जाने वाली थी।
अव्यांश हिना तारीख को दुगनी कीमत देता है और जाकर बानो को खुश होते हुए कहता है ,"तुम भी हमारे साथ चलोगी तो बानो उसे हैरानी से देखती हैं और कहती है," मैं क्यों चलूंगी तुम्हारे साथ?? अगर मैं जाना भी चाहूंगी तो हिना ताई ही मुझे जाने नहीं देगी !"
तो अव्यांश कहता है," मैंने बात कर ली है।"
तो बानो बोली,"जब तक हिना ताई ही खुद आकर नहीं करेगी मैं कहीं नहीं जाऊंगी ।क्योंकि मैं जानती हूं कि मैं उसके मर्जी के बिना बाहर पैर भी रखना चाहूंगी ना तो मुझे पैर तो क्या... बाहर की हवा में सांस भी नहीं लेने देगी ।"
यह सुनकर अव्यांश गहरी सांस लेता है और कहता है ,"ठीक है... फिर तुम इंतजार करो ।माधुरी के साथ तेरी भी दुगनी कीमत भी दी है इस लड़के ने...!"
बानो हैरानी से अव्यांश की तरफ देखने लगती है फिर बानो और माधुरी दोनों तैयार होकर शिवा और अव्यांश के साथ बाहर निकल जाती हैं।
आज फिर शिवा उन दोनों को लेकर समंदर के किनारे आया था और दोनों को उसने पहले कह दिया था कोई भी पानी की तरफ नहीं जाएगा ।बस यही किनारे किनारे ही घूमोगे वरना हम यहां से वापस तुम लोगों को रंग महल छोड़ आएंगे ।
माधुरी जानती थी कि कल के कांड के बाद अब शिव उसे किसी भी हाल में पानी के पास जाने नहीं देगा। इसलिए वहीं पर बैठकर मिट्टी से खेलने लगी और मिट्टी के घर बनाने लगे।
अव्यांश और शिवा दोनों ही माधुरी और बानो को देखे जा रहे थे ।बानो की सादगी और उसकी मासूमियत अव्यांश के दिल में घर कर रही थी। अव्यांश के दिल में उसके लिए जैसे प्यार जग रहा था और उसके पेट में अजीब सी तितलियां उड़ रही थी। लेकिन बानो वह तो अपने ही हाल में मस्ती उसको कोई मतलब नहीं था कि अव्यांश उसे क्यों लेकर आया है?
क्योंकि माधुरी उसे हर एक बात बताती थी तो बानो भी उनके साथ बाहर आकर अच्छा महसूस कर रही थी ।समंदर के किनारे बैठे उनको काफी देर हो जाती है ।उसके बाद अव्यांश और शिवा दोनों कहते हैं ,"चलो उठो यहां से ...अब घर चलते हैं!"
तो बानो हैरानी से उन दोनों की तरफ देखने लगती है तो शिव कहता है," मेरे घर जाना है तुम चिंता मत करो तुम बिलकुल सेफ हो।"
यह कहकर शिवा चुप हो जाता है और माधुरी उसे देखकर अपनी गर्दन हिला देती है तो बानो माधुरी का हाथ पड़कर शिवा और अभ्यांश के पीछे-पीछे जाती है ।
चारों गाड़ी में बैठकर शिवा के घर आ जाते हैं आज उन लोगों को घर आने में थोड़ा ज्यादा लेट हो गया था इसलिए शिवा ने अपने पास वाली डुप्लीकेट चाबी से घर का गेट खोला और उन दोनों को अव्यांश के साथ ऊपर कमरे में भेज दिया और खुद जैसे ही रसोई में जाकर खाना निकालने लगा तो उसके हाथ से प्लेट छूट कर नीचे गिरी। प्लेट गिरने की आवाज सुनकर उसके घर का नौकर दौड़ा हुआ आया ।उसे लगा था शायद कोई बिल्ली रसोई में घुस गई है।
जैसे ही उसने जाकर शिवा को देखा तो उसने कहा," क्या चाहिए बेटा तुमको ??"
