first sight love is rare but also ravishing " She " मेरी उनसे पहली मुलाकात 2 साल पहले हुए थी जिसमें मैने उन्हें सिर्फ नफरत भरे शब्द सुनाए थे, वो मेरी जिदंगी का सबसे मनहूस दिन था उन्हें मेरी जिदंगी का सबसे काला पन्ना मालूम है , फिर क्यों... first sight love is rare but also ravishing " She " मेरी उनसे पहली मुलाकात 2 साल पहले हुए थी जिसमें मैने उन्हें सिर्फ नफरत भरे शब्द सुनाए थे, वो मेरी जिदंगी का सबसे मनहूस दिन था उन्हें मेरी जिदंगी का सबसे काला पन्ना मालूम है , फिर क्यों वो इस शादी के लिए मान गए? क्या उन चंद शब्दों के बदले के लिए? " He " उसे देख कर लगा नहीं था कभी जिदंगी मै इसे मिलने की ख्वाहिश दोबारा होगी पर अब लग रहा है जैसे इस घुटन भरे एहसास से तभी रिहाई मिलेगी जब वो मेरे रूबरू होगी "
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राजस्थान जयपुर
शास्त्री भवन
सुबह 8 बजे
" जल्दी कर सपना लड़के वाले आते ही होंगे "
एक औरत ने किचन से ही अंदर आवाज लगाते हुए अपनी बहु की छोटी बहन सपना से कहा
ये थी शकुंतला शास्त्री आज उनकी बेटी वृंदा को देखने लड़के वाले आने वाले थे
किचन मै शंकुतला की बहु " मिहीका " भी उनकी मदद कर रही थी ताकि अगर रिश्ता पक्का हो जाए तो मेहमान बिना मिठाई के उनके घर से ना चले जाए
सगाई के वक्त काम आने वाले हर सामान का बंदोबस्त लगभग हो चुका था और जो नहीं हुआ था वो वृंदा के पिता दामोदर और उसका बड़ा भाई मिथिलेश करने मैं लगे थे
आज दोनों ने अपने काम से छुटी ले ली थी
वृंदा की फैमिली अच्छी खासी पैसों वाली फैमिली है पर उतनी ही संस्कारी भी तभी तो आज तक इनके घर काम करने नौकरानी नहीं आई इनका मानना है जब तक भगवान हाथ सही सलामत रखे अपने हाथो से ही बना कर खाओ किसी बाहर वाले को अंदर लाने की कोई जरूरत नहीं है
रूम मै
सपना वृंदा को तैयार कर रही थी और वृंदा खामोशी से सर झुकाए बैठी थी
" दी उनको अपने अतीत के बारे मै भनक भी मत लगने देना वरना वो शादी से मना कर देंगे "
, फिर खुद को शीशे मै देखते हुए बोली
" वैसे भी में आपसे इतनी ज्यादा गौरी और सुंदर हु क्या पता आपकी जगह मुझे शादी के लिए बोल दे "
( ये बोलते वक्त सपना अपनी खूबसूरती पर इतरा रही थी और हल्की शर्मा भी रही थी )
ये सुन कर भी वृंदा ने कुछ नहीं कहा वो बस अपने हाथो को देख रही थी जिन पर कई अरसों बाद मेहंदी का रंग चढ़ा था वो भी इतना गहरा जो आज से पहले कभी नहीं आया
उसने दो ढाई साल से मेंहदी को हाथ भी नहीं लगाया था पर आज उसे ये मेंहदी जबरदस्ती लगवानी पड़ी थी...
उसकी भूरी आंखे रोने के कारण हल्की सूजी हुई थी उन पर बड़ी बड़ी पलके थी जो उन आंखों को और खूबसूरत बना रही थी
Light brown skin tone... Heart shape lips... और dark brown कमर तक आते बाल वो इस वक्त डार्क ग्रीन साड़ी पहने हुए थी और उसके मैचिंग ज्वेलरी
दिखने मै सादगी की मूर्त लगती है.... पर घरवालों को एक आंख नहीं भाती है 2 साल पहले उसने कुछ ऐसा किया था जिसकी कल्पना उसके घर वालों ने कभी नहीं की थी जिस वजह से वो उसे बिगड़ैल बेटी समझते हैं
वो तब महज 19 साल की थी उस उम्र में गलतियां होना लाज़मी था पर सबको वो एक गलती नहीं बल्कि अपराध लगा था....
सपना ने उसके बालों मै कल्चर डालते हुए कहा
" दी इतने हेवी बाल है आपके आपको लेयर कट करवाना चाहिए था"
फिर खुद ही हंसते हुए बोली
" पर खैर कोई बात नहीं आपको फैशन सेंस नहीं है ये मुझे पता है इसलिए अब तो इन्हीं बालों के साथ आपकी बढ़िया हेयर स्टाइल कर दी है मैने "
वृंदा ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा
" थैंक यू छोटी "
कुछ देर बाद
एक ब्लैक मर्सिडीज शास्त्री भवन के सामने आकर रुकी..
दामोदर और शकुंतला दोनों ही दरवाजे पर खड़े बेसब्री से उनका इंतजार कर रहे थे
सबसे पहले एक औरत का हाथ बाहर आया जिस पर महंगे कंगन सजे थे
वो औरत बाहर निकली उसने रेड साड़ी पहनी थी और खूब सारे गहने जो राजवंश खानदान की पहचान थी....
ये थी अवंतिका राजवंश हमारे हीरो की माता श्री....
उसके बाद एक लड़का बाहर निकला जिसके सिल्की काले बाल उसके आधे फॉर हेड को कवर कर रहे थे उसे देख कर कही से भी नहीं लग रहा था वो यहां लड़की देखने आया होगा
उसने निर्मल ग्रे लूज फिटिंग टाउजर और ब्लैक v शेप नेक वाली प्लेन टीशर्ट पहन रुखी थी
ये है " तेजस राजवंश "
उम्र 28 साल शार्प फीचर एंड साथ ही शार्प माइंड
उसके उखड़े अंदाज को देख कर शकुंतला और दामोदर थोड़े असहज हो गए थे क्या वो सही जगह अपनी बेटी का रिश्ता कर रहे थे.....
उसके बाद एक ओर औरत बाहर निकली जिसने सफेद साड़ी पहन रखी थी....
उसके चेहरे पर खुशी साफ साफ झलक रही थी ये थी हमारे हीरो की दादी मां " रजवंती राजवंश "
उसके बाद ड्राइविंग सीट पर बैठे तेजस के चाची जी " रितेश राजवंश बाहर निकले
दामोदर और शकुंतला ने मुस्कुरा कर उनका स्वागत किया और सब एक साथ अंदर आने लगे
तेजस और उसकी दादी मां साथ साथ अंदर आ रहे थे साथ मै खुसर फुसर कर रहे थे
" देखो मातेश्वरी पहले बता रहा हूं शादी मै इंटरेस्टेड नहीं हूं अगर लड़की को बुरा लग जाए तो संभाल लेना क्योंकि रिजेक्शन आजकल की निब्बियों से बर्दास्त नहीं होते हैं "
रजवंती ने उसके कंधे पर मारते हुए कहा
" शुभ शुभ बोल नालायक "
तेजस ने मुंह को कई तरीकों से टेढ़ा मेढ़ा करते हुए कहा
" सच बोलो तो नालायक झूठ बोलो तो नालायक एक बार इस लायक सुपुत्र की परिभाषा जरूर बता देना मरने से पहले "
रजवंती ने तेजस से भी ज्यादा तेज कदम भरते हुए कहा
" अभी तो जवान हु तेरे बेटे के भी बेटे देख कर जाऊंगी रोज बाबा रामदेव के बताए आसन करती हु "
इतनी बाते करते हुए वो अंदर पहुंच चुके थे....
मिहीका ने उन्हें बैठने को कहा और फिर सपना को अंदर से चाय नाश्ता लेकर बुलाया....
सपना भी पूरी तैयार हुई थी उसने पिंक कलर का नेट का अनारकली सूट पहना था और उसका जाली का दुप्पटा सर पर ले रखा था
मुंह पर बहुत सारा मेकअप और एक प्यारी सी मुस्कान सजाए वो आगे आई तो सबको लगा लड़की यही है
उसकी खूबसूरती देख कर अवंतिका खुश हो गई थी उन्हें बिल्कुल ऐसी ही बहु चाहिए थी अपने चार्मिंग प्रिंस के लिए...
पर रजवंती को सपना से अच्छी वाइब नहीं आई उन्होंने धीरे से तेजस के कान मै कहा
" ये तो मुझे भी नहीं पसंद आई तुझे क्या आयेगी "
तेजस ने भी उसी तरह धीरे से कहा
" बुढ़ऊ इस उम्र मै लेस्बियन थोड़ी बनना है जो आपको पसन्द आएगी स्वर्ग जाकर दादा जी को क्या मुंह दिखाओगी वरना "
रजवंती ने एक पैर से उसके पैर पर मारते हुए कहा
" हट नालायक "
पर उनकी इस बात पर तेजस ने भी सर उठा कर सपना को देखा
और फिर रजवंती जी के कान में बोला
" पर ये आपकी बहु के लिए बिल्कुल परफेक्ट मैच जैसी सास वैसी बहु "
ये सुन कर रजवंती को हंसी आ गई...
और तेजस सही कह रहा था सपना और अवंतिका दोनों ही सेल्फ ऑब्सेस्ड लेडीज थी जिन्हें सिर्फ खूबसूरत दिखने से मतलब था....
पर शकुंतला ने सबका वहम दूर करते हुए सपना से कहा
" जाओ सपना अपनी दी को लेकर आओ "
ये सुन कर तेजस और रजवंती के चेहरे पर एक्साइटमेंट आ गई और अवंतिका के चेहरे पर निराशा
कुछ वक्त बाद सपना वृंदा को लेकर बाहर आई...
वृंदा के पैरों मै जैसे जान नहीं बची थी इसलिए वो काफी धीमे कदमों से वहा आ रही थी
उसके पायलों की छन छन सुन कर रजवंती ने उसकी तरफ देखा और उसके होठों पर बड़ी सी मुस्कान बिखर गई
" देख तेजू कितनी सादगी मै लिपटी लड़की ढूंढी है तेरे लिए "
ये सुन कर तेजस ने बोरियत से कहा
" क्या बुढऊ आप भी?"
पर उसकी नज़रे जैसे ही वृंदा के चेहरे पर पड़ी एक पल के लिए जैसे उसका दिल धड़कना ही भूल गया....
उसने अपने सीने पर हाथ रखते हुए बुदबुदा कर कहा
" शांत हो जा शांत इतना मत फुदक "
और फिर उसने सोफे से खड़े होते हुए कहा
" तो ये है वो लड़की जिससे मेरी शादी होने वाली है "
अवंतिका को कुछ खास वृंदा पसंद नहीं आई थी इसलिए तेजस के साथ वह भी उठ खड़ी हुई और रजवंती को तेजस पर हद से ज्यादा गुस्सा आया उसने उसका हाथ पकड़ कर कुछ कहना चाहा उससे पहले ही मिथिलेश ने कहा
" हां यह मेरी छोटी बहन वृंदा है यही है जिसका रिश्ता लेकर हम आपके पास आए थे "
तेजस ने एकदम से मुस्कुराते हुए कहा जी मुझे आपकी बहन बहुत पसंद आई है मैं इस शादी के लिए तैयार हूं बस एक शर्त हैमेरी!
शर्त का नाम सुनकर मिथिलेश के चेहरे के भाव बदल गए तो तेजस ने कहा
" अरे होने वाले साला जी डरो मत मेरी शर्त यह है कि मुझे शादी जल्द से जल्द करनी है क्योंकि उसके बाद मेरी इंटरनेशनल बिजनेस मीटिंग है तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के साथ ही वहां जाना है "
उसकी इस बात पर वृंदा ने धीरे से अपना रुख तेजस की तरफ किया
सबसे पहले उसकी नजर गई तेजस की स्लीपरस पर उसके मन में एक ही ख्याल आया " कौन ये चप्पल पहन कर लड़की देखने जाता है "
और जैसे जैसे वो तेजस को देखती गई उसकी आंखो की उलझन बढ़ती गई पजामा टीशर्ट मै ही लड़की देखने आ गया
वही उसकी ये नजरे अपने ऊपर देख कर तेजस एकदम से झेंप गया
" ओह फो थोड़े अच्छे कपड़े पहन कर नहीं आ सकता था मैं "
वृंदा की नजरे उसके चेहरे पर गई तो उसका चेहरा सफेद पड़ गया उसके इस रिएक्शन पर तेजस ने आई विंक करते हुए एक डेविल स्माइल की और कहा
" अब हम चलते हैं मुझे काम है इंपॉर्टेंट "
शादी अगले तीन दिन मै हो जानी चाहिए वरना भूल जाना इस रिश्ते को
मिथिलेश ने हाथ जोड़ कर हा मै सर हिलाया और फिर दामोदर के साथ उन सबको वापस कार तक छोड़ने आया
सब उन्हें ड्रॉप करने दरवाजे तक आए पर वृंदा वही हॉल मै बुत बनी खड़ी थी
To be continued 🎀
Kaisi lagi shuruaat 😀🧿......
वृंदा की पकड़ अपनी सारी के पल्लू पर कस चुकी थी उसके माथे पर हल्की पसीने की बूंदे झलक रही थी.....
सपना ने अंदर आते हुए खुन्नस मै कहा
" अब यहां कब तक खड़ी रहोगी दी, लड़के वाले गए अब कपड़े बदल लीजिए "
वृंदा ने अपने आंसु छुपाते हुए अपना चेहरा घुमाया और तेज कदमों से चलते हुए अपने कमरे मै चली गई
जाते ही उसने दरवाजा बंद किया और उससे टेक लगा कर बैठते हुए बोली
" हे शिव ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ , उन्हें मेरे अतीत का व सबसे काला पन्ना मालूम है फिर क्यों वो इस शादी की लिए जा कह रहे हैं?
क्या मैने जो नफरत भरे शब्द कहे थे उन शब्दों की वजह से?"
" क्या कोई चंद शब्दों के बदले के लिए किसी से 3शादी तक कर सकता है ?"
इतना बोल कर उसने अपनी आंखे बंद कर ली और याद करने लगी उस पहली मुलाकात को.......
कुछ यही हाल तेजस का था वो ड्राइविंग सीट की बगल वाली सीट पर बैठा था उसने वृंदा का वो मासूम गोल चेहरा याद करते हुए अपने मन मै कहा
" आखिर तुम मुझे मिल ही गई ज़ुल्मिया कितने जुल्म ढाए हैं तुम्हारी उस एक दिन के याद ने इन बीते 2 सालों में एक बिगड़ल अमीरजादे से सरफिरा आशिक बने घूम रहा था तुम्हारे पीछे तुम्हे ढूंढ़ने के लिए, मन वो पहली मुलाकात बहुत वाहियात थी पर........."
इतना बोलते हुए उसने अपनी आंखे बंद की और पीछे सीट पर सर टिका लिया
Flash back
2 साल पहले
बनारस अस्सी घाट
मंदिर मै घंटियां बज रही थी एक लड़की लाल अनारकली पहने सर पर दुपट्टा लिए मंदिर के बरामदे में खड़ी हो कर भगवान से अपने आने वाले कल की प्रार्थना कर रही थी
आज उसका बॉय फ्रेंड उससे शादी करने आने वाला है इस मंदिर मै..... उसने अपने घर वालों से ये बात छुपाई थी और अब डरते हुए भगवान से शरण मांग रही थी कि सब अच्छा हो जाए....
वहां आस पास ओर भी लोग थे जो अपना अपना काम कर रहे थे तो कुछ शिव का आशीर्वाद ले रहे थे.....
वो एक कोने में खड़ी हो कर अपने बॉय फ्रेंड यतीक्ष का इंतजार कर रही थी
और वो इंतजार खत्म भी हुआ जब एक लड़का व्हाइट कोट पहने अपनी गाड़ी से उतर कर बाहर आया और उसके साथ ही उसके 4 बाउंसर्स भी बाहर निकले.....
उसके बाद एक औरत ने जिसने जॉर्जेट वाइन कलर साड़ी और हेवी ज्वेलरी पहनी थी
" यतीक्ष चलिए पहले पूजा कर 4लेते हैं बाद 3मै सब को खाना भी खिला देंगे "
" जी मां " बोलते हुए यतीक्ष उसके पीछे पीछे आने लगा
उसके आते ही वृंदा भागते हुए आई और यतीक्ष के साथ आई औरत के पांव छूते हुए बोली
" पाए लागू आंटी जी आखिर आप मान गए इस शादी के लिए "
वो औरत आंखें छोटी करते हुए बोली कौन सी शादी और हैरियत से यतीक्ष की तरफ देखने लगी जो खुद आंखों में कंफ्यूजन लिए वृंदा को देख रहा था और उसने एकदम से वृंदा का चेहरा देखते हुए कहा
" किसकी शादी हो रही है ?"
और वृंदा का चेहरा पीला पड़ गया वह उठी और यतीक्ष हाथ पकड़ते हुए बोली
" हमारी शादी यतीक्ष तुमने मुझसे वादा किया था एक महीने पहले की आज के दिन हमारी शादी होगी इस शिवरात्रि के दिन हम दोनों हमेशा के लिए एक हो जाएंगे और तुम मेरे घर वालों को भी मनाओगे "
यह सुन कर यतीक्ष ने उसका हाथ झटकते हुए उसे हल्का सा धक्का दिया और वृंदा पीछे किसी शख्स से टकरा गई और यह शख्स और कोई नहीं बल्कि तेजस था
तेजस ने उसे संभालते हुए कहा
" अरे संभल कर इतनी भी क्या जल्दी है आराम से बैठकर मसाला सुलझाओ "
इतना बोल कर उसने वृंदा को वहीं छोडा और दो कदम आगे बढ़ाए की उसके कानों में वृंदा के रोने की आवाज आई
" यतिक्ष तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो तुमने कहा था तुम मुझसे शादी करोगी "
तेजस ने हैरानी से पीछे मुड़ के देखा वृद्धा की उम्र उसे 18 19 साल लग रही थी और उसके होठों पर अचानक की एक हंसी गिर गई जैसे वह वृंदा का मजाक उड़ा रहा हूं इस उम्र में उसे शादी करनी है वह भी अपने बॉयफ्रेंड से क्योंकि यह लड़का कहीं से भी उसके परिवार की पसंद तो नहीं लग रहा था
वही यतीक्ष की मां ने भी वृंदा को फटकारते हुए कहा
" अमीर लड़का देखा नहीं की आ जाती है कहा कहां से उन पर डोरे डालने के लिए "
इतना बोल कर वह आगे बढ़ गई वहीं उसके जाते ही यतीक्ष वृंदा के करीब जाते हुए बोला
" देखो वृंदा अभी मेरी मां नहीं मान रही है जब वह मान जाएगी तब मैं तुमसे शादी कर लूंगा अभी तुम जाओ प्लीज यहां से कोई तमाशा मत बनाना "
वृंदा ने रोते हुए कहा
" नहीं यह कोई तमाशा नहीं है यह मेरी फिलिंग्स है तुम मुझे पिछले 1 साल से यही बोल रहे हो कि आज हमारी शादी आज हमारी शादी है जब एक महीने पहले तुमने मुझे कहा था कि शिवरात्रि के दिन हमारी शादी पक्की हो चुकी है तो आज तुम कैसे मुकर सकते हो मैं सारा सामान लेकर आई हूं अपने घर से भाग के आई हूं तुम्हारे लिए और तुम बोल रहे हो कि तुम्हें मुझसे शादी नहीं करनी है मैं और इंतजार करूं और कितना इंतजार ? "
यतीक्ष ने गुस्से में जाट पीसते हुए कहा तो सच सुनो मुझे तुमसे शादी नहीं करनी है कभी शक्ल देखी अपनी आईने में मुझसे शादी करोगी तुम सीरियसली तुम्हें लगता है मैं तुमसे शादी करूंगा?"
यह सुना था कि वृंदा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और तेजस वही ताहा के मर के हंसते हुए बोला
" आ गई बेटा अक्ल ठिकाने , अब अपने घर जाओ "
यतीक्ष ने घूरते हुए तेजस को देखकर कहा आप अपने काम से कम रखिए हम अपना देख लेंगे
इतना बोल कर उसने वृंदा को वहीं छोड़ा और चला गया
वृंदा वही घुटनों के बल गिरते हुए रो पड़ी
तेजस ने भी अफसोस भरे लहजे में वृंदा को देखा और वहां से स्नान के लिए घाट पर चला गया
आधा घंटा बीता था तेजस वहां वापस आया तो उसने देखा सड़क पर जाम लगा हुआ था यह देखते ही उसे फिर से वृंदा की याद आई और वह तेज कदमों से भीड़ को चीरते हुए आगे की तरफ गया त वहां का नजारा देख कर उसकी आंखें फैल गई वृंदा यतीक्ष की गाड़ी के सामने खड़ी थी और चिल्लाते हुए बोल रही थी कि वह उसे छोड़कर आज नहीं जाएगी क्योंकि उसके घर वाले उसे जान से मार देंगे अगर वह आज वापस चली गई आज अगर यतीक्ष ने उसका साथ छोड़ा तो उसके घर वाले भी उसका साथ नहीं देंगे
तेजस ने तेज कदमों से चल कर वृंदा के पास जाकर कहा
" क्या तमाशा है ये? चलो यहां से !"
तेजस के साथ कुछ और पंडित भी आए जिन्हें लग रहा था वृंदा की वजह से घाट की शांति भंग हो रही है
और उन्होंने भी तेजस का साथ दिया सब गुस्से में सिर्फ वृंदा को घुर रहे थे
वृंदा ने तेजस की तरफ देख कर जाड़ पीसते हुए कहा
" आपको यह तमाशा लग रहा है मेरा प्यार मुझे छोड़ कर जा रहा है और आप कह रहे हो मैं तमाशा कर रही हूं "
तेजस ने थोड़ा आराम भरे लहजे में कहा
" देखो अभी तुम्हारी उम्र कम है तुम अपने घर वापस चली जाओ तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा मैं खुद तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ कर आऊंगा पर यहां तमाशा मत करो वह लड़का वह तुमसे प्यार नहीं करता है यह साफ-साफ दिखाई दे रहा है सबको तुम अंधी हो क्या? "
इतना बोल कर तेजस ने वृंदा का हाथ पकड़ने की कोशिश की और वृंदा ने एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ते हुए कहा
" मुझे छूने की कोशिश भी मत करना और वह मुझसे प्यार करता है या नहीं यह सिर्फ मुझे पता है आपको नहीं "
तेजस ने गुस्से में अपनी मुठिया कस ली पर उसने मुड़कर वृंदा को कुछ नहीं कहा और वहां से अपने कदम पीछे बढ़ा दिए
कार में बैठी यतीक्ष की मां अब गुस्से से लाल हो चुकी थी उनकी बनारस में अलग पहचान थी वह बनारस का सबसे अमीर खानदान था उसके बावजूद उनकी इतनी इंसल्ट हो रही थी उन्होंने यदि उन्होंने ड्राइवर की तरफ देखते हुए कहा
" चलो ड्राइवर घर चलते हैं अगर रास्ते में कीड़े मकोड़े मरते हैं तो इसमें हमारी गलती नहीं है क्योंकि रास्ता उनके बाप का नहीं है "
ड्राइवर ने डरते हुए अपना सलाइवा ग़टका और हा मै सर हिलाते हुए कार स्टार्ट कर दी कर स्टार्ट होते ही सारी भीड़ रास्ते से हट गई पर वृंदा बेसूद सी वही खड़ी थी
उसकी लाल आंखें या अब भी यतीक्ष के चेहरे पर टिकी थी शायद वह एक बार उसे प्यार से देख कर कहे कि वह उससे प्यार करता है और उससे शादी करेगा अभी करेगा
पर उसके साथ उल्टा हुआ गाड़ी फुल स्पीड से आई और उसे एक टक्कर मारते हुए आगे चली गई वृंदा की एक चीख गूंजी और अगले ही पल वो खून से लथपथ सड़क के किनारे गिर पड़ी और सारी भीड़ में हंगामा मच गया लोगों ने एंबुलेंस को कॉल किया और वृंदा को अस्पताल में एडमिट करवाया
पर इन सब में तेजस ने मुड़कर वृंदा को नहीं देखा वह गुस्से से वापस जयपुर के लिए निकल गया उसके दिमाग में वृंदा का वह चेहरा बस चुका था और उसका वह थप्पड़ अब भी उसके कानों में गूंज रहा था
" वो लड़की यही डिजर्व करती है, अब अक्ल आ जाएगी उसे "
पर एक सवाल उसके जहन में घूम गया
" क्या वो जिंदा बच पाएगी?"
