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Trapped By My Devil Boss

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Aarya Rai

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"मैंने दो साल पहले उसे छोड़ दिया था… और अब वो मेरी पूरी दुनिया का मालिक बन चुका है।" सानवी रॉय — एक सिंपल, मेहनती और खुद्दार लड़की। अपनी पहचान और मुकाम के लिए उसने खून-पसीना एक किया है। वो लॉजिक से ज़्यादा इमोशन्स पर यकीन करती है, और...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. Trapped By My Devil Boss - Chapter 1 कौन हो तुम?

    Words: 1349

    Estimated Reading Time: 9 min

    "अब आप टॉप फ्लोर पर काम करेंगी, मिस रॉय- सीईओ की नई पर्सनल असिस्टेंट के रूप में।"

    ये शब्द सानवी के लिए किसी बम की तरह थे। वह कुछ पल तक आँखे फाड़े शॉक्ड सी खड़ी रही। रिसेप्शनिस्ट की बात पर यकीन करना मुश्किल था।

    "I am sorry? आई थिंक मैंने कुछ गलत सुन लिया, आपने अभी क्या कहा था?"

    "मैंने वही कहा जो आपने सुना मिस रॉय। आप पिछले वन वीक से लीव पर थी और इस टाइम पिरिएड मे कंपनी मे बहुत कुछ बदल गया है।

    मिस्टर आरव मल्होत्रा अब इस कंपनी के नए बॉस हैं, उन्होंने आते ही कंपनी के 50% से ज्यादा स्टाफ को उनकी लॉ परफॉर्मेंस, लीव्स के वजह से इनएफिशिएंट और अन प्रोफेशनल कहकर निकाल दिया है। तुम्हें खुश होना चाहिए कि उन्होंने तुम्हे नही निकाला बल्कि तुम्हे अपनी पर्सनल असिस्टेंट की पोस्ट दी है और और अब तुम्हें सीधे उन्हीं को रिपोर्ट करना है।"

    रिसेप्शनिस्ट की होंठों पर मिस टीरियस मुस्कान बिखरी थी जिसका मतलब सानवी नही समझ सकी।

    "All the best " रिसेप्शनिस्ट शातिर अंदाज़ मे मुस्कुराते हुए वहाँ से चली गयी पर सानवी शॉक्ड सी वही खड़ी रह गयी थी।

    "आरव... मल्होत्रा?"

    सानवी के होंठ काँपे। दिल ज़ोरों से धड़कने लगा।

    "ये नाम....मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे इस नाम से कोई गहरा रिश्ता है मेरा और मेरा दिल इतनी तेज़ क्यों धड़क रहा है? " सानवी ने अपने सीने पर हाथ रख दिया। खुदमे उलझी हुई सी खड़ी वो अभी सोच ही रही थी कि अचानक उसे रिसेप्शनिस्ट की कही बातें याद आई और वो हड़बड़ाते हुए लिस्ट के तरफ दौड़ गयी।

    टॉप फ्लोर पर पहुँचकर एलिवेटर रुका। दरवाज़े खुले। सानवी ने गहरी सांस ली और लिफ्ट से बाहर निकल गयी। धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए वो CEO के कैबिन के सामने पहुँची। डोर के सामने खड़ी कुछ पल उसे घूरती रही फिर गेट नॉक कर दिया।

    "Come in " अंदर से एक कठोर रौबदार आवाज़ आई। सानवी की धड़कने एक बार फिर बढ़ गयी। नर्वस्नेस उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।

    "पता नही कौन है? अचानक हमारी कंपनी क्यों खरीद ली? जैसे एंप्लॉयीज को निकाला है कोई खडूस आदमी ही लग रहा है पर मुझे अपना PA क्यों बना लिया? "

    खुदमे बड़बड़ाते हुए सानवी कब डोर खोलकर अंदर चली आई इसका एहसास खुद उसे नही हुआ।

    "You are 15 minutes late "किसी की कोल्ड वॉयस सानवी के कानों से टकराई और वो चौंकते हुए अपने ख्यालों से बाहर आई, निगाहें सीधे आवाज़ की दिशा मे घूमी।

    कुछ कदमों की दूरी पर काले सूट में एक आदमी खड़ा था जिसका चेहरा ग्लास वॉल के तरफ था।

    अचानक ही वो शक्स सानवी की ओर पलट गया। छह फुट का कद, ब्लैक थ्री-पीस सूट में बेहद एलिगेंट और पावरफुल लग रहा था। शार्प जॉलाइन, हल्की दाढ़ी, और पीछे की ओर सलीके से सेट किए हुए गहरे काले बाल। उसकी आँखें—स्टील ग्रे, ठंडी और गहरी—जैसे सामने वाले की सोच तक पढ़ लें। चेहरे पर कोई मुस्कान नहीं, बस एक एरोगेंट ठंडक, जो उसे और भी खतरनाक बना रही थी।

    "ये तो देखने मे ही राक्षस जैसे डरावना और खडूस लग रहा है। पर ये चेहरा.... ये आँखे..... "

    सानवी गौर से उसके चेहरे और आँखों को देखने लगी, जैसे पहचानने की कोशिश कर रही हो।

    आरव धीमे कदमों से उसके तरफ बढ़ने लगा और कब उसके सामने आकर खड़ा हुआ सानवी को पता ही नही चला।

    "ऐसे क्या देख रही हो मुझे? क्या जानती हो मुझे? "