तो शिवा कहता है ,"कुछ नहीं काका... मैं खाना निकाल रहा था और प्लेट गिर गई ।"
तो वह कहता है," रुको मैं खाना निकाल देता हूं !"
तो शिवा कहता है ,"नहीं काका .. आप जाकर सो जाओ वैसे भी बहुत रात हो गई है खाना मैं ले लूंगा।" यह कहने के बाद शिवा चारों का खाना निकलता है और एक ट्रे में लगाकर खाना लेकर ऊपर कमरे में चला जाता है।
बानो शिवा के कमरे को देखकर उसकी तुलना अपने रंग महल से कर रही थी और माधुरी को कह रही थी ,"कितनी सादगी से सजाया हुआ है कमरा... फिर भी कितनी शांति और सुकून है यहां पर.. और हमारे रंग महल में सब कुछ वेश कीमती होते हुए भी वहां पर शांति और सुकून नाम की तो चीज ही नहीं है ।काश अपना भी एक घर होता और आराम से रहते ।"
तो माधुरी उसको देखते हुए वह भी यही सोचती है वह अपने ख्यालों में गुम हो जाती है कि अगर उसकी मां जिंदा होती तो वह अपनी मां के साथ आज आराम की जिंदगी गुजर रही होती और वह जिंदगी में उसकी कोई इज्जत भी होती है ।आज किस्मत में उसे रंग महल पहुंचा दिया आगे पता नहीं उसकी किस्मत उसको कहां लेकर जाएगी??
बाकी कहानी अगले भाग में...
बानो और
अव्यांश की लव स्टोरी ,तितलियां
उफ्फ अब आगे क्या होगा
माधुरी उसको देखते हुए वह भी यही सोचती है वह अपने ख्यालों में गुम हो जाती है कि अगर उसकी मां जिंदा होती तो वह अपनी मां के साथ आज आराम की जिंदगी गुजर रही होती और वह जिंदगी में उसकी कोई इज्जत भी होती है ।आज किस्मत ने उसे रंग महल पहुंचा दिया आगे पता नहीं उसकी किस्मत उसको कहां लेकर जाएगी??
अब आगे...
बानो की बातें सुनते-सुनते माधुरी खो जाती है बानो बहुत देर तक बोलती रहती है लेकिन जैसे माधुरी उसकी बात का रिप्लाई नहीं करती तो बानो इसका कंधा पकड़ कर उसको हिलाते हुए कहती है ,"अरे कहां खो गई सपनों की शहजादी ....जब देखो जब सपनों में खोई रहती है ,,मैं क्या-क्या बोले जा रही हूं और तुम्हें कोई मतलब ही नहीं है...!"
माधुरी एकदम से पलट कर उसका हाथ पकड़ते हुए कहती है," अरे नहीं ,नहीं... कुछ नहीं... मैं कुछ सोच रही थी कि अगर हम रंग महल में नहीं होते तो कहां होते ??और हमारी जिंदगी कैसी होती??"
तो बानो बोली,"सपने देखना छोड़ दे हमारी असलियत रंग महल ही है ,वही हमारी जिंदगी है,, और वही हमारा सब कुछ है !पर हां अगर मौका मिला तो मैं जरूर रंग में छोड़कर भाग जाऊंगी वो भी तुझे साथ ले के ।"
अव्यांश दरवाजे के पास खड़ा उन दोनों की बातें सुन रहा था वह बानो की मासूमियत भरी बातें सुनकर मुस्कुराता है ।तभी बानो की नजर दरवाजे पर जाती है तो वह देखती है ,"अव्यांश वहां खड़ा उसकी बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था तो वह चुप हो जाती है और अपनी नज़रें नीचे कर लेती है।
शिवा सबके लिए खाना लेकर आ जाता है और सब बातें करते हुए खाना खाने लगते हैं ।अव्यांश के नजर लगातार बानो के ऊपर थी ,वह बानो को घूरे जा रहा था ,,बानो को इस तरह बोलते हुए देखकर माधुरी अव्यांश से बोली ,"ऐसे क्या देख रहे हो मेरी सहेली को...कभी लड़की देखी नहीं क्या ??"