Flash back end
राजवंश मेंशन के सामने गाड़ी एक ब्रेक के साथ रुकी और इसी के साथ तेजस अपने अतीत से बाहर आ गया
वृंदा भी सब कुछ याद करके एक बार फिर गिल्ट से भर चुकी थी उसे रोना आ रहा था अपनी बेवकूफी पर अपनी गलतियों पर
उसने खुद को संभाला और उठ कर शीशे के सामने चली गई
एक एक करके वो सारे गहने उतार रही थी
करीब 2 घंटे बीत चुके थे उसे इस कमरे मै बंद हुए पर उसके घरवालों को उससे कोई मतलब नहीं था कि वो इतनी देर क्यों लगा रही है
ना किसी ने आकर ये पूछा कि उसे लड़का कैसा लगा क्योंकि यही शास्त्री परिवार की लड़कियों को संस्कार दिए जाते हैं जो लड़का परिवार पसन्द करे उसे ही परमेश्वर बना लो बिना एक भी पलटवार सवाल जवाब के
और वृंदा एक बार गलती करके आज तक पछता रही है तो उसे दोबारा ये गलती नहीं दोहरानी थी उसे लगा था कोई अजनबी आयेगा और उसे अपने साथ ले जाएगा
पर किस्मत ने यहां भी उसका साथ छोड़ दिया और उसकी जिन्दगी मै फिर से जाना पहचाना शक्श आ गया
वो अपने इयरिंग्स निकाल रही थी कि अचानक उसका फोन बज उठा
उसने फोन स्क्रीन देखी जिस पर अननोन नंबर से फोन आ रहा था उसका दिल एकदम से धक से रह गया क्योंकि अक्सर उसे ऐसे नंबर से यतीक्ष फोन करता है और उससे मिलने की जिद करता है
उसने अपनी बढ़ती धड़कनों को नजरअंदाज किया और अपने बाल खोलने लगी जिन मै खूबसूरत पिन लगी हुई थी
एक बार फिर उसका फोन बज उठा उसने झुंझला कर फोन उठाया और कान से लगाया
तो सामने से जिस की आवाज आई एक पल के वृंदा का वो हाथ कांप गया जिससे उसने फोन पकड़ा था
" हेलो मेरी होने वाली अर्धांगिनी कैसी हो "
तेजस के मुंह से ऐसे शब्द सुन कर वृंदा की सांसे अटक चुकी थी
कुछ पल जवाब ना मिलने पर तेजस ने कहा
" मैने सुना है अपनी पसंदीदा औरत को फोन पर उसकी सांसों से पहचान लेना चाहिए पर मैं कैसे करूं ये तुम तो सांस ही नहीं ले रही कहीं एलियन तो नहीं हो hmm बिना सांस लिए जिंदा रह सकती हो?"
वृंदा को तेजस की बात पर चिढ़ मच रही थी उसने हल्के गुस्से मै कहा
"पहली बात सब्र नाम की भी कोई चीज होती है, और दूसरा आपको मेरा नंबर कहा से मिला "
तेजस जो अपने ऑफिस के केबिन मै बैठा था चेयर से सर टिका कर आंखे बंद करते हुए बोला
" कितने अर्शे बाद तुम्हारी वही गुस्से वाली आवाज सुनी है "
वृंदा ने उसे फिर से तेज आवाज मै कहा
" मेरे सवाल का जवाब दीजिए मेरा नंबर कहा से मिला "
तेजस हंसते हुए बोला
" तेजस राजवंश नाम है मेरा मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं तो तुम्हारा नंबर निकाल पाना तो बहुत छोटी सी बात है मिस वृंदा शास्त्री और मेरी होने वाली अर्धांगिनी "
वृंदा ने गुस्से मै दांत भींच लिए पर कुछ कहा नहीं
वही अब तेजस की तरफ भी खामोशी थी.. उसने कुछ पल ठहर कर आखिर वो सवाल पूछ ही लिया जो किसी नुकीले कांटे की तरह उसके दिल मै चुभ रहा था....
" क्या तुम अब भी अपने उस घमंडी आशिक के कांटैक्ट मै हो "
यतीक्ष का जिक्र होते ही वृंदा की आंखो मै पानी भर आया और उसने अपनी कांपती आवाज मै कहा
" हा "
उसे लगा शायद यह हां सुन कर तो तेजस उससे रिश्ता करने से मना कर देगा क्योंकि वह खुद अपने परिवार को जाकर यह नहीं बता सकती कि उसे तेजस से शादी नहीं करनी है
तेजस से क्या अब तो उसे लगता है वह किसी के काबिल नहीं है उसे किसी की जिंदगी में जाकर उसकी जिंदगी तबाह नहीं करनी चाहिए
वही तेजस कुछ पल खामोश रहा और अगले ही पल एक मजाकिया अंदाज में बोला
" बस आखरी 3 दिन उसके बाद तो तुम मेरे पास रहोगी मैं भी देखता हूं तुम्हारा वह आशिक तुमसे कैसे बातें करता है बेटा "
वृंदा ने हैरानगी से अपने फोन की तरफ देखा क्या वह सच में तेजस से ही बात कर रही है क्या डिलीट इंसान है उसने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा
" शिव कहां फंसा दिया "
तेजस ने हंसते हुए कहा
" शिव को क्यों कोस रही हो उनका तो काम है दो प्रेमियों को मिलाना वैसे भी तुम उस छछूंदर से प्यार नहीं करती थी वह तुम्हारा एक बचपना था तुम्हारी एक छोटी सी गलती जिसे तुम्हें भूल जाना चाहिए और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए तुम्हें लग रहा है मैं तुम्हें लेक्चर दे रहा हूं पर बेटा जी मैं तुम्हें रियलिटी बता रहा हूं अगर समझना है तो समझो नहीं समझना है तो भी इसमें मेरा कोई घाटा नहीं है पर शादी तो मैं तुमसे ही करूंगा "
वृंदा ने एक बार अपनी आंखों को गोल-गोल घुमाया ताकि वह तेजस की इन उटपटांग बातों ओर बेवजह के तानों को हजम कर सके और फिर एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोली
" तो बस यही बता दीजिए कि क्यों मुझसे शादी करनी है, जबकि आपको पता है मैंने पहले क्या-क्या गलतियां की है ऊपर से मैं आप पर हाथ भी उठाया था क्या आप उसका बदला लेना चाहते हैं। "
तेजस ने पेट पकड़ कर जोर-जोर से खिलखिला कर हंसते हुए कहा
"रही बात तुमसे शादी क्यों कर रहा हूं तो ये मै शादी के बाद बताऊंगा तब तक चलाती रहो अपने छोटे से दिमाग को क्या पता तुम्हे खुद पता चल जाए "
और दूसरा तुम पिद्दी सी दिखने वाली लड़की तुम्हें लगता है तुम्हारे उन सुखी लकड़ी जैसे हाथों में इतना दम है कि मुझे एक चींटी काटने जितना भी दर्द हुआ होगा सीरियसली कहां मैं कहां तुम और कहां तुम्हारा हाथ एक बार खुद सोच कर देखो तुम्हारी बात में कोई लॉजिक बन रहा है और
वृंदा ने आंखें टिमटिमाते हुए एक पल सोचा और उसके सामने 6 फुट लंबा तेजस आ गया और वह कहां 5 फुट 2 इंच फिर उसने अपने हाथ को देखा उसने तीन-चार बार हाथ को घुमा घुमा कर देखा फिर उसे महसूस हुआ शायद तेजस सच बोल रहा था तेजस के गाल आधा हिस्सा ही उसका हाथ कर कवर कर सकता था
पर फिर वृंदा ने मुंह मोड़ते हुए कहा
"दर्द तो जरूर हुआ होगा मैंने उंगलियों के निशान देखे थे आपके चेहरे पर "
तेजस ने भी फुल एटीट्यूड में कहा
" सपने में देखे होंगे बेटा जी "
वृद्धा को समझ आ चुका था बहस में वह चिराग से कभी नहीं जीत सकती है
इसलिए उसने सबसे आसान तरीका अपनाते हुए उसके फोन को कट कर दिया और एक चैन की सांस लेते हुए बोली
" क्या मुझे पूरी जिंदगी ऐसे इंसान के साथ बितानी है "
"अभी उसको महसूस नहीं हो रहा था कि सिर्फ इस 15 - 20 मिनट के कॉल के लिए ही सही पर वह अपनी जिंदगी में चल रही परेशानियों को भूलकर किसी छोटी बच्ची की तरह उसके साथ जिद्द कर रही थी ना उसे अपने कम खूबसूरत होने की इन सिक्योरिटी हो रही थी ना अपने अतीत का दर्द सता रहा था वह बस चिराग से बहस कर रही थी उसे पल को जी रही थी जो जीना वह कब का भूल चुकी थी"
Next morning...
8 am...
आज वृंदा की मेहंदी और हल्दी की रस्म हो रही थी
वृंदा ने येलो नेट की सारी पहनी थी और बालों को खुला छोड़ रखा था
वृंदा की एक कॉलेज फ्रेंड ने आज वृंदा को तैयार किया था
बिना शक को सुंदर लग रही थी पर उसके चेहरे पर खुशी नहीं झलक रही थी वो पाटे पर बैठी थी और उसके सामने उसकी मां शकुंतला बैठी थी , वो अपने घर मै होने वाली एक पारंपरिक रश्म कर रही थी जिसमें हल्दी वाले दिन सबसे पहले दुल्हन को पहली बार चूड़ा पहनाया जाता है... और साथ ही राजवंश मेंशन से चिराग को लगाई हुई हल्दी का इंतजार भी
जो जल्द ही खत्म हुआ हल्दी आने के बाद एक एक कर के मिहिका सपना शकुंतला और बाकी मोहल्ले की औरतों ने वृंदा को हल्दी लगाना शुरू किया
सब ने बस चुप चाप मुस्कुरा कर हल्दी लगाई थी पर शकुंतला ने उसके गाल को कस कर दबाते हुए जाड़ भींचते हुए दबी आवाज मै कहा
" थोड़ा मुस्कुरा दोगी तो खून नहीं घट जाएगा तुम्हारा मोहल्ले वाले वैसे ही कम ताने देते हैं क्या भगोड़ी बोल कर जो तुम उन्हें एक और मौका दे रही हो?"
उसके ऐसा करने से वृंदा की हल्की सी कराह निकल गई पर उसने अपने आशुओं को रोक लिया और जबरदस्ती मुस्कुराने की कोशिश करने लगी
उसकी मां को अपनी बेटी की नहीं बल्कि समाज की परवाह थी ! पर वृंदा को अब इन सब की आदत हो गई थी तो उसने कुछ नहीं कहा
सपना भी इतराते हुए आई और उसके गालों पर हल्दी लगाते हैं बोली
" दी ये उबटन लगाने से गोरे हो जाते हैं तो आप इस रश्म के बाद भी अच्छे से खुद लगा लेना क्या पता थोड़ी सुंदर दिख जाओ "
उसका ये ताना कैसे बाकी रह सकता था पर वृंदा अब भी शकुंतला की बातों मै अटकी थी इसलिए उसने कुछ नहीं कहा बस हा मै सर हिला दिया
उसकी फ्रेंड आयशा ने उसके कान मै धीरे से कहा
" सारे घरवाले जल्लाद है तू यहां कैसे ऐसे भोली भाली रह गई है किस पर गई है , कही कचरे के डब्बे से तो नहीं उठा के लाए तुझे ?"
उसके इस बात पर वृंदा हल्के से हंसते हुए बोली पता नहीं पर बताओ तो ऐसा ही करते हैं जैसे वहीं से उठाकर लाए हो
वह दोनों बातें कर ही रही थी कि वृंदा का फोन बज उठा और उन नंबर को देखकर वृंदा चिढ़ते हुए बोली
" अब भी चैन नहीं है क्या इनको, अब तो शादी की रस्में भी शुरू हो चुकी हैं "
उसके ऐसे बनते बिगड़ते भाव को देखकर आशा हंसते हुए बोली तो तो जीजू का फोन है ले चल बात कर उसने फोन उठाते हुए जबरदस्ती वृंदा के कान से लगा दिया
उसके ऐसा करते ही वृंदा ने धीमी आवाज में कहा
" जी कहिए "
तेजस उसकी प्यारी सी आवाज सुनकर मन ही मन खुश होते हुए बोला वह इतनी इज्जत
फिर उसने अपना गला सही करते हुए कहा
"कम से कम जितने दिन शादी की रस्में चल रही है अपने उसे चिपकु आशिक से दूर रहना तुम और उसके बाद का मैं खुद संभाल लूंगा वैसे भी उसके नाम की हल्दी लगाने की इच्छा तुम्हारी मैंने पहले ही खत्म कर दी है तो खुन्नस में आकर उसके पास मत चली जाना "
वृंदा ने कस कर अपनी मुट्ठियां भींच ली और अपने मन मै कहा
" मै तो इनके ताने सुन कर ही खत्म हो जाऊंगी "
शाम के वक्त मेंहदी की रस्म हो रही थी दो लड़कियां वृंदा के आजू बाजू बैठ कर उसके दोनों हाथों पर मेंहदी लगा रही थी...
एक ने कहा
" जीजू का नाम बताओ एकदम छुपा के लिखूंगी ढूंढते ढूंढते उन्हें सुबह हो जाएगी "
इतना बोल कर उसने दूसरी लड़की की तरफ देखा और दोनों ही खिल खिला कर हंसने लगी
वहीं तेजस का नाम याद करके वृंदा के पूरे शरीर मै एक कंपकपाहट फैल चुकी थी क्या वो ऐसी रस्मे करेगा जो एक नॉर्मल शादी शुदा जोड़ा करता है?
मेंहदी मै नाम ढूंढना तो छोड़ो वो उसे हाथ भी लगाएगा? ये जानते हुए कि उसके दिल मै कोई और है?
वृंदा ने भले ही तेजस के सामने बोल दिया था कि उसका अपने प्रेमी के साथ कांटेक्ट है पर असलियत में उसे अपने उसे कल अतीत से कोई वास्ता नहीं रखना था और शादी के बाद तो बिल्कुल नहीं वह अपने पत्नी वर्ता धर्म को बहुत अच्छे से निभायेगी चाहे तेजस उसका साथ दे या ना दे।
देखते ही देखते आज का दिन भी ढल गया शाम को जब सब एक साथ खाना खाने बैठे तो मिहिका सपना और शकुंतला की नजरे वृंदा के हाथ पर गई जहां मेंहदी का रंग बिल्कुल मेहरून हो चुका था कहते हैं जितना मेंहदी रंग गहरा आता है उतना ही होने वाले पति का प्यार गहरा होता है
शकुंतला खुश थी तो वहीं मिहिका और सपना ने मुंह बिचकाया था उसके प्यारे हाथों को देख कर...
अगले दिन
सुबह से शाम तक शास्त्री भवन मै चहल पहल थी दामोदर और मिथिलेश के पांव ठहर नहीं रहे थे वो बारात के खाने, बैठने आदि की तैयारियों में लगे हुए थे....
वृंदा को सुबह से पार्लर मै बैठा रखा था कभी उस के शरीर पर कुछ लगा रही थी वो आर्टिस्ट तो कभी कुछ
सपना पास मै बैठी बस फोन स्क्रॉल कर रही थी
अचानक ही वृंदा के फोन पर एक नोटिफिकेशन आया यहां आने के बाद से अब तक उसने किसी से बात नहीं की थी इसलिए वह बहुत ज्यादा बोर हो चुकी थी तो इस मैसेज की रिंगटोन को सुनकर आज वह इरिटेट होने की बजाय थोड़ा खुश हो रही थी उसने फोन उठा कर अपने सामने किया उसे लगा शायद आयशा ने उसे मैसेज किया होगा
उसकी नजर टाइम पर गई जो अब शाम के 6 बजने का इशारा कर रहे थे... उसे कहा गया था 8 बजे तक उसे रेडी कर दिया जाएगा
उसने टाइम को इग्नोर करते हुए उस मैसेज को खोला....
वो और किसी का नहीं बल्कि तेजस का मैसेज था
" हेलो अर्धांगिनी जी... पहली मुलाकात मैं मुक्का लात और अब सीधे बारात... कैसी लग रही है ये प्रोग्रेस "
वृंदा के माथे पर एक पल के लिए बल पड़ गए क्या उसकी शादी एक बच्चे से हो रही है जो इतनी सीरियस सिचुवेशन को इतना हल्के में ले रहा था
उसने मैसेज टाइप करके कहा
" एकदम बकवास "
और फिर सीधा फ्लाइट मोड ऑन करके फोन गुस्से मै सोफे पर पटक दिया जहां सपना बैठी थी उसकी इस हरकत पर सपना की आंखो मै चमक आ गई उसने तुरंत कहा
" दी जीजू का मेसेज था क्या?"
तेजस मै उलझी वृंदा ने धीरे से हा कह दिया और सपना ने खुश होते हुए अपने आप से कहा
" ये लड़ाइयां तो अब होंगी ही पूरी जिदंगी वरना जैसे नोवेल और सीरियल में होता है दूल्हा दुल्हन को छोड़ कर उसकी छोटी बहन पर दिल हार बैठता है जो दिखने मै हूर की परी होती है वैसे ही तेजस को मुझे चुन लेना चाहिए था "
ये सोच सोच कर ही सपना को अब वृंदा पर हंसी आ रही थी और अपने लिए थोड़ा बुरा लग रहा था काश तेजस उसके इस फिक्शनल सपने को सच कर देता
कुछ देर बाद मेक अप आर्टिस्ट ने वृंदा को शादी का जोड़ा पहनने को दिया.... और उसके बाद वृंदा का मेक अप करने लगी
रात 8 बजे
वृंदा पूरी तैयार हो कर घर पहुंच चुकी थी
वो गहरे लाल रंग के शादी के जोड़े मै किसी महारानी की तरह लग रही थी सब कुछ परफेक्ट बस उसके चेहरे पर डर और झिझक थी जो आने वाली जिंदगी के लिए जिसमै वो किसी की पत्नी तो किसी की बहु बन जाएगी कितने सारे नए रिश्तों से घिर जाएगी
उसे अपनी जिंदगी मै सबसे ज्यादा डर इन रिश्तों का ही लगता है जितने रिश्ते उसके हैं सब उसे कोसने और ताने देने के शिवा कुछ नहीं करते
वो इन से ही इतनी घुटन महसूस करती है नए रिश्तों से तो उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी बीती जिंदगी मै उसने जो कुछ सीखा अब वो उसे आने वाली जिदंगी मै याद रख के हर कदम बढ़ाएगी
9 बजे के आस पास
ढोल ताशे के साथ जयपुर की गालियां भी तेजस और वृंदा की इस शादी में सजी हुई थी और झूम रही थी
तेजस घोड़ी पर था और उसके आगे आगे उसके घर वाले नाचते हुए शास्त्री भवन जा रहे थे
वहां पहुंच कर सबसे पहले तेजस के सामने सपना आई क्योंकि वो इकलौती साली थी जिसे अब स्वागत की रस्में करनी थी जिसमें जीजा जी से फीता कटवा कर उनसे पैसे लिए जाते हैं
साथ मै आयशा भी थी पर उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था
तेजस ने उसे देख कर जबड़े कस लिए और अपने मन मै कहा
" लो हो गया अपशगुन काश मेरी अर्धांगिनी मेरा स्वागत करती "
वो घोड़ी से उतरते हुए बस यही सब सोच रहा था और अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था
सारी रस्में होने तक स्टेटस में नजर भर ही सपना को नहीं देखा था जिसे वह चिढ़ चुकी थी पर इससे ज्यादा हो दूल्हे को दरवाजे पर नहीं रोक सकती थी क्योंकि उसने जितना नेग मांगा था तेजस ने उससे दोगुना उसे दिया था
तेजस के साथ तेजस का दोस्त विराग आया था जिसे भी सपना को देख कर चिढ़ मच रही थी क्योंकि वो कुछ ज्यादा ही इतरा रही थी
और बगल मै खड़ी पिंक लहंगे चोली ली आयशा उसके दिल पर छुरियां चला रही थीं
उसके बाद अब शादी की सारी रस्में होनी थी जिसके लिए हॉल में मंडप सजा था तेजस अभी भी बेसब्री से वृंदा इंतजार कर रहा था उसकी उंगलियां एंजाइटी के कारण कांप रही थी जिन्हें वो बार-बार आपस में उलझाते हुए खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था
" तेजस बाबू शांत हो जाओ अब हमेशा के लिए तुम्हारे पास आने वाली है तुम्हारी बेचैनी हमेशा के लिए खत्म होने वाली है "
वो खुद को समझाते हुए कभी अपने दिल पर हाथ से रहा था तो कभी अपने माथे पर आई पसीने की बूंदों को पूछ रहा था
वही सपना और आयशा अब तेजस के जूते चुराने की फिराक में थी......
पर विराग की नजरे तो एक पल के लिए आयशा की गोरी कमर से नहीं हटी थी वो उसकी हर हरकत को नोटिस कर रहा था...
इसलिए उसने तेजस के मंडप मै बैठते ही तेजस वाले जूते खुद पहन लिए....
तेजस को समझ नहीं आया विराग ने ऐसा क्यों किया पर उसने उस पर ध्यान ना देते हुए मंडप मै जलती आग को देख कर खुद से कहा
" अब मै अपनी अर्धांगिनी के लिए खुद को सुधार ने कोशिश करूंगा "
उसने इतना कहा ही था कि मिहिका वृंदा को लेकर मंडप तक आ गई उसके आते ही
सबसे पहले रजवंती ने एक नोटो की गड्डी से उसकी नजर उतारी और वो पैसे वहां काम कर रहे वेटर को दे दिए ताकि वो आपस मै बांट ले फिर वृंदा के गाल पर हाथ रखते हुए प्यार से बोली
" कही मेरी ही नजर ना लग जाए मेरी होने वाली पोता बहु को "
तेजस भी अपनी सांसे रोके वृंदा को देख रहा था उसकी आंखे बड़ी बड़ी हो कर बिल्कुल गोल हो गई थी उसे पता भी नहीं चला कब वृंदा बिलकुल उसके पास आ गई वृंदा ने उसके पास आते ही बुदबुदा कर कहा
" सांस ले लीजिए वरना आपकी होने वाली अर्धांगिनी आपको एलियन समझ लेगी "
तेजस का मुंह छोटा सा हो गया उसका टोंट उसी को फेंक के मारा जा रहा था
वो उसकी बगल मै आकर बैठी और पंडित जी ने अपने मंत्र उच्चारण का काम शुरू किया देखते ही देखते आधा घंटा बीत गया मंगलसूत्र की रस्म हुई और सिंदूर की भी
सिंदूर भरते वक्त तेजस ने नोटिस किया वृंदा रो रही थी
उसने उसके कान मै कहा
" सोचा नहीं था हम दूसरी बार जब बाते करेंगे अच्छे से 3मिलेंगे तो 4इस तरह मंडप मै बैठे रहेंगे "
उसकी बात सुन कर वृंदा ने एक उभकी भरते हुए कहा
" ये शादी का मंडप है आपके वार्तालाप करने की जगह नहीं?"
तेजस ने इस बार गुस्से मै कहा
" Exactly ये शादी का मंडप है तुम्हारी शादी हो रही है तुम किसी की मैय्यत में नहीं आई हो जो आंसु बहा रही हो "
उसकी 3बात सुन कर वृंदा ने गुस्से मै मुंह फूला लिया..