    सानवी चौंकते हुए अपने ख्यालों से बाहर आई। आरव का चेहरा उसके बिल्कुल सामने था और वो आइब्रो चढाए अपनी ग्रे आँखों से उसे घूर रहा था।

    सानवी ने सर हिलाया और हड़बड़ाते हुए कदमों को पीछे घसीटते हुए दरवाजे से जा टकराई।

    "आह्ह्ह" अजीब सा मुँह बनाए सानवी अपना सर सहलाने लगी। आरव उसके सामने एकदम स्ट्रेट खड़ा, दोनों हाथ पॉकेट मे डाले उसे ही घूर रहा था।

    "मिस सानवी रॉय"

    आरव की सख्त आवाज़ सुनते ही सानवी एकदम अलर्ट मोड मे सीधी खड़ी हो गयी।

    "य.... येस सर "

    "साइन इट " आरव ने टेबल पर रखी फाइल उठाकर उसके तरफ बढ़ा दी। सानवी ने अपना सर उठाकर पहले उस फाइल को देखा फिर सवालिया निगाहें आरव की ओर उठ गयी।

    "किस चीज़ की फाइल है और मुझे क्यों साइन करना है? "

    "Contract पेपर्स है। इस कंपनी मे वर्क करने वाले सभी एंप्लॉयीज ने साइन किये है, अगर तुम्हें यहाँ काम करना है तो इन्हें साइन करना होगा। "

    "सर इसी बारे मे तो मुझे आपसे बात करनी थी। मैं पिछले दो सालों से इस कंपनी मे एज़ अ ग्राफिक डिज़ाइनर काम कर रही हूँ पर रिसेप्शनिस्ट ने मुझे बताया की अब मुझे आपकी PA की पोस्ट पर काम करना होगा। मुझे इस बारे मे कोई नॉलेज नही है और न ही एस्पिरिएंस है, फिर मुझे ही इस पोस्ट के लिए क्यों चुना गया है? "

    सानवी कॉन्फिडेंस के साथ आरव के सामने खड़ी जवाब का इंतज़ार कर रही थी।

    आरव जवाब देने के जगह एटीट्यूड मे चलते हुए जाकर अपनी चेयर पर बैठ गया। फाइल टेबल पर रखी, एक पैर दूसरे पैर पर चढ़ाते हुए हाथ मे पेपर वेट घुमाने लगा।

    "मिस रॉय यहां का बॉस कौन है? "

    "आ... आप। "

    "और आप कौन है?.... " आरव के इस सवाल पर सानवी कंफ्यूज सी उसे देखने लगी।

    "इस ऑफिस मे काम करने वाली एक मामूली सी एंप्लॉयी.... राइट? " सानवी ने धीरे से सर हिला दिया।

    "मैं यहाँ का बॉस हूँ, किसे कौनसी पोस्ट देनी है, कौन किस काम के लायक है, किसे अपनी कंपनी मे रखना है और किसकी यहाँ कोई ज़रूरत नही है ये मैं डिसाऐड करूँगा, ये ऑथोरिटी सिर्फ मेरे पास है और मेरे डीसीज़न को क्वेश्चन करने का राइट मैंने अब तक किसी को नही दिया.... Do you understand? "

    सख्त लहजा और उसकी घूरती आँखे सानवी को बहुत कुछ समझा गयी थी। उसने अपना सर झुका लिया।

    "आज से और अभी से तुम मेरी पर्सनल असिस्टेंट हो। "

    "But sir " सानवी ने मुँह खोला ही था कि निगाहें आरव की कोल्ड निगाहो से टकराई और वो एकदम से चुप हो गयी।

    "अगर तुम्हें इस कंपनी में काम करना है तो इन पेपर्स पर साइन करो और अगर तुम्हे मेरी PA बनने मे ऑब्जेक्शन है तो तुम रिज़ाइन कर सकती हो पर उससे पहले ये बात समझ लो, अगर तुम मेरे एगेंस्ट गयी और ये जॉब क्विट किया तो मैं ये इंश्योर करूँगा कि तुम्हारे अनप्रोफेशनल बिहेवियर , लैक ऑफ रिस्पांसिब्लिटी, इनेफिशिएंसी , बैड पास्ट वर्क रिकॉर्ड के लिए इस इंडस्ट्री मे तुम्हें पूरी तरह से बैन किया जाए, फिर कही तुम्हें दूसरी कोई जॉब नही मिलेगी। "

    सानवी की आँखे फटी की फटी रह गयी।

    "आ.... आप ऐसा क्यों कर रहे है मेरे साथ? ये तो ब्लैकमेलिंग है।"

    आरव के होंठों पर शैतानी मुस्कान बिखरी और आँखे अलग अंदाज़ मे चमक उठी

    "येस It's ब्लैकमेलिंग एंड ट्रस्ट मी ये सिर्फ धमकी नही है, अगर डाउट हो तो आज़माकर देख लो। यहाँ तुमने इस ऑफिस से एक कदम बाहर निकाला और वहाँ तुम्हारी बर्बादी की शुरुआत होगी, मैं तुम्हें मजबूर कर दूँगा लौटकर वापिस यहाँ आने पर और तुम्हारे पास मेरे ऑफर को एक्सेप्ट करने के अलावा और कोई रास्ता नही बचेगा। "

    "क्या चाहते है आप मुझसे? क्यों कर रहे है ऐसा मेरे साथ?"