तो अव्यांश कहता है ,"लड़कियां तो बहुत देखी है पर मासूमियत नहीं देखी।"
माधुरी हंसकर रहती है ,"ऐसी मासूमियत कहीं देखने पर मिलेगी भी नहीं.... यह मासूमियत सिर्फ हमारी बानो का गहना है ।"
अव्यांश उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देता है और तिरछी नजर से बानो को देखता है। बानो जो कि अभी तक अव्यांश को देख रही थी उसके एकदम से देखने से अपनी नजर नीचे कर देती है और शर्मा जाती है।
अव्यांश उन तीनों को छोड़कर कमरे के बाहर चला जाता है क्योंकि उसे वहां पर अब हिचकिचाहट महसूस हो रही थी इसलिए उससे बैठा नहीं जा रहा था ।
बानो की नजरे उसी पर थी तो वह उन नजरों का सामना नहीं कर पा रहा था और वह भी बानो से बात तो करना चाहता था लेकिन एक ही चाहत उन दोनों के बीच में थी।
बानो को पहली बार देखते ही अभ्यास के दिल ने जोर-जोर से धड़कना शुरू कर दिया था और उसके दिल ने उसे सिग्नल दे दिया था कि उसे बानो से प्यार हो गया है ।
लेकिन अव्यांश का दिमाग की बात मानने को तैयार नहीं था ।क्योंकि वह जानता था अगर इस बात के बारे में उसके बाप को पता चला तो वह बानो को जिंदा नहीं छोड़ेगा।उसका डी जी पी बाप सिर्फ पैसों का सगा था और प्यार व्यार उसके लिए बकवास थी।वो अव्यांश की शादी एक बड़े घर में जिससे उसका स्टेटस बढ़े और पैसा भी आए और बानो वो तो रंगमहल की रौनक ...सवाल ही नहीं उठता कि वो उसे ओर बानो की शादी अगर वो दोनों करते है को स्वीकार कर लेगा ।वो उस हालत में अपने गुस्से में सब बर्बाद कर देगा। इसलिए अव्यांश अपने दिल को काबू में करना चाहता था।
लेकिन अब तो अव्यांश को बानो से प्यार हो गया था पर रोज-रोज मिलने के लिए पैसे चाहिए थे वह पैसे कहां से आएंगे ??एक हद तक तो कहीं से भी पैसों का जुगाड़ किया जा सकता था ,लेकिन रोज-रोज हजारों लाखों की तादाद में लगने वाला पैसा कहां से लाया जाए !
यह बात सोचकर अव्यांश बहुत परेशान हो रहा था उस को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?? इसलिए उन दोनों को छोड़कर कमरे के बाहर आ गया था और वह उनसे नजरे नहीं मिल पा रहा था ।इसका कारण यह भी था कि उसके दिमाग में यह बात थी कि अगर वह बानो के लिए कुछ नहीं कर पाया तो जिंदगी भर उसे उसके लिए मलाल रहेगा और वह बानो के बिना अब नहीं रह पाएगा ।
शिवा बिना कुछ बोले चुपचाप खाना खा रहा था माधुरी और बानो दोनों बातें कर जा रही थी शिव चुपचाप खाना खाते हुए उनकी बातें सुन भी रहा था ,लेकिन कोई जवाब नहीं दे रहा था ।
खाना खाते-खाते शिवा बीच-बीच में माधुरी को देख रहा था आज माधुरी बिना किसी मेकअप के एक सादे से सूट में भी कहर ढा रही थी।
माधुरी के लंबे बाल और चेहरे पर आई हुई लटें शिवा का दिल धड़का रही थी ।शिवा ने जल्दी से खाना खत्म किया और उन दोनों को बोला ,"बहुत रात हो गई है ,तुम दोनों सो जाओ ।मैं दूसरे कमरे में जा रहा हूं और अब यहां अभी अपने घर चला जाएगा ।"
तो शिवा कहता है," हां ...क्यों क्या हुआ?"