इसके बाद कन्यादान की रस्म भी हुई और फेरो की भी इन रस्मों में बाकी सब जरूर थोड़े बोर हो गए थे पर विराग़ और आयशा की आंखों ही आंखों में जंग चल रही थी आयशा को गुस्सा आ रहा था विराग़ पर कैसे वह तेजस के जूते पहन सकता है जबकि यह रस्म होती है तो सालियों को हक है पूरा इन जूते को लेने का मौका देख कर आयशा विराग़ के पास आई और उसके बिल्कुल करीब आते हुए धीरे से बोली
" यह क्या बदतमीजी है जूते दो हमें "
विराग ने गर्दन टेढ़ी करके आयशा के गालों पर आई जुल्फों को उसके कान के पीछे टक करते हुए कहा
". जूते लिए नहीं जाते हैं चुराए जाते हैं मिस "
आयशा विराग की बात सुन कर चिढ़ते हुए बोली
" बेवकूफों के सरदार तुम्हे पता नहीं है कि जूते तुम्हारे पैरों से थोड़ी निकालेंगे, इन्हें कम से कम पैरों से तो निकाल लो अपनी साइड मै रख लो "
विराग ने डेविल स्माइल के साथ कहा
" मिस मैने तुम्हारे हाथ नहीं पकड़े हैं अगर पैरों से भी निकालना चाही तो निकाल सकती हो "
आयशा को उसकी बेशर्मी पर गुस्सा आ रहा था उसने एक नजर बाकी सब पर डाली जो फेरे होते हुए देख रहे थे और वृंदा और तेजस पर फुल बरसा रहे थे
फिर विराग का हाथ पकड़ते हुए बोली
" जरा साइड मै आयेंगे आप ?"
विराग ने अपना एक हाथ दिल पर रखते हुए कहा
" हाए ऐसे बुलाओगी तो जहन्नुम मै जाने को भी तैयार हूं मोहतरमा "
आयशा ने अपने होठों पर वो नकली मुस्कान बनाए रखी और विराग को बरामदे में बने बड़े पिलर के पास ले जाते 3हुए उसे पिलर से सटाते हुए उसके सामने हाथ बांध कर खड़ी हो गई
कुछ पल दोनों ने एक दूसरे को शिदत से घूरा
और फिर आयशा ने कहा
" बस इतना घूरना काफी है अब जूते दे दो चुप चाप "
विराग जो उसकी आंखों मै डूब चुका था उसने लगभग होश मै आते हुए कहा
" मै इतनी दूर चल कर तुम्हारे साथ खोपचे मै आया और तुम मुझे बस इतनी देर घूरने के लिए लाई थी सो बेड !"
आयशा ने नाक सिकोड़ते हुए कहा
" हो गया ना गुड बेड अब दे दो जूते "
विराग ने उसकी खुली कमर पर हाथ डालते हुए उसे खुद से चिपका लिया और फिर उसके चेहरे पर आए बालों को उसके कान के पीछे करते हुए सरगोशी से बोला
" नहीं सिर्फ देखना नहीं है तुम्हे छूना भी है "
उसकी ठंडी उंगलियों को अपने ऊपर महसूस कर आयशा की सांसे तेज हो गई थी उसके इस रिएक्शन पर विराग के चेहरे पर एक smirk आ गई और उसने झुकते हुए आयशा के इयर लोब को हल्के से होठों से छूते हुए कहा
" पिघल रहा है तुम्हारा पत्थर दिल? हम्म ?"
आयशा जैसे उसके छूने से मंत्रमुग्ध हो गई थी वो कुछ कहती उससे पहले ही उन दोनो को किसी के चीखने की आवाज आई
दोनों ने मुड़ कर देखा तो सामने अपने गालों पर दोनों हाथ रख कर सपना खड़ी थी और वह उन दोनों को आंखें फाड़े देख रही थी वही उसकी चीख सुन कर मिहीका और शकुंतला जी भी वहा दौड़ते हुए आई उन्होंने भी विराग़ का हाथ आयशा की कमर पर देखा मिहिका ने जाड़ पीसते हुए कहा
" चरित्रहीन लड़की की दोस्त भी चरित्रहीन ही हो सकती है इन दोनों से और हम उम्मीद भी क्या कर सकते हैं अच्छा हुआ एक की तो शादी हो गई इन्हें मुंह काला करने के सिवा कोई काम नहीं आता है "
ये सुन कर आयशा की आंखे भर आई उसने हैरानगी भरी नजरों से सपना को देखा क्योंकि सपना ने ही उसे कहा था कि विराग के पास से जूते लेकर आओ अगर वहां ना दे तो उसे साइड मै ले आना मै वही आ जाऊंगी वो आई तो जरूर पर जूते लेने नहीं बल्कि उसे बदनाम करने
वही विराग ने गुस्से से मिहिका को घूरते हुए कहा
" क्या बकवास कर रही हैं ये आप?"
तेजस और वृंदा दोनों अब सब बड़ों का आशीर्वाद ले रहे थे घड़ी की सुई सुबह के 2 बजने के इशारे कर रही थी अब विदाई का वक्त भी हो चला था
शकुंतला ने दबी आवाज मै कहा
" तुझे तो किसी की इज्जत की परवाह है नहीं क्योंकि तू तो अनाथ है ना तेरे आगे कोई है ना पीछे कोई पर हमें हमारी बेटी का घर बसाना है तो अब अपने आशिक को ले जा साथ और यहां से निकल जा आइंदा दिखाई भी मत देना यहां "
उनकी बात जैसे ही पूरी हुई विराग ने गुस्से मै 3बौखलाते हुए कहा
" Enough is enough "
उसने जैसे ही गुस्से मै 3अपने कदम शकुन्तला की तरफ बढ़ाए आयशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और ना मै गर्दन हिला कर अपने आंसु पोंछ ते हुए बाहर जाने लगी उसने अब भी विराग का हाथ थाम रखा था किसी डोर की तरह विराग उसके साथ साथ खींचा चला गया
वही सपना के चेहरे पर एक एविल स्माइल थी
फीता कटाई की रस्म में विराग आयशा को देख रहा था ये चीज सपना ने नोटिस की थी और उसे आयशा से जलन हो रही थी दूल्हा छोड़ो यहां तो दूल्हे का दोस्त भी उसे एक आंख उठा कर नहीं देख रहा था और उसी वक्त उसने सोच लिया इन दोनों को सबक सिखा के रहेगी और 4विराग ने जूते पहन कर उसका काम आसान कर दिया
.....
15 मिनट बाद वृंदा आंखों मै आंसु लिए शकुंतला के गले लगी हुई थी उसके बाद दामोदर ने उसे शकुंतला से अलग करते हुए अपने सीने से लगाया और फिर उसका हाथ तेजस के हाथ मै रखते हुए बोला
" आज से ये आपकी अमानत हुई "
तेजस ने एक नजर उस छोटे से नाजुक हाथ को देखा और फिर वृंदा के चेहरे को देखने की कोशिश की पर घुंघट की वजह से उसका चेहरा उसे दिखाई नहीं दिया
और फिर वो उसे लेकर अपनी मर्सडीज की तरफ बढ़ गया
उन दोनो के बैठते ही ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर दी
उनके पीछे पीछे गाड़ियों का काफिला चला आ रहा था
वही वृंदा की नजरे पूरे टाइम आयशा को भी ढूंढ रही थी उसे आयशा की चिंता हो रही थी क्योंकि उसे पता था उसकी फैमिली आयशा को बिल्कुल पसंद नहीं करती है
और उसे रोना आ रहा था पता नहीं उसके ससुराल वाले वापस उसे अपनी दोस्त से मिलने दे या ना मिलने दे! वो आखिरी बार भी उसे मिल नहीं पाई
उसे रोता देख तेजस ने उसकी तरफ रूमाल बढ़ाते हुए कहा
" बाढ़ आ जाएगी गाड़ी मै जल्दी से आंसु पोंछ लो "
वृंदा ने वो रूमाल ले लिया और अपने आंसु पोंछे
तेजस ने उसे देखते हुए वापस कहा
" और क्या इरादा है आज रात का?"
इतना सुनना भर था कि वृंदा के शरीर मै कंपकंपी छूट गई ये बात तो जैसे उसके दिमाग से निकल ही गई थी कि आज का दिन निकलने के बाद आने वाली रात उसकी सुहागरात है?
वृंदा और तेजस की गाड़ी राजवंश मेंशन के सामने जाकर रुकी। तेजस गाड़ी से पहले उतरा और फिर वृंदा की साइड का दरवाजा खोलते हुए उसे भी अपने साथ बाहर निकाल लिया।
उन्हीं के साथ रजवंती और अवंतिका की कार भी रुकी और वे दोनों उससे भी पहले तेज कदमों से आगे चलते हुए अपनी नौकरानी को आवाज लगाते हुए बोलीं,
"कमला, जल्दी से आरती की थाली लेकर आओ, बहू का स्वागत करना है।"
उनकी एक नौकरानी दौड़ते हुए हाथ में आरती की थाली आई और उसके पीछे एक और, अपने हाथ में चावल से भरा लोटा।
रजवंती जी ने पहले तेजस और वृंदा की आरती उतारी और फिर दोनों को तिलक लगाते हुए अंदर आने को कहा।
वृंदा ने दाएँ पैर से लोटा गिराया और फिर तेजस का हाथ पकड़ कर अंदर आई।
वृंदा ने जैसे ही इस घर को देखा, उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। घूँघट में कुछ साफ़ तो नहीं नज़र आ रहा था, पर इन चार दीवारियों को देख कर पता लग सकता था यह घर नहीं, किसी गाँव जितना बड़ा गोदाम लग रहा था। वृंदा ने अपने मन में कहा,
"अगर यहाँ झाड़ू लगाई जाए तो पूरा दिन निकल जाए। बस झाड़ू लगाने में ही!"
उसने अपने घर में सारा काम किया था, तो उसे सबसे पहले झाड़ू ही नज़र आ रही थी क्योंकि शकुंतला को बाकी काम बाद में हो जाएँ तो भी चलेगा, पर सुबह की झाड़ू टाइम पर लग जानी चाहिए, वह भी सूर्योदय से पहले।
यह सब सोच - सोच कर वृंदा परेशान हो ही रही थी कि रजवंती जी की आवाज आई,
"बेटा, जाओ अंदर सबसे पहले माता रानी का मंदिर है, उसमें आशीर्वाद लेना है। उसके बाद थोड़ी देर रेस्ट करना और नहा लेना, उसके बाद हम कुलदेवी के मंदिर चलेंगे। हमारे घर शादी के पहले दिन सब मंदिरों में जाया जाता है और उसके दूसरे दिन ही सारी बाकी रस्में पूरी की जाती हैं।"
वृंदा ने किसी गूँगी लड़की की तरह दो बार सिर हिलाया। यह देखकर तेजस ने कहा,
"क्या तुम गाय हो? कुछ बोल भी लो और यह घूँघट क्यों डाल रखा है?"
उसके ऐसा कहते ही रजवंती जी ने उसे डाँट लगाते हुए कहा,
"कौन नालायक ऐसी बात करता है अपनी नई-नवेली दुल्हन से? और दूसरा, यह घूँघट नहीं उठाएगी जब तक सारे मंदिरों में हम प्रसाद ना चढ़ा दें। उसके बाद रात को तुम इसका घूँघट उठाना।"
तेजस ने आँखें गोल-गोल करते हुए कहा, "दादी माँ, आप और आपकी ये प्रथाएँ मुझे तो कुछ समझ नहीं आतीं। जयपुर इतना आगे बढ़ चुका है और आप आज भी वहीं अटकी हुई हैं "
रजवंती जी ने उसे आँखें दिखाते हुए कहा,
"तेरी दादी हूँ मैं, समझा , मुझे मत बता ज़्यादा।"
वृंदा उनको लड़ते हुए देखकर मन ही मन हँस रही थी। वहीं तेजस ने मुँह फुलाते हुए कहा,
"दादी माँ, एक दिन हुआ नहीं और आपने इसकी साइड लेना शुरू भी कर दिया। "
हमेशा उसकी बुढ़िया बोलने वाला उसका पोता आज दादी माँ बोल रहा था।।यह देख कर रजवंती जी ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा
"देखा, बहू के आते ही तुमने मेरी इज़्ज़त करना भी शुरू कर दिया। कितनी लकी है मेरी बहू!"
तेजस ने तिरछी नज़रों से वृंदा को देखा जो अब भी चुपचाप सिर झुकाए उन दोनों की बातें सुन रही थी। अवंतीका ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा,
"अब तेजस, बहू को अंदर लेकर जाओ।"
वृंदा को यह समझ आ चुका था कि अवंतिका और रजवंती की आपस में नहीं बनती है और तेजस भी अपनी माँ से ज़्यादा अपनी दादी माँ की बात सुनता है।
तेजस ने फिर से उसका छोटा सा हाथ थामा और आगे बढ़ते हुए उसे मंदिर तक ले गया।
वृंदा ने दबी आवाज़ में कहा,
"मेरा लहँगा भारी है, मैं आपकी जितनी तेज स्पीड में नहीं चल सकती।"
तेजस ने बेफ़िक्री में कहा,
"ओह अच्छा, मेरे साथ ही तेज चलने में दिक्कत हो रही है? अपने आशिक के लिए तो जयपुर से बनारस तक का सफ़र भी बड़ी फुर्ती से तय कर लिया था तुमने।"
उसके इस ताने को सुन कर वृंदा हल्का सा झेंप गई और तेजस ने मंदिर के सामने हाथ जोड़ते हुए अपना सिर झुका लिया।
वृंदा ने भी वैसा ही किया और अपने मन में कहा,
"हे माता रानी, इनके ताने सुनने की शक्ति देना मुझे।"
वहीं तेजस ने अपने मन में कहा,
"माता रानी, इस मंदबुद्धि को थोड़ी सी सद्बुद्धि देना और मुझे शक्ति देना, इसकी नादानियाँ झेलने की।"
दोनों ने अपने-अपने दिल की बात कही और फिर तेजस ने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो इस बार वृंदा ने झुँझलाकर कहा,
"ये बार-बार हाथ मत पकड़िए, सब लोग हमें ही देख रहे हैं। मैं ऐसे ही आपके पीछे-पीछे आ जाऊँगी।"
तेजस ने घूरते हुए वृंदा को देखा, लेकिन फिर सिर हिलाते हुए उसके आगे-आगे चलने लगा।
वह सीढ़ियाँ चढ़ रहा था। यह एक दो मंज़िला घर था जो राउंड शेप में था। उसके हॉल से दो तरफ़ सीढ़ियाँ जाती हैं और एक बीच में से।
तेजस और वृंदा फ़िलहाल बीच वाली सीढ़ियों से ऊपर चढ़ रहे थे।
अंदर जाकर तेजस ने उसे कमरा दिखाते हुए कहा,
"ये है मेरा कमरा, आज से आधा तुम्हारा।"
वृंदा ने अंदर कदम रखते हुए पूरे कमरे में नज़रें दौड़ाईं।
वॉल पर एक बड़ी साइज़ की पिक्चर लगी थी जो तेजस की थी। जिसमें तेजस ने एक व्हाइट शर्ट पहन रखा था। वह उसकी हाफ़ पिक थी। उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल थी जिससे वह पिक्चर और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव लग रही थी।
जब तेजस को महसूस हुआ वृंदा उसकी तस्वीर को इतने गौर से देख रही है तो वह खुश होते हुए बोला,
"स्मार्ट दिखता हूँ ना?"
वृंदा ने खोए हुए अंदाज़ में "हाँ " कहा तो तेजस ने शर्माते हुए अपने बालों में हाथ घुमाकर कहा,
"हाँ, वो तो मैं हूँ।"
उसकी इस बात को सुनकर वृंदा को अहसास हुआ अभी-अभी उसने क्या कहा और वह तस्वीर से अपनी नज़रें घुमाते हुए बोली,
"सिर्फ़ दिखते हो, स्मार्ट हो नहीं।"
यह बिल्कुल ऐसा था कि किसी छोटे बच्चे को चॉकलेट दिखाकर उससे वापस छीन ली हो।
तेजस ने गुस्से में वहाँ से वॉर्डरोब की तरफ़ जाते हुए कहा,
"हाँ हाँ, सिर्फ़ तुम्हारा आशिक ही है स्मार्ट, हैंडसम और बाकी दुनिया वाले छपरी हैं सब।"
वृंदा ने हैरानगी से तेजस को देखा। आखिर यह कैसी जलन थी उसकी...?
वृंदा के शब्दों का मतलब कहीं से भी यह नहीं निकल रहा था कि उसने यतीक्ष को स्मार्ट कहा हो। वह तो उसे खुद छुछुंदर लगता है अब...।
तेजस गुस्से में अपने कपड़े लिए कमरे से बाहर चला गया और वृंदा बस उसे देखती रह गई।
तेजस जैसे ही निकला, वृंदा का फ़ोन बज उठा।
उसने फ़ोन पर फ़्लैश होते हुए अपनी माँ के नाम को देखा और एकदम से उसकी आँखों में घबराहट आ गई।
उसने जैसे ही फ़ोन उठाया, शकुंतला की कड़क आवाज़ आई,
"पहुँच गई तुम?"
वृंदा ने धीरे से कहा,
"हाँ माँ, हम पहुंच गए सब।"
शकुंतला ने फिर थोड़ी तेज आवाज़ में पूछा,
"क्या दामाद जी तुम्हारे आस-पास हैं?"
तो वृंदा ने कहा,
"नहीं माँ, कोइ यहाँ नहीं है।"
शकुंतला ने आगे कहा,
"रात को दामाद जी को रोकना नहीं है, एक पत्नी का पूरा धर्म निभाओगी तुम और गलती से भी अपने उस भगोड़े आशिक का नाम तुम्हारी जुबान पर आया तो मैं तुम्हारी जुबान खींच लूँगी। उन लोगों को भनक भी नहीं लगनी चाहिए कि कभी तुमने भागने जैसा पाप भी किया था।"
अपनी माँ की इतनी कड़वी बातें सुनकर वृंदा की आँखों में आँसू आ चुके थे। उसने अपनी सिसकियाँ रोकते हुए कहा, "माँ, आप चिंता मत कीजिए।"
और शकुंतला ने फ़ोन काट दिया। वृंदा ने फ़ोन बेड पर रखा और वहीं बैठते हुए सोचने लगी। उसके आँसू उसके गालों पर आ गए, जिन्हें पोंछने वाला कोई नहीं था।
दूसरी तरफ
आयशा और विराग दोनों शादी से बाहर निकल कर अब बाहर सड़क पर घूम रहे थे चलते चलते वो थोड़ी दूर आ गए थे
आशा अब भी रो रही थी जिससे विराग को उसके लिए बहुत बुरा लग रहा था उसने थोड़ा हिचकीचाते हुए कहा
" आई'एम रियली सॉरी सब कुछ मेरी वजह से हो गया पर मेरा ऐसा कोई मकसद नहीं था मैं बस तुम्हें टीज कर रहा था बस । "
उसकी बात सुन कर आयशा ने अपने आंसू पोंछ कर कहा
" हां मुझे पता है आप मेरे साथ वैसे बदतमीजी नहीं कर रहे थे यह सब कुछ उस सपना की वजह से हुआ है उसी ने मुझे भेजा था आपके पास कि मैं आपसे जूते लेकर आऊं और फिर..."
इतना बोलते बोलते फिर से उसका गला भर आया विराग ने कंसर्न दिखाते हुए कहा
" अभी देखो ढाई तीन बज गए हैं आपका घर कहां है मैं आपको ड्रॉप कर दूंगा मेरी गाड़ी अभी भी पार्किंग में है बाकी बारात की गाड़ियां जा चुकी है वैसे भी इस वक्त जयपुर की सड़के अच्छी नहीं रहती हैं नशे में धुत हुए लड़के घूमते रहते हैं और हम कब तक ऐसे ही चलते रहेंगे "
आयशा ने रोते हुए कहा
" अगर आप चलते-चलते थक चुके हैं तो आप जा सकते हैं यहां से मैंने आपको रोक नहीं है पर मुझे किसी की मेहरबानी नहीं चाहिए "
विराग ने एक बार अपनी आंखें गोल-गोल घूमाते हुए अपने मन में कहा
" ये लड़कियां इतनी खुदगर्ज क्यों होती हैं ?"
और फिर थोड़े तेज कदमों से चलकर अपने और आयशा के बीच के फासले को खत्म करते हुए बोला
" अगर तुम थमने की बात करोगी तो मैं पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ ऐसे सड़क पर चल सकता हूं पर बात तुम्हारी सेफ्टी की है "
आयशा ने आंखों को छोटा करते हुए विराग़ को देखा तो विराग ने दो बार हा ऐसा हिलाते हुए कहा
" हां तुमने सही सुना और दूसरी बात रही मेहरबानी की तो मैं किसी पर मेहरबानी नहीं करता उसके बदले मुझे बहुत कुछ चाहिए होता है "
यह सुनकर आयशा उससे थोड़ा दूरी बनाते हुए बोली
" पर मेरे पास कुछ नहीं आपको देने के लिए मेरे पास तो किराया भी नहीं है "
विराग ने एक लंबी सांस छोड़ते हुए कहा
" मोहतरमा मैं आपसे किराया मांग भी नहीं रहा हूं मैं बस आपसे यह पूछ रहा हूं कि आप जयपुर में कौन सी कॉलोनी में रहती है कौन सी गली में रहती है मैं खुद आपको छोड़कर आऊंगा "
आयशा ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा
" मैं यहां पास के अनाथ आश्रम में रहती हूं और वहां की आंटी बहुत सख्त है अगर मैं आपको साथ लेकर गई तो मुझे बहुत डांट लगाएंगी इसलिए मैं अकेली चली जाऊंगी आप जाइए आपके घर वाले आपका इंतजार कर रहे होंगे "
जैसे ही विराग ने यह सुना की आयशा एक अनाथ आश्रम में रहती है उसकी आंखों में हैरानी आ गई वहीं उसका चेहरा पूरी तरह मुरझा गया उसने माफी मांगते हुए कहा
" आई एम रियली सॉरी मैं मैं तुम को हर्ट नहीं कर रहा था पर तुम मेरे साथ चल सकती हो मेरा अपार्टमेंट बहुत बड़ा है और मैं भी अकेला ही रहता हूं ऊपर से मुझे खाना भी नहीं बनाना आता है तो तुम मेरी हेल्प भी कर सकती हो "
आयशा ने विराट को घूरते हुए कहा
" तो क्या मैं आपको कामवाली बाई लगती हूं "
विराग ने अपने दोनों कान पकड़ते हुए कहा
" नहीं जी मेरा यह मतलब नहीं है बस..."
फिर उसने जल्दी से अपना हाथ दिखाते हुए कहा
" देखो कल ही मेरा हाथ जल गया था कुकर की वजह से "
आयशा ने उसके हाथ को देखा तो उसकी कलाई पर जलने का निशान बना था
आयशा ने कुछ सोचते हुए कहा
" पर मैं आप पर भरोसा कैसे कर सकती हूं आप तो एक अजनबी हो मेरे लिए "
विराग ने जल्दी से कहा
" पर मैं तुम्हारे जीजा जी का बहुत अच्छा दोस्त हूं तुम चाहो तो उससे बात कर सकती हो आई मीन तेजस से बात कर सकती हो वह तुम्हें बता देगा कि मैं कैसा हूं मैं तुम्हारे साथ कभी कुछ गलत नहीं करूंगा आई प्रॉमिस "
आयशा ने कुछ सोचते हुए कहा
" ठीक है मैं मान लेती हूं आपकी बात पर मैं घर का सारा काम नहीं करूंगी मुझे पढ़ना भी होता है "
विराग ने खुश होते हुए कहा
" जी बिल्कुल आधा काम आप करना और आधा मैं करूंगा "
आयशा ने अपने मन में कहा
"अगर मुझे उसे अनाथ आश्रम से छुटकारा मिल जाए तो मैं जिंदगी भर किसी के घर कामवाली बाई बन सकती हूं पर अगर जो जो मैंने अनाथ आश्रम में सहा है वही मुझे दूसरे के घर भी सहना पड़े तो मैं वहां एक पल नहीं रुकूंगी "
इतना सोच कर उसने विराग़ के चेहरे को देखा जो चेहरे से तो मासूम ही लग रहा था
विराग ने आयशा को वही रोकते हुए कहा
" मैं अभी गया और अभी आया बस यही खड़ी रहना "
और वह 100 की स्पीड से दौड़ते हुए वापस शास्त्री मेंशन गया जिसकी पार्किंग में उसकी कार खड़ी थी
उसने जल्दी से कार निकाली और अगले 2 मिनट में ही आयशा के सामने कार रोक दी आयशा ने अपने सीने पर हाथ रखते हुए कहा
" इतनी भी क्या जल्दी है थोड़ा धीरे ड्राइव कर लो "
विराट ने बत्तीसी चमकाते हुए कहा
" फिर से सॉरी अब आ जाओ "
आयशा आहिस्ता से उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गई और विराग ने कार स्टार्ट कर ली
राजवंश मेंशन
वृंदा ने कपड़े बदल लिए थे और एक हल्के नीले रंग की साड़ी पहन कर वो बेड पर लेटी थी
कल पूरे दिन वो इतनी थकी हुई थी आरामदायक तकिए पर सर रखते ही उसे नींद आ गई....