    आरव की भौंहे खतरनाक अंदाज़ मे सिकुड़ गयी। चेयर से उठते हुए उसने सानवी की ओर कदम बढ़ा दिये। सानवी उसके एक्सप्रेशन देखकर डर गयी और सहमी निगाहो से उसे देखने लगी।

    "तुम नही जानती?" सानवी ने पीछे हटना चाहा पर आरव ने उसकी बाँह को सख्ती से पकड़ते हुए उसे जबरदस्ती अपने सामने खड़ा कर लिया।

    डरी सहमी सानवी आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी। उसकी आँखों मे कुछ अजीब सा गुस्सा, नफरत और दर्द झलक रहा था। अचानक आई इन नज़दीकियों के वजह से सानवी का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा। वो साँसे रोके एकटक उसकी आँखों मे देखती रही।

    "क.....कौन हो तुम? क्या मैं तुम्हें जानती हूँ?"

    दिमाग पर ज़ोर डालते हुए सानवी उसे पहचानने की कोशिश करने लगी। उसका सवाल सुनते ही आरव के एक्सप्रेशन बिगड़ गए। उसने झटके से सानवी को छोड़ दिया और उससे दूर हट गया पर सानवी अब भी एकटक उसे देखे जा रही थी।

    To be continued.....

  • 2. Trapped By My Devil Boss - Chapter 2 Mysterious आरव

    Words: 1220

    Estimated Reading Time: 8 min

    "कौन हूँ मैं? " उस कैबिन मे आरव की शैतानी हँसी की आवाज़ गूंज उठी। सानवी अब भी आँखे बड़ी बड़ी करके हैरान परेशान सी उसे देखे जा रही थी।

    आरव एकदम से हँसते हँसते रुक गया और एकाएक सानवी के करीब आकर उसके चेहरे के तरफ झुक गया। सानवी दीवार से चिपक गयी और उसकी साँसें थम गयी।

    "आरव मल्होत्रा, तुम्हारा बॉस। "

    "म.... मुझे आपके साथ काम नही करना। " सानवी अपनी घबराहट को छुपाते हुए कॉन्फिडेंस के साथ उसका सामना करने लगी। आरव की भौंहे खतरनाक अंदाज़ मे सिकुड़ गयी।

    "ना सुनने की आदत नहीं है मुझे…"

    वो थोड़ा और करीब आया,

    "अभी तक तुमने मुझे जाना नहीं… लेकिन अब जान लोगी। मैं आरव मल्होत्रा हूँ। जो चीज़ मेरी नज़रों में आ जाए, उसे पाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ… और जाता हूँ।"

    वो थोड़ा झुककर और धीमी पर भारी आवाज़ मे फुसफुसाया,

    "मुझसे बचकर जाने का कोई रास्ता नहीं होता, मिस सानवी। अगर मेरे खिलाफ जाने की कोशिश की… तो अपनी बर्बादी के लिए तैयार रहना क्योंकि मेरे एगेंस्ट जाने वालों को मैं अपने कदमों मे लाए बिना छोड़ता नही हूँ।"

    उसकी आँखों मे अजीब सा ज़िद और जुनून झलक रहा था। कुछ था जो सामने था पर सानवी समझ नही पा रही थी। डर के मारे सानवी के हाथ पैर ठंडे पड़ने लगे।

    सानवी ने आरव से दूरी बनाने के लिए उसके सीने पर अपनी हथेली रख दी। आरव के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे, सानवी को भी कुछ अजीब सा एहसास हुआ, उसने सकपकाते हुए अपने हाथ पीछे हटा लिये, आरव भी उससे दो कदम पीछे हट गया। एक बार फिर उसका चेहरा सख्त था और घूरती निगाहें सानवी पर टिकी थी।

    "दो रास्ते है तुम्हारे पास, पहला अभी जॉब छोड़कर चली जाओ पर उसके बाद तुम्हारे साथ जो होगा, तुम्हारी फैमिली को जिन प्रोब्लम्स को फेस करना पड़ेगा उसके लिए रिस्पांसिबल तुम खुद होगी और दूसरा इन पेपर्स पर साइन करके मेरी PA बन जाओ।

    100 days का टाइम होगा तुम्हारे पास जिसमे तुम्हे ये प्रूफ करना होगा कि तुम इस कंपनी के लायक हो। अगर तुमने इन hundred days मे खुदको प्रूफ कर लिया, मेरी PA होने की रिस्पांसिब्लिटि ठीक से निभाने मे कामयाब रही तो मैं तुम्हें तुम्हारी पुरानी पोस्ट पर ट्रांसफर कर दूँगा।

    अगर तुम ऐसा नही कर सकी तो भी तुम्हें इस contract से आज़ादी मिल जाएगी। तुम इस कंपनी को छोड़कर जा सकती हो और फ्यूचर मे कही और काम भी कर सकती हो पर एक बार contract sign करने के बाद तुम 100 days से पहले जॉब नही छोड़ सकती। अगर तुमने contract तोड़ा तो तुम्हें कंपनी को compensation के तौर पर ten lakhs पे करने होंगे।"

    आरव के होंठों पर तिरछी मुस्कान फैली थी। उसने ऐसा जाल बिछाया था की सानवी पूरी तरह से उसमे फंस चुकी थी।