तो बानो बोली," नहीं, कुछ नहीं ...मैं तो ऐसे ही बोला।"
शिवा उसे देखकर हल्का सा मुस्कुरा देता है और वहां से चला जाता है। माधुरी और बानो दोनों बातें करते-करते अपने भविष्य के बारे में फिक्र करने लगते हैं तो दोनों को समझ में नहीं आता कि उन दोनों का क्या होगा??
उधर हिना ताई को भी नींद नहीं आ रही थी। क्योंकि उसे लग रहा था कि अब उसके रंग महल के दिन पूरे होने वाले हैं, बहुत सोचने के बाद एक फैसला करती है लेकिन वह इस फैसले के बारे में भी किसी को नहीं बताती । वो दिन चढ़ने का इंतजार करती है ।
उधर दोनों बातें करते-करती कब नींद क्या गोश्त में चली जाती हैं ना ही बानो का पता चलता है रोज की तरह शिवा काम करते-करते अपनी रात निकाल देता है और अव्यांश घर नहीं जाता बल्कि वहां हाल में बैठे-बैठे ही अपना वक्त गुजार देता है।
जब सुबह शिवा के पापा नाश्ते के टेबल पर आते हैं तो वह अव्यांश को वहां बैठा देखकर हैरान होते हैं और उसे कहते हैं ,"तुम रात को घर नहीं गए... तुम्हारे पापा परेशान हो रहे होंगे !"
तो अव्यांश जो की हल्की सी झपकी ले रहा था उनकी आवाज सुनकर एकदम उठता है और बोलता है ,"नहीं अंकल ...मैं रात को ही पापा को मैसेज कर दिया था कि मैं घर नहीं आऊंगा ।मैं आज शिव के साथ ही रहूंगा। शिव अपने कमरे में पढ़ रहा था और मैं भी पढ़ाई करते-करते कॉफी पीने के लिए आ गया था ,मेरी कब आंख लग गई मुझे खुद को ही पता नहीं चला।"
तो चंदन कहता है ,"कोई बात नहीं तुम अब जाओ पर मुंह धोकर आ जाओ और मेरे साथ नाश्ता कर लो ,फिर तुम अपने घर चले जाना ।"
तो अव्यांश कहता है," हां अंकल ,वैसे भी बहुत भूख लग रही है क्योंकि रात को भी मैं ढंग से खाना नहीं खाया था ।"
तो अव्यांश जाता है और मुंह धोकर चंदन के साथ टेबल पर बैठकर नाश्ता करने लगता है। शिवा जो रात भर सोया नहीं था और आज उसकी अभी तक आंख नहीं खुली थी ।
चंदन शिवा का इंतजार कर रहा था तो अव्यांश को कहता है," लगता है तेरा दोस्त पूरी रात ही पढ़ रहा था जो अब तक सो रहा है ।"
अव्यांश कहता है ,"हां ,कल मैं जाकर उसको उठाता हूं नहीं तो कॉलेज के लिए भी लेट हो जाएंगे।"
तो चंदन हंसने लगता है और कहता है ,"हां ठीक है ,पर पहले तुम नाश्ता करो फिर चले जाना ।"
दोनों नाश्ता करते हैं और उसके बाद चंदन अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है और जाते हुए अव्यांश को बोलता जाता है कि उसको उठा लेना और कॉलेज के लिए तैयार होने के लिए कह देना और बोल देना कि शाम को दोनों कर साथ में बैठकर चेस खेलेंगे। अव्यांश हां में सर हिला देता है और उठकर शिवा के कमरे की ओर चला जाता है और जाकर देखा है तो शिवा किताब पर सर रख कर सो रहा था तो अव्यांश जाकर शिव को उठाता है और बोला," बहुत लेट हो गया है ,उन दोनों को भी तो छोड़ना है ।"
तो शिवा एक झटके से आंख खोलता है और कहता है ,"अरे यार ...बहुत लेट हो गया ,पापा ही चले गए होंगे और तो आज मेरी पूजा भी रह जाएगी।"