वो करीब 3 बजे सोई थी...
और अब सुबह के 8 बज चुके थे
अवंतिका उसके कमरे के सामने जाते हुए थोड़ा तेज आवाज मै बोली
" बहुरानी आपकी सुबह किस वक्त होती है?"
वृंदा ने जैसे ही इतनी तेज आवाज सुनी वो झट से उठ कर बैठ गई और जल्दी से अपने सर पर पल्लू लेते हुए दरवाजा खोलती है
सामने अवंतिका हल्के गुस्से मै खड़ी थी उसने वृंदा को एक भारी भरकम पोशाक देते हुए कहा
" इसे पहन कर तैयार हो जाओ आधे घंटे बाद मंदिर के लिए निकलना है "
वृंदा ने हमें सर हिलाया और उस पोशाक को लेकर अंदर चली गई जाने से पहले उसने दरवाजा फिर से अंदर से लॉक कर लिया वह एक लाइट ग्रीन कलर की हैवी पोशाक थी जिस पर मिरर का वर्क किया हुआ था यह जयपुर की स्पेशल पोशाक थी जिनका वजन कुछ ज्यादा ही होता है
वृंदा जल्दी से नहा कर तैयार हो गई वह इस पोशाक में बेहद खूबसूरत लग रही थी क्योंकि यह कलर उसके हल्के सांवले रंग पर खूब जच रहा था
उसने वही राजस्थानी श्रृंगार किया पूरा और फिर से अपना घूंघट ले लिया
इस बार फिर से दरवाजे पर दस्तक हुई लेकिन यह अवंतिका नहीं बल्कि तेजस था तेजस ने थोड़ा जल्दबाजी दिखाते हुए कहा
" अरे यार जल्दी करो बाहर वह बुढ़िया मेरा दिमाग खराब कर रही है "
तेजस को अपनी दादी के लिए ऐसा शब्द इस्तेमाल करता देख वृंदा ने मुंह मरोड़ते हुए खुद से कहा
" कितने बदतमीज है यह "
और फिर जाकर दरवाजा खोला उसे राजस्थानी पोशाक में देखकर तेजस के होठों पर हल्की सी स्माइल आ गई और उसने अपने दोनों हाथों को मोड़ते हुए उसकी नजर उतार कर कहा
" अगर नजर लग गई तो भी वह बुढ़िया मेरा ही जीना हराम करेगी इसलिए तुम्हें मेरी नजर नहीं लगनी चाहिए "
इतना बोलकर उसने अपने पर्स से कुछ पैसे निकाले और उसके सर पर से वारते हुए कहा
" दादी कहती हैं ऐसा करने से नजर नहीं लगती "
तेजस की इस हरकत पर वृंदा के गाल शर्म से लाल हो रहे थे पता नहीं क्यों उसके पेट में अजीब सी तितलियां उड़ रही थी उसने आज से पहले ऐसी फीलिंग तो यतिक्ष के लिए भी महसूस नहीं की थी
उसके हाथों में अपने आप ही थरथराहट सी आ गई उसने अपनी पोशाक को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए खुद को कांपने से रोकने की कोशिश की वही तेजस वापस मुड़ते हुए बोला
" अब अपने कदमों को जल्दी चलाओ मुझे नहीं लगता यह लहंगा तुम्हारी शादी वाली ड्रेस जितना भारी होगा तो प्लीज कीड़ी जैसे कदमों से मत चलना "
वृंदा ने एक लंबी सांस भरी और फिर तेजस के पीछे-पीछे चल पड़ी पर जल्दबाजी में उसका पांव उसकी ही पोशाक में उलझ गया और वह सीडीओ से गिरने को हुई पर तेजस ने ठीक उसी समय उसकी कमर में हाथ डालते हुए उसे संभाल लिया और जैसे ही वृंदा का हल्का सा घूंघट हटा उसके गुलाबी होंठ तेजस को दिखाने लगे तेजस ने अपने होठों पर जीभ फिराते हुए कहा
" अच्छा है तुमने घूंघट ले रखा है वरना मेरे परिवार वाले तो मेरी सबसे बेशर्म साइड देख लेते "
उसकी ये बात सुन कर वृंदा ने अपने होठों को दांतों से काटते हुए तेजस की कही बात को सोचा आखिर उसकी इन जलेबी जैसी बातों का मतलब क्या बन रहा है
उसे ऐसा करते हुए देख तेजस ने उसके होठों पर अपनी एक उंगली रखते हुए कहा
" Shh काटो मत इन्हें "
और वृंदा की पूरी बॉडी गुसबंप्स से भर गई
तभी उन्हें किसी के गला सही करने की आवाज आई
और तेजस ने वृंदा को सही से खड़ा करते हुए कहा
" जल्दी चलने को कहा है मेट्रो की स्पीड से चलने को नहीं "
सामने और कोई नहीं बल्कि आंखो मै गुस्सा किया अवंतिका ही खड़ी थी.....
वृंदा और तेजस एक गाड़ी में थे, जिसे ड्राइवर चला रहा था। वे दोनों बैक सीट पर बैठे थे।
गाड़ी में पार्टीशन ऑन था।
सब अलग-अलग गाड़ियों में जा रहे थे क्योंकि कुलदेवी का मंदिर बहुत दूर है।
राजवंश खानदान में करणी माँ को कुलदेवी माना जाता है। जयपुर से बीकानेर (देशनोक) जाने में करीब सवा छः घंटे लगते हैं।
इसीलिए अवंतिका, वृंदा को जल्दी तैयार होने को कह रही थी क्योंकि उन्हें वापस घर भी जल्दी आना था।
तेजस ने वृंदा को देखा जो अपने घूंघट में परेशान हो रही थी।
तेजस ने उसका घूंघट उसके सर से हटाने की कोशिश की तो वृंदा ने जल्दी से गुस्से में कहा,
"क्या कर रहे हैं आप? माँ ने मना किया था, आज रात से पहले मैं घूंघट नहीं उठा सकती हूँ।"
तेजस ने अफ़सोस से अपना सर पकड़ कर कहा,
"बेटा, मंदिर तुम्हें पता है कितनी दूर है?"
वृंदा ने मुँह बिचकाते हुए कहा,
"हाँ, पता है।"
तेजस ने जल्दी से कहा, "बताओ जरा कितनी दूर है?"
वृंदा ने खिड़की की तरफ़ चेहरा करते हुए कहा, "बहुत दूर है।"
तेजस ने फिर से अपना माथा पकड़ते हुए कहा, "हे भगवान! क्या करूँ इस झल्ली लड़की का?"
और फिर वह प्यार से उसका हाथ थामते हुए बोला
, "देखो बेटा, मंदिर यहाँ से 6 घंटे के रास्ते पर है और 6 घंटे में इस लम्बे घूंघट में तुम्हारी हालत अधमरी हो जाएगी। वैसे भी, घूँघट उठवाना होता है पति से, जो मैं अभी उठा देता हूँ।"
वृंदा ने उसका हाथ झटकते हुए कहा, "ऐसे नहीं! घूंघट उठाने के बाद कोई गिफ़्ट भी देते हैं। जब तक आप गिफ़्ट नहीं लेकर आओगे, मैं नहीं उठाऊँगी घूंघट।"
यह सुनकर तेजस मुँह खोले उसे देख रहा था। कितनी जिद्दी लड़की थी! वह उसकी फ़िक्र कर रहा है और उसे गिफ़्ट की पड़ी है!
तेजस ने दो बार अपना सर खुजाया और अचानक ही उसके शरारती दिमाग में एक खतरनाक सा आईडिया आया। उसने वृंदा की तरफ़ देखते हुए कहा
, "हाँ, है मेरे पास गिफ़्ट। तुम घूंघट तो हटाने दो मुझे। वैसे भी, मैं तुम्हें देख चुका हूँ यार! मुझे समझ नहीं आ रहा यह घूंघट वाला क्या सिस्टम है।"
वृंदा ने जैसे ही सुना कि उसके पास गिफ़्ट है तो उसने जल्दी से उसकी तरफ़ चेहरा करते हुए कहा, "ठीक है, फिर आप घूंघट उठा सकते हो।"
तेजस के चेहरे पर शरारती स्माइल आ गई। उसने धीरे से वृंदा का घूंघट हटाया और उसका चाँद सा चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया। उसने गौर से वृंदा के चेहरे को देखा। उसकी भारी-भारी पलकों के नीचे झुकी हुई थीं उसकी काजल लगी भूरी आँखें, जो उसकी खूबसूरती को और भी निखार रही थीं। तेजस ने उसके करीब झुकते हुए कहा, "अर्धांगिनी जी, अपनी आँखें बंद कर लो, फिर मैं तुम्हें गिफ़्ट देता हूँ।"
यह सुनकर एक पल वृंदा ने आँखें उठाकर तेजस के चेहरे को देखा और जैसे ही उनकी नज़रें मिलीं, तेजस का दिल ऐसे धड़कने लगा जैसे अभी कूदकर बाहर आ जाएगा। पर वृंदा ने तुरंत ही अपनी आँखें बंद कर लीं और तेजस उसके करीब बढ़ते हुए उसके होंठों को देखने लगा। उसने अपनी गर्दन टेढ़ी करते हुए धीरे से उसके होंठों के कोने को छू लिया और फिर खुद को उससे दूर कर लिया। वृंदा की सांसे जैसे थम गई वो अचानक चौंकी और आँखें बड़ी-बड़ी करके तेजस को देखने लगी। तेजस ने उसकी तरफ़ आँख मारते हुए कहा, "कैसा लगा मेरा तोहफ़ा? मुझे तो बहुत प्यारा लगा तुम्हारा पता नहीं तुम्हें?"
वृंदा ने गुस्से से तेजस का हाथ अपने हाथ से झटकते हुए कहा, "निहायती बेशर्म, घटिया इंसान है आप!"
और फिर जल्दी से चेहरा दूसरी तरफ़ कर लिया। तेजस को उसका यह चिढ़ा हुआ चेहरा भी बहुत अच्छा लग रहा था। उसने फिर से उसके करीब जाते हुए, इस बार उसके गाल को चूम लिया और वृंदा के शरीर में करंट सा दौड़ गया। उसने खुद में सिमटते हुए अपने आप को बिल्कुल गाड़ी के कोने से लगा लिया और घबराई हुई नज़रों से तेजस को देखने लगी।
तेजस ने उसके गाल को अपने हाथ में भरते हुए कहा, "ऐसे घबराओ मत, अर्धांगिनी! इतना भी बेशर्म नहीं हूँ कि गाड़ी में ही शुरू हो जाऊँगा। मैं आज रात तक का इंतज़ार कर सकता हूँ।"
उसकी ऐसी बातें वृंदा के मन में उथल-पुथल मचा रही थीं और उसकी घबराहट को कम करने की बजाय और ज़्यादा बढ़ा रही थीं।
फिर तेजस ने हल्के गुस्से में कहा, "और एक ही रात में तुम्हें इतना तड़पाऊँगा, तुम अपने किसी और आशिक का ख्याल भी अपने दिमाग में नहीं ला पाओगी।"
यह सुनकर तो वृंदा की साँस ही अटक गई। उसने डरते हुए अपना सलाइवा निगलते हुए कहा, "आप इतने बेरहम इंसान हैं! मुझे तो पता ही नहीं था। मैं तो आपको अच्छा समझ रही थी।"
तेजस ने एक आईब्रो चढ़ाते हुए कहा,
"हाँ, बेटा जी! तुम्हारी नज़रें कुछ ज़्यादा ही ख़राब हैं। तुम्हें हमेशा वही अच्छे लगते हैं जो गलत होते हैं, जो बुरे होते हैं। ख़ैर, कभी तो तुम्हारी नज़रें सही भी पहचानेंगी और मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है।"
वृंदा ने डरते हुए अपने सूखे होठों पर जीभ फेरकर कहा, "आखिर कहना क्या चाहते हैं आप?"
तेजस ने अपने बालों में हाथ घुमाते हुए कहा, "यही कि अब मुझे मुश्किल नहीं लग रहा कि ये 6 घंटे कैसे बीतेंगे। मैं तुम्हें परेशान करके 6 घंटे क्या, 6 जन्म बिता सकता हूँ। ऐसे ही गाड़ी में चलते-चलते बड़ा मज़ा आएगा तुम्हें तंग करने में।"
वृंदा तो एकदम ही डर गई तेजस की ऐसी बातें सुनकर। उसने अपने मन ही मन कहा,
"हे शिव! कहाँ फँसा दिया आपने मुझे! नहीं पता था अगर मैं 16 सोमवार के व्रत नहीं करूँगी तो आप मुझे इतना गंदा पति दे दोगे! प्यार के मामले में हर बार ही आपने मुझे ऐसा-ऐसा सबक सिखा दिया है! अब मैं कैसे मनाऊँ आपको? मुझे लगता है आप ही मुझसे रूठ गए हो।"
वृंदा मुँह बनाते हुए आसमान की तरफ़ चेहरा करते हुए मन ही मन बड़बड़ा रही थी। उसके होंठ भी हल्के-हल्के हिल रहे थे और उसकी आँखों को देखकर पता चल रहा था कि वह किसी से शिकायत कर रही है।
तेजस ने मुस्कुरा कर कहा,
"देवता नाराज़ हो गए हैं, अर्धांगिनी! तुम्हें उन्हें मनाना होगा। और तुम्हारे नक्षत्र भी ख़राब हैं और मुझे लगता है तुम्हें अपनी कुंडली पंडित जी से दिखानी चाहिए। आख़िर कौन सा पाप किया होगा तुमने पिछले जन्म में जो तुम्हें ये सब देखना पड़ रहा है? ज़रूर ही कुछ बड़ा पाप किया होगा।"
भोली-भाली वृंदा ने जैसे ही ये सुना, उसने उसे सच मान लिया और तुरंत तेजस की तरफ़ देखते हुए बोली,
"हाँ, कभी-कभी मुझे भी यही लगता है कि मैंने बहुत बड़ा पाप कर दिया है, जाने-अनजाने में ही सही। पर अब मुझे समझ नहीं आ रहा, मैं ऐसा कौन सा पुण्य करूँ जो वो पाप धुल जाए।"
तेजस ने जैसे ही देखा कि वृंदा उसकी तरफ़ देख रही है, वह वापस उसकी तरफ़ रुख करते हुए उसके करीब गया और उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए बोला,
"अपने पति की इज़्ज़त करना, अपने पति से प्रेम करना, इससे बड़ा कर्म, इससे बड़ा पुण्य कुछ नहीं होता है। तो तुम मुझसे प्यार करो, तुम्हारे सारे पाप धुल जाएँगे, अर्धांगिनी।"
वृंदा ने आँखें टिमटिमाते हुए तेजस को देखा और फिर अचानक ही मुँह बिचकाते हुए बोली,
"नहीं! फिर तो पाप ही सही! इतना सह लिया है मैंने, और भी सह लूँगी। पर आपसे प्यार करने जितनी बड़ी सज़ा मुझे नहीं चाहिए।"
वृंदा ने, भले ही यह सब कुछ सिर्फ़ तेजस के मज़ाक का जवाब दिया था, असल में उसका ऐसा कोई मतलब नहीं था। पर तेजस को यह बात खटक रही थी कि उसकी बीवी पूरी ज़िंदगी कभी उससे प्यार नहीं करेगी, क्योंकि प्यार तो कहते हैं एक ही बार होता है, और जब किसी को एक बार प्यार हो जाए, खासकर औरत को, तो वह अपना पहला प्यार कभी नहीं भूल पाती। तो क्या उसकी ज़िंदगी बिना प्यार के ही गुज़र जाएगी?
यह सोचकर उसका मन भारी हो चुका था। उसने अपना सिर सीट से टिकाया और अपनी आँखें बंद कर लीं, ताकि उसकी आँखों में आई नमी वृंदा न देखें।
वहीँ वृंदा, जो उसकी अगली शरारत का इंतज़ार कर रही थी, जब उसे महसूस हुआ कि तेजस बिल्कुल शांत हो चुका है, तो उसने चोर नज़रों से तेजस की तरफ़ देखा, पर तेजस की तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया। वह वैसे ही लेटा रहा। वृंदा ने बहुत कोशिश की; कभी अपनी चूड़ियाँ खनकाईं, तो कभी पायल। पर तेजस ने अपनी आँखें एक बार भी नहीं खोलीं। और देखते ही देखते छः घंटे भी बीत गए।
बीच-बीच में वृंदा को नींद भी आ रही थी, पर जैसे ही उसका सिर शीशे से लगता, उसकी नींद खुल जाती और वह एक उम्मीद से तेजस की तरफ़ देखती, पर तेजस वैसा का वैसा लेटा था, जैसे किसी ने उसे वहाँ स्टैचू कर दिया हो।
मंदिर के सामने राजवंश परिवार की सारी गाड़ियाँ खड़ी हुईं, और एक-एक करके सारे सदस्य बाहर निकलकर आए। अवंतिका ने वृंदा और तेजस के कंधों पर एक साफा डालते हुए, उसे एक गांठ से बाँधकर कहा
, "यह आप दोनों का गठजोड़ा है। हम गठजोड़े की जात यहाँ देने आए हैं, तो आपको पूरे मंदिर में साथ रहना है। अब अंदर चलिए।"
तेजस और वृंदा साथ-साथ अंदर जा रहे थे। वहीं अंदर पहुँचकर वृंदा एकदम से डर गई, क्योंकि पूरे मंदिर में सिर्फ़ चूहे थे। उसने डरते हुए तेजस का हाथ पकड़कर कहा,
"मुझे बहुत डर लग रहा है।"
तेजस ने गुस्से से कहा
, "यह हमारी माता हैं, और हम मानते हैं कि ये चूहे बहुत पवित्र होते हैं, और सबसे पवित्र होता है सफ़ेद चूहा, जो बस किसी किसी को दिखता है। और वैसे भी, जिसके मन में पाप होता है, उसे सफ़ेद चूहा नहीं दिखता। तो अगर तुम्हारे मन में पाप है, तो तुम्हें चूहा नहीं दिखेगा। अब सोच लो, तुम्हें उस पाप को धुलना है या नहीं।"
तेजस अपनी ही बात कर रहा था, वहीं वृंदा चूहों को देखकर डर रही थी। अवंतिका बाहर से प्रसाद लेकर आई और पंडित जी को देते हुए बोली
, "गठजोड़े के नाम पर यह प्रसाद माता को चढ़ा दीजिए।"
पंडित ने वैसा ही किया, और फिर वह प्रसाद वहाँ उन चूहों में बाँट दिया गया। वे चूहे 'चू-चू' की आवाज़ करते हुए उस प्रसाद खा रहे थे, और अचानक ही वृंदा की चीख निकल गई, क्योंकि एक चूहा उसके पैर पर चढ़ गया था। वह तेजस की गोद में चढ़ते हुए बोली
, "मुझे...मुझे बहुत डर लग रहा है। प्लीज़, मुझे गोद में उठा लीजिए।"
अवंतिका उसे गुस्से से देख रही थी, वहीं रजवंती को हँसी आ रही थी। वृंदा को देख-देखकर उसने तेजस के कंधे पर मारते हुए कहा,
"नालायक! इतना जिम जाता है, अपनी बीवी को गोद में नहीं उठा सकता?"
तेजस ने वृंदा को गोद में तो उठा लिया था, पर उसके बदन से आती हुई खुशबू को महसूस कर उसके दिल में हलचल हो रही थी। उसके पूरे शरीर के रोएँ खड़े हो रहे थे, जिससे वह अनकम्फ़र्टेबल हो रहा था। उसने धीरे से झुकते हुए वृंदा के कान में कहा,
"अर्धांगिनी जी, थोड़ा कम खाया करो। खा-खाकर भैंस जैसी हो गई हो। मुझसे तो तुम्हारा वज़न ही नहीं उठ रहा है।"
वृंदा ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
"क्या बकवास कर रहे हो आप? मेरे अंदर सिर्फ़ 50 किलो वज़न है। आपकी यह मज़बूत बाह 50 किलो वज़न भी नहीं उठा सकती? लानत है फिर आपके जिम जाने पर! बंद कर दीजिए जिम जाना।"
तेजस ने उसे गुस्से से घूरा, और फिर मंदिर के आगे माता को देखते हुए दोनों ने माता रानी से प्रार्थना की। दोनों ने ही आज एक ही वचन लिया था कि वे दोनों हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ देंगे। प्यार चाहे हो या न हो, पर उनका यह साथ कभी कम नहीं होगा। और तेजस ने कहा था कि उसका एकतरफ़ा प्यार कभी कम नहीं हो।
वृंदा और तेजस जब वापस लौटे, तो उनकी नज़रों के सामने से वह सफ़ेद चूहा निकलकर गया, और वृंदा ने खुशी से उछलते हुए कहा,
"देखा? मैंने कोई पाप नहीं किया है। मैंने सफ़ेद चूहा देख लिया।"
उसे ऐसा करते देख, वहाँ आस-पास के लोगों की नज़र उस पर आ गई, और यह चीज़ अवंतिका को बिल्कुल अच्छी नहीं लगी। उसने वृंदा को आँखें दिखाते हुए कहा, "इतनी बड़ी हो गई हो, शर्म-लिहाज़ नहीं है तुम्हारे अंदर? बच्चों जैसी हरकतें कर रही हो!"