    "आप ऐसा क्यों कर रहे है मेरे साथ? मैंने तो सुना था कि जिन एंप्लॉयीज का काम आपको पसंद नही आया आपने उन्हे जॉब से निकाल दिया, अगर आपको मुझसे प्रॉब्लम है तो मुझे भी जॉब से निकाल देते। मुझसे मेरी पोस्ट छीनकर मुझे अपनी PA बनने पर मजबूर क्यों कर रहे है? "

    "Are you signing or not?" आरव ने उसके सवाल को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया।

    "आप मुझे इतना प्रैशराइज़ क्यों कर रहे है? मुझपर दबाब बनाने के लिए मेरी फैमिली और करियर को बीच मे क्यों ला रहे है? यहाँ इतने एंप्लॉयीज काम करते है, किसी और के साथ तो आपने ऐसा नही किया फिर मैं ही आपके टार्गेट पर क्यों हूँ?"

    "तुम साइन कर रही हो या नही? "

    एक बार फिर आरव ने उसके सवाल को अनसुना कर दिया और भौंह सिकोड़े खतरनाक अंदाज़ मे उसे घूरने लगा। उसका चेहरा सख्त था और आँखों मे वार्निंग झलक रही थी। जिसने सानवी को सोचने पर मजबूर कर दिया।

    "ये तो बहुत रूड और एरोगेंट है, इनसे दुश्मनी तेरे लिए ठीक नही होगी। पता नही क्यों पर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे ये पहले से जानते है मुझे और ये सब किसी खास मकसद के तहत कर रहे है, रातों रात इन्होंने कंपनी खरीद दी, इनकी पावर को कम समझने की भूल कभी मत करियो... जो इन्होंने कहा है वो कर भी सकते है।

    कितनी मुश्किलों से तो तुझे ये जॉब मिली है, अगर इस जॉब को छोड़ दिया और सच मे तुझे कही और काम नही मिला, ये तुझे बर्बाद करने पर आ गए तो तेरे साथ साथ डैड की लाइफ मे भी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। .. बस 100 days की तो बात है। इस राक्षस को किसी तरह सौ दिन झेल लियो उसके बाद तो एक दिन भी यहाँ रुकने की कोई ज़रूरत नही है।

    लेकिन अगर ये सब इनका तेरे खिलाफ कोई प्लैन हुआ तो? शरीफ तो लग नही रहे, जैसे घूर रहे है लगता है जैसे तुझे कच्चा ही निगल जाएंगे। पता नही क्यों ऐसा कर रहे है, जवाब भी नही दे रहे। लेकिन अभी तेरे पास इनकी बात मानने के अलावा और कोई रास्ता भी नही है। "

    सानवी ने अच्छे से सोचा फिर उसकी नज़रों से नज़रें मिलाते हुए बोली

    "100 days के बाद आप मुझे यहाँ से जाने देंगे और दोबारा कभी मेरे सामने नही आएंगे, मुझे यहाँ रोकने के लिए कोई साजिशें नही रचेंगे , अपनी पावर और पहुँच का इस्तेमाल करके मेरी प्रोफेशनल लाइफ को हार्म करने की कोशिश भी नही करेंगे और मेरी पर्सनल लाइफ मे इंटरफेयर नही करेंगे, मेरी फैमिली को टार्गेट नही करेंगे। "

    "Ofcourse, मुझे जो करना है उसके लिए ये 100 days काफी होंगे, उसके बाद मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नही तो तुम जहाँ चाहे वहाँ जा सकती हो। "

    "क्या मतलब हुआ इस बात का? " आरव जवाब मे रहस्यमयी अंदाज़ मे मुस्कुराया और फाइल उसके तरफ बढ़ा दी।

    "Sign it "

    सानवी कुछ पल शक भरी नज़रों से उसे देखती रही फिर फाइल लेकर जैसे ही पढ़ने लगी आरव ने उसे टोक दिया

    "इतना टाइम नही है मेरे पास, फटाफट साइन करो। "

    "पढ़ने तो दीजिये, पता नही आपने इसमें क्या क्या लिखा होगा। बादमे आप मेरे लिए कोई नई प्रोब्लम्स खड़ी करे उससे अच्छा है कि मैं पहले से अलर्ट रहूँ। "

    आरव गुस्से से उसे घूरने लगा। सानवी ने झट से उसपर से नज़रें हटा ली और वापिस पेपर्स पढ़ने ही लगी थी कि आरव की कोल्ड वॉयस उसके कानों से टकराई।

    "डॉक्टर सुरेश रॉय... यही नाम है न तुम्हारे डैड का? एक छोटा सा क्लिनिक चलाते है न वो। "

    सानवी ने चौंकते हुए निगाहें उठाई और कंफ्यूज नज़रों से उसे देखने लगी।

    "आ..... आपको कैसे पता?....... "

    "मुझे तो तुम्हारे बारे मे और भी बहुत कुछ पता है और अगर अगले एक सेकंड के अंदर तुमने इन पेपर्स पर साइन नही किया तो मैं बहुत कुछ कर भी सकता हूँ तुम्हारे और तुम्हारे डैड के साथ। "

    आरव की धमकी सुनकर सानवी के चेहरे का रंग उड़ गया। उसका शक यकीन मे बदलता जा रहा था।

    "कौन हो तुम? क्या चाहते हो मुझसे? क्यों कर रहे हो ये सब? क्या तुम मुझे जानते हो? "

    ऐसे कई सवाल उसके मन मे उठ रहे थे पर जानती थी कि जवाब नही मिलेगा। सानवी को अब भी साइन ना करते देखकर आरव ने पॉकेट से अपना फोन निकाला और किसी को कॉल लगा दिया, दूसरे तरफ से आई आवाज़ सुनकर सानवी बुरी तरह चौंक गयी और उसने हड़बड़ी मे उन पेपर्स पर साइन कर दिये।

    To be continued.....