तो अव्यांश कहता है," सब कुछ छोड़ जाकर नहा और अपनी पूजा कर, फिर उन दोनों को छोड़ने भी जाना है और फिर हम दोनों कॉलेज जाएंगे। जब तक तू नहा कर आता है तब तक मैं यह तेरी किताब सही से रख देता हूं यह नोट्स जो तुमने बनाए ,तेरे बैग में डाल देता हूं फिर मैं भी घर जाऊंगा ।"
अव्यांश की बातें सुनकर शिव नहाने चला जाता है और अभ्यास उसके सारे नोट्स सेट करके बैग में डाल देता है और किताबें ठिकान रख देता है और जाते-जाते माधुरी के कमरे का दरवाजा लॉक करता है और उन्हें उसके उठने के लिए कहता है। लेकिन दरवाजे पर माधुरी नहीं दरवाजा खोलने के लिए बानो आती है और बालों को देखकर अव्यांश उसकी नशीली आंखों में खो जाता है।।
बाकी कहानी अगले भाग में....
एक नई कहानी की शुरुआत
है न मजेदार
चलिए फिर पढ़ते रहिए और जुड़े रहिए
बानो उसे सवालिया नजर से देखती है तो लालाराम कहता है," मैं कल तुम्हारे साथ जब रंग मैं तुम्हें छोड़ने जाऊंगा तो मैं हिना से बात करूंगा। मैं जानता हूं वह पैसों की भूखी और लालची इंसान है वह जितना पैसा मांगेगी मैं उसे उतना पैसा दूंगा। लेकिन मैं तुम्हें साल भर के लिए उसे एक तरह से खरीद लूंगा लेकिन वह साल तुम अपनी जिंदगी से की होगी अपने मन से जिओगी।।"
अब आगे......
अगला दिन..
सूरज निकलने के साथ ही लालाराम बानो के साथ रंग महल पहुंच जाता है और हिना के सामने जाकर कहता है"ये लो मैने मेरा वादा पूरा किया।"
हिना बोली,"वाह सेठ जी,आप तो वक्त से ले आए मेरी फुलझड़ी को..!"
लालाराम बोला,"अगर वक्त पर नहीं लाता तो क्या अगली बार मुझे ये वापस मिलती..नहीं न...इसलिए लाला राम हर कम समय से करता है ताकि उसका नुकसान न हो।इसलिए लालाराम तुम्हारे लिए एक ऑफर ले के आया है अगर तुम चाहती हो करोड़ो में कमाना तो बताओ मुझे।मेरे पास बहुत बड़ा और बहुत मोटा ऑफर है तेरे लिए।"
हिना ताई की आंखे चमक गई सेठ की बात सुन के,वो बोली,"क्या ऑफर है सेठ जी,पहले तो आप बैठो ओर पानी पीओ।"फिर उसने अपनी लड़कियों को आवाज दी और बोली,"जल्दी से बादाम का शरबत ले के आओ सेठ जी के लिए बाहर कितनी गर्मी है,लू लग जाएगी सेठ जी को।"अपने पान से लाल हुए मुंह में पान ठूंसती हुई हंसने लगी।
लालाराम ने कहा,"मैं बानो को खरीदना चाहता हूं तू कीमत बोल ....मैं तुझे मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हूं एक साल के लिए ।एक साल बाद जब वो मेरा कम कर देगी तब मैं उसे वापस तेरे रंग महल छोड़ जाऊंगा और उसको जितनी कीमत अब दूंगा उसकी आधी छोड़ते वक्त ओर देके जाऊंगा। ऑफर बहुत अच्छा है और ऐसा ऑफर तुझे ओर कोई नहीं देने वाला सोच ले ...सोच के जवाब देना।"
उसकी बात सुन के हिना की आंखो में चमक आ गई और अपनी लड़कियों पर चिल्लाते हुए बोली,"कितनी देर हो गई शरबत के लिए बोले हुए ... अभी तक शरबत लेकर नहीं आई ।"
लालाराम की तरफ देखते हुए हिना ने सेठ की तरफ देखते हुए कहा," पहले ऑफर तो बताओ.... क्या ऑफर लेकर आए हो?"