वृंदा एकदम से झेंप गई। वहीं तेजस ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा,
"हाँ, वह बच्ची ही है, और इसमें शर्म-लिहाज़ वाली कौन सी बात थी? मुझे नहीं लगता उसने कुछ गलत किया है।"
इतना बोलकर उसने वृंदा का हाथ पकड़ा, और वे दोनों उनसे पहले मंदिर से बाहर जाने लगे। इसे देखकर अवंतिका ने गुस्से से मुट्ठियाँ कस लीं, और रजवंती के चेहरे पर एक प्राउड वाली स्माइल आ गई। उसका पोता अपनी बीवी की तरफ़दारी कर रहा है। यह उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि वे अपनी बहू को अच्छे से जानते थे; अवंतिका वृंदा का जीना हराम कर देगी अगर तेजस ने भी वृंदा का साथ नहीं दिया।
वहीं वे दोनों कार में वापस जाकर बैठे, तो वृंदा ने कहा,
"आप अपनी मम्मी से ऐसे कैसे बात कर सकते हो? वह सही तो बोल रही थी। मुझे ऐसे बच्चों वाली हरकतें नहीं करनी चाहिए थीं।"
तेजस ने उसका वह लम्बा सा घूँघट वापस उठाते हुए कहा,
"अब कोई नहीं है यहाँ, तो घूँघट मत डालो। और दूसरी बात, मुझे मेरी माँ से कैसी बात करनी चाहिए और कैसी नहीं, यह सिर्फ़ मैं डिसाइड करूँगा, तुम नहीं। तुम चुपचाप बैठी रहो। मैं अभी आता हूँ।"
वृंदा को कुछ समझ नहीं आया; आखिर तेजस उस पर क्यों गुस्सा कर रहा है? वह तो सही बोल रही थी।
वहीं तेजस बाहर गया और रजवंती के पास जाते हुए बोला,
"देखो, अपनी बहू को समझा लो कि मेरी बीवी से दूर रहे, वरना मैं...वरना वृंदा का तो पता नहीं वह शर्म-लिहाज़ भूली है या नहीं, पर मैं ज़रूर भूल जाऊँगा।"
रजवंती ने उसके बालों में हाथ घुमाते हुए कहा,
"तुम शांत रहो। तुम्हें अपनी माँ को नहीं समझाना चाहिए, बल्कि अपनी पत्नी को समझाना चाहिए कि उसे कमज़ोर नहीं बनाना है।
राजवंश पैलेस में उसे ऐसे हज़ारों दुश्मन मिलेंगे, और सबसे बचाने के लिए तुम नहीं आ पाओगे, तो तुम्हें उसे ही स्ट्राँग बनाना है।"
तेजस ने कहा,
"हाँ, वह सब मैं देख लूँगा, पर आप अपनी बहू को समझा लीजिए।" इतना बोलकर वह वहाँ से बाहर चला गया। मंदिर के आस-पास हमेशा मेला लगा रहता है, जहाँ खाने-पीने का सामान भी मिलता है और साजो-सिंगार का भी।
तेजस बाहर आया और उसने कुछ खाने का सामान खरीदा, और उसके साथ ही उसकी नज़र एक पायल की जोड़ी पर पड़ी, जो दूर से काफ़ी सुंदर लग रही थी। वह उनके पास जाते हुए दुकानदार से बोला
, "भैया, यह पायल पैक कर दीजिए।"
दुकानदार ने कहा,
"भाई साहब, यह कोई बड़ा मोल नहीं है, यह छोटी सी दुकान है। आपको पैक करके नहीं मिलेगी, ऐसे ही हाथ में ले जानी पड़ेगी।"
तेजस ने वह दोनों पायल उठाते हुए कहा,
"ठीक है, आप पैसे बता दीजिए।"
इतना बोलकर उसने दुकानदार को पैसे दे दिए और गौर से उन पायलों को देखने लगा। उनमें बीच-बीच में छोटे गुलाबी मोती लगे थे, और वह पूरी सिल्वर रंग से रंगी हुई थीं। आस-पास छोटे-छोटे घुँघरू लगे थे, जिससे 'छन-छन' की आवाज़ आ रही थी। उसे आवाज़ सुनकर तेजस ने कहा, "यह तो बहुत इरिटेशन वाली आवाज़ है।" पर फिर कुछ सोचकर उसने उन दोनों पायलों को अपनी जेब में डाल लिया और अपनी गाड़ी की तरफ़ चला गया।
गाड़ी में जाकर उसने देखा तो वृंदा को नींद आ चुकी थी। चलती गाड़ी में तो वह सो नहीं पा रही थी, अब गाड़ी रुकी हुई थी, एसी भी ऑन थी, और उसे कोई परेशानी भी नहीं हो रही थी। बिना घूँघट के, तो उसे तुरंत ही आराम से नींद आ गई। उसे सोता हुआ देखकर तेजस के चेहरे पर एक स्माइल आ गई। वह कार में बैठते हुए ड्राइवर से बोला,
"गाड़ी थोड़ा धीरे चलाना।"
ड्राइवर ने हाँ में सिर हिलाया और एसी ऑन कर दी। तेजस ने वृंदा का सिर आराम से अपने कंधे पर एडजस्ट किया, और ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट कर ली। अब वृंदा को सोने में कोई दिक्क़त नहीं हो रही थी, और अब तक हल्का अंधेरा भी हो चुका था। वे लोग रात के करीब 8:00 बजे जयपुर वापस पहुँचने वाले थे।
तेजस ने अपनी जेब से वह पायल निकालते हुए एक बार फिर उनको देखा और उनकी 'छन-छन' आवाज़ सुनकर उसने अपनी आँखें बंद करते हुए कहा,
"यह अर्धांगिनी के पैरों में कैसी लगेगी?"
यह सोच-सोचकर ही उसका दिल खुश हो रहा था। उसने वापस उन पायलों को अपनी मुट्ठी में लिया और बार-बार खोलकर देखा। बोला,
"मेरा तो मन ही नहीं भर रहा है इनको देखने से।"
फिर उसने वापस जेब में डालते हुए बोला,
"यह लड़की कुछ ज़्यादा ही चालाक है। कैसे कोई एक नज़र में इतना पसंद आ सकता है?"
उसने अपनी नज़रें तिरछी करते हुए, सुकून से सोती वृंदा की तरफ़ देखा, जो अब नींद में बच्चों वाली हरकतें करना शुरू कर चुकी थी। उसके होठ हल्के खुल चुके थे, और उसका हाथ अब तेजस की कमर के इर्द-गिर्द लिपटा हुआ था। यह महसूस कर तेजस ने आँखें बड़ी करते हुए कहा,
"यह तो बड़े ज़ुल्म ढा रही है!"
और कुछ ही देर में वे लोग जयपुर वापस पहुँच चुके थे। ड्राइवर ने एक ब्रेक के साथ जैसे ही गाड़ी रोकी, तो वृंदा की नींद खुल गई। उसने नींद भरी आँखों से तेजस को देखा। तेजस ने गुस्से से कहा,
"तुम्हें पता है तुम्हारी वजह से मैंने भी खाना नहीं खाया? क्या तुम कुंभकरण की नानी थी किसी जन्म? कब से सोई जा रही हो! मैं सोच रहा था तुम उठोगी तो तुम्हारे साथ खाना खाऊँगा, पर पूरे रास्ते तुम हिली भी नहीं।"
वृंदा ने हैरानी से कहा,
"क्या? हम घर वापस पहुँच भी गए? छः घंटे इतने छोटे कैसे हो गए?"
तेजस ने अपने कंधे को सहलाते हुए कहा,
"मुझसे पूछो छः घंटे कितने लम्बे थे! मेरे कंधे की बैंड बजा दी है तुमने।"
वृंदा ने छोटा सा चेहरा बनाते हुए कहा,
"आई एम रियली सॉरी। मेरी वजह से आपके कंधे में दर्द हो गया, पर मुझे सच में नहीं पता था मैंने कब आपके कंधे पर सिर रखा, क्योंकि मैं तो गाड़ी की सीट से सिर लगाकर सोई थी।"
तेजस ने आँखें छोटी करते हुए कहा,
"हाँ-हाँ, सब समझ गया। अब बहाना बनाना बंद करो और बाहर चलो।"
वृंदा निकली और तेज कदमों से अंदर जाते हुए बोली,
"कितना खड़ूस पति है! ऐसा लगता है पूरी दुनिया की सास के गुण इसके अंदर समा गए हैं। बात-बात पर डाँटता है, अपनी गलती भी मुझे पर थोप देता है। ऐसे थोड़ी होता है!"
उसको यूँ गुस्से में पैर पटकता हुआ जाता देखकर तेजस को हँसी आ गई। उसने वह खाने का सामान उठाया और गाड़ी से बाहर निकल गया। रजवंती ने जब उसके हाथ में वह खाने का सामान देखा, तो हल्का गुस्सा करते हुए बोली,
"तुम दोनों ने कुछ नहीं खाया?"
तेजस ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा
, "आपकी बहुरानी को सोने से फ़ुरसत मिले, तब तो कुछ खाएँगे! वह पूरे रास्ते घोड़े, गधे, गाय, भैंस, बकरी सब बेचकर सोई है, और अब जाकर उठी है।"
रजवंती ने मुस्कुराकर कहा,
"वह कल बहुत ज़्यादा थक गई थी, बस इसी वजह से। अब तुम अंदर जाओ, मैं तुम दोनों के लिए गरम खाना भेजती हूँ।"
तेजस ने हाँ में सिर हिलाया और वह खाना रजवंती के हाथ मै देते हुए अंदर चला गया।
वहीं जब वृंदा दरवाज़े पर पहुँची, तो कमरे का हाल देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, क्योंकि पूरा कमरा किसी की सुहागरात के लिए खूबसूरती से सजा था, और यह उसकी और तेजस की सुहागरात के लिए सजा था। यह सोच-सोचकर ही वृंदा का दिल बैठ जा रहा था। उसकी बन्द मुट्ठियों में पसीना आ गया, और उसके कदम अपने आप पीछे हटने लगे, और वह कब तेजस के सीने से टकरा गई, उसे पता भी नहीं चला।
वह जैसे ही तेजस के सीने से टकराई, तेजस ने उसके कंधों को पकड़ते हुए कहा,
"क्या हुआ? भूत देख लिया क्या? कमरे में"
वृंदा हड़बड़ाते हुए तेजस से दूर हट गई और अपनी घबराई नज़रें झुकाते हुए बोली,
"नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।"
तेजस ने एक गहरी साँस छोड़ी और फिर अपने क़दम कमरे के अंदर बढ़ा दिए। कमरे में फैली मोमबत्तियों की खुशबू और सजावट को देखकर तेजस को सब समझ आ गया कि वृंदा क्यों घबरा रही है। उसने मुड़ते हुए वृंदा को देखा जो अभी कमरे की दहलीज पर खड़ी थी।
तेजस वापस मुड़ा और झुकते हुए वृंदा के चेहरे को देखा। उन दोनों की हाइट में डिफरेंस ज़्यादा था, जिस वजह से तेजस को उसके चेहरे को देखने के लिए हमेशा ही थोड़ा झुकना पड़ता है। उसने झुकते हुए कहा, "
तो बेटा जी, कब तक बचाना है आपको? इस पल से हमें पूरा पेपर पर लिखकर दे दीजिए, तब तक मैं तुम्हें छूने नहीं आऊँगा, पर उसके बाद मैं ज़रूर आऊँगा, क्योंकि पूरी ज़िंदगी तो मैं तुम्हें देखते हुए नहीं गुज़ार सकता ना?"
वृंदा ने डरते हुए अपने गले को तर किया और अपनी डबडबाई नज़रों को उठाकर तेजस का चेहरा देखा, जिसके चेहरे को देखकर लग रहा था कि वह सारी बातें सीरियस होकर कर रहा है। वह वृंदा के साथ कोई मज़ाक नहीं कर रहा है।
वृंदा ने हकलाती आवाज़ में कहा,
"मुझे... मुझे अभी थोड़ा वक़्त चाहिए। मुझे नहीं लगता मैं आपको खुश रख सकती हूँ। इसीलिए मैंने आपसे पहले कहा था कि आप मुझसे शादी..."
उसकी बात पूरी होने से पहले तेजस ने वापस मुड़ते हुए कहा,
"क्या तुम भी हिंदी फ़िल्मों के डायलॉग मारती हो? एक ही बात को रिपीट करती हो। मुझसे शादी नहीं करनी थी, पहले बोला था, मना कर देते ये वो... मुझे कुछ नहीं सुनना है। अब शादी तो हो चुकी है, अब अंदर आ जाओ। इतनी घबराने की ज़रूरत नहीं है। वैसे ये सजावट मुझे भी कुछ ख़ास पसंद नहीं आ रही है। चलो मिलकर इसे हटाते हैं।"
तेजस की बात सुनकर अब जाकर कहीं वृंदा की साँस में साँस आई और वह एक गहरी साँस छोड़ते हुए तेज क़दमों से अंदर आकर बोली,
"हाँ, मुझे भी इस सजावट से और इन मोमबत्तियों की खुशबू से घुटन हो रही है। चलो इसे जल्दी से हटा देते हैं।"
तेजस ने हैरानी से उसे देखते हुए कहा,
"देखो, कितनी चालक छोरी बन रही है! इतनी देर तो तुम्हारे पैरों में जैसे बर्फ जम गई थी, या पता नहीं बरगद के जैसे जड़े निकल आई थी जो तुम वहाँ से हिल भी नहीं रही थीं, और जैसे ही मैं सजावट हटाने की बात की, मेट्रो की स्पीड से अंदर आई हो!"
वृंदा सर झुकाए उसकी सारी डाँट सुन रही थी और अपने मन ही मन उसे कोसते हुए बोल रही थी,
"जब देखो तब लेक्चर झाड़ता रहता है! कभी किसी बात पर, कभी किसी बात पर! अभी तो खुद ही बोला कि सजावट हटानी है और अब सारा का सारा ब्लेम मुझ पर डाल दो कि मैं जल्दबाज़ी कर रही हूँ!"
तेजस ने जब देखा कि वृंदा ने पलटकर उसे कोई जवाब नहीं दिया, तो वह उसके पास गया और उसका सर थपथपाते हुए बोला,
"शाबाश बेटा! ऐसे ही अच्छे बच्चों की तरह मेरी सारी डाँट सुन ली। तुम्हें और जो भी मैं बोलता हूँ, उन सब का ध्यान भी रखना है। और दूसरी बात, ये सब सिर्फ़ मेरे सामने; बाकियों के सामने ऐसी लाजो-शर्म वाली बहू बनकर बिल्कुल नहीं रहना है। कोई भी तुम्हें कुछ कहे, उसका पलटवार जवाब देना है। किसी के सामने कमज़ोर बनने की ज़रूरत नहीं है। किसी को ये दिखाने की ज़रूरत नहीं है कि तुम कितनी भोली हो, कितनी सती-सावित्री हो। तुम्हारे अंदर झाँसी की रानी भी ज़रूरी है। समझ गई? मैं क्या बोल रहा हूँ?"
वृंदा ने जल्दी से सर हिलाते हुए कहा,
"हाँ, मुझे सब समझ आ गया। चलो अब सजावट हटाते हैं।"
वृंदा को डर था कहीं तेजस का मन बदल जाए और वह सजावट हटाने के लिए मना कर दे और उसके साथ कुछ कर बैठे। इसलिए उसने तो ध्यान से तेजस की बातें सुनी भी नहीं जो उसने अभी-अभी कही थीं। तेजस को गुस्सा आ गया। उसने वृंदा का चेहरा एक हाथ से पकड़ते हुए कहा,
"मैंने क्या कहा? वो तुमने सुना क्या? अनसुना कर दिया?"
वृंदा डरते हुए बोली, "ज जी, मैंने सुन लिया। वो मुझे सती-सावित्री, झाँसी की रानी और... और पता नहीं क्या बनना है।"
तेजस ने अपना दूसरा हाथ अपने माथे पर रखते हुए कहा,
"क्या करूँ मैं इस झल्ली लड़की का?"
उसने फिर से कहा,
"देखो, ध्यान से सुनो! सती-सावित्री नहीं बनना है, झाँसी की रानी बनना है! अब समझ गई?"
वृंदा ने दो बार हाँ सर, हाँ सर हिलाकर कहा, "हाँ, समझ गई।"
यह सुनकर तेजस ने एक सुकून भरी साँस ली और मुस्कुराकर बोला,
"अच्छी बात है कि तुम समझ गई।"
कुछ देर बाद दोनों कमरे की सजावट हटाने लगे। तेजस को अपने लिए बुरा लग रहा था। वह एक-एक फूल को उतारते हुए वृंदा की तरफ़ देख रहा था कि अगर ऐसा होता, वृंदा खुद खुशी-खुशी उससे शादी करती, तो आज की रात उसके लिए कितनी खूबसूरत होती! ये फूल जो उसे झुंझलाहट दे रहे हैं, वही उसे महका रहे होते। उन्होंने सारा सामान पॉलीथिन में पैक करके साइड में रख दिया। नीट एंड क्लीन रूम को देखकर वृंदा के चेहरे पर हँसी खिल गई और उसने मुस्कुराते हुए कहा,
"अब सब सही लग रहा है।"
उसने इतना कहा ही था कि दरवाज़े पर दस्तक हुई। तेजस ने कहा,
"मैं देखता हूँ।"
तेजस ने जैसे ही दरवाज़ा खोला, तो दरवाज़े पर रजवंती खड़ी थी और उनके हाथ में खाने की थाली थी। उन्हें देखकर तेजस ने आँखें छोटी करके कहा,
"अरे दादी माँ! आप क्यों खाना लेकर आई हो? सारे सेवक कहाँ गए?" वहीं रजवंती अपना सर अंदर झाँकते हुए देख रही थी कि उसने जो सजावट कराई थी, वह सुंदर है या नहीं, पर उसे ढंग से कुछ दिखाई नहीं दिया
तेजस ने आधा दरवाज़ा बंद किया और आधे दरवाज़े पर खुद खड़ा था। उसने ज़ोर से कहा,
To be continued 🎀
। तेजस ने आधा दरवाज़ा बंद किया और आधे दरवाज़े पर खुद खड़ा था। उसने ज़ोर से कहा,
"वो वृंदा भी कपड़े बदल रही थी, तो आप अंदर नहीं जा सकती हो।" रजवंती ने ये सुनकर शर्म से अपना चेहरा घुमाते हुए कहा,
"कितना बेशर्म है! कम से कम दादी से तो शर्म कर ले। ठीक है, नहीं जा रही, तुम दोनों को डिस्टर्ब नहीं कर रही।" अब जाओ अंदर...
तेजस ने एक हाथ से थाली पकड़ी और दूसरा हाथ अपने सीने पर रखते हुए कहा,
"थैंक गॉड! बच गया!"
उसने दरवाज़ा बंद किया तो वृंदा गुस्से में खड़ी थी। उसने कहा,
"क्या! मैं कपड़े बदल रही हूँ, आप सबके सामने सिर्फ़ मेरी ही बेइज़्ज़ती क्यों करते हो? आपको कहना चाहिए था ना कि umm की आपने कच्छा नहीं पहना है'
तेजस ने कहा,
"तुम्हारा दिमाग़ खराब है! मैं दादी माँ के सामने खड़ा था, मैंने कच्छा पहना है या नहीं, उन्हें सब दिख रहा था! पता नहीं अकल घास चरने गई है तुम्हारी!"
इतना बोलकर उसने खाना टेबल पर सजा दिया। वहीं वृंदा मुँह बिचकाते हुए बोली,
"अब मैं दादी माँ का सामना कैसे करूँगी? उनके सामने जाने से भी मुझे शर्म आएगी ।"
तेजस ने वॉश बेसिन की तरफ़ जाकर अपने हाथ धोए और वापस आते हुए बोला,
"अपने शर्म का पिटारा अपने पास रखो। वैसे भी मुझे भूख लगी है, तुम्हारी वजह से मैंने कुछ नहीं खाया है।"
इतना बोलकर वह खाना खाने बैठ गया। वहीं वृंदा को बहुत बुरा लगा। तेजस ने एक बार भी उसे नहीं कहा कि वह भी आकर उसके साथ खाना खा ले। वह कुछ देर वहीं खड़ी रही, तो तेजस ने कहा,
"अब मैं तुम्हें न्यौता दूंगा खाना खाने का भी।"
वृंदा ने पैर पटकते हुए कहा,
"एक बार बोलने से कौन सी आपकी ज़ुबान कट जाएगी?"
वह भी वॉश बेसिन के पास जाकर हाथ धोकर आई और तेजस के सामने बैठकर खाना खाने लगी। दोनों एक ही थाली में खाना खा रहे थे। दोनों के बीच बस चुप्पी थी।
कुछ देर बाद उन दोनों का खाना हो चुका था और तेजस बेड के एक साइड लेट कर हुए अपनी आँखें बंद करके बोला,
"अब तुम सो भी जाओ। सोने के लिए तो न्यौता देने की ज़रूरत नहीं होगी।"
तेजस के साथ एक ही बेड पर सोने से वृंदा को थोड़ी हिचकिचाहट महसूस हो रही थी। वह धीमे क़दमों से बेड के पास पहुँची और आहिस्ता से एक कोने में सिमटकर लेट गई। उसकी आँखों में नींद नहीं थी क्योंकि वह पूरे रास्ते सोते हुए आई थी।
करीब 1 घंटे बाद ही उसे तेजस की गहरी साँसों की आवाज़ आनी शुरू हो गई, जिसका मतलब था कि तेजस को नींद आ चुकी है।
उसने करवट लेते हुए तेजस की तरफ़ अपना चेहरा कर लिया। तेजस सोते हुए बहुत हैंडसम लग रहा था। वृंदा ने यतीक्ष के बारे में सोचते हुए खुद से कहा,
"काश, ये यतीक्ष मेरी ज़िंदगी में कभी नहीं आया होता, तो आज मैं भी इस रिश्ते को शिद्दत से निभाने की कोशिश करती। पर अब मुझे डर लग रहा है, इश्क़ करने के नाम से भी। अगर सच में कर लिया, तो मेरा क्या हश्र होगा? मैं सोच भी नहीं सकती।" इतना सोचकर उसने अपने होंठों को भींच लिया। उसकी नज़रें अभी भी तेजस के चेहरे पर थीं।
अचानक ही उसे महसूस हुआ कि तेजस के होंठ हिल रहे हैं और उसके माथे पर पसीना आ गया। पता नहीं तेजस क्या बड़बड़ा रहा था। तेजस की पकड़ बेडशीट पर कसी गई और उसने तेज आवाज़ में कहा,
"माँ... माँ..."
इतना बोलने के साथ तेजस की साँसें बढ़ गई थीं। अचानक ही उसकी आँखों के कोनों से आँसुओं की बूँद निकलने लगी और उसकी बड़बड़ाहट और ज़्यादा तेज हो गई, जिससे वृंदा एकदम से डर गई और उठकर बैठते हुए तेजस के करीब खिसक कर उसका सर सहलाते हुए बोली,
"क्या हुआ है आपको? उठिए!"
उसने तेजस का गाल थपथपाते हुए कहा। तेजस अभी बुरा सपना देख रहा था। उसने दोनों हाथ वृंदा की कमर पर लपेटते हुए कहा,
"प्लीज़, मुझे छोड़कर मत जाओ।"
उसने जैसे ही यह कहा, वृंदा की साँस अटक गई। उसके हाथ अपनी कमर पर महसूस करते ही जैसे उसका दिल धड़कना भूल गया। वहीं तेजस उसकी करीबी महसूस कर सुकून महसूस कर पा रहा था और उसकी आँखें अपने आप खुल गईं। उसने आँखें खोलकर वृंदा के सफ़ेद पड़ चुके चेहरे को देखा और फिर धीरे से अपनी बाहें उसकी कमर से हटाते हुए बोला,
"मुझे माफ़ करना, ख़याल नहीं रहा कि तुम हो।"
वृंदा ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
"ऐसा कौन सा बुरा ख़्वाब देख रहे थे आप?"
तेजस ने उसका हाथ अपने चेहरे से हटाकर कहा,
"मेरे सारे ख़्वाब बुरे ही होते हैं। अर्धांगिनी, हम किसी से भी जीत सकते हैं पर अपनी किस्मत से नहीं। और शायद मेरी किस्मत मुझसे कुछ ज़्यादा ही नाराज़ है।"
ये बोलते वक़्त उसके शब्दों में छुपे दर्द को वृंदा महसूस कर पा रही थी। वृंदा ने वापस तेजस के हाथ अपनी कमर पर लपेटते हुए कहा,
"अगर आपको मुझे गले लगाकर सुकून मिल रहा है, तो थोड़ी देर लगा लीजिए।"
ये सुनकर तेजस की आँखों में फिर से आँसू आ गए और उसने कसकर वृंदा को गले लगाते हुए कहा,
"थैंक यू, अर्धांगिनी।"
उसे यूँ बच्चों की तरह सुबकता देखकर वृंदा को बुरा लग रहा था। उसने उसके बालों में हाथ घुमाते हुए कहा,
"आप शांत हो जाइए। किसी की किस्मत बुरी नहीं होती है, बस वक़्त बुरा होता है और वह ज़रूर गुज़र जाएगा।"
तेजस को उसकी नर्म उंगलियाँ अपने बालों पर चलती हुई महसूस हो रही थी और उसकी करीबी उसके दिल को ठंडक दे रही थी। और कुछ ही पलों में तेजस को वापस नींद आ गई। उसे नींद के आगोश में जाता देख वृंदा ने धीरे से उसकी पकड़ अपनी कमर से हटाई और उसे आहिस्ता से सीधा लेटा दिया।
वृंदा ने उसके चेहरे को देखते हुए कहा,
"ऐसे कौन से बुरे ख़्वाब देखते हैं आप, जो आपको अपनी ज़िंदगी इतनी ज़हरीली लगती है?"