  • 3. Trapped By My Devil Boss - Chapter 3 धोख़ा

    Words: 1205

    Estimated Reading Time: 8 min

    "कौन हो तुम? क्या चाहते हो मुझसे? क्यों कर रहे हो ये सब? क्या तुम मुझे जानते हो?"

    ऐसे कई सवाल उसके मन में उठ रहे थे, पर जानती थी कि जवाब नहीं मिलेगा। सानवी को अब भी साइन न करते देखकर आरव ने पॉकेट से अपना फोन निकाला और किसी को कॉल लगा दिया।

    "हेलो, डॉक्टर सुरेश के क्लिनिक के बाहर ही खड़े हो ना तुम, उठा लो उन्हें और ऐसे गायब करना कि किसी को कुछ पता भी न चले कि वो कहाँ गए।"

    सानवी बुरी तरह घबरा गई और हड़बड़ाते हुए बोली, "नहीं, डैड को कुछ मत करना, मैं कर रही हूँ साइन।"

    सानवी ने पैन उठाया, उसके हाथ काँप रहे थे। कहीं न कहीं आरव के बिहेवियर से उसे अंदाज़ा हो गया था कि ये कॉन्ट्रैक्ट उसकी लाइफ बदलने वाला था, बहुत कुछ था जो उससे छुपाया जा रहा था, लेकिन उसकी मजबूरी थी।

    सानवी ने काँपते हाथों से उन पेपर्स पर साइन कर दिए। आरव के होंठों पर रहस्यमयी शैतानी मुस्कान बिखरी थी और आँखों में उसकी जीत की चमक थी।

    "कुछ करने की ज़रूरत नहीं, वापिस आ जाओ।"

    आरव ने मोबाइल पॉकेट के हवाले किया और सानवी के हाथों से लगभग पेपर्स छीन लिए और ले जाकर उसे सेफ में रख दिए।

    सानवी किसी हारे हुए खिलाड़ी जैसे सर झुकाए एकदम खामोश खड़ी थी। आरव रौब के साथ अपनी चेयर पर आकर बैठ गया।

    "आज और अभी से तुम मेरी पर्सनल असिस्टेंट हो। तुम्हारी ड्यूटी है मेरे हर ऑर्डर को फॉलो करना। आज का टाइम है तुम्हारे पास एक PA की क्या क्या रिस्पांसिबिटी एंड ड्यूटीज़ होती है, कैसे वर्क करना होता है सब सीख लो, कल से डेज़ काउंट होना शुरू होंगे। बाहर तुम्हें सुमित मिलेगा, वो तुम्हें सब कुछ समझा देगा। ... Now you can go."

    सानवी चुपचाप वहाँ से चली गई। बाहर ही उसे आरव का सेक्रेटरी सुमित मिल गया था। फॉर्मल इंट्रो के बाद सुमित उसे अपने साथ ही आरव के साइड वाले केबिन मे ले गया। दोनों केबिन के बीच एक ग्लास वॉल मौजूद थी जिसपर कर्टन्स लगे थे।

    सानवी का आज का पूरा दिन स्ट्रेस में बीता। अजीब सा डर सता रहा था उसे, जब जब आरव का ख्याल आता दिल की धड़कनें बढ़ जाती और वो खुद में उलझकर रह जाती। सुमित उसे सब कुछ डिटेल में बता रहा था और वो भी ध्यान से सब सीख रही थी।

    अपने केबिन में बैठा आरव के लैपटॉप स्क्रीन पर उसके केबिन की लाइव फुटेज देख रहा था, उसके हर मूवमेंट पर उसकी बारीक नज़र थी।

    दिन बीत गया था। शाम हुई तो सुमित के कहने पर वो आरव के केबिन के तरफ बढ़ गई। उसने दो तीन बार नॉक किया पर अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई।

    "क्या ये जानबूझकर ऐसा कर रहे है?" खुद में बड़बड़ाते हुए सानवी ने एक बार फिर डोर नॉक करते हुए परमिशन मांगी और इस बार जवाब भी आ गया।

    सानवी ने गहरी सांस छोड़ी और डोर खोलते हुए केबिन के अंदर कदम रखा।

    "सब अच्छे से समझ लिया तुमने?"

    "येस सर।"

    "एक बात अच्छे से याद रखो—मुझे काम में परफेक्शन की आदत है। मेरे ऑफिस में सिर्फ़ वही टिकता है जो पंचुअल, रिस्पॉन्सिबल और पूरी तरह डेडिकेटेड हो। कोई भी लापरवाही… सीधा पनिशमेंट।

    कल से तुम्हारा रिपोर्टिंग टाइम सुबह 8 बजे है। मैं कब आता हूँ, वो तुम्हारा सिरदर्द नहीं—मेरा केबिन, मेरी टेबल और मेरा शेड्यूल सब कुछ रेडी होना चाहिए। और हाँ, मेरी कॉफी… टेबल पर होनी चाहिए, बिल्कुल टाइम पर।

    डस्ट और मैसी चीज़ों से मुझे एलर्जी है, सुमित ने शायद तुम्हें बताया होगा। इसलिए सब कुछ क्लीन, क्लासिक और परफेक्टली ऑर्गनाइज़्ड चाहिए मुझे।

    Got it?"