लालाराम कहता है ,"मैं अभी तुम्हें बानो के लिए 3 करोड रुपए देने को तैयार हूं 1 साल तक तुम इसको ढूंढने की कोशिश नहीं करोगी ,यह मेरे साथ रहेगी मैं चाहे इसको जहां भी लेकर जाऊं तुम्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए और हां ,साल भर बाद जब मेरा काम हो जाएगा तब मैं इसको तुम्हारे को रंग महल में वापस छोड़ जाऊंगा और तुम्हें डेढ़ करोड़ रुपये और दूंगा।"
हिना की आंखों से लालच की लार टपकने लगती है और वह सोचते हुए🤔🤔🤔कहती है ,"सेठ फिलहाल तो तुम यह शरबत्ती पियो मैं तुम्हें सोच कर जवाब दूंगी ...क्योंकि ऐसा पहली बार होगा अगर मैं हां करती हूं मेरे रंग महल की कोई चिड़िया इतने वक्त के लिए रंग महल से दूर होगी।"
लालाराम कहता है," ठीक है फिर मैं शरबत भी तभी पिऊंगा ,जब मुझे तुम्हारा जवाब मिल जाएगा।"
लालाराम वहां से उठ जाता है और वहां से बाहर निकल जाता है ।"
पैसे के लिए तुम अपनी मां को बेच दो यह तो उसके रंग महल की सिर्फ एक लड़की है उधर बानो भी यह सोच सोच कर परेशान हो गई थी। पता नहीं ताई क्या जवाब देगी? हां करदे तो 1 साल तक तो मुझे कोई फिक्र नहीं रहेगी, 1 साल के बाद की बाद में सोची जाएगी ।कम से कम 1 साल तक तो मैं शांति से रहूंगी ,मुझे यह तो नहीं रहेगा कि आज फिर कोई मेरी बोली लगाएगा । बानो अपने कमरे में बैठे-बैठे यह सोच रही होती है तभी हिना उसके कमरे में आती है और कहती है," क्यों.. बानो ऐसी क्या पट्टी पढ़ाई तूने सेठ को... जो सेठ तुम्हें 1 साल के लिए खरीदने के लिए तैयार हो गया और उसे तुमसे ऐसा क्या काम करवाना है🤔 जिसके लिए वह इतनी बड़ी रकम देने के लिए तैयार है ।"तो बानो कोई जवाब नहीं देती फिर भी
हिना उसे फिर से पूछती है," क्या तुझे भी उसने नहीं बताया कि वह तुझे क्या काम करवाना चाहता है ?कहीं कोई ऐसा काम तो नहीं है जिसके चलते मेरा रंग महल दिक्कत में आ जाए फिर ना खुद ही सोचते हुए कहती है," नहीं ..नहीं ...ये सेठ तो बरसों से मेरे रंगमहल पर आ रहा है आज तक तो कभी ऐसा हुआ नहीं है और ना ही ये ऐसा करेगा।"
हिना की पूरी रात सोचते🤔🤔 हुए निकल जाती है कि वह इतने पैसों का क्या करेगी? दूसरे दिन सूरज निकल आता है और दिन निकलते ही जैसे रंगमहल वीरान सा हो जाता है। हिना पलंग पर बैठी होती है तभी लालाराम वापस आता है और कहता है ,"क्या सोचा फिर तुमने ...मेरा ऑफर मंजूर है या मैं और कहीं जाऊं !क्योंकि मुझे और भी दो-तीन जगह से ऑफर आया हुआ है और वह भी इससे कम पैसों में!"