वृंदा ने फिर खुद से कहा,
"शायद हमें सिर्फ़ अपना दर्द सबसे बड़ा लगता है। सामने वाला उससे भी बड़े दर्द के साथ मुस्कुरा ले, तो हमें लगता है जैसे उसे दर्द महसूस नहीं होता।"
Next morning,
वृंदा की आँखें जब खुलीं, तो उसने नज़रें घुमाकर बिस्तर पर देखा। वहाँ तेजस नहीं था। यह देखकर वृंदा की आँखों में एक पल के लिए हैरानी आ गई।
वह उठी और टाइम देखा, तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। सुबह के करीब 8 बज चुके थे।
वृंदा ने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "हे शिव! यह क्या हो गया? मुझे इतनी देर तक नींद कैसे आ सकती है?"
अब रात को वह लेट सोई थी, तो सुबह लेट उठना लाजिमी था, पर अब वृंदा को चिंता हो रही थी। पता नहीं अवंतिका उसके साथ क्या करेगी। ऊपर से आज बाकी के रिश्तेदार भी आने वाले थे। वृंदा के चेहरे पर पसीने की बूँदें उभरने लगीं।
वह जल्दी से उठी और हड़ बड़ाते हुए बाथरूम में घुस गई।
वह नहाकर एक पिंक टॉवल लपेट कर रूम में आई, और वह रूम में जैसे ही आई, उसके मुँह से एक चीख निकल गई, क्योंकि सामने तेजस खड़ा था। तेजस ने भी जैसे ही उसे सिर्फ़ टॉवल में देखा, उसका मुँह खुला का खुला रह गया। वह कभी उसकी गोरी टाँगों को देख रहा था, तो कभी उसकी ब्यूटी बोन को, जिस पर पानी की बूँदें ठहरी थीं, और उसके गीले बाल उसके गालों पर चिपके थे। वृंदा के पूरे शरीर में करंट दौड़ रही थी। वह अब जल्दी से क्लोजेट के अंदर जाते हुए बोली,
"बदतमीज इंसान! आपको पता नहीं है कि मैं अंदर हूँ?"
तेजस हैरानी से कहा,
"ओह हेलो! यह मेरा कमरा है। अब इसमें भी तुम्हारी परमिशन से आऊँगा मैं?"
वृंदा ने क्लोजेट का दरवाज़ा जरूर बंद कर लिया था, पर बाहर से तेजस की आवाज़ उसे आ रही थी। उसने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनते हुए कहा,
"हाँ, ज़रूर! यह तो मैनर्स होते हैं, जो आपने सीखे नहीं हैं किसी से। आपकी माँ मुझे तो बहुत मैनर्स सिखा रही थीं, पर शायद आपको सिखाना भूल चुकी हैं।"
जाने-अनजाने में वृंदा ने तेजस की दुखती रग पर हाथ रख दिया था, जिस वजह से तेजस ने मुड़कर उसे कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपना लैपटॉप अपने बैग में डालते हुए कहा,
"मुझे शाम को आने में देर हो जाएगी, तो मेरा इंतज़ार मत करना। मैं ऑफिस जा रहा हूँ।"
तेजस ने उसे पलटकर कुछ कहा नहीं। यह वृंदा को रास नहीं आ रहा था। बात-बात पर डांटने वाला उसका पति इतनी जल्दी कैसे शांत हो गया? उसने आज पिंक कलर की राजपूती पोशाक पहनी थी। वह जल्दी से क्लोजेट से वापस आते हुए बोली,
"क्या मैंने कुछ गलत बोल दिया?"
उसने जाते हुए तेजस को रोकने की कोशिश करते हुए कहा... तेजस ने बिना पलटे जवाब दिया,
"नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।"
जब वृंदा को महसूस हुआ कि तेजस ने उसकी तरफ़ देखा भी नहीं, तो वह दौड़ते हुए उसके पास गई और उसका हाथ पकड़ते हुए बोली,
"तो फिर आप मेरी तरफ़ देख क्यों नहीं रहे हैं? मुझे आपसे वैसे भी बहुत सारे सवाल करने थे। क्या आज आप ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते हो?"
तेजस को उस पर गुस्सा आ रहा था। उसने पलटते हुए उसका हाथ अपने हाथ से झटक लिया और गुस्से में बोला,
"तुम्हें एक बार में बात समझ नहीं आती है! मुझे ज़रूरी काम है, मैं ऑफिस जाऊँगा। तुम कौन होती हो मुझे रोकने वाली?"
तेजस की ऐसी आवाज़ सुनकर वृंदा बिल्कुल सहम गई, और उसकी आँखों में हल्की नमी भी आ गई। उसके होंठ काँपने लगे थे, जैसे वह अभी रो पड़ेगी। उसने हकलाती जुबान में कहा,
"मुझे माफ़ करना,"
और फिर जल्दी से वहाँ से वापस मुड़कर मिरर के सामने चली गई। उसने अपनी चूड़ियाँ पहनीं और उसके बाद गले में हार। उसने फिर देखा भी नहीं की कि तेजस वहाँ कितनी देर खड़ा था और कब ऑफिस चला गया। तेजस के जाने के बाद वह पूरी तरह तैयार हो चुकी थी, और उसकी आँखों से अभी भी आँसू बह रहे थे। उसका पति उसके साथ ऐसा व्यवहार करेगा, उसने सोचा नहीं था। क्योंकि कहीं ना कहीं वृंदा को महसूस हो रहा था कि तेजस उसे पसंद करता है और उसकी छोटी-छोटी बातों का ख्याल भी रखता है, पर आज वाला बर्ताव कुछ ज़्यादा ही रूखा था। वृंदा ने अपने आँसू पोछे और फिर सर पर पल्लू लेते हुए बाहर चली गई। बाहर अवंतिका गुस्से में हॉल में घूम रही थी। उसने जैसे ही देखा कि वृंदा सीढ़ियों से नीचे आ रही है, उसने तेज आवाज़ में कहा,
"क्या तुम अपने घर भी इसी टाइम पर उठती हो?"
वृंदा एक पल के लिए डर कर सहम गई। वह धीमे कदमों से नीचे आई और अवंतिका के सामने खड़ी होकर अपनी पलकें झुकाते हुए बोली,
"माफ़ करना माँ, आज देरी हुई है। आगे से मैं ध्यान रखूँगी। आज मेरी आँख नहीं खुली थी, और मुझे किसी ने उठाया भी नहीं।"
अवंतिका ने गुस्से में कहा,
"अब तुम्हें उठाने के लिए भी यहाँ नौकर लगेंगे? अब चलो और रसोई घर में सबके लिए खाना बनाना है। आज रितेश की पत्नी आने वाली है, जो तुम्हारी शादी में नहीं आ पाई थी, और साथ में तेजस की बुआ जी और उनका बेटा।"
अवंतिका ने इतना बोलकर किचन की तरफ़ अपना रुख कर लिया। वृंदा उसके पीछे-पीछे चलने लगी। अवंतिका ने उसे इसी टोन में आगे कहा,
"और शाम को तुम्हें अपने घर भी जाना है, पग-फेरों की रस्म के लिए, तो अपने भाई को बुला लेना। वह तुम्हें यहाँ से ले जाएगा, और वापस तुम्हें तेजस लेने आएगा, और उसे भी तुम्हें बुलाना है, क्योंकि मेरी बात तो वह सुनता नहीं है। क्या पता अपनी पत्नी की ही सुन ले।"
वृंदा ने धीरे से "हाँ" कहा, और फिर अवंतिका जैसे-जैसे उसे बता रही थी, वह वही पकवान बनाने शुरू कर दिए। वृंदा को सारा खाना बनाना आता है। यह देखकर अवंतिका के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली। वरना उसे लगा था कि इतनी लेट तक सोई है, मतलब पक्का कोई मॉडर्न लड़की है, और मॉडर्न लड़कियों को खाने के नाम पर सिर्फ़ मैगी बनाना आता है। पर यहाँ वृंदा ने उसके बताए सारे पकवान बना दिए थे। और कुछ ही देर में घर की डोरबेल बजी, जो किसी नौकर ने खोला। सामने तेजस की बुआ, नंदिनी, और उनका बेटा नवीन खड़े थे।
उन दोनों ने अपना सूटकेस उस नौकर को दिया और फिर दोनों ही रजवंती के कमरे की तरफ़ चल दिए।
नंदिनी की उम्र करीब 40 साल थी। उसने राजपूती ड्रेस पहनी थी और मुँह पर खूब सारा मेकअप लगाया था ताकि वह अपनी उम्र से छोटी लगे।
नवीन की उम्र करीब 26 साल है, रंग हल्का गेहूँआ है, और 5 फुट 8 इंच हाइट है।
काफ़ी बिगड़ैल किस्म का लड़का है, लड़कियों के मामले में।
नंदिनी के कदम जहाँ जल्दी-जल्दी बढ़ रहे थे, वहीं नवीन अपनी चिल जैसी निगाहों से वृंदा को ढूँढ रहा था।
वह दोनों लंदन में रहते हैं, और उन्हें आने में वक़्त लग गया था। तेजस ने इतनी जल्दबाज़ी में यह शादी 3 दिन में निपटा ली कि किसी को आने का मौक़ा भी नहीं मिला।
To be continued 🎀
नंदिनी ने रजवंती के कमरे में जाते ही सबसे पहले उनके पास जाकर उनके पैर छुते हुए कहा,
"नमस्ते माँ, कैसे हैं आप?"
उसने जैसे ही यह कहा, रजवंती ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, "हाँ बेटा, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।" और फिर नवीन ने भी रजवंती के पैर छुए। वह दोनों रजवंती के पास बैठ गए। रजवंती ने बाहर दरवाज़े की तरफ़ देखते हुए कहा,
"क्या आज भी दामाद जी नहीं आए?"
यह सुनकर नंदिनी का मुँह बन गया। उन्होंने मुँह बिगाड़कर कहा,
"आपका लाडला कभी हमारे साथ ठीक व्यवहार रखता है? जो वह अपनी नाक कटाने वापस यहाँ आए! वह जितनी बार यहाँ आते हैं, तेजस उनकी बेइज़्ज़ती कर देता है। अब उन्होंने मना कर दिया है कि वह कभी यहाँ नहीं आएंगे। अब मैं तो इस घर की बेटी हूँ, मुझे तो आना ही पड़ेगा।"
यह सुनकर रजवंती ने अफ़सोस से एक गहरी साँस छोड़कर कहा, "ठीक है, कोई बात नहीं।"
वहीं दूसरी तरफ़, तेजस अपने ऑफिस में काम कर रहा था, पर उसका काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था। बार-बार उसे वृंदा की याद आ रही थी। उसने सुबह उसके साथ जितना बुरा व्यवहार किया था, पता नहीं वृंदा को कितना हर्ट हुआ होगा। और वह जो थोड़ा बहुत उसके साथ कम्फ़र्टेबल हुई थी, शायद अब वह भी ना हो। तेजस ने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा,
"मुझसे कोई काम सही से नहीं होता। मुश्किल से तो उसने मुझसे बोलना शुरू किया था, और अब फिर से उस पर गुस्सा कर दिया।"
उसने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए। पर माँ एक ऐसा टॉपिक था जिस पर तेजस हमेशा ही चिढ़ जाता है, क्योंकि अवंतिका उसकी असली माँ नहीं थी। उसके पिता ने दूसरी शादी की थी।
और फ़िलहाल तेजस के पिता कोमा में थे। उनकी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब रहती है। फ़ैमिली के नाम पर तेजस के पास इमोशनल सपोर्ट सिर्फ़ और सिर्फ़ रजवंती जी का है। अवंतिका से उसकी बिल्कुल नहीं बनती है। कहने को वह उन्हें मां भी कहता है और उनके साथ अच्छा व्यवहार भी करता है, पर कभी खुलकर उनसे कुछ कह नहीं पाया, और शायद आगे भी नहीं कह पाएगा।
घर में, वृंदा के दिमाग में भी तेजस ही घूम रहा था। उसने खाना बनाते-बनाते सोच लिया था कि वह तेजस के ऑफिस लंच लेकर जाएगी, उसे माफ़ी भी माँग लेगी, और कल सुबह उसे उसके घर से लेकर आना है, यह भी बता देगी। क्योंकि उसके घर वाले कैसे हैं, यह वृंदा को पता है। अगर तेजस उसे लेने वहाँ नहीं आया, तो उन्हें लगेगा कि वृंदा ने पहले ही दिन तेजस को खुद से नाराज़ कर दिया है, और फिर उसके साथ जो सलूक होगा, उसे सहन करने की ताक़त वृंदा में नहीं थी।
वृंदा ने सबके लिए खाना बनाया और घर की नौकर, शीला के साथ मिलकर सारा खाना परोसने लगी।
शीला की उम्र करीब 25 साल थी; दिखने में भी वह काफी सुंदर लगती थी। उसके चेहरे को देखकर लग रहा था कि वह वृंदा से कुछ कहना चाहती है, पर कह नहीं पा रही।
वृंदा ने जब शीला के चेहरे के एक्सप्रेशन देखे, तो प्लेट्स को टेबल पर सीधा करते हुए बोली,
"कहिए दी आपको कुछ कहना है मुझसे?"
'दी' सुनकर शीला घबराते हुए बोली,
"बहुरानी, हमें 'दी' मत कहिए। मालकिन को बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा। उनके घर की बड़ी बहू घर की नौकरानी को 'दी' बुला रही है!"
उसकी बात सुनकर वृंदा मुस्कुराते हुए बोली, "आप उसकी चिंता मत कीजिए, वह मैं संभाल लूंगी। आप अपनी परेशानी बताइए।"
शीला ने थोड़ी दबी आवाज में कहा,
"जो नवीन भैया आए हैं, उनकी नियत बिल्कुल साफ नहीं है। आप इनसे बचकर रहिएगा। पता नहीं कितनी बार मुझे छू लिया है इन्होंने, पर मैं तो नौकरानी हूँ, कोई बात नहीं मेरी कौन सुनता है? ऊपर से मेरे घरवालों को कहूँ तो वे भी मुझे ही डाँटते हैं कि मैं ऐसे-वैसे कपड़े पहनकर काम पर जाती हूँ, तब मेरे साथ यह सब होता है। पर मैं आपको पहले से बता रही हूँ, उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखिएगा। नवीन भैया की तेजस भैया से बिल्कुल नहीं बनती है, तो इसके चलते वो आपके साथ भी बुरा व्यवहार कर सकते हैं।"
शीला की बात सुनकर वृंदा को शीला के लिए बहुत बुरा लगा। वह शीला के पास गई और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली,
"आपको अपनी आवाज दबाने की ज़रूरत नहीं है। आपको दादी माँ से शिकायत करनी चाहिए थी।"
शीला ने वृंदा को समझाते हुए कहा,
"ऐसे मामलों में कोई किसी का साथ नहीं देता है। सबको अपने बेटे बहुत प्यारे होते हैं। ऊपर से दादी माँ को अपनी इकलौती बेटी से बहुत प्यार है। अगर उसके नाती का नाम यूँ बदनाम हो जाएगा, तो दादी माँ को बहुत बुरा लगेगा, और मुझे पता है, वह मेरा साथ कभी नहीं देगी। और मैं तो आपको भी सलाह दूँगी, ऐसी बातों को घर के बड़ों तक तो जाना ही नहीं चाहिए।"
उसकी बात सुनकर कहीं ना कहीं वृंदा को भी लगा कि वह तो अभी दो दिन पहले इस घर में आई है, कैसे उसकी बातों पर यकीन किया जाएगा? तो उसने धीरे से हाँ में सिर हिलाते हुए कहा,
"ठीक है, दी। मैं अपना ध्यान रखूंगी।"
वे दोनों बात ही रही थीं कि तेज कदमों से चलती हुई अवंतिका आईं। उन्हें देखकर वृंदा ने कहा,
"मम्मी जी, मैंने सारा खाना लगा दिया है। क्या मैं उन्हें टिफिन देने ऑफिस जा सकती हूँ?"
वृंदा की आवाज में एक हल्की हिचकिचा हट महसूस हो रही थी,पर उसने सुना था पति परमेश्वर होता है उससे पहले खाना नहीं खाना चाहिए। यह भी एक वजह थी कि वह तेजस के ऑफिस जाना चाहती थी।
अवंतिका ने जैसे ही यह सुना, उसके चेहरे पर कुछ पल भाव बदल गए, लेकिन उसने वृंदा को जाने से नहीं रोका। उसने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है। पहले सब अपना खाना खा लें, और तुम्हें नेक दे दें, उसके बाद तुम तेजस को खाना देने चली जाना।"
यह सुनकर वृंदा के चेहरे पर एक मासूम मुस्कान खिल गई और उसने मन ही मन शिव जी का शुक्रिया अदा किया।
कुछ देर बाद रजवंती, नंदिनी और नवीन तीनों भी डाइनिंग हॉल में आ गए। नवीन की नज़र जैसे ही वृंदा पर पड़ी, उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसने अपने मन में बुदबुदा कर कहा, "खूबसूरत!" पर अचानक ही उसके चेहरे पर जलन के भाव आ गए। वह चेयर पर बैठा और मन ही मन गुस्से से उबलते हुए बोला,
"इस तेजस की किस्मत इतनी अच्छी है कि इतने अफेयर रहने के बाद भी उसे इतनी सुंदर बीवी मिल गई! मैं यह रिश्ता नहीं टिकने दूँगा!" फिर उसने वृंदा के चेहरे को देखते हुए मन में सोचा,
"यह तो दिखने में भी बहुत मासूम लग रही है। इसे ज़रूर तेजस पर शक हो जाएगा अगर मैं पुराने कुछ सबूत इसको दिखाऊँगा कि कैसे उसने एक समय पर दो-दो लड़कियों को डेट किया था।"
वृंदा ने सबको खाना परोसा और उसे शीला की हिदायत याद थी, इसलिए उसने नवीन से दूरी बनाई रखी, जिससे नवीन थोड़ा चिढ़ा हुआ था क्योंकि वह सबके पास जा-जाकर उन्हें खाना खिला रही थी और उनसे तीन बार पूछ रही थी कि और क्या लेंगे, पर नवीन के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसने प्लेट में डालकर नवीन को खाना दिया और उसके बाद वह उसके अगल-बगल भी नहीं गई।
खाना सबको बहुत ज़्यादा टेस्टी लगा था। नंदिनी ने मुँह बिचकते हुए नवीन को देखकर कहा,
"पता नहीं यह नालायक कब शादी करेगा और कब मेरे घर भी ऐसी बहू आएगी जो मुझे इतना स्वादिष्ट खाना बनाकर खिलाएगी!"
यह सुनकर नवीन ने कहा,
"माँ, आप भी ना! अभी तो मैं 27 साल का हुआ हूँ, इतनी भी क्या जल्दी है मेरी शादी करने की?"
नंदिनी ने मुँह बनाते हुए कहा, "तेजस भी तो सिर्फ़ 28 साल का है, तुमसे एक ही साल बड़ा। उसके बाद भी उसकी शादी हो गई है, तो तू क्यों नहीं कर सकता है?"
नवीन को बस मौका चाहिए था तेजस का कैरेक्टर गंदा करने का, जो उसकी माँ ने उसे दे दिया था। नवीन ने एक चम्मच चावल खाते हुए कहा,
"अगर उसकी शादी नहीं होती तो उसके नाजायज़ बच्चों की लाइन लग जाती, इसलिए उसकी शादी होना ज़रूरी था । "
उसकी यह बात सुनकर सबके खाना खाते हाथ रुक गए और सब की आँखें नवीन पर आ गईं। वहीं वृंदा का तो मानो दिल ही टूट गया। उसने भी कन्फ़्यूज़न और थोड़ी शर्मिंदगी भरी आँखों से नवीन की तरफ़ देखा। अब उसके पति के बारे में अगर ऐसी बातें होंगी, तो उसका शर्मिंदा होना लाज़िमी था।
रजवंती ने तेज आवाज में कहा,
"यह कैसी बेहूदा बातें कर रहे हो नवीन? तुम्हारा बड़ा भाई है, वह! तुम उसके चरित्र पर कैसे दाग लगा सकते हो? आखिर किसने कहा तुम्हें कि उसका किसी लड़की के साथ संबंध है?"
अवंतिका ने भी गुस्से के साथ कहा,
"तुम कैसे मेरे बेटे के नाम पर इतना बड़ा कलंक लगा सकते हो? तुम कौन सा उसके पीछे-पीछे रहते हो जो तुम्हें पता हो कि वह लड़कियों के साथ रहता है या नहीं?"
नवीन ने उनके गुस्से से थोड़ा डरते हुए कहा,
" सॉरी। वह फ़्लो फ्लो में निकल गया था। एक बार उसकी गर्लफ़्रेंड से बात हुई थी, तो मुझे ऐसे ही लगा..."
रजवंती ने तेज गुस्से में कहा,
"ऐसे ही लगा और तुमने बोल दिया? बोलने से पहले सोचते नहीं हो? अक्ल नहीं है इतनी? गधे जितने बड़े हो गए हो!"
नंदिनी ने भी हल्के गुस्से के साथ नवीन को देखा
वहीं दादी की डाँट सुनकर वृंदा को हँसी आ गई। थोड़ी देर पहले चेहरे पर आई परेशानी पल भर में हवा हो गई।
खाने के बाद सब ने वृंदा को नेक दिया। रजवंती ने उसके हाथों में भारी-भारी सोने के कंगन पहनाते हुए कहा, "यह मेरी तरफ़ से तुम्हारे लिए। यह तुम्हारी सास के थे, जो अब तुम्हारे हो गए।"
अवंतिका ने भी एक गहनों का सेट वृंदा के हाथों में देते हुए कहा, "यह छोटा सा तोहफ़ा मेरी तरफ़ से।" नंदिनी की नज़र उन कंगनों पर थी। उसने अपनी माँ को रोने जैसा चेहरा बनाकर देखा, जैसे कह रही हो, उसे तो कभी कंगन नहीं मिले।
वहीं रजवंती ने नंदिनी को देखते हुए कहा, "तू क्यों मुझे ऐसे देख रही है? तुझे तेरी सास ने कंगन दिए होंगे ना?" नंदिनी ने कहा, "सास-सास होती है और माँ-माँ होती है। अगर आप भी मुझे कंगन देतीं तो मैं मना नहीं करती।"
फिर उसने एक छोटा सा गिफ़्ट बॉक्स वृंदा को देते हुए कहा, "माफ़ करना, तुम्हारी शादी में नहीं आ पाई। इसमें झुमके हैं जो मैंने बहुत प्यार से बनवाए थे मेरी बेटी के लिए, पर बेटी तो हुई नहीं। बेटी की जगह यह मुस्टंडा पैदा हो गया अब यह तुम्हारे हैं। मैं तुम्हें अपनी बेटी की तरह समझूँगी।"
उन सब को यूँ बातें करता देख वृंदा को खुशी मिल रही थी। उसके घर में यह घरेलू नोक-झोंक थोड़ी कम ही मिलती है। जब उसे लगा कि सब ने उसे गिफ़्ट दे दिया है, तो वह तेज कदमों से अंदर चली गई। अंदर जाकर उसने अपनी पोशाक निकाली और उसकी जगह एक गहरे नीले रंग की साड़ी पहन ली। उसने ढंग से शीशे में खुद को देखा, कहीं कोई कमी ना रह जाए और तेजस के ऑफिस वाले उसे अजीब नज़रों से ना देखें कि सीईओ की पत्नी कहीं कोई अनपढ़ गँवार तो नहीं।
जब उसे लगा कि वह एकदम सही दिख रही है, तो वह वापस किचन में आई और किचन से टिफिन लेते हुए बाहर जाने लगी। उसे इतनी जल्दबाजी में देखकर रजवंती ने उसे रोकते हुए कहा,
"बेटा, आप इतनी जल्दी-जल्दी कहाँ जा रही हो?" वृंदा रुककर उनकी तरफ़ देखते हुए बोली, "दादी माँ, मैं उनके लिए टिफिन लेकर जा रही हूँ।"
यह सुनकर रजवंती के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान खिल गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, जाओ बेटा।" फिर बाहर किसी को आवाज़ लगाते हुए बोली, "राजे़श, गाड़ी ध्यान से चलाना।"
वृंदा गाड़ी में जाकर बैठ गईं और गाड़ी स्टार्ट हो गई। वृंदा के दिल में एक ही ख्याल चल रहा था—उसे ऑफिस में देखकर तेजस का क्या रिएक्शन होगा?