    "य.... येस सर" सानवी जो आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देख रही थी उसने हड़बड़ाते हुए सर हिला दिया।

    "Any questions?"

    "नो सर"

    "You may go now"

    सानवी कुछ कहना चाहती थी पर होंठ कसमसाते हुए वापिस बंद हो गए। सर हिलाते हुए वो केबिन से बाहर चली गयी। आरव ने उड़ती नज़र उस पर डाली। उसके चेहरे पर अजीब से भाव मौजूद थे।

    रात का वक़्त था। स्ट्रिप वाली कैमिसोल, शॉर्ट और खुले बिखरे बालों मे सानवी बहुत प्यारी लग रही थी, पर इस वक़्त काफी परेशान नज़र आ रही थी। जैसे ही उसके ज़हन मे आरव का ख्याल आया उसके दिल की धड़कने बढ़ गयी। हाथ अनायास ही सीने पर चला गया।

    "ये क्या हो रहा है मेरे साथ? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे मैं उन्हे पहले से जानती हूँ, कोई बहुत गहरा रिश्ता है उनसे। उनका चेहरा मेरी आँखों के सामने से हट नही रहा और उनके ज़िक्र से ही धड़कने बेचैन हो जाती है। उनका बिहेवियर भी बहुत अजीब लगा, ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे पहले से जानते है और किसी चीज़ का बदला लेने की कोशिश कर रहे है। पर मुझे तो इतना सोचने के बाद भी याद नही आया कि मैंने उन्हे पहले कभी देखा हो।

    मुझे तो कुछ भी समझ नही आ रहा कि मेरे साथ ये हो क्या रहा है? कल तक तो मेरी लाइफ इतनी शांति से बीत रही थी पर जब से आरव नाम के तूफान ने एंट्री ली है सब कुछ बहुत अजीब हो गया है।"

    सानवी परेशान सी अपने बाल नोचने लगी पर बिस्तर पर गिर गयी और पिलो को अपनी बाँहों मे भरे फ़्रस्टेशन मे चीख उठी पर आवाज़ बाहर नही आई।

    शहर के दूसरी ओर, एक अंधेरे रूम में, आरव मल्होत्रा अपनी व्हिस्की के गिलास को घुमा रहा था।

    उसने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया, कुछ सेकंड स्क्रीन पर उंगलियाँ घुमाई। अगले ही पल स्क्रीन पर एक फोटो उभरी जिसे देखते ही आरव का चेहरा एकदम सख्त हो गया, भौंहे खतरनाक अंदाज़ मे सिकुड़ गयी और आँखों मे गुस्सा नफरत, दर्द के मिले जुले भाव उभरने लगे।

    "तुम लास्ट टाइम मुझसे बचकर भागने मे कामयाब हो गयी थी पर इस बार मैं तुम्हें खुद से दूर जाने का कोई मौका नही दूँगा, मैं इंश्योर करूँगा कि तुम भाग न सको। तुमने जो गुनाह किया है तुम्हें उसकी सज़ा भी भुगतनी होगी। मुझे.... आरव मल्होत्रा को धोख़ा देकर तुम बच नही सकती..... बस तुम अब देखती जाओ कि मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूँ।"

    आरव की कोल्ड वॉयस उस रूम मे गूंज रही थी, होंठों पर शैतानी मुस्कान बिखरी थी जो सानवी के लाइफ मे तबाही मचाने वाली थी।

    अगली सुबह लगातार बजते अलार्म से सानवी की नींद खुली पर नींब पूरी न होने के वजह से वो अल्साई हुई सी उबासिया ले रही थी। आरव का ख्याल मन मे आते ही उसने जबरदस्ती अपनी आँखों को खोला और नींद मे झूलते हुए बाथरूम मे चली। फ्रेश होने के बाद किचन मे जाकर उसने पानी बॉयल किया, उसने शहद डालकर मिक्स किया और पीते हुए वापिस रूम मे चली गयी। अपने आउटफिट निकाले और नहाने चली गयी।

    घडी ने साढ़े सात बजाए, सानवी धीमे कदमों से चलते हुए चुपके से घर से निकलने की फिराक मे थी। वो गेट खोलने ही वाली थी कि अचानक ही लाइट्स जल उठी और पीछे से एक सख्त रौब्दार आवाज़ आई, "इस वक़्त कहाँ जा रही हो तुम?"

    सानवी का चेहरा पीला पड़ गया और घबराहट मे उसके हाथ से पर्स छूटकर गिर गया। उसने अपनी आँखों को कसके भींच लिया।

    To be continued.....

    स्टोरी कैसी लग रही है आपको लाइक एंड कॉमेंट करके बताइये। अगर रिस्पांस अच्छा मिला तो पार्ट जल्दी जल्दी आएंगे।

  • 4. Trapped By My Devil Boss - Chapter 4

    Words: 1272

    Estimated Reading Time: 8 min

    "इस वक़्त कहाँ जा रही हो तुम?"