मुस्कुराते हुए हिना कहती है,"ऐसा कुछ नहीं है आओ पहले तुम शरबत पियो उसके बाद मैं तुम्हें जवाब देती हूं,हिना अपने लड़कियों को आवाज देकर लालाराम के लिए शरबत मंगवाती है और इशारे से बानो को बुलाती है ।
बानो अपने हाथ में एक थैला लिए जिसमें उसके कपड़े होते हैं आकर हिना के पास खड़ी हो जाती है और हिना लालाराम को कहती है ,"ठीक है सेठ मुझे तुम्हारा ऑफर मंजूर है। फिलहाल मुझे 3 करोड रुपए दो और बानो को ले जाओ लेकिन एक बात याद रखना 365 दिन पूरे होने के बाद 366 वे दिन का सूर्य उगते ही बानो मुझे मेरे रंग महल में चाहिए। मैं तुम्हें यह नहीं पूछूंगी तुम मुझसे क्या काम करवाओगे जिसके लिए मुझे तुम कितनी बड़ी रकम दे रहे हो। यह मैं भी समझती हूं किसी ऐसे काम के लिए ही तुमने इसको चुना है जो काम तुम खुद नहीं कर सकते। मुझे उससे कोई मतलब नहीं है, मुझे मेरे पैसों से मतलब है ,,मुझे बस मेरे पैसे वक्त से मिल जाने चाहिए ।उसके बाद तुम जानो तुम्हारा काम !"
और हिना बानो की तरफ देखते हुए कहती है ,"अब 1 साल के पास के लिए तुम इस सेठ के साथ रहना तुम्हें जो यह करने को बोलेगा, तुम्हें वह करना है पर इतना याद रखना सिर्फ कुछ वक्त के लिए ..उसके बाद तुम्हें वापस रंग महल ही आना है, इसलिए कोई भी ऐसी हरकत मत करना जिससे कि मुझे अपनी औकात पर आना पड़े ।"
बानो कोई जवाब नहीं देती और नजरे नीची करके खड़ी रहती है। लालाराम अपने साथ लाया हुआ सूटकेस हिना को दे देता है और कहता है ,"हिना ताई यह सूटकेस लेने से पहले इस कागज पर साइन कर दो!"
तो हिना हंसते हुए बोली,"क्या सेठ रंग महल अपने नाम करने का इरादा है क्या ?जो ये काग़ज़ साइन कर रहा है ,यह किस तरह का कागज है? मुझे इस पर क्यों साइन करना है ??"