राजवंश कॉरपोरेशन
तेजस एक इंपॉर्टेंट मीटिंग मै था और पूरे फोकस के साथ, फौरन कंपनी के प्रोडक्ट्स की प्रजेंटिंग देख रहा था।
एक लड़का व्हाइट शर्ट और ब्ल्यू फॉर्मल पेंट मै उसके सामने लगी स्क्रीन पर सब कुछ explain कर रहा था।
आस पास तेजस की कंपनी के बाकी लोग बैठे थे।
बाहर। वृंदा अपने साड़ी का पल्लू सही करते हुए हाथ मै टिफिन लिए कंपनी के दरवाजे पर आई
सिक्योरिटी गार्ड ने उसे देखा और अपने मन मै कहा
" है कितनी सुंदर लग रही है "
फिर उसकी नजर उसके गले के मंगल सूत्र और मांग के सिंदूर पर गई तो उसका मुंह मुंह बन गया...
उसने थोड़ा तेज आवाज में पूछा हां मैडम कहां जाना है किसी से मिलना आपको?
वृंदा ने उसे देखकर मुंह बनाते हुए कहा अब यहां तक आई हूं तो अंदर ही जाना होगा मैं अपने पति से मिलने आई हूं
To be continued 🎀
गार्ड ने बोरियत से गहरी सांस छोड़ते हुए कहा
" रिसेप्शनिस्ट के पास अपनी एंट्री करवाओ और उससे पूछ लो अपने पति के बारे में "
वृंदा ने हा मै सर ही लाया और अंदर बढ़ गई
रिसेप्शनिस्ट एक खूबसूरत लड़की थी उसने वृंदा को देखकर कहा
".जी कहिए किससे मिलना आपको?"
उसने इतना बोलकर अपना रजिस्टर निकाला जिसमें वह एंट्री फिल करती है
वृंदा ने अपना नाम बताया और फिर कहा
" मुझे अपने पति तेजस राजवंश से मिलना है "
उसने इतना ही कहा था कि रिसेप्शनिस्ट ने आंखें बड़ी किए वृंदा को देखा उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि अभी-अभी वृंदा ने क्या कहा?
उसने दो-तीन बार पलके झपकाते हुए कहा
" क्या तेजस सर ने शादी भी कर ली?"
"मुझे यकीन नहीं होता और क्या तुम सच में तेजस राजवंश की पत्नी हो ? "
वह इतनी सिंपल तो नहीं होगी?
वृंदा के बर्ताव में ना कोई एटीट्यूड था और ना ही वह इतना इतरा रही थी तो रिसेप्शनिस्ट से हजम नहीं हो रहा था कि तेजस राजवंश जैसे इंसान की पत्नी इतनी नार्मल कैसे हो सकती है
तेजस को तो अपने हर काम में हजार तरीके के tantrums पसंद है बिना tantrums के उसका एक काम नहीं होता तो उसकी बीवी इतनी नार्मल कैसे ?
उसने वृंदा को थोड़े शक भरे लहजे में देखा और फिर कहा
"आप सामने बैठ जाइए मैं अभी कॉल करती हूं ।"
वृंदा हा मै सर हिलाते हुए सामने लगे वेटिंग एरिया के सोफे पर जाकर बैठ गई ।
वह ध्यान से राजवंश कॉरपोरेशन की इस बिल्डिंग को देख रही थी जो काफी खूबसूरत थी वृंदा को यह यकीन दिला रही थी कि तेजस राजवंश कहां है और वृंदा कहां ।
उनका स्टैंडर्ड बिल्कुल मैच नहीं करता है और ऐसा ही तब हुआ था जब वह अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने गई थी उसकी मां को वृंदा का लोअर स्टैंडर्ड होना बिल्कुल पसंद नहीं आया था।
फिर कैसे तेजस ने एक ही झलक में उसके लिए हां कर दी? ऊपर से रजवंती का व्यवहार भी उसके लिए कितना अच्छा था
उसे घर में किसी ने उसे यह महसूस नहीं कराया था कि वह एक मिडिल क्लास फैमिली से है रईसों के खानदान से नही।
हां वृंदा के घर वाले पैसे वाले थे पर इतने नहीं की राजवंश खानदान का मुकाबला कर सके ।
वृंदा को अब अपनी किस्मत पर थोड़ा भरोसा भी होने लगा था तेजस राजवंश जैसा लड़का एक ही बार में उसके लिए हां कर दे उसके बाद अपनी किस्मत पर नाज करना लाज़मी था ।
वही रिसेप्शनिस्ट गौर से वृंदा को देख रही थी की वह झूठ तो नहीं बोल रही ? पर वृंदा के मासूम चेहरे को देखकर लग रहा था शायद ही उसने अपनी जिंदगी में कभी झूठ बोला हो ।
उसने कॉल किया तो पता चला कि तेजस अभी मीटिंग में है तो उसका कॉल अटेंड नहीं कर सकता है इसलिए उसने वृंदा से कहा
"आपको आधा घंटा वेट करना पड़ेगा उसके बाद ही आप सर से मिल पाओगी "
यह सुन कर वृंदा ने अपने मन में कहा
" क्या वह मुझसे नाराज हो गए हैं इसलिए नहीं मिल रहे हैं "
वृंदा को अब सुबह वाली अपनी हरकत पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि अगर तेजस उससे नाराज हो गया तो कल सुबह उसे लेने नहीं आएगा और उसके बाद उसकी फैमिली वाले उसे अलग से ताने देंगे ।
उसे कैसे भी करके तेजस को मानना पड़ेगा उसने थोड़ा हिम्मत करते हुए कहा
" क्या मैं उनसे बात कर सकती हूं "
रिसेप्शनिस्ट ने झल्लाते हुए कहा
"एक तो सर का पीए मुझे सुना रहा है और तुम्हें लगता है कि तुम सर से बात कर लोगी ? मैंने उनके pa को कॉल किया था सर ने कॉल नहीं उठाया है और सर इस वक्त एक इंपॉर्टेंट मीटिंग में है वह हमेशा फ्री नहीं बैठे रहते हैं जो किसी से भी मिलेंगे ।"
वृंदा ने छोटा सा मुंह बनाते हुए कहा
" किसी से थोड़ी मिलना है अपनी पत्नी से तो मिल सकते हैं ।"
रिसेप्शनिस्ट ने अपना काम जारी रखते हुए कहा
" वह तो तब पता चलेगा ना जब सामने से सर कहेंगे कि हां तुम उनकी पत्नी हो , हम कैसे यकीन कर सकते हैं ? अब तो इंतजार करने के अलावा तुम्हारे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है , तो चुपचाप बैठी रहो ।"
उसके लहजे को महसूस कर वृंदा को अपने लिए बुरा लगा पर उसने मुड़कर उसे कोई जवाब नहीं दिया और बस टिक टिक करती घड़ी की तरफ अपनी नजरे टिका दी क्योंकि उसे शाम होने से पहले घर भी जाना था क्योंकि मिथिलेश उसे लेने आने वाला था ।
करीब आधे घंटे बाद तेजस की मीटिंग खत्म हुई तो वह अपने केबिन में आते हुए धम्म से कुर्सी पर बैठ गया और अपनी आंखें बंद करके सर पीछे टिकाते हुए किसी को आवाज लगाते हुए बोला
" रंजीत मेरे लिए एक गिलास नींबू पानी लेकर आना सर गरम हो गया है "
तेजस के केबिन में काम करने वाला रंजीत उठा और जल्दी से नीचे से नींबू पानी लाने गया ।
वह जब बाहर जा रहा था तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे देखा और उससे पूछा
" क्या सर फ्री हो गए हैं ?"
तो रंजीत ने हां में सर हिलाया यह देख कर रिसेप्शनिस्ट ने वापस इस बार डायरेक्ट तेजस के ऑफिस में कॉल किया
बजते हुए फोन को देख कर तेजस ने इरिटेट होते हुए कहा
" यह लोग मुझे एक पल का चैन नहीं लेने देते हैं इन्हें पता नहीं है सर अभी-अभी मीटिंग से फ्री हुए हैं उसके बाद भी कॉल कर रहे हैं"
उसने गुस्से में फोन उठा कर कहा
" क्या बदतमीजी है तुम्हें समझ नहीं आता कि मैं अभी मीटिंग से फ्री हुआ हूं अभी मैं किसी से नहीं मिल सकता हूं"
इतना बोलकर तेजस ने बिना सामने वाले की बात सुने फोन कट कर दिया ।
वहीं अब रिसेप्शनिस्ट का गुस्सा वृंदा पर निकलने वाला था ठीक जैसे तेजस ने कहा वैसे ही अब रिसेप्शनिस्ट ने गुस्से से वृंदा से कहा
" देखा तुम्हारी वजह से कर मुझ पर चिल्ला रहे हैं वह बोल रहे हैं कि वह अभी तो मीटिंग से फ्री हुए हैं इस वक्त वह किसी से नहीं मिल पाएंगे"
यह सुनकर वृंदा का चेहरा मायूस हो गया उसने हिम्मत करते हुए कहा
" प्लीज एक बार आप मेरी बात करवा दीजिए अगर उन्होंने मना कर दिया तो मैं घर चली जाऊंगी"
रिसेप्शनिस्ट को इस बार वृंदा पर दया आ गई उसने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा
" ठीक है बट इस बार सर की डांट तुम ही झेलने वाली हो मैं तो नहीं "
इतना बोलकर उसने फिर से कॉल लगाया इस बार भी तेजस ने गुस्से में कॉल उठाया रिसेप्शनिस्ट ने कॉल स्पीकर पर लगाते हुए अपनी टेबल पर रखा सामने वृंदा खड़ी थी वृंदा कभी फोन को देख रही थी तो कभी रिसेप्शनिस्ट को
सामने से तेजस ने गुस्से में कहा " क्या तुम्हारे कान खराब हो गए हैं एक बार का कहा समझ नहीं आता है या अपनी नौकरी से मन भर गया है"
उस कि गुस्से वाली आवाज सुनकर वृंदा एकदम से चिहुंक उठी वही रिसेप्शनिस्ट को इन सब की जैसे आदत थी तो उसने कुछ नहीं कहा बस घूर कर वृंदा को देखा तेजस बस फोन रखने वाला था कि उसे वृंदा की प्यारी सी आवाज आई
" स सुनिए वो मै....। " इतना बोल कर वृंदा ने अब रेसिपसनिस्ट की तरफ देखा
वहीं उसकी आवाज सुन कर तेजस की मानो एक पल के लिए सांस थम गई हो
तेजस ने धीरे से कहा
" सुनाइए "
तेजस की इतनी धीमी आवाज सुनकर इस बार रिसेप्शनिस्ट हैरानी से वृद्धा की तरफ देख रही थी आखिर उसकी आवाज में ऐसा क्या था कि वह खूंखार शेर से कोई मासूम बिल्ली का बच्चा बन गया?
वही वृद्धा को जब महसूस हुआ कि तेजस ने उसे गुस्से से रिप्लाई नहीं दिया है उसके चेहरे पर भी सुकून उतर आया उसने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा
" वह मैं आपके लिए टिफिन लेकर आई थी क्या आप फ्री हो गए हैं"
तेजस को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ उसकी पत्नी उसके लिए टिफिन लेकर आई है?
तेजस ने हल्के एक्साइटमेंट के साथ मुस्कुराते हुए कहा
" जी अर्धांगिनी जी आपके लिए तो हमेशा फ्री ही है "
ये सुनकर वृंदा का चेहरा लाल पड़ गया वह रिसेप्शनिस्ट की वजह से तेजस की ऐसी बातों से शर्मा रही थी ।
वरना उसे पता है उसका पति फ्लर्ट करने में कितना आगे है उसे शायद फर्क नहीं पड़ता अगर अकेले में तेजस उससे ऐसी बातें करता पर रिसेप्शनिस्ट के सामने उसका मन कर रहा था वह अभी यहां से भाग जाए और कभी उस रिसेप्शनिस्ट की उन हैरान परेशान नजरों का सामना न करना पड़े।
वृंदा ने धीरे से हां बोलते हुए रिसेप्शनिस्ट से कहा
" आप बता सकती हैं उनके केबिन कहां है "
Receptionist ने जल्दी से कॉल कट किया और फिर किसी को आवाज देते हुए बोली
" सुनो महेश मैडम को सीईओ सर का केबिन दिखा कर आओ "
एक लड़का तेज कदमों से चलते हुए वहां आया और वृंदा को झुक कर ग्रीट करते हुए बोला
" जी मैडम चलिए "
उसके बाद वृंदा ने सोफे पर रखा अपना टिफिन उठाया और फिर धीमे कदमों से उसे लड़के के पीछे-पीछे चल पड़ी ।
वही दूसरी तरफ
विराग का घर
विराग के साथ आयशा काफी कंफर्टेबल हो चुकी थी विराग ने उसे खुद का पर्सनल स्पेस दिया था उन दोनों का अलग अलग बेड रूम था ।
और आयशा को एक बार भी ये महसूस नहीं हुआ जैसे विराग उसके साथ कुछ गलत करना चाहता हो ।
जिस वजह से हमेशा उदास रहने वाली आयशा खुश रहने लगी थी हा उन दोनों के झगड़े भी होने लगे थे छोटे मोटे पर उनसे आयशा को बिल्कुल भी प्रॉब्लम नहीं थी ।
इस वक्त विराग एप्रेन पहने किसी मास्टर सैफ की तरफ पास्ता बना रहा था वही आयशा लैपटॉप पर काम कर रही थी ।
उसने कुछ कंपनियों में जॉब के लिए अप्लाई कर रखा था उसने यह बात विराग़ को नहीं बताई थी , पर वह पूरे दिन बस उन्हीं के मेल्स के रिप्लाई का वेट करती रहती ।
विराग ने भी सामने से उसे नहीं पूछा कि वह क्या काम करती है? क्योंकि विराग़ उसे थोड़ा सा भी अनकंफरटेबल फिल नहीं करवाना चाहता था ।
विराग ने दो प्लेट पास्ता निकाला और फिर डाइनिंग टेबल पर रखते हुए बोला
" लीजिए मैडम जी आपका लंच तैयार है बताइए कैसा बना है ?"
आयशा ने अपने हाथ मै पकड़ा लैपटॉप साइड में रखा और एक लंबी सांस छोड़ते हुए उठकर डाइनिंग टेबल पर आ गई ।
और फिर चेयर पर बैठते हुए बोली
" तुम जब भी कोई खाना बनाते हो उसमें कोई ना कोई कमी जरूर रहती है तो आज भी डेफिनेटली होगी "
यह सुनकर विराग का मुंह उतर गया उसने उसकी साइड में बैठते हुए कहा
" तुम बहुत क्रुएल हो कभी तो इस मासूम को प्यार से समझाया करो कि पास्ता में यह चीज कम पड़ती है यह चीज ज्यादा "
आयशा ने आंखें छोटी करते हुए कहा
" मैं तुम्हें तीन दिन से लगातार सीखा रही हूं उसके बाद भी तुमसे पास्ता नहीं बनता ढंग से और मुझे बोलते हो कि तुम अकेले यहां रहते हो मुझे समझ नहीं आता क्या तुम भूखे यहां रहते थे?
विराग ने अपनी कॉलर सही करते हुए कहा
" मैडम जी आपने स्विग्गी जोमैटो ब्लिंकिट इन सब का नाम सुना है वह मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं, ठीक है ,और वह कभी मुझे भूख नहीं रहने देते हैं "
आएशा ने अफसोस से अपने माथे पर हाथ रख लिया और फिर एक चम्मच भर के पास्ता खाया ।
विराग उसे ध्यान से देख रहा था उसके हिलते होठों को देख रहा था और उम्मीद कर रहा था कि आज आयशा उसे बोलेगी कि आज का पास्ता बिल्कुल परफेक्ट बना है ।
आयशा ने 2 मिनट का पोज लेने के बाद कहा
" आज भी तुमने कल की तरह मिर्ची ज्यादा डाल दी है बाकी सब कुछ ठीक ठाक है"
विराग ने जल्दी से एक चम्मच पास्ता खाया और फिर कुछ देर बाद बोला
" मुझे लगता है मिर्ची बिल्कुल सही है तुम्हारा ही मुंह खराब है "
इतना बोलकर उसने मुंह बिचकाया और फिर अपना पास्ता एंजॉय करने लगा
इतने में ही उसका फोन बज उठा
उसने पास्ते की प्लेट में चम्मच वापस रखते हुए कहा
" ये लोग चैन से मुझे खाना भी नहीं खाने देते हैं "
फिर उसने कॉल स्पीकर पर कर लिया और अपना पास्ता खाना जारी रखा तो उधर से एक लड़की की रोने की आवाज आई
जिसे सुनकर विराग ने खाना खाना बंद नहीं किया लेकिन आयशा की नजरे जरूर उसके फोन पर जा ठहरी थी और उसका खाना खाता हाथ भी रख चुका था।
विराग ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा
" हां बोलो प्रिया क्या हुआ है ?"
सामने से उस लड़की ने रोते हुए कहा
" यार मुझे तुम्हारे साथ फिर से पैचअप करना है मुझसे गलती हो गई जो मैंने तुम पर शक किया प्लीज जानू वापस आ जाओ ना मैं बहुत परेशान हो गई हूं तुम्हें पता है रेंट वाला रोज मुझे परेशान करता है मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं है तुम तो मुझसे प्यार करते हो ना तुम मुझे कैसे छोड़ कर जा सकते हो ?"
इतना बोलकर वह फिर से रोने लगी जिसे सुनकर विराग़ किसी पागल की तरह हंसते हुए बोला " और कुछ ?"
प्रिया ने सुबकते हुए कहा
" क्या तुम्हें जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता कल तक तुम जिस लड़की की केयर करते थे आज वह रो रही है तो भी तुम्हें हंसी आ रही है?"
विराग ने इस बार थोड़े गुस्से में कहा
" क्या मैं तुम्हें तुम्हारा कैश कार्ड लगता हूं ? जाओ अपने लिए दूसरा सूगर डैडी ढूंढो मुझे बख्श दो मैं तुम्हारे नखरे उठा उठा कर थक गया और तुमने सिर्फ एक फोन कॉल से ब्रेकअप तक की बात कर ली हद होती है अब मुझे नहीं रहना तुम्हारे साथ जाओ निकलो यहां से "
इतना बोलकर उसने कॉल कट कर दिया और आराम से पास्ता खाने लगा और आयशा आंखें फाड़े बस उसे घूर रही थी ।
विराग की नजर आएशा की प्लेट पर पड़ी तो उसने आयशा के चेहरे को देखते हुए कहा
" इतना भी बुरा नहीं बना है कि तुमने दो बाइट लेकर छोड़ दिया "
आयशा का मुंह जो अफसोस से खुला हुआ था उसने वह बंद करते हुए कहा
" तुम किसी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो ? और मुझे लगा था तुम सिंगल हो "
ये बोलते वक्त उसकी आवाज में एक झिझक थी जिसे महसूस कर विराग ने हंसते हुए कहा
" क्यों अगर मैं सिंगल हुआ तो तुम मेरे साथ पैचअप करोगी ?"
राजवंश कॉरपोरेशन
वृंदा ने केबिन के अंदर जाते हुए टिफिन तेजस के सामने रखा और फिर तेजस के ऑफिस को देखने लगी जो बहुत खूबसूरत था ।
तेजस ने जल्दी से टिफिन खोलते हुए कहा
" क्या खाना तुमने बनाया है?"
वृंदा ने धीरे से हां कहा और अब तेजस की तरफ देखने लगे जो किसी छोटे बच्चों की तरह जल्दी-जल्दी टिफिन खोल रहा था टिफिन खोलते ही तेजस की आंखों में चमक आ गई उसने खीर देखते हुए कहा
" वाव खीर तो मेरी फेवरेट है "
उसने जल्दी से एक चम्मच खीर का भरा और अपने मुंह में रखते हुए सुकून से अपनी आंखें बंद कर ली।
जैसे इससे स्वादिष्ट खाना उसने आज तक ना खाया हो ।
यह देखकर वृंदा के चेहरे पर भी एक मासूम मुस्कान खिल गई उसने चहकती हुई आवाज में कहा
" आपको पसंद आया"
तेजस ने आंखें खोलकर वृंदा को देखा और फिर चेहरे का एक्सप्रेशन थोड़ा नॉर्मल करते हुए बोला
" हां काफी अच्छा बना है "
उसका ऐसा थोड़ा फीका रिस्पॉन्स देखकर वृंदा का चेहरा उतर गया ।
तेजस ने उसे एक चेयर ऑफर करते हुए कहा
"यहां बैठो "
वृंदा वहां बैठ गई तो तेजस ने एक चम्मच खीर का भर के उसकी तरफ किया ।
वृंदा कभी चम्मच को देख रही थी तो कभी तेजस के चेहरे को तेजस को समझ नहीं आया कि वृंदा उसके हाथ से खाना क्यों नहीं खा रही है?
और फिर अचानक ही उसने कहा
"ओह मेरा झूठा है तो तुम नहीं खाओगी?"
वृंदा ने जल्दी से ना मै सर हिलाते हुए कहा
" नहीं ऐसी कोई बात नहीं है "
इतना बोलकर उसने आगे बढ़ते हुए वह खीर खाली से देखकर तेजस के होठों पर मुस्कान आ गई।
उसने दूसरा चम्मच खीर का भरा और इस बार अपने मुंह में ले लिया और वृंदा की आंखें बड़ी हो गई उसे लगा जैसे तेजस ने उसे इनडायरेक्टली किस कर लिया हो।
और उसने झल्लाते हुए कहा
" यह क्या बदतमीजी है आप मुझे इनडायरेक्ट कैसे लिप किस कर सकते हैं ?"
तेजस ने आंखें फाड़े वृंदा को देखा वो उसे ऐसे देख रहा था जैसे उसने किसी पागल को देख लिया हो ।
और फिर उसने चम्मच साइड में रखते हुए कहा
" लगता है तुमने नोवेल्स कुछ ज्यादा ही पढ़ ली है इनडायरेक्ट किस कौन सा होता है ? और तुम कहो तो मैं डायरेक्टली भी कर सकता हूं ।"
इतना बोलकर उसने उसकी चेयर को अपनी तरफ खींच लिया चेयर में टायर लगे हुए थे जिससे वह झट से बिल्कुल तेजस के करीब आ चुकी थी।
इतनी करीब कि तेजस की सांसे उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी और उसका दिल धक से रह गया
उसने डरते हुए अपनी आंखें बंद करके कहा
" सॉरी सॉरी आगे से नहीं कहूंगी"
उसका डरा हुआ चेहरा देखकर तेजस को हंसी आ गई उसने एक उंगली से वृंदा के माथे को दो-तीन बार टेप करते हुए कहा
" मुझे लगता है तुम्हारा ऊपर वाला माला बिल्कुल खाली है।
इनडायरेक्ट लिप किस कौन सा होता है? और किसने कहा तुमसे?"