    सानवी का चेहरा पीला पड़ गया और घबराहट में उसके हाथ से पर्स छूटकर गिरते गिरते बचा। उसने अपनी आँखों को कसके भींच लिया।

    "सानवी, कुछ पूछा है मैंने तुमसे, इस वक़्त ऐसे छुपकर कहाँ जा रही हो तुम?"

    एक बार फिर वही आवाज़ आई। सानवी ने अपनी आँखे खोली और ज़बरदस्ती की मुस्कान होंठों पर सजाते हुए पलट गयी।

    "गुड मॉर्निंग, डैड।"

    उससे कुछ कदमों की दूरी पर सुरेश खड़े, भौंह सिकोड़े उसे घूर रहे थे।

    "गुड मॉर्निंग, पर तुम इस वक़्त ऐसे कहाँ जा रही हैं?"

    "डैड, वो मेरे ऑफिस की टाइमिंग चेंज हो गयी है। अबसे मैं इसी वक़्त जाया करूँगी।"

    सानवी ने झिझकते हुए कहा, ये सुनकर सुरेश चौंक गए।

    "ये कब हुआ बेटा? तुमने पहले मुझे क्यों नही बताया और अचानक तुम्हारे ऑफिस की टाइमिंग कैसे बदल गयी?"

    "डैड, जिस कंपनी में मैं काम करती हूँ वो किसी और ने खरीद ली है और बॉस ने आते ही टाइमिंग चेंज कर दी है। वो बहुत रूड और स्ट्रिक्ट है। आते ही आधे से ज्यादा स्टाफ को फायर कर दिया, मैं उन्हे ऐसा कोई मौका नही देना चाहती इसलिए टाइम से थोड़ा पहले निकल रही हूँ और मैं आपको बताना चाहती थी पर मुझे मौका नही मिला।"

    मिस्टर रॉय की सख्ती और गुस्सा अब चिंता में बदल गया था।

    "बेटा तुम्हें मुझे पहले बताना चाहिए था। अब तुम भूखे पेट निकल रही हो, अगर पहले मुझे बता देती तो मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना देता। चलो तुम पांच मिनट रुको मैं अभी तुम्हारे लिए ब्रेकफास्ट रेडी कर देता हूँ।"

    मिस्टर रॉय किचन की ओर बढ़ने लगे। सानवी भी उन्हें रोकते हुए उस तरफ दौड़ गयी।

    "डैड इसकी कोई ज़रूरत नही है, आप बेवजह ही परेशान हो रहे है। वैसे भी अभी मेरे ब्रेकफास्ट का टाइम नही हुआ है, मुझे बिल्कुल भी भूख नही लग रही।"

    "तुम बिना ब्रेकफास्ट किये घर से बाहर नही जाओगी, अब चुपचाप बैठो और मुझे अपना काम करने दो।"

    मिस्टर रॉय ने सख्ती दिखाई। सानवी छोटे बच्चे सर हिलाते हुए एकदम चुप होकर खड़ी हो गयी। मिस्टर रॉय उसे देखकर मुस्कुराए और जल्दी जल्दी अपना काम करने लगे। उन्होंने फटाफट सूजी में दही, मसाले और सब्जियां डालकर पेस्ट तैयार किया। इतने में सानवी फ्रीज से ब्रेड और बटर निकालकर ले आई।

    कुछ ही देर में टेस्टी रवा टोस्ट तैयार था जिसे देखते ही सानवी के पेट से आवाज़ें आने लगी और मुँह में पानी आ गया। उसने फटाफट प्लेट में सॉस डाली, टोस्ट रखा और खड़े खड़े ही खाने लगी।

    "डैड सच कह रही हूँ आपके हाथ में जादू है। इतना टेस्टी खाना बनाते है की देखकर ही भूख लग जाती है, इतना अच्छा तो मुझसे भी नही बनता। आपको तो डॉक्टरी छोड़कर शेफ बन जाना चाहिए फिर मुझे रोज़ आपके हाथ की न्यू एंड यम्मी डिशेज खाने को मिलेगी और आप मुझे अपना असिस्टेंट बना लेना और मैं भी आपके इतना टेस्टी खाना बनाना सीख लूँगी।"

    सानवी मजे से टोस्ट खाते हुए बोले जा रही थी। उसकी आँखों की चमक और होंठों पर बिखरी मुस्कान देखकर मिस्टर रॉय की आँखे नम हो गयी पर उन्होंने बड़ी ही चालाकी से अपने आँसू छुपा लिया और मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ रख दिया।

    "आप हमेशा ऐसे ही खुश रहा कीजिये।"

    "मैं तो हमेशा खुश ही रहती हूँ डैड।" सानवी एक बार फिर मुस्कुराई, लास्ट बाइट मुँह मे डाला। इतने में मिस्टर रॉय ने जूस का ग्लास उसे पकड़ा दिया। सानवी ने उसे देखकर अजीब सा मुँह बनाया। मिस्टर रॉय ने आँखे दिखाई तो उसने चुपचाप जूस फिनिश किया, अपना मुँह साफ किया और उनके गाल पर किस कर्म के बाद हाथ हिलाते हुए भाग गयी।

    "Bye dad take care... Love you."