तो लालाराम कहता है," कहीं तुम पैसा लेने के बाद मुकर नहीं जाओ इसलिए मैंने इसका एग्रीमेंट बनवाया है ताकि तुम भी अपनी बात से मुकर ना पाओ और यह लड़की भी अपनी बात से मना न कर दे, इसलिए तुम भी इस पर साइन कर दो और यह लड़की भी यहां पर अपने दस्तखत कर दे और उसे पढ़ती है उस पर साइन कर देती है और बानो को भी इशारे से उसे पर साइन करने के लिए कह देती है बानो उस पर बिना कुछ बोले साइन कर देती है और फिर लालाराम कागज लेकर और सूटकेस हिना को सम्भलवाकर बानो के साथ रंग महल में से निकल जाता है ,
हिना लड़की को सूटकेस अंदर ले जाने के लिए कहती है ।पर फिर कुछ सोचते हुए उन्हें मना कर देती है और खुद वह सूटकेस घसीट कर अपने कमरे में ले जाती है और कमरे की कुंडी लगा लेती है और बैठकर सूटकेस खोल लेती है ।
सूटकेस को खोलते ही हिना पागल हो जाती है हरे हरे नोटों की गड्डियां देखकर हिना ताई की आंखें फटी की फटी रह जाती है और वह खुद को थप्पड़ मारती है और check करती है कही वो सपना तो नहीं देख रही।
नोटों को हाथ में लेकर को नाचने लगती है क्योंकि उसने कभी भी इतनी दौलत एक साथ नहीं देखी थी वो नोट उछालते हुए नाचने लगती है ,"आज तो मैं करोड़पति बन गई इतनी कमाई मैंने कभी जिंदगी में नहीं अगर ऐसे सेठ रोज मेरे इस रंग महल पर आते रहे तो मैं तो अरबपति बन जाऊंगी, मेरे पास किसी चीज की कोई कमी नहीं रहेगी।" और घूमने लगती है थोड़ी देर बाद खुद को संभालती है और फिर सारे नोट इकट्ठे कर कर सारा पैसा अपने तिजोरी में रख देती है और सूटकेस खाली करके एक साइड में रख देती है।।
लालाराम बानो को लेकर अपने घर पहुंचता है और अपनी बीवी को कहता है ,"लो मैं तुम्हारे लिए इस लड़की को ले आया है अब तुम्हें जो समझ में आता है जैसे समझ में आता है,, वह तुम करो ।पहले तो हमे इसे किसी डॉक्टर के पास लेकर जाना है... यहां पर लेकर जाना है या कहीं विदेश में चलना है,, और तुम मुझे बता दो।"
" हम यहां पर नहीं हम या विदेश जाएंगे वहां पर जाकर तुम सारे रिश्तेदारों को मेरे गर्भवती होने की खबर दे देना। लेकिन सबसे पहले इस लड़की का चेकअप होना जरूरी है ताकि हमें पता पड़ जाए कि यह लड़की हमारे लिए हमारे प्यार की निशानी पैदा कर भी सकती है या नहीं ..!"
लालाराम बानो की तरफ देखते हुए कहता है ,"आज से तुम्हारा नाम बानो नहीं.. आज तुम्हारा नाम बबीता है और तुम जानती ही हो जैसे कि ऊपर तुम्हारा कमरा है जाओ और जाकर कपड़े बदलकर नीचे आ जाओ। फिर हम डॉक्टर के चलते हैं।"
बानो ऊपर कमरे में चली जाती है लालाराम की पत्नी उसके लिए वहीं पर नाश्ता भेज देती है उसे 1 घंटे में तैयार होने के लिए कह देती है ।बानो कमरे में नाश्ता करती है और फिर अलमारी में से कपड़े निकाल कर तैयार हो जाती है और 1 घंटे बाद हो नीचे आ जाती है तो लालाराम ,उसकी पत्नी और बानो तीनों वहां से निकल जाते हैं और एक बहुत बड़े अस्पताल में जाकर लालाराम बानो का चेकअप कराता है।।
बानो दिखने में 20 साल की लड़की लगती थी 16 साल ही थी इसलिए लालाराम ने बानो को पहले ही कह दिया था अगर डॉक्टर तुमसे कुछ भी पूछे तो तुम उसे कुछ नहीं बोलोगी उसके सारे सवालों का जवाब या तो मेरी पत्नी देगी या फिर मैं दूंगा तुम डॉक्टर के किसी भी सवाल का कोई जवाब नहीं देना।" बानो उसकी बात सुनकर हमें अपनी गर्दन हिला देती है।
बाकी कहानी अगले भाग में....
क्या सच में बानो की जिंदगी संवरने वाली है???
आपकी अदिति राही