वृंदा ने धीरे से अपनी आंखें खोलकर घबराती आवाज में कहा
" वह मुझे महसूस हुआ तो मैने बोल दिया"
तेजस ने इस बार थोड़ी सरगोशी भरी आवाज में कहा
" मतलब मैं जो काम करता हूं उससे तुम्हें महसूस भी होता है क्या कुछ कुछ होता है ? तुम्हें मुझे देखकर "
वृंदा डरते हुए पीछे बिल्कुल चेयर से सटी जा रही थी उसने घबराते हुए ककहा
" नहीं कुछ नहीं होता कुछ कुछ ना बहुत कुछ , कुछ भी नहीं होता"
उसके इतने बार कुछ बोलने से तेजस को हंसी आ गई और उसने उसकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा
" चलो टेस्ट करते हैं कि तुम्हें कुछ होता है या नहीं "
To be continued 🎀
तेजस को अपने करीब आता देख, वृंदा ने कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी मुट्ठियाँ कस लीं। उसके होंठ घबराहट के मारे फड़फड़ा रहे थे।
तेजस ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा, "तुम्हारी यह घबराहट तुम्हारे कांपते होंठ , यह मुझे और ज़्यादा बेकाबू करती है। तुम्हें पता है, अर्धांगिनी?"
वृंदा ने बिना आँखें खोले ही अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। तेजस ने अपने होंठ उसके गाल पर रखे थे कि वृंदा की आँख से एक आँसू निकल कर तेजस के होंठों पर लग गया, और तेजस जैसे झट से होश मै आ गया । वह वृंदा से दूर होते हुए बोला,
"आँसुओं की नदी बहाने की ज़रूरत नहीं है। मैं भी कोई मर नहीं रहा हूँ। तुम्हारे पास आने के लिए, मुझे इतनी मंदबुद्धि लड़की से प्यार तो नहीं हो सकता! ज़रूर मेरा भ्रम था कि तुम मेरे लिए सही हो।"
इतना बोलकर उसने वापस खुद को वृंदा से दूर कर लिया और अपना खाना खाने लगा। उसका मूड बिल्कुल उखड़ चुका था। उसने जैसा सोचा था कि वृंदा से मिलने के बाद वह अपना पूरा बदला ले लेगा, जितना वह पिछले सालों में तड़पा था, पर यहाँ तो वृंदा उसे तड़पने के लिए और कई औजार लेकर बैठी थी, जिनमें से उसका फेवरेट था उसके आँसू।
वृंदा को भी अब गलत लग रहा था कि उसने तेजस का मूड खराब कर दिया था। उसने घबराहट भरी आवाज़ में कहा,
"अ... आप मुझे किस कर सकते हैं?"
इतना बोलकर उसने झट से अपनी पलकें झुका लीं।
वहीं तेजस के खाना खाते हाथ रुक गए। उसने नज़रें उठाकर वृंदा को देखा, जो अब मासूमियत से अपने होंठों को अपने दाँतों से काट रही थी और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में उलझाए, अपने मन में चल रहे तूफ़ान को शांत करने की कोशिश कर रही थी।
वहीं, उसकी मासूमियत देखकर तेजस का जैसे दिल पिघल रहा था। उसने उसके लाल हो चुके गाल को सहलाते हुए कहा,
"इतनी भोली बनने की ज़रूरत नहीं है, बेटा। और वैसे भी, अब मेरा मूड नहीं रहा। और मुझे लगता है जब तक तुम मेरे साथ हो, ना, मेरा मूड ऐसे ही खराब होता रहेगा। तो अभी तुम्हारा काम हो गया है, तो निकलो यहाँ से।"
वृंदा का मुँह और ज़्यादा बिगड़ गया।
उसने मन ही मन कहा,
"गंदा इंसान! खड़ूस! अकड़ू! सड़ा हुआ कद्दू!!"
उसे यूँ सोचता देख, तेजस ने खाना एन्जॉय करते हुए कहा,
"इतनी गालियाँ काफी हैं आज के लिए, अर्धांगिनी। अब जाओ भी घर।"
वृंदा ने कल के बारे में सोचा और फिर जल्दी से अपनी चेयर खिसकाकर तेजस के पास कर ली और उसके एक हाथ पर अपना नाज़ुक, काँपता हुआ हाथ आहिस्ता से रखते हुए बोली,
"तेजस..."
तेजस का खाना खाता हाथ रुक गया और उसकी धड़कनें जैसे हवा में उड़ने लगीं। उसे आज से पहले अपना नाम इतना प्यार से कभी नहीं सुना था। उसने नज़रें घुमाते हुए वृंदा के चेहरे को देखा, जो मासूम सी शक्ल बनाए उसे ऐसे देख रही थी जैसे उसकी अटेंशन पाने के लिए वह मर रही हो। तेजस बिल्कुल हड़बड़ा चुका था। उसने थोड़े अजीब अंदाज़ में कहा, "फिर से कहो।"
वृंदा ने अपने घबराहट से सूखे होंठों पर जीभ फेरि और फिर धीरे से कहा,
"तेजस, मुझे आपसे कुछ कहना था।"
तेजस ने गर्दन टेढ़ी करते हुए प्यार से पूछा, "हाँ, कहो ना। क्या कहना है? तुम बस कहती रहो, मैं सुनने के लिए पूरी ज़िंदगी ऐसे बैठा रह सकता हूँ।"
उसके ये शब्द वृंदा को नहीं भा रहे थे, पर फ़िलहाल उसे अपना काम निकलवाना था, तो उसने तेजस के इन शब्दों का जवाब प्यार से ही देते हुए कहा, "वह... एक्चुअली, मुझे आज लेने भैया आने वाले हैं, तो क्या सुबह आप मुझे मेरे घर से लेने आ जाओगे? यह रस्म होती है। अगर आप नहीं आए तो सब लोग मुझे बुरा-भला बोलेंगे।"
तेजस बस एकटक वृंदा के चेहरे को देख रहा था, जो शायद शादी के बाद पहली बार उससे कुछ माँग रही थी। उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, "बस इतनी सी बात थी? इसके लिए तो मुझे इतना चूना लगा रही थी?"
तेजस की टोन फिर से नॉर्मल हो गई, जिसे देखकर वृंदा ने अपना हाथ पीछे खींच लिया और फिर मुँह बनाते हुए बोली, "ऐसे तो आप मान ही नहीं रहे हो।"
तेजस ने खाना खाते हुए कहा, "इसलिए तुमने सोचा मेरे इमोशन्स का फायदा उठा लिया जाए? नहीं।"
वृंदा ने जल्दी से कहा, "नहीं, तेजस! ऐसी कोई बात नहीं है। पर मुझे आपसे ऐसे ही बात करना आता है। मैं कोई चुना नहीं लगा रही थी आपको।"
तेजस ने धीरे से हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है। पर अपना ख्याल रखना। मैं सुबह आ जाऊँगा। और अपनी गंगा-जमुना को कण्ट्रोल रखना। वहाँ जाकर रोने मत लग जाना।"
वृंदा ने जल्दी से मुस्कुराते हुए तेजस को साइड हग कर लिया और फिर एक्साइटमेंट में बोली, "मुझे पता नहीं था नाराज़ पति को मनाना इतना आसान होता है!"
तेजस को लग रहा था आज वृंदा उसे शोक दे दे के ही मार डालेगी। उसका खाना उसके गले में अटक गया और वह जोर-जोर से खांसने लगा। उसके खांसने से वृंदा को रियलाइज़ हुआ कि वह अभी क्या कर रही थी।
वृंदा का सीना तेजस के एक हाथ को छू रहा था और उसके दोनों हाथ साइड से तेजस के गले में लिपटे थे। यह पोज़ीशन कुछ ज़्यादा ऑक्वर्ड हो गई थी। वृंदा ने जल्दी से अपने हाथ हटाते हुए कहा,
"वह... कुछ ज़्यादा ही खुश हो गई थी। आई एम सॉरी। अब मैं चलती हूँ।" इतना बोलकर वृंदा ने आँखें चुरा लीं और जल्दी से तेज कदमों से बाहर चली गई। तेजस को कुछ बोलने का मौका भी नहीं मिला। वह बस उसे जाते हुए देखने लगा और उसके निकलते ही उसके होंठों पर भी एक स्माइल आ गई।
वृंदा बाहर जाकर वापस गाड़ी में बैठ गई। ड्राइवर उसे राजवंश मेंशन ले गया। पूरे रास्ते वृंदा आज अपने और तेजस के बीच हुए मोमेंट्स को याद करते हुए शर्मा रही थी। कभी मुँह बना रही थी तो कभी हँस रही थी। इन कुछ ही लम्हों में उन्होंने इतनी सारी यादें समेट ली थीं कि उनमें सारे इमोशन समा गए थे। ड्राइवर भी अजीब नज़रों से वृंदा को देख रहा था क्योंकि वह कभी बच्चों की तरह हँस रही थी तो कभी बच्चों की तरह मुँह बनाकर तेजस को मन ही मन गालियाँ दे रही थी।
To be continued 🎀
रात 9 बजे शास्त्री भवन...
वृंदा सारा शाम का काम निपटा कर अपने कमरे मै वापस आ चुकी थी उसने इस वक्त एक हल्के गुलाबी रंग का सूट सलवार पहना था और गले मै दुपट्टा डाल रखा था।
उसने अंदर आते हुए सबसे पहले वाशबेसिन मै अपना मुंह धोया जो पसीने से भीगा हुआ था फिर मुंह पोंछ कर दुप्पटा उतार कर साइड मै रखते हुए बेड पर जा लेटी।
काम करने के बाद बेड पर लेट ने से एक पल के लिए बेहद सुकून महसूस होता है जो फिलहाल वृंदा को हो रहा था दर्द से बिलखती उसकी कमर को नर्म गद्दे पर जैसे जन्नत का अहसास हो रहा था।
उसने आंखे बंद की ही थी कि उसका फोन बज उठा
उसने फ्लैश होते नाम को देखा जिस पर लिखा था
" हसबैंड "
वृंदा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा क्या इन्हें अभी चैन नहीं है फिर उसने फोन उठाते हुए कान से लगाया तो उधर से तेजस की आवाज आई
अर्धांगिनी जी कैसे हैं आप कैसा लग रहा है आपके ससुराल सेपीहर जाकर
वृंदा ने एक लंबी आंख भरते हुए कहा आपको कमेंट्री करने के लिए दूसरा टॉपिक नहींमिला
तेजस जो अपनी बेड पर पीठ के बल लेटा था वह पेट के बोल लेते हुए अपना चेहरा पिलो पर टिकते हुए बोला जब मेरे पास इतना दिलचस्प टॉपिक है कमेंट्री करने के लिए तो मैं दूसरे पर क्यों जंप करूं मुझे तो इसी पर कमेंट्री करने में बड़ा मजा आताहै
उसने मुस्कुराते हुए कहा इस वक्त तुम्हारा चेहरा कन्फ्यूजन और गुस्से से बिल्कुल फुल कर लाल टमाटर हो गया होगा काश मैं उसे देख पाता वीडियो कॉल करोगे अर्धांगिनी
वृंदा ने उठकर जल्दी से मिरर में अपना हुलिया देखा और फिर जलते हुए बोली नहीं मुझे कोई वीडियो कॉल नहीं करना है वह वापस लेट गई क्योंकि उसके बाल काफी हद तक बिखरे हुए थे
उधर तेजस के चेहरे पर मायूसी आ गई पर उसने उसे अपनी बातों पर बिल्कुल नहीं झलक ने दिया उसने इस अंदाज में पूछा अगर इतना ही मजा आ रहा है पीहर रह के तो मैं सुबह लेने नहीं आऊंगा तुम दो-तीन दिन आराम सेवहां रहना
यह सुन कर वृंदा बेड पर उठ कर बैठ गई और घबराते हुए बोली
" नहीं प्लीज ऐसा मत करना आप मुझे सुबह ही लेने आ जाना वह भी जल्दी ही "
तेजस ने मुस्कुराते हुए उसे पिलो को और ज्यादा कसकर अपने गले से लगा लिया और फिर सारगोशी से भरे अंदाज में बोला
" मेरे बिना रहा नहीं जा रहा है तुमसे अर्धांगिनी "
वृंदा ने कंफ्यूजन में अपने होठों को काट लिया उसे समझ नहीं आया उसे तेजस की इन सवालों का क्या जवाब देना चाहिए ।
उसने आखिरी बार कोशिश करते हुए कहा
" मेरे पास कोई रीज़न नहीं है पर मैं आपसे रिक्वेस्ट करती हूं सुबह जल्दी आ जाना और अभी मैं बहुत ज्यादा थकी हुई हूं मुझे बहुत नींद आ रही है तो मैं फोन कट कर रही हूं "
उधर से तेजस का जवाब बिना सुने ही वृंदा ने कॉल कट कर दिया और फिर फ्लाइट मोड पर डाल दिया
।
वही तेजस भी गुस्से से उठ कर बेड पर बैठ गया और अपने फोन को देखते हुए बोला
" how could she..... auhh उसने मेरा कॉल कट कर दिया "
इतना बोल कर उसने फिर से कॉल लगाया पर सामने से फोन स्विच ऑफ बता रहा था
जिसे सुन कर तो तेजस को और ज्यादा गुस्सा आ गया उसने फोन बेड पर पटकते हुए कहा
" किसी को मेरी फिक्र नहीं है बस मैं सब की खैर खबर लेता रहूं और सामने से मुझे बस ऐसी धमकियां मिलती हैं ऐसे आर्डर मिलते हैं कोई होगा जो मेरी भी करे करेगा कभी "
इतना बोलकर उसने अपना चेहरा पिलो में धस लिया और फिर आंखेंमंडली
Next morning
शास्त्री भवन में सुबह से चहल पहल थी.. राजस्थान के लोगों मै और कोई क्वालिटी हो ना हो पर उन्हें अपने दामाद की मनवार (खातिरदारी)
करना सबसे अच्छा लगता है ।
मिथिलेश सुबह ही मिठाइयां लेने गया था क्योंकि उसे पता चला था कि तेजस को जलेबी बेहद पसंद है।
वो गरमा गर्म जलेबिया तलवा कर ला रहा था।
वही सुबह सुबह वृंदा किचन मै kaam कर रही थी और सपना उससे तेजस के नारे मै जानकारी ले रही थी।
" दी जीजू गुस्सा करते हैं क्या आप पर? आई मीन ऐसा कोई इंसिडेंट हुआ जिसमें उन्होंने आपको डाट लगाई हो?"
वृंदा को बखूबी समझ आ रहा था की सपना उसे ताना मारने का नया बहाना खोज रही है इसलिए उसने साफ साफ झूठ बोलते हुए कहा
" नहीं उन्होंने मुझ पर बिल्कुल गुस्सा नहीं किया "
ये सुन कर सपना अंदर ही अंदर जल भून गई।
वही तेजस भी उनके घर के लिए निकल चुका था पूरा सज धज के क्योंकि सगाई वाले दिन उसकी इज्जत का खूब भाजी पाला हुआ था।
तेजस ने इस वक्त चॉकलेट ब्राऊन colour का कोट पेंट और नीचे व्हाइट शर्ट पहन रखी थी शर्ट के 3 बटन ओपन थे जिससे उसकी मस्क्यूलर चैस्ट विजिबल हो रही थी।
और उसे एक हॉट लुक दे रही थी एक हाथ मै रेस्ट वॉच और साथ मै कलावा।
वो कार से नीचे उतर कर अपना कोट सही करते हुए शास्त्री भवन मै इंटर हुआ।
दामोदर और शकुन्तला पहले से दरवाजे पर ही उसका इंतजार कर रहे थे।
तेजस ने आगे जाकर उनका आशीर्वाद लिया और वो उसे हॉल मै ले आए।
हॉल मै आते ही सपना तेजस के लिए एक नींबू पानी का गिलास ले आई
"लीजिए जीजू एकदम चिल्ड नींबू पानी "
तेजस जो बस खुद को एडजस्ट कर रहा था सोफे पर ऐसे किसी के बोलने से उसने हैरानी से आंखे उठा कर देखा तो सपना एक स्माइल लिए बार बार पलके झपकाते हुए उसे देख रही थी।
तेजस ने मन ही मन सपना को कोशा और फिर एक छोटी सी स्माइल के साथ वो ग्लास ले लिया।
उसकी नजरे अब वृंदा को ढूंढ रही थी।
उसका इतना टेंट मेंट होके आना वेस्ट हो जाएगा अगर उसकी अर्धांगिनी ही उसे नहीं देखेगी।
वही अंदर मिहिका वृंदा को साड़ी पहनना सिखा रही थी और साथ ही साथ कई सिख दे रही थी।
"मुझे तुम्हारे भैया से पता चला है तुम्हारी सास सौतेली है तो थोड़ा संभल कर रहना जहां तक हो सके उनसे कोई बहस मत करना वो जो बोले वही करना "
वृंदा उसकी बात सुन कर सुन्न रह चुकी थी।
to be continued 🎀
अब एक - एक करके वृंदा को सारी बातें समझ आ रही थी क्यों अवंतिका और तेजस के बीच इतनी दूरियां है? वह क्यों एक आम मां और बच्चे की तरह व्यवहार नहीं करते है? और एक दूसरे से थोड़ा उखड़ा उखड़ा रहते हैं।
उसने कुछ नहीं कहा बस धीरे से हां में सर हिला दिया
मिहिका ने उसका पल्लू सही करते हुए कहा
" वैसे तुम्हारे घर वाले तुम्हें सर पर पल्लू रखने के लिए कहते हैं या नहीं "
वृंदा ने धीरे से ना मै सर हिला दिया ।
उसका ना सुन कर मिहिका ने मुंह बनाते हुए कहा
" बस तुम्हारे भाई और मां को ही अक्ल नहीं है बाकी पूरी दुनिया को अकल है , वह मुझे आज भी पल्लू करवाते हैं मैं कहां मॉडर्न बहू और वह मुझे गवार बना देते हैं, किसी की भी सामने मेरी इज्जत बिल्कुल नहीं रही है चलो अभी फिलहाल यहां हो तो तुम भी सर पर पल्लू ले लो वरना मम्मी जी तुम्हें भी डांट लगाएंगी "
वृंदा ने हा मै सर हिलाते हुए अपने सर पर पल्लू ले लिया और फिर दोनों एक साथ बाहर आई ।
जहां मिथिलेश अब तेजस को जलेबियां परोस रहा था तेजस ने हल्की सी स्माइल के साथ जलेबी का पहला बाइट खाया और उसके सामने वृंदा आ गई वृंदा धीमे कदमों से अपने कमरे से चल कर आ रही थी
तेजस जो जलेबी खा रहा था वह जलेबी उसके मुंह में ही अटक चुकी थी उसने अपने मन ही मन कहा
" मुझे लगता है मैं इतना तैयार होकर आया उसके बाद भी इसके आगे तो मैं बहुत ज्यादा फीका रह गया यह कितनी सुंदर है "
उसने इतना बोल कर उस जलेबी को पूरी तरह निकाल लिया और फिर वृंदा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए मन मै कहा
".किसी दिन इसी जलेबी की तरह इसे भी निगल जाऊंगा । यह इतनी सुंदर कैसे लग सकती है? इसकी हिम्मत कैसे हुई किसने इसको इतना सुंदर बनाया ?"
उसने तीन-चार बार मुंह बनाते हुए वृंदा को ऐसे ही देखा
सपना जिसकी नजर सिर्फ तेजस के एक्सप्रेशन पर थी उसे मन ही मन खुशी हो रही थी कि तेजस को वृंदा पसंद नहीं आई है पर असलियत इससे कोसों दूर थी ।
कुछ देर बाद तेजस ने वह जलेबी की प्लेट वापस टेबल की तरफ खिसकाते हुए कहा बस
" मेरा हो गया मुझे जरुरी काम भी है तो अब हमें चलना चाहिए"
दामोदर ने सपना की तरफ इशारा करते हुए कहा
" जाओ बेटा वृंदा का सूटकेस लेकर आओ"
शकुंतला भी जबरदस्ती मुस्कुराते हुए वृंदा के पास गई और फिर धीरे से उसके कान के पास जाते हुए बोली
" मिहिका ने तुम्हें सब सच-सच बता दिया है ना उस बात का पूरा-पूरा ख्याल रखना है मुझे सामने वालों की तरफ से कोई भी शिकायत नहीं चाहिए"
वृंदा ने धीरे से हां में सर हिला दिया वही तेजस अभी भी बेशर्म की तरह उसे ताड़ रहा था ।
वही सपना मन मारते हुए पैर पटक कर कमरे में जा रही थी उसने सूटकेस उठाते हुए कहा
".बस मुझे इनका कुली बना दिया है मैं अभी दी से बोलेगी मुझे गांव वापस जाना है यह लोग किसी काम के नहीं है जीजू और दीदी के ससुर यह दोनों तो मुझे नौकर समझने लगे हैं इतनी सुंदर लड़की भला कैसे नौकर बन सकती है अगर ऐसा ही चला रहा तो मैं जल्दी अपने गांव चली जाऊंगी "
फिर अचानक उसे तेजस का ख्याल आया तो उसने अपने मन में कहा
" नहीं नहीं अगर मैं वहां चली गई तो मैं तेजस को कभी देखा भी नहीं पाऊंगी और क्या पता किसी दिन तेजस वृंदा को डाइवोर्स देकर मुझे पसंद ही कर ले"
इतना बोलते हुए उसने शरमाते हुए अपने चेहरे पर आए बालों को कान के पीछे कर लिया ।
वह खुद से ही बातें करके खुद ही शर्मा रही थी उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था फिर वह मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर आई और सूटकेस तेजस की गाड़ी की तरफ ले गई ।
वहीं तेजस और वृंदा ने भी शकुंतला और दामोदर के पास जाते हुए उनसे और उनसे जाने की इजाजत ली।
तेजस ड्राइवर सीट पर बैठा और वृंदा उसके बगल में
वृंदा ने लास्ट बार हाथ हिलाते हुए सबको बाय किया और फिर तेजस ने गाड़ी स्टार्ट कर दी
गाड़ी स्टार्ट होते ही तेजस ने वृंदा की तरफ देखते हुए कहा
" कितनी बार कहा है कि पल्लू मत लिया करो "
इतना बोल कर उसने उसके सर से वह पल्लू उतार दिया ।
वृंदा को अचानक ही मिहिका की बातों का ख्याल आया कहां उसके भैया थे जो अपनी पत्नी को आज भी दकियानूसी रस्मों में बांध कर रखते थे और कहां उसका मुफट पति है जो उसे ताने तो बहुत मारता है पर साथ में उसकी इन छोटी-छोटी चीजों का काफी ख्याल रखना है।
इस खयाल भर से ही उसकी नज़रें तेजस की तरफ कुछ सॉफ्ट हो चुकी थी ।
जिसे देख कर तेजस ने अपने बालों पर हाथ फेरते हुए कहा
" क्या मैं आज इतना हैंडसम लग रहा हूं जो मेरी अर्धांगिनी मुझे प्यार भरी नजरों से देख रही है ? "
उसकी इस बात पर वृंदा ने हल्के से मुस्कुराते हुए ना मै सर हिला दिया और फिर सीट से सर टिकाते हुए अपनी आंखें बंद कर ली ।
तेजस को लगा था वह उसकी बातों का जवाब देगी उसकी थोड़ी ही सही पर तारीफ करेगी! पर ऐसा कुछ नहीं हुआ तो उसने गला सही करते हुए कहा
" वैसे तुम काफी सुंदर लग रही हो! कौन से मेकअप प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करती हो , क्योंकि बिना मेकअप तो तुम कभी सुंदर नहीं दिख सकती "
वृंदा को समझ नहीं आया तेजस उसकी तारीफ कर रहा है या इंसल्ट उसने आंखें छोटी करते हुए कहा
" अगर आपको लगता है कि मैं मेकअप से सुंदर लग रही हूं तो आपको यह बोलने की जरूरत ही नहीं है कि मैं सुंदर लग रही हूं , मैं जैसी हूं वैसे ही रहने वाली हूं वैसे भी मुझे लोगों ने कहा है कि मेरा यह जो ब्राउन स्किन टोन है यह इंडियन लड़कों को कुछ खास पसंद नहीं है उन्हें तो गोरी गोरी लड़कियां पसंद आती है और सिंगर भी तो सारी गोरी लड़कियों पर ही गाने बनाते हैं लड़कों की फैंटसी उन गानों से साफ-साफ झलक जाती है "
इतना बोलते बोलते वृंदा मायूस हो चुकी थी।