    मिस्टर रॉय ने हँसते हुए हाथ हिलाकर उसे बाय किया फिर गंदे बर्तन समेटने लगे।

    सानवी ने बाहर खड़ी अपनी स्कूटी स्टार्ट की और वहाँ से निकल गयी। आज वो रोज़ के टाइम से पहले और आरव के कहे टाइम से भी पहले ऑफिस पहुँच गयी थी। ऑफिस में गार्ड और क्लीनिंग स्टाफ के अलावा कोई भी नही आया था।

    सानवी ने अपनी गाइडेंस में ठीक से आरव के कैबिन को साफ करवाया। एक कप कॉफी बनाई और अपने केबिन में आ गयी।

    धीरे धीरे ऑफिस एंप्लॉयीज आने लगे। करेक्ट नौ बजे आरव ने ऑफिस में कदम रखा और उसके कदम रखते हुए वहाँ का माहौल बदल गया।

    "बॉस आ गए, बॉस आ गए..." का शोर चारों तरफ गूंजने लगा। सब दौड़कर जाकर अपने अपने डेस्क पर जाकर काम करने लगे, कुछ ही सेकंड्स में पूरे ऑफिस में पिन ड्रॉप साइलेंस फैल गया। उसका ऑरा ही इतना खतरनाक था कि किसी में उसके ऐगेंस्ट जाकर उसके रूल्स को तोड़ना तो दूर उससे नज़रें मिलाते की भी हिम्मत नही होती थी। एंप्लॉयीज उसे गुड मॉर्निंग विश करते पर वो एटिट्युड दिखाते हुए आगे बढ़ता जाता।

    सानवी ये सब देखकर हैरान थी। उसने ऑफिस में पिछले दो सालों में ऐसा पहले कभी नही देखा था। उनके प्रिवीयस् बॉस जॉली नेचर के थे तो ऑफिस का माहौल खुशनुमा बना रहता था। लेकिन आरव के आते ही सब बदल गया।

    सानवी को अजीब सी घुटन होने लगी। आरव और उस के गार्ड्स के साथ वो भी लिफ्ट में घुसने वाली थी कि आरव ने हाथ दिखाकर उसे रोक दिया।

    "Use stairs और याद रहे मेरे पहुँचने से पहले तुम्हें वहाँ पहुँचना है। अगर तुम मुझे लिफ्ट के बाहर खड़ी नज़र नही आई तो अपनी फर्स्ट पनिशमेंट के लिए रेडी रहना।"

    सानवी आँखे बड़ी बड़ी करके उसे देखने लगी। आरव ने आँखों से उसे वार्निंग दी और बटन प्रेस कर दिया। लिफ्ट बंद हो चुकी थी पर सानवी हैरान परेशान सी वहाँ खड़ी ही रह गयी थी।

    अचानक उसके कानों में आरव के शब्द गूंजे, गुस्से में उसने अपने नथुने फुला लिए और मन ही मन गुस्से से भरी, उसे कोसते हुए स्टेयर्स के तरफ दौड़ गयी। अभी वो फिफ्थ फ्लोर पर ही पहुँची थी पर उसका बुरा हाल था। इतनी ठंड में भी पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था, पेट दर्द पर रहा था, सांसे उखड़ने लगी, पैर अलग हिल्स से घायल हो गए थे। उसमे अब और एनर्जी नही बची थी।

    "सानवी तुझे ये करना ही होगा, तू ऐसे हार नही मान सकती, तू खुद उस राक्षस को खुदको टार्गेट करने का चांस नही दे सकती.... पर अब मुझमे बिल्कुल भी हिम्मत नही है। बहुत थक गयी हूंँ मैं।

    कितना बदतमीज़ और साड़ियल आदमी है, खुद तो लिफ्ट से चला गया और मुझे स्टेयर्स से आने कह दिया। मैं अब उड़कर भी जाऊंगी तब भी उससे पहले नही पहुँच पाऊँगी और ये सब उसने जानबूझकर किया है ताकि मुझे टॉर्चर कर सके। पता नही उसे मुझसे क्या प्रॉब्लम है और कब तक मुझे ये सब सहना होगा।"

    सानवी एकदम मायूस हो गयी फिर खुदको cheerup करने लगी। हिल्स उतारी और रेलिंग पकड़कर जल्दी जल्दी सीढ़ियां चढ़ने लगी। टॉप फ्लोर पर पहुँचते पहुँचते उसकी हालत खराब हो चुकी थी, पैर उसका साथ छोड़ चुके थे। वो लड़खड़ाते कदमों से लिफ्ट के तरफ बढ़ी और एक हाथ से दीवार पकड़े दूसरे से अपनी कमर थामे आगे की ओर झुकते हुए गहरी गहरी सांस लेने लगी।

    आरव पहले ही वहाँ पहुँच चुका था और शायद उसी का वेट कर रहा था। उसने तीखी नज़र सानवी पर डाली। पसीने से भीगा शरीर, लाल चेहरा, उखड़ती साँसें और लड़खड़ाते कदम एक हाथ मे पकड़ी हिल्स..... आरव के होंठों पर तिरछी शैतानी मुस्कान फैल गयी।

    "Welcome to hell मिस सानवी, this is just beginning, देखती जाओ कि आगे मैं तुम्हारे साथ क्या क्या करता हूंँ?"

    "You are late miss रॉय" आरव की सख्त आवाज़ कानों मे पड़ी। सानवी बुरी तरह हड़बड़ा गयी, चौंकते हुए सीधे खड़े होने के चक्कर मे उस्का पैर मुड़ गया और मुँह से चीख निकल गयी।

    "डैडआ....."



    To be continued